PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

PSEB 9th Class Physical Education Guide नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं दो नशीली वस्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. शराब
  2. हशीश।

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुएं किन दो क्रियाओं पर अधिक प्रभाव डालती हैं ?
उत्तर-

  1. पाचन क्रिया पर
  2. खेलने की शक्ति पर।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

प्रश्न 3.
नशीली वस्तुओं के कोई दो दोष लिखें।
उत्तर-

  1. चेहरा पीला पड़ जाता है।
  2. मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।

प्रश्न 4.
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ियों पर कोई दो बुरे प्रभाव लिखें।
उत्तर-

  1. लापरवाई तथा बेफिक्री।
  2. खेल भावना का अन्त।

प्रश्न 5.
खेल में हार नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 6.
शराब का असर पहले दिमाग पर होता है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 7.
तम्बाकू खाने से या पीने से नज़र कमजोर हो जाती है। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ठीक।

प्रश्न 8.
तम्बाकू से कैंसर की बीमारी का डर बढ़ता है अथवा कम होता है ?
उत्तर-
डर बढ़ जाता है।

प्रश्न 9.
तम्बाकू के प्रयोग से खांसी नहीं लगती और टी० बी० भी नहीं हो सकती। ठीक अथवा ग़लत ।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 10.
नशे वाला खिलाड़ी लापरवाह हो जाता है। सही अथवा ग़लत ।
उत्तर-
सही।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नशीली वस्तुओं की सूची बनाएं और यह भी बताएं कि नशीली वस्तुएं पाचन क्रिया और सोचने की शक्ति पर कैसे प्रभाव डालती हैं?
(Prepare a list of intoxicants and describe how these intoxicants affect on digestion and memory or thinking of a person ?)
उत्तर-
मादक पदार्थ ऐसे नशीले पदार्थ हैं जिनके सेवन से किसी-न-किसी प्रकार की उत्तेजना या शिथिलता आ जाती है। मनुष्य के स्नायु संस्थान पर सभी किस्म के मादक पदार्थों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे कई प्रकार के विचार, कल्पनाएं तथा भावनाएं पैदा होती हैं। इससे व्यक्ति में घबराहट, गुस्सा और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने से व्यक्ति का अपने व्यवहार और शरीर पर नियन्त्रण नहीं रहता। नशीली वस्तुएं निम्नलिखित हैं –

  1. शराब
  2. अफीम
  3. तम्बाकू
  4. भांग
  5. हशीश
  6. चरस
  7. कोकीन
  8. एलडरविन।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

पाचन क्रिया पर प्रभाव (Effects on Digestion)- नशीली वस्तुओं का पाचन क्रिया पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इनमें अम्लीय अंश बहुत अधिक होते हैं। इन अंशों के कारण आमाशय की कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है और कई प्रकार के पेट के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

सोचने की शक्ति पर प्रभाव (Effects on Thinking) नशीली वस्तुओं के प्रयोग से व्यक्ति अच्छी तरह बोल नहीं सकता और वह बोलने के स्थान पर तुतलाने लगता है। वह अपने पर नियन्त्रण नहीं रख सकता। वह खेल में आई अच्छी स्थितियों के विषय में सोच नहीं सकता और न ही ऐसी स्थितियों से लाभ उठा सकता है।

प्रश्न 2.
खेल में हार नशीली वस्तुएं के प्रयोग के कारण हो सकती है, कैसे ?
(Intoxicants cause defeat in sports. How ?)
उत्तर-

  1. नशे में खेलते समय खिलाड़ी बहुत-से ऐसे काम कर जाता है जिससे टीम हार जाती है।
  2. नशे में खिलाड़ी विरोधी टीम की चालें नहीं समझ सकता और अपनी टीम के लिए पराजय का कारण बनता है।
  3. यदि किसी खिलाड़ी को नशे में खेलते हुए पकड़ लिया जाए तो उसे खेल में से बाहर निकाल दिया जाता है। यदि उसे इनाम मिलना है तो नहीं दिया जाता। इस प्रकार उसकी विजय पराजय में बदल जाती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नशीली वस्तुएं क्या हैं ? इनके दोषों का वर्णन करो। (What are intoxicants ? Discuss their harms.)
उत्तर-
मनुष्य प्राचीन काल से ही नशीली वस्तुओं का प्रयोग करता आ रहा है। उसका विश्वास था कि इनके प्रयोग से रोग दूर होते हैं तथा मन ताजा होता है। परन्तु बाद में इनके कुप्रभाव भी देखने में आये हैं। आज के वैज्ञानिक युग में अनेक नई-नई नशीली वस्तुओं का आविष्कार हुआ है जिसके कारण क्रीड़ा जगत् दुविधा में पड़ गया है। इन नशीली वस्तुओं के सेवन से भले ही कुछ समय के लिए अधिक काम लिया जा सकता है, परन्तु नशे और अधिक काम से मानव रोग का शिकार हो कर मृत्यु को प्राप्त करता है। इन घातक नशों में से कुछ नशे तो कोढ़ के रोग से भी बुरे हैं। शराब, तम्बाकू, अफीम, भांग, हशीश, एडरनलिन तथा निकोटीन ऐसी नशीली वस्तुएं हैं जिनका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है।

प्रत्येक व्यक्ति अपने मनोरंजन के लिए किसी-न-किसी खेल में भाग लेता है। वह अपने साथियों तथा पड़ोसियों के साथ मेल-मिलाप तथा सद्भावना की भावना रखता है। इसके विपरीत एक नशे का गुलाम व्यक्ति दूसरों की सहायता करना तो दूर रहा, अपना बुरा-भला भी नहीं सोच सकता। ऐसा व्यक्ति समाज के लिए बोझ होता है। वह दूसरों के लिए सिरदर्दी बन जाता है। वह न केवल अपने जीवन को दुःखद बनाता है, बल्कि अपने परिवार और सम्बन्धियों के जीवन को भी नरक बना देता है। सच तो यह कि नशीली वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। इससे ज्ञान शक्ति, पाचन शक्ति, दिल, रक्त, फेफड़े आदि से सम्बन्धित अनेक रोग लग जाते हैं।
नशीली वस्तुओं का प्रयोग करना खिलाड़ियों के लिए ठीक नहीं होता।

नशीली वस्तुओं के दोष-जो खिलाड़ी नशीली वस्तुओं का प्रयोग करते हैं उनके दोष निम्नलिखित हैं –

  • चेहरा पीला पड़ जाता है।
  • कदम लड़खड़ाते हैं।
  • मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।
  • खेल का मैदान लड़ाई का मैदान बना जाता है।
  • पाचन शक्ति खराब हो जाती है।
  • तेजाबी अंश आमाशय की शक्ति को कम करते हैं।
  • पेट में कई प्रकार के रोग लग जाते हैं।
  • पेशियों के काम करने की शक्ति कम हो जाती है।
  • खेल के मैदान में खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकता।
  • कैंसर और दमे की बीमारियां लग जाती हैं।
  • खिलाड़ियों की स्मरण-शक्ति कम हो जाती है।
  • नशे में डूबे खिलाड़ी खेल की परिवर्तित अवस्थाओं को नहीं समझ सकते और अपनी टीम की पराजय का कारण बन जाते हैं।
  • नशे वाला खिलाड़ी लापरवाह हो जाता है।
  • उसके शरीर में समन्वय नहीं होता।
  • नशे वाले खिलाड़ी के पैरों का तापमान सामान्य व्यक्ति के तापमान से 1.8°C सैंटीग्रेड कम होता है।

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ियों तथा खेल पर बुरे प्रभावों के बारे में जानकारी दो।
(Mention the adverse effects of intoxicants on the players and their performance.)
उत्तर-
नशीली वस्तुओं के सेवन का खिलाड़ियों तथा खेल पर बुरा प्रभाव पड़ता है जो इस प्रकार है –

1. शारीरिक समन्वय एवं स्फूर्ति का अभाव (Loss of Co-ordination and Alertness)-नशे करने वाले खिलाड़ी में शारीरिक तालमेल तथा स्फूर्ति नहीं रहती। अच्छे खेल के लिये इनका होना बहुत ज़रूरी है। हॉकी, फुटबाल, वालीबाल आदि ऐसी खेलें हैं।

2. मन के सन्तुलन और एकाग्रचित्त का अभाव (Loss of Balance and Concentration) किसी खिलाड़ी की मामूली सी सुस्ती खेल का पासा पलट देती है। इतना ही नहीं, नशे में धुत खिलाड़ी एकाग्रचित्त नहीं हो सकता। इसलिए वह खेल के दौरान ऐसी गलतियां कर देता है जिसके फलस्वरूप उसकी टीम को पराजय का मुंह देखना पड़ता है।

3. लापरवाही तथा बेफिक्री (Carelessness) नशे में ग्रस्त खिलाड़ी बहुत लापरवाह और बेफिक्र होता है। वह अपनी शक्ति तथा दक्षता का उचित अनुमान नहीं लगा सकता। कई बार जोश में आकर वह ऐसी चोट खा जाता है जिससे उसे आयु पर्यन्त पछताना पड़ता है।

4. खेल भावना का अन्त (Lack of Sportsmanship) नशे में रहने से खिलाड़ी की खेल भावना का अन्त हो जाता है। नशा करने वाले खिलाड़ी की स्थिति अर्द्ध बेहोशी की होती है। उसके मन का सन्तुलन बिगड़ जाता है। वह खेल में अपनी ही हांकता है और साथी खिलाड़ी की कोई बात नहीं सुनता।

5. सोचने का अभाव (Lack of Thinking)-वह रैफरी या अम्पायर के उचित निर्णयों के प्रति असन्तोष व्यक्त करता है। सहनशीलता की शक्ति की कमी हो जाती है। अतः वह इस तरह करता है।

6. नियमों की अवहेलना (Breaking of Rules)—वह खेल के नियमों की अवहेलना करता है।

7.मैदान का लड़ाई का अखाड़ा बन जाना (Playfield Becomes Battlefield)नशे में रहने वाला खिलाड़ी खेल के मैदान को लड़ाई का अखाड़ा बना देता है।

अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी ने खेल के दौरान नशीली वस्तुओं के प्रयोग पर पाबन्दी लगा दी है। यदि खेल के दौरान कोई खिलाड़ी नशे की दशा में पकड़ा जाता है तो उसका जीता हुआ इनाम वापस ले लिया जाता है। इसलिए खिलाड़ियों को चाहिए कि वे स्वयं को हर प्रकार की नशीली वस्तुओं के सेवन से दूर रखें और सर्वोत्तम खेल का प्रदर्शन करके अपने और अपने देश के नाम को चार चांद लगायें।

प्रश्न 3.
शराब का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? शराब की हानियां लिखें।
(What are the effects of Alcohol on our body? Discuss harms of alcohol.)
उत्तर-
शराब का सेहत पर प्रभाव (Effect of Alcohol on Health) शराब एक नशीला तरल पदार्थ है। शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बाज़ार में बेचने से पहले प्रत्येक शराब की बोतल पर यह लिखना ज़रूरी है। फिर भी बहुत-से लोगों को इस की लत (आदत) लगी हुई है जिससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शरीर को कई तरह के रोग लग जाते हैं। फेफड़े कमज़ोर हो जाते हैं और व्यक्ति की आयु घट जाती है। ये शरीर के सभी अंगों पर बुरा प्रभाव डालती है। पहले तो व्यक्ति शराब को पीता है। कुछ समय पीने के बाद शराब आदमी को पीने लग जाती है। भाव शराब शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगा जाती है।

शराब पीने के नुकसान निम्नलिखित हैं –

  1. शराब का असर पहले दिमाग़ पर होता है। नाड़ी प्रबन्ध बिगड़ जाता है और दिमाग कमज़ोर हो जाता है। मनुष्य के सोचने की शक्ति घट जाती है।
  2. शरीर में गुर्दे कमजोर हो जाते हैं।
  3. शराब पीने से पाचन रस कम पैदा होना शुरू हो जाता है जिससे पेट खराब रहने लग जाता है।
  4. श्वास की गति तेज़ और सांस की अन्य बीमारियां लग जाती हैं।
  5. शराब पीने से रक्त की नाड़ियां फूल जाती हैं। दिल को अधिक काम करना पड़ता है और दिल के दौरे का डर बना रहता।
  6. लगातार शराब पीने से मांसपेशियों की शक्ति घट जाती है। शरीर बीमारियों का मुकाबला करने के योग्य नहीं रहता।
  7. आविष्कारों से पता लगा है कि शराब पीने वाला मनुष्य शराब न पीने वाले व्यक्ति से काम कम करता है। शराब पीने वाले व्यक्ति को बीमारियां भी जल्दी लगती हैं।
  8. शराब से घर, स्वास्थ्य, पैसा आदि बर्बाद होता है और यह एक सामाजिक बुराई है।

प्रश्न 4.
सिगरेट या तम्बाकू का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ? तम्बाकू की हानियां लिखें।
(What is the effect of cigarettes and tobacco on our body ? What are the harms of smoking ?)
उत्तर-
तम्बाकू से स्वास्थ्य पर प्रभाव (Effect of Smoking on Health)हमारे देश में तम्बाकू पीना-खाना एक बहुत बुरी आदत बन चुका है। तम्बाकू पीने के अलग-अलग ढंग हैं, जैसे बीड़ी, सिगरेट पीना, सिगार पीना, हुक्का पीना, चिल्म पीना आदि। इस तरह खाने के ढंग भी अलग हैं जैसे तम्बाकू चूने में मिला कर सीधे मुंह में रख कर खाना, या रगने में रख कर खाना, या गले में रख कर खाना आदि। तम्बाकू में खतरनाक ज़हर निकोटीन (Nicotine) होता है। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड आदि भी होता है। निकोटीन का बुरा प्रभाव सिर पर पड़ता है जिससे सिर चकराने लग जाता है और फिर दिल पर प्रभाव करता है।

तम्बाकू के नुकसान इस तरह हैं –

  1. तम्बाकू खाने या पीने से नज़र कमजोर हो जाती है।
  2. इससे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है। दिल का रोग लग जाता है जो कि मृत्यु का कारण बना सकता है।
  3. आविष्कारों से पता लगा है कि तम्बाकू पीने या खाने से रक्त की नाड़ियां सिकुड़ जाती हैं।
  4. तम्बाकू शरीर के तन्तुओं को उत्तेजित रखता है, जिससे नींद नहीं आती और नींद न आने की बीमारी लग सकती है।
  5. तम्बाकू के प्रयोग से पेट खराब रहने लग जाता है।
  6. तम्बाकू के प्रयोग से खांसी लग जाती है जिससे फेफड़ों को टी० बी० होने का खतरा बढ़ जाता है।
  7. तम्बाकू से कैंसर की बीमारी का डर बढ़ जाता है। विशेषकर छाती का कैंसरऔर गले का कैंसर।
  8. तम्बाकू के प्रयोग से खुराक नली, मुंह के कैंसर का डर भी रहता है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 3 नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव

नशीली वस्तुओं का खेल योग्यता पर बुरा प्रभाव PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • अध्याय की संक्षेप रूपरेखा (Brief Outline of the Chapter)
  • नशीली वस्तुएं-शराब, तम्बाकू, अफीम, भंग, चरस, हशीश, कोकीन, आदि नशीली वस्तुएं होती हैं।
  • नशीली वस्तुओं से हानियां-मानसिक सन्तुलन और पाचन क्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कार्यक्षमता कम हो जाती है और बहुत तरह के रोग लग जाते हैं।
  • खिलाड़ियों के खेल पर नशीली वस्तुओं का प्रभाव-शारीरिक तालमेल और फुर्ती कम हो जाती है। मन में बेचैनी और मन की एकाग्रता कम हो जाती है। बेफिक्री और खेल भावना का अन्त नशीली वस्तुओं के कारण हो जाता है।
  • नशीली वस्तुओं द्वारा खेल में हार-नशे से खिलाड़ी खेल में बहुत गलतियां करता है और विरोधी खिलाड़ी की चालों को नहीं समझ पाता जिससे उसकी हार हो जाती है।
  • शराब के शरीर पर प्रभाव-शराब द्वारा नाड़ी प्रणाली और गुर्दो को रोग लग जाता है। इससे सांस के और दूसरे रोग लग जाते हैं।
  • तम्बाकू के शरीर पर प्रभाव-तम्बाकू खाने से हृदय, सांस और कैंसर के रोग हो जाते हैं। पेट खराब हो जाता है और दमा आदि रोग हो जाते हैं।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

PSEB 9th Class Physical Education Guide खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप Textbook Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों के कोई दो लाभ लिखो।
उत्तर-

  1. स्वास्थ्य प्रदान करती हैं
  2. सुडौल शरीर।

प्रश्न 2.
एक स्पोर्ट्समैन कैसा व्यवहार करता है ? दो पंक्तियां लिखो।
उत्तर-

  1. पराजय को बड़ी शान से स्वीकार करे।
  2. प्रत्येक टीम को बराबर समझता हो।

प्रश्न 3.
खिलाड़ी के कोई दो गुण लिखें।
उत्तर-

  1. सहयोग की भावना
  2. सहनशीलता।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

प्रश्न 4.
विजय-पराजय को समान समझने की भावना को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
खिलाड़ी का गुण।

प्रश्न 5.
आज्ञा देने और मानने की योग्यता किस प्रकार आती है ?
उत्तर-
खेलों में भाग लेने से।

प्रश्न 6.
आत्मविश्वास की भावना और उत्तरदायित्व की भावना खिलाड़ी को क्या बनाती है ?
उत्तर-
अच्छा सामाजिक प्राणी।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक स्पोर्ट्समैन के लिए कौन-सी व्यवहार प्रणाली स्वीकृत है ? (What system of behaviour is accepted by a sportsman ?)
उत्तर-
स्पोर्ट्समैन के लिए व्यवहार प्रणाली (System of behaviour for a sportsman) विश्व के सारे खिलाड़ी (स्पोर्ट्समैन) निम्नलिखित प्रणाली को मानते हैं और इसी के अनुसार व्यवहार करना अपना परम कर्त्तव्य मानते हैं। इसके अनुसार व्यवहार प्रणाली की मुख्य बातें इस प्रकार हैं –

  1. अधिकारियों के निर्णय ठीक और अन्तिम होते हैं।
  2. खेलों के नियम वास्तव में अच्छे पुरुषों की सन्धि होते हैं।
  3. टीमों के लिए जान तोड़ कर साफ़-सुथरा खेलना ही सब से बड़ा आश्वासन है।
  4. पराजय को बड़ी शान से लो।
  5. जीत को बड़े सहज ढंग से स्वीकार करो।
  6. दूसरों के अच्छे गुणों का सम्मान करने से मान मिलता है।
  7. पराजय या बुरे खेल के लिए बहाने ढूंढ़ना ठीक नहीं।
  8. किसी राष्ट्र या टीम को उसके व्यवहार के अनुसार सम्मान दिया जाता है।
  9. बाहर से आई हुई टीमों का सम्मान होना चाहिए।
  10. प्रत्येक टीम को बराबर समझा जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
दर्शक किस प्रकार अच्छे स्पोर्ट्समैन बन सकते हैं ? (How can the spectators become good sportsmen ?)
उत्तर-
दर्शकों में अच्छे स्पोर्ट्समैन बनने के लिए निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –

  1. वे अच्छे खेल की प्रशंसा और उसको उत्साहित करने में बाधा न बनें।
  2. यदि निर्णायक उनकी इच्छा के विरुद्ध निर्णय दे दे तो उसके विरुद्ध बुरे शब्दों का प्रयोग न करें।
  3. वे जिस टीम का पक्ष ले रहे हों यदि वह कमजोर है या अयोग्य है तो उसकी जीत देखना न चाहें क्योंकि खेल में अच्छी टीम ही विजय की पात्र है।
  4. वे अपने साथी दर्शकों से केवल इसलिए न झगड़ें क्योंकि वे विरोधी टीम का समर्थन करते हैं।
  5. वे जिस टीम का पक्ष ले रहे हैं यदि वह हार रही है तो अभद्र व्यवहार का प्रदर्शन न करें जैसे खेल के मैदान में कूड़ा-कर्कट, पत्थर आदि फेंक कर खेल रुकवाना ताकि खेल में हार-जीत का फैसला ही न हो।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों के लाभों या गुणों का वर्णन करें। (Describe the Values of Sports.)
उत्तर-
खेलों के गुण (Values of Sports)-खेलों में व्यक्ति का आकर्षण उनके गुणों के कारण है। आजकल खेलों पर अधिक बल दिए जाने के निम्नलिखित कारण हैं-

1. स्वास्थ्य प्रदान करती हैं (Sound Health)-स्वास्थ्य एक अमूल्य देन है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है । स्वस्थ व्यक्ति से दारिद्रय, आलस्य तथा थकावट कोसों दूर रहती है। खेलें स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। खिलाड़ी के भागने दौड़ने तथा उछलने-कूदने से शरीर के सभी अंग हरकत करते हैं। दिल, फेफड़े, पाचक अंग आदि सारे अंग सुचारु रूप से कार्य करने लगते हैं। मांसपेशियों में ताकत और लचक बढ़ जाती है। जोड़ भी लचकदार हो जाते हैं और शरीर स्फूर्तिवान हो जाता है। इस प्रकार खेलों से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

2. सुडौल शरीर (Sound Body)-खेलों में भाग लेते हुए खिलाड़ी को भागना पड़ता है, उछलना पड़ता है, कूदना पड़ता है, जिससे उसका शरीर सुडौल हो जाता है। कद ऊंचा हो जाता है। शरीर पर कपड़े खूब सजते हैं, जिससे उसके व्यक्तित्व को चार चांद लग जाते हैं। मांसपेशियों और सूक्ष्म नाड़ियों का तालमेल भी खेलों द्वारा ही पैदा होता है। इससे खिलाड़ी की चाल-ढाल आकर्षक हो जाती है । इस प्रकार खेलें व्यक्ति का रूप निखारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करती हैं।

3. संवेगों का सन्तुलन (Full Control on Emotions)—संवेगों का सन्तुलन सफल जीवन के लिए अत्यावश्यक है। यदि इन पर नियन्त्रण न रखा जाए तो क्रोध, उदासी तथा घमण्ड मनुष्य को चक्कर में डाल कर उसके व्यक्तित्व को नष्ट कर देते हैं। खेलें मनुष्य का मन जीवन की उलझनों से परे हटाती हैं, उसका मन प्रसन्न करती हैं तथा उसे संवेगों पर काबू पाने में सफल बनाती हैं। इस दिशा में खेलों द्वारा उत्पन्न स्पोर्ट्समैनशिप की भावना काफ़ी सहायक सिद्ध होती है।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

4. सतर्क बुद्धि का विकास (Development of Sound Reason)—मनुष्य को जीवन में कदम-कदम पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं को सुलझाने के लिए सतर्क बुद्धि का विकास खेलों के द्वारा ही हो सकता है। खेल के समय खिलाड़ी को प्रत्येक पल किसी-न-किसी समस्या का सामना करना पड़ता है । अड़चन या समस्या को उसी समय शीघ्रातिशीघ्र हल करना पड़ता है। हल ढूंढने में तनिक देरी हो जाने पर सारे खेल का पासा उल्ट सकता है। इस प्रकार के वातावरण में प्रत्येक खिलाड़ी हर समय किसी-न-किसी समस्या के समाधान में लगा रहता है। उसे अपनी समस्याओं को स्वयं हल करने का अवसर मिलता रहता है। इस तरह उस में सतर्क बुद्धि का विकास होता है।

5. चरित्र का विकास (Development of Character)-चरित्रवान् व्यक्ति का सब जगह सम्मान होता है। वह लोभ-लालच में नहीं फंसता। खेल के समय विजयपराजय के लिए खिलाड़ियों को कई बार प्रलोभन दिए जाते हैं। अच्छा खिलाड़ी भूलकर भी इस जाल में नहीं फंसता तथा अपने विरोधी पक्ष के हाथों नहीं बिकता। यदि कोई खिलाड़ी भूल कर लालच में आकर अपने पक्ष से विश्वासघात करता है तो खिलाड़ियों तथा दर्शकों की नज़र में गिर जाता है। ऐसा खिलाड़ी बाद में पछताता है। एक अच्छा खिलाड़ी कभी भी छल-कपट का सहारा नहीं लेता। खेल के दर्शकों के सम्मुख होने तथा रैफरी के निरीक्षण में होने के कारण प्रत्येक खिलाड़ी कम-से-कम फाऊल खेलने का प्रयत्न करता है। इस प्रकार खेलें मनुष्य में कई चारित्रिक गुणों का विकास करती हैं।

6. इच्छा शक्ति प्रबल करती हैं (Development of Strong Wil-power) – खेलें इच्छा शक्ति को प्रबल करती हैं। परिणामस्वरूप खिलाड़ी अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दत्तचित्त होकर प्रयत्न करते हैं और भावी जीवन में सफलता उनके कदम चूमती है। खेलों में खिलाड़ी एक-चित्त होकर खेलता है। उसके सम्मुख उसका उद्देश्य जीत प्राप्त करना होता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह अपनी सारी शक्ति लगा देता है और प्रायः सफल भी हो जाता है। जीवन के श्रेयों की प्राप्ति ही उसके लिए यही आदत बन जाती है। इस प्रकार खेलें इच्छा शक्ति को प्रबल करती हैं।

7. भ्रातृत्व की भावना का विकास (Development of Brotherhood) खेलों द्वारा भ्रातृत्व की भावना का विकास होता है। इसका कारण यह है कि खिलाड़ी सदैव ग्रुपों में खेलता है तथा ग्रुप के नियम के अनुसार व्यवहार करता है। यदि उसकी कोई आदत ग्रुप आदत के अनुकूल नहीं होती तो उसे उसका त्याग करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त ग्रुप में खेलने वालों का एक-दूसरे पर प्रभाव पड़ता है। उनका एक-दूसरे से प्रेम-पूर्ण तथा भाइयों जैसा व्यवहार हो जाता है। इस प्रकार उनका जीवन भ्रातृत्व के आदर्शों के अनुसार ढल जाता है तथा समाज में वे सम्मान प्राप्त करते हैं।

8. आत्म-अभिव्यक्ति (Self-expression)-खेलें व्यक्तियों को आत्म-अभिव्यक्ति अर्थात् स्वयं को खुल कर प्रकट करने के अवसर प्रदान करती हैं। खेल के मैदान में खिलाड़ी खुल कर अपने गुणों तथा कौशल को दर्शकों के समक्ष प्रकट करता है। इस गुण का विकास केवल क्रीड़ा-क्षेत्र में ही सम्भव है, अन्यत्र नहीं।

9. नेतृत्व (Leadership) खेलों का अच्छा नेतृत्व करने वाले में नेतृत्व के गुणों का विकास हो जाता है। एक अच्छा नेता अपने देश के नाम को चार चांद लगा देता है। इसके विपरीत एक बुरा अथवा अयोग्य नेता देश की नाव को मंझदार में फंसा देता है। खेल के मैदान से ही हमें अनुशासनबद्ध, आत्म-संयमी, आत्म-त्यागी तथा मिलजुलकर देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले सैनिक व अफसर प्राप्त होते हैं। इसीलिए तो ड्यूक ऑफ़ विलिंगटन ने नेपोलियन को वाटरलू (Waterloo) की लड़ाई में परास्त करने के बाद कहा, “वाटरलू की लड़ाई ऐटन तथा हैरो के क्रीड़ा-क्षेत्र में जीती गई।” (“The Battle of Waterloo was won at the playing-fields of Eton and Harrow.”)

10. फालतू समय का प्रयोग (Proper Use of Leisure Time) दिन भर काम करने के पश्चात् भी काफ़ी समय बच जाता है। इसलिए आज की मुख्य समस्या है कि इस फालतू समय का किस प्रकार प्रयोग किया जाए ? यदि हम इस फालतू समय का सदुपयोग न करेंगे तो इस समय में शरारतें ही सूझेंगी क्योंकि एक बेकार आदमी का दिमाग़ शैतान का घर होता है। इस फालतू समय को ठीक ढंग से गुज़ारने के लिए खेलें हमारी सहायता करती हैं। खेलों में भाग लेकर न केवल फालतू समय का ही उचित प्रयोग होता है वरन् इसके साथ शारीरिक विकास भी होता है।

11. जातीय भेदभाव मिटता है और अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ता है (Free from Casteism and Development of International Understanding) खेलें जातीय भेदभाव को मिटाती हैं जो कि देश की प्रगति में बहुत बड़ी बाधा होता है। प्रत्येक टीम में विभिन्न जातियों के खिलाड़ी होते हैं। उनके एक साथ मिलने-जुलने तथा टीम के लिए एक जान होकर संघर्ष करने की भावना के कारण जात-पात की दीवारें गिर जाती हैं और उनका जीवन विशाल दृष्टिकोण वाला हो जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देशों के खिलाड़ियों से खेलते हैं तथा उनसे मिलते-जुलते हैं। इससे उनमें मैत्री की भावना बढ़ जाती है। अतः खेलें अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में भी सहायक होती हैं।

12. प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावना (Spririt of Competition and Cooperation)-प्रतियोगिता ही प्रगति का आधार है और सहयोग महान् उपलब्धियों का साधन है। प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावनाएं प्रत्येक मनुष्य में होती हैं। इनके विकास द्वारा ही समुदाय, समाज तथा देश प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है। इन भावनाओं का विकास खेलों द्वारा ही होता है। हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट आदि खेलों की टीमों में खूब मुकाबला होता है। मैच जीतने के लिए टीमें ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देती हैं, परन्तु मैच जीतने के लिए सभी खिलाड़ियों के सहयोग की भी आवश्यकता होती है क्योंकि किसी भी एक खिलाड़ी के प्रयत्नों से मैच नहीं जीता जा सकता। अत: प्रतियोगिता तथा सहयोग की भावनाओं का विकास करने के लिए खेलें बहुत उपयोगी हैं।

13. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline)-खेल का मैदान एक ऐसा स्थान है जहां खिलाड़ी अनुशासन में रहते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। हम कह सकते हैं कि खेलों द्वारा व्यक्ति या खिलाड़ी खेल के नियमों के अनुशासन में रह कर अनुशासन में रहने का आदी हो जाता है। इस प्रकार हमें अनुशासन खेलों द्वारा प्राप्त होता है।

14. सहनशीलता (Tolerance) खेलों द्वारा खिलाड़ियों के मन में सहनशीलता पैदा होती है, क्योंकि खेलों द्वारा हम एक-दूसरे के विचार सुनते हैं और अपने विचार उन्हें बताते हैं। हम में मेल-मिलाप बढ़ता है और सहनशीलता की भावना पैदा होती है।

15. अच्छी नागरिकता (Good Citizenship) खेलों द्वारा खिलाड़ियों में एक अच्छे नागरिक के गुण पैदा होते हैं क्योंकि खिलाड़ी आपस में मिल कर खेलते हैं। नियमों, कर्त्तव्यों, अनुशासन में रहना आदि गुणों के कारण खिलाड़ी अच्छे नागरिक बन जाते हैं।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि खेलें व्यक्ति में सहयोग, भ्रातृत्व, नेतृत्व, समन्वय आदि सद्गुणों का विकास करती हैं और उसे अच्छे नागरिक बनने में सहायता प्रदान करती हैं।

प्रश्न 2.
स्पोर्ट्समैनशिप से क्या अभिप्राय है ? एक स्पोर्ट्समैन में कौन-कौन से गुण होने चाहिएं ?
(What do you understand by Sportsmanship ? What should be the qualities of a good Sportsman ?)
उत्तर-
स्पोर्ट्समैनशिप का अर्थ (Meaning of Sportsmanship)—जहां भारतीय भाषाओं में अंग्रेजी के अनेक शब्द अच्छी तरह से अपना लिए गए हैं, वहीं स्पोर्ट्समैनशिप और स्पोर्ट्समैन भी खेलों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण शब्द हैं। स्पोर्ट्समैनशिप (Sportsmanship) एक अच्छे खिलाड़ी की वह भावना या वह विशेषता है, या ऐसे कहें कि वह स्पिरिट है जिसके आधार पर कोई भी खिलाड़ी खेल के मैदान में आरम्भ से लेकर अन्त तक बड़ी योग्यता से भाग लेता है। स्पोर्ट्समैनिशप अच्छे गुणों का वह समूह है, जिनका होना एक खिलाड़ी के लिए जरूरी समझा जाता है। जैसे कि एक खिलाड़ी के लिए जरूरी है कि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से भरपूर, अनुशासनबद्ध, अच्छा सहयोगी, चुस्त और अपनी टीम के कैप्टन की आज्ञा का पालन करने वाला हो। वास्तव में इस तरह के गुणों का समूह ही स्पोर्ट्समैनशिप कहलाता है।

स्पोट्र्समैनशिपया खिलाड़ी के गुण (Qualities of Sportsman) -एक स्पोर्ट्समैन या खिलाड़ी में निम्नलिखित गुणों का होना ज़रूरी है-

1. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline)-स्पोर्ट्समैन का सबसे बड़ा और मुख्य गुण है नियम से अनुशासन में बन्धकर कार्य करना। वास्तविक स्पोर्ट्समैन वही कहा जा सकता है जो खेल आदि के सारे नियमों का पालन बड़े अच्छे ढंग से करे और अनुशासनबद्ध हो ।

2. सहनशीलता (Tolerance)-सहनशीलता स्पोर्ट्समैनशिप के गुणों में एक बहत ही महत्त्वपूर्ण गुण है। खेल में कई प्रकार के अवसर आते हैं। अपनी विजय प्राप्त होने से बहुत प्रसन्नता होती है और पराजित हो जाने से उदासी के बादल घेर लेते हैं। परन्तु स्पोर्ट्समैन वही है, जो विजयी होने पर भी पराजित टीम या खिलाड़ी को प्रसन्नता से उत्साहित करे और स्वयं पराजित हो जाने पर भी विजयी को पूर्ण सम्मान के साथ बधाई दे।

3. सहयोग की भावना (Spirit of Co-operation)-स्पोर्ट्समैन में तीसरा गुण सहयोग की भावना का होना है। खेल के मैदान में यह सहयोग की भावना ही है जो टीम के विभिन्न खिलाड़ियों को इकट्ठे रखती है और वे एक होकर अपनी विजय के लिए संघर्ष करते हैं। दूसरे शब्दों में, स्पोर्ट्समैन अपने कोच, कैप्टन, खिलाड़ियों और विरोधी टीम के साथ सहयोग की भावना रखता है। ___4. विजय-पराजय को समान समझने की भावना (No Difference between Defeat or Victory) खेल में हर एक अच्छा खिलाड़ी विजय प्राप्त करने की अनथक चेष्टा करता है और उसके लिए प्रत्येक सम्भव ढंग प्रयुक्त करता है। परन्तु उसे स्पोर्ट्समैन तभी कहा जा सकता है जब वह केवल विजय के उद्देश्य के साथ न खेले बल्कि उसका उद्देश्य अच्छे खेल का प्रदर्शन करना हो। यदि इसी मध्य सफलता उसके पग चूमती है तो उसे पागल होकर विरोधी टीम या खिलाड़ी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए और यदि उसे पराजय का सामना करना पड़ता है तो उसे उत्साहहीन नहीं होना चाहिए। वह खेल में विजयी होने पर भी पराजित खिलाड़ियों को हीन समझने की बजाये अपने समान समझता है।

खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप PSEB 9th Class Physical Education Notes 1
चित्र-स्पोर्ट्समैन विजयी होते हुए पराजित खिलाड़ियों को समान समझते हुए

