कबड्डी (Kabaddi) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions कबड्डी (Kabaddi) Game Rules.

कबड्डी (Kabaddi) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. पुरुषों के लिए कबड्डी के मैदान की लम्बाई = 13 मीटर
  2. पुरुषों के लिए मैदान की चौड़ाई = 10 मीटर
  3. महिलाओं के लिए मैदान की लम्बाई = 12 मीटर
  4. महिलाओं के लिए मैदान की चौड़ाई = 8 मीटर
  5. जूनियर लड़के और लड़कियों के लिए मैदान = 11 × 8 मीटर “
  6. टीम के कुल खिलाड़ी = 12
  7. मैच का समय पुरुषों के लिए = 20-5-20 मिनट
  8. महिलाओं के लिए मैच का समय = 15-5-15 मिनट
  9. मैच के अधिकारी = एक रैफ़री, दो अम्पाइर,
    एक स्कोरर, एक टाइम
    कीपर, दो लाइन मैन
  10. लौन के अंक = 2
  11. लाइनों की चौड़ाई = 5 सैंटी मीटर
  12. ब्लॉक का आकार पुरुषों के लिए = 1 × 8 मीटर
  13. महिलाओं के लिए ब्लॉक का आकार = 1 × 6 मीटर
  14. कबड्डी खेल में लॉबी की चौड़ाई = 1 मी०
  15. मध्य रेखा से ब्लाक रेखा की दूरी = 2.75 मी०
  16. रेखाओं की चौड़ाई = 5 सैं०मी०
  17. मैच में खिलाड़ियों की संख्या = 7
  18. मध्यांतर = 5 मिनट

हकबड्डी (Kabaddi) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

कबड्डी खेल की संक्षेप रूप-रेखा
(Brief outline of the Kabaddi Game)

  1. प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी होंगे परन्तु एक समय सात खिलाड़ी ही मैदान में उतरेंगे तथा 5 खिलाड़ी स्थानापन्न (Substitutes) होते हैं।
  2. टॉस जीतने वाली टीम अपनी पसन्द का क्षेत्र चुनती है तथा आक्रमण करने का अवसर प्राप्त करती है।
  3. खेल का समय 20-5-20 मिनटों का होता है तथा स्त्रियों और जूनियरों के लिए 15-5-15 का होता है जिसमें 5 मिनट का समय आराम का होता है।
  4. यदि कोई खिलाड़ी खेल के दौरान मैदान में से बाहर चला जाता है तो वह आऊट माना जाएगा।
  5. यदि किसी खिलाड़ी का कोई अंग सीमा के बाहरी भाग को छू जाए तो वह आऊट माना जाएगा।
  6. यदि किसी कारणवश मैच पूरा नहीं खेला जाता तो मैच दोबारा खेला जाएगा।
  7. खिलाड़ी अपने शरीर पर तेल या कोई और चिकनाहट वाली चीज़ नहीं मल सकता।
  8. खेल के समय कोई खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को कैंची (Scissors grip) नहीं मार सकता।
  9. खिलाड़ी को चोट लगने की दशा में दूसरा खिलाड़ी उसके स्थान पर आ सकता
  10. ग्राऊंड से बाहर खड़े होकर खिलाड़ी को पानी दिया जा सकता है, ग्राऊंड के अन्दर आकर देना फाऊल है।
  11. कैप्टन रैफरी के परामर्श से टाइम आऊट ले सकता है, परन्तु टाउम-आऊट का समय दो मिनट से अधिक नहीं होना चाहिए।
  12.  एक टीम तीन खिलाड़ी बदल सकती है।
  13. यदि कोई टीम दूसरी टीम से लोना ले जाती है तो उस टीम को दो नम्बर और दिए जाते हैं।
  14. बदले हुए खिलाड़ियों को दोबारा नहीं बदला जा सकता।

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प्रश्न
कबड्डी के खेल के मैदान, खेल अधिकारी तथा खेल के प्रमुख नियमों का वर्णन करें।
उत्तर-
खेल का मैदान (Play Ground) खेल का मैदान समतल तथा नर्म होगा। यह मिट्टी, खाद तथा बुरादे का होना चाहिए। पुरुषों के लिए मैदान का आकार 121/2 मीटर × 10 मीटर होगा। केन्द्रीय रेखा इसे दो समान भागों में बांटेगी। प्रत्येक भाग 10 मीटर × 161/4 मीटर होगा। स्त्रियों तथा जूनियर्ज़ के लिए मैदान का नाप 11 मीटर × 8 मीटर होगा। मैदान के दोनों ओर एक मीटर चौड़ी पट्टी होगी जिसे लॉबी (Lobby) कहते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में केन्द्रीय रेखा से तीन मीटर दूर उसके समानान्तर मैदान की पूरी चौड़ाई के बराबर रेखायें खींची जाएंगी। इन रेखाओं को बॉक रेखाएं (Baulk Lines) कहते हैं। केन्द्रीय रेखा स्पष्ट रूप से अंकित की जानी चाहिएं। केन्द्रीय रेखा तथा अन्य रेखाओं की अधिकतम चौड़ाई 5 सैंटीमीटर या 2 इंच होनी चाहिए।
बोनस रेखा—(Bonus Lines)

  1. यह रेखा से 10 सें० मी० के अन्तर पर होती है और सीनियर के लिए बॉक रेखा से एक मीटर के अन्तर पर होती है।
  2. जब रेडर रेखा को पार के पश्चात् यदि कोई रेडर पकड़ा जाता है तो उसे अंक दिया जाता है।
  3. बोनस रेखा को पार करने के पश्चात् यदि कोई रेडर पकड़ा जाता है तो विरोधी टीम को उसका अंक दिया जाता है।
  4. यदि कोई रेडर बोनस रेखा पार करने के पश्चात् खिलाड़ी को हाथ भी लगाकर आता है तो उसे बोनस के अतिरिक्त एक अंक अधिक मिलता है।

खेल के नियम
(Rules of Game)
(1) टॉस जीतने वाली टीम या तो अपनी पसन्द का क्षेत्र ले सकती या पहले आक्रमण करने का अवसर प्राप्त कर सकती है। मध्यान्तर के पश्चात् क्षेत्र या कोर्ट बदल लिए जाते हैं।
(2) खेल के दौरान में मैदान से बाहर जाने वाला खिलाड़ी आऊट हो जाएगा।
(3) खिलाड़ी आऊट हो जाता है।

  • यदि किसी खिलाड़ी के शरीर का कोई भी भाग मैदान की सीमा के बाहर के भाग को स्पर्श कर ले।
  • संघर्ष करते समय खिलाड़ी आऊट नहीं होगा यदि उसके शरीर का कोई अंग या तो सीधे मैदान को छुए या उस खिलाड़ी को छुए जो सीमा के अन्दर है (शरीर का कोई न कोई भाग सीमा के बीच होना चाहिए।)

(4) संघर्ष आरम्भ होने पर लॉबी का क्षेत्र भी मैदान में सम्मिलित माना जाता है। संघर्ष की समाप्ति पर वे खिलाड़ी जो संघर्ष में सम्मिलित थे, लॉबी से होते हुए अपने-अपने क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं।
यदि बचाव करने वाली टीम के किसी खिलाड़ी का पैर पीछे वाली लाइन को छू जाता है तो वह आऊट नहीं है जब तक पैर लाइन से बाहर न निकले।
(5) आक्रामक खिलाड़ी ‘कबड्डी’ शब्द का लगातार उच्चारण करता रहेगा। यदि वह ऐसा नहीं करता तो अम्पायर उसे अपने क्षेत्र में वापिस जाने का और विपक्षी खिलाड़ी को आक्रमण करने का आदेश दे सकता है। इस स्थिति में उस खिलाड़ी का पीछा नहीं किया जाएगा।
KABADDI GROUND
कबड्डी (Kabaddi) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
(6) आक्रामक खिलाड़ी को ‘कबड्डी’ शब्द बोलते हुए विपक्षी कोर्ट में प्रविष्ट होना चाहिए। यदि वह विपक्षी के कोर्ट में प्रविष्ट होने के पश्चात् ‘कबड्डी’ शब्द का उच्चारण करता है तो अम्पायर उसे वापिस भेज देगा और विपक्षी खिलाड़ी को आक्रमण का अवसर दिया जाएगा। इस स्थिति में आक्रामक खिलाड़ी का पीछा नहीं किया जाएगा।
(7) यदि सचेत किए जाने पर कोई भी आक्रामक नियम नं0 6 का उल्लंघन करता है तो निर्णायक उसकी बारी समाप्त कर देगा और विपक्षी को एक अंक देगा, परन्तु उसे आऊट नहीं किया जाएगा।
(8) खेल के अन्त तक प्रत्येक पक्ष अपने आक्रामक बारी-बारी से भेजता रहेगा।
(9) यदि विपक्षियों द्वारा पकड़ा हुआ कोई आक्रामक उनसे बच कर अपने कोर्ट में सुरक्षित पहुंच जाता है तो उसका पीछा नहीं किया जाएगा।
(10) एक बारी में केवल एक ही आक्रामक विपक्षी कोर्ट में जाएगा। यदि एक साथ एक से अधिक आक्रामक विपक्षी कोर्ट में जाते हैं तो निर्णायक या अम्पायर उन्हें वापस जाने का आदेश देगा और उनकी बारी समाप्त कर दी जाएगी। इन आक्रामकों द्वारा छुए गए विपक्षी आऊट नहीं माने जाएंगे। विपक्षी इन आक्रामकों का पीछा नहीं करेंगे।
(11) जो भी पक्ष एक समय में एक से अधिक खिलाड़ी विपक्षी कोर्ट में भेजता है उसे चेतावनी दी जाएगी। यदि चेतावनी देने के पश्चात् भी वह ऐसा करता है तो पहले आक्रामक के अतिरिक्त शेष सभी को आऊट किया जाएगा।
(12) यदि कोई आक्रामक विपक्षी कोर्ट में सांस तोड़ देता है तो उसे आऊट माना जाएगा।
(13) किसी आक्रामक के पकड़े जाने पर विपक्षी खिलाड़ी जान-बूझ कर उसका मुंह बंद करके सांस रोकने या चोट लगने वाले ढंग से पकड़ने, कैंची या अनुचित साधनों का
प्रयोग नहीं करेंगे। ऐसा किए जाने पर अम्पायर उस आक्रामक को अपने क्षेत्र में सुरक्षित लौटा हुआ घोषित करेगा।
(14) कोई भी आक्रामक या विपक्षी एक दूसरे को सीमा से बाहर धक्का नहीं मारेगा। जो पहले धक्का देगा उसे आऊट घोषित किया जाएगा। यदि धक्का मार कर आक्रामक को सीमा से बाहर निकाला जाता है तो उसे अपने कोर्ट से सुरक्षित लौटा हुआ घोषित किया जाएगा।
(15) जब तक आक्रामक विपक्षी कोर्ट में रहेगा तब तक कोई भी विपक्षी खिलाड़ी केन्द्रीय रेखा से पार आक्रामक के अंग को अपने शरीर के किसी भाग से नहीं छुएगा। यदि वह ऐसा करता है उसे आऊट घोषित किया जाएगा।
(16) यदि नियम 15 का उल्लंघन करते हुए कोई आऊट हुआ विपक्षी आक्रामक को पकड़ता है या उसे पकड़े जाने में सहायता पहुंचाते हुए या आक्रामक को पकड़े हुए नियम का उल्लंघन करता है तो आक्रामक अपने कोर्ट में सुरक्षित लौटा घोषित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त संघर्ष दल के सभी विपक्षी सदस्य आऊट हो जाएंगे। जब कोई आक्रामक विरोधी टीम की ओर नम्बर ले कर आता है तो उसका नम्बर तब माना जाएगा यदि उसके शरीर के किसी भी अंग ने मध्य रेखा को पूरा पार किया हो।
(17) यदि कोई आक्रामक बिना अपनी बारी के जाता है तो अम्पायर उसे वापिस लौटने का आदेश देगा। यदि यह बार-बार ऐसा करता है तो उसके पक्ष को एक बार चेतावनी देने के पश्चात् विपक्षियों को एक अंक दे दिया जाएगा।
(18) नये नियमों के अनुसार बाहर से पकड़ कर पानी पीना फाऊल नहीं है।
(19) जब एक दल विपक्षी दल के सभी खिलाड़ियों को निष्कासित करने में सफल हो जाए तो उन्हें ‘लोना’ मिलता है। लोने के दो अंक अतिरिक्त होते हैं। इसके पश्चात् खेल पुनः शुरू होगा।
(20) आक्रामक को यदि अपने पक्ष के खिलाड़ी द्वारा विपक्षी के प्रति चेतावनी दी जाती है तो उसके विरुद्ध 1 अंक दिया जाएगा।
(21) किसी भी आक्रामक या विपक्षी को कमर या हाथ-पांव के अतिरिक्त शरीर के किसी भाग से नहीं पकड़ सकता। उस नियम का उल्लंघन करने वाला आऊट घोषित किया जाएगा।
(22) खेल के दौरान यदि एक या दो खिलाड़ी रह जाएं तथा विरोधी दल का कप्तान अपनी टीम को खेल में लाने के लिए उन्हें आऊट घोषित कर दे तो विपक्षियों को इस घोषणा से पहले शेष खिलाड़ियों की संख्या के बराबर अंकों के अतिरिक्त ‘लोना’ के दो अंक और प्राप्त होंगे।
(23) विपक्षी के आऊट होने पर आऊट खिलाड़ी उसी क्रम में जीवित किया जाएगा जिसमें वह आऊट हुआ था।
(24) यदि किसी चोट के कारण मैच 20 मिनट रुका रहे तो हम मैच re-play करवा सकते हैं।
(25) 5 खिलाड़ियों के साथ भी मैच आरम्भ किया जा सकता है परन्तु जब 5 खिलाड़ी आऊट हो जाएं तो हम पूरा लोना अर्थात् 5 + 2 अंक (खिलाड़ियों 1, 5 अंक और 2 अंक लोने के) देते हैं। जब दो खिलाड़ी आ जाएं तो वे टीम में डाले जा सकते हैं।
(26) लोना के दो अंक होते हैं।

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प्रश्न
कबड्डी मैच के नियम बताएं।
उत्तर-
मैच के नियम
(Rules of Match)

  1. प्रत्येक पक्ष में खिलाड़ियों की संख्या बारह (12) होगी। एक साथ मैदान में सात खिलाड़ी उतरेंगे।
  2. खेल की अवधि पुरुषों के लिए 20 मिनट तथा स्त्रियों व जूनियरों के लिए 15 मिनट की दो अवधियां होंगी। इन दोनों अवधियों के बीच 5 मिनट का मध्यान्तर होगा।
  3. प्रत्येक आऊट होने वाले विपक्षी के लिए दूसरे पक्ष को एक अंक मिलेगा। लोना’ प्राप्त करने वाले पक्ष को दो अंक मिलेंगे।
  4. खेल की समाप्ति पर सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाले पक्ष को विजयी घोषित किया जाता है।
  5. कबड्डी का खेल बराबर रहने पर प्रत्येक टीम को पांच-पांच रेड क्रमानुसार दिये जाते हैं। सभी सात खिलाड़ी रेड के समय मैदान में रहेंगे। उस समय बॉक रेखा सभी तरह के फैसलों के लिए बोनस रेखा मानी जाएगी। इस खेल में खिलाड़ी को बॉक रेखा पार कर लेने पर एक अंक मिलेगा। रेडर बोनस रेखा जो बॉक रेखा में परिवर्तित हुई है, उसे पार कर लेता है और किसी विरोधी खिलाड़ी को हाथ भी लगा देता है तो उसे बोनस रेखा पार करने का एक अंक अधिक मिलेगा। इस अवसर पर कोई भी खिलाड़ी आऊट होने पर मैदान से बाहर नहीं जा सकता।
    रेड डालने से पहले दोनों टीमें अपने खिलाड़ियों के नम्बर और नाम क्रमानुसार रेड डालने के लिए रैफरी को देंगे और रैफरी के बुलाने पर दोनों टीमों के खिलाड़ी बारी-बारी रेड डालेंगे। उस समय टास नहीं होगा। पहले टास जीतने वाली टीम ही पहले रेड डालेगी। यद्यपि पांच-पांच रेड लाने पर भी मैच बराबर रहता है तो मैच का फैसला ‘अचानक मृत्यु (Sudden Death) के आधार पर होगा।

अचानक मृत्यु (Sudden Death)-इस अवसर पर दोनों टीमों का एक-एक रेड डालने का अवसर मिलेगा। जो भी टीम रेड डालते समय अंक बना लेती है उसे विजयी घोषित किया जाता है। इस तरह रेड डालने का सिलसिला उस समय तक चलता रहेगा, जब तक कोई एक टीम विजयी अंक प्राप्त नहीं कर लेती।

लोना (Lona)-जब एक टीम के सारे खिलाड़ी आऊट हो जाएं तो विरोधी टीम को 2 अंक अधिक मिलते हैं। उसे हम लोना कहते हैं।
टूर्नामैंट निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं—

  1. नाक आऊट (Knock Out)-इस में जो टीम हार जाती है, वह प्रतियोगिता से बाहर हो जाती है।
  2. लीग (League)-इस में यदि कोई टीम हार जाती है, वह टीम बाहर नहीं होगी। उसे अपने ग्रुप के सारे मैच खेलने पड़ते हैं। जो टीम मैच जीतती है उसे दो अंक दिये जाते हैं। मैच बराबर होने पर दोनों टीमों को एक-एक अंक दिया जाएगा। हारने वाली टीम को शून्य (Zero) अंक मिलेगा।
    यदि दोनों टीमों का मैच बराबर रहता है और अतिरिक्त समय भी दिया जाता है या जिस टीम ने खेल आरम्भ होने से पहले अंक लिया होगा वह विजेता घोषित की जाएगी।
    यदि दोनों टीमों का स्कोर शून्य (Zero) है तो जिस टीम ने टॉस जीता हो वह विजेता घोषित की जाएगी।
  3. किसी कारणवश मैच न होने की दशा में मैच पुनः खेला जाएगा। दोबारा किसी और दिन खेले जाने वाले मैच में दूसरे खिलाडी बदले भी जा सकते हैं, परन्तु यदि मैच उसी दिन खेला जाए तो उसमें वही खिलाड़ी खेलेंगे जो पहले खेले थे।
  4. यदि किसी खिलाड़ी को चोट लग जाए तो उस पक्ष का कप्तान ‘समय आराम’ (Time Out) पुकारेगा, परन्तु ‘समय आराम’ की अवधि दो मिनट से अधिक नहीं होगी तथा चोट लगने वाला खिलाड़ी बदला जा सकता है। खेल की दूसरी पारी शुरू होने से पहले दो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं। एक या दो से कम खिलाड़ियों से खेल शुरू हो सकता है। जो खिलाड़ी खेल शुरू होने के समय उपस्थित नहीं होते, खेल के दौरान किसी भी समय मिल सकते हैं। रैफरी को सूचित करना ज़रूरी है। यदि चोट गम्भीर हो तो उसकी जगह दूसरा खिलाड़ी खेल सकता है। प्रथम खेल के अन्त तक केवल दो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं।
  5. किसी भी टीम में पांच खिलाड़ियों से कम होने की दशा में खेल शुरू किया जा सकता है, परन्तु
    • टीम के सभी खिलाड़ी आऊट होने पर अनुपस्थित खिलाड़ी भी आऊट हो जाएंगे और विपक्षी टीम को ‘लोना’ दिया जाएगा।
    • यदि अनुपस्थित खिलाड़ी आ जाएं तो वे रैफरी की आज्ञा से खेल में भाग ले सकते हैं।
    • अनुपस्थित खिलाड़ियों के स्थानापन्न कभी भी लिए जा सकते हैं परन्तु जब वे इस प्रकार लिए जाते हैं तो मैच के अन्त तक किसी भी खिलाड़ी को बदला जा सकता है।
    • मैच पुनः खेले जाने पर किसी भी खिलाड़ी को बदला जा सकता है।
  6. प्रलेपन की अनुमति नहीं। खिलाड़ियों के नाखून खूब अच्छी तरह कटे होने चाहिएं। खिलाड़ियों की पीठ तथा सामने की ओर कम-से-कम चार इंच लम्बा नम्बर लगाया जाएगा। खिलाड़ी के कम-से-कम वस्त्र बनियान, जांघिया या लंगोट सहित निक्कर होंगे। शरीर पर तेल आदि चिकने पदार्थ का मलना मना है। खिलाड़ी धातु की कोई वस्तु धारण नहीं करेंगे।
  7. खेल के दौरान कप्तान या नेता के अतिरिक्त कोई भी खिलाड़ी आदेश नहीं देगा। कप्तान अपने अर्द्धक में ही आदेश दे सकता है।
  8. यदि खिलाड़ी ‘कबड्डी’ शब्द का उच्चारण ठीक प्रकार से नहीं करता तथा रैफरी (Referee) द्वारा एक बार चेतावनी दिए जाने पर वह बार-बार ऐसा करता है तो दूसरी टीम को एक प्वाईंट दे दिया जाएगा, परन्तु वह खिलाड़ी बैठेगा नहीं।
  9. यदि कोई खिलाड़ी आक्रमण (Raid) करने जा रहा है और उसकी टीम का कोच या अन्य अधिकारी ऐसा करता है तो रैफरी दूसरी टीम को उसके विरुद्ध एक प्वाईंट (अंक) दे देगा।

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प्रश्न
कबड्डी खेल में अधिकारी व खेल में त्रुटियों का वर्णन करें।
उत्तर-
अधिकारी व उनके अधिकार

    • रैफरी (एक)
    • निर्णायक या अम्पायर (दो)
    • रेखा निरीक्षक (दो)
    • स्कोरर (एक)
  1. आमतौर पर निर्णायक का निर्णय अन्तिम होगा। विशेष दशाओं में रैफ़री इसे बदल भी सकता है भले ही दोनों अम्पायरों में मतभेद हो।
  2. निर्णेता (रैफरी) किसी भी खिलाड़ी को त्रुटि करने पर चेतावनी दे सकता है, उसके विरुद्ध अंक दे सकता है या मैच के लिए अयोग्य घोषित कर सकता है। ये त्रुटियां इस प्रकार की हो सकती हैं—
    • निर्णय के बारे में अधिकारियों को बार-बार कहना,
    • अधिकारियों को अपमानजनक शब्द कहना,
    • अधिकारियों के प्रति अभद्र व्यवहार करना या उनके निर्णय को प्रभावित करने के लिए प्रक्रिया,
    • विपक्षी को अपमानजनक बातें कहना।

त्रुटियां
(Fouls)

  1. आक्रामक का मुंह बन्द करके या गला दबा कर उसकी सांस तोड़ने की कोशिश करना।
  2. हिंसात्मक ढंग का प्रयोग।
  3. कैंची मार कर आक्रामक को पकड़ना।
  4. आक्रामक भेजने में पांच सैकिण्ड से अधिक समय लगाना।
  5. मैदान के बारे खिलाड़ी या कोच द्वारा कोचिंग देना। इस नियम के उल्लंघन पर अम्पायर अंक दे सकता है।
  6. ऐसे व्यक्तियों को निर्णायक या रैफ़री नम्बर दे कर बाहर निकाल सकता है। आक्रमण जारी रहने पर सीटी बजाई जाएगी।
  7. जानबूझ कर बालों से या कपड़े से पकड़ना फाऊल है।
  8. जानबूझ कर आक्रामक को धक्का देना फाऊल है।

फाऊल (Foul)
अधिकारी फ़ाऊल (Foul) खेलने पर खिलाड़ियों को तीन प्रकार के कार्ड दिखा सकता है, जो निम्नलिखित हैं
हरा कार्ड (Green Card)
यह कार्ड खिलाड़ी को किसी भी नियम का जानबूझ कर उल्लंघन करने पर चेतावनी के आधार पर दिखाया जा सकता है।
पीला कार्ड (Yellow Card)
यह कार्ड खिलाड़ी को दो मिनट के लिए मैदान से बाहर निकालने के लिए दिखाया जाता है।
लाल कार्ड (Red Card) यह कार्ड मैच अथवा टूर्नामैंट से बाहर निकालने के लिए दिखाया जाता है।

PSEB 10th Class Physical Education Practical कबड्डी (Kabaddi)

प्रश्न 1.
कबड्डी के मैदान की लम्बाई-चौड़ाई बताओ।
उत्तर-
कबड्डी के मैदान की लम्बाई 12.50 मीटर और चौड़ाई 10 मीटर होती है। जूनियर लड़के और लड़कियों के लिए 11 मीटर लम्बाई और 8 मीटर चौड़ाई होती है।

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प्रश्न 2.
खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या बताओ।
उत्तर-
कबड्डी के कुल खिलाड़ियों की संख्या 12 होती है। 7 खेलते हैं और 5 खिलाड़ी अतिरिक्त (Substitutes) होते हैं।

प्रश्न 3.
कबड्डी का समय कितना होता है?
उत्तर-
कबड्डी का समय 20-5-20 मिनट का होता है। जूनियर लड़के और लड़कियों के लिए 15-5-15 मिनट का समय होता है।

प्रश्न 4.
कबड्डी का खेल शुरू कैसे होता है ?
उत्तर-
कबड्डी का खेल टॉस से शुरू होता है। जो टीम टॉस जीत जाती है, वह अपनी पसन्द का क्षेत्र चुनती है।

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प्रश्न 5.
कबड्डी में लोना (Lona) के कितने अंक होते हैं ?
उत्तर-
कबड्डी के खेल में जब सभी खिलाड़ी मर जाते हैं तो विरोधी टीम को दो और अंक दिए जाते हैं, जिसे लोना कहा जाता है।

प्रश्न 6.
खिलाड़ी कब आऊट माना जाता है?
उत्तर-
जब हमला करने वाली टीम का खिलाड़ी विरोधी टीम के किसी खिलाड़ी को हाथ लगा दे या खिलाड़ी मैदान में से अपने-आप बाहर चला जाए तो आऊट माना जाता है।

प्रश्न 7.
कबड्डी में टाइम आऊट कितने लिए जा सकते हैं ?
उत्तर-
कबड्डी में दो टाइम आऊट लिए जाते हैं, जिसका समय 30 सैकिंड होता है।

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प्रश्न 8.
कबड्डी में हार-जीत किस प्रकार होती है ?
उत्तर-
जो टीम अधिक अंक ले जाती है, उसको विजयी माना जाता है। बराबर की हालत में 5-5 मिनट दिए जाते हैं जब तक कि फैसला नहीं हो जाता।

प्रश्न 9.
कबड्डी का खेल खिलाने वाले अधिकारियों की संख्या बताओ।
उत्तर-

  1. रैफ़री – 1
  2. अम्पायर = 2
  3. लाइनमैन = 2
  4. स्कोरर – 1

प्रश्न 10.
कबड्डी खेल के मुख्य फाऊल बताओ।
उत्तर-
कबड्डी खेल के निम्नलिखित मुख्य फाऊल हैं—

  1. दम डालने वाले खिलाड़ी को कैंची मारना।
  2. बाहर से कोचिंग देना।
  3. बालों से पकड़ना।
  4. विरोधी खिलाड़ी का गला दबाना।
  5. दूसरे खिलाड़ी पर घातक आक्रमण करना।

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प्रश्न 11.
कबड्डी खेलने के पांच मुख्य नियम लिखो।
उत्तर-
कबड्डी खेल के नियम निम्नलिखित हैं—

  1. खेल के समय यदि कोई खिलाड़ी बाहर चला जाए तो आऊट माना जाता है।
  2. यदि कोई खिलाड़ी दम डालने वाले खिलाड़ी को पकड़ते हुए बाहर चला जाए और दम डालने वाला सुरक्षित अपने क्षेत्र में चला जाए तो पकड़ने वाला आऊट माना जाएगा।
  3. कबड्डी ऊंची आवाज़ में न सुनी जा सके।
  4. किसी खिलाड़ी को जानबूझ कर धक्का मार कर बाहर नहीं निकाला जा सकता है।
  5. विरोधी कोर्ट में यदि कोई खिलाड़ी दम तोड़ देता है तो वह आऊट हो जाता है।

प्रश्न 12.
क्या कबड्डी के खेल में कोई खिलाड़ी तेल मलकर खेल सकता है ?
उत्तर-
कबड्डी के खेल में कोई भी खिलाड़ी तेल या चिकनाई वाली कोई भी चीज़ मलकर नहीं खेल सकता है।

प्रश्न 13
कबड्डी के खेल में नया परिवर्तन कौन-सा हुआ है ?
उत्तर-
कबड्डी के खेल में एक मीटर बोनस लाइन लगाई गई है।

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प्रश्न 14.
एक रेडर को बोनस का क्या लाभ है ?
उत्तर-
एक रेडर को बोनस लाइन क्रास करने पर एक नम्बर मिल जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 23 स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 23 स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 23 स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत

SST Guide for Class 8 PSEB स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
संविधान सभा की स्थापना कब हुई तथा इसके कितने सदस्य थे ?
उत्तर-
संविधान सभा की स्थापना 1946 ई० में हुई। इसके 389 सदस्य थे।

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान कब पास तथा लागू हुआ ?
उत्तर-
भारतीय संविधान 26 नवम्बर, 1949 ई० को पारित हुआ, तथा 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।

प्रश्न 3.
देशी रियासतों का एकीकरण करने का श्रेय किसके सिर है ?
उत्तर-
देशी रियासतों का एकीकरण करने का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल के सिर है।

प्रश्न 4.
हैदराबाद रियासत को भारत के साथ कैसे शामिल किया गया ?.
उत्तर-
हैदराबाद रियासत को पुलिस कार्रवाही द्वारा भारत के साथ शामिल किया गया। वहां 13 सितम्बर, 1948 को भारतीय पुलिस भेजी गई तथा 17 सितम्बर, 1948 को इस रियासत को भारत संघ में शामिल कर लिया गया।

प्रश्न 5.
जूनागढ़ रियासत को कैसे भारत के साथ शामिल किया गया ?
उत्तर-
जूनागढ़ रियासत का नवाब पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था। परन्तु 20 फरवरी, 1948 ई० को वहां जनमत संग्रह हुआ जिसमें जनता ने भारत के साथ मिलने की इच्छा व्यक्त की। इसलिये जूनागढ़ रियासत को भारतीय संघ में शामिल कर लिया गया।

