PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

PSEB 12th Class Economics राष्ट्रीय आय का माप Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियाँ कौन सी हैं ?
उत्तर-

  • आय विधि
  • उत्पादन विधि
  • व्यय विधि।

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है जिसमें प्राकृतिक साधनों को प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 3.
गौण क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गौण क्षेत्र का अर्थ निर्माण क्षेत्र से होता है जैसा कि उद्योग, निर्माण कार्य, गैस इत्यादि।

प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था के तृतीय क्षेत्र अथवा सेवा क्षेत्र में क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस क्षेत्र में सेवाएँ शामिल की जाती हैं जैसा कि यातायात, बीमा, आवास इत्यादि।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
मूल्य वृद्धि विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मूल्य वृद्धि का अर्थ वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि करने से होता है। मूल्य वृद्धि = उत्पाद के मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग।

प्रश्न 6.
गैर साधन आगतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गैर साधन आगतें वह नाशवान वस्तुएं तथा सेवाएं होती हैं जिनका प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 7.
मूल्य वृद्धि विधि का वैकल्पिक नाम क्या है ?
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि को उत्पाद विधि भी कहा जाता है।

प्रश्न 8.
दोहरी गणना की समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक ही वस्तु के मूल्य को एक से अधिक बार गणना को दोहरी गणना कहा जाता है।

प्रश्न 9.
उत्पाद वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
राष्ट्रीय आय के माप की उत्पाद विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में देश की घरेलू सीमा के भीतर उत्पादित की गई अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के योग को अन्तिम उत्पाद कहा जाता है। इसके बाज़ारी मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 10.
आय वृद्धि में साधन आय को कितने भागों में विभाजित किया जाता है ?
अथवा
साधन आय के मुख्य अंश बताएँ।
उत्तर-

  1. कर्मचारियों का मेहनताना
  2. परिचालन अधिशेष
  3. मिश्रित आय
  4. विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 11.
व्यय वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में सकल घरेलू उत्पाद पर किये गए अन्तिम खर्च को बाज़ारी कीमतों पर मूल्य ज्ञात करके योग किया जाए तो इसको व्यय वृद्धि द्वारा सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 12.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी अन्तिम उपभोग खर्च एक देश में वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च का योग होता

प्रश्न 13.
अन्तिम निवेश खर्च से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अन्तिम निवेश में-

  • कुल घरेलू स्थाई पूँजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन
  • शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 14.
पूंजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होता है जिसका भुगतान बचत या सम्पत्ति में से अदा किया जाता है।

प्रश्न 15.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जिन का प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 16.
अन्तिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह वस्तुएँ जिनका प्रयोग उपभोग के लिए अथवा पूंजी निर्माण के लिए किया जाता है।

प्रश्न 17.
घिसावट से क्या अभिप्राय है अथवा स्थिर पूँजी का उपभोग क्या होता है ?
उत्तर-
वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों, औज़ारों इत्यादि के मूल्य में जो कमी हो जाती है उस को स्थिर पूँजी का उपभोग या घिसावट कहा जाता है।

प्रश्न 18.
बन्द अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका शेष विश्व के देशों से आर्थिक सम्बन्ध नहीं होता।

प्रश्न 19.
खली अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका आर्थिक सम्बन्ध शेष विश्व के देशों से होता है।

प्रश्न 20.
स्टॉक में परिवर्तन अथवा माल सूची में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
माल सूची अथवा स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक।

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प्रश्न 21.
चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय का अभिप्राय है एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रचलित कीमतों पर मूल्य का माप।

प्रश्न 22.
स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य आधार वर्ष की कीमतों द्वारा मापते हैं तो इसको स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 23.
मौद्रिक राष्ट्रीय आय को वास्तविक राष्ट्रीय आय में परिवर्तित कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
वास्तविक राष्ट्रीय आय = img

प्रश्न 24.
मौद्रिक आय को अपस्फायक (deflate) करने का सूत्र बताएँ।
उत्तर-
GNP deflator = \(\frac{\text { Money value of GNP }}{\text { Real Value of GNP }} \times 100\)

प्रश्न 25.
राष्ट्रीय आय के माप के लिए खर्च विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
एक लेखा वर्ष में बाज़ार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पादन पर किये गए अन्तिम उपभोग खर्च के माप को खर्च विधि कहा जाता है।

प्रश्न 26.
अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह खर्च जो कि अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च किया जाता है उसको अन्तिम उपभोग खर्च कहते हैं।

प्रश्न 27.
अन्तिम उपभोग खर्च में कौन-कौन सी मदें शामिल की जाती हैं ?
उत्तर-

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
  • अन्तिम निवेश खर्च
  • शुद्ध विदेशी निवेश।

प्रश्न 28.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी परिवारों तथा निजी गैर लाभकारी संस्थाओं द्वारा वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च के योग को निजी अन्तिम उपभोग खर्च कहते हैं।

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प्रश्न 29.
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य (-) …..
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग।

प्रश्न 30.
वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों और औज़ारों के मूल्य में जो कमी हो जाती है को ………………. कहते हैं।
उत्तर-
स्थिर पूँजी का उपभोग अथवा घिसावट।

प्रश्न 31.
अर्थव्यवस्था में जिस क्षेत्र का सम्बन्ध उद्योग, घरों के निर्माण, गैस आदि से होता है को ……. कहते हैं।
(क) प्राथमिक क्षेत्र
(ख) गौत्र क्षेत्र
(ग) टरशरी क्षेत्र
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) गौत्र क्षेत्र।

प्रश्न 32.
राष्ट्रीय आय का माप करते समय जिन वस्तुओं का मूल्य एक से अधिक बार जुड़ जाता है को ……………. गणना कहते हैं।
(क) बार-बार
(ख) दोहरी
(ग) सौ बार
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) दोहरी।

प्रश्न 33.
वह अर्थव्यवस्था जिसका सम्बन्ध बाकी विश्व के देशों से नहीं होता को ………………. कहा जाता
(क) बन्द अर्थव्यवस्था
(ख) खुली अर्थव्यवस्था
(ग) विश्व अर्थव्यवस्था
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(क) बन्द अर्थव्यवस्था।

प्रश्न 34.
वह अर्थव्यवस्था जिसका सम्बन्ध बाकी विश्व के देशों के साथ होता है को … कहते हैं।
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था।

प्रश्न 35.
माल सूची अथवा स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक (-) ………….
उत्तर-
प्रारंभिक स्टॉक।

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प्रश्न 36.
अन्तिम उपभोग व्यय = निजी अन्तिम उपभोग व्यय + सरकारी अन्तिम उपभोग व्यय + अन्तिम निवेश व्यय + ………
उत्तर-
शुद्ध विदेशी निवेश।

प्रश्न 37.
राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 38.
एक वस्तु के मूल्य को बार-बार राष्ट्रीय आय में जोड़ने से बचने के लिए मध्यवर्ती वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में जोड़ना चाहिए।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 39.
उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग = मूल्य वृद्धि ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 40.
जो वस्तुएँ अन्तिम उपभोग वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रयोग की जाती है उनको मध्यवर्ती वस्तुएँ कहा जाता है।.
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
घिसावट को स्थिर पूँजी का उपभोग भी कहते हैं।
उत्तर-
सही।

II. अति लय उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियां कौन-सी हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियां तीन हैं-

  1. आय विधि-इस विधि में एक वर्ष में उत्पादन के साधनों को सेवाओं के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसके जोड़ द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।
  2. उत्पादन विधि-उत्पादन विधि में एक लेखा वर्ष में देश के प्रत्येक उत्पादक द्वारा किए गए योगदान के जोड़ से राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।
  3. खर्च विधि-इस विधि में एक लेखा वर्ष में बाजार कीमत पर किए कुल अन्तिम खर्च का जोड़ किया जाता |

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है जिसमें प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है। इसके उप-क्षेत्र इस प्रकार हैं-

  • कृषि तथा पशु पालन
  • जंगल उद्योग तथा शहतीर बनाना
  • मछली उद्योग
  • खनन।

प्रश्न 3.
गौण क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गौण क्षेत्र का अर्थ निर्माण क्षेत्र से होता है। इसके मुख्य उप-क्षेत्र इस प्रकार हैं-

  • उद्योग
  • निर्माण कार्य
  • विद्युत्, गैस तथा जल आपूर्ति।

प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था के तृतीय क्षेत्र अथवा सेवा क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस क्षेत्र में सेवाएं शामिल की जाती हैं जैसे कि-

  • यातायात, संचार तथा संग्रहण
  • बीमा तथा बैंक सेवाएं
  • व्यापार तथा होटल
  • आवास निर्माण
  • सरकारी प्रशासन तथा सुरक्षा
  • अन्य सेवाएं।

प्रश्न 5.
मूल्य वृद्धि विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को उत्पाद विधि द्वारा मापने के लिए मूल्य वृद्धि विधि अधिक उपयुक्त विधि है। इस विधि में देश में प्रत्येक उत्पादक द्वारा उत्पादित वस्तुओं के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटाकर अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार मूल्य को ज्ञात किया जाता है जिससे दोहरी गणना की समस्या स्वयं हल हो जाती है।
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग (Value Added = Value of Output – Intermediate Consumption)

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प्रश्न 6.
दोहरी गणना की समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक से अधिक बार की जाती है तो इसको दोहरी गणना कहा जाता है। जब एक वर्ष में एक देश में उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को घटा दिया जाए तो अन्तिम वस्तुओं का मूल्य प्राप्त हो जाता है। इससे दोहरी गणना की समस्या का हल हो जाता है।

प्रश्न 7.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी अन्तिम उपभोग खर्च का अर्थ एक देश में वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च का योग होता है जो कि निजी परिवारों तथा निजी गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 8.
अन्तिम निवेश खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में जो उत्पादन किया जाता है उसका सारा भाग उपभोग नहीं किया जाता बल्कि इसमें से कुछ भाग आने वाले समय में वस्तुओं के उत्पादन के लिए रख लिया जाता है जिसमें-

  • कुल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन
  • शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 9.
पूँजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूँजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होते हैं जिनका भुगतान बचत या सम्पत्ति में से अदा किया जाता है। इस हस्तान्तरण को प्राप्त करने वाला अपनी बचत तथा सम्पत्ति में इसको शामिल कर लेता है।

प्रश्न 10.
साधन आगतों तथा गैर-साधन आगतों में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
साधन आगतों में उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यम को शामिल किया जाता है। इनको प्राथमिक आगतें कहते हैं। गैर-साधन आगतों में गैर-टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं तथा सेवाओं को शामिल किया जाता है, जो कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती हैं। यह मध्यवर्ती वस्तुएँ होती हैं जिनको अन्तिम वस्तुओं के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
मध्यवर्ती तथा अन्तिम वस्तुओं में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ-वह वस्तुएँ होती हैं, जिनका प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है अथवा उनको दोबारा बिक्री के लिए प्रयोग किया जाता है। अन्तिम वस्तुएँ-वह वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन उनके उपभोग के लिए किया जाता है, अथवा इनका प्रयोग पूँजी निर्माण के लिए होता है।

प्रश्न 12.
घिसावट से क्या अभिप्राय है ? या स्थिर पूँजी का उपभोग क्या होता है ?
उत्तर-
स्थिर भण्डार का प्रयोग करते समय इसके मूल्य में जो कमी हो जाती है उसको घिसावट कहा जाता है और वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों, औज़ारों इत्यादि के मूल्य में जो कमी हो जाती है, उसको स्थिर पूंजी का उपभोग या घिसावट कहा जाता है।

प्रश्न 13.
खुली तथा बन्द अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसका शेष विश्व के देशों से आर्थिक सम्बन्ध नहीं होता। खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका आर्थिक सम्बन्ध अन्य देशों से होता है। यह एक व्यावहारिक धारणा है। इस अर्थव्यवस्था में आयात तथा निर्यात किया जाता है।

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प्रश्न 14.
स्टॉक में परिवर्तन या माल सची में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
स्टॉक में परिवर्तन को माल सूची परिवर्तन भी कहा जाता है। एक फ़र्म द्वारा जिन वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, वह सारा माल बिकता नहीं। उसका कुछ भाग बच जाता है। दूसरे वर्ष जब फ़र्म उत्पादन करती है तो पिछले वर्ष जो माल बच गया था उसको प्रारम्भिक स्टॉक कहा जाता है और साल के अन्त में जो माल बच जाता है उसको अन्तिम स्टॉक कहा जाता है।

स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक |

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए किस प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करने की तीन विधियां हैं। इन विधियों में निम्नलिखित प्रकार के आंकड़ों की आवश्यकता होती है।
1. उत्पादन विधि या मूल्य वृद्धि-उत्पादन विधि अथवा मूल्य वृद्धि विधि में साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि के आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इनमें-

  • प्राथमिक क्षेत्र
  • गौण क्षेत्र
  • टरशरी क्षेत्र
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय के आँकड़ों की सहायता से राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।

2. आय विधि-आय विधि में उत्पादन के साधनों की वित्त वर्ष में प्राप्त शुद्ध आय का जोड़ किया जाता है। इसमें

  • शुद्ध लगान
  • शुद्ध ब्याज
  • शुद्ध मज़दूरी
  • शुद्ध लाभ तथा
  • विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय के आंकड़ों का जोड़ किया जाता है।

3. व्यय विधि-खर्च विधि में

  • निजी उपभोग खर्च
  • सरकारी उपभोग खर्च
  • सकल घरेलू पूँजी निर्माण
  • शुद्ध निर्यात
  • मूल्य ह्रास या घिसावट
  • शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
  • विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय के आँकड़ों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र तथा गौण क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र तथा गौण क्षेत्र में मुख्य अन्तर इस प्रकार हैं –

प्राथमिक क्षेत्रमा गौण क्षेत्र
1. प्राथमिक क्षेत्र में प्रकृति अधिक प्रभावशाली तत्त्व होता है। 1. गौण क्षेत्र में मनुष्य अधिक प्रभावशाली तत्त्व होता है।
2. प्राथमिक क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों से सम्बन्धित क्रियाएँ शामिल की जाती हैं। 2. गौण क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र में उत्पादन वस्तुओं से सम्बन्धित क्रियाएँ शामिल की जाती है।
3. प्राथमिक क्षेत्र में कृषि उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता है। 3. गौण क्षेत्र में औद्योगिक उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता है।
4. प्राथमिक क्षेत्र में भूमि उत्पादन का मुख्य साधन होता है। 4. गौण क्षेत्र में पूँजी तथा उद्यमी उत्पादन का मुख्य साधन होता है।

प्रश्न 3.
(i) प्राथमिक क्षेत्र (ii) गौण क्षेत्र (iii) तीसरे क्षेत्र के उद्यमों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-

  • प्राथमिक क्षेत्र के उद्यम-इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। इसमें भूमि उत्पादन का मुख्य साधन होता है। उद्यमी गेहूँ, चावल, कपास, मक्की आदि वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
  • गौण क्षेत्र के उद्यम-गौण क्षेत्र में उद्योगों द्वारा प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन का प्रयोग करके और वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे-लकड़ी से मेज़ बनाना, सूत से कपड़ा बुनना आदि। यह वस्तुएं जीने के लिए आवश्यक होती हैं।
  • तीसरे क्षेत्र के उद्यम-तीसरा क्षेत्र सेवाओं का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बैंकिंग, बीमा, सेहत, शिक्षा आदि से सम्बन्धित सेवाएँ शामिल की जाती हैं। इन सेवाओं से मनुष्य का विकास होता है।

प्रश्न 4.
एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन इकाइयों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
अथवा
संक्षेप में उत्पादन इकाइयों के प्राथमिक, गौण तथा तीसरे क्षेत्र के वर्गीकरण को स्पष्ट करें।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन इकाइयों को तीन भागों प्राथमिक, गौण तथा टरश्यरी क्षेत्र में विभाजित किया जाता है।

  1. प्राथमिक क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है। उदाहरण के लिए कृषि उत्पादन, मछली उत्पादन, लट्ठा बनाना आदि।
  2. गौण क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन का प्रयोग करके और वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। जैसा कि कपास से कपड़ा बनाना, लोहे से साइकिल, स्कूटर तथा कार का निर्माण करना।
  3. सेवाओं या तीसरे क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र से प्राथमिक तथा गौण क्षेत्र के उद्योगों को तीसरे क्षेत्र द्वारा सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। जैसा कि जहाज़रानी, बीमा, बैंकिंग आदि के उद्यम इस क्षेत्र में शामिल किए जाते

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
उत्पाद के मूल्य से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक देश में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार कीमत पर मूल्य को उत्पादन का मूल्य कहते हैं । यदि उत्पादन की गई वस्तु की समस्त मात्रा बिक जाती है, तो उत्पाद का मूल्य बिक्री के मूल्य के समान होता है। यदि उत्पादन वस्तु की अधिक मात्रा बिक जाती है और कुछ भाग बिना बिक्री के कारण बच जाता है तो इसको माल सूची के रूप में रख लिया जाता है। माल सूची में परिवर्तन को स्टॉक में परिवर्तन कहा जाता है।

उत्पाद का मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन स्टॉक में परिवर्तन का अर्थ है अन्तिम स्टॉक तथा प्रारम्भिक स्टॉक में अन्तर। इसलिए स्टॉक में परिवर्तन का माप करने के लिए हम अन्तिम स्टॉक में से प्रारम्भिक स्टॉक को घटा देते हैं। इस प्रकार उत्पाद के मूल्य का माप किया जाता है।

प्रश्न 6.
मूल्य वृद्धि को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि का अर्थ है, उत्पाद का मूल्य (-) मध्यवर्ती उपभोग। उदाहरण के लिए एक किसान 1000 रुपए की गेहूँ का उत्पादन करता है। उसने गेहूँ का उत्पादन करने के लिए 400 रुपए खर्च किए। यह गेहूँ आटा मिल वाला खरीद लेता है तथा इससे आटा बनाकर दुकानदारों को 1500 रुपए में बेच देता है। दुकानदार यह आटा उपभोगियों को 2000 रुपए में बेच देते हैं। मूल्य वृद्धि का माप इस प्रकार किया जाएगा।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 1
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
=4500 – 29000
= ₹ 1600 उत्तर

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आय को मापने की आय विधि का वर्णन करें।
उत्तर –
राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए आय विधि एक महत्त्वपूर्ण विधि है। इस विधि द्वारा भिन्न-भिन्न उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय का योग किया जाता है। आय विधि की मुख्य अवस्थाएं इस प्रकार हैं-
प्रथम अवस्था-सबसे पहले उत्पादन की इकाइयों की पहचान की जाती है जिनको प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector), गौण क्षेत्र (Secondary Sector) तथा सेवाएं क्षेत्र (Teritiary Sector) में विभाजित किया जाता है।

दूसरी अवस्था- इस अवस्था में उत्पादन के साधनों की आय का वर्गीकरण किया जाता है जिसमें निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं

  • कर्मचारियों का मेहनताना
  • परिचालन अधिशेष
  • मिश्रित आय
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय।

3. तृतीय अवस्था-

  • उत्पादन के साधनों को किए गए भुगतान को घरेलू साधन आय कहा जाता है।
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय = शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
  • सकल राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय आय + मूल्य घिसावट
  • बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इस प्रकार आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।

प्रश्न 8.
आय विधि से राष्ट्रीय आय की गणना करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखने की आवश्यकता है-

  1. गैर-कानूनी काम जैसे कि जुआ, तस्करी इत्यादि से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  2. आकस्मिक आय जैसे कि लॉटरी से प्राप्त आय तथा पूंजीगत लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  3. हस्तान्तरण आय जैसे कि बुढ़ापा पेन्शन, बेरोज़गारी भत्ता इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  4. स्व-उपभोग के लिए रखी गई वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु स्व-उपभोग की सेवाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
  5. पुरानी वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता परन्तु पुरानी वस्तुओं की बिक्री के कारण प्राप्त हुई दलाली अथवा कमीशन को शामिल किया जाता है।
  6. नए तथा पुराने शेयर, बाँड़ों को बेच कर प्राप्त होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  7. मकान मालिकों के मकान का आरोपित किराया राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  8. लाभ अथवा निगम कर लाभांश तथा अविभाजित लाभ तीनों ही लाभ के अंश होते हैं । इसलिए यदि लाभ दिया गया हो तो अन्य अंशों को शामिल नहीं करना चाहिए।
  9. व्यक्तिगत आय कर कर्मचारियों की मेहनत का ही भाग होते हैं इसलिए आय कर देने से पूर्व ही कर्मचारियों के मेहनताने को शामिल किया जाता है।
  10. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) जैसे कि बिक्री कर, उत्पादन कर, वस्तु की कीमत में शामिल होते हैं। बाज़ार कीमत और राष्ट्रीय आय का अनुपात लगाते समय इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
मूल्य वृद्धि विधि की मुख्य अवस्थाओं को स्पष्ट करें।
अथवा
बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि का माप करते समय भिन्न-भिन्न अवस्थाओं की व्याख्या करें।
अथवा
एक उदाहरण की सहायता से मूल्य वृद्धि समझाइए।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित अवस्थाएं होती हैं
1. प्रथम अवस्था (First Step)- इस विधि में एक देश की घरेलू सीमा में उद्यमों की पहचान की जाती है, जिनको तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।

  • प्राथमिक क्षेत्र
  • गौण क्षेत्र
  • तीसरा क्षेत्र।

2. द्वितीय अवस्था (Second Step)-शुद्ध मूल्य वृद्धि का अनुमान लगाने के लिए उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत को घटाया जाता है। इस प्रकार मूल्य वृद्धि = उत्पादन का मूल्य — मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत शुद्ध मूल्य वृद्धि = मूल्य वृद्धि – मूल्य घिसावट

3. तृतीय अवस्था (Third Step)-इसमें घरेलू सीमा के भीतर शुद्ध मूल्य वृद्धि का पता लगाकर अन्य धारणाओं का अनुमान लगाया जाता है। इस विधि के अनुसार राष्ट्रीय आय का माप इस प्रकार किया जाता हैराष्ट्रीय आय = प्राथमिक क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + सेवा क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि = सकल घरेलू मूल्य वृद्धि, बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होती है।

प्रश्न 10.
उत्पाद विधि में बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद के घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर राष्ट्रीय उत्पाद का माप करते समय अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का योग किया जाता है, जिसके मुख्य घटक इस प्रकार हैं
बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद = उपभोगी वस्तुएं तथा सेवाएं (C) + कुल घरेलू निजी निवेश (I) + सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं तथा सेवाएं (G) + शुद्ध निर्यात (X – M) Gross National Product at Market Prices = C + I + G (X – M)

  • उपभोगी वस्तुएं तथा सेवाएं-इसमें टिकाऊ उपभोगी वस्तुएं, एक प्रयोग वाली उपभोगी वस्तुओं तथा उपभोगी सेवाएं शामिल की जाती हैं।
  • कुल घरेलू निजी निवेश-इसमें स्टॉक में निवेश, आवास निर्माण, सकल घरेलू निजी स्थिर पूंजी निर्माण को शामिल किया जाता है।
  • सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं तथा सेवाएं-इसमें सरकारी निवेश तथा वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को शामिल किया जाता है।
  • शुद्ध निर्यात-इसमें निर्यात में से आयात का मूल्य घटा कर राष्ट्रीय आय का पता किया जाता है। यदि हम इन वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य बाज़ारी कीमतों पर ज्ञात करके जोड़ लेते हैं तो इसको बाज़ार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पादन कहा जाता है।

प्रश्न 11.
मूल्य वृद्धि विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि में राष्ट्रीय आय का माप करते समय उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के उपभोग को घटाया जाता है। इससे वस्तु की दो बार गणना की समस्या का हल हो जाता है। मूल्य वृद्धि विधि वह विधि है जो घरेलू सीमा के भीतर प्रत्येक उत्पादक के उद्यम का माप करती है। इस विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटक इस प्रकार होते हैं-
घरेलू साधन आय = प्राथमिक क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + तीसरे क्षेत्र में मूल्य वृद्धि – मूल्य घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
जब हम भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में बाज़ार कीमत पर कुल मूल्य वृद्धि का माप कर लेते हैं तो हमारे पास बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि अथवा सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है।

इसमें से मूल्य घिसावट घटाने से बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि अथवा शुद्ध घरेलू उत्पाद प्राप्त हो जाता है। यदि इसमें से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) घटा दिया जाए तो साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि अथवा घरेलू साधन आय प्राप्त हो जाती है। यदि हम राष्ट्रीय आय ज्ञात करना चाहते हैं तो हम घरेलू साधन आय में विदेशों से शुद्ध साधन आय का योग कर लेते हैं।

प्रश्न 12.
उत्पाद विधि की मुख्य सावधानियां बताएं।
अथवा
मूल्य वृद्धि विधि की मुख्य सावधानियों को स्पष्ट करें।
उत्तर-

  1. इस विधि में पुरानी वस्तुओं की खरीद अथवा बेच से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, परन्तु पुरानी वस्तुओं की बेच से कमीशन अथवा दलाली को शामिल किया जाता है।
  2. स्व-उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुओं के आरोपित मूल्य (Imputed Value) को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु स्व-उपभोग की सेवाओं को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता।
  3. मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता, परन्तु अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को मूल्य वृद्धि में शामिल किया जाता है।
  4. जिन मकानों में मालिक स्वयं निवास करते हैं उनके आरोपित किराए (Imputed Rent) को मूल्य वृद्धि में शामिल किया जाता है।
  5. सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों के मेहनताने को ही शामिल किया जाता है, जबकि इस क्षेत्र में लाभ, ब्याज, घिसावट के उचित आंकड़े प्राप्त न होने के कारण इनको शामिल नहीं किया जाता।
  6. मूल्य वृद्धि द्वारा घरेलू उत्पाद की गणना की जाती है। यदि हम राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करना चाहते हैं तो इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 13.
उत्पाद विधि की मुख्य कठिनाइयों का वर्णन करें।
उत्तर-
उत्पाद विधि की मुख्य कठिनाइयां इस प्रकार हैं-

  • राष्ट्रीय आय का माप करते समय केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है, परन्तु साधारणतया दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है।
  • कम विकसित देशों में वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter system) प्रचलित होती है। इसलिए राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाना कठिन हो जाता है।
  • वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य का माप बाज़ार में प्रचलित कीमतों द्वारा किया जाता है, परन्तु बाज़ार कीमतों में परिवर्तन होता रहता है, इसलिए राष्ट्रीय आय का उचित अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
  • स्व-उपभोग की वस्तुओं का आरोपित मूल्य (Imputed Value) राष्ट्रीय आय के माप में शामिल किया जाता है, परन्तु आरोपित मूल्य का उचित अनुमान लगाना कठिन होता है।
  • राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित उचित आंकड़े प्राप्त नहीं होते क्योंकि लोग अशिक्षित तथा अज्ञानी होते हैं। इसलिए राष्ट्रीय आय की गणना करते समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 14.
दोहरी गणना की समस्या पर नोट लिखें।
उत्तर-
उत्पाद विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य जोड़ा जाता है। मध्यवर्ती मूल्य को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इससे एक वस्तु का मूल्य एक से अधिक बार राष्ट्रीय आय में शामिल हो जाता है। इस प्रकार राष्ट्रीय आय का उचित अनुमान नहीं लगाया जा सकता, बल्कि इससे राष्ट्रीय आय अधिक नज़र आती है। इसको दोहरी गणना की समस्या कहते हैं। उदाहरणतया एक किसान 1,000 रुपए की कपास पैदा करता है तथा धागा बनाने वाली फैक्टरी को बेच देता है।

धागा फैक्टरी इससे धागा बनाकर 1,800 रुपए में कपड़ा बनाने वाली फैक्टरी को बेच देती है। कपड़ा फैक्टरी इसका कपड़ा बनाकर 5,000 रुपए में उपभोक्ताओं को बेच देती है। यदि हम तीनों उत्पादकों के मूल्य को जोड़ते हैं तो हमारे पास उत्पादन मूल्य 1,000 + 1,500 + 5,000 = 7,500 रुपए प्राप्त होता है।

परन्तु इसको शुद्ध उत्पाद नहीं कहा जाता। हम देखते हैं कि वास्तविक उत्पादन कपड़े का हुआ है जिसका मूल्य 5,000 रुपए है। इसलिए इसको ही राष्ट्रीय आय में जोड़ना चाहिए। यदि मध्यवर्ती वस्तुओं कपास तथा धागे के मूल्य को शामिल किया जाए तो इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है। इसका हल मूल्य वृद्धि विधि द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 15.
राष्ट्रीय आय के माप के लिए खर्च विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप की तृतीय विधि खर्च विधि है। इस विधि को उपभोग तथा निवेश विधि अथवा आय खर्च विधि भी कहा जाता है। इस विधि के अनुसार एक लेखा वर्ष में बाजार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद पर किए गए अन्तिम खर्च का माप किया जाता है। अन्तिम खर्च दो प्रकार का होता है
(i) उपभोग खर्च (Consumption Expenditure)
(ii) निवेश खर्च (Investment Expenditure)

(i) उपभोग खर्च को दो भागों में विभाजित किया जाता है-
(a) निजी अन्तिम उपभोग खर्च
(b) सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

(ii) निवेश खर्च को तीन भागों में विभाजित किया जाता है
(a) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(b) स्टॉक में परिवर्तन
(c) शुद्ध निर्यात।
इस प्रकार यदि हम अन्तिम उपभोग खर्च का योग कर लेते हैं तो बाज़ार कीमत पर कुल उत्पाद खर्च का मूल्य प्राप्त हो जाता है अर्थात्
+ सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च (G) + घरेलू निवेश खर्च (I)
+ शुद्ध विदेशी निवेश (X – M)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 16.
राष्ट्रीय आय का माप खर्च विधि द्वारा करते समय क्या सावधानियां प्रयोग करनी चाहिएं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करते समय खर्च विधि में निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग करना चाहिए

  1. सरकार द्वारा किए गए हस्तान्तरण भुगतान तथा खर्च को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  2. पुराने अथवा नए शेयर व बांड पर किया गया खर्च कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता।
  3. कुल खर्च का माप करते समय मध्यवर्ती खर्च को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता केवल अन्तिम खर्च को ही शामिल किया जाता है।
  4. पुरानी वस्तुओं पर किए गए खर्च को कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता।
  5. कुल खर्च में कुल निवेश को शामिल किया जाता है। इसमें घिसावट का खर्च भी शामिल होता है।
  6. निर्यात में देश-वासियों को विदेशों से प्राप्त ब्याज, लगान, लाभ तथा मज़दूरी शामिल किए जाते हैं। इसी प्रकार आयात में विदेशियों द्वारा हमारे देश में से प्राप्त लाभ, ब्याज, इत्यादि को शामिल किया जाता है। इस प्रकार शुद्ध निर्यात का माप निर्यात में से आयात घटा कर किया जाता है।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय आय मापने की विधियों की समानता पर संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप के लिए आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि का प्रयोग किया जाता है। इन तीनों विधियों द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है तो प्राप्त नतीजे में समानता पाई जाती है क्योंकि तीनों विधियां राष्ट्रीय आय का माप भिन्न-भिन्न स्तरों पर करती हैं जैसे कि आय विधि में राष्ट्रीय आय का माप आय सृजन (Income Generation) के स्तर पर किया जाता है। उत्पाद विधि में राष्ट्रीय आय का माप अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन स्तर (Production of final goods and services) द्वारा किया जाता है।

खर्च विधि में राष्ट्रीय आय का माप उपभोग खर्च तथा निवेश खर्च (Consumption and Expenditure) के स्तर पर किया जाता है। इन विधियों में से किसी भी विधि का प्रयोग किया जाए, परिणाम समान निकलते हैं। इस कारण तीनों विधियों में समानता पाई जाती है अर्थात् सकल राष्ट्रीय आय = सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय खर्च।

प्रश्न 18.
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी देश के निवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादन के साधन तथा सेवाएं प्रदान की जाती हैं जिसके बदले में उनको आय प्राप्त होती है। इस देश में गैर-निवासी भी साधन सेवाएं प्रदान करते हैं। इससे वह जो आय अर्जित करते हैं वह विदेशों को चली जाती है। इस देश के साधनों द्वारा प्राप्त की गई आय तथा विदेशियों द्वारा इस देश में से प्राप्त की गई आय के अन्तर को विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय कहा जाता है। विदेशों से शद्ध साधन आय धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकती है। जब किसी देश की घरेलू आय ज्ञात हो तथा हम राष्ट्रीय आय ज्ञात करना चाहते हैं तो घरेलू आय में विदेशों से शुद्ध साधन आय को जोड़ा जाता है। घरेलू आय राष्ट्रीय आय से कम भी हो सकती है अथवा अधिक भी हो सकती है।

प्रश्न 19.
आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि के मुख्य घटक बताएं।
उत्तर-

  • आय विधि (Income Method) के मुख्य घटक बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।
  • उत्पाद विधि (Value Added Method) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर प्राथमिक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + बाज़ार कीमत पर गौण क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + बाज़ार कीमत पर तृतीय क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + विदेशों में शुद्ध साधन आय।
  • खर्च विधि (Expenditure Method) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 20.
आय विधि में घरेलू साधन आय के घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
आय विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं
1. कर्मचारियों की मेहनत (Compensation of Employees)-कर्मचारियों की मेहनत से अभिप्राय उत्पादकों द्वारा अपने कर्मचारियों को काम के बदले में किए गए भुगतान से होता है। कर्मचारियों के वेतन तथा मजदूरी के मुख्य अंश इस प्रकार होते हैं

  • नकद मज़दूरी तथा वेतन
  • किस्म के रूप में आय
  • सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का योगदान।

2. परिचालन अधिशेष (Operating Surplus)-इसमें सम्पत्ति से प्राप्त आय तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है। परिचालन अधिशेष की मुख्य मदें इस प्रकार हैं

  • किराया तथा रायल्टी
  • ब्याज
  • लाभ (लाभांश + निगम कर + अविभाजित लाभ)।

3. मिश्रित आय (Mixed Income)-मिश्रित आय से अभिप्राय स्व-रोज़गार पर लगे लोगों की काम तथा सम्पत्ति दोनों से प्राप्त मिश्रित आय से होता है। उदाहरणतया किसान, दुकानदार, प्राइवेट डॉक्टर को प्राप्त होने वाली आय में उनकी मेहनत की मज़दूरी, पूंजी का ब्याज, भूमि अथवा मकान का किराया तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त लाभ इत्यादि शामिल होते हैं। इस कारण इस आय को मिश्रित आय कहा जाता है।

(A) मूल्य वृद्धि या उत्पाद विधि (Value Added Or Product Method)
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न । (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पाद विधि से क्या अभिप्राय है ? इस विधि द्वारा राष्ट्रीय आय को मापने में जुड़ने वाले चरणों की रूप-रेखा स्पष्ट करें। मूल्य वृद्धि विधि की सावधानियां बताएं।
(Give an outline of the steps involved in the estimation of National Product by Value Added Method or Product Method. Explain the precautions in Value Added Method.)
उत्तर-
राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय की गणना के लिए उत्पाद विधि अथवा मूल्य वृद्धि विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि को शुद्ध उत्पाद विधि (Net Output Method) या औद्योगिक मूल्य विधि (Industrial Origin Method) भी कहा जाता है। मूल्य वृद्धि विधि वह विधि है जिसमें राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए एक देश में एक लेखा वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का दोहरी गणना के बिना माप होता है।
(Value Added Method or Product Method is the method of measurement of national income by adding the goods and services produced in the domestic territory of a country in a year without double counting.)

मूल्य वृद्धि विधि से राष्ट्रीय आय के माप की अवस्थाएं (Steps in measurement of National Income in Value Added Method)

1. प्रथम अवस्था (First Step)—इसमें सर्वप्रथम देश की उत्पादक इकाइयों का वर्गीकरण तीन क्षेत्रों में किया जाता है-
(i) प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)-इस क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों के प्रयोग द्वारा उत्पादन किया जाता है। इसके उप-क्षेत्र हैं
(a) कृषि तथा पशुपालन
(b) जंगल उद्योग तथा शहतीर बनाना
(c) मछली उद्योग
(d) खानों का उत्पादन।

(ii) गौण क्षेत्र (Secondary Sector)-इसके उप-क्षेत्र हैं
(a) उद्योग
(b) निर्माण
(c) जल आपूर्ति, विद्युत् गैस इत्यादि।

(iii) तीसरा क्षेत्र (Tertiary Sector)-इसके उप-क्षेत्र हैं—
(a) यातायात, संचार तथा संग्रहण
(b) व्यापार, होटल तथा जलपान गृह
(c) बैंक तथा बीमा
(d) स्थिर सम्पत्ति, मकानों की मालकी तथा व्यापारिक सेवाएं
(e) सार्वजनिक प्रशासन तथा सुरक्षा
(f) अन्य सेवाएं।

2. दूसरी अवस्था (Second Step)-दूसरी अवस्था में हर एक उत्पादन इकाई के मूल्य का माप किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य निकाल दिया जाए तो हमारे पास कुल मूल्य वृद्धि प्राप्त हो जाती है।
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग Value Added = Value of Output – Intermediate Consumption

(A) उत्पाद का मूल्य-वह मूल्य है जोकि एक फ़र्म द्वारा एक साल में वस्तुओं तथा सेवाओं को बाज़ार में प्रचलित कीमत पर गुणा करने से प्राप्त होता है। फ़र्म द्वारा एक वर्ष में जो उत्पादन किया जाता है इसका कुछ भाग बिक जाता है तथा कुछ भाग स्टॉक के रूप में बच जाता है। इसलिए उत्पाद का मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन
Value of Output = Sales + Change in Stock
स्टॉक में परिवर्तन प्रारम्भिक स्टॉक में से अन्तिम स्टॉक को घटाने से प्राप्त होता है।
स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक
Change in Stock = Closing Stock – Opening Stock

(B) मध्यवर्ती उपभोग-उत्पादन प्रक्रिया के दौरान कच्चे माल पर जो खर्च किया जाता है उसको मध्यवर्ती उपभोग कहा जाता है। इसमें उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यमकर्ता की लागत को शामिल नहीं किया जाता। इस प्रकार मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटाया जाता है। इस विधि में राष्ट्रीय आय की दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

उदाहरण के लिए एक किसान ₹ 1000 के मूल्य की कपास पैदा करता है। उसने कच्चे माल के रूप में ₹ 300 खर्च किए हैं। किसान को हम फ़र्म A कहते हैं। फर्म A ने यह कपास फ़र्म B को बेच दी जोकि धागे का उत्पादन करती है तथा फ़र्म B ने ₹ 1500 मूल्य का धागा बनाकर फर्म C को बेच दिया। फ़र्म C ने इस धागे से कपड़ा बनाकर उपभोगियों को ₹ 2500 में बेच दिया। मूल्य वृद्धि का माप इस प्रकार किया जाएगा –

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 2
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
= 5000 – 2800 = ₹ 2200
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = 1000 – 300 = ₹ 700
फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = 1500 – 1000 = ₹ 500
फ़र्म C द्वारा मूल्य वृद्धि = 2500 – 1500 = ₹ 1000
कुल मूल्य वृद्धि Gross Value Added = ₹ 2200
इसको बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

3. तीसरी अवस्था (Third Step)-अब राष्ट्रीय आय की धारणाओं का अध्ययन करते हैं। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित मदों को ध्यान में रखना चाहिए

  • मूल्य ह्रास या घिसावट (Depreciation)
  • शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes = Indirect Taxes – Subsidies)
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय (Net Factor Income from Abroad) राष्ट्रीय आय का माप करते समय मूल्य वृद्धि से सम्बन्धित निम्नलिखित धारणाएं होती हैं

1. कुल मूल्य वृद्धि = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद Gross Value Added = Gross Domestic Product at Market Prices
बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य होता है।
2. बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट
Gross Domestic Product at Market Prices = GDPMP – Depreciation
3. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
Net Domestic Product at Factor Cost = NDPMP – Net Indirect Taxes
4.साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय
Net National Product at Factors Cost = NDPFC + Net Factor Income from Abroad
अथवा
5. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मुआवज़ा लाभ + लगान + ब्याज + मिश्रित आय
NNPFC = N.I. = Compensation of Employees + Rent + Interest + Profit + Mixed Income.

प्रश्न 2.
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पादन विधि की सावधानियां बताएं। (Explain the Precautions of Value Added Method or Product Method.)
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पादन विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय कुछ मदों को शामिल किया जाता है तथा कुछ मदों को शामिल नहीं किया जाता।
कौन-सी मदों को शामिल नहीं करना चाहिए (Which Items should be Excluded)-

  • पुरानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय-पुरानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि यह चालू वर्ष में उत्पादन नहीं की गईं।
  • गैर-कानूनी कामों से आय-गैर-कानूनी काम जैसा कि जुआ, समगलिंग, चोरी इत्यादि से आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य-मध्यवर्ती वस्तुओं को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • स्व-उपभोग की सेवाएं-स्व-उपभोग की सेवाओं को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता जैसा कि पिता द्वारा पुत्र को पढ़ाना, इत्यादि क्योंकि इनके सेवा फल का अनुमान लगाना कठिन होता है।
  • कम्पनी द्वारा ब्रान्ड की बिक्री-किसी कम्पनी द्वारा ब्रान्डस की बिक्री से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में _शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह वित्तीय लेन-देन है।

कौन-सी मदों को मूल्य वृद्धि में शामिल करना चाहिए
(Which Items should be Included in Value Added)

  • पुरानी वस्तुओं की बिक्री से दलाली-पुरानी वस्तुओं की बिक्री से दलाली को राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए क्योंकि यह वर्तमान सेवा का फल है।
  • उत्पादकों द्वारा स्व-उपभोग-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह उत्पादन बाज़ार में बिक्री के लिए नहीं आता इसलिए इस उत्पादन का आरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
  • मकान मालिकों का आरोपित किराया-जिन मकानों में मालिक स्वयं रहते हैं उनका आरोपित किराया, राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  • सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों का मेहनताना-सरकारी क्षेत्र में राष्ट्रीय आय का माप करते समय सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों का मेहनताना शामिल किया जाता है। लगान, ब्याज तथा लाभ को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनके आंकड़े प्राप्त नहीं होते।
  • पूंजी का स्व-लेखा उत्पादन-सरकारी, निगमित तथा पारिवारिक क्षेत्र में उत्पन्न की गई अचल पूंजी को भी राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  • अन्तिम वस्तुओं का मूल्य-उत्पाद विधि में राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय केवल अन्तिम वस्तुओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है।

प्रश्न 3.
दोहरी माप की समस्या से क्या अभिप्राय है ? राष्ट्रीय आय का माप करते समय दोहरे माप की समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर-
दोहरी माप की समस्या का अर्थ (Meaning of Problem of Double Counting) उत्पादन विधि द्वारा जब राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है तो इसमें केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं को ही शामिल किया जाता है। कई बार मध्यवर्ती वस्तुओं की गणना भी हो जाती है जिससे दोहरी गणना की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। दोहरी गणना का अर्थ किसी वस्तु के मूल्य को एक बार से अधिक बार राष्ट्रीय आय में शामिल करने से होता है परन्तु सब वस्तुएं अन्तिम वस्तुएं नज़र आती हैं जबकि उनका प्रयोग मध्यवर्ती वस्तुओं के रूप में होता है। इसको हम एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करते हैं मान लीजिए एक किसान गेहूं उत्पन्न करता है तथा एक आटा मिल वाले को 1000 रुपए की बेच देता है।

आटा मिल वाले के लिए गेहूं अन्तिम मध्यवर्ती वस्तु है जिसको वह आटे में बदलकर बेकरी वाले को 1500 रुपए में बेच देता है। आटा मिल के लिए आटा अन्तिम वस्तु है पर बेकरी वाले के लिए यह मध्यवर्ती वस्तु है क्योंकि बेकरी वाला इससे बिस्कुट बनाकर अन्तिम उपभोक्ताओं को 2000 रुपए में बेच देता है। यदि हम प्रत्येक आदान-प्रदान को राष्ट्रीय आय में शामिल कर लेते हैं तो उससे वस्तु का उत्पादन मूल्य बहुत अधिक हो जाता है जबकि मूल्य वृद्धि इस बात को प्रकट करती है कि वस्तु के मूल्य में कितनी वृद्धि हुई है, उसको राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए।

यदि हम कुल उत्पाद का मूल्य राष्ट्रीय आय में शामिल करते हैं तो इसमें एक वस्तु का मूल्य कई बार जुड़ जाता है। इसलिए दोहरी गणना से बचने के लिए अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को राष्ट्रीय में जोड़ना चाहिए जैसे कि बेकरी वाले ने अन्तिम उपभोक्ताओं को 2000 रुपए के बिस्कुट बेचे हैं जिसको राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए। लेकिन इस विधि में ग़लती होने की सम्भावना होती है तथा किसी मध्यवर्ती वस्तु का मूल्य इसमें जुड़ जाए तो दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

दोहरी गणना की समस्या का हल (Solution of the Problem of Double Counting) – राष्ट्रीय आय का माप करते समय यदि हम मूल्य वृद्धि (Value Added) की विधि को अपनाते हैं, तो दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न नहीं होती। इसको निम्नलिखित सूची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है|
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 3
उत्पादन का मूल्य = ₹4500
मध्यवर्ती वस्तु का मूल्य = ₹ 2500
मूल्य वृद्धि = ₹ 2000
इस प्रकार यदि हम उत्पादन का मूल्य शामिल करते हैं तो ₹ 4500 का उत्पादन किया गया है। परन्तु इसमें से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य 2500 भी शामिल है। यदि हम उत्पाद मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटा देते हैं तो इससे अन्तिम वस्तु का मूल्य प्राप्त हो जाता है जिसको मूल्य वृद्धि कहा जाता है। मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय दोहरी गणना की समस्या का हल हो जाता है।

याद रखें मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना (Measurement of National Income with Value Added Method)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 4

  1. प्राथमिक क्षेत्र में बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  2. गौण क्षेत्र में बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  3. तीसरे क्षेत्र में बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  4. मूल्य ह्रास या मूल्य घिसावट
  5. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – सहायता)
  6. विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय।

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर फ़र्म A तथा फ़र्म B द्वारा की गई मूल्य वृद्धियों का आंकलन करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 5
हल (Solution):
फ़र्म A तथा फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 6
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – खरीद
= 110 + (-15) – 80
= ₹ 15 लाख उत्तर

फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – खरीद
= 90 + (-10) – 50
= ₹ 30 लाख उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर फ़र्म x तथा फ़र्म Y द्वारा की गई मूल्य वृद्धियों को ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 7
हल (Solution) :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 8
फ़र्म X द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + भण्डार में परिवर्तन – खरीद
= 300 + 20 – 70
= ₹ 250 लाख उत्तर
फ़र्म Y द्वारा मूल्य वृद्धि = 500 + 10 – 450 = ₹ 60 लाख उत्तर

प्रश्न 3.
निम्न आंकड़ों द्वारा फ़र्म A तथा फ़र्म B की मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 9
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 10
हल (Solution) :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 11
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 450 लाख
फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 170 लाख उत्तर

प्रश्न 4.
निम्न आंकड़ों के आधार पर C उद्योग की मूल्य वृद्धि ज्ञात करें-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 12
हल (Solution) :
उद्योग A, B, C तथा D द्वारा कुल बिक्री = ₹ 130 लाख

  • उद्योग, A द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री – खरीद = ₹ 20 – 0 = 20 लाख
  • उद्योग B द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 40 लाख
  • उद्योग D द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 30 लाख
  • उद्योग A, B तथा D द्वारा मूल्य वृद्धि = 20 + 40 + 30 = ₹ 90 लाख
  • उद्योग C द्वारा मूल्य वृद्धि = 130 – 90 = ₹ 40 लाख उत्तर

(A, B, C, D द्वारा मूल्य वृद्धि – ABD द्वारा मूल्य-वृद्धि)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 13
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 14
हल (Solution) :
साधनं लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक – मध्यवर्ती उपभोग — बिक्री कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 1000 + 80 – 40 – 640 – 30 + 10 – 100 = ₹ 280 लाख उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा फर्म A की बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 15
हल (Solution) :
बाजार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – घिसावट – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद
= 700 + 40 – 80 – 400 = ₹ 260 हज़ार उत्तर

प्रश्न 7.
फ़र्म A ने ₹500 गैर-साधन आगतों (Inputs) पर खर्च किए और ₹ 900 के मूल्य की वस्तुओं का उत्पादन किया। इसने ₹ 600 के मूल्य की वस्तुएं फ़र्म B तथा ₹ 300 के मूल्य की वस्तुएं उपभोक्ताओं को बेचीं। फ़र्म A की सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
हल (Solution):
फ़र्म A द्वारा सकल मूल्य वृद्धि = उत्पादन वस्तुओं का मूल्य – ग़ैर-साधन आगतों पर खर्च  = 900 (600 + 300) – 500 = ₹400 उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 16
हल (Solution):
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) – मूल्य घिसावट – उत्पादन कर – मध्यवर्ती उपभोग ।
= 200 + 10 – 15 – 12 – 20 – 48 = ₹ 115 लाख उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(क) उत्पादन का मूल्य
(ख) साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 17
हल-
(क) उत्पादन का मूल्य – बिक्री + स्टॉक में वृद्धि
= 27,560 + 1,690
= ₹ 29,250 करोड़ उत्तर

(ख) साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि – मध्यवर्ती उपभोग – अप्रत्यक्ष कर – स्थाई पूंजी का उपभोग + आर्थिक सहायता = 27,560 + 1,690 – 3,575 – 2,000 – 1,345 + 1,550
= ₹ 23,880 करोड़ उत्तर

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए।
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(ग) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 18
हल (Solution) :
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = बिक्री + साल के अन्त में स्टॉक – साल के आरम्भ में स्टॉक – मध्यवर्ती उपभोग
= 70,000 + 25,000 – 5,000 – 10,000 = ₹ 80,000 लाख उत्तर
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट लागत = 80,000 – 1,000 = ₹ 79,000 लाख उत्तर
(ग) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता = 79,000 – 300 + 100 = ₹ 78,800 लाख उत्तर

(B) आय विधि (Income Method)
IV. दीर्घ उरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय के माप की आय विधि की व्याख्या करें।
(Explain the Income Method for measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का अर्थ एक वर्ष में एक देश के साधारण निवासियों द्वारा उत्पादित आय के साधनों के रूप में कार्य करने से जो आय मज़दूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है, उसके योग को राष्ट्रीय आय कहा (The sum of incomes accuring to the factors of Production supplied by the norma! Residents of a country during a year is called National Income.) एक वर्ष में उत्पादन के साधनों श्रम, पूंजी, भूमि तथा उद्यम को कार्य करने के बदले में मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में जो आप प्राप्त हाती है, उसके योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। आय विधि को साधन भुगतान विधि (Factor Paynient Method) अथवा वर्गीकृत कार्यों के अनुसार विधि (Distributed Share Method) भी कहा जाता।

उत्पादन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप आय का सृजन होता है। उत्पादन के समय जो आय उत्पादन के साधनों को प्राप्त होती है उसको उद्यमियों की साधन लागत तथा उत्पादन के साधनों की आय कहा जाता है। आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित अवस्थाओं में से निकलना पड़ता है-
1. प्रथम अवस्था (First Stage)-इस विधि में सबसे पहले देश की घरेलू सीमा के भीतर आने वाली इकाइयों का पता किया जाता है जिनको प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector), गौण क्षेत्र (Secondary Sector) तथा तृतीय क्षेत्र (Teritiary Sector) में विभाजित किया जाता है।

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage)-इसके पश्चात् उत्पादन इकाइयों को दिए जाने वाले भुगतान का अनुमान लगाया जाता है जैसे कि-
(a) कर्मचारियों की मेहनत-मज़दूरी तथा वेतन + किस्म के रूप में आय + सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मालिकों का योगदान + रिटायर हुए कर्मचारियों की पेन्शन।
(b) परिचालन अधिशेष-इसमें सम्पत्ति तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है जिसमें निम्नलिखित आय शामिल होती है

  • किराया अथवा लगान तथा रायल्टी
  • ब्याज
  • लाभ (लाभांश + निगम कर + उद्यमियों की बचत या अविभाजित लाभ)

(c) मिश्रित आय-इसमें स्व-रोज़गार पर लगे लोगों के कार्य तथा सम्पत्ति से प्राप्त आय शामिल होती है। यदि हम ऊपर दी गई आय का योग कर लेते हैं तो इसको शुद्ध घरेलू आय कहा जाता है।

(d) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय-एक देश के लोगों द्वारा विदेशों में प्रदान की गई साधन सेवाओं के बदले में प्राप्त होने वाली आय तथा एक देश की घरेलू सीमा के भीतर गैर-निवासियों द्वारा सेवाओं के बदले में दी जाने वाली आय के अन्तर को शुद्ध विदेशी साधन आय कहा जाता है। यदि हम शुद्ध घरेलू आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़ लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय (National Income) कहते हैं।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage)-इस अवस्था में साधन आय का अनुमान लगाया जाता है। विभिन्न धारणाओं को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

  • शुद्ध घरेलू आय (NDPFC) कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय अथवा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट अथवा शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट
  • सकल राष्ट्रीय आय या साधन लागतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट
  • बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय-कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर अथवा = सकल राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर

प्रश्न 2.
आय विधि में ध्यान रखने योग्य सावधानियों का वर्णन करें। (Explain the Precautions regarding Income Method.)
अथवा
राष्ट्रीय आय का माप करते समय आय विधि में कौन-सी मदों को शामिल किया जाता है तथा कौन-सी मदों को शामिल नहीं किया जाता ?
(Which items should be included in National Income and which items should not be included in National Income while calculating National Income in Income Method ?)
उत्तर-
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय कुछ मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है जबकि कुछ अन्य मदों को शामिल नहीं किया जाता। निम्नलिखित मदों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा (Items to be included in National Income)
राष्ट्रीय आय का माप करते समय आय विधि में उन स्रोतों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है जोकि उत्पादक होती हैं तथा जिन क्रियाओं को करने की सरकार आज्ञा देती है अर्थात् कानूनी (Legal) तथा उत्पादक (Productive) क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह आय का सृजन करती है।

  1. गायक, डान्सर तथा अभिनेताओं की आय राष्ट्रीय आय में शामिल की जाती है।
  2. सरकार द्वारा निःशुल्क इलाज पर खर्च, सड़कों, नहरों तथा रोशनी पर खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता
  3. सरकारी कर्मचारियों को दिया जाने वाला मेडिकल भत्ता राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  4. भविष्य निधि में श्रमिकों का योगदान राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  5. मूल्य घिसावट को कुल उत्पादन में शामिल किया जाता है परन्तु शुद्ध उत्पादन में शामिल नहीं किया जाता।
  6. निगम कर, लाभांश तथा अविभाजित लाभ, यह लाभ के भाग होते हैं इसलिए इनको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु यदि लाभ दिया गया हो तो यह तीनों भाग उसमें शामिल होते हैं। इसलिए इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता।
  7. मज़दूरी, किस्म के रूप में मजदूरी तथा सामाजिक सुरक्षा, भविष्य निधि इत्यादि कर्मचारियों के मेहनताने के भाग होते हैं। यदि कर्मचारियों का मेहनताना शामिल किया जाता है तो इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता।
  8. जिन मकानों में मकान मालिक स्वयं रहते हैं उनका आरोपित किराया राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  9. पुरानी वस्तुओं की बिक्री पर दी जाने वाली दलाली को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

अग्रलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता (Items not to be Included in National Income)-

  • हस्तान्तरण भुगतान जैसे कि बुढ़ापा पेन्शन, बेरोज़गारी भत्ता इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • गैर-कानूनी कामों जैसे कि जुआ, समगलिंग, चोरी इत्यादि से प्राप्त आय को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
  • स्व-उपभोग सेवाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता जबकि स्व-उपभोग वस्तुओं को इसमें शामिल किया जाता है।
  • पुरानी वस्तुओं जैसे कि पुराना मकान, पुरानी पुस्तकों इत्यादि की बिक्री से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाता।
  • शेयर, बांड इत्यादि को बेचने से प्राप्त होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • आकस्मिक लाभ अथवा पूंजीगत लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अप्रत्यक्ष कर साधन लागत पर, राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं होते परन्तु बाज़ार कीमत पर यह शामिल किए जाते हैं।
  • मृत्यु कर, सम्पत्ति कर, उपहार कर इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय शामिल होने वाली मदों तथा न शामिल होने वाली मदों को ध्यान में रखना चाहिए।

याद रखें आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना (Measurement of National Income with Income Method)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 19

  1. कर्मचारियों का मेहनताना (नकद मज़दूरी + किस्म के रूप में आय + सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मालिकों का योगदान + रिटायर हुए कर्मचारियों की पेन्शन)
  2. परिचालन अधिशेष (किराया अथवा लगान तथा रायल्टी + ब्याज + लाभ (लाभांश + निगम कर + उद्यमियों की बचत या अविभाजित लाभ)
  3. मिश्रित आय
  4. विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
  5. मूल्य घिसावट अथवा स्थिर पूंजी का उपयोग
  6. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(i) घरेलू आय
(ii) राष्ट्रीय आय की गणना करेंमदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 20
हल (Solution) :
(i) घरेलू आय = मज़दूरी + किराया + ब्याज + लाभांश + मिश्रित आय + अविभाजित आय + निगम कर + सामाजिक सुरक्षा में योगदान = 50,000 + 10,000 + 1000 + 5000 + 1500 + 500 + 400 + 600 = ₹ 69,000 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = 69,000 + 3000 = ₹72,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 22
हल (Solution):
(i) घरेलू आय = लगान + ब्याज + लाभांश + स्व-नियोजकों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मेहनताना = 80 + 100 + 210 + 250 + 500 = ₹ 1140 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1140 + (-20) = ₹ 1120 करोड़ उत्तर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों से राष्ट्रीय आय ज्ञात करेंमदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 23
हल (Solution):
(i) घरेलू आय = स्व-नियोजितों की मिश्रित आय + परिचालन अधिशेष + मज़दूरी तथा वेतन + मालिकों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान
= 200 + 900 + 500 + 50 = ₹ 1650 करोड़
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1650 + (-10) = ₹ 1640 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 4.
संमत 1982-83 में भारत देश के लिए निम्नलिखित आंकड़े दिए गए हैं :मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 24
हल (Solution):
(i) घरेलू साधन आय = कर्मचारियों का मुआवज़ा + किराया + ब्याज + लाभ + मिश्रित आय = 49651 + 10209 + 4794 + 6926 + 50416 = ₹ 1,21,996 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + निवल विदेशी साधन आय = 1,21,996 + (-7) = ₹ 1,21,989 करोड़ उत्तर

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा किसी फ़र्म की
(i) उत्पाद विधि
(ii) आय विधि से राष्ट्रीय आय में योगदान ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 25
हल (Solution) :
(i) उत्पाद विधि राष्ट्रीय आय = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि – मध्यवर्ती उपभोग – मूल्य ह्रास – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 16000 + 4000 -5000 – 500 – 500 = ₹ 14000 करोड़ उत्तर
(ii) आय विधि राष्ट्रीय आय = मजदूरी तथा वेतन + ब्याज + किराया + लाभ = 10,000 + 400 + 600 + 3000 = ₹ 14000 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा
(a) उत्पाद विधि
(a) आय विधि से बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 26
हल (Solution) :
उत्पादन विधि बाजार कीमत पर सकल घरेलू आय = (प्राथमिक क्षेत्र का उत्पादन + द्वितीयक क्षेत्र का उत्पादन + तृतीय क्षेत्र का उत्पादन) – (प्राथमिक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग + द्वितीयक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग + तृतीयक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग)
= (1000 + 900 + 700) – (500 + 400 + 300) = ₹ 1400 करोड़

आय विधि बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = कर्मचारियों का वेतन + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + स्थाई पूंजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 400 + 650 + 300 + 40 + 10 = ₹ 1400 करोड़ उत्तर

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों से परिचालन अधिशेष ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 27
हल (Solution) :
परिचालन अधिशेष = (i) – (ii) – (iii) – (iv) – (v) + (vi) – (vii) = 1000 – 200 – 200 – 30 – 20 + 50 -100 = ₹ 500 करोड़ उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों से परिचालन अधिशेष ज्ञात करें। मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 28
हल (Solution):
परिचालन अधिशेष = (i) – (ii) – (iii)– (iv) – (v)
= 1200 – 60 – 40 – 450 – 50 = ₹ 600 Crores उत्तर

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 29
उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) + (v)
= 50,000 + 12,000 + 15,000 + 18,000 + 40,000
= ₹ 1,35,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + (vi) = 1,35,000 + 15,000 = ₹ 1,50,000 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 30
उत्तर-
घरेलू साधन आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) + (1)
= 75,000 + 18.000 + 22.500 + 27,000 + 60,000
= ₹ 2,02,500
करोड़ उत्तर राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + (vi)
= 2,02,500 + 22,500 = ₹ 2,25,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 31उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय-कर्मचारियों का मेहनताना + ब्याज + लाभ तथा लाभांश + किराया + मिश्रित आय
(i) ब्याज
= 50,000 + 12,000 + 15,000 + 18,000 + 40,000
= ₹ 1,35,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय-घरेलू साधन आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 1,35,000 + 15,000
= ₹ 1,50,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्न आंकड़ों से कुल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर (GDPMP) और शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद साधन लागतों पर (NNPFC) ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 32
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर कुल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थाई पूँजी का उपभोग + लगान + लाभ + ब्याज + रायल्टी + मज़दूरी और वेतन + सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का अंशदान।= 38 + 35 + 10 + 27 + 23 + 20 + 150 + 25
= ₹ 328 करोड़ उत्तर
साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर — स्थाई पूँजी का उपभोग + विदेशों से प्राप्त साधन आय
= 328 – 38 – 35 + (-5)
= ₹ 250 करोड़ उत्तर

(C) खर्च विधि (Expenditure Method)
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय के माप की खर्च विधि की व्याख्या करें। (Explain the Expenditure Method for the measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की तीसरी विधि खर्च विधि है जिसको उपभोग तथा निवेश विधि (Consumption and Investment Method) भी कहा जाता है। इस विधि को स्पष्ट करते हुए कुजनेटस ने कहा है, “राष्ट्रीय आय, एक वर्ष में एक देश की उत्पादक प्रणाली में जो वस्तुएं तथा सेवाएं अन्तिम उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग की जाती हैं अथवा देश के पूंजीगत पदार्थों में शुद्ध वृद्धि करती हैं, उनका योग है।”

खर्च विधि की मुख्य अवस्थाएं-खर्च विधि में मुख्य अवस्थाएं इस प्रकार होती हैं –
1. प्रथम अवस्था-सबसे पहले उन इकाइयों की पहचान की जाती है जो अन्तिम उपभोग खर्च करते हैं तथा जिनको खर्च विधि में शामिल किया जाता है।
A. पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector)
B. उत्पादक क्षेत्र (Production Sector)
C. सरकारी क्षेत्र (Government Sector)
D. शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector)

2. दूसरी अवस्था-इस अवस्था में अन्तिम खर्च का वर्गीकरण किया जाता है। अन्तिम खर्च के वर्गीकरण को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 33

अन्तिम खर्च के मुख्य अंश इस प्रकार हैं –
1. अन्तिम उपभोग खर्च

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

2. सकल घरेलू पूंजी निर्माण
(i) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(a) व्यावसायिक स्थाई निवेश
(b) सरकारी स्थाई निवेश
(c) परिवारों द्वारा मकानों के निर्माण पर निवेश
(ii) स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक)

3. शुद्ध निर्यात (निर्यात – आयात)
तीसरी अवस्था

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च- इसमें व्यक्तियों, परिवारों तथा गैर-लाभकारी निजी संस्थाओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए व्यय को शामिल किया जाता है।
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च-इसमें सरकार के खर्च को शामिल करते हैं।
  • सकल घरेलू पूंजी निर्माण-इसमें निवेश व्यय शामिल करते हैं जोकि स्थाई निवेश तथा माल सूची निवेश पर किया जाने वाला व्यय शामिल करते हैं।
  • शुद्ध निर्यात-इसमें निर्यात वस्तुओं तथा सेवाओं में से आयात वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य घटाने से शुद्ध निर्यात ज्ञात होता है।
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय-कुछ अर्थ-शास्त्री शुद्ध निर्यात के स्थान पर शुद्ध विदेशी निवेश की धारणा का प्रयोग करते हैं। इसमें आयात तथा निर्यात के अन्तर के अतिरिक्त विदेशों से शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाता है।

यदि हम खर्च विधि द्वारा विभिन्न धारणाओं का माप करना चाहते हैं तो इसके लिए निम्न विधि प्रयोग की जाती है-

  1. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = निजी अन्तिम उपाभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल स्थिर पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात।
  2. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय
  3. बाज़ार कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद-मूल्य घिसावट
  4. शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर |

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 2.
खर्च विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय सावधानियां बताएं। (Mention the Precautions while measuring National Income with Expenditure Method.)
उत्तर-
खर्च विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग करने की आवश्यकता होती है

  1. पुरानी वस्तुओं पर किए जाने वाले खर्च को अन्तिम खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह खर्च वर्तमान वर्ष में उत्पादित वस्तुओं पर नहीं किया जाता बल्कि पहले से ही उत्पादित वस्तुओं पर किया जाता है।
  2. कुल खर्च का माप करते समय केवल अन्तिम खर्च को ही शामिल किया जाता है।
  3. अन्तिम खर्च में मध्यवर्ती खर्च को शामिल नहीं किया जाता।
  4. पुराने तथा नए शेयर तथा बांड पर किया गया खर्च कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह खर्च वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च नहीं होता।
  5. सरकार द्वारा दिए गए हस्तान्तरण भुगतान पर खर्च को अन्तिम खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि जिन व्यक्तियों द्वारा हस्तान्तरण भुगतान प्राप्त किया जाता है उनके द्वारा इसके बदले में कोई उत्पादक सेवा प्रदान नहीं की जाती।
  6. स्व-उपभोग पर किए गए खर्च को अन्तिम उपभोग में शामिल किया जाता है क्योंकि यह खर्च वर्तमान उत्पादन में से होता है।
  7. इस विधि द्वारा बाजार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पादन मूल्य का पता चलता है। यदि हम साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय का पता करना चाहते हैं तो इसमें से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर तथा स्थाई पूंजी का उपभोग घटा देना चाहिए।
  8. कुल खर्च विधि में सकल घरेलू पूंजी निर्माण की धारणा में सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण तथा स्टॉक में परिवर्तन का योग होता है।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उत्पाद तथा राष्ट्रीय खर्च में समानता को स्पष्ट करें। (Establish the Equality of National Income, National Product and National Expenditure.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की तीन विधियां हैं-आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि। इन तीनों विधियों द्वारा राष्ट्रीय आय का योग एक-दूसरे के समान होता है क्योंकि जब उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादन के साधनों को कार्य पर लगाया जाता है तो श्रम, भूमि, पूंजी तथा उद्यमी मिलकर उत्पादन करते हैं। इन उत्पादन के साधनों को कार्य करने के बदले में मेहनताना दिया जाता है अर्थात् कर्मचारियों को कार्य करने के लिए मज़दूरी तथा वेतन, भूमि का लगान, पूंजी का ब्याज तथा उद्यमी को लाभ प्राप्त होता है। यदि हम उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय का योग कर लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसमें स्व-रोज़गार पर लगे मनुष्यों की मिश्रित आय भी शामिल होती है। इसलिए आय विधि के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है |

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर उत्पादन के साधन देश में जो उत्पादन करते हैं, उसके योग को बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। उत्पादन के साधन अर्थ व्यवस्था के तीन क्षेत्रों में कार्य करते हैं—प्राथमिक क्षेत्र जिसमें कृषि, जंगल, खानों इत्यादि से प्राप्त उत्पादन को शामिल किया जाता है। गौण क्षेत्र में उद्योग, निर्माण, विद्युत्, गैस, जल आपूर्ति इत्यादि के उत्पादन को शामिल करते हैं। तीसरे क्षेत्र में सेवाओं को शामिल किया जाता है जैसे कि यातायात, संचार, व्यापार, होटल, बैंक, बीमा इत्यादि। यदि हम इन तीन क्षेत्रों में अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन का योग कर लेते हैं जिसको मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) द्वारा मापा जाता है। इससे हम सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात कर सकते हैं।

उत्पादन विधि (Production Method) के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है-
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = प्राथमिक क्षेत्र का उत्पादन + गौण क्षेत्र का उत्पादन + तीसरे अथवा सेवा क्षेत्र का उत्पादन + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर उत्पादन के साधन कार्य करने के पश्चात् जो आय प्राप्त करते हैं उनको निजी उपभोग अथवा निवेश पर खर्च किया जाता है। देश की घरेलू सीमा के भीतर निजी अन्तिम उपभोग खर्च, सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च, कुल स्थिर पूंजी निर्माण, स्टॉक में परिवर्तन तथा शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है जिससे हमारे पास सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है। खर्च विधि (Expenditure Method) द्वारा सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है

बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + कुल स्थिर पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात । इस प्रकार यदि हम राष्ट्रीय आय को मापने के लिए भिन्न-भिन्न विधियों को देखते हैं तो स्पष्ट होता है कि परिभाषा के आधार पर इनमें समानता पाई जाती है।
अर्थात् राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय खर्च
इसमें चिह्न = समानता को प्रकट करता है।
इससे स्पष्ट होता है कि यह तीनों धारणाएं एक-दूसरे के समान होती हैं। इनमें समानता को एक रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 34

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय की तीन विधियों का संक्षेप में वर्णन करें। (Describe briefly the three methods for the measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप की तीन विधियां हैं
1. मूल्य वृद्धि विधि अथवा उत्पाद विधि (Value Added Method or Production Method)
2. आय विधि (Income Method)
3. खर्च विधि (Expenditure Method)

1. मूल्य वृद्धि विधि अथवा उत्पाद विधि- इसमें प्राथमिक क्षेत्र, गौण क्षेत्र तथा तीसरे क्षेत्र में निम्नलिखित मदों का योग किया जाता है

  • उपभोगी वस्तुएं
  • निवेश वस्तुएं
  • सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं

शुद्ध निर्यात। इस क्षेत्र में अन्तिम उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का योग किया जाता है परन्तु दोहरी गणना की समस्या के हल के लिए मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) का प्रयोग किया जाता है अर्थात् उत्पादित मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य तथा मूल्य घिसावट को घटाकर शुद्ध मूल्य वृद्धि प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार शुद्ध मूल्य वृद्धि के अनुसार राष्ट्रीय आय की गणना इस प्रकार की जाती है राष्ट्रीय आय = प्राथमिक क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + तीसरे क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + विदेशों से शुद्ध साधन आय।

1. आय विधि (Income Method)-आय विधि में प्राथमिक क्षेत्र, गौण क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र में साधन आय का योग होता है जिसके मुख्य अंग इस प्रकार हैं-

  • कर्मचारियों का मेहनताना
  • ग़ैर-मज़दूरी आय
  • परिचालन अधिशेष
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय।

2. खर्च विधि (Expenditure Method) खर्च विधि में पारिवारिक क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र तथा शेष विश्व क्षेत्र के अन्तिम खर्च का योग किया जाता है। अन्तिम खर्च का वर्गीकरण इस प्रकार होता है(i) अन्तिम उपभोग खर्च
(a) निजी अन्तिम उपभोग खर्च
(b) सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च ।

(ii) अन्तिम निवेश खर्च
(a) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(b) स्टॉक में परिवर्तन
(c) शुद्ध निर्यात।
इस प्रकार खर्च विधि में राष्ट्रीय आय का माप निम्नलिखित विधि के अनुसार किया जाता है –

राष्ट्रीय आय = निजी अन्तिम उपभोग खर्च (C) + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च (G) + अन्तिम निवेश खर्च (I) + शुद्ध निर्यात (X – M)
इस प्रकार राष्ट्रीय आय के माप की तीन विधियों द्वारा इसका माप किया जा सकता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 35

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आय के माप में कौन-सी मदों को शामिल किया जाना चाहिए और कौन-सी मदों को शामिल नहीं करना चाहिए ?
(Which Items should be included in National Income and which items should not be included ?)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करते समय बहुत-सी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए यह जानकारी जरूरी है कि किन मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाना चाहिए अथवा किन मदों को शामिल नहीं करना चाहिए।
निम्नलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है (The following items are included in National Income) –

  1. स्वयं उपभोग की वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि उन्हें बाज़ार में बेचा नहीं जाता।
  2. सेवानिवृत्ति पेन्शन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह पहले की गई सेवा का फल है।
  3. स्वयं के व्यवसाय में लगे व्यक्तियों की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह मिश्रित आय होती है।
  4. मालिकों द्वारा भविष्य निधि कोष में अंशदान को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  5. सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान की गई सेवाओं पर व्यय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह सरकार द्वारा किये गए खर्च का अंश होता है।
  6. सरकार द्वारा सुरक्षा पर किया गया खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। क्योंकि यह अन्तिम प्रदान की सेवाओं का अंश होता है।
  7. दलाली का कमीशन जोकि पुरानी वस्तुओं की बिक्री पर प्राप्त होता है उसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह वर्तमान आय होती है।
  8. कलाकार जैसे कि गायक, अभिनेता आदि की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह आर्थिक सेवाएं होती हैं।
  9. लाभांश को राष्ट्रीय आय में शामिल करते हैं क्योंकि यह निवेश से प्राप्त आय होती है।
  10. विदेशों से लाभ-विदेशों से इस देश के बैंकों द्वारा प्राप्त किया लाभ राष्ट्रीय आय का भाग होता है क्योंकि यह विदेशों से प्राप्त साधन आय है।
  11. विदेशों से किराया जो एक देश के नागरिक प्राप्त करते हैं। यह राष्ट्रीय आय का भाग होता है।
  12. विदेशी दूतावासों से भारतीय कर्मचारियों को प्राप्त मज़दूरी राष्ट्रीय आय में शामिल की जाती है।
  13. स्टॉक में परिवर्तन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  14. मालिकों का खुद मालकी के मकानों पर किराया राष्ट्रीय आय का अंश होता है।
  15. भारतीय विशेषज्ञों द्वारा विदेशों से कमाई आमदन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

निम्नलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता (The Following Items are not included in National Income)

  • पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही राष्ट्रीय आय में शामिल होता है।
  • गैर-कानूनी क्रियाएं जैसे कि जुआ, समगलिंग आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • काला धन वह धन होता है जिस पर कर (Tax) नहीं दिया जाता। इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • वित्तीय सौदे जैसा कि शेयर, बान्ड्स, डिबैनचर आदि की क्रय-विक्रय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अनार्थिक क्रियाएं-जैसा कि बच्चे को दिया गया जेब खर्च घरेलू कार्य आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • गृहणियों द्वारा किये गए घरेलू कार्य को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अप्रत्यक्ष कर से प्राप्त आय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • छात्रवृत्ति द्वारा प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इसके बदले में कोई सेवा प्रदान नहीं की जाती।
  • पूंजीगत लाभ तथा अचानक लाभ को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। जैसा कि शेयर की कीमत में वृद्धि से आय अथवा लाटरी से प्राप्त आय।
  • वृद्धावस्था पेन्शन जोकि हस्तान्तरण भुगतान होता है इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करते।
  • विदेशों से प्राप्त उपहार तथा सहायता भी हस्तान्तरण भुगतान है इसलिए इनको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • बेरोज़गारी भत्ता भी हस्तान्तरण भुगतान है इसलिए इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • मध्यवर्ती उपभोग जोकि अन्तिम वस्तुओं के उत्पाद के लिए प्रयोग किया जाता है इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अन्वेषण के काम पर प्रयोग होने वाली वस्तुओं को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह मध्यवर्ती वस्तुएं होती हैं।
  • प्राकृतिक आपदाएं जैसा कि बाढ़, भूकम्प, सुनामी आदि समय किया गया खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 36
1. अन्तिम उपभोग खर्च

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

2. सकल घरेलू पूंजी निर्माण =

  • सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक)

3. शुद्ध निर्यात = (निर्यात – आयात)
4. मूल्य घिसावट अथवा मूल्य ह्रास
5. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = (अप्रत्यक्ष कर – सहायता)
6. विदेशों से शुद्ध साधन आय

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा GNP, GDP, NNP, NDP, बाज़ार कीमत (Market Price) तथा साधन लागत (Factor Cost) पर ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 37
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + सकल निवेश + सरकार द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय ।
= 700 + 180 + 200 + 20 + (-10) = ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(ii) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 1090 – 30 = ₹ 1060 करोड़ उत्तर

(iii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1090 – (-10) = ₹ 1100 करोड़ उत्तर

(iv) बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट = 1100 – 30 = ₹ 1070 करोड़ उत्तर

(v) साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1090 – 10 = ₹ 1080 करोड़ उत्तर

(vi) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 1080 – 30 = ₹ 1050 करोड़ उत्तर

(vii) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1100 – 10 = ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(viii) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) = साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट = 1090 – 30 = ₹ 1060 करोड़ उत्तर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से व्यय विधि द्वारा
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
(ii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 38
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + निजी निवेश खर्च + सरकार द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
= 700 + (20 + 60 + 40 + 60) + 200 + (40 – 20) + (-10)
= ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(ii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 1090 – (-10) = ₹ 1100 करोड़ उत्तर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित द्वारा सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 39
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद = निजी उपभोग खर्च + सरकारी उपभोग खर्च + सकल घरेलू स्थिर निवेश + माल सूची में वृद्धि + वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात
= 45000 + 5000 + 5000 + 1000 + 6000 – 7000
= ₹ 55000 उत्तर

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(i) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
(ii) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 40
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू पंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + निजी अन्तिम उपभोग खर्च + विदेशों से शुद्ध साधन आय
24 + 24 + (-4) + 161 + (-1) = ₹ 204 करोड़।
(ii) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 204 – 23 – 22 = ₹ 159 करोड़

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(a) उत्पाद विधि
(a) आय विधि द्वारा बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 42
उत्तर-
(a) उत्पाद विधि (Production Method)
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = (प्राथमिक + गौण + तीसरे क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य) – (प्राथमिक + गौण + तीसरे क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग)
= (300 + 200 + 100) – (100 + 50 + 50) = ₹400 करोड़ उत्तर

(b) आय विधि (Income Method)
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = कर्मचारियों की मज़दूरी + मिश्रित आय + परिचालन अधिशेष + स्थिर पूंजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर ।
= 150 + 50 + 100 + 40 + 60 = ₹400 करोड़ उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात करें
(a) मूल्य वृद्धि विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(b) खर्च विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 43
उत्तर-
(a) मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method)
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = प्राथमिक क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + तीसरा क्षेत्र में मूल्य वृद्धि – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता + विदेशों से शुद्ध साधन आय – स्थिर पूंजी का उपभोग
= (1000 – 500) + (900 – 400) + (500 – 200) -110 + 20 – 30 – 90
= 500 + 500 + 300 – 110 + 20 – 30 – 90 = ₹ 1090 करोड़।

(b) खर्च विधि (Expenditure Method) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (GDPFC)= निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – स्थिर पूंजी का उपभोग – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
= 1000 + 200 + 350 + (- 60) – 90 – 110 + 20 = ₹ 1310 करोड़।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(a) आय विधि द्वारा बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
(b) खर्च विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 44
उत्तर-
(a) आय विधि बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = ब्याज, लगान तथा लाभ + रायल्टी + स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मुआवज़ा + अप्रत्यक्ष कर — सहायता + स्थिर पूंजी का उपभोग
= 900 + 20 + 60 + 370 + 120 – 20 + 60 = ₹ 1510 करोड़ उत्तर

(b) खर्च विधि साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – अप्रत्यक्ष कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 100 + 800 + 620 + (-10) – 120 + 20 – 60 + (-10) = ₹ 1340 करोड़ उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(a) आय विधि
(b) व्यय विधि द्वारा सकल राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 45
उत्तर-
(a) आय विधि (Income Method)
सकल राष्ट्रीय आय = विदेशों से साधन आय + कर्मचारियों का मेहनताना – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + ब्याज + लगान + लाभ
= 10 + 150 – 15 + 15 + 40 + 40 + 100 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

(b) व्यय विधि (Expenditure Method)
सकल राष्ट्रीय आय = विदेशों से प्राप्त साधन आय + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + अन्तिम निजी उपभोग खर्च – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + निर्यात – आयात – अप्रत्यक्ष कर + सहायता + सरकारी अन्तिम उपभोग
‘खर्च = 10 + 50 + 220 – 15 + 15 + 20 – 25 – 30 + 10 + 85 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(a) आय विधि
(b) खर्च विधि से ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 46
उत्तर-
आय विधि (Income Method) –
बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मेहनताना + विदेशों से शुद्ध साधन आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थिर पूंजी का उपभोग + लाभ + लगान + ब्याज
SET-I = 400 + 500 + (-20) + 100 + 120 + 350 + 100 + 150 = ₹ 1700 करोड़
SET-II = 300 + 400 + (-10) + 60 + 100 + 250 + 80 + 70 = ₹ 1250 करोड़
SET-III = 500 + 600 + (-15) + 150 + 115 + 450 + 200 + 250 = ₹ 2250 करोड़

खर्च विधि (Expenditure Method)-
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + विदेशों से शुद्ध साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
SET-I = 900 – 20 + 120 + 280 – 30 + 450 = ₹ 1700 करोड़
SET-II = 700 + 10 + 100 + 120 – 10 + 350 = ₹ 1270 करोड़
SET-III = 1100 – 15 + 115 + 375 – 25 + 700 = ₹ 2250 करोड़

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(i) आय विधि
(ii) व्यय विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 47PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 48

उत्तर-
(a) आय विधि (Income Method)-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय= कर्मचारियों का मेहनताना + विदेशों से शुद्ध साधन आय + लाभ + लगान + ब्याज + स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय
SET-I = 1200 + (-20) + 800 + 400 + 620 + 700 = ₹ 3700 करोड़
SET-II = 600 + (-10) + 400 + 200 + 310 + 350 = ₹ 1850 करोड़
SET-III = 500 + (-10) + 220 + 90 + 100 + 400 = ₹ 1300 करोड

(b) व्यय विधि (Expenditure Method)-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय= निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से शुद्ध साधन आय
SET-I = 2000 + 1100 + 770 + (-30) – 120 + (-20) = ₹ 3700 करोड़
SET-II = 1000 + 550 + 385 + (-15) – 60 + (-10) = ₹ 1850 करोड़
SET-III = 900 + 400 + 200 + (-25) -165 + (-10) = ₹ 1300 करोड़

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर सकल राष्ट्रीय आय की गणना
(a) आय विधि
(b) व्यय विधि द्वारा करें

उत्तर-
आय विधि (Income Method)-
सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा आय = विदेशों से साधन आय + कर्मचारियों का मुआवज़ा + विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + ब्याज + लगान + लाभ
= 10 + 150 – 15 + 15 + 40 + 40 + 100 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

खर्च विधि (Expenditure Method)
सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा आय = विदेशों से साधन आय + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + निजी अन्तिम उपभोग खर्च – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + निर्यात – आयात – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
= 10 + 50 + 220 – 15 + 15 + 20 – 25 – 30 + 10 + 85 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आंकड़े x फ़र्म के सम्बन्ध में दिये गए हैं। इस फ़र्म द्वारा साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 50
उत्तर –
साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) + सहायता – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद
= 500 + (20 – 30) + 40 – 300 = ₹ 230 हजार उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से बाजार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 51
उत्तर –
बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद – घिसावट
SET-I = 700 + 40 – 400 – 80 = ₹ 260 हज़ार
SET-II = 300 + (-10) – 150 -20 = ₹ 120 हज़ार उत्तर

प्रश्न 14.
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 52
उत्तर
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) – मध्यवर्ती उपभोग – बिक्री कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 500 + (40-20)- 320 – 15 +5 -50 = ₹ 140 लाख उत्तर

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आंकड़ों से बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 53
उत्तर
बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = प्राथमिक क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – प्राथमिक क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग + गौण क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – गौण क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग + तीसरे क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – तीसरे क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग
= 2000 – 1000 + 1800 – 800 + 1400 – 600 = ₹ 2800 करोड़ उत्तर

प्रश्न 16.
निम्नलिखित आंकड़ों से साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 54
उत्तर-
साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – कच्चे माल की खरीद + आर्थिक सहायता
= 180 + 15 – 100 + 10 = ₹ 105 लाख उत्तर

प्रश्न 17.
निम्नलिखित आंकड़ों से आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 55
उत्तर
राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 1900 + 720 + (-20) = ₹ 2600 करोड़ उत्तर

प्रश्न 18.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 56
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 75,000 + 15,550 + 4,500 + 6,000 – 9,000 – 650
= ₹ 91,400 करोड़ उत्तर

(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय
= बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय – घिसावट
= 91,400 – 600 = ₹ 90,800 करोड़ उत्तर

प्रश्न 19.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 58
उत्तर-
(क) बाज़ार. कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध राष्ट्रीय आय
= 85000 + 10550 + 2500 + 4000 – 8000 – 750 = ₹ 93,300 करोड़ उत्तर
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 93300 – 500 = ₹ 92,800 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 20.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 59
उत्तर
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन
= 65000 + 20550 + 6500 + 2000 – 7000 – 550 = 86500 ₹ करोड़ उत्तर

(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय – घिसावट
= 86500 – 400 = ₹ 86100 करोड़ उत्तर

प्रश्न 21.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) राष्ट्रीय आय
(ख) बाजार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 60
उत्तर-
(क) राष्ट्रीय आय = परिचालन अधिशेष + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + मिश्रित आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 10,000 + 15350 + 7366 + (-) 110 = ₹ 32606 करोड़ उत्तर

(ख) बाजार कीमत पर कुल घरेलू उत्पाद
= परिचालन अधिशेष + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + मिश्रित + मिश्रित आय + अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक अनुदान + स्थायी पूंजी का उपभोग
= 10,000 + 15350 + 7366 + 5598-2655 + 4135
= ₹39794 करोड़ उत्तर

प्रश्न 22.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) राष्ट्रीय आय
(ख) बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 61
उत्तर-
राष्ट्रीय आय व्यय = 1 + 2 + 4 + 5 + 7 + 8-3-6 = 18557 + 20510 + 9860 + 13720 + 2560 – 2000 -110 – 15000 = ₹ 48097 करोड़ उत्तर
(ख) बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद = 1 + 2 + 4 + 8 + 5 -6 = 18557 + 20510 + 4860 + 2560 + 13720 – 15000
= ₹ 50207 करोड़ उत्तर

प्रश्न 23.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय .
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 62
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) – (v) + (vi)
= 1,00,000 + 12,500 + 2,500 + 6,000 – 9,000 + 750 = ₹ 1,12,750 उत्तर
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन
= 1,12,750 – 400 = ₹ 1,12,350 उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 24.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क)बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 63
उत्तर-
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = (i) + (ii) + (iii) + (iv) -(v) + (vi)
1,50,000 + 18,750 + 3,750 + 9,000 – 12,000 + 1,125 = ₹ 1,70,625

(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – (vii)
= 1,70,625 – 600 = ₹ 1,70,025 उत्तर

प्रश्न 25.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 64
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = (i) + (ii) + (iii) + (iv) – (v) + (vi)
= 2,00,000 + 25,000 + 5,000 + 12,000 – 18,000 + 1,500
= ₹ 2,25,500 उत्तर

(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध रीष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – मूल्य ह्रास
= 2,25,500 – 800 = ₹ 2,24,700 उत्तर

प्रश्न 26.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 65
उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय = कर्मचारियों का मेहनताना + ब्याज + लाभ तथा लाभांश + किराया + मिश्रित आय
= 5000 + 500 + 600 + 800 + 3000 = ₹ 9900 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 9900 + 1000 = ₹ 10,900 करोड़ उत्तर

प्रश्न 27.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 66
उत्तर-
SET-B
(क) घरेलू साधन आय = i + ii + iii + iv + v
= 10,000 + 1000 + 1200 + 1600 + 6000
= ₹ 19,800 करोड़ उत्तर

(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + vi
= 19,800 + 2000
= ₹ 21,800 करोड़ उत्तर

SET-C
(क) घरेलू साधन आय =i+ii + iii + iv + v
= 15000 + 1500 + 1800 + 2400 + 9000
= ₹ 29,700 करोड़ उत्तर

(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + vi
= 29,700 + 3000 = ₹ 32,700 करोड़ उत्तर

प्रश्न 28.
निम्नलिखित की गणना करें ।
(क) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 67
उत्तर-
SET-B
(i) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद = बिक्री + (साल के अन्त में स्टॉक-साल के शुरू में स्टॉक) – मध्यवर्ती
उपभोग = 140000 + 40000 (50,000 – 10,000) – 20,000
= ₹ 1,60,000 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (-) घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (प्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता)
= 1,60,000 – 2000 – 400 (600 – 200)
= ₹ 1,57,600 करोड़ उत्तर

प्रश्न 29.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 68
उत्तर-
(क) बाजार कीमत पर कुल राष्ट्रीय आय = बिक्री + (साल के अन्त में स्टॉक – साल के शुरू में स्टॉक) – मध्यवर्ती उपभोग
= 70,000 + 20000 (25,000 – 5000) – 10,000
= ₹ 80,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय आय – घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) = 80,000 – 1000 – 200 (300 -100) = ₹ 78,800 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 30.
नीचे दिये गए आंकड़ों के आधार पर बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) तथा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) ज्ञात करें :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 69
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + कुल स्थाई पूँजी निर्माण + स्टॉक में शुद्ध वृद्धि + वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात + विदेशों से शुद्ध साधन आय – स्थाई पूँजी का उपभोग।
= 510 + 70 + 130 + 30 + 48 – 56 + (-3) – 40 = ₹ 689 करोड़ उत्तर
साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
= 689 – 90 + 18
= ₹ 617 करोड़ उत्तर

प्रश्न 31.
निम्नलिखित आंकड़ों से मुख्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 70
उत्तर-
मुल्य वृद्धि = उत्पादन का मुल्य – मध्यवर्ती उपभोग
= 10000 – 2555 = ₹ 7445 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

Long Answer Type Questions

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe in brief physical features of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਕਿਸੇ ਛੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain any six physical features of Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-
1. ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ – ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀਆਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਪਰਬਤ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਆਸਾਮ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 2500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ 240 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੋਂ 320 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਹੈ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਕਈ ਪੱਖਾਂ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਰਦਾਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

2. ਸੁਲੇਮਾਨ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ – ਸੁਲੇਮਾਨ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ਖੈਬਰ, ਬੋਲਾਨ, ਕੁੱਰਮ, ਟੋਚੀ ਤੇ ਗੋਮਲ ਨਾਂ ਦੇ ਦੱਰੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਅਤੇ ਵਪਾਰੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਹੀ ਆਏ ।

3. ਅਰਧ-ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ – ਇਹ ਦੇਸ਼ ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਪਹਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਤਰਾਈ ਪਦੇਸ਼ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ, ਕਾਂਗੜਾ, ਅੰਬਾਲਾ, ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਖੇਤਰ ਅਤੇ ਸਿਆਲਕੋਟ ਦੇ ਕੁਝ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਭੂਮੀ ਘੱਟ ਉਪਜਾਊ ਹੈ ਅਤੇ ਵਸੋਂ ਬਹੁਤੀ ਸੰਘਣੀ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

4. ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ – ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਖੰਡ ਹੈ । ਇਹ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਸ ਮੈਦਾਨ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਪਜਾਊ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਪੰਜੇ ਦਰਿਆ-ਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ-ਇਸੇ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ-ਪੰਜ ਦੁਆਬ, ਮਾਲਵਾ ਤੇ ਬਾਂਗਰ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਦੇ ਮਾਰੂਥਲ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

5. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਜਲਵਾਯੂ – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜਲਵਾਯੂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਬਹੁਤ ਭਿੰਨਤਾ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਤਿ ਦੀ ਸਰਦੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਤਿ ਦੀ ਗਰਮੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਜਨਵਰੀ ਅਤੇ ਫ਼ਰਵਰੀ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਇੱਥੇ ਸਖ਼ਤ ਠੰਢ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਮਈ ਅਤੇ ਜੂਨ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਲੁਆਂ ਚਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਜੁਲਾਈ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਸਤੰਬਰ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਅਕਤੂਬਰ-ਨਵੰਬਰ ਅਤੇ ਫ਼ਰਵਰੀ-ਮਾਰਚ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮੌਸਮ ਬਹੁਤ ਸੁਹਾਵਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

6. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਮਿੱਟੀ-ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖੋ-ਵੱਖਰੀ ਕਿਸਮ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਤਰਾਈ ਅਤੇ ਪਰਬਤੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਪਥਰੀਲੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਉਪਜਾਊ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਇਸ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਉਪਜਾਊ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਮਾਰੂਥਲੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਭੂਮੀ ਬਹੁਟ ਘੱਟ ਉਪਜਾਊ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (Why is Punjab called as the Gateway of India ?)
ਉੱਤਰ-
ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ ਪੱਛਮ ਵੱਲ ਖੈਬਰ, ਕੁਰਮ, ਟੋਚੀ ਅਤੇ ਬੋਲਾਨ ਨਾਂ ਦੇ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਕੋਈ ਔਖਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਦੇ ਰਹੇ । ਆਰੀਆਂ, ਈਰਾਨੀਆਂ, ਯੂਨਾਨੀਆਂ, ਕੁਸ਼ਾਣਾਂ, ਹੂਣਾਂ, ਤੁਰਕਾਂ, ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਦੁੱਰਾਨੀਆਂ ਨੇ ਇਸ ਰਸਤੇ ਤੋਂ ਵੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਉੱਤੇ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਹੀ ਉਹ ਅੱਗੇ ਕਦਮ ਵਧਾ ਸਕੇ । ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? (What is the importance of Punjab in the Indian History ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਵ ਹੈ । ਅੱਜ ਤੋਂ ਲਗਭਗ ਪੰਜ ਹਜ਼ਾਰ ਵਰੇ ਪਹਿਲਾਂ ਇਸ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਹੀ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਅਤੇ ਗੌਰਵਮਈ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਸਭਿਅਤਾ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ । ਆਰੀਆਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਰਿਗਵੇਦ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਸੇ ਪਵਿੱਤਰ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਕੀਤੀ । ਰਾਮਾਇਣ ਅਤੇ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਪਾਤਰਾਂ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਸੀ । ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦਾ ਯੁੱਧ ਵੀ ਇਸ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਸ੍ਰੀ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੇ ਗੀਤਾ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਵੀ ਇੱਥੇ ਹੀ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਸੰਸਾਰ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤਕਸ਼ਿਲਾ ਵਿਸ਼ਵਵਿਦਿਆਲਾ ਅਤੇ ਗੰਧਾਰ ਕਲਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਇੱਥੇ ਹੀ ਸਥਾਪਿਤ ਸਨ ।ਇਸੇ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਚੰਦਰਗੁਪਤ ਮੌਰੀਆ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂਤਰਾਇਨ ਦੀਆਂ ਦੋ ਅਤੇ ਪਾਨੀਪਤ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਇੱਥੇ ਹੀ ਲੜੀਆਂ ਗਈਆਂ ।ਇਸੇ ਹੀ ਪਵਿੱਤਰ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਨੌਂ ਗੁਰੂਆਂ ਨੇ ਅਵਤਾਰ ਧਾਰਿਆ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦਸਵੇਂ ਗੁਰੂ, ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਬਹੁਤਾ ਹਿੱਸਾ ਇੱਥੇ ਹੀ ਬਤੀਤ ਹੋਇਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਵੀ ਇਸੇ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਕੀਤੀ ।ਇਸੇ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਮੁਗਲਾਂ ਨੂੰ ਨਾਨੀ ਚੇਤੇ ਕਰਵਾ ਦਿੱਤੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਪਹਿਲਾ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ ਜਿਸ ਦੀ ਸ਼ਾਨੋ-ਸ਼ੌਕਤ ਨੂੰ ਅੱਜ ਵੀ ਲੋਕ ਯਾਦ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਗੁਲਾਮੀ ਦੀਆਂ ਜ਼ੰਜੀਰਾਂ ਤੋੜਨ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦੇਸ਼-ਭਗਤਾਂ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? ਇਸ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਕੀ ਲਾਭ ਹੋਏ ? (What do you know about Himalayas ? What were its main benefits to Punjab ?)
ਜਾਂ
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕੀ ਮੁੱਖ ਲਾਭ ਹੋਏ ? (What were the main benefits of the Himalayas to Punjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਬਰਫ਼ ਦਾ ਘਰ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀਆਂ ਹਮੇਸ਼ਾ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਪਰਬਤ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਆਸਾਮ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 2500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ 240 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੋਂ 320 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਹੈ । ਉਚਾਈ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ | ਪਹਿਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਉਹ ਚੋਟੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਚਾਈ 20,000 ਫੁੱਟ ਅਤੇ ਇਸ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੈ । ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੈਸਟ ਇਸ ਦੀ ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਚੋਟੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਉਚਾਈ 29,028 ਫੁੱਟ ਹੈ । ਇਹ ਚੋਟੀਆਂ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਦੂਜੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਉਹ ਚੋਟੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਚਾਈ 10,000 ਫੁੱਟ ਤੋਂ 20,000 ਫੁੱਟ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਮੱਧ ਹਿਮਾਲਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਸ਼ਿਮਲਾ, ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਅਤੇ ਕਸ਼ਮੀਰ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੇ ਤੀਜੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ 3,000 ਤੋਂ 10,000 ਫੁੱਟ ਉੱਚੀਆਂ ਚੋਟੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਭਾਗ ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਦੀਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ।

ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇੱਕ ਵਰਦਾਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ਹੈ ਜਿਵੇਂ ਨੀਲ ਨਦੀ ਮਿਸਰ ਲਈ ।ਇਸ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅਨੇਕਾਂ ਲਾਭ ਹੋਏ । ਪਹਿਲਾ, ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਰਸ਼ ਦਾ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਪਹਿਰੇਦਾਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਕਿਉਂਕਿ ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੀ ਉਚਾਈ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਕਿਸੇ ਹਮਲਾਵਰ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨ ਦਾ ਹੌਸਲਾ ਨਾ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤਰ ਵੱਲੋਂ ਇੱਕ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਤੋਂ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਦੂਜਾ, ਮਾਨਸੂਨ ਪੌਣਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਬਤਾਂ ਨਾਲ ਟਕਰਾ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।ਤੀਸਰਾ, ਇੱਥੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਬਣਾਇਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀ ਭਰਪੂਰ ਪੈਦਾਵਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਵਸਨੀਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲ ਬਣੇ । ਚੌਥਾ, ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਵਾਦੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਸ਼ਿਮਲਾ, ਮਨਾਲੀ, ਕੁੱਲੂ, ਕਾਂਗੜਾ, ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਅਤੇ ਕਸੌਲੀ ਵਰਗੇ ਨਗਰ ਦਿੱਤੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਗਰਾਂ ਦੇ ਹੁਸਨ ਨੇ ਨਾ ਕੇਵਲ ਭਾਰਤੀ, ਸਗੋਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਸੈਲਾਨੀਆਂ ਦੇ ਦਿਲਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਮੋਹਿਆ ਹੈ ।ਇਨਾਂ ਸੈਲਾਨੀਆਂ ਕਾਰਨ ਰਾਜ ਦੀ ਆਮਦਨ ਵਿੱਚ ਚੋਖਾ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ । ਪੰਜਵਾਂ, ਇੱਥੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਲੱਕੜ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਖੇਡ ਉਦਯੋਗ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੁਆਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪੰਜ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਦਿਓ । (What do you mean by Doab ? Give a brief description of five Doabs of Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪੰਜ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the five Doabs of Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਦੁਆਬ ਫ਼ਾਰਸੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਸ਼ਬਦ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਭਾਵ ਹੈ ਦੋ ਪਾਣੀ ਜਾਂ ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਇਲਾਕਾ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦੀ ਕੁੱਲ ਗਿਣਤੀ 5 ਹੈ । ਇਹ ਦੁਆਬੇ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਸਨ ਅਤੇ ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਨ ।

  1. ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜਲੰਧਰ ਅਤੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਇਸ ਦੁਆਬੇ ਦੇ ਦੋ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ ।ਇਹ ਦੁਆਬ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ।
  2. ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਰਾਵੀ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਇਸ ਦੁਆਬੇ ਦੇ ਦੋ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ । ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਨੂੰ ਮਾਝਾ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਰਾਵੀ ਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ ਅਤੇ ਸ਼ੇਖੂਪੁਰਾ ਇਸ ਦੁਆਬੇ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ ।
  4. ਚੱਜ ਦੁਆਬ ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਗੁਜਰਾਤ ਇਸ ਦੁਆਬੇ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ ।
  5. ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ | ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ਇਸ ਦੁਆਬੇ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ । ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਬਾਕੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਦੁਆਬੇ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? (What do you understand by Malwa and Bangar ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜ ਦੁਆਬਿਆਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਸਤਲੁਜ ਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਦੋ ਭਾਗਾਂ-ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ-ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

  • ਮਾਲਵਾ – ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਘੱਗਰ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਮਾਲਵਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਟਿਆਲਾ, ਲੁਧਿਆਣਾ, ਸਰਹਿੰਦ, ਸੰਗਰੁਰ, ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ, ਬਠਿੰਡਾ, ਫ਼ਰੀਦਕੋਟ ਅਤੇ ਨਾਭਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਇਸ ਪਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ‘ਮਲਵ’ ਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਬੀਲਾ ਆਬਾਦ ਸੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਨਾਂ ਮਾਲਵਾ ਪੈ ਗਿਆ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਵਸਨੀਕਾਂ ਨੂੰ ‘ਮਲਵਈਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਬਾਂਗਰ – ਘੱਗਰ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਬਾਂਗਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਹਰਿਆਣਾ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਅੰਬਾਲਾ, ਪਾਨੀਪਤ, ਰੋਹਤਕ, ਕਰਨਾਲ, ਕੁਰੂਕਸ਼ੇਤਰ, ਗੁਰੂਗ੍ਰਾਮ (ਗੁਰੂਗ੍ਰਾਮ, ਨੀਂਦ ਅਤੇ ਹਿਸਾਰ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਸ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇੱਕ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜੀਆਂ ਗਈਆਂ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ? ਕੋਈ ਛੇ ਨੁਕਤੇ ਦੱਸੋ । (How did the geography of Punjab influence its history ? Explain any six points.)
ਉੱਤਰ-

  • ਪੰਜਾਬ-ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਖੈਬਰ, ਕੁੱਰਮ, ਟੋਚੀ, ਬੋਲਾਨ ਆਦਿ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਸੌਖਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਸ਼ੁਰੂ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਆਉਂਦੇ ਰਹੇ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਸੰਘਰਸ਼ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀਆਂ ਲਈ ਇੱਕ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਬਣ ਗਿਆ ।
  • ਪੰਜਾਬ-ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰ – ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਿਕੰਦਰ ਦਾ ਪੋਰਸ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਚੰਦਰਗੁਪਤ ਮੋਰੀਆ ਦਾ ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਤਰਾਇਨ ਦੇ ਦੋ ਯੁੱਧ ਅਤੇ ਪਾਨੀਪਤ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਉਹ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਸਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ – ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਇੱਥੇ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਤੋਂ ਵੀ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਕਦੇ ਤਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਵਧਦੇ ਕਦਮਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਿਆ ਅਤੇ ਕਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮਾਰਗ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਹਮਲਾਵਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਉੱਥੋਂ ਪਾਰ ਕਰਦੇ ਜਿੱਥੇ ਇਹ ਘੱਟ ਤੰਗ ਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ । ਜਦੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ‘ਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਏ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਕੇ ਸ਼ਰਨ ਲਈ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ‘ਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਕਰ ਕੇ ਫਿਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਲੁਕਦੇ ਸਨ ।
  • ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣ ਪੈਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤੇ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨਾਲ ਜੂਝਦੇ ਰਹੇ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਬਾਕੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਵੱਧ ਬਹਾਦਰ, ਹਿੰਮਤੀ ਅਤੇ ਤਕਲੀਫਾਂ ਸਹਿਣ ਵਾਲੇ ਬਣ ਗਏ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਹੋਣਾ-ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਇੱਕ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਦੇਸ਼ ਬਣ ਗਿਆ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ‘ਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਉਪਜਾਊ ਮਿੱਟੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ । ਇਸ ‘ਤੇ ਭਰਪੂਰ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀ ਪੈਦਾਵਾਰ ਕਰਕੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕ ਅਮੀਰ ਹੋ ਗਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ਉੱਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ ? (What influence did the physical features of the Punjab have on its political history ?)
मां
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੇ ਕੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ? (What were the political effects of the geographical features of the Punjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਏ-

