PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Nibandh Lekhan निबंध-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

निबंध सूची :

  1. श्री गुरु नानक देव जी
  2. श्री गुरु तेग़ बहादुर का बलिदान
  3. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी
  4. गुरु रविदास
  5. महाराजा रणजीत सिंह
  6. लाला लाजपत राय
  7. महात्मा गांधी
  8. पं० जवाहर लाल नेहरू
  9. अमर शहीद सरदार भगत सिंह
  10. हमारा देश
  11. मेरा पंजाब
  12. मेरा गाँव
  13. मेरी पाठशाला (स्कूल)
  14. मेरा प्रिय अध्यापक
  15. मेरा मित्र
  16. लोहड़ी
  17. दशहरा
  18. दीवाली
  19. वैशाखी
  20. होली
  21. बसंत ऋतु
  22. प्रातः काल की सैर
  23. स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)
  24. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)
  25. समाचार पत्र 26. विद्यार्थी जीवन
  26. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या
  27. टेलीविज़न के लाभ-हानियां
  28. मेरी पर्वतीय यात्रा
  29. आँखों देखी प्रदर्शनी
  30. जनसंख्या की समस्या
  31. देशभक्त/स्वदेश प्रेम
  32. आँखों देखा मैच

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

1. श्री गुरु नानक देव जी

श्री गुरु नानक देव जी सिक्खों के पहले गुरु थे। इनका जन्म सन् 1469 में तलवण्डी नामक गाँव में हुआ। इनके पिता जी का नाम मेहता कालू राय जी और माता का नाम तृप्ता देवी जी था।

वह बचपन से ही प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। इसलिए इनका मन पढ़ने में नहीं लगता था। एक बार पिता जी ने इनको कुछ रुपए दिए और सौदा ले आने को कहा। मार्ग में इन्होंने भूखे साधुओं को देखा, इन्होंने उनको भोजन करा दिया और खाली हाथ लौट आए। पिता जी इन पर बहुत गुस्से हुए। फिर उन्होंने गुरु नानक जी को सुल्तानपुर लोधी के मोदी खाने में नौकरी दिलवा दी। यहाँ भी वे अपना वेतन गरीबों और साधुओं में बाँट देते थे।

14 वर्ष की आयु में इनका विवाह सुलक्षणी देवी से हो गया। इनके दो पुत्र हुए श्री चन्द और लखमी दास। लेकिन घर में मन न लगने पर वह घर छोड़कर स्थान-स्थान पर घूमे। इन्होंने अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। लोगों को उपदेश देने के लिए इन्होंने कई यात्राएँ कीं। वह मक्का मदीना भी गए। इन्होंने ईश्वर को निराकार बताया और कहा कि ईश्वर एक है। हम सब भाई-भाई हैं। सदा सच बोलना चाहिए। इनकी वाणी गुरु ग्रन्थ साहिब में है। अन्त में वह करतारपुर में आ गए और वहीं ईश्वर का भजन करते स्वर्ग सिधार गए।

2. श्री गुरु तेग़ बहादुर का बलिदान

सिक्खों के नवम् गुरु श्री गुरु तेग़ बहादुर का आत्म-बलिदान इतिहास की एक अद्भुत घटना है। गुरु जी का जन्म 1 अप्रैल, सन् 1621 ई० को अमृतसर में हुआ। आपके पिता श्री गुरु हरगोबिन्द जी थे। आप शुरू से ही प्रभु के भक्त थे। आप में भलाई की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी।

एक बार कश्मीर का शासक ब्राह्मणों पर घोर अत्याचार कर रहा था। वह ब्राह्मणों को ज़बरदस्ती मुसलमान बनाना चाहता था। तब दुःखी ब्राह्मण गुरु जी के पास आए और उन्हें अपने दुःख का कारण बताया। कारण सुनकर गुरु तेग़ बहादुर जी भी चिन्ता में डूब गए। तभी पुत्र गोबिन्द राय ने चिन्ता का कारण पूछा। तब गुरु तेग बहादुर ने कहा कि किसी बड़े भारी बलिदान की आवश्यकता है। तब गोबिन्द राय ने कहा कि आप से बढ़कर कौन महान् है। अपने पुत्र के इस कथन से गुरु जी बहुत प्रसन्न हुए।

गुरु जी दिल्ली में औरंगजेब के दरबार में पहुंचे। उन्होंने औरंगजेब को काफ़ी समझाया। लेकिन इनके महान् उपदेश का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा। उसने गुरु जी को मौत के घाट उतारने का हुक्म दे दिया। जैसे ही जल्लाद ने तलवार से गुरु जी पर प्रहार किया, आँधी चलने लगी। भाई जैता जी गुरु जी का शीश उठाकर आनन्दपुर गुरु गोबिन्द सिंह जी के पास ले गया। यहाँ शीश का अन्तिम संस्कार किया गया। भाई लखी शाह गुरु जी के शव को उठाकर अपने घर ले गया और घर को आग लगाकर उनका अन्तिम संस्कार कर दिया। दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज उनके बलिदान की याद दिलाता है।

इस प्रकार गुरु जी ने अपने बलिदान से लोगों को यह प्रेरणा दी कि मौत से नहीं डरना चाहिए। सत्य की रक्षा के लिए उन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगा दी। इनका बलिदान सदैव अमर रहेगा।

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3. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी

श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी सिक्खों के दसवें गुरु थे। आपका जन्म सन् 1666 ई० में पटना में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री गुरु तेग बहादुर और माता का नाम माता गुजरी देवी जी था। आपको बचपन से ही तीर चलाने और घुड़सवारी का शौक था। आपने फ़ारसी और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की। आप बहुत निडर और शक्तिशाली योद्धा थे।

9 वर्ष की आयु में पिता के बलिदान के बाद आप गुरुगद्दी पर बैठे। समाज में फैले अत्याचारों को रोकने के लिए आपने सन् 1699 ई० में खालसा पंथ की स्थापना की तथा पाँच प्यारों को अमृत छकाया। धर्म की रक्षा के लिए आपके चारों पुत्रों ने अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। आप सारे सिक्खों को अपने पुत्रों के समान समझते थे तथा उनसे प्रेम का व्यवहार करते थे।

अपने अन्तिम समय में आप नंदेड़ चले गए। वहाँ पर गुलखां नामक पठान ने अपनी पुरानी शत्रुता के कारण आपको छुरा घोंप दिया। घाव गहरा था। यहीं पर आपने बन्दा बैरागी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में, बुराई के विरुद्ध लड़ने का संदेश देकर भेजा। सन् 1708 ई० में गुरु जी ज्योति जोत समा गए। आपने देश व धर्म के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इतिहास में आपका नाम हमेशा अमर रहेगा।

4. गुरु रविदास जी

आचार्य पृथ्वीसिंह आजाद के अनुसार भक्तिकाल के महान् संत कवि रविदास (रैदास) जी का जन्म विक्रमी संवत् 1433 ई० में माघ की पूर्णिमा को रविवार के दिन बनारस के निकट मंडुआडीह नामक गाँव में हुआ।

गुरु जी बचपन से ही संत स्वभाव के थे। उनका अधिकांश समय साधु संगति और ईश्वर भक्ति में व्यतीत होता था। गुरु जी जातिपांति या ऊँच-नीच में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने अहंकार के त्याग, दूसरों के प्रति दया भाव रखना तथा नम्रता का व्यवहार करने का उपदेश दिया। उन्होंने लोभ, मोह को त्याग कर सच्चे हृदय से ईश्वर भक्ति करने की सलाह दी।

गुरु जी की वाणी में ऐसी शक्ति थी कि लोग उनके उपदेश सुनकर सहज ही उनके अनुयायी बन जाते थे। उनके अनुयायियों में महारानी झालाबाई और कृष्ण भक्त कवयित्री मीरा बाई का नाम उल्लेखनीय है। गुरु जी की वाणी के 40 पद आदिग्रन्थ श्री गुरु ग्रन्थ साहब में संकलित हैं जो समाज कल्याण के लिए आज भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रहती दुनिया तक गुरु जी की अमृतवाणी लोगों का मार्ग दर्शन करती रहेगी।

5. महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के एक महान् और वीर सपूत थे। इतिहास में वे ‘शेरे पंजाब’ के नाम से मशहूर है। उनका जन्म 2 नवम्बर, सन् 1780 ई० को गुजराँवाला में हुआ। आपके पिता सरदार महासिंह सुकरचकिया मिसल के मुखिया थे। आपकी माता राज कौर जींद की फुलकिया मिसल के सरदार की बेटी थी। आपका बचपन का नाम बुध सिंह था। सरदार महासिंह ने जम्मू को जीतने की खुशी में बुध सिंह की जगह अपने बेटे का नाम रणजीत सिंह रख दिया।

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महाराजा रणजीत सिंह को वीरता विरासत में मिली थी। उन्होंने दस साल की उम्र में गुजरात के भंगी मिसल के सरदार साहिब सिंह को लड़ाई में करारी हार दी थी। महासिंह के बीमार होने के कारण सेना की बागडोर रणजीत सिंह ने सम्भाली थी।

महाराजा रणजीत सिंह के पिता की मौत इनकी छोटी उम्र में ही हो गई थी। इसी कारण ग्यारह साल की उम्र में उन्हें राजगद्दी सम्भालनी पड़ी। पन्द्रह साल की उम्र में महाराजा रणजीत सिंह का विवाह कन्हैया मिसल के सरदार गुरबख्श सिंह की बेटी महताब कौर से हुआ। इन्होंने दूसरा विवाह नकई मिसल के सरदार की बहन से किया।

महाराजा रणजीत सिंह ने बड़ी चतुराई से सभी मिसलों को इकट्ठा किया और हुकूमत अपने हाथ में ले ली। 19 साल की उम्र में आपने लाहौर पर अधिकार कर लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया। धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, मुलतान, पेशावर आदि सब इलाके अपने अधीन करके एक विशाल राज्य की स्थापना की। आपने सतलुज की सीमा तक सिक्ख राज्य की जडें पक्की कर दी।

महाराजा अनेक गुणों के मालिक थे। वे जितने बड़े बहादुर थे, उतने ही बड़े दानी और दयालु भी थे। छोटे बच्चों से उन्हें बहुत प्यार था। चेचक के कारण उनकी एक आँख खराब हो गई थी। इस पर भी उनके चेहरे पर तेज था। वे प्रजा-पालक थे। उनकी अच्छाइयाँ आज भी हमारे दिलों में उत्साह भर रही हैं। उनमें एक आदर्श प्रशासक के गुण थे, जो आज के प्रशासकों को रोशनी दिखा सकते हैं।

6. लाला लाजपत राय

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय भारत के वीर शहीदों में सबसे आगे हैं। लाला जी का जन्म जगराओं के समीप दुढिके ग्राम में 28 जनवरी, सन् 1865 में हुआ। इनके पिता लाला राधाकृष्ण एक अध्यापक थे। मैट्रिक परीक्षा में वज़ीफा प्राप्त कर वे गवर्नमैंट कॉलेज में प्रविष्ट हुए। एम० ए० पास करके फिर इन्होंने वकालत पास की। फिर हिसार में वकालत शुरू की।

इनमें देश-भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। देश की स्वतन्त्रता के लिए इन्होंने आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। वे इंग्लैण्ड भी गए। वहाँ से वापस आकर इन्होंने बंग-भंग आन्दोलन में भाग लिया जिस कारण इनको जेल में बन्दी बना लिया गया। फिर यूरोप और अमेरिका की यात्रा की।

सन् 1928 ई० में साइमन कमीशन भारत आया तब इन्होंने उसका काली झण्डियों से स्वागत किया। पुलिस ने इन पर लाठियाँ बरसाईं। लाला जी की छाती पर कई चोटें आईं। इन घावों के कारण वे 17 नवम्बर, सन् 1928 को संसार से सदा के लिए विदा हो गए। इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। भारत इनके महान् बलिदान को हमेशा याद रखेगा।

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7. महात्मा गांधी

महात्मा गांधी भारत के महान नेताओं में से एक थे। इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को पोरबन्दर (गुजरात) में हुआ। इनके पिता का नाम कर्मचन्द गांधी और माता का नाम पुतली बाई था जो एक धार्मिक स्वभाव की स्त्री थी। इन्होंने मैट्रिक परीक्षा पोरबन्दर में ही पास की। 13 वर्ष की आयु में आपका विवाह हो गया। उच्च शिक्षा के लिए आप विदेश गए। फिर आप बैरिस्टर बनकर भारत में आए तथा बम्बई (मुम्बई) में वकालत शुरू की। किसी मुकद्दमे के सिलसिले में ये दक्षिणी अफ्रीका गए। वहाँ भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों का दुर्व्यवहार देखकर ये बहुत दुःखी हुए।

सन् 1915 में भारत वापस आकर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन चलाया। सन् 1928 में साइमन कमीशन का बायकॉट किया। देश के आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लेने के कारण कई बार जेल गए। सन् 1947 में अपने अहिंसा के शस्त्र से इन्होंने देश को आजाद करवाया। सारा देश इन्हें बापू गांधी कहता है। वे सारे राष्ट्र के पिता थे। 30 जनवरी, सन् 1948 को वे नाथू राम गोडसे की गोली का शिकार हो गए जिससे इनकी मृत्यु हो गई। गांधी जी मर कर भी अमर हैं। हमें गांधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

8. पं० जवाहर लाल नेहरू

पं० जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमन्त्री थे। इनका जन्म 14 नवम्बर, सन् 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता का नाम मोती लाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी था। इनका बचपन बड़े लाड़-प्यार से बीता। 15 वर्ष की आयु में ये इंग्लैण्ड गए। पहले ये हैरो स्कूल में पढ़े फिर कैम्ब्रिज में। वहाँ से बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे।

वापस आने पर इनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। दोनों पति-पत्नी ने बढ़-चढ़ कर देश के कार्यों में भाग लेना शुरू कर दिया। इनमें शुरू से ही देश-प्यार कूट कूट कर भरा हुआ था। देश को स्वतन्त्र कराने के लिए इन्हें कई बार कारावास का दण्ड मिला। सन् 1942 में कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो’ का नारा लगाया। अन्य नेताओं के साथ नेहरू जी भी कारावास में बन्द कर दिए गए। सन् 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो ये प्रधानमन्त्री बने।

ये सादगी को पसन्द करते थे। ये शान्ति के अवतार और प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे। बच्चे प्यार से इन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहते थे। 27 मई, सन् 1964 को पं० जवाहर लाल नेहरू स्वर्ग सिधार गए। उन्होंने देश के लिए जितने कष्ट सहन किए, उनकी कोई तुलना नहीं हो सकती। वे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे।

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9. अमर शहीद सरदार भगत सिंह

सरदार भगत सिंह पंजाब के महान सपूत थे। उन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए क्रान्तिकारी रास्ता अपनाया। देश की खातिर हँसते-हँसते फाँसी के तख्ने पर झूल गए। उनकी कुर्बानी रंग लाई और आजादी के लिए तड़प पैदा की। उनका जन्म 28 सितम्बर, सन् 1907 को जन्म हुआ था। इनके पिता सरदार किशन सिंह और चाचा सरदार अजीत सिंह कट्टर देशभक्त थे। उन्होंने शिक्षा गाँव में तथा लाहौर के डी० ए० वी० स्कूल में प्राप्त की।

उनमें देशभक्ति और क्रान्ति के संस्कार बचपन से थे। सन् 1919 में सारे भारत में रौलेट-एक्ट का विरोध हुआ था। भगत सिंह सातवीं में पढ़ते थे, जब जलियाँवाला बाग का हत्याकाण्ड हुआ था। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ। भगत सिंह पढ़ाई छोड़कर कांग्रेस के स्वयं सेवकों में भर्ती हो गए। इन्होंने अपना जीवन देश को अर्पण करने की प्रतिज्ञा ली। सन् 1926 में ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना हुई।

भगत सिंह उसके जनरल सैक्रेटरी बने। इस सभा का उद्देश्य क्रान्तिकारी आन्दोलन को बढ़ावा देना था। अक्तूबर, सन् 1927 में लाहौर में दशहरे के अवसर पर किसी ने बम फेंका। पुलिस ने सरदार भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। वे दो सप्ताह हवालात में रहे। 30 अक्तूबर, सन् 1928 को ‘साइमन कमीशन’ लाहौर पहुँचा तो इसके विरोध का नेतृत्व “नौजवान भारत सभा” ने अपने हाथ में लिया। कांग्रेसी नेता लाला लाजपत राय साइमन कमीशन के विरुद्ध निकाले गए जुलूस में सबसे आगे थे। वे पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज से बुरी तरह घायल हो गए। कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई।

भगत सिंह ने अपने प्यारे नेता की हत्या का बदला सांडर्स की जान लेकर किया। 8 अप्रैल, सन् 1929 को केन्द्रीय विधानसभा में एक काला कानून बनाया जा रहा था। सरदार भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने अपना रोष प्रकट करने के लिए केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंका। उन्होंने ‘इन्कलाब ज़िन्दाबाद’ के नारे लगाते हुए अपने आपको गिरफ्तारी के लिए पेश किया। उन पर मुकद्दमा चला। 17 अक्तूबर, सन् 1930 को उन्हें फाँसी की सजा हुई।

23 मार्च, सन् 1931 को अंग्रेज़ सरकार ने सरदार भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव और राजगुरु को फाँसी के तख्ते पर चढ़ा दिया। सरदार भगत सिंह अपनी शहादत से भारतीय नौजवानों के सामने एक महान् आदर्श कायम कर गए। सदियों तक भारत की आने वाली पीढ़ियाँ भगत सिंह और उनके साथियों की कुर्बानी से प्रेरणा लेती रहेंगी।

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10. हमारा देश

हमारे देश का नाम भारत है। यह हमारी मातृभूमि है। दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इसका भारत नाम पड़ा। यह एक विशाल देश है। जनसंख्या की दृष्टि से यह संसार में दूसरे स्थान पर है। इसकी जनसंख्या 125 करोड़ से ऊपर पहुँच चुकी है। यहाँ पर अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।

भारत के उत्तर में हिमालय है और शेष तीनों ओर समुद्र है। इस पर अनेक पर्वत, नदियाँ, मैदान और मरुस्थल हैं। स्थान-स्थान पर हरे-भरे वन इसकी शोभा हैं। यह एक कृषि-प्रधान देश है। यहाँ की अधिकतर जनता गाँवों में रहती है। यहाँ गेहूँ, मक्का, बाजरा, ज्वार, गन्ना आदि फसलें होती हैं। यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है। यहाँ गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ बहती हैं। इसकी भूमि से लोहा, कोयला, सोना आदि कई प्रकार के खनिज पदार्थ निकलते हैं।

यहाँ पर कई धर्मों के लोग निवास करते हैं। सभी प्रेम से रहते हैं। यहाँ पर अनेक तीर्थ स्थान हैं। ताजमहल, लाल किला, सारनाथ, शिमला, मसूरी, श्रीनगर आदि प्रसिद्ध स्थान हैं जो देखने योग्य हैं। यहाँ पर कई महापुरुषों ने जन्म लिया। श्री राम, श्री कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द, रामतीर्थ, तिलक, महात्मा गाँधी आदि इस देश की शोभा हैं। यह देश दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।

11. मेरा पंजाब

पौराणिक ग्रंथों में पंजाब का पुराना नाम ‘पंचनद’ मिलता है। मुस्लिम शासन के आगमन पर इसका नाम पंजाब अर्थात् पाँच पानियों (नदियों) की धरती पड़ गया। किन्तु देश के विभाजन के पश्चात् अब रावी, ब्यास और सतलुज तीन ही नदियाँ पंजाब में रह गई हैं। 15 अगस्त, 1947 को इसे पूर्वी पंजाबी की संज्ञा दी गई। 1 नवम्बर 1966 को इसमें से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा प्रदेश अलग कर दिए गए किन्तु फिर से इस प्रदेश को पंजाब पुकारा जाने लगा।

आज के पंजाब का क्षेत्रफल 50,362 वर्ग किलोमीटर तथा सन् 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 2.42 करोड़ है।।

पंजाब के लोग बड़े मेहनती हैं। यही कारण है कि कृषि के क्षेत्र में यह प्रदेश सबसे आगे है। औद्योगिक क्षेत्र में भी यह प्रदेश किसी से पीछे नहीं है। पंजाब का प्रत्येक गाँव पक्की सड़कों से जुड़ा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी पंजाब देश में दूसरे नम्बर पर है। यहाँ छ: विश्वविद्यालय हैं।

गुरुओं, पीरों, वीरों की यह धरती. उन्नति के नए शिखरों को छू रही है।

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12. मेरा गाव

मेरे गाँव का नाम…….है। यह होशियारपुर का सबसे बड़ा गाँव है। यहाँ की जनसंख्या पन्द्रह हज़ार है। यह होशियारपुर से छ: मील की दूरी पर स्थित है। यह पक्की सड़कों द्वारा शहर के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ पर रेल लाइन भी बिछी है जिस कारण यहाँ के रहने वालों को आने-जाने में कोई मुश्किल नहीं होती।

इस गाँव में एक हाई स्कूल तथा एक प्राइमरी स्कूल भी है। यहाँ लड़के और लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करते हैं। यहाँ पर अधिकतर लोग खेती-बाड़ी करते हैं। वे नए ढंगों से खेती करते हैं। यहाँ सब लोग मिल-जुलं कर रहते हैं।

मेरे गाँव में एक सरकारी अस्पताल भी है जहाँ पर रोगियों की देखभाल की जाती है। एक पंचायत घर भी है जहाँ लोगों को सच्चा न्याय मिलता है। यहाँ पर ट्यूबवैल और कुओं आदि से खेती की जाती है। पीने के पानी का विशेष प्रबन्ध है।

अधिकतर मकान कच्चे हैं। कुछ पक्के भी हैं। गाँव की गलियाँ पक्की बनी हुई हैं। लोग आपस में मिल-जुल कर रहते हैं। गाँव की सफाई का पूर्ण ध्यान रखते हैं। मुझे अपने गाँव की मिट्टी के कण-कण से प्यार है तथा मैं इस पर गर्व करता हूँ।

13. मेरी पाठशाला (स्कूल)

मेरी पाठशाला का नाम………..है। यह एक बहुत बड़ी इमारत है। यह जी० टी० रोड पर स्थित है। इसमें 20 कमरे हैं। सभी कमरे खुले और हवादार हैं। प्रत्येक कमरे में दो खिड़कियाँ और दो-दो दरवाज़े हैं। ये बहुत साफ़-सुथरे हैं।

पानी पीने के लिए यहाँ पर चार नलके लगे हुए हैं। पुस्तकें पढ़ने के लिए एक पुस्तकालय है। यहाँ पर लगभग 12 हज़ार पुस्तकें हैं। पाठशाला के सामने ही एक वाटिका है। यहाँ पर कई प्रकार के फूल लगे हैं जो पाठशाला की शोभा को चार चाँद लगा देते हैं।

