PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 8 आपदा प्रबन्ध Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 8 आपदा प्रबन्ध

SST Guide for Class 8 PSEB आपदा प्रबन्ध Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
आपदा किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
मनुष्य को अपने जीवन में प्रकृति तथा अपने आप द्वारा पैदा किए गए कई खतरों का सामना करना पड़ा है। जब यह खतरे मनुष्य के लिए घातक बन जाते हैं, तो इन्हें आपदा कहते हैं।

प्रश्न 2.
‘प्राकृतिक आपदा’ मुख्य रूप से कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
मुख्य प्राकृतिक आपदा हैं- भूकम्प (भूचाल), ज्वालामुखी, सुनामी, बाढ़, चक्रवात, सूखा, भूस्खलन (१ का सरकना) तथा हिमस्खलन (बर्फ के तोदों का सरकना)।

प्रश्न 3.
‘आपदा प्रबन्धन’ विषय में क्या-क्या शामिल हैं ?
उत्तर-
‘आपदा प्रबन्धन’ का सम्बन्ध प्रकोपों से होने वाली हानि को कम करने से है। इस विषय में अग्रलि बातें शामिल हैं

  • आपदा आने से पहले की तैयारी
  • आपदा के समय बचाव तथा
  • आपदा के बाद समाज को फिर से जीवन देना।

प्रश्न 4.
भूचाल ( भूकम्प) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
भूमि के हिलने की क्रिया को भूचाल या भूकम्प कहते हैं। यह हल्का भी हो सकता है और बहुत तीव्र भी।

प्रश्न 5.
ज्वालामुखी किसे कहते हैं ? इसकी किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
धरती के भीतर बहुत अधिक गर्मी के कारण चट्टानें पिघली हुई अवस्था में हैं। ये धरती के किसी कमज़ोर भाग से लावे के रूप में बाहर आ जाती हैं। इस क्रिया को ज्वालामुखी कहा जाता है।
ज्वालामुखी की किस्में-ज्वालामुखी मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-(1) क्रियाशील ज्वालामुखी (2) सुप्त ज्वालामुखी तथा (3) बुझे हुए ज्वालामुखी।

प्रश्न 6.
सुनामी कैसे पैदा होती है ?
उत्तर-
सुनामी ऊँची-ऊँची समुद्री लहरें होती हैं। ये भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट तथा धरती के खिसकने से पैदा होती हैं। ये बहुत-ही विनाश करती हैं।

प्रश्न 7.
बाढ़ आने के मुख्य क्या कारण हैं ?
उत्तर-
बाढ़ आने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(1) अधिक वर्षा (2) तेज़ चक्रवात (3) बादलों का फटना (4) पानी के निकास का ठीक प्रबन्ध न होना (5) बांधों का टूटना (6) नदियों तथा दरियाओं के तल पर मिट्टी का जमाव (7) नदियों तथा दरियाओं के प्रभाव में आने वाले प्रदेशों में आवासों का निर्माण करना।

प्रश्न 8.
चक्रवात क्या होते हैं ? इन्हें किस-किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर-
वात तूफ़ान या तेज़ हवाएं होती हैं जिनकी गति 63 किमी० प्रति घंटा या इससे अधिक होती है। ये हवा के कम दबाव से पैदा होते हैं।
अन्य नाम- चक्रवातों को उत्तरी अमेरिका में ‘हरीकेन’, दक्षिण-पूर्वी एशिया में ‘टाईफून’ तथा भारत में आंधी या तूफ़ान कहा जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध

प्रश्न 9.
‘भूमि खिसकने’ के कौन-कौन से कारण हो सकते हैं ?
उत्तर-
भूमि खिसकने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं(1) धरती की अन्दरूनी (आन्तरिक) हलचल (2) तेज़ वर्षा का होना (3) ज्वालामुखी क्रिया (4) खानें खोदना।

प्रश्न 10.
मानवीय प्रकोप किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मानवीय प्रकोप वे प्रकोप होता है जो मनुष्य प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से स्वयं पैदा करता है। यह काम नुष्य जान-बूझ कर अथवा अनजाने में करता है। बम धमाके तथा आतंकवादी हमले इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 11.
महामारी से आपका क्या भाव है ?
उत्तर-
जब कोई बीमारी बहुत अधिक फैल जाती है तथा लोगों को प्रभावित करती है, तो उसे महामारी कहते हैं। I, डेंगू, बुखार, पीला बुखार या दस्त जैसी बीमारियां कभी-कभी महामारी का रूप ले लेती हैं।

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
आपदाएं मानव को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ?
उत्तर-
आपदाएं मानव जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं –

  • इनके कारण जान-माल की भारी हानि होती है।
  • नागरिक सुविधाएं ठप्प पड़ जाती हैं जिससे जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
  • कई लोग अपनों से बिछुड़ जाते हैं।
  • खड़ी फ़सलें तथा पशु बह जाते हैं।
  • लाशों के गलने-सड़ने से महामारियां फैलती हैं। (6) वर्षों की उन्नति मिनटों में समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 2.
भूचाल आने के कारण और संसार के प्रसिद्ध भूचाल क्षेत्र बताओ।
उत्तर-
कारण-भूचाल धरती की आन्तरिक हलचलों के कारण आते हैं। इन हलचलों से धरती की टैक टोनिक प्लेटें खिसक जाती हैं और भूकम्प तरंगें पैदा होती हैं। परिणामस्वरूप धरती हिलने लगती है जिसे भूचाल अथवा भूकम्प कहते हैं।
भूचाल क्षेत्र-

  • संसार के 2/3 भूचाल प्रशान्त महासागर के ‘ज्वाला चक्र’ (Ring of Fire) में आते हैं।
  • संसार के मुख्य पर्वतीय क्षेत्र, जैसे कि हिमालय तथा आल्पस भी भूकम्पग्रस्त क्षेत्र माने जाते हैं।
  • भारत के भूचालग्रस्त प्रदेशों में कश्मीर तथा पश्चिमी हिमालय, मध्य हिमाचल, उत्तर-पूर्वी भारत, सिन्धु-गंगा के मैदान, राजस्थान एवं गुजरात के प्रदेश तथा पूर्वी तथा पश्चिमी द्वीप-समूह शामिल हैं।

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प्रश्न 3.
भूचाल आपदा प्रबन्धन में हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
भूचाल आपदा प्रबन्धन में हमें नीचे दी गई बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • भूचाल ग्रस्त प्रदेशों में भवनों के नक्शे तथा बनावट इस प्रकार की होनी चाहिए कि भूचाल आने पर उन्हें कोई हानि न पहुँचे। घरों तथा अन्य इमारतों का बीमा भी अवश्य होना चाहिए।
  • भूचाल आने पर भय या घबराहट का वातावरण पैदा नहीं होने देना चाहिए; बल्कि शान्ति रखकर दिमाग़ से क लेना चाहिए।
  • भूचाल आने पर यदि आप घर के अन्दर हों, तो बाहर नहीं भागना चाहिए, बल्कि बेड्, मेज, दरवाज़े जैसी कि कठोर वस्तु के बीच चले जाना चाहिए।
  • यदि भूचाल के समय बाहर हो तो किसी खुले स्थान पर चले जाना चाहिए। इमारतों, वृक्षों, बिजली के ता. तथा खम्बों से दूर रहना चाहिए।
  • हमें आपस में मिलकर भूचाल प्रभावित लोगों की सहायता करनी चाहिए। उन्हें मेडीकल तथा रहने की सुवि देने का प्रयास करना चाहिए।
  • मलबे में दबे लोगों को तेज़ी से निकालना चाहिए और घायलों को जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंच चाहिए।
  • भूकम्प से प्रभावित यातायात तथा संचार के साधनों को जितनी जल्दी हो सके फिर से चालू कर लेना चा
  • सरकार को चाहिए कि वह बेघर हुए लोगों को फिर से बसाने के लिए आवश्यक सुविधाएं दे।

प्रश्न 4.
ज्वालामुखी और सुनामी से बचाव के लिए क्या-क्या प्रबन्ध करना चाहिए ?
उत्तर-
ज्वालामुखी से बचाव-

  • ज्वालामुखी विस्फोट वाले स्थान के निकट घर या कोई और इमारत नहीं बनानी चाहिए।
  • ज्वालामुखी विस्फोट के लक्षण दिखाई देने पर वहां से बहुत दूर चले जाना चाहिए। इसके लिए यातायात के तीव्र साधनों को प्रयोग करना चाहिए।

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  • हानि पहुँचने की स्थिति में सरकार को हर प्रकार की सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए।

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सुनामी से बचाव-

  • सुनामी की सूचना मिलने पर समुद्र की ओर नहीं जाना चाहिए।
  • समुद्र में चल रहे जहाज़ों तथा नावों को वापिस बन्दरगाह पर आ जाना चाहिए।
  • मछुआरों को लहरें शान्त होने के बाद ही समुद्र में जाना चाहिए।
  • यदि लहरें बहुत तेज़ी से समुद्र तट की ओर आ रही हों, तो वहाँ बसे लोगों को वह स्थान छोड़कर दूर चले जाना चाहिए।
  • सभी को मिलकर मुसीबत में फंसे लोगों की सहायता करनी चाहिए।
  • सरकार को सुनामी की आपदा से निपटने के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न 5.
सूखे से बचने के लिए कौन-कौन-से कदम उठाने चाहिएँ।
उत्तर-
सूखे से बचाव के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं-

  • पानी का प्रयोग सूझबूझ से करें। इसे व्यर्थ न बहने दें।
  • सूखाग्रस्त क्षेत्रों में अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाएं। वृक्ष वर्षा लाने में सहायता करते हैं।
  • सूखाग्रस्त प्रदेश में ऐसी फ़सलें उगायें जिन्हें कम पानी की ज़रूरत होती हैं। मक्का, बाजरा, दालें आदि फसलें इसी प्रकार की फ़सलें हैं।

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  • सरकार को चाहिए कि वह सूखाग्रस्त प्रदेशों में आसपास के अधिक पानी वाले क्षेत्रों से पानी पहुँचाये।
  • सूखाग्रस्त क्षेत्रों में वर्षा के पानी को तालाबों अथवा बांधों में इकट्ठा कर लेना चाहिए। इस पानी का प्रयोग ज़रूरत के समय किया जा सकता है।
  • सूखाग्रस्त क्षेत्रों में कृषि के स्थान पर दूसरे आर्थिक धन्धों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि अधिक पानी की समस्या न रहे।

प्रश्न 6.
कौन-कौन से उपाय हमें महामारी जैसी आपदा से बचा सकते हैं ?
उत्तर-

  • महामारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि बीमारियों से ही बचा जाए। शुद्ध, साफ पानी तथा साफ़-सुथरा वातावरण हमें बीमारियों से बचा सकता है।
  • बीमारी फैलने पर डॉक्टरी सुविधाओं का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। इसके लिए अस्पतालों में चिकित्सा की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए।
  • शहरों के आसपास गन्दी बस्तियों को विकसित न होने दिया जाये।
  • शहरों, गांवों तथा स्कूलों में नियमित रूप से बीमारी की जांच होनी चाहिए ताकि महामारी के खतरे से बचा जाए।

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PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध

III. नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
बाढ़ और चक्रवात जैसी आपदाओं से बचने के लिए हमें क्या-क्या उपाय करने चाहिएँ ? विस्तार सहित लिखिए।
उत्तर-
बाढ़ तथा चक्रवात जैसी आपदाओं से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिएँ- ‘.
बाढ़-

  • बाढ़ग्रस्त प्रदेशों में लोगों को समय-समय पर मौसम विभाग से जानकारी लेते रहना चाहिए। यदि खतर अधिक हो तो लोगों को अपना स्थान अस्थायी रूप से छोड़ देना चाहिए तथा किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए
  • बाढ़ आने से पहले लोगों को अपना सामान किसी ऊँचे स्थान पर अथवा छत पर ढक कर रख देना चाहिए
  • बाढ़ के समय पानी को उबाल कर ही पीना चाहिए।
  • बाढ़ में फंसे लोगों को सेना की सहायता से हेलीकाप्टरों द्वारा बाहर निकालने का प्रयास करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि वह बाढ़ प्रभावित लोगों तक खाने-पीने का सामान तथा आवश्यक दवाइयाँ पहुँचाये
  • बाढ़ से बेघर हुए लोगों को रहने का स्थान दिया जाये।
  • बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों तथा महामारियों से बचाव के लिए चिकित्सा सुविधाओं का उचित प्रब होना चाहिए।
  • सभी लोगों का यह कर्त्तव्य है कि वे बाढ़ प्रभावित लोगों की हर सम्भव सहायता करें।
  • बाढ़ों के वेग को कम करने के लिए अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहिएँ।

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चक्रवात-मनुष्य के लिए चक्रवातों को रोक पाना सम्भव नहीं है। फिर भी निम्नलिखित उपायों द्वारा चक्रवातों से होने वाली हानि को कम किया जा सकता है

  • समुद्र तट के निकट कच्चे घर अथवा झोंपड़ियां नहीं बनानी चाहिएँ।
  • चक्रवातों से प्रभावित लोगों को बड़े-बड़े भवनों, स्कूलों तथा अन्य सार्वजनिक इमारतों में शरण देनी चाहिए।
  • चक्रवातों का खतरा होने पर जहाजों, नावों तथा मछुआरों को समुद्र में नहीं जाना चाहिए।
  • चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में ऐसे मकान बनाये जाने चाहिएँ जो चक्रवातों की तेज़ गति का सामना कर सकें।
  • चक्रवातों के कारण आने वाली बाढ़ों से बचाव के लिए बाढ़-विरोधी पग उठाने चाहिएं।
  • समुद्र तट के साथ चक्रवातों की उलटी दिशा में वृक्षों की पंक्तियां लगा देनी चाहिए। इस प्रकार चक्रवात के वेग को कम किया जा सकता है।
  • चक्रवातों के आने की सूचना लगातार प्राप्त करते रहना चाहिए तथा उनसे बचाव के लिए दिए गए सुझावों का पालन करते रहना चाहिए।
  • सरकार की ओर से चक्रवातों की आपदा से निपटने तथा लोगों की सहायता के लिए उचित प्रबन्ध होना चाहिए।

प्रश्न 2.
मानवीय आपदा क्या हैं ? किन्हीं दो मानवीय आपदाओं के ‘आपदा प्रबन्धन’ का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कुछ आपदा मनुष्य प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से स्वयं उत्पन्न करता है। यह काम मनुष्य जानबूझ कर या अनजाने में करता है। इन आपदाओं को मानवीय आपदा कहते हैं। बम धमाके तथा आतंकी हमले और बांधों का टूटना मानवीय आपदाओं के उदाहरण हैं। दो मानवीय आपदाओं के ‘आपदा प्रबन्धन’ का वर्णन इस प्रकार हैं-

1. बम धमाके आतंकी हमले-बम देश की बाहरी शत्रु से रक्षा के लिए बनाये गये थे। परन्तु कुछ लोग इनका प्रयोग देश में तबाही मचाने के लिए करते हैं। कई आतंकवादी गुट देश में अशान्ति फैलाने का काम करते हैं। फलस्वरूप कई निर्दोष लोग मारे जाते हैं। अन्य प्रभावित लोगों को भी बम धमाकों तथा आतंकी हमलों के कारण तरह-तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं। ये हमले देश के विकास में भी बाधा डालते हैं। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के शहरों पर हुए आतंकी हमलों में हज़ारों लोग मारे गए थे और भारी आर्थिक क्षति हुई थी।

बचाव-

  • सरकारों को राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत द्वारा इन हमलों से निपटने की योजना बनानी चहिए।
  • लावारिस पड़ी किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाना चाहिए। हो सकता है कि इनमें बम हो। इनकी सूचना तुरन्त पुलिस को देनी चाहिए।
  • बम धमाकों या आतंकी हमले के समय अफरा-तफ़री तथा भय का वातावरण नहीं बनने देना चाहिए, बल्कि र्य से काम लेना चाहिए।
  • पुलिस तथा गुप्तचर विभाग को आतंकी गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए। भीड़ भरे स्थानों पर पर्याप्त कसी की ज़रूरत होती है।
  • पकड़े गए अपराधियों को कानून के अनुसार कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
  • आतंकी हमलों में घायल लोगों को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुँचाना चाहिए।
  • कानून तथा सुरक्षा की व्यवस्था बनाये रखनी चाहिए।

2. बांधों का टूटना-बांधों में बहुत अधिक पानी इकट्ठा रहता है। इसलिए किसी बांध के टूट जाने पर बाढ़ से भी खतरनाक स्थिति पैदा हो जाती है। यदि बांध बहुत बड़ा हो तो संकट और अधिक बढ़ जाता है। मानव जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। पशु तथा खड़ी फ़सलें बह जाती हैं। इस आपदा से बचाव के लिए बाढ़ों से बचाव वाले उपाय करने चाहिएँ। सरकार को लोगों के जान-माल की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबन्ध करने चाहिएं।

PSEB 8th Class Social Science Guide आपदा प्रबन्ध Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. भूकम्प (भूचाल). ज्वालामुखी, सुनामी, बाढ़ आदि …….. आपदाएं हैं।
2. बम धमाके, आतंकवाद, प्रदूषण आदि ………. आपदाएं हैं।
3. भूमि के हिलने की क्रिया को ………… कहते हैं।
4. हैजा, डेंग, पीला बुखार या दस्त जैसी बीमारियां जब अधिक लोगों को प्रभावित करती हैं तो वे ………..कहलाती हैं।
5. भूकम्प की तरंगे पृथ्वी के भीतर जिस विशेष स्थान पर उत्पन्न होती है, उस स्थान को भूकम्प का ……………. कहते हैं।
6. लावा के पृथ्वी पर आने की क्रिया को ………. कहा जाता है।
उत्तर-

  1. प्राकृतिक
  2. मानवीय
  3. भूचाल या भूकम्प
  4. महामारी
  5. उद्गम-केंद्र
  6. ज्वालामुखी उद्गार।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. जब खतरे मनुष्य के लिए घातक बन जाते हैं तो इन्हें आपदा कहते हैं।
2. भूमि के हिलने की क्रिया को ज्वालामुखी कहते हैं।
3. रिक्टर स्केल पर 8 से अधिक तीव्रता वाले भूचाल खतरनाक माने जाते हैं।
4. मानवीय प्रकोप वह प्रकोप होता हैं जो मनुष्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वयं पैदा करता है।
5. यदि वर्षा प्राप्ति की आशा रखने वाले किसी स्थान पर लम्बी अवधि तक अंधिक वर्षा का मौसम बना रहे तो उसे सूखा कहते हैं।
6. सुनामी ऊँची-ऊँची समुद्री लहरें होती हैं।
उत्तर-

(ग) सही विकल्प चुनिए:

प्रश्न 1.
उत्तरी अमरीका में चक्रवात को किस नाम से पुकारा जाता है ?
(i) आंधी
(ii) तूफ़ान
(iii) हरीकेन
(iv) टाईफून।
उत्तर-
हरीकेन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सी मानवीय आपदा है ?
(i) भूचाल
(ii) बम धमाके
(iii) ज्वालामुखी
(iv) सुनामी।
उत्तर-
बम धमाके

प्रश्न 3.
जल संसाधन की कमी से जुड़ी आपदा है
(i) ज्वालामुखी
(ii) सूखा
(iii) भूमि का खिसकना
(iv) महामारी।
उत्तर-
सूखा।

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. भूचाल – अधिक वर्षा
2. ज्वालामुखी – तूफ़ान
3. चक्रवात – रिक्टर पैमाना
4. बाढ़ – लावा।
उत्तर-

  1. रिक्टर पैमाना
  2. लावा,
  3. तूफ़ान,
  4. अधिक वर्षा ।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किस तीव्रता वाले भूचाल खतरनाक माने जाते हैं ?
उत्तर-
रिक्टर स्केल पर 8 से अधिक तीव्रता वाले भूचाल खतरनाक माने जाते हैं।

प्रश्न 2.
यू० एस० ए० में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला कब तथा किन दो स्थानों पर हुआ ?
उत्तर-
11 सितम्बर, 2001 को न्यूयॉर्क शहर तथा पेंटागन पर।।

प्रश्न 3.
भूचाल के उदगम-केन्द्र तथा अभिकेन्द्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
उदगम केन्द्र-भूकम्प की तरंगें पृथ्वी के भीतर किसी विशेष स्थान पर उत्पन्न होती हैं। इस स्थान को उद्गम-केन्द्र कहते हैं।
2. अधिकेन्द्र-भूकम्प की तरंगें भूमि के भीतर उत्पन्न होती हैं। इस भूकम्पीय उद्गम केन्द्र के ठीक ऊपर भू-पृष्ठ पर स्थित बिन्दु को अभिकेन्द्र कहते हैं।

प्रश्न 4.
‘भूचाल’ से क्या हानि होती है ?
उत्तर-

  • भूचाल से पृथ्वी में दरारें पड़ जाती हैं। मकान, सड़कें, पुल, रेलमार्ग आदि टूट जाते हैं। कई लोग मारे जाते हैं।
  • पानी, बिजली तथा गैस की आपूर्ति ठप्प पड़ जाती है।

प्रश्न 5.
26 दिसंबर, 2004 की सुनामी ने कितने देशों को प्रभावित किया और इससे लगभग कितने लोग मारे गये ?
उत्तर-
26 दिसंबर, 2004 की सुनामी ने दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा अफ्रीका के 11 देशों को प्रभावित केया। इससे 105 लाख से भी अधिक लोग मारे गए।

प्रश्न 6.
‘बाढ़’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब नदियों तथा नहरों का जल इनके किनारे तोड़कर आस-पास के क्षेत्र में फैल जाता है, तो उसे बाढ कहते हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध

प्रश्न 7.
चक्रवात अथवा उष्ण चक्रवात क्या होते हैं और ये कैसे बनते हैं ?
उत्तर-
चक्रवात या तूफान, एक प्रकार की तेज़ हवाएं होती हैं जिनकी गति 63 किलोमीटर प्रति घण्टा या इससे अधिक होती है। चक्रवात वायु के कम दबाव के कारण बनते हैं। अधिकतर चक्रवात भूमध्य रेखा से 5° से 20° उत्तर था दक्षिण में पैदा होते हैं।

प्रश्न 8.
सूखा किसे कहते हैं ?
उत्सर-
यदि वर्षा प्राप्ति की आशा रखने वाले किसी स्थान पर लम्बी अवधि तक शुष्क मौसम की स्थिति बनी रहे, उसे सूखा कहते हैं। सूखा कभी-कभी वर्षों तक जारी रहता है। सूखे से जल स्रोत तथा वनस्पति सूख जाती है और टी में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ जाती हैं।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रिक्टर स्केल तथा मरकाली स्केल में क्या अन्तर हैं ?
उत्तर-
रिक्टर स्केल-यह भूचाल की तीव्रता को मापने का खुला पैमाना है। इससे पता चलता है कि भूचाल का एक झटका कितना तीव्र है। रिक्टर पैमाने में 8 की तीव्रता वाला भूचाल 4 की तीव्रता वाले पैमाने से बहुत अधिक तीव्र होता है।
इसके विपरीत मरकाली स्केल भूचाल से हुई हानि को बताता है। इसे ‘कोई हानि नहीं’ से लेकर ‘सब कुछ नष्ट हो गया’ तक 12 वर्गों में बाँटा गया है।

प्रश्न 2.
ज्वालामुखी की किस्मों की संक्षिप्त जानकारी दो।
उत्तर-ज्वालामुखी की तीन किस्में हैं-क्रियाशील ज्वालामुखी, सुप्त ज्वालामुखी तथा बुझा हुआ ज्वालामुखी।

  • क्रियाशील ज्वालामुखी-ऐसे ज्वालामुखी में से कभी-कभी लावा निकलता रहता है।
  • सुप्त ज्वालामुखी-ऐसा ज्वालामुखी काफी समय से शान्त होता है। इसमें से पिछले इतिहास में इनमें से कभी लावा निकला होता है।
  • बुझा हुआ ज्वालामुखी-बुझा हुआ ज्वालामुखी वह होता है जिसके चिन्ह तो दिखाई देते हैं, परन्तु पिछले इतिहास में उनके फटने का कोई रिकार्ड नहीं मिलता।

प्रश्न 3.
चक्रवात किस प्रकार आपदा का रूप धारण कर लेते हैं ? इनसे होने वाली हानियों का वर्णन करो
उत्तर-
जब चक्रवातों की गति 100 किलोमीटर प्रति घण्टा से बढ़ जाती है तो ये आपदा का रूप धारण कर लेते हैं तथा आस-पास के क्षेत्रों में भारी विनाश करते हैं

  • बिजली तथा टेलीफोन की तारों के खम्बे भी गिर जाते हैं।
  • वृक्ष जड़ों से उखड़कर सड़कों पर गिर जाते हैं और यातायात ठप्प हो जाता है।
  • घास-फूस के कच्चे घरों तथा कमज़ोर मकानों को काफी क्षति पहुंचती है।
  • नावों और समुद्री जहाजों को भी काफी हानि होती है।
  • बहुत-से मनुष्य तथा पशु चक्रवातों की लपेट में आकर मारे जाते हैं।
  • खेतों में खड़ी फसलें ढह जाती है। जिससे कृषकों को हानि होती है।

प्रश्न 4.
पानी के बांधों या डैमों का टूट जाने की आपदा तथा बचाव पर नोट लिखो।।
उत्तर-
बांधों अथवा डैमों में पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है। इनके टूटने से पानी तेजी से बहने लगता है और बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि डैम बहुत बड़े हों तो आपदा और भी विनाशकारी हो जाती है जिससे मानव जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इसलिए बाढ़ों से निपटने के लिए सभी प्रबन्ध करने चाहिये। लोगों की जान और मा की सुरक्षा करना सरकार का मुख्य कार्य बनता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध (6)

प्रश्न 5.
औद्योगिक दुर्घटनाओं सम्बन्धी आपदा क्या होती है ?
उत्तर-
उद्योगों में बड़ी-बड़ी मशीनें, रासायनिक पदार्थ, कई प्रकार के ज्वलनशील पदार्थ तथा ज़हरीली गैसों का प्रयोग होता है। इनका प्रयोग करते समय कभी-कभी दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। कई बार तो ये दुर्घटनाएं इतनी विशाल तथा भयंकर होती हैं कि इन्हें भुला पाना भी कठिन हो जाता है। भोपाल गैस लीक की विनाशकारी घटना अभी भी हमारे मन में ताज़ा है। इस दुर्घटना में हज़ारों लोगों की मृत्यु हो गई थी और बहुत-से बच्चे अभी भी अपंग पैदा हो रहे हैं। कई बार उद्योगों में गैस सिलैण्डर फटने से आग भी लग जाती है या कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो जाती है।

प्रश्न 6.
औद्योगिक दुर्घटनाओं से बच-बचाव कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
औद्योगिक दुर्घटनाओं से बच-बचाव के लिए उद्योगों में आवश्यक प्रबन्ध होने चाहिएँ-

  1. आग बुझाने वाले यन्त्र हर समय तैयार रहने चाहिये।
  2. दुर्घटना के समय उद्योगों में श्रमिकों तथा अन्य कर्मचारियों को बाहर निकालने के तीव्र तथा उचित प्रबन्ध होने चाहियें।
  3. आतंक का वातावरण नहीं बनने देना चाहिये, बल्कि शान्त रहकर बचाव कार्य को पूरा करना चाहिए।
  4. प्रभावित लोगों को शीघ्र ही डॉक्टरी सहायता देनी चाहिये।
  5. उद्योगों में काम करने वाले कर्मियों को बीमा की सुविधा भी उपलब्ध होनी चाहिये।
  6. सरकार को चाहिए कि वह प्रभावित लोगों को हर सम्भव सहयोग तथा सहायता दे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
भूमि तथा बर्फ के तोदों के सरकने की आपदाओं का वर्णन करते हुए, उनसे बच-बचाव के उपाय लिखें।
उत्तर-
अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तरह भूमि सरकने (खिसकने) तथा बर्फ के तोदों के सरकने की आपदाएं भी कभी-कभी काफ़ी विनाशकारी होती हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है

1. भूमि का खिसकना-भूमि के खिसकने का अर्थ है पृथ्वी को गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण चट्टानों तथा मिट्टी का ढलान से नीचे की ओर खिसकना। इसमें भूमि एकदम और तेज़ी से नीचे की ओर सरकती है। यदि पहाड़ की ढलान तेज़ हो तो भूमि का नीचे की ओर सरकना (खिसकना) और भी तेज़ हो जाता है।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध (7)
कारण-भूमि सरकने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-

  1. पृथ्वी की भीतरी हलचल
  2. तेज़ वर्षा
  3. ज्वालामुखी क्रिया
  4. भूचाल का आना
  5. खानों का खोदना
  6. वनों को काटने से भूमि का अपरदन होने तथा भूमि के नंगा हो जाने से भी खिसकने की क्रिया बढ़ जाती है।