प्रश्न 6.
राज्यों का पुनर्गठन करने के लिए नियुक्त किये गये कमीशन के कितने सदस्य थे ?
उत्तर-
इस कमीशन के 3 सदस्य थे।

प्रश्न 7.
पंचशील के कोई दो सिद्धान्त लिखो।
उत्तर-
(1) शान्तिमय सह-अस्तित्व (2) एक-दूसरे पर आक्रमण न करना।

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प्रश्न 8.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की पहली कान्फ्रेंस कब तथा कहां हुई ?
उत्तर-
आन्दोलन की पहली कान्फ्रेंस 1961 ई० में बेलग्रेड में हुई।

प्रश्न 9.
गुट-निरपेक्ष आन्दोलन पर नोट लिखो।
उत्तर-
दूसरे विश्व युद्ध के शीघ्र पश्चात् संसार दो विरोधी गुटों में बंट गया था। एक गुट का नेता अमेरिका था। इसे पश्चिमी ब्लॉक कहा जाता था। दूसरे गुट का नेता रूस था। इसे पूर्वी ब्लॉक कहा जाता था। इनके बीच भयंकर शीत युद्ध चलने लगा। नाटो तथा वारसा पैक्ट जैसी सैनिक संधियों तथा समझौतों ने वातावरण को और भी तनावपूर्ण बना दिया। भारत अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए किसी भी गुट में शामिल नहीं होना चाहता था। इसलिए भारत ने दूसरे देशों के साथ मिलकर नान-अलाइंड आन्दोलन शुरू किया। इस आन्दोलन के पितामह पण्डित जवाहर लाल नेहरू, यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो तथा मिस्र के राष्ट्रपति नासिर थे।
नान-अलाइंड आन्दोलन 1961 ई० में आरम्भ हुआ। यह पंचशील के सिद्धान्तों पर आधारित था। भारत की तरह इसके सभी सदस्य किसी भी शक्ति गुट में शामिल नहीं होना चाहते थे। इसका पहला सम्मेलन 1961 ई० में बेलग्रेड में हुआ। आरम्भ में 25 देश इसके सदस्य थे। परन्तु आज 100 से अधिक देश इसके सदस्य हैं।

प्रश्न 10.
विदेश नीति (भारत की) के बारे में आपका क्या भाव है ?
उत्तर-
किसी देश द्वारा संसार के अन्य देशों के साथ संबंधों के लिए अपनाई गई नीति को उस देश की विदेश नीति कहते हैं। भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धान्त पर आधारित विदेश नीति अपनाई है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  1. भारत विश्व के सभी देशों की प्रभुसत्ता तथा स्वतन्त्रता का सम्मान करता है।
  2. भारत इस बात में विश्वास रखता है कि सभी धर्मों, राष्ट्रों तथा जातियों के लोग बराबर हैं।
  3. भारत उन देशों का विरोधी है जिसकी सरकारें रंग, जाति या श्रेणी के आधार पर लोगों के साथ भेद-भाव करती हैं। उदाहरण के लिए भारत दक्षिण अफ्रीका की सरकार का अफ्रीका के मूल निवासियों तथा एशियाई लोगों के साथ भेद-भाव पूर्ण व्यवहार का विरोध करता रहा।
  4. भारत इस बात में भी विश्वास रखता है कि सभी अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों का समाधान शान्तिपूर्ण तरीकों से किया जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
साम्प्रदायिकता (भारत में) पर नोट लिखें।
उत्तर-
भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है। यहां संसार के लगभग सभी धर्मों के लोग रहते हैं, जिनके अलग-अलग धार्मिक विश्वास हैं। कुछ लोगों में धार्मिक संकीर्णता के कारण देश में समय-समय पर साम्प्रदायिक दंगे-फसाद होते रहते हैं। इनमें से 2002 ई० में गुजरात में घटित घटना सबसे अधिक भयंकर थी। बहुत से लोगों का विचार है कि सरकार को अल्पसंख्यकों की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिये भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने १ दिसम्बर, 2006 ई० को अपने भाषण में कहा था, “हम देश के विकास के फल का एक बड़ा भाग कम संख्या वाले लोगों को देने के लिये योजनाओं में परिवर्तन करने का प्रयास करेंगे।”

प्रश्न 12.
भारत तथा पाकिस्तान के सम्बन्धों का संक्षेप वर्णन करें।
उत्तर-
भारत संसार के सभी देशों विशेषकर अपने पड़ोसी देशों के साथ मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने का इच्छुक है। पाकिस्तान भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश है। उसके साथ भारत के सम्बन्धों का वर्णन इस प्रकार है

भारत तथा पाकिस्तान-पाकिस्तान के साथ भारत आरम्भ से ही मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयत्न कर रहा है। देशी रियासत कश्मीर (जम्मू एवं कश्मीर) के भारत के साथ विलय को पाकिस्तान ने मान्यता नहीं दी थी। तभी से कश्मीर भारत तथा पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। कश्मीर समस्या के कारण भारत ने पाकिस्तान के साथ तीन प्रमुख तथा अनेक छोटे-मोटे युद्ध लड़े हैं। इनमें 1999 ई० का कारगिल युद्ध भी शामिल है।

1971 ई० के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात् भारत की प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी तथा पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री जुल्फीकार अली भुट्टो के बीच 1972 ई० में शिमला में समझौता हुआ। इस समझौते का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच सभी विवादों का शान्तिपूर्वक समाधान करना था। इसी उद्देश्य से भारत के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पाकिस्तान प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ के मध्य लाहौर में समझौता हुआ। कुछ साल पहले दोनों देशों के मध्य बस तथा रेल सेवाएं आरम्भ की गई हैं। इन सेवाओं द्वारा दोनों देशों के लोग एक-दूसरस् के निकट आये हैं। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री भारत आए और भारत के प्रधानमन्त्री पाकिस्तान गए।

हमें विश्वास है कि आने वाले समय में दोनों देशों के मध्य की समस्याओं का शान्तिपूर्वक समाधान कर लिया जायेगा।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 23 स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत

प्रश्न 13.
देशी रियासतों के एकीकरण सम्बन्धी वर्णन करें।
उत्तर-
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इनमें से एक समस्या देशी रियासतों की थी। इनकी संख्या 562 थी और इन पर भारतीय राजाओं का शासन था। 1947 ई० के एक्ट के अनुसार इन रियासतों को यह अधिकार प्राप्त था कि वे अपनी स्वतन्त्र सत्ता सुरक्षित रख सकती हैं अथवा भारत या पाकिस्तान में से किसी भी देश में शामिल हो सकती हैं। इस कारण इन देशी रियासतों के राजा स्वतन्त्र रहना ही पसन्द करते थे। परन्तु स्वतन्त्र भारत के प्रथम गृह मन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बुद्धि-कौशल से काम लेते हुए सभी देशी रियासतों के राजाओं को भारतीय संघ में सम्मिलित होने के लिए सहमत कर लिया।

इनमें से छोटी-छोटी रियासतों को प्रान्तों में मिला दिया गया। कुछ अन्य रियासतें सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे के साथ मेल रखती थीं तथा उनकी सीमाएँ भी आपस में मिलती थीं। इन्हें इकट्ठा करके राज्य बना दिये गये। उदाहरण के लिए काठियावाड़ की रियासतों को सौराष्ट्र के साथ मिला दिया गया, जबकि पटियाला, नाभा, फरीदकोट, जीन्द तथा मलेर-कोटला रियासतों को इकट्ठा करके पेप्सू राज्य बना दिया गया। अब केवल तीन रियासतें ऐसी रह गईं जो भारत के साथ मिलने को तैयार नहीं थीं। ये थीं-हैदराबाद, जूनागढ़ तथा कश्मीर।

हैदराबाद-हैदराबाद रियासत के निज़ाम उस्मान अली खान ने भारतीय संघ में सम्मिलित होने से इन्कार कर दिया। अतः 13 सितम्बर, 1948 ई०,को हैदराबाद में भारतीय पुलिस भेजी गई। इस प्रकार 17 सितम्बर, 1948 ई० को हैदराबाद की रियासत को भारतीय संघ में सम्मिलित कर लिया गया।

जूनागढ़-जूनागढ़ रियासत का नवाब पाकिस्तान के साथ मिलना चाहता था। परन्तु 20 फरवरी, 1948 ई० को वहां जनमत संग्रह हुआ, जिसमें जनता ने भारत में मिलने की इच्छा व्यक्त की। अत: जूनागढ़ रियासत को भारत संघ में मिला लिया गया। · कश्मीर-कश्मीर का राजा भी स्वतन्त्र रहना चाहता था। परन्तु पाकिस्तान कश्मीर पर अधिकार करना चाहता था। अत: कश्मीर के शासक ने भारत से सहायता मांगी तथा अपने राज्य को भारत में मिलाने का प्रस्ताव रखा। भारत सरकार ने कश्मीर के शासक की प्रार्थना स्वीकार कर ली और अपनी सेनाएं कश्मीर भेज दीं। भारत तथा पकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, परन्तु पाकिस्तान ने कश्मीर के बहुत से क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया।

अन्य रियासतें-इन रियासतों के अतिरिक्त कुछ अन्य छोटे-छोटे राज्य भी थे जिन्हें साथ लगते राज्यों में मिला दिया गया। बड़ौदा को बम्बई (मुम्बई) प्रान्त में मिलाया गया। अनेक छोटे-छोटे राज्यों को इकट्ठा करके एकीकृत राज्य की स्थापना की गई। उदाहरण के लिए मार्च, 1948 ई० में भरतपुर, धौलपुर, अलर तथा करौली आदि रियासतों को इकट्ठा करके एक संघ बनाया गया। इसके पश्चात् राजस्थान संघ भी बनाया गया, जिसमें बूंदी, तलवाड़ा, प्रतापगढ़, शाहपुर, बांसवाड़ा, कोटा, किशनगढ़ आदि रियासतें शामिल की गईं।

प्रश्न 14.
आज़ादी के बाद भारत के आर्थिक तथा औद्योगिक विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
देश के विभाजन ने भारत के लिए अनेक आर्थिक समस्याएं पैदा कर दीं। भारत का गेहूँ तथा चावल पैदा करने वाला बहुत बड़ा क्षेत्र पाकिस्तान के हिस्से में आ गया। बहुत बड़ा सिंचाई-योग्य भू-क्षेत्र भी पाकिस्तान में चला गया। अतः भारत में अनाज की कमी हो गई। इसी प्रकार पटसन तथा कपास उगाने वाला बहुत बड़ा क्षेत्र भी पाकिस्तान को मिल गया। इससे भारत में पटसन तथा कपड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल की कमी हो गई। अतः स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत सरकार ने देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के उपाय आरम्भ किये। इस उद्देश्य से 1950 ई० में भारत सरकार ने योजना आयोग स्थापित किया। इस प्रकार भारत के आर्थिक विकास की प्रक्रिया आरम्भ हुई जो आज भी जारी है। इसकी झलक कृषि तथा उद्योग के क्षेत्रों में हुए विकास में देखी जा सकती है।

कृषि-(1) भारत एक कृषि-प्रधान देश है। हमारी कृषि योग्य भूमि के 75% भाग पर खाद्यान्न की फसलें उगाई जाती हैं। इनमें से चावल, गेहूँ, मक्का, सरसों, मूंगफली, गन्ना आदि महत्त्वपूर्ण खाद्यान्न फसलें हैं। (2) भारत ने कृषि के विकास के लिए कई मुख्य नदियों पर बांध बनाए हैं। ये बांध शुष्क क्षेत्रों की कृषि-योग्य भूमि को पानी देते हैं तथा बाढ़ों को रोकते हैं। ये बांध बिजली पैदा करने में सहायक हैं। इन्हें नदी-घाटी परियोजना कहा जाता है। इन परियोजनाओं में नंगल परियोजना, दामोदर-घाटी परियोजना, हरिके परियोजना, तुंगभद्रा परियोजना तथा नागार्जुन सागर परियोजना प्रमुख हैं। (3) कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये गये हैं। कृषकों को खेती करने के नये-नये ढंग सिखाए गए हैं। सरकार किसानों को उत्तम बीज तथा खादें देती है। निर्धन किसानों को कृषि के सुधार के लिए बैंकों द्वारा ऋण दिया जाता है। इस प्रकार सरकार किसानों की दशा सुधारने का प्रयास कर रही है।

उद्योग-भारत में अंग्रेज़ी शासन काल में ही उद्योगों का विकास आरम्भ हो गया था। उस काल में कपड़ा, लोहा, चीनी, माचिस, शोरा तथा सीमेंट से सम्बन्धित उद्योगों की स्थापना हुई। परन्तु उस समय ये उद्योग अधिक उन्नति न कर सके, क्योंकि अंग्रेज़ भारत के औद्योगिक विकास में रुचि नहीं लेते थे। अतः स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने अपने औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार करना आरम्भ किया। (1) इंजीनियरिंग के उपकरण बिजली का सामान, कम्प्यूटर तथा इससे सम्बन्धित सामान, दवाइयां बनाने तथा कृषि यन्त्र बनाने के नये कारखाने आरम्भ किये गये। (2) भारत में अनेक विदेशी कम्पनियों ने बड़ी-बड़ी फैक्टरियां स्थापित कर ली हैं। ये फैक्टरियां भारत के अनेक निपुण तथा अर्द्ध-निपुण कामगारों को रोज़गार दे रही हैं। (3) भारत सरकार ने वैज्ञानिक तथा औद्योगिक आविष्कारों एवं खोजों में विशेष रुचि ली है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक खोज कौंसिल ने विश्वविद्यालयों तथा अन्य उच्च शिक्षा केन्द्रों में वैज्ञानिक खोजों का समर्थन किया है।

प्रश्न 15.
भारत के अमेरिका के साथ सम्बन्धों का वर्णन करें।
उत्तर-
विश्व की महान् शक्तियों में से संयुक्त राज्य अमेरिका सर्वोच्च है। भारत के साथ इसके सम्बन्ध सामान्य एवं साधारण नहीं रहे हैं। इन सम्बन्धों में समय-समय पर बदलाव आता रहा। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् कश्मीर तथा अन्य कई प्रश्नों पर इन दोनों देशों के बीच कटु सम्बन्धों का दौर आरम्भ हुआ। दोनों देशों के सम्बन्ध विकृत होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान को आवश्यकता से अधिक सैनिक सहायता देनी आरम्भ कर दी। भारत ने इसका कड़ा विरोध किया, परन्तु अमेरिका ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
  • अमेरिका द्वारा बनाये गये सैनिक गुटों का पाकिस्तान तो सदस्य बना, परन्तु भारत ने इन गुटों में सम्मिलित होने से इन्कार कर दिया।
  • 1971 ई० में भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणामस्वरूप बंगला देश अस्तित्व में आया। इस युद्ध अमेरिका ने पाकिस्तान के पक्ष में हस्तक्षेप करने का प्रयत्न किया। भारत ने इसका बहुत बुरा माना।
  • अमेरिका ने पाकिस्तान में सैनिक अड्डे स्थापित किये हैं। हिन्द महासागर में डीगो-गार्शिया (दियागो-गर्शिया) द्वीप पर अमेरिका ने सैनिक छावनियां बना रखी हैं। भारत अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन छावनियों का प्रबल विरोधी है।
  • भारत तथा अमेरिका में परमाणु शक्ति के सम्बन्ध में मौलिक मत-भेद हैं। भारत परमाणु शक्ति का विकास कर रहा है परन्तु अमेरिका इसका विरोध करता है। इसलिए अमेरिका ने भारत को परमाणु ईंधन देना बन्द कर दिया था। परंतु अब दोनों देशों के बीच एक नया परमाणु समझौता हुआ है।
  • भारत ने परमाणु-अप्रसार (परमाणु गैर-पर्सन) सन्धि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं क्योंकि यह सन्धि भेद-भावपूर्ण है। यह सन्धि उन देशों को परमाणु शक्ति बनने की मनाही करती है जिनके पास परमाणु-शक्ति नहीं है। इसके विपरीत परमाणु-शक्ति सम्पन्न देशों पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

सच तो यह है कि ऊपर दिये कारणों से भारत तथा अमेरिका के आपसी सम्बन्धों में कटुता आई है। परन्तु फिर भी हाल ही में देवयानी मामले में भी दोनों देशों के सम्बन्धों में अधिक तनाव आया है। आर्थिक, तकनीकी, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में दोनों देशों ने एक-दूसरे को भारी सहयोग दिया है। हमें निकट भविष्य में और भी अच्छे सम्बन्धों की आशा है।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. …………. को भारतीय संविधान तैयार करने वाली कमेटी का प्रधान बनाया गया।
2. डॉ० राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम …………. थे।
3. 1954 ई० में …………. ने पांडिचेरी, चन्द्रनगर तथा माही आदि क्षेत्र भारत को सौंप दिए।
उत्तर-

  1. डॉ० अम्बेदकर
  2. राष्ट्रपति
  3. फ्रांस।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं

1. स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के संविधान के निर्माण के लिए एक सात सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया। – (✓)
2. 1948 ई० के अंत तक भारत ने फ्रांसीसी तथा पुर्तगाली बस्तियां जो भारत में थीं, पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।- (✗)
3. स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने अपने औद्योगिक विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। – (✗)

IV. सही जोड़े बनाएं :

  1. भारत के प्रथम गृहमंत्री –
  2. भारतीय संविधान कमेटी के सदस्य –
  3. कारगिल का युद्ध –

उत्तर-

  1. भारत के प्रथम गृहमंत्री – सात थे। ।
  2. भारतीय संविधान कमेटी के सदस्य – 1999 ई० में हुआ।
  3. कारगिल का युद्ध – सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 23 स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत

PSEB 8th Class Social Science Guide स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
गुट निरपेक्ष की पहली कांफ्रेंस (1961) कहां हुई ?
(i) बम्बई
(ii) गोआ
(iii) बेलग्रेड
(iv) मैड्रिड।
उत्तर-
बेलग्रेड

प्रश्न 2.
पंचशील समझौता चीन के किस प्रधानमंत्री के साथ हुआ ?
(i) किम जोंग
(ii) चिन पांग
(iii) माओ
(iv) चाउ-इन-लाई।
उत्तर-
चाउ-इन-लाई

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता के समय भारत के किस क्षेत्र पर पुर्तगाली शासन करते थे ?
(i) गोआ
(ii) दमन
(iii) दिऊ
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी ।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान का दस्तावेज तैयार करने वाली कमेटी के कितने सदस्य थे ? इस कमेटी का प्रधान कौन था ?
उत्तर-
भारतीय संविधान का दस्तावेज़ तैयार करने वाली कमेटी के सात सदस्य थे। इस कमेटी के प्रधान डॉ० अम्बेदकर थे।

प्रश्न 2.
भारत के पहले राष्ट्रपति कौन थे ?
उत्तर-
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।

प्रश्न 3.
भारत ने छोटे राज्यों को साथ लगते राज्यों में क्यों मिला दिया ?
उत्तर-
भारत सरकार ने अनुभव किया कि छोटे राज्यों का उचित विकास नहीं हो पायेगा। इसलिए उन्हें साथ लगते राज्यों में मिला दिया गया।

प्रश्न 4.
स्वतन्त्रता के समय भारत के कौन-कौन से प्रदेश पुर्तगालियों के अधीन थे ? इन्हें भारत संघ में कब सम्मिलित किया गया ?
उत्तर-
स्वतन्त्रता के समय गोआ, दमन तथा दिऊ के प्रदेश पुर्तगाल के अधीन थे। इन्हें 20 दिसम्बर, 1961 ई० को भारत संघ में सम्मिलित किया गया।

प्रश्न 5.
भारत में कितने राज्य तथा कितने केन्द्र शासित प्रदेश हैं ?
उत्तर-
भारत में 29 राज्य तथा 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं।

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प्रश्न 6.
राज्यों का पुनर्गठन कब किया गया तथा कितने राज्यों और कितने केन्द्र शासित प्रदेशों का निर्माण किया गया ?
उत्तर-
राज्यों का पुनर्गठन नवम्बर 1956 में किया गया। उस समय 14 राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों का निर्माण किया गया।

प्रश्न 7.
भारत तथा पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर-जनरल कौन-कौन थे ?
उत्तर-
क्रमशः लार्ड माऊंटबेटन तथा मुहम्मद अली जिन्नाह।

प्रश्न 8.
भारत विभाजन का बंगाल तथा पंजाब के लोगों पर क्या कुप्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
भारत के विभाजन से बंगाल तथा पंजाब के लाखों लोग मारे गये तथा लाखों लोग बेघर हो गए। पूर्वी तथा पश्चिमी पंजाब में लगभग 80 लाख लोगों को अपनी भूमि, दुकानों तथा अन्य सम्पत्तियां छोड़नी पड़ी।

प्रश्न 9.
भारत की विदेश नीति का मुख्य आधार क्या है ?
उत्तर-
शान्तिपूर्ण सहयोग।

प्रश्न 10.
इंडोनेशिया में 1955 की एफ्रो-एशियाई कान्फ्रेंस कहां हुई ? इसमें भाग लेने वाले तीन एशियाई नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
इंडोनेशिया में 1955 की एफ्रो-एशियाई कान्फ्रेंस बंदूग में हुई। इसमें भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं० जवाहर लाल नेहरू, चीन के चाउ-एन-लाई तथा इंडोनेशिया के सुकार्नो ने भाग लिया।

प्रश्न 11.
नान-अलाइड आन्दोलन के पितामह कौन-कौन थे ?
उत्तर-
इस आन्दोलन के पितामह भारत के पं० जवाहर लाल नेहरू, यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो तथा मिस्र के राष्ट्रपति नासिर थे।

प्रश्न 12.
नान-अलाइंड आन्दोलन कब शुरू किया गया? यह किन सिद्धान्तों पर आधारित था ?
उत्तर-
नान-अलाइंड आन्दोलन 1961 ई० में शुरू किया गया। यह पंचशील के सिद्धान्तों पर आधारित था।

प्रश्न 13.
सार्क की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
सार्क की स्थापना 1985 ई० में हुई। इसका पूरा नाम है ‘प्रादेशिक (क्षेत्रीय) सहयोग के लिए दक्षिणएशियाई सभा।” इसका उद्देश्य दक्षिण-एशियाई देशों के बीच शान्ति तथा आर्थिक सहयोग उत्पन्न करना है।

प्रश्न 14.
भारत की प्रमुख सामाजिक तथा आर्थिक समस्याएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
साम्प्रदायिकता, जातिवाद, भाषावाद, गरीबी, बेरोजगारी, निरक्षरता, जनसंख्या वृद्धि आदि।

प्रश्न 15.
भाषावाद की समस्या क्या है ?
उत्तर-
हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं। इस सम्बन्ध में समस्या यह है कि कुछ लोग अपनी भाषा को अन्य भाषाओं से अच्छा मानते हैं।

प्रश्न 16.
बढ़ती हुई जनसंख्या के कोई दो कुप्रभाव बताओ।
उत्तर-

  1. बढ़ती हुई जनसंख्या गरीबी तथा बेरोज़गारी का मूल कारण बनती है।
  2. इसके कारण सरकार की विकास योजनाएं असफल हो जाती हैं या फिर उनकी गति मंद पड़ जाती है।

प्रश्न 17.
भारत तथा पाकिस्तान के बीच झगड़े का मूल कारण कौन-सा प्रदेश है ?
उत्तर-
कश्मीर।

प्रश्न 18.
शिमला समझौता कब और किस-किस के मध्य हुआ ?
उत्तर-
शिमला समझौता 1972 ई० में भारत की प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी तथा पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री जुल्फीकार अली भुट्टो के मध्य हुआ।

प्रश्न 19.
भारत तथा चीन के बीच कब तथा किस कारण युद्ध हुआ ?
उत्तर-
भारत तथा चीन के मध्य 1962 ई० में सीमान्त झगड़ों के कारण युद्ध हुआ।

प्रश्न 20.
लाहौर समझौता किस-किस के मध्य हुआ ? इसका क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
लाहौर समझौता भारत के प्रधानमत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ के मध्य हुआ। इसका उद्देश्य भारत तथा पाकिस्तान के आपसी झगड़ों को शान्तिपूर्ण ढंग से सुलझाना था।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान का निर्माण किस प्रकार हुआ ?
उत्तर-
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत ने संविधान का निर्माण करने के लिए सात सदस्यों की एक समिति स्थापित की। इसे संविधान का प्रारूप तैयार करने का काम सौंपा गया। डॉ० अम्बेदकर को इस समिति का प्रधान बनाया गया। इस समिति ने 21 फ़रवरी, 1948 ई० को संविधान का प्रारूप तैयार करके सभा में प्रस्तुत किया। इस प्रारूप पर 4 नवंबर, 1948 ई० से तर्क-वितर्क आरम्भ हुआ। इसके लिए सभा को 11 बैठकें करनी पड़ी। इस तर्क-वितर्क काल में 2473 संशोधन प्रस्तुत किये गये जिनमें से कुछ एक स्वीकार कर लिए गए। 26 नवम्बर, 1949 ई० को संविधान पारित हो गया, जिसे 26 जनवरी, 1950 ई० को लागू किया गया।

प्रश्न 2.
भारत की विदेश नीति की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
भारत ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धान्त पर आधारित विदेश नीति अपनाई है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. भारत विश्व के सभी देशों की प्रभुसत्ता तथा स्वतन्त्रता का सम्मान करता है।
  2. भारत इस बात में विश्वास रखता है कि सभी धर्मों, राष्ट्रों तथा जातियों के लोग बराबर हैं।
  3. भारत उन देशों का विरोधी है जिसकी सरकारें रंग, जाति या श्रेणी के आधार पर लोगों के साथ भेद-भाव करती हैं। उदाहरण के लिए भारत दक्षिण अफ्रीका की सरकार का अफ्रीका के मूल निवासियों तथा एशियाई लोगों के साथ भेद-भाव पूर्ण व्यवहार का विरोध करता रहा।
  4. भारत इस बात में भी विश्वास रखता है कि सभी अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों का समाधान शान्तिपूर्ण तरीकों से किया जाना चाहिए।

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प्रश्न 3.
पंचशील पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारत ने 1954 ई० में चीन के प्रधानमन्त्री चाउ-इन-लाई के साथ एक समझौता किया। यह समझौता पंचशील के पांच सिद्धान्तों पर आधारित था। ये सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

  1. शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व को स्वीकार करना।
  2. एक-दूसरे पर आक्रमण न करना।
  3. एक-दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करना।
  4. आपसी हितों के लिए समानता तथा सहयोग के सिद्धान्त का पालना करना।
  5. एक-दूसरे की प्रभुसत्ता तथा प्रादेशिक अखण्डता का आदर करना।

प्रश्न 4.
भारत ने स्वतन्त्रता के पश्चात् फ्रांसीसियों तथा पुर्तगालियों के अधीन अपने क्षेत्रों को किस तरह मुक्त कराया ?
उत्तर-
भारत के गोआ, दमन तथा दिऊ क्षेत्रों पर पुर्तगालियों का शासन था। इसी प्रकार पांडिचेरी, चन्द्रनगर तथा माही के क्षेत्रों पर फ्रांस का शासन था। 1954 ई० में फ्रांस ने अपने भारतीय क्षेत्र भारत को सौंप दिये, परन्तु पुर्तगाल ने ऐसा नहीं किया। अत: भारत सरकार को पुर्तगालियों के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करनी पड़ी। परिणामस्वरूप 20 दिसम्बर, 1961 ई० को गोआ, दमन तथा दिऊ, दादरा तथा नगर हवेली की पुर्तगाली बस्तियों को भारत संघ में सम्मिलित कर लिया गया। 30 मई, 1987 ई० को गोआ को एक राज्य बना दिया गया जबकि दमन तथा दिऊ को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।

प्रश्न 5.
स्वतन्त्रता के पश्चात् राज्यों का पुनर्गठन क्यों और कैसे किया गया ?
उत्तर-
भारतीयों ने अंग्रेज़ी शासन काल में ही भाषा तथा संस्कृति के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग करनी आरम्भ कर दी थी। भारत के स्वतन्त्र हो जाने के पश्चात् तेलगु भाषा भाषी रामुलू नाम के एक व्यक्ति ने भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग पूरी कराने के लिये आमरण-व्रत रखा, जिसकी भूख के कारण मृत्यु हो गई। अतः संविधान में संशोधन करके तेलगु भाषा बोलने वाले क्षेत्र को मद्रास से अलग करके उसका नाम आन्ध्र प्रदेश रख दिया गया। शेष राज्यों का पुनर्गठन करने के लिए एक कमीशन नियुक्त किया गया, जिसके तीन सदस्य थे। कमीशन की सिफ़ारिशों के आधार पर नवम्बर, 1956 ई० में राज्यों का पुनर्गठन करके 6 केन्द्र शासित प्रदेश तथा 14 राज्य बनाये गये।

प्रश्न 6.
नान-अलाइंड (गुट-निरपेक्ष) आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
दूसरे विश्व युद्ध के शीघ्र पश्चात् संसार दो विरोधी गुटों में बंट गया था। एक गुट का नेता अमेरिका था। इसे पश्चिमी ब्लॉक कहा जाता था। दूसरे गुट का नेता रूस था। इसे पूर्वी ब्लॉक कहा जाता था। इनके बीच भयंकर शीत युद्ध चलने लगा। नाटो तथा वारसा पैक्ट जैसी सैनिक संधियों तथा समझौतों ने वातावरण को और भी तनावपूर्ण बना दिया। भारत अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए किसी भी गुट में शामिल नहीं होना चाहता था। इसलिए भारत ने दूसरे देशों के साथ मिलकर नान-अलाइंड आन्दोलन शुरू किया। इस आन्दोलन के पितामह पण्डित जवाहर लाल नेहरू, यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति टीटो तथा मिस्र के राष्ट्रपति नासिर थे।

नान-अलाइंड आन्दोलन 1961 ई० में आरम्भ हुआ। यह पंचशील के सिद्धान्तों पर आधारित था। भारत की तरह इसके सभी सदस्य किसी भी शक्ति गुट में शामिल नहीं होना चाहते थे। इसका पहला सम्मेलन 1961 ई० में बेलग्रेड में हुआ। आरम्भ में 25 देश इसके सदस्य थे। परन्तु आज 100 से अधिक देश इसके सदस्य हैं।