पाठशाला में अन्दर आते ही मुख्याध्यापक का दफ्तर है और दूसरी तरफ अध्यापकों का कमरा है। इनके साथ ही एक साईंस-रूम है। यहाँ बच्चों को क्रियात्मक कार्य करवाया जाता है।

मेरी पाठशाला में पच्चीस अध्यापक हैं जो बहुत योग्य हैं और परिश्रम से बच्चों को पढ़ाते हैं। वे मुख्याध्यापक का सम्मान करते हैं और बच्चों के साथ भी प्रेम का व्यवहार करते हैं। पाठशाला के पीछे एक खेल का मैदान है जहाँ पर बच्चे शाम को खेलते हैं। मेरी पाठशाला का परिणाम हर साल बहुत अच्छा निकलता है। अनुशासन और प्रेम का व्यवहार यहाँ पर सिखाया जाता है। मुझे अपनी पाठशाला पर गर्व है।

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14. मेरा प्रिय अध्यापक

मेरे स्कूल में बहुत से अध्यापक हैं लेकिन उन सबमें से मुझे श्री वेद प्रकाश जी बहुत अच्छे लगते हैं। वह हमें हिन्दी पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाने का ढंग बहुत अच्छा है। उन्होंने बी० ए० और प्रभाकर किया हुआ है। वह ओ० टी० भी हैं। वह सभी विद्यार्थियों से स्नेह का व्यवहार करते हैं और पाठ को अच्छी तरह से समझाते हैं।

वह एक उच्च विचारों वाले और नम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं। वह सादगी को बहुत पसन्द करते हैं और बच्चों को भी सादा रहने का उपदेश देते हैं। वह सदा सच बोलते हैं। वह हमेशा समय पर स्कूल आते हैं। वह अन्य सभी अध्यापकों का तथा मुख्याध्यापक का बहुत सम्मान करते हैं। उनकी वाणी में मिठास है। वह किसी बच्चे को पीटते नहीं हैं बल्कि उन्हें प्यार से समझाते हैं। वे किसी भी बुरी आदत के शिकार नहीं हैं।

वह बहुत रहम दिल हैं और वह कमज़ोर और ग़रीब बच्चों की सहायता करते हैं। वह बच्चों के सच्चे हित को चाहने वाले हैं। वह एक खिलाड़ी हैं और बच्चों को भी खेलने की प्रेरणा देते हैं। बच्चे उनकी शिक्षाओं से अच्छे बन सकते हैं। सभी विद्यार्थी उनका बहुत सम्मान करते हैं। मुझे उन पर गर्व है।

15. मेरा मित्र

रमेश मेरा बहुत अच्छा मित्र है। वह मेरे साथ ही सातवीं कक्षा में पढ़ता है। उसकी आयु बारह साल के लगभग है। उसके पिता जी एक डॉक्टर हैं। उसकी माता जी एक धार्मिक स्वभाव की स्त्री हैं। वह उसे सदाचार की शिक्षा देती हैं।

रमेश पढ़ने में बहुत होशियार है। परीक्षा में वह सदा प्रथम रहता है। वह हमारे घर के पास ही रहता है। उसके पिता जी उसे और मुझे सुबह सैर करने ले जाते हैं। वह सुबह जल्दी ही उठ जाता है। वह प्रतिदिन स्नान करता है और समय पर स्कूल जाता है। वह सभी के साथ बड़ा नम्र व्यवहार करता है। वह हमेशा सादे कपड़े पहनता है और सदा सत्य बोलता है। उसका चेहरा हँसमुख और स्वभाव सरल है। वह किसी बुरे और शरारती लड़के की संगति नहीं करता है और मुझे भी बुरी संगति करने से रोकता है। वह कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करता है।

रमेश खेलों में भी बहुत रुचि लेता है। वह स्कूल की हॉकी टीम में खेलता है। वह शाम को खेलने जाता है। वह बड़ा स्वस्थ दिखाई देता है। वह रात को पढ़ता है। वह बड़ा मन व्याकरण तथा रचना भाग लगाकर पढ़ाई करता है। इसी कारण वह हमेशा प्रथम रहता है। उसे कई इनाम भी मिल चुके हैं। सभी अध्यापक उसे बहुत प्यार करते हैं। मुझे अपने इस मित्र पर गर्व है।

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16. लोहड़ी

लोहड़ी का त्योहार विक्रमी संवत् के पौष मास के अन्तिम दिन अर्थात् मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले मनाया जाता है। अंग्रेज़ी महीने के अनुसार यह दिन प्राय: 13 जनवरी को पड़ता है। इस दिन सामूहिक तौर पर या व्यक्तिगत रूप में घरों में आग जलाई जाती है और उसमें मूंगफली, रेवड़ी और फूल-मखाने की आहुतियाँ डाली जाती हैं। लोग एक दूसरे को तिल, गुड़ और मूंगफली बाँटते हैं।

पता नहीं कब और कैसे इस त्योहार को लड़के के जन्म के साथ जोड़ दिया गया। प्रायः उन घरों में लोहडी विशेष रूप से मनाई जाती है जिस घर में लड़का हआ हो। किन्तु पिछले वर्ष से कुछ जागरूक और सूझवान लोगों ने लड़की होने पर भी लोहड़ी मनाना शुरू कर दिया है।

लोहड़ी, अन्य त्योहारों की तरह ही पंजाबी संस्कृति के साँझेपन का, प्रेम और भाईचारे का त्योहार है। खेद का विषय है कि आज हमारे घरों में ‘दे माई लोहडी-तेरी जीवे जोडी’ या ‘सुन्दर मुन्दरिये हो, तेरा कौन बेचारा’ जैसे गीत कम ही सुनने को मिलते हैं। लोग लोहड़ी का त्योहार भी होटलों में मनाने लगे हैं जिससे इस त्योहार की सारी गरिमा कम होती जा रही है।

17. दशहरा

दशहरा प्रधान त्योहारों में से एक है। यह आश्विन मास की शुक्ला दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्री राम ने लंका के सम्राट् रावण पर विजय पाई थी। भगवान् राम के वनवास के दिनों में रावण छल से सीता को हर कर ले गया था। राम जी ने हनमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता से लंका पर हमला किया तथा रावण को मार कर लंका पर विजय पाई। तभी से यह दिन मनाया जाता है।

दशहस रामलीला का आखिरी दिन होता है। भिन्न-भिन्न स्थानों में अलग-अलग प्रकार से यह दिन मनाया जाता है। बड़े-बड़े नगरों में रामायण के पात्रों की झांकियाँ निकाली जाती हैं। दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के कागज़ के पुतले बनाए जाते हैं। सायँकाल के समय राम और रावण के दलों में बनावटी लड़ाई होती है। राम रावण को मार देते हैं। रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। पटाखे आदि छोड़े जाते हैं। बाजारों में दुकानें खूब सजी होती हैं और बाजारों में खूब रौनक होती है। लोग मिठाइयाँ तथा खिलौने लेकर घरों को लौटते हैं।

इस दिन कुछ लोग शराब पीते हैं और जुआ आदि भी खेलते हैं। यह सब ठीक नहीं है। यदि ठीक ढंग से इस त्योहार को मनाया जाए तो बहुत लाभ हो सकता है।

18. दीवाली

दीवाली हमारे देश का एक पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दशहरे के बीस दिन बाद आता है। इस दिन भगवान् राम लंका के राजा रावण को मार कर तथा वनवास के चौदह वर्ष खत्म कर अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने उनके स्वागत में रात को दिये जलाए थे। उनकी पवित्र याद में यह दिन बड़े सम्मान से मनाया जाता है।

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इसी दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द जी ग्वालियर के किले से जहाँगीर की कैद से मुक्त होकर लौटे थे। लोगों ने उनके स्वागत में घर-घर दीपमाला की थी।

दीवाली से कई दिन पूर्व तैयारी आरम्भ हो जाती है। लोग घरों की लिपाई-पुताई करते हैं। कमरों को सजाते हैं। घरों का कूड़ा-कर्कट बाहर निकालते हैं। अमावस को दीपमाला की जाती है।

इस दिन लोग मित्रों को बधाई देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। बच्चे नए-नए कपड़े पहनते हैं। रात को लक्ष्मी पूजा के बाद बच्चे आतिशबाजी चलाते हैं। कई लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं।

दीवाली हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे उचित रीति से मनाना चाहिए। विद्वान लोगों को जन-साधारण को उपदेश देकर अच्छे रास्ते पर चलाना चाहिए। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते और शराब पीते हैं जो कि बहुत बुरा है, लोगों को इससे बचना चाहिए। आतिशबाजी पर अधिक खर्च नहीं करना चाहिए।

19. वैशाखी

भारत में हर साल अनेक प्रकार के उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। वैशाखी भी ऐसा ही पर्व है जिसमें लोग अपनी खुशी प्रकट करते हैं। यह त्योहार हर साल नवीन उत्साह एवं उमंग लेकर आता है तथा लोगों में एक नई चेतना भरता है। वैशाखी वैशाख मास की संक्रान्ति को होती है। 13 अप्रैल को यह मेला मनाया जाता है। सूर्य के गिर्द वर्ष भर का चक्कर काट कर पृथ्वी जब दूसरा चक्कर आरम्भ करती है तो उस दिन वैशाखी होती है। वैशाख महीने से नया साल शुरू होता है। इसी दिन वर्ष भर के कामों का लेखा-जोखा किया जाता है। इस समय नई फसल पक कर तैयार हो जाती है। किसान अपनी फसल को पाकर झूम उठते हैं। वे कहते हैं –

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फसलां दी मुक गई राखी
ओ जट्टा, आई वैशाखी

इस प्रकार इस पर्व का सम्बन्ध मौसम से माना जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन अर्थात् 13 अप्रैल, सन् 1699 ई० को दशम गुरु श्री को गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखकर पाँच प्यारों को अमृत छकाया था। सन् 1919 में वैशाखी वाले दिन ही अमृतसर में जलियाँवाले बाग में अंग्रेज़ हाकिम डायर ने निहत्थे भारतीयों पर गोली चलाई थी और सैंकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

वैशाखी के दिन पंजाब के कई स्थानों पर मेले लगते हैं। लोग नए-नए रंग-बिरंगे कपड़े पहन कर मेला देखने आते हैं। वहाँ कई प्रकार की दुकानें सजी होती हैं जहाँ से लोग अपनी मन पसंद चीजें खरीदते हैं। लोगों की बहत भीड होती है। पशुओं की मंडियाँ लगती हैं। जगह-जगह पर कुश्तियाँ होती हैं। मदारी अपने करतब दिखाते हैं। बच्चे तो बड़े खुश दिखाई देते हैं। गीत गाते हैं और झूम-झूम कर अपनी मस्ती और खुशी प्रकट करते हैं। किसानों के दल खुशी से अपने लहलहाते खेतों को देखकर भंगड़ा डालते हैं। ढोल की आवाज़ सबको अपनी ओर आकर्षित करती है।

इस दिन लोग पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करते हैं। इसके बाद वे श्रद्धा अनुसार दान-पुण्य करते हैं और मित्रों में मिठाई बाँटते हैं। अमृतसर में वैशाखी का मेला देखने योग्य होता है।

20. होली

होली बसन्त का उल्लासमय पर्व है। इसे ‘बसन्त का यौवन’ कहा जाता है।

होली प्रकृति की सहचरी है। बसन्त में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है तो होली का त्योहार उसका श्रृंगार करने आता है। होली ऋतु सम्बन्धी त्योहार है। शीत की समाप्ति पर किसान आनन्द विभोर हो जाते हैं। खेती पक कर तैयार होने लगती है। इसी कारण सभी मिल कर हर्षोल्लास में खो जाते हैं।

कहते हैं कि भक्त प्रह्लाद भगवान् का नाम लेता था। उसका पिता हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह प्रह्लाद को ईश्वर का नाम लेने से रोकता था। प्रह्लाद इसे किसी भी रूप में स्वीकार करने को तैयार न था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती। वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। इसमें होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। इसी कारण होली के दिन होलिका दहन होता है।

आज कुछ लोगों ने होली का रूप बिगाड़ कर रख दिया है। सुन्दर एवं कच्चे रंगों के स्थान पर कुछ लोग काली स्याही व तवे की कालिमा का प्रयोग करते हैं। कुछ मूढ़ व्यक्ति एक-दूसरे पर गन्दगी फेंकते हैं। प्रेम और आनन्द के त्योहार को घृणा और दुश्मनी का त्योहार बना दिया जाता है। इन बुराइयों को समाप्त करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।

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होली के पवित्र अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर भगाना चाहिए। समता और भाईचारे का प्रचार करना चाहिए।

21. वसंत ऋतु

वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह ऋतु विक्रमीसंवत के महीने चैत्र और वैशाख महीने में आती है। इस ऋतु के आगमन की सूचना हमें कोयल की कूहू-कूहू की आवाज़ से मिल जाती है। वृक्षों पर, लताओं पर नई कोंपलें आनी शुरू हो जाती हैं। प्रकृति भी सरसों के फूले खेतों में पीली चुनरिया ओढ़ें प्रतीत होती है। इसी ऋतु में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। जो पूर्णमासी तक कौमदी महोत्सव तक मनाया जाता है इस त्योहार में लोग पीले वस्त्र पहनते हैं। घरों में पीला हलवा या पीले चावल बनाया जाता है। कुछ लोग वसंत पंचमी वाले दिन व्रत भी रखते हैं।

पुराने जमाने में पटियाला और कपूरथला की रियासतों में यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था। पतंगबाजी के मुकाबले होते थे। कुश्तियों और शास्त्रीय संगीत का आयोजन किया जाता था। पुराना मुहावरा था कि आई वसंत तो पाला उड़त किंतु पर्यावरण दूषित होने के कारण अब तो पाला वसंत के बाद ही पड़ता है। पंजाबियों को ही नहीं समूचे भारतवासियों को अमर शहीद सरदार भगत सिंह का मेरा रंग दे वसंती चोला इस दिन की सदा याद दिलाता रहेगा।

22. प्रातः काल की सैर

प्रात:काल की सैर मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है। यह स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभदायक होती है। सुबह के समय सैर करना वैसे भी मनोरंजन करने के समान है। सुबह के समय प्राकृतिक छटा निराली होती है। सुबह की लाली चारों ओर फैली होती है। पक्षियों के कलरव हो रहे होते हैं जो बहुत अच्छे लगते हैं। शीतल हवा चल रही होती है। खिले हुए फूल बड़े सुन्दर लगते हैं। पेड़-पौधों का दृश्य बड़ा लुभावना होता है।

सुबह की सैर के लाभ भी बहुत होते हैं। शरीर में फुर्ती आती है। स्वच्छ वायु के सेवन से खून साफ़ होता है। शरीर की कसरत होती है। शारीरिक रोगों से बचाव होता है। दिमाग की ताकत बढ़ती है। आलस्य दूर भागता है। सदाचार की वृद्धि होती है। काम करने में मन लगता है।

अत: हमें नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करना चाहिए।

23. स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त)

पन्द्रह अगस्त, 1947 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने योग्य है। इस दिन भारत माता की गुलामी के बन्धन टूटे थे। इस आज़ादी को प्राप्त करने के लिए अनेक देशभक्तों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। पण्डित जवाहर लाल जी स्वतन्त्र भारत के पहले प्रधानमन्त्री बने। संसद् भवन पर तिरंगा झण्डा लहराया गया। उस दिन दिल्ली के लाल किले पर पं० जवाहर लाल नेहरू जी ने अपने हाथों से तिरंगा झण्डा लहराया। लाखों लोगों ने इसमें भाग लिया।

तब से लेकर अब तक यह त्योहार हर वर्ष सारे भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। दिल्ली में वायुयानों द्वारा फूलों की वर्षा की जाती है। उसके बाद तीन सेनाओं के जवान सलामी देते हैं। इस दिन लाल किले के सामने विशाल जन समूह इस शोभा को देखता है। प्रधानमन्त्री जी का भाषण होता है। इण्डिया गेट की शोभा निराली ही होती है। देश के सभी नगरों में यह उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। रात को समस्त सरकारी भवन बिजली के बल्बों से जगमगा रहे होते हैं।

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आज हमें आजादी तो मिल गई है परन्तु हमें देश के प्रति कर्त्तव्यों को निभाना चाहिए। हमें उन शहीदों को याद रखना चाहिए जिन्होंने अपनी कुर्बानी देकर हमें आजादी दिलवाई।

24. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)

भारत पर्यों तथा त्योहारों की भूमि है। भारत में साल-भर में भिन्न-भिन्न ऋतुओं में भिन्न-भिन्न पर्व मनाए जाते हैं। 26 जनवरी का दिन भारत के लिए विशेष महत्त्व का दिन है। यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। इस दिन अर्थात् 26 जनवरी, सन् 1950 के दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और इसी दिन भारत एक गणराज्य घोषित किया गया था। भारत की सभी जातियाँ-हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध तथा जैनी बिना किसी भेदभाव के इसे बड़े उत्साह से मनाती हैं।

26 जनवरी का दिन प्रतिवर्ष भारत के प्रत्येक प्रांत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। नगर-नगर में सभाएँ तथा जुलूस निकलते हैं। राष्ट्रीय झण्डे लहराए जाते हैं। किन्तु दिल्ली में यह दिन जिस धूमधाम से मनाया जाता है, उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वहां इस त्योहार की शान तो निराली ही होती है। यह समारोह भारत के राष्ट्रपति की सवारी से शुरू होता है।

राष्ट्रपति की सवारी को सलामी देने के लिए स्थल सेना, जल सेना और वायु सेना तीनों की चुनी हुई टुकड़ियाँ सवारी के साथ-साथ चलती हैं। सवारी इण्डिया गेट से शुरू होती है और नई दिल्ली के खास-खास स्थानों से होती हुई आगे बढ़ती है। अनगिनत नर-नारी सवारी को देखने के लिए इकट्ठे हो जाते हैं। सवारी के पीछे-पीछे अलग-अलग प्रान्तों के लोग अपने कार्यक्रम की झांकियाँ दिखाते हैं। राष्ट्रपति को 21 तोपों से सलामी दी जाती है।

26 जनवरी का दिन मनोरंजन का दिन ही नहीं मानना चाहिए बल्कि इस दिन हमें कुछ प्रतिज्ञाएँ करनी चाहिए ताकि देश में बढ़ती हुई रिश्वतखोरी, लूटमार, पक्षपात आदि दूर किए जा सकें। हमें उन वीरों का कर्जा चुकाना होगा जिन्होंने अपनी कुर्बानियों द्वारा हमें आजादी से साँस लेने का अवसर दिया। तभी हमारी आज़ादी सफल तथा पूर्ण होगी।

25. समाचार-पत्र

मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है। वह अपने आस-पास घटने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना चाहता है। प्राचीन काल में उसकी यह जिज्ञासा पूरी न हो पाती थी। विज्ञान ने जहाँ हमें अन्य प्रकार की सुविधाएँ दी हैं, उनमें समाचार-पत्र के द्वारा हम घर पर बैठे ही देश-विदेश के समाचारों को जान लेते हैं। संसार के किसी कोने में घटने वाली घटना तार, टेलीफोन अथवा टेलीप्रिंटर के द्वारा समाचार-पत्रों के कार्यालयों में पहुँच जाती है।

समाचार-पत्रों से हमें अनेक लाभ हैं। नगर, प्रान्त, देश तथा विदेश आदि के समाचारों को हम समाचार-पत्र द्वारा घर बैठे जान लेते हैं। इससे हमारे ज्ञान में भी वृद्धि होती है। समय-समय पर इनमें अनेक प्रकार के चित्र भी छपते रहते हैं। इन चित्रों के द्वारा जहाँ हमारा मनोरंजन होता है, वहाँ इनसे अनेक प्रकार के ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक स्थानों की भी जानकारी होती है।

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समाचार-पत्रों में कहानियाँ, कविताएँ, जीवनियाँ तथा हास्य की सामग्री भी छपती रहती हैं। इन्हें पढ़कर हमारा मनोरंजन होता है। इनमें नौकरी सम्बन्धी विज्ञापन भी छपते हैं। पाठक अपने विचारों को भी समाचार-पत्र में छपवा सकते हैं। इस प्रकार ये समाचार-पत्र हमारे लिए वरदान का काम करते हैं। उनके द्वारा हमें घर बैठे ही बहुत-सी जानकारी प्राप्त होती है।

26. विद्यार्थी जीवन

विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। यह मानव जीवन की नींव है। इसी पर उसके जीवन की सफलता-असफलता निर्भर करती है। यह जीवन तैयारी का जीवन है।

विद्यार्थी जीवन विद्या प्राप्ति का समय है। विद्यार्थी का यह कर्त्तव्य है कि वह पढ़ाई में अपना मन लगाए। उसे घर के अन्य छोटे-छोटे कामों में हाथ बँटाना चाहिए। विद्यार्थी जीवन की सफलता अच्छी बातों के पालन पर निर्भर करती है। उसे अपने अध्यापकों के उपदेश के अनुसार चलना चाहिए। माता-पिता की आज्ञा का पालन करना भी उसका प्रमुख कर्त्तव्य है। उसे स्वभाव का नम्र और मधुरभाषी होना चाहिए। उसे अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। उसे हमेशा अच्छे छात्रों का संग करना चाहिए। अच्छी संगति स्वयं में एक शिक्षा है। समय का पालन करना चाहिए।

विद्यार्थी जीवन में खूब परिश्रम करना चाहिए। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य उन्नति कर सकता है। आलसी व्यक्ति तो अपने लिए ही बोझ बनकर जीता है। अतः प्रत्येक विद्यार्थी का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने विद्यार्थी जीवन का सदुपयोग करे। अच्छा विद्यार्थी ही अच्छा नागरिक तथा अच्छा नेता बन सकता है।

27. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या

वनस्पति जगत् से मानव का बहुत प्राचीन सम्बन्ध है। आम, तुलसी, केला, आँवला, बरगद आदि वृक्षों की लोग पूजा करते रहे हैं। प्रकृति और मानव का मधुर सम्बन्ध था, इसी कारण मानव-समाज सुखी था। आज प्रकृति पर विजय पाने की इच्छा से प्रदूषण फैल रहा है। इसके कारण अनेक समस्याएं जन्म ले रही हैं।

जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ वनों को काटकर उद्योग-धंधों के विस्तार से कल कारखानों से दूषित विषैले पदार्थ बाहर निकलने लगे हैं। इससे वायुमण्डल दूषित हो रहा है तथा पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। प्रदूषण के कारण ही समय पर वर्षा नहीं होती, कहीं कम होती है तो कहीं बाढ़ें आती हैं।

भीड़-भाड़ वाले बड़े नगरों में वाहनों से निकलने वाले धुएँ तथा पेट्रोल की गंध से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सीसा के तत्व आदि हानिकारक पदार्थ निकलते हैं। इनसे साँस, फेफड़े आदि के रोग तथा दमा, जुकाम, कैंसर जैसे अन्य रोग फैलते हैं। गंदी वायु में साँस लेने से खून शुद्ध नहीं रह पाता। आँखों की रोशनी कमजोर हो जाती है और चर्म रोग भी हो जाते हैं। वायु का प्रदूषण ‘धीमा विष’ जो धीरे-धीरे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