हानियां-

  1. भूमि के सरकने से बहुत-सा क्षेत्र मिट्टी के नीचे दब जाता है।
  2. सड़कों और वनस्पति को बहुत हानि होती है।
  3. सरकती हुई भूमि की लपेट में आने वाली मोटर गाड़ियों, पशुओं तथा मनुष्यों को भारी क्षति का सामना करना पड़ता है।

भूमि सरकने (खिसकने) से बचाव-,

  1. जिन क्षेत्रों में भूमि खिसकने की क्रिया अधिक होती है, उनकी पहचान करके वहां घर और इमारतें न बनाई जायें।
  2. वनस्पति हीन पर्वतों की ढलानों अर्थात् नंगी चट्टानों पर भूमि का सरकना अधिक होता है। इसलिए वनों की कटाई पर पाबंदी लगाई जाये और वहां घास तथा पेड़-पौधे आदि लगवाये जायें।
  3. ढलानों से बहने वाला पानी भूमि सरकने में सहायक होता है। इसलिए इस जल के निकास की उचित व्यवस्था की जाये।
  4. ऐसे क्षेत्रों में बिजली तथा टेलीफोन की तारों और जल पाइपों को या तो पृथ्वी के भीतर डाला जाए या ऊपर लटकाया जाये, ताकि भूमि सरकने से ये टूट न जायें।
  5. पहाड़ी ढलानों पर वृक्षों को लाइनों में लगाया जाये, ताकि भूमि सरकने की गति को कम किया जा सके।
  6. पर्वतों के साथ-साथ सड़कों के दोनों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें (Retaining Walls) बना देनी चाहिए ताकि सरकती हुई मिट्टी सड़क पर आने से पहले ही ढक जाए।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 8 आपदा प्रबन्ध

2. बर्फ के तोदों का खिसकना-पर्वतों की ढलानों से बर्फ का खिसकना मानव के लिए काफी कष्टदायक सिद्ध होता है। इससे सड़कें, इमारतें तथा मोटर गाड़ियों को बहुत क्षति पहुंचती है। यदि समस्या बढ़ जाये तो जान माल की भारी हानि होती है।
यह आपदा ऊंचे पहाड़ों पर बर्फ पड़ने से पैदा होती है। जब पहाड़ों पर बर्फ का जमाव बढ़ जाए, तो बर्फ के ऊपरी ढेर फिसल कर पर्वत की ढलान पर सरकने लगते हैं।
बर्फ के तोदों से बचाव-

  • लोगों को बर्फ से खिसकने के सम्बन्ध में पूरा ज्ञान होना चाहिये। यदि ऐसा होगा तो ही वे अपने आप को बचा सकेंगे।
  • ऐसे स्थानों में अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहियें। वृक्ष बर्फ के खिसकने में रुकावट का काम करते हैं।
  • बर्फ के खिसकने वाली पर्वतीय ढलानों पर बर्फ के तोदों के मार्ग में बाधा डालने के लिए इस प्रकार का निर्माण किया जाये जिससे तोदों की तीव्रता तथा दिशा बदल जाये। इस प्रकार इससे होने वाली हानि को कम किया जा सकता है।
  • यदि बर्फ सड़कों पर गिर जाये तो यह आवागमन को रोक देती है। इस बर्फ को बर्फ काटने वाली मशीन या ‘हल्के धमाकों से सड़क से हटाया जा सकता है इन्हें बुलडोजर की सहायता से भी हटाया जा सकता है।
  • बर्फ के खिसकने के प्रकोप से प्रभावित हुए लोगों के लिए आवश्यक सहायता तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करवाना सरकार की जिम्मेवारी बन जाती है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 7 मानवीय संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 7 मानवीय संसाधन

SST Guide for Class 8 PSEB मानवीय संसाधन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
मानवीय संसाधनों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मानवीय संसाधनों से अभिप्राय किसी देश की जनसंख्या से है। मानवीय संसाधनों को गिनती तथा गुणवत्ता दोनों पक्षों से देखा जाता है। किसी देश की उन्नति का आधार गुणवत्ता वाली जनसंख्या होती है।

प्रश्न 2.
जनगणना किसे कहते हैं और यह कितने वर्षों के बाद की जाती है?
उत्तर-
किसी देश की जनसंख्या की गिनती को जनगणना कहते हैं। जनगणना में लोगों की गिनती के साथ-साथ उनके कुछ सामाजिक तथा आर्थिक पक्षों की जानकारी भी प्राप्त की जाती है। जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष के बाद होती है।

प्रश्न 3.
लिंग अनुपात क्या होता है ? इसका फार्मूला भी लिखो।
उत्तर-
लिंग आधारित जनसंख्या के अनुपात को लिंग अनुपात कहते हैं। इसमें प्रति 1000 पुरुषों के पीछे स्त्रियों की गिनती की जाती है। लिंग अनुपात का फार्मूला यह है –
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन (1)

प्रश्न 4.
‘कन्या भ्रूण हत्या’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कुछ लोगों द्वारा लड़की को जन्म लेने से पहले ही मां के पेट में मार दिया जाता है। इसे ‘कन्या भ्रूण हत्या’ कहते हैं।

प्रश्न 5.
जनसंख्या को मुख्य रूप से कौन-कौन से आयु गुटों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
जनसंख्या को मुख्य रूप से तीन आयु गुटों में बांटा जा सकता है(1) 0-14 वर्ष (2) 15-64 वर्ष (3) 65 वर्ष या अधिक।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन

प्रश्न 6.
साक्षरता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जनसंख्या में शिक्षित लोगों की दर को साक्षरता कहते हैं। उदाहरण के लिए भारत में साक्षरता की दर 73% है अर्थात् प्रति 100 लोगों में 73 लोग ही पढ़े-लिखे हैं।

प्रश्न 7.
विकासशील देशों में लोगों को पढ़ने का अवसर क्यों नहीं मिलता ?
उत्तर-
विकासशील देशों में संसाधनों की कमी है जिसके कारण लोगों की पहली आवश्यकता रोटी कमाना है। इसलिए विकासशील देशों में लोगों को पढ़ने का अवसर नहीं मिलता।।

प्रश्न 8.
भारत में प्राइमरी तथा अपर-प्राइमरी स्कूलों की संख्या कितनी है ?
उत्तर-
भारत में लगभग 8.5 लाख प्राइमरी स्कूल तथा अपर-प्राइमरी स्कूल हैं।

प्रश्न 9.
प्राकृतिक वृद्धि दर क्या होती है ? उदाहरण बताकर वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहते हैं। यदि जन्म दर मृत्यु दर से अधिक हो तो प्राकृतिक वृद्धि दर सकारात्मक (+) होती है। विपरीत स्थिति में प्राकृतिक वृद्धि दर नकारात्मक (-) होती है। .

प्रश्न 10.
सर्वशिक्षा अभियान (कार्यक्रम) का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर-
सर्वशिक्षा अभियान का मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को आरम्भिक स्तर की शिक्षा दिलवाना है।

प्रश्न 11.
जनसंख्या घनत्व किसे कहते हैं ?
उत्तर-
किसी प्रदेश या देश के एक वर्ग किलोमीटर अथवा एक वर्गमील क्षेत्र में औसत रूप से रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। इसे ज्ञात करने का फार्मूला इस प्रकार है-
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन (2)

II. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दीजिए :

प्रश्न 1.
मानवीय साधनों के महत्त्व पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
मानवीय साधन बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। अन्य साधनों को मनुष्य ही अपनी कुशलता द्वारा उपयोगी बनाता है। अब उसकी शक्ति उसकी गुणवत्ता से मापी जाती है। जिस देश में जितने अधिक लोग उच्च शिक्षा प्राप्त, कुशल तथा प्रशिक्षित होते हैं, वह देश उतनी अधिक उन्नति करता है।
उदाहरण के लिए जापान, ताईवान तथा स्विट्ज़रलैंड जैसे छोटे-छोटे देशों में प्राकृतिक साधनों की कमी है। फिर भी उन्होंने अपने मानवीय साधनों के बल पर बहुत अधिक उन्नति की है।

प्रश्न 2.
लिंग अनुपात क्या है और इसके कम होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
जनसंख्या में प्रति हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या को लिंग अनुपात कहते हैं। भारत में लिंग अनुपात कम है अर्थात् हमारे देश में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या कम है। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  • महिलाओं में मृत्यु दर अधिक है।
  • कन्याओं की भ्रूण हत्या की जाती है।
  • समाज में महिलाओं को निम्न स्थान प्राप्त है।
  • परिवार में बालिकाओं की उपेक्षा की जाती है। उन्हें उचित आहार नहीं दिया जाता इसलिए वे कुपोषण का शिकार हो जाती हैं।
  • बालिकाओं को शिक्षा तथा अन्य सविधाओं से वंचित रखा जाता है।
  • समाज में पुत्र को प्राथमिकता दी जाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी छोटे परिवार में पहला लड़का पैदा हो जाता है तो दूसरे बच्चे को जन्म ही नहीं दिया जाता।
  • कई लड़कियां विवाह के पश्चात् दहेज की बलि चढ़ा दी जाती हैं।

प्रश्न 3.
भारत में 0-14 वर्ष के आयु गुट प्रतिशत (%) में कितने हैं ? सरकार को भिन्न-भिन्न आयु गुटों के लिए क्या यत्न करने चाहिएं ?
उत्तर-
भारत में 0-14 वर्ष का आयु गुट 30% है। सरकार को विभिन्न आयु गुटों के लिए निम्नलिखित यत्न करने चाहिएं।

  1. 0–14 वर्ष का आयु गुट बच्चों का गुट है। उनके लिए शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्हें स्वच्छ मनोरंजन तथा खेलकूद के साधन जुटाने चाहिएं।
  2. 14-64 वर्ष का आयु गुट काम करने वाला गुट है। सरकार को उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने चाहिएं।
  3. 65 वर्ष या इसके अधिक आयु गुट के लोगों को खाने-पीने तथा स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं देनी चाहिएं। उनके लिए पेंशन का भी प्रबंध करना चाहिए।

प्रश्न 4.
जनसंख्या परिवर्तन कैसे होता है ? विस्तार से समझाइए। .
उत्तर-
किसी स्थान की जनसंख्या स्थिर नहीं रहती। इसमें परिवर्तन आता रहता है। यह परिवर्तन मुख्यतः दो तरीकों से होता है। (1) जन्म दर तथा मृत्यु दर में परिवर्तन (2) आवास एवं प्रवास।

  1. जन्म दर तथा मृत्यु दर में परिवर्तन-जन्म दर बढ़ने पर जनसंख्या बढ़ जाती है। इसके विपरीत मृत्यु दर बढ़ने पर जनसंख्या में कमी आ जाती है। इन दोनों दरों के अंतर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहते हैं ! यह दर जनसंख्या में हुए परिवर्तन को दर्शाती है।
  2. आवास तथा प्रवास-काम आदि की तलाश में कुछ लोग विदेश में जाकर रहने लगते हैं या एक स्थान छोड़ कर किसी दूसरे स्थान पर बस जाते हैं। इस प्रकार जहां से लोग जाते हैं, वहां की जनसंख्या कम हो जाती है। दूसरी ओर जहां जाकर लोग बसते हैं, वहां की जनसंख्या बढ़ जाती है।

प्रश्न 5.
भारत में जनसंख्या वितरण पर नोट लिखें।
उत्तर-
भारत में जनसंख्या का वितरण एक समान नहीं है। भारत का क्षेत्रफल 3.28 मिलियन वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल जनसंख्या लगभग 1.21 अरब है। देश की कुल जनसंख्या का लगभग 50% भाग देश के केवल छ: राज्यों में रहता है। ये राज्य हैं-उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिमी बंगाल तथा आन्ध्र प्रदेश तथा तेलंगाना। शेष 50% जनसंख्या बाकी के 23 राज्यों तथा 7 केन्द्र शासित प्रदेशों में रहती है। दिल्ली शहर देश की राजधानी तथा एक बड़ा शहर होने के साथ-साथ देश की 1.39% जनसंख्या को पाल रहा है। देश के अन्य बड़े शहर जैसे कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, बंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद आदि भी जनसंख्या के बड़े केन्द्र हैं। देश के पूर्वी भागों में जनसंख्या कम है।

प्रश्न 6.
संसार की औसत जनसंख्या कितनी है ? अधिक तथा कम जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
संसार की औसत जनसंख्या घनत्व 52 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। परन्तु संसार के सभी भागों में जनसंख्या का घनत्व एक समान नहीं है। एशिया तथा यूरोप महाद्वीप सघन जनसंख्या वाले महाद्वीप हैं। संसार के बड़ेबड़े शहरों में भी जनसंख्या का घनत्व अधिक है। इन शहरों में शंघाई, टोकियो, न्यूयार्क, लंदन, पेरिस, सिडनी, दिल्ली आदि शामिल हैं। दूसरी ओर उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया में जनसंख्या का घनत्व कम है।

प्रश्न 7.
सघन जनसंख्या घनत्व की क्या-क्या हानियां हैं ?
उत्तर-
सघन जनसंख्या घनत्व की निम्नलिखित हानियां हैं –

  • सघन जनसंख्या के कारण लोगों के रहने के लिए घरों या आवास की समस्या पैदा हो जाती है। लोगों को मजबूर होकर झुग्गी झोंपड़ियों में रहना पड़ता है। इससे गंदी बस्तियों का विकास होता है।
  • जनसंख्या अधिक होने पर महंगाई बढ़ जाती है। इसलिए दैनिक प्रयोग की वस्तुओं तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी हो जाती है। इससे जमाखोरी तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
  • अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बीमारियां या महामारियां फैलने का डर बना रहता है।
  • युद्ध के समय सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों को सबसे अधिक हानि उठानी पड़ती है।

प्रश्न 8.
कन्या भ्रूण हत्या के क्या नुकसान हैं और इसे रोकने के लिए सरकार द्वारा क्या प्रयत्न किए जा रहे हैं ?
उत्तर-
आज विज्ञान ने जन्म से पूर्व बच्चे का लिंग निर्धारण आसान बना दिया है। अत: कुछ लोग लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही मां के पेट में मार डालते हैं। इसे भ्रूण हत्या कहा जाता है। यह एक बहुत बड़ा पाप है।
नुकसान-

  • इससे लिंग अनुपात कम होता जा रहा है। परिणामस्वरूप कई लड़कों की आजीवन शादी नहीं हो पाती।
  • ऐसे लड़के तथा उनके मां-बाप दिमागी रूप से परेशान रहते हैं। समाज में उन्हें अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता।
    सरकारी प्रयत्न-सरकार ने भ्रूण हत्या के विरुद्ध कठोर कानून बनाए हैं। लिंग-निर्धारण तथा भ्रूण-हत्या दोनों ही दंडनीय अपराध हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन

III. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
जनसंख्या वितरण और जनसंख्या घनत्व में क्या अंतर हैं ? इन्हें प्रभावित करने वाले तत्त्वों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जनसंख्या का वितरण-जनसंख्या वितरण से अभिप्राय संसार के किसी देश या प्रदेश में बसने वाले लोगों की संख्या से है। किसी स्थान पर जनसंख्या बहुत अधिक हो सकती है तो किसी स्थान पर बहुत कम। प्रायः मैदानी प्रदेशों में जनसंख्या अधिक होती है, जबकि पहाड़ी तथा रेतीले प्रदेशों में कम लोग निवास करते हैं।
जनसंख्या घनत्व-जनसंख्या घनत्व से अभिप्राय किसी प्रदेश या देश के एक वर्ग किलोमीटर या एक वर्गमील क्षेत्र में औसत रूप से रहने वाले लोगों से है। यह पूरे देश या प्रदेश के लिए एक समान होता है।
जनसंख्या वितरण तथा जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले तत्त्व-जनसंख्या का वितरण तथा जनसंख्या घनत्व को बहुत-से तत्त्व प्रभावित करते हैं। इनमें कुछ महत्त्वपूर्ण तत्त्वों का वर्णन इस प्रकार है-

  • धरातल-धरातल मनुष्य के रहने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। मानव पर्वतीय क्षेत्रों के स्थान पर समतल क्षेत्र में रहना अधिक पसन्द करता है क्योंकि वहां कृषि करना आसान होता है।
  • जलवायु-लोग अधिक शीत, अधिक उष्ण या अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों की बजाय ऐसे क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं जहां की जलवायु स्वास्थ्य के अनुकूल हो। इसलिए अनुकूल जलवायु क्षेत्र ही सघन जनसंख्या वाले क्षेत्र होते हैं। उदाहरण के लिए साईबेरिया जैसे ठंडे या भूमध्य रेखा के समीप अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में जनसंख्या कम है।
  • मिट्टियां-उपजाऊ मिट्टियों वाले क्षेत्र मानव के रहने के लिए अनुकूल माने जाते हैं। इसलिए ऐसे भागों में सघन जनसंख्या पाई जाती है।
  • जल-जल मानव की अनेक आवश्यकताएं पूरी करता है। इसलिए जिन क्षेत्रों का जल साफ-सुथरा और पीने योग्य हो, वहां सघन जनसंख्या पाई जाती है। मरुस्थलों में पानी की कमी होने के कारण जनसंख्या कम होती है।
  • खनिज पदार्थ-जिस क्षेत्र में खनिज पदार्थ अधिक पाये जाते हैं वहां सघन जनसंख्या पाई जाती है। उदाहरण के लिए झारखंड के छोटा नागपुर पठार तथा उड़ीसा में अधिक खनिज पदार्थ मिलते हैं । इसलिए वहां का जनसंख्या घनत्व अधिक है।
  • उद्योग-औद्योगिक केन्द्र मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, क्योंकि वहां रोजगार के अवसर अधिक होते हैं। संसार में टोकियो, शंघाई, डीट्रोयट, मुम्बई, कोलकाता, नोएडा, गुड़गांव, लुधियाना आदि औद्योगिक शहर बहुत ही सघन जनसंख्या वाले हैं।
  • यातायात के साधन-यातायात के साधनों का विकास भी जनसंख्या वितरण या जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करता है। जहां यातायात के साधन अधिक विकसित होते हैं वहीं जनसंख्या भी अधिक पाई जाती है। भारत के उत्तरी मैदानों में यातायात के विकास के कारण ही सघन जनसंख्या पाई जाती है।
  • शहरीकरण-आज रोज़गार तथा अन्य सुविधाओं को देखते हुए मनुष्य गांवों को छोड़कर शहरों की ओर भाग रहा है। शहरों में उसे सभी आवश्यक सुविधाएं, सेवाएं तथा मनोरंजन के साधन प्राप्त हो जाते हैं। इसी कारण संसार के सभी बड़े शहरों में जनसंख्या तथा जनसंख्या घनत्व अधिक है।

प्रश्न 2.
सघन और कम सघन जनसंख्या के लाभ व हानियां लिखिए।
उत्तर-
सघन या कम सघन जनसंख्या के जहां लाभ हैं, वहां उनकी हानियां भी हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –
1. सघन जनसंख्या के लाभ –

  • सरकार सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों के विकास की ओर विशेष ध्यान देती है।
  • सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में औद्योगिक विकास की गति बहुत तेज़ होती है।
  • सघन जनसंख्या होने के कारण उद्योगों के लिए सस्ते श्रमिक आसानी से मिल जाते हैं।
  • अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र उद्योगों में तैयार माल की खपत के लिए अच्छी मण्डी का काम करते हैं।
  • अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में यातायात के साधनों का विकास तेज़ी से होता है।
  • जनसंख्या अधिक होने के कारण स्कूल, कॉलेज आदि शिक्षा केन्द्र बड़ी संख्या में खोले जाते हैं।
  • अधिक सघन क्षेत्र साईंस और तकनीकी की दृष्टि से विकसित होते हैं।
  • ऐसे क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से भी काफ़ी उन्नत होते हैं।

सघन जनसंख्या घनत्व की हानियां-

  • सघन जनसंख्या के कारण लोगों के रहने के लिए घरों या आवास की समस्या पैदा हो जाती है। लोगों को मजबूर होकर झुग्गी झोंपड़ियों में रहना पड़ता है। इससे गंदी बस्तियों का विकास होता है।
  • जनसंख्या अधिक होने पर महंगाई बढ़ जाती है। इसलिए दैनिक प्रयोग की वस्तुओं तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी हो जाती है। इससे जमाखोरी तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
  • अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बीमारियां या महामारियां फैलने का डर बना रहता है। (4) युद्ध के समय सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों को सबसे अधिक हानि उठानी पड़ती है।

कम सघन जनसंख्या घनत्व के लाभ-

  • कम सघन क्षेत्रों में जनसंख्या कम होने के कारण लोगों की आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती है।
  • लोगों को रहने के लिए सस्ते घर प्राप्त करने में कठिनाई नहीं आती।
  • ऐसे क्षेत्रों में लोग प्राकृतिक साधनों का पूरा आनन्द उठा सकते हैं।
  • स्वास्थ्य की दृष्टि से कम जनसंख्या वाले क्षेत्र अच्छे होते हैं।

कम सघन जनसंख्या की हानियां –

  • कम सघन क्षेत्रों में यातायात के साधनों का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता।
  • उद्योगों के विकास के लिए श्रमिकों की कमी होती है या फिर श्रम बहुत महंगा होता है।
  • जनसंख्या कम होने के कारण तैयार माल की खपत के लिए मण्डियों की कमी होती है।
  • लोगों को आधुनिक सुविधाएं पूरी तरह से प्राप्त नहीं हो पाती क्योंकि ये क्षेत्र पिछड़े रह जाते हैं।

PSEB 8th Class Social Science Guide मानवीय संसाधन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. जनगणना प्रत्येक …….. वर्ष के बाद होती है।
2. किसी क्षेत्र के एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में औसत रूप से रहने वाले लोगों की संख्या को ……….. कहते हैं।
3. ……… अभियान का मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को आरम्भिक स्तर की शिक्षा __दिलवाना है।
4. जो व्यक्ति किसी भी भाषा में पढ़ सकता है, लिख सकता तथा समझ सकता है उसे ……….. कहा जाता है। ”
5. ……… संसाधन सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है।
उत्तर-

  1. 10
  2. जनसंख्या घनत्व
  3. सर्वशिक्षा
  4. साक्षर
  5. मानवीय।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (x) का निशान लगाएं :

1. प्रति हजार व्यक्तियों के पीछे जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की संख्या को वृद्धि दर कहा जाता है।
2. सभी संसाधनों का विकास मानव संसाधन के विकास पर निर्भर है।
3. जनसंख्या को मुख्य रूप से दो आयु गुटों (वर्गों) में बांटा गया है।
4. राष्ट्रीय जनगणना नीति, 2000 का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2014 तक जनसंख्या का संतुलन स्थिर करना है।
5. अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बीमारियाँ या महामारियाँ फैलने का डर बना रहता है।
6. लड़की को जन्म लेने से पहले माँ के पेट में मारने को ‘कन्या भ्रूण हत्या’ कहा जाता है।
उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✓)
  6. (✓).

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
यू० एस० ए०, आस्ट्रेलिया तथा कनाडा जैसे देश मानवीय साधनों में निरन्तर धनी क्यों होते जा रहे हैं?
उत्तर-
ये देश मानवीय साधनों में इसलिए धनी होते जा रहे हैं क्योंकि अन्य देशों से शिक्षित तथा अनुभवी लोग इन देशों में जा रहे हैं।

प्रश्न 2.
जनसंख्या बनावट के अध्ययन का क्या लाभ है ?
उत्तर-
जनसंख्या बनावट के अध्ययन से जनसंख्या के विभिन्न सामाजिक, आर्थिक तथा संख्यात्मक पक्षों की जानकारी होती है। इस जानकारी का प्रयोग मानवीय विकास की योजनाएं बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 3.
पूरे संसार का लिंग अनुपात कितना है ? संसार के दो महाद्वीपों के नाम बताओ जहां लिंग अनुपात अधिक है ? यह कितना-कितना है ?
उत्तर-
पूरे संसार का लिंग अनुपात 985 है। यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका महाद्वीपों में लिंग अनुपात अधिक है। यह क्रमश: 1072 तथा 1031 है।

प्रश्न 4.
भारत के किस राज्य में लिंग अनुपात सबसे अधिक है ? यह कितना है ?
उत्तर-
भारत के केरल राज्य में लिंग अनुपात सबसे अधिक है। यह 1084 है।

प्रश्न 5.
पंजाब तथा हरियाणा में लिंग अनुपात कितना-कितना है ?
उत्तर-
क्रमश: 895 तथा 879.