प्रश्न 7.
यू० एन० ओ० में भारत की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • भारत यू० एन० ओ० का एक सक्रिय सदस्य है। भारत सरकार ने यू० एन० ओ० के कोरिया तथा अन्य कई देशों में शान्ति स्थापित करने वाले मिशनों में अपनी सेनाएं भेजी।
  • भारत ने यू० एन० ओ० की बहुत सी विशेष संस्थाओं तथा एजेंसियों में भी अपना योगदान दिया है। उदाहरण के लिए 1963 ई० में विजय लक्ष्मी पंडित यू० एन० ओ० की जनरल एसेंबली की सदस्य थीं। शशी थारूर कम्युनिकेशन तथा पब्लिक इन्फार्मेशन के अंडर सैक्रटरी रहे। उन्होंने 2001 में पब्लिक इन्फार्मेशन विभाग का नेतृत्व किया। भारत सुरक्षा कौंसल का भी सदस्य है। भारत ने भी यू० एन० ओ० से बहुत सहायता प्राप्त की है।

प्रश्न 8.
भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या बारे लिखो।
उत्तर-
भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। यहां संसार के लगभग सभी धर्मों के लोग रहते हैं, जिनके अलग-अलग धार्मिक विश्वास हैं। कुछ लोगों में धार्मिक संकीर्णता के कारण देश में समय-समय पर साम्प्रदायिक दंगे-फसाद होते रहते हैं। इनमें से 2002 ई० में गुजरात में घटित घटना सबसे अधिक भयंकर थी। बहुत से लोगों का विचार है कि सरकार को अल्पसंख्यकों की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिये भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 9 दिसम्बर, 2006 ई० को अपने भाषण में कहा था, “हम देश के विकास के फल का एक बड़ा भाग कम संख्या वाले लोगों को देने के लिये योजनाओं में परिवर्तन करने का प्रयास करेंगे।”

प्रश्न 9.
भारत में जातिवाद तथा गरीबी की समस्या पर नोट लिखो।
उत्तर-
जातिवाद की समस्या-जातिवाद की समस्या हमारी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधा बनी हुई है। कुछ लोग सदैव अन्य जातियों के लोगों को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। यहां तक कि राजनीतिज्ञ तथा राजनीतिक दल जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिये जाति का सहारा लेते हैं। हमें चाहिए कि हम लोगों के साथ समान व्यवहार करें। संविधान की 17वीं धारा के अन्तर्गत किसी भी रूप में छूत-छात करने की मनाही की गई है। – ग़रीबी की समस्या-गरीबी की समस्या भारत की उन्नति के मार्ग में एक बहुत बड़ी बाधा है। देश में बहुत से लोग इतने गरीब हैं कि उन्हें एक दिन का भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाता। गरीबी के मुख्य कारण बढ़ती हुई जनसंख्या, कम कृषि उत्पादन तथा बेरोज़गारी है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् से सरकार गरीबी समाप्त करने के अनेक प्रयास कर रही है।

प्रश्न 10.
भारत में बेरोज़गारी की समस्या का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में बेरोज़गारी की समस्या गम्भीर होती जा रही है, क्योंकि देश में बेरोज़गारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। अधिकतर बेरोज़गारी शिक्षित लोगों में पाई जाती है। इस समस्या के समाधान के लिये सरकार की ओर से कई प्रयास किये जा रहे हैं। सेवानिवृत्त सैनिकों, शिक्षित बेरोजगारों आदि को सरकार ऋण देती है, ताकि वे अपना रोज़गार खोल सकें। नौकरी में सेवानिवृत्त होने की आयु सीमा को कम किया जा रहा है, ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को रोजगार मिल सके। गांवों में भैंसे, मुर्गियां, सूअर, शहद की मक्खियां आदि पालने के सहायक व्यवसायों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए प्रशिक्षण तथा ऋण की सुविधायें दी जा रही हैं।

प्रश्न 11.
भारत में महंगाई की समस्या पर नोट लिखो।
उत्तर-
आज महंगाई एक विश्वव्यापी समस्या है। परन्तु भारत में इसने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। आज प्रत्येक वस्तु बहुत महंगी बिक रही है। वस्तुओं के मूल्य प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप हमारे देश में अधिकतर लोग जीवन की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने में भी असमर्थ हैं । इसलिये महंगाई पर नियन्त्रण करने के लिये सरकार तथा लोगों को मिलकर ठोस कदम उठाने चाहिएं। सरकार को चाहिये कि वह देश में ऐसी योजनाएं लागू करे जिससे आम लोगों को महंगाई से राहत मिले।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 23 स्वतन्त्रता के पश्चात् का भारत

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निरक्षरता तथा बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्याओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1. निरक्षरता- भारत के लगभग 23 करोड़ से भी अधिक लोग निरक्षर हैं। प्रति 100 महिलाओं में से 60 महिलाएं निरक्षर हैं। निरक्षरता बेरोज़गारी को जन्म देती है जोकि निर्धनता का कारण बनती है। निरक्षर व्यक्ति भारत तथा अन्य देशों में विकास तथा उन्नति के अवसरों से अनभिज्ञ रहता है। इसके अतिरिक्त लोकतन्त्र प्रणाली तभी सफल होगी यदि नागरिक पढ़े-लिखे होंगे। निरक्षर नागरिक अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों के प्रति भी जागरूक नहीं हो सकता।

सरकारी प्रयास- भारत सरकार देश से निरक्षरता दूर करने के लिए कई पग उठा रही है।

  • हमारे संविधान में 14 साल तक की आयु के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा देने की व्यवस्था है।
  • भारत सरकार देश के निर्धन तथा कुशल छात्रों को छात्रवृत्ति देती है।
  • भारत सरकार प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम भी आयोजित करती है। 2 अक्तूबर, 1978 ई० को राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया था। 1988 ई० में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन आरम्भ किया गया था। इसके अन्तर्गत देश के अनेक क्षेत्रों में प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र स्थापित किये गये।
  • निरक्षर प्रौढ़ों के हित के लिए ऑल इंडिया रेडियो तथा दूरदर्शन द्वारा अनेक शिक्षा-सम्बन्धी कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं। इन सब का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर तथा शिक्षित बनाना है।

2. बढ़ती हुई जनसंख्या-आज भारत को बढ़ती हुई जनसंख्या की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। भारत की जनसंख्या इतनी तीव्र गति से बढ़ रही है कि सरकार के लिए इस बढ़ोत्तरी को रोक पाना कठिन हो रहा है। 2001 ई० के आंकड़ों के अनुसार भारत की जनसंख्या 102.7 करोड़ थी। हमारी जनसंख्या में प्रति वर्ष 1 करोड़ 60 लाख से भी अधिक लोगों की वृद्धि हो रही है।
कारण-सरकारी रिपोर्टों के अनुसार जनसंख्या वृद्धि के कई कारण हैं-

  • चिकित्सा की सुविधाएँ बढ़ जाने से मृत्यु-दर कम हो गयी है। आज से 25 साल पूर्व वार्षिक मृत्यु-दर 33 प्रति हज़ार थी। परन्तु अब यह कम हो कर 14 प्रति हज़ार रह गयी है। पहले प्लेग, हैजा तथा संक्रामक रोगों को रोकने के चिकित्सा सम्बन्धी साधन बहुत कम होते थे जिस कारण इन रोगों से अनेकों मौतें हो जाती थीं। परन्तु अब इन रोगों को फैलने से रोका जा सकता है।
  • कम आयु में विवाह करना बढ़ती हुई आबादी का एक अन्य कारण है। अनेक भारतीय परिवारों के, विशेषतया ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से बच्चे होते हैं।
  • अज्ञानता तथा धार्मिक कारणों से बहुत से लोग परिवार नियोजन को नहीं अपनाते।
  • अनेक निर्धन माता-पिता सोचते हैं कि बच्चे खेतों या कारखानों में काम करके परिवार की आय में वृद्धि कर सकते हैं। अत: ऐसे माता-पिता अधिक बच्चे पैदा करने के इच्छुक होते हैं।

हानियां तथा समाधान-जनसंख्या वृद्धि निर्धनता, बेरोज़गारी सहित अन्य अनेक समस्याओं का मूल कारण बनती है। सरकार की सभी विकास-योजनाएं जनसंख्या वृद्धि के कारण निष्फल हो जाती हैं।
जनसंख्या वृद्धि से पैदा होने वाली समस्याओं का समाधान सरकारी स्तर पर किया जा रहा है। डॉक्टरों के नेतृत्व में लोगों को जनसंख्या वृद्धि की हानियों से अवगत कराया जा रहा है तथा छोटे परिवार के पक्ष में प्रचार किया जा रहा है।

प्रश्न 2.
भारत के पाकिस्तान तथा चीन के साथ सम्बन्धों का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत संसार के सभी देशों विशेषकर अपने पड़ोसी देशों के साथ मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने का इच्छुक है। पाकिस्तान तथा चीन भारत के दो महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश हैं। इनके साथ भारत के सम्बन्धों का वर्णन इस प्रकार है
भारत तथा पाकिस्तान-पाकिस्तान के साथ भारत आरम्भ से ही मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयत्न कर रहा है। देशी रियासत कश्मीर (जम्मू एवं कश्मीर) के भारत के साथ विलय को पाकिस्तान ने मान्यता नहीं दी थी। तभी से कश्मीर भारत तथा पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। कश्मीर समस्या के कारण भारत ने पाकिस्तान के साथ तीन प्रमुख तथा अनेक छोटे-मोटे युद्ध लड़े हैं। इनमें 1999 ई० का कारगिल युद्ध भी शामिल है।

1971 ई० के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात् भारत की प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी तथा पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री जुल्फीकार अली भुट्टो के बीच 1972 ई० में शिमला में समझौता हुआ। इस समझौते का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच सभी विवादों का शान्तिपूर्वक समाधान करना था। इसी उद्देश्य से भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ के मध्य लाहौर में समझौता हुआ। अभी कुछ साल पहले ही दोनों देशों के मध्य बस तथा रेल सेवाएं आरम्भ की गई हैं। इन सेवाओं द्वारा दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के निकट आये हैं। अब तीर्थ यात्री दोनों देशों में स्थित धार्मिक स्थानों की यात्रा कर सकते हैं। भारतीय तथा पाकिस्तानी समाज-सेवक तथा लेखक एक-दूसरे देश में आ-जा सकते हैं। अत: दोनों देशों के मध्य आरम्भ की गई बस तथा रेल सेवाएं दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को मज़बूती प्रदान कर सकती हैं।

हमें विश्वास है कि आने वाले समय में दोनों देशों के मध्य की समस्याओं का शान्तिपूर्वक समाधान कर लिया जायेगा।

भारत तथा चीन-भारत और चीन के बीच प्राचीन काल से ही मित्रतापूर्ण सम्बन्ध बने हुए हैं। व्यापार तथा बौद्धधर्म के कारण ये दोनों देश आपस में जुड़े हैं। 1949 ई० में, जब चीन में साम्यवादी क्रान्ति आई, तब नई सरकार को मान्यता देने वाले देशों में से भारत पहला देश था। भारत ने यू० एन० ओ० के सदस्य के रूप में चीन का समर्थन किया। 1954 में भारत ने चीन के साथ पंचशील के सिद्धान्तों पर आधारित एक समझौता किया परन्तु 1962 ई० में सीमा-विवाद के कारण भारत तथा चीन के बीच एक युद्ध हुआ था। इस युद्ध के पश्चात् कई वर्षों तक दोनों देशों के सम्बन्ध कटुतापूर्ण बने रहे। इसके बाद 1980 ई० में भारत तथा चीन के सम्बन्धों में सुधार आया। भारत तथा चीन के प्रधानमन्त्रियों ने निरन्तर बैठकें करके अनेक छोटी-बड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श किया। आज दोनों देश अपने सीमा विवादों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

SST Guide for Class 9 PSEB भारत में अन्न सुरक्षा Textbook Questions and Answers

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें:

  1. बढ़ रही कीमतों के कारण सरकार ने ग़रीबी के लिए कम मूल्यों पर ……….. प्रणाली आरम्भ की।
  2. 1943 में भारत के ……… राज्य में बहुत बड़ा अकाल पड़ा।
  3. ……… एवम् ……. कुपोषण का अधिक शिकार होते हैं।
  4. ……… कार्ड बहुत निर्धन वर्ग के लिए जारी किया जाता है।
  5. फसलों की पूर्व घोषित कीमत को …….. कीमत कहा जाता है।

उत्तर-

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  2. बंगाल
  3. महिलाएं व बच्चे
  4. राशन
  5. न्यूनतम समर्थन ।

बहुविकल्पी प्रश्न :

प्रश्न 1.
ग़रीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को कौन-सा कार्ड जारी किया जाता है ?
(क) अन्त्योदय कार्ड
(ख) BPL कार्ड
(ग) APL कार्ड
(घ) CPL कार्ड।
उत्तर-
(ख) BPL कार्ड

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 2.
अन्न सुरक्षा का एक सूचक है।
(क) दूध
(ख) पानी
(ग) भूख
(घ) वायु।
उत्तर-
(ग) भूख

प्रश्न 3.
फसलों को पूर्व घोषित मूल्य (कीमत) को क्या कहा जाता है ?
(क) न्यूनतम समर्थन मूल्य
(ख) निर्गम मूल्य
(ग) न्यूनतम मूल्य
(घ) उचित मूल्य।
उत्तर-
(क) न्यूनतम समर्थन मूल्य

प्रश्न 4.
बंगाल अकाल के अतिरिक्त अन्य किस राज्य में अकाल जैसी स्थिति पैदा हुई।
(क) कर्नाटक
(ख) पंजाब
(ग) ओडिशा
(घ) मध्य प्रदेश।
उत्तर-
(ग) ओडिशा

प्रश्न 5.
कौन-सी संस्था गुजरात में दूध तथा दूध निर्मित पदार्थ बेचती है ?
(क) अमूल
(ख) वेरका
(ग) मदर डेयरी
(घ) सुधा।
उत्तर-
(क) अमूल

सही/गलत चुने :

  1. अन्न के उपलब्ध होने से अभिप्राय है कि देश के भीतर उत्पादन नहीं किया जाता है।
  2. भूख अन्न सुरक्षा का एक सूचक है।
  3. राशन की दुकानों को उचित मूल्य पर सामान बेचने वाली दुकानें भी कहा जाता है।
  4. मार्कफैड पंजाब भारत में सबसे बड़ी खरीद करने वाली सहकारी संस्था है।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. ग़लत
  4. ग़लत

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

(उत्तर एक पंक्ति या एक शब्द में हों)

प्रश्न 1.
अन्न सुरक्षा क्या है ?
उत्तर-
अन्न सुरक्षा का अर्थ है, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य है।

प्रश्न 2.
अन्न सुरक्षा क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
अन्न सुरक्षा की आवश्यकता लगातार और तीव्र गति में बढ़ रही जनसंख्या के लिए है।

प्रश्न 3.
अकाल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अकाल का अर्थ है खाद्यान्न में होने वाली अत्यधिक दुर्लभता।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 4.
महामारी के दो उदाहरणे दें।
उत्तर-

  1. भारत में 1974 में चेचक।
  2. भारत में 1994 में प्लेग।

प्रश्न 5.
बंगाल में अकाल किस वर्ष पड़ा ?
उत्तर-
1943 में।

प्रश्न 6.
बंगाल के अकाल के दौरान कितने लोग मारे गए ?
उत्तर-
30 लाख लोग।

प्रश्न 7.
अकाल के दौरान कौन-से लोग अधिक पीड़ित होते हैं ?
उत्तर-
बच्चे और औरतें अकाल में सबसे अधिक पीड़ित होते हैं।

प्रश्न 8.
‘अधिकार’ शब्द किस व्यक्ति ने अन्न सुरक्षा के साथ जोड़ा।
उत्तर-
डॉ० अमर्त्य सेन ने।

प्रश्न 9.
अन्न असुरक्षित लोग कौन-से हैं ?
उत्तर-
भूमिहीन लोग, परंपरागत कारीगर, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग आदि।

प्रश्न 10.
उन राज्यों के नाम लिखें जहां अन्न असुरक्षित लोग अधिक संख्या में कहते है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखण्ड, बंगाल, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश का कुछ भाग।

(स्व) लघु उत्तरों वाले प्रश्न

(उत्तर 70 से 75 शब्दों में हों)

प्रश्न 1.
हरित क्रांति से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हरित क्रांति से अभिप्राय भारत में खाद्यान्न में होने वाली उस वृद्धि से है जो 1966-67 में कृषि में नई तकनीकें लगाने से उत्पन्न हुई थी। इससे कृषि उत्पादन 25 गुणा बढ़ गया था। यह वृद्धि किसी क्रांति से कम नहीं थी। इसलिए इसे हरित क्रांति का नाम दे दिया गया।

प्रश्न 2.
बफर भण्डार की परिभाषा दें।
उत्तर-
बफर भण्डार भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूं और चावल का भंडार है। भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूं और चावल खरीदते हैं। किसानों को उनकी उपज के बदले पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं।

प्रश्न 3.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहते हैं। अब अधिकांश गांवों, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं। देशभर में लगभग 4.6 लाख राशन की दुकानें हैं। राशन की दुकानें जिन्हें उचित मूल्य की दुकानें कहा जाता है, चीनी, खाद्यान्न और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल के भंडार हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 4.
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है ?
उत्तर-
भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में से किसानों से गेहूं और चावल खरीदते हैं। किसानों को उनकी उपज के बदले पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं। इन फसलों को अधिक उत्पादित करवाने के लिए बुआई के मौसम से पहले सरकार न्यूनतम समर्थन कीमत की घोषणा कर देती है।

प्रश्न 5.
मौसमी भूख और मियादी भूख से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दीर्घकालिक भुख मात्रा एवं गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। ग़रीब लोग अपनी अत्यंत निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण मियादी भुख से ग्रस्त होते हैं। मौसमी भुख फसल उपजाने और काटने के चक्र से संबंधित है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है।

प्रश्न 6.
अधिक (बफर) भण्डारण सरकार की तरफ से क्यों रखा जाता है ?
उत्तर-
सरकार का बफर स्टॉक बनाने का मुख्य उद्देश्य कमी वाले राज्यों या क्षेत्रों में और समाज के ग़रीब वर्गों में
बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं। यह खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में भी मदद करता है।

प्रश्न 7.
निर्गम मूल्य (इशू कीमत) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सरकार का मुख्य उद्देश्य खाद्यान्न कमी वाले क्षेत्रों में खाद्यन्न उपलब्ध करवाना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार बफर स्टॉक बनाती है ताकि समाज के गरीब वर्ग को बाजार कीमत से कम कीमत पर खाद्यान्न उपलब्ध हो सके। इस न्यूनतम कीमत को ही निर्गम कीमत कहा जाता है।

प्रश्न 8.
सस्ते मूल्य की दुकानों के कामकाज की समस्याओं की व्याख्या करो। .
उत्तर-
सस्ते मूल्य की दुकानों के मालिक कई बार अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाज़ार में बेच देते हैं, कई बार घटिया किस्म की उपज बेचते हैं, दुकानें अधिकतर बंद रखते हैं। इसके अलावा एफ०सी०आई० के गोदामों में अनाज का विशाल स्टॉक जमा हो रहा है जो लोगों को प्राप्त नहीं हो रहा। हाल के वर्षों में कार्ड भी तीन प्रकार के कर दिए गए हैं जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रश्न 9.
अन्न की पूर्ति के लिए सहकारी संस्थाओं की भूमिका की व्याख्या करो।
उत्तर-
भारत में विशेषकर देश के दक्षिण और पश्चिम भागों में सहकारी समितियां भी खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं । सहकारी समितियां निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती है। जैसे तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में सहकारी समितियां हैं जो लोगों को सस्ता दूध, सब्जी, अनाज आदि उपलब्ध करवा रही हैं।

अन्य अभ्यास के प्रश्न

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा 1
चित्र 4.1 बंगाल अकाल

आइए चर्चा करें

  1. चित्र 4.1 में आप क्या देखते हैं ?
  2. क्या आप कह सकते हैं कि चित्र में दर्शाया गया परिवार एक ग़रीब परिवार है ? यदि हां, तो क्यों ?
  3. क्या आप चित्र से दर्शाये व्यक्ति की आजीविका का साधन बता सकते है ? अपने अध्यापक से चर्चा करें।
  4. राहत कैंप में प्राकृतिक आपदा के शिकार लोगों को कौन-से प्रकार की सहायता दी जा सकती है ?

उत्तर-

  1. चित्र 4.1 के अवलोकन से ज्ञात हो रहा है कि लोग अकाल, सूखा तथा प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त होने के कारण भूखे, नंगे, प्यासे व बिना आश्रय के हैं।
  2. हाँ, चित्र में दर्शाया गया परिवार एक निर्धन परिवार है। उनके पास खाने व पीने के लिए कुछ भी नहीं है जिससे वे भूखे व बीमार हैं।
  3. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार द्वारा दी गई सहायता अत्यंत लाभदायक होती है। बाहर से आने वाली खाद्य सामग्री, कपड़े, दवाइयां इसमें अत्यंत लाभदायक हो सकती हैं।
  4. राहत कैंप में आपदा के शिकार लोगों को भोजन, वस्त्र, दवाइयाँ, बिस्तर, टैंट की सहायता दी जा सकती है। उसके बाद उनके पुनर्स्थापन की व्यवस्था की जा सकती हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा 2
ग्राफ 4.1 भारत में खाद्यान्नों का उत्पादन (मिलियन टन में)

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

आओ चर्चा करें :

ग्राफ 4.1 का अध्ययन कीजिए तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) हमारे देश में किस वर्ष 200 मिलियन टन प्रति वर्ष अन्न की मात्रा के उत्पादन का लक्ष्य पूरा किया ?
(ii) किस वर्ष दौरान भारत में अन्न का उत्पादन सर्वाधिक रहा ?
(iii) क्या वर्ष 2000-01 से लेकर 2016-17 तक अन्न के उत्पादन में वृद्धि हुई अथवा नहीं ?

उत्तर-

  1. वर्ष 2000-01 में भारत ने 200 मिलियन टन खाद्यान्न के उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया था।
  2. वर्ष 2016-17 में भारत में खाद्यान्न का उत्पादन सबसे अधिक रहा।
  3. नहीं, वर्ष 2000-01 से लेकर 2016-17 तक लगातार खाद्यान्न के उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई है।

PSEB 9th Class Social Science Guide भारत में अन्न सुरक्षा Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें:

  1. ………… का अर्थ, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य।
  2. ………… ने भारत को चावल और गेहूं में आत्मनिर्भर बनाया है।
  3. ……….. वह कीमत है जो सरकार बुआई से पहले निर्धारित करती है।
  4. ………… भुखमरी खाद्यान्न के चक्र से संबंधित है।
  5. ……….. ने ‘पात्रता’ शब्द का प्रतिपादन किया है।

उत्तर-

  1. खाद्य सुरक्षा,
  2. हरित क्रांति,
  3. न्यूनतम समर्थन कीमत,
  4. मौसमी,
  5. डॉ० अमर्त्य सेन।

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
खाद्य सुरक्षा का आयाम क्या है ?
(a) पहुंच
(b) उपलब्धता
(c) सामर्थ्य
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
खाद्य असुरक्षित कौन है ?
(a) अनुसूचित जाति
(b) अनुसूचित जनजाति
(c) अन्य पिछड़ा वर्ग
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली कब घोषित की गई ?
(a) 1991
(b) 1992
(c) 1994
(d) 1999
उत्तर-
(b) 1992

प्रश्न 4.
बंगाल का भयंकर अकाल कब पड़ा ?
(a) 1943
(b) 1947
(c) 1951
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(a) 1943

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

सही/गलत :

  1. पहुंच का अर्थ है सभी लोगों को खाद्यान्न मिलता रहे।
  2. खाद्य सुरक्षा का प्रावधान खाद्य अधिकार 2013 अधिनियम में किया गया है।
  3. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम वर्ष 2009 में शुरू हुआ।
  4. न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा घोषित की जाती है।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही।।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भुखमरी क्या है ?
उत्तर-
भुखमरी खाद्य असुरक्षा का एक आयाम है। भुखमरी खाद्य तथा पहुंच की असमर्थता है।

प्रश्न 2.
खाद्य सुरक्षा किस तत्व पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर है।

प्रश्न 3.
भारत में राशनिंग प्रणाली कब शुरू की गई ?
उत्तर-
भारत में राशनिंग प्रणाली 1940 में शुरू की गई, इसकी शुरुआत बंगाल के अकाल के बाद हुई।

प्रश्न 4.
‘पात्रता क्या है ?
उत्तर-
पात्रता, भुखमरी से ग्रस्त लोगों को खाद्य की सुरक्षा प्रदान करेगी।

प्रश्न 5.
ADS क्या है ?
उत्तर-
ADS का अर्थ है Academy of Development Science.

प्रश्न 6.
खाद्य सुरक्षा के आयाम क्या हैं ?
उत्तर-

  1. खाद्य की पहुंच,
  2. खाद्य का सामर्थ्य,
  3. खाद्य की उपलब्धता।

प्रश्न 7.
खाद्य सुरक्षा किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शासकीय सतर्कता और खाद्य सुरक्षा के खतरे की स्थिति में सरकार द्वारा की गई कार्यवाही पर निर्भर करती है।

प्रश्न 8.
खाद्य सुरक्षा के आयाम क्या हैं?
उत्तर-
ये निम्नलिखित हैं-

  1. खाद्य उपलब्धता से अभिप्राय देश में खाद्य उत्पादन, खाद्य आयात और सरकारी अनाज भंडारों के स्टॉक से है।
  2. पहुंच से अभिप्राय प्रत्येक व्यक्ति को खाद्य मिलने से है।
  3. सामर्थ्य से अभिप्राय पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए उपलब्ध धन से है।

प्रश्न 9.
निर्धनता रेखा से ऊपर लोग खाद्य असुरक्षा से कब ग्रस्त हो सकते हैं ?.
उत्तर-
जब देश में भूकंप, सूखा, बाढ़, सुनामी, फ़सलों के खराब होने से पैदा हुए अकाल आदि से राष्ट्रीय आपदाएँ आती हैं तो निर्धनता रेखा से ऊपर लोग भी खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हो सकते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 10.
अकाल की स्थिति कैसे बन सकती है ?
उत्तर-
व्यापक भुखमरी से अकाल की स्थिति बन सकती है।

प्रश्न 11.
प्रो० अमर्त्य सेन ने खाद्य सुरक्षा के संबंध में किस पर जोर दिया है ?
उत्तर-
प्रो० अमर्त्य सेन ने खाद्य सुरक्षा में एक नया आयाम जोड़ा है जो हकदारियों के आधार पर खाद्य तक पहुंच पर ज़ोर देता है। हकदारियों का अर्थ राज्य या सामाजिक रूप से उपलब्ध कराई गई अन्य पूर्तियों के साथ-साथ उन वस्तुओं से . है, जिनका उत्पादन और विनिमय बाज़ार में किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है।

प्रश्न 12.
भारत में भयानक अकाल कब और कहां पड़ा था ?
उत्तर-
भारत में सबसे भयानक अकाल 1943 में बंगाल में पड़ा था जिससे बंगाल प्रांत में 30 लाख लोग मारे गए थे।

प्रश्न 13.
बंगाल के अकाल में सबसे अधिक कौन लोग प्रभावित हुए थे ?
उत्तर-
इससे खेतिहर मज़दूर, मछुआरे, परिवहन कर्मी और अन्य अनियमित श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।

प्रश्न 14.
बंगाल का अकाल चावल की कमी के कारण हुआ था। क्या आप इससे सहमत हैं ?
उत्तर-
हां, बंगाल के अकाल का मुख्य कारण चावल की कम पैदावार ही था जिससे भुखमरी हुई थी।

प्रश्न 15.
किस वर्ष में खाद्य उपलब्धता में भारी कमी हुई ?
उत्तर-
1941 में खाद्य उपलब्धता में भारी कमी हुई।

प्रश्न 16.
अनाज की उपलब्धता भारत में किस घटक के कारण और भी सुनिश्चित हुई है ?
उत्तर-
बफर स्टॉक एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कारण।

प्रश्न 17.
देशभर में लगभग राशन की दुकानें कितने लाख हैं ?
उत्तर-
4.6 लाख।

प्रश्न 18.
‘एकीकृत बाल विकास सेवाएँ’ प्रायोगिक आधार पर किस वर्ष शुरू की गईं ?
उत्तर-
1975.

प्रश्न 19.
‘काम के बदले अनाज’ कार्यक्रम कब शुरू हुआ था ?
उत्तर-
1965-66 में।

प्रश्न 20.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम कब लागू किया गया ?
उत्तर-
2004 में।

प्रश्न 21.
संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली कब लागू की गई ?
उत्तर-
1997 में।

प्रश्न 22.
अन्नपूर्णा योजना कब लागू हुई ?
उत्तर-
2000 में।

प्रश्न 23.
अन्नपूर्णा योजना में लक्षित समूह कौन है ?
उत्तर-
दीन वरिष्ठ नागरिक।

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प्रश्न 24.
अंत्योदय अन्न योजना में लक्षिक समूह कौन हैं ?
उत्तर-
निर्धनों में सबसे निर्धन।

प्रश्न 25.
अन्नपूर्णा योजना में खाद्यान्नों की आद्यतन मात्रा प्रति परिवार कितने किलोग्राम निर्धारित की गई है ?
उत्तर-
10 किलोग्राम।

प्रश्न 26.
इनमें से कौन भूख का आयाम है ?
(क) मौसमी
(ख) दीर्घकालिक
(ग) (क) तथा (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) (क) तथा (ख) दोनों।

प्रश्न 27.
इनमें से कौन-सी फसलें हरित क्रांति से संबंधित हैं ?
(क) गेहूँ, चावल
(ख) कपास, बाजरा
(ग) मक्की , चावल
(घ) बाजरा, गेहूँ।
उत्तर-
(क) गेहूँ, चावल।

प्रश्न 28.
‘लक्षित सार्वजनिक वितरण-प्रणाली’ कब लागू हुई ?
(क) 1992
(ख) 1995
(ग) 1994
(घ) 1997.
उत्तर-
(घ) 1997.