5. आज्ञा देने और मानने की योग्यता (Ability of Obedience and Order)स्पोर्ट्समैन के लिए इस ज़रूरी है कि आज्ञा देने और आज्ञा मानने की योग्यता रखता हो। कई बार यह देखा गया है कि खिलाड़ी कुछ कारणों से आपे से बाहर होकर स्वयं को ठीक समझ कर खेल में अपने कैप्टन की आज्ञा का पालन नहीं करते और मनमानी करने लगते हैं। वे सच्चे अर्थों में स्पोर्ट्समैन नहीं होते हैं।

6. त्याग की भावना (Spirit of Sacrifice)-स्पोर्ट्समैन में त्याग की भावना बहुत ज़रूरी है। एक टीम में खिलाड़ी केवल अपने लिए नहीं खेलता बल्कि उसका मुख्य उद्देश्य समस्त टीम को विजय दिलाने का होता है। इससे प्रकट होता है कि खिलाड़ी निजी हित को त्याग देता है। बस यही स्पोर्ट्समैन का एक साथ महत्त्वपूर्ण गुण है। एक दूसरे पक्ष से भी एक स्पोर्ट्समैन अपने लिए तो खेलता ही है, साथ-साथ अपने स्कूल, प्रान्त, क्षेत्र और समस्त राष्ट्र के लिए भी वह अपनी विजय का श्रेय अपने राष्ट्र और अपने देश को देता है।

7. भ्रातृत्व की भावना (Spirit of Brotherhood) स्पोर्ट्समैन का यह गुण भी कोई कम महत्त्व नहीं रखता। एक स्पोर्ट्समैन खेल में जाति-पाति, धर्म, रंग, सभ्यता और संस्कृति आदि को एक ओर रखकर प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक जैसा ही व्यवहार करता

8. प्रतियोगिता की भावना (Spirit of Competition) एक अच्छे स्पोर्ट्समैन में प्रतियोगिता की भावना का होना भी आवश्यक है । इसी भावना से प्रेरित होकर वह खेल के मैदान में अन्य खिलाड़ियों से बाज़ी ले जाने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा देता है। वास्तव में सारी प्रगति का रहस्य प्रतियोगिता की भावना में ही छुपा हुआ है, परन्तु यह हर प्रकार के द्वेष से मुक्त होनी चाहिए।

9. समय पर कार्य करने की भावना (Spirit of Punctuality) स्पोर्ट्समैन किसी भी खेल में समय का पूर्ण सम्मान करते हुए प्रत्येक अवसर का पूर्ण लाभ उठाता है।
खेल में एक-एक सैकिण्ड महत्त्वपूर्ण होता है। ज़रा-सी असावधानी विजय को पराजय में और सावधानी पराजय को विजय में परिवर्तित कर देती है।

10. चुस्त और फुर्तीले रहने की भावना (Spirit of Active and Alertness)स्पोर्ट्समैन प्रत्येक खेल में हर समय चुस्ती और फुर्तीलेपन से ही कार्य करता है। वह किसी भी अवसर को अपने हाथ से जाने नहीं देता।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप

11. आत्म-विश्वास की भावना (Spirit of Self-Confidence)-वास्तव में आत्म-विश्वास स्पोर्ट्समैन का महत्त्वपूर्ण गुण है। बिना आत्म-विश्वास के खेलना सम्भव नहीं है। खेल में प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी योग्यता पर विश्वास होता है और वह प्रत्येक कार्य बहुत धैर्य और विश्वास से करता है। 1974 में तेहरान में हुई सातवीं एशियाई खेलों में जापान का सबसे अधिक स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त करने का एकमात्र कारण जापानी खिलाड़ियों का आत्म-विश्वास था। 1978 में बैंकाक में एशियाई खेलों में जापानियों ने पहला स्थान ही प्राप्त किया। इसी प्रकार ही जापान ने 1982 की नौवीं एशियाई खेलों में, जो दिल्ली में हुई थीं, प्रथम स्थान प्राप्त

किया और अपने आत्म-विश्वास को स्थिर रखा है। स्पोर्ट्समैन सदैव प्रसन्न, सन्तुष्ट, शान्त और स्वस्थ दिखाई देता है जिससे उसका आत्म-विश्वास प्रकट होता है।

12. उत्तरदायित्व की भावना (Spirit of Responsibility)-स्पोर्ट्समैन के लिए यह ज़रूरी है कि उसमें उत्तरदायित्व की भावना हो। खिलाड़ी को कभी गैर-उत्तरदायित्व से या लापरवाही से काम नहीं करना चाहिए। उसकी ज़रा-सी एक गलती से टीम हार सकती है। इसलिए खिलाड़ी को उत्तरदायित्व को सम्मुख रखकर खेलना चाहिए।

13. नये नियमों की जानकारी (Knowledge of New Rules)-स्पोर्ट्समैन को नये-नये नियमों की जानकारी होनी चाहिए। हर वर्ष खेलों के लिए नए कानून और नियम बनाए जाते हैं। स्पोर्ट्समैन को इनकी जानकारी होनी आवश्यक है।
संक्षेप में, हम यह कह सकते हैं कि स्पोर्ट्समैन एक इकाई नहीं, अपितु कई अच्छे तत्त्वों से मिलकर बना एक गुलदस्ता है तथा एक स्पोर्ट्समैन में अनुशासन, सहनशीलता, आत्म-विश्वास, त्याग, सहयोग आदि के गुणों का होना अत्यावश्यक है।

खेलों के गुण तथा स्पोर्ट्समैनशिप PSEB 9th Class Physical Education Notes

  • खेलों के गुण-शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक विकास, सहयोग की भावना और सहनशीलता खेलों द्वारा हमें मिलती है।
  • स्पोर्ट्समैनशिप–यह उन सभी अच्छे गुणों का सुमेल है जिसका खिलाड़ी में होना आवश्यक माना जाता है।
  • खिलाड़ी में अनुशासन की भावना, स्वस्थ और मानसिक रूप में प्रफुल्लित, अच्छा सहयोगी और चुस्ती आदि गुण उसमें विराजमान होने चाहिए।
  • स्पोर्ट्समैन एक दूत-स्पोर्ट्समैन अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है और विदेश में ऐसा कोई काम नहीं करता जिससे अपने देश का नुकसान हो।
  • स्पोर्ट्समैन का व्यवहार–प्रत्येक टीम को एक जैसा समझता है और अपनी पराजय को शान से स्वीकार करता है।
  • खेलों से लाभ-शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से छुटकारा मिलता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

PSEB 9th Class Home Science Guide भोजन के कार्य और पोषण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भोजन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
शरीर को नीरोग तथा स्वस्थ रखने वाला कोई भी ठोस, तरल अथवा अर्द्ध-ठोस पदार्थ जिसको शरीर द्वारा निगला, पचाया तथा शोषित किया जाता है, को भोजन कहते हैं।

प्रश्न 2.
पौष्टिक तत्त्वों से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
शरीर की वृद्धि के लिए, ऊर्जा प्रदान करने के लिए तथा शरीर में चलती रासायनिक क्रियाओं को नियन्त्रण में रखने के लिए तथा शरीर के हर सैल की बनावट, रचना के लिए जिन तत्त्वों की ज़रूरत होती है, को पौष्टिक तत्त्व कहते हैं।

प्रश्न 3.
भोजन में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं ?
उत्तर-
भोजन में पानी, प्रोटीन, चर्बी, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा खनिज आदि पौष्टिक तत्त्व होते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 4.
हड्डियों में कौन-से खनिज पदार्थ अधिक होते हैं ?
उत्तर-
हड्डियों में कैल्शियम तथा फॉस्फोरस खनिज पदार्थ होते हैं। दूध, राजमांह, मेथी, मछली आदि में इनकी काफ़ी मात्रा होती है।

प्रश्न 5.
विटामिन को रक्षक तत्त्व क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
एन्जाइम शारीरिक तापमान पर ही जोड़-तोड़ क्रियाएं करवाते हैं। इन एन्जाइमों के संश्लेषण तथा क्रियाशीलता के लिए विटामिन तथा खनिज पदार्थ आवश्यक होते हैं। यह बीमारियों से भी शरीर को बचाते हैं। इसलिए विटामिन को रक्षक तत्त्व कहा जाता है।

प्रश्न 6.
शरीर में कितने प्रतिशत खनिज पदार्थ होते हैं ?
उत्तर-
शरीर में 4% खनिज पदार्थ होते हैं। यह हैं-कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटाशियम, सोडियम, क्लोरीन, आयोडीन, सल्फर, तांबा, जिंक, कोबाल्ट, मैंग्नीज़, लोहा तथा मोलिब्डेनम आदि।

प्रश्न 7.
भोजन की ऊर्जा कैसे मापी जाती है ?
उत्तर-
शरीर को कई काम करने पड़ते हैं जैसे-खाने का पाचन, दिल का धड़कना, सांस लेना, दिमाग का हर समय काम करना, भागना-दौड़ना आदि। इन सभी कामों के लिए शरीर को ऊर्जा की ज़रूरत होती है। यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है।
ऊर्जा को किलो कैलोरी में मापा जाता है परन्तु पोषण विज्ञान में इसे कैलोरी ही कहा जाता है।

प्रश्न 8.
1 ग्राम प्रोटीन तथा 1 ग्राम वसा में कितनी कैलोरी होती है ?
उत्तर-
एक किलोग्राम पानी के तापमान में एक डिग्री सैल्सियस की वृद्धि करने के लिए जितने ताप की ज़रूरत होती है, उसे कैलोरी कहा जाता है।
एक ग्राम चर्बी में 9 कैलोरी तथा एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी ऊर्जा होती है।

प्रश्न 9.
भोजन का शरीर में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य कौन-सा है ?
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि। __ शरीर को ऊर्जा प्रदान करना भोजन का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। वास्तव में अन्य सभी कार्य ऊर्जा के कारण ही होते हैं।

प्रश्न 10.
भोजन का मनोवैज्ञानिक कार्य कौन-सा है ?
उत्तर-
अच्छे भोजन से मानसिक सन्तुष्टि मिलती है। जब मन खुश हो तो भोजन अच्छा लगता है तथा खाने को भी मन करता है तथा जब कोई चिन्ता हो तो वही भोजन बुरा लगता है। कई बार बच्चे को अच्छा काम करने जैसे अच्छे नम्बर आदि प्राप्त किये हों तो इनाम के रूप में आइसक्रीम अथवा पेस्ट्री आदि दी जाती है। इससे बच्चे को मानसिक सन्तुष्टि तथा खुशी प्राप्त होती है तथा इसी तरह दण्ड के रूप में इन चीजों की मनाही की जाती है। इस तरह भोजन मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने का कार्य भी करता है।

प्रश्न 11.
भोजन का सामाजिक महत्त्व क्या है ?
उत्तर-
भोजन का सामाजिक महत्त्व-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के मौकों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नव-विवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुलाकर इकट्ठे बैठते हैं। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाइचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है।

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प्रश्न 12.
शारीरिक रूप में स्वस्थ व्यक्ति की क्या पहचान है ?
उत्तर-
शारीरिक रूप में स्वस्थ व्यक्ति वह होता है जिसका –

  1. सुडौल शरीर होता है।
  2. भार आयु तथा कद के अनुसार होता है।
  3. वृद्धि पूर्ण होती है।
  4. चमड़ी साफ़ तथा आंखें चमकदार होती हैं।
  5. सांस में से बदबू नहीं आती।
  6. बाल चमकदार तथा बढ़िया बनावट वाले होते हैं।
  7. शरीर के सभी अंग ठीक काम करते हैं।
  8. भूख तथा नींद भी ठीक होती है।

प्रश्न 13.
रेशे (फोक) का हमारे शरीर में क्या कार्य है ?
उत्तर-
रेशे के कार्य –
रेशे शरीर से मल को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

प्रश्न 14.
भोजन के कार्य के अनुसार भोजन का वर्गीकरण कैसे करोगे ?
उत्तर-
कार्य के अनुसार भोजन का वर्गीकरण-शरीर में कार्य के अनुसार भोजन को तीन मुख्य समूहों में बांटा गया है –

  1. ऊर्जा देने वाला भोजन-इसमें कार्बोहाइड्रेट्स तथा चर्बी पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  2. शरीर की बनावट के लिए भोजन-इसमें प्रोटीन होते हैं।
  3. रक्षक भोजन-इसमें खनिज पदार्थ तथा विटामिन होते हैं।

प्रश्न 15.
ऐसे दो भोजन पदार्थों के नाम बताओ जिनमें प्रोटीन अधिक होती है ?
उत्तर-
सोयाबीन, मांह साबुत, बकरे का मांस, पनीर, बादाम, मूंग, मसर, खोया, मछली आदि में अधिक मात्रा में प्रोटीन होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16.
भोजन, पौष्टिक तत्त्व और पोषण विज्ञान के बारे बताओ।
उत्तर-
भोजन-भोजन मनुष्य की प्राथमिक ज़रूरतों में सबसे महत्त्वपूर्ण ज़रूरत है। वह पदार्थ जिन्हें खाने से शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति मिलती है, उन्हें भोजन कहा जाता है। यह पदार्थ ठोस, अर्द्ध-ठोस तथा तरल रूप में भी हो सकते हैं। भोजन जीवित प्राणियों के शरीर के लिए ईंधन (Fuel) का कार्य करता है। भोजन ऊर्जा तथा शक्ति प्रदान करने के साथ-साथ शरीर की वृद्धि में भी सहायक होता है। इससे ही खून का निर्माण होता है। इसलिए मनुष्य का भोजन ऐसा होना चाहिए जिसमें शरीर की तंदरुस्ती के लिए सभी अनिवार्य तत्त्व मौजूद हों।

पौष्टिक तत्त्व-पौष्टिक तत्त्व भोजन का एक अंग हैं। यह विभिन्न रासायनिक तत्त्वों का मिश्रण होते हैं। इनकी शरीर को काफ़ी मात्रा में ज़रूरत होती है। यह रासायनिक तत्त्व हमारे शरीर में पाचन क्रिया में पाचन रसों द्वारा साधारण रूप में तबदील हो जाते हैं। यह तत्त्व पचने के पश्चात् आवश्यकतानुसार सभी अंगों में पहुंचकर उन्हें पोषण देते हैं।
निम्नलिखित विभिन्न पौष्टिक तत्त्व हैं –

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fats)
  4. विटामिन (Vitamins)
  5. खनिज लवण (Minerals)
  6. पानी (Water)
  7. रुक्षांश (Roughage)।

पोषण विज्ञान-पोषण विज्ञान से हमें पता चलता है कि पौष्टिक तत्त्व कौन-से भोजन पदार्थों से मिल सकते हैं तथा सामान्य मिलने वाले तथा सस्ते भोजन पदार्थों से इन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है ताकि पौष्टिक तत्त्वों की कमी से होने वाली बीमारियों से बच जा सके।

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प्रश्न 17.
पोषण सम्बन्धी विज्ञान से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर-
पोषण विज्ञान हमें बताता है कि ठीक स्वास्थ्य के लिए कौन-से पौष्टिक तत्त्वों की शरीर को कितनी मात्रा में ज़रूरत है तथा कहां से प्राप्त होते हैं।

  1. कौन-से खाद्य पदार्थों से पौष्टिक तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं।
  2. इनकी कमी से शरीर पर क्या बुरा प्रभाव होगा।
  3. इन तत्त्वों की लगभग तथा कितने अनुपात में शरीर को ज़रूरत है।
  4. इस ज्ञान के आधार पर भोजन सम्बन्धी अच्छी आदतें कैसे बनानी हैं।

प्रश्न 18.
शरीर की वृद्धि और विकास के लिए भोजन के किन पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के संयोजन में पुराने तथा घिसे हुए तन्तु टूटते रहते हैं। टूटी-फूटी कोशिकाओं की मरम्मत भोजन करता है। भोजन शरीर में नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु भी बनाता है। इस कार्य के लिए प्रोटीन, खनिज तथा पानी आवश्यक तत्त्व हैं। यह तत्त्व हमें दूध तथा दूध से बनी चीजें, मूंगफली, दालें, हरी सब्जियां, मांस, मछली आदि से प्राप्त होते हैं। मानवीय शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं का ही बना हुआ है। जैसे जैसे आयु बढ़ती है शरीर में नए तन्तु लगातार बनते रहते हैं जो शरीर की वृद्धि तथा विकास करते हैं। नए तन्तुओं के निर्माण के लिए भोजन पदार्थों की विशेष ज़रूरत होती है। इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ आवश्यक होते हैं।

प्रश्न 19.
ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
शरीर को शक्ति तथा ऊर्जा प्रदान करना-जैसे मशीन को कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत है जो बिजली, कोयले अथवा पेट्रोल से प्राप्त की जाती है वैसे ही मानवीय शरीर को जीवित रहने तथा कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत पड़ती है जो भोजन से प्राप्त की जाती है। शरीर की विभिन्न प्रतिक्रियाओं के लिए शक्ति आवश्यक है जो भोजन ही प्रदान करता है। भोजन हमारे शरीर में ईंधन की तरह जल कर ऊर्जा पैदा करता है। पर यह शरीर की गर्मी को स्थिर रखता है ताकि शरीर का तापमान अधिक बड़े तथा घटे नहीं।

शरीर के लिए आवश्यक शक्ति का अधिकतर भाग कार्बोज़ तथा चर्बी वाले भोजन पदार्थों से प्राप्त होता है। कार्बोहाइड्रेट हमें स्टार्च, शर्करा तथा सैलूलोज़ से प्राप्त होते हैं। वनस्पति, मक्खन, घी, तेल, मेवे तथा चर्बी युक्त खाने वाले पदार्थ ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। प्रोटीन से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। पर यह बहुत महंगा स्रोत होता है। ऊर्जा को कैलोरी में मापा जाता है। विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों से प्राप्त कैलोरी की मात्रा इस तरह है –

(i) 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट – 4 कैलोरी
(ii) 1 ग्राम चर्बी – 9 कैलोरी
(iii) 1 ग्राम प्रोटीन – 4 कैलोरी

विभिन्न कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए ऊर्जा की ज़रूरत अलग-अलग होती है। जैसे कि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की ऊर्जा की ज़रूरत एक शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति की ऊर्जा से कम होती है। इसी तरह विभिन्न शारीरिक दशाओं में भी ऊर्जा की ज़रूरत बदल जाती है। जैसे कि बच्चा पैदा करने वाली औरत अथवा दूध पिलाने वाली मां को अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 20.
भोजन के शारीरिक कार्य कौन-से हैं ? किसी दो के बारे लिखें।
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि।

(i) शरीर को नीरोग रखना-भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है तथा यह शक्ति मनुष्य को रोगों से संघर्ष करने के योग्य बनाती है। भोजन में कई पदार्थ कच्चे ही खाए जाते हैं। इनमें ऐसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं। इन्हें सुरक्षात्मक भोजन तत्त्व कहा जाता है। यह तत्त्व विशेषकर खनिज, लवण तथा विटामिनों से प्राप्त होते हैं। यदि भोजन में इनमें से एक अथवा एक से अधिक तत्त्वों की कमी हो जाये तो स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा शरीर बीमारी का शिकार हो जाता है। यह तत्त्व फल, सब्जियां, दूध, मांस, कलेजी तथा मछली से प्राप्त होता है।

(ii) शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करना-बढ़िया भोजन अच्छी सेहत के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर की आन्तरिक क्रियाएं जैसे रक्त प्रवाह, श्वास क्रिया, पाचन शक्ति, शरीर के तापमान को स्थिर रखना आदि को नियमित रखने के लिए भोजन की ज़रूरत होती है। यदि यह आन्तरिक क्रियाएं नियमित न रहें तो हमारा शरीर अनेकों रोगों से पीड़ित हो सकता है। कार्बोज़ के अतिरिक्त अनेकों पौष्टिक तत्त्व मिलकर शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करते हैं।
चर्बी युक्त पदार्थों में आवश्यक चर्बी अम्ल (Fatty acid), प्रोटीन, विटामिन, खनिज तथा पानी आदि यह कार्य करते हैं।

प्रश्न 21.
भोजन शारीरिक कार्य के अतिरिक्त हमारे शरीर में अन्य कौन-कौन से कार्य करता है ?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक कार्य-शारीरिक कार्यों के अतिरिक्त भोजन मनोवैज्ञानिक कार्य भी करता है। इसके द्वारा कई भावनात्मक ज़रूरतों की पूर्ति होती है। भोजन के पौष्टिक होने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वह पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करे। इसके अतिरिक्त घर में जब गृहिणी परिवार अथवा मेहमानों को बढ़िया भोजन परोसती है तो परिणामस्वरूप वह उसकी प्रशंसा करते हैं तथा गृहिणी को प्रशंसा से आनन्द प्राप्त होता है जो उसके मानसिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है।

सामाजिक तथा धार्मिक कार्य-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के अवसरों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नवविवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाईचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुला कर इकट्ठे बैठते हैं।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 22.
हमारे शरीर के लिए कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व आवश्यक हैं ? जल और रेशे हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं ? ।
उत्तर-
निम्नलिखित विभिन्न पौष्टिक तत्त्व आवश्यक हैं –

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fats)
  4. विटामिन (Vitamins)
  5. खनिज लवण (Minerals)
  6. पानी (Water)
  7. रुक्षांश (Roughage)|

पानी-पानी में कोई कैलोरी नहीं होती पर शरीर की लगभग सभी प्रक्रियाओं में पानी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पानी के बिना हम थोड़े दिन भी जीवित नहीं रह सकते। यह शरीर के सभी तरल पदार्थों में होता है। रक्त में 90% पानी होता है। पाचक रसों में भी काफ़ी मात्रा पानी की ही होती है। इस तरह पानी विभिन्न पदार्थों को शरीर में एक से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक है जैसे कि हार्मोन्ज़ भोजन के पाचन के पश्चात् पदार्थ तथा बाहर निकलने वाले पदार्थों को एक से दूसरे स्थान पर ले जाना आदि। पानी शरीर की बनावट तथा शरीर का तापमान नियमित रखने में भी आवश्यक है।

पानी को हम पानी के रूप अथवा पेय पदार्थ अथवा अन्य भोजन पदार्थों द्वारा प्राप्त करते हैं।

रुक्षांश-रुक्षांश भोजन का ऐसा हिस्सा है जो हमारी पाचन प्रणाली में पचाया नहीं जा सकता। यह पौधों से मिलने वाले भोजन पदार्थ जैसे फल, सब्जियां तथा अनाजों में होता है। यह शरीर में से मल को बाहर निकालने में सहायता करता है।

प्रश्न 23.
भोजन हमारे शरीर में क्या-क्या कार्य करता है ?
उत्तर-
भोजन के कार्य हैं-शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, शरीर की वृद्धि तथा टूटेफूटे तन्तुओं की मरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, तापमान सन्तुलित रखना आदि।

1. शरीर को नीरोग रखना-भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है तथा यह शक्ति मनुष्य को रोगों से संघर्ष करने के योग्य बनाती है। भोजन में कई पदार्थ कच्चे ही खाए जाते हैं। इनमें ऐसे पौष्टिक तत्त्व होते हैं जो शरीर की रक्षा करते हैं। इन्हें सुरक्षात्मक भोजन तत्त्व कहा जाता है। यह तत्त्व विशेषकर खनिज, लवण तथा विटामिनों से प्राप्त होते हैं। यदि भोजन में इनमें से एक अथवा एक से अधिक तत्त्वों की कमी हो जाये तो स्वास्थ्य खराब हो जाता है तथा शरीर बीमारी का शिकार हो जाता है। यह तत्त्व फल, सब्जियां, दूध, मांस, कलेजी तथा मछली से प्राप्त होता है।

2. शारीरिक क्रियाओं को नियमित करना-बढ़िया भोजन अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। शरीर की आन्तरिक क्रियाएं जैसे रक्त प्रवाह, श्वास क्रिया, पाचन शक्ति, शरीर के तापमान को स्थिर रखना आदि को नियमित रखने के लिए भोजन की ज़रूरत होती है। यदि यह आन्तरिक क्रियाएं नियमित न रहें तो हमारा शरीर अनेकों रोगों से पीड़ित हो सकता है। कार्बोज़ के अतिरिक्त अनेकों पौष्टिक तत्त्व मिलकर शारीरिक प्रक्रियाओं को नियमित करते हैं।
चर्बी युक्त पदार्थों में आवश्यक चर्बी अम्ल (Fatty acid), प्रोटीन, विटामिन, खनिज तथा पानी आदि यह कार्य करते हैं।

3. शारीरिक कोशिकाओं का निर्माण करना तथा तन्तुओं की मरम्मत-करना विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं के संयोजन में पुराने तथा घिसे हुए तन्तु टूटते रहते हैं। टूटीफूटी कोशिकाओं की मरम्मत भोजन करता है। भोजन शरीर में नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु भी बनाता है। इस कार्य के लिए प्रोटीन, खनिज तथा पानी आवश्यक तत्त्व हैं। यह तत्त्व हमें दूध से बनी चीज़ों, मूंगफली, दालें, हरी सब्जियों, मांस, मछली आदि से प्राप्त होते हैं। मानवीय शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं का ही बना हुआ है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है शरीर में नए तन्तु लगातार बनते रहते हैं जो शरीर की वृद्धि तथा विकास करते हैं। नए तन्तुओं के निर्माण के लिए भोजन पदार्थों की विशेष ज़रूरत होती है। इसलिए प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ आवश्यक होते हैं।

4. शरीर को शक्ति तथा ऊर्जा प्रदान करना-जैसे मशीन को कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत है जो बिजली, कोयले अथवा पेटोल से प्राप्त की जाती है वैसे ही मानवीय शरीर को जीवित रहने तथा कार्य करने के लिए शक्ति की ज़रूरत पड़ती है जो भोजन से प्राप्त की जाती है। शरीर की विभिन्न प्रतिक्रियाओं के लिए शक्ति आवश्यक है जो भोजन ही प्रदान करता है। भोजन हमारे शरीर में ईंधन की तरह जल कर ऊर्जा पैदा करता है। पर यह शरीर की गर्मी को स्थिर रखता है ताकि शरीर का तापमान अधिक बढ़े तथा घटे नहीं।

शरीर के लिए आवश्यक शक्ति का अधिकतर भाग कार्बोज़ तथा चर्बी वाले भोजन पदार्थों से प्राप्त होता है। कार्बोहाइड्रेट हमें स्टार्च, शर्करा, तथा सैलूलोज़ से प्राप्त होते हैं। वनस्पति, मक्खन, घी, तेल, मेवे तथा चर्बी युक्त खाने वाले पदार्थ ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। प्रोटीन से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। पर यह बहुत महंगा स्रोत होता है। ऊर्जा के ताप को कैलोरी में मापा जाता है। विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों से प्राप्त कैलोरी की मात्रा इस तरह है –

(i) 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट – 4 कैलोरी
(ii) 1 ग्राम चर्बी – 9 कैलोरी
(iii) 1 ग्राम प्रोटीन – 4 कैलोरी।

विभिन्न कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए ऊर्जा की ज़रूरत अलग-अलग होती है। जैसे कि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की ऊर्जा की ज़रूरत एक शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति की ऊर्जा से कम होती है। इसी तरह विभिन्न शारीरिक दशाओं में भी ऊर्जा की ज़रूरत बदल जाती है। जैसे कि बच्चा पैदा करने वाली औरत अथवा दूध पिलाने वाली मां को अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है।

5. शरीर का तापमान संतुलित करना-प्रत्येक मौसम में हमारे शरीर का तापमान नियमित रहता है। गर्मियों में हमें पसीना आता है। पसीना सूखने पर वाष्पीकरण से ठण्ड पैदा होती है जिससे शरीर का तापमान नियमित रहता है। विभिन्न स्थितियों में भिन्न-भिन्न ढंगों से क्रिया करने का संकेत दिमाग से आता है जिसके लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती है तथा यह ऊर्जा हमें भोजन से ही प्राप्त होती है। पानी शरीर का तापमान नियमित रखने के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

6. मनोवैज्ञानिक कार्य-शारीरिक कार्यों के अतिरिक्त भोजन मनोवैज्ञानिक कार्य भी करता है। इसके द्वारा कई भावनात्मक ज़रूरतों की पूर्ति होती है। भोजन के पौष्टिक होने के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वह पूर्ण सन्तुष्टि प्रदान करे। इसके अतिरिक्त घर में जब गृहिणी परिवार अथवा मेहमानों को बढ़िया भोजन परोसती है तो परिणामस्वरूप वह उसकी प्रशंसा करते हैं तथा गृहिणी को प्रशंसा से आनन्द प्राप्त होता है जो उसके आन्तरिक विकास के लिए बहुत आवश्यक है।

7. सामाजिक तथा धार्मिक कार्य-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए वह अपने सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश करता है। इन सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए भोजन भी एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसको अनेकों खुशी के अवसरों पर परोसा जाता है तथा इसके अतिरिक्त किसी को घर पर बुलाना जैसे किसी नए पड़ोसी अथवा नव-विवाहित जोड़े को खाने पर बुलाकर उनसे मेल-जोल बढ़ाया जाता है। धार्मिक उत्सवों पर लंगर अथवा प्रसाद देने की प्रथा (रीति) भी भाईचारे की भावना पैदा करती है। इसी तरह किसी व्यक्ति को स्वागत का अनुभव करवाने के लिए अथवा रुखस्त करते समय भी उसे बढ़िया भोजन द्वारा सम्मानित किया जाता है। संयुक्त भोजन एक ऐसा वातावरण बना देता है जिसमें सभी आपसी भेदभाव भुलाकर इकट्ठे बैठते हैं।

प्रश्न 24.
भोजन के शारीरिक कार्य क्या हैं ? और इनके लिए किन-किन पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता है ?
उत्तर-
भोजन के शारीरिक कार्य-

भोजन समूह पौष्टिक तत्त्व कार्य
1. ऊर्जा देने वाले भोजन

(i) अनाज तथा जड़ वाली सब्जियां।

(ii) शक्कर तथा गुड़, तेल, घी तथा मक्खन।

कार्बोहाइड्रेट तथा चर्बी ऊर्जा प्रदान करना
2. शरीर की बनावट तथा वृद्धि के लिए भोजन

(i) दूध तथा दूध से बने पदार्थ

(ii) मांस, मछली तथा अण्डे

(iii) दालें तथा

(iv) सूखे मेवे।

प्रोटीन शरीर की वृद्धि तथा टूटे फूटे तन्तुओं की मरम्मत करने के लिए
3. रक्षक भोजन

(i) पीले तथा संतरी रंग के फल

(ii) हरी सब्जियां

(iii) अन्य फल तथा सब्ज़ियां।

विटामिन तथा खनिज पदार्थ बीमारियों से शरीर की रक्षा करना तथा शारीरिक क्रियाओं को कण्ट्रोल करना।

Home Science Guide for Class 9 PSEB भोजन के कार्य और पोषण Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. शरीर में ………………… प्रतिशत खनिज पदार्थ होते हैं।
  2. पानी शरीर के ……………. को नियमित करता है।
  3. ऊर्जा को ……………….. में मापा जाता है।
  4. रक्त में …………………. पानी होता है।
  5. राइबोफ्लेबिन ……………… में घुलनशील है।

उत्तर-

  1. 4%
  2. तापमान
  3. किलो कैलोरी
  4. 90%
  5. पानी।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
एक 65 किलोग्राम भार वाले पुरुष के शरीर में कितना प्रोटीन होता है ?
उत्तर-
11 किलोग्राम।

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में कितने प्रतिशत जल है ?
उत्तर-
70%

प्रश्न 3.
कार्बोज़ तथा वसा का क्या कार्य है ?
उत्तर-
ऊर्जा प्रदान करना।

प्रश्न 4.
वसा में घुलनशील एक विटामिन बताएं।
उत्तर-
विटामिन ए।

प्रश्न 5.
विटामिन तथा खनिज पदार्थों को कैसे तत्त्व कहा जाता है ?
उत्तर-
रक्षक तत्त्व।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. हमारे शरीर में 70% पानी होता है।
  2. विटामिन बी (B) पानी में अघुलनशील है।
  3. दूध में प्रोटीन, विटामिन तथा कैल्शियम होता है।
  4. पानी से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।
  5. प्रोटीन शरीर की मुरम्मत करने के काम आता है।
  6. खनिज पदार्थ तथा विटामिन रक्षक भोजन है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ग़लत
  3. ठीक
  4. ग़लत,
  5. ठीक
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ व्यक्ति के लिए ठीक तथ्य नहीं हैं –
(A) शरीर सुडौल होता है
(B) भूख तथा नींद कम होती है
(C) भार, आयु तथा लम्बाई अनुसार होता है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(B) भूख तथा नींद कम होती है

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं –
(A) शरीर में 4% खनिज पदार्थ होते हैं
(B) एक ग्राम चर्बी में 9 कैलोरी ऊर्जा होती है
(C) सोयाबीन में अधिक प्रोटीन होता है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
शरीर में ………………….. तथा रक्त में ………………….. पानी होता है –
(A) 70%, 90%
(B) 90%, 70%
(C) 100%, 100%
(D) 70%, 20%.
उत्तर-
(D) 70%, 20%

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एस्कीमो आदि की मुख्य खुराक क्या है ?
उत्तर-
इनकी मुख्य खुराक मांस, मछली तथा अण्डा है।

प्रश्न 2.
यदि ठीक भोजन न खाया जाये तो इसका हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होगा ?
उत्तर-
भोजन तथा स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध है। यदि ठीक भोजन न खाया जाये तो हमारे शरीर की रोगाणुओं से लड़ने की शक्ति में कमी आ जाती है जिस कारण हमें कोई भी बीमारी आसानी से हो सकती है। शरीर की कार्य करने की क्षमता भी कम हो जाती है।

प्रश्न 3.
दूध के पौष्टिक गुणों के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
दूध में प्रोटीन, विटामिन तथा कैल्शियम होता है जिस कारण इसमें पौष्टिक गुण होते हैं।

प्रश्न 4.
भोजन किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
जिस खाद्य पदार्थ को खाने से शरीर को ऊर्जा तथा शक्ति मिलती है, उसे भोज कहा जाता है।

प्रश्न 5.
पौष्टिक तत्त्व क्या हैं ?
उत्तर-
भोजन के रासायनिक तत्त्वों के मिश्रण को पौष्टिक तत्त्व कहा जाता है।

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प्रश्न 6.
कौन-से भोजन पदार्थों से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है ?
उत्तर-
घी, तेल, मेवे, दालों तथा चर्बी युक्त पदार्थों से शरीर को ऊर्जा मिलती है।

प्रश्न 7.
शरीर के निर्माण के लिए कौन-से भोजन पदार्थ आवश्यक हैं ?
उत्तर-
दूध तथा दूध से बने पदार्थ, साबुत दालें, मांस, अण्डे आदि।

प्रश्न 8.
कौन-से भोजन पदार्थ शरीर को सुरक्षित रखते हैं ?
उत्तर-
फल, सब्जियां तथा पानी शरीर को सुरक्षित रखते हैं।

प्रश्न 9.
शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों के नाम लिखो।
उत्तर-
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, चर्बी, विटामिन, खनिज पदार्थ, रुक्षांश तथा पानी आवश्य पौष्टिक तत्त्व हैं।

प्रश्न 10.
पोषण क्या होता है ?
उत्तर-
यह एक ऐसी परिस्थिति है जो शरीर को विकसित करती है तथा बनाये रखती है।