प्रश्न 6.
साक्षर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो व्यक्ति किसी भी भाषा में पढ़ सकता है, लिख सकता तथा समझ सकता है, उसे साक्षर कहा जाता है।

प्रश्न 7.
भारत के किस राज्य के लोग सबसे अधिक शिक्षित हैं और किस राज्य के लोग सबसे कम ?
उत्तर-
भारत के केरल राज्य के लोग सबसे अधिक शिक्षित हैं, जबकि बिहार राज्य में सबसे कम लोग शिक्षित हैं।

प्रश्न 8.
पंजाब राज्य की कुल तथा स्त्रियों की शिक्षा (साक्षरता) दर कितनी-कितनी है ?
उत्तर-
क्रमश: 75.8% तथा 70.7%

प्रश्न 9.
पिछली जनगणना कब हुई थी ? अगली जनगणना कब होगी ?
उत्तर-
पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। अगली जनगणना 2021 में होगी।

प्रश्न 10.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का संसार में कौन-सा स्थान है ? संसार की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग भारत में रहता है ?
उत्तर-
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का संसार में दूसरा स्थान है। संसार की कुल जनसंख्या का 17.% भाग भारत में रहता है।

प्रश्न 11.
संसार में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश कौन-सा है ?
उत्तर-
चीन।

प्रश्न 12.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
वर्ष 2045 तक जनसंख्या का संतुलन स्थिर करना।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए क्या प्रयत्न किये जा रहे हैं ?
उत्तर-
भारत में शिक्षा के प्रसार के लिए हर सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार भी शिक्षा की उन्नति के लिए बहुत प्रयत्न कर रही है। –

  • देश में 8.5 लाख प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इन स्कूलों में 44 लाख से अधिक अध्यापक पढ़ा रहे हैं।
  • देश में एलीमैंटरी शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए नवम्बर 2000 से ‘सर्व शिक्षा अभियान’ कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 6-14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों को आठ वर्ष तक शिक्षा दिलवाना है।
  • राष्ट्रीय साक्षरता मिशन (National Literacy Mission) प्रौढ़ शिक्षा (Adult Education) देने के लिए भरपूर प्रयास कर रहा है।
  • सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि शिक्षा के मार्ग में जो भी कठिनाइयां आ रही हैं, उन्हें दूर करके 100% शिक्षा का उद्देश्य प्राप्त किया जा सके।

प्रश्न 2.
जन्म दर, मृत्यु दर तथा प्राकृतिक वृद्धि दर से क्या अभिप्राय है ? प्राकृतिक वृद्धि दर का उदाहरण भी दें।
उत्तर-
जन्म दर-एक वर्ष में 1000 लोगों के पीछे जितने जीवित बच्चे (Live Birth) जन्म लेते हैं। उसे जन्म दर (Birth Rate) कहा जाता है।
मृत्यु दर-एक वर्ष में 1000 लोगों के पीछे मरने वाले लोगों की संख्या को मृत्यु दर (Death Rate) कहा जाता है।
प्राकृतिक वृद्धि दर-जन्म दर और मृत्यु दर में जो अन्तर होता है उसे “प्राकृतिक वृद्धि दर” (Natural Growth Rate) कहा जाता है। उदाहरण के लिए यदि जन्म दर 30 है और मृत्यु दर 10 हो तो प्राकृतिक वृद्धि दर (30-10) 20 होगी। इसका अर्थ यह है कि एक वर्ष में 1000 व्यक्तियों के पीछे 20 व्यक्तियों की वृद्धि हुई है।

प्रश्न 3.
भारत में जनसंख्या घनत्व पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारत सघन जनसंख्या घनत्व वाला देश है। इसका जनसंख्या घनत्व प्रत्येक जनगणना के साथ बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1901 में भारत का औसत जनसंख्या घनत्व 77 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। परन्तु 2011 में यह 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गया।

  • देश के पर्वतीय क्षेत्रों तथा पूर्वी राज्यों में जनसंख्या घनत्व कम है।
  • गुजरात, कर्नाटक, सीमांध्र, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, झारखण्ड, असम और गोवा आदि राज्यों में मध्यम जनसंख्या घनत्व पाया जाता है।
  • उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिमी बंगाल और केन्द्र शासित प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व अधिक सघन है। दिल्ली और चण्डीगढ़ शहरों में जनसंख्या घनत्व क्रमश 11320 और 9258 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। परन्तु लेह (जम्मू और कश्मीर) और लाहौल स्पीति (हिमाचल प्रदेश) जैसे जिलों में जनसंख्या घनत्व केवल 3-4 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर ही है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
जनसंख्या की मौलिक विशेषताओं को जानने में सहायक किन्हीं तीन महत्त्वपूर्ण घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जनसंख्या की मौलिक विशेषताओं को आयु, लिंग, साक्षरता, व्यवसाय, भाषा आदि अनेक घटकों द्वारा आंका जा सकता है। इनमें से तीन महत्त्वपूर्ण घटकों का वर्णन इस प्रकार है-

1. आयु वर्ग-जनसंख्या को साधारणतः तीन आयु वर्गों में विभाजित करते हैं-युवा वर्ग (0-14 वर्ष), कार्यशील वर्ग (15-64 वर्ष) और वृद्ध (65 वर्ष तथा अधिक)। इसे जनसंख्या का आयु वर्ग कहते हैं। इन तीनों आयु वर्गों में कार्यशील जनसंख्या का अनुपात सबसे कम बदलता है, परन्तु बच्चों तथा वृद्धों की संख्या में मुख्य रूप से अन्तर पाया जाता है। अन्य विकासशील देशों की तरह भारत में भी कुल जनसंख्या का बहुत बड़ा प्रतिशत (लगभग 30%) 0-14 ई के बच्चों का है।
स्वीडन जैसे विकसित देश में युवाओं का प्रतिशत बहुत कम है। जापान जैसे देश में वृद्ध लोगों का प्रतिशत बहुत धिक है।

2. लिंग अनुपात-हमारे देश में लिंग अनुपात (प्रति हज़ार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या) कम है। यह अनुपात धीरे– रे कम हुआ है। केवल केरल राज्य एक अपवाद है। वहां प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या अधिक है।

3. साक्षरता-साक्षरता अर्थात् साक्षर लोगों का प्रतिशत जनसंख्या की गुणवत्ता बताने वाले संकेतकों में से एक है। पारे देश में साक्षरता दर धीरे-धीरे बढ़ी है। यह लगभग 73% प्रतिशत (2011) है। पुरुषों में साक्षरता दर स्त्रियों की ‘ना में अधिक है। सबसे अधिक साक्षर राज्य केरल है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन

मानवीय संसाधन PSEB 8th Class Social Science Notes

  • मानवीय संसाधन तथा उनका महत्त्व- मानवीय संसाधन बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। सभी संसाधनों का विकास मानव संसाधन के विकास पर ही निर्भर करता है।
  • मानवीय संसाधनों का विकास – राष्ट्र को ऊँचा उठाने के लिए हमें अपने मानवीय संसाधनों को विकसित, शिक्षित
    एवं प्रशिक्षित करना अनिवार्य है।
  • 2011 की जनगणना – 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की कुल जनसंख्या लगभग 1.21 अरब है।
    देश की अधिकतर जनसंख्या मैदानी भागों में निवास करती है।
  • लिंग अनुपात किसी प्रदेश में स्त्री-पुरुष के संख्यात्मक अनुपात को वहां का लिंग अनुपात कहते हैं।
    इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है।
    PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन (3)
  • आयु संरचना – जनसंख्या को सामान्यतः तीन आयु गुटों में विभाजित किया जाता है-(1) 0 से 14 वर्ष (2) 15 से 64 वर्ष तथा (3) 65 वर्ष या इस से अधिक।
  • शिक्षित व्यक्ति (साक्षर) – जो व्यक्ति किसी भी भाषा को पढ़-लिख और समझ सकता है उसे शिक्षित व्यक्ति कहा जाता है।
  • जन्म दर – प्रति हज़ार व्यक्तियों के पीछे जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की संख्या को जन्म-दर कहा जाता है।
  • मृत्यु-दर – प्रति हज़ार व्यक्तियों के पीछे जितने व्यक्तियों की मृत्यु होती है उसे मृत्यु दर कहते हैं।
  • जनसंख्या घनत्व –
    PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 7 मानवीय संसाधन (4)

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलें और अनुशासन

Punjab State Board PSEB 8th Class Physical Education Book Solutions Chapter 6 खेलें और अनुशासन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Physical Education Chapter 6 खेलें और अनुशासन

PSEB 8th Class Physical Education Guide खेलें और अनुशासन Textbook Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
अनुशासन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
अनुशासन से अभिप्राय (Meaning of discipline) अनुशासन से अभिप्राय है नियमों का पालन करना या नियन्त्रण में रहना या नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करना। अनुशासन एक प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) है जिससे ठीक ढंग से जीवन बिताने, आदेश मानने और आत्म-नियन्त्रण की शिक्षा मिलती है। हमारे नियमबद्ध होकर काम करने को ही अनुशासन कहा जाता है।

प्रश्न 2.
अनुशासन कितने प्रकार का होता है?
उत्तर-
अनुशासन के प्रकार (Types of discipline)-अनुशासन दो प्रकार का होता है

  1. आत्म-अनुशासन (Self-discipline)
  2. आरोपित अनुशासन (Forced or Commanded Discipline)

1. आत्म-अनुशासन (Self-discipline)-इसमें नियमों का पालन करने की भावना मन में अपने आप उत्पन्न होती है और मनुष्य बिना किसी के सहारे अकेले ही नियमबद्ध होकर काम करता है। यह अनुशासन स्थायी होता है।
2. आरोपित अनुशासन (Forced Discipline)-इसमें नियमों का पालन किसी के आदेशानुसार किया जाता है। इस प्रकार का अनुशासन अस्थायी होता है। यह तब तक ही रहता है जब तक डर या भय पैदा करने वाला व्यक्ति या अवस्था बनी रहती है। इन दोनों में आत्म-अनुशासन ही अच्छा होता है। बच्चों में आत्म-अनुशासन की भावना होनी चाहिए ताकि वे अच्छे विद्यार्थी या योग्य नागरिक बन सकें।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलें और अनुशासन

प्रश्न 3.
अनुशासन की आवश्यकता और महत्त्व के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
अनुशासन की आवश्यकता- इसके लिए अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में छोटे उत्तर वाला प्रश्न नं0 2 देखो।
मनुष्य जीवन के लिए अनुशासन का महत्त्व (Importance of Discipline in human life)-अनुशासन समाज की आधारशिला है। इसके बिना मनुष्य जीवन का चलना असम्भव है। प्रत्येक मनुष्य के अनुशासन में रहने से समस्त समाज और राष्ट्र अनुशासनबद्ध हो जाता है। यह प्रत्येक जाति, समाज और देश का आधार है। मानव जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में इसकी अत्यधिक आवश्यकता है। इसका महत्त्व निम्नलिखित बातों से ज्ञात होता है –

  1. अनुशासन अच्छे विद्यार्थी और योग्य नागरिक पैदा करता है।
  2. अनुशासन में रह कर बच्चे अपने अध्यापकों, माता-पिता और वृद्ध जनों का आदरसम्मान करना सीख जाते हैं।
  3. अनुशासन से बच्चे आज्ञाकारी बनना सीखते हैं।
  4. अनुशासित बच्चे दूसरों से अच्छा व्यवहार करते हैं।
  5. अनुशासन से मनुष्य में समय पर काम करने की आदत पड़ जाती है।
  6. अनुशासन व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करता है।
  7. अनुशासन से मनुष्य में अच्छी आदतें और अच्छे गुण उत्पन्न होते हैं।
  8. अनुशासन सामाजिक जीवन के सुधार में सहायता करता है।
  9. अनुशासन समाज और राष्ट्र को उन्नत और शक्तिशाली बनाता है।
  10. अनुशासन आदर्श राष्ट्र का निर्माण करता है और इसकी शक्ति को स्थिर रखता है।
  11. अनुशासित देश ही उन्नत और सम्पन्न होते हैं।
  12. अनुशासन मनुष्य जीवन को सफल बनाता है।
  13. अनुशासन देश की सुरक्षा करने में सहायता करता है।
  14. अनुशासन के द्वारा स्कूल तथा घर में रहन-सहन की उचित स्थिति बनी रहती है।
  15. अनुशासन से मनुष्य का सर्वोन्मुखी विकास होता है।
  16. अनुशासित मज़दूर भी अपने उद्योग का उत्पादन बढ़ाने में सफल रहते हैं।
  17. अनुशासन में रह कर ही मनुष्य का मानसिक विकास होता है, क्योंकि वह प्रत्येक कार्य सोच-विचार कर नियमानुसार करता है।

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को अनुशासन में रहना चाहिए। घर, स्कूल और खेलों के मैदान में बच्चों को अनुशासन सीखने का अवसर मिलता है।

प्रश्न 4.
खेलों और अनुशासन का आपस में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
खेल और अनुशासन का बहुत गहरा सम्बन्ध है क्योंकि खेल में अनुशासन के बिना जीत नहीं प्राप्त हो सकती। खेलों से खिलाड़ियों के आचरण का विकास होता है। किसी भी खिलाड़ी के चरित्र में अनुशासन का बहुत बड़ा रोल होता है और अनुशासन के बिना चरित्र का निर्माण नहीं हो सकता। अनुशासन के बिना खिलाड़ियों के जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाइयां आ जाती हैं और खिलाड़ी पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। कुदरत की सारी सृष्टि अनुशासन में ही चल रही है। जैसे कि सूरज हर रोज़ सुबह अनुशासन के साथ चढ़ता है और शाम के समय छिप जाता है। पृथ्वी अपनी गति और नियम के अनुसार घूमती है। इस तरह मनुष्य के जीवन में अनुशासन का होना आवश्यक है। उसके जीवन में अनुशासन का महत्त्व समझाने के लिए सब से अच्छा समय उसका बचपन होता है। बचपन में अनुशासन का निर्माण बहुत अच्छे तरीके के साथ कर सकते हैं। खेलें खिलाड़ी में आज्ञा का पालन, आपसी तालमेल, ईमानदारी और मानसिक संतुलन और कर्तव्य की पालना करना सिखाती हैं। हम कह सकते हैं कि अनुशासन सफलता की कुंजी है। यह कुंजी हमें खेल द्वारा मिलती है।

प्रश्न 5.
खेलें विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन कैसे उत्पन्न करती हैं ?
अथवा
बच्चे स्कूलों में अनुशासन कैसे सीखते हैं ?
उत्तर–स्कूल का वातावरण विद्यार्थियों को अनुशासित बनाता है। स्कूल में बच्चे अपने अध्यापकों का सम्मान करते हैं और उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। दोस्तों, मित्रों और अन्य विद्यार्थियों से प्रेम से मिलते हैं। इकट्ठे मिल कर बैठना, पढ़ना-लिखना और खेलना उनका स्वभाव बन जाता है। वह समय पर स्कूल जाते हैं। स्कूल का काम प्रतिदिन पूरा करते हैं, चोरी और झूठ बोलने से डरते हैं और एक-दूसरे की सहायता करते हैं। यह गुण उनके चरित्र का अभिन्न अंग बन जाता है। स्कूल में मुख्याध्यापक महोदय का आदेश शेष सभी अध्यापक मानते हैं। अध्यापकों के आदेश स्कूल के अन्य कर्मचारी मानते हैं। स्कूल में प्रत्येक काम अनुशासित ढंग से किया जाता है। ऐसे वातावरण में रह कर बच्चे, अनुशासनबद्ध जीवन व्यतीत करना सीख जाते हैं। इस प्रकार स्कूल का वातावरण विद्यार्थियों को अनुशासन सिखाने में बहुत सहायक होता है।

Physical Education Guide for Class 8 PSEB खेलें और अनुशासन Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुशासन कितने प्रकार का है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर-
(क) दो

प्रश्न 2.
अनुशासन का महत्त्व है
(क) अनुशासन से बच्चे आज्ञाकारी बनते हैं
(ख) अनुशासन वाले दूसरों से अच्छा व्यवहार करते हैं
(ग) अनुशासन से आदमी समय अनुसार कार्य करता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
खेलें और अनुशासन का संबंध है
(क) खेलों में अनुशासन द्वारा जीत मिलती है
(ख) खेल से विद्यार्थियों के आचरण का विकास होता है
(ग) अनुशासन से चरित्र निर्माण होता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलें और अनुशासन

प्रश्न 4.
अनुशासन के कौन-से गुण हैं ?
(क) समय की पाबंदी
(ख) आज्ञा पालन
(ग) सहनशीलता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
अनुशासन हीनता देश के लिए क्यों हानिकारक है ?
(क) देश खुशहाल नहीं हो सकता
(ख) देश उन्नति नहीं कर सकता
(ग) देश दूसरों पर निर्भर करने लगता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

बहुत छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नियमों का पालन करने या नियन्त्रण में रहने का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
अनुशासन।

प्रश्न 2.
प्राचीन शिक्षा संस्थाओं में किस बात पर विशेष बल दिया जाता था ?
उत्तर-
विद्यार्थी को अनुशासित बनाने पर।

प्रश्न 3.
आजकल शिक्षा संस्थाओं में विद्यार्थी कैसे हैं ?
उत्तर-
अनुशासनहीन।

प्रश्न 4.
राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र की शक्ति कैसे स्थिर होती है ?
उत्तर-
अनुशासन द्वारा।

प्रश्न 5.
अनुशासन बच्चों को क्या बनना सिखाता है ?
उत्तर-
आज्ञाकारी।

प्रश्न 6.
अनुशासन व्यक्ति का कैसा विकास करता है ?
उत्तर-
मानसिक।

प्रश्न 7.
अनुशासन का गुण किन चीज़ों द्वारा विकसित होता है ?
उत्तर-
खेलों द्वारा।

प्रश्न 8.
अनुशासन कितनी प्रकार का होता है ?
उत्तर-
दो ; आत्म-अनुशासन, बलात् अनुशासन।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलें और अनुशासन

प्रश्न 9.
विद्यार्थियों में अनुशासन लाने के लिए सबसे पहला स्थान किसका है ?
उत्तर-
विद्यार्थियों में अनुशासन लाने का सबसे पहला स्थान अध्यापकों का है ।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चे घरों में अनुशासन सीखते हैं। कैसे ?
उत्तर-
घर बच्चों को अनुशासन सिखाने की प्राथमिक पाठशाला है। घर में माता-पिता, बहन-भाई, चाचा-चाची, दादा-दादी आदि इकट्ठे रहते हैं। परिवार में सबसे बड़ा व्यक्ति परिवार का मुखिया होता है। शेष सभी उसकी इच्छानुसार काम करते हैं। सभी सदस्य एक-दूसरे से प्यार करते हैं और बच्चों का सम्मान करते हैं। एक-दूसरे का सुख-दुःख बांटते हैं। घर में प्रेम तथा सहानुभूतिपूर्ण वातावरण बना रहता है। परिवार के सभी सदस्य अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। ऐसे वातावरण में बच्चे अनुशासन में रहना सीख जाते हैं। घर में बच्चा बचपन में ही अनुशासन सीख जाता है। छोटे बच्चे बहन-भाइयों को माता-पिता और वृद्धजनों का सम्मान करते देख कर बड़ों का सम्मान करना सीख जाते हैं।

प्रश्न 2.
क्या समाज और देश को अनुशासन की आवश्यकता है ? अपने विचार प्रकट करो।
उत्तर-
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला अलग नहीं रह सकता। जीवन के कार्यों के लिए उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। वह अपनी सभी आवश्यकताओं को स्वयं पूरा नहीं कर सकता। हमें प्रतिदिन कई व्यक्तियों से सहायता लेनी पड़ती है। इसलिए हम समाज के नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकते। सामाजिक नियमों का पालन करने के लिए हमारा अनुशासन में रहना बहुत आवश्यक है। हमारे अनुशासन में रहने से ही समाज बना रह सकता है। अनुशासनहीनता जीवन के लिए हानिकारक है।

लोगों को सरकार द्वारा बनाये गए कानूनों का पालन करना पड़ता है। यह तभी सम्भव हो सकता है जब सभी मनुष्य अनुशासन में रहें। समाज और देश को बाह्य आक्रमणों का सामना करने और आन्तरिक गड़बड़ी को रोकने के योग्य बनाने के लिए नागरिकों का अनुशासित होना बहुत ज़रूरी है। कोई भी देश तभी उन्नति कर सकता है यदि उसके नागरिक अनुशासित हों। देश की उन्नति के लिए समस्त समाज का अनुशासित होना आवश्यक है। अनुशासनहीनता समाज व देश के हित में ठीक नहीं है। हमें देश के हितों के विरुद्ध कभी भी कोई काम नहीं करना चाहिए। इसलिए हम कह सकते हैं कि समाज और देश को अनुशासन की अत्यधिक आवश्यकता है।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 6 खेलें और अनुशासन

प्रश्न 3.
अनुशासनहीनता देश के लिए क्यों हानिकारक है ?
उत्तर-
अनुशासनहीनता से देश को हानियां (Disadvantages of Indiscipline to the Country)-समाज के नियमों का पालन करने के लिए हमारा अनुशासन में रहना बहुत आवश्यक है।

  • अनुशासनहीनता समाज के लिए भी हानिकारक है।
  • देश की खुशहाली और उन्नति के लिए अनुशासन बहुत ही आवश्यक है। देश की उन्नति में अनुशासन का बहुत महत्त्व है।
  • परन्तु अनुशासनहीनता देश के लिए बहुत अधिक हानिकारक है।
  • कई विद्यार्थी, मज़दूर और कई अन्य सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के कर्मचारी हड़तालें और तोड़-फोड़ कर देश की सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं। ऐसी अनुशासनहीनता देश के हित में नहीं होती।

हम में से और हमारे नियुक्त व्यक्तियों से ही सरकार बनती है। सरकार कानून बनाती है और लोगों को इन कानूनों का पालन करना पड़ता है। यदि देशवासियों में अनुशासनहीनता होगी तो आन्तरिक गड़बड़ी अथवा बाहरी हमले से देश की रक्षा नहीं की जा सकेगी। अनुशासनहीनता के कारण देश उन्नति नहीं कर सकता।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा

Punjab State Board PSEB 8th Class Physical Education Book Solutions Chapter 5 सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Physical Education Chapter 5 सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा

PSEB 8th Class Physical Education Guide सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा Textbook Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
अभिनव बिन्द्रा का जन्म कब और कहाँ हआ ?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा का जन्म पंजाब के बीच बसे जिला एस०ए० एस० नगर (मोहाली) के कस्बा जीरकपुर में एक सिक्ख परिवार में 28 सितम्बर, 1982 ई० को पिता डॉ० अपजीत सिंह बिन्द्रा और श्रीमती बबली बिन्द्रा के घर हुआ।

प्रश्न 2.
अभिनव बिन्द्रा ने ओलम्पिक खेलों में प्रथम बार कब भाग लिया ?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा की सख्त मेहनत रंग लाने लगी। उसका पन्द्रह साल की आयु में 1998 की कामनवैल्थ खेलों में सब से छोटी आयु के खिलाड़ी के रूप में भारतीय टीम में चयन हुआ। इस तरह उसने 2000 की ओलम्पिक खेलों में सिडनी में अठारह साल की आयु में भाग लिया। चाहे अभिनव को जहाँ कोई स्थान प्राप्त नहीं हुआ फिर भी इतनी छोटी आयु में ओलम्पिक खेलों में भाग लेना भी एक उपलब्धि थी। 2004 मे ऐथन्ज में ओलम्पिक खेलों में भी उसने भाग लिया फिर भी इसको कामयाबी नहीं मिली ।

प्रश्न 3.
अभिनव बिन्द्रा विश्व विजेता कब बना ?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा 2006 में विश्व चैम्पियनशिप (जगरेब) में विश्व विजेता बना।

प्रश्न 4.
अभिनव बिन्द्रा ने ओलम्पिक में सोने का तमगा कब जीता?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्र ने 2004 में ऐथन्ज़ में ओलम्पिक खेलों में भाग लिया। फिर भी उसको कामयाबी नहीं मिली और 2008 की ओलम्पिक खेलों में बीजिंग में उसने दुनिया भर के निशानेबाज़ों के चारों खाने चित करके ओलम्पिक खेलों में सोने का तमगा भारत की गोद में डाला।

प्रश्न 5.
भारत सरकार की ओर से अभिनव बिन्द्रा को कौन-कौन से अवार्ड प्रदान किये गये?
उत्तर-
भारत सरकार ने उसको अर्जुन अवार्ड, राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड पद्म भूषण अवार्ड आदि विशेष सम्मान दिए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीत दर्ज करने के कारण उस को ‘गोल्डन ब्वॉय’ भी कहा जाता है।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा

Physical Education Guide for Class 8 PSEB सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अभिनव बिन्द्रा का जन्म कहाँ हुआ ?
(क) जीरकपुर
(ख) बठिंडा
(ग) गुरदासपुर
(घ) चण्डीगढ़।
उत्तर-
(क) जीरकपुर

प्रश्न 2.
अभिनव बिन्द्रा का जन्म कब हुआ ?
(क) 1982
(ख) 1985
(ग) 1980
(घ) 1986.
उत्तर-
(क) 1982

प्रश्न 3.
अभिनव बिन्द्रा ने ओलम्पिक में कब भाग लिया ?
(क) 2000 में
(ख) 1896 में
(ग) 2004 में
(घ) 2008 में।
उत्तर-
(ग) 2004 में

प्रश्न 4.
अभिनव बिन्द्रा विश्व विजयी कब बने ?
(क) 2004 में
(ख) 2000 में
(ग) 2008 में
(घ) 2002 में।
उत्तर-
(क) 2004 में

प्रश्न 5.
अभिनव बिन्द्रा ने सोने का तगमा कब जीता ?
(क) 2004
(ख) 2008
(ग) 2000
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) 2008

प्रश्न 6.
भारत सस्कार ने अभिनव बिन्द्रा को कौन-कौन से अवार्ड दिए ?
(क) अर्जुन अवार्ड
(ख) खेल रतन अवार्ड
(ग) पदम् भूषण अवार्ड
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा

बहत छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अभिनव बिन्द्रा का जन्म कब हुआ ?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा का जन्म एक सिक्ख परिवार में 28 सितम्बर, 1982 ई० को हुआ।

प्रश्न 2.
अभिनव बिन्द्रा ने सबसे पहले निशानेबाज़ी किस से सीखी ?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा ने सबसे पहले निशानेबाज़ी लेफ्टीनेंट कर्नल जागीर सिंह ढिल्लों से सीखी।

प्रश्न 3.
अभिनव बिन्द्रा काम्नवैल्थ खेलों के लिए कब चुना गया?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा 15 साल की आयु में 1998 में काम्नवैल्थ खेलों में चुना गया।

प्रश्न 4:
अभिनव बिन्द्रा को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्राप्ति में कौन-सा सम्मान मिला?
उत्तर-
एक विदेशी गन बनाने वाली कंपनी ने सोने की राइफल देकर सम्मानित किया।

प्रश्न 5.
अभिनव बिन्द्रा को किस ओलम्पिक में सोने का तमगा मिला ?
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा को 2008 की बीजिंग ओलम्पिक खेलों में सोने का तमगा मिला।

प्रश्न 6.
भारत सरकार ने उसको (अभिनव बिन्द्रा) क्या-क्या अवार्ड दिए ?
उत्तर-

  1. अर्जुन अवार्ड
  2. राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड
  3. पद्म भूषण अवार्ड।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अभिनव बिन्द्रा ने निशानेबाज़ी में ऐतिहासिक सोने का तमगा कब जीता ?
उत्तर-
ओलम्पिक खेलों में समूचा भारत और उसके माता-पिता सांसें रोक कर आगे उसकी जीत के लिए प्रार्थना कर रहे थे। बेशक अभिनव बिन्द्रा पहले राउंड में थोड़ा पीछे रह गया था परन्तु वह आपनी एकाग्रता को बरकरार रखता हुआ सही निशाना लगाने की कोशिश करता रहा । आखिर उसने अपनी ज़िन्दगी का बेहतरीन निशाना साधा जिस के साथ वह ओलम्पिक खेलों में व्यक्तिगत सोने का तमगा जीतने वाला पहला भारतीय खिलाड़ी बन गया।

प्रश्न 2.
अभिनव बिन्द्रा को निशानेबाज़ी के लिए किस ने प्रेरित किया ?
उत्तर-
राणा गुरमीत सिंह सोढी जो पंजाब के खेल मंत्री रहे थे, अभिनव बिन्द्रा के पिता जी को मिले। उनके पिता ने बिन्द्रा को शूटिंग की सिखलाई देने के लिए कहा। उन्होंने अभिनव बिन्द्रा के पिता जी को सलाह देते कहा कि वह अभिनव बिन्द्रा को निशानेबाज़ी खेल के लिए उत्साहित करें। बिन्द्रा के पिता जी ने उसकी सलाह मान ली और निशानेबाज़ी के लिए किसी अच्छे कोच के बारे में बताने के लिए कहा।

प्रश्न 3.
अभिनव बिन्द्रा की निशानेबाज़ी की लगन के बारे में लिखें।
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा को अभ्यास के लिए अपने घर ही शूटिंग रेंज तैयार करवा दिया ताकि वह निर्विघ्न अभ्यास करे। वह सारा-सारा दिन अभ्यास में लगा रहता। उसको दोस्तों के साथ घूमना बिल्कुल पसन्द नहीं था। उसने सिर्फ अपने आप को निशानेबाज़ी के अभ्यास पर केन्द्रित कर लिया। क्योंकि उसका उद्देश्य ओलम्पिक खेलों में भारत के लिए सोने का तमगा जीतना था।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुनहरी लड़का : श्री अभिनव बिन्द्रा

प्रश्न 4.
अभिनव बिन्द्रा के प्रारम्भिक जीवन के बारे में लिखो।
उत्तर-
अभिनव बिन्द्रा का जन्म पंजाब के बीच बसे जिला एस०ए० एस० नगर (मोहाली) के कस्बा जीरकपुर में एक सिक्ख परिवार में 28 सितम्बर, 1982 ई० को पिता डॉ० अपजीत सिंह बिन्द्रा और श्रीमती बबली बिन्द्रा के घर हुआ। वह दो बहन भाई थे। उसे परिवार में सबसे छोटा होने के कारण माता-पिता की तरफ से बहुत लाड-प्यार मिला। उसने प्रारंभिक शिक्षा दून स्कूल (देहरादून) और सेंट स्टीफन्ज़ स्कूल (चण्डीगढ़) से हासिल की। उसने बी०बी०ए० की पढ़ाई विदेश जाकर प्राप्त की ।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 6 मधु-मक्खी पालन

PSEB 8th Class Agriculture Guide मधु-मक्खी पालन Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
मधु-मक्खी की दो पालतू किस्मों के नाम बताएँ।
उत्तर-
हिन्दुस्तानी मक्खी, यूरोपियन मक्खी।

प्रश्न 2.
मधु-मक्खी की कितनी टांगें होती हैं ?
उत्तर–
तीन जोड़ी टांगें।

प्रश्न 3.
मधु-मक्खी की दो जंगली प्रकारों के नाम बताएँ।
उत्तर-
डूमना तथा छोटी मक्खी।

प्रश्न 4.
पंजाब में मधु-मक्खी पालने का उचित समय कौन-सा है?
उत्तर-
फरवरी-मार्च तथा नवम्बर।।

प्रश्न 5.
नर मक्खियों का और कौन-सा नाम प्रचलित है?
उत्तर-
ड्रोन मक्खी

प्रश्न 6.
क्या पंजाब में मधु-मक्खी पालने के लिए कोई शुल्क देना पड़ता है ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 7.
अतिरिक्त लाभ के लिए कितने छत्ते मधुमक्खियों के प्रति कुटुम्ब के साथ व्यवसाय आरम्भ किया जाना चाहिए?
उत्तर-
आठ फ्रेम मक्खी के साथ।

प्रश्न 8.
मधु मक्खियां पक्के हुए मधु (शहद) को किस पदार्थ से बन्द (सील) करती हैं ?
उत्तर-
मोम के साथ।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन

प्रश्न 9.
कुटुम्ब की रानी मक्खी को कितने समय बाद नई रानी से बदल देना चाहिए?
उत्तर-
प्रत्येक वर्ष के बाद।

प्रश्न 10.
कर्मी मक्खियां नर होती हैं या मादा ?
उत्तर-
मादा मक्खियां।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
डूमना मक्खियां अपने छत्ते कहां लगाती हैं ?
उत्तर-
डूमना मक्खी अपने छत्ते पानी वाली टंकियों, चट्टानों, वृक्षों की शाखाओं, ऊँची इमारतों के बनेरों या सीढ़ियों के नीचे बनाती हैं।

