PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 1 भारत के कोने-कोने से (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB भारत के कोने-कोने से Textbook Questions and Answers

भारत के कोने-कोने से अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

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उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

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उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) गीत गाने वाले बच्चे कहाँ से आये हैं ?
उत्तर :
गीत गाने वाले बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं।

(ख) ‘भारत के कोने-कोने से’ कविता में बच्चे क्या संदेश लेकर आये हैं ?
उत्तर :
भारत देश के कोने – कोने से आए बच्चे नई उमंगों और आशाओं का संदेश लेकर आए हैं।

(ग) कविता में ‘गिरि’ और ‘सागर’ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
गिरि = पर्वत
सागर = समुद्र

(घ) बच्चे अपने देश के लिए क्या करना चाहते हैं ?
उत्तर :
भारत देश के बच्चे अच्छे और बड़े काम करके भारत के नाम को और अधिक ऊँचा उठाना चाहते हैं।

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4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) ‘नई उमंगों-आशाओं’ से कवि का क्या भाव है?
उत्तर :
नई उमंगों – आशाओं से कवि का भाव है कि जीवन में आगे बढ़ने का संकल्प लेकर अपना तथा देश का नाम ऊँचा करना। आगे आने वाले समय में बड़े – बड़े काम करके राष्ट्र का नाम ऊँचा करना। अपने मन में इस भाव को बनाए रखना कि देश हमारा और हम देश के लिए।

(ख) ‘कल आने वाली दुनिया में
हम कुछ कर दिखलायेंगे,
भारत के ऊँचे माथे को
ऊँचा और उठायेंगे।’
इन काव्य-पंक्तियों की प्रसंग सहित व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० हरिवंशराय बच्चन जी हैं। कवि ने यहाँ बच्चों के मन में व्याप्त देश भक्ति की भावना और संकल्प को उजागर किया है।

व्याख्या – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम भारतीय बच्चे आगे आने वाले समय में कुछ बड़े काम करके दिखाएँगे। जिस भारत का नाम दुनिया में ऊँचा है उसे हम अपने बड़े कामों से और भी ऊँचा उठाएँगे।

5. भाववाचक संज्ञा बनायें :

  1. ऊँचा = ऊँचाई
  2. गहरा = …………………………
  3. अरुण = …………………………

उत्तर :

  1. ऊँचा = ऊँचाई
  2. गहरा = गहराई
  3. अरुण = अरुणिमा

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6. निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद करें:

  1. भारत : भ् + आ + र् + अ+ त् + अ
  2. गिरि = …………………………
  3. राजस्थानी = …………………………
  4. दुनिया = …………………………
  5. संदेशा = …………………………
  6. निर्मल = …………………………

उत्तर :

  1. भारत : भ् + आ + र् + अ+ त् + अ
  2. गिरि = ग् + इ + + ई
  3. राजस्थानी = र् + आ + ज् + अ + स् + थ् + आ + न् + ई
  4. दुनिया = द् + उ + न् + इ + य् + आ
  5. संदेशा = स् + अ + म् + द् + ए + श् + आ
  6. निर्मल = न् + इ + र् + म् + अ + ल् + अ।

7. समान अर्थवाले शब्द लिखें :

  1. गिरि = पर्वत
  2. सागर = …………………………
  3. संदेशा = …………………………
  4. दुनिया = …………………………
  5. माथा = …………………………
  6. किरण = …………………………
  7. पानी = …………………………
  8. प्रातः = …………………………

उत्तर :

  1. गिरि = पर्वत, पहाड़
  2. माथा = ललाट, मस्तक
  3. सागर = समुद्र, रत्नाकर
  4. किरण = अंशु, कर
  5. संदेशा = समाचार, खबर
  6. पानी = जल, आब
  7. पूरब = पूर्व, प्राची
  8. प्रातः = सवेरा, सुबह

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8. बहुवचन रूप लिखें:

  1. आशा = …………………………
  2. उमंग = …………………………
  3. संदेश = …………………………
  4. ऊँचा = …………………………
  5. कोना = …………………………
  6. बच्चा = …………………………

उत्तर :

  1. आशा = आशाएँ
  2. ऊँचा = ऊँचे
  3. उमंग = उमंगें
  4. कोना = कोने
  5. संदेश = संदेशे
  6. बच्चा = बच्चे

9. नीचे दी गई पंक्तियों को पूरा करें:

  1. हम गिरि की = …………………………
  2. हम सागर की = …………………………
  3. हम पश्चिम से आए, लाए = …………………………
  4. हम लाए हैं गंग-जमुन के = …………………………

उत्तर :

  1. हम गिरि की ऊँचाई लाए
  2. हम सागर की गहराई।
  3. हम पश्चिम से आए, लाए
    आग – राग राजस्थानी
  4. हम लाए हैं गंग – जमुन के।
    संगम का निर्मल पानी।

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10. पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण क्षेत्रों में स्थित दो-दो राज्यों के नाम लिखें :

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उत्तर :
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भारत के कोने-कोने से Summary in Hindi

भारत के कोने-कोने से कविता का सार

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‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित देश भक्ति पूर्ण श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि ने बच्चों को कविता में स्थान देकर उनके भावों और क्रिया – कलापों को अनोखे रूप में प्रकट किया है। कवि बच्चों की ओर से कहता है कि हम सब बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं।

हम अपने साथ आशाओं और उमंगों का संदेश लेकर आए हैं। हम पर्वतों की ऊँचाई और सागरों की गहराई भी लाए हैं, जो हमारे ऊँचे और गहरे विचारों के प्रतीक हैं। हम बच्चे भारत के पश्चिमी दिशा में स्थित प्रदेशों से आए हैं। हम अपने साथ खुशियों के गीत और राजस्थानी जोश लेकर आए हैं।

हम प्रयागराज का पवित्र और स्वच्छ जल भी लेकर आए हैं। हम बच्चे भावी जीवन में बड़े – बड़े काम करके दिखाएँगे जिससे हमारे देश का नाम दुनिया में और भी ऊँचा हो जाएगा। हम बच्चों के भीतर उमंगों और आशाओं का भंडार भरा हुआ है।

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भारत के कोने-कोने से काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम सन्देशा लाए हैं।
हम गिरि की ऊँचाई लाए,
हम सागर की गहराई,
हम पूरब से आए, लाए
प्रातः – किरण की अरुणाई।

शब्दार्थ :

  • उमंग = उत्साह।
  • आशाओं = उम्मीदों।
  • सन्देशा = संवाद, समाचार।
  • गिरि = पर्वत।
  • सागर = समुद्र।
  • गहराई = गहरापन।
  • पूरब = पूर्व दिशा।
  • प्रातः – किरण = सुबह की किरण।
  • अरुणाई = लाली, लालिमा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० हरिवंशराय बच्चन जी हैं। इसमें कवि ने भारत की एकता एवं अखंडता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम सब बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं। हम नई उमंगों और आशाओं का सन्देश लेकर आए हैं। आगे बढ़ने का संकल्प लेकर आए हैं। हम पर्वत की ऊँचाई और समुद्र की गहराई लेकर आए हैं। हम ऊँचे और गहरे विचारों से भरे हुए हैं। हम पूर्व दिशा से आए हैं और साथ में सुबह की किरणों की लाली लेकर आए हैं। भाव यह है कि हम प्रसन्नता लेकर आए हैं।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों को उन्नति का प्रेरक माना है।
  • भाषा सरल है।

2. हम पश्चिम से आए, लाए
आग – राग राजस्थानी,
हम लाए हैं गंग – जमुन के
संगम का निर्मल पानी।
भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम संदेशा लाए हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

शब्दार्थ :

  • आग – राग = जोश और प्रेम।
  • गंग – जमुन = गंगा – यमुना।
  • संगम = मेल (प्रयाग राज)।
  • निर्मल = स्वच्छ, साफ।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। कविवर डॉ० बच्चन ने बच्चों के माध्यम से भारत की एकता और अखंडता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम बच्चे भारत के पश्चिम दिशा में स्थित प्रदेशों से आए हैं। हम अपने साथ राजस्थानी जोश और खुशियों के गीत लेकर आए हैं। हम गंगा – यमुना के संगम (प्रयाग राज) का स्वच्छ पानी लेकर आए हैं। हम बच्चे अपने देश भारत के हर प्रान्त से आए हैं। हमारे भीतर नई उमंगें और आशाएँ, आगे बढ़ने का भाव भरा है।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों के मन में उमड़ते जोश को दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

3. कल आने वाली दुनिया में,
हम कुछ कर दिखलाएँगे,
भारत के ऊँचे माथे को,
ऊँचा और उठाएँगे।
भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम संदेशा लाए हैं।

शब्दार्थ :

  • दुनिया = संसार।
  • ऊँचे माथे = ऊपर उठे मस्तक।

प्रसंग – यह पद्यांश हमारी पाठय – पस्तक में संकलित कविता ‘भारत के कोने – कोने से’ में से लिया गया है। डॉ० हरिवंशराय बच्चन ने इन पंक्तियों में भारत की एकता और अखंडता की बात कही है।

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सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि – हम भारतीय बच्चे आगे आने वाले समय में कुछ बड़े काम करके दिखाएंगे। जिस भारत का नाम दुनिया में ऊँचा है, उसे हम अपने बड़े कामों से और ऊँचा उठाएँगे। हम बच्चे भारत के हर प्रदेश के कोने – कोने से आए हैं। हमारे अन्दर नई उमंगें और आशाएँ हैं।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों के माध्यम से भारतीय एकता और अखंडता को उजागर किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

शब्दों का शुद्ध रूप

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लिंग परिवर्तन

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वचन परिवर्तन

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भाववाचक संज्ञाएं

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विशेषण रचना

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विपरीतार्थक या विलोम शब्द

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PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

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PSEB 7th Class Hindi Grammar व्यावहारिक व्याकरण (2nd Language)

पर्यायवाची या समानार्थक शब्द

अमृत सोम, सुधा, पीयूष।
असुर राक्षस, दैत्य, दानव, दनुज।
अग्नि आग, अनल, पावक, दहन।
अन्धकार अन्धेरा, तम, तिमिर।
आँख नेत्र, चक्षु, नयन, लोचन।
आकाश गगन, आसमान, नभ, अम्बर।
आनन्द मोद, हर्ष, उल्लास, प्रसन्नता।
इच्छा अभिलाषा, कामना, चाह, लालसा।
ईश्वर भगवान्, परमात्मा, ईश, प्रभु।
कपड़ा वस्त्र, पट, वसन।
कमल पंकज, सरोज, अरविन्द।
किनारा तट, तीर, कूल।
गौ गाय, सुरभि, धेनु।
घर गृह, सदन, भवन।
घोड़ा अश्व, वाजी, घोटक, तुरंग।
चन्द्रमा चाँद, इन्दु, राकेश, शशि, चन्द्र।
जल वारि, पानी, नीर, पय।
तलवार खड्ग, कृपाण, असि।
तीर वाण, शर, सायक।
दिन दिवस, वार, अहन।
देवता सुर, देव, अमर।
नदी सरिता, तरंगिणी, नद, तटिनी।
नमस्कार प्रणाम, नमस्ते, अभिवादन।
पृथ्वी ज़मीन, धरती, भूमि।
पुत्र बेटा, सुत, तनय।
पर्वत गिरि, पहाड़, अचल, शैल।
पक्षी खग, नभचर, विहंग।
बाग़ बगीचा, उपवन, वाटिका।
बादल मेघ, घन, जलद, नीरद।
बिजली विद्युत्, तड़ित, दामिनी।
फूल सुमन, कुसुम, पुष्प।
माता जननी, माँ, मैया।
मृत्यु मौत, अन्त, निधन, देहान्त।
राजा नरेश, नरपति, भूपति।
वायु अनिल, पवन, हवा।
रात रजनी, निशा, रात्रि।
संसार दुनिया, विश्व, जगत्।
सूर्य रवि, भानु, दिनकर।
स्त्री महिला, अबला, नारी, औरत।
सरोवर तालाब, सर, तड़ाग।
समुद्र सागर, सिन्धु, जलधि।
शत्रु दुश्मन, बैरी, अरि।

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

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PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

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1. भाषा

प्रश्न 1.
भाषा किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस साधन द्वारा हम अपने विचार दूसरों पर प्रकट करते हैं, उसे भाषा कहते हैं ; जैसे हिन्दी, मराठी, बांग्ला, पंजाबी आदि भाषाएं हैं।

प्रश्न 2.
भाषा के कितने प्रकार हैं?
उत्तर :
भाषा के दो प्रकार हैं –

  • लिखित और
  • मौखिक।

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प्रश्न 3.
लिपि किसे कहते हैं? हिन्दी की लिपि का नाम बताइए।
उत्तर :
जिन वर्ण चिहनों के द्वारा भाषा लिखी जाती है, उसे लिपि कहते हैं। हिन्दी भाषा की लिपि का नाम देवनागरी है।

प्रश्न 4.
व्याकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस शास्त्र की सहायता से हमें किसी भाषा को शुद्ध लिखना और बोलना आता है, उसे व्याकरण कहते हैं। व्याकरण के तीन भाग होते हैं – वर्ण विचार, शब्द विचार और वाक्य विचार।

प्रश्न 5.
हिन्दी व्याकरण के कितने भाग हैं?
उत्तर :
हिन्दी व्याकरण के तीन भाग हैं –

  • वर्ण विचार – इसमें वर्ण, उसके भेद, उच्चारण एवं शब्द निर्माण के नियम आदि होते हैं।
  • शब्द विचार – इसमें शब्द, भेद, उत्पत्ति, रचना और रूपांतर का वर्णन होता है।
  • वाक्य विचार – इसमें वाक्य भेद, अन्वय, संश्लेषण, विश्लेषण आदि का वर्णन होता है।

प्रश्न 6.
वर्ण या अक्षर किसे कहते हैं?
उत्तर :
वह छोटी – से – छोटी ध्वनि जिसका कोई खंड न हो सके, वर्ण (अक्षर) कहलाती हैं ; जैसे – अ, क, स, प, ह, इ, उ आदि।

प्रश्न 7.
वर्णमाला किसे कहते हैं?
उत्तर :
वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

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प्रश्न 8.
हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण (अक्षर) हैं?
उत्तर :
हिन्दी वर्णमाला में ग्यारह स्वर और तैंतीस व्यंजन हैं। प्रश्न 9. वर्ण के कितने भेद होते हैं? उत्तर : वर्ण के दो भेद हैं –

  • स्वर
  • व्यंजन।

प्रश्न 10.
स्वर किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें स्वर कहा जाता जैसे –
अ, इ, उ, ऋ आदि ग्यारह स्वर हैं।

स्वरों के तीन भेद हैं –

  • ह्रस्व
  • दीर्घ
  • प्लुत।

प्रश्न 11.
मात्रा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
व्यंजन के साथ मिलाकर लिखे जाने वाले स्वर के संक्षिप्त रूप को मात्रा कहते हैं; जैसे –
प् + ई (1) = पी।

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प्रश्न 12.
शब्द किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
अक्षरों के समूह को शब्द कहते हैं। शब्द दो प्रकार के होते हैं –
(i) सार्थक शब्द
(ii) निरर्थक शब्द।

(i) सार्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट होता हो, सार्थक शब्द कहलाता है; जैसे – पुस्तक, मेज, कलम, गाय आदि।
(ii) निरर्थक शब्द – अक्षरों का ऐसा समूह, जिससे कोई अर्थ प्रकट न होता हो, निरर्थक शब्द कहलाता है; जैसे – स्तफुल, यमाक आदि।

प्रश्न 13.
शब्द के वर्गीकरण के आधार बताइए।
उत्तर :
शब्द के वर्गीकरण के तीन आधार हैं

  • उत्पत्ति के आधार पर।
  • वाक्य के प्रयोग के आधार पर
  • व्युत्पत्ति के आधार पर।

प्रश्न 14.
पद किसे कहते हैं?
उत्तर :
शब्दों में ने, को, के लिए आदि विभक्ति चिह्न जोड़ने पर वे पद बन जाते हैं; जैसे – राम ने रोटी खाई। यहाँ ‘राम ने’, ‘रोटी’ तथा ‘खाई’ – ये तीन पद हैं।

प्रश्न 15.
शब्द और पद में क्या अंतर है?।
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को खंड कहते हैं तथा खंडों में विभक्ति चिह्न जोड़ने पर शब्द ही पद कहलाते हैं।

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प्रश्न 16. वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
पदों के ऐसे समूह को वाक्य कहते हैं, जिससे भाव पूरी तरह स्पष्ट हो ; जैसे –
राम रोटी खाता है।

प्रश्न 17.
वाक्य कैसे बनते हैं?
उत्तर :
शब्दों में विभक्ति चिहन जोड़ने पर वे शब्द ‘पद’ कहलाते हैं और पदों से वाक्य बनते हैं; जैसे –
राम ने पुस्तक पढ़ी।

यहाँ ‘राम ने’ कर्ता पद, ‘पुस्तक’ कर्म पद तथा ‘पढ़ी’ क्रिया पद है। शब्दों से वाक्य कभी नहीं बनते। पदों से ही वाक्य बनते हैं। यदि शब्दों के समूह का नाम वाक्य हो तो सभी शब्द कोश ही वाक्य बन जाएँ।

प्रश्न 18.
शब्द और वाक्य में क्या अंतर है? ..
उत्तर :
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और पदों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं।

प्रश्न 19.
प्रयोग के अनुसार शब्द के कितने भेद हैं?
उत्तर :
प्रयोग के अनुसार शब्द के आठ भेद हैं
विकारी – अविकारी
(1) संज्ञा – (5) क्रिया विशेषण
(2) सर्वनाम – (6) सम्बन्ध बोधक
(3) विशेषण – (7) समुच्चय बोधक
(4) क्रिया – (8) विस्मयादि बोधक

विकारी – जिन शब्दों का पुरुष, लिंग, वचन आदि के कारण रूप बदल जाता है, उन्हें विकारी कहा जाता है, जैसे – पर्वत, पर्वतों, बादल, बादलों, विद्वान्, विदुषी आदि।

अविकारी – जिन शब्दों का रूप नहीं बदलता, उन्हें अविकारी कहा जाता है। जैसे – और, यहाँ, वहाँ, या, अथवा आदि।

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2. संज्ञा

प्रश्न 1.
संज्ञा की परिभाषा लिखो और उसके भेद बताओ।
उत्तर :
किसी व्यक्ति, जाति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता संज्ञा के तीन भेद हैं –

  • व्यक्तिवाचक – जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि का बोध कराए, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – कृष्ण, दिल्ली, गंगा आदि।
  • जातिवाचक – जो शब्द किसी सम्पूर्ण जाति का बोध कराए, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – स्त्री, पुरुष, पशु, नगर आदि।
  • भाववाचक – जो शब्द किसी के धर्म, अवस्था, भाव, गुण – दोष आदि प्रकट करे, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – मिठास, मानवता, सत्यता आदि।

3. लिंग

प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं? उसके भेद बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के जिस रूप में स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में लिंग के दो प्रकार हैं –

  • पुल्लिग – संज्ञा के जिस रूप से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिग कहते हैं। जैसे – लड़का, शेर, हाथी।
  • स्त्रीलिंग – संज्ञा के जिस रूप से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – लड़की, शेरनी, हथिनी।।

4. वचन

प्रश्न 1.
वचन किसे कहते हैं और वचन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
शब्दों के जिस रूप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में वचन के दो भेद हैं –

  • एकवचन – संज्ञा का जो रूप एक ही वस्तु का बोध कराए, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे – लड़की, घोड़ा, बहिन आदि।
  • बहुवचन – संज्ञा का जो रूप एक से अधिक वस्तुओं का बोध कराए, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे – लड़कियाँ, घोड़े, बहनें आदि।

प्रश्न 2.
एकवचन का बहवचन के रूप में प्रयोग किन स्थितियों में होता है?
उत्तर :
सम्मान के भाव में एकवचन का प्रयोग बहुवचन के रूप में होता है, जैसे –

  • पिता जी आए हैं।
  • बापू महान् नेता थे।

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5. कारक

प्रश्न 1.
कारक किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
अथवा
कारक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका वाक्य के दूसरे शब्दों से सम्बन्ध जाना जाए, उस रूप को कारक कहते हैं। जैसे – मोहन ने पुस्तक को मेज़ पर रख दिया।

विभक्तिकारक प्रकट करने के लिए संज्ञा अथवा सर्वनाम के साथ ‘ने’, ‘को’, ‘से’ आदि जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें विभक्ति कहा जाता है।

हिन्दी में आठ कारक हैं। इनके नाम और विभक्ति चिहन इस प्रकार हैं : –
कारक – विभक्ति चिहन

  1. कर्ता – ने
  2. कर्म – को
  3. करण – से, के द्वारा, के साथ
  4. सम्प्रदान – को, के लिए, वास्ते
  5. अपादान – से (पृथकत्व, बोधक)
  6. सम्बन्ध – का, के, की
  7. अधिकरण – में, पर
  8. सम्बोधन – हे, अरे, रे

1. कर्ता – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है। जैसे –
(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ii) सोहन ने दूध पिया।
2. कर्म – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। जैसे – श्याम पाठशाला को जाता है।
3. करण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहा जाता है। जैसे – राम ने बाण से बालि को मारा।
4. सम्प्रदान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के लिए क्रिया की जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है। जैसे – अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें लाया।
5. अपादान – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से पृथक्कता, आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहा जाता है। जैसे – वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
6. सम्बन्ध – संज्ञा या सर्वनाम का जो रूप एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। जैसे – यह मोहन का घर है।
7. अधिकरण – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे – वीर सैनिक युद्ध भूमि में मारा गया।
8. सम्बोधन – संज्ञा का जो रूप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो। जैसे हे ईश्वर ! हमारी रक्षा करो।

PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

6. सर्वनाम

प्रश्न 1.
सर्वनाम की परिभाषा लिखो और उसके भेद भी बताओ।
उत्तर :
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं।
जैसे – सोहन, मोहन के साथ उसके घर गया। इस वाक्य में ‘उसके’ सर्वनाम मोहन के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है।

सर्वनाम के पाँच भेद हैं –

  1. पुरुषवाचक – जिससे वक्ता (बोलने वाला), श्रोता (सुनने वाला) और जिसके सम्बन्ध में चर्चा हो रही हो, उसका ज्ञान प्राप्त हो, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे –
    • अन्य पुरुष – वह, वे
    • मध्यम पुरुष – तू, तुम
    • उत्तम पुरुष – मैं, हम
  2. निश्चयवाचक इस सर्वनाम से वक्ता के समीप या दर की वस्तु पर निश्चय होता है। जैसे – यह, ये, वह, वे।
  3. अनिश्चयवाचक – इस सर्वनाम से किसी पुरुष एवं वस्तु का निश्चित ज्ञान नहीं होता। जैसे – कोई, कुछ।
  4. सम्बन्धवाचक – इस सर्वनाम से दो संज्ञाओं में परस्पर सम्बन्ध का ज्ञान होता है। जैसे – जो, सो। जो करेगा, सो भरेगा।
  5. प्रश्नवाचक – इस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने और कुछ जानने के लिए होता है। जैसे – कौन, क्या। आप कौन हैं? मैं क्या करूँगा?