प्रश्न 11.
भोजन शरीर के लिए क्या कार्य करता है ?
उत्तर-

  1. शारीरिक क्रियाओं को चालू तथा नीरोग रखता है।
  2. मनोवैज्ञानिक कार्य।
  3. सामाजिक कार्य।

प्रश्न 12.
शरीर में ऊर्जा कैसे पैदा होती है ?
उत्तर-
शरीर में ऊर्जा कार्बन यौगिकों के ऑक्सीकरण से पैदा होती है।

प्रश्न 13.
कौन-से पौष्टिक तत्त्वों से ऊर्जा पैदा होती है ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी तथा प्रोटीन से ऊर्जा पैदा होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

प्रश्न 14.
शरीर में कौन-से तत्त्व कम मात्रा में आवश्यक हैं ?
उत्तर-
कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, विटामिन आदि शरीर को कम मात्रा में आवश्यक हैं।

प्रश्न 15.
एक 65 किलो के पुरुष के शरीर में पानी, प्रोटीन, कैल्शियम, तांबा तथ थाइयोमिन की कितनी मात्रा होती है ?
उत्तर-
पानी – 40 किलोग्राम
प्रोटीन – 11 किलोग्राम
कैल्शियम – 1200 ग्राम
तांबा – 100-150 मिलिग्राम
थाइयोमिन – 25 मिलिग्राम।

प्रश्न 16.
65 किलो के पुरुष के शरीर में चर्बी, लोहा, आयोडीन तथा विटामिन सी कितनी मात्रा में होते हैं ?
उत्तर-
चर्बी – 9 किलोग्राम
लोहा — 3-4 ग्राम
आयोडीन – 25-50 मिलिग्राम
विटामिन सी – 5 ग्राम।

प्रश्न 17.
हमारे शरीर में पानी की मात्रा कितनी होती है ?
उत्तर-
हमारे शरीर में पानी 70% होता है।

प्रश्न 18.
रक्त बनाने के लिए कौन-से तत्त्वों की ज़रूरत होती है ?
उत्तर-
रक्त बनाने के लिए लोहा तथा प्रोटीन की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 19.
गर्मियों में शरीर का तापमान कैसे नियमित रहता है ?
उत्तर-
गर्मियों में पसीना आता है तथा पसीने के वाष्पीकरण से ठण्डक पैदा होती है। इससे शरीर का तापमान नियमित रहता है।

प्रश्न 20.
सर्दियों में शरीर का तापमान कैसे नियमित रहता है ?
उत्तर-
सर्दियों में शरीर द्वारा काफ़ी ऊर्जा पैदा की जाती है जिससे शरीर का तापमान नियमित रहता है।

प्रश्न 21.
मानसिक पक्ष से कौन-सा व्यक्ति ठीक होता है ?
उत्तर-
मानसिक पक्ष से वह व्यक्ति ठीक होता है जिसे –

  1. अपने गुणों तथा अवगुणों के बारे में पता हो।
  2. जो चिंता अथवा किसी प्रकार के तनाव से मुक्त हो।
  3. जो चौकस तथा फुर्तीला हो।
  4. जो समझदार तथा सीखने वाला हो।

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प्रश्न 22.
सामाजिक रूप में सन्तुष्ट व्यक्ति कौन होता है ?
उत्तर–
सामाजिक रूप में सन्तुष्ट व्यक्ति वह होता है –

  1. जो अपने इर्द-गिर्द के लोगों को साथ लेकर चलता है।
  2. जो अच्छे तौर तरीके तथा शिष्टाचार अपनाता है।
  3. जो दूसरों की मदद करने में खुशी महसूस करता है।
  4. जो समाज तथा परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेवारी समझता है।

प्रश्न 23.
विटामिन कितनी प्रकार के होते हैं, विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
विटामिन दो तरह के होते हैं –
(i) पानी में घलनशील विटामिन ‘सी’ तथा ‘बी’ ग्रप के विटामिन जैसे कि थायामिन. राइबोफ्लेबिन, निकोटिनिक अम्ल, पिरडॉक्सिन, फौलिक अम्ल तथा विटामिन बी,, पानी में घुलनशील हैं।
(ii) चर्बी में घुलनशील विटामिन-विटामिन ‘ए’, ‘डी’ तथा ‘के’ चर्बी में घुलनशील हैं।

प्रश्न 24.
सबसे अधिक प्रोटीन, चर्बी, खनिज पदार्थ, कार्बोज़, कैल्शियम तथा लोहा, ऊर्जा कौन-से भोजन पदार्थों में होते हैं ?
उत्तर-
प्रोटीन – सोयाबीन (43.2 ग्राम)
चर्बी – मक्खन (81 ग्राम)
खनिज पदार्थ – सोयाबीन (4.6 ग्राम)
कार्बोज़ – गुड़ (95 ग्राम)
कैल्शियम – खोया (956 मिलिग्राम)
लोहा – सरसों (16.3 मिलिग्राम)
ऊर्जा – मक्खन (किलो कैलोरी)
यह मात्रा 100 ग्राम भोजन पदार्थ के लिए है।

प्रश्न 25.
पानी का शरीर में कार्य बतायें।
उत्तर–
पानी के कार्य –
(i) पानी विभिन्न पदार्थों को शरीर में एक से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करता है।
(ii) पानी शरीर के तापमान को नियमित करता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन के कार्य और पोषण

भोजन के कार्य और पोषण PSEB 9th Class Home Science Notes

  • सभी जीवित प्राणियों को भोजन की ज़रूरत होती है।
  • पोषण विज्ञान से हमें यह पता चलता है कि कौन-से भोजन पदार्थों में कौन-से पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  • शरीर में ऊर्जा कार्बन यौगिकों से पैदा होती है।
  • डण्डी को नीरोग तथा स्वस्थ रखने वाला कोई भी ठोस, तरल अथवा अर्द्ध-ठोस खाद्य पदार्थ जिसको शरीर द्वारा निगला, पचाया तथा शोषित किया जाता है, को भोजन कहते हैं।
  • भोजन के शारीरिक काम हैं-शरीर को ऊर्जा देना, शरीर की वृद्धि, टूटे-फूटे तन्तुओं की मुरम्मत, शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण, रोगों से बचाव, शरीर का तापमान नियमित करना आदि।
  • भोजन मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा धार्मिक कार्य भी करता है।
  • पौष्टिक तत्त्व वह रासायनिक पदार्थ हैं जो हमें भोजन से मिलते हैं तथा शरीर की विभिन्न जोड़-तोड़ क्रियाओं के लिए ऊर्जा का साधन हैं तथा शरीर के सैलों की रचना तथा बनावट के लिए ज़रूरी हैं।
  • पौष्टिक तत्त्व हैं-प्रोटीन, चर्बी, खनिज पदार्थ, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट तथा पानी।
  • पोषण विज्ञान में ऊर्जा को कैलोरी में मापा जाता है।
  • 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा चर्बी में बारी-बारी 4,4 तथा 9 कैलोरी ऊर्जा होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 9 बाल विकास का अर्थ और महत्त्व

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 9 बाल विकास का अर्थ और महत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 9 बाल विकास का अर्थ और महत्त्व

PSEB 9th Class Home Science Guide बाल विकास का अर्थ और महत्त्व Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक जीवन में बाल विकास का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
बाल विकास की आज के जीवन में बहुत महत्ता है। इसमें बच्चों में मिलने वाली व्यक्तिगत भिन्नताओं, उनके साधारण, असाधारण व्यवहार तथा बच्चे पर वातावरण के प्रभाव को जानने की कोशिश की जाती है।

प्रश्न 2.
बाल विकास की शिक्षा के अन्तर्गत आपको किस के बारे में शिक्षा मिलती है?
उत्तर-
बाल विकास की शिक्षा के अन्तर्गत मिलने वाली शिक्षा

  1. बच्चों की प्रवृत्ति को समझने के लिए
  2. बच्चे के व्यक्तित्व के विकास को समझने के लिए
  3. बच्चे के विकास बारे जानकारी
  4. बच्चे के लिए बढ़िया वातावरण पैदा करना
  5. बच्चों के व्यवहार को कन्ट्रोल करने के लिए
  6. बच्चों का मार्ग दर्शन
  7. पारिवारिक जीवन को खुशियों भरा बनाने के लिए

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 9 बाल विकास का अर्थ और महत्त्व

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
किन-किन कारणों के कारण बच्चों का विकास उचित प्रकार से नहीं हो सकता?
उत्तर-
बच्चों का विकास कई कारणों से ठीक तरह नहीं होता जैसे

  1. बच्चों को विरासत से ही कुछ कमियां मिली हों जैसे-बच्चा मंद बुद्धि हो सकता है, अंगहीन हो सकता है।
  2. बच्चे में अच्छे गुण होने के बावजूद उसको अच्छा वातावरण न मिल सकने के कारण भी उसके विकास में रुकावट डाल सकता है।
  3. कई बार घरेलू झगड़े भी बच्चे के विकास में रुकावट डालते हैं।
  4. बच्चे की रुचि से विपरीत उससे ज़बरदस्ती कोई कार्य करवाना। जैसे किसी बच्चे को गाने-बजाने का शौक है तो उसे ज़बरदस्ती खेलने को कहा जाए।
  5. बचपन में बच्चे को माता-पिता का प्यार तथा देख-रेख न मिल सकना।

प्रश्न 4.
बाल विकास से आप क्या समझते हो?
उत्तर–
बाल विकास बच्चों की वृद्धि तथा विकास का अध्ययन है। इसमें गर्भ अवस्था से लेकर बालिग होने तक की सम्पूर्ण वृद्धि तथा विकास का अध्ययन करते हैं। इनमें शारीरिक, मानसिक, व्यावहारिक तथा मनोवैज्ञानिक वृद्धि तथा विकास शामिल हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों में पाई जाने वाली व्यक्तिगत भिन्नताएं, उनके साधारण तथा असाधारण व्यवहार तथा वातावरण का बच्चे पर प्रभाव को जानने की कोशिश भी की जाती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 5.
पारिवारिक सम्बन्धों का महत्त्व बताओ।
उत्तर-
मनुष्य का बच्चा अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए अपने आस-पास के लोगों पर अधिक समय के लिए निर्भर रहता है। बच्चे की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए परिवार होता है। इन ज़रूरतों को किस तरह पूरा किया जाता है इसका बच्चे के व्यक्तित्व पर प्रभाव होता है तथा इसका बड़े होकर पारिवारिक रिश्तों पर भी प्रभाव पड़ता है।
मनुष्य के पारिवारिक रिश्ते उसके सामाजिक जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। क्योंकि हम इस समाज में ही विचरते हैं, इसलिए हमारे पारिवारिक रिश्ते तथा परिवार से बाहर के रिश्ते हमारे जीवन की खुशी का आधार होते हैं। इस तरह बच्चे के विकास में पारिवारिक सम्बन्ध काफ़ी महत्त्व रखते हैं।

प्रश्न 6.
परिवार की खुशी बच्चों के भविष्य के साथ कैसे जुड़ी हुई है?
उत्तर–
प्रत्येक परिवार की खुशी, उम्मीद तथा भविष्य बच्चों से जुड़ा होता है। बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं तथा परिवार में बच्चे यदि शारीरिक तथा मानसिक तौर पर स्वस्थ हों तो परिवार के लिए खुशी का कारण बनते हैं। परिवार खुश हो तो बच्चों के विकास के लिए सहायक रहता है। यदि परिवार में लड़ाई-झगड़े हों अथवा परिवार आर्थिक पक्ष से तंग हो तो इन बातों का बच्चों के भविष्य पर बुरा प्रभाव होता है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB बाल विकास का अर्थ और महत्त्व Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें

  1. बाल विकास की शिक्षा से हमें वंश तथा ……….. सम्बन्धी जानकारी मिलती है।
  2. मानव शिशु बाकी प्राणियों के बच्चों में सबसे ……………….. होता है।
  3. व्यक्तियों के …………………. को ही समाज नहीं कहा जा सकता।

उत्तर-

  1. वातावरण,
  2. निर्बल,
  3. समुदाय।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
बच्चे के पालन-पोषण का मूल उत्तरदायित्व किसका है?
उत्तर-
माता-पिता का।

प्रश्न 2.
बाल विकास किस का अध्ययन है?
उत्तर-
बच्चों की वृद्धि तथा विकास।

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ठीक/ग़लत बताएं

  1. बाल विकास तथा बाल मनोविज्ञान का आपस में गहरा संबंध है।
  2. बच्चे के विकास पर आस-पास के वातावरण का प्रभाव पड़ता है।
  3. घरेलू झगड़े बच्चे के विकास पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
  4. बच्चे के पालन-पोषण की प्राथमिक जिम्मेवारी उसके मां-बाप की होती है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ठीक तथ्य हैं
(A) बचपन में बच्चे को माता-पिता का प्यार तथा देख-रेख न मिलने के कारण विकास अच्छी प्रकार नहीं होता।
(B) बच्चे के व्यवहार तथा रुचियों पर वातावरण का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
(C) प्रत्येक मनुष्य के व्यक्तित्व की जड़ें उसके बचपन में होती हैं।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं
(A) बच्चे की रुचि के विपरीत उससे जबरदस्ती कोई कार्य करवाने से विकास ठीक नहीं होता।
(B) परिवार की आर्थिक तंगी का प्रभाव बच्चे के विकास पर पड़ता है।
(C) मानव शिशु अन्य प्राणियों के बच्चों में सबसे कमज़ोर होता है।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक जीवन में बाल विकास का क्या महत्त्व है?
उत्तर-

  1. बाल विकास तथा बाल मनोविज्ञान की सबसे बड़ी देन है। इससे हमें पता चला है कि साधारणतः एक बच्चे से एक अवस्था में क्या आशा रखी जाए। यदि कोई बच्चा इस आशा से बाहर जाए तो उसकी ओर हमें विशेष ध्यान देना होगा।
  2. बाल विकास की पढ़ाई से हमें बच्चों की जरूरतों सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती है। हम बच्चे के मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझ कर उसका पालन-पोषण कर सकते हैं जिससे उसका बहुपक्षीय विकास अच्छे ढंग से हो सके।
  3. बाल विकास के अध्ययन से हमें यह जानकारी मिलती है कि साधारण बच्चों से भिन्न बच्चों को किस तरह का वातावरण प्रदान करें कि वह हीन भावना का शिकार न हो जाए। जैसे शारीरिक अथवा मानसिक तौर पर विकलांग बच्चे, मन्द बुद्धि वाले बच्चे अपनी शारीरिक तथा मानसिक कमजोरियों से ऊपर उठकर अपना बहुपक्षीय विकास कर सकें।
  4. बाल विकास पढ़ने से हमें वंश तथा वातावरण सम्बन्धी जानकारी भी मिलती है। एक-दो ऐसे महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं जो बच्चे के विकास में बहुत योगदान डालते हैं। वंश से हमें बच्चे के उन गुणों के बारे पता चलता है जो बच्चों को अपने माता-पिता से जन्म से ही मिले होते हैं तथा जिन्हें बदला नहीं जा सकता जैसे नैन-नक्श, कद-काठ, बुद्धि आदि। बच्चे के इर्द-गिर्द को वातावरण कहा जाता है जैसे भोजन, अध्यापक, किताबें, खेलें, मौसम आदि। वातावरण बच्चे के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डालता है। अच्छा वातावरण बच्चे के व्यक्तित्व को उभारने में मदद करता है।

प्रश्न 2.
बाल विकास की शिक्षा के अन्तर्गत आपको किस के बारे में शिक्षा मिलती है?
उत्तर-
बाल विकास के अध्ययन में बच्चों में पाई जाने वाली व्यक्तिगत भिन्नताएं, उनके साधारण तथा असाधारण व्यवहार तथा इर्द-गिर्द का बच्चे पर प्रभाव को जानने की कोशिश भी की जाती है।
प्रत्येक मनुष्य के व्यक्तित्व की जड़ें उसके बचपन में होती हैं। आजकल मनोवैज्ञानिक तथा समाज वैज्ञानिक किसी मनुष्य के व्यवहार को समझने के लिए उसके बचपन के हालातों की जांच-पड़ताल करते हैं। समाज वैज्ञानिक यह बात सिद्ध कर चुके हैं कि वे बच्चे जिन्हें बचपन में प्यार नहीं मिलता बड़े होकर अपराधों की ओर रुचित होते हैं।

  1. बच्चों की प्रवृत्ति को समझने के लिए-बाल विकास के अध्ययन से हम विभिन्न स्तरों पर बच्चों के व्यवहार तथा उनमें होने वाले परिवर्तनों से अवगत होते हैं। एक बच्चा विकास की विभिन्न स्थितियों से किस तरह गुज़रता है इसका पता बाल विकास के अध्ययन द्वारा ही चलता है।
  2. बच्चे के व्यक्तित्व के विकास को समझने के लिए-बाल विकास अध्ययन बच्चे के व्यक्तिगत विकास, उसके चरित्र निर्माण का अध्ययन करता है। ऐसे कौन-से तथ्य हैं जो भिन्न-भिन्न आयु के पड़ावों पर बच्चे के व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं तथा बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में रुकावट डालने वाले कौन-से तत्त्व हैं, बाल विकास इनकी खोज करने के पश्चात् बच्चे की मदद करता है।
  3. बच्चे के विकास बारे जानकारी-गर्भ धारण से लेकर बालिग होने तक के शारीरिक विकास का अध्ययन बाल विकास का मुख्य भाग है। बाल विकास अध्ययन की मदद से बच्चे के शारीरिक विकास की रुकावटों तथा कारणों को अच्छी तरह समझ सकते हैं । बाल विकास बच्चे की शारीरिक विकास से सम्बन्धित समस्याओं को समझने में भी हमारी सहायता करता है।
  4. बच्चे के लिए बढ़िया वातावरण पैदा करना-बच्चे के व्यवहार तथा रुचियों पर वातावरण का महत्त्वपूर्ण प्रभाव होता है। बाल विकास के अध्ययन से वातावरण के बच्चे पर पड़ रहे बुरे प्रभावों का पता चलता है। बच्चे के व्यक्तित्व के बढ़िया विकास के लिए बढ़िया वातावरण उत्पन्न करने सम्बन्धी मां-बाप तथा अध्यापकों को सहायता मिलती है।
  5. बच्चों के व्यवहार को कन्ट्रोल करने के लिए-बच्चे का व्यवहार हर समय एक जैसा नहीं होता। बच्चे के व्यवहार से सम्बन्धित समस्याओं जैसे बिस्तर गीला करना, अंगूठा चूसना, डरना, झूठ बोलना आदि का कोई-न-कोई मनोवैज्ञानिक कारण अवश्य होता है। बाल विकास अध्ययन की सहायता से इन समस्याओं के कारणों को समझा तथा हल किया जा सकता है।
  6. बच्चों का मार्ग दर्शन-माता-पिता समय-समय पर बच्चों की रहनुमाई करते हैं। परन्तु आज-कल पढ़े-लिखे मां-बाप मार्ग-दर्शन विशेषज्ञों से बच्चों का मार्ग दर्शन करवाते हैं। यह मार्ग दर्शन विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक विधियों द्वारा उसकी रुचियां, छुपी हुई क्षमता तथा झुकाव का पता लगाकर बच्चों का मनोवैज्ञानिक मार्ग-दर्शन करते हैं।
  7. पारिवारिक जीवन को खुशियों भरा बनाने के लिए-बच्चे हर घर का भविष्य होते हैं। इसलिए उनका पालन-पोषण ऐसे वातावरण में होना चाहिए जो उनकी वृद्धि तथा विकास में सहायक हो। बाल विकास अध्ययन द्वारा हमें ऐसे वातावरण की जानकारी मिलती है। एक बढ़िया वातावरण में ही पारिवारिक प्रसन्नता, शान्ति उत्पन्न होती है। पीछे किए वर्णन से यह पता चलता है कि बाल विकास विज्ञान एक बहुत महत्त्वपूर्ण विषय है जिसकी सहायता से हम बच्चों के शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक विकास से सम्बन्धित अनेकों पहलुओं से अवगत होते हैं। बच्चों के बचपन को खुशियों भरा बनाने के लिए यह विज्ञान बहुत लाभदायक है। खुशियों भरे बचपन वाले बच्चे ही भविष्य में स्वस्थ तथा प्रसन्न समाज रचेंगे। इस महत्त्वपूर्ण कार्य में बाल विकास विज्ञान की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 9 बाल विकास का अर्थ और महत्त्व

बाल विकास का अर्थ और महत्त्व PSEB 9th Class Home Science Notes

  1. शारीरिक तथा मानसिक तौर पर स्वस्थ बच्चे ही देश का भविष्य हैं।
  2. बच्चे के पालन-पोषण की प्रारम्भिक ज़िम्मेदारी उसके मां-बाप की होती है।
  3. बाल विकास बच्चों की वृद्धि तथा विकास का अध्ययन है।
  4. बाल विकास तथा बाल मनोविज्ञान का आपस में गहरा सम्बन्ध है।
  5. मनुष्य के पारिवारिक रिश्ते उसके सामाजिक जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
  6. सभी रिश्ते तथा सम्बन्ध मिलकर हमारे जीवन को आरामदायक बनाते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

PSEB 9th Class Home Science Guide मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य के विकास के कितने पड़ाव होते हैं? नाम बताओ।
उत्तर-
मानवीय विकास के निम्नलिखित पड़ाव हैं —

  1. बचपन
  2. किशोरावस्था
  3. बालिग
  4. बुढ़ापा।

प्रश्न 2.
बचपन को कितनी अवस्थाओं में बांटा जा सकता है?
उत्तर-बचपन को निम्नलिखित अवस्थाओं में बांटा जाता है–

  1. जन्म से दो वर्ष तक
  2. दो से तीन वर्ष तक
  3. तीन से छः वर्ष का बच्चा
  4. छ: से किशोरावस्था तक।

प्रश्न 3.
कितने महीने का बच्चा बिना सहारे खड़ा होने लगता है?
उत्तर-
9 माह का बच्चा बिना सहारे के खड़ा होने लगता है।

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प्रश्न 4.
किस उमर में बच्चे का शारीरिक विकास बहुत तेज़ गति से होता है?
उत्तर-
2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है।

प्रश्न 5.
कितनी आयु का बच्चा कानूनी रूप से वयस्क समझा जाता है?
उत्तर-
पहले 21 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता था परन्तु अब 18 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता है जबकि 20 वर्ष की आयु तक उसका शारीरिक विकास होता रहता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6.
किशोरावस्था के दौरान लड़कों में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-

  1. किशोरावस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ फूटनी आरम्भ हो जाती है।
  2. उनकी टांगें-बांहें अधिक लम्बी हो जाती हैं तथा आवाज़ फटती है। उनके लिए यह अनोखी बात होती है।
  3. उनके गले की हड्डी बाहर को उभर आती है।
  4. लड़के स्वयं को बड़ा समझने लगते हैं तथा उनसे माता-पिता की ओर से लगाई गई पाबन्दियां बर्दाश्त नहीं होती।
  5. वह कभी बड़ों की तरह तथा कभी बच्चों की तरह बर्ताव करने लगते हैं।
  6. किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
  7. अपने शरीर में आए जिस्मानी परिवर्तनों के बारे उनमें जानने की इच्छा पैदा होती है।

प्रश्न 7.
किशोरावस्था के दौरान माता-पिता के उनके बच्चों के प्रति क्या कर्त्तव्य हैं?
उत्तर-

  1. बच्चों को लिंग शिक्षा सम्बन्धी पूरी जानकारी देनी चाहिए। बच्चों को एड्स जैसी जानलेवा बीमारी तथा नशों के बुरे परिणामों के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए।
  2. किशोर बच्चों से माता-पिता के मित्रों वाले सम्बन्ध होने बहुत आवश्यक हैं ताकि बच्चा बिना परेशानी अपनी शारीरिक तथा मानसिक परेशानी उनके साथ साझी कर सके तथा मां-बाप द्वारा दिये सुझावों का पालन कर सके।
  3. मां-बाप तथा अध्यापकों को किशोरों से अपना व्यवहार एक जैसा रखना चाहिए। किसी हालत में उन्हें छोटा तथा कभी बड़ा कहकर उनके मन में उलझन पैदा नहीं करनी चाहिए। इस तरह उसे यह समझ नहीं आता कि वह वास्तव में बड़ा हो गया है या अभी छोटा ही है।
  4. माता-पिता को भी इस अवस्था में अपने बच्चे के प्रति पूर्ण विश्वास वाला तथा हिम्मत वाला व्यवहार करना चाहिए ताकि उनका सर्वपक्षीय विकास ठीक ढंग से हो सके।
    अपनी ऊर्जा (शक्ति) खर्च करने के लिए कई प्रकार की रुचियों में रुझाने के लिए समय मिलना चाहिए जैसे खेल-कूद, कहानी पढ़ना, गाना-बजाना आदि।

प्रश्न 8.
प्रौढ़ावस्था में मनुष्य के सामाजिक कर्त्तव्य क्या होते हैं?
उत्तर-

  1. मनुष्य इस आयु में सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करता है।
  2. मनुष्य उचित व्यवसाय का चुनाव करता है तथा अपने जीवन साथी का चुनाव करके घर बसा लेता है।
  3. बच्चे पालता है, दुनियादारी निभाता है, माता-पिता, छोटे बहन-भाइयों तथा अन्य रिश्तेदारों की जिम्मेवारी सम्भालता है।

प्रश्न 9.
बच्चा और बूढ़ा एक समान क्यों कहा जाता है? संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
वृद्धावस्था में मनुष्य का शरीर कमजोर हो जाता है। उसके लिए चलना, फिरना, उठना, बैठना कठिन हो जाता है। आँखों से दिखाई देना तथा कानों से सुनना कम हो जाता है। ज्ञानेन्द्रियां अपना कार्य करना बन्द कर देती हैं। कई रंगों की पहचान नहीं कर सकते तथा कइयों को अंधराता हो जाता है।
इस तरह वृद्धों को विशेष देखभाल की ज़रूरत पड़ती है। जैसे छोटे बच्चों को होती है। इसीलिए बच्चे तथा वृद्ध को एक जैसा कहा जाता है।

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प्रश्न 10.
स्कूल बच्चे के सामाजिक और मानसिक विकास में सहायक होता है। कैसे?
उत्तर-
स्कूल में बच्चे अपने साथियों से पढ़ना तथा खेलना तथा कई बार बोलना भी सीखते हैं। इस तरह उनमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा जब अपने स्कूल का कार्य करता है तो उसमें ज़िम्मेदारी का बीज बो दिया जाता है। जब वह अध्यापक का कहना मानता है तो उसमें बड़ों के प्रति आदर की भावना पैदा होती है।
बच्चा स्कूल में अपने साथियों से कई नियम सीखता है तथा कई अच्छी आदतें सीखता है जो आगे चलकर उसके व्यक्तित्व को उभारने में सहायक हो सकती हैं।

प्रश्न 11.
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में होने वाले परिवर्तनों का तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर-

किशोर लड़के किशोर लड़कियां
(1) इस आयु में लड़कों की दाढ़ी तथा आने लगती हैं। (1) लड़कियों को माहवारी आने लगती मूंछे है।
(2) उनका शरीर बेढंगा (टांगें, बाजू लम्बी होने होना) हो जाता है तथा आवाज़ फटने लगती है। (2) इनके विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा लगती है तथा कई आन्तरिक बदलाव जैसे दिल तथा फेफड़ों के आकार में वृद्धि होती है।
(3) इस आयु में लड़कों को खेल, पढ़ाई, कम्प्यूटर, समाज सेवा आदि सीखने पर जोर देना चाहिए। (3) लड़कियों को पढ़ाई, कढ़ाई, कम्प्यूटर, स्वैटर बुनना, संगीत, पेंटिंग आदि ज़ोर सीखने पर देना चाहिए।

प्रश्न 12.
प्रारम्भिक वर्षों में माता-पिता बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में किस प्रकार योगदान डालते हैं?
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व को बनाने में माता-पिता का बड़ा योगदान होता है क्योंकि बच्चा जब अभी छोटा ही होता है तभी माता-पिता की भूमिका उसकी ज़िन्दगी में आरम्भ हो जाती है। बच्चे के प्रारम्भिक वर्षों में बच्चे को भरपूर प्यार देना, उस द्वारा किये प्रश्नों के उत्तर देना, बच्चे को कहानियां सुनाना आदि से बच्चे का व्यक्तित्व उभरता है तथा माता-पिता इसमें काफ़ी सहायक होते हैं।

प्रश्न 13.
बच्चों को टीके लगवाने क्यों ज़रूरी हैं ? बच्चों को कौन-से टीके किस आयु में लगवाने चाहिएं? और क्यों?
उत्तर-
बच्चों को कई खतरनाक जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें टीके लगाये जाते हैं। इन टीकों का सिलसिला जन्म के पश्चात् आरम्भ हो जाता है। बच्चों को 2 वर्ष की आयु तक चेचक, डिप्थीरिया, खांसी, टिटनस, पोलियो, हेपेटाइटस, बी०सी०जी० तथा टी०बी० आदि के टीके लगवाये जाते हैं। छ: वर्ष में बच्चों को कई टीकों की बूस्टर डोज़ भी दी जाती है।

प्रश्न 14.
बच्चे में 3 से 6 वर्ष की आयु तक होने वाले विकास का वर्णन करो।
उत्तर-
इस आयु में बच्चे की शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है तथा उसकी भूख कम हो जाती है। वह अपना कार्य स्वयं करना चाहता है।
बच्चे को रंगों तथा आकारों का ज्ञान हो जाता है तथा उसकी रुचि ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलने तथा कहानियां सुनने की ओर अधिक हो जाती है।
बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करने लग जाता है।

प्रश्न 15.
दो से तीन वर्ष के बच्चे में होने वाले भावनात्मक विकास सम्बन्धी जानकारी दो।
उत्तर-
इस आयु के दौरान बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊंची आवाज़ में रोता है, ज़मीन पर लोटता है, तथा हाथ-पैर मारने लगता है। कई बार वह खाना-पीना भी छोड़ देता है। माता-पिता को ऐसी हालत में चाहिए कि उसको न डांटें परन्तु जब वह शांत हो जाए तो उसे प्यार से समझाना चाहिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
किशोरावस्था के दौरान लिंग शिक्षा देना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
किशोरावस्था आने पर बच्चों के शरीर में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। उनके प्रजनन अंगों का विकास होता है। लड़कियों को माहवारी आने लगती है। शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। किशोरावस्था में बच्चे में विरोधी लिंग के प्रति आकर्षण पैदा हो जाता है। बच्चों को इन सभी परिवर्तनों की जानकारी नहीं होती तथा वह यह जानकारी अपने दोस्तों-मित्रों से हासिल करने की कोशिश करते हैं अथवा ग़लत किताबें पढ़ते हैं तथा अपने मन में ग़लत धारणाएं बना लेते हैं। वैसे तो हमारे समाज में लड़केलड़कियों के मिलने के अवसर कम ही होते हैं परन्तु कई बार यदि उन्हें इकट्ठे रहने का मौका मिल जाये तो इसके ग़लत परिणाम भी निकल सकते हैं।
इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि किशोरों को माता-पिता तथा अध्यापक अच्छी तरह लिंग शिक्षा प्रदान करें। उनके साथ स्वयं मित्रों वाला व्यवहार करें तथा उनकी समस्याओं को समझें तथा सुलझाएं ताकि उन्हें ग़लत संगति में जाने से रोका जा सके। उन्हें एड्स जैसी भयानक बीमारी की भी जानकारी देनी चाहिए।

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प्रश्न 17.
बच्चों से मित्रतापूर्वक व्यवहार रखने से उनमें कौन-से सद्गुण विकसित होते हैं? विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व तथा भावनात्मक विकास में माता-पिता के प्यार तथा मित्रतापूर्वक व्यवहार की बड़ी महत्ता है। माता-पिता के प्यार से बच्चे को यह विश्वास हो जाता है कि उसकी प्राथमिक ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। माता-पिता की ओर से बच्चे द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देने पर बच्चे का दिमागी विकास होता है। उसे स्वयं पर विश्वास होने लगता है। माता-पिता द्वारा बच्चे को कहानियां सुनाने पर उसका मानसिक विकास होता है। कई बार बच्चा मां का कहना नहीं मानना चाहता तथा ज़बरदस्ती करने पर गुस्सा होता है। ऊँची आवाज़ में रोता है, हाथ-पैर मारता है तथा ज़मीन पर लोटने लग जाता है। ऐसी हालत में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा शांत होने पर उसे प्यार से माता-पिता द्वारा समझाया जाना चाहिए कि वह ऐसे ग़लत करता है। इस तरह बच्चे को पता चल जाता है कि माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद करते हैं।

बच्चे से दोस्ताना व्यवहार रखने पर बच्चों को अपनी समस्याओं का हल ढूँढने के लिए ग़लत रास्तों पर नहीं चलना पड़ता अपितु उनमें यह विश्वास पैदा होता है कि माता-पिता उसे सही मार्ग बताएंगे।

वह ग़लत संगति से बच जाता है। उसमें अच्छी रुचियां जैसे ड्राईंग, पेंटिंग, संगीत. अच्छी किताबें पढ़ना आदि पैदा होती हैं। वह अपनी शक्ति का प्रयोग अच्छे कार्यों में करता है। इस तरह वह एक अच्छा व्यक्तित्व बन कर उभरता है।

प्रश्न 18.
वृद्धावस्था में पैसे के साथ प्यार क्यों बढ़ जाता है?
उत्तर-
वृद्धावस्था मनुष्य की ज़िन्दगी का अन्तिम पड़ाव होता है। इस पड़ाव पर पहुंच कर अलग-अलग मानवों पर अलग-अलग प्रभाव होता है। कई तो अभी भी ऐसे हँसमुख तथा स्वस्थ रहते हैं तथा कई हर समय यही सोचते हैं कि वह बूढ़े हो गये हैं, अब उन्हें और भी कई बीमारियां लग जाएंगी तथा वह और भी बूढ़े हो जाते हैं। इस उम्र में कमजोरी तो आती है जोकि मानसिक तथा शारीरिक दोनों तरह की होती है। कइयों की नेत्र ज्योति घट जाती है। कई बार ज्ञानेन्द्रियां कमजोर हो जाती हैं। दाँत टूट जाते हैं। शरीर काम नहीं कर सकता : कइयों की रंगों को पहचानने की शक्ति कम हो जाती है तथा कइयों को अंधराता हो जाता है। परन्तु ऐसी हालत में भी मनुष्य यह चाहता है कि वह आर्थिक पक्ष से रिश्तेदारों का मोहताज न हो, उसके पास अपने पैसे हों तथा उसकी स्वतन्त्रता को कोई फर्क न पड़े। धन तो अब वह कमा नहीं सकता इसलिए वह प्रत्येक पैसे को खर्च करते समय कई बार सोचता है। इस तरह वृद्धावस्था में धन के प्रति उसका मोह बढ़ जाता है। वृद्धावस्था में नींद भी कम आती है, कानों से कम सुनाई देता है। सांसारिक वस्तुओं से प्यार कम हो जाता है तथा परमात्मा की ओर ध्यान बढ़ जाता है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB मनुष्य के विकास के पड़ाव Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें-

  1. प्रौढ़ावस्था के . ……………… पड़ाव हैं।
  2. महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है।
  3. ……………… वर्ष के बच्चे बालिग हो जाते हैं।
  4. छः वर्ष में बच्चों को …………………. डोज़ भी दी जाती है।
  5. ………………… वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।