वायु प्रदूषण की तरह जल प्रदूषण भी होता है। गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल तथा कल-कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ नदियों में बहा दिए जाते हैं जिससे पानी पीने योग्य नहीं रहता तथा फसलों तथा फलों को भी हानि पहुंचाता है। सुख के लिए काम मानव के दुःख के कारण बन गए। पेड़, पौधों की कटाई से हरियाली समाप्त हो गई, सुन्दरता नष्ट हो गई।

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कृषि योग्य भूमि की कमी हो जाने से लोगों को शहरों की तंग गलियों में रहना पड़ रहा है। विज्ञान का वरदान उसके लिए अभिशाप बन गया। प्रदूषण के कारण गंगा का जल विषैला बन गया। विश्व प्रसिद्ध ताजमहल, मथुरा तेल शोधक कारखाने की चिमनियों के धुएँ तथा आगरा के चमड़ा उद्योगों से अपना सौन्दर्य खो रहा है।

प्रदूषण की समस्या भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में बढ़ रही है। इसे रोकना हमारा परम कर्त्तव्य है। इसे रोकने के लिए हम गंदगी न फैलाएँ तथा वृक्ष लगाएँ।

28. टेलीविज़न के लाभ-हानियाँ

टेलीविज़न का आविष्कार सन् 1926 ई० में स्काटलैण्ड के इन्जीनियर जान एल० बेयर्ड ने किया। भारत में इसका प्रवेश सन् 1964 में हुआ। दिल्ली में ऐशियाई खेलों के अवसर पर टेलीविज़न रंगदार हो गया। टेलीविज़न को आधुनिक युग का मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन माना जाता है। केवल नेटवर्क के आने पर इस में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो गया है। आज देश भर में दूरदर्शन के अतिरिक्त 300 से अधिक चैनलों द्वारा कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे है। इन में कुछ चैनल तो केवल समाचार, संगीत या नाटक ही प्रसारित करते हैं।

टेलीविज़न के आने पर हम दुनिया के किसी भी कोने में होने वाले मैच का सीधा प्रसारण देख सकते हैं। आज व्यापारी वर्ग अपने उत्पाद की विक्री बढ़ाने के लिए टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों का सहारा ले रहे हैं। ये विज्ञापन टेलीविजन चैनलों की आय का स्रोत भी है। शिक्षा के प्रचार प्रसार में टेलीविज़न का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

टेलीविज़न की कई हानियाँ भी हैं। सबसे बड़ी हानि छात्र वर्ग को हुई है। टेलीविज़न उन्हें खेल के मैदान से तो दूर ले जाता ही है अतिरिक्त पढ़ाई में भी रूचि कम कर रहा है। टेलीविज़न अधिक देखना छात्रों की नेत्र ज्योति को भी प्रभावित कर रहा है। हमें चाहिए कि टेलीविज़न के गुणों को ही ध्यान में रखें, इसे बीमारी न बनने दें।

29. मेरी पर्वतीय यात्रा

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। एक स्थान पर रहते-रहते मनुष्य का मन ऊब जाता है। वह इधर-उधर घूम कर अन्य प्रदेशों के रीति-रिवाजों आदि से परिचित होना चाहता है और इस प्रकार अपना ज्ञान बढ़ाता है। – दशहरे की छुट्टियां आने वाली थीं। मेरे मित्र सुरेन्द्र ने आकर शिमला चलने की बात कही। माता जी से परामर्श करने के पश्चात् बात पक्की हो गई। अगले दिन प्रात:काल ही हम दोनों मित्र रेलगाड़ी में जा बैठे। मैदान तो मैंने देखे ही थे पर जब पर्वतीय क्षेत्र आया तो मैं देख रहा था कि नदियां कलकल ध्वनि के साथ इठलाती बहुत सुन्दर लग् रही थीं। रास्ते का दृश्य बड़ा मनोहारी था।

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हम प्रसन्न मुद्रा में शिमला पहुंचे। शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। अधिकतर मकान आधुनिक ढंग से बने हुए हैं। शहर के अन्दर आधुनिक ढंग के कई होटल तथा सिनेमा गृह हैं जो कि वहां की सुन्दरता को चार चांद लगाते हैं।

मुझे स्केटिंग रिंक बहुत सुन्दर लगा। सुरेन्द्र के पिता जी ने मुझे बताया कि शरद् ऋतु में युवक तथा युवतियां इस ऋतु का आनन्द लूटने के लिये यहां पर आते हैं। सुरेन्द्र को यह सब सुनने में कोई आनन्द नहीं आ रहा था। वह तो राजभवन देखने का इच्छुक था। अतः कुछ समय के पश्चात् हम लोग विशाल भवन के सम्मुख थे। इस दो दिवसीय यात्रा से हमने इस विशाल नगरी का प्रत्येक ऐतिहासिक स्थान देख लिया।

दो दिवसीय यात्रा के पश्चात् हम सब वहां से चल पड़े। मैं और सुरेन्द्र तो वहां से चलना नहीं चाहते थे। कारण कि हमें पर्वतीय छटा ने अत्यधिक आकृष्ट कर लिया था। वहां का शान्त एवं सुन्दर वातावरण मुझे अधिक प्रिय लग रहा था। पर सुरेन्द्र के पिता केवल चार दिन का अवकाश लेकर ही चले थे। अत: मन को मार कर हम सब वापस लौट पड़े। यह यात्रा सदा स्मरण रहेगी।

30. आँखों देखी प्रदर्शनी

हमारे देश में हर साल अनेक प्रदर्शनियां आयोजित होती हैं। लाखों लोग इनसे मनोरंजन प्राप्त करते हैं। प्रदर्शनियां देख-कर व्यक्ति का ज्ञान भी बढ़ता है। दिल्ली में लगी उद्योग प्रदर्शनी मझे कभी नहीं भल सकती। मेरे मन-मस्तिष्क पर इस की छाप आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी का विवरण इस प्रकार है –

विगत मास दिल्ली में एक अन्तर्राष्ट्रीय उद्योग प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। यह प्रदर्शनी एक विशाल उद्योग मेला ही था। क्योंकि इसमें विश्व के लगभग साठ विकसित और विकासशील देशों ने भाग लिया था। तीन किलोमीटर की परिधि में फैली इस महान् एवं आकर्षक प्रदर्शनी में प्रत्येक देश ने अपने मंडप सजाए थे, जिनमें अपने देश की औद्योगिक झांकी प्रदर्शित की थी। मुख्य द्वार पर प्रदर्शनी में भाग लेने वाले देशों के झंडे फहरा रहे थे। जिधर भी नज़र उठती दूर तक मंडप ही दिखाई देते। इतनी बड़ी प्रदर्शनी को कुछ समय में देखना असम्भव था।

छात्रों को यह प्रदर्शनी दिखाने की विशेष व्यवस्था की गई थी। सब से पहले हमारी टोली भारतीय मंडप में पहुँची। यह मंडप क्या था मानो एक विशाल भारत का लघु रूप था। देश में तैयार होने वाले छोटे-से-छोटे पुर्जे से लेकर युद्ध पोत तक का प्रदर्शन किया गया था। कहीं आधुनिक राडार युक्त तोपें थीं। कहीं नेट-जेट विमान और कहीं टैंक। वहां स्वदेश निर्मित साइकिलों, स्कूटरों, विभिन्न तरह की कारों, बसों का मॉडल देखकर आश्चर्य होने लगा था।

अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, पश्चिमी जर्मनी, जापान आदि विकसित देशों में मंडप देखकर हमारी टोली का प्रत्येक सदस्य चकित रह गया। एक से बढ़िया इलैक्ट्रानिक उपकरण। हर काम मिनटों-सैकिंडों में करने वाली मशीनें मनुष्य की दास बनी प्रतीत हुईं। मिनटों में मैले कपड़े धुल कर प्रैस होकर और तह लगकर आपके सामने लाने वाली धुलाई मशीनें। धड़कते दिल का साफ चित्र लेने वाले श्रेष्ठतम उपकरण चिकित्सा क्षेत्र में एक नई उपलब्धि है।

दिन भर हमारी टोली औद्योगिक प्रदर्शनी का कोना-कोना झांकती रही। इधर से उधर घूमते-घूमते हमारी टांगें जवाब देने लगी थीं, परन्तु दिल नहीं भरे थे। आँखें हर नई चीज़ देखने को तरस रही थीं। शाम तक बहुत कुछ देखा, बहुत कुछ सुना। ज्ञान के नये चूंट पीने को मिले। इसलिये यह अन्तर्राष्ट्रीय औद्योगिक प्रदर्शनी सदा याद रहेगी।

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31. जनसंख्या की समस्या

बढ़ती हुई जनसंख्या देश के लिए एक भयानक समस्या बन गई है। प्राचीन काल में लोग अधिक संतान की इच्छा करते थे। आज स्थिति बदल गई है। आज बड़े परिवार का पालन-पोषण एक समस्या है। अधिक आबादी किसी भी देश के लिए लाभकारी नहीं। भारत इस समय जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है। इस समय भारत की जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक है।

बढ़ती हुई जनसंख्या ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया है। बेकारी की समस्या, महंगाई की समस्या तथा अन्न का संकट इसी की देन है। यही कारण है कि आज जनसंख्या के नियन्त्रण की ज़रूरत समझी जा रही है। छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा लगाया जा रहा है।

जिस परिवार के पास आय के साधन कम हों और बच्चों की संख्या अधिक होगी, वहां अनेक प्रकार की कठिनाइयां जन्म लेंगी। न तो बच्चों का ठीक तरह से पालन-पोषण हो पाएगा और न ही उनकी शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध हो सकेगा। जीवन स्तर भी ऊँचा उठने की बजाए गिर जाएगा। ऐसे परिवार में निर्धनता अपना अड्डा जमा लेगी। देश और समाज भी तो परिवारों का योग है।

यदि देश के लोगों का स्तर ऊंचा न होगा तो देश का स्तर भी ऊंचा न हो सकेगा। यदि इसी तरह जनसंख्या बढ़ती गई तो एक दिन ऐसा आएगा कि न तो रोगियों के लिए अस्पताल में जगह रहेगी और न ही जीवन की अन्य आवश्यकताएं पूरी हो सकेंगी।

अतः जीवन को सुखी बनाने के लिए जनसंख्या की वृद्धि पर रोक लगाना ज़रूरी है। सरकार की ओर से इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। लोगों को परिवार नियोजन का महत्त्व बताएं। सरकार को चाहिए कि वह परिवार नियोजन का पालन करने वालों को प्रोत्साहन दे। यदि हम स्वयं को तथा अपने देश को उन्नति के पथ पर ले जाना चाहते हैं तो बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगानी होगी।

32. देश-भक्ति अथवा स्वदेश-प्रेम

देश-भक्ति का अर्थ है अपने देश से प्यार अथवा अपने देश के प्रति श्रद्धा। जो मनुष्य जिस देश में पैदा होता है, उसका अन्न-जल खा पीकर बड़ा होता है, उसकी मिट्टी में खेल कर हृष्ट-पुष्ट होता है, वहीं पढ़-लिख कर विद्वान् बनता है, वही उसकी जन्म-भूमि है। – प्रत्येक मनुष्य तथा प्राणी अपने देश से प्यार करता है। वह कहीं भी चला जाए, संसार भर की खुशियों तथा महलों के बीच में क्यों न विचरण कर रहा हो उसे अपना देश, अपना स्थान ही प्रिय लगता है।

देश-भक्त सदा ही अपने देश की उन्नति के बारे में सोचता है। हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब देश पर विपत्ति के बादल मंडराए, जब-जब हमारी आजादी को खतरा रहा, तब-तब हमारे देश-भक्तों ने अपनी भक्ति भावना दिखाई। सच्चे देश-भक्त अपने सिर पर लाठियां खाते हैं, जेलों में जाते हैं, बार-बार अपमानित किए जाते हैं तथा हँसते-हँसते फांसी के फंदे चूम जाते हैं। जंगलों में स्वयं तो भूख से भटकते हैं और साथ ही अपने बच्चों को भी बिलखते देखते हैं।

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महाराणा प्रताप के नाम को कौन भूल सकता है। जो अपने देश की आजादी के लिए.. दर-दर भटकते रहे परन्तु शत्रु के सामने सिर नहीं झुकाया। हमारे देश के न जाने कितने वीरों ने अपना बलिदान दे कर अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति प्राप्त की थी। वे कट मरे लेकिन शत्रु के सामने उन्होंने सिर नहीं झुकाया। आज हम जो भी हैं वे सब उन देशभक्तों के कारण ही हैं। उन्हीं के त्याग के कारण हम सब स्वतन्त्र देश में सुख-चैन भरी सांस ले रहे हैं। हमें उन वीरों से प्रेरणा लेकर नि:स्वार्थ भाव से अपने देश की सेवा करने का वचन लेना चाहिए।

33. आँखों देखा हॉकी मैच

भले ही आज लोग क्रिकेट के दीवाने बने हुए हैं। परन्तु हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ही है। लगातार कई वर्षों तक भारत हॉकी के खेल में विश्वभर में सबसे आगे रहा किन्तु खेलों में भी राजनीतिज्ञों के दखल के कारण हॉकी के खेल में हमारा स्तर दिनों दिन गिर रहा है। 70 मिनट की अवधि वाला यह खेल अत्यन्त रोचक, रोमांचक और उत्साहवर्धक होता है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा ही एक हॉकी मैच देखने को मिला।

यह मैच नामधारी एकादश और रोपड़ हॉक्स की टीमों के बीच रोपड़ के खेल परिसर में खेला गया। दोनों टीमें अपने-अपने खेल के लिए पंजाब भर में जानी जाती हैं। दोनों ही टीमों में राष्ट्रीय स्तर के कुछ खिलाड़ी भाग ले रहे थे। रोपड़ हॉक्स की टीम क्योंकि अपने घरेलू मैदान पर खेल रही थी इसलिए उसने नामधारी एकादश को मैच के आरम्भिक दस मिनटों में दबाए रखा। उसके फारवर्ड खिलाड़ियों ने दो-तीन बार विरोधी गोल पर आक्रमण किये।

परन्तु नामधारी, एकादश का गोलकीपर बहुत चुस्त और होशियार था। उसने अपने विरोधियों के सभी आक्रमणों को विफल बना दिया। तब नामधारी एकादश ने तेजी पकड़ी और देखते ही देखते रोपड़ हॉक्स के विरुद्ध एक गोल दाग दिया। गोल होने पर रोपड़ हॉक्स की टीम ने भी एक जुट होकर दो-तीन बार नामधारी एकादश पर कड़े आक्रमण किये परन्तु उनका प्रत्येक आक्रमण विफल रहा।

इसी बीच रोपड़ हॉक्स को दो पेनल्टी कार्नर भी मिले पर वे इसका लाभ न उठा सके। नामधारी एकादश ने कई अच्छे मूव बनाये उनका कप्तान बलजीत सिंह तो जैसे बलबीर सिंह ओलंपियन की याद दिला रहा था। इसी बीच नामधारी एकादश को भी एक पेनल्टी कार्नर मिला जिसे उन्होंने बड़ी खूबसूरती से गोल में बदल दिया। इससे रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी हताश हो गये। रोपड़ के दर्शक भी उनके खेल को देख कर कुछ निराश हुए। मध्यान्तर के समय नामधारी एकादश दो शून्य से आगे थी। मध्यान्तर के बाद खेल बड़ी तेज़ी से शुरू हुआ।

रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी बड़ी तालमेल से आगे बढ़े और कप्तान हरजीत सिंह ने दायें कोण से एक बढ़िया हिट लगाकर नामधारी एकादश पर एक गोल कर दिया। इस गोल से रोपड़ हॉक्स के जोश में जबरदस्त वृद्धि हो गयी। उन्होंने अगले पाँच मिनटों में दूसरा गोल करके मैच बराबरी पर ला दिया। दर्शक खुशी के मारे नाच उठे। मैच समाप्ति की सीटी के बजते ही दर्शकों ने अपने खिलाड़ियों को मैदान में जाकर शाबाशी दी। मैच का स्तर इतना अच्छा था कि मैच देख कर आनन्द आ गया।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

34. मेरी कक्षा का कमरा

मैं सातवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे विद्यालय का नाम राजकीय सीनियर सैकण्डरी विद्यालय है। हमारा विद्यालय चार मंजिला इमारत का है। मेरी कक्षा का कमरा तीसरी मंजिल पर है। इसकी लम्बाई 20 फुट तथा चौड़ाई 15 फुट है। इसमें 20 बैंच हैं। बैंच और डैस्क एक साथ जुड़े हैं। कमरे में दो दरवाजें हैं। एक आगे की तरफ तथा दूसरा पीछे की तरफ। इसमें हवादार खिड़कियाँ भी हैं। कमरे की दीवार पर एक बुलेटिन बोर्ड भी है।

दूसरी तरफ डिस्पले बोर्ड है। इस पर हम हर महीने नई-नई चीजें लगाते रहते हैं। इसमें अध्यापक के लिए एक लैक्चर स्टैण्ड है। एक श्यामपट्ट भी है। हमारी कक्षा की दीवारों पर सुंदर-सुंदर चित्र लगे हुए हैं। पढ़ाई करने का एक उपयुक्त वातावरण हमें यहाँ मिलता है। मेरी कक्षा का कमरा मुझे बहुत अच्छा लगता है। हम इसे कभी गंदा नहीं करते। इसकी स्वच्छता का हम पूरा ध्यान रखते हैं।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Kahani Lekhan कहानी-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Rachana कहानी-लेखन (2nd Language)

कहानी – रचना

1. प्यासा कौआ
गर्मियों के दिन थे। दोपहर के समय बहुत सख्त गर्मी पड़ रही थी। एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटकता रहा लेकिन कहीं भी पानी न मिला। अन्त में वह थका हुआ एक बाग में पहुँचा। वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था कि अचानक उसकी नज़र वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई। वह उड़कर वहाँ गया उसने देखा कि घड़े में पानी है। वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी, क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था।

वह हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा। तभी उसे एक उपाय सूझा। उसने आस – पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिये। कंकड़ पड़ने से पानी ऊपर आ गया। उसने पानी पिया और उड़ गया।

शिक्षा – जहाँ चाह वहाँ राह।
अथवा
आवश्यकता आविष्कार की जननी है।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

2. चालाक लोमड़ी
एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर – उधर घूमने लगी। जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई। अचानक उसकी नज़र ऊपर गई। वृक्ष पर एक कौआ बैठा हुआ था। उसके मुँह में रोटी का टुकड़ा था। लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। वह कौए से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी।

तभी उसने कौए को कहा, “क्यों भई कौआ भैया ! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?’ कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ। वह उसकी बातों में आ गया। गाना गाने के लिए उसने जैसे ही मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और नौ दो ग्यारह हो गई। अब कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा।

शिक्षा – झूठी प्रशंसा से बचो।

3. दो बिल्लियाँ और बन्दर
किसी नगर में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन उन्हें रोटी का टुकड़ा मिला। वे आपस में लड़ने लगीं। वे उसे आपस में समान भागों में बाँटना चाहती थीं लेकिन उन्हें कोई ढंग न मिला।

उसी समय एक बन्दर उधर आ निकला। वह बहुत चालाक था। उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई। वह तराजू ले आया और बोला, “लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ।” उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक – एक पलड़े में रख दिये। जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी – सी तोड़ कर खा लेता।

इस प्रकार थोड़ी – सी रोटी रह गई। बिल्लियों ने अपनी रोटी वापस मांगी। लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी भी मुँह में डाल ली। बिल्लियाँ मुँह देखती रह गईं।

शिक्षा – आपस में लड़ना – झगड़ना अच्छा नहीं।

4. एकता में बल
किसी गाँव में एक बूढा किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे। वे चारों बहुत आलसी थे। आपस में लड़ते – झगड़ते रहते थे। किसान ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन व्यर्थ । एक दिन उसने अपने चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया तथा एक लकड़ियों का गट्ठा लाने को कहा। वे . लकड़ियों का गट्ठा ले आए। उसने हर एक लड़के को वह गट्ठा तोड़ने के लिए दिया लेकिन कोई भी उसे न तोड़ सका । तब उसने गट्ठा खोलकर एक – एक लकड़ी सभी को तोड़ने को दी। अब सभी ने तोड़ दी। तब उसने उन्हें समझाया कि “अगर तुम इन लकड़ियों की तरह इकटे रहोगे तो तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। अगर तुम अकेले – अकेले रहोगे तो लोग तुम्हें नष्ट कर देंगे। अतः तुम सब इकट्ठे रहो। लड़ना, झगड़ना नहीं। एकता में ही बल है।” यह सुनकर वे सब मिल – जुल कर रहने लगे।

शिक्षा – मिल – जुल कर रहना चाहिए
अथवा
एकता में बल है।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

5. अंगूर खट्टे हैं
एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की तलाश में इधर – उधर भटकती रही लेकिन कहीं से भी उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला। अन्त में थक हार कर वह एक बाग में गई। वहाँ उसने अंगूर की बेल पर कुछ अंगूरों के गुच्छे देखे। वह उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुई। वह अंगूरों को खाना चाहती थी। अंगूर बहुत ऊँचे थे। वह उन्हें पाने के लिए ऊँची – ऊँची छलांगें लगाने लगी। किन्तु वह उन तक पहुँच न सकी। वह बहुत थक चुकी थी। आखिर वह बाग से बाहर जाती हुई कहने लगी कि अंगूर खट्टे हैं। यदि मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार हो जाऊँगी।

शिक्षा – जो चीज़ प्राप्त न कर सको, उसे बुरा मत कहो।

6. लालची कुत्ता
एक कुत्ता था। वह बहुत लालची था। वह भोजन की खोज में इधर – उधर गया। परन्तु कहीं भी उसे भोजन न मिला। अन्त में उसे एक होटल में से मांस का एक टुकड़ा मिला। वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था। वह उसे लेकर भाग गया। एकान्त स्थान की खोज करते – करते वह एक नदी के किनारे पहुँचा। अचानक उसने अपनी परछाईं नदी में देखी। उसने समझा कि कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है। उसने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए। वह ज़ोर से भौंका। भौंकने से उसका अपना मांस का टुकड़ा भी नदी में गिर पड़ा। अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा। अब वह बहुत पछताया तथा मुंह लटकाता गाँव को वापस आ गया।

शिक्षा – लालच बुरी बला है,
अथवा
लालच अच्छा नहीं होता।

7. शेर और चुहिया
एक जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन वह एक वक्ष के नीचे सो रहा था। पास ही एक चुहिया का बिल था। अचानक चुहिया बाहर निकली और शेर को सोया देखकर उस पर कूदने लगी। शेर की नींद उचट गई। वह जाग पड़ा। उसने चुहिया को अपने पंजे में पकड़ लिया। वह उसे मारने लगा था कि चुहिया ने विनय की कि मुझे क्षमा कर दो। मैं भी कभी आपके काम आऊँगी। शेर ने हँसकर उसे छोड़ दिया।

एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने वहाँ जाल बिछा दिया। अचानक शेर उस जाल में फँस गया। शेर ने वहाँ से छूटने का बहुत प्रयत्न किया परन्तु वह अपने आपको छुड़ा न पाया और ज़ोर – ज़ोर से गरजने लगा। शेर की गरज को सुनकर चुहिया बिल से निकल कर उसकी सहायता के लिए दौड़ी। चुहिया ने अपने मित्र को जाल में फँसा देखकर सारा जाल काट दिया और शेर आज़ाद हो गया। उसने चुहिया का धन्यवाद किया और चला गया।

शिक्षा – किसी को छोटा मत समझो।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

8. हाथी और दर्जी
किसी राजा के पास एक हाथी था। हाथी प्रतिदिन स्नान करने के लिए नदी पर जाया करता था। रास्ते में एक दर्जी की दुकान पड़ती थी। दर्जी बहुत दयालु तथा उदार था। उसकी हाथी से मित्रता हो गई। वह हाथी को प्रतिदिन कुछ – न – कुछ खाने के लिए देता था।

एक दिन दर्जी क्रोध में बैठा हुआ था। हाथी आया और कुछ प्राप्त करने के लिए अपनी सूंड आगे की। दर्जी ने उसे कुछ खाने के लिए नहीं दिया, परन्तु उसकी सूंड में सूई चुभो दी। हाथी को क्रोध आ गया। वह नदी पर गया। उसने स्नान किया और लौटते समय अपनी सूंड में गन्दा पानी भर लिया। दर्जी की दुकान पर पहुँच कर उसने सारा गन्दा पानी उसके कपड़ों पर फेंक दिया। दर्जी के सारे कपड़े खराब हो गए। इस तरह हाथी ने दर्जी से बदला लिया।

शिक्षा – जैसे को तैसा।

9. नकलची बन्दर और सौदागर
एक सौदागर था। वह टोपियाँ बेचकर अपना पेट पाला करता था। एक दिन वह टोपियाँ बेचने दूसरे गाँव में गया। गर्मी से व्याकुल होकर वह वृक्ष के नीचे बैठ गया। बैठते ही उसे नींद आने लगी। वह टोपियों से भरा सन्दूक पास रखकर सो गया। उसी वृक्ष पर कुछ बन्दर बैठे थे। वे झट नीचे उतरे, सौदागर के सन्दूक से टोपियाँ निकाल कर उन्होंने अपने सिर पर पहन लीं और छलांगें लगाते हुए वृक्ष पर चढ़ गए। नींद तथा रचना भाग खुलने पर सौदागर ने सन्दूक खुला देखा और टोपियाँ उसमें से गुम पाईं। क्या मेरी टोपियाँ कोई चुरा ले गया है ? वह यह सोच ही रहा था कि तभी उसकी निगाह वृक्ष के ऊपर टोपियाँ पहने बन्दरों पर पड़ी।

सौदागर ने बन्दरों को बहुत डराया लेकिन टोपियाँ प्राप्त करने में उसे सफलता न मिली। अन्त में उसने एक उपाय सोचा और सोचते ही अपने सिर से टोपी उतार कर नीचे फेंक दी। इस पर बन्दरों ने भी अपनी – अपनी टोपियाँ सिर से उतार कर ज़मीन पर फेंक दी। सौदागर ने टोपियाँ इकट्ठी की और अपने घर की ओर चल पड़ा।

शिक्षा – जो काम बुद्धि से हो सकता है, वह ताकत से नहीं।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

10. झूठा गडरिया
किसी गाँव में एक गडरिया रहता था। वह प्रतिदिन भेड़ों को चराने के लिए जंगल में ले जाता था। सायँकाल को वह सब भेड़ों के साथ गाँव को लौट आता था। एक दिन गडरिया बालक को गाँव वालों से मज़ाक करने की सूझी। उसने भेड़िया ! भेड़िया ! की आवाज़ दी। गाँव वाले हाथ में लाठियाँ लिए दौड़े आए। उनको देखकर गडरिया बालक हँस पड़ा। उसने कहा, मैंने तो मज़ाक किया था। वे नाराज होकर चले गए। एक – दो बार उसने फिर वैसा ही किया।

एक दिन सचमुच भेड़िया वहाँ आ गया। बालक ने बड़ा शोर मचाया। पर उसकी सहायता के लिए कोई नहीं आया। भेड़िये ने बहुत – सी भेड़ें मार दी। गडरिये ने वृक्ष पर चढ़कर अपनी जान बचाई।

शिक्षा – झूठे व्यक्ति पर कोई विश्वास नहीं करता।

11. ईमानदार लकड़हारा
एक गाँव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह जंगल से लकड़ियाँ काट कर लाता और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता था।

एक दिन वह नदी के किनारे वृक्ष पर चढ़कर लकड़ियाँ काट रहा था। अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ा छूटकर नदी में गिर पड़ा। लकड़हारा सोचने लगा कि अब मैं अपना निर्वाह कैसे करूंगा ? सोचते – सोचते उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह कुछ देर तक रोता रहा। इतने में वहाँ एक देवता प्रकट हुआ। उसने लकड़हारे से पूछा तुम रो क्यों रहे हो ? लकड़हारे ने सारी बात बताई। देवता पानी में कूद पड़ा और सोने का कुल्हाड़ा निकाल कर बाहर लाया। उसने लकड़हारे से पूछा क्या यही तुम्हारा कुल्हाड़ा है ? लकड़हारे ने कहा – नहीं श्रीमान् जी, यह कुल्हाड़ा मेरा नहीं है। देवता ने फिर पानी में डुबकी लगाई और एक चाँदी का कुल्हाड़ा निकाल लाया। परन्तु लकड़हारे ने वह भी नहीं लिया। अन्त में देवता ने लोहे का कुल्हाड़ा बाहर निकाला। इसे देखकर लकड़हारे ने कहा – श्रीमान् जी, यही मेरा कुल्हाड़ा है। देवता उसकी ईमानदारी पर बहुत प्रसन्न हुआ और उसे तीनों कुल्हाड़े दे दिए।

शिक्षा –

  • मनुष्य को ईमानदार बनना चाहिए।
  • ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

12. दो मित्र और रीछ
एक बार दो मित्र इकटे व्यापार करने घर से चले। दोनों ने एक – दूसरे को वचन दिया कि वे मुसीबत के समय एक – दूसरे की सहायता करेंगे। चलते – चलते दोनों एक भयंकर जंगल में जा पहँचे।

जंगल बहुत विशाल तथा घना था। दोनों मित्र सावधानी से जंगल में से गुजर रहे थे। एकाएक उन्हें सामने से एक रीछ आता हुआ दिखाई दिया। दोनों मित्र भयभीत हो गए। उस रीछ को पास आता देखकर एक मित्र जल्दी से वृक्ष पर चढ़कर पत्तों में छिप कर बैठ गया। दूसरे मित्र को वृक्ष पर चढ़ना नहीं आता था। वह घबरा गया, परन्तु उसने सुना था कि रीछ मरे हुए आदमी को नहीं खाता। वह झट अपना साँस रोक कर भूमि पर लेट गया। – रीछ ने पास आकर उसे सूंघा और मरा हुआ समझकर वहाँ से चला गया। कुछ देर बाद पहला मित्र वृक्ष से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्र से कहा – “उठो, रीछ चला गया। यह तो बताओ कि उसने तुम्हारे कान में क्या कहा था ?” भूमि पर लेटने वाले मित्र ने कहा कि रीछ केवल यही कह रहा था कि स्वार्थी मित्र पर विश्वास मत करो।

शिक्षा –

  1. मित्र वह है जो विपत्ति में काम आए।
  2. स्वार्थी मित्र से हमेशा दूर रहो।

13. खरगोश और कछुआ
किसी वन में खरगोश और कछुआ पक्के मित्र रहते थे। खरगोश अपनी तेज़ दौड़ का अभिमान करता था। एक दिन दोनों सैर को निकले। खरगोश तेज़ चलता तो कछुआ धीरे धीरे। खरगोश ने कछुए से कहा – भाई कछुए तुम तो बहुत सुस्त हो। यदि मेरे साथ दौड़ लगाओ तो मैं तुम्हें बुरी तरह हरा सकता हूँ। कछुआ भी अपनी बुराई सहन न कर सका। उसने दौड़ लगाना स्वीकार कर लिया।

दोनों की दौड़ शुरू हो गई। खरगोश इतना तेज़ भागा कि कछुआ बहुत पीछे रह गया। रास्ते में एक सुन्दर बगीचे को देखकर खरगोश ने सोचा क्यों न कुछ देर यहाँ आराम कर लिया जाए। जब कछुआ यहाँ आएगा फिर दौड़ लगा लूँगा और उससे पहले तालाब पर पहुँच जाऊँगा। यह सोचकर खरगोश वहाँ लेट गया। ठण्डी – ठण्डी वायु चल रही थी। लेटते ही उसे नींद आ गई। थोड़ी देर के बाद कछुआ भी वहाँ आ गया। खरगोश को सोता देखकर वह चुपके से आगे निकल गया। धीरे – धीरे वह तालाब पर पहले पहुँच गया।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

खरगोश की जब नींद खुली तो उसने सोचा कछुआ अभी पीछे ही होगा। उसने फिर दौड़ना शुरू कर दिया। जब वह तालाब पर पहुँचा तो कछुआ पहले ही वहाँ पहुँचा हुआ था। यह देखकर वह बहुत लज्जित हुआ।

शिक्षा –

  1. सहज पके सो मीठा होय।
  2. घमण्डी का सिर नीचा।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Muhavare Ka Vakya Mein Prayog मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग (2nd Language)

1. अन्धे की लकड़ी एकमात्र सहारा,
प्रयोग – अब तो रमेश ही बुढ़ापे में मुझ अन्धे की लकड़ी है।

2. अंगूठा दिखाना – साफ़ इन्कार करना,
प्रयोग – जब मैंने सुरेश से दस रुपए मांगे तो उसने अंगूठा दिखा दिया।

3. अपना उल्लू सीधा करना – अपना मतलब निकालना,
प्रयोग – आजकल हर कोई अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।

4. अंग – अंग हिल जाना – थक जाना,
प्रयोग – दिन भर मेहनत करने से मजदूरों का अंग – अंग हिल जाता है।

5. अपने पैरों पर खड़े होना आत्मनिर्भर होना,
प्रयोग – बच्चों को प्रारम्भ से ही ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे वे बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

6. आँखों का तारा बहुत प्यारा,
प्रयोग – सुनील अपने माता – पिता की आँखों का तारा है।

7. आँख में खटकना – बुरा लगना,
प्रयोग – शरारती बच्चे अध्यापक की आँख में खटकने लगते हैं।

8. आँख बदलना – मुँह फेर लेना,
प्रयोग – मुसीबत के समय अपने भी आँख बदल लेते हैं।

9. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना,
प्रयोग – ठग, राम की आँखों में धूल झोंक कर पाँच सौ रुपए ले गया।

10. आँखें खुलना – होश आना,
प्रयोग – हानि उठाकर ही आँखें खलती हैं।

11. आत्म – समर्पण करना अपने आप को दूसरे के हवाले करना,
प्रयोग – चोर ने पुलिस के सामने आत्म – समर्पण कर दिया।

12. आनाकानी करना टालमटोल करना,
प्रयोग – जब मैंने पीयूष से सौ रुपये उधार माँगे, तो वह आनाकानी करने लगा

13. आव देखा न ताव – बिना सोचे समझे,
प्रयोग – डूबते हुए बच्चे को बचाने के लिए सुरेन्द्र ने आव देखा न ताव नदी में छलांग लगा दी।

14. आसमान सिर पर उठाना बहुत शोर करना,
प्रयोग – अध्यापक के क्लास से बाहर निकलते ही लड़कों ने आसमान सिर पर उठाना शुरू कर दिया।

15. ईंट से ईंट बजाना – नाश करना,
प्रयोग – बन्दा बहादुर ने सरहिन्द की ईंट से ईंट बजा दी।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

16. ईद का चाँद होना बहुत दिनों बाद दिखाई देना,
प्रयोग – अरे सुरेश तुम तो ईद के चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो?

17. एक आँख से देखना बराबर का बर्ताव,
प्रयोग – माता – पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।

18. काम आना – युद्ध में मारे जाना,
प्रयोग – भारत – पाक युद्ध में अनेक भारतीय वीर काम आए।

19. कलम तोड़ना – बहुत बढ़िया लिखना,
प्रयोग – सुन्दर ने चाहे थोड़ा लिखा है पर कलम तोड़ कर रख दी है।

20. कान पर जूं न रेंगना कोई असर न पड़ना,
प्रयोग – मेरे कहने पर तो उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती।

21. कान भरना – चुगली करना,
प्रयोग – अपने सहपाठियों के विरुद्ध कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।

22. कानों का कच्चा होना किसी बात पर बिना सोचे – समझे विश्वास कर लेना,
प्रयोग – किसी अफसर के लिए कानों का कच्चा होना ठीक नहीं है।

23. खाला जी का घर – आसान काम,
प्रयोग – आठवीं श्रेणी पास करना खाला जी का घर नहीं है।

24. गले का हार – बहुत प्यारा,
प्रयोग – सुरेश अपने माता – पिता के गले का हार है।

24. गहरी नींद सो जाना – मर जाना।
प्रयोग – फाँसी के बाद सद्दाम हुसैन गहरी नींद सो गया।

25. घी के दीये जलाना – बहुत खुशी मनाना,
प्रयोग – जब श्री रामचन्द्र अयोध्या वापस पहुँचे तो लोगों ने घी के दीये जलाए।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

26. घोड़े बेचकर सोना – बे – फिक्र होकर सोना,
प्रयोग – परीक्षा के बाद सब विद्यार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं।

27. घड़ी समीप होना – मृत्यु निकट होना,
प्रयोग – रोगी की साँस बहुत धीमे चल रही थी, ऐसा लगता था जैसे उसकी घड़ी समीप हो।

28. चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना,
प्रयोग – आपने यहाँ पधार कर उत्सव को चार चाँद लगा दिए।

29. छक्के छुड़ाना बुरी तरह हराना,
प्रयोग – युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए।

30. जान हथेली पर रखना अपने को जोखिम में डालना,
प्रयोग – युद्ध में भारतीय सैनिक अपनी जान हथेली पर रखकर लड़ते हैं।

31. जी की कली खिलना – बहुत खुश होना,
प्रयोग – विदेश से वापस आए पुत्र को देखकर माता – पिता के जी की कली खिल उठी।

32. झाँसा देना धोखा देना,
प्रयोग – अपराधी पुलिस को झांसा देकर भाग खड़ा हुआ।

33. टका – सा जवाब देना – साफ़ इन्कार करना,
प्रयोग – मैंने जब महेन्द्र से पुस्तक मांगी तो उसने मुझे टका – सा जवाब दे दिया।

34. टेढ़ी खीर – कठिन काम,
प्रयोग – आठवीं की परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर है।

35. डींग मारना शेखी मारना,
प्रयोग – डींग मारने वालों पर विश्वास मत कीजिए।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

36. तलवे चाटना – खुशामद करना,
प्रयोग – बलबीर दूसरों के तलवे चाटकर काम निकालने में निपुण है।

37. दांत खट्टे करना – बुरी तरह हराना,
प्रयोग – भारत ने युद्ध में दो बार पाकिस्तान के दांत खट्टे किए।

38. दांतों तले उंगली दबाना – चकित होना,
प्रयोग – ताजमहल की सुन्दरता को देखकर विश्व के लोग दांतों तले उंगली दबाते हैं।

39. दिल बल्लियों उछलना बहुत खुश होना,
प्रयोग – लाटरी निकलने का समाचार सुनकर जसदेव का दिल बल्लियों उछलने लगा।

40. दिल टूट जाना – हताश हो जाना,
प्रयोग – इकलौते पुत्र की मृत्यु से माँ – बाप का दिल टूट गया।

41. धुन का पक्का – इरादे का पक्का,
प्रयोग – जीवन में वही व्यक्ति उन्नति कर सकता है, जो धुन का पक्का होता है।

42. नस – नस पहचानना हर बात की जानकारी होना,
प्रयोग – राजेन्द्र का विश्वास मत करो, मैं उसकी नस – नस पहचानता

43. नाक कटवाना – बदनामी करवाना,
प्रयोग – सोहन ने चोरी करके अपने कुल की नाक कटवा दी है।

44. नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना,
प्रयोग – सिपाही को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।

45. नाक में दम करना – बहुत तंग करना,
प्रयोग – वर्षा ने नाक में दम कर दिया है, कहीं जाना भी कठिन हो गया है।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

46. पानी – पानी होना बहुत लज्जित होना,
प्रयोग – सच्चाई सामने आने पर बलदेव पानी – पानी हो गया।

47. पीठ दिखाना – युद्ध से भाग जाना,
प्रयोग – युद्ध के मैदान में पीठ दिखाना कायरों का काम है, वीरों का नहीं।

48. प्राण पखेरू उड़ना – मर जाना,
प्रयोग – डॉक्टर के आने से पहले रोगी के प्राण पखेरू उड़ गए।

49. पीठ थपथपाना – शाबाश देना,
प्रयोग – कक्षा में प्रथम आने पर अध्यापक ने सुरेश की पीठ थपथपाई।

50. प्राणों की खैर मनाना – अपना बचाव करना,
प्रयोग – भारतीय सैनिकों ने शत्रु सैनिकों को ललकार कर कहा – प्राणों की खैर मनानी है तो हथियार डाल दो।

51. फूला न समाना – बहुत खुश होना,
प्रयोग – परीक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर दिनेश फूला नहीं समाता था।

52. फूट – फूट कर रोना बहुत अधिक रोना,
प्रयोग – पिता के मरने का समाचार सुनकर पुत्र फूट – फूट कर रोने लगा।

53. बेसिर पैर की बातें करना – फजूल की बातें करना।
प्रयोग – सुच्चा सिंह हर वक्त बेसिर पैर की बातें करता है।

54. भीगी बिल्ली बनना – डर से दबे रहना,
प्रयोग – जब तक मास्टर जी कक्षा में रहते हैं, लड़के भीगी बिल्ली बनकर बैठे रहते हैं।

55. मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन स्वस्थ हो तो घर में ही पुण्य पाया जा सकता है।
प्रयोग – रविदास जी ने तीर्थ यात्रा को निरर्थक बताया। उनका कहना था – मन चंगा तो कठौती में गंगा।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

56. मन मोह लेना – अच्छा लगना, मन लुभाना।
प्रयोग – जसवंत के नृत्य ने सबका मन मोह लिया।

57. मखमल में लपेट कर कहना – चिकनी – चुपड़ी बात कहना।
प्रयोग – आजकल मखमल में लपेटकर कहने वाले ही सफल होते हैं।

58. मुँह मोड़ना – नाराज़ होना।
प्रयोग – संकट में मित्र भी मुँह मोड़ते हैं।

59. मौत के घाट उतारना – मार देना।
प्रयोग – अमेरिका ने इराक में हजारों को मौत के घाट उतार दिया।

60. मृत्यु – तुल्य जीवन बिताना – मरे हुए के समान रहना।
प्रयोग – कालाहांडी में लोग मृत्यु – तुल्य जीवन बिता रहे हैं।

61. मृत्यु की गोद में सो जाना – मर जाना।
प्रयोग – सुनामी लहरों के कहर से लाखों लोग मृत्यु की गोद में सो गए।

62. मुँह की खाना – बुरी तरह हारना,
प्रयोग – 1971 के भारत – पाक युद्ध में पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।

63. मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना,
प्रयोग – आजकल मुट्ठी गर्म करने से ही प्रत्येक काम बनता है।

64. रंग में भंग डालना मजा किरकिरा होना,
प्रयोग – विवाह में दादा जी की मृत्यु ने रंग में भंग डाल दिया।

65. रफूचक्कर होना – भाग जाना,
प्रयोग – पुलिस को देखते ही डाकू रफू चक्कर हो गए।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

66. लाल – पीला होना क्रुद्ध होना, गुस्से में आना,
प्रयोग – पहले बात तो सुन लो व्यर्थ में क्यों लाल – पीले हो रहे हो।

67. लोहा लेना युद्ध करना,
प्रयोग – अधिकतर मुग़ल सम्राट् राजपूतों से लोहा नहीं लेना चाहते थे।

68. लोहे के चने चबाना अति कठिन काम करना, कष्ट अनुभव करना,
प्रयोग – भारत पर आक्रमण करके चीन को लोहे के चने चबाने पड़े थे।

69. वीरगति प्राप्त करना – वीरों की मौत मरना, शहीद होना,
प्रयोग – युद्ध में कई भारतीय सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की।

70. वार देना – कुर्बान करना,
प्रयोग – गुरु गोबिन्द सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्र वार दिए थे।

71. श्रीगणेश करना – काम आरम्भ करना,
प्रयोग – सोहन ने कल ही अपने नये व्यवसाय का श्रीगणेश किया है।

72. सिर चढ़ाना – लाड़ प्यार से आदतें खराब करना,
प्रयोग – बच्चों को ज्यादा सिर पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

73. हवा से बातें करना बहुत तेज़ दौड़ना,
प्रयोग – महाराणा प्रताप का घोड़ा हवा से बातें करता था।

74. हवा हो जाना – भाग जाना,
प्रयोग – पहरेदार को अपनी तरफ आते देखकर चोर हवा हो गया।

75. हाथ – फैलाना – मांगना,
प्रयोग – स्वाभिमान – रहित व्यक्ति हर किसी के आगे हाथ फैलाने लगता है।

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76. हाथ मलना – पछताना,
प्रयोग – अब फेल होने पर हाथ मलने से क्या लाभ? पहले ही डट कर मेहनत करते तो पास हो जाते।

77. हाथ लगना – अधिकार में होना,
प्रयोग – युद्ध में अनेक पाकिस्तानी टैंक भारतीय सेना के हाथ लगे।

78. हथियार डालना – हार मान लेना,
प्रयोग – बांग्लादेश में पाकिस्तान ने साधारण से युद्ध के बाद हथियार डाल दिए।

79. हृदय पर साँप लोटना – बुरा लगना,
प्रयोग – दूसरे की उन्नति देखकर ईष्यालु व्यक्ति के हृदय पर साँप लोटने लगता है।

80. हँसते – हँसते लोट – पोट होना – बहुत हँसना।
प्रयोग – लाल बुझक्कड़ के किस्से सुनकर बच्चे हँसते – हँसते लोट – पोट हो गए।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਪਾਣੀ, ਸਾਬਣ, ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ, ਸਿਰਕਾ, ਸਟੀਲ ਵੁਲ ।
ਸਫ਼ਾਈ ਦੀ ਵਿਧੀ-