7. विशेषण

प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं? इसके भेद बताओ।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें विशेषण कहा जाता है। जैसे – वीर पुरुष। इसमें ‘वीर’ शब्द पुरुष की विशेषता प्रकट करता है। इसलिए यह विशेषण है।

विशेषण के चार भेद हैं –

  1. गुणवाचक – संज्ञा या सर्वनाम के गुण – दोष, रंग, अवस्था आदि को बताने वाला गुणवाचक विशेषण होता है। जैसे विद्वान् पुरुष। मूर्ख लड़का (गुण – दोष)। नीला घोड़ा। काली बिल्ली (रंग)।
  2. संख्यावाचक – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का ज्ञान कराए, वह संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – एक पुस्तक। दस मनुष्य।
  3. परिमाणवाचक जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के नाप – तोल का ज्ञान होता हो, वह परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – दो मीटर कपड़ा। चार किलो मिठाई।
  4. सार्वनामिक या सांकेतिक – जब सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत के रूप में आता है, तब वह सर्वनाम विशेषण बन जाता है। जैसे – वह मेरी पुस्तक है।

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8. क्रिया

प्रश्न 1.
क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाओ।
उत्तर :
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना पाया जाए, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे

  • नेहा दौड़ती है।
  • मैं पुस्तक पढ़ती हूँ।
  • हम खाना खाते हैं।

इन वाक्यों में दौड़ती’, ‘पढ़ती’, ‘खाते’ शब्दों से कोई काम करने या होने का पता चलता है।

प्रश्न 2.
कर्म के अनुसार क्रिया के कितने भेद हैं?
उत्तर :
कर्म के अनुसार क्रिया के दो भेद हैं –

  1. सकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सुरेश पत्र लिखता है। इस वाक्य में सुरेश क्या लिखता है? ‘पत्र’। पत्र क्या है? कर्म। यह क्रिया सकर्मक है।
  2. अकर्मक क्रिया – जिस क्रिया का कोई कर्म न हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे – सलमा नहाती है। इस वाक्य में ‘नहाती’ है क्रिया का कोई कर्म नहीं है। यह अकर्मक क्रिया है।

क्रिया में परिवर्तन

प्रश्न 3.
क्रिया में परिवर्तन किस प्रकार होता है? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
संज्ञा शब्दों की तरह क्रिया शब्द भी विकारी शब्द है। क्रिया शब्दों में परिवर्तन लिंग, वचन, पुरुष, काल और वाच्य के कारण होता है। जैसे
(क) लिंग – मोहन गा रहा था। (पुल्लिग)
राधा खेल रही थी। (स्त्रीलिंग)
यहाँ ‘रहा था’ क्रिया पुल्लिग है और ‘रही थी’ क्रिया स्त्रीलिंग है।

इस प्रकार संज्ञा शब्दों की भांति क्रिया शब्दों के दो लिंग होते हैं।

  • पुल्लिग
  • स्त्रीलिंग

(ख) वचन लड़का हँसता है। लड़के पढ़ते हैं। यहाँ ‘हँसता है’ एकवचन है और ‘पढ़ते हैं’ बहुवचन है। इस प्रकार क्रिया शब्दों के दो वचन होते हैं –

  • एकवचन
  • बहुवचन

PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

(ग) पुरुष – मैं पढ़ता हूँ।
हम लिखते हैं।
यहाँ ‘मैं’ और ‘हम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: उत्तम पुरुष हैं।
तू जाता है।
तुम खाते हो।
यहाँ ‘तू’ और ‘तुम’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अत: मध्यम पुरुष हैं।
वह देखता है।
कोई जा रहा है।
यहाँ ‘वह’ और ‘कोई’ कर्ता के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। अतः अन्य पुरुष हैं। इस प्रकार कर्ता के अनुसार क्रिया के तीन पुरुष हैं –

  • उत्तम पुरुष – (मैं, हम)
  • मध्यम पुरुष – (तू, तुम)
  • अन्य पुरुष – (वह, वे, संज्ञा शब्द)

9. काल

प्रश्न 1.
काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से क्रिया के करने के समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं।

प्रश्न 2.
काल के कितने भेद हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर :
काल के मुख्यत: तीन भेद हैं :

  • भूतकाल
  • वर्तमानकाल
  • भविष्यत्काल।

प्रश्न 3.
भूतकाल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना बीते समय में पाया जाए तो भूतकाल की क्रिया होती है।

मैंने रोटी खाई।
गाड़ी तेज़ चल रही थी।
आंधी से कुछ पेड़ गिरे।

PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

ऊपर के वाक्यों में ‘खाई’, ‘चल रही थी’, ‘गिरे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है। बीते हुए समय को भूतकाल कहते हैं।

प्रश्न 4.
वर्तमान काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना चल रहे समय में पाया जाए तो वह वर्तमान काल की क्रिया होती है।
कवि कविता लिखता है।
लड़की गाना गाती है।
छात्र पुस्तकें पढ़ते हैं।

इन वाक्यों में लिखता है’, ‘गाती’ है, ‘पढ़ते’ हैं. क्रियाएँ हैं। इनसे क्रिया का करना या होना इसी समय में पाया जाता है। चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।

प्रश्न 5.
भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
उत्तर :
जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाए, तो भविष्यत् काल की क्रिया होती है।
लड़के मैदान में खेलेंगे।
किसान फसल काटेंगे।
वह दिल्ली जाएगा।
ऊपर के वाक्यों में ‘खेलेंगे’, ‘काटेंगे’, ‘जाएगा’ – क्रियाएँ हैं। इन से क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है। ये भविष्यत् काल की क्रियाएँ हैं।

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10. वाच्य

प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं? वाच्य के भेद भी लिखो।
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप में कर्ता या कर्म या भाव अर्थात् क्रिया व्यापार की प्रमुखता कही जाए, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के तीन भेद होते हैं –

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य।

प्रश्न 2.
कर्तृवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
क्रिया के जिस रूप से कर्ता के व्यापार का पता चले उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। राम आता है। मोहन ने दरवाज़ा खोला। श्याम ने पुस्तक खरीदी।

यहाँ ‘आता है’। क्रिया व्यापार करने वाला कर्ता राम है। खोलने की क्रिया करने वाला कर्ता मोहन है और खरीदने की क्रिया करने वाला कर्ता श्याम है।

प्रश्न 3.
कर्मवाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस क्रिया व्यापार से कर्म का व्यापार मुख्य रूप से सूचित हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।

छात्र के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाएगी।
मोहन से लकड़ी नहीं काटी जा रही है।
शीला से दरवाजा नहीं खोला गया।

यहाँ ‘पढ़ने’ की क्रिया व्यापार में कर्ता गौण होकर कर्म पर बल है। इसी प्रकार ‘लकड़ी’ और ‘दरवाज़ा’ पर बल है। यहाँ कर्ता प्रधान नहीं है, कर्म प्रधान है। इसमें कर्ता के साथ ‘के द्वारा’, ‘से’ आदि लगा दिया जाता है।

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प्रश्न 4.
भाववाच्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस वाक्य रचना में क्रिया का व्यापार ही प्रधान हो उसे भाववाच्य कहते हैं। यहाँ अकर्मक क्रिया का ही प्रयोग होता है।

हम से नहीं नहाया गया।
बच्चे से रोया जाता है।
नेहा से हँसा जाता है।

यहाँ न कर्म प्रधान है और न ही कर्ता, बल्कि क्रिया के व्यापार को प्रमुखता दी गई है।

11. क्रिया विशेषण

प्रश्न 1.
क्रिया विशेषण किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर :
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द को क्रिया विशेषण कहते हैं। यह अभी आया है।
देखो, यहाँ बहुत शोर है।
मोहन आज बहुत सोया।
समय जल्दी – जल्दी जा रहा है।

ऊपर के वाक्यों में यह कब आया? ‘अभी’। कहाँ बहुत शोर है? ‘यहाँ। मोहन आज कितना सोया? ‘बहुत’। समय कैसा जा रहा है? ‘जल्दी – जल्दी’। क्रिया में यदि हम कब, कहाँ, कितना और कैसे प्रश्न लगाएँ तो हमें क्रिया की विशेषताएँ पता चलती हैं।

क्रिया विशेषण के चार भेद हैं –

  • कालवाचक क्रिया विशेषण
  • स्थानवाचक क्रिया विशेषण
  • परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
  • रीतिवाचक क्रिया विशेषण।

कुछ क्रिया विशेषण इस प्रकार हैं –

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12. सम्बन्ध बोधक

प्रश्न 1.
सम्बन्ध बोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
सम्बन्ध बोधक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ बताए, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं। जैसे –
मोहन और सोहन साथ जा रहे हैं।
नीतू राम के समान बुद्धिमान है।
बच्चे छत के ऊपर उछल – कूद कर रहे हैं।
आपके सामने कौन बोल सकता है?

ऊपर के वाक्यों में साथ, समान, ऊपर, सामने आदि शब्द वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध प्रकट करते हैं।

कुछ सम्बन्ध बोधक शब्द ये हैं…
पहले, बाद, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, बीच, निकट, पास, सामने, तरफ, द्वारा, विरुद्ध, अनुसार, तरह, समान, सिवा, रहित, अतिरिक्त, समेत, संग, साथ आदि।

प्रश्न 2.
सम्बन्ध बोधक और क्रिया विशेषण में अन्तर उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर :
मकान के भीतर जाओ।
भीतर जाओ।

पहले वाक्य में भीतर’ शब्द मकान के साथ आया है जबकि दूसरे वाक्य में भीतर’। शब्द क्रिया की विशेषता बता रहा है। जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त हो, उसे सम्बन्ध बोधक कहते हैं और क्रिया के साथ प्रयुक्त होकर क्रिया की विशेषता बताए, उसे क्रिया विशेषण कहते हैं।

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13. योजक

प्रश्न 1.
योजक की परिभाषा लिखो।
अथवा
योजक किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने वाले शब्द को योजक कहते हैं। जैसे हरदीप और मनदीप इकट्ठे खेल रहे हैं।
चुपचाप बैठो अन्यथा बाहर चले जाओ। गुरप्रीत पढ़ने में तो अच्छा है परन्तु स्वास्थ्य में कमजोर है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्द ‘और’, ‘अन्यथा’, ‘परन्तु’ आदि दो शब्दों या वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं।
कुछ योजकों के उदाहरण ये हैं : तथा, एवं, या, अथवा, नहीं तो, पर, लेकिन, बल्कि, किन्तु, इसलिए, अतः, क्योंकि, चूँकि, कि, जोकि, ताकि, जिससे, जिसमें, यद्यपि, तथापि, अगर तो, यानि, मानो, यहाँ तक कि आदि।

14. विस्मयादिबोधक

प्रश्न 1.
विस्मयादिबोधक का लक्षण लिखो।
अथवा
विस्मयादिबोधक किसे कहते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर :
जो शब्द अचानक मुख से निकलकर घृणा, शोक, आश्चर्य, हर्ष आदि मनोभावों को प्रकट करते हैं, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।

उदाहरण –
हाय ! मैं तो लुट गया।
वाह ! क्या मधुर आवाज़ है।
शाबाश ! तुमने तो कमाल कर दिया।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘हाय’, ‘वाह’, ‘शाबाश’ आदि शब्द मन के भावों को प्रकट करते हैं। कुछ विस्मयादिबोधक शब्द हैं – ओहो, हे, छि:छि:, धन्य, उफ, बाप रे, अहो, ऐं, वाह – वाह, दुर्, धिक्कार, ठीक, भला, अच्छा, सावधान, होशियार, खबरदार, काश आदि।

15. विराम चिहन

प्रश्न 1.
विराम चिह्न से क्या अभिप्राय है? हिन्दी में प्रचलित चिह्न को स्पष्ट करें।
उत्तर :
बातचीत करते समय हम अपने भावों को स्पष्ट करने के लिए कहीं – कहीं ठहरते हैं। लिखने में भी ठहराव प्रकट करते हैं। ठहराव को प्रकट करने के लिए जो चिहन लगाए जाते हैं, वे विराम चिहन कहलाते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

मुख्य विराम चिह्न

  1. पूर्ण विराम – ()
    (क) हर वाक्य के अन्त में लगाया जाता है। जैसे – गोपाल आठवीं कक्षा में पढ़ता है।
    (ख) कविता में वाक्य की पूर्णता – अपूर्णता नहीं देखी जाती। इसका प्रयोग पद या पंक्ति के अन्त में किया जाता है।
  2. अल्प – विराम – (,)
    बोलने वाला जहाँ बहुत थोड़ी देर के लिए रुकता है, वहाँ अल्प – विराम लगता है ; जैसे – मैं, कमला और गीता कल मन्दिर जाएंगी।
  3. प्रश्न – सूचक चिह्न – (?) प्रश्न – सूचक वाक्य के अन्त में प्रश्न – सू लगाया जाता है; जैसे – इस समय भारत के प्रधानमन्त्री कौन हैं?
  4. उद्धरण चिह्न – (“”) किसी के कथन को उसी रूप में दिखाने के लिए उद्धरण चिह्न लगाया जाता है ; जैसे – महात्मा गांधी जी ने कहा था, “सच्चाई की अन्त में विजय होती है।”
  5. विस्मयादिबोधक चिह्न – (!) विस्मयादिबोधक चिह्न अव्ययों के बाद लगते हैं; जैसे – अहो ! हाय ! आदि।
  6. निर्देशक – ( – ) इसका प्रयोग कथोपकथन (बातचीत) में बोलने वाले के नाम के आगे आता है। माता – पुत्र ! इधर आओ, मेरी बात सुनो।
    आचार्य – बालको ! भारत को कब आजादी मिली थी?
  7. योजक – ( – ) दो शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे – माता – पिता की सेवा करो।
  8. कोष्ठक चिह्न – () (क) किसी शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – क्या तुम मेरे कहने का तात्पर्य (मतलब) समझ गए?

(ख) विभाग सूचक अंक या अक्षरों के लिए भी इसी चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे – संज्ञा के तीन भेद हैं –

  • व्यक्तिवाचक
  • जातिवाचक और
  • भाववाचक।

PSEB 7th Class Hindi Grammar पारिभाषिक व्याकरण (2nd Language)

9. लाघव चिन – (०) जहाँ शब्द को पूरा न लिख कर उसका संक्षिप्त रूप लिख दिया जाए वहाँ लाघव चिह्न का प्रयोग होता है ; जैसे पं० नेहरू। ला० लाजपतराय। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Patra Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 1.
अपने मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
खालसा हाई स्कूल,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन यह है कि मुझे कल रात सख्त बुखार हो गया है। डॉक्टर ने दवा देने के साथ-साथ आराम करने को कहा है। इसलिए मैं आज स्कूल नहीं आ सकता। कृपा करके मुझे दो दिन 14-4-20….. से 15-4-20…… की छुट्टी देकर कृतार्थ करें। मैं आपका बहुत धन्यवादी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
विजय सिंह।
कक्षा सातवीं ‘ए’।

तिथि : 14 अप्रैल, 20……

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 2.
आवश्यक काम के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
नकोदर।

श्रीमान् जी,
विनम्र निवेदन यह है कि आज मुझे घर पर एक अति आवश्यक कार्य पड़ गया है। इसलिए मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपा करके मुझे एक दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद होगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
बलदेव सिंह।
तिथि : 5 मई, 20……
कक्षा सातवीं ‘बी’।

प्रश्न 3.
बड़े भाई/बड़ी बहन के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापिका महोदया,
गुरु तेग बहादुर हाई स्कूल,
फिरोज़पुर।

श्रीमती जी,
सविनय प्रार्थना यह है कि मेरे बड़े भाई/बड़ी बहन का विवाह 12 अक्तूबर को होना निश्चित हुआ है। मेरा इसमें सम्मिलित होना आवश्यक है। इसलिए इन दिनों मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकती। कृपया आप मुझे 11 अक्तूबर से 13 अक्तूबर तक का अवकाश प्रदान करें।

आपकी अति कृपा होगी।

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
निर्मल कौर।
रोल नं05
कक्षा सातवीं ‘ए’।

तिथि : 11 अक्तूबर, 20……

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 4.
फीस माफी के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
नवांशहर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में सातवीं श्रेणी में पढ़ता हूँ। मैं एक निर्धन विद्यार्थी हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आमदनी केवल चार हज़ार रुपये है। इस आय से परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल से होता है। अत: मेरे पिता जी मेरी फीस नहीं दे सकते। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, परन्तु आपके सहयोग की आवश्यकता है। कृपा करके मेरी पूरी फीस माफ करने का कष्ट करें। इस हेतु मैं आपका जीवन भर आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
महेन्द्र सिंह।
कक्षा सातवीं ‘ए’
रोल नं0 15

तिथि : 10 मई, 20……

प्रश्न 5.
जुर्माना माफ करवाने के लिए मुख्याध्यापिका को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापिका महोदया,
खालसा हाई स्कूल,
अमृतसर।

श्रीमती जी,
सविनय प्रार्थना है कि इस शनिवार को मेरी अंग्रेजी विषय की अध्यापिका जी ने हमारा टैस्ट लेना था। उस दिन मेरे माता जी बीमार थे। घर में मेरे अलावा कोई नहीं था। अत: उस दिन मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकी। मेरी अध्यापिका ने मुझे बीस रुपए विशेष जुर्माना किया। मेरे पिता जी बहुत गरीब हैं। मैं यह जुर्माना नहीं दे सकती। वैसे मैं अंग्रेज़ी विषय में बहुत अच्छी हूँ। इस बार त्रैमासिक परीक्षा में मेरे 100 में से 80 अंक आए थे।

आपसे सविनय प्रार्थना है कि आप कृपया मेरा जुर्माना माफ कर दीजिए। मैं आपकी अत्यन्त आभारी रहूँगी।

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
सिमरन,
कक्षा सातवीं ‘ए’।

तिथि : 12 अगस्त, 20……

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 6.
स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र लेने के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
गुरु नानक मिंटगुमरी हाई स्कूल,
कपूरथला।

श्रीमान् जी,
सविनय प्रार्थना यह है कि मेरे पिता जी की बदली फिरोज़पुर की हो गई है। इसलिए हम सबको यहाँ से जाना पड़ रहा है। मेरा यहाँ अकेला रहना मुश्किल है। अत: मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें ताकि फिरोज़पुर जाकर मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। मैं आपका बहुत आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुखबीर सिंह,
कक्षा सातवीं ‘बी’
रोल नं0 18

तिथि : 15 सितम्बर, 20……..

