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PSEB 6th Class Science Notes Chapter 8 शरीर मे गति
→ शरीर में गतियों से हमारा भाव एक जीव के शरीर के किसी भी भाग की स्थिति में परिवर्तन है।
→ गमन एक जीव के पूरे शरीर की एक स्थान से दूसरे स्थान तक की गति है।
→ जानवर गमन और अन्य प्रकार की शारीरिक गतियाँ दिखाते हैं लेकिन पौधे गमन नहीं करते हैं, हालांकि वे कुछ अन्य प्रकार की गतियाँ अवश्य दिखाते हैं।
→ मनुष्य का चलना, मछलियों का तैरना, घोड़े का दौड़ना, साँप का रेंगना, टिड्डी का कूदना और पक्षियों का उड़ना आदि गमन के विभिन्न तरीके हैं।
→ जानवरों द्वारा गमन का उद्देश्य पानी, भोजन तथा आश्रय ढूंढने के साथ-साथ दुश्मनों से अपनी रक्षा करना है।
→ हड्डियाँ अथवा अस्थियों से बना ढांचा जो शरीर को सहारा देता है, कंकाल कहलाता है।
→ हड्डियाँ अथवा अस्थियाँ सख्त और कठोर होती हैं जबकि उपास्थियाँ नर्म और लचीली होती है।
→ मानव कंकाल हड्डियों और उपास्थि से बना होता है।
→ मानव शरीर में जन्म के समय 300 हइडियाँ होती हैं।
→ वयस्क मानव शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं।
→ पसली पिंजर, पसलियों, रीढ़ की हड्डी और छाती की हड्डी से बना होता है। यह शरीर के आंतरिक अंगों की रक्षा करता है।
→ खोपड़ी मस्तिष्क को परिबद्ध कर उसकी सुरक्षा करती है।
→ जोड़ अथवा संधि वह स्थान है जहां हड्डियाँ अथवा अस्थियाँ आपस में मिलती हैं।
→ टैंडन अथवा कण्डरा एक लचीला ऊतक है जो हड्डियों अथवा अस्थियों को आपस में जोड़ता है।
→ शरीर की गति मांसपेशियों के संकुचन पर निर्भर करती है। ये मांसपेशियाँ हमेशा जोड़ी में काम करती हैं।
→ चाल जानवरों के अंगों की गति का पैटर्न है।
→ केंचुए अपने शरीर की मांसपेशियों के संकुचन और फैलाव से चलते हैं।
→ घोंघा एक बड़े चिपचिपे पेशीय पैर की सहायता से चलता है।
→ एक तिलचट्टा चल सकता है, दौड़ सकता है, चढ़ सकता है और उड़ सकता है।
→ पक्षियों के अग्रपाद पंखों में बदले हुए हैं जो उड़ान में मदद करते हैं।
→ मछली का शरीर धारा रेखीय होता है और यह अपने शरीर पर पार्श्व में पाए जाने वाले पंखों से चलती है ।
→ पक्षियों में धारा रेखीय शरीर और खोखली एवं हल्की हड्डियाँ होती हैं जो उड़ान के दौरान उनकी मदद करती हैं।।
→ साँप अपने पेट पर रेंग कर चलते हैं।
→ विभिन्न प्रकार के जोड़ अथवा संधियाँ अलग-अलग दिशाओं में गति की अनुमति देती हैं।
→ हमारे शरीर में कई प्रकार के जोड़ अथवा संधियाँ होती हैं जैसे बॉल और सॉकेट या कंदुक खल्लिका जोड़ अथवा संधि, हिंज जोड़ अथवा संधि, स्थिर या अचल जोड़ अथवा संधि और धुराग्र जोड़ अथवा संधि।
→ गेंद और सॉकेट या कंदुक खल्लिका जोड़ या संधि एक गोलाकार रूप में या सभी दिशाओं में गति की अनुमति देती है।
→ हिंज जोड़ या संधि आगे और पीछे गति की अनुमति देता है।
→ धुराग्र जोड़ या संधि आगे और पीछे की दिशा, दाएं या बाएं गति की अनुमति देता है। गर्दन और सिर का जोड या संधि इसका उदाहरण है।
→ स्थिर जोड़ अचल होते हैं।
→ एक्स-रे हड्डियों की संख्या गिनने और शरीर में हड्डियों के आकार का अध्ययन करने में मदद करता है।
→ गति-एक जीव के शरीर के किसी भी भाग की स्थिति में परिवर्तन को गति कहा जाता है।
→ गमन-एक जीव के पूरे शरीर का एक स्थान से दूसरे स्थान तक की गति को गमन कहा जाता है।
→ अस्थि-यह कंकाल का वह भाग है जो प्रकृति में कठोर होता है।
→ संधि-यह शरीर का वह स्थान है जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ किसी प्रकार की गति के लिए मिलती
→ उपास्थि-जोड़ों में पाए जाने वाला चिकने, मोटे और लचीले ऊतक को उपास्थि कहते हैं।
→ अचल संधि-जिन जोड़ों पर हड्डियाँ गति नहीं कर सकतीं उन्हें स्थिर अथवा अचल संधि कहा जाता है।
→ गतिशील जोड़ अथवा संधि-जिन जोड़ों अथवा संधियों में हड्डियों की गति संभव होती है उन्हें गतिशील जोड़ अथवा संधि कहा जाता है।
→ कंकाल-शरीर का वह ढाँचा जो शरीर को सहारा और आकार देता है, कंकाल कहलाता है।
→ धारा रेखीय वस्तु-कोई भी वस्तु जो दोनों सिरों पर नोकीली तथा मध्य में चौड़ी या चपटी होती है, धारा रेखीय वस्तु कहलाती है।
→ कण्डरा-मजबूत, रेशेदार ऊतक जो मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ता है, टैंडन अथवा कण्डरा कहलाता है।
→ स्नायुबंधन अथवा लिगामैंट-मजबूत, लचीला ऊतक जो दो हड्डियों को जोड़ता है उसे स्नायुबंधन अथवा लिगामैंट कहते हैं।
→ श्रोणि अस्थियाँ- इन्हें कूल्हे की अस्थियाँ भी कहते हैं। ये बॉक्स के समान एक ऐसी संरचना बनाती हैं जो आमाशय के नीचे के अंगों की रक्षा करती है।
→ धुराग्र संधि-गर्दन और सिर को जोडने वाली संधि को धुराग्र संधि कहते हैं। इसमें बेलनाकार अस्थि एक छल्ले में घूमती है।
→ पसली पिंजर-यह वक्ष की अस्थि एवं मेरुदंड से जुड़कर बना एक बक्सा होता है जो कोमल अंगों की सुरक्षा करता है।
→ कंधे की अस्थियाँ-कंधों के समीप दो उभरी हुई अस्थियाँ होती हैं जिन्हें कंधे की अस्थियाँ कहते हैं।
→ शूक-केंचुए के शरीर में बालों जैसी बारीक संरचनाएं होती हैं जिनकी सहायता से वह गति करता है।