प्रश्न 2.
नई व पुरानी रानी मक्खी की क्या पहचान है?
उत्तर-
नई रानी मक्खी गठीले शरीर वाली, सुनहरी भूरे रंग की, चमकीली तथा लम्बे पेट वाली होती है।
पुरानी रानी मक्खी का रंग गहरा भूरा तथा फिर काला भूरा हो जाता है।

प्रश्न 3.
मधु-मक्खी पालन का आधारभूत प्रशिक्षण कहां से लिया जा सकता है?
उत्तर-
मधु-मक्खी पालन का प्रशिक्षण पी० ए० यू० लुधियाना, कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विभाग से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
ग्रीष्म-ऋतु के आरम्भ में बक्सों को धूप से छाया में किस प्रकार ले जाया जाता है?
उत्तर-
गर्मी से बचाने के लिए कुटुम्बों को प्रतिदिन 2-3 फुट खिसका कर घनी छाया के नीचे कर देना चाहिए तथा वक्सों को हवादार होना चाहिए। पानी का भी उचित प्रबन्ध होना चाहिए।

प्रश्न 5.
मधु-मक्खी फार्म पर कुटुम्ब से कुटुम्ब तथा पंक्ति से पंक्ति कितना अन्तर होना चाहिए?
उत्तर-
कुटुम्ब से कुटुम्ब तक की दूरी 6-8 फुट तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 10 फुट होनी चाहिए।

प्रश्न 6.
मधु-मक्खी कुटुम्बों में मधु के अतिरिक्त और कौन-कौन से पदार्थ प्राप्त किए जा सकते हैं?
उत्तर-
मधु-मक्खी कुटुम्बों से शहद के अलावा मोम, प्रोपोलिस, पोलन, मधु मक्खी से ज़हर तथा रायल जैली भी प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 7.
कच्चा मधु क्यों नहीं निकालना चाहिए?
उत्तर-
कच्चा मधु जल्दी ही खट्टा हो जाता है। इसलिए कच्चा मधु नहीं निकालना चाहिए।

प्रश्न 8.
मधु (शहद) को किस प्रकार छान सकते हैं?
उत्तर-
मधु (शहद) निकालने के बाद इस के ऊपर इकट्ठी हुई अशुद्धियां ; जैसे-मोम, मधु-मक्खियां तथा उनके पंख आदि को छान कर निकाल दें। मधु (शहद) को मलमल के दोहरे कपड़े या स्टील के फिल्टर द्वारा छान लिया जाता है।

प्रश्न 9.
मधु मक्खियां पालन व्यवसाय में कौन-सा सामान अत्यंत आवश्यक है?
उत्तर-
मधु-मक्खी पालन के लिए मधु मक्खियों के अलावा बक्सा फ्रेम को हिलाने के लिए पत्ती, धुआं देने के लिए स्मोकर, मोम की बुनियादी शीटों आदि की आवश्यकता होती है।
PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन 1

प्रश्न 10.
मधु के मण्डीकरण पर नोट लिखें।
उत्तर-
मधु की खरीद कई व्यापारी तथा निर्यातक करते हैं। मधु मक्खी पालकों के सैल्फ हैल्प ग्रुप (SHG) भी मधु के मण्डीकरण में योगदान डाल रहे हैं। मधु को भिन्न-भिन्न आकार की आकर्षक बोतलों में भर कर बेचने से भी लाभ लिया जा सकता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
मधु-मक्खियों को खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-

  1. मधु की मक्खियां खरीदते समय उचित समय का ध्यान रखना चाहिए। यह काम शुरू करने के लिए पंजाब में उचित समय फरवरी से मार्च तथा नवम्बर है।
  2. नया कुटुम्ब, आठ फ्रेम मक्खी से शुरू करना चाहिए। इस से लाभ अधिक मिल जाता है।
  3. नए खरीदे कुटुम्ब में नई गर्भित रानी मक्खी, बंद तथा खुला ब्रुड, मधु तथा पराग तो होने ही चाहिएं, परन्तु ड्रोन मक्खियां तथा ड्रोन ब्रूड कम-से-कम होने चाहिएं।
  4. खरीदे गए कुटुम्बों के गेट बंद कर के इन को हमेशा देर रात या सुबह-सुबह उठा कर चुनी हुई जगह पर ले जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
मधु-मक्खी कुटुम्बों में मधु निकालने की विधि का वर्णन करो।
उत्तर-
पंजाब में मधु निकालने के दो मुख्य समय अप्रैल-जून तथा नवम्बर होते हैं।
मधु-मक्खी पालन अप्रैल से जून के महीनों से ज़्यादा तथा बरसीम से तथा नवम्बर में कपास, अरहर तथा तोरिये के स्रोतों से निकाला जाता है। मधु निकालने का समय आ गया है इसका पता तब लगता है जब फ्रेमों के खानों में मधु को मक्खी सील बन्द कर देती हैं। यदि फ्रेम के लगभग 75 फीसदी खाने सील बन्द हों तो ऐसे फ्रेम में शहद निकाला जा सकता है। यदि मधु कच्चा निकाला जाए तो यह कुछ समय बाद खट्टा हो जाता है। फ्रेम निकालते समय फ्रेम को धीरे से झटका देकर ब्रुश के साथ मक्खियां झाड़ देनी चाहिएं। यह कार्य मक्खियां हटाने वाले रासायनिक पदार्थ या प्रैशर से हवा मारकर भी किया जा सकता है। मधु वाले फ्रेम मधु निकालने वाले कमरे में रखने चाहिएं जिसको जालीदार दरवाज़ा लगा हो। मधु निकालने के लिए हाथ तथा मशीनों का प्रयोग किया जा सकता है। फ्रेम में मधु निकालने से पहले सैलों की टोपियां तोड़नी ज़रूरी हैं। यह कार्य एक विशेष किस्म के चाकू से किया जाता है। मधु निकालने से पहले की लापरवाही मक्खियों के लिए काफ़ी नुक्सानदायक हो सकती है। मधु निकालने के बाद यह ज़रूरी है कि खाली हुए फ्रेम वापस कुटुम्ब को दिए जाएं। जिस कुटुम्ब में से जितने फ्रेम निकालने हों उतने ही उसमें ज़रूर वापस कर दें।

प्रश्न 3.
शुद्ध मधु-मोम प्राप्त करने का क्या ढंग है?
उत्तर-
मधु निकालते समय छत्ते से मोम उतार ली जाती है। इस मोम, टूटे हुए छत्ते, पुराने बेकार छत्ते या जंगली मक्खी के छत्ते आदि को गर्म पानी में डाल कर कपड़े द्वारा छान लिया जाता है। छानते समय फालतू पदार्थ इस कपड़े के ऊपर रह जाएंगे जब कि पिघली हुई मोम तथा पानी कपड़े के नीचे रखे खुले मुंह वाले बर्तन में आ जाएगी। ठण्डी हो कर मोम पानी के ऊपर टिक्की के रूप में इकट्टी हो जाएगी।

प्रश्न 4.
मधु-मक्खी पालन में अनुदान सुविधाएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
मधु-मक्खी के कार्य को प्रफुल्लित करने के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत अनुदान दिया जाता है। इस के अलावा मधु निकालने वाली मशीन, सैल टोपियां उतारने वाला चाकू, ड्रिप ट्रे अनुदान तथा मधु डालने के लिए फ्रूड ग्रेड प्लास्टिक की बाल्टियों पर भी अनुदान दिया जाता है।

प्रश्न 5.
मधु-मक्खी पालन के महत्त्व के विषय में प्रकाश डालें।
उत्तर-
मधु-मक्खी पालना एक लाभदायक तथा महत्त्वपूर्ण कृषि सहायक व्यवसाय है। इस व्यवसाय द्वारा अच्छी आय हो सकती है। इसे कोई भी स्त्री, पुरुष, विद्यार्थी मुख्य व्यवसाय या सहायक व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं।
इटालियन मधु मक्खियों के पालने के लिए 20 किलो तथा प्रवासी मक्खी पालन में 60 किलो मधु प्रति कुटुम्ब मिल जाता है। मधु मक्खियों से मधु के अलावा मोम, प्रोपलिस, पोलन, मधु मक्खी ज़हर तथा रायल जैली भी प्राप्त होती है। इनसे आय भी हो जाती है और रानी मक्खियां तैयार करके तथा मधु मक्खियों के कुटुम्ब बेच कर और भी आय बढ़ाई जा सकती है।
मधु मक्खियां कृषि में फसलों, फलदार पौधों तथा सब्जियों आदि का पर-परागण करके कृषि उपज तथा गुणवत्ता बढ़ाने में बहुत योगदान डालती हैं।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB मधु-मक्खी पालन Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पुराने समय में भारत में कौन-सी मक्खी पाली जाती थी?
उत्तर-
केवल हिन्दुस्तानी मक्खी।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन

प्रश्न 2.
पुराने समय में मधुमक्खी पालन भारत के कौन-से राज्यों तक सीमित था?
उत्तर–
पहाड़ी तथा दक्षिणी।

प्रश्न 3.
इटालियन मधु मक्खियों के स्थाई मक्खी पालन से प्रति कुटुम्ब कितना मधु मिल जाता है?
उत्तर-
20 किलो।

प्रश्न 4.
इटालियन मधुमक्खियां हिज़रती मक्खी पालन से प्रति कुटुम्ब कितना मधु मिल जाता है?
उत्तर-
60 किलो।

प्रश्न 5.
मधु मक्खी के शरीर के कितने भाग हैं ?
उत्तर-
सिर, छाती, पेट।।

प्रश्न 6.
नर मक्खियों को क्या कहते हैं ? क्या इनमें डंक होता है ?
उत्तर-
ड्रोन मक्खी, इनमें डंक नहीं होता।

प्रश्न 7.
क्या रानी मक्खी में डंक होता है ?
उत्तर-
होता है।

प्रश्न 8.
रानी मक्खी डंक कब प्रयोग करती है ?
उत्तर-
विरोधी रानी मक्खी से लड़ाई के समय।

प्रश्न 9.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में इटालियन मक्खी को पालने का कार्य किस ने किया था ?
उत्तर-
डॉ० अटवाल जो पी० ए० यू० में प्रोफैसर थे।

प्रश्न 10.
मधु मक्खियों की एक कलोनी में कर्मी मक्खियों की संख्या कितनी हो सकती है ?
उत्तर-
8000 से 80,000 तक तथा कई बार अधिक भी हो सकती है।

प्रश्न 11.
मधु मक्खियों की सबसे बड़ी तथा गुस्से वाली किस्म कौन-सी है ?
उत्तर-
डूमना मक्खी

प्रश्न 12.
हिन्दुस्तानी मक्खी का आकार कितना होता है ?
उत्तर-
मध्यम आकार का।

प्रश्न 13.
अनगर्भित अण्डों से कौन-सी मधु मक्खियां पैदा होती हैं ?
उत्तर-
नर मक्खियां।

प्रश्न 14.
कर्मी मक्खियों की अधिक-से-अधिक आयु कितनी हो सकती है ?
उत्तर-
एक से डेढ़ माह।

प्रश्न 15.
मधु मक्खी पालन के लिए सबसे बढ़िया मौसम कौन-सा माना जाता
उत्तर-
बसंत (फरवरी-अप्रैल) का।

प्रश्न 16.
मधु की मक्खियों की मुख्य किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
छोटी मक्खी, डूमना मक्खी, हिन्दुस्तानी मक्खी, इटालियन मक्खी।

प्रश्न 17.
एपीस फ्लोरिया कौन-सी मक्खी है ?
उत्तर-
छोटी मक्खी।

प्रश्न 18.
एपीस मैलीफेरा कौन-सी मक्खी है ?
उत्तर-
इटालियन मक्खी।

प्रश्न 19.
पंजाब में यूरोपियन मक्खी की कौन-सी किस्म पाली जाती है ?
उत्तर-
इटालियन मधु मक्खी।

प्रश्न 20.
रानी मक्खी की आयु कितनी होती है ?
उत्तर-
2 से 5 वर्ष।

प्रश्न 21.
नर मक्खी का क्या काम है ?
उत्तर-
रानी मक्खी से भोग करना।

प्रश्न 22.
गर्भित अण्डों से कौन-सी मक्खियां पैदा होती हैं ?
उत्तर-
कर्मी मक्खियां।

प्रश्न 23.
बक्सों का मुँह किस तरफ रखना चाहिए ?
उत्तर-
सूर्य की तरफ

प्रश्न 24.
मधु पैदा करने वाले राज्यों में पंजाब का क्या दर्जा है ?
उत्तर-
यह प्रथम पंक्तियों में है।

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प्रश्न 25.
मधु मक्खियां हमारी सहायता कैसे करती हैं ?
उत्तर-
फलदार पौधों, सब्जियों तथा वृक्षों का पर-परागन करके कृषि उपज बढ़ाने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 26.
मधु मक्खी की जंगली किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
डूमना तथा छोटी मक्खी।

प्रश्न 27.
ड्रमना मक्खी अपने छत्ते कहां बनाती है ?
उत्तर-
पुरानी इमारतों के नीचे, पानी की ऊंची टंकियों के नीचे तथा वृक्षों की बड़ी शाखाओं पर।

प्रश्न 28.
छोटी मक्खी अपने छत्ते कहां बनाती है ?
उत्तर-
इमारतों के आलों (झरोखों) में, छटियों के ढेरों में, झाड़ियों में।

प्रश्न 29.
पालतू मक्खियां कौन-सी हैं ?
उत्तर-
हिन्दुस्तानी तथा इटालियन मक्खी।

प्रश्न 30.
मधु मक्खियों के एक कुटुम्ब में कितनी जातियां होती हैं ?
उत्तर-
तीन-रानी, कर्मी तथा नर मक्खियां।

प्रश्न 31.
रानी मक्खी कैसी होती है ?
उत्तर-
यह सबसे लम्बी, हल्के, भूरे रंग की तथा चमकदार होती है।

प्रश्न 32.
कर्मी तथा नर मक्खी के पेट की बनावट में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
कर्मी मक्खी का पेट पिछली तरफ से तिकोना परन्तु नर मक्खी का गोलाई वाला होता है।

प्रश्न 33.
कौन-सी फसलें मधु मक्खियों के लिए लाभदायक हैं ?
उत्तर-
शीशम, खैर, लीची, बेर, आड़, कद्दू जाति की फसलें आदि।

प्रश्न 34.
मक्खियां पालने का दूसरा अच्छा मौसम कौन-सा है ?
उत्तर-
अक्तूबर-नवम्बर (पतझड़ ऋतु)।।

प्रश्न 35.
कौन-से मौसम में मधु मक्खियों के काम करने की रफ्तार में कमी आ जाती है ?
उत्तर-
सर्दी ऋतु (दिसम्बर से जनवरी) में।

प्रश्न 36.
मधु मक्खियों के नजदीक साफ पानी का प्रबंध क्यों होना चाहिए ?
उत्तर-
मक्खियां पानी का प्रयोग छत्ते को ठण्डा करने के लिए करती हैं।

प्रश्न 37.
बक्से से बक्से में कितनी दूरी होनी चाहिए ?
उत्तर-
10 फुट।

प्रश्न 38.
प्रोपलिस क्या होता है ?
उत्तर-
मधु गोंद।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रानी मक्खी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
रानी मक्खी अण्डे देने का कार्य करती है तथा कुटुम्ब के प्रबन्ध की जिम्मेदारी भी इसके सिर पर होती है। रानी मक्खी एक दिन में 1500 से 2000 तक अण्डे दे सकती है। रानी मक्खी कई वर्षों तक जीवित रह सकती है, परन्तु अण्डे देने की इसकी समर्था पहले वर्ष के बाद कम होना शुरू हो जाती है। यह कुटुम्ब में सबसे लम्बी, हल्के रंग की तथा चमकीली होती है। इसके पंख पेट के पिछले भाग को पूरा ढकते हैं। छत्ते में रानी मक्खी बहुत भटकीली चाल से चलती-फिरती आसानी से देखी जा सकती है।

प्रश्न 2.
इटालियन मक्खी, मधु मक्खियों की अन्य किस्मों से श्रेष्ठ कैसे है ?
उत्तर-
इसका मधु अधिक होता है तथा इसका स्वभाव शांत होता है।

प्रश्न 3.
मक्खी फार्म पर धूप-छाया के उचित प्रबंध के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
सर्दी में धूप तथा गर्मी में छाया का प्रबंध करने के लिए पतझड़ वाले पौधे लगाने चाहिएं।

प्रश्न 4.
मधु की मक्खी के जीवन चक्र की चार अवस्थाएं कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
अण्डा, लारवा (सुंडी), प्यूपा तथा पूरी मक्खी।

प्रश्न 5.
रानी की आयु तथा इसको बदल देने पर टिप्पणी करें।
उत्तर-
रानी मक्खी की आयु 2 से 5 वर्ष तक की होती है परन्तु अधिक मधु प्राप्त करने के लिए प्रत्येक वर्ष रानी मक्खी बदल लेनी चाहिए।

प्रश्न 6.
कर्मी मक्खी की आयु के बारे में टिप्पणी करें।
उत्तर-
कर्मी मक्खी की आयु साधारणतः एक से डेढ माह होती है, परन्तु सर्दियों में छ: माह भी हो सकती है।

प्रश्न 7.
नर मक्खी की शारीरिक बनावट का विवरण दो ?
उत्तर-
ये कर्मी मक्खियों से मोटे और काले होते हैं। इनकी आँखें दोनों तरफ से सिर के ऊपर बीच में आकर जुड़ी होती हैं। इसका पेट गोलाई में होता है और इसके ऊपर लूई भी होती है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन

प्रश्न 8.
मधु की मक्खियां पालने के लिए किस सामान की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
मधु की मक्खियां और बक्से, घूमने वाली जाली, दस्ताने, मक्खी ब्रुश, धुआँ यन्त्र, रानी के लिए जाली पर्दा, रानी पिंजरा, रानी कोष का कवच, चाश्नी बर्तन, मक्खियां निकालने का यन्त्र, मधु निकालने वाली मशीन, टोपी उतारने वाला चाकू आदि।

प्रश्न 9.
मधु का मानव के लिए क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
मधु एक अच्छा भोजन है। हमें प्रतिदिन 50 ग्राम मधु खाना चाहिए। मधु में मीठा, खनिज पदार्थ और विटामिन आदि होते हैं। इसमें कई एंटीबायोटिक दवाइयां भी होती हैं। इसके प्रयोग से खांसी और बलगम से राहत मिलती है। यह आँखों और मस्तिष्क के लिए भी अच्छी खुराक है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मधु की मक्खियां कितने किस्म की होती हैं ? इनके आकार और स्वभाव की तुलना करो ?
उत्तर-
मधु की मक्खियां चार किस्म की होती हैं। छोटी मक्खी, डूमना मक्खी, हिन्दुस्तानी मक्खी, यूरोपियन मक्खी।
डूमना मक्खी सबसे बड़ी और बहुत गुस्से वाली होती है। छोटी मक्खी सबसे छोटी होती है। डूमना और छोटी मक्खी दोनों जंगली किस्में हैं।
हिन्दुस्तानी और यूरोपियन मक्खियां पालतू और मध्यम आकार की होती हैं। यूरोपियन मक्खी सबसे अधिक अच्छी होती है।

प्रश्न 2.
मधु की मक्खी के जीवन चक्र और कुटुम्ब की योजना के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
मधु की मक्खी के जीवन चक्र की परिस्थितियां हैं-अण्डा, लारवा (सुंडी), प्यूपा और पूरी मक्खी। अण्डे से पूरी मक्खी बनने के लिए रानी मक्खी को 16, कर्मी और नर मक्खी को 24 दिन का समय लगता है।
Class 8 Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन 2
मधु की मक्खियां अलग-अलग परिवारों में रहती हैं। मक्खियों के परिवारों में तीन जातियां होती हैं। रानी, कर्मी और नर (ड्रोन) मक्खियां। रानी एक होती है। कर्मी मक्खियां हज़ारों की गिनती में और नर सैंकड़ों की गिनती में होते हैं। मक्खियां मिल कर छत्ता बनाती हैं, बच्चों की बड़ी लगन और मेहनत से देखभाल करती हैं, और छत्ते की भलाई के लिए बांट कर काम करती हैं और आपस में तालमेल और बांट कर काम करने की क्षमता रखती

प्रश्न 3.
एक कुटुम्ब में कितनी कर्मी मक्खियां होती हैं ? इनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों का वर्णन करो ?
उत्तर-
एक कुटुम्ब में किस्म और क्षमता के अनुसार 8,000 से लेकर 80,000 तक या अधिक कर्मी मक्खियां हो सकती हैं। ये अण्डे नहीं देतीं लेकिन अन्य सभी काम जैसे कि बक्से को साफ़ सुथरा रखना आयु के अनुसार ब्रूड पालना, छत्ते बनाना, काम करके आई मक्खियों से पोलन और नैक्टर लेकर कोष्ठों में भरना, कुटुम्ब की रखवाली करना, अधिक पानी को उड़ा कर मधु में बदलना, रानी मक्खी को खुराक देना आदि। जब कर्मी मक्खियां तीन सप्ताह के बाद अधिक आयु की हो जाती हैं तब वह छत्ते से बाहर के काम जैसे नैक्टर, पोलन, पानी आदि लाने और नई जगह बनाने के लिए उचित स्थान चुनने का काम करती हैं।

प्रश्न 4.
मधु की मक्खियां पालने का व्यवसाय आरम्भ करने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
मधु की मक्खियां पालने का धन्धा आरम्भ करने से पहले नीचे लिखी बातों को ध्यान में रखो

  1. इस धन्धे में प्रारम्भिक लिखित और हाथों के द्वारा काम करने की जानकारी पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना से प्राप्त करें।
  2. मधु मक्खियों को पालने के लिए बसन्त (फरवरी-अप्रैल) का समय अच्छा होता है इसलिए धन्धा इन दिनों में शुरू करें।
  3. मक्खियां पालने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें जहां सारा वर्ष कोई-न-कोई फूल मिल जाते हों।
  4. धूप-छाया का सही प्रबन्ध करने के लिए पतझड़ वाले पेड़ लगाएं।
  5. रानी मक्खी नई और गर्भवती होनी चाहिए।
  6. बक्सों के निकट साफ़ पानी का प्रबन्ध करें।
  7. बक्सों को 8-8 फुट की दूरी पर सूर्य की तरफ मुंह करके रखो।

ठीक/गलत

  1. श्रमिक मक्खी का जीवन चक्र 21 दिन का है।
  2. डूमना मक्खी तथा छोटी मक्खी जंगली किस्म है।
  3. डूमना मक्खी का स्वभाव शांत होता है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
मक्खी की पालतु किस्म है—
(क) हिन्दुस्तानी
(ख) डूमना
(ग) छोटी
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) हिन्दुस्तानी

प्रश्न 2.
ड्रोन मक्खी कितने दिनों में जीवन चक्र पूरा करती है ?
(क) 24
(ख) 15
(ग) 10
(घ) 50
उत्तर-
(क) 24

प्रश्न 3.
मधु मक्खी की किस्में हैं—
(क) रानी मक्खी
(ख) श्रमिक मक्खी
(ग) ड्रोन मक्खी
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 6 मधु-मक्खी पालन

रिक्त स्थान भरें

  1. कच्चा शहद जल्दी ही ………….. हो जाता है।
  2. शहद की मक्खी के शरीर के …………. भाग हैं।
  3. नर मक्खियों को …………… मक्खी भी कहा जाता है।

उत्तर-

  1. खट्टा
  2. तीन
  3. ड्रोन

मधु-मक्खी पालन PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भारत में पुराने समय से ही मधु-मक्खियों को पालने का कार्य किया जा रहा है।
  • पुराने समय में भारत में हिन्दुस्तानी मक्खी पाली जाती थी जो केवल पहाड़ी तथा दक्षिणी राज्यों तक ही सीमित था।
  • वर्ष 1965 में डॉ० अवतार सिंह अटवाल की अगुवाई में पी० ए० यू० लुधियाना द्वारा इटालियन मधु मक्खी पालन का कार्य सफलतापूर्वक शुरू किया गया।
  • इटालियन मधु मक्खियों के स्थायी मक्खी पालन में 20 किलो तथा प्रवासी मक्खी पालन में 60 किलो मधु प्रति कुटुम्ब प्राप्त हो जाता है।
  • मधुमक्खियों से मोम, प्रोपोलिस, पोलन, मक्खी दूध (रायल जैली) और मक्खी ज़हर (वी वैनम) भी मिलते हैं।
  • मधु मक्खी के शरीर के तीन भाग होते हैं-सिर, छाती तथा पेट।
  • मधु मक्खियां चार किस्मों की होती हैं । डूमना (एपिसडोरसेटा), छोटी मक्खी (एपिस फ्लोरिया), हिन्दुस्तानी मक्खी (एपिस सिराना इण्डिका) और यूरोपियन मक्खी (एपिस मैलीफेरा)।
  • डूमना और छोटी मक्खी दोनों किस्में जंगली हैं।
  • हिन्दुस्तानी तथा यूरोपियन मक्खी पालतू किस्म की है।
  • डूमना मक्खी गुस्से वाली होती है।
  • हिन्दुस्तानी मक्खी तथा यूरोपियन मक्खी को बक्से में पाला जाता है।
  • मधु मक्खी की तीन जातियाँ हैं-रानी मक्खी, कर्मी मक्खी, ड्रोन मक्खी।
  • मधु मक्खी के जीवन चक्र की चार अवस्थाएं हैं-अण्डा, लारवा, प्यूपा, मक्खी।
  • रानी मक्खी का जीवन चक्र 16, कर्मी का 21 और नर मक्खी (ड्रोन) का 24 दिनों में पूरा हो जाता है।
  • एक कुटुम्ब में 8000 से 80,000 तक कर्मी मक्खियां होती हैं।
  • ज़्यादा शहद इकट्ठा करने के मुख्य स्रोत हैं—बारसीम, तोरिया, सरसों, अरहर, सफैदा, टाहली, नाशपाती, कपास आदि।
  • मधु मक्खियां पालन शुरू करने के लिए उपयुक्त समय फरवरी-मार्च तथा नवम्बर है।
  • मधु मक्खियां पके हुए शहद को मोम की तह से सील कर देती हैं।
  • कच्चा शहद नहीं निकालना चाहिए, सील किया हुआ शहद ही निकालना चाहिए।
  • मधु मक्खी के व्यवसाय को प्रफुल्लित करने के लिए सरकार की तरफ से राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अन्तर्गत अनुदान दिया जा रहा है।
  • मधु मक्खी पालन के लिए मधु मक्खियों के अलावा, मधु मक्खियों का बक्सा, फ्रेम को हिलाने के लिए पत्ती, धुआं देने के लिए स्मोकर, मोम की शीटों की आवश्यकता होती है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन

PSEB 8th Class Agriculture Guide फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
फल एवम् सब्जियों की सघनता किस यंत्र से मापी जाती है ?
उत्तर-
सघनता नापने के लिए यंत्र पैनटरोमीटर है।

प्रश्न 2.
रिफरैक्ट्रोमीटर यंत्र किस मापदंड को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए।

प्रश्न 3.
कितने प्रतिशत फलों की पैदावार मण्डियों में पहुंचने से पहले ही खराब (नष्ट) हो जाती है ?
उत्तर-
25-30%.

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 10 भूमि एवम् भूमि सुधार PSEB 8th Class Agriculture Notes

प्रश्न 4.
मोम की पर्त किस फल पर चढ़ाना लाभदायक है ?
उत्तर-
नींबू जाति के फल (किन्नू), सेब और नाशपत्ती।

प्रश्न 5.
शीत भंडारण करने के लिए आलू, किन्नू को कितने तापमान की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
आलू के लिए 1 से 2 डिग्री सेंटीग्रेड और किन्नू के लिए 4 से 6 डिग्री सैंटीग्रेड।

प्रश्न 6.
प्याज़ को शीत भंडारण के लिए कितनी नमी की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
65-70%.

