PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 1 Punjab: Physical Features and its Impact

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Punjab: Physical Features and its Impact PSEB 9th Class SST Notes

→ Punjab (Meaning): The word Punjab is derived from two Persian words, Panj and Aab. The meaning of Panj is five and the meaning of Aab is water, which is a symbol of the river. Thus Punjab is the region of five glasses of water.

→ Changing Names of Punjab: Punjab was known by different names during different periods of history. The ancient names of Punjab were Sapt Sindhu, Panchnand, Pentapotamia, Tseh-Kia, Lahore Suba, Punjab, etc.

→ The Geographical Divisions: From the geographical point of view, Punjab can be divided into three divisions:

  • The Himalayas and its North-Western mountain ranges
  • The foothills or Terai region (the sub-Mountainous Region)
  • The Plains

PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 1 Punjab: Physical Features and its Impact

→ The Malwa Region: The Malwa region is surrounded by the rivers Sutlej and Ghagghar. During ancient times, the ‘Malava’ tribe lived here. The region is named Malwa after the name of the Malava tribe.

→ The effects of the Himalayas on the history of Punjab: Punjab was the ‘Gateway of India’ due to the existence of a number of passes in the North-West ranges of the Himalayas. During the medieval period, all the invaders came through these passes to invade India.

→ The plains of Punjab: The plains of Punjab are very fertile. The prosperity of Punjab encouraged foreign invaders to attack India.

→ The influence of the rivers of Punjab on its history: The rivers of Punjab were a hurdle in the path of the invaders.

→ They also played a role in providing natural boundaries. The Mughal rulers adopted river boundaries as the administrative divisions like Parganas, Sarkars, and Subas.

→ Terai Region: The Terai region is covered with dense forests. The Sikhs took shelter in these forests during their hard times.

→ They organized themselves, increased their military strength, and effectively faced the oppressive rulers.

→ The different Castes and Tribes of Punjab: The people of different castes and tribes lived in Punjab.

→ The prominent were the Jats, Sikhs, Rajputs, Khatris, Aroras, Gujjars, Ariansetc.

→ Punjab was annexed into the British Empire in – 1849 A.D.

→ The areas of Punjab and Hissar were included in Punjab in – 1857

→ North-Western Frontier Province was made out of Punjab in – 1901

PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 1 Punjab: Physical Features and its Impact

→ Delhi was separated from Punjab in – 1911

→ At the time of Indian Independence, Punjab was divided into Western Punjab and Eastern Punjab in -1947

→ Punjab was divided into two states – Punjab and Haryana on a Linguistic basis on – 1st Nov. 1966.

पंजाब : भौगोलिक विशेषताएं तथा प्रभाव PSEB 9th Class SST Notes

→ जन्म – गुरु नानक देव जी सिक्ख धर्म के प्रवर्तक थे। भाई मेहरबान तथा भाई मनी सिंह की पुरातन साखी के अनुसार उनका जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई० को तलवंडी नामक स्थान पर हुआ। आजकल इस स्थान को श्री ननकाना साहिब कहते हैं।

→ माता-पिता – गुरु नानक देव जी की माता का नाम तृप्ता जी तथा पिता का नाम मेहता कालू जी था। मेहता कालू जी एक पटवारी थे।

→ जनेऊ की रसम – गुरु नानक देव जी व्यर्थ के कर्मकांडों तथा आडंबरों के विरोधी थे। इसलिए उन्होंने सूत के धागे से बना जनेऊ पहनने से इंकार कर दिया।

→ सच्चा सौदा – गुरु नानक देव जी को उनके पिता जी ने व्यापार करने के लिए 20 रुपए दिए थे। गुरु नानक देव जी ने इन रुपयों से संतों को भोजन कराकर ‘सच्चा सौदा’ किया।

→ ज्ञान-प्राप्ति ( 1499 ई.) – सुलतानपुर में गुरु नानक देव जी प्रतिदिन प्रातःकाल ‘काली वेईं’ नदी पर स्नान करने जाया करते थे। वहां वह कुछ समय प्रभु चिंतन भी करते थे।

→ 1499 ई० में एक प्रातः जब वह स्नान करने गए तो निरंतर तीन दिन तक अदृश्य रहे। इसी चिंतन की मस्ती में उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई। आजकल इस स्थान पर गुरुद्वारा तप-स्थान बना हुआ है।

→ उदासियां (1499-1521 ई०) – गुरु नानक देव जी की उदासियों से अभिप्राय उन यात्राओं से है जो उन्होंने एक उदासी के वेश में कीं। इन उदासियों का उद्देश्य अंध-विश्वासों को दूर करना तथा लोगों को धर्म का उचित मार्ग दिखाना था। उन्होंने विभिन्न दिशाओं में चार महत्त्वपूर्ण उदासियां कीं।

→ करतारपुर में निवास – 1522 ई० में गुरु नानक साहिब परिवार सहित करतारपुर में बस गए। यहां रह कर उन्होंने ‘वार मल्हार’, ‘मार माझ’, ‘वार आसा’, ‘जपुजी साहिब’, ‘पट्टी’, ‘बारह माहा’ आदि वाणियों की रचना की। उन्होंने संगत तथा पंगत (लंगर) की प्रथाओं का विकास भी किया

→ गुरु साहिब का ज्योति-जोत समाना – गुरु जी के अंतिम वर्ष करतारपुर (पाकिस्तान)में धर्म प्रचार करते हुए व्यतीत हुए। 22 सितंबर, 1539 ई० को वह ज्योति-जोत समा गए। इससे पूर्व उन्होंने भाई लहना जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।

→ ईश्वर संबंधी विचार – गुरु नानक देव जी के अनुसार ईश्वर एक है और वह निराकार, स्वयंभू, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान्, दयालू तथा महान् है। उसे आत्म-त्याग तथा सच्चे गुरु की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।

→ संगत तथा पंगत – ‘संगत’ से अभिप्राय गुरु के शिष्यों के उस समूह से है जो एक साथ बैठ कर गुरु जी के उपदेशों पर विचार करते थे। ‘पंगत’ के अनुसार शिष्य इकट्ठे मिलकर एक पंगत में बैठकर भोजन खाते थे।

→ लोधी शासक – पंजाब लोधी वंश के अधीन तथा। इस राजवंश के महत्त्वपूर्ण शासक बहलोल लोधी, सिकंदर लोधी तथा इब्राहिम लोधी थे।

→ लोधी शासकों के अधीन पंजाब – लोधी वंश के समय में पंजाब षड्यंत्रों का अखाड़ा बना हुआ था। समाज में जाति प्रथा तथा अन्य कई कुरीतियां फैली हुई थीं। लोग अंधविश्वास, अज्ञानता तथा भ्रमों में फंसे हुए थे।

→ दौलत खां लोधी तथा बाबर – बाबर द्वारा भारत पर पांचवें आक्रमण के समय पंजाब के सूबेदार दौलत खां लोधी ने उसका सामना किया। इस लड़ाई में दौलत खां लोधी पराजित हुआ।

→ राजनीतिक अवस्था – गुरु नानक देव जी के जीवन-काल से पहले पंजाब की राजनीतिक अवस्था बहुत अच्छी नहीं थी। यहां के शासक कमज़ोर तथा परस्पर फूट के शिकार थे। पंजाब पर विदेशी आक्रमण हो रहे थे।

→ सामाजिक अवस्था – इस काल में पंजाब की सामाजिक अवस्था प्रशंसा योग्य नहीं थी। हिंदू समाज कई जातियों व उप-जातियों में बंटा हुआ था।

→ महिलाओं की दशा बहुत दयनीय थी। लोग सदाचार को भूल चुके थे तथा व्यर्थ के भ्रमों में फंसे हुए थे।

→ बाबर की पंजाब विजय – 1526 ई० में पानीपत की पहली लड़ाई हुई। इस लड़ाई में इब्राहिम लोधी पराजित हुआ और पंजाब पर बाबर का अधिकार हो गया।

→ मुस्लिम समाज – मुस्लिम समाज तीन वर्गों-उच्च वर्ग, मध्य वर्ग तथा निम्न वर्ग में बंटा हुआ था। उच्च वर्ग में बड़े-बड़े सरदार, इक्तादार, उलेमा तथा सैय्यद; मध्य वर्ग में व्यापारी, कृषक, सैनिक तथा छोटे सरकारी कर्मचारी सम्मिलित थे। निम्न वर्ग में शिल्पकार, निजी सेवक तथा दास-दासियां शामिल थीं।

→ हिंदू समाज – 16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का हिंदू समाज चार मुख्य जातियों में बंटा हुआ था-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र सुनार, बुनकर, लुहार, कुम्हार, दर्जी, बढ़ई आदि उस समय की कुछ अन्य जातियां तथा उप-जातियां थीं।

→ 15 अप्रैल, 1469 ई० – श्री गुरु नानक देव जी का जन्म।

→ 1499 ई० – सुलतानपुर में ज्ञान की प्राप्ति।

→ 1499 ई०-1510 ई० – पहली उदासी

→ 1510 ई०-1515 ई० – दूसरी उदासी

1515 ई०-1517 ई० – तीसरी उदासी

→ 1517 ई०-1521 ई० – चौथी उदासी

→ 1522 ई० – श्री गुरु नानक देव जी ने रावी नदी के किनारे करतारपुर बसाया।

→ 1526 ई० – पानीपत की पहली लड़ाई।

→ 22 सितंबर, 1539 ई० – श्री गुरु नानक देव जी करतारपुर (पाकिस्तान) में ज्योति-जोत समाए।

→ 1451-1489 ई० – बहलोल लोधी का शासन

→ 1489-1517 ई० – सिकंदर लोधी का शासन

→ 1517-1526 ई० – इब्राहिम लोधी का शासन

→ 1500-1525 ई० – दौलत खां लोधी का लाहौर पर शासन।

ਪੰਜਾਬ: ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ PSEB 9th Class SST Notes

→ 1849 ਈ: – ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿਚ ਮਿਲਾਇਆ ਗਿਆ ।

→ 1857 ਈ: – ਦਿੱਲੀ ਅਤੇ ਹਿਸਾਰ ਦੇ ਖੇਤਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਏ ।

→ 1901 ਈ: – ਪੰਜਾਬ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿੱਚੋਂ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਦੇਸ਼ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ।

→ 1911 ਈ: – ਦਿੱਲੀ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਅਲੱਗ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

→ 1947 ਈ: – ਭਾਰਤ ਦੀ ਵੰਡ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਪੱਛਮੀ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਪੂਰਬੀ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ !

→ 1 ਨਵੰਬਰ, 1966 ਈ: – ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਹਰਿਆਣਾ ਦੇ ਪ੍ਰਾਂਤਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ । ਗਿਆ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਇਲਾਕਾ ਹਿਮਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 4 Food Security in India

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Food Security in India PSEB 9th Class SST Notes

→ Food security: It is as essential for living as air is for breathing. It mainly means something more than getting two square meals.

→ Dimensions of Food Security:

  • Availability of food
  • Accessibility of food
  • Affordability of food.

→ Availability: Availability of food means there should be food production within the country.

→ Accessibility: Accessibility of food means that a sufficient quantity of food should be within the reach of people.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 4 Food Security in India

→ Affordability of Food: It means that a person has enough money to buy sufficient .food.

→ Buffer Stock: It is the stock of foodgrains, namely wheat and rice, procured by the government through the Food Corporation of India. (FCI)

→ Calamity: A greater misfortune or. disaster, like a flood or serious injury, grievous affliction, adversity, misery; the calamity of war.

→ Green Revolution: A large increase in crop production in developing countries was achieved by the use of artificial fertilizers, pesticides, and HYV.

→ Self Sufficiency: It is the state of not requiring any aid, support or interaction for survival, It is a type of personal or collective autonomy.

→ Fair Price Shops: Fair price stops are distribution channels of Govt, making available essential commodities like rice, kerosene, wheat, etc to the common man at controlled prices.

→ Public Distribution System: It is a govt, sponsored chain of shops, entrusted with the work of distributing basic food and non-food commodities to the needy sections of the society at very cheap prices.

→ Natural Disasters: A natural event such as flood, earthquake, or hurricane that causes great damage or loss of life.

→ Ration Card: An official document entitling the holder to a ration of food, clothes, or other goods.

→ Revamped Public Distribution System: It is govt, programme that started in 1992.

→ Minimum Support Price: It is a form of market intervention by the Govt, to agricultural producers against any shortfall in farm prices.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 4 Food Security in India

→ Issue Price: The price at which the procured buffer stock foodgrains are sold through the PPS.

→ Chronic Hunger: It is a consequence of having a persistently inadequate diet in terms of quantity and quality.

→ Seasonal Hunger: It is related to cycles of food production.

→ Need for Food Security: It is due to poverty and higher prices, qualitative factor, and quantitative factor.

→ Cooperative: It is a form of business organization in which members voluntarily form a society for producing, procuring, and marketing goods and services at rib profit no loss basis to their members.

भारत में अन्न सुरक्षा PSEB 9th Class SST Notes

→ अन्न सुरक्षा – अन्न सुरक्षा का अर्थ है, सभी लोगों के लिए सदैव भोजन की उपलब्धता, पहुंच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य।

→ अन्न सुरक्षा के आयाम-

  • उपलब्धता
  • पहुंच
  • सामर्थ्य

→ उपलब्धता – अन्न उपलब्धता का अर्थ है देश में अन्न उत्पादन, अन्न आयात और सरकारी अनाज भंडारों में संचित पिछले वर्षों का स्टॉक।

→ पहुंच – पहुंच का अर्थ है कि अन्न प्रत्येक व्यक्ति को मिलता रहे।

→ सामर्थ्य – सामर्थ्य का अर्थ है कि लोगों के पास अपनी भोजन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, पर्याप्त व पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।

→ बफर स्टॉक – बफर स्टॉक भारतीय अन्न नियम (FCI) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूं व चावल का भंडार है।

→ आपदा – कोई प्राकृतिक समस्या जो सूखे या बाढ़ आदि के रूप में आती है।

→ हरित क्रांति – हरित क्रांति खाद्यान्न में होने वाली वह कुल वृद्धि है जो वर्ष 1966-67 में कृषि की नई तकनीकें अपनाने के द्वारा संभव हुई थी।

→ आत्म निर्भरता – इसका अर्थ जीवन जीने के लिए किसी भी प्रकार की सहायता, आवश्यकता, सहायिकी के अभाव से है जिसमें दूसरों पर निर्भर नहीं रहा जाता।

→ उचित मूल्य दुकानें – यह वितरण प्रणाली है जो सरकार के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं को निर्धन व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए खोली गई हैं।

→ सार्वजनिक वितरण प्रणाली – भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के ग़रीब वर्गों में वितरण करना सार्वजनिक वितरण प्रणाली है।

→ प्राकृतिक आपदा – कोई प्राकृतिक विपत्ति जैसे बाढ़, अकाल, भूकंप जिससे जान-माल का भारी नुकसान होता है।

→ राशन कार्ड – एक सरकारी दस्तावेज जो धारक को राशन प्राप्त करने के लिए प्रदान किया जाता है।

→ संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली – यह सरकारी कार्यक्रम है जो 1992 को शुरू किया गया।

→ न्यूनतम समर्थन मूल्य – यह एक ऐसी कीमत है जो सरकार द्वारा किसानों को उन्हें हतोत्साहित होने से बचाने के लिए निर्धारित की जाती है।

→ अधिकतम मूल्य – वह मूल्य जिस पर बफर स्टॉक में रखे गए उत्पादन को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बेचा जाता है।

→ दीर्घकालिक भुखमरी – गुण व मात्रा के रूप में भोजन में होने वाली लगातार अपर्याप्तता।

→ मौसमी भुखमरी – यह खाद्यान्न उत्पादन में होने वाली कमी है।

→ खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता – यह ग़रीबी व भुखमरी के कारण होती है जो अधिक कीमत गुणात्मक व मात्रात्मक उपायों से उत्पन्न होती है।

→ संस्थाएं – यह बाज़ार संगठनों का एक प्रकार है जिसमें कुछ लोग मिलकर वस्तुओं का विक्रय करते हैं।

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 3 Poverty: Challenge Facing India

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Poverty: Challenge Facing India PSEB 9th Class SST Notes

→ Poverty: Poverty has been defined as a situation in which a person fails to earn sufficient income to buy bare means of subsistence.

→ Social Exclusion: The poor have to live only in poor surroundings with other poor people.

→ Vulnerability: Poverty is a measure that describes the greater probability of certain communities becoming or remaining poor in the coming years.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 3 Poverty: Challenge Facing India

→ Measurement of Poverty:

  • Relative Poverty
  • Absolute Poverty

→ Relative Poverty: It refers to the distribution of national income across different individuals and households in the country.

→ Absolute Poverty: It refers to the measure of poverty, keeping in view the per capita intake of calories and minimum level of consumption.

→ Poverty line: It is the method to measure the minimum income required to satisfy the basic needs of life.

→ Calorie: It is the energy given to a person by a full day’s food.

→ Causes of poverty:

  • Low economic growth
  • Heavy population pressure
  • Rural Economy.

→ Anti-poverty measures:

  • Promotion of economic growth
  • Poverty alleviation programmes

→ Worldwide estimates of poverty: More than one-fifth of the world’s poor people live in India.

→ Calories measure: The accepted average calorie requirement in India is 2400 calories per person per day in rural areas and 2100 calories per person per day in urban areas.

→ Daily wages labourers: A worker who is paid for work on a daily basis.

→ Consumption: Destruction of utility is called consumption.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 3 Poverty: Challenge Facing India

→ Income: Money is received, especially on a regular basis, for work or through investment.

→ Investment: Expenditure for further production is called investment.

→ Inequalities: An instance of being unequal.

→ Gender Discrimination: Discrimination in terms of gender, caste, or any other respect.

→ Poorest: States of India Odisha and Bihar.

निर्धनता : भारत के सम्मुख एक चुनौती PSEB 9th Class SST Notes

→ निर्धनता – निर्धनता एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी मानव को अपने जीवनयापन के लिए भोजन वस्त्र और मकान जैसी न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी करने में भी कठिनाई होती है।

→ सामाजिक अपवर्जन – सामाजिक अपवर्जन निर्धनता का एक कारण और परिणाम दोनों हो सकता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति या समूह उन सुविधाओं लाभों और अवसरों से अपवर्तित करते हैं, जिनका उपभोग दूसरे करते हैं।

→ असुरक्षा – निर्धनता के प्रति असुरक्षा एक माप है जो कछ विशेष समुदाओं या व्यक्तियों के भावी वर्गों से निर्धनता या निर्धन वने रहने की अधिक समानता जताना है।

→ निर्धनता के माप –

  • निरपेक्ष निर्धनता
  • सापेक्ष निर्धनता।

→ सापेक्ष निर्धनता – इससे अभिप्राय विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना के आधार पर निर्धनता से है।

→ निरपेक्ष निर्धनता – इससे अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता के माप से है।

→ निर्धनता रेखा – निर्धनता रेखा वह रेखा है जो उस क्रय शक्ति को प्रकट करती है जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं को संतुष्ट कर सकते हैं।

→ कैलोरी – यह एक व्यक्ति को एक दिन के खाने से मिलने वाली ऊर्जा है।

→ निर्धनता के कारण –

  • निम्न आर्थिक समृद्धि
  • भारी जनसंख्या दबाव
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था

→ निर्धनता उन्मूलन माप –

  • आर्थिक समृद्धि का विकास
  • निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम

→ निर्धनता के वैश्विक माप – विश्व के लगभग 1/5 भाग के निर्धन भारत में रहते हैं।

→ कैलोरी मापदंड – इस विचारधारा के अनुसार भारत में ग्रामीण क्षेत्र के प्रति व्यक्ति 2400 कैलोरी प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी प्रतिदिन प्राप्त होनी चाहिए।

→ दैनिक भोगीश्रम – वह श्रमिक जो दैनिक आधार पर मज़दूरी प्राप्त करता है।

→ उपभोग – उपयोगिता का भक्षण उपभोग है।

→ आय – निवेश या कार्य के नियमित तौर पर किए जाने पर प्राप्त होने वाली मुद्रा आय है।

→ निवेश – आगे उत्पादन करने के लिए किया जाने वाला व्यय निवेश है।

→ असमानता – असमानता से अभिप्राय धन व आय के असमान वितरण से है।

→ लिंग विभेद – लिंग, जाति या अन्य आधारों पर होने वाला विभेद लिंग विभेद है।

→ भारत के निर्धन राज्य – ओडिशा व बिहार।

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Punjab State Board PSEB 12th Class Maths Book Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Maths Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 1.
Find \(|\overrightarrow{\boldsymbol{a}} \times \overrightarrow{\boldsymbol{b}}|\), if \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) = î – 7ĵ + 7k̂ and \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\) = 3î – 2ĵ + 2k̂.
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 1

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 2.
Find a unit vector perpendicular to each of the vector \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}+\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\) and \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}-\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\), where \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) = 3î + 2ĵ + 2k̂ and \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) = î + 2ĵ – 2k̂.
Solution.
Given, \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) = 3î + 2ĵ + 2k̂ and \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) = î + 2ĵ – 2k̂.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 2

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 3.
If a unit vector \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) makes angles \(\frac{\pi}{3}\) with î, \(\frac{\pi}{4}\) with ĵ and an acute angle θ with k, then find θ and hence, the components of \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\).
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 3

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 4

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 4.
Show that \((\vec{a}-\vec{b}) \times(\vec{a}+\vec{b})=2(\vec{a} \times \vec{b})\)
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 5

Question 5.
Find λ and µ if (2î + 6ĵ + 21k̂) x (î + λĵ + µk̂) = 0.
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 6

On comparing the corresponding components, we have
6µ – 27λ = 0,
2µ – 27 = 0,
2λ – 6 = 0
Now, 2λ – 6 = 0
⇒ λ = 3
2µ – 27 = 0
⇒ µ = \(\frac{27}{2}\)
Hence, λ = 3 and µ = \(\frac{27}{2}\).