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है ?
उत्तर-
भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के ग़रीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी०डी०एस०) कहते हैं।

प्रश्न 2.
खाद्य सुरक्षा में किसका योगदान है ?
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली, दोपहर का भोजन आदि विशेष रूप से खाद्य की दृष्टि से सुरक्षा के कार्यक्रम हैं। अधिकतर ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रम भी खाद्य सुरक्षा बढ़ाते हैं।

प्रश्न 3.
संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है ?
उत्तर-
यह सार्वजनिक वितरण-प्रणाली का संशोधित रूप है जिसे 1992 में देश के 1700 ब्लॉकों में शुरू किया गया था। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभ पहुँचाना था। इसमें 20 किलोग्राम तक खाद्यान्न प्रति परिवार जिसमें गेहूँ ₹ 2.80 प्रति किलोग्राम तथा चावल ₹ 3.77 प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपलब्ध करवाए जाते थे।

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प्रश्न 4.
अन्नपूर्णा योजना क्या है ?
उत्तर-
यह भोजन ‘दीन वरिष्ठ नागरिक’ समूहों पर लक्षित योजना है जिसे वर्ष 2000 में लागू किया गया है। इस योजना में ‘दीन वरिष्ठ नागरिक’ समूहों को 10 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति परिवार निःशुल्क उपलब्ध करवाने का प्रावधान है।

प्रश्न 5.
राशन कार्ड कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
राशन कार्ड तीन प्रकार होते हैं-

  1. निर्धनों में भी निर्धन लोगों के लिए अंत्योदय कार्ड,
  2. निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों के लिए बी०पी०एल० कार्ड और
  3. अन्य लोगों के लिए ए०पी०एल० कार्ड।

प्रश्न 6.
किसी आपदा के समय खाद्य सुरक्षा कैसे प्रभावित होती है ?
उत्तर-
किसी प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट आती है। इससे प्रभावित क्षेत्र में खाद्य की कमी हो जाती है। खाद्य की कमी के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं। कुछ लोग ऊँची कीमतों पर खाद्य पदार्थ नहीं खरीद पाते। अगर आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है या अधिक लंबे समय तक बनी रहती है, तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।

प्रश्न 7.
बफर स्टॉक क्या होता है ? .
उत्तर-
बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (IFC) के माध्यम से सरकार द्वारा प्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल का भंडार है। IFC अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है। किसानों को उनकी फ़सल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है।

प्रश्न 8.
विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन 1995 में क्या घोषणा की गई थी?
उत्तर-
विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन 1995 में यह घोषणा की गई थी कि “वैयक्तिक, पारिवारिक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा का अस्तित्व तभी है, जब सक्रिय और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए आहार संबंधी ज़रूरतों और खाद्य पदार्थों को पूरा करने के लिए पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक खाद्य तक सभी लोगों की भौतिक एवं आर्थिक पहुँच सदैव हो।”

प्रश्न 9.
खाद्य असुरक्षित कौन है ?
उत्तर-
यद्यपि भारत में लोगों का एक बड़ा वर्ग खाद्य एवं पोषण की दृष्टि से असुरक्षित है, परंतु इससे सर्वाधिक प्रभावित वर्गों में निम्नलिखित शामिल हैं- भूमिहीन जो थोड़ी-बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर हैं, पारंपरिक दस्तकार, पारंपरिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग, अपना काम करने वाले कामगार तथा भिखारी। शहरी क्षेत्रों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित वे परिवार हैं जिनके कामकाजी सदस्य प्राय: वेतन वाले व्यवसायों और अनियत श्रम बाज़ार में काम करते हैं।

प्रश्न 10.
राशन व्यवस्था क्या होती है ?
उत्तर-
भारत में राशन व्यवस्था की शुरुआत बंगाल के अकाल की पृष्ठभूमि में 1940 के दशक में हुई। हरित क्रांति से पूर्व भारी खाद्य संकट के कारण 60 के दशक के दौरान राशन प्रणाली पुनर्जीवित की गई। गरीबी के उच्च स्तरों को ध्यान में रखते हुए 70 के दशक के मध्य N.S.S.O. की रिपोर्ट के अनुसार तीन कार्यक्रम शुरू किए गए।

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली
  2. एकीकृत बाल विकास सेवाएँ
  3. काम के बदले अनाज।

प्रश्न 11.
वे तीन बातें क्या हैं जिनमें खाद्य सुरक्षा निहित है ?
उत्तर-
किसी देश में खाद्य सुरक्षा केवल तभी सुनिश्चित होती है, जब-

  1. सभी लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य उपलब्ध हो।
  2. सभी लोगों के पास स्वीकार्य गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ खरीदने की क्षमता हो।
  3. खाद्य की उपलब्धता में कोई बाधा न हो।

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प्रश्न 12.
बफर स्टॉक क्या होता है ? सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है ?
उत्तर-
बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूं और चावल का भंडार है जिसमें खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। सरकार बफर स्टॉक की कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के ग़रीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज उपलब्ध करवाने के लिए तथा आपदा काल में अनाज की समस्या को हल करने के लिए बनाती है।

प्रश्न 13.
वर्णन करें कि पिछले वर्षों के दौरान भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आलोचना क्यों होती रही है ?
उत्तर-
पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आलोचना इसलिए हुई है क्योंकि यह अपने लक्ष्य में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है। अनाजों से ठसाठस भरे अन्न भंडारों के बावजूद भुखमरी की घटनाएँ हो रही हैं। एफ०सी०आई० के भंडार अनाज से भरे हैं। कहीं अनाज सड़ रहा है तो कुछ स्थानों पर चूहे अनाज खा रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के धारक अधिक कमाने के लिए अनाज को खुले बाजार में बेचते हैं। इन सभी तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक वितरण-प्रणाली की आलोचना हो रही है।

प्रश्न 14.
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होता है ? बढ़ाए हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्य संग्रहण का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर-
न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा किसानों को उनकी उपज के लिए दिया गया मूल्य है जो कि सरकार द्वारा पहले ही घोषित किया जा चुका होता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से विशेष तथा खाद्यान्नों के अधिशेष वाले राज्यों के किसानों को अपनी भूमि पर मोटे, अनाजों की खेती समाप्त कर धान और गेहूँ उपजाने के लिए प्रेरित किया है, जबकि मोटा अनाज ग़रीबों का प्रमुख भोजन है।

प्रश्न 15.
खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयामों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयाम हैं-

  1. खाद्य उपलब्धता का तात्पर्य देश के भंडारों में संचित अनाज तथा खाद्य उत्पादन से है।
  2. पहुँच का अर्थ है कि खाद्य प्रत्येक व्यक्ति को मिलता रहे।
  3. सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध हो।

प्रश्न 16.
एक प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे के कारण अधोसंरचना शायद प्रभावित हो लेकिन इससे खाद्य सुरक्षा अवश्य ही प्रभावित होगी। उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को न्यायसंगत बनाएँ।
उत्तर-

  1. किसी प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट आई है। इससे प्रभावित क्षेत्र में खाद्य की कमी होने के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं। अगर यह आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है तो भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिससे अकाल की स्थिति बन सकती है।
  2. उदाहरणार्थ-1943 में बंगाल का अकाल।

प्रश्न 17.
‘उचित दर वाली दुकानें किस प्रकार से खाद्य वितरण में सहायक होती हैं ?
उत्तर-
‘उचित दर वाली दुकानें भारत में निम्नलिखित प्रकार से खाद्य वितरण में सहायक होती हैं-

  1. देश भर में लगभग 4.6 लाख दुकानें हैं।
  2. राशन की दुकानों में चीनी, खाद्यान्न तथा खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है।
  3. उचित दर वाली दुकानें ये सब बाज़ार कीमत से कम कीमत पर लोगों को बेचती हैं।

प्रश्न 18.
अंत्योदय अन्न योजना पर विस्तृत नोट लिखें।
उत्तर-
अंत्योदय अन्न योजना यह योजना दिसंबर 2000 में शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आने वाले निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई। संबंधित राज्य के ग्रामीण विकास विभागों ने ग़रीबी रेखा से नीचे के ग़रीब परिवारों को सर्वेक्षण के द्वारा चुना।₹ 2 प्रति किलोग्राम गेहूँ और ₹ 3 प्रति किलोग्राम चावल की अत्यधिक आर्थिक सहायता प्राप्त दर पर प्रत्येक पात्र परिवार को 25 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया गया। अनाज की यह मात्रा अप्रैल 2002 में 25 किलोग्राम से बढ़ा कर 35 किलोग्राम कर दी गई। जून 2003 और अगस्त 2004 में इसमें 5050 लाख अतिरिक्त बी०पी०एल० परिवार दो बार जोड़े गए। इससे इस योजना में आने वाले परिवारों की संख्या 2 करोड़ हो गई।

प्रश्न 19.
खाद्य सुरक्षा के आयामों का वर्णन करें।
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा के निम्नलिखित आयाम हैं-

  1. खाद्य उपलब्धता का तात्पर्य देश में खाद्य उत्पादन, खाद्य आयात और सरकारी अनाज भंडारों में संचित पिछले वर्षों के स्टॉक से है।
  2. पहुँच का अर्थ है कि खाद्य प्रत्येक व्यक्ति को मिलता रहना चाहिए।
  3. सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।

किसी देश में खाद्य सुरक्षा केवल तभी सुनिश्चित होती है जब

  1. सभी लोगों के लिए पर्याप्त खाद्य उपलब्ध हो,
  2. सभी लोगों के पास स्वीकार्य गुणवत्ता के खाद्य-पदार्थ खरीदने की क्षमता हो और
  3. खाद्य की उपलब्धता में कोई बाधा न हो।

प्रश्न 20.
सहकारी समितियों की खाद्य सुरक्षा में भूमिका क्या है?
उत्तर-
भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं । सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं। उदाहरणार्थ, तमिलनाडु में जितनी राशन की दुकानें हैं, उनमें से करीब 94 प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है। देश के विभिन्न भागों में कार्यरत सहकारी समितियों के और अनेक उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराई है।

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प्रश्न 21.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की वर्तमान स्थिति क्या है ?
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कदम है। प्रारंभ में यह प्रणाली सबके लिए थी और निर्धनों और गैर-निर्धनों के बीच कोई भेद नहीं किया जाता था। बाद के वर्षों में PDS को अधिक दक्ष और अधिक लक्षित बनाने के लिए संशोधित किया गया। 1992 में देश में 1700 ब्लाकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (RPDS) शुरू की गई। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में PDS से लाभ पहुँचाना था।

जून, 1997 से सभी क्षेत्रों में ग़रीबी को लक्षित करने के सिद्धांतों को अपनाने के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) प्रारंभ की गई। इसके अलावा 2000 में दो विशेष योजनाएँ अंत्योदय अक्ष योजना तथा अन्नपूर्णा योजना प्रारंभ की गई।

प्रश्न 22.
भारत में खाद्य सुरक्षा की वर्तमान स्थिति क्या है ?
उत्तर-
70 के दशक के प्रारंभ में हरित क्रांति के आने के बाद से मौसम की विपरीत दशाओं के दौरान भी देश में अकाल नहीं पड़ा है। देश भर में उपजाई जाने वाली विभिन्न फ़सलों के कारण भारत पिछले तीस वर्षों के दौरान खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बन गया है। सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार की गई खाद्य सुरक्षा व्यवस्था के कारण देश में अनाज की उपलब्धता और भी सुनिश्चित हो गई। इस व्यवस्था के दो घटक हैं-1. बफर स्टॉक, 2. सार्वजनिक वितरण प्रणाली।

प्रश्न 23.
प्रतिरोधक भंडार (बफर स्टॉक) शब्द की व्याख्या कीजिए।खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में यह किन दो विधियों से प्रयक्त होता है ?
उत्तर-
प्रतिरोधक भंडार (बफर स्टॉक) भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल का भंडार है। खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में यह निम्न प्रकार से प्रयुक्त होता है-

  1. अनाज की कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के ग़रीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज का वितरण करने के लिए।
  2. खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या को हल करता है।

प्रश्न 24.
भूख के दो आयामों में अंतर स्पष्ट कीजिए। प्रत्येक प्रकार की भूख कहां अधिक प्रचलित है ?
उत्तर-
भूख के दो आयाम दीर्घकालिक और मौसमी आयाम होते हैं। दीर्घकालिक भूख मात्रा एवं गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। निर्धन लोग अपनी अत्यंत निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भूख से ग्रस्त होते हैं। मौसमी भूख फ़सल उपजाने और काटने के चक्र के संबद्ध है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियंत्रित श्रम के कारण होती है। प्रत्येक प्रकार की भूख ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है।

प्रश्न 25.
भारत के विभिन्न वर्गों के लोगों की, जो खाद्य एवं पोषण की दृष्टि से असरक्षित हैं, उनकी स्थिति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत में लोगों का एक बड़ा वर्ग खाद्य एवं पोषण की प्राप्ति से असुरक्षित है, परंतु इससे सर्वाधिक प्रभावित वर्गों में निम्नलिखित शामिल हैं; भूमिहीन जो थोड़ी बहुत अथवा नगण्य भूमि पर निर्भर हैं, पारंपरिक दस्तकार, पारंपरिक सेवाएँ प्रदान करने वाले लोग, अपना छोटा-मोटा काम करने वाले कामगार और निराश्रित तथा भिखारी। शहरी क्षेत्रों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित वे परिवार हैं जिनके कामकाजी सदस्य प्रायः कम वेतन वाले व्यवसायों और अनियत श्रम बाज़ार काम करते हैं।

प्रश्न 26.
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत द्वारा खाद्यान्नों मे आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदमों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय नीति निर्माताओं ने खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सभी उपाय किए। भारत ने कृषि में एक नई रणनीति अपनाई, जिसकी परिणति हरित क्रांति में हुई, विशेषकर, गेहूँ और चावल के उत्पादन में। बहरहाल, अनाज की उपज में वृद्धि समानुपातिक नहीं थी। पंजाब और हरियाणा में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई, यहाँ अनाजों का उत्पादन 1964-65 के 72.3 लाख टन की तुलना में बढ़कर 1995-96 में 3.03 करोड़ टन पर पहुँच गया। दूसरी तरफ, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

प्रश्न 27.
भारत में खाद्य सुरक्षा के विस्तार में सार्वजनिक वितरण प्रणाली किस प्रकार सर्वाधिक कारगर सिद्ध
उत्तर–
सार्वजनिक वितरण-प्रणाली खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कदम है। प्रारंभ में यह प्रणाली सबके लिए थी और निर्धनों और गैर-निर्धनों के मध्य कोई भेद नहीं किया जाता था। बाद के वर्षों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए संशोधित किया गया। 1992 में देश के 1700 ब्लाकों में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली शुरू की गई। इसका लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण-प्रणाली से लाभ पहुंचाना था।

प्रश्न 28.
सहकारी समिति क्या काम करती है ? सहकारी समितियों के दो उदाहरण दीजिए तथा बताइए कि सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनका क्या योगदान है ?
उत्तर-
सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं । सहकारी समितियों के उदाहरण हैं-दिल्ली में मदर डेयरी, गुजरात में अमूल दुग्ध उत्पादन समिति । दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धनता नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है। गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सहकारी समिति का उदाहरण है। उसने देश में श्वेत क्रांति ला दी है। इस तरह सहकारी समितियों ने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराई है।

प्रश्न 29.
कौन लोग खाद्य सुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं ?
उत्तर-

  1. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति व कुछ अन्य पिछड़े वर्ग के लोग जो भूमिहीन थोड़ी बहुत कृषि भूमि पर निर्भर हैं।
  2. वे लोग भी खाद्य की दृष्टि से शीघ्र असुरक्षित हो जाते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं और जिन्हें काम की तलाश में दूसरी जगह जाना पड़ता है।
  3. खाद्य असुरक्षा से ग्रसित आबादी का बड़ा भाग गर्भवती तथा दूध पिला रही महिलाओं तथा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का है।

प्रश्न 30.
जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर-

  1. आपदा के समय खाद्य आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित होता है।
  2. किसी प्राकृतिक आपदा जैसे, सूखे के कारण खाद्यान्न की कुल उपज में गिरावट आती है।
  3. आपदा के समय खाद्यान्न की उपज में कमी आ जाती है तथा कीमतें बढ़ जाती हैं।
  4. यदि वह आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है या अधिक लंबे समय तक बनी रहती है, तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।
  5. भारत में आपदा के समय खाद्यन्नों की कमी हो जाती है जिससे जमाखोरी व कालाबाजारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 31.
राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएं हैं ?
उत्तर-
राशन की दुकानों के संचालन की समस्याएं निम्नलिखित हैं-

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली धारक अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाज़ार में बेचना, राशन दुकानों में घटिया अनाज़ बेचना, दुकान कभी-कभार खोलना जैसे कदाचार करते हैं।
  2. राशन दुकानों में घटिया किस्म के अनाज का पड़ा रहना आम बात है जो बिक नहीं पाता। यह एक बड़ी समस्या साबित हो रही है।
  3. जब राशन की दुकानें इन अनाजों को बेच नहीं पातीं तो एफ०सी०आई० (FCI) के गोदामों में अनाज का विशाल स्टॉक जमा हो जाता है। इससे भी राशन की दुकानों के संचालन में समस्याएं आती हैं।
  4. पहले प्रत्येक परिवार के पास निर्धन या गैर-निर्धन राशन कार्ड था जिसमें चावल, गेहूं, चीनी आदि वस्तुओं का एक निश्चित कोटा होता था पर अब जो तीन प्रकार के कार्ड और कीमतों की श्रृंखला को अपनाया गया है। अब तीन भिन्न कीमतों वाले टी० पी० डी० एस० की व्यवस्था में निर्धनता रेखा से ऊपर वाले किसी भी परिवार को राशन दुकान पर बहुत कम छूट मिलती है। ए०पी०एल० परिवारों के लिए कीमतें लगभग उतनी ही ऊँची हैं जिनकी खुले बाज़ार में, इसलिए राशन की दुकान से इन चीज़ों की खरीदारी के लिए उनको बहुत कम प्रोत्साहन प्राप्त है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में अन्न सुरक्षा

प्रश्न 32.
यदि खाद्य सुरक्षा न हो तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि खाद्य सुरक्षा न हो तो निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न होंगी-

  1. देश में आने वाली किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे से खाद्यान्नों की कुल उपज में गिरावट आएगी।
  2. खाद्य सुरक्षा न होने से यदि आपदा में खाद्यान्नों की कमी होती है तो कीमत स्तर बढ़ जाएगा।
  3. खाद्य सुरक्षा न होने से देश में कालाबाजारी बढ़ती है।
  4. खाद्य सुरक्षा न होने से प्राकृतिक आपदा आने से देश में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

प्रश्न 33.
यदि सरकार बफर स्टॉक न बनाए तो क्या होगा ?
उत्तर-
यदि सरकार बफर स्टॉक न बनाए तो निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हो जाएंगी-

  1. बफर स्टॉक न बनाए जाने से देश में खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  2. बफर स्टॉक न बनाए जाने की स्थिति में कम खाद्यान्न वाले क्षेत्रों को अनाज महँगा प्राप्त होगा।
  3. बफर स्टॉक न बनाए जाने पर अधिप्राप्त अनाज गल-सड़ जाएगा।
  4. बफर स्टॉक न होने से कालाबाजारी में वृद्धि होगी।
  5. इससे आपदा काल में स्थिति अत्यधिक गंभीर हो सकती है।

प्रश्न 34.
किसी देश के लिए खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. कोई देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर इसलिए होना चाहता है ताकि किसी आपदा के समय देश में खाद्य असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न न हो।
  2. कोई देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर इसलिए भी होना चाहता है ताकि उसे खाद्यान्न विदेशों से न खरीदना पड़े।
  3. देश में कालाबाजारी को रोकने और कीमत स्थिरता बनाए रखने के लिए भी कोई भी देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनाना चाहता है।

प्रश्न 35.
सहायिकी क्या है ? सरकार सहायिकी क्यों देती है ?
उत्तर-
सहायिकी वह भुगतान है जो सरकार द्वारा किसी उत्पादक को बाजार कीमत की अनुपूर्ति के लिए किया जाता है। सहायिकी से घेरलू उत्पादकों के लिए ऊँची आय कायम रखते हुए, उपभोक्ता कीमतों को कम किया जा सकता है। सरकार द्वारा सहायिकी देने के निम्नलिखित कारण हैं

  1. निर्धनों को वस्तुएं सस्ती प्राप्त हो सकें।
  2. लोगों का न्यूनतम जीवन-स्तर बना रहे।
  3. उत्पादक को सरकार द्वारा किसी उत्पाद की बाज़ार कीमत की अनुपूर्ति के लिए भी सहायिकी दी जाती है।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता क्या है ?
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता निम्न कारणों से है-

  1. खाद्य असुरक्षा का भय दूर करना (To Avoid Food insecurity) खाद्य सुरक्षा व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि जन सामान्य के लिए दीर्घकाल में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध है। इसके अन्तर्गत बाढ़, सूखा, अकाल, सुनामी, भूचाल, आंतरिक युद्ध या अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए खाद्य भंडार रिजर्व में रखे जाते हैं। इससे खाद्य असुरक्षा का भय दूर हो जाता है।
  2. पोषण स्तर को बनाए रखना (Maintainance of Nutritional Standards)-खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के अन्तर्गत उपलब्ध करवाए गए खाद्य पदार्थों की मात्रा व गुणवत्ता स्तर स्वास्थ्य विशेषज्ञों व सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्धारित प्रमापों के अनुसार होता है। इससे जनसामान्य में न्यूनतम पोषण स्तर को बनाए रखने में सहायता मिलती है।
  3. निर्धनता उन्मूलन (Poverty Alleviation)-खाद्य सुरक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे लोगों को कम कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराए जाते हैं। इससे निर्धनता उन्मूलन होता है।
  4. सामाजिक न्याय (Social Justice)-खाद्य सुरक्षा के अभाव में सामाजिक न्याय संभव ही नहीं है। भारत एक कल्याणकारी राज्य है। अतः सरकार का यह कर्त्तव्य है कि सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति व समावेशी विकास हेतु समाज के निर्धन वर्ग को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न कम कीमतों पर उपलब्ध कराए जाएं।

प्रश्न 2.
सार्वजनिक वितरण व्यवस्था क्या है ?
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का तात्पर्य ‘उचित कीमत दुकानों’ (राशन डिपो) के माध्यम से लोगों को आवश्यक मदें ; जैसे- गेहूँ, चावल, चीनी, मिट्टी का तेल, आदि के वितरण से है। इस व्यवस्था के द्वारा निर्धनता रेखा से नीचे रह रही जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है। इसके अंतर्गत अनुदानित कीमतों पर राशन की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्नों का वितरण किया जाता है। निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में इस व्यवस्था की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस समय भारत में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के अन्तर्गत 5.35 लाख उचित कीमत दुकानें अनुदानित कीमतों पर खाद्यान्नों के वितरण का काम कर रही हैं। भारतीय सार्वजनिक वितरण व्यवस्था विश्व की विशाल खाद्यान्न वितरण व्यवस्थाओं में से एक है। केन्द्र सरकार व राज्य सरकारें मिल कर इस व्यवस्था को चलाती हैं। केंद्र सरकार खाद्यान्नों को खरीदने, स्टोर करने व इसके विभिन्न स्थानों पर परिवहन का काम करती है। राज्य सरकारें इन खाद्यान्नों को ‘उचित कीमत दुकानों’ (राशन डिपुओं) के माध्यम से लाभार्थियों को वितरण का कार्य करती हैं। निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की पहचान करना, उन्हें राशन कार्ड जारी करना, उचित कीमत दुकानों के कार्यकरण का पर्यवेक्षण करना, आदि की जिम्मेवारी राज्य सरकार की होती है।

सरकार निर्धनता के उन्मूलन के लिए निर्धन व जरूरतमंद परिवारों को अनुदानित कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध करवाती है। इन खाद्यान्नों के वितरण में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का बहुत महत्त्व है। इसका मुख्य उद्देश्य निर्धन वर्ग को खाद्य सुरक्षा (Food Security) सुनिश्चित करना है। इसके अंतर्गत समाज के विभिन्न कमजोर वर्गों; जैसे- भूमिहीन कृषि मज़दूर, सीमांत किसान, ग्रामीण शिल्पकार, कुम्हार, बुनकर (Weavers), लोहार, बढ़ई, झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले व्यक्तियों, दैनिक वेतन पर काम करने वालों, जैसे-रिक्शा चालकों, फुटपाथ पर सामान बेचने वाले छोटे विक्रेताओं, बैलगाड़ी चलाने वाले व्यक्तियों, आदि को अनुदानित कीमतों पर एक निश्चित मात्रा में राशन डिपुओं के माध्यम से खाद्यान्न व कुछ अन्य आवश्यक मदें वितरित की जाती हैं। सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए ‘सार्वजनिक वितरण व्यवस्था (नियंत्रण) आदेश’ 2001 [Public Distribution System (Control) Order 2001] जारी किए गए। इसके अंतर्गत सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए नियम बनाए गए हैं। PDS के मुख्य उद्देश्य हैं-(i) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, (ii) निर्धनता उन्मूलन करना।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

SST Guide for Class 9 PSEB निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Textbook Questions and Answers

(क) वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें :

  1. विश्व की कुल निर्धन जनसंख्या के ………… से अधिक निर्धन -(ग़रीब) भारत में रहते है।
  2. निर्धनता निर्धन लोगों में ………… की भावना उत्पन्न करती है।
  3. ………… लोगों को ………….. से अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है।
  4. पंजाब राज्य उच्च …………… दर के विकास की सहायता से निर्धनता कम करने में सफल रहा है।
  5. जिंदगी की मुख्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए न्यूनतम आय को मापने के ढंग को………… कहते हैं।
  6. ………… निर्धनता के मापदंड का एक कारण है।

उत्तर-

  1. 1/5
  2. असुरक्षा
  3. ग्रामीण, शहरी
  4. कृषि
  5. निर्धनता रेखा
  6. सापेक्ष।

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता में रहने वाले लोगों की संख्या कितनी है ?
(क) 20 करोड़
(ख) 26 करोड़
(ग) 26 करोड़
(घ) उपर्युक्त में कोई नहीं ।
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त में कोई नहीं ।

प्रश्न 2.
ग़रीबी का अनुपात …………. में कम है।
(क) विकसित देशों में
(ख) विकासशील देशों में
(ग) अल्प विकसित देशों में
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-
(क) विकसित देशों में

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 3.
भारत में सबसे अधिक निर्धन राज्य कौन-सा है ?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) बिहार
(घ) राजस्थान।
उत्तर-
(ग) बिहार

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय किसका सूचक है ?
(क) ग़रीबी रेखा
(ख) जनसंख्या
(ग) सापेक्ष निर्धनता
(घ) निरपेक्ष निर्धनता।
उत्तर-
(ग) सापेक्ष निर्धनता

सही/गलत :

  1. विश्वव्यापी ग़रीबी में तीव्र गति से कमी आई है।
  2. कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेकारी होती है।
  3. गांव में शिक्षित बेकारी अधिक होती है।
  4. राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संगठन (NSSO) सर्वेक्षण करके जनसंख्या में हो रही वृद्धि का अनुमान लगाता हैं।
  5. सबसे अधिक ग़रीबी वाले राज्य बिहार और ओडिशा है।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. ग़लत
  4. ग़लत
  5. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सापेक्ष ग़रीबी क्या है ?
उत्तर-
सापेक्ष ग़रीबी का अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।

प्रश्न 2.
निरपेक्ष ग़रीबी क्या है ?
उत्तर-
निरपेक्ष ग़रीबी से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है।

प्रश्न 3.
सापेक्ष निर्धनता के दो निर्धारकों के नाम लिखें।
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय सापेक्ष निर्धनता के ही माप हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 4.
ग़रीबी रेखा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ग़रीबी वह रेखा है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
ग़रीबी रेखा को निर्धारित करने के लिए भारत के योजना आयोग ने क्या मापदण्ड अपनाया है ?
उत्तर-
भारत का योजना आयोग ग़रीबी रेखा का निर्धारण आय व उपभोग स्तर पर सकता है।

प्रश्न 6.
ग़रीबी के दो मापदण्डों (निर्धारकों) के नाम लिखें।
उत्तर-
आय तथा उपभोग ग़रीबी के दो निर्धारक हैं।

प्रश्न 7.
ग़रीब परिवारों में सर्वाधिक दुःख किसे सहन करना पड़ता है ?
उत्तर-
गरीब परिवारों में बच्चे सबसे अधिक पीड़ित होते हैं।

प्रश्न 8.
भारत के दो सबसे अधिक ग़रीब राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
ओडिशा तथा विहार दो निर्धन राज्य हैं।

प्रश्न 9.
केरल राज्य में निर्धनता को सबसे कम कैसे किया है ?
उत्तर-
केरल राज्य मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।

प्रश्न 10.
पश्चिमी बंगाल को ग़रीबी कम करने में किसने सहायता की है ?
उत्तर-
भूमि सुधार उपायों ने पश्चिम बंगाल में ग़रीबी को कम करने में सहायता की है।

प्रश्न 11.
उच्च कृषि वृद्धि दर से ग़रीबी कम करने वाले दो राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
पंजाब और हरियाणा।

प्रश्न 12.
चीन व दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देश निर्धनता कम करने में सफल कैसे हुए ?
उत्तर-
चीन तथा दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों ने तीव्र आर्थिक संबृद्धि तथा मानव संसाधन विकास में निवेश से निर्धनता को कम किया है।

प्रश्न 13.
निर्धनता के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-

  1. निम्न आर्थिक संवृद्धि
  2. उच्च जनसंख्या घनत्व।

प्रश्न 14.
निर्धनता कम करने वाले कोई दो कार्यक्रमों के नाम लिखें।
उत्तर-

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
  2. संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना।

प्रश्न 15.
राजकीय विद्यालयों में निःशुल्क भोजन प्रदान करने वाले कार्यक्रम का नाम क्या है ?
उत्तर-
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

(रव) लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्धनता से क्या अभिप्राय है ? व्याख्या करें।
उत्तर-
निर्धनता से अभिप्राय है, जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता। इस न्यूनतम आवश्यकताओं में भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा तथा स्वास्थ्य संबंधी न्यूनतम मानवीय आवश्यकताएं शामिल होती हैं। इस न्यूनतम मानवीय आवश्यकताओं के पूरा न होने से मनुष्यों को कष्ट उत्पन्न होता है। स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता की हानि होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन में वृद्धि करना तथा भविष्य में निर्धनता से छुटकारा पाना कठिन हो जाता है।