उत्तर-

  1. दो,
  2. 10,
  3. 18,
  4. टीकों की बूस्टर,
  5. दो।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कितने माह का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है?
उत्तर-
9 माह का।

प्रश्न 2.
प्रौढ़ावस्था की पहली अवस्था कब तक होती है?
उत्तर-
40 वर्ष तक।

प्रश्न 3.
कितनी आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है?
उत्तर-
17 वर्ष।

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प्रश्न 4.
औरतों में माहवारी किस आयु में बंद हो जाती है?
उत्तर-
45 से 50 वर्ष।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  2. वृद्ध अवस्था का प्रभाव सभी पर एक जैसा होता है।
  3. स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  4. 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  5. 6 वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं।
  6. किशोर अवस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ निकलनी शुरू हो जाती है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कितनी देर का बच्चा स्वयं उठ कर खड़ा हो सकता है –
(A) 6 माह का
(B) 1 वर्ष का
(C) 3 महीने का
(D) 8 महीने का।
उत्तर-
(B) 1 वर्ष का

प्रश्न 2.
कानूनी रूप में बच्चा कितनी आयु में वयस्क हो जाता है –
(A) 15 वर्ष
(B) 20 वर्ष
(C) 18 वर्ष
(D) 25 वर्ष।
उत्तर-
(C) 18 वर्ष

प्रश्न 3.
कौन-सा तथ्य ठीक है –
(A) किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
(B) बच्चे तथा वृद्ध को एक समान कहा जाता है।
(C) किशोर अवस्था को तूफानी तथा दबाव वाली अवस्था माना गया है।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जन्म से दो वर्ष तक के बच्चे में सामाजिक तथा भावनात्मक विकास के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
इस आयु का बच्चा जिन आवाज़ों को सुनता है, उनका मतलब समझने की कोशिश करता है। वह प्यार तथा क्रोध की आवाज़ को समझता है। वह अपने आस-पास के लोगों को पहचानना आरम्भ कर देता है। जब बच्चे को अपने माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पूरा लाड़-प्यार मिलता है तथा उसकी प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी की जाती हैं तो उसे विश्वास हो जाता है कि उसकी ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। उसका इस तरह भावनात्मक तथा सामाजिक विकास आरम्भ हो जाता है।

प्रश्न 2.
दो से तीन वर्ष के बच्चे के विकास बारे तम क्या जानते हो?
उत्तर-
शारीरिक विकास-2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है। __मानसिक विकास-इस आयु का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है। वह पहले से अधिक बातें समझना आरम्भ कर देता है। वह अपने आस-पास के बारे में कई प्रकार के प्रश्न पूछता है। इस समय माता-पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चे के प्रश्नों के उत्तर ज़रूर दें। बच्चे को प्यार से पास बिठा कर कहानियां सुनाने से उसका मानसिक विकास होता है।

सामाजिक विकास-इस आय में बच्चे को दूसरे बच्चों की मौजूदगी का अहसास होने लग जाता है। अपनी मां के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से भी प्यार करने लगता है। अब वह अपने कार्य जैसे भोजन करना, कपड़े पहनना, नहाना, बुट पालिश करना आदि स्वयं ही करना चाहता है।
भावनात्मक विकास-इस आयु में बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊँची आवाज़ में रोता, हाथ-पैर मारता तथा ज़मीन पर लेटने लगता है। कई-कई बार खाना-पीना भी छोड़ देता है। गुस्से की अवस्था में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा जब वह शांत हो जाये तो प्यार से उसे समझाना चाहिए। इस तरह बच्चे में मातापिता के प्रति प्यार तथा विश्वास की भावना पैदा होती है तथा उसे यह अहसास होने लगता है कि उसके माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद रखते हैं।

प्रश्न 3.
तीन से छः वर्ष के बच्चे के विकास के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
शारीरिक विकास- इस आयु में बच्चे की वृद्धि तेज़ी से होती है परन्तु उसको भूख कम लगती है। वह परिवार के बड़े सदस्यों के साथ बैठकर वही भोजन खाना चाहता है जो वे खाते हैं। बच्चे के शारीरिक विकास के लिए बच्चे की खुराक में दूध, अण्डा, पनीर तथा अन्य प्रोटीन वाले भोजन पदार्थ अधिक मात्रा में शामिल करने चाहिएं। बच्चा धीरे-धीरे अपना कार्य करने लगता है तथा उसे जहां तक हो सके अपने काम स्वयं करने देने चाहिएं। इस तरह वह आत्म-निर्भर बनता है।
मानसिक विकास- इस आयु के बच्चे में ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलना तथा कहानियां सुनने आदि में रुचि पैदा होती है। उसे रंगों तथा आकारों का भी ज्ञान हो जाता है।
सामाजिक तथा भावनात्मक विकास-बच्चा जब दूसरे बच्चों से मिलता-जुलता है उसमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करता है इसलिए जहां तक हो सके उसके सामने कोई ऐसी बात न करो जिसका उसके मन पर बुरा प्रभाव पड़े जैसे सिग्रेट पीना।

प्रश्न 4.
किशोरावस्था में लड़कियों में आने वाले परिवर्तनों के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. इस आयु में लड़कियों को माहवारी आने लगती है। क्योंकि उन्हें इसके कारण का पता नहीं होता, कई बार वे घबरा जाती हैं।
  2. इस आयु में लड़कियां अधिक समझदार हो जाती हैं तथा कई बार पढ़ाई में भी तेज़ हो जाती हैं।
  3. इस आयु में लड़कियां जल्दी भावुक हो जाती हैं। कई बार छोटी-सी बात पर रोने लगती हैं। उदास तथा नाराज़ भी रहने लगती हैं।
  4. वह अपनी आलोचना नहीं सहन कर सकतीं तथा शीघ्र रुष्ट हो जाती हैं।
  5. इस आयु में जागते ही सपने देखना आरम्भ कर देती हैं।

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प्रश्न 5.
किशोरावस्था क्या है तथा इसमें होने वाले विकास के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लगती है, इसको किशोरावस्था कहते हैं। यह एक ऐसा पड़ाव है जब बच्चा न तो बच्चों में गिना जाता है न ही बालिगों में। उसमें शारीरिक परिवर्तन आने के साथ-साथ बच्चे की ज़िम्मेदारियां, फर्ज़ तथा दूसरों से रिश्तों में भी परिवर्तन आता है।
इसके दो भाग होते हैं-प्राथमिक तथा बाद की किशोरावस्था।

शारीरिक विकास-इस आयु में शारीरिक परिवर्तनों की गति कम हो जाती है तथा प्रजनन अंगों का विकास होता है। इस पड़ाव पर लड़कियां अपना कद पूरा कर लेती हैं तथा शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। बाह्य परिवर्तनों के साथ-साथ शरीर में कुछ आन्तरिक परिवर्तन भी होते हैं जैसे पाचन प्रणाली में पेट का आकार लम्बा हो जाता है तथा आंतों की लम्बाई तथा चौड़ाई भी बढ़ती है। पेट तथा आंतों की मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं। जिगर का भार भी बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त किशोरावस्था में दिल की वृद्धि भी तेजी से होती है। 17,18 वर्ष की आयु तक इसका भार जन्म के भार से 12 गुणा बढ़ जाता है। श्वास प्रणाली में 17 वर्ष की आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है। इस आयु में प्रजनन अंगों तथा उनसे सम्बन्धित गलैंड्स का भी तेजी से विकास होता है तथा अपना कार्य करना आरम्भ कर देता हैं।

भावनात्मक तथा मानसिक विकास-कई मनोवैज्ञानिक किशोरावस्था को तूफानी तथा दबाव (Storm and Stress) वाली अवस्था मानते हैं। इसमें भावनाएं बड़ी तीव्र तथा बेकाबू हो जाती हैं परन्तु जैसे-जैसे आयु बढ़ती है भावनात्मक व्यवहार में परिवर्तन आता है। इस आयु में बच्चे को बच्चे की तरह समझने से भी वह गुस्सा मनाते हैं। वह अपना गुस्सा चुप रह कर अथवा ऊँची आवाज़ में नाराज़ करने वाली की आलोचना करते हैं। इसके अतिरिक्त जो बच्चे उससे पढ़ाई में अथवा व्यवहार के तौर पर बढ़िया हों उनके प्रति ईर्ष्यालु हो जाते हैं। परन्तु धीरे-धीरे इन सभी भावनाओं पर बच्चा काबू पाना सीखता है। वह सभी के सामने अपना क्रोध ज़ाहिर नहीं कर सकता। पूरे भावनात्मक विकास वाला बच्चा अपने व्यवहार को स्थिर रखता है। इस अवस्था के दौरान बच्चे की सामाजिक दिलचस्पी तथा व्यवहार पर हम उमर मित्रों का अधिक प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में बच्चे की मनोरंजक, शैक्षणिक, धार्मिक तथा फैशन प्रति नई रुचियां विकसित होती हैं । किशोरावस्था में बच्चे में विपरीत लिंग प्रति आकर्षण भी पैदा हो जाता है तथा वह इस कम्पनी में आनन्द महसूस करता है। इस अवस्था का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि बच्चों का व पारिवारिक रिश्तों प्रति लगाव कम होना आरम्भ हो जाता है। बच्चा अपने व्यक्तित्व तथा अस्तित्व प्रति अधिक चेतन हो जाता है। सामाजिक वातावरण के अनुसार बच्चा अपने व्यक्तित्व के विकास तथा अस्तित्व जताने की कोशिश करता है परन्तु कई बार घर के हालात तथा आर्थिक कारण उसके उद्देश्यों की पूर्ति में रुकावट बन जाते हैं। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चा हार जाने तथा घटियापन के अहसास का शिकार हो जाता है तथा बच्चे का व्यवहार साधारण नहीं रहता तथा व्यक्तित्व के विकास प्रक्रिया में बिगाड़ पैदा हो जाता है।

प्रश्न 6.
बुढ़ापे की क्या खास विशेषताएं हैं?
उत्तर-
बुढ़ापे की कुछ विशेषताएं हैं जो इसे मानवीय ज़िन्दगी की एक विलक्षण अवस्था बनाती हैं। इस आयु में शारीरिक तथा मानसिक कमज़ोरी आने लगती है इस आयु में बुजुर्गों की पाचन शक्ति, चलना-फिरना, बीमारियां सहने की शक्ति, सुनने तथा देखने की शक्ति घट जाती है। इसके साथ बालों का सफ़ेद होना, चमड़ी पर झुर्रियां पड़ जाती हैं। बुर्जुगों की शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन उनके सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन (Adjustment) को प्रभावित करती हैं। इन परिवर्तनों का बुजुर्गों की बाह्य दिखावट, कपड़े पहनने, मनोरंजन, सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है।
इस आयु में मनुष्य सामाजिक ज़िम्मेदारी से धीरे-धीरे पीछे हटता जाता है तथा उसकी धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। इस आयु में व्यक्ति को बहुत सारी बीमारियां भी आ घेरती हैं जिनसे छुटकारा पाने के लिए उसकी निर्भरता परिवार पर बढ़ जाती है । इस अवस्था में परिवार के सदस्यों का बुजुर्गों प्रति व्यवहार बुजुर्गों के लिए खुशी अथवा उदासी का कारण बनता है। बुजुर्गों में एकांकीपन, परिवार पर बोझ, सामाजिक सम्मान घटने का अहसास मानसिक परेशानी का कारण बन जाता है।
जीवन के अन्तिम पड़ाव पर पहुंचते हुए बुजुर्ग सभी प्राथमिक ज़रूरतों की पूर्ति के लिए एक छोटे बच्चे की तरह पूर्णतः परिवार पर निर्भर हो जाता है। इस अवस्था दौरान कई बार बुजुर्गों में बच्चों वाली आदतें उत्पन्न हो जाती हैं।

प्रश्न 7.
जन्म से दो वर्ष तक होने वाले शारीरिक विकास के पड़ावों का वर्णन करो।
उत्तर-
जन्म से दो वर्ष के दौरान होने वाले शारीरिक विकास निम्नलिखित अनुसार हैं

  1. 6 हफ्ते की आयु तक बच्चा मुस्कुराता है तथा किसी रंगीन वस्तु की ओर टिकटिकी लगाकर देखता है।
  2. 3 महीने की आयु तक बच्चा चलती-फिरती वस्तु से अपनी आँखों को घुमाने लगता है।
  3. 6 महीने का बच्चा सहारे से तथा 8 महीने का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है। (4) 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  4. 10 महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है तथा सरल, सीधे शब्द जैसे-काका, पापा, मामा, टाटा आदि बोल सकता है।
  5. 1 वर्ष का बच्चा स्वयं उठकर खड़ा हो सकता है तथा उंगली पकड़कर अथवा स्वयं चलने लगता है।
  6. 11 वर्ष का बच्चा बिना किसी सहारे के चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियों पर चढ़ सकता है।

प्रश्न 8.
बच्चों को टीकों की बूस्टर दवा कब दिलाई जाती है?
उत्तर-
छ: वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं ताकि उन्हें कई जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके।

मनुष्य के विकास के पड़ाव PSEB 9th Class Home Science Notes

  • मानवीय जीवन का आरम्भ बच्चे के मां के गर्भ में आने से होता है।
  • मानवीय विकास के विभिन्न पड़ाव होते हैं जैसे ; बचपन, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था।
  • बच्चा जन्म से लेकर दो वर्ष तक बेचारा-सा तथा दूसरों पर निर्भर होता है।
  • 12 वर्ष का बच्चा स्वयं चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  • दो वर्ष के बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं।
  • दो से तीन वर्ष का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है।
  • छ: वर्ष तक बच्चे की,खाने, पीने, सोने, टट्टी-पेशाब तथा शारीरिक सफ़ाई की आदतें पक्की हो जाती हैं।
  • स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  • जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लग जाती है तो इस आयु को किशोसवस्था कहते हैं।
  • किशोरों के माता-पिता का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने बच्चों को लिंग शिक्षा सही ढंग से दें।
  • इस आयु में बच्चे स्वयं को बालिग समझने लगते हैं।
  • पहले बच्चे कानूनी तौर पर 21 वर्ष की आयु पर बालिग हो जाते थे तथा अब 18 वर्ष की आयु के बच्चे को कानूनी तौर पर बालिग करार दे दिया जाता है।
  • प्रौढ़ावस्था के दो पड़ाव हैं। 40 वर्ष तक पहली तथा 40 से 60 वर्ष की पिछली प्रौढ़ावस्था।
  • 45 से 50 वर्ष की आयु में औरतों को माहवारी बन्द हो जाती है।
  • वृद्धावस्था के प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव होता है।
  • वृद्धावस्था में नींद कम आती है तथा दाँत खराब होने के कारण भोजन ठीक तरह नहीं खाया जा सकता।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

PSEB 9th Class Home Science Guide वस्त्र धोने के लिए सामान Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्र धोने में प्रयोग होने वाले सामान को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-

  1. स्टोर करने के लिए सामान
  2. वस्त्र धोने के लिए सामान
  3. वस्त्र सुखाने के लिए सामान
  4. वस्त्र इस्तरी करने के लिए सामान।

प्रश्न 2.
वस्त्र संग्रह करने के लिए हमें क्या-क्या सामान चाहिए?
उत्तर-
इसके लिए हमें अलमारी, लांडरी बैग अथवा गंदे वस्त्र रखने के लिए टोकरी की ज़रूरत होती है। मर्तबान तथा प्लास्टिक के डिब्बे भी आवश्यक होते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 3.
वस्त्र धोने के लिए हम पानी कहां से प्राप्त करते हैं?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए वर्षा का पानी, दरिया का पानी, चश्मे का पानी तथा कुएं आदि स्रोतों से पानी प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
हल्के और भारी पानी में क्या अन्तर है?
उत्तर

भारी पानी हल्का पानी
(1) इसमें अशुद्धियां होती हैं। (1) इसमें अशुद्धियां नहीं होती।
(2) इसमें साबुन की झाग नहीं बनती। (2) इसमें आसानी से साबुन की झाग बन जाती है।

प्रश्न 5.
भारी पानी को हल्का कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर-
भारी पानी को उबाल कर तथा चूने के पानी से मिलाकर हल्का बनाया जा सकता है अथवा फिर कास्टिक सोडा अथवा सोडियम बाइकार्बोनेट से प्रक्रिया करके इसको हल्का बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
स्थाई और अस्थाई भारी पानी में क्या अन्तर हैं ?
उत्तर-

अस्थाई भारी पानी स्थाई भारी पानी
(1) इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम क्लोराइड तथा सल्फेट घुले होते हैं। (1) इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लवण होते हैं।
(2) इसको उबालकर तथा चूने के पानी से मिलाकर हल्का बनाया जाता है। (2) कास्टिक सोडा अथवा सोडियम बाइ-कार्बोनेट से प्रक्रिया करके छानकर इसको हल्का बनाया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 7.
वस्त्रों की धुलाई में पानी का क्या महत्त्व है?
उत्तर-

  1. पानी को विश्वव्यापी घोलक कहा जाता है। इसलिए वस्त्रों पर लगे दाग तथा मिट्टी आदि पानी में घुल जाते हैं तथा वस्त्र साफ़ हो जाते हैं।
  2. पानी वस्त्र को गीला करके अन्दर तक चला जाता है तथा उसको साफ़ कर देता है।

प्रश्न 8.
पानी के स्त्रोत के आधार पर पानी का वर्गीकरण कैसे करोगे?
उत्तर-
पानी के स्रोत के आधार पर पानी का वर्गीकरण निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है

  1. वर्षा का पानी-यह पानी का सबसे शुद्ध रूप होता है। यह हल्का पानी होता है, परन्तु हवा की अशुद्धियां इसमें घुली होती हैं। इसको वस्त्र धोने के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
  2. दरिया का पानी-पहाड़ों की बर्फ पिघल कर दरिया बनते हैं। जैसे-जैसे यह पानी मैदानी इलाकों में आता रहता है इसमें अशुद्धियों की मात्रा बढ़ती रहती है तथा पानी गंदा सा हो जाता है। यह पानी पीने के लिए ठीक नहीं होता, परन्तु इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं।
  3. चश्मे का पानी-धरती के नीचे इकट्ठा हुआ पानी किसी कमज़ोर स्थान से बाहर निकल आता है, इसको चश्मा कहते हैं। इस पानी में कई खनिज लवण घुले होते हैं इसको कई बार दवाई के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। वस्त्र धोने के लिए यह पानी ठीक है।
  4. कुएँ का पानी-धरती को खोदकर जो पानी बाहर निकलता है वह पानी पीने के लिए ठीक होता है। इसको कुएँ का पानी कहते हैं। इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं।
  5. समुद्र का पानी-इस पानी में काफ़ी अधिक अशुद्धियां होती हैं। यह पीने के लिए तथा वस्त्र धोने के लिए भी ठीक नहीं होता।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 9.
वस्त्र धोने के लिए पानी के अतिरिक्त अन्य कौन-कौन सा सामान चाहिए?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए पानी के अतिरिक्त साबुन, टब, बाल्टियां, चिल्मचियां, मग, रगड़ने वाला ब्रुश तथा फट्टा, पानी गर्म करने वाली देग, वस्त्र धोने वाली मशीन, सक्शन वाशर आदि सामान ज़रूरत होती है।

प्रश्न 10.
वस्त्र सुखाने के लिए क्या-क्या सामान चाहिए? महानगरों और फ्लैटों में रहने वाले लोग वस्त्र कैसे सखाते हैं?
उत्तर-
वस्त्रों को सुखाने के लिए प्राकृतिक धूप तथा हवा की ज़रूरत होती है। परन्तु अन्य सामान जिसकी ज़रूरत होती है, वह है

  1. रस्सी अथवा तार,
  2. क्लिप तथा हैंगर
  3. वस्त्र सुखाने वाला रैक,
  4. वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट।

बड़े शहरों में फ्लैटों में रहने वाले लोग कपड़ों को सुखाने के लिए रैकों का प्रयोग करते हैं। ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन की सहायता भी ली जा सकती है।

प्रश्न 11.
वस्त्र सुखाने के लिए क्या-क्या सामान चाहिए? हमारे देश में वस्त्र सुखाने के लिए कौन-सा ढंग अपनाया जाता है?
उत्तर-
वस्त्र धोने के लिए सामान-देखें प्रश्न 10 का उत्तर।
हमारे देश में साधारणतः घर खुले से होते हैं। छतों अथवा चौबारों पर जहां धूप आती हो रस्सियां अथवा तारों को ठीक ऊंचाई पर बांधकर इन पर वस्त्र सुखाने के लिए लटकाये जाते हैं।
बड़े शहरों में जहां घर खुले नहीं होते तथा लोग फ्लैटों में रहते हैं, वस्त्रों को रैकों पर सुखाया जाता है।
आजकल वाशिंग मशीनों का प्रयोग तो हर कहीं होने लगा है। इनके साथ भी वस्त्र सुखाये जा सकते हैं।

प्रश्न 12.
वस्त्रों को इस्तरी करना क्यों ज़रूरी है और कौन-कौन से सामान की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर-
वस्त्र धोकर जब सुखाये जाते हैं, इनमें कई सिलवटें पड़ जाती हैं तथा वस्त्र की दिखावट बुरी-सी हो जाती है। कपड़ों को प्रैस करके इनकी सिलवटें आदि तो निकल ही जाती हैं साथ ही वस्त्र में चमक भी आ जाती है तथा वस्त्र साफ़-सुथरा लगता है।
वस्त्र प्रैस करने के लिए निम्नलिखित सामान की ज़रूरत पड़ती है
बिजली अथवा कोयले से चलने वाली प्रैस, प्रेस करने के लिए फट्टा आदि।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 13.
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाले सही सामान के चयन से समय और श्रम की बचत कैसे होती है?
उत्तर-
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाला सामान इस तरह है

  1. स्टोर करने के लिए सामान
  2. वस्त्र धोने के लिए सामान
  3. वस्त्र सुखाने के लिए सामान
  4. वस्त्र प्रैस करने के लिए सामान।

जब धोने वाले वस्त्र पहले ही इकट्ठे करके एक अल्मारी अथवा टोकरी आदि में रखे जाएं जो कि धोने वाले स्थान के नज़दीक रखी हो तो वस्त्र धोते समय सारे घर से विभिन्न कमरों से पहले वस्त्र इकट्ठे करने का समय बच जाता है। यह आदत गृहिणी को सारे घर के सदस्यों को डालनी चाहिए कि जो भी धोने वाला कपड़ा हो उसे इस काम के लिए बनाई अलमारी अथवा टोकरी में रखें।

घर में साबुन, डिटर्जेंट, नील, ब्रुश आदि आवश्यक सामान पहले ही मौजूद होना चाहिए। इस तरह नहीं होना चाहिए कि उधर से वस्त्र धोने आरम्भ कर लिये जाएं तथा बाद में पता चले घर में तो साबुन अथवा कोई अन्य आवश्यक सामान नहीं है। इस तरह समय तथा मेहनत दोनों नष्ट होते हैं।

धोने के लिए पानी भी हल्का ही प्रयोग करना चाहिए क्योंकि भारी पानी में साबुन की झाग नहीं बनती तथा वस्त्र अच्छी तरह नहीं निखरते। इसलिए पानी को गर्म करके अथवा अन्य तरीके से पानी को हल्का बना लेना चाहिए। वस्त्र सुखाने का भी ठीक प्रबन्ध होना चाहिए। रस्सियों आदि को अच्छी तरह बांधना चाहिए तथा कपड़ों पर क्लिप आदि लगा लेने चाहिए ताकि हवा चले तो वस्त्र उड़ न जाएं। यदि रैक हैं तो इन्हें पहले ही खोल लेना चाहिए। इस तरह विभिन्न आवश्यक सामान पहले ही इकट्ठा किया हो तो समय तथा मेहनत की त्चत हो जाती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान

प्रश्न 14.
वस्त्र धुलाई के समान को किन-किन भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
स्टोर करने के लिए सामान-

  1. अलमारी-धोने वाले कमरे के नज़दीक अलमारी होनी चाहिए जिसमें साबुन, नील, मावा, रीठे, दाग उतारने वाला सामान आदि होना चाहिए।
  2. लाऊण्डरी बैग अथवा वस्त्र रखने के लिए टोकरी-इसमें घर के गंदे वस्त्र रखे जाते हैं।
  3. मर्तबान तथा प्लास्टिक के डिब्बे-रीठे, दाग उतारने का सामान, नील, डिटर्जेंट आदि इनमें रखा जाता है।

वस्त्र धोने के लिए सामान-

  1. पानी-पानी एक विश्वव्यापी घोलक है। इसमें सभी तरह की मैल घुल जाती है तथा इस तरह इसका कपड़ों की धुलाई में महत्त्वपूर्ण स्थान है। पानी को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है। वर्षा का पानी, दरिया का पानी, चश्मे का पानी, कुएँ के पानी का प्रयोग वस्त्र धोने के लिए किया जा सकता है।
  2. साबुन-वस्त्र धोने के लिए कई सफ़ाईकारी पदार्थ, साबुन तथा डिटर्जेंट मिलते हैं। वस्त्र साफ़ करने में इनका बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  3. टब तथा बाल्टियां- इनमें वस्त्र भिगोकर रखे, धोये तथा खंगाले जाते हैं। यह लोहे, प्लास्टिक अथवा पीतल के होते हैं। इनमें नील देने, रंग देने तथा मावा देने का भी कार्य किया जाता है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (1)
  4. चिल्मचियां तथा मग-इनमें नील, मावा आदि देने का कार्य किया जाता है। यह प्लास्टिक, तामचीनी तथा पीतल आदि के होते हैं।
  5. लकड़ी का चम्मच तथा डण्डा-इससे नील अथवा मावा घोलने का कार्य किया जाता है। चद्दरें, खेस आदि को डण्डे अथवा थापी से पीट कर साफ़ किया जाता है।
  6. हौदी-धुलाई वाले कमरे में पानी की टूटी के नीचे सीमेंट की हौदी बनी हई होनी चाहिए। इससे काम आसान हो जाता है। हौदी के दोनों ओर सीमेंट अथवा लकड़ी के फट्टे लगे होने चाहिएं ताकि धोकर वस्त्र इन पर रखे जा सकें। इनकी ढलान हौदी की ओर होनी चाहिए।
  7. रगड़ने वाला ब्रुश तथा फट्टा-प्लास्टिक के ब्रुशों का प्रयोग वस्त्र के अधिक मैले हिस्से को रगड़कर मैल उतारने के लिए किया जाता है। फट्टा लकड़ी, स्टील अथवा जस्त का बना होता है। इस पर रखकर वस्त्र को रगड़कर मैल निकाली जाती है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (2)
  8. गर्म पानी-वस्त्र धोने के लिए या तो बिजली के बायलर में पानी गर्म किया जाता है या फिर आग के सेक से बर्तन में डालकर पानी गर्म किया जाता है।
  9. वस्त्र धोने वाली मशीन-इससे समय तथा. शक्ति दोनों की बचत होती, अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार इसको खरीदा जा सकता है।
  10. सक्शन वाशर-भारी, ऊनी, कम्बल, साड़ियां तथा अन्य वस्त्र इसके प्रयोग से आसानी से धोए जा सकते हैं।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (3)

वस्त्र सुखाने के लिए सामान — वस्त्रों को धोने के पश्चात् साधारणतः प्राकृतिक धूप तथा हवा में सुखाया जाता है। अन्य आवश्यक सामान इस तरह हैं —

  1. रस्सी अथवा तार-रस्सी को अथवा तार को खींचकर खूटियों तथा खम्बों में बांधा जाता है। रस्सी नायलॉन, सन अथवा सूत की हो सकती है। जंग रहित लोहे की तार भी हो सकती है।
  2. क्लिप तथा हैंगर-वस्त्र तार पर लटका कर क्लिप लगा दी जाती है ताकि हवा चलने पर वस्त्र नीचे गिरकर खराब न हो जाएं। बढ़िया किस्म के वस्त्र हैंगर में डालकर सुखाए जा सकते हैं।
  3. वस्त्र सुखाने वाले रैक-बरसातों में अथवा बड़े शहरों में जहां लोग फ्लैटों में रहते हैं वहां रैकों पर वस्त्र सुखाये जाते हैं । यह एल्यूमीनियम अथवा लकड़ी के हो सकते हैं। इन्हें फोल्ड करके सम्भाला भी जा सकता है।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (4)
  4. वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट-विकसित देशों में प्रायः इसका प्रयोग होता है। खासकर जहां अधिक ठण्ड अथवा वर्षा होती है उन देशों में इनका प्रयोग साधारण है।
    इनके अतिरिक्त ऑटोमैटिक वाशिंग मशीनों से भी वस्त्र सुखाये जा सकते हैं।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (5)

वस्त्र प्रैस करने वाला सामान —

  1. प्रेस-वस्त्र प्रैस करने के लिए बिजली अथवा कोयले वाली प्रेस का प्रयोग किया जाता है। प्रैस लोहे, पीतल तथा स्टील की मिलती है।
  2. प्रैस करने वाला फट्टा — यह लकड़ी का होता है, फट्टे के स्थान पर बैंच अथवा मेज आदि का भी प्रयोग किया जा सकता है । इस पर एक कम्बल बिछा कर ऊपर पुरानी चादर बिछा लेनी चाहिए।
    PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 11 वस्त्र धोने के लिए सामान (6)

प्रश्न 15.
वस्त्र धोने के लिए पानी कहां से प्राप्त किया जा सकता है और क्यों? कैसा पानी वस्त्र धोने के लिए उपयुक्त नहीं और क्यों?
उत्तर-
देखो प्रश्न 8 का उत्तर।
समुद्र के पानी का प्रयोग वस्त्र धोने के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें बहुत सारी अशुद्धियां मिली होती हैं।

Home Science Guide for Class 9 PSEB वस्त्र धोने के लिए सामान Important Questions and Answers

वस्तुनिक प्रश्न

रिक्त स्थान भरें-

  1. पानी घोलक है।
  2. हल्के पानी में …………….. की झाग शीघ्र बनती है।
  3. …………….. पानी में बहुत-सी अशुद्धियां होती हैं।
  4. स्रोत के आधार पर पानी को …………………. किस्मों में बांटा गया है।
  5. ……………… भारी पानी में कैल्शियम क्लोराइड होता है।

उत्तर-

  1. यूनिवर्सल,
  2. साबुन,
  3. समुद्र के,
  4. पांच,
  5. स्थायी।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारे पानी में कौन-से लवण होते हैं?
उत्तर-
कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लत्रण।

प्रश्न 2.
स्वाद के अनुसार पानी कितने प्रकार का है?
उत्तर-
दो प्रकार का।

प्रश्न 3.
फ्लैटों में रहने वाले लोग कपड़े कहां सुखाते हैं?
उत्तर-
रैकों में।

प्रश्न 4.
साबुन को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
सफाईकारी।

प्रश्न 5.
बिजली की कैबिनेट का प्रयोग कपड़े सुखाने के लिए किन देशों में हो रहा
उत्तर-
विकसित देशों में।

ठीक ग़लत बताएं

  1. लांडरी बैग में धोने वाले कपड़े एकत्र किए जाते हैं।
  2. पानी एक विश्वव्यापी घोलक है।
  3. पानी दो प्रकार का होता है हल्का तथा भारी।
  4. हल्के पानी में साबुन की झाग नहीं बनती।
  5. समुद्र का पानी पीने के लिए तथा कपड़े धोने के लिए ठीक नहीं होता।
  6. कपड़ों को धूप में सुखाना ठीक है।

उत्तर-

  1. ठोक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ग़लत,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धुलाई के लिए प्रयोग होने वाला सामान है
(A) स्टोर करने वाला
(B) कपड़े धोने वाला
(C) कपड़े सुखाने वाला
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
कपड़े धोने के लिए सामान है
(A) पानी
(B) साबुन
(C) टब, बाल्टियां
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
ठीक तथ्य हैं
(A) फ्लैटों में रहने वाले रैकों पर कपड़े सुखाते हैं
(B) धूप में कपड़े सुखाना अच्छा है
(C) समुद्र के पानी से कपड़े नहीं धो सकते
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धोबी को वस्त्र देने के क्या नुकसान हैं?
उत्तर-

  1. धोबी कई बार वस्त्र साफ़ करने के लिए ऐसी विधियों का प्रयोग करता है जिससे वस्त्र जल्दी फट जाते हैं अथवा फिर कमजोर हो जाते हैं।
  2. कई बार वस्त्रों के रंग खराब हो जाते हैं।
  3. छूत की बीमारियां होने का भी डर रहता है।
  4. धोबी से वस्त्र धुलाना महंगा पड़ता है।

प्रश्न 2.
जल चक्र क्या है?
उत्तर-
प्राकृतिक रूप में पानी कुओं, चश्मों, दरियाओं तथा समुद्रों में से मिलता है। धरती पर सूर्य की धूप से यह पानी भाप बनकर उड़ जाता है तथा वायुमण्डल में जलवाष्प के रूप में इकट्ठा होता रहता है तथा बादलों का रूप धारण कर लेता है। जब यह भारी हो जाते हैं तो वर्षा, ओलों तथा बर्फ के रूप में पानी दुबारा धरती पर आ जाता है। यह पानी शुरू से दरियाओं द्वारा होता हुआ समुद्र में मिल जाता है। तथा यह चक्र इसी तरह चलता रहता है।

प्रश्न 3.
स्वादानुसार पानी का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
उत्तर-
स्वादानुसार पानी दो तरह का होता है-

  1. मीठा अथवा हल्का पानी-इस पानी का स्वाद मीठा होता है।
  2. खारा पानी-यह पानी स्वाद में नमकीन-सा होता है।

प्रश्न 4.
पानी का वर्गीकरण अशुद्धियों के अनुसार किस प्रकार किया गया है?
उत्तर-
अशुद्धियों के अनुसार पानी दो प्रकार का है

  1. हल्का पानी-इसमें अशुद्धियां नहीं होतीं तथा यह पीने में स्वादिष्ट होता है। इसमें साबुन की झाग भी शीघ्र बनती है।
  2. भारी पानी-इसमें कैल्शियम तथा मैग्नीशियम के लवण घुले होते हैं। यह साबुन से मिलकर झाग नहीं बनाता। यह भी दो तरह का होता है अस्थाई भारी पानी तथा स्थाई भारी पानी।

प्रश्न 5.
वस्त्र धोने के लिए थापी अथवा डण्डे का प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए? वस्त्र धोने वाला फट्टा क्या होता है?
उत्तर-
थापी का अधिक प्रयोग किया जाये तो कई बार वस्त्र फट जाते हैं, वस्त्र धोने वाला फट्टा स्टील अथवा लकड़ी का बना होता है। इस पर रखकर वस्त्रों को साबुन लगाकर रगड़ा जाता है। इस तरह वस्त्र से मैल उतर जाती है।

प्रश्न 6.
आप वस्त्र सुखाने के लिए लोहे के तार का प्रयोग करोगे अथवा नाइलॉन की रस्सी का?
उत्तर-
वैसे तो दोनों का प्रयोग किया जा सकता है परन्तु लोहे की तार को जंग लग जाता है जिससे वस्त्र पर दाग पड़ जाते हैं। इसलिए नाइलॉन की रस्सी अधिक उपयुक्त रहेगी।