  1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨ ਸਸਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਤੇ ਸਾਬਣ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  2. ਬਰਤਨ ਵਿਚ ਜੇਕਰ ਧੱਬੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਧੱਬਿਆਂ ਤੇ ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ ਲਾਓ ਅਤੇ ਫਿਰ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਧੋ ਕੇ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝ ਲਓ ।
  3. ਜੇਕਰ ਬਰਤਨ ਦਾ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਬਾਲ ਕੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਸਿਰਕਾ ਪਾ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚ ਬਰਤਨ ਪਾ ਦਿਓ | ਬਰਤਨ ਚਮਕ ਜਾਣਗੇ ।
    ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਚਮਕ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਸਟੀਲ ਫੂਲ (Steel Wool) ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ।

ਨੋਟ-

  1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਸੇ ਵੀ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ।
  2. ਇਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਸੋਡੇ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਵੀ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਧਾਤੂ ਕਾਲੀ ਪੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

2. ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਭਾਂਡਿਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਪਾਣੀ, ਸਾਬਣ, ਵਿਮ ਜਿਹਾ ਪਾਊਡਰ, ਝਾੜਨ ।
ਸਫ਼ਾਈ ਦੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ-

  1. ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਨਾਲ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਵਿਮ ਵਰਗੇ ਪਾਉਡਰ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਉਡਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਬਹੁਤ ਚੰਗੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  3. ਧੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਕ ਸੁੱਕੇ ਸਾਫ਼ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝ ਕੇ ਹੀ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ

ਨੋਟ-

  1. ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਸੁਆਹ ਆਦਿ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਖਰੋਚਾਂ (ਝਰੀਟਾਂ) ਪੈ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਤੇ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਗੜਨ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਚਮਕ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

3. ਪਿੱਤਲ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਸੁਆਹ, ਮਿੱਟੀ, ਇਮਲੀ, ਨਿੰਬੂ ਜਾਂ ਅੰਬ ਦੀ ਖਟਾਈ, ਪਾਣੀ, ਸਾਬਣ, ਸਿਰਕਾ, ਨਮਕ, ਬਾਸੋ ।
ਸਫ਼ਾਈ ਦੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ-

  1. ਘਰ ਦੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸੁਆਹ ਜਾਂ ਮਿੱਟੀ ਨਾਲ ਮਾਂਜ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  2. ਜ਼ਿਆਦਾ ਗੰਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਇਮਲੀ, ਨਿੰਬੂ ਜਾਂ ਅੰਬ ਦੀ ਖਟਾਈ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  3. ਪਿੱਤਲ ਦੀਆਂ ਸਜਾਵਟੀ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੀ ਵਿਧੀ ਅਪਣਾਉਂਦੇ ਹਨ-
    (i) ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਗਰਮ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿਚ ਪਾਓ |
    (ii) ਛੋਟੇ ਬੁਰਸ਼ ਜਾਂ ਪੁਰਾਣੇ ਟੁਥ ਬੁਰਸ਼ ਨਾਲ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਫ਼ ਕਰੋ ਜਿਸ ਨਾਲ ਕੋਨਿਆਂ ਅਤੇ ਡਿਜ਼ਾਇਨਾਂ ਆਦਿ ਵਿਚ ਛੁਪੀ ਗੰਦਗੀ ਵੀ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਵੇ ।
    (iii) ਹੁਣ ਇਸ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਧੋਵੋ । (iv) ਸੁੱਕੇ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝ ਕੇ ਸੁਕਾਓ ।
    (v) ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਉਪਲੱਬਧ ਬਾਸੋ (Brasso) ਨਾਮਕ ਪਾਲਿਸ਼ ਲਾ ਕੇ ਰਗੜੋ ਤਾਂ ਜੋ ਇਹ ਚਮਕ ਜਾਵੇ ।
  4. ਪਿੱਤਲ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਤੇ ਜੇਕਰ ਦਾਗ-ਧੱਬੇ ਲੱਗੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਪਾਲਿਸ਼ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਿਰਕੇ ਜਾਂ ਨਮਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

4. ਕੱਚ, ਚੀਨੀ, ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਸਾਬਣ ਦਾ ਘੋਲ, ਕੱਪੜਾ (ਮੁਲਾਇਮ, ਨਮਕ, ਸਿਰਕਾ, ਚਾਹ ਦੀ ਪੱਤੀ, ਅਖ਼ਬਾਰ, ਬੁਰਸ਼, ਸਪਿਰਿਟ, ਚੁਨੇ ਦਾ ਪਾਊਡਰ । | ਸਫ਼ਾਈ ਦੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ-

  • ਸਾਬਣ ਦਾ ਘੋਲ ਲੈ ਕੇ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਕੱਚ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਜਾਂ ਬਰਤਨ ਨੂੰ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਰਗੜੋ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਗੰਦਗੀ ਲਹਿ ਜਾਵੇਗੀ । ਹੁਣ ਸਾਫ਼ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੰਗਾਲ ਕੇ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝਣ ਤੇ ਬਰਤਨ ਚਮਕ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਜੇਕਰ ਬਰਤਨ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚੀਕਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਨਮਕ, ਸਿਰਕਾ, ਚਾਹ ਦੀ ਪੱਤੀ ਜਾਂ ਅਖ਼ਬਾਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਜਾਂ ਸਿਆਹੀ ਚੁਸ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਇਕ ਉਸ ਬਰਤਨ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਰਗੜੋ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਬਰਤਨ ਦੀ ਗੰਦਗੀ ਲਹਿ ਜਾਵੇਗੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਬਰਤਨ ਨੂੰ ਫਿਰ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਜਾਂ ਵਿਮ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿਚ ਸਾਫ਼ ਕਰੋ ! ਹੁਣ ਇਸ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੰਗਾਲੋ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਾਫ਼ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝੋ ।
  • ਡਿਜ਼ਾਈਨਦਾਰ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਮੁਲਾਇਮ ਬੁਰਸ਼ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰੋ ।
  • ਖਿੜਕੀਆਂ ਅਤੇ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਦੇ ਸ਼ੀਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਕੱਪੜੇ ਵਿਚ ਸਪਿਰਿਟ ਲਾ ਕੇ ਰਗੜੋ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚੁਨੇ ਦਾ ਪਾਊਡਰ ਅਤੇ ਅਮੋਨੀਆ ਦੇ ਗਾੜੇ ਘੋਲ ਨਾਲ ਰਗੜ ਕੇ ਵੀ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬਣਾਉਟੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਲਾਈ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਬਣਾਉਟੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਲਾਈ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬਣਾਉਟੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਲਾਈ

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਨਾਈਲੋਨ ਦੀ ਸਾੜੀ ਕਿਵੇਂ ਪੌਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਾਈਲੋਨ ਦੀ ਸਾੜੀ ਨੂੰ ਸਾਬਣ ਵਾਲੇ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹਲਕੇ ਦਬਾਅ ਨਾਲ ਧੋਵੋ । ਫਾਲ ਵਾਲਾ ਹਿੱਸਾ ਜ਼ਮੀਨ ਨਾਲ ਲੱਗਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗੰਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਨੂੰ ਸਾਬਣ ਦੀ ਝੱਗ ਲਗਾ ਕੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਰਗੜ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਨਾਈਲੋਨ ਦੀ ਸਾੜ੍ਹੀ ਤੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਿਵੇਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਪੁੱਠੇ ਪਾਸਿਓਂ ਫਾਲ ਨੂੰ ਹਲਕੀ ਗਰਮ ਐੱਸ ਨਾਲ ਕੈਂਸ ਕਰੋ ।
  2. ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਲੰਬਾਈ ਵਲੋਂ ਦੂਹਰੀ ਅਤੇ ਫਿਰ ਚੌਹਰੀ ਕਰਕੇ ਹਲਕੀ ਜਿਹੀ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।
  3. ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਦੋ ਵਾਰੀ ਫਿਰ ਤਹਿ ਕਰੋ ਤਾਂ ਕਿ ਸੋਲਾਂ ਤਹਿਆਂ ਹੋ ਜਾਣ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੈਂਗਰ ਵਿਚ ਲਟਕਾ ਦਿਓ ਜਾਂ ਚੌੜਾਈ ਵਲੋਂ ਦੂਹਰੀ ਕਰਕੇ ਰੱਖ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਰੇਆਨ ਕਰੇਪ ਦੇ ਬਲਾਉਜ਼ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਧੋਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ? ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਦੀ ਤਿਆਰੀ-ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਦੇਖੋ, ਜੇ ਕਿਧਰੋਂ ਫਟਿਆ ਹੋਇਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰ ਲਓ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਦਾਗ ਲੱਗਿਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਕਾਰਕ ਨਾਲ ਉਤਾਰੋ । ਜੇ ਕਰ ਕੋਈ ਅਜਿਹੇ ਬਟਨ ਆਦਿ ਲੱਗੇ ਹੋਣ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਧੋਣ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋਣ ਦਾ ਡਰ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਹ ਉਤਾਰ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿਓ ।

ਧੋਣ ਦਾ ਤਰੀਕਾ – ਇਕ ਚਿਮਚੀ ਵਿਚ ਕੋਸਾ ਪਾਣੀ ਪਾ ਕੇ ਸਾਬਣ ਦਾ ਘੋਲ ਤਿਆਰ ਕਰੋ । ਬਲਾਊਜ਼ ਸਾਬਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਪਾਓ ਅਤੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਦਬਾ ਕੇ ਧੋਵੋ । ਗਲੇ ਤੇ ਜੇਕਰ ਮੈਚ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੀ ਤਲੀ ਤੇ ਰੱਖੋ ਅਤੇ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਥੋੜੀ ਝੱਗ ਪਾ ਕੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਮਲੋ । ਜਦੋਂ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਦੋ-ਤਿੰਨ ਵਾਰ ਹੰਘਾਲੋ । ਸਫ਼ੈਦ ਰੇਆਨ ਫਟਣ ਤਕ ਸਫ਼ੈਦ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦੀ, ਨਾ ਹੀ ਇਸ ਨੂੰ ਮਾਇਆ ਲਗਾਉਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

ਨਿਚੋੜਨਾ – ਇਕ ਬੂਰ ਵਾਲੇ ਤੌਲੀਏ ਵਿਚ ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਰੱਖ ਕੇ ਲਪੇਟ ਲਓ ਅਤੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਦਬਾਓ । ਤੌਲੀਆ ਪਾਣੀ ਚੂਸ ਲਏਗਾ ।
ਸੁਕਾਉਣਾ – ਮੰਜੀ ਤੇ ਤੌਲੀਆ ਵਿਛਾ ਕੇ, ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਹੱਥ ਨਾਲ ਸਿੱਧਿਆਂ ਕਰਕੇ ਛਾਂ ਵਿਚ ਖਿਲਾਰ ਦਿਓ । 15 ਮਿੰਟ ਬਾਅਦ ਉਸ ਦਾ ਪਾਸਾ ਪਰਤ ਦਿਓ, ਤਾਂ ਕਿ ਦੋਹਾਂ ਪਾਸਿਆਂ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੁੱਕ ਜਾਏ ।

ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨਾ-
1. ਇਕ ਮੇਜ਼ ਉੱਪਰ ਤਹਿ ਕਰਕੇ ਕੰਬਲ ਜਾਂ ਖੇਸ ਵਿਛਾਓ ਅਤੇ ਉੱਤੇ ਇਕ ਸਾਫ਼ ਚਿੱਟੀ ਚਾਦਰ ਵਿਛਾ ਦਿਓ ।
2. ਪ੍ਰੈੱਸ ਨੂੰ ਹਲਕੀ ਗਰਮ ਕਰੋ ।
3. ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਪੁੱਠਾ ਕਰਕੇ ਸਿਲਾਈ ਵਾਲੇ ਹਿੱਸੇ ਅਤੇ ਦੂਸਰੇ ਹਿੱਸੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰ ਲਓ। ਹੱਕਾਂ ਦੇ ਉੱਪਰ ਪੈਂਸ ਨਾ ਫੇਰੋ ।
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4. ਬਾਂਹ ਨੂੰ ਸਲੀਵ ਬੋਰਡ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ । ਜੇ ਕਰ ਸਲੀਵ ਬੋਰਡ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਅਖ਼ਬਾਰ ਜਾਂ ਤੌਲੀਏ ਨੂੰ ਰੋਲ ਕਰਕੇ ਬਾਂਹ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ । 5. ਬਲਾਊਜ਼ ਦੇ ਬਾਕੀ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਪਾਸਿਓਂ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।. 6. ਬਾਹਾਂ ਨੂੰ ਪੋਲਾ ਜਿਹਾ ਅਗਲੇ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਮੋੜ ਦਿਓ । 7. ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਤਹਿ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਐੱਸ ਨਾ ਕਰੋ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਟੈਰਾਲੀਨ ਦੀ ਕਮੀਜ਼ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਧੋਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ? ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਤਿਆਰੀ-ਕਮੀਜ਼ ਦੀਆਂ ਜੇਬਾਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇਖੋ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਪੈਸੇ, ਪੈਂਨ ਜਾਂ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਕੱਢ ਲਓ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਦਾਗ ਲੱਗਿਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਤਾਰ ਲਓ । ਜੇਕਰ ਕਿਧਰੋਂ ਫਟਿਆ ਹੋਇਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰ ਲਓ ।

ਧੋਣ ਦਾ ਤਰੀਕਾ – ਸਾਬਣ ਵਾਲੇ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਮਲ ਕੇ ਧੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਕਾਲਰ ਅਤੇ ਕਫ਼ ਸਾਫ਼ ਨਾ ਹੋਣ ਤਾਂ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੇ ਬੁਰਸ਼ ਨਾਲ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਰਗੜੋ ।
ਹੰਘਾਲਣਾ – ਕੋਸੇ ਸਾਫ਼ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਦੋ-ਤਿੰਨ ਵਾਰੀ ਹੰਘਾਲੋ ।
ਨਿਚੋੜਨਾ ਅਤੇ ਸੁਕਾਉਣਾ – ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਥੋੜਾ ਜਿਹਾ ਦਬਾ ਕੇ ਪਾਣੀ ਨਿਚੋੜੋ ਅਤੇ ਹੈਂਗਰ ਵਿਚ ਲਟਕਾ ਕੇ ਤਾਰ ਨਾਲ ਟੰਗ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਹੱਥ ਨਾਲ ਕਾਲਰ ਅਤੇ ਕਫ਼ ਸਿੱਧੇ ਕਰ ਲੈਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨਾ-
1. ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹਲਕੀ ਗਰਮ ਪ੍ਰੈੱਸ ਨਾਲ ਕਾਲਰ ਅਤੇ ਯੋਕ ਨੂੰ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।
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2. ਬਾਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।
3. ਅਗਲਾ ਅਤੇ ਪਿਛਲਾ ਪਾਸਾ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਕੇ ਕਮੀਜ਼ ਨੂੰ ਤਹਿ ਕਰ ਲਓ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ

ਉਮਰ-ਜਨਮ ਤੋਂ 1 ਸਾਲ ਤਕ
ਨਾਪ-ਛਾਤੀ 18″
ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦਾ ਨਾਪ ਪਹਿਲਾਂ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਨੂੰ ਦੁਹਰਾ ਕਰ ਲਵੋ।
ਬਿੱਬ ਦੀ ਚੌੜਾਈ= ਛਾਤੀ ਦਾ 1 .
\(\frac{1}{6}\) +1/36 = 3 \(\frac{1}{2}\) ”
ਬਿੱਬ ਦੀ ਲੰਬਾਈ= ਛਾਤੀ ਦਾ
\(\frac{1}{3}+\frac{1}{12}=7 \frac{1}{2}\) ”
ਉ ਅ=ਬੲ ਸ=3\(\frac{1}{2}\) ”
ਉੲ=ਅ ਸ=7 \(\frac{1}{2}\)”
ਉ ਗ=ਉ ਚ=\(\frac{1}{2}\)”
ਗ ਹ=ਹ ਖ=1\(\frac{1}{2}\)
ਹ ਕ=1/12″ ਛਾਤੀ=1\(\frac{1}{2}\) ”
PSEB 7th Class Home Science Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ 1
ਅ ਸ ਨੂੰ 2 ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡੋ ਅਤੇ ਝ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ। ਝ ਤੋਂ ਅੱਧਾ ਇੰਚ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਨੂੰ ਲਓ ਅਤੇ ਘ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਾਉ |

ਗ, ਚ ਨੂੰ ਸਿੱਧੀ ਲਾਈਨ ਨਾਲ ਮਿਲਾਓ | ਚ, ਘ, ਨੂੰ ਗੋਲਾਈ ਨਾਲ ਮਿਲਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖ, ਕ ਅਤੇ ਗ ਨੂੰ ਗੋਲਾਈ ਵਿਚ ਮਿਲਾਓ । ਬਿੱਬ ਨੂੰ ਗ, ਚ, ਘ, ਈ, ਖ, ਕ, ਗ, ਲਾਈਨਾਂ ਤੇ ਕੱਟ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

ਸਿਲਾਈ-ਸਾਰੇ ਪਾਸਿਓਂ ਬਰੀਕ ਬਰੀਕ ਮੋੜ ਕੇ ਉਲ਼ੇੜ ਲਓ ।’\(\frac{1}{2}\) ” ਚੌੜੀ ਲੇਸ ਸਾਰੇ ਪਾਸੇ ਰਨ ਐਂਡ ਬੈਕ ਟਾਂਕੇ ਨਾਲ ਲਗਾਓ  ਬਿੱਬ ਦੇ ਨਾਲ ਦਾ ਕੱਪੜਾ ਲੈ ਕੇ \(\frac{3}{8}\) ਚੌੜੀਆਂ ਅਤੇ 6” ਲੰਬੀਆਂ ਦੋ ਤਣੀਆਂ ਬਣਾ ਕੇ ਪਿੱਛੋਂ ਲੱਗਾ ਦਿਓ ।

ਕੱਪੜਾ-25×25 ਸੈਂਟੀਮੀਟਰ ਤੌਲੀਏ ਵਾਲਾ ਕੱਪੜਾ ਜਾਂ 25×50 ਸੈਂਟੀਮੀਟਰ ਪਾਪਲੀਨ । ਨੋਟ- ਜੇਕਰ ਪਾਪਲੀਨ ਵਰਤੀ ਜਾਏ ਤਾਂ ਦੋ ਬਿੱਬ ਕੱਟਦੇ ਹਨ, ਸਾਰੇ ਪਾਸੇ \(\frac{1}{4}\) ‘ ਸਿਲਾਈ ਦਾ ਹੱਕ ਰੱਖੋ ਅਤੇ ਦੋਨੋਂ ਹਿੱਸਿਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲਾ ਕੇ ਅੰਦਰ ਦੀ ਸਿਲਾਈ ਕਰੋ । ਸਿੱਧਾ ਕਰਕੇ ਲੇਸ ਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਕੁਝ ਭੋਜਨ ਨੁਸਖੇ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਕੁਝ ਭੋਜਨ ਨੁਸਖੇ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਕੁਝ ਭੋਜਨ ਨੁਸਖੇ

ਚੌਲ ਉਬਾਲਣਾ
ਸਮਾਨ-
ਵਧੀਆ ਚੌਲ – 1 ਗਿਲਾਸ
ਪਾਣੀ – 2 ਗਿਲਾਸ
ਨਮਕ – ਅੱਧਾ ਚਮਚਾ

ਵਿਧੀ – ਇਕ ਗਿਲਾਸ ਭਰ ਕੇ ਚੌਲ ਲੈ ਲਓ | ਥਾਲੀ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਚੁਣ ਲਉ ਅਤੇ ਧੋ ਲਵੋ । ਇਕ ਪਤੀਲੇ ਵਿਚ ਦੋ ਗਿਲਾਸ ਪਾਣੀ ਪਾ ਕੇ ਉਬਾਲੋ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਚੌਲ ਅਤੇ ਨਮਕ ਪਾ ਦਿਓ। ਪਤੀਲੇ ਨੂੰ ਢੱਕ ਦਿਓ । ਜਦੋਂ ਪਾਣੀ ਸੁੱਕਣ ਲੱਗੇ ਤਾਂ ਇੱਕ ਦੋ ਦਾਣੇ ਚੌਲ ਖਾ ਕੇ ਦੇਖੋ । ਜੇ ਪਾਣੀ ਵਧ ਲੱਗੇ ਤਾਂ ਢਕਣ ਉਤਾਰ ਦਿਓ ਅਤੇ ਜੇ ਕਰ ਪਾਣੀ ਘਟ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਪਤੀਲਾ ਤਵੇ ਤੇ ਰੱਖ ਕੇ ਸੇਕ ਘੱਟ ਕਰ ਦਿਓ | ਮਰਜ਼ੀ ਅਨੁਸਾਰ ਚੌਲਾਂ ਵਿਚ ਘਿਓ ਦਾ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਚਮਚ ਭਰ ਕੇ ਪਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ । ਚੌਲ ਬਣ ਜਾਣ ਤੇ ਕਿਸੇ ਤਰੀ ਵਾਲੀ ਸਬਜ਼ੀ, ਦਾਲ, ਰਾਜਮਾਂਹ ਆਦਿ ਨਾਲ ਪਰੋਸੋ।

ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਵਿਧੀ
ਮਟਰ ਪਨੀਰ ਦੀ ਰਸਦਾਰ ਸਬਜ਼ੀ
ਸਾਮਾਨ-
ਮਟਰ ਫਲੀ – 500 ਗਰਾਮ
ਪਨੀਰ – 200 ਗਰਾਮ
ਪਿਆਜ਼ – 2 ਵੱਡੇ
ਅਦਰਕ – ਇਕ ਵੱਡਾ ਟੁਕੜਾ
ਲੱਸਣ – 3-4 ਤੁਰੀਆਂ
ਹਰੀ ਮਿਰਚ – 3
ਦਹੀਂ – ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ
ਨਮਕ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ
ਟਮਾਟਰ – 2
ਲਾਲ ਮਿਰਚ ਪੀਸੀ ਹੋਈ – 1/2 ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਹਲਦੀ – 1/2 ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਧਨੀਆ ਪੀਸਿਆ – 1/2 ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਹਰਾ ਧਨੀਆ – ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ
ਘਿਓ – ਤਲਣ ਤੇ ਸਬਜ਼ੀ ਬਣਾਉਣ ਲਈ

