PSEB 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Patra Lekhan पत्र-लेखन Questions and Answers.

PSEB 6th Class Hindi Rachana पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 1.
अपने मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में

मुख्याध्यापक महोदय,
खालसा हाई स्कूल,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मुझे कल रात से ही सख्त बुखार हो गया है। इसलिए मैं आज स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया करके मुझे दो दिन 14-4-20… से 15-4-20… की छुट्टी दी जाए। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
विजय सिंह।
छठी कक्षा ‘ए’.
तिथि : 14-4-20…

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प्रश्न 2.
आवश्यक (ज़रूरी) काम के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
नकोदर।

महोदय,
विनम्र निवेदन यह है कि आज मुझे घर पर एक अति आवश्यक कार्य पड़ गया है। इसलिए मैं स्कल में उपस्थित नहीं हो सकता। आप मुझे एक दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। मैं आपका आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुमित कालिया
कक्षा छठी ‘बी’
तिथि : 5 मई, 20…

प्रश्न 3.
बड़े भाई के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापिका जी,
खालसा हाई स्कूल,
लुधियाना।

श्रीमती जी,
सविनय प्रार्थना यह है कि मेरे बड़े भाई का विवाह 12 अक्तूबर को होना निश्चित हुआ है। बारात लुधियाना से अमृतसर जा रही है। मेरा इसमें सम्मिलित (शामिल) होना आवश्यक है। इसलिए इन दिनों मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकती। आप मुझे तीन दिन 11 अक्तूबर से 13 अक्तूबर का अवकाश देने की कृपा करें।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
निर्मल कौर।
रोल नं० 5
कक्षा छठी ‘ए’।
तिथि : 11 अक्तूबर, 20…..

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प्रश्न 4.
फीस माफी के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखें।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
मोहाली।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में छठी श्रेणी में पढ़ता हूँ। मैं एक निर्धन विद्यार्थी हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे-से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आमदनी केवल 2500 रुपए है। इस आय से परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल से होता है। अत: मेरे पिता जी मेरी फीस नहीं दे सकते। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। कृपया मेरी पूरी फीस माफ कर दें। मैं आपका जीवन भर आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
परमिन्दर सिंह।
कक्षा छठी ‘ए
‘ रोल नं० 15
तिथि : 10 मई, 20…

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प्रश्न 5.
जुर्माना माफ करवाने के लिए मुख्याध्यापिका को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
श्रीमती मुख्याध्यापिका जी,
खालसा हाई स्कूल,
अमृतसर।

श्रीमती जी,
सविनय प्रार्थना है कि रविवार को मेरी अंग्रेजी विषय की अध्यापिका जी ने हमारा टैस्ट लेना था। उस दिन मेरे माता जी बीमार थे। घर में मेरे अलावा कोई नहीं था। अत: उस दिन मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकी। मेरी अध्यापिका ने मुझे बीस रुपए जुर्माना कर दिया है। मेरे पिता जी बहुत ग़रीब हैं। मैं यह जुर्माना नहीं दे सकती। वैसे मैं अंग्रेजी विषय में बहुत अच्छी हूँ। इस बार त्रैमासिक परीक्षा में मेरे 100 में से 80 अंक आए थे।

अतः आप मेरा जुर्माना माफ कर दें। मैं आपकी अत्यन्त आभारी रहूँगी।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
सुरजीत कौर।
कक्षा छठी ‘ए’
तिथि : 12 अगस्त, 20…

प्रश्न 6.
स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र (सर्टीफिकेट) लेने के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गुरु नानक मिंटगुमरी हाई स्कूल,
कपूरथला।

श्रीमान जी,
सविनय प्रार्थना है कि मैं आपके स्कूल में छठी (बी) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिता जी की बदली फिरोज़पुर की हो गई है। इसलिए हम सब को यहाँ से जाना पड़ रहा है। अत: मेरा यहाँ अकेला रहना मुश्किल है। अतः आप मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें ताकि फिरोजपुर जाकर मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुखबीर सिंह।
कक्षा छठी ‘बी’
रोल नं० 18
तिथि : 15 सितम्बर, 20…

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प्रश्न 7.
पुस्तकें मंगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
प्रबन्धक महोदय,
मल्होत्रा बुक डिपो,
रेलवे रोड, जालन्धर।

महोदय,
कृपया निम्नलिखित पुस्तकें वी०पी० पी० द्वारा शीघ्र भेज दें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी पुस्तक मैली और फटी न हो। आपके नियमानुसार पाँच सौ रुपये मनीआर्डर द्वारा भेज रहा हूँ।

ये सब पुस्तकें छठी श्रेणी के लिए और नए संस्करण (एडीशन) की होनी चाहिए।
1. ऐम० बी० डी० हिन्दी गाइड – 10 प्रतियाँ
2. ऐम० बी० डी० इंग्लिश गाइड – 12 प्रतियाँ
3. ऐम० बी० डी० पंजाबी गाइड – 8 प्रतियाँ
भवदीय,
मोहन लाल,
पब्लिक हाई स्कूल,
अबोहर।
तिथि : 15 मई 20…

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प्रश्न 8.
रुपए मंगवाने के लिए पिता जी को पत्र लिखो।
उत्तर :
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
गढ़दीवाला।
15 मई, 20……
पूज्य पिता जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर बड़ी खुशी होगी कि मैं पाँचवीं कक्षा में से अच्छे अंक लेकर पास हो गया हूँ। अब मुझे छठी श्रेणी में दाखिला लेना है। मैंने पुस्तकें एवं कॉपियाँ भी खरीदनी हैं। इसलिए आप मुझे 2500 रुपए मनीआर्डर द्वारा शीघ्र भेज दें जिससे मैं ठीक समय पर छठी श्रेणी में दाखिला ता जी को प्रणाम। पलक को प्यार।

आपका आज्ञाकारी बेटा,
अरमान शर्मा।

प्रश्न 9.
अपने जन्म-दिन पर अपने चाचा जी को निमन्त्रण (बुलावा) पत्र लिखो।
उत्तर :
205, गुरु अमर दास नगर,
तरनतारन।
20 अप्रैल, 20…
पूज्य चाचा जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि 23 अप्रैल को मेरा जन्म-दिन है। इसलिए मैं अपने मित्रों को शाम को चाय पार्टी दे रहा हूँ। आप भी चाची जी, रिंकू और नीतू को लेकर इस छोटी-सी पार्टी पर अवश्य आएँ। हमें आपका इन्तज़ार रहेगा।

चाची जी को प्रणाम। रिंकू और नीतू को प्यार।

आपका भतीजा,
गौरव कालिया।

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प्रश्न 10.
मित्र को पास होने पर बधाई पत्र लिखो।
उत्तर :
208, प्रेमनगर,
पटियाला।
11 अप्रैल, 20…
प्रिय मित्र सुरेश,

कल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुम पाँचवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो। मैं तो जानता था कि तुम जैसा मेहनती अवश्य ही प्रथम श्रेणी में पास होगा। मेरे माता और पिता जी भी तुम्हारी इस सफलता पर बहुत खुश हैं। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
मनिन्दर सिंह।

प्रश्न 11.
चाचा जी को जन्म-दिन पर भेजे गए उपहार का धन्यवाद देते हुए पत्र लिखो।
उत्तर :
16, जवाहर नगर,
बठिण्डा।
24 अगस्त, 20…
पूज्य चाचा जी,

सादर प्रणाम।
मेरे जन्म दिवस पर आपका भेजा हुआ उपहार मुझे परसों मिल गया था। जब मैंने उसे खोला तो उसमें अपने लिए एक पैन देखकर बहुत खुश हुआ। यह बहुत बढ़िया पैन है। यह बहुत सुन्दर लिखता है। मैं इसे हर रोज़ अपने स्कूल लेकर जाता हूँ। मेरे मित्रों को यह बहुत पसन्द है। मैं इसे खूब संभाल कर रखता हूँ। इस सुन्दर उपहार के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूँ। चाची जी को प्रणाम। रमा और बिट्ट को प्यार।

आपका भतीजा,
विनोद कुमार।

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प्रश्न 12.
अपने मित्र को बड़े भाई के विवाह पर निमन्त्रण पत्र लिखो।
उत्तर :
105, आदर्श नगर,
अमृतसर।
12 सितम्बर, 20…

प्रिय मित्र दिनेश,
तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि मेरे बड़े भाई का विवाह 15 सितम्बर को होना निश्चित हुआ है। बारात गुरदासपुर जा रही है। इस खुशी के मौके पर मैं तुम्हें भी विवाह पर आने का निमन्त्रण देता हूँ। कृपा इस अवसर पर आकर इसकी रौनक को और बढ़ाओ। तुम्हें बारात के साथ भी चलना पड़ेगा। सचमुच अगर तुम साथ होगे तो बड़ा मज़ा आएगा। भैया और माता-पिता जी को साथ लाना न भूलना।

तुम्हारा मित्र,
सतवन्त।

प्रश्न 13.
मान लो आपका नाम मनोहर लाल है और आप एस० डी० हाई स्कूल, नवांशहर में पढ़ते हैं। अपने स्कूल के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें उचित कारण बताते हुए सैक्शन बदलने की प्रार्थना की गई हो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
एस० डी० हाई स्कूल,
नवांशहर।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में छठी श्रेणी ‘बी’ सैक्शन (रोल नम्बर 40) में पढ़ रहा हूँ। मैं अपना सैक्शन बदलना चाहता हूँ। मेरे सैक्शन ‘बी’ में अधिकतर छात्र ड्राइंग विषय के हैं, जबकि मैने संस्कृत विषय ले रखा है। पढ़ाई की सुविधा के विचार से मैं ‘ए’ सैक्शन में जाना चाहता हूँ। इसी सैक्शन में मेरे मुहल्ले के सभी छात्र पढ़ते हैं। सैक्शन अलग-अलग होने से मेरे लिए पढ़ाई में कुछ रुकावट पड़ जाती है क्योंकि मैं उनसे पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं कर पा रहा।

इसके अतिरिक्त ‘ए’ सैक्शन में पढ़ने वाले छात्रों को योग्यता के आधार पर रखा जाता है। मैं इस त्रैमासिक परीक्षा में अपनी श्रेणी में प्रथम आया हूँ। इस कारण मुझे ‘ए’ सैक्शन के उन योग्य छात्रों में बैठकर पढ़ने की अनुमति दी जाए, ताकि मेरा ठीक से विकास हो सके।

मेरी प्रार्थना है कि मुझे छठी ‘बी’ सैक्शन से सैक्शन ‘ए’ में जाने की अनुमति प्रदान करें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि पढ़ाई में मैं किसी भी छात्र से पीछे नहीं रहूँगा।

PSEB 6th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मनोहर लाल।
कक्षा छठी ‘बी’
रोल न० 40
तिथि : 5 मई, 20…..

PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

शुद्ध – अशुद्ध

PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language) 1

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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

लिंग परिवर्तन

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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language) 8

वचन बदलन
वचन बदलने के नियम

(i) ‘अ’ को एं एकवचन
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(ii) आ (पुल्लिग) को ए कमरा
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(iii) आ (स्त्रीलिंग) के आगे एँ
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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

(iv) इ या ई स्त्रीलिंग को इयाँ एकवचन
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(v) उ, ऊ, औ में एँ जोड़ देते हैं और दीर्घ ऊ के स्थान पर हस्व उ हो जाता है।
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(vi) गण, वृन्द, जन, वर्ग, दल, लोग आदि शब्द लगाकर बहुवचन बनाए जाते हैं –
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फुटकर बहुवचन
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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

भाववाचक संज्ञाएँ

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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

विशेषण रचना

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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

विपरीतार्थक या विलोम शब्द

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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

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PSEB 6th Class Hindi Grammar प्रयोगात्मक व्याकरण (2nd Language)

पर्यायवाची या समानार्थक शब्द

अमृत  सोम, सुधा, पीयूष।
असुर  राक्षस, दैत्य, दानव, दनुज।
अग्नि  आग, अनल, पावक, दहन।
अन्धकार  अन्धेरा, तम, तिमिर।
आँख  नेत्र, चक्षु, नयन, लोचन।
आकाश  गगन, आसमान, नभ, अम्बर।
आनन्द  मोह, हर्ष, उल्लास, प्रसन्नता।
इच्छा  अभिलाषा, कामना, चाह, लालसा।
ईश्वर  भगवान्, परमात्मा, ईश, प्रभु।
कपड़ा  वस्त्र, पट, वसन।
कमल  पंकज, सरोज, अरविन्द।
किनारा  तट, तीर, कूल।
गौ  गाय, सुरभि, धेनु।
घर  गृह, सदन, भवन, गेह।
घोड़ा  अश्व, वाजी, घोटक, तुरंग।
चन्द्रमा  चाँद, इन्दु, राकेश, शशि, चन्द्र।
जल  वारि, पानी, नीर, तोय।
तलवार  खड्ग, कृपाण, असि।
तीर  वाण, शर, सायक।
दिन  दिवस, वार, अहन।
देवता  सुर, देव, अमर।
नदी  सरिता, तरंगिणी, नद, तटिनी।
नमस्कार  प्रणाम, नमस्ते, अभिवादन।
पृथ्वी  ज़मीन, धरती, भूमि।
पुत्र  बेटा, सुत, तनय।
पर्वत  गिरि, पहाड़, अचल, शैल।
पक्षी  खग, नभचर, विहंग।
बाग  बगीचा, उपवन, वाटिका।
बादल  मेघ, घन, जलद, नीरद।
बिजली  विद्युत्, तड़ित, दामिनी।
फूल  सुमन, कुसुम, पुष्प।
माता  जननी, माँ, मैया।
मृत्यु  मौत, अन्त, निधन, देहान्त।
राजा  नरेश, नरपति, भूपति।
वायु  अनिल, पवन, हवा।
रात  रजनी, निशा, रात्रि।
संसार  दुनिया, विश्व, जगत्।
सूर्य  रवि, भानु, दिनकर।
स्त्री  महिला, अबला, नारी, औरत।
सरोवर  तालाब, सर, तड़ाग।
समुद्र  सागर, सिन्धु, जलधि।
शत्रु  दुश्मन, बैरी, अरि।

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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
(वाक्यांश बोधक)

जिसे बुढ़ापा न आए  अजर
जो कभी न मरे  अमर
जो दिखाई न दे  अदृश्य
जिसका अन्त न हो  अनन्त
अत्याचार करने वाला  अत्याचारी
जो परीक्षा में पास न हो  अनुत्तीर्ण
जिसकी तुलना न हो सके  अतुलनीय
जो परीक्षा में पास हो  उत्तीर्ण
जो ईश्वर को मानता हो  आस्तिक
जो ईश्वर को न मानता हो  नास्तिक
जो बिना वेतन काम करे  अवैतनिक
जहाँ जाया न जा सके  अगम्य
जो अपनी हत्या आप करे  आत्मघाती
जिसके पास शस्त्र न हो  निःशस्त्र
जिसमें अपनी कथा हो  आत्मकथा
जिसका पति मर चुका हो  विधवा
जो योग्य न हो  अयोग्य
जिसने अपराध न किया हो  निरपराधी
दूर की बातें सोचने वाला  दूरदर्शी
अन्याय करने वाला  अन्यायी
सुनने वाला  श्रोता
बोलने वाला  वक्ता
पीछे चलने वाला  अनुयायी
गाने वाले  गायक
जो दिन में एक बार हो  दैनिक
जो उपकार को याद रखे  कृतज्ञ
जो उपकार को याद न रखे  कृतघ्न
नीति को जानने वाला  नीतिज्ञ
जिसका आकार न हो  निराकार
जिसका आकार हो  साकार
ग्राम में रहने वाला  ग्रामीण
नगर में रहने वाला  नागरिक
जो काम वर्ष में एक बार हो  वार्षिक
जिसमें बल न हो  निर्बल
जो दूसरों पर दया करे  दयालु
जो केवल फल खाने वाला हो  फलाहारी
जो मांस खाता हो  मांसाहारी
व्यर्थ खर्च करने वाला  अपव्ययी
कम खर्च करने वाला  मितव्ययी
जिसमें बल हो  बलवान्
जो सब कुछ जानता हो  सर्वज्ञ
सच बोलने वाला  सत्यवादी
अच्छे आचरण वाला  सदाचारी
अपना मतलब निकालने वाला  स्वार्थी
जिसे जीता न जा सके  अजेय
जानने की इच्छा रखने वाला  जिज्ञासु
जो साथ पढ़ने वाला हो  सहपाठी
जो आँखों के सामने हो  प्रत्यक्ष
जो आँखों के पीछे हो  परोक्ष
जो सब को समान दृष्टि से देखे  समद्रष्टा

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 गुरुपर्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 15 गुरुपर्व (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB गुरुपर्व Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

गुरुपर्व अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व 1

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व 2

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व 3

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व 4

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

(क) गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व कब मनाया जाता है?
उत्तर :
गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

(ख) नगर कीर्तन किन की अगुवाई में होता है?
उत्तर :
नगर कीर्तन पाँच प्यारों की अगुवाई में होता है।

(ग) नगर कीर्तन में गतका खेलने वाले लोगों को अपनी ओर कैसे आकर्षित करते हैं?
उत्तर :
नगर कीर्तन में गतका खेलने वाले अपनी वीरता और कला से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

(घ) नगर कीर्तन विभिन्न स्थानों से होता हुआ कहाँ जाकर सम्पन्न होता है?
उत्तर :
विभिन्न स्थानों से होता हुआ नगर कीर्तन गुरुद्वारा साहिब में जाकर सम्पन्न होता है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में दें :

(क) प्रभातफेरियों में श्रद्धालु क्या करते हैं?
उत्तर :
गुरुपर्व से कुछ दिन पहले प्रभातफेरियों का आयोजन रहता है। प्रभातफेरियों में श्रद्धालु ढोलक तथा चिमटे बजाते हुए शबद उच्चारण करते हैं।

(ख) गुरुपर्व के अवसर पर गुरुद्वारे को किस तरह सजाया जाता है?
उत्तर :
गुरुपर्व के अवसर पर सजावट के काम को बहुत महत्त्व दिया जाता है। इस अवसर पर साफ़-सफ़ाई का बड़ा ध्यान रखा जाता है। गुरुद्वारे को रंगबिरंगी रोशनियों से सजाया जाता है। इस अवसर पर गुरुद्वारे की सजावट देखते ही बनती है।

(ग) ‘गुरु का लंगर’ के अटूट वितरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
‘गुरु का लंगर’ के अटूट वितरण से अभिप्राय है, बिना किसी रोक के या बिना किसी विघ्न के लगातार लंगर का बाँटा जाना।

(घ) गुरुपर्व की रात की शोभा का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर :
गुरुपर्व वाले दिन, रात को लोग अपने घरों, दुकानों आदि में दीपमाला करते हैं तथा पटाखे चलाते हैं। गुरुद्वारों में दीवान सजाए जाते हैं जिसमें दूर-दूर से आए रागी जत्थे गुरुवाणी का कीर्तन करते हैं।

5. रेखांकित पदों में कारक बतायें :

  1. मैं गुरुपर्व का नाम सुनते ही रोमांचित हो गया।
  2. हम सभी ने इस गुरुपर्व को इकट्ठे मिलकर मनाने का फैसला किया।
  3. श्रद्धालुओं द्वारा थोड़ी-थोड़ी दूरी पर आम जनता के लिए लंगर लगाये गये।
  4.  नगर कीर्तन विभिन्न स्थानों से होता हुआ गुरुद्वारा साहिब में जाकर सम्पन्न हुआ।

उत्तर :

  1. सम्बन्ध कारक
  2. कर्म कारक
  3. करण कारक, सम्प्रदान कारक
  4. अधिकरण कारक।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

6. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रिया शब्द छाँटकर लिखें :

  1. मुझे इसमें अतीव आनंद व शांति मिलती है।
  2. श्रद्धालुओं द्वारा गुरुपर्व बड़ी श्रद्धा से मनाया गया।
  3. गुरुपर्व से दो दिन पहले नगर कीर्तन का आयोजन किया गया।
  4. उन्होंने निशान साहिब को बड़े ही उत्साह व श्रद्धा से पकड़ रखा था।
  5. गुरुपर्व वाले दिन रात को लोगों ने अपने घरों, दुकानों आदि में दीपमाला की तथा पटाखे चलाये।

उत्तर :

  1. मिलती है
  2. मनाया गया
  3. आयोजन किया गया
  4. पकड़ रखा
  5. पटाखे चलाए।

7. पढ़ें, समझें और लिखें :

  1. गुरु +पर्व = गुरुपर्व
  2. प्र + दर्शनी = प्रदर्शनी
  3. गुरु + द्वारा = __________________
  4. सु + व्यवस्थित = __________________
  5. गुरु + ग्रंथ साहिब = __________________
  6. गुरु + चरण = __________________
  7. नि: शुल्क = __________________
  8. गुरु + दर्शन = __________________
  9. निः + संदेह = __________________
  10. गुरु + सेवक = __________________