  • ਪੰਜਾਬ-ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਖੈਬਰ, ਕੁੱਰਮ, ਟੋਚੀ, ਬੋਲਾਨ ਆਦਿ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਸੌਖਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਸ਼ੁਰੂ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਆਉਂਦੇ ਰਹੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਸੰਘਰਸ਼ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀਆਂ ਲਈ ਇੱਕ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਬਣ ਗਿਆ ।
  • ਪੰਜਾਬ-ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰ – ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਆਰੀਆ ਦਾ ਦਾਵਿੜ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਸਿਕੰਦਰ ਦਾ ਪੋਰਸ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਚੰਦਰਗੁਪਤ ਮੋਰੀਆ ਦਾ ਯੁਨਾਨੀਆਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਮੁਹੰਮਦ ਗੌਰੀ ਦਾ ਪਿਥਵੀ ਰਾਜ ਚੌਹਾਨ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਅਤੇ ਪਾਨੀਪਤ ਦੇ ਤਿੰਨੇ ਯੁੱਧ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਹੀ ਲੜੇ ਗਏ ।
  • ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਸਦਾ ਹੀ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਲਈ ਪਰੇਸ਼ਾਨੀ ਦਾ ਇੱਕ ਸੋਮਾ ਰਹੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਦੋ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਸਨ । ਪਹਿਲਾ, ਇਹ ਕਿ ਵਧੇਰੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਇਸੇ ਰਸਤੇ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਆਉਂਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਦੂਸਰਾ, ਇਸ ਸੀਮਾ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕ ਬਹੁਤ ਖੂੰਖਾਰ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਹਰੇਕ ਸ਼ਾਸਕ ਨੂੰ ਇਸ ਸੀਮਾ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਇੱਕ ਅਲੱਗ ਨੀਤੀ ਅਪਨਾਉਣੀ ਪੈਂਦੀ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਪੈਸਾ ਖ਼ਰਚ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਸੀ ।
  • ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਕਸ਼ਟ ਝੱਲਣੇ ਪਏ – ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਨਿਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਕਸ਼ਟ ਝੱਲਣੇ ਪਏ ।ਲਗਭਗ ਸਭ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਹੀ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਮਹਿਮੂਦ ਗਜ਼ਨਵੀ, ਮੁਹੰਮਦ ਗੌਰੀ, ਤੈਮੂਰ, ਨਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਅਤੇ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਆਦਿ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ‘ਤੇ ਘੋਰ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਕੀਤੇ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ – ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਇੱਥੇ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਤੋਂ ਵੀ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਕਦੇ ਤਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਵਧਦੇ ਕਦਮਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਿਆ ਅਤੇ ਕਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮਾਰਗ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਹਮਲਾਵਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਉੱਥੋਂ ਪਾਰ ਕਰਦੇ ਜਿੱਥੇ ਇਹ ਘੱਟ ਤੰਗ ਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਕਾਰਨ ਹੀ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਆਪਣੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ | ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ 1757 ਈ. ਵਿੱਚ ਬੰਗਾਲ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਉਹ 1849 ਈ. ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਫ਼ਲ ਹੋਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਤੇ ਕਿਹੜੇ ਆਰਥਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ? (What were economic effects of geography of Punjab on the people of Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਆਰਥਿਕ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Write main economic influences on the geography of Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਆਰਥਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਏ ।

  • ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਮੁੱਖ ਕਿੱਤਾ – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਸੀ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਵਲੋਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦਾ ਕਿੱਤਾ ਕਰਦੀ ਸੀ । ਇੱਥੋਂ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਫ਼ਸਲਾਂ ਕਣਕ, ਕਪਾਹ, ਚੌਲ, ਗੰਨਾ, ਸੌਂ ਅਤੇ ਤੇਲਾਂ ਦੇ ਬੀਜ ਸਨ । ਪਹਾੜੀ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਭੇਡਾਂ ਅਤੇ ਬੱਕਰੀਆਂ ਪਾਲ ਕੇ ਆਪਣਾ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਕਰਦੇ ਸਨ ।
  • ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰ – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਪਾਰ ਚਲਦਾ ਰਿਹਾ । ਸਰਹੱਦੀ ਪ੍ਰਾਂਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਬਹੁਤਾ ਵਪਾਰ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਤੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਰਿਹਾ । ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਵਪਾਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
  • ਵਪਾਰਿਕ ਨਗਰਾਂ ਦਾ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਉਣਾ – ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਅਤੇ ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਪਾਰਿਕ ਨਗਰ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਏ ।ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਨਗਰ ਲਾਹੌਰ, ਮੁਲਤਾਨ, ਪਿਸ਼ਾਵਰ, ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ, ਬਠਿੰਡਾ, ਸਰਹਿੰਦ, ਜਲੰਧਰ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ, ਸਮਾਣਾ ਅਤੇ ਹਿਸਾਰ ਸਨ । ਇਹ ਸਾਰੇ ਨਗਰ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਕਰਕੇ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਏ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਵਪਾਰਿਕ ਰਸਤਿਆਂ ਜਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਸਥਿਤ ਸਨ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਹੋਣਾ-ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੀ ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਕਾਰਨ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬੜਾ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਏਨੇ ਉਪਜਾਉ ਸਨ ਕਿ ਉਹ ਸੋਨਾ ਉਗਲਦੇ ਸਨ । ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰ ਵੀ ਬਹੁਤ ਉੱਨਤ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਵਾਸੀ ਬਹੁਤ ਅਮੀਰ ਰਹੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ? (How did the rivers of Punjab influence its history ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ? (What were the effects of Punjab rivers on the history of Punjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਵੀ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਕਈ ਵਾਰੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਵਧਦੇ ਹੋਏ ਕਦਮਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਿਆ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕੀਤੀ । ਜਦੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੜ ਆਏ ਹੁੰਦੇ ਸਨ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਬੜਾ ਔਖਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਸਿਕੰਦਰ ਦਰਿਆ ਬਿਆਸ ਦੇ ਕੰਢੇ ‘ਤੇ ਪੁੱਜ ਕੇ ਅਗਾਂਹ ਨਹੀਂ ਸੀ ਵੱਧ ਸਕਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਕਈ ਵਾਰੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦਾ ਮਾਰਗ ਵੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਉਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਉਸ ਪਾਸਿਉਂ ਅੱਗੇ ਵੱਧਦੇ ਜਿੱਥੇ ਨਦੀਆਂ ਘੱਟ ਤੰਗ ਹੁੰਦੀਆਂ ਸਨ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਸੌਖਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ਦਰਿਆਵਾਂ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਸੀ । ਇਹ ਦਰਿਆ ਸਰਕਾਰਾਂ ਅਤੇ ਪਰਗਨਿਆਂ ਆਦਿ ਦੀਆਂ ਸੀਮਾਵਾਂ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਵੀ ਸਹਾਇੱਕ ਸਿੱਧ ਹੋਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ‘ਤੇ ਅਨੇਕਾਂ ਨਗਰਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਬਣਾਇਆ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖੋਂ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਹੋਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਕਥਨ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹੋ ?
(The forests and hills of the Punjab have deeply influenced its history. Do you agree with this statement ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ? (How did the forests of the Punjab effect its history ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਵੀ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ । 1716 ਈ. ਵਿੱਚ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਅਬਦੁਸ ਸਮਦ ਖ਼ਾਂ, ਜ਼ਕਰੀਆ ਖ਼ਾਂ, ਯਾਹੀਆ ਖ਼ਾਂ, ਮੀਰ ਮੰਨੂੰ ਅਤੇ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਏ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਸ਼ਰਨ ਲਈ । ਇੱਥੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੀਲਾ ਯੁੱਧ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਪਣਾ ਕੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਦਾ ਟਾਕਰਾ ਕੀਤਾ । ਉਹ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਫਿਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਲੁਕਦੇ ਸਨ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਗੁਰੀਲਾ ਯੁੱਧ ਨੀਤੀ ਅਪਣਾ ਕੇ 1739 ਈ. ਵਿੱਚ ਨਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਵਰਗੇ ਜ਼ਾਲਮ ਨੂੰ ਲੁੱਟ ਲਿਆ ਸੀ । ਇਸੇ ਨੀਤੀ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ ਨੱਕ ਵਿੱਚ ਦਮ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ 8 ਵਾਰ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ਪਰ ਅੰਤ ਉਸ ਨੂੰ ਵੀ ਹਾਰ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਆਪਣੀ ਗੁਰੀਲਾ ਯੁੱਧ ਨੀਤੀ ਕਾਰਨ ਹੀ ਸਿੱਖ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਈ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀਆਂ ਸੁਤੰਤਰ ਮਿਸਲਾਂ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋਏ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ-ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ‘ ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ? (What effect did the physical features of Punjab have on its socio-cultural history ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Mention the Socio-cultural effects of the geographical features of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਏ-

  • ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣ – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ।ਇਹ ਗੁਣ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਬਾਕੀ ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਤੋਂ ਵਿਲੱਖਣਤਾ ਬਖ਼ਸ਼ਦੇ ਹਨ । ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮੇਂ ਤਕ ਲੜਾਈਆਂ ਅਤੇ ਅਨੇਕਾਂ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਬਹਾਦਰੀ, ਹਿੰਮਤ, ਹਮਦਰਦੀ, ਸਮਾਜ ਸੇਵਾ, ਦੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਲਈ ਕੁਰਬਾਨ ਹੋਣ ਦੇ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ।
  • ਜਾਤੀਆਂ ਤੇ ਉਪ – ਜਾਤੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ-ਪਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੀ ਪੰਜਾਬ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਿਆਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਈਰਾਨੀ, ਯੂਨਾਨੀ, ਹੂਣ, ਕੁਸ਼ਾਣ, ਮੰਗੋਲ, ਤੁਰਕ, ਮੁਗਲ ਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨ ਆਦਿ ਜਾਤੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਮਲਾਵਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਵਸ ਗਏ ।ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੀਆਂ ਇਸਤਰੀਆਂ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕਰਵਾ ਲਏ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਕਈ ਨਵੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਅਤੇ ਉਪ-ਜਾਤੀਆਂ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਈਆਂ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਵਿਲੱਖਣ ਸਭਿਆਚਾਰ – ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਦੇਸ਼ਾਂ ਅਤੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਵਸ ਹੋ ਗਏ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਮੇਲ-ਜੋਲ ਨਾਲ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ । ਇੱਕ ਸਾਂਝੀ ਬੋਲੀ ਵੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਈ ਜਿਸ ਦਾ ਨਾਂ ਉਰਦੂ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ।
  • ਕਲਾ ਤੇ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਹਾਨੀ – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਇੱਥੇ ਕਲਾ ਤੇ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਨਾ ਹੋ ਸਕਿਆ । ਲਗਾਤਾਰ ਹਮਲਿਆਂ ਤੇ ਯੁੱਧਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਂਤੀ ਤੇ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਰਹੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅਜਿਹੇ ਮਾਹੌਲ ਵਿੱਚ ਕਲਾ ਤੇ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਭਲਾ ਕਿਵੇਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਜੇ ਇਸ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ਵੀ ਤਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਹ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮੰਦਭਾਗੀ ਗੱਲ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ? (How did geography of Punjab affect its religious life ?)
ਜਾਂ
‘‘ਪੰਜਾਬ ਧਾਰਮਿਕ ਅੰਦੋਲਨਾਂ ਦੀ ਭੂਮੀ ਹੈ ।’’ ਇਸ ਕਥਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (“Punjab is a land of religious movements.” Explain this statement.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਜਨਮ ਭੂਮੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਰੀਆ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇਸੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਵਸੇ ਸਨ । ਇੱਥੇ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਧੇਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਵੇਦਾਂ ਨੂੰ ਵਰਣਨਯੋਗ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਹੀ ਭਗਵਾਨ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਨੇ ਗੀਤਾ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਭਾਗਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਇਸਲਾਮ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਦੇ ਦੋ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਸਨ । ਪਹਿਲਾ, ਮੁਸਲਮਾਨ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਬਜ਼ਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਦੂਜਾ, ਇੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਸ਼ਾਸਨ ਕੀਤਾ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਮੋਢੀ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੱਠ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੇ ਅਵਤਾਰ ਧਾਰਿਆ ਸੀ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦਸਵੇਂ ਅਤੇ ਆਖਰੀ ਗੁਰੂ, ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਹਿੱਸਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਬਤੀਤ ਹੋਇਆ ਕਿਉਂਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਸਨ ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੂਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Essay Type Questions)
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੂੰ (Physical Features of the Punjab)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the Geographical features of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Explain the physical features of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Explain the physical features of Punjab.)
ਜਾਂ
ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਿੰਨੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ? ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਭਾਗ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(In how many parts can Punjab be divided on the basis of physical features ? Describe any one part in detail.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਫ਼ਾਰਸੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਦੋ ਸ਼ਬਦਾਂ ‘ਪੰਜ’ ਅਤੇ ‘ਆਬ’ ਤੋਂ ਮਿਲ ਕੇ ਬਣਿਆ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ । ਇਹ ਪੰਜ ਦਰਿਆ ਹਨ-ਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਜੇਹਲਮ ਅਤੇ ਚਨਾਬ । ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਯੁੱਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਨਾਂਵਾਂ ਨਾਲ ਸੱਦਿਆ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ‘ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਮਹਾਂਕਾਵਾਂ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ “ਪੰਜਨਦ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਦਾ ਨਾਂ ‘ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ਰੱਖਿਆ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਈ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਟੱਕ ਕਬੀਲੇ ਦਾ ਰਾਜ ਰਿਹਾ ਸੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਇੱਕ ਦੇਸ਼’ ਕਿਹਾ ਜਾਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ “ਲਾਹੌਰ ਸੂਬਾ ਕਿਹਾ ਜਾਣ ਲੱਗਾ, ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਲਾਹੌਰ ਕਾਰਨ ਸੀ 1849 ਈ. ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਨੂੰ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦਾ ਨਾਂ “ਪੰਜਾਬ ਪ੍ਰਾਂਤ ਰੱਖਿਆ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਐੱਸ. ਐੱਮ. ਲਤੀਫ਼ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਹੈ,

“ਪੂਰਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਾਕ੍ਰਿਤਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਇੰਨੀ ਭਿੰਨਤਾ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀ ਜਿੰਨੀ ਕਿ ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਇਸ ਧਰਤੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।”
ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਅਸੀਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡ ਸਕਦੇ ਹਾਂ-

  1. ਹਿਮਾਲਿਆ ਅਤੇ ਸੁਲੇਮਾਨ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ।
  2. ਅਰਧ-ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ ।
  3. ਮੈਦਾਨੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ।

I. ਹਿਮਾਲਿਆ ਅਤੇ ਸੁਲੇਮਾਨ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ (The Himalayas and Sulaiman Mountain Ranges)

1. ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ (The Himalayas) – ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀਆਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਪਰਬਤ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਆਸਾਮ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 2500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ 240 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੋਂ 320 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਹੈ । ਉੱਚਾਈ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ-ਉੱਚ ਹਿਮਾਲਿਆ, ਮੱਧ ਹਿਮਾਲਿਆ ਅਤੇ ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਦੀਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇੱਕ ਵਰਦਾਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ਹੈ ਜਿਵੇਂ ਨੀਲ ਨਦੀ ਮਿਸਰ ਲਈ । ਪਹਿਲਾ, ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਰਸ਼ ਦਾ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਪਹਿਰੇਦਾਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਕਿਉਂਕਿ ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤਰ ਵੱਲੋਂ ਇੱਕ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਤੋਂ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰਿਹਾ | ਦੂਜਾ, ਮਾਨਸੂਨ ਪੌਣਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਬਤਾਂ ਨਾਲ ਟਕਰਾ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਤੀਜਾ, ਇੱਥੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਬਣਾਇਆ । ਚੌਥਾ, ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਵਾਦੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਸ਼ਿਮਲਾ, ਮਨਾਲੀ, ਕੁੱਲੂ, ਕਾਂਗੜਾ, ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਅਤੇ ਕਸੌਲੀ ਵਰਗੇ ਨਗਰ ਦਿੱਤੇ ।

2. ਸੁਲੇਮਾਨ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ (Sulaiman Mountain Ranges) – ਸੁਲੇਮਾਨ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇਹ ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਪੱਛਮੀ ਸ਼ਾਖ਼ਾਵਾਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਦੀ ਔਸਤ ਉੱਚਾਈ 6,000 ਫੁੱਟ ਤੋਂ ਵੱਧ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਹਨ, ਜੋ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਜੋੜਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ਖੈਬਰ, ਬੋਲਾਨ, ਕੁੱਰਮ, ਟੋਚੀ ਤੇ ਗੋਮਲ ਨਾਂ ਦੇ ਦੱਰੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ . ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਅਤੇ ਵਪਾਰੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਹੀ ਆਏ ।

II. ਅਰਧ-ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ (Sub-Mountainous Region)

ਇਹ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਪਹਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਤਰਾਈ ਦੇਸ਼ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ, ਕਾਂਗੜਾ, ਅੰਬਾਲਾ, ਗੁਰਦਾਸਪੁਰ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਖੇਤਰ ਅਤੇ ਸਿਆਲਕੋਟ ਦੇ ਕੁਝ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਭੂਮੀ ਘੱਟ ਉਪਜਾਊ ਹੈ ਅਤੇ ਵਸੋਂ ਬਹੁਤੀ ਸੰਘਣੀ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

III. ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ (The Plains)

ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਖੰਡ ਹੈ । ਇਹ ਦੇਸ਼ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਸ ਮੈਦਾਨ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਪਜਾਊ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਪੰਜੇ ਦਰਿਆ-ਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ-ਇਸੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦੇਸ਼ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ-ਪੰਜ ਦੁਆਬ, ਮਾਲਵਾ ਤੇ ਬਾਂਗਰ ਅਤੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਦੇ ਮਾਰੂਥਲ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

(ਉ) ਪੰਜ ਦੁਆਬ (Five Doabs) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਹਿੱਸਾ ਪੰਜ ਦੁਆਬਿਆਂ ਨਾਲ ਘਿਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਦੁਆਬ ਦਾ ਭਾਵ ਹੈ ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਇਲਾਕਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੇਠਾਂ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

  • ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ (Bist Jalandhar Doab) – ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜਲੰਧਰ ਅਤੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਇਸ ਦੁਆਬ ਦੇ ਦੋ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ ।
  • ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ (Bari Doab) – ਇਹ ਦੁਆਬ ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਰਾਵੀ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਨੂੰ ਮਾਝਾ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਵਸਨੀਕਾਂ ਨੂੰ ਮਝੈਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ | ਲਾਹੌਰ ਅਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਇਸ ਦੁਆਬ ਦੇ ਦੋ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ । ਇਹ ਦੁਆਬ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਉ ਹੈ ।
  • ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ (Rachna Doab) – ਰਾਵੀ ਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ ਅਤੇ ਸ਼ੇਖੂਪੁਰਾ ਇਸ ਦੁਆਬ ਦੇ ਦੋ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ ।
  • ਚੱਜ ਦੁਆਬ (Chaj Doab) – ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਚੱਜ ਦੁਆਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਗੁਜਰਾਤ ਅਤੇ ਸ਼ਾਹਪੁਰ ਇਸ ਦੁਆਬ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ ।
  • ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ (Sindh Sagar Doab) – ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ਇਸ ਦੁਆਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ ।

(ਅ) ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ (Malwa and Bangar) – ਪੰਜ ਦੁਆਬਿਆਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਸਤਲੁਜ ਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-

  • ਮਾਲਵਾ (Malwa) – ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਘੱਗਰ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਮਾਲਵਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਟਿਆਲਾ, ਲੁਧਿਆਣਾ, ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ, ਬਠਿੰਡਾ, ਫਰੀਦਕੋਟ ਅਤੇ ਨਾਭਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਵਸਨੀਕਾਂ ਨੂੰ ਮਲਵਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਬਾਂਗਰ (Bangar) – ਘੱਗਰ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਬਾਂਗਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਹਰਿਆਣਾ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਅੰਬਾਲਾ, ਪਾਨੀਪਤ, ਰੋਹਤਕ, ਕਰਨਾਲ, ਕੁਰੂਕਸ਼ੇਤਰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰਾਮ ਗੁੜਗਾਂਵ ਅਤੇ ਹਿਸਾਰ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ।

(ੲ) ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਦੇ ਮਾਰੂਥਲ (South-West Deserts) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਦਾ ਸਾਰਾ ਦੇਸ਼ ਮਾਰੂਥਲ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਸਿੰਧ, ਬਹਾਵਲਪੁਰ ਅਤੇ ਮੁਲਤਾਨ ਦੇ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਵਰਖਾ ਦੀ ਘਾਟ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਭੂਮੀ ਦੇ ਉਪਜਾਊ ਨਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇੱਥੇ ਉਪਜ ਨਾਂ-ਮਾਤਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਵਸੋਂ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ ।

IV. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਜਲਵਾਯੂ (Climate of the Punjab)

ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜਲਵਾਯੂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਬਹੁਤ ਭਿੰਨਤਾ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਤਿ ਦੀ ਸਰਦੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਤਿ ਦੀ ਗਰਮੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਜਨਵਰੀ ਅਤੇ ਫ਼ਰਵਰੀ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਇੱਥੇ ਸਖ਼ਤ ਠੰਢ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਮਈ ਅਤੇ ਜੂਨ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਲੂਆਂ ਚਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਜੁਲਾਈ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਸਤੰਬਰ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਰਖਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਅਕਤੂਬਰ-ਨਵੰਬਰ ਅਤੇ ਫ਼ਰਵਰੀ-ਮਾਰਚ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮੌਸਮ ਬਹੁਤ ਸੁਹਾਵਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਭੇਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਉੱਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ (Influence of Physical Features on the History of the Punjab)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ? (How did the geography of the Punjab affected its history ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪਹਾੜਾਂ, ਮੈਦਾਨਾਂ ਅਤੇ ਨਦੀਆਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ?(How have the mountains, plains and rivers of the Punjab influenced the course of its history ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ? (How did the physical features of the Punjab affected its history ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ? (How did the geography of the Punjab affect its history ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਸਮਾਜਿਕ, ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ? (How did physical features of the Punjab influence its social, political and economic history ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the social and economic effects of the geographical features of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਸੈਨਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕੀ ਏ ?
(What were the political, military and social effects of the geographical features of the Punjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਵੀ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਦਾ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਨਾ ਸੁਭਾਵਿਕ ਹੀ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ, ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ।

I. ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ (Political Effects)

1. ਪੰਜਾਬ-ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ (Punjab-Gateway to India) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਖੈਬਰ, ਕੁੱਰਮ, ਟੋਚੀ, ਬੋਲਾਨ ਆਦਿ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਸੌਖਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਸ਼ੁਰੂ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਆਉਂਦੇ ਰਹੇ । ਆਰੀਆਂ, ਯੂਨਾਨੀਆਂ, ਕੁਸ਼ਾਣਾਂ, ਹੂਣਾਂ, ਤੁਰਕਾਂ, ਮੁਗਲਾਂ ਅਤੇ ਦੁਰਾਨੀਆਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਹੀ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਸੰਘਰਸ਼ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀਆਂ ਲਈ ਇੱਕ ਪਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਬਣ ਗਿਆ | ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਜਿੱਤਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਬਾਕੀ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਜਿੱਤਣਾ ਕੋਈ ਔਖਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਜਿੱਤ ਭਾਰਤ ਜਿੱਤ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਸੀ ।

2. ਪੰਜਾਬ-ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰ (Punjab-the battlefield of Decisive Battles) – ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰ ਰਿਹਾ ਹੈ | ਆਰੀਆ ਦਾ ਦਾਵਿੜ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਸਿਕੰਦਰ ਦਾ ਪੋਰਸ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਚੰਦਰਗੁਪਤ ਦਾ ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ, ਮੁਹੰਮਦ ਗੌਰੀ ਦਾ ਪਿਥਵੀ ਰਾਜ ਚੌਹਾਨ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਅਤੇ ਪਾਨੀਪਤ ਦੇ ਤਿੰਨੇ ਯੁੱਧ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਹੀ ਲੜੇ ਗਏ । ਮੁਹੰਮਦ ਗੌਰੀ ਨੇ ਜਿੱਥੇ 1192 ਈ. ਵਿੱਚ ਤਰਾਇਨ ਦੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਿਥਵੀ ਰਾਜ ਚੌਹਾਨ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਸਲਿਮ ਰਾਜ ਦੀ ਨੀਂਹ ਰੱਖੀ, ਉੱਥੇ 1526 ਈ. ਵਿੱਚ ਪਾਨੀਪਤ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਯੁੱਧ ਵਿੱਚ ਬਾਬਰ ਨੇ ਇਬਰਾਹੀਮ ਲੋਧੀ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ ਮੁਗ਼ਲ ਵੰਸ਼ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

3. ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ (North-West Frontier Problem) – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਸਦਾ ਹੀ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਲਈ ਪਰੇਸ਼ਾਨੀ ਦਾ ਇੱਕ ਸੋਮਾ ਰਹੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਦੋ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਸਨ । ਪਹਿਲਾ, ਇਹ ਕਿ ਵਧੇਰੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਇਸੇ ਰਸਤੇ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਆਉਂਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਦੂਸਰਾ, ਇਸ ਸੀਮਾ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕ ਬਹੁਤ ਖੂੰਖਾਰ ਸਨ । ਉਹ ਨਿੱਤ ਨਵੀਆਂ ਪਰੇਸ਼ਾਨੀਆਂ ਖੜੀਆਂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਜ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਹਰੇਕ ਸ਼ਾਸਕ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਇਸ ਸੀਮਾ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਇੱਕ ਅਲੱਗ ਨੀਤੀ ਅਪਨਾਉਣੀ ਪੈਂਦੀ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਪੈਸਾ ਖ਼ਰਚ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਸੀ । ਬਲਬਨ, ਅਲਾਉੱਦੀਨ ਖ਼ਿਲਜੀ, ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਇਸ ਸੀਮਾ ਵੱਲ ਖ਼ਾਸ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ । ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰਤੀ ਅਣਗਹਿਲੀ ਕੀਤੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਭੁਗਤਣੇ ਪਏ ।

4. ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਕਸ਼ਟ ਝੱਲਣੇ ਪਏ (Punjabis had to suffer for Centuries) – ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਨਿਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਕਸ਼ਟ ਝੱਲਣੇ ਪਏ । ਲਗਭਗ ਸਭ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਹੀ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਮਹਿਮੂਦ ਗਜ਼ਨਵੀ, ਮੁਹੰਮਦ ਗੌਰੀ, ਤੈਮੂਰ, ਨਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਅਤੇ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਆਦਿ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ‘ਤੇ ਘੋਰ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਕੀਤੇ । ਮਰਦਾਂ ਦਾ ਕਤਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਅਤੇ ਇਸਤਰੀਆਂ ਨਾਲ ਦੁਰਵਿਹਾਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ । ਤਲਵਾਰ ਦੀ ਨੋਕ ‘ਤੇ ਜਬਰਨ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ।

5. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ (Influence of the Rivers of the Punjab) – ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਇੱਥੇ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਤੋਂ ਵੀ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਕਦੇ ਤਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਵਧਦੇ ਕਦਮਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਿਆ ਅਤੇ ਕਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮਾਰਗ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਹਮਲਾਵਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਉੱਥੋਂ ਪਾਰ ਕਰਦੇ ਜਿੱਥੇ ਇਹ ਘੱਟ ਤੰਗ ਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ।

6. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ (Influence of the Forests and Hills of the Punjab) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ । ਜਦੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ‘ਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਏ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਕੇ ਸ਼ਰਨ ਲਈ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ‘ਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਕਰ ਕੇ ਫਿਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਲੁਕਦੇ ਸਨ ।

II. ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ (Social and Cultural Effects)

1. ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣ (Special traits of the Character of the Punjabis) – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣ ਪੈਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤੇ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨਾਲ ਜੂਝਦੇ ਰਹੇ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਬਾਕੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਵੱਧ ਬਹਾਦਰ, ਹਿੰਮਤੀ ਅਤੇ ਕਸ਼ਟ ਝੱਲਣ ਵਾਲੇ ਬਣ ਗਏ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਖ਼ਾਸ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ । ਉਹ ਸੀ “ਖਾਓ, ਪੀਓ ਅਤੇ ਮੌਜ ਉਡਾਓ’ ਦਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣਾ ਧਨ ਸਵਾਦੀ ਭੋਜਨ, ਚੰਗੇ ਕੱਪੜੇ ਅਤੇ ਮਨੋਰੰਜਨ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ‘ਤੇ ਖ਼ਰਚ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।

2. ਜਾਤੀਆਂ ਅਤੇ ਉਪ-ਜਾਤੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ (Increase in the number of Castes and Sub-castes) – ਅਨੇਕਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਇਸਤਰੀਆਂ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਸੰਬੰਧ ਵੀ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੇ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕਈ ਨਵੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਅਤੇ ਉਪ-ਜਾਤੀਆਂ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮੁੱਖ ਸਨ-ਪਠਾਣ, ਗੁੱਜਰ, ਸਿਆਲ, ‘ ਮਹਾਜਨ ਅਤੇ ਡੋਗਰਾ ਆਦਿ ।

3. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਵਿਲੱਖਣ ਸਭਿਆਚਾਰ (Distinct Culture of the Punjab) – ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਇੱਥੇ ਵਸ ਜਾਣ ਕਾਰਨ, ਇਸ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਵਿਲੱਖਣ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਸਭਿਆਚਾਰ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਦੇਸੀ ਅਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਗੁਣ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ ।

4. ਕਲਾ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਹਾਨੀ (Loss of the Art and Literature) – ਪੰਜਾਬ ’ਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਿਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇੱਥੇ ਸਦਾ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਅਸੁਰੱਖਿਆ ਦਾ ਮਾਹੌਲ ਰਿਹਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕਲਾ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਪੱਛੜ ਗਿਆ । ਜੇਕਰ ਇਸ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਥੋੜ੍ਹਾ ਬਹੁਤ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ਵੀ ਤਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਸ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।

III. ਧਾਰਮਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ (Religious Effects)

1. ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦਾ ਜਨਮ (Origin of Hinduism) – ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦਾ ਜਨਮ ਸਥਾਨ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਆਰੀਆ ਲੋਕ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇਸੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਵਸੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਸੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ।ਉਹ ਆਪਣੇ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਕੁਦਰਤੀ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹਿੰਦੂ ਦੇਵੀ-ਦੇਵਤਿਆਂ, ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ, ਪਰਬਤਾਂ ਅਤੇ ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ ਉਲੇਖ ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

2. ਇਸਲਾਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ (Propagation of Islam) – ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਹੋਰ ਭਾਗਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਇਸਲਾਮ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਦੇ ਕਈ ਕਾਰਨ ਸਨ । ਪਹਿਲਾ, ਪੰਜਾਬ ਮੁਸਲਿਮ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲਾ ਪਹਿਲਾ ਦੇਸ਼ ਸੀ । ਦੂਸਰਾ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਵਾਸੀਆਂ ਤੋਂ ਤਲਵਾਰ ਦੀ ਨੋਕ ’ਤੇ ਇਸਲਾਮ ਕਬੂਲ ਕਰਵਾਇਆ | ਤੀਸਰਾ, ਮੁਸਲਮਾਨ ਇੱਥੇ ਪੱਕੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵਸੇ । ਚੌਥਾ, ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀਆਂ ਬੁਰਾਈਆਂ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਸਲਾਮ ਧਰਮ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਇਸਲਾਮ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਇਆ ।

3. ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ (Origin and Development of Sikhism) – ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ’ਤੇ ਪੈਣ ਵਾਲਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਧਾਰਮਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਗੁਰੂਆਂ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਹੀ ਸੀ । ਅਮੀਰ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੇ ਵੀ ਇਸ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਭਰਪੂਰ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਬਣ ਗਏ ।

IV. ਆਰਥਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ (Economic Effects)

1. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਹੋਣਾ (Prosperity of the Punjab) – ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਇੱਕ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਬਣ ਗਿਆ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ‘ਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਉਪਜਾਊ ਮਿੱਟੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ । ਇਸ ’ਤੇ ਭਰਪੂਰ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀ ਪੈਦਾਵਾਰ ਕਰਕੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕ ਅਮੀਰ ਹੋ ਗਏ ।

2. ਖੇਤੀਬਾੜੀ (Agriculture) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਿੱਤਾ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸਿਹਰਾ ਵੀ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਹੀ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਲਿਆਂਦੀ ਗਈ ਮਿੱਟੀ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਉ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਵਧੇਰੇ ਵਸੋਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦਾ ਕਿੱਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੋਂ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਫ਼ਸਲਾਂ ਹਨ-ਕਣਕ, ਕਪਾਹ, ਚੌਲ, ਗੰਨਾ, ਦਾਲਾਂ ਅਤੇ ਸੌਂ ਆਦਿ ।

3. ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰ (Foreign Trade) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਦੱਰਿਆਂ ਤੋਂ ਜਿੱਥੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਪੰਜਾਬ ਆਉਂਦੇ ਰਹੇ, ਉੱਥੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰੀ ਵੀ ਇਸੇ ਰਸਤੇ ਤੋਂ ਆਏ । ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਮੱਧ ਏਸ਼ੀਆ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਅਨਾਜ, ਖੰਡ, ਕਪਾਹ, ਊਨੀ, ਸੂਤੀ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ਮੀ ਕੱਪੜੇ ਆਦਿ ਦਾ ਨਿਰਯਾਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਘੋੜੇ, ਸੁੱਕੇ ਮੇਵੇ, ਦਰੀਆਂ, ਗਲੀਚੇ, ਫਰ ਆਦਿ ਦਾ ਆਯਾਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਵਪਾਰਿਕ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿੱਚ ਲਾਹੌਰ, ਮੁਲਤਾਨ, ਪਿਸ਼ਾਵਰ, ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ, ਬਠਿੰਡਾ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਆਦਿ ਮੁੱਖ ਸਨ ।

ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਡਾਕਟਰ ਬੀ. ਐੱਸ. ਨਿੱਝਰ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਾਂ । ‘‘ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the political effects of the physical features of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਨੋਟ-ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 2 ਦਾ ਭਾਗ 1 ਦੇਖਣ ।

1. “The effects of physical features of the Punjab have exercised a great influence on its History.” Dr. B.S. Nijjar, Punjab Under the Great Mughals (Bombay : 1968) p. 9.

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Describe in brief physical features of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਲਿਖੋ । (Write any three geographical features of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਹ ਪਰਬਤ ਬਹੁਤ ਉੱਚਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪਹਿਰੇਦਾਰ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਮਾਨਸੂਨ ਪੌਣਾਂ ਇਸ ਪਰਬਤ ਨਾਲ ਟਕਰਾ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਰਖਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸ਼ਿਵਾਲਿਕ ਪਹਾੜੀਆਂ ਅਤੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਅਰਧ-ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਤਰਾਈ ਦੇਸ਼ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ! ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਭੁਮੀ ਘੱਟ ਉਪਜਾਉ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਉਪਜਾਉ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (Why is Punjab called as the Gateway of India ?)
ਉੱਤਰ-
ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵੱਲ ਖੈਬਰ, ਕੁੱਰਮ, ਟੋਚੀ ਅਤੇ ਬੋਲਾਨ ਨਾਂ ਦੇ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਕੋਈ ਔਖਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸੀ | ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਇਸ ਰਸਤੇ ਤੋਂ ਹਮਲੇ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਹੀ ਉਹ ਅੱਗੇ ਕਦਮ ਵਧਾ ਸਕੇ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? (What is the importance of Punjab in the Indian History ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕਈ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਵ ਹੈ । ਆਰੀਆਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਰਿਗਵੇਦ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਸੇ ਪਵਿੱਤਰ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਕੀਤੀ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦਾ ਯੁੱਧ ਵੀ ਇਸੇ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਸ੍ਰੀ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੇ ਗੀਤਾ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਵੀ ਇੱਥੇ ਹੀ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਚੰਦਰਗੁਪਤ ਮੌਰੀਆ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਸਾਮਰਾਜ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ । ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਵੀ ਇੱਥੇ ਹੀ ਲੜੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਇਸੇ ਹੀ ਪਵਿੱਤਰ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਨੌਂ ਗੁਰੂਆਂ ਨੇ ਅਵਤਾਰ ਧਾਰਿਆ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦਸਵੇਂ ਗੁਰੂ, ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਸਮਾਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਬਤੀਤ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਿਹੜੇ ਮੁੱਖ ਲਾਭ ਹੋਏ ? (What were the main benefits of the Himalayas to the Punjab ?)
ਜਾਂ
ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਲਾਭ ਲਿਖੋ । (Write any three benefits of the Himalayas to the Punjab.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਇੱਕ ਪਹਿਰੇਦਾਰ ਦਾ ਕੰਮ ਦਿੰਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
  2. ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਵਾਦੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਸ਼ਿਮਲਾ, ਮਨਾਲੀ, ਕੁੱਲ, ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਵਰਗੇ ਨਗਰ ਦਿੱਤੇ ।
  3. ਹਿਮਾਲਿਆ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਦੁਆਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਦਿਓ । (What do you mean by Doab ? Give a brief description of Doabs of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the Doabs of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਆਬ ਫ਼ਾਰਸੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਸ਼ਬਦ ਹੈ, ਜਿਸ ਦਾ ਭਾਵ ਹੈ ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਇਲਾਕਾ ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਰਾਵੀ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਰਾਵੀ ਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਚੱਜ ਦੁਆਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ! ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe briefly about plain areas of Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋ ਵੱਡਾ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਖੰਡ ਹੈ | ਸਹੀ ਅਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹੋ ਪੰਜਾਬ ਹੈ । ਇਹ ਪਦੇਸ਼ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਸ ਮੈਦਾਨ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਪਜਾਊ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸਮੁੰਦਰ ਤਲ ਤੋਂ ਔਸਤ ਉਚਾਈ 1000 ਫੁੱਟ ਤੋਂ ਵੱਧ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਪੰਜੇ ਦਰਿਆ-ਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ-ਇਸੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਦੇਸ਼ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਹੈ, ਵਰਖਾ ਕਾਫ਼ੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਸਾਧਨ ਵਿਕਸਿਤ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਇੱਥੇ ਦੀ ਵਸੋਂ ਵੀ ਕਾਫ਼ੀ ਸੰਘਣੀ ਹੈ । ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ(ੳ) ਪੰਜ ਦੁਆਬੇ, (ਅ) ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ, (ਇ) ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਦੇ ਮਾਰੂਥਲ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਮਾਲਵਾ ਅਤੇ ਬਾਂਗਰ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? (What do you understand by Malwa and Bangar ?)
ਉੱਤਰ-

  • ਮਾਲਵਾ-ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਘੱਗਰ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਮਾਲਵਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਟਿਆਲਾ, ਲੁਧਿਆਣਾ, ਸਰਹਿੰਦ, ਸੰਗਰੂਰ, ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ, ਬਠਿੰਡਾ, ਫ਼ਰੀਦਕੋਟ ਅਤੇ ਨਾਭਾ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਇਸ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ‘ਮਲਵ’ ਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਬੀਲਾ ਆਬਾਦ ਸੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਨਾਂ ਮਾਲਵਾ ਪੈ ਗਿਆ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਵਸਨੀਕਾਂ ਨੂੰ ਮਲਵਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਬਾਂਗਰ-ਘੱਗਰ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਬਾਂਗਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਹਰਿਆਣਾ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਅੰਬਾਲਾ, ਪਾਨੀਪਤ, ਰੋਹਤਕ, ਕਰਨਾਲ, ਕੁਰੂਕਸ਼ੇਤਰ, ਗੁਰੁ ਗਾਮ (ਗੁੜਗਾਂਵ), ਜੀਂਦ ਅਤੇ ਹਿਸਾਰ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਸ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਨਿਰਣਾਇਕ ਲੜਾਈਆਂ ਹੋਈਆਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ਉੱਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ ? (What influence did the physical features of the Punjab have on its political History ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੇ ਕੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ?
(What were the political effects of the geographical features of the Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਿਖੋ । (Write any three political effects of the geographical features of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੜਾਈਆਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਲੜੀਆਂ ਗਈਆਂ ।
  2. ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲਾਹੌਰ, ਮੁਲਤਾਨ, ਪਿਸ਼ਾਵਰ ਅਤੇ ਸਰਹਿੰਦ ਨਾਂ ਦੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਦਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਵ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
  3. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ।
  4. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਆਰਥਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ । (What impact did the physical features of the Punjab have on its economic History ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਦੇ ਤਿੰਨ ਮੁੱਖ ਆਰਥਿਕ ਸਿੱਟਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Write three economic influences of the Geography of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਆਰਥਿਕ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ? (How did the Geography of the Punjab affect its economic life ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਧੰਦਾ ਖੇਤੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਭਰਪੂਰ ਪੈਦਾਵਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪਹਾੜੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਭੇਡ, ਬੱਕਰੀਆਂ ਪਾਲਦੇ ਹਨ ।
  3. ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲਾਹੌਰ, ਮੁਲਤਾਨ, ਪਿਸ਼ਾਵਰ, ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ, ਬਠਿੰਡਾ, ਸਰਹਿੰਦ, ਜਲੰਧਰ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਅਤੇ ਸਮਾਣਾ ਸ਼ਹਿਰ ਪਸਿੱਧ ਵਪਾਰਿਕ ਨਗਰ ਬਣ ਗਏ ।
  4. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਇੱਥੋਂ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਵਪਾਰ ਬਹੁਤ ਵਿਕਸਿਤ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ? (How did the rivers of the Punjab influence its History ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ? (What were the effects of Punjab rivers on the History of the Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਨਦੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ? (How did the rivers of the Punjab influenced its History ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਇੱਥੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਆਪਣੇ ਕਦਮ ਅੱਗੇ ਨਹੀਂ ਵਧਾ ਸਕੇ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਹੁੰਦੀ ਰਹੀ । ਜਦੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੜ੍ਹ ਆਏ ਹੁੰਦੇ ਸਨ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਬੜਾ ਔਖਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਕਈ ਵਾਰੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦਾ ਮਾਰਗ ਵੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਰਿਆਵਾਂ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਉਪਜਾਊ ਬਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਕਥਨ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹੋ ?
(The forests and hills of the Punjab have deeply influenced its History. Do you agree with this statement ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਹਾੜਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ?(How did the forests and hills of the Punjab affect its History ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ? (How did the forests of the Punjab affect its History)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜੰਗਲਾਂ ਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਵੀ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ਹੈ । 1716 ਈ. ਵਿੱਚ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਾਂ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮ ਜਦੋਂ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਏ ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਨੇ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਰਨ ਦਿੱਤੀ । ਇੱਥੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੀਲਾ ਯੁੱਧ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਪਣਾ ਕੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਦਾ ਟਾਕਰਾ ਕੀਤਾ । ਉਹ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ‘ਤੇ ਅਚਾਨਕ ਹਮਲਾ ਕਰਕੇ ਫਿਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜੰਗਲਾਂ ਅਤੇ ਪਰਬਤਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਲੁਕਦੇ ਸਨ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਗੁਰੀਲਾ ਯੁੱਧ ਨੀਤੀ ਅਪਣਾ ਕੇ ਨਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਅਤੇ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਨੂੰ ਲੁੱਟ ਲਿਆ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ-ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ? (What effect did the physical features of the Punjab have on its socio-cultural History ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Mention the socio-cultural effects of the geographical features of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਤੋਂ ਅਨੇਕਾਂ ਹਮਲਾਵਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਵਸ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੀਆਂ ਇਸਤਰੀਆਂ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕਰਵਾ ਲਏ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਈ ਨਵੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਤੇ ਉਪਜਾਤੀਆਂ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਈਆਂ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਦੇਸ਼ਾਂ ਅਤੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਆਬਾਦ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ । ਵਿਦੇਸ਼ੀਆਂ ਦੇ ਲਗਾਤਾਰ ਹਮਲਿਆਂ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸਾਹਿਤ ਅਤੇ ਕਲਾ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਧੱਕਾ ਲੱਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ? (How did Geography of the Punjab affect its religious life ?)
ਜਾਂ
“ਪੰਜਾਬ ਧਾਰਮਿਕ ਅੰਦੋਲਨਾਂ ਦੀ ਭੂਮੀ ਹੈ ।” ਇਸ ਕਥਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । (“Punjab is a land of religious movements.” Explain this statement.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਵੀ ਕਾਫ਼ੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ । ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਦੀ ਜਨਮ ਭੂਮੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਰੀਆ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇਸੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਵਸੇ ਸਨ । ਇੱਥੇ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਭਾਗਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਇਸਲਾਮ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਹੋਇਆ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਮੋਢੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੱਠ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੇ ਅਵਤਾਰ ਧਾਰਿਆ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਸਮਾਂ ਇੱਥੇ ਹੀ ਬਤੀਤ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਦੇਖਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਨੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਰਮਾਂ ਦਾ ਪਾਲਣਪੋਸ਼ਣ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਨੇ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਬੜਾ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ । ਕਿਸੇ ਤਿੰਨ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Physical features of the Punjab greatly influenced its History. Write briefly any three important effects.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲੇ ਕਰਦੇ ਰਹੇ ਹਨ ।
  3. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਇਸ ਪਵਿੱਤਰ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ ।
  4. ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂਕਿ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਯੁੱਧਾਂ ਦਾ ਅਖਾੜਾ ਬਣਿਆ ਰਿਹਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇੱਥੇ ਕਲਾ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਿਆ ।
  5. ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਹੀ ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬੜਾ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)
ਇੱਕ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਾਕ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ (Answer in one word to one Sentence)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸ਼ਾਬਦਿਕ ਅਰਥ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਨਾਂ ਪੰਜਾਬ ਕਿਉਂ ਪਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਇੱਥੇ ਪੰਜ ਦਰਿਆ ਵਹਿੰਦੇ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪੰਜ ਦਰਿਆ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਦਰਿਆ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪੁਕਾਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੱਤ ਦਰਿਆ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕੀ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜ ਦਰਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਮਹਾਕਾਵਾਂ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਚਨਦ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪੰਚਨਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜ ਨਦੀਆਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਟੱਕ ਦੇਸ਼ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਇੱਥੇ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਟੱਕ ਕਬੀਲੇ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਰਿਹਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਾਹੌਰ ਸੂਬਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕੀ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਕਦੋਂ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
29 ਮਾਰਚ, 1849 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦਾ ਕਬਜ਼ਾ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਿਉਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
1947 ਈ. ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਭਾਗ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੱਛਮੀ ਭਾਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਖੰਡਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਲੱਛਣਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭੂਗੋਲਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਕਿਹੜੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਿਮਾਲਿਆ ਅਤੇ ਸੁਲੇਮਾਨ ਪਰਬਤ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ, ਉਪ-ਪਰਬਤੀ ਖੰਡ ਅਤੇ ਮੈਦਾਨੀ ਖੇਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਿਸ ਦੀ ਖੜਗ ਭੁਜਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਰਤ ਦੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਤਲਵਾਰ ਜਾਂ ਖੜਗ ਭੁਜਾ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਮੁੱਖ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਣਾ ਪੈਂਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਕਿਸ ਦਿਸ਼ਾ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਪਵੇਸ਼ ਕਰਦੇ ਰਹੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਤਰ-
ਪੱਛਮੀ ਦਿਸ਼ਾ ਤੋਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਭਾਰਤ ਦੀ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ‘ਤੇ ਸਥਿਤ ਦੱਰਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲੇ ਕਿਸ ਦੱਰੇ ਰਾਹੀਂ ਹੋਏ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੈਬਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦੱਰੇ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੈਬਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਚੋਟੀ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੈਸਟ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਿਹੜਾ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਲਾਭ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਨੇ ਉੱਤਰੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲੋਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕੀਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਸੁੰਦਰ ਪਰਬਤੀ ਨਗਰ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜੋ ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀ ਦੇਣ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ਿਮਲਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਤਰਾਈ ਜਾਂ ਉਪ-ਪਰਬਤੀ ਦੇਸ਼ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਹਾੜ ਦੇ ਉੱਚੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਦੁਆਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਇਲਾਕਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕੁੱਲ ਕਿੰਨੇ ਦੁਆਬਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 30.
ਪੰਜ ਦੁਆਬੇ ਕਿਹੜੇ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਦੇ ਸਮੇਂ ਬਣਾਏ ਗਏ ਸਨ ?
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਦੁਆਬਿਆਂ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਸ਼ਾਸਕ ਨੇ ਵੰਡਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਕਬਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 31.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪੰਜ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਦੋ ਦੁਆਬਿਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਦੁਆਬ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ, ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ, ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ, ਚੱਜ ਦੁਆਬ ਅਤੇ ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 32.
ਜਲੰਧਰ ਕਿਸ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 33.
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਕਿਹੜੇ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 34.
ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?.
ਉੱਤਰ-
ਰਾਵੀ ਅਤੇ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਦੇਸ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 35.
ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲਾਹੌਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 36.
ਲਾਹੌਰ ਕਿਸ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 37.
ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਨੂੰ ਹੋਰ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਾਝਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 38.
ਦੁਆਬ ਬਾਰੀ ਨੂੰ ‘ਮਾਝਾ’ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੱਧ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 39.
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਕਿਸ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 40.
ਮਾਲਵਾ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਲਵਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 41.
ਮਾਲਵਾ ਦੇਸ਼ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਘੱਗਰ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 42.
ਮਾਲਵਾ ਦਾ ਇਹ ਨਾਂ ਕਿਉਂ ਪਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਲਵ ਨਾਂ ਦੀ ਬਹਾਦਰ ਜਾਤੀ ਦੇ ਨਿਵਾਸ ਕਾਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 43.
ਮਾਲਵਾ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਨਗਰ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਟਿਆਲਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 44.
ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰਾਵੀ ਅਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਦੇਸ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 45.
ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਨਗਰ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 46.
ਚੱਜ ਦੁਆਬ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਦੇਸ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 47.
ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 48.
ਸਿੱਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਨਗਰ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 49.
ਬਾਂਗਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਘੱਗਰ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 50.
ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਦੋ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਣਕ ਅਤੇ ਗੰਨਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ :51
ਤਰਾਇਨ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
1191 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 52.
ਤਰਾਇਨ ਦੀ ਦੂਜੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
1192 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 53.
ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
1526 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 54.
ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
1556 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 55.
ਹਿਮਾਲਿਆ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਉੱਤੇ ਪਾਇਆ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 56.
ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਮੀ ਕਿਹੋ ਜਿਹੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਉ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 57.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 58.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪਹਾੜਾਂ ਅਤੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਦੇ ਉੱਥਾਨ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 59.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਅਨੇਕਾਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਸ੍ਰੋਤ ਬਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 60.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਆਰਥਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲ ਹੋਣ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਕਾਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਵਪਾਰ ਕਾਫ਼ੀ ਵਿਕਸਿਤ ਰਿਹਾ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ (Fill in the Blanks)

ਨੋਟ :-ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ-

1. ਪੰਜਾਬ ਫ਼ਾਰਸੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਦੋ ਸ਼ਬਦਾਂ ………………….. ਅਤੇ ……………… ਦੇ ਮੇਲ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਪੰਜ, ਆਬ)

2. ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ……………………… ਦਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ।
ਉੱਤਰ-
(ਪੰਜ)

3. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ………………………. ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ)

4. ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ……………………….. ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ)

5. ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ………………………… ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
(ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ)

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6. ਪੁਰਾਣਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ …………………………. ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੰਚਨਦ

7. ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਨਾਂ ……………………. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਲਾਹੌਰ ਸੂਬਾ)

8. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ………………………. ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ)

9. ਹਿਮਾਲਿਆ ਤੋਂ ਭਾਵ ……………………… ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਬਰਫ਼ ਦਾ ਘਰ)

10. ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਚੋਟੀ ਦਾ ਨਾਂ ……………………….. ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੈਸਟ)

11. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ……………………. ਦੱਰਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਖੈਬਰ)

12. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ………………………. ਦੁਆਬ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਪੰਜ)

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13. ਦੁਆਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਭਾਵ ………………………. ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਪ੍ਰਦੇਸ਼)

14. ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਨੂੰ …………………….. ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਮਾਝਾ)

15. ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ……….. ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ)

16. ………. ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ)

17. ਮਾਲਵਾ ਦੇ ਵਸਨੀਕਾਂ ਨੂੰ ………… ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਮਲਵਈ)

18. …………………………. ਨੂੰ ਤਰਾਇਨ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(1191 ਈ.)

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19. ……………………. ਨੂੰ ਤਰਾਇਨ ਦੀ ਦੂਜੀ ਲੜਾਈ ਹੋਈ ॥
(1192 ਈ.)

20. 1556 ਈ. ਵਿੱਚ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਹੇਮੂੰ ਵਿਚਾਲੇ ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ……………………. ਲੜਾਈ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਦੂਜੀ)

21. ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਤੀਸਰੀ ਲੜਾਈ ………………………….. ਵਿੱਚ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
(1761 ਈ.)