प्रश्न 7.
पुस्तकें मँगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को पत्र लिखो।
उत्तर :
सेवा में
प्रबन्धक महोदय,
मल्होत्रा बुक डिपो,
रेलवे रोड,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
कृपया निम्नलिखित पुस्तकें वी०पी०पी० द्वारा शीघ्र भेज दें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई पुस्तक मैली और फटी न हो। आपके नियमानुसार दो सौ रुपए मनीआर्डर द्वारा भेज रहा हूँ।

ये सब पुस्तकें सातवीं श्रेणी के लिए और नए संस्करण (एडीशन) की होनी चाहिएँ।
1. MBD हिन्दी गाइड 10 प्रतियाँ
2. MBD इंग्लिश गाइड 12 प्रतियाँ
3. MBD पंजाबी गाइड 8 प्रतियाँ

भवदीय,
मोहन सिंह (मुख्याध्यापक),
माता गुजरी स्कूल,
तिथि : 15 मई, 20…..
अबोहर।

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 8.
रुपए मँगवाने के लिए पिता जी को पत्र लिखो।
उत्तर :
गवर्नमैंट हाई स्कूल,
गढ़दीवाला।
15 मई, 20….
पूज्य पिता जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर बड़ी खुशी होगी कि मैं छठी कक्षा में से अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण अब मैंने सातवीं श्रेणी में दाखिला लेना है। इस श्रेणी की मैंने पुस्तकें एवं कापियाँ भी खरीदनी हैं। इसलिए कृपा करके मुझे पाँच सौ रुपए मनीआर्डर द्वारा शीघ्र भेज दें ताकि मैं ठीक समय पर सातवीं श्रेणी में दाखिला ले सकूँ। माता जी को प्रणाम। बिट्ट और मधु को प्यार।

आपका आज्ञाकारी बेटा,
राजीव कुमार

प्रश्न 9.
अपने जन्म-दिन पर चाचा जी को निमन्त्रण पत्र लिखो।
उत्तर :
205, मॉडल टाऊन,
जालन्धर शहर।
20 अप्रैल, 20……
पूज्य चाचा जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि 23 अप्रैल को मेरा जन्म-दिन है। इसलिए मैं अपने मित्रों को शाम को चाय पार्टी दे रहा हूँ। आप भी चाची जी एवं रिंकू और नीतू को लेकर इस छोटी-सी चाय पार्टी पर आएँ।

चाची जी को प्रणाम। रिंकू और नीतू को प्यार।

आपका भतीजा,
विजय सिंह

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 10.
मित्र के प्रथम आने पर बधाई पत्र लिखो।
उत्तर :
208, प्रेमनगर,
लुधियाना।
11 अप्रैल, 20…..

प्रिय मित्र प्रताप,
कल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुम पाँचवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
मनोहर सिंह

प्रश्न 11.
चाचा जी को जन्म-दिन पर भेजे गए उपहार का धन्यवाद देते हुए पत्र लिखो।
उत्तर :
16, जवाहर नगर,
जालन्धर शहर।
24 अगस्त, 20…..
पूज्य चाचा जी,

सादर प्रणाम।
आपका भेजा हुआ उपहार मुझे परसों मिल गया था। जब मैंने उसे खोला तो उसमें अपने लिए एक पैन देखकर बहुत खुश हुआ। यह बहुत बढ़िया पैन है। यह बहुत सुन्दर लिखता है। मैं इसे हर रोज़ अपने स्कूल लेकर जाता हूँ। मेरे मित्रों को यह बहुत पसन्द है। मैं इस सुन्दर उपहार के लिए आपका बहुत आभारी हूँ। चाची जी को प्रणाम। रमा और बिट्ट को प्यार।

आपका भतीजा,
बलवन्त सिंह

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 12.
अपने मित्र को बड़े भाई के विवाह पर निमन्त्रण-पत्र लिखो।
उत्तर :
105, आदर्श नगर,
लुधियाना।
12 सितम्बर, 20…..

प्रिय मित्र दिनेश,
तुम्हें यह जानकर बड़ी खुशी होगी कि मेरे बड़े भाई का विवाह 15 सितम्बर को होना निश्चित हुआ है। बारात गुरदासपुर जा रही है। इसी खुशी के मौके पर मैं तुम्हें भी विवाह पर आने का निमन्त्रण देता हूँ। कृपया इस शुभ अवसर पर आकर मंडप की शोभा बढ़ाएँ। तुम्हें बारात के साथ भी चलना पड़ेगा। सचमुच अगर तुम साथ होगे तो बड़ा मज़ा आएगा। भैया और माता-पिता जी को साथ लाना न भूलना।

तुम्हारा मित्र,
उदय सिंह

प्रश्न 13.
अपने मित्र को पत्र लिखकर बतायें कि आपका नया स्कूल किन-किन बातों में अच्छा है।
उत्तर :
81, विजय नगर,
पटियाला।
17 मई, 20…..
प्रिय मित्र सुरेश,

सादर प्रणाम!
तुम्हारी इच्छा के अनुसार मैं इस पत्र में अपने स्कूल के बारे में कुछ पंक्तियां लिख रहा हूं। मेरे स्कूल का नाम राजकीय हाई स्कूल है। यह अपने नगर के सभी स्कूलों में सबसे अच्छा स्कूल है। यहां खेलों का बहुत ही अच्छा प्रबंध है। प्रत्येक छात्र किसी-न-किसी खेल में अवश्य भाग लेता है। इसका भवन बहुत बड़ा है। इसमें लगभग 1500 छात्र पढ़ते हैं तथा 50 अध्यापक पढ़ाते हैं। इसके चारों और सुंदर बाग हैं, जिसमें कई प्रकार के फूल खिले रहते हैं। हमारे अध्यापक बहुत ही सदाचारी तथा मेहनती हैं। मुख्याध्यापक तो बहुत ही योग्य, शांत तथा अनुशासन-प्रिय व्यक्ति हैं। मुझे अपने स्कूल पर गर्व है।

तुम्हारा मित्र,
गुरदेव।

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 14.
मान लो आपका नाम गणेश है। आप 15, पटेल नगर, दिल्ली में रहते हैं। अपने मित्र, जिसका नाम हरीश है, को गर्मी की छुट्टियाँ किसी पर्वत पर बिताने के लिए निमन्त्रण-पत्र लिखें।
अथवा
अपने मित्र को एक पत्र लिखें, जिसमें उसे गर्मी की छुट्टियाँ शिमला में बिताने के लिए कहा गया हो।
उत्तर :
15, पटेल नगर,
दिल्ली।
20 मार्च, 20…..
प्रिय मित्र हरीश,

सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। तुमने ग्रीष्मावकाश में मेरा कार्यक्रम जानने की इच्छा प्रकट की। तुम्हें याद होगा कि मैंने गत गर्मियों की छुट्टियाँ तुम्हारे साथ जयपुर में बिताई थीं। इस समय तुमने वायदा किया था कि अगली गर्मी की छुट्टियाँ किसी पर्वतीय स्थान पर बिताएंगे। इस बार मेरा विचार शिमला जाने का है। अपने वचन के अनुसार तुम्हें भी मेरे साथ चलना है। मेरे मामा जी वहाँ अध्यापक हैं। अत: वहाँ मनोरंजन के साथ-साथ पढ़ाई भी हो सकेगी।

इस प्रकार शिमला में गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने में एक पंथ और दो काज होंगे। तुम तो जानते ही होगे कि शिमला को पहाड़ों की रानी कहा जाता है। गर्मियों में वहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना होता है। वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य तो अद्भुत हैं। चीड़ और देवदार के ऊँचे-घने पेड़ उसकी शोभा को चार चाँद लगाते हैं। वहाँ जब शाम के समय हम रिज और माल रोड पर घूमेंगे तो मज़ा आ जाएगा।

आशा है कि तुम मेरा शिमला चलने का सुझाव अवश्य स्वीकार करोगे। तुम्हारी स्वीकृति आने पर मैं मामा जी को पत्र लिखूगा। पूज्य माता-पिता जी को मेरी चरण वन्दना कहना। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में –

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
गणेश।

प्रश्न 15.
खिड़की का शीशा टूट जाने पर क्षमा माँगते हुए प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तर :
सेवा में
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय हाई स्कूल,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में सातवीं श्रेणी में पढ़ता हूँ। मैं एक निर्धन विद्यार्थी हूँ। आधी छुट्टी के समय मैं अपने सहपाठियों के साथ खेल रहा था। अचानक मेरे हाथ से गेंद छूटकर खिड़की के शीशे पर लगी और शीशा टूट गया। मेरे कारण विद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुँचा है। इस नुकसान के लिए मुझं पर ₹ 500 का जुर्माना किया गया है। मुझे अपनी गलती पर दुख एवं शर्मिंदगी है। मेरे पिता जी की मासिक आमदनी बहुत कम है। वह यह जुर्माना नहीं भर पाएँगे। अत: आपसे मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि मेरी इस भूल तथा मुझ पर लगाए जुर्माने को क्षमा करने का कष्ट करें। इस हेतु मैं आपका जीवन भर आभारी रहूँगा।

PSEB 7th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
प्रेम कुमार,
कक्षा सातवीं बी,
तिथि : 10 दिसंबर, 20.
रोल नं0 25

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Nibandh Lekhan निबंध-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

निबंध सूची :

  1. श्री गुरु नानक देव जी
  2. श्री गुरु तेग़ बहादुर का बलिदान
  3. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी
  4. गुरु रविदास
  5. महाराजा रणजीत सिंह
  6. लाला लाजपत राय
  7. महात्मा गांधी
  8. पं० जवाहर लाल नेहरू
  9. अमर शहीद सरदार भगत सिंह
  10. हमारा देश
  11. मेरा पंजाब
  12. मेरा गाँव
  13. मेरी पाठशाला (स्कूल)
  14. मेरा प्रिय अध्यापक
  15. मेरा मित्र
  16. लोहड़ी
  17. दशहरा
  18. दीवाली
  19. वैशाखी
  20. होली
  21. बसंत ऋतु
  22. प्रातः काल की सैर
  23. स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)
  24. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)
  25. समाचार पत्र 26. विद्यार्थी जीवन
  26. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या
  27. टेलीविज़न के लाभ-हानियां
  28. मेरी पर्वतीय यात्रा
  29. आँखों देखी प्रदर्शनी
  30. जनसंख्या की समस्या
  31. देशभक्त/स्वदेश प्रेम
  32. आँखों देखा मैच

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

1. श्री गुरु नानक देव जी

श्री गुरु नानक देव जी सिक्खों के पहले गुरु थे। इनका जन्म सन् 1469 में तलवण्डी नामक गाँव में हुआ। इनके पिता जी का नाम मेहता कालू राय जी और माता का नाम तृप्ता देवी जी था।

वह बचपन से ही प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। इसलिए इनका मन पढ़ने में नहीं लगता था। एक बार पिता जी ने इनको कुछ रुपए दिए और सौदा ले आने को कहा। मार्ग में इन्होंने भूखे साधुओं को देखा, इन्होंने उनको भोजन करा दिया और खाली हाथ लौट आए। पिता जी इन पर बहुत गुस्से हुए। फिर उन्होंने गुरु नानक जी को सुल्तानपुर लोधी के मोदी खाने में नौकरी दिलवा दी। यहाँ भी वे अपना वेतन गरीबों और साधुओं में बाँट देते थे।

14 वर्ष की आयु में इनका विवाह सुलक्षणी देवी से हो गया। इनके दो पुत्र हुए श्री चन्द और लखमी दास। लेकिन घर में मन न लगने पर वह घर छोड़कर स्थान-स्थान पर घूमे। इन्होंने अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। लोगों को उपदेश देने के लिए इन्होंने कई यात्राएँ कीं। वह मक्का मदीना भी गए। इन्होंने ईश्वर को निराकार बताया और कहा कि ईश्वर एक है। हम सब भाई-भाई हैं। सदा सच बोलना चाहिए। इनकी वाणी गुरु ग्रन्थ साहिब में है। अन्त में वह करतारपुर में आ गए और वहीं ईश्वर का भजन करते स्वर्ग सिधार गए।

2. श्री गुरु तेग़ बहादुर का बलिदान

सिक्खों के नवम् गुरु श्री गुरु तेग़ बहादुर का आत्म-बलिदान इतिहास की एक अद्भुत घटना है। गुरु जी का जन्म 1 अप्रैल, सन् 1621 ई० को अमृतसर में हुआ। आपके पिता श्री गुरु हरगोबिन्द जी थे। आप शुरू से ही प्रभु के भक्त थे। आप में भलाई की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी।

एक बार कश्मीर का शासक ब्राह्मणों पर घोर अत्याचार कर रहा था। वह ब्राह्मणों को ज़बरदस्ती मुसलमान बनाना चाहता था। तब दुःखी ब्राह्मण गुरु जी के पास आए और उन्हें अपने दुःख का कारण बताया। कारण सुनकर गुरु तेग़ बहादुर जी भी चिन्ता में डूब गए। तभी पुत्र गोबिन्द राय ने चिन्ता का कारण पूछा। तब गुरु तेग बहादुर ने कहा कि किसी बड़े भारी बलिदान की आवश्यकता है। तब गोबिन्द राय ने कहा कि आप से बढ़कर कौन महान् है। अपने पुत्र के इस कथन से गुरु जी बहुत प्रसन्न हुए।

गुरु जी दिल्ली में औरंगजेब के दरबार में पहुंचे। उन्होंने औरंगजेब को काफ़ी समझाया। लेकिन इनके महान् उपदेश का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा। उसने गुरु जी को मौत के घाट उतारने का हुक्म दे दिया। जैसे ही जल्लाद ने तलवार से गुरु जी पर प्रहार किया, आँधी चलने लगी। भाई जैता जी गुरु जी का शीश उठाकर आनन्दपुर गुरु गोबिन्द सिंह जी के पास ले गया। यहाँ शीश का अन्तिम संस्कार किया गया। भाई लखी शाह गुरु जी के शव को उठाकर अपने घर ले गया और घर को आग लगाकर उनका अन्तिम संस्कार कर दिया। दिल्ली में गुरुद्वारा शीश गंज उनके बलिदान की याद दिलाता है।

इस प्रकार गुरु जी ने अपने बलिदान से लोगों को यह प्रेरणा दी कि मौत से नहीं डरना चाहिए। सत्य की रक्षा के लिए उन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगा दी। इनका बलिदान सदैव अमर रहेगा।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

3. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी

श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी सिक्खों के दसवें गुरु थे। आपका जन्म सन् 1666 ई० में पटना में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री गुरु तेग बहादुर और माता का नाम माता गुजरी देवी जी था। आपको बचपन से ही तीर चलाने और घुड़सवारी का शौक था। आपने फ़ारसी और संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की। आप बहुत निडर और शक्तिशाली योद्धा थे।

9 वर्ष की आयु में पिता के बलिदान के बाद आप गुरुगद्दी पर बैठे। समाज में फैले अत्याचारों को रोकने के लिए आपने सन् 1699 ई० में खालसा पंथ की स्थापना की तथा पाँच प्यारों को अमृत छकाया। धर्म की रक्षा के लिए आपके चारों पुत्रों ने अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। आप सारे सिक्खों को अपने पुत्रों के समान समझते थे तथा उनसे प्रेम का व्यवहार करते थे।

अपने अन्तिम समय में आप नंदेड़ चले गए। वहाँ पर गुलखां नामक पठान ने अपनी पुरानी शत्रुता के कारण आपको छुरा घोंप दिया। घाव गहरा था। यहीं पर आपने बन्दा बैरागी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में, बुराई के विरुद्ध लड़ने का संदेश देकर भेजा। सन् 1708 ई० में गुरु जी ज्योति जोत समा गए। आपने देश व धर्म के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इतिहास में आपका नाम हमेशा अमर रहेगा।

4. गुरु रविदास जी

आचार्य पृथ्वीसिंह आजाद के अनुसार भक्तिकाल के महान् संत कवि रविदास (रैदास) जी का जन्म विक्रमी संवत् 1433 ई० में माघ की पूर्णिमा को रविवार के दिन बनारस के निकट मंडुआडीह नामक गाँव में हुआ।

गुरु जी बचपन से ही संत स्वभाव के थे। उनका अधिकांश समय साधु संगति और ईश्वर भक्ति में व्यतीत होता था। गुरु जी जातिपांति या ऊँच-नीच में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने अहंकार के त्याग, दूसरों के प्रति दया भाव रखना तथा नम्रता का व्यवहार करने का उपदेश दिया। उन्होंने लोभ, मोह को त्याग कर सच्चे हृदय से ईश्वर भक्ति करने की सलाह दी।

गुरु जी की वाणी में ऐसी शक्ति थी कि लोग उनके उपदेश सुनकर सहज ही उनके अनुयायी बन जाते थे। उनके अनुयायियों में महारानी झालाबाई और कृष्ण भक्त कवयित्री मीरा बाई का नाम उल्लेखनीय है। गुरु जी की वाणी के 40 पद आदिग्रन्थ श्री गुरु ग्रन्थ साहब में संकलित हैं जो समाज कल्याण के लिए आज भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रहती दुनिया तक गुरु जी की अमृतवाणी लोगों का मार्ग दर्शन करती रहेगी।

5. महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के एक महान् और वीर सपूत थे। इतिहास में वे ‘शेरे पंजाब’ के नाम से मशहूर है। उनका जन्म 2 नवम्बर, सन् 1780 ई० को गुजराँवाला में हुआ। आपके पिता सरदार महासिंह सुकरचकिया मिसल के मुखिया थे। आपकी माता राज कौर जींद की फुलकिया मिसल के सरदार की बेटी थी। आपका बचपन का नाम बुध सिंह था। सरदार महासिंह ने जम्मू को जीतने की खुशी में बुध सिंह की जगह अपने बेटे का नाम रणजीत सिंह रख दिया।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

महाराजा रणजीत सिंह को वीरता विरासत में मिली थी। उन्होंने दस साल की उम्र में गुजरात के भंगी मिसल के सरदार साहिब सिंह को लड़ाई में करारी हार दी थी। महासिंह के बीमार होने के कारण सेना की बागडोर रणजीत सिंह ने सम्भाली थी।

महाराजा रणजीत सिंह के पिता की मौत इनकी छोटी उम्र में ही हो गई थी। इसी कारण ग्यारह साल की उम्र में उन्हें राजगद्दी सम्भालनी पड़ी। पन्द्रह साल की उम्र में महाराजा रणजीत सिंह का विवाह कन्हैया मिसल के सरदार गुरबख्श सिंह की बेटी महताब कौर से हुआ। इन्होंने दूसरा विवाह नकई मिसल के सरदार की बहन से किया।

महाराजा रणजीत सिंह ने बड़ी चतुराई से सभी मिसलों को इकट्ठा किया और हुकूमत अपने हाथ में ले ली। 19 साल की उम्र में आपने लाहौर पर अधिकार कर लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया। धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, मुलतान, पेशावर आदि सब इलाके अपने अधीन करके एक विशाल राज्य की स्थापना की। आपने सतलुज की सीमा तक सिक्ख राज्य की जडें पक्की कर दी।

महाराजा अनेक गुणों के मालिक थे। वे जितने बड़े बहादुर थे, उतने ही बड़े दानी और दयालु भी थे। छोटे बच्चों से उन्हें बहुत प्यार था। चेचक के कारण उनकी एक आँख खराब हो गई थी। इस पर भी उनके चेहरे पर तेज था। वे प्रजा-पालक थे। उनकी अच्छाइयाँ आज भी हमारे दिलों में उत्साह भर रही हैं। उनमें एक आदर्श प्रशासक के गुण थे, जो आज के प्रशासकों को रोशनी दिखा सकते हैं।