वस्त्र धोने के लिए सामान PSEB 9th Class Home Science Notes

  • घर में वस्त्र कपड़े धोने के लिए कई तरह का सामान चाहिए।
  • वस्त्र धोने का सामान अपनी आर्थिक हालत अनुसार तथा आवश्यकतानुसार ही लो।
  • लाऊण्डरी बैग में धोने वाले वस्त्र इकट्ठे किये जाते हैं।
  • पानी एक विश्वव्यापी घोलक है, इसमें साधारणतः प्रत्येक प्रकार की मैल घुल जाती है।
  • पानी प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्रोत हैं। वर्षा, दरिया, कुएं, चश्मे तथा समुद्र का पानी।
  • समुद्र का पानी वस्त्र धोने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
  • पानी दो तरह का होता है-हल्का तथा भारी।
  • हल्के पानी में साबुन की झाग शीघ्र बनती है।
  • भारी पानी स्थाई तथा अस्थाई दो तरह का होता है। अस्थाई भारे पानी को उबाल कर हल्का किया जा सकता है।
  • साबुनों को सफ़ाईकारी कहा जाता है। यह चर्बी तथा खारों के मिश्रण से बनता
  • टब, बाल्टियां, चिल्मचियां आदि का प्रयोग नील देने, मावा देने, वस्त्र भिगोने, खंगालने आदि के लिए किया जाता है।
  • फ्लैटों में रहने वाले लोग वस्त्र सुखाने के लिए रैकों का प्रयोग करते हैं।
  • विकसित देशों में वस्त्र सुखाने के लिए बिजली की कैबिनेट का प्रयोग किया जाता है।
  • वस्त्र को साफ़-सुथरी, चमकदार, सिलवट रहित दिखावट प्रदान करने के लिए इस्तरी किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

PSEB 9th Class Home Science Guide घरेलू सफ़ाई Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
घर की सफाई में किस प्रकार का सामान प्रयोग में आता है ?
उत्तर-
घर की सफाई के लिए पांच प्रकार के सामान का प्रयोग होता हैपोचा तथा पुराने कपड़े, झाड़ तथा ब्रुश, बर्तन, सफाई के लिए साबुन तथा अन्य प्रतिकारक, सफाई करने वाले यन्त्र।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 4 घरेलू सफ़ाई

प्रश्न 2.
सफाई करने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जाती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोना, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन (वैक्यूम क्लीनर) से।

प्रश्न 3.
दैनिक सफाई और मासिक सफाई में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
दैनिक सफाई-प्रतिदिन की जाने वाली सफाई को दैनिक सफाई कहते हैं। रोजाना सफाई में प्रत्येक कमरे में झाड़-पोचा लगाया जाता है।
मासिक सफाई- यह सफाई महीने बाद तथा महीने में एक बार की जाती है। जैसेरसोई तथा अल्मारियों की सफाई आदि।

प्रश्न 4.
वैक्यूम क्लीनर कैसा उपकरण है ?
उत्तर-
यह एक बिजली से चलने वाली मशीन है। जब इसको बिजली से जोड़कर सफाई करने वाले स्थान पर चलाया जाता है तो सारी मिट्टी आदि इसके अन्दर खींची जाती है तथा एक थैली में इकट्ठी हो जाती है। यह मशीन प्रयोग करने से धूल नहीं उड़ती तथा सफाई भी अच्छी तरह से हो जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
घर की सफाई क्यों ज़रूरी होती है ?
उत्तर-

  1. सफाई करने से घर साफ तथा सुन्दर लगता है जो कि गृहिणी की सुघड़ता का सूचक होता है।
  2. गन्दे घर की हवा दूषित होती है जिसमें सांस लेने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सफाई करने से घर की हवा भी साफ हो जाती है।
  3. अधिक समय गन्दा रखने से घर का सामान जल्दी खराब हो जाता है। गन्दी जगह पर बैठने को किसी का मन नहीं करता।
  4. गन्दे घर में कई प्रकार के कीटाणु, मक्खी, मच्छर आदि पैदा होते हैं जो कई तरह की बीमारियां फैलाते हैं।

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प्रश्न 6.
घर की सफाई करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
घर की सफाई के समय ध्यान में रखने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें

  1. घर के सभी सदस्यों को घर की सफाई के प्रति दिलचस्पी होनी चाहिए। क्योंकि सदस्यों को घर की सफाई के दौरान सभी सदस्यों का सहयोग अनिवार्य होता है।
  2. सफाई करने से पहले योजना बना लेनी चाहिए क्योंकि बिना योजना से की जाने वाली सफाई में अधिक समय खराब होता है।
  3. सफाई करते समय ज़रूरत का सारा सामान एक जगह पर इकट्ठा कर लेना चाहिए।
  4. सफाई के साधनों का प्रयोग करने के पश्चात् उन्हें फिर से साफ करके रख लेना चाहिए ताकि वह दोबारा प्रयोग में लाए जा सके जैसे पॉलिश करने के पश्चात् ब्रुश मिट्टी के तेल से साफ करके सम्भाल लेना चाहिए ताकि वह दोबारा प्रयोग किया जा सके।
  5. सफाई करते समय ठीक प्रकार की सामग्री का प्रयोग करना चाहिए। इससे सफाई भी ठीक ढंग से होती है तथा समय तथा शक्ति की भी बचत होती है।
  6. सफाई सही ढंग तथा ध्यान से करनी चाहिए। लापरवाही से की गई सफाई घर को साफ बनाने के स्थान पर और भी बदसूरत बना देती है।

प्रश्न 7.
घर की सफाई करने के लिए कौन-कौन सा सामान चाहिए ?
उत्तर-
घर की सफाई के लिए सामान का विवरण इस प्रकार है –

  1. पोचा तथा पुराने कपड़े-दरवाजे, खिड़कियां झाड़ने के लिए चारों तरफ से उलेडा हुआ मोटा कपड़ा चाहिए। फर्श की सफाई के लिए खद्दर, टाट, खेस के टुकड़े को पोचे के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। पॉलिश करने तथा चीज़ों को चमकाने के लिए फ्लालेन आदि जैसे कपड़े की ज़रूरत है। शीशे की सफाई के लिए पुराने सिल्क के कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. झाड़ तथा ब्रश-विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग ब्रश मिल जाते हैं। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा पर साफ ब्रुश, फर्श साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश आदि । इसी तरह सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए बांसों वाला झाड़ आदि मिल जाते हैं।
  3. सफाई के लिए बर्तन-रसोई में सब्जियों आदि के छिलके डालने के लिए ढक्कन वाला डस्टबिन तथा अन्य कमरों में प्लास्टिक के डिब्बे अथवा टोकरियां रखनी चाहिएं। इन्हें रोज़ खाली करके दोबारा इनके स्थान पर रख देना चाहिए।
  4. सफाई के लिए साबुन आदि-सफाई करने के लिए साबुन, विम सोडा, नमक, सर्फ, पैराफिन आदि की ज़रूरत होती है। दाग-धब्बे दूर करने के लिए नींबू, सिरका, हाइड्रोक्लोरिक तेज़ाब आदि की ज़रूरत होती है। कीटाणु समाप्त करने के लिए फिनाइल तथा डी० डी० टी० आदि की ज़रूरत होती है।
  5. सफाई करने वाले उपकरण-वैक्यूम क्लीनर एक ऐसा उपकरण है जिससे फर्श, सोफे, गद्दियां आदि से धूल तथा मिट्टी साफ की जा सकती है। यह बिजली से चलता है।

प्रश्न 8.
सफाई करने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जा सकती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश -से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़ कर पोंछना, बिजली की मशीन से।
सीमेंट, चिप्स, पत्थर आदि वाले फर्श की सफाई झाड से की जाती है जबकि घास तथा कालीन के लिए तीलियों वाला झाड़ का प्रयोग किया जाता है।
बाथरूम तथा रसोई को रोज़ धोकर साफ किया जाता है।
घर के साजो-सामान पर पड़ी धूल-मिट्टी को कपड़े से झाड़-पोंछ कर साफ किया जाता
है।

प्रश्न 9.
सफाई करने के लिए क्या बिजली की कोई मशीन है ? यदि हां, तो कौन-सी और कैसे प्रयोग में लाई जाती है ?
उत्तर-
बिजली से चलने वाली सफाई मशीन वैक्यूम क्लीनर है। इससे फर्श, पर्दे, दीवारें, सोफा, दरियां, फर्नीचर, कालीन आदि साफ किये जा सकते हैं।
यह एक ऊंचे हैण्डल वाली मोटर है। इसमें एक थैली लगी होती है। जब इसको चलाया जाता है तो सारी मिट्टी इसमें चली जाती है। यह मिट्टी थैली में इकट्ठी हो जाती है। सफाई कर लेने के पश्चात् थैली को उतार कर झाड़ लिया जाता है। इस मशीन के प्रयोग से मिट्टी नहीं उड़ती तथा सफाई भी अच्छी होती है।

प्रश्न 10.
सफाई करने के लिए कौन-कौन से झाड़ और ब्रुश की ज़रूरत पड़ती
उत्तर-

1. ब्रुश-सफाई के लिए कई तरह के ब्रुशों का प्रयोग किया जाता है। ब्रुश खरीदने के लिए एक विशेष बात का ध्यान रखें कि उसे किस चीज़ की सफाई के लिए प्रयोग करना है। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा परन्तु सख्त ब्रुश, दीवारें साफ करने के लिए नर्म ब्रुश, फर्श को साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, छोटी वस्तुएं साफ करने के लिए दांतों वाले ब्रुश, फर्श से काई उतारने के लिए तारों वाले सख्त ब्रुश की ज़रूरत होती है। फर्नीचर की पॉलिश करने के लिए नर्म ब्रुश का प्रयोग किया जाता है। दीवारों पर सफेदी करने के लिए मूंजी की कूची तथा दरवाजे, खिड़कियां तथा अल्मारियों को पेंट अथवा पॉलिश करने के लिए 1½ इंच वाले तथा दीवारों पर पेंट अथवा डिस्टैंपर करने के लिए तीन-चार इंच वाले ब्रुशों की ज़रूरत पड़ती है। बाथरूम में फ्लशों को साफ करने के लिए विशेष प्रकार के गोल, नर्म ब्रुश प्रयोग किये जाते हैं। दीवारों से जाले उतारने के लिए भी लम्बी डण्डी वाले ब्रुश होते हैं।

2. झाड़-घर को तथा घर के और सामान को साफ करने के लिए विभिन्न प्रकार के झाड़ प्रयोग में लाये जाते हैं। सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म जैसे झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए अथवा घास पर फेरने के लिए तीलियों वाले मोटे बांस के झाड़ की ज़रूरत होती है। सफाई करने के लिए कई बार खजूर तथा नारियल के पत्तों के झाड़ भी प्रयोग किये जाते हैं। आजकल बाज़ार में लम्बे डंडे वाले झाड़ नुमा ब्रुश भी मिल जाते हैं जिनसे खड़ेखड़े फर्शों की सफाई की जाती है।

प्रश्न 11.
घर में सफाई की व्यवस्था कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
घर में सफाई की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है :

  1. दैनिक सफाई
  2. साप्ताहिक सफाई
  3. मासिक सफाई
  4. वार्षिक सफाई
  5. विशेष अवसर पर सफाई।

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प्रश्न 12.
दैनिक सफाई से आप क्या समझते हो ? इसके क्या लाभ हैं? .
उत्तर-
दैनिक सफाई दैनिक सफाई में वे कार्य शामिल किये जाते हैं जो प्रतिदिन किये जाते हैं। इसके कई लाभ हैं। दैनिक सफाई करने से कोई भी सामान अधिक गन्दा नहीं होता। यदि बहुत गन्दे सामान को साफ करना हो तो समय, शक्ति तथा धन भी अधिक खर्च होता है। परन्तु प्रतिदिन करने से बिल्कुल अनुभव नहीं होता। दैनिक सफाई सुबह ही करनी चाहिए। क्योंकि रात को सारा गरदा, मिट्टी चीजों पर जम जाती है। इसलिए साफ करना कठिन होता है। दैनिक सफाई के लिए बहुत योजनाबन्दी की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि यह सभी कार्य करने की आदत ही बन चुकी होती है। यह सारे कार्य या तो गृहिणी स्वयं करती है अथवा फिर परिवार के सदस्यों की सहायता ली जाती है तथा कई बार नौकरों से करवाए जाते हैं।

दैनिक सफाई के लिए सबसे पहले परदे पीछे करके कांच की खिड़कियां खोल देनी चाहिएं जिससे ताजा हवा तथा रोशनी घर में आ सके। फिर कमरों की चादरें झाड कर बिछा दें। बिखरे हुए सामान को अपनी-अपनी जगह पर रखें। फिर कमरों में रखे कूडेदानों को खाली करके सभी कमरों, बरामदे तथा आंगन में झाड़ लगाओ। फिर कपड़ा लेकर मेज़, कुर्सियां, टेबल तथा अन्य कमरों में पड़े सामान की झाड़-पोंछ करनी चाहिए। झाड़-पोचा करते समय कपड़ा ज़ोर से पटक कर न मारें, इस तरह करने से धूल एक स्थान से उड़कर दूसरी जगह पड़ जाती है तथा चीजें टूटने का भी डर रहता है। इसके पश्चात् कोई मोटा कपड़ा जैसे पुराना तौलिया आदि लेकर, बाल्टी में पानी लेकर, कपड़ा गीला करके सभी कमरों में पोचा लगाना चाहिए। भिन्न-भिन्न सामान को ठीक करके टिकाने पर रखा जाता है। इस तरह पूरा घर साफ-सुथरा हो जाता है। यदि घर में कहीं कच्ची जगह है तो पहले वहां हल्का सा पानी का छिड़काव कर लेना चाहिए ताकि झाड़ लगाने पर अधिक मिट्टी न उड़े।

प्रश्न 13.
दैनिक तथा साप्ताहिक सफाई में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
दैनिक सफाई-दैनिक सफाई में वह कार्य शामिल हैं जो रोज़ किये जाते हैं।
साप्ताहिक सफाई-यह सफाई सप्ताह के बाद तथा सप्ताह में एक बार की जाती है।
साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्य समय सीमित होने के कारण गृहिणी के लिए यह सम्भव नहीं कि वह घर की प्रत्येक चीज़ को रोज़ साफ करे। वैसे ही कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनकी रोज़ाना सफाई की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए ऐसे सारे कार्य जैसे चादरों, गिलाफों अथवा सोफे के कपड़ों को रोजाना बदलने की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए ऐसे कार्य जैसे कालीन की सफाई, गिलाफ, फ्रिज की सफाई, रसोई की शैल्फ तथा गैस स्टोव की सफाई, रसोई घर के डिब्बों की सफाई, बाथरूम की बाल्टियां, मग तथा साबुनदानी आदि की सफाई साप्ताहिक सफाई में ही आते हैं।

इसके अतिरिक्त यदि गृहिणी के पास समय हो तो कपड़ों वाली अल्मारियों को साफ किया जा सकता है जिससे ज़रूरत पड़ने पर सामान आसानी से ढूंढा जा सकता है। साप्ताहिक सफाई में घर के सभी कमरों, बरामदों आदि से जाले उतारने बहुत ज़रूरी हैं। गृहिणी को यह योजना बनाकर (जबानी अथवा लिखित) रखनी चाहिए कि इस सप्ताह के कार्य कौन-से हैं।

प्रश्न 14.
वार्षिक सफाई और विशेष अवसर पर सफाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-

  1. वार्षिक सफाई वार्षिक सफाई, रोज़ाना, साप्ताहिक तथा मासिक सफाई से अधिक विस्तृत होती है। यह कम-से-कम छ:-सात दिन का कार्य होता है। इस कार्य में समय, शक्ति तथा धन भी अधिक खर्च होता है। इसलिए इस कार्य के लिए गृहिणी को पूरी योजनाबन्दी करनी चाहिए। परिवार के अलग-अलग नौकरों तथा सदस्यों को भी कार्य बांटे जाते हैं। घर का सारा सामान एक तरफ करके विस्तृत रूप में सफाई की जाती है ताकि घर से धूल-मिट्टी तथा कीड़े-मकौड़े समाप्त हो सकें। इस सफाई के दौरान घर के टूटे-फूटे सामान की मुरम्मत, पॉलिश तथा अनावश्यक सामान को भी निकाला जाता है। कीड़े-मकौड़े समाप्त करने के लिए घर में सफेदी भी कराई जानी चाहिए। पेटियों तथा अल्मारियों आदि के सामान को धूप लगवानी चाहिए
  2.  विशेष अवसरों तथा त्योहारों के लिए सफाई-हमारे देश में त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर घर की सफाई की जाती है। जैसे दीवाली पर घर में सफेदी करवाई जाती है तथा साथ ही घर की सफाई भी की जाती है। यदि परिवार में किसी बच्चे का विवाह हो तो वार्षिक सफाई वाली सभी क्रियाएं की जाती हैं। पर कई अवसर ऐसे होते हैं जब घर का कुछ हिस्सा ही साफ करके सजाया जाता है। जैसे कि जन्म दिन को मनाने के समय अथवा किसी परिवार को खाने पर बुलाने के मौके पर केवल ड्राईंग रूम की ही खास सफाई की जाती है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 15.
घर की सफाई गृहिणी की सुघड़ता का सूचक है। कैसे ?
उत्तर-
एक साफ-सुथरा तथा सजा हुआ घर गृहिणी की सूझ-बूझ तथा कुशलता का प्रत्यक्ष रूप है। इसलिए सफाई निम्नलिखित बातों के कारण भी महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. सफाई न करने से घर की हवा दूषित हो जाती है जिसमें सांस लेने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  2. गन्दे स्थान पर मक्खियां-मच्छर तथा अन्य कई रोग पैदा करने वाले कीटाणु भी अधिक बढ़ते हैं जो बीमारियों की,जड़ हैं।
  3. गन्दे घर में बैठकर काम करने को दिल नहीं करता। यहां तक कि आस-पड़ोस के लोग भी गन्दगी देखकर घर आना पसन्द नहीं करते।
  4. सफाई करने से घर सजा हुआ दिखाई देता है। यदि सफाई न की जाये तो घर की प्रत्येक वस्तु पर मिट्टी, धूल तथा कूड़ा-कर्कट इकट्ठा हो जाता है जिससे घर गन्दा होने के साथ-साथ घर का सामान भी खराब होना आरम्भ हो जाता है।
  5. साफ-सुथरे सजे हुए घर से गृहिणी की समझदारी का पता चलता है। घर के अन्य कार्यों में से घर की सफाई एक महत्त्वपूर्ण कार्य है।

प्रश्न 16.
घर की सफाई कैसे की जाती है और इसके लिए क्या सामान आवश्यक है ?
उत्तर-
सफाई विभिन्न ढंगों से की जा सकती है जैसे-झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन से।
सीमेंट, चिप्स तथा पत्थर आदि वाली फर्श की सफाई फूल झाड़ से की जाती है जबकि घास तथा कालीन के लिए तीलियों वाला झाड़ प्रयोग किया जाता है।
गुसलखाना तथा रसोई आदि को रोज़ धोकर साफ किया जाता है। घर के साजो-सामान पर पड़ी धूल-मिट्टी को कपड़े से झाड़-पोंछ कर साफ किया जाता है।
घर की सफाई के लिए सामान का विवरण इस प्रकार है –

  1. पोचा तथा पुराने कपड़े-दरवाजे, खिड़कियां झाड़ने के लिए चारों तरफ से उलेड़ा हुआ मोटा कपड़ा चाहिए। फर्श की सफाई के लिए खद्दर, टाट, खेस के टुकड़े पोचे के तौर पर प्रयोग किए जाते हैं। पॉलिश करने तथा चीज़ों को चमकाने के लिए फलालेन आदि जैसे कपड़े की ज़रूरत है। कांच की सफाई के लिए पुराने सिल्क के कपड़े का प्रयोग किया जा सकता है।
  2. झाड़ तथा बुश-विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग ब्रुश मिल जाते हैं। कालीन तथा दरी साफ करने के लिए सख्त ब्रुश, बोतलें साफ करने के लिए लम्बा तथा नर्म ब्रुश, रसोई की हौदी साफ करने के लिए छोटा पर साफ ब्रुश, फर्श साफ करने के लिए तीलियों का ब्रुश आदि। इसी तरह सूखा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए नर्म झाड़ तथा फर्शों की धुलाई के लिए बांसों वाला झाड़ आदि मिल जाते हैं।
  3. सफाई के लिए बर्तन-रसोई में सब्जियों आदि के छिलके डालने के लिए ढक्कन वाला डस्टबिन तथा अन्य कमरों में प्लास्टिक के डिब्बे अथवा टोकरियां रखनी चाहिएं। इन्हें रोज़ खाली करके दोबारा इनके स्थान पर रख देना चाहिए।
  4. सफाई के लिए साबुन आदि-सफाई करने के लिए साबुन, विम सोडा, नमक, सर्फ, पैराफिन आदि की ज़रूरत होती है। दाग-धब्बे दूर करने के लिए नींबू, सिरका, हाइड्रोक्लोरिक तेज़ाब आदि की ज़रूरत होती है। कीटाणु समाप्त करने के लिए फिनाइल तथा डी० डी० टी० आदि की ज़रूरत होती है।
  5. सफाई करने वाले उपकरण-वैक्यूम क्लीनर एक ऐसा उपकरण है जिससे फर्श, सोफे, गद्दियां आदि से धूल तथा मिट्टी झाड़ी जा सकती है। यह बिजली से चलता है।

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प्रश्न 17.
घर की सफाई की व्यवस्था कैसे और किस आधार पर की जाती है ?
उत्तर-
गृहिणी हर रोज़ सारे घर की सफाई नहीं कर सकती क्योंकि यह थका देने वाला कार्य है। इसलिए इस कार्य को करने के लिए सूझ-बूझ से योजना बनाई जाती है। गृहिणी अपनी सुविधा के अनुसार सफाई कर सकती है। घर की सफाई की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है –

  1. रोज़ाना सफाई
  2. साप्ताहिक सफाई
  3. मासिक सफाई
  4. वार्षिक सफाई
  5. विशेष अवसरों पर सफाई।

1. रोज़ाना अथवा दैनिक सफाई-रोज़ाना सफाई से हमारा अभिप्राय उस सफाई से है जो घर में रोज़ की जाती है। इसलिए गृहिणी का यह मुख्य कर्त्तव्य है कि वह घर के उठने-‘ बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोई घर, आंगन, बाथरूम, बरामदा तथा लैटरिन की हर रोज़ सफाई करें। रोजाना सफाई में साधारणतः इधर-उधर बिखरी चीज़ों को ठीक तरह लगाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फर्श पर झाड़ लगाना, गीला पोचा लगाना आदि आते हैं।

2. साप्ताहिक सफाई-एक अच्छी गृहिणी को घर के रोज़ाना जीवन में अनेक कार्य करने पड़ते हैं। इसलिए यह सम्भव नहीं कि वह एक ही दिन में घर की पूरी सफाई कर सके। समय की कमी के कारण घर में जो चीजें हर रोज़ साफ नहीं की जातीं उन्हें सप्ताह में अथवा पन्द्रह दिनों में एक बार अवश्य साफ कर लेना चाहिए। अगर ऐसा न किया गया तो दरवाजों तथा दीवारों की छतों पर जाले इकट्ठे हो जायेंगे। दरवाज़ों तथा खिड़कियों के शीशों, फर्नीचर की सफाई, बिस्तर झाड़ना तथा धूप लगवाना, अल्मारियों की सफाई तथा दरी, कालीन को झाड़ना तथा धूप लगवाना आदि कार्य सप्ताह में एक बार अवश्य किये जाने चाहिएं।

3. मासिक सफाई-जिन कमरों अथवा वस्तुओं की सफाई सप्ताह में एक बार न हो सके, उन्हें महीने में एक बार जरूर साफ करना चाहिए। साधारणत: सारे महीने की खाद्यसामग्री एक बार ही खरीदी जाती है। इसलिए भण्डार गृह में रखने से पहले भण्डार घर को अच्छी तरह झाड़-पोंछ कर ही उसमें खाद्य सामग्री रखी जानी चाहिए। मासिक सफाई के अन्तर्गत अनाज, दालों, अचार, मुरब्बे तथा मसाले आदि को धूप लगवानी चाहिए। अल्मारी के जाले, बल्बों के शेड आदि भी साफ करने चाहिएं।

4. वार्षिक सफाई-वार्षिक सफाई का अभिप्राय वर्ष में एक बार सारे घर की पूरी तरह सफाई करना है। वार्षिक सफाई के अन्तर्गत घर में सफेदी करना, टूटे स्थानों की मरम्मत, दरवाजों, खिड़कियों तथा दहलीज़ों की मरम्मत तथा सफाई तथा रंग-रोगन करवाना, फर्नीचर तथा अन्य सामान की मरम्मत, वार्निश, पॉलिश आदि आती है। कमरों में से सारे सामान को हटाकर चूना, पेंट अथवा डिस्टैंपर करवाना सफाई के पश्चात् फर्श को रगड़ कर धोना तथा दागधब्बे हटाना, सफाई के पश्चात् सारे सामान को दोबारा व्यवस्थित करना वार्षिक कार्य है। इस प्रकार की सफाई से कमरों को नवीन रूप प्रदान होता है। रज़ाई, गद्दों को खोलकर रुई साफ करवाना, धुनाई आदि भी वर्ष में एक बार किया जाता है।

हमारे देश में जब वर्षा ऋतु समाप्त हो जाती है, दशहरे अथवा दीवाली के समय वार्षिक सफाई की जाती है, लीपने-पोचने तथा पॉलिश करवाने से सुन्दरता तो बढ़ती ही है, रोग फैलाने वाले कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं । इसलिए स्वास्थ्य के पक्ष में भी एक बार घर की पूरी सफाई आवश्यक है।

5. विशेष अवसरों तथा त्योहारों के लिए सफाई -हमारे देश में त्योहारों तथा विशेष अवसरों पर घर की सफाई की जाती है। जैसे दीवाली पर घर में सफेदी करवाई जाती है तथा साथ ही घर की सफाई भी की जाती है। यदि परिवार में किसी बच्चे को विवाह हो तो भी वार्षिक सफाई वाली सभी क्रियाएं की जाती हैं। पर कई अवसर ऐसे होते हैं जब घर का कुछ भाग ही साफ करके सजाया जाता है जैसे कि जन्म दिन को मनाने के समय अथवा किसी परिवार को खाने पर बुलाने के अवसर पर केवल ड्राईंग-रूम की ही खास सफाई की जाती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB घरेलू सफ़ाई Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. रसोई तथा अल्मारियों की सफ़ाई ………… ….. सफ़ाई है।
  2. घर के सभी सदस्यों की …………………. के प्रति रुचि होनी चाहिए।
  3. सूखा कूड़ा एकत्र करने के लिए …………………. झाड़ का प्रयोग करें।
  4. पॉलिश करने के लिए तथा चीज़ों को चमकाने के लिए …………………. कपड़े का प्रयोग करें।

उत्तर-

  1. मासिक
  2. सफ़ाई
  3. नर्म
  4. फलालेन या लिनन।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
शीशे को चमकाने के लिए कैसे कपड़े का प्रयोग ठीक रहता है ?
उत्तर-
सिल्क।

प्रश्न 2.
चांदी की सफाई के लिए पॉलिश का नाम बताएं।
उत्तर-
सिल्वो।

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प्रश्न 3.
सबसे पहले किस कमरे की सफाई करनी चाहिए ?
उत्तर-
खाना बनाने वाले कमरे की।

प्रश्न 4.
फ्रिज़ को कब साफ़ करना चाहिए ?
उत्तर-
सप्ताह में एक बार।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. घर की सफ़ाई के प्रति घर के सभी सदस्यों की रुचि होनी चाहिए।
  2. मासिक सफ़ाई महीने बाद की जाती है।
  3. स्नानागृह को महीने बाद धोना चाहिए न कि प्रतिदिन।
  4. बिजली से चलने वाली सफ़ाई वाली मशीन है माइक्रोवेव।
  5. धूल के कण, गंदगी का प्राकृतिक कारण है।
  6. पेंट वाली लकड़ी को प्रतिदिन झाड़न वाले कपड़े से पोंछे।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. ठीक
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव विकार है –
(A) कफ़
(B) थूक
(C) पसीना
(D) सभी।
उत्तर-(D) सभी।

प्रश्न 2.
ठीक तथ्य हैं –
(A) गंदे घर में बैठ कर कार्य करने का मन नहीं करता
(B) साफ़ सुन्दर सजे हुए घर से गृहिणी की सूझबूझ का पता चलता है
(C) सप्ताह वाली सफ़ाई सप्ताह में एक बार की जाती है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-(D) सभी ठीक।

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प्रश्न 3.
सफ़ाई के लिए प्रयोग वाला सामान है –
(A) झाड़
(B) बिजली की मशीन
(C) ब्रश
(D) सभी ठीक।
उत्तर-(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दैनिक सफ़ाई में क्या-क्या कार्य करने आवश्यक होते हैं ?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई में निम्नलिखित कार्य आवश्यक रूप से करने होते हैं –

  1. घर के सारे कमरों के फ़र्श, खिड़कियां, दरवाजे, मेज़ तथा कुर्सी की झाड़-पोंछ करना।
  2. घर में रखे कडेदान आदि की सफाई करना।
  3. शौचालय तथा स्नानघर आदि की सफाई करना।
  4. रसोई में काम आने वाले बर्तनों की सफ़ाई तथा रख-रखाव।

प्रश्न 2.
घर में गन्दगी होने के मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर-

  1. प्राकृतिक कारण-धूल के कण, वर्षा और बाढ़ के पानी के बहाव के कारण आने वाली गन्दगी, मकड़ी के जाले, पक्षियों और अन्य जीवों द्वारा फैलाई गन्दगी।
  2. मानव विकार-मल-मूत्र, कफ, थूक, खांसी, पसीना तथा बालों का झड़ना।
  3. घरेलू कार्य-खाद्य पदार्थों की सफ़ाई से निकलने वाली गन्दगी, साग-सब्जी, फ़ल आदि के छिलके, खाने वाली वस्तुएं, बर्तन आदि का धोना, कपड़ों की धुलाई, साबुन की झाग, मैल, नील, स्टार्च, रद्दी कागज़ के टुकड़े, सिलाई से निकलने वाले कपड़ों के टुकड़े, कताई की रूई तथा उसका झाड़न आदि।

प्रश्न 3.
दैनिक सफ़ाई क्यों आवश्यक है ? तथा घर की सफ़ाई कैसे करनी चाहिए ?
उत्तर-
दैनिक सफ़ाई से हमारा अभिप्राय उस सफ़ाई से है जो घर में रोजाना की जाती है। इसलिए गृहिणी का कर्तव्य है कि वह घर के उठने-बैठने, पढ़ने-लिखने, सोने के कमरे, रसोई, आंगन, बाथरूम, बरामदा तथा शौचालय की प्रतिदिन सफ़ाई करे। दैनिक सफ़ाई के अन्तर्गत साधारणतः इधर-उधर बिखरी हुई वस्तुओं को ठीक तरह टिकाना, फर्नीचर को झाड़ना-पोंछना, फ़र्श पर झाड़ करना, गीला पोछा करना आदि आते हैं।

प्रश्न 4.
शौचालय, बाथरूम में फिनाइल क्यों छिड़कायी जाती है.?
उत्तर-
शौचालय, बाथरूम को रोजाना फिनाइल से धोना चाहिए तथा इन्हें खुली हवा लगनी चाहिए। नहीं तो यह मक्खी, मच्छर के घर बन जाएंगे। जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।

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प्रश्न 5.
घर में फर्नीचर की पॉलिश कैसे तैयार की जाती है ?
उत्तर-
फर्नीचर की पॉलिश तैयार करने के लिए अलसी का तेल दो हिस्से, तारपीन का तेल-एक हिस्सा, सिरका एक हिस्सा, मैथिलेटिड स्पिरिट-एक हिस्सा लेकर मिला लो। इस तरह पॉलिश तैयार हो जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फर्नीचर की देखभाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर को नर्म साफ़ कपड़े से साफ़ किया जाता है क्योंकि कठोर ब्रुश का प्रयोग करने से लकड़ी पर खरोंचें पड़ सकती हैं। लकड़ी को गीला नहीं करना चाहिए। फर्नीचर की लकड़ी को पेंट अथवा पॉलिश की जाती है। पेंट तथा पॉलिश को विभिन्न विधियों से अलग किया जाता है।

पॉलिश की लकड़ी की सम्भाल-इसको प्रतिदिन नर्म कपड़े से साफ़ करना चाहिए। अधिक गन्दी होने की सूरत में साबुन वाले पानी से धोकर फ्लालेन के कपड़े से पोंछ लेना चाहिए। कम गन्दी लकड़ी को साफ़ करने के लिए आधे लीटर गुनगुने पानी में दो बड़े चम्मच सिरके के मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। इस घोल में गीला करके फ्लालेन के कपड़े से फर्नीचर को साफ़ करो। यदि फर्नीचर की लकड़ी की पॉलिश काफ़ी खराब हो गई हो अथवा चमक घट जाए तो मैन्शन पॉलिश अथवा क्रीम का प्रयोग करके सफ़ाई की जाती है। सनमाइका लगे फर्नीचर को साफ़ करना आसान होता है। इसको गीले कपड़े से पोंछा जा सकता है तथा दाग उतारने के लिए साबुन का प्रयोग किया जा सकता है।

पेंट की हई लकडी-पेंट वाली लकडी प्रतिदिन झाडने वाले कपड़े से पोंछो। यदि ज़रूरत हो तो कुछ दिनों के पश्चात् साबुन वाले गुनगुने पानी तथा फ्लालेन के कपड़े से इसे साफ़ करो। कोनों को अच्छी तरह साफ़ किया जाता है। अधिक गन्दे हिस्सों को साफ़ करने के लिए साफ़ ब्रुश प्रयोग करो। पेंट से चिकनाहट के दाग उतारने के लिए पानी में थोड़ी पैराफिन मिला ली जाती है परन्तु पैराफिन का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाए तो पेंट खराब हो जाता है।

कपड़ा चढ़ा हुआ फर्नीचर-इसको रोज़ सूखे कपड़े से झाड़ना चाहिए। कभी-कभी गर्म कपड़े साफ़ करने वाले ब्रुश से साफ़ करो। रैक्सिन अथवा चमड़े वाले फर्नीचर को रोज़ गीले कपड़े से साफ़ करो। चिकनाहट के दाग उतारने के लिए कपड़े को साबुन वाले गुनगुने पानी से भिगो कर रगड़ो। कभी-कभी थोड़ा सा अलसी का तेल कपड़े पर लगाकर चमड़े के फर्नीचर पर रगड़ने से चमड़ा मुलायम रहता है तथा दरारें नहीं पड़तीं।

घरेलू सफ़ाई PSEB 9th Class Home Science Notes

  • गन्दे घर का घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा कई प्रकार की बीमारियां फैल सकती हैं।
  • गन्दे घर में कई तरह के कीटाणु, मक्खी-मच्छर आदि पैदा होते हैं तथा बीमारियां फैलाते हैं।
  • सफाई सही ढंग से करनी चाहिए। लापरवाही तथा बिना ढंग से सफाई की जाये तो साफ होने के स्थान पर घर और भी बदसूरत हो जायेगा।
  • सफाई के लिए प्रयोग में आने वाला सामान पांच प्रकार का होता है –
    पोचा तथा पुराने कपड़े, झाड़ तथा ब्रुश, बर्तन, सफाई करने वाले यन्त्र, सफाई के लिए साबुन तथा अन्य प्रतिकारक।
  • सफाई करने के कई ढंग हैं –
    झाड़ तथा ब्रुश से, पानी से धोकर, कपड़े से झाड़कर पोंछना, बिजली की मशीन (वैक्यूम क्लीनर) से।
  • लकड़ी के फर्नीचर को नर्म, साफ कपड़े से साफ करना चाहिए।
  • घर की व्यवस्था को पांच भागों में बांटा जा सकता है –
    रोज़ाना सफाई, साप्ताहिक सफाई, मासिक सफाई, वार्षिक सफाई, विशेष अवसर पर सफाई।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