22. ਪੰਜਾਬੀ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਧੰਦਾ ……….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਖੇਤੀਬਾੜੀ)

ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ (True or False)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

1. ਪੰਜਾਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

2. ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

3. ਮਹਾਂਕਾਵਾਂ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ‘ਟੱਕ ਦੇਸ਼’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

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4. ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਨਾਂ ‘ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ਰੱਖਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

5. ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਸੂਬਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

6. ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਰਾਜ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

7. ਹਿਮਾਲਿਆ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਬਰਫ਼ ਦਾ ਘਰ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

8. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦੱਰੇ ਦਾ ਨਾਂ ਗੋਮਲ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

9. ਦੁਆਬ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਲਾ ਇਲਾਕਾ ॥
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

10.
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

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11. ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ਨੂੰ ਮਾਝਾ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

12. ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਬਿਸਤ ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

13. ਰਾਵੀ ਅਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

14. ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ਨਾਂ ਗੁਜਰਾਂਵਾਲਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

15. ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਚੱਜ ਦੁਆਬ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

16. ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

17. ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਜਮੁਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਮਾਲਵਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

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18. ਮਾਲਵਾ ਦੇ ਵਸਨੀਕਾਂ ਨੂੰ ਮਲਵਈ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

19. ਘੱਗਰ ਅਤੇ ਜਮੁਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਬਾਂਗਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

20. ਤਰਾਇਨ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਲੜਾਈ 1193 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

21. ਬਾਬਰ ਅਤੇ ਇਬਰਾਹਿਮ ਲੋਧੀ ਵਿਚਾਲੇ ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ 1536 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

22. 1556 ਈ. ਵਿੱਚ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਹੇਮੂ ਵਿਚਾਲੇ ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਦੂਜੀ ਲੜਾਈ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

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23. ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਤੀਸਰੀ ਲੜਾਈ 1761 ਈ. ਨੂੰ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

24. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

25. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਿੱਤਾ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

26. ਪੰਜਾਬ ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬੜਾ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

ਬਹੁਪੱਖੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Multiple Choice Questions)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
(i) ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ
(ii) ਤਿੰਨ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ
(iii) ਚਾਰ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ
(iv) ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਕਿਸ ਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਸ਼ਬਦ ਹੈ ?
(i) ਫ਼ਾਰਸੀ
(ii) ਉਰਦੂ
(iii) ਹਿੰਦੀ
(iv) ਗੁਰਮੁੱਖੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਫ਼ਾਰਸੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪੁਕਾਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
(i) ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ
(ii) ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ
(iii) ਟਕ ਦੇਸ਼
(iv) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕੀ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ?
(i) ਪੰਚਨਦ,
(ii) ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ
(iii) ਟੱਕ ਦੇਸ਼
(iv) ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਟਕ ਦੇਸ਼ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
(i) ਟਕ ਕਬੀਲੇ ਦੇ ਕਾਰਨ
(ii) ਟਕ ਰਾਜੇ ਦੇ ਕਾਰਨ
(iii) ਟਕ ਸਿੱਕੇ ਦੇ ਕਾਰਨ
(iv) ਟਕ ਪਹਾੜ ਦੇ ਕਾਰਨ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਟਕ ਕਬੀਲੇ ਦੇ ਕਾਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮੱਧ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਮੁਲਤਾਨ
(ii) ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ
(iii) ਕਾਬਲ
(iv) ਲਾਹੌਰ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਲਾਹੌਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਇਸ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕੁੱਲ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਕਿੰਨੇ ਹਨ ?
(i) 20
(ii) 21
(iii) 22
(iv) 23.
ਉੱਤਰ-
(iv) 23.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦੱਰਾ ਕਿਹੜਾ ਸੀ ?
(i) ਖੈਬਰ
(ii) ਕੁਰਮ
(iii) ਟੋਚੀ
(iv) ਬੋਲਾਨ
ਉੱਤਰ-
(i) ਖੈਬਰ

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਚੋਟੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਹੈ ?
(i) ਕੰਚਨ ਜੰਗਾ
(ii) ਨੰਦਾ ਦੇਵੀ
(iii) ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੈਸਟ
(iv) K2.
ਉੱਤਰ-
(iii) ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੈਸਟ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਲਗਭਗ ਕਿੰਨੀ ਹੈ ?
(i) 1200 ਕਿਲੋਮੀਟਰ
(ii) 1800 ਕਿਲੋਮੀਟਰ
(iii) 2000 ਕਿਲੋਮੀਟਰ
(iv) 2500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 2500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਦੁਆਬ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
(i) ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਦੇਸ਼
(ii) ਦੋ ਪਹਾੜਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਪ੍ਰਦੇਸ਼
(iii) ਦੋ ਮੈਦਾਨਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਦੇਸ਼
(iv) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਦੋ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲਾ ਦੇਸ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਦੁਆਬੇ ਹਨ ?
(i) ਦੋ
(ii) ਤਿੰਨ
(iii) ਚਾਰ
(iv) ਪੰਜ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਪੰਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਕਿਹੜੇ ਦੁਆਬ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
(i) ਚੱਜ ਦੁਆਬ
(ii) ਬਿਸਤ-ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ
(iii) ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ
(iv) ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
(i) ਰਾਵੀ ਅਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ
(ii) ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ
(iii) ਰਾਵੀ ਅਤੇ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ
(iv) ਸਤਲੁਜ ਅਤੇ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਰਾਵੀ ਅਤੇ ਚਨਾਬ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਗੁਜਰਾਤ ਅਤੇ ਸ਼ਾਹਪੁਰ ਕਿਸ ਦੁਆਬ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ ?
(i) ਚੱਜ ਦੁਆਬ
(ii) ਰਚਨਾ ਦੁਆਬ
(iii) ਬਾਰੀ ਦੁਆਬ
(iv) ਬਿਸਤ-ਜਲੰਧਰ ਦੁਆਬ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਚੱਜ ਦੁਆਬ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਸਿੰਧ ਸਾਗਰ ਦੁਆਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸ਼ਹਿਰ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
(i) ਸਿੰਧ
(ii) ਜਲੰਧਰ
(iii) ਲੁਧਿਆਣਾ
(iv) ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਤਰਾਇਨ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i) 1191 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1192 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1291 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1491 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(i) 1191 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਤਰਾਇਨ ਦੀ ਦੂਜੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਲੜੀ ਗਈ ਸੀ ?
(i) 1152 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1192 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1292 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1526 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 1192 ਈ. ਵਿੱਚ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i)_1526 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1536 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1556 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1656 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 1556 ਈ. ਵਿੱਚ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਪਾਨੀਪਤ ਦੀ ਤੀਸਰੀ ਲੜਾਈ ਕਦੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ?
(i)_1526 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1556 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1661 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1761 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1761 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਭੂਗੋਲਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਸ਼ਹਿਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ?
(i) ਮੁਲਤਾਨ
(ii) ਲਾਹੌਰ
(iii) ਪਿਸ਼ਾਵਰ
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
16ਵੀਂ ਸ਼ਤਾਬਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨਹੀਂ ਬੋਲੀ ਜਾਂਦੀ ਸੀ ?
(i) ਉਰਦੂ
(ii) ਹਿੰਦੀ
(iii) ਪੰਜਾਬੀ
(iv) ਤਮਿਲ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਤਮਿਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਨੂੰ ਧਾਰਨ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ?
(i) ਬਹਾਦਰੀ
(ii) ਮਿਹਨਤ
(iii) ਸਹਿਣਸ਼ੀਲਤਾ
(iv) ਧੋਖੇਬਾਜ਼ੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਧੋਖੇਬਾਜ਼ੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਨੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵੱਲੋਂ ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ?
(i) ਮੁਗ਼ਲ
(ii) ਹੂਣ
(iii) ਯੂਨਾਨੀ
(iv) ਅੰਗਰੇਜ਼ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਅੰਗਰੇਜ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇਸਲਾਮ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਿਉਂ ਹੋਇਆ ?
(i) ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਆਰਥਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਸਨ
(ii) ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕੀਤਾ ਸੀ
(iii) ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਇਸ ਧਰਮ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਪਸੰਦ ਕਰਦੇ ਸਨ
(iv) ਕਿਉਂਕਿ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਸਿੱਖਿਆ ਕੇਂਦਰ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕ ਇਸ ਧਰਮ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਪਸੰਦ ਕਰਦੇ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
6ਵੀਂ ਸ਼ਤਾਬਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਚੀਜ਼ ਦਾ ਨਿਰਯਾਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਸੀ ?
(i) ਘੋੜੇ
(ii) ਕਪਾਹ
(iii) ਖੰਡ
(iv) ਕੱਪੜੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਘੋੜੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
16ਵੀਂ ਸ਼ਤਾਬਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਚੀਜ਼ ਦਾ ਆਯਾਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਸੀ ?
(i) ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਮੇਵੇ
(ii) ਹਥਿਆਰ
(iii) ਘੋੜੇ
(iv) ਕਪਾਹ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਕਪਾਹ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
16ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਵਪਾਰਿਕ ਨਗਰ ਨਹੀਂ ਸੀ ?
(i) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ
(ii) ਲਾਹੌਰ
(iii) ਹਿਸਾਰ
(iv) ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਰਾਵਲਪਿੰਡੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

Source Based Questions
ਨੋਟ-ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੈਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ-

1. ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਅਤੇ ਸਭਿਅਤਾ ਦੀ ਜਨਮ ਭੂਮੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅੱਜ ਤੋਂ ਲਗਭਗ 4 ਹਜ਼ਾਰ ਤੋਂ 5 ਹਜ਼ਾਰ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਸਿੰਧ ਘਾਟੀ ਦੀ ਸਭਿਅਤਾ ਜਾਂ ਹੜੱਪਾ ਸੱਭਿਅਤਾ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ, ਜੋ ਸੰਸਾਰ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਸਭਿਆਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਰਮਾਇਣ ਅਤੇ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਪਾਤਰਾਂ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਸੀ । ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦਾ ਯੁੱਧ ਇਸੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਲੜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਕਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੇ ਗੀਤਾ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸੰਸਾਰ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤਕਸ਼ਿਲਾ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਦਿਆਲਾ ਅਤੇ ਗੰਧਾਰ ਕਲਾ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕੇਂਦਰ ਸਥਿਤ ਸਨ | ਅਰਥਸ਼ਾਸਤਰ ਦੇ ਲੇਖਕ ਕੋਟਿਲਯ, ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਆਕਰਨ ਦੇ ਮਹਾਨ ਵਿਦਵਾਨ ਪਾਣਿਨੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਚਿਕਿਤਸਕ ਚਰਕ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਹੀ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਸਨ । ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਵੀ ਕਿਸੇ ਹੱਦ ਤੱਕ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਹੀ ਹੋਇਆ | ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਾਰੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਤੋਂ ਹੋ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਆਏ ਸਨ । ਚੰਦਰ ਗੁਪਤ ਮੌਰੀਆ ਅਤੇ ਹਰਸ਼ ਵਰਧਨ ਜਿਹੇ ਰਾਜਿਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਹੀ ਆਪਣੀਆਂ ਜਿੱਤਾਂ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ਆਰੰਭ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਅਤੇ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

1. ਹੜੱਪਾ ਸਭਿਅਤਾ ਦਾ ਜਨਮ ਕਿਸ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਹੋਇਆ ।
2. ਕਿਹੜੇ ਮਹਾਂਕਾਵਾਂ ਦੇ ਪਾਤਰਾਂ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਸੀ ?
3. ਸ੍ਰੀ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਨੇ ਗੀਤਾ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ …………………………… ਦੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਦਿੱਤਾ ।
4. ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲੇ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਪਾਸੇ ਤੋਂ ਦਾਖਲ ਹੁੰਦੇ ਸਨ ?
5. ਪਾਣਿਨੀ ਕਿਸ ਵਿਸ਼ੇ ਦਾ ਵਿਦਵਾਨ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਹੜੱਪਾ ਸੱਭਿਅਤਾ ਦਾ ਜਨਮ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
2. ਰਮਾਇਣ ਅਤੇ ਮਹਾਂਭਾਰਤ ਦੇ ਮਹਾਨ ਪਾਤਰਾਂ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਸੀ ।
3. ਪੰਜਾਬ ।
4. ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲੇ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਸੀਮਾ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੁੰਦੇ ਸਨ ।
5. ਪਾਣਿਨੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਵਿਆਕਰਨ ਦੇ ਮਹਾਨ ਵਿਦਵਾਨ ਸਨ ।

2.ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਯੁੱਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਨਾਂਵਾਂ ਨਾਲ ਸੱਦਿਆ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ‘ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਹ ਨਾਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸੱਤ ਦਰਿਆਵਾਂ ਕਾਰਨ ਪਿਆ । ਇਹ ਸੱਤ ਦਰਿਆ ਸਨ-ਸਿੰਧ, ਵਿਤਸਤਾ (ਜੇਹਲਮ, ਅਧਿਕਨੀ (ਚਨਾਬ), ਪਰੂਸ਼ਨੀ (ਰਾਵੀ), ਵਿਆਸ (ਬਿਆਸ), ਸ਼ਤੁਦਰੀ (ਸਤਲੁਜ) ਅਤੇ ਸਰਸਵਤੀ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਸਰਸਵਤੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਬਾਹਰਲੀਆਂ ਹੱਦਾਂ ਗਿਣੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ | ਮਹਾਂਕਾਵਾਂ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ‘ਪੰਚਨਦ` ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਪੰਚਨਦ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ । ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਉੱਤੇ ਕਬਜ਼ਾ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਦਾ ਨਾਂ ‘ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ’ ਰੱਖਿਆ | ਟਾ ਤੋਂ ਅਰਥ ਸੀ ਪੰਜ ਅਤੇ ਪੋਟਾਮੀਆ ਦਾ ਅਰਥ ਸੀ ਦਰਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਹੀ ਧਰਤੀ ਕਿਹਾ । ਮੌਰੀਆ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਅਤੇ ਬਲੋਚਿਸਤਾਨ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰ ਲਏ ਗਏ ਸਨ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦੀ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮੀ ਹੱਦ ਹਿੰਦੂਕੁਸ਼ ਪਰਬਤ ਤਕ ਪਹੁੰਚ ਗਈ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਈ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਟੱਕ ਕਬੀਲੇ ਦਾ ਰਾਜ ਰਿਹਾ ਸੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ “ਟੱਕ ਦੇਸ਼’ ਕਿਹਾ ਜਾਣ ਲੱਗ ਪਿਆ ।

1. ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
2. ਪੰਚਨਦ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ?
3. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ਦਾ ਨਾਂ ਕਿਸ ਨੇ ਦਿੱਤਾ ?
4. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਟੱਕ ਦੇਸ਼ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ?
5. ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜੀ ਨਦੀ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦੀ ਹੈ ?
(i) ਬਿਆਸ
(ii) ਗੰਗਾ ।
(iii) ਜਮੁਨਾ
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਰਿਗਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ‘ਸਪਤ ਸਿੰਧੂ’ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।
2. ਪੰਚਨਦ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਪੰਜ ਦਰਿਆ ।
3. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਪੈਂਟਾਪੋਟਾਮੀਆ ਦਾ ਨਾਂ ਯੂਨਾਨੀਆਂ ਨੇ ਦਿੱਤਾ ।
4. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਟੱਕ ਦੇਸ਼ ਇਸ ਕਰਕੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ਕਿਉਂਕਿ ਇੱਥੇ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਟੱਕ ਕਬੀਲੇ ਦਾ ਰਾਜ ਰਿਹਾ ਸੀ ।
5. ਬਿਆਸ ।

3. ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਬਰਫ਼ ਦਾ ਘਰ । ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀਆਂ ਚੋਟੀਆਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਪਰਬਤ ਪੂਰਬ ਵਿੱਚ ਆਸਾਮ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਤਕ ਫੈਲਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 2500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ 240 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੋਂ 320 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਹੈ । ਉੱਚਾਈ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਪਹਿਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਉਹ ਚੋਟੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉੱਚਾਈ 20,000 ਫੁੱਟ ਅਤੇ ਇਸ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਚੋਟੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੇਸਟ ਸੰਸਾਰ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਚੋਟੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਉੱਚਾਈ 29,028 ਫੁੱਟ ਜਾਂ 8848 ਮੀਟਰ ਹੈ । ਇਹ ਚੋਟੀਆਂ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਬਰਫ਼ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

1. ਹਿਮਾਲਿਆ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
2. ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ ਕਿੰਨੀ ਹੈ ?
3. ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀ ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਚੋਟੀ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
4. ਹਿਮਾਲਿਆ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਵਰਦਾਨ ਦੱਸੋ ।
5. ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੇਸਟ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ……………………. ਮੀਟਰ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਹਿਮਾਲਿਆ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਬਰਫ਼ ਦਾ ਘਰ ।
2. ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 2500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ 240 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੋਂ 320 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਹੈ ।
3. ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੀ ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਚੋਟੀ ਦਾ ਨਾ ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੇਸਟ ਹੈ ।
4. ਇਸ ਨੇ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਲਈ ਪਹਿਰੇਦਾਰੀ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ।
5. 8848.

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 1 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ 'ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

4. ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਖੰਡ ਹੈ । ਸਹੀ ਅਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹੋ ਪੰਜਾਬ ਹੈ । ਇਹ ਦੇਸ਼ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ।ਇਸ ਮੈਦਾਨ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਪਜਾਊ ਮੈਦਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸਮੁੰਦਰ ਤਲ ਤੋਂ ਔਸਤ ਉਚਾਈ 1000 ਫੁੱਟ ਤੋਂ ਵੱਧ ਨਹੀਂ ਹੈ | ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਪੰਜੇ ਦਰਿਆ-ਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ-ਇਸੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਦੇਸ਼ ਬਹੁਤ ਉਪਜਾਊ ਹੈ, ਵਰਖਾ ਕਾਫ਼ੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਸਾਧਨ ਵਿਕਸਿਤ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਵਸੋਂ ਵੀ ਕਾਫ਼ੀ ਸੰਘਣੀ ਹੈ ।

1. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮੈਦਾਨੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
2. ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਪਜਾਊ ਮੈਦਾਨ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
3. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਕੀ ਹਨ ?
4. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਵਸੋਂ ਸੰਘਣੀ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
5. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਵਲੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ……………………. ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮੈਦਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਜਮਨਾ ਦਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ।
2. ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਪਜਾਉ ਮੈਦਾਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਹਨ ।
3. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣ ਵਾਲੇ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਸਤਲੁਜ, ਬਿਆਸ, ਰਾਵੀ, ਚਨਾਬ ਅਤੇ ਜੇਹਲਮ ਹਨ ।
4. ਕਿਉਂਕਿ ਇੱਥੇ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਸਾਧਨ ਬਹੁਤ ਵਿਕਸਿਤ ਹਨ ।
5. ਸੰਘਣੀ ।

5.ਆਪਣੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਸਦੀਆਂ ਤਕ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰਪੱਛਮ ਵੱਲ ਖੈਬਰ, ਕੁੱਰਮ, ਟੋਚੀ ਅਤੇ ਬੋਲਾਨ ਨਾਂ ਦੇ ਦੱਰੇ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਕੋਈ ਔਖਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਉੱਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰਦੇ ਰਹੇ । ਆਰੀਆਂ, ਈਰਾਨੀਆਂ, ਯੂਨਾਨੀਆਂ, ਕੁਸ਼ਾਣਾਂ, ਹੂਣਾਂ, ਤੁਰਕਾਂ, ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਦੁੱਰਾਨੀਆਂ ਨੇ ਇਸ ਰਸਤੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਉੱਤੇ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਹੀ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ! ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਹੀ ਉਹ ਅੱਗੇ ਕਦਮ ਵਧਾ ਸਕੇ । ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਸੀ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

1. ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਦੁਆਰ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
2. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦੱਰਾ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
3. ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਦੱਰਿਆਂ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਕਿਉਂ ਆਉਂਦੇ ਰਹੇ ?
4. ਕਿਹੜੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ?
5. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ……………………… ਆਏ ।
(i) ਈਰਾਨੀ
(ii) ਆਰੀਆਂ
(iii) ਯੂਨਾਨੀ
(iv) ਕੁਸ਼ਾਣ ।
ਉੱਤਰ
1. ਕਿਉਂਕਿ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ।
2. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਪੱਛਮ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦੱਰਾ ਖੈਬਰ ਹੈ ।
3. ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੱਰਿਆਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਸੌਖਾ ਸੀ ।
4. ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਆਰੀਆਂ, ਈਰਾਨੀਆਂ, ਯੂਨਾਨੀਆਂ, ਕੁਸ਼ਾਣਾਂ, ਤੁਰਕਾਂ, ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਅਤੇ ਦੁੱਰਾਨੀਆਂ ਨੇ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ।
5. ਆਰੀਆਂ ।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

PSEB 12th Class Economics आय का चक्रीय प्रवाह Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन, आय और व्यय के प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 2.
एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के नाम बताओ जिनमें आय का चक्रीय प्रवाह होता है।
उत्तर-

  • उत्पादन क्षेत्र
  • पारिवारिक क्षेत्र
  • वित्तीय क्षेत्र
  • सरकारी क्षेत्र
  • शेष विश्व क्षेत्र।

प्रश्न 3.
बंद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बंद अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें आयात और निर्यात नहीं किया जाता।

प्रश्न 4.
खुली अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था, वह अर्थव्यवस्था होती है जिसमें देश द्वारा बाकी विश्व से आयात और निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 5.
मौद्रिक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में लेन-देन मुद्रा के रूप में किया जाता है तो इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 6.
वास्तविक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब अर्थव्यवस्था में लेन-देन वस्तुओं तथा सेवाओं के रूप में किया जाता है तो उसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं।

प्रश्न 7.
आय के चक्रीय प्रवाह का मुख्य सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह का मुख्य सिद्धान्त यह है कि विभिन्न क्षेत्रों के भुगतान तथा प्राप्तियां एक-दूसरे के समान होती हैं।

प्रश्न 8.
आय के चक्रीय प्रवाह का कोई एक महत्त्व बताएं।
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह से राष्ट्रीय आय में उपभोग, बचत और निवेश का ज्ञान प्राप्त होता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

प्रश्न 9.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस अर्थव्यवस्था में पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र होते हैं, उसको दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 10.
तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र, वित्तीय क्षेत्र में बचत करते हैं तथा उधार लेते हैं, तो इस अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 11.
चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. पारिवारिक क्षेत्र
  2. उत्पादक क्षेत्र
  3. वित्तीय क्षेत्र
  4. सरकारी क्षेत्र।

प्रश्न 12.
वापसी अथवा रिसाव (Leakage) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
परिवार और फ़मैं अपनी आय का जो भाग बचत के रूप में रख लेते हैं, उसको वापसी अथवा रिसाव कहा जाता है।

प्रश्न 13.
समावेश (Injection) की परिभाषा दें।
उत्तर-
परिवार और फ़र्मों द्वारा बचत का जो भाग निवेश किया जाता है उसको समावेश कहा जाता है।

प्रश्न 14.
आय के चक्रीय प्रवाह की तीन अवस्थाओं (Phases) के नाम बताओ।
उत्तर-

  • उत्पादन,
  • आय,
  • व्यय।

प्रश्न 15.
उत्पादन, आय और व्यय को आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 16.
एक अर्थव्यवस्था के पाँच क्षेत्रों के नाम ………….
(1) उत्पादन क्षेत्र
(2) पारिवारिक क्षेत्र
(3) वित्तीय क्षेत्र
(4) सरकारी क्षेत्र
(5) बाकी विश्व क्षेत्र है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 17.
जिस अर्थव्यवस्था में पारिवारिक क्षेत्र और उत्पादन क्षेत्र होते हैं उसको दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 18.
परिवार तथा फ़र्मों की आय का जो भाग बचत के रूप में रख लिया जाता है, उसको ……….. कहते हैं।
(a) पूँजी
(b) रिसाव
(c) भविष्य निधि
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) रिसाव।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

प्रश्न 19.
एक देश में लेन-देन मुद्रा के रूप में किया जाता है, उसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 20.
एक देश में लेन-देन वस्तुओं और सेवाओं के रूप में किया जाता है और उसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 21.
वस्तओं तथा सेवाओं के प्रवाह को ………… …. कहते हैं :
(a) मौद्रिक प्रवाह
(b) आर्थिक प्रवाह
(c) वास्तविक प्रवाह
(d) उपरोक्त में से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) वास्तविक प्रवाह।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में मुद्रा आय के चक्रीय रूप में प्रवाह से होता है। एक क्षेत्र का व्यय दूसरे क्षेत्र की आय होती है। दूसरा क्षेत्र आय को अपनी आवश्यकताओं पर व्यय करता है तो शेष क्षेत्रों को आय प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र बताओ, जिनमें आय का चक्रीय प्रवाह होता है।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों का वर्गीकरण निम्नलिखित अनुसार है

  1. उत्पादन क्षेत्र (Production Sector)-यह क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करता है।
  2. पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector)-यह क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करता है।
  3. वित्तीय क्षेत्र (Financial Sector)- यह क्षेत्र बचत जमा करता है तथा उधार देता है।
  4. सरकारी क्षेत्र (Government Sector)-यह क्षेत्र कर लगाता है तथा व्यय करता है।
  5. शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector)-यह क्षेत्र आयात तथा निर्यात करता है।

प्रश्न 3.
बन्द अर्थव्यवस्था तथा खुली अर्थव्यवस्था में अन्तर बताओ।
उत्तर–
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसमें आयात तथा निर्यात नहीं किया जाता। खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसमें विदेशों से वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात किया जाता है तथा विदेशों को वस्तुएं तथा सेवाएं निर्यात की जाती हैं।

प्रश्न 4.
मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह में अन्तर बताओ।
उत्तर-
जब उत्पादन के साधन कार्य करते हैं तथा उनको लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है, जिसको वह साधन अपनी आवश्यकताओं पर व्यय करते हैं तो इससे उत्पादन क्षेत्र को आय प्राप्त होती है, इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं। वास्तविक प्रवाह (RealFlow) से अभिप्राय पारिवारिक क्षेत्र द्वारा प्रदान की सेवाओं का प्रवाह उत्पादन क्षेत्र की ओर जाता है तथा उत्पादन क्षेत्र को वस्तुओं का प्रवाह पारिवारिक क्षेत्र की ओर जाता है तो इसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

प्रश्न 5.
भण्डार (Stock) तथा प्रवाह (Flow) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
भण्डार वह मात्रा होती है जो निश्चित समय के बिन्दु (Point of Time) पर मापी जाती है। जैसे कि मनुष्य के पास धन अथवा पूंजी का भण्डार। प्रवाह वह मात्रा होती है, जो समय अवधि (Period of Time) में मापी जाती है, जैसे कि परिवार की आय तथा व्यय इत्यादि।

प्रश्न 6.
वास्तविक प्रवाह से क्या अभिप्राय है ? दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में चित्र की सहायता से वास्तविक प्रवाह की व्याख्या करें।
उत्तर-
वास्तविक प्रवाह से अभिप्राय पारिवारिक क्षेत्र द्वारा प्रदान की गई सेवाओं (भूमि श्रम, पूंजी, उद्यम) के बदले में जब उत्पादन क्षेत्र द्वारा वस्तुओं का प्रवाह पारिवारिक क्षेत्र की ओर जाता है तो इसको वास्तविक प्रवाह कहते हैं। इसको रेखाचित्र 1 द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 1

प्रश्न 7.
मौद्रिक प्रवाह से आपका क्या अभिप्राय है ? दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में चित्र की सहायता से मौद्रिक प्रवाह की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मौद्रिक प्रवाह वह प्रवाह है जिसमें आय तथा व्यय मुद्रा के रूप में किया जाता है। उत्पादन क्षेत्र में फर्मे पारिवारिक क्षेत्र को काम करने के बदले में साधन भुगतान (लगाना, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ) करते हैं। पारिवारिक क्षेत्र इस आय को वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग पर खर्च कर देते हैं। इसको मौद्रिक प्रवाह कहते हैं। जो कि दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में किया जाता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 2

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन, आय तथा व्यय के चक्रीय प्रवाह से आपका क्या उद्देश्य है ?
अथवा
आय के चक्रीय प्रवाह से आपका क्या अभिप्राय है ? विभिन्न क्षेत्रों में चक्रीय प्रवाह के लिए किस प्रकार के आंकड़े अनिवार्य हैं ?
अथवा
आय के चक्रीय प्रवाह का क्या अर्थ है ? इससे सम्बन्धित तीन अवस्थाओं (Phases) के नाम बताओ।
उत्तर-
मुद्रा आय के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रीय प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह कहा जाता है। उत्पादन, आय अथवा व्यय के चक्रीय प्रवाह को आय प्रवाह कहा जाता है, जब किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन किया जाता है तो उत्पादन के साधन मिलकर यह उत्पादन करते हैं। इसलिए साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज के लाभ के रूप में आय प्राप्त होती है। उत्पादन के साधन इस आय को आवश्यकताओं की पूर्ति पर व्यय करते हैं। इससे उत्पादन की वस्तुओं तथा सेवाओं की खपत हो जाती है। मानवीय आवश्यकताओं का कभी अन्त नहीं होता, इसलिए उत्पादन के साधन फिर कार्य करने लग जाते हैं। इस प्रकार उत्पादन, आय तथा व्यय चक्रीय प्रवाह में चलते रहते हैं।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 3

प्रश्न 2.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में दो क्षेत्र, परिवार क्षेत्र तथा फ़में दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय का प्रवाह (उत्पादन क्षेत्र हैं) परिवार क्षेत्र से उत्पादन के साधन भूमि, श्रम, पूंजी तथा संगठन कार्य करने के लिए फर्मों में जाते हैं। इससे वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है। फ़र्मों द्वारा उत्पादन के साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज के रूप में भुगतान किया जाता है तथा फ़र्मों को लाभ होता है। उत्पादन के साधन अपनी आय
पारिवारिक क्षेत्र वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करते हैं। इससे फ़र्मों को आय होती है तथा उनकी उत्पादन वस्तुएं बिक जाती हैं। इसको एक रेखाचित्र 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

पारिवारिक क्षेत्र से उत्पादन के साधन भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यमी की सेवाएं उत्पादन क्षेत्र को दी जाती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 4

  • उत्पादन क्षेत्र साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज का भुगतान करता है तथा फ़र्म को लाभ प्राप्त होता है।
  • पारिवारिक क्षेत्र इस आय को वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करता है।
  • उत्पादन क्षेत्र में से वस्तुएं तथा सेवाएं पारिवारिक क्षेत्र में आ जाती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय के चक्रीय प्रवाह से क्या अभिप्राय है ? एक अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो। (What is Circular Flow of Income? Explain the Circular Flow of Income in an Economy.)
अथवा
बन्द अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को स्पष्ट करो। (Explain Circular Flow of Income in Closed Economy.)
उत्तर-
आय के चक्रीय प्रवाह का अर्थ (Meaning of Circular Flow of Income)-आय के चक्रीय प्रवाह को समझने के लिए अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों की जानकारी अनिवार्य होती है। आय की ओर से अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. उत्पादन क्षेत्र-इस क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन होता है।
  2. पारिवारिक क्षेत्र-इस क्षेत्र में वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग किया जाता है।
  3. वित्तीय क्षेत्र-इस क्षेत्र में बचत जमा करवाई जाती है तथा उधार दिया जाता है।
  4. सरकारी क्षेत्र-यह क्षेत्र कर लगाता है तथा सहायता प्रदान करता है।
  5. शेष विश्व क्षेत्र-यह क्षेत्र आयात तथा निर्यात से सम्बन्धित होता है।

आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में आय के चक्र में बहाव की प्रक्रिया को कहा जाता है। (Circular flow of income means the flow of money income in different sectors of an economy.)

आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow Of Income) जब आय तथा उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में अन्तर-निर्भरता को रेखाचित्र द्वारा दिखाया जाता है तो यह आय का चक्रीय प्रवाह है, इसको दो तरह की अर्थव्यवस्था में स्पष्ट किया जा सकता है
(A) बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)
(B) खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy)।

A. बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)-वह अर्थव्यवस्था जिसमें आयात-निर्यात नहीं किया जाता, उसको बन्द अर्थव्यवस्था कहा जाता है।ऐसी अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को निम्नलिखित भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है-
1. दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income in two sectors of an Economy)-पहले हम एक ऐसी अर्थव्यवस्था लेते हैं जिसमें दो क्षेत्र

  • उत्पादन क्षेत्र तिम वस्तुए तथा सेवा
  • पारिवारिक क्षेत्र हैं। इस अर्थव्यवस्था में पूरी आय उत्पादन क्षेत्र व्यय की जाती है। बचत नहीं की जाती, कर नहीं पारिवारिक क्षेत्र
    (फ़र्में) लगते, आयात-निर्यात नहीं किया जाता। इस अर्थव्यवस्था में दो प्रवाह हैं

(a) वास्तविक प्रवाह (Real Flow)-साधन सेवाएं, भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यम पारिवारिक क्षेत्र से फ़र्मों में कार्य करते हैं तथा अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करते हैं। इसको वास्तविक प्रवाह कहा जाता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह 5

(b) मुद्रा प्रवाह (Money Flow)-फ़र्मे साधनों को लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ में भुगतान करती हैं तथा परिवार अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय करते हैं। इसको मुद्रा प्रवाह कहा जाता है। रेखाचित्र अनुसार,

  • फ़र्मों द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल उत्पादन = पारिवारिक क्षेत्र द्वारा कुल वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग।
  • फ़र्मों द्वारा साधन भुगतान = पारिवारिक क्षेत्र में साधन आय।
  • पारिवारिक क्षेत्र का उपभोग व्यय = पारिवारिक क्षेत्र की आय।
  • फ़र्मे तथा परिवारों का उत्पादन तथा उपभोग का वास्तविक प्रवाह = फ़र्मों तथा परिवारों की आय तथा व्यय का मौद्रिक प्रवाह।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 3 आय का चक्रीय प्रवाह

वित्तीय बाज़ार में आय का चक्रीय प्रवाह-परिवार तथा फ़र्मे अपनी मौद्रिक आय व्यय नहीं करतीं। इसमें से कुछ भाग की बचत की जाती है। यह बचत बैंकों (वित्तीय बाज़ार) में जमा करवाई जाती है। बैंक इस राशि को फ़र्मों तथा परिवारों को उधार दे देते हैं तथा मुद्रा के चक्रीय प्रवाह में कोई फर्क नहीं पड़ता।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 2 समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं

PSEB 12th Class Economics समष्टि अर्थशास्त्र में मूल धारणाएं Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तु से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उन सभी चीज़ों को वस्तु कहते हैं जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं तथा जिन्हें मानव प्राप्त करना चाहता है।

प्रश्न 2.
सेवाओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सेवाएं अभौतिक वस्तु हैं जिन्हें छुआ, देखा या हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 3.
भौतिक वस्तु कौन-सी वस्तु को कहते हैं ?
उत्तर-
भौतिक वस्तु वह वस्तु है जिसे छुआ जा सकता है, देखा जा सकता है तथा जिसका हस्तान्तरण किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम बताइये।
उत्तर-
अभौतिक वस्तुओं का दूसरा नाम सेवाएं है जैसे डॉक्टर की सेवा, अध्यापक की सेवा आदि।

प्रश्न 5.
आर्थिक वस्तुएं क्या हैं ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो सीमित होती हैं, जिनमें उपयोगिता होती है तथा हस्तान्तरणीयता होती है।

प्रश्न 6.
अनार्थिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अनार्थिक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनकी पूर्ति मांग से बहुत अधिक होने के कारण दुर्लभ नहीं होती और निःशुल्क उपलब्ध होती हैं जैसे सूर्य का प्रकाश, हवा आदि।

प्रश्न 7.
आगत (Input) क्या है ?
उत्तर-
उत्पादन-प्रक्रिया की दृष्टि से एक उत्पादकीय फर्म द्वारा जो भी वस्तुएं एवं सेवाएँ खरीदी जाती हैं, उन्हें आगत कहते हैं।

प्रश्न 8.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
आर्थिक वस्तु के लिए कीमत देनी पड़ती है जबकि अनार्थिक वस्तु के लिए कीमत नहीं देनी पड़ती।

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प्रश्न 9.
उपभोक्ता वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकता को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं।

प्रश्न 10.
पूंजीगत वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो अन्य वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होती हैं।

प्रश्न 11.
गैर टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं कौन सी हैं ?
उत्तर-
गैर-टिकाऊ या एक प्रयोग उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो एक बार उपभोग करने के बाद समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 12.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
चाय, ब्रैड, मक्खन, बिस्कुट आदि ।

प्रश्न 13.
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्द्ध टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग प्रायः एक वर्ष की अवधि तक किया जा सकता है जैसे कमीज़, फर्नीचर, परदे, क्राकरी आदि।

प्रश्न 14.
टिकाऊ उपभोग वस्तुओं के तथ्य को उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
टिकाऊ उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उपभोग बार-बार किया जा सकता है जैसे टी०वी०, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि।

प्रश्न 15.
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी हैं ?
उत्तर-
एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो उत्पादन की क्रिया में केवल एक बार ही प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे ईंधन, कच्चा माल आदि।

प्रश्न 16.
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं कौन-सी वस्तुएँ हैं ?
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
उपभोग वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में भेद का क्या आधार है ?
उत्तर-
इनमें अन्तर का आधार इनके उपभोग का उद्देश्य है।

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प्रश्न 18.
मध्यवर्ती उपभोग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है उत्पादन के लिए गैर टिकाऊ वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग।

प्रश्न 19.
फर्मों का मध्यवर्ती उपभोग क्या है ?
उत्तर-
उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है गैर टिकाऊ वस्तुओं और सेवाओं, विज्ञापन, अनुसन्धान तथा विकास आदि पर किया गया व्यय।

प्रश्न 20.
गैर वित्तीय निगमित उद्यमों के मध्यवर्ती उपभोग के उदाहरण दें।
उत्तर-
कच्चा माल और ईंधन।

प्रश्न 21.
टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जाता है जैसे मशीन।

प्रश्न 22.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जो पुनः बिक्री के लिए खरीदे जाते हैं।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ किसे कहते हैं ? Distinguish between material and non-material goods.)
उत्तर-
भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों में अग्रलिखित अंतर हैं –

भौतिक वस्तुएँ अभौतिक वस्तुएँ
1. इनका भौतिक स्वरूप होता है अर्थात् इन्हें देखा जा सकता है, छुआ जा सकता है। 1. इनका भौतिक स्वरूप नहीं होता।
2. इनके उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर होता है। 2. इनका उत्पादन और उपभोग साथ-साथ होता है।
3. इनका संग्रह किया जा सकता है। 3. इनका संग्रह नहीं किया जा सकता ।
4. इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तान्तरित किया जा सकता
है।
4. इन्हें हस्तान्तरति नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2.
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुएँ किसे कहते हैं ? (Distinguish between economic and non economic goods.) उत्तर-
आर्थिक तथा अनार्थिक वस्तुओं में निम्न अन्तर पाया जाता है-

आर्थिक वस्तुएँ अनार्थिक वस्तुएँ
1. इनकी पूर्ति सीमित होती है। 1. इनकी पूर्ति सीमित नहीं होती।
2. इनके लिए कीमत देनी पड़ती है। 2. ये निःशुल्क प्राप्त होती हैं।
3. इनका उत्पादन सीमित साधनों द्वारा किया जाता हैं जैसे हवा और धूप। 3. ये वस्तुएँ प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप प्राप्त होती है।

प्रश्न 3.
एक प्रयोग उपभोग वस्तुओं तथा टिकाऊ उपभोग वस्तुओं पर एक टिप्पणी लिखिए। (Write a note on single use consumer goods and consumer durables.)
उत्तर-
कई वस्तुएं एक ही बार प्रयोग में लाई जा सकती हैं जैसे फल, ईंधन, दूध, आटा, बिजली आदि। इन वस्तुओं का तुष्टिगुण एक बार के प्रयोग से समाप्त हो जाता है। ऐसी वस्तुओं को एकल प्रयोग वस्तुएँ अथवा गैर-टिकाऊ वस्तुएँ कहते हैं। सेवायें भी इसी श्रेणी में आती हैं। इन वस्तुओं की मांग निरन्तर रूप से की जाती रहती है। कई वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें निरन्तर रूप से कई वर्षों तक प्रयोग में लाया जा सकता है जैसे टेलीविज़न, फ्रिज, कार आदि। ऐसी वस्तुएँ टिकाऊ कहलाती हैं।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? (What do you mean by intermediate goods ?)
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएं प्रायः गैर टिकाऊ होती हैं। सभी गैर-साधन आगत (non factor inputs) मध्यवर्ती वस्तुएँ होते हैं। गैर साधन आगतों में साधन आगतों (factor inputs) को छोड़कर उत्पादन में काम आने वाले अन्य साधन शामिल हैं। साधन आगत टिकाऊ होते हैं। वर्ष के दौरान खरीदा गया माल भण्डार यदि वर्ष के दौरान प्रयोग में आ जाता है तो यह मध्यवर्ती वस्तु कहलाता है। मध्यवर्ती वस्तुएँ उत्पादन प्रक्रिया में पुनः प्रयोग में आती हैं और इनका सम्बन्ध उपभोग और निवेश के लिए नहीं होता। ये वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा के अन्दर होती हैं। मध्यवर्ती वस्तुएँ राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होतीं, केवल अन्तिम वस्तुओं का मूल्य आंका जाता है।

III. लयु उत्तरीय प्रश्न (Very Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अन्तिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? इसके दो उदाहरण दें। (What do you mean by final goods ? Give two examples of final goods.)
उत्तर-
अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका या तो अन्तिम उपभोग के लिए या पूंजी निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है। इनकी पुनः बिक्री नहीं होती। अन्तिम वस्तुएँ उत्पादन परिसीमा से बाहर निकलकर अन्तिम प्रयोग के लिए होती हैं। उदाहरण के लिए सोफा सेट, कपड़ा बनाने की मशीनें, स्कूटर, पंखे आदि अन्तिम वस्तुओं के उदाहरण हैं। अन्तिम वस्तुएँ दो प्रकार की हो सकती हैं-

  1. उपभोक्ता वस्तुएँ (वे अन्तिम वस्तुएँ जो उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को प्रत्यक्षरूप से सन्तुष्ट करती हैं जैसे टेलीविज़न (टिकाऊ वस्तु), कमीज, फर्नीचर (अर्द्ध टिकाऊ वस्तु) और गैर टिकाऊ वस्तुएँ (फल, सब्जी, दूध आदि) तथा
  2. पूंजीगत वस्तुएँ वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं जैसे कार, ट्रक, इमारतें, वायुयान, मशीनें, सड़कें, पुल आदि।

प्रश्न 2.
उत्पादन के मूल्य तथा मूल्य वृद्धि में अन्तर बताइये। (Explain the difference between value of output and value added.)
उत्तर-
उत्पादक फर्मे एक लेखा वर्ष के दौरान वस्तुओं के उत्पादन के लिए कच्चा-माल (मध्यवर्ती वस्तुएँ) और साधन आगतों (factor inputs) का प्रयोग करती हैं। विभिन्न फर्मे एवं उत्पादन इकाइयां भिन्न-भिन्न वस्तुओं का उत्पादन करती हैं। इस उत्पादन का मौद्रिक मूल्य, उत्पादन मूल्य (value of output) कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल होता है। इसलिए यह राष्ट्रीय आय की गणना का आधार नहीं हो सकता क्योंकि यहाँ दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है।

एक लेखा वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, जिसमें चालू कार्य में शुद्ध वृद्धि और स्व लेखा (own account) पर उत्पादित वस्तुएँ भी शामिल हैं, उत्पादन मूल्य कहलाता है। उत्पादन मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल है जिन्हें उत्पादित फर्म ने अन्य फर्मों से प्राप्त किया। यदि उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटा दिया जाये तो उसे मूल्य वृद्धि कहते हैं। उत्पादन मूल्य = फर्म द्वारा बिक्री + माल भण्डार में वृद्धि मूल्य वृद्धि = उत्पादन मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग प्रवाह में योगदान डाला जाता है। राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आंकड़े-राष्ट्रीय आय लेखा विधि में अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन, बांट तथा कुल उपभोग सम्बन्धी आंकड़ों की जानकारी दी गई होती है।

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प्रश्न 3.
बाजार से खरीदे गये रेफ्रिजरेटर के कौन-कौन से उपयोग हो सकते हैं ? (Explain the different uses of Refrigerator.)
उत्तर-
एक उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से अपनी आवश्यकता सन्तुष्ट करने के लिए फ्रिज खरीदता है तो यह प्रयोग घरेलू प्रयोग होगा। अतः यह उपभोक्ता वस्तु होगी और क्योंकि इसका प्रयोग बार-बार किया जायेगा, अत: यह टिकाऊ वस्तु होगी। सरकार द्वारा सैनिक उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाने वाला फ्रिज मध्यवर्ती वस्तु (Intermediate good) है। एक होटल द्वारा ठण्डा कोला बेचे जाने के लिए खरीदा फ्रिज पूंजीगत वस्तु है। वे अन्तिम वस्तुएँ जो आगे उत्पादन करने के लिए प्रयोग की जाती हैं, पूंजीगत वस्तुएँ कहलाती हैं। एक दवाई विक्रेता यदि फ्रिज दुकान के लिए खरीदता है तो वह पूंजीगत टिकाऊ वस्तु है।

प्रश्न 4.
मध्यवर्ती उपभोग की मांग को स्पष्ट कीजिये। (Explain the demand for intermediate consumption.)
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग की मांग अर्थव्यवस्था के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों द्वारा की जाती है। सभी उद्यमी दो प्रकार के आगतों (Inputs) का प्रयोग करके वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करते हैं। अर्थात् साधन आगत या प्राथमिक आगत (Factor inputs or primary inputs) तथा गैर साधन आगत या द्वितीयक आगत (Non-factor inputs or secondary inputs)। मध्यवर्ती उपभोग से अभिप्राय है सभी उत्पादक क्षेत्रों तथा सरकार द्वारा उत्पादन के लिए गैरसाधन आगतों का प्रयोग करना।

1.उद्यमियों का मध्यवर्ती उपभोग = उत्पादन में प्रयोग की जाने वाली गैर टिकाऊ वस्तुएँ व सेवायें (Non durable goods and services) + पूंजीगत स्टॉक की मरम्मत तथा रख-रखाव (Repair and maintenance of capital goods) + अनुसंधान तथा विकास पर व्यय (expenditure on research and development) + व्यावसायिक यात्राओं आदि पर व्यय (expenditure on business tours) + अन्य व्यय (परिवारों के मकान, दुकान, गोदाम, कारखानों की इमारतों के रख-रखाव पर व्यय)।

2. सामान्य सरकार का मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Consumption of General Government) = गैर टिकाऊ वस्तुएँ (Non durable goods) + टिकाऊ वस्तुएँ (Durable goods) + मरम्मत एवं रख-रखाव पर खर्च (expenditure on Repair and Maintenance) + विदेशों से उपहार तथा हस्तान्तरण (Gifts and Transfers from foreign governments)- विदेशों से प्राप्त जो वस्तुएँ बिना किसी परिवर्तन के उपभोक्ता परिवारों में वितरित कर दी जाती हैं उन्हें मध्यवर्ती वस्तु नहीं माना जाता। सरकार द्वारा खरीदी गई टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ तथा विदेशी सरकारों से प्राप्त वस्तुओं का शुद्ध मूल्य निकालने के लिए उनके क्रय मूल्य से सरकार द्वारा पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त रकम को घटा दिया जाता है।

प्रश्न 5.
स्व-उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुओं के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। (Explain the nature of goods produced for self-consumption.)
उत्तर-
प्रत्येक देश में अनेक उदाहरण ऐसे मिलते हैं जहां उत्पादक उत्पादन का एक भाग अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रखते हैं और परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद जो भी अधिशेष उत्पादन बचता है उसे बाज़ार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है। यह बात केवल वस्तुओं पर ही लागू नहीं होती बल्कि सेवाओं पर भी लागू होती है। पारिवारिक स्नेह या उत्तरदायित्व के कारण जब कोई व्यक्ति अपनी सेवाएं प्रदान करता है तो वे सेवाएं स्व-उपभोग सेवाएं कहलाती हैं।

उदाहरण के लिए गृहिणी परिवार में अनेक बहुमूल्य सेवाएं प्रदान करती है। परिवार के लिए भोजन बनाना, परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े सीना, अस्वस्थ होने पर नर्स का कार्य करना, घर में बच्चों को शिक्षा देना, कढ़ाई-बुनाई आदि। यदि ये सेवाएं हम पारिश्रमिक द्वारा प्राप्त करना चाहें तो सम्भवतः प्राप्त न हों क्योंकि हम मुद्रा द्वारा भोजन तो प्राप्त कर सकते हैं परन्तु उस भोजन में जो भाव होता है उसे कहाँ से लाया जाए ? जब तक अध्यापक अपने बच्चे को घर पर पढ़ाता है, नर्स अपने बच्चे की देखभाल करती हैं, एक कलाकार अपने घर के लिए चित्र बनाता है, एक डॉक्टर अपनी पत्नी का इलाज करता है आदि ये सभी स्व-उपभोग सेवाओं के उदाहरण हैं।

एक किसान अपने उपभोग के लिए कुल उत्पादन में से गेहूँ का एक भाग रख लेता है, एक जुलाहा अपने उत्पादन में से घर के लिए कपड़ा बचा लेता है, एक मोची अपने उत्पादन में से जूते अपने लिए रख लेता है, ये सभी स्व-उपभोग के उदाहरण हैं। हम कह सकते हैं कि स्व-उपभोग के लिए उपयोग में लाई गई वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्यांकन नहीं होता जबकि ये वस्तुएँ और सेवाएं मौद्रिक मूल्य रखती हैं।

प्रश्न 6.
स्टॉक तथा प्रवाह में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
स्टॉक तथा प्रवाह में अन्तरस्टॉकया ।

स्टॉक प्रवाह
1. स्टॉक का माप समय के बिन्दु पर किया जाता 1. प्रवाह का माप समय की अवधि में किया जाता
है।
2. स्टॉक का समय काल नहीं होता। 2. स्टॉक का समय काल होता है जैसे प्रति घण्टा, प्रति महीना आदि।
3. प्रवाह एक परिवर्तनशील धारणा है। 3. स्टॉक एक स्थिर धारणा है।
4. प्रवाह देश में स्टॉक को प्रभावित करता है। 4. स्टॉक देश में प्रवाह को निर्धारित करता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का वर्णन कीजिए। (What is meant by goods ? Mention the different types of goods.)
उत्तर-
मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। वस्तुएं भौतिक होती हैं तथा सेवाएं अभौतिक होती हैं। पदार्थ वे वस्तुएं हैं जिन्हें मनुष्य प्राप्त करना चाहता है। वे सब वस्तुएँ जो मानव की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करती हैं, पदार्थ कहलाती हैं। (Goods are desirable things. All things that satisfy human wants are called goods-Marshall). राष्ट्रीय आय लेखांकन में मनुष्य द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं को कई वर्गों में बांट दिया जाता है।
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1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer Goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता वस्तुएं अन्तिम उपभोग के लिए प्रयोग की जाती हैं। उदाहरण के लिए कमीज़, चाय, पैप्सी, कोला, पैन आदि।

(A) एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं (Single Use Consumer Goods)-एक प्रयोग वाली उपभोग वस्तुएं वे जिनका उपभोग केवल एक बार ही किया जाता है अर्थात् जो एक बार उपयोग करने के साथ ही समाप्त हो जाती हैं। जैसे रोटी, चाय, कॉफी, आदि।

(B) टिकाऊ उपभोग वस्तुएं (Durable Consumer Goods)-टिकाऊ वस्तुएँ वे वस्तुए हैं जिनका काफी लम्बे समय तक उपयोग किया जा सकता है। जैसे-रेडियो, कार, स्कूटर, वाशिंग मशीन, टेलीविज़न आदि टिकाऊ उपभोग वस्तुएं हैं।

2. पूंजीगत पदार्थ या उत्पादक वस्तुएं (Capital or Producer’s Goods)-पूंजीगत पदार्थ वे पदार्थ हैं जो वस्तुओं का उत्पादन करने में सहायक होते हैं। ये वस्तुएं प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट नहीं करतीं। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन के फलस्वरूप पूंजी का निर्माण होता है। पूंजीगत वस्तुओं को भी दो भागों में बांटा जा सकता है।

(A) एक प्रयोग पूंजीगत वस्तुएं (Single use Capital Goods)-एक प्रयोग पूंजीगत उत्पादक वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उत्पादन की एक ही क्रिया में समाप्त हो जाती हैं। जैसे-कच्चा माल।

(B) टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ (Durable Capital Goods)-टिकाऊ पूंजीगत वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन क्रिया में दीर्घकाल के लिए अनेक बार प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मशीनें, यन्त्र, फैक्ट्री, ट्रैक्टर आदि।

प्रश्न 2.
आर्थिक वस्तुओं तथा अनार्थिक वस्तुओं में अन्तर बताइये। (Distinguish between economic goods and non-economic goods.)
उत्तर-
उत्पादन प्रक्रिया के अन्तर्गत अनेक पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। इसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थों को शामिल किया जाता है। भौतिक पदार्थों को वस्तुएं कहते हैं जबकि अभौतिक पदार्थों को सेवायें कहा जाता है। वस्तुओं के उत्पादन तथा उपभोग में समय अन्तर होता है, जबकि सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में समय अन्तर नहीं होता।

आर्थिक पदार्थ (Economic Goods)-ये वे पदार्थ हैं जो मानव द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कीमत देकर प्राप्त किए जाते हैं। ऐसी वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए हमें आर्थिक कार्य करने पड़ते हैं जिससे आर्थिक साधनों को प्राप्त किया जा सके। इन्हें प्राप्त करने के लिए या तो मुद्रा अथवा अन्य वस्तुओं का त्याग करना पड़ता है।