प्रश्न 2.
सापेक्ष व निरपेक्ष निर्धनता में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
निरपेक्ष निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है। अर्थशास्त्रियों ने इस संबंध में निर्धनता की कई परिभाषाएं दी हैं, परंतु अधिकतर देशों में प्रति व्यक्ति उपभोग की जाने वाली कैलौरी तथा प्रति व्यक्ति न्यूनतम उपभोग व्यय स्तर द्वारा निर्धनता को मापने का प्रयत्न किया गया है जबकि दूसरी ओर, सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आकार पर निर्धनता से है। जिस देश की प्रति व्यक्ति आय-अन्य देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना में काफी कम है वह देश सापेक्ष रूप से निर्धन है।

प्रश्न 3.
निर्धन लोगों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर-
निर्धन लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है; जैसे- सूखा, अपवर्जन, भूखमरी आदि। अपवर्जन से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कुछ लोग कुछ सुविधाओं, लाभों के अपवर्जित हो जाते हैं जो कि लोग अभोग करते हैं।

प्रश्न 4.
भारत में ग़रीबी रेखा का अनुमान कैसे लगाया जाता है ?
उत्तर-
भारत में ग़रीबी रेखा का अनुमान करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकताओं, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है। इस भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है। निर्धनता रेखा का आकलन करते समय आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी की आवश्यकताओं पर आधारित है।

प्रश्न 5.
निर्धनता के मुख्य निर्धारकों का वर्णन करें।
उत्तर-
निर्धनता के अनेक पहलू हैं, सामाजिक वैज्ञानिक उसे अनेक सूचकों के माध्यम से देखते हैं। सामान्यत प्रयोग किए जाने वाले सूचक वे हैं, जो आय और उपयोग के स्तर से संबंधित हैं, लेकिन अब निर्धनता को निरक्षरता स्तर, कुपोषण
के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोज़गार के अवसरों की कमी, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुंच की कमी आदि जैसे अन्य सामाजिक सूचकों के माध्यम से को भी देखा जाता है।

प्रश्न 6.
1993-94 ई० से भारत में निर्धनता के रूझान का वर्णन करें।
उत्तर-
पिछले दो दशकों से निर्धनता रेखा को नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। अतः शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निर्धन लोगों की संख्या में काफी कमी आई है।
1993-94 में 4037 मिलियन लोग या 44.3% जनसंख्या निर्धनता रेखा को नीचे रह रही थी। निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लेगों की संख्या जो 2004-05 में 37.2% थी वह 2011-12 में और कम होकर 21.7% रह गई।

प्रश्न 7.
भारत में निर्धनता (ग़रीबी) में अंतराज्य असमानताओं का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में राज्यों के बीच निर्धनता का असमान रूप देखने को मिलता है। भारत में वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत कम होकर 21.7 हो गया है परंतु ओडिशा व बिहार दो ऐसे राज्य हैं जहां निर्धनता का प्रतिशत क्रमश: 32.6 तथा 33.7 है। इसके दूसरी ओर केरल, हिमाचल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश तमिलनाडु, गुजरात, पंजाब, हरियाणा आदि कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर निर्धनता काफी कम हुई है। इन राज्यों ने कृषि संवृद्धि दर तथा मानव पूंजी संवृद्धि में निवेश करके निर्धनता को कम किया है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 8.
भारत में निर्धनता के तीन प्रमुख कारण कौन-से हैं ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता के कारण निम्न हैं

1. जनसंख्या का अधिक दबाव (Heavy Pressure of Population)-भारत में जनसंख्या में तीव्रता स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अधिक हो गई। सन् 1951 के पश्चात् के समय को जनसंख्या विस्फोट का समय भी कहा जाता है क्योंकि उस समय जनसंख्या में तीव्रता आई। 1941-51 में जनसंख्या 1.0% थी जो 1981-91 में बढ़कर 2.1 प्रतिशत हो गई। 2011 में बढ़कर 121 करोड़ हो गई। शताब्दी के अंत तक हमारी जनसंख्या 100 करोड़ पहुंच चुकी है। देश की सम्पति का मुख्य भाग इस बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की संतुष्टि में खर्च हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप देश के विकास के लिए अन्य कार्यों में धन कम पड़ जाता है। यहीं नहीं निरंतर बढ़ती जनसंख्या से निर्भर जनसंख्या अधिक तथा कार्यशील जनसंख्या में कमी आ रही है जिस कारण उत्पादन के लिए कार्यशील जनसंख्या कम तथा निर्भर जनसंख्या अधिक है जो देश को और निर्धन बना देती है।

2. बेरोज़गारी (Unemployment)-भारत में जिस तरह जनसंख्या बढ़ रही है उसी तरह बेरोज़गारी भी निरंतर बढ़ती जा रही है। यह बढ़ती बेरोज़गारी निर्धनता को जन्म देती है जो देश के लिए अभिशाप साबित हो रही है। भारत में न केवल शिक्षित बेरोज़गारी बल्कि अदृश्य बेरोज़गारी की समस्या भी पनपती जा रही है। भारत में 2011-12 में लगभग 234 करोड़ लोग बेरोज़गार थे। वर्ष 2016-17 तक 0.59 करोड़ बेरोज़गार रहने का अनुमान है।

3. विकास की धीमी गति (Slow Growth of Development) भारत का विकास जो धीमी गति से हो रहा है इस कारण से भी निर्धनता बढ़ती जा रही है। योजनाओं की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर लगभग 4 प्रतिशत रही है परंतु जनसंख्या की वृद्धि दर लगभग 1.76 प्रतिशत होने से प्रतिशित आय में वृद्धि केवल 2-3 प्रतिशत हो गई है। 2013-14 में विकास दर 4.7% के लगभग प्राप्त की गई। भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर 1.76 प्रतिशत रही है। जनसंख्या की इस वृद्धि के अनुरूप विकास की गति धीमी है।

प्रश्न 9.
निर्धनता बेरोज़गारी को प्रकट करती है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
जनसंख्या में होने वाली तीव्र वृद्धि से दीर्घकालिक बेरोज़गारी तथा अल्प रोज़गार की समस्या उत्पन्न हुई है। दोनों सरकारी तथा निजी क्षेत्र रोज़गार संभावनाएं उत्पन्न करने में असफल रहे हैं। अनियमित निम्न आय, निम्न आवास सुविधाएं निर्धनता को बढ़ा रही हैं। शहरी क्षेत्रों में शैक्षिक बेरोज़गारी पाई जाती है जबकि गांवों में अदृश्य बेरोज़गारी पाई जाती है जो कृषि क्षेत्र से संबंधित है। इस तरह निर्धनता, बेरोज़गारी का मात्र एक प्रतिबंब है।

प्रश्न 10.
आर्थिक वृद्धि में प्रोत्साहन निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम में सहायक है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत में निर्धनता को दूर करने का एक महत्त्वपूर्ण उपाय आर्थिक विकास की गति को तीव्रता से बढ़ाता है। जब संवृद्धि की दर को बढ़ावा दिया जाता है, तो कृषि तथा औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में रोज़गार बढ़ते गए हैं, आर्थिक रोज़गार का अर्थ है कम निर्धनता। अस्सी के दशक से भारत की संवृद्धि दर विश्व में एक उभरती हुई संवृद्धि दर है। आर्थिक-संवृद्धि ने मानव विकास में निवेश द्वारा रोज़गार की संभावनाओं को बढ़ाया है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार अधिनियम-2005 की मुख्य विशेषताएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (NREGA) 2005 वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी देते हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोज़गार की सुरक्षा देता है इसमें कुल रोज़गार का 1/3 भाग महिलाओं के लिए आरक्षित है। केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर रोज़गार गारंटी के लिए कोष का निर्धारण करेंगी।

प्रश्न 12.
भारत सरकार द्वारा संचालित किन्हीं तीन ग़रीबी कम करने के कार्यक्रमों को स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत सरकार पंचवर्षीय योजनाओ के अंतर्गत निम्नलिखित उन्मूलन कार्यक्रम लागू कर रही है-

  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)-इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन तथा रोजगार सृजन हेतु ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के सदस्य को वर्ष में 100 दिन का रोज़गार प्रदान किया जाता है। इस कार्यक्रम के लिए ₹ 33.000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। वर्ष 2013-14 में 475 करोड़ परिवारों को 219.72 करोड़ रोज़गार के व्यक्ति दिवस प्रदान किये गए।
  2. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)-इस योजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024-25 तक ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक ग़रीब परिवार को एक महिला सदस्य की स्वयं सहायता समूह (SHGs) का सदस्य बनाना है ताकि वे गरीबी रेखा से ऊपर रह सके। इस मिशन में 97.391 गाँवों को कवर करते हुए 20 लाख स्वयं सहायता समूह बनाए हैं जिसमें से 3.8 लाख नए SHGs हैं। वर्ष 2013-14 के दौरान ₹ 22121.18 करोड़ को बैंक शाख इन SHGs को प्रदान की जा चुकी है। वर्ष 2014-15 में NREM के लिए ₹ 3560 करोड़ की राशि आबंटित की गई है।
  3. राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) सितम्बर, 2013 में स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना (SISRY) को बदलकर इसका नाम NULM रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य शहरी गरीब परिवारों को कौशल निर्माण तथा प्रशिक्षण द्वारा लाभदायक रोज़गार के अवसर प्रदान करता है तथा शहरी बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करना। वर्ष 201314 में NULM के अंतर्गत ₹720.43 करोड़ प्रदान किये गए हैं। इससे 6,83,542 लोगों का कौशल प्रशिक्षण हुआ है और 1,06,205 लोगों को स्वरोजगार प्रदान किया गया है।

अन्य अभ्यास के प्रश्न

आइए चर्चा करें :

प्रश्न 1.
चर्चा करें कि आपके गांव अथवा नगर में गरीब परिवार किन दशाओं में रहते हैं ?
उत्तर-
हमारे गांव अथवा नगर में निर्धन परिवारों को अनियमित रोज़गार अवसर, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, रहने की खराब दशाएं हैं तथा अपने बच्चे को पाठशालाओं में भी नहीं भेजते हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण व नगरीय निर्धनता के दिए गए उदाहरणों के अध्ययन के पश्चात् निर्धनता के निम्नलिखित कारणों पर चर्चा करके मालूम करें कि कहानी में दिए गए परिवारों की निर्धनता का कारण निम्नलिखित कारणों में है अथवा कोई अन्य कारण है।

  • भूमिहीन परिवार
  • बेरोज़गारी
  • परिवार का दीर्घ (बड़ा आकार)
  • अशिक्षा
  • कमज़ोर स्वास्थ्य और कुपोषित।

उत्तर-
भूमिहीन परिवार-दोनों ही मामलों में परिवार भूमिहीन हैं। उनके पास कृषि के लिए भूमि नहीं है जिसके कारण वे गरीब हैं।
बेरोज़गारी-ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के दोनों ही मामलों में लोग बेरोज़गार हैं । वे बहुत ही कम मज़दूरी पर कार्य कर रहे हैं जिसमें उनका पेट भी नहीं भरता।
बड़ा परिवार-उनके परिवारों का आकार भी बड़ा है जो कि उनकी गरीबी का कारण है।
अशिक्षा-परिवार अशिक्षित हैं। वे अपने बच्चों को भी पाठशाला नहीं भेज पा रहे जिससे वे गरीबी में जकड़े हुए हैं।
कमज़ोर स्वास्थ्य और कुपोषित-गरीबी के कारण उनका स्वास्थ्य कमज़ोर है क्योंकि खाने को भरपेट नहीं मिलता। बच्चे कुपोषित हैं उनके लिए जूते, साबुन एवं तेल जैसी वस्तुएं भी आरामदायक वस्तुओं की श्रेणी में आती हैं।
ग्राफ 3.1 वर्ष 2011-12 दौरान चयन
PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता भारत के सम्मुख एक चुनौती
स्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 वित मंत्रालय, भारत सरकार

आइए चर्चा करें

  1. ग्राफ 3.1 को देखिए, पांच सबसे अधिक निर्धन लोगों की प्रतिशतता वाले राज्यों के नाम लिखिए।
  2. उन राज्यों के नाम बताइए जहां निर्धनता के अनुमान 22% में कम तथा 15% से अधिक है।
  3. उन राज्यों के नाम बताइए जहां सबसे अधिक तथा सबसे कम निर्धनता प्रतिशतता है।

उत्तर-

  1. पांच राज्य जिनमें सबसे अधिक निर्धनता की प्रतिशतता है
    • बिहार
    • उड़ीसा
    • आसाम
    • महाराष्ट्र
    • उत्तर प्रदेश।
  2.  ऐसे राज्य पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र तथा गुजरात हैं।
  3. सबसे अधिक निर्धनता प्रतिशतता बिहार तथा सबसे कम केरल में है।

PSEB 9th Class Social Science Guide निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1993-94 में भारत में निर्धनों का प्रतिशत था :
(क) 44.3%
(ख) 32%
(ख) 19.3%
(ग) 38.3%.
उत्तर-
(क) 44.3%

प्रश्न 2.
इनमें कौन निर्धनता निर्धारण का मापक है ?
(क) व्यक्ति गणना अनुपात
(ख) सेन का सूचकांक
(ग) निर्धनता अंतराल सूचकांक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) सेन का सूचकांक

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 3.
किस देश में डॉलर में प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है ?
(क) U.S.A.
(ख) स्विट्ज़रलैंड
(ग) नार्वे
(घ) जापान।
उत्तर-
(ग) नार्वे

प्रश्न 4.
किस प्रकार की निर्धनता दो देशों में तुलना को संभव बनाती है ?
(क) निरपेक्ष
(ख) सापेक्ष
(ग) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) सापेक्ष

प्रश्न 5.
कौन-सा राज्य भारत में सबसे अधिक निर्धन राज्य है ?
(क) ओडिशा
(ख) बिहार
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) ओडिशा

रिक्त स्थान भरें:

  1. ……….. से अभिप्राय है, जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता।
  2. ……….. निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से
  3. ………….. निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति-आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।
  4. निर्धनता के ………….. प्रकार है।
  5. ………… वह है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है. जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकता को संतुष्ट कर सकते हैं।

उत्तर-

  1. निर्धनता
  2. सापेक्ष
  3. निरपेक्ष
  4. दो
  5. निर्धनता रेखा।

सही/गलत :

  1. निर्धनता के दो प्रकार हैं-सापेक्ष व निरपेक्ष निर्धनता।
  2. निर्धनता भारत की मुख्य समस्या है।
  3. व्यक्ति गणना अनुपात निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या को दर्शाती है।
  4. बढ़ रही जनसंख्या बढ़ रही निर्धनता को प्रकट करती है।
  5. व्यक्ति गणना अनुपात तथा निर्धनता प्रमाण अनुपात समान मदें हैं।

उत्तर-

  1. सही
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. सही।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
भारत में विश्व जनसंख्या का कितना भाग निवास करता है ?
उत्तर-
भारत में विश्व का \(\frac{1}{5}\) भाग निवास करता है।

प्रश्न 2.
UNICEF के अनुसार भारत में पांच वर्ष से कम आयु के मरने वाले बच्चों की संख्या क्या है ?
उत्तर-
लगभग 2.3 मिलियन बच्चे।

प्रश्न 3.
वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का प्रतिशत क्या था ?
उत्तर-
21.7 प्रतिशत।

प्रश्न 4.
निर्धनता के प्रकार क्या हैं ?
उत्तर-

  1. निरपेक्ष निर्धनता
  2. सापेक्ष निर्धनता।

प्रश्न 5.
कैलोरी क्या होती है ?
उत्तर-
एक व्यक्ति एक दिन में जितना भोजन करता है उसमें प्राप्त शक्ति को कैलोरी करते हैं।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के सामने भावी चुनौती क्या है ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता में निश्चित रूप में कमी आई है परंतु प्रगति के बावजूद निर्धनता उन्मूलन भारत की एक सबसे बाध्यकारी चुनौती है। भावी चुनौती निर्धनता की अवधारणा का विस्तार ‘मानव निर्धनता’ के रूप में होने से है। अतः भारत के सामने सभी को स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, रोज़गार सुरक्षा उपलब्ध कराना, लैंगिक समता तथा निर्धनों का सम्मान जैसी बड़ी चुनौतियां होंगी।

प्रश्न 2.
ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्र में कैलोरी में अंतर क्यों है ?
उत्तर-
यह अंतर इसलिए है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग शारीरिक काम अधिक करते हैं जिससे उन्हें अधिक थकावट होती है। नगरीय लोगों की तुलना में उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
निर्धनता दूर करने के लिए उपाय बताएं।
उत्तर-
निर्धनता को निम्नलिखित उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है-

  1. लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन।
  2. भारी उद्योग व हरित क्रांति के लिए प्रोत्साहन
  3. जनसंख्या नियंत्रण
  4. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करना।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम क्या है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम’ को 2004 में सबसे पिछड़े 150 जिलों में निर्धनता उन्मूलन के लिए लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण कार्यक्रमों के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।

प्रश्न 5.
निर्धनताग्रस्त कौन लोग हैं ?
उत्तर-
अनुसूचित जनजातियां, अनुसूचित जातियां, ग्रामीण खेतिहर मज़दूर, नगरीय अनियमित मज़दूर, वृद्ध लोग, ढाबों में काम करने वाले बच्चे, झुग्गियों में रहने वाले लोग, भिखारी आदि निर्धनताग्रस्त लोग हैं।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम क्या है ?
उत्तर-
यह विधेयक सितंबर, 2005 में पारित किया गया है जो प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। बाद में इसका विस्तार 600 जिलों में किया जाएगा। इसमें एक तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम क्या है ? ।
उत्तर-
इस कार्यक्रम को वर्ष 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती के इच्छुक हैं। इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण कार्यक्रम के रूप में किया गया है और राज्यों को खाद्यान्न निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

प्रश्न 8.
प्रधानमंत्री रोजगार योजना पर नोट लिखें।
उत्तर-
यह योजना वर्ष 1993 में आरंभ की गई है। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। उन्हें लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने में सहायता दी जाती है।

प्रश्न 9.
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम पर नोट लिखें।
उत्तर-
इसे वर्ष 1995 में आरंभ किया गया है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों व छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोज़गार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

प्रश्न 10.
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन करें।
उत्तर-
इसका आरंभ वर्ष 1999 में किया गया है जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।

PSEB 9th Class SST Solutions Economics Chapter 3 निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती

प्रश्न 11.
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना क्या है ?
उत्तर-
इसे वर्ष 2000 में आरंभ किया गया है। इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 12.
वैश्विक निर्धन परिदृश्य पर नोट लिखें।
उत्तर-
विकासशील देशों में अत्यंत आर्थिक निर्धनता (विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन 1 डॉलर से कम पर जीवन-निर्वाह करना) में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 28.प्रतिशत से गिरकर 2001 में 21 प्रतिशत हो गया है। यद्यपि वैश्विक निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है, लेकिन, इसमें बृहत्त क्षेत्रीय भिन्नताएं पाई जाती हैं।

प्रश्न 13.
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर-
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण आय अथवा उपभोग स्तरों के आधार पर किया जाता है। आय आकलन के आधार पर 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 328 प्रतिमाह और शहरी क्षेत्रों में ₹ 454 प्रतिमाह किया गया था। उपभोग आकलन के आधार पर भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है।

प्रश्न 14.
निर्धनता के मुख्य आयाम क्या हैं ?
उत्तर-
निर्धनता के मुख्य आयाम निम्नलिखित हैं-

  1. निर्धनता का अर्थ भूख एवं आवास का अभाव है।
  2. निर्धनता का अर्थ शुद्ध जल की कमी एवं और सफाई सुविधाओं का अभाव है।
  3. निर्धनता एक ऐसी स्थिति है, जब माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेज पाते या कोई बीमार आदमी इलाज नहीं करवा पाता।
  4. निर्धनता का अर्थ नियमित रोज़गार की कमी भी है तथा न्यूनतम शालीनता स्तर का अभाव भी है।
  5. निर्धनता का अर्थ असहायता की भावना के साथ जीना है।

प्रश्न 15.
अगले दस या पंद्रह वर्षों में निर्धनता के उन्मूलन में प्रगति होगी। इसके लिए उत्तरदायी कुछ कारण बताएं।
उत्तर-

  1. सार्वभौमिक निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा वृद्धि पर ज़ोर देना।
  2. आर्थिक संवृद्धि।
  3. जनसंख्या संवृद्धि में गिरावट।
  4. महिलाओं की शक्तियों में वृद्धि।

प्रश्न 16.
निर्धनता विरोधी कार्यक्रमों का परिणाम मिश्रित रहा है। कुछ कारण बताएं।
उत्तर-

  1. अति जनसंख्या।
  2. भ्रष्टाचार।
  3. कार्यक्रमों के उचित निर्धारण की कम प्रभावशीलता।
  4. कार्यक्रमों की अधिकता।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर-

  1. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम सन् 2004 में देश के 150 सबसे अधिक पिछड़े जिलों में शुरू किया गया।
  2. यह कार्यक्रम सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
  3. इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम के रूप में किया गया है।

प्रश्न 18.
भारत में निर्धनता के कारण बताएं।
उत्तर-
भारत में निर्धनता के कारण निम्नलिखित हैं-

  1. ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर।
  2. वैकल्पिक व्यवसाय न होने के कारण ग्रामीण लोगों की मात्र कृषि पर निर्भरता होना।
  3. आय की असमानताएं।
  4. जनसंख्या वृद्धि।
  5. सामाजिक कारण जैसे-निरक्षरता, बड़ा परिवार, उत्तराधिकार कानून और जाति-प्रथा आदि।
  6. सांस्कृतिक कारण जैसे-मेलों, त्योहारों आदि पर फिजूलखर्ची।
  7. आर्थिक कारण-ऋण लेकर उसे न चुका पाना।
  8. अक्षमता एवं भ्रष्टाचार के कारण निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों का प्रभावी ढंग से न लागू होना।

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प्रश्न 19.
निर्धनता उन्मूलन के कोई चार कार्यक्रमों का उल्लेख करें।
उत्तर-
ये निम्नलिखित हैं

  1. प्रधानमंत्री रोजगार योजना-इसे 1993 में प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। .
  2. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 1995 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।
  3. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना-इसका आरंभ 1999 में किया गया जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्व-सहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
  4. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना-इसका आरंभ 2000 में किया गया जिसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण, आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

प्रश्न 20.
निर्धनता का सामाजिक अपवर्जन क्या है ?
उत्तर-
इस अवधारणा के अनुसार निर्धनता को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि निर्धनों को बेहतर माहौल और अधिक अच्छे वातावरण में रहने वाले संपन्न लोगों की सामाजिक समता से अपवर्जित रहकर केवल निकृष्ट वातावरण में दूसरे निर्धनों के साथ रहना पड़ता है। सामान्य अर्थ में सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण व परिणाम दोनों हो सकता है। मोटे तौर पर यह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति या समूह उन सुविधाओं, लाभों और अवसरों से अपवर्जित रहते हैं, जिनका उपभोग दूसरे करते हैं। इसका एक विशिष्ट उदाहरण भारत में जाति-व्यवस्था की कार्यशैली है, जिसमें कुछ जातियों के लोगों को समान अवसरों से अपवर्जित रखा जाता है।

प्रश्न 21.
निर्धनता की असुरक्षा धारणा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निर्धनता के प्रति असुरक्षा एक माप है जो कुछ विशेष समुदाय या व्यक्तियों के भावी वर्षों में निर्धन होने या निर्धन बने रहने की अधिक संभावना जताता है। असुरक्षा का निर्धारण परिसंपत्तियों, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती अवसरों के रूप में जीविका खोजने के लिए विभिन्न समुदायों के पास उपलब्ध विकल्पों से होता है। इसके अलावा, इसका विश्लेषण प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवाद आदि मामलों में इन समूहों के समक्ष विद्यमान बड़े जोखिमों के आधार पर किया जाता है। अतिरिक्त विश्लेषण इन जोखिमों से निपटने की उनकी सामाजिक और आर्थिक क्षमता के आधार पर किया जाता है। वास्तव में, जब सभी लोगों के लिए बुरा समय आता है, चाहे कोई बाढ हो या भूकंप या फिर नौकरियों की उपलब्धता में कमी, दूसरे लोगों की तुलना में अधिक प्रभावित होने की बड़ी संभावना का निरूपण ही असुरक्षा है।

प्रश्न 22.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय असमानताएं क्या हैं ?
उत्तर-
भारत में निर्धनता का एक और पहलू है। प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है। यद्यपि 1970 के दशक के प्रारंभ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक कमी हुई है, निर्धनता कम करने में सफलता की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। हाल के अनुमान दर्शाते हैं कि 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। दूसरी ओर, निर्धनता अब भी उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश की एक गंभीर समस्या है। इसकी तुलना में केरल, जम्मू व कश्मीर, आंध्र प्रदेश, गुजरात राज्यों में निर्धनता में कमी आई है।

प्रश्न 23.
राष्ट्रीय ग्रामीण बेरोज़गारी उन्मूलन विधेयक (NREGA) की, गरीबी उन्मूलन में सहायक प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय बेरोज़गारी उन्मूलन विधेयक की मुख्य विशेषताएं हैं-

  1. यह विधेयक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है। यह विधेयक 600 जिलों में लागू करने का प्रस्ताव है जिससे निर्धनता को हटाया जा सके।
  2. प्रस्तावित रोज़गारों का एक तिहाई रोज़गार महिलाओं के लिए आरक्षित है।
  3. कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोज़गार भत्ते का हकदार होगा।

प्रश्न 24.
निर्धनता के समक्ष निरूपाय दो सामाजिक तथा दो आर्थिक समुदायों के नाम लिखिए। इस प्रकार के समुदाय के लिए और अधिक बुरा समय कब आता है ?
उत्तर-
निर्धनता के समक्ष निरूपाय दो सामाजिक समुदायों के नाम हैं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के परिवार जबकि आर्थिक समुदाय में ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियप्त मज़दूर परिवार हैं। इन समुदायों के लिए और अधिक बुरा समय तब आता है जब महिलाओं, वृद्ध लोगों और बच्चियों को भी सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुंच से वंचित किया जाता है।

प्रश्न 25.
भारत में निर्धनता को कम करने के किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सरकार द्वारा निर्धनता को कम करने के लिए सरकार ने कई कार्यक्रम अपनाए हैं

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना, 2005 को सितंबर में पारित किया गया। यह विधेयक प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोज़गार का प्रावधान करता है।
  2. दूसरा, राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम है जिसे 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था।
  3. प्रधानमंत्री रोजगार योजना एक रोजगार सृजन योजना है, जिसे 1993 में आरंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।

प्रश्न 26.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की किन्हीं तीन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की मुख्य विशेषताएं हैं-

  1. सार्वजनिक वितरण – प्रणाली भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है।
  2. राशन कार्ड रखने वाला कोई भी परिवार प्रतिमाह अनाज की एक अनुबंधित मात्रा निकटवर्ती राशन की दुकानों से खरीद सकता है।
  3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लक्ष्य दूर-दराज और पिछड़े क्षेत्रों में सस्ता अनाज पहुंचाना था।

प्रश्न 27.
परिवारों के सदस्यों के मध्य आय की असमानता किस प्रकार प्रतिबिंबित होती है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
परिवार के विभिन्न सदस्यों की आय भिन्न-भिन्न होती है तो यह आय की असमानता को प्रतिबिंबित करती है। उदाहरण के लिए एक परिवार में 5 सदस्य हैं। उनकी आय का विवरण निम्नलिखित है-

परिवार के सदस्य मासिक आय (₹ में)
1 40,000
2 25,000
3 20,000
4 10,000
5 3,000

उपरोक्त तालिका में स्पष्ट है कि इस परिवार के सदस्यों के बीच आय की असमानता अधिक है। पहले सदस्य की आय जहां ₹ 40,000 मासिक है वहीं पाँचवें सदस्य की आय ₹ 3,000 मासिक है।

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प्रश्न 28.
भारत में निर्धनता उन्मूलन के लिए विकसित किए गए किन्हीं पांच कार्यक्रमों पर नोट लिखिए।
उत्तर-
भारत में निर्धनता विरोधी पांच कार्यक्रम निम्नलिखित हैं-

  1. प्रधानमंत्री रोजगार योजना-इसे 1993 में प्रारंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
  2. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 1995 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
  3. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना-इसे 1999 में आरंभ किया गया जिसका उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों में संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायिकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
  4. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना-इसे 2000 में आरंभ किया गया जिसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य, प्रारंभिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
  5. अंत्योदय अन्न योजना-यह योजना दिसंबर, 2000 में शुरू की गई थी जिसके अंतर्गत लक्षित वितरण प्रणाली में आने वाली निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई है।

प्रश्न 29.
“दो अग्रभागों पर असफलता : आर्थिक संवृद्धि को बढ़ाना तथा जनसंख्या नियंत्रण के कारण निर्धनता का चक्र स्थिर है।” इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
निम्नलिखित कारणों से निर्धनता का चक्र स्थिर है।