प्रश्न 7.
किन फलों में मिठास/खट्टास अनुपात के आधार पर पकने की अवस्था को पहचाना जाता है ?
उत्तर-
अंगूर और नींबू जाति के फल, जैसे-संगतरा, किन्न आदि।

प्रश्न 8.
उपज की ढोआ-ढुलाई समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
ट्रक की ज़मीन पर पराली की मोटी पर्त बिछानी चाहिए। उपज के ऊपर किसी तरह का भार नहीं डालना चाहिए।

प्रश्न 9.
फलों को पकाने के लिए प्रयुक्त होने वाले हानिकारक रसायनों के क्या नाम है ?
उत्तर-
कैल्शियम कार्बायड।

प्रश्न 10.
फलों को पकाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रमाणीकृत पद्धति का नाम लिखें।
उत्तर-
इथीलीन गैस के साथ पकाना।

(आ) एक-दो वाक्य में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
फल एवम् सब्जियों की श्रेणीकरण किस आधार पर की जाती है ?
उत्तर-
श्रेणीकरण प्रचलित मण्डियों की आवश्यकता अनुसार की जाती है। फलों तथा सब्जियों की श्रेणीकरण आकार, भार, रंग आदि के अनुसार की जाती है। इस तरह लाभ अधिक लिया जाता है।

प्रश्न 2.
उपज को तोड़ने के उपरांत एकदम ठण्डा क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
उपज को तोड़ने के उपरांत अच्छी तरह ठण्डा करने से इसकी आयु में वृद्धि होती है। उपज को ठण्डे पानी, ठण्डी हवा से ठण्डा किया जाता है।

प्रश्न 3.
फल एवम् सब्जियों के भण्डारण के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
जब फसल की आमद अधिक होती है तो आय कम होती है। इसलिए फसल को स्टोर करने के बाद में बेचने पर बहुत लाभ लिया जा सकता है।

प्रश्न 4.
पेनट्रोमीटर एवम् रिफरैक्ट्रोमीटर किस काम आते हैं?
उत्तर-
फल की सघनता मापने वाला यन्त्र पेनट्रोमीटर होता है तथा रिफरैक्ट्रोमीटर नाम का यन्त्र फल की मिठास की मात्रा को मालूम करने के लिए होता है।

प्रश्न 5.
व्यापारिक स्तर पर फल व सब्जियों को श्रेणीबद्ध किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
व्यापारिक स्तर पर फलों और सब्जियों का आकार और भार नापने के लिए मशीनरी का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 6.
उपज को तुड़वाई के पश्चात् ठण्डा करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
उपज को तुड़वाई के बाद इसको अच्छी तरह ठण्डा करना चाहिए। इससे उपज की आयु में वृद्धि होती है। उपज के अनुसार इसको ठण्डे पानी या ठण्डी हवा से ठण्डा किया जाता है।

प्रश्न 7.
फलों एवम् सब्जियों का श्रेणीकरण किस आधार पर किया जा सकता
उत्तर-
श्रेणीकरण प्रचलित मण्डियों की आवश्यकता अनुसार की जाती है। फलों तथा सब्जियों की श्रेणीकरण आकार, भार, रंग आदि के अनुसार की जाती है। इस तरह लाभ अधिक लिया जाता है।

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प्रश्न 8.
किन फलों को इथीलीन गैस से पकाया जा सकता है ?
उत्तर-
इथलीन गैस से फलों को पकाना व्यापारिक स्तर पर पकाने की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीक है। इससे कई फलों को पकाया जाता है। जैसे-केला, नाशपाती, टमाटर आदि।

प्रश्न 9.
टमाटर को तोड़ने के लिए कौन-से मापदण्ड प्रयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
इस काम के लिए रंग चार्ट का प्रयोग किया जाता है। नज़दीक की मण्डी के लिए टमाटर लाल पके हुए, मध्यम दूरी वाली मण्डी के लिए गुलाबी रंग के, दूर वाली मण्डी के लिए पूरे आकार के परन्तु हरे रंग से पीले रंग में बदलना शुरू होने पर ही तोड़ने चाहिए।

प्रश्न 10.
अधिक महंगी उपजों के लिए किन डिब्बों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
अधिक महंगी उपज जैसे-सेब, आम, अंगूर, किन्नू, आड़, लीची, अलूचा, आदि को गत्ते के डिब्बे में पैक किया जाता है।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
मोम चढ़ाने से क्या अभिप्राय है ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
तुड़वाई के बाद संभालने तथा मण्डीकरण दौरान उपज में से पानी उड़ता है। इसका प्रभाव यह होता है कि फसलों की प्राकृतिक चमक तथा गुणवत्ता कम होती है। इसको कम करने के लिए उपज पर मोम चढ़ाई जाती है। फल जैसे कि नींबू जाति के फल, किन्नू, आड़, सेब, नाशपाती आदि तथा सब्जियां-जैसे कि बैंगन, शिमला मिर्च, टमाटर, खीरा आदि पर तुड़वाई के बाद मोम चढ़ाना एक आम प्रक्रिया है। इन फसलों की दर्जाबंदी, धुलाई या अन्य कोई संभाल करते समय प्राकृतिक मोम उतर जाती है। इसके स्थान पर भोजन दर्जा मोम चढ़ाई जाती है। इसके साथ तुडाई के बाद संभाल तथा मण्डीकरण के समय उपज में से पानी कम उड़ता है।
मोम चढ़ाने के बाद इसको अच्छी तरह सुखा लें। भोजन दर्जा मोम जो कि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं वो हैं-शैलाक मोम, कारनौब मोम, मधुमक्खी के छत्तों से निकाला मोम।

प्रश्न 2.
इथीलीन गैस से फल पकाने के विषय में संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
फलों को व्यापारिक स्तर पर पकाने के लिए इथलीन गैस से पकाना एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीक है। इस तकनीक में फलों को 100-150 पी०पी०एम० इथलीन की मात्रा वाले कमरे में 24 घण्टे के लिए रखा जाता है। इस तरह पकाई क्रिया शुरू हो जाती है। इस तकनीक की सफलता के लिए तापमान 15 से 25° सैल्सियस तथा नमी की मात्रा 90-95% होनी चाहिए। इथलीन गैस को पैदा करने के लिए इथलीन जनरेटर का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
सरिक एवम् कलिंग फिल्म के प्रयोग पर नोट लिखें।
उत्तर-
फल तथा सब्जियों को एक विशेष तरह की ट्रे में डालकर ट्रे को सरिक तथा
Class 8 Agriculture Solutions Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन 1im 1
चित्र-सरिक फिल्म पैक करने वाली मशीन
कलिंग चढ़ा कर पैक कर दिया जाता है। इस तरह फल तथा सब्जियां पूरी तरह नज़र आती रहती हैं तथा इनकी गुणवता भी बनी रहती है। महंगे फल तथा सब्जियों जैसे कि किन्नू, टमाटर, बीज रहित खीरा आदि को इसी तरह पैक करके मण्डीकरण किया जाता है। इस तरह अधिक कमाई की जा सकती है।

प्रश्न 4.
गत्तों के डिब्बों में फल और सब्जियों को पैक करने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों की ढुलाई में सुरक्षित रखने के लिए डिब्बाबंदी बहुत लाभदायक रहती है। इस काम के लिए लकड़ी, बांस तथा गत्ते आदि में डिब्बाबंदी की जाती है।
Class 8 Agriculture Solutions Chapter 10 फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन 2im 2
चित्र-पैकिंग के लिए गत्ते के डिब्बों का प्रयोग महंगे उत्पादों, जैसे-सेब, आम, अंगूर, किन्नू, लीची, अलूचा, आड़ आदि को गत्ते के डिब्बों में बंद करके दूर की मण्डियों में सुरक्षित ढंग से भेजा जाता है तथा अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 5.
फल एवम् सब्जियों की तुड़वाई समय किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर-

  1. फलों तथा सब्जियों की तुड़ाई इस तरह करो कि हानि कम से कम हो।
  2. नम्रता से तोड़ने, खोदने तथा हाथ से निकालने से फसल को कम हानि होती है।
  3. तुड़वाई के समय दोनों तरफ से खुले मुंह वाले कपड़े की झोलियों का प्रयोग करना चाहिए।
  4. फलों को तोड़ने के लिए कलिप, चाकू और कैंची आदि का प्रयोग किया जाता है। ध्यान रखें कि क्लीपर तथा चाकू सदा साफ तथा तीखी धार वाले हों।
  5. किन्नू जैसे फल की डंडी को जितना हो सके फल के पास से ही काटना चाहिए। यदि डंडी लम्बी होगी तो ढुलाई दौरान यह साथ वाले फलों में चुभ कर जख्मी कर देती
  6. तीन पैरों वाली सीढ़ी से किन्नू, नाख, आड़, अलूचा, बेर, आम आदि की तुड़ाई करने से तुड़ाई करते समय यदि शाख टूट भी जाए तो हानि नहीं होती तथा ऊंचाई पर लगे फल तोड़ने आसान हो जाते हैं।
  7. तुड़वाई के समय फल को खींच कर नहीं तोड़ना चाहिए, इस तरह फल ऊपर डंडी वाली जगह पर ज़ख्म हो जाता है और फसल को कई तरह की बीमारियाँ लग सकती हैं।
  8. मज़दूरों को फलों और सब्जियों को तोड़ने के मापदण्डों के बारे जानकारी ज़रूर देनी चाहिए।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय मैडीकल खोज संस्था के अनुसार प्रति व्यक्ति को हर रोज़ कितने फल और सब्जियां खानी चाहिए ?
उत्तर-
300 ग्राम सब्जियां और 80 ग्राम फल।

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प्रश्न 2.
भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कितने फल और सब्जियां हिस्से आते हैं ?
उत्तर-
30 ग्राम फल और 80 ग्राम सब्जियां।

प्रश्न 3.
टमाटर, आम, आड़ आदि तुड़वाई योग्य अवस्था में पहुंच गया है। किसकी सहायता के साथ पता लगाया जा सकता है ?
उत्तर-
रंग चार्ट की।

प्रश्न 4.
आड़ के पकने के मापदण्ड के बारे में बताओ।
उत्तर-
हरे रंग से पीला होना।

प्रश्न 5.
अमरूद के पकने का मापदण्ड बताओ।
उत्तर-
रंग गहरे हरे से हल्के हरे में बदल जाना।

प्रश्न 6.
आलू के पकने का मापदण्ड बताओ।
उत्तर-
जब बेलें सुखने लग जाएं।

प्रश्न 7.
अलूचे के पकने का मापदण्ड बताओ।
उत्तर-
छील का रंग हिरमची जामुनी रंग में बदल जाना।

प्रश्न 8.
शिमला मिर्च के पकने का मापदण्ड बताएं।
उत्तर-
फल पूरा विकसित तथा हरा चमकदार होना।

प्रश्न 9.
मटर के पकने का मापदण्ड बताएं।
उत्तर-
फलियां पूरी भरी हुईं परन्तु रंग फीका होने से पहले।

प्रश्न 10.
फलों पर किस तरह का मोम चढ़ाया जाता है ?
उत्तर-
भोजन दर्जा मोम जैसे मधु मक्खियों के छत्ते का मोम।

प्रश्न 11.
आलू, प्याज़ की पैकिंग किस तरह की जाती है ?
उत्तर-
बोरियों में डाल कर।

प्रश्न 12.
शीत भंडारण में किन्नू को कितने समय के लिए भंडार किया जा सकता है ?
उत्तर-
डेढ से दो माह।

प्रश्न 13.
शीत भंडारण के समय आलू तथा किन्नू में कितनी नमी होनी चाहिए ?
उत्तर-
90-95%.

प्रश्न 14.
कैल्शियम कार्बाइड मसाले से पकाए फलों को खाने से क्या हो सकता है ?
उत्तर-
मुँह में फफोले, अलसर, पेट में जलन पैदा हो सकती है।

प्रश्न 15.
फलों को पकाने के लिए इथलीन वाली गैस के कमरे में कितने घण्टे के लिए रखा जाता है ?
उत्तर-
24 घण्टे के लिए।

प्रश्न 16.
दो फलों के नाम बताओ जिन पर मोम चढ़ाई जाती है ?
उत्तर-
किन्नू, आड़।

प्रश्न 17.
फल तथा सब्जियों के पकने का मापदण्ड क्या है ?
उत्तर-
फल तथा सब्जियों का आकार इनके पकने का मापदण्ड है।

प्रश्न 18.
फलों की कठोरता (सघनता) मापने के लिए कौन-से यन्त्र का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
पैनेट्रोमीटर।

प्रश्न 19.
फल के पकने से इसकी कठोरता का क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
फल के पकने से उसकी कठोरता घटती है।

प्रश्न 20.
फलों को घरों में जीवाणु रहित करने के लिए किस घोल में डुबो लेना चाहिए ?
उत्तर-
ब्लीच के घोल में।

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प्रश्न 21.
फलों के संरक्षण के लिए कैसे बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
ऐसे बर्तन जो अन्दर से समतल हों।

प्रश्न 22.
उपज को ज़ख्मों से बचाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
उपज को कागज़ अथवा गत्ते की परतों में रखना चाहिए।

प्रश्न 23.
डिब्बाबन्दी का मूल उद्देश्य क्या है ?
उत्तर-
डिब्बाबन्दी का मूल उद्देश्य फसल को लम्बे समय तक सम्भाल कर रखना है।

प्रश्न 24.
अंगूर तथा आलूचे को कैसे साफ़ करना चाहिए ?
उत्तर-
इन्हें 100-150 पी० पी० एम० क्लोरीन की मात्रा वाले पानी से साफ़ करना चाहिए। इस तरह उपज को बीमारी रहित किया जा सकता है।

प्रश्न 25.
गोल आकार की उपज की दर्जाबन्दी कैसे की जाती है ?
उत्तर-
इनकी दर्जाबन्दी विभिन्न आकार के कड़ों से की जा सकती है।

प्रश्न 26.
तुड़वाई के पश्चात् उपज को सुधारने के लिए कौन-कौन से रासायनिक पदार्थ सुरक्षित समझे जाते हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम क्लोराइड, सोडियम बाइसल्फाइट, पोटाशियम सल्फेट आदि रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 27.
जल सहनशील फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
गाजर, टमाटर तथा शलगम।

प्रश्न 28.
पैकिंग से पहले कौन-सी सब्जियों को धोना नहीं चाहिए ?
उत्तर-
बन्द गोभी, भिण्डी, मटर।

प्रश्न 29.
पकने के आधार पर कौन-से फलों की दर्जाबंदी की जाती है ?
उत्तर-
टमाटर, केला, आम आदि।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
फलों के पकने के बारे में कैसे पता चलता है ? विस्तार सहित लिखें।
उत्तर-
फल तथा सब्जियां पकने का मापदण्ड इनका आकार होता है। आम की तुड़ाई योग्य निशानी इसकी चोंच बनना तथा फल कन्धे से ऊपर उभरना है। टमाटर, आड, आलूचा आदि फसलों की तुड़वाई के लिए तैयार होने की निशानी का पता लगाने के लिए रंगदार चार्टों का प्रयोग किया जाता है। टमाटर नज़दीकी मण्डी में ले जाने के लिए लाल पके हुए, मध्यम दूरी वाली मण्डी में गुलाबी रंग के तथा दूर स्थित मण्डी में ले जाने के लिए जब यह पूर्ण आकार ग्रहण कर लें, परन्तु अभी हरे ही हों अथवा हरे से पीले रंग में बदलना आरम्भ हों तब तोड़ने चाहिएं।

प्रश्न 2.
फलों का कठोरता अंक कैसे मापा जाता है ?
उत्तर-
कठोरता अंक ढूंढ़ने के लिए निम्नलिखित तरीका है—
एक तेज़ चाकू से फल के ऊपर से पतले आकार का एक टुकड़ा काटो, इस टुकड़े में गूदा तथा छील दोनों इकट्ठे ही हों। फिर फल मुताबिक सही आकार के प्लंजर का प्रयोग करके फल की कठोरता मापो। इसके लिए फल को किसी कठोर तल से लगाकर एकसार रफ्तार से प्लंजर पर लगे निशान वाली तरफ को अन्दर घुसाना आरम्भ करो तथा फिर कठोरता का माप अंक नोट कर लेना चाहिए।

प्रश्न 3.
रिफरैक्ट्रोमीटर क्या है ? इसका प्रयोग किन फलों के लिए किया जाता है ?
उत्तर-
रिफरैक्ट्रोमीटर फलों के जूस से मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे अंगूर तथा खरबूजे आदि जैसी कई फसलों की मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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प्रश्न 4.
फलों में तेज़ाबीपन कैसे मापा जाता है ?
उत्तर-
नींबू जाति तथा कुछ अन्य फलों के पकने पर इनमें खटाई की मात्रा कम हो जाती है। तेज़ाबीपन का पता लगाने के लिए जूस की निश्चित मात्रा में फिनोलपथलीन मिश्रण की एक-दो बूंदें डालकर ().IN सोडियम हाइड्रोक्साइड का घोल तब तक डाला जाता है जब तक रंग गुलाबी न हो जाए। प्रयोग किए गए सोडियम हाइड्रोक्साइड मिश्रण की मात्रा से जूस का तेज़ाबीपन मापा जा सकता है।

प्रश्न 5.
प्रतिशत मिठास तथा खटाई का अनुपात कैसे लिया जाता है ?
उत्तर-
अंगूर तथा नींबू जाति के फलों में मिठास तथा खटाई के अनुपात से उपज की गुणवत्ता का अन्दाज़ा लगाया जाता है। प्रतिशत मिठास तथा खटाई का माप करने के पश्चात् मिठास को खटाई से भाग करके अनुपात प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 6.
फलों की सम्भाल के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर–
प्रत्येक फल का अपना एक खास मौसम होता है तब यह बाज़ार में बहुतायत में मिलते हैं तथा सस्ते होते हैं। इन दिनों में फलों को खरीदकर सम्भाल लेना चाहिए तथा इन्हें दूर की मण्डी अथवा बे-मौसम बेचकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। फलों को अचार, मुरब्बा, जैम, चट्टनी, जैली आदि के रूप में लम्बे समय तक संभाल कर रखा जा सकता है।

प्रश्न 7.
सब्ज़ियों की सम्भाल क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
यदि सब्जियों को सम्भालकर नहीं रखा जायेगा तो अच्छा मुनाफा नहीं लिया जा सकता। इसलिए सब्जियां जब भरे मौसम में सस्ती होती हैं तो इन्हें सम्भाल कर बे-मौसम बेचकर अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
डिब्बाबन्दी के दो लाभ बताओ।।
उत्तर-
डिब्बाबन्दी अथवा पैकिंग करने से तुड़वाई के पश्चात् होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। इस तरह अधिक मुनाफा भी लिया जा सकता है।

प्रश्न 9.
किन्नू तोड़ते समय डंडी को छोटा रखना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
किन्नू की डण्डी लम्बी होगी तो लाते-ले जाते समय इससे दूसरे फलों में ज़ख्म हो जाएंगे। इसलिए डण्डी छोटी काटनी चाहिए।

प्रश्न 10.
फसलों की गुणवत्ता का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
गुणवत्ता का ख्याल रखा जाये तो लाने-ले जाने का काम, भण्डारण तथा मण्डीकरण लम्बे समय तक किया जा सकता है तथा बिक्री मुनाफे में वृद्धि होती है। इससे निर्यातकार, व्यापारी तथा खपतकार की सन्तुष्टि होती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
प्लास्टिक की ट्रेओं का फलों और सब्जियों की सम्भाल में क्या महत्त्व है ?
उत्तर–
प्लास्टिक की ट्रेएं कुछ महंगी होती हैं, पर इन्हें साफ करना आसान है तथा इन्हें लम्बे समय तक बार-बार प्रयोग किया जा सकता है। इनमें गलियां होने के कारण हवा आर-पार होती रहती है तथा इन्हें एक-दूसरे पर रखा जा सकता है।
इनका तुड़वाई के समय प्रयोग काफ़ी लाभकारी सिद्ध होता है। यह तुड़वाई, भण्डारण, लाने-ले जाने तथा प्रचून मण्डी में उपज को बेचने के लिए तथा सम्भालकर रखने के लिए काम आती हैं। इनका प्रयोग किन्नू, अंगूर, टमाटर आदि की तुड़ाई, भण्डारण तथा ढुलाई में सामान्यतः होता है।

प्रश्न 2.
उत्तम गुणवत्ता वाली फसल से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
उत्तम गुणवत्ता वाली फसल के निम्नलिखित लाभ है—

  1. ऐसी उपज का यातायात, मण्डीकरण तथा भण्डारण लम्बे समय तक किया जा सकता है।
  2. ऐसी उपज से सारे निर्यातकार, व्यापारी तथा खपतकार सन्तुष्ट होते हैं।
  3. तुड़ाई के पश्चात् इसकी आयु लम्बी होती है।
  4. इससे मण्डीकरण का दायरा बड़ा हो जाता है।
  5. इसकी बिक्री से अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है।

प्रश्न 3.
तुड़वाई के पश्चात् उपज को ठण्डा करना तथा छंटाई तथा साफ करने के बारे में आप क्या जानते हैं ? ।
उत्तर-
1. ठण्डा करना-उपज की आयु बढ़ाने के लिए तुड़ाई से तुरन्त पश्चात् इसको ठण्डा किया जाता है। ठण्डा करने का तरीका फसल की किस्म पर निर्भर करता है। ठण्डा करने के लिए कई ढंग हैं। जैसे-तेज़ ठण्डी हवा से ठण्डा करना, कमरे में ठण्डा करना, शीतल जल से ठण्डा करना आदि। इनमें से किसी एक ढंग का प्रयोग किया जा सकता है।

2. उपज की छंटाई तथा साफ़-सफ़ाई-ठण्डा करने से पहले उपज की छंटाई की जाती है। छंटाई करके साधारणतः ज़ख्मी, बीमारी वाले बेढंगे आकार की अथवा खराब उपज को अलग कर दिया जाता है। छंटाई करने के पश्चात् उपज को साफ किया जाता है। साफ करने का ढंग उपज की किस्म के अनुसार होता है। सेब आदि को सूखे ब्रुशों से ही साफ करना चाहिए, जबकि नींबू जाति के फल, गाजरों आदि को पानी से धोकर साफ किया जाता है। फसल की सफ़ाई सूखे ब्रुशों से करनी है अथवा धोकर, उपज की किस्म तथा गन्दगी पर निर्भर करता है। उदाहरणतया अंगूर तथा अलूचे आदि को कभी धोकर साफ नहीं करना चाहिए। इन फलों के लिए 1000-150 पी० पी० एम० (P.P.M.-Part Per Mission) क्लोरीन की पात्रा वाले पानी का प्रयोग करके उपज को बीमारी रहित किया जाता है तथा बीमारियों को फैलने से भी रोका जा सकता है। कुछ फसलें जैसे कि फूल तथा बन्द गोभी की डिब्बाबन्दी करने से पहले बाहरी पत्ते अथवा न खाने योग्य हिस्से उतार देने चाहिएं।

प्रश्न 4.
फलों, सब्जियों की दर्जाबन्दी तथा मण्डीकरण के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
दर्जाबन्दी करने के लिए फलों अथवा सब्जियों का आकार, भार, रंग आदि को आधार बनाया जाता है। दर्जाबन्दी करके उत्पादक फसल बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकता है। गोल आकार की उपज जैसे टमाटर, टिण्डे, सेब आदि की दर्जाबन्दी विभिन्न आकार के कड़ों से की जाती है। कुछ फसलें जैसे टमाटर, केला, आम आदि की दर्जाबन्दी उनके पकने के आधार पर करके अधिक मुनाफा लिया जा सकता है। छोटे स्तर पर कई प्रकार की मशीनें भी दर्जाबन्दी करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
पूर्ण आकार के तथा हरे फल जैसे कि टमाटर, आम आदि को थोड़े समय के लिए भण्डार किया जा सकता है तथा बाद में मण्डी में महंगे होने पर पका कर बेचा जा सकता है। हरे प्याज़, पुदीना, धनिया आदि उपजों को छोटे-छोटे 100 ग्राम से 500 ग्राम तक के बण्डलों अथवा गुच्छों में बांध लिया जाता है। इस तरह इनका रख-रखाव तथा इन्हें हाथ से पकड़ना आसान हो जाता है।

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प्रश्न 5.
तुड़वाई करके उपज को सुधारने के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
तुड़वाई के पश्चात् उपज को सुधारने से इसको कई तरह की फफूंदी तथा फंगस से होने वाली बीमारियों तथा अन्य रोगों से बचाया जा सकता है। इस कार्य के लिए कई रासायनिक पदार्थ जैसे कि सोडियम बाइसल्फाइट, कैल्शियम क्लोराइड, पोटाशियम सल्फेट को फल तथा सब्जियों पर प्रयोग के लिए सुरक्षित समझा गया है। कई बार गर्म पानी में डुबो कर अथवा गर्म हवा भर कर भी उपज को सुधारा जाता है। ऐसा करने से जीवाणु या तो मर जाते हैं या कमज़ोर हो जाते हैं, इस तरह उपज बीमारी कारण गलने से बच सकती है। यह ध्यान रखें कि उपज को पानी अथवा हवा से सुधारने के तुरन्त पश्चात् जितनी जल्दी हो सके ठण्डे पानी के फव्वारों अथवा ठण्डी हवा से साधारण तापमान पर लाना चाहिए।

प्रश्न 6.
फलों तथा सब्जियों की डिब्बाबन्दी के लिए कौन-सी सावधानियां बरतनी चाहिएं ?
उत्तर-
डिब्बाबन्दी के लिए प्रयोग की जाने वाली सावधानियां निम्नानुसार हैं—

  1. उपज पर ज़ख्म न होने दें।
  2. कच्ची अथवा अधिक पक्की उपज को छंटाई करके अलग कर दें।
  3. हरी सब्जियां, बन्द गोभी, भिण्डी, मटर आदि को पैकिंग (डिब्बाबन्दी) से पहले कभी भी धोना नहीं चाहिए।
  4. पानी में क्लोरीन की मात्रा 100-150 पी० पी० एम० होनी चाहिए।
  5. पानी सघनशील फसलें जैसे कि टमाटर, गाजर तथा शलगम आदि को पानी से भरे जलाशय में इकट्ठा करो।
  6. जिस मेज़ पर छंटाई, दर्जाबन्दी, धुलाई तथा डिब्बाबन्दी करनी होती हैं उसकी तीखी जगहों तथा ऊबड़-खाबड़ धरातल पर स्पंज आदि लगाकर रखना चाहिए।
  7. वह रसायन जिनकी उपज के लिए सिफ़ारिश न की हो, को बिल्कुल प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  8. तुड़ाई के पश्चात् सही ढंग से मोम चढ़ाना, गर्म पानी तथा हवा, सल्फर डाइऑक्साइड आदि से सुधार कर लेना चाहिए।
  9. तुड़ाई के पश्चात् सम्भाल के समय नुकसान को घटाने के लिए जहां तक हो सके खेत में ही डिब्बाबन्दी (पैकिंग) कर लेनी चाहिए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक, गलत

  1. प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियों की आवश्यकता है।
  2. कैल्शियम कार्बाइड से पकाये फल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।
  3. उत्पाद को तुड़ाई के बाद ठण्डा करना आवश्यक नहीं है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
अमरूद के पकने का मापदण्ड है
(क) रंग हल्का हरा हो जाता है
(ख) रंग गहरा हरा होना
(ग) रंग नीला होना
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) रंग हल्का हरा हो जाता है

प्रश्न 2.
फलों को घरों में जीवाणु रहित करने का घोल है
(क) ब्लीच का घोल
(ख) चीनी का घोल
(ग) तेज़ाब का घोल
(घ) क्षार का घोल।
उत्तर-
(क) ब्लीच का घोल

प्रश्न 3.
मोम की पर्त किस फल पर चढ़ाई जाती है ?
(क) किन्नू
(ख) सेब
(ग) नाशपाती
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

रिक्त स्थान भरें

  1. फल की निगरता को मापने के लिए …………… का प्रयोग होता है।
  2. व्यापारिक स्तर पर फलों को ………… गैस से पकाया जाता है।
  3. …………….. यन्त्र फलों में मिठास की मात्रा का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

  1. पैनट्रोमीटर,
  2. इथीलीन,
  3. रिफरैक्ट्रोमीटर

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फलों एवम् सब्जियों का प्रबन्धन PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान समिति के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 300 ग्राम सब्जियों तथा 80 ग्राम फलों की आवश्यकता है।
  • भारत में प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन केवल 30 ग्राम फल तथा 80 ग्राम सब्जियां ही उपलब्ध होती हैं।
  • फलों तथा सब्जियों की सही तरीके से संभाल के निम्नलिखित बिन्दु हैं–फलों तथा सब्जियों की तुड़वाई, डिब्बाबंदी, फल तथा सब्जियों को स्टोर करना, ढोकर लाना ले जाना।
  • फल तथा सब्जियों की तुड़वाई के लिए मापदण्ड हैं–रंग, सघनता (निगरता या कठोरता), आकार तथा भार, मिठास/खट्टास का अनुपात आदि।
  • उपज को तोड़ने के बाद अच्छी तरह एकदम ठंडा कर लेना चाहिए।
  • उपज में से पानी को उड़ने से रोकने के लिए फलों और सब्जियों पर भोजन दर्जा मोम चढ़ाई जाती है।
  • फल और सब्जियों पर चढ़ाई जाने वाली तीन तरह के मोम हैं जोकि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • यह मोम है शैलाक मोम, कारनौबा मोम और मधु मक्खियों के छत्ते से निकाला मोम।
  • मण्डीकरण के लिए उपज की दर्जाबंदी (श्रेणीकरण) करना बहुत ज़रूरी है।
  • डिब्बाबंदी के लिए लकड़ी की पेटियाँ, बांस की टोकरियां, बोरियां, पलास्टिक के क्रेट, गत्ते के डिब्बे आदि का प्रयोग किया जाता है।
  • ढो कर लाने ले जाने के समय ट्रक के फर्श पर घास-फूस या पराली की मोटी पर्त बिछा लेनी चाहिए।
  • केला, पपीता आदि फलों को कैल्शियम कार्बाइड के साथ पकाया जाता है। ऐसे फल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
  • इथीलीन गैस के साथ फलों को व्यापारिक स्तर पर पकाना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त तकनीक है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 9 कृषि संयंत्र एवम् उनकी देखभाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 9 कृषि संयंत्र एवम् उनकी देखभाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 9 कृषि संयंत्र एवम् उनकी देखभाल