अनार्थिक पदार्थ (Non-Economic Goods)-अनार्थिक वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जो प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त हो जाती हैं। इनके लिए साधनों का त्याग नहीं किया जाता। ये लागतहीन वस्तुएं होती हैं। जैसे-हवा, धूप, रोशनी, रेत आदि। आर्थिक और अनार्थिक वस्तुओं के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं खींची जा सकती। उदाहरण के लिए गांवों में पानी एक अनार्थिक वस्तु हैं, क्योंकि यह नि:शुल्क प्राप्त होता है परन्तु शहरों में पानी एक आर्थिक वस्तु है, क्योंकि इसके लिए मूल्य चुकाना पड़ता है।

इन दोनों प्रकार के पदार्थों में आधारभूत अन्तर पदार्थ की दुर्लभता (Scarcity) है। यहां दुर्लभता का प्रयोग तुलनात्मक (relative) अर्थों में किया जाता है। इनका सम्बन्ध वस्तुओं की निरपेक्ष (absolute) मात्रा से नहीं है। दुर्लभता का पता करने के लिए हमें मांग या पूर्ति की तुलना करनी पड़ती है। उस वस्तु को दुर्लभ कहते हैं जिसकी मांग, पूर्ति से अधिक हो। जिस वस्तु की मांग पूर्ति से बहुत कम हो वह वस्तु दुर्लभ नहीं होती, जैसे-गन्दे अण्डे, सड़े हुए टमाटर आदि। इसी कारण ये पदार्थ नि:शुल्क प्राप्त होते हैं। कोई वस्तु अथवा सेवा आर्थिक पदार्थ है या नहीं, इसका निर्णय उसके मूल्य पर निर्भर करता है। नि:शुल्क प्राप्त पदार्थ का वर्गीकरण न तो निश्चित है और न ही स्थायी। संसार में विकास के साथ-साथ नि:शुल्क पदार्थों का क्षेत्र कम हो रहा है तथा आर्थिक पदार्थों का क्षेत्र बढ़ रहा है।

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प्रश्न 3.
वस्तुओं एवं सेवाओं के अन्तिम उपभोग का वर्गीकरण कीजिए। (Classify the final consumption of goods and services.) उत्तर-
अन्तिम उपभोग के अनुसार वस्तुओं एवं सेवाओं को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1. उपभोक्ता वस्तुएं (Consumer goods)-उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जो उपभोक्ता की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्ट करती हैं। उपभोक्ता गृहस्थ एवं सामान्य सरकार दोनों ही उपभोक्ता वस्तुओं की मांग करते हैं। उपभोक्ता वस्तु टिकाऊ तथा गैर टिकाऊ हो सकती है। उपभोक्ता गृहस्थों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली उपभोक्ता वस्तुओं में कार, रेफ्रिजरेटर, स्कूटर, टी.वी., वी.सी. आर. वाशिंग मशीन, एयर कंडीशनर आदि को शामिल किया जाता है। अर्द्ध टिकाऊ वस्तुओं (semi durables) में फर्नीचर, पर्दे आदि को शामिल किया जाता है जो सामान्यतः एक वर्ष तक चलते हैं। टिकाऊ वस्तुओं का उपयोग सामान्य सरकार द्वारा भी किया जाता है और ये सामान्य सरकार के अन्तिम उपभोग व्यय में शामिल होती हैं। इसी प्रकार गृहस्थों तथा सामान्य सरकार द्वारा उपभोग की गई गैर-टिकाऊ वस्तुओं में खाद्य पदार्थ,पेय-पदार्थ, दवाइयां, पेट्रोल, पेन्सिल, कागज़, स्याही, साबुन, तेल आदि शामिल होते हैं। ये वस्तुएं भी उनके अन्तिम उपभोग व्यय का हिस्सा होती हैं।

2. मध्यवर्ती वस्तुएं (Intermediate Goods)-मध्यवर्ती वस्तुएं वे वस्तुएं हैं जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है या जिनकी पुनः बिक्री की जाती है। सामान्यतः सरकार द्वारा वाहनों, हवाई जहाज़ों, सैनिक सामान के गोदामों, रेफ्रिजरेटर्स आदि का उपभोग मध्यवर्ती वस्तुओं के उपभोग के उदाहरण हैं। इसी प्रकार गैर टिकाऊ वस्तुएं एवं सेवायें जैसे कि स्टेशनरी, कपड़ा, पेट्रोल, तेल आदि जिनका उपयोग निगमित उद्यमों एवं सरकार द्वारा उत्पादन के दौरान किया जाता है, मध्यवर्ती वस्तुएं कहलाती हैं। परन्तु यदि इन्हीं वस्तुओं व सेवाओं का उपभोग यदि गृहस्थों द्वारा किया जाता है तो इन्हें उपभोक्ता वस्तुएँ कहेंगे।

3. पूंजीगत वस्तुएँ (Capital Goods)-भावी उत्पादन के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग किया जाता है उन्हें पूंजीगत वस्तुएं कहते हैं। फैक्ट्री की इमारत, मशीनें, प्लांट, उपस्कर, सड़क, बांध, नहरें, हवाई जहाज़, ट्रक आदि टिकाऊ पूंजीगत वस्तुओं के उदाहरण हैं। पूंजीगत वस्तुओं में कच्चे माल के स्टॉक, अर्ध निर्मित वस्तुओं के स्टॉक तथा अन्तिम वस्तुओं के स्टॉक भी शामिल किए जाते हैं। पूंजीगत वस्तुओं का उपभोग अर्थव्यवस्था के केवल उत्पादक क्षेत्र के द्वारा ही किया जाता है। एक वस्तु जो एक श्रेणी के उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता वस्तु हैं, दूसरी श्रेणी के लिए मध्यवर्ती वस्तु और तीसरी श्रेणी के उपभोक्ता के लिए पूंजीगत वस्तु कहलाती है। सरकार द्वारा उपभोग की गई सभी मध्यवर्ती वस्तुएँ उसके अन्तिम उपभोग का अंग है।

प्रश्न 4.
पूंजी निर्माण से क्या अभिप्राय है ? सकल घरेलू पूंजी निर्माण तथा सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण में अन्तर बताइये। (Explain the meaning of capital formation. Distinguish between Gross Domestic capital formation and Gross Domestic fixed capital formation.)
उत्तर-
एक वित्तीय वर्ष में उपभोग की तुलना में उत्पादन के आधिक्य (surplus) को जिसे भविष्य में उत्पादन में प्रयोग किया जाता है, पंजी निर्माण कहते हैं। एक वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण तथा स्टॉक में परिवर्तन के योग को सकल घरेलू पूंजी निर्माण कहते हैं। सकल घरेलू पूंजी निर्माण = सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन। सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण एक वित्तीय वर्ष में नई परिसम्पत्तियों तथा पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों के शुद्ध क्रय का जोड़ है।

सकल घरेलू स्थिर पूंजी निर्माण = नई परिसम्पत्तियां + पुरानी भौतिक परिसम्पत्तियों का शुद्ध क्रय। नई परिसम्पत्तियों को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है-

  • बाज़ार में उत्पादन इकाइयों से क्रय करके तथा
  • स्वयं के उपभोग के लिए उत्पादन द्वारा। उदाहरण के लिए सरकार पैराशूट बनाने के लिए धागा या कपड़ा निजी उद्यमों से बाज़ार में खरीद सकती है या स्वयं के उपयोग हेतु इसका उत्पादन कर सकती है। नई परिसम्पत्तियों को विदेशों से भी आयात किया जा सकता है। निजी एवं सार्वजनिक उद्यम दोनों ही आयातित परिसम्पत्तियों को प्राप्त कर सकते हैं।

ये परिसम्पत्तियां निम्न हैं

  1. सड़कें एवं पुल
  2. इमारतें,
  3. विनिर्माण क्रिया (Construction Activity)
  4. परिवहन उपस्कर (Transport Equipment) तथा
  5. मशीनें, प्लांट एवं अन्य उपस्कर (Machinery, Plants and other Equipments)।

पुरानी सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय (Purchase and sale of old assets)-पुरानी परिसम्पत्तियों के क्रयविक्रय को भी स्थिर घरेलू पूंजी निर्माण में शामिल किया जाता है। तकनीकी परिवर्तनों के साथ अपने उद्यम को समन्वित करने के उद्देश्य से अपनी पुरानी और अप्रचालित भौतिक परिसम्पत्तियों को बेचकर नई परिसम्पत्तियां प्राप्त करते हैं।

स्टॉक में परिवर्तन (Change in Stock or Inventories)-स्टॉक के भौतिक मूल्य में निम्न रूपों में परिवर्तन हो सकते हैं –
(क) उत्पादक गृहस्थों तथा उद्यमों के पास कच्चे माल, अर्द्ध-निर्मित माल तथा निर्मित माल के स्टॉक में परिवर्तन।
(ख) सरकार के स्वामित्व में सामरिक महत्त्व (Strategic importance) के तथा खाद्यान्नों के स्टॉक में परिवर्तन।
(ग) उद्यमों द्वारा बूचड़खानों (Slaughter houses) में काम आने वाले पशुओं के स्टॉक में परिवर्तन। स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक (Closing Stock)-आरम्भिक स्टॉक (Opening Stock)।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

PSEB 12th Class Economics समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता है।

प्रश्न 2.
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
चुनाव की समस्या दुर्लभता के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता वह स्थिति है जिसमें मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते।

प्रश्न 4.
पदार्थों की माँग जब पूर्ति से अधिक होती है तो इस स्थिति को क्या कहा जाता है ?
अथवा
सभी आर्थिक समस्याओं की जननी क्या है ?
उत्तर-
दुर्लभता।

प्रश्न 5.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र एक गृहस्थी, एक फ़र्म तथा एक उद्योग से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

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प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

प्रश्न 7.
आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोगों में से चुनाव करने की समस्या को आर्थिक समस्या कहते हैं।

प्रश्न 8.
एक गृहस्थी की आर्थिक समस्याओं के अध्ययन को कौन-सा अर्थशास्त्र कहा जाता है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 9.
सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर चुनाव अथवा साधन के बंटवारे की समस्याओं का अध्ययन किस अर्थशास्त्र में किया जाता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थ शास्त्र।

प्रश्न 10.
अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध दुर्लभता के कारण, चयन की समस्या से होता है, जिस द्वारा व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 11.
दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं। कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज को चयन करना पड़ता है, जिस द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त की जा सके, इसलिए दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 12.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है।

प्रश्न 13.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
दोनों है।

प्रश्न 14.
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं ?
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक प्रो० एडम स्मिथ हैं।

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प्रश्न 15.
व्यष्टि अर्थशास्त्र का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
कीमत सिद्धान्त।

प्रश्न 16.
समष्टि अर्थशास्त्र को और क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
रोज़गार सिद्धान्त।

प्रश्न 17.
पूंजीवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीवाद वह आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन निजी लोगों के हाथ में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 18.
समाजवाद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समाजवाद में उत्पादन के साधन सरकार के हाथ में होते हैं और उत्पादन सामाजिक भलाई के उद्देश्य से किया जाता है।

प्रश्न 19.
समष्टि आर्थिक चरों की उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सकल उत्पादन, कुल निवेश, समग्र रोज़गार आदि समष्टि अर्थशास्त्र के चर हैं।

प्रश्न 20.
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र, व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करता है और समष्टि अर्थशास्त्र सामूहिक इकाइयों का अध्ययन करता है।

प्रश्न 21.
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन, समष्टि आर्थिक अध्ययन है या व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है ?
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है।

प्रश्न 22.
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन कहां केन्द्रित रहता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन, आय तथा रोज़गार निर्धारण पर केन्द्रित रहता है।

प्रश्न 23.
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में कब जागृत हुई है ?
उत्तर-
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में केन्जीय क्रान्ति (Keynesian Revolution) के बाद ही जागृत हुई है।

प्रश्न 24.
आर्थिक सिद्धान्त का कौन-सा भाग राष्ट्रीय आय तथा रोजगार की समस्याओं से सम्बन्धित है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 25.
जे० एम० केन्ज़ की महत्त्वपूर्ण पुस्तक का क्या नाम है ? वह कौन-से वर्ष में प्रकाशित हुई ?
उत्तर-
“जनरल थ्यौरी ऑफ एंपलायमैंट इंटरैस्ट एंड मनी’ जोकि 1936 में प्रकाशित हुई।

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प्रश्न 26.
विश्व में पहली महामंदी (Great Depression) कब आई थी ?
उत्तर-
पहली महामंदी 1929-30 में आई थी।

प्रश्न 27.
मानवीय आवश्यकताएँ ………… हैं।
(a) सीमित
(b) असीमित
(c) दुर्लभ
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) असीमित।

प्रश्न 28.
अर्थशास्त्र शब्द किस भाषा से लिया गया है ?
(a) फ्रेंच
(b) लैटिन
(c) ग्रीक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ग्रीक।

प्रश्न 29.
अर्थशास्त्र के पितामह कौन है ?
(a) मार्शल
(b) रोबिन्ज़
(c) एडम स्मिथ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) एडम स्मिथ।

प्रश्न 30.
अर्थशास्त्र प्रबन्ध का विज्ञान है ?
(a) सीमित साधन
(b) असीमित आवश्यकताओं
(c) विकल्प प्रयोगों
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।
उत्तर-
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।

प्रश्न 31. अर्थशास्त्र का विषय ………………
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) विज्ञान और कला
(d) न विज्ञान और न कला।
उत्तर-
(c) विज्ञान और कला।

प्रश्न 32.
व्यष्टि अर्थशास्त्र को …………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) रोज़गार सिद्धान्त
(c) आय सिद्धान्त
(d) कृषि सिद्धान्त।
उत्तर-
(a) कीमत सिद्धान्त।

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प्रश्न 33.
समष्टि अर्थशास्त्र को ………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) आर्थिक विकास सिद्धान्त
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त।

प्रश्न 34.
एक व्यक्ति की आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करने को …………. कहा जाता है ।
(a) पारिवारिक अर्थशास्त्र
(b) समष्टि अर्थशास्त्र
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 35.
सामूहिक अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन को …….. अर्थशास्त्र कहा जाता है।
(a) व्यष्टि
(b) समष्टि
(c) अन्तर्राष्ट्रीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) समष्टि।

प्रश्न 36.
दुर्लभता से अभिप्राय उस अवस्था से होता है जब साधनों की पूर्ति माँग से कम होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 37.
समष्टि अर्थशास्त्र में एक व्यक्ति की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 38.
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसका सम्बन्ध राष्ट्रीय आय तथा रोजगार से होता है उसको समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं ?
उत्तर-
सही।

प्रश्न 39.
अर्थशास्त्र केवल शुद्ध विज्ञान है ?
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 40.
व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र का नाम रैगनर फरिस्च ने दिया।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
जिस क्रिया में मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह दोनों होते हैं उसको आर्थिक क्रिया कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 42.
दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं; कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 43.
ग़रीबी तथा दुर्लभता में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
ग़रीबी का अर्थ है बहुत कम वस्तुओं का होना, दुर्लभता का अर्थ है वस्तुओं की मात्रा की तुलना में वस्तुओं की आवश्यकताओं का अधिक होना।

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प्रश्न 44.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके मनुष्य की इच्छाओं की सन्तुष्टि करना होता है को ……. कहते हैं।
(a) आर्थिक क्रिया
(b) अनार्थिक क्रिया
(c) सोचने की क्रिया
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) आर्थिक क्रिया।

प्रश्न 45.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध बस्तुओं की खरीद-बेच से होता है को ………. कहते हैं।
(a) उपभोग
(b) विनिमय
(c) उत्पादन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) विनिमय।

प्रश्न 46.
वह अर्थव्यवस्था जिस ऊपर सरकार का लगभग पूर्ण नियन्त्रण होता है को ………अर्थव्यवस्था कहते हैं।
उत्तर-
समाजवादी।

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में से कौन-सा आर्थिक प्रणाली का रूप नहीं है ?
(a) लोकतन्त्र
(b) पूंजीवाद
(c) समाजवाद
(d) मिश्रित अर्थव्यवस्था।
उत्तर-
(a) लोकतन्त्र।

प्रश्न 48.
दुर्लभता से संबंधित अर्थशास्त्र की परिभाषा किसने दी ?
उत्तर-
राबिन्ज़ ने।

II. अति लय उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर-
साधारण लोगों में यह धारणा पाई जाती है कि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध रुपये-पैसे (Money) कमाने तथा उसका प्रबन्ध करने से होता है। परन्तु यह धारणा ग़लत है। अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता | (Economics is about making choice due to scarcity.)

प्रश्न 2.
व्यष्टि अथवा व्यक्तिगत अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध आर्थिक समस्या की लघु इकाइयों से होता है, जब हम आर्थिक समस्या को छोटेछोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन करते हैं तो इस विधि को व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण कहा जाता है।

प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था तथा उसके समूहों अथवा औसतों का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, रोज़गार, साधारण कीमत स्तर, कुल उपभोग, कुल बचत इत्यादि सामूहिक समस्याओं का हल किया जाता है।

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प्रश्न 4.
व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं के समुच्चयों तथा औसतों का विशेष तौर पर अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन की दो विधियां हैं।

प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 6.
आर्थिक क्रिया से क्या अभिप्राय है ? आर्थिक क्रियाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
जिस क्रिया का सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दुर्लभ साधनों के उपयोग से होता है उसको आर्थिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया में मुद्रा प्रवाह तथा सेवाओं का प्रवाह होता है। अर्थशास्त्र की मुख्य आर्थिक क्रियाएं हैं-

  • उत्पादन (Production)
  • उपभोग (Consumption)
  • निवेश (Investment)
  • विनिमय (Exchange)
  • वितरण (Distribution)
  • वित्त (Finance).

प्रश्न 7.
दुर्लभता और चुनाव अर्थशास्त्र के सार हैं। स्पष्ट करें।
अथवा
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
दुर्लभता के कारण चुनाव होता है। चुनाव से अभिप्राय है निर्णय लेने की प्रक्रिया जिसका सम्बन्ध सीमित साधनों का इस प्रकार से प्रयोग होता है जिससे उपभोगी को अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो, उत्पादक को अधिकतम लाभ तथा राष्ट्र का अधिकतम विकास हो। इसलिए दुर्लभता और चुनाव को अलग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8.
आर्थिक संगठन या प्रणालियों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
आर्थिक संगठन या प्रणालियां तीन प्रकार की हैं –

  1. पूंजीवाद-इस प्रणाली में लोगों को उपभोग, उत्पादन, विनिमय करने की स्वतन्त्रता होती है। आर्थिक क्रियाओं का संचालन कीमत यंत्र द्वारा होता है।
  2. समाजवाद-इस प्रणाली में उपभोग उत्पादन, विनिमय का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। कीमत सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था-इस प्रणाली में कुछ आर्थिक क्रियाएं निजी लोगों द्वारा तथा कुछ आर्थिक क्रियाएं सरकार द्वारा संचालन की जाती हैं। इसमें निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र मिलकर काम करते हैं। भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था पाई जाती है।

प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र की प्रकृति स्पष्ट करें।
अथवा
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र की प्रकृति से अभिप्राय है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है। अर्थशास्त्र वास्तविक तथा आदर्शात्मक विज्ञान है और कला भी है। अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है क्योंकि इसमें विज्ञान के नियम हैं। अर्थशास्त्र आदर्शात्मक विज्ञान है क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि क्या होना चाहिए। अर्थशास्त्र कला है जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें। अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई चार अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर को नीचे दिए सची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
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प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व

  1. अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग यह समझाना है कि अर्थव्यवस्था कार्य करती है।
  2. आर्थिक नीतियों का निर्माण व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी सहायक होता है। साधनों के उचित विभाजन के लिए पूंजीवादी अर्थव्यवस्था महत्त्वपूर्ण योगदान डालती है।
  3. आर्थिक निर्णय-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं; जैसे कि एक वस्तु की कीमत का निर्धारण, फ़र्म की लागत तथा लाभ का ज्ञान प्राप्त होता है।
  4. आर्थिक कल्याण-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण का आधार है। इससे उपभोग तथा उत्पादन की स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है।
  5. भविष्यवाणी-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा भविष्यवाणियां की जाती हैं, जैसे कि एक वस्तु की मांग बढ़ जाती है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ जाएगी।

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प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताओ।
उत्तर-

  • अर्थव्यवस्था का अध्ययन-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था का ज्ञान होता है।
  • आर्थिक विकास-समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक देश के आर्थिक विकास के निर्धारक तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • कीमत स्तर का अध्ययन-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है। इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा होती है।
  • आर्थिक नीतियों का निर्माण-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है, जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं के समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण होती हैं।
  • भुगतान सन्तुलन-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है, जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं। इससे समूची अर्थव्यवस्था को सन्तुलन में रखने के लिए सहायता मिलती है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र का वर्णन करें।
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की मुख्य शाखाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांट कर अध्ययन किया जाता है-
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  1. राष्ट्रीय आय का सिद्धान्त (Theory of National Income)-समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, इसके माप तथा धारणाओं का अध्ययन किया जाता है।
  2. रोज़गार का सिद्धान्त (Theory of Employment)-समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण तथा बेरोज़गारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
  3. मुद्रा का सिद्धान्त (Theory of Money)-मुद्रा का अर्थ, मुद्रा के प्रभाव तथा कार्यों का अध्ययन किया जाता है। इसमें मुद्रा बाज़ार तथा पूँजी बाज़ार के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
  4. आर्थिक विकास का सिद्धान्त (Theory of Economic Development)- आर्थिक विकास का अर्थ किसी देश की प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि से होता है। यह भी समष्टि अर्थशास्त्र का एक भाग माना जाता है।
  5. कीमत स्तर का सिद्धान्त (Theory of Price Level)-एक देश में कीमत स्तर बढ़ने के क्या कारण होते हैं तथा मुद्रा स्फीति को कैसे रोका जा सकता है, यह भी समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में शामिल है।
  6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धान्त (Theory of International Trade)-विभिन्न देशों में होने वाले व्यापार का भी अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आता है।

IV. दीर्य उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र क्या है ? इसका क्षेत्र स्पष्ट करो। (What is Economics ? Discuss its Scope.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र क्या है? (What is Economics ?)-अर्थशास्त्र दूसरे समाज शास्त्रों से एक नया विज्ञान है। एडम स्मिथ (Adam Smith) को अर्थशास्त्र का पिता माना जाता है; जिन्होंने 1776 में अपनी पुस्तक (Wealth of Nations) लिखी। इसमें उन्होंने कहा ‘अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है।’ परन्तु इस परिभाषा से अर्थशास्त्र बदनाम हो गया। प्रो० मार्शल (Marshall) ने कहा कि अर्थशास्त्र मनुष्यों का विज्ञान है, जिसमें मानवीय भलाई को अधिकतम करने का अध्ययन किया जाता है। प्रो० रोबिन्ज़ (Robbins) ने अर्थशास्त्र की वैज्ञानिक परिभाषा दी। उनके अनुसार, “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है, जिसका सम्बन्ध अधिक आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोगों वाले सीमित साधनों से होता है। प्रो० सेम्यूलसन (Samulson) के अनुसार अर्थशास्त्र व्यक्तिगत सन्तुष्टि तथा सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित है। अर्थशास्त्र के सम्बन्ध में हम यह कह सकते हैं, “अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है,

जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।” (“Economics is a science of human behaviour which studies problems of choice arising out of scarcity, so the individuals and society can maximise their social welfare.”) अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Economics)-अर्थशास्त्र के क्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है1. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री (Subject Matter of Economics)-अर्थशास्त्र की विषय सामग्री अर्थव्यवस्था की प्रकृति तथा व्यवहार की व्याख्या से सम्बन्धित है। देश में बेरोज़गारी, कीमत वृद्धि, निर्धनता, असमानता इत्यादि बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए दो तरह की विधियों का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत आर्थिक विश्लेषण तथा सामूहिक आर्थिक विश्लेषण की सहायता से कीमत नीति, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति तथा आर्थिक नियोजन आदि का अध्ययन किया जाता है। इसी तरह अर्थशास्त्र का मुख्य विषय आर्थिक समस्याओं की जांच पड़ताल करके इन समस्याओं के हल के लिए सुझाव देना है।

2. अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics)-अर्थशास्त्र की प्रकृति में हम देखते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला।
(i) अर्थशास्त्र विज्ञान है (Economics is a Science)-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जबकि फिजिक्स, कैमिस्ट्री आदि प्राकृतिक विज्ञान हैं। अर्थशास्त्र का क्रमवार अध्ययन किया जाता है, इसके वैज्ञानिक नियम हैं तथा ये नियम सर्वव्यापी हैं। इस कारण अर्थशास्त्र विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार के होते
(a) वास्तविक विज्ञान (Positive Science)-वास्तविक विज्ञान का सम्बन्ध क्या है? (What is Positive Science) से होता है। मानवीय आवश्यकताएँ असीमित हैं। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधन सीमित हैं। यह वास्तविक सच्चाई है कि साधनों के वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं, जिस कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है।
(b) आदर्शमय विज्ञान (Normative Science)-आदर्शमय विज्ञान वह विज्ञान होता है, जिसका सम्बन्ध “क्या होना चाहिए” (What ought to be) से होता है। अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि कीमत में स्थिरता होनी चाहिए। निर्धन लोगों पर कम कर लगाए जाएं। इसलिए अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है।

(ii) अर्थशास्त्र कला है (Economics is an Art)-किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सिद्धान्तिक ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग को कला कहा जाता है। भारत में कीमतें निरन्तर तीव्रता से बढ़ रही हैं। इन कीमतों की वृद्धि को रोकने के लिए सरकार आर्थिक नीति तथा राजकोषीय नीति का प्रयोग करके कीमतों को नियन्त्रण में रखने का प्रयत्न करती है। इससे स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र विज्ञान भी है और कला भी है।

प्रश्न 2.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करो। (Explain the difference between Micro and Macro Economics.)
उत्तर-
व्यक्तिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सम्बन्ध व्यटि गत आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि एक मनुष्य, एक फ़र्म, एक उद्योग अथवा एक बाज़ार की समस्याएँ। सामूहिक अर्थशास्त्र (Macro Economics)-सामूहिक अर्थशास्त्र का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि बेरोज़गारी, राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उपभोग तथा साधारण कीमत स्तर का अध्ययन सामूहिक अर्थशास्त्र द्वारा किया जाता है। प्रो० शेपीरो के शब्दों में, “सामूहिक अर्थशास्त्र समूची अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता से सम्बन्धित होता है।” (Macro Economics deals with the functioning of the economy as a Whole.-Shapiro)

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर – (Difference between Micro & Macro Economics)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र 3

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर्निर्भरता (Inter-dependence of Micro and Macro Economics)-
चाहे व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत स्तर पर कमी तथा चयन की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में समूची अर्थव्यवस्था के स्तर पर इन समस्याओं सम्बन्धी अध्ययन करते हैं, परन्तु यह दोनों एकदूसरे पर अन्तर्निर्भर हैं।
1. व्यक्तिगत अर्थशास्त्र सामूहिक अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Micro depends on Macro Economics) यदि हम व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की किसी आर्थिक समस्या का हल करना चाहते हैं तो सामहिक अर्थशास्त्र के बगैर यह संभव नहीं होता। जैसे कि एक फ़र्म द्वारा वस्तु की कीमत निर्धारण करते समय ध्यान में रखना पड़ेगा कि बाकी की वस्तुओं की कीमतों में कितना परिवर्तन हुआ है। यदि बाकी वस्तुओं की कीमतें दो गुणा बढ़ गई हैं तो फ़र्म अपनी वस्तु की कीमत दो गुणा कर देगी।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

2. सामूहिक अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Macro depends on Micro Economics) यदि हम राष्ट्रीय आय का माप करना चाहते हैं तो यह सामूहिक अर्थशास्त्र की समस्या है। इस उद्देश्य के लिए देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक की आय का पता किया जाएगा। जब एक मनुष्य की आय का अध्ययन करते हैं तो यह व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की समस्या बन जाती है। इस प्रकार यह दोनों विधियाँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रो० सैम्यूलसन ने ठीक कहा है, “व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई अंतर नहीं। दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। आप पूरी तरह शिक्षित नहीं होंगे यदि आपको एक का ज्ञान है तथा दूसरी विधि सम्बन्धी अज्ञानी हों।”

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र के महत्त्व और आर्थिक प्रणाली की किस्मों का वर्णन कीजिये। (Describe the Importance of Economics and types of economic system)
उत्तर-
अर्थशास्त्र का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अर्थशास्त्र का अध्ययन-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जिसका सम्बन्ध एक अर्थवयवस्था में दुर्लभ संसाधनों का इस प्रकार बंटवारा करना है कि समाज को अधिकतम सामाजिक कल्याण पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।

2. आर्थिक नीतियों का निर्माण-अर्थशास्त्र का महत्त्व आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी देखा जा सकता है। देश में क्या उत्पादन किया जाए? कैसे उत्पादन किया जाए ? किसके लिये उत्पादन किया जाए ? वस्तुओं की कितनी कीमत होनी चाहिये। जोकि अर्थशास्त्र की सहायता से निर्माण को जाती हैं।

3. आर्थिक कल्याण में सहायक-अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक कल्याण में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।

4. आर्थिक प्रबन्ध में सहायक-अर्थशास्त्र विभिन्न फ़र्मों के लिये आर्थिक प्रबन्ध में सहायक होता है। वस्तु की लागत, बिक्री, कीमत आदि प्रबन्धक निर्णय लेने के लिए अर्थशास्त्र सहायक होता है।

5. भविष्यवाणियों में सहायक-अर्थशास्त्र का ज्ञान भविष्यवाणी करने के लिये भी सहायक होता है। देश का उत्पादन देश में ही प्रयोग किया जाए अथवा इसको विदेशों में बेचा जाए। विदेशों में बेचने से लाभ होगा अथवा हानि होगी। अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण के आदर्श की प्राप्ति के लिये भी महत्त्वपूर्ण होता है। अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसका महत्त्व प्रत्येक क्षेत्र में नज़र आता है और यह प्रत्येक के लिये अनिवार्य है।

आर्थिक प्रणाली की किस्में (Types of Economic Systems)-आर्थिक प्रणाली की मुख्य तीन किस्में हैं –
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy)-अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन-भूमि, श्रम, पूँजी, संगठन-निजी लोगों के अधिकार में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था में सभी मुख्य आर्थिक निर्णय लोगों द्वारा लिए जाते हैं और जो बिना सरकारी हस्तक्षेप के बाज़ारी दशाओं द्वारा निर्धारित और नियन्त्रित किये जाते हैं। बाज़ारी दशाओं से हमारा अभिप्राय पदार्थों, सेवाओं की मांग व पूर्ति की दशाओं, उनकी कीमतों व उत्पादन लागतों, लाभ व हानि आदि से है। ये बाज़ारी दशाएं कीमत प्रणाली को जन्म देती हैं जिनके संकेत पर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था संचालित होती है।

2. समाजवादी अर्थवयवस्था (Socialistic Economy)-समाजवाद से अभिप्राय है उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व, सरकार द्वारा नियोजन तथा आय का पुनर्वितरण । अर्थात् समाजवाद वह आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साथन समाज के अधिकार में होते हैं और जिसमें धन का उत्पादन, थोड़े से व्यक्तियों के निजी लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक भलाई के विचार से किया जाता है। बाजार में कीमतें सरकार द्वारा ही निर्धारित की जाती हैं।

3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)-मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जिसमें कुछ आर्थिक निर्णय पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की भांति लोगों द्वारा निजी लाभ के लिये जाते हैं और कुछ आर्थिक निर्णय समाजवादी अर्थव्यवस्था की भांति राज्य द्वारा लिए जाते हैं। इसमें पूँजीवादी तथा समाजवादी आर्थिक प्रणाली, दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्था के लक्षण पाए जाते हैं। इस प्रकार इस अर्थव्यवस्था को पूँजीवाद और समाजवाद के बीच सुनहरी रास्ता (Mixed Mean) कहा जाता है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताएँ। (Explain the Importance of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व (Importance of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है –
1. अर्थव्यवस्था का अध्ययन (Study of Economy)-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. राष्ट्रीय आय का अध्ययन (Study of National Income)-राष्ट्रीय आय से ही विभिन्न देशों की आर्थिक स्थितियों की तुलना की जा सकती है। इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा राष्ट्रीय आय का अध्ययन करके विश्व में एक देश की आर्थिक प्रगति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

3. आर्थिक नीतियों का निर्माण (Formulation of Economic Policies)-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं का हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।

4. कीमत स्तर का अध्ययन (Study of Price Level)-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है, इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा प्राप्त होती है।

5. भुगतान सन्तुलन (Balance of Payment)-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं।

6. व्यापार चक्रों का अध्ययन (Study of Trade Cycles).-व्यापार चक्र अर्थव्यवस्था बुरा प्रभाव डालते हैं। इनका अध्ययन भी समष्टि अर्थशास्त्र में ही सम्भव है।

7. आर्थिक विकास (Economic Development)-आर्थिक विकास प्राप्त करना प्रत्येक देश का मुख्य लक्ष्य बन गया है। इस महत्त्व के लिए आर्थिक नीतियों का निर्माण करके आर्थिक विकास तेज़ी से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ बताएँ। (Explain the Limitations of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ (Limitations of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
1. समष्टि विरोधाभास (Macro Paradoxes)-समष्टि अर्थशास्त्र का सबसे बड़ा दोष यह है कि व्यक्तिगत निष्कर्ष जब समूहों में लागू किए जाते हैं तो वह गलत सिद्ध होते हैं। इसे ही समष्टि विरोधाभास कहते हैं। कीमतों में वृद्धि अमीर लोगों के लिए इतनी कष्टमय नहीं होती जितनी के गरीब लोगों के लिए होती है।

2. समष्टि अर्थशास्त्र की अवास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions of Macro Economics) समष्टि अर्थशास्त्र की पाँच मुख्य मान्यताएँ हैं-

  • अल्पकाल
  • बंद अर्थव्यवस्था
  • पूर्ण प्रतियोगिता
  • अल्परोज़गार सन्तुलन
  • मुद्रा संचय का कार्य भी करती है।

यह मान्यताएँ अर्थव्यवस्था के सभी समूहों पर लागू नहीं होती क्योंकि अर्थव्यवस्था में सभी समूह एक समान होते और उनमें विभिन्नता भी पाई जाती है।

3. गलत नीतियाँ (Wrong Policies)- समष्टि अर्थव्यवस्था के अध्ययन से कई बार हम इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । इसलिए आर्थिक नीति में किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार बहुत-सी नीतियाँ गलत बनाई जा सकती हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र

4. माप में कठिनाई (Difficulty in Measurement)-समष्टि अर्थशास्त्र की एक सीमा यह भी है कि इसके चरों जैसा कि कुल उपभोग, कुल निवेश, कुल आय आदि का माप करना आसान नहीं होता।

5. व्यक्तिगत इकाइयों पर निर्भर (Dependence on Individual Units)-समष्टि अर्थशास्त्र के बहुत-से नतीजे व्यक्तिगत इकाइयों पर आधारित होते हैं, परन्तु वह ठीक नहीं। जो नतीजे व्यक्तियों पर लागू होते हैं, ज़रूरी नहीं कि वह समूहों पर भी ठीक लागू हों। इसको संरचना का भुलेखा (Fallacy of Composition) भी कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

PSEB 12th Class Economics राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधन आय से अभिप्राय उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में आय, लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
हस्तान्तरण आय (Transfare Payments) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हस्तान्तरण भुगतान वह भुगतान है जो बिना किसी सेवा प्रदान किए ही दिए जाते हैं। जैसे कि बुढ़ापा पैन्शन, बेरोज़गारी भत्ता, इत्यादि।

प्रश्न 3.
घरेलू साधन आय को परिभाषित करो।
उत्तर-
घरेलू साधन आय एक देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसको घरेलू साधन आय कहा जाता है।

प्रश्न 4.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन (GNPAP) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार कीमत के मूल्य को बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को भी शामिल किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 5.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPL) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादन वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार कीमत पर मूल्य के योग को बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है, यदि इसमें से मशीनों की मूल्य घिसावट घटा दी जाए तो इसको बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) कहते हैं।

प्रश्न 6.
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
उत्तर-
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद का अर्थ उत्पादन के साधनों को सेवाएं प्रदान करने के बदले में लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होने वाली आय का योग होता है। इसमें मशीनों की घिसावट का मूल्य भी शामिल होता है।

प्रश्न 7.
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन (NNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
अथवा
राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधनों द्वारा एक वर्ष में जो लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त की जाती है, उसके योग में से यदि मशीनों की घिसावट (Depreciation) को घटा दिया जाए तो इसको साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 8.
घरेलू साधन आय में क्या शामिल किया जाए जिससे राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाती है ?
उत्तर-
घरेलू साधन उत्पादन देश के निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अन्दर प्राप्त की गई आय होती है। यदि हम इस आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल कर लेते हैं तो राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक कब होती है ?
उत्तर-
घरेलू साधन आय में उत्पादन के साधनों द्वारा लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ को शामिल किया जाता है। यदि हम घरेलू साधन आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़ लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। घरेलु साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक होगी, यदि विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 10.
सकल घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद के समान कब होता है ?
उत्तर-
देश की घरेलू सीमा में निवासियों द्वारा एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के योग को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाए तो सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है। सकल घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद के समान होता है, जब विदेशों से प्राप्त साधन आय शून्य होती है।

प्रश्न 11.
घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक कब होती है ?
उत्तर-
जब विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय ऋणात्मक होती है तो घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक होती है।

प्रश्न 12.
हरे सकल घरेलू उत्पाद (Green GNP) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि से निर्धनता तथा प्रदूषण नहीं फैलता तथा जब सकल राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि प्राकृतिक वातावरण के दुरुपयोग तथा विकास के लाभों का समान वितरण करता है तो इसको अर्थशास्त्री हरे सकल घरेलू उत्पादन (Green GNP) का नाम देते हैं।

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प्रश्न 13.
कौन सी मदें हैं जो सकल राष्ट्रीय उत्पाद (G.N.P.) में से बाहर निकाली जाती हैं ?
उत्तर-
निम्नलिखित मदें सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं की जाती :

  • घर की गृहिणी द्वारा घर का काम करना
  • पिता का अपने पुत्र को पढ़ाना
  • गैर-कानूनी क्रियाएं (समगलिंग, जुआ इत्यादि)।

प्रश्न 14.
गैर-बाज़ार क्रियाओं का अर्थ स्पष्ट करो।
उत्तर-
गैर-बाज़ार क्रियाओं में उन सेवाओं को शामिल किया जाता है, जो बाज़ार में बिकने के लिए नहीं आती।

प्रश्न 15.
आराम (Leisure) को सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में शामिल नहीं किया जाता है। कारण बताओ।
उत्तर-
आराम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि(i) आराम (Leisure) द्वारा आय की सृजना नहीं होती। (ii) ऐसी क्रिया के मूल्य का माप नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 16.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) लॉटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना।
(ii) नई कार की खरीद।
उत्तर-
(i) लाटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।
(ii) नई कार की खरीद-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 17.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) स्वयं-उपभोग के लिए रखा उत्पादन।
(ii) बुढ़ापा पैन्शन।
उत्तर-
(i) स्वयं उपभोग के लिए रखा उत्पादन- इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
(ii) बुढ़ापा पैन्शन-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।

प्रश्न 18.
क्या निम्नलिखित आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ?
(i) विदेशी बैंक द्वारा भारत में से प्राप्त आय।
(ii) शेयरों की बिक्री से आय।
उत्तर
(i) विदेशी बैंक द्वारा भारत में से प्राप्त आय-इस बैंक द्वारा प्राप्त आय को भारत की राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह ब्रांच भारत में स्थित है।
(ii) शेयरों की बिक्री से आय-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि शेयरों की बिक्री से वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन नहीं होता।

प्रश्न 19.
राष्ट्रीय आय तथा घरेलू आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
घरेलू आय देश के साधारण निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अन्दर प्राप्त की साधन आय लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ का योग है। यदि हम इस आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन जोड़ लेते हैं तो राष्ट्रीय आय प्राप्त होती है। राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय|

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प्रश्न 20.
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय तथा स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
जब राष्ट्रीय आय का माप प्रचलित कीमतों पर किया जाता है तो इसको चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है। जब राष्ट्रीय आय का माप स्थिर कीमतों पर किया जाता है तो इसको वास्तविक आय कहा जाता है।

प्रश्न 21.
सकल राष्ट्रीय उत्पादन के बढ़े मूल्य को घटाने से क्या उद्देश्य है ?
उत्तर-
चालू कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन को वास्तविक कीमतों (आधार वर्ष की कीमतों) के मापने को सकल राष्ट्रीय उत्पादन के बढ़े मूल्य को घटाना (GNP deflator) कहा जाता है।
GNP deflator = \(\frac{\text { Nominal GNP }}{\text { Real GNP }} \times 100\)

प्रश्न 22.
परिभाषित करो
(a) मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(b) वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
उत्तर-
(a) मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Nominal G.N.P.)-यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद का माप चालू बाज़ार की कीमत पर किया जाता है तो इसको मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।
(b) वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Real GNP)-सकल राष्ट्रीय उत्पाद को स्थिर कीमतों पर मापा जाता है तो इसको वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 23.
घिसावट (Depreciation) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
स्थिर पूंजी के उपभोग से क्या अभिप्राय है ? इसके मुख्य अंश बताओ।
उत्तर-
घिसावट को स्थिर पूंजी का उपभोग भी कहा जाता है, जब स्थिर भण्डारों का प्रयोग किया जाता है तो इनके मूल्य की कमी को घिसावट कहा जाता है। घिसावट में-

  • साधारण टूट-फूट पर घिसाई
  • नई तकनीकों के आविष्कार से पुरानी मशीनों का प्रयोग न होना
  • मशीनों का खराब होना शामिल होता है।

प्रश्न 24.
अंतिम वस्तुओं तथा मध्यवर्ती वस्तुओं में क्या अन्तर होता है ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Goods)- यह वह वस्तुएं होती हैं, जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए अथवा पुनः बिक्री के लिए किया जाता है।
अन्तिम वस्तुएं (Final Goods)-वह वस्तुएं होती हैं जो अन्तिम उपभोग अथवा निवेश के लिए प्रयोग की जाती हैं, जैसे कि होटल वाले के लिए आटा मध्यवर्ती वस्तु है तथा परिवारों के लिए आटा अन्तिम वस्तु है।

प्रश्न 25.
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक देश के साधारण निवासियों द्वारा एक वर्ष में एक देश में जो साधन आय का योग होता है, उसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। राष्ट्रीय आय में यदि हम शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण शामिल कर लेते हैं तो इसको शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय कहा जाता है।

प्रश्न 26.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद तथा राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रीय व्यय योग्य आय एक देश के साधारण निवासियों को एक वर्ष में सभी साधनों द्वारा प्राप्त आय होती है, जिसको वह उपभोग अथवा बचत कर सकते हैं। बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में शेष विश्व से अन्य चालू हस्तान्तरण योगकर राष्ट्रीय व्यय योग्य आय प्राप्त होती है।
National Disposable Income = NNP Mp + Other Current Transfers from the rest of the World
अथवा
Gross National Disposable Income = GNP Mp + Other Current Transfers from the rest of the World.

प्रश्न 27.
निजी आय (Private Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी क्षेत्र को सभी साधनों द्वारा जो कुल आय प्राप्त होती है, जिसमें चालू हस्तान्तरण आय को भी शामिल किया जाए तो इसके योग को निजी आय कहा जाता है।
प्राइवेट आय =
(i) शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त निजी क्षेत्र की आय + (ii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय + (iii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + (iv) सरकार से प्राप्त चालू हस्तान्तरण +(v) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण।

प्रश्न 28.
चालू हस्तान्तरण तथा पूंजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-

  • चालू हस्तान्तरण (Current Transfers)-चालू हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होती है, जो अदा करने वाले द्वारा चालू आय में से उपभोग व्यय के लिए लोगों को दी जाती है।
  • पूंजी हस्तान्तरण (Capital Transfers)-पूंजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण है जो अदा करने वाले द्वारा धन अथवा बचत में से प्राप्त करने वाले के धन अथवा बचत के लिए दी जाती है।

प्रश्न 29.
व्यक्तिगत आय (Personal Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत आय वह आय है, जोकि व्यक्तियों द्वारा साधन आय के रूप में अथवा चालू हस्तान्तरण के रूप में सभी साधनों से प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 30.
निजी आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत आय = निजी आय (-) निगम कर-निगम बचत अथवा निगमों के अनवितरण लाभ। इससे ज्ञात होता है कि निजी आय विशाल धारणा है, जबकि व्यक्तिगत आय इसका भाग है। निजी आय में से निगम कर तथा निगम बचत घटाकर व्यक्तिगत आय प्राप्त की जाती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 31.
वह नागरिक जो एक देश में रहते हैं और उनके हित उस देश से जुड़े होते हैं, को ……… कहते हैं।
(क) विदेशी नागरिक
(ख) प्रवासी नागरिक
(ग) साधारण नागरिक
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) साधारण नागरिक।

प्रश्न 32.
अप्रत्यक्ष कर और आर्थिक सहायता के अन्तर को …….. कहते हैं।
(क) सकल अप्रत्यक्ष कर
(ख) प्रत्यक्ष कर
(ग) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 33.
उपभोग के लिए अन्तिम वस्तुओं के उपभोग को ………. कहते हैं।
(क) निवेश व्यय
(ख) उपभोग व्यय
(ग) राष्ट्रीय आय
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) उपभोग व्यय।

प्रश्न 34.
अप्रत्यक्ष कर तथा आर्थिक सहायता के अन्तर को …………. कहते हैं।
उत्तर-
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 35.
व्यक्तियों को सभी स्रोतों से असल में प्राप्त आय और हस्तातरण भुगतान के योग को ……….. कहते हैं।
उत्तर-
निजी आय।

प्रश्न 36.
वह भुगतान जो किसी बगैर किसी सेवा के प्रदान किए जाते हैं, को ….. कहते हैं।
उत्तर-
हस्तांतरण भुगतान।

प्रश्न 37.
बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) में है। …….. किया जाए तो बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त होता है।
(क) घिसावट
(ख) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(ग) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ग) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 38.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) ………… = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP).
उत्तर-
घिसावट।

प्रश्न 39.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMD)………….. साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC)
उत्तर-
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 40.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPM) (-) ………….. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) अथवा राष्ट्रीय आय (Material Income)
उत्तर-
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 41.
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPR) (-) ……….. = राष्ट्रीय आय (National Income)
उत्तर-
घिसावट।

प्रश्न 42.
निजी आय (-) निगमकर (-) निगमों को आबंटित लाभ ……….
उत्तर-
व्यक्तिगत आय।

प्रश्न 43.
वह वस्तुएँ जिनका प्रयोग और वस्तुओं के उत्पादन अथवा पुनः बिक्री के लिए किया जाता है को ……………….. कहते हैं।
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ।

प्रश्न 44.
वह वस्तुएँ जिनका प्रयोग अन्तिम उपभोग अथवा निवेश के लिए किया जाता है, को …….. कहते हैं।
उत्तर-
अन्तिम वस्तुएँ।

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधन आय से अभिप्राय उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में आय, लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है। उत्पादन प्रक्रिया में सेवाएं प्रदान करने के बदले में प्राप्त होने वाली आय को साधन आय कहा जाता है।

प्रश्न 2.
हस्तान्तरण आय (Transfer Payments) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हस्तान्तरण भुगतान वह भुगतान है जो बिना किसी सेवा प्रदान किए ही दिए जाते हैं। यह एक-तरफा भुगतान होते हैं, जैसे कि बुढ़ापा पैन्शन, बेरोज़गारी भत्ता, इत्यादि।

प्रश्न 3.
घरेलू साधन आय को परिभाषित करो।
उत्तर-
घरेलू साधन आय एक देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादन के साधनों को काम करने के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसको घरेलू साधन आय कहा जाता है।

प्रश्न 4.
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन (GNPL) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार कीमत के मूल्य को बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को भी शामिल किया जाता है।

प्रश्न 5.
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPM) को परिभाषित करो।
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में उत्पादन वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के योग को बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है, यदि इसमें से मशीनों की मूल्य घिसावट घटा दी जाए तो इसको बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) कहते हैं।
NNPMP = GNPMP – Depreciation

प्रश्न 6.
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
उत्तर-
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद का अर्थ उत्पादन के साधनों को सेवाएं प्रदान करने के बदले में लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होने वाली आय का योग होता है। इसमें मशीनों की घिसावट का मूल्य भी शामिल होता है।

प्रश्न 7.
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन (NNP at Factor Cost) को परिभाषित करो।
अथवा
राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधनों द्वारा एक वर्ष में जो लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में आय प्राप्त की जाती है, उसके योग में से यदि मशीनों की घिसावट (Depreciation) को घटा दिया जाए तो इसको साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है।

प्रश्न 8.
घरेलू साधन आय में क्या शामिल किया जाए जिससे राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाए ?
उत्तर-
घरेलू साधन उत्पादन देश के निवासियों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अन्दर प्राप्त की गई आय होती है। यदि हम इस आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल कर लेते हैं तो राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक कब होती है ?
उत्तर-
घरेलू साधन आय में उत्पादन के साधनों द्वारा लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ को शामिल किया जाता है। यदि हम घरेलू साधन आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़ लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। घरेलू साधन आय, राष्ट्रीय आय से अधिक होगी, यदि विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय ऋणात्मक होती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 10.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) लॉटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना।
(ii) नई कार की खरीद।
उत्तर-
(i) लाटरी द्वारा ईनाम प्राप्त करना-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।।
(ii) नई कार की खरीद-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 11.
क्या निम्नलिखित क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है ? कारण बताओ।
(i) स्वयं-उपभोग के लिए रखा उत्पादन
(ii) बुढ़ापा पैन्शन।
उत्तर-
(i) स्वयं उपभोग के लिए रखा उत्पादन
(ii) बुढ़ापा पैन्शन-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, क्योंकि इससे मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होती।

प्रश्न 12.
घिसावट (Depreciation) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
स्थिर पूंजी के उपभोग से क्या अभिप्राय है ? इसके मुख्य अंश बताओ।
उत्तर-
घिसावट को स्थिर पूंजी का उपभोग भी कहा जाता है, जब स्थिर भण्डारों का प्रयोग किया जाता है तो इनके मूल्य की कमी को घिसावट कहा जाता है। घिसावट में-

  • साधारण टूट-फूट पर घिसाई
  • नई तकनीकों के आविष्कार से पुरानी मशीनों का प्रयोग न होना
  • मशीनों का खराब होना शामिल होता है।

प्रश्न 13.
अंतिम वस्तुओं तथा मध्यवर्ती वस्तुओं में क्या अन्तर होता है ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Goods)-यह वह वस्तुएं होती हैं, जिनका प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए अथवा पुनः बिक्री के लिए किया जाता है। अन्तिम वस्तुएं (Final Goods)-वह वस्तुएं होती हैं जो अन्तिम उपभोग अथवा निवेश के लिए प्रयोग की जाती हैं, जैसे कि होटल वाले के लिए आटा मध्यवर्ती वस्तु है तथा परिवारों के लिए आटा अन्तिम वस्तु है।

प्रश्न 14.
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक देश के साधारण निवासियों द्वारा एक वर्ष में एक देश में जो साधन आय का योग होता है, उसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। राष्ट्रीय आय में यदि हम शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण शामिल कर लेते हैं तो इसको शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय कहा जाता है।

प्रश्न 15.
निजी आय (Private Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी क्षेत्र को सभी साधनों द्वारा जो कुल आय प्राप्त होती है, जिसमें चालू हस्तान्तरण आय को भी शामिल किया जाए तो इसके योग को निजी आय कहा जाता है।
प्राइवेट आय = (i) शुद्ध घरेलू उत्पाद से प्राप्त निजी क्षेत्र की आय + (ii) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय + (iii) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + (iv) सरकार से प्राप्त चालू हस्तान्तरण + (v) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 16.
चालू हस्तान्तरण तथा पूंजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-

  • चालू हस्तान्तरण (Current Transfers)-चालू हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होती है, जो अदा करने वाले द्वारा चालू आय में से उपभोग व्यय के लिए लोगों को दी जाती है।
  • पूंजी हस्तान्तरण (Capital Transfers)-पूंजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण है जो अदा करने वाले द्वारा धन अथवा बचत में से प्राप्त करने वाले के धन अथवा बचत के लिए दी जाती है।

प्रश्न 17.
व्यक्तिगत आय (Personal Income) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यक्तिगत आय वह आय है, जोकि व्यक्तियों द्वारा साधन आय के रूप में अथवा चालू हस्तान्तरण के रूप में सभी साधनों से प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 18.
निजी आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत आय = निजी आय (-) निगम कर-निगम बचत अथवा निगमों के अनवितरण लाभ। इससे ज्ञात होता है कि निजी आय विशाल धारणा है, जबकि व्यक्तिगत आय इसका भाग है। निजी आय में से निगम कर तथा निगम बचत घटाकर व्यक्तिगत आय प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 19.
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय वह आय है जोकि एक देश के व्यक्ति तथा परिवार उपभोग पर व्यय कर सकते हैं अथवा बचत कर सकते हैं। निजी व्यय योग्य आय तथा निजी आय में अन्तर इस प्रकार है व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय-व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर-सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की फीस तथा जुर्माने।

प्रश्न 20.
बाज़ार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में देश के साधारण निवासियों द्वारा जो अन्तिम वस्तुएं तथा सेवाएं प्रदान की जाती हैं उसके बाज़ार मूल्य को बाज़ार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद (GDP at market Price) कहा जाता है।