उत्तर :

  1. गुरु + पर्व = गुरुपर्व।
  2. प्र + दर्शनी = प्रदर्शनी।
  3. गुरु + द्वारा = गुरुद्वारा।
  4. सु + व्यवस्थित = सुव्यवस्थित।
  5. गुरु + ग्रंथ साहिब = गुरु ग्रंथ साहिब।
  6. गुरु + चरण = गुरुचरण।
  7. निः + शुल्क = निःशुल्क।
  8. गुरु + दर्शन = गुरुदर्शन।
  9. निः + संदेह = निःसंदेह।
  10. गुरु + सेवक = गुरुसेवक।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

8. निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. रोमांचित ________________________
  2. उत्साह ________________________
  3. अलौकिक ________________________
  4. आनंद विभोर ________________________
  5. आकर्षक ________________________
  6. समिति ________________________
  7. महिमा ________________________

उत्तर :

  1. रोमांचित-भारत और न्यूज़ीलैंड में हुए क्रिकेट मैच ने मुझे रोमांचित कर दिया।
  2. उत्साह-खिलाड़ियों का उत्साह तो देखते ही बनता था।
  3. अलौकिक–गुरुओं की अलौकिक वाणी हमें जीवन का मार्ग बताती है।
  4. आनन्द विभोर-गुरुवाणी सुनकर सभी श्रद्धालु आनन्द विभोर हो उठे।
  5. आकर्षक-गुरुद्वारे में की गई रोशनी बड़ी आकर्षक थी।
  6. समिति-गुरुद्वारा समिति ने प्रभात फेरियों का आयोजन किया।
  7. महिमा-ईश्वर की महिमा अपरम्पार है।

प्रयोगात्मक व्याकरण

1. एक श्रद्धालु ने गुप्त रूप से सौ किलो दूध व पचास किलो चीनी लंगर हेतु भिजवायी।
2. हमने मिलकर बहुत सारी सूजी, चाय पत्ती और ढेर सारे घी का प्रबन्ध कर रखा था।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘सौ किलो’ से दूध (संज्ञा) के तथा ‘पचास किलो’ से चीनी (संज्ञा) के निश्चित नाप-तोल का पता चल रहा है। अतः ये निश्चित परिमाण (नाप-तोल)वाचक विशेषण हैं। दूसरे वाक्य में ‘बहुत सारी’ से तथा ‘ढेर सारे’ से निश्चित परिमाण का बोध नहीं हो रहा अतः ये अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण हैं।

अतएव जिस विशेषण से निश्चित परिमाण का बोध हो उसे निश्चित परिमाण वाचक तथा जिससे निश्चित परिमाण का बोध न हो, उसे अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण कहते हैं।
1. हमारा शहर रोशनी से जगमगा रहा था।
2. ऐसा नज़ारा देखकर मैं भाव विभोर हो उठा।

उपर्युक्त वाक्य में ‘हमारा’ तथा ‘ऐसा’ सर्वनाम क्रमशः शहर तथा नज़ारा संज्ञा शब्दों से पूर्व आकर इनकी विशेषता बता रहे हैं। अतः हमारा तथा ऐसा शब्द सार्वनामिक विशेषण हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

अतएव जब सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्दों से पहले लगकर विशेषण का काम करते हैं तो उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिक्ख धर्म के संस्थापक कौन हैं ?
(क) गुरु नानक देव जी
(ख) गुरु अंगद देव जी
(ग) गुरु अर्जुन देव जी
(घ) गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर :
(क) गुरु नानक देव जी

प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व कब मनाया जाता है ?
(क) कार्तिक पूर्णिमा को
(ख) कार्तिक दूज को
(ग) कार्तिक तीज को
(घ) कार्तिक मास में।
उत्तर :
(क) कार्तिक पूर्णिमा को

प्रश्न 3.
नगर कीर्तन किसकी अगुवाई में होता है ?
(क) गुरुओं की
(ख) पांच प्यारों की
(ग) सज्जनों की
(घ) देवों की।
उत्तर :
(ख) पांच प्यारों की

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

प्रश्न 4.
मैं गुरुपर्व का नाम सुनते ही रोमांचित हो उठा। -रेखांकित पद में कारक कौन-सा है ?
(क) करण
(ख) संप्रदान
(ग) संबंध
(घ) अधिकरण।
उत्तर :
(ग) संबंध

प्रश्न 5.
‘मुझे थोड़ा-सा दूध चाहिए।’-वाक्य में विशेषण शब्द छाँटिए :
(क) थोड़ा-सा
(ख) मुझे
(ग) दूध
(घ) चाहिए।
उत्तर :
(क) थोड़ा-सा

प्रश्न 6.
मुझे तीन मीटर कपड़ा चाहिए।-वाक्य में कौन सा विशेषण है ?
(क) निश्चित परिमाणवाचक
(ख) अनिश्चित परिणामवाचक
(ग) गुणवाचक
(घ) संख्यावाचक।
उत्तर :
(क) निश्चित परिमाणवाचक

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व

गुरुपर्व Summary in Hindi

गुरुपर्व पाठ का सार

मुझे गुरुद्वारे से पता लगा कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को सिक्ख धर्म के संस्थापक . श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। मैं इस पर्व के आयोजन से पहले अपने परिवार और मित्रों के साथ प्रभात फेरियों के आयोजन में सम्मिलित हुआ। गुरुपर्व पर गुरुद्वारों में खूब साफ़-सफ़ाई की गई थी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व 5

फूलों और रंगबिरंगी रोशनियों से इन्हें सजाया गया था। रात के समय तो गुरुद्वारों की शोभा देखते ही बनती है। गुरुपर्व से दो दिन पहले नगर कीर्तन का आयोजन किया गया जिसकी अगुवाई पांच-प्यारों द्वारा की गई। उन्होंने निशान साहब को बड़े उत्साह और श्रद्धा से पकड़ रखा था। श्री गुरु ग्रंथ साहब की सजी हुई पालकी के पीछे कीर्तन मंडलियां शब्द कीर्तन कर रही थीं। प्रसाद बांटा जा रहा था। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने लंगर लगाये हुए थे।

लोग बड़ी श्रद्धा और उत्साह से कीर्तन में सम्मिलित हुए। गुरुपर्व से दो दिन पहले गुरुद्वारे में अखंड पाठ रखे गए और गुरु पर्व के दिन भोग डाले गए। इस दिन धार्मिक साहित्य की प्रदर्शनी लगाई गई और साहित्य का निःशुल्क वितरण भी किया गया। गुरु के लंगर को सभी ने एक साथ पंगत में बैठकर छका। लोगों ने रात को अपने घरों, दुकानों आदि पर दीपमाला की तथा पटाखे चलाए।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व 6

गुरुपर्व कठिन शब्दों के अर्थ :

  • दिनचर्या = दैनिक कार्य।
  • अतीव = बहुत अधिक।
  • संस्थापक = स्थापना करने वाले।
  • प्रकाश पर्व = जन्म दिवस।
  • उत्साहित = उत्साह से भर जाना, खुश होना।
  • नज़दीक = पास। PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 15 गुरुपर्व
  • श्रद्धालुओं = श्रद्धा रखने वाले।
  • अगुवाई = नेतृत्व, आगे चलने वाले।
  • निहाल कर रही थी = खुशियों से भर रही थी।
  • वितरण = बाँटना।

PSEB 6th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 6th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

संज्ञा

प्रश्न 1.
संज्ञा की परिभाषा उदाहरण सहित लिखो।
अथवा
संज्ञा किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।।
उत्तर :
परिभाषा – किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, प्राणी, जाति, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे –

  • मेरा नाम ‘हरीश’ है। इनका नाम ‘सतीश’ है। आपका क्या ‘नाम’ है?
  • यह ‘हाथी’ है। यह ‘खरगोश’ है। यह ‘मोर’ है।
  • मैं ‘लुधियाना’ जा रहा हूँ।
  • ‘नेकी’ कर कुएँ में डाल।
  • ‘बैठना’ कहाँ है?

ऊपर के वाक्यों में ‘व्यक्तियों’, ‘पशुओं’, ‘स्थान’, ‘भाव’ आदि को उनके नामों से बताया गया है। अतः ये नाम ही संज्ञा हैं।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

प्रश्न 2.
संज्ञा शब्दों में परिवर्तन किन कारणों से होता है?
उत्तर :
संज्ञा शब्दों में परिवर्तन तीन कारणों से होता है –

  1. लिंग
  2. वचन
  3. कारक।

लिंग के कारण – बालक – बालिका
वचन के कारण – बालक – बालकों
कारक के कारण – बालक – बालकों ने, बालकों के लिए।

प्रश्न 3.
संज्ञा के कितने भेद होते हैं?
उत्तर :
संज्ञा के तीन भेद होते हैं

  • व्यक्तिवाचक संज्ञा
  • जातिवाचक संज्ञा
  • भाववाचक संज्ञा।

प्रश्न 4.
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो संज्ञा शब्द किसी एक ही पुरुष, स्थान, वस्तु के नाम को प्रकट करे, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे

  • आज़ ‘अर्जुन’ जैसा वीर कौन है?
  • ‘अमृतसर’ पंजाब का प्रसिद्ध शहर है।
  • ‘चाँद’ कितना सुन्दर है।

ऊपर के वाक्यों में ‘अर्जुन’ एक विशेष पुरुष का नाम है। ‘अमृतसर’ एक विशेष स्थान का नाम है। ‘चाँद’ एक विशेष वस्तु का नाम है।

‘अर्जुन’, ‘अमृतसर’, ‘चाँद’ – इन शब्दों से केवल एक विशेष व्यक्ति का बोध होता है। ये ‘व्यक्तिवाचक’ संज्ञाएँ हैं।

प्रश्न 5.
जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो संज्ञा शब्द एक जाति के सभी पुरुषों, स्थानों या वस्तुओं के नाम का बोध कराए, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे –

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

‘गधा’ बड़े काम का जीव है।
‘शहर’ साफ़ – सुथरे होते हैं।
‘बोतल’ फर्श पर गिरते ही टुकड़े – टुकड़े हो गई।

ऊपर के वाक्यों में ‘गधा’ कहने से उसकी जाति के सभी गधों का बोध होता है। ‘शहर’ कहने से उसकी जाति के सभी शहरों का बोध होता है। ‘बोतल’ कहने से उसकी जाति की सभी बोतलों का बोध होता है। अत: ‘गधा’, ‘शहर’, ‘बोतल’ शब्दों से उनकी जाति के सभी प्राणियों या पदार्थों का बोध होता है, ये जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।

प्रश्न 6.
भाववाचक संज्ञा का लक्षण सोदाहरण लिखो।।
उत्तर :
जो संज्ञा शब्द किसी दशा, गुण या व्यापार के नाम को प्रकट करे उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे –

  • ‘बुढ़ापे’ में उसकी कमर टेढ़ी हो गई।
  • ‘भलाई’ करने से आनन्द मिलता है।
  • देखो, हाथी की ‘चाल’ देखो।

ऊपर के वाक्यों में ‘बुढ़ापा’ एक दशा का नाम है। ‘भलाई’ एक गुण का नाम है। ‘चाल’ एक व्यापार का नाम है। ‘बुढ़ापा’, ‘भलाई’, ‘चाल’ शब्द मन की दशा, गुण, व्यापार को प्रकट करते हैं। अतः ये भाववाचक संज्ञाएँ हैं।

प्रश्न 7.
भाववाचक संज्ञा कितने प्रकार के शब्दों से बनती है?
उत्तर :
भाववाचक संज्ञा तीन प्रकार के शब्दों से बनती है

  • जातिवाचक संज्ञा शब्दों से
  • विशेषण शब्दों से
  • क्रिया शब्दों से
  • सर्वनाम शब्दों से।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

जैसे –

  • बच्चो ! बचपन को केवल खेल – कूद में ही न गँवाओ।
  • मीठा आम लाओ, इसमें मिठास कम है।
  • दौड़ना एक अच्छी कसरत है। उसे दौड़ में इनाम मिला।
  • अपने बेटे को देखकर माँ का अपनापन जाग उठा।

ऊपर के वाक्यों में –
‘बच्चो’ जातिवाचक संज्ञा है, उससे ‘बचपन’ भाववाचक संज्ञा बनी।
‘मीठा’ विशेषण है, उससे ‘मिठास’ भाववाचक संज्ञा बनी।
‘दौड़ना’ क्रिया है, उससे ‘दौड़’ भाववाचक संज्ञा बनी।
‘अपना’ सर्वनाम है, उससे ‘अपनापन’ भाववाचक संज्ञा बनी।

भाववाचक संज्ञा शब्दों के कुछ उदाहरण

1. जातिवाचक संज्ञा शब्दों से निर्मित

  • जातिवाचक संज्ञा – भाववाचक संज्ञा
  • बालक – बालकपन
  • बूढ़ा – बुढ़ापा
  • बच्चा – बचपन
  • दोस्त – दोस्ती
  • लड़का – लड़कपन
  • मित्र – मित्रता
  • मनुष्य – मनुष्यता
  • जवान – जवानी
  • चोर – चोरी
  • दास – दासता

2. विशेषण शब्दों से निर्मित

  • विशेषण – भाववाचक संज्ञा
  • ठंडा – ठंडक
  • मोटा – मोटाई
  • हरा – हरापन
  • चौड़ा – चौड़ाई
  • सुन्दर – सुन्दरता
  • चतुर – चतुराई
  • दुष्ट – दुष्टता
  • कड़वा – कड़वापन
  • भला – भलाई
  • भोला – भोलापन

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

3. क्रिया शब्दों से निर्मित

  • क्रिया – भाववाचक संज्ञा
  • लड़ना – लड़ाई
  • पीटना – पिटाई
  • पढ़ना – पढ़ाई
  • चढ़ना – चढ़ाई
  • लिखना – लिखावट
  • मिलाना – मिलावट
  • हँसना – हँसी
  • बहना – बहाव
  • जीतना – जीत
  • उतरना – उतराई

4. सर्वनाम शब्दों से निर्मित शब्द

  • सर्वनाम – भाववाचक संज्ञा
  • अपना – अपनापन, अपनत्व
  • स्व – स्वता, स्वत्व
  • मेरा – मेरापन
  • अहं – अहंकार
  • मम – ममता, ममत्व

लिंग

प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं? हिन्दी में लिंग के कितने भेद हैं?
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप से पुरुष या स्त्री जाति का बोध हो उसे लिंग कहते हैं।

हिन्दी में लिंग दो होते हैं –

  • पुल्लिग
  • स्त्रीलिंग।

प्रश्न 2.
पुल्लिग किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप से ‘पुरुष’ जाति का बोध हो उसे पुल्लिग कहते हैं। जैसे –

  • लड़का खेलता है।
  • धोबी कपड़े धोता है।
  • मोर नाचता है।
  • बैल हल खींचता है।
  • यह पहाड़ ऊँचा है।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

ऊपर दिए गए वाक्यों में लड़का’, ‘धोबी’, ‘मोर’, ‘बैल’, ‘पहाड़’ आदि शब्द संज्ञाएँ हैं। इनसे ‘पुरुष जाति’ का बोध होता है। ये पुल्लिग हैं।

प्रश्न 3.
स्त्रीलिंग किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप से ‘स्त्री’ जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे –

  • लड़की गीत गाती है।
  • धोबिन कपड़े सुखाती है।
  • मोरनी फूली नहीं समाती।
  • गाय दूध देती है।
  • यह पहाड़ी नीची है।

ऊपर दिए गए वाक्यों में लड़की, धोबिन, मोरनी, गाय, पहाड़ी आदि शब्द संज्ञाएँ हैं। इनसे ‘स्त्री जाति’ का बोध होता है। ये स्त्रीलिंग हैं।

वचन

प्रश्न 4.
वचन किसे कहते हैं और वचन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में दो वचन हैं –
(i) एकवचन
(ii) बहुवचन।

(i) एकवचन – संज्ञा का जो रूप एक ही वस्तु का बोध कराए, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – लड़की, घोड़ा, बहन आदि।।
(ii) बहुवचन – संज्ञा का जो रूप एक से अधिक वस्तुओं का बोध कराए, उसे बहुवचन कहते हैं, जैसे – लड़कियाँ, घोड़े, बहनें आदि।

कारक

प्रश्न 5.
कारक किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर :
संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ प्रकट करने वाले शब्द रूप को कारक कहते हैं।

राम ने रोटी खाई।
मालिक ने नौकर को बुलाया।
पेड़ से फल गिरा।
यह पुस्तक रवि के लिए है।

ऊपर के वाक्यों में रेखांकित शब्द ने, को, से, के लिए आदि संज्ञा शब्द का सम्बन्ध शेष वाक्य के साथ जोड़ते हैं। इन शब्द रूपों को ‘कारक’ कहा जाता है।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

प्रश्न 6.
कारक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
हिन्दी में आठ कारक हैं –

  • कारक – कारक चिह्न
  • कर्ता – ने
  • कर्म – को
  • करण – से, के साथ, द्वारा
  • सम्प्रदान – को, के लिए
  • अपादान – से (अलग होने में)
  • सम्बन्ध – का, के, की, रा, रे, री
  • अधिकरण – में, पर
  • सम्बोधन – हे, रे, अरे।

1. कर्ता – जिससे कार्य करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते हैं। इसका चिह्न ‘ने’ है। जैसे
धोबी ने कपड़े धोए।

इस वाक्य में धोने का काम धोबी करता है। यहाँ धोबी कर्ता कारक है।

2. कर्म – क्रिया का फल जिस पर पड़े, उसे कर्म कारक कहते हैं। इसका चिहन ‘को’ है। जैसे –
माली ने राम को फूल दिया।
यहाँ क्रिया देने का फल ‘राम’ पर पड़ा है। अतः राम कर्म कारक है।

3. करण – जिससे साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहते हैं। इसके चिह्न ‘से’ और ‘द्वारा’ हैं। जैसे –
रमेश पेन्सिल से लिखता है।

यहां ‘पेन्सिल’ लिखने का साधन है। पेन्सिल करण कारक है।

4. सम्प्रदान – जिसके लिए कर्ता काम करे उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। इसके चिह्न हैं – को, के लिए। जैसे –
यह पुस्तक राम के लिए है।
उसने लड़के को पढ़ाया।

यहाँ पुस्तक लाने का कार्य राम के लिए किया गया है। दूसरे वाक्य में पढ़ाने का कार्य लड़के के लिए किया गया है। यहाँ राम और लड़का सम्प्रदान कारक हैं।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

5. अपादान कारक – जिससे किसी के अलग होने का पता चले, उसे ‘अपादान’ कारक कहते हैं। इसका चिह्न ‘से’ है। जैसे –
वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
इस वाक्य में पत्ते ‘वृक्ष’ से गिरते हैं। ‘वृक्ष’ अपादान कारक है।

6. सम्बन्ध – जिस रूप से एक शब्द का दूसरे शब्द से सम्बन्ध प्रकट हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। इसका चिह्न ‘का’, ‘के’, ‘की’, ‘रा’, ‘रे’, ‘री’ है। जैसे –
राम की पुस्तक नई है।
इस वाक्य में पुस्तक का सम्बन्ध ‘राम’ से पाया जाता है। ‘राम’ सम्बन्ध कारक है।

7. अधिकरण – क्रिया के आधार को अधिकरण कारक कहते हैं। इसके चिहन ‘में’ और ‘पर’ हैं। जैसे –
शीशी में तेल डालो। मेज़ पर किताब रखी है।
यहाँ तेल का आधार शीशी है। ‘शीशी’ अधिकरण कारक है। ‘किताब’ का आधार ‘मेज़’ है। इस वाक्य में ‘पर’ अधिकरण कारक है।

8. सम्बोधन – संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारा जाए, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। इसके चिह्न हे, रे, अरे, हैं। जैसे –
हे राम ! मेरी बात सुनो।
इस वाक्य में राम को पुकारा गया है। यहाँ ‘राम’ सम्बोधन कारक है।

सर्वनाम

प्रश्न 1.
सर्वनाम किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हो; उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे – मैं, हम, तुम, आप, यह, वह, वे, कौन आदि।

उदाहरण –

  • बिल्ली आई और वह सारा दूध पी गई।
  • पिता ने पुत्र से पूछा – “तू क्या कर रहा है?”
  • रोहित ने उत्तर दिया – “मैं स्कूल का काम कर रहा हूँ।”

ऊपर के वाक्यों में ‘वह’ बिल्ली के स्थान पर आया है।
‘तू’ पुत्र के स्थान पर आया है।
‘मैं’ रोहित के स्थान पर आया है।
इन वाक्यों में ‘वह’, ‘तू’, ‘मैं’ शब्द सर्वनाम हैं।