PSEB 8th Class Agriculture Guide कृषि संयंत्र एवम् उनकी देखभाल Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
भूमि के पश्चात् किसान की सबसे अधिक पूँजी किस वस्तु में लगी होती
उत्तर-
कृषि सम्बन्धित मशीनरी में।

प्रश्न 2.
हमारी कृषि मशीनरी (संयंत्रों) का प्रधान किसे माना जाता है ?
उत्तर-
ट्रैक्टर को।

प्रश्न 3.
ट्रैक्टर के साथ चलने वाली तीन मशीनों के नाम बताएँ।
उत्तर-
कल्टीवेटर, तवियां, सीड ड्रिल।

प्रश्न 4.
वे कौन-सी मशीनें हैं जिनमें शक्ति स्रोत मशीन का ही भाग हो ?
उत्तर-
ट्रैक्टर, ईंजन, मोटर आदि।

प्रश्न 5.
ट्रैक्टर की ओवरहालिंग कब की जानी चाहिए ?
उत्तर-
4000 घण्टे काम लेने के बाद।

प्रश्न 6.
ट्रैक्टर को स्टोर करते समय हमेशा कौन-से गेयर में खड़ा करना चाहिए ?
उत्तर-
न्यूट्रल गियर में।

प्रश्न 7.
ट्रैक्टर के बैटरी टर्मिनल को साफ़ करके किस चीज़ का लेप करना चाहिए ?
उत्तर-
पैट्रोलियम जैली का।

प्रश्न 8.
बोआई वाली मशीनों में बीज़/खाद निकाल कर एवम् अच्छी तरह सफाई करके किस वस्तु का लेप करना चाहिए ?
उत्तर-
पुराने तेल का लेप कर देना चाहिए।

प्रश्न 9.
मिट्टी में चलने वाली मशीनों के पुों को जंग लगने से बचाने के लिए क्या करेंगे ?
उत्तर-
ग्रीस या पुराने तेल का लेप करना चाहिए।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 9

प्रश्न 10.
स्प्रे पम्प को प्रयोग करने के पश्चात् पम्प को खाली करके क्यों चलाना चाहिए ?
उत्तर-
इस तरह पाइपों में रह गया पानी निकल जाता है।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
कृषि संयंत्र मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
कृषि संयंत्र मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-चलाने वाले; जैसे- ट्रैक्टर, कृषि यन्त्र; जैसे-तवियां, स्व:चालित मशीनें; जैसे-कम्बाइन हार्वेस्टर आदि।

प्रश्न 2.
ट्रैक्टर की संभाल के लिए कितने घण्टे बाद सर्विस करनी चाहिए ?
उत्तर-
ट्रैक्टर की संभाल के लिए 10 घण्टे, 50 घण्टे, 125 घण्टे, 250 घण्टे, 500 घण्टे तथा 1000 घण्टे बाद सर्विस करनी चाहिए तथा 4000 घण्टे काम कर लेने के बाद ओवरहालिंग करवाना चाहिए।

प्रश्न 3.
यदि ट्रैक्टर को दीर्घ काल के लिए स्टोर करना है तो टायरों की संभाल के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
ट्रैक्टर को लकड़ी के गुटकों के ऊपर उठा देना चाहिए तथा टायरों में हवा कम कर देनी चाहिए।

प्रश्न 4.
ट्रैक्टर को दीर्घ काल के लिए स्टोर करने के लिए बैटरी की संभाल के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
यदि ट्रैक्टर को लम्बे समय तक खड़ा करना हो तो बैटरी की तार को अलग कर देना चाहिए तथा समय-समय पर बैटरी को चार्ज करते रहना चाहिए।

प्रश्न 5.
ट्रैक्टर की धूम्र नली एवम् करेंक केस ब्रीदर की संभाल के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
यदि धूम्र नली एवम् करेंक केस ब्रीदर के मुँह पर ढक्कन न हो तो किसी कपड़े से बंद कर देना चाहिए। इस तरह नमी अन्दर नहीं जा सकती।

प्रश्न 6.
काम के दिनों में मशीन के ध्रुवों की संभाल के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
काम के दिनों में हर 4-6 घण्टे मशीन चलाने के बाद घुरियों के सिरों पर वुशों में तेल या ग्रीस देनी चाहिए। यदि बाल वैरिंग फिट हो तो तीन-चार दिनों बाद ग्रीस देनी चाहिए।

प्रश्न 7.
बोआई वाली मशीनों के बीज एवम् खाद के डिब्बे प्रतिदिन साफ़ क्यों करने चाहिए ?
उत्तर-
खादें रासायनिक पदार्थ होती हैं जो डिब्बे के साथ क्रिया करके उसको खा जाती हैं। इसलिए बीज़ तथा खाद के डिब्बे को रोज़ साफ़ करना चाहिए।

प्रश्न 8.
कम्बाइन में दानों वाले टैंक, कन्वेयर, पुआलवाकर (स्टावाकर) एवम् छानने आदि को अच्छी तरह साफ़ क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
कम्बाइन में बीज़ वाले टैंक, कन्वेयर स्टावाकर तथा छननी आदि को अच्छी तरह साफ़ इसलिए किया जाता है ताकि चूहे यहां अपना घर न बना लें। चूहे कम्बाइन में बिजली की तारों आदि को तथा पाइपों को हानि पहुंचा सकते हैं।

प्रश्न 9.
कम्बाइन को जंग लगने से बचाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
कम्बाइन को नमी के कारण जंग लगता है इसलिए यह आवश्यक है कि इसको किसी शैड के अन्दर खड़ा किया जाए तथा इसको प्लास्टिक की शीट से ढक देना चाहिए। यदि किसी स्थान से रंग उतर गया हो तो वहां रंग कर देना चाहिए।

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प्रश्न 10.
स्टोर करते समय मशीन का मिट्टी से सम्पर्क न रहे, इसके लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
मिट्टी में चलने वाली मशीनों को स्टोर करने से पहले इनको धोकर साफ़ कर लेना चाहिए तथा जंग न लगे इसलिए ग्रीस या पुराने तेल का लेप ज़रूर कर देना चाहिए।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
कृषि संयंत्र एवम् देखभाल की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
कृषि से अधिक उपज लेने के लिए तथा अधिक आय प्राप्त करने के लिए कृषि मशीनरी का बहुत योगदान है। भूमि के बाद सबसे अधिक पूंजी कृषि से सम्बन्धित मशीनरी पर लगी होती है। यदि इतनी महंगी मशीनरी की अच्छी तरह देखभाल न की जाए तो समय पर पूरा लाभ नहीं मिल सकेगा। अच्छी तथा उपयुक्त देखभाल तथा संभाल की जाए तो मशीनरी की आयु में वृद्धि की जा सकती है। मशीनरी के खराब होने से इसकी मुरम्मत पर अधिक खर्चा होगा। अगले सीजन में मशीन तैयार-वर-तैयार मिले इसलिए पहले सीजन के अंत में मशीन की अच्छी तरह सफ़ाई करके संभाल करनी चाहिए।

प्रश्न 2.
ट्रैक्टर की देखभाल के लिए किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर-
ट्रैक्टर की संभाल के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए—

  1. ट्रैक्टर को अच्छी तरह धोकर, साफ़ करके शैड के अन्दर खड़ा करना चाहिए।
  2. यदि कोई छोटी-मोटी मुरम्मत होने वाली हो या किसी पाईप आदि से तेल लीक करता हो तो इसको ठीक कर लेना चाहिए। इंजन में बताई गई निशानी तक मुबाईल आयल का लेवल होना चाहिए।
  3. सारे ग्रीस वाले प्वाईंट अच्छी तरह डीजल से साफ करने चाहिए। पुरानी ग्रीस निकाल देनी चाहिए तथा नई ग्रीस से भर देनी चाहिए।
  4. बैटरी को गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करके इसके टर्मीनलों को साफ करके पेट्रोलियम जैली का लेप लगा देना चाहिए। इस तरह लम्बे समय तक ट्रैक्टर का प्रयोग न करना हो तो बैटरी की तार अलग कर देनी चाहिए, परन्तु समय-समय पर बैटरी को चार्ज करते रहना चाहिए।
  5. टायरों तथा बैटरी की संभाल के लिए ट्रैक्टर को महीने में एक-दो बार स्टार्ट करके थोड़ा चला लेना चाहिए।
  6. लम्बे समय तक ट्रैक्टर को खड़ा रखना हो तो ट्रैक्टर को लकड़ी के गुटखों पर उठा देना चाहिए तथा टायरों की हवा कम कर देनी चाहिए।
  7. ट्रैक्टर को न्यूट्रल गियर में ही खड़ा रखना चाहिए, स्विच को बंद करके तथा पार्किंग ब्रेक लगा कर खड़ा करना चाहिए।
  8. धुएँ वाली पाइप तथा करैंक केस ब्रीदर के मुँह में ढक्कन न लगा हो तो कपड़े से बंद कर देना चाहिए। इस तरह नमी अन्दर नहीं जाती।
  9. ऐअर क्लीनर को कुछ समय बाद साफ करते रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
मशीन की मुरम्मत मौसम समाप्त होने के पश्चात् ही क्यों कर लेनी चाहिए ?
उत्तर-
मशीन की मुरम्मत मौसम समाप्त होने के पश्चात्, स्टोर करने से पहले ही कर लेनी चाहिए। इस तरह मशीन अगले सीजन के शुरू में तैयार-वर-तैयार मिलती है तथा समय नष्ट नहीं होता तथा परेशानी भी नहीं होती। मौसम के खत्म होने पर हमें कौन-से पुर्जे या हिस्से में खराबी होने की संभावना है, पता होता है। यदि मुरम्मत न की जाए तो अगले मौसम के शुरू होने पर हमें यह कई बार याद भी नहीं रहता कि कौन-से पुर्जे या हिस्से मुरम्मत करने वाले हैं। इसलिए मौसम के समाप्त होते ही मुरम्मत करके मशीन को स्टोर करना चाहिए।

प्रश्न 4.
बैटरी की देख-भाल के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
बैटरी की संभाल के लिए ट्रैक्टर को महीने में एक-दो बार स्टार्ट करके चला लेना चाहिए। बैटरी को गर्म पानी से साफ करके बैटरी के टर्मिनलों पर पेट्रौलियम जैली का लेप कर लेना चाहिए। लम्बे समय तक बैटरी का प्रयोग न करना हो तो बैटरी की तार को अलग कर देना चाहिए पर बैटरी को कभी-कभी चार्ज करते रहना चाहिए।

प्रश्न 5.
कम्बाइन हारवैस्टर की देखभाल के लिए किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
कम्बाइन की देखभाल भी ट्रैक्टर की तरह ही की जाती है, परन्तु इसमें कुछ अन्य बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है, जो निम्नलिखित है—

  1. कम्बाइन में बीज़ वाले टैंक, कन्वेयर, स्ट्रावाकरों तथा छननी आदि को अच्छी तरह साफ इसलिए किया जाता है ताकि चूहे यहां अपना घर न बना लें, चूहे कम्बाइन में बिजली की तारों आदि को तथा पाइपों को हानि पहुंचा सकते हैं।
  2. कम्बाइन को नमी के कारण जंग लगता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि इसको किसी शैड के अन्दर खड़ा किया जाए तथा इसको किसी प्लास्टिक शीट से ढक देना चाहिए। यदि किसी जगह से रंग उतर गया हो तो कर देना चाहिए।
  3. मशीन की रिपेयर सीजन खत्म होने के बाद स्टोर करने से पहले ही कर लेनी चाहिए। इस तरह मशीन अगले सीजन के शुरू में तैयार-वर-तैयार मिलती है तथा समय नष्ट नहीं होता तथा परेशानी भी नहीं होती। सीजन के समाप्त होने पर हमें उसके कौनसे पुर्जे या हिस्से में खराबी की संभावना है, पता होता है। यदि मुरम्मत नहीं की जाएगी तो अगले सीजन के शुरू होने पर हमें यह कई बार याद भी नहीं रहता कि कौन-से पुर्जे या हिस्से मुरम्मत करने वाले हैं। इसलिए सीजन के समाप्त होते ही मुरम्मत करके ही मशीन स्टोर करनी चाहिए।
    यदि उस समय संभव न हो तो पुों की लिस्ट बना लेनी चाहिए तथा जब समय मिले मुरम्मत करवा लेनी चाहिए।
  4. सारी बैल्टों को उतार कर निशान चिन्ह लगा कर संभाल लें ताकि दुबारा प्रयोग आसान हो जाए।
  5. चैन को भी डीज़ल से साफ करके ग्रीस लगा देनी चाहिए।
  6. रगड़ लगने वाले भाग को तेल देना चाहिए तथा ग्रीस वाले भागों को साफ करके नई ग्रीस भर देनी चाहिए।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB कृषि संयंत्र एवम् उनकी देखभाल Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पट्टे कुतरने वाली मशीन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
टोका।

प्रश्न 2.
डिस्क हैरो को देसी भाषा में क्या कहते हैं ?
उत्तर-
तवियां।

प्रश्न 3.
भूमि को समतल तथा भुरभुरा किससे करते हैं ?
उत्तर-
सुहागे से।

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प्रश्न 4.
खेतों में मेढ़ बनाने के लिए कौन-से यन्त्र का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
ज़िदरे का।

प्रश्न 5.
गोड़ाई के लिए प्रयोग होने वाले यन्त्रों के नाम लिखें।
उत्तर-
खुरपा तथा त्रिफाली।

प्रश्न 6.
फसलों पर कीड़े मार दवाई का छिड़काव करने वाले यन्त्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
ढोलकी पम्प या ट्रैक्टर स्प्रे।

प्रश्न 7.
बीज़ बोने के लिए प्रयोग की जाने वाली मशीन का नाम बताओ।
उत्तर-
बीज़ ड्रिल मशीन।

प्रश्न 8.
कृषि कार्यों के लिए प्रयोग होने वाली दो मशीनों के नाम बताओ।
उत्तर-
पठे कुतरने वाली मशीन, डीज़ल इंजन, ट्रैक्टर।

प्रश्न 9.
ट्रैक्टर के टायरों में हवा का दबाव कितना होता है ?
उत्तर-
अगले टायरों में 24-26 पौंड तथा पिछले टायरों में 12-18 पौंड हवा होती है

प्रश्न 10.
बीज बीजने वाली मशीन को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
इसको सीड ड्रिल कहते हैं।

प्रश्न 11.
स्प्रे पम्प को प्रयोग करने के बाद किसके साथ धोएंगे ?
उत्तर-
स्प्रे पम्प को साफ़ पानी से धोना चाहिए।

प्रश्न 12.
सीड ड्रिल को कितने दिनों के बाद ग्रीस देनी चाहिए ?
उत्तर-
इसमें यदि बाल फिट हो तो तीन या चार दिन के बाद ग्रीस देनी चाहिये।

प्रश्न 13.
बिजली की मोटर क्या ढीला होने पर कांपती है ?
उत्तर-
फाऊंडेशन बोल्टों के ढीले होने के कारण मशीन कांपती है।

प्रश्न 14.
ट्रैक्टर को कितने घण्टों के प्रयोग के पश्चात् ग्रीस देंगे ?
उत्तर-
60 घण्टे काम लेने के पश्चात् ग्रीस गन से सभी जगह पर ग्रीस देनी चाहिए।

प्रश्न 15.
ट्रैक्टर के गियर बॉक्स का तेल कितने घण्टे काम लेने के बाद बदलना चाहिए ?
उत्तर-
1000 घण्टे काम लेने के पश्चात् ट्रैक्टर के गियर बॉक्स का तेल बदल दें।

प्रश्न 16.
ट्रैक्टर को ओवरहालिंग कब करवाया जाना चाहिए ?
उत्तर-
4000 घण्टे काम लेने के पश्चात् ट्रैक्टर की ओवरहालिंग की जानी चाहिए।

प्रश्न 17.
तवियों के फ्रेम को कितने समय के बाद दोबारा रंग करेंगे ?
उत्तर-
तवियों के फ्रेम को 2-3 वर्ष बाद रंग करो।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
डीज़ल इंजन का कृषि में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
डीज़ल इंजन ट्रैक्टर से छोटी मशीन है, इससे ट्यूबवैल चलाने, पढें कुतरने वाला टोका, दाने आदि निकालने के लिए मशीनें चलाई जाती हैं। इसको चलाने के लिए तेल तथा मुरम्मत का खर्चा ट्रैक्टर से काफी कम आता है। जहां कम शक्ति की आवश्यकता हो वहां ट्रैक्टर की जगह डीज़ल इंजन को पहल देनी चाहिए।

प्रश्न 2.
टिल्लर किस काम आता है ?
उत्तर-
इसका प्रयोग भूमि की जुताई के लिए होता है। इसको ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर भूमि की जुताई का काम किया जाता है।

प्रश्न 3.
डिस्क हैरों किस काम आता है ?
उत्तर-
इसको खेत की प्राथमिक जुताई के लिए प्रयोग किया जाता है। इसको तवियां भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
कृषि मशीनों का आधुनिक युग में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-

  1. फसल की बुवाई जल्दी तथा सस्ती हो जाती है।
  2. पौधों तथा पौधों की पंक्तियों का फासला बिल्कुल ठीक तरह रखा जाता है।
  3. पंक्तियों में बुवाई करके फसल की गुड़ाई सरलता से हो जाती है।
  4. बीज तथा खाद निश्चित गहराई तथा योग्य फासले पर केरे जाते हैं।
  5. ड्रिल से बीजी हुई फसल से 10% से 15% तक अधिक उपज प्राप्त हो जाता है।

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प्रश्न 5.
सीड ड्रिल मशीन को धूप में क्यों नहीं खड़ा करना चाहिए।
उत्तर-
सीड ड्रिल मशीन को धूप में खड़े रखने से रबड़ की पाइपें तथा गरारियां खराब हो जाती हैं। पाइपों की पिचक निकालने के लिये पाइप को एक मिनट तक उबलते पानी में डालें तथा किसी सरिये या छड़ी को बीच में घुमाकर पिचक निकालें।

प्रश्न 6.
बिजली की मोटर पर पड़ रहे अधिक भार का कैसे पता लगता है ? यदि भार अधिक पड़ रहा हो तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
मोटर पर पड़ रहे अधिक भार का पता करंट मीटर से लगता है जो कि स्टारटरों से लगे होते हैं। करंट अधिक जाता है तो यह ओवर लोडिंग होने का चिन्ह है। इसलिए मशीन पर भार घटाएं।

प्रश्न 7.
बीजाई के बाद सीड ड्रिल की सफ़ाई कैसे करोगे ?
उत्तर-
बीजाई के बाद रबड़ पाइपें साफ़ कर दें। मशीन के सभी खोलने वाले भाग खोलकर, सोडे के पानी के साथ अच्छी तरह सुखाकर सभी भागों को ग्रीस लगाकर किसी स्टोर में रख दें।

प्रश्न 8.
मोटर के स्टारटर तथा स्विच को अर्थ क्यों करना चाहिए ?
उत्तर-
मोटर के स्टारटर तथा स्विच को कई जगहों पर अर्थ किया जाता है ताकि यदि कोई खराबी पड़ने पर अधिक करंट आ जाए तो यह ज़मीन में चला जाये तथा फ्यूज़ वगैरा उड़ जाने पर हमें झटका न लग सके।

प्रश्न 9.
ट्रैक्टर के पहियों की स्लिप घटाने के लिये क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
इसके लिए पीछे के पहियों में हवा का दबाव कम करें।

प्रश्न 10.
ट्रैक्टर का खिंचाव बढ़ाने के लिये क्या किया जा सकता है ?
उत्तर-
खिंचाव बढ़ाने के लिये पहिये की ट्यूबों में पानी भरा जा सकता है।

प्रश्न 11.
बैटरी टर्मिनलों तथा तारों को कितने ट्रैक्टर चलाने के पश्चात् साफ़ करना चाहिये ?
उत्तर-
120 घण्टे के काम के बाद।

प्रश्न 12.
बैटरी की प्लेटों से पानी कितना ऊंचा होना चाहिये ?
उत्तर-
बैटरी की प्लेटों से पानी 9 इंच ऊपर होना चाहिए।

प्रश्न 13.
ट्रैक्टर की ब्रेकों के पटे, पिस्टन तथा रिंग की घिसावट को कितने घण्टे काम के बाद चैक करना चाहिए ?
उत्तर-
1000 घण्टे काम करने के बाद।

प्रश्न 14.
मोटर गर्म होने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर-
फेज़ पूरे नहीं हैं तथा जिन छेदों में से हवा जाती है वह गन्दगी या धूल से बन्द हो गये हों तो मोटर गर्म हो जाती है।

प्रश्न 15.
यदि बार-बार स्टार्टर ट्रिप करता हो तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
यदि स्टार्टर बार-बार ट्रिप करता हो तो जबरदस्ती न करें तथा इलैक्ट्रीशन से मोटर चैक करवाएं।

प्रश्न 16.
यदि तीन फेज़ वाली मोटर का चक्र बदलना हो तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
यदि मोटर का चक्र बदलना हो तो किसी भी दो फेज़ों को आपस में बदल दें चक्कर बदल जाएगा।

प्रश्न 17.
यदि तवियां न घूमें तो मशीन की सफ़ाई कैसे करेंगे ?
उत्तर-
कई बार बहुत देर तक मशीन पड़ी रहे तो ग्रीस जम जाती है तथा तवियां नहीं घूमतीं। इसलिए इनको खोलकर सोडे वाले पानी के साथ ओवरहाल करना चाहिए।

प्रश्न 18.
यदि पम्प लीक कर जाये तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
पम्प लीक कर जाये तो इसमें लगी सभी पेकिंगों तथा वाशलों को चैक करें तथा गली तथा घिसी पेकिंगों तथा वाशलों को बदल दें।

प्रश्न 19.
ट्रैक्टर के पहियों तथा रबड़ के अन्य पुों को मोबिल आयल तथा ग्रीस से कैसे बचाना चाहिए ?
उत्तर-
मोबिल आयल तथा ग्रीस पहियों तथा रबड़ के पुों को बहुत हानि पहुंचा सकते हैं। इसके बचाव के लिये डीज़ल के साथ कपड़े का टुकड़ा भिगो कर ग्रीस तथा मोबिल आयल को साफ़ करना चाहिए। कीटनाशक दवाई के छिड़काव के बाद ट्रैक्टर के पहियों को साफ पानी के साथ धो देना चाहिए।

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प्रश्न 20.
बीज ड्रिल के डिब्बे को रोज़ क्यों साफ़ करना चाहिए।
उत्तर-
बीज तथा खाद के डिब्बे रोज़ इसलिए साफ़ करने चाहिएं क्योंकि खाद बहुत जल्दी डिब्बे को खा जाती है। खाद की प्रति एकड़ बदलने वाली पत्ती को जंग लग जाता है। प्रत्येक दो एकड़ बीज देने के पश्चात् डिब्बे के नीचे तथा एल्यूमीनियम की गरारियों पर जमी हुई खाद अच्छी तरह साफ़ कर देनी चाहिए। अन्यथा मशीन जल्दी खराब हो जायेगी तथा काम नहीं करेगी।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषि के कार्यों में प्रयोग की जाती मशीनरी तथा यन्त्रों की सम्भाल का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
आज के युग में कृषि के साथ सम्बन्धित सभी कार्य बीजाई, कटाई, गुड़ाई, गुहाई आदि मशीनों द्वारा किये जाते हैं। मशीनरी पर बहुत पैसे खर्च आते हैं तथा कई बार मशीनों के लिये कर्ज भी लेना पड़ता है। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि जिस मशीनरी पर इतने पैसे खर्च किये हों, उसकी सम्भाल का पूरा ध्यान रखा जाये ताकि मशीन लम्बे समय तक बिना रुके काम करती रहे। इसलिए ट्रैक्टर, सीड ड्रिल, स्प्रे पम्प, तवियों आदि मशीनों तथा यन्त्रों की पूरी-पूरी देखभाल करनी चाहिए।

प्रश्न 2.
ट्रैक्टर से 60 घण्टे काम लेने के बाद सम्भाल सम्बन्धी की जाने वाली कार्यवाही का वितरण दें।।
उत्तर-
60 घण्टे काम लेने के बाद निम्नलिखित कार्य करने चाहिएं—

  1. चैक करो कि फैन बैल्ट ढीली तो नहीं। आवश्यकता अनुसार बैल्टों को कसें या बदल दें। इसका महत्त्व इंजन को ठण्डा करने तथा बिजली पैदा करने में हैं।
  2. ऐयर क्लीनर के आयल बाथ में तेल की सतह देखें।
  3. ग्रीस गन की सहायता से सभी जगह पर ग्रीस करो। अधिक समय तक कार्य के लिये निप्पलों को रोज ग्रीस करें।
  4. आयल फिल्टर को अच्छी तरह साफ़ करें।
  5. रेडियेटर की ट्यूबों को साफ़ करें।
  6. पहियों में हवा का दबाव चैक करें।

प्रश्न 3.
तवियों की सम्भाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-
तवियों की सम्भाल के लिये निम्नलिखित कार्य करें—

  1. तवियों को हर दो तीन सप्ताह पश्चात् ट्रैक्टर में से निकाला हुआ ट्रेंड मोबिल आयल किसी कपड़े के टुकड़े से लगाते रहना चाहिए। इस प्रकार तवियों को जंग लगने से बचाया जा सकता है।
  2. तवियों के फ्रेम को दो तीन वर्ष बाद रंग कर देना चाहिए।
  3. हर 4 घण्टे के पश्चात् मशीन को ग्रीस दे देनी चाहिए।
  4. बुशों आदि पर तेल देते रहना चाहिए।
  5. यदि मशीन बहुत देर तक न प्रयोग की जाये, तो इसके अन्दर ग्रीस जम सकती है तथा इस प्रकार तवियां घूमेंगी नहीं। इसलिए इनको खोल कर सोडे वाले पानी के साथ ओवरहाल करें तथा इसके सभी पुों को खोलकर साफ़ करके फिट करें।

प्रश्न 4.
ट्रैक्टर से 120 घण्टे काम लेने के बाद क्या करोगे ?
उत्तर-
120 घण्टे वाली देखभाल शुरू करने से पहले इससे कम घण्टे काम लेने के बाद वाली कार्यवाही कर लेनी चाहिये तथा 120 घण्टे के बाद निम्नलिखित कार्य करें

  1. गेयर बॉक्स के तेल की सतह को चैक करें तथा ठीक करें।
  2. कनैक्शन ठीक रखने के लिये बैटरी टर्मिनल तथा तारें साफ़ करें।
  3. बैटरी के पानी की सतह चैक करें। प्लेटों पर पानी का लैवल 9 इंच ऊपर होना चाहिए। यदि पानी कम हो तो और पानी डाल दें।

प्रश्न 5.
ट्रैक्टर से 1000 घण्टे तथा 4000 घण्टे काम लेने के बाद की गई कार्यवाही के बारे में लिखें।
उत्तर-
1000 घण्टे वाली देखभाल शुरू करने से पहले कम समय वाली देखभाल करने के बाद निम्नलिखित कार्य करें

  1. गियर बॉक्स का तेल बदल देना चाहिए।
  2. ब्रेकों के पटे, पिस्टन तथा रिंग की घिसावट को चैक करके आवश्यकता अनुसार मरम्मत करनी चाहिये या बदल देने चाहिये।
  3. किसी अच्छे ट्रैक्टर मकैनिक से ट्रैक्टर को चैक करवाएं।
  4. ट्रैक्टर से 4000 घण्टे काम लेने के बाद पूरे ट्रैक्टर को किसी अच्छी वर्कशाप में से ओवरहाल करवाना चाहिए।

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प्रश्न 6.
बिजली की मोटर के लिये ध्यान रखने योग्य बातें कौन-सी हैं ?
उत्तर-