6. लाला लाजपत राय

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय भारत के वीर शहीदों में सबसे आगे हैं। लाला जी का जन्म जगराओं के समीप दुढिके ग्राम में 28 जनवरी, सन् 1865 में हुआ। इनके पिता लाला राधाकृष्ण एक अध्यापक थे। मैट्रिक परीक्षा में वज़ीफा प्राप्त कर वे गवर्नमैंट कॉलेज में प्रविष्ट हुए। एम० ए० पास करके फिर इन्होंने वकालत पास की। फिर हिसार में वकालत शुरू की।

इनमें देश-भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। देश की स्वतन्त्रता के लिए इन्होंने आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। वे इंग्लैण्ड भी गए। वहाँ से वापस आकर इन्होंने बंग-भंग आन्दोलन में भाग लिया जिस कारण इनको जेल में बन्दी बना लिया गया। फिर यूरोप और अमेरिका की यात्रा की।

सन् 1928 ई० में साइमन कमीशन भारत आया तब इन्होंने उसका काली झण्डियों से स्वागत किया। पुलिस ने इन पर लाठियाँ बरसाईं। लाला जी की छाती पर कई चोटें आईं। इन घावों के कारण वे 17 नवम्बर, सन् 1928 को संसार से सदा के लिए विदा हो गए। इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। भारत इनके महान् बलिदान को हमेशा याद रखेगा।

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7. महात्मा गांधी

महात्मा गांधी भारत के महान नेताओं में से एक थे। इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को पोरबन्दर (गुजरात) में हुआ। इनके पिता का नाम कर्मचन्द गांधी और माता का नाम पुतली बाई था जो एक धार्मिक स्वभाव की स्त्री थी। इन्होंने मैट्रिक परीक्षा पोरबन्दर में ही पास की। 13 वर्ष की आयु में आपका विवाह हो गया। उच्च शिक्षा के लिए आप विदेश गए। फिर आप बैरिस्टर बनकर भारत में आए तथा बम्बई (मुम्बई) में वकालत शुरू की। किसी मुकद्दमे के सिलसिले में ये दक्षिणी अफ्रीका गए। वहाँ भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों का दुर्व्यवहार देखकर ये बहुत दुःखी हुए।

सन् 1915 में भारत वापस आकर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन चलाया। सन् 1928 में साइमन कमीशन का बायकॉट किया। देश के आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लेने के कारण कई बार जेल गए। सन् 1947 में अपने अहिंसा के शस्त्र से इन्होंने देश को आजाद करवाया। सारा देश इन्हें बापू गांधी कहता है। वे सारे राष्ट्र के पिता थे। 30 जनवरी, सन् 1948 को वे नाथू राम गोडसे की गोली का शिकार हो गए जिससे इनकी मृत्यु हो गई। गांधी जी मर कर भी अमर हैं। हमें गांधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए।

8. पं० जवाहर लाल नेहरू

पं० जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमन्त्री थे। इनका जन्म 14 नवम्बर, सन् 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता का नाम मोती लाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी था। इनका बचपन बड़े लाड़-प्यार से बीता। 15 वर्ष की आयु में ये इंग्लैण्ड गए। पहले ये हैरो स्कूल में पढ़े फिर कैम्ब्रिज में। वहाँ से बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे।

वापस आने पर इनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। दोनों पति-पत्नी ने बढ़-चढ़ कर देश के कार्यों में भाग लेना शुरू कर दिया। इनमें शुरू से ही देश-प्यार कूट कूट कर भरा हुआ था। देश को स्वतन्त्र कराने के लिए इन्हें कई बार कारावास का दण्ड मिला। सन् 1942 में कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो’ का नारा लगाया। अन्य नेताओं के साथ नेहरू जी भी कारावास में बन्द कर दिए गए। सन् 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ तो ये प्रधानमन्त्री बने।

ये सादगी को पसन्द करते थे। ये शान्ति के अवतार और प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे। बच्चे प्यार से इन्हें ‘चाचा नेहरू’ कहते थे। 27 मई, सन् 1964 को पं० जवाहर लाल नेहरू स्वर्ग सिधार गए। उन्होंने देश के लिए जितने कष्ट सहन किए, उनकी कोई तुलना नहीं हो सकती। वे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता थे।

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9. अमर शहीद सरदार भगत सिंह

सरदार भगत सिंह पंजाब के महान सपूत थे। उन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए क्रान्तिकारी रास्ता अपनाया। देश की खातिर हँसते-हँसते फाँसी के तख्ने पर झूल गए। उनकी कुर्बानी रंग लाई और आजादी के लिए तड़प पैदा की। उनका जन्म 28 सितम्बर, सन् 1907 को जन्म हुआ था। इनके पिता सरदार किशन सिंह और चाचा सरदार अजीत सिंह कट्टर देशभक्त थे। उन्होंने शिक्षा गाँव में तथा लाहौर के डी० ए० वी० स्कूल में प्राप्त की।

उनमें देशभक्ति और क्रान्ति के संस्कार बचपन से थे। सन् 1919 में सारे भारत में रौलेट-एक्ट का विरोध हुआ था। भगत सिंह सातवीं में पढ़ते थे, जब जलियाँवाला बाग का हत्याकाण्ड हुआ था। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ। भगत सिंह पढ़ाई छोड़कर कांग्रेस के स्वयं सेवकों में भर्ती हो गए। इन्होंने अपना जीवन देश को अर्पण करने की प्रतिज्ञा ली। सन् 1926 में ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना हुई।

भगत सिंह उसके जनरल सैक्रेटरी बने। इस सभा का उद्देश्य क्रान्तिकारी आन्दोलन को बढ़ावा देना था। अक्तूबर, सन् 1927 में लाहौर में दशहरे के अवसर पर किसी ने बम फेंका। पुलिस ने सरदार भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। वे दो सप्ताह हवालात में रहे। 30 अक्तूबर, सन् 1928 को ‘साइमन कमीशन’ लाहौर पहुँचा तो इसके विरोध का नेतृत्व “नौजवान भारत सभा” ने अपने हाथ में लिया। कांग्रेसी नेता लाला लाजपत राय साइमन कमीशन के विरुद्ध निकाले गए जुलूस में सबसे आगे थे। वे पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज से बुरी तरह घायल हो गए। कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई।

भगत सिंह ने अपने प्यारे नेता की हत्या का बदला सांडर्स की जान लेकर किया। 8 अप्रैल, सन् 1929 को केन्द्रीय विधानसभा में एक काला कानून बनाया जा रहा था। सरदार भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने अपना रोष प्रकट करने के लिए केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंका। उन्होंने ‘इन्कलाब ज़िन्दाबाद’ के नारे लगाते हुए अपने आपको गिरफ्तारी के लिए पेश किया। उन पर मुकद्दमा चला। 17 अक्तूबर, सन् 1930 को उन्हें फाँसी की सजा हुई।

23 मार्च, सन् 1931 को अंग्रेज़ सरकार ने सरदार भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव और राजगुरु को फाँसी के तख्ते पर चढ़ा दिया। सरदार भगत सिंह अपनी शहादत से भारतीय नौजवानों के सामने एक महान् आदर्श कायम कर गए। सदियों तक भारत की आने वाली पीढ़ियाँ भगत सिंह और उनके साथियों की कुर्बानी से प्रेरणा लेती रहेंगी।

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10. हमारा देश

हमारे देश का नाम भारत है। यह हमारी मातृभूमि है। दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इसका भारत नाम पड़ा। यह एक विशाल देश है। जनसंख्या की दृष्टि से यह संसार में दूसरे स्थान पर है। इसकी जनसंख्या 125 करोड़ से ऊपर पहुँच चुकी है। यहाँ पर अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।

भारत के उत्तर में हिमालय है और शेष तीनों ओर समुद्र है। इस पर अनेक पर्वत, नदियाँ, मैदान और मरुस्थल हैं। स्थान-स्थान पर हरे-भरे वन इसकी शोभा हैं। यह एक कृषि-प्रधान देश है। यहाँ की अधिकतर जनता गाँवों में रहती है। यहाँ गेहूँ, मक्का, बाजरा, ज्वार, गन्ना आदि फसलें होती हैं। यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है। यहाँ गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियाँ बहती हैं। इसकी भूमि से लोहा, कोयला, सोना आदि कई प्रकार के खनिज पदार्थ निकलते हैं।

यहाँ पर कई धर्मों के लोग निवास करते हैं। सभी प्रेम से रहते हैं। यहाँ पर अनेक तीर्थ स्थान हैं। ताजमहल, लाल किला, सारनाथ, शिमला, मसूरी, श्रीनगर आदि प्रसिद्ध स्थान हैं जो देखने योग्य हैं। यहाँ पर कई महापुरुषों ने जन्म लिया। श्री राम, श्री कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द, रामतीर्थ, तिलक, महात्मा गाँधी आदि इस देश की शोभा हैं। यह देश दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।

11. मेरा पंजाब

पौराणिक ग्रंथों में पंजाब का पुराना नाम ‘पंचनद’ मिलता है। मुस्लिम शासन के आगमन पर इसका नाम पंजाब अर्थात् पाँच पानियों (नदियों) की धरती पड़ गया। किन्तु देश के विभाजन के पश्चात् अब रावी, ब्यास और सतलुज तीन ही नदियाँ पंजाब में रह गई हैं। 15 अगस्त, 1947 को इसे पूर्वी पंजाबी की संज्ञा दी गई। 1 नवम्बर 1966 को इसमें से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा प्रदेश अलग कर दिए गए किन्तु फिर से इस प्रदेश को पंजाब पुकारा जाने लगा।

आज के पंजाब का क्षेत्रफल 50,362 वर्ग किलोमीटर तथा सन् 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 2.42 करोड़ है।।

पंजाब के लोग बड़े मेहनती हैं। यही कारण है कि कृषि के क्षेत्र में यह प्रदेश सबसे आगे है। औद्योगिक क्षेत्र में भी यह प्रदेश किसी से पीछे नहीं है। पंजाब का प्रत्येक गाँव पक्की सड़कों से जुड़ा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी पंजाब देश में दूसरे नम्बर पर है। यहाँ छ: विश्वविद्यालय हैं।

गुरुओं, पीरों, वीरों की यह धरती. उन्नति के नए शिखरों को छू रही है।

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12. मेरा गाव

मेरे गाँव का नाम…….है। यह होशियारपुर का सबसे बड़ा गाँव है। यहाँ की जनसंख्या पन्द्रह हज़ार है। यह होशियारपुर से छ: मील की दूरी पर स्थित है। यह पक्की सड़कों द्वारा शहर के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ पर रेल लाइन भी बिछी है जिस कारण यहाँ के रहने वालों को आने-जाने में कोई मुश्किल नहीं होती।

इस गाँव में एक हाई स्कूल तथा एक प्राइमरी स्कूल भी है। यहाँ लड़के और लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करते हैं। यहाँ पर अधिकतर लोग खेती-बाड़ी करते हैं। वे नए ढंगों से खेती करते हैं। यहाँ सब लोग मिल-जुलं कर रहते हैं।

मेरे गाँव में एक सरकारी अस्पताल भी है जहाँ पर रोगियों की देखभाल की जाती है। एक पंचायत घर भी है जहाँ लोगों को सच्चा न्याय मिलता है। यहाँ पर ट्यूबवैल और कुओं आदि से खेती की जाती है। पीने के पानी का विशेष प्रबन्ध है।

अधिकतर मकान कच्चे हैं। कुछ पक्के भी हैं। गाँव की गलियाँ पक्की बनी हुई हैं। लोग आपस में मिल-जुल कर रहते हैं। गाँव की सफाई का पूर्ण ध्यान रखते हैं। मुझे अपने गाँव की मिट्टी के कण-कण से प्यार है तथा मैं इस पर गर्व करता हूँ।

13. मेरी पाठशाला (स्कूल)

मेरी पाठशाला का नाम………..है। यह एक बहुत बड़ी इमारत है। यह जी० टी० रोड पर स्थित है। इसमें 20 कमरे हैं। सभी कमरे खुले और हवादार हैं। प्रत्येक कमरे में दो खिड़कियाँ और दो-दो दरवाज़े हैं। ये बहुत साफ़-सुथरे हैं।

पानी पीने के लिए यहाँ पर चार नलके लगे हुए हैं। पुस्तकें पढ़ने के लिए एक पुस्तकालय है। यहाँ पर लगभग 12 हज़ार पुस्तकें हैं। पाठशाला के सामने ही एक वाटिका है। यहाँ पर कई प्रकार के फूल लगे हैं जो पाठशाला की शोभा को चार चाँद लगा देते हैं।

पाठशाला में अन्दर आते ही मुख्याध्यापक का दफ्तर है और दूसरी तरफ अध्यापकों का कमरा है। इनके साथ ही एक साईंस-रूम है। यहाँ बच्चों को क्रियात्मक कार्य करवाया जाता है।

मेरी पाठशाला में पच्चीस अध्यापक हैं जो बहुत योग्य हैं और परिश्रम से बच्चों को पढ़ाते हैं। वे मुख्याध्यापक का सम्मान करते हैं और बच्चों के साथ भी प्रेम का व्यवहार करते हैं। पाठशाला के पीछे एक खेल का मैदान है जहाँ पर बच्चे शाम को खेलते हैं। मेरी पाठशाला का परिणाम हर साल बहुत अच्छा निकलता है। अनुशासन और प्रेम का व्यवहार यहाँ पर सिखाया जाता है। मुझे अपनी पाठशाला पर गर्व है।

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14. मेरा प्रिय अध्यापक

मेरे स्कूल में बहुत से अध्यापक हैं लेकिन उन सबमें से मुझे श्री वेद प्रकाश जी बहुत अच्छे लगते हैं। वह हमें हिन्दी पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाने का ढंग बहुत अच्छा है। उन्होंने बी० ए० और प्रभाकर किया हुआ है। वह ओ० टी० भी हैं। वह सभी विद्यार्थियों से स्नेह का व्यवहार करते हैं और पाठ को अच्छी तरह से समझाते हैं।

वह एक उच्च विचारों वाले और नम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं। वह सादगी को बहुत पसन्द करते हैं और बच्चों को भी सादा रहने का उपदेश देते हैं। वह सदा सच बोलते हैं। वह हमेशा समय पर स्कूल आते हैं। वह अन्य सभी अध्यापकों का तथा मुख्याध्यापक का बहुत सम्मान करते हैं। उनकी वाणी में मिठास है। वह किसी बच्चे को पीटते नहीं हैं बल्कि उन्हें प्यार से समझाते हैं। वे किसी भी बुरी आदत के शिकार नहीं हैं।

वह बहुत रहम दिल हैं और वह कमज़ोर और ग़रीब बच्चों की सहायता करते हैं। वह बच्चों के सच्चे हित को चाहने वाले हैं। वह एक खिलाड़ी हैं और बच्चों को भी खेलने की प्रेरणा देते हैं। बच्चे उनकी शिक्षाओं से अच्छे बन सकते हैं। सभी विद्यार्थी उनका बहुत सम्मान करते हैं। मुझे उन पर गर्व है।

15. मेरा मित्र

रमेश मेरा बहुत अच्छा मित्र है। वह मेरे साथ ही सातवीं कक्षा में पढ़ता है। उसकी आयु बारह साल के लगभग है। उसके पिता जी एक डॉक्टर हैं। उसकी माता जी एक धार्मिक स्वभाव की स्त्री हैं। वह उसे सदाचार की शिक्षा देती हैं।

रमेश पढ़ने में बहुत होशियार है। परीक्षा में वह सदा प्रथम रहता है। वह हमारे घर के पास ही रहता है। उसके पिता जी उसे और मुझे सुबह सैर करने ले जाते हैं। वह सुबह जल्दी ही उठ जाता है। वह प्रतिदिन स्नान करता है और समय पर स्कूल जाता है। वह सभी के साथ बड़ा नम्र व्यवहार करता है। वह हमेशा सादे कपड़े पहनता है और सदा सत्य बोलता है। उसका चेहरा हँसमुख और स्वभाव सरल है। वह किसी बुरे और शरारती लड़के की संगति नहीं करता है और मुझे भी बुरी संगति करने से रोकता है। वह कमजोर विद्यार्थियों की सहायता करता है।

रमेश खेलों में भी बहुत रुचि लेता है। वह स्कूल की हॉकी टीम में खेलता है। वह शाम को खेलने जाता है। वह बड़ा स्वस्थ दिखाई देता है। वह रात को पढ़ता है। वह बड़ा मन व्याकरण तथा रचना भाग लगाकर पढ़ाई करता है। इसी कारण वह हमेशा प्रथम रहता है। उसे कई इनाम भी मिल चुके हैं। सभी अध्यापक उसे बहुत प्यार करते हैं। मुझे अपने इस मित्र पर गर्व है।

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16. लोहड़ी

लोहड़ी का त्योहार विक्रमी संवत् के पौष मास के अन्तिम दिन अर्थात् मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले मनाया जाता है। अंग्रेज़ी महीने के अनुसार यह दिन प्राय: 13 जनवरी को पड़ता है। इस दिन सामूहिक तौर पर या व्यक्तिगत रूप में घरों में आग जलाई जाती है और उसमें मूंगफली, रेवड़ी और फूल-मखाने की आहुतियाँ डाली जाती हैं। लोग एक दूसरे को तिल, गुड़ और मूंगफली बाँटते हैं।

पता नहीं कब और कैसे इस त्योहार को लड़के के जन्म के साथ जोड़ दिया गया। प्रायः उन घरों में लोहडी विशेष रूप से मनाई जाती है जिस घर में लड़का हआ हो। किन्तु पिछले वर्ष से कुछ जागरूक और सूझवान लोगों ने लड़की होने पर भी लोहड़ी मनाना शुरू कर दिया है।

लोहड़ी, अन्य त्योहारों की तरह ही पंजाबी संस्कृति के साँझेपन का, प्रेम और भाईचारे का त्योहार है। खेद का विषय है कि आज हमारे घरों में ‘दे माई लोहडी-तेरी जीवे जोडी’ या ‘सुन्दर मुन्दरिये हो, तेरा कौन बेचारा’ जैसे गीत कम ही सुनने को मिलते हैं। लोग लोहड़ी का त्योहार भी होटलों में मनाने लगे हैं जिससे इस त्योहार की सारी गरिमा कम होती जा रही है।

17. दशहरा

दशहरा प्रधान त्योहारों में से एक है। यह आश्विन मास की शुक्ला दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्री राम ने लंका के सम्राट् रावण पर विजय पाई थी। भगवान् राम के वनवास के दिनों में रावण छल से सीता को हर कर ले गया था। राम जी ने हनमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता से लंका पर हमला किया तथा रावण को मार कर लंका पर विजय पाई। तभी से यह दिन मनाया जाता है।

दशहस रामलीला का आखिरी दिन होता है। भिन्न-भिन्न स्थानों में अलग-अलग प्रकार से यह दिन मनाया जाता है। बड़े-बड़े नगरों में रामायण के पात्रों की झांकियाँ निकाली जाती हैं। दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के कागज़ के पुतले बनाए जाते हैं। सायँकाल के समय राम और रावण के दलों में बनावटी लड़ाई होती है। राम रावण को मार देते हैं। रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। पटाखे आदि छोड़े जाते हैं। बाजारों में दुकानें खूब सजी होती हैं और बाजारों में खूब रौनक होती है। लोग मिठाइयाँ तथा खिलौने लेकर घरों को लौटते हैं।

इस दिन कुछ लोग शराब पीते हैं और जुआ आदि भी खेलते हैं। यह सब ठीक नहीं है। यदि ठीक ढंग से इस त्योहार को मनाया जाए तो बहुत लाभ हो सकता है।

18. दीवाली

दीवाली हमारे देश का एक पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दशहरे के बीस दिन बाद आता है। इस दिन भगवान् राम लंका के राजा रावण को मार कर तथा वनवास के चौदह वर्ष खत्म कर अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने उनके स्वागत में रात को दिये जलाए थे। उनकी पवित्र याद में यह दिन बड़े सम्मान से मनाया जाता है।

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इसी दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द जी ग्वालियर के किले से जहाँगीर की कैद से मुक्त होकर लौटे थे। लोगों ने उनके स्वागत में घर-घर दीपमाला की थी।