III. लयु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन आय के अंश बताओ।
उत्तर-
साधन आय के अंश इस प्रकार हैं-

  1. कर्मचारियों का मेहनताना-उद्यमियों द्वारा कर्मचारियों को नकद मज़दूरी तथा वेतन अथवा बोनस में मेहनताना दिया जाता है तथा इन कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा योजना में पाए गए योगदान को कर्मचारियों का मेहनताना कहते हैं। इसको साधन आय में शामिल किया जाता है।
  2. प्रचालन बेशी-इसमें जायदाद से आय तथा उद्यमवृत्ति से आय को शामिल किया जाता है। इसमें लगान,ब्याज तथा लाभ को शामिल किया जाता है। (लाभ = लाभांश + निगम कर + अवितरित लाभ)
  3. मिश्रित आय–निजी इकाइयों द्वारा प्राप्त लाभ तथा स्वयं नियोजता की आय को मिश्रित आय कहते हैं। इनके जोड़ से साधन आय प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 2.
घरेलू साधन आय के अंश बताओ। राष्ट्रीय आय प्राप्त करने के लिए इसमें क्या शामिल किया जाता है तथा क्यों ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश की घरेलू सीमा में साधनों की आय के योग को घरेलू साधन आय कहा जाता है। घरेलू साधन आय =
(1) कर्मचारियों का मेहनताना + (2) प्रचालन बेशी + (3) मिश्रित आय।
राष्ट्रीय आय प्राप्त करने के लिए घरेलू साधन आय प्राप्त करने के लिए विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को घरेलू साधन आय में जोड़ा जाता है| राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = विदेशी शहरों द्वारा एक देश में से प्राप्त की साधन आय–इस देश के साधारण शहरियों द्वारा विदेशों से प्राप्त की गई साधन आय।

प्रश्न 3.
बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद तथा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अन्तर बताओ।
उत्तर-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
(-) घिसावट
(-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(+) विदेशों से शुद्ध साधन आय।

अन्तर का आधार बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP Market Price) साधन लागत परशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP Factor Cost)
1. घिसावट इसमें स्थित पूंजी की घिसावट शामिल होती है। इसमें घिसावट शामिल नहीं होती।
2. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर-सबसिडी) शामिल होती है। इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं होते।
3. विदेशों से शुद्ध साधन आय इसमें विदेशों से शुद्ध साधन आय शामिल नहीं होती। इसमें देश के साधारण निवासियों तथा विदेशियों द्वारा घरेलू क्षेत्र की पैदावार को जोड़ते हैं। इसमें देश के साधारण निवासियों द्वारा घरेलू क्षेत्र अथवा विदेशी क्षेत्र में उत्पादकता को जोड़ते हैं।

प्रश्न 4.
साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद तथा बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अन्तर बताओ।
उत्तर-
साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP)
(-) घिसावट (+) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
(+) विदेशों से शुद्ध साधन आय

अन्तर का आधार बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC)
1. घिसावट इसमें घिसावट शामिल नहीं होती। इसमें घिसावट शामिल होती है।
2. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल होते | इसमें शुद्ध अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं
होते।
3. विदेशों से शुद्ध साधन आय इसमें विदेशों से शुद्ध साधन आय शामिल होती है। इसमें विदेशों से शुद्ध साधन आय शामिल नहीं होती।

प्रश्न 5.
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य तथा बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NDI) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध साधन आय (NNPMP) + शेष विश्व से चालू हस्तान्तरण
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 1
कुल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GNPL) + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (Gross National Disposable Income)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 6.
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय तथा राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
निजी व्यय योग्य आय तथा राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर-

व्यक्तिगत व्यय योग्य आय राष्टीय व्यय योग्य आय
1. यह देश के व्यक्तियों तथा परिवारों की व्यय योग्य आय होती है। 1. यह देश की व्यय योग्य आय होती है।
2. व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत उपभोग + व्यक्तिगत बचतें। 2. राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (उपहार, उपभोगी सामान, फ़ौजी सामान तथा नकद मुद्रा)

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आय तथा निजी आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय तथा निजी आय में अन्तर इस प्रकार है-

अन्तर का आधार राष्ट्रीय आय निजी आय
(1) क्षेत्र इसमें सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है। इसमें केवल निजी क्षेत्र से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है।
(2) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज राष्ट्रीय आय में राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को शामिल नहीं किया जाता। निजी आय में राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को शामिल किया जाता है।
(3) हस्तान्तरण आय राष्ट्रीय आय में किसी किस्म की हस्तान्तरण आय को शामिल नहीं किया जाता। इसमें केवल साधन आय को जोड़ते हैं। निजी आय में सरकार से प्राप्त चालू हस्तान्तरण तथा शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण को जोड़ते हैं। इसमें साधन आय भी जोड़ी जाती है।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय आय तथा व्यक्तिगत आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-

अन्तर का आधार राष्ट्रीय आय (National Income) व्यक्तिगत आय (Personal Income)
(1) हस्तान्तरण आय राष्ट्रीय आय में केवल साधन आय को शामिल किया जाता है, हस्तान्तरण आय को शामिल नहीं किया जाता। व्यक्तिगत आय में साधन आय तथा हस्तान्तरण आय दोनों को ही शामिल किया जाता है।
(2) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। इसको व्यक्तिगत आय में शामिल किया जाता है।
(3) निगम कर तथा बचतें निगम कर तथा बचतों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। निगम कर तथा बचतों को व्यक्तिगत आय में शामिल नहीं किया जाता।
(4) सरकारी क्षेत्र की आय सरकारी क्षेत्र में काम करके उद्योगों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। सरकारी क्षेत्र की आय को व्यक्तिगत आय में शामिल नहीं किया जाता।

प्रश्न 9.
व्यक्तिगत आय तथा व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यक्तिगत आय-व्यक्तियों तथा परिवारों को साधन आय तथा हस्तान्तरण आय के योग को व्यक्तिगत आय कहा जाता है। यह व्यय योग्य आय से विशाल धारणा है। व्यय योग्य आय-जो आय व्यक्तियों तथा परिवारों के पास प्रत्यक्ष निजी कर जैसे कि आय कर तथा हाऊस कर देने के पश्चात् तथा सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की फीस तथा जुर्माने देने के उपरान्त लोगों के पास रह जाती है, उसको व्यय योग्य आय कहा जाता है। व्यय योग्य आय का उपभोग किया जा सकता है अथवा बचत की जा सकती है। व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय-प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की फीस तथा जुर्माने।

प्रश्न 10.
वह तीन धारणाएं बताओ जो सकल तथा शुद्ध बाज़ार कीमत तथा साधन लागत, घरेलू तथा राष्ट्रीय धारणाओं में अन्तर स्पष्ट करती है ।
उत्तर-

  1. घिसावट (Depreciation)सकल तथा शुद्ध आय में अन्तर को घिसावट द्वारा स्पष्ट किया जाता है। सकल आय अथवा उत्पाद = शुद्ध आय अथवा उत्पाद + घिसावट
  2. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes) बाज़ार कीमत तथा साधन लागत पर राष्ट्रीय आय की धारणाओं को शुद्ध अप्रत्यक्ष करों द्वारा सम्बन्धित किया जाता है। शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = अप्रत्यक्ष कर-सबसिडी साधन लागत पर आय = बाज़ार कीमत पर आय-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
  3. विदेशों से शुद्ध साधन आय (Net Factor Income from Abroad)-जब हम घरेलू तथा राष्ट्रीय आय की धारणाओं में अन्तर करते हैं तो विदेशों से शुद्ध साधन आय द्वारा इनमें सम्बन्ध स्थापित होता है। घरेलू आय = राष्ट्रीय आय–विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय तथा राष्ट्रीय आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रीय प्रयोज्य आय (National Disposable Income) से अभिप्राय उस शुद्ध आय से है जोकि उस देश को खर्च करने के लिए उपलब्ध होती है। राष्ट्रीय प्रयोज्य आय को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है| राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण राष्ट्रीय आय से अभिप्राय साधन लागत पर शुद्ध घरेलू आय और विदेशों से शुद्ध साधन आय का योग होता है। इस प्रकार राष्ट्रीय प्रयोज्य आय तथा राष्ट्रीय आय में अन्तर इस प्रकार होता है राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय प्रयोज्य आय-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर-शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण

प्रश्न 12.
सकल प्रयोज्य आय तथा शुद्ध प्रयोज्य आय में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
सकल प्रयोज्य आय वह आय है जोकि देश के निवासियों को सभी स्रोतों से उपभोग तथा बचत के लिए प्राप्त होती है। सकल प्रयोज्य आय में अर्थव्यवस्था की घिसावट लागत शामिल होती है। अर्थव्यवस्था की घिसावट लागत को हम पुनः स्थानापन्न लागत भी कहते हैं। इस प्रकार किसी देश में सकल प्रयोज्य आय उस देश की राष्ट्रीय आय, शुद्ध अप्रत्यक्ष कर तथा बाकी विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण का जोड़ होता है। यदि इसमें से पुनःस्थापन लागत या घिसावट लागत कम कर दी जाए तो इसको शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय कहा जाता है। शुद्ध प्रयोज्य आय = सकल राष्ट्रीय आय-चालू पुनः स्थापन लागत अथवा घिसावट लागत

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय अथवा उत्पादन की विभिन्न धारणाएं कौन-कौन सी हैं ? इनके सम्बन्ध को स्पष्ट करो। (What are the different concepts of National Product or Income ? Show their relationship.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय अथवा उत्पादन की मुख्य धारणाएं निम्नलिखित हैं-

  1. बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
  2. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
  3. बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP)
  4. बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP)
  5. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद अथवा घरेलू साधन आय (NDPFC)
  6. साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद अथवा सकल घरेलू आय (GDPFC)
  7. साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा सकल राष्ट्रीय आय (GNPFC)
  8. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय (NNPFC or National Income)
  9. सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (Gross Disposable National Income)
  10. शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (Net Disposable National Income) इन धारणाओं के बिना राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण धारणाएं इस प्रकार हैं
  11. निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय
  12. निजी आय (Private Income)
  13. व्यक्तिगत आय (Personal Income)
  14. व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) इन धारणाओं के परस्पर सम्बन्ध को एक तालिका द्वारा निम्नलिखित रेखाचित्र 1 अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 3

राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय की धारणाओं का सम्बन्ध इस प्रकार है-

  1. बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) –  तथा सेवाओं का बाज़ार कीमत पर मूल्य।
  2. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)
  3. बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) घिसावट (Depreciation)
  4. बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) = बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP)- विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)
  5. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद अथवा शुद्ध घरेलू आय (NDPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP)-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (N.I.T.)
  6. साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद अथवा सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद अथवा शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) + घिसावट (Depreciation)
  7. साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा सकल राष्ट्रीय आय (GNPFC) = साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद अथवा सकल घरेलू आय (GDPFC) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)
  8. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा शुद्ध राष्ट्रीय आय (NNPFC or National Income) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) – घिसावट (Depreciation)
  9. सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GDNI) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) + शेष विश्व से चालू हस्तान्तरण।
  10. शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NDNI) = सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GDNI) (-) घिसावट (Depreciation)

अथवा व्यक्तियों तथा परिवारों की व्यय योग्य आय का योग इन धारणाओं के बिना कुछ अन्य धारणाएं इस प्रकार हैं, जिनका सम्बन्ध 5वीं धारणा साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPRO) से आरम्भ करते हैं।

  1. निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद-सरकारी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय। 1. गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें 2. विभागीय उद्यमों को सम्पत्ति तथा उद्यम श्रमिक से आय)
  2.  निजी आय (Private Income) = निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय (+) विदेशों से शुद्ध साधन आय (+) सरकारी क्षेत्र से हस्तान्तरण आय (+) शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण (+) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज।
  3. व्यक्तिगत आय (Personal Income) = निजी क्षेत्र-निगम कर-निगम बचतें निगमों के अवितरित लाभ
  4. व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = व्यक्तिगत आय-व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां (फीस तथा जुर्माने)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 2.
निम्नलिखित धारणाओं में अन्तर बताओ
(i) GDPMP and GNPMP
(ii) GDPMP and NNPMP
(iii) GDP at FC and NNP at MP
(iv) GNP at FC and NNP at FC
(v) GDP and NNP
(vi) GNP at FC and GNP at MP
(vii) GNP at MP and NDP at FC
(viii) GDP at MP and NNP at FC.
उत्तर-
राष्ट्रीय आय की धारणाओं का सम्बन्ध-रेखाचित्र 2 अनुसार-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 4
बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)-एक वर्ष में एक देश में देश के साधारण निवासियों द्वारा जो अन्तिम वस्तुएं तथा सेवाएं उत्पादन की जाती हैं, उसके बाज़ार मूल्य को बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। यदि अकेला GDP दिया हो तो इससे अभिप्राय कीमत पर होता है।

बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में यदि विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (Net Factor Income from abroad (NFYA) को सम्मिलित किया जाए तो बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्राप्त हो जाता है। यदि अकेला GNP दिया हो तो यह बाज़ार कीमत पर होता है।

(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन (GNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) (+) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

(ii) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) (-) घिसावट (Depreciation)

(iii) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पादन (GDPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) + घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes)

(iv) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP at FC) + घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

(v) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) (-) घिसावट (Depreciation)

(vi) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) (+) घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

(vii) साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes)

(viii) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NFPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) (-) घिसावट (Depreciation) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes)

(ix) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) (-) घिसावट (Depreciation) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA)

प्रश्न 3.
भारत की अर्थव्यवस्था के 1982-83 के आंकड़े चालू कीमतों अनुसार दिए गए हैं। इनसे
(i) NNPFC
(ii) NNPMP
(iii) GNPMP
(iv) GDPMP
(v) GNPFC
(vi) NDPMP
(vii) GDPFC ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 5
उत्तर-
बेकरमैन के चित्र रेखाचित्र 2 के अनुसार
(i) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) = 1,33,151 + (-) 681 = ₹ 1,32,470 करोड़

(ii) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT) = 1,32,470 + 19,183 = ₹ 1,51,653 करोड़

(iii) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) + faturala (Depreciation) = 1,51,653 + 11,242 = ₹ 1,62,895 करोड

(iv) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) – विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) = 1,62,895 – (-681) = ₹ 1,63,576 करोड़

(v) साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (N.I.T.) = 1,62,895 – 19,183 = ₹ 1,43,712 करोड़

(vi) बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) घिसावट (Depreciation) = 1,63,576 – 11,242 = ₹ 1,52,334 करोड़

(vii) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPR) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (N.I.T.) = 1,63,576 – 19,183 = ₹ 1,44,393 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा ज्ञात करो।
(a) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
(b) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 6
उत्तर-
बैकरमैन का चित्र बनाओ –
(a) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) +घिसावट (Depreciation) = 74905 + 4486 = ₹ 79391 करोड़ उत्तर
(b) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) (-) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (NIT) (+) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (NFYA) = 74905 – 8344 + (-232) = ₹ 66329 करोड़ उत्तर।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

V. सरख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों से शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDP) ज्ञात करो
₹ करोड़
(1) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = 97503
(2) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = (-) 201
(3) शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 10,576
(4) स्थिर पूंजी का उपभोग = 5,699
उत्तर-
बेकरमैन का चित्र –
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 7
नोट : इस चित्र में D = Depreciation (घिसावट अथवा मूल्य घसाई)
NIT = Net Indirect Taxes (शुद्ध अप्रत्यक्ष कर)
NFYA = Net Factor Income from abroad (विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय)
बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) (-) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय (-) स्थिर पूंजी का उपभोग अथवा घिसावट
= 97503 (-) (-) 201 (-) 5699
= 97503 + 201 – 5699 = ₹ 92005 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 2.
एक काल्पनिक अर्थव्यवस्था का बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ₹ 1,20,000 करोड़ है। यदि देश का पूंजी भण्डार ₹ 3,00,000 करोड़ है तथा इसकी वार्षिक घिसावट 20% है। अप्रत्यक्ष कर ₹ 30,000 करोड़ तथा सबसिडी ₹ 15,000 करोड़ है। राष्ट्रीय आय कितनी होगी?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) – मशीनों की घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर ₹ करोड़ बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = 1,20,000
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 8

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों से निजी आय ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 9
उत्तर-
निजी आय (Private Income) = साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (-) गैर विभागीय सरकारी उद्यमों की बचतें (-) सरकारी प्रबन्धकीय उद्यमों को जायदाद तथा उद्यमवृत्ति से आय ” (+) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों से चालू हस्तान्तरण (+) शेष विश्व से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (+) राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज निजी आय = 473 – 1 – 9 + 18 + 4 + 28 = ₹ 513 करोड़
नोट-विदेशों से शुद्ध साधन आय, साधन लागत तथा शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में शामिल होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से निजी आय ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 10
उत्तर-
निजी आय = निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय (+) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों से शुद्ध चालू हस्तान्तरण (+) विदेशों से शुद्ध साधन आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण निजी आय (Private Income) = 500 + 40 + (-20) + 60 + 50 = ₹ 630 करोड़ उत्तर

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 11
उत्तर-
निजी आय (Private Income)-राष्ट्रीय आय (-) विभागीय उद्यमों की सम्पत्ति तथा उद्यमवृत्ति से आय (-) गैर-विभागीय उद्यमों की बचतें + सरकारी क्षेत्र से हस्तान्तरण आय + शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज
(i) निजी आय = 5000 – 70 – 60 + 55 + 25 + 20 = ₹ 4970 करोड़ उत्तर
(ii) व्यक्तिगत आय = निजी आय-निगम कर-निगम बचतें = 4970 – 100 – 200 = ₹ 4670 करोड़ उत्तर
(iii) व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = व्यक्तिगत आय (-) व्यक्तिगत प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = 4670 – 20 – 10 = ₹ 4640 करोड उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों से व्यक्तिगत आय ज्ञात करोPSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 12
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 13
उत्तर-
व्यक्तिगत आय (Personal Income)-निजी क्षेत्र को घरेलू उत्पादन से प्राप्त साधन आय + राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज + सरकारी क्षेत्र से प्राप्त हस्तान्तरण + शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण – निगम कर – निगमों के अवितरित लाभ व्यक्तिगत आय = 270 + 5 + 10 + 8 – 10 – 2
= ₹ 281 करोड़ उत्तर ।

प्रश्न 7.
व्यक्तिगत आय (Personal Income) ज्ञात करो यदि
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 14
उत्तर-
व्यक्तिगत आय (Personal Income) =निजी आय (-) निगम कर – निगमों के अवितरित लाभ व्यक्तिगत आय = 300 – 20 – 50 = ₹ 230 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों से व्यक्तिगत व्यय योग्य आय ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 15
उत्तर-
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = निजी आय (-) निगम कर (-) निगमों की बचतें (-) प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = 200 – 20 – 30 – 10 – 5 = ₹ 135 करोड़ उत्तर

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों से व्यक्तिगत व्यय योग्य आय ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 16
उत्तर-
व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = निजी आय (-) निगम कर (-) निगमों के अवितरित लाभ (-) प्रत्यक्ष कर (-) सरकारी प्रबन्धकीय विभागों की प्राप्तियां व्यक्तिगत व्यय योग्य आय = 500 – 20 – 15 -5 – 2 = ₹ 458 करोड़ उत्तर

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करो :
(a) व्यक्तिगत आय (Personal Income)
(b) व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 17
उत्तर:
(a) व्यक्तिगत आय (Personal Income) = निजी आय (-) निगम कर (-) निगम बचतें व्यक्तिगत आय = 45000 – 1000 – 2000 = ₹ 42000 करोड़
(b) व्यक्तिगत व्यय योग्य आय (Personal Disposable Income) = व्यक्तिगत आय-प्रत्यक्ष कर = 42000 – 300 = ₹ 41700 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों से सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय तथा शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय ज्ञात करें-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 18
उत्तर-

  • सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = राष्ट्रीय आय + शेष विश्व से निवल (शुद्ध) चालू हस्तान्तरण + स्थायी (अचल) पूंजी का उपभोग + निवल शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 2000 + 200 + 100 + 250 = ₹ 2550 करोड़ उत्तर
  • शुद्ध राष्ट्रीय प्रयोज्य आय = सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय – स्थायी (अचल) पूंजी का उपभोग = 2550 – 100 = ₹ 2450 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आंकड़ों से शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 19
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण-घिसावट
= 100 (+) 50 (-) 20 = ₹ 130 करोड़ उत्तर

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 20
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NIINDI) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर के शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण – स्थिर पूंजी का उपभोग (अथवा घिसावट) NNDI = 800 + 70 + 50 – 60 = ₹ 860 करोड़ उत्तर

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आंकड़ों से सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GNDI) ज्ञात करो
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 21
उत्तर-
सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GNDI) = राष्ट्रीय आय (NNPFC) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थिर पूंजी का उपभोग + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GNDI) = 2000 + 250 + 100 + 200 = ₹ 2550 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं

प्रश्न 15.
राष्ट्रीय आय तथा शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय में अन्तर बताओ।
उत्तर-
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (NNDI) = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण उदाहरण
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 22
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण
= 1864292 + 202036 + 57821 = ₹ 21,241,49 करोड़ उत्तर
अथवा
शुद्ध राष्ट्रीय व्यय योग्य आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद + शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध चालू हस्तान्तरण = 2066328 + 57821
= ₹ 21,24,149 करोड़ उत्तर

प्रश्न 16.
राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पाद की धारणाओं के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पाद के सम्बन्ध को बेकरमैन के अग्रलिखित चार्ट की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है:-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 23

इसमें

  •  D = घिसावट (Depreciation)
  • NIT = शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes = Indirect Taxes – Subsidies)
  • NFYA = विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
    ↓ जब ऐरो नीचे को जाता है तो घटाओ
    ↑ जब ऐरो ऊपर को जाता है तो जोड़ो
  • शेष विश्व से प्राप्त चालू हस्तान्तरण (Other Current Transfer from the rest of the World) = (उपहार, उपभोगी वस्तुएं, जंगी सामान, नकदी)

नोट-इस चार्ट की सहायता से राष्ट्रीय आय तथा राष्ट्रीय उत्पादन की धारणाओं का आसानी से माप किया जा सकता है।

प्रश्न 17.
निजी आय तथा व्यक्तिगत आय की धारणाओं के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
निजी आय (Private Income) तथा व्यक्तिगत आय (Personal Income) की धारणाओं के सम्बन्ध को अग्रलिखित चार्ट द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय आय की अवधारणाएं 24
नोट-इस चार्ट की सहायता से निजी आय तथा व्यक्तिगत आय का माप आसानी से किया जा सकता है।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

Long Answer Type Questions

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸਰੋਤਾਂ ਦੀ ਉਸਾਰੀ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਦਰਪੇਸ਼ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ । (Explain the problems being faced for constructing the history of Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਸਮਝਣ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ ਛੇ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ? (Which six problems are faced by the historians in understanding the history of Punjab ?)
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਕਿਹੜੀਆਂ ਮੁੱਖ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ? (What are the main problems regarding the historical sources of Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਸਾਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ ਛੇ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ? (What six difficulties do we face regarding the historical sources of Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ? (What problems are faced by the students in composing the history of the Punjab ?)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਅਨੇਕਾਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

  • ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਦਾ ਸਮਾਂ ਨਾ ਮਿਲਿਆ – ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਮੌਤ ਦੇ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਦੌਰ ਆਇਆ ਜੋ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਅਰਾਜਕਤਾ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਪਹਾੜਾਂ ਅਤੇ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਰਨ ਲੈਣੀ ਪੈਂਦੀ ਸੀ । ਅਜਿਹੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕਿਵੇਂ ਸੰਭਵ ਸੀ ।
  • ਮੁਸਲਿਮ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਦੇ ਪੱਖਪਾਤ ਪੂਰਨ ਵਿਚਾਰ – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਸੋਮਿਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਗਈ ਹੈ ਉਹ ਫ਼ਾਰਸੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਗਏ ਗ੍ਰੰਥ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਨੂੰ ਮੁਸਲਮਾਨ ਲੇਖਕਾਂ ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਜੋ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਕੱਟੜ ਦੁਸ਼ਮਣ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਨੂੰ ਬੜੀ ਜਾਂਚ-ਪੜਤਾਲ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੇ ਵਧੇਰੇ ਤੱਥਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜ-ਮਰੋੜ ਕੇ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਨਹੀਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ।
  • ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਨਸ਼ਟ ਹੋਣਾ – 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਲਗਭਗ 7ਵੇਂ ਦਹਾਕੇ ਤਕ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਅਰਾਜਕਤਾ ਦਾ ਮਾਹੌਲ ਰਿਹਾ । 1739 ਈ. ਵਿੱਚ ਨਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਅਤੇ 1747 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1767 ਈ. ਤਕ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ 8 ਹਮਲਿਆਂ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਵਧੇਰੇ ਬਦਤਰ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗੰਥ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਗਏ ।
  • ਪੰਜਾਬ-ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਇੱਕ ਹਿੱਸਾ – ਪੰਜਾਬ 1752 ਈ. ਤਕ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਰਿਹਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਕੋਈ ਅਲੱਗ ਇਤਿਹਾਸ ਨਾ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ । ਆਧੁਨਿਕ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਮੁਗ਼ਲ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਗਏ ਸਾਹਿਤ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੇ ਵੇਰਵੇ ਦੀ ਕਮੀ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਅਸਲ ਤਸਵੀਰ ਪੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ।
  • ਅਣਘੋਖੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ – ਅਨੇਕ ਸਿੱਖ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਅਤੇ ਜਾਗੀਰਦਾਰਾਂ ਕੋਲ ਸਿੱਖ ਮਿਸਲਾਂ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਪੱਟੇ, ਸੰਦਾਂ, ਨਿਜੀ ਚਿੱਠੀਆਂ, ਵਹੀਆਂ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਆਦਿ ਸੰਦੂਕਾਂ ਵਿੱਚ ਬੇਅਰਥ ਪਏ ਹਨ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸੋਮੇ ਹਾਲੇ ਤਕ ਅਣਘੋਖੇ ਹੀ ਪਏ ਹਨ ।
  • ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਵੰਡ – 1947 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਰਤ ਦੀ ਵੰਡ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਵੀ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਵੰਡ ਕਾਰਨ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਯਾਦਗਾਰੀ ਇਮਾਰਤਾਂ ਅਤੇ ਬਹੁਮੁੱਲੇ ਗ੍ਰੰਥ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਹੀ ਰਹਿ ਗਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਵੰਡ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਹੋਈ ਲੁੱਟਮਾਰ ਕਾਰਨ ਵੀ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਗਏ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(Write a brief note on Hukamnamas.)
ਉੱਤਰ-
ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਹ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ ਸਨ ਜੋ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਘਰਾਣੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਸਮੇਂਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਤੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਦੇ ਲੰਗਰ ਲਈ ਰਸਦ, ਧਾਰਮਿਕ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਮਾਇਆ, ਲੜਾਈਆਂ ਲਈ ਘੋੜੇ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਆਦਿ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਹੁਣ ਤਕ 89 ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ 34 ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ 23 ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਹਨ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਵਿੱਚ ਕਿੱਤਿਆਂ ਦੇ ਵੇਰਵੇ ਵੀ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ ਜੋ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ । ਇੱਕ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਹਦਾਇਤ ਕੀਤੀ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਗੁਰੂ ਘਰ ਲਈ ਭੇਜੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਰਸਦ ਜਾਂ ਮਾਇਆ ਨੂੰ ਮਸੰਦਾਂ ਰਾਹੀਂ ਨਾ ਭੇਜਣ, ਸਗੋਂ ਆਪ ਆ ਕੇ ਸਿੱਧੀ ਜਮਾਂ ਕਰਵਾਉਣ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਆਖ਼ਰੀ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਸੈਨਿਕ ਨੇਤਾ ਪ੍ਰਵਾਨ ਕਰਨ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਹਿਯੋਗ ਦੇਣ ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਬਾਕੀ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੁ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਰਾਏ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ, ਮਾਤਾ ਗੁਜਰੀ ਜੀ, ਮਾਤਾ ਸੁੰਦਰੀ ਜੀ, ਮਾਤਾ ਸਾਹਿਬ ਦੇਵਾਂ ਜੀ, ਬਾਬਾ ਗੁਰਦਿੱਤਾ ਜੀ ਅਤੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ । ਇਹ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਾਹਿਤਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਹਾਲਤ ਉੱਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਸਿੱਖ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਨੂੰ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਹੁਕਮ ਮੰਨ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਲਈ ਉਹ ਆਪਣਾ ਜੀਵਨ ਕੁਰਬਾਨ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮਾਣ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਨੂੰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵੱਲੋਂ ਛਾਪਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Give a brief account of the main important historical sources related to religious literature of the Sikhs.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਲਈ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਉੱਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Give a brief account of important sources based on religious literature of Punjab History.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਯੋਗਦਾਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ, ਪ੍ਰਮਾਣਿਕ ਅਤੇ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਪੰਜ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਂ, ਹਿੰਦੂ ਭਗਤਾਂ, ਮੁਸਲਿਮ ਸੰਤਾਂ ਅਤੇ ਭੱਟਾਂ ਆਦਿ ਦੀ ਬਾਣੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੈ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਡੂੰਘੇ ਅਧਿਐਨ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਰਾਜਸੀ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਜੀਵਨ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।

2. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ – ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਪਵਿੱਤਰ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਹੈ । ਇਹ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀਆਂ ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਅਤੇ ਜ਼ਫਰਨਾਮਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।

3. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਵਾਰਾਂ – ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦੇ ਕਵੀ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 39 ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਅਤੇ ਗਿਆਰਵੀਂ ਵਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ । ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।ਗਿਆਰਵੀਂ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ 6 ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕੁਝ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਅਤੇ ਥਾਂਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

4. ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ – ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ‘ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।17ਵੀਂ ਅਤੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੋਈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ, ਮਿਹਰਬਾਨ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ, ਭਾਈ ਬਾਲੇ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਅਤੇ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।

5. ਹੁਕਮਨਾਮੇ – ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਹ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ ਸਨ ਜੋ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਘਰਾਣੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਜਾਂ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਦੇ ਲੰਗਰ ਲਈ ਰਸਦ, ਧਾਰਮਿਕ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਮਾਇਆ, ਲੜਾਈਆਂ ਲਈ ਘੋੜੇ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਆਦਿ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਚਾਰ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (What is meant by Janam Sakhis ? Explain briefly the four Janam Sakhis.)
ਜਾਂ
ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਵ ਬਾਰੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on the historical importance of Janam Sakhis.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

  • ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦਾ ਸੰਪਾਦਨ 1926 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਅਤੇ ਕਾਫ਼ੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ ।
  • ਮਿਹਰਬਾਨ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਦੇ ਸਪੁੱਤਰ ਮਿਹਰਬਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਘਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਮਿਹਰਬਾਨ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜੀਵਨ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਣੂ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਉਦਾਸੀਆਂ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਵੀ ਕਾਫ਼ੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  • ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਸਾਥੀ ਭਾਈ ਬਾਲੇ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਮਨਘੜਤ ਗੱਲਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਤੱਥਾਂ ਵੱਲ ਕੋਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਕੋਈ ਵਧੇਰੇ ਲਾਹੇਵੰਦ ਨਹੀਂ ਹੈ ।
  • ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ ਨਾਂ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਬਹੁਤ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਤੱਥਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਵਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Vars of Bhai Gurdas Ji ?)
ਜਾਂ
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਭੱਲਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Bhai Gurdas Bhalla Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਭੱਲਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਭਰਾ ਦਾਤਾਰ ਚੰਦ ਭੱਲਾ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਉਹ ਤੀਸਰੇ, ਚੌਥੇ, ਪੰਜਵੇਂ ਅਤੇ ਛੇਵੇਂ ਗੁਰੂ ਦੇ ਸਮਕਾਲੀਨ ਸਨ । ਉਹ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦੇ ਕਵੀ ਅਤੇ ਲੇਖਕ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 39 ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਹ ਵਾਰਾਂ ਪੰਜਾਬੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹਨ । ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਭਾਵਾਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਮਝਣ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ‘ਗੁਰੂ’ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਕੁੰਜੀ’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਛੇ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ, ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ, ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਨਗਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂਵਾਂ, ਭਗਤਾਂ ਅਤੇ ਸੰਤਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਅਤੇ ਗਿਆਰਵੀਂ ਵਾਰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ । ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਵਿਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸੰਸਾਰ ਦੀ ਦਸ਼ਾ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਆਗਮਨ ਦੀ ਲੋੜ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦੀ ਵਿਸਤ੍ਰਿਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਤਕ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਗਿਆਰ੍ਹਵੀਂ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਿੱਖਾਂ ਬਾਰੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਂਵਾਂ, ਕਿੱਤਿਆਂ, ਜਾਤਾਂ ਅਤੇ ਥਾਂਵਾਂ ਆਦਿ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ‘ਤੇ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Adi Granth Sahib.)
ਜਾਂ
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਵ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief description of Adi Granth Sahib and its historical importance.)
ਉੱਤਰ-
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹਾਨ ਕਾਰਜ ਸੀ ।

1. ਸੰਕਲਨ ਦੀ ਲੋੜ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਸੰਕਲਨ ਲਈ ਕਈ ਕਾਰਨ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਸਨ | ਪਹਿਲਾ, ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਰਹਿਨੁਮਾਈ ਦੇ ਲਈ ਇੱਕ ਪਵਿੱਤਰ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਲੋੜ ਸੀ । ਦੂਸਰਾ, ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਭਰਾ ਪ੍ਰਿਥੀਆ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੀ ਬਾਣੀ ਕਹਿ ਕੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੀ ਬਾਣੀ ਸ਼ੁੱਧ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਅੰਕਿਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਤੀਸਰਾ, ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੀ ਸੱਚੀ ਬਾਣੀ ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

2. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਸੰਕਲਨ ਦਾ ਕੰਮ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੇ ਰਾਮਸਰ ਨਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਕੀਤਾ ਗਿਆ | ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਬਾਣੀ ਲਿਖਵਾਉਂਦੇ ਗਏ ਅਤੇ ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਇਸ ਨੂੰ ਲਿਖਦੇ ਗਏ ।ਇਹ ਮਹਾਨ ਕਾਰਜ ਅਗਸਤ 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ਸੰਪੂਰਨ ਹੋਇਆ । ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ 16 ਅਗਸਤ, 1604 ਈ. ਨੂੰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ | ਬਾਬਾ ਬੁੱਢਾ ਜੀ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾ ਮੁੱਖ ਗ੍ਰੰਥੀ ਥਾਪਿਆ ਗਿਆ ।

3. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਦੇਣ ਵਾਲੇ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਗੰਥ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਦੇਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆ ਹੈ-

(ੳ) ਸਿੱਖ ਗੁਰੂ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ 976, ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ 62, ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ 907, ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ 679 ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ 2216 ਸ਼ਬਦ ਅੰਕਿਤ ਹਨ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ 116 ਸ਼ਬਦ ਅਤੇ ਸ਼ਲੋਕ (59 ਸ਼ਬਦ ਅਤੇ 57 ਸ਼ਲੋਕ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੇ ਗਏ |

(ਅ) ਭਗਤ ਤੇ ਸੰਤ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ 15 ਹਿੰਦੂ ਭਗਤਾਂ ਤੇ ਸੂਫ਼ੀ ਸੰਤਾਂ ਦੀ ਬਾਣੀ ਅੰਕਿਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਪਮੁੱਖ ਭਗਤਾਂ ਤੇ ਸੰਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਇਹ ਹਨ-ਕਬੀਰ ਜੀ, ਫ਼ਰੀਦ ਜੀ, ਨਾਮਦੇਵ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ, ਧੰਨਾ ਜੀ, ਰਾਮਾਨੰਦ ਜੀ ਅਤੇ ਜੈਦੇਵ ਜੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਭਗਤ ਕਬੀਰ ਜੀ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ 541 ਸ਼ਬਦ ਹਨ ।

(ੲ) ਭੱਟ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ 11 ਭੱਟਾਂ ਦੇ 123 ਸਵੱਯੇ ਵੀ ਅੰਕਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ | ਕੁਝ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਭੱਟਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਇਹ ਹਨ-ਕਲ੍ਹਸਹਾਰ ਜੀ, ਨਲ ਜੀ, ਬਲ ਜੀ, ਭਿਖਾ ਜੀ ਤੇ ਹਰਬੰਸ ਜੀ ।

4. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਮਹੱਤਵ – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰੇਕ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਅਗਵਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਸਿਧਾਂਤ ਦਿੱਤੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੀ ਬਾਣੀ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀ ਏਕਤਾ ਅਤੇ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Dasam Granth Sahib ?)
ਜਾਂ
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Dasam Granth Sahib.)
ਉੱਤਰ-
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥ ਹੈ । ਇਹ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀਆਂ ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਨ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਜੋਸ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਹ ਕੁੱਲ 18 ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ‘ਜਾਪੁ ਸਾਹਿਬ’ , ‘ਅਕਾਲ ਉਸਤਤਿ’ , ‘ਚੰਡੀ ਦੀ ਵਾਰ’ , ‘ਚੌਬੀਸ ਅਵਤਾਰ’ , ‘ਸ਼ਬਦ ਹਜ਼ਾਰੇ’ , ‘ਸ਼ਸਤਰ ਨਾਮਾ’ , ‘ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਅਤੇ ‘ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ’ ਆਦਿ ਦੇ ਨਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵਰਣਨ ਯੋਗ ਹਨ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਅਤੇ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।

ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਲਿਖੀ ਹੋਈ ਆਤਮ-ਕਥਾ ਹੈ ।ਇਹ ਬੇਦੀ ਅਤੇ ਸੋਢੀ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਇਤਿਹਾਸ, ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਨਾਲ ਲੜਾਈਆਂ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਸੰਬੰਧੀ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹੈ । ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਦੀਨਾ ਕਾਂਗੜ ਨਾਮੀ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਇੱਕ ਚਿੱਠੀ ਹੈ ਜੋ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਫ਼ਾਰਸੀ ਵਿੱਚ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਲਿਖੀ ਸੀ । ਇਸ ਚਿੱਠੀ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ, ਮੁਗ਼ਲ ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਕੁਰਾਨ ਦੀਆਂ ਝੂਠੀਆਂ ਸਹੁੰਆਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨਾਲ ਧੋਖਾ ਕਰਨ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਬੜੀ ਦਲੇਰੀ ਅਤੇ ਨਿਡਰਤਾ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਹੈ ।ਦਸਮ ਗੰਥ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਕੰਮਾਂ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਅਤਿ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੀਆਂ ਗਈਆਂ ਛੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give a brief account of six historical sources written in 18th century in Punjabi.)
ਉੱਤਰ-
18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੀਆਂ ਗਈਆਂ ਪੰਜ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਅੱਗੇ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਸ੍ਰੀ ਗੁਰਸੋਭਾ – ਸ੍ਰੀ ਗੁਰਸੋਭਾ ਦੀ ਰਚਨਾ 1741 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀ ਸੈਨਾਪਤ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ 1699 ਈ. ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1708 ਈ. ਤਕ ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ਦੀਆਂ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

2. ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤ ਮਾਲਾ – ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਨੂੰ ਭਗਤ ਰਤਨਾਵਲੀ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ, ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨਾਂ, ਜਾਤੀਆਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਿਵਾਸ ਸਥਾਨ ਅਤੇ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀ ਸਮਾਜਿਕ ਹਾਲਤ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਕੀਮਤੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

3. ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ – ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ 1780 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੱਧ ਤਕ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਇਹ ਗ੍ਰੰਥ ਬਾਅਦ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ ।

4. ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ – ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਦੋ ਰਚਨਾਵਾਂ ਹਨ । ਪਹਿਲੀ ਦਾ ਨਾਂ ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਾਰਤਕ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਵਿਤਾ ਹੈ ।
(ੳ) ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਾਰਤਕ-ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1741 ਈ. ਵਿੱਚ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਚੰਦ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
(ਅ) ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਵਿਤਾ-ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1776 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰੂਪ ਦਾਸ ਭੱਲਾ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਸਹਿਤ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

5. ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ – ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1841 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਲਈ ਇਹ ਪੁਸਤਕ ਬੜੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਪਹਿਲੀ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੁਸਤਕ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਕਿਸੇ ਸਿੱਖ ਨੇ ਲਿਖੀ ।

6. ਤਵਾਰੀਖ ਗੁਰੂ ਖ਼ਾਲਸਾ – ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1849 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਛੇ ਸੋਮਿਆਂ ਦੀ ਸੰਖੇਪ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ । (Give a brief account of six important Persian sources of the history of Punjab.)
ਜਾਂ
ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੇ ਮੁੱਖ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ਜੋ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਸੰਕਲਨ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।
(Give a brief mention of the important Persian sources which are essential for composing the history of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-

  • ਆਇਨ-ਏ-ਅਕਬਰੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਕਬਰ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦਰਬਾਰੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਅਕਬਰ ਦੇ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਸੋਮਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਦਸ਼ਾ ਬਾਰੇ ਵੀ ਕੁਝ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਜਹਾਂਗੀਰੀ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਜਹਾਂਗੀਰ ਦੁਆਰਾ ਲਿਖੀ ਗਈ ਆਤਮ-ਕਥਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਧਾਰਮਿਕ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਸ਼ਹੀਦ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ।
  • ਜੰਗਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਉਹ 1764 ਈ. ਵਿੱਚ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਹਮਲੇ ਸਮੇਂ ਉਸ ਨਾਲ ਆਇਆ ਸੀ । ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ ਇਸ ਹਮਲੇ ਦਾ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਹਾਲ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਯੁੱਧ ਕਰਨ ਦੇ ਢੰਗ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸੰਬੰਧੀ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ।
  • ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ ਦਾ ਲੇਖਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਦਰਬਾਰੀ ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ 1469 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1849 ਈ. ਤਕ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਕਾਲ ਲਈ ਇਹ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਸੋਮਾ ਹੈ ।
  • ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ-ਏ-ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ-ਇਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਰਾਜ ਕਾਲ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦੀਵਾਨ ਅਮਰ ਨਾਥ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੀਆਂ 1837 ਈ. ਤਕ ਦੀਆਂ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੈ ।
  • ਚਾਰ ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ-ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1855 ਈ. ਵਿੱਚ ਗਣੇਸ਼ ਦਾਸ ਵਡੈਹਰਾ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1849 ਈ. ਤਕ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਵਰਣਨ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਛੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੋਮਿਆਂ ‘ਤੇ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਓ । (Mention six important English sources which throw light on the history of Punjab.)
ਜਾਂ
ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਿਆਂ ਉੱਤੇ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਓ ।
(Throw light on the important sources of information on Punjab History written in English.)
ਉੱਤਰ-

  • ਦੀ ਕੋਰਟ ਐਂਡ ਕੈਂਪ ਆਫ਼ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ – ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1840 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੈਪਟਨ ਵਿਲੀਅਮ ਓਸਬੋਰਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪੁਸਤਕ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਸ਼ਾਨੋਸ਼ੌਕਤ ਸੰਬੰਧੀ ਅਤੇ ਫ਼ੌਜ ਸੰਬੰਧੀ ਬੜਾ ਭਰਪੂਰ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸੋਮਾ ਹੈ ।
  • ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਪੰਜਾਬ – ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1842 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੱਰੇ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਦੇ ਦੋ ਭਾਗ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਬੜਾ ਵਿਸਥਾਰਮਈ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਸੋਮਾ ਹੈ ।
  • ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼ – ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਡਾਕਟਰ ਮੈਕਗਰੇਗਰ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਲਿਖੀ ਗਈ ਸੀ ਅਤੇ ਇਹ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਲੜਾਈਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਕਾਫ਼ੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
  • ਦੀ ਪੰਜਾਬ – ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਟਾਈਨਬਖ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।ਉਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਨਿਯੁਕਤ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਸੰਬੰਧੀ ਬੜੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਵੇਰਵੇ ਦਿੱਤੇ ਹਨ ।
  • ਸਕੈਚ ਆਫ਼ ਸਿੱਖਸ – ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1812 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੈਲਕੋਮ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਉਹ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਫ਼ੌਜ ਵਿੱਚ ਕਰਨਲ ਸੀ । ਉਹ 1805 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਲਕਰ ਦਾ ਪਿੱਛਾ ਕਰਦਾ ਹੋਇਆ ਪੰਜਾਬ ਆਇਆ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਹੈ ।
  • ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਸ – ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1849 ਈ. ਵਿੱਚ ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਬੜੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਭਾਰਤ ਦੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡਾਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਵ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(Write a short note on the historical importance of records of British Indian Government.)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਰਤ ਦੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੇ ਆਰੰਭ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੇ ਪਤਨ ਤਕ (1799-1849 ਈ.) ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਅਤੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹਨ । ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰੀ ਕਲਕੱਤੇ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਲਗਦਿਆਂ ਇਲਾਕਿਆਂ ਦੀਆਂ ਰਾਜਸੀ ਘਟਨਾਵਾਂ ਉੱਤੇ ਪੂਰੀ ਨਜ਼ਰ ਰੱਖਦੇ ਸਨ । ਲੁਧਿਆਣਾ ਏਜੰਸੀ ਅਤੇ ਦਿੱਲੀ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਸੀ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡ ਪੰਜਾਬ ਸੰਬੰਧੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤਾ ਰਿਕਾਰਡ ਮੱਰੇ, ਆਕਟਰਲੋਨੀ, ਰਿਚਮੋਂਡ, ਮੈਕਗਰੇਗਰ, ਨਿਕਲਸਨ, ਕਨਿੰਘਮ, ਪਿੰਸੇਪ ਅਤੇ ਬਰਾਡਫੁਟ ਆਦਿ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤਾ ਰਿਕਾਰਡ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੁਰਾਲੇਖ ਵਿਭਾਗ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਪਿਆ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਿਕਾਰਡਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਸੰਬੰਧਾਂ, ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਰਾਜ ਸੰਬੰਧੀ, ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਾਂ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਭਾਰਤ ਦੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲਾਂ ਵੱਲੋਂ ਇੰਗਲੈਂਡ ਦੀ ਸਰਕਾਰ, ਕੰਪਨੀ ਦੇ ਉੱਚ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਆਦਿ ਨੂੰ ਲਿਖੇ ਨਿਜੀ ਪੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਸ਼ੱਕ ਨਹੀਂ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਪੱਖ ਤੋਂ ਲਿਖੇ ਗਏ ਸਨ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਸਾਡੇ ਲਈ ਇਹ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸੋਮਾ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਸਿੱਕਿਆਂ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Examine the importance of coins in the construction of the History of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਸਿੱਕਿਆਂ ਦਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਵ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸਾਨੂੰ ਮੁਗ਼ਲਾਂ, ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ, ਜੱਸਾ ਸਿੰਘ ਆਹਲੂਵਾਲੀਆ, ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਿੱਕੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਬਣੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸਿੱਕੇ ਲਾਹੌਰ, ਪਟਿਆਲਾ ਅਤੇ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦੇ ਅਜਾਇਬਘਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਏ ਹਨ। ਇਹ ਸਿੱਕੇ ਤਾਰੀਖਾਂ ਅਤੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਚਾਨਣਾ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਬੰਦਾ ਬਹਾਦਰ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਇਹ ਸਿੱਧ ਕਰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਉਹ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦਾ ਬਹੁਤ ਆਦਰ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਜੱਸਾ ਸਿੰਘ ਆਹਲੂਵਾਲੀਆ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਇਹ ਦੱਸਦੇ ਹਨ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ ਇਲਾਕੇ ਉੱਤੇ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਇਸ ਤੱਥ ‘ਤੇ ਚਾਨਣਾ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਉਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਨਿਮਰਤਾ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦਾ ਸੇਵਕ ਸਮਝਦਾ ਸੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਿੱਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਸਾਹਿਤਕ ਸੋਮਿਆਂ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੀ ਤਾਈਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਸਿੱਕੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਕਈ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਸੁਲਝਾਉਣ ਵਿੱਚ ਸਾਡੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੂਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Essay Type Questions)
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਸੰਬੰਧੀ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ (Difficulties Regarding the History of the Punjab)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ ਮੁੱਖ ਕਠਿਨਾਈਆਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ? ਦੱਸੋ । (Explain the difficulties faced by the historians while constructing the History of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਰਨ ਸਮੇਂ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
(Which difficulties are being faced by historians while composing the History of Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਸਮੇਂ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
(Explain the difficulties faced by the historians while writing the History of Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਰਨਾ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਲਈ ਸਦਾ ਇੱਕ ਗੰਭੀਰ ਸਮੱਸਿਆ ਰਹੀ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਨੇਕਾਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਦਾ ਸਮਾਂ ਨਾ ਮਿਲਿਆ (Sikhs did not find time to write their own History) – ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਮੌਤ ਦੇ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਦੌਰ ਆਇਆ ਜੋ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਅਰਾਜਕਤਾ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਕਾਫ਼ੀ ਹੱਦ ਤਕ ਵੱਧ ਗਈ ਸੀ । ਨਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਅਤੇ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ ਹਮਲਿਆਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਹਾਲਤ ਹੋਰ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਜਿਹੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿੱਚ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕਿਵੇਂ ਸੰਭਵ ਸੀ । ਇਸ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋ ਥੋੜੇਬਹੁਤ ਯਤਨ ਹੋਏ ਵੀ ਉਹ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੀ ਭੇਟ ਚੜ੍ਹ ਗਏ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਅੱਜ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਕਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਗੰਥਾਂ ਤੋਂ ਵਾਂਝੇ ਹੋ ਗਏ ।

2. ਮੁਸਲਿਮ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਦੇ ਪੱਖਪਾਤ ਪੂਰਨ ਵਿਚਾਰ (Biased views of Muslim Historians) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਸੋਮਿਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਗਈ ਹੈ ਉਹ ਫ਼ਾਰਸੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਗਏ ਗੰਥ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਨੂੰ ਮੁਸਲਮਾਨ ਲੇਖਕਾਂ ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਜੋ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਕੱਟੜ ਦੁਸ਼ਮਣ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਨੂੰ ਬੜੀ ਜਾਂਚ-ਪੜਤਾਲੇ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੇ ਵਧੇਰੇ ਤੱਥਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜ-ਮਰੋੜ ਕੇ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਨਹੀਂ ਮੰਨਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਸਰਕਾਰੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਘਟਨਾ ਨੂੰ ਲਿਖਣ ਦੀ ਮਨਾਹੀ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਸੀ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀਆਂ ਪੰਜਾਬ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸਹੀ ਵਿਵਰਨ ਉਪਲੱਬਧ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

3. ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਨਸ਼ਟ ਹੋਣਾ (Destruction of Historical Sources) – 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਲਗਭਗ 7ਵੇਂ ਦਹਾਕੇ ਤਕ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਅਰਾਜਕਤਾ ਦਾ ਮਾਹੌਲ ਰਿਹਾ | ਪਹਿਲਾਂ ਅਤੇ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਅਫ਼ਗਾਨਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਕੁਚਲਣ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਕਸਰ ਬਾਕੀ ਨਹੀਂ ਛੱਡੀ । 1739 ਈ. ਵਿੱਚ ਨਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਅਤੇ 1747 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1767 ਈ. ਤਕ ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ 8 ਹਮਲਿਆਂ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਵਧੇਰੇ ਬਦਤਰ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਜਦੋਂ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਬੀਵੀ-ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸੰਭਾਵ ਕਰਨੀ ਵੀ ਬੜੀ ਔਖੀ ਸੀ ਤਾਂ ਉਹ ਆਪਣੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੀ ਸੰਭਾਵ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਗਏ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਬਹੁਮੁੱਲੇ ਵਿਰਸੇ ਤੋਂ ਵਾਂਝਿਆਂ ਹੋਣਾ ਪਿਆ ।

4. ਪੰਜਾਬ-ਮੁਗ਼ਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਇੱਕ ਹਿੱਸਾ (Punjaba part of Mughal Empire) – ਪੰਜਾਬ 1752 ਈ. ਤਕ ਮੁਗਲ ਸਾਮਰਾਜ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਰਿਹਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਕੋਈ ਅਲੱਗ ਇਤਿਹਾਸ ਨਾ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ | ਆਧੁਨਿਕ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਮੁਗ਼ਲ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਗਏ ਸਾਹਿਤ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੇ ਵੇਰਵੇ ਦੀ ਕਮੀ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਵਾਸਤਵਿਕ ਤਸਵੀਰ ਪੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ।

5. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਵੰਡ (Partition of Punjab)-1947 ਈ. ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਵੰਡ ਕਾਰਨ ਹੋਈ ਲੁੱਟਮਾਰ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਅਨੇਕਾਂ ਬਹੁਮੁੱਲੇ ਸੋਮੇ ਬਰਬਾਦ ਹੋ ਗਏ। ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਲਿਖਾਰੀਆਂ ਲਈ ਇਹ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਧੱਕਾ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸੋਮੇ (Maln Sources of the History of the Punjab)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe briefly the important sources of the History of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ। (Discuss the main sources of the Punjab History.)
ਜਾਂ
1469 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1849 ਈ. ਤਕ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸੋਮਿਆਂ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Discuss the sources of History of the Punjab from 1469 to 1849 A.D.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ 1469 ਈ. ਤੋਂ 1849 ਈ. ਤਕ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਲਈ ਅਨੇਕਾਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸੋਮੇ ਉਪਲੱਬਧ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੋਮਿਆਂ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-
(i) ਸਾਹਿਤਿਕ ਸੋਮੇ (Literary Sources)
(ii) ਪੁਰਾਤੱਤਵਿਕ ਸੋਮੇ (Archaeological Sources)

(ਉ) ਸਾਹਿਤਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ-

  1. ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ।
  2. ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਅਤੇ ਅਰਧ-ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸਿੱਖ ਸਾਹਿਤ ।
  3. ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੀਆਂ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੁਸਤਕਾਂ ।
  4. ਭੱਟ ਵਹੀਆਂ ।
  5. ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਰਬਾਰ ਰਿਕਾਰਡ ।
  6. ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਯਾਤਰੀਆਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਲਿਖਤਾਂ ।

(ਅ) ਪੁਰਾਤੱਤਵਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ-

  1. ਭਵਨ ਅਤੇ ਸਮਾਰਕ ।
  2. ਸਿੱਕੇ ਅਤੇ ਚਿੱਤਰ ।

(ਉ) ਸਾਹਿਤਿਕ ਸੋਮੇ (Literary Sources)

1. ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ (Religious Literature of the Sikhs) – ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਮੁੱਖ ਸਥਾਨ ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਜੀਵਨ ਦੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਸੰਕਲਿਤ ‘ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸਥਾਨ ਹੈ । ਇਹ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀਆਂ ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੁਲ 18 ਗੰਥ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਤੇ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਦਾ ਨਾਂ ਮੁੱਖ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਮੁਗਲਾਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ‘ਤੇ ਕਾਫ਼ੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਈ ਗਈ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਅਦ ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਲਿਖੀਆਂ ਗਈਆਂ 39 ਵਾਰਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਅਤੇ ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੇ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

2. ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਅਤੇ ਅਰਧ-ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸਿੱਖ ਸਾਹਿਤ (Historical and Semi-Historical Sikh Literature) – ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਸੈਨਾਪਤ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਗੁਰਸੋਭਾ ਨਿਭਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ 1699 ਈ. ਤੋਂ 1708 ਈ. ਤਕ ਅੱਖੀਂ ਦੇਖੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤ ਮਾਲਾ, ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬਰ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ, ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਚੰਦ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਾਰਤਕ ਅਤੇ ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

3. ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੀਆਂ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੁਸਤਕਾਂ (Historical works in Persian) – ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੀਆਂ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਰਚਨਾਵਾਂ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਜਾਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਹੈ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਸਾਨੂੰ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਸਹਾਇਤਾ ਮਿਲਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਬਾਬਰ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਬਾਬਰਨਾਮਾ, ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਆਈਨ-ਏ-ਅਕਬਰੀ ਅਤੇ ਅਕਬਰਨਾਮਾ, ਜਹਾਂਗੀਰ ਦੁਆਰਾ ਲਿਖੀ ਗਈ ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਜਹਾਂਗੀਰੀ, ਸੋਹਨ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ਦੀ ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ, ਬੂਟੇ ਸ਼ਾਹ ਦੀ ਤਵਾਰੀਖਏ-ਪੰਜਾਬ, ਦੀਵਾਨ ਅਮਰਨਾਥ ਦੀ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ-ਏ-ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਅਲਾਉੱਦੀਨ ਮੁਫ਼ਤੀ ਦੀ ਇਬਰਤਨਾਮਾ ਮੁੱਖ ਹਨ ।

4. ਭੱਟ ਵਹੀਆਂ (Bhat Vahis) – ਭੱਟ ਲੋਕ ਆਪਣੀਆਂ ਵਹੀਆਂ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਮਿਤੀਆਂ ਸਹਿਤ ਦਰਜ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਸਨ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਹੀਆਂ ਦਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਗੁਰੂ ਕਾਲ ਦੀਆਂ ਅਨੇਕਾਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਰਜ ਹੈ ।

5. ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਰਬਾਰ ਰਿਕਾਰਡ (Khalsa Darbar Records) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਸਰਕਾਰੀ ਰਿਕਾਰਡ ਤੱਤਕਾਲੀ ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਫ਼ਾਰਸੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹਨ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਇੱਕ ਲੱਖ ਤੋਂ ਵੀ ਉੱਪਰ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਸੀਤਾ ਰਾਮ ਕੋਹਲੀ ਨੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਸੀ ।

6. ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਯਾਤਰੀਆਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਲਿਖਤਾਂ (Writings of Foreign Travellers and the Europeans) – ਪੰਜਾਬ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਯਾਤਰੀਆਂ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਲੇਖਕਾਂ ਨੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਆਪਣੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਈ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾਰਜ ਫੋਰਸਟਰ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਏ ਜਰਨੀ ਫ਼ਰਾਮ ਬੰਗਾਲ ਟੂ ਇੰਗਲੈਂਡ, ਮੈਲਕੋਮ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ‘ਸਕੈਚ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼’, ਐੱਚ. ਟੀ. ਪਰਿਸੇਪ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ‘ਓਰਿਜਿਨ ਆਫ਼ ਸਿੱਖ ਪਾਵਰ ਇਨ ਦੀ ਪੰਜਾਬ’, ਕੈਪਟਨ ਵਿਲੀਅਮ ਉਸਬੋਰਨ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ‘ਦੀ ਕੋਰਟ ਐਂਡ ਕੈਂਪ ਆਫ਼ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ’, ਮੱਰੇ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ‘ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ‘ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼’ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਵਿਸ਼ਵਾਸਯੋਗ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ 1699 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1846 ਈ. ਤਕ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਰਜ ਹੈ ।

(ਅ) ਪੁਰਾਤੱਤਵਿਕ ਸੋਮੇ (Archaeological Sources)

ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਭਵਨ, ਸਮਾਰਕ, ਸਿੱਕੇ ਅਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੁਆਰਾ ਵਸਾਏ ਗਏ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ, ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ, ਤਰਨ ਤਾਰਨ, ਕਰਤਾਰਪੁਰ, ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਆਦਿ ਧਾਰਮਿਕ ਸ਼ਹਿਰ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਮੂੰਹ ਬੋਲਦੀ ਤਸਵੀਰ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅਨੇਕਾਂ ਸਿੱਖ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਮਹੱਲ ਅਤੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਕਾਫ਼ੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਸਾਨੂੰ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੰਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਅਨੇਕਾਂ ਚਿੱਤਰ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਚਿੱਤਰਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਹਾਲਤ ਦਾ ਪਤਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸ਼ਾਸਕਾਂ, ਬੰਦਾ ਬਹਾਦਰ, ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ, ਮੁਗ਼ਲ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਸਰਦਾਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸਿੱਕਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀਆਂ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਿਤੀਆਂ, ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਸ਼ਵਾਸਾਂ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਹਾਲਤ ਦਾ ਗਿਆਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਸਿੱਕੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨਿਰਮਾਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕ੍ਰਿਆ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ (Religious Literature of the Sikhs)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਸੋਮੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰੋ । (Evaluate the Sikh religious literature as a source of the Punjab History.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਜਾਣਨ ਵਿੱਚ ਗੁਰਮੁਖੀ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਹੈ ? (What is the contribution of Sikh Gurmukhi Literature in the History of the Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਅਤੇ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਦੱਸੋ ।
(Describe the significance of Adi Granth and Janam Sakhis as sources of the Punjab History.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਯੋਗਦਾਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਹੈ ! ਇਸ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਜਾਣਕਾਰੀ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀਆਂ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ’ਤੇ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਲੜੀਵਾਰ ਵਰਣਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

1. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ (Adi Granth Sahib Ji) – ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ, ਪ੍ਰਮਾਣਿਕ ਅਤੇ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਪੰਜ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਂ ਅਤੇ ਹਿੰਦੂ ਭਗਤਾਂ, ਮੁਸਲਿਮ ਸੰਤਾਂ ਅਤੇ ਭੱਟਾਂ ਆਦਿ ਦੀ ਬਾਣੀ ਸ਼ਾਮਲ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ ਹੁਣ 6 ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੀ ਬਾਣੀ ਦਰਜ਼ ਹੈ । ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਡੂੰਘੇ ਅਧਿਐਨ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਰਾਜਸੀ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਜੀਵਨ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ! ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਜਾਣਕਾਰੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਪ੍ਰਮਾਣਿਕ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਲਈ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਸੋਮਾ ਹੈ । ਡਾਕਟਰ ਇੰਦੂ ਭੂਸ਼ਣ ਬੈਨਰਜੀ ਦੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ,

“ਇਸ (ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ) ਜੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਬਾਈਬਲ ਕਿਹਾ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਯਕੀਨ ਦੇ ਨਾਲ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਇਹ ਸਭ ਤੋਂ ਵਿਸ਼ਵਾਸਯੋਗ ਸੋਮਾ ਹੈ ।”

2. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ (Dasam Granth Sahib Ji) – ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਪਵਿੱਤਰ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਹੈ । ਇਹ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀਆਂ ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ। ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਦੇ ਸੰਕਲਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਨ ਲਈ ਜੋਸ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ ਸੀ ।

ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਅਤੇ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ | ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਲਿਖੀ ਹੋਈ ਆਤਮ-ਕਥਾ ਹੈ । ਇਹ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀਆਂ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਨਾਲ ਲੜਾਈਆਂ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਸੰਬੰਧੀ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹੈ ! ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਇੱਕ ਚਿੱਠੀ ਹੈ ਜੋ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਫ਼ਾਰਸੀ ਵਿੱਚ ਦੀਨਾ ਕਾਂਗੜ ਤੋਂ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਲਿਖੀ ਸੀ । ਇਸ ਚਿੱਠੀ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲ ਸੈਨਾਪਤੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਕੁਰਾਨ ਦੀਆਂ ਝੂਠੀਆਂ ਸਹੁੰਆਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨਾਲ ਧੋਖਾ ਕਰਨ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਕੰਮਾਂ ਨੂੰ ਜਾਨਣ ਲਈ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਅਣਮੋਲ ਸੋਮਾ ਹੈ ।

3. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਵਾਰਾਂ (Vars of Bhai Gurdas Ji) – ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦੇ ਕਵੀ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 39 ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਅਤੇ ਗਿਆਰਵੀਂ ਵਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ | ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਗਿਆਰੁਵੀਂ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ 6 ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕੁਝ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਅਤੇ ਥਾਂਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

4. ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ (Janam Sakhis) – ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ‘ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ” ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । 17ਵੀਂ ਅਤੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਹੋਈ | ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਦੋਸ਼ ਹਨ | ਪਹਿਲਾਂ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਵਧਾ-ਚੜਾ ਕੇ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਵਿੱਚ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦੇ ਅਤੇ ਤਿੱਥੀਆਂ ਦੇ ਵੇਰਵੇ ਵਿੱਚ ਵੀ ਅੰਤਰ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਸ਼ਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਚਾਨਣਾ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਅੱਗੇ ਲਿਖੀਆਂ ਹਨ :-

(ਉ) ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀ (Puratan Janam Sakhi) – ਇਸ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦਾ ਸੰਪਾਦਨ 1926 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਹੋਰਨਾਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਧੇਰੇ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(ਅ) ਮਿਹਰਬਾਨ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ (Janam Sakhi of Meharban) – ਮਿਹਰਬਾਨ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਦੇ ਸਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਉਹ ਬੜੇ ਵਿਦਵਾਨ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਉਦਾਸੀਆਂ ਅਤੇ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਨਿਵਾਸ ਬਾਰੇ ਬੜਾ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਕਾਫ਼ੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

(ੲ) ਭਾਈ ਬਾਲੇ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ (Janam Sakhi of Bhai Bala) – ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਬਚਪਨ ਦਾ ਸਾਥੀ ਸੀ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਉਦਾਸੀਆਂ ਸਮੇਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਸੀ । ਇਸ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਮਨਘੜਤ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ ਵਿਸ਼ਵਾਸਯੋਗ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(ਸ) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ Janam Sakhi of Bhai Mani Singh) – ਇਸ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਨੂੰ “ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਇੱਕ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1675 ਈ. ਤੋਂ 1708 ਈ. ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਬਹੁਤ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ ।

5. ਹੁਕਮਨਾਮੇ (Hukamnamas) – ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਹ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ ਸਨ ਜੋ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਘਰਾਣੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਜਾਂ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ । ਇਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਦੇ ਲੰਗਰ ਲਈ ਰਸਦ, ਧਾਰਮਿਕ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਮਾਇਆ, ਲੜਾਈਆਂ ਲਈ ਘੋੜੇ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਆਦਿ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ | ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਡਾਕਟਰ ਗੰਡਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੇ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨਾਂ ਸਦਕਾ 89 ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕੀਤਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ 34 ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਅਤੇ 23 ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਅਤੇ ਸਮਕਾਲੀਨ ਸਮਾਜ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਅਤੇ ਅਰਧ-ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸਿੱਖ ਸਾਹਿਤ (Historical and Semi-Historical Sikh Literature)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿੱਚ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਅਤੇ ਅਰਧ-ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸਿੱਖ ਸਾਹਿਤ ਕਿੱਥੋਂ ਤਕ ਸਹਾਇਕ ਹੈ ? ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (How far is Sikh Historical and Semi-Historical Literature helpful in giving information about the Punjab History ?)
ਉੱਤਰ-
18ਵੀਂ ਅਤੇ 19ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਅਤੇ ਅਰਧ-ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸਿੱਖ ਸਾਹਿਤ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਹ ਸਾਹਿਤ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ‘ਤੇ ਬੜੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਾਹਿਤਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਸ੍ਰੀ ਗੁਰਸੋਭਾ (Sri Gursobha) – ਸੀ ਗੁਰਸੋਭਾ ਦੀ ਰਚਨਾ 1741 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀ ਸੈਨਾਪਤ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਵਿੱਚ 1699 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1708 ਈ. ਤਕ ਦੀਆਂ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਇਹ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਕੰਮਾਂ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਹੈ ।

2. ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤ ਮਾਲਾ (Sikhan Di Bhagat Mala) – ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਨੂੰ ਭਗਤ ਰਤਨਾਵਲੀ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ, ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਅਤੇ ਜਾਤੀਆਂ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

3. ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ (Bansavalinama) – ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ 1780 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਅੱਧ ਤਕ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਹ ਗ੍ਰੰਥ ਗੁਰੂ ਕਾਲ ਦੇ ਬਾਅਦ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਲੇਖਕ ਨੇ ਆਪਣੀ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਸਨ ।

4. ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ (Mehma Parkash) – ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਦੋ ਰਚਨਾਵਾਂ ਹਨ । ਪਹਿਲੀ ਦਾ ਨਾਂ ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਾਰਤਕ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਵਿਤਾ ਹੈ । (ੳ) ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਾਰਤਕ-ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1741 ਈ. ਵਿੱਚ ਬਾਵਾ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । (ਅ ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਵਿਤਾ-ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1776 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰੂਪ ਦਾਸ ਭੱਲਾ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਸਹਿਤ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

5. ਗੁਰਪ੍ਰਤਾਪ ਸੂਰਜ ਗ੍ਰੰਥ (GurPartap Suraj Granth) – ਇਹ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਗੰਥ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੇ ਦੋ ਹਿੱਸੇ ਹਨ-(ਉ) ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1823 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੈ ।
(ਅ) ਸੂਰਜ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1843 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਤਕ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਭਾਵੇਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਦੋਸ਼ ਹਨ, ਪਰ ਇਸ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਗਿਆਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਸੋਮਾ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

6. ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ (Prachin Panth Parkash) – ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1841 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਲਈ ਇਹ ਪੁਸਤਕ ਬੜੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਪਹਿਲੀ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੁਸਤਕ ਸੀ ਜੋ ਕਿ ਕਿਸੇ ਸਿੱਖ ਨੇ ਲਿਖੀ । ਡਾਕਟਰ ਹਰੀ ਰਾਮ ਗੁਪਤਾ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਹੈ,
“ਇਹ ਕੰਮ ਕਿਸੇ ਸਿੱਖ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਯਤਨ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । 19″1

7, ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਤੇ ਤਵਾਰੀਖ ਗੁਰੂ ਖਾਲਸਾ (Panth Parkash and Tawarikh Guru Khalsa) – ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ ਦੀਆਂ ਲਿਖੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ | ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਵਿਤਾ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਲਿਖੀ ਹੋਈ ਹੈ ਜਦ ਕਿ ਤਵਾਰੀਖ ਗੁਰੂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਵਾਰਤਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਵਿੱਚ 1469 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1849 ਈ. ਤਕ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੰਪਰਦਾਵਾਂ ਅਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦਾ ਵੀ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਤਵਾਰੀਖ ਗੁਰੂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਵਧੇਰੇ ਲਾਹੇਵੰਦ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਸਾਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ ਮੁੱਖ ਔਕੜਾਂ ਪੇਸ਼ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ? (What difficulties do we face regarding the historical sources of Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
(What problems are faced by the students in composing the History of the Punjab ?)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਪੇਸ਼ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਤਿੰਨ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Describe any three important problems being faced by the students in composing the History of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੇ ਕਾਲ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸੋਮਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਤੱਥਾਂ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਮਿਥਿਹਾਸ ਦੀ ਮਿਲਾਵਟ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
  2. ਮੁਸਲਮਾਨ ਲਿਖਾਰੀਆਂ ਨੇ ਜਾਣ-ਬੁਝ ਕੇ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਠੀਕ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ।
  3. ਉਸ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਯੁੱਧਾਂ ਕਾਰਨ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਅਰਾਜਕਤਾ ਫੈਲੀ ਹੋਈ ਸੀ । ਇਸ ਮਾਹੌਲ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਦਾ ਸਮਾਂ ਨਹੀਂ ਮਿਲਿਆ ।
  4. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸੋਮੇ ਅਣਘੋਖੇ ਪਏ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Hukamnamas.) .
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਪਰਿਵਾਰ ਵੱਲੋਂ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹੁਕਮਾਂ ਨੂੰ ‘ਹੁਕਮਨਾਮਾ’ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਦੇ ਲੰਗਰ ਲਈ ਰਸਦ, ਧਾਰਮਿਕ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਮਾਇਆ, ਲੜਾਈਆਂ ਲਈ ਘੋੜੇ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਆਦਿ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ਹੁਣ ਤਕ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 89 ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ 34 ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਅਤੇ 23 ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਹਨ । ਸਿੱਖ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਦੀ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਹੁਕਮ ਸਮਝ ਕੇ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦੇ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief account of the important historical sources related to religious literature of the Sikhs.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਲਈ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਉੱਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਤਿੰਨ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief account of three important sources based on religious literature of the Punjab History.)
ਉੱਤਰ-

  1. 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਦਸ਼ਾ ਬਾਰੇ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਹ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਇੱਕ ਅਣਮੋਲ ਸੋਮਾ ਹੈ ।
  3. ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਲਿਖੀ ਗਈ ‘ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ’ ਨਾਂ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਵੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ ।
  4. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ 39 ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲੇ 6 ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।
  5. ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਅਤੇ ਸਮਕਾਲੀਨ ਸਮਾਜ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਬਾਰੇ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਜਨਮ ਸਾਥੀਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (What is meant by Janam Sakhis ? Explain briefly famous Janam Sakhis.)
ਜਾਂ
ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਕ ਮਹੱਤਵ ਬਾਰੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on the historical importance of Janam Sakhis.)
ਜਾਂ
ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਕੀ ਹਨ ? ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਦੱਸੋ । (What do you understand by Janam Sakhis ? What is the importance of different Janam Sakhis ?)
ਜਾਂ
ਕਿਸੇ ਤਿੰਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਬਾਰੇ ਚਾਨਣਾ ਪਾਉ । (Throw light on any three Janam Sakhis.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

  • ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦਾ ਸੰਪਾਦਨ 1926 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ਜੋ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕਾਫ਼ੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ ।
  • ਮਿਹਰਬਾਨ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਦੇ ਸਪੁੱਤਰ ਮਿਹਰਬਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਉਦਾਸੀਆਂ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ।
  • ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਦੋਂ ਅਤੇ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਮਤਭੇਦ ਹਨ । ਇਸ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਮਨਘੜਤ ਗੱਲਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਦੀ ਜਨਮਸਾਖੀ-ਇਸ ਜਨਮਸਾਖੀ ਨੂੰ ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਬਹੁਤ ਵਿਸ਼ਵਾਸਯੋਗ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਿਹਰਬਾਨ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Janam Sakhi of Meharban.)
ਉੱਤਰ-
ਮਿਹਰਬਾਨ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਦੇ ਸਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਉਹ ਬੜੇ ਵਿਦਵਾਨ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀਆਂ ਉਦਾਸੀਆਂ ਅਤੇ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਨਿਵਾਸ ਬਾਰੇ ਬੜਾ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਕਾਫ਼ੀ ਭਰੋਸੇਯੋਗ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਬੜਾ ਤਰਤੀਬਵਾਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕੀਤੇ ਗਏ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਅਤੇ ਸਥਾਨਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਠੀਕ ਹਨ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਦੀਆਂ ਵਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Vars of Bhai Gurdas ?)
ਜਾਂ
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਭੱਲਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Bhai Gurdas Bhalla.)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਭੱਲਾ, ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਭਰਾ ਦਾਤਾਰ ਚੰਦ ਭੱਲਾ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਉਹ ਤੀਸਰੇ, ਚੌਥੇ, ਪੰਜਵੇਂ ਅਤੇ ਛੇਵੇਂ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਸਮਕਾਲੀਨ ਸਨ । ਉਹ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦੇ ਕਵੀ ਅਤੇ ਲੇਖਕ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਰਚੀਆਂ ਗਈਆਂ ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 39 ਹੈ । ਇਹ ਵਾਰਾਂ ਪੰਜਾਬੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹਨ । ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੇ ਭਾਵਾਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਮਝਣ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਨੂੰ “ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਅਤੇ ਗਿਆਰਵੀਂ ਵਾਰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਸੋਮੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ‘ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ’ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
(Describe the importance of Adi Granth Sahib Ji as a source of the History of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on the special features of Adi Granth Sahib Ji.)
ਜਾਂ
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਵ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief description of Adi Granth Sahib Ji and its historical importance.)
ਜਾਂ
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Briefly explain the significance of Adi Granth Sahib Ji.)
ਉੱਤਰ-ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ, ਪ੍ਰਮਾਣਿਕ ਅਤੇ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥ ਦਾ ਸਨਮਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਪੰਜ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਂ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਦਰਜ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੰਦੂ ਭਗਤਾਂ, ਸੂਫ਼ੀ ਸੰਤਾਂ ਅਤੇ ਭੱਟਾਂ ਆਦਿ ਦੀ ਬਾਣੀ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਡੂੰਘੇ ਅਧਿਐਨ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀ ਰਾਜਸੀ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਜੀਵਨ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ? (What do you know about Dasam Granth Sahib Ji ?)
ਜਾਂ
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
(Write a short note on Dasam Granth Sahib Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਦਸਮ ਗੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀਆਂ ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਨ ਲਈ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਜੋਸ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਹ ਕੁੱਲ 18 ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ‘ਜਾਪੁ ਸਾਹਿਬ’, ‘ਅਕਾਲ ਉਸਤਤਿ’, ‘ਚੰਡੀ ਦੀ ਵਾਰ’, ‘ਚੌਬੀਸ ਅਵਤਾਰ’, ‘ਸ਼ਬਦ ਹਜ਼ਾਰੇ’, ‘ਸ਼ਸਤਰ ਨਾਮਾ’, ‘ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ’ ਅਤੇ ‘ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ’ ਆਦਿ ਦੇ ਨਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵਰਣਨਯੋਗ ਹਨ | ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਅਤੇ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ‘ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ? (What is the importance of Bachittar Natak in the life of Guru Gobind Singh Ji ?)
ਜਾਂ
‘ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ’ ’ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Bachittar Natak.)
ਜਾਂ
ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਦੱਸੋ । (Discuss about Bachittar Natak.)
ਜਾਂ
ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Bachittar Natak.)
ਉੱਤਰ-
ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਇੱਕ ਲਾਸਾਨੀ ਰਚਨਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਬਿਰਤਾਂਤ ਨਾਲ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀ ਉਸਤਤਿ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਸੰਸਾਰ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਵੇਂ ਹੋਈ, ਬੇਦੀ ਵੰਸ਼ ਅਤੇ ਸੋਢੀ ਵੰਸ਼ ਬਾਰੇ ਵਿਸਤ੍ਰਿਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਬਾਰੇ ਵੀ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੀਆਂ ਗਈਆਂ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give a brief account of historical sources written in 18th century in Punjabi.)
ਉੱਤਰ-

  • ਗੁਰਸੋਭਾ-ਗੁਰਸੋਭਾ ਦੀ ਰਚਨਾ 1741 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀ ਸੈਨਾਪਤ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ 1699 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1708 ਈ. ਤਕ ਦੀਆਂ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ।
  • ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤਮਾਲਾ-ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ, ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨਾਂ, ਜਾਤੀਆਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਿਵਾਸ ਸਥਾਨ ਅਤੇ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀ ਸਮਾਜਿਕ ਹਾਲਤ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1841 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗੰਥ ਵਿੱਚ, ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ-ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ 1780 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿਚ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਮੱਧ ਤਕ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਮਹਿਮਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਵਿਤਾ-ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1776 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਰੂਪ ਦਾਸ ਭੱਲਾ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰਸੋਭਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Sri Gursobha.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਸੋਭਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀ ਸੈਨਾਪਤ ਨੇ 1741 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੇ ਲੇਖਕ ਨੇ 1699 ਈ. ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ, ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1708 ਈ. ਤਕ ਜਦੋਂ ਉਹ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ਸਨ, ਦੀਆਂ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਿਸਤ੍ਰਿਤ ਅਤੇ ਪ੍ਰਮਾਣਿਕ ਵੇਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤਮਾਲਾ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Sikhan Di Bhagatmala ?)
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਸਿੱਖ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ 6 ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਿੱਖਾਂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਜਾਤਾਂ ਅਤੇ ਨਿਵਾਸ ਸਥਾਨਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿਸਤਾਰ ਵਿੱਚ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਈ ਗਈ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੀ ਸਮਾਜਿਕ ਹਾਲਤ ਬਾਰੇ ਵੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਬੰਸਾਵਲੀਨਾਮਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Bansavalinama.)
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ ਨੇ 1780 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ 14 ਅਧਿਆਇ ਹਨ । ਪਹਿਲੇ 10 ਅਧਿਆਇ 10 ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ । ਬਾਕੀ 4 ਅਧਿਆਇ ਬਾਬਾ ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ, ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ, ਮਾਤਾ ਸੁੰਦਰੀ ਅਤੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ । ਲੇਖਕ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦਾ ਸਮਕਾਲੀ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਸ ਨੇ ਅਨੇਕਾਂ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਹ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਦੇ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਲਈ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਸੋਮਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief account of Prachin Panth Prakash.)
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਰਚਨਾ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ 1841 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਲੇਖਕ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਤਕ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਮੁਗਲ-ਸਿੱਖ ਸੰਬੰਧਾਂ, ਮਰਾਠਾ-ਸਿੱਖ ਸੰਬੰਧਾਂ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨ-ਸਿੱਖ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰਮਾਣਿਕ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੇ ਸੋਮਿਆਂ ਦੀ ਸੰਖੇਪ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ । (Give a brief account of important Persian sources of the History of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੇ ਮੁੱਖ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ਜੋ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਸੰਕਲਨ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ।
(Give a brief mention of important Persian sources which are essential for composing the History of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੇ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give an account of important Persian sources of the History of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-

  • ਆਇਨ-ਏ-ਅਕਬਰੀ ਅਕਬਰ ਦੇ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਸੋਮਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
  • ਜੰਗਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਾਜੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਅਬਦਾਲੀ ਦੇ ਹਮਲੇ ਦਾ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਹਾਲ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਯੁੱਧ ਕਰਨ ਦੇ ਢੰਗ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸੰਬੰਧੀ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ।
  • ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ ਦਾ ਲੇਖਕ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਦਰਬਾਰੀ ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੁਰੀ ਸੀ । ਇਹ ਗੰਥ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਕਾਲ ਦੀ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹੈ ।
  • ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਲੇਖਕ ਖੁਸ਼ਵਕਤ ਰਾਏ ਸੀ । ਇਹ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1811 ਈ. ਤਕ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਦਾ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹੈ ।
  • ਚਾਰ ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਲੇਖਕ ਗਣੇਸ਼ ਦਾਸ ਵਡੇਹਰਾ ਸੀ । ਇਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦਾ ਇੱਕ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਸੋਮਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਚਾਰ ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Char Bag-i-Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1855 ਈ. ਵਿੱਚ ਗਣੇਸ਼ ਦਾਸ ਵਡੇਹਰਾ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।ਉਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਧੀਨ ਕਾਨੂੰਨ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਵਿੱਚ ਲੇਖਕ ਨੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਕਾਲ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1849 ਈ. ਤਕ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਵਿੱਚ ਲੇਖਕ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਕਾਲ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਬੜੇ ਤਰਤੀਬ ਅਨੁਸਾਰ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸੋਮਿਆਂ ‘ਤੇ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਓ । (Mention important English sources which throw light on the History of the Punjab.)
ਜਾਂ
ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਿਆਂ ਉੱਤੇ ਰੌਸ਼ਨੀ ਪਾਓ ।
(Throw light on important sources of information on the Punjab History written in English.)
ਉੱਤਰ-

  • ਦੀ ਕੋਰਟ ਐਂਡ ਕੈਂਪ ਆਫ਼ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ – ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1840 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੈਪਟਨ ਵਿਲੀਅਮ ਓਸਬੋਰਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦੀ ਸ਼ਾਨੋ-ਸ਼ੌਕਤ ਸੰਬੰਧੀ ਅਤੇ ਫ਼ੌਜ ਸੰਬੰਧੀ ਬੜਾ ਭਰਪੂਰ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ ਹੈ ।
  • ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਪੰਜਾਬ – ਇਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ 1842 ਈ. ਵਿੱਚ ਡਾਕਟਰ ਮੱਰੇ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਸੋਮਾ ਹੈ ।
  • ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼ – ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਡਾਕਟਰ ਮੈਕਗਰੇਗਰ ਨੇ 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਲੜਾਈਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਕਾਫ਼ੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
  • ਸਕੈਚ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼ – ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1812 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੈਲਕੋਮ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਨੇ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਸੰਖੇਪ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਹੈ ।
  • ਦੀ ਪੰਜਾਬ – ਇਸ ਦੀ ਰਚਨਾ 1846 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਟਾਈਨਬਖ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਲੇਖਕ ਨੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਾਂ ਬਾਰੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਭਾਰਤ ਦੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡਾਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਮਹੱਤਵ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on the historical importance of records of British Indian Government.)
ਉੱਤਰ-
ਭਾਰਤ ਦੇ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਦੇ ਆਰੰਭ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੇ ਪਤਨ ਤਕ (1799-1849 ਈ. ) ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਲਈ ਸਾਡਾ ਇੱਕ ਅਤੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਹਨ । ਲੁਧਿਆਣਾ ਏਜੰਸੀ ਅਤੇ ਦਿੱਲੀ ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਸੀ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡ ਪੰਜਾਬ ਸੰਬੰਧੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਿਕਾਰਡਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼-ਸਿੱਖ ਸੰਬੰਧਾਂ, ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਰਾਜ ਸੰਬੰਧੀ, ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸਿੰਧ ਅਤੇ ਅਫ਼ਗਾਨਿਸਤਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਾਂ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿਚ ਸਿੱਕਿਆਂ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Examine the importance of coins in the construction of the History of the Punjab.)
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿਚ ਸਿੱਕਿਆਂ ਦਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹੱਤਵ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਮੁਗ਼ਲਾਂ, ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ, ਜੱਸਾ ਸਿੰਘ ਆਹਲੂਵਾਲੀਆ, ਅਹਿਮਦ ਸ਼ਾਹ ਅਬਦਾਲੀ ਅਤੇ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸਿੱਕੇ ਮਿਲੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਿੱਕੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਬਣੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸਿੱਕੇ ਲਾਹੌਰ, ਪਟਿਆਲਾ ਅਤੇ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦੇ ਅਜਾਇਬਘਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਏ ਹਨ । ਇਹ ਸਿੱਕੇ ਤਾਰੀਖਾਂ ਅਤੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਚਾਨਣਾ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਿੱਕੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀਆਂ ਕਈ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਸੁਲਝਾਉਣ ਵਿੱਚ ਸਾਡੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)
ਇੱਕ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਾਕ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ (Answer in one word to one Sentence)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਸੰਬੰਧੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਪੇਸ਼ ਆਉਣ ਵਾਲੀ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਔਕੜ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਨੂੰ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਦਿਲਚਸਪੀ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਸੰਬੰਧੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੋਮਾ ਦੱਸੋ । ਉੱਤਰ-ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1604 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
मां
ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਕੇਂਦਰੀ ਧਾਰਮਿਕ ਪੁਸਤਕ (ਗੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਦੋਂ ਅਤੇ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਨਾਲ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਰਚਨਾ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ਇੱਕ ਪੱਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਕਿਸ ਸਥਾਨ ਤੋਂ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੀਨਾ ਕਾਂਗੜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਨੂੰ ਕਿਸ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਫ਼ਾਰਸੀ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਕੌਣ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਾਤਾਰ ਚੰਦ ਭੱਲਾ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੁੱਲ ਕਿੰਨੀਆਂ ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
39.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਤੋਂ ਭਾਵ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਥਾਵਾਂ ਤੋਂ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਯੋਗ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਜੀ ਕੌਣ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਬਚਪਨ ਦੇ ਸਾਥੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
‘ਹੁਕਮਨਾਮੇ’ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਹੁਣ ਤਕ ਕੁੱਲ ਕਿੰਨੇ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
89.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਕਿੰਨੇ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
23.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੇ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਕਿੰਨੇ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
34.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਸੈਨਾਪਤ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਵੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰਸੋਭਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੈਨਾਪਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤਮਾਲਾ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 30.
ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1841 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 31.
ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 32.
ਗੁਰੂ ਪ੍ਰਤਾਪ ਸੂਰਜ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 33.
“ਬੰਸਾਵਲੀ ਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 34.
ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਬਾਬਰੀ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਾਬਰ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 35.
ਅਕਬਰ ਦੇ ਦਰਬਾਰ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਵਿਦਵਾਨ ਕਿਹੜਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 36.
ਅਕਬਰਨਾਮਾ ਅਤੇ ਆਇਨ-ਏ-ਅਕਬਰੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 37.
ਜਹਾਂਗੀਰ ਦੀ ਆਤਮ ਕਥਾ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਜਹਾਂਗੀਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 38.
“ਖਾਫ਼ੀ ਖ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਰਚਿਤ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਿਤਾਬ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੁੰਖਿਬ-ਉਲ-ਲੁਬਾਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 39.
ਜੰਗਨਾਮਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਜਾਂ
‘ਜੰਗਨਾਮਾ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 40.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਾਸਨ ਕਾਲ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਫ਼ਾਰਸੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸੋਮੇ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ
ਉੱਤਰ-
ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 41.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਦਰਬਾਰੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੁਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 42.
ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ਦੁਆਰਾ ਲਿਖੀ ਗਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਰਚਨਾ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 43.
ਜਫ਼ਰਨਾਮਾ-ਏ-ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੀਵਾਨ ਅਮਰਨਾਥ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 44.
ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੁਸ਼ਵਕਤ ਰਾਏ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 45.
ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੂਟੇ ਸ਼ਾਹ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 46.
ਚਾਰ-ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਣੇਸ਼ ਦਾਸ ਵਡੇਹਰਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 47.
ਭੱਟ ਵਹੀਆਂ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੱਟਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸੰਕਲਿਤ ਬਿਉਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 48.
ਭੱਟ ਵਹੀਆਂ ਦੀ ਖੋਜ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਿਆਨੀ ਗਰਜਾ ਸਿੰਘ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 49.
ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਰਬਾਰ ਰਿਕਾਰਡ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੀਤਾ ਰਾਮ ਕੋਹਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 50.
ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਰਬਾਰ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡ ਕਿਸ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 51.
ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਰਬਾਰ ਰਿਕਾਰਡ ਕਿਸ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਫ਼ਾਰਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 52.
ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਰਚਨਾ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 53.
ਸਕੈਚ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਸ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਲਕੋਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 54.
ਦੀ ਕੋਰਟ ਐਂਡ ਕੈਂਪ ਆਫ਼ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਿਲੀਅਮ ਓਸਬੋਰਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 55.
ਡਾਕਟਰ ਮੱਰੇ ਨੇ ਕਿਸ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਪੰਜਾਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 56.
ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੁਆਰਾ ਵਸਾਏ ਗਏ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਨਗਰ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 57.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲੇ ਸਿੱਕੇ ਕਿਸ ਨੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 58.
ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ਕਿਹੜੇ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ।

ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ (Fill in the Blanks)

ਨੋਟ :-ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ

1. ਸਿੱਖ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਜਾਣਨ ਸੰਬੰਧੀ ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਸੋਮਾ ………………………….. ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ)

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2. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ………………………. ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(1604 ਈ.)

3. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ………………………. ਨੇ ਕੀਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੁ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ)

4. ………………………. ਨੇ ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕੀਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
(ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ)

5. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ……………………………. ਨਾਲ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ)

6. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ ਦਾ ਨਾਂ ………………………….. ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ)

7. ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਲਿਖੇ ਗਏ ਪੱਤਰ ਦਾ ਨਾਂ …………………………. ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ)

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8. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੁੱਲ …………………………….. ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(39)

9. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ਨੂੰ …………………………. ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ)

10. ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਨੂੰ ……………………….. ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ)

11. ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਤੋਂ ਭਾਵ …………………………………… ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ)

12. ………………………….. ਨੇ ਗੁਰਸੋਭਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸੈਨਾਪਤ)

13. ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ………………………….. ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤ ਮਾਲਾ)

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14. ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਲੇਖਕ ……………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ)

15. ਤਵਾਰੀਖ ਗੁਰੂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ………………………. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ)

16. ਗੁਰੂ ਪ੍ਰਤਾਪ ਸੂਰਜ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ………………………. ਨੇ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ)

17. ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ ਦਾ ਲੇਖਕ ………………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ)

18. ਬਾਬਰ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ ਨੂੰ …………………………… ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਬਾਬਰੀ)

19. ……………………….. ਨੇ ਆਇਨ-ਏ-ਅਕਬਰੀ ਅਤੇ ਅਕਬਰ ਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ)

20. ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਜਹਾਂਗੀਰੀ ……………………………. ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਜਹਾਂਗੀਰ)

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

21. …………………………. ਨੇ ਮੁੰਖਿਬ-ਉਲ-ਲੁਬਾਬ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਖਾਫ਼ੀ ਖ਼ਾ)

22. …………………………. ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਜੰਗਨਾਮਾ)

23. ………………………… ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਦਰਬਾਰੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ)

24. ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ਨੇ ………………………. ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ)

25. ਬੂਟੇ ਸ਼ਾਹ ਨੇ ……………………….. ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਪੰਜਾਬ)

26. ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ-ਏ-ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਚਨਾ …………………….. ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਦੀਵਾਨ ਅਮਰਨਾਥ)

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

27. ਗਣੇਸ਼ ਦਾਸ ਵਡੇਹਰਾ ਨੇ …………………………. ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਚਾਰ ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ)

28. ਦੀ ਕੋਰਟ ਐਂਡ ਕੈਂਪ ਆਫ਼ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਲੇਖਕ ………………………. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਵਿਲੀਅਮ ਓਸਬੋਰਨ)

29. ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ ਨੇ …………………………. ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਸ)

30. ……………………….. ਨੇ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਸਿੱਕੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ।
ਉੱਤਰ-
( ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ)

ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ (True or False)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

1. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ ਅਤੇ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

2. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1604 ਈ: ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

3. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

4. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਲਿਖੀ ਆਤਮਕਥਾ ਦਾ ਨਾਂ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਹੈ । ਉੱਤਰ-ਗ਼ਲਤ 5. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ 39 ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

6. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

7. ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦਾ ਸੰਪਾਦਨ 1926 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

8. ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਨੂੰ ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

9. ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਹ ਆਗਿਆ ਪੱਤਰ ਸਨ ਜੋ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਘਰਾਣੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਤੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

10. ਗੁਰਸੋਭਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਸੈਨਾਪਤ ਨੇ 1741 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

11. ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤਮਾਲਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

12. ਗੁਰ ਪ੍ਰਤਾਪ ਸੂਰਜ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

13. ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਲੇਖਕ ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

14. ਬਾਬਰ ਦੀ ਆਤਮਕਥਾ ਨੂੰ ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਬਾਬਰੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

15. ਆਇਨ-ਏ-ਅਕਬਰੀ ਅਤੇ ਅਕਬਰਨਾਮਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਅਬਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

16. ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਜਹਾਂਗੀਰੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਸ਼ਾਹਜਹਾਂ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

17. ਖੁਲਾਸਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ਼ ਦੀ ਰਚਨਾ ਸੁਜਾਨ ਰਾਏ ਭੰਡਾਰੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

18. ਜੰਗਨਾਮਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

19. ਉਮਦਤ-ਉਤ ਤਵਾਰੀਖ਼ ਦਾ ਲੇਖਕ ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

20. ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ-ਏ-ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦੀਵਾਨ ਅਮਰਨਾਥ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

21. ਚਾਰ ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਰਚਨਾ ਗਣੇਸ਼ ਦਾਸ ਵਡੇਹਰਾ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

22. ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਰਬਾਰ ਰਿਕਾਰਡ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

23. ਸਕੈਚ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼ ਦੀ ਰਚਨਾ ਮੈਲਕੋਮ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

24. ਦੀ ਕੋਰਟ ਐਂਡ ਦੀ ਕੈਂਪ ਆਫ਼ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਰਚਨਾ ਵਿਲੀਅਮ ਉਸਬੋਰਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

25. ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼’ ਦਾ ਲੇਖਕ ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

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ਬਹੁਪੱਖੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Multiple Choice Questions)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।
(ii) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
(i) 1601 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1602 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1604 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1605 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਬਾਬਾ ਦੀਪ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਨਾਲ ਹੈ ?
(i) ਪਹਿਲੇ ਗੁਰੂ ਨਾਲ
(ii) ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਨਾਲ
(iii) ਪੰਜਵੇਂ ਗੁਰੂ ਨਾਲ
(iv) ਦਸਵੇਂ ਗੁਰੂ ਨਾਲ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਦਸਵੇਂ ਗੁਰੂ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਕੀ ਹੈ ?
(i) ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ
(ii) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ
(iii) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ
(iv) ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਆਤਮ-ਕਥਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੁੱਲ ਕਿੰਨੀਆਂ ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ?
(i) 15
(ii) 20
(iii) 29
(iv) 39.
ਉੱਤਰ-
(iv) 39.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਵਲਾਇਤ ਵਾਲੀ ਅਤੇ ਹਾਫ਼ਜ਼ਾਬਾਦ ਵਾਲੀ ਜਨਮ-ਸਾਖੀਆਂ ਦੇ ਸੁਮੇਲ ਤੋਂ ਇੱਕ ਕਿਹੜੀ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ?
(i) ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ
(ii) ਭਾਈ ਬਾਲੇ ਵਾਲੀ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ
(iii) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਵਾਲੀ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ
(iv) ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ ਦਾ ਸੰਪਾਦਨ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
(i) ਭਾਈ ਕਾਨ੍ਹ ਸਿੰਘ ਨਾਭਾ ਨੇ
(ii) ਭਾਈ ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਨੇ
(iii) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਮਿਹਰਬਾਨ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਭਾਈ ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਗਿਆਨ ਰਤਨਾਵਲੀ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ
(ii) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ
(iii) ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਜੀ
(iv) ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮਿਹਰਬਾਨ ਵਾਲੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਮਨੋਹਰ ਦਾਸ
(ii) ਅਕਿਲ ਦਾਸ
(iii) ਭਾਈ ਬਾਲਾ
(iv) ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਮਨੋਹਰ ਦਾਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਕੀ ਹਨ ?
(i) ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ
(ii) ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ
(iii) ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹਾਂ ਦੇ ਆਦੇਸ਼
(iv) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰਸੋਭਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ
(ii) ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ
(iii) ਸੈਨਾਪਤ
(iv) ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਸੈਨਾਪਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਬੰਸਾਵਲੀ ਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ ਨੇ
(ii) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਕੇਸਰ ਸਿੰਘ ਛਿੱਬੜ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
‘ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਭਗਤਮਾਲਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸਨੇ ਕੀਤੀ ?
(i) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਭਾਈ ਦਇਆ ਸਿੰਘ ਨੇ
(iii) ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਗੁਰੂ ਪ੍ਰਤਾਪ ਸੂਰਜ ਗ੍ਰੰਥ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਸਰੂਪ ਦਾਸ ਭੱਲਾ
(ii) ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ
(iii) ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ
(iv) ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ ਨੇ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਪੰਥ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) 1641 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1741 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1841 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1849 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 1841 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਤਵਾਰੀਖ਼ ਗੁਰੂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ
(ii) ਭਾਈ ਸੰਤੋਖ ਸਿੰਘ
(iii) ਰਤਨ ਸਿੰਘ ਭੰਗੂ
(iv) ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਗਿਆਨੀ ਗਿਆਨ ਸਿੰਘ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਬਾਬਰੀ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਕਿਸ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਹੈ ?
(i) ਹੁਮਾਯੂੰ ਨਾਲ
(ii) ਬਾਬਰ ਨਾਲ
(iii) ਜਹਾਂਗੀਰ ਨਾਲ
(iv) ਅਕਬਰ ਨਾਲ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਹੁਮਾਯੂੰ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਬਾਬਰ ਨੇ ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਬਾਬਰੀ ਕਿਸ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਲਿਖੀ ਸੀ ?
(i) ਪੰਜਾਬੀ
(ii) ਅਰਬੀ,
(iii) ਤੁਰਕੀ
(iv) ਫ਼ਾਰਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਤੁਰਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਆਈਨ-ਏ-ਅਕਬਰੀ ਅਤੇ ਅਕਬਰਨਾਮਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ
(ii) ਸੁਜਾਨ ਰਾਏ ਭੰਡਾਰੀ
(iii) ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ
(iv) ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ
ਉੱਤਰ-
(i) ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਤੁਜ਼ਕ-ਏ-ਜਹਾਂਗੀਰੀ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਬਾਬਰ
(ii) ਜਹਾਂਗੀਰ
(iii) ਸ਼ਾਹਜਹਾਂ
(iv) ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਜਹਾਂਗੀਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਖੁਲਾਸਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਸੁਜਾਨ ਰਾਏ ਭੰਡਾਰੀ
(ii) ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ
(iii) ਖਾਫ਼ੀ ਖ਼ਾ
(iv) ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸੁਜਾਨ ਰਾਏ ਭੰਡਾਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਖਾਫ਼ੀ ਮਾਂ ਨੇ ਕਿਸ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਪੁਸਤਕ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਦਬਿਸਤਾਨ-ਏ-ਮਜ਼ਾਹਿਬ
(ii) ਜੰਗਨਾਮਾ
(iii) ਖੁਲਾਸਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ
(iv) ਮੁੰਖਿਬ-ਉਲ-ਲੁਬਾਬ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਮੁੰਖਿਬ-ਉਲ-ਲੁਬਾਬ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਜੰਗਨਾਮਾ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ
(ii) ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ
(iii) ਖਾਫ਼ੀ ਖ਼ਾ
(iv) ਅਬੁਲ ਫ਼ਜ਼ਲ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਦਰਬਾਰੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ ਨੇ ਕਿਸ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਗ੍ਰੰਥ ਦੀ ਰਚਨਾ
ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ਼
(ii) ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਸਿੱਖਾਂ
(iii) ਤਵਾਰੀਖ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ
(iv) ਇਬਰਤਨਾਮਾ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਉਮਦਤ-ਉਤ-ਤਵਾਰੀਖ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਖੁਸ਼ਵਕਤ ਰਾਏ ਨੇ ਤਵਾਰੀਖ਼-ਏ-ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) 1764 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1784 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1811 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1821 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 1811 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
(i) ਦੀਵਾਨ ਅਮਰਨਾਥ
(ii) ਖੁਸ਼ਵਕਤ ਰਾਏ
(iii) ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੂਰੀ
(iv) ਬੂਟੇ ਸ਼ਾਹ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਖੁਸ਼ਵਕਤ ਰਾਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ-ਏ-ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਸੋਹਣ ਲਾਲ ਸੁਰੀ
(ii) ਦੀਵਾਨ ਅਮਰਨਾਥ
(iii) ਅਲਾਉੱਦੀਨ ਮੁਫ਼ਤੀ
(iv) ਕਾਜ਼ੀ ਨੂਰ ਮੁਹੰਮਦ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਦੀਵਾਨ ਅਮਰਨਾਥ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 30.
ਗਣੇਸ਼ ਦਾਸ ਵਡੇਹਰਾ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਪੁਸਤਕ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
(i) ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਪੰਜਾਬ
(ii) ਤਵਾਰੀਖ-ਏ-ਸਿੱਖਾਂ
(iii) ਚਾਰ ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ
(iv) ਇਬਰਤਨਾਮਾ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਚਾਰ ਬਾਗ਼-ਏ-ਪੰਜਾਬ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 31.
ਖ਼ਾਲਸਾ ਦਰਬਾਰ ਰਿਕਾਰਡ ਕਿਸ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹਨ ?
(i) ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ
(ii) ਫ਼ਾਰਸੀ
(iii) ਉਰਦੂ
(iv) ਪੰਜਾਬੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਫ਼ਾਰਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 32.
ਮੈਲਕੋਮ ਨੇ ਸਕੈਚ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) 1802 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1812 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1822 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1832 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) 1812 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 33.
ਦੀ ਕੋਰਟ ਐਂਡ ਕੈਂਪ ਆਫ਼ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਪੁਸਤਕ ਦਾ ਲੇਖਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਐੱਚ. ਟੀ. ਪਰਿੰਸੇਪ
(ii) ਵਿਲੀਅਮ ਓਸਬੋਰਨ
(iii) ਡਾਕਟਰ ਮੈਕਗਰੇਗਰ
(iv) ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਵਿਲੀਅਮ ਓਸਬੋਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 34.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੌਣ ਹਿਸਟਰੀ ਆਫ਼ ਦੀ ਸਿੱਖਜ਼ ਦਾ ਲੇਖਕ ਸੀ ?
(i) ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ
(ii) ਅਲੈਗਜ਼ੈਂਡਰ ਬਰਨਜ਼
(iii) ਡਾਕਟਰ ਸ਼੍ਰੀ
(iv) ਡਾਕਟਰ ਮੈਲਕੋਮ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਜੇ. ਡੀ. ਕਨਿੰਘਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 35.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲੇ ਸਿੱਕੇ ਕਿਸ ਨੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਸਨ ?
(i) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ
(iii) ਜੱਸਾ ਸਿੰਘ ਆਹਲੂਵਾਲੀਆ ਨੇ
(iv) ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨੇ ।

Source Based Questions
ਨੋਟ-ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੈਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ-

1. ਕਿਸੇ ਵੀ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਮਝਣ ਲਈ ਉਸ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਹੋਣਾ ਅਤਿ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਸੋਮੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਅਤਿ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਔਕੜਾਂ ਪੇਸ਼ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਯੁੱਧਾਂ ਦਾ ਅਖਾੜਾ ਬਣਿਆ ਰਿਹਾ । ਅਸ਼ਾਂਤੀ ਅਤੇ ਅਰਾਜਕਤਾ ਦੇ ਇਸ ਮਾਹੌਲ ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਸਿੱਖ ਕੌਮ ਨੇ ਆਪਣੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦੀ ਬਾਜ਼ੀ ਲਾਈ ਸੀ ਆਪਣਾ ਇਤਿਹਾਸ ਲਿਖਣ ਦਾ ਸਮਾਂ ਨਾ ਕੱਢ ਸਕੀ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਸੋਮੇ 19ਵੀਂ ਸਦੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ ਜਦੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸੁਤੰਤਰ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

1. ਸੋਮੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕਿਉਂ ਹਨ ?
2. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਸਾਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ ਔਕੜਾਂ ਪੇਸ਼ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ? ਕੋਈ ਇੱਕ ਦੱਸੋ ।
3. ਕਿਹੜੀ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਯੁੱਧਾਂ ਦਾ ਅਖਾੜਾ ਬਣਿਆ ਰਿਹਾ ?
4. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹੜੀ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਸੁਤੰਤਰ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ?
5. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ …………………………. ਸਦੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਕਿਸੇ ਵੀ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਮਝਣ ਲਈ ਸੋਮੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ ।
2. ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਤੱਥਾਂ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਮਿਥਿਹਾਸ ਦੀ ਮਿਲਾਵਟ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
3. 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਯੁੱਧਾਂ ਦਾ ਅਖਾੜਾ ਬਣਿਆ ਰਿਹਾ ।
4. ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ 19ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਸੁਤੰਤਰ ਸਿੱਖ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।
5. 19ਵੀਂ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

2. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਯੋਗਦਾਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਾਹਿਤ ਦਾ ਹੈ । ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ, ਪ੍ਰਮਾਣਿਕ ਅਤੇ ਪਵਿੱਤਰ ਗ੍ਰੰਥ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1604 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਪੰਜ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਦਰਜ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਇਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਵੀ ਦਰਜ ਕੀਤੀ ਗਈ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਿੰਦੂ ਭਗਤਾਂ, ਮੁਸਲਿਮ ਸੰਤਾਂ ਅਤੇ ਭੱਟਾਂ ਆਦਿ ਦੀ ਬਾਣੀ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਭਾਵੇਂ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਉਦੇਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਡੂੰਘੇ ਅਧਿਐਨ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਰਾਜਸੀ, ਧਾਰਮਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਜੀਵਨ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।

1. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਦੋਂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ?
2. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਦਰਜਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਦਿੱਤਾ ?
3. ਗੁਰੂ ਗੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੀ ਬਾਣੀ ਦਰਜ ਹੈ ?
4. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵ ਦੱਸੋ ।
5. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ……………………… ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1604 ਈ: ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
2. ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਦਰਜਾ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਦਿੱਤਾ ।
3. ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ 6 ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੀ ਬਾਣੀ ਦਰਜ ਹੈ ।
4. ਇਹ ਸਰਬ ਸਾਂਝੀਵਾਲਤਾ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
5. ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।

3. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਪਵਿੱਤਰ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥ ਹੈ ।ਇਹ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਬਾਰੀ ਕਵੀਆਂ ਦੀਆਂ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਸ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸੰਕਲਨ 1721 ਈ. ਵਿੱਚ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਇਸ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਅਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਨ ਲਈ ਜੋਸ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਲਈ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਕੁੱਲ 18 ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ‘ਜਾਪੁ ਸਾਹਿਬ’, ‘ਅਕਾਲ ਉਸਤਤਿ’, ‘ਚੰਡੀ ਦੀ ਵਾਰ’, ‘ਚੌਬੀਸ ਅਵਤਾਰ’, ‘ਸ਼ਬਦ ਹਜ਼ਾਰੇ’, ‘ਸ਼ਸਤਰ ਨਾਮਾ`, ‘ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ’ ਅਤੇ ‘ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ` ਆਦਿ ਦੇ ਨਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵਰਣਨਯੋਗ ਹਨ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਅਤੇ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ । ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਲਿਖੀ ਹੋਈ ਆਤਮ-ਕਥਾ ਹੈ | ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਦੀ ਰਚਨਾ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਦੀਨਾ ਨਾਮੀ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਇੱਕ ਚਿੱਠੀ ਹੈ ਜੋ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਫ਼ਾਰਸੀ ਵਿੱਚ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਲਿਖੀ ਸੀ ।

1. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
2. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕਦੋਂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ?
(i) 1604 ਈ.
(ii) 1701 ਈ.
(iii) 1711 ਈ.
(iv) 1721 ਈ. ।
3. ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਕੀ ਹੈ?
4. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਲਿਖੀ ਗਈ ਚਿੱਠੀ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਹੈ ?
5. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਵਿੱਚ ਕੀ ਲਿਖਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਦਸਮ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ।
2. 1721 ਈ. 1
3. ਬਚਿੱਤਰ ਨਾਟਕ ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਆਤਮ ਕਥਾ ਦਾ ਨਾਂ ਹੈ ।
4. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੂੰ ਲਿਖੀ ਗਈ ਚਿੱਠੀ ਦਾ ਨਾਂ ਜ਼ਫ਼ਰਨਾਮਾ ਹੈ ।
5. ਇਸ ਵਿੱਚ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਜੁਲਮਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

4. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਭਰਾ ਦਾਤਾਰ ਚੰਦ ਭੱਲਾ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦੇ ਸਮਕਾਲੀ ਸਨ ।ਉਹ ਇੱਕ ਉੱਚ-ਕੋਟੀ ਦੇ ਕਵੀ ਸਨ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 39 ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪੱਖ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਅਤੇ ਗਿਆਰਵੀਂ ਵਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ । ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਵੀ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਗਿਆਰਵੀਂ ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ 6 ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕੁਝ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨਾਂਵਾਂ ਅਤੇ ਥਾਂਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

1. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਕੌਣ ਸਨ?
2. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕਿੰਨੀਆਂ ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ?
3. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ …………………… ਵਾਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ | ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
4. ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
5. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਵਾਰਾਂ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਭਰਾ ਦਾਤਾਰ ਚੰਦ ਭੱਲਾ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਸਨ ।
2. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ 39 ਵਾਰਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ।
3. ਪਹਿਲੀ ।
4. ਭਾਈ ਗੁਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਕੁੰਜੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
5. ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ 6 ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕੁਝ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਨਾਂਵਾਂ ਅਤੇ ਥਾਂਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 2 ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸੋਮੇ

5. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ‘ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ” ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।17ਵੀਂ ਅਤੇ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਹੋਈ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਲਿਖੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਨਹੀਂ ਸਗੋਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਰੱਖਣ ਵਾਲਿਆਂ ਲਈ ਲਿਖੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਦੋਸ਼ ਹਨ । ਪਹਿਲਾ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਵਧਾ-ਚੜਾ ਕੇ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਦੂਸਰਾ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਵਿੱਚ ਘਟਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਤਿਥੀਆਂ ਦੇ ਵੇਰਵੇ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਹੈ । ਤੀਸਰਾ, ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਤੋਂ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮਾਂ ਮਗਰੋਂ ਲਿਖੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਚੌਥਾ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਤੱਥਾਂ ਅਤੇ ਮਿਥਿਹਾਸ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਸ਼ਾਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਇਹ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਚਾਨਣਾ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

1. ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
2. ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ?
3. ਕਿਸੇ ਦੋ ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
4. ਜਨਮ ਸਾਖੀਆਂ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਦੋਸ਼ ਲਿਖੋ ।
5. ……………………ਅਤੇ ………………….. ਸਦੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਜਨਮ-ਸਾਖੀਆਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਜਨਮ-ਸਾਖੀਆਂ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਅਤੇ ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਥਾਵਾਂ ।
2. ਜਨਮ-ਸਾਖੀਆਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਪੰਜਾਬੀ ਭਾਸ਼ਾ ਵਿਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
3. ਪੁਰਾਤਨ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਅਤੇ ਭਾਈ ਮਨੀ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੀ ਜਨਮ-ਸਾਖੀ ।
4. ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਤਰਤੀਬਵਾਰ ਵਰਣਨ ਨਹੀਂ ਹੈ ।
5. 17ਵੀਂ, 18ਵੀਂ ।

6. ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਹ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ ਸਨ ਜੋ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਘਰਾਣੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ, ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਜਾਂ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਹੁਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਦੇ ਲੰਗਰ ਲਈ ਰਸਦ, ਧਾਰਮਿਕ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਮਾਇਆ, ਲੜਾਈਆਂ ਲਈ ਘੋੜੇ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਆਦਿ ਲਿਆਉਣ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । 18ਵੀਂ ਸ਼ਤਾਬਦੀ ਵਿੱਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਿਆਪਕ ਅਰਾਜਕਤਾ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਅਨੇਕਾਂ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਗਏ । ਹੁਣ ਤਕ 89 ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਪਲੱਬਧ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ 23 ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦੇ ਅਤੇ 34 ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਬਾਕੀ ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ, ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ, ਗੁਰੁ ਹਰਿ ਰਾਇ ਜੀ, ਗੁਰੂ ਹਰਿ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ, ਮਾਤਾ ਗੁਜਰੀ ਜੀ, ਮਾਤਾ ਸੁੰਦਰੀ ਜੀ, ਮਾਤਾ ਸਾਹਿਬ ਦੇਵਾਂ ਜੀ, ਬਾਬਾ ਗੁਰਦਿੱਤਾ ਜੀ ਅਤੇ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਅਤੇ ਸਮਕਾਲੀਨ ਸਮਾਜ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਬਾਰੇ ਬੜੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

1. ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
2. ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਕਿਉਂ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
3. ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਿਸ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਨੇ ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਦਾ ਸੰਕਲਨ ਕੀਤਾ ?
4. ਹੁਕਮਨਾਮਿਆਂ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵ ਦੱਸੋ । 5. ਹੁਣ ਤਕ ਕਿੰਨੇ ……………………… ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਪਲੱਬਧ ਹਨ ?
(i) 23
(ii) 24
(iii) 79
(iv) 89.
ਉੱਤਰ-
1. ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਉਹ ਆਗਿਆ-ਪੱਤਰ ਸਨ ਜੋ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂਆਂ ਜਾਂ ਗੁਰੂ ਘਰਾਣੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਸਮੇਂ ਸਮੇਂ ਤੇ ਸਿੱਖ-ਸੰਗਤਾਂ ਜਾਂ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ।
2. ਹੁਕਮਨਾਮੇ ਗੁਰੂ ਦੇ ਲੰਗਰ ਲਈ ਰਸਦ, ਧਾਰਮਿਕ ਥਾਂਵਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਮਾਇਆ, ਲੜਾਈਆਂ ਲਈ । ਘੋੜੇ ਅਤੇ ਸ਼ਸਤਰ ਆਦਿ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਸਨ ।
3. ਗੰਡਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ।
4. ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਬਾਰੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
5. 89.

PSEB 12th Class Environmental Education Solutions Chapter 20 ਨਸ਼ਾ-ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-II

Punjab State Board PSEB 12th Class Environmental Education Book Solutions Chapter 20 ਨਸ਼ਾ-ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-II Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Environmental Education Chapter 20 ਨਸ਼ਾ-ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-II

Environmental Education Guide for Class 12 PSEB ਨਸ਼ਾ-ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-II Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਸਮਾਜਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ-

  1. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਨਜ਼ਰ-ਅੰਦਾਜ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਸਮਾਜ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਜ਼ਰ-ਅੰਦਾਜ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਸਮਾਜ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਵਿੱਥ ਪੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  2. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਤੇ ਭੜਕਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜਲਦੀ ਹੀ ਲੜਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਉਹ ਦੋਸਤਾਂ ਅਤੇ ਗੁਆਂਢੀਆਂ ਨੂੰ ਨਜ਼ਰ-ਅੰਦਾਜ਼ ਕਰਨ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਸਮਾਜ ਨਾਲ ਨਾਤਾ ਤੋੜਨ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  4. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਅਜੀਬ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਡਰ ਨਾਲ ਘਿਰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਪੁਆੜੇ ਵੀ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  5. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।
  6. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਆਦੀ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ, ਦੋਸਤਾਂ ਅਤੇ ਮਦਦਗਾਰਾਂ ਨੂੰ ਨਜ਼ਰਅੰਦਾਜ਼ ਕਰਨ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਅਰਥਾਂ ਵਿਚ ਤੰਬਾਕੂ ਨੂੰ ਹਥਿਆਰਾ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਤੰਬਾਕੂ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-

  1. ਤੰਬਾਕੂ ਦਮੇ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਫੇਫੜੇ, ਮੂੰਹ, ਘੰਡੀ, ਗਲਾ, ਖ਼ੁਰਾਕ ਵਾਲੀ ਨਾਲੀ, ਪੇਟ, ਪਿਸ਼ਾਬ ਵਾਲੀ ਬਲੈਡਰ, ਕਿਡਨੀ, ਪਾਚਕ ਗੰਥੀ, ਵੱਡੀ ਆਂਦਰ ਅਤੇ ਗੁਰਦੇ ਦੁਆਰ ਦੇ ਕੈਂਸਰ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਕੈਂਸਰ ਇਕ ਭਿਅੰਕਰ ਬਿਮਾਰੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਬੰਦੇ ਨੂੰ ਮੌਤ ਦੇ ਮੂੰਹ ਤੱਕ ਲੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  3. ਤੰਬਾਕੂ/ਸਿਗਰੇਟ ਦੀ ਹੱਦ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਰਤੋਂ ਕੋਰੋਨਰੀ ਲਹੂ ਨਾੜੀ ਦੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਆਦੀ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਘਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  5. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਆਦੀ ਨੂੰ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਨਜ਼ਰ-ਅੰਦਾਜ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕੱਲਾ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  6. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਆਦੀ ਦੀ ਸੋਚ ਦਾ ਤਰੀਕਾ ਅਤੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਜਿਉਣ ਦੇ ਤਰੀਕੇ ਵਿਚ ਵੀ ਅੰਤਰ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਸ ਦੇ ਕਿੱਤੇ ਅਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਉੱਪਰ ਵੀ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class Environmental Education Solutions Chapter 20 ਨਸ਼ਾ-ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-II

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੋਕੀਨ ਦਾ ਸੇਵਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ‘ਤੇ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਇਹ ਇਰਥਰੋਕਸੀਲੋਨ ਕੋਕਾ (Erythroxylon Coca) ਨਾਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਕੋਕੀਨ ਨਿਊਰੋਸਮਿਟਰ ਡੋਪਾਮਾਈਨ (Neurotransmitter dopamine) ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਜਾਣ ਦਾ ਕੰਮ ਵੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਇਸ ਨੂੰ ਸਿਗਰਟ ਦੁਆਰਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਕੋਕੀਨ ਦੇ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਪ੍ਰਭਾਵ-

  1. ਇਹ ਕੇਂਦਰੀ ਨਸ ਪਬੰਧ ਤੇ ਉਤੇਜਨਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਧੀ ਹੋਈ ਤਾਕਤ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਾਤਰਾ ਲੈਣ ਨਾਲ ਮਨੋਭਾਂਤੀਆਂ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਕੋਕੀਨ ਦਿਲ ਦੇ ਦੌਰੇ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹੈ ।
  3. ਕੋਕੀਨ ਦੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਨਾਲ ਨੀਂਦ ਨਾ ਆਉਣ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਬਲੱਡ-ਪ੍ਰੈਸ਼ਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਇਸ ਦੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਾਤਰਾ ਲੈਣ ਨਾਲ ਵਿਅਕਤੀ ਮੌਤ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਵਾਸ਼ਪਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਕਿਸ ਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ? ਨਸ਼ਿਆਂ ਵਜੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਾਸ਼ਪੀ ਘਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ – ਇਹ ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਹਨ ਜੋ ਕਮਰੇ ਦੇ ਸਧਾਰਨ ਤਾਪਮਾਨ ‘ਤੇ ਵਾਸ਼ਪ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਾਰਬਨ ਯੁਕਤ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਮਾਨਸਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਲਈ ਸੁਟਾ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਘਰੇਲੂ ਅਤੇ ਉਦਯੋਗਿਕ ਉਪਜਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਜਿਵੇਂ – ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਤੇਲ, ਗੈਸੋਲੀਨ, ਪੇਂਟ ਥਿਰ, ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਤਰਲ ਆਦਿ ।

ਵਾਸ਼ਪੀ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਜਦੋਂ ਇਹ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ :

  1. ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸੂਟਾ ਲਾਉਣ ਨਾਲ ਨਸ਼ਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲੀਵਰ, ਕਿਡਨੀ ਅਤੇ ਦਿਲ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸੁਟੇ ਲਾਉਣ ਨਾਲ ਲੱਤਾਂ ਅਤੇ ਪੈਰਾਂ ਦੀਆਂ ਨਸਾਂ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਤੰਤੂ ਰੋਗਾਂ ਨਾਲ ਦਿਮਾਗ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਨਸ਼ੇ ਦੀ ਆਦਤ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਕਿੱਤੇ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਕਿੱਤੇ ਅਤੇ ਵਿੱਦਿਅਕ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਉੱਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-

  1. ਨਸ਼ੇ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਜਾਂ ਕੰਮ ਵਾਲੀ ਜਗ੍ਹਾ ਤੇ ਬੇਕਾਇਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਜੇ ਉਹ ਕਿਤੇ ਨੌਕਰੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸਦੀ ਨੌਕਰੀ ਚਲੀ ਜਾਏ ਅਤੇ ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾ ਲਈ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰ ਹੋ ਜਾਵੇ ।
  3. ਜੇ ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹੈ ਤਾਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸਦਾ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲੋਂ ਧਿਆਨ ਉਠ ਜਾਵੇ ਤੇ ਉਹ ਫੇਲ ਹੋ ਜਾਵੇ ।
  4. ਨਸ਼ਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਦਾ ਆਪਣੇ ਸਾਥੀਆਂ, ਉੱਚ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਜਾਂ ਨੀਵੀਂ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨਾਲ ਵਿਗਾੜ ਪੈ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  5. ਨਸ਼ਾ ਕਰਨ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਘਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  6. ਨਸ਼ਾ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਆਪਣੇ ਸਾਥੀਆਂ ਅਤੇ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਨ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਨਜ਼ਰ-ਅੰਦਾਜ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਇਕੱਲਾ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  7. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਨਾਲ ਉਸ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਸੋਚ ਅਤੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਜਿਉਣ ਦੇ ਢੰਗ ’ਤੇ ਵੀ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅੱਗੇ ਇਸ ਦਾ ਅਸਰ ਉਸਦੇ ਕਿੱਤੇ ਅਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ‘ਤੇ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਇਕ ਨਸ਼ਾਖੋਰ ਵਿਅਕਤੀ ਕਾਨੂੰਨੀ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਵਿਚ ਕਿਵੇਂ ਉਲਝ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਨੂੰਨੀ ਅਤੇ ਅਪਰਾਧੀ ਨਤੀਜੇ-

  1. ਸ਼ਰਾਬ ਪੀ ਕੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਗੱਡੀ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣਾ ਇੱਕ ਕਾਨੂੰਨੀ ਅਪਰਾਧ ਹੈ ।
  2. ਸ਼ਰਾਬੀ ਵਿਅਕਤੀ ਹਮੇਸ਼ਾ ਸ਼ਰਾਬ-ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂ ਸੜਕਾਂ ਉੱਤੇ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਪਿੱਛੇ ਝਗੜਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਕਾਨੂੰਨੀ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ।
  3. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਆਦੀ ਅਤੇ ਸ਼ਰਾਬੀ ਲੋਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਪੁਆੜਿਆਂ ਦੀ ਜੜ੍ਹ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਸੜਕਾਂ ਉੱਤੇ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹਾਦਸੇ ਨਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਹਨ ।
  5. ਕਾਨੂੰਨੀ ਰੂਪ ਤੇ ਅਵੈਧ ਨਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਆਪਣੇ ਆਪ ਵਿਚ ਇੱਕ ਅਪਰਾਧ ਹੈ ।
  6. ਨਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਗੈਰ-ਕਾਨੂੰਨੀ ਧੰਦੇ ਵਿਚ ਫਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਇਹ ਸਾਰੇ ਉਹ ਅਪਰਾਧ ਹਨ ਜੋ ਕਿਸੇ ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਆਦੀ ਨੂੰ ਕਾਨੂੰਨੀ ਅਤੇ ਅਪਰਾਧਿਕ ਮੁਕੱਦਮੇ ਵੱਲ ਨੂੰ ਮੋੜ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 12th Class Environmental Education Solutions Chapter 20 ਨਸ਼ਾ-ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-II

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਨਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਕਿਵੇਂ ਬਚਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਕਰਵਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਹ ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿ ਸਕਣ ਅਤੇ ਚੰਗੇ ਦੇਸ਼ ਵਾਸੀ ਬਣ ਸਕਣ ..
  2. ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਚਾਹੇ ਕਿਸੇ ਉਮਰ ਦੇ ਹੋਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਭੈੜੇ ਨਸ਼ਿਆਂ ਵੱਲ ਝੁਕਾਅ ਨਹੀਂ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ | ਸਗੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਭੈੜੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਤੋਂ ਦੂਰੀ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  3. ਮਾਂ-ਬਾਪ ਅਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲਤ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਚੰਗੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਪੜਨ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਦੇਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰਕ ਕਸਰਤਾਂ, ਖੇਡਾਂ ਅਤੇ ਨਾਚ-ਭੰਗੜਾ ਆਦਿ ਕਰਵਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
‘ਦ ਨਾਰਕੋਟਿਕ ਡਰੱਗਜ਼ ਐਂਡ ਸਾਈਕੋਪਿਕ ਐਕਟ 1985 ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-‘ਦ ਨਾਰਕੋਟਿਕ ਡਰੱਗਜ਼ ਐਂਡ ਸਾਈਕੋਪਿਕ ਐਕਟ’ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਪਦਾਰਥ ਅਧਿਨਿਯਮ, 1985 ਨੂੰ NDPS Act, 1985 ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸਨੂੰ ਸੰਸਦ ਦੁਆਰਾ 16 ਸਤੰਬਰ, 1985 ਨੂੰ ਪਾਸ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਇਹ 14 ਨਵੰਬਰ, 1985 ਤੋਂ ਲਾਗੂ ਹੋਇਆ ! ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਅਧਿਨਿਯਮ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਫੈਲ ਗਿਆ ਜਿਸ ਨੇ ਸਾਰੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਅਤੇ ਜਹਾਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਹਵਾਈ-ਜਹਾਜ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾਣ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਸ਼ਾਮਿਲ ਕਰ ਲਿਆ ।

ਇਹ ਅਧਿਨਿਯਮ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੇ ਨਿਗਰਾਨੀ ਰੱਖਣ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਨੂੰ ਸਖ਼ਤੀ ਨਾਲ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਲਈ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

ਇਸ NDPS ਦੇ ਅਧਿਨਿਯਮ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਕਿਸੇ ਵਿਅਕਤੀ ਲਈ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ ਜਾਂ ਬਣਾਉਣਾ, ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਰੱਖਣਾ, ਵੇਚਣਾ, ਖਰੀਦਣਾ, ਕਿਤੇ ਹੋਰ ਭੇਜਣਾ ਜਾਂ ਸਟੋਰ ਕਰਨਾ ਜਾਂ ਉਪਭੋਗ ਕਰਨਾ ਗੈਰ-ਕਾਨੂੰਨੀ ਹੈ ।

ਇਹ ਕਾਨੂੰਨ ਬਹੁਤ ਸਖ਼ਤ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੀ ਸਜ਼ਾ 20 ਸਾਲ ਦੀ ਕੈਦ ਅਤੇ ਤੋਂ 2 ਲੱਖ ਤੱਕ ਦਾ ਜੁਰਮਾਨਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਅਪਰਾਧ ਦੀ ਸੀਮਾ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਬਿਨਾਂ ਲਾਇਸੈਂਸ ਲਈ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਉਤਪਾਦਨ ਕਰਨ ਦੀ ਕੀ ਸਜ਼ਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
NDPS ਅਧਿਨਿਯਮ 1985 ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਕਾਨੂੰਨੀ ਰੋਕ ਵਾਲੇ ਪੌਦੇ ਜਿਵੇਂ ਅਫ਼ੀਮ, ਕੋਕੋ ਆਦਿ ਦਾ ਉਤਪਾਦਨ ਕਰਨਾ ਜ਼ੁਰਮ ਹੈ । ਇਸਦੀ ਸਜ਼ਾ 10 ਸਾਲ ਦੀ ਕੈਦ ਅਤੇ ‘ਤੇ 1 ਲੱਖ ਦਾ ਜ਼ੁਰਮਾਨਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਲਾਇਸੈਂਸ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਿਸਾਨ ਵਲੋਂ ਅਫ਼ੀਮ ਦਾ ਗਬਨ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਕਿਹੜੇ ਸੈਕਸ਼ਨ ਅਧੀਨ ਕੀ ਸਜ਼ਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਧਾਰਾ : 19 ਜੁਰਮਾਨਾ : 10 ਸਾਲ ਦੀ ਸਖ਼ਤ ਕੈਦ ਅਤੇ ਤੋਂ 1 ਲੱਖ ਦਾ ਜੁਰਮਾਨਾ ।

PSEB 12th Class Environmental Education Solutions Chapter 20 ਨਸ਼ਾ-ਮਾੜੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-II

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਕੀ ਨਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਸੇਵਨ ਕਰਨਾ ਇੱਕ ਅਪਰਾਧ ਹੈ ? ਜੇ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਦੀ ਸਜ਼ਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
NDPS ਅਧਿਨਿਯਮ ਦੀ ਧਾਰਾ 27 ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਇਸ ਦਾ ਜੁਰਮਾਨਾ ਇਹ ਹੈ

  1. ਕੋਕੀਨ, ਮੋਰਫਿਨ, ਹੈਰੋਇਨ-ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਨਾਲ ਇੱਕ ਸਾਲ ਦੀ ਕੈਦ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਜਾਂ ਨੂੰ 20,000/- ਦਾ ਜ਼ੁਰਮਾਨਾ ਜਾਂ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ।
  2. ਦੂਸਰੇ ਨਸ਼ੇ-6 ਮਹੀਨੇ ਦੀ ਕੈਦ ਜਾਂ 10,000/- ਦਾ ਜੁਰਮਾਨਾ ਜਾਂ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ।

PSEB 12th Class Environmental Education Solutions Chapter 19 ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-6)

Punjab State Board PSEB 12th Class Environmental Education Book Solutions Chapter 19 ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-6) Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Environmental Education Chapter 19 ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-6)

Environmental Education Guide for Class 12 PSEB ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-6) Textbook Questions and Answers

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਵਣ ਮਹੋਤਸਵ ਕਿਸਨੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਣ ਮਹੋਤਸਵ ਦਾ ਆਰੰਭ ਸ੍ਰੀ ਕੇ. ਐੱਮ. ਮੁਨਸ਼ੀ ਨੇ ਸੰਨ 1950 ਨੂੰ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਾਈਲੈਂਟ ਘਾਟੀ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਈਲੈਂਟ ਘਾਟੀ ਕੇਰਲਾ ਪ੍ਰਾਂਤ ਦੇ ਪੱਛਮੀ ਘਾਟ ਵਿਖੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ।

PSEB 12th Class Environmental Education Solutions Chapter 19 ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-6)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੰਗਾ ਦਰਿਆ ਕਿੱਥੋਂ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੰਗਾ ਦਰਿਆ ਗੜ੍ਹਵਾਲ ਹਿਮਾਲਿਆ ਵਿਖੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤਲ ਤੋਂ 4000 ਮੀਟਰ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ‘ਤੇ ਸਥਿਤ ਗੰਗੋਤਰੀ ਹਿਮ ਨਦੀ (Gangotri Glaciers) ਤੋਂ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸੋਸ਼ਲ ਫਾਰੈਸਟਰੀ (Social Forestry) ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੋਸ਼ਲ/ਸਮਾਜਿਕ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਵਣ ਰੋਪਣ ਦਾ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਖ਼ਾਲੀ ਪਈ ਜ਼ਮੀਨ ਉੱਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਜਿਹੇ ਰੁੱਖ ਲਗਾਉਣਾ ਹੈ, ਜਿਹੜੇ ਕਿ ਸਮੁਦਾਇ ਲਈ ਮੁਫੀਦ ਲਾਹੇਵੰਦ ਹੋਣ ਅਤੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਸਮੁਦਾਇ ਲਈ ਫਲ, ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਲਈ ਚਾਰਾ ਅਤੇ ਛਾਂ ਆਦਿ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਸਕਣ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਵਣ ਮਹੋਤਸਵ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਭੋਂ-ਖੋਰ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਕੰਟਰੋਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਖੁਰਣ ‘ਤੇ ਕਈ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨਾਲ ਕੰਟਰੋਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਤਰੀਕੇ ਇਹ ਹਨ-

  1. ਸੰਘਣੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਪੱਧਰ ਦੇ ਵਣ ਰੋਪਣ ਅਤੇ ਪੌਦੇ ਲਗਾਉਣ ਨਾਲ ਮਿੱਟੀ ਨੂੰ ਖੁਰਣ ਤੋਂ ਰੋਕਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  2. ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜਾਂ ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਜਕੜ ਕੇ ਰੱਖਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਤੋਂ ਡਿਗੇ ਹੋਏ ਪੱਤੇ, ਪਾਣੀ ਦੇ ਤੇਜ਼ ਵਹਾਓ ਨੂੰ ਘੱਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਫ਼ਸਲਾਂ ਦਾ ਬਦਲ-ਬਦਲ ਕੇ ਬੀਜਣਾ ਵੀ ਮਿੱਟੀ ਨੂੰ ਖੁਰਣ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ ।
    ਵਣ ਮਹਾਂਉਤਸਵ ਵੇਲੇ ਅਸੀਂ ਨਵੇਂ ਪੌਦੇ ਲਗਾ ਕੇ ਭੋਂ-ਖੋਰ ਨੂੰ ਵੀ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸੰਯੁਕਤ/ਜੁਆਇੰਟ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਮੈਨੇਜਮੈਂਟ (JFM) ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਅਤੇ ਉਦੇਸ਼ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਣ ਪ੍ਰਬੰਧਣ ਦਾ ਇਹ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ 1990 ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇ ਅਧੀਨੇ ਵਣ ਵਿਭਾਗ ਅਤੇ ਪੇਂਡੂ ਸਮੁਦਾਇ ਵਣਾਂ ਦੇ ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਅਤੇ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਦੇ ਨਾਲ ਪਤਨ ਹੋਏ ਵਣਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਨਵੇਂ ਦਰੱਖ਼ਤ ਲਾਉਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਕੇ ਕਰਨਗੇ ਅਤੇ ਇਹ ਕੰਮ ਪਿੰਡਾਂ ਦੇ ਨੇੜਲੀ ਭੂਮੀ (ਜ਼ਮੀਨ) ਉੱਤੇ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ । ਇਸ ਸਾਂਝੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਜਨਤਾ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਭਾਗੀਦਾਰੀ ਵਾਲਾ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਹੀ ਆਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪਿੰਡ ਦੀ ਸਮੁਦਾਇ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਤਾ ਇਹ ਸੰਸਥਾ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਨੂੰ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵਣਸੁਰੱਖਿਅਣ ਕਮੇਟੀ (Forest Protection Committee, FPC) ਆਖਦੇ ਹਨ । ਦੇਸ਼ ਦੇ 17 ਰਾਜਾਂ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਅਪਣਾਅ ਲਿਆ ਹੈ ਅਤੇ 63,000 ਦੇ ਲਗਪਗ ਵਣ ਸੁਰੱਖਿਆ ਕਮੇਟੀਆਂ ਇਸ ਕਾਰਜ ਵਿਚ ਲੱਗੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਕਮੇਟੀਆਂ 14 ਮਿਲੀਅਨ ਹੈਕਟੇਅਰ ਵਿਚ ਫੈਲੇ ਹੋਏ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਕਰ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ।

ਸੰਯੁਕਤ ਵਣ-ਪ੍ਰਬੰਧਣ ਦੇ ਮਨੋਰਥ
(Objectives of Joint Forest Management)
ਜੁਆਇੰਟ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਮੈਨੇਜਮੈਂਟ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਵਿਚ ਪਿੰਡ ਵਾਸੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਬਾਲਣ (Fuel Wood), ਪਸ਼ੂਆਂ ਲਈ ਚਾਰਾ ਅਤੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਮੁਦਾਇ ਲਈ ਥੋੜ੍ਹੀ ਜਿਹੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਇਮਾਰਤੀ ਲੱਕੜੀ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਵਣਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਵੀ ਧਿਆਨ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਸੰਯੁਕਤ ਵਣ-ਪ੍ਰਬੰਧਣ ਦੀ ਸਕੀਮ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਦੇ 17 ਪ੍ਰਾਂਤਾਂ ਨੇ ਅਪਣਾਅ ਲਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਵਣਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧਣ ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਕੰਮਾਂ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੈ-

  1. ਗੈਰ ਸਰਕਾਰੀ-ਸੰਗਠਨਾਂ, ਸਰਕਾਰ ਅਤੇ ਸਥਾਨਿਕ ਸਮੁਦਾਇਕੀ ਸ਼ਮੂਲੀਅਤ ।
  2. ਚੁਣੇ ਗਏ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਫਲਦਾਰ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਉਗਾਉਣਾ ।
  3. ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਚਾਰਨ ਉੱਤੇ ਰੋਕ ।
  4. ਲਾਭਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਨਿੱਜੀ ਮਲਕੀਅਤ ਦਾ ਹੱਕ ਨਾ ਦੇਣਾ ।
  5. ਲਾਭਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਿੱਤੀ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  6. ਪਿੰਡ ਦੀ ਸਮੁਦਾਇ ਸਰਕਾਰ ਦੁਆਰਾ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਲਾਭਾਂ ਦੀ ਹੱਕਦਾਰ ਹੈ ।
  7. ਲਾਭਕਾਰੀ ਘਾਹ, ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀਆਂ ਟਹਿਣੀਆਂ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਅਤੇ ਵਣਾਂ ਤੋਂ ਨਿੱਕੇ-ਮੋਟੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦਰੱਖ਼ਤ ਉਗਾਉਣ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਆਪਣਾ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਅਤੇ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਕਰਨ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤਰੀਕਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਆਪਣਾ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾ ਸਕਦੇ ਹਨ :-

  1. ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਅਹਾਤੇ ਅੰਦਰ, ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੇ ਪਿਛਵਾੜੇ ਜਾਂ ਦੁਸਰੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਉੱਤੇ ਰੁੱਖ ਲਗਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  2. ਆਪਣੀ ਮਰਜ਼ੀ ਅਨੁਸਾਰ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਆਪਣੇ ਮਨਪਸੰਦ ਰੁੱਖਾਂ ਨੂੰ ਨਾਮ ਦੇ ਸਕਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਅਤੇ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਸ਼ੌਕ ਨਾਲ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  3. ਆਪਣੇ ਜਨਮ ਦਿਨ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿੱਚ ਹਰੇਕ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਇਕ-ਇਕ ਪੌਦਾ ਲਗਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਇਹ ਦੱਸਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦਰੱਖ਼ਤ ਲਗਾਉਣੇ ਤਾਂ ਇੰਨੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਨਹੀਂ ਹਨ ਜਿੰਨੀ ਕਿ ਲਗਾਏ ਗਏ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਕਰਨੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।
  4. ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਦਰੱਖ਼ਤ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿੱਚ ਆਪਣੇ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਨਿਵਾਸੀਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  5. ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਲਗਾਏ ਗਏ ਰੁੱਖ ਸਕੂਲ ਦੀ ਸ਼ੋਭਾ ਵਧਾਉਣਗੇ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸਮੁਦਾਇ ਫਾਰੈਸਟਰੀ (Community Forestry) ਐ-ਫਾਰੈਸਟਰੀ (AgroForestry) ਤੋਂ ਕਿਵੇਂ ਭਿੰਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਮੁਦਾਇ ਫਾਰੈਸਟਰੀ (Community Forestry) – ਸਮੁਦਾਇ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਸਮੁਦਾਇ ਦੀ ਖ਼ਾਲੀ ਪਈ ਹੋਈ ਜ਼ਮੀਨ ‘ਤੇ ਹੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਰੁੱਖ ਪਿੰਡਾਂ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ, ਪੰਚਾਇਤੀ ਜ਼ਮੀਨ, ਰੇਲਵੇ ਪੱਟੜੀਆਂ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਸੜਕਾਂ ਦੇ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ‘ਤੇ ਅਤੇ ਘਰਾਂ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਲਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਦਾ ਮਨੋਰਥ ਸਮੁਦਾਇ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਨਾ ਕੁੱਝ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਤੋਂ ਹੈ ।

ਸਮੁਦਾਇ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਅਧੀਨ ਪਿੰਡ ਵਾਸੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਪਨੀਰੀ, ਫਰਟੀਲਾਈਜਰਜ਼ ਦੀ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਾਉਣਾ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਇਵਜ਼ਾਨੇ ਵਜੋਂ ਸਮੁਦਾਇ ਨੂੰ ਲਗਾਏ ਗਏ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਅਤੇ ਸੁਰੱਖਿਆ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਸੌਂਪੀ ਗਈ ਹੈ ।

ਐਗੋ/ਕ੍ਰਿਸ਼ੀ-ਫਾਰੈਸਟਰੀ (Agro-Forestry) – ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਅਤੇ ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਰੁੱਖ ਲਗਾਉਣ ਨੂੰ ਐ-ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜ਼ਮੀਨ ਨੂੰ ਖੇਤੀ ਕਰਨ ਲਈ, ਵਣ ਲਾਉਣ ਲਈ ਅਤੇ ਪਸ਼ੂ ਪਾਲਣ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰੈਕਟਿਸ ਬੜੀ ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ । ਕਿੱਕਰ, ਅੰਬ, ਸਫ਼ੈਦਾ, ਪਾਪੁਲਰ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਵਰਗੇ ਰੁੱਖ ਐਗਰੋ-ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇ ਅਧੀਨ ਲਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਐਗੋ-ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਕੋਈ ਨਵਾਂ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਇਹ ਇਕ ਪੁਰਾਣੀ ਪ੍ਰੈਕਟਿਸ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਭਾਂ ਨੂੰ ਖੇਤੀ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਅਤੇ ਪਸ਼ੂ ਪਾਲਣ ਦੇ ਕੰਮ ਵੀ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਸਨ । ਪੁਰਾਣੀ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਐਗੋ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਬਹੁਤ ਚੰਗੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਐਗੋਫਾਰੈਸਟਰੀ ਵਿਚ ਕੋਈ ਵੀ ਆਦਮੀ ਗੈਰ-ਕਾਨੂੰਨੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਨਾ ਤਾਂ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਢ ਹੀ ਸਕਦਾ ਹੈ ਨਾ ਹੀ ਪਸ਼ੂਆਂ ਨੂੰ ਚਾਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਜੰਗਲਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਹੀ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਪਰੰਪਰਾਗਤ ਫਾਰੈਸਟਰੀ ਗੈਰ-ਕਾਨੂੰਨੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਰੁੱਖ ਕੱਟਣ, ਪਸ਼ੂ ਚਾਰਨ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਦੇ ਵਾਸਤੇ ਨਿਗਰਾਨੀ ਕਰਨੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 12th Class Environmental Education Solutions Chapter 18 ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-5)

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PSEB Solutions for Class 12 Environmental Education Chapter 18 ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-5)

Environmental Education Guide for Class 12 PSEB ਵਾਤਾਵਰਣੀ ਕਿਰਿਆ (ਭਾਗ-5) Textbook Questions and Answers

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਠੋਸ ਵਿਅਰਥ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਿਹੜੇ ਵਿਅਰਥ ਪਦਾਰਥ ਨਾਂ ਤਾਂ ਗੈਸੀ (Gaseous) ਹੀ ਹੋਣ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਤਰਲ ਹੀ ਹੋਣ, ਅਜਿਹੇ ਵਿਅਰਥ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਠੋਸ ਵਿਅਰਥ ਪਦਾਰਥ) ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਟੁੱਟੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਬੋਤਲਾਂ, ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੀ ਟੁੱਟ-ਭੱਜ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਦੇ ਛਿਲਕਿਆਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਦੇ ਛਿਲਕਿਆਂ ਨੂੰ ਵਿਅਰਥ ਸਮਝ ਕੇ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਛਿਲਕੇ ਪੌਸ਼ਟਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਭਰਭੂਰ ਹੋਂਦ ਕਾਰਨ ਕਾਫੀ ਗੁਣਕਾਰੀ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਚਾਰੇ ਵਜੋਂ ਇਸਤੇਮਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਦੇ ਛਿਲਕਿਆਂ ਤੋਂ ਕੰਪੋਸਟ ਖਾਦ (ਬਨਸਪਤੀ ਖਾਦ) ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਘਰੇਲੂ ਬਗੀਚੀਆਂ ਵਿੱਚ ਖਾਦ ਵਜੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁੱਦੜ ਖਿਡੌਣੇ ਬਣਾਉਣ ਸਮੇਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਭਰਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁੱਦੜ ਖਿਡੌਣੇ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਸਮੇਂ ਪੁਰਾਣੇ ਕੱਪੜੇ, ਪਾਲੀਥੀਨ ਦੀਆਂ ਥੈਲੀਆਂ, ਵਰਤੀ ਹੋਈ ਸਾਫ਼ ਰੂੰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੁਨਰ ਚੱਕਰ (Recycle) ਅਤੇ ਮੁੜ ਵਰਤੋਂ (Reuse) ਵਿਚ ਦੋ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੁਰ ਚੱਕਰ ਅਤੇ ਮੁੜ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਅੰਤਰ-

ਪੁਨਰ ਚੱਕਰ ਮੁੜ ਵਰਤੋਂ
1. ਪੁਨਰ ਚੱਕਰ ਦੁਆਰਾ ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਬਿਲਕੁਲ ਨਵੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਵਿਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । 1. ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ-ਠਾਕ ਕਰਕੇ ਵਰਤੋਂ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
2. ਪੁਨਰ ਚੱਕਰਣ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ, ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਨਾਲੋਂ ਪੂਰਨ ਤੌਰ ਤੇ ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । 2. ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦਾ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਮੁੜ ਵਰਤੋਂ ਲਈ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਵਿਚ ਕੋਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਫ਼ਰਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਘੱਟ ਕਰਨ (Reduce) ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਬੱਚੇ ਵਿਅਰਥ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣ ਵਿਚ ਕਿਵੇਂ ਮਦਦ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਘਟਾਓ ਜਾਂ ਘੱਟ ਕਰਨ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ, ਕਿਸੇ ਸਾਧਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਿਚ ਕਮੀ ਕਰਨਾ । ਇਹ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਇਕ ਮਨੁੱਖ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਲਗਪਗ 500 ਗ੍ਰਾਮ ਠੋਸ ਵਿਅਰਥ ਪਦਾਰਥ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਠੋਸ ਵਿਅਰਥ ਪਦਾਰਥ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸੀਮਾ ਤਕ ਘਟਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਬੱਚੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਮਦਦ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ-

  1. ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਦੋਵੇਂ ਪਾਸਿਆਂ ਉੱਤੇ ਲਿਖ ਕੇ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕਾਗਜ਼ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨੂੰ 50% ਤਕ ਰੋਕਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  2. ਵਰਤੋ ਅਤੇ ਸੁੱਟੋ ਵਰਗੇ ਪਦਾਰਥ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਲਿਖਣ ਵਾਲੇ ਪੈਂ, ਕਾਗਜ਼ ਦੀਆਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਪਲੇਟਾਂ ਅਤੇ ਕੱਪ ਅਤੇ ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਬਣੇ ਰੁਮਾਲ (Paper napkins) ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾ ਕਰਕੇ ।
  3. ਕਾਗਜ਼ ਦੀ ਬਜਾਏ ਲਿਖਣ ਅਤੇ ਸਿੱਖਣ ਲਈ ਸਲੇਟਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋ ।
  4. ਆਪਣੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰਾ ਰੱਖੋ ਤਾਂ ਜੋ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਦੁਸਰੇ ਬੱਚੇ ਕਰ ਸਕਣ ।
  5. ਅਜਿਹੇ ਪੈਂਨਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ (Refill) ਮੁੜ ਭਰਨ ਦੇ ਬਾਅਦ ਵੀ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕੇ ।
  6. ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਨੈਪਕਿਨਾਂ ਨੂੰ ਵਰਤਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਕੱਪੜੇ ਦੇ ਨੈਪਕਿਨ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ।
  7. ਭਾਰੀ ਪੈਕੇਜਿੰਗ (Heavy packaging) ਦੀ ਥਾਂ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਨੱਗ (Pack) ਬਣਾਏ ਜਾਣ । ਵੇਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ, ਜੇਕਰ ਸੰਭਵ ਹੋ ਸਕੇ, ਤਾਂ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਿਆਂ ਕਰਕੇ ਨਿਪੀੜਤ (Condensed) ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ ਕੱਚੇ ਮਾਲ ਦੀ ਖਪਤ ਘੱਟ ਜਾਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
3-R ਸਿਧਾਂਤ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
3-R ਸਿਧਾਂਤ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ-
ਘਟਾਉਣਾ ਜਾਂ ਘੱਟ ਕਰਨਾ (To Reduce), ਮੁੜ ਵਰਤੋਂ (Reuse) ਅਤੇ ਪੁਨਰ ਚੱਕਰ (Re-cycle) । ਕਚਰੇ ਆਦਿ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣ ਦੇ ਲਈ 3-R ਪਹੁੰਚ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ ਬੜੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਮੁੜ ਵਰਤੋਂ (Reuse) – ਕਈ ਵਸਤਾਂ ਅਜਿਹੀਆਂ ਵੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਅੰਦਰ ਦੋਬਾਰਾ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਆਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਢੁੱਕਵੇਂ ਬਚਾਓ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਦਿਆਂ ਹੋਇਆਂ ਸਾਨੂੰ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਮੁੜ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਮੰਤਵ ਲਈ ਸੁਝਾਅ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਨ-

  1. ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਸੁੰਦਰ ਕਾਗਜ਼ ਵਿਚ ਲਪੇਟੇ ਹੋਏ ਤੋਹਫ਼ੇ ਹੀ ਦੇਣ ਤਾਂ ਜੋ ਇਸ ਕਾਗਜ਼ ਨੂੰ ਮੁੜ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕੇ । ਜੋੜਣ ਵਾਲੀ ਟੇਪ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ।
  2. ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਅਤੇ ਫਲਾਂ ਦੀ ਰਹਿੰਦ-ਖੂੰਹਦ ਨੂੰ ਪਸ਼ ਖਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  3. ਧਾਤਵੀ ਡੱਬਿਆਂ (Cans) ਦੀ ਥਾਂ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਬੋਤਲਾਂ ਵਰਤੀਆਂ ਜਾਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ।
  4. ਘਰੇਲੂ ਫ਼ਰਨੀਚਰ, ਕੱਪੜੇ ਅਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ-ਠਾਕ ਕਰਕੇ ਵਰਤ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  5. ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਨਾ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਵੇਚ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  6. ਜੇਕਰ ਘਰ ਵਿਚ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੀਆਂ ਖ਼ਾਲੀ ਬੋਤਲਾਂ ਹਨ, ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਫੁੱਲ ਦਾਨ ਵਜੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  7. ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦਾ ਰਾਕ ਗਾਰਡਨ ਸ੍ਰੀ ਨੇਕਚੰਦ ਨੇ ਟੁੱਟ-ਭੱਜ ਤੋਂ ਹੀ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

ਪੁਨਰ ਚੱਕਰ (Recycle) – ਕਚਰੇ ਨੂੰ ਵਰਤੋਂ ਵਿਚ ਲਿਆਉਣ ਦੇ ਲਈ ਇਹ ਇਕ ਚੰਗਾ ਮਸ਼ਵਰਾ ਹੈ । ਕਈ ਵਿਸ਼ਲੇਸ਼ਕਾਂ ਦਾ ਮੱਤ ਹੈ ਕਿ ਖ਼ਪਤ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਕਚਰੇ ਦਾ ਪੁਨਰ ਚੱਕਰਣ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਪੁਨਰ ਚੱਕਰ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਪੁਰਾਣੀਆਂ, ਵਰਤੋਂ ਦੇ ਅਯੋਗ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਨਵਾਂ ਰੂਪ ਦੇਣਾ ਹੈ । ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਰੱਦੀ ਕਾਗਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਨਵਾਂ ਕਾਗਜ਼ ਤਿਆਰ ਕਰਨਾ । ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਾਗਜ਼ਾਂ ਦਾ ਪੁਨਰ ਚੱਕਰਣ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਅਖ਼ਬਾਰੀ ਕਾਗਜ਼, ਮੈਗਜ਼ੀਨ, ਗੱਤਾ ਅਤੇ ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਡੱਬੇ (Cartons) ਸ਼ਾਮਿਲ ਹਨ ।

ਜਿਹੜੇ ਪਦਾਰਥ ਠੋਸ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਮਿਲਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੁਨਰ-ਚੱਕਰਣ ਵੀ ਸੰਭਵ ਹੈ । ਪੁਨਰ ਚੱਕਰਣ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੀ ਤਰਜ਼ੀਹ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਰੋਤਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਣ ਦੇ ਪੱਖ ਤੋਂ ਇਹ ਨੁਕਸਾਨਦਾਇਕ ਵੀ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

ਪੁਨਰ ਚੱਕਰਣ ਦੇ ਕੁੱਝ ਉਦਾਹਰਨ (Some Examples of Recycling)

  1. ਗੰਨਿਆਂ ਦੀ ਰਹਿੰਦ-ਖੂੰਹਦ ਤੋਂ ਕਾਗਜ਼ ਅਤੇ ਗੱਤਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  2. ਉਦਯੋਗਾਂ ਰਹਿੰਦ-ਖੂੰਹਦ ਵਿਚੋਂ ਭਾਰੀ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  3. ਚਾਵਲਾਂ ਦੀ ਫੱਕ ਅਤੇ ਮੂੰਗਫਲੀ ਦੇ ਛਿਲਕਿਆਂ ਨੂੰ ਈਂਧਨ ਵਜੋਂ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  4. ਪਾਣੀ ਦੇ ਭੰਡਾਰਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲਣ ਵਾਲੀ ਗਾਰ ਅਤੇ ਤਾਪ ਬਿਜਲੀ ਘਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਉੱਡਣੀ/ਉਡਾਰੂ ਸੁਆਹ (Flyash) ਨੂੰ ਭਵਨ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਸਮੱਗਰੀ ਵਿਚ ਬਦਲ ਕੇ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  5. ਉਦਯੋਗਿਕ ਅਤੇ ਸ਼ਹਿਰੀ ਕਚਰੇ ਨੂੰ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੇ ਸਰੋਤਾਂ ਵਜੋਂ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  6. ਡੰਗਰਾਂ ਦੀਆਂ ਖੱਲਾਂ (Hides) ਤੋਂ ਚਮੜਾ (I.eather) ਤਿਆਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  7. ਕੁੱਝ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਬੈਕਟੀਰੀਆ ਦੀ ਮਦਦ ਦੇ ਨਾਲ ਪੁਰਾਣੇ ਟਾਇਰਾਂ ਤੋਂ ਰਬੜ ਨੂੰ ਵੱਖਰਿਆਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  8. ਜਲ ਕੁੰਭੀ (Hyacinth) ਵਰਗੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਬਾਇਓ ਗੈਸ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਨੂੰ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰਾ ਰੱਖਣ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਆਪਣਾ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਜਾਂ
ਆਪਣੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਰੱਖਣ ਵਿਚ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾ ਸਕਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਕਚਰੇ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕੀਤੇ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਹੀ ਸੁੱਟਣ । ਵਾਤਾਵਰਣ ਅਤੇ ਚੌਗਿਰਦੇ ਨੂੰ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰਾ ਰੱਖਣ ਦੇ ਲਈ ਉਹ ਕੂੜੇਦਾਨਾਂ (Dustbins) ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ।
  2. ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਕਚਰੇ ਦੁਆਰਾ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਦੁਸ਼ਟ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਸਭ ਨੂੰ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਨ ।

ਇਕ ਵਾਰੀ ਜੇਕਰ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਠੋਸ ਕਚਰੇ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਲੱਗ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਉਹ ਇਸੇ ਹੀ ਆਧਾਰ ਤੇ ਗੰਦਗੀ ਵਿਚ ਕਚਰੇ ਦੇ ਸੰਘਟਕਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖਰਿਆਂ ਕਰ ਸਕਣਗੇ । ਕਈ ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਹਰਾ ਕਚਰਾ ਪੱਤੇ ਅਤੇ ਟਹਿਣੀਆਂ ਆਦਿ ਇਸ ਕਚਰੇ ਨੂੰ ਜੀਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਕੁੱਝ ਅਜਿਹਾ ਕਚਰਾ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਪਤਨ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਅਜਿਹੇ ਕਚਰੇ ਨੂੰ ਅਜੀਵ-ਵਿਘਟਣਸ਼ੀਲ ਕਚਰਾ ਆਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸ਼ੀਸ਼ਾ, ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਪਲਾਸਟਿਕ ਆਦਿ ।