PSEB 9th Class Home Science Guide पारिवारिक साधनों की व्यवस्था Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधनों से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परिवार में उपलब्ध साधनों का प्रयोग किया जाता है। इन साधनों को दो भागों में बांटा गया है –
(i) मानवीय साधन (ii) भौतिक साधन।
दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

प्रश्न 2.
पारिवारिक साधनों का वर्गीकरण कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
साधनों का वर्गीकरण दो भागों में किया जा सकता है –(i) मानवीय साधन (ii) गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन।
(i) मानवीय साधन हैं-कुशलता, ज्ञान, शक्ति, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि।
(ii) भौतिक साधन हैं-समय, धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि।

प्रश्न 3.
मानवीय साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
यह वे साधन हैं जो मानव के अन्दर होते हैं। ये हैं-योग्यताएं, कुशलता, रुचियां, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति आदि।

प्रश्न 4.
भौतिक साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं-धन, समय, जायदाद, सुविधाएं आदि।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

लघु उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 5.
समय और शक्ति की व्यवस्था से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
समय ऐसा साधन है जो कि सभी के लिए समान होता है। जब किसी कार्य को करने की शक्ति तथा समय का प्रयोग किया जाता है तो थकावट महसूस होती है। इसलिए समय तथा शक्ति दोनों साधनों को सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए ताकि कार्य भी हो जाये तथा थकावट भी ज़रूरत से ज्यादा न हो तथा दोनों की बचत भी हो जाये।

प्रश्न 6.
पारिवारिक साधनों की क्या विशेषताएं होती हैं ?
उत्तर-

  1. यह साधन सीमित होते हैं।
  2. साधन उपयोगी होते हैं तथा इनका प्रयोग कई रूपों में किया जा सकता है।
  3. साधनों का प्रभावशाली प्रयोग किसी भी व्यक्ति के जीवन स्तर को प्रभावित करता
  4. सभी साधनों का उचित प्रयोग परस्पर सम्बन्धित होता है तथा इस तरह उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
  5. इन साधनों के उचित प्रयोग से हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

प्रश्न 7.
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर–
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं –
परिवार का आकार तथा रचना, जीवन-स्तर, घर की स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यता, ऋतु, आर्थिक स्थिति आदि।

प्रश्न 8.
योजना बनाकर समय और शक्ति के व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
योजना बनाकर कार्य किया जाये तो समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है। योजना बनाने से पहले सारे कार्यों की सूची बनाई जाती है। इस तरह यह पता लगाया जाता है कि कौन-सा कार्य किस समय तथा कौन-से सदस्य द्वारा किया जाना है। योजना में अपने व्यक्तिगत कार्यों तथा मनोरंजन के लिए भी समय रखा जाता है। योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने से रोज़ एक जैसी शक्ति का प्रयोग होता है। इस तरह अधिक थकावट भी नहीं होती। योजनाएं दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों के लिए भी तैयार की जाती हैं। इस तरह समय तथा शक्ति के खर्च को घटाया जा सकता है।

प्रश्न 9.
निर्णय लेने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
निर्णय अथवा फैसला लेने की प्रक्रिया को गृह-प्रबन्ध का अभिन्न अंग माना गया है। निर्णय लेने की क्रिया से अभिप्राय है किसी समस्या के हलें के लिए विभिन्न विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करना। किसी भी तरह का निर्णय लेने के लिए निम्नलिखित चरणों में से गुजरना पड़ता है –

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था 1

प्रश्न 10.
निर्णय लेने से पूर्व सोच-विचार करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
जब परिवार में कोई समस्या आ जाये तो उसके हल के लिए सोच-विचार करके ही निर्णय लेना चाहिए। प्रत्येक समस्या के हल के लिए कई विकल्प होते हैं। विभिन्न विकल्पों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा प्रत्येक विकल्प कई तत्त्वों का समूह होता है। इनमें से कई तत्त्व समस्या के हल के लिए सहायक होते हैं तथा कई नहीं, कई कम सहायक होते हैं तथा कई अधिक सहायक होते हैं। इसलिए इन तत्त्वों की जानकारी प्राप्त करनी तथा कई स्थितियों में आपको किसी अन्य अनुभवी व्यक्ति की सलाह भी लेनी पड़ती है ताकि ठीक विकल्प का चुनाव हो सके। जैसे मनोरंजन की समस्या के लिए कई विकल्प हैं जैसे सिनेमा जाना, कोई खेल खरीदना अथवा टेलीविज़न खरीदना। इन सभी विकल्पों के बारे में जानकारी लेना तथा फिर एक उपयुक्त विकल्प जैसे कि टेलीविज़न का चुनाव किया जाता है। क्योंकि यह एक लम्बे समय तक चलने वाला मनोरंजन का साधन है। इसके साथ परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए मनोरंजन के कार्यक्रम मिल सकते हैं। इसलिए इन सभी तत्त्वों को ध्यान में रखकर सभी विकल्पों के बारे में सोच-समझकर ही निर्णय लेना चाहिए।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

प्रश्न 11.
सही निर्णय गृह व्यवस्था में कैसे उपयोगी होता है ?
उत्तर-
सही निर्णय लिए जाएं तो समय, शक्ति, धन आदि की बचत हो सकती है। यदि घर की व्यवस्था सोच-समझकर तथा सही निर्णय न लेकर की जाए तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है। घर के सदस्यों में मेल-मिलाप नहीं रहता। कोई भी कार्य समय पर नहीं होता तथा मानसिक तथा शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस तरह सही निर्णय घर की व्यवस्था में बड़ा लाभदायक होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 12.
पारिवारिक साधन मानवीय उद्देश्यों को प्राप्त करने में कैसे सहायक होते हैं ? इन्हें प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर-
परिवार के लिए उपलब्ध साधन, पारिवारिक लक्ष्यों अथवा उद्देश्यों की पूर्ति करने में सहायक होते हैं। दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है। साधनों के सफल प्रयोग को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं –

  1. परिवार का आकार तथा रचना-जिन परिवारों में छोटे बच्चे अथवा बुजुर्ग होते हैं वहां गृहिणी को अधिक कार्य करना पड़ता है। परन्तु बच्चे बड़े होकर गृहिणी की मदद करने लग जाते हैं, तथा कई बुजुर्ग भी घर के काम-काज में मदद कर देते हैं।
  2. जीवन-स्तर-सादा जीवन व्यतीत करने वालों के लक्ष्य आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं।
  3. घर की स्थिति-यदि घर, स्कूल अथवा कॉलेज, मार्कीट आदि के निकट हो तो आने-जाने का काफ़ी समय तथा शक्ति बच जाती है। यदि घर बड़ी सड़क के नज़दीक हो तो धूल-मिट्टी काफ़ी आती है तथा सफ़ाई पर काफ़ी समय नष्ट हो जाता है।
  4. आर्थिक स्थिति-यदि अधिक आय हो तो घर में नौकर रखे जा सकते हैं तथा कई कार्य बाहर से भी करवाये जा सकते हैं। यदि आय कम हो तो गृहिणी को सभी कार्य स्वयं ही करने पड़ते हैं।
  5. परिवार के सदस्यों की शिक्षा-पढ़े-लिखे लोग आधुनिक साधनों का प्रयोग करके अपनी शक्ति तथा समय की काफ़ी बचत कर लेते हैं। जैसे एक पढ़ी-लिखी गृहिणी वाशिंग मशीन तथा मिक्सी आदि का अधिक प्रयोग करेगी जबकि अनपढ़ लोग पुराने परम्परागत साधनों तथा रिवाजों पर ही निर्भर रहते हैं।
  6. ऋतु बदलना-गांवों में बिजाई-कटाई के समय कार्य अधिक करना पड़ता है और समय कम। शहरों में ऋतु बदलने पर गर्म-ठण्डे कपड़ों आदि को निकालना तथा रखना आदि कार्य बढ़ जाते हैं।
  7. गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यताएं-एक कुशल गृहिणी अपनी योग्यता से समय तथा शक्ति की बचत कर सकती है।

प्रश्न 13.
समय और शक्ति पारिवारिक साधन कैसे हैं ? योजना बनाकर इनके व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
समय सभी के लिए ही बराबर होता है। एक दिन में 24 घण्टे होते हैं। परन्तु शक्ति सभी के पास एक जैसी नहीं होती तथा आयु के साथ-साथ इसमें अन्तर पड़ता रहता है। जब कोई कार्य किया जाता है तो समय तथा शक्ति दोनों खर्च होते हैं। योजना बनाकर कार्य किया जाये तो इन दोनों की बचत की जा सकती है। एक समझदार गृहिणी को समय तथा शक्ति के खर्च को घटाने के लिए योजना बनाने में कोई मुश्किल नहीं आती। योजना को लिखकर बनाना चाहिए तथा योजना में लचीलापन होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसको बदला जा सके। सभी कार्यों की सूची बनाने के पश्चात् योजना बनानी चाहिए। यह भी तय कर लेना चाहिए कि इनमें से कौन-से कार्य किस सदस्य ने तथा कब करने हैं। दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बना लेनी चाहिए। अधिक भारी कार्य के पश्चात् हल्के कार्य को स्थान देना चाहिए ताकि अधिक थकावट न हो। योजना में अपने व्यक्तिगत तथा मनोरंजन के कार्यों के लिए भी समय रखना चाहिए। योजना इस तरह बनाएं कि प्रतिदिन ज़रूरी कार्यों तथा मनोरंजन के कार्यों में लगभग एक जैसी शक्त्रि व्यय हो। इस तरह योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके शक्ति तथा समय दोनों की बचत हो जाती है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB पारिवारिक साधनों की व्यवस्था क्षेत्र Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. पारिवारिक साधनों को …………………….. भागों में बांटा जाता है।
  2. मानवीय साधन, मानव के …………………….. होते हैं।
  3. पारिवारिक साधन …………………………. होते हैं।
  4. ………………………… में ही मनुष्य को मानसिक सन्तुष्टि मिलती है।
  5. साधन हमारी …………………………… की पूर्ति करते हैं।

उत्तर-

  1. दो,
  2. अन्दर,
  3. सीमित,
  4. घर,
  5. इच्छाओं।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
गृह निर्माता का कर्त्तव्य आमतौर पर कौन निभाता है ?
उत्तर-
गृहिणी।

प्रश्न 2.
सीमित साधनों के द्वारा कार्य बढ़िया कैसे हो सकता है ?
उत्तर-
अच्छी व्यवस्था द्वारा।

प्रश्न 3.
समय को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
तीन।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. साधन दो प्रकार के होते हैं-मानवीय, भौतिक।
  2. साधन असीमित होते हैं।
  3. साधनों का उचित प्रयोग करके हम अपनी इच्छायों की पूर्ति करते हैं।
  4. समय ऐसा साधन है जो कि सभी के पास बराबर होता है।
  5. परिवार का आकार तथा रचना पारिवारिक साधनों को प्रभावित नहीं करती।
  6. सही निर्णय घर की व्यवस्था के लिए लाभदायक है।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ग़लत
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. ग़लत
  6. ठीक।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले कारक हैं –
(A) परिवार का आकार
(B) घर की स्थिति
(C) ऋतु
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक

प्रश्न 2.
निम्न में ठीक हैं –
(A) जब किसी कार्य को करने के लिए समय तथा शक्ति का प्रयोग होता है तो थकावट महसूस होती है
(B) साधन सीमित हैं
(C) सही निर्णय लेने से समय, शक्ति, धन आदि की बचत हो सकती है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक

प्रश्न 3.
ठीक तथ्य है
(A) साधन असीमित होते हैं
(B) साधनों की उपयोगिता नहीं होती
(C) धन भौतिक साधन है
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(C) धन भौतिक साधन है

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 3 पारिवारिक साधनों की व्यवस्था

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
योजना बनाने के अतिरिक्त गृहिणी को कौन-सी अन्य बातों का ज्ञान होना चाहिए जिससे समय तथा शक्ति बच सकती हो ?
उत्तर-

  1. सभी चीज़ों को अपने स्थान पर रखो ताकि ज़रूरत पड़ने पर वस्तु को ढूंढने में समय नष्ट न हो।
  2. काम करने के लिए सामान अच्छा तथा ठीक हालत में होना चाहिए।
  3. काम करने वाली जगह पर रोशनी का ठीक प्रबन्ध होना चाहिए।
  4. काम करने के सुधरे तरीकों का प्रयोग करना चाहिए।
  5. घर के सभी सदस्यों की मदद लेनी चाहिए। यदि फिर भी कार्य तथा आय के साधन ठीक हों तो कार्य बाहर से भी करवाया जा सकता है।
  6. काम करने वाली जगह की ऊंचाई अथवा वस्तुओं के हैण्डल ऐसे हों कि कन्धों पर अधिक भार न पडे।

प्रश्न 2.
मूल्यांकन करने से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुछ देर किसी योजना के अनुसार कार्य करते रहने के पश्चात् देखा जाता है कि नियत लक्ष्य प्राप्त हो रहे हैं, अथवा नहीं। यदि लक्ष्य प्राप्त न हो रहे हों तो योजना में फेरबदल किया जाता है तथा इस तरह अपनी योजना का मूल्यांकन किया जाता है ताकि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो सके।

प्रश्न 3.
मानवीय साधन कौन-से हैं ?
उत्तर-
यह वे साधन हैं जो मानव के अन्दर होते हैं। ये हैं-योग्यताएं, कुशलता, रुचियां, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति आदि।
इन साधनों का उचित प्रयोग करके गृह प्रबन्ध बढ़िया ढंग से किया जा सकता है। किसी कार्य को करने की योग्यता तथा कुशलता हो तो कार्य में रुचि तथा दिलचस्पी स्वयं पैदा हो जाती है। नए उपकरणों तथा मशीन आदि के बारे में ज्ञान हो तो समय तता शक्ति की बचत हो जाती है। घर के सदस्यों की शक्ति भी एक मानवीय साधन है।

प्रश्न 4.
भौतिक साधन कौन-से हैं और गृह व्यवस्था के लिए कैसे लाभदायक है ?
उत्तर-
गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं-धन, समय, जायदाद, सुविधाएं आदि। इन सभी के उचित प्रयोग से गृह-व्यवस्था ठीक ढंग से की जा सकती है तथा परिवार के उद्देश्यों तथा ज़रूरतों की पूर्ति की जा सकती है।

पारिवारिक साधनों की व्यवस्था PSEB 9th Class Home Science Notes

  • परिवार के उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध साधनों की सहायता ली जाती है।
  • पारिवारिक साधनों को दो भागों में बांटा गया है –
    (i) मानवीय साधन (ii) भौतिक साधन।
  • कार्य करने की कुशलता, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि मानवीय साधन हैं।
  • धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि ग़ैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं।
  • समय ऐसा साधन है जो सभी के लिए बराबर होता है।
  • समय को तीन भागों में बांटा जा सकता है-कार्य, विश्राम, नींद आदि।
  • विभिन्न व्यक्तियों में शक्ति भी अलग-अलग होती है तथा एक ही व्यक्ति में सारी उम्र एक जैसी शक्ति नहीं रहती।
  • जब किसी कार्य को करने के लिए समय तथा शक्ति का प्रयोग किया जाता है तो थकावट अनुभव होती है।
  • परिवार का आकार तथा रचना, जीवन स्तर, घर की स्थिति, आर्थिक स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तौँ योग्यताएं, ऋतु बदलने से कार्य आदि पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं।
  • योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है।
  • रोज़ाना कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बनानी चाहिए।
  • यदि घर की आय के साधन ठीक हों तो घर के कार्य बाहर से करवाकर भी समय तथा शक्ति का बचाव किया जा सकता है।
  • जब किसी योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाता है तो कुछ देर पश्चात् पता लग जाता है कि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो रही है अथवा नहीं।
  • यदि उद्देश्यों की पूर्ति न हो रही हो तो अपनी योजना में परिवर्तन कर लेना चाहिए ताकि आगे के लिए उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।
  • ठीक निर्णय लिए जाएं तो कार्य अच्छी तरह तथा आसानी से हो जाते हैं।
  • घर का प्रबन्धक अथवा गृहिणी सोच-समझकर निर्णय न करे तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

SST Guide for Class 9 PSEB वन्य समाज तथा बस्तीवाद Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रांति किस महाद्वीप में आरंभ हुई ?
(क) एशिया
(ख) यूरोप
(ग) आस्ट्रेलिया
(घ) उत्तरी अमेरिका।
उत्तर-
(ख) यूरोप

प्रश्न 2.
इंपीरियल वन अनुसंधान संस्थान कहां स्थित है ?
(क) दिल्ली
(ख) मुंबई
(ग) देहरादून
(घ) अबोहर।
उत्तर-
(ग) देहरादून

प्रश्न 3.
भारत की आधुनिक बागवानी का जनक किसे कहा जाता है ?
(क) लार्ड डलहौजी
(ख) डाइट्रिच ब्रैडिस
(ग) कैप्टन वाटसन
(घ) लार्ड हार्डिंग।
उत्तर-
(ख) डाइट्रिच ब्रैडिस

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

प्रश्न 4.
भारत में समुद्री जहाज़ों के लिए किस वृक्ष की लकड़ी सबसे अच्छी मानी जाती है?
(क) बबूल
(ख) ओक
(ग) नीम
(घ) सागवान
उत्तर-
(घ) सागवान

प्रश्न 5.
मुंडा आंदोलन क्रिस क्षेत्र में हुआ ?
(क) राजस्थान
(ख) छोटा नागपुर
(ग) मद्रास
(घ) पंजाब।
उत्तर-
(ख) छोटा नागपुर

(ख) रिक्त स्थान भरें :

  1. …………… और ……………… मनुष्य के लिए अति आवश्यक संसाधन हैं।
  2. कलोनियलइज्म लातीनी भाषा के शब्द ……………… से बना है।
  3. यूरोप में ………… के वृक्ष की लकड़ी से समुद्री जहाज़ बनाए जाते थे।
  4. विरसा मुण्डा को 8 अगस्त 1895 ई० को ………………. नामक स्थान से गिरफ्तार किया गया।
  5. परंपरागत कृषि को …………… कृषि भी कहा जाता था।

उत्तर-

  1. वन, जल
  2. कॉलोनिया
  3. ओक
  4. चलकट
  5. झुमी (स्थानांतरित)।

(ग) सही मिलान करो :

1. विरसा मुंडा – (अ) 2006
2. समुद्री जहाज़ – (आ) बबूल
3. जंड – (इ) धरती बाबा
4. वन अधिकार अधिनियम – (ई) खेजड़ी
5. नीलगिरि की पहाड़ियाँ – (उ) सागवान।
उत्तर-

  1. धरती बाबा
  2. सागवान
  3. खेजड़ी
  4. 2006
  5. बबूल।।

(घ) अंतर बताएं:

प्रश्न 1.
1. आरक्षित वन और सुरक्षित वन
2. वैज्ञानिक बागवानी और प्राकृतिक वन।
उत्तर-
1. आरक्षित वन और सुरक्षित वन-
आरक्षित वन-आरक्षित वन लकड़ी के व्यापारिक उत्पादन के लिए होते थे। इन वनों में पशु चराना व कृषि करना सख्त मना था।
सुरक्षित वन-सुरक्षित वनों में भी पशु चराने व खेती करने पर रोक थी। परंतु इन वनों के प्रयोग करने पर सरकार को कर देना पड़ता था।

2. वैज्ञानिक बागवानी और प्राकृतिक वन-
वैज्ञानिक बागवानी-वन विभाग के नियंत्रण में वृक्ष काटने की वह प्रणाली जिसमें पुराने वृक्ष काटे जाते हैं और नए वृक्ष उगाए जाते हैं।
प्राकृतिक वन-कई पेड़ पौधे जलवायु और मिट्टी की उर्वकता के कारण अपने आप उग आते हैं। फूल फूल कर यह बड़े हो जाते हैं। इन्हें प्राकृतिक वन कहते हैं। इनकी उगने में मानव का कोई योगदान नहीं होता।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वन समाज से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वन समाज से अभिप्राय लोगों के उस समूह से है जिसकी आजीविका वनों पर निर्भर है और वह वनों के आस-पास रहते हैं।

प्रश्न 2.
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
एक राष्ट्र अथवा राज्य द्वारा किसी कमज़ोर देश की प्राकृतिक और मानवीय सम्पदा पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण तथा उसे अपने हितों के लिए उपयोग करना उपनिवेशवाद कहलाता है।

प्रश्न 3.
वनों की कटाई के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-

  1. कृषि का विस्तार।
  2. व्यापारिक फसलों की कृषि।

प्रश्न 4.
भारतीय समुद्री जहाज़ किस वृक्ष की लकड़ी से बनाए जाते थे ?
उत्तर-
सागवान।

प्रश्न 5.
किस प्राचीन भारतीय सम्राट ने जीव-जंतुओं के वध पर प्रतिबंध लगा दिया था
उत्तर-
सम्राट अशोक।

प्रश्न 6.
नीलगिरी की पहाड़ियों पर कौन-कौन से वृक्ष लगाए गए ?
उत्तर-
बबूल (कीकर)।

प्रश्न 7.
चार व्यापारिक फसलों के नाम बताएं।
उत्तर-
कपास, पटसन, चाय, काफी, रबड़ आदि।

प्रश्न 8.
बिरसा मुंडा ने कौन-सा नारा दिया ?
उत्तर-
‘अबुआ देश में अबुआ राज’।

प्रश्न 9.
जोधपुर के राजा को किस समुदाय के लोगों ने बलिदान देकर वृक्षों की कटाई से रोका ?
उत्तर-
बिश्नोई संप्रदाय।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उपनिवेशवाद से क्या अभिप्राय है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
एक राष्ट्र अथवा राज्य द्वारा किसी कमज़ोर देश की प्राकृतिक और मानवीय संपदा पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण और उसका अपने हितों के लिए उपयोग उपनिवेशवाद कहलाता है। स्वतंत्रता से पहले भारत पर ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण इसका उदाहरण है।

प्रश्न 2.
वन व आजीविका में क्या संबंध है ?
उत्तर-
वन हमारे जीवन का आधार हैं । वनों से हमें फल, फूल, जड़ी-बूटियां, रबड़, इमारती लकड़ी तथा ईंधन के लिए लकड़ी आदि मिलती है। वन जंगली-जीवों आश्रय स्थल हैं। पशु-पालन पर निर्वाह करने वाले अधिकतर लोग वनों पर निर्भर हैं। इसके अतिरिक्त वन पर्यावरण को शुद्धता प्रदान करते हैं। वन वर्षा लाने में भी सहायक हैं। वर्षा की पुनरावृत्ति वनों में रहने वाले लोगों की कृषि, पशु-पालन आदि कार्यों में सहायक होती है।

प्रश्न 3.
रेलवे के विस्तार में वनों का प्रयोग कैसे किया गया ?
उत्तर-
औपनिवेशिक शासकों को रेलवे के विस्तार के लिए स्लीपरों की आवश्यकता थी जो कठोर लकड़ी से बनाए जाते थे। इसके अतिरिक्त भाप इंजनों को चलाने के लिए ईंधन भी चाहिए था। इसके लिए भी लकड़ी का प्रयोग किया जाता था। अत: बड़े पैमाने पर वनों को काटा जाने लगा। 1850 के दशक तक केवल मद्रास प्रेजीडेंसी में स्लीपरों के लिए प्रति वर्ष 35,000 वृक्ष काटे जाने लगे थे। इसके लिए लोगों को ठेके दिए जाते थे। ठेकेदार स्लीपरों की आपूर्ति के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करते थे। फलस्वरूप रेलमार्गों के चारों ओर के वन तेज़ी से समाप्त होने लगे। 1882 में जावा से भी 2 लाख 80 हजार स्लीपरों का आयात किया गया।

प्रश्न 4.
1878 ई० के वन अधिनियम के अनुसार वनों के वर्गीकरण का उल्लेख करें।
उत्तर-
1878 में 1865 के वन अधिनियम में संशोधन किया गया। नये प्रावधानों के अनुसार-

  1. वनों को तीन श्रेणियों में बांटा गया : आरक्षित, सुरक्षित व ग्रामीण।
  2. सबसे अच्छे जंगलों को ‘आरक्षित वन’ कहा गया। गांव वाले इन जंगलों से अपने उपयोग के लिए कुछ भी नहीं ले सकते थे।
  3. घर बनाने या ईंधन के लिए गांववासी केवल सुरक्षित या ग्रामीण वनों से ही लकड़ी ले सकते थे।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

प्रश्न 5.
समकालीन भारत में वनों की क्या स्थिति है ?
उत्तर-
भारत राष्ट्र ऋषियों-मुनियों व भक्तों की धरती है। इन का वनों से गहरा संबंध रहा है। इसी कारण भारत में यहां वन तथा वन्य जीवों की सुरक्षा करने की परंपरा रही है। प्राचीन भारतीय सम्राट अशोक ने एक शिलालेख पर लिखवाया था उसके अनुसार जीव-जंतुओं को मारा नहीं जाएगा। तोता, मैना, अरुणा, कलहंस, नंदीमुख, सारस, बिना कांटे वाली मछलियां आदि जानवर जो उपयोगी व खाने के योग्य नहीं थे। इस के अतिरिक्त वनों को भी जलाया नहीं जाएगा।

प्रश्न 6.
झूम प्रथा (झूम कृषि) पर नोट लिखें।
उत्तर-
उपनिवेशवाद से पूर्व वनों में पारंपरिक कृषि की जाती थी, इसे झूम प्रथा अथवा झूमी कृषि (स्थानांतरित कृषि) कहा जाता था। कृषि की इस प्रथा के अनुसार जंगल के कुछ भाग के वृक्षों को काट कर आग लगा दी जाती थी। मानसून के बाद उस क्षेत्र में फसल बोई जाती थी, जिसको अक्तूबर-नवंबर में काट लिया जाता था। दो-तीन वर्ष लगातार इसी क्षेत्र में से फसल पैदा की जाती थी। जब उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती थी, तो इस क्षेत्र में वृक्ष लगा दिए जाते थे, ताकि फिर से वन तैयार हो सके। ऐसे वन 17-18 वर्षों में पुनः तैयार हो जाते थे। वनवासी कृषि के लिए किसी अन्य स्थान को चुन लेते थे।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वनों की कटाई के क्या कारण हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-
औद्योगिक क्रांति से कच्चे माल और खाद्यपदार्थों की मांग बढ़ गई। इसके साथ ही विश्व में लकड़ी की मांग भी बढ़ गई, जंगलों की कटाई होने लगी और धीरे-धीरे लकड़ी कम मिलने लगी। इससे वन निवासियों का जीवन व पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हुआ। यूरोपीय देशों की आंख भारत सहित उन देशों पर टिक गई, जो वन-संपदा व अन्य प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न थे। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए डचों, पुर्तगालियों, फ्रांसीसियों और अंग्रेज़ों आदि ने वनों को काटना आरंभ कर दिया। संक्षेप उपनिवेशवाद के अधीन वनों की कटाई के कारण निम्नलिखित थे।

  1. रेलवे-औपनिवेशिक शासकों को रेलवे के विस्तार के लिए स्लीपरों की आवश्यकता थी जो कठोर लकड़ी से बनाए जाते थे। इसके अतिरिक्त भाप इंजनों को चलाने के लिए ईंधन भी चाहिए था। इसके लिए भी लकड़ी का प्रयोग किया जाता था। अत: बड़े पैमाने पर वनों को काटा जाने लगा। 1850 के दशक तक केवल मद्रास प्रेजीडेंसी में स्लीपरों के लिए प्रति वर्ष 35,000 वृक्ष काटे जाने लगे थे। इसके लिए लोगों को ठेके दिए जाते थे। ठेकेदार स्लीपरों की आपूर्ति के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करते थे। फलस्वरूप रेलमार्गों के चारों ओर के वन तेज़ी से समाप्त होने लगे। 1882 में जावा से भी 2 लाख 80 हज़ार स्लीपरों का आयात किया गया।
  2. जहाज़ निर्माण-औपनिवेशिक शासकों को अपनी नौ-शक्ति बढ़ाने के लिए जहाज़ों की आवश्यकता थी। इसके लिए भारी मात्रा में लकड़ी चाहिए थी। अत: मज़बूत लकड़ी प्राप्त करने के लिए टीक और साल के पेड़ लगाए जाने लगे। अन्य सभी प्रकार के वृक्षों को साफ़ कर दिया गया। शीघ्र ही भारत से बड़े पैमाने पर लकड़ी इंग्लैंड भेजी जाने लगी।
  3. कृषि-विस्तार-1600 ई० में भारत का लगभग 1/6 भू-भाग कृषि के अधीन था। परंतु जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ खादानों की मांग बढ़ने लगी। अत: किसान कृषि क्षेत्र का विस्तार करने लगे। इसके लिए वनों को साफ करके नए खेत बनाए जाने लगे। इसके अतिरिक्त ब्रिटिश अधिकारी आरंभ में यह सोचते थे कि वन धरती की शोभा बिगाड़ते हैं। अतः इन्हें काटकर कृषि भूमि का विस्तार किया जाना चाहिए, ताकि यूरोप की शहरी जनसंख्या के लिए भोजन और कारखानों के लिए कच्चा माल प्राप्त किया जा सके। कृषि के विस्तार से सरकार की आय भी बढ़ सकती थी। फलस्वरूप 1880-1920 के बीच 67 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र का विस्तार हुआ। इसका सबसे बुरा प्रभाव वनों पर ही पड़ा।
  4. व्यावसायिक खेती-व्यावसायिक खेती से अभिप्राय नकदी फसलें उगाने से है। इन फसलों में जूट (पटसन), गन्ना, गेहूं तथा कपास आदि फ़सलें शामिल हैं। इन फसलों की मांग 19वीं शताब्दी में बढ़ी। ये फसलें उगाने के लिए भी वनों का विनाश करके नई भमियां प्राप्त की गईं।
  5. चाय-कॉफी के बागान-यूरोप में चाय तथा काफ़ी की मांग बढ़ती जा रही थी। अतः औपनिवेशिक शासकों ने वनों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया और वनों को काट कर विशाल भू-भाग बागान मालिकों को सस्ते दामों पर बेच दिया। इन भू-भागों पर चाय तथा काफ़ी के बागान लगाए गए।
  6. आदिवासी और किसान-आदिवासी तथा अन्य छोटे-छोटे किसान अपनी झोंपड़ियां बनाने तथा ईंधन के लिए पेड़ों को काटते थे। वे कुछ पेड़ों की जड़ों तथा कंदमूल आदि का प्रयोग भोजन के रूप में भी करते थे। इससे भी वनों का अत्यधिक विनाश हुआ।

प्रश्न 2.
उपनिवेशवाद के अंतर्गत बने वन-अधिनियमों का वन समाज पर क्या प्रभाव पड़ा ? वर्णन करें।
उत्तर-

1. झूम खेती करने वालों को-औपनिवेशिक शासकों ने झूम खेती पर रोक लगा दी और इस प्रकार की खेती करने वाले जन समुदायों को उनके घरों से ज़बरदस्ती विस्थापित कर दिया। परिणामस्वरूप कुछ किसानों को अपना व्यवसाय बदलना पड़ा और कुछ ने इसके विरोध में विद्रोह कर दिया।

2. घुमंतू और चरवाहा समुदायों को-वन प्रबंधन के नये कानून बनने से स्थानीय लोगों द्वारा वनों में पशु चराने तथा शिकार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। फलस्वरूप कई घुमंतू तथा चरवाहा समुदायों की रोज़ी छिन गई। ऐसा मुख्यत: मद्रास प्रेजीडेंसी के कोरावा, कराचा तथा येरुकुला समुदायों के साथ घटित हुआ। विवश होकर उन्हें कारखानों, खानों तथा बागानों में काम करना पड़ा। ऐसे कुछ समुदायों को ‘अपराधी कबीले’ भी कहा जाने लगा।

3. लकड़ी और वन उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को-वनों पर वन-विभाग का नियंत्रण स्थापित हो जाने के पश्चात् वन उत्पादों (कठोर लकड़ी, रब आदि) के व्यापार को बल मिला। इस कार्य के लिए कई व्यापारिक कंपनियां स्थापित हो गईं। ये स्थानीय लोगों से महत्त्वपूर्ण वन उत्पाद खरीद कर उनका निर्यात करने लगीं और भारी
मुनाफा कमाने लगीं। भारत में ब्रिटिश सरकार ने कुछ विशेष क्षेत्रों में इस व्यापार के अधिकार बड़ी-बड़ी यूरोपीय कंपनियों को दे दिए। इस प्रकार वन उत्पादों के व्यापार पर अंग्रेजी सरकार का नियंत्रण स्थापित हो गया।

4. बागान मालिकों को-ब्रिटेन में चाय, कहवा, रबड़ आदि की बड़ी मांग थी। अतः भारत में इन उत्पादों के बड़ेबड़े बागान लगाए गए। इन बागानों के मालिक मुख्यतः अंग्रेज़ थे। वे मजदूरों का खूब शोषण करते थे और इन उत्पादों के निर्यात से खूब धन कमाते थे।
PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद (1)

5. शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज़ अफसरों को-नये वन कानूनों द्वारा वनों में शिकार करने पर रोक लगा दी गई। जो कोई भी शिकार करते पकड़ा जाता था, उसे दंड दिया जाता था। अब हिंसक जानवरों का शिकार करना राजाओं तथा राजकुमारों के लिए एक खेल बन गया। मुगलकाल के कई चित्रों में सम्राटों तथा राजकुमारों को शिकार करते दिखाया गया है।
PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद (2)
ब्रिटिश काल में हिंसक जानवरों का शिकार बड़े पैमाने पर होने लगा। इसका कारण यह था कि अंग्रेज़ अफ़सर हिंसक जानवरों को मारना समाज के हित में समझते थे। उनका मानना था कि ये जानवर खेती करने वालों के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं। अत: वे अधिक-से-अधिक बाघों, चीतों तथा भेड़ियों को मारने के लिए पुरस्कार देते थे। फलस्वरूप 1875-1925 ई० के बीच पुरस्कार पाने के लिए 80 हज़ार बाघों, 1 लाख 50 हज़ार चीतों तथा 2 लाख भेड़ियों को मार डाला गया। महाराजा सरगुजा ने अकेले 1157 बाघों तथा 2000 चीतों को शिकार बनाया। जार्ज यूल नामक एक ब्रिटिश शासक ने 400 बाघों को मारा।

प्रश्न 3.
मुंडा आंदोलन पर नोट लिखो।
उत्तर-
भूमि, जल तथा वन की रक्षा के लिए किए गए आंदोलनों में मुंडा आंदोलन का प्रमुख स्थान है। यह आंदोलन आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के नेतृत्व में चलाया गया।
कारण-