सर्वनाम के पाँच भेद हैं –

  • पुरुषवाचक सर्वनाम
  • निश्चयवाचक सर्वनाम
  • अनिश्चयवाचक सर्वनाम
  • सम्बन्धवाचक सर्वनाम
  • प्रश्नवाचक सर्वनाम।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

1. पुरुषवाचक सर्वनाम – जिस सर्वनाम से पुरुष का बोध हो, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे
(क) देव ने कहा – “मैं सुलेख लिखता हूँ।”
(ख) भाई ! तू क्यों चुपचाप बैठा है।
(ग) श्याम बैठा है, वह लिख भी रहा है।

यहाँ ‘मैं’, ‘तू’, ‘वह’ – ये ऐसे सर्वनाम हैं जिनसे किसी – न – किसी पुरुष का बोध होता है। ये ‘पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।

नोट – ‘यह’, ‘वह’ एकवचन सर्वनाम हैं। इनका बहुवचन ‘ये’, ‘वे’ हैं।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम – जिस सर्वनाम से किसी बात का निश्चय प्रकट हो, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे –
इन कमीज़ों में ‘यह’ अच्छी है, वह नहीं।
इस वाक्य में ‘यह’, ‘वह’ निश्चित कमीज़ के स्थान पर आया है।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम – जिस सर्वनाम से निश्चय प्रकट न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे –
(क) आज कुछ होने वाला है।
(ख) सम्भव है आज कोई आ जाए।

इन वाक्यों में ‘कुछ’ और ‘कोई’ ऐसे सर्वनाम हैं जिनसे निश्चय प्रकट नहीं होता।

नोट – ‘कोई’ सजीव के लिए आता है और ‘कुछ’ निर्जीव के लिए।

4. सम्बन्धवाचक सर्वनाम – जिस सर्वनाम से एक बात का दूसरी बात से सम्बन्ध प्रकट हो उसे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं।
(क) जो करेगा सो भरेगा।
(ख) जिसकी लाठी उसकी भैंस।

इन वाक्यों में ‘जो’, ‘सो’ और ‘जिसकी’, ‘उसकी’ ऐसे सर्वनाम हैं जो वाक्यों में सम्बन्ध जोड़ते हैं।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम – जिस सर्वनाम से प्रश्न का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे
(क) आप क्या पढ़ रहे हैं?
(ख) मेला देखने कौन जाएगा?
इन वाक्यों में ‘क्या’, ‘कौन’ से प्रश्न का बोध होता है।

नोट – ‘कौन’ सजीव के लिए आता है और ‘क्या’ निर्जीव के लिए।

विशेषण

प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करें, उसे विशेषण कहते हैं। जिस शब्द की विशेषता प्रकट की जाए, उसे विशेष्य कहते हैं।
(क) वीर पुरुष लड़ते हैं।
(ख) संतरा मीठा है।
(ग) पाण्डव पाँच भाई थे।
पुरुष कैसा है? ‘वीर’।
संतरा कैसा है? ‘मीठा’।
कितने भाई? ‘पाँच।

यहाँ ‘पुरुष’, ‘संतरा’ और ‘पाण्डव’ शब्द संज्ञा हैं और ‘वीर’, ‘मीठा’, ‘पाँच’ शब्द इन संज्ञा शब्दों की विशेषता प्रकट करते हैं। ये विशेषण हैं।

प्रश्न 2.
विशेषण के कितने भेद होते हैं?
उत्तर :
विशेषण के चार भेद हैं
1. गुणवाचक विशेषण – जो संज्ञा, सर्वनाम के गुण, दोष या दशा को प्रकट करे, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे
(क) हरी घास पर ओस अच्छी लगती है।
(ख) गीदड़ डरपोक होता है।

इन वाक्यों में ‘हरी’, ‘डरपोक’ शब्द विशेषण हैं, जो क्रमशः ‘घास’ और ‘गीदड़’ के गुण को प्रकट करते हैं।

PSEB 6th Class Hindi Vyakaran पारिभाषिक व्याकरण

2. संख्यावाचक विशेषण – जो संज्ञा, सर्वनाम की संख्या को प्रकट करे, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे –
(क) छठी श्रेणी में पचास लड़कियाँ पढ़ती हैं।
(ख) दोनों बालक भले हैं।
इन वाक्यों में ‘छठी’, ‘पचास’, ‘दोनों’ विशेषण की संख्या को प्रकट करते हैं।

3. परिमाणवाचक विशेषण – जो संज्ञा, सर्वनाम के परिमाण को प्रकट करे, उसे ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं।
(क) प्यासे को कुछ पानी दो।
(ख) बिल्ली सारा दूध पी गई।
(ग) दो मीटर कपड़ा दे दो।

इन वाक्यों में ‘कुछ’, ‘सारा’, ‘दो’ विशेषण विशेष्य के परिमाण को प्रकट करते हैं।

4. सार्वनामिक विशेषण – जो सर्वनाम किसी संज्ञा की विशेषता प्रकट करे उसे ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहते हैं।
(क) वह पुस्तक कहाँ है, जो कल खरीदी थी?
(ख) यह बालक कौन है, जो यहाँ खड़ा है?

इन वाक्यों में ‘वह’, ‘यह’ दोनों सर्वनाम संज्ञा की विशेषता को प्रकट करते हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 19 पेड़ लगाओ (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB पेड़ लगाओ Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ

पेड़ लगाओ अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ 1
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ 2
उत्तर :
विद्यार्थी इन शब्दों को अपनी उत्तर :पुस्तिका में लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ 3
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ 4
उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी के उपर्युक्त शब्दों को लिखने का अभ्यास करें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

(क) कवि के अनुसार जीवन के लिए क्या ज़रूरी है?
उत्तर :
कवि के अनुसार जीवन में पेड़ लगाना बहुत ज़रूरी है।

(ख) कवि ने फुलवारी में कौन-से पौधे लगाने को कहा है?
उत्तर :
कवि ने फुलवारी में नींबू और अनार के पौधे लगाने को कहा है।

(ग) कवि के अनुसार मानव ने हँसना किससे सीखा है?
उत्तर :
कवि के अनुसार मानव ने हँसना फूलों से सीखा है।

(घ) कवि ने खेत की मेंडों पर कौन-से पेड़ लगाने को कहा है?
उत्तर :
कवि ने खेत की मेंडों पर शीशम के पेड़ लगाने को कहा है।

(ङ) ‘फिर भी खाली सड़क शहर सूना सूना’ में कवि ने किस की कमी के बारे में बताया है?
उत्तर :
इस पंक्ति में कवि ने पेड़ों की कमी के बारे में बताया है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ

4. ‘लेते हैं दुर्गन्ध, सुगन्ध लुटाते हैं’ से कवि का क्या अभिप्राय है? स्पष्ट करें।
उत्तर :
इस पंक्ति से लेखक का अभिप्राय है कि पेड़ वातावरण में फैली हुई दूषित वायु को स्वयं ग्रहण कर लेते हैं और स्वच्छ और शुद्ध वायु हमें लौटा देते हैं।

5. नीचे लिखे वाक्यों को पाठ से देखकर पूरा करें :

(क) हरियाली जीवन के लिए _____________________
(ख) _____________________ बड़ा महत्व है।
(ग) लेते हैं _____________________ लुटाते हैं।
(घ) सभी जगह पर _____________________
उत्तर :
(क) हरियाली जीवन के लिए ज़रूरी है।
(ख) पेड़ों का जीवन में बड़ा महत्त्व है।
(ग) लेते हैं दुर्गन्ध, सुगन्ध लुटाते हैं।
(घ) सभी जगह पर हरा-भरा संसार बसाओ।

6. नीचे लिखे शब्दों के सही रूपों को समझें। गलत शब्द में बिन्दी या चंद्रबिन्दु नहीं है, इसलिए यह गलत है :

गलत शब्द – सही शब्द
जरूरी – ज़रूरी (‘ज’ के नीचे बिन्दी लगानी चाहिए)
खाली – खाली (‘ख’ के नीचे बिन्दी लगानी चाहिए)
हजार – हज़ार (‘ज’ के नीचे बिन्दी लगानी चाहिए)
हंसना – हँसना (‘ह’ पर बिन्दी की बजाय चन्द्रबिन्दु (*) लगाना चाहिए।
कायम – कायम (‘क’ के नीचे बिन्दी लगानी चाहिए)
राज – राज़ (‘ज’ के नीचे बिन्दी लगानी चाहिए)
उत्तर :
विद्यार्थी बिन्दी और (*) चन्द्रबिन्दु के सही उपयोग को जानें व इनका पुनः -पुनः अभ्यास करें।

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7. नीचे दिए गए चौखानों में दस पेड़ों के नाम छिपे हैं, उन्हें ढूंढकर लिखो :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ 5
उत्तर :

  1. जामन
  2. शीशम
  3. आडू
  4. नीम
  5. पीपल
  6. अनार
  7. अमरूद
  8. आम
  9. बरगद
  10. नारियल।

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8. सोचिए और लिखिए :

1. पेड़ हमें क्या-क्या देते हैं? सूची बनाओ।
उत्तर :

  1. पेड़ हमें स्वच्छ वायु देते हैं।
  2. पेड़ों से हमें लकड़ी प्राप्त होती है।
  3. पेड़ों से हमें फल मिलते हैं।
  4. पेड़ों से हमें फूल मिलते हैं।
  5. पेड़ हमें सुगन्धित वातावरण प्रदान करते हैं।
  6. कई पेड़ औषधि के काम आते हैं।
  7. कई पेड़ पवित्र माने जाते हैं जैसे आम। इनकी लकड़ी पूजा पाठ के समय काम आती है।
  8. पेड़ वर्षा लाने में सहायक हैं।

2. यदि धरती पर पेड़ घटते जायेंगे तो क्या होगा?
उत्तर :
यदि धरती पर पेड़ घटते जाएंगे तो हमें बहुत नुकसान होगा। सारे वातावरण में दूषित वायु फैल जाएगी। शुद्ध वायु नहीं मिल सकेगी। वर्षा नहीं हो पाएगी क्योंकि पेड़ ही वर्षा वाले बादलों को लाने में सहायी होते हैं। पेड़ बाढ़ को आने से भी रोकते हैं। पेड घट जाएंगे तो हानि होगी।

3. ‘पेड़ों का त्योहार मनाओ’ पंक्तियों में कवि ने वन महोत्सव की तरफ संकेत किया है। इस पर सोच कर पाँच पंक्तियाँ लिखें। अपने घर और विद्यालय में नीम और तुलसी के पौधे लगाओ।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।

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9. सर्वनाम शब्दों का प्रयोग करते हुए गद्यांश को पूरा करें :

_____________ एक पेड़ हूँ। धरती _____________ माता है। _____________ नन्हे से बीज के रूप में धरती में छिपा रहता हूँ। _____________ पालन पोषण माली करता है। बढ़ते-बढ़ते _____________ विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेता हूँ। पक्षी _____________ पर बसेरा लेते हैं और पशुओं को _____________ आश्रय देता हूँ। दवाइयों के रूप में भी _____________ प्रयोग होता है। _____________ बहुत ही गुणकारी हूँ। फिर भी दुर्भाग्य की बात है कि काटते ही जाते हैं _____________ हमेशा देता ही हूँ _____________ माँगता नहीं। _____________ जैसे परोपकारी बनो।
उत्तर :
मैं एक पेड़ हूँ। धरती हमारी माता है। मैं नन्हे से बीज के रूप में धरती में छिपा रहता हूँ। मेरा पालन-पोषण माली करता है। बढ़ते-बढ़ते मैं विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेता हूँ। पक्षी मुझ पर बसेरा लेते हैं और पशुओं को मैं आश्रय देता हूँ। दवाइयों के रूप में भी मेरा प्रयोग होता है। मैं बहुत ही गुणकारी हूँ। फिर भी दुर्भाग्य की बात है कि लोग मुझे अंधा-धुंध काटते ही जाते हैं। मैं हमेशा देता ही हूँ कुछ माँगता नहीं। मेरे जैसे परोपकारी बनो।

निम्नलिखित कविता की पंक्तियों का रस लीजिए तथा इस प्रकार कविता लिखने का प्रयास करें:

खड़े-खड़े मुस्काते पेड़।
कहीं न आते जाते पेड़।
कड़ी धूप में बनते साया,
सारा जीवन सरस बनाया,
पेड़ों की है अद्भुत काया।
पहले वर्षा लाते पेड़।
फिर छतरी बन जाते पेड़।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।

कुछ करिये

प्रकृति प्रेमी पौधे लगा तो देते हैं किन्तु कई बार उचित देखभाल न हो सकने के कारण उनमें से अधिकतर पौधे नष्ट हो जाते हैं। अतः उनकी सुरक्षा व संरक्षण इस तरह करें जैसे माता-पिता अपनी संतान के लिए करते हैं।

गायें और लिखें

पेड़ बचाओ, पेड़ बढ़ाओ
धरती को खुशहाल बनाओ

इस तरह के नारे लिखने का प्रयास करें। उन्हें चार्ट पर लिखकर अपनी कक्षा में लगायें।
उत्तर :
प्रश्न नं0 11 और 12 के लिए विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।

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पेड़ों सम्बन्धी रोचक जानकारी

  • पेड़ों की पत्तियों में क्लोरोफिल होता है। यह हरे रंग का पदार्थ सूर्य की किरणों से ऊर्जा खींचता है।
  • कई पेड़-पौधों के बीजों या फलों से तेल निकाला जाता है जैसे-मूंगफली, नारियल, सरसों, सूरजमुखी आदि।
  • यू.एस.ए. (कैलिफोर्निया) का जनरल शरमैन पेड़ दुनिया का सबसे लम्बा पेड़ है जिसका वजन लगभग 6 टन है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ने ज्ञान का भंडार किसे कहा है ?
(क) समाचार को
(ख) समाचार-पत्र को
(ग) डायरी को
(घ) टी.वी. को।
उत्तर :
(ख) समाचार पत्रों को

प्रश्न 2.
आजकल समाचार कैसे भेजे जाते हैं ?
(क) इंटरनेट से
(ख) समाचार पत्र से
(ग) टी.वी. से
(घ) अखबार से।
उत्तर :
(क) इंटरनेट से

प्रश्न 3.
घरों में अखबार कौन लाता है ?
(क) पिता जी
(ख) माता जी
(ग) हॉकर
(घ) पत्रकार।
उत्तर :
(ग) हॉकर

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प्रश्न 4.
लोगों में समाचार पत्र के द्वारा किसकी भावना भरी जा सकती है ?
(क) देशभक्ति
(ख) वीरभक्ति
(ग) भक्ति
(घ) शक्ति।
उत्तर :
(क) देशभक्ति

प्रश्न 5.
शहीद भगतसिंह ने किस नाम से ‘प्रताप’ समाचार पत्र में कार्य किया ?
(क) बलवंत
(ख) दिलबाग
(ग) समर
(घ) अमर।
उत्तर :
(क) बलवंत

पेड़ लगाओ Summary in Hindi

पेड लगाओ कविता का सार

कवि कहता है कि आप पेड़ लगाइए। जितने अधिक पेड़ लगेंगे, उतना ही अच्छा होगा। यह हरियाली के लिए आवश्यक है। हम खेत की मेंड़ पर शीशम के पेड़ लगाएं। फुलवारी में नींबू और अनार लगाएं। पेड़ ही हमें जीवन देते हैं। ये सुगन्ध देते हैं। इन्सान ने फूलों से हंसना सीखा है। फलों ने हमें रस दिया है, मिठास दी है। हम सारे देश में पेड़ लगाएं वे चाहे चार हों या चार हज़ार।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ 6

पेड़ लगाओ पद्यांशों के सरलार्थ

1. चार लगाओ चाहे हज़ार लगाओ
पेड़ लगाओ।
जितना पेड़ लगेगा उतना लाभ है
हरियाली जीवन के लिए जरूरी है
फिर भी खाली सड़क शहर सूना सूना
कैसी यह लाचारी यह मजबूरी है।
चलो खेत के मेंड सजाएं शीशम से
फुलवारी में नींबू और अनार सजाओ।
चार लगाओ चाहे हजार लगाओ।
पेड़ लगाओ।

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प्रसंग-यह पद्यांश हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘पेड़ लगाओ’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ लगाने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ-‘पेड़ लगाओ’ नामक कविता में कवि ने सब लोगों को पेड़ लगाने की प्रेरणा देता हुए कहा है कि चाहे आप चार लगाओ या हज़ार लगाओ लेकिन पेड़ अवश्य लगाओ। पेड़ के लाभ बताते हुए कवि कहता है कि जितना पेड़ लगाओगे उतना ही लाभ मिलेगा, वातावरण स्वच्छ होगा और चारों ओर हरियाली नज़र आएगी। कवि कहता है कि आदमी की यह कैसी मजबूरी है कि सारे शहर, सारी सड़कें सब सूनी-सूनी सी हैं।

कहीं भी हरे-भरे पेड़ नहीं दिख रहे। कवि कहता है कि चलो हम अपने खेतों के किनारों पर शीशम के पेड़ लगाएं और अपने बगीचों में नींबू और अनार के पौधे लगाओ। चाहे चार लगाओ या हज़ार पौधे लगाओ लेकिन पौधे ज़रूर लगाओ।

भावार्थ-हमें अपने पर्यावरण के लिए पेड़ लगाने ही चाहिए।

2. पेड़ों का जीवन में बड़ा महत्त्व है
इसीलिए कि वह जीवन देने वाला
नहीं जानते उनकी क्यों पूजा होती
इसीलिए कि वह यौवन देने वाला
लेते हैं दुर्गन्ध, सुगन्ध लुटाते हैं
रोज़ सुबह पेड़ों का त्योहार मनाओ
चार लगाओ चाहे हजार लगाओ
पेड़ लगाओ।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘पेड़ लगाओ’ से लिया गया है। इसमें कवि ने वृक्षों को जीवनदाता कहते हुए, अधिक से अधिक पेड लगाने को कहा है।

सरलार्थ-कवि सभी को अपने-अपने घर, आँगन, बाग, खेत, खलिहानों में पेड़ लगाने की प्रेरणा देते हुए कहता है कि हमारे जीवन में पेड़ों का बहुत महत्त्व है क्योंवि. ये ही हमारे जीवनदाता हैं। इसी से हमें जीवन मिलता है इसीलिए इनकी पूजा भी की जाती है।

ये पेड़ वातावरण में फैली दूषित, गन्दी और दुर्गन्धयुक्त वायु को स्वयं ले लेते हैं और हमें जीने के लिए सुगन्ध और स्वच्छ वायु देते हैं ताकि हम साँस ले सकें। इसलिए प्रतिदिन सुबह उठकर पेड़ों का त्योहार मनाओ। चाहे चार लगाओ या हज़ार लगाओ लेकिन पेड़ ज़रूर लगाओ।

भावार्थ-पेड़ ही जीवन दाता है इसलिए पेड़ लगाने चाहिएं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 19 पेड़ लगाओ

3. फूलों से है मानव ने हँसना सीखा
रस का बोध हुआ है उसको आम से
कायम करके दुनिया के इस राज को
ईश्वर ने लिख दिया पेड़ के नाम से
पेड़ लगाकर सारे भारतवर्ष में
सभी जगह पर हरा-भरा संसार बसाओ
चार लगाओ चाहे हज़ार लगाओ।
पेड़ लगाओ।

प्रसंग-प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित कविता ‘पेड़ लगाओ’ से लिया गया है। इसमें कवि ने वृक्षों को सुखों का आधार मानते हुए, पूरे देश में अधिक से अधिक पेड़ लगाने पर बल दिया है।

सरलार्थ-कवि सभी को अपने घर, आँगन, बाग, खेत-खलिहानों में अधिक-से अधिक पेड़ लगाने की प्रेरणा देते हुए कहता है कि इन फूलों से ही मनुष्य ने हँसना सीखा है और जीवन में मधुरता, मिठास, रस का आभास उसे मीठे-मीठे आमों से हुआ है।

कवि बताता है कि ईश्वर ने सर्वप्रथम सृष्टि की रचना करने के बाद पेड़ों का ही साम्राज्य बनाया था। चारों ओर पेड़ ही लगाए थे। इसलिए हे मनुष्यो ! तुम भी सारे भारतवर्ष में हरे-भरे पेड़ लगाकर सारी धरती को हरा-भरा बनाओ। चाहे चार पेड़ लगाओ या हज़ार पेड़ लगाओ लेकिन पेड़ अवश्य लगाओ।

भावार्थ-सारे देश में पेड़ लगाने चाहिए। ये ही सुखों के आधार हैं।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानियाँ (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana kahaniyan कहानियाँ Questions and Answers.