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 6.
Given that \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}} \cdot \vec{b}\) = 0 and \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}} \times \overrightarrow{\boldsymbol{b}}\) = 0. What can you conclude about the vectors \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) and \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\)?
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 7

Question 7.
Let the vectors \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}},\), \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}},\), \(\overrightarrow{\boldsymbol{c}},\) be given as a1i + a2j + a3k, b1i + b2j + b3k, c1i + c2j + c3k. Then show that \(\vec{a} \times(\vec{b}+\vec{c})=\vec{a} \times \vec{b}+\vec{a} \times \vec{c}\).
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 8

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 8.
If either \(\vec{a}=\overrightarrow{0}\) or \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}}=\overrightarrow{\mathbf{0}}\), then \(\vec{a} \times \vec{b}=\overrightarrow{0}\). Is the converse true? Justify your answer with an example.
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 9

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 10

Question 9.
Find the area of the triangle with vertices A ( 1, 1, 2), B (2, 3, 5) and C(1, 5, 5).
Solution.
The vertices of triangle are given asA(1, 1, 2), B(2, 3, 5) and C(1, 5, 5).
The adjacent sides \(\overrightarrow{A B}\) and \(\overrightarrow{B C}\) of ∆ABC are given as

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 11

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 10.
Find the area of the parallelogram whose adjacent sides are determined by the vectors \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) = î – ĵ + 3k̂ and \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\) = 2î – 7ĵ + k̂.
Solution.
The area of the parallelogram whose adjacent sides are \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) and \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\) is \(|\vec{a} \times \vec{b}|\).
Adjacent sides are gives as

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 12

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 11.
Let the vectors \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) and \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\) be such that \(|\overrightarrow{\boldsymbol{a}}|\) = 3 and \(|\vec{b}|=\frac{\sqrt{2}}{3}\) then \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}} \times \overrightarrow{\boldsymbol{b}}\)
is a unit vector, if the angle between \(\overrightarrow{\boldsymbol{a}}\) and \(\overrightarrow{\boldsymbol{b}}\) is
(A) \(\frac{\pi}{6}\)

(B) \(\frac{\pi}{4}\)

(C) \(\frac{\pi}{3}\)

(D) \(\frac{\pi}{2}\)
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 13

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4

Question 12.
Area of a rectangle having vertices A, B, C and D with position vectors – î + \(\frac{1}{2}\) ĵ + 4k̂, î + \(\frac{1}{2}\) ĵ + 4k̂, î – \(\frac{1}{2}\)ĵ + 4k̂ and – î – ĵ + 4k̂ respectively is
(A) \(\frac{1}{2}\)
(B) 1
(C) 2
(D) 4
Solution.
The position vectors of vertices A, B, C and D of rectangle ABCD are given as

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 10 Vector Algebra Ex 10.4 14

Now, it is known that the area of a parallelogram whose adjacent sides are \(\vec{a}\) and \(\vec{b}\) is |\(\vec{a} \times \vec{b}\)|.

Hence, the area of the given rectangle is |\(\overrightarrow{A B} \times \overrightarrow{B C}\)| = 2 sq unit.
The correct answer is (C).

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions  Geography Chapter 5 ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Chapter 5 ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ

Social Science Guide for Class 7 PSEB ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ Textbook Questions, and Answers

(ੳ) ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਰੇਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦਾ ਉੱਤਰ ਇਕ ਸ਼ਬਦ/ਇਕ ਵਾਕ (1-15) ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ ਦਿਓ –

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਤੋਂ ਭਾਵ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਅਤੇ ਰੁੱਖ-ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਹੈ, ਜੋ ਆਪਣੇ ਆਪ ਉੱਗ ਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਕੋਈ ਯੋਗਦਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਕਿਸੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਉੱਥੋਂ ਦਾ ਧਰਾਤਲ, ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਕਿਸਮ, ਜਲਵਾਯੂ ਆਦਿ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਵਿਚ ਚੀਲ, ਫਰ ਅਤੇ ਸਪਰੂਸ ਦੇ ਰੁੱਖ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੁੱਖਾਂ ਤੋਂ ਨਰਮ ਲੱਕੜੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਗੁਦਾ ਅਤੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕਿੰਨੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ

  1. ਵਣਜੰਗਲ
  2. ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਅਤੇ
  3. ਮਾਰੂਥਲੀ ਝਾੜੀਆਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜੰਗਲਾਂ ਤੋਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੰਗਲਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ, ਬਾਂਸ, ਕਾਗਜ਼ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਘਾਹ, ਗੂੰਦ, ਗੰਦਾ ਬਰੋਜਾ, ਤਾਰਪੀਨ, ਲਾਖ, ਚਮੜਾ ਰੰਗਣ ਦਾ ਛਿਲਕਾ ਅਤੇ ਦਵਾਈਆਂ ਲਈ ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਆਦਿ ਵਸਤਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਵਣ ਅਸਿੱਧੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਾਡੀ ਕੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਣ ਅਸਿੱਧੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਾਡੀ ਬਹੁਤ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ :

  • ਇਹ ਵਾਤਾਵਰਨ ਤੋਂ ਕਾਰਬਨ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਲੈ ਕੇ ਆਕਸੀਜਨ ਛੱਡਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹ ਵਰਖਾ ਲਿਆਉਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਤਾਪਮਾਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤਾ ਨਹੀਂ ਵੱਧਣ ਦਿੰਦੇ ।
  • ਇਹ ਹੜ੍ਹ ਅਤੇ ਭੋਂ-ਖੋਰ ਨੂੰ ਰੋਕਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹ ਭੂਮੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਪਾਣੀ ਰਿਸਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  • ਵਣ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਦੇ ਫੈਲਾਅ ਨੂੰ ਰੋਕਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਨੂੰ ਅਵਾਸ (Habitat) ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੰਗਲ (ਵਣ ਸਾਡੇ ਲਈ ਵਰਦਾਨ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏਗਾ

  1. ਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਉੱਨਤੀ ਹੋਵੇਗੀ ।
  2. ਵਾਤਾਵਰਨ ਸ਼ੁੱਧ ਹੋਵੇਗਾ ।
  3. ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਨ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਹੋਵੇਗੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਨੁੱਖ ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਵਿਗਾੜ ਰਿਹਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਆਵਾਸ ਅਤੇ ਖੇਤੀ ਯੋਗ ਭੂਮੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਵਣਾਂ ਦੀ ਅੰਨ੍ਹੇਵਾਹ ਕਟਾਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਸੰਤੁਲਨ ਵਿਗੜ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨਕ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਨੂੰ ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਵਿਚ ਪਾਰਕਲੈਂਡ, ਵੈਨਜ਼ੂਏਲਾ ਵਿਚ ਨੋਜ਼ ਅਤੇ ਬ੍ਰਾਜ਼ੀਲ ਵਿਚ ਕੈਂਪੋਜ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਠੰਢੇ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਦੀ ਬਨਸਪਤੀ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੰਢੇ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਲਈ ਬਰਫ਼ ਪਿਘਲਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰੰਗਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਵਾਲੇ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਪੌਦੇ ਉੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਉੱਤਰੀ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਛੋਟੀ-ਛੋਟੀ ਘਾਹ ਜਿਵੇਂ ਕਾਈ ਅਤੇ ਲਿਚਨ ਲਾਇਕਨ ਉੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

(ਅ) ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਗਪਗ 50-60 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ ਦਿਓ –

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣਾਂ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣ-ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖਾ ਤੋਂ 10° ਉੱਤਰ ਅਤੇ 10° ਦੱਖਣੀ ਅਕਸ਼ਾਂਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਫੈਲੇ ਹੋਏ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਨੂੰ ਸਦਾਬਹਾਰ ਸੰਘਣੇ ਵਣ ਆਖਦੇ ਹਨ | ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖਾ ਤੇ ਨਿਰੰਤਰ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਉੱਚਾ ਤਾਪਮਾਨ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਰਖਾ ਵੀ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਸੰਘਣੇ ਵਣ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਦੀਆਂ ਉੱਪਰਲੀਆਂ ਟਾਹਣੀਆਂ ਆਪਸ ਵਿਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਕਿ ਇਕ ਛਤਰੀ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੋਸ਼ਨੀ ਵੀ ਧਰਤੀ ਤੇ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚ ਪਾਉਂਦੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਵਿਚ ਕਈ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਫਿਰ ਵੀ ਇਹ ਰੁੱਖ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਲਾਭਦਾਇਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਰੁੱਖ ਇੰਨੇ ਸੰਘਣੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਣਾ ਬਹੁਤ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੀ । ਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ, ਮੱਧ ਅਫ਼ਰੀਕਾ, ਦੱਖਣ ਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਮੈਡਾਗਾਸਕਰ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਹੇਠ ਬਹੁਤ ਵੱਡੇ ਖੇਤਰ ਹਨ | ਆਸਟਰੇਲੀਆ, ‘ ਮੱਧ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਨੇ ਥੋੜ੍ਹਾ-ਥੋੜ੍ਹਾ ਖੇਤਰ ਘੇਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਕਿਹੜੇ ਜੰਗਲ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਕੀਮਤੀ ਹਨ ? .
ਉੱਤਰ-
ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਕੀਮਤੀ ਜੰਗਲ ਨੁਕੀਲੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਾਲੇ ਜੰਗਲ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਸਦਾਬਹਾਰ ਜੰਗਲ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਟੈਗਾ (Taiga) ਵਣ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਵਿਚ ਚੀਲ, ਫਰ ਅਤੇ ਸਪਰੂਸ ਦੇ ਰੁੱਖ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੁੱਖਾਂ ਤੋਂ ਨਰਮ ਲੱਕੜੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਗੁਦਾ ਅਤੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮਾਨਸੂਨੀ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਝੜੀ ਵਣਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਕਿਉਂ ਪੁਕਾਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਾਨਸੁਨੀ ਵਣ ਘੱਟ ਉਸ਼ਣ ਜਾਂ ਉਪ-ਉਸ਼ਣ ਅਕਸ਼ਾਂਸ਼ਾਂ ਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜਿਹੜੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਇਕ ਮੌਸਮ ਵਿਚ ਵਰਖਾ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੱਤੇ ਚੌੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿੱਥੇ ਮਾਨਸੂਨ ਪੌਣਾਂ ਕਾਰਨ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਨਸੁਨ ਵਣ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜਿਹੜੀ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਵਰਖਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਇਹ ਵਣ ਆਪਣੇ ਪੱਤੇ ਝਾੜ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਝੜੀ ਵਣ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਇਹ ਵਣ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਵਣ ਭੂਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣਾਂ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਸੰਘਣੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖੀ ਪਹੁੰਚ ਵਿਚ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਤੋਂ ਇਮਾਰਤੀ, ਬਾਲਣ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਮਾਨਸੂਨੀ ਵਣ ਕੱਟ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ ਅਤੇ ਵਧੇਰੇ ਭੂਮੀ ‘ਤੇ ਖੇਤੀ ਕੀਤੀ ਜਾਣ ਲੱਗੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸ਼ੀਤ ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਮਹਾਂਦੀਪਾਂ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੀ ਨਾਂ ਹਨ ? ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ੀਤ ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ-ਘੱਟ ਵਰਖਾ ਵਾਲੇ ਸ਼ੀਤ ਉਸ਼ਣ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ੀਤ ਉਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਘਾਹ ਬਹੁਤੀ ਉੱਚੀ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ | ਪਰ ਇਹ ਨਰਮ ਅਤੇ ਸੰਘਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਚਾਰੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਉਪਯੋਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਮਹਾਂਦੀਪਾਂ ਵਿਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਸਟੈਪੀਜ਼, ਉੱਤਰੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਪ੍ਰੇਅਰੀਜ਼, ਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਪੰਪਾਜ਼, ਦੱਖਣੀ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿਚ ਵੈਲਡ ਅਤੇ ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਵਿਚ ਡਾਉਨਜ਼ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਸੱਦਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗਰਮ ਮਾਰੂਥਲੀ ਬਨਸਪਤੀ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਗਰਮ ਮਾਰੂਥਲ-ਅਫਰੀਕਾ ਵਿਚ ਸਹਾਰਾ ਅਤੇ ਕਾਲਾਹਾਰੀ, ਅਰਬ-ਇਰਾਨ ਦਾ ਮਾਰੂਥਲ, ਭਾਰਤ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦਾ ਥਾ ਮਾਰੂਥਲ, ਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਐਟੇਕਾਮਾ, ਉੱਤਰੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਦੱਖਣੀ ਕੈਲੇਫੋਰਨੀਆ ਅਤੇ ਉੱਤਰੀ ਮੈਕਸੀਕੋ, ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਵਿਚ ਪੱਛਮੀ ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਦਾ ਮਾਰੂਥਲ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਗਰਮੀ ਅਤੇ ਘੱਟ ਵਰਖਾ ਕਾਰਨ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਬਨਸਪਤੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ । ਇਥੇ ਕੇਵਲ ਕੰਡੇਦਾਰ ਝਾੜੀਆਂ, ਬੋਹਰ, ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਤੇ ਘਾਹ ਆਦਿ ਹੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕੁਦਰਤ ਨੇ ਇਸ ਬਨਸਪਤੀ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਣਾਇਆ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਵਧੇਰੇ ਗਰਮੀ ਅਤੇ ਖ਼ੁਸ਼ਕੀ ਨੂੰ ਸਹਾਰ ਸਕੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਲੰਬੀਆਂ ਤੇ ਮੋਟੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਕਿ ਪੌਦੇ ਡੂੰਘਾਈ ਤੋਂ ਨਮੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਣ | ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਛਿਲਕਾ ਮੋਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੱਤੇ ਮੋਟੇ ਤੇ ਚਿਕਣੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਜੋ ਵਾਸ਼ਪੀਕਰਨ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਪਾਣੀ ਨਸ਼ਟ ਨਾ ਹੋਵੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਵਣਾਂ ਦੀ ਸੰਭਾਲ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ? ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਣਾਂ ਦਾ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਸਾਡੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਵਣਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਲੱਕੜੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਬਾਲਣ ਦੇ ਤੌਰ `ਤੇ, ਮਕਾਨ ਉਸਾਰੀ ਲਈ ਅਤੇ ਕਈ ਹੋਰ ਕੰਮਾਂ, ਜਿਵੇਂ ਕਾਗਜ਼ ਬਣਾਉਣ, ਰੇਲਾਂ ਦੇ ਡੱਬੇ ਤੇ ਸਲੀਪਰ, ਰੇਅਨ (ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ) ਆਦਿ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਵਣਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਲੱਕੜੀ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ ਕਈ ਉਪਯੋਗੀ ਪਦਾਰਥ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕੇ ਵਣ ਵਰਖਾ ਲਿਆਉਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਹੜਾਂ ‘ਤੇ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਭੋਂ-ਖੋਰ ਨੂੰ ਰੋਕਦੇ ਹਨ | ਪਰ ਵਸੋਂ ਵਧਣ ਨਾਲ ਵਣਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੱਧ ਰਹੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਵਣ ਖੇਤਰ ਘੱਟ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਵਣਾਂ ਦੀ ਸੰਭਾਲ ਤੇ ਨਵੇਂ ਰੁੱਖ ਲਗਾਉਣ ਵਲ ਉਚੇਚਾ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

(ਇ) ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਗਭਗ 125-130 ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ ਦਿਓ –

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ-ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਤੋਂ ਭਾਵ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜੜੀ-ਬੂਟੀਆਂ ਅਤੇ ਰੱਖ-ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਹੈ, ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਯਤਨ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਉੱਗ ਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਕੋਈ ਯੋਗਦਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਕਿਸੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਧਰਾਤਲ, ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਕਿਸਮ, ਜਲਵਾਯੂ ਆਦਿ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ –

  1. ਵਣ ਜੰਗਲ
  2. ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ
  3. ਮਾਰੂਥਲੀ ਝਾੜੀਆਂ ।

I. ਵਣ/ਜੰਗਲ-ਵਣਾਂ ਨੂੰ ਵਰਖਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ, ਮੌਸਮੀ ਵੰਡ, ਤਾਪਮਾਨ ਆਦਿ ਕਾਰਕ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਤਿੰਨ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਹੈ

  1. ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣ
  2. ਮਾਨਸੂਨੀ ਜਾਂ ਪੱਤਝੜੀ ਵਣ
  3. ਨੋਕੀਲੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਾਲੇ ਵਣ ।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ 1

1. ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣ-ਇਹ ਵਣ ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖਾ ਤੋਂ 10° ਉੱਤਰ ਅਤੇ 10° ਦੱਖਣੀ ਅਕਸ਼ਾਂਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਫੈਲੇ ਹੋਏ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਨੂੰ ਸਦਾਬਹਾਰ ਸੰਘਣੇ ਵਣ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖਾ ਤੇ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਉੱਚਾ ਤਾਪਮਾਨ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਰਖਾ ਵੀ ਬਹੁਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਸੰਘਣੇ ਵਣ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਦੀਆਂ ਉੱਪਰਲੀਆਂ ਟਾਹਣੀਆਂ ਆਪਸ ਵਿਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਕਿ ਇਕ ਛੱਤਰੀ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੋਸ਼ਨੀ ਵੀ ਧਰਤੀ ਤੇ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚ ਪਾਉਂਦੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਵਿਚ ਕਈ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਫਿਰ ਵੀ ਇਹ ਰੁੱਖ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਲਾਭਦਾਇਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਰੁੱਖ ਇੰਨੇ ਸੰਘਣੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਣਾ ਬਹੁਤ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੀ ।
ਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ, ਮੱਧ ਅਫ਼ਰੀਕਾ, ਦੱਖਣਪੂਰਬੀ ਏਸ਼ੀਆ, ਮੈਡਾਗਾਸਕਰ, ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਹੇਠ ਬਹੁਤ ਵੱਡੇ ਖੇਤਰ ਹਨ | ਆਸਟਰੇਲੀਆ, ਮੱਧ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਨੇ ਥੋੜ੍ਹਾ-ਥੋੜ੍ਹਾ ਖੇਤਰ ਮੱਲਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

2. ਮਾਨਸੂਨੀ ਜਾਂ ਪੱਤਝੜੀ ਵਣ-ਇਹ ਵਣ ਘੱਟ ਉਸ਼ਣ ਜਾਂ ਉਪ ਉਸ਼ਣ ਅਕਸ਼ਾਂਸ਼ਾਂ ਤੇ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਜਿਹੜੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਇਕ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਉੱਥੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੱਤੇ ਚੌੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿੱਥੇ ਮਾਨਸੂਨ ਪੌਣਾਂ ਕਰਕੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਨਸੁਨ ਵਣ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜਿਹੜੀ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਵਰਖਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਇਹ ਵਣ ਆਪਣੇ ਪੱਤੇ ਝਾੜ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਝੜੀ ਵਣ ਵੀ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਣ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣਾਂ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਸੰਘਣੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖੀ ਪਹੁੰਚ ਵਿਚ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਤੋਂ ਇਮਾਰਤੀ ਅਤੇ ਬਾਲਣ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਮਾਨਸੂਨੀ ਵਣ ਕੱਟ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਭੁਮੀ ਤੇ ਖੇਤੀ ਕੀਤੀ ਜਾਣ ਲੱਗੀ ਹੈ ।

3. ਨੋਕੀਲੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਾਲੇ ਵਣ-ਇਹ ਵਣ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਕੀਮਤੀ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਨੂੰ ਸਦਾਬਹਾਰ ਵਣ ਵੀ ਆਖਦੇ ਹਨ | ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਨੂੰ ਟੈਗਾ (Taiga) ਵਣ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਵਣਾਂ ਵਿਚ ਚੀਲ, ਫਰ ਅਤੇ ਸਪਰੁਸ ਦੇ ਰੁੱਖ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਤੋਂ ਨਰਮ ਲੱਕੜੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਲੱਕੜੀ ਦਾ ਗੁਦਾ ਅਤੇ ਕਾਗਜ਼ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

II. ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ-ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹਨ-ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਅਤੇ ਸ਼ੀਤ ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ।
1. ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ-ਉਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ 10°-30° ਅਕਸ਼ਾਸਾਂ ਤੇ ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਅਰਧ ਗੋਲਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਮੈਦਾਨਾਂ ਨੂੰ ‘ਸਵਾਨਾ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਵੱਖਰੇ-ਵੱਖਰੇ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ | ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰਕਲੈਂਡ, ਵੈਨਜ਼ੂਏਲਾ ਵਿੱਚ ਲਾਨੋਜ਼ ਅਤੇ ਬ੍ਰਾਜ਼ੀਲ ਵਿੱਚ ਕੈਂਪੋਜ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਮੈਦਾਨਾਂ ਦੀ ਘਾਹ 5 ਮੀਟਰ ਤਕ ਉੱਚੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸੁੱਕ ਕੇ ਬਹੁਤ ਸਖ਼ਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਕਿਤੇ-ਕਿਤੇ ਛੋਟੇ ਕੱਦ ਦੇ ਰੁੱਖ ਵੀ ਉਗਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿਚ ਘਾਹ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਅਤੇ ਮਾਸ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਪਸ਼ੂ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

2. ਸ਼ੀਤ ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ-ਸ਼ੀਤ ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਘੱਟ ਵਰਖਾ ਵਾਲੇ ਸ਼ੀਤ ਊਸ਼ਣ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਘਾਹ ਜ਼ਿਆਦਾ ਉੱਚੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਪਰ ਇਹ ਨਰਮ ਅਤੇ ਸੰਘਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਚਾਰੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਉਪਯੋਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਮਹਾਂਦੀਪਾਂ ਵਿਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਨਾਂ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਵਿਚ ਸਟੈਪੀਜ਼, ਉੱਤਰੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਪ੍ਰੇਅਰੀਜ਼, ਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਪੰਪਾਜ਼, ਦੱਖਣੀ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿਚ ਵੈਲਡ ਅਤੇ ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਵਿਚ ਡਾਊਨਜ਼ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਸੱਦਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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III. ਮਾਰੂਥਲੀ ਝਾੜੀਆਂ-ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਾਰਥੂਲ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ-ਗਰਮ ਮਾਰੂਥਲ ਅਤੇ ਠੰਢੇ ਮਾਰੂਥਲ ।
1. ਗਰਮ ਮਾਰੂਥਲ-ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਗਰਮ ਮਾਰੂਥਲ ਅਫਰੀਕਾ ਵਿਚ ਸਹਾਰਾ ਅਤੇ ਕਾਲਾਹਾਰੀ, ਅਰਬ-ਇਰਾਨ ਦਾ ਮਾਰੂਥਲ, ਭਾਰਤ-ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦਾ ਥਾਰ ਮਾਰੂਥਲ, ਦੱਖਣੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਐਟੇਕਾਮਾ, ਉੱਤਰੀ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਦੱਖਣੀ ਕੈਲਿਫੋਰਨੀਆ ਤੇ ਉੱਤਰੀ ਮੈਕਸੀਕੋ, ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਵਿਚ ਪੱਛਮੀ ਆਸਟਰੇਲੀਆ ਦੇ ਮਾਰੂਥਲ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਮਾਰੂਥਲਾਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਗਰਮੀ ਅਤੇ ਘੱਟ ਵਰਖਾ ਕਾਰਨ ਬਨਸਪਤੀ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਮਿਲਦੀ ਹੈ । ਕੇਵਲ ਕੰਡੇਦਾਰ ਝਾੜੀਆਂ, ਥੋਹਰ, ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਜੜੀਆਂ-ਬੂਟੀਆਂ ਤੇ ਘਾਹ ਆਦਿ ਹੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕੁਦਰਤ ਨੇ ਇਸ ਬਨਸਪਤੀ ਨੂੰ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਣਾਇਆ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਵਧੇਰੇ ਗਰਮੀ ਅਤੇ ਖੁਸ਼ਕੀ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਕਰ ਸਕੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜਾਂ ਲੰਬੀਆਂ ਤੇ ਮੋਟੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਜੋ ਪੌਦੇ ਡੂੰਘਾਈ ਤੋਂ ਨਮੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਣ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਛਿਲਕਾ ਮੋਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੱਤੇ ਮੋਟੇ ਅਤੇ ਚਿਕਣੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਜੋ ਵਾਸ਼ਪੀਕਰਨ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਪਾਣੀ ਨਸ਼ਟ ਨਾ ਹੋਵੇ ।

2. ਠੰਢੇ ਮਾਰੂਬਲ-ਠੰਢੇ ਮਾਰੂਥਲ ਕੈਨੇਡਾ ਅਤੇ ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਦੇ ਧੁਰ ਉੱਤਰੀ ਅਕਸ਼ਾਂਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਵਧੇਰੇ ਸਮੇਂ ਬਰਫ਼ ਜੰਮੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਲਈ ਬਰਫ਼ ਪਿਘਲਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੰਗ-ਬਰੰਗੇ ਫੁੱਲਾਂ ਵਾਲੇ ਨਿੱਕੇ-ਨਿੱਕੇ ਪੌਦੇ ਉੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਉੱਤਰੀ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਛੋਟੀ-ਛੋਟੀ ਘਾਹ ਜਿਵੇਂ ਕਾਈ ਤੇ ਲਿਚਨ (ਲਾਇਕਨ ਉਗ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਸੰਭਾਲ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ । ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ ਸਾਡੀ ਕੀਮਤੀ ਸੰਪੱਤੀ ਹਨ । ਪਰ ਜੰਗਲਾਂ ਦੇ ਵਿਨਾਸ਼ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਕਾਫੀ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ । ਮਨੁੱਖ ਜੰਗਲ ਕੱਟਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਵੀ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਮਾਸ, ਖੱਲਾਂ (Hides) ਅਤੇ ਹੋਰ ਅੰਗਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਮਨੁੱਖ ਅੰਨ੍ਹੇਵਾਹ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ ਕਈ ਜਾਤੀਆਂ ਅਲੋਪ ਹੋ ਗਈਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਕਈਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਇੰਨੀ ਥੋੜੀ ਹੋ ਗਈ ਹੈ।
ਕਿ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਅਲੋਪ ਹੋ ਜਾਣ ਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ ਲਈ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਗੈਂਡਾ, ਚੀਤਾ, ਸ਼ੇਰ ਆਦਿ । ਜੀਵ ਅਲੋਪ ਹੋਣ ਦੀ ਕਗਾਰ ਤੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਿਕਾਰ ਤੇ ਪਾਬੰਦੀ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਵੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਨਾ ਇਕ ਜੁਰਮ ਹੈ ਤੇ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਵਿਅਕਤੀ ਸਜ਼ਾ ਦਾ ਭਾਗੀ ਬਣ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਜ ਅਮਰੀਕਾ, ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਕਈ ਹੋਰ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਾਰਕ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਾਰਕਾਂ ਵਿਚ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖਣ ਲਈ ਕੁਦਰਤੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਲਗਪਗ 20 ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਾਰਕ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਕੋਰਬੋਟ,
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ 2
ਸ਼ਿਵਪੁਰੀ, ਘਨੇਰੀ, ਰਾਜਦੇਵ, ਗਿਰ ਆਦਿ ਦੇ ਨਾਂ ਲਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਜੀਵਾਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਲਈ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰਾਖਵੇਂ ਕੇਂਦਰ ਹਨ । ਛੱਤਬੀੜ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਅਜਿਹਾ ਹੀ ਇਕ ਕੇਂਦਰ ਹੈ | ਅਫਰੀਕਾ ਦਾ ਸਵਾਨਾ ਘਾਹ-ਖੇਤਰ ਦੇਸ਼ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾਲ ਘਰ ਹੈ । ਇਸ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਹਿਰਨ, ਸ਼ੇਰ, ਚੀਤਾ, ਜ਼ੈਬਰਾ, ਜ਼ਿਰਾਫ਼, ਬਾਰਾਂਸਿੰਗਾ, ਬੱਬਰ ਸ਼ੇਰ, ਬਾਘ, ਹਾਥੀ, ਜੰਗਲੀ ਮੱਝਾਂ, ਗੈਂਡੇ ਅਤੇ ਅਨੇਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਕੀੜੇ-ਮਕੌੜੇ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਬਣਾਏ ਰੱਖਣ ਵਿਚ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ-ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਬਣਾਏ ਰੱਖਣ ਲਈ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਯੋਗਦਾਨ ਹੈ । ਕੁਦਰਤ ਨੇ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕੀਤੀ ਹੈ ਇਕ ਜੀਵ ਭੋਜਨ ਲਈ ਦੁਸਰੇ ਜੀਵ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਹੈ । ਛੋਟੇ ਜੀਵ ਵੱਡੇ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਭੋਜਨ ਹਨ | ਮਾਸ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵ ਘਾਹ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਕਿਸੇ ਇਕ ਜੀਵ ਜਾਤੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਨਾਲ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਸੰਤੁਲਨ ਵਿਗੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ ਲਈ ਜੇ ਸ਼ੇਰਾਂ, ਚੀਤਿਆਂ ਆਦਿ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵੱਧ ਜਾਵੇ ਅਤੇ ਘਾਹ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵ ਘੱਟ ਜਾਣ ਤਾਂ ਸ਼ੇਰ ਅਤੇ ਚੀਤੇ ਭੁੱਖੇ ਮਰ ਜਾਣਗੇ ਜਾਂ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਜੀਵ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਖਾਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦੇਣਗੇ । ਜੇਕਰ ਸਥਿਤੀ ਇਸ ਤੋਂ ਉਲਟ ਸ਼ੇਰਾਂ ਅਤੇ ਚੀਤਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਘੱਟ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਘਾਹ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵੱਧ ਜਾਏਗੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਸਾਰੀ ਧਰਤੀ ਦੀ ਘਾਹ ਨੂੰ ਖਾ ਜਾਣਗੇ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਕ ਲਹਿ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਮੈਦਾਨ ਮਾਰੂਥਲ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਜਾਣਗੇ । ਭੋ-ਖੋਰ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੋਵੇਗਾ | ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵੀ ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਸੰਤੁਲਨ ਵਿਗੜ ਜਾਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਬਣਾਏ ਰੱਖਣ ਲਈ ਉਪਰਾਲੇ ਕੀਤੇ ਜਾਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।

(ਸ) ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਨਕਸ਼ੇ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਖੇਤਰ ਦਿਖਾਓ

  1. ਸਹਾਰਾ ਮਾਰੂਥਲੀ ਬਨਸਪਤੀ
  2. ਲਾਨੋਜ਼ ਘਾਹ ਖੇਤਰ
  3. ਪੰਪਾਸ ਦੇ ਘਾਹ ਖੇਤਰ
  4. ਸੈਲਵਾਜ਼ ਜੰਗਲ ।

ਨੋਟ-MBD ਮਾਨਚਿਤਰਾਵਲੀ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਆਪ ਕਰਨ |

ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਵਣਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ‘ਤੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਉਦਯੋਗ ਨਿਰਭਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਣਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ‘ਤੇ ਕਈ ਉਦਯੋਗ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਉਦਯੋਗਾਂ ਵਿਚ ਫਰਨੀਚਰ, ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਸਮਾਨ, ਸਮੁੰਦਰੀ ਬੇੜੇ, ਰੇਲਾਂ ਦੇ ਡਿੱਬੇ ਅਤੇ ਸਲੀਪਰ, ਕਾਗਜ਼, ਪਲਾਈਵੁੱਡ, ਸਮਾਨ ਪੈਕ ਕਰਨ ਲਈ ਪੇਟੀਆਂ ਬਣਾਉਣਾ ਆਦਿ ਉਦਯੋਗ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹਨ । ਇਮਾਰਤੀ ਲੱਕੜੀ, ਭਵਨ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿਚ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਵਣਾਂ ਦੀ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਤਿੰਨ ਕਾਰਕ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਵਰਖਾ ਦੀ ਵਾਰਸ਼ਿਕ ਮਾਤਰਾ
  2. ਮੌਸਮੀ ਵੰਡ ਅਤੇ
  3. ਤਾਪਮਾਨ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਯੂਰਪ ਅਤੇ ਏਸ਼ੀਆ ਮਹਾਂਦੀਪਾਂ ਨੂੰ ਸਮੂਹਿਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਯੂਰੇਸ਼ੀਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਵਣਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਕੰਮਾਂ ਲਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਣਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਜਲਾਉਣ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਵਣਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੁੱਲ ਲੱਕੜੀ ਦਾ 50% ਇਸੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । 33% ਲੱਕੜੀ ਭਵਨ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿਚ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਲੱਕੜੀ ਹੋਰਨਾਂ ਕੰਮਾਂ ਲਈ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਲਿਆਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਸੰਭਾਲ ਦੇ ਕੁੱਝ ਉਪਾਅ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਕਈ ਵਾਰੀ ਵਣਾਂ ਦਾ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਨੁਕਸਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪਾਸੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ।
  2. ਵਣਾਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਨਿਯਮਬੱਧ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ, ਨਾਲ ਹੀ ਨਵੇਂ ਰੁੱਖ ਲਗਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਵੀ ਧਿਆਨ ਰੱਖਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਕਿ ਕੀੜੇ-ਮਕੌੜੇ ਤੇ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਨਾਲ ਰੁੱਖ ਨਸ਼ਟ ਨਾ ਹੋਣ ।
  4. ਨਹਿਰਾਂ, ਨਦੀਆਂ, ਸੜਕਾਂ, ਰੇਲ ਪੱਟੜੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਖ਼ਾਲੀ ਪਈ ਭੁਮੀ ਤੇ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰੁੱਖ ਉਗਾਏ ਜਾਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
  5. ਬਾਲਣ ਲਈ ਲੱਕੜ ਦੀ ਖਪਤ ਘਟਾਈ ਜਾਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਇਸਦੀ ਥਾਂ ਤੇ ਗੈਸ, ਸੁਰਜੀ-ਸ਼ਕਤੀ ਚੁਲੇ, ਗੋਬਰ ਗੈਸ ਆਦਿ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  6. ਮਕਾਨ ਉਸਾਰੀ ਵਿਚ ਵੀ ਲੱਕੜ ਦੇ ਬਦਲ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣਾਂ ਨੂੰ ਆਕਾਸ਼ ਨੂੰ ਛੂਹਣ ਵਾਲੀ ਇਮਾਰਤ (Sky Scraper) ਕਿਉਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਾਸ਼ ਨੂੰ ਛੂਹਣ ਵਾਲੀ ਇਮਾਰਤ ਤੋਂ ਭਾਵ ਇਕ ਬਹੁਤ ਉੱਚੀ ਜਾਂ ਅਨੇਕ ਮੰਜ਼ਿਲਾਂ ਵਾਲੀ ਇਮਾਰਤ ਤੋਂ ਹੈ । ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣ ਵੀ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਪੇਸ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਕਾਸ਼ ਨੂੰ ਛੂਹਣ ਵਾਲੀ ਇਮਾਰਤ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

  1. ਇਸ ਵਣ-ਇਮਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰਲੀ ਮੰਜ਼ਲ 70 ਮੀਟਰ ਉੱਚੇ ਰੁੱਖਾਂ ਨਾਲ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਧੁੱਪ, ਹਵਾ ਦੋਵੇਂ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਫਲ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਫੁੱਲ ਵੀ ।
  2. ਇਸ ਤੋਂ ਹੇਠਲੀ ਮੰਜ਼ਲ ਛੱਤਰੀ ਨੁਮਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀਆਂ ਟਹਿਣੀਆਂ ਦੇ ਆਪਸ ਵਿਚ ਫਸਣ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਛੱਤਰੀ ਵਰਗੀ ਛੱਤ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੋਸ਼ਨੀ ਥੋੜ੍ਹੀ ਪਹੁੰਚਦੀ ਹੈ ਜੋ ਫਲ ਅਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ ।
  3. ਇਸ ਤੋਂ ਹੇਠਲੀ ਮੰਜ਼ਲ ਪਰਛਾਈਂ ਵਾਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਬੇਲਾਂ, ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ‘ਤੇ ਚੜ੍ਹ ਜਾਂਦੀਆਂ ਅਤੇ ਆਪਸ ਵਿਚ ਲਿਪਟੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
    ਜਿਹੜੀਆਂ ਬੇਲਾਂ ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੋਸ਼ਨੀ ਤੋਂ ਬਗੈਰ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦੀਆਂ, ਉਹ ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੋਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਉੱਪਰ ਵਲ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  4. ਸਭ ਤੋਂ ਹੇਠਲੀ ਮੰਜ਼ਲ ਤੇ ਬਹੁਤ ਹਨੇਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੋਸ਼ਨੀ ਬਿਲਕੁਲ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚਦੀ, ਇਸ ਦਾ ਫਰਸ਼ ਗਲੇ-ਸੜੇ ਪੱਤਿਆਂ, ਕੀੜੇ-ਮਕੌੜਿਆਂ ਨਾਲ ਢੱਕਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਕੋਈ ਮਹੱਤਵ ਨਹੀਂ ਰੱਖਦੇ, ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਵਣ ਇੰਨੇ ਸੰਘਣੇ ਹਨ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਜਾ ਪਾਉਣਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਣਾਂ ਵਿਚ ਜ਼ਹਿਰੀਲੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂ ਵੀ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਪਹੁੰਚ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹਨ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਹੀਣ ਹਨ |

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੀ
(ੳ) ਖਾਲੀ ਸਥਾਨ ਭਰੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸੰਸਾਰ ਦਾ ਲਗਭਗ ……….. ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਖੇਤਰ ਜੰਗਲਾਂ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
30,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
………… ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਸਦਾਬਹਾਰ ਜੰਗਲ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸ਼ੀਤ ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ……….. ਵਰਖਾ ਵਾਲੇ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਘੱਟ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਦਾ ………. ਘਾਹ ਦੇਸ਼ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾਲ ਘਰ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਵਾਨਾ ।

(ਅ) ਸਹੀ ਵਾਕਾਂ ਤੇ (✓)ਅਤੇ ਗ਼ਲਤ ਵਾਕਾਂ ਤੇ (✗) ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਭੂ-ਮੱਧ ਰੇਖੀ ਜੰਗਲ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭਦਾਇਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
ਉੱਤਰ-
(✓)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਮਾਨਸੂਨੀ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਸਦਾਬਹਾਰ ਜੰਗਲ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(✗)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਭਾਰਤ ਦਾ ਥਾਰ ਮਾਰੂਥਲ ਇੱਕ ਗਰਮ ਮਾਰੂਥਲ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(✓)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦੀ ਕੋਈ ਵਿਵਸਥਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(✗)

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 ਕਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵ

(ਈ) ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਚੁਣੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਅਤੇ ਆਕਾਰ ਨੂੰ ਕਈ ਤੱਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤੱਤ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
(i) ਸਮੁੰਦਰੀ ਧਾਰਾਵਾਂ
(ii) ਜਲਵਾਯੂ
(iii) ਪ੍ਰਚੱਲਿਤ ਪੌਣਾਂ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਜਲਵਾਯੂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬ੍ਰਾਜ਼ੀਲ ਵਿਚ ਊਸ਼ਣ ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਕਿਹੜੇ ਨਾਮ ਨਾਲ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
(i) ਪੰਪਾਸ
(ii) ਵੇਲਡ
(iii) ਕੰਪੋਜ਼ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਕੰਪੋਜ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਕੇਂਦਰ ਜੀਵਾਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੈ ?
(i) ਛੱਤੀਸਗੜ੍ਹ
(ii) ਛੱਤਬੀੜ
(iii) ਰਾਜਦੇਵਗਾ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਛੱਤਬੀੜ ।

PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 3 Development of Sikh Religion (1539-1581)

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Development of Sikh Religion (1539-1581) PSEB 9th Class SST Notes

Guru Angad Dev Ji:

  • The second Sikh Guru, Guru Angad Dev Ji collected the teachings of Guru Nanak Dev Ji and wrote them in Gurmukhi script.
  • This contribution of Guru Angad Dev Ji proved to be the first step towards the writing of ‘Adi Granth Sahib’ by Guru Arjan Dev Ji.
  • Guru Angad Dev Ji also wrote ‘Vani’ in the name of Guru Nanak Dev Ji.
  • The institutions of Sangat and Pangat were well maintained during the period of Guru Angad Dev Ji.

Guru Amar Das Ji:

  • Guru Amar Das Ji was the third Sikh Guru who remained on Guru gaddi for twenty-two years.
  • Guru ‘Sahib shifted his headquarters from Khadoor Sahib to Goindwal.
  • At Goindwal, Guru Sahib constructed a large well (Baoli) where his followers (Sikhs) took a bath on religious festivals.
  • Guru Amar Das Ji introduced a simple marriage ceremony which is called ‘Anand Karaj’.
  • The number of his Sikh followers increased rapidly during his period.

PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 3 Development of Sikh Religion (1539-1581)

Guru Ram Das Ji:

  • The fourth Guru, Guru Ram Das Ji started the work of preaching his faith from Ramdaspur (present Amritsar).
  • The foundation of Amritsar was laid during the last years of Guru Amar Das Ji.
  • Guru Ram Das Ji got dug a large pond called Amritsar or Amrit Sarovar.
  • The Guru Sahib needed a large sum of money to construct the Sarovar at Amritsar and Santokhsar.
  • For this purpose, Guru Sahib started Masand System.
  • Guru Sahib also made Guru-gaddi hereditary.

Improvement in Gurmukhi Script:

  • Guru Angad Dev Ji made certain improvements in Gurmukhi Script.
  • It is said that to spread Gurmukhi, Guru Ji wrote ‘Balbodh’ for children in Gurmukhi.
  • Because it was the language of the common masses, it helped in the spreading of Sikhism.
  • Presently, all the religious books of the Sikhs are in this language.

Manji System:

  • During the times of Guru Amar Das Ji, the number of devotee Sikhs was increasing.
  • But due to his old age, it was not possible for Guru Ji to move from one place to another to spread his teachings.
  • So, he divided his spiritual empire into 22 parts and each part was called ‘Manji’.
  • Each Manji was a centre for spreading Sikhism and it was kept under a scholar devout follower.

Creation of Anand Sahib:

  • Guru Amar Das Ji composed a new Bani called ‘Anand Sahib’.
  • With its creation, the importance of Vedic hymns completely came to an end among the Sikhs.

Foundation of Goindwal:

  • Guru Angad Dev Ji laid the foundation of a new city called Goindwal.
  • During the times of Guru Amar Das Ji, it became one of the famous religious places.
  • Even today, it is one of the religious places of Sikhs.

Langar System:

  • Guru Angad Dev Ji continued the Langar system.
  • In the Langar system, everyone took food without any discrimination.
  • It discouraged the caste system and helped in the expansion of Sikhism.

PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 3 Development of Sikh Religion (1539-1581)

→ 31 March 1504-Birth of Guru Angad Dev Ji.

→ 1539-1552 – Guru Angad Dev Ji remained on Guru-gaddi.

→ 1546 – Foundation of Goindwal

→ 1552 – Guru Angad Dev Ji left the world.

→ 1552 – Guru Amar Das ji became the third Guru.

→ 1559 – The work of the construction of Baoli at Goindwal was completed.

→ 1574 – Amar Das Ji left the world.

सिक्ख धर्म का विकास (1539 ई०-1581 ई०) PSEB 9th Class SST Notes

→ गुरु अंगद देव जी – दूसरे सिक्ख गुरु अंगद देव जी ने गुरु नानक साहिब की बाणी एकत्रित की और इसे गुरुमुखी लिपि में लिखा। उनका यह कार्य गुरु अर्जन साहिब द्वारा संकलित ‘ग्रंथ साहिब’ की तैयारी का पहला चरण सिद्ध हुआ।

→ गुरु अंगद देव जी ने स्वयं भी गुरु नानक देव जी के नाम से बाणी की रचना की। इस प्रकार उन्होंने गुरु पद की एकता को दृढ़ किया। संगत और पंगत की संस्थाएं गुरु अंगद साहिब के अधीन भी जारी रहीं।

→ गुरु अमरदास जी – गुरु अमरदास जी सिक्खों के तीसरे गुरु थे। वह 22 वर्ष तक गुरुगद्दी पर रहे। वह खडूर साहिब से गोइंदवाल साहिब चले गए। वहां उन्होंने एक बाउली बनवाई जिसमें उनके सिक्ख (शिष्य) धार्मिक अवसरों पर स्नान करते थे।

→ गुरु अमरदास जी. ने विवाह की एक सरल विधि प्रचलित की और उसे आनंद-कारज का नाम दिया। उनके समय में सिक्खों की संख्या काफ़ी बढ़ गई।

→ गुरु रामदास जी – चौथे गुरु रामदास जी ने रामदासपुर (आधुनिक अमृतसर) में रह कर प्रचार कार्य आरंभ किया। इसकी नींव गुरु अमरदास जी के जीवन-काल के अंतिम वर्षों में रखी गई थी।

→ श्री रामदास जी ने रामदासपुर में एक बहुत बड़ा सरोवर बनवाया जो अमृतसर अर्थात् अमृत के सरोवर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उन्हें अमृतसर तथा संतोखसर नामक तालाबों की खुदाई के लिए काफ़ी धन की आवश्यकता थी। इसलिए उन्होंने मसंद प्रथा का श्रीगणेश किया। उन्होंने गुरुगद्दी को पैतृक रूप भी प्रदान किया।

→ गुरुमुखी लिपि को मानकीकरण – गुरु अंगद देव जी ने गुरुमुखी लिपि का मानकीकरण किया। कहते हैं कि गुरु अंगद देव जी ने गुरुमुखी के प्रचार के लिए गुरुमुखी वर्णमाला में बच्चों के लिए ‘बाल बोध’ की रचना की।

→ आम लोगों की बोली होने के कारण इससे सिक्ख धर्म के प्रचार के कार्य को बढ़ावा मिला। आज सिक्खों के सभी धार्मिक ग्रंथ इसी भाषा में हैं।

→ मंजी प्रथा-गुरु अमरदास जी के समय में सिक्खों की संख्या काफी बढ़ चुकी थी। परंतु वृद्धावस्था के कारण गुरु साहिब जी के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर अपनी शिक्षाओं का प्रचार करना कठिन हो गया था।

→ अत: उन्होंने अपने सारे आध्यात्मिक साम्राज्य को 22 प्रांतों में बांट दिया। इनमें से प्रत्येक प्रांत को ‘मंजी’ कहा जाता था। प्रत्येक मंजी सिक्ख धर्म के प्रचार का एक केंद्र थी जिसके संचालन का कार्यभार गुरु जी ने अपने किसी विद्वान् श्रद्धालु शिष्य को सौंप रखा था।

→ अनंदु साहिब की रचना – गुरु अमरदास जी ने एक नई बाणी की रचना की जिसे ‘अनंदु साहिब’ कहा जाता है। इस बाणी से सिक्खों में वेद-मंत्रों के उच्चारण का महत्त्व बिल्कुल समाप्त हो गया।

→ गोइंदवाल साहिब का निर्माण – गुरु अंगद देव जी ने गोइंदवाल साहिब नामक नगर की स्थापना की। गुरु अमरदास जी के समय में यह नगर एक प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र बन गया। आज भी यह सिक्खों का एक पवित्र धार्मिक स्थान है।

→ लंगर प्रथा का विस्तार – श्री गुरु अंगद देव जी ने श्री गुरु नानक देव जी द्वारा आरम्भ की गई लंगर प्रथा का विस्तार किया। उन्होंने यह आज्ञा दी कि जो कोई उनके दर्शन को आए, वह पहले लंगर में भोजन करे।

→ यहां प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेद-भाव के भोजन करता था। इससे जाति-पाति की भावनाओं को धक्का लगा और सिक्ख धर्म के प्रसार में सहायता मिली।

→ 31 मार्च, 1504-श्री गुरु अंगद देव जी का जन्म।

→ 2 सितंबर, 1539 ई० से 29 मार्च 1552 ई०-गुरु अंगद देव जी गुरुगद्दी पर विराजमान रहे।

→ 1546 ई०-श्री गुरु अंगद देव जी द्वारा गोइंदवाल साहिब नगर की स्थापना।

→ 29 मार्च, 1552-श्री गुरु अंगद देव जी ज्योति-जोत समाए।

→ 5 मई, 1479 ई०-श्री गुरु अमरदास जी का जन्म।

→ मार्च 1552 ई०-श्री गुरु अमरदास जी गुरुगद्दी पर विराजमान।

→ मार्च 1559 ई०- श्री गुरु अमरदास जी ने गोइंदवाल साहिब में बाउली का निर्माण कार्य पूरा किया।

→ 1574 ई०- श्री गुरु अमरदास जी ज्योति-जोत समाए।

→ 24 सितंबर, 1534 ई०-श्री गुरु रामदास जी का जन्म।

→ 1574 ई० से 1581 ई०-श्री गुरु रामदास जी गुरुगद्दी पर विराजमान रहे।

→ 1 सितंबर, 1581 ई०-श्री गुरु रामदास जी ज्योति-जोत समाए।

ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ (1539 ਈ:- 1581 ਈ:) PSEB 9th Class SST Notes

→ 2 ਸਤੰਬਰ, 1539 ਈ: ਤੋਂ 29 ਮਾਰਚ, 1552 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ ।

→ 1546 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ।

→ 29 ਮਾਰਚ, 1552 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾਏ ।

→ 5 ਮਈ, 1479 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ।

→ ਮਾਰਚ, 1552 ਈ: -ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਂਜਮਾਨ ॥

→ ਮਾਰਚ, 1559 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਚ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਸੰਪੂਰਨ ।

→ 1574 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾਏ ।

→ 24 ਸਤੰਬਰ, 1534 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ।

→ 1574 ਈ: ਤੋਂ 1581 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ ।

→ 1 ਸਤੰਬਰ, 1581 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾਏ ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 5 1947 ਪਿੱਛੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 5 1947 ਪਿੱਛੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 5 1947 ਪਿੱਛੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ

Physical Education Guide for Class 9 PSEB 1947 ਪਿੱਛੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ Textbook Questions and Answers

ਪਾਠ ਦੀ ਸੰਖੇਪ ਰੂਪ-ਰੇਖਾ (Brief Outlines of the Chapter)

  • ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਦਾ ਖੇਡਾਂ ‘ ਤੇ ਅਸਰ – ਪੰਜਾਬ 1947 ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਜਿਸ ਨਾਲ ਖੇਡਾਂ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਿਆ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮੈਦਾਨ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਚਲੇ ਗਏ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਉਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ – ਇਸ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1948 ਵਿਚ ਹੋਈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਜੀ. ਡੀ. ਸੋਂਧੀ ਅਤੇ ਸਕੱਤਰ ਪ੍ਰੋ. ਐੱਫ. ਸੀ. ਅਰੋੜਾ ਬਣੇ ।
  • ਅਦਾਰਿਆਂ ਦਾ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਯੋਗਦਾਨ – ਪੰਜਾਬ ਖੇਡ ਵਿਭਾਗ, ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਵਿਭਾਗ, ਸੀਮਾ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਰਾਜ ਬਿਜਲੀ ਬੋਰਡ ਦੇ ਅਦਾਰਿਆਂ ਦਾ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਯੋਗਦਾਨ ਹੈ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਖੇਡ ਵਿਭਾਗ – 1961 ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਖੇਡ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਜਿਸਨੇ ਹਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਖੋਲ੍ਹਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੀਆਂ ਸਹੂਲਤਾਂ ਲਈ ਸਪੋਰਟਸ ਹੋਸਟਲ ਖੋਲ੍ਹੇ ਗਏ ਹਨ |
  • ਪੰਜਾਬ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ – ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਚੰਡੀਗੜ, ਪੰਜਾਬੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪਟਿਆਲਾ, ਪੰਜਾਬ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਲੁਧਿਆਣਾ, ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਚ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਵਿਚ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ, ਜੋ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਸੰਚਾਲਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਸਟੇਟ ਸਪੋਰਟਸ ਕੌਂਸਲ-ਇਸ ਕੌਂਸਲ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1971 ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਹੋਈ । ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਯੁਵਕਾਂ ਅਤੇ ਯੁਵਤੀਆਂ ਅੰਦਰ ਖੇਡ ਭਾਵਨਾ ਦਾ ਸੰਚਾਰ ਕਰਨਾ ਹੈ ।

ਖਿਆ ਸ਼ੈਲੀ ‘ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Examination Style Important Questions)
ਬਹੁਤ ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Questions with Very Brief Answers)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੀ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਉੱਤੇ ਅਸਰ ਪਿਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਪਿਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦੁਬਾਰਾ ਕਦੋਂ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
1948 ਵਿਚ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸੇ ਦੋ ਅਦਾਰਿਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਇਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ
  2. ਸੀਮਾ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕੀ ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ ਫੁੱਟਬਾਲ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਲੜਕਿਆਂ ਦੇ ਕਰਵਾਉਂਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਹੀਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਰੱਸਾਕਸ਼ੀ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਦੋਹਾਂ ਲੜਕੇ ਅਤੇ ਲੜਕੀਆਂ ਵਾਸਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਸਹੀ ਜਾਂ ਗਲਤ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6,
ਕੀ ਲੀਡਰ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਵਰਕਸ ਜਲੰਧਰ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਹਿੱਸਾ ਪਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ਜਾਂ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਹੀਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਸਕੂਲਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਕੌਣ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਡੀ. ਪੀ. ਆਈ. ਸਕੂਲਜ਼ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਕਿਸ ਅਫ਼ਸਰ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਹੇਠ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਡੀ. ਪੀ. ਅਈ, ਕਾਲਜ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕੀ ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਲੜਕਿਆਂ ਲਈ ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ ਕਿਹੜੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲੇ ਕਰਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਕਬੱਡੀ,
  2. ਖੋ-ਖੋ,
  3. ਹਾਕੀ,
  4. ਰੱਸਾਕਸ਼ੀ ।

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Questions with Brief Answers)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਉੱਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਪਾਇਆ ? (How the partition of India effects on the development of sports ?)
ਉੱਤਰ-
15 ਅਗਸਤ, 1947 ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਆਜ਼ਾਦ ਹੋਇਆ ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਭਾਰਤ ਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨਾਂ ਦੇ ਦੋ ਮੁਲਕਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਹੋ ਗਈ । ਇਸ ਵੰਡ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੱਟ ਮਾਰੀ ! ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਚੰਗੇ-ਚੰਗੇ ਮੈਦਾਨ ਤੇ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਸਾਮਾਨ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਸ਼ਹਿਰ ਸਿਆਲਕੋਟ ਆਦਿ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਚਲੇ ਗਏ । ਖੇਡ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਟੁੱਟ ਗਈਆਂ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਸ਼ਰਨਾਰਥੀ ਬਣ ਗਿਆ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਕਿਵੇਂ ਦੁਬਾਰਾ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋਈ ? (How Punjab Olympic Association was formed in Punjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਰਤ ਦੇ ਵੰਡ ਰੂਪੀ ਤੁਫ਼ਾਨ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਲਪੇਟ ਵਿਚ ਲੈ ਲਿਆ ਸੀ । ਪਰ ਇਸ ਤੁਫ਼ਾਨ ਦੇ ਗੁਜ਼ਰ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਖੇਡ ਪ੍ਰੇਮੀਆਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਹੋਸ਼ ਸੰਭਾਲੀ ਉਹਨਾਂ ਨੇ 1948 ਵਿਚ ਸ਼ਿਮਲੇ ਵਿਚ ਇਕ ਸਭਾ ਬੁਲਾਈ । ਇਸੇ ਸਾਲ ਪੰਜਾਬ ਉਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ । ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸ੍ਰੀ ਜੀ. ਡੀ. ਸੋਂਧੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਹੜੇ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਇਆ ? (Discuss the various unit who promote sports in Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਹੋਰ ਲਿਖੇ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਇਆ ਹੈ-

  1. ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ (Punjab Police
  2. ਸੀਮਾ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲ (Border Security Force-B.S.F.)
  3. ਲੀਡਰ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਵਰਕਸ, ਜਲੰਧਰ (Leader Engineering Works, Jalandhar)
  4. ਜਗਤਜੀਤ ਕਾਟਨ ਤੇ ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਮਿਲਜ਼, ਫਗਵਾੜਾ (Jagatjit Cotton and Textile Mills, Phagwara)
  5. ਜਾਬ ਰਾਜ ਬਿਜਲੀ ਬੋਰਡ (Puujab State Electricity Board)
  6. ਪੈਪਸੂ ਰੋ ਟਰਾਂਸਪੋਰਟ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨ (Pepsu Road Transport Corporation) |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ ਕਿਹੜੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲੇ ਕਰਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ? (How state Panchayati Organised Sports Competitions ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਕਰਵਾਉਂਦੀ ਹੈ-

ਲੜਕਿਆਂ ਲਈ

  1. ਫੁੱਟਬਾਲ
  2. ਹਾਕੀ
  3. ਕਬੱਡੀ
  4. ਵਾਲੀਬਾਲ
  5. ਰੱਸਾਕਸ਼ੀ
  6. ਐਥਲੈਟਿਕਸ
  7. ਭਾਰ ਚੁੱਕਣਾ
  8. ਕੁਸ਼ਤੀ
  9. ਜਿਮਨਾਸਟਿਕ ।

ਲੜਕੀਆਂ ਲਈ

  1. ਕਬੱਡੀ
  2. ਖੋ-ਖੋ
  3. ਹਾਕੀ ਆਦਿ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Questions with Long Answers)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
1947 ਪਿੱਛੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ । (Discuss the Development of Sports in Punjab after 1947.)
ਉੱਤਰ-
15 ਅਗਸਤ, 1947 ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਆਜ਼ਾਦ ਹੋਇਆ | ਅੰਗਰੇਜ਼ ਲਗਪਗ 200 ਸਾਲ ਰਾਜ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਭਾਰਤ ਛੱਡ ਕੇ ਤਾਂ ਚਲੇ ਗਏ, ਪਰ ਜਾਂਦੇ ਹੋਏ ਇਸ ਦੀ ਵੰਡ ਕਰਕੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਬਣਾ ਗਏ । ਇਸ ਵੰਡ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਨੂੰ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੱਟ ਮਾਰੀ ! ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਚੰਗੇ-ਚੰਗੇ ਮੈਦਾਨ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਚਲੇ ਗਏ । ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਤੇ ਲੋਕਾਂ ਵਾਂਗ ਪੰਜਾਬ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਪੱਛੜ ਗਿਆ | ਪੰਜਾਬ ਚੰਗੇ ਖੇਡ ਮੈਦਾਨਾਂ ਤੋਂ ਵਾਂਝਾ ਹੋ ਗਿਆ | ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਸਾਮਾਨ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲਾ ਸ਼ਹਿਰ ਸਿਆਲਕੋਟ (Sialkot) ਵੀ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਚਲਾ ਗਿਆ | ਖੇਡ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਟੁੱਟ ਗਈਆਂ । ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਵੰਡ ਰੂਪੀ ਤੁਫ਼ਾਨ ਨਾਲ ਸੰਪੂਰਨ ਵਾਤਾਵਰਨ ਹੀ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਣ ਗਿਆ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਹਾਲਤ ਹੀ ਤਰਸਯੋਗ ਹੋ ਗਈ ।

ਵੰਡ ਰੂਪੀ ਤੂਫ਼ਾਨ ਦੇ ਗੁਜ਼ਰ ਜਾਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਖੇਡ ਪ੍ਰੇਮੀਆਂ ਨੇ ਹੋਸ਼ ਸੰਭਾਲੀ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਨੂੰ ਜੀਵਨ ਦਾਨ ਦੇਣ ਦਾ ਨਿਸ਼ਚਾ ਕੀਤਾ । ਸੰਨ 1948 ਵਿਚ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਸ਼ਿਮਲੇ ਵਿਚ ਇਕ ਸਭਾ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਤੇ ਇਸੇ ਸਾਲ ਪੰਜਾਬ ਓਲੰਪਿਕ | ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ (Punjab Olympic Association) ਦੀ ਫਿਰ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸ੍ਰੀ ਜੀ. ਡੀ. ਸੋਂਧੀ (G.D. Sondhi) ਅਤੇ ਸਕੱਤਰ ਸ੍ਰੀ ਐੱਫ. ਸੀ. ਅਰੋੜਾ (F.C. Arora) ਚੁਣੇ ਗਏ ! ਛੇਤੀ ਹੀ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਆਪਣਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਕਈ ਹੋਰ ਖੇਡ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਗਈ । 1948 ਅਤੇ 1951 ਵਿਚ ਹਾਕੀ ਅਤੇ ਵਾਲੀਬਾਲ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਹੋਂਦ ਵਿਚ ਆਈਆਂ ! ਉਸ ਤੋਂ | ਬਾਅਦ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਬਾਸਕਟਬਾਲ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਕਬੱਡੀ ਅਤੇ ਬਾਕਸਿੰਗ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋਈਆਂ ; ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪੁੱਤਾਂ ਦੀਆਂ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦੇ ਬਾਅਦ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਲਈ ਪਹਿਲਾਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪੱਧਰ ਅਤੇ ਫੇਰ ਪ੍ਰਾਂਤਿਕ ਪੱਧਰ ਤੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