  1. आदिवासी जंगलों को पिता और ज़मीन को माता की तरह पूजते थे। जंगलों से संबंधित बनाए गए कानूनों ने उनको इनसे दूर कर दिया।
  2. डॉ० नोटरेट नामक ईसाई पादरी ने मुंडा कबीले के लोगों तथा नेताओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया
    और उन्हें लालच दिया कि उनकी ज़मीनें उन्हें वापिस करवा दी जाएंगी। परंतु बाद में सरकार ने साफ इंकार कर दिया।
  3. बिरसा मुंडा ने अपने विचारों के माध्यम से आदिवासियों को संगठित किया। सबसे पहले उसने अपने आंदोलन में सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक पक्षों को मज़बूत बनाया। उसने लोगों को अंधविश्वासों से निकाल कर शिक्षा के साथ जोडने का प्रयत्न किया। जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा और उन पर आदिवासियों के अधिकार की बात करके उसने आर्थिक पक्ष से लोगों को अपने साथ जोड़ लिया। इसके अतिरिक्त उसने धर्म और संस्कृति की रक्षा का नारा देकर अपनी संस्कृति बचाने की बात की।

आंदोलन का आरंभ तथा प्रगति-1895 ई० में वन संबंधी बकाए की माफी के लिए आंदोलन चला परंतु सरकार ने आंदोलनकारियों की मांगों को ठुकरा दिया। बिरसा मुंडा ने ‘अबुआ देश में अबुआ राज’ का नारा देकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजा दिया। 8 अगस्त, 1895 ई० को ‘चलकट’ स्थान पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया और दो वर्ष के लिए जेल भेज दिया गया। 1897 ई० में उसकी रिहाई के बाद उस क्षेत्र में अकाल पड़ा। बिरसा मुंडा ने अपने साथियों को साथ लेकर लोगों की सेवा की और अपने विचारों से लोगों को जागृत किया। लोग उसे धरती बाबा के तौर पर पूजने लगे। परंतु सरकार उसके विरुद्ध होती गई। 1897 ई० में लगभग 400 मुंडा विद्रोहियों ने खंटी थाने पर हमला कर दिया। 1898 ई० में तांगा नदी के इलाके में विद्राहियों ने अंग्रेज़ी सेना को पीछे की ओर धकेल दिया, परंतु बाद में अंग्रेजी सेना ने सैकड़ों आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया।

बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी, मृत्यु तथा आंदोलन का अंत-14 दिसंबर, 1899 ई० को बिरसा मुंडा ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध युद्ध का ऐलान कर दिया, जोकि जनवरी 1900 ई० में सारे क्षेत्र में फैल गया। अंग्रेज़ों ने बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के लिए ईनाम का ऐलान कर दिया। कुछ स्थानीय लोगों ने लालच वश 3 फरवरी, 1900 ई० में बिरसा मुंडा को छल से पकड़वा दिया। उसे रांची जेल भेज दिया गया। वहां अंग्रेजों ने उसे धीरे-धीरे असर करने वाला विष दिया, जिसके कारण 9 जून, 1900 ई० को उसकी मृत्यु हो गई। परंतु उसकी मृत्यु का कारण हैज़ा बताया गया, ताकि मुंडा समुदाय के लोग भड़क न जाएं। उसकी पत्नी, बच्चों और साथियों पर मुकद्दमे चला कर भिन्न-भिन्न प्रकार की यातनाएं दी गईं।
सच तो यह है कि बिरसा मुंडा ने अपने कबीले के प्रति अपनी सेवाओं के कारण अल्प आयु में ही अपना नाम अमर कर लिया। लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागृत करने तथा अपने धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए तैयार करने के कारण आज भी लोग बिरसा मुंडा को याद करते हैं।

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PSEB 9th Class Social Science Guide वन्य समाज तथा बस्तीवाद Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
तेंद्र के पत्तों का प्रयोग किस काम में किया जाता है ?
(क) बीड़ी बनाने में ।
(ख) चमड़ा रंगने में
(ग) चाकलेट बनाने में
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) बीड़ी बनाने में ।

प्रश्न 2.
चाकलेट में प्रयोग होने वाला तेल प्राप्त होता है
(क) टीक के बीजों से
(ख) शीशम के बीजों से
(ग) साल के बीजों से
(घ) कपास के बीजों से।
उत्तर-
(ग) साल के बीजों से

प्रश्न 3.
आज भारत की कुल भूमि का लगभग कितना भाग कृषि के अधीन है ?
(क) चौथा
(ख) आधा
(ग) एक तिहाई
(घ) दो तिहाई।
उत्तर-
(ख) आधा

प्रश्न 4.
इनमें से वाणिज्यिक अथवा नकदी फसल कौन-सी है ?
(क) जूट
(ख) कपास
(ग) गन्ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
कृषि-भूमि के विस्तार का क्या बुरा परिणाम है ?
(क) वनों का विनाश
(ख) उद्योगों को बंद करना
(ग) कच्चे माल का विनाश
(घ) उत्पादन में कमी।
उत्तर-
(क) वनों का विनाश

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प्रश्न 6.
19वीं शताब्दी में इंग्लैंड की रॉयल नेवी के लिए जलयान निर्माण की समस्या उत्पन्न होने का कारण था
(क) शीशम के वनों में कमी
(ख) अनेक वनों की कमी
(ग) कीकर के वनों में कमी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) अनेक वनों की कमी

प्रश्न 7.
1850 के दशक में रेलवे के स्लीपर बनाए जाते थे
(क) सीमेंट से
(ख) लोहे से
(ग) लकड़ी से
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) लकड़ी से

प्रश्न 8.
चाय और कॉफी के बागान लगाए गए
(क) वनों को साफ़ करके
(ख) वन लगाकर
(ग) कारखाने हटाकर
(घ) खनन को बंद करके।
उत्तर-
(क) वनों को साफ़ करके

प्रश्न 9.
अंग्रेज़ों के लिए भारत में रेलवे का विस्तार करना ज़रूरी था
(क) अपने औपनिवेशिक व्यापार के लिए
(ख) भारतीयों की सुविधा के लिए
(ग) अंग्रेज़ उच्च अधिकारियों की सुविधा के लिए
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) अपने औपनिवेशिक व्यापार के लिए

प्रश्न 10.
भारत में वनों का पहला इंस्पेक्टर-जनरल था
(क) फ्रांस का केल्विन
(ख) जर्मनी का डीट्रिख चैंडिस
(ग) इंग्लैंड का क्रिसफोर्ड
(घ) रूस का निकोलस।
उत्तर-
(ख) जर्मनी का डीट्रिख चैंडिस

प्रश्न 11.
भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) की स्थापना कब हुई ?
(क) 1850 में
(ख) 1853 में
(ग) 1860 में
(घ) 1864 में।
उत्तर-
(घ) 1864 में।

प्रश्न 12.
निम्न में से किस वर्ष भारतीय वन अधिनियम बना
(क) 1860 में
(ख) 1864 में
(ग) 1865 में
(घ) 1868 में।
उत्तर-
(ग) 1865 में

प्रश्न 13.
1906 में इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट (Imperial Forest Research Institute) की स्थापना
(क) देहरादून में
(ख) कोलकाता में
(ग) दिल्ली में
(घ) मुंबई में।
उत्तर-
(क) देहरादून में

प्रश्न 14.
देहरादून के इंपीरियल फारेस्ट इंस्टीच्यूट (स्कूल) में जिस वन्य प्रणाली का अध्ययन कराया जाता था, वह थी
(क) मूलभूत वानिकी
(ख) वैज्ञानिक वानिकी
(ग) बागान वानिकी
(घ) आरक्षित वानिकी।
उत्तर-
(ग) बागान वानिकी

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प्रश्न 15.
1865 के वन अधिनियम में संशोधन हुआ ?
(क) 1878 ई०
(ख) 1927 ई०
(ग) 1878 तथा 1927 ई० दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) 1878 तथा 1927 ई० दोनों

प्रश्न 16.
1878 के वन अधिनियम के अनुसार ग्रामीण मकान बनाने तथा ईंधन के लिए जिस वर्ग के वनों से लकड़ी नहीं ले सकते थे
(क) आरक्षित वन
(ख) सुरक्षित वन
(ग) ग्रामीण वन
(घ) सुरक्षित तथा ग्रामीण वन।
उत्तर-
(क) आरक्षित वन

प्रश्न 17.
सबसे अच्छे वन क्या कहलाते थे ?
(क) ग्रामीण वन
(ख) आरक्षित वन
(ग) दुर्गम वन
(घ) सुरक्षित वन।
उत्तर-
(ख) आरक्षित वन

प्रश्न 18.
कांटेदार छाल वाला वृक्ष है.
(क) साल
(ख) टीक
(ग) सेमूर
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) सेमूर

प्रश्न 19.
स्थानांतरी कृषि का एक अन्य नाम है
(क) झूम कृषि
(ख) रोपण कृषि
(ग) गहन कृषि
(घ) मिश्रित कृषि।
उत्तर-
(क) झूम कृषि

प्रश्न 20.
स्थानांतरी कृषि में किसी खेत पर अधिक-से-अधिक कितने समय के लिए कृषि होती है ?
(क) 5 वर्ष तक
(ख) 4 वर्ष तक
(ग) 6 वर्ष तक
(घ) 2 वर्ष तक।
उत्तर-
(घ) 2 वर्ष तक।

प्रश्न 21.
चाय के बागानों पर काम करने वाला समुदाय था
(क) मेरुकुला
(ख) कोरवा
(ग) संथाल
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) संथाल

प्रश्न 22.
संथाल परगनों में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह करने बाले वन समुदाय का नेता था
(क) बिरसा मुंडा
(ख) सिद्धू
(ग) अलूरी सीता राम राजू
(घ) गुंडा ध्रुव।
उत्तर-
(ख) सिद्धू

प्रश्न 23.
बिरसा मुंडा ने जिस क्षेत्र में वन समुदाय के विद्रोह का नेतृत्व किया
(क) तत्कालीन आंध्र प्रदेश
(ख) केरल
(ग) संथाल परगना
(घ) छोटा नागपुर।
उत्तर-
(घ) छोटा नागपुर।

प्रश्न 24.
बस्तर में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह का नेता कौन था ?
(क) गुंडा ध्रुव
(ख) बिरसा मुंडा
(ग) कनु
(घ) सिद्ध।
उत्तर-
(क) गुंडा ध्रुव

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प्रश्न 25.
जावा का कौन-सा समुदाय वन काटने में कुशल था ?
(क) संथाल
(ख) डच
(ग) कलांग
(घ) सामिन।
उत्तर-
(ग) कलांग

II. रिक्त स्थान भरो:

  1. 1850 के दशक में रेलवे …………. के स्लीपर बनाए जाते थे।
  2. जर्मनी का ……………. भारत में पहला इंस्पेक्टर जनरल था।
  3. भारतीय वन अधिनियम ……………….. ई० में बना।
  4. 1906 ई० में ………………. में इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट की स्थापना हुई।
  5. …………………वन सबसे अच्छे वन कहलाते हैं।

उत्तर-

  1. लकड़ी
  2. डीट्रिख ब्रैडिस
  3. 1865
  4. देहरादून
  5. आरक्षित।

III. सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. तेंदू के पत्ते – (i) छोटा नागपुर
2. भारतीय वन अधिनियम – (ii) बीड़ी बनाने
3. इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीचूट – (iii) साल के बीज
4. चाकलेट – (iv) 1865
5. बिरसा मुंडा – (v) 1906
उत्तर-

  1. बॉडी बनाने
  2. 1865
  3. 1906
  4. साल के बीज
  5. छोटा नागपुर।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

प्रश्न 1.
वनोन्मूलन (Deforestation) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वनों का कटाव एवं सफ़ाई।

प्रश्न 2.
कृषि के विस्तारण का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर-
बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन की बढ़ती हुई मांग को पूरा करना।

प्रश्न 3.
वनों के विनाश का कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
कृषि का विस्तारण।

प्रश्न 4.
दो नकदी फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
जूट तथा कपास।

प्रश्न 5.
19वीं शताब्दी के आरंभ में औपनिवेशिक शासक वनों की सफ़ाई क्यों चाहते थे ? कोई एक कारण बताइए।
उत्तर-
वे वनों को ऊसर तथा बीहड़ स्थल समझते थे।

प्रश्न 6.
कृषि में विस्तार किस बात का प्रतीक माना जाता है ?
उत्तर-
प्रगति का।

प्रश्न 7.
आरंभ में अंग्रेज़ शासक वनों को साफ़ करके कृषि का विस्तार क्यों करना चाहते थे ? कोई एक कारण लिखिए।
उत्तर-
राज्य की आय बढ़ाने के लिए।

प्रश्न 8.
इंग्लैंड की सरकार ने भारत में वन संसाधनों का पता लगाने के लिए खोजी दंल कब भेजे ?
उत्तर-
1820 के दशक में।

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प्रश्न 9.
औपनिवेशिक शासकों को किन दो उद्देश्य की पूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर मज़बूत लकड़ी की ज़रूरत थी ?
उत्तर-
रेलवे के विस्तार तथा नौ-सेना के लिए जलयान बनाने के लिए।

प्रश्न 10.
रेलवे के विस्तार का वनों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
बड़े पैमाने पर वनों का कटाव।

प्रश्न 11.
1864 में ‘भारतीय वन सेवा’ की स्थापना किसने की ?
उत्तर-
डीट्रिख चैंडिस (Dietrich Brandis) ने।

प्रश्न 12.
वैज्ञानिक वानिकी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वन विभाग के नियंत्रण में वृक्ष (वन) काटने की वह प्रणाली जिसमें पुराने वृक्ष काटे जाते हैं और नये वृक्ष लगाए जाते हैं।

प्रश्न 13.
बागान का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
सीधी पंक्तियों में एक ही प्रजाति के वृक्ष उगाना।

प्रश्न 14.
1878 के वन अधिनियम द्वारा वनों को कौन-कौन से तीन वर्गों में बांटा गया ?
उत्तर-

  1. आरक्षित वन
  2. सुरक्षित वन
  3. ग्रामीण वन।

प्रश्न 15.
किस वर्ग के वनों से ग्रामीण कोई भी वन्य उत्पाद नहीं ले सकते थे ?
उत्तर-
आरक्षित वन।

प्रश्न 16.
मज़बूत लकड़ी के दो वृक्षों के नाम बताओ।
उत्तर-
टीक तथा साल।

प्रश्न 17.
दो वन्य उत्पादों के नाम बताओ जो पोषक गुणों से युक्त होते हैं।
उत्तर-
फल तथा कंदमूल।

प्रश्न 18.
जड़ी-बूटियां किस काम आती हैं ?
उत्तर-
औषधियां बनाने के।

प्रश्न 19.
महुआ के फल से क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
खाना पकाने और जलाने के लिए तेल।

प्रश्न 20.
विश्व के किन भागों में स्थानांतरी (झूम) खेती की जाती है ?
उत्तर-
एशिया के कुछ भागों, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका में।

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लघु उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
औपनिवेशिक काल में कृषि के तीव्र विस्तारीकरण के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर-
औपनिवेशिक काल में कृषि के तीव्र विस्तारीकरण के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

  1. 19वीं शताब्दी में यूरोप में जूट (पटसन), गन्ना, कपास, गेहूं आदि वाणिज्यिक फसलों की मांग बढ़ गई। अनाज शहरी जनसंख्या को भोजन जुटाने के लिए चाहिए था तथा अन्य फसलों का उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाना था। अत: अंग्रेज़ी शासकों ने ये फसलें उगाने के लिए कृषि क्षेत्र का तेजी से विस्तार किया।
  2. 19वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में अंग्रेज़ शासक वन्य भूमि को ऊसर तथा बीहड़ मानते थे। वे इसे उपजाऊ बनाने के लिए वन साफ़ करके भूमि को कृषि के अधीन लाना चाहते थे। .
  3. अंग्रेज़ शासक यह भी सोचते थे कि कृषि के विस्तार से कृषि-उत्पादन में वृद्धि होगी। फलस्वरूप राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होगा और राज्य की आय में वृद्धि होगी।
    अतः 1880-1920 ई० के बीच कृषि क्षेत्र में 67 लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई।

प्रश्न 2.
1820 के बाद भारत में वनों को बड़े पैमाने पर काटा जाने लगा। इसके लिए कौन-कौन से कारक उत्तरदायी थे ?
उत्तर-
1820 के दशक में ब्रिटिश सरकार को मज़बूत लकड़ी की बहुत अधिक आवश्यकता पड़ी। इसे पूरा करने के लिए वनों को बड़े पैमाने पर काटा जाने लगा। लकड़ी की बढ़ती हुई आवश्यकता और वनों के कटाव के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे-

  1. इंग्लैंड की रॉयल नेवी (शाही नौ-सेना) के लिए जलयान ओक के वृक्षों से बनाए जाते थे। परंतु इंग्लैंड के ओक वन समाप्त होते जा रहे थे और जलयान निर्माण में बाधा पड़ रही थी। अतः भारत के वन संसाधनों का पता लगाया गया और यहां के वृक्ष काट कर लकड़ी इंग्लैंड भेजी जाने लगी।
  2. 1850 के दशक में रेलवे का विस्तार आरंभ हुआ। इससे लकड़ी की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई। इसका कारण यह था कि रेल पटरियों को सीधा रखने के लिए सीधे तथा मज़बूत स्लीपर चाहिए थे जो लकड़ी से बनाए जाते थे। फलस्वरूप वनों पर और अधिक बोझ बढ़ गया। 1850 के दशक तक केवल मद्रास प्रेजीडेंसी में स्लीपरों के लिए प्रतिवर्ष 35,000 वृक्ष काटे जाते थे।
  3. अंग्रेज़ी सरकार ने लकड़ी की आपूर्ति बनाये रखने के लिए निजी कंपनियों को वन काटने के ठेके दिये। इन कंपनियों ने वृक्षों को अंधाधुंध काट डाला।

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक वानिकी के अंतर्गत वन-प्रबंधन के लिए क्या-क्या पग उठाए गए ?
उत्तर-
वैज्ञानिक वानिकी के अंतर्गत वन प्रबंधन के लिए कई महत्त्वपूर्ण पग उठाए गए-

  1. उन प्राकृतिक वनों को काट दिया गया जिनमें कई प्रकार की प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते थे।
  2. काटे गए वनों के स्थान पर बागान व्यवस्था की गई। इसके अंतर्गत सीधी पंक्तियों में एक ही प्रजाति के वृक्ष लगाए गए।
  3. वन अधिकारियों ने वनों का सर्वेक्षण किया और विभिन्न प्रकार के वृक्षों के अधीन क्षेत्र का अनुमान लगाया। उन्होंने वनों के उचित प्रबंध के लिए कार्य योजनाएं भी तैयार की। .
  4. योजना के अनुसार यह निश्चित किया गया कि प्रतिवर्ष कितना वन आवरण काटा जाए। उसके स्थान पर नये वृक्ष लगाने की योजना भी बनाई गई ताकि कुछ वर्षों में नये पेड़ पनप जाएं।

प्रश्न 4.
वनों के बारे में औपनिवेशिक वन अधिकारियों तथा ग्रामीणों के हित परस्पर टकराते थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वनों के संबंध में वन अधिकारियों तथा ग्रामीणों के हित परस्पर टकराते थे। ग्रामीणों को जलाऊ लकड़ी, चारा तथा पत्तियों आदि की आवश्यकता थी। अत: वे ऐसे वन चाहते थे जिनमें विभिन्न प्रजातियों की मिश्रित वनस्पति हो।
इसके विपरीत वन अधिकारी ऐसे वनों के पक्ष में थे जो उनकी जलयान निर्माण तथा रेलवे के प्रसार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। इसलिए वे कठोर लकड़ी के वृक्ष लगाना चाहते थे जो सीधे और ऊंचे हों। अतः मिश्रित वनों का सफाया करके टीक और साल के वृक्ष लगाए गए।

प्रश्न 5.
वन अधिनियम ने ग्रामीणों अथवा स्थानीय समुदायों के लिए किस प्रकार कठिनाइयां उत्पन्न की ?
उत्तर-
वन अधिनियम से ग्रामीणों की रोजी-रोटी का साधन वन अर्थात् वन्य-उत्पाद ही थे। परंतु वन अधिनियम के बाद उनके द्वारा वनों से लकड़ी काटने, फल तथा जड़ें इकट्ठी करने और वनों में पशु चराने, शिकार एवं मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई। अतः लोग वनों से लकड़ी चोरी करने पर विवश हो गए। यदि वे पकड़े जाते थे, तो मुक्त होने के लिए उन्हें वन-रक्षकों को रिश्वत देनी पड़ती थी। ग्रामीण महिलाओं की चिंता तो और अधिक बढ़ गई। प्रायः पुलिस वाले तथा वन-रक्षक उनसे मुफ़्त भोजन की मांग करते रहते थे और उन्हें डराते-धमकाते रहते थे।

प्रश्न 6.
स्थानांतरी कृषि पर रोक क्यों लगाई गई ? इसका स्थानीय समुदायों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
स्थानांतरी कृषि पर मुख्य रूप से तीन कारणों से रोक लगाई गई–

  1. यूरोप के वन-अधिकारियों का विचार था कि इस प्रकार की कृषि वनों के लिए हानिकारक है। उनका विचार था कि जिस भूमि पर छोड़-छोड़ कर कृषि होती रहती है, वहां पर इमारती लकड़ी देने वाले वन नहीं उग सकते।
  2. जब भूमि को साफ़ करने के लिए किसी वन को जलाया जाता था, तो आस-पास अन्य मूल्यवान् वृक्षों को आग लग जाने का भय बना रहता था।
  3. स्थानांतरी कृषि से सरकार के लिए करों की गणना करना कठिन हो रहा था।
    प्रभाव-स्थानांतरी खेती पर रोक लगने से स्थानीय समुदायों को वनों से ज़बरदस्ती बाहर निकाल दिया गया। कुछ लोगों को अपना व्यवसाय बदलना पड़ा और कुछ ने विद्रोह कर दिया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

प्रश्न 7.
1980 के दशक से वानिकी में क्या नये परिवर्तन आए हैं ?
उत्तर-
1980 के दशक से वानिकी का रूप बदल गया है। अब स्थानीय लोगों ने वनों से लकड़ी इकट्ठी करने के स्थान पर वन संरक्षण को अपना लक्ष्य बना लिया है। सरकार भी जान गई है कि वन संरक्षण के लिए इन लोगों की भागीदारी आवश्यक है। भारत में मिज़ोरम से लेकर केरल तक के घने वन इसलिए सुरक्षित हैं कि स्थानीय लोग इनकी रक्षा करना अपना पवित्र कर्त्तव्य समझते हैं। कुछ गांव अपने वनों की निगरानी स्वयं करते हैं। इसके लिए प्रत्येक परिवार बारी-बारी से पहरा देता है। अतः इन वनों में वन-रक्षकों की कोई भूमिका नहीं रही। अब स्थानीय समुदाय तथा पर्यावरणविद् वन प्रबंधन को कोई भिन्न रूप देने के बारे में सोच रहे हैं।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में वनों का प्रथम इंस्पेक्टर-जनरल कौन था ? वन प्रबंधन के विषय में उसके क्या विचार थे ? इसके लिए उसने क्या किया ?
उत्तर-
भारत में वनों का प्रथम इंस्पेक्टर-जनरल डीट्रिख बेंडीज़ (Dietrich Brandis) था। वह एक जर्मन विशेषज्ञ था। वन प्रबंधन के संबंध में उसके निम्नलिखित विचार थे-

  1. वनों के प्रबंध के लिए एक उचित प्रणाली अपनानी होगी और लोगों को वन-संरक्षण विज्ञान में प्रशिक्षित करना होगा।
  2. इस प्रणाली के अंतर्गत कानूनी प्रतिबंध लगाने होंगे।
  3. वन संसाधनों के संबंध में नियम बनाने होंगे।
  4. वनों को इमारती लकड़ी के उत्पादन के लिए संरक्षित करना होगा। इस उद्देश्य से वनों में वृक्ष काटने तथा पशु चराने को सीमित करना होगा।
  5. जो व्यक्ति नई प्रणाली की परवाह न करते हुए वृक्ष काटता है, उसे दंडित करना होगा।
    अपने विचारों को कार्य रूप देने के लिए बेंडीज़ ने 1864 में ‘भारतीय वन सेवा’ की स्थापना की और 1865 के ‘भारतीय वन अधिनियम’ पारित होने में सहायता पहुंचाई। 1906 में ‘देहरादून में ‘द इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट’ की स्थापना की गई। यहां वैज्ञानिक वानिकी का अध्ययन कराया जाता था। परंतु बाद में पता चला कि इस अध्ययन में विज्ञान जैसी कोई बात नहीं थी।

प्रश्न 2.
वन्य प्रदेशों अथवा वनों में रहने वाले लोग वन उत्पादों का विभिन्न प्रकार से उपयोग कैसे करते हैं ?
उत्तर-
वन्य प्रदेशों में रहने वाले लोग कंद-मूल-फल, पत्ते आदि वन-उत्पादों का विभिन्ने ज़रूरतों के लिए उपयोग करते हैं।

  1. फल और कंद बहुत पोषक खाद्य हैं, विशेषकर मानसून के दौरान जब फ़सल कट कर घर न आयी हो।
  2. जड़ी-बूटियों का दवाओं के लिए प्रयोग होता है।
  3. लकड़ी का प्रयोग हल जैसे खेती के औज़ार बनाने में किया जाता है।
  4. बांस से बढ़िया बाड़ें बनायी जा सकती हैं। इसका उपयोग छतरियां तथा टोकरियां बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
  5. सूखे हुए कुम्हड़े के खोल का प्रयोग पानी की बोतल के रूप में किया जा सकता है।
  6. जंगलों में लगभग सब कुछ उपलब्ध है-
    • पत्तों को आपस में जोड़ कर ‘खाओ-फेंको’ किस्म के पत्तल और दोने बनाए जा सकते हैं।
    • सियादी (Bauhiria vahili) की लताओं से रस्सी बनायी जा सकती है।
    • सेमूर (सूती रेशम) की कांटेदार छाल पर सब्जियां छीली जा सकती है।
    • महुए के पेड़ से खाना पकाने और रोशनी के लिए तेल निकाला जा सकता है।

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 1 वर्तमान लोकतंत्र का इतिहास, विकास एवं विस्तार

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 1 वर्तमान लोकतंत्र का इतिहास, विकास एवं विस्तार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 1 वर्तमान लोकतंत्र का इतिहास, विकास एवं विस्तार

SST Guide for Class 9 PSEB वर्तमान लोकतंत्र का इतिहास, विकास एवं विस्तार Textbook Questions and Answers

(क) रिक्त स्थान भरें :

  1. चोल शासकों के समय प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ………. थी।
  2. ………….. ने चिल्ली में सोशलिस्ट पार्टी का मार्गदर्शन किया।

उत्तर-

  1. उरर
  2. साल्वाडोर एलैंडे।

(ख) निम्नलिखित कथनों में सही के लिए तथा गलत के लिए चिन्ह लगाएं :

  1. भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य है। ( )
  2. हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में लोकतंत्र निरंतर चल रहा है। ( )

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)

(ग) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में किस देश ने दुनिया के देशों को संसदीय लोकतंत्र प्रणाली अपनाने की प्रेरणा दी :-
(अ) जर्मनी
(आ) फ्रांस
(इ) इंग्लैंड
(ई) चीन।
उत्तर-
(इ) इंग्लैंड

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित देशों में ‘वीटो शक्ति’ किस देश के पास नहीं है ?
(अ) भारत
(आ) अमेरिका
(इ) फ्रांस
(ई) चीन।
उत्तर-
(अ) भारत

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आजकल विश्व के अधिकांश राष्ट्रों में कौन-सी शासन प्रणाली अपनाई जा रही है ?
उत्तर-
आजकल विश्व के अधिकांश राष्ट्रों में लोकतंत्र को अपनाया जा रहा है।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् इटली व जर्मनी में प्रचलित विचारधाराओं के नाम लिखें जिनके कारण लोकतंत्र को भीषण झटका लगा।
उत्तर–
इटली में फासीवाद तथा जर्मनी में नाजीवाद।

प्रश्न 3.
एलैंडे चिल्ली का राष्ट्रपति कब चुना गया ?
उत्तर-
एलैंडे 1970 में चिल्ली का राष्ट्रपति चुना गया।

प्रश्न 4.
चिल्ली में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना कब हुई थी ?
उत्तर-
चिल्ली में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना 1988 में हुई थी।

प्रश्न 5.
पोलैंड में लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग के लिए हड़ताल की कार्यवाही किसने की ?
उत्तर-
लेक वालेशा (Lek Walesha) ने तथा सोलिडैरिटी (Solidarity) ने पोलैंड में हड़ताल की कार्यवाही की।

प्रश्न 6.
पोलैंड में राष्ट्रपति पद के लिए प्रथम बार चुनाव कब हुआ तथा राष्ट्रपति पद के लिए कौन निर्वाचित हुआ ?
उत्तर-
पोलैंड में राष्ट्रपति पद के लिए प्रथम बार चुनाव 1990 में हुए तथा लेक वालेशा राष्ट्रपति बने।

प्रश्न 7.
भारत में सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार कब दिया गया ?
उत्तर-
1950 में संविधान के लागू होने के साथ।

प्रश्न 8.
कौन-से दो बड़े महाद्वीप उपनिवेशवाद का शिकार रहे हैं ?
उत्तर-
एशिया तथा अफ्रीका उपनिवेशवाद का शिकार रहे हैं।

प्रश्न 9.
दक्षिणी अफ्रीका महाद्वीप के देश घाना को स्वतंत्रता कब प्राप्त हुई ?
उत्तर-
घाना को 1957 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

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प्रश्न 10.
हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में किस सैनिक कमांडर ने 1999 में निर्वाचित सरकार की सत्ता पर अधिकार कर लिया ?
उत्तर-

जनरल परवेज मुशर्रफ ने।

प्रश्न 11.
दो अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के नाम लिखें।
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र संघ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष।

प्रश्न 12.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्य करती है ?
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अलग-अलग देशों को विकास के लिए धन कर्जे के रूप में देती है।

प्रश्न 13.
संयुक्त राष्ट्र संघ में कितने राष्ट्र सदस्य हैं ?
उत्तर-

संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 राष्ट्र सदस्य हैं।

प्रश्न 14.
विश्व भर में प्रचलित शासन प्रणालियों के नाम लिखें।
उत्तर-
राजतंत्र, सत्तावादी, सर्वसत्तावादी, तानाशाही, सैनिक तानाशाही तथा लोकतंत्र।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
देश के सभी नागरिकों को जाति, लिंग, जन्म, वर्ण, प्रजाति के भेदभाव के बिना एक निश्चित आयु प्राप्त करने के पश्चात् चुनाव में वोट देने का अधिकार दिया जाता है जिसे सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार कहते हैं। भारत में 18 वर्ष की आयु होने के पश्चात् सभी को बिना किसी भेदभाव के वोट या मत देने का अधिकार प्रदान किया गया है।

प्रश्न 2.
चौल वंश के शासकों के समय स्थानीय स्तर के लोकतंत्र पर नोट लिखें।
उत्तर-
चोल शासकों ने शासन को ठीक ढंग से चलाने के लिए राज्य को कई इकाइयों में विभाजित किया था तथा इन प्रशासनिक इकाइयों को स्वायत्तता का अधिकार प्रदान किया था। उन्होंने स्थानीय व्यवस्था को चलाने के लिए समिति प्रणाली शुरू की जिसे ‘वरियाम व्यवस्था’ कहते थे। अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग समितियां गठित की जाती थीं। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई (उर्र) का प्रबंध चलाने के लिए 30 सदस्यों की समिति को उरी के वयस्कों द्वारा एक वर्ष के लिए चुना जाता था। प्रत्येक उरी को खंडों में विभाजित किया जाता था जिनके उम्मीदवारों का चुनाव जनता द्वारा किया जाता था।

प्रश्न 3.
वीटो शक्ति से क्या अभिप्राय है ? संयुक्त राष्ट्र संघ में वीटो शक्ति किन राष्ट्रों के पास है ?
उत्तर-
वीटो शक्ति का अर्थ है ‘न कहने की शक्ति’। इसका अर्थ यह है कि जिसे वीटो शक्ति प्रयोग करने का अधिकार हो तो उसकी मर्जी के बिना कोई प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी सदस्यों को वीटो शक्ति का अधिकार प्राप्त है। अगर इन पांच सदस्यों में से कोई भी सदस्य वीटो के अधिकार का प्रयोग करता है तो वह प्रस्ताव परिषद् में पारित नहीं किया जा सकता। वह देश जिन्हें वीटो अधिकार प्राप्त है वह है-संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस तथा चीन।

प्रश्न 4.
हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में लोकतंत्र के इतिहास पर नोट लिखें।
उत्तर–
पाकिस्तान 1947 में भारत को विभाजित करके बनाया गया था तथा वहां पर लोकतंत्र का इतिहास काफी अच्छा नहीं है। पाकिस्तान में सेना काफी शक्तिशाली है तथा उसका राजनीति में काफी प्रभुत्व है। 1958 में प्रधानमंत्री फिरोज़ खान नून को हटा कर सेना प्रमुख जनरल अयूबखान को देश का प्रमुख बना दिया गया। इसके पश्चात् 1977 में जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने हटा दिया तथा स्वयं को देश का राष्ट्रपति बना दिया। 1999 में इसी प्रकार प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को सेना प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने हटा दिया तथा 2002 में स्वयं को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। इस प्रकार वहां पर समय समय पर सेना द्वारा लोकतंत्र का गला घोटा गया है।

प्रश्न 5.
चिल्ली के लोकतंत्र के इतिहास पर नोट लिखें।
उत्तर-
चिल्ली दक्षिण अमेरिकी देश है जहां पर साल्वाडोर एलैंडे की सोशलिस्ट पार्टी को 1970 में राष्ट्रपति चुनाव में विजय प्राप्त हुई। इसके पश्चात् एलैंडे ने निर्धन लोगों के कल्याण, शिक्षा में सुधार तथा कई अन्य कार्य किए जिसका विदेशी कंपनियों ने विरोध किया। 11 सितंबर 1973 को सैनिक जनरल पिनोशे ने षड्यंत्र रच कर तख्ता पलट किया जिसमें एलैंडे की मृत्यु हो गई। सत्ता पिनोशे के हाथों में आ गई। 17 वर्ष तक राज करने के पश्चात् पिनोशे ने जनमत संग्रह करवाया जो उसके विरोध में गया। 1990 में वहां पर चुनाव हुए तथा लोकतंत्र स्थापित हुआ।

प्रश्न 6.
अफ्रीका महाद्वीप के देश ‘घाना’ की स्वतंत्रता के लिए किस व्यक्ति ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई? घाना की स्वतंत्रता का अफ्रीका के अन्य देशों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
घाना को 1957 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त हुई। उसकी स्वतंत्रता प्राप्ति में कवामे नकरूमाह (Kwame Nkrumah) नामक व्यक्ति ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने स्वतंत्रता के संघर्ष का नेतृत्व किया तथा अपने देश को स्वतंत्र करवाया। वह घाना का प्रथम प्रधानमंत्री तथा बाद में राष्ट्रपति बन गया। घाना की स्वतंत्रता का अफ्रीका के अन्य देशों पर काफी प्रभाव पड़ा तथा वह भी स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित हुए तथा उन्हें समय के साथसाथ स्वतंत्रता प्राप्त हो गई।