PSEB 6th Class Hindi Rachana कहानियाँ (2nd Language)

प्यासा कौआ

एक बार गर्मी का मौसम था। जेठ महीने की दोपहर थी। आकाश से आग बरस रही थी। सभी प्राणी गर्मी से घबरा कर अपने आवासों में आराम कर रहे थे। पक्षी अपने घोंसलों में दोपहरी काट रहे थे।

ऐसे समय में एक कौआ प्यास से व्याकुल था। वह पानी की तलाश में इधर – उधर उड़ रहा था। परन्तु उसे कहीं पानी न मिला। अन्त में वह उद्यान (बाग)। वहाँ पानी का घड़ा पड़ा था। कौआ घड़े को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ। वह उड़कर घड़े के पास गया। उसने पानी पीने के लिए घड़े में अपनी चोंच डाली। परन्तु घड़े में पानी बहुत कम था। उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी। उसके सब प्रयास बेकार गए। तब भी उसने आशा न छोड़ी।।

उसी समय उसको एक युक्ति सूझी। वहाँ बहुत से कंकर पड़े थे। उसने एक – एक कंकर घड़े में डालना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में पानी ऊपर आ गया। कौआ बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने जी भर कर पानी पिया और ईश्वर को धन्यवाद दिया।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानियाँ (2nd Language)

शिक्षा –

  • जहाँ चाह वहाँ राह।
  • आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
  • यत्न करने पर कोई उपाय निकल आता है।

चालाक लोमड़ी

एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर – उधर घूमने लगी। जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद कुछ न मिला तो बड़ी गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई। अचानक उसकी नज़र ऊपर गई। वृक्ष पर एक कौआ बैठा हुआ था। उसके मुँह में रोटी का टुकड़ा था। रोटी का टुकड़ा देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। वह कौए से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी।

तभी उसे एक युक्ति सूझी। उसने कौए को कहा, “कौआ भैया! सुना है तुम गीत बहुत अच्छा गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?” कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ। वह लोमड़ी की बातों में आ गया और गाना गाने के लिए उसने जैसे ही मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गिया। लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और नौ दो ग्यारह हो गई। कौआ अपनी भूल पर पछताने लगा।

शिक्षा –

  • दूसरों की मीठी बातों में नहीं आना चाहिए।
  • झूठी खुशामद से प्रसन्न नहीं होना चाहिए।
  • जो कार्य शक्ति से नहीं होता, वह युक्ति से हो जाता है।

लालची कुत्ता

एक दिन एक कुत्ता इधर – उधर भोजन की तलाश में घूम रहा था। उसे कहीं से एक मांस का टुकड़ा मिल गया। वह उसे अकेले बैठकर खाना चाहता था इसीलिए वह उसे मुँह में रख कर नगर से बाहर की ओर दौड़ा। रास्ते में एक नदी पड़ती थी। पुल पार करते हुए उसने जल में देखा। जल में अपनी परछाईं देख कर उसने समझा कि यह कोई दूसरा कुत्ता है, जिसके मुँह में भी माँस का एक टुकड़ा है। वह मांस का टुकड़ा छीनने के लिए उस पर झपटा। उसका अपना माँस का टुकड़ा भी पानी में गिर गया। इस प्रकार लोभ में पड़कर उसने अपना माँस का टुकड़ा भी गँवा दिया। अब वह अपनी मूर्खता पर पछता रहा था।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानियाँ (2nd Language)

शिक्षा –

  • लालच बुरी बला है।

कुसंगति का फल

किसी नगर में एक धनी पुरुष रहता था। उसका एक पुत्र था। माता – पिता अपने पुत्र को बहुत लाड़ – प्यार करते थे। वह अपने श्रेणी में हमेशा प्रथम रहता था। उसके अध्यापक भी उसे बहुत प्यार करते और उसकी प्रशंसा करते थे।

दुर्भाग्य से वह बुरे लड़के की संगति में रहने लगा। उसका ध्यान अब बुरी बातों में लग गया। वह समय पर विद्यालय न जाता और न ही अपना पाठ याद करता। कोई भी अध्यापक अब उसे प्यार नहीं करता था। उसकी शिकायत उसके पिता से की गई। पिता को बड़ी चिन्ता हुई। उन्होंने अपने पुत्र को समझाने के लिए एक उपाय सोचा। वे बाजार से एक सुन्दर सेबों की टोकरी ले आए। बाद में अपने पुत्र को बुला कर उसे एक सड़ा गला सेब देकर कहा कि इसे भी टोकरी में रख दो। पुत्र ने वैसा ही किया।

प्रात:काल पिता ने पुत्र को वही सेबों की टोकरी उठा लाने के लिए कहा। जब टोकरी खोली गई तो सारे सेब सड़े पड़े थे। पुत्र ने आश्चर्य से पूछा – “पिता जी! ये सारे सेब कैसे सड़ गए ?”

पिता ने समझाया, “बेटा, जैसे एक सड़े – गले सेब से सारे अच्छे सेब खराब हो गए हैं, उसी तरह बुरे लड़कों की संगति से सब अच्छे बालक बुरी बातों को अपना लेते हैं। इसलिए अच्छे बालकों से संगति करो।” पुत्र पर इस बात का बहुत असर पड़ा। उसने बुरे लड़कों की संगति को छोड़ दिया और दिल लगा कर पढ़ने लगा।

शिक्षा –

  • बुरी संगति से बच कर रहो।
  • बुरी संगति से अकेला भला।

ईमानदार लकड़हारा

एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ग़रीब था। वह निकट के जंगल से लकड़ी काट कर लाता और उसे बेचकर अपना निर्वाह करता था।

एक दिन वह नदी के किनारे वृक्ष काट रहा था। अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ा छूट गया और नदी में गिर पड़ा। लकड़हारा बेचारा रोने लगा। उसने सोचा मैं अब बच्चों का पालन कैसे करूँगा। वह रो रहा था कि जल का देवता उपस्थित हुआ। उसने पूछा, “तुम रो क्यों रहे हो ?” लकड़हारे ने सारी बात बताई। जल का देवता पानी में कूद पड़ा और सोने का कुल्हाड़ा निकाल लाया। उसने लकड़हारे से पूछा – क्या यही तुम्हारा कुल्हाड़ा है ? लकड़हारे ने उसे लेने से इन्कार कर दिया और कहा यह मेरा कुल्हाड़ा नहीं है। जल के देवता ने फिर पानी में डुबकी लगाई और दूसरी बार चाँदी का कुल्हाड़ा लाया। परन्तु लकड़हारे ने फिर वह कुल्हाड़ा लेने से इन्कार कर दिया। अब तीसरी बार जल का देवता फिर नदी में कूदा और वहीं से लोहे का कुल्हाड़ा निकाल लाया।

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उस कुल्हाड़े को देखते ही लकड़हारा खुशी से नाच उठा – हाँ, हाँ, यही मेरा कुल्हाड़ा है। जल का देवता उसकी ईमानदारी पर खुश हुआ। उसने लकड़हारे को शेष दोनों कुल्हाड़े भी ईनाम के तौर पर दे दिए।

शिक्षा –

  • ईमानदारी सबसे उत्तम नीति है।
  • सदा सच बोलना चाहिए।

शेर और खरगोश
अथवा
बुद्धि ही बल है

किसी वन में एक शेर रहता था। वह हर रोज़ तीन – चार पशुओं को मार देता था। जंगल के पशु उससे बड़े दु:खी थे। एक दिन सब पशुओं ने मिलकर उससे प्रार्थना की कि आप हमारा विनाश न करें। हम प्रतिदिन एक – एक पशु भेज दिया करेंगे। शेर मान गया। इस प्रकार प्रतिदिन बारी – बारी एक – एक पशु जाने लगा।

एक दिन एक खरगोश की बारी आई। खरगोश ने शेर को मारने का निश्चय किया। मार्ग में उसने एक कुएँ में अपनी परछाईं देखी। उसने शेर को कुएँ में गिराने का निश्चय किया। उसने सोचा, “यदि मुझे मर ही जाना है तो शेर के आगे गिड़गिड़ाने से क्या लाभ होगा। क्यों न मज़े – मज़े जाऊँ।” ऐसा सोचते – सोचते वह शेर के पास पहुँचा। देरी से आने के कारण शेर ने भी ज़ोर से उससे पूछा – “देर से क्यों आए हो ?” खरगोश बोला, महाराज यह मेरा कसूर नहीं है। मैं आ रहा था तो किसी दूसरे शेर ने भी मुझे ज़बरदस्ती पकड़ लिया। परन्तु उसके आगे फिर आने की प्रतिज्ञा करके मैं स्वामी को निवेदन करने आया हूँ।

यह सुनकर शेर कुछ डर गया और बोला – क्या कोई दूसरा शेर भी इस जंगल में है ? खरगोश ने हाँ में उत्तर दिया। शेर फिर बोला चल पहले मुझे दिखा वह दुष्टात्मा कहाँ ठहरा है ? पहले उसी का काम तमाम कर लूँ। खरगोश उसे कुएँ पर ले गया और उसमें उसकी परछाईं दिखा दी। शेर क्रोध में भर कर दहाड़ने लगा। उत्तर में परछाईं ने भी दहाड़ दी। इस प्रकार उस परछाईं को दूसरा शेर समझ कर उसने अपने को कुएँ में गिरा दिया और वह मर गया।

शिक्षा –

  • बुद्धि बल से बड़ी है।

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खरगोश और कछुआ

किसी वन में खरगोश और कछुआ पक्के मित्र रहते थे। खरगोश अपनी तेज़ दौड़ का अभिमान करता था। एक दिन दोनों सैर को निकले। खरगोश तेज़ चलता तो कछुआ धीरे धीरे। खरगोश ने कछुए से कहा – भाई कछुए तुम तो बहुत सुस्त हो। यहि मेरे साथ दौड़ लगाओ तो मैं तुम्हें बुरी तरह हरा सकता हूँ। कछुआ भी अपनी बुराई सहन न कर सका। उसने दौड़ लगाना स्वीकार कर लिया।

दोनों की दौड़ शुरू हो गई। खरगोश इतना तेज़ भागा कि कछुआ बहुत पीछे रह गया। रास्ते में एक सुन्दर बगीचे को देखकर खरगोश ने सोचा क्यों न कुछ देर यहाँ आराम कर लिया जाए। जब कछुआ यहाँ आएगा फिर दौड़ लगा लूँगा और उससे पहले तालाब पर पहुँच जाऊँगा। यह सोचकर खरगोश वहाँ लेट गया। ठण्डी – ठण्डी वायु चल रही थी। लेटते ही उसे नींद आ गई। थोड़ी देर के बाद कछुआ भी वहाँ आ गया। खरगोश को सोता देखकर वह चुपके से आगे निकल गया। धीरे – धीरे वह तालाब पर पहले पहुँच गया।

खरगोश की जब नींद खुली तो उसने सोचा कछुआ अभी पीछे ही होगा। उसने फिर दौड़ना शुरू कर दिया। जब वह तालाब पर पहुँचा तो कछुआ पहले ही वहाँ पहुँचा हुआ था। यह देखकर वह बहुत लज्जित हुआ।

शिक्षा –

  • सहज पके सो मीठा होय।
  • घमण्डी का सिर नीचा।

दो बिल्लियाँ और बन्दर

किसी नगर में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन उन्हें रोटी का एक टुकड़ा मिला। वे इसे लेकर आपस में लड़ने लगीं। वे उसे आपस में समान भागों में बाँटना चाहती थीं लेकिन उन्हें कोई ढंग न मिला।

उसी समय एक बन्दर उधर आ निकला। वह बहुत चालाक था। उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई। वह तराजू ले आया और बोला, “लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ।’ उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक एक पलड़े में रख दिए। जिस पलड़े में रोटी अधिक होती बन्दर उसे थोड़ी – सी तोड़ कर खा लेता। इस प्रकार थोड़ी – सी रोटी रह गई। अब बिल्लियों को अपनी गलती तथा बन्दर की चालाकी का पता चला तो उन्होंने बन्दर से अपनी रोटी वापिस मांगी। लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी को अपना मेहनताना बताते हुए उस टुकड़े को भी अपने मुँह में डाल लिया। बिल्लियाँ मुँह देखती रह गईं।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानियाँ (2nd Language)

शिक्षा –

  • आपस में लड़ना – झगड़ना अच्छा नहीं।

दो मित्र और रीछ

एक बार दो मित्र इकटे व्यापार करने घर से चले। दोनों ने एक – दूसरे को वचन दिया कि वे मुसीबत के समय एक – दूसरे की सहायता करेंगे। चलते – चलते दोनों एक भयंकर जंगल में जा पहुँचे।

जंगल बहुत विशाल तथा घना था। दोनों मित्र सावधानी से जंगल में से गुजर रहे थे। एकाएक उन्हें सामने से एक रीछ आता हुआ दिखाई दिया। दोनों मित्र भयभीत हो गए। उस रीछ को पास आता देखकर एक मित्र जल्दी से वृक्ष पर चढ़कर पत्तों में छिप कर बैठ गया। दूसरे मित्र को वृक्ष पर चढ़ना नहीं आता था। वह घबरा गया। परन्तु उसने सुन रखा था कि रीछ मरे हुए आदमी को नहीं खाता। वह झट अपनी साँस रोक कर भूमि पर लेट गया।

रीछ ने पास आकर उसे सूंघा और मरा हुआ समझ कर वहाँ से चला गया। कुछ देर बाद पहला मित्र वृक्ष से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्र से कहा – “उठो, रीछ चला गया। यह बताओ कि उसने तुम्हारे कान में क्या कहा था ?” भूमि पर लेटने वाले मित्र ने कहा कि “रीछ केवल यही कह रहा था कि स्वार्थी मित्र पर विश्वास मत करो।”

शिक्षा –

  • मित्र वह है जो विपत्ति में काम आए।
  • स्वार्थी मित्र से हमेशा दूर रहो।

एकता में बल है

किसी गाँव में एक बूढ़ा किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे। वे चारों बहुत आलसी थे। आपस में लड़ते – झगड़ते रहते थे। किसान ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन व्यर्थ। एक दिन उसने अपने चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया तथा एक लकड़ियों का गट्ठा लाने को कहा। वे लकड़ियों का गट्ठा ले आएं। उसने हर एक लड़के को वह गट्ठा तोड़ने के लिए दिया लेकिन कोई भी उसे न तोड़ सका। तब उसने गट्ठा खोलकर एक – एक लकड़ी सभी को तोड़ने को दी जिसे उन्होंने आसानी से तोड़ दिया। तब उसने उन्हें समझाया, “अगर तुम इन लकड़ियों की तरह इकट्ठे रहोगे तो तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। अगर तुम अकेले – अकेले रहोगे तो लोग तुम्हें नष्ट कर देंगे। अतः तुम सब इकट्ठे रहो। लड़ना झगड़ना नहीं। एकता में ही बल है।” यह सुनकर वे सब मिल – जुल कर रहने लगे।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानियाँ (2nd Language)

शिक्षा –

  • मिल – जुल कर रहना चाहिए।
  • एकता में बल है।

अंगूर खट्टे हैं

एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की तलाश मैं इधर – उधर भटकती रही पर कहीं से भी उसे भोजन न मिला। अन्त में वह एक बाग़ में पहुँची। वहाँ उसने अंगूर की बेल पर अंगरों के कुछ गुच्छे देखे। वह उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुई। वह उन अंगों को खाना चाहती थी। अंगूर बहुत ऊँचे थे। वह उन्हें पाने के लिए ऊँची – ऊँची छलांगें लगाने लगी। किन्तु अनेक कोशिशों के पश्चात् भी वह उन सकी। वह बहुत थक चुकी थी। आखिर वह बाग़ से बाहर जाती हुई कहने लगी कि अंगूर खट्टे हैं। यदि मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार हो जाऊँगी।

शिक्षा –

  • जो चीज़ प्राप्त न कर सको , उसे बुरा मत कहो।

शेर और चूहा

एक दिन गर्मी बहुत पड़ रही थी। एक शेर शिकार ढूंढते – ढूंढते थक गया। उसने एक छायादार वृक्ष देखा और उसके नीचे सो गया। पास ही एक चूहे का बिल था। थोड़ी देर बाद चूहा अपने बिल से बाहर निकला। वह शेर के शरीर पर चढ़ कर कूदने लगा। शेर जाग पड़ा और उसने चूहे को अपने पंजे में पकड़ लिया। चूहा बहुत चालाक था। यह घबराया नहीं उसने शेर से कहा – “महाराज आप जंगल के राजा हैं। मैं छोटा – सा जीव हैं। मुझे मारना आपको शोभा नहीं देता। आप दया करके मुझे छोड़ दें। कभी मैं भी आपके काम आ सकता हूँ।” यह सुन कर शेर हँस पड़ा और उसने चूहे को छोड़ दिया।

कुछ दिनों के बाद उस जंगल में एक शिकारी आया। वह शेर शिकारी के जाल में फँस या। उसने अपने आपको जाल से छुड़ाने की बहुत कोशिश की, परन्तु वह सफल न हो सका। अन्त में वह ज़ोर – ज़ोर से दहाड़ने लगा। उसी चूहे ने शेर की आवाज़ को पहचान प्लया। वह झट जाल के पास गया। उसने कुछ ही देर में अपने तेज़ दाँतों से जाल को काट दिया और शेर की जान बचाई। शेर ने उसका धन्यवाद किया।

शिक्षा –

  • किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।
  • कर भला हो भला।

झूठा गडरिया

किसी गाँव में एक गडरिया रहता था। वह प्रतिदिन भेड़ों को चराने के लिए जंगल में जाता था। सायंकाल को वह सब भेड़ों के साथ गाँव को लौट आता था। एक दिन पडरिया बालक को गाँव वालों से मज़ाक करने की सूझी। उसने एक ऊँचे टीले पर चढ़कर भेडिया आया ! भेडिया आया!! बचाओ! बचाओ!! की आवाज़ दी। उसकी इस पुकार को सुनकर गाँव वाले हाथों में लाठियाँ लिए दौड़ते हुए जंगल में आए। उनको देखकर गडरिया बालक हँस पड़ा। उसने कहा मैंने तो मजाक किया था। उसकी इस बात से गाँव वाले उस नाराज़ होकर वापिस चले गए। एक – दो बार उसने फिर वैसा ही किया।

एक दिन जब गडरिया भेड़ें चरा रहा था तो अचानक ही सचमुच एक भेड़िया वहाँ आ या। बालक ने खूब शोर मचाया पर गाँव वालों ने समझा कि वह मज़ाक कर रहा है सीलिए इस बार कोई भी उसकी सहायता के लिए नहीं आया। भेड़िये ने बहुत – सी भेड़ें पार दी। गडरिये ने वृक्ष पर चढ़ कर अपनी जान बचाई।

PSEB 6th Class Hindi रचना कहानियाँ (2nd Language)

शिक्षा –

  • झूठे व्यक्ति पर कोई विश्वास नहीं करता।
  • कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज : सब्जियां

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 18 रसोई का ताज : सब्जियां Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 18 रसोई का ताज : सब्जियां (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB रसोई का ताज : सब्जियां Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज : सब्जियां

रसोई का ताज : सब्जियां अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज सब्जियां 1
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज सब्जियां 2
उत्तर :
विद्यार्थी इन शब्दों का लेखन अभ्यास करें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज : सब्जियां

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज सब्जियां 3
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज सब्जियां 4
उत्तर :
विद्यार्थी ऊपर दिए गए हिन्दी शब्दों को समझें और लिखने का अभ्यास करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

(क) आलू ने अपने किस रूप को पूर्ण आहार कहा?
उत्तर :
आलू ने अपने उबले हुए रूप को पूर्ण आहार कहा।

(ख) टमाटर ने किन रोगियों को अपना सेवन करने से मना किया है?
उत्तर :
टमाटर ने पथरी के रोगियों को अपना सेवन करने से मना किया।

(ग) घीये को शरीर के किस भाग पर मलने से शरीर की गर्मी दूर होती है?
उत्तर :
घीये को तलवों पर मलने से शरीर की गर्मी दूर होती है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज : सब्जियां

(घ) पीलिया और शूगर के रोगियों के लिए किस का रस वरदान से कम नहीं है? पाठ के आधार पर बतायें।
उत्तर :
पीलिया और शूगर के रोगियों के लिए करेले का रस वरदान से कम नहीं है।

(ङ) किस सब्जी के सिर पर ताज़ लगा होता है? पाठ के आधार पर बतायें।
उत्तर :
बैंगन के सिर पर ताज लगा होता है।

(च) किस सब्जी ने कहा कि मुझमें लौह तत्व होता है?
उत्तर :
बैंगन ने कहा कि मुझमें लौह तत्व होता है।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार वाक्यों में दें :

(क) आलू ने अपने आपको सब्जियों का राजा क्यों कहा?
उत्तर :
आल ने कहा कि रसोई में सबसे ज्यादा प्रयोग मेरा होता है। प्रत्येक सब्जी के साथ मेरा उपयोग होता है। सभी मुझे पसन्द करते हैं। रायता, परांठा, समोसे, टिक्की, चाट, पकौड़े तथा चिप्स सभी मुझसे ही बनते हैं। इसलिए मैं सब्जियों का राजा हूँ।