ਵਿਧੀ – ਮਟਰ ਦੇ ਦਾਣੇ ਕੱਢ ਲਓ | ਪਨੀਰ ਟੁਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਕੜਾਹੀ ਵਿਚ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਦਾ ਤਲ ਲਓ। ਪਿਆਜ਼, ਅਦਰਕ ਤੇ ਲੱਸਣ ਨੂੰ ਪੀਸ ਕੇ ਮਸਾਲੇ ਮਿਲਾ ਕੇ ਗਿੱਲਾ ਮਸਾਲਾ ਤਿਆਰ ਕਰ ਲਉ । ਦੇਗਚੀ ਵਿਚ ਘਿਓ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਮਸਾਲਾ ਭੁੰਨ ਲਓ ।ਉਸੇ ਵਿਚ ਦਹੀਂ ਤੇ ਟਮਾਟਰ ਪਾ ਦਿਓ ਅਤੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭੁੰਨ ਲਓ, ਭੰਨ ਜਾਣ ਤੇ ਥੋੜ੍ਹੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਛਿੱਟੇ ਮਾਰ ਕੇ ਹੋਰ ਭੁੰਨੋ । ਅਜਿਹਾ ਦੋ ਤਿੰਨ ਵਾਰੀ ਕਰੋ । ਜਦੋਂ ਮਸਾਲਾ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭੁੱਜ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਮਟਰ ਤੇ ਪਨੀਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਉਸ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਭੁੰਨ ਲਓ ਫਿਰ ਪਾਣੀ ਤੇ ਨਮਕ ਪਾ ਕੇ ਢੱਕ ਦਿਓ । ਮਟਰ ਦੇ ਗਲ ਜਾਣ ਤੇ ਗਰਮ ਮਸਾਲਾ ਤੇ ਹਰਾ ਧਨੀਆ ਪਾ ਕੇ ਉਤਾਰ ਲਓ । ਜੇਕਰ ਸਬਜ਼ੀ ਤੇ ਰੰਗ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਤਾਂ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਘਿਓ ਕਟੋਰੀ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਗਰਮ ਕਰੋ । ਥੱਲੇ ਉਤਾਰ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਰਤਨ ਜੋਤ ਪਾ ਦਿਓ । ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਵਿਚ ਉਸ ਦਾ ਰੰਗ ਲਾਲ ਘਿਓ ਵਿਚ ਆ ਜਾਵੇਗਾ । ਘਿਓ ਨੂੰ ਕੱਪੜੇ ਵਿਚ ਛਾਣ ਕੇ ਸਬਜ਼ੀ ਦੇ ਉੱਪਰ ਪਾ ਕੇ ਹਿਲਾਓ ।
ਕੁੱਲ ਮਾਤਰਾ-4-5 ਆਦਮੀਆਂ ਲਈ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਕੁਝ ਭੋਜਨ ਨੁਸਖੇ

ਆਲੂ ਦਮ
ਸਾਮਾਨ-
ਆਲੂ – 500 ਗਰਾਮ
ਪਿਆਜ਼ – 2
ਅਦਰਕ – 1 ਟੁਕੜਾ
ਟਮਾਟਰ – 1 ਵੱਡਾ
ਜ਼ੀਰਾ, ਹਲਦੀ ਲਾਲ ਮਿਰਚ ਧਨੀਆ ਚੂਰਨ ਰੂਪ ਵਿਚ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ
ਨਮਕ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ
ਗਰਮ ਮਸਾਲਾ – 1/2 ਚਮਚ
ਘਿਓ – ਆਲੂਆਂ ਨੂੰ ਤਲਣ ਲਈ ਅਤੇ ਮਸਾਲਾ ਭੁੰਨਣ ਲਈ
ਹਰਾ ਧਨੀਆ – ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ

ਵਿਧੀ – ਆਲੂਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਧੋ ਕੇ ਛਿੱਲ ਲਉ । ਹੁਣ ਹਰ ਇਕ ਆਲੂ ਨੂੰ ਕਾਂਟੇ ਨਾਲ ਘੁਮਾ-ਘੁਮਾ ਕੇ ਗੋਦ ਲਓ ਕੜਾਹੀ ਵਿਚ ਘਿਓ ਪਾ ਕੇ ਗਰਮ ਕਰੋ । ਇਸ ਘਿਓ ਵਿਚ ਗੋਦੇ ਹੋਏ ਆਲੂਆਂ ਨੂੰ ਸੁਰਖ਼ ਹੋਣ ਤਕ ਤਲ ਲਓ। ਪਿਆਜ਼, ਅਦਰਕ ਅਤੇ ਹੋਰ ਮਸਾਲੇ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਿਕਸੀ ਵਿਚ ਜਾਂ ਸਿਲਵੱਟੇ ਤੇ ਗਿੱਲਾ ਮਸਾਲਾ ਤਿਆਰ ਕਰੋ । ਹੁਣ ਮਸਾਲੇ ਨੂੰ ਘਿਓ ਵਿਚ ਕੁੰਨੋ । ਭੁੰਨਦੇ ਸਮੇਂ ਟਮਾਟਰ ਨੂੰ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਟੁਕੜੇ ਕਰ ਕੇ ਮਸਾਲੇ ਵਿਚ ਮਿਲਾ ਦਿਓ । ਟਮਾਟਰ ਇਕ ਦਮ ਮਿਲ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਟਮਾਟਰ ਦੀ ਥਾਂ ਤੇ ਦਹੀਂ ਵੀ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਭੰਨਦੇ ਸਮੇਂ ਮਸਾਲੇ ਨੂੰ ਕੜਛੀ ਨਾਲ ਹਿਲਾਉਂਦੇ ਰਹੋ । ਹੁਣ ਤਲੇ ਹੋਏ ਆਲੂਆਂ ਨੂੰ ਭੁੰਨੇ ਹੋਏ ਮਸਾਲੇ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਿਲਾਓ | ਪਾਣੀ ਨਾ ਪਾਓ | ਮੱਧਮ ਅੱਗ ਤੇ ਪਕਾਓ । ਆਲੂਆਂ ਦੇ ਗਲ ਜਾਣ ਤੋਂ ਗਰਮ ਮਸਾਲਾ ਅਤੇ ਹਰਾ ਧਨੀਆ ਪਾ ਕੇ ਉਤਾਰ ਲਓ ।
ਕੁੱਲ ਮਾਤਰਾ-4 ਆਦਮੀਆਂ ਲਈ ।

ਬੈਂਗਣ ਦਾ ਭਰਥਾ
ਸਾਮਾਨ-
ਗੋਲ ਬੈਂਗਣ – 200 ਗਰਾਮ
ਪਿਆਜ਼ – 1
ਟਮਾਟਰ – 1
ਅਦਰਕ – 1 ਟੁਕੜਾ
ਨਮਕ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ
ਜ਼ੀਰਾ – 1/2 ਚਮਚ
ਹਲਦੀ ਚੂਰਨ – 1/2 ਛੋਟਾ ਚਮਚ
ਧਨੀਆ – 1/2 ਛੋਟਾ ਚਮਚ
ਹਰੀ ਮਿਰਚ – 2
ਹਰਾ ਧਨੀਆ – ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ
ਘਿਓ – 2 ਚਮਚ

ਵਿਧੀ – ਗੋਲ ਬੈਂਗਣ ਨੂੰ ਥੋੜਾ ਚੀਰ ਕੇ ਵੇਖ ਲਓ ਕਿ ਉਹ ਅੰਦਰੋਂ ਖ਼ਰਾਬ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਕੋਈ ਕੀੜਾ ਆਦਿ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਅੱਗ ਤੇ ਭੁੰਨ ਲਓ । ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭੁੱਜ ਜਾਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਉਸ ਦਾ ਛਿਲਕਾ ਉਤਾਰ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਹੱਥ ਨਾਲ ਮਲ ਦਿਓ । ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੱਕਿਆ ਹੋਇਆ ਬੈਂਗਣ ਹੱਥ ਨਾਲ ਮਸਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਿਆਜ਼ ਤੇ ਅਦਰਕ ਛਿੱਲ ਲਓ । ਪਿਆਜ਼, ਅਦਰਕ ਤੇ ਹਰੀ ਮਿਰਚ ਨੂੰ ਬਰੀਕ ਕੱਟ ਲਓ । ਟਮਾਟਰ ਨੂੰ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਟੁਕੜੇ ਕਰਕੇ ਕੱਟ ਲਓ । ਕੜਾਹੀ ਵਿਚ ਘਿਓ ਪਾ ਕੇ ਗਰਮ ਕਰੋ । ਇਸ ਵਿਚ ਜ਼ੀਰੇ ਦਾ ਤੜਕਾ ਲਾ ਕੇ ਪਿਆਜ਼, ਅਦਰਕ, ਹਰੀ ਮਿਰਚ ਪਾ ਕੇ ਭੁੰਨੋ | ਹਲਦੀ ਮਿਰਚ ਨਮਕ ਵੀ ਪਾ ਦਿਓ । ਭੁੰਨਦੇਭੰਨਦੇ ਹੀ ਟਮਾਟਰ ਪਾ ਦਿਓ ਅਤੇ ਹਿਲਾਉਂਦੇ ਰਹੋ । ਜਦੋਂ ਮਸਾਲਾ ਸੁਰਖ਼ ਹੋ ਜਾਵੇ ਬੈਂਗਣ ਦਾ ਕੁਚਲਾ ਪਾ ਕੇ ਖੂਬ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮੱਧਮ ਅੱਗ ਤੇ ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਪਕਾਓ। ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੱਕਣ ਜਾਂ ਭੰਨਣ ਤੇ ਹਰੇ ਧਨੀਆਂ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਕੱਟ ਕੇ ਛਿੜਕ ਕੇ ਪਰੋਸੋ । ਟਮਾਟਰ ਦੀ ਥਾਂ ਤੇ ਖਟਾਈ ਚੂਰਨ ਜਾਂ ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਵੀ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਕੁੱਲ ਮਾਤਰਾ-2-3 ਆਦਮੀਆਂ ਲਈ ।
ਜੇਕਰ ਪਿਆਜ਼ ਨਾ ਪਾਉਣਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਘਿਓ ਜਾਂ ਤੇਲ ਵਿਚ ਹਿੰਗ ਜਾਂ ਰਾਈ, ਜੀਰੇ ਅਤੇ ਮਿਰਚ ਦਾ ਛੱਕ ਦੇ ਕੇ ਥੋੜ੍ਹਾ ਦਹੀਂ, ਖਟਾਈ ਚੂਰਨ ਜਾਂ ਟਮਾਟਰ ਭੁੰਨ ਲਓ । ਇਸ ਵਿਚ ਪ੍ਰੈਕਟੀਕਲ ਬੈਂਗਣ (ਭਰਥਾ) ਅਤੇ ਨਮਕ ਪਾ ਕੇ ਭੁੰਨੋ । ਭੁੱਜ ਜਾਣ ਤੇ ਉਸ ਵਿਚ ਹਰੇ ਧਨੀਆਂ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਕੱਟ ਕੇ ਛਿੜਕ ਦਿਓ ।

ਨੋਟ – ਆਲੂ, ਕੇਲਾ, ਅਰੂਈ, ਜਿੰਮੀਕੰਦ, ਮਟਰ, ਛੋਲੇ ਆਦਿ ਦੇ ਭਰਥੇ ਦੇ ਲਈ ਉਸ ਨੂੰ ਉਬਾਲ ਕੇ ਕੁਚਲ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁਚਲੀ ਹੋਈ ਸਬਜ਼ੀ ਜਾਂ ਭਰਥੇ, ਬੈਂਗਣ ਦੇ ਭਰਥੇ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਫੁੱਲ ਗੋਭੀ-ਆਲੂ
ਸਾਮਾਨ-
ਫੁੱਲ ਗੋਭੀ – 1 ਫੁੱਲ
ਆਲੂ – 250 ਗਰਾਮ
ਪਿਆਜ਼ – 2
ਲੱਸਣ – 2-3 ਟੁਕੜੇ
ਖਟਾਈ ਚੂਰਨ – 1/2 ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਜ਼ੀਰਾ – 1/2 ਛੋਟੇ ਚਮਚੇ
ਹਲਦੀ ਚੂਰਨ – 1/2 ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਹਰਾ ਧਨੀਆ – ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ
ਨਮਕ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ
ਗਰਮ ਮਸਾਲਾ – 1/2 ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਅਦਰਕ – 1 ਟੁਕੜਾ
ਹਰੀ ਮਿਰਚ – 2
ਘਿਓ – 2 ਚਮਚ

PSEB 7th Class Home Science Practical ਕੁਝ ਭੋਜਨ ਨੁਸਖੇ

ਵਿਧੀ – ਆਲੂ ਧੋ ਕੇ, ਪਤਲਾ ਛਿੱਲ ਕੇ ਮੱਧਮ ਆਕਾਰ ਦੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿਚ ਕੱਟ ਲਓ । ਫੁੱਲ ਗੋਭੀ ਨੂੰ ਵੀ ਮੱਧਮ ਆਕਾਰ ਦੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿਚ ਕੱਟ ਕੇ ਧੋ ਲਓ । ਪਿਆਜ਼, ਲੱਸਣ, ਅਦਰਕ ਨੂੰ ਛਿੱਲ ਕੇ ਬਰੀਕ ਕੱਟ ਲਓ | ਹਰੀ ਮਿਰਚ ਵੀ ਬਰੀਕ ਕੱਟ ਲਓ | ਕੜਾਹੀ ਜਾਂ ਪਤੀਲੀ ਵਿਚ ਘਿਓ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਅਤੇ ਜ਼ੀਰੇ ਦਾ ਸ਼ੌਕ ਦੇ ਕੇ ਪਿਆਜ਼, ਲੱਸਣ, ਅਦਰਕ ਅਤੇ ਹਰੀ ਮਿਰਚ ਨੂੰ ਭੁੰਨੋ । ਇਸੇ ਵਿਚ ਆਲੂ ਅਤੇ ਗੋਭੀ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਪਾ ਕੇ ਕੁਝ ਦੇਰ ਤਕ ਭੁੰਨੋ । ਹਲਦੀ, ਮਿਰਚ, ਧਨੀਆ, ਨਮਕ ਆਦਿ ਮਸਾਲੇ ਵੀ ਪਾ ਦਿਓ | ਸਬਜ਼ੀ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਿਲਾ ਕੇ ਢੱਕ ਕੇ ਮੱਧਮ ਅੱਗ ਤੇ ਪਕਾਓ | ਆਲੂ ਅਤੇ ਗੋਭੀ ਗਲ ਜਾਣ ਤੇ ਉਸ ਵਿਚ ਗਰਮ ਮਸਾਲਾ ਅਤੇ ਖਟਾਈ ਚੂਰਨ ਪਾ ਕੇ 5-10 ਮਿੰਟ ਤਕ ਅੱਗ ਤੇ ਰਹਿਣ ਦਿਓ । ਫਿਰ ਉਤਾਰ ਲਓ ।

ਨੋਟ – ਸਿਰਫ਼ ਗੋਭੀ ਦੀ ਸਬਜ਼ੀ ਬਣਾਉਣੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਆਲੂ ਪਾਉਣ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੋਭੀ, ਮਟਰ, ਪਰਵਲ ਅਤੇ ਆਲੂ ਆਦਿ ਦੀ ਸਬਜ਼ੀ ਬਣਾਈ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

ਪਤਲੀ ਖਿਚੜੀ
ਸਾਮਾਨ-
ਚੌਲ – 1 ਕਟੋਰੀ
ਮੂੰਗੀ ਦੀ ਧੋਤੀ ਦਾਲ – 1/2 ਕਟੋਰੀ
ਜ਼ੀਰਾ – 1 ਚਮਚ
ਪਿਆਜ਼ – 1/2
ਨਮਕ – 1/2 ਚਮਚ
ਪਾਣੀ – ਪੰਜ ਕਟੋਰੀਆਂ

ਵਿਧੀ – ਦਾਲ ਅਤੇ ਚੌਲਾਂ ਨੂੰ ਚੁਣ ਕੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਿਉਂ ਲਵੋ । ਪੰਜ ਕਟੋਰੀਆਂ ਪਾਣੀ ਉਬਾਲ ਕੇ ਦਾਲ ਨੂੰ 10-15 ਮਿੰਟ ਪਕਾਓ ਅਤੇ ਫਿਰ ਚੌਲ ਪਾ ਦਿਓ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਨਮਕ, ਜ਼ੀਰਾ ਅਤੇ ਕੱਟਿਆ ਹੋਇਆ ਪਿਆਜ਼ ਵੀ ਪਾ ਦਿਓ । ਪਤੀਲੇ ਨੂੰ ਢੱਕ ਕੇ ਪਕਾਓ ਤਾਂ ਕਿ ਚੌਲ ਅਤੇ ਦਾਲ ਗਲ ਕੇ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲ ਜਾਣ । ਇਹ ਖਿਚੜੀ ਪਤਲੀ ਹੋਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਬਿਮਾਰਾਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਰੋਗੀ ਪਚਾ ਸਕੇ ਤਾਂ ਥੋੜ੍ਹਾ ਘਿਓ ਵੀ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਮਿਰਚ, ਮਸਾਲੇ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ।

ਦਲੀਆ
ਸਾਮਾਨ-
ਦਲੀਆ – 1 ਵੱਡਾ ਚਮਚ
ਪਾਣੀ – 1 ਗਿਲਾਸ ਜਾਂ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ
ਖੰਡ ਤੇ ਦੁੱਧ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਜੇ ਮਿੱਠਾ ਬਣਾਉਣਾ ਹੋਵੇ) ।
ਨਮਕ ਤੇ ਨਿੰਬੂ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ (ਜੇ ਨਮਕੀਨ ਬਣਾਉਣਾ ਹੋਵੇ)

ਵਿਧੀ – ਦਲੀਏ ਨੂੰ ਬਰਤਨ ਵਿਚ ਖੂਬ ਭੁੰਨ ਲਓ। ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਦਾ ਹੋ ਜਾਣ ਤੇ ਉਬਲਦੇ ਹੋਏ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਪਕਾਓ । ਜਦੋਂ ਦਲੀਆ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੱਕ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਦੁੱਧ ਤੇ ਖੰਡ ਮਿਲਾ ਕੇ ਰੋਗੀ ਨੂੰ ਦਿਓ । ਜੇ ਬਿਮਾਰ ਨਮਕੀਨ ਖਾਣਾ ਚਾਹਵੇ ਤਾਂ ਦਲੀਏ ਵਿਚ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਨਮਕ, ਕਾਲੀ ਮਿਰਚ ਤੇ ਨਿੰਬੂ ਪਾ ਕੇ ਦਿੱਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
ਨੋਟ – ਇਹ ਤਾਕਤਵਰ ਹਲਕਾ ਭੋਜਨ ਹੈ ਇਸ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਤੇ ਲਵਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਬਿਮਾਰ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਨਾਸ਼ਤੇ ਵਿਚ ਵੀ ਦਿੱਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਸਾਬੂਦਾਣੇ ਦੀ ਖੀਰ
ਸਾਮਾਨ-
ਸਾਬੂਦਾਣਾ – 1 ਜਾਂ 2 ਵੱਡੇ ਚਮਚ
ਦੁੱਧ – 2 ਕੱਪ
ਖੰਡ – 1 ਚਮਚ ਜਾਂ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ

ਵਿਧੀ – ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਬੂਦਾਣੇ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਫ਼ ਕਰ ਲਓ । ਉਬਲਦੇ ਹੋਏ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਇੰਨਾ ਪਕਾ ਲਓ ਕਿ ਸਾਬੂਦਾਣਾ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗਲ ਜਾਵੇ, ਹੁਣ ਦੁੱਧ ਜਾਂ ਖੰਡ ਮਿਲਾ ਕੇ ਰੋਗੀ ਨੂੰ ਖਾਣ ਲਈ ਦਿਓ ।
ਨੋਟ – ਸਾਬੂਦਾਣਾ ਇਕ ਹਲਕਾ ਤੇ ਛੇਤੀ ਹਜ਼ਮ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਸੁਆਦੀ ਭੋਜਨ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਤੇ ਲਵਣ ਮਿਲਦੇ ਹਨ | ਬੁਖ਼ਾਰ ਜਾਂ ਗਲੇ ਵਿਚ ਦਰਦ ਹੋਣ ਤੇ ਇਹ ਰੋਗੀ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਕੁਝ ਭੋਜਨ ਨੁਸਖੇ

ਸਾਦੀ ਕਾਫੀ
ਸਾਮਾਨ-
ਕਾਫੀ ਪਾਊਡਰ – 1/2 ਤੋਂ 3/4 ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਚੀਨੀ – 1 ਤੋਂ 1\(\frac { 1 }{ 2 }\) ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਗਰਮ ਦੁੱਧ – 2-1 ਵੱਡੇ ਚਮਚ
ਉਬਲਦਾ ਹੋਇਆ ਪਾਣੀ – 1 ਕੱਪ

ਵਿਧੀ – ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਉਬਾਲ ਲਓ ਤੇ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਗਰਮ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ਕੇਤਲੀ ਵਿਚ ਪਾਓ । ਜਿਵੇਂ ਗਰਮ ਚਾਹ ਦੇ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਕਾਫੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ ਕਾਫੀ ਪਾਊਡਰ ਨੂੰ ਕੱਪ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਪਾਓ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਹਿਲਾਓ । ਇਸ ਵਿਚ ਗਰਮ ਦੁੱਧ ਤੇ ਚੀਨੀ ਪਾ ਕੇ ਪਰੋਸੋ ।

ਕੁੱਲ ਮਾਤਰਾ -1 ਕੱਪ
ਐੱਸ ਪਰੈਸੋ ਕਾਫੀ
ਸਾਮਾਨ-
ਕਾਫੀ ਪਾਊਡਰ – 3/4 ਛੋਟਾ ਚਮਚ
ਚੀਨੀ – 1\(\frac { 1 }{ 2 }\) ਛੋਟੇ ਚਮਚ
ਦੁੱਧ – 1/2 ਕੱਪ
ਪਾਣੀ – 1/2 ਕੱਪ
ਚਾਕਲੇਟ ਪਾਊਡਰ – ਥੋੜਾ ਜਿਹਾ

ਵਿਧੀ – ਕੱਪ ਵਿਚ ਕਾਫੀ ਅਤੇ ਖੰਡ ਪਾ ਕੇ ਥੋੜੇ ਜਿਹੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਉਸ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਂਟੋ ਦੁੱਧ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਮਿਲਾ ਕੇ ਉਬਾਲੋ । ਉਬਲਿਆ ਹੋਇਆ ਦੁੱਧ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਫੈਂਟੀ ਹੋਈ ਕਾਫੀ ਵਿਚ ਮਿਲਾ ਕੇ ਉਪਰੋਂ ਥੋੜਾ ਜਿਹਾ ਚਾਕਲੇਟ ਪਾਉਡਰ ਪਾ ਕੇ ਪਰੋਸੋ ।
ਕੁੱਲ ਮਾਤਰਾ-1 ਕੱਪ

ਠੰਢੀ ਕਾਫੀ
ਸਾਮਾਨ-
ਦੁੱਧ – 1 ਕੱਪ
ਕਾਫੀ ਪਾਊਡਰ – 1 ਛੋਟਾ ਚਮਚ
ਚੀਨੀ – 1\(\frac { 1 }{ 2 }\) ਛੋਟੇ ਚਮਚ