दीवाली से कई दिन पूर्व तैयारी आरम्भ हो जाती है। लोग घरों की लिपाई-पुताई करते हैं। कमरों को सजाते हैं। घरों का कूड़ा-कर्कट बाहर निकालते हैं। अमावस को दीपमाला की जाती है।

इस दिन लोग मित्रों को बधाई देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। बच्चे नए-नए कपड़े पहनते हैं। रात को लक्ष्मी पूजा के बाद बच्चे आतिशबाजी चलाते हैं। कई लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं।

दीवाली हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे उचित रीति से मनाना चाहिए। विद्वान लोगों को जन-साधारण को उपदेश देकर अच्छे रास्ते पर चलाना चाहिए। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते और शराब पीते हैं जो कि बहुत बुरा है, लोगों को इससे बचना चाहिए। आतिशबाजी पर अधिक खर्च नहीं करना चाहिए।

19. वैशाखी

भारत में हर साल अनेक प्रकार के उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। वैशाखी भी ऐसा ही पर्व है जिसमें लोग अपनी खुशी प्रकट करते हैं। यह त्योहार हर साल नवीन उत्साह एवं उमंग लेकर आता है तथा लोगों में एक नई चेतना भरता है। वैशाखी वैशाख मास की संक्रान्ति को होती है। 13 अप्रैल को यह मेला मनाया जाता है। सूर्य के गिर्द वर्ष भर का चक्कर काट कर पृथ्वी जब दूसरा चक्कर आरम्भ करती है तो उस दिन वैशाखी होती है। वैशाख महीने से नया साल शुरू होता है। इसी दिन वर्ष भर के कामों का लेखा-जोखा किया जाता है। इस समय नई फसल पक कर तैयार हो जाती है। किसान अपनी फसल को पाकर झूम उठते हैं। वे कहते हैं –

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फसलां दी मुक गई राखी
ओ जट्टा, आई वैशाखी

इस प्रकार इस पर्व का सम्बन्ध मौसम से माना जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन अर्थात् 13 अप्रैल, सन् 1699 ई० को दशम गुरु श्री को गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की नींव रखकर पाँच प्यारों को अमृत छकाया था। सन् 1919 में वैशाखी वाले दिन ही अमृतसर में जलियाँवाले बाग में अंग्रेज़ हाकिम डायर ने निहत्थे भारतीयों पर गोली चलाई थी और सैंकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

वैशाखी के दिन पंजाब के कई स्थानों पर मेले लगते हैं। लोग नए-नए रंग-बिरंगे कपड़े पहन कर मेला देखने आते हैं। वहाँ कई प्रकार की दुकानें सजी होती हैं जहाँ से लोग अपनी मन पसंद चीजें खरीदते हैं। लोगों की बहत भीड होती है। पशुओं की मंडियाँ लगती हैं। जगह-जगह पर कुश्तियाँ होती हैं। मदारी अपने करतब दिखाते हैं। बच्चे तो बड़े खुश दिखाई देते हैं। गीत गाते हैं और झूम-झूम कर अपनी मस्ती और खुशी प्रकट करते हैं। किसानों के दल खुशी से अपने लहलहाते खेतों को देखकर भंगड़ा डालते हैं। ढोल की आवाज़ सबको अपनी ओर आकर्षित करती है।

इस दिन लोग पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करते हैं। इसके बाद वे श्रद्धा अनुसार दान-पुण्य करते हैं और मित्रों में मिठाई बाँटते हैं। अमृतसर में वैशाखी का मेला देखने योग्य होता है।

20. होली

होली बसन्त का उल्लासमय पर्व है। इसे ‘बसन्त का यौवन’ कहा जाता है।

होली प्रकृति की सहचरी है। बसन्त में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है तो होली का त्योहार उसका श्रृंगार करने आता है। होली ऋतु सम्बन्धी त्योहार है। शीत की समाप्ति पर किसान आनन्द विभोर हो जाते हैं। खेती पक कर तैयार होने लगती है। इसी कारण सभी मिल कर हर्षोल्लास में खो जाते हैं।

कहते हैं कि भक्त प्रह्लाद भगवान् का नाम लेता था। उसका पिता हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह प्रह्लाद को ईश्वर का नाम लेने से रोकता था। प्रह्लाद इसे किसी भी रूप में स्वीकार करने को तैयार न था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती। वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। इसमें होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। इसी कारण होली के दिन होलिका दहन होता है।

आज कुछ लोगों ने होली का रूप बिगाड़ कर रख दिया है। सुन्दर एवं कच्चे रंगों के स्थान पर कुछ लोग काली स्याही व तवे की कालिमा का प्रयोग करते हैं। कुछ मूढ़ व्यक्ति एक-दूसरे पर गन्दगी फेंकते हैं। प्रेम और आनन्द के त्योहार को घृणा और दुश्मनी का त्योहार बना दिया जाता है। इन बुराइयों को समाप्त करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।

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होली के पवित्र अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर भगाना चाहिए। समता और भाईचारे का प्रचार करना चाहिए।

21. वसंत ऋतु

वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह ऋतु विक्रमीसंवत के महीने चैत्र और वैशाख महीने में आती है। इस ऋतु के आगमन की सूचना हमें कोयल की कूहू-कूहू की आवाज़ से मिल जाती है। वृक्षों पर, लताओं पर नई कोंपलें आनी शुरू हो जाती हैं। प्रकृति भी सरसों के फूले खेतों में पीली चुनरिया ओढ़ें प्रतीत होती है। इसी ऋतु में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। जो पूर्णमासी तक कौमदी महोत्सव तक मनाया जाता है इस त्योहार में लोग पीले वस्त्र पहनते हैं। घरों में पीला हलवा या पीले चावल बनाया जाता है। कुछ लोग वसंत पंचमी वाले दिन व्रत भी रखते हैं।

पुराने जमाने में पटियाला और कपूरथला की रियासतों में यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था। पतंगबाजी के मुकाबले होते थे। कुश्तियों और शास्त्रीय संगीत का आयोजन किया जाता था। पुराना मुहावरा था कि आई वसंत तो पाला उड़त किंतु पर्यावरण दूषित होने के कारण अब तो पाला वसंत के बाद ही पड़ता है। पंजाबियों को ही नहीं समूचे भारतवासियों को अमर शहीद सरदार भगत सिंह का मेरा रंग दे वसंती चोला इस दिन की सदा याद दिलाता रहेगा।

22. प्रातः काल की सैर

प्रात:काल की सैर मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है। यह स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभदायक होती है। सुबह के समय सैर करना वैसे भी मनोरंजन करने के समान है। सुबह के समय प्राकृतिक छटा निराली होती है। सुबह की लाली चारों ओर फैली होती है। पक्षियों के कलरव हो रहे होते हैं जो बहुत अच्छे लगते हैं। शीतल हवा चल रही होती है। खिले हुए फूल बड़े सुन्दर लगते हैं। पेड़-पौधों का दृश्य बड़ा लुभावना होता है।

सुबह की सैर के लाभ भी बहुत होते हैं। शरीर में फुर्ती आती है। स्वच्छ वायु के सेवन से खून साफ़ होता है। शरीर की कसरत होती है। शारीरिक रोगों से बचाव होता है। दिमाग की ताकत बढ़ती है। आलस्य दूर भागता है। सदाचार की वृद्धि होती है। काम करने में मन लगता है।

अत: हमें नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करना चाहिए।

23. स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त)

पन्द्रह अगस्त, 1947 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने योग्य है। इस दिन भारत माता की गुलामी के बन्धन टूटे थे। इस आज़ादी को प्राप्त करने के लिए अनेक देशभक्तों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। पण्डित जवाहर लाल जी स्वतन्त्र भारत के पहले प्रधानमन्त्री बने। संसद् भवन पर तिरंगा झण्डा लहराया गया। उस दिन दिल्ली के लाल किले पर पं० जवाहर लाल नेहरू जी ने अपने हाथों से तिरंगा झण्डा लहराया। लाखों लोगों ने इसमें भाग लिया।

तब से लेकर अब तक यह त्योहार हर वर्ष सारे भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। दिल्ली में वायुयानों द्वारा फूलों की वर्षा की जाती है। उसके बाद तीन सेनाओं के जवान सलामी देते हैं। इस दिन लाल किले के सामने विशाल जन समूह इस शोभा को देखता है। प्रधानमन्त्री जी का भाषण होता है। इण्डिया गेट की शोभा निराली ही होती है। देश के सभी नगरों में यह उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। रात को समस्त सरकारी भवन बिजली के बल्बों से जगमगा रहे होते हैं।

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आज हमें आजादी तो मिल गई है परन्तु हमें देश के प्रति कर्त्तव्यों को निभाना चाहिए। हमें उन शहीदों को याद रखना चाहिए जिन्होंने अपनी कुर्बानी देकर हमें आजादी दिलवाई।

24. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)

भारत पर्यों तथा त्योहारों की भूमि है। भारत में साल-भर में भिन्न-भिन्न ऋतुओं में भिन्न-भिन्न पर्व मनाए जाते हैं। 26 जनवरी का दिन भारत के लिए विशेष महत्त्व का दिन है। यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। इस दिन अर्थात् 26 जनवरी, सन् 1950 के दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और इसी दिन भारत एक गणराज्य घोषित किया गया था। भारत की सभी जातियाँ-हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध तथा जैनी बिना किसी भेदभाव के इसे बड़े उत्साह से मनाती हैं।

26 जनवरी का दिन प्रतिवर्ष भारत के प्रत्येक प्रांत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। नगर-नगर में सभाएँ तथा जुलूस निकलते हैं। राष्ट्रीय झण्डे लहराए जाते हैं। किन्तु दिल्ली में यह दिन जिस धूमधाम से मनाया जाता है, उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वहां इस त्योहार की शान तो निराली ही होती है। यह समारोह भारत के राष्ट्रपति की सवारी से शुरू होता है।

राष्ट्रपति की सवारी को सलामी देने के लिए स्थल सेना, जल सेना और वायु सेना तीनों की चुनी हुई टुकड़ियाँ सवारी के साथ-साथ चलती हैं। सवारी इण्डिया गेट से शुरू होती है और नई दिल्ली के खास-खास स्थानों से होती हुई आगे बढ़ती है। अनगिनत नर-नारी सवारी को देखने के लिए इकट्ठे हो जाते हैं। सवारी के पीछे-पीछे अलग-अलग प्रान्तों के लोग अपने कार्यक्रम की झांकियाँ दिखाते हैं। राष्ट्रपति को 21 तोपों से सलामी दी जाती है।

26 जनवरी का दिन मनोरंजन का दिन ही नहीं मानना चाहिए बल्कि इस दिन हमें कुछ प्रतिज्ञाएँ करनी चाहिए ताकि देश में बढ़ती हुई रिश्वतखोरी, लूटमार, पक्षपात आदि दूर किए जा सकें। हमें उन वीरों का कर्जा चुकाना होगा जिन्होंने अपनी कुर्बानियों द्वारा हमें आजादी से साँस लेने का अवसर दिया। तभी हमारी आज़ादी सफल तथा पूर्ण होगी।

25. समाचार-पत्र

मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है। वह अपने आस-पास घटने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना चाहता है। प्राचीन काल में उसकी यह जिज्ञासा पूरी न हो पाती थी। विज्ञान ने जहाँ हमें अन्य प्रकार की सुविधाएँ दी हैं, उनमें समाचार-पत्र के द्वारा हम घर पर बैठे ही देश-विदेश के समाचारों को जान लेते हैं। संसार के किसी कोने में घटने वाली घटना तार, टेलीफोन अथवा टेलीप्रिंटर के द्वारा समाचार-पत्रों के कार्यालयों में पहुँच जाती है।

समाचार-पत्रों से हमें अनेक लाभ हैं। नगर, प्रान्त, देश तथा विदेश आदि के समाचारों को हम समाचार-पत्र द्वारा घर बैठे जान लेते हैं। इससे हमारे ज्ञान में भी वृद्धि होती है। समय-समय पर इनमें अनेक प्रकार के चित्र भी छपते रहते हैं। इन चित्रों के द्वारा जहाँ हमारा मनोरंजन होता है, वहाँ इनसे अनेक प्रकार के ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक स्थानों की भी जानकारी होती है।

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समाचार-पत्रों में कहानियाँ, कविताएँ, जीवनियाँ तथा हास्य की सामग्री भी छपती रहती हैं। इन्हें पढ़कर हमारा मनोरंजन होता है। इनमें नौकरी सम्बन्धी विज्ञापन भी छपते हैं। पाठक अपने विचारों को भी समाचार-पत्र में छपवा सकते हैं। इस प्रकार ये समाचार-पत्र हमारे लिए वरदान का काम करते हैं। उनके द्वारा हमें घर बैठे ही बहुत-सी जानकारी प्राप्त होती है।

26. विद्यार्थी जीवन

विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। यह मानव जीवन की नींव है। इसी पर उसके जीवन की सफलता-असफलता निर्भर करती है। यह जीवन तैयारी का जीवन है।

विद्यार्थी जीवन विद्या प्राप्ति का समय है। विद्यार्थी का यह कर्त्तव्य है कि वह पढ़ाई में अपना मन लगाए। उसे घर के अन्य छोटे-छोटे कामों में हाथ बँटाना चाहिए। विद्यार्थी जीवन की सफलता अच्छी बातों के पालन पर निर्भर करती है। उसे अपने अध्यापकों के उपदेश के अनुसार चलना चाहिए। माता-पिता की आज्ञा का पालन करना भी उसका प्रमुख कर्त्तव्य है। उसे स्वभाव का नम्र और मधुरभाषी होना चाहिए। उसे अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। उसे हमेशा अच्छे छात्रों का संग करना चाहिए। अच्छी संगति स्वयं में एक शिक्षा है। समय का पालन करना चाहिए।

विद्यार्थी जीवन में खूब परिश्रम करना चाहिए। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य उन्नति कर सकता है। आलसी व्यक्ति तो अपने लिए ही बोझ बनकर जीता है। अतः प्रत्येक विद्यार्थी का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने विद्यार्थी जीवन का सदुपयोग करे। अच्छा विद्यार्थी ही अच्छा नागरिक तथा अच्छा नेता बन सकता है।

27. पर्यावरण प्रदूषण की समस्या

वनस्पति जगत् से मानव का बहुत प्राचीन सम्बन्ध है। आम, तुलसी, केला, आँवला, बरगद आदि वृक्षों की लोग पूजा करते रहे हैं। प्रकृति और मानव का मधुर सम्बन्ध था, इसी कारण मानव-समाज सुखी था। आज प्रकृति पर विजय पाने की इच्छा से प्रदूषण फैल रहा है। इसके कारण अनेक समस्याएं जन्म ले रही हैं।

जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ वनों को काटकर उद्योग-धंधों के विस्तार से कल कारखानों से दूषित विषैले पदार्थ बाहर निकलने लगे हैं। इससे वायुमण्डल दूषित हो रहा है तथा पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। प्रदूषण के कारण ही समय पर वर्षा नहीं होती, कहीं कम होती है तो कहीं बाढ़ें आती हैं।

भीड़-भाड़ वाले बड़े नगरों में वाहनों से निकलने वाले धुएँ तथा पेट्रोल की गंध से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सीसा के तत्व आदि हानिकारक पदार्थ निकलते हैं। इनसे साँस, फेफड़े आदि के रोग तथा दमा, जुकाम, कैंसर जैसे अन्य रोग फैलते हैं। गंदी वायु में साँस लेने से खून शुद्ध नहीं रह पाता। आँखों की रोशनी कमजोर हो जाती है और चर्म रोग भी हो जाते हैं। वायु का प्रदूषण ‘धीमा विष’ जो धीरे-धीरे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

वायु प्रदूषण की तरह जल प्रदूषण भी होता है। गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल तथा कल-कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ नदियों में बहा दिए जाते हैं जिससे पानी पीने योग्य नहीं रहता तथा फसलों तथा फलों को भी हानि पहुंचाता है। सुख के लिए काम मानव के दुःख के कारण बन गए। पेड़, पौधों की कटाई से हरियाली समाप्त हो गई, सुन्दरता नष्ट हो गई।

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कृषि योग्य भूमि की कमी हो जाने से लोगों को शहरों की तंग गलियों में रहना पड़ रहा है। विज्ञान का वरदान उसके लिए अभिशाप बन गया। प्रदूषण के कारण गंगा का जल विषैला बन गया। विश्व प्रसिद्ध ताजमहल, मथुरा तेल शोधक कारखाने की चिमनियों के धुएँ तथा आगरा के चमड़ा उद्योगों से अपना सौन्दर्य खो रहा है।

प्रदूषण की समस्या भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में बढ़ रही है। इसे रोकना हमारा परम कर्त्तव्य है। इसे रोकने के लिए हम गंदगी न फैलाएँ तथा वृक्ष लगाएँ।

28. टेलीविज़न के लाभ-हानियाँ

टेलीविज़न का आविष्कार सन् 1926 ई० में स्काटलैण्ड के इन्जीनियर जान एल० बेयर्ड ने किया। भारत में इसका प्रवेश सन् 1964 में हुआ। दिल्ली में ऐशियाई खेलों के अवसर पर टेलीविज़न रंगदार हो गया। टेलीविज़न को आधुनिक युग का मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन माना जाता है। केवल नेटवर्क के आने पर इस में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो गया है। आज देश भर में दूरदर्शन के अतिरिक्त 300 से अधिक चैनलों द्वारा कार्यक्रम प्रसारित किये जा रहे है। इन में कुछ चैनल तो केवल समाचार, संगीत या नाटक ही प्रसारित करते हैं।

टेलीविज़न के आने पर हम दुनिया के किसी भी कोने में होने वाले मैच का सीधा प्रसारण देख सकते हैं। आज व्यापारी वर्ग अपने उत्पाद की विक्री बढ़ाने के लिए टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों का सहारा ले रहे हैं। ये विज्ञापन टेलीविजन चैनलों की आय का स्रोत भी है। शिक्षा के प्रचार प्रसार में टेलीविज़न का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

टेलीविज़न की कई हानियाँ भी हैं। सबसे बड़ी हानि छात्र वर्ग को हुई है। टेलीविज़न उन्हें खेल के मैदान से तो दूर ले जाता ही है अतिरिक्त पढ़ाई में भी रूचि कम कर रहा है। टेलीविज़न अधिक देखना छात्रों की नेत्र ज्योति को भी प्रभावित कर रहा है। हमें चाहिए कि टेलीविज़न के गुणों को ही ध्यान में रखें, इसे बीमारी न बनने दें।

29. मेरी पर्वतीय यात्रा

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। एक स्थान पर रहते-रहते मनुष्य का मन ऊब जाता है। वह इधर-उधर घूम कर अन्य प्रदेशों के रीति-रिवाजों आदि से परिचित होना चाहता है और इस प्रकार अपना ज्ञान बढ़ाता है। – दशहरे की छुट्टियां आने वाली थीं। मेरे मित्र सुरेन्द्र ने आकर शिमला चलने की बात कही। माता जी से परामर्श करने के पश्चात् बात पक्की हो गई। अगले दिन प्रात:काल ही हम दोनों मित्र रेलगाड़ी में जा बैठे। मैदान तो मैंने देखे ही थे पर जब पर्वतीय क्षेत्र आया तो मैं देख रहा था कि नदियां कलकल ध्वनि के साथ इठलाती बहुत सुन्दर लग् रही थीं। रास्ते का दृश्य बड़ा मनोहारी था।

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हम प्रसन्न मुद्रा में शिमला पहुंचे। शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। अधिकतर मकान आधुनिक ढंग से बने हुए हैं। शहर के अन्दर आधुनिक ढंग के कई होटल तथा सिनेमा गृह हैं जो कि वहां की सुन्दरता को चार चांद लगाते हैं।

मुझे स्केटिंग रिंक बहुत सुन्दर लगा। सुरेन्द्र के पिता जी ने मुझे बताया कि शरद् ऋतु में युवक तथा युवतियां इस ऋतु का आनन्द लूटने के लिये यहां पर आते हैं। सुरेन्द्र को यह सब सुनने में कोई आनन्द नहीं आ रहा था। वह तो राजभवन देखने का इच्छुक था। अतः कुछ समय के पश्चात् हम लोग विशाल भवन के सम्मुख थे। इस दो दिवसीय यात्रा से हमने इस विशाल नगरी का प्रत्येक ऐतिहासिक स्थान देख लिया।

