PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 9 दो हाथ

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 दो हाथ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 9 दो हाथ

Hindi Guide for Class 9 PSEB दो हाथ Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नीरू की दिनचर्या क्या थी ?
उत्तर:
नीरू की दिनचर्या में बर्तन साफ करना, रसोई का काम करना तथा कॉलेज की पढ़ाई करना था।

प्रश्न 2.
नीरू को प्रायः किसका अभाव खलता था ?
उत्तर:
नीरू को प्रायः अपनी माँ का अभाव खलता था, जो अब जीवित नहीं थी। ।

प्रश्न 3.
नीरू अपनी हम उमर सहेलियों को खेलते देखकर क्या सोचा करती थी ?
उत्तर:
नीरू सोचा करती थी कि आज अगर उसकी माँ जीवित होती तो वह भी बेफ़िक्र होकर अपनी सहेलियों के साथ खेलती।

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प्रश्न 4.
पिता का दुलार पाकर नीरू क्या भूल जाती थी ?
उत्तर:
पिता का दुलार पाकर नीरू अपनी माँ की कमी को भूल जाती थी।

प्रश्न 5.
नीरू ने पढ़ाई के साथ अन्य कौन-से इनाम जीते थे ?
उत्तर:
नीरू ने पढ़ाई के साथ संगीत, चित्रकला और खेलों में भी खूब सारे इनाम जीते थे।

प्रश्न 6.
कॉलेज की लड़कियाँ हफ्तों से किस की सजावट में जुटी थीं ?
उत्तर:
कॉलेज की लड़कियाँ हफ़्तों से अपने नाखूनों की सजावट में जुटी थी।

प्रश्न 7.
सभापति ने कौन-सा निर्णय सुनाया ?
उत्तर:
सभापति ने निर्णय सुनाया कि नीरू के हाथ सबसे अधिक सुंदर हैं।

प्रश्न 8.
घर लौटते समय नीरू खुश क्यों थी ?
उत्तर:
घर लौटते समय नीरू इसलिए खुश थी क्योंकि आज उसके कटे-फटे, गंदे-भद्दे हाथों का सही रूप आँका गया था।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
नीरू घर के कौन-कौन से काम किया करती थी ?
उत्तर:
नीरू अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। माँ की मृत्यु के बाद से वह माँ की सारी ज़िम्मेदारियाँ खुद ही उठाती थीं। वह रसोई के झूठे बर्तन धोती थी। साग-सब्जी काटती थी। चूल्हे की लिपाई करती थी। सारे घर में झाड़ लगाती थी। भोजन पकाती थी। चपातियाँ सेकती थीं। कपड़े धोती थी तथा घर के अन्य छोटे-बड़े काम किया करती थीं।

प्रश्न 2.
नीरू की माँ उसे काम करने से क्यों रोकती थी ?
उत्तर:
नीरू की माँ उसे काम करने से इसलिए रोकती थी क्योंकि नीरू बहुत कोमल तथा प्यारी थी। उसके हाथ बहुत ही सुंदर थे। घर के काम करने के बारे में वह नीरू को कहती थीं कि – “यह सब काम तेरे करने के नहीं। हम अनपढ औरतें तो जानवर होती हैं और माँ अपने हाथ खोलकर दिखाती। मोटी खुरदरी उंगलियाँ, कटी-फटी चमड़ी और टेढ़े-मेढ़े नाखून।” तेरे हाथ ककड़ी के समान हैं। इनकी पाँच उंगलियों में पाँच अंगूठियाँ डालूँगी न कि तुझ से काम करवाऊँगी।

प्रश्न 3.
नीरू की सहेलियाँ उसका मज़ाक क्यों उड़ाती थीं ?
उत्तर:
नीरू की सहेलियाँ उसके गंदे हाथों को देखकर उसका मज़ाक उड़ाती थीं। नीरू के हाथ कहीं से कटे थे। कहीं से फटे थे। कहीं पर चपाती सेकते हुए जल भी गए थे। उसकी सहेलियाँ उसके गंदे-भद्दे हाथों को देखकर उस पर हँसती थी। वे सभी नीरू का मजाक उड़ाते हुए कहती थी कि -“तेरी शादी कभी नहीं होगी, तुझे कोई पसन्द नहीं करेगा। चेहरे के सौंदर्य के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण हाथों का सौंदर्य होता है।” सहेलियों की ये सभी बातें नीरू को बहुत दुःख देती थीं।