1948 ਈ: ਦੇ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਹਾਕੀ ਅਤੇ ਵਾਲੀਬਾਲ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਨੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਟੀਮਾਂ ਨੂੰ ਮੁਕਾਬਲੇ ਲਈ ਸੱਦਾ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਲਈ ਸਰਵ ਭਾਰਤੀ ਪੱਧਰ (All India Level) ‘ਤੇ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਇਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ, ; ਮੇਜਰ ਭੂਪਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟ ਲੁਧਿਆਣਾ ਤੇ ਸ਼ਹੀਦ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਮੈਮੋਰੀਅਲ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟ ਦੇ ਨਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੂਪ ਨਾਲ ਵਰਣਨਯੋਗ ਹਨ । 1957 ਵਿਚ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਰਾਜ ਪੱਧਰ ਤੇ ਉਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਨੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ | ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਵੀ ਰਾਜ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਉੱਨਤ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੁਚੀ ਲਈ ਹੈ । ਇਹ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਨੂੰ ਖੇਡ ਦਾ ਮੈਦਾਨ, ਜਿਮਨੇਜ਼ੀਅਮ, ਸਵਿਮਿੰਗ ਪੂਲ ਆਦਿ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਆਰਥਿਕ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ, ਬੀ. ਐੱਸ. ਐੱਫ., ਲੀਡਰ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਵਰਕਸ ਜਲੰਧਰ, ਜਗਤਜੀਤ ਕਾਟਨ ਐਂਡ ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਮਿਲਜ਼ ਫਗਵਾੜਾ ਆਦਿ ਨੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਟੀਮਾਂ ਨੇ ਸਰਵ ਭਾਰਤੀ ਡਿਉਡ ਕੱਪ ਦਿੱਲੀ, ਬੰਬਈ (ਮੁੰਬਈ), ਸਵਰਨ ਕੱਪ ਬੰਬਈ ਮੁੰਬਈ), ਨਹਿਰੂ ਹਾਕੀ ਪ੍ਰਤੀਯੋਗਤਾ, ਦਿੱਲੀ ਵਰਗੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ।

ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਲਈ ਅਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦੀ ਟਰੇਨਿੰਗ ਦੇਣ ਲਈ ਗਵਰਨਮੈਂਟ ਕਾਲਜ ਆਫ਼ ਫਿਜ਼ੀਕਲ ਐਜੂਕੇਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਪਟਿਆਲੇ ਵਿਖੇ ਕੀਤੀ ਹੈ । ਇੰਨਾ ਹੀ ਨਹੀਂ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇ ਨੂੰ ਹੋਰ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਾਜ਼ਮੀ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੁਚੀ ਲੈਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਹੈਰਾਨੀਜਨਕ ਉੱਨਤੀ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਅਜਿਹੇ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦੇ ਮਹਾਨ ਖਿਡਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸਰਵ-ਉੱਤਮ ਖੇਡ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਨਾਂ ਨੂੰ ਚਾਰ ਚੰਨ ਲਾ ਦਿੱਤੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਚ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ਹੈ ?
(Discuss the contribution of Education Department of Punjab for the development of sports.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

  • ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਨੂੰ ਉੱਨਤ ਕਰਨ ਲਈ ਡੀ. ਪੀ. ਆਈ. (ਸਕੂਲਜ਼) ਅਤੇ ਡੀ. ਪੀ. ਆਈ. ਕਾਲਜਾਂ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਵਿਚ ਇਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਭਾਗ ਸਕੂਲਾਂ ਅਤੇ ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਪੱਧਰ ਉੱਨਤ ਕਰਨ ਦੇ ਲਈ ਪੂਰਾ ਯਤਨ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
  • ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੇ 1961 ਵਿਚ ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਸਟੇਟ ਸਕੂਲ ਆਫ਼ ਸਪੋਰਟਸ ਅਤੇ ਸਟੇਟ ਕਾਲਜ ਆਫ਼ ਸਪੋਰਟਸ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੇ । ਇਹਨਾਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਖਿਡਾਰੀ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਪਾ ਕੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਟਰੇਨਿੰਗ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿੱਦਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਲੜਕਿਆਂ ਅਤੇ ਲੜਕੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਭੋਜਨ, ਨਿਵਾਸ ਅਤੇ ਫ਼ੀਸ ਆਦਿ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਹਰੇਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨੂੰ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਿੱਖਿਆ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸੌਂਪ ਰੱਖਿਆ ਹੈ | ਹਰੇਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚ ਜ਼ੋਨ (Zone) ਅਤੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ (District) ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਕੁੱਝ ਮੁਕਾਬਲੇ ਗਰਮੀ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਮੁਕਾਬਲੇ ਸਰਦੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਕਰਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਲਈ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਉਮਰ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਹੁਣ ਪਾਇਮਰੀ, ਮਿੰਨੀ ਅਤੇ ਜੂਨੀਅਰ ਪੱਧਰ ਤੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਕਰਵਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਪਟਿਆਲਾ, ਜਲੰਧਰ ਅਤੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਵਿਚ ਇਨਸਰਵਿਸ ਟਰੇਨਿੰਗ ਸੈਂਟਰ ਖੋਲ੍ਹੇ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਆਈਆਂ ਨਵੀਆਂ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀਆਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਹੋਰ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਨੂੰ ਸਕੂਲਾਂ ਅਤੇ ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ।
  • ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਹਰ ਸਾਲ ਗਰਮੀ ਦੀਆਂ ਛੁੱਟੀਆਂ ਵਿਚ ਉਭਰਦੇ ਹੋਏ ਨੌਜਵਾਨ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੀ ਉੱਚ ਪੱਧਰ ਦੀ ਟਰੇਨਿੰਗ ਲਈ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  • ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਦੁਆਰਾ ਸਕੂਲਾਂ ਅਤੇ ਕਾਲਜਾਂ ਨੂੰ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਉੱਚ ਪੱਧਰ ਦੀ ਟਰੇਨਿੰਗ ਲਈ ਆਰਥਿਕ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਖੇਡ ਦਾ ਸਾਮਾਨ ਖ਼ਰੀਦਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸਰੀਰਕ ਯੋਗਤਾ ਲਹਿਰ ਲਈ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  • ਇਸ ਵਿਭਾਗ ਵਿਚ ਰਾਜ ਦੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਕਾਲਜਾਂ, ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਅਤੇ ਮੈਡੀਕਲ ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਸੇਸ਼ਟ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਲਈ ਸਥਾਨ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਉੱਚ ਪੱਧਰ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਨਾਲ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਸਿਖਲਾਈ ਵੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਭਾਗ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਖੇਡ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਕੀ ਖ਼ਾਸ ਥਾਂ ਹੈ ? ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹੋ ? ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਦੇਣ ਤੇ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਓ ।
(Punjab Sports Department take a special place in developing the sports in Punjab. Do you agree ? Through light on the contribution of Punjab Sports Department.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਖੇਡ ਵਿਭਾਗ (Punjab Sports Department) – ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਪ੍ਰਾਂਤ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ 1961 ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਖੇਡ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਵਿਭਾਗ ਨੇ ਪ੍ਰਾਂਤ ਦੇ ਹਰੇਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਖੋਲ੍ਹਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਜ਼ਿਲਾ ਸਪੋਰਟਸ ਅਧਿਕਾਰੀ ਨੂੰ ਸੌਂਪੀ ਗਈ ਹੈ ।

ਹਰੇਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਨੂੰ ਤਹਿਸੀਲ ਅਤੇ ਤਹਿਸੀਲ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਉਪ-ਕੇਂਦਰਾਂ (Sub-Centres) ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਉਪ-ਕੇਂਦਰਾਂ ਵਿਚ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਅਤੇ ਟਰੇਨਿੰਗ ਲਈ ਚੰਗੇ ਕੋਚਾਂ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।

ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੀ ਸਹੂਲਤ ਦੇ ਲਈ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਸਪੋਰਟਸ ਹੋਸਟਲ ਖੋਲ੍ਹੇ ਗਏ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਹੋਸਟਲਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਖੇਡ ਦੇ ਸਮਾਨ, ਫ਼ੀਸ ਅਤੇ ਸਪੋਰਟਸ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਚੰਗੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦਾ ਉਤਸ਼ਾਹ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਉੱਤਮ ਖੇਡ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸਾਲਾਨਾ ਵਜ਼ੀਫ਼ੇ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇੰਨਾ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਹਰ ਸਾਲ ਰਾਜ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਸਭ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮੁਕਾਬਲੇ ‘ਮੈਨ ਸਪੋਰਟਸ ਫ਼ੈਸਟੀਵਲ’ ਅਤੇ ‘ਵਿਮੈਨ ਸਪੋਰਟਸ ਫ਼ੈਸਟੀਵਲ’ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਿਭਾਗ ਅੰਤਰ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਉੱਚ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸਨਮਾਨ ਪੱਤਰ ਅਤੇ ਵਜ਼ੀਫ਼ੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਭਾਗ ਹਰ ਸਾਲ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਹਾਕੀ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਾ ਹੈ | ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਵਿਭਾਗ ਪੇਸ਼ਾਵਰ ਕਾਲਜਾਂ (Professional Colleges) ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸੀਟਾਂ ਲਈ ਗਰੇਡੇਸ਼ਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 5 1947 ਪਿੱਛੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਦੀ ਖੇਡ ਪ੍ਰਤੀ ਵਿਚ ਦੇਣ ‘ਤੇ ਨੋਟ ਲਿਖੋ
(ਉ) ਪੰਜਾਬ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ,
(ਅ) ਪੰਜਾਬ ਸਟੇਟ ਸਪੋਰਟਸ ਕੌਂਸਿਲ,
(ਬ) ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ
(ਸ) ਪੰਜਾਬ ਉਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ
(ਹ) ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ ।

(Write down the role of the following for development of Sports-
(a) State Universities
(b) Punjab State Sports Council
(c) Panchayati Raj Sports Council
(d) Punjab Olympic Association
(e) Punjab School Education Board.]
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਪੰਜਾਬ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ
(State Universities)

ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਦੀ ਵੰਡ ਹੋਈ ਉਦੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਇਕ ਹੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਲਾਹੌਰ ਵਿਚ ਸੀ । 1947 ਦੀ ਵੰਡ ਦੇ ਬਾਅਦ ਇਹ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਵਿਚ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋ ਗਈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਚਾਰ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਹਨ-ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਚੰਡੀਗੜ, ਪੰਜਾਬੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਪਟਿਆਲਾ, ਪੰਜਾਬ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਲੁਧਿਆਣਾ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ । ਇਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਪੰਜਾਬ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਲੁਧਿਆਣਾ ਦੇ ਨਾਲ ਕੇਵਲ ਖੇਤੀ ਦੇ ਹੀ ਕਾਲਜ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਹੋਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਾਲਜ ਬਾਕੀ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਹਨ ।

ਸਭ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਲਈ ਇਕ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਅਦ ਉਹ ਅੰਤਰ-ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਲਈ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ | ਨਾਲ ਟਰੇਂਡ ਮੁੰਡਿਆਂ ਅਤੇ ਕੁੜੀਆਂ ਦੀਆਂ ਟੀਮਾਂ ਭੇਜਦਾ ਹੈ । ਹਰੇਕ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧਕੀ ਵਿਭਾਗ ਬਣਾਏ ਗਏ ਹਨ । ਇਸ ਦਾ ਕੰਮ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵਿਚ ਖੇਡ ਦਾ ਮੈਦਾਨ, ਖੇਡ ਦੇ ਸਾਮਾਨ ਅਤੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕਰਨਾ ਹੈ । ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਹੋਰ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਵਿਚ ਬਾਕੀ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਪੜ੍ਹਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿਚ ਪ੍ਰੀਖਿਆਵਾਂ ਵੀ ਲਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਦੇ ਹਰ ਵਿਭਾਗ ਵਿਚ ਚੰਗੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ | ਲਈ ਸੀਟਾਂ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ | ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰ, ਡਾਕਟਰ ਅਤੇ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਬਣਨ ਦਾ ਮੌਕਾ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।

ਸਭ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ ਲਈ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ, ਸਵਿਮਿੰਗ ਪੂਲਾਂ, | ਸਟੇਡੀਅਮਾਂ, ਜਿਮਨੇਜ਼ੀਅਮਾਂ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਅਤੇ ਗੁਰੁ | ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਵਿਭਾਗ ਖੋਲ੍ਹੇ ਗਏ ਹਨ, ਜਿੱਥੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਨੂੰ ਟਰੇਨਿੰਗ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਇਹ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਚੰਗੇ ਖਿਡਾਰੀ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਲਾਹੁਣ ਯੋਗ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ।

(ਅ) ਪੰਜਾਬ ਸਟੇਟ ਸਪੋਰਟਸ ਕੌਂਸਿਲ
(Punjab State Sports Council)

ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ 1971 ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਇਕ ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਸਪੋਰਟਸ ਕੌਂਸਿਲ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਕੌਂਸਿਲਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਪ੍ਰਾਂਤ ਦੇ ਯੁਵਕਾਂ ਅਤੇ ਯੁਵਤੀਆਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਖੇਡ ਭਾਵਨਾ ਦਾ ਸੰਚਾਰ ਕਰਨਾ ਹੈ | ਰਾਜ ਵਿਚ ਵਧੀਆ ਖੇਡ ਦਾ ਸਾਮਾਨ ਜਿਮਨੇਜ਼ੀਅਮ, ਸਟੇਡੀਅਮ, ਸਵਿਮਿੰਗ ਪੂਲ ਆਦਿ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੇ ਜ਼ਿੰਮੇ ਹੈ । ਇਸ ਕੰਮ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਹਰ ਸਾਲ ਵਿੱਤੀ ਸਹਾਇਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪੰਜਾਬ ਸਟੇਟ ਸਪੋਰਟਸ ਕੌਂਸਿਲ ਨੇ ਹਰੇਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਪੋਰਟਸ ਕੌਂਸਿਲਾਂ (District Sports Council) ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਕੌਂਸਿਲਾਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਦੇ ਅਧੀਨ ਕੰਮ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਕੱਤਰ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਪੋਰਟਸ ਅਧਿਕਾਰੀ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਸਟੇਟ ਸਪੋਰਟਸ ਕੌਂਸਿਲ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਰਾਜ ਦਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰਾਜ ਦਾ ਡਾਇਰੈਕਟਰ ਸਪੋਰਟਸ ਇਸ ਦਾ ਸਕੱਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕੌਂਸਿਲ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਇਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਯਤਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਇਹ ਕੌਂਸਿਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅੰਤਰ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਹੋਵੇ ‘ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਐਵਾਰਡ’ ਨਾਲ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਪੁਰਾਣੇ ਅਤੇ ਰਿਟਾਇਰਡ ਬਜ਼ੁਰਗ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅਤੇ ਅੰਤਰ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲਿਆ ਹੈ, ਪੈਨਸ਼ਨਾਂ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਕੌਂਸਿਲ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲੀਆਂ ਟੀਮਾਂ ਦਾ ਸਾਰਾ ਖ਼ਰਚ ਸਹਿਣ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਇਹ ਕੌਂਸਿਲ ਅੰਤਰ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਪੰਜਾਬੀ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਜਾਣ ਲਈ ਆਰਥਿਕ ਸਹਾਇਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

(ਬ) ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ
(Panchayati Raj Sports Council)

ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ 1967 ਵਿਚ ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਪਰਿਸ਼ਦ ਨੇ ਪੇਂਡੂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡ ਭਾਵਨਾ ਅਤੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਰੁਚੀ ਅਤੇ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਸੰਚਾਰ ਕਰਨ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਯਤਨ ਕੀਤੇ । ਇਸ ਪਰਿਸ਼ਦ ਨੇ ਸਭ ਜ਼ਿਲਿਆਂ ਵਿਚ ਪੰਚਾਇਤ ਸਮਿਤੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਹੈ, ਜੋ ਆਪਣੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਦੇ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਲਈ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਮਿਤੀ ਨੂੰ 250 ਰੁਪਏ ਗਰਾਂਟ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਖੇਡ ਪਰਿਸ਼ਦ ਲੜਕੀਆਂ ਲਈ ਫੁੱਟਬਾਲ, ਹਾਕੀ, ਕਬੱਡੀ, ਵਾਲੀਬਾਲ, ਰੱਸਾਕਸ਼ੀ, ਐਥਲੈਟਿਕਸ, ਭਾਰ ਚੁੱਕਣਾ, ਜਿਮਨਾਸਟਿਕ ਅਤੇ ਮੁੰਡਿਆਂ ਲਈ ਕਬੱਡੀ, ਹਾਕੀ ਆਦਿ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

(ਸ) ਪੰਜਾਬ ਉਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ
(Punjab Olympic Association)

ਪੰਜਾਬ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ 1942 ਵਿਚ ਜੀ. ਡੀ. ਸੋਂਧੀ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਹੋਈ ਸੀ, ਪਰ 1947 ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਮਿਟ ਗਈ । 1948 ਵਿਚ ਸ੍ਰੀ ਜੀ. ਡੀ. ਸੋਂਧੀ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦਾ ਪੁਨਰ-ਗਠਨ ਹੋਇਆ | ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਸਭ ਖੇਡ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀਆਂ ਮੈਂਬਰ ਬਣੀਆਂ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਵੀ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀਆਂ ਮੈਂਬਰ ਬਣੀਆਂ ।

ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਨਾ ਕੇਵਲ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਖੇਡ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਕਰਨਾ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਇਸ ਦੇ ਵਿੱਤੀ ਖ਼ਰਚ ਤੇ ਵੀ ਨਜ਼ਰ ਰੱਖਣਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ’ਤੇ ਪ੍ਰਾਂਤਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਨੂੰ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਸੁਝਾਅ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਝਗੜਿਆਂ ਦਾ ਨਿਪਟਾਰਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਓਲੰਪਿਕ ਦਿਵਸ ਮਨਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਓਲੰਪਿਕ ਲਹਿਰ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿਚ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਓਲੰਪਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਵਾਉਣਾ ਅਤੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਪੇਸ਼ਾਵਰ ਖਿਡਾਰੀਆਂ (Professional Players) ਨੂੰ ਭਾਗ ਲੈਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣਾ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਹ ਸੰਸਥਾ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਪ੍ਰਾਂਤਿਕ ਪੱਧਰ ਤੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦੀ ਹੈ।

(ਹ) ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ ,
(Punjab School Education Board)

ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰੀਖਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਬੋਝ ਨੂੰ ਘੱਟ ਕਰਨ, ਪ੍ਰੀਖਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਬੰਧਿਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਜਲਦੀ ਨਤੀਜੇ ਕੱਢਣ ਲਈ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਇਸ ਬੋਰਡ ਦਾ ਕੰਮ ਸਕੂਲਾਂ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਸ਼ਰੇਣੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਪਾਠਕ੍ਰਮ ਅਤੇ ਪੁਸਤਕਾਂ ਤਿਆਰ ਕਰਨਾ ਹੈ ।

ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ ਨੇ ਇਕ ਸਲਾਹੁਤਾ ਯੋਗ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਉਹ ਇਹ ਕਿ ਹੋਰ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਨੂੰ ਵੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਬਣਾਇਆ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਤੇ ਪ੍ਰੀਖਿਆਵਾਂ ਵੀ ਲਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ ਹਾਕੀ ਦੀ ਖੇਡ ਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੂਪ ਨਾਲ ਉੱਨਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਅਤੇ ਬਲਾਕ ਪੱਧਰ ’ਤੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 5 1947 ਪਿੱਛੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪੰਜਾਬ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਗਤੀ ਲਈ ਕੀ ਕਦਮ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਪੰਜਾਬ ਉਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ
(Punjab Olympic Association)
ਪੰਜਾਬ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ 1942 ਵਿਚ ਜੀ. ਡੀ. ਸੋਂਧੀ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਹੋਈ ਸੀ, ਪਰ 1947 ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਮਿਟ ਗਈ । 1948 ਵਿਚ ਸ੍ਰੀ ਜੀ. ਡੀ. ਸੋਂਧੀ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦਾ ਪੁਨਰ-ਗਠਨ ਹੋਇਆ | ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਸਭ ਖੇਡ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀਆਂ ਮੈਂਬਰ ਬਣੀਆਂ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਓਲੰਪਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਵੀ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀਆਂ ਮੈਂਬਰ ਬਣੀਆਂ ।

ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਨਾ ਕੇਵਲ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਖੇਡ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਕਰਨਾ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਇਸ ਦੇ ਵਿੱਤੀ ਖ਼ਰਚ ਤੇ ਵੀ ਨਜ਼ਰ ਰੱਖਣਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ’ਤੇ ਪ੍ਰਾਂਤਿਕ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨਾਂ ਨੂੰ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਸੁਝਾਅ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਝਗੜਿਆਂ ਦਾ ਨਿਪਟਾਰਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਓਲੰਪਿਕ ਦਿਵਸ ਮਨਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਓਲੰਪਿਕ ਲਹਿਰ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿਚ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਓਲੰਪਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਵਾਉਣਾ ਅਤੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਪੇਸ਼ਾਵਰ ਖਿਡਾਰੀਆਂ (Professional Players) ਨੂੰ ਭਾਗ ਲੈਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣਾ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਹ ਸੰਸਥਾ ਸਾਲ ਵਿਚ ਇਕ ਵਾਰ ਪ੍ਰਾਂਤਿਕ ਪੱਧਰ ਤੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦੀ ਹੈ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 18 ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਸਾਰ

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 18 ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਸਾਰ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 18 ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਸਾਰ

SST Guide for Class 6 PSEB ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਸਾਰ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ
I. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਿਖੋ :

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਰੇਸ਼ਮੀ-ਮਾਰਗ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੀਨ ਨੂੰ ਯੂਰਪ ਨਾਲ ਜੋੜਨ ਵਾਲੇ ਮਾਰਗ ਨੂੰ ਰੇਸ਼ਮੀ-ਮਾਰਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਇਸ ਮਾਰਗ ਦੁਆਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰੇਸ਼ਮ ਦਾ ਵਪਾਰ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਾਤਵਾਹਨ ਕਾਲ ਦੀਆਂ ਕੁਝ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਬੰਦਰਗਾਹਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਾਤਵਾਹਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੱਖਣੀ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤੱਟ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਅਨੇਕਾਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਬੰਦਰਗਾਹਾਂ ਸਨ ।
(1) ਦੱਖਣੀ ਤੱਟ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਬੰਦਰਗਾਹਾਂ-

  • ਕਾਵੇਰੀਪੱਟਨਮ,
  • ਮਹਾਂਬਲੀਪੁਰਮ,
  • ਪੁਹਾਰ,
  • ਕੋਰਕਈ ।

(2) ਪੱਛਮੀ ਤੱਟ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਬੰਦਰਗਾਹਾਂ-

  • ਸ਼ੂਰਪਾਰਕ,
  • ਭ੍ਰਿਗੂਕੱਛ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਰਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਕਿਵੇਂ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋਏ ?
ਉੱਤਰ-
600 ਈ: ਪੂ: ਵਿੱਚ ਇਰਾਨ ਦੇ ਵੇਚੈਮੀਨਿਡ ਵੰਸ਼ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਭਾਗਾਂ ‘ਤੇ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਜਮਾ ਲਿਆ । ਫਲਸਰੂਪ ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਰਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਸਥਾਪਤ ਹੋਏ ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 18 ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਸਾਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਰੋਮ ਨੂੰ ਕੀ ਨਿਰਯਾਤ (ਭੇਜਿਆ) ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਰੋਮ ਨੂੰ ਮਸਾਲੇ, ਕੀਮਤੀ ਹੀਰੇ, ਵਧੀਆ ਕੱਪੜਾ, ਇਤਰ, ਹਾਥੀ ਦੰਦ ਦਾ ਸਾਮਾਨ, ਲੋਹਾ, ਰੰਗ, ਚਾਵਲ, ਤੋਤੇ ਤੇ ਮੋਰ ਆਦਿ ਪੰਛੀਆਂ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਆਦਿ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ ਨਿਰਯਾਤ (ਭੇਜਿਆ) ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਯੂਰਪ ਤੋਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਆਯਾਤ (ਮੰਗਵਾਈਆਂ) ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਯੂਰਪ ਤੋਂ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਆਯਾਤ ਕੀਤੀਆਂ ਮੰਗਵਾਈਆਂ। ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ ।

II. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਵਿਚ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

(1) ……………………. ਈ: ਪੂ: ਵਿਚ ਈਰਾਨ ਦੇ …………………… ਵੰਸ਼ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਉੱਤਰ| ਪੱਛਮੀ ਭਾਗਾਂ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
600, ਵੇਚੈਮੀਨਿਡ

(2) ਅਸ਼ੋਕ ਅਤੇ ਕਨਿਸ਼ਕ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜਕਾਲ ਸਮੇਂ ਬੋਧੀ ਭਿਕਸ਼ੂਆਂ ਨੂੰ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨ ਲਈ ……………………, ………….. …………………… ਅਤੇ …………………… ਵਿਚ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਸ੍ਰੀਲੰਕਾ, ਬਰਮਾ, ਚੀਨ, ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ

(3) ……………………. ,……………………… ਅਤੇ ………………………. ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਜਹਾਜ਼ ਬਣਾਉਣ ਅਤੇ ਸਮੁੰਦਰੋਂ ਪਾਰ ਖੋਜਾਂ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕੀਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੇਰ, ਚੋਲ ਅਤੇ ਪਾਂਡੇਯ

(4) ਅਰਬਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ …………………………… ਈ: ਵਿਚ ਅਧਿਕਾਰ ਕਰ ਲਿਆ |
ਉੱਤਰ-
712

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(5) ਕੰਪੂਚੀਆ ਦੇ …………………….. ਮੰਦਰ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਮਹਾਂਕਾਵਿ ……………………….. ਅਤੇ …………………………. ਵਿਚੋਂ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਮੂਰਤੀਕਲਾ ਵਿਚ ਚਿੱਤਰਾਏ ਗਏ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਕੋਰਟ, ਰਮਾਇਣ, ਮਹਾਂਭਾਰਤ ।

III. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਦੇ ਸਹੀ ਜੋੜੇ ਬਣਾਓ :

(1) ਸੋਨੇ ਦੇ ਸਿੱਕੇ (ਉ) ਸ਼ੂਰਪਾਰਕ
(2) ਬੰਦਰਗਾਹ (ਅ) ਰੇਸ਼ਮ
(3) ਚੀਨ (ੲ) ਬਲੋ-ਮਾਰਗ
(4) ਰੇਸ਼ਮੀ-ਮਾਰਗ (ਸ) ਰੋਮ

ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ ਜੋੜੇ-

(1) ਸੋਨੇ ਦੇ ਸਿੱਕੇ (ਸ) ਰੋਮ
(2) ਬੰਦਰਗਾਹ (ਉ) ਸ਼ੂਰਪਾਰਕ
(3) ਚੀਨ (ਅ) ਰੇਸ਼ਮ
(4) ਰੇਸ਼ਮੀ-ਮਾਰਗ (ੲ) ਬਲੋ-ਮਾਰਗ

IV. ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਵਾਕਾਂ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਸਹੀ (√) ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ (×) ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ:

(1) ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਨੇ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਬਣਾਈ ।
(2) ਭਾਰਤ ਦੇ ਮਿਸਰ ਨਾਲ ਕੋਈ ਸੰਬੰਧ ਨਹੀਂ ਸਨ ।
(3) ਬੁੱਧ ਦੀਆਂ ਪੱਥਰ ਤਰਾਸ਼ੀ ਦੀਆਂ ਵੱਡੀਆਂ ਮੂਰਤੀਆਂ ਬਾਮੀਆਨ (ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ) ਵਿਖੇ ਮਿਲੀਆਂ ਸਨ ।
(4) ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਰੋਮ ਦੀਆਂ ਮੰਡੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਕੀਮਤਾਂ ‘ਤੇ ਵਿਕਦੀਆਂ ਸਨ ।
(5) ਚੇਰ, ਚੋਲ ਅਤੇ ਪਾਂਡਯ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ਸਮੁੰਦਰੋਂ ਪਾਰ ਜਹਾਜ਼ ਬਣਾਉਣ ਅਤੇ ਖੋਜਾਂ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਤ ਕੀਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
(1) (√)
(2) (×)
(3) (√)
(4) (√)
(5) (×)

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PSEB 6th Class Social Science Guide ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਸੰਸਾਰ Important Questions and Answers

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ
ਘੱਟ ਤੋਂ ਘੱਟ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ ਉੱਤਰ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚੀਨ ਨੂੰ ਯੂਰਪ ਦੇ ਨਾਲ ਜੋੜਨ ਵਾਲਾ ਵਪਾਰਿਕ ਮਾਰਗ ਕੀ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਸ਼ਮੀ ਮਾਰਗ/ਸਿਲਕ ਮਾਰਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬਾਮੀਆਨ (ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ) ਵਿਚ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਬੁੱਧ ਸਮਾਰਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸਨੇ ਨਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਾਲੀਬਾਨ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਅਰਬਾਂ ਨੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਕਦੋਂ ਅਧਿਕਾਰ ਕੀਤਾ ? .
ਉੱਤਰ-
712 ਈ: ਵਿਚ ।

ਬਹੁ-ਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅੰਗਕੋਰਵਾਟ ਦਾ ਮੰਦਿਰ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
(ਉ) ਚੰਪਾ
(ਅ) ਚੀਨ
(ੲ) ਕੰਪੂਚੀਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ੲ) ਕੰਪੂਚੀਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਿਰਫ਼ ਸੰਖਿਆ ਭਾਰਤ ਦੀ ਦੇਣ ਹੈ । ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ ਇਸ ਸੰਖਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੇਠਾਂ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ?
(ਉ) ਹਿੰਦੂਆਂ ਨੇ
(ਅ) ਅਰਬਾਂ ਨੇ
(ੲ) ਬੋਧਾਂ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਹਿੰਦੂਆਂ ਨੇ

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਵਿਚ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਿਆਂ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਕੁਝ ਹੋਰ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਕੰਮ ਵਿਚ ਹੇਠਾਂ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜੇ ਰਾਜੇ ਨੂੰ ਯੋਗਦਾਨ ਨਹੀਂ ਸੀ ?
(ੳ) ਸਮੁਦਰ ਗੁਪਤ
(ਅ) ਕਨਿਸ਼ਕ
(ੲ) ਅਸ਼ੋਕ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਸਮੁਦਰ ਗੁਪਤ

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੂਜੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੂਜੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਵਪਾਰ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਅੰਗਕੋਰਵਾਟ ਦਾ ਮੰਦਰ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਿਸਨੇ ਕਰਵਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਅੰਗਕੋਰਵਾਟ ਦਾ ਮੰਦਰ ਕੰਬੂਜ ਵਿੱਚ ਹੈ । ਇਸ ਮੰਦਰ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਰਾਜਾ ਸੂਰਜ ਵਰਮਾ ਦੂਜੇ ਨੇ ਕਰਵਾਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਚੰਪਾ (ਵਿਅਤਨਾਮ) ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਿਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੰਪਾ (ਵਿਅਤਨਾਮ) ਦੇ ਦੋ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜੇ ਸਨ-

  1. ਭਦਰਵਰਮਾ ਅਤੇ
  2. ਰੂਦਰਦਮਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਚੰਪਾ (ਵਿਅਤਨਾਮ) ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੰਪਾ (ਵਿਅਤਨਾਮ) ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਮਾਈਸਨ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ ਦੇ ਮੁੱਖ ਟਾਪੂਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿੱਥੇ ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਅਤਾ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਅਤਾ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ ਦੇ ਜਾਵਾ, ਸੁਮਾਤਰਾ, ਬਾਲੀ ਅਤੇ ਬੋਰਨੀਓ ਟਾਪੂਆਂ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਬੋਰੋਬਰ ਦਾ ਮੰਦਰ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੋਰੋਬੁਦੁਰ ਦਾ ਮੰਦਰ ਜਾਵਾ ਵਿੱਚ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਚੀਨ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਬੋਧੀ ਵਿਦਵਾਨ ਨੂੰ ਕੈਦ ਕਰ ਕੇ ਲੈ ਗਏ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੀਨ ਵਿੱਚ ਬੋਧੀ ਵਿਦਵਾਨ ਕੁਮਾਰਜੀਵ ਨੂੰ ਕੈਦ ਕਰ ਕੇ ਲੈ ਗਏ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਚੀਨ ਵਿੱਚ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਭਾਰਤੀ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੀਨ ਵਿੱਚ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਅਰਬਾਂ ਦੇ ਹਮਲੇ ਦੇ ਦੋ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਅਰਬ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਵਿਸਤਾਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।
  2. ਉਹ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਅਰਬਾਂ ਦੇ ਹਮਲੇ ਸਮੇਂ ਸਿੰਧ ਦਾ ਰਾਜਾ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਰਬਾਂ ਦੇ ਹਮਲੇ ਸਮੇਂ ਸਿੰਧ ਦਾ ਰਾਜਾ ਦਾਹਿਰ ਸੀ ।

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ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੰਬੋਡੀਆ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੰਬੋਡੀਆ ਵਿੱਚ ਚੌਥੀ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਹਿੰਦੂ ਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ । 357 ਈ: ਵਿੱਚ ਇੱਥੇ ਚੰਦਰਗੁਪਤ ਨਾਂ ਦਾ ਰਾਜਾ ਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬੈਠਾ। ਪੰਜਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਇੱਥੇ ਕੌਂਡਨਯ ਨਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਸਥਾਪਤ ਕੀਤਾ । ਉਸਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਅਧੀਨ ਕੰਬੋਡੀਆ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਅਪਣਾ ਲਿਆ । ਕੰਬੋਡੀਆ ਦੇ ਇੱਕ ਸ਼ਾਸਕ ਗੁਣ ਵਰਮਨ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਜਾਵਾ ਦੇ ਭਾਰਤ ਨਾਲ ਕੀ ਸੰਬੰਧ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਾਵਾ ਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 56 ਈ: ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹਿੰਦੂ ਰਾਜੇ ਨੇ ਕੀਤੀ । ਦੂਸਰੀ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਉੱਥੇ ਭਾਰਤੀ ਉਪਨਿਸ਼ਦਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਹੋਇਆ । ਚੀਨੀ ਯਾਤਰੀ ਫ਼ਾਗਿਆਨ ਨੇ 418 ਈ: ਵਿੱਚ ਜਾਵਾ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਕੀਤੀ । ਉਸ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਉੱਥੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦਾ ਕਾਫ਼ੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਹੈ । ਜਾਵਾ ਵਿੱਚ ਕਈ ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਏ ਗਏ ਸਨ । ਇਹਨਾਂ ਮੰਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਵ, ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਅਤੇ ਮਾ ਦੀ ਪੂਜਾ ਹੁੰਦੀ ਸੀ ।ਉੱਥੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਵੀ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਹੋਇਆ । ਉੱਥੋਂ ਦਾ ਬੋਰੋਬੁਦੂਰ ਦਾ ਬੁੱਧ ਮੰਦਰ ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਬਰਮਾ (ਮਾਇਆਂਮਾਰ) ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਅਤਾ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਰਮਾ (ਮਾਇਆਂਮਾਰ) ਦੇ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਮਹਾਤਮਾ ਬੁੱਧ ਦੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੀ ਸਨ । ਹਿੰਦੁ ਉਪਨਿਵੇਸ਼ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇੱਥੇ ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਅਤਾ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗਾ | ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਲੋਕ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੀ ਹੀਨਯਾਨ ਸ਼ਾਖਾ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਸਨ । 11ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਅਨੀਰੁਧ ਨੇ ਬਰਮਾ (ਮਾਇਆਂਮਾਰ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਸਥਾਪਤ ਕੀਤਾ । ਉਸਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨੇ ਇੱਥੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਆਨੰਦ ਮੰਦਰ ਬਣਵਾਇਆ । ਅੱਜ ਵੀ ਬਰਮਾ (ਮਾਇਆਂਮਾਰ) ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਰਬਾਂ ਦੇ ਹਮਲਿਆਂ ਦਾ ਤਤਕਾਲੀ ਕਾਰਨ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਰਬ ਦੇ ਕੁਝ ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਦੇਵਲ (ਸਿੰਧ ਰਾਜ) ਬੰਦਰਗਾਹ ‘ਤੇ ਡਾਕੂਆਂ ਨੇ । ਲੁੱਟ ਲਿਆ ਸੀ । ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਖਲੀਫ਼ਾ ਨੇ ਸਿੰਧ ਦੇ ਰਾਜਾ ਦਾਹਿਰ ਤੋਂ ਇਸ ਘਟਨਾ ਦਾ ਮੁਆਵਜ਼ਾ ਮੰਗਿਆ । ਪਰ ਰਾਜਾ ਦਾਹਿਰ ਨੇ ਇਹ ਕਹਿ ਕੇ ਮੁਆਵਜ਼ਾ ਦੇਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਦੇਵਲ ਦੇ ਡਾਕੂ ਉਸਦੇ ਅਧੀਨ ਨਹੀਂ ਹਨ । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਬਸਰਾ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ‘ ਨੇ ਰਾਜਾ ਦਾਹਿਰ ’ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਦਾਹਿਰ ਨੇ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ ।

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ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇੰਡੋਨੇਸ਼ੀਆ ਵਿੱਚ ਜਾਵਾ, ਸੁਮਾਤਰਾ, ਬਾਲੀ, ਬੋਰਨੀਓ ਆਦਿ ਕਈ ਦੀਪ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ । ਇੱਥੇ ਪਹਿਲੀ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦਾ ਆਗਮਨ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ ।

  • ਜਾਵਾ – ਜਾਵਾ ਵਿੱਚ 56 ਈ: ਵਿੱਚ ਹਿੰਦੂ ਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ ਸੀ । ਉੱਥੇ ਕਈ ਮੰਦਰ ਬਣੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਿਵ, ਵਿਸ਼ਨੂੰ, ਬ੍ਰਹਮਾ ਆਦਿ ਭਾਰਤੀ ਦੇਵਤਿਆਂ ਦੀ ਪੂਜਾ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਜਾਵਾ ਵਿੱਚ 15ਵੀਂ ਸਦੀ ਤੱਕ ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਰਿਹਾ ।
  • ਸੁਮਾਤਰਾ – ਸੁਮਾਤਰਾ ਦਾ ਪੁਰਾਤਨ ਹਿੰਦੂ ਰਾਜਾ ਸ਼੍ਰੀ ਵਿਜੇ ਸੀ । ਇਸ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਚੌਥੀ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਹੋਈ । ਚੀਨੀ ਯਾਤਰੀ ਇਤਸਿੰਗ ਲਿਖਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸੁਮਾਤਰਾ ਬੋਧੀ ਗਿਆਨ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਸੀ । 684 ਈ: ਵਿੱਚ ਸੁਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬੋਧੀ ਰਾਜਾ ਸ਼ਾਸਨ ਕਰਦਾ ਸੀ ।
  • ਬਾਲੀ – ਬਾਲੀ ਵੀ ਹਿੰਦੂ ਉਪਨਿਵੇਸ਼ ਸੀ । ਇੱਥੇ ਵੀ ਹਿੰਦੂ ਮੰਦਰ ਸਨ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਵੇਦਾਂ, ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਅਤੇ ਰਾਮਾਇਣ ਦਾ ਗਿਆਨ ਸੀ । ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਜਾਤੀਆਂ ਸਨ । ਚੀਨੀ ਬਿਰਤਾਂਤ ਤੋਂ ਪਤਾ ਚੱਲਦਾ ਹੈ ਕਿ ਬਾਲੀ ਇੱਕ ਸਭਿਆ ਅਤੇ ਅਮੀਰ ਹਿੰਦੂ ਸਮਾਜ ਸੀ ।
  • ਬੋਰਨੀਓ – ਬੋਰਨੀਓ ਵੀ ਹਿੰਦੁ ਉਪਨਿਵੇਸ਼ ਸੀ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਰਾਜਾ ਮੁਲਵਰਮਾ ਦਾ ਵਰਣਨ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸਨੇ ਇੱਕ ਯੁੱਗ ਵਿੱਚ 20,000 ਗਊਆਂ ਦਾਨ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ । ਬਾਹਮਣਾਂ ਦਾ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਉੱਚਾ ਸਥਾਨ ਸੀ । ਇੱਥੇ ਵੀ, ਮੰਦਰਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸ੍ਰੀ ਲੰਕਾ, ਚੀਨ ਅਤੇ ਤਿੱਬਤ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਸ੍ਰੀ ਲੰਕਾ, ਚੀਨ ਅਤੇ ਤਿੱਬਤ ਵਿੱਚ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਦਾ ਵਰਣਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