दो दिवसीय यात्रा के पश्चात् हम सब वहां से चल पड़े। मैं और सुरेन्द्र तो वहां से चलना नहीं चाहते थे। कारण कि हमें पर्वतीय छटा ने अत्यधिक आकृष्ट कर लिया था। वहां का शान्त एवं सुन्दर वातावरण मुझे अधिक प्रिय लग रहा था। पर सुरेन्द्र के पिता केवल चार दिन का अवकाश लेकर ही चले थे। अत: मन को मार कर हम सब वापस लौट पड़े। यह यात्रा सदा स्मरण रहेगी।

30. आँखों देखी प्रदर्शनी

हमारे देश में हर साल अनेक प्रदर्शनियां आयोजित होती हैं। लाखों लोग इनसे मनोरंजन प्राप्त करते हैं। प्रदर्शनियां देख-कर व्यक्ति का ज्ञान भी बढ़ता है। दिल्ली में लगी उद्योग प्रदर्शनी मझे कभी नहीं भल सकती। मेरे मन-मस्तिष्क पर इस की छाप आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी का विवरण इस प्रकार है –

विगत मास दिल्ली में एक अन्तर्राष्ट्रीय उद्योग प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। यह प्रदर्शनी एक विशाल उद्योग मेला ही था। क्योंकि इसमें विश्व के लगभग साठ विकसित और विकासशील देशों ने भाग लिया था। तीन किलोमीटर की परिधि में फैली इस महान् एवं आकर्षक प्रदर्शनी में प्रत्येक देश ने अपने मंडप सजाए थे, जिनमें अपने देश की औद्योगिक झांकी प्रदर्शित की थी। मुख्य द्वार पर प्रदर्शनी में भाग लेने वाले देशों के झंडे फहरा रहे थे। जिधर भी नज़र उठती दूर तक मंडप ही दिखाई देते। इतनी बड़ी प्रदर्शनी को कुछ समय में देखना असम्भव था।

छात्रों को यह प्रदर्शनी दिखाने की विशेष व्यवस्था की गई थी। सब से पहले हमारी टोली भारतीय मंडप में पहुँची। यह मंडप क्या था मानो एक विशाल भारत का लघु रूप था। देश में तैयार होने वाले छोटे-से-छोटे पुर्जे से लेकर युद्ध पोत तक का प्रदर्शन किया गया था। कहीं आधुनिक राडार युक्त तोपें थीं। कहीं नेट-जेट विमान और कहीं टैंक। वहां स्वदेश निर्मित साइकिलों, स्कूटरों, विभिन्न तरह की कारों, बसों का मॉडल देखकर आश्चर्य होने लगा था।

अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, पश्चिमी जर्मनी, जापान आदि विकसित देशों में मंडप देखकर हमारी टोली का प्रत्येक सदस्य चकित रह गया। एक से बढ़िया इलैक्ट्रानिक उपकरण। हर काम मिनटों-सैकिंडों में करने वाली मशीनें मनुष्य की दास बनी प्रतीत हुईं। मिनटों में मैले कपड़े धुल कर प्रैस होकर और तह लगकर आपके सामने लाने वाली धुलाई मशीनें। धड़कते दिल का साफ चित्र लेने वाले श्रेष्ठतम उपकरण चिकित्सा क्षेत्र में एक नई उपलब्धि है।

दिन भर हमारी टोली औद्योगिक प्रदर्शनी का कोना-कोना झांकती रही। इधर से उधर घूमते-घूमते हमारी टांगें जवाब देने लगी थीं, परन्तु दिल नहीं भरे थे। आँखें हर नई चीज़ देखने को तरस रही थीं। शाम तक बहुत कुछ देखा, बहुत कुछ सुना। ज्ञान के नये चूंट पीने को मिले। इसलिये यह अन्तर्राष्ट्रीय औद्योगिक प्रदर्शनी सदा याद रहेगी।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

31. जनसंख्या की समस्या

बढ़ती हुई जनसंख्या देश के लिए एक भयानक समस्या बन गई है। प्राचीन काल में लोग अधिक संतान की इच्छा करते थे। आज स्थिति बदल गई है। आज बड़े परिवार का पालन-पोषण एक समस्या है। अधिक आबादी किसी भी देश के लिए लाभकारी नहीं। भारत इस समय जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है। इस समय भारत की जनसंख्या 121 करोड़ से अधिक है।

बढ़ती हुई जनसंख्या ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया है। बेकारी की समस्या, महंगाई की समस्या तथा अन्न का संकट इसी की देन है। यही कारण है कि आज जनसंख्या के नियन्त्रण की ज़रूरत समझी जा रही है। छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा लगाया जा रहा है।

जिस परिवार के पास आय के साधन कम हों और बच्चों की संख्या अधिक होगी, वहां अनेक प्रकार की कठिनाइयां जन्म लेंगी। न तो बच्चों का ठीक तरह से पालन-पोषण हो पाएगा और न ही उनकी शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध हो सकेगा। जीवन स्तर भी ऊँचा उठने की बजाए गिर जाएगा। ऐसे परिवार में निर्धनता अपना अड्डा जमा लेगी। देश और समाज भी तो परिवारों का योग है।

यदि देश के लोगों का स्तर ऊंचा न होगा तो देश का स्तर भी ऊंचा न हो सकेगा। यदि इसी तरह जनसंख्या बढ़ती गई तो एक दिन ऐसा आएगा कि न तो रोगियों के लिए अस्पताल में जगह रहेगी और न ही जीवन की अन्य आवश्यकताएं पूरी हो सकेंगी।

अतः जीवन को सुखी बनाने के लिए जनसंख्या की वृद्धि पर रोक लगाना ज़रूरी है। सरकार की ओर से इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। लोगों को परिवार नियोजन का महत्त्व बताएं। सरकार को चाहिए कि वह परिवार नियोजन का पालन करने वालों को प्रोत्साहन दे। यदि हम स्वयं को तथा अपने देश को उन्नति के पथ पर ले जाना चाहते हैं तो बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगानी होगी।

32. देश-भक्ति अथवा स्वदेश-प्रेम

देश-भक्ति का अर्थ है अपने देश से प्यार अथवा अपने देश के प्रति श्रद्धा। जो मनुष्य जिस देश में पैदा होता है, उसका अन्न-जल खा पीकर बड़ा होता है, उसकी मिट्टी में खेल कर हृष्ट-पुष्ट होता है, वहीं पढ़-लिख कर विद्वान् बनता है, वही उसकी जन्म-भूमि है। – प्रत्येक मनुष्य तथा प्राणी अपने देश से प्यार करता है। वह कहीं भी चला जाए, संसार भर की खुशियों तथा महलों के बीच में क्यों न विचरण कर रहा हो उसे अपना देश, अपना स्थान ही प्रिय लगता है।

देश-भक्त सदा ही अपने देश की उन्नति के बारे में सोचता है। हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब देश पर विपत्ति के बादल मंडराए, जब-जब हमारी आजादी को खतरा रहा, तब-तब हमारे देश-भक्तों ने अपनी भक्ति भावना दिखाई। सच्चे देश-भक्त अपने सिर पर लाठियां खाते हैं, जेलों में जाते हैं, बार-बार अपमानित किए जाते हैं तथा हँसते-हँसते फांसी के फंदे चूम जाते हैं। जंगलों में स्वयं तो भूख से भटकते हैं और साथ ही अपने बच्चों को भी बिलखते देखते हैं।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

महाराणा प्रताप के नाम को कौन भूल सकता है। जो अपने देश की आजादी के लिए.. दर-दर भटकते रहे परन्तु शत्रु के सामने सिर नहीं झुकाया। हमारे देश के न जाने कितने वीरों ने अपना बलिदान दे कर अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति प्राप्त की थी। वे कट मरे लेकिन शत्रु के सामने उन्होंने सिर नहीं झुकाया। आज हम जो भी हैं वे सब उन देशभक्तों के कारण ही हैं। उन्हीं के त्याग के कारण हम सब स्वतन्त्र देश में सुख-चैन भरी सांस ले रहे हैं। हमें उन वीरों से प्रेरणा लेकर नि:स्वार्थ भाव से अपने देश की सेवा करने का वचन लेना चाहिए।

33. आँखों देखा हॉकी मैच

भले ही आज लोग क्रिकेट के दीवाने बने हुए हैं। परन्तु हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ही है। लगातार कई वर्षों तक भारत हॉकी के खेल में विश्वभर में सबसे आगे रहा किन्तु खेलों में भी राजनीतिज्ञों के दखल के कारण हॉकी के खेल में हमारा स्तर दिनों दिन गिर रहा है। 70 मिनट की अवधि वाला यह खेल अत्यन्त रोचक, रोमांचक और उत्साहवर्धक होता है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा ही एक हॉकी मैच देखने को मिला।

यह मैच नामधारी एकादश और रोपड़ हॉक्स की टीमों के बीच रोपड़ के खेल परिसर में खेला गया। दोनों टीमें अपने-अपने खेल के लिए पंजाब भर में जानी जाती हैं। दोनों ही टीमों में राष्ट्रीय स्तर के कुछ खिलाड़ी भाग ले रहे थे। रोपड़ हॉक्स की टीम क्योंकि अपने घरेलू मैदान पर खेल रही थी इसलिए उसने नामधारी एकादश को मैच के आरम्भिक दस मिनटों में दबाए रखा। उसके फारवर्ड खिलाड़ियों ने दो-तीन बार विरोधी गोल पर आक्रमण किये।

परन्तु नामधारी, एकादश का गोलकीपर बहुत चुस्त और होशियार था। उसने अपने विरोधियों के सभी आक्रमणों को विफल बना दिया। तब नामधारी एकादश ने तेजी पकड़ी और देखते ही देखते रोपड़ हॉक्स के विरुद्ध एक गोल दाग दिया। गोल होने पर रोपड़ हॉक्स की टीम ने भी एक जुट होकर दो-तीन बार नामधारी एकादश पर कड़े आक्रमण किये परन्तु उनका प्रत्येक आक्रमण विफल रहा।

इसी बीच रोपड़ हॉक्स को दो पेनल्टी कार्नर भी मिले पर वे इसका लाभ न उठा सके। नामधारी एकादश ने कई अच्छे मूव बनाये उनका कप्तान बलजीत सिंह तो जैसे बलबीर सिंह ओलंपियन की याद दिला रहा था। इसी बीच नामधारी एकादश को भी एक पेनल्टी कार्नर मिला जिसे उन्होंने बड़ी खूबसूरती से गोल में बदल दिया। इससे रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी हताश हो गये। रोपड़ के दर्शक भी उनके खेल को देख कर कुछ निराश हुए। मध्यान्तर के समय नामधारी एकादश दो शून्य से आगे थी। मध्यान्तर के बाद खेल बड़ी तेज़ी से शुरू हुआ।

रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी बड़ी तालमेल से आगे बढ़े और कप्तान हरजीत सिंह ने दायें कोण से एक बढ़िया हिट लगाकर नामधारी एकादश पर एक गोल कर दिया। इस गोल से रोपड़ हॉक्स के जोश में जबरदस्त वृद्धि हो गयी। उन्होंने अगले पाँच मिनटों में दूसरा गोल करके मैच बराबरी पर ला दिया। दर्शक खुशी के मारे नाच उठे। मैच समाप्ति की सीटी के बजते ही दर्शकों ने अपने खिलाड़ियों को मैदान में जाकर शाबाशी दी। मैच का स्तर इतना अच्छा था कि मैच देख कर आनन्द आ गया।

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34. मेरी कक्षा का कमरा

मैं सातवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे विद्यालय का नाम राजकीय सीनियर सैकण्डरी विद्यालय है। हमारा विद्यालय चार मंजिला इमारत का है। मेरी कक्षा का कमरा तीसरी मंजिल पर है। इसकी लम्बाई 20 फुट तथा चौड़ाई 15 फुट है। इसमें 20 बैंच हैं। बैंच और डैस्क एक साथ जुड़े हैं। कमरे में दो दरवाजें हैं। एक आगे की तरफ तथा दूसरा पीछे की तरफ। इसमें हवादार खिड़कियाँ भी हैं। कमरे की दीवार पर एक बुलेटिन बोर्ड भी है।

दूसरी तरफ डिस्पले बोर्ड है। इस पर हम हर महीने नई-नई चीजें लगाते रहते हैं। इसमें अध्यापक के लिए एक लैक्चर स्टैण्ड है। एक श्यामपट्ट भी है। हमारी कक्षा की दीवारों पर सुंदर-सुंदर चित्र लगे हुए हैं। पढ़ाई करने का एक उपयुक्त वातावरण हमें यहाँ मिलता है। मेरी कक्षा का कमरा मुझे बहुत अच्छा लगता है। हम इसे कभी गंदा नहीं करते। इसकी स्वच्छता का हम पूरा ध्यान रखते हैं।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Kahani Lekhan कहानी-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Rachana कहानी-लेखन (2nd Language)

कहानी – रचना

1. प्यासा कौआ
गर्मियों के दिन थे। दोपहर के समय बहुत सख्त गर्मी पड़ रही थी। एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटकता रहा लेकिन कहीं भी पानी न मिला। अन्त में वह थका हुआ एक बाग में पहुँचा। वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था कि अचानक उसकी नज़र वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई। वह उड़कर वहाँ गया उसने देखा कि घड़े में पानी है। वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी, क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था।

वह हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा। तभी उसे एक उपाय सूझा। उसने आस – पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिये। कंकड़ पड़ने से पानी ऊपर आ गया। उसने पानी पिया और उड़ गया।

शिक्षा – जहाँ चाह वहाँ राह।
अथवा
आवश्यकता आविष्कार की जननी है।

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2. चालाक लोमड़ी
एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर – उधर घूमने लगी। जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई। अचानक उसकी नज़र ऊपर गई। वृक्ष पर एक कौआ बैठा हुआ था। उसके मुँह में रोटी का टुकड़ा था। लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। वह कौए से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी।

तभी उसने कौए को कहा, “क्यों भई कौआ भैया ! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?’ कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ। वह उसकी बातों में आ गया। गाना गाने के लिए उसने जैसे ही मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और नौ दो ग्यारह हो गई। अब कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा।

शिक्षा – झूठी प्रशंसा से बचो।

3. दो बिल्लियाँ और बन्दर
किसी नगर में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन उन्हें रोटी का टुकड़ा मिला। वे आपस में लड़ने लगीं। वे उसे आपस में समान भागों में बाँटना चाहती थीं लेकिन उन्हें कोई ढंग न मिला।

उसी समय एक बन्दर उधर आ निकला। वह बहुत चालाक था। उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई। वह तराजू ले आया और बोला, “लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ।” उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक – एक पलड़े में रख दिये। जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी – सी तोड़ कर खा लेता।

इस प्रकार थोड़ी – सी रोटी रह गई। बिल्लियों ने अपनी रोटी वापस मांगी। लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी भी मुँह में डाल ली। बिल्लियाँ मुँह देखती रह गईं।

शिक्षा – आपस में लड़ना – झगड़ना अच्छा नहीं।

4. एकता में बल
किसी गाँव में एक बूढा किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे। वे चारों बहुत आलसी थे। आपस में लड़ते – झगड़ते रहते थे। किसान ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन व्यर्थ । एक दिन उसने अपने चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया तथा एक लकड़ियों का गट्ठा लाने को कहा। वे . लकड़ियों का गट्ठा ले आए। उसने हर एक लड़के को वह गट्ठा तोड़ने के लिए दिया लेकिन कोई भी उसे न तोड़ सका । तब उसने गट्ठा खोलकर एक – एक लकड़ी सभी को तोड़ने को दी। अब सभी ने तोड़ दी। तब उसने उन्हें समझाया कि “अगर तुम इन लकड़ियों की तरह इकटे रहोगे तो तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। अगर तुम अकेले – अकेले रहोगे तो लोग तुम्हें नष्ट कर देंगे। अतः तुम सब इकट्ठे रहो। लड़ना, झगड़ना नहीं। एकता में ही बल है।” यह सुनकर वे सब मिल – जुल कर रहने लगे।

शिक्षा – मिल – जुल कर रहना चाहिए
अथवा
एकता में बल है।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

5. अंगूर खट्टे हैं
एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की तलाश में इधर – उधर भटकती रही लेकिन कहीं से भी उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला। अन्त में थक हार कर वह एक बाग में गई। वहाँ उसने अंगूर की बेल पर कुछ अंगूरों के गुच्छे देखे। वह उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुई। वह अंगूरों को खाना चाहती थी। अंगूर बहुत ऊँचे थे। वह उन्हें पाने के लिए ऊँची – ऊँची छलांगें लगाने लगी। किन्तु वह उन तक पहुँच न सकी। वह बहुत थक चुकी थी। आखिर वह बाग से बाहर जाती हुई कहने लगी कि अंगूर खट्टे हैं। यदि मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार हो जाऊँगी।

शिक्षा – जो चीज़ प्राप्त न कर सको, उसे बुरा मत कहो।

6. लालची कुत्ता
एक कुत्ता था। वह बहुत लालची था। वह भोजन की खोज में इधर – उधर गया। परन्तु कहीं भी उसे भोजन न मिला। अन्त में उसे एक होटल में से मांस का एक टुकड़ा मिला। वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था। वह उसे लेकर भाग गया। एकान्त स्थान की खोज करते – करते वह एक नदी के किनारे पहुँचा। अचानक उसने अपनी परछाईं नदी में देखी। उसने समझा कि कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है। उसने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए। वह ज़ोर से भौंका। भौंकने से उसका अपना मांस का टुकड़ा भी नदी में गिर पड़ा। अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा। अब वह बहुत पछताया तथा मुंह लटकाता गाँव को वापस आ गया।

शिक्षा – लालच बुरी बला है,
अथवा
लालच अच्छा नहीं होता।

7. शेर और चुहिया
एक जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन वह एक वक्ष के नीचे सो रहा था। पास ही एक चुहिया का बिल था। अचानक चुहिया बाहर निकली और शेर को सोया देखकर उस पर कूदने लगी। शेर की नींद उचट गई। वह जाग पड़ा। उसने चुहिया को अपने पंजे में पकड़ लिया। वह उसे मारने लगा था कि चुहिया ने विनय की कि मुझे क्षमा कर दो। मैं भी कभी आपके काम आऊँगी। शेर ने हँसकर उसे छोड़ दिया।

एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने वहाँ जाल बिछा दिया। अचानक शेर उस जाल में फँस गया। शेर ने वहाँ से छूटने का बहुत प्रयत्न किया परन्तु वह अपने आपको छुड़ा न पाया और ज़ोर – ज़ोर से गरजने लगा। शेर की गरज को सुनकर चुहिया बिल से निकल कर उसकी सहायता के लिए दौड़ी। चुहिया ने अपने मित्र को जाल में फँसा देखकर सारा जाल काट दिया और शेर आज़ाद हो गया। उसने चुहिया का धन्यवाद किया और चला गया।

शिक्षा – किसी को छोटा मत समझो।

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8. हाथी और दर्जी
किसी राजा के पास एक हाथी था। हाथी प्रतिदिन स्नान करने के लिए नदी पर जाया करता था। रास्ते में एक दर्जी की दुकान पड़ती थी। दर्जी बहुत दयालु तथा उदार था। उसकी हाथी से मित्रता हो गई। वह हाथी को प्रतिदिन कुछ – न – कुछ खाने के लिए देता था।

एक दिन दर्जी क्रोध में बैठा हुआ था। हाथी आया और कुछ प्राप्त करने के लिए अपनी सूंड आगे की। दर्जी ने उसे कुछ खाने के लिए नहीं दिया, परन्तु उसकी सूंड में सूई चुभो दी। हाथी को क्रोध आ गया। वह नदी पर गया। उसने स्नान किया और लौटते समय अपनी सूंड में गन्दा पानी भर लिया। दर्जी की दुकान पर पहुँच कर उसने सारा गन्दा पानी उसके कपड़ों पर फेंक दिया। दर्जी के सारे कपड़े खराब हो गए। इस तरह हाथी ने दर्जी से बदला लिया।

