PSEB 7th Class Physical Education Objective Questions and Answers

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Physical Education Objective Questions and Answers.

PSEB 7th Class Physical Education Objective Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

पाठ-1 : मनुष्य का शरीर

प्रश्न 1.
मानव शरीर को कितने भागों में बांटा जा सकता है ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर-
(क) दो

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में कुल कितनी हड्डियां हैं ?
(क) 300
(ख) 250
(ग) 275
(घ) 206
उत्तर-
(घ) 206

प्रश्न 3.
शारीरिक ढाँचे के कार्य हैं
(क) सुरक्षा
(ख) आकार
(ग) गतिशीलता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
रक्त प्रवाह प्रणाली के अंग
(क) हृदय
(ख) धमनियां
(ग) शिराएं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में मुख्य प्रणालियां हैं
(क) मांसपेशी प्रणाली
(ख) रक्त प्रवाह प्रणाली
(ग) श्वास क्रिया प्रणाली
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-2 : शारीरिक शक्ति एवं व्यायाम के लाभ

प्रश्न 1.
शारीरिक क्षमता के गुण
(क) गति
(ख) शक्ति
(ग) साहस (क्षमता), लचकता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
व्यायाम के लाभ हैं
(क) रोग दूर हो जाते हैं
(ख) शरीर में से व्यर्थ पदार्थ बाहर निकल जाते हैं
(ग) मनुष्य की आयु बढ़ जाती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
व्यायाम के और अधिक लाभ
(क) रक्त साफ रहता है
(ख) मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं
(ग) रक्त में सफेद रक्त के कण बढ़ जाते हैं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-3 : शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 1.
अच्छे शारीरिक ढांचे के लाभ हैं
(क) ढांचा सुन्दर लगता है
(ख) दौड़ना, चुस्ती, फुर्ती बनी रहती है
(ग) स्वास्थ्य ठीक रहता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
शारीरिक ढांचे की कुरूपताएं
(क) कूबड़ का निकलना
(ख) कुल्हों का आगे की ओर निकलना
(ग) रीढ़ की हड्डी का टेढ़ा होना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
कूबड़ के निकलने के कारण
(क) नज़र का कमज़ोर होना
(ख) ऊंचा सुनाई देना
(ग) कम रोशनी में आगे की ओर झुक कर पढ़ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
कूबड़पन दूर करने की विधियां
(क) उठते-बैठते और चलते समय ठोडी को ऊपर की ओर करना
(ख) पीठ के नीचे तकिया रखकर लेटना
(ग) दीवार से लगी सीढ़ी से लटकना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
कमर के अधिक आगे निकल जाने के कारण
(क) बच्चों में पेट आगे निकल कर चलने की आदत
(ख) ज़रूरत से ज्यादा भोजन करना ।
(ग) स्त्रियों का ज्यादा बच्चे पैदा करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
कमर की कुरूपता को दूर करने के उपाय
(क) सीधे खड़े होकर शरीर के ऊपरी भाग को आगे झुकाना और सीधा करना
(ख) पीठ के बल लेटकर उठना और फिर लेटना
(ग) सावधान अवस्था में खड़े होकर बार-बार पैरों को स्पर्श करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
चपटे पैर ठीक करने की कसरत
(क) पंजों के भार चलना
(ख) पंजों के बल साइकिल चलाना
(ग) डंडेदार सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-4 : रवेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

प्रश्न 1.
प्रत्यक्ष चोटों की किस्में
(क) रगड़
(ख) त्वचा का फटना
(ग) गहरा घाव
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
जोड़ के उतरने का क्या भाव है ?
(क) हड्डी जोड़ से बाहर आ जाती है
(ख) जोड़ गति करना बंद कर देता है
(ग) खिलाड़ी खेलने में असमर्थ हो जाता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
मोच के कारण
(क) चोट वाले स्थान पर तीव्र दर्द होता है
(ख) चोट वाले जोड़ पर सूजन आ जाती है
(ग) चोट वाले स्थान का रंग लाल हो जाता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
खेल में चोटें लगने के कारण
(क) खेल के प्रति कम जानकारी
(ख) असावधानी
(ग) शरीर को कम गर्माना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
हड्डी के उतरने के लक्षण
(क) जोड़ का आकार बदल जाता है
(ख) अंग गति नहीं कर सकता
(ग) तीव्र दर्द होता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
खिंचाव के कारण
(क) चोट वाले स्थान पर दर्द होता है
(ख) खिलाड़ी दौड़ नहीं सकता
(ग) चोटिल स्थान पर सूजन आ जाती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-5 : योग

प्रश्न 1.
आसन की कितनी किस्में हैं ?
(क) तीन
(ख) दो
(ग) एक
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) तीन

प्रश्न 2.
योग का भाव बताएं
(क) जुड़ना
(ख) जोड़
(ग) आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
आसनों के सिद्धांत
(क) आसन करने के लिए आयु और लिंग का ध्यान रखना
(ख) आसन करते समय ज़ोर न लगाना
(ग) आसन धीरे-धीरे करना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
योग की गलत धारणाएं
(क) योग को किसी विशेष धर्म से जोड़ना
(ख) योग केवल पुरुषों के लिए है
(ग) योग केवल रोगियों के लिए है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
आसन करने के सिद्धान्त
(क) आसन करते समय मांसपेशियों में तनाव आवश्यक है
(ख) गर्भवती महिलाओं को और हृदय के मरीजों को कठिन आसन नहीं करने चाहिए।
(ग) आसन कुदरत के सिद्धान्तों के अनुसार करने चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-6 : रवेलों का महत्त्व

प्रश्न 1.
बड़ी खेलों के नाम
(क) फुटबाल, हॉकी, क्रिकेट, टेबल टेनिस
(ख) खो-खो, बॉस्कटबाल
(ग) बैडमिन्टन, कुश्ती और कबड्डी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
छोटी खेलों के नाम
(क) रूमाल उठाना, कोटला छपाकी, गुल्ली डण्डा
(ख) लीडर ढूंढ़ना, बिल्ली चूहा, तीन-तीन या चार-चार
(ग) राजा-रानी, मथौला घोड़ी, दायरे वाली खो-खो .
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
मनुष्य की मूल कुशलताएं
(क) चलना
(ख) दौड़ना
(ग) कूदना और फैंकना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
खेलने के लाभ
(क) वृद्धि और विकास
(ख) समय का उचित प्रयोग
(ग) भावनाओं पर काबू पाना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
खेलों से व्यक्ति में कौन-कौन से गुण पैदा होते हैं ?
(क) अच्छा स्वास्थ्य
(ख) सुडोल शरीर
(ग) तेज़ बुद्धि का विकास
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
राष्ट्र को खेलों के लाभ
(क) राष्ट्रीय एकता
(ख) सीमाओं की रक्षा
(ग) अच्छे और अनुभवी नेता
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

पाठ-7 : स्काऊटिंग और गाइडिंग

प्रश्न 1.
स्काऊटिंग और गाइडिंग के लाभ
(क) बच्चों को ताकतवर और वफादार बनाते हैं
(ख) जात-पात और नफरत से दूरी
(ग) दूसरे प्रांतों के लोगों से मुलाकात
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
स्काऊटिंग के नियम
(क) स्काऊटिंग की आन विश्वसनीय
(ख) स्काऊटिंग वफादार होता है
(ग) स्काऊटिंग सभी का दोस्त
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
स्काऊटिंग शिक्षा के साथ बहुमुखी विकास
(क) यह बच्चों को ताकतवर, वफादार, देशभक्त बनाते हैं
(ख) स्काऊट रैलियों से अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध बनते हैं
(ग) स्काऊट अपने प्राध्यापक और सीनियर का आदेश मानते हैं और लोगों के प्रति प्यार बढ़ता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
स्काऊटिंग लहर का जन्मदाता कौन था ?
(क) लार्ड बैटन पावल
(ख) मार्क मिलन
(ग) माडलैस
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) लार्ड बैटन पावल

प्रश्न 5.
स्काऊटिंग लहर सबसे पहले कहां आरम्भ हुई ?
(क) बर्तानिया
(ख) होलैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बर्तानिया

पाठ-8 : नशीले पदार्थों के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव

प्रश्न 1.
नशीले पदार्थों के नाम बताएं
(क) शराब
(ख) तम्बाकू
(ग) भांग और अफीम
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
कोई दो प्रणालियों के नाम बताएं जिनका प्रभाव नशीले पदार्थों से होता है
(क) पाचन प्रणाली
(ख) रक्त संचार प्रणाली
(ग) मानसिक प्रणाली
(घ) हड्डी प्रणाली।
उत्तर-
(क) पाचन प्रणाली और (ख) रक्त संचार प्रणाली

प्रश्न 3.
खिलाड़ी पर पड़ने वाले नशीले पदार्थों के बुरे प्रभाव लिखें
(क) बेफिक्री
(ख) गैर-ज़िम्मेदार
(ग) चक्कर आना
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बेफिक्री और (ख) गैर-ज़िम्मेदार

प्रश्न 4.
नशीले पदार्थों से छुटकारा पाने के ढंग लिखें
(क) प्रेरणा
(ख) कान्फ्रेंस
(ग) मनोचिकित्सक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
तम्बाकू पीने के बुरे प्रभाव
(क) कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
(ख) तम्बाकू से टी०बी० हो सकती है
(ग) पेट खराब रहता है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
शराब के हमारे स्वास्थ्य पर कुप्रभाव
(क) दिमाग पर बुरा प्रभाव
(ख) गुर्दे कमज़ोर हो जाते हैं
(ग) पाचन प्रणाली खराब हो सकती है
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Home Science Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

PSEB 7th Class Home Science Guide व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वस्थ त्वचा की क्या पहचान है?
उत्तर-
चिकनी, ठोस और जगह पर होती है।

प्रश्न 2.
स्वस्थ बाल कैसे होते हैं?
उत्तर-
चमकीले और साफ़।

प्रश्न 3.
आँखों को नीरोग रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
आँखों को धुआँ, धूल, धूप तथा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए।

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लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
खुश्क त्वचा और चिकनी चमड़ी वालों को अपनी चमड़ी ठीक रखने के लिए कौन-से ढंग प्रयोग में लाने चाहिएँ?
उत्तर-
खुश्क त्वचा और चिकनी चमड़ी वालों को विशेष तौर से सर्दियों में रात को सोने से पहले मुँह धोकर ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और साबुन
की जगह बेसन से मुँह धोना चाहिए।

प्रश्न 2.
अगर किसी की आँखें दर्द करती हों या जुकाम लगा हो तो उसका रूमाल क्यों प्रयोग नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
आँखों का दर्द या जुकाम एक छूत की बीमारी है। अगर आँखें दर्द करती हों या जुकाम लगा हो तो रोगी को अपना रूमाल अलग रखना चाहिए, नहीं तो यह रोग दूसरों में भी फैल जाएगा।

प्रश्न 3.
कान में कोई तीखी वस्तु क्यों नहीं घुमानी चाहिए?
उत्तर-
कान में कोई नुकीली वस्तु चलाने से बाह्य कान में घाव हो जाते हैं और पर्दा भी फट जाने का डर रहता है इसलिए कानों में कोई नुकीली वस्तु नहीं चलाना चाहिए।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई से क्या अभिप्राय है ? नाक, गले और चेहरे को कैसे साफ़ रखा जा सकता है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यक्तिगत सफ़ाई का अभिप्राय है अपने शरीर की सफ़ाई तथा अन्य बातों जैसे खुराक, व्यायाम, सोना या आराम करना आदि पर भी ध्यान देना, जिससे शरीर स्वस्थ और ठीक हालत में रह सके।

नाक की सफ़ाई-नाक श्वास लेने व निकालने का मार्ग है। नाक के अन्दर भी चिपचिपा या लेसदार स्राव निकलता है। नाक को रोज़ाना अन्दर से बाहर की ओर को साफ़ करना चाहिए। नाक की सफ़ाई बहुत आवश्यक है। यदि नाक में गन्दगी होगी तो शरीर के अन्दर नाक से श्वास नहीं जा पाएगी और श्वास-नली में संक्रमण हो सकता है। मुँह से साँस लेना रोगों का घर है। नाक को बहुत ज़ोर से सिनकना नहीं चाहिए अन्यथा नाक और गले के कृमि श्रवण नली द्वारा कान के बीच वाले भाग में पहुँचकर श्रवण शक्ति को प्रभावित कर सकते हैं। गले की सफ़ाई-गले को साफ़ करने के लिए बच्चे को गरारे करना सिखाना चाहिए। रात को सोने से पहले बच्चे का मुँह और गला साफ़ करना चाहिए। अगर बच्चे का गला खराब हो तो पानी उबालकर गुनगुना करके उसमें नमक डालकर गरारे करवाने चाहिएँ। अगर गले में टोन्सिल होने का शक हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। लापरवाही करने से बच्चा बीमार रहता है और उसका शारीरिक विकास ठीक नहीं हो पाता है।

चेहरे की सफ़ाई-प्रतिदिन चेहरे को अच्छी तरह बढ़िया साबुन तथा गुनगुने पानी के साथ दो-तीन बार धोना चाहिए। साबुन हमेशा हाथों पर मलकर मुँह पर लगाना चाहिए। इसके बाद मुँह को कई बार गुनगुने पानी से धोना चाहिए ताकि साबुन साफ़ हो जाए। इसके बाद साफ़ तौलिये से मुंह को अच्छी तरह पोंछना चाहिए ताकि रोम छिद्र खुल जाएँ।

प्रश्न 2.
सुन्दर दिखने के लिए चेहरे की सफ़ाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
सुन्दर दिखने के लिए प्रतिदिन दो-तीन बार एक बढ़िया साबुन से चेहरे को धोकर साफ़ तौलिये से पोंछना चाहिए। चेहरे को साफ़ करते समय आँखें, नाक, कान, गला, मुँह और दाँतों का ध्यान रखना चाहिए। इन अंगों को साफ़ करते समय जो रूमाल, तौलिया या और कोई अन्य वस्तु इस्तेमाल की जाए वह अच्छी तरह साफ़ और स्वच्छ होना
चाहिए।

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प्रश्न 3.
त्वचा गन्दी क्यों हो जाती है ? उसको कैसे साफ़ रखा जा सकता है ?
उत्तर-
भारतवर्ष जैसे गर्म देश में रहने वाले लोगों की त्वचा अधिक गन्दी होती है, क्योंकि यहाँ अधिक पसीना आता है। पसीना एक दूषित पदार्थ है और इसमें अनेक पदार्थ जैसे उपचर्म की टूटी-फूटी कोशिकाएँ, धूल के कण आदि के अलावा अनेक जीवाणु भी फँस जाते हैं तथा इन पदार्थों को सड़ाते हैं। इससे दुर्गन्ध आने लगती है। अनेक प्रकार के चर्म रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

त्वचा की सफाई के लिए प्रतिदिन ताजे या हल्के गुनगुने पानी से स्नान करना आवश्यक है। इससे (वचा के छिद्र खुल जाते हैं और पसीना निकलता रहता है। त्वचा से गन्दगी हट जाने से बीमारियों की आशंका नहीं रहती है। स्नान करते समय शरीर को साबुन आदि से साफ़ करना अच्छा रहता है। शरीर को रगड़ना भी आवश्यक है ताकि इसकी मॉलिश हो सके।

प्रश्न 4.
आप अपने बालों की रक्षा कैसे करोगे?
उत्तर-
बालों की रक्षा
(i) सप्त एक बार बाल में तेल लगाकर अच्छी तरह मॉलिश करना चाहिए।
(ii) बालों को धोने के बाद अच्छी तरह तौलिये से पोंछकर, फिर खुला छोड़कर सुखाना चाहिए।)
(iii) जब तक बाल अच्छी तरह सूख न जाएँ जूड़ा या चोटी नहीं बनानी चाहिए।
(iv) प्रतिदिन दो बार बालों में कंघी करना चाहिए।
(v) कंघी या ब्रुश को प्रत्येक सप्ताह धोकर अच्छी तरह धूप में सुखाना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

Home Science Guide for Class 7 PSEB व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान Important Questions and Answers

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
WHO के विचार से स्वास्थ्य क्या है?
उत्तर-
WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के विचार से स्वास्थ्य में मनुष्य का सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक व संवेगात्मक कल्याण निहित है।

प्रश्न 2.
जीवन में सुखी रहने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर-
शरीर का स्वस्थ और शक्तिशाली होना।

प्रश्न 3.
त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
त्वचा से पसीना और अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं। यदि त्वचा को साफ़ नहीं किया जाए तो मैल जम जाता है जिसके कारण त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं, इसलिए त्वचा को नियमित रूप से साफ़ करना आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
दाँतों को साफ़ करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर–
दाँतों को खोखले होने से, गिरने से, दर्द होने से बचने के लिए दाँतों को साफ़ करना आवश्यक है।

प्रश्न 5.
कानों में सलाई या तिनका क्यों नहीं फेरना चाहिए?
उत्तर-
कानों में सलाई या तिनका फेरने से बाह्य कान में घाव हो जाते हैं और पर्दा भी फट सकता है इसलिए कानों में सलाई नहीं फेरनी चाहिए।

प्रश्न 6.
कान का संक्रमण होने पर इसका इलाज तुरन्त क्यों करवाना चाहिए?
उत्तर-
कान का संक्रमण होने पर यदि इसका इलाज न करवाया जाए तो यह दिमाग़ तक नुकसान पहुँचा सकता है इसलिए इसका इलाज तुरन्त करवा लेना चाहिए।

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प्रश्न 7.
नियमित व्यायाम व उत्तम आसन शरीर के लिए क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर-
शरीर को सुन्दर, सुगठित व स्वस्थ रखने के लिए।

प्रश्न 8.
दाँतों को केरीज रोग से बचाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
उत्तर-

  1. भोजन के बाद कुल्ला करना चाहिए,
  2. दाँतों को अंगुली से साफ़ करना चाहिए।

प्रश्न 9.
दाँतों का केरीज रोग क्या होता है?
उत्तर-
दाँतों में कार्बोहाइड्रेट युक्त तथा मीठे पदार्थों के सड़ने से जीवाणुओं की क्रिया से एसिड बनता है जो दाँतों के एनेमल को क्षीण कर देता है।

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प्रश्न 10.
पायरिया रोग के लक्षण क्या हैं?
उत्तर-

  1. मसूड़े सूजने लगते हैं,
  2. मसूड़ों में पीड़ा होती है,
  3. मसूड़ों से दाँत अलग होने लगते हैं,
  4. मुँह से दुर्गन्ध आती है।

प्रश्न 11.
स्वस्थ आँखें कैसी होती हैं?
उत्तर-
चौकन्नी, साफ़ और मलविहीन।

प्रश्न 12.
स्वस्थ नाक की क्या पहचान है?
उत्तर-
साफ़ और साँस लेती हुई होती है।

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प्रश्न 13.
स्वस्थ मुख और होंठ कैसे होते हैं?
उत्तर-
स्वस्थ मुख प्रसन्न और आनन्दित तथा स्वस्थ होंठ लाल और गीले होते हैं।

प्रश्न 14.
स्वस्थ गला किसे कहते हैं?
उत्तर-
साफ़, गीला तथा बाधा विहीन होता है।

प्रश्न 15.
स्वस्थ दाँत कैसे होते हैं?
उत्तर-
साफ़, सही और कष्टविहीन होते हैं।

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प्रश्न 16.
स्वस्थ मसूड़े कैसे होने चाहिएँ?
उत्तर-
ठोस तथा लाल।

प्रश्न 17.
स्वस्थ तथा अस्वस्थ हाथ में क्या अन्तर होता है?
उत्तर-
हाथ की हथेलियाँ लाल होने पर स्वस्थ तथा पीली होने पर अस्वस्थ मानी जाती।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यायाम शरीर के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
व्यायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए तथा शरीर को निरोग रखने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इसके विभिन्न कारण हैं

  1. व्यायाम करने से भोजन शीघ्र पच जाता है तथा भूख खुलकर लगती है।
  2. व्यायाम करने से शरीर की गन्दगी शीघ्र बाहर निकल जाती है।
  3. व्यायाम करने से शरीर की मांसपेशियाँ मज़बूत हो जाती हैं जिससे शरीर मजबूत होता है।

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प्रश्न 2.
नियमित स्नान के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
नियमित स्नान से शरीर को निम्न लाभ होते हैं-

  1. त्वचा की स्वच्छता होती है।
  2. रोमकूपों के मुँह खुल जाते हैं।
  3. स्नान के बाद तौलिए से शरीर रगडने से रक्त संचरण उत्तम होता है।
  4. स्नान से हानिकारक पदार्थों तथा रोगाणुओं से मुक्ति मिलती है।
  5. धुलकर बह जाने से पसीने की दुर्गन्ध जाती रहती है।

प्रश्न 3.
नाखूनों की सफ़ाई क्यों आवश्यक है ? नाखूनों को किस प्रकार साफ़ करना चाहिए?
उत्तर-
नाखूनों के अन्दर किसी प्रकार की गन्दगी नहीं रहनी चाहिए क्योंकि भोजन के साथ इनमें उपस्थित रोगों के कीटाणु, जीवाणु आदि आहार-नाल में पहुँचकर विकार उत्पन्न करेंगे। नाखूनों को काटते रहना चाहिए अथवा ब्रुश इत्यादि से भली-भाँति साफ़ करना चाहिए।

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बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत सफ़ाई का स्वास्थ्य में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
यह सर्वविदित मान्यता है कि स्वस्थ शरीर जीवन धारण के योग्य होता है। जिसका शरीर स्वस्थ नहीं वह जीवन धारण करने के बाद भी सांसारिक सुखों का उपभोग नहीं कर सकता। अस्वस्थ मनुष्य का जीवन दूसरों के लिए भार हो जाता है। अतः मनुष्य का स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति के नियमों का पालन करना, उसके अनुकूल चलना और बच्चों को भी उसी के अनुसार चलाना चाहिए। व्यक्तिगत स्वास्थ्य के अन्तर्गत स्वास्थ्य के नियमों के अतिरिक्त शारीरिक या शरीर के प्रत्येक अंग की सफ़ाई का बहुत अधिक महत्त्व है।
व्यक्तिगत सफ़ाई के अन्तर्गत निम्नलिखित की सफ़ाई आती है

  1. मुँह व दाँतों की सफ़ाई-इससे दाँत खोखले होने, गिरने तथा किसी प्रकार का रोग होने से बचे रहते हैं।
  2. आँखों की सफ़ाई-इससे आँखें चौकन्नी, साफ़ और मलविहीन रहती हैं। आँखों की सफ़ाई रहने से आँखों के रोग नहीं होते।
  3. नाक की सफ़ाई-इससे श्वास-नली में संक्रमण नहीं होता।
  4. कानों की सफ़ाई-इससे कानों में दर्द व खुजली नहीं होती और जीवाणुओं का आक्रमण भी नहीं होता।
  5. त्वचा की सफ़ाई-त्वचा की सफ़ाई से त्वचा के रोग नहीं होते तथा शरीर में फुर्ती बनी रहती है।
  6. हाथों तथा नाखूनों की सफ़ाई-नाखूनों में गन्दगी जमा होने से कई रोगों के कीटाणु पनपने लगते हैं और हाथों से मुँह में चले जाते हैं।
  7. वस्त्रों में सफ़ाई-स्वच्छ व साफ़-सुथरे कपड़े पहनने से शरीर स्वस्थ व मन प्रसन्न रहता है। गन्दे वस्त्रों में रोग के कीटाणु पनपते हैं जो शरीर को रोगी बनाने में सहायक होते है।

प्रश्न 2.
आँख और नाक को कैसे साफ़ रखा जा सकता है?
उत्तर-
आँखों की सफाई व सुरक्षा-आँखें हमारे शरीर में अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण अंग है। इनसे ही हम विभिन्न वस्तुओं को देख सकते हैं। इसलिए यह कहावत है कि ‘आँखें हैं तो जहान है’ कही जाती है। इनकी स्वच्छता तथा सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिएं

  1. आँखों को बाहर की गन्दगी जैसे धूल-मिट्टी, कूड़ा-करकट, कीट-पतंगे आदि से बचाना चाहिए। कुछ धूल तथा जीवाणु तो आँख के द्वारा बाहर निकल जाते हैं यदि किसी कारण से आँखों में कुछ गिर जाए तो उसको नार्मल सेलाइन या साफ़ जल से धो डालना चाहिए।
  2. मुँह तथा आँखों को कई बार धोने तथा पोंछने से सफ़ाई होती है।
  3. गन्दे हाथों से अथवा गन्दे रूमाल से आँखों को नहीं पोंछना चाहिए, न ही इन्हें रगड़ना या मलना चाहिए।
  4. तौलिया, साबन, बाल्टी, मग तथा मँह पोंछने का कपडा जिनका उपयोग दसरे व्यक्ति करते हों, प्रयोग नहीं करना चाहिए, विशेषकर दुखती आँखों वाले व्यक्ति का।
  5. आँखों को तेज़ धूप, चकाचौंध अथवा तेज़ रोशनी से बचाना चाहिए। इसके लिए धूप के चश्मे आदि का प्रयोग किया जा सकता है।
  6. कम प्रकाश में लिखना-पढ़ना अथवा कोई महीन काम करना आँखों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
  7. आँखों की विभिन्न बीमारियों जैसे-रोहे इत्यादि से आँखों को बचाना चाहिए और यदि इनमें से कोई रोग हो तो तुरन्त ही नेत्र-विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

नाक की सफ़ाई-नाक श्वास लेने व निकालने का मार्ग है। नाक के अन्दर भी चिपचिपा या लेसदार स्राव निकलता है। नाक को रोजाना अन्दर से बाहर की ओर को साफ़ करना चाहिए। नाक की सफ़ाई बहुत आवश्यक है। यदि नाक में गन्दगी होगी तो शरीर के अन्दर नाक से श्वास नहीं जा पाएगी और श्वास-नली में संक्रमण हो सकता है। मुँह से साँस लेना रोगों का घर है। नाक को बहुत ज़ोर से सिनकना नहीं चाहिए अन्यथा नाक और गले के कृमि श्रवण नली द्वारा कान के बीच वाले भाग में पहुँचकर श्रवण शक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कान को ……….. वस्तु से साफ़ नहीं करना चाहिए।
उत्तर-
नुकीली।

प्रश्न 2.
त्वचा से पसीना तथा ………….. पदार्थ बाहर निकलते हैं।
उत्तर-
अपशिष्ट।

प्रश्न 3.
आँखों की एक बीमारी का नाम बताएं।
उत्तर-
रोहे।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

प्रश्न 4.
नियमित स्नान से किसके मुँह खुल जाते हैं?
उत्तर-
रोमकूपों के।

प्रश्न 5.
…………. से आंखें नहीं पोछनी चाहिए।
उत्तर-
गंदे रूमाल से।

प्रश्न 6.
…………… बाल चमकीले तथा साफ़ होते हैं।
उत्तर-
स्वस्थ।

PSEB 7th Class Home Science Solutions Chapter 1 व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान

प्रश्न 7.
नियमित स्नान का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
त्वचा की सफाई हो जाती है।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान PSEB 7th Class Home Science Notes

  • प्रतिदिन चेहरे को अच्छी तरह बढ़िया साबुन तथा गुनगुने पानी से दो-तीन बार धोना चाहिए।
  • चेहरे की त्वचा को ठीक रखने के लिए रात को सोने से पहले मुँह को अच्छी तरह साबुन से धोने के बाद बेसन का उबटन मलना चाहिए और उसके बाद गुनगुने पानी से मुँह को धो लेना चाहिए।
  • नाक को प्रतिदिन साफ़ करना चाहिए ताकि नाक का रास्ता साफ़ हो जाए और अच्छी तरह साँस लिया जा सके।
  • गले को साफ़ करने के लिए बच्चे को गरारे करना सिखाना चाहिए।
  • बच्चे का गला खराब हो तो पानी को उबालकर गुनगुना करके उसमें नमक डालकर गरारे करवाने चाहिए।
  • बालों तथा सिर की सफ़ाई करने की उतनी ही आवश्यकता है जितनी चमड़ी की। सिर और बालों को सप्ताह में एक-दो बार अवश्य धोना चाहिए।
  • सप्ताह में एक बार सिर में तेल लगाकर अच्छी तरह मॉलिश करना चाहिए, जिससे नाड़ियों को उत्तेजित किया जा सके।
  • प्रतिदिन पानी और साबन के साथ स्नान करना चाहिए और बाद में साफ़ तौलिए से पूरे शरीर को अच्छी तरह पोंछना चाहिए।
  • तेल के साथ मॉलिश करना और भाप के साथ स्नान करना स्वास्थ्य और ताज़गी के लिए अच्छे समझे जाते हैं।
  • खुश्क चमड़ी वालों को विशेष तौर से सर्दियों में रात को सोते समय मुँह धोकर ग्लिसरीन में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए और साबुन की जगह बेसन से मुँह धोना चाहिए।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

SST Guide for Class 6 PSEB हड़प्पा सभ्यता Textbook Questions and Answers

I. निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
हड़प्पा सभ्यता के कुछ महत्त्वपूर्ण नगरों के नाम बतायें।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता के महत्त्वपूर्ण नगर हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगन, बनवाली आदि थे।

प्रश्न 2.
सिन्धु घाटी के लोगों के सामाजिक जीवन के बारे में आप क्या जानते
उत्तर–
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन बहुत विकसित था। समाज में तीन वर्गों के लोग रहते थे। पहला वर्ग अमीर लोगों, दूसरा वर्ग किसानों तथा छोटे-छोटे पेशेवर लोगों का और तीसरा वर्ग मज़दूरों का था। लोगों का रहन-सहन आज की तरह ही था। लोगों के भोजन के मुख्य पदार्थ गेहूं, ज्वार, चावल, दालें, फल, सब्जियां तथा दूध थे। कुछ लोग मांसाहारी भी थे। लोग सूती तथा ऊनी, दोनों प्रकार के कपड़े पहनते थे। स्त्रियां तथा पुरुष, दोनों शृंगार करते थे तथा आभूषण पहनते थे। अमीर लोग सोने-चांदी एवं कीमती पत्थरों के आभूषण जबकि ग़रीब लोग हड्डियों, पकी मिट्टी तथा मनकों के बने हुए आभूषण पहनते थे।

लोग खेलों के शौकीन थे। नाचना-गाना, जुआ अथवा चौपड़ खेलना, शिकार करना आदि मनोरंजन के मुख्य साधन थे। बच्चों के खेलने के लिए पकी मिट्टी के तरह-तरह के खिलौने बनाये जाते थे, जिनमें जानवरों की मूर्तियां तथा बैलगाड़ियां आदि प्रमुख थीं।

प्रश्न 3.
सिन्धु घाटी सभ्यता की नगर योजना के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
सिन्धु घाटी सभ्यता में नगर-निर्माण उच्चकोटि का था। नगर दो भागों में बंटे हुए थे-ऊंचा भाग तथा निचला भाग। ऊंचे भाग में बड़े-बड़े धार्मिक तथा सार्वजनिक भवन थे। यहां शासक वर्ग के लोग रहते थे। निचले भाग में साधारण लोगों के निवास स्थान थे। नगरों की सड़कें सीधी जाती थीं तथा एक-दूसरी को समकोण पर काटती थीं। नगरों में नालियों की बहुत अच्छी व्यवस्था की गई थी, जिसके कारण नगर में सफ़ाई रहती थी।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 4.
हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर-
लगभग 1500 ई० पूर्व हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया। इस सभ्यता के पतन के कारणों के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। भिन्न-भिन्न विद्वानों ने अपने-अपने अनुमान के अनुसार इसके पतन के कारण बताये हैं –

1. कुछ विद्वानों का विचार है कि आर्य लोगों ने सिन्धु घाटी के लोगों के साथ युद्ध करके उन्हें हरा दिया था। फलस्वरूप हड़प्पा सभ्यता नष्ट हो गई। परन्तु इस विचार को आज कोई महत्त्व नहीं दिया जाता।

2. कुछ विद्वानों के अनुसार सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियों में लगातार बाढ़ आने के कारण इस सभ्यता का नाश हो गया।

3. कुछ विद्वानों का कथन है कि लगभग 1900 ई० पू० सरस्वती नदी के सूख जाने के कारण हड़प्पा सभ्यता के लोग पूर्व की ओर गंगा के मैदान में चले गए थे। .

4. कुछ विद्वानों के अनुसार भूकम्प अथवा किसी अन्य प्राकृतिक विपदा के कारण इस सभ्यता का अन्त हो गया था।

5. कुछ विद्वानों के अनुसार सिन्धु घाटी की भूमि में रेगिस्तान फैल गया तथा इसमें ण की मात्रा बढ़ गई। परिणामस्वरूप भूमि की उपजाऊ-शक्ति समाप्त हो गई। अतः धु घाटी के लोग अन्य स्थानों पर जाकर रहने लगे।

प्रश्न 5.
सिन्धु घाटी के लोगों का आर्थिक जीवन कैसा था?
उत्तर–
सिन्धु घाटी के लोगों का आर्थिक जीवन समृद्ध था। लोगों के मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन तथा व्यापार थे। इसके अतिरिक्त लोग कुछ अन्य उद्योग-धन्धे भी करते थे।

1. कृषि-सिन्धु घाटी के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। सिंचाई नदियों द्वारा की जाती थी। गेहूं, चावल, जौ तथा कपास की कृषि मुख्य रूप में होती थी। खेतों को हल तथा बैलों के साथ जोता जाता था। लोग तिल तथा सरसों भी पैदा करते थे।

2. पशुपालन-लोग बैल, भैंस, भेड़, बकरियां, ऊंट, हाथी, घोड़े तथा कुत्ते पालते थे।

3. व्यापार-नगर व्यापार के केन्द्र थे। गाड़ियों तथा नौकाओं में माल लाया जाता था। मुद्रा की कमी के कारण व्यापार वस्तुओं की अदला-बदली द्वारा ही होता था। व्यापार देशी तथा विदेशी, दोनों प्रकार का था। विदेशी व्यापार मुख्य तौर पर अफ़गानिस्तान, ईरान तथा मैसोपोटामिया के साथ होता था।

4. अन्य उद्योग-धन्धे-पत्थर तथा तांबे की अनेक वस्तुएं बनाई जाती थीं। शिल्पकार मूर्तियां, बर्तन, औज़ार तथा हथियार आदि बनाते थे। कपड़े की छपाई तथा सूत कातने का कार्य भी होता था।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 6.
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के किन्हीं दो केन्द्रों के बारे में लिखें।
उत्तर-
पुरातत्त्व विशेषज्ञों ने पंजाब में खुदाई करके हड़प्पा सभ्यता के अनेक केन्द्रों की खोज की है। ये केन्द्र संघोल, रोहीड़ा, सुनेत तथा कोटला निहंग खान हैं। इन केन्द्रों में से संघोल तथा रोहीड़ा केन्द्रों का वर्णन इस प्रकार है –

1. संघोल-संघोल एक छोटा-सा गांव है जो ज़िला लुधियाना में लुधियाना-चण्डीगढ़ सड़क पर स्थित है। इसे ‘ऊंचा गांव’ भी कहा जाता है। यहां की खुदाई से 2000 ई० पूर्व के समय के लोगों की जानकारी प्राप्त हुई है। यहां कुछ मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, माला के मनके तथा तांबे के औज़ार मिले हैं। इन वस्तुओं का सम्बन्ध हड़प्पा सभ्यता से है।

2. रोहीड़ा-रोहीड़ा जिला संगरूर में स्थित है। यहां की खुदाई से बर्तन, पकी ईंटें, मिट्टी के खिलौने आदि मिले हैं। यहां खुदाई का काम 1976-77 ई० में किया गया था।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. हड़प्पा सभ्यता मिस्र की सभ्यता से लगभग ………… गुणा विशाल थी।
  2. पंजाब में ………, …, ………. तथा …….. में इस (हड़प्पा) सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  3. मकान …………. तथा ……………. के बने हुए थे।
  4. एक विशाल …………. भवन मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ है।
  5. मर्द तथा स्त्रियां दोनों …………. तथा …………. के शौकीन थे।
  6. लोग …………. की पूजा करते थे।
  7. पीपल के वृक्ष को ………….. समझा जाता था।

उत्तर-

  1. बीस
  2. कोटला निहंग खां, संघोल, रोहिड़ा, सुनेत
  3. पक्की ईंटों, लकड़ी
  4. स्तम्भों वाला
  5. आभूषणों (गहनों), फैशन
  6. मातृ देवी
  7. पवित्र।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

III. सही जोड़े बनायें

(1) पशुपति – (क) बन्दरगाह
(2) मोहनजोदड़ो – (ख) लेखन कला
(3) लोथल – (ग) देवता
(4) चित्रलिपि – (घ) विशाल स्नानगृह।
उत्तर-सही जोड़े
(1) पशुपति – देवता
(2) मोहनजोदड़ो – विशाल स्नानगृह
(3) लोथल – बन्दरगाह
(4) चित्रलिपि – लेखन कला

IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) का निशान लगायें

  1. रोपड़ पाकिस्तान में स्थित है।
  2. हड़प्पा के लोग मातृदेवी की पूजा नहीं करते थे।
  3. पंजाब में सिन्धु सभ्यता के कोई अवशेष नहीं मिले हैं।
  4. सिन्धु घाटी के लोगों को लेखन कला नहीं आती थी।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)

PSEB 6th Class Social Science Guide हड़प्पा सभ्यता Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब का एक हड़प्पा-स्थल लुधियाना जिले में स्थित है जिसे उच्चपिंड कहा जाता है। क्या आप उसका नाम बता सकते हैं?
उत्तर-
संघोल।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 2.
हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता के दो प्रमुख स्थल हैं। बताइए इनके अवशेष वर्तमान में किस देश में हैं?
उत्तर-
पाकिस्तान में।

प्रश्न 3.
सिंधु घाटी की सभ्यता की कांस्य की नृत्यांगना की मूर्ति किस प्राचीन स्थल से मिली है?
उत्तर-
मोहनजोदड़ो।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा हड़प्पा स्थल हरियाणा से संबंध नहीं रखता?
(क) सुनेत
(ख) बनवाली
(ग) मिताथल
उत्तर-
(क) सुनेत

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प्रश्न 2.
नीचे दिखाई गई योगी की मूर्ति का संबंध निम्न में से किस सभ्यता से है?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 हड़प्पा सभ्यता 1
(क) गुप्तकालीन सभ्यता
(ख) वैदिक सभ्यता
(ग) हड़प्पा सभ्यता।
उत्तर-
(ग) हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 3.
हड़प्पा की कुछ मुद्राओं पर एक चित्रलिपि में लेख मिलते हैं। इससे क्या पता चलता है?
(क) लोग मुद्राएं बनाने में निपुण थे।
(ख) उन्हें लेखन कला का ज्ञान था।
(ग) वे मूर्तियों पर उनके बनाने की तिथि लिखते थे।
उत्तर-
(ख) उन्हें लेखन कला का ज्ञान था।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता क्यों कहते हैं?
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता के कई स्थान सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियों के किनारे हुए थे। इसीलिए इसे सिन्धु घाटी सभ्यता भी कहते हैं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 2.
हड़प्पा की सभ्यता के आरम्भ होने का लगभग समय बताएं।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता का आरम्भ आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व हुआ।

प्रश्न 3.
हड़प्पा सभ्यता की सड़कों की क्या विशेषता थी?
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता की सड़कें सीधी थीं तथा एक-दूसरी को समकोण पर काटती थीं। वायु चलने पर ये अपने आप साफ़ हो जाती थीं।

प्रश्न 4.
हड़प्पा सभ्यता का विशाल स्नानगृह कहां मिला है?
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता का विशाल स्नानगृह मोहनजोदड़ो में मिला है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 10 हड़प्पा सभ्यता

प्रश्न 5.
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के किन्हीं चार स्थानों के नाम बताएं।
उत्तर-
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के चार स्थान संघोल, रोहिड़ा, सुनेत तथा कोटला निहंग खां हैं।

प्रश्न 6.
हड़प्पा सभ्यता की नालियों की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर-

  1. हड़प्पा सभ्यता की नालियां भूमिगत थीं।
  2. शहर की नालियों का पानी एक बड़ी नाली द्वारा शहर से बाहर जाता था।

प्रश्न 7.
वर्तमान हरियाणा में हड़प्पा सभ्यता के स्थानों के नाम बताएं।
उत्तर-
(1) बनावली,
(2) राखीगढ़ी,
(3) मिताथल,
(4) कुनाल।

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प्रश्न 8.
पंजाब में हड़प्पा सभ्यता के स्थानों की खुदाई करने वाले दो पुरातत्ववेताओं के नाम लिखो।
उत्तर-
आर० डी० बैनर्जी तथा दया राम साहनी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर क्यों हुआ?
उत्तर-
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर निम्नलिखित कारणों से हुआ –

  1. नदी घाटियों का निर्माण नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से हुआ था। इसलिए ये बहुत । उपजाऊ थे।
  2. लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी प्राप्त होता था।
  3. यातायात तथा सामान लाने-ले जाने के लिए नदियों का प्रयोग किया जा सकता था।

प्रश्न 2.
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं के चार केन्द्र बताओ।
उत्तर-
संसार की आरम्भिक सभ्यताओं के चार केन्द्र ये थे –

  1. नील नदी की घाटी (मिस्र),
  2. दज़ला तथा फ़रात नदियों की घाटी (मैसोपोटामिया),
  3. सिन्धु नदी की घाटी (सिन्धु),
  4. ह्वांग-हो तथा यंगसी-क्यांग नदियों की घाटी (चीन)।

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प्रश्न 3.
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार बताएं।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में लगभग सिन्धु नदी से लेकर प्राचीन सरस्वती (आधुनिक घग्गर नदी) नदी तक था। इसमें वर्तमान पाकिस्तान, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ भाग तथा दक्षिणी अफगानिस्तान शामिल थे।

प्रश्न 4.
हड़प्पा सभ्यता के मकानों के निर्माण का वर्णन करें।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता में मकान पकी ईंटों तथा लकड़ी से बनाये जाते थे। मकान के निर्माण में पत्थरों का प्रयोग बहुत कम किया जाता था। बड़े मकानों में अनेक कमरे होते थे जबकि छोटे मकान एक या दो कमरों वाले होते थे। प्रत्येक घर में एक रसोईघर तथा स्नान-गृह होता था। कई बड़े मकान दो-मंजिला भी होते थे तथा इनमें एक आंगन तथा कुआं होता था। मकान की नालियों का निकास बाहर गली की भूमिगत नालियों में होता था।

प्रश्न 5.
हड़प्पा सभ्यता के मुख्य भवनों के बारे में बताएं।
उत्तर-
हड़प्पा सभ्यता के मुख्य भवन निम्नलिखित थे –

1. विशाल स्नानगृह-यह वर्माकार भवन मोहनजोदड़ो में मिला है। ऐसा माना जाता है कि विशेष अवसरों पर लोग स्नान करने के लिए यहां इकट्ठे होते थे।
2. अनाज के गोदाम-ये भवन हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो में मिले हैं।
3. सभा भवन-मोहनजोदड़ो में स्तम्भों वाला एक भवन मिला है। इसका प्रयोग शायद सभा करने के लिए किया जाता था।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हड़प्पा सभ्यता के लोगों के भोजन, वस्त्रों तथा आभूषणों के बारे में बताएं।
उत्तर-
भोजन-हड़प्पा सभ्यता के लोगों का भोजन सभ्य लोगों जैसा था। वे गेहूं, चावल, सब्जियां, फल तथा दूध का प्रयोग करते थे। कुछ लोग माँस तथा मछली भी ख़ाते थे

वस्त्र-हड़प्पा सभ्यता के लोग सूती तथा ऊनी वस्त्र पहनते थे। खुदाई में पुरुष की एक मूर्ति मिली है जिससे पता चलता है कि लोग धोती की तरह की एक पोशाक र कन्धों पर शाल जैसे वस्त्र का प्रयोग करते थे। स्त्रियों के वस्त्र भी कुछ इसी प्रकार के

आभूषण-हड़प्पा सभ्यता की स्त्रियां तथा पुरुष, दोनों आभूषण पहनने के शौका थे। आभूषण सोने, चाँदी, हाथी दांत तथा तांबे आदि के बनाये जाते थे। मुख्य आभूषणों में हार, बालों के गहने, हाथ के कंगन, अंगूठियां आदि सम्मिलित थीं। स्त्रियों के कुछ विशेष गहने तरागड़ी, नाक के कांटे, बुंदे, पायजेब आदि थे। धनी लोग सोने, चाँदी, हाथी दांत तथा कीमती मोतियों के बने गहने पहनते थे, जबकि निर्धन लोग सिप्पियों, हड्डियों, तांबे तथा पत्थर के आभूषणों का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 2.
पंजाब के कौन-से स्थानों से हड़प्पा सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं? किन्हीं चार स्थानों के बारे में विस्तार से लिखें।
उत्तर-
विभिन्न खुदाइयों से पता चलता है कि पंजाब भी हड़प्पा सभ्यता का मुख्य केन्द्र था। यहाँ निम्नलिखित स्थानों से हड़प्पा सभ्यता के अवशेष मिले हैं –

1. संघोल-संघोल एक छोटा-सा गांव है जो लुधियाना-चण्डीगढ़ सड़क पर स्थित है। इसे ‘ऊँचा गांव’ भी कहते हैं। यहां की खुदाइयों से 2000 ई० पूर्व के समय के लोगों की जानकारी प्राप्त हुई है। यहां कुछ मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, माला के मनके तथा तांबे के औज़ार मिले हैं। इन वस्तुओं का सम्बन्ध हड़प्पा सभ्यता से है।

2. रोहिड़ा-रोहिड़ा मण्डी अहमदगढ़ से 6 किलोमीटर दूर है। यहां की खुदाइयों से बर्तन, पकी ईंटें, मिट्टी के खिलौने आदि मिले हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यहां हड़प्पा संस्कृति तथा रोहिड़ा की अपनी संस्कृति साथ-साथ फलती-फूलती रहीं।

3. सुनेत-सुनेत ज़िला लुधियाना में स्थित है। यहां की खुदाइयों से 1800 ई० पूर्व से 1400 ई० पूर्व तक की सभ्यता की जानकारी मिलती है।

4. रोपड़-यहां की खुदाइयों से मिट्टी के बर्तन तथा माला के मनके मिले हैं। ऐसा लगता है कि यह स्थान हड़प्पा सभ्यता के समय काफ़ी समृद्ध था।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

Punjab State Board PSEB 12th Class Political Science Book Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Political Science Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं ? (What do you understand by Comparative Politics ?)
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति आधुनिक राजनीति विज्ञान की महत्त्वपूर्ण देन है। तुलनात्मक राजनीति वर्तमान में विश्वव्यापी स्तर पर राजनीति-शास्त्रियों व विचारकों के अध्ययन की प्रमुख विषय-वस्तु बन चुकी है। तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन यद्यपि ऐतिहासिक काल से चला आ रहा है तथापि इसका महत्त्व आधुनिक युग में ही बढ़ा है। इसका कारण यह है कि प्रत्येक विषय के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए तुलनात्मक अध्ययन अनिवार्य है और बिना तुलनात्मक अध्ययन के किसी भी विषय की वैज्ञानिक व्याख्या सम्भव नहीं है। यही बात राजनीति विज्ञान पर लागू होती है।

तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन आधुनिक राजनीति शास्त्र की इस बदलती हुई प्रवृत्ति का परिचायक है। यद्यपि तुलनात्मक राजनीति का सामान्य अर्थ विदेशी सरकारों का संवैधानिक अध्ययन (Constitutional study of foreign government) है किन्तु आधुनिक राजनीति शास्त्र सम्पूर्ण विश्व की राजनीतिक पद्धति की कल्पना करता है।

तुलनात्मक राजनीति का अर्थ तथा परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Comparative Politics)तुलनात्मक राजनीति का अर्थ किन्हीं दो देशों अथवा दो सरकारों की राजनीति की तुलना करना अथवा कुछ देशों के संविधानों की तुलना नहीं है। तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं-कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। स्तरों की दृष्टि से शासन में केन्द्रीय सरकार, प्रादेशिक सरकार तथा स्थानीय सरकारें होती हैं, शासकीय प्रशासन, वित्तीय प्रशासन, असैनिक सरकार तथा अन्य सामाजिक मूल्य भी शासन के महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। यह सभी अंग तथा अन्य शासकीय अंग राजनीतिक संस्थाएं कहलाती हैं। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political Systems) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है। तुलनात्मक राजनीति के विद्वानों ने भिन्न-भिन्न परिभाषाएं दी हैं, जिनमें मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-

1. एडवर्ड ए० फ्रीमैन (Edward A. Freeman) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”

2. जीन ब्लोण्डेल (Jean Blondel) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”

3. राल्फ बराइबन्ती (Ralf Braibanti) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था के उन तत्त्वों
की पहचान और व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करते हैं।”

4. आर० सी० मैक्रीडीस (R. C. Macridis) के शब्दों में, “हैरोडोटस तथा अरस्तु के समय से ही राजनीतिक मूल्यों, विश्वासों, संस्थाओं, सरकारों और राजनीतिक व्यवस्थाओं में विविधताएं जीवन्त रही हैं और इन विविधताओं में समान तत्त्वों की छानबीन करने का जो पद्धतीय प्रयास है उसे तुलनात्मक राजनीति का विश्लेषण कहा जाना चाहिए।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि तुलनात्मक राजनीति के अन्तर्गत केवल सरकारों का ही तुलनात्मक अध्ययन नहीं होता बल्कि इससे राजनीतिक व गैर-राजनीतिक, कानूनी व गैर-कानूनी, संवैधानिक व संविधानातिरिक्त, कबीलों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि तथ्यों का भी अध्ययन किया जाता है। इसमें सम्पूर्ण समाज के उन तथ्यों का अध्ययन जो किसी भी रूप में राजनीतिक प्रणाली को प्रभावित करते हैं तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन संस्थागत अथवा सैद्धान्तिक न होकर व्यावहारिक है।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो। (Describe the main characteristics of Comparative Politics.)
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. मूल्य मुक्त धारणा (Value-free theory) तुलनात्मक सरकार के विद्वान् अपना अध्ययन कुछ मूल्यों को ध्यान में रखकर ही करते थे। इसलिए उन्होंने कुछ ही विषयों पर बार-बार लिखा। परन्तु तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।

2. अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण (Inter-Disciplinary Approach)-तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा है। इसके विद्वान् अधिक-से-अधिक उन उपकरणों व शास्त्रीय अवधारणाओं का प्रयोग करते हैं जो वे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान इत्यादि से ग्रहण करते हैं।

3. विश्लेषणात्मक व व्याख्यात्मक अध्ययन (Analytical and Explanatory Study)—आधुनिक दृष्टिकोण में परिकल्पनाएं की जाती हैं, परीक्षण किए जाते हैं तथा आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है। विश्लेषणात्मक पद्धति से परिकल्पनाओं की जांच की जाती है और जांच के आधार पर उन परिकल्पनाओं का धारण, संशोधन अथवा खण्डन किया जाता है। तुलनात्मक राजनीति में विश्लेषणात्मक पद्धति का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

4. विकासशील देशों का अध्ययन (Study of Developing Countries) आधुनिक तुलनात्मक राजनीति में केवल पश्चिमी देशों का ही अध्ययन नहीं किया जाता है वरन एशिया, लैटिन अमेरिका तथा अफ्रीका के विकासशील देशों के अध्ययन की ओर भी ध्यान दिया जाता है।

5. वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन (Scientific and Systematic Study) तुलनात्मक राजनीति में वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन को अपनाया जाता है क्योंकि इसमें कार्य-करण और क्रिया-प्रतिक्रिया का सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश की जाती है।

6. व्यवस्थामूलक दृष्टिकोण (Systematic Approach)-तुलनात्मक राजनीति में संविधान के अध्ययन की अपेक्षा राजनीतिक व्यवस्था के अध्ययन को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है और उसी के आधार पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं तथा संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।

7. व्यवहारवादी अध्ययन सम्बन्धी दृष्टिकोण (Behavioural Approach of Study)—तुलनात्मक राजनीति के आधुनिक उपागम ‘व्यवहारवादी दृष्टिकोण’ पर आधारित हैं, जिसके अन्तर्गत राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन के साथ-साथ मानव स्वभाव, सामाजिक व राजनीतिक पर्यावरण का भी अध्ययन किया जाता है।।

8. संरचनात्मक व कार्यात्मक दृष्टिकोण (Structural and functional Approach)-आधुनिक दृष्टिकोण की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह संरचना तथा कार्य मूलक दृष्टिकोण है। आधुनिक युग में सभी विद्वान् इस बात पर सहमत हैं कि राजनीतिक व्यवस्थाओं तथा संस्थाओं की संरचना और कार्यों में बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित ही नहीं करते, अपितु एक-दूसरे के नियामक भी होते हैं।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति से क्या भाव है ?
अथवा
तुलनात्मक राजनीति का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति का अर्थ किन्हीं दो देशों अथवा दो सरकारों की राजनीति की तुलना करना अथवा कुछ देशों के संविधानों की तुलना करना नहीं है। तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। अब यह प्रश्न उठता है कि राजनीतिक संस्थाएं क्या हैं। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है, जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं-कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। स्तरों की दृष्टि से शासन में केन्द्रीय सरकार, प्रादेशिक सरकार तथा स्थानीय सरकारें होती हैं। शासकीय प्रशासन, वित्तीय व्यवस्था, असैनिक सरकार तथा अन्य सामाजिक मूल्य भी शासन के महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। ये सभी अंग तथा अनेक अन्य शासकीय अंग राजनीतिक संस्थाएं कहलाते हैं। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political System) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की कोई तीन परिभाषाएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई चार परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति की तीन परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

  • एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीतिक संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
  • जीन ब्लोण्डेल के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”
  • एम० कर्टिस के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति राजनीतिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली और राजनीतिक व्यवहार में पाई जाने वाली महत्त्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं और अन्तरों से सम्बन्धित है।”
  • राल्फ बराइबत्ती के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था के उन तत्त्वों की पहचान और व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करती है।”

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति की कोई तीन विशेषताएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई चार विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-

  • मूल्य मुक्त धारणा–तुलनात्मक सरकार के विद्वान् अपना अध्ययन कुछ मूल्यों को ध्यान में रखकर ही करते थे। इसलिए उन्होंने कुछ ही विषयों पर बार-बार लिखा। परन्तु तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।
  • अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण—तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा है। इसके विद्वान् अधिक-से-अधिक उन उपकरणों व शास्त्रीय अवधारणाओं का प्रयोग करते हैं जो वे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, अर्थशास्त्र जीव विज्ञान इत्यादि से ग्रहण करते हैं।
  • विश्लेषणात्मक व व्याख्यात्मक अध्ययन–आधुनिक दृष्टिकोण में परिकल्पनाएं की जाती हैं, परीक्षण किए जाते हैं तथा आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है। विश्लेषणात्मक पद्धति से परिकल्पनाओं की जांच की जाती है और जांच के आधार पर उन परिकल्पनाओं का धारण, संशोधन अथवा खण्डन किया जाता है। तुलनात्मक राजनीति में विश्लेषणात्मक पद्धति का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
  • वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन-तुलनात्मक राजनीति में वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन अपनाया जाता है।

प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन की क्या महत्ता है ?
उत्तर-

  • तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से राजनीतिक व्यवहार को समझने में सहायता मिलती है।
  • तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से भिन्न-भिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं की समानताओं तथा असमानताओं को समझा जा सकता है।
  • तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से विकासशील देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समझने में सहायता मिलती है।
  • तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन राजनीति को एक वैज्ञानिक अध्ययन बनाता है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अंतर लिखिए ?
उत्तर-

  • विषय क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार का विषय क्षेत्र तुलनात्क राजनीति के क्षेत्र से सीमित
  • जन्म सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार का विषय लगभग उतना ही पुराना है जितना कि स्वयं राजनीति शास्त्र पुराना है। राजनीति शास्त्र के पितामह अरस्तु ने अपने समय की 158 सरकारों की तुलनात्मक अधययन करके तुलनात्मक विश्लेषण सम्बन्धी अपने विचार दिये थे। परन्तु तुलनात्मक सरकार की अपेक्षा राजनीति एक नया विषय है।
  • उद्देश्य सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार व तुलनात्मक राजनीति में मुख्य अन्तर उद्देश्य सम्बन्धी है। प्रत्येक विषय के अध्ययन का कोई-न-कोई उद्देश्य अवश्य होता है। तुलनात्मक सरकार के अध्ययन के बावजूद इसका उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता जबकि तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से इसका उद्देश्य सिद्धान्त निर्माण (Theory Building) स्पष्ट हो जाता है।
  • तुलनात्मक शासन सैद्धान्तिक और संस्थागत अध्ययन है, जबकि तुलनात्मक राजनीति व्यावहारिक और वैज्ञानिक अध्ययन है।

प्रश्न 6.
तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में आने वाली किन्हीं चार रुकावटों के बारे में लिखिए।
उत्तर-

  • क्षेत्र सम्बन्धी रुकावट-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में पहली रुकावट यह आती है कि इसके क्षेत्र में क्या-क्या शामिल किया जाए ?
  • दृष्टिकोण सम्बन्धी रुकावट-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में दूसरी रुकावट यह है कि इसके अध्ययन के लिए किन-किन दृष्टिकोणों का प्रयोग किया जाए ?
  • विकासशील देशों की परिस्थितियां-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में विकासशील देशों की खराब आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियां रुकावट पैदा करती हैं।
  • कठिन शब्दावली-तुलनात्मक राजनीति की शब्दावली कठिन है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। अब यह प्रश्न उठता है कि राजनीतिक संस्थाएं क्या हैं। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political System) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-

  • एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीतिक संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
  • जीन ब्लोण्डेल के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”

प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति के अधीन कौन-से दो विषयों की तुलना की जा सकती है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति के अधीन शासन एवं राजनीति की तुलना की जाती है अर्थात् इनके अधीन किन्हीं दो देशों के शासन एवं उनकी राजनीति की तुलना की जाती है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति की दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-

  • मूल्य मुक्त धारणा–तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।
  • अन्त: अनुशासनात्मक दृष्टिकोण—तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा चारणा है

प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति के विषय क्षेत्र के कोई दो मुख्य विषय लिखिए।
उत्तर-

  • तुलनात्मक राजनीति में विभिन्न राज्यों की सरकारी संरचनाओं का व्यापक विवरण मिलता है।
  • तुलनात्मक राजनीति में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम तथा कार्यों का अध्ययन करता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1.
राजनीतिक शास्त्र में तुलनात्मक अध्ययन का प्रतिपादक किसे माना जाता है ?
उत्तर-
राजनीतिक शास्त्र में तुलनात्मक अध्ययन का प्रतिपादक अरस्तू को माना जाता है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 2.
अरस्तू ने कितने संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया था ?
उत्तर-
रस्तू ने लगभग 158 संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया था।

प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीति संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है।

प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर बताएं।
उत्तर-
तुलनात्मक सरकार सैद्धान्तिक और संस्थागत अध्ययन है, जबकि तुलनात्मक राजनीति व्यावहारिक और वैज्ञानिक अध्ययन है।

प्रश्न 6.
तुलनात्मक राजनीति के विषय क्षेत्र का कोई एक मुख्य विषय लिखें।
उत्तर-
विभिन्न देशों की सरकारी संरचनाओं का अध्ययन।

प्रश्न 7.
तुलनात्मक राजनीति की कोई दो विशेषताएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर-
(1) मूल्य मुक्त धारणा।
(2) अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 8.
तुलनात्मक शासन एवं राजनीति में किस पर अधिक बल दिया गया है ?
उत्तर-
अंत: अनुशासन अध्ययन पर अधिक बल दिया गया है।

प्रश्न 9.
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक समस्या लिखिए।
उत्तर-
संयुक्त शब्दावली का अभाव।

प्रश्न 10.
किन विद्वानों ने परम्परावादी दृष्टिकोण का निर्जीव राजनीति विज्ञान कहकर खण्डन किया है?
उत्तर-
आधुनिक विद्वानों ने।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. तुलनात्मक राजनीति से अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के ………….. अध्ययन से है।
2. शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है, जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं :- कार्यपालिका, ……………. एवं न्यायपालिका।
3. …………… के अनुसार तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है।
4. ……………. के अनुसार, तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।
उत्तर-

  1. तुलनात्मक
  2. विधानपालिका
  3. एडवर्ड ए० फ्रीमैन
  4. जीन ब्लोण्डेल।

प्रश्न III. निम्नलिखित वाक्यों में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. तुलनात्मक राजनीति परम्परागत राजनीति विज्ञान की देन है।
2. तुलनात्मक राजनीति से अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है।
3. तुलनात्मक राजनीति की एक विशेषता मूल्य मुक्त अध्ययन है।
4. तुलनात्मक राजनीति में अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण पर बल नहीं दिया जाता।
5. मैक्रीडीस एवं वार्ड के अनुसार तुलनात्मक राजनीति एक ऐसा गाइड है, जो घर बैठे-बिठाए हमें देश-विदेश की सैर करा देता है।
उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. सही
  4. ग़लत
  5. सही।

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प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
“राजनीति में मानव स्वभाव” नामक पुस्तक किसने लिखी?
(क) राबर्ट डहल
(ख) लुसियन पाई
(ग) डेविड एप्टर
(घ) ग्राम वालेस।
उत्तर-
(घ) ग्राम वालेस।

प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति का आरम्भ कब से माना जाता है?
(क) 19वीं शताब्दी से
(ख) 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से
(ग) 18वीं शताब्दी से
(घ) 17वीं शताब्दी से।
उत्तर-
(ख) 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से

प्रश्न 3.
तुलनात्मक सरकार एवं तुलनात्मक राजनीति में –
(क) कोई अन्तर नहीं
(ख) अन्तर है
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) अन्तर है

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति

प्रश्न 4.
“तुलनात्मक राजनीति का अर्थ समकालीन विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के ढांचे का अध्ययन है।” यह कथन किसका है ?
(क) एडवर्ड फ्रीमैन
(ख) अरस्तू
(ग) जीन ब्लोण्डेल
(घ) ज्यूफ्री के० राबर्टस।
उत्तर-
(ग) जीन ब्लोण्डेल

प्रश्न 5.
तुलनात्मक शासन एवं राजनीति में ज़ोर दिया जाता है-
(क) ऐतिहासिक अध्ययन पर
(ख) केवल संवैधानिक ढांचे पर
(ग) अन्तःअनुशासन अध्ययन पर
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) अन्तःअनुशासन अध्ययन पर

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

SST Guide for Class 6 PSEB आदि-मानव – पाषाण युग Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित के संक्षिप्त उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
पुरा-पाषाण युग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग उस युग को कहा जाता है जब मनुष्य एक शिकारी तथा संग्राहक था। इस युग में मनुष्य का जीवन प्राकृतिक वस्तुओं पर निर्भर था। उसे आग का कोई ज्ञान नहीं था, इसलिए वह जंगली कन्द-मूल तथा जानवरों का कच्चा मांस खाता था। जंगली जानवरों से अपनी रक्षा के लिए वह समूह बनाकर रहता था। वह रात को वृक्षों पर अथवा गुफ़ाओं में रहता था। वह आम तौर पर वस्त्रहीन रहता था, परन्तु कभी-कभी अपने शरीर को बहुत अधिक सर्दी तथा गर्मी से बचाने के लिए जानवरों की खालों, वृक्षों के पत्तों तथा छिलकों से ढक लेता था। जानवरों के शिकार के लिए वह पत्थर से बने हथियारों अथवा वृक्षों की शाखाओं का प्रयोग करता था।

प्रश्न 2.
नव-पाषाण युग के पाँच महत्त्वपूर्ण लक्षण बतायें।
उत्तर-
पाषाण युग के तीसरे तथा अन्तिम युग को ‘नव-पाषाण युग’ कहा जाता है। इस युग के पाँच महत्त्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित थे –

  1. मानव एक स्थान पर टिक कर रहने लगा था। उसने अनाज उगाना तथा भोजन पकाना आरम्भ कर दिया था।
  2. मानव के औज़ार पहले से अधिक तेज़ तथा हल्के थे जिसके कारण उसकी काम करने की क्षमता बढ़ गई थी।
  3. मानव ने भोजन पकाने तथा रखने के लिए पकी मिट्टी के बर्तन बनाने सीख लिए थे।
  4. मानव ने गुफ़ाओं की दीवारों पर चित्र बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।
  5. मानव कीमती पत्थरों, पकी मिट्टी तथा हाथी दांत आदि के मनके बनाकर उन्हें आभूषणों के रूप में प्रयोग करने लगा था।

प्रश्न 3.
मध्य-पाषाण युग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
मध्य-पाषाण युग का आरम्भ पुरा-पाषाण युग के पश्चात् हुआ। इस युग में मानव के जीवन स्तर में कुछ सुधार हुआ। उसने कई नई चीजें सीखीं। उसने टूटे हुए पत्थर के टुकड़ों के स्थान पर नुकीले तथा तराशे हुए पत्थर के हथियार जैसे कि कुल्हाड़ी, भाले, गंडासे आदि बनाने आरम्भ कर दिए। वह इन औज़ारों तथा हथियारों को लकड़ी की एक लम्बी छड़ से बांध कर प्रयोग में लाने लगा। उसे इस बात का भी पता चल गया कि अनाज को काफ़ी समय तक इकट्ठा करके रखा जा सकता है। इसलिए उसने अनाज को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। वह गुफ़ाओं के अतिरिक्त लकड़ी, बांस तथा पत्तों की झोंपड़ियां भी बनाने लगा था। फलस्वरूप मनुष्य गांव बनाकर स्थायी रूप से रहने लगा।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

प्रश्न 4.
पहिये के आविष्कार ने मानव की क्या सहायता की?
उत्तर-
मानव के विकास में पहिये के आविष्कार का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस आविष्कार के कारण मानव ने बड़ी तेजी से उन्नति की। इस आविष्कार ने मानव जीवन को कई प्रकार से आसान बना दिया।

  1. पहिये का प्रयोग जानवरों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ियों में होने लगा। परिणामस्वरूप मानव के लिए यात्रा करना तथा सामान ढोना आसान हो गया।
  2. पहिये ने पानी खींचने में मानव की सहायता की।
  3. मानव ने पहिये की सहायता से मिट्टी के बर्तन बनाने आरम्भ कर दिए।

प्रश्न 5.
गुहा-चित्रों के बारे में एक नोट लिखें।
उत्तर-
गुहा-चित्रों से अभिप्राय गुफा-चित्रों से है। आदि-मानव गुफ़ाओं तथा पत्थर के विश्राम-गृहों में रहते समय इनकी दीवारों पर नुकीले पत्थरों तथा रंगों की सहायता से मानवों, जानवरों तथा शिकार के चित्र बनाता था। ये चित्र आमतौर पर रेखा-चित्र होते थे परन्तु कई बार वह इनमें रंग भी भरता था। ऐसे चित्र भारत के अनेक भागों तथा संसार में कई स्थानों पर प्राप्त हुए हैं। भारत में मध्य प्रदेश में भोपाल के निकट भीमबैठका के गुहा-चित्र देखने योग्य हैं, जिनमें मानवों को नाचते हुए दिखाया गया है। इससे पता चलता है कि पाषाण युग में नृत्य मनोरंजन का एक साधन था तथा लोग समूहों में नाचते-गाते थे।

II. सही जोड़े बनायें

  1. पेलियोलिथिक एज – (क) गुहा मानव
  2. मेसोलिथिक एज – (ख) गुहा-चित्र
  3. भीमबैठका – (ग) प्राचीन पाषाण युग
  4. शिकारी-खाद्य संग्रहक – (घ) मध्य पाषाण युग।

उत्तर-सही जोड़े

  1. पेलियोलिथिक एज – गुहा मानव
  2. मेसोलिथिक एज – मध्य पाषाण युग
  3. भीमबैठका – गुहा-चित्र
  4. शिकारी-खाद्य संग्रहक – प्राचीन पाषाण युग।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

III. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) का निशान लगायें

  1. पुरा-पाषाण युग में मानव कृषि के लिए हल चलाता था।
  2. अग्नि का आविष्कार एक वैज्ञानिक ने किया।
  3. पाषाण युग के गुहा-चित्र अनेक स्थानों से मिले हैं।
  4. नव पाषाण युग का अर्थ आधुनिक समय है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)

PSEB 6th Class Social Science Guide आदि-मानव – पाषाण युग Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एक ऐसा युग था जब मानव जानवरों का शिकार करता था और कच्चा मांस खाता था। क्या आप उस युग का नाम बता सकते हैं?
उत्तर-
पुरा पाषाण युग।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

प्रश्न 2.
मानव ने मनके बनाने के लिए सर्वप्रथम किस चीज़ का प्रयोग किया?
उत्तर-
कीमती पत्थर।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दर्शाए गए चित्र में आदि मनुष्य मिट्टी के बर्तन बना रहा है। इस के लिए वह किस चीज़ का प्रयोग करता था?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 आदि-मानव – पाषाण युग 1
(क) चाक अथवा पहिया
(ख) नुकीले पत्थर
(ग) तांबे का सांचा
उत्तर-
(क) चाक अथवा पहिया

प्रश्न 2.
आदि-मानव ने अग्नि का प्रयोग किस काम में नहीं किया?
(क) धातु पिघलाना
(ख) भोजन पकाना
(ग) मिट्टी के बर्तन पकाना।
उत्तर-(क) धातु पिघलाना

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पुरा-पाषाण युग को अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं? यूनानी भाषा में इसका क्या अर्थ है?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग को अंग्रेज़ी में ‘पेलियोलिथिक पीरियड’ कहते हैं। यूनानी भाषा में इसका अर्थ ‘पुराना पत्थर’ है।

प्रश्न 2.
पुरा-पाषाण युग में आदि-मानव के कौन-कौन से औज़ार तथा हथियार थे? मानव इनका प्रयोग किस लिए करता था?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग में पत्थर की बनी कुल्हाड़ियां, भाले तथा गंडासे आदि-मानव के औज़ार तथा हथियार थे। मानव इनका प्रयोग शिकार करने के लिए करता है।

प्रश्न 3.
पाषाण युग का यह नाम क्यों पड़ा?
उत्तर-
इस युग में पत्थर के औज़ारों और हथियारों का प्रयोग होता था। पत्थर के कारण ही इस युग का नाम पाषाण (पत्थर) युग पड़ा।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

प्रश्न 4.
पुरा-पाषाण युग का आरम्भ कब हुआ?
उत्तर-
पुरा-पाषाण युग का आरम्भ लगभग 5 लाख वर्ष से अढ़ाई लाख वर्ष के मध्य में हुआ।

प्रश्न 5.
आग का आविष्कार कब हुआ?
उत्तर-
आग का आविष्कार पुरा-पाषाण युग के अन्तिम चरण में हुआ।

प्रश्न 6.
बुद्धिधारी मानव का जन्म कब हुआ?
उत्तर-
बुद्धिधारी मानव का जन्म पुरा-पाषाण युग के अन्तिम चरण में हुआ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

प्रश्न 7.
भोजन इकट्ठा करने की अवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
भोजन इकट्ठा करने की अवस्था वह समय था जब मानव को कृषि का कोई ज्ञान नहीं था। वह कन्द-मूल, फल आदि इकट्ठे करके उन्हें भोजन के रूप में प्रयोग करता था। वह भोजन की तलाश में स्थान-स्थान पर घूमता रहता था।

प्रश्न 8.
नव-पाषाण युग का आरम्भ कब हुआ?
उत्तर-
नव-पाषाण युग का आरम्भ लगभग 10,000 वर्ष से 12,000 वर्ष पूर्व हुआ।

प्रश्न 9.
नव-पाषाण काल का मुख्य आविष्कार क्या था?
उत्तर-
नव-पाषाण काल का मुख्य आविष्कार पहिया था। इस आविष्कार से मानव के जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया।

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प्रश्न 10.
पहिए के आविष्कार के दो लाभ बताएं।
उत्तर-
पहिए के आविष्कार से मिट्टी के बर्तन बनाने तथा यातायात के साधनों में तेजी से परिवर्तन आया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आग के आविष्कार ने मनुष्य की किस प्रकार सहायता की?
उत्तर-
आग के आविष्कार ने मनुष्य की बहुत सहायता की। अब मनुष्य ने आग जलाकर भोजन पकाना आरम्भ कर दिया। मनुष्य अपने आपको सर्दियों में गर्म रखने, अपनी गुफाओं तथा विश्राम-गृहों में रात को रोशनी करने तथा जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए आग का प्रयोग करने लगा था।

प्रश्न 2.
पूर्व ऐतिहासिक काल की जानकारी हमें किससे मिलती है?
उत्तर-
पूर्व ऐतिहासिक काल की जानकारी हमें उन स्थानों की खुदाइयों से प्राप्त । पुरातत्व वस्तुओं से मिलती है जहां उस समय के मानव रहते थे। इन वस्तुओं में मानवों तथा जानवरों की हड्डियां, पुराने औजार तथा हथियार और दैनिक उपयोग की वस्तुएं शामिल हैं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

प्रश्न 3.
कृषि का आरम्भ किस प्रकार हुआ?
उत्तर-
आदि-मानव अनाज के जो दाने भूमि पर फेंक देता था, उनमें से नए पौधे उत्पन्न होते थे तथा बहुत-सा अनाज प्राप्त होता था। इस प्रकार आदि-मानव ने यह सीखने का प्रयत्न किया कि शीघ्र तथा बढ़िया पैदावार के लिए मिट्टी में बीजों को कब बोना चाहिए तथा कृषि के लिए भूमि को किस प्रकार तैयार करना चाहिए। इससे कृषि का आरंभ हुआ।

प्रश्न 4.
कृषि के आविष्कार का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
कृषि के आविष्कार ने मानव जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। अब मनुष्य को भोजन की खोज के लिए इधर-उधर घूमने की ज़रूरत नहीं थी। उसका खानाबदोश जीवन समाप्त हो गया तथा वह एक स्थान पर टिक कर रहने लगा।

प्रश्न 5.
आदि-मानव के वस्त्रों तथा आभूषणों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
आदि-मानव अपने आपको सर्दी तथा वर्षा आदि से बचाने के लिए जानवरों की खालों तथा वृक्षों की छाल तथा पत्तों से अपने शरीर को ढकता था। पुरुष तथा स्त्रियां दोनों ही आभूषणों का प्रयोग करते थे। ये आभूषण कीमती पत्थरों, पकी मिट्टी तथा हाथी दांत आदि के बने मनके होते थे। लोग ऐसे आभूषण स्वयं बनाते थे।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आदि-मानव के जीवन के बारे में लिखो।
उत्तर-
आदि-मानव का जीवन बहुत कठोर था। उसके जीवन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं –
1. खानाबदोश जीवन-वह खानाबदोश था और नग्न रहता था। अपने भोजन की तलाश में वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमता रहता था।

2. भोजन-अपनी भूख मिटाने के लिए मानव जंगलों से प्राप्त कन्द-मूल, फल अथवा जानवरों का मांस खाता था। जब एक स्थान पर फल तथा जानवर समाप्त हो जाते थे तो वह उस स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर चला जाता था। उसे कृषि का कोई ज्ञान नहीं था। वह आग जलाना भी नहीं जानता था। इसलिए वह जानवरों के मांस को कच्चा ही खाता था। अपनी प्यास बुझाने के लिए वह नदियों के किनारे रहना पसन्द करता था।

प्रश्न 2.
नव-पाषाण युग के मानव की भोजन पैदा करने की अवस्था की जानकारी दें।
उत्तर-
नव-पाषाण युग के आरम्भ में मानव भोजन इकट्ठा करने की अवस्था से भोजन पैदा करने की अवस्था में आ गया। अन्य शब्दों में, मानव कृषि करना सीख गया। कृषि के आरम्भ से मानव का जीवन सरल और सभ्य हो गया। उसने अनाज, सब्जियां तथा फल पैदा करने आरम्भ कर दिए। कृषि करने के लिए उसने अपने औज़ारों तथा हथियारों में भी परिवर्तन किए। सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उसने नदियों के किनारे कृषि करना आरम्भ किया। वह मुख्य रूप से गेहूं, चावल तथा जौ उगाता था।
कृषि के कार्य में मानव का परिवार भी उसकी सहायता करता था। इस कार्य में स्त्रियों का बहुत योगदान था।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 9 आदि-मानव – पाषाण युग

प्रश्न 3.
नव-पाषाण युग के मानव के रहन-सहन की जानकारी दें।
उत्तर-
नव-पाषाण युग के आरम्भ होने तक मानव के जीवन तथा रहन-सहन के ढंग में बहुत-से परिवर्तन आ गए। आग की खोज, नए औज़ारों के प्रयोग, पशुपालन तथा कृषि के आरम्भ ने मानव के जीवन को सभ्य बना दिया।

1. स्थिर जीवन-कृषि ने मानव के जीवन में स्थिरता पैदा कर दी। भोजन पैदा करने
अवस्था में पहुंचकर मानव सांस्कृतिक विकास के मार्ग पर अग्रसर हुआ। कृषि ने उसकी भोजन की आवश्यकता को पूरा किया। इसलिए अब उसे भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमना नहीं पड़ता था। पशुपालन के व्यवसाय के विकास से मानव प्रगति के मार्ग पर चल पड़ा।

2. समाज का निर्माण तथा सहयोग-नव-पाषाण युग में जो लोग कृषि नहीं करते थे, वे कृषकों पर निर्भर थे। इसी प्रकार कृषक अपनी अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बढ़ई तथा कुम्हारों पर निर्भर रहते थे। इस प्रकार समाज का निर्माण हुआ तथा सहयोग की भावना का जन्म हुआ।

3. श्रम-विभाजन-विभिन्न व्यवसाय अपनाने से श्रम का विभाजन हुआ तथा धीरेधीरे कार्यों में निपुणता भी आ गई। परिणामस्वरूप व्यवस्थित जीवन का आरम्भ हुआ।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 2 तर्कशील सोच

Punjab State Board PSEB 10th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 2 तर्कशील सोच Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Welcome Life Chapter 2 तर्कशील सोच

PSEB 10th Class Welcome Life Guide तर्कशील सोच Textbook Questions and Answers

अभ्यास – I

प्रश्न 1.
पंजाब का दूसरा भाग कहाँ स्थित है?
(a) दिल्ली
(b) कनाडा
(c) पाकिस्तान
(d) राजस्थान।
उत्तर-
(b) पाकिस्तान ।

प्रश्न 2.
पंजाब में कितने विधानसभा क्षेत्र हैं?
(a) 116
(b) 21
(c) 31
(d) 117
उत्तर-
(d) 117.

प्रश्न 3.
पंजाब में कितने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र (लोकसभा) हैं?
(a) 117
(b) 13
(c) 21
(d) 22.
उत्तर-
(b) 13.

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प्रश्न 4.
यूनानियों ने पंजाब को किस नाम से बुलाया?
(a) सप्त-सिंधु
(b) पेंटापोटामिया
(c) पंचनद
(d) सिंध।
उत्तर-
(b) पेंटापोटामिया।

प्रश्न 5.
पंजाब का विश्व का सबसे पुराना विश्वविद्यालय कौन-सा है?
(a) पंजाबी विश्वविद्यालय
(b) पंजाब विश्वविद्यालय
(c) तक्षशिला विश्वद्यिालय
(d) नालंदा विश्वविद्यालय।
उत्तर-
(b) तक्षशिला विश्वद्यिालय।

अभ्यास-II

वर्कशीट के लिए प्रश्न

प्रश्न 1.
संदीप के मन में कौन-सी गलत धारणा थी?
उत्तर-
संदीप के दिमाग में यह गलत धारणा थी कि उत्पाद और टॉनिक शारीरिक शक्ति बढ़ाते हैं और एथलीट खेलों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। वह मेहनत के बजाय दवा और उत्पाद लेना पसंद कर रहे थे जो कि ग़लत धारणा है।

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प्रश्न 2.
मैडम ने अपनी जवान छात्राओं को क्या समझाया?
उत्तर-
मैडम ने जवान छात्राओं को समझाया कि वे अपने मन में गलत धारणा न रखें। कई लोग अपने मज़बूत शरीर को दिखाने के लिए दवाओं का उपयोग करते हैं जो कि ग़लत है। बच्चे स्टेशल मीडिया विज्ञापनों के जाल में फंस जाते हैं। इन विज्ञापनों के जाल में फंसने से पहले हमें सावधानी से सोचने की ज़रूरत है। इन दवाओं को लेने के बजाय, हमें मेहनत और देसी आहार पर अधिक ध्यान देना चाहिए। मैडम ने लड़कियों से कहा कि हमारे पास बहुत से उदाहरण हैं जहाँ सामान्य परिवारों के कई खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत की है और बहुत सफलता प्राप्त की है।

प्रश्न 3.
प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया को देखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
कंपनियों प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया पर अपने उत्पादों का विज्ञापन करती हैं। इस प्रकार के विज्ञापन किसी भी टीवी चैनल का हिस्सा नहीं हैं और इन पर लिखा होता है कि यह एक कंपनी का विज्ञापन है। इसलिए, इससे पहले कि हम उन्हें खरीदें और उनके जाल में पड़ें। हमें उनके बारे में सच्चाई का पता लगाना चाहिए। हमें तर्कसंगत रूप से सोचना चाहिए कि क्या यह संभव है। यदि नहीं, तो हमें वह उत्पाद नहीं खरीदना चाहिए।

प्रश्न 4.
हम गलतफहमियों से कैसे छुटकारा पा सकते हैं?
उत्तर-
हमें किसी भी चीज़ के बारे में तर्कसंगत रूप से सोचना चाहिए कि यह सही है या ग़लत। हमें दूसरों से बात करनी चाहिए और यदि हमारे विचार मेल खाते हैं, तो हमें गलतफहमी को दूर करना चाहिए और इसके पीछे के कारण पर विचार करना चाहिए।

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Welcome Life Guide for Class 10 PSEB तर्कशील सोच Important Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-से छात्र अद्वितीय और सफल होते हैं?
(a) वह जो समय को महत्त्व देता है
(b) वह जो खेल खेलता है
(c) जो सोशल मीडिया पर मस्त हो
(d) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) वह जो समय को महत्त्व देता है।

प्रश्न 2.
समाज में लैंगिक भेदभाव को किसने दूर किया है?
(a) धर्म
(b) विज्ञान और प्रौद्योगिकी
(c) सोसायटी
(d) सरकार।
उत्तर-
(b) विज्ञान और प्रौद्योगिकी।

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प्रश्न 3.
कौन-सा उदाहरण हमें महिलाओं की हिम्मत और दया के बारे में बताता है?
(a) माई भागो
(b) माता गुजरी
(c) रानी लक्ष्मीबाई
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
क्या हम आधुनिक समय में लैंगिक भेदभाव देख सकते हैं?
(a) हाँ
(b) नहीं
(c) पता नहीं
(d) कुछ नहीं कह सकते।
उत्तर-
(a) हाँ!

प्रश्न 5.
हमें किस की कद्र करनी चाहिए?
(a) पैसे की
(b) समय की
(c) अंधविश्वास की
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) समय की।

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प्रश्न 6.
वर्तमान युग में हम ……….. का सही उपयोग करके बचत कर सकते हैं।
(a) धर्म
(b) सोशल मीडिया
(c) समाचार पत्र
(d) पत्रिका।
उत्तर-
(b) सोशल मीडिया।

प्रश्न 7.
………….. के साथ हम अपना समय अच्छे से बिता सकते हैं?
(a) नियोजन
(b) मोबाइल
(c) टी०वी०
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) नियोजन।

प्रश्न 8.
आधुनिक क्रांतिकारी परिवर्तनों के वर्तमान युग में ……… की भूमिका काफी बढ़ गई है।
(a) धर्म
(b) सरकार
(c) संचार के साधन
(d) व्यक्तिगत साधन।
उत्तर-
(c) संचार के साधन।

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प्रश्न 9.
संचार के साधनों से हमें क्या मिलता है?
(a) सूचना
(b) ज्ञान
(c) मनोरंजन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 10.
संचार के साधनों का अवगण क्या है?
(a) एक व्यक्ति स्वाभाविक हो जाता है।
(b) बच्चे बुरी आदतों को अपनाते हैं।
(c) बच्चे अपने वास्तविक उद्देश्य से विचलित होते हैं।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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(ख) खाली स्थान भरें

  1. …………. के उपयोग से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
  2. ………….. के उपयोग से हमें बहुत-सी जानकारी मिलती है।
  3. ………….. का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
  4. आदि काल से ही समाज में ………… और ……….. के बीच भेदभाव चल रहा है।
  5. हमें मन में …………… धारणाएं नहीं रखनी चाहिए।

उत्तर-

  1. समय,
  2. संचार के साधनों,
  3. सोशल मीडिया,
  4. लड़के, लड़कियां,
  5. ग़लत।

(ग) सही/ग़लत चुनें

  1. हमें ग़लत धारणाओं से बचना चाहिए।
  2. लिंग आधारित भेदभाव आधुनिक समाज की एक धारणा है।
  3. लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव प्राचीन काल से चला आ रहा है।
  4. कई लोग मीडिया के जाल में फंस जाते हैं।
  5. खाने के उत्पाद खेलकूद के लिए आवश्यक हैं।

उत्तर-

  1. सही,
  2. ग़लत,
  3. सही,
  4. सही,
  5. ग़लत।

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(घ) कॉलम से मेल करें

कॉलम ए — कॉलम बी
(a) भेदभाव — (i) संचार का साधन
(b) विचित्र — (ii) सप्त सिंधु
(c) अनुसूची — (iii) अंतर
(d) इंटरनेट — (iv) विशेष
(e) पंजाब — (v) टाइम टेबल।
उत्तर-
(a) भेदभाव — (iii) अंतर
(b) विचित्र — (iv) विशेष
(c) अनुसूची — (v) टाइम टेबल
(d) इंटरनेट — (i) संचार का साधन
(e) पंजाब — (ii) सप्त सिंधु।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या समाज में लिंग आधारित भेदभाव होता है?
उत्तर-
हां, समाज में लिंग आधारित भेदभाव होता है।

प्रश्न 2.
किस ने समाज में लिंग आधारित भेदभाव को कम किया है?
उत्तर-
विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने समाज में लिंग आधारित भेदभाव को काफी कम कर दिया है।

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प्रश्न 3.
किन पहलुओं से, हम एक लड़के और लड़की के बीच अंतर नहीं देख सकते?
उत्तर-
साहस, मानसिक स्तर, कड़ी मेहनत इत्यादि के दृष्टिकोण से।

प्रश्न 4.
महिलाओं की बहादुरी, वीरता और दयालुता का उदाहरण दें।
उत्तर-
माई भागो, माता गुजरी, रानी लक्ष्मीबाई इत्यादि महिलाएं बहादुरी, वीरता और दयालुता की उदाहरणे है।

प्रश्न 5.
क्या आधुनिक समय में कोई लिंग आधारित भेदभाव है?
उत्तर–
हाँ, आधुनिक समय में लिंग आधारित भेदभाव है।

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प्रश्न 6.
कौन-से छात्र विशिष्ट तथा सफल हैं?
उत्तर-
समय को महत्त्व देने वाले छात्र विशिष्ट तथा सफल हैं।

प्रश्न 7.
हमें समय की कद्र क्यों करनी चाहिए?
उत्तर-
क्योंकि एक बार समय निकल जाने के बाद कभी वापस नहीं आता।

प्रश्न 8.
समय बर्बाद होने पर क्या होता है?
उत्तर-
समय हमारी कद्र नहीं करेगा और हम जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे।

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प्रश्न 9.
कौन-सा छात्र जीवन में सफल हो जाता है?
उत्तर-
जो छात्र समय की योजना बनाते हैं, वह जीवन में सफल हो जाते हैं।

प्रश्न 10.
समय नियोजन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इसका मतलब है कि समय हमें इस तरह से लगाना चाहिए कि हर मिनट का उपयोग हो सके।

प्रश्न 11.
हम अपना समय कैसे बचा सकते हैं?
उत्तर-
सोशल मीडिया का प्रयोग करके हम अपना समय बचा सकते हैं।

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प्रश्न 12.
सोशल मीडिया का उपयोग करने से क्या फायदा है?
उत्तर-
हमें सोशल मीडिया से बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 13.
आधुनिक समय में किसकी भूमिका काफ़ी बढ़ गई है?
उत्तर-
आधुनिक समय में संचार के साधनों की भूमिका काफी बढ़ गई है।

प्रश्न 14.
मीडिया चलाने वाली कंपनियों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
उनका मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना है।

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प्रश्न 15.
संचार के साधन हमें क्या प्रदन करते हैं?
उत्तर-
वह हमें विभिन्न प्रकार की जानकरी प्रदान करते हैं।

प्रश्न 16.
संचार के दुरुपयोग के सधनों का नुकसान क्या है?
उत्तर-
लोग गलत आदतें अपनाते हैं और अपने वास्तविक उद्देश्यों से भटक जाते हैं।

प्रश्न 17.
इंटरनेट और मोबाइल का उपयोग करने से पहले छात्रों को क्या प्रतिज्ञा करनी चाहिए?
उत्तर-
उन्हें यह संकल्प लेना चाहिए कि वह उनका उपयोग केवल अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए करेंगे।

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प्रश्न 18.
इंटरनेट और संचार के साधनों का सही उपयोग करने से क्या लाभ है?
उत्तर-
वह अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं और एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को चमकते हैं।

प्रश्न 19.
गेम खेलने के लिए उत्पादों और टॉनिक का उपयोग करना आवश्यक है?
उत्तर-
नहीं, ऐसी चीज़ों का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 20.
हम एक खेल में कैसे महारत हासिल कर सकते हैं?
उत्तर-
निरंतर अभ्यास से, हम एक खेल में महारत हासिल कर सकते हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लिंग भेदभाव से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समाज में दो लिंग होते हैं-पुरुष और स्त्री। यदि उनके बीच कोई भेदभाव होता है, तो इसे लैंगिक भेदभाव कहा जाता है। हमारे समाज में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बहत भेदभाव किया जाता है। उदाहरण के लिए कुछ कार्य हैं, जिनके बारे में यह कहा जाता है कि वे केवल पुरुषों के लिए हैं। पुरुष शारीरिक रूप से शक्तिशाली होते हैं और वे महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं। महिलाओं को कोई अधिकार नहीं दिया गया। इसे लैंगिक भेदभाव कहा जाता है।

प्रश्न 2.
क्या वर्तमान समाज में लैंगिक भेदभाव मौजूद है?
उत्तर-
हां, वर्तमान समाज में लिंग भेदभाव अभी भी मौजूद है। इसका सामान्य उदाहरण किसी भी कार्य स्थल पर देखा जा सकता है जहां महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। राजनीतिक जीवन में बहुत कम महिलाएं हैं। ज्यादातर अपराध महिलाओं से जुड़े हैं। हालांकि उन्हें संविधान द्वारा समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन समाज में समानता प्राप्त करने में असमर्थ हैं।

प्रश्न 3.
क्या हमें लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव को खत्म करना चाहिए?
उत्तर-
हाँ, समाज में इस भेदभाव को खत्म करना चाहिए। एक आदर्श समाज समानता पर आधारित है और ऐसे समाज में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यदि हम पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए गए कार्यों को देखते हैं, तो हम आसानी से देख सकते हैं कि महिलाओं को अधिक कठिन काम दिए जाते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है। पुरुष इस तरह के कार्यों को उचित तरीके से पूरा करने में असमर्थ हैं। इसीलिए भेदभाव को खत्म करना होगा और सामाजिक समानता लाने के प्रयास करने होंगे।

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प्रश्न 4.
हमें समय की कद्र क्यों करनी चाहिए?
उत्तर-
ऐसा कहा जाता है कि अतीत वापस नहीं आता है। एक बार समय समाप्त हो जाता है, चाहे आप कितनी भी कोशिश कर लें, यह वापस नहीं आएगा। यदि हम समय को महत्त्व देते हैं, तो हम अपने सभी काम समय पर और सही तरीके से कर पाएंगे, समय का सही मूल्य पड़ेगा। समय सार का होगा और हमारा जीवन सफल होगा। इसलिए, सबसे पहले यह महत्त्वपूर्ण है कि हमें अपना समय बचाना चाहिए। यदि हम अपने समय का ध्यान रखते हैं तो निश्चित रूप से हम जीवन में प्रगति कर पाएंगे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे। इसीलिए कहा जाता है कि समय अमूल्य है और हमें इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 5.
“समय का सही उपयोग समय का सबसे अच्छा सदुपयोग है।” कथन स्पष्ट करो।
उत्तर-
यह सही कहा जाता है कि समय का सही उपयोग समय का सबसे ,सदुपयोग है। वास्तव में यह हमारे हाथ में है कि हम अपने समय का उपयोग कैसे करते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने समय का बुद्धिमानी से उपयोग करता है, शिक्षा प्राप्त करता है और प्रगति करने के लिए प्रयास करता है, तो उसका ज्ञान और धन निश्चित रूप से बढ़ता है। लेकिन यदि वह ऐसा नहीं करता, न तो ज्ञान और न ही पैसा उसके पास जाता है। एक छात्र को हमेशा अपना खुद का टाइम टेबल बनाने और सभी विषयों पर बराबर ध्यान देने के लिए कहा जाता है। यदि वह अपनी समय सारिणी निर्धारित नहीं करता है और व्यर्थ में समय बिताता है, तो आने वाले समय में उसके लिए सही नहीं होगा। इसलिए सभी को अपने समय का सदुपयोग जीवन में प्रगति करने के लिए करना चाहिए।

प्रश्न 6.
हम बेहतर तरीके से सोशल मीडिया का उपयोग कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-
हमारे जीवन में सोशल मीडिया का महत्त्व इन दिनों बहुत बढ़ गया है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगल इत्यादि सोशल मीडिया में शामिल हैं। इनमें से गूगल हमारे लिए बहुत मददगार हो सकता है। हर प्रकार की जानकारी गूगल पर उपलब्ध है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि विषय क्या है, गूगल हमें एक सेकंड के भीतर जानकारी प्रदान करता है। इसके अलावा जब हम काम करते हुए थक जाते हैं, तो हम फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि पर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इस तरह, हम अपने जीवन को कई तरीकों से दिलचस्प बना सकते हैं, उनका सही इस्तेमाल कर सकते हैं।

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प्रश्न 7.
स्कूल के शिक्षा द्वारा छात्रों के व्हाट्सएप समूह बनाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-

  1. व्याटसएप ग्रुप बनाकर, शिक्षक छात्रों को होमवर्क दे सकते हैं।
  2. यदि छात्रों को पढ़ाई करते समय कोई समस्या आती है, तो वह शिक्षकों से प्रश्न पूछ सकते हैं।
  3. छात्र एक-दूसरे के प्रश्नों का उत्तर देते हैं जिससे सभी छात्र पाठ की दोहराई कर सकते हैं।
  4. छात्र परीक्षा के समय में एक-दूसरे के करीब आते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं।
  5. समूह का उचित उपयोग बच्चों के लिए फायदेमंद है क्योंकि वे जानते हैं कि किसी विशेष क्षण में क्या करना है या क्या नहीं करना है।

प्रश्न 8.
क्या हम उत्पादों और टॉनिक का उपयोग करके अपने खेल में सुधार कर सकते हैं?
उत्तर-
नहीं, खेल उत्पादों और टॉनिक का सेवन करके नहीं सुधारा जा सकता। यह केवल एक विशेष क्षण के लिए शारीरिक शक्ति बढ़ा सकता है। यदि शरीर को इसकी आदत हो जाए तो शरीर क्षतिग्रस्त हो सकता है। खेल को केवल हार्डवर्क से ही बेहतर बनाया जा सकता है और बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह एक गलत धारणा है कि उत्पादों और टॉनिक का सेवन करके खेल को बेहतर बनाया जा सकता है। हमें इस तरह की गलतफहमियों से दूर रहना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न-हम मोबाइल, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों का सही उपयोग कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-वर्तमान समय में हमारे जीवन में संचार की भूमिका बहुत बढ़ गई है और हम इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं। हमें इसकी आदत नहीं बनानी चाहिए । इसके बजाय हमें इसका उचित उपयोग करना चाहिए। निम्नलिखित विधियों के साथ हम मोबाइल, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों का सही उपयोग कर सकते हैं

  1. हमें मोबाइल फोन पर गेम नहीं खेलनी चाहिए, हमें इसका उपयोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए करना चाहिए।
  2. हर प्रकार की जानकारी गूगल पर उपलब्ध है। संचार के साधनों का उपयोग कर हमें जानकारी एकत्र करनी चाहिए और अपने विषय में कुशल बनना चाहिए।
  3. वर्तमान में, छात्र मोबाइल और इंटरनेट के साथ शिक्षा ले रहे हैं। इसका इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए।
  4. मोबाइल या कंप्यूटर के अधिक उपयोग से हमारी आँखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसका उपयोग सीमित सीमा तक किया जाना चाहिए।
  5. ऐसे साधनों का उपयोग करके हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं और एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
  6. इनकी सहायता से छात्र अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं अर्थात् जीवन में प्रगति कर सकते हैं।

PSEB 10th Class Welcome Life Solutions Chapter 2 तर्कशील सोच

तर्कशील सोच PSEB 10th Class Welcome Life Notes

  • सदियों से हमारे समाज में लड़कों और लड़कियों के बीच भेदभाव किया जाता है। लड़कों को लड़कियों से बेहतर माना जाता है और इसका मुख्या कारण पुरुष प्रधान समाज है।
  • आधुनिक समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने इस लिंग भेदभाव को बहुत हद तक खत्म कर दिया है। यद्यपि यह भेदभाव कम हुआ है लेकिन फिर भी यह भेदभाव अभी भी कई क्षेत्रों में व्याप्त है।
  • हमारे पास इतिहास में कई उदाहरणें हैं जिनसे हमें पता चलता है कि आवश्यकता पड़ने पर महिलाओं ने बहुत साहस दिखाया है; जैसे कि रानी लक्ष्मीबाई। यह हमें महिलाओं में कुछ गुणों को भी दिखाता है जैसे कि साहस, दूसरों की मदद करना इत्यादि।
  • समाज में रहते हुए, हमें हर प्रकार के भेदभाव का विरोध करना चाहिए और समाज में समानता लाने का प्रयास करना चाहिए।
  • हमें समय का बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए। यदि आज हम समय को महत्त्व नहीं देते हैं, तो कल यह हमें महत्त्व नहीं देगा।
  • यह आवश्यक है कि हमें एक समय सारणी बनानी चाहिए और उसके अनुसार अपना जीवन ढालना चाहिए। यह हमारे जीवन में अनुशासन लाएगी और हम सही समय पर सब कुछ करने में सक्षम होंगे।
  • हमें सोशल मीडिया का बेहतर तरीके से उपयोग करना चाहिए। हमें अच्छा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और केवल उस समय को सोशल मीडिया के लिए समर्पित करना चाहिए जिसकी आवश्यकता है। मनोरंजन के लिए, हम सोशल मीडिया को छोड़कर अन्य साधनों का उपयोग कर सकते हैं।
  • हमें रचनात्मक तरीके से मोबाइल, इंटरनेट और संचार के अन्य साधनों का उपयोग करना चाहिए। वे हमें अध्ययन के लिए बहुत अच्छी सामग्री प्रदान करते हैं। इनका सही तरीके से उपयोग करके हम एक बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं। प्रत्येक छात्र को रचनात्मक तरीके से उनका उपयोग करना चाहिए।
  • हमारे आसपास बहुत सारी नकारात्मकता फैली हुई है। हमें किसी भी तरह की नकारात्मकता से बचना चाहिए और जितना हो सके सकारात्मकता को अपनाने और फैलाने की कोशिश करनी चाहिए।
  • साथ ही, हमें समाज में मौजूद भ्रांतियों से भी बचना चाहिए। हमें अपने विवेक और दिमाग का उपयोग ग़लत धारणाओं से बचने के लिए करना चाहिए और उन्हें समाज से हटाने का प्रयास करना चाहिए।

PSEB 11th Class History Solutions Chapter 17 यूरोपीयों का भारत में आगमन तथा सर्वोच्चता के लिए संघर्ष

Punjab State Board PSEB 11th Class History Book Solutions Chapter 17 यूरोपीयों का भारत में आगमन तथा सर्वोच्चता के लिए संघर्ष Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 History Chapter 17 यूरोपीयों का भारत में आगमन तथा सर्वोच्चता के लिए संघर्ष

अध्याय का विस्तृत अध्ययन

(विषय-सामग्री की पूर्ण जानकारी के लिए)

प्रश्न-
यूरोपीय पृष्ठभूमि के सन्दर्भ में भारत में पुर्तगाली, डच, अंग्रेज़ व फ्रासीसी कम्पनियों की स्थापना व मुख्य गतिविधियों की चर्चा करें।
उत्तर-
भारत में सर्वप्रथम पुर्तगाली आए। पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने 1498 ई० में भारत का नवीन मार्ग खोजा। इसके बाद पुर्तगालियों ने भारत से व्यापार आरम्भ कर दिया। पुर्तगालियों को उन्नति करते देखकर यूरोप की अन्य जातियों जैसेअंग्रेज़, डच, डैनिश तथा फ्रांसीसियों ने भी भारत के साथ व्यापार करने के लिए अपनी व्यापारिक कम्पनियां स्थापित कर ली। इन कम्पनियों का वर्णन इस प्रकार है-

I. पुर्तगाली कम्पनी-

भारत तथा युरोप के देशों में प्राचीनकाल से ही व्यापार होता था। भारत के सूती कपडे, रेशमी कपड़े, गर्म मसाले आदि की यूरोप की मण्डियों में बड़ी मांग थी। अतः यूरोप के देश भारत के साथ अपने व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने के बड़े इच्छुक थे। सबसे पहले 1498 ई० में पुर्तगाल के एक नाविक वास्कोडिगामा ने भारत का एक नया समुद्री मार्ग खोज निकाला। इसके कुछ समय बाद ही पुर्तगालियों ने भारत के साथ व्यापार करना आरम्भ कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपने अनेक उपनिवेश स्थापित कर लिए। 1509 ई० में अल्बुकर्क पुर्तगेजों का गवर्नर बनकर भारत आया। वह भारत में पुर्तगेजी राज्य स्थापित करना चाहता था। थोड़े ही समय में उसने बीजापुर तथा मलाया पर अपना अधिकार कर लिया। उसने गोवा को अपनी राजधानी बनाया। पुर्तगेज़ों ने बड़ी तेज़ी से अपनी शक्ति को आगे बढ़ाया। सोलहवीं शताब्दी में उन्होंने हिन्द-महासागर की अनेक बन्दरगाहों पर अपना अधिकार कर लिया। 1515 ई० में फारस की खाड़ी की उर्मज़ बन्दरगाह पर उनका अधिकार हो गया। इसके पश्चात् उन्होंने बसीन, मुम्बई और दियों पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया। 1580 में पुर्तगाल स्पेन के साथ मिल गया। स्पेन ने पुर्तगाल के उपनिवेशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि गोवा, दियू और दमन को छोड़कर शेष सभी उपनिवेश उनसे छीन गए। धीरे-धीरे उनकी शक्ति का पूरी तरह पतन हो गया।

II. डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी –

डच व्यापारी हॉलैण्ड के निवासी थे। वे पुर्तगाल से पूर्वी देशों का माल खरीदते थे और उसे उत्तरी यूरोप में बेचकर काफ़ी धन कमाते थे। उनके व्यापार की मुख्य वस्तु गर्म मसाले थे। कुछ समय पश्चात् पुर्तगाल को स्पेन ने अपने देश में मिला लिया। फलस्वरूप डच व्यापारियों को पुर्तगाल से माल मिलना बन्द हो गया और उन्हें गर्म मसाले प्राप्त करने के लिए अन्य साधन ढूंढने पड़े। 1595 ई० में चार डच जहाज़ आशा अन्तरीप के मार्ग से भारत पहुंचने में सफल हो गए और उनको व्यापार की आशा फिर से बन्ध गई। _

1602 ई० में डचों ने डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। डच संसद् ने इस कम्पनी को व्यापार करने के साथसाथ दुर्ग बनाने, युद्ध तथा सन्धि करने और प्रदेश जीतने का अधिकार भी दे दिया। इस प्रकार भारत में डच शक्ति के विस्तार का आरम्भ हुआ। वे इण्डोनेशिया के गर्म मसाले के द्वीपों-जावा और सुमात्रा में अधिक रुचि लेने लगे। उन्होंने पुर्तगालियों को इण्डोनेशिया से मार भगाया और वहां के व्यापार पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। 1623 ई० में जब अंग्रेजों ने पूर्वी द्वीपों में बसने पर प्रयत्न किया तो डचों ने उसे विफल बना दिया। इस प्रकार डच शक्ति बढ़ती गई और उन्होंने सूरत, भड़ौच, कोचीन, अहमदाबाद, नागापट्टम तथा मसौलीपट्टम में भी अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित कर लिए। बंगाल और बिहार में भी उन्होंने अपने केन्द्र स्थापित किए। वे भारत से कपड़ा, रेशम, शोरा, अफ़ीम तथा नील खरीद कर यूरोप के देशों में बेचने लगे। इस प्रकार भारत में उनकी शक्ति काफ़ी बढ़ गई। परन्तु कुछ एक कारणों से थोड़े ही वर्षों के पश्चात् भारत में उनका पतन हो गया।

III. अंग्रेजी व्यापारिक कम्पनी

पुर्तगाली लोग भारत के व्यापार से खूब धन कमा रहे थे। उन्हें व्यापार करते देखकर अंग्रेज़ों के मन में भी भारत से व्यापार करने की इच्छा उत्पन्न हुई। 1600 ई० में लन्दन के कुछ व्यापारियों ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम से भारत के साथ व्यापार करने का आज्ञा-पत्र प्राप्त किया। आज्ञा -पत्र मिलने पर उन्होंने एक व्यापारिक कम्पनी बनाई और उसका नाम ईस्ट इण्डिया कम्पनी रखा। इस कम्पनी ने जहांगीर के शासन काल में भारत में अपना व्यापार करना आरम्भ कर दिया। इस व्यापार से कम्पनी को खूब धन मिलने लगा और इसकी शक्ति बढ़ने लगी। कुछ ही समय में इसने सूरत, कालीकट, मछलीपट्टम, मुम्बई, कासिम बाज़ार, हुगली, कलकत्ता (कोलकाता) आदि स्थानों पर अपनी व्यापारिक कोठिया स्थापित कर लीं। इस प्रकार भारत में अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी का व्यापार दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा।

IV. फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी

पुर्तगालियों, डचों तथा अंग्रेजों को भारत के साथ व्यापार करता देखकर फ्रांसीसियों के मन में भी इस व्यापार से लाभ उठाने की लालसा जागी। अतः उन्होंने भी 1664 ई० में अपनी व्यापारिक कम्पनी स्थापित कर ली। इस कम्पनी ने सूरत और मसौलीपट्टम में अपनी व्यापारिक बस्तियां बसा लीं। उन्होंने भारत के पूर्वी तट पर पांडीचेरी नगर बसाया और उसे अपनी राजधानी बना लिया। उन्होंने बंगाल में चन्द्रनगर की नींव रखी। 1721 ई० में मारीशस तथा माही पर उनका अधिकार हो गया। इस प्रकार फ्रांसीसियों ने पश्चिमी तट, पूर्वी तट तथा बंगाल में अपने पांव अच्छी तरह जमा लिए और वे अंग्रेजों के प्रतिद्वन्दी बन गए।

1741 ई० में डुप्ले भारत में फ्रांसीसी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल बनकर आया। वह बड़ा कुशल व्यक्ति था और भारत में फ्रांसीसी राज्य स्थापित करना चाहता था। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के बीच संघर्ष होना आवश्यक था। अत: 1744 ई० से 1764 ई० तक के बीस वर्षों में भारत में फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच छिड़ गया। यह संघर्ष कर्नाटक के युद्धों के नाम से प्रसिद्ध है। इन युद्धों में अन्तिम विजय अंग्रेजों की हुई। फ्रांसीसियों के पास केवल पांच बस्तियां- पांडिचेरी, चन्द्रनगर, माही, थनाओ तथा मारीशस ही रह गईं। इन बस्तियों में वे अब केवल व्यापार ही कर सकते थे।

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महत्त्वपूर्ण परीक्षा-शैली प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. उत्तर एक शब्द से एक वाक्य तक

प्रश्न 1.
यूरोप में भारत की मुख्यतः कौन-सी दो वस्तुओं की मांग अधिक थी ?
उत्तर-
कपड़ा तथा गर्म मसाले।

प्रश्न 2.
डच लोग किस देश के रहने वाले थे ?
उत्तर-
हालैंड के।

प्रश्न 3.
कर्नाटक की लड़ाइयां किन दो यूरोपीय कम्पनियों के बीच हुई ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी तथा फ्रांसीसी कम्पनियों के बीच।

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प्रश्न 4.
बक्सर की लड़ाई के बाद बंगाल के दो कठपुतली नवाबों के नाम बताओ।
उत्तर-
मीर जाफर तथा नज़ामुद्दौला।

प्रश्न 5.
सिराजुद्दौला कहां का नवाब था ?
उत्तर-
बंगाल का।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति

(i) पुर्तगाल के लोग ईसाई धर्म के ……….. सम्प्रदाय के अनुयायी थे।
(ii) फ्रांसीसी सेनाओं ने ………….. को कर्नाटक में तथा ………….. को हैदराबाद में गद्दी दिलवाई।
(iii) बुसे एक …………. कमाण्डर था।
(iv) अंग्रेजों को ………….. ई० में बंगाल की दीवानी मिली।
(v) प्लासी की लड़ाई में ……………… की विजय हुई।
उत्तर-
(i) कैथोलिक
(ii) चन्दा साहिब, मुज़फ़्फ़र जंग
(iii) फ्रांसीसी
(iv) 1765
(v) अंग्रेज़ों।

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3. सही गलत कथन

(i) यूरोप के व्यापारी भारत में अपना माल बेचने और बदले में यहां से सोना-चांदी लेने आए थे। — (x)
(ii) अंग्रेज़ और फ्रांसीसी कम्पनियां भारत में तभी लड़ती थीं जब यूरोप में इंग्लैंड और फ्रांस के बीच लड़ाई होती थी। — (√)
(iii) यूरोप की कम्पनियों ने अपनी स्वार्थ-साधना के लिये भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू किया। — (√)
(iv) मीर कासिम प्लासी की लड़ाई के बाद बंगाल का नवाब बना। — (x)
(v) मुग़ल बादशाह और अवध तथा बंगाल के नवाबों ने इलाहाबाद में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ संधि पर हस्ताक्षर किए। — (√)

4. बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न (i)
किस लड़ाई के पश्चात् बंगाल पर पूरी तरह अंग्रेजों का अधिकार हो गया ?
(A) प्लासी की लड़ाई
(B) कर्नाटक की तीसरी लड़ाई
(C) पानीपत की तीसरी लड़ाई
(D) बक्सर की लड़ाई।
उत्तर-
(D) बक्सर की लड़ाई।

प्रश्न (ii)
भारत में अंग्रेजी राज्य का संस्थापक किसे माना जाता है ?
(A) क्लाइव
(B) लॉर्ड वेलेजली
(C) लॉर्ड डल्हौज़ी
(D) लॉर्ड कार्नवालिस।
उत्तर-
(A) क्लाइव

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प्रश्न (iii)
डुप्ले कौन था ?
(A) अंग्रेज गवर्नर-जनरल
(B) फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल
(C) डच गवर्नर-जनरल
(D) पुर्तगाली गवर्नर-जनरल।
उत्तर-
(B) फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल

प्रश्न (iv)
प्लासी की लड़ाई के बाद बंगाल का नवाब बना-
(A) सिराजुद्दौला
(B) अली वर्दी खां
(C) मीर जाफर
(D) क्लाइव।
उत्तर-
(C) मीर जाफर

प्रश्न (v)
फैक्ट्री से अभिप्राय है-
(A) व्यापारिक केन्द्र
(B) विशाल बाज़ार
(C) बड़ा रेलवे प्लेटफार्म
(D) लगान वसूली केन्द्र।
उत्तर-
(A) व्यापारिक केन्द्र

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॥. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में यूरोपीयों की व्यापारिक तथा राजनीतिक गतिविधियों के बारे में जानकारी के चार मुख्य स्रोतों के नाम बताएं।
उत्तर-
भारत में यूरोपीयों के व्यापारिक तथा राजनीतिक गतिविधियों के बारे में जानकारी हमें यूरोपीय कम्पनियों के रिकार्डों, यूरोपीय यात्रियों के वृत्तान्तों, व्यापारिक बस्तियों की इमारतों तथा तस्वीरों से प्राप्त होती है।

प्रश्न 2.
अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारिक रिकार्ड किस नाम से जाने जाते हैं तथा ये कहां उपलब्ध
उत्तर-
अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापारिक रिकार्ड फैक्टरी रिकार्ड के नाम से जाने जाते हैं। ये भारत तथा इंग्लैण्ड में उपलब्ध हैं।

प्रश्न 3.
यूरोप में भारत की मुख्यतः किन दो वस्तुओं की मांग थी ?
उत्तर-
यूरोप में भारत के सूती कपड़े तथा गर्म मसाले की बहुत मांग थी।

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प्रश्न 4.
यूरोप तथा भारत में स्थलमार्ग कितना लम्बा था तथा भूमध्य सागर किस देश के व्यापारियों के नियन्त्रण में था ?
उत्तर-
यूरोप तथा भारत में स्थल मार्ग दस हजार किलोमीटर से भी अधिक लम्बा था। भूमध्य सागर पर इटली के नगर वेनिस के व्यापारियों का नियन्त्रण था।

प्रश्न 5.
जहाजरानी के लिए विशेष विद्यालय यूरोप के किस देश में स्थापित किया गया ? अफ्रीका के दक्षिणी इलाके से होता हुआ कौन-सा यूरोपीय कप्तान हिन्द महासागर में पहुंचा ?
उत्तर-
जहाजरानी के लिए विशेष विद्यालय पुर्तगाल में स्थापित किया गया। बार्थोलोम्यू डायज अफ्रीका के दक्षिणी किनारे से होता हुआ हिन्द महासागर में पहुंचा।

प्रश्न 6.
भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचने वाला पहला यूरोपीय कौन था तथा वह कब और कहाँ पहुँचा ?
उत्तर-
भारत के पश्चिमी तट पर पहुंचने वाला पहला यूरोपीय वास्कोडिगामा था। वह 1498 में कालीकट पहुंचा।

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प्रश्न 7.
पुर्तगाल के लोग ईसाई धर्म के किस सम्प्रदाय के अनुयायी थे तथा वे किसको अपना धार्मिक नेता मानते थे?
उत्तर-
पुर्तगाल के लोग रोमन कैथोलिक सम्प्रदाय के अनुयायी थे। वे पोप को अपना धार्मिक नेता मानते थे।

प्रश्न 8.
पोप ने 1454 की घोषणा द्वारा विश्व को किन दो यूरोपीय देशों में बाँट दिया ?
उत्तर-
पोप ने 1454 की घोषणा द्वारा विश्व को पुर्तगाल और स्पेन में बाँट दिया।

प्रश्न 9.
भारत में पुर्तगालियों के चार महत्त्वपूर्ण केन्द्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत में पुर्तगालियों के चार महत्त्वपूर्ण केन्द्र गोआ, दीव, दमन तथा दादर थे।

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प्रश्न 10.
पुर्तगालियों ने भारत से बाहर कौन-से चार व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए थे ?
उत्तर-
पुर्तगालियों ने भारत से बाहर लाल सागर में सकोत्रा, ईरान की खाड़ी में उरमज, दक्षिणी-पूर्वी एशिया में मलक्का तथा चीन में मकाओ नामक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए हुए थे।

प्रश्न 11.
किस महाद्वीप में कौन-से देश की खोज से पुर्तगालियों की भारत में रुचि कम हुई ?
उत्तर-
दक्षिणी अमेरिका में ब्राजील की खोज से पुर्तगालियों की रुचि भारत में कम हो गई।

प्रश्न 12.
डच लोग किस देश के रहने वाले थे और उनका बेड़ा दक्षिणी-पूर्वी एशिया में कब पहुंचा ?
उत्तर-
डच लोग हॉलैण्ड के रहने वाले थे। 1595 में उनका बेड़ा दक्षिणी-पूर्वी एशिया में पहुंचा।

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प्रश्न 13.
डच लोगों के व्यापारिक संगठन का क्या नाम था तथा यह कब बना ?
उत्तर-
डच लोगों के व्यापारिक संगठन का नाम यूनाइटिड ईस्ट इण्डिया कम्पनी था। यह संगठन 1602 में बना था।

प्रश्न 14.
डच लोगों ने भारत में कौन-से चार व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए ?
उत्तर-
डच लोगों ने भारत में कोचीन, सूरत, नागपट्टम, पुलीकट नामक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए।

प्रश्न 15.
अंग्रेजों के व्यापारिक संगठन का नाम क्या था तथा यह कब बना ?
उत्तर-
अंग्रेजों के व्यापारिक संगठन का नाम ईस्ट इण्डिया कम्पनी था। यह संगठन 1600 में बना।

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प्रश्न 16.
भारत आने से पहले अंग्रेजों ने अपना व्यापार कहां आरम्भ किया तथा किस विशेष घटना के बाद उन्होंने भारत की ओर अधिक ध्यान दिया ?
उत्तर-
भारत में आने से पहले अंग्रेजों ने अपना व्यापार दक्षिणी-पूर्वी एशिया में आरम्भ किया। अंबोओना की अंग्रेज़ी फैक्टरी पर डचों का अधिकार होने तथा अंग्रेजों की हत्या होने के पश्चात् अंग्रेजों ने भारत की ओर अधिक ध्यान दिया।

प्रश्न 17.
मुग़ल बादशाह जहांगीर के दरबार में किस अंग्रेज़ प्रतिनिधि ने तथा कब व्यापारिक छूट को प्राप्त करने का असफल प्रयत्न किया ?
उत्तर-
मुग़ल बादशाह जहांगीर के दरबार में कप्तान विलियम हाकिन्ज ने 1607-11 में व्यापारिक छूट प्राप्त करने का असफल प्रयत्न किया।

प्रश्न 18.
अंग्रेजी कम्पनी का कौन-सा प्रतिनिधि किस मुगल बादशाह से किस वर्ष में व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल रहा ?
उत्तर-
अंग्रेज़ प्रतिनिधि सर टामस रो 1618 में मुगल बादशाह जहांगीर से व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल रहा।

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प्रश्न 19.
फैक्टरी से क्या अभिप्राय है तथा अंग्रेजों ने अपनी आरम्भिक फैक्टरियां किन चार स्थानों में स्थापित की ?
उत्तर-
फैक्टरी से अभिप्राय व्यापारिक केन्द्र से है। अंग्रेजों ने आरम्भिक फैक्टरियां सूरत, अहमदाबाद, अड़ौच तथा आगरा में स्थापित की।

प्रश्न 20.
अंग्रेज़ कम्पनी का प्रमुख कार्यालय पहले कहां स्थापित हुआ तथा बाद में इसे किस स्थान पर बना दिया गया ?
उत्तर-
अंग्रेज़ कम्पनी का प्रमुख कार्यालय सूरत में स्थापित हुआ था। परन्तु बाद में इसे बम्बई (मुम्बई) में बना दिया गया।

प्रश्न 21.
अंग्रेज कम्पनी की मद्रास (चेन्नई) व कलकत्ता (कोलकाता) की फैक्टरियां कब स्थापित हुई ?
उत्तर-
1640 में मद्रास (चेन्नई) की फैक्टरी तथा 1690 में कलकत्ता (कोलकाता ) की फैक्टरी स्थापित हुई।

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प्रश्न 22.
अंग्रेज़ भारत से किन चार वस्तुओं को बाहर भेजते थे ?
उत्तर-
अंग्रेज़ नील, चीनी, गर्म मसाला तथा अफ़ीम भारत से बाहर भेजते थे।

प्रश्न 23.
अंग्रेज़ यूरोप से भारत में कौन सी-चार वस्तुएं बेचने के लिए लाते थे ?
उत्तर-
अंग्रेज़ कलई, सिक्का, पारा तथा कपड़ा यूरोप से भारत में बेचने के लिए लाते थे।

प्रश्न 24.
अंग्रेजों को बंगाल में बिना महसूल व्यापार करने का अधिकार किस मुगल बादशाह से तथा कब मिला ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी के दूसरे दशक में मुगल बादशाह फर्रुखसियर ने अंग्रेजों को बंगाल में बिना कर दिए व्यापार करने का अधिकार दे दिया था।

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प्रश्न 25.
किस यूरोपीय देश ने सबसे अन्त में तथा कब अपनी व्यापारिक कम्पनी स्थापित की ?
उत्तर-
यूरोपीय देशों में सबसे अन्त में फ्रांस ने व्यापारिक कम्पनी स्थापित की। यह कम्पनी 1664 में स्थापित हुई।

प्रश्न 26.
फ्रांसीसियों की मुख्य दो फैक्टरियां कौन-सी थीं तथा ये कब स्थापित की गईं ?
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने अपनी दो मुख्य फैक्टरियां 1674 में पांडिचेरी में तथा 1690 में चन्द्रनगर में स्थापित की।

प्रश्न 27.
1725 के बाद फ्रांसीसियों ने भारत में अन्य कौन-सी दो बस्तियां स्थापित की ?
उत्तर-
1725 के बाद फ्रांसीसियों ने माही तथा कारीकल के स्थान पर बस्तियां स्थापित की।

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प्रश्न 28.
फ्रांसीसी कम्पनी ने किन दो महत्त्वपूर्ण अफ़सरों के अधीन उन्नति की तथा इनमें कौन तथा कब कम्पनी का गवर्नर जनरल बना ?
उत्तर-
फ्रांसीसी कम्पनी ने डूमा तथा डुप्ले के अधीन बहुत उन्नति की। 1741 में डुप्ले कम्पनी का गवर्नर-जनरल बना।

प्रश्न 29.
यूरोप में किस देश के राज्य सिंहासन के युद्ध के साथ कर्नाटक की पहली लड़ाई आरम्भ हुई तथा यह यूरोप में किस सन्धि द्वारा समाप्त हुई ?
उत्तर-
यूरोप में आस्ट्रिया के राजसिंहासन के युद्ध के साथ कर्नाटक की पहली लड़ाई आरम्भ हुई। यह लड़ाई 1748 मे एक्स-ला-शैपल की सन्धि के द्वारा समाप्त हुई।।

प्रश्न 30.
कर्नाटक की पहली लड़ाई किन दो यूरोपीय कम्पनियों के बीच लड़ी गई तथा उसमें किस कम्पनी का पलड़ा भारी रहा ?
उत्तर-
कर्नाटक की पहली लड़ाई अंग्रेज़ी तथा फ्रांसीसी कम्पनियों के बीच लड़ी गई। इसमें ईस्ट इण्डिया कम्पनी का पलड़ा भारी रहा।

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प्रश्न 31.
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई के दौरान फ्रांसीसियों ने किन दो भारतीय राज्यों के झगड़ों में भाग लेने का निश्चय किया ?
उत्तर-
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई के दौरान फ्रांसीसियों ने हैदराबाद तथा कर्नाटक के राज्यों के झगड़ों में भाग लेने का निश्चय किया।

प्रश्न 32.
फ्रांसीसी सेनाओं ने कर्नाटक तथा हैदराबाद में किन दो व्यक्तियों को गद्दी दिलाई ?
उत्तर-
फ्रांसीसी सेनाओं ने चन्दा साहिब को कर्नाटक में तथा मुजफ्फर जंग को हैदराबाद में गद्दी दिलवाई।

प्रश्न 33.
कौन-सा फ्रांसीसी अफ़सर हैदराबाद में रहने लग गया तथा निजाम ने कौन-सा इलाका फ्रांसीसियों को दे दिया।
उत्तर-
फ्रांसीसी कमाण्डर बुसे हैदराबाद में रहने लगा। निजाम ने ‘उत्तरी सरकारों’ का इलाका फ्रांसीसियों को दे दिया।

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प्रश्न 34.
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों ने मुहम्मद अली की सहायता किस भारतीय शासक के विरुद्ध की तथा इसके लिए किस अंग्रेज़ को भेजा गया ?
उत्तर-
कर्नाटक की दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों ने मुहम्मद अली की सहायता चन्दा साहिब के विरुद्ध की। मुहम्मद अली की सहायता के लिए राबर्ट क्लाइव को भेजा गया।

प्रश्न 35.
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई यूरोप के किस युद्ध के साथ जुड़ी हुई थी तथा यह कब आरम्भ हुआ एवं कब समाप्त हुआ ?
उत्तर-
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई यूरोप के सप्त-वर्षीय युद्ध के साथ जुड़ी हुई थी। यह युद्ध 1756 में आरम्भ हुआ तथा 1763 में समाप्त हुआ।

प्रश्न 36.
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई में किस अंग्रेज़ कमाण्डर ने कौन-से फ्रांसीसी गर्वनर-जनरल को हराया तथा कौन-से फ्रांसीसी जनरल को कैद किया ?
उत्तर-
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई में अंग्रेज़ी कमाण्डर आयर कूट ने फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल काऊंट लाली को परास्त किया। उसने फ्रांसीसी जनरल बुसे को कैद कर लिया।

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प्रश्न 37.
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों के किन दो मुख्य केन्द्रों पर अधिकार कर लिया ?
उत्तर-
कर्नाटक की तीसरी लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों के दो मुख्य केन्द्रों पांडिचेरी तथा चन्द्र नगर पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 38.
सिराजुद्दौला कहां का शासक था तथा इसने किस अंग्रेज़ी फैक्टरी पर तथा कब आक्रमण किया ?
उत्तर-
सिराजुद्दौला बंगाल का शासक था। उसने कलकत्ता (कोलकाता) की अंग्रेज़ी फैक्टरी पर 1756 में आक्रमण किया।

प्रश्न 39.
किन दो अंग्रेज अफसरों ने कलकत्ता (कोलकाता) पर दोबारा आक्रमण किया तथा कब ?
उत्तर-
एडमिरल वाटसन तथा राबर्ट क्लाइव ने 1757 में दोबारा कलकत्ता (कोलकाता) पर आक्रमण कर दिया।

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प्रश्न 40.
प्लासी की लड़ाई कब तथा किनके बीच हुई ?
उत्तर–
प्लासी की लड़ाई 23 जून, 1757 को सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच हुई।

प्रश्न 41.
प्लासी की लड़ाई के बाद बनाए गए बंगाल के दो नवाबों के नाम बताएं।
उत्तर-
प्लासी की लड़ाई के बाद मीर जाफर तथा मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया गया।

प्रश्न 42.
बक्सर की लड़ाई कब और किनके बीच लड़ी गई ?
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई 22 अक्तूबर, 1764 को हुई। यह लड़ाई अंग्रेजों तथा मीर कासिम के बीच हुई।

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प्रश्न 43.
बक्सर की लड़ाई के बाद बंगाल के दो कठपुतली नवाबों के नाम बताएं।
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई के बाद मीर जाफर तथा नजामुद्दौला को बंगाल का कठपुतली नवाब बनाया गया।

प्रश्न 44.
किस अंग्रेज अफसर ने किस मुग़ल बादशाह से तथा कब बंगाल की दीवानी के अधिकार प्राप्त किए ?
उत्तर-
क्लाइव ने मुग़ल बादशाह शाहआलम द्वितीय से 1765 में बंगाल की दीवानी के अधिकार प्राप्त किए।

प्रश्न 45.
दीवानी के बदले अंग्रेजों ने मुगल बादशाह को क्या देना स्वीकार कर लिया ?
उत्तर-
दीवानी के बदले अंग्रेजों ने मुग़ल बादशाह को 26 लाख रुपया वार्षिक खिराज देना स्वीकार कर लिया।

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प्रश्न 46.
दीवानी के अन्तर्गत अंग्रेजों को कौन-से दो कार्यों का दायित्व मिला तथा उन्होंने यह किसको सौंप दिया ?
उत्तर-
दीवानी के अन्तर्गत अंग्रेजों को लगान वसूल करने तथा न्याय करने का दायित्व मिल गया। उन्होंने इस दायित्व को मुहम्मद रज़ा खां को सौंप दिया।

II. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में पुर्तगालियों ने अपनी शक्ति किन परिस्थितियों में स्थापित की ?
उत्तर-
यूरोप के देश भारत के साथ अपने व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने के बड़े इच्छुक थे। सबसे पहले 1498 ई० में पुर्तगाल के एक नाविक वास्कोडिगामा ने भारत का नया समुद्री मार्ग खोज निकाला। इसके कुछ समय बाद ही पुर्तगालियों ने भारत के साथ व्यापार करना आरम्भ कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपने अनेक उपनिवेश स्थापित कर लिये। 1509 ई० में अल्बुकर्क पुर्तगालियों का गवर्नर बनकर भारत आया। वह भारत में पुर्तगाली राज्य स्थापित करना चाहता था। थोड़े ही समय में उसने बीजापुर तथा मलाया पर अपना अधिकार कर लिया। उसने गोवा को अपनी राजधानी बनाया। पुर्तगालियों ने बड़ी तेज़ी से अपनी शक्ति को बढ़ाया। सोलहवीं शताब्दी में उन्होंने हिन्द महासागर की अनेक बन्दरगाहों पर अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 2.
भारत में पुर्तगालियों की शक्ति कम होने के क्या कारण थे ?
उत्तर-
1580 ई० में पुर्तगाल स्पेन के साथ मिल गया। स्पेन ने पुर्तगाल के उपनिवेशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि गोवा, दियू और दमन को छोड़कर शेष सभी उपनिवेश उनसे छिन गए। धीरे-धीरे उनकी शक्ति का पूरी तरह पतन हो गया। उनके पतन के अनेक कारण थे। (1) पुर्तगाली अधिकारियों का अपनी मुस्लिम प्रजा से व्यवहार अच्छा न था। (2) वे लोगों को बलपूर्वक ईसाई बनाना चाहते थे। इस कारण लोग उनसे घृणा करने लगे। (3) अल्बुकर्क के पश्चात् कोई योग्य पुर्तगाली गवर्नर भारत न आया। (4) 1580 ई० में स्पेन ने पुर्तगाल को जीत कर अपने राज्य में मिला लिया। इस कारण पुर्तगाल भारत में अपने उपनिवेशों की रक्षा न कर सका।

प्रश्न 3.
भारत में अंग्रेजी कम्पनी के व्यापारिक केन्द्रों तथा व्यापार के बारे में बताएं।
उत्तर-
पुर्तगाली लोग भारत के व्यापार से खूब धन कमा रहे थे। उन्हें व्यापार करते देखकर अंग्रेजों के मन में भी भारत से व्यापार करने की इच्छा उत्पन्न हुई। 1600 में अंग्रेजों ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। इस कम्पनी ने जहांगीर के शासन काल में भारत में अपना व्यापार करना आरम्भ कर दिया। इस व्यापार से कम्पनी को खूब धन मिलने लगा और इसकी शक्ति बढ़ने लगी। कुछ ही समय में इसने सूरत, कालीकट, मछलीपट्टम, बम्बई (मुम्बई), कासिम बाज़ार, हुगली, कलकत्ता (कोलकाता) आदि स्थानों पर अपनी व्यापारिक कोठियां स्थापित कर लीं। इस प्रकार भारत में अंग्रेजी व्यापारिक कम्पनी का व्यापार दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला गया।

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प्रश्न 4.
फ्रांसीसी कम्पनी के विरुद्ध अंग्रेजी कम्पनी की सफलता के क्या कारण थे ?
उत्तर-
फ्रांसीसी कम्पनी के विरूद्ध अंग्रेजी कम्पनी की सफलता के मुख्य कारण ये थे
(1) अंग्रेजों के पास फ्रांसीसियों से अधिक शक्तिशाली जहाज़ी बेड़ा था।
(2) इंग्लैण्ड की सरकार अंग्रेज़ी कम्पनी की धन से सहायता करती थी। परन्तु फ्रांसीसी सरकार फ्रांसीसियों की सहायता नहीं करती थी।

(3) अंग्रेजी कम्पनी की आर्थिक दशा फ्रांसीसी कम्पनी से काफ़ी अच्छी थी। अंग्रेज़ कर्मचारी बड़े मेहनती थे और आपस में मिल-जुल कर काम करते थे। राजनीतिक में भाग लेते हुए भी अंग्रेजों ने व्यापार का पतन न होने दिया। इसके विपरीत फ्रांसीसी एक-दूसरे के साथ द्वेष रखते थे तथा राजनीति में ही अपना समय नष्ट कर देते थे।

(4) प्लासी की लड़ाई (1756 ई०) के बाद बंगाल का धनी प्रदेश अंग्रेज़ों के प्रभाव में आ गया था। यहां के अपार धन से अंग्रेज़ अपनी सेना को खूब शक्तिशाली बना सकते थे।।

प्रश्न 5.
प्लासी की लड़ाई के क्या कारण थे तथा इसका क्या परिणाम निकला ?
उत्तर–
प्लासी की लड़ाई 1757 ई० में अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य हुई। उनमें कई बातों के कारण अनबन रहती थी जो प्लासी की लड़ाई का कारण बनी। सिराजुद्दौला 1756 ई० में बंगाल का नवाब बना। अंग्रेजों ने इस शुभ अवसर पर उसे कोई उपहार नहीं दिया। इसके कारण नवाब अंग्रेजों से रुष्ट हो गया। अंग्रेजी कम्पनी को 1715 ई० में करमुक्त व्यापार करने के लिए आज्ञा-पत्र मिला था, परन्तु कम्पनी के कर्मचारी अपने निजी व्यापार के लिए इसका प्रयोग करने लगे थे। नवाब यह बात सहन नहीं कर सकता था। अंग्रेज़ों ने कलकत्ता (कोलकाता) की किलेबन्दी आरम्भ कर दी थी। यह बात भी प्लासी के युद्ध का कारण बनी।

परिणाम-प्लासी के युद्ध के महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले-

  • सिराजुद्दौला के स्थान पर मीर जाफर बंगाल का नवाब बना। नया नवाब अंग्रेजों का आभारी था और उनकी इच्छा का दास था।
  • नये नवाब ने कम्पनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में खुला व्यापार करने की आज्ञा दे दी।
  • अंग्रेज़ों को बहुत धन मिला। नवाब ने कम्पनी के कर्मचारियों को उपहार दिए।
  • कम्पनी को कलकत्ता(कोलकाता) के समीप 24 परगना के क्षेत्र की ज़मींदारी मिल गई।

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प्रश्न 6.
बक्सर की लड़ाई के क्या कारण थे तथा इसका क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर-
बक्सर का युद्ध 1764 ई० में बंगाल के नवाब मीर कासिम तथा अंग्रेजों के बीच आपसी झगड़ों का परिणाम था। उनमें अनेक बातों के कारण अनबन रहती थी। मीर कासिम एक योग्य शासक था। वह अंग्रेज़ों की दृष्टि से बचकर अपनी स्थिति दृढ़ करना चाहता था। इसके लिए वह अपना कोष कलकत्ता (कोलकाता) से मुंगेर ले गया। उसने अपनी सेना को फिर से संगठित किया। इन बातों से अंग्रेजों के मन में मीर कासिम के प्रति सन्देह बढ़ने लगे।

बंगाल में केवल कम्पनी को बिना कर दिये व्यापार करने की आज्ञा थी परन्तु कम्पनी के कर्मचारी आज्ञा-पत्र की आड़ में अपना तथा भारतीय व्यापारियों का माल भी कर दिए बिना ले जाने का यत्न करने लगे। नवाब ने इस बात का प्रयत्न किया कि अंग्रेज़ व्यापारिक अधिकारों का दुरुपयोग न करें। अंग्रेजों को यह बात अच्छी न लगी। इसलिए वे नवाब से युद्ध छेड़ने का बहाना ढूँढने लगे।

परिणाम- वास्तव में बक्सर के युद्ध का बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व है। इस युद्ध के कारण बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में अंग्रेज़ों की स्थिति काफ़ी दृढ़ हो गई। बक्सर की विजय ने प्लासी के अधूरे काम को पूरा कर दिया।

प्रश्न 7.
अंग्रेजों ने बंगाल की दीवानी किस तरह प्राप्त की तथा इसका क्या महत्त्व था ?
उत्तर-
अंग्रेज़ बंगाल के नवाब मीर कासिम को गद्दी से हटाना चाहते थे। उनके बीच 22 अक्तूबर, 1764 ई० को बक्सर का युद्ध हुआ। इसमें जीत अंग्रेजों की हुई। अब नये सिरे से मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया गया। 1765 ई० में मीर जाफर की मृत्यु हो गई और उसका पुत्र नज़ामुद्दौला नवाब बना दिया गया। परन्तु उसकी स्थिति तो कठपुतली सी भी न रही।

क्लाइव ने शाहआलम द्वितीय को इलाहाबाद और उसके आस-पास का इलाका देकर तथा 26 लाख रुपया वार्षिक खिराज देना स्वीकार करके मुग़ल बादशाह से बंगाल की ‘दीवानी’ के अधिकार ले लिए। इससे लगान वसूल करना और न्याय आदि का काम भी अंग्रेजों को मिल गया। इस प्रकार अंग्रेजों ने यह कार्य मुहम्मद रजा खां को सौंप दिया। बंगाल का नवाब अब नाममात्र का नवाब रह गया। सारा प्रशासन मुहम्मद रज़ा खां के हाथों में था और मुहम्मद रज़ा खां अंग्रेज़ों के हाथों की कठपुतली बन गया। इस प्रकार बंगाल का राज्य अंग्रेज़ों के अधिकार में आ गया।

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प्रश्न 8.
भारत में डच शक्ति के उत्थान की व्याख्या करो।।
उत्तर-
डच व्यापारी हालैण्ड के निवासी थे। वे पुर्तगाल से पूर्वी देशों का माल खरीदते थे और उसे उत्तरी यूरोप में बेच कर काफ़ी धन कमाते थे। उनके व्यापार की मुख्य वस्तु गर्म मसाले थे। कुछ समय पश्चात् पुर्तगाल को स्पेन ने अपने देश में मिला लिया। फलस्वरूप डच व्यापारियों को पुर्तगाल से माल मिलना बन्द हो गया। 1602 ई० में डचों ने डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। डच पार्लियामैण्ट ने इस कम्पनी को व्यापार करने के साथ-साथ दुर्ग बनाने, युद्ध तथा सन्धि करने और प्रदेश जीतने का अधिकार भी दे दिया। वे इण्डोनेशिया के गर्म मसाले के द्वीपों-जावा और सुमात्रा में अधिक रुचि लेने लगे। उन्होंने पुर्तगालियों को इण्डोनेशिया से मार भगाया और वहां के व्यापार पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। 1623 ई० में जब अंग्रेज़ों ने पूर्वी द्वीपों में बसने का प्रयत्न किया, तो डचों ने उसे विफल बना दिया। इस प्रकार डच शक्ति बढ़ती गई और उन्होंने सूरत, भड़ौच, कोचीन, अहमदाबाद, नागोपट्टम तथा मसौलीपट्टम में अपने व्यापारिक केन्द्र स्थापित कर लिये।

प्रश्न 9.
दक्षिणी भारत में फ्रांसीसी शक्ति स्थापित करने की डुप्ले की योजना क्यों असफल हो गई ?
उत्तर-
दक्षिणी भारत में फ्रांसीसी शक्ति स्थापित करने की डुप्ले की योजना अनेक कारणों से असफल रही। स्वयं योग्य . होते हुए भी परिस्थितियों तथा भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया। फ्रांस की सरकार ने उसकी पूर्ण आर्थिक सहायता नहीं की। यद्यपि उसने भारत में अंग्रेजों को पराजित कर दिया, तो भी फ्रांसीसी सरकार ने इंग्लैण्ड से सन्धि करते समय डुप्ले की सफलता पर पानी फेर दिया। सन्धि के अनुसार डुप्ले को विजित प्रदेश तथा कैदी लौटाने पड़े। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी अधिकारी एकदूसरे से लड़ते-झगड़ते रहते थे। अंग्रेजों की समुद्री शक्ति ने भी उसकी योजना को विफल बना दिया।

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प्रश्न 10.
भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के इतिहास में क्लाइव को एक महत्त्वपूर्ण स्थान क्यों दिया जाता है ?
अथवा
भारत में क्लाइव को अंग्रेज़ी राज्य का संस्थापक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
क्लाइव अंग्रेजी साम्राज्य के लिए वरदान सिद्ध हुआ। इस अकेले व्यक्ति ने जो कुछ किया वे भारत में विद्यमान सारे अंग्रेज़ अधिकारी न कर सके। यदि कर्नाटक के दूसरे युद्ध में क्लाइव ने अर्काट के घेरे की सलाह न दी होती, तो भारत के अंग्रेजी साम्राज्य का अस्तित्व ही नष्ट हो जाता। इस युद्ध के बाद अंग्रेज़ एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभरे जिसका पूर्ण श्रेय क्लाइव को जाता है। इसलिए इसे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक भी कहा जाता है। उसने अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए बंगाल को विजय किया, द्वैध शासन द्वारा प्रशासनिक ढांचे की नींव रखी और बंगाल में डचों की शक्ति को समाप्त किया। उसने इलाहाबाद की सन्धि द्वारा कम्पनी के लिए बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी प्राप्त की और मुग़ल सम्राट को कम्पनी का पेन्शनर बना दिया। इसी कारण इसे अंग्रेजी साम्राज्य के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

IV. निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण भारत में अंग्रेज़ फ्रांसीसी संघर्ष अथवा कर्नाटक की लड़ाइयों का संक्षिप्त वर्णन करें।
अथवा
कर्नाटक के तीनों युद्धों का अलग-अलग वर्णन करते हुए उनके कारणों, घटनाओं तथा परिणामों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
1744 से 1763 ई० तक दक्षिणी भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच एक लम्बा संघर्ष हुआ। उनके बीच तीन युद्ध हुए जो कर्नाटक के युद्धों के नाम से प्रसिद्ध हैं।

1. कनाटक का पहला युद्ध –

कर्नाटक का पहला युद्ध 1746 से 1748 ई० तक हुआ। इस युद्ध का वर्णन इस प्रकार है :-
कारण-

  • यूरोप में इंग्लैण्ड तथा फ्रांस के बीच घोर शत्रुता थी। इसलिए भारत में भी ये दोनों जातियां एक-दूसरे को अपना शत्रु समझती थीं।।
  • अंग्रेज़ और फ्रांसीसी दोनों ही भारत के सारे व्यापार पर अपना-अपना अधिकार करना चाहते थे। इसलिए दोनों एकदूसरे को भारत से बाहर निकालने का प्रयत्न करने लगे।
  • इसी बीच इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच युद्ध छिड़ गया। परिणामस्वरूप भारत में भी अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में लड़ाई शुरू हो गई।

घटनाएं-1745 ई० में अंग्रेज़ी जल सेना ने एक फ्रांसीसी बेड़े पर अधिकार कर लिया और पांडिचेरी पर आक्रमण करने का प्रयास किया। बदला लेने के लिए फ्रांसीसी गवर्नर-जनरल डुप्ले ने 1746 ई० में मद्रास (चेन्नई) पर अधिकार कर लिया। क्योंकि मद्रास, (चेन्नई) कर्नाटक, राज्य में स्थित था, इसलिए अंग्रेजों ने कर्नाटक के नवाब से रक्षा की प्रार्थना की। नवाब ने युद्ध रोकने के लिए 10 हजार सैनिक भेज दिए। इस सेना का सामना फ्रांसीसियों की एक छोटी-सी सैनिक टुकड़ी से हुआ। फ्रांसीसी सेना ने नवाब की सेनाओं को बुरी तरह पराजित किया। 1748 ई० में यूरोप में युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में भी दोनों जातियों के बीच युद्ध समाप्त हो गया।

परिणाम-

  • इस युद्ध में फ्रांसीसी विजयी रहे। फलस्वरूप भारत में उनकी शक्ति की धाक जम गई।
  • युद्ध की समाप्ति पर दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के विजित प्रदेश लौटा दिए।

2. कर्नाटक का दूसरा युद्ध-
कारण-(1) अंग्रेज़ तथा फ्रांसीसी दोनों ही भारत में साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे। वे एक-दूसरे को भारत से बाहर निकालना चाहते थे।
(2) हैदराबाद तथा कर्नाटक के राज्यों की स्थिति के कारण भी कर्नाटक का दूसरा युद्ध हुआ। इन दोनों राज्यों में राजगद्दी के लिए दो-दो प्रतिद्वन्दी खड़े हो गये। हैदराबाद में नासिर जंग तथा मुज़फ्फर जंग और कर्नाटक में अनवरुद्दीन तथा चन्दा साहिब। फ्रांसीसी सेना नायक इप्ले ने मुजफ्फर जंग और चन्दा साहिब का साथ दिया और उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया। बाद में मुज़फ्फर जंग की मृत्यु पर निजाम के तीसरे पुत्र सलाबत जंग को हैदराबाद की राजगद्दी पर बिठाया गया। चन्दा साहिब का विरोधी अनवरुद्दीन लड़ता हुआ मारा गया और उसके पुत्र मुहम्मद अली को। त्रिचनापल्ली में घेर लिया गया। फलस्वरूप चन्दा साहिब ने फ्रासीसियों को बहुतसा धन तथा प्रदेश दिए। मुजफ्फर जंग से भी फ्रांसीसियों को काफ़ी सारा धन प्राप्त हुआ था। इस प्रकार भारत में उनका प्रभाव बढ़ने लगा।

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(3) फ्रांसीसी प्रभाव को बढ़ते देखकर अंग्रेज़ों को ईर्ष्या हुई। उन्होंने शीघ्र ही अनवरुद्दीन के पुत्र मुहम्मद अली का साथ दिया और युद्ध-क्षेत्र में उत्तर आये।

घटनाएं-अंग्रेजों ने सर्वप्रथम मुहम्मद अली को छुड़ाने का प्रयत्न किया। इस काम के लिए कम्पनी के एक क्लर्क क्लाइव ने चन्दा साहिब की राजधानी अर्काट को घेरे में लेने का सुझाव दिया। ज्यों ही अंग्रेजी सेनाओं ने अर्काट को घेरे में ले लिया, चन्दा साहिब को चिन्ता हुई। उसने शीघ्र ही त्रिचनापल्ली का घेरा उठा लिया। इसी बीच क्लाइव ने अर्काट को भी जीत लिया। फ्रांसीसी सेनाओं को कई अन्य स्थानों पर भी पराजित किया गया। चन्दा साहिब को बन्दी बना लिया गया और उसका वध पर दिया गया। शीघ्र ही फ्रांसीसियों ने युद्ध को बन्द करने की घोषणा कर
दी।

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परिणाम-

  • दोनों जातियों ने एक-दूसरे के जीते हुए प्रदेश लौटा दिए।
  • उन्होंने एक-दूसरे को भविष्य में देशी नरेशों के झगड़ों में भाग न लेने का वचन दिया।
  • इस युद्ध के कारण भारत में फ्रांसीसियों की प्रतिष्ठा कम हो गई।

3. कर्नाटक का तीसरा युद्ध-

कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० से 1763 ई० तक लड़ा गया। दूसरे युद्ध की भान्ति इस युद्ध में भी फ्रांसीसी पराजित हुए और अंग्रेज़ विजयी रहे।

कारण-1756 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच यूरोप में एक बार फिर युद्ध (सप्तवर्षीय) युद्ध छिड़ गया। परिणाम यह हुआ कि भारत में भी फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया।

घटनाएं-फ्रांसीसी सेनापति काऊंट लाली ने अंग्रेज़ों के किले सेंट डेविड पर अपना अधिकार कर लिया। फिर उसने मद्रास (चेन्नई) पर आक्रमण किया; परन्तु वहां उसे पराजय का मुंह देखना पड़ा। 1760 ई० में एक अंग्रेज़ सेनापति आयरकूट ने भी वन्देवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया। इसके तीन वर्ष बाद पेरिस की सन्धि के अनुसार यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में भी दोनों जातियों का युद्ध समाप्त हो गया।

परिणाम-

  • फ्रांसीसियों की शक्ति लगभग नष्ट हो गई। उनके पास अब केवल पांडिचेरी, माही तथा चन्द्रनगर के प्रदेश ही रहने दिए गए। वे इन प्रदेशों में केवल व्यापार कर सकते थे।
  • अंग्रेज़ भारत की सबसे बड़ी शक्ति बन गए। अब भारत में उनके साथ टक्कर लेने वाली कोई यूरोपियन जाति न रही।

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प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेज़ों की सफलता तथा फ्रांसीसियों की असफलता के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
भारत में अंग्रेज़ों की सफलता तथा फ्रांसीसियों की असफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे
1. अंग्रेज़ों का शक्तिशाली बेड़ा-अंग्रेजों के पास एक शक्तिशाली समुद्री बेड़ा था। इसकी सहायता से वे आवश्यकता के समय इंग्लैण्ड से सैनिक और युद्ध का सामान मंगवा सकते थे। इसके विपरीत फ्रांसीसियों का समुद्री बेड़ा कमजोर था।

2. अच्छी आर्थिक दशा-अंग्रेज़ों की आर्थिक दशा काफ़ी अच्छी थी। वे युद्ध के समय भी अपना व्यापार जारी रखते थे। परन्तु फ्रांसीसी राजनीति में अधिक उलझे रहते थे जिसके कारण उनके पास धन का अभाव था।

3. इंग्लैण्ड द्वारा धन से सहायता-इंग्लैण्ड की सरकार भारत में अंग्रेजी कम्पनी की धन से सहायता करती थी। इसके विपरीत फ्रांसीसियों को उनकी सरकार कोई सहायता नहीं देती थी।

4. अंग्रेजों की बंगाल विजय-बंगाल विजय के कारण भारत का एक धनी प्रान्त अंग्रेजों के हाथ में आ गया। युद्ध जीतने के लिए धन की बड़ी आवश्यकता होती है। युद्ध के दिनों में अंग्रेज़ों का बंगाल में व्यापार चलता रहा। यहां के कमाये गये धन के कारण उन्हें दक्षिण के युद्धों में विजय मिली।

5. डुप्ले की वापसी-फ्रांसीसी सरकार द्वारा डुप्ले को वापस बुलाना एक भूल थी। डुप्ले भारत की राजनीति से परिचित था। उसे यह पता था कि साम्राज्य स्थापित करने की योजना को किस प्रकार लागू करना है, परन्तु डुप्ले के वापस चले जाने के कारण फ्रांसीसियों की स्थिति एक ऐसे जहाज़ की तरह हो गई जिसका कोई चालक न हो।

6. परिश्रमी कर्मचारी-अंग्रेज़ कर्मचारी बड़े परिश्रमी थे। वे एक होकर कार्य करते थे। इसके विपरीत फ्रांसीसी कर्मचारी एक-दूसरे से द्वेष रखते थे। परिणामस्वरूप फ्रांसीसी अंग्रेज़ों का सामना न कर सके।

7. योग्य अंग्रेज सेनानायक-अंग्रेज़ों में क्लाइव, सर आयरकूट और मेजर लारेंस आदि अधिकारी बड़े ही योग्य थे। इसके विपरीत फ्रांसीसी सेनानायक डुप्ले, लाली और बुसे इतने योग्य नहीं थे। यह बात भी अंग्रेज़ों की विजय का कारण थी।

8. काऊंट लाली की भूल-कर्नाटक के तीसरे युद्ध में फ्रांसीसी काऊंट लाली ने एक बहुत बड़ी भूल की। उसने अपने साथ बुसे को हैदराबाद से बुला दिया। बुसे के हैदराबाद छोड़ते ही हैदराबाद का निज़ाम अंग्रेजों से मिल गया। परिणामस्वरूप अंग्रेजों की शक्ति बढ़ गई और वे फ्रांसीसियों को पराजित करने में सफल रहे।

प्रश्न 3.
प्लासी तथा बक्सर की लड़ाइयों के सन्दर्भ में यह बताओ कि अंग्रेजों ने बंगाल में अपना राज्य कैसे स्थापित किया ?
अथवा
इलाहाबाद की संधि (1765 ई०) क्या थी ? भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना में इसका क्या योगदान था ?
उत्तर-
अंग्रेजों को बंगाल में अपना राज्य स्थापित करने के लिए दो महत्त्वपूर्ण लड़ाइयां लड़नी पड़ी। ये लड़ाइयां थींप्लासी की लड़ाई तथा बक्सर की लड़ाई। प्लासी की लड़ाई अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच 1757 ई० में हुई। नवाब सिराजुद्दौला पराजित हुआ और उसके स्थान पर मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया। नये नवाब ने कम्पनी को अनेक व्यापारिक सुविधाएं दीं और बहुत-सा धन भी उपहार के रूप में दिया। 1764 ई० में अंग्रेजों ने बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाब शुजाउद्दौला ने भी उसकी सहायता की थी। अंग्रेजों ने इस विजय का लाभ 1765 ई० में इलाहाबाद की सन्धि द्वारा उठाया और बंगाल में अपने पांव पक्की तरह से जमा लिए। अंग्रेजों द्वारा बंगाल विजय के लिए लड़े गए दोनों युद्धों तथा इलाहाबाद की सन्धि का वर्णन इस प्रकार है-

प्लासी की लड़ाई-23 जून, 1757 ई० को प्लासी के मैदान में दोनों पक्षों में युद्ध आरम्भ हो गया। युद्ध के आरम्भ होते ही मीर जाफर तथा नवाब के कुछ अन्य सेनापति दूर खड़े होकर युद्ध का तमाशा देखने लगे। अकेला नवाब अधिक देर तक न लड़ सका। युद्ध में उसका एक विश्वसनीय सेनापति मीर मदन भी मारा गया। परिणामस्वरूप उसकी सेना में भगदड़ मच गई और अंग्रेज़ विजयी रहे। नवाब स्वयं प्राण बचाकर मुर्शिदाबाद भाग गया। परन्तु वहां मीर जाफर के पुत्र मीरन ने उसका वध कर दिया। युद्ध के बाद मीर जाफर को बंगाल का नया नवाब बनाया गया। कम्पनी को नये नवाब से 24 परगनों का प्रदेश मिल गया। अंग्रेजों को बहुत-सा धन भी मिला। मीर जाफर ने कम्पनी को लगभग 70 लाख रुपया दिया। इस प्रकार अंग्रेजों के लिए भारत में राज्य स्थापित करने का मार्ग खुल गया। बंगाल जैसे प्रान्त पर प्रभुत्व स्थापित हो जाने से उनके साधन काफ़ी बढ़ गए। किसी इतिहासकार ने ठीक ही कहा है-“इसने (प्लासी की लड़ाई ने) अंग्रेजों के लिए बंगाल और अन्ततः सम्पूर्ण भारत का स्वामी बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।”

बक्सर की लड़ाई-23 अक्तूबर, 1764 ई० को मीर कासिम अपनी सेना सहित जिसमें 600 सैनिक थे बंगाल की ओर बढ़ा। उसका सामना करने के लिए अंग्रेजों ने मेजर मुनरो के नेतृत्व में एक सेना भेजी। बक्सर के स्थान पर दोनों में टक्कर हो गई। एक भयंकर युद्ध के पश्चात् मीर कासिम पराजित हुआ और प्राण बचाकर भाग निकला। शाह आलम तथा शुजाउद्दौला ने आत्म-समर्पण कर दिया। इस प्रकार अंग्रेज़ विजयी रहे। अंग्रेजों के लिए इस युद्ध के महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले-

  • कम्पनी का बंगाल पर अधिकार हो गया।
  • अंग्रेजों को मुग़ल सम्राट् से बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी मिल गई।
  • दीवानी के बदले अंग्रेजों ने मुग़ल सम्राट को 26 लाख रुपये वार्षिक पेंन्शन तथा कड़ा और इलाहाबाद के प्रदेश दिए। इस तरह सम्राट अंग्रेज़ों का कृपा पात्र बन गया।
  • अवध का नवाब शुजाउद्दौला भी इस युद्ध में पराजित हुआ था। उसने अंग्रेजों को 50 लाख रुपये हरज़ाने के रूप में दिए।

इलाहाबाद की सन्धि-अंग्रेज़ों ने अपनी बक्सर की विजय का लाभ 1765 ई० में इलाहाबाद की सन्धि द्वारा उठाया। इसके फलस्वरूप अवध के नवाब ने बक्सर के युद्ध की क्षति पूर्ति के लिए 15 लाख रुपया देना स्वीकार कर लिया। उससे कड़ा और इलाहाबाद के प्रदेश भी ले लिए गए। अवध की रक्षा के लिए अवध में एक अंग्रेज सेना रखने की व्यवस्था की गई जिसका खर्च अवध के नवाब को देना था। अंग्रेज़ अवध में बिना कोई कर दिए व्यापार कर सकते थे। इस प्रकार इलाहाबाद की सन्धि से अवध एक मध्यस्थ राज्य (Buffer State) बन गया। मुग़ल सम्राट शाहआलम से क्लाइव ने अलग समझौता किया। 9 अगस्त, 1765 को उसने शाह आलम से भेंट की। उसने कड़ा तथा इलाहाबाद के प्रदेश शाहआलम को सौंप दिए और इसके बदले में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी के अधिकार प्राप्त कर लिए। यह भी निश्चित हुआ कि कम्पनी सम्राट को 26 लाख रुपया वार्षिक देगी। दीवानी का मिलना कम्पनी के लिए वरदान सिद्ध हुआ। क्लाइव ने एक तीर से दो निशाने किए। उसने मुग़ल सम्राट को भी अपनी मुट्ठी में कर लिया और अंग्रेज़ी कम्पनी को बंगाल की सर्वोच्च शक्ति भी बना दिया।

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प्रश्न 4.
लॉर्ड क्लाइव को भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का संस्थापक क्यों कहा जाता है ? किन्हीं पांच बिंदुओं के आधार पर इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि भारत में अंग्रेज़ी राज्य का संस्थापक लॉर्ड क्लाइव था। उससे पूर्व और उसके बाद अंग्रेज़ अधिकारी भारत में आए परन्तु किसी ने ‘क्लाइव’ जैसी निपुणता नहीं दिखाई। उससे पूर्व भारत में कभी अंग्रेजी राज्य स्थापित नहीं हुआ था। बाद में भी जो कुछ हुआ वह क्लाइव द्वारा स्थापित राज्य का विकास मात्र ही था। निम्नलिखित कार्यों के कारण क्लाइव को भारत में ब्रिटिश राज्य का संस्थापक कहा जाता है :-

1. अर्काट की विजय-अर्काट की विजय का सम्बन्ध कर्नाटक के दूसरे युद्ध से है। इस लड़ाई में अंग्रेज़-फ्रांसीसी एकदूसरे के विरुद्ध लड़ रहे थे। फ्रांसीसियों ने अंग्रेज़ों पर पूरा दबाव डाला हुआ था और उनकी विजय निश्चित जान पड़ती थी। यदि इस युद्ध में फ्रांसीसी जीत जाते तो भारत से अंग्रेजी कम्पनी को अपना बोरिया-बिस्तर गोल करना पड़ता। युद्ध में अंग्रेजों की स्थिति बड़ी डावांडोल थी, परन्तु क्लाइव ने युद्ध का पासा ही पलट दिया। उसने अर्काट के घेरे का सुझाव दिया। अर्काट पर अंग्रेजों का अधिकार होते ही फ्रांसीसी पराजित हुए और दक्षिण में अंग्रेज़ी प्रभाव नष्ट होने से बच गया।

2. प्लासी की विजय-प्लासी की विजय भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का द्वार माना जाता है। इस विजय के कारण अंग्रेजों का प्रभाव बढ़ गया। बंगाल का नवाब उनके हाथों की कठपुतली बन गया। वे जिसे चाहते, बंगाल का नवाब बना सकते थे। इस विजय का एकमात्र श्रेय क्लाइव को ही जाता है। इस विजय से दो लाभ पहुंचे। एक तो बंगाल अंग्रेजी साम्राज्य की आधारशिला बन गया। दूसरे, बंगाल के धन के कारण अंग्रेज़ भारत में फ्रांसीसी शक्ति को नष्ट करने में पूर्णतया सफल रहे।

3. दीवानी की प्राप्ति-दक्षिण और बंगाल में अंग्रेजी प्रभाव बढ़ना ही साम्राज्य की स्थापना के लिए काफ़ी नहीं था। कर इकट्ठा करने के लिए अधिकार प्राप्त होना शासन का महत्त्वपूर्ण तत्त्व माना जाता है। कहते हैं, “शासक वही जो कर उगाहे।” यह महत्त्वपूर्ण कार्य भी क्लाइव ने ही अंग्रेजों के लिए लिया। उसने 1765 ई० में मुग़ल सम्राट शाह आलम के साथ इलाहाबाद की सन्धि की। इसके अनुसार अंग्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हो गई। दीवानी से अभिप्राय यह था कि उन्हें इन प्रान्तों से भूमि कर उगाहने का अधिकार मिल गया।

4. शाह आलम का संरक्षण-क्लाइव मुग़ल सम्राट शाह आलम को पूर्ण रूप से अंग्रेज़ी सत्ता के प्रभाव के अधीन ले गया। उसने अपनी इच्छानुसार अंग्रेज़ी कम्पनी के लिए अधिकार प्राप्त किए। मुग़ल सम्राट पर अधिकार मात्र ही उस समय बड़ी प्रतिष्ठा की बात मानी गई। इसका अन्य भारतीय शक्तियों पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

5. सुयोग्य शासक-एक अच्छा साम्राज्य-निर्माता होने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक भी होता है। क्लाइव में भी ये दोनों गुण विद्यमान थे। उसने कम्पनी के कर्मचारियों को भेंट लेने की मनाही कर दी, उनके निजी व्यापार पर रोक लगा दी और उनका दोहरा भत्ता बन्द कर दिया। इस तरह ज्यों ही कम्पनी शासक के रूप में उभरी, क्लाइव ने उसके स्वरूप को स्थिरता प्रदान की।

सच तो यह है कि क्लाइव ने बड़े क्रम से भारत में अंग्रेज़ी सत्ता स्थापित की। सर्वप्रथम उसने दक्षिण में अंग्रेज़ी प्रभाव की सुरक्षा की, फिर उसने बंगाल पर महत्त्वपूर्ण विजय प्राप्त की और अन्त में कम्पनी की राजनीतिक शक्ति में वृद्धि की। इस तरह उसने राजनीतिज्ञ तथा संगठनकर्ता के रूप में कम्पनी को ठोस रूप प्रदान किया। किसी ने ठीक ही कहा है, “लॉर्ड क्लाइव भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का कर्णधार था जिसने न केवल साम्राज्य की नींव ही रखी, बल्कि उसको दृढ़ भी बनाया।”

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 7 टूर्नामैंट

Punjab State Board PSEB 11th Class Physical Education Book Solutions Chapter 7 टूर्नामैंट Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Physical Education Chapter 7 टूर्नामैंट

PSEB 11th Class Physical Education Guide टूर्नामैंट Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
टूर्नामैंट का शब्दकोशीय अर्थ लिखिए। (What is dictionary meaning of a Tournament ?)
उत्तर-
टूर्नामेंट का शब्दकोशी अर्थ है-‘खेल मुकाबले’। ये टूर्नामैंट समय-समय पर अलग-अलग खेलों से सम्बन्धित, अलग-अलग आयोजकों द्वारा करवाए जाते हैं। ये टूर्नामैंट एक खेल रूपी लड़ी है जिसमें भाग लेने वाले को हार या जीत का मौका मिलता है। टूर्नामैंट निश्चित नियमों तथा रणनीति में करवाए जाते हैं जिसमें प्रत्येक सहभागी को इसकी पालना करनी पड़ती है। ये टूर्नामैंट हमारे अन्दर छुपी हुई मृत प्रतिभा को बाहर निकालने का ढंग है। जैसे कि प्राचीन समय में बेरहमी को खेलों द्वारा प्रकाशित किया जाता था तथा किसी एक प्रतियोगी की मौत होने पर ही प्रतियोगिता समाप्त होती थी। परंतु समय के साथ-साथ इन प्रतियोगिताओं की प्रकृति भी बदल गई है। आधुनिक समय में स्पोर्ट्स प्रतियोगिता कुछ नियमों के अनुसार ही खेली जाती है।

प्रश्न 2.
टूर्नामैंट करवाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? (What precautions should be taken while organising a tournament ?)
उत्तर-
टूर्नामैंट करवाते समय ध्यान रखने योग्य बातें—
1. टूर्नामैंट की सफलता सही योजना पर निर्भर करती हैं। किसी टूर्नामैंट का आयोजन करने से पहले अधिकारियों के निम्नलिखित बातों की जानकारी होनी अनिवार्य है—

  • टूर्नामेंट के पहले के काम या कर्तव्य
  • टूर्नामैंट के दौरान काम या कर्त्तव्य
  • टूर्नामेंट के बाद काम या कर्त्तव्य।

2. टूर्नामैंट के पहले के काम या कर्त्तव्य-ये काम टूर्नामैंट की शुरुआत में किए जाते हैं। वास्तव में शारीरिक शिक्षा के अध्यापक या कोच द्वारा तैयार किए फलसफे का रूप होते हैं। ये इस प्रकार हैं

  • टूर्नामैंट के स्थान, तरीका आदि को तय करना तथा योजना, प्रबन्ध तैयार करना।
  • स्वीकृति की योजनाएं तथा प्रबन्धों के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाना तथा नगर निगम से टूर्नामैंट की स्वीकृति लेना।
  • मुख्य ज़रूरतें जैसे कि प्लेफील्ड, साजो-सामान, अधिकारी, रिहायश, भोजन तथा खिलाड़ियों तथा अफसरों के लिए रिफरैशमैंट आदि का प्रबन्ध करना।
  • अलग-अलग कमेटियों का निर्माण करना ताकि वह सुव्यवस्थित तथा सुचारु काम कर सकें।
  • टूर्नामेंट में भाग लेने वाली टीमों से उनके टूर्नामेंट में पहुँचाने का ब्योरा लेना ताकि सुचारू ढंग के साथ फिक्चर और कई और ज़रूरी प्रबन्ध किये जा सकें।

3. टूर्नामैंट के दौरान काम या कर्त्तव्य-ये कर्त्तव्य टूर्नामेंट के शुरू से लेकर अन्तिम दिन तक पूरे किए जाते हैं, ये इस प्रकार हैं—

  • सारे प्रबन्ध खासतौर पर खेल क्षेत्र, साजो-समान आदि की जांच करना।
  • खिलाड़ियों के दूसरे दस्तावेजों की योग्यता की जांच करना।
  • कमेटियों के काम की जांच करते रहना ताकि वह अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह कर सके।
  • खिलाड़ियों और अफसरों के रिफरैशमैंट तथा खाने का प्रबन्ध करना।
  • टीम की स्कोरशीट तथा रिकार्ड पर नज़र रखनी आदि।
  • खिलाड़ियों के लिए डॉक्टरी सहायता प्रदान करनी।
  • टूर्नामैंट की प्रगति के बारे में घोषणा करनी।
  • खिलाड़ियों तथा अधिकारियों के ठहराव के स्थान से उनके आने तथा जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करनी।

4. टूर्नामैंट के बाद के काम या कर्त्तव्य-जो काम टूर्नामेंट के बाद किए जाते हैं। वे इस प्रकार हैं—

  • जीती हुई टीमों को मैडल तथा ट्राफियां बाँटना।
  • टूर्नामैंट के प्रबन्ध में इस्तेमाल किए सामान तथा बचे हुए सामान को वापिस करना।
  • टूर्नामेंट की सफलता का प्रेस नोट तैयार करवाना।
  • अधिकारियों तथा ठेकेदारों के शेष आदि अदा करना।
  • टीमों के रिकार्ड का प्रबन्ध करना।
  • उधार लिए जाने पर साजो-सामान और अन्य कीमती सामान वापिस करना।
  • अथॉरिटी को अन्तिम रिपोर्ट सौंपना आदि काम शामिल होते हैं।

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प्रश्न 3.
इंट्राम्यूरल खेल प्रतियोगिता क्या है ? (What is Interamural Tournament ?)
उत्तर-
इंट्राम्यूरल शब्द लेटिन भाषा के शब्द ‘इंट्रा’ जिससे भाव है-‘अन्दर’ तथा ‘म्यूरल’ जिस से भाव है’दीवार’ से लिया जाता है अर्थात् वह गतिविधियां तथा टूर्नामेंट जोकि कैंपस या संस्थाओं के अन्दर आयोजित किए जाते हैं, उन्हें इंट्राम्यूरल कहा जाता है। इनमें किसी एक कैंप के सभी विद्यार्थी भाग लेते हैं सिर्फ विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार उन्हें अलग-अलग ग्रुपों में बांट लिया जाता है। इन गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य संस्था के भीतर स्वै-इच्छित भागीदारी, हौंसले, मार्गदर्शन आदि का विकास करना है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर नोट लिखें : (Write notes on the following.)
(i) खेल प्रबंध (Sports Management)
(ii) चैलेंज टूर्नामैंट (Challenges Tournaments)
(iii) सीढ़ीनुमा साइक्लिक विधि (Ladder and Cyclic Method)
उत्तर-
(i) खेल प्रबंध-बढ़िया खेल मुकाबलों के लिए खेल प्रबंध का होना बहुत आवश्यक है। यदि खेल प्रबन्ध सुचारु ढंग से न किया जाए तो सारा खेल प्रोग्राम खराब हो सकता है इसीलिए योग्य अधिकारियों की जरूरत पड़ती है। खेल के स्तर को देखते हुए अलग-अलग समितियाँ बनाई जाती हैं। जैसे—

  1. टूर्नामैंट प्रधान
  2. टूर्नामैंट कमेटी
  3. रिफ्रेशमैंट कमेटी
  4. वित्त सचिव
  5. सचिव
  6. कन्वीनर
  7. ज्यूरी ऑफ अपील कमेटी आदि।

इन अधिकारियों को खेल के नियम, प्रतियोगिताओं का स्तर क्या है ? खेल कार्यक्रम के क्या उद्देश्य होंगे ? के बारे में पूरा ज्ञान होना चाहिए। इसके अलावा जो खेल अधिकारी टूर्नामैंट करवा रहे होते हैं। उन्हें अपने फैसलों में निष्पक्ष होना चाहिए।

(ii) चैलेंज टूर्नामैंट-चैलेंज से भाव है-चुनौती देना। ये मुकाबला तब करवाया जाता है जब खिलाड़ी अपने से ताकतवर खिलाड़ी को चुनौती देता है और ये टूर्नामैंट फिर चलता रहता है। इस टूर्नामेंट में एक-एक खिलाड़ी या दोदो खिलाड़ी दोनों तरफ होते हैं। टेबल टेनिस बॉक्सिंग, बैडमिंटन इस टूर्नामैंट की उदाहरणें हैं। चैलेंज टूर्नामेंट के दो ढंग होते हैं-

  1. सीढ़ी,
  2. मीनार।

(iii) सीढ़ीनुमा तथा साइक्लिक विधि-इस तरह के तरीके में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सभी टीमों को घड़ी की सुई की भांति घुमाया जाता है और अगर भाग लेने वाली टीमों की संख्या दो से भाग होने वाली है। जैसे 4.6.8 आदि। नम्बर 1 वाली टीम को एक स्थान पर रहने देना चाहिए व शेष टीमें भी अपने क्रमानुसार घूमती हैं। परन्तु अगर टीमों की कुल संख्या दो से भाग होने वाली न हो जैसे 5, 7, 9 इत्यादि तो बाई को तय कर लिया जाता है व सभी टीमों को घड़ी की सुई की भांति घूमना पड़ता है।
8 टीमों का कार्यक्रम (Fixture of 8 Teams)
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स्टेयर केस तरीका (Stair Case Method)—यह भी एक अच्छा तरीका है। इसमें सीढ़ी की तरह का कार्यक्रम तैयार किया जाता है। सबसे पहले नम्बर एक टीम को शेष टीमों के साथ मैच के लिए लिखा जाता है। लेकिन नम्बर दो टीम से ही शुरू होते हैं। दूसरी सीढ़ी में नम्बर दो वाली टीम का मैच नम्बर तीन वाली टीम से शुरू होकर आखिर तक चलता है। इस तरह जितनी सीढ़ी नीचे चली जाती है टीम नम्बर बढ़ जाता है। 9 टीमों का कार्यक्रम इस तरह बनता है।
(Fixture of Teams)
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प्रश्न 5.
बाई से क्या अभिप्राय है ? इसको ‘सिंगल नॉक आऊट सिस्टम’ में कैसे निकाला जाता है ? (What is meant by a Bye ? How is it drawn or decided in a single knock out system ?)
उत्तर-
बाई से अभिप्राय है कि जिस टीम को बाई दी जाती है, वह टीम पहले राउंड में मैच नहीं खेलती। यदि टीमों की संख्या 22 (पावर आफ टू) है तो किसी टीम को बाई देने की जरूरत पड़ती है। अब यह देखना है कि बाई कितनी और कैसे दी जाएँ। बाई देने के लिए पर्चियां डाली जाती है।
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उपरोक्त फिक्सचर में किसी भी टीम को बाई (Bye) नहीं दी गई क्योंकि टीमों की संख्या 22 (Power of Two) है। इसी तरह यदि कुल टीमें 11 हैं तो पहले भाग में टीमों की संख्या = 6 तथा दूसरे भाग में = 5
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अब प्रश्न यह है कि 11 टीमें यदि प्रतियोगिता में हैं तो कितनी बाइयां देनी पड़ेगी ?
कुल टीमें (N – 11)
अगली सम संख्या (Next in Power or two)
2 × 2 × 2 × 2 = 16
(ईवन नम्बर) 2, 4, 8, (16)
इस फिक्सचर में कुल टीमें = 16 (16 – 11)= 5 बाइयां देनी पड़ेंगी।
यदि यह टूर्नामेंट पिछले साल करवाया गया था तो उसकी पहले और दूसरे दर्जे की टीम को अलग-अलग अर्द्ध में रखकर बाइयाँ देनी हैं। बाकी बाइज़ लॉटरी व्यवस्था द्वारा देनी पड़ेगी।
बाइज देने की विधि-एक कागज़ पर टीमों की कुल संख्या लिखकर (Lots) लॉटरी द्वारा बाइज़ बाँटनी चाहिए।

  1. पहली बाई (Bye) दूसरे भाग की अंतिम टीम को देनी चाहिए।
  2. दूसरी बाई (Bye) पहले भाग की टीम को देनी चाहिए।
  3. तीसरी बाई (Bye) पहले भाग की अंतिम टीम को देनी चाहिए।
  4. चौथी बाई (Bye) पहले भाग की अंतिम टीम को देनी चाहिए। इस क्रम से बाइज़ की बाँट करनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि 11 टीमें भाग ले रही हैं तो फिक्सचर में बाई निम्नांकित अनुसार दी जायेगी :

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प्रश्न 6.
यदि सिंगल नॉक आऊट साइक्लिक विधि में 19 टीमें भाग लेती हैं तो कितनी बाइयां दी जाएगी और कितने मैच होंगे ?
(If 19 teams take part in a single knock out systein tournament then how many boxes will be given and how many matches will be played ?)
उत्तर-
इसमें 13 बाइयां दी जाएगी और 2 Half बनाई जाएगी। . . मैचों की कुल संख्या = 10 होगी।

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प्रश्न 7.
मिश्रित साइक्लिक विधि को कितने भागों में बांटा जाता है ? (How many parts is mixed tournament divided into ?).
उत्तर-
मिश्रित टूर्नामैंट-जब टूर्नामेंट में खेलने वाली टीमों की संख्या अधिक होती है तो उस समय ये मैच करवाए जाते है। इसमें टीमों को पूलों में बांट दिया जाता हैं तथा ग्रुपों की टीमें लीग या नॉक आऊट के आधार पर अपने ही पूल में खेलती है। अपने पूल में पूल के विजेता का फैसला कर लिया जाता है। फिर पूलों के विजेता आपस में नॉक आऊट या लीग टूर्नामैंट (समय तथा स्थान के अनुसार) खेलकर विजेता का फैसला किया जाता है। यदि बड़े टूर्नामैंट हैं तो राज्य या देश को जोनल स्तर पर बाँट लिया जाता है। इस तरह एक ज़ोन की टीमें आपस में भिड़कर अपने जोन के चैंपियन का . फैसला करती हैं। इनसे पैसे और समय की बचत होती है।

प्रश्न 8.
नॉक आऊट पर लीग साइक्लिक विधि के लाभ तथा हानियों के बारे में लिखो। (Write about the merits and demerits of knock out and league Tournaments.)
उत्तर-
नॉक आऊट के लाभ और हानियाँसिंगल नाक आऊट तरीके के अच्छे पहलू (Good points of Single knock out system)-सिंगल नाक आऊट प्रणाली के अच्छे पहलू इस तरह के हो सकते हैं—

  1. इस तरह के मुकाबलों में खर्च बहुत कम होता है क्योंकि हारने वाली टीम मुकाबले से बाहर हो जाती है।
  2. खेलों का स्तर ऊपर उठाने व अच्छा खेल बनाने में मदद मिलती है क्योंकि प्रत्येक टीम मुकाबले से बाहर होने पर बचने के लिए अच्छे खेल का प्रदर्शन करती है।
  3. मुकाबलों के लिए समय भी बहुत कम लगता है व मुकाबले कम-से-कम समय में खत्म हो जाते हैं।
  4. दूसरी प्रणाली की अपेक्षा हमें अधिकारियों की भी बहुत कम ज़रूरत होती है।

सिंगल नाक आऊट तरीके के दोषपूर्ण पहलू (Bad points of single knock out system)-सिंगल नाक आऊट प्रणाली के कुछ बुरे पहलू भी हैं। जिसकी चर्चा हम निम्नलिखित के अनुसार कर सकते हैं—

  1. अच्छी-से-अच्छी टीम भी कई बार कमजोर टीम से पराजित हो जाती है और इस तरह अच्छी टीम का खेल देखने को नहीं मिलता है।
  2. अचानक पराजित होने वाली टीम से पूर्ण न्याय नहीं होता है। कई बार टीम कई वास्तविक कारणों से पराजित हो जाती है।
  3. खेलों का उत्साह अच्छी टीम से पराजित होने के साथ ही खत्म हो जाता है।
  4. प्रत्येक टीम पर हार का एक मनोवैज्ञानिक दबाव जैसा बना रहता है जिस कारण टीमें भयभीत होकर खेलती हैं।

लीग टूर्नामैंट के लाभ (Advantages of league tournament)—लीग टूर्नामेंट के लाभ इस तरह हैं—

  1. श्रेष्ठ टीम ही टूर्नामेंट में विजयी होती है।
  2. मैच खेलने के लिए दूसरी टीम के जीतने का इन्तज़ार नहीं किया जाता है।
  3. प्रैक्टिस के लिए या खेल में सुधार के लिए अच्छा तरीका है।
  4. खेल लोकप्रिय करने का अच्छा तरीका है।
  5. दर्शकों को खेल देखने के लिए बहुत मैच मिल जाते हैं।
  6. अधिकारियों को किसी टीम के चुनाव के लिए खिलाड़ियों का खेल देखने का बहुत समय मिलता है व टीम चुनाव ठीक होता है।
  7. टीमों के खिलाड़ी भी लम्बे समय तक एक-दूसरे के सम्पर्क में रहते हैं जिससे एक-दूसरे को समझने का अवसर मिलता है।

लोग टूर्नामेंट के नुकसान (Disadvantages of league tournament)—

  1. कमजोर टीम प्रत्येक बार हारने के कारण खेल में अपनी रुचि नहीं दिखाती हैं जिससे मुकाबले का मज़ा किरकिरा हो जाता है।
  2. इस तरह के मुकाबले में खर्च बहुत अधिक होता है।
  3. लीग मुकाबले के लिए प्रबन्ध बहुत अधिक करना पड़ता है समय भी बहुत लगता है।
  4. खिलाड़ियों को बहुत दिन तक अपने घर से दूर रहना पड़ता है।

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Physical Education Guide for Class 11 PSEB टूर्नामैंट Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
‘खेल मुकाबले जिसमें अलग-अलग टीमों में मुकाबले के कई चक्र चलते हैं।’ इसको क्या कहते हैं ?
उत्तर-
इसको टूर्नामैंट कहते हैं।

प्रश्न 2.
यह किसकी किसमें हैं ?
(a) नाक आऊट टूर्नामैंट
(b) राउंड रोबिन या लीग टूर्नामेंट
(c) मिले-जुले टूर्नामैंट
(d) चैलेज टूर्नामैंट।
उत्तर-
टूर्नामैंट।

प्रश्न 3.
टूर्नामैंट के लिए ध्यान देने योग्य बातें कौन-सी हैं ?
(a) टूर्नामैंट करवाने के लिए आवश्यक समय होना चाहिए
(b) टूर्नामैंट करवाने के लिए आवश्यक समान का प्रबंध टूर्नामेंट से पहले कर लेना चाहिए।
(c) टूर्नामैंट में हिस्सा लेने वाली टीमों की जानकारी टूर्नामैंट शुरू होने से पहले लेनी चाहिए।
(d) टूर्नामेंट में खर्च होने वाली धनराशि भी पहले से ही निश्चित होनी चाहिए ताकि धन की कमी के कारण टूर्नामेंट में कोई विघटन न हो।
उत्तर-
उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 4.
नाक आऊट टूर्नामैंट में 19 टीमों में कितनी बाइयां होती हैं?
उत्तर-
नाक आऊट टूर्नामैंट में 19 टीमों में 13 बाइयां होती हैं।

प्रश्न 5.
(a) किस तरह के मुकाबलों में खर्च बहुत कम होता है। क्यों जो हारने वाली टीम मुकाबले से बाहर हो जाती है।
(b) खेलों का स्तर बहुत ऊंचा होता है और अच्छी खेलों को तरक्की देने में सहायता मिलती है क्योंकि हर टीम मुकाबले से बाहर होने से बचने के लिए अच्छी से अच्छी खेल का प्रदर्शन करती है।
(c) मुकाबलों के लिए समय भी बहुत थोड़ा लगता है। मुकाबलें कम से कम समय में खत्म हो जाते हैं।
(d) दूसरे सिस्टम की बदौलत इसमें थोड़े अधिकारियों की जरूरत होती है।
उत्तर-
नाक-आऊट।

प्रश्न 6.
लीग टूर्नामैंट की हानियाँ क्या हैं ?
(a) कमज़ोर टीम प्रत्येक बार हारने के कारण खेल में अपनी रुचि नहीं दिखाती है। जिससे मुकाबले का मजा किरकिरा हो जाता है।
(b) इस तरह के मुकाबले में खर्च बहुत अधिक होता है।
(c) लीग मुकाबले के लिए प्रबन्ध अधिक करना पड़ता है। समय भी बहुत लगता है।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 7.
टूर्नामैंट कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
टूर्नामैंट चार प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 8.
खेल प्रबंधन के लिए कोई दो कमेटियों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. टूर्नामैंट कमेटी
  2. रिफ्रेशमैंट कमेटी।

प्रश्न 9.
चैलेंज टूर्नामैंट में नतीजा निकालने के कौन-से दो तरीके अपनाए जा सकते हैं ?
उत्तर-

  1. सीढ़ीनुमा
  2. साइक्लिग ढंग।

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अति छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
टूर्नामैंट का शब्दकोशी अर्थ क्या है ?
उत्तर-
टूर्नामैंट का शब्दकोशी अर्थ है, “खेल मुकाबले, जिसमें अलग-अलग टीमों के बीच मुकाबले के कई राउंड चलते हैं।” टूर्नामैंट में अलग-अलग टीमों के बीच खेल मुकाबले एक निर्धारित प्रोग्राम अनुसार करवाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
टूर्नामैंट करवाते समय कौन-सी दो बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  1. टुर्नामैंट को करवाने के लिए आवश्यक समय होना चाहिए।
  2. टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही टीमों की जानकारी टूर्नामैंट शुरू होने से पहले होनी चाहिए।

प्रश्न 3.
इंटरा-म्यूरल खेल मुकाबले क्या हैं ?
उत्तर-
जब किसी एक स्कूल के विद्यार्थी क्लास या हाऊस बना के आपस में खेलते हैं तो उसको इटरा-म्युरल खेल गुकाबले कहा जाता है।

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प्रश्न 4.
टूर्नामैंट की किस्में लिखों।
उत्तर-
(a) नॉक आऊट टूर्नामैंट
(b) लीग टूर्नामेंट
(c) मिले-जुले टूर्नामेंट
(d) चैलेंज टूर्नामैंट।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कन्सोलेशन टूर्नामैंट क्या होते हैं ?
उतर-
पहले राऊंड में हारने वाली टीमों को एक और अवसर देने के लिये जो ढंग अपनाया जाता है उसको onsolation कहा जाता है। इस तरह करने से अच्छी टीम को एक बार हारने के बाद दोबारा खेलने का अवसर दिया जाता है। यह टूर्नामैंट दो प्रकार के होते हैं—

  1. पहली किस्म का कन्सोलेशन
  2. दूसरी किस्म का कन्सोलेशन।

प्रश्न 2.
टूर्नामैंट करवाने के लिए कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  1. टूर्नामैंट करवाने के लिए ज़रूरत के समान का प्रबंध टूर्नामेंट से पहले कर लेना चाहिए।
  2. टूर्नामेंट करवाने के लिए जरूरी समय होना चाहिए।
  3. टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही टीमों की जानकारी टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ले लेनी चाहिए।

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प्रश्न 3.
नाक आऊट टूर्नामैंट के लाभ लिखो।
उत्तर-

  1. इस तरह के मुकाबलों में खर्च बहुत कम होता है। क्योंकि हारने वाली टीम मुकाबले से बाहर हो जाती है।
  2. खेलों का स्तर ऊपर उठाने व अच्छा खेल बनाने में मदद मिलती है। क्योंकि प्रत्येक टीम मुकाबले से बाहर होने पर बचने के लिए अच्छे खेल का प्रदर्शन करती है। .
  3. मुकाबलों के लिए समय भी बहुत कम लगता है व मुकाबले कम-से-कम समय में खत्म हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
लीग टूर्नामेंट की हानियां लिखो।
उत्तर-

  1. इस तरह के मुकाबले में खर्च बहुत अधिक होता है।
  2. लीग मुकाबले के लिए प्रबन्ध बहुत अधिक करना पड़ता है। समय भी बहुत लगता है।
  3. खिलाड़ियों को बहुत दिन तक अपने घर से दूर रहना पड़ता है।

प्रश्न 5.
टूर्नामैंट की किस्में लिखें।
उत्तर-
टूर्नामैंटों की किस्में (Kinds of Tournaments)-टूर्नामैंट कई प्रकार के करवाए जाते हैं। इसलिए टूर्नामैंट की किस्मों का ज्ञान बहुत ज़रूरी हो जाता है। इनके बिना न तो मुकाबले में भाग लेने का ही मज़ा आता है और न ही देखने में आनन्द प्राप्त होता है। अक्सर टूर्नामैंट निम्नलिखित किस्मों के होते हैं—

  1. नाक आऊट टूर्नामैंट (Knock out Tournament)
  2. राऊंड रोबिन या लीग टूर्नामेंट (Round Robin or league Tournaments)
  3. मिले जुले टूर्नामैंट (Combination Tournaments)
  4. चैलेंज टूर्नामैंट (Challenge Tournaments)

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प्रश्न 6.
सीडिंग क्या होती है ?
उत्तर-
अच्छी टीमों के लिए सीडिंग (Seeding of Good Teams) अच्छी टीमों को उनकी पहले से बनी अच्छी साख के अनुसार सीडिंग दी जाती है। सीडिंग हमेशा पावर ऑफ टू होनी चाहिए। इनके Lots नहीं निकाले जाते बल्कि इनको अलग-अलग गुणों में रखा जाता है। सामान्य तौर पर बाई Second टीमों को ही दी जाती है।

मान लो कि हमें 11 टीमों का Seedings तरीके से कार्यक्रम तय करना है व सीडिंग 4 टीमों की करनी है।
इसलिए हम दो टीमों को ऊपर हॉफ में रखेंगे व दो टीमों को नीचे वाले हॉफ में रखेंगे। कार्यक्रम में हमें Bye नियम के अनुसार पांच टीमों को देनी पड़ती है। इस कारण यह बाइयां पहले चारों Second वाली टीमों को दी जाएंगी और एक किसी अन्य टीम को दी जाएगी।

प्रश्न 7.
मिश्रित टूर्नामैंट क्या होते हैं ?
उत्तर-
मिश्रित टूर्नामैंट-जब टूर्नामेंट में खेलने वाली टीमों की संख्या अधिक होती है तो मिश्रित टूर्नामेंट करवाए जाते हैं। मिश्रित टूर्नामेंट में टीमों को पूलों में बांटा जाता हैं। ये ग्रुपों की टीमें लीग या नॉक आऊट के आधार पर अपने ही पूल में खेलती है। अपने पूल में पूल के विजेता का फैसला कर लिया जाता है। उसके बाद पूलों के विजेता आपस . में नॉक आऊट या लीग टूर्नामैंट (समय तथा स्थान के अनुसार) खेलकर विजेता का फैसला किया जाता है।

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 7 टूर्नामैंट

प्रश्न 8.
बैगनाल वाइल्ड टूर्नामैंट क्या होते हैं ?
उत्तर-
बैगनाल वाइल्ड टूर्नामेंट (Begnal Wild Tournament)-बैगनाल वाइल्ड टूर्नामैंट भी अपनी किस्म का एक अनोखा टूर्नामैंट है। यह दूसरे ढंगों से कुछ भिन्न है। इस टूर्नामैंट की एक खास विशेषता है कि प्रतियोगिता में तीन स्थानों तक पोजीशनें निश्चित होती हैं—

  • प्रथम स्थान (First Place)
  • द्वितीय स्थान (Second Place)
  • तृतीय स्थान (Third Place)

जो टीम सभी टीमों को बिना हारे जीत लेती है, वह मुकाबले में प्रथम स्थान प्राप्त करती है।
दूसरा स्थान उस टीम को दिया जाता है, जो टीम पहले स्थान पर रहने वाली टीम से हारती है और वे फिर सारी टीमें केवल उस टीम को छोड़कर जो पहले स्थान पर रहने वाली टीम के साथ फाइनल में खेली थीं, परस्पर मैच खेलती है। इस प्रकार जो टीम अंत में पहुंचती है, वह उस टीम के साथ दूसरे स्थान के लिए अपना फाइनल मैच खेलती है, जोकि पहले स्थान पर रहने वाली टीम से फाइनल में हारी थी।

तीसरे स्थान के लिए मुकाबला दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम से जो टीमें हारती हैं, वे परस्पर मैच खेलती हैं परन्तु दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम से जो टीम अंत में हारती हैं, वह इसमें भाग नहीं लेतीं, बल्कि वह टीम अंत में ही इनमें से विजेता टीम के साथ अंतिम मैच खेलती है। . उदाहरणस्वरूप-बैगनाल वाइल्ड टूर्नामेंट के तरीके द्वारा किये गये फ़िक्सचर का एक नमूना इस प्रकार हो सकता है—

12 टीमों का बैगनाल वाइल्ड फ़िक्सचर
(Fixture for Bengnal Wild Tournament)
PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 7 टूर्नामैंट 6
उपरोक्त फ़िक्सचर के अनुसार टीमों की स्थिति (Position) इस प्रकार रही—
प्रथम स्थान = नम्बर 4 टीम
द्वितीय स्थान = नम्बर 6 टीम
तृतीय स्थान = नम्बर 12 टीम

प्रश्न 9.
टीमों का फिक्सचर बनाएं।
उत्तर-
9 टीमों का फिक्सचर (Fixture of Nine Teams)—
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PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 7 टूर्नामैंट

बड़े उत्तर वाला प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न-
कन्सोलेशन टूर्नामैंट क्या है ? यह कितनी किस्मों के होते हैं ?
उत्तर-
कन्सोलेशन टूर्नामैंट (Consolation Tournament)—पहले राऊंड में हारने वाली टीमों को एक और अवसर देने के लिए जो तरीका अपनाया जाता है उसको Consolation कहा जाता है। इस तरह करने के साथ अच्छी टीम को एक बार हारने के बाद पुनः खेलने का अवसर दिया जाता है। यह टूर्नामैंट कई तरह के होते हैं।

  1. पहली तरह का कन्सोलेशन
  2. दूसरी तरह का कन्सोलेशन

अब इन दोनों तरह के कन्सोलेशन के कार्यक्रम तय करने का तरीका जान लेना जरूरी है
1. पहली तरह का कन्सोलेशन (Consolation of First Type)—इसमें प्रत्येक टीम को खेलने के दो अवसर मिलते हैं जो टीमें पहले राऊंड में हार जाती हैं वह फिर आपस में खेलती हैं। इस तरह के कार्यक्रम बनाने वाले को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह टीमें जिनको नियमित राऊंड में बाई दी जाती है उसको पुनः बाई नहीं दी जाए।
उदाहरण के तौर पर टूर्नामेंट में नौ टीमें भाग ले रही हैं व इस टूर्नामेंट के लिए पहली तरह का कॉन्सोलेशन का कार्यक्रम बनाया जाता है तो इस तरह बनाया जाएगा।
टीमों की संख्या = 9
बाइयों की संख्या = 16-9 = 7
ऊपर वाले हॉफ में टीमें = 5
नीचे वाले हॉफ में टीमें = 4
9 टीमों का कार्यक्रम इस तरह होगा—
नियमित राऊंड (Regular Round)
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2. दूसरी तरह का कन्सोलेशन (Consolation of Second Type) दूसरी किस्म के कन्सोलेशन में जो टीम किसी भी राऊंड में हारती है वह फिर दोबारा खेलती है। इस तरह हारने वाली टीम को एक अवसर और दिया जाता है। जो टीमें रेगुलर राऊंड में परस्पर खेलती हैं उनको इस प्रकार के कन्सोलेशन फिक्सचर में पहले राऊंड में नहीं रखा जाना चाहिए। इस प्रकार के फिक्सचर बनाने के लिए दो तरीके अपनाए जाते हैं। अब देखते हैं कि पहली विधि अनुसार फिक्सचर किस प्रकार बनेगा।
दूसरी किस्म के कन्सोलेशन की फिक्सचर
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पहले राऊंड में हारने वाली टीमें = 1,3,6,7
दूसरे राऊंड में हारने वाली टीमें = 4,8
तीसरे राऊंड में हारने वाली टीमें = 2

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

PSEB 10th Class Home Science Guide गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
गृह व्यवस्था की परिभाषा लिखो।
अथवा
गृह व्यवस्था से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
गृह व्यवस्था घर के साधनों का सही ढंग से प्रयोग करके पारिवारिक आवश्यकताओं को पूर्ण करने की कला है। एक अच्छा गृह प्रबन्धक साधनों के कमसे-कम प्रयोग से भी पारिवारिक उद्देश्यों को प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 2.
घर और मकान में क्या अन्तर है?
उत्तर-
मकान मिट्टी, सीमेन्ट, ईंटों, पत्थर आदि का बना ढांचा होता है जो हमें बारिश, तूफान, गर्मी, सर्दी, जंगली जानवर और चोर डाकुओं से बचाता है। परन्तु घर एक परिवार के सदस्यों की भावनाओं का सूचक है। जहाँ परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे होकर अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ कर जीवन सुखमयी बनाते हैं।

प्रश्न 3.
लक्ष्य से आप क्या समझते हो?
अथवा
पारिवारिक लक्ष्य क्या होते हैं?
उत्तर-
लक्ष्य परिवार के सदस्यों के वे कार्य होते हैं जिनको वह अकेले या मिलकर करते हैं। प्रत्येक परिवार के कुछ-न-कुछ लक्ष्य अवश्य निर्धारित होते हैं जो समय-समय पर बदलते रहते हैं।

प्रश्न 4.
परिवार के साधनों को मुख्य रूप से कौन-से दो भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
परिवार के साधनों को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है

  1. मानवीय साधन जैसे काम करने की योग्यता, कुशलता और स्वास्थ्य।
  2. भौतिक साधन जैसे समय, पैसा, जायदाद आदि।

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प्रश्न 5.
व्यक्ति की योग्यता तथा रुचि कौन-से साधन हैं और कैसे?
उत्तर-
योग्यता और रुचि महत्त्वपूर्ण मानवीय साधन हैं क्योंकि ये साधन मनुष्य में समाए हुए होते हैं और मनुष्य का ही भाग हैं। इनके अस्तित्व के बिना किसी भी भौतिक साधन का योग्य प्रयोग असम्भव है।

प्रश्न 6.
समय और शक्ति कौन-से साधन हैं?
उत्तर-
समय एक भौतिक साधन है और प्रत्येक व्यक्ति के पास रोज़ाना 24 घण्टे का समय होता है। शक्ति एक मानवीय साधन है क्योंकि यह मनुष्य का भाग है जो कि भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न होती है। इन साधनों के सदुपयोग से पारिवारिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 7.
घर के साधनों में समय और शक्ति की व्यवस्था महत्त्वपूर्ण कैसे है?
उत्तर-
समय और शक्ति ऐसे साधन हैं जिनको बचाकर नहीं रखा जा सकता। इनकी उपयोगिता इनके सही प्रयोग से जुड़ी हुई है। जिस परिवार में समय और परिवार के सदस्यों की शक्ति को सही ढंग से प्रयोग में लाया जाता है वह परिवार अपने लक्ष्यों की प्राप्ति आसानी से कर लेता है।

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प्रश्न 8.
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह तथा निर्णय लेने की शक्ति का होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह इसलिए आवश्यक है कि इससे परिवार के शेष सदस्य भी काम करने के लिए उत्साहित होते हैं। गृह प्रबन्धक की फैसला लेने की शक्ति से समय की बचत होती है और परिवार के शेष सदस्यों को प्रतिनिधित्व मिलता है।

प्रश्न 9.
अच्छे प्रबन्धक को गृह व्यवस्था की जानकारी क्यों जरूरी है?
उत्तर-
अच्छी गृह व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लक्ष्यों की पूर्ति करना है। इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए गृह प्रबन्धक के पास योग्यता और कुशलता का होना अति आवश्यक है। योग्यता और कुशलता प्राप्त करने के लिए गृह व्यवस्था की प्रारम्भिक जानकारी का होना अति आवश्यक है। इस जानकारी से ही यह गृह प्रबन्धक अपने परिवार के मानवीय और भौतिक साधनों का उचित प्रयोग करने के योग्य हो सकता है। इस तरह वह पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति कर सकता है।

प्रश्न 10.
अच्छे प्रबन्धक में काम करने का उत्साह होना क्यों जरूरी है?
उत्तर–
पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह होना इसलिए आवश्यक है क्योंकि घर में एक प्रबन्धक की भूमिका एक नेता वाली होती है। यदि प्रबन्धक में काम करने का उत्साह होगा तो शेष सदस्य भी घर के काम में योगदान देंगे। एक आलसी गृह प्रबन्धक घर के अन्य सदस्यों को भी आलसी बना देता है जिससे घर का सारा वातावरण खराब हो जाता है और परिवार अपने लक्ष्यों की पूर्ति नहीं कर सकता।

प्रश्न 11.
घर के अच्छे प्रबन्ध सम्बन्धी जानकारी कहां से ली जा सकती है?
उत्तर-
घर का अच्छा प्रबन्ध कोई बच्चों का खेल नहीं है। इसलिए गृहिणी को घर के सभी साधनों को सूझ-बूझ से प्रयोग करने की जानकारी का होना अति आवश्यक है। पुराने समय में यह जानकारी परिवार के बड़े-बूढ़ों से प्राप्त हो जाती थी, परन्तु आजकल इस जानकारी के लिए और साधन भी हैं। स्कूलों और कॉलेजों में गृह विज्ञान का विषय पढ़ाया जाता है जहाँ गृह प्रबन्ध से सम्बन्धित ज्ञान प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त रेडियो, टेलीविज़न, समाचार-पत्र, मैगज़ीन आदि से अच्छे गृह प्रबन्ध की जानकारी मिलती है।

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प्रश्न 12.
विज्ञान की प्रगति से गृह व्यवस्था कैसे जुड़ी हुई है?
उत्तर-
विज्ञान की उन्नति से गृह प्रबन्ध में कई बढ़िया परिवर्तन आए हैं। आजकल बाज़ार में ऐसे उपकरण मिलते हैं जिनसे गृहिणी का समय और शक्ति दोनों की बहुत बचत होती है। जैसे मिक्सी, आटा गूंथने की मशीन, कपड़े धोने वाली मशीन, फ्रिज, माइक्रोवेव ओवन आदि। इन उपकरणों का सही प्रयोग करके गृहिणियां अपने गृह प्रबन्ध को अच्छे ढंग से चला सकती हैं। इसके अतिरिक्त टेलीविज़न और इन्टरनेट जैसे वैज्ञानिक उपकरण भी नई-से-नई जानकारी प्रदान करके गृहिणियों की सहायता करते हैं।

प्रश्न 13.
घर में वृद्ध हों तो गृह व्यवस्था कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर-
क्योंकि बुजुर्गों की आवश्यकताएं परिवार के शेष सदस्यों से भिन्न होती हैं इसलिए घर के प्रबन्ध में कुछ विशेष परिवर्तन करने पड़ते हैं जैसे बुजुर्गों की खुराक को ध्यान में रखकर खाना बनाया जाता है। उठने और सोने का समय भी बुजुर्गों के अनुकूल ही रखा जाता है। घर में शोर-गुल को रोकना पड़ता है। बुजुर्गों के लिए पूजा-पाठ आदि का प्रबन्ध किया जाता है। इस तरह कई ढंगों से घर की व्यवस्था प्रभावित होती है।

प्रश्न 14.
गृह व्यवस्था करने के लिए किन-किन साधनों का प्रयोग किया जाता है तथा इनका महत्त्व क्या है?
उत्तर-
गृह व्यवस्था में परिवार के मानवीय और भौतिक साधन एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं, परिवार की जायदाद, आमदन, भौतिक साधन हैं पर इनका पारिवारिक लक्ष्यों के लिए योग्य प्रयोग परिवार के मानवीय साधन पर निर्भर करता है। एक मेहनती और संयम से चलने वाला परिवार कम साधनों के बावजूद एक बढ़िया ज़िन्दगी व्यतीत कर सकता है जबकि एक नालायक और खर्चीला परिवार अधिक जायदाद और आमदन के बावजूद भी मुश्किल में होता है। इसलिए अच्छी व्यवस्था के लिए अच्छे भौतिक साधनों के साथ-साथ अच्छे मानवीय साधनों का होना भी अति आवश्यक है।

प्रश्न 15.
अच्छी गृह व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लक्ष्यों की पूर्ति करना है। स्पष्टीकरण दें।
उत्तर-
अच्छी गृह व्यवस्था का उद्देश्य लक्ष्यों की पूर्ति करना ही है। प्रत्येक परिवार के कुछ-न-कुछ लक्ष्य होते हैं। लक्ष्य परिवार के सदस्यों के वे कार्य होते हैं जिनको वह अकेले या मिलकर करते हैं। प्रत्येक परिवार के कुछ-न-कुछ लक्ष्य अवश्य निर्धारित होते हैं जो समय-समय पर बदलते रहते हैं। समय अनुसार इनको दो भागों में विभाजित किया जाता है —

  1. छोटे समय के लक्ष्य (Short Term Goals) जैसे बच्चों को स्कूल भेजना, काम पर जाना और घर के अन्य रोज़ाना कार्य।
  2. दीर्घ समय के लक्ष्य (Long Term Goals) जैसे मकान बनाना, बच्चों के विवाह करने आदि।
    इन लक्ष्यों को इनकी किस्म अनुसार दो भागों में बांटा जा सकता है

    1. व्यक्तिगत लक्ष्य
    2. पारिवारिक लक्ष्य।

व्यक्तिगत लक्ष्य जैसे बड़े बच्चे ने डॉक्टर बनना है। पारिवारिक लक्ष्य जैसे परिवार के लिए घर बनाना है।
इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए परिवार के साधनों का योग्य प्रयोग अति आवश्यक है। इसके योग्य प्रयोग के लिए गृह प्रबन्धक की कुशलता योग्यता और ज्ञान पर निर्भर करती है। इसलिए एक अच्छी गृह व्यवस्था से लक्ष्यों की पूर्ति हो सकती है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 16.
अच्छे प्रबन्धक के किन्हीं छः गुणों के बारे में लिखो।
उत्तर-
घर की सही व्यवस्था पारिवारिक खुशी का आधार है। इसलिए घर की व्यवस्था चलाने वाले व्यक्ति का गुणवान होना आवश्यक है। एक अच्छे गृह प्रबन्धक में निम्नलिखित गुणों का होना अति आवश्यक है

  1. अच्छा खाना बनाना-एक अच्छी गृहिणी को खाना पकाना आना चाहिए जोकि घर के सभी सदस्यों की आवश्यकता अनुसार हो।
  2. समय की कीमत के बारे जानकारी-आजकल की तेज़ रफ्तार ज़िन्दगी में गृहिणियों को कई काम करने पड़ते हैं, जैसे बच्चों को स्कूल भेजना, पति को दफ्तर भेजना आदि। ये काम समय अनुसार ही होने चाहिएं। इसलिए गृहिणी को समय का ठीक प्रयोग करना चाहिए।
  3. अर्थशास्त्र के बारे में ज्ञान-आजकल महंगाई के ज़माने. में एक समझदार गृहिणी को बजट बनाना और उसके अनुसार चलना चाहिए।
  4. काम करने का उत्साह-एक अच्छे प्रबन्धक को अपने घर के सभी कामों को करने का उत्साह होना चाहिए। इससे घर के शेष सदस्य भी काम करने के लिए उत्साहित होंगे।
  5. सोचने और फैसला लेने की शक्ति-घर के प्रबन्ध में काम करने के साथसाथ सोच शक्ति का होना भी अति आवश्यक है। जो गृहिणी दिमाग से काम लेती है वह कम पैसे और शक्ति से भी बढ़िया घर व्यवस्था चला सकती है।
  6. सहनशीलता और स्व:नियन्त्रण-एक अच्छे गृह प्रबन्धक या गृहिणी में सहनशीलता का होना अति आवश्यक है। जहाँ गृहिणी में सहनशीलता और स्व:नियन्त्रण नहीं होता उन घरों का प्रबन्ध भी अच्छा नहीं होता।

प्रश्न 17.
अच्छी गृह व्यवस्था का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
परिवार की सुख-शान्ति और खुशहाली के लिए अच्छी गृह व्यवस्था का होना आवश्यक है। निम्नलिखित कारणों के कारण अच्छी व्यवस्था हमारी ज़िन्दगी के लिए और भी महत्त्वपूर्ण बन जाती है

  1. घर को खूबसूरत और खुशहाल बनाना-अच्छी गृह व्यवस्था से ही घर अधिक सुन्दर, सजीला और खुशहाल हो सकता है। यदि व्यवस्था अच्छी हो तो कम साधनों से भी परिवार खुशी और उन्नति प्राप्त कर सकता है।
  2. स्वास्थ्य सम्भाल-अच्छी गृह व्यवस्था में गृह परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रह सकता है। सन्तुलित खुराक, सफ़ाई आदि एक अच्छी व्यवस्था वाले घर में प्राप्त होती है।
  3. अच्छी गृह व्यवस्था में ही बच्चों का उचित मानसिक विकास होता है तथा वे अपनी पढ़ाई और कैरियर में उच्च मंज़िलें प्राप्त करते हैं।

इनके अतिरिक्त परिवार को आनन्दमयी बनाना, साधनों का सही प्रयोग और आपसी प्यार एक अच्छी व्यवस्था में ही सम्भव हो सकता है।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 18.
अच्छे गृह प्रबन्धक में क्या गुण होने ज़रूरी हैं?
उत्तर-
अच्छा गृह प्रबन्ध गृह प्रबन्धक की योग्यता पर ही निर्भर करता है। गृह प्रबन्धक के गुण और अवगुण किसी घर को स्वर्ग बना सकते हैं और किसी को नरक। घर को सामाजिक गुणों का झूला कहा जाता है। प्रत्येक इन्सान का प्रारम्भिक व्यक्तित्व घर में ही बनता है। इसलिए घर का वातावरण बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। बढ़िया पारिवारिक व्यवस्था तथा वातावरण पैदा करने के लिए गृह प्रबन्धक में निम्नलिखित योग्यताओं या गुणों का होना आवश्यक है

  1. मानसिक गुण (Psychological Qualities)
  2. शारीरिक गुण (Physical Qualities)
  3. सामाजिक और नैतिक गुण (Social and Moral Qualities)
  4. ग्रहणशीलता (Adaptability)
  5. काम में कुशलता (Efficient Worker)
  6. तकनीकी गुण (Technical Qualities)
  7. बाह्य गुण (Outdoor Qualities)

1. मानसिक गुण (Psychological Qualities)

  1. बुद्धि (Intelligence) — सफल गृहिणी के लिए बुद्धि एक आवश्यक विशेषता है। किसी मुश्किल को अच्छी तरह समझने, पूरे हालात का जायजा लेने, पहले अनुभवों से हुई जानकारी को नई समस्या के समाधान के लिए प्रयोग कर उद्देश्यों की पूर्ति करना गृहिणी की बुद्धिमत्ता पर आधारित है।
  2. ज्ञान (Knowledge) — ज्ञान भी एक साधन है। यह साधन घर को अच्छी तरह चलाने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त यह हमें अन्य मानवीय और भौतिक साधनों के बारे में परिचित कराता है जोकि घरेलू उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होता है।
  3. उत्साह (Enthusiasm) — उत्साह बढ़िया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का सूचक है। एक सफल गृह प्रबन्धक के लिए यह गुण बहुत आवश्यक है। यदि गृहिणी घर के काम के लिए उत्साहित होगी तो परिवार के अन्य सदस्यों पर भी अच्छा प्रभाव होता है। वे भी काम में रुचि लेते हैं। उत्साह होने से प्रत्येक काम आसान लगता है और ज्ञान-इन्द्रियों की हरकत तेज़ हो जाती है।
  4. मानवीय स्वभाव को समझने का सामर्थ्य (Ability to Understand Human Nature) — परिवार के सभी सदस्यों के स्वभाव भिन्न-भिन्न होते हैं। इस कारण ही उनकी रुचियां और आवश्यकताएं भी भिन्न-भिन्न होती हैं। गृह प्रबन्धक को इन सबका ध्यान रखना चाहिए। परिवार के सदस्यों की रुचियों, योग्यताओं और आवश्यकताओं की जानकारी, योजना बनाने और काम के विभाजन में सहायक होती है।
  5. कल्पना शक्ति (Imagination) — गृह प्रबन्ध सम्बन्धी आयोजन के लिए रचनात्मक कल्पना शक्ति का होना आवश्यक गुण है। कल्पना शक्ति से गृहिणी योजना बनाते समय ही आने वाली समस्याओं को देख सकती है और उनका हल ढूंढने में सफल हो सकती है।
  6. निर्णय लेने की शक्ति (Decision Making Power) — गृह प्रबन्ध में निर्णय लेने का बहुत महत्त्व है। ठीक निर्णय लेना प्रबन्धक की दूर दृष्टि पर निर्भर करता है और इसके लिए अच्छे तजुर्बे की भी आवश्यकता होती है। इसलिए. गृह प्रबन्धक में निर्णय लेने की शक्ति एक आवश्यक विशेषता है।

2. शारीरिक गुण (Physical Qualities) — गृहिणी के लिए शारीरिक गुणों का होना भी बहुत आवश्यक है। यदि वह निरोग और तन्दुरुस्त होगी तो अपने घर के कार्यों और उद्देश्यों को और परिवार के सदस्यों की इच्छाओं की प्राप्ति उत्साहपूर्ण कर सकती है। तन्दुरुस्ती उसको काम के लिए उत्साहित करती है। बीमार और आलसी गृहिणी अपने परिवार के उद्देश्यों की प्राप्ति में पूर्ण सफल नहीं हो सकती।

3. सामाजिक और नैतिक गुण (Social and Moral Qualities) — परिवार समाज की प्रारम्भिक इकाई है और इन्सान समाज में रहना, सामाजिक और नैतिक गुण परिवार में से ही ग्रहण करता है।

  1. दृढ़ता (Firmness) — जिस गृहिणी में यह गुण होता है वह अपने उद्देश्यों और इच्छाओं की प्राप्ति के लिए हमेशा यत्नशील रहती है। वह कठिनाइयों का बहुत हौसले और बहादुरी से सामना करने के योग्य होती है। इस गुण के परिणामस्वरूप ही वह अपने लिए गए निर्णयों की प्राप्ति के लिए हमेशा यत्नशील रहती है और सफलता प्राप्त करती है।
  2. सहयोग (Co-operation) — गृह प्रबन्धक के इस गुण से घर परिवार खुशहाल रहता है। सहयोग भाव एक दूसरे के काम करने, लेन-देन से आपसी निकटता बढ़ती है और गृहिणी का बोझ भी कम हो जाता है। सहयोग के कारण ही बहुत-से काम पूरे हो जाते हैं।
  3. प्यार, हमदर्दी और स्वःनियन्त्रण की भावना (Love, Sympathy and Self-Control) — प्यार, हमदर्दी से ही गृहिणी दूसरों का सहयोग प्राप्त कर सकती है और बच्चों के लिए आदर्श बन सकती है। एक समझदार गृहिणी में बातचीत करने के ढंग, बच्चों या छोटों को प्यार, बड़ों का सत्कार और दुःखियों से हमदर्दी होनी चाहिए। वह अपने गुणों के कारण ही परिवार की सुख-शान्ति बनाए रख सकती है।
  4. सहनशक्ति और धैर्य (Tolerance and Patience) — गृहिणी के मानवीय स्वभाव को समझते हुए सहनशक्ति और धैर्य से काम लेना चाहिए ताकि परिवार में आपसी मतभेद और तनाव पैदा न हो। परिवार में कोई दुःखदायक घटना घटने पर धीरज और हौसला रखकर शेष सदस्यों को भी धैर्य देना चाहिए ताकि परिवार संकटमयी समय से आसानी से निकल सके।

4. ग्रहणशीलता (Adaptability) — ग्रहणशीलता के गुण से गृहिणी दूसरों के ज्ञान और तजुर्बे से लाभ उठाकर अपने घर-प्रबन्ध के काम को और भी बढ़िया ढंग से चला सकती है। वैसे भी समाज परिवर्तनशील है, इसलिए गृहिणी की योजना इतनी लचकदार होनी चाहिए कि वह बदलती परिस्थितियों के अनुसार अपनी योजना और अपने आपको ढाल सके। परिस्थितियां और मानवीय आवश्यकताएं रोजाना परिवर्तित होती रहती हैं। यदि वह बदलती आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढाल सके तभी वह आगे बढ़ सकती है।

5. काम में कुशलता (Efficient Worker) — घर का बढ़िया गृह प्रबन्ध, गृहिणी की काम में कुशलता पर निर्भर करता है। इससे काम कम समय में, कम थकावट से और अच्छे ढंग से करके खुशी मिलती है। पर यह सब तभी हो सकता है यदि गृहिणी में सिलाई, कढ़ाई, खाना बनाने, परोसने और घर की सजावट आदि के गुण होंगे।

6. तकनीकी गुण (Technical Qualities) — गृहिणी के तकनीकी ज्ञान से न सिर्फ धन की बचत होती है बल्कि रुकावट दूर करके समय भी बचा लिया जाता है। गृहिणी में छोटी-छोटी वस्तुओं की तकनीकी जानकारी होना बहुत आवश्यक है जैसे फ्यूज़ लगाना, गैस का चूल्हा ठीक करना, बिजली के प्लग की मुरम्मत और छोटे-छोटे उपकरणों की मुरम्मत आदि का ज्ञान होना आवश्यक है।

7. बाह्य गुण (Outdoor Qualities) — आज के युग में विशेषकर जब गृह प्रबन्धक घर की चार-दीवारी तक ही सीमित नहीं रह गया इसलिए इसके गुणों का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए उसको बैंक, डाकघर, बीमा आदि सेवाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए और साइकल, स्कूटर और कार चलानी आनी चाहिए। इसके साथ-साथ यातायात के साधनों और खरीदारी करने के गुणों का ज्ञान होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उसको किसी पर निर्भर न करना पड़े और अपने गुणों के कारण परिवार को उन्नति के रास्ते पर लेकर खुशहाल बना सके।

प्रश्न 19.
अच्छी गृह व्यवस्था के लिए अच्छे प्रबन्धक की आवश्यकता है। क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं? यदि हो तो क्यों?
अथवा
गृह व्यवस्था से क्या अभिप्राय है? इसके महत्त्व के बारे में विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
गृह प्रबन्ध का महत्त्व (Importance of Home Management) — प्रबन्ध प्रत्येक घर में होता है यद्यपि अमीर हो या ग़रीब। पर इसकी गुणवत्ता में ही अन्तर होता है। पारिवारिक खुशहाली और सुख-शान्ति समूचे गृह प्रबन्ध का निष्कर्ष है। निम्नलिखित महत्त्व के कारण यह परिवार के लिए लाभदायक है

  1. रहन-सहन का स्तर ऊंचा होता है । (Rise in standard of living.)
  2. पारिवारिक कार्यों को वैज्ञानिक ढंगों से किया जा सकता है। (Use of scientific methods and appliances for working.)
  3. कुशलता का विकास होता है। (Development of skill.)
  4. सीमित साधनों से बढ़िया जीवन गुज़ारा जा सकता है। (More satisfaction with limited resources.)
  5. जीवन खुशहाल और सुखमयी होता है। (Life becomes pleasant and comfortable.)
  6. बच्चों के लिए शिक्षा और उनका योगदान (Children learn by contributing their share and responsibility.)

रहन-सहन का स्तर ऊंचा होता है — जीवन का स्तर तभी ऊंचा उठ सकता है, यादि सीमित साधनों के योग्य प्रयोग से अधिक-से-अधिक लाभ उठाया जाए और एक अच्छी गृहिणी प्रबन्ध द्वारा अपनी मुख्य आवश्यकताओं और उद्देश्यों को न पहल देकर बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, समय, व्यक्तित्व को पहल देती है और हमेशा परिवार के उद्देश्यों के लिए यत्नशील रहती है। ऐसे परिवार के सदस्य सन्तुष्ट और अच्छे व्यक्तित्व के मालिक होते हैं और वे समाज में अपनी जगह बना लेते हैं। इन सब से ही परिवार का स्तर ऊँचा होता है।

2. पारिवारिक कार्यों को वैज्ञानिक ढंगों से किया जा सकता है — आधुनिक युग की गृहिणी सिर्फ घर तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि वह घरों से बाहर भी काम करती है। दोनों ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाने के लिए उसको अधिक समय और शक्ति की आवश्यकता है। वह घरेलू कामों को मशीनी उपकरणों से करने से समय और शक्ति दोनों ही बचा लेती है जैसे मिक्सी, प्रेशर कुक्कर, फ्रिज, कपड़े धोने वाली मशीन और बर्तन साफ़ करने वाली मशीन आदि।

3. कुशलता का विकास होता है — गृह प्रबन्ध करते समय साधनों का उचित प्रयोग गृहिणी की आन्तरिक कला और रुचि का विकास करती है। जैसे कि घर को कम-से-कम व्यय करके कैसे सजाया जाए कि घर की सुन्दरता भी बढ़े और अधिकसे-अधिक सन्तुष्टि भी मिले।

4. सीमित साधनों से बढ़िया जीवन गुजारा जा सकता है — प्रत्येक परिवार में ही आय और साधन सीमित होते हैं आवश्यकताएं असीमित। परिवार की खुशी बनाये रखने के लिए गृह प्रबन्ध द्वारा असीमित आवश्यकताओं को सीमित आय में पूरा करने के लिए गृहिणी को घर के खर्चे का बजट बनाकर और आवश्यकताओं को महत्ता के अनुसार क्रमानुसार कर लेना चाहिए। सबसे ज़रूरी और मुख्य आवश्यकताओं को पहले पूरा करके फिर अगली आवश्यकताओं की ओर ध्यान दिया जा सकता है। इससे कम-से-कम साधनों से अधिक-से-अधिक सन्तुष्टि प्राप्त की जा सकती है।

5. जीवन खुशहाल और सुखमयीं होता है — गृह प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य खुशहाल परिवार का सृजन है। अच्छे प्रबन्ध से परिवार के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकताओं, रुचियों और सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है; जिससे परिवार खुश और सन्तुष्ट रहता है। इसके अतिरिक्त गृह प्रबन्ध से

  1. पारिवारिक सदस्यों को सन्तुष्टि और मानसिक सन्तुष्टि मिलती है जो एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है।
  2. परिवार फिजूल खर्ची से बच जाता है क्योंकि यदि बजट बनाकर खर्च किया जाए तो फिजुल खर्ची की सम्भावना ही नहीं रहती।
  3. घरेलू उलझनें हल हो जाती हैं और इससे
  4. परिवार के आराम और मनोरंजन को भी आँखों से ‘ओझल नहीं किया जाता।

6. बच्चों के लिए शिक्षा और उनका योगदान-घर के वातावरण की बच्चे के जीवन पर अमिट छाप रहती है। एक खुशहाल परिवार के बच्चे हमेशा सन्तुष्ट होते हैं। अपने मां-बाप के अच्छे घरेलू प्रबन्ध से प्रभावित होकर बच्चे भी अच्छी शिक्षा लेते हैं और अपनी ज़िन्दगी में सफल होते हैं। जिन परिवारों में सभी सदस्य इकट्ठे होकर अपने उद्देश्य के लिए योजनाबन्दी करते हैं और प्रत्येक अपनी-अपनी योग्यता और ज़िम्मेदारी से सहयोग देता है तो उद्देश्यों की पूर्ति बड़ी आसानी से हो जाती है और परिवार का प्रत्येक सदस्य सन्तुष्ट होता है। भाव गृह प्रबन्ध खुश और सुखी परिवार का आधार है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 20.
अच्छा गृह प्रबन्धक बनने के लिए अपने में क्या सुधार लाये जा सकते हैं ?
उत्तर-
गृह प्रबन्धक, गृह व्यवस्था का धुरा होता है। घर की पूरी व्यवस्था उसके इर्द-गिर्द घूमती है। पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति और घर की खुशहाली, सुख-शान्ति उसकी योग्यता पर ही निर्भर करती है। ग्रहणशीलता अर्थात् वातावरण के अनुसार अपने आपको ढालना, घर की आवश्यकताओं के अनुसार अपनी कमज़ोरियों को दूर करना अच्छे गृह प्रबन्धक की निशानियां हैं। अच्छे गृह प्रबन्धक को अपने आप में निम्नलिखित सुधार लाने चाहिएं —

1. ज्ञान को बढ़ाना-ज्ञान एक बहुत ही अनमोल मानवीय स्रोत है और ज्ञान प्राप्त करने से ही व्यक्ति समझदार और योग्य बनता है। गृह प्रबन्ध के मसले में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। एक अच्छी गृहिणी, घर से सम्बन्धित मामलों में हर समय जानकारी प्राप्त करने के लिए तैयार रहती है। आजकल विज्ञान का युग है और समाज में बहुत तेजी से परिवर्तन आ रहे हैं।
कपड़े, भोजन, स्वास्थ्य, वैज्ञानिक उपकरणों के बारे में ज्ञान होना गृह प्रबन्धक की आवश्यकता है। इसलिए अच्छे गृह प्रबन्धक को अपने ज्ञान का स्तर बढ़ाना चाहिए।

2. कार्य में कुशलता प्राप्त करनी-कार्य में कुशलता एक सफल गृहिणी का महत्त्वपूर्ण गुण है। घर के कार्य ऐसे होते हैं जिनमें कुशलता प्राप्त करने के लिए गृहिणी को लगातार मेहनत करने की आवश्यकता पड़ती है। जैसे पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना प्रत्येक घर की आवश्यकता है। समझदार गृहिणी अपनी कोशिश से बढ़िया खाना बनाना सीख सकती है। इस तरह घर के अन्य कार्य जैसे कपड़े सिलना, वैज्ञानिक उपकरणों का सही प्रयोग, घर की सफ़ाई आदि में प्रत्येक गृहिणी को कुशलता प्राप्त करनी चाहिए।

3. सामाजिक और नैतिक गुणों का विकास करना-परिवार समाज की एक प्रारम्भिक इकाई है। कोई भी परिवार समाज से अलग नहीं रह सकता। इसलिए समाज में परिवार का एक इज्जत योग्य स्थान बनाने के लिए गृहिणी को सामाजिक गुणों का विकास करना चाहिए। आस-पड़ोस से बढ़िया सम्बन्ध रखने, सामाजिक जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाना, दूसरे लोगों से सहयोग करना, मुसीबत के समय किसी के काम आना, ग़रीबों से हमदर्दी रखना आदि गुण विकसित करके एक गृहिणी समाज में परिवार की इज्जत बढ़ा सकती है।

4. परिवार के सदस्यों की मानसिक बनावट को समझना-परिवार के सदस्यों का स्वभाव और मानसिकता भिन्न-भिन्न होती है जो गृहिणी हमारे परिवार के सदस्यों से एक तरह व्यवहार करती है, उसको सफल गृहिणी नहीं कहा जा सकता। इसलिए एक सफल गृहिणी को परिवार के सभी सदस्यों की मानसिकता को ध्यान में रखकर ही उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के यत्न करने चाहिए ताकि परिवार के सभी सदस्य खुश रह सकें।

5. सहनशीलता और धैर्य-सहनशीलता और धैर्य ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक सफल गृह प्रबन्धक में होने चाहिएं। यदि गृहिणी में इनकी कमी है तो उस घर में कभी सुख शान्ति नहीं रह सकती। गृहिणी परिवार का एक धुरा होता है। सारा परिवार अपनी आवश्यकताओं के लिए उसकी ओर देखता है और गृहिणी को प्रत्येक सदस्य की बात धैर्य से सुनकर उसका समाधान ढूंढना चाहिए। इससे घर का वातावरण ठीक रहता है। यदि गृहिणी में ही सहनशीलता की कमी है तो घर में अशान्ति और लड़ाई झगड़े होंगे और घर की बदनामी होगी और परिवार अपने उद्देश्य पूरे नहीं कर सकेगा। ऐसे वातावरण में बच्चों के व्यक्तित्व का विकास बढ़िया नहीं होगा इसलिए एक अच्छी गृहिणी को सहनशीलता और धैर्य रखने के गुण विकसित करने चाहिएं।

6. तकनीकी गुणों का विकास-आजकल विज्ञान का युग है। एक सफल प्रबन्धक के लिए घर में प्रयोग आने वाले उपकरणों की सही प्रयोग की जानकारी बहुत आवश्यक है और यह जानकारी इन उपकरणों के साथ दिए गए निर्देशों में से आसानी से प्राप्त की जा सकती है। इस जानकारी से इन उपकरणों को घर के प्रबन्ध में आसानी से प्रयोग कर सकती है और अपनी शक्ति और समय बचा सकती है।
आजकल की तेज़ रफ्तार ज़िन्दगी में प्रत्येक गृहिणी को कार या स्कूटर की ड्राइविंग भी अवश्य सीखनी चाहिए। इससे उसमें घर की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भरता कम होगी। इसके अतिरिक्त बच्चों को पढ़ाने के लिए हर जानकारी प्राप्त करने के लिए कम्प्यूटर और इन्टरनेट के बारे में सीखना चाहिए।

Home Science Guide for Class 10 PSEB गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक Important Questions and Answers

अति लघु उत्तराय प्रश्न

प्रश्न 1.
छोटे समय के लक्ष्य की उदाहरण दें।
उत्तर-
बच्चों को स्कूल भेजना।

प्रश्न 2.
दीर्घ समय के लक्ष्य की उदाहरण दें।
अथवा
लम्बी अवधि के टीचे का उदाहरण दें।
उत्तर-
मकान बनाना।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 3.
मानवीय साधनों की दो उदाहरण दें।
उत्तर-
कुशलता, स्वास्थ्य, योग्यता आदि।

प्रश्न 4.
शक्ति कैसा साधन है?
उत्तर-
मानवीय साधन।

प्रश्न 5.
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
इससे परिवार के अन्य सदस्य भी काम करने के लिए उत्साहित होते हैं।

प्रश्न 6.
लक्ष्यों को किस्म के अनुसार कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
दो भागों में व्यक्तिगत लक्ष्य तथा पारिवारिक लक्ष्य।

प्रश्न 7.
गृह प्रबन्धक के मानसिक गुण बताओ।
उत्तर-
बुद्धि, ज्ञान, उत्साह, निर्णय लेने की शक्ति, कल्पना शक्ति आदि।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 8.
गृह प्रबन्धक के सामाजिक तथा नैतिक गुण बताओ।
उत्तर-
दृढ़ता, सहयोग, प्यार, हमदर्दी, स्वः नियन्त्रण की भावना आदि।

प्रश्न 9.
अच्छे गृह प्रबन्धक के दो गुण बताओ।
उत्तर-
अच्छा खाना पकाना, सोचने तथा निर्णय लेने की शक्ति।

प्रश्न 10.
समय, पैसा तथा घर का सामान कैसा साधन है?
अथवा
समय, पैसा तथा जायदाद कैसे साधन हैं?
उत्तर-
भौतिक साधन।

प्रश्न 11.
कुशलता तथा योग्यता कैसे साधन हैं?
उत्तर-
मानवीय साधन।

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प्रश्न 12.
मकान बनाना किस अरसे का लक्ष्य है?
उत्तर-
लम्बे अरसे का।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गृह व्यवस्था के साथ गृहिणी समय का ठीक उपयोग कैसे करती है?
उत्तर-
अच्छी गृहिणी घर के सारे कार्य को योजनाबद्ध ढंग से करती है। वह कार्य करने के लिए समय सारिणी निश्चित करती हैं तथा घर के सभी सदस्यों को कार्य इसी सारिणी के अनुसार करने के लिए प्रेरित करती है। घर के भिन्न-भिन्न कार्य सदस्यों में बाँट देती है। इस प्रकार सभी कार्य समयानुसार निपट जाते हैं तथा समय भी बच जाता है।

प्रश्न 2.
अच्छे प्रबन्धक के कोई दो गुणों के बारे में बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 3.
कोई दो विद्वानों द्वारा दी गई गृह विज्ञान की परिभाषाएं दें।
उत्तर-

  1. पी० निक्कल तथा जे० एम० डोरसी के अनुसार, गृह प्रबन्ध परिवार के उद्देश्यों को प्राप्त करने के इरादे से परिवार में उपलब्ध साधनों को योजनाबद्ध तथा संगठित करके अमल में लाने का नाम है।
  2. गुड्ड जॉनसन के अनुसार, गृह व्यवस्था करना सभी देशों में एक आम व्यवसाय (कार्य) है तथा इस व्यवसाय में अन्य व्यवसायों से अधिक लोग कार्यरत हैं। इसमें धन का प्रयोग भी अधिक होता है तथा यह लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है।

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प्रश्न 4.
गृह व्यवस्था व्यक्तित्व का विकास किस प्रकार करती है?
उत्तर-
यदि गृह व्यवस्था अच्छी हो तो मनुष्य घर में सुख, आनन्द की प्राप्ति कर लेता है तथा सन्तुलित रहता है। ऐसे आनन्दमयी तथा सुखी वातावरण का प्रभाव बच्चों पर भी अच्छा पड़ता है तथा उसका सर्वपक्षीय विकास होता है। घर में ही बच्चों में कार्य करने सम्बन्धी लगन लगती है। बहुत से महान् कलाकारों को यह वरदान घर से ही प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 5.
अच्छे प्रबन्धक के तीन गुणों का वर्णन करें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

प्रश्न 6.
अच्छे गृह प्रबन्धक में निर्णय लेने की शक्ति और सहनशीलता का होना क्यों जरूरी है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 7.
घर एक निजी स्वर्ग का स्थान है क्यों?
उत्तर-
घर का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। घर में न केवल मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, बल्कि उसकी भावनात्मक आवश्यकताएं भी पूर्ण होती हैं। घर का प्रत्येक मनुष्य की खुशियों तथा उसके व्यक्तित्व . के विकास में सबसे अधिक योगदान होता है। इसलिये घर को निजी स्वर्ग भी कहा जाता है।

प्रश्न 8.
अच्छे प्रबन्धक के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
अच्छे प्रबन्धक को बजट बनाना तथा उसके अनुसार कार्य करना आना चाहिए। उपभोक्तावाद के इस युग में कौन-सी वस्तुओं को अधिक खरीद कर लाभ हो सकता है तथा कुछ वस्तुओं को आवश्यकता के अनुसार खरीदना चाहिए। कुछ पैसे भविष्य के लिए बचा कर रखने चाहिए। आमदनी तथा खर्च में सामंजस्य होना चाहिए। यह तभी सम्भव है यदि गृह प्रबन्धक को अर्थशास्त्र का ज्ञान होगा।

प्रश्न 9.
अच्छी गृह व्यवस्था के लिए समय और शक्ति की व्यवस्था क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 10.
परिवार के साधनों को कितने भागों में बांटा जा सकता है? विस्तार में लिखो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 11.
गृह प्रबन्धक को अच्छा खरीददार होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
गृह प्रबन्धक को अच्छा खरीददार होना चाहिए। उसको घर के सदस्यों की आवश्यकताओं का पता होना चाहिए तथा ऐसा सामान खरीदना चाहिए जो सभी के लिए लाभदायक हो। बाज़ार में सर्वे करके बढ़िया तथा सस्ता सामान खरीदना चाहिए। लम्बे समय तक स्टोर की जाने वाली वस्तुओं को, जब वे सस्ती हों, अधिक मात्रा में खरीद लेना चाहिए। केवल वही वस्तुओं को खरीदना चाहिए जिनकी घर में आवश्यकता हो तथा लाभकारी हों।

प्रश्न 12.
अच्छे गृह प्रबन्धक में काम करने का उत्साह तथा होशियारी का होना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 13.
लक्ष्यों से क्या भाव है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न 3 (2-4 वाक्य वाला)।

प्रश्न 14.
गृह प्रबन्धक की क्या महत्ता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 15.
समय के अनुसार लक्ष्य कैसे बांटा जा सकता है?
उत्तर-
उदाहरण सहित बताओ।

  1. छोटे समय के लक्ष्य (Short Term Goals) जैसे बच्चों को स्कूल भेजना, काम पर जाना और घर के अन्य रोज़ाना कार्य।
  2. दीर्घ समय के लक्ष्य (Long Term Goals) जैसे मकान बनाना, बच्चों के विवाह करने आदि।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अच्छी गृह व्यवस्था का महत्त्व विस्तारपूर्वक बताएं।
उत्तर-
अच्छी गृह व्यवस्था का महत्त्व इस प्रकार है

  1. घर को सुन्दर तथा खुशहाल बनाना-अच्छी गृह व्यवस्था से घर सुन्दर, खुशहाल, सजीला बन जाता है। बेशक साधन सीमित हों तो भी घर को सुन्दर, बढ़िया
    तथा सुखी बनाया जा सकता है। प्रत्येक सदस्य अपनी बुद्धि विवेक के अनुसार घर
    की खुशहाली में योगदान डालता है।
  2. पारिवारिक स्तर को ऊँचा उठाना-गृह व्यवस्था अच्छी हो तो पारिवारिक स्तर ऊँचा उठाने में सहायता मिलती है। घर में ही मनुष्य को अपनी सफलता के लिए सीढ़ी का पहला सोपान प्राप्त होता है जिस पर चढ़ कर वह सफलता प्राप्त कर सकता है।
  3. व्यक्तित्व का विकास-यदि घर की व्यवस्था अच्छी हो तो मनुष्य घर में सुख, आनन्द की प्राप्ति कर लेता है तथा सन्तुलित रहता है। ऐसे आनन्ददायक तथा सुखी वातावरण का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है तथा उसका सर्वपक्षीय विकास होता है। घर से ही बच्चों में किसी काम को करने की लगन लगती है। बहुत से महान् कलाकारों को यह वरदान घर से ही प्राप्त हुआ है।
  4. समय का उचित प्रयोग-समय एक ऐसा सीमित साधन है जिसे बचाया नहीं जा सकता। इसलिए समय का उचित प्रयोग करके कार्य को सरल बनाया जा सकता है। गृह व्यवस्था अच्छे ढंग से की जाए तो घर के सभी कार्य समय पर निपट जाते हैं। अच्छी गृहिणी परिवार के सदस्यों को एक समय सारणी में ढाल लेती है तथा घर के काम परिवार के सदस्यों में बांट देती है। प्रत्येक सदस्य अपनी सामर्थ्य अनुसार काम करता है तथा घर में खुशी बनी रहती है।
  5. मानसिक सन्तोष-जब गृह व्यवस्था अच्छी हो तो मानसिक सन्तोष की प्राप्ति होती है। घर के लक्ष्य बहुत ऊँचे न हों तथा गृह व्यवस्था अच्छी हो तो लक्ष्यों की प्राप्ति सरलता से हो जाती है। इस प्रकार मानसिक सन्तुष्टि मिलती है।

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प्रश्न 2.
अच्छे प्रबन्धक के गुणों का वर्णन करें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

  1. ………. ही गृह विज्ञान का आधार है।
  2. मकान बनाना ………………….. समय का लक्ष्य है।
  3. शक्ति एक ………………… साधन है।
  4. बच्चे को डॉक्टर अथवा इन्जीनियर बनाना …………………. समय का लक्ष्य
  5. समय, पैसा तथा जायदाद (सम्पत्ति) …………………. साधन हैं।
  6. योग्यता, रुचि तथा कुशलता ………………….. साधन हैं।
  7. बढ़िया गृह व्यवस्था से ………………….. संतोष की प्राप्ति होती है।
  8. प्यार, हमदर्दी, सहयोग आदि गृह प्रबन्धक के ……………… गुण हैं।

उत्तर-

  1. गृह व्यवस्थ,
  2. लम्बे,
  3. भौतिक,
  4. लम्बे,
  5. भौतिक,
  6. मानवी,
  7. मानसिक,
  8. सामाजिक तथा नैतिक।

II. ठीक गलत बताएं

  1. मकान बनाना लम्बे समय का लक्ष्य है।
  2. अच्छे गृह प्रबन्धक के लिए बजट बनाना कोई आवश्यक नहीं है।
  3. शक्ति मानवीय साधन है।
  4. पैसा मानवीय साधन है।
  5. बच्चों को स्कूल भेजना छोटे समय का लक्ष्य है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ग़लत,
  5. ठीक।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भौतिक साधन है
(क) पैसा
(ख) जायदाद
(ग) घर का सामान
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
गृह प्रबन्धक के ‘मानसिक गुण हैं
(क) बुद्धि
(ख) उत्साह
(ग) ज्ञान
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 1 गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक

प्रश्न 3.
मानवीय साधन नहीं हैं
(क) शक्ति
(ख) ज्ञान
(ग) पैसा
(घ) कुशलता।
उत्तर-
(ग) पैसा

गृह व्यवस्था व अच्छा प्रबन्धक PSEB 10th Class Home Science Notes

  • गृह व्यवस्था पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति की कला है।
  • मकान भौतिक वस्तुओं से बनता है परन्तु घर भावनाओं से बनता है।
  • प्रत्येक परिवार के पास मानवीय और भौतिक साधन होते हैं।
  • समय एक ऐसा साधन है जो प्रत्येक के पास बराबर होता है।
  • अच्छे गृह प्रबन्धक में उत्साह और निर्णय लेने की योग्यता होनी चाहिए।
  • एक अच्छा प्रबन्धक वैज्ञानिक उपकरणों को घरेलू व्यवस्था के लिए सुलझे ढंग से प्रयोग करता है।
  • परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताएं पूरी करनी गृह प्रबन्धक का फर्ज है।
  • अच्छा गृह प्रबन्धक पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति इस ढंग से करता है कि कम-से-कम साधन खर्च हों।
  • अच्छा गृह प्रबन्धक परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा प्रति विशेष ध्यान देता है।

घर की व्यवस्था एक कला है जिस द्वारा परिवार के सभी सदस्यों की मानसिक और भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करके घर में एक खुशहाल वातावरण पैदा किया जाता है। परिवार की खुशहाली और खुशी, पारिवारिक साधनों के साथ-साथ गृह प्रबन्धक की योग्यता पर भी निर्भर करती है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

SST Guide for Class 6 PSEB प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो

प्रश्न 1.
पूर्व-इतिहास तथा इतिहास में क्या अन्तर है?
उत्तर-

  1. पूर्व इतिहास-मानव जीवन के जिस काल का कोई लिखित विवरण प्राप्त नहीं है, उसे पूर्व-इतिहास कहते हैं।
  2. इतिहास- इतिहास से भाव मानव जीवन के उस काल से है जिसका लिखित विवरण मिलता है।

प्रश्न 2.
वैदिक साहित्य के कौन-कौन से ग्रन्थ मिलते हैं?
उत्तर-
वैदिक साहित्य के निम्नलिखित ग्रन्थ मिलते हैं –

  1. वेद,
  2. ब्राह्मण ग्रन्थ,
  3. आरण्यक,
  4. उपनिषद्,
  5. सूत्र,
  6. महाकाव्य, (रामायण तथा महाभारत),
  7. पुराण।

प्रश्न 3.
अभिलेख (शिलालेख) हमें इतिहास जानने में किस प्रकार सहायता करते हैं?
उत्तर-
अभिलेख उन लेखों को कहते हैं जो पत्थर के स्तम्भों, चट्टानों, तांबे की प्लेटों, मिट्टी की तख्तियों तथा मन्दिर की दीवारों पर प्रचलित संकेतों अथवा अक्षरों में खुदे हुए होते हैं। ये इतिहास जानने में हमारी बहुत सहायता करते हैं। इनमें उस समय की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन किया गया है, जिस समय में ये लिखे गए थे। सम्राट अशोक के अभिलेख उसके धर्म तथा राज्य के विस्तार के बारे में बताते हैं। समुद्रगुप्त तथा स्कन्दगुप्त के.अभिलेखों से उनकी उपलब्धियों के बारे में पता चलता है। ताम्र-पत्रों से प्राचीन काल में भूमि को ख़रीदने-बेचने तथा भूमि दान करने की व्यवस्था का पता चलता है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 7 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

प्रश्न 4.
इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
पुरातन इमारतों, बर्तनों, दैनिक उपयोग की वस्तुओं, सिक्कों तथा प्राचीन अभिलेखों को इतिहास के पुरातात्विक स्रोत कहा जाता है।

प्रश्न 5.
महाकाव्य स्रोत के रूप में हमारी सहायता कैसे करते हैं?
उत्तर-
रामायण तथा महाभारत नामक दो महाकाव्य वैदिक काल में लिखे गए थे। इन महाकाव्यों से हमें प्राचीन भारतीय इतिहास विशेष तौर पर आर्यों के आगमन के पश्चात् प्राचीन भारत की सामाजिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक स्थिति के बारे में पता चलता है।

प्रश्न 6.
इतिहास के साहित्यिक स्रोतों पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
इतिहास के साहित्यिक स्रोतों में वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक, उपनिषद्, सूत्र, महाकाव्य, पुराण, बौद्ध तथा जैन ग्रन्थ आदि शामिल हैं। ये ग्रन्थ हमें धर्म के अलावा उस समय की घटनाओं तथा समाज के बारे में जानकारी देते हैं जिस समय ये लिखे गए थे। प्राचीन काल के नियमों तथा कानूनों से सम्बन्धित पुस्तकों, जिन्हें ‘धार्मिक शास्त्र’ कहा जाता है, की भी रचना हुई। मनुस्मृति ऐसी पुस्तकों में से मुख्य है। कौटिल्य ने शासन प्रबन्ध के बारे में ‘अर्थशास्त्र’ नामक ग्रन्थ लिखा। भास तथा कालिदास आदि विद्वानों द्वारा बहुतसे नाटक लिखे गए। बहुत-सी कहानियां भी लिखी गईं। इनके अतिरिक्त आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर आदि वैज्ञानिकों ने अपनी खोजों के बारे में पुस्तकें लिखीं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

प्रश्न 7.
स्मारकों के अध्ययन से हमें क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर-
सैंकड़ों वर्ष पहले बने स्तम्भों, किलों तथा महलों आदि को स्मारक कहते हैं। स्मारकों के अध्ययन से हमें महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी मिलती है। इनसे हमें पता चलता है कि प्राचीन भारत में लोगों का सांस्कृतिक जीवन कैसा था।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. इतिहास ………… का अध्ययन है।
  2. इतिहास ……….. के लिए अतीत का अध्ययन है।
  3. कौटिल्य द्वारा ………….. नाम की पुस्तक लिखी गई।
  4. पुस्तकें, साहित्यिक स्रोत, प्राचीन खण्डहर तथा वस्तुएं ……. स्रोत कहलाती हैं।

उत्तर-

  1. अतीत
  2. भविष्य
  3. अर्थशास्त्र
  4. इतिहास के।

III. निम्नलिखित के सही जोड़े बनायें

(1) आर्यभट्ट – (क) महाकाव्य
(2) रामायण – (ख) वेद
(3) सामवेद – (ग) कौटिल्य
(4) अर्थशास्त्र – (घ) वैज्ञानिक।
उत्तर-
सही जोड़े
(1) आर्यभट्ट – (घ) वैज्ञानिक
(2) रामायण – (क) महाकाव्य
(3) सामवेद – (ख) वेद
(4) अर्थशास्त्र – (ग) कौटिल्य।

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IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) का निशान लगायें

  1. मनुस्मृति धर्मशास्त्र ग्रन्थ है।
  2. आरण्यक वैदिक साहित्य का भाग नहीं हैं।
  3. सिक्के इतिहास का स्रोत नहीं हैं।
  4. अशोक ने अपना सन्देश पाषाण-स्तम्भों (पत्थरों के स्तम्भों) पर खुदवाया।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✓)

PSEB 6th Class Social Science Guide प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किन्हीं दो प्राचीन भारतीय स्मारकों के नाम बताइए जिनके अवशेष ऐतिहासिक जानकारी जुटाते हैं।
उत्तर-
अशोक के स्तम्भ, नालंदा विश्वविद्यालय।

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प्रश्न 2.
‘इपिग्राफी’ क्या होती है?
उत्तर-
अभिलेखों के अध्ययन को ‘इपिग्राफी’ कहते हैं।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों में निम्न में से क्या शामिल नहीं है?
(क) सिक्के
(ख) धार्मिक पुस्तकें
(ग) प्राचीन इमारतें।
उत्तर-
(ख) धार्मिक पुस्तकें

प्रश्न 2.
नीचे दर्शाया चित्र ‘सांची का स्तूप’ किस प्रकार का ऐतिहासिक स्त्रोत है?
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 7 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत 1
(क) साहित्यिक
(ख) सामाजिक
(ग) पुरातात्विक
उत्तर-
(ग) पुरातात्विक

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

प्रश्न 3.
निम्न में कौन से वैज्ञानिकों ने अपने आविष्कारों के बारे में पुस्तकें लिखी जो इतिहास लेखन में सहायता करती हैं?
(क) आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर
(ख) कौटिल्य तथा कालिदास
(ग) समुद्रगुप्त तथा स्कंदगुप्त।
उत्तर-
(क) आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर

प्रश्न 4.
निम्न में से किस प्राचीन राजा का उसके कार्यों के बारे में अभिलेख मिलता है?
(क) समुद्रगुप्त
(ख) अशोक
(ग) उपरोक्त दोनों।
उत्तर-
(ग) उपरोक्त दोनों।

अति लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इतिहास के चार साहित्यिक स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) वेद,
(2) ब्राह्मण ग्रंथ,
(3) उपनिषद्,
(4) महाकाव्य।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

प्रश्न 2.
किसी एक प्राचीन धर्मशास्त्र ग्रंथ का नाम लिखें।
उत्तर-
मनुस्मृति।

प्रश्न 3.
धर्मशास्त्र क्या है?
उत्तर-
प्राचीन काल के नियमों तथा कानूनों से सम्बन्धित पुस्तकों को धर्मशास्त्र कहा जाता है।

प्रश्न 4.
कहानी लेखन का आरम्भ कहां हुआ?
उत्तर-
भारत में।

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प्रश्न 5.
आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर आदि वैज्ञानिकों की पुस्तकों से क्या पता चलता है?
उत्तर-
आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर आदि वैज्ञानिकों की पुस्तकों से पता चलता है कि प्राचीन काल में विज्ञान तथा गणित के क्षेत्र में भारत अन्य देशों की तुलना में बहुत आगे था।

प्रश्न 6.
रामायण तथा महाभारत के लेखकों के नाम लिखें।
उत्तर-
रामायण के लेखक महाऋषि वाल्मीकि तथा महाभारत के लेखक महाऋषि वेद व्यास हैं।

प्रश्न 7.
चार पुरातत्त्व स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर-

  1. प्राचीन भवन,
  2. प्राचीन अभिलेख,
  3. प्राचीन सिक्के,
  4. प्राचीन वस्तुएं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

प्रश्न 8.
प्राचीन काल में ताम्रपत्रों का प्रयोग किस लिए किया जाता था? .
उत्तर-
प्राचीन काल में ताम्रपत्रों का प्रयोग भूमि को ख़रीदने व बेचने तथा भूमि-दान के दस्तावेज बनाने के लिए किया जाता था।

प्रश्न 9.
सम्राट अशोक कौन था?
उत्तर-
सम्राट अशोक मौर्य वंश का सबसे महान् शासक था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इतिहास के अध्ययन से हमें क्या पता चलता है?
उत्तर-
इतिहास के अध्ययन से हमें पता चलता है कि आरम्भ में मनुष्य कैसे रहता था तथा किस प्रकार समय के साथ-साथ सभ्यताओं का विकास हुआ।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 8 प्राचीन इतिहास का अध्ययन – स्त्रोत

प्रश्न 2.
इतिहास के अध्ययन का हमारे भविष्य से क्या संबंध है?
उत्तर-
इतिहास को अच्छे भविष्य के लिए अतीत का अध्ययन कहा जाता है। यदि हम भविष्य में एक मज़बूत तथा आदर्श समाज की स्थापना करना चाहते हैं तो हमारे लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि हम वर्तमान स्थिति तक किस प्रकार पहुंचे हैं। इस सब का ज्ञान इतिहास के अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है।

प्रश्न 3.
रामायण तथा महाभारत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
रामायण तथा महाभारत दो महत्त्वपूर्ण महाकाव्य हैं जो प्रारम्भिक वैदिक काल में लिखे गए थे। रामायण के लेखक महाऋषि वाल्मीकि हैं तथा इसमें 24000 श्लोक हैं। महाभारत कई शताब्दियों में भिन्न-भिन्न लेखकों द्वारा विस्तार में लिखी गई रचनाओं का समूह है। परन्तु आम विचार है कि इसके लेखक महाऋषि वेद व्यास हैं।

प्रश्न 4.
इतिहास के अध्ययन में प्राचीन सिक्कों का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
प्राचीन काल के सिक्के कली, तांबे, कांसे, चांदी तथा सोने आदि के बने हुए हैं। इन पर राजाओं के चित्र, जानवरों के चित्र, धार्मिक चिन्ह, सिक्के जारी करने वालों के नाम तथा तिथियां आदि लिखी हुई हैं। इनसे हमें प्राचीन राजाओं, उनके वंशों, प्राचीन काल के धार्मिक विश्वासों तथा लोगों के आर्थिक जीवन आदि के बारे में जानकारी महत्त्वपूर्ण होती है।

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प्रश्न 5.
सम्राट अशोक ने अपना सन्देश साधारण लोगों तक पहुंचाने के लिए क्या । किया?
उत्तर-
सम्राट अशोक ने अपना सन्देश साधारण लोगों तक पहुंचाने के लिए उसे चट्टानों तथा पत्थर के विशाल स्तम्भों पर खुदवाया ताकि लोग उसे पढ़ सकें। अनपढ़ लोगों को इसे समय-समय पढ़ कर सुनाया भी जाता था।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-
इतिहास के अध्ययन के स्रोत के रूप में अभिलेखों का महत्त्व बताएं।
उत्तर-
इतिहास के अध्ययन के स्रोत के रूप में अभिलेखों का बहुत महत्त्व है। प्राचीन काल में पत्थरों के स्तम्भों, मिट्टी की तख़्तियों, तांबे की प्लेटों तथा मन्दिरों की दीवारों पर अभिलेख लिखे जाते थे। इन अभिलेखों से उस काल की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का पता चलता है, जिस काल में ये लिखे गए थे।

1. अशोक ने मानवता के कल्याण के लिए अपना सन्देश चट्टानों तथा पत्थर के बड़ेबड़े स्तम्भों पर खुदवाकर सम्पूर्ण देश में फैला दिया ताकि लोग उसके विचारों को पढ़कर उन पर चल सकें। इन अभिलेखों से अशोक के धर्म तथा राज्य-विस्तार का पता चलता है।

2. अन्य कई राजाओं ने भी अपनी उपलब्धियों तथा विजयों को पत्थर के स्तम्भों पर खुदवाया। समुद्रगुप्त की उपलब्धियों का वर्णन उसके राज्य कवि हरिषेन ने इलाहाबाद में स्थित स्तम्भ-लेख में किया है।

3. दिल्ली में कुतुबमीनार के समीप स्थित लौह-स्तम्भ पर लिखित अभिलेख में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की उपलब्धियों का वर्णन है।

4. प्राचीन काल में भूमि को ख़रीदने-बेचने तथा भूमि को दान करने के लिए तांबे की प्लेटों का प्रयोग किया जाता था, जिन्हें ताम्र-पत्र कहते हैं। ताम्र-पत्र महत्त्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज़ हैं।

5. मिट्टी की तख़्तियों तथा मन्दिरों की दीवारों पर लिखित अभिलेखों से महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती है।