  1. राज्यों की असमान वृद्धि दरें।
  2. औद्योगिक की दर का जनसंख्या वृद्धि दर से कम होना।
  3. शहरों की ओर प्रयास।
  4. ऋण-ग्रस्तता के ऊंचे स्तर।
  5. सामाजिक बंधन।
  6. भूमि का असमान वितरण।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण कैसे होता है ? .
उत्तर-
योजना आयोग ने “गरीबी रेखा की भौतिक उत्तरजीविता” (Physical survival) की संघटना को छठी योजना तक अपनाया, जिसके अनुसार उसने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक दिन में एक व्यक्ति के लिए 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्रों के लिए एक दिन में 2100 कैलोरी की न्यूनतम पौषिक आवश्यकताओं के आधार पर परिभाषित किया। इस कैलोरी अन्तर्ग्रहण को फिर मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में परिवर्तित किया जाता है। योजना आयोग को एक विधि एक अध्ययन समूह, जिसमें डी० आर, गाडगिल, पी० एस० लोकनाथ, बी० एन० गांगुली और अशोक मेहता थे, ने सुझाई। इस समूह ने राष्ट्रीय गरीबी रेखा का निर्धारण किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि 1960-61 कीमतों पर ₹ 20 प्रति व्यक्ति प्रति मास निजी उपभोग व्यय न्यूनतम निर्वाह स्तर है। यह राशि चौथी योजना के लिए निश्चित की गई। बाद की योजनाओं में कीमतों के बढ़ने से यह राशि ऊँचे स्तर पर निश्चित की गई जो उन योजनाओं में गरीबी रेखा निर्धारित की गई। छठी योजना में ₹ 77 प्रति व्यक्ति प्रति मास ग्रामीण जनसंख्या के लिए ₹ 88 प्रति व्यक्ति मास शहरी जनसंख्या के लिए गरीबी रेखा का स्तर निर्धारित किया। इस आधार पर 1977-78 में 50.82 प्रतिशत ग्रामीण तथा 38.19 शहरी जनसंख्या निर्धन थी। दोनों को इकट्ठा कर लेने पर कुल जनसंख्या 48.13 प्रतिशत निर्धन थी।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा अपने 55वें दौर के सर्वेक्षण (जुलाई 1999-जून 2000) में उपभोक्ता व्यय के सम्बन्ध में उपलब्ध कराए गए अद्यतन वृहद् नमूना सर्वेक्षण आँकड़ों के अनुसार 30 दिवसीय प्रत्यावहन के आधार पर देश में गरीबी अनुपात ग्रामीण क्षेत्रों में 27.09 प्रतिशत अनुमानित है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के अनुपात में वर्ष 1973-74 में 54.54% से निरन्तर गिरावट आई है जो वर्ष 1991-2000 में 27.09 प्रतिशत के स्तर तक पहँच गई। इस तरह, देश में अभी भी लगभग 20 करोड़ ग्रामीण जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन व्यतीत कर रही है। यद्यपि देश में गरीबी में व्यापक स्तर पर गिरावट आई है। फिर भी ग्रामीण गरीबी अनुपात अभी भी उड़ीसा, बिहार तथा उत्तरी पूर्व राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक है।

प्रश्न 2.
निर्धनता को दूर करने के उपाय बताएं।
उत्तर-
ये उपाय निम्न हैं

1. पूँजी निर्माण की दर को बढ़ाना (High Rate of Capital Formation)-यह तो सब जानते हैं कि पूँजी निर्माण की दर जितनी ऊँची होगी, साधारणतया आर्थिक विकास भी उतनी ही तीव्र गति से सम्भव हो सकेगा। इसका कारण यह है कि विकास के प्रत्येक कार्यक्रम के लिए चाहे उसका सम्बन्ध कृषि की उत्पादकता में वृद्धि लाने से हो अथवा औद्योगीकरण या शिक्षा या स्वास्थ्य की व्यवस्था बढ़ने से हो, अधिकाधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता होती है। यदि पर्याप्त मात्रा में पूँजी उपलब्ध है तो विकास का कार्य ठीक प्रकार से चल सकेगा अन्यथा नहीं। अतः देश में पूँजी निर्माण की ओर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है। पूँजी निर्माण के लिए आवश्यक है कि लोग अपनी कुल आय को वर्तमान उपभोग पर व्यय न करके उसके एक भाग को बचाएँ और उसे उत्पादन कार्यों में विनियोग करें अथवा लगाएं। इस दृष्टि से हमें चाहिए कि हर ढंग से लोगों को प्रोत्साहित करें कि वे उपभोग के स्तर को सीमित करें। फिजूलखर्चों से बचें और आय के अधिकाधिक भागों को बचाकर उत्पादन क्षेत्र में लगाएँ। देश में साख मुद्रा और कर सम्बन्धी नीतियों में ठीक परिवर्तन लाकर पूँजी निर्माण की दर को ऊपर उठाया जा सकता है।

2. उत्पादन नीतियों में सुधार (Improved Methods of Production) उत्पादन की आधुनिक विधियाँ और साज समान को अपनाना चाहिए, तभी उत्पादन की मात्रा में अधिकाधिक वृद्धि लाकर लोगों का जीवन-स्तर ऊपर उठाया जा सकता है। लेकिन ऐसा करते समय हमें अपनी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा। केवल उन्नत देशों की नकल से काम नहीं चलेगा। कारण, उनकी और हमारी परिस्थितियों में बहुत बड़ा अन्तर है। हमें चाहिए कि ऐसे नए तरीकों और साज-समान को अपनाएँ जिनमें अपेक्षाकृत बहुत अधिक मात्रा में पूँजी की आवश्यकता न पड़ती हो और श्रम की अधिक खपत हो सकती हो।

3. न्यायोचित वितरण (Better Distribution)-पूँजी-निर्माण की दर को ऊँचा करने तथा उत्पादन के नए तरीकों को अपनाने से उत्पादन को मात्रा में निश्चय ही भारी वृद्धि होगी। फलस्वरूप राष्ट्रीय आय में वृद्धि लाने से ही सर्वसाधारण की ग़रीबी दूर न होगी, उनका जीवन स्तर ऊपर न उठ सकेगा। साथ ही उसके ठीक विभाजन व वितरण के लिए भी आर्थिक व्यवस्था करना आवश्यक है जिससे आय और सम्पत्ति की विषमता घटे और देश में आर्थिक शक्ति का अधिक समान वितरण सम्भव हो सके। हमें ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे जिन लोगों की आय बहुत कम है, उन की आय बढ़े और उन्हें अधिक लाभप्रद अवसर मिलें और साथ ही जिससे धन का संचय एक स्थान पर न होने पाए तथा समृद्धिशालियों के साधनों में अपेक्षाकृत कमी हो।

4. जनसंख्या पर नियन्त्रण (Population Control)-देश के तीव्र आर्थिक विकास के लिए हमें एक और कार्य करना होगा। वह है तेज़ी से बढ़ती हुई देश की भारी जनसंख्या पर नियन्त्रण करना। जब लोगों की आय और व्यय का स्तर नीचा होता है और जनसंख्या में वृद्धि का क्रम ऊँचा होता है तो आर्थिक विकास की गति में भारी रुकावट पैदा होती है। कारण, ऐसी परिस्थिति में श्रमिकों को बढ़ती हुई संख्या के लिए उपभोक्ता पदार्थों (Consumer’s goods) की आवश्यकताएँ और लाभप्रद रोज़गार की कमी है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार

SST Guide for Class 8 PSEB स्त्रियां तथा सुधार Textbook Questions and Answers

I. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
सती प्रथा को कब, किसने तथा किसके प्रयास से अवैध घोषित किया गया था ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लार्ड विलियम बैंटिक ने राजा राममोहन राय के प्रयत्नों से अवैध घोषित किया था।

प्रश्न 2.
किस वर्ष में विधवा-विवाह कराने की कानूनी तौर पर आज्ञा दी गई ?
उत्तर-
विधवा-विवाह कराने की कानूनी आज्ञा 1856 ई० में दी गई।

प्रश्न 3.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (विश्वविद्यालय) की स्थापना कब तथा किसने की ?
उत्तर-
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 ई० में सर सैय्यद अहमद खां ने की। उस समय इसका नाम मोहम्मडन एंग्लो-ओरियेंटल कालेज था।

प्रश्न 4.
नामधारी आन्दोलन की स्थापना कब, कहां तथा किसके द्वारा हुई ?
उत्तर-
नामधारी आन्दोलन की स्थापना 13 अप्रैल, 1857 को भैणी साहिब (लुधियाना) में श्री सतगुरु राम सिंह जी द्वारा हुई।

प्रश्न 5.
सिंह सभा लहर ने स्त्री शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहां-कहां शिक्षण संस्थाएं स्थापित की ?
उत्तर-
सिंह सभा ने स्त्री-शिक्षा के लिए फ़िरोज़पुर, कैरो तथा भमौड़ में शिक्षण संस्थाएं स्थापित की।

प्रश्न 6.
दूसरे विवाह पर प्रतिबन्ध कब तथा किसके प्रयास से लगाया गया था ?
उत्तर-
दूसरे विवाह पर प्रतिबन्ध 1872 ई० में केशव चन्द्र सेन के प्रयासों से लगाया गया था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार

प्रश्न 7.
राजा राममोहन राय द्वारा स्त्रियों के उद्धार से सम्बन्धित दिए गए योगदान का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
राजा राममोहन राय 19वीं शताब्दी के महान् समाज सुधारक थे। उनका मानना था कि समाज तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं दिये जाते।

  • उन्होंने समाज में से सती-प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रचार किया। उन्होंने विलियम बैंटिंक की सरकार को विश्वास दिलाया कि सती-प्रथा का प्राचीन धार्मिक शास्त्रों में कोई स्थान नहीं है। उनके तर्कों एवं प्रयत्नों के परिणामस्वरूप सरकार ने 1829 ई० में सती-प्रथा पर कानून द्वारा रोक लगा दी।
  • उन्होंने महिलाओं की भलाई के लिए कई लेख लिखे।
  • उन्होंने बाल-विवाह एवं बहु-विवाह की निन्दा की तथा कन्या वध का विरोध किया।
  • उन्होंने पर्दा प्रथा को महिला विकास के मार्ग में बाधा बताते हुए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई।
  • उन्होंने नारी-शिक्षा का प्रचार किया। वह विधवा-विवाह के भी पक्ष में थे।
  • उन्होंने महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में अधिकार दिये जाने पर बल दिया।

प्रश्न 8.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर द्वारा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए दिये गये योगदान का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर एक महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने महिलाओं के हित के लिए कड़ा परिश्रम किया तथा कन्याओं की शिक्षा के लिए अपने खर्च पर बंगाल में लगभग 25 स्कूल स्थापित किये। उन्होंने विधवा-विवाह के पक्ष में अथक संघर्ष किया। उन्होंने 1855-60 ई० के बीच लगभग 25 विधवा विवाह करवाये। उनके प्रयत्नों से 1856 ई० में हिन्दू विधवा-विवाह कानून पास किया गया। उन्होंने बाल-विवाह का खण्डन किया।

प्रश्न 9.
सर सैय्यद अहमद खां द्वारा स्त्रियों के उद्धार के लिए किये गये प्रयासों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
सर सैय्यद अहमद खां इस्लामी समाज का सुधार करना चाहते थे। उनका मानना था कि समाज तभी समद्ध बन सकता है यदि महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना जाये। उन्होंने बालकों एवं बालिकाओं का बहुत ही छोटी आयु में विवाह करने का घोर विरोध किया। उन्होंने तलाक प्रथा के विरुद्ध जोरदार आवाज़ उठाई। उन्होंने पर्दा-प्रथा का भी खण्डन किया। उनका कहना था कि पर्दा मुस्लिम महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तथा उनके विकास के मार्ग में एक बाधा है। वह समाज में प्रचलित दासता की प्रथा को उचित नहीं मानते थे। उन्होंने समाज में विद्यमान बुराइयों को दूर करने के लिए ‘तहज़ीब-उल-अखलाक’ नामक समाचार-पत्र निकाला। सर सैय्यद अहमद खां ने समाज में अशिक्षा को समाप्त करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। वह धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी शिक्षा प्रदान करने के पक्षधर थे।

प्रश्न 10.
स्वामी दयानन्द जी द्वारा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए दिये गये योगदान का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने इस बात पर बल दिया कि समाज में महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने बालक एवं बालिकाओं के बहुत ही छोटी आयु में विवाह की प्रथा, अर्थात् बाल-विवाह का कड़ा विरोध किया। वे विधवा-विवाह के पक्षधर थे। उन्होंने विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा आश्रम स्थापित किये। उनके द्वारा स्थापित संस्था आर्य समाज ने सती प्रथा तथा दहेज प्रथा का खण्डन किया। असहाय कन्याओं को सिलाई-कढ़ाई के काम का प्रशिक्षण देने के लिए उन्होंने अनेक केन्द्र स्थापित किये। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया तथा भारत के विभिन्न भागों में कन्याओं की शिक्षा के लिए स्कूल खोले।

प्रश्न 11.
19वीं सदी में स्त्रियों (महिलाओं) की दशा का वर्णन करें।।
उत्तर-
19वीं सदी में भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा दयनीय थी। उस समय भारत में सती प्रथा, कन्या हत्या, दास प्रथा, पर्दा, प्रथा, विधवा विवाह निषेध तथा बहु-विवाह आदि कुरीतियों ने महिलाओं का जीवन दूभर बना दिया था। भारतीय समाज में से इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए 19वीं शताब्दी में धार्मिक-सामाजिक आन्दोलन आरम्भ किये गये।
स्त्रियों की दशा को दयनीय बनाने वाली मुख्य कुरीतियां-

1. कन्या-वध-समाज में कन्या के जन्म को अशुभ समझा जाता था, जिसके कई कारण थे। प्रथम, कन्याओं के . विवाह पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ता था जो आम आदमी के वश की बात नहीं थी। दूसरे, माता-पिता को अपनी कन्याओं के लिए योग्य वर खोजना कठिन हो जाता था। तीसरे, यदि कोई माता-पिता अपनी कन्या का विवाह नहीं कर पाते थे तो इसे बुरा माना जाता था। अतः अनेक लोग कन्या को जन्म लेते ही मार देते थे।

2. बाल-विवाह-कन्याओं का विवाह छोटी आयु में ही कर दिया जाता था। इसलिए कन्याएं प्रायः अनपढ़ (अशिक्षित) ही रह जाती थीं। यदि किसी लड़की का पति छोटी आयु में ही मर जाता था तो उसे सती कर दिया जाता था या फिर उसे जीवन भर विधवा ही रहना पड़ता था।

3. सती-प्रथा-सती-प्रथा के अनुसार यदि किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती थी, तो उसे जीवित ही पति की चिता पर जला दिया जाता था।

4. विधवा-विवाह निषेध-समाज की ओर से विधवा-विवाह पर कड़ी रोक लगाई गई थी। विधवा का समाज में अनादर किया जाता था। उनके केश काट दिये जाते थे और उन्हें सफेद वस्त्र पहना दिए जाते थे।

5. पर्दा-प्रथा-पर्दा-प्रथा के अनुसार महिलाएं सदा पर्दा करके ही रहती थीं। इसका उनके स्वास्थ्य एवं विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता था।

6. दहेज-प्रथा-दहेज-प्रथा के अनुसार विवाह के समय पर कन्या को दहेज दिया जाता था। निर्धन लोगों को दहेज देने के लिए साहूकारों से ऋण लेना पड़ता था। अतः कई कन्याएं आत्म-हत्या कर लेती थीं।

7. महिलाओं को अशिक्षित रखना- अधिकतर लोगों द्वारा कन्याओं को शिक्षा नहीं दी जाती थी। उनको शिक्षित करना व्यर्थ माना जाता था, ताकि शिक्षा द्वारा उन्हें आवश्यकता से अधिक स्वतन्त्रता न मिल सके। कन्याओं को शिक्षित करना समाज के लिए भी हानिकारक माना जाता था।

8. हिन्दू समाज में महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार न देना-हिन्दू समाज में महिलाओं को अपनी पैतृक सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता था।

प्रश्न 12.
स्त्रियों की दशा सुधारने तथा शिक्षा के बारे में अलग-अलग समाज सुधारकों के विचारों तथा प्रयासों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्त्रियों की दशा सुधारने तथा शिक्षा के बारे में भिन्न-भिन्न समाज सुधारकों के विचारों तथा प्रयासों का वर्णन इस प्रकार है

1. राजा राममोहन राय-राजा राममोहन राय 19वीं शताब्दी के महान् समाज-सुधारक थे। उनका मानना था कि समाज तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं दिये जाते।

  • उन्होंने समाज में से सती-प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रचार किया। उन्होंने विलियम बैंटिक की सरकार को विश्वास दिलाया कि सती-प्रथा का प्राचीन धार्मिक शास्त्रों में कोई स्थान नहीं है। उनके तर्कों एवं प्रयत्नों के परिणामस्वरूप सरकार ने 1829 ई० में सती-प्रथा पर कानून द्वारा रोक लगा दी।
  • उन्होंने महिलाओं की भलाई के लिए कई लेख लिखे।
  • उन्होंने बाल-विवाह एवं बहु-विवाह की निन्दा की तथा कन्या वध का विरोध किया।
  • उन्होंने पर्दा-प्रथा को महिला विकास के मार्ग में बाधा बताते हुए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई।
  • उन्होंने नारी-शिक्षा का प्रचार किया। वह विधवा-विवाह के भी पक्ष में थे।
  • उन्होंने महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में अधिकार दिये जाने पर बल दिया।

2. ईश्वर चन्द्र विद्यासागर-ईश्वर चन्द्र विद्यासागर एक महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने महिलाओं के हित के लिए कड़ा परिश्रम किया तथा कन्याओं की शिक्षा के लिए अपने खर्च पर बंगाल में लगभग 25 स्कूल स्थापित किये। उन्होंने विधवा-विवाह के पक्ष में अनथक संघर्ष किया। उन्होंने 1855-60 ई० के बीच लगभग 25 विधवा विवाह करवाये। उनके प्रयत्नों से 1856 ई० में हिन्दू विधवा-विवाह कानून पास किया गया। उन्होंने बाल-विवाह का खण्डन किया।

3. सर सैय्यद अहमद खां-सर सैय्यद अहमद खां इस्लामी समाज का सुधार करना चाहते थे। उनका मानना था कि समाज तभी समृद्ध बन सकता है यदि महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना जाये। उन्होंने बालकों एवं बालिकाओं का बहुत ही छोटी आयु में विवाह करने का घोर विरोध किया। उन्होंने तलाक प्रथा के विरुद्ध जोरदार आवाज़ उठाई। उन्होंने पर्दा प्रथा का भी खण्डन किया। उनका कहना था कि पर्दा मुस्लिम महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तथा उनके विकास के मार्ग में एक बाधा है। वे समाज में प्रचलित दास प्रथा को उचित नहीं मानते थे। उन्होंने समाज में विद्यमान बुराइयों को दूर करने के लिए ‘तहज़ीब-उल-अखलाक’ नामक समाचार-पत्र निकाला। सर सैय्यद अहमद खां ने समाज में अशिक्षा समाप्त करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। वह धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी शिक्षा प्रदान करने के पक्षधर थे।

4. स्वामी दयानन्द सरस्वती-स्वामी दयानन्द सरस्वती ने इस बात पर बल दिया कि समाज में महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने बालक एवं बालिकाओं के बहुत ही छोटी आयु में विवाह की प्रथा अर्थात् बालविवाह का कड़ा विरोध किया। वह विधवा-विवाह के पक्षधर थे। उन्होंने विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा आश्रम स्थापित किये। उनके द्वारा स्थापित संस्था आर्य समाज ने सती प्रथा तथा दहेज प्रथा का खण्डन किया। उन्होंने असहाय कन्याओं को सिलाई-कढ़ाई के काम का प्रशिक्षण देने के लिए अनेक केन्द्र स्थापित किये। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया तथा भारत के विभिन्न भागों में कन्याओं की शिक्षा के लिए स्कूल खोले।

5. श्रीमती ऐनी बेसेंट-श्रीमती ऐनी बेसेंट थियोसोफिकल सोसायटी की सदस्य थीं। इस संस्था ने स्त्री जाति के उद्धार के लिए बाल विवाह का विरोध किया तथा विधवा विवाह के पक्ष में आवाज़ उठाई। शिक्षा के विकास के लिए इस संस्था ने स्थान-स्थान पर बालक-बालिकाओं के लिए स्कूल खोले। 1898 ई० में इसने बनारस में हिन्दू कॉलेज स्थापित किया। यहां हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों की शिक्षा भी दी जाती थी।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार

प्रश्न 13.
बहुत से सुधारकों ने स्त्रियों की दशा की ओर विशेष ध्यान क्यों दिया ?
उत्तर-
अनेक समाज-सुधारकों ने महिलाओं की समस्याओं पर निम्नलिखित कारणों से विशेष ध्यान दिया-

  • विभिन्न समाज-सुधारकों का कहना था कि समाज द्वारा महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं जिन्हें रोकना अनिवार्य है।
  • समाज-सुधारकों का विचार था कि समाज में वर्तमान बुराइयों को समाप्त करने के लिए महिलाओं को शिक्षित करना आवश्यक है।
  • उन्होंने अनुभव किया कि यदि देश को विदेशी राजनीतिक दासता से स्वतन्त्र करवाना है तो सर्वप्रथम अपने घर और समाज का सुधार करना होगा।
  • उन्होंने यह भी अनुभव किया कि समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करने के लिए सर्वप्रथम महिलाओं की दशा सुधारना आवश्यक है।
  • समाज-सुधारकों का मानना था कि देश की लोकतन्त्र प्रणाली समाज में समानता के बिना अधूरी है। अत: उन्होंने महिलाओं को समाज में पुरुषों के समान अधिकार दिलाने का प्रयास किया।

प्रश्न 14.
महाराष्ट्र के समाज सुधारकों द्वारा स्त्रियों के उद्धार के लिए दिए गए योगदान का वर्णन करें।
उत्तर-
महाराष्ट्र में समाज सुधारकों ने विभिन्न संस्थाएं स्थापित की। इन्हीं संस्थाओं ने स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए विशेष अभियान चलाये जिनका वर्णन इस प्रकार है-

1. परमहंस सभा-19वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के समाज सुधारकों ने समाज में जागृति लाने के लिए आन्दोलन आरम्भ किये। 1849 ई० में परमहंस मण्डली की स्थापना की गई। इसने मुम्बई में धार्मिक-सामाजिक सुधार आन्दोलन आरम्भ किये। इसका मुख्य उद्देश्य मूर्ति-पूजा तथा जाति-प्रथा का विरोध करना था। इस सभा ने नारी-शिक्षा के लिए कई स्कूलों की स्थापना की। इसने सायंकाल को शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं की भी स्थापना की। ज्योतिबा फुले ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए पिछड़ी जाति की कन्याओं के लिए पुणे में एक स्कूल खोला। उन्होंने विधवाओं की दशा सुधारने के लिए भी प्रयत्न किये। उनके प्रयत्नों से 1856 ई० में सरकार ने विधवा-पुनर्विवाह कानून पास कर दिया। उन्होंने विधवाओं के बच्चों के लिए एक अनाथालय खोला। महाराष्ट्र के एक अन्य प्रसिद्ध समाज सुधारक गोपाल हरि देशमुख थे जोकि लोक-हितकारी के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने समाज की बुराइयों का खण्डन किया तथा समाज सुधार पर बल दिया।

2. प्रार्थना समाज-1867 ई० में महाराष्ट्र में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। महादेव गोबिन्द रानाडे तथा राम कृष्ण गोपाल भण्डारकर इस समाज के प्रसिद्ध नेता थे। उन्होंने जाति प्रथा तथा बाल-विवाह का विरोध किया। वह विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में थे। उन्होंने विधवा-विवाह संघ की स्थापना की। उन्होंने कई स्थानों पर शिक्षण संस्थाएं तथा अनाथाश्रम खोले। उनके प्रयत्नों से 1884 ई० में दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना हुई, जिसने पुणे में दक्कन कॉलेज की स्थापना की।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. हिन्दू समाज में स्त्रियों को …………… सम्पत्ति लेने का अधिकार नहीं था।
2. अपने भाई की पत्नी के सती हो जाने के पश्चात् ………… के जीवन में एक नया मोड़ आया।
3. 1872 ई० में केशवचन्द्र सेन द्वारा ………… पर पाबंदी लगायी गई।
4. तलाक प्रथा का ………….. ने विरोध किया।
5. ………. 1886 ई० में इंग्लैंड में थियोसिफीकल सोसाइटी में शामिल हई।
उत्तर-

  1. पैतृक
  2. राजा राममोहन राय
  3. दूसरे विवाह
  4. सर सैय्यद अहमद खां
  5. श्रीमती ऐनी बेसेंट।

III. सही जोड़े बनाएं:

क – ख
1. स्वामी विवेकानंद – 1. नामधारी लहर
2. श्री सतगुरु राम सिंह जी – 2. रामकृष्ण मिशन
3. सिंह सभा लहर – 3. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
4. सर सैय्यद अहमद खां – 4. मंजी साहिब (अमृतसर)
उत्तर-
1. स्वामी विवेकानंद – रामकृष्ण मिशन
2. श्री सतगुरु राम सिंह जी – नामधारी लहर
3. सिंह सभा लहर – मंजी साहिब (अमृतसर)
4. सर सैय्यद अहमद खां – अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय

PSEB 8th Class Social Science Guide स्त्रियां तथा सुधार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
सती प्रथा को (1829 ई०) अवैध घोषित किया-
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) लार्ड विलियम बैंटिक
(ii) लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज़
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड विलियम बैंटिक

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार

प्रश्न 2.
नामधारी आंदोलन की स्थापना हुई.
(i) मंजी साहिब (अमृतसर)
(ii) मिठू बस्ती (जालंधर)
(iii) भैणी साहिब (लुधियाना)
(iv) शकूरगंज।
उत्तर-
भैणी साहिब (लुधियाना)

प्रश्न 3.
अहमदिया लहर की नींव रखी
(i) सर सैय्यद अहमद खां
(ii) श्री सतिगुरु राम सिंह जी
(iii) बाबा दयाल सिंह ।
(iv) मिर्जा गुलाम अहमद।
उत्तर-
मिर्जा गुलाम अहमद

प्रश्न 4.
दूसरे विवाह पर प्रतिबंध लगवाया-
(i) राजा राम मोहन राय
(ii) ईश्वर चन्द्र विद्यासागर
(ii) केशव चन्द्र सेन
(iv) स्वामी दयानन्द।
उत्तर-
केशव चन्द्र सेन

प्रश्न 5.
‘आनंद विवाह’ की प्रणाली प्रथा आरम्भ की-
(i) श्री सतिगुरु राम सिंह
(ii) बाबा दयाल सिंह
(iii) मिर्जा गुलाम अहमद
(iv) प्रो० गुरुमुख सिंह।
उत्तर-
श्री सतिगुरु राम सिंह

प्रश्न 6.
सती प्रथा को किसके प्रयत्नों से समाप्त किया गया ?
(i) राजा राम मोहन राय
(ii) सर सैय्यद अहमद खाँ
(iii) वीर सलिंगम
(iv) स्वामी दयानंद सरस्वती।
उत्तर-
राजा राम मोहन राय

प्रश्न 7.
नामधारी आन्दोलन के संस्थापक कौन थे ?
(i) स्वामी विवेकानंद
(ii) श्रीमती एनीबेसेंट
(iii) सतिगुरु राम सिंह
(iv) बाबा दयाल सिंह।
उत्तर-
सतिगुरु राम सिंह।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन पर (✗) का निशान लगाएं :

1. 1854 ई० के वुड डिस्पैच में स्त्री शिक्षा पर जोर दिया गया।
2. केशवचन्द्र सेन आर्य समाज के प्रसिद्ध नेता थे।
3. प्रार्थना समाज ने विधवा पुनः विवाह का विरोध किया।
उत्तर-

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी के भारतीय समाज में प्रचलित किन्हीं चार कुरीतियों के नाम बताओ, जिन्होंने स्त्रियों की दशा को दयनीय बना दिया।
उत्तर-
सती प्रथा, कन्या वध, पर्दा प्रथा तथा बहु विवाह आदि।

प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी में लोग कन्याओं का वध क्यों करते थे ? कोई दो कारण लिखो।
उत्तर-

  1. लड़कियों के विवाह पर बहुत अधिक धन खर्च करना पड़ता था।
  2. माता-पिता को अपनी लड़कियों के लिए योग्य वर ढूंढ़ने में कठिनाई होती थी।

प्रश्न 3.
19वीं शताब्दी में लोग लड़कियों को शिक्षा क्यों नहीं दिलवाते थे ?
उत्तर-
लोग लड़कियों को शिक्षा दिलवाना उन्हें अधिक आजादी देने के बराबर मानते थे। इसके अतिरिक्त वे लड़कियों की शिक्षा को समाज के लिए हानिकारक भी मानते थे।

प्रश्न 4.
ब्रह्म समाज से जुड़े दो नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
राजा राममोहन राय तथा केशवचन्द्र सेन।

प्रश्न 5.
आर्य समाज के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर-
स्वामी दयानन्द सरस्वती।

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प्रश्न 6.
साईंटिफिक सोसायटी की स्थापना किसने, कहां और क्यों की ?
उत्तर-
साईंटिफिक सोसायटी की स्थापना सर सैय्यद अहमद खां ने अलीगढ़ में की। इसकी स्थापना विज्ञान के एक ग्रंथ का उर्दू में अनुवाद करने के लिए की गई थी।

प्रश्न 7.
निरंकारी आन्दोलन के संस्थापक कौन थे ? उन्होंने किस रीति के अनुसार विवाह करने का उपदेश दिया ?
उत्तर-
निरंकारी आन्दोलन के संस्थापक बाबा दयाल जी थे। उन्होंने गुरुमत की रीति के अनुसार विवाह करने का उपदेश दिया।

प्रश्न 8.
‘आनन्द विवाह’ की प्रणाली (प्रथा) किसने चलाई ? इसकी क्या विशेषता थी ?
उत्तर-
आनन्द विवाह की प्रणाली (प्रथा) श्री सतिगुरु राम सिंह जी ने चलाई। इस प्रणाली के अनुसार केवल सवा रुपये में ही विवाह हो जाता था।

प्रश्न 9.
सिंह सभा लहर की नींव कब और कहां रखी गई ?
उत्तर-
सिंह सभा लहर की नींव अक्तूबर 1873 ई० में मंजी साहिब (अमृतसर) में रखी गई।

प्रश्न 10.
लाहौर में सिंह सभा की शाखा कब स्थापित की गई ? इसका प्रधान किसे बनाया गया ?
उत्तर-
लाहौर में सिंह सभा की शाखा 1879 ई० में स्थापित की गई। इसका प्रधान प्रो० गुरुमुख सिंह को बनाया गया।

प्रश्न 11.
अहमदिया लहर की नींव कब, कहां और किसने रखी ?
उत्तर-
अहमदिया लहर की नींव 1853 ई० में मिर्जा गुलाम अहमद ने जिला गुरदासपुर में रखी।