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प्रश्न 4.
नीरू को उसके पिता ने हाथों का क्या महत्त्व समझाया ?
उत्तर:
नीरू के पिता ने नीरू को हाथों का महत्त्व समझाते हुए कहा कि-न जाने कौन व्यर्थ की बातें तुम्हारे दिमाग में भरता रहता है। यह सब बातें करने वाली लड़कियाँ एक दम पगली हैं। काम करने वालों की शोभा उसके हाथों से ही आँकी जाती है। अपने हाथ से काम करने वाली लड़कियाँ शक्ति और सम्पन्नता का प्रतीक होती हैं। काम करने वाले दोनों हाथ मानव जीवन की शोभा हैं। भगवान् ने मानव के ये दोनों हाथ कर्म करने के लिए बनाए हैं। हाथ इतिहास, संस्कृति तथा साहित्य का निर्माण करते हैं। हाथ कर्म की गति के साथ सुंदर होते जाते हैं।

प्रश्न 5.
इनाम लेते समय नीरू को शर्म क्यों आ रही थी ?
उत्तर:
इनाम लेते समय नीरू को इसलिए शर्म आ रही थी क्योंकि उसके हाथ बहुत ही गंदे थे। देखने में उसके हाथ तनिक भी सुंदर नहीं थे। उसकी सहेलियाँ तो अक्सर उसके हाथों का मजाक उड़ाती थीं। उसे यह सोचकर और अधिक शर्म आ रही थी कि सभापति जब इनाम देते समय उसके हाथों को देखेंगे तो वह उसके बारे में क्या सोचेंगे।

प्रश्न 6.
कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होती है।’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उक्त पंक्ति के माध्यम से लेखक ने कहना चाहा है कि. हाथ कर्म करने के लिए होते हैं। हाथों के द्वारा ही समाज तथा राष्ट्र की उन्नति होती है। यही उन्नति हाथों की शोभा बन उसकी कर्मशीलता का उदाहरण प्रस्तुत करती है। हाथों के द्वारा किया गया प्रत्येक अच्छा कार्य उसकी शोभा का ही उदाहरण है। फिर चाहे साहित्य-रचना हो या फिर इतिहास और संस्कृति का निर्माण करना हो।

प्रश्न 7.
इनाम लेकर लौटते समय नीरू को अपने हाथ सुन्दर क्यों लग रहे थे ?
उत्तर:
इनाम लेकर लौटते समय नीरू इसलिए प्रसन्न थी कि आज उसके हाथों का मज़ाक नहीं उड़ाया गया न ही उसके हाथों पर किसी ने किसी भी प्रकार का कोई आक्षेप किया। इसके विपरीत आज सभापति ने नीरू के हाथों को कर्मशीलता का अपूर्व उदाहरण कहा। उसके हाथों को सर्जक कहते हुए हाथों की शोभा कर्मशीलता को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि नीरू के हाथ अपूर्व सौंदर्य का जीता जागता उदाहरण हैं। अपने हाथों की प्रसन्नता को सुनकर नीरू को अपने हाथ सुंदर लग रहे थे।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छ:-सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
नीरू का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
नीरू ‘दो हाथ’ कहानी की मुख्य पात्रा है। अपने सभी भाई-बहनों में वह सबसे बड़ी है। वह सबसे समझदार तथा कर्तव्यपरायण है। घर की सारी ज़िम्मेदारी उसी के कंधों पर है। वह अपने भाई-बहनों का ध्यान रखती है। घर का सारा काम वह स्वयं अपने हाथों से करती है। खाना पकाती है। बर्तन धोती है। चूल्हा लीपती है। सब्जी काटती है। जब उसके भाई-बहन खेल रहे होते थे तब वह घर का काम करती थी। घर के संपूर्ण काम में दक्ष होने के साथ-साथ वह पढ़ाई, संगीत, चित्रकला तथा खेल में भी श्रेष्ठ थी। किसी भी क्षेत्र में उसका कोई सानी नहीं था। उसका शारीरिक रूप सौंदर्य भी अनुपम था। उसके हाथ उसकी कर्मशीलता का साक्षात् उदाहरण थे। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करती थी। उन्हें अक्सर याद करके वह रोती रहती थी।