  1. मोटर की बॉडी पर हाथ रखें तथा देखें कि यह गर्म तो नहीं होती, देखें कोई बदबू आदि तो नहीं आती।
  2. मोटर पर ज्यादा भार नहीं पड़ा होना चाहिए। इसका पता करंट मीटर से लग जाता है, जोकि कई स्टारटरों के साथ लगा होता है। यदि आवश्यकता से अधिक करंट जाता हो तो यह ओवरलोडिंग की निशानी है। इसलिए भार घटाएं।
  3. यदि तीनों फेज़ पूरे नहीं आ रहे तो मोटर को तुरन्त बन्द कर देना चाहिए।
  4. फ्यूज़ उड़ जाने के कारण मोटर सिंगल फेज़ पर न चलती हो तथा बिजली पूरी आनी चाहिये।
  5. जिन छेदों में से हवा जाती है, वह गन्दगी या धूल से बन्द हो गये हों या बन्द हों तो मोटर गर्म हो जायेगी।
  6. यदि बाहर से आपको कोई नुक्स नज़र नहीं आता तो नुक्स मोटर के अन्दर है। बिजली के कारीगर को मोटर दिखाएं। वह सभी कुवाइलों की जांच करेगा।

प्रश्न 7.
ट्रैक्टर के पहियों की देखभाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-

  1. पहियों की लम्बी आयु के लिये इनमें हवा का दबाव ट्रैक्टर के साथ मिली हुई पुस्तक में बताए के अनुसार रखें। आगे के पहियों में 24-26 पौंड तथा पीछे के पहियों में 12–18 पौंड हवा होनी चाहिए।
    पहियों को मोबिल आयल तथा ग्रीस बिल्कुल न लगने दें। यदि लग जाये तो डीज़ल से कपड़ा भिगो कर उनको साफ़ कर दें।
  2. पत्थरों तथा पौंधों की जड़ों पर ट्रैक्टर चलाने से पहिये जल्दी घिस जाते हैं।
  3. पहिये क्रैक हो जायें तो समय पर मुरम्मत करवा लें।
  4. ध्यान रखें कि पहिये एक सार घिसावट या भार सहन करें।

प्रश्न 8.
बिजली की मोटर की देखभाल के बारे में मुख्य बातें क्या हैं ?
उत्तर-

  1. मोटर के स्टारटर तथा स्विच को कई जगहों से अर्थ तार के साथ जोड़ना चाहिए, ताकि यदि कोई खराबी पड़े तो बिजली ज़मीन में चली जाये तथा फयूज वगैरा उड़ जाएं तथा झटके से बचा जाये।
  2. यदि स्टारटर बार-बार ट्रिप करता हो तो कोई जबरदस्ती न करें तथा नुक्स ढूंढ़े या इलैक्ट्रीशियन से मोटर चैक करवाएं।
  3. मोटर पर भार उसके हार्स पावर अनुसार ही डालें।
  4. यदि बेरिंग आवाज़ करते हों या ज्यादा ढीले हों, तो उनको तुरन्त बदल दें।
  5. कभी-कभी मोटर, स्विच तथा स्टारटर के सभी कनैक्शन की जांच करते रहें।
  6. वर्ष में दो बार मोटर को ग्रीस देनी चाहिये।
  7. ध्यान रखें कि मोटर की बैल्ट बहुत कसी न हो क्योंकि कसी हुई बैल्ट मोटर के बेरिंग को काट देती है।
  8. यदि मोटर बहुत कांपती हो तो बेरिंग घिसे हुए हो सकते हैं या फाउंडेशन बोल्ट ढीले हो सकते हैं। खराबी ढूंढे तथा ठीक करें।
  9. कभी-कभी मोटर को हाथ से घुमाकर चैक करें कि रोटर अन्दर से कहीं लगता तो नहीं या कोई बेरिंग जाम तो नहीं।
  10. मोटर से गन्दगी तथा धूल वगैरा साइकिल वाले पम्प या अन्य हवा के प्रैशर से दूर करें।
  11. कभी-कभी मोटर की इन्सुलेशन रजिस्टेंस चैक करवाते रहना चाहिये। यदि तीन फेज़ों वाली मोटर का चक्कर बदलना हो तो किसी भी दो फेज़ों को आपस में बदल दें, चक्कर बदल जाएगा।

प्रश्न 9.
सीड ड्रिल मशीन की सम्भाल कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
सीड ड्रिल मशीन की सम्भाल के लिये कुछ बातें निम्नलिखित हैं—

  1. प्रत्येक चार घण्टे मशीन चलने के पश्चात् किनारों तथा बुशों में तेल या ग्रीस देनी चाहिये। यदि बाल फिट हों तो तीन या चार दिन पश्चात् ग्रीस दी जा सकती है।
  2. बीजाई समाप्त होने के पश्चात् रबड़ पाइपों को साफ़ करके रखें।
  3. मशीन को कभी-कभी रंग करवा लेना चाहिये, इस प्रकार मौसम का प्रभाव इस पर कम हो जायेगा। इसको आंगन या शैड में रखना चाहिए।
  4. मशीन को धूप तथा बरसात में न रखें, क्योंकि इस प्रकार रबड़ की पाइपें तथा गरारियां खराब हो जाती हैं। यदि पाइपें पिचक जायें तो उनको उबलते पानी में एक मिनट के लिये डालें तथा कोई सरीया या छड़ी पानी में घुमा कर पिचक निकाल दें।
  5. बीजाई समाप्त होने के पश्चात् इसके खोलने वाले पुों को खोलकर, सोडे के पानी से धो दें, अच्छी तरह सुखा कर तथा ग्रीस वगैरा लगाकर, किसी स्टोर में रख देना चाहिए।

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प्रश्न 10.
स्प्रे पम्पों की सम्भाल के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्प्रे पम्प की सम्भाल के लिये कुछ बातें निम्नलिखित हैं—

  1. स्प्रे पम्प को प्रयोग से पहले तथा बाद में साफ़ पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
  2. कभी-भी बिना पौनी से टैंकी में घोल न डालें।
  3. स्प्रे पम्प का प्रयोग करने के बाद कभी भी स्प्रे पम्प में रात भर दवाई नहीं पड़ी रहनी चाहिये।
  4. हमेशा प्रयोग से पहले स्प्रे पम्प के फिल्टरों को अच्छी तरह साफ़ कर लेना चाहिये। हो सकता है कि पम्प के पड़े रहने के कारण इसमें मिट्टी की धूल जम चुकी हो इसलिये इस कारण बाद में यह पूरा दबाव नहीं डाल सकेगा।
  5. स्प्रे पम्प बनाने वालों के निर्देशों अनुसार पम्प के चलने वाले सभी पुों को तेल या ग्रीस देनी चाहिये। हो सकता है कि इसके पड़े रहने के कारण इसमें मिट्टी की धूल जम चुकी हो, जिस कारण बाद में पूरा दबाव नहीं डाल सके।
  6. यदि पम्प लीक करता हो तो उसमें लगी सभी पेकिंग तथा वाशलों की जांच करने के पश्चात् घिसी या गली हुई पेकिंग तथा वाशलों को बदल दें।
  7. जब पम्प को लम्बे समय के लिये रखना हो इसके प्रत्येक पों को खोलकर उसकी ओवरहालिंग कर देनी चाहिए तथा खराब पुों को बदल देना चाहिए। मशीन को रंग कर रख दें।

प्रश्न 11.
ट्रैक्टर की सम्भाल के लिये कितने-कितने समय के बाद सर्विस करवानी चाहिये ? इस पर दस घण्टे काम लेने के पश्चात् सर्विस करवाते समय कौन-सी बातों का ध्यान रखेंगे ?
उत्तर-
ट्रैक्टर की सम्भाल के लिये 10 घण्टे काम लेने के बाद, 60 घण्टे बाद, 120 घण्टे बाद 1000 घण्टे बाद तथा 4000 घण्टे बाद सर्विस करनी चाहिये।

  1. प्रे ट्रैक्टर को अच्छी तरह किसी कपड़े से साफ़ करें।
  2. एयर क्लीनर के कप तथा ऐलिमेंट को साफ़ करें।
  3. ट्रैक्टर की टैंकी हमेशा भरी होनी चाहिये ताकि सारे सिस्टम में कमी न आ जाये।
  4. रेडियेटर को ओवरफलों पाइप तक शुद्ध पानी के साथ भरकर रखें।
  5. फ्रेक केस का तेल चैक करें, यदि कम हो तो और डालें।
  6. यदि कोई लीकेज हो, उसको भी ठीक करें।
  7. यदि कोई और नुक्स पड़ जाए, तो उसको ठीक करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. कृषि मशीनें प्राथमिक रूप से तीन प्रकार की होती हैं।
  2. ट्रैक्टर को स्टोर करते समय हमेशा न्यूट्रल गियर में खड़ा करना चाहिए।
  3. ट्रैक्टर को कृषि मशीनरी का प्रधान कहा जाता है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
ट्रैक्टर की सहायता से चलने वाली मशीनें हैं—
(क) कल्टीवेटर
(ख) तवियां
(ग) सीड ड्रिल
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

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प्रश्न 2.
ट्रैक्टर की ओवरहालिंग कब की जाती है ?
(क) 2000 घण्टे काम करने के बाद
(ख) 4000 घण्टे काम करने के बाद
(ग) 8000 घण्टे काम करने के बाद
(घ) कभी नहीं।
उत्तर-
(ख) 4000 घण्टे काम करने के बाद

प्रश्न 3.
तवियों के फ्रेम को कितने समय के बाद दोबारा रंग किया जाता है ?
(क) 2-3 वर्ष बाद
(ख) 6 वर्ष बाद
(ग) 1 वर्ष बाद
(घ) 10 वर्ष बाद।
उत्तर-
(क) 2-3 वर्ष बाद

रिक्त स्थान भरें

  1. डिस्क हैरों का प्राथमिक …………….. के लिए प्रयोग होता है।
  2. कम्बाइन को ……….. के कारण जंग लगता है।
  3. ……………. को कृषि मशीनरी का प्रधान माना जाता है।

उत्तर-

  1. जुताई,
  2. नमी,
  3. ट्रैक्टर

कृषि संयंत्र एवम् उनकी देखभाल PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भूमि के बाद किसान की सबसे अधिक पूंजी कृषि से सम्बन्धित मशीनरी (संयंत्रों) में लगी रहती है।
  • मशीन की अच्छी तरह देखभाल की जाए तो मशीन की आयु में वृद्धि की जा सकती है।
  • कृषि मशीनें मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं।
  • चलाने वाली मशीनें संयंत्र हैं-ट्रैक्टर, ईंजन, मोटर आदि।
  • कृषि उपकरण; जैसे-कल्टीवेटर, तवियां, बीज खाद ड्रिल, हैपी सीडर आदि।
  • स्व:चालित मशीनें हैं-कम्बाइन, हार्वेस्टर, धान का ट्रांसप्लांटर आदि।
  • ट्रैक्टर को कृषि मशीनरी का प्रधान कहा जाता है।
  • ट्रैक्टर की सर्विस 10 घण्टे, 50 घण्टे, 125 घण्टे, 250 घण्टे, 500 घण्टे तथा 1000 घण्टे बाद करनी आवश्यक है।
  • ट्रैक्टर को 4000 घण्टे काम लेने के बाद किसी अच्छी वर्कशाप में ओवरहाल करवा लेना चाहिए।
  • जब ट्रैक्टर की लम्बे समय तक आवश्यकता न हो तो ट्रैक्टर को संभाल कर रख देना चाहिए।
  • कम्बाइन हार्वेस्टर की संभाल भी ट्रैक्टर के जैसे ही की जाती है।
  • कल्टीवेटर, तवियां तथा सीज ड्रिल आदि ट्रैक्टर की सहायता से चलने वाली मशीनें

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 7 फ़सली विभिन्नता

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 7 फ़सली विभिन्नता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 7 फ़सली विभिन्नता

PSEB 8th Class Agriculture Guide फ़सली विभिन्नता Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
अर्द्ध पहाड़ी क्षेत्रों में कौन-सा फ़सली चक्र अपनाया जाता है ?
उत्तर-
धान-गेहूँ।

प्रश्न 2.
दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में प्रमुख फ़सली चक्र कौन-सा है ?
उत्तर-
नरमा-कपास-गेहूँ।

प्रश्न 3.
दो-तीन फ़सली चक्रों की एक उदाहरण दें।
उत्तर-
मक्की-आलू-मूंगी, मूंगफली-आलू-बाजरा।

प्रश्न 4.
धान बोने से केन्द्रीय पंजाब में पानी का स्तर कितना गहरा हो रहा है ?
उत्तर-
लगभग 74 सैं० मी० प्रति वर्ष

प्रश्न 5.
वायु में विद्यमान नाइट्रोजन को पौधे की जड़ों में एकत्र करने के लिए कौन-सा बैक्टीरिया कार्य करता है ?
उत्तर-
राईजोबियम।

प्रश्न 6.
जंत्र-बासमती गेहूँ फ़सली चक्र में किस खाद की बचत होती है ?
उत्तर-
नाइट्रोजन खाद की।

प्रश्न 7.
भारत को कौन-सी फ़सलें आयात करनी पड़ रही हैं?
उत्तर-
दालें, तेल बीज की।

प्रश्न 8.
बासमती में कितने दिन पूर्व हरी खाद दबानी चाहिए ?
उत्तर-
पनीरी लगाने से एक दिन पूर्व।

प्रश्न 9.
पंजाब में कितने प्रतिशत क्षेत्रफल सिंचाई के अन्तर्गत है ?
उत्तर-
98 प्रतिशत।

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प्रश्न 10.
पंजाब में ट्यूबवैल की संख्या कितनी है ?
उत्तर-
14 लाख के लगभग।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
फ़सली विभिन्नता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बहु-भांति कृषि से भाव है कि मौजूदा फ़सलों के नीचे क्षेत्रफल कम करके अन्य फ़सलों ; जैसे-मक्का, दालें, बासमती, कमाद, आलू, तेल बीज फ़सलें आदि के नीचे ले कर आना।

प्रश्न 2.
पानी के अभाव वाली भूमि पर कौन-सी फ़सलें बोनी चाहिए ?
उत्तर–
पानी की कमी वाली भूमि में तेल बीज फ़सलें बोई जानी चाहिए।

प्रश्न 3.
मक्की आधारित फ़सली चक्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
मक्की आधारित फ़सल चक्र हैं-मक्की-आलू-मूंग या सूरजमुखी, मक्कीआलू या तोरिया-सूरजमुखी, मक्की-आलू-प्याज या मेंथा तथा मक्की-गोभी सरसों-गर्म ऋतु की मूंग।

प्रश्न 4.
चारे आधारित फ़सली चक्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
मक्की-बरसीम-बाजरा, मक्की-बरसीम-मक्की या रवांह।

प्रश्न 5.
बहु-फ़सली प्रणाली की विशेषताएं लिखो।
उत्तर-

  1. कम भूमि से अधिक पैदावार मिल जाती है।
  2. मौसमी बदलाव का सामना किया जा सकता है।
  3. रसायनिक खादों का प्रयोग कम होता है।
  4. संतुलित भोजन की मांग पूरी होती है तथा रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
  5. वातावरण की सुरक्षा होती है तथा प्राकृतिक स्रोतों की बचत होती है।

प्रश्न 6.
संयुक्त कृषि प्रणाली में कौन-कौन से सहायक व्यवसाय अपनाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
संयुक्त कृषि प्रणाली में निम्नलिखित में से कोई एक या दो सहायक व्यवसाय अपनाए जा सकते हैं—

  1. मछली पालन
  2. फलों की कृषि
  3. सब्जी की कृषि
  4. डेयरी फार्मिंग
  5. खरगोश पालना
  6. सूअर पालना
  7. बकरी पालना
  8. मधु मक्खी पालना
  9. पोल्ट्री फार्मिंग
  10. वन कृषि फसलें जैसे पापलर।

प्रश्न 7.
पंजाब के जल स्रोतों के विषय में लिखो।
उत्तर-
पंजाब में 98% क्षेत्रफल सिंचाई के अधीन है तथा लगभग 14 लाख ट्यूबवैल लगे हुए है। पंजाब में सिंचाई के लिए नहरी पानी का भी जाल फैला हुआ है।

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प्रश्न 8.
केन्द्रीय पंजाब में धान व गेहूँ के अतिरिक्त कौन-कौन सी फ़सलें बोई जाती हैं ?
उत्तर-
मक्की, धान, गेहूँ, आलू, मटर, गन्ना, वासमती, सूरजमुखी, खरबूजा, मिर्च तथा अन्य सब्जियां।

प्रश्न 9.
अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्रों की प्रमुख फ़सलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्रों की प्रमुख फ़सलें हैं-गेहूँ, मक्की, धान, वासमती, आलू, तेल बीज फ़सलें तथा मटर।

प्रश्न 10.
हल्की ज़मीनों में कौन-कौन से फ़सली चक्र अपनाने चाहिए ?
उत्तर-
हल्की भूमियों में मूंगफली आधारित फ़सल चक्र अपनाए जा सकते हैं जैसेगर्मी ऋतु की मूंगफली-आलू या तोरिया या मटर या गेहूँ, मूंगफली-आलू-बाजरा, मूंगफलीतोरिया या गोभी सरसो।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें—

प्रश्न 1.
फ़सली विभिन्नता से क्या अभिप्राय है ? फ़सली विभिन्नता का क्या उद्देश्य है एवम् इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ?
उत्तर-
फ़सली विभिन्नता-बहु-भांति कृषि से भाव है मौजूदा फ़सलों के अन्तर्गत क्षेत्रफल कम करके कुछ अन्य फ़सलों ; जैसे-मक्की, दालें, बासमती, कमाद, आलू, तेल बीज फ़सलें आदि के नीचे लेकर आना।
उद्देश्य-फ़सली विभिन्नता के मुख्य उद्देश्य इस तरह हैं—

  1. गेहूँ प्राकृतिक स्रोतों का संयमित प्रयोग करना तथा इन्हें लम्बे समय तक बचाना।
  2. फसलों से कम लागत से अधिक आय प्राप्त करना।
  3. बार-बार एक ही फसली चक्कर से बाहर निकलना ताकि मिट्टी-पानी की बचत की जा सके।

फ़सली विभिन्नता की आवश्यकता-धान-गेहूँ फसल चक्र को वर्ष में लगभग 215 सैं०मी० पानी की आवश्यकता पड़ती है जिसमें से 80% पानी केवल धान की फसल में ही खपत हो जाता है। धान की कृषि से भूमि की भौतिक तथा रसायनिक बनावट में खराबी आ रही है। पिछले 50 वर्षों के दौरान मूंगफली, तेल बीज फसलों, कमाद तथा दाल वाली फ़सलों के अन्तर्गत क्षेत्रफल कम होकर धान के अधीन आ गया है। इसलिए फ़सली विभिन्नता से भूमि के नीचे पानी की बचत हो जाएगी तथा भूमि का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।

प्रश्न 2.
बहु-फ़सली प्रणाली अपनाने की आवश्यकता क्यों है ? विस्तारपूर्वक उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर-
बहु-फ़सली कृषि प्रणाली से भाव है कि एक वर्ष में खेत में दो से अधिक फसलें उगाना। इसका उद्देश्य मुख्य फ़सलों के बीच जो खाली समय बचता है इसमें एक या दो से अधिक फ़सलें उगाना है।
बहु-फ़सली प्रणाली की आवश्यकता—

  1. कम भूमि में से अधिक पैदावार मिल जाती है।
  2. मौसमी बदलाव का सामना किया जा सकता है।
  3. रसायनिक खादों का प्रयोग कम होता है।
  4. संतुलित भोजन की मांग पूरी होती है तथा रोज़गार के अधिक अवसर मिलते हैं।
  5. वातावरण की सुरक्षा होती है तथा प्राकृतिक स्रोतों की बचत होती है।
  6. बहु-फ़सली कृषि में फलीदार फ़सलें उगाने से भूमि में राईज़ोवियम वैक्टीरिया की सहायता से नाइट्रोजन जमा की जाती है। इससे नाइट्रोजन वाली खाद की बचत होती है।

इसलिए बहु-फ़सली चक्र अपनाया जाता है; जैसे—

  1. हरी खाद आधारित; जैसे-जंतर-मक्की आदि।
  2. मक्का आधारित; जैसे-मक्का-आलू-मूंग या सूरजमुखी।
  3. सोयाबीन आधारित; जैसे-सोयाबीन-गेहूँ-रवांह।।
  4. मूंगफली आधारित; जैसे–मूंगफली-आलू, तोरिया, मटर आदि।
  5. हरे चारे आधारित; जैसे-मक्का, बरसीम, बाजरा इस प्रकार मिली-जुली फसलों पर आधारित तथा सब्जी आधारित फसली चक्र भी अपनाया जा सकता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 7 फ़सली विभिन्नता

प्रश्न 3.
पंजाब में कृषि से सम्बन्धित समस्याओं के विषय में लिखो।
उत्तर-
पंजाब में कृषि से सम्बन्धित समस्याएं निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. हरित क्रान्ति के बाद पंजाब गेहूँ-चावल के फ़सली चक्र में फंस कर रह गया। केवल दो ही फ़सलों पर ज़ोर देने से पंजाब में भूमि के नीचे पानी के स्तर की गहराई बढ़ती जा रही है तथा रसायनिक दवाइयों; जैसे-नदीननाशक, कीटनाशक तथा खादों के प्रयोग से भूमि की भौतिक तथा रसायनिक बनावट तथा स्वास्थ्य में खराबी आ रही है।
  2. तेल बीज फ़सलों तथा दालों की कृषि कम हो रही है।
  3. पंजाब में दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में अधिक वर्षा के कारण मिट्टी क्षरण की समस्या अधिक है।
  4. पानी का स्तर प्रत्येक वर्ष 74 सैं०मी० नीचे जा रहा है जिस कारण किसानों को सबमर्सीवल मोटर लगाकर पानी निकालना पड़ रहा है जिससे खर्चा बढ़ गया है।
  5. कीड़े-मकौड़े तथा नदीनों की नई किस्में पैदा हो रही हैं।
  6. जैविक विभिन्नता कम होती जा रही है।
  7. कई तरह के मौसम परिवर्तन हो रहे हैं।

प्रश्न 4.
संयक्त कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) क्या है ? उदाहरण सहित विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
संयुक्त फ़सल प्रणाली-संयुक्त फ़सल प्रणाली में किसान कृषि के अलावा एक-दो कृषि सहायक धन्धे अपनाकर अपनी आय में वृद्धि करते हैं। इस तरह किसान अपनी कमाई में वृद्धि तो करता ही है उसके घर के सदस्य भी इन कार्यों में सहायता कर सकते हैं। परिवार के सदस्यों को पौष्टिक आहार भी प्राप्त हो जाता है। किसान अपने फार्म के साधनों के अनुसार अपनी शुद्ध आमदन बढ़ा सकता है। आगे कुछ सहायक धन्धे हैं जिनमें से कोई एक या दो सहायक धन्धे अपनाए जा सकते हैं—

  1. मछली पालन
  2. फलों की कृषि
  3. सब्जी की कृषि
  4. डेयरी फार्मिंग
  5. खरगोश पालना
  6. सूअर पालना
  7. बकरी पालना
  8. मधु मक्खी पालना
  9. पोल्ट्री फार्मिंग
  10. वन कृषि फ़सलें जैसे पापलर।

प्रश्न 5.
मिश्रित फ़सल प्रणाली (Mixed Cropping) क्या है ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर-
मिश्रित फ़सल प्रणाली-कम भूमि से अधिक-से-अधिक पैदावार लेने, अधिक आय लेने तथा आवश्यकताएं पूरी करने के लिए मिश्रत फ़सलों की कृषि की जाती है। इसको मिश्रत फ़सल प्रणाली कहा जाता है।
पंजाब में जुताई योग्य क्षेत्रफल कम होता जा रहा है। इसके कई कारण हैं; जैसेकारखाने, नई कलोनियों का अस्तित्व में आना। इसलिए मौजूदा उपलब्ध भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए, अपनी आय बढ़ाने के लिए लोगों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए मिश्रत फ़सलों की कृषि करनी चाहिए; जैसे-मक्की या मूंगी, अरहर या मूंगी, सोयाबीन या मूंग, मक्की या सोयाबीन, मक्की या हरे चारे के लिए मक्की या मूंगफली, नर्मा या मक्की आदि। मिश्रत फ़सलों की कृषि के कारण मुख्य फ़सल की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ता। इस प्रकार अधिक पैदावार तो प्राप्त होती ही है भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है। इससे नदीनों की समस्या को काफी हद तक कम करने में सहायता मिलती है।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB फ़सली विभिन्नता Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब में धान की कृषि के अधीन कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
लगभग 28.3 लाख हैक्टेयर।

प्रश्न 2.
पंजाब में गेहूँ की कृषि के अधीन कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
लगभग 35.1 लाख हैक्टेयर।

प्रश्न 3.
पिछले 50 वर्ष में कौन-सी फ़सलों का क्षेत्रफल धान के अधीन आ गया है ?
उत्तर-
मूंगफली, तेल बीज फसलें, कमाद तथा दालें।

प्रश्न 4.
धान-गेहूँ फ़सली चक्र को वर्ष में लगभग कितना पानी चाहिए ?
उत्तर-
215 सैं०मी०।

प्रश्न 5.
सारे वर्ष में कुल पानी की लागत में धान कितना पानी पी जाता है ?
उत्तर-
80%.

प्रश्न 6.
पंजाब में कृषि के अधीन कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
41.58 लाख हैक्टेयर।

प्रश्न 7.
कृषि तथा जलवायु के आधार पर पंजाब को कितने भागों में बांटा गया
उत्तर-
तीन-अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र, केन्द्रीय भाग, दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र।

प्रश्न 8.
अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र कौन-सी पहाड़ियों के पैरों में है ?
उत्तर-
शिवालिक पहाड़ियों के।

प्रश्न 9.
सीमावर्ती (कंडी) क्षेत्र, अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र का कितने प्रतिशत है ?
उत्तर-
लगभग 9%।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 7 फ़सली विभिन्नता

प्रश्न 10.
पंजाब में प्रमुख फ़सली चक्र क्या है ?
उत्तर-
धान-गेहूँ।

प्रश्न 11.
दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में कौन-सा फ़सली चक्र अपनाया जाता है ?
उत्तर-
नर्मा-कपास-गेहूँ।

प्रश्न 12.
दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में नीचे का पानी कैसा है ?
उत्तर-
खारा।

प्रश्न 13.
हरी खाद वाली फ़सल कौन-सी है ?
उत्तर-
जंतर, रवाह या सन्न।

प्रश्न 14.
यदि मक्की बोई जानी हो तो हरी खाद को कितने दिन पहले खेत में जोत देना चाहिए ?
उत्तर-
8-10 दिन पहले।

प्रश्न 15.
कौन-सी फ़सल के टांगरों को हरी खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ?
उत्तर-
सट्ठी मूंग।

प्रश्न 16.
सोयाबीन में कितने प्रतिशत प्रोटीन होता है ?
उत्तर-
35-40%.