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(ख) आलू ने ज़रूरत से ज़्यादा अपना प्रयोग करने से क्यों मना किया?
उत्तर :
आलू ने ज़रूरत से ज्यादा अपना सेवन करने से मना इसलिए किया क्योंकि इससे मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग हो सकता है।

(ग) टमाटर ने अपनी प्रशंसा कैसे की?
उत्तर :
टमाटर ने अपनी प्रशंसा करते हुए कहा, “मुझे देखो ! मेरा रूप कितना सुन्दर है। मेरा लाल-लाल रंग सभी को लुभाता है। मैं जहाँ एक और रक्त निर्माण करता हूँ वहीं रक्त साफ करने में भी सहायक हूँ। मैं जिगर को मजबूत बनाता हूँ और भूख बढ़ाता हूँ।”

(ङ) घीये को किन लोगों से शिकायत है? उसने अपने सेवन के क्या-क्या तरीके बताये?
उत्तर :
घीये को उन लोगों से शिकायत है जो इसे खरीदकर ले तो जाते हैं लेकिन इसकी सब्जी खाने में नाक सिंकोड़ते हैं। रायता, कोफ़ते तथा हलवा के रूप में भी घीये
का सेवन किया जा सकता है।

(च) करेले ने अपने आपको गुणकारी क्यों कहा?
उत्तर :
करेले ने अपने आपको गुणकारी मानते हुए कहा कि मैं पचने में हल्का हूँ। मैं भूख बढ़ाने, भोजन पचाने वाला हूँ। मेरे सेवन से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं तथा रक्त भी साफ होता है। पीलिया और शूगर के रोगियों के लिए तो मैं वरदान से कम नहीं हूँ।

(छ) पुदीने ने अपने आपको गुणों की खान क्यों कहा?
उत्तर :
पुदीने ने अपने गुणों का बखान करते हुए बताया कि मैं गर्मी के कारण होने वाले रोगों जैसे उल्टियाँ, खट्टी डकारें की छुट्टी कर देता हूँ। मेरे सामने इनकी एक नहीं चलती। चटनी के रूप में तो मैं बहुत लोकप्रिय हूँ।

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5. पाठ के आधार पर बतायें कि ये बातें सही (✔) हैं या गलत (❌)

  1. आलू में विटामिन ए तथा प्रोटीन होता है। [ ✔ ]
  2. प्याज़ में कैल्शियम तथा आयरन नहीं होता। [ ]
  3. टमाटर का सूप भूख घटाने वाला है। [ ]
  4. मूली के पत्ते फेंक देने चाहिएं। [ ]
  5. हरी सब्जियाँ बहुत ही गुणकारी होती हैं। [ ]
  6. करेला रक्त शोधक भी होता है। [ ]
  7. पुदीने के सेवन से खट्टी डकारें आती हैं। [ ]

उत्तर :

  1. आलू में विटामिन ए तथा प्रोटीन होता है। [ ✔ ]
  2. प्याज़ में कैल्शियम तथा आयरन नहीं होता। [ ]
  3. टमाटर का सूप भूख घटाने वाला है। [ ]
  4. मूली के पत्ते फेंक देने चाहिएं। [ ]
  5. हरी सब्जियाँ बहुत ही गुणकारी होती हैं। [ ✔ ]
  6. करेला रक्त शोधक भी होता है। [ ✔ ]
  7. पुदीने के सेवन से खट्टी डकारें आती हैं। [ ]

6. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ दे दिए गए हैं। इन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :

मुहावरा – अर्थ – वाक्य

  1. शेखी बघारना – अपने मुँह अपनी बड़ाई करना – __________________
  2. नाक सिकोड़ना – घृणा प्रकट करना – __________________
  3. राग अलापना – अपनी ही बात कहते रहना और दूसरों की न सुनना, किसी चीज़ की रट लगाना – __________________
  4. एक न चलना – कोई युक्ति (उपाय) सफल न होना – __________________

उत्तर :

  1. शेखी बघारना-अपने मुँह अपनी बड़ाई करना-शेखी बघारने वाले को कोई भी पसन्द नहीं करता।
  2. नाक सिंकोड़ना-घृणा प्रकट करना-बच्चे घीये की सब्जी देखकर नाक सिंकोडने लगते हैं।
  3. राग अलापना-अपनी ही बात कहते रहना और दूसरों की न सुनना-पिता जी के सामने मोहन अपना ही राग अलापने लगा।
  4. एक न चलना-कोई युक्ति (उपाय) सफल न होना-सेठ जी के सामने नौकर की एक न चली।

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7. सोचिए और लिखिए :

1. आपके विचार में क्या आलू सचमुच सब्जियों का राजा है?
उत्तर :
आल सचमुच ही सब्जियों का राजा है। इसका उपयोग प्रत्येक सब्जी के साथ होता है। बिना इसके कोई भी सब्जी अधूरी है। इसका उपयोग कई रूपों में होता है। परांठे, चाट, टिक्की, चिप्स सब इसी से बनते हैं। अत: यह सब सब्जियों का राजा है।

2. सूप में किन-किन सब्जियों का प्रयोग होता है?
उत्तर :
सूप में अनेक सब्जियों का प्रयोग होता है। मूली, पालक, टमाटर, गाजर के अतिरिक्त करेले और घीए का उपयोग भी सूप में होता है।

3. सलाद के रूप में किन-किन सब्जियों का प्रयोग होता है?
उत्तर :
मूली, खीरा, गाजर, प्याज, टमाटर, चकुन्दर आदि सब्जियों का प्रयोग सलाद के रूप में होता है। सहायक क्रिया-रसोई में जाकर अपनी माता जी की सहायता से सलाद काटना सीखें और सजाएं।

8. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें :

अनेक शब्द – एक शब्द

  1. सरलता से पचने वाला – ___________________
  2. लाभ पहुँचाने वाला – __________________
  3. जनसाधारण को पसंद आने वाला – __________________
  4. बहुत स्वाद वाला – __________________
  5. पुष्ट करने वाला – __________________

उत्तर :

  1. सरलता से पचने वाला – सुपच/सुपच्य।
  2. लाभ पहुंचाने वाला – लाभकारी/लाभदायक।।
  3. जनसाधारण को पसंद आने वाला – लोकप्रिय।
  4. बहुत स्वाद वाला – स्वादिष्ट।
  5. पुष्ट करने वाला – पौष्टिक।

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सहायक क्रिया :

रसोई में जाकर अपनी माता जी की सहायता से सलाद काटना सीखें और उसे सजाकर परोसें।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन के लिए क्या ज़रूरी है ?
(क) पेड़
(ख) भोजन
(ग) नींबू
(घ) पानी।
उत्तर :
(क) पेड़

प्रश्न 2.
कवि ने फुलवारी में कौन से पौधे लगाने को कहा हैं ?
(क) नींबू
(ख) अनार और अनार
(घ) टमाटर।
उत्तर :
(ख) अनार और अनार

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प्रश्न 3.
कवि के अनुसार मानव ने हँसना किससे सीखा ?
(क) फूलों से
(ख) पेड़ों से
(ग) मनुष्यों से
(घ) पक्षियों से।
उत्तर :
(क) फूलों से

प्रश्न 4.
पेड़ हमें क्या-क्या देते हैं ?
(क) फल
(ख) फूल
(ग) आक्सीजन
(घ) सभी।
उत्तर :
(घ) सभी।

रसोई का ताज : सब्जियां Summary in Hindi

रसोई का ताज : सब्जियां पाठ का सार

लेखक ने लघु नाटिका में नौ अलग-अलग बच्चों को अलग-अलग सब्जियों के मुखौटे। दर्शाया है जिनमें आलू सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण मान कर शेखी बघारता है कि वह सब्जियों का राजा है। उसका उपयोग रसोई में सबसे अधिक होता है। विटामिन और प्रोटीन से युक्त वह बाजार में बारह महीने मिलता है। प्याज ने टोकते हुए उस पर आरोप लगाया कि लोगों में मोटापे का कारण तो वही है। वह भी तो बारह महीने बिकता है और उसके गुण भी अधिक हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज सब्जियां 5

टमाटर ने कहा कि वह रक्त-निर्माण करता है, जिगर को मज़बूत बनाता है और देखने में बहुत सुन्दर है। उसके सूप से भूख बढ़ती है। घीया ने अपने रंग रूप और रस की प्रशंसा की। करेले ने बताया कि वह पचने में हल्का है। पीलिया और शूगर के रोगियों के लिए उसका रस किसी वरदान से कम नहीं।

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वह खून को साफ भी करता है। मूली ने बताया कि उसके पत्ते तक उपयोगी होते हैं। वह पेट के विकारों और पीलिया के रोगियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती है। बैंगन ने स्वयं को अपने मुकुट के कारण सरताज बताया उसमें लोह मात्रा अधिक होती है। शलगम और पुदीने ने भी अपनी-अपनी प्रशंसा की। उसी समय घर की मालकिन अंदर आई। उसने उन सबको उठाया और उनका अलग-अलग तरह से प्रयोग कर लिया।

रसोई का ताज : सब्जियां कठिन शब्दों के अर्थ :

  • मुखौटे = आवरण, नकली चेहरा।
  • बारहमास = सारा साल।
  • निराली = अद्भुत, अनोखी।
  • कसूर = दोष।
  • सेवन = उपयोग।
  • सदाबहार = हर समय मिलने वाला।
  • प्रवाह = बहाव।
  • गंध = बदबू।
  • निर्माण = बनाना।
  • ग्राहक = खरीदने वाला।
  • लालायित = इच्छुक।
  • सुपाच्य = जल्दी से पच जाने (हज़म होने) वाला।
  • नाक सिंकोड़ना = नफ़रत करना।
  • तलवों = पैर के निचले हिस्सों।
  • मलना = रगड़ना।
  • गुणकारी = लाभकारी।
  • समझदार = समझ रखने वाले, बुद्धिमान।
  • रक्त-शोधक = खून साफ़ करने वाला।
  • चूक = गलती।
  • विकार = रोग। PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 18 रसोई का ताज : सब्जियां
  • राग अलापना = अपनी तारीफ़ करना।
  • श्याम वर्ण = काला रंग।
  • विजय = जीत।

PSEB 6th Class Hindi रचना निबंध लेखन (2nd Language)

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PSEB 6th Class Hindi Rachana निबंध लेखन(2nd Language)

श्री गुरु नानक देव जी

श्री गुरु नानक देव जी सिक्खों के पहले गुरु थे। इनका जन्म सन् 1469 ई० में तलवण्डी नामक गाँव में हआ। इसके पिता जी का नाम मेहता काल राय और माता का नाम तप्ता देवी था।

वह बचपन से ही प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। इसलिए उनका मन पढ़ने में नहीं लगता था। एक बार पिता जी ने इनको कुछ रुपए दिए और सौदा ले आने को कहा। मार्ग में इन्होंने भूखे साधुओं को भोजन करा दिया और खाली हाथ लौट आए। फिर इनके पिता जी ने इनको सुलतानपुर में बहिन नानकी के पास भेज दिया, जहाँ इन्होंने मोदीखाने में नौकरी की। यहाँ भी वह अपना वेतन ग़रीबों और साधु-सन्तों में बाँट देते थे।

गुरु नानक देव जी का विवाह बटाला निवासी मूलचन्द की सुपुत्री सुलक्खणी जी के साथ हुआ। इनके दो पुत्र हुए-श्रीचन्द और लखमी दास। इन्होंने अनेक स्थानों की यात्राएँ की। इनकी यात्राओं को ‘उदासियों’ का नाम दिया गया। इन्होंने स्थान-स्थान पर लोगों को उपदेश दिया और अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। वह मक्का-मदीना भी गए। इन्होंने ईश्वर को निराकार बताया और कहा कि ईश्वर एक है। हम सब भाई-भाई हैं। सदा सच बोलना चाहिए। इनकी वाणी गुरु ग्रन्थ साहिब में शामिल है। अन्त में वह करतारपुर में आ गए और वहीं ईश्वर का भजन करते हुए ज्योति जोत समा गए।

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श्री गुरु तेग बहादुर जी

सिखों के नवम् गुरु श्री गुरु तेग़ बहादुर जी का आत्म-बलिदान इतिहास की एक अद्भुत घटना है। गुरु जी का जन्म 1 अप्रैल, सन् 1621 ई० में हुआ। आपके सुपुत्र श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी थे। आप शुरू से ही प्रभु के भक्त थे। आप में भलाई की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी।

एक बार कश्मीर का शासक ब्राह्मणों पर घोर अत्याचार कर रहा था। वह ब्राह्मणों को जबरदस्ती मुसलमान बनाना चाहता था। तब दुःखी ब्राह्मण गुरु जी के पास आए और उन्हें अपने दुःख का कारण बताया। गुरु तेग बहादुर जी चिन्ता में डूब गए। तभी पुत्र गोबिन्द राय ने चिन्ता का कारण पूछा। तब गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि किसी बड़े महान् बलिदान की आवश्यकता है। तब गोबिन्द राय ने कहा कि आप से बढ़कर कौन महान् है। अपने पुत्र के इस कथन से गुरु जी बहुत प्रसन्न हुए।

गुरु जी दिल्ली में औरंगजेब के दरबार में पहुँचे। उन्होंने औरंगजेब को काफ़ी समझाया। लेकिन इनके महान् उपदेश का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा। उसने गुरु जी को शहीद करने का हुक्म दे दिया। जैसे ही जल्लाद ने तलवार से गुरु जी पर प्रहार किया, आँधी चलने लगी। जीवन सिंह गुरु जी का शीश उठाकर ले गया। दो बनजारों ने गुरु जी का शव उठाकर घर को आग लगाकर उनका अन्तिम संस्कार कर दिया।

इस प्रकार गुरु जी ने अपने बलिदान से लोगों को यह प्रेरणा दी कि मौत से नहीं डरना चाहिए। सत्य की रक्षा के लिए उन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगा दी। इनका . बलिदान अमर रहेगा।

श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी श

गुरु गोबिन्द सिंह जी सिक्खों के दसवें गुरु थे। आपका जन्म सन् 1666 ई० में पटना में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री गुरु तेग़ बहादुर और माता का नाम गुजरी जी था। आपको बचपन से ही तीर चलाने और घुड़सवारी का शौक था। आपने फ़ारसी और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की। आप बहुत निडर और शक्तिशाली योद्धा थे।

केवल 9 वर्ष की आयु में पिता की शहीदी के बाद आप गुरुगद्दी पर बैठे। समाज में. फैले अत्याचारों को दूर करने के लिए आपने सन् 1699 ई० में खालसा पंथ की स्थापना की तथा पाँच प्यारों को अमृत छकाया। धर्म की रक्षा के लिए आपके चारों पुत्रों ने अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। आप सारे सिक्खों को अपने पुत्रों के समान समझते थे तथा उनसे प्रेम का व्यवहार करते थे।

अपने अन्तिम समय में आप दक्षिण चले गए। वहाँ से बन्दा बैरागी नामक आदमी को अपना उत्तराधिकारी बनाकर भेजा। सन् 1708 ई० में एक पठान ने आपके पेट में छुरा घोंप दिया जिसके कुछ दिन पश्चात् आप ज्योति-जोत समा गये। आप ने देश और धर्म के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इतिहास में आपका नाम हमेशा अमर रहेगा।

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महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के एक महान् एवं वीर सपूत थे। इतिहास में उनका नाम ‘शेरे-पंजाब’ के नाम से प्रसिद्ध है। महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 2 नवम्बर, सन् 1780 को गुजरांवाला में हुआ। आपके पिता सरदार महासिंह सुकरचकिया मिसल के मुखिया थे। आपकी माता राजकौर जींद की फुलकिया मिसल के सरदार की बेटी थी। आपका बचपन का नाम बुध सिंह था। सरदार महासिंह ने जम्मू को जीतने की खुशी में बुध सिंह की जगह अपने बेटे का नाम रणजीत सिंह रख दिया।

महाराजा रणजीत सिंह को वीरता विरासत में मिली थी। उन्होंने दस साल की उम्र में गुजरात के भंगी मिसल के सरदार साहिब को लड़ाई में कड़ी हार दी थी। उस समय रणजीत सिंह के पिता महासिंह अचानक बीमार हो गए थे। इस कारण सेना की बागडोर रणजीत सिंह ने सम्भाली थी।

महाराजा रणजीत सिंह की छोटी उम्र में ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी। इस कारण ग्यारह साल की उम्र में उन्हें राजगद्दी सम्भालनी पड़ी। पन्द्रह साल की उम्र में महाराजा रणजीत सिंह का विवाह कन्हैया मिसल के सरदार गुरबख्श सिंह की बेटी महताब कौर से हुआ। इन्होंने दूसरा विवाह नकई मिसल के सरदार की बहन से किया।

महाराजा रणजीत सिंह ने बड़ी चतुराई से सभी मिसलों को इकट्ठा किया और हकमत अपने हाथ में ले ली। 19 साल की उम्र में आपने लाहौर पर अधिकार कर लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया। धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, मुलतान, पेशावर आदि सब इलाके अपने अधीन करके एक विशाल पंजाब राज्य की स्थापना की। आपने सतलुज की सीमा तक सिक्ख राज्य की जड़ें पक्की कर दी।

महाराजा रणजीत सिंह एक कुशल प्रशासक तथा न्यायप्रिय राजा थे। आप अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे। सभी जातियों के लोग आपकी सेना में अफसर थे। प्रशासन चलाने में आपका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था। आप सभी धर्मों को आदर की दृष्टि से देखते थे। यही कारण है कि सन् 1839 में आपकी मृत्यु पर सभी धर्मों के लोगों ने आपकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की।

लाला लाजपत राय

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय भारत के वीर शहीदों में सबसे आगे हैं। लाला जी का के दुढिके ग्राम में सन् 1865 ई० में हुआ। इनके पिता लाला राधाकृष्ण एक अध्यापक थे। मैट्रिक परीक्षा में वज़ीफा प्राप्त कर वे गवर्नमेंट कॉलेज में प्रविष्ट हुए। एम० ए० पास करके फिर इन्होंने वकालत पास की। फिर हिसार में वकालत शुरू की।

इनमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। देश की स्वतन्त्रता के लिए इन्होंने आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। वे इंग्लैण्ड भी गए। वहाँ से वापस आकर इन्होंने बंग-भंग आन्दोलन में भाग लिया जिस कारण इनको जेल यात्रा करनी पड़ी। फिर यूरोप और अमेरिका की यात्रा की।

सन् 1928 ई० में साइमन कमीशन भारत आया। तब इन्होंने उसका काली झण्डियों से स्वागत किया। पुलिस ने इन पर लाठियाँ बरसाईं। लाला जी की छाती पर कई चोटें आईं। इन घावों के कारण वे 17 नवम्बर, सन् 1928 को संसार से सदा के लिए विदा हो गए। इन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। भारत इनके महान् बलिदान को हमेशा याद रखेगा।

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महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी भारत के महान नेताओं में से एक थे। इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को पोरबन्दर (गुजरात) में हुआ। इनके पिता का नाम कर्मचन्द गांधी और माता का नाम पुतली बाई था जो एक धार्मिक स्वभाव की स्त्री थी। इन्होंने मैट्रिक परीक्षा पोरबन्दर में ही पास की। फिर आप बैरिस्ट्री (वकालत) की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे तथा मुम्बई (बम्बई) में वकालत शुरू की। किसी मुकद्दमे के सिलसिले में ये दक्षिणी अफ्रीका गए। वहाँ भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों का दुर्व्यवहार देखकर वे बहुत दु:खी हुए।

सन् 1915 में भारत वापस आकर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन चलाया। सन् 1928 में साइमन कमीशन का बायकॉट किया। देश के आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लेने के कारण कई बार जेल गए सन् 1947 में अपने अहिंसा के शस्त्र से इन्होंने देश को आजाद करवाया। सारा देश इन्हें बापू गांधी कहता है। वे सारे राष्ट्र के पिता थे। 30 जनवरी, सन् 1948 को वे नाथू राम गोडसे की गोली का शिकार हो गए जिससे इनकी मृत्यु हो गई। गांधी जी मर कर भी अमर हैं। हमें गांधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

पंडित जवाहर लाल नेहरू

पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमन्त्री थे। इनका जन्म 14 नवम्बर, सन् 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता का नाम मोती लाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी था। इनका बचपन बड़े लाड़-प्यार से बीता। 15 वर्ष की आयु में ये इंग्लैण्ड गए। पहले ये हैरो स्कूल में पढ़े फिर कैम्ब्रिज में। वहाँ से बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे।