ਵਿਧੀ – ਦੁੱਧ ਨੂੰ ਉਬਾਲ ਕੇ ਠੰਢਾ ਕਰ ਲਓ । ਕਾਫੀ ਪਾਊਡਰ ਅਤੇ ਚੀਨੀ ਨੂੰ ਮਿਲਾ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚ ਦੁੱਧ ਪਾਓ ਅਤੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲਾਓ। ਹੁਣ ਇਸ ਵਿਚ ਬਰਫ਼ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਕੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲਾ ਲਓ । ਜੇ ਹੋ ਸਕੇ ਤਾਂ ਉੱਪਰ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਮਿਕਸੀ ਵਿਚ ਫੈਂਟ ਲਓ । ਪਰੋਸਦੇ ਸਮੇਂ ਜੇਕਰ ਚਾਹੋ ਤਾਂ ਉੱਪਰ ਕਰੀਮ ਜਾਂ ਆਈਸ ਕਰੀਮ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ।
ਕੁੱਲ ਮਾਤਰਾ-1 ਛੋਟਾ ਗਿਲਾਸ

ਨਿਬੂ ਵਾਲੀ ਠੰਢੀ ਚਾਹ
ਸਾਮਾਨ-
ਚਾਹ ਦੀ ਪੱਤੀ -3/4 ਛੋਟਾ ਚਮਚ
ਉਬਲਿਆ ਹੋਇਆ ਪਾਣੀ -1 ਕੱਪ
ਚੀਨੀ, ਨਿਬੂ – ਸਵਾਦ ਅਨੁਸਾਰ
ਬਰਫ਼ -ਕੁਝ ਟੁਕੜੇ

PSEB 7th Class Home Science Practical ਕੁਝ ਭੋਜਨ ਨੁਸਖੇ

ਵਿਧੀ – ਗਰਮ ਚਾਹ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਚਾਹ ਬਣਾ ਕੇ ਛਾਣ ਦਿਓ । ਇਸ ਵਿਚ ਚੀਨੀ ਮਿਲਾ ਕੇ ਕੁੱਟੀ ਹੋਈ ਬਰਫ਼ ਪਾ ਦਿਓ । ਹੁਣ ਇਸ ਨੂੰ ਨਿੰਬੂ ਦੇ ਨਾਲ ਪਰੋਸੋ । ਕੁੱਲ ਮਾਤਰਾ -1 ਛੋਟਾ ਗਿਲਾਸ

ਸ਼ਿਕੰਜ਼ਵੀ
ਸਾਮਾਨ-
ਨਿੰਬੂ – 2
ਪਾਣੀ – 500 ਮਿਲੀਲਿਟਰ ਚੀਨੀ
ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਕਾਲੀ ਮਿਰਚ – ਸੁਆਦ ਅਨੁਸਾਰ
ਬਰਫ਼ – ਠੰਢੀ ਕਰਨ ਲਈ

ਵਿਧੀ – ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਖੰਡ ਪਾ ਕੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲਾਓ । ਫਿਰ ਉਸ ਵਿਚ ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ ਮਿਲਾ ਦਿਓ । ਇਸ ਘੋਲ ਨੂੰ ਛਾਣ ਕੇ ਅਤੇ ਸੁਆਦ ਅਨੁਸਾਰ ਨਮਕ ਤੇ ਕਾਲੀ ਮਿਰਚ ਪਾਓ । ਠੰਢੀ ਕਰਨ ਲਈ ਬਰਫ਼ ਪਾਓ । ਸ਼ਿਕੰਜਵੀ ਤਿਆਰ ਹੈ, ਕੱਚ ਦੇ ਗਿਲਾਸਾਂ ਵਿਚ ਪਰੋਸੋ।

ਲੱਸੀ
ਸਾਮਾਨ+
ਦਹੀਂ – 100 ਗਰਮ
ਪਾਣੀ – 1 ਗਿਲਾਸ
ਚੀਨੀ ਜਾਂ ਨਮਕ – ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ
ਵਿਧੀ – ਦਹੀਂ ਨੂੰ ਡੂੰਘੇ ਬਰਤਨ ਜਿਵੇਂ ਗੜਵੀ ਜਾਂ ਜੱਗ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਲੱਕੜ ਦੀ ਮਧਾਣੀ ਜਾਂ ਬਿਜਲੀ ਵਾਲੀ ਮਧਾਣੀ ਨਾਲ ਰਿੜਕੋ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਪਾ ਦਿਓ । ਪਾਣੀ ਪਾਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਲਈ ਫਿਰ ਰਿੜਕੋ ਇਸ ਵਿਚ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਚੀਨੀ ਜਾਂ ਨਮਕ ਪਾ ਲਓ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿਚ ਬਰਫ਼ ਪਾ ਕੇ ਠੰਡੀ ਕਰਕੇ ਪੀਣ ਲਈ ਦਿਓ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਜਾਂਘੀਆ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਜਾਂਘੀਆ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਜਾਂਘੀਆ

PSEB 7th Class Home Science Practical ਜਾਂਘੀਆ 1
ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦਾ ਨਾਪ-ਲੰਬਾਈ 22′ ਚੌੜਾਈ 16”
1. ਚੌੜਾਈ ਵੱਲੋਂ ਕਾਗਜ਼ ਨੂੰ ਦੁਹਰਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
2. ਲੰਬਾਈ ਵੱਲੋਂ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਨੂੰ ਦੂਹਰਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਜਾਂਘੀਆ
ਦੋ ਵਾਰੀ ਦੁਹਰੇ ਵਾਲੇ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਅਤੇ ਇਕ ਵਾਰੀ ਦੁਹਰੇ ਕੀਤੇ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਹੇਠਲੇ ਪਾਸੇ ਰੱਖੋ | ਚਾਰੇ ਕੋਨਿਆਂ ਤੇ ਉ, ਅ, ੲ, ਸ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।

  • ਉ, ਅ ਨੂੰ ਦੋ ਬਰਾਬਰ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਕੇ ਹ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।
  • ਏ, ਸ, ਨੂੰ ਦੋ ਬਰਾਬਰ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਕੇ, ਕ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।
  • ਹ ਅਤੇ ਕ ਨੂੰ ਸਿੱਧੀ ਲਾਈਨ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਦਿਓ ।
  • ਉ, ਅਤੇ ਅ, ਸ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਬਰਾਬਰ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਕੇ ਲਾਈਨਾਂ ਲਗਾ ਦਿਓ ।
  • ਉ ਤੋਂ 1” ਹੇਠਾਂ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾ ਕੇ ਖ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿਓ ।
  • ਅ ਤੋਂ 1” ਅੰਦਰ ਵੱਲ ਨੂੰ ਲਉ ਅਤੇ ਗ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।
  • ਖ ਅਤੇ ਗ ਨੂੰ ਥੋੜ੍ਹੀ ਜਿਹੀ ਗੋਲਾਈ ਵਾਲੀ ਲਾਈਨ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਦਿਓ ।
  • ਕ ਤੋਂ 1” ਸ ਵਾਲੀ ਲਾਈਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਘ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।
  • ਸ ਤੋਂ 1 ਖਾਨਾ + 1” ਉੱਪਰ ਲੈ ਕੇ ਝ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।
  • ਝ, ਗ ਨੂੰ ਸਿੱਧੀ ਲਾਈਨ ਵਿਚ ਮਿਲਾ ਦਿਓ ।
  • ਫਿਰ ਘ ਝ ਨੂੰ ਸਿੱਧੀ ਲਾਈਨ ਵਿਚ ਮਿਲਾ ਦਿਉ ।
  • ਘ, ਝ ਨੂੰ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਕੇ ਚ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।
  • ਚ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਅੱਧਾ ਇੰਚ ਲੈ ਕੇ ਛ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ਅਤੇ ਇਕ ਇੰਚ ਉੱਪਰ ਜ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ ।
  • ਘ, ਛ ਅਤੇ ਝ ਨੂੰ ਪਿਛਲੀ ਲੱਤ ਦੀ ਗੋਲਾਈ ਦੇ ਲਈ ਗੋਲਾਈ ਵਿਚ ਮਿਲਾਓ ।
  • ਘ, ਜ ਅਤੇ ਝ ਨੂੰ ਲੱਤ ਦੀ ਅਗਲੀ ਗੋਲਾਈ ਦੇ ਲਈ ਗੋਲਾਈ ਵਿਚ ਮਿਲਾਓ ।

ਕੱਪੜਾ-36″ ਚੌੜਾਈ ਦੀ 26” ਲੰਬੀ, ਚਿੱਟੇ ਜਾਂ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਹਲਕੇ ਰੰਗ ਦੀ ਪਾਪਲੀਨ ਜਾਂ ਕੈਂਬਰਿਕ ਲਈ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਸਿਲਾਈ-ਪਾਸਿਆਂ ਤੇ ਰਨ ਐਂਡ ਫੈਲ ਸਿਲਾਈ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਲੱਤ ਵਾਲੀ ਗੋਲਾਈ ਨੂੰ ਅੰਦਰ ਬਰੀਕ ਜਿਹਾ ਮੋੜ ਕੇ ਲੈਸ ਲਗਾਓ । ਕਮਰ ਤੋਂ 3/4″ ਅੰਦਰ ਵੱਲ ਨੂੰ ਮੋੜ ਕੇ ਉਲ਼ੇੜੀ ਕਰ ਲਓ ਅਤੇ 1/2” ਚੌੜਾ ਅਤੇ 12” ਲੰਬਾ ਇਲਾਸਟਿਕ ਪਾ ਦਿਓ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਘਰ ਵਿਚ ਬੁਣਾਈ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕੀ ਲਾਭ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੱਪੜੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੁੰਦਰ, ਮਜ਼ਬੂਤ ਅਤੇ ਘੱਟ ਕੀਮਤ ਤੇ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੁੰਡਿਆਂ ਦੇ ਖਿਚਾਓ ਵਿਚ ਕਿਸ ਗੱਲ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁੰਡਿਆਂ ਦੇ ਖਿਚਾਓ ਵਿਚ ਸਲਾਈ ਦੇ ਨੰਬਰ ਦਾ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਬੁਣਾਈ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਕੰਮ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁੰਡੇ ਪਾਉਣੇ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਬੁਣਾਈ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਉੱਨ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕੱਸ ਕੇ ਫੜਨ ਨਾਲ ਕੀ ਹਾਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੁਣਾਈ ਕੱਸੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉੱਨ ਦੀ ਸੁਭਾਵਿਕਤਾ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕੁੰਡੇ ਕਿੰਨੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁੰਡੇ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ –

  • ਇਕ ਸਲਾਈ ਦੁਆਰਾ ਹੱਥ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਅਤੇ
  • ਦੋ ਸਲਾਈਆਂ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ ਦੀ ਵਿਧੀ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲਾਂ ਸਲਾਈ ਤੇ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਕੁੰਡੇ ਪਾ ਲੈਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ । ਪਹਿਲੀ ਲਾਈਨ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਕੁੰਡੇ ਫੰਦੇ) ਸਿੱਧੀ ਬੁਣਾਈ ਦੇ ਬਣਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ । ਦੂਸਰੀ ਲਾਈਨ ਵਿਚ ਪਹਿਲਾ ਕੁੰਡਾ ਸਿੱਧਾ ਫਿਰ ਸਾਰੇ ਉਲਟੇ ਅਤੇ ਆਖ਼ਰੀ ਕੁੰਡਾ ਫਿਰ ਸਿੱਧਾ ਬੁਣਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੰਨਾ ਚੌੜਾ ਬੁਣਨਾ ਹੋਵੇ ਉਤਨਾ ਇਹਨਾਂ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ । ਦੀ ਲਾਈਨ ਨੂੰ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਬੁਣ ਕੇ ਬਣਾ ਲੈਣਾ
PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮੋਤੀ ਦਾਣੇ ਜਾਂ ਸਾਬੂ ਦਾਣੇ ਦੀ ਬੁਣਾਈ ਦੀ ਵਿਧੀ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਕੁੰਡੇ ਸਲਾਈ ਤੇ ਪਾ ਲੈਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਹਿਲੀ ਲਾਈਨ (ਸਲਾਈ) ਵਿਚ ਇਕ ਸਿੱਧਾ, ਇਕ ਉਲਟਾ, ਇਕ ਸਿੱਧਾ, ਇਕ ਉਲਟਾ ਬੁਣਦੇ ਹੋਏ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਲਾਈ ਬੁਣ ਲਓ । ਪ੍ਰੈਕਟੀਕਲ | ਦੂਜੀ ਲਾਈਨ ਵਿਚ ਜੋ ਕੁੰਡਾ ਉਲਟਾ ਹੋਵੇ ਉਸ ਨੂੰ ਸਿੱਧਾ ਤੇ ਸਿੱਧੇ ਨੂੰ ਉਲਟਾ ਕੁੰਡਾ (ਵੰਦਾ) ਬੁਣਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੂਜੀ ਲਾਈਨ ਸਿੱਧੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਨਾ ਹੋ ਕੇ ਇਕ ਉਲਟੀ ਦੋ ਸਿੱਧੇ ਦੇ ਕੂਮ ਵਿਚ ਬੁਣੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਬੁਣਾਈ ਨੂੰ ਧਣੀਏ ਜਾਂ ਛੋਟੀ ਗੰਢ ਦੀ ਬੁਣਾਈ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਵਿੱਚ ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਜੋ ਕਿ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਬੁਣਾਈ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ ਵਰਤਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੁਣਾਈ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ ਵਰਤਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ

  • ਕੰਡਿਆਂ ਦੀ ਖਿਚਾਈ ਵਿਚ ਸਲਾਈ ਦੇ ਨੰਬਰ ਦਾ ਬਹੁਤ ਹੱਥ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਹਮੇਸ਼ਾ ਠੀਕ ਨੰਬਰ ਦੀਆਂ ਸਲਾਈਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।
  • ਮੋਟੀ ਉੱਨ ਲਈ ਮੋਟੀਆਂ ਸਲਾਈਆਂ ਅਤੇ ਬਰੀਕ ਉੱਨ ਲਈ ਪਤਲੀਆਂ ਸਲਾਈਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  • ਹੱਥ ਗਿੱਲੇ ਨਾ ਹੋਣ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀ ਤੇ ਸਫ਼ਾਈ ਨਾਲ ਚਲਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
  • ਉੱਨ ਨੂੰ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਫੜਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਹਰ ਥਾਂ ਤੇ ਖਿਚਾਅ ਇੱਕੋ ਜਿਹਾ ਰਹੇ । ਜੇ ਉੱਨ ਦੀ ਖਿਚਾਈ ਜ਼ਿਆਦਾ ਰੱਖੀ ਜਾਏਗੀ ਤਾਂ ਕੱਪੜੇ ਦਾ ਸੁਭਾਵਿਕ ਲਚੀਲਾਪਨ ਕੁੱਝ ਸੀਮਾ ਤਕ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਏਗਾ ।
  • ਲਾਈਨ ਅਧੂਰੀ ਛੱਡ ਕੇ ਬੁਣਤੀ ਬੰਦ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ।
  • ਜੋੜ ਕਿਸੇ ਲਾਈਨ ਦੇ ਸਿਰੇ ਤੇ ਹੀ ਲਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਵਿਚਕਾਰ ਨਹੀਂ ।
  • ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਨਾਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੀ ਬੁਣਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ | ਆਸਤੀਨਾਂ ਤੇ ਅਗਲੇ ਭਾਗ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਮਿਲਾਉਣ ਲਈ ਲਾਈਨਾਂ ਹੀ ਗਿਣਨੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੁੰਡੇ (ਫੰਦੇ) ਕਿੰਨੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ? ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁੰਡੇ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਪਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ –

  1. ਸਲਾਈ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ
  2. ਹੱਥ ਨਾਲ ।

1. ਸਲਾਈ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਦੋ ਸਲਾਈ ਦੇ ਕੁੰਡੇ)-ਉੱਨ ਦੇ ਸਿਰੇ ਕੋਲ ਇਕ ਲਪ ਸਰ ਫੰਦਾ ਬਣਾ ਕੇ ਸਲਾਈ ਤੇ ਚੜਾ ਲਓ । ਇਸ ਸਲਾਈ ਨੂੰ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਵਿਚ ਫੜੋ । ਦੂਜੀ ਸਲਾਈ ਤੇ ਗੋਲੇ ਵੱਲ ਦੀ ਉੱਨ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਵਿਚ ਲੈ ਕੇ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਦੀ ਉੱਨ ਇਸ ਨੋਕ ਤੇ ਲਪੇਟੋ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੰਡੇ ਬਣਾ ਕੇ ਬਾਹਰ ਕੱਢੋ ਅਤੇ ਸੱਜੀ ਸਲਾਈ ਤੇ ਵੀ ਇਕ ਕੁੰਡਾ ਬਣ ਜਾਏਗਾ ।
PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ 2
ਇਸ ਕੁੰਡੇ ਨੂੰ ਖੱਬੀ ਸਲਾਈ ਤੇ ਚੜ੍ਹਾ ਲਓ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੰਨੇ ਕੁੰਡੇ ਪਾਉਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੋਵੇ ਪਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

2. ਹੱਥ ਨਾਲ (ਇਕ ਸਲਾਈ ਦੁਆਰਾ ਕੁੰਡੇ ਪਾਉਣਾ-ਜਿੰਨੇ ਕੁੰਡੇ ਪਾਉਣੇ ਹੋਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਉੱਨ ਸਿਰੇ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਛੱਡ ਦੇਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੇ ਅੰਗੂਠੇ ਤੇ ਪਹਿਲੀ | ਉਂਗਲੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸਿਰਾ ਥੱਲੇ ਛੱਡ ਕੇ ਉੱਨ ਫੜੋ । ਫਿਰ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਉੱਨ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੀਆਂ ਦੋ ਉਂਗਲਾਂ ਤੇ ਲਪੇਟ ਕੇ ਫਿਰ ਅੰਗੁਠਾ ਤੇ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਲਾ ਕੇ ਪਹਿਲੇ ਧਾਗੇ ਦੇ ਉੱਪਰੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪਿੱਛੇ ਛੱਡ ਦਿਓ । ਇਸ ਨਾਲ ਧਾਗੇ ਦੀ ਇਕ ਅੰਗੂਠੀ ਜਿਹੀ ਬਣ ਜਾਏਗੀ ।
PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ 3
ਇਸ ਧਾਗੇ ਦੀ ਅੰਗੂਠੀ ਦੇ ਅੰਦਰੋਂ ਇਕ ਸਲਾਈ ਪਾਓ ਅਤੇ ਪਿੱਛੇ ਹੋਏ ਧਾਗੇ ਦੀ ਗੋਲਾਈ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਲਓ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹਲਕੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਦੋਵੇਂ ਪਾਸਿਆਂ ਦੇ ਧਾਗੇ ਨੂੰ ਖਿੱਚ ਕੇ ਸਲਾਈ ਤੇ ਕੁੰਡਾ ਫੰਦਾ ਜਮਾ ਲਓ । ਸਲਾਈ ਅਤੇ ਉੱਨ (ਗੋਲੇ ਵੱਲ ਦੀ) ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਵਿਚ ਫੜਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਖ਼ਾਲੀ ਸਿਰਾ ਫੜਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਿਰੇ ਅੰਗੂਠੇ ਤੋਂ ਲਪੇਟ ਕੇ ਕੁੰਡਾ ਜਿਹਾ ਬਣਾ ਲਓ । ਇਸ ਕੁੰਡੇ ਦੇ ਥੱਲਿਓਂ ਸਲਾਈ ਦੀ ਨੋਕ ਅੰਦਰ ਪਾਓ । ਹੁਣ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਉੱਨ ਸਲਾਈ ਦੇ ਪਿਛਲੇ ਪਾਸਿਓਂ ਸਾਹਮਣੇ ਵੱਲ ਲੈ ਜਾਓ । ਇਸ ਧਾਗੇ ਨੂੰ ਖੱਬੇ ਅੰਗੂਠੇ ਨਾਲ ਅੰਦਰੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢੋ ਅਤੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਹੌਲੀ | ਜਿਹਾ ਖਿੱਚ ਕੇ ਧਾਗਾ ਕੱਸ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਜਿੰਨੇ ਕੁੰਡੇ ਪਾਉਣੇ ਹੋਣ ਸਲਾਈ ਤੇ ਜਮਾ ਦੇਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ । ‘

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਿੱਧੇ ਅਤੇ ਉਲਟੇ ਕੁੰਡੇ ਬੁਣਨ ਦੀ ਵਿਧੀ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਧੇ ਕੁੰਡੇ ਬੁਣਨਾ (ਸਿੱਧੀ ਬੁਣਤੀ)-ਸਿੱਧੀ ਬੁਣਤੀ ਦੇ ਕਿਨਾਰੇ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸਾਫ਼ ਤੇ ਟਿਕਾਊ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਸਿੱਧੀ ਬੁਣਤੀ ਲਈ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਕੁੰਡੇ ਪਾਓ ।ਪਹਿਲੀ ਲਾਈਨ-ਕੁੰਡੇ ਫੰਦੇ ਵਾਲੀ ਸਲਾਈ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਵਿਚ ਫੜੋ । ਸੱਜੀ ਸਲਾਈ ਪਹਿਲੇ ਕੰਡੇ . ਵਿਚ ਖੱਬੇ ਪਾਸਿਓਂ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਪਾਓ । ਇਸ ਦੀ ਨੋਕ ਤੇ ਉੱਨ ਦਾ ਧਾਗਾ ਚੜਾਓ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ | ਉਸ ਕੁੰਡੇ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਲਓ । ਇਸ ਕੁੰਡੇ ਨੂੰ ਸੱਜੀ ਹੀ ਸਲਾਈ ਤੇ ਰਹਿਣ ਦਿਓ ਅਤੇ ਖੱਬੀ ਸਲਾਈ ਦੇ ਉਸ ਕੁੰਡੇ ਨੂੰ ਜਿਸ ਵਿਚੋਂ ਇਸ ਨੂੰ ਕੱਢਿਆ ਸੀ, ਸਲਾਈ ਉੱਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਉਤਾਰ ਲਓ ।
PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ 4
ਪ੍ਰੈਕਟੀਕਲ ਹਰ ਕੁੰਡੇ ਵਿਚੋਂ ਬੁਣਦੇ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਖੱਬੀ ਸਲਾਈ ਤੋਂ ਸਾਰੇ ਫੰਦੇ ਬੁਣ ਕੇ ਸੱਜੀ ਸਲਾਈ ਤੇ ਆ ਜਾਣ ਤਦ ਖਾਲੀ ਸਲਾਈ ਨੂੰ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਵਿਚ ਬਦਲ ਕੇ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਗਲੀ ਲਾਈਨ ਬੁਣੀ ਜਾਏਗੀ, ਜਿਵੇਂ ਪਹਿਲੀ ਲਾਈਨ ਵਿਚ ਬੁਣੀ ਗਈ ਸੀ । ਪਹਿਲੀ ਲਾਈਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਹਰ ਲਾਈਨ ਵਿਚ ਪਹਿਲਾ ਕੁੰਡਾ ਬਿਨਾਂ ਬੁਣੇ ਹੀ ਉਤਾਰ ਲੈਣ ਨਾਲ ਬੁਣਾਈ ਵਿਚ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਤੇ ਸਲਾਈ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । | ਉਲਟੀ ਬੁਣਤੀ-ਉਲਟੀ ਬੁਣਤੀ ਲਈ ਵੀ ਪਹਿਲਾਂ ਆਪਣੀ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਕੁੰਡੇ ਪਾ ਲੈਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ

ਪਹਿਲੀ ਲਾਈਨ-ਉੱਨ ਸਾਹਮਣੇ ਲਿਆ ਕੇ ਸੱਜੀ ਸਲਾਈ ਪਹਿਲੇ ਕੁੰਡੇ ਵਿਚ ਸੱਜੇ ਪਾਸਿਓਂ ਵੀ ਪਾਓ । ਉਸ ਤੇ ਉੱਨ ਇਕ ਵਾਰ ਲਪੇਟ ਕੇ ਕੁੰਡੇ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਲਓ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਰੇ ਕੁੰਡਿਆਂ ਦੀ ਬੁਣਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਏਗੀ । ਪਹਿਲੀ ਹਰ ਲਾਈਨ ਪੁੱਠੀ ਹੀ ਬੁਣੀ ਜਾਏ ਤਾਂ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਹੀ ਨਮੂਨਾ ਬਣੇਗਾ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਹਰ ਲਾਈਨ ਸਿੱਧੀ ਬੁਣਤੀ ਨਾਲ ਬੁਣਨ ਤੇ ਬਣਨਾ ਹੈ । ਸਿੱਧੇ ਉਲਟੇ ਕੁੰਡੇ ਮਿਲਾ ਕੇ ਬੁਣਨ ਨਾਲ
PSEB 7th Class Home Science Practical ਸਾਦੀ ਬੁਣਾਈ 5
ਬੁਣਤੀ ਬਹੁਤ ਸੁੰਦਰ ਨਮੂਨੇ ਬਣ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 5 ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 5 ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

Home Science Guide for Class 7 PSEB ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ
ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਫ਼ਾਈ, ਸੁੰਦਰਤਾ ਅਤੇ ਸਿਹਤ, ਮੱਛਰ-ਮੱਖੀ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਰੁੱਤ ਅਨੁਸਾਰ ਸਫ਼ਾਈ ਕਿਸ ਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਰੁੱਤ ਬਦਲਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਨੂੰ ਰੁੱਤ ਅਨੁਸਾਰ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਨਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਰੱਖਣ ਲਈ ਕੀ ਵਰਤਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਿੱਲਾ ਅਖ਼ਬਾਰ ਜਾਂ ਗੁੱਡੀ ਕਾਗ਼ਜ਼ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਟਾਇਲਟ, ਗੁਸਲਖ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਫਿਨਾਇਲ ਕਿਉਂ ਛਿੜਕੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਟਾਇਲਟ ਅਤੇ ਗੁਸਲਖ਼ਾਨੇ ਨੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਫਿਨਾਇਲ ਨਾਲ ਧੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖੁੱਲੀ ਹਵਾ ਲੱਗਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਇਹ ਮੱਖੀ, ਮੱਛਰ ਦੇ ਘਰ ਬਣ ਜਾਣਗੇ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਗੱਲਾਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ-

  1. ਕਮਰੇ ਦਾ ਫ਼ਰਸ਼ ਤੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਕੰਮ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  2. ਰਸੋਈ, ਗੁਸਲਖ਼ਾਨਾ ਤੇ ਨਾਲੀਆਂ ਵੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਾਫ਼ ਕਰਨੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਸਪਤਾਹਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ ਦਰੀ ਜਾਂ ਫ਼ਰਨੀਚਰ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਕੇ ਝਾੜਨਾ, ਕੰਧਾਂ ਤੋਂ ਜਾਲੇ ਲਾਹੁਣੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਧੁੱਪ ਲਵਾਉਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  4. ਰੋਜ਼ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਨਾ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨ, ਪਰਦੇ, ਚਾਦਰਾਂ ਆਦਿ ਸਾਫ਼ ਕਰਨੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ।
  5. ਟਾਇਲਟ ਅਤੇ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਫਿਨਾਇਲ ਦਾ ਪਾਣੀ ਪਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  6. ਰੁੱਤ ਅਨੁਸਾਰ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਕੰਧਾਂ ਤੇ ਫਰਸ਼ ਝਾੜ ਕੇ ਲਿੱਪ ਪੋਚ ਲੈਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਟੁੱਟ-ਫੁੱਟ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰਵਾ ਕੇ ਸਫ਼ੈਦੀ ਕਰਵਾ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  7. ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਅਤੇ ਬਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਪਾਲਿਸ਼ ਜਾਂ ਵਾਰਨਿਸ਼ ਕਰਵਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਪਤਾਹਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਅੰਤਰਗਤ ਕੀ ਕੀ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਪਤਾਹਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਅੰਤਰਗਤ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕੰਮ ਕਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ-

  1. ਹਫ਼ਤਾਵਾਰੀ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰੀ ਬਿਸਤਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰ ਸੁਕਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  2. ਘਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸਮਾਨ-ਫਰਨੀਚਰ ਆਦਿ ਨੂੰ ਧੁੱਪ ਜ਼ਰੂਰ ਲਗਵਾਉਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  3. ਕਮਰੇ, ਵਿਹੜੇ ਅਤੇ ਪੌੜੀਆਂ ਨੂੰ ਧੋ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਕਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  4. ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਫਰਨੀਚਰ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਕੇ ਕੰਧਾਂ ਸਾਫ਼ ਕਰ ਲੈਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਜੋ ਜਾਲੇ ਆਦਿ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਣ ।
  5. ਅਲਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸਮਾਨ ਕੱਢ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਕਰਕੇ ਉਚਿਤ ਥਾਂ ਤੇ ਲਗਾ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  6. ਜੇਕਰ ਫਰਸ਼ ਉੱਤੇ ਦਰੀ ਵਿਛੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਕੇ ਝਾੜ ਲਓ ਅਤੇ ਫਰਸ਼ ਧੋ ਕੇ ਗਿੱਲੇ ਕੱਪੜੇ ਦੇ ਨਾਲ ਪੋਚਾ ਫੇਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  7. ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਬਲਬ ਅਤੇ ਸ਼ੇਡ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਵੀ ਕਰ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  8. ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਫਿਨਾਇਲ ਛਿੜਕ ਦੇਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਕੀਟਾਣੂ ਰਹਿਤ ਹੋ ਜਾਵੇ ।
  9. ਪਖਾਨੇ ਵਿਚ ਫਿਨਾਇਲ ਅਤੇ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਚੁਨੇ ਦਾ ਪਾਣੀ ਛਿੜਕਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਨਿਬੰਧਾਤਮਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਅਤੇ ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਿਵੇਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਸਾਡਾ ਭਾਵ ਉਸ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਹੈ ਜੋ ਘਰ ਵਿਚ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸੁਆਣੀ ਦਾ ਮੁੱਖ ਫ਼ਰਜ਼ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਘਰ ਦੇ ਉੱਠਣ-ਬੈਠਣ, ਪੜ੍ਹਨ-ਲਿਖਣ, ਸੌਣ ਦੇ ਕਮਰੇ, ਰਸੋਈ, ਵੇਹੜਾ, ਗੁਸਲਖ਼ਾਨਾ, ਬਰਾਮਦਾ ਅਤੇ ਟਾਇਲਟ ਦੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰੇ । ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਅੰਤਰਗਤ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਖਿੱਲਰੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਟਿਕਾਉਣਾ, ਫ਼ਰਨੀਚਰ ਨੂੰ ਝਾੜਨਾ ਪੂੰਝਣਾ, ਫਰਸ਼ ਤੇ ਝਾੜੂ ਕਰਨਾ, ਗਿੱਲਾ ਪੋਚਾ ਕਰਨਾ ਆਦਿ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਅੱਜ ਦੇ ਆਧੁਨਿਕ ਯੁਗ ਵਿਚ ਵਿਅਸਤ ਸੁਆਣੀਆਂ ਅਤੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਸੁਆਣੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਕਦੀ ਵੀ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਕਿ ਉਹ ਘਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪਾਸਿਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਕਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਰੁੱਤ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਖ਼ਾਸ ਕਰਕੇ ਸਫ਼ਾਈ ਦਾ ਕੀ ਮਤਲਬ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਜਦੋਂ ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਦੁਸਹਿਰੇ ਜਾਂ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਾਰਸ਼ਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਕਲੀ, ਪਾਲਿਸ਼ ਆਦਿ ਕਰਵਾਉਣ ਨਾਲ ਘਰ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਤਾਂ ਵਧਦੀ ਹੀ ਹੈ ਰੋਗ ਫੈਲਾਉਣ ਵਾਲੇ ਕੀਟਾਣੂ ਵੀ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਸਿਹਤ ਪੱਖੋਂ ਵੀ ਇਕ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਘਰ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸਫ਼ਾਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 5 ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

PSEB 7th Class Home Science Guide ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ Important Questions and Answers

ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪ੍ਰਸ਼ਨ
ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਕਿੰਨੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਿੰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਾਖਾਨੇ ਅਤੇ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ……………………….. ਦਾ ਪਾਣੀ ਪਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਫਿਨਾਇਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਪਤਾਹਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ …………………… ਦੀ ਵੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੀਵਾਰਾਂ ਤੇ ਲੱਗੇ ਜਾਲੇ ਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਘਰ ਵਿੱਚ ਗੰਦਗੀ ਦਾ ਇਕ ਪ੍ਰਕਿਰਤਕ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੱਕੜੀ ਦੇ ਜਾਲੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੀਵਾਲੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਕੀਤੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਲਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮੱਖੀਆਂ ਅਤੇ ਮੱਛਰ ਗੰਦਗੀ ਦੀ ਦੇਣ ਹਨ । (ਠੀਕ/ਗਲਤ)
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਟਾਇਲਟ, ਗੁਸਲਖਾਨੇ ਵਿੱਚ ਫਿਨਾਇਲ ਛਿੜਕਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । (ਸਹੀ/ਗਲਤ)
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਸਫ਼ਾਈ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਹਨ ।
(ਉ) ਰੋਜ਼ਾਨਾ ।
(ਅ) ਹਫ਼ਤਾਵਾਰ
(ੲ) ਮੌਸਮ ਅਨੁਸਾਰ
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਫ਼ਾਈ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਅਤੇ ਘਰ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸਫ਼ਾਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸਨ 2.
ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਦੋ ਮਹੱਤਵ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਸਫ਼ਾਈ
  2. ਸੁੰਦਰਤਾ ਅਤੇ ਸਿਹਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਰੀਰਕ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਅੰਗਾਂ ਦੀ ਨਿਯਮਿਤ ਸਫ਼ਾਈ ਅਤੇ ਨਿਯਮਿਤ ਚੰਗੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਭਾਵ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੈਨਿਕ ਜਾਂ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ ਕਿਹੜੀਆਂ ਥਾਂਵਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਰ ਰੋਜ਼ ਉੱਠਣ-ਬੈਠਣ ਅਤੇ ਸੌਣ ਵਾਲੇ ਕਮਰੇ, ਗੁਸਲਖਾਨਾ, ਟਾਇਲਟ, ਰਸੋਈ, ਵਿਹੜਾ ਅਤੇ ਬਰਾਮਦਾ (ਬਰਾਂਡਾ ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਖ਼ਾਸ ਸ਼ਫ਼ਾਈ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੁੱਤ ਅਨੁਸਾਰ ਕੰਮ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਕੇ ਠੀਕ ਰੱਖਰਖਾਵ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕਰਨਾ । ਜਿਵੇਂ-ਸਰਦੀ ਗਰਮੀ ਦੇ ਕੱਪੜੇ, ਅਨਾਜ ਸੰਰੱਖਿਅਣ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਅਚਾਨਕ ਸਫ਼ਾਈ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਚਾਨਕ ਜ਼ਰੂਰਤ ਪੈਣ ਤੇ ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਨਾ, ਜਿਵੇਂ ਵਿਆਹ ਸ਼ਾਦੀ ਤੇ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਨੂੰ ਕਿੰਨੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਨੂੰ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਛੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-

  1. ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ
  2. ਸਪਤਾਹਿਕ ਸਫ਼ਾਈ
  3. ਮਾਸਿਕ ਸਫ਼ਾਈ
  4. ਖ਼ਾਸ ਸਫ਼ਾਈ
  5. ਸਾਲਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ
  6. ਅਚਾਨਕ ਸਫ਼ਾਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ ਕੀ-ਕੀ ਕੰਮ ਕਰਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕੰਮ ਜ਼ਰੂਰੀ ਤੌਰ ਤੇ ਕਰਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-

  1. ਘਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕਮਰਿਆਂ ਦੇ ਫਰਸ਼, ਖਿੜਕੀਆਂ, ਦਰਵਾਜ਼ੇ, ਮੇਜ਼, ਕੁਰਸੀ ਦੀ ਝਾੜ ਪੂੰਝ ਕਰਨਾ ।
  2. ਘਰ ਵਿਚ ਰੱਖੇ ਕੁੜੇ-ਦਾਨ ਆਦਿ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਨਾ ।
  3. ਟਾਇਲਟ ਅਤੇ ਗੁਸਲਖ਼ਾਨੇ ਆਦਿ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਨਾ ।
  4. ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਕੰਮ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਭਾਂਡਿਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਅਤੇ ਰੱਖ-ਰਖਾਓ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਘਰ ਵਿਚ ਗੰਦਗੀ ਹੋਣ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਪ੍ਰਾਕਿਰਤਕ ਕਾਰਨ-ਧੂੜ ਦੇ ਕਣ, ਵਰਖਾ ਅਤੇ ਹੜ੍ਹ ਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਰੋੜ੍ਹ ਨਾਲ ਆਉਣ ਵਾਲੀ ਗੰਦਗੀ, ਮਕੜੀ ਦੇ ਜਾਲੇ, ਪੰਛੀਆਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜੀਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਗੰਦਗੀ ।
  2. ਮਾਨਵ ਵਿਕਾਰ-ਮਲ-ਮੂਤਰ, ਕਫ, ਬੁੱਕ, ਖੰਘਾਰ, ਪਸੀਨਾ ਅਤੇ ਵਾਲ ਝੜਨਾ ।
  3. ਘਰੇਲੂ ਕੰਮ–ਖਾਧ-ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਨਾਲ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲਾ ਕੁੜਾ, ਸਾਗ-ਸਬਜ਼ੀਫਲ ਆਦਿ ਦੇ ਛਿਲਕੇ, ਖਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਵਸਤਾਂ, ਭਾਂਡੇ ਆਦਿ ਦਾ ਧੋਵਨ, ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਆਈ, ਸਾਬਣ ਦੀ ਝੱਗ, ਮੈਲ, ਨੀਲ, ਸਟਾਰਚ, ਰੱਦੀ ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਟੁੱਕੜੇ, ਸਿਲਾਈ ਦੀਆਂ ਕਰਨਾਂ, ਕਤਾਈ ਜੀ ਨੂੰ ਅਤੇ ਛਿੱਜਣ ਆਦਿ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰ ਵਾਲਾ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਸ਼ੁਰੂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਿੰਨੇ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਘਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਨਾਲ ਚਾਰ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਦੇ ਹਾਂਦੈਨਿਕ ਜਾਂ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ, ਸਪਤਾਹਿਕ ਸਫ਼ਾਈ, ਮਾਸਿਕ ਸਫ਼ਾਈ, ਸਾਲਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ।

1. ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜਾਂ ਦੈਨਿਕ ਸਫ਼ਾਈ – ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਸਾਡਾ ਭਾਵ ਉਸ ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਹੈ ਜੋ ਘਰ ਵਿਚ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸੁਆਣੀ ਦਾ ਇਹ ਮੁੱਖ ਫ਼ਰਜ਼ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਘਰ ਦੇ ਉੱਠਣ-ਬੈਠਣ, ਪੜ੍ਹਨ-ਲਿਖਣ, ਸੌਣ ਦੇ ਕਮਰੇ, ਰਸੋਈ ਘਰ, ਵਿਹੜਾ, ਗੁਸਲਖ਼ਾਨਾ, ਬਰਾਮਦਾ ਅਤੇ ਟਾਇਲਟ ਦੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰੇ । ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਖਿਲਰੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਾਉਣਾ, ਫ਼ਰਨੀਚਰ ਨੂੰ ਝਾੜਨਾ, ਪੁੰਝਣਾ, ਫਰਸ਼ ਤੇ ਝਾੜ ਲਾਉਣਾ, ਗਿੱਲਾ ਪੋਚਾ ਫੇਰਨਾ ਆਦਿ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।

2. ਸਪਤਾਹਿਕ ਸਫ਼ਾਈ – ਇਕ ਚੰਗੀ ਸੁਆਣੀ ਨੂੰ ਘਰ ਦੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਅਨੇਕਾਂ ਕੰਮ ਕਰਨੇ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਕਿ ਉਹ ਇਕ ਹੀ ਦਿਨ ਵਿਚ ਘਰ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰ ਸਕੇ | ਸਮੇਂ ਦੀ ਕਮੀ ਕਾਰਨ ਘਰ ਵਿਚ ਜੋ ਚੀਜ਼ਾਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਾਫ਼ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਹਫ਼ਤੇ ਵਿਚ ਜਾਂ ਪੰਦਰਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਜ਼ਰੂਰ ਸਾਫ਼ ਕਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਅਜਿਹਾ ਨਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਤਾਂ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਅਤੇ ਕੰਧਾਂ ਦੀਆਂ ਛੱਤਾਂ ਤੇ ਜਾਲੇ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਣਗੇ । ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਅਤੇ ਬਾਰੀਆਂ ਦੇ ਸ਼ੀਸ਼ਿਆਂ, ਫ਼ਰਨੀਚਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ, ਬਿਸਤਰ ਝਾੜਨਾ ਤੇ ਧੁੱਪ ਲਗਵਾਉਣਾ, ਅਲਮਾਰੀਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਅਤੇ ਦਰੀ ਕਾਲੀਨ ਨੂੰ ਝਾੜਨਾ ਤੇ ਧੁੱਪ ਲਗਵਾਉਣਾ ਆਦਿ ਕੰਮ ਸਪਤਾਹ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਜ਼ਰੂਰ ਕੀੜੇ ਜਾਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।

3. ਮਾਸਿਕ ਸਫ਼ਾਈ – ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਮਰਿਆਂ ਜਾਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਹਫ਼ਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਨਾ ਹੋ ਸਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਜ਼ਰੂਰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਾਰੇ ਮਹੀਨੇ ਦੀ ਖਾਧ-ਸਮੱਗਰੀ ਇੱਕੋ ਵਾਰ ਖ਼ਰੀਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਭੰਡਾਰ ਹਿ ਵਿਚ ਰੱਖਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਭੰਡਾਰ ਘਰ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਝਾੜ-ਪੂੰਝ ਕੇ ਹੀ ਉਸ ਵਿਚ ਖਾਧਸਮੱਗਰੀ ਰੱਖੀ ਜਾਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਮਾਸਿਕ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਅੰਤਰਗਤ ਅਨਾਜ, ਦਾਲਾਂ, ਅਚਾਰ, ਮੁਰੱਬੇ ਤੇ ਮਸਾਲੇ ਆਦਿ ਨੂੰ ਧੁੱਪ ਲਵਾਉਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ | ਅਲਮਾਰੀ ਦੇ ਜਾਲੇ, ਬਲਬਾਂ ਦੇ ਸ਼ੇਡ ਆਦਿ ਵੀ ਸਾਫ਼ ਕਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।

4. ਸਾਲਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ – ਸਾਲਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ਦਾ ਭਾਵ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਸਾਰੇ ਘਰ ਦੀ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਨਾ ਹੈ 1 ਸਾਲਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਅੰਤਰਗਤ ਘਰ ਵਿਚ ਕਲੀ ਕਰਨਾ, ਟੁੱਟੀਆਂ ਥਾਂਵਾਂ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ, ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ, ਖਿੜਕੀਆਂ ਅਤੇ ਚੁਗਾਠਾਂ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਤੇ ਸਫ਼ਾਈ ਅਤੇ ਰੰਗ ਰੋਗਨ ਕਰਵਾਉਣਾ, ਫ਼ਰਨੀਚਰ ਅਤੇ ਹੋਰ ਸਾਮਾਨ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ, ਵਾਰਨਿਸ਼, ਪਾਲਿਸ਼ ਆਦਿ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਕਮਰਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਸਾਰੇ ਸਾਮਾਨ ਨੂੰ ਹਟਾ ਕੇ ਚੂਨਾ, ਪੈਂਟ ਜਾਂ ਡਿਸਟੈਂਪਰ ਕਰਵਾਉਣਾ, ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਪਿੱਛੋਂ ਫਰਸ਼ ਨੂੰ ਰਗੜ ਕੇ ਧੋਣਾ ਅਤੇ ਦਾਗ ਧੱਬੇ ਹਟਾਉਣਾ, ਸਫ਼ਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਾਰੇ ਸਾਮਾਨ ਨੂੰ ਮੁੜ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕਰਨਾ ਸਾਲਾਨਾ ਕੰਮ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਨਾਲ ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਨਵੀਨ ਰੂਪ ਪ੍ਰਦਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਰਜਾਈ, ਗੱਦਿਆਂ ਨੂੰ ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਰੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਵਾਉਣਾ, ਧੂਣਾਈ ਆਦਿ ਵੀ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਦੁਸਹਿਰੇ ਜਾਂ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਾਲਾਨਾ ਸਫ਼ਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਲਿੱਪਣ-ਪੋਚਣ ਅਤੇ ਪਾਲਿਸ਼ ਕਰਵਾਉਣ ਨਾਲ ਸੁੰਦਰਤਾ ਤਾਂ ਵਧਦੀ ਹੀ ਹੈ, ਰੋਗ ਫੈਲਾਉਣ ਵਾਲੇ ਕੀਟਾਣੂ ਵੀ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਸਿਹਤ ਦੇ ਪੱਖੋਂ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਘਰ ਦੀ ਪੂਰੀ ਸਫ਼ਾਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।