प्रश्न 7.
चोल वंश के शासकों के समय स्थानीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए अपनाई गई निर्वाचन पद्धति का वर्णन करें।
उत्तर-
चोल वंश के शासकों में शासन की सबसे छोटी इकाई उरी थी जो आजकल के गांवों के समान हुआ करते थे। उर का प्रबंध चलाने के लिए 30 सदस्यों की समिति बनाई जाती थी जिसे एक वर्ष के लिए उरी के वयस्कों द्वारा चुना जाता था। प्रत्येक उरी 30 खंडों में विभाजित होता है तथा प्रत्येक खंड में से एक से अधिक उम्मीदवार की सिफारिश जनता द्वारा की जाती थी। इन उम्मीदवारों के नाम ताड़ के पत्तों पर लिख कर एक डिब्बे में डाल दिए जाते थे जिनके नाम बालिगों द्वारा डिब्बे में से बाहर निकाले जाते थे। उन्हें सदस्य मान लिया जाता था। इस निर्वाचन के ढंग को कदूबलाय का नाम दिया जाता था।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ पर संक्षिप्त निबंध लिखें।
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा वर्ल्ड बैंक को ब्रैटन वुड संस्थाएं कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (Internatinal Monetary Fund) ने 1947 में अपने आर्थिक कार्य करने शुरू किए। इन संस्थाओं में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर पश्चिमी देशों का अधिकार होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के पास IMF तथा वर्ल्ड बैंक में वोट करने का मुख्य अधिकार है।
यह संस्था संसार भर के देशों को कर्जा देती है। इस संस्था के 188 देश सदस्य हैं तथा प्रत्येक देश के पास मत देने का अधिकार है। प्रत्येक देश के मत की शक्ति उस देश द्वारा संस्था को दी गई राशि के अनुसार निश्चित की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में 52% मत शक्ति केवल 10 देशों-अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, इटली, साऊदी अरब, कैनेडा तथा रूस के पास है। इस प्रकार अन्य 178 देशों के पास संस्था में निर्णय लेने का अधिकार काफी कम होता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इन देशों में निर्णय लेने की प्रक्रिया लोकतांत्रिक नहीं बल्कि अलोकतांत्रिक है।

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प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र संघ पर संक्षिप्त निबंध लिखें।
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र संघ एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसे 24 अक्तूबर, 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् बनाया गया था। इसके प्राथमिक सदस्यों की संख्या 51 थी तथा भारत भी इन 51 देशों में से था। संयुक्त राष्ट्र उन प्रयासों का परिणाम था जिसमें विश्व शांति को सामने रख कर युद्धों को रोकने का प्रयास किया गया था। इस समय इसके 193 देश सदस्य हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक संसद् है जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा कहते हैं। यहां प्रत्येक देश को एक मत, एक समान मताधिकार प्राप्त है तथा महासभा में सभी देश विश्व की समस्याओं से संबंधित विचार विमर्श करते हैं। महासभा का एक प्रधान होता है जिसे चेयरमैन कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र का एक सचिवालय होता है जिसके प्रमुख को महासचिव कहते हैं। सभी निर्णय अलग-अलग देशों से परामर्श करके किए जाते हैं। इसके कुछेक अंग हैं-जैसे कि महासभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, ट्रस्टीशिप कौंसिल, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय तथा सचिवालय।

प्रश्न 3.
यूनान व रोम में प्राचीनकाल में लोकतंत्र के विकास पर संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
अगर हम संपूर्ण विश्व में लोकतंत्र के आरंभ को देखें तो यह यूनान तथा रोमन गणराज्यों में हुआ था। प्राचीन समय में यूनान में नगर राज्यों में सीधा तथा प्रत्यक्ष लोकतंत्र लागू था। इन राज्यों की जनसंख्या काफी कम थी। राज्य के प्रशासनिक निर्णय नागरिक प्रत्यक्ष रूप से लेते थे। राज्य के सभी नागरिक अपने राज्य की आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए कानून बनाने, राज्य के वार्षिक बजट को पास करने तथा सार्वजनिक नीतियों के निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेते थे।
परंतु यह लोकतंत्र एक सीमित लोकतंत्र था क्योंकि इन नगर राज्यों की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा गुलामों का होता था। गुलामों का प्रशासनिक कार्यों में भाग लेना वर्जित था। रोमन राज्यों में राजा को चाहे लोगों के द्वारा निर्वाचित किया जाता था। परंतु यहां पर राजा अपनी इच्छा से राज्य का प्रशासन चलाता था। सैद्धांतिक रूप से तो राजा संपूर्ण जनता का प्रतिनिधित्व करता था परंतु वास्तविक रूप में वह अपनी इच्छा से शासक प्रबंध चलाता था।

प्रश्न 4.
बहुराष्ट्रीय कंपनियां आधुनिक युग में लोकतंत्र को खतरा हैं-इसकी व्याख्या करें।
उत्तर-
आजकल का समय विश्वव्यापीकरण का समय है जब जहां अलग-अलग देशों की एक-दूसरे के ऊपर निर्भरता बढ़ गई है। बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी सामने आई हैं जो बहुत से देशों में अपना व्यापार करती हैं। परंतु प्रश्न यह उठता है कि क्या ये कंपनियां लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। आजकल लगभग सभी विकासशील तथा पिछड़े देशों ने वैश्वीकरण तथा खुली प्रतिस्पर्धा की नीति को अपना लिया है। इस नीति के अनुसार ही बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना व्यापार कर रही हैं। इन कंपनियों का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है जिस कारण यह अपनी वस्तुओं के दाम लगातार बढ़ाते रहते हैं। ये कंपनियां किसी न किसी ढंग से जनता का शोषण करती हैं जो कि लोकतंत्र की आत्मा के विरुद्ध है।

हमारी सरकारें चाहे स्वयं को लोकतांत्रिक कह लें परंतु इन्हें देश के व्यापारिक परिवार ही चला रहे हैं। इन व्यापारिक परिवारों का उन कंपनियों पर एकाधिकार होता है तथा यह सरकार से अपने पक्ष में नीतियां बनवा लेते हैं। इस कारण यह और अमीर तथा गरीब और गरीब हो रहा है। यह सब सच्चे लोकतंत्र की आत्मा के विरुद्ध है। इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कंपनियां लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।

PSEB 9th Class Social Science Guide वर्तमान लोकतंत्र का इतिहास, विकास एवं विस्तार Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
चिल्ली (Chile) में 11 सितंबर, 1973 को सेना ने सरकार का तख्ता बदला तब चिली का राष्ट्रपति कौन था ?
(क) गोर्वाचेव
(ख) अगस्टो पिनोशे
(ग) स्टालिन
(घ) सालवेडर एलैंडे।
उत्तर-
(घ) सालवेडर एलैंडे।

प्रश्न 2.
चिल्ली में सैनिक तानाशाही कब समाप्त हुई ?
(क) 1973
(ख) 1989
(ग) 1988
(घ) 1998.
उत्तर-
(ग) 1988

प्रश्न 3.
1980 में पौलेंड में निम्न में से किस पार्टी का शासन था ?
(क) साम्यवादी पार्टी
(ख) पोलिश संयुक्त श्रमिक पार्टी
(ग) पौलिश श्रम पार्टी
(घ) पोलिश प्रगतिशील पार्टी।
उत्तर-
(ख) पोलिश संयुक्त श्रमिक पार्टी

प्रश्न 4.
लेनिन शिपयार्ड (Shipyard) के श्रमिकों ने कब हड़ताल की ?
(क) 14 अगस्त, 1973
(ख) 14 अगस्त, 1980
(ग) 14 अगस्त, 1998
(घ) 14 अगस्त 1988.
उत्तर-
(ख) 14 अगस्त, 1980

प्रश्न 5.
पोलैंड में प्रथम राष्ट्रपति चुनाव कब हुआ जिसमें एक से अधिक दलों को हिस्सा लेने का अधिकार प्राप्त था ?
(क) अक्तूबर, 1990
(ख) अक्तूबर, 1992
(ग) जनवरी, 1998
(घ) अक्तूबर, 1988.
उत्तर-
(क) अक्तूबर, 1990

प्रश्न 6.
सोलिडेरिटी (Solidarity) ट्रेड यूनियन की स्थापना किस देश में की गई थी ?
(क) पोलैंड
(ख) फ्रांस
(ग) नेपाल
(घ) रूमानिया।
उत्तर-
(क) पोलैंड

प्रश्न 7.
पोलैंड में लेक वालेशा (Walesa) की सरकार की महत्त्वपूर्ण विशेषता थी
(क) राजनीतिक सत्ता सेना के पास थी
(ख) लोगों को कुछ मूल राजनीतिक स्वतंत्रताएं प्राप्त थीं
(ग) सरकार की आलोचना करना मना था
(घ) शासक जनता द्वारा नहीं चुने गए थे।
उत्तर-
(ख) लोगों को कुछ मूल राजनीतिक स्वतंत्रताएं प्राप्त थीं

रिक्त स्थान भरें:

  1. लोकतंत्र का आरंभ ……………. तथा …………………. गणराज्यों में हुआ।
  2. चोल शासकों के समय स्थानीय प्रबंध चलाने वाली प्रणाली को …………………. प्रणाली कहते थे।
  3. ………………… ने कहा था कि लोकतंत्रीय सरकार लोगों द्वारा, लोगों के लिए और लोगों द्वारा निर्वाचित होती है।
  4. भारत से एक नया राष्ट्र …………………. 1947 में बना था।
  5. ……………. में एलैंडे चिल्ली के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए।
  6. पोलैंड में …. ……. को 1976 में अधिक वेतन की मांग करने पर नौकरी से निकाल दिया गया था।
  7. ……………….. ने संविधान लागू होते ही जनता को सर्वव्यापक वयस्क मताधिकार प्रदान कर दिया था।

उत्तर-

  1. यूनानी, रोमन
  2. वरियाम
  3. अब्राहम लिंकन
  4. पाकिस्तान
  5. 1970
  6. लेक वालेशा
  7. भारत

PSEB 9th Class SST Solutions Civics Chapter 1 वर्तमान लोकतंत्र का इतिहास, विकास एवं विस्तार

सही/गलत :

  1. इराक 1932 में अमेरिकी उपनिवेशवाद से स्वतंत्र हुआ।
  2. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की 52% मत शक्ति केवल 10 देशों के पास है।
  3. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के कारण अमेरिका महाशक्ति बन गया।
  4. सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों के पास वीटो शक्ति है।
  5. संयुक्त राष्ट्र के 100 प्राथमिक सदस्य थे।
  6. संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 सदस्य हैं। .

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
चिल्ली में राष्ट्रपति सालवेडर एलैंडे (Salvader Allende) का तख्ता कब पलटा गया और सैनिक क्रांति किसके नेतृत्व में हुई ?
उत्तर-
11 सितंबर, 1973 को सैनिक क्रांति हुई और सेना का नेतृत्व जनरल अगस्टो पिनोशे (Augusto Pinnochet) ने किया। राष्ट्रपति सालवेडर एलैंडे सैनिक आक्रमण में मारा गया।

प्रश्न 2.
क्या सेना को किसी नागरिक को कैद करने का अधिकार है ?
उत्तर-
सेना को नागरिकों को कैद करने का अधिकार नहीं है।

प्रश्न 3.
चिल्ली में जनरल अगस्टो पिनोशे ने अपने शासन के संबंध में कब जनमत संग्रह (Referendum) करवाया ?
उत्तर-
1988 में जनमत संग्रह करवाया गया और लोगों ने स्पष्ट रूप से जनरल पिनोशे के शासन के विरुद्ध मतदान किया।

प्रश्न 4.
चिल्ली में राजनीतिक स्वतंत्रता पुनः कब स्थापित की गई ?
उत्तर-
1988 में जनमत संग्रह के बाद जनरल पिनोशे की सत्ता समाप्त होने के बाद चिल्ली में राजनीतिक स्वतंत्रता पुनः स्थापित की गई।

प्रश्न 5.
1980 में पोलैंड में किस पार्टी का शासन था ?
उत्तर-
1980 में पोलैंड में पौलिश संयुक्त श्रमिक पार्टी (Polish United Workers Party) का शासन था।

प्रश्न 6.
पोलैंड में संयुक्त श्रमिक पार्टी के शासन में क्या और राजनीतिक दल थे ?
उत्तर-
पोलैंड में 1980 में संयुक्त श्रमिक पार्टी के अतिरिक्त और कोई राजनीतिक दल नहीं था। पोलैंड में किसी और राजनीतिक दल को कार्य करने नहीं दिया जाता था।

प्रश्न 7.
जनवरी 2006 में चिली का राष्ट्रपति कौन चुना गया ?
उत्तर-
मिशेल बेशलेट (Michelle Bachelet) चिली की प्रथम महिला राष्ट्रपति निर्वाचित हुई।

प्रश्न 8.
1988 में पोलैंड में किस ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में हड़ताल हुई ?
उत्तर-
सोलिडेरिटी (Solidarity) के नेतृत्व में हड़ताल हुई।

प्रश्न 9.
अलोकतांत्रिक सरकार की एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
अलोकतांत्रिक शासन प्रणाली में सरकार जनता द्वारा निर्वाचित नहीं की जाती।

प्रश्न 10.
19वीं शताब्दी में किस देश में लोकतंत्र को कई बार बदला गया और पुनः स्थापित किया गया ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी में फ्रांस में उथल-पुथल होती रही।

प्रश्न 11.
किन्हीं दो देशों का नाम लिखें जहाँ पर अलोकतांत्रिक शासन प्रणाली पाई जाती है ?
उत्तर-

  1. उत्तरी कोरिया
  2. साम्यवादी चीन।

प्रश्न 12.
समकालीन विश्व में कौन-सी शासन प्रणाली संसार के अधिकांश देशों में पाई जाती है ?
उत्तर-
संसार के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली पाई जाती है।

प्रश्न 13.
अफ्रीका में कौन-सा देश सबसे पहले स्वतंत्र हुआ ?
उत्तर-
घाना 1957 में स्वतंत्र हुआ।

प्रश्न 14.
विश्व में किस महान् देश का विघटन हुआ और सभी प्रांत स्वतंत्र देश बन गए।
उत्तर-
1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ और 15 स्वतंत्र देशों का उदय हुआ।

प्रश्न 15.
एशिया के किस देश में 2005 में निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर दिया गया ?
उत्तर-
2005 में नेपाल में नए सम्राट ने निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर दिया और लोगों की राजनीतिक स्वतंत्रता छीन ली गई।

प्रश्न 16.
संयुक्त राष्ट्र संघ की कब स्थापना की गई ?
उत्तर-
24 अक्तूबर, 1945.

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प्रश्न 17.
संयुक्त राष्ट्र के अंगों के नाम लिखें।
उत्तर–
महासभा, सुरक्षा परिषद्, आर्थिक तथा सामाजिक परिषद्, ट्रस्टीशिप कौंसिल, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय तथा सचिवालय।

प्रश्न 18.
संयुक्त राष्ट्र का कोई एक मूलभूत सिद्धांत लिखिए।
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना राष्ट्रों की समानता के आधार पर की गई है।

प्रश्न 19.
संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
इंग्लैंड, अमेरिका, चीन, रूस और फ्रांस।

प्रश्न 20.
संयुक्त राष्ट्र के कितने सदस्य हैं ?
उत्तर-
193.

प्रश्न 21.
संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को कौन ऋण देता है जब उन्हें धन की आवश्यकता पड़ती है ?
उत्तर-

  1. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund)
  2. विश्व बैंक (World Bank)।

प्रश्न 22.
संयुक्त राष्ट्र की वास्तविक शक्ति किस अंग के पास है ?
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र की वास्तविक शक्ति सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी देशों के पास है।

प्रश्न 23.
जनमत संग्रह किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जनमत संग्रह द्वारा संसद् के बनाए कानूनों को जनता की राय जानने के लिए जनता के सामने रखे जाते हैं। वे कानून तभी समझे जाते हैं यदि मतदाताओं का बहुमत उसके पक्ष में हो, नहीं तो वह कानून रद्द हो जाते हैं।

प्रश्न 24.
मिली-जुली सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब अनेक राजनीतिक दल मिलकर एक समझौता करके सरकार बनाएं तो उसे मिली-जुली सरकार कहा जाता है।

प्रश्न 25.
कूप (Coup) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब किसी सरकार को अचानक एक दम गैर-कानूनी ढंग से हटा दिया जाए तो उसे कूप कहते हैं।

प्रश्न 26.
हड़ताल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब श्रमिक अथवा कर्मचारी अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए काम बंद कर दें तो उसे हड़ताल कहा जाता है।

प्रश्न 27.
‘ट्रेड यूनियन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
श्रमिकों के संघ को ट्रेड यूनियन कहा जाता है। ट्रेड यूनियन का उद्देश्य श्रमिकों के हितों की रक्षा करना है।

प्रश्न 28.
‘लेनिन जहाज़ कारखाना’ के मजदूरों ने किस कारणवश हड़ताल की ?
उत्तर-
मजदूरों ने एक क्रेन चालक महिला को गलत ढंग से नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ हड़ताल शुरू की थी।

प्रश्न 29.
वर्तमान समय में नेपाल में किस प्रकार की सरकार स्थापित है ?
उत्तर-
वर्तमान समय में नेपाल में लोकतांत्रिक सरकार स्थापित है।

प्रश्न 30.
वर्तमान समय में पाकिस्तान में किस प्रकार की सरकार पाई जाती है ?
उत्तर-
वर्तमान समय में पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार पाई जाती है।

लघ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1980 में पोलैंड में पौलिश संयुक्त श्रमिक पार्टी के शासनकाल में आप कौन-सी राजनीतिक गतिविधियां पोलैंड में नहीं कर सकते पर अपने देश में कर सकते हैं ?
उत्तर-
1980 में पोलैंड में पौलिश संयुक्त श्रमिक पार्टी के शासनकाल में निम्नलिखित राजनीतिक गतिविधियां मना थीं

  1. पोलैंड में किसी राजनीतिक दल का संगठन नहीं किया जा सकता था। एक ही दल का शासन था।
  2. लोगों को अपनी इच्छा से साम्यवादी पार्टी का नेता चुनने का अधिकार नहीं था।
  3. लोगों को स्वतंत्रता से सरकार चुनने व सरकार की आलोचना करने का अधिकार प्राप्त नहीं था।
  4. लोगों को भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता नहीं थी।

प्रश्न 2.
आपके विचार में किसी को आजीवन काल के लिए राष्ट्रपति चुनना अच्छा है अथवा कुछ वर्षों के पश्चात् नियमित चुनाव करना ?
उत्तर-
किसी भी व्यक्ति को आजीवन काल के लिए राष्ट्रपति चुनना ठीक नहीं है। ये लोकतांत्रिक नहीं है। आजीवन काल के लिए चुना हुआ राष्ट्रपति शीघ्र ही तानाशाह बन जाता है और भ्रष्ट हो जाता है। जैसा कि घाना में राष्ट्रपति नकरुमाह (Nkrumah) ने किया। राष्ट्रपति का चुनाव कुछ वर्षों (4 या पांच) के पश्चात् नियमित रूप से होना चाहिए। लोकतंत्र के लिए नियमित चुनाव होना अनिवार्य है ताकि लोग अपने शासकों का चुनाव कर सकें।

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प्रश्न 3.
आपके विचार में अमेरिका का ईराक पर आक्रमण लोकतंत्र को बढ़ावा देता है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर-

  1. अमेरिका का ईराक पर आक्रमण लोकतंत्र को बढ़ावा नहीं देता।
  2. किसी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। आक्रमण करके लोकतंत्र की स्थापना नहीं होती।
  3. कोई बाहरी शक्ति किसी दूसरे राज्य में लोकतंत्र की स्थापना अधिक समय तक नहीं कर सकती। लोकतंत्र की स्थापना के लिए उस देश के लोगों को स्वयं संघर्ष करना होगा।

प्रश्न 4.
लोकतंत्र की महत्त्वपूर्ण दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  1. जनता द्वारा चुने गए नेताओं को ही देश का शासन चलाना चाहिए।
  2. लोगों को भाषण देने, विचार प्रकट करने, संगठन बनाने इत्यादि की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
आंग सान सू की के जीवन पर संक्षिप्त निबंध लिखें।
उत्तर-
आंग सान सू की पिछले कई वर्षों से म्यांमार में लोकतंत्र के आंदोलन की अगुवा बनी हुई है। उनका जन्म 19 फरवरी, 1945 को रंगून शहर में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र का अध्ययन किया तथा बाद में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अपनी शिक्षा जारी रखी। आंग सान सू की म्यांमार के सैनिक शासन के विरुद्ध हैं। अतः उन्होंने म्यांमार में लोकतंत्र के आंदोलन के साथ अपने आपको पूरी तरह जोड़ा हुआ है। म्यांमार की सैनिक सरकार ने कई बार उन पर देश छोड़ने का दबाव बनाया, परंतु आंग सान सू ची अपने देश से बाहर नहीं गई। 13 दिसंबर, 2010 को आंग सान सू की को म्यांमार की सैनिक सरकार ने 15 साल बाद नजरबंदी से रिहा किया। म्यांमार की अधिकांश जनता इस नेता के साथ है, तथा आंदोलन में उनके साथ भागीदार है। आंग सान सू ची ने म्यांमार में लोगों को लोकतांत्रिक सरकार एवं अधिकार देने के लिए एक बड़ा लोकतांत्रिक आंदोलन चला रखा है।

प्रश्न 6.
“19वीं शताब्दी तथा 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में कुछ देश पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक नहीं थे।” इस कथन के पक्ष में कोई दो तर्क दें।
उत्तर-
निम्नलिखित तर्कों के आधार पर कहा जा सकता है कि 19वीं शताब्दी तथा 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में कुछ देश पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक नहीं थे-

  1. स्विट्ज़रलैंड, इंग्लैंड तथा फ्रांस जैसे देशों में महिलाओं को मताधिकार प्राप्त नहीं था।
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश में भी अश्वेतों को मताधिकार प्राप्त नहीं था।

प्रश्न 7.
चिल्ली में पुनः किस प्रकार लोकतंत्र स्थापित किया गया?
उत्तर-

  1. चिल्ली के सैनिक तानाशाह पिनोशे ने सन् 1988 में अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए जनमत संग्रह करने का फैसला किया।
  2. जनमत संग्रह में पिनोशे की हार हुई।
  3. पिनोशे की राजनीतिक सत्ता सदैव के लिए समाप्त हो गई।
  4. चिल्ली में इसके बाद कई बार चुनाव हो चुके हैं।

प्रश्न 8.
पोलैंड में लोकतंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर-

  1. 1980 में मजदूरों की हड़ताल के कारण सरकार ने विवश होकर मजदूरों के हड़ताल करने के अधिकार को मान्यता प्रदान की।
  2. मज़दूरों ने सोलिडैरिटी नामक एक संगठन बनाया।
  3. मज़दूरों द्वारा सन् 1988 में की गई हड़ताल द्वारा सरकार पर काफ़ी दबाव पड़ा।
  4. अतः सरकार ने विवश होकर चुनाव कराने का निर्णय किया, जिसमें साम्यवादी सरकार का पतन हो गया।

प्रश्न 9.
सोलिडैरिटी के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-

  1. सोलिडैरिटी पोलैंड के मजदूरों द्वारा बनाया गया एक मजदूर संगठन है।
  2. इस संगठन का निर्माण उंडास्क संधि के बाद किया गया।
  3. अपने गठन के एक वर्ष के अंतराल में ही इसकी सदस्य संख्या एक करोड़ पहुंच गई।
  4. पोलैंड में सन् 1989 में हुए चुनावों में इस संगठन ने 100 सीटों में से 99 सीटें जीतीं।

प्रश्न 10.
शीत युद्ध के पश्चात् अधिकांश नव स्वतंत्रता प्राप्त देशों पर उपनिवेशवाद के अंत का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-

  1. नव स्वतंत्रता प्राप्त देशों को अपनी सरकार एवं राजनैतिक संस्थाएं स्थापित करने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा।
  2. अधिकांश नव स्वतंत्रता प्राप्त देशों ने लोकतंत्र को अपनाया, परंतु इन देशों में लोकतंत्र सफल नहीं हो पाया।
  3. अधिकांश नव स्वतंत्रता प्राप्त देशों में गृह युद्ध शुरू हो गया।
  4. अधिकांश देशों में सैनिक शासन स्थापित हो गया।

प्रश्न 11.
सोवियत संघ के पतन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-

  1. सोवियत संघ 1991 में 15 स्वतंत्र गणराज्यों में विभाजित हो गया।
  2. इन गणराज्यों ने साम्यवादी शासन को समाप्त करने के लिए लोकतांत्रिक शासन स्थापित किया।
  3. अधिकांश गणराज्यों में बहुदलीय शासन को मान्यता प्रदान की गई।
  4. पूर्वी यूरोप से सोवियत संघ का नियंत्रण समाप्त हो गया।

प्रश्न 12.
वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक शासन की स्थापना के संबंध में उपाय बताएं।
उत्तर-

  1. विश्व स्तर पर लोकतांत्रिक शासन की स्थापना के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को अधिक लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है।
  2. लोगों को राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक अधिकार प्रदान किये जाने चाहिए।
  3. समय-समय में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाने चाहिए।
  4. लोगों को भाषण देने एवं विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान होनी चाहिए।

प्रश्न 13.
राष्ट्रपति एलैंडे बार-बार मजदूरों की बात क्यों करते हैं? अमीर लोग उनसे नाखुश क्यों थे? .
उत्तर-
राष्ट्रपति मज़दूरों के हितैषी थे। उन्होंने बहुत-से ऐसे कानून बनाए थे, जो मज़दूरों के हित में थे, जैसे शिक्षा पद्धति में संशोधन, किसानों में भूमि का पुनर्वितरण तथा बच्चों के लिए नि:शुल्क दूध की व्यवस्था करना इत्यादि। मज़दूरों के अधिक-से-अधिक कल्याण के लिए ही उन्होंने बार-बार मजदूरों की बात की । अमीर लोग राष्ट्रपति एलैंडे से इसलिए नाखुश थे, क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति की नीतियां पसंद नहीं थीं।

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प्रश्न 14.
अधिकांश देशों में महिलाओं को पुरुष की तुलना में काफ़ी देर से मताधिकार क्यों मिला? भारत में ऐसा क्यों नहीं हुआ?
उत्तर-
अधिकांश देशों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में काफ़ी देर से मताधिकार इसलिए मिला क्योंकि महिलाओं को पुरुषों के समान नहीं माना जाता था। भारत में आजादी के आंदोलन में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। इसी दौरान भारत में सकारात्मक लोकतांत्रिक मूल्यों ने जन्म लिया था। उन मूल्यों में महिलाएं समान समझी जाती थीं। अतः भारत में पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी मताधिकार प्राप्त हुआ था।

प्रश्न 15.
पोलैंड में एक स्वतंत्र मजदूर संघ क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था? मज़दूर संघों की ज़रूरत क्यों थी?
उत्तर-
पोलैंड में एक स्वतंत्र मजदूर संघ इसलिए महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि किसी साम्यवादी शासन वाले देश में पहली बार एक स्वतंत्र मजदूर संघ का निर्माण हुआ था। मज़दूर संघों की आवश्यकता इसलिए होती थी, ताकि मालिकों के असंवैधानिक एवं अनुचित व्यवहार को नियंत्रित किया जा सके।

प्रश्न 16.
आधुनिक युग में प्रत्यक्ष लोकतंत्र क्यों नहीं संभव है ?
उत्तर-
आधुनिक युग में प्रत्यक्ष लोकतंत्र संभव नहीं है। इसका कारण यह है कि आधुनिक राज्य आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टियों में विशाल है। भारत, चीन, अमेरिका, रूस आदि देशों की जनसंख्या करोड़ों में है। इन देशों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र को अपनाना संभव नहीं है। भारत में जनमत-संग्रह करवाना आसान कार्य नहीं है और न ही प्रस्तावाधिकार या उपक्रमण (Initiative) द्वारा जनता की इच्छानुसार कानून बनाए जा सकते हैं। भारत में आम चुनाव करवाने पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं और चुनाव व्यवस्था पर बहुत अधिक समय लगता है। अतः प्रत्यक्ष लोकतंत्र की संस्थाओं को लागू करना संभव नहीं है। आधुनिक युग में लोकतंत्र का अर्थ लोगों द्वारा अप्रत्यक्ष शासन ही है।

प्रश्न 17.
वयस्क मताधिकार से आपका क्या अर्थ है ?
उत्तर-
सार्वभौम वयस्क मताधिकार का अभिप्राय यह है कि एक निश्चित आयु के वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मत देने का अधिकार देना है। वयस्क होने की आयु राज्य द्वारा निश्चित की जाती है। इंग्लैंड में पहले 21 वर्ष के नागरिक को मताधिकार प्राप्त था, परंतु अब यह 18 वर्ष है। रूस और अमेरिका में वयस्क मताधिकार की आयु 18 वर्ष है। भारत में मताधिकार की आयु पहले 21 वर्ष थी, परंतु 61वें संशोधन एक्ट द्वारा यह आयु 18 वर्ष कर दी गई है।

प्रश्न 18.
सार्वजनिक वयस्क (बालिग) मताधिकार के पक्ष में कोई तीन तर्क दीजिए।
उत्तर-
वयस्क मताधिकार के पक्ष में मुख्य निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं-

  1. प्रभुसत्ता जनता के पास है-लोकतंत्र में प्रभुसत्ता जनता के पास होती है और जनता की इच्छा तथा कल्याण के लिए शासन चलाया जाता है। इसलिए मत डालने का अधिकार सबको समानता के साथ मिलना चाहिए। यदि वयस्क मताधिकार का सिद्धांत लागू न किया जाए तो जनता की प्रभुसत्ता की बात सत्य सिद्ध नहीं होती।
  2. कानून का प्रभाव सब पर पड़ता है-राज्य में जो भी कानून बनते हैं उनका प्रभाव राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों पर पड़ता है। इसीलिए उन कानूनों को बनाने का अधिकार भी सबको समान रूप से मिलना चाहिए।
  3. व्यक्ति के विकास के लिए मताधिकार आवश्यक-लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन का विकास करने के लिए कई प्रकार के अधिकार मिलते हैं। उन अधिकारों में मताधिकार भी आवश्यक है और इसके बिना कोई भी व्यक्ति अपना, विकास नहीं कर सकता। दूसरे अधिकारों की रक्षा के लिए मताधिकार आवश्यक है।

प्रश्न 19.
वयस्क मताधिकार के विपक्ष में तीन तर्क दीजिए।
उत्तर-
वयस्क मताधिकार के विरुद्ध मुख्य तर्क निम्नलिखित दिए जाते हैं-

  1. शिक्षित व्यक्तियों को ही मताधिकार मिलना चाहिए-बहुत से लोगों का कहना है कि शिक्षित व्यक्तियों को ही मताधिकार मिलना चाहिए। शिक्षित व्यक्ति अपने मत का ठीक प्रयोग कर सकता है। मिल का कहना है कि वयस्क मताधिकार से पहले शिक्षा को अनिवार्य बनाना आवश्यक है। जिसे लिखना-पढ़ना नहीं आता उसे वोट देने का अधिकार कभी नहीं मिलना चाहिए।
  2. मूरों का शासन-वयस्क मताधिकार द्वारा मूल् का शासन स्थापित हो जाता है, क्योंकि समाज में अनपढ़ और मूल् की संख्या अधिक होती है।
  3. मत का दुरुपयोग–यदि अशिक्षित और निर्धन व्यक्तियों को भी मताधिकार दे दिया जाए तो वे इसका ठीक प्रयोग नहीं करेंगे। अशिक्षित व्यक्ति बिना सोचे-समझे अपने मत का प्रयोग कर अयोग्य व्यक्तियों का शासन स्थापित करेंगे और निर्धन व्यक्ति कुछ पैसों के लालच में आकर अपना वोट बेचने को भी तैयार हो जाएंगे।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
’20वीं शताब्दी में लोकतंत्र का निरंतर विकास हुआ है।’ व्याख्या करें।
उत्तर-
वर्तमान युग लोकतंत्र का युग है। संसार के अधिकांश देशों में लोकतंत्र 20वीं शताब्दी में विकसित हुआ है। विश्व का कोई भाग ऐसा नहीं है जहां लोकतंत्र का प्रसार न हुआ हो। यूरोप, एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका इत्यादि सभी भागों में एक-एक करके लोकतंत्र की स्थापना हुई है।

  1. ग्रेट ब्रिटेन में कहने को तो लोकतंत्र 1688 की शानदार क्रांति के बाद स्थापित हो गया था। परंतु वास्तव में लोकतंत्र 20वीं शताब्दी में स्थापित हुआ। इंग्लैंड में वयस्क मताधिकार 1928 में लागू किया गया।
  2. फ्रांस में क्रांति 1789 में हुई परंतु लोकतंत्र की स्थापना धीरे-धीरे हुई। 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में फ्रांस में धीरे-धीरे राजतंत्र और ज़मींदारों की शक्तियां कम हुईं। वोट डालने का अधिकार अधिक-से-अधिक लोगों को दिया गया। पर वयस्क मताधिकार 1944 में लागू होने पर वास्तविक लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की स्थापना हुई।
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका-नार्थ अमेरिका ने 1776 में अपने आपको स्वाधीन घोषित किया। अन्य राज्यों के स्वतंत्र होने पर संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थापना हुई। संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान 1787 में लागू किया गया और लोकतंत्र की स्थापना की गई। संयुक्त राज्य अमेरिका में वयस्क मताधिकार 1965 में लागू किया गया।
  4. न्यूजीलैंड-न्यूजीलैंड में व्यस्क मताधिकार 1893 में लागू किया गया।
  5. उपनिवेशवाद का अंत-द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एशिया और अफ्रीका के अनेक देशों को ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्ति मिली। भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ और लोकतंत्र की स्थापना की गई। पाकिस्तान, श्रीलंका, घाना इत्यादि देशों में भी लोकतंत्र की स्थापना हुई।
  6. सोवियत संघ का विघटन–1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया। सोवियत संघ के 15 यूनियन रिपब्लिक स्वतंत्र राज्य बन गए और इनमें लोकतंत्र की स्थापना की गई।
    वर्तमान समय में लगभग 140 देशों में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली पाई जाती है। परंतु आज भी कई देशों में एक दलीय या सैनिक तानाशाही पाई जाती है। चीन में साम्यवादी दल का शासन है जबकि म्यांमार इत्यादि देशों में सैनिक तानाशाही पाई जाती है।

प्रश्न 2.
ऑगस्टो पिनोशे ने चिल्ली का राष्ट्रपति बनने के पश्चात् किस प्रकार के कार्य किये ?
उत्तर-
ऑगस्टो पिनोशे ने चिल्ली का राष्ट्रपति बनने के पश्चात् बहुत गैर-लोकतांत्रिक कार्य किए-

  1. पिनोशे ने चिल्ली में अपनी तानाशाही स्थापित कर ली।
  2. पिनोशे ने एलैंडे के बहुत से समर्थकों को मरवा डाला।
  3. पिनोशे ने जनरल बैशलेट की पत्नी एवं बेटी को जेल में डाल दिया।
  4. पिनोशे ने वायुसेना के जनरल बैशलेट तथा अन्य अधिकारियों की हत्या कर दी।
  5. पिनोशे ने लगभग 3000 बेकसूर लोगों की हत्या करवा दी।