वापस आने पर इनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। पति-पत्नी दोनों ने बढ़-चढ़ देश के कार्यों में भाग लेना शुरू कर दिया। इनमें शुरू से ही देश प्यार कूट-कूट कर भरा हुआ था। देश को स्वतन्त्र कराने के लिए इन्हें कई बार कारावास का दण्ड मिला। सन् 1942 में कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो’ का नारा लगाया। अन्य नेताओं के साथ-साथ नेहरू जी भी कारावास में बन्द कर दिये गए। सन् 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो ये प्रधानमन्त्री बने। ये सादगी को पसन्द करते थे। ये शान्ति के अवतार और प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे। बच्चे प्यार से इन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहते थे। 27 मई, सन् 1964 को पं० जवाहर लाल नेहरू स्वर्ग सिधार गए। उन्होंने देश के लिए जितने कष्ट सहन किए, उनकी कोई तुलना नहीं हो सकती। वे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे।

अमृतसर का हरिमन्दिर साहिब

सिक्खों के चौथे धर्म गुरु रामदास जी द्वारा अमृतसर की स्थापना हुई। अमृतसर का अर्थ है-अमृत+सर अर्थात् अमृत का तालाब। गुरु रामदास जी के बाद उनके सपुत्र अर्जन देव 157 जी ने इस मन्दिर का विकास किया। सिक्ख धर्म के पवित्र ग्रन्थ ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ को मन्दिर में प्रतिष्ठित करने का श्रेय भी गुरु अर्जन देव जी को ही है। सिक्खों ने जब राजनीतिक क्षेत्र में प्रगति की तो इस मन्दिर को भव्य रूप दिया जाने लगा। महाराजा रणजीत सिंह के राज्य में इस मन्दिर ने प्रगति की। इसे ‘दरबार साहिब’ तथा ‘हरिमन्दिर साहिब’ का नाम दिया गया है।

हरिमन्दिर साहिब की शोभा भी अद्वितीय है। मन्दिर के बाहर का दृश्य भी बड़ा सुन्दर है। यहां अनेक दुकानें हैं। मन्दिर के भीतर का दृश्य मुग्धकारी है। मन्दिर विशाल सरोवर से घिरा हुआ है। मन्दिर का सारा क्षेत्र संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है। आंगन पार करने पर ऊंचा ध्वज स्तम्भ है जिस पर केसरिया ध्वज हवा में बातें करता है। एक बड़ा नगाड़ा भी है जिसके द्वारा सायंकाल तथा प्रात:काल की प्रार्थनाओं की घोषणा की जाती है।

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दिनभर यहां भजन, कीर्तन की गूंज रहती है। मन्दिर की तीन मंजिलें हैं। नीचे की मंज़िल में एक स्वर्ण जड़ित सिंहासन पर ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी’ सुशोभित होते हैं। मन्दिर का भीतरी भाग अत्यन्त सुन्दर है। यह सोने, चांदी और पच्चीकारी से मढ़ा हुआ है। मन्दिर के कुछ अपने नियम हैं जिनका श्रद्धालुओं को पालन करना पड़ता है। विशेष अवसरों पर मन्दिर को विशेष ढंग से सजाया जाता है। इसको फूलों की तोरण तथा बिजली की रोशनी से सजा कर अलौकिक रूप दिया जाता है।

अमृतसर का हरिमन्दिर साहिब भारतीय संस्कृति, कला तथा धर्म का प्रत्यक्ष रूप है। यह सिक्खों की धर्म के प्रति आस्था को प्रकट करता है। इसके साथ ही यह एक युग के इतिहास की याद भी दिलाता है। इसके माध्यम से ही सिक्ख गुरुओं तथा अनेक शिष्यों का योगदान प्रशंसनीय रहा है। ऐसे धार्मिक स्थान हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। ये स्थान हमारे मन में आस्तिकता की भावना और अपनी संस्कृति की रक्षा के भाव जगाते हैं। ऐसे स्थानों का सम्मान और उनकी रक्षा करना प्रत्येक भारतवासी का परम कर्त्तव्य है।

अमृतसर का हरिमन्दिर साहिब एक पावन तीर्थ स्थल है। वहां जाकर हृदय को अपूर्व शान्ति मिलती है। श्रद्धालु वहां जाकर जो कुछ मांगते हैं, उनकी आशाएं पूर्ण होती हैं। भला भगवान् के दरबार से कोई खाली लौट सकता है? इस सरोवर का अमृत जल जो पीता है उसका मन स्वच्छता के निकट पहुंचने लगता है।

हमारा देश

हमारे देश का नाम भारत है। यह हमारी मातृभूमि है। दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इसका भारत नाम पड़ा। यह एक विशाल देश है। जनसंख्या की दृष्टि से यह संसार में दूसरे स्थान पर है। इसकी जनसंख्या 125 करोड़ से ऊपर हो गई है। यहाँ पर अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।

भारत के उत्तर में हिमालय है और शेष तीनों ओर समुद्र है। इस पर अनेक पर्वत, नदियाँ, मैदान और मरुस्थल हैं। स्थान-स्थान पर हरे-भरे वन इसकी शोभा हैं। यह एक खेती-प्रधान देश है। यहाँ की 70% जनता गाँवों में रहती है। यहाँ गेहूँ, मक्का, बाजरा, ज्वार, चना, गन्ना आदि फसलें होती हैं। यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है। गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ बहती हैं। इसकी भूमि से लोहा, कोयला, सोना आदि कई प्रकार के खनिज पदार्थ निकलते हैं।

यहाँ पर कई धर्मों के लोग निवास करते हैं। सभी प्रेम से रहते हैं। यहाँ पर अनेक तीर्थ हैं। ताजमहल, लाल किला, सारनाथ, शिमला, मसूरी, श्रीनगर आदि प्रसिद्ध स्थान हैं जो देखने योग्य हैं। यहाँ पर कई महापुरुषों ने जन्म लिया। श्रीराम, श्रीकृष्ण, गुरु नानक देव जी, दयानन्द, रामतीर्थ, तिलक, गांधी आदि इस देश की शोभा थे। यह देश दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है। यहाँ के कारखानों में अब लगभग हर वस्तु तैयार होती है। इसके वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर अपना यान पहुँचा दिया है।

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हमारा पंजाब

पंजाब एक अनोखा प्रदेश है। इसे पाँच नदियाँ सींचती हैं। इस कारण इसे पंजाब (पंज + आब) कहा जाता है। इसकी राजधानी चण्डीगढ़ है। यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। पंजाब की भूमि बहुत उपजाऊ है। भारत की सबसे अधिक फसलें यहीं पर पैदा होती हैं। यहाँ पर सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब, जेहलम नदियाँ बहती हैं।

पंजाब के जवान स्वस्थ शरीर वाले, सुन्दर और उदार स्वभाव के हैं। उनमें स्वाभिमान कट-कट कर भरा हआ है। आजादी की लडाई में इन्होंने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। देश के प्रसिद्ध नेता लाला लाजपत राय, भगत सिंह इसी प्रान्त से सम्बन्ध रखते हैं। पंजाबी जवान देश की रक्षा के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा देते हैं।

पंजाब के लोग बहुत परिश्रमी और साहसी हैं। इसी कारण यह बड़ी उन्नति कर रहा है। यह उद्योगों में भी उन्नति कर रहा है। रेशमी कपड़े, हौज़री, खेलों के सामान और लोहे के सामान के लिए यह प्रसिद्ध है। खेलों में भी इस प्रान्त के लोग बहुत आगे हैं। जालन्धर में बना हुआ खेलों का सामान दुनिया भर के बाजारों में बिकता है। पंजाब का लकड़ी और धातु उद्योग भी बहुत प्रसिद्ध है। यही कारण है कि यह खुशहाली के रास्ते पर बढ़ रहा है। गुरुओं की धरती इस पंजाब पर मुझे गर्व है। इसके प्रति हमारे दिल में असीम प्यार है।

मेरा गाँव

मेरे गाँव का नाम ………….. है। यह होशियारपुर का सबसे बड़ा गाँव है। यहाँ की जनसंख्या पन्द्रह हज़ार है। यह होशियारपुर से छ: मील की दूरी पर स्थित है। यह पक्की सड़कों द्वारा शहर के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ पर रेल लाइन भी बिछी है जिस कारण यहाँ। के रहने वालों को आने-जाने में कोई मुश्किल नहीं होती।

इस गाँव में एक हाई स्कूल तथा एक प्राइमरी स्कूल भी है। यहाँ लड़के और लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करते हैं। यहाँ पर अधिकतर लोग खेती-बाड़ी करते हैं। वे नए ढंगों से खेती करते हैं। यहाँ सब लोग मिल-जुल कर रहते हैं।

मेरे गाँव में एक सरकारी अस्पताल भी है जहाँ पर रोगियों की देखभाल की जाती है। एक पंचायत घर भी है जहाँ लोगों को सच्चा न्याय मिलता है। यहाँ पर ट्यूबवैल और कुओं
आदि से खेती की जाती है। पानी का विशेष प्रबन्ध है।

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अधिकतर मकान कच्चे हैं। कुछ पक्के भी हैं। गाँव की गलियाँ पक्की बनी हुई हैं। लोग आपस में मिल-जुल कर रहते हैं। वे गाँव की सफ़ाई का पूर्ण ध्यान रखते हैं। मुझे अपने गाँव की मिट्टी के कण-कण से प्यार है तथा मैं इस पर गर्व करता हूँ।

मेरी पाठशाला (स्कूल)

मेरी पाठशाला का नाम …………………. है। यह एक बहुत बड़ी इमारत है। यह जी० टी० रोड पर स्थित है। इसमें 20 कमरें हैं। सभी कमरे खुले और हवादार हैं। प्रत्येक कमरे में दो खिड़कियाँ और दो-दो दरवाजे हैं। ये बहुत साफ़-सुथरे हैं।

पानी पीने के लिए यहाँ पर कई नलके लगे हुए हैं। पुस्तकें पढ़ने के लिए एक पुस्तकालय है। पाठशाला के सामने ही एक बागीचा है। यहाँ पर कई प्रकार के फूल लगे हैं जो पाठशाला की शोभा को चार चाँद लगा देते हैं। पाठशाला में अन्दर आते ही मुख्याध्यापक का दफ्तर है और दूसरी तरफ अध्यापकों का कमरा है। इनके साथ ही एक . साईंस रूम है। यहाँ बच्चों को क्रियात्मक कार्य करवाया जाता है।

मेरी पाठशाला में पच्चीस अध्यापक हैं जो बहुत योग्य हैं और परिश्रम से बच्चों को पढ़ाते हैं। वे मुख्याध्यापक का सम्मान करते हैं और बच्चों के साथ भी प्रेम का व्यवहार करते हैं। पाठशाला के पीछे एक खेल का मैदान है जहाँ पर बच्चे शाम को खेलते हैं। मेरी पाठशाला का परिणाम हर साल बहुत अच्छा निकलता है। अनुशासन और प्रेम का व्यवहार यहाँ पर सिखाया जाता है। मुझे अपनी पाठशाला पर गर्व है।

मेरा प्रिय अध्यापक

मेरे स्कूल में बहुत-से अध्यापक हैं लेकिन उन सब में से मुझे श्री वेद प्रकाश जी बहुत अच्छे लगते हैं। वह हमें हिन्दी पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाने का ढंग बहुत अच्छा है। वह एम० ए०, बी० एड० हैं। वह सभी विद्यार्थियों से स्नेह का व्यवहार करते हैं और पाठ को अच्छी तरह से समझाते हैं।

वह एक उच्च विचारों वाले और नम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं। वह सादगी को बहुत पसन्द करते हैं और बच्चों को भी सादा रहने का उपदेश देते हैं। वह सदा सच बोलते हैं। वह हमेशा समय पर स्कूल आते हैं। वह अन्य सभी अध्यापकों का तथा मुख्याध्यापक का बहुत सम्मान करते हैं। उनकी वाणी में मिठास है। वह किसी बच्चे को पीटते नहीं हैं बल्कि उन्हें प्यार से समझाते हैं। वह सिगरेट आदि का सेवन नहीं करते हैं।

वह बहुत रहम दिल हैं और वह कमजोर और ग़रीब बच्चों की सहायता करते हैं। वह बच्चों के सच्चे हित को चाहने वाले हैं। वह एक खिलाड़ी हैं और बच्चों को भी खेलने की प्रेरणा देते हैं। बच्चे उनकी शिक्षाओं से अच्छे बन सकते हैं। सभी विद्यार्थी उनका बहुत सम्मान करते हैं। मुझे उन पर गर्व है।

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मेरा मित्र

रमेश मेरा बहुत अच्छा मित्र है। वह मेरे साथ ही छठी कक्षा में पढ़ता है। उसकी आयु बारह साल के लगभग है। उसके पिता जी एक डॉक्टर हैं। उसकी माता जी एक धार्मिक स्वभाव की स्त्री हैं। वह उसे सदाचार की शिक्षा देती हैं।

रमेश पढ़ने में बहुत होशियार है। परीक्षा में वह सदा प्रथम रहता है। वह हमारे घर के पास ही रहता है। उसके पिता जी उसे और मुझे सुबह सैर करने ले जाते हैं। वह सुबह जल्दी ही उठ जाता है। वह प्रतिदिन स्नान करता है और समय पर स्कूल जाता है। वह सभी के साथ बड़ा नम्र व्यवहार करता है। वह हमेशा सादे कपड़े पहनता है और सदा सत्य बोलता है। उसका चेहरा हँसमुख और स्वभाव सरल है। वह किसी बुरे और शरारती लड़के की संगति नहीं करता है और मुझे भी बुरी संगति करने से रोकता है। वह कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करता है।

रमेश खेलों में भी बहुत रुचि लेता है। वह स्कूल की हॉकी टीम में खेलता है। वह शाम को खेलने जाता है। वह बड़ा स्वस्थ दिखाई देता है। रात को वह पढ़ता है। वह बड़ा मन लगाकर पढ़ाई करता है। इसी कारण वह हमेशा प्रथम रहता है। उसे कई इनाम भी मिल
चुके हैं। सभी अध्यापक उसे बहुत प्यार करते हैं। मुझे अपने इस मित्र पर गर्व है।

दशहरा

दशहरा प्रधान त्योहारों में से एक है। यह आश्विन मास की शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्री राम ने रावण पर विजय पाई थी। भगवान् राम के वनवास के दिनों में रावण छल से सीता को हर कर ले गया था। राम ने हनुमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता से लंका पर हमला किया तथा रावण को मार कर लंका पर विजय पाई। तभी से यह त्योहार मनाया जाता है।

दशहरा रामलीला का आखिरी दिन होता है। भिन्न-भिन्न स्थानों में अलग-अलग प्रकार से यह दिन मनाया जाता है। बड़े-बड़े नगरों में रामायण के पात्रों की झांकियाँ निकाली जाती हैं। दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के कागज़ के पुतले बनाए जाते हैं। सायंकाल के समय राम और रावण के दलों में बनावटी लड़ाई होती है। राम रावण को मार देते हैं। रावण आदि के पुतले जलाए जाते हैं। पटाखे आदि छोड़े जाते हैं। लोग मिठाइयाँ तथा खिलौने लेकर घरों को लौटते हैं।

इस दिन कुछ असभ्य लोग शराब पीते हैं और लड़ते हैं। यह ठीक नहीं। यदि ठीक ढंग से इस त्योहार को मनाया जाए तो बहुत लाभ हो सकता है। स्थान-स्थान पर भाषणों का प्रबन्ध होना चाहिए।

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दीवाली

दीवाली हमारे देश का एक पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दशहरे के बीस दिन बाद आता है। इस दिन भगवान् श्री राम लंका के राजा रावण को मार कर तथा वनवास के चौदह वर्ष पूरे कर अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने उनके स्वागत में रात को दीये जलाए थे। उनकी पवित्र याद में यह दिन बड़े सम्मान से मनाया जाता है। सिक्खों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिन्द जी भी इसी दिन ग्वालियर के किले से मुक्त होकर लौटे थे इसलिए सिक्ख भी इस त्योहार को विशेष उत्साह के साथ मनाते हैं।

दीवाली से कई दिन पूर्व तैयारी आरम्भ हो जाती है। लोग घरों की लिपाई-पुताई करते हैं। कमरों को सजाते हैं। घरों का कूड़ा-कर्कट बाहर निकालते हैं। दीवाली के दिन सारा घर दीपकों की रोशनी से जगमगा उठता है। बच्चे, बूढ़े, युवा सभी नए-नए कपड़े पहनते हैं। लोग बाजारों से मिठाइयाँ, खिलौने व आतिशबाजियाँ आदि खरीदते हैं। बच्चे विशेषकर बहुत खुश नज़र आते हैं।

इस दिन लोग मित्रों को बधाई देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। रात को आतिशबाज़ी चलाते हैं। लोग रात को लक्ष्मी की पूजा करते हैं। दुर्गा सप्तशति का पाठ करते हैं। दीवाली हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे उचित रीति से मनाना चाहिए। विद्वान् लोगों को जनसाधारण को उपदेश देकर अच्छे रास्ते पर चलाना चाहिए। जुआ और शराब का इस्तेमाल बहुत बुरा है, इससे बचना चाहिए। आतिशबाजी पर अधिक खर्च नहीं करना चाहिए।

वैशाखी

वैशाखी का त्योहार हर साल एक नवीन उत्साह और उमंग लेकर आता है। यह सारे भारत में मनाया जाता है। इस दिन लोगों में नई चेतना, एक नई स्फूर्ति और खुशी दिखाई देती है। इसे सभी धर्मों के लोग खुशी से मनाते हैं।

वैशाखी वैशाख मास की संक्रान्ति को होती है। 13 अप्रैल को यह त्योहार मनाया जाता है। सूर्य के गिर्द वर्ष भर का चक्कर काट कर पृथ्वी जब दूसरा चक्कर आरम्भ करती है तो उस दिन वैशाखी होती है। वैशाख महीने से नया साल शुरू होता है। इसी दिन वर्ष भर के कामों का लेखा-जोखा किया जाता है। स्कूलों का सत्र भी वैशाखी अर्थात् अप्रैल से ही शुरू होता है। इस समय नई फसल पक कर तैयार हो जाती है। किसान अपनी फसल को पाकर झूम उठते हैं। वे कहते हैं –

फसलां दी मुक गई राखी
ओ जट्टा आई वैशाखी।

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वैशाखी के दिन पंजाब के कई स्थानों पर मेले लगते हैं। लोग नए-नए रंग-बिरंगे कपडे पहन कर मेला देखने जाते हैं। वहाँ कई प्रकार की दकानें सजी होती हैं जहाँ से लोग अपनी ज़रूरत की चीजें खरीदते हैं। लोगों की बहुत भीड़ होती है। पशुओं की मंडियाँ लगती हैं। जगह-जगह पर कुश्तियाँ होती हैं। मदारी अपने करतब दिखाते हैं। बच्चे तो बड़े खुश दिखाई देते हैं, गीत गाते हैं और झूम-झूम कर अपनी मस्ती और खुशी प्रकट करते हैं।

किसानों के दल खुशी से अपने लहलहाते खेतों को देखकर भांगड़ा डालते हैं। ढोल की आवाज़ सबको अपनी ओर खींच रही होती है।

गुरुद्वारों में गुरबाणी का पाठ होता है। इसी दिन दशम गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। पवित्र नदियों और सरोवरों में लाखों लोग स्नान करते हैं। इसके बाद वे श्रद्धा अनुसार दान पुण्य करते हैं और मित्रों में मिठाई बाँटते हैं। अमृतसर में वैशाखी का मेला देखने योग्य होता है।

प्रातःकाल की सैर

प्रात:काल की सैर मनुष्य के स्वास्थ्य लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर के लिए बड़ी लाभदायक होती है। सुबह के समय सैर करना वैसे भी मनोरंजन करने के समान है। सुबह के समय प्राकृतिक छटा निराली होती है। सुबह की लाली चारों ओर फैली होती है। पक्षियों के कलरव हो रहे होते हैं जो बहुत अच्छे लगते हैं। शीतल हवा चल रही होती है। खिले हुए फूल बड़े सुन्दर लगते हैं। पेड़-पौधों का दृश् बड़ा लुभावना होता है।

मैं अपने मित्र मोहन के साथ रोज़ाना प्रात:काल को सैर के लिए जाता हूँ। हम सुबह सूरज के उदय होने से पहले ही उठ जाते हैं और पास के बाग़ में सैर के लिए जाते हैं। हम वहाँ पहुँच कर सैर करते हैं और फिर कुछ कसरत भी करते हैं। कसरत करने से शरीर में स्फूर्ति आ जाती है और शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है। सुबह की सैर के लाभ भी बहुत होते हैं। शरीर में फुर्ती आती है। स्वच्छ वायु के सेवन से खून साफ़ होता है। शरीर की कसरत होती है। शारीरिक रोगों से बचाव होता है। दिमाग की ताकत बढ़ती है। आलस्य दूर भागता है। सदाचार की वृद्धि होती है। काम करने को मन लगता है।

अतः हमें नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करना चाहिए।

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बसन्त

भारत में क्रमश: छः ऋतुएँ आती हैं। प्रत्येक ऋतु का अपना महत्त्व है। बसन्त को तो ऋतुराज कहते हैं। इस ऋतु के आगमन से प्रकृति में सौन्दर्यता छा जाती है। प्रकृति का नया रूप आँखों को बड़ा मोहक लगता है। पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं। प्राणी मात्र में नया उल्लास छा जाता है। उपवनों में रंग-बिरंगे फूल हँसने लगते हैं। आम के वृक्ष बौर से लद जाते हैं। कोयल की मधुर आवाज़ कानों में रस घोलने लगती है।

नदी-नालों का जल स्वच्छ हो जाता है। लहलहाते खेतों तथा पीली सरसों का दृश्य मनमोहक होता है। गाँवों की शोभा तो विशेष दर्शनीय होती है। इस ऋतु में अनेक कार्यक्रमों की योजना की जाती है। इस ऋतु का प्रत्येक दिन ही उत्सव का दिन होता है। बसन्त का उत्सव बड़े चाव से मनाया जाता है। पीली वस्तुओं के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ जाता है। बसन्त पंचमी के दिन पतंग उड़ाए जाते हैं। खुले स्थानों पर मेले का दृश्य देखते ही बनता है। बसन्त पंचमी के दिन विद्या की देवी ‘सरस्वती’ का पूजन होता है।

धर्मवीर हकीकत राय ने बसन्त के दिन अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसलिए उस धर्मवीर की स्मृति में भी अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं। यह दिन हमें धर्म की रक्षा के लिए अपना सब कुछ अर्पित करने की प्रेरणा देता है।

स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त)

आ प्यारे स्वतन्त्र देश आ, स्वागत करता हूँ तेरा।
तुझे देखकर आज हो रहा, प्रमुदित दूना मन मेरा॥

पन्द्रह अगस्त, सन् 1947 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने योग्य है। इस दिन भारत देश अंग्रेजी शासकों के अत्याचारों से मुक्त हुआ था। लेकिन हमें यह आजादी यूं ही नहीं प्राप्त हो गई बल्कि इस आज़ादी को प्राप्त करने के लिए अनेक देशभक्तों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। पण्डित जवाहर लाल जी स्वतन्त्र भारत के पहले प्रधानमन्त्री बने। संसद् भवन पर तिरंगा झण्डा लहराया गया। उस दिन दिल्ली के लाल किले पर पं. जवाहर लाल नेहरू जी ने अपने हाथों से तिरंगा झण्डा लहराया। लाखों लोगों ने इसमें भाग लिया। तब से लेकर अब तक यह त्योहार हर वर्ष सारे भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

भारत की राजधानी दिल्ली में आजादी का यह पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सारी दिल्ली दुल्हन की तरह सजाई जाती है। लाल किले की आभा तो देखते ही बनती है। यहीं से प्रधानमन्त्री भारतवासियों के नाम सन्देश देते हैं। इस सन्देश में भारत देश की प्रगति व विकास की गाथा का वर्णन होता है। इण्डिया गेट की शोभा भी निराली होती है। देश-विदेश से लोग इस समारोह में भाग लेने के लिए आते हैं। आकाश से वायुयानों द्वारा फूलों की वर्षा की जाती है। शाम को सारी दिल्ली रोशनी से जगमगा जाती है।।

आज हमें आजादी तो मिल गई है परन्तु हमें देश के प्रति कर्तव्यों को निभाना चाहिए। हमें उन शहीदों को याद रखना चाहिए जिन्होंने अपनी कुर्बानी देकर हमें आज़ादी दिलवाई।

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गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)

26 जनवरी का दिन भारत के लिए विशेष महत्त्व का दिन है। यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। भारत की सभी जातियाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध तथा जैनी बिना किसी भेद-भाव के इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं।

26 जनवरी, सन् 1929 को लाहौर में रावी नदी के तट पर भारतीय कांग्रेस अधिवेशन में नेहरू जी ने यह प्रतिज्ञा की थी कि हम पूर्ण स्वराज्य लेकर ही छोड़ेंगे। उस समय अंग्रेज़ों का बोलबाला था। भारतीयों पर अत्याचार हो रहे थे। अंग्रेजी सरकार ने दमन नीति को अपनाया हुआ था। किन्तु हिन्दू, मुसलमान तथा सिक्ख सभी ने एक झण्डे के नीचे दासता की बेड़ियों को तोड़ने की प्रतिज्ञा की हुई थी। यह आजादी का युद्ध वर्षों तक लगातार चलता रहा। आखिरकार मज़बूर होकर अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा तथा 15 अगस्त, सन् 1947 को हमें स्वतन्त्रता प्राप्त हो गई।

किन्तु अंग्रेज़ जाते-जाते अपनी कूटनीति का खेल खेलते हुए भारत के दो टुकड़े कर गए और इस प्रकार भारत और पाकिस्तान दो देश बन गए।

अंग्रेजों का शासन खत्म हो गया परन्तु विधान अभी अंग्रेजों का ही लागू था। भारत का अपना संविधान बनना शुरू हुआ और अन्त में 26 जनवरी, सन् 1950 से लागू हुआ। संविधान के अनुसार भारत गणराज्य बन गया।

26 जनवरी का दिन प्रति वर्ष भारत के कोने-कोने में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। नगर-नगर में सभाएँ तथा जुलूस निकलते हैं। राष्ट्रीय झण्डे लहराए जाते हैं। किन्तु दिल्ली में यह दिन धूमधाम से मनाया जाता है। यह समारोह भारत के राष्ट्रपति की सवारी से शुरू होता है। राष्ट्रपति की सवारी को सलामी देने के लिए स्थल सेना, जल सेना और वायु सेना तीनों की चुनी हुई टुकड़ियाँ सवारी के साथ-साथ चलती हैं। सवारी इण्डिया गेट से शुरू होती है और नई दिल्ली के खास-खास स्थानों से होती हुई आगे बढ़ती है। सवारी के पीछे-पीछे अलग-अलग प्रान्तों के लोग अपने कार्यक्रम की झांकियाँ दिखाते हैं। राष्ट्रपति
को 21 तोपों से सलामी दी जाती है।

26 जनवरी का दिन मनोरंजन का दिन ही नहीं मानना चाहिए बल्कि इस दिन हमें कुछ प्रतिज्ञा करनी चाहिए ताकि देश में बढ़ती हुई रिश्वतखोरी, लूटमार, पक्षपात आदि दूर किए जा सकें। हमें उन वीरों का कर्जा चुकाना होगा जिन्होंने अपनी कुर्बानियों द्वारा हमें आजादी से साँस लेने का अवसर दिया। तभी हमारी आज़ादी सफल तथा पूर्ण होगी।

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समाचार-पत्र

मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है। वह अपने आस-पास घटने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना चाहता है। प्राचीन काल में उसकी यह जिज्ञासा पूरी न हो पाती थी। विज्ञान ने जहाँ हमें अन्य अनेक प्रकार की सुविधाएँ दी हैं, उनमें समाचार-पत्र के द्वारा हम घर बैठे ही देश-विदेश के समाचारों को जान लेते हैं। संसार के किसी भी कोने में घटने वाली घटना तार, टेलीफोन अथवा इंटरनेट के द्वारा समाचार-पत्रों के कार्यालयों में पहुँच जाती है।

समाचार-पत्रों से हमें अनेक लाभ हैं। नगर, प्रान्त, देश तथा विदेश आदि के समाचारों को हम समाचार-पत्र द्वारा घर बैठे जान लेते हैं। इससे हमारे ज्ञान में भी वृद्धि होती है। समय-समय पर इनमें अनेक प्रकार के चित्र भी छपते रहते हैं। इन चित्रों के द्वारा जहाँ हमारा मनोरंजन होता है, वहाँ इनसे अनेक प्रकार के ऐतिहासिक, धार्मिक तथा प्राकृतिक स्थानों की भी जानकारी होती है।

समाचार-पत्रों में कहानियाँ, कविताएँ, जीवनियाँ तथा हास्य की सामग्री भी छपती रहती है। इन्हें पढ़कर हमारा मनोरंजन होता है। इनमें नौकरी सम्बन्धी विज्ञापन भी छपते हैं। पाठक अपने विचारों को भी समाचार-पत्र में छपवा सकते हैं। इस प्रकार ये समाचार-पत्र हमारे लिए वरदान का काम करते हैं। उनके द्वारा हमें घर बैठे ही बहुत सी जानकारी प्राप्त हो जाती है।

विद्यार्थी जीवन

विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। यह मानव जीवन की नींव है। इसी पर उसके जीवन की सफलता-असफलता निर्भर करती है। यह समय भावी जीवन की तैयारी का आधार है।

विद्यार्थी जीवन विद्या प्राप्ति का समय है। इस समय में किया गया परिश्रम ही उसके भविष्य को निर्धारित करता है। जितनी मेहनत वह अब करेगा, भविष्य उतना ही सुखकर होगा। अत: इस समय में विद्यार्थी का यह कर्त्तव्य है कि वह पढ़ाई में अपना मन लगाए। अनुशासन में रहकर, नियमों का पालन करते हुए अपने चरित्र और व्यक्तित्व को अच्छा बनाए। विद्यार्थी जीवन की सफलता अच्छी बातों के पालन पर निर्भर करती है। उसे अपने अध्यापकों के उपदेश के अनुसार चलना चाहिए। माता-पिता की आज्ञा का पालन करना भी उसका प्रमुख कर्त्तव्य है। वह स्वभाव का नम्र तथा मधुरभाषी होना चाहिए। उसे अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। उसे हमेशा अच्छे छात्रों का संग करना चाहिए। अच्छी संगति स्वयं में एक शिक्षा है। समय का पालन करना चाहिए।

विद्यार्थी जीवन में खूब परिश्रम करना चाहिए। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य उन्नति कर सकता है। आलसी व्यक्ति तो अपने लिए ही बोझ बन कर जीता है। अतः प्रत्येक विद्यार्थी का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने विद्यार्थी जीवन का सदुपयोग करे। अच्छा विद्यार्थी ही एक अच्छा व्यक्ति, एक अच्छा नागरिक बन सकता है।

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देश-भक्ति

देश-भक्ति का अर्थ है अपने देश से प्यार अथवा अपने देश के प्रति श्रद्धा। जो मनुष्य जिस देश में पैदा होता है, उसका अन्न-जल खा पीकर बड़ा होता है, उसकी मिट्टी में खेल कर हृष्ट-पुष्ट होता है, वहीं पढ़-लिख कर विद्वान् बनता है, वही उसकी जन्म-भूमि है।

प्रत्येक मनुष्य तथा प्राणी अपने देश से प्यार करता है। वह कहीं भी चला जाए, संसार भर की खुशियों तथा महलों के बीच में क्यों न विचरण कर रहा हो उसे अपना देश, अपना स्थान ही प्रिय लगता है।

देश-भक्त सदा ही अपने देश की उन्नति के बारे में सोचता है। हमारा इतिहास इस बात का गवाह है कि जब-जब देश पर मुसीबत के बादल मंडराए, जब-जब हमारी आजादी को खतरा रहा, तब-तब हमारे देश-भक्तों ने अपनी भक्ति भावना दिखाई। सच्चे देश-भक्त अपने सिर पर लाठियां खाते हैं, जेलों में जाते हैं, बार-बार अपमानित किए जाते हैं तथा हँसते-हँसते फांसी के फंदे चूम जाते हैं। जंगलों में स्वयं तो भूख से भटकते हैं साथ ही अपने बच्चों को भी बिलखते देखते हैं।

महाराणा प्रताप का नाम कौन भूल सकता है जो अपने देश की आज़ादी के लिए दर दर भटकते रहे, परंतु शत्रु के आगे सिर नहीं झुकाया। महात्मा गांधी, जवाहर लाल, सुभाष, पटेल, राजेंद्र प्रसाद, तिलक, भगत सिंह, चंद्रशेखर, लाला लाजपतराय, मालवीय जी आदि अनेक देश-भक्तों ने आज़ादी प्राप्त करने के लिए अपना सच्चा देश-प्रेम दिखलाया। वे देश के लिए मर मिटे, पर शत्रु के आगे झुके नहीं। उन्होंने यह निश्चय किया था कि ‘सर कटा देंगे, मगर सर झुकाएंगे नहीं।’

आज जो कुछ हमने प्राप्त किया है तथा जो कुछ हम बन पाए हैं उन सबके लिए हम देश-भक्त वीरों के ही ऋणी हैं। इन्हीं के त्याग के कारण हम स्वतंत्रता से सांस ले रहे हैं। इसलिए इन वीरों से प्रेरणा लेकर हमें भी नि:स्वार्थ भाव से अपने देश की सेवा करने का प्रण करना चाहिए। हमें अपने देश की सभ्यता, संस्कृति, रीति-रिवाज, भाषा, धर्म तथा मान-मर्यादा की रक्षा करनी चाहिए।

व्यायाम के लाभ

शरीर को एक विशेष ढंग से हिलाना-डुलाना व्यायाम कहलाता है। यह कई प्रकार से किया जा सकता है। कुश्ती करना, दंड पेलना, बैठकें निकालना, दौड़ना, तैरना, घुड़सवारी, नौका चलाना, खो-खो खेलना, कबड्डी खेलना आदि पुराने ढंग के व्यायाम हैं। पहाड़ पर चढ़ना भी एक व्यायाम है। इनके अलावा, आज अंग्रेजी ढंग से व्यायामों का भी प्रचार बढ़ रहा है। फुटबाल, वॉलीबाल, क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, टैनिस आदि आज के नए ढंग के व्यायाम हैं। इनके द्वारा खेल-खेल में ही व्यायाम हो जाता है।

PSEB 6th Class Hindi रचना निबंध लेखन (2nd Language)

व्यायाम के अनेक लाभ हैं। इससे बीमारी और बुढ़ापा दूर भागता है। शरीर के अंगों में लचक पैदा होती है। मनुष्य बलवान्, सुंदर तथा सुडौल बन जाता है। उसमें फुर्ती और चुस्ती का संचार होता है। भोजन पचने लग जाता है और शरीर में खून बढ़ जाता है। काम करने की शक्ति उत्पन्न होती है। व्यायाम से मनुष्य का तन और मन स्वस्थ तथा प्रसन्न बनता है। इससे मनुष्यों की आयु दीर्घ बनती है। व्यायाम से मनुष्य का मनोरंजन भी होता है।

व्यायाम से वैसे तो हानि नहीं होती परंतु अधिक व्यायाम कई बार घातक सिद्ध होता है। मनुष्य को अपनी शक्ति के अनुसार ही व्यायाम करना चाहिए।

मेरी गाय

गाय एक पालतू पशु है। यह एक महत्त्वपूर्ण घरेलू जानवर है। यह कई रंगों की होती है; जैसे-सफेद, काली, लाल आदि। मेरी गाय सफेद रंग की है। यह हमें दूध देती है। इसके दूध से हमारा शरीर स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट बनता है। भारतीय लोग इसे माँ के समान सम्मान देते हैं। इसे ‘गऊ माता’ कहकर पुकारते हैं। प्राचीन समय से हिन्दू इसे माता कहते हैं। इसकी पूजा करते हैं। गाय का दूध पूजा एवं अभिषेक में प्रयोग किया जाता है।

इसका मुँह लंबा है। इसके दो सींग और एक लंबी पूंछ है। यह हरी घास, चने का दाना और भूसा खाती है। इसका दूध स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। इसके दूध से खोया, मक्खन, दही, पनीर आदि बनाते हैं। इसके गोबर की उपलें ईधन का काम देती हैं। इसका गोबर खाद के काम भी आता है। इसके बछड़े बड़े होकर बैल बनते हैं जो खेतीबाड़ी में काम आते हैं तथा गाड़ी खींचते हैं। हम अपनी गाय की अच्छी तरह देखभाल करते हैं।

यह अपनी आहार क्षमता के अनुसार दिन में दो बार दूध देती है। मेरी गाय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मानव जाति को बहुत कुछ देती है। मेरी गाय मुझे दूध देने के साथ-साथ संस्कार भी देती है।

स्वच्छता अभियान

भारत सरकार के द्वारा चलाए जाने वाले अभियानों में से एक स्वच्छता का अभियान है। यह एक राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान है। इसे कलीन इंडिया मिशन भी कहा जाता है। स्वच्छ भारत का सपना राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने देखा था। इस अभियान को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 02 अक्तूबर, 2014 को गांधी जयन्ती के दिन शुरू किया था। उनके द्वारा शुरू किया गया यह अभियान कोई ऐसा कार्य नहीं है जो दबाव में किया जाए।

PSEB 6th Class Hindi रचना निबंध लेखन (2nd Language)

यह तो एक अच्छी आदत है। हमारे जीवन का एक तरीका है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह आदत ज़रूरी है। स्वच्छता की आदत को जीवन में ढालना बहुत आसान है। साफ़-सफाई एक अच्छी आदत है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह ‘स्वच्छ भारत’ निर्माण में अपना योगदान दे। हम सभी को स्वच्छता के उद्देश्य को समझना होगा। आज के समय में यह एक महत्त्वपूर्ण विषय है।

देशवासियों को स्वस्थ जीवन देने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। यह किसी एक की जिम्मेदारी न होकर हम सभी की जिम्मेदारी है। अपने बच्चों में स्वच्छता का कदम लाना बहुत बड़ी बात है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB पिल्ले बिकाऊ हैं Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

पिल्ले बिकाऊ हैं अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं 1
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं 2
उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं 3
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं 4
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं 5
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं 6
उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी शब्दों को अपनी कापी में लिखने का अभ्यास करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

1. दुकानदार ने दुकान के बाहर बोर्ड पर क्या लिखा था?
उत्तर :
दुकानदार ने दुकान के बाहर बोर्ड पर लिखा था-‘पिल्ले बिकाऊ हैं।’

2. बच्चे की जेब में कितनी राशि थी?
उत्तर :
बच्चे की जेब में 2 डालर और 37 सैंट की राशि थी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

3. अपाहिज पिल्ले के शरीर का कौन-सा भाग टूटा हुआ था?
उत्तर :
अपाहिज पिल्ले का कूल्हा टूटा हुआ था।

4. दुकानदार ने अपाहिज पिल्ले की क्या कीमत बतायी?
उत्तर :
दुकानदार ने अपाहिज पिल्ले की कोई कीमत नहीं बतायी।

5. बच्चे की टाँग किस कारण खराब हो चुकी थी?
उत्तर :
बच्चे की टाँग पोलियो के कारण ख़राब हो चुकी थी।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर या तीन वाक्यों में दें :

1. बच्चे द्वारा पिल्लों की कीमत पूछने पर दुकानदार ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर :
बच्चे द्वारा पिल्लों की कीमत पूछने पर दुकानदार ने कहा कि पिल्ले की नस्ल और सेहत के मुताबिक उनकी कीमत रखी गयी है जो 30 डालर से पचास डालर के बीच हो सकती है।

2. पिल्ले के अपाहिज होने का कारण पूछने पर दुकानदार ने क्या कहा?
उत्तर :
पिल्ले के अपाहिज होने का कारण पूछने पर दुकानदार ने कहा, “इसके जन्म के समय इसका एक कूल्हा बुरी तरह टूट गया है, जिसके कारण यह कभी भी दूसरे कुत्तों की तरह नहीं चल पाएगा।”

3. बच्चे ने अपाहिज पिल्ले को ही क्यों खरीदा?
उत्तर :
बच्चा स्वयं भी पोलियो का शिकार होकर अपाहिज था। इसीलिए वह अपाहिज के दर्द को समझता था इसीलिए उसने अपाहिज पिल्ले को खरीदा।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

4. दुकानदार ने बच्चे के फैसले से प्रभावित होकर क्या कहा?
उत्तर :
दुकानदार ने बच्चे के फैसले से प्रभावित होकर कहा कि बेटा मैं आशा करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इन सभी पिल्लों को तुम्हारे जैसा ही अच्छा मालिक मिले।”

5. कहानी की अंतिम पंक्ति में सच्चे मित्र की क्या विशेषता बतायी है?
उत्तर :
सच्चा मित्र वही है जो उस समय काम आता है, जबकि सारी दुनिया मुँह मोड़ लेती है।

5. निम्नलिखित गद्यांश में से सर्वनाम शब्द छाँटकर लिखें :

दुकानदार से कुछ भी कहते नहीं बन रहा था। उस नन्हे बालक की बात सुनकर उसकी आँखों से आँसुओं की धारा निकल पड़ी और फिर कुछ देर बाद होंठों में मुस्कराहट भरकर उसने कहा, “बेटा, मैं आशा करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इन सभी पिल्लों को तुम्हारे जैसा ही अच्छा मालिक मिले।”
उत्तर :
(i) उसकी
(ii) उसने
(iii) मैं
(iv) तुम्हारे।

6. इस डिब्बे में सभी शब्द घुल मिल गये हैं। उनमें से क्रिया शब्द छाँटकर उनसे उचित वाक्य बनाइये :

क्रिया शब्द – वाक्य

  1. गया – मैं कल बाज़ार गया।
  2. _________ – _________________
  3. _________ – _________________
  4. _________ – _________________
  5. _________ – _________________
  6. _________ – _________________
  7. _________ – _________________

उत्तर :
क्रिया शब्द वाक्य

  1. गया = मैं कल बाजार गया।
  2. कीमत लूँगा = मैं इसकी कीमत नहीं लूँगा।
  3. आयी = आवाज़ सुनकर कुतिया दौड़ी आयी।
  4. दूँगा = मैं तुम्हें पैसे दूंगा।
  5. बजायी = दुकानदार ने सीटी बजायी।
  6. कहा = दुकानदार ने धीरे से कहा।
  7. डाला = बालक ने जेब में हाथ डाला।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

7. सही पर्यायवाची/समानार्थी शब्द पर गोले लगायें :

  1. सक्षम : (क्षमताशाली), असहाय, निर्बल, (समर्थ)
  2. कुत्ता : सारमेय, श्वान, जानवर, वफादार
  3. कीमत : बाज़ार, महँगी, भाव, मूल्य
  4. उत्तर : जवाब, प्रश्न, सवाल, हल
  5. माँद : जाल, गुफा, मकान, कंदरा
  6. परेशान : आसान, सुखी, व्याकुल, हैरान

उत्तर :

  1. सक्षम : (क्षमताशाली), असहाय, निर्बल, (समर्थ)
  2. कुत्ता : (सारमेय), (श्वान), जानवर, वफादार
  3. कीमत : बाज़ार, महँगी, (भाव), (मूल्य)
  4. उत्तर : (जवाब), प्रश्न, सवाल, (हल)
  5. माँद : जाल, (गुफा), मकान, (कंदरा)
  6. परेशान : आसान, सुखी, (व्याकुल), (हैरान)

सोचिए और लिखिए :

1. यदि आप उस बच्चे की जगह होते तो दुकानदार द्वारा अपाहिज पिल्ला दिखाये जाने पर क्या करते?
उत्तर :
यदि हम उस बच्चे की जगह होते तो दुकानदार द्वारा अपाहिज पिल्ला दिखाये जाने पर हम उसे खरीद लेते और जानवरों के किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाकर उसका इलाज करवाते और उसे ठीक करवाते।

2. दुकानदार द्वारा बिना कीमत लिए पिल्ला देने पर भी बच्चे ने पिल्ले की कीमत क्यों दी?
उत्तर :
बच्चा खुद्दार किस्म का बालक था। वह किसी का कोई एहसान नहीं लेना चाहता था। इसीलिए जब दुकानदार ने उसे अपाहिज पिल्ला बिना कीमत लिए देना चाहा तो उसने इन्कार करते हुए उसे पैसे देकर खरीदा।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

3. पोलियो क्या होता है? सरकार पोलियो की समाप्ति के लिए क्या उपाय करती है?
उत्तर :
पोलियो एक संक्रामक रोग है। यह संक्रमण विशेषकर पैरों और बाजुओं की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। सरकार ने पोलियो उन्मूलन के लिए अभियान चलाया हुआ है। वह प्रत्येक बच्चे को पोलियो की मुफ्त दवा पिला रही है ताकि हमारे देश के बच्चे पोलियो जैसी बीमारी का शिकार न हों।

9. रेखांकित शब्दों के वचन बदलकर वाक्य दोबारा लिखें :

1. इस पिल्ले की क्या कीमत है?
_____________________________
उत्तर :
इन पिल्लों की क्या कीमत है?

2. मैं जानता हूँ तुम इस पिल्ले को बिल्कुल नहीं खरीदना चाहते हो।
_____________________________
उत्तर :
हम जानते हैं आप लोग इन पिल्लों को बिल्कुल नहीं खरीदना चाहते हो।

3. मैं तुम्हें इसकी पूरी कीमत दूंगा
_____________________________
उत्तर :
हम तुम्हें इनकी पूरी कीमत देंगे।

4. इन पिल्लों को तुम्हारे जैसे अच्छे मालिक मिलें
_____________________________
उत्तर :
इस पिल्ले को तुम्हारे जैसा अच्छा मालिक मिले।

5. पिल्ला लंगड़ाता हुआ सबसे पीछे चल रहा था
_____________________________
उत्तर :
पिल्ले लंगड़ाते हुए सबसे पीछे चल रहे थे।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

जानिए
पोलियो एक संक्रामक रोग है। इसका वायरस पाखाने द्वारा निकलता है। इसलिए पाखाना जाने के बाद अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह धोने चाहिये। यह वायरस विशेषकर टाँगों और बाजुओं की माँसपेशियों को प्रभावित करता है।

इस रोग से बचाव के दो तरीके प्रचलित हैं :
1. पोलियो की बूँदें जो मुँह में डाली जाती हैं
2. इंजैक्शन के द्वारा

भारत सरकार ने पोलियो उन्मूलन के लिए ‘पल्स पोलियो अभियान’ चलाया हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की सहायता से इस वायरस के सामूहिक रूप से खात्मे के लिए समय-समय पर पोलियो की बूंदें 0 से लेकर 5 वर्ष तक की आयु के बच्चों को पिलायी जाती हैं। आपके आसपास जब भी ऐसा शिविर लगे तो आप लोगों को पोलियो की बूंदें पिलाने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि हमारा देश इस रोग से मुक्ति पा सके।

अध्यापकों के लिए
डॉलर एक अंतरराष्ट्रीय मानक मुद्रा है। 1519 में बोहेमिया के जोएकिमथेल शहर में पहली बार ढले चाँदी के सिक्कों के लिए ‘थेलर’ शब्द प्रयुक्त हुआ जो आगे चलकर डालर के रूप में प्रसिद्ध हुआ जिसका आज तक चलन है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आलू का कौन-सा रूप पूर्ण आहार कहा जाता है?
(क) उबला
(ख) कच्चा
(ग) पक्का
(घ) कटा।
उत्तर :
(क) उबला

प्रश्न 2.
टमाटर ने किन रोगियों को अपना सेवन करने से मना किया।
(क) बुखार के
(ख) बीमार
(ग) पथरी
(घ) मिर्गी।
उत्तर :
(ग) पथरी

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

प्रश्न 3.
किस सब्जी के सिर पर ताज लगा होता है?
(क) बैंगन
(ख) टमाटर
(ग) गोभी
(घ) आलू।
उत्तर :
(क) बैंगन

प्रश्न 4.
आलू में कौन-से विटामिन होते हैं ?
(क) ए
(ख) बी
(ग) सी
(घ) ओ।
उत्तर :
(क) ए

प्रश्न 5.
करेला किसका शोधक होता है ?
(क) रक्त का
(ख) शूगर का
(ग) आयरन का
(घ) बालों का।
उत्तर :
(क) रक्त का

पिल्ले बिकाऊ हैं Summary in Hindi

पिल्ले बिकाऊ हैं पाठ का सार

एक दुकानदार ने अपनी दुकान के बाहर एक बोर्ड लगाया जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, “पिल्ले बिकाऊ हैं।” थोड़े दिनों में यह बोर्ड और दुकान बच्चों के आकर्षण का केन्द्र बन गया। एक दिन एक बच्चा उस दुकान में गया और उसने दुकानदार से पिल्लों की कीमत के बारे में पूछा।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं

दुकानदार ने कहा, “पिल्ले की नस्ल और सेहत के मुताबिक उनकी कीमत रखी गयी है जो 30 डालर से 50 डालर के बीच है। यह सुनकर उस बच्चे ने अपनी जेब में हाथ डाला और कुछ सिक्के निकाले और दुकानदार को देते हुए कहा कि मेरे पास फिलहाल 2 डालर और 37 सैंट हैं, क्या मैं उन्हें देख सकता हूँ ?” दुकानदार ने मुस्कराते हुए सीटी बजाई। सीटी की आवाज़ सुनते ही लैडी नाम की एक कुतिया बाहर आई, उसके पीछे-पीछे पाँच-छह छोटे-छोटे पिल्ले भी दौड़ते हुए आए। एक पिल्ला लंगड़ाता हुआ सबसे पीछे चल रहा था।

बच्चे की नज़र उस लंगड़ा कर चल रहे पिल्ले पर पड़ी। उसने दुकानदार से पूछा कि इसे क्या हुआ है। उसने बताया कि जन्म के समय उसका कूल्हा बुरी तरह टूट गया था। जिस कारण वह औरों के समान तेज़ चल नहीं पाएगा।

बच्चे ने उस पिल्ले को खरीदने की इच्छा जताई, “मैं यही पिल्ला खरीदना चाहता हूँ।” फिर उसने आगे कहा कि फिलहाल मैं तुम्हें दो डालर और सैंतीस सैंट दे रहा हूँ और जब तक इसकी पूरी कीमत नहीं चुकती मैं हर महीने तुम्हें 50 सैंट दूंगा।

दुकानदार ने उसे कहा कि बेटा मैं जानता हूँ कि यह दूसरे पिल्लों की तरह न तो दौड़ सकता है और न ही उछल-कूद सकता है फिर भला तुम इसे क्यों खरीदना चाहते हो? इस पर बच्चे ने नीचे झुक कर अपनी पैंट ऊपर चढ़ाई और दुकानदार को अपनी पोलियो से ख़राब हो चुकी टांग दिखाते हुए कहा, “मैं दूसरे लड़कों की तरह अच्छी तरह दौड़ नहीं सकता और इस छोटे से पिल्ले को भी ऐसे ही किसी मालिक की आवश्यकता है जो इसकी मजबूरी को समझ सके।” यह सुनकर दुकानदार मुस्करा कर कहने लगा,”बेटा मैं आशा करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इन सभी पिल्लों को तुम्हारे जैसा ही अच्छा मालिक मिले।”

जीवन में यह कुछ मायने नहीं रखता कि आप क्या हैं और कौन हैं बल्कि जीवन तभी सार्थक है जब कोई आपकी सराहना सच्चे मन से करे। आपसे नि:स्वार्थ प्रेम करे।

पिल्ले बिकाऊ हैं कठिन शब्दों के अर्थ :

  • नस्ल = जाति।
  • सेहत = स्वास्थ्य।
  • पिल्ले = कुत्ते के छोटे बच्चे।
  • अपाहिज = जिसका कोई अंग खराब या विकृत हो।
  • उत्सुकता = जिज्ञासा, जानने की इच्छा।
  • सक्षम = ताकतवर।
  • स्वर = आवाज़।
  • सार्थक = सफल। PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 17 पिल्ले बिकाऊ हैं
  • सराहना = तारीफ, प्रशंसा।
  • निःस्वार्थ = बिना मतलब के।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

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PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 चींटी (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB चींटी Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

चींटी अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी 3
उत्तर :
विद्यार्थी देवनागरी लिपि में दिए गए शब्दों को अपनी कॉपियों पर लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी 1
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी 2
उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी भाषा के इन शब्दों को अपनी अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) चींटी की काया कैसी है?
उत्तर :
चींटी की काया बहुत छोटी है।

(ख) चींटी से हम क्या सीख सकते हैं?
उत्तर :
चींटी से हम निडर रहना, अथक परिश्रम करना, लक्ष्य प्राप्त करना सीख सकते हैं।

(ग) विजय कैसे मिलती है?
उत्तर :
विजय अथक मेहनत करने से मिलती है।

(घ) ‘चींटी कितनी निर्भय है, अपने श्रम में तन्मय है’ से कवि का क्या भाव है?
उत्तर :
कवि का भाव है कि देखो चींटी निडर है। निडरतापूर्वक वह घूमती है और अपना मेहनत में लीन रहती है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

4. वाक्य बनाओ :

  1. निर्भय : ____________________________
  2. तन्मय : ____________________________
  3. अथक : ____________________________
  4. विजय श्री : ____________________________
  5. प्रेरणा : ____________________________
  6. सर्वस्व : ____________________________

उत्तर :

  1. निर्भय-राम बहुत निर्भय है।
  2. तन्मय-अपने काम में तन्मय हो जाओ।
  3. अथक-विजयी होने के लिए हमें अथक मेहनत करनी होगी।
  4. विजयश्री-विजयश्री हमारे कदम चूमेगी।
  5. प्रेरणा-चींटी हमें मेहनत करने की प्रेरणा देती है
  6. सर्वस्व-मैं देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दूंगा।

5. ‘परिश्रम’ शब्द में ‘श्रम’ शब्द के आगे ‘परि’ शब्दांश लगा है। इसी प्रकार ‘परि’ शब्दांश लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. परि + त्याग = ____________________________
  2. परि + वर्तन = ____________________________
  3. परि + णाम = ____________________________
  4. परि + हास = ____________________________
  5. परि + माण = ____________________________
  6. परि + धान = ____________________________

उत्तर :

  1. परि + त्याग = परित्याग।
  2. परि + वर्तन = परिवर्तन।
  3. परि + णाम = परिणाम।
  4. परि + हास = परिहास।
  5. परि + माण = परिमाण।
  6. परि + धान = परिधान।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

6. बतायें इन शब्दों में ‘र’ व्यंजन आधा है या पूरा :

  1. निर्भय = आधा
  2. श्रम = पूरा
  3. प्रभु = ____________
  4. श्री = ____________
  5. प्रेरणा = ____________
  6. सर्वस्व = ____________

उत्तर :

  1. निर्भय = आधा।
  2. श्रम = पूरा।
  3. प्रभु = पूरा।
  4. श्री = पूरा।
  5. प्रेरणा = पूरा।
  6. सर्वस्व = आधा।

7. नये शब्द बनाओ :

  1. तन्मय = न्म = _________, _________, _________
  2. सर्वस्व = स्व = _________, _________, _________

उत्तर :

  1. तन्मय = जन्म, सन्मान, सन्मुख।
  2. सर्वस्व = स्वाद, स्वर, स्वभाव।

8. जानिये
आपके घर के आस-पास कहीं न कहीं से चींटियाँ अवश्य निकलती होंगी। उन्हें ध्यान से देखो। उनके खान-पान और व्यवहार का अध्ययन करके अपनी कॉपी में लिखो।
चींटी के छः पैर होते हैं।
चींटी की दो आँखें होती हैं और एक आँख कई छोटी-छोटी आँखों को मिलाकर बनती है।
चींटी के दो पेट होते हैं। एक में अपने लिए और दूसरे में साथी चींटियों के लिए भोजन जमा करती है।
एक चींटी को खाना मिलने पर वह एक प्रकार की गंध पैदा करती है जिसे सूंघकर मज़दूर चींटियाँ वहाँ पहुँच जाती हैं।
चींटी अपने वज़न से लगभग बीस गुणा वज़न उठा सकती है।
कछ चींटियाँ मिट्टी की मेंडें बनाकर रहती हैं क्योंकि ये मेंडे पर्वतों की तरह दिखती हैं इसलिए इन्हें ऐंट हिल्स कहते हैं।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।
(जानकारी हेतु कुछ महत्त्वपूर्ण वाक्य यहाँ लिख दिए गए हैं।)
– चींटी के छ: पैर होते हैं।
– चींटी की दो आँखें होती हैं और एक आँख कई छोटी-छोटी आँखों को मिलाकर बनती है।
– चींटी के दो पेट होते हैं। एक में अपने लिए और दूसरे में साथी चींटियों के लिए भोजन जमा करती है।
– एक चींटी को खाना मिलने पर वह एक प्रकार की गंध पैदा करती है जिसे सूंघकर मजदूर चींटियाँ वहाँ पहुँच जाती हैं।
– चींटी अपने वज़न से लगभग बीस गुणा वज़न उठा सकती है।
– कुछ चींटियाँ मिट्टी की मेंडें बनाकर रहती हैं क्योंकि ये मेंडें पर्वतों की तरह दिखती हैं इसलिए इन्हें ऐंट हिल्स कहते हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

9. बूझो तो जानो :

काली काली चमड़ी उसकी
धीमी-धीमी चाल
घर-घर घूमे ऐसे
जैसे हो कोतवाल।
उत्तर :
चींटी।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चे की जेब में कितनी राशि थी ?
(क) 2 डालर
(ख) 2 डालर 37 सैंट
(ग) 2 डालर 1 सैंट
(घ) 2 डालर 50 सैंट।
उत्तर :
(ख) 2 डालर 37 सैंट

प्रश्न 2.
बच्चे की टांग किसके कारण खराब हो गई ?
(क) पोलियों के
(ख) टोलियों के
(ग) गोलियों के
(घ) बुखार के।
उत्तर :
(क) पोलियों के

प्रश्न 3.
सच्चा मित्र किसमें साथ देता है ?
(क) सुख में
(ख) घर में
(ग) मुसीबत में
(घ) ऐश्वर्य में।
उत्तर :
(ग) मुसीबत में

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

चींटी Summary in Hindi

चींटी कविता का सार

कवि कहता है कि चींटी को भगवान् ने कितना छोटा-सा बनाया है पर वह कितनी परिश्रमी है। वह गिरती-पड़ती भी कठोर परिश्रम करती है और हमें समझाती है कि मेहनत करने से कभी हार न मानो। इसी से विजय-श्री की प्राप्ति होती है। जो मेहनत करता है उसे सफलता की प्राप्ति अवश्य होती है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी 4

चींटी पद्यांशों के सरलार्थ

1. चींटी कितनी निर्भय है।
अपने श्रम में तन्मय है।
छोटी उसकी काया है।
यह भी प्रभु की माया है।

शब्दार्थ :

  • निर्भय = निडर।
  • श्रम = मेहनत।
  • तन्मय = लीन।
  • काया = शरीर।
  • प्रभु = ईश्वर।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘चीटी’ नामक कविता में से लिया गया है। इसमें कवि ने चींटी का उदाहरण देकर श्रम के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ-कवि कहता है कि चींटी कितनी निडर है। इधर-उधर घूमने में उसे कोई भय नहीं लगता। वह अपनी मेहनत में लीन रहती है। उसका शरीर छोटा है, यह ईश्वर की अनोखी माया है।

भावार्थ-चींटी चाहे बहुत छोटी होती है परन्तु वह लगातार मेहनत करती रहती है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

2. अथक परिश्रम करती है।
गिरती है चल पड़ती है।
हम को यह सिखाती है।
मेहनत से न मानो हार॥

शब्दार्थ :

  • अथक = बिना थकान के।
  • परिश्रम = मेहनत।
  • सिखाती है = सीख देती है।
  • हार = पराजय।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘चीटी’ नामक कविता में से लिया गया है। इसमें कवि ने चींटी के उदाहरण से मनुष्य को श्रम का महत्त्व समझाया है।

सरलार्थ-चींटी की विशेषता प्रकट करते हुए कवि कहता है-चींटी बिना थके लगातार मेहनत करती है। वह कभी गिर पडती और फिर उठ कर चल पडती है। वास्तव में वह हम मनुष्यों को सीख देती है कि मेहनत से कभी हार न मानो।

भावार्थ-मेहनत से कभी जी नहीं चुराना चाहिए।

3. अथक परिश्रम कर पहनो।
तुम सब विजय-श्री का हार॥
चींटी का जीवन हम को।
यही प्रेरणा देता है।

शब्दार्थ :

  • विजय श्री = जीत।
  • प्रेरणा = उत्साह।

प्रसंग-यह पद्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘चींटी’ नामक कविता से लिया गया है। कवि ने चींटी का उदाहरण देते हुए मनुष्यों को भी मेहनत करने की प्रेरण दी है।

सरलार्थ-कवि चींटी के माध्यम से कहता है कि तुम सब मेहनत करने से कभी न थको। बिना थके लगातार श्रम करो, इससे तुम्हें जीत अवश्य मिलेगी। हम मनुष्यों को चींटी का जीवन यही प्रेरणा देता है।

भावार्थ-चींटी अपने परिश्रम से हम मानवों को भी परिश्रम करने का पाठ पढ़ाती है।

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4. मेहनत जीवन का सर्वस्व।
श्रम ही फल देता है।
चींटी कितनी निर्भय है।
अपने श्रम में तन्मय है।

शब्दार्थ :

  • सर्वस्व = सब कुछ।
  • श्रम = मेहनत।

प्रसंग-यह पद्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘चीटी’ नामक कविता से लिया गया है। कवि ने चींटी का उदाहरण देते हुए मनुष्यों को भी मेहनत करने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ-कवि कहता है कि मेहनत जीवन का सब कुछ है। मेहनत से ही मनुष्य को फल प्राप्त होता है। चींटी कितनी निडर है। वह हमेशा अपनी मेहनत में लीन रहती है।

भावार्थ-जीवन में उद्देश्यों की प्राप्ति परिश्रम से ही होती है।