प्रश्न 17.
पंजाब में ‘सफेद क्रान्ति’ का सेहरा कौन-सी फ़सल के सिर है ?
उत्तर-
हरे चारे की फ़सल।

प्रश्न 18.
अधिक दूध प्राप्त करने के लिए गाय तथा भैंस को कितना चारा खिलाया जाना चाहिए?
उत्तर-
40 किलो हरा चारा।

प्रश्न 19.
नगर से दूर फार्मों के लिए सब्जी आधारित फ़सली चक्र लिखें।
उत्तर-
आलू-भिण्डी-अग्रिम फूलगोभी।

प्रश्न 20.
नगर के निकटतम गांवों के फार्मों के लिए एक सब्जी आधारित फ़सली चक्र लिखें।
उत्तर-
फूलगोभी-टमाटर-भिण्डी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सीमावर्ती क्षेत्र बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
सीमावर्ती क्षेत्र अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र का 9% भाग है।

प्रश्न 2.
केन्द्रीय पंजाब में मुख्य समस्या क्या है ?
उत्तर-
गेहूँ-धान फ़सली चक़ होने के कारण इस क्षेत्र में धरती के नीचे पानी का स्तर प्रत्येक वर्ष लगभग 74 मैं०मी० की दर से नीचे जा रहा है।

प्रश्न 3.
धान के स्थान पर सोयाबीन की कृषि का क्या कारण है ?
उत्तर-
धान को कीड़े-मकौड़े तथा बीमारियां अधिक लगती हैं, इसलिए इसकी पैदावार कम हो जाती है। इसलिए धान के स्थान सोयाबीन की कृषि की जा सकती है।

प्रश्न 4.
मिश्रत फ़सलों की कृषि का लाभ बताओ।
उत्तर-
मिश्रत फ़सलों की कृषि के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है। इससे नदीन की समस्या को बहुत हद तक कम करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 5.
नगर के निकटतम फार्मों के लिए सब्जी आधारित फ़सली चक्र बताओ।
उत्तर-

  1. बैंगन (लम्बे)- पिछेती फूलगोभी-घीया।
  2. आलू-खरबूजा।
  3. पालक-गांठ गोभी, प्याज, हरी मिर्च, मूली।
  4. फूलगोभी-टमाटर-भिण्डी।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-मक्की आधारित फ़सली चक्र तथा सोयाबीन आधारित फ़सली चक्र के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. मक्की आधारति फ़सली चक्र-मक्की आधारित फ़सली चक्र निम्नलिखित अनुसार है—
    • मक्की-आलू-मूंग या सूरजमुखी।
    • मक्की -आलू या तोरिया-सूरजमुखी।
    • मक्की-आलू-प्याज या मैंथा आदि। इन फ़सली चक्रों को अपनाकर प्राकृतिक स्रोतों की बचत की जा सकती है।
  2. सोयाबीन आधारित फ़सली चक्र-सोयाबीन आधारित फ़सली चक्र हैसोयाबीन-गेहूँ-रवाह (हरा चारा)।

इस फ़सली चक्र का प्रयोग धान के स्थान पर किया जा सकता है क्योंकि धान को कीड़े तथा बीमारियां लग जाती हैं तथा इसका उत्पाद कम हो जाता है। सोयाबीन फलीदार फ़सल है। इसलिए इसकी कृषि से भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है। सोयाबीन प्रोटीन का एक बहुत बढ़िया स्रोत है। इसमें 35-40% प्रोटीन तत्त्व होता है। सोयाबीन का प्रयोग लघु उद्योगों में करके लाभ भी लिया जा सकता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 7 फ़सली विभिन्नता

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. पंजाब में प्रमुख फ़सली चक्र है-धान गेहूँ।
  2. पंजाब में 5 लाख ट्यूबवैल हैं।
  3. कृषि विभिन्नता से प्राकृतिक स्रोतों पर कम भार पड़ता है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
पंजाब में कितने प्रतिशत क्षेत्रफल सिंचाई के अधीन हैं ?
(क) 98%
(ख) 50%
(ग) 70%
(घ) 100%
उत्तर-
(क) 98%

प्रश्न 2.
चारा आधारित फ़सली चक्र है
(क) मक्की -बरसीम-बाजरा
(ख) गेहूँ-धान
(ग) मक्की -आलू-मुंगी
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(क) मक्की -बरसीम-बाजरा

प्रश्न 3.
सोयाबीन में कितनी प्रतिशत प्रोटीन है ?
(क) 10-20%
(ख) 35-40%
(ग) 50-60%
(घ) 80%
उत्तर-
(ख) 35-40%

(ख) रिक्त स्थान भरें

  1. जंतर …………. खाद वाली फ़सल है।
  2. नीम पहाड़ी क्षेत्र में बहुत ………… होती है।
  3. ………. भूमि में मूंगफली आधारित फ़सली चक्र अपनाया जाता है।

उत्तर-

  1. हरी,
  2. वर्षा,
  3. हल्की

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 7 फ़सली विभिन्नता

फ़सली विभिन्नता PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • फ़सली विभिन्नता को बहु-भांति कृषि भी कहा जाता है।
  • फ़सली विभिन्नता में कुछ वर्तमान फ़सलों के नीचे क्षेत्रफल कम करके कुछ अन्य फ़सलें ; जैसे-मक्की, दालें, तेल बीज, कमाद (गन्ना), आलू आदि के अन्तर्गत क्षेत्रफल बढ़ाना है।
  • फ़सली विभिन्नता के साथ प्राकृतिक स्रोतों पर भार कम पड़ता है।
  • पंजाब में प्रमुख फ़सल चक्र है-धान, गेहूँ।
  • पंजाब में धान, गेहूँ फ़सल चक्र को साल में लगभग 215 सैं० मी० पानी लगता है पर इसका 80% से ज़्यादा धान ही पी जाता है।
  • कृषि और जलवायु के आधार पर पंजाब को तीन भागों में बाँटा गया है। अर्द्ध पर्वतीय, केंद्रीय भाग, दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र। कंडी क्षेत्र भी अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र में आता है।
  • अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र में बहुत वर्षा होती है और इस क्षेत्र में भू-स्खलन की समस्या रहती है।
  • अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र की प्रमुख फसलें हैं-गेहूँ, मक्की, धान, बासमती, आलू, तेल बीज और मटर।
  • केंद्रीय पंजाब में धान-गेहूँ प्रमुख फ़सली चक्र है।
  • दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में नरमा-कपास-गेहूँ फ़सल चक्र अपनाया जाता है।
  • साल में एक खेत में दो से ज्यादा फसलें उगाने को बहु-फ़सली प्रणाली कहा जाता है।
  • सावनी (खरीफ) की फ़सलें जैसे बासमती और मक्की से पहले हरी खाद का उपयोग ज़रूर करना चाहिए।
  • मक्की आधारित फ़सल चक्र है-मक्की-आलू-मूंगी या सूरजमुखी, मक्की-आलू या तोरिया-सूरजमुखी आदि।
  • सोयाबीन-गेहूँ-रवाह फ़सल चक्र का प्रयोग करके उपजाऊ शक्ति बरकरार रखी जा सकती है।
  • गर्मी की ऋतु में रेतीली भूमियों में मूंगफली आधारित फ़सल चक्र है मूंगफली आलू या तोरिया या मटर या गेहूँ, मूंगफली-आलू-बाजरा, मूंगफली-तोरिया या गोभी-सरसों।
  • चारे वाले फ़सली चक्र हैं-मक्की-बरसीम-बाजरा, मक्की-बरसीम, मक्की या रवांह।
  • नगर से दूर फार्मों के लिए सब्जी आधारित फ़सली चक्र है-आलू-प्याज-हरी खाद, आलू-भिंडी-अग्रिम फूलगोभी, आलू (बीज)-मूली गाजर (बीज)-भिंडी (बीज)।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 8 जैविक कृषि

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 8 जैविक कृषि Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 8 जैविक कृषि

PSEB 8th Class Agriculture Guide जैविक कृषि Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर —

प्रश्न 1.
प्राचीन कहावत के अनुसार खेत में किस चीज़ के प्रयोग को भूलना नहीं चाहिए ?
उत्तर-
कनक, कमाद ते छल्लियां, बाकी फसलां कुल, रूड़ी बाझ न हुंदीयां, वेखीं न जावीं भुल।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र कहां है?
उत्तर-
गाज़ियाबाद में।

प्रश्न 3.
जैविक कृषि को अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं ?
उत्तर-
आर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming).

प्रश्न 4.
जैविक कृषि में फसल के बचे-खुचे को जलाया जा सकता है अथवा नहीं ?
उत्तर-
नहीं जलाया जा सकता।

प्रश्न 5.
जैविक कृषि में बी०टी० फसलों को लाया जा सकता है अथवा नहीं ?
उत्तर-
बी०टी० किस्मों की मनाही (वर्जित) है।

प्रश्न 6.
जैविक कृषि में किस प्रकार की फसलों को अन्तर्फसलों के रूप में प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
फलीदार फसलों को।

प्रश्न 7.
किसी एक जैविक फफूंदीनाशक का नाम बताओ।
उत्तर-
ट्राइकोडरमा।

प्रश्न 8.
किसी एक जैविक कीटनाशक का नाम बताओ।
उत्तर-
बी०टी० ट्राइकोग्रामा।

प्रश्न 9.
जैविक कृषि के सम्बन्ध में इंटरनैट की किस साइट से जानकारी ली जा सकती है ?
उत्तर-
apeda.gov.in साइट से।

प्रश्न 10.
भारत की ओर से जैविक स्तर किस वर्ष से बनाए गए थे ?
उत्तर-
वर्ष 2004 में।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 8 जैविक कृषि

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर —

प्रश्न 1.
किस प्रकार की फसलों की खेत में अदला-बदली (स्थानांतरण) करनी अनिवार्य होती है ?
उत्तर-
गहरी जड़ों वाली तथा कम गहरी जड़ों वाली तथा फलीदार तथा गैर फलीदार फसलों की अदला-बदली करनी चाहिए।

प्रश्न 2.
जैविक पदार्थों की बढ़ रही मांग के प्रमुख कारण क्या हैं?
उत्तर-
आधुनिक कृषि के वातावरण पर पड़ रहे बुरे प्रभावों संबंधी जागरूकता तथा लोगों की क्रय शक्ति में बढ़ौतरी होने के कारण जैविक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ी है।

प्रश्न 3.
कौन-से राष्ट्र जैविक पदार्थों की मुख्य मण्डी हैं ?
उत्तर-
अमेरिका, जापान तथा यूरोपियन देश जैविक खाद्य पदार्थों की मुख्य मण्डी हैं।

प्रश्न 4.
जैविक कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जैविक कृषि ऐसी कृषि है जिसमें प्राकृतिक स्रोतों; जैसे-हवा, पानी, मिट्टी आदि को कम-से-कम हानि पहुंचाए तथा रासायनिक खादों, कृषि ज़हरों उल्लीनाशक आदि का प्रयोग किए बिना कृषि उत्पादन करना।

प्रश्न 5.
जैविक स्तर क्या है ?
उत्तर-
जैविक स्तर किसी कृषि उत्पाद को जैविक कहलाने योग्य बनाते हैं। हमारे देश में 2004 में इन्हें बनाया गया।

प्रश्न 6.
भारत में जैविक कृषि के लिए कौन-से क्षेत्र अधिक समुचित हैं ? ।
उत्तर-
ऐसे क्षेत्र जहां प्राकृतिक रूप से ही जैविक हो या उसके बहुत नज़दीक हो, में जैविक कृषि को उत्साहित किया जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
कौन-कौन से जैविक पदार्थों की विश्व बाज़ार में अधिक मांग है ?
उत्तर-
चाय, बासमती चावल, सब्जियां, फल, दालें तथा कपास; जैसे-जैविक उत्पादों की विश्व मण्डी में बहुत मांग है।

प्रश्न 8.
जैविक खाद पदार्थों की मांग किन राष्ट्रों में अधिक है ?
उत्तर-
जैविक खाद पदार्थों की अमेरिका, जापान तथा यूरोपियन देशों में अधिक मांग है।

प्रश्न 9.
जैविक कृषि में बीज़ प्रयोग के क्या स्तर हैं ?
उत्तर-
बीज पिछली जैविक फसल में से लिया गया हो, परन्तु यदि यह बीज उपलब्ध हो तो बिना सुधाई किया परम्परागत बीज़ शुरू में प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
मक्की में जैविक पद्धति से खरपतवार की रोकथाम कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
मक्की की फसल के साथ रवांह की बुवाई करके 35-40 दिनों बाद काट कर चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रकार नदीनों की रोकथाम की जा सकती है तथा हरा चारा भी मिल जाता है।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 8 जैविक कृषि

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर —

प्रश्न 1.
जैविक कृषि की आवश्यकता क्यों पड़ रही है ?
उत्तर-
हरित क्रान्ति आने से देश अनाज के मामले में आत्मनिर्भर हो गया, परन्तु कृषि ज़हरों, रासायनिक खादों के अधिक प्रयोग के कारण भूमि, हवा, पानी का बड़े स्तर पर नुकसान हुआ। गेहूँ-धान की कृषि अधिक होने से पारम्परिक दालें, तेल बीजों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल कम हो गया। धान-गेहूँ के फ़सल चक्र के बीच पड़ कर हम अपने कृषि के प्राथमिक सिद्धान्त गहरी जड़ों तथा कम गहरी जड़ों वाली फसलों तथा फलीदार तथा गैर फलीदार फसलों की अदला-बदली को भूल गए। अनावश्यक तथा असमय डाला गया यूरिया वर्षा के पानी में मिलकर भूमि के पानी में जाना शुरू हो गया। कृषि ज़हरों का प्रभाव हमारे खाद्य पदार्थों में आने लग गया है। प्रत्येक खाने-पीने वाली वस्तु; जैसे-दूध, गेहूँ, चावल, चारे आदि में जहरीले अंश मिलने शुरू हो गए हैं।
हमारी आधुनिक कृषि के वातावरण पर बुरे प्रभाव संबंधी जागरूकता तथा लोगों की क्रय शक्ति के बढ़ने के कारण लोगों द्वारा जैविक खाद्य पदार्थों की मांग उठने लगी तथा इस मांग को पूरा करने के लिए जैविक कृषि की आवश्यकता पड़ गई है।

प्रश्न 2.
जैविक कृषि में खेत की उर्वरा शक्ति को किस प्रकार बनाए रखा जा सकता है ?
उत्तर-
जैविक कृषि में वातावरण का प्राकृतिक संतुलन तथा प्राकृतिक स्रोतों को बनाए रखते हुए कृषि की जाती है। जैविक कृषि में उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए निम्न कार्य किए जाते है—

  1. जैविक कृषि में किसी भी तरह के कृषि ज़हर, रासायनिक खाद, कीटनाशक आदि के प्रयोग की सख्त मनाही है।
  2. फसल चक्र में भूमि के स्वास्थ्य के लिए फलीदार फसल बोई जानी अत्यन्त आवश्यक है।
  3. जैविक कृषि में फसलों के खेत में बचे हुए भाग को आग लगाने की आज्ञा नहीं है।
  4. कृषि में प्रदूषित पानी जैसे सीवरेज के पानी से सिंचाई नहीं की जा सकती।
  5. कीड़े-मकौड़े समाप्त करने के लिए मित्र पक्षियों तथा कीड़ों का प्रयोग किया जाता है।
  6. जैविक कृषि में जैनेटीकली बदली फसलें जैसे-बी०टी० किस्मों की मनाही है।

प्रश्न 3.
जैविक कृषि में कीटों एवम् रोगों का प्रतिरोध कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
जैविक कृषि में कृषि ज़हरों के प्रयोग की पूर्ण रूप से मनाही है। इसके लिए जैविक कृषि जैविक कृषि में कीड़ों तथा बीमारियों का मुकाबला करने के लिए प्राकृतिक ढंगों का प्रयोग किया जाता है। कीड़ों की रोकथाम के लिए भिन्न कीड़ों तथा पक्षियों की सहायता ली जाती है। नीम की निमोलियों के अर्क या जैविक कीटनाशक (बी०टी० ट्राइकोग्राम) आदि का प्रयोग किया जाता है। जैविक उल्लीनाशक जैसे कि ट्राइकोडरमा आदि का प्रयोग किया जाता,है। फसलों की मिली-जुली कृषि; जैसे-गेहूँ तथा चने भी कीड़ों तथा बीमारियों की रोकथाम में सहायक हैं।

प्रश्न 4.
जैविक प्रमाणीकरण क्या है एवम् यह कौन करता है ?
उत्तर-
जैविक कृषि के उत्पादों को यदि हमें लेबल करके मण्डी में बेचना हो या अन्य देशों में भेजना हो तो इन उत्पादों का प्रमाणीकरण आवश्यक होता है। प्रमाणीकरण में यह गारंटी दी जाती है कि जैविक उत्पादों को जैविक स्तरों के अनुसार ही पैदा किया गया है।
प्रमाणीकरण के लिए भारत सरकार द्वारा 24 एजेंसियों को मान्यता दी गई है। इन एजेंसियों में से किसी एक एजेंसी में किसान को फार्म भर कर रजिस्ट्रर्ड करवाना पड़ता है। कम्पनी के निरीक्षक किसान के खेत में अक्सर निरीक्षण करते रहते हैं तथा देखते हैं कि किसान द्वारा जैविक मानकों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है या नहीं। इस निरीक्षण में पास होने पर ही उपज को जैविक करार दिया जाता है। जैविक स्तरों के बारे में अधिक जानकारी apeda.gov.in साइट से ली जा सकती है।

प्रश्न 5.
जैविक कृषि के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
जैविक कृषि के लाभ निम्नलिखित अनुसार हैं—

  1. भूमि की उपजाऊ (उर्वरा) शक्ति बढ़ती है।
  2. कृषि के खर्च कम होते हैं।
  3. जैविक कृषि में उत्पादों की अधिक कीमत मिलती है।
  4. यह टिकाऊ कृषि है।
  5. इससे रोज़गार बढ़ता है।
  6. खाद्य पदार्थ तथा वातावरण में ज़हरीले अंशों से बचाव हो जाता है।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB जैविक कृषि Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जैविक कृषि में गुड़ाई किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर-
हाथों से, व्हील हो से या ट्रैक्टर से।

प्रश्न 2.
जैविक कृषि में कौन-सी फसलों को अंतर्फसलों के रूप में बोया जाता
उत्तर-
फलीदार फसलें।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 8 जैविक कृषि

प्रश्न 3.
जैविक कृषि में आहारीय तत्वों के लिए कौन-सी न खाने योग्य खलों का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
अरिंड की खल्ल।

प्रश्न 4.
जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए भारत सरकार द्वारा कितनी एजेंसियां हैं ?
उत्तर-
24.

प्रश्न 5.
हमें वर्ष 2020 तक कितने अनाज की आवश्यकता है ?
उत्तर-
276 मिलियन टन अनाज की। राम नाम

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जैविक कृषि के दो लाभ बताएं।
उत्तर-

  1. भूमि की उपजाऊ (उर्वरा) शक्ति बनी रहना तथा इसमें वृद्धि होना।
  2. जैविक पदार्थों से अधिक लाभ।

प्रश्न 2.
हरित क्रान्ति के कारण कौन-सी फसलों की कृषि कम हुई ?
उत्तर-
हरित क्रान्ति के कारण धान-गेहूँ के फ़सल चक्र में पड़कर पारम्परिक दालें तथा तेल बीज फसलों की कृषि कम हो गई है।

प्रश्न 3.
कौन-से जैविक उत्पादों की विश्व मण्डी में बहुत मांग है तथा कौन-से देश इन उत्पादों की बड़ी मण्डियां हैं ?
उत्तर-
बासमती चावल, सब्जियां, फल, चाय, दालें तथा कपास जैसे जैविक उत्पादों की अमेरिका, जापान तथा यूरोपियन देशों की मण्डियों में बहुत मांग है।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
जैविक फसल उत्पादन के ढंग पर नोट लिखो।
उत्तर-
जैविक फसल उत्पादन में बीज किस्में तथा बुवाई के ढंग साधारण कृषि जैसे ही हैं। जैविक फसल उत्पादन में कीटनाशक, खरपतवारनाशक आदि दवाइयों के प्रयोग की मनाही है। खरपतवारों की रोकथाम के लिए फसलों की अदला-बदली की जाती है या अन्य कृषि ढंगों का प्रयोग किया जाता है। जैसे मक्की की फसल की पंक्तियों में रवांह की बुवाई की जाती है तथा रवांह को हरे चारे के रूप में प्रयोग कर लिया जाता है। इस प्रकार मक्की में खरपतवार नहीं उगते हैं। हल्दी की फसल में धान की पराली बिछा कर नदीनों की रोकथाम की जाती है। फलीदार फसलों की कृषि धरती की उपजाऊ (उर्वरा) शक्ति बनाए रखती है तथा धरती में नाइट्रोजन तत्व की कमी से बचाती है। फसलों के आहारीय तत्वों की पूर्ति कम्पोस्ट, रूड़ी की खाद आदि के प्रयोग से की जाती है। कीड़ों की रोकथाम के लिए मित्र कीटों तथा पक्षियों का प्रयोग किया जाता है। फसलों की मिश्रत कृषि भी कीड़ों तथा रोगों की रोकथाम में सहायक है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. जैविक कृषि में बी.टी.फसलों की मनाही है।
  2. जैविक कृषि में भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है।
  3. नैशनल सेंटर फॉर आर्गेनिक फार्मिंग गाज़ियाबाद में स्थित है।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
जैविक कृषि को इंग्लश में क्या कहते हैं ?
(क) इनआर्गेनिक फार्मिंग
(ख) आर्गेनिक फार्मिंग
(ग) नार्मल फार्मिंग
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) आर्गेनिक फार्मिंग

प्रश्न 2.
भारत में जैविक कृषि के लिए जैविक स्तर कब तय किए गए ?
(क) 2000
(ख) 2004
(ग) 2008
(घ) 2012
उत्तर-
(ख) 2004

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 8 जैविक कृषि

रिक्त स्थान भरें

  1. ………… कृषि में बी.टी. किस्मों की मनाही है।
  2. हमें वर्ष 2020 तक …………….. मिलियन टन अनाज की आवश्यकता है।

उत्तर-

  1. जैविक
  2. 276

जैविक कृषि PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • जैविक कृषि करने से वातावरण का प्राकृतिक संतुलन तथा प्राकृतिक स्रोतों को बनाए रखा जाता है।
  • जैविक कृषि में रासायनिक खादों, खरपतवार नाशकों, फफूंदीनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता।
  • जैविक कृषि में फसल को खाद देने की जगह भूमि को उपजाऊ बनाने पर बल दिया जाता है।
  • जैविक कृषि के लाभ इस प्रकार हैं- भूमि की उपजाऊ (उर्वरा) शक्ति का बढ़ना, कम कृषि खर्चा (व्यय), जैविक उपज (कृषि) से अधिक आय, ज़हर (विषैले) वाले अंशों से रहित खाद्य पदार्थ आदि।
  • रासायनिक खादों का प्रयोग, कृषि ज़हरों (विषैले रसायनों) का प्रयोग, कृषि में पराली को आग लगाना आदि जैसी क्रियाओं ने वातावरण तथा भूमि को बहुत हानि पहुंचाई है।
  • गेहूँ-धान फसल चक्र के कारण परम्परागत दालों तथा तेल बीज वाली फसलों के अन्तर्गत क्षेत्रफल कम हुआ है।
  • चाय, बासमती चावल, सब्जियां, फल, दालें, कपास जैसे जैविक उत्पादों की वैश्विक मण्डी में बहुत मांग है।
  • भारत सरकार द्वारा जैविक कृषि को उत्साहित करने के लिए गाज़ियाबाद में एक नैशनल सेंटर फॉर आर्गेनिक फार्मिंग (NCOF) खोला गया है। उत्तरी भारत में इसकी शाखा पंचकूला में है।
  • वर्ष 2004 में अपने देश में जैविक उत्पादों के लिए कुछ जैविक स्तर तय किए गए हैं। जिन्हें अन्य देशों द्वारा भी मान्यता मिली है।
  • जैविक कृषि में बीज, किस्मों तथा बुवाई के ढंग/तरीके साधारण कृषि जैसे ही है।
  • फसलों के आहारीय तत्त्वों की पूर्ति के लिए रूड़ी की खाद, केंचुआ खाद, कम्पोस्ट, जैविक खाद, अरिंड की खल्ल आदि का प्रयोग किया जाता है।
  • जैविक कृषि में कीड़ों की रोकथाम के लिए मित्र कीड़ों तथा पक्षियों की सहायता ली जाती है।
  • नीम की निमोलियों के अर्क को जैविक कीटनाशकों के रूप में प्रयोग किया जाता
  • जैविक प्रमाणीकरण में यह गारंटी दी जाती है कि जैविक उत्पाद को जैविक मानकों (स्तर) के अनुसार ही पैदा किया गया है।
  • जैविक मानकों (स्तर) तथा प्रमाणीकरण सम्बन्धी जानकारी के लिए अपीडा की वैबसाइट apeda.gov.in से ली जा सकती है।

PSEB 8th Class Home Science Practical अपने लिए बिना बाजू का स्वैटर बनाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Practical अपने लिए बिना बाजू का स्वैटर बनाना Notes.

PSEB 8th Class Home Science Practical अपने लिए बिना बाजू का स्वैटर बनाना

  • नाप : छाती 32″-34″ लम्बाई 23″
  • समान : लाल इमली की मोटी ऊन-250 ग्राम
  • सलाइयाँ : 1 जोड़ी 7 नम्बर
    : 1 जोड़ी 9 नम्बर बटन
  • बटन : 6
  • पिछला पल्ला : 7 नम्बर वाली सलाइयों पर 95 कुंडे डालते हैं तथा 12 सलाइयाँ सीधी बुनते हैं।
  • पहली सलाई : 11 उल्टे 1 सीधा-एक पूरी सलाई इस तरह बुनते हैं, अन्त में 11 कुंडे उल्टे बुनते हैं।
  • दूसरी सलाई : 1 उल्टा *9 सीधे, 3 उल्टे-इसे * से दोहराते हैं, अन्तिम कुंडा सीधा डालते हैं।
  • तीसरी सलाई : 2 सीधे, *7 उल्टे, 5 सीधे—इसे * से दोहराते हैं, अन्तिम दो कुंडे सीधे डालते हैं।
  • चौथी सलाई : 3 उल्टे, *5 सीधे, 7 उल्टे-इसे * दोहराते हैं, अन्तिम 4 कुंडे उल्टे डालते हैं।
  • पाँचवीं सलाई : 4 सीधे, *3 उल्टे, 9 सीधे-इसे * दोहराते हैं, अन्तिम 4 कुंडे सीधे डालते हैं।
  • छठी सलाई : 5 उल्टे, *1 सीधा, 11 उल्टे-इसे * से दोहराते हैं, अन्तिम 5 कुंडे उल्टे डालते हैं।
    ये 6 सलाइयाँ दोहराते हैं ताकि पिछला पल्ला 1572″ बन जाए।

कंधे के लिए घटाना-अगली 2 सलाइयों को शुरू के 5-5 कुंडे बन्द कर देते हैं। हर सीधी सलाई पर 7 बार शुरू में तथा अन्त में जोड़ा बुनते हैं।
नमूना ठीक रखते हुए कन्धे के ऊपर 1572″ बनाते हैं। अन्तिम सलाई नमूने की भी अन्तिम सलाई होनी चाहिए। गले के लिए बीच के 27 कुंडे बन्द कर देते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Practical अपने लिए बिना बाजू का स्वैटर बनाना

सामने वाले पल्ले-(दोनों एक ही तरह के) 7 नम्बर की सलाई पर 40 कुंडे डालते हैं और 12 सलाइयाँ सीधी बुनते हैं।
पिछले पल्ले की तरह ही नमूना बनाकर 10″ तक बुनते हैं। गले वाले किनारे के शुरू में जोड़ा बुनकर सारी सलाई बुनते हैं। इसके बाद हर आठवीं सलाई पर गले वाले किनारे की तरफ जोड़ा बुनते हैं।

कंधे की काट-जब दोनों किनारे 1572″ हो जाएँ तो पिछले किनारे की तरह ही कंधे की काट बनाते हैं। इसके साथ ही हर आठवीं सलाई पर गले वाले किनारे पर भी जोड़ बनाते हैं। पिछले किनारे के समान ही बुनते हैं। कन्धे के लिए 22 कुंडे रहने चाहिएँ। पिछले तथा अगले पल्लों के कुंडों को मिलाकर बन्द कर देते हैं।

कंधे की पट्टी-स्वेटर का सीधा किनारा अपने सामने रखते हैं और 9 नम्बर की सलाई से किनारे के साथ-साथ 120 कुंडे उठाते हैं। 8 सीधी सलाइयाँ बुनते हैं और फिर कुंडे बन्द कर देते हैं। इसी तरह दूसरा कंधा भी बुनते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Practical अपने लिए बिना बाजू का स्वैटर बनाना

सामने की पट्टी-9 नम्बर सलाई पर 10 कुंडे डालते हैं। 4 सीधी सलाइयाँ बुनने के बाद काज बनाते हैं। 4 कुंडे बुनते हैं, 2 बन्द कर देते हैं, 4 कुंडे बुनते हैं। दूसरी सलाई पर जहाँ 2 कुंडे बन्द किए थे, 3 कुंडे चढ़ा लेते हैं ताकि फिर 10 हो जाएँ। दो-दो इंच की दूरी पर 6 काज बनाते हैं। पट्टी इतनी लम्बी बनाते हैं जो स्वेटर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पूरी आ जाए। पट्टी को स्वेटर से जोड़ते हैं।

पूरा करना-दोनों सीधे किनारों को उल्टे किनारे से सी देते हैं। उल्टे किनारों पर लगाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Practical अपने लिए बिना बाजू का स्वैटर बनाना

नोट-

  1. यदि जेबों की ज़रूरत हो तो 20 कुंडे पर नमूना डालकर 3″ बुनते हैं, फिर 6 सलाइयाँ सीधी बुनकर बन्द कर देते हैं। इस तरह की दो जेबें बनाकर स्वेटर से सी देते हैं।
  2. यदि बन्द स्वेटर हो तो पिछले किनारे की तरह ही कन्धे तक बुनते हैं। कन्धा शुरू करने के साथ ही वी (V) गले के लिए हर चौथी सलाई पर दोनों ओर एक-एक कुंडा घटाते हैं। गोल गला बनाने के लिए कन्धे की कटाई से 4/2″ ऊपर बुन बीच के 15 कुंडे घटा देते हैं तथा फिर दोनों ओर 3 फिर 2 तथा फिर 1 कुंडा घटाते हैं। बाद में ऊपर तक सीधा ही बुनते हैं।
  3. बार्डर के लिए सीधी सलाइयों की बजाए एक सीधे और पाँच उल्टे कुंडे का भी बार्डर बनाते हैं।