  • ਸ੍ਰੀ ਲੰਕਾ – ਸ੍ਰੀ ਲੰਕਾ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਸ਼ੋਕ ਨੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਪ੍ਰਚਾਰਕ ਭੇਜੇ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰ ਮਹਿੰਦਰ ਅਤੇ ਪੁੱਤਰੀ ਸੰਘਮਿੱਤਰਾ ਨੂੰ ਉੱਥੇ ਭੇਜਿਆ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੋਰ ਕਈ ਬੋਧੀ ਭਿਖਸ਼ੂ ਵੀ ਸ੍ਰੀ ਲੰਕਾ ਗਏ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਉੱਥੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ । ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਉੱਥੇ ਕਈ ਬੋਧੀ ਗ੍ਰੰਥ ਵੀ ਲਿਖੇ । ਅੱਜ ਵੀ ਸੀ ਲੰਕਾ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਲੋਕ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਹਨ ।
  • ਚੀਨ – ਚੀਨ ਵਿੱਚ ਬੋਧੀ ਭਿਖਸ਼ੂ ਪਹਿਲੀ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਗਏ । ਭਿਖਸ਼ ਕੁਮਾਰਜੀਵ ਨੇ ਇੱਥੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ। ਉਸ ਨੇ ਕਈ ਬੋਧੀ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦਾ ਚੀਨੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਅਨੁਵਾਦ ਕੀਤਾ । ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਇਹ ਧਰਮ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਫੈਲ ਗਿਆ । ਇਸ ਧਰਮ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਕਈ ਚੀਨੀ ਯਾਤਰੀ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰਨ ਲਈ ਭਾਰਤ ਆਏ । ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਫ਼ਾਹਿਆਨ ਅਤੇ ਹਿਊਨਸਾਂਗ ਮੁੱਖ ਸਨ ।
  • ਤਿੱਬਤ – ਤਿੱਬਤ ਇੱਕ ਪਹਾੜੀ ਤ ਹੈ । ਇਹ ਚੀਨ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਸੱਤਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ । ਕੁਝ ਤਿੱਬਤੀ ਵਿਦਵਾਨ ਭਾਰਤ ਆਏ ਅਤੇ ਇੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ । ਦੋ ਭਾਰਤੀ ਵਿਦਵਾਨ ਸ਼ਾਂਤੀ ਰਕਰਸ਼ਕ ਅਤੇ ਪਦਮ ਸੰਭਵ ਨੇ ਤਿੱਬਤ ਵਿੱਚ ਜਾ ਕੇ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ । ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਲਹਾਸਾ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਬੋਧੀ ਮੱਠ ਬਣਵਾਏ ਗਏ | ਅੱਜ ਵੀ ਤਿੱਬਤ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਲੋਕ ਬੁੱਧ ਧਰਮ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਅਰਬਾਂ ਦੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਹਮਲੇ ਦੇ ਕਾਰਨ ਲਿਖੋ । ਉੱਤਰ-ਮੁਹੰਮਦ-ਬਿਨ-ਕਾਸਿਮ ਨੇ 712 ਈ: ਵਿੱਚ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ਸੀ ।
ਕਾਰਨ-
(1) ਅਰਬ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਸ਼ਾਸਕ ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਅਰਬ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਇੱਕ ਭਾਗ ਬਣਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

(2) ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਪਾਰ ਧਨ-ਦੌਲਤ ਬਾਰੇ ਸੁਣ ਰੱਖਿਆ ਸੀ । ਉਹ ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਕੇ ਇੱਥੋਂ ਦਾ ਧਨ ਲੁੱਟਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

(3) ਉਹ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ।

(4) ਅਰਬ ਦੇ ਕੁਝ ਵਪਾਰੀ ਆਪਣੇ ਜਹਾਜ਼ ਲੈ ਕੇ ਦੇਵਲ ਬੰਦਰਗਾਹ ‘ਤੇ ਰੁਕੇ । ਉੱਥੇ ਕੁਝ ਸਮੁੰਦਰੀ ਡਾਕੂਆਂ ਨੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਮਾਲ ਲੁੱਟ ਲਿਆ । ਖਲੀਫ਼ਾ ਨੂੰ ਜਦੋਂ ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਬਸਰਾ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਨੂੰ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਿੱਤੀ । ਬਸਰਾ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਨੇ ਸਿੰਧ ਦੇ ਰਾਜੇ ਦਾਹਿਰ ਤੋਂ ਲੁਟੇਰਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਲੁੱਟੇ ਹੋਏ ਮਾਲ ਦਾ ਹਰਜ਼ਾਨਾ ਮੰਗਿਆ । ਪਰ ਦਾਹਿਰ ਨੇ ਇਹ ਕਹਿ ਕੇ ਹਰਜ਼ਾਨਾ ਦੇਣ ਤੋਂ ਨਾਂਹ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਸਮੁੰਦਰੀ ਲੁਟੇਰੇ ਉਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਨਹੀਂ ਹਨ । ਇਹ ਜਵਾਬ ਮਿਲਦਿਆਂ ਹੀ ਬਸਰਾ ਦੇ ਗਵਰਨਰ ਨੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ, ਪਰ ਉਹ ਹਾਰ ਗਿਆ । ਇਸ ਹਾਰ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸੈਨਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਅਤੇ 712 ਈ: ਵਿੱਚ ਮੁਹੰਮਦ-ਬਿਨ-ਕਾਸਿਮ ਨੂੰ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਲਈ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਰਬਾਂ ਦੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਹਮਲੇ ਦਾ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਰਬਾਂ ਦੇ ਸਿੰਧ ’ਤੇ ਹਮਲੇ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਬਹੁਤ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਲਈ ਹੀ ਰਿਹਾ ਕਿਉਂਕਿ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਸਥਾਈ ਨਹੀਂ ਸੀ | ਪਰ ਇਸ ਹਮਲੇ ਦੇ ਕੁਝ ਅਪ੍ਰਤੱਖ ਸਿੱਟੇ ਨਿਕਲੇ, ਜਿਹਨਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

  1. ਅਰਬ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦਾ ਪਤਾ ਲੱਗ ਗਿਆ ।
  2. ਭਾਰਤ ਅਤੇ ਪੱਛਮੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਰਸਤਾ ਖੁੱਲ੍ਹ ਗਿਆ ।
  3. ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਅਤੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਹੋਇਆ ।
  4. ਅਰਬ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਸਿੱਖਿਆ, ਜਿਵੇਂ ਤਾਰਿਆਂ ਦੀ ਵਿੱਦਿਆ, ਚਿੱਤਰਕਾਰੀ, ਦਵਾਈਆਂ ਅਤੇ ਸੰਗੀਤ ਆਦਿ ।
  5. ਕਈ ਭਾਰਤੀ ਵਿਦਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਬਗ਼ਦਾਦ ਸੱਦਿਆ ਗਿਆ । ਉੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤੀ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ

Punjab State Board PSEB 9th Class Physical Education Book Solutions Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Physical Education Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ

Physical Education Guide for Class 9 PSEB ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ Textbook Questions and Answers

ਪਾਠ ਦੀ ਸੰਖੇਪ ਰੂਪ-ਰੇਖਾ (Brief Outlines of the Chapter)

  • ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਸਰੀਰਕ ਹਰਕਤਾਂ ਰਾਹੀਂ ਜੋ ਤਜਰਬੇ ਹਾਸਿਲ ਕਰਦੇ ਹਾਂ, ਉਸ ਨੂੰ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਮੰਤਵ-ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਸਰਵਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ ਕਰਨਾ ਹੀ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਮੰਤਵ ਹੈ ।
  • ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਉਦੇਸ਼–ਸਰੀਰਕ ਵਾਧਾ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ । ਸਰੀਰਕ, ਮਾਨਸਿਕ ਅਤੇ ਨੈਤਿਕ ਵਿਕਾਸ ਹੀ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਇਕ ਮਾਤਰ ਉਦੇਸ਼ ਹੈ ।
  • ਖੇਡ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਉਦੇਸ਼-ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ, ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਅਤੇ | ਚਰਿੱਤਰ ਵਿਕਾਸ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਹੀ ਸਾਨੂੰ ਹਾਸਿਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਵਿਹਲੇ ਸਮੇਂ ਦੀ ਯੋਗ ਵਰਤੋਂ-ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਨਾਲ ਬੱਚੇ ਵਿਹਲੇ ਸਮੇਂ ਦੀ ਯੋਗ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਹ ਬੁਰੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਖੇਡਾਂ ਨਾਲ ਨੇਤਾ ਦੇ ਗੁਣ-ਇਕ ਨੇਤਾ ਵਿਚ ਚੰਗੇ ਚਰਿੱਤਰਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਖੇਡਾਂ ਵਿਅਕਤੀ ਵਿਚ ਅਗਵਾਈ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰਿਕ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਖਿਆ ਸ਼ੈਲੀ ‘ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Examination Style Important Questions)

ਬਹੁਤ ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Questions with Very Brief Answers)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਟੀਚਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਟੀਚਾ ਮਨੁੱਖ ਲਈ ਇਹੋ ਜਿਹੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨਾ ਹੈ ਜੋ ਉਸ ਦੇ ਸਰੀਰ, ਦਿਮਾਗ਼ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਲਈ ਲਾਹੇਵੰਦ ਹੋਵੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਬੱਚੇ ਦੇ ਬਹੁਮੁਖੀ ਵਿਅਕਤੀਤਵ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਲਈ ਸਰੀਰਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੁਆਰਾ, ਸਰੀਰ, ਮਨ ਅਤੇ ਆਤਮਾ ਨੂੰ ਪੂਰਨਤਾ ਵਲ ਲੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਉਦੇਸ਼ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਸਰੀਰਕ ਵਿਕਾਸ
  • ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਵਿਅਕਤੀ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਯੋਗਦਾਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਖ਼ਾਲੀ ਸਮੇਂ ਦਾ ਠੀਕ ਪ੍ਰਯੋਗ
  2. ਜੀਵਨ ਦੇ ਟੀਚੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ
  3. ਸਮਾਜਿਕ ਭਾਵਨਾ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਤੁਸੀਂ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਉਦੇਸ਼ ਹਾਸਿਲ ਕਰਦੇ ਹੋ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ
  • ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ
  • ਚਰਿੱਤਰ ਵਿਕਾਸ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਖੇਡਾਂ ਆਦਮੀ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਗਵਾਈ ਦੇ ਗੁਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਰੀਰਕ ਸਭਿਅਤਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਨਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਲਈ ਸਰੀਰਕ ਸਭਿਅਤਾ ਸ਼ਬਦ ‘ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਸਰੀਰਕ ਸਭਿਅਤਾ ਨੇ ਮਨੁੱਖ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆ ਸਭਿਅਤਾਵਾਂ ਨਾਲ ਉਚਾਈਆਂ ਦੀਆਂ ਸਿਖਰਾਂ ਨੂੰ ਛੋਹਿਆ । ਇਸ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਸਰੀਰਕ ਕਸਰਤ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਰਾਜਸੀ ਮਾਮਲੇ, ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਤਕਨੀਕ ਦੀ ਵੀ ਸਿਖਲਾਈ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਸੀ ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Questions with Brief Answers) 

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਕੀ ਮੰਤਵ ਹੈ ? (What is Physical Education ? Mention its Aim.)
ਉੱਤਰ-
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਮੰਤਵ (Aim of Physical Education)-ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਸਾਧਾਰਨ ਸਿੱਖਿਆ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉੱਚ ਮੰਜ਼ਿਲ ਤੇ ਪੁੱਜਣ ਦੇ ਲਈ ਦਿਸ਼ਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਸ਼ਾਸਤਰੀ ਜੇ. ਐਫ. ਵਿਲੀਅਮਜ਼ (J.F, Williams) ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ ਕਿ ਜੇ ਅਸੀਂ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੀ ਮੰਜ਼ਿਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਸਾਡਾ ਉਦੇਸ਼ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ | ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਇਕ ਕੁਸ਼ਲ ਅਤੇ ਯੋਗ ਅਗਵਾਈ ਦੇਣਾ ਅਤੇ ਅਜਿਹੀਆਂ ਸਹੂਲਤਾਂ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿਸੇ ਇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਜਾਂ ਸਮੁਦਾਇ ਨੂੰ ਕਾਰਜ ਕਰਨ ਦਾ ਮੌਕਾ ਦੇਣ ਅਤੇ ਇਹ ਸਦ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਸਰੀਰਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਸੰਪੂਰਨ, ਮਾਨਸਿਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਉਤੇਜਕ ਅਤੇ ਸੰਤੋਖਜਨਕ ਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਨਿਪੁੰਨ ਹੋਣ ।

ਇਸ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਲਈ ਕੇਵਲ ਉਹਨਾਂ ਹੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਸਰੀਰਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੋਣ । | ਹਰੇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਕੇਵਲ ਉਹ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਕਹੇ ਜੋ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ ਕਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਹੋਣ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਚੇਤਨਾ ਸ਼ਕਤੀ ਵਧਾਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਹੋਣ | ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਕੁਝ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਰੋਕਾਂ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਕਿ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਦਿਮਾਗ ਤਾਜ਼ਾ ਰਹੇ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਨਸਿਕ ਤਸੱਲੀ ਮਿਲੇ । ਇਹਨਾਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਜ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਇਲਾਵਾ ਸਮਾਜ ਦੇ ਹੋਰ ਮੈਂਬਰ ਵੀ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਆਦਰ ਦੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਨਾਲ ਵੇਖਣ । ਉਹ ਇਹਨਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਲਾਭਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਕਰਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਦ ਅਪਨਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕਰਨ । ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਸਮੁੱਚੇ ਤੌਰ ਤੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਲਈ ਅਜਿਹਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨਾ ਹੈ ਜੋ ਉਸ ਦੇ ਸਰੀਰਕ, ਮਾਨਸਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਦੇ ਲਈ ਉਪਯੋਗੀ ਹੋਵੇ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਸਰਵ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ (All-round Development) ਹੀ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਇਕ ਮਾਤਰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਵਿਹਲੇ ਸਮੇਂ ਦੀ ਯੋਗ ਵਰਤੋਂ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ? ਸੰਖੇਪ ਕਰ ਕੇ ਲਿਖੋ । (How you would utilize the Leisure time properly ? Discuss briefly.)
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਨੇ ਠੀਕ ਹੀ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਵਿਹਲਾ ਮਨ ਸ਼ੈਤਾਨ ਦਾ ਘਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ( An idle brain is a devil’s workshop) ਇਹ ਅਕਸਰ ਵਧਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਬੇਕਾਰ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਸ਼ਹਾਦਤਾਂ ਹੀ ਸੁੱਝਦੀਆਂ ਹਨ । ਕਈ ਵਾਰ ਤਾਂ ਉਹ ਅਜਿਹੇ ਗ਼ਲਤ ਕੰਮ ਕਰਨ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਜਿਕ ਅਤੇ ਨੈਤਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਉੱਚਿਤ ਨਹੀਂ ਠਹਿਰਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ । ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦੇ ਕੋਲ ਫਾਲਤੂ ਸਮਾਂ ਤਾਂ ਹੈ ਪਰ ਉਸ ਨੂੰ ਬਤੀਤ ਕਰਨ ਦਾ ਢੰਗ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ ! ਫਾਲਤੂ ਸਮੇਂ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਯੋਗ ਨਾ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦਾ ਦਿਮਾਗ ਕੁਰੀਤੀਆਂ ਵਿਚ ਫਸ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕਈ ਵਾਰ ਅਨੇਕਾਂ ਉਲਝਣਾਂ ਵਿਚ ਉਲਝ ਕੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਣਾ ਉਸ ਦੇ ਵੱਸ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਜੇ ਵਿਅਕਤੀ ਇਸ ਫਾਲਤੂ ਸਮੇਂ ਦੀ ਠੀਕ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨਾ ਜਾਣਦਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਹ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਉੱਚ ਸਿਖਰਾਂ ਨੂੰ ਛੂਹ ਸਕਦਾ ਹੈ : ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਅਨੇਕਾਂ ਖੋਜਾਂ ਉਹਨਾਂ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਨੇ ਕੀਤੀਆਂ ਜੋ ਫਾਲਤੂ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਕੁਸ਼ਲ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਤੀਤ ਕਰਨ ਦੀ ਕਲਾ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਸਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੰਸਾਰ ਦੀਆਂ ਅਨੇਕ ਖੋਜਾਂ ਫਾਲਤੂ ਸਮੇਂ ਦੀਆਂ ਹੀ ਦੇਣਾਂ ਹਨ ! ਜੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਫਾਲਤੂ ਸਮੇਂ ਦੇ ਬਤੀਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕੋਈ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਹ ਬੁਰੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਜਾਣਗੇ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਮਾਜ ‘ਤੇ ਬੋਝ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਇਸ ਦੇ ਲਈ ਕਲੰਕ ਵੀ ਬਣ ਜਾਣਗੇ । ਇਸ ਲਈ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਫਾਲਤੂ ਸਮੇਂ ਦੇ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੀ ਚੰਗੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਸਕੂਲਾਂ, ਕਾਲਜਾਂ, ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਜਾਂ ਨਰਪਾਲਿਕਾਵਾਂ ਜਾਂ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਚੰਗੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਅਤੇ ਖੇਡ ਦੇ ਸਾਮਾਨ ਦਾ ਪੂਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕਿ ਬੱਚੇ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈ ਕੇ ਆਪਣੇ ਖ਼ਾਲੀ ਸਮੇਂ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰ ਸਕਣ ! ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਵੇਖਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਫਾਲਤੂ ਸਮੇਂ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਉਪਯੋਗ ਦਾ ਸਰਵ-ਉੱਤਮ ਸਾਧਨ ਖੇਡਾਂ ਹਨ :

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਖੇਡਾਂ ਚੰਗੇ ਲੀਡਰ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਕਿਵੇਂ ? (Game and Sports produced a good Leader. How ?)
ਉੱਤਰ-
ਖੇਡਾਂ ਵਿਅਕਤੀ ਵਿਚ ਚੰਗੀ ਅਗਵਾਈ ਦੇ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਖੇਤਰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਹੈ ! ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਇਕ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਕਈ ਅਜਿਹੇ ਮੌਕੇ ਮਿਲਦੇ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਸਾਨੂੰ ਟੀਮ ਦੇ ਕਪਤਾਨ, ਸੈਕਟਰੀ, ਰੈਫ਼ਰੀ ਜਾਂ ਅੰਪਾਇਰ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਣੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿਚ ਉਹ ਆਪਣੀ ਯੋਗਤਾ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਆਚਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਕ ਕਪਤਾਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉਹ ਆਪਣੀ ਟੀਮ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਨਿਰਦੇਸ਼ ਦੇ ਕੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਢੰਗ ਨਾਲ ਅਤੇ ਪੂਰਨ ਭਰੋਸੇ ਦੇ ਨਾਲ ਖੇਡਣ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਣਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਇਕ ਰੈਫ਼ਰੀ ਜਾਂ ਅੰਪਾਇਰ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉਹ ਨਿਰਪੱਖ ਰੁਪ ਨਾਲ ਉੱਚਿਤ ਫ਼ੈਸਲਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਸੈਕਟਰੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉਹ ਟੀਮ ਦਾ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗਠਨ ਅਤੇ ਸੰਚਾਲਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਇਕ ਸਫ਼ਲ ਅਤੇ ਚੰਗੇ ਨੇਤਾ ਦੇ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਕ ਨੇਤਾ ਵਿਚ ਚੰਗੇ ਚਰਿੱਤਰਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਉਸ ਵਿਚ ਆਗਿਆਪਾਲਣ, ਸਮੇਂ ਦੀ ਪਾਬੰਦੀ, ਸਭ ਨਾਲ ਸਮਾਨ ਵਿਵਹਾਰ, ਪੀਪ, ਹਮਦਰਦੀ, ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ ਆਦਿ ਗੁਣ ਵਧੇਰੇ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ | ਇਹ ਸਭ ਗੁਣ ਉਹ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚੋਂ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਕ ਨੇਤਾ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਸਦਭਾਵਨਾ ਨਾਲ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਖੇਡਾਂ ਉਸ ਵਿਚ ਇਹ ਗੁਣ ਵਿਕਸਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਜਦੋਂ ਇਕ ਖਿਡਾਰੀ ਹੋਰ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਮਿਲ-ਜੁਲ ਕੇ ਖੇਡਦਾ ਹੈ, ਉਹ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਸੁਭਾਅ ਅਤੇ ਸੱਭਿਅਤਾ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਵਿਚ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਸਦਭਾਵਨਾ ਉਤਪੰਨ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਦਭਾਵਨਾ ਹੀ ਇਕ ਨੇਤਾ ਦਾ । ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਗੁਣ ਹੈ । ਇਕ ਨੇਤਾ ਚੁਸਤ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਨਾਲ ਇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਵਿਚ ਚੁਸਤੀ ਅਤੇ ਫੁਰਤੀ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖੇਡਾਂ ਚੰਗੇ ਨੇਤਾਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Questions with Long Answers)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? (Describe the main objectives of Physical Education.)
ਉੱਤਰ-
ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ (Objectives of Physical Education)ਕਿਸੇ ਵੀ ਕੰਮ ਨੂੰ ਆਰੰਭ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਉਸ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਸਿੱਖ ਲੈਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਬਿਨਾਂ ਉਦੇਸ਼ ਦੇ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਕੰਮ ਲੱਸੀ ਨੂੰ ਰਿੜਕਣ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੈ । ਉਦੇਸ਼ ਨਿਸਚਿਤ ਕਰ ਲੈਣ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਯਤਨਾਂ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਕੰਮ ਨੂੰ ਕਰਨ ਲਈ ਲਾਈ ਗਈ ਸ਼ਕਤੀ ਫ਼ਜ਼ੂਲ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦੀ । ਅੱਜ ਤਾਂ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਤਾਂ ਹੋਰ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਹੁਣ ਤਾਂ ਸਕੂਲਾਂ ਵਿਚ ਇਕ ਵਿਸ਼ੇ (Subject) ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਇਸ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਸਾਧਾਰਨ ਤੌਰ ਤੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਉਦੇਸ਼ ਹਨ –