प्रश्न 12.
समकृष्ण मिशन की स्थापना कब, किसने और किसकी याद में की ?
उत्तर-
रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 ई० में स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की याद में की।

प्रश्न 13.
संगत सभा की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
संगत सभा की स्थापना 1860 ई० में केशवचन्द्र सेन ने की।

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प्रश्न 14.
श्रीमती ऐनी बेसेंट कब भारत आईं ? उनका सम्बन्ध किस संस्था से था ?
उत्तर-
श्रीमती ऐनी बेसेंट 1893 ई० में भारत आईं। उनका सम्बन्ध थियोसोफिकल सोसायटी से था।

प्रश्न 15.
प्रार्थना समाज की स्थापना कब हुई ? इसके दो मुख्य नेता कौन-कौन थे ?
उत्तर-
प्रार्थना समाज की स्थापना 1867 ई० में हुई। इसके दो प्रमुख नेता महादेव गोबिन्द रानाडे तथा राम कृष्ण गोपाल भण्डारकर थे।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
निरंकारी आन्दोलन तथा बाबा दयाल जी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
निरंकारी आन्दोलन के संस्थापक बाबा दयाल जी थे। उस समय समाज में कन्या के जन्म को अपशकुन समझा जाता था। अतः अनेक कन्याओं को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। महिलाओं में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती प्रथा आदि बुराइयां प्रचलित थीं। विधवा के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था और उसे पुनर्विवाह की अनुमति नहीं दी जाती थी। बाबा दयाल जी ने इन सभी बुराइयों को समाप्त करने का पूरा प्रयास किया। उन्होंने कन्या वध तथा सती प्रथा का विरोध किया। उन्होंने लोगों को अपने बच्चों के विवाह गुरुमत के अनुसार करने का उपदेश दिया।

प्रश्न 2.
नामधारी लहर की स्थापना कब और किसने की ? इसके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों का वर्णन करो।
उत्तर-
नामधारी लहर की स्थापना 13 अप्रैल, 1857 ई० को श्री सतिगुरु राम सिंह जी ने भैणी साहिब (लुधियाना) में की। उन्होंने समाज में प्रचलित बुराइयों का विरोध किया।

  1. उन्होंने बाल-विवाह, कन्या-वध तथा दहेज-प्रथा आदि बुराइयों का प्रबल विरोध किया।
  2. उन्होंने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए उन्हें पुरुषों के समान अधिकार देने पर बल दिया।
  3. उन्होंने विवाह के समय किये जाने वाले व्यर्थ के व्यय का खण्डन किया। श्री सतिगुरु राम सिंह
  4. उन्होंने विवाह की एक प्रणाली चलाई जिसे आनन्द विवाह का नाम दिया गया। इस प्रणाली के अनुसार केवल सवा रुपये में विवाह की रस्म पूरी कर दी जाती थी। वह जाति-प्रथा में भी विश्वास नहीं रखते थे।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार 1

प्रश्न 3.
केशवचन्द्र सेन कौन थे ? समाज सुधार के क्षेत्र में उनके योगदान का वर्णन करो।
उत्तर-
केशवचन्द्र सेन ब्रह्म समाज के एक प्रसिद्ध नेता थे। वह 1857 ई० में ब्रह्म समाज में सम्मिलित हुए थे। 1860 ई० में उन्होंने संगत सभा की स्थापना की, जिसमें धर्म सम्बन्धी विषयों पर विचार-विमर्श होता था। केशव चन्द्र सेन ने नारीशिक्षा एवं विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में प्रचार किया। उन्होंने बाल-विवाह तथा बहु-विवाह आदि प्रथाओं की घोर निन्दा की। केशवचन्द्र सेन के प्रयत्नों से 1872 ई० में सरकार ने कानून पास करके दूसरे विवाह पर रोक लगा दी।

प्रश्न 4.
समाज सुधार के क्षेत्र में श्रीमती ऐनी बेसेंट तथा थियोसोफिकल सोसायटी का क्या योगदान है ?
उत्तर-
श्रीमती ऐनी बेसेंट 1886 ई० में इंग्लैण्ड में थियोसोफिकल सोसायटी में सम्मिलित हुईं। 1893 ई० में वह भारत आ गईं। उन्होंने भारत का भ्रमण किया तथा भाषण दिये। उन्होंने पुस्तकें तथा लेख लिखकर सोसायटी के सिद्धान्तों का प्रचार किया। थियोसोफिकल सोसायटी ने अनेक सामाजिक सुधार भी किये। इसने बाल-विवाह तथा जाति-प्रथा का विरोध किया। इसने पिछड़े लोगों तथा विधवाओं के उद्धार के लिए प्रयत्न किये। सोसायटी ने शिक्षा के विकास के लिए स्थान-स्थान पर बालकों तथा बालिकाओं के लिए स्कूल खोले। 1898 ई० में बनारस में सैंट्रल हिन्दू कॉलेज स्थापित किया गया, जहां हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों की श्री शिव को राती थी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समाज सुधार तथा नारी उद्धार के लिए सिंह सभा लहर, अहमदिया लहर तथा स्वामी विवेकानन्द (रामकृष्ण मिशन) द्वारा किये गये कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
सिंह सभा लहर-सिंह सभा लहर की नींव 1873 ई० में मंजी साहिब (अमृतसर) में रखी गई। इसका उद्देश्य सिख धर्म तथा समाज में प्रचलित बुराइयों को दूर करना था। सरदार ठाकुर सिंह संधावालिया को इसका प्रधान तथा ज्ञानी ज्ञान सिंह को सचिव नियुक्त किया गया। देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले सिख सिंह सभा के सदस्य बन सकते थे। 1879 ई० में लाहौर में सिंह सभा की एक अन्य शाखा खोली गई। इसका प्रधान प्रो० गुरुमुख सिंह को बनाया गया। धीरे-धीरे पंजाब में अनेक सिंह सभा शाखाएं स्थापित हो गईं। सिंह सभा के प्रचारकों ने समाज में प्रचलित जातिप्रथा, अस्पृश्यता तथा अन्य सामाजिक बुराइयों का जोरदार खण्डन किया।

इस लहर ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देने के लिए प्रबल प्रचार किया। इसने महिलाओं में प्रचलित पर्दा-प्रथा, बाल-विवाह, बहु-विवाह तथा विधवा-विवाह निषेध आदि बुराइयों की निन्दा की। सिंह सभा ने विधवाओं की देखभाल के लिए विधवा-आश्रम स्थापित किये। इसने नारी-शिक्षा की ओर भी विशेष ध्यान दिया। सिख कन्या महाविद्यालय फिरोज़पुर, खालसा भुजंग स्कूल कैरो तथा विद्या भण्डार भमौड़ आदि प्रसिद्ध कन्या विद्यालय थे जो सर्वप्रथम सिंह सभा के अधीन स्थापित हुए।

अहमदिया लहर-अहमदिया लहर की नींव 1853 ई० में मिर्जा गुलाम अहमद ने कादियां जिला गुरदासपुर में रखी। उन्होंने लोगों को कुरान शरीफ के उपदेशों पर चलने के लिए कहा। उन्होंने परस्पर भाईचारे (भ्रातृभाव) तथा धार्मिक सहनशीलता का प्रचार किया। उन्होंने धर्म में प्रचलित झूठे रीति-रिवाज़ों, अन्ध-विश्वासों और कर्मकाण्डों का त्याग करने का प्रचार किया। उन्होंने धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी शिक्षा देने का समर्थन भी किया। उन्होंने कई स्कूल और कॉलेजों की स्थापना की।

स्वामी विवेकानन्द तथा राम कृष्ण मिशन-स्वामी विवेकानन्द ने 1897 ई० में अपने गुरु स्वामी राम कृष्ण परमहंस की स्मृति में ‘राम कृष्ण मिशन’ की स्थापना की। उन्होंने भारतीय समाज में प्रचलित अन्ध-विश्वासों और व्यर्थ के रीति-रिवाजों की निन्दा की। वे जाति-प्रथा तथा अस्पृश्यता में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने महिलाओं की दशा सुधारने के लिए विशेष प्रयत्न किये। वे महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार,दिये जाने के पक्ष में थे। उन्होंने कन्यावध, बाल-विवाह, दहेज-प्रथा आदि बुराइयों का विरोध किया। वे विधवा-विवाह के पक्ष में थे। उन्होंने नारी-शिक्षा के लिए प्रचार किया तथा कई स्कूल एवं पुस्तकालय स्थापित किये।

प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी के सुधार आन्दोलनों के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारतीय सुधारकों के प्रयत्नों के परिणामस्वरूप सरकार ने कई सामाजिक बुराइयों पर कानूनी रोक लगा दी। महिलाओं की दशा सुधारने की ओर विशेष ध्यान दिया गया।

  1. 1795 ई० तथा 1804 ई० में कानून पास करके कन्या-वध पर रोक लगा दी गई।
  2. 1829 ई० में लार्ड विलियम बैंटिक ने कानून द्वारा सती प्रथा पर रोक लगा दी।
  3. सरकार ने 1843 ई० में कानून पास करके भारत में दास प्रथा को समाप्त कर दिया।
  4. बंगाल के महान् समाज सुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के प्रयत्नों से 1856 ई० में विधवा-पुनर्विवाह को कानून द्वारा मान्यता दे दी गई।
  5. सरकार ने 1860 ई० में कानून पास करके बालिकाओं के लिए विवाह की आयु कम-से-कम 10 वर्ष निश्चित की। 1929 ई० में शारदा एक्ट के अनुसार बालकों के विवाह के लिए कम-से-कम 16 साल और बालिकाओं के लिए 14 साल की आयु निश्चित की गई।
  6. 1872 ई० में सरकार ने कानून पास करके अन्तर्जातीय विवाह को स्वीकृति दे दी।
  7. 1854 ई० के वुड डिस्पैच में महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया गया।

PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 13 किसान

Punjab State Board PSEB 3rd Class Hindi Book Solutions Chapter 13 किसान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 3 Hindi Chapter 13 किसान

Hindi Guide for Class 3 PSEB किसान Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

I. बताओ

1. किसान कब उठ जाता है ?
उत्तर-
चिड़ियों के जगने से पहले ही किसान उठ जाता है।

2. किसान की दिनचर्या क्या है ?
उत्तर-
सूर्य के उदय होने से पहले किसान उठ कर बैलों को चारा खिलाकर खेतों में चला जाता है।

3. गर्मियों में धरती की क्या दशा होती है ?
उत्तर-
गर्मियों में धरती तवे के समान गर्म तपती है।

4. सर्दियों में किसान अपने खेतों की रखवाली कैसे करता है ?
उत्तर-
सर्दियों में किसान आग जला कर अपने खेतों की रखवाली करता है।

5. किसान को चैन क्यों नहीं मिलता ?
उत्तर-
किसान को आराम नहीं काम पसन्द है। दिन-रात उसे अपने खेतों और फसलों का ध्यान रहता है। इसीलिए उसे चैन नहीं मिलता।

II. पंक्तियाँ पूरी करो

1. चिड़ियों के जगने से पहले ……………………………… .
उत्तर-
चिड़ियों के जगने से पहले खाट छोड़ उठ गया किसान

2. नहीं कभी त्योहार, न ………………………. है उसको आराम ……………………..
उत्तर-
नहीं कभी त्योहार, न छुट्टी है उसको आराम हराम

3. फिर भी आग जला, खेतों की …………………….. |
उत्तर-
फिर भी आग जला, खेतों की रखवाली करता वह मौन

III. सही अर्थ ढूँढ़ो –

(क) नीचे लिखे (क) और (ख) वाक्यों को पढ़ो और उसके आगे दिए गए सही अर्थ वाले खाने (वाक्य) पर सही (✓) का निशान लगाओ-

(क) धरती जलती तवा समान ………………. धरती बहुत गरम हो जाती है। …………….. धरती पर आग जलने लगती है।

(ख) हाथ-पाँव ठिठुरे जाते हैं। ………….. हाथ-पाँव काम करना बन्द कर देते हैं। ……………… बहुत सर्दी लगती है।
उत्तर-
(क) धरती जलती तवा समान।
धरती बहुत गरम हो जाती है। (✓)
धरती पर आग जलने लगती है।

(ख) हाथ-पाँव ठिठुरे जाते हैं।
हाथ-पाँव काम करना बन्द कर देते
बहुत सर्दी लगती है। (✓)

(ख) किसका सम्बन्ध किसके साथ है। इनके जवाब बैल के पेट में छिपे हैं। उन्हें ढूँढ़ो और सही जगह पर लिखो –

किसका सम्बन्ध किससे
किसान खेत
बादल …………………………….
धरती …………………………….
मूसलाधार …………………………….
बिजली …………………………….
पूरब सर्दी …………………………….

PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 13 किसान 1
उत्तर-

किसका सम्बन्ध किससे
किसान खेत
बादल गरज
धरती जलती
मूसलाधार बारिश
बिजली चमक
पूरब लाली
सर्दी ठिठुरना

(ग) शब्दों के तीन-तीन समान अर्थ वाले शब्द नीचे बहते हुए पानी में दिए गए हैं, उन्हें ढूँढ़कर सही जगह लिखिए-
PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 13 किसान 2
शब्द : समान अर्थ वाले शब्द

(i) खाट : शय्या चारपाई पलंग
(ii) बिजली : ……………….. ……………….. ………………..
(iii) आग : ……………….. ……………….. ………………..
(iv) धरती: ……………….. ……………….. ………………..
(v) पानी: ……………….. ……………….. ………………..
(vi) कमल : ……………….. ……………….. ………………..
(vii) बादल : ……………….. ……………….. ………………..
(viii) समुद्र : ……………….. ……………….. ………………..

उत्तर-
शब्द समान अर्थ वाले (पर्यायवाची) शब्द

(i) खाट : शय्या चारपाई पलंग
(ii) बिजली : चंचला चपला तड़ित।
(iii) आग : अग्नि अनल पावक।
(iv) धरती : भू भूमि वसुधा।
(v) पानी : नीर जल वारि।
(vi) कमल : नीरज पंकज जलज।
(vii) बादल : वारिद जलद नीरद।
(viii) समुद्र : नीरधि वारिधि उदधि।

(घ) क्या आप दिशाओं के नाम जानते हैं ? यदि आप नहीं जानते तो अपने अध्यापक/ अभिभावक से जानकारी प्राप्त करके नीचे बने चित्र में लिखिए
PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 13 किसान 3
उत्तर-
PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 13 किसान 4

किसान Summary & Translation in Hindi

पद्यांशों के सरलार्थ

1. नहीं हुआ है अभी सवेरा, पूरब की लाली पहचान। चिड़ियों के जगने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान।
सरलार्थ-
इसमें कवि किसान के जीवन के बारे में बता रहा है कि अभी सुबह नहीं हुई है, लेकिन पूर्व दिशा में सूरज की लाली को देख कर, चिड़ियों के जागने से पहले ही किसान अपनी चारपाई छोड़कर उठ गया है।

2. खिला-पिलाकर, बैलों को ले करने चला खेत पर काम। नहीं कभी त्योहार, न छुट्टी है उसको आराम हराम।
सरलार्थ-
किसान बैलों को खिला-पिलाकर खेतों पर काम करने के लिए ले चला है। उसके लिए कोई त्योहार नहीं और न ही छुट्टी है। उसके लिए आराम हराम है।

3. गरम-गरम लू चलती सन-सन धरती जलती तवा समान। तब भी करता काम खेत पर बिना किए आराम किसान।
सरलार्थ-
कवि कहता है कि जब सन-सन करती हुई गर्म हवाएँ चलती हैं, धरती तवे के समान जल रही होती है तब भी किसान बिना आराम किए खेत पर काम करता है।

4. बादल गरज रहे गड़-गड़-गड़ बिजली चमक रही चम-चम। मूसलाधार बरसता पानी ज़रा न रुकता लेता दम।
सरलार्थ-
कवि कहता है कि चाहे बादल गरज रहे हों, बिजली चमक रही हो, बहुत तेज़ वर्षा हो रही हो तब भी किसान काम करता रहता है, आराम नहीं करता।

5. हाथ-पाँव ठिठुरे जाते हैं | घर से बाहर निकले कौन ? फिर भी आग जला, खेतों की रखवाली करता वह मौन।
सरलार्थ-
सर्दी में जब हाथ-पैर ठिठुरते हैं, कोई बाहर नहीं निकलना चाहता तब भी किसान आग जलाकर चुपचाप खेतों की रखवाली करता है।

6. है किसान को चैन कहाँ, वह करता रहता हरदम काम। सोचा नहीं कभी भी उसने घर पर रह करना आराम।
सरलार्थ-
किसान को कभी भी आराम नहीं मिलता। वह हर समय काम ही करता रहता है। वह कभी भी यह नहीं सोचता कि घर पर रह कर आराम करे।

कठिन शब्दों के अर्थ

सवेरा = सुबह, प्रात:काल।
पूरब = पूर्व दिशा।
खाट = खटिया, चारपाई।
मूसलाधार = बहुत अधिक वर्षा ।
ठिठुरे जाते = काँप जाते।
हरदम = हर समय।
रखवाली = देख-रेख।
मौन = चुपचाप।
लू = गर्म हवा।

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

प्रश्न 1.
ज्ञात कीजिए :
(i) \(64^{\frac{1}{2}}\)
(ii) \(32^{\frac{1}{5}}\)
(iii) \(125^{\frac{1}{3}}\)
हल :
(i) \(64^{\frac{1}{2}}\)
= (2 × 2 × 2 × 2 × 2 × 2)\(\frac{1}{2}\)
= \(\left(2^{6}\right)^{\frac{1}{2}}=2^{6 \times \frac{1}{2}}\)
[(am)n = am × n का प्रयोग करने पर]
= 23 = 2 × 2 × 2 = 8

(ii) \(32^{\frac{1}{5}}\)
= (2 × 2 × 2 × 2 × 2)\(\frac{1}{5}\)
[(am)n = am × n] का प्रयोग करने पर
= 21 = 2

(iii) \(125^{\frac{1}{3}}\)
= (5 × 5 × 5)\(\frac{1}{3}\)
= \(5^{3 \times \frac{1}{3}}\)
[(am)n = am × n] का प्रयोग करने पर
= 51 = 5

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

प्रश्न 2.
ज्ञात कीजिए :
(i) \(9^{\frac{3}{2}}\)
(ii) \(32^{\frac{2}{5}}\)
(iii) \(16^{\frac{3}{4}}\)
(iv) \(125^{\frac{-1}{3}}\)
हल:
(i) \(9^{\frac{3}{2}}\)
= \((3 \times 3)^{\frac{3}{2}}=\left(3^{2}\right)^{\frac{3}{2}}\)
= \(3^{2 \times \frac{3}{2}}\)
[(am)n = am × n का प्रयोग करने पर]
= 33 = 3 × 3 × 3 = 27

(ii) \(32^{\frac{2}{5}}\)
= (2 × 2 × 2 × 2 × 2)\(\frac{2}{5}\)
= \(\left(2^{5}\right)^{\frac{2}{5}}=2^{5 \times \frac{2}{5}}\)
[(am)n = am × n का प्रयोग करने पर]
= 23 = 2 × 2 = 4

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

(iii) \(16^{\frac{3}{4}}\)
= (2 × 2 × 2 × 2)\(\frac{3}{4}\)
= \(\left(2^{4}\right)^{\frac{3}{4}}\)
= \(2^{4 \times \frac{3}{4}}\)
[(am)n = am × n का प्रयोग करने पर]
= 23 = 2 × 2 × 2 = 8

(iv) \(125^{\frac{-1}{3}}\)
= \((5 \times 5 \times 5)^{\frac{-1}{3}}=\left(5^{3}\right)^{\frac{-1}{3}}\)
= \(5^{3 \times \frac{-1}{3}}\)
[(am)n = am × n का प्रयोग करने पर]
= 5-1 = \(\frac{1}{5}\)
[∵ a-1 = \(\frac{1}{a}\), x ≠ 0]

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

प्रश्न 3.
सरल कीजिए :
(i) \(2^{\frac{2}{3}} \cdot 2^{\frac{1}{5}}\)
(ii) \(\left(\frac{1}{3^{3}}\right)^{7}\)
(iii) \(\frac{11^{\frac{1}{2}}}{11^{\frac{1}{4}}}\)
(iv) \(7^{\frac{1}{2}} \cdot 8^{\frac{1}{2}}\)
हल :
(i) \(2^{\frac{2}{3}} \cdot 2^{\frac{1}{5}}\)
= \(2^{\frac{2}{3}+\frac{1}{5}}\)
[am . an = am+n का प्रयोग करने पर]
= \(2^{\frac{10+3}{15}}=2^{\frac{13}{15}}\)

(ii) \(\left(\frac{1}{3^{3}}\right)^{7}\)
= (3)– 3 × 7
[(am)n = am × n का प्रयोग करने पर]
= 3– 21

(iii) \(\frac{11^{\frac{1}{2}}}{11^{\frac{1}{4}}}\)
= \(11^{\frac{1}{2}-\frac{1}{4}}\)
[\(\frac{a^{m}}{a^{n}}\) = am – n का प्रयोग करने पर]
= \(11^{\frac{2-1}{4}}=11^{\frac{1}{4}}\)

(iv) \(7^{\frac{1}{2}} \cdot 8^{\frac{1}{2}}\)
= (7 × 8)\(\frac{1}{2}\)
[am . bm = (ab)m का प्रयोग करने पर]
= 56\(\frac{1}{2}\)

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

(जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = \(\frac{22}{7}\) लीजिए।)

प्रश्न 1.
पानी पीने वाला एक गिलास 14 cm ऊँचाई वाले एक शंकु के छिन्नक के आकार का है। दोनों वृत्ताकार सिरों के व्यास 4 cm और 2 cm हैं। इस गिलास की धारिता ज्ञात कीजिए। (Pb. 2015 Set B)
हल :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 1

ऊपरी सिरे की त्रिज्या (R) = 2 cm
निचले सिरे की त्रिज्या (r) = 1 cm
गिलास की ऊँचाई (H) = 14 cm
गिलास छिन्नक के आकार का है
छिन्नक का आयतन = \(\frac{1}{3}\) π [R2 + r2 + Rr] H
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7}\) [(2)2 + (1)2 + 2 × 1] 14
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7}\) [4 + 1 + 2] 14
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7}\) 7 × 14
= \(\frac{22 \times 14}{3}\)
गिलास का आयतन = 102.67 cm3

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

प्रश्न 2.
एक शंकु के छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई 4 cm है तथा इसके वृत्तीय सिरों के परिमाप ( परिधियां) 18 cm और 6 cm हैं। इस छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई = 4 cm

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 2

मान लीजिए ऊपरी सिरे और निचले सिरे की त्रिज्या R और r है।
ऊपरी सिरे की परिधि = 18 cm
2πR = 18
R = \(\frac{18}{2 \pi}=\frac{9}{\pi}\) cm
निचले सिरे की परिधि = 6 cm
2πr = 6 cm
r = \(\frac{6}{2 \pi}=\frac{3}{\pi}\) cm
छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = π [R + r]
= π \(\left[\frac{9}{\pi}+\frac{3}{\pi}\right]\) 4
= π \(\left[\frac{9+3}{\pi}\right]\)
= 12 × 4
= 48 cm2
छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 48 cm2.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

प्रश्न 3.
एक तुर्की टोपी शंकु के एक छिन्नक के आकार की है ( देखिए आकृति)। यदि इसके खुले सिरे की त्रिज्या 10 cm है, ऊपरी सिरे की त्रिज्या 4 cm है और टोपी की तिर्यक ऊँचाई 15 cm है, तो इसके बनाने में प्रयुक्त पदार्थ का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 3

हल :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 4

छिन्नक के निचले सिरे की त्रिज्या (R) = 10 cm
छिन्नक के ऊपरी सिरे की त्रिज्या (r) = 4 cm
छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई (l) = 15 cm

छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πl [R + r]
= \(\frac{22}{7}\) × 15 [10 + 4]
= \(\frac{22}{7}\) × 15 × 14
= 22 × 15 × 2
= 660 cm2.
बंद सिरे का क्षेत्रफल = r = Fx (4)2.
प्रयुक्त पदार्थ का कुल क्षेत्रफल = छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + बंद सिरे का क्षेत्रफल
= 660 + 50.28
= 710.28 cm2.
अतः प्रयुक्त पदार्थ का कुल क्षेत्रफल = 710.28 cm2.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

प्रश्न 4.
धातु की चादर से बना और ऊपर से खुला एक बर्तन शंकु के एक छिन्नक के आकार का है, जिसकी ऊँचाई 16 cm है तथा निचले और ऊपरी सिरों की त्रिज्याएँ क्रमशः 8 cm और 20 cm हैं। ₹ 20 प्रति लीटर की दर से, इस बर्तन को पूरा भर सकने वाले दूध का मूल्य ज्ञात कीजिए। साथ ही, इस बर्तन को बनाने के लिए प्रयुक्त धातु की चादर का मूल्य ₹ 8 प्रति 100 cm- की दर से ज्ञात कीजिए। (= 3.14 लीजिए।)
हल :

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 5

बर्तन के ऊपरी सिरे की त्रिज्या (R) = 20 cm
बर्तन के निचले सिरे की त्रिज्या (7) = 8 cm
बर्तन की ऊँचाई (H) = 16 cm
तिर्यक ऊँचाई (l) = \(\sqrt{\mathrm{H}^{2}+(\mathrm{R}-r)^{2}}\)
= \(\sqrt{(16)^{2}+(20-8)^{2}}\)
= \(\sqrt{256+144}\)
तिर्यक ऊँचाई (l) = \(\sqrt{400}=\sqrt{20 \times 20}\) = 20 cm

बर्तन की धारिता = \(\frac{1}{3}\) πH [R2 + r2 + Rr]
= \(\frac{1}{3}\) × 3.14 × 16 [(20)2 + (8)2 + 20 × 8]
= \(\frac{3.14 \times 16}{3}\) [400 + 64 + 160]
= 3.14 × 16 × 624
= 10449.92 cm3
∴ बर्तन में दूध का आयतन = 10449.92 cm3
= \(\frac{10449.92}{1000}\) लिटर
∴ बर्तन में दूध का आयतन = 10.45 लिटर
1 लिटर का मूल्य = ₹ 20
∴ 10.45 लिटर का मूल्य = ₹ 20 × 10.45
दूध का मूल्य = ₹ 209
छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πL [R + r]
= 3.14 × 20 [20 + 8)
= 3.14 × 20 × 28 cm2
= 1758.4 cm2
बर्तन के आधार का क्षेत्रफल = πr2
= 3.14 × (8)2
= 3.14 × 64
= 200.96 cm2
बर्तन बनाने के लिए प्रयुक्त धातु = छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + आधार का क्षेत्रफल
= (1758.4 + 200.96) cm2
= 1959.36 cm2
100 cm2 धातु की चादर का मूल्य = ₹ 8
1 cm2 धातु की चादर का मूल्य = ₹ \(\frac{8}{100}\)
1959.36 cm2 धातु की चादर का मूल्य = ₹ \(\frac{8}{100}\) × 1959.36
= ₹156.748 = ₹ 156.75
अतः धातु की चादर का कुल मूल्य = ₹ 156.75
और दूध का कुल मूल्य ₹ 209 है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

प्रश्न 5.
20 cm ऊँचाई और शीर्ष कोण (vertical angle) 60° वाले एक शंकु की ऊँचाई के बीचो-बीच से होकर जाते हुए एक तल से दो भागों में काटा गया है, जबकि तल शंकु के आधार के समांतर है। यदि इस प्राप्त शंकु के छिन्नक को व्यास \(\frac{1}{16}\) cm वाले एक तार के रूप में बदल दिया जाता है तो तार की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हल :
शंकु का शीर्ष कोण = 60°
शंक का शीर्षलम्ब शीर्ष कोण को द्विभाजित करता है।
∠EOF = 30°

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 6

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 7

छिन्नक का आयतन = \(\frac{22}{7} \times 10 \times \frac{700}{9}\) cm3
= \(\frac{22}{7} \times \frac{7000}{9}\) cm3
छिन्नक की तार बनाई गई है जो कि बेलन के आकार की है जिसका व्यास \(\frac{1}{16}\) cm है।
∴ बेलनाकार तार की त्रिज्या (r1) = \(\frac{1}{2} \times \frac{1}{16} \mathrm{~cm}=\frac{1}{32} \mathrm{~cm}\)
मान लीजिए इस प्रकार बने बेलन की ऊँचाई = H cm
रूप बदलने पर भी आयतन समान ही रहता है।
छिन्नक का आयतन = बेलनाकार तार का आयतन

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 8

H = 7964.44 m
अतः, बेलनाकार तार की लंबाई (H) = 7964.44 m

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2

Punjab State Board PSEB 10th Class Maths Book Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 Textbook Exercise Questions and Answers

PSEB Solutions for Class 10 Maths Chapter 10 वृत्त Ex 10.2

प्रश्न सं. 1, 2, 3 में सही विकल्प चुनिए एवं उचित कारण दीजिए।

प्रश्न 1.
एक बिंदुए से एक वृत्त पर स्पर्श रेखा की लंबाई 24 cm तथा Q की केंद्र से दूरी 25 cm है। वृत्त की त्रिज्या है:
(A) 7 cm
(B) 12 cm
(C) 15 cm
(D) 24.5 cm
हल :
एक वृत्त जिसका केंद्र 0 है।
बाह्य बिंदु Q से स्पर्श रेखा PQ की लंबाई 24 cm तथा Q की केंद्र 0 से दूरी 25 cm है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 1

∴ ∠QPO = 90°
अब, समकोण ∆OPQ में,
OQ2 = PQ2 + OP2
(25)2 = (24)2 + OP2
या 625 = 576 + OP2
या OP2 = 625 – 576
या OP2 = 49 = (7)2
या OP = 7 cm
∴ विकल्प (A) सही है।

प्रश्न 2.
आकृति में, यदि TP, TQ केंद्र 0 वाले किसी वृत्त पर दो स्पर्श रेखाएँ इस प्रकार हैं कि ∠POQ = 110°, तो ∠PTQ बराबर है :
(A) 60°
(B) 70°
(C) 80°
(D) 90°.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 2