शिक्षा – जैसे को तैसा।

9. नकलची बन्दर और सौदागर
एक सौदागर था। वह टोपियाँ बेचकर अपना पेट पाला करता था। एक दिन वह टोपियाँ बेचने दूसरे गाँव में गया। गर्मी से व्याकुल होकर वह वृक्ष के नीचे बैठ गया। बैठते ही उसे नींद आने लगी। वह टोपियों से भरा सन्दूक पास रखकर सो गया। उसी वृक्ष पर कुछ बन्दर बैठे थे। वे झट नीचे उतरे, सौदागर के सन्दूक से टोपियाँ निकाल कर उन्होंने अपने सिर पर पहन लीं और छलांगें लगाते हुए वृक्ष पर चढ़ गए। नींद तथा रचना भाग खुलने पर सौदागर ने सन्दूक खुला देखा और टोपियाँ उसमें से गुम पाईं। क्या मेरी टोपियाँ कोई चुरा ले गया है ? वह यह सोच ही रहा था कि तभी उसकी निगाह वृक्ष के ऊपर टोपियाँ पहने बन्दरों पर पड़ी।

सौदागर ने बन्दरों को बहुत डराया लेकिन टोपियाँ प्राप्त करने में उसे सफलता न मिली। अन्त में उसने एक उपाय सोचा और सोचते ही अपने सिर से टोपी उतार कर नीचे फेंक दी। इस पर बन्दरों ने भी अपनी – अपनी टोपियाँ सिर से उतार कर ज़मीन पर फेंक दी। सौदागर ने टोपियाँ इकट्ठी की और अपने घर की ओर चल पड़ा।

शिक्षा – जो काम बुद्धि से हो सकता है, वह ताकत से नहीं।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

10. झूठा गडरिया
किसी गाँव में एक गडरिया रहता था। वह प्रतिदिन भेड़ों को चराने के लिए जंगल में ले जाता था। सायँकाल को वह सब भेड़ों के साथ गाँव को लौट आता था। एक दिन गडरिया बालक को गाँव वालों से मज़ाक करने की सूझी। उसने भेड़िया ! भेड़िया ! की आवाज़ दी। गाँव वाले हाथ में लाठियाँ लिए दौड़े आए। उनको देखकर गडरिया बालक हँस पड़ा। उसने कहा, मैंने तो मज़ाक किया था। वे नाराज होकर चले गए। एक – दो बार उसने फिर वैसा ही किया।

एक दिन सचमुच भेड़िया वहाँ आ गया। बालक ने बड़ा शोर मचाया। पर उसकी सहायता के लिए कोई नहीं आया। भेड़िये ने बहुत – सी भेड़ें मार दी। गडरिये ने वृक्ष पर चढ़कर अपनी जान बचाई।

शिक्षा – झूठे व्यक्ति पर कोई विश्वास नहीं करता।

11. ईमानदार लकड़हारा
एक गाँव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह जंगल से लकड़ियाँ काट कर लाता और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता था।

एक दिन वह नदी के किनारे वृक्ष पर चढ़कर लकड़ियाँ काट रहा था। अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ा छूटकर नदी में गिर पड़ा। लकड़हारा सोचने लगा कि अब मैं अपना निर्वाह कैसे करूंगा ? सोचते – सोचते उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह कुछ देर तक रोता रहा। इतने में वहाँ एक देवता प्रकट हुआ। उसने लकड़हारे से पूछा तुम रो क्यों रहे हो ? लकड़हारे ने सारी बात बताई। देवता पानी में कूद पड़ा और सोने का कुल्हाड़ा निकाल कर बाहर लाया। उसने लकड़हारे से पूछा क्या यही तुम्हारा कुल्हाड़ा है ? लकड़हारे ने कहा – नहीं श्रीमान् जी, यह कुल्हाड़ा मेरा नहीं है। देवता ने फिर पानी में डुबकी लगाई और एक चाँदी का कुल्हाड़ा निकाल लाया। परन्तु लकड़हारे ने वह भी नहीं लिया। अन्त में देवता ने लोहे का कुल्हाड़ा बाहर निकाला। इसे देखकर लकड़हारे ने कहा – श्रीमान् जी, यही मेरा कुल्हाड़ा है। देवता उसकी ईमानदारी पर बहुत प्रसन्न हुआ और उसे तीनों कुल्हाड़े दे दिए।

शिक्षा –

  • मनुष्य को ईमानदार बनना चाहिए।
  • ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

12. दो मित्र और रीछ
एक बार दो मित्र इकटे व्यापार करने घर से चले। दोनों ने एक – दूसरे को वचन दिया कि वे मुसीबत के समय एक – दूसरे की सहायता करेंगे। चलते – चलते दोनों एक भयंकर जंगल में जा पहँचे।

जंगल बहुत विशाल तथा घना था। दोनों मित्र सावधानी से जंगल में से गुजर रहे थे। एकाएक उन्हें सामने से एक रीछ आता हुआ दिखाई दिया। दोनों मित्र भयभीत हो गए। उस रीछ को पास आता देखकर एक मित्र जल्दी से वृक्ष पर चढ़कर पत्तों में छिप कर बैठ गया। दूसरे मित्र को वृक्ष पर चढ़ना नहीं आता था। वह घबरा गया, परन्तु उसने सुना था कि रीछ मरे हुए आदमी को नहीं खाता। वह झट अपना साँस रोक कर भूमि पर लेट गया। – रीछ ने पास आकर उसे सूंघा और मरा हुआ समझकर वहाँ से चला गया। कुछ देर बाद पहला मित्र वृक्ष से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्र से कहा – “उठो, रीछ चला गया। यह तो बताओ कि उसने तुम्हारे कान में क्या कहा था ?” भूमि पर लेटने वाले मित्र ने कहा कि रीछ केवल यही कह रहा था कि स्वार्थी मित्र पर विश्वास मत करो।

शिक्षा –

  1. मित्र वह है जो विपत्ति में काम आए।
  2. स्वार्थी मित्र से हमेशा दूर रहो।

13. खरगोश और कछुआ
किसी वन में खरगोश और कछुआ पक्के मित्र रहते थे। खरगोश अपनी तेज़ दौड़ का अभिमान करता था। एक दिन दोनों सैर को निकले। खरगोश तेज़ चलता तो कछुआ धीरे धीरे। खरगोश ने कछुए से कहा – भाई कछुए तुम तो बहुत सुस्त हो। यदि मेरे साथ दौड़ लगाओ तो मैं तुम्हें बुरी तरह हरा सकता हूँ। कछुआ भी अपनी बुराई सहन न कर सका। उसने दौड़ लगाना स्वीकार कर लिया।

दोनों की दौड़ शुरू हो गई। खरगोश इतना तेज़ भागा कि कछुआ बहुत पीछे रह गया। रास्ते में एक सुन्दर बगीचे को देखकर खरगोश ने सोचा क्यों न कुछ देर यहाँ आराम कर लिया जाए। जब कछुआ यहाँ आएगा फिर दौड़ लगा लूँगा और उससे पहले तालाब पर पहुँच जाऊँगा। यह सोचकर खरगोश वहाँ लेट गया। ठण्डी – ठण्डी वायु चल रही थी। लेटते ही उसे नींद आ गई। थोड़ी देर के बाद कछुआ भी वहाँ आ गया। खरगोश को सोता देखकर वह चुपके से आगे निकल गया। धीरे – धीरे वह तालाब पर पहले पहुँच गया।

PSEB 7th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

खरगोश की जब नींद खुली तो उसने सोचा कछुआ अभी पीछे ही होगा। उसने फिर दौड़ना शुरू कर दिया। जब वह तालाब पर पहुँचा तो कछुआ पहले ही वहाँ पहुँचा हुआ था। यह देखकर वह बहुत लज्जित हुआ।

शिक्षा –

  1. सहज पके सो मीठा होय।
  2. घमण्डी का सिर नीचा।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Muhavare Ka Vakya Mein Prayog मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग (2nd Language)

1. अन्धे की लकड़ी एकमात्र सहारा,
प्रयोग – अब तो रमेश ही बुढ़ापे में मुझ अन्धे की लकड़ी है।

2. अंगूठा दिखाना – साफ़ इन्कार करना,
प्रयोग – जब मैंने सुरेश से दस रुपए मांगे तो उसने अंगूठा दिखा दिया।

3. अपना उल्लू सीधा करना – अपना मतलब निकालना,
प्रयोग – आजकल हर कोई अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।

4. अंग – अंग हिल जाना – थक जाना,
प्रयोग – दिन भर मेहनत करने से मजदूरों का अंग – अंग हिल जाता है।

5. अपने पैरों पर खड़े होना आत्मनिर्भर होना,
प्रयोग – बच्चों को प्रारम्भ से ही ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे वे बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

6. आँखों का तारा बहुत प्यारा,
प्रयोग – सुनील अपने माता – पिता की आँखों का तारा है।

7. आँख में खटकना – बुरा लगना,
प्रयोग – शरारती बच्चे अध्यापक की आँख में खटकने लगते हैं।

8. आँख बदलना – मुँह फेर लेना,
प्रयोग – मुसीबत के समय अपने भी आँख बदल लेते हैं।

9. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना,
प्रयोग – ठग, राम की आँखों में धूल झोंक कर पाँच सौ रुपए ले गया।

10. आँखें खुलना – होश आना,
प्रयोग – हानि उठाकर ही आँखें खलती हैं।

11. आत्म – समर्पण करना अपने आप को दूसरे के हवाले करना,
प्रयोग – चोर ने पुलिस के सामने आत्म – समर्पण कर दिया।

12. आनाकानी करना टालमटोल करना,
प्रयोग – जब मैंने पीयूष से सौ रुपये उधार माँगे, तो वह आनाकानी करने लगा

13. आव देखा न ताव – बिना सोचे समझे,
प्रयोग – डूबते हुए बच्चे को बचाने के लिए सुरेन्द्र ने आव देखा न ताव नदी में छलांग लगा दी।

14. आसमान सिर पर उठाना बहुत शोर करना,
प्रयोग – अध्यापक के क्लास से बाहर निकलते ही लड़कों ने आसमान सिर पर उठाना शुरू कर दिया।

15. ईंट से ईंट बजाना – नाश करना,
प्रयोग – बन्दा बहादुर ने सरहिन्द की ईंट से ईंट बजा दी।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

16. ईद का चाँद होना बहुत दिनों बाद दिखाई देना,
प्रयोग – अरे सुरेश तुम तो ईद के चाँद हो गए हो, कहाँ रहते हो?

17. एक आँख से देखना बराबर का बर्ताव,
प्रयोग – माता – पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।

18. काम आना – युद्ध में मारे जाना,
प्रयोग – भारत – पाक युद्ध में अनेक भारतीय वीर काम आए।

19. कलम तोड़ना – बहुत बढ़िया लिखना,
प्रयोग – सुन्दर ने चाहे थोड़ा लिखा है पर कलम तोड़ कर रख दी है।

20. कान पर जूं न रेंगना कोई असर न पड़ना,
प्रयोग – मेरे कहने पर तो उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती।

21. कान भरना – चुगली करना,
प्रयोग – अपने सहपाठियों के विरुद्ध कान भरने वाले विद्यार्थी अच्छे नहीं होते।

22. कानों का कच्चा होना किसी बात पर बिना सोचे – समझे विश्वास कर लेना,
प्रयोग – किसी अफसर के लिए कानों का कच्चा होना ठीक नहीं है।

23. खाला जी का घर – आसान काम,
प्रयोग – आठवीं श्रेणी पास करना खाला जी का घर नहीं है।

24. गले का हार – बहुत प्यारा,
प्रयोग – सुरेश अपने माता – पिता के गले का हार है।

24. गहरी नींद सो जाना – मर जाना।
प्रयोग – फाँसी के बाद सद्दाम हुसैन गहरी नींद सो गया।

25. घी के दीये जलाना – बहुत खुशी मनाना,
प्रयोग – जब श्री रामचन्द्र अयोध्या वापस पहुँचे तो लोगों ने घी के दीये जलाए।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे (2nd Language)

26. घोड़े बेचकर सोना – बे – फिक्र होकर सोना,
प्रयोग – परीक्षा के बाद सब विद्यार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं।

27. घड़ी समीप होना – मृत्यु निकट होना,
प्रयोग – रोगी की साँस बहुत धीमे चल रही थी, ऐसा लगता था जैसे उसकी घड़ी समीप हो।

28. चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना,
प्रयोग – आपने यहाँ पधार कर उत्सव को चार चाँद लगा दिए।

29. छक्के छुड़ाना बुरी तरह हराना,
प्रयोग – युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए।

30. जान हथेली पर रखना अपने को जोखिम में डालना,
प्रयोग – युद्ध में भारतीय सैनिक अपनी जान हथेली पर रखकर लड़ते हैं।

31. जी की कली खिलना – बहुत खुश होना,
प्रयोग – विदेश से वापस आए पुत्र को देखकर माता – पिता के जी की कली खिल उठी।

32. झाँसा देना धोखा देना,
प्रयोग – अपराधी पुलिस को झांसा देकर भाग खड़ा हुआ।

33. टका – सा जवाब देना – साफ़ इन्कार करना,
प्रयोग – मैंने जब महेन्द्र से पुस्तक मांगी तो उसने मुझे टका – सा जवाब दे दिया।

34. टेढ़ी खीर – कठिन काम,
प्रयोग – आठवीं की परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर है।

35. डींग मारना शेखी मारना,
प्रयोग – डींग मारने वालों पर विश्वास मत कीजिए।

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36. तलवे चाटना – खुशामद करना,
प्रयोग – बलबीर दूसरों के तलवे चाटकर काम निकालने में निपुण है।

37. दांत खट्टे करना – बुरी तरह हराना,
प्रयोग – भारत ने युद्ध में दो बार पाकिस्तान के दांत खट्टे किए।

38. दांतों तले उंगली दबाना – चकित होना,
प्रयोग – ताजमहल की सुन्दरता को देखकर विश्व के लोग दांतों तले उंगली दबाते हैं।

39. दिल बल्लियों उछलना बहुत खुश होना,
प्रयोग – लाटरी निकलने का समाचार सुनकर जसदेव का दिल बल्लियों उछलने लगा।

40. दिल टूट जाना – हताश हो जाना,
प्रयोग – इकलौते पुत्र की मृत्यु से माँ – बाप का दिल टूट गया।

41. धुन का पक्का – इरादे का पक्का,
प्रयोग – जीवन में वही व्यक्ति उन्नति कर सकता है, जो धुन का पक्का होता है।

42. नस – नस पहचानना हर बात की जानकारी होना,
प्रयोग – राजेन्द्र का विश्वास मत करो, मैं उसकी नस – नस पहचानता

43. नाक कटवाना – बदनामी करवाना,
प्रयोग – सोहन ने चोरी करके अपने कुल की नाक कटवा दी है।

44. नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना,
प्रयोग – सिपाही को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।

45. नाक में दम करना – बहुत तंग करना,
प्रयोग – वर्षा ने नाक में दम कर दिया है, कहीं जाना भी कठिन हो गया है।

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46. पानी – पानी होना बहुत लज्जित होना,
प्रयोग – सच्चाई सामने आने पर बलदेव पानी – पानी हो गया।

47. पीठ दिखाना – युद्ध से भाग जाना,
प्रयोग – युद्ध के मैदान में पीठ दिखाना कायरों का काम है, वीरों का नहीं।

48. प्राण पखेरू उड़ना – मर जाना,
प्रयोग – डॉक्टर के आने से पहले रोगी के प्राण पखेरू उड़ गए।

49. पीठ थपथपाना – शाबाश देना,
प्रयोग – कक्षा में प्रथम आने पर अध्यापक ने सुरेश की पीठ थपथपाई।

50. प्राणों की खैर मनाना – अपना बचाव करना,
प्रयोग – भारतीय सैनिकों ने शत्रु सैनिकों को ललकार कर कहा – प्राणों की खैर मनानी है तो हथियार डाल दो।

51. फूला न समाना – बहुत खुश होना,
प्रयोग – परीक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर दिनेश फूला नहीं समाता था।

52. फूट – फूट कर रोना बहुत अधिक रोना,
प्रयोग – पिता के मरने का समाचार सुनकर पुत्र फूट – फूट कर रोने लगा।

53. बेसिर पैर की बातें करना – फजूल की बातें करना।
प्रयोग – सुच्चा सिंह हर वक्त बेसिर पैर की बातें करता है।

54. भीगी बिल्ली बनना – डर से दबे रहना,
प्रयोग – जब तक मास्टर जी कक्षा में रहते हैं, लड़के भीगी बिल्ली बनकर बैठे रहते हैं।

55. मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन स्वस्थ हो तो घर में ही पुण्य पाया जा सकता है।
प्रयोग – रविदास जी ने तीर्थ यात्रा को निरर्थक बताया। उनका कहना था – मन चंगा तो कठौती में गंगा।

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56. मन मोह लेना – अच्छा लगना, मन लुभाना।
प्रयोग – जसवंत के नृत्य ने सबका मन मोह लिया।

57. मखमल में लपेट कर कहना – चिकनी – चुपड़ी बात कहना।
प्रयोग – आजकल मखमल में लपेटकर कहने वाले ही सफल होते हैं।

58. मुँह मोड़ना – नाराज़ होना।
प्रयोग – संकट में मित्र भी मुँह मोड़ते हैं।

59. मौत के घाट उतारना – मार देना।
प्रयोग – अमेरिका ने इराक में हजारों को मौत के घाट उतार दिया।

60. मृत्यु – तुल्य जीवन बिताना – मरे हुए के समान रहना।
प्रयोग – कालाहांडी में लोग मृत्यु – तुल्य जीवन बिता रहे हैं।

61. मृत्यु की गोद में सो जाना – मर जाना।
प्रयोग – सुनामी लहरों के कहर से लाखों लोग मृत्यु की गोद में सो गए।

62. मुँह की खाना – बुरी तरह हारना,
प्रयोग – 1971 के भारत – पाक युद्ध में पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।

63. मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना,
प्रयोग – आजकल मुट्ठी गर्म करने से ही प्रत्येक काम बनता है।

64. रंग में भंग डालना मजा किरकिरा होना,
प्रयोग – विवाह में दादा जी की मृत्यु ने रंग में भंग डाल दिया।

65. रफूचक्कर होना – भाग जाना,
प्रयोग – पुलिस को देखते ही डाकू रफू चक्कर हो गए।

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66. लाल – पीला होना क्रुद्ध होना, गुस्से में आना,
प्रयोग – पहले बात तो सुन लो व्यर्थ में क्यों लाल – पीले हो रहे हो।

67. लोहा लेना युद्ध करना,
प्रयोग – अधिकतर मुग़ल सम्राट् राजपूतों से लोहा नहीं लेना चाहते थे।

68. लोहे के चने चबाना अति कठिन काम करना, कष्ट अनुभव करना,
प्रयोग – भारत पर आक्रमण करके चीन को लोहे के चने चबाने पड़े थे।

69. वीरगति प्राप्त करना – वीरों की मौत मरना, शहीद होना,
प्रयोग – युद्ध में कई भारतीय सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की।

70. वार देना – कुर्बान करना,
प्रयोग – गुरु गोबिन्द सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए अपने चारों पुत्र वार दिए थे।

71. श्रीगणेश करना – काम आरम्भ करना,
प्रयोग – सोहन ने कल ही अपने नये व्यवसाय का श्रीगणेश किया है।

72. सिर चढ़ाना – लाड़ प्यार से आदतें खराब करना,
प्रयोग – बच्चों को ज्यादा सिर पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

73. हवा से बातें करना बहुत तेज़ दौड़ना,
प्रयोग – महाराणा प्रताप का घोड़ा हवा से बातें करता था।

74. हवा हो जाना – भाग जाना,
प्रयोग – पहरेदार को अपनी तरफ आते देखकर चोर हवा हो गया।

75. हाथ – फैलाना – मांगना,
प्रयोग – स्वाभिमान – रहित व्यक्ति हर किसी के आगे हाथ फैलाने लगता है।

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76. हाथ मलना – पछताना,
प्रयोग – अब फेल होने पर हाथ मलने से क्या लाभ? पहले ही डट कर मेहनत करते तो पास हो जाते।

77. हाथ लगना – अधिकार में होना,
प्रयोग – युद्ध में अनेक पाकिस्तानी टैंक भारतीय सेना के हाथ लगे।

78. हथियार डालना – हार मान लेना,
प्रयोग – बांग्लादेश में पाकिस्तान ने साधारण से युद्ध के बाद हथियार डाल दिए।

79. हृदय पर साँप लोटना – बुरा लगना,
प्रयोग – दूसरे की उन्नति देखकर ईष्यालु व्यक्ति के हृदय पर साँप लोटने लगता है।