प्रश्न 2.
नीरू ने कौन-सा अनोखा सपना देखा था ?
उत्तर:
नीरू कॉलेज में होने वाले वार्षिक उत्सव को लेकर काफ़ी परेशान थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसकी सहेलियाँ हफ्तों से अपने नाखूनों की सजावट में जुटी हुई थीं। रात के समय सोते हुए वह रह-रह कर जाग जाती थी। उसे एक अनोखा सपना दिखाई दिया, जिसमें दो हाथ-दो हाथ चारों तरफ़ सुंदर-सुंदर कमल के समान दिखाई दे रहे थे। सारा आकाश उन हाथों से भरा हुआ था। किंतु स्वप्न की अनोखी बात यह थी कि नीरू के मैले धब्बेदार, टेढ़े नाखूनों वाले, आटा लगे हाथों के उदित होते ही वातावरण जगमगा उठा, ठीक उसी प्रकार जैसे सूर्य के उदित होते ही रात्रि का अंधकार जगमगा उठता है। इसी के साथ सुंदर हाथ तारों के समान न जाने कहाँ खो गए थे। नीरू इस अनोखे स्वप्न को देखने के बाद दुबारा रातभर सो नहीं पाई।

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प्रश्न 3.
सभापति ने हाथों का वास्तविक सौन्दर्य क्या बताया ?
उत्तर:
सभापति ने हाथों का वास्तविक सौंदर्य बताते हुए कहा-सुंदर हाथ कर्म से सजते हैं। कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होती है। हाथ सर्जक हैं। उनका सौंदर्य कार्य करने की क्षमता में ही निहित है। हाथ मानव जीवन का बाह्य सौंदर्य न होकर आंतरिक सौंदर्य है। यह एक प्रकार का श्रृंगार भी है। वह हाथ सबसे सुंदर हैं जो कर्म साधना में अपनी भी सुध-बुध खो बैठते हैं। वह सदा दूसरों की सेवा में लगे रहते हैं। उन्हें अपना कोई होश नहीं रहता। वह सदा दूसरों की भलाई तथा कर्त्तव्यपरायणता में लगे रहते हैं। हाथों पर लगे आटे के निशान, काले-पीले जले निशान, स्थान-स्थान से कटे-फटे हाथ एक अद्वितीय अलौकिक सृष्टि का अपार सौंदर्य जान पड़ते हैं।

प्रश्न 4.
‘दो हाथ’ कहानी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
दो हाथ’ कहानी मनोवैज्ञानिक धरातल पर रचित कहानी है जिसमें लेखक ने एक बिना माँ की बच्ची के द्वारा कर्मशीलता का संदेश दिया है। बच्ची माँ के अभाव में स्वयं को अकेला महसूस करती है। माँ की ज़िम्मेदारियाँ स्वयं उठाती है। वह अपने हाथों से सब्जी काटती है। बर्तन धोती है। कपड़े धोती है। लकड़ियाँ काटती है। कोयला तोड़ती है तथा अन्य सभी काम अपने हाथों से ही करती है। इन सब कार्यों को करने के कारण नीरू के हाथ कहीं से कट जाते हैं तो कहीं से फट जाते हैं। देखने में उसके वह हाथ एक दम मैले, गंदे, भद्दे तथा बदसूरत लगते थे, किंतु लेखक ने इन्हीं मैले गंदे हाथों में आम जनमानस को कर्मशीलता तथा नित्य कर्म करने का संदेश दिया है। हाथ में पड़ने वाले निशान व्यक्ति के कर्मशील होने का प्रमाण हैं।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर इनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरा – अर्थ – वाक्य
मन भर आना – भावुक होना – …………….
फूट-फूट कर रोना – बहुत ज्यादा रोना – …………………..
आँखें डबडबा आना – आँखों में आँसू आ जाना – …………….
दम घुटना – उकता जाना – ……………….
उत्तर:

  • पापा की याद आते ही राधा का मन भर आता था।
  • कभी-कभी अपने हाथों की दशा देखकर साधना फूट-फूट कर रोने लगती थी।
  • दादा का दुलार पाकर रेखा की आँखें डबडबा आईं।
  • रिश्तेदारों का उपहास सुनकर तमन्ना का दम घुटने लगा था।

2. निम्नलिखित वाक्यों में उपयुक्त स्थान पर उचित विराम चिह्न का प्रयोग कीजिए

(i) पिता झट पूछते क्या बात है मेरी रानी बिटिया उदास क्यों है
(ii) पिता जी सिर पर हाथ फेरते हुए कहते शायद मैं तुम्हें माँ का पूरा प्यार नहीं दे पाया
(iii) वह उमंग से भर कहने लगी सच पिता जी आप ठीक कहते हैं
उत्तर:
(i) पिता झट पूछते, “क्या बात है, मेरी रानी बिटिया उदास क्यों है ?”
(ii) पिता जी सिर पर हाथ फेरते हुए कहते, “शायद मैं तुम्हें माँ का पूरा प्यार नहीं दे पाया।”
(iii) वह उमंग से भर कहने लगी, “सच पिता जी आप ठीक कहते हैं।”

3. निम्नलिखित वाक्यों का हिन्दी में अनुवाद कीजिए

(i) ਬਰਤਨ ਸਾਫ਼ ਕਰਕੇ ਨੀਰੂ ਨੇ ਰਸੋਈ ਨੂੰ ਧੋਇਆ ਅਤੇ ਸਾਗ ਕੱਟਣ ਵਿੱਚ ਮਗਨ ਹੋ ਗਈ ।
(ii) माधठी ठे हैमप्ला मुटाप्टिमा ਤਾਂ ਸਾਰੇ ਹੈਰਾਨ । ताप्टे ।
(iii) ਭਗਵਾਨ ਨੇ ਇਹ ਦੋ ਹੱਥ ਕਰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਬਣਾਏ ਹਨ ।
उत्तर:
(i) बर्तन साफ करके नीरू ने रसोई को धोया और साग काटने में मग्न हो गई।
(ii) सभापति ने फैसला सुनाया तो सब हैरान हो गए।
(iii) भगवान ने ये दो हाथ कर्म करने के लिए बनाए हैं।

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
क्या आप भी नीरू की तरह हर काम ज़िम्मेदारी से निभाते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ । मैं नीरू की तरह हर काम पूरी ज़िम्मेदारी से निभाता हूँ। घर के लिए सब्जी बाज़ार से खरीद कर लाता हूँ। छुट्टी वाले दिन घर के काम में माँ का हाथ बँटाता हूँ। प्रतिदिन भाई-बहनों को अपने साथ बैठाकर पढ़ता और उन्हें पढ़ाता हूँ। शाम को भाई-बहनों को लेकर पार्क में घूमने भी जाता हूँ। घर के लिए दूध, फल आदि लेकर आता हूँ।

प्रश्न 2.
अपने दैनिक कार्यों की सूची बनाइए और बताइए कि अपनी पसंद के कार्य के लिए आप किस तरह समय निकालते हैं ?
उत्तर:
सुबह सवेरे जल्दी उठकर व्यायाम करना, स्नान आदि से निवृत्त होकर स्कूल जाना, दोपहर को विद्यालय से वापस आना, शाम को पार्क में घूमने जाना, देर शाम को पढ़ने के लिए बैठना, घर के लिए दूध, फल, सब्जी लाना आदि मेरे दैनिक कार्य हैं। इसी बीच मैं शाम के समय कविता लिखने के लिए समय निकाल लेता हूँ।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

1. कर्मशील व्यक्तियों के जीवन-चरित्र पढ़ें।
2. कर्मठ व्यक्तियों के चित्र एकत्रित करके एक छोटी-सी पत्रिका तैयार करें।
3. आप अपने घर अपनी माता जी की मदद किस प्रकार करते हैं ? क्या केवल लड़कियाँ ही मदद करती हैं या लड़के भी ? कक्षा में चर्चा करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

हाथ पर मुहावरे
हाथ धो कर पीछे पड़ना – बुरी तरह पीछा करना।
हाथ मलना – पछताना।
हाथ साफ करना – चोरी करना।
हाथ फैलाना – याचना करना।
हाथ पाँव फूल जाना – घबरा जाना।
हाथों हाथ बिकना – बहुत जल्दी बिकना।
हाथों के तोते उड़ना – बहुत व्याकुल होना।
हाथ धो बैठना – किसी वस्तु से वंचित होना, गँवा बैठना।
हाथ पैर मारना – कोशिश करना।
हाथ रंगना – खूब धन कमाना।
हाथ खींचना – सहायता बंद करना।
हाथ तंग होना – पैसों का अभाव।

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PSEB 9th Class Hindi Guide दो हाथ Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘दो हाथ’ कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डॉ० इन्दुबाली द्वारा रचित ‘दो हाथ’ कहानी एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इस कहानी में लेखिका ने मानव के दो हाथों के माध्यम से सौन्दर्य के वास्तविक स्वरूप पर प्रकाश डाला है। लेखिका ने माना है कि हाथों की सुंदरता का रूप कर्म करने में विद्यमान हैं। अपने इसी संदेश से लेखिका ने लोगों की मानसिक कुंठा को दूर करने का प्रयास किया है। इस प्रकार लेखिका ‘कर्म के सौन्दर्य की अमूल्य कीमत’ का संदेश बच्चों तक पहुँचाने में पूर्णतः सफल रही ।

प्रश्न 2.
नीरू अपने छोटे भाई-बहनों से किस प्रकार भिन्न थी ?
उत्तर:
माँ की मृत्यु के बाद नीरू ने अपने भाई-बहनों को सम्भालने का सारा बोझ अपने ही कंधों पर उठा लिया था। वह अपने सभी भाई-बहनों से एक दम अलग थी। जब सभी छोटे भाई-बहन खेलने-खाने में मस्त रहते थे तब वह अपनी ही धुन में काम करती रहती थी। वह अपनी माँ के समान ही गंभीर थी। भाई-बहनों के समान उधम मचाना उसे अच्छा नहीं लगता था। वह पढ़ाई में भी सबसे आगे थी। घर के काम में व्यस्त उसके हाथ पढ़ने-लिखने में खूब चलते थे।

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एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1. ‘दो हाथ’ कहानी किस के द्वारा रचित है ?
उत्तर:
डॉ० इन्दुबाली।

प्रश्न 2.
नीरू को किसका अभाव प्रायः खलता था ?
उत्तर:
माँ का।

प्रश्न 3.
नीरू को घर का काम कौन नहीं करने देता था ?
उत्तर:
नीरू को उसकी माँ घर का कोई काम नहीं करने देती थी।

प्रश्न 4.
काम करने वाले की शोभा किससे आँकी जाती है ?
उत्तर:
काम करने वाले की शोभा उसके हाथों से आँकी जाती है।

प्रश्न 5.
सुंदर हाथ किससे सजते हैं ?
उत्तर:
सुंदर हाथ कर्म करने से सजते हैं।

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हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
नीरू घर का काम नहीं करती थी सिर्फ कॉलेज जाती थी।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 7.
नीरू रोज़ कुल्हाड़ी से लकड़ियाँ छाँटती थी।
उत्तर:
हाँ।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
नीरू के छोटे बहन-भाई खेलने खाने में मस्त रहते।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
कॉलेज के वार्षिक उत्सव में नीरू को कोई पुरस्कार नहीं मिला।
उत्तर:
गलत।

दो हाथ रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
उनका …….. भरा …….. बड़ा ………… लगता।
उत्तर:
उनका प्यार भरा स्पर्श बड़ा सुखद लगता।

प्रश्न 11.
ऐसे …… हाथ मैंने ……. कभी ……. देखे।
उत्तर:
ऐसे सुंदर हाथ मैंने पहले कभी नहीं देखे।

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बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
किस पक्षी के पैर कुरूप होते हैं_
(क) कबूतर
(ख) तोता
(ग) मोर
(घ) चिड़िया।
उत्तर:
(ग) मोर।

प्रश्न 13.
नीरू के कॉलेज की सभी लड़कियाँ हफ्तों से किसकी सजावट में जुटी थीं ?
(क) पैरों
(ख) हाथों
(ग) चेहरे
(घ) नाखूनों।
उत्तर:
(घ) नाखूनों।

प्रश्न 14.
माँ को नीरू की उंगलियाँ किसकी तरह कोमल लगती थीं ?
(क) कमल
(ख) ककड़ी
(ग) गुलाब
(घ) चमेली।
उत्तर:
(ख) ककड़ी।

प्रश्न 15.
चेहरे के सौंदर्य के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण किसका सौंदर्य होता है ?
(क) आँखों का
(ख) हाथों का
(ग) होठों का
(घ) पैरों का।
उत्तर:
(ख) हाथों का।

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कठिन शब्दों के अर्थ

खला = दुःख होना ; बुरा महसूस होना, कष्ट होना। कुरूप = गंदा, भद्दा। चपाती = रोटी। स्पर्श करना = छूना। आँखें डब-डबाना = आँखों में आँसू भरना। उपहास = मज़ाक। प्रतीक = चिह्न । परत-दर-परत = एकएक करके। व्यस्त होना = काम में लगे होना। ढेरों = अत्यधिक। किस्मत = भाग्य। अभाव = कमी। टीस = कसक, सहसा रह-रह कर उठने वाली पीड़ा। स्पर्श = छूना। सौन्दर्य = सुन्दरता। स्निग्ध = कोमल। शोभा = सुन्दरता। रहस्य = गुप्त बात, राज। उद्वेलन = उछाल (भावों की उथल-पुथल)। कर्मशीलता = फल की इच्छा छोड़कर काम करना। सर्जक = रचना करने वाला। अद्वितीय = अनोखा। अलौकिक = जो इस लोक में न मिलता हो। सृष्टि = संसार । उपलब्धि = विशेष प्राप्ति।

दो हाथSummary

दो हाथ लेखक-परिचय

जीवन-परिचय-हिन्दी-गद्य की प्रसिद्ध लेखिका डॉ० इन्दुबाली का साहित्य में अप्रतिम स्थान है। इनका जन्म सन् 1932 में लाहौर पाकिस्तान में हुआ। विभाजन के बाद इन्दुबाली भारत आ गई। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पहले लाहौर तथा विभाजन के बाद शिमला में हुई। इन्होंने उच्च शिक्षा लुधियाना तथा चंडीगढ़ से प्राप्त की। डॉ० इन्दुबाली ने साहित्य, दर्शन-शास्त्र तथा उपन्यासों का भी गंभीरता से अध्ययन किया है। अध्यापन को इन्होंने व्यवसाय के रूप में चुना। पंजाब के विभिन्न शहरों में इन्होंने प्राध्यापिका के रूप में अध्यापन कार्य किया। इन्होंने प्राचार्या के रूप में भी अनेक स्थानों पर कार्य किया। इनका सारा जीवन अध्यापन और अध्ययन के क्षेत्र में बीता। पंजाब प्रदेश के कहानीकारों में इनका विशिष्ट स्थान है। इनकी साहित्य सेवा को देखते हुए पंजाब के भाषा विभाग की ओर से इन्हें शिरोमणि साहित्यकार के सम्मान से अलंकृत किया। इसके अतिरिक्त इन्हें समय-समय पर और भी अनेक पुरस्कार मिलते रहे हैं। आजकल आप चंडीगढ़ में सेवानिवृत्त हो कर अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं।

रचनाएँ-डॉ० इन्दुबाली एक महान साहित्य सेवी हैं। वे बहमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार मानी जाती हैं। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से अनेक साहित्यिक विधाओं का विकास किया है। इनकी लगभग पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
कहानी संग्रह-मन रो दिया, दो हाथ, मेरी तीन मौतें, दूसरी औरत होने का सुख, टूटती-जुड़ती, मैं खरगोश होना चाहती हूँ। – उपन्यास-बांसुरिया बज उठी, सोए प्यार की अनुभूति। इनकी प्रथम कहानी सन् 1964 में धर्मयुग में ‘मैं दूर से देखा करती हूँ” शीर्षक से प्रकाशित हुई।
साहित्यिक विशेषताएँ-डॉ० इन्दुबाली साहित्य सेवी और समाज सेवी दोनों रूप में प्रसिद्ध हैं। इनका गद्य साहित्य समाज केंद्रित है। इन्होंने अपने गद्य साहित्य में समाज का यथार्थ चित्रण किया है। समाज के सुख-दुःख, ग़रीबी, शोषण आदि का यथार्थ वर्णन किया है। इनकी कहानियों में राणाज में फैली गरीबी, कुरीतियों, जाति-पाति, विसंगतियों का यथार्थ के धरातल पर अंकन हुआ है। वे एक समाज सेवी लेखिका थी। अत: आज तक वह साहित्य सेवा के द्वारा समाज का उद्धार करने में लगी हुई हैं।

भाषा शैली-इनकी भाषा शैली अत्यंत सहज, सरल एवं प्रवाहपूर्ण है। इन्होंने अपने गद्य साहित्य में अनेक शैलियों को स्थान दिया है। इनकी भाषा में प्रवाहमयता और सजीवता है। इनकी भाषा पाठक के विषय से तारतम्य स्थापित कर . उसके हृदय पर अमिट छाप छोड़ देती है।

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दो हाथ कहानी का सार/प्रतिपाद्य

डॉ० इन्दुबाली द्वारा रचित कहानी ‘दो हाथ’ मनोविज्ञान पर आधारित कहानी है। इस कहानी में लेखिका ने एक बालिका की उस मानसिक दशा का चित्रण किया है, जिसमें वह अपने हाथों के सौंदर्य को लेकर चिंतित रहती है। इससे बालिका का समुचित विकास नहीं हो पाता। वह माँ की कमी को अक्सर महसूस करती है।
नीरू बिना माँ की एक मेहनती लड़की थी। उसे घर का सारा काम करना पड़ता था। वह कर्म करने में विश्वास करती थी। रसोई का सारा काम करना। घर की साफ-सफाई तथा कॉलेज की पढ़ाई करना बस यही उसका जीवन था। उसे अपने जीवन में माँ का अभाव प्रायः दुःख देता था। वह अक्सर सोचती थी कि यदि उसकी माँ आज जीवित होती तो वह भी बे-फिक्र होकर अपनी सहेलियों के साथ खेल सकती थी। किंतु वह अपना मन मसोसकर रह जाती थी।

वह अपने दुःख को घर के काम तथा पढ़ाई के बीच डालकर शांत करने का प्रयत्न करती थी। जब कभी पढ़ते और काम करते समय उसका ध्यान अपने हाथों की ओर जाता था तो वह अत्यंत निराश और हताश हो जाती थी। अपनी निराशा को छुपाने के लिए वह तरह-तरह के विचार करने लगती थी। वह सोचने लगती थी कि मोर के पैर भी तो कुरूप होते हैं लेकिन मोर फिर भी सुंदर है। इसी तरह क्या वह मोर से कम सुंदर है ? घर में सारा दिन काम करने के कारण उसके हाथ कट-फट चुके थे। कभी बर्तन मांजते हुए, कभी झाड़ लगाते हुए तो कभी रोटियाँ सेकते हुए। जब कभी नीरू के पिता प्यार और दुलार से उसके सिर पर अपना हाथ रख देते थे तो वह सभी अभावों को भूल कर सुखद आनंद का अनुभव करने लगती थी। जब कभी वह उदास हो जाती थी तो पिता जी उसकी उदासी का कारण पूछते तो वह अक्सर टाल दिया करती थी। पिता जी को पता चल जाता था कि उसे अपनी माँ की याद आ रही होगी शायद इसीलिए वह फूट-फूट कर रोने लगती थी। तब पिता जी ने नीरू से कहा कि शायद वह नीरू को पूरा प्यार नहीं दे पाते, तभी तो वह छुप-छुप कर रोती है। तभी नीरू को ध्यान आया कि अभी तो उसे रसोई का सारा काम करना है। झूठे बर्तन धोने हैं। चूल्हे की लिपाई करनी है। कल की रसोई के लिए कोयले तोड़ने हैं। उसे याद आता है कि पहले जब कभी वह अपनी मां का हाथ बँटाने की बात करती थी तो उसकी माँ उसे नहीं करने देती थी।

उसे कहती थी कि “तुम्हारी उंगलियाँ ककड़ी की तरह कोमल हैं, इन पाँच उंगलियों में पाँच अंगूठियाँ डालूँगी, मेंहदी रचाऊँगी, कलाई को चूड़ियों से सजाऊँगी।” घर का सारा काम करते हुए उसे माँ की बातें याद आते ही उसकी आँखों से आँसू बहने लगते थे। वह अनजाने में अपने हाथ को साड़ी के पल्लू में छिपाने की अक्सर कोशिश करती थी। एक दिन नीरू ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। पिता के पूछने पर उसने बताया कि उसकी सभी सहेलियाँ उसके गंदे-भद्दे हाथों को देखकर उस पर हँसती हैं तथा कहती हैं कि तुझसे कोई शादी नहीं करेगा। तब पिता जी नीरू को समझाते हुए कहते हैं कि काम करने वाले की सुंदरता तो उसके हाथों में होती है। काम करने वाली लड़की तो शक्ति तथा सम्पन्नता की प्रतीक होती है। पुत्री को कर्म और शक्ति का उपदेश देते-देते वह गंभीर हो गए। पिता की बातों का नीरू पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उसमें एक नई जागृति आ गई और उमंग से भर गई। जब से नीरू की माँ का देहांत हुआ था, तभी से उसने अपने भाई बहनों की ज़िम्मेदारी का बोझ उठा रखा था। घर के काम में चलने वाले नीरू के हाथ पढ़ाई में भी खूब चलते थे।

अगले दिन कॉलेज में वार्षिक उत्सव था तथा नीरू को काफ़ी सारे इनाम भी मिलने वाले थे। नीरू ने पढ़ाई के साथ-साथ संगीत, चित्रकला तथा खेलों में बहुत-से इनाम जीते थे। वार्षिक उत्सव को लेकर नीरू काफी परेशानी में थी। वह सारी रात सो नहीं पाई थी। उसे अपने हाथों की चिंता सताए जा रही थी। सुबह का समय अत्यधिक व्यस्तता का समय होता है। सभी को जल्दी होती है। घर में कोई न कोई किसी-न-किसी चीज़ की पुकार में लगा ही होता है। नीरू घर का सारा काम निपटा कर कॉलेज में पहुँची। वह अपनी कुर्सी पर उदास एवं खोई हुई बैठी थी। इनाम देने के लिए नीरू का नाम बड़े सम्मान और तारीफ़ों के साथ लिया गया। इनाम लेने के लिए जैसे ही वह मंच पर पहुँची तो अपने हाथों को देखकर उसे बहुत शर्म आ रही थी। उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे। इनाम बँट जाने के बाद सभापति ने एक विशेष इनाम की घोषणा की। उन्होंने सबसे सुंदर हाथों को पुरस्कृत करने की बात कही। नीरू सभापति की बातों को सुनकर चुपचाप खड़ी थी। उसे लग रहा था कि अब मारे शर्म के वह धरती में ही गड़ जाएगी जब सभापति ने सुंदर हाथों का निर्णय सुनाया तो सभी चकित रह गए थे। उन्होंने कहा कि सबसे सुंदर हाथ नीरू के हैं क्योंकि कर्मशीलता ही हाथों की शोभा होते हैं। नीरू के हाथ कर्मशीलता का साक्षात् उदाहरण थे। नीरू जब इनाम लेकर घर लौट रही थी तो वह धीर और गंभीर थी। आज उसे अपने गंदे, भद्दे हाथ बहुत सुंदर लग रहे थे। वह अपने हाथों को निरंतर देखती ही जा रही थी।

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