हल :
आकृति में OP त्रिज्या है और PT वृत्त पर स्पर्श रेखा है।
∠OPT = 90°
इसी तरह ∠OQT = 90° और ∠POQ = 110° (दिया है)
अब POQT एक चतुर्भुज है,
∴ ∠POQ + ∠OQT + ∠QTP + ∠TPO = 360°
110° + 90° + ∠QTP + 90° = 360°
∠QTP + 290° = 360°
या ∠QTP = 360° – 290°
या ∠QTP = 70°
∴ विकल्प (B) सही है।

प्रश्न 3.
यदि एक बिंदु P से 0 केंद्र वाले किसी वृत्त पर PA, PB स्पर्श रेखाएँ परस्पर 80° के कोण पर झुकी हों, तो ZPOA बराबर है :
(A) 50°
(B) 60°
(C)70°
(D)80°
हल :
दी गई आकृति में OA त्रिज्या है और AP वृत्त पर स्पर्श रेखा है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 3

∴ ∠OAP = 90°
इसी प्रकार, ∠OBP = 90°
अब समकोण ∆PAO और ∆PBO में,
∠PAO = ∠PBO = 90°
OP = OP (उभयनिष्ठ भुजा)
OA = OB (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ)
∴ ∠PAO = ∆PBO [RHS सर्वांगसमता]
∴ ∠AOP = ∠BOP
∠AOP = ∠BOP = \(\frac{1}{2}\) ∠AOB ……………(1)
साथ ही, चतुर्भुज OAPB में,
∠OBP + ∠BPA + ∠PAO + ∠AOB = 360°
90° + 80° + 90° + ∠AOB = 360°
∠AOB = 360° – 260°
∠AOB = 100° …………..(2)
(1) और (2) से, हमें प्राप्त होता है
∠AOP = ∠BOP
= \(\frac{1}{2}\) × 100° = 50°
∴ विकल्प (A) सही है।

प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए किसी वृत्त के किसी व्यास के सिरों पर खींची गई स्पर्श रेखाएँ समांतर होती हैं।
हल :
दिया है : एक वृत्त जिसका केंद्र 0 तथा व्यास AB है।
l और m बिंदु A और B पर स्पर्श रेखाएँ हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 4

सिद्ध करना है : l || m
उपपत्ति ∴ OA त्रिज्या है और । वृत्त पर स्पर्श रेखा है।
∴ ∠1 = 90°
इसी प्रकार, ∠2 = 90°
अब, ∠1 = ∠2 = 90°
परंतु यह दो रेखाओं के एकांतर कोण हैं, जब एक तिर्यक रेखा उन्हें काटती है।
∴ l || m
अतः, किसी व्यास के सिरों पर खींची गई स्पर्श रेखाएँ परस्पर समांतर होती हैं।

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि स्पर्श बिंदु से स्पर्श रेखा पर खींचा गया लंब वृत्त के केंद्र से होकर जाता है।
हल :
दिया है : एक वृत्त जिसका केंद्र O है।
AB इसकी स्पर्श रेखा है जो वृत्त को P पर मिलती है।
अर्थात् बिंदु P वृत्त का स्पर्श बिंदु है

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 5

सिद्ध करना है : स्पर्श बिंदु से स्पर्श रेखा पर खींचा गया लंब वृत्त के केंद्र से होकर जाता है।
रचना : OP को मिलाइए।
उपपत्ति: क्योंकि OP वृत्त की त्रिज्या है और AB वृत्त पर स्पर्श रेखा है जिसमें बिंदु P स्पर्श बिंदु है।
∴ ∠OPA = ∠OPB = 90°
[∵ वृत्त के किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा स्पर्श बिंदु से जाने वाली त्रिज्या पर लंब होती है।
या OP ⊥ AB
क्योंकि किसी वृत्त की त्रिज्या सदैव वृत्त के केंद्र से गुजरती है।
अतः, स्पर्श बिंदु से स्पर्श रेखा पर खींचा गया लंब वृत्त के केंद्र से होकर जाता है।

प्रश्न 6.
एक बिंदु A से, जो एक वृत्त के केंद्र से 5 cm दूरी पर है, वृत्त पर स्पर्श रेखा की लंबाई 4 cm है। वृत्त की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल :
एक वृत्त जिसका केंद्र ‘0’ है।
वृत्त के बाहर इसके केंद्र से 5 cm की दूरी पर कोई बिंदु A है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 6

स्पर्श रेखा की लंबाई = PA = 4 cm
क्योंकि OP त्रिज्या है और PA वृत्त पर स्पर्श रेखा है।
∴ ∠OPA = 90°
अब, समकोण ∆OPA में, पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर
OA2 = OP2 + PA2
(5)2 = OP2 + (4)2
या OP2 = 25 – 16
या OP2 = 9 = (3)2
या OP = 3 cm.
अतः, वृत्त की त्रिज्या 3 cm है।

प्रश्न 7.
दो संकेंद्रीय वृत्तों की त्रिज्याएँ 5 cm तथा 3 cm हैं। बड़े वृत्त की उस जीवा की लंबाई ज्ञात कीजिए जो छोटे वृत्त को स्पर्श करती है।
हल :
दो संकेंद्रीय वृत्त जिनका एक ही केंद्र 0 तथा त्रिज्याएँ क्रमश: 5 cm और 3 cm हैं।
मान लीजिए PQ बड़े वृत्त की जीवा है परंतु छोटे वृत्त की स्पर्श रेखा है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 7

क्योंकि, OM छोटे वृत्त की त्रिज्या है और PMQ स्पर्श रेखा है।
∴ ∠OMP = ∠OMQ = 90°
समकोण त्रिभुजें OMP और OMQ लीजिए।
∠OMP = ∠OMQ = 90°
OP = OQ (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ]
OM = OM [उभयनिष्ठ भुजा]
∴ ∆OMP = OMQ [RHS सर्वांगसमता]
∴ PM = MQ [CPCT]
या PQ = 2 PM = 2 MQ
अब समकोण, ∆ OMQ में, पाइथागोरस प्रमेय से,
OQ2 = OM2 + MO2
(5)2 = (3)2 + (MQ)2
या MQ2 = 25 – 9
या MQ2 = 16 = (4)2
या MQ = 4 cm
∴ जीवा PQ की लंबाई = 2 MQ
= 2 (4) cm
= 8 cm
अतः, अभीष्ट जीवा की लंबाई 8 cm है।

प्रश्न 8.
एक वृत्त के परिगत एक चतुर्भुज ABCD खींचा गया है (देखिए आकृति)
सिद्ध कीजिए : AB + CD = AD + BC.

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 8

हल:
दिया है : वृत्त के परिगत एक चतुर्भुज ABCD खींचा गया है।
सिद्ध करना है : AB + CD = AD + BC
उपपत्ति : क्योंकि किसी बाह्य बिंदु से वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखाओं की लंबाई बराबर होती है।
अब, B वृत्त के बाहर स्थित कोई बिंदु है और BP; BQ वृत्त पर स्पर्श रेखाएँ हैं।
∴ BP = BQ …………(1)
इसी प्रकार,
AP = AS …………….(2)
और CR = CQ …………..(3)
साथ ही, DR = DS …………..(4)
(1), (2), (3) और (4) को जोड़ने पर, हमें प्राप्त होता
(BP + AP) + (CR + DR) = (BQ + CQ) + (AR + DR)
AB + CD = BC + AD
अभीष्ट परिणाम है।

प्रश्न 9.
आकृति में , XY तथा X’Y’ केंद्र 0 वाले किसी AB वृत्त पर दो समांतर स्पर्श रेखाएं हैं और स्पर्श बिंदु C पर स्पर्श रेखा AB, XY को A तथा X’Y’ को B पर प्रतिच्छेद करती है। सिद्ध कीजिए कि ∠AOB = 90° है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 9

हल :
दिया है : XY तथा X’Y’ केंद्र 0 वाले वृत्त पर दो समांतर स्पर्श रेखाएँ हैं और स्पर्श बिंदु C पर एक अन्य स्पर्श रेखा AB, XY को A तथा X’Y’ को B पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है : ∠AOB = 90°
रचना : OC, OA और OB को मिलाइए
उपपत्ति : क्योंकि बाह्य बिंदु से किसी वृत्त पर खींची गई दोनों स्पर्श रेखाओं की लंबाइयाँ समान होती हैं।
अब, A वृत्त के बाहर कोई बिंदु है जिसमें से दो स्पर्श रेखाएँ PA और AC वृत्त पर खींची गई हैं।
∴ PA = AC
साथ ही, ∆ POA और ∆ AOC में,
PA = AC (प्रमाणित)
OA = OA (उभयनिष्ठ भुजा)
OP = OC (एक ही वृत्त की त्रिज्याएँ)
∴ ∆POA = ∆AOC [SSS सर्वांगसमता]
और ∠PAO = ∠CAO [CPCT]
या ∠PAC = 2 ∠PAO = 2 ∠CAO ……….(1)
इसी प्रकार
∠QBC = 2 ∠OBC = 2 ∠OBQ ………….(2)
अब, ∠PAC + ∠QBC = 180°
[∵ किसी तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंत: कोणों का योगफल 180° होता है।
या 2 ∠CAO + 2 ∠OBC = 180°
[(1) और (2) का प्रयोग करने पर]
या ∠CAO + ∠OBC = \(\frac{180^{\circ}}{2}\) = 90° ………….(3)
अब, ∆OAB में,
∠CAO + ∠OBC + ∠AOB = 180°
90° + ∠AOB = 180°
[(3) का प्रयोग करने पर]
या ∠AOB = 180° – 90° = 90°
अतः, ∠AOB = 90°

प्रश्न 10.
सिद्ध कीजिए कि किसी बाह्य बिंदु से किसी वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखाओं के बीच का कोण स्पर्श बिंदुओं को मिलाने वाले रेखाखंड द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण का संपूरक होता है।
हल :
दिया है : एक वृत्त जिसका केंद्र 0 है। P वृत्त के बाहर स्थित किसी बिंदु P से PQ और PR दिए गए वृत्त पर स्पर्श रेखाएँ हैं।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 10

सिद्ध करना है : ∠ROQ + ∠QPR = 180°
उपपत्ति : 0Q त्रिज्या है और PQ बिंदु P से दिए गए वृत्त पर स्पर्श रेखा है।
∠OQP = 90° ………….(1)
[:: वृत्त के किसी बिंदु पर स्पर्श रेखा स्पर्श बिंदु से जाने वाली त्रिज्या पर लंब होती है।]
इसी प्रकार ∠ORP = 90° ……………(2)
अब, चतुर्भुज ROQP में,
∠ROQ + ∠PRO + ∠OQP + ∠QPR = 360°
या ∠ROQ + 90° + 90° + ∠QPR = 360°
[(1) और (2) का प्रयोग करने पर]
या ∠ROQ + ∠QPR + 180° = 360°
या ∠ROQ + ∠QPR = 360° – 180°
या ∠ROQ + ∠QPR = 180°
अतः, किसी बाह्य बिंदु से किसी वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखाओं के बीच का कोण स्पर्श बिंदुओं को मिलाने वाले रेखाखंड द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण का संपूरक होता है।

प्रश्न 11.
सिद्ध कीजिए कि किसी वृत्त के परिगत समांतर चतुर्भुज समचतुर्भुज होता है।
हल :
दिया है : एक समांतर चतुर्भुज ABCD केंद्र 0 वाले वृत्त के परिगत है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 11

सिद्ध करना है : ABCD एक समचतुर्भुज है।
उपपत्ति : क्योंकि बाह्य बिंदु से किसी वृत्त पर खींची गई दोनों स्पर्श रेखाओं की लंबाइयाँ समान होती हैं।
अब, वृत्त के बाहर स्थित किसी बिंदु B से BE और BF वृत्त पर दो स्पर्श रेखाएँ हैं।
BE = BF …………(1)
इसी प्रकार
AE = AH ………….(2)
और CG = CF ………..(3)
साथ ही, DG = DH ………….(4)
(1), (2), (3) और (4) को जोड़ने पर हमें प्राप्त होता है
(BE + AE) + (CG + DG) = (BF + CF) + (AH + DH)
या AB + CD = BC + AD ……………(5)
अब, ABCD एक सामांतर चतुर्भुज है।
∴ AB = CD और BC = AD ………….(6)
(5) और (6) से हमें प्राप्त होता है।
AB + AB = BC + BC
या 2AB = 2BC
या AB = BC
अब, AB = BC = CD = AD
∴ ABCD समचतुर्भुज है।
अतः किसी वृत्त के परिगत समांतर चतुर्भुज समचतुर्भुज होता है।

प्रश्न 12.
4 cm त्रिज्या वाले एक वृत्त के परिगत एक त्रिभुज ABC इस प्रकार खींची गया है कि रेखाखण्ड BD और DC (जिनमें स्पर्श बिंदु D द्वारा BC विभाजित है) की लंबाइयाँ क्रमशः 8 cm और 6 cm हैं ( देखिए आकृति)। भुजाएं AB और AC ज्ञात कीजिए।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 12

हल :
4 cm त्रिज्या वाले एक वृत्त के परिगत एक त्रिभुज ABC खींचा गया है।
त्रिभुज की भुजाएं BC, CA, AB वृत्त को क्रमशः बिंदुओं D, E तथा F पर स्पर्श करती हैं।
क्योंकि किसी बाह्य बिंदु से वृत्त पर खींची गई स्पर्श रेखाओं की लंबाइयाँ बराबर होती हैं।
∴ AE = AF = x cm (माना)
CE = CD = 6 cm
और BF = BD = 8 cm
क्योंकि वृत्त की स्पर्श रेखा स्पर्श बिंदु से जाने वाली त्रिज्या पर लंब होती है।

PSEB 10th Class Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 13

∴ OD ⊥ BC ; OE ⊥ AC और OF ⊥ AB.
साथ ही, OE = OD = OF = 4 cm.

उपपत्ति: क्योंकि बाह्य बिंदु से किसी वृत्त पर खींची गई दो स्पर्श रेखाएं केंद्र पर समान कोण अंतरित करती हैं।
∴ ∠2 = ∠3; ∠4 = ∠5 ; ∠6 = ∠7; ∠8 = ∠1 ………….(1)
क्योंकि एक बिंदु पर सभी कोणों का जोड़ 360° होता है। .
∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 + ∠5 + ∠6 + ∠7 + ∠8 = 360°
या ∠1 + ∠2 + ∠2 + ∠5 + ∠5 + ∠6 + ∠6 + ∠1 = 360°
या 2 (∠1 + ∠2 + ∠5 + ∠6) = 360°
या (∠1 + ∠2) + (∠5 + ∠6) = \(\frac{360^{\circ}}{2}\) = 180°
∠POQ +∠SOR = 180°
इसी प्रकार, ∠SOP + ∠ROQ = 180°
अतः वृत्त के परिगत बनी चतुर्भुज की आमने-सामने की भुजाएं केंद्र पर संपूरक कोण अंतरित करती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ

PSEB 12th Class Economics अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अभावी मांग (Deficient Demand) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अभावी मांग (Deficient Demand) ऐसी स्थिति है, जोकि एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के लिए, कुल मांग, कुल पूर्ति से कम होती है।

प्रश्न 2.
अस्फीति अन्तर (Deflationary Gap) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
अभावी मांग की स्थिति कब उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन तथा पूर्ण रोज़गार की स्थिति के अन्तर को अस्फीति अन्तर कहा जाता है। इस को अभावी मांग भी कहते हैं।

प्रश्न 3.
एक अर्थव्यवस्था में अभावी मांग से क्या अभिप्राय है ? इसका रोज़गार तथा उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
अभावी मांग वह स्थिति है, जिसमें कुल मांग, पूर्ण रोजगार की स्थिति से कम होती है। इससे निवेश पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए रोज़गार कम हो जाता है। जब रोज़गार कम होगा तो देश में उत्पादन कम हो जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ

प्रश्न 4.
अधिक मांग से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
एक अर्थव्यवस्था में अधिक मांग (Excess Demand) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब कुल मांग, पूर्ण रोज़गार के स्तर से अधिक होती है तो इस स्थिति को अधिक मांग की स्थिति कहा जाता है।

प्रश्न 5.
स्फीतिक अन्तर (Inflationary Gap) का अर्थ बताओ।
उत्तर-
स्फीतिक अन्तर वह स्थिति है, जिसमें पूर्ण रोजगार के स्तर पर कुल मांग, कुल पूर्ति से अधिक होती है (AD > AS)। इस स्थिति को स्फीतिक अन्तर कहा जाता है, जोकि मुद्रा स्फीति (Inflation) को जन्म देती है।

प्रश्न 6.
स्फीतिक अन्तर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
स्फीतिक अन्तर वह स्थिति है, जिसमें पूर्ण रोज़गार प्राप्त करने के लिए अनिवार्य कुल मांग से कुल मांग (AD) अधिक होती है। इससे स्फीतिक अन्तर उत्पन्न होता है।

प्रश्न 7.
स्फीतिक अन्तर का उत्पादन और कीमतों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में वृद्धि नहीं होती बल्कि कीमतों में वृद्धि होती है।

प्रश्न 8.
‘से’ के बाज़ार नियम का सार दें।
उत्तर-
जे०बी०से० के अनुसार, “वस्तुओं की पूर्ति अपनी माँग स्वयं पैदा कर लेती हैं” प्रत्येक देश में पूर्ण रोज़गार एक साधारण स्थिति होती है।

प्रश्न 9.
अधिक मांग में ……
(क) AD = AS
(ख) AD > AS
(ग) AD < AS (घ) इनमें से कोई नहीं। उत्तर- (ख) AD > AS.

प्रश्न 10.
अभावी मांग में .
(क) AD = AS
(ख) AD > AS
(ग) AD < AS
(घ) उपरोकत सभी।
उत्तर-
(ग) AD < AS.

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ

प्रश्न 11.
‘पूर्ति अपनी मांग स्वयं पैदा कर लेती है’ नियम किसने दिया।
(क) एडम स्मिथ
(ख) रोबिन्ज
(ग) मार्शल
(घ) प्रो० जे० बी० ‘से’।
उत्तर-
(घ) प्रो० जे० बी० से।

प्रश्न 12.
पूर्ण रोज़गार की स्थिति में जब कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है तो इस स्थिति को कहते हैं ?
उत्तर-
अधिक मांग अथवा स्फीति अन्तर।

प्रश्न 13.
स्फीति अन्तर में उत्पादन, रोज़गार और कीमत ……… हो जाते हैं।
(क) कम
(ख) अधिक
(ग) सामान्य
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) कम।

प्रश्न 14.
जब स्फीति अन्तराल की स्थिति होती है तो उसको …………… कहते हैं ।
(क) पूर्ण रोजगार
(ख) अपूर्ण रोजगार
(ग) छुपी बेरोज़गारी
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) अपूर्ण रोजगार।

प्रश्न 15.
कम मांग की स्थिति में अर्थव्यवस्था में कम उत्पादन, कम आय और कम रोज़गार की स्थिति होती है। इस स्थिति को ………………. कहते हैं।
(क) स्फीतिक
(ख) तेजी
(ग) अस्फीतिक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) अस्फीतिक।

प्रश्न 16.
कुल मांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुल मांग = उपभोग व्यय + निजी निवेश + सरकारी व्यय + शुद्ध निर्यात।

प्रश्न 17.
कुल पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुल पूर्ति = उपभोग + बचत।

प्रश्न 18.
जब पूर्ण रोज़गार की स्थिति में कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है तो इस को स्फिति अन्तर कहा जाता है ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 19.
अधिक माँग की स्थिति को अस्फीति अन्तर भी कहा जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अभावी मांग (Deficient Demand) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अभावी मांग (Deficient Demand) ऐसी स्थिति है, जोकि एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के लिए, कुल मांग, कुल पूर्ति से कम होती है अर्थात् यदि कुल मांग पूर्ण रोज़गार के स्तर से कम होती है तो ऐसी स्थिति को अभावी मांग कहा जाता है।

प्रश्न 2.
अस्फीति अन्तर (Deflationary Gap) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
अभावी मांग की स्थिति कब उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन AS = AD द्वारा E बिन्दु पर स्थापित होता है, जोकि पूर्ण रोज़गार F की स्थिति से पहले की स्थिति है। इस स्थिति में FG, अस्फीति अन्तर कहा जाता है। जिसके परिणामस्वरूप आय तथा रोज़गार कम हो जाता है। अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन E की स्थिति को अभावी मांग की स्थिति कहा जाता है।
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अधिक मांग (Excess Demand) को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
अथवा
स्फीति अन्तर से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र की सहायता से स्फीति अन्तर की धारणा को स्पष्ट करो।
उत्तर-
स्फीति अन्तर (Inflationary Gap) वह स्थिति होती है, जोकि एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार स्थापित करने के लिए अनिवार्य कुल मांग से अधिक मांग (Excess Demand) को प्रकट करती है।
रेखाचित्र 2 में कुल मांग तथा कुल पूर्ति द्वारा सन्तुलन F बिन्दु पर स्थापित होता है। इससे ON रोज़गार का स्तर है, जिसको पूर्ण रोज़गार की स्थिति कहा जाता है। यदि कुल मांग AD से बढ़कर AD1 हो जाती है तो कुल मांग में वृद्धि FG हो जाती है, इसको स्फीति अन्तर कहा जाता है।
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प्रश्न 2.
विस्फीति अन्तर (Deflationary Gap) से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र की सहायता से विस्फीति अन्तर को स्पष्ट करो।
उत्तर-
जब उत्पादन के निश्चित स्तर पर कुल मांग पूर्ण रोज़गार के स्तर से कम होती है तो इस स्थिति को अभावी मांग कहा जाता है, जिस कारण अस्फीति अन्तर जन्म लेता है। इसके परिणामस्वरूप देश में उत्पादन तथा रोज़गार कम हो जाता है तथा अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। रेखाचित्र 3 में पूर्ण रोज़गार का स्तर F बिन्दु है, जहां उत्पादन अथवा रोजगार ON है। इस स्थिति में कुल मांग का है, जोकि AD1 पर G बिन्दु पर दिखाई गई है। इस स्थिति में FG को विस्फीति अन्तर कहा जाता
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प्रश्न 3.
अभावी मांग से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र की सहायता से अभावी मांग की स्थिति को स्पष्ट करो।
उत्तर-
अभावी मांग की स्थिति उस स्थिति में होती है, जब पूर्ण रोज़गार के स्तर पर कुल मांग की कमी पाई जाती है। इस स्थिति को अभावी मांग (Deficit Demand) की स्थिति कहा जाता है। रेखाचित्र 4 में AS = AD द्वारा F बिन्दु पर सन्तुलन स्थापित होता है। इसको पूर्ण रोजगार की स्थिति कहा जाता है। पूर्ण रोजगार की स्थिति में उत्पादन ON है अथवा FN है। परन्तु कुल मांग GN है। इसलिए FN – GN = FG को अभावी मांग कहा जाता है। इसको विस्फीति अन्तर भी कहते हैं।
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प्रश्न 4.
कम मांग के प्रभावों की व्याख्या करें।
उत्तर-
कम शंग (Eyeficient Remand) से अभिप्राय ऐसी अवस्था से होता है जिसमें पूर्ण रोज़गार के स्तर पर कुल पूर्ति से कम होती है। इस स्थिति को अस्फीति अन्तर भी (Deflationary Gap) भी कहते हैं। कम मांग के प्रशाद –

  • देश में कीमतें तेजी से घटने लगती हैं।
  • आय तथा धन का अभाव हो जाता है।
  • कर अधिक होने के कारण लोगों की व्यय योग्य आय कम हो जाती है।
  • देश में साधनों का अल्प उपयोग होने लगता है।
  • देश में उत्पादकों के लाभ कम होने लगते हैं।
  • उत्पादन में कमी होने लगती है।
  • देश में बेरोज़गारी फैल जाती है।

प्रश्न 5.
अधिक मांग के प्रभात्रों की व्याख्या करें।
उत्तर-
अधिक मांग (Excess Demand) से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें पूर्ण रोजगार के स्तर पर कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है इस स्थिति को स्फीति अन्तर (Inflationary Gap) कहा जाता है।

अधिक मांग के प्रभाव-

  • देश में कीमतें तेजी से बढ़ने लगती हैं।
  • आय तथा धन का असमान वितरण हो जाता है।
  • उधार देने वाले लोगों को हानि होती है।
  • नौकरी पेशा लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
  • लोगों का विश्वास सरकार में कम हो जाता है।
  • देश में अनैतिकता की स्थिति फैल जाती है।

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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अधिक मांग तथा अभावी मांग से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र द्वारा (a) अधिक मांग (b) अभावी मांग को स्पष्ट करो।।
[What is excess and deficient demand? Explain with the help of diagrams the situation of
(a) Excess demand
(b) Deficient Demand.]
अथवा
रेखाचित्र की सहायता से एक अर्थव्यवस्था में (a) अपूर्ण रोजगार सन्तुलन तथा (b) अधिक मांग सन्तुलन को स्पष्ट करो।
[Explain with the help of Diagrams the situation of (a) Under Employment Equilibrium and (b) Excess Demand in an Economy.]
अथवा
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन की स्थिति को स्पष्ट करो। रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो कि अधिक निवेश से पूर्ण रोज़गार सन्तुलन स्थापित किया जा सकता है।
(Explain the concept of Under Employment Equilibrium with the help of a diagram. Show on the same diagram the additional investment expenditure required to reach Full Employment Equilibrium.)
अथवा
स्फीति अन्तर तथा विस्फीति अन्तर को रेखाचित्रों की सहायता से स्पष्ट करो। (Explain Inflation Gap and Deflationary Gap with the help of diagrams.)
उत्तर-
1. अधिक मांग का अर्थ (Meaning of Excess Demand)-अधिक मांग वह स्थिति होती है, जब एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के स्तर से कुल मांग अधिक होती है। (Excess demand is a situation in which the aggregate demand is for a level of output is more their the full employment.) पूर्ण रोज़गार से सम्बन्धित कुल पूर्ति से जब कुल मांग अधिक होती है तो इसको अधिक मांग कहा जाता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ 5
अधिक मांग (Excess Demand)-रेखाचित्र 5 में कुल पूर्ति (AS) तथा कुल मांग (AD) एक-दूसरे को F बिन्दु पर काटते हैं। इसको पूर्ण रोज़गार का बिन्दु कहा जाता है। यदि कुल मांग AD, हो जाती है तो नया सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होता है। इस स्थिति में EF को अधिक मांग कहा जाता है।

स्फीति अन्तर (Inflationary Gap)-स्फीति अन्तराल, अधिक मांग का माप होता है। रेखाचित्र में EF को स्फीति अन्तर कहते हैं। पूर्ण रोज़गार स्थापित करने के लिए जितनी कुल मांग की आवश्यकता होती है तथा उस मांग से कुल मांग अधिक हो जाती है तो उस भाग को स्फीति अन्तर कहा जाता है।

इस स्थिति में

  • उत्पादन का स्तर समान रहता है।
  • कुल मांग अधिक होने के कारण वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमत बढ़ने लगती है।
  • इससे मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

2. अभावी मांग का अर्थ (Meaning of Deficient Demand)-अभावी मांग वह स्थिति है जोकि पूर्ण रोज़गार की स्थिति में कुल मांग, कुल पूर्ति से कम होती है-
अथवा
कुल मांग, पूर्ण रोज़गार के उत्पादन स्तर से कम होती (Deficient Demand is a situation to which the aggregate demand is for a level of output, Less than the full employment level.) रेखाचित्र 6 में OX पर आय तथा रोजगार तथा OY पर कुल मांग तथा कुल पूर्ति को दिखाया गया है। पूर्ण रोज़गार की स्थिति F बिन्दु पर दिखाई गई है, जहां AS = AD है तथा OQ उत्पादन किया जाता है। यदि वास्तव में मांग AD, है तो सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होता है। पूर्ण रोज़गार के स्तर पर कुल मांग QG है, जोकि पूर्ण रोजगार की मांग QF से कम है। इसलिए QF – QG = FG को अभावी मांग कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ

इसके परिणामस्वरूप

  • साधनों का कम प्रयोग किया जाता है।
  • उत्पादकों के स्टॉक में वृद्धि हो जाती है।
  • स्टॉक बढ़ने से नियोजित उत्पादन कम हो जाता है।
  • नियोजित उत्पादन घटने से आय तथा रोज़गार कम हो जाता है।

विस्फीतिक अन्तराल (Deflationary Gap)- किसी देश में पूर्ण रोजगार स्थापित करने के लिए जितनी कुल मांग की आवश्यकता होती है, यदि कुल मांग उस मांग से कम है तो इनके अन्तर को विस्फीतिक अन्तराल कहा जाता है। रेखाचित्र में अभावी मांग के माप को विस्फीतिक अन्तराल कहा जाता है, जिसको EG अभावी मांग = विस्फीतिक अन्तराल द्वारा दिखाया गया है।

अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन (Under Employment Equilibrium)-जब कुल मांग (AD) तथा कुल पूर्ति (AS) समान है तो सन्तुलन F बिन्दु पर स्थापित होता है, इसको पूर्ण रोजगार का बिन्दु कहा जाता है। यदि कुल मांग कम है, जिसको AD1, द्वारा दिखाया है, यह अभावी मांग को प्रकट करता है। इसके परिणामस्वरूप सन्तुलन F बिन्दु से E बिन्दु पर परिवर्तित हो जाएगा। इसी तरह अभावी मांग पूर्ण रोजगार की स्थिति से अपूर्ण रोजगार की स्थिति की ओर ले जाएगा। जब सन्तुलन E बिन्दु पर रेखाचित्र 6 स्थापित होता है तो AS = AD1, है। OU मजदूरों को रोजगार प्राप्त होता है, इसको अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन कहा जाता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ 6

अधिक मांग तथा अभावी मांग में अन्तर (Difference between Excess Demand and Deficient Demand) –

  1. कुल मांग-अभावी मांग की स्थिति में कुल मांग पूर्ण रोज़गार की स्थिति के लिए कुल मांग से कम होती है, जबकि अधिक मांग की स्थिति में कुल मांग पूर्ण रोजगार की स्थिति से अधिक होती है।
  2. स्फीतिक तथा विस्फीतिक अन्तराल अधिक मांग के कारण स्फीतिक अन्तराल तथा अभावी मांग के कारण विस्फीतिक अन्तराल उत्पन्न होता है।
  3. कीमतों में परिवर्तन-अधिक मांग की स्थिति में कीमतों में वृद्धि होती है, परन्तु अभावी मांग में कीमतों में कमी होती है।