  • ਸਰੀਰਕ ਵਾਧਾ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ (Physical Growth and Development)
  • ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ (Mental Development)
  • ਸਮਾਜਿਕ ਵਿਕਾਸ (Social Development)
  • ਚਰਿੱਤਰ ਨਿਰਮਾਣ ਜਾਂ ਨੈਤਿਕ ਵਿਕਾਸ (Formation of character or Moral Development)
  • ਨਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਮਾਸ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਇਕਸਾਰਤਾ (Neuro-muscular Co-ordination)
  • ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉ (Prevention of Diseases) |

1. ਸਰੀਰਕ ਵਾਧਾ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ (Physical Growth and Developmentਚੰਗਾ, ਸਫਲ ਅਤੇ ਸੁਖੀ ਜੀਵਨ ਬਤੀਤ ਕਰਨ ਦੇ ਲਈ ਮਜ਼ਬੂਤ, ਸੁਡੌਲ ਅਤੇ ਤੰਦਰੁਸਤ ਸਰੀਰ ਦਾ ਹੋਣਾ ਅਤਿ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੱਡੀਆਂ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਭ ਅੰਗ ਉੱਚਿਤ ਰੂਪ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਕਰਤੱਵ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ । ਸਰੀਰ ਦੇ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਠੀਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਰਹਿਣ ਨਾਲ ਹੀ ਸਰੀਰ ਦਾ ਲਗਾਤਾਰ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਉਲਟ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੰਮ ਨਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸਰੀਰਕ ਵਿਕਾਸ ਵੀ ਰੁਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰਕ ਵਾਧੇ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੇ ਲਈ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਸੁਖ ਭਰਿਆ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

2. ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ (Mental Development)-ਸਰੀਰਕ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ | ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਅਜਿਹੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਨੂੰ ਉਤੇਜਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ਤੇ ਬਾਸਕਟਬਾਲ ਦੀ ਖੇਡ ਵਿਚ ਇਕ ਟੀਮ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਿਰੋਧੀ ਟੀਮ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਗੇਂਦ (ਬਾਲ) ਨੂੰ ਬਚਾ ਕੇ ਰੱਖਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਆਪਣਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਵੀ ਵੇਖਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ|

ਆਪਣੀ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਅੰਦਾਜ਼ਾ ਲਾ ਕੇ ਬਾਲ ਨੂੰ ਉੱਪਰ ਲੱਗੀ ਬਾਸਕਟ ਵਿਚ ਵੀ ਪਾਉਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕੋਈ ਵੀ ਖਿਡਾਰੀ ਜੋ ਸਰੀਰਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਰਿਸ਼ਟ-ਪੁਸ਼ਟ ਹੈ ਪਰ ਮਾਨਸਿਕ ਤੰਦਰੁਸਤ ਸਰੀਰ ਤੰਦਰੁਸਤ ਮਨ . ਰੂਪ ਨਾਲ ਵਿਕਸਿਤ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਕਦੇ ਵੀ ਚੰਗਾ ਖਿਡਾਰੀ ਨਹੀਂ ਬਣ ਸਕਦਾ । ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਸਰੀਰਕ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ |

ਅਕਸਰ ਸਰੀਰਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਅਸਵਸਥ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਰੂਪ ਨਾਲ ਸੁਸਤ ਵਿਅਕਤੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਭਾਵੁਕ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਸਾਧਾਰਨ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਹਾਸੇ-ਮਜ਼ਾਕ ਵਿਚ ਸੁਲਝਾ ਲੈਣ ਦੀ ਥਾਂ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਉਲਝ ਕੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਹ ਆਪਣੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ, ਗਮੀ, ਪਸੰਦ ਅਤੇ ਨਫ਼ਰਤ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰਤ ਤੋਂ ਕਿਤੇ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵ ਦੇਣ ਲੱਗਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਆਪਣਾ ਕੀਮਤੀ ਸਮਾਂ ਅਤੇ ਸ਼ਕਤੀ ਫ਼ਜ਼ੂਲ ਹੀ ਗੁਆ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਕਿਸੇ ਮਹਾਨ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਵਾਂਝੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਇਹਨਾਂ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਤੇ ਕਾਬੂ ਪਾਉਣ ਤੇ ਕੰਟਰੋਲ ਰੱਖਣ ਦੀ ਕਲਾ ਸਿਖਾਉਂਦੀ ਹੈ।
PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ 1
3. ਸਮਾਜਿਕ ਵਿਕਾਸ (Social Development)-ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਚੰਗੀ ਭਾਵਨਾ ਨਾਲ ਰਹਿਣ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਖੇਡਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਮਾਜਿਕ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਚੰਗਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਹਰੇਕ ਖਿਡਾਰੀ ਹੋਰ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੇ ਸੁਭਾਅ, ਰਸਮ-ਰਿਵਾਜ, ਪਹਿਰਾਵਾ, ਸੱਭਿਅਤਾ ਅਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ | ਕਈ ਵਾਰ ਦੂਸਰਿਆਂ ਦੀਆਂ ਚੰਗੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਅਤੇ ਗੁਣ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰ ਲਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਵੇਖਣ ਵਿਚ ਆਇਆ ਹੈ ਕਿ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ, ਰਾਜ, ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅੰਤਰ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰਾਂ ਤੇ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰੇਮ ਅਤੇ ਆਦਰ ਦੀਆਂ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਕਰਨਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

4. ਚਰਿੱਤਰ ਨਿਰਮਾਣ ਅਤੇ ਨੈਤਿਕ ਵਿਕਾਸ (Character Formation and Moral Development)-ਖੇਡ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ਚਰਿੱਤਰ-ਨਿਰਮਾਣ ਦੀ ਪਾਠਸ਼ਾਲਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਹੀ ਵਿਅਕਤੀ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਨਿਯਮਾਂ ਨੂੰ ਨਿਭਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਹੀ ਉਹ ਚੰਗਾ ਜੀਵਨ ਬਤੀਤ ਕਰਨ ਦੀ ਕਲਾ ਸਿੱਖਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸੁਲਝੇ ਹੋਏ ਇਨਸਾਨ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਖੇਡ ਖੇਡਦੇ ਸਮੇਂ ਜੇ ਰੈਫ਼ਰੀ ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਦੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪਸੰਦ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਵੀ ਉਹ ਖੇਡ ਜਾਰੀ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕੋਈ ਬੁਰਾ ਵਿਹਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ । ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਹੀ ਆਗਿਆ ਪਾਲਣ, ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ, ਪ੍ਰੇਮ ਅਤੇ ਦੁਸਰਿਆਂ ਨਾਲ ਸਹਿਯੋਗ ਆਦਿ ਗੁਣ ਸਿੱਖੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਰੇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਦਾ ਚਰਿੱਤਰ-ਨਿਰਮਾਣ ਅਤੇ ਨੈਤਿਕ-ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

5. ਨਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਮਾਸ-ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਇਕਸਾਰਤਾ (Neuro-muscular Coordination-ਸਾਡੀਆਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਦੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਸੁਚੱਜੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਕਿ ਨਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਮਾਸ-ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਇਕਸਾਰਤਾ ਪੈਦਾ ਹੋਵੇ ਤੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਇਕਸਾਰਤਾ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਿਚ ਮਦਦ ਕਰਦੀ ਹੈ :

6. ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉ Prevention of Diseases) – ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣਾ ਵੀ ਹੈ । ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਅਗਿਆਨਤਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ! ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਅੰਤ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਸਰਵ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ ਲਈ, ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਲਈ ਮਨੁੱਖੀ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਏਕਤਾ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਉਪਯੋਗੀ ਹੈ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹਾਕੀ ਦੇ ਖੇਡ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਤੁਸੀਂ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹੋ ? (Discuss the various objectives which you attain in the field of Hockey ?)
ਉੱਤਰ-
ਹਾਕੀ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ਵੀ ਇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪਾਠਸ਼ਾਲਾ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਗੁਣ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਹ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਉੱਨਤੀ ਦੀ ਉੱਚ ਸਿਖਰ ਤੇ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਹਰ ਪੱਖ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਆਨੰਦ ਉਠਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਹਾਕੀ ਦੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹਾਂ –
1. ਸਹਿਨਸ਼ੀਲਤਾ (Toleration)-ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਸਹਿਨਸ਼ੀਲਤਾ ਦਾ ਪਾਠ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ । ਉਂਝ ਤਾਂ ਸਭ ਖਿਡਾਰੀ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਜਿੱਤ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਟੀਮ ਦੀ ਹੀ ਹੋਵੇ, ਪਰ ਕਈ ਵਾਰ ਲੱਖ ਚਾਹੁਣ ਤੇ ਵੀ ਵਿਰੋਧੀ ਟੀਮ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਹਾਕੀ ਦੀ ਟੀਮ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀ ਦਿਲ ਛੱਡ ਕੇ ਨਹੀਂ ਬੈਠ ਜਾਂਦੇ ਸਗੋਂ ਆਪਣਾ ਮਨੋਬਲ ਉੱਚਾ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਹਾਰ-ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਇਕੋ ਜਿਹਾ ਹੀ ਸਮਝਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਸਹਿਨਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਵਿਹਾਰਿਕ ਟਰੇਨਿੰਗ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।

2. ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ (Discipline) -ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਖਿਡਾਰੀ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਦੀ ਕਲਾ ਸਿੱਖਦੇ ਹਨ । ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪਤਾ ਲਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਹੀ ਸਫਲਤਾ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਹੈ । ਉਹ ਖੇਡ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਂਦੇ ਸਮੇਂ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਕਪਤਾਨ ਦੀ ਆਗਿਆ ਮੰਨਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਰੈਫ਼ਰੀ ਦੇ ਨਿਰਣਿਆਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਕਬੂਲ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਖੇਡ ਵਿਚ ਹਾਰ ਨੂੰ ਸਾਹਮਣੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਵੇਖਦੇ ਹੋਏ ਵੀ ਉਹ ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਬੁਰਾ ਵਿਹਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਕੋਈ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਅਣ-ਅਨੁਸ਼ਾਸਿਤ ਕਹਿ ਸਕੇ ।

3. ਚਰਿੱਤਰ ਵਿਕਾਸ (Character Development)-ਹਾਕੀ ਦੀ ਖੇਡ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਨਾਲ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਸਹਿਯੋਗ, ਪ੍ਰੇਮ, ਸਹਿਨਸ਼ੀਲਤਾ, ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਆਦਿ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਖੇਡ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਸਹਿਯੋਗ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਨਿੱਜੀ ਹਿਤਾਂ ਨੂੰ ਸਮੁੱਚੇ ਹਿਤਾਂ ਤੇ ਵਾਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

4. ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਵਿਕਾਸ (Development of Personality)-ਹਾਕੀ ਦੀ ਖੇਡ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਨਾਲ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਅਜਿਹੇ ਗੁਣ ਉਤਪੰਨ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਸਹਿਯੋਗ ਅਤੇ ਸਹਿਨਸ਼ੀਲਤਾ ਆਦਿ ਗੁਣ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਸੁੰਦਰ ਅਤੇ ਖਿੱਚਵਾਂ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਇਹ ਸਭ ਚੰਗੇ ਵਿਅਕਤੀਤਵ ਦੇ ਚਿੰਨ੍ਹ ਹਨ ।

5. ਚੰਗੇ ਨਾਗਰਿਕ (Good Citizens)-ਹਾਕੀ ਦੀ ਖੇਤ ਦੇ ਰਾਹੀਂ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਵਿਚ ਚੰਗੇ ਨਾਗਰਿਕ ਬਣਨ ਦੇ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਵਿਚ ਰਹਿਣਾ, ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਨਾ, ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਹੁਕਮ ਅਨੁਸਾਰ ਚਲਣਾ ਆਦਿ । ਇਹ ਸਾਰੇ ਗੁਣ ਚੰਗੇ ਨਾਗਰਿਕ ਬਣਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ :

6. ਸਹਿਯੋਗ (Co-operation) – ਹਾਕੀ ਦੀ ਖੇਡ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲਾ ਖਿਡਾਰੀ ਹਰ ਇਕ ਖਿਡਾਰੀ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਮੰਨਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਨੂੰ ਦੂਜਿਆਂ ਤੇ ਜ਼ਬਰਦਸਤੀ ਲਾਗੂ ਨਹੀਂ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਵਿਚਾਰ-ਵਟਾਂਦਰੇ ਦੇ ਰਾਹੀਂ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਸਾਂਝੀ ਵਿਚਾਰਧਾਰਾ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਹਿਯੋਦਾ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

7. ਕੋਮੀ ਏਕਤਾ ਦੀ ਭਾਵਨਾ (National Spirit) – ਹਾਕੀ ਦਾ ਖੇਡ ਮੈਦਾਨ ਇਕ ਅਜਿਹੀ ਥਾਂ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਅਸੀਂ ਬਿਨਾਂ ਧਰਮ, ਮਜ਼ਹਬ ਤੇ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਭਾਗ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹਾਂ । ਕੋਈ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚੋਂ ਕਿਸੇ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਧਰਮ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਟੀਮ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਕੱਢ ਸਕਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਇਕਸਾਰਤਾ ਤੇ ਕੌਮੀ ਏਕਤਾ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

8. ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਦੀ ਭਾਵਨਾ (Self-Confidence)-ਹਾਕੀ ਦੇ ਖੇਡ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਵਿਚ ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਵੇਂ ਉਹ ਜਿੱਤ-ਹਾਰ ਨੂੰ ਇਕੋ ਜਿਹਾ ਸਮਝਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਹੀ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਸਫਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਹੌਸਲੇ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਨਾਲ ਖੇਡੇ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਹਾਕੀ ਦੀ ਖੇਡ ਦੇ ਰਾਹੀਂ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਵਿਚ ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

9. ਹਾਰ-ਜਿੱਤ ਨੂੰ ਬਰਾਬਰ ਸਮਝਣ ਦੀ ਭਾਵਨਾ (Spirit of giving equal Importance of Victory of Defeat)-ਹਾਕੀ ਦੀ ਖੇਡ ਦੇ ਰਾਹੀਂ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਵਿਚ ਹਾਰ-ਜਿੱਤ ਇਕੋ ਜਿਹੀ ਸਮਝਣ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । | ਸਾਨੂੰ ਕਦੀ ਵੀ ਵਿਰੋਧੀ ਟੀਮ ਦਾ ਮਜ਼ਾਕ ਨਹੀਂ ਉਡਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਜਾਂ ਜਿੱਤ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ‘ਚ ਵਧੇਰੇ ਪਾਗਲ ਨਹੀਂ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ | ਹਾਰੀ ਹੋਈ ਟੀਮ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਉਤਸ਼ਾਹ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਉਸ ਨੂੰ ਹਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਨਿਰਾਸ਼ ਤੇ ਉਤਸ਼ਾਹਹੀਨ ਨਹੀਂ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ, ਸਗੋਂ ਹੌਸਲਾ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ-ਇਸ ਦੇ ਗੁਣ ਅਤੇ ਮੰਤਵ

10. ਤਿਆਗ ਦੀ ਭਾਵਨਾ (Spirit of Sacrifice)-ਹਾਕੀ ਦੇ ਖੇਡ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਤਿਆਗ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਖੇਡ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ, ਪਾਂਤ, ਖੇਤਰ ਅਤੇ ਸਾਰੇ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਲਈ ਆਪਣੇ ਹਿਤ ਦਾ ਤਿਆਗ ਕਰਕੇ ਉਸ ਦੀ ਜਿੱਤ ਦਾ ਸਿਹਰਾ ਰਾਸ਼ਟਰ ਨੂੰ ਦਿੰਦੇ ਹਾਂ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਸਾਬਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਖੇਡਾਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਤਿਆਗ ਚਾਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਇਸੇ ਲਈ ਤਾਂ ਡਿਊਕ ਆਫ਼ ਵਿਲਿੰਗਟਨ ਨੇ ਨੈਪੋਲੀਅਨ ਨੂੰ ਵਾਟਰਲੂ (Waterloo) ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿਚ ਹਰਾਉਣ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਕਿਹਾ, ਵਾਟਰਲੂ ਦੀ ਲੜਾਈ ਏਟਨ ਤੇ ਹੈਰੋ ਦੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿਚ ਜਿੱਤੀ ਗਈ । (“The battle of Waterloo was won at the playing fields of Eton and Harrow.”)
ਇਸ ਤੋਂ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਖੇਡਾਂ ਚੰਗੇ ਨੇਤਾ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 2 Human Resources

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Human Resources PSEB 9th Class SST Notes

→ Resources: Efforts made by a nation, an organization, or an individual to raise their incomes are known as resources.

→ Natural Resources: Air, minerals, soil, water which are used to satisfy human needs are called natural resources.

→ Human Resources: The size of the population of a country along with its efficiency, educational qualities, productivity, etc. is known as human resources.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 2 Human Resources

→ Cause of Japan & Germany’s Economic Development: They have made investments in human resources, especially in the fields of education and health.

→ Causes of underdevelopment of countries like India, Bangla Desh, Pakistan, etc: It is due to their vast uneducated, unhealthy and unskilled population.

→ Economic Activities: All those activities which are performed to earn money are called economic activities.

→ Non-Economic Activities: All those activities which do not give income in return are called non¬economic activities.

→ Primary Sector: Primary sector is that sector that produces goods by using natural resources.

→ Examples of Primary Sector Activities: Agriculture, animal husbandry, dairy, poultry farming, fishing, mining, forestry, grazing, hunting, etc.

→ Secondary Sector: Secondary sector is that sector that produces finished goods by using the products of the primary sector as raw materials.

→ Tertiary Sector: This sector consists of all services and occupations which are needed to support the activities of primary and secondary sectors.

→ Population as an Asset or Liability for the economy: Illiterate and unhealthy populations are liable for the economy whereas literate and healthy populations are an asset.

→ Unemployment: It refers to a situation in which people are willing to work at the current wages but cannot find work.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 2 Human Resources

→ Seasonal Unemployment: It means when people find jobs during some months and during the remaining months they are unemployed.

→ Disguised, Unemployment: It means more people are engaged in a particular work than required.

मानव-संसाधन PSEB 9th Class SST Notes

→ संसाधन – अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए व्यक्ति, संगठन या राष्ट्र द्वारा किए गए प्रयास संसाधन हैं।

→ प्राकृतिक संसाधन – वायु, खनिज, भूमि, जल आदि का प्रयोग मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है इन्हें ही प्राकृतिक संसाधन कहते हैं।

→ मानवीय संसाधन – किसी राष्ट्र की जनसंख्या का वह भाग जो कार्यकुशलता, शिक्षा प्रशिक्षण व स्वास्थ्य से संपन्न है।

→ जापान व जर्मनी के आर्थिक विकास के कारण – इनका मानव पूंजी निर्माण में निवेश खासकर स्वास्थ्य व शिक्षा में।

→ भारत, बांग्लादेश व पाकिस्तान में अल्पविकास के कारण – उनकी अशिक्षित, अस्वस्थ व अकार्यकुशल बड़ी जनसंख्या।

→ आर्थिक क्रियाएं – वे सभी कार्य जो धन कमाने के उद्देश्य से किए जाते हैं।

→ गैर आर्थिक क्रियाएं – वे सभी कार्य जो धन कमाने के उद्देश्य से नहीं किए जाते हैं।

→ प्राथमिक क्षेत्र – प्राथमिक क्षेत्र वह क्षेत्र है जो प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग द्वारा वस्तुएं निर्मित करता है।

→ प्राथमिक क्षेत्र की किस्मों के उदाहरण – कृषि, पशु-पालन, डेयरी, मुर्गीपालन, मत्सय पालन, खनन, वानिकी आदि।

→ द्वितीयक क्षेत्र – द्वितीयक क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पाद का कच्चे माल के रूप में प्रयोग करके अंतिम उत्पाद तैयार करता है।

→ तृतीयक क्षेत्र – वह क्षेत्र जो सेवाओं का निर्माण करता है।

→ जनसंख्या, संपत्ति या दायित्व के रूप में – अशिक्षित व अस्वस्थ जनसंख्या किसी देश के लिए दायित्व है जबकि शिक्षित व स्वस्थ जनसंख्या किसी देश के लिए संपत्ति है।

→ बेरोजगारी – जब कोई व्यक्ति मज़दूरी की प्रचलित दर पर काम करने को तैयार हो पर उसे काम न मिले।

→ मौसमी बेरोजगारी – इसका अर्थ है जब लोग पूरे वर्ष में कुछ महीने काम न करें व रोजगार के लिए भटकते रहें।

→ अदृश्य बेरोज़गारी। – यह बेरोज़गारी का वह रूप है जिसमें श्रमिक कार्य करते हुए प्रतीत होते हैं पर वे वास्तव में होते नहीं हैं।