80. हँसते – हँसते लोट – पोट होना – बहुत हँसना।
प्रयोग – लाल बुझक्कड़ के किस्से सुनकर बच्चे हँसते – हँसते लोट – पोट हो गए।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਪਾਣੀ, ਸਾਬਣ, ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ, ਸਿਰਕਾ, ਸਟੀਲ ਵੁਲ ।
ਸਫ਼ਾਈ ਦੀ ਵਿਧੀ-

  1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨ ਸਸਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਤੇ ਸਾਬਣ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  2. ਬਰਤਨ ਵਿਚ ਜੇਕਰ ਧੱਬੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਧੱਬਿਆਂ ਤੇ ਨਿੰਬੂ ਦਾ ਰਸ ਲਾਓ ਅਤੇ ਫਿਰ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਧੋ ਕੇ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝ ਲਓ ।
  3. ਜੇਕਰ ਬਰਤਨ ਦਾ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਬਾਲ ਕੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਸਿਰਕਾ ਪਾ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚ ਬਰਤਨ ਪਾ ਦਿਓ | ਬਰਤਨ ਚਮਕ ਜਾਣਗੇ ।
    ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਚਮਕ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਸਟੀਲ ਫੂਲ (Steel Wool) ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ।

ਨੋਟ-

  1. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਸੇ ਵੀ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ।
  2. ਇਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਸੋਡੇ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਵੀ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਧਾਤੂ ਕਾਲੀ ਪੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

2. ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਭਾਂਡਿਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਪਾਣੀ, ਸਾਬਣ, ਵਿਮ ਜਿਹਾ ਪਾਊਡਰ, ਝਾੜਨ ।
ਸਫ਼ਾਈ ਦੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ-

  1. ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਨਾਲ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਵਿਮ ਵਰਗੇ ਪਾਉਡਰ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਉਡਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਬਹੁਤ ਚੰਗੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  3. ਧੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਕ ਸੁੱਕੇ ਸਾਫ਼ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝ ਕੇ ਹੀ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ

ਨੋਟ-

  1. ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਸੁਆਹ ਆਦਿ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਖਰੋਚਾਂ (ਝਰੀਟਾਂ) ਪੈ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਸਟੇਨਲੈੱਸ ਸਟੀਲ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਤੇ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਗੜਨ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਚਮਕ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

3. ਪਿੱਤਲ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਸੁਆਹ, ਮਿੱਟੀ, ਇਮਲੀ, ਨਿੰਬੂ ਜਾਂ ਅੰਬ ਦੀ ਖਟਾਈ, ਪਾਣੀ, ਸਾਬਣ, ਸਿਰਕਾ, ਨਮਕ, ਬਾਸੋ ।
ਸਫ਼ਾਈ ਦੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ-

  1. ਘਰ ਦੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸੁਆਹ ਜਾਂ ਮਿੱਟੀ ਨਾਲ ਮਾਂਜ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  2. ਜ਼ਿਆਦਾ ਗੰਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਇਮਲੀ, ਨਿੰਬੂ ਜਾਂ ਅੰਬ ਦੀ ਖਟਾਈ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  3. ਪਿੱਤਲ ਦੀਆਂ ਸਜਾਵਟੀ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੀ ਵਿਧੀ ਅਪਣਾਉਂਦੇ ਹਨ-
    (i) ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਗਰਮ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿਚ ਪਾਓ |
    (ii) ਛੋਟੇ ਬੁਰਸ਼ ਜਾਂ ਪੁਰਾਣੇ ਟੁਥ ਬੁਰਸ਼ ਨਾਲ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਫ਼ ਕਰੋ ਜਿਸ ਨਾਲ ਕੋਨਿਆਂ ਅਤੇ ਡਿਜ਼ਾਇਨਾਂ ਆਦਿ ਵਿਚ ਛੁਪੀ ਗੰਦਗੀ ਵੀ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਵੇ ।
    (iii) ਹੁਣ ਇਸ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਧੋਵੋ । (iv) ਸੁੱਕੇ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝ ਕੇ ਸੁਕਾਓ ।
    (v) ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਉਪਲੱਬਧ ਬਾਸੋ (Brasso) ਨਾਮਕ ਪਾਲਿਸ਼ ਲਾ ਕੇ ਰਗੜੋ ਤਾਂ ਜੋ ਇਹ ਚਮਕ ਜਾਵੇ ।
  4. ਪਿੱਤਲ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਤੇ ਜੇਕਰ ਦਾਗ-ਧੱਬੇ ਲੱਗੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਪਾਲਿਸ਼ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਿਰਕੇ ਜਾਂ ਨਮਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰੋ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ, ਸਟੀਲ, ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

4. ਕੱਚ, ਚੀਨੀ, ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ

ਲੋੜੀਂਦਾ ਸਾਮਾਨ – ਸਾਬਣ ਦਾ ਘੋਲ, ਕੱਪੜਾ (ਮੁਲਾਇਮ, ਨਮਕ, ਸਿਰਕਾ, ਚਾਹ ਦੀ ਪੱਤੀ, ਅਖ਼ਬਾਰ, ਬੁਰਸ਼, ਸਪਿਰਿਟ, ਚੁਨੇ ਦਾ ਪਾਊਡਰ । | ਸਫ਼ਾਈ ਦੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ-

  • ਸਾਬਣ ਦਾ ਘੋਲ ਲੈ ਕੇ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਕੱਚ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਜਾਂ ਬਰਤਨ ਨੂੰ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਰਗੜੋ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਗੰਦਗੀ ਲਹਿ ਜਾਵੇਗੀ । ਹੁਣ ਸਾਫ਼ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੰਗਾਲ ਕੇ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝਣ ਤੇ ਬਰਤਨ ਚਮਕ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਜੇਕਰ ਬਰਤਨ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚੀਕਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਨਮਕ, ਸਿਰਕਾ, ਚਾਹ ਦੀ ਪੱਤੀ ਜਾਂ ਅਖ਼ਬਾਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਜਾਂ ਸਿਆਹੀ ਚੁਸ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਇਕ ਉਸ ਬਰਤਨ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਰਗੜੋ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਬਰਤਨ ਦੀ ਗੰਦਗੀ ਲਹਿ ਜਾਵੇਗੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਬਰਤਨ ਨੂੰ ਫਿਰ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਜਾਂ ਵਿਮ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿਚ ਸਾਫ਼ ਕਰੋ ! ਹੁਣ ਇਸ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੰਗਾਲੋ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਾਫ਼ ਮੁਲਾਇਮ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਪੂੰਝੋ ।
  • ਡਿਜ਼ਾਈਨਦਾਰ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਮੁਲਾਇਮ ਬੁਰਸ਼ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰੋ ।
  • ਖਿੜਕੀਆਂ ਅਤੇ ਦਰਵਾਜ਼ਿਆਂ ਦੇ ਸ਼ੀਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਲਈ ਕੱਪੜੇ ਵਿਚ ਸਪਿਰਿਟ ਲਾ ਕੇ ਰਗੜੋ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚੁਨੇ ਦਾ ਪਾਊਡਰ ਅਤੇ ਅਮੋਨੀਆ ਦੇ ਗਾੜੇ ਘੋਲ ਨਾਲ ਰਗੜ ਕੇ ਵੀ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬਣਾਉਟੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਲਾਈ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਬਣਾਉਟੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਲਾਈ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬਣਾਉਟੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਲਾਈ

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਨਾਈਲੋਨ ਦੀ ਸਾੜੀ ਕਿਵੇਂ ਪੌਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਾਈਲੋਨ ਦੀ ਸਾੜੀ ਨੂੰ ਸਾਬਣ ਵਾਲੇ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹਲਕੇ ਦਬਾਅ ਨਾਲ ਧੋਵੋ । ਫਾਲ ਵਾਲਾ ਹਿੱਸਾ ਜ਼ਮੀਨ ਨਾਲ ਲੱਗਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗੰਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਨੂੰ ਸਾਬਣ ਦੀ ਝੱਗ ਲਗਾ ਕੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਰਗੜ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਨਾਈਲੋਨ ਦੀ ਸਾੜ੍ਹੀ ਤੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਿਵੇਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਪੁੱਠੇ ਪਾਸਿਓਂ ਫਾਲ ਨੂੰ ਹਲਕੀ ਗਰਮ ਐੱਸ ਨਾਲ ਕੈਂਸ ਕਰੋ ।
  2. ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਲੰਬਾਈ ਵਲੋਂ ਦੂਹਰੀ ਅਤੇ ਫਿਰ ਚੌਹਰੀ ਕਰਕੇ ਹਲਕੀ ਜਿਹੀ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।
  3. ਸਾੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਦੋ ਵਾਰੀ ਫਿਰ ਤਹਿ ਕਰੋ ਤਾਂ ਕਿ ਸੋਲਾਂ ਤਹਿਆਂ ਹੋ ਜਾਣ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੈਂਗਰ ਵਿਚ ਲਟਕਾ ਦਿਓ ਜਾਂ ਚੌੜਾਈ ਵਲੋਂ ਦੂਹਰੀ ਕਰਕੇ ਰੱਖ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਰੇਆਨ ਕਰੇਪ ਦੇ ਬਲਾਉਜ਼ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਧੋਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ? ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਦੀ ਤਿਆਰੀ-ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਦੇਖੋ, ਜੇ ਕਿਧਰੋਂ ਫਟਿਆ ਹੋਇਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰ ਲਓ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਦਾਗ ਲੱਗਿਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਕਾਰਕ ਨਾਲ ਉਤਾਰੋ । ਜੇ ਕਰ ਕੋਈ ਅਜਿਹੇ ਬਟਨ ਆਦਿ ਲੱਗੇ ਹੋਣ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਧੋਣ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋਣ ਦਾ ਡਰ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਹ ਉਤਾਰ ਕੇ ਰੱਖ ਦਿਓ ।

ਧੋਣ ਦਾ ਤਰੀਕਾ – ਇਕ ਚਿਮਚੀ ਵਿਚ ਕੋਸਾ ਪਾਣੀ ਪਾ ਕੇ ਸਾਬਣ ਦਾ ਘੋਲ ਤਿਆਰ ਕਰੋ । ਬਲਾਊਜ਼ ਸਾਬਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਪਾਓ ਅਤੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਦਬਾ ਕੇ ਧੋਵੋ । ਗਲੇ ਤੇ ਜੇਕਰ ਮੈਚ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੀ ਤਲੀ ਤੇ ਰੱਖੋ ਅਤੇ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਥੋੜੀ ਝੱਗ ਪਾ ਕੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਮਲੋ । ਜਦੋਂ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਦੋ-ਤਿੰਨ ਵਾਰ ਹੰਘਾਲੋ । ਸਫ਼ੈਦ ਰੇਆਨ ਫਟਣ ਤਕ ਸਫ਼ੈਦ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦੀ, ਨਾ ਹੀ ਇਸ ਨੂੰ ਮਾਇਆ ਲਗਾਉਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

ਨਿਚੋੜਨਾ – ਇਕ ਬੂਰ ਵਾਲੇ ਤੌਲੀਏ ਵਿਚ ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਰੱਖ ਕੇ ਲਪੇਟ ਲਓ ਅਤੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਦਬਾਓ । ਤੌਲੀਆ ਪਾਣੀ ਚੂਸ ਲਏਗਾ ।
ਸੁਕਾਉਣਾ – ਮੰਜੀ ਤੇ ਤੌਲੀਆ ਵਿਛਾ ਕੇ, ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਹੱਥ ਨਾਲ ਸਿੱਧਿਆਂ ਕਰਕੇ ਛਾਂ ਵਿਚ ਖਿਲਾਰ ਦਿਓ । 15 ਮਿੰਟ ਬਾਅਦ ਉਸ ਦਾ ਪਾਸਾ ਪਰਤ ਦਿਓ, ਤਾਂ ਕਿ ਦੋਹਾਂ ਪਾਸਿਆਂ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੁੱਕ ਜਾਏ ।

ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨਾ-
1. ਇਕ ਮੇਜ਼ ਉੱਪਰ ਤਹਿ ਕਰਕੇ ਕੰਬਲ ਜਾਂ ਖੇਸ ਵਿਛਾਓ ਅਤੇ ਉੱਤੇ ਇਕ ਸਾਫ਼ ਚਿੱਟੀ ਚਾਦਰ ਵਿਛਾ ਦਿਓ ।
2. ਪ੍ਰੈੱਸ ਨੂੰ ਹਲਕੀ ਗਰਮ ਕਰੋ ।
3. ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਪੁੱਠਾ ਕਰਕੇ ਸਿਲਾਈ ਵਾਲੇ ਹਿੱਸੇ ਅਤੇ ਦੂਸਰੇ ਹਿੱਸੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰ ਲਓ। ਹੱਕਾਂ ਦੇ ਉੱਪਰ ਪੈਂਸ ਨਾ ਫੇਰੋ ।
PSEB 7th Class Home Science Practical ਬਣਾਉਟੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਧੁਲਾਈ 1
4. ਬਾਂਹ ਨੂੰ ਸਲੀਵ ਬੋਰਡ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ । ਜੇ ਕਰ ਸਲੀਵ ਬੋਰਡ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਅਖ਼ਬਾਰ ਜਾਂ ਤੌਲੀਏ ਨੂੰ ਰੋਲ ਕਰਕੇ ਬਾਂਹ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ । 5. ਬਲਾਊਜ਼ ਦੇ ਬਾਕੀ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਪਾਸਿਓਂ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।. 6. ਬਾਹਾਂ ਨੂੰ ਪੋਲਾ ਜਿਹਾ ਅਗਲੇ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਮੋੜ ਦਿਓ । 7. ਬਲਾਊਜ਼ ਨੂੰ ਤਹਿ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਐੱਸ ਨਾ ਕਰੋ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਟੈਰਾਲੀਨ ਦੀ ਕਮੀਜ਼ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਧੋਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ? ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਧੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਤਿਆਰੀ-ਕਮੀਜ਼ ਦੀਆਂ ਜੇਬਾਂ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇਖੋ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਪੈਸੇ, ਪੈਂਨ ਜਾਂ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਕੱਢ ਲਓ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਦਾਗ ਲੱਗਿਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਤਾਰ ਲਓ । ਜੇਕਰ ਕਿਧਰੋਂ ਫਟਿਆ ਹੋਇਆ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਮੁਰੰਮਤ ਕਰ ਲਓ ।

ਧੋਣ ਦਾ ਤਰੀਕਾ – ਸਾਬਣ ਵਾਲੇ ਕੋਸੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਮਲ ਕੇ ਧੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਕਾਲਰ ਅਤੇ ਕਫ਼ ਸਾਫ਼ ਨਾ ਹੋਣ ਤਾਂ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੇ ਬੁਰਸ਼ ਨਾਲ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਰਗੜੋ ।
ਹੰਘਾਲਣਾ – ਕੋਸੇ ਸਾਫ਼ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਦੋ-ਤਿੰਨ ਵਾਰੀ ਹੰਘਾਲੋ ।
ਨਿਚੋੜਨਾ ਅਤੇ ਸੁਕਾਉਣਾ – ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਥੋੜਾ ਜਿਹਾ ਦਬਾ ਕੇ ਪਾਣੀ ਨਿਚੋੜੋ ਅਤੇ ਹੈਂਗਰ ਵਿਚ ਲਟਕਾ ਕੇ ਤਾਰ ਨਾਲ ਟੰਗ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਹੱਥ ਨਾਲ ਕਾਲਰ ਅਤੇ ਕਫ਼ ਸਿੱਧੇ ਕਰ ਲੈਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨਾ-
1. ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹਲਕੀ ਗਰਮ ਪ੍ਰੈੱਸ ਨਾਲ ਕਾਲਰ ਅਤੇ ਯੋਕ ਨੂੰ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।
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2. ਬਾਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰੋ ।
3. ਅਗਲਾ ਅਤੇ ਪਿਛਲਾ ਪਾਸਾ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਕੇ ਕਮੀਜ਼ ਨੂੰ ਤਹਿ ਕਰ ਲਓ ।

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ

ਉਮਰ-ਜਨਮ ਤੋਂ 1 ਸਾਲ ਤਕ
ਨਾਪ-ਛਾਤੀ 18″
ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦਾ ਨਾਪ ਪਹਿਲਾਂ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਨੂੰ ਦੁਹਰਾ ਕਰ ਲਵੋ।
ਬਿੱਬ ਦੀ ਚੌੜਾਈ= ਛਾਤੀ ਦਾ 1 .
\(\frac{1}{6}\) +1/36 = 3 \(\frac{1}{2}\) ”
ਬਿੱਬ ਦੀ ਲੰਬਾਈ= ਛਾਤੀ ਦਾ
\(\frac{1}{3}+\frac{1}{12}=7 \frac{1}{2}\) ”
ਉ ਅ=ਬੲ ਸ=3\(\frac{1}{2}\) ”
ਉੲ=ਅ ਸ=7 \(\frac{1}{2}\)”
ਉ ਗ=ਉ ਚ=\(\frac{1}{2}\)”
ਗ ਹ=ਹ ਖ=1\(\frac{1}{2}\)
ਹ ਕ=1/12″ ਛਾਤੀ=1\(\frac{1}{2}\) ”
PSEB 7th Class Home Science Practical ਬੱਚੇ ਲਈ ਬਿੱਬ ਬਣਾਉਣਾ 1
ਅ ਸ ਨੂੰ 2 ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡੋ ਅਤੇ ਝ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਓ। ਝ ਤੋਂ ਅੱਧਾ ਇੰਚ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਨੂੰ ਲਓ ਅਤੇ ਘ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਾਉ |

ਗ, ਚ ਨੂੰ ਸਿੱਧੀ ਲਾਈਨ ਨਾਲ ਮਿਲਾਓ | ਚ, ਘ, ਨੂੰ ਗੋਲਾਈ ਨਾਲ ਮਿਲਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖ, ਕ ਅਤੇ ਗ ਨੂੰ ਗੋਲਾਈ ਵਿਚ ਮਿਲਾਓ । ਬਿੱਬ ਨੂੰ ਗ, ਚ, ਘ, ਈ, ਖ, ਕ, ਗ, ਲਾਈਨਾਂ ਤੇ ਕੱਟ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

ਸਿਲਾਈ-ਸਾਰੇ ਪਾਸਿਓਂ ਬਰੀਕ ਬਰੀਕ ਮੋੜ ਕੇ ਉਲ਼ੇੜ ਲਓ ।’\(\frac{1}{2}\) ” ਚੌੜੀ ਲੇਸ ਸਾਰੇ ਪਾਸੇ ਰਨ ਐਂਡ ਬੈਕ ਟਾਂਕੇ ਨਾਲ ਲਗਾਓ  ਬਿੱਬ ਦੇ ਨਾਲ ਦਾ ਕੱਪੜਾ ਲੈ ਕੇ \(\frac{3}{8}\) ਚੌੜੀਆਂ ਅਤੇ 6” ਲੰਬੀਆਂ ਦੋ ਤਣੀਆਂ ਬਣਾ ਕੇ ਪਿੱਛੋਂ ਲੱਗਾ ਦਿਓ ।

ਕੱਪੜਾ-25×25 ਸੈਂਟੀਮੀਟਰ ਤੌਲੀਏ ਵਾਲਾ ਕੱਪੜਾ ਜਾਂ 25×50 ਸੈਂਟੀਮੀਟਰ ਪਾਪਲੀਨ । ਨੋਟ- ਜੇਕਰ ਪਾਪਲੀਨ ਵਰਤੀ ਜਾਏ ਤਾਂ ਦੋ ਬਿੱਬ ਕੱਟਦੇ ਹਨ, ਸਾਰੇ ਪਾਸੇ \(\frac{1}{4}\) ‘ ਸਿਲਾਈ ਦਾ ਹੱਕ ਰੱਖੋ ਅਤੇ ਦੋਨੋਂ ਹਿੱਸਿਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲਾ ਕੇ ਅੰਦਰ ਦੀ ਸਿਲਾਈ ਕਰੋ । ਸਿੱਧਾ ਕਰਕੇ ਲੇਸ ਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ।