PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 4 आषाढी की सब्जियों की खेती

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 4 आषाढी की सब्जियों की खेती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 4 आषाढी की सब्जियों की खेती

PSEB 10th Class Agriculture Guide आषाढी की सब्जियों की खेती Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक-झे शब्दों में उतर दीजिए-

प्रश्न 1.
अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कितनी सब्जी खानी चाहिए ?
उत्तर-
284 ग्राम।

प्रश्न 2.
आलू कौन-सी ज़मीन में बढ़िया उगता है?
उत्तर-
रेतली मैरा भूमि में।

प्रश्न 3.
दो तरह की कौन-कौन सी खादें होती हैं ?
उत्तर-
दो प्रकार की-रासायनिक तथा जैविक।

प्रश्न 4.
काली गाजर की नयी किस्म कौन-सी है ?
उत्तर-
पंजाब ब्लैक ब्यूटी।

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प्रश्न 5.
मूली की पूसा चेतकी किस्म की बुआई कब करनी चाहिए ?
उत्तर-
अप्रैल से अगस्त में।

प्रश्न 6.
मटरों की दो अगेती किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मटर अगेता-6 तथा 7, अरकल।

प्रश्न 7.
बरोकली की पनीरी बोने का उचित समय कौन-सा है ?
उत्तर-
मध्य अगस्त से मध्य सितम्बर।

प्रश्न 8.
आलू की दो पछेती किस्में कौन-सी हैं ?
उत्तर-
कुफरी सिन्धूरी तथा कुफरी बादशाह।

प्रश्न 9.
एक एकड़ की पनीरी पैदा करने के लिए बंदगोभी का कितना बीज चाहिए ?
उत्तर-
200 से 250 ग्राम।

प्रश्न 10.
फास्फोरस तत्त्व कौन-सी खाद से मिलता है?
उत्तर-
सिंगल सुपरफास्फेट, डाई अमोनियम फास्फेट।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
सब्जी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पौधे का वह नर्म भाग; जैसे-फूल, फल, तना, जड़, पत्ते आदि जिन्हें कच्चा सलाद के रूप में या पका कर खाया जाता है, को सब्जी कहते हैं।

प्रश्न 2.
पनीरी के साथ कौन-कौन सी सब्जियां लगायी जाती हैं ?
उत्तर-
पनीरी के साथ वे सब्ज़ियां लगायी जाती हैं जो उखाड़ने के बाद फिर से बोने का झटका सहन कर लें। ये सब्जियां हैं-बंदगोभी, चीनी बंदगोभी, प्याज, सलाद, फूलगोभी आदि।

प्रश्न 3.
काली गाजर के मानव के शरीर को क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
काली गाजर में लौह तत्व होता है जो एनीमिया से बचाव करती है। इनमें ऐथोसाइनिन तथा फिनोल, कैंसर से बचाव करते हैं। काली गाजर की काँजी बनाते हैं जो पाचन शक्ति को ठीक रखती है।

प्रश्न 4.
मटरों में खरपतवारों की रोकथाम कैसे की जाती है ?
उत्तर-
मटरों में खरपतवारों की रोकथाम के लिए स्टोंप 30 ताकत 500 ग्राम एक लीटर या एफालॉन 50 ताकत 500 ग्राम प्रति एकड़ नदीन उगाने से पहले तथा बुआई के 2 दिनों में 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।

प्रश्न 5.
आलू में से खरपतवारों की रोकथाम के बारे में लिखें।
उत्तर-
आलू में से खरपतवारों की रोकथाम के लिए स्टोप 30 ताकत एक लीटर या एरीलान 75 ताकत 500 ग्राम या सैनकोर 70 ताकत 200 ग्राम का 150 लीटर पानी में घोल बनाकर नदीनों के जमने से पहले तथा पहली सिंचाई के बाद छिड़काव करना चाहिए।

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प्रश्न 6.
गाजर की बुआई का समय, प्रति एकड़ बीज की मात्रा तथा अंतर के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
बुआई का समय-ठंडा मौसम, सितम्बर से अक्तूबर माह। प्रति एकड़ बीज की मात्रा-4-5 किलोग्राम।
फासला-गाजरों को मेड़ों पर बोया जाता है तथा मेड़ों में फासला 45 सैं०मी० होना चाहिए।

प्रश्न 7.
आलुओं की उन्नत किस्मों, प्रति एकड़ बीज की मात्रा तथा बुआई के उचित समय के बारे में लिखिए।
उत्तर-
उन्नत किस्म-कुफरी सूर्य, कुफरी पुखराज, कुफरी ज्योति, कुफरी पुष्कर, कुफरी सिंधूरी, कुफरी बादशाह।
बीज की मात्रा प्रति एकड़-12-18 क्विंटल। बुआई का सही समय-पतझड़ के लिए अंत सितम्बर से मध्य अक्तूबर तथा बहार ऋतु के लिए जनवरी का पहला पखवाड़ा है।

प्रश्न 8.
रासायनिक खादें कौन-कौन सी होती हैं तथा नाइट्रोजन तत्व वाली खादों के बूटे के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
रासायनिक खादें कारखानों में तैयार की जाती हैं। ये हैं नाइट्रोजन तत्व वाली जैसे यूरिया, किसान खाद। फास्फोरस तत्व वाली जैसे सिंगल सुपरफास्फेट तथा डाईअमोनियम फास्फेट, पोटाश तत्व वाली खाद जैसे म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा कई अन्य तत्वों वाली खादें भी होती हैं। नाइट्रोजन खाद पौधों में वृद्धि का कार्य करती है तथा प्रोटीन की मात्रा बढ़ाती है।

प्रश्न 9.
सब्जियों के भविष्य से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
हमारे देश में प्रति व्यक्ति जितनी सब्जी खानी चाहिए। उससे कम मिल रही हैं तथा सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने की अत्यन्त आवश्यकता है इस प्रकार सब्जियों का भविष्य हमारे देश में उज्ज्वल है।

प्रश्न 10.
पोटाश तत्व वाली खाद का पौधों के लिए क्या महत्त्व है?
उत्तर-
यह तत्व फसल को रोगों से बचाता है तथा पौधे में पानी का प्रवेश ठीक रखने में सहायक है। इस तत्व की अधिक आवश्यकता आलू, गाजर तथा शक्करकंदी की फसलों में होती है।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
मूली की सारा साल खेती कैसे की जाती है ?
उत्तर-
मूली की सारा साल खेती निम्न सारणी के अनुसार की जाती है-
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प्रश्न 2.
मानव के खाद्य में सब्जियों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-मानव के खाद्य में सब्जियों का बहुत महत्त्व है। इनमें आहारीय तत्व कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, धातु, विटामिन होते हैं जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार एक वयस्क को प्रतिदिन 284 ग्राम सब्जियां खानी चाहिए। इनमें 114 ग्राम पत्तों वाली, 85 ग्राम जड़ वाली तथा 85 ग्राम अन्य सब्जियां होनी चाहिए। सब्जियों को कच्चा ही अथवा आग पर पका कर खाया जाता है। भारत जैसे देश में यहां अधिक जनसंख्या शाकाहारी है इसलिए सब्जियों का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

प्रश्न 3.
सर्दियों की सब्जियों को कीड़ों तथा बीमारियों से कैसे बचाया जा सकता है ?
उत्तर-
सर्दियों की सब्जियों का कीड़ों तथा बीमारियों से बचाव –

  1. गर्मी के मौसम में हल के द्वारा जुताई करने से धरती की कीड़े, उल्ली तथा कई नीमाटोड मर जाते हैं।
  2. यदि सही फसल चक्र अपनाया जाए तो आलू तथा मटर की कुछ बीमारियों से बचाव हो जाता है।
  3. अगेती फसल की बुआई की हो तो कीड़ों को हाथ से समाप्त किया जा सकता है।
  4. रोग वाले पौधों को नष्ट करके अन्य पौधों को रोगों से बचाया जा सकता है।
  5. बीज की सफाई करके बोने से रोगों तथा कीटों से बचा जा सकता है। बीज की सफाई कैपटान अथवा थीरम से की जाती है।
  6. सेवन, फेम आदि कीटनाशक का प्रयोग करके संडियों को मारा जा सकता है। इन चूसने वाले कीड़ों तथा तेले पर काबू पाने के लिए रोगर, मैटासिसटाकस तथा मैलाथियान का प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
अगेती मटरों की खेती के बारे में संक्षेप में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
उन्नत किस्म-अगेते मटर की उन्नत किस्में हैं-मटर अगेता-6 तथा 7, अरकल।
पैदावार-20-32 क्विंटल प्रति एकड़।
मौसम-ठंडा मौसम।
बुआई का समय-मध्य अक्तूबर से मध्य नवम्बर।
बीज की मात्रा-45 किलो प्रति एकड़। यदि बुआई पहली बार करनी हो तो राईजोबीयम का टीका लगाना चाहिए।
फासला-30 × 7 सैं०मी० ।
सिंचाई-पहली 15-20 दिन बाद, दूसरी फूल आने पर तथा तीसरी फलियां पड़ने पर।
खरपतवारों की रोकथाम-सटोंप 30 ताकत एक लीटर या टैफलान 50 ताकत 500 ग्राम प्रति एकड़ नदीन उगने से पहले तथा बुआई से 2 दिनों में 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
तुड़ाई-खाने के लिए ठीक अवस्था में फलियां तोड़ लेनी चाहिए।

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प्रश्न 5.
फूल गोभी की अगेती, मुख्य तथा पछेती फसल के लिए पनीरी बोने का समय, प्रति एकड़ बीज की मात्रा तथा अंतर के बारे में लिखिए।
उत्तर-
1. पनीरी बोने का समय-

  • अगेती-जून से जुलाई।
  • मुख्य फसल-अगस्त से मध्य सितम्बर।
  • पछेती फसल-अक्तूबर से नवम्बर।

2. प्रति एकड़ बीज की मात्रा-

  • अगेती फसल के लिए 500 ग्राम बीज प्रति एकड़।
  • अन्य के लिए 250 ग्राम बीज प्रति एकड़।

3. फासला-45 x 30 सें०मी० के अनुसार।

Agriculture Guide for Class 10 PSEB आषाढी की सब्जियों की खेती Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
विशेषज्ञों के अनुसार एक वयस्क को प्रतिदिन ………. ग्राम सब्जी खानी चाहिए।
(क) 500
(ख) 285
(ग) 387
(घ) 197.
उत्तर-
(ख) 285

प्रश्न 2.
जड़ वाली सब्जी नहीं है-
(क) गाजर
(ख) मूली
(ग) शलगम
(घ) मटर।
उत्तर-
(घ) मटर।

प्रश्न 3.
पनीरी लगा कर बुआई करने वाली सब्जियां हैं-
(क) फूल गोभी
(ख) बरोकली
(ग) प्याज़
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

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प्रश्न 4.
आषाढ़ी की सब्ज़ियां हैं
(क) गाजर
(ख) मटर
(ग) फूल गोभी
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 5.
मूली की किस्म नहीं है-
(क) पूसा चेतकी
(ख) जापानी व्हाइट
(ग) पूसा सनोवाल
(घ) पूसा पसंद।
उत्तर-
(ग) पूसा सनोवाल

प्रश्न 6.
आलू की किस्में हैं-
(क) कुफरी सूर्य
(ख) कुफरी पुष्कर
(ग) कुफरी ज्योति
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 7.
फसलों को रस चूसने वाले कीटों से बचाने के लिए कौन-सा कीटनाशक प्रयोग किया जाता है ?
(क) राइजोबियम
(ख) कैप्टान
(ग) स्टौंप
(घ) मेलाथियान।
उत्तर-
(घ) मेलाथियान।

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II. ठीक/गलत बताएँ-

1. पालम समृद्धि बरोकली की किस्म है।
2. जपानी व्हाइट मूली की किस्म है।
3. खादें दो तरह की होती हैं।
4. काली गाजर की किस्म है-पंजाब ब्लैक ब्यूटी।
5. पूसा सनोवाल-1, फूल गोभी की उन्नत किस्म है।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. ठीक।

III. रिक्त स्थान भरें-

1. पूसा हिमानी …………… की किस्म है।
2. कुफरी संधूरी ……………… की किस्म है।
3. मटर की मुख्य किस्म की पैदावार ……………… क्विंटल प्रति एकड़ है।
4. मटर के बीज को ……………… का टीका लगाया जाता है।
5. अर्कल ……………… की किस्म है।
उत्तर-

  1. मूली
  2. आलू,
  3. 47-55,
  4. राहजोबियम,
  5. मटर।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक वयस्क को अच्छे स्वास्थ्य के लिए कितने ग्राम सब्जी खानी चाहिए ?
उत्तर-
284 ग्राम।

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प्रश्न 2.
हमारे देश में सब्जियों का भविष्य कैसा है ?
उत्तर-
भविष्य उज्ज्वल है।

प्रश्न 3.
सब्जियों को पकने के लिए कितना समय लगता है ?
उत्तर-
बहुत कम, वर्ष में 2-4 फसलें ही लगाई जा सकती हैं।

प्रश्न 4.
गेहूँ, चावल के फसली चक्कर की तुलना में सब्जियों का उत्पादन कितना अधिक है ?
उत्तर-
5-10 गुणा।

प्रश्न 5.
सब्जियों की कृषि के लिए कौन-सी भूमि अच्छी मानी जाती है ?
उत्तर-
रेतली मैरा या चीकनी मैरा भूमि।

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प्रश्न 6.
जड़ वाली सब्जियों के लिए कैसी भूमि अच्छी रहती है ?
उत्तर-
रेतली मैरा भूमि।

प्रश्न 7.
खादें कितनी प्रकार की होती हैं ?
उत्तर-
दो प्रकार की।

प्रश्न 8.
खादों के प्रकार बताएं।
उत्तर-
रासायनिक तथा जैविक।

प्रश्न 9.
बीज कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
बीज अच्छी किस्म का तथा रोग रहित होना चाहिए।

प्रश्न 10.
रासायनिक खादों में कौन-से तत्व होते हैं ?
उत्तर-
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश।

प्रश्न 11.
बीज बोने के कौन-से दो ढंग हैं ?
उत्तर-
सीधी बुआई तथा पनीरी लगाकर।

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प्रश्न 12.
सीधी बुआई करके बोयी जाने वाली सब्जियों के नाम लिखो।
उत्तर-आलू, गाजर, मेथी, धनिया आदि।

प्रश्न 13.
पनीरी लगाकर बोई जाने वाली सब्जियां बतायें।
उत्तर-
चीनी बंदगोभी, फूलगोभी, बरोकली, प्याज, सलाद आदि।

प्रश्न 14.
सब्जियों के सम्बन्ध में गर्मी के मौसम में हल जोतने से क्या होता है ?
उत्तर-
धरती के कीड़े, फफूंदी तथा नीमाटोड मर जाते हैं।

प्रश्न 15.
सब्जियों के बीजों को कौन-सी दवाई से सोधा जा सकता है ?
उत्तर-
कैपटान या थीरम से।

प्रश्न 16.
सब्जियों में इंडियों को मारने के लिए कीटनाशक बताओ।
उत्तर-
सेवन, फेम।

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प्रश्न 17.
रस चूसने वाले कीड़े तथा तेले पर काबू करने के लिए दवाई बताएं।
उत्तर-
रोगर, मैटासिसटाकस, मैलाथियान।

प्रश्न 18.
आषाढ़ी की सब्जियों के नाम बताएं।
उत्तर-
गाजर, मूली, बंदगोभी, फूलगोभी, आलू, मटर आदि।

प्रश्न 19.
गाजर की कौन-सी किस्म अधिक ताप सह सकती है ?
उत्तर-
देसी किस्म।

प्रश्न 20.
पंजाब में गाजर की किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब ब्लैक ब्यूटी, पंजाब कैरेट रेड।

प्रश्न 21.
पंजाब कैरेट रेड, गाजर की पैदावार तथा रंग बताएं।
उत्तर-
लाल रंग, 230 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 22.
गाजर कहां बोयी जाती है ?
उत्तर-
मेड़ों पर।

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प्रश्न 23.
गाजर के लिए मेड़ों का फासला बताओ।
उत्तर-
मेड़ों का फासला 45 सैं०मी०।

प्रश्न 24.
गाजर के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
4-5 किलो बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 25.
गाजरों को अधिक पानी लगाने से क्या नुकसान होता है ?
उत्तर-
गाजर का रंग नहीं बनता।

प्रश्न 26.
गाजर की तैयारी को लगने वाला समय बताओ।
उत्तर-
90-100 दिनों में किस्मों के अनुसार गाजर तैयार हो जाती है।

प्रश्न 27.
मूली की किस्में बताओ।
अथवा
मूली की एक उन्नत किस्म का नाम लिखें।
उत्तर-
पंजाब पसंद, पूसा चेतकी, पूसा हिमानी, जापानी व्हाइट, पंजाब सफेद मूली-2.

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प्रश्न 28.
मूली की पैदावार बताओ।
उत्तर-
105-215 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 29.
मूली के बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
4-5 कि०ग्रा० बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 30.
मूली की बुआई कहां की जाती है तथा फासला बताओ।
उत्तर-
मेड़ों पर फासला लाइनों में 45 सैं०मी० तथा पौधों में 7 सैं०मी० ।

प्रश्न 31.
मूली कितने दिनों में निकालने योग्य हो जाती है ?
उत्तर-
45-60 दिनों में।

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प्रश्न 32.
मटर की अगेती किस्में बताओ।
उत्तर-
अगेता-6 तथा 7, अरकल।

प्रश्न 33.
मटर की अगेती किस्मों की पैदावार बताओ।
उत्तर-
20-32 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 34.
मटर की मुख्य मौसम की किस्में बताओ।
उत्तर-
मिठी फली, पंजाब-89.

प्रश्न 34.
(क) ‘मिठीफली’ कौन सी सब्जी की उन्नत किस्म है ?
उत्तर-
मटर।

प्रश्न 35.
मटर की मुख्य किस्म की पैदावार बताओ।
उत्तर-47-55 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 36.
मटर की कौन-सी किस्म बिना छिले खाई जा सकती है ?
उत्तर-
मिठी फली।

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प्रश्न 37.
मटर की बुआई का उचित समय बताओ।
उत्तर-
मध्य अक्तूबर से मध्य नवम्बर।

प्रश्न 38.
मटर के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
अगेती किस्म के लिए 45 कि०ग्रा० तथा मुख्य फसल 30 कि०ग्रा० बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 39.
मटर के लिए फासला बताओ।
उत्तर-
अगेती किस्म के लिए फासला 30 x 7 सैं०मी० तथा मुख्य फसल के लिए 30 x 10 सैं०मी० ।

प्रश्न 40.
मटर के बीज को कौन-सा टीका लगाया जाता है ?
उत्तर-
राईज़ोबियम का।

प्रश्न 41.
फूलगोभी की काश्त के लिए कितना तापमान ठीक है ?
उत्तर-
15-20 डिग्री सेंटीग्रेड।

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प्रश्न 42.
फूलगोभी की मुख्य समय की किस्म बताओ।
उत्तर-
जाईंट सनोवाल।

प्रश्न 43.
फूलगोभी की पिछेती बुआई की किस्म बताओ।
उत्तर-
पूसा सनोवाल-1, पूसा सनोवाल के-1.

प्रश्न 44.
फूलगोभी की फसल कब तैयार हो जाती है ?
उत्तर-
खेत में पनीरी निकाल कर लगाने के 90-100 दिनों के बाद।

प्रश्न 45.
बंदगोभी की पनीरी खेत में लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
सितम्बर से अक्तूबर।

प्रश्न 46.
बंदगोभी के लिए बीज की मात्रा बताएं।
उत्तर-
200-250 ग्राम प्रति एकड़।

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प्रश्न 47.
बंदगोभी की लाइनों में तथा पौधों में फासला बताएं।
उत्तर-
45 × 45 सैं०मी० फासला अगेती किस्म तथा 60 × 45 सैं०मी० फासला पिछेती किस्म के लिए।

प्रश्न 48.
(क) बरोकली की किस्म की पैदावार बताओ।
(ख) पंजाब बरोकली-1 कौन-सी सब्जी की उन्नत किस्म है ?
उत्तर-
(क) पंजाब बरोकली -1 तथा पालम समृद्धि, औसत पैदावार 70 क्विंटल प्रति एकड़।
(ख) यह बरोकली की किस्म है। यह फूलगोभी जैसी होती है।

प्रश्न 49.
बरोकली के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
250 ग्राम प्रति एकड़।

प्रश्न 50.
बरोकली के लिए पनीरी लगाने का उचित समय बताओ।
उत्तर-
मध्य अगस्त से मध्य सितंबर ।

प्रश्न 51.
चीनी बंदगोभी की पनीरी की बुआई का उचित समय बताओ।
उत्तर-
मध्य सितंबर में पनीरी बीज कर मध्य अक्तूबर में निकाल कर खेत में लगाएं।

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प्रश्न 52.
चीनी बंदगोभी के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
पनीरी के लिए 200 ग्राम प्रति एकड़ तथा सीधी बुआई के लिए एक किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है।

प्रश्न 53.
चीनी बंदगोभी की कितनी कटाईयां हो जाती हैं ?
उत्तर-
कुल छः कटाईयां।

प्रश्न 54.
आलू की अगेती किस्में बताओ।
उत्तर-
कुफरी सूर्य तथा कुफरी पुखराज।

प्रश्न 55.
आलू की अगेती किस्में कितने दिनों में तैयार हो जाती हैं ?
उत्तर-
90-100 दिनों में।

प्रश्न 56.
आलू की अगेती किस्मों की पैदावार बताएं।
उत्तर-
100-125 क्विंटल प्रति एकड़।।

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प्रश्न 57.
आलू की मध्यम समय की किस्में बताओ।
उत्तर-
कुफरी ज्योती, कुफरी पुष्कर।

प्रश्न 58.
आलू की मध्यम समय की फसलें कितने दिनों में तैयार हो जाती हैं ? पैदावार बताओ।
उत्तर-
100-110 दिन, पैदावार 120-170 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 59.
आलू की पिछेती किस्में बताओ।
उत्तर-
कुफरी सिंधूरी, कुफरी बादशाह।

प्रश्न 60.
आलू की पिछेती किस्मों की तैयारी तथा पैदावार बताओ।
उत्तर-
110-120 दिन, पैदावार 120-130 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 61.
आलू की बुआई के लिए मेड़ों के बीच तथा आलुओं के बीच फासला बताओ।
उत्तर-
60 सैं०मी०, 20 सैं०मी० ।

प्रश्न 62.
आलू का बीज कैसे बोना चाहिए ?
उत्तर-
काट कर।

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प्रश्न 63.
फूलगोभी की उन्नत किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
पूसा सनोबाल-1, पूसा सनोबाल के-1, जाईंट सनोवाल।

प्रश्न 64.
कुफरी पुखराज कौन सी सब्जी की उन्नत किस्म है ?
उत्तर-
आलू की।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
सब्जी से क्या भाव है ?
उत्तर-
पौधे का नर्म भाग जैसे फल, फूल, तना, जड़ें, पत्ते आदि जिन्हें कच्चा स्लाद के रूप में या पका कर खाया जा सकता है, को सब्जी कहते हैं।

प्रश्न 2.
सब्ज़ी में कौन-से पौष्टिक तत्व होते हैं ?
उत्तर-
सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, धातु, विटामिन आदि मिलते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अति आवश्यक है।

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प्रश्न 3.
प्रत्येक वयस्क को 284 ग्राम सब्जी प्रतिदिन खानी चाहिए इसमें भिन्नभिन्न सब्जियों के भाग बताओ।
उत्तर-
284 ग्राम सब्जी में 114 ग्राम पत्तों वाली, 85 ग्राम जड़ों वाली, 85 ग्राम अन्य सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 4.
जैविक खादों के लाभ बताओ।
उत्तर-
जैविक खादें भूमि की भौतिक तथा रासायनिक अवस्था को ठीक रखती हैं तथा भूमि ढीली रहती है जिसे वायु का आवागमन सरलता से हो जाता है।

प्रश्न 5.
कौन-सी सब्जियां पनीरी लगा कर बोई जाती हैं ?
उत्तर-
ऐसी सब्जियां जो पनीरी को उखाड़ने तथा फिर से लगाने के झटके को सहन कर लें, जैसे-बंदगोभी, बरोकली, प्याज़ आदि।

प्रश्न 6.
सर्दी की सब्जियों के कीड़ों तथा रोगों की रोकथाम के लिए दवाइयों का क्या योगदान है ?
उत्तर-
बीज की सुधाई के लिए कैपटान या थीरम का प्रयोग किया जाता है जिससे कीड़े तथा रोगों के हमले से बचाव हो जाता है।
कुछ कीटनाशक दवाइयां जैसे फेम, सेवन आदि का प्रयोग करके संडियों को मारा जा सकता है। रस चूसने वाले कीड़े तथा तेले को काबू करने के लिए रोगर, मैटासिसटाकस तथा मैलाथियान दवाइयों का प्रयोग किया जाता है।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 4 आषाढी की सब्जियों की खेती

प्रश्न 7.
गाजर की फसल के लिए सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
गाजर को 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुआई से तुरन्त बाद, दूसरी 10-12 दिनों बाद करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
मूली को किस प्रकार प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
मूली को सलाद के रूप में, सब्जी बनाने के लिए तथा परांठे बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 9.
मूली की पंजाब में बोई जाने वाली मुख्य किस्मों तथा पैदावार बताओ।
उत्तर-पंजाब पसंद, पंजाब सफेद मूली-2, पूसा चेतकी मूली की किस्में हैं जो पंजाब में मुख्य रूप से बोई जाती हैं तथा पैदावार 105-215 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।

प्रश्न 10.
मूली की सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
पहली सिंचाई बुआई से तुरन्त बाद तथा बाद में गर्मियों में 6-7 दिनों बाद तथा सर्दियों में 10-12 दिन बाद भूमि की किस्म के अनुसार करें।

प्रश्न 11.
यदि भूमि में मटर पहली बार बोए जाने हों तो बीज को कौन-सा टीका लगाया जाता है तथा क्यों ?
उत्तर-
मटर के बीज को राइजोबियम का टीका लगाया जाता है तथा इससे मटर की पैदावार बढ़ जाती है तथा भूमि में नाइट्रोजन इकट्ठी करने में सहायता मिलती है।

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प्रश्न 12.
मटर में खरपतवारों की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
खरपतवारों की रोकथाम के लिए टैफलान 50 ताकत 500 ग्राम या सटोंप 30 ताकत एक लीटर प्रति एकड़ नदीन उगने से पहले तथा बुआई से 2 दिन में 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।

प्रश्न 13.
फूल गोभी की सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
इसको कुल 8-12 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई पनीरी उखाड़ कर खेत में लगाने के तुरन्त बाद करनी चाहिए।

प्रश्न 14.
फूल गोभी तथा बंद गोभी तथा बरोकली में खरपतवारों की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
खरपतवारों की रोकथाम के लिए सटोंप 30 ताकत एक लीटर प्रति एकड़ को 200 लीटर पानी में घोल कर अच्छी प्रकार नमी वाले खेत में पौधे लगाने से एक दिन पहले छिड़काव करना चाहिए।

प्रश्न 15.
चीनी बंदगोभी के पत्ते किस काम आते हैं ? इसकी कटाई कितने दिनों में हो जाती है ?
उत्तर-
चीनी बंद गोभी के पत्ते साग बनाने के काम आते हैं। इसकी पहली कटाई 30 दिन बाद की जा सकती है।

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प्रश्न 16.
बंदगोभी लगाने का उचित समय तथा बीज की मात्रा लिखो।
उत्तर-
बंदगोभी के लिए पनीरी खेत में लगाने का समय सितम्बर से अक्तूबर है। एक एकड़ की पनीरी के लिए बीज की मात्रा 200-250 ग्राम है।

प्रश्न 17.
सब्जियों की कृषि के लिए कैसी भूमि का चुनाव किया जाता है ?
उत्तर-
सब्जियों की कृषि भिन्न-भिन्न तरह की भूमि में की जा सकती है। परन्तु रेतली मैरा या चीकनी मैरा ज़मीन सब्जियों की कृषि के लिए अच्छी है। जड़ वाली सब्जियां; जैसे-गाजर, मूली, शलगम, आलू आदि के लिए रेतली मैरा भूमि अच्छी है।

प्रश्न 18.
चीनी बंदगोभी की उन्नत किस्में लिखें।
उत्तर–
चीनी सरसों-1, साग सरसों।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
गाजर की कृषि का विवरण दें-
(i) किस्में, रंग
(ii) पैदावार
(iii) बीज की मात्रा
(iv) तैयारी
(v) फासला।
उत्तर-
(i) किस्में-दो किस्में हैं-देसी तथा विदेशी। पंजाब में गाजर की दो किस्में हैं-पंजाब कैरेट रेड तथा पंजाब ब्लैक ब्यूटी। पंजाब कैरेट रेड लाल रंग की तथा पंजाब ब्लैक ब्यूटी जामुनी काले रंग की है।
(ii) पैदावार-काली किस्म 196 क्विंटल प्रति एकड़ तथा लाल किस्म 230 क्विंटल प्रति एकड़।
(iii) बीज की मात्रा-4-5 किलो प्रति एकड़।
(iv) तैयारी-किस्म के अनुसार 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है।
(v) फासला-गाजर मेड़ों पर बोई जाती है तथा मेड़ों में फासला 45 सैं०मी० रखें।

प्रश्न 2.
बरोकली की खेती का विवरण निम्नलिखित अनुसार दीजिए
(क) उन्नत किस्म
(ख) बुआई का समय
(ग) बीज की मात्रा प्रति एकड़
(घ) पौधों के बीच दूरी।
उत्तर-
(क) उन्नत किस्म-पंजाब बरोकली-1, पालम समृद्धि। पैदावार-70 क्विंटल प्रति एकड़।।
(ख) बुआई का समय-पनीरी बोने का समय मध्य अगस्त से मध्य सितंबर तक है तथा पनीरी एक महीने की हो जाने पर निकाल कर खेत में लगा दें।
(ग) बीज की मात्रा-250 ग्राम प्रति एकड़।
(घ) पौधों के बीच दूरी-पंक्तियों में तथा पौधों में फासला 45 सैं०मी० ।

प्रश्न 3.
आलू की कृषि के बारे बताओ –
उत्तर-
1. किस्में-

  • अगेती-कुफरी सूर्य, कुफरी पुखराज।
  • मध्मय समय की-कुफरी ज्योती, कुफरी पुष्कर।
  • पिछेती-कुफरी बादशाह, कुफरी सिंधूरी।।

2. पैदावार-

  • अगेती-100-125 क्विंटल प्रति एकड़।
  • मध्यम-120-170 क्विंटल प्रति एकड़।
  • पिछेती-120-130 क्विंटल प्रति एकड़।

3. तैयारी का समय-

  • अगेती-90-100 दिन।
  • मध्यम-100-110 दिन।
  • पिछेती-110-120 दिन।

4. बुआई का समय-उचित समय पतझड़ के लिए सितंबर से मध्यम अक्तूबर तथा बहार ऋतु के लिए जनवरी का पहला पखवाड़ा।
5. बीज की मात्रा-12-18 क्विंटल प्रति एकड़ 1 बहार ऋतु की अगेती किस्म का 8 क्विंटल तथा पिछेती किस्म का 4-5 क्विंटल बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें तथा बीज को काट कर लगाना चाहिए।
6. फासला-मेड़ों में आपसी फासला 60 सैंमी० तथा आलुओं में 20 सैंमी० ।
7. खरपतवारों की रोकथाम-सटोंप 30 ताकत एक लीटर या एरीलान 75 ताकत 500 ग्राम या सैनकोर 70 ताकत 200 ग्राम का 150 लीटर पानी में घोल बना कर नदीनों के जमने तथा पहली सिंचाई के बाद छिड़काव करना चाहिए।
8. सिंचाई-बुआई से तुरन्त बाद पहली सिंचाई करो। इससे फसल जल्दी उगती है।

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प्रश्न 4.
सब्जियों की बिजाई के पांच लाभ लिखो।
उत्तर-

  • सब्जियों की फसल जल्दी तैयार हो जाती है तथा वर्ष में 3-4 या अधिक बार बेच कर अच्छी आमदन हो जाती है।
  • भारत में शाकाहारी लोग अधिक हैं तथा सब्जियों की खपत भी अधिक है।
  • सब्जियों में पौष्टिक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, प्रोटीन, धातु आदि होते हैं।
  • सब्जियां रोज़गार का अच्छा साधन हैं।
  • सारे परिवार को घर पर ही रोजगार मिल जाता है, कृषि साधनों का पूर्णतः प्रयोग सारा वर्ष होता रहता है।

प्रश्न 5.
मूली की खेती का विवरण निम्नलिखित अनुसार दीजिए :
(क) दो उन्नत किस्में
(ख) बीज की मात्रा प्रति एकड़
(ग) मेड़ों के बीच की दूरी
(घ) खुदाई
(ङ) उपज प्रति एकड़।
उत्तर-
(क) दो उन्नत किस्में-पूसा चेतकी, पूसा हिमानी।
(ख) बीज की मात्रा प्रति एकड़-4-5 किलो प्रति एकड़।
(ग) मेड़ों की बीच की दूरी-45 सें.मी. ।
(घ) खुदाई-45-60 दिनों बाद।
(ङ) उपज प्रति एकड़-105-215 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 6.
आलू की अगेती किस्मों की खेती का विवरण निम्नलिखित अनुसार दीजिए:
(क) दो उन्नत किस्में
(ख) बीज की मात्रा प्रति एकड़
(ग) मेड़ों की बीच की दूरी (घ) सिंचाई
(ङ) उपज प्रति एकड़।
उत्तर-
(क) दो उन्नत किस्में-कुफरी सूर्या, कुफरी पुखराज।
(ख) बीज की मात्रा प्रति एकड़-8 क्विंटल।
(ग) मेड़ों की बीच की दूरी-60 सें.मी तथा आलूओं में 20 सें.मी. ।
(घ) सिंचाई-बुआई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें।
(ङ) उपज प्रति एकड़-100-125 क्विंटल प्रति एकड़।

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प्रश्न 7.
मटर की अगेती किस्मों की खेती का विवरण निम्नलिखित अनुसार दीजिए:
(क) दो उन्नत किस्में
(ख) बीज की मात्रा प्रति एकड़
(ग) दूरी
(घ) सिंचाई
(ङ) उपज प्रति एकड़।
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science Geography Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ

SST Guide for Class 6 PSEB पृथ्वी की गतियाँ Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न (क)
पृथ्वी की दैनिक गति किसे कहते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी सूर्य के सामने अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती रहती है। यह 24 घण्टे में एक चक्र पूरा करती है। इसे पृथ्वी की दैनिक गति कहते हैं। दैनिक गति के कारण पृथ्वी पर दिन और रात बनते हैं।

प्रश्न (ख)
पृथ्वी के अक्ष के झुकाव का क्या अर्थ है?
उत्तर-
पृथ्वी का अक्ष एक कल्पित रेखा है जो पृथ्वी के बीच में से गुज़रती है। यह सीधा नहीं है। यह अपनी पथ-रेखा (कक्ष-तल) के साथ 66½° का कोण बनाता है। इसे पृथ्वी के अक्ष का झुकाव कहते हैं।

प्रश्न (ग)
ऋतु परिवर्तन के क्या कारण हैं?
उत्तर-
ऋतुएं निम्नलिखित कारणों से बदलती हैं –

  1. पृथ्वी द्वारा अपनी धुरी पर एक ही दिशा में झुके रहना।
  2. पृथ्वी द्वारा 365¼ दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा करना।
  3. दिन-रात का छोटा-बड़ा होना।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ

प्रश्न (घ)
21 जून को सूर्य की किरणें कहां पर सीधी पड़ती हैं?
उत्तर-
21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं।

प्रश्न (ङ)
दक्षिणी गोलार्द्ध में 23 सितम्बर को कौन-सा मौसम होता है?
उत्तर-
बसन्त का मौसम।

प्रश्न (च)
शीत अयनान्त कब होती है?
उत्तर-
22 दिसम्बर को।

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II. निम्नलिखित में अन्तर बताओ

(क) उष्ण अयनान्त और शीत अयनान्त
(ख) बसन्त-विसूवी और पतझड़-विसूवी
(ग) दैनिक गति और वार्षिक गति
(घ) कक्षा में ‘पृथ्वी की गतियों’ एक क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन करें।
उत्तर-
(क) उष्ण अयनान्त और शीत अयनान्त-21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है। इसे उष्ण अयनान्त कहते हैं। इसके विपरीत शीत अयनान्त 22 दिसम्बर की अवस्था में होता है। इस अवस्था में सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी चमकती हैं।
(ख) बसन्त-विसूवी और पतझड़-विसूवी-21 मार्च को उत्तरी अर्द्धगोले में बसन्त ऋतु होती है। इसे बसन्त-विसवी कहा जाता है।
23 सितम्बर को उत्तरी अर्द्धगोले में पतझड़ की ऋतु होती है। इसे पतझड़-विसूवी कहते हैं।
(ग) दैनिक गति और वार्षिक गति
दैनिक गति

  1. इस गति में पृथ्वी अपने धुरे (अक्ष) पर घूमती है।
  2. इस गति में पृथ्वी 24 घण्टे में एक चक्र पूरा करती है।
  3. इस गति से दिन-रात बनते हैं।

वार्षिक गति

  1. इस गति में अपने धुरे पर घूमती हुई पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है।
  2. इस गति में पृथ्वी 365¼ दिन में एक चक्र पूरा करती है।
  3. इस गति से दिन-रात छोटे-बड़े होते हैं और ऋतुएं बनती हैं।

(घ) अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

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III. कारण बताओ

प्रश्न (क)
सूर्य पूर्व में निकलता है और पश्चिम में छिपता है।
उत्तर-
हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। परन्तु सूर्य अपने स्थान पर स्थिर है। जब किसी घूमती हुई या चलती हुई वस्तु से खड़ी वस्तुओं को देखें, तो वे विपरीत (उल्टी) दिशा में जाती हुई दिखाई देती हैं। यही कारण है कि सूर्य पूर्व से पश्चिम (पृथ्वी के घूमने की उल्टी दिशा) की ओर चलता दिखाई देता है। दूसरे शब्दों में, सूर्य पूर्व में निकलता है और पश्चिम में छिपता है।

प्रश्न (ख)
दिन और रात हमेशा बराबर नहीं होते।
उत्तर-
दिन और रात हमेशा बराबर नहीं होते। इसके दो मुख्य कारण हैं-
(1) पृथ्वी का अक्ष अपने कक्ष-तल पर 66%2° के कोण पर झुका रहता है।

(2) पृथ्वी सूर्य के गिर्द घूमती है जिसके कारण उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव बारी-बारी से सूर्य के सामने आते रहते हैं। परिणामस्वरूप सूर्य की किरणें एक निश्चित अवधि के बाद कर्क रेखा तथा मकर रेखा पर सीधी चमकती हैं। जब किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती (21 जून) हैं तो उत्तरी गोलार्द्ध में दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थिति इसके विपरीत होती है। इसी प्रकार जब (22 दिसम्बर) सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं तो दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं, जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं।

प्रश्न (ग)
21 जून को दक्षिणी ध्रुव पर निरंतर अन्धेरा होता है।
उत्तर-
21 जून को उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है, जबकि दक्षिणी ध्रुव सूर्य से परे होता है। इस लिए सूर्य की किरणें दक्षिणी ध्रुव तक नहीं पहुंच पाती और वहां निरंतर अन्धेरा (रात) रहता है।

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प्रश्न (घ)
सूर्य, चन्द्रमा और तारे पृथ्वी के इर्द-गिर्द पूर्व से पश्चिम की ओर घूमते हुए क्यों दिखाई देते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी अपने धुरे पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। पृथ्वी की इस गति के कारण हमें सूर्य, चन्द्रमा और तारे उल्टी दिशा अर्थात् पूर्व से पश्चिम दिशा में घूमते हुए दिखाई देते हैं।

प्रश्न (ङ)
लीप वर्ष का क्या अर्थ है? आम वर्ष की अपेक्षा लीप वर्ष में एक दिन अधिक क्यों होता है?
उत्तर-
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 365/4 दिन का समय लेती है। इस समय को एक वर्ष कहा जाता है। परन्तु हम आमतौर पर 365 दिन का एक वर्ष गिनते हैं। इस प्रकार हर वर्ष 14 दिन का समय शेष बच जाता है और चौथे वर्ष 1 दिन पूरा (¼×4 = 1) हो जाता है। इसलिए प्रत्येक चौथे वर्ष एक दिन बढ़ जाता है। इसी वर्ष को हम लीप वर्ष कहते हैं। इसमें अन्य वर्षों से एक दिन अधिक (366 दिन) होता है।

IV. रिक्त स्थान भरो –

(क) पृथ्वी …………… दिशा से …………… दिशा की ओर घूमती है।
(ख) …………. एक रेखा (कील) होती है जिसके इर्द-गिर्द पृथ्वी घूमती है।
(ग) पृथ्वी जिस पथ पर सूर्य के इर्द-गिर्द परिक्रमा करती है, उसे …………. कहते हैं।
(घ) ………….. क्षेत्रों में छः मास का दिन और छ: मास की रात होती है।
उत्तर-
(क) पश्चिम, पूर्व
(ख) धुरा या अक्ष
(ग) पथ-रेखा / कक्षा
(घ) ध्रुवीय।

PSEB 6th Class Social Science Guide पृथ्वी की गतियाँ Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आपकी आयु 11 वर्ष है। आपने पृथ्वी के साथ-साथ सूर्य के कितने चक्कर काटे होंगे?
उत्तर-
11.

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प्रश्न 2.
यदि पृथ्वी अपनी दैनिक गति न करती तो दिन रात संबंधी एक बहुत बड़ी , समस्या पैदा हो जाती। वह क्या होती?
उत्तर-
पृथ्वी पर दिन-रात न बनते।

प्रश्न 3.
2016 को लीप वर्ष था। अगला लीप वर्ष कब होगा और क्यों?
उत्तर-
अगला लीप वर्ष 2020 को होगा क्योंकि हर चौथे वर्ष लीप वर्ष होता है।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
21 जून को सूर्य किस ध्रुव की ओर झुका होता है?
(क) आधा उत्तरी-आधा दक्षिणी
(ख) दक्षिणी
(ग) उत्तरी।
उत्तर-
(ग) उत्तरी।

प्रश्न 2.
पृथ्वी की वार्षिक गति के कई परिणाम होते हैं, निम्न में इसका कौन-सा परिणाम नहीं होता?
(क) दिन-रात बनना ।
(ख) दिन-रात की लम्बाई में अन्तर
(ग) मौसम (ऋतु) में बदलाव।
उत्तर-
(क) दिन-रात बनना ।

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प्रश्न 3.
किस देश में क्रिसमस गर्मी की ऋतु में मनाई जाती है?
(क) आस्ट्रेलिया
(ख) भारत
(ग) इंग्लैंड।
उत्तर-
(क) आस्ट्रेलिया

सही (✓) या गलत (✗) कथन

  1. उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में सदैव एक-दूसरे के उल्ट मौसम रहते हैं।
  2. विषुवी वह समय है जब सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं।
  3. पृथ्वी की वार्षिक गति के कारण चलती हुई हवाओं की दिशा बदल जाती है।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)

सही जोड़े

  1. पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना – (क) दिन बड़े, रातें छोटी
  2. पृथ्वी का सूर्य के गिर्द-घूमना – (ख) वार्षिक गति
  3. दिन-रात बराबर होना – (ग) दैनिक गति
  4. मकर रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें – (घ) विषुवी।

उत्तर-

  1. पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना – दैनिक गति,
  2. पृथ्वी का सूर्य के गिर्द घूमना – वार्षिक गति,
  3. दिन-रात बराबर होना – विषुवी,
  4. मकर रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें – दिन बड़े, रातें छोटी।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी की दो गतियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-

  1. दैनिक गति अथवा घूर्णन
  2. वार्षिक गति अथवा परिक्रमण।

प्रश्न 2.
पृथ्वी को एक बार घूर्णन करने में कितना समय लगता है?
उत्तर-
24 घण्टे।

प्रश्न 3.
सामान्य वर्ष कितने दिनों का होता है?
उत्तर-
365 दिन का।

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प्रश्न 4.
लीप वर्ष अथवा अधिवर्ष कितने दिनों का होता है?
उत्तर-
366 दिन का।

प्रश्न 5.
ऋतु परिवर्तन का मुख्य कारण बताइए।
उत्तर-
पृथ्वी की वार्षिक गति।

प्रश्न 6.
जब दिन बड़े होते हैं तो कौन-सी ऋतु होती है?
उत्तर-
ग्रीष्म ऋतु।

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प्रश्न 7.
पृथ्वी के कौन-से भाग में सारा वर्ष दिन-रात बराबर रहते हैं?
उत्तर-
भूमध्य रेखा पर।

प्रश्न 8.
सूर्य की किरणें दिन में कब लम्बवत् पड़ती हैं?
उत्तर-
दोपहर के समय।

प्रश्न 9.
पृथ्वी की कक्षा का आकार कैसा है?
उत्तर-अंडाकार।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी की वार्षिक गति से क्या भाव है? इसको वार्षिक गति क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
पृथ्वी सूर्य के गिर्द अंडाकार मार्ग पर चक्कर लगाती है और एक वर्ष में एक चक्कर पूरा करती है। इसे पृथ्वी की वार्षिक गति कहते हैं। पृथ्वी द्वारा सूर्य के गिर्द एक चक्र में लगने वाले समय को एक वर्ष माना जाता है। इसी कारण पृथ्वी की इस गति को वार्षिक गति कहा जाता है।

प्रश्न 2.
ऋतु परिवर्तन से क्या भाव है?
उत्तर-
वार्षिक गति में पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुकाव की स्थिति बदलती रहती है। इसके कारण पृथ्वी पर दिन-रात छोटे-बड़े होते रहते हैं। छोटे-बड़े दिन पृथ्वी पर ऋतुओं में बदलाव लाते रहते हैं। इसे ऋतु परिवर्तन कहते हैं। पृथ्वी पर मुख्य रूप से चार ऋतुएं पाई जाती हैं।

कारण बताओ :

प्रश्न 3.
हमें पृथ्वी घूमती हुई प्रतीत नहीं होती।
उत्तर-
जिस प्रकार तेज़ बस या गाड़ी में बैठे हुए व्यक्ति को बाहर की खड़ी वस्तुएं चलती हुई दिखाई देती हैं और उसे ऐसा नहीं लगता कि बस या गाड़ी चल रही है, ठीक इसी प्रकार तेज़ी से घूमती हुई पृथ्वी से हमें सूर्य तथा चन्द्रमा तो चलते दिखाई देते हैं, परन्तु पृथ्वी घूमती हुई प्रतीत नहीं होती।

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प्रश्न 4.
21 मार्च और 23 सितम्बर को दिन-रात बराबर क्यों होते हैं?
उत्तर-
21 मार्च और 23 सितम्बर को पृथ्वी के दोनों ध्रुव सूर्य की ओर एक समान झुके होते हैं और सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं। फलस्वरूप उत्तरी और दक्षिणी गोलार्डों का ठीक आधा भाग अन्धकार में रहता है और आधा भाग प्रकाश में। अतः दोनों गोलार्डों में दिन और रात समान होते हैं।

प्रश्न 5.
उत्तरी अर्द्धगोले में ऋतुएं दक्षिणी अर्द्धगोले से उल्ट जाती हैं।
उत्तर-
पृथ्वी पर ऋतुओं का परिवर्तन वार्षिक गति के कारण होता है। जब उत्तरी ध्रुव का झुकाव सूर्य की ओर होता है, तो उत्तरी अर्द्धगोले में गर्मी की ऋतु और दक्षिणी अर्द्धगोले में सर्दी की ऋतु होती है। इसी तरह जब दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सामने होता है तो दक्षिणी अर्द्धगोले में ग्रीष्म ऋतु और उत्तरी अर्द्धगोले में शीत ऋतु होती है। ऐसा दोनों अर्द्धगोलों में दिन-रात छोटे-बड़े होने के कारण होता है।

प्रश्न 6.
पृथ्वी की वार्षिक गति के कोई तीन प्रभाव बताओ।
उत्तर-

  1. वार्षिक गति के आधार पर हम अपने कैलेंडर (समय सारणी) बनाते हैं।
  2. पृथ्वी पर ऋतुओं का परिवर्तन भी वार्षिक गति के कारण ही होता है।
  3. दिन और रात का घटना-बढ़ना भी वार्षिक गति के कारण ही होता है।

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प्रश्न 7.
ध्रुवों पर छः मास का दिन और छः मास की रात क्यों होती है?
उत्तर-
पृथ्वी के अक्षीय झुकाव के कारण 22 मार्च से 23 सितम्बर तक के छ: मास उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका रहता है। अतः पूरे छः मास तक सूर्य की किरणें पड़ती हैं और यहां छः महीने का दिन होता है। इसके विपरीत इन छ: महीनों में दक्षिणी ध्रुव सूर्य । से परे रहता है और इस पर सूर्य की किरणें बिल्कुल नहीं पड़ती। इसलिए इन छ: महीनों में दक्षिणी ध्रुव पर रात रहती है। अगले छ: महीनों अर्थात् 23 सितम्बर से 22 मार्च तक दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सामने झुका होता है, जबकि उत्तरी ध्रुव सूर्य से परे रहता है.और उत्तरी । ध्रुव इन महीनों में पूरी तरह अंधकार में रहता है। परिणामस्वरूप इन छ: मासों में दक्षिणी . ध्रुव पर दिन रहता है और उत्तरी ध्रुव पर रात।

प्रश्न 8.
यदि पृथ्वी का अक्ष-तल पर 66½° का कोण बनाने के स्थान पर लम्बवत् होता तो दिन और रात की लम्बाई तथा ऋतु परिवर्तन पर क्या प्रभाव पड़ता?
उत्तर-
यदि पृथ्वी का अक्ष कक्ष-तल पर 66½° का कोण बनाने के स्थान पर लम्बवत् होता तो प्रकाश वृत्त पृथ्वी को दो समान भागों में बांटता और सूर्य किसी विशेष स्थान पर सदा एक ही ऊंचाई पर रहता। इसके परिणामस्वरूप दिन-रात की लम्बाई तथा ऋतु परिवर्तन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते –

  1. पृथ्वी का प्रत्येक स्थान आधा समय प्रकाश में और आधा समय अन्धेरे में रहता है। अतः प्रत्येक स्थान पर दिन-रात बराबर होते हैं। दूसरे शब्दों में, प्रत्येक स्थान पर 12 घण्टे का दिन तथा 12 घण्टे की रात होती है।
  2. सूर्य की समान ऊंचाई के कारण ऋतु परिवर्तन न होता अर्थात् जिस स्थान पर जो ऋतु होती, वहां वही ऋतु रहती।

प्रश्न 9.
यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमती होती तो क्या होता?
उत्तर-
पृथ्वी का पूर्व से पश्चिम की ओर घूमना-यदि पृथ्वी पूर्व से पश्चिम की ओर घूमती होती तो सूर्य पश्चिम दिशा से निकलता हुआ और पूर्व दिशा में छिपता हुआ दिखाई देता।

पृथ्वी के धुरी पर न घूमने का परिणाम-यदि पृथ्ह्यवी धुरी पर न घूमती होती तो दिन-रात न बनते। इसके साथ ही सूर्य निकलने तथा छिपने के समय निश्चित न किए जा सकते।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी की दैनिक गति से क्या अभिप्राय है? इस गति के कारण क्या परिणाम (प्रभाव) होते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी अपनी धुरी पर सृदा पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है और लगभग 24 घण्टे में एक चक्र पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को दैनिक गति कहते हैं।
परिणाम- इस गति के निम्नलिखित परिणाम होते हैं –

1. इस गति के कारण दिन और रात बनते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर सूर्य के सामने घूमती है। घूमते हुए इसका एक भाग सूर्य के सामने रहता है और दूसरा भाग सूर्य से दूर रहता है। इसके सूर्य के सामने वाले भाग में प्रकाश होगा और वहां दिन होगा, परन्तु इसका जो भाग सूर्य से दूर होगा वहां अन्धेरा होगा और वहां रात होगी।

2. इस गति के कारण सूर्य, ग्रह, उपग्रह आदि पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं। इससे यह्यह पता चलता है कि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूम रही हैं।

3. पृथ्वी की दैनिक गति के कारण ही भिन्न-भिन्न स्थानों का समय भिन्न-भिन्न होता है।

4. पृथ्वी की दैनिक गति के कारण पृथ्वी पर चलने वाली स्थायी पवनों तथा सागरीय धाराओं की दिशा बदलती है। अर्थात् वे अपने बाईं या दाईं ओर मुड़ जाती हैं।

प्रश्न 2.
पृथ्वी की वार्षिक गति से क्या अभिप्राय है? इस गति के कारण क्या परिणाम निकलते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। यह सूर्य के गिर्द एक निश्चित अण्डाकार रास्ते पर घूमती है और 365¼ दिन में एक चक्र पूरा करती है। पृथ्वी की इस गति को वार्षिक गति कहते हैं।
PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ 1
परिणाम-पृथ्वी की वार्षिक गति के परिणाम इस प्रकार हैं –

  1. इस गति के कारण ऋतुएं बदलती हैं।
  2. वार्षिक गति से पूरे वर्ष का कैलण्डर बनता है। इस परिक्रमा को हम एक वर्ष का मान कर 12 महीनों में बांट लेते हैं। महीनों को दिनों में बांट लिया जाता है।
  3. पृथ्वी पर दिन-रात का समय एक समान नहीं रहता। सर्दियों में रातें बड़ी और दिन छोटे होते हैं, परन्तु गर्मियों में रातें छोटी और दिन बड़े होते हैं। यह भिन्नता भी वार्षिक गति के कारण ही होती है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ

प्रश्न 3.
ऋतुओं के बदलने की क्रिया का सचित्र वर्णन करो।
उत्तर-
ऋतुएं निम्नलिखित कारणों से बदलती हैं –

  1. पृथ्वी का अपनी धुरी पर एक ही दिशा में झुके रहना।
  2. पृथ्वी का 365¼ दिनों में सूर्य की परिक्रमा करना।
  3. दिन-रात का छोटा-बड़ा होना।

ऋतु परिवर्तन की अवस्थाएं-पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए 3-3 महीने के पश्चात् अपनी अवस्था बदलती रहती है, जिससे ऋतुओं में परिवर्तन आता है। इन अवस्थाओं का वर्णन इस प्रकार है –

21 जून की अवस्था-21 जून को उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है और दक्षिणी ध्रुव सूर्य से दूर होता है। इसलिए उत्तरी अर्द्ध गोले में गर्मी की ऋतु और दक्षिणी अर्द्ध गोले में सर्दी की ऋतु होगी। उत्तरी अर्द्ध गोले का अधिक भाग प्रकाश में और कम भाग अन्धेरे में होता है। इसलिए वहां दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। इसके विपरीत दक्षिणी अर्द्ध गोले में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 3 पृथ्वी की गतियाँ 2

23 सितम्बर की अवस्था-23 सितम्बर को उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव दोनों ही एक समान सूर्य की ओर झुके होते हैं। इस समय सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर पड़ती हैं। उत्तरी अर्द्ध गोले में पतझड़ और दक्षिणी अर्द्ध गोले में बसन्त ऋतु होती है।

22 दिसम्बर की अवस्था-22 दिसम्बर को उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर होता है और दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर झुका हुआ होता है। सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पड़ रही होती हैं। इस दशा में दक्षिणी अर्द्ध गोले में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं। अतः दक्षिणी अर्द्ध गोले में गर्मी की ऋतु और उत्तरी अर्द्ध गोले में सर्दी की ऋतु होती है।

21 मार्च की अवस्था-इस दिन सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती हैं। दोनों ध्रुव एक समान सूर्य की ओर झुके होते हैं। उत्तरी अर्द्ध गोले में बसन्त ऋतु और दक्षिणी अर्द्ध गोले में पतझड़ की ऋतु होती है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

Punjab State Board PSEB 6th Class Agriculture Book Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Agriculture Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

PSEB 6th Class Agriculture Guide फ़सलों का विभाजन Textbook Questions and Answers

(क) एक या दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
मूली के परिवार समूह का नाम बताओ।
उत्तर-
सरसों या करुसीफरी परिवार समूह।

प्रश्न 2.
दो चारे वाली फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
ज्वार, बाजरा।

प्रश्न 3.
दो चीनी वाली फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
कमाद, चुकंदर।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 4.
रबी की दो फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
धान, मक्की।

प्रश्न 5.
ख़रीफ की दो फसलों का नाम बताओ।
उत्तर-
गेहूँ, बरसीम।

प्रश्न 6.
किस परिवार समूह की फसलों के पौधे वायुमण्डल में व्याप्त-नाइट्रोजन को ज़मीन में जमा करते हैं ?
उत्तर-
दाल या लैगूमनोसी।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 7.
किस परिवार समूह की फसलों के दानों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है ?
उत्तर-
दाल या लैगूमनौसी।

प्रश्न 8.
कौन-सी फसलों को खेत में ही जोत दिया जाता है ?
उत्तर-
हरी खाद वाली फसलें जैसे सन, ढेंचा।

प्रश्न 9.
गर्म जलवायु (Tropical) की दो फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
कमाद, कपास, धान।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 10.
मुख्य फसलों के मध्य शेष समय में बोई जानी वाली फसलों को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
आपात्कालीन फसलें जैसे-तोरिया, सट्ठी मूंगी, सट्ठी मक्की आदि।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
फसल को कहते हैं ?
उत्तर-
किसी विशेष उद्देश्य के लिए उगाए जाने वाले पौधों के समूह जोकि आर्थिक या व्यापारिक महत्त्व रखते हैं, को फसल कहा जाता है।

प्रश्न 2.
फसलों का विभाजन क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
फसलों को भिन्न भिन्न आधार पर भिन्न-भिन्न वर्गों में विभाजित किया जाता है। इस तरह उनसे सम्बन्धित जानकारी, योजनाबंदी, पैदावार, सुरक्षा तथा उनके प्रयोग को आसान किया जा सकता है।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 3.
दाल या लैगूमनोसी (Leguminoseae) परिवार समूह के बारे में बताओ।
उत्तर-
इस पारिवारिक समूह में दालों वाली फसलें जैसे कि मंगी, अरहर, चने, माह तथा सोयाबीन आदि आते हैं। इस परिवार की फसलों में प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है। इस परिवार की फसलों के पौधे हवा में से नाइट्रोजन को अपनी जड़ों की गांठों द्वारा ज़मीन में एकत्र करते हैं। इनको इसलिए यूरिया की छोटी फैक्ट्रियां भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
अंतर फसलें क्या होती हैं ?
उत्तर-
यह ऐसी फसलें हैं जिनको किसी मुख्य फसल की कतारों में खाली बचती जगह में कतारों में ही बोया जाता है, जैसे-कपास में मूंगी आदि।

प्रश्न 5.
ट्रैप (Trap) फसलें कौन-सी होती हैं ?
उत्तर-
इन फसलों का काम मुख्य फसल को कीटों से बचाना होता है इनको कीटों को आकर्षित करने के लिए बोया जाता है क्योंकि कीट इस फसल को मुख्य फसल से अधिक पसंद करते हैं। इन फसलों का उद्देश्य पूरा होने पर इन्हें उखाड़ दिया जाता है। जैसे-कमाद में मक्की।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 6.
वार्षिक और बहुवार्षिक फसलों में क्या अंतर है ?
उत्तर-
वार्षिक फसलें-

  1. ये फसलें एक वर्ष में अपना जीवनकाल पूरा कर लेती हैं।
  2. उदाहरण-गेहूँ, मक्की।

बहुवार्षिक फसलों –

  1. ये फसलें एक बार पैदा होने के बाद कई वर्षों तक चलती रहती हैं।
  2. उदाहरण-कमाद, किन्नू, आम।

प्रश्न 7.
आपात्कालीन फसलें कौन-सी होती हैं ?
उत्तर-
ये फसलें दो मुख्य फसलों के बीच बचते समय या मुख्य फसल खराब हो जाने की हालत में बोई जाती हैं। ये बहुत जल्दी बढ़ती हैं : जैसे-सट्ठी मूंगी, सट्ठी मक्की, तोरिया आदि।

प्रश्न 8.
धागे वाली फसलों का किस उद्योग में प्रयोग किया जाता है ? उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर-
कपास, सन तथा पटसन ऐसी फसलें हैं। इन फसलों को बारीक तथा मोटा धागा प्राप्त करने के लिए उगाया जाता है। इस धागे को कपड़ा तथा पटसन उद्योग में प्रयोग किया जाता है।

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प्रश्न 9.
किनारे पर बोआई के लिए कौन-सी फसलें उपयोगी होती हैं ?
उत्तर-
यह फसलें मुख्य फसल को आंधी या पशुओं आदि से बचाने के काम आती हैं तथा इनमें कुछ अतिरिक्त आमदन भी हो जाती है। इनको खेत के चारों ओर किनारों पर लगाया जाता है-जैसे अरहर, जंतर आदि।

प्रश्न 10.
गर्म और सर्द जलवायु की फसलों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर-

  1. गर्म जलवायु वाली फसल-कमाद, कपास, धान ।
  2. ठण्डे जलवायु वाली फसल-गेहूँ, जौ।

(ग) पांच-छ: वाक्यों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
दाल या लैगूमनोसी (Leguminoseae) परिवार समूह के बारे में विस्तारपूर्वक बताओ।
उत्तर-
इस परिवार समूह में दालों वाली फसलें जैसे, मांह, मुंगी, चने, सोयाबीन, अरहर आदि आती हैं । इस परिवार समूह की फसलें हवा में से नाइट्रोजन को अपनी जड़ों की गांठों द्वारा ज़मीन में जमा कर लेती हैं। इनको यूरिया की छोटी प्राकृतिक फैक्ट्रियां भी कहा जाता है।
इन फसलों के दानों में पोषक तत्त्व तथा प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है।

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प्रश्न 2.
हरी खाद वाली फसलों पर नोट लिखें।
उत्तर-
यह फलीदार पौधों की फसल होती हैं जो हवा में से नाइट्रोजन को ज़मीन में जमा करती है तथा जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में सहायक है। यह फसल जब हरी होती है तो इसको खेत में ही जोत दिया जाता है, इसकी उदाहरण है-सन, जंतर आदि।

प्रश्न 3.
पशुओं के आचार (Silage) के लिए कौन-सी फसलें उपयोगी होती हैं और क्यों ?
उत्तर-
ये फसलें हैं मक्की, जवी, ज्वार आदि। यह फसलें पशुओं के लिए चारे से अचार बनाने के लिए प्रयोग की जाती हैं। इस अचार को हरे चारे के कमी वाले दिनों के लिए प्रयोग किया जाता है। इन फसलों में नमी कम तथा सूखा मादा अधिक होता है।

प्रश्न 4.
असिंचित फसलें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
इन फसलों की सिंचाई के लिए कोई प्रबन्ध नहीं किए जाते या नहीं किए जा सकते इसलिए ये फसलें केवल वर्षा के पानी के सहारे ही उगाई जाती हैं तथा वर्षा का होना निचित नहीं होता। राजस्थान में होने वाली फसलें बरौनी (असिंचित) फसलें होती है।

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प्रश्न 5.
ऋतुओं के आधार पर फसलों के विभाजन के बारे में बताओ।
उत्तर-
ऋतुओं के अनुसार विभाजन-
1. ख़रीफ की फसलें-ये फसलें जूनजुलाई या मानसून के आने पर बोई जाती हैं। इनको अक्तूबर नवंबर में काट लिया जाता है। उदाहरण-धान, मक्की, बासमती, कपास, गन्ना, बाजरा, अरहर, मूंगफली आदि।

2. रबी की फसलें-ये फसलें अक्तूबर-नवंबर में बोई जाती हैं। इनको मार्च अप्रैल में काट लिया जाता है। उदाहरण-गेहूँ, जौ, जवी, बरसीम, लूसण, चने, मसूर, सरसों, तोरिया, तारामीरा, सूर्यमुखी तथा अलसी आदि।

Agriculture Guide for Class 6 PSEB फ़सलों का विभाजन Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
ख़रीफ की फसलें किस महीने बोई जाती हैं ?
उत्तर-
जून-जुलाई या मानसून के आने पर।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 2.
रबी की फसलें कब बोई जाती हैं ?
उत्तर-
इनको अक्तूबर-नवंबर के माह में बोया जाता है।

प्रश्न 3.
घास या ग्रैमनी परिवार समूह का उदाहरण दें।
उत्तर-
गेहूँ, धान, मक्का , जौ।

प्रश्न 4.
यूरिया की छोटी प्राकृतिक फैक्टरी किस फसल को कहा जाता है ?
उत्तर-
दाल या लैगूमनोसी परिवार समूह की फसलें जैसे मूंगी, मांह आदि।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 5.
मालवेसी परिवार समूह का उदाहरण दें।
उत्तर-
कपास तथा भिण्डी।

प्रश्न 6.
अनाज की फसलों की उदाहरण दें।
उत्तर-
धान, बासमती, ज्वार, बाजरा, गेहूँ।

प्रश्न 7.
प्रोटीन की मात्रा कौन-सी फसलों में अधिक होती है ?
उत्तर-
दाल वाली फसलों में।

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प्रश्न 8.
तेल बीज फसलों का उदाहरण दें।
उत्तर-
तोरिया, अलसी, सूर्यमुखी, तारामीरा।

प्रश्न 9.
मसाले वाली फसलों का उदाहरण दें।
उत्तर-
धनिया, अदरक, हल्दी, काली मिर्च आदि।

प्रश्न 10.
चारे वाली फसलों का उदाहरण दें।
उत्तर-
बरसीम, लूसण, जवी आदि।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 11.
बहुवर्षीय फसलों का उदाहरण दें।
उत्तर-
कमाद, किन्न, आम आदि।

प्रश्न 12.
आपात्कालीन या संकटकालीन फसल का उदाहरण दें।
उत्तर-
तोरिया, सट्ठी मूंगी, सट्ठी मक्की।

प्रश्न 13.
गर्म जलवायु की फसलों का उदाहरण दें।
उत्तर-
कमाद, कपास, धान आदि।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 14.
ठण्डे जलवायु की फसलों की उदाहरण दें।
उत्तर-
गेहूँ, जौ।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किनारे पर बोने वाली फसलों के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
ये फसलें मुख्य फसलों को आंधी या पशुओं आदि से बचाती हैं तथा इनसे अतिरिक्त आय भी हो जाती है। इनको खेत के चारों तरफ किनारों पर लगाया जाता है, जैसे अरहर, जंतर आदि।

प्रश्न 2.
सिंचित फसलों के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
ये फसलें ऐसी हैं जिनकी सिंचाई के लिए पानी का प्रबंध होता है। ये केवल वर्षा के पानी पर निर्भर नहीं होती जैसे-पंजाब में होने वाली फसलें।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

प्रश्न 3.
धागे वाली फसलों के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
कपास, सन तथा पटसन ऐसी फसलें हैं। इन फसलों को बारीक तथा मोटे धागे प्राप्त करने के लिए उगाया जाता है। इस धागे को कपड़ा तथा पटसन उद्योग में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
अनाज वाली फसलों के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
कोई भी घास जैसी फसल जिसके दानों को खाने के लिए प्रयोग किया जाता है उसको अनाज वाली फसल कहा जाता है-जैसे-गेहूँ, धान, ज्वार आदि।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न

प्रश्न-
फसलों के जलवायु आधारित विभाजन के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. गर्म जलवायु (Tropical) की फसलें-ये फसलें गर्म क्षेत्रों में होती हैं जहां ठण्ड नहीं पड़ती, जैसे कपास, धान, कमाद आदि।
  2. ठण्डी जलवायु (Temperate) वाली फसलें-जिन स्थानों पर ठण्ड पड़ना निश्चित होता है ये फसलें ऐसे क्षेत्रों में होती हैं-जैसे-गेहूँ, जौ आदि।

PSEB 6th Class Agriculture Solutions Chapter 3 फ़सलों का विभाजन

फ़सलों का विभाजन PSEB 6th Class Agriculture Notes

  1. आर्थिक व व्यापारिक महत्त्व वाले पौधों के समूह को जब किसी विशेष उद्देश्य के लिए उगाया जाता है तो इसको फसल कहा जाता है।
  2. ऋतु अनुसार फसल दो तरह की होती है-रबी की फसलें, खरीफ की फसलें।
  3. वनस्पति विज्ञान के आधार पर फसलों के कुछ परिवार समूह हैं-घास या ग्रेमनी, दाल या लेगूमनोसी, सरसों या करुसीफरी, मालवेसी आदि।
  4. फसल प्रबंध या आर्थिक आधार पर फसलों का विभाजन इस तरह है-अनाज वाली फसलें, दाल वाली, तेल बीज वाली, चारे वाली, स्टार्च वाली, धागे वाली, सब्जी वाली, चीनी वाली, मसाले वाली आदि।
  5. वार्षिक फसलें हैं-गेहूँ, मक्की।
  6. द्विवार्षिक फसलें-प्याज़, चुकंदर।
  7. बहुवर्षीय फसलें हैं-कमाद, किन्नू, आम आदि।
  8. हरी खाद वाली फसलें-सन, जंतर (ढेंचा)।
  9. आपात्कालीन फसलें-तोरिया, सट्ठी मक्की, सट्ठी मूंगी।
  10. पशुओं के लिए अचार वाली फसलें-मक्का, जवी, ज्वार।
  11. अंतर फसलें-कपास में मंगी।
  12. किनारे पर बोई जाने वाली फसलें-अरहर, जंतर।
  13. ट्रैप फसलें-कमाद में मक्की।
  14. गर्म जलवायु की फसलें-कमाद, कपास, धान।
  15. ठण्डी (सर्द) जलवायु की फसलें-गेहूँ, जौ।
  16. सेंजू (सिंचित) फसलें वे हैं जिनको सिंचाई वाले पानी की सहायता से उगाया जाता है।
  17. बरौनी (असिंचित) फसलें वे हैं जो वर्षा के पानी से ही उगाई जाती हैं।

मार्चिंग (Marching) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions मार्चिंग (Marching) Game Rules.

मार्चिंग (Marching) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
माचिंग का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सावधान
(Attention)
यह बहुत महत्त्वपूर्ण स्थिति है। पैरों की एड़ियां एक पंक्ति में परस्पर जुड़ी होती हैं तथा 30° का कोण बनाती हैं। घुटने सीधे, शरीर सीधा तथा छाती ऊपर को खींची होती है। बाजुएं शरीर के साथ लगें तथा मुट्ठियां थोड़ी सी बंद होनी चाहिए।
मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
गर्दन सीधी तथा अपने सामने की ओर नज़र करके तथा स्वाभाविक शरीर का भार दोनों पैरों पर बराबर, श्वास क्रिया स्वाभाविक ढंग से लेते हैं।

विश्राम
(Stand at Ease)
विश्राम में अपना बायां पैर बाईं ओर 12 इंच की दूरी तक ले जाते हैं, जिससे शरीर का सारा भार दोनों पैरों पर भी रहे तथा दोनों बाजुओं को पीछे ले जाएं जिससे दायां हाथ बाएं हाथ को पकड़े हुए होगा तथा दाएं हाथ का अंगूठा बाएं हाथ पर आराम से होगा।
मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
दोनों बाजुओं को सीधा रखते हुए उंगलियों को पूरी तरह से सीधा रखना है।

मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

दाएं सज
(Right Dress)
दाएं सज का निर्देश मिलने पर सभी विद्यार्थी बाएं पैर से आगे बढ़ते हुए 15 इंच के फासले पर स्थान ग्रहण करेंगे परन्तु इसमें दाईं ओर खड़ा विद्यार्थी वहां ही खड़ा होगा। पहली पंक्ति में खड़े सभी विद्यार्थी दायां हाथ अपने कन्धे के बराबर आगे को बढ़ाएंगे तथा हाथ की ऊंगलियां बंद होंगी। दूसरे विद्यार्थी उसके दाईं ओर हाथ द्वारा छूते हुए खड़े होंगे तथा बाकी उनके पीछे-पीछे खड़े होंगे। इनका परस्पर 30 इंच का फासला होगा।
मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3

बाएं सज
(Left Dress)
बाएं सज का आदेश मिलने पर उपरोक्त सभी क्रियाएं बाएं हाथ को जाएंगी।

बाएं मुड़
(Left Turn)
मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4
इस क्रिया में सावधान खड़े हो दो की गिनती करेंगे। एक की गिनती पर विद्यार्थी बाईं ओर 90° का कोण बनाते हुए एड़ी तथा दाएं पंजे को ऊपर उठाएंगे। इस क्रिया के बाद दो की गिनती पर 6 इंच ऊपर उठाकर अपने पैर के साथ मिलाएंगे।

दाएं मुड़
(Right Turn)
मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 5
यह क्रिया दो की गिनती में जिस प्रकार बाएं मुड़ की जाती है, उसी प्रकार दाईं एड़ी तथा बाएं पंजे को ऊपर करेंगे।

पीछे मुड़
(About Turn)
पीछे मुड़ का निर्देश मिलने पर विद्यार्थी दाईं ओर 180° का कोण बनाते हुए बाएं पैर की एड़ी तथा दाएं पैर के पंजे पर घुमेगा। इसमें शरीर का भार बराबर रखना होता है। दो गिनने पर विद्यार्थी बाएं पैर को ज़मीन से 6 इंच उठाते हुए दाएं पैर के बराबर लाएंगे तथा सावधान अवस्था में होंगे। सभी का क्रिया करते समय शरीर का भार दाएं पैर पर होगा।
मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 6
तेज़ चल
(Quick March)
इस निर्देश पर विद्यार्थी अपना बायां पैर आगे लायेगा। वह पैर ज़मीन के सामने आगे लाएगा। वह पैर ज़मीन के सामने घुटने को सीधा रखते हुए आगे लेकर जाएंगे तथा उसके साथ अपने दाएं हाथ को ऊपर घुमाते हुए कदम के स्तर तक ले जाएंगे। हाथ की उंगलियां बन्द होंगी। यह क्रिया दायां पैर आगे करते हुए दोहराएंगे तथा हाथ की स्थिति इससे विपरीत होगी। यह क्रिया एक दो गिनती पर निरन्तर चलती रहेगी।

मार्चिंग (Marching) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

थम्म
(Halt)
थम्म का निर्देश जब दायां पैर बाएं पैर को पार करता है, तब दिया जाता है। इसके निर्देश मिलने पर विद्यार्थी, जैसे-बायां पैर जमीन को छू लेगा, दायां पैर बाएं पैर के बराबर आयेगा तथा विद्यार्थी वहीं खड़ा हो जायेगा तथा उनके दोनों हाथ बराबर होंगे तथा विद्यार्थी सावधान स्थिति में होंगे।

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व

Punjab State Board PSEB 11th Class Physical Education Book Solutions Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Physical Education Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व

PSEB 11th Class Physical Education Guide शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
जिन्दगी द्वारा पैदा हुई चुनौतियों से किस तरह निपटा जा सकता है ?
(How to handle the challenges generated by the life ?)
उत्तर-
आधुनिक युग में मनुष्य भौतिक पदार्थों को एकत्र करने में इतना उलझा हुआ है कि उसके पास अपने लिए ही समय नहीं है। यह युग मानव के लिए तनाव, दबाव तथा चिंता का युग बन कर रह गया है। इसीलिए अत्याधिक व्यक्ति खुशी से भरपूर और लाभदायक जीवन नहीं गुजार रहे हैं। ऐसे व्यस्तता भरे जीवन कारण प्रत्येक विषय की धारणाओं में परिवर्तन हो रहे हैं जिस कारण शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में भी विस्तार हुआ है। आज शारीरिक शिक्षा का सम्बन्ध शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ मानव के जीवन के हर पक्ष के साथ है। शारीरिक शिक्षा मनुष्य को अपने व्यस्तता भरे जीवन को ठीक ढंग के साथ व्यतीत करने के लिए उसकी मदद करती है। इसके साथ मनुष्य शारीरिक कौशल, शरीर की जानकारी, जीवन-मूल्य और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने के गुण प्राप्त करता है। इन गुणों के साथ व्यक्ति में साहस पैदा होता है और वह जीवन की मुश्किलों का सुदृढ़ता से सामना कर पाता है। आधुनिक मशीनी युग और क्रिया रहित जिंदगी में उत्पन्न हुई चुनौतियों का सामना शारीरिक शिक्षा तथा शारीरिक व्यायाम द्वारा ही किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा लिखें।
(Write the definition of Physical Education.)
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा ज्ञान है जो शरीर से सम्बन्ध रखता है। शरीर को बनावट, विकास और स्वास्थ्य देता है और इसका साधन शारीरिक क्रियाएं ही हैं। इस विषय के बारे में भिन्न-भिन्न परिभाषायें हैं जिनमें से कुछ इस तरह हैं
डैल्बर्ट उबर्टीउफर के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा उन सभी तुजुर्षों का जोड़ है जो किसी व्यक्ति को शारीरिक हरकत द्वारा प्राप्त होते हैं।”
(“Physical Education is the sum of those experiences which come to the individual through movement.”
—Delbert Oberteuffer)
आर० कैसिडी के शब्दों में “शारीरिक शिक्षा उन सभी तबदीलियों का जोड़ है जो व्यक्ति में हरकत के द्वारा आती
(“Physical Education is the sum of change in the individual caused by experiences, which bring in motor Activity.”
—R. Cassedy)
जे०बी०नैश लिखते हैं, “शारीरिक शिक्षा समूची विद्या का वह भाग है जिसका सम्बन्ध मांसपेशियों की क्रियाओं तथा उनसे सम्बन्धित क्रियाओं के साथ है।”
(“Physical Education is that part of whole field of education that deals with big muscle activities and their related responses.”
—J.B. Nash)
चार्ल्स ए० बियोकर के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा सम्पूर्णता का अभिन्न अंग है जिसका उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक तौर पर ठीक शहरी पैदा करना है, इस तक पहुंचने के लिए शारीरिक क्रियाओं का स्थान चुना गया है ताकि इसको प्राप्त कर सकें।”
(“Physical education is an integral part of total education process and has its aim the development of physical, mentally, educationally and socially fit citizens through the Medium of physical activities, selected with a view to realising these outcomes.”
—Charles A. Bucher)
जे०एफ०विलियम के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा व्यक्ति की कुल शारीरिक क्रियाओं का जोड़ है जो कि अपनी भिन्नता के अनुसार चुनी जाती हैं तथा अपने उद्देश्य के अनुसार प्रयोग की जाती हैं।”
(“Physical Education is the sum of man’s physical activities selected and conducted as to their out comes.”
—J.F. Williams)

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व

प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा का क्या लक्ष्य है ?
(What is the aim of Physical Education ?)
उत्तर-
‘लक्ष्य’ व ‘उद्देश्य’ शब्दों में अन्तर
(Difference in the terms aim and objective)
शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य व उद्देश्य जानने से पहले हम यह आवश्यक समझते हैं कि लक्ष्य व उद्देश्य शब्द में अंतर स्पष्ट किया जाए।
आम तौर पर लक्ष्य व उद्देश्य एक-दूसरे के लिए प्रयोग किए जाते हैं। लेकिन वास्तव में ये दोनों ही शब्द समानार्थक नहीं हैं। इन दोनों शब्दों में अंतर की एक स्पष्ट रेखा अंकित है जो इनके अर्थों में भिन्नता लाती है।

“लक्ष्य तो अंतिम निशाना होता है। जब कि उद्देश्य एक विशेष नपा-तुला व नज़र आने वाला पड़ाव है। अगर हमारा लक्ष्य सर्व उच्च मंजिल है तो उद्देश्य इस मंजिल तक पहुंचने के छोटे-छोटे पड़ाव हैं जो कि मंज़िल के रास्ते में स्थित हैं जिन से गुजर कर हम मंज़िल पर पहुंच सकते हैं।”
इस तरह हम कह सकते हैं कि मंज़िल रूपी सीढ़ी पर चढ़ने के लिए उद्देश्य सहारे का काम करते हैं।

जब शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य उच्चकोटि के नागरिकों का निर्माण करना है तो उस व्यक्ति को शारीरिक दृष्टि के साथ हृदय-पुष्ट रखना इसका उद्देश्य है। इससे अच्छी आदत विकसित करना व उसको चरित्र वाले गुणों से जोड़ना इसके दूसरे उद्देश्य हैं। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उसका शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास करना ज़रूरी उद्देश्य है।

शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य (Aim of Physical Education) शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य सम्बन्धी अलग-अलग विद्वानों ने अपने-अपने तरीके के साथ विचार प्रकट किए हैं। इनमें प्रमुख विद्वानों के विचार इस तरह हैं

“शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य एक कुशल नेतृत्व, उचित सुविधाएं व काफ़ी समय दिलाना है जिससे व्यक्ति या संगठनों को इस तरह की स्थितियों में भाग लेने का अवसर मिल सके ताकि वह शारीरिक रूप के साथ आनंददायक, मानसिक रूप के साथ संतोषजनक व सामाजिक रुख से तंदुरुस्त है।”
(“Physical Education should aim to provide the skilled leadership, adequate facilities and ample time for affording full opportunity for individuals and groups to participate in situation that are physically wholesome, mentally stimulating and satisfying and socially sound.”)

जे०आर० शरमन के विचार (Views of J.R. Sharman)_”शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य लोगों के अनुभवों को इस सीमा तक प्रभावित करना है कि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार समाज में ठीक तरह रह सके, अपनी ज़रूरतों को बढ़ा सके व सुधार कर सके तथा लोगों को संतुष्ट करने की अपनी योग्यता विकसित कर सके।”
(“The aim of Physical Education is to influence the experiences of person to the extent that each individual within the limits of his capacity may be helped to adjust successfully in society, to increase and improve his wants and to develop the ability to satisfy his wants.”)

शारीरिक शिक्षा के केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड के विचार (Views of Central Advisory Board of Physical Education)-“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक व भावात्मक तौर पर योग्य बनाना है व उसमें इस तरह के निजी व सामाजिक गुण विकसित करना है जिससे वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ स्वतन्त्रतापूर्वक रह सके व अच्छा नागरिक बन सके।”
(“’The aim of physical education is to make every child physically, mentally fit and also to develop in him such personality and social qualities as will help him live happily with others and build him as a good citizen.”)

शारीरिक शिक्षा कॉलेजों के प्रिंसीपलों के सम्मेलन में प्रकट किए गए विचार (Views expressed in conference of principles of physical training colleges)-“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य भारतीय बच्चों व जवानों को इस तरह के अवसर प्रदान करना है जिससे वह शारीरिक, मानसिक व भावात्मक रूप से स्वस्थ बनें तो उनमें इस तरह कुशलता व दृष्टिकोण का विकास हो जिस द्वारा वह परिवर्तनशील, समाज में अधिक समय तक एक सूत्र पैदा करते रह सकें।”
(“Physical education should aim to provide opportunities that will make the children and youth of India, Physically, mentally and constitutionally fit and develop in them the skills and attitudes conducive to long happy and creative living in the fluid changing society.”)

निष्कर्ष (Conclusion)—उपरोक्त परिभाषाओं के अध्ययन से हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं कि शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य का पूर्ण विकास करना है। लगभग सभी विद्वान् इस विचार से सहमत हैं कि शारीरिक शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में इस तरह के गुण विकसित किए जाएं जिनसे उनका शारीरिक, मानसिक व भावात्मक विकास हो सके।

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व

प्रश्न 4.
शारीरिक शिक्षा के किन्हीं तीन उद्देश्यों की विस्तारपूर्वक जानकारी दीजिए।
(Explain any three objectives of Physical Education in detail.)
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Physical Education)—जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि लक्ष्य अंतिम निशाना होता है जिसकी प्राप्ति के लिए कुछ उद्देश्य होते हैं। आम तौर पर लक्ष्य एक ही होता है लेकिन उसको एकत्र करने के लिए उद्देश्य अनेक हो सकते हैं। इसी तरह शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य तो एक ही होता है व वह है व्यक्ति का पूर्ण विकास, लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई उद्देश्य हैं। शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य सम्बन्धी अलग-अलग विद्वानों ने अपने-अपने विचार पेश किए हैं। प्रमुख विद्वानों के विचार इस तरह हैं—

  1. लॉस्की (Laski) के अनुसार शारीरिक शिक्षा के नीचे लिखे पांच उद्देश्य हैं—
    • शारीरिक पक्ष वाला विकास (Physical aspect of development)
    • भावात्मक पक्ष वाला विकास (Emotional aspect of development)
    • सामाजिक पक्ष वाला विकास (Social aspect of development)
    • बौद्धिक पक्ष वाला विकास (Intellectual aspect of development)
    • न्यूरो मांसपेशी पक्ष वाला विकास (Neuro-muscular aspect of development)
  2. जे०बी०नैश (J.B. Nash) ने शिक्षा के नीचे लिखे चार उद्देश्यों का वर्णन किया है—
    • न्यूरो मांसपेशी विकास (Neuro muscular development)
    • भावात्मक विकास (Emotional development)
    • उचित बात समझने की योग्यता का विकास (Interpretative development)
    • शारीरिक अंगों का विकास (Organic development)
  3. एक अन्य विद्वान बक बाल्टर ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को तीन वर्गों में बांटा है। ये इस तरह “जए।
    • स्वास्थ्य (Health)
    • नैतिक आचरण (Moral character)
    • व्यर्थ समय का उचित प्रयोग (Worthy use or leisure)
  4. प्रसिद्ध विद्वान् एच० सी० बक ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों का वर्गीकरण इस तरह किया है—
    • शारीरिक अंगों का विकास (Organic development)
    • न्यूरो मांस पेशियों में तालमेल का विकास (Development of neuro muscular co-ordination)
    • खेल व शारीरिक क्रियाओं के प्रति उचित दृष्टिकोण का विकास (Development of right attitude towards play and physical activites).

PSEB 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व

प्रश्न 5.
शारीरिक शिक्षा का क्या महत्त्व है ? इसकी विस्तारपूर्वक जानकारी दीजिए।
(What is the importance of Physical Education ? Explain in detail.)
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा का महत्त्व (Importance of Physical Education)
1. शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम (Curriculum of Physical Education)—शारीरिक शिक्षा साधारण शिक्षा का ही एक अंग है। इसके द्वारा बहुत-से गुणों को विकसित किया जा सकता है जो कि राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है। शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम द्वारा मनुष्य में सहनशीलता, सामाजिकता, नागरिकता और दूसरों के लिए प्रतिष्ठा की भावना सिखाई जा सकती है। शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। इसलिए यह राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में अपना पूरा योगदान डालती है।

2. शारीरिक शिक्षा में साम्प्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं (No Place for Communalism in Physical Education)-शारीरिक शिक्षा किसी तरह भी साम्प्रदायिकता को अपने निकट नहीं आने देती। शारीरिक शिक्षा रंग-रूप, जातिवाद, धर्म, वर्ग, समुदाय के भेदभाव को स्वीकार नहीं करती। इसलिए सारी मनुष्य जाति की भलाई का ही विशेष महत्त्व है। घटिया विचारों को यह स्वीकार नहीं करती जिनके द्वारा जातिवाद के झगड़े उत्पन्न हों। साम्प्रदायिकता हमारे देश के लिए बहुत घातक है। शारीरिक शिक्षा इस खतरे को कम करते हुए राष्ट्रीय एकता में वृद्धि करती है।

3. समानता और शारीरिक शिक्षा (Equality and Physical Education) शारीरिक शिक्षा असमानता को स्वीकार नहीं करती। इसके लिए छोटा-बड़ा, अमीर-ग़रीब सभी एक-जैसे हैं। आज के युग में असमानता एक गम्भीर समस्या है। शारीरिक शिक्षा इस समस्या को समाप्त कर राष्ट्रीय एकता की भावना लोगों को प्रदान करती है।

4. प्रान्तीयवाद और शारीरिक शिक्षा (Provincialism and Physical Education) शारीरिक शिक्षा में प्रान्तीयवाद का कोई स्थान नहीं है। जब कोई खिलाड़ी शारीरिक क्रियाएं करता है उस समय उसमें प्रान्तीयवाद की कोई भावना नहीं होती है कि वह अमुक प्रान्त का निवासी है। उसको केवल मानव भलाई का लक्ष्य ही दिखाई पड़ता है। खिलाड़ी खेलते समय आपस में सहयोग रखते हुए एक-दूसरे की भावनाओं का सत्कार करते हैं, जिससे उनमें एकता में वृद्धि होती है। देश शक्तिशाली बनता है और राष्ट्रीय एकता समृद्ध होती है।

5. भाषावाद और शारीरिक शिक्षा (Linguism and Physical Education)-भारतवर्ष में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। कई प्रान्तों में भाषा के लिए झगड़े हो रहे हैं। कहीं पर पंजाबी, कहीं तमिल भाषा का झगड़ा, कहीं बंगला एवं उड़िया भाषाओं के नाम पर झगड़ा उत्पन्न हुआ है। एक स्थान की भाषा दूसरे स्थान पर समझने में कठिनाई आती है, परन्तु शारीरिक शिक्षा किसी भी भाषा के झगड़े में न पड़ते हुए इसे स्वीकार ही नहीं करती। अच्छा खिलाड़ी चाहे वह बंगला बोलता हो या पंजाबी, सभी को अपना भाई मानते हैं। सभी खिलाड़ी एक टीम के रूप में मैदान में आते हैं। आपसी सहयोग से अपने देश की मान-मर्यादा को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। इस तरह शारीरिक शिक्षा भाषाओं के झगड़े को समाप्त करके राष्ट्रीय एकता में वृद्धि करने का यत्न करती है।

6. फुर्सत का समय और शारीरिक शिक्षा (Leisure Time and Physical Education)-फुर्सत का समय वह समय है जब मनुष्य के पास कोई काम करने के लिए नहीं होता। बहुत-से लोग फुर्सत का समय उपयोगी ढंग से व्यतीत नहीं करते, व्यर्थ में लड़ते-झगड़ते रहते हैं और अपना और दूसरों का नुकसान करते. रहते हैं। ये झगड़े कई बार इतने बढ़ जाते हैं जिससे देश में बहुत-सी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं और देश की एकता एवं अखण्डता को खतरा पैदा हो जाता है। फुर्सत के समय को उपयोगी ढंग से व्यतीत करने के लिए शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम में बहुत-सी क्रियाएं हैं। सभी बच्चों और नवयुवकों के फुर्सत के समय के उपयोगी प्रयोग के लिए क्रियाएं होती हैं ताकि नवयुवकों की शक्ति अच्छे मार्ग पर लगाई जाए जिससे राष्ट्रीय एकता की समस्या का समाधान हो सकता है।

7. देश भक्ति , अनुशासन और सहनशीलता (Patriotism, Discipline and Tolerance)-शारीरिक शिक्षा द्वारा देश भक्ति की भावना उत्पन्न होती है। शारीरिक शिक्षा नवयुवकों में देश भक्ति की भावना पैदा करके उसके व्यक्तित्व को विकसित करती है। एन०सी०सी०, ए०सी०सी०, गर्ज़ गाइड और एन०एस०एस० द्वारा शारीरिक शिक्षा देकर उनके स्वास्थ्य में वृद्धि की जाती है। इसके साथ-साथ देश भक्ति और देश प्रेम की भावना भी पैदा की जाती है। खेलों का उद्देश्य खिलाड़ियों में इस भावना को उत्पन्न करना है और सहनशीलता की भावना में वृद्धि करना है। खेलों द्वारा खिलाड़ियों में सहनशीलता, देश भक्ति और अनुशासन आदि गुणों को विकसित करके उनको राष्ट्रीय एकता में वृद्धि करने को प्रेरित करती है।

8. राष्ट्रीय चरित्र और शारीरिक शिक्षा (National Character and Physical Education)-खेलों में सामाजिक गुणों के महत्त्व को ध्यान में रखा गया है। इनके द्वारा राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा करना, उनमें राष्ट्रीय चरित्र का विकास करना तथा सामाजिक ज्ञान को बढ़ाना है। यदि लोगों में राष्ट्रीय चरित्र की कमी हो तो देश या कौम उन्नति नहीं कर सकते। शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम इस प्रकार बनाए जाते हैं जिससे नवयुवकों में देश-प्रेम तथा आदर की भावना पैदा हो जिससे राष्ट्रीय चरित्र एवं राष्ट्रीय एकता मजबूत हो। इन सभी गुणों के बिना राष्ट्रीय एकता बनी नहीं रह सकती। शारीरिक शिक्षा राष्ट्रीय चरित्र द्वारा राष्ट्रीय एकता को हमेशा बनाए रखती है।

Physical Education Guide for Class 11 PSEB शारीरिक शिक्षा और इसका महत्त्व Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
क्या शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य शिक्षा एक ही है ?
उत्तर-
नहीं, शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य शिक्षा एक नहीं है।

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प्रश्न 2.
“शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि, सामाजिक गुण में वृद्धि, संस्कृति।” किसका कथन है ?
(a) एच. कलर्क
(b) हैथरिंगटन
(c) बक वाल्टर
(d) जे० बी० नैश।
उत्तर-
(a) एच. कलर्क।

प्रश्न 3.
“शारीरिक विकास के उद्देश्य , मानसिक विकास के उद्देश्य, हरकत व कार्य शक्ति के विकास, सामाजिक विकास के उद्देश्य।” यह किसका कथन है ?
(a) जे० बी० नैश
(b) हैथरिंगटन
(c) जे०आर०शरमन
(d) लॉस्की।
उत्तर-
(b) हैथरिंगटन।

प्रश्न 4.
“शारीरिक अंगों का विकास, न्यूरो मांसपेशियों में तालमेल का विकास, खेल व शारीरिक क्रियाओं के प्रति उचित दृष्टिकोण का विकास” यह उद्देश्य किस के अनुसार है ?
(a) जे० बी० नैश
(b) एच. कलर्क
(c) एच. सी. बक
(d) हैथरिंगटन।
उत्तर-
(c) एच. सी. बक।

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प्रश्न 5.
न्यूरो मांसपेशी विकास, भावात्मक विकास, उचित बात समझने की योग्यता का विकास, शारीरिक अंगों का विकास। यह उद्देश्य किसके अनुसार है ?
(a) जे० बी० नैश
(b) बक वाल्टर
(c) एच. सी. बक
(d) लॉस्की
उत्तर-
(a) जे० बी० नैश।

प्रश्न 6.
“शारीरिक शिक्षा उन सभी तुजुओं का जोड़ है जो किसी व्यक्ति को शारीरिक हरकत द्वारा प्राप्त होते हैं।” यह किसका कथन है ?
(a) डैल्बर्ट उबर्टीउफर
(b) आर कैसिडी
(c) जे०बी०नैश
(a) चार्ल्स ए०बियोकर।
उत्तर-
(a) डैल्बर्ट उबर्टीउफर।

प्रश्न 7.
शारीरिक शिक्षा क्या है ?
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा ज्ञान है जो शरीर से सम्बन्ध रखता है।

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प्रश्न 8.
“शारीरिक शिक्षा व्यक्ति की कुल शारीरिक क्रियाओं का जोड़ है जो कि अपनी भिन्नता के अनुसार धुनी जाती हैं तथा अपने उद्देश्य के अनुसार प्रयोग की जाती हैं।” यह किस का कथन है ?
उत्तर-
जे० एफ० विलियम।

प्रश्न 9.
“शारीरिक शिक्षा समूची विद्या का वह भाग है जिसका सम्बन्ध मांसपेशियों की क्रियाओं तथा उनसे सम्बन्धित क्रियाओं के साथ है।” यह किसका कथन है ?
उत्तर-
जे०बी०नैश।

प्रश्न 10 .
शारीरिक शिक्षा सम्पूर्णता का अभिन्न अंग है जिसका उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक तौर पर ठीक शहरी पैदा करना है, इस तक पहुंचने के लिए शारीरिक क्रियाओं का स्थान चुना गया है ताकि इसको प्राप्त कर सकें।”
उत्तर-
चार्ल्स ए. बूचर।

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अति छोटे उत्तरों वाले प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा के कोई तीन उद्देश्य लिखें।
उत्तर-

  1. शारीरिक विकास,
  2. मानसिक विकास,
  3. भावनात्मक विकास।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र लिखो।
उत्तर-
विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास जैसे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक विकास करने की अनगिनत शारीरिक क्रिया द्वारा कोशिश की जाती है।

प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा के कोई तीन महत्त्व लिखें।
उत्तर-

  1. शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम
  2. शारीरिक शिक्षा में साम्प्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं।
  3. देशभक्ति, अनुशासन तथा सहनशीलता।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न | (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जे० एफ० विलियम के अनुसार शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य क्या है ?
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य कुशल मार्गदर्शन करना है जिससे मनुष्य या संगठन को इस तरह की स्थिति में भाग लेने का अवसर मिलता है ताकि वह आनन्ददायक मानसिक रूप और प्रेरक रूप से स्वस्थ रहे।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा सलाहकार बोर्ड के अनुसार शारीरिक शिक्षा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक व भावात्मक तौर पर योग्य बनाना है व उसमें इस तरह के निजी व सामाजिक गुण विकसित करना है जिससे वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ स्वतन्त्रतापूर्वक रह सके व अच्छा नागरिक बन सके।”

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प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा के केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड के अनुसार शारीरिक शिक्षा की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
“शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक व भावात्मक तौर पर योग्य बनाना है। उसमें इस तरह के निजी व सामाजिक गुण विकसित करना है जिससे वह समाज के अन्य सदस्यों के साथ स्वतापूर्वक रह सके व अच्छ नागरिक बन सके।”

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बड़े उत्तर वाला प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न-
शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बताओ।
उत्तर-
आज शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र इतना विशाल है कि खेलों से लेकर मनोरंजन और भौतिक चिकित्सा (Physiotheraphy) तक शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में शामिल हैं! आज शारीरिक शिक्षा विद्यार्थियों के शारीरिक मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक विकास में योगदान दे रही है। शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र निम्नलिखित क्रियाओं का सुमेल है-

1. संशोधक व्यायाम (Corrective Exercises)-इन व्यायामों द्वारा किसी खिलाड़ी या व्यक्ति की शारीरिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कई बार मांसपेशियों की कमज़ोरी, हड्डियों की बनावट या चोट लगने के कारण शारीरिक त्रुटि पैदा हो जाती है। भौतिक चिकित्सा (Physiotheraphy) की मदद से हलके व्यायामों के द्वारा इन त्रुटियों का इलाज किया जा सकता है।

2. आत्म-रक्षक व्यायाम (Self Defence Activities) – इसमें वे सभी क्रियाएं शामिल होती हैं जिनकी सहायता से व्यक्ति आत्म-रक्षा कर सकता है। इन क्रियाओं के द्वारा व्यक्ति को आत्म-रक्षा करने के भिन्न भिन्न कौशल सिखाए जाते हैं। गतका, मुक्केबाजी, कराटे, कुश्ती, जूडो आदि खेल इस क्षेत्र में शामिल होती हैं।

3. ताल नाच (Rhythmics)-संगीत या ताल के साथ की जाने वाली क्रियाएं इसमें शामिल होती हैं। जैसे, डम्बल, लेज़ियम (रिदमिक जिमनास्टिक) लोक-नृत्य क्रियाएं आदि।

4. मनोरंजन क्रियाएं (Recreational Activities)-दैनिक जीवन की भाग-दौड़ के उपरांत जब मानव ऊब जाता है तो मनोरंजन उसके जीवन में दोबारा ताज़गी भरने की शक्ति रखता है। मनोरंजन के लिए मानव कई प्रकार की क्रियाएं कर सकता है, जैसे कैंप लाना, पिकनिक, पहाड़ों की सैर, मछली पकड़ना आदि। मनोरंजन की ये सभी क्रियाएं भी शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में ही शामिल हैं।

5. यौगिक क्रियाएं (Yogic Activites)-योग भारत की एक पुरातन विधि है जो आज पूरे संसार में प्रचलित हो रही है। योग में अलग-अलग आसन, प्राणायाम और अन्य क्रियाएं शामिल होती हैं जिनका प्रयोग व्यायाम, इलाज, ध्यान लगाने आदि के लिए किया जाता है।

6. शैक्षिक क्षेत्र (Educational Scope)-शारीरिक शिक्षा में हम अलग-अलग विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं, जैसे-जीव विज्ञान, शारीरिक बनावट, मनोविज्ञान, भौतिक चिकित्सा आदि। विद्यार्थी भविष्य में इन विषयों को अपने पेशे के रूप में अपना सकते हैं।

7. व्यावसायिक क्षेत्र (Vocational Scope)—शारीरिक शिक्षा सिर्फ एक खिलाड़ी ही नहीं बनाता बल्कि शारीरिक शिक्षा अध्याय, प्रशिक्षक, खेल पत्रकार, कमैंटेटर आदि प्रमुख व्यवसायों में भी जाने का अवसर प्रदान करता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे)

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे)

SST Guide for Class 7 PSEB भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
इतिहास में भारतीय उपमहाद्वीप के कौन-कौन से नाम रखे गए ?
उत्तर-
भारतीय महाद्वीप के दो नाम रखे गए–हिन्दुस्तान तथा भारतवर्ष।

प्रश्न 2.
इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को कितने युगों में बाँटा है ?
उत्तर-
प्राचीन युग, मध्यकालीन युग तथा आधुनिक युग।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे)

प्रश्न 3.
भारतीय इतिहास के स्त्रोत कितनी प्रकार के हैं ?
उत्तर-
मध्यकालीन भारतीय इतिहास की जानकारी के लिए दो प्रकार के ऐतिहासिक स्रोत मिलते हैं –
I. पुरातत्त्व स्रोत
II. साहित्यिक स्रोत
I. पुरातत्त्व स्रोत- पुरातत्त्व स्रोतों में प्राचीन स्मारक, मन्दिर, शिलालेख, सिक्के, बर्तन, हथियार, आभूषण तथा चित्र शामिल हैं।

1. प्राचीन स्मारक अथवा इमारतें-इन इमारतों में मन्दिर, मस्जिद तथा किले शामिल हैं। मन्दिरों में खजुराहो, भुवनेश्वर, कोणार्क आदि का नाम लिया जा सकता है। मस्जिदों में जामा मस्जिद तथा मोती मस्जिद और किलों में जैसलमेर, जयपुर आदि मुख्य है।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) 1
2. शिलालेख-शिलालेख हमें आरम्भिक (पूर्व) मध्यकाल के भिन्न-भिन्न पहलुओं की जानकारी देते हैं। इनसे हमें मध्ययुग की महत्त्वपूर्ण घटनाओं, शासकों तथा उनके शासनकाल एवं गुणों, कला के नमूनों, प्रशासनिक गतिविधियों आदि का पता चलता है।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) 2
3. सिक्के-हमें मध्ययुग के बहुत अधिक सिक्के प्राप्त हुए हैं। ये इस युग की महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं तथा प्रसिद्ध व्यक्तियों की जानकारी देते हैं। कुछ सिक्के उस समय की आर्थिक दशा पर भी प्रकाश डालते हैं।

4. चित्रकारी-चित्रकारी से हमें मध्ययुग की साधारण जानकारी के साथ-साथ उस समय की कला के विकास का भी पता चलता है।

II. साहित्यिक स्रोत-साहित्यिक स्रोतों में आत्मकथाएं, जीवन कथाएं, राजा तथा राजवंशों के वृत्तांत, दस्तावेज़ आदि शामिल हैं। बाबर, जहांगीर की आत्मकथाएं हमें विभिन्न शासकों की महत्त्वपूर्ण जानकारी देती हैं। दस्तावेज़ भिन्न-भिन्न शासकों के बीच हुई सन्धियों पर प्रकाश डालते हैं।

प्रश्न 4.
विदेशी यात्रियों के लेख किस प्रकार ऐतिहासिक स्रोत हैं ?
उत्तर-
विदेशी यात्रियों के लेख मध्यकालीन इतिहास के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं। मध्ययुग में कई मुस्लिम तथा यूरोपीय यात्रियों ने भारत की यात्रा की। उन्होंने भारत के बारे में अपने-अपने लेख लिखे। ये लेख मध्ययुग से सम्बन्धित कई बातों की जानकारी देते हैं।

  1. इन-बतूता के किताब ‘उल-रिहला’ लेख से मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन की जानकारी मिलती है।
  2. अलबेरूनी का भारत सम्बन्धी लेख भी काफ़ी महत्त्वपूर्ण है।
  3. अब्दुल राजाक ने विजय नगर राज्य की यात्रा की। उसने उस समय के विजय नगर राज्य की स्थिति के बारे में लिखा।
  4. यूरोपीयन यात्रियों ने अपनी भारत यात्रा के बारे में कई लेख लिखे जो उस समय की भारतीय दशा पर प्रकाश डालते हैं।

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. भारतीय उपमहाद्वीप को पूर्व काल में ……………… कहा जाता था।
  2. भारत में ………………. को परिवर्तन की शताब्दी माना जाता है।
  3. चीन निवासियों ने भारत को ……………… का नाम दिया।
  4. स्मारक, शिलालेख तथा सिक्के आदि भारतीय इतिहास के …………… स्रोत हैं, जबकि आत्मकथा तथा जीवनगाथा ………………… स्रोत हैं।
  5. इब्नबतूता एक ………………… यात्री था।

उत्तर-

  1. हिन्दुस्तान,
  2. आठवीं शताब्दी,
  3. ताइन चूँ,
  4. पुरातत्व, पुरातत्व साहित्य,
  5. विदेशी।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे)

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य के सामने ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाएं

  1. मध्यकालीन युग प्रारम्भिक मध्यकालीन युग एवं उत्तर-मध्यकालीन युगों में बँटा हुआ था।
  2. मध्यकालीन युग दौरान बहुत-से सामाजिक रीति-रिवाज और धार्मिक विश्वास अस्तित्व में नहीं आए थे।
  3. मध्यकालीन युग में व्यापार एवं वाणिज्य के विकास के लिए विशेष सुधार किए गए।
  4. मध्यकालीन युग दौरान हिन्दुओं तथा मुसलमानों में आपसी सम्बन्ध स्थापित नहीं थे।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)

PSEB 7th Class Social Science Guide भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे) Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मध्यकालीन युग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इतिहास के प्राचीन युग तथा आधुनिक युग के बीच के समय को मध्यकालीन युग कहते हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 7 भारत तथा विश्व (कब, कहाँ तथा कैसे)

प्रश्न 2.
भारत में किस काल को मध्यकालीन युग कहा जाता है ?
उत्तर-
भारत में 8वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी के बीच के समय को मध्यकालीन युग कहा जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में 8वीं शताब्दी को परिवर्तन की शताब्दी क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
भारत में 8वीं शताब्दी में समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था, सभ्याचार तथा धर्म में बहुत-से परिवर्तन आए। इसी कारण भारत में 8वीं शताब्दी को परिवर्तन की शताब्दी माना जाता है।

प्रश्न 4.
भारत को किस काल में ‘आर्यवर्त’ का नाम दिया गया है ? इसका शाब्दिक अर्थ क्या है ?
उत्तर-
भारत को वैदिक काल में आर्यवर्त का नाम दिया गया है। इसका शाब्दिक अर्थ है-आर्यों का देश।

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प्रश्न 5.
भारत में मध्यकालीन युग को कौन-कौन से दो भागों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
भारत में मध्यकालीन युग को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जाता है –

  1. 8वीं शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी के आरम्भ तक के समय को आरम्भिक अथवा पूर्व मध्यकालीन युग कहा जाता है।
  2. 13वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक का समय उत्तर मध्यकालीन युग कहलाता है।

प्रश्न 6.
अकबर के प्रसिद्ध संगीतकार का नाम बताओ।
उत्तर-
अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था।

प्रश्न 7.
इतिहास ने भिन्न-भिन्न युगों में भारत को भिन्न-भिन्न नाम दिए। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है कि इतिहास ने भिन्न युगों में भारत को भिन्न नाम दिए –

  1. वैदिक काल में भारत को आर्यवर्त कहा जाता था।
  2. महाभारत तथा पुराणों के समय में राजा भरत के नाम पर हमारे देश को भारतवर्ष कहा जाने लगा।
  3. ईरानियों ने इसे ‘हिन्दू’ तथा यूनानियों ने इसे इण्डस का नाम दिया।
  4. बाइबल में भारत को होडू कहा गया है।
  5. जब चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ तो चीनियों ने भारत को ताइन-चूं का नाम दिया।
  6. ह्यूनसांग की भारत यात्रा के बाद भारत को इंटू कहा जाने लगा।

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प्रश्न 8.
भारत में मध्यकालीन युग का अंत कब माना जाता है ?
उत्तर-
भारत में मध्यकालीन युग का अन्त मुग़ल साम्राज्य के पतन तथा अंग्रेजों द्वारा शक्ति पकड़ने के साथ माना जाता है। ऐसा 18वीं शताब्दी के मध्य में हुआ।

प्रश्न 9.
संगीत ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि संगीत भी ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। उदाहरण के लिए हम मुग़ल काल को लेते हैं। मुग़ल शासक संगीत प्रेमी थे। इसलिए उनके शासन काल में संगीत का बहुत अधिक विकास हुआ। अकबर ने तो अपने दरबार में अनेक संगीतकारों को संरक्षण दिया हुआ था। तानसेन उसके समय का प्रसिद्ध संगीतकार था। मुग़लकाल में संगीत के माध्यम से ही हिन्दू तथा मुस्लिम संस्कृति का मेल हुआ।

प्रश्न 10.
मध्यकालीन युग में भारतीय उपमहाद्वीप में कौन-कौन से देश शामिल थे?
उत्तर-
मध्यकालीन युग में भारतीय उपमहाद्वीप में आज के छ: देश शामिल थे। ये देश थे-पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश तथा भारत।

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प्रश्न 11.
मध्यकालीन युग के दौरान प्रमुख ऐतिहासिक प्रवृत्तियों का वर्णन करो।
उत्तर-
मध्यकालीन युग की ऐतिहासिक प्रवृत्तियां इस युग को प्राचीन युग से अलग करती हैं। इनमें से प्रमुख प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं –

  1. मध्यकाल में भारत में मुसलमान आए और उनका हिन्दुओं से मेलजोल बढ़ा। परिणामस्वरूप मिश्रित सभ्यता
    जन्म हुआ।
  2. मध्यकाल में बहुत-सी भाषाओं का विकास हुआ जो हम आज भी बोलते हैं। इनमें से हिन्दी तथा उर्दू प्रमुख थीं।
  3. इस युग में हमारे बहुत से सामाजिक रीति-रिवाजों, रस्मों तथा धार्मिक विश्वासों की उत्पत्ति हुई।
  4. इस काल में भारत के बाहरी संसार के साथ गहरे आपसी सम्बन्ध स्थापित हुए। व्यापार के कारण संसार के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोग एक-दूसरे के निकट आए। उन्होंने एक-दूसरे के रीति-रिवाज अपनाए। भारत ने भी अन्य देशों से अनेक रीति-रिवाज ग्रहण किये।
  5. भारत में भक्ति मत तथा सूफी मत का प्रचार हुआ। इससे हिन्दुओं तथा मुसलमानों को एक-दूसरे के धर्मों के सिद्धान्तों को समझने में सहायता मिली।
  6. मध्ययुग में व्यापार तथा वाणिज्य के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण सुधार किये गये।

(क) सही कथनों पर (✓) तथा ग़लत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. शिलालेख साहित्यिक स्त्रोत हैं।
  2. मुग़ल शासक संगीत प्रेमी थे।
  3. इब्न-बतूता के लेख से हमें अकबर के शासनकाल की जानकारी मिलती है।

उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✓)
  3. (✗)

(ख) सही जोड़े बनाएं:

  1. अब्दुल रज्जाक – अकबर
  2. तानसेन – विजयनगर राज्य
  3. इण्डस – यूनसांग
  4. इंटू – ग्रीक

उत्तर-

  1. अब्दुल रज्जाक – विजयनगर राज्य
  2. तानसेन – अकबर
  3. इण्डस – ग्रीक
  4. इंटू – यूनसांग

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(ग) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
‘किताब-उल-रिहला’ भारत में आने वाले एक विदेशी का लेख है। बताइए वह कौन था?
(i) अल्बेरुनी
(ii) इब्न-बतूता
(iii) अब्दुल रज्जाक।
उत्तर-
(ii) इब्न-बतूता।

प्रश्न 2.
चित्र में दिखाया गया व्यक्ति अकबर के समय का प्रसिद्ध संगीतकार था।
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(i) तानसेन
(ii) अब्दुल रज्जाक
(iii) अलबेरुनी।
उत्तर-
(i) तानसेन।

प्रश्न 3.
चित्र में दिखाया गया स्रोत साहित्यिक स्रोतों में शामिल है? यह क्या है?
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(i) आत्मकथा
(ii) अकबर का सिक्का
(iii) चित्रकारी।
उत्तर-
(ii) अकबर का सिक्का ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

PSEB 10th Class Home Science Guide भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन हमारे शरीर में कौन-कौन से काम करता है?
उत्तर-
भोजन प्राणियों को जीवित रखने के अतिरिक्त शरीर में अग्रलिखित कार्य करता है

  1. शरीर को शक्ति देता है-मशीनों की तरह मानवीय शरीर को भी शक्ति की आवश्यकता होती है जोकि भोजन से प्राप्त होती है।
  2. शरीर की वृद्धि-जन्म से लेकर जवानी तक मानवीय शरीर में लगातार वृद्धि होती है। इस वृद्धि के पीछे भोजन की शक्ति ही कार्य करती है।
  3. टूटे तन्तुओं की मुरम्मत- भोजन शरीर के नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु बनाता है।

प्रश्न 2.
भोजन के कौन-से पौष्टिक तत्त्वों से हमें ऊर्जा मिलती है?
उत्तर-
भोजन के कार्बोज, चिकनाई और प्रोटीन से शरीर को ऊर्जा मिलती है।

प्रश्न 3.
भोजन जीवन का मूल आधार माना जाता है। क्यों?
उत्तर-
भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर की अन्दरूनी तोड़-फोड़ की मुरम्मत करता है। ऊर्जा से शरीर अपनी आवश्यक क्रियाएं करने योग्य होता है और साथ-साथ शरीर की मुरम्मत भी होती रहती है। ये दोनों क्रियाएं शरीर को जीवित रखती हैं। इसलिए भोजन को जीवन का मूल आधार कहा जाता है।

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प्रश्न 4.
शक्ति या ऊर्जा देने वाले भोजन पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर-
शक्ति निम्नलिखित भोजन पदार्थों से मिलती है, जैसे

  1. कार्बोज युक्त पदार्थ-गुड़, शक्कर, चीनी और जड़ों वाली सब्जियां।
  2. चिकनाई युक्त पदार्थ-जैसे मक्खन, घी, तेल और तले हुए भोजन पदार्थ ।
  3. प्रोटीन युक्त पदार्थ- भोजन पदार्थ जैसे दूध, दही, मक्खन, अण्डे, मीट आदि।

प्रज्ञ 5.
शरीर का निर्माण तथा टूटी-फूटी कोशिकाओं की मुरम्मत करने के लिए वन-से पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है तथा कौन-से भोजन पदार्थों से प्राई किए जा सकते हैं?
उत्तर-
भिन्न-भिन्न शारीरिक क्रियाएं करते समय शरीर के सैल टूटते, घिसते और नष्ट होते रहते हैं। इसलिए नए सैलों के निर्माण के लिए हमें प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ खाने चाहिएं जैसे अण्डा, दूध, मीट, मछली अनाज। सोयाबीन प्रोटीन का एक मुख्य और सस्ता स्रोत है।

प्रश्न 6.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-से हैं ? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
पौष्टिक तत्त्व भोजन का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। ये भिन्न-भिन्न रासायनिक तत्त्वों का मिश्रण होते हैं। इनकी शरीर को काफ़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। एक सन्तुलित भोजन में निम्नलिखित पौष्टिक तत्त्व होते हैं-प्रोटीन, कार्बोज, चिकनाई, विटामिन, लवण और पानी है।

प्रश्न 7.
प्रोटीन कौन-से तत्त्वों का मिश्रण है?
उत्तर-
प्रोटीन पौष्टिक तत्त्वों में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसको मानवीय जीवन का आधार कहा जाता है। प्रोटीन कई प्रकार के अमीनो अम्लों के मिश्रण से बनता है। यह अमीनो अम्ल, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कई सल्फर के संयोग से बनते हैं।

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प्रश्न 8.
कौन-सा तत्त्व केवल प्रोटीन में ही मिलता है?
उत्तर-
नाइट्रोजन तत्त्व केवल प्रोटीन में ही मिलता है।

प्रश्न 9.
कार्बोहाइड्रेट के मुख्य स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर-
यह हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन का मिश्रण है। यह शरीर को गर्मी और शक्ति देने का सबसे सस्ता स्रोत है। कार्बोहाइड्रेट, गेहूँ, चावल, मक्की, जौ, फल, सूखे मेवे, गुड़, शक्कर, चीनी, शहद आदि से प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
विटामिन हमारे जीवन तत्त्व क्यों हैं?
उत्तर-
विटामिन पौष्टिक तत्त्वों में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। ये बढ़िया स्वास्थ्य, शारीरिक वृद्धि और बीमारियों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक हैं। ये हमारे शरीर को थोड़ी मात्रा में चाहिए। परन्तु शरीर इनकी रचना नहीं कर सकता है इसलिए इनको भोजन में शामिल करना आवश्यक है।

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प्रश्न 11.
पानी में घुलनशील विटामिन कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
घुलनशीलता के आधार पर विटामिनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है-चर्बी में घुलनशील और पानी में घुलनशील विटामिन। पानी में घुलनशील विटामिनों का एक ग्रुप बी समूह होता है जो पानी में घुल जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ‘सी’ तथा विटामिन ‘बी’ भी पानी में घुलनशील हैं।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 12.
विटामिन ‘ए’ की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? मुख्य स्त्रोत कौन-से हैं?
उत्तर-
विटामिन ‘ए’ की कमी से शरीर पर हानिकारक प्रभाव होता है जो इस प्रकार है

  1. अन्धराता (Night Blindness)-विटामिन ‘ए’ की कमी से मनुष्य की अन्धेरे में देखने की शक्ति कम हो जाती है। रोशनी वाले स्थान या बाहर तेज़ धूप से अन्धेरे या अन्दर कमरे में आने पर कुछ समय के लिए देखने में रुकावट आती है। इसकी कमी से रंगों को ठीक तरह पहचानने में भी रुकावट होती है।
  2. जीरोसिस (Xerosis)—विटामिन ‘ए’ की कमी से आंसू ग्रन्थियां सूख जाती हैं। आंखों के सफेद भाग पर धुंधलापन और कार्निया (Cornea) पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इनमें सफ़ेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है और पलकें बन्द हो जाती हैं। अधिक समय तक विटामिन ‘ए’ की कमी से मनुष्य अन्धा हो जाता है।
  3. चमड़ी का खुरदरापन (Toad’s skin)
  4. प्रजनन क्रिया पर प्रभाव (Effect on reproduction system)
  5. गर्दे में पत्थरी की सम्भावना (Chances of Stone formation in kidney)
  6. वृद्धि में रुकावट (Effect on growth)
  7. दांतों और हड्डियों के विकार (Effects on teeth and bones)।

इसके अतिरिक्त गर्भ के समय और बच्चे को दूध देते समय विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता अधिक होती है और ताज़ी सब्जियों में बासी सब्जियों से अधिक विटामिन ‘ए’ मिलता है। शरीर में इसका अधिक होना भी नुकसानदायक होता है।
मुख्य स्रोत-मछली, दूध, मक्खन, देसी घी, आम, पपीता, गाजर, टमाटर, अनानास आदि।

प्रश्न 13.
क्या विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील है ? इसका सबसे सस्ता स्त्रोत कौन-सा है?
उत्तर-
नहीं, विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील नहीं बल्कि यह चर्बी में घुलनशील है। यह अधिकतर वनस्पति वर्ग में पाया जाता है। इस की कमी से बहते खून का बन्द होना कठिन हो जाता है क्योंकि यह खून के जमने में सहायक है। यह हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। इसका सब से सस्ता स्रोत फूलगोभी, बन्द गोभी और गण्ड गोभी है।

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प्रश्न 14.
कौन-से विटामिन प्रकाश तथा गर्मी से जल्दी नष्ट हो जाते हैं?
उत्तर-
राइबोफ्लेविन (विटामिन B.) गर्मी और रोशनी से शीघ्र नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 15.
कौन-कौन से खनिज पदार्थ हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं? नाम बताओ।
उत्तर-
हमारे शरीर को दो प्रकार के खनिज पदार्थों की आवश्यकता होती है। एक मैक्रोमिनरल्ज़ जैसे-कैल्शियम, फॉस्फोरस, सल्फर, सोडियम और क्लोरीन आदि। दूसरे माइक्रोमिनरल्ज़ हैं जैसे-लोहा, आयोडीन, तांबा, जिंक, कोबाल्ट आदि।

प्रश्न 16.
आयोडीन नमक लेने का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
जिन स्थानों पर ज़मीन में आयोडीन की कमी हो वहां सभी व्यक्तियों को आयोडाइज़्ड नमक (Iodised salt) ही प्रयोग करना चाहिए। भारत में पोटाशियम आयोडेट से नमक को आयोडाइज्ड किया जाता है। जिन स्थानों पर ज़मीन में आयोडीन की कमी है वहां केवल यही नमक बेचा जा सकता है। व्यस्कों में 100-150 माइक्रो ग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। विशेष हालतों जैसे कि गर्भ अवस्था में इसकी आवश्यकता बढ़ जाती है। गिल्लड़ होने की स्थिति में आयोडीन की गोलियां दी जाती हैं।

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प्रश्न 17.
पानी की कमी से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर–
पानी की कमी का प्रभाव (Effects of deficiency of Water)—जिस मात्रा में पानी शरीर में से निकलता है उतनी मात्रा में द्रव्य पदार्थों या भोजन पदार्थों द्वारा यदि पूरा न किया जाए तो हानिकारक प्रभाव होता है। इससे शरीर के पानी की मात्रा कम हो जाती है और शरीर के द्रव्य पदार्थों में परिवर्तन आ जाते हैं। शरीर की क्रियाओं की गति कम हो जाती है और फोक पदार्थों का विकास नहीं हो सकता। यदि पानी की बहुत कमी हो जाए तो मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न 18.
बढ़ने वाले बच्चों के भोजन में प्रोटीन का होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
बढ़ रहे बच्चों को प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि उनके शरीर में नए सैलों का निर्माण होना होता है और बच्चों के शरीर में सैलों की तोड़-फोड़ भी अधिक होती है। इसलिए नए सैलों को बनाने और टूटे सैलों की मुरम्मत के लिए बच्चों को प्रोटीन की आवश्यकता अधिक होती है।

प्रश्न 19.
प्रोटीन के मुख्य कार्य क्या हैं तथा इसकी कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
प्रोटीन के कार्य (Functions of Protein)-प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। यह हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. शरीर की सुरक्षा और विकास का कार्य
  2. शरीर को ऊर्जा देने का कार्य
  3. रोगों से मुकाबला करने के लिए शक्ति को बढ़ाना
  4. खून बनाने में सहायक
  5. अम्ल और क्षार में सन्तुलन रखना
  6. हार्मोन्ज़ और एन्जाइमज़ (Enzymes) बनाने का कार्य
  7. मानसिक शक्ति प्रदान करना।

प्रोटीन की कमी से होने वाले नुकसान (Effect of deficiency of Protein) —
प्रोटीन की कमी का प्रभाव बच्चों, गर्भवती औरतों और दूध पिलाने वाली माताओं पर अधिक पड़ता है। इसकी कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं —

  1. शरीर की वृद्धि और विकास में रुकावट-प्रोटीन की कमी से शरीर की वृद्धि और बढ़ोत्तरी की रफ्तार कम हो जाती है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और बच्चों में शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
  2. खून की कमी-भोजन में प्रोटीन की कमी से खून की कमी (Anaemia) हो जाती है।
  3. रोग प्रतिरोधक (Antibodies) पदार्थ की कमी-प्रोटीन शरीर में रोग प्रतिरोधक तत्त्वों का निर्माण करता है। प्रोटीन की कमी से शरीर में बीमारियों से मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है जिससे कई रोग लग जाते हैं।
  4. हड्डियां कमज़ोर होना-इसकी कमी हड्रियों को भी कमजोर करती है। इसलिए इनके जल्दी टूटने का डर रहता है।
  5. चमड़ी का खुशक होना-शरीर में प्रोटीन की कमी से चमड़ी खुशक हो जाती है और इससे शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
  6. बच्चे का कमज़ोर पैदा होना-गर्भवती और दूध पिलाने वाली औरतों में इसकी कमी होने से बच्चा कमजोर होता है और उसकी वृद्धि ठीक नहीं होती।
  7. प्रोटीन की कमी से बच्चे क्वाशियोरकॉर और मरास्मस (सूखा) रोगों का शिकार हो जाते हैं।

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प्रश्न 20.
प्रोटीन के स्त्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
प्रोटीन की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Protein)

    1. पशु जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Sources)-जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, खोया, मक्खन आदि, मीट और मीट से बने पदार्थ अण्डे और मछली।
    2. वनस्पति जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetable Sources)-जैसे दालें, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, बादाम, पिस्ता, नारियल, मटर और अनाज आदि।
      चित्र-प्रोटीन की प्राप्ति के स्रोत

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व 1

प्रश्न 21.
कार्बोहाइड्रेट्स हमारे शरीर में क्या काम करते हैं?
उत्तर-

  1. शक्ति प्रदान करना-कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शारीरिक कार्यों के लिए गर्मी और शक्ति देना है। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4 कैलोरी ऊर्जा मिलती है। शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए यह सबसे अच्छा स्रोत है। भोजन से प्राप्त होने वाली शक्ति का 50% से 60% भाग कार्बोहाइड्रेट द्वारा ही प्राप्त होता है।
  2. प्रोटीन एक महंगा स्रोत है और कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन की बचत करते हैं ताकि प्रोटीन शरीर के निर्माण का कार्य कर सके।
  3. यह चिकनाई की कमी को भी पूरा करते हैं और चिकनाई के पाचन में भी सहायक हैं।
  4. ग्लूकोज़ आवश्यक अमीनो एसिड के निर्माण में भी सहायक होता है।
  5. कार्बोहाइड्रेट्स भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं।
  6. सैलुलोज फोक का कार्य करता है जिससे शरीर में से मल निकालने के लिए सहायता मिलती है और कब्ज दूर होती है।
  7. कार्बोहाइड्रेट चिकनाई से मिल कर भूख की तृप्ति (Satiety) महसूस कराते हैं। इससे काफ़ी देर भूख महसूस नहीं होती।

प्रश्न 22.
भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की उचित मात्रा होना क्यों जरूरी है?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। इसकी कमी के कारण शरीर में प्रोटीन और चर्बी इस कार्य के लिए प्रयोग की जाती है और शरीर कमज़ोर होना शुरू हो जाता है। लगातार भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की कमी होने से शारीरिक वृद्धि रुक जाती है और मरास्मस नाम का रोग हो जाता है। इसलिए कार्बोज़ का भोजन में उचित मात्रा में होना बहुत आवश्यक है।

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प्रश्न 23.
कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव (Effect of deficiency of Carbohydrates) — कार्बोहाइड्रेट्स की कमी प्रायः कम ही देखने को मिलती है, परन्तु यदि इसकी कमी हो जाए तो शरीर पर कई तरह से प्रभाव होता है।

  1. बच्चों पर कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव (Effect of deficiency of Carbohydrates on children)-प्रायः पांच साल से कम आयु के बच्चों में इसकी कमी के लक्षण दिखाई देते हैं। जब बच्चों से दूध छुड़वाया जाता है तो उनके भोजन में पूर्ण पौष्टिक तत्त्व शामिल नहीं किए जाते या अधिक समय के लिए बच्चों को मां के दूध पर ही रखे जाने से भी शरीर में इसकी कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में शरीर कार्बोहाइड्रेट के स्थान पर ऊर्जा के लिए प्रोटीन का प्रयोग करता है और इससे प्रोटीन की कमी भी आ जाती है। इस अवस्था को मरास्मस या सूखा (Marasmus) कहा जाता है।
  2. भार की कमी (Loss of Weight) भोजन में जब कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो जाए तो शरीर कमजोर हो जाता है। इससे काम करने के लिए दिल नहीं करता। भार कम होने लग पड़ता है और थकावट महसूस होती है।
  3. किटोसिस (Ketosis)-कार्बोहाइड्रेट्स की कमी से शरीर में कीटोन-बॉडीज़ (Ketone Bodies) बढ़ जाती हैं। खून में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है। इससे मनुष्य को बेहोशी होने लगती है और मृत्यु भी हो सकती है।
  4. मांसपेशियों का ढीला पड़ना (Loosening of Muscles)-कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव मांसपेशियों पर भी दिखाई देता है। चमड़ी ढीली पड़ने के कारण झुर्रियां पड़ जाती हैं और चेहरे की चमक भी कम हो जाती है।
    कार्बोहाइड्रेट्स की उचित मात्रा ही लेनी चाहिए। आवश्यकता से अधिक कार्बोज़ खाने से यह शरीर में जाकर चर्बी का रूप धारण करके कोशिका में इकट्ठा हो जाता है और मोटापे का रोग हो जाता है। इससे आदमी आलसी हो जाता है और खून का दौरा तेज़ होने का डर रहता है।

प्रश्न 24.
निशास्ते में कौन-सा पौष्टिक तत्त्व होता है और यह तत्त्व और कौनसे भोजन पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर-
निशास्ते में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। यह अनाजों, जड़ों वाली सब्जियां और कंदमूल जैसे शकरकंदी और आलू में होता है।

प्रश्न 25.
चर्बी हमारे शरीर में क्या काम करती है?
अथवा
चिकनाई के शरीर के लिए कार्य बताएं।
उत्तर-
चर्बी के कार्य (Functions of Fat)-चर्बी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. ऊर्जा का साधन (Source of energy)
  2. आवश्यक वसा अम्लों का साधन (Sources of essential fatty acids)
  3. चर्बी में घुलनशील विटामिनों का स्रोत (Source of fat soluble vitamins)
  4. कोमल अंगों की सुरक्षा (Protection of sensitive body organs)
  5. भोजन को स्वादिष्ट बनाती है (Help in making food tasty)
  6. सन्तुष्टि देती है (Give satisfaction)
  7. शरीर का तापमान बनाए रखती है (Helps in regulating body temperature)
  8. चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए (For healthy skin)।

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प्रश्न 26.
चर्बी की कमी तथा अधिक मात्रा का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
चर्बी की कमी से हानियां (Effects of deficiency of fats)-चर्बी की कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं

  1. चर्बी की कमी से चिकनाई में घुलनशील विटामिन शरीर को नहीं मिलते और उनकी कमी से होने वाले रोग हो जाते हैं।
  2. आवश्यक वसा अम्लों (Fatty acids) की कमी हो जाती है, जिसका असर आंखों और चमड़ी पर पड़ता है। इसलिए चमड़ी खुशक हो जाती है। दाद और खुजली रोग होने का डर रहता है।
  3. चर्बी की कमी से शारीरिक ऊर्जा के लिए प्रोटीन का प्रयोग शुरू हो जाता है जिससे शारीरिक निर्माण का कार्य रुक जाता है।
  4. इसकी कमी से पाचन प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है और कब्ज रहने लग पड़ती है।
  5. चर्बी की कमी से मनुष्य का शरीर हड्डियों का ढांचा बन जाता है।

एक बात ध्यान रखने योग्य यह है कि यदि चर्बी का अधिक प्रयोग किया जाए तो मोटापा हो जाता है और हाजमा भी खराब हो जाता है। आज-कल की खोजों से यह सिद्ध हुआ है कि चिकनाई से प्राप्त की कोलेस्ट्रॉल स्वास्थ्य के लिए गम्भीर समस्या पैदा कर सकती है। जिससे खून का दबाव बढ़ जाता है और दिल का रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है इसलिए हमें वनस्पति तेलों का प्रयोग अधिक करना चाहिए।

प्रश्न 27.
(i) विटामिन ‘ए’ का मुख्य काम क्या है तथा भोजन स्रोत बताएं।
(ii) विटामिन ‘ए’ का हमारे शरीर में क्या काम है ?
उत्तर-
(i) विटामिन ‘ए’ के कार्य (Functions of Vitamin ‘A’) शरीर में विटामिन ‘ए’ निम्नलिखित कार्यों के लिए आवश्यक है

  1. शारीरिक विकास के लिए (For Physical growth)
  2. स्वस्थ आंखों के लिए (For healthy eyes)
  3. स्वस्थ चमड़ी के लिए (For healthy skin)
  4. प्रजनन क्रिया के लिए (For reproduction)
  5. छूत के रोगों की रक्षा के लिए (For protection against contagious diseases)
  6. स्वस्थ हड्डियों और दांतें के लिए (For healthy bones and teeth)।

विटामिन ‘ए’ के स्रोत (Sources of Vitamin ‘A’)

  1. मछली के जिगर का तेल, कुछ समुद्री मछलियां जैसे शार्क, काड, हैलीबुल के जिगर के तेल में इस विटामिन की बहुत मात्रा पाई जाती है।
    PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व 2
  2. दूध, मक्खन और देसी घी
  3. अण्डे और कलेजी
  4. हरे पत्ते वाली सब्जियां
  5. पीले, संतरी और लाल फल और सब्जियां जैसे आम, पपीता, अनानास, बेर, गाजर और टमाटर में यह विटामिन कैरोटीन के रूप में पाया जाता है।

(ii) देखें भाग (i)

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

प्रश्न 28.
विटामिन ‘डी’ के कार्य तथा कमी के बारे में बताएं।
उत्तर-
विटामिन ‘डी’ शरीर के लिए निम्नलिखित कार्य करता है

  1. कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। (Helps in absorption of Calcium and phosphorus)
  2. हड्डियों के विकास के लिए (For development of bones)
  3. शरीर के पूर्ण विकास के लिए (For development of body)।

विटामिन ‘डी’ की कमी के प्रभाव (Effects of the Deficiency of Vitamin’D’) – विटामिन ‘डी’ की कमी से निम्नलिखित रोग हो जाते हैं

  1. रिकेट्स रोग (Rickets)
  2. ओस्टोमलेशिया (Osteomalacia)
  3. ओस्टियोपरोसिस (Osteoporosis)।

प्रश्न 29.
विटामिन ‘ई’ का मुख्य कार्य क्या है तथा इसकी कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
विटामिन ‘ई’ के कार्य-शरीर में विटामिन ‘ई’ निम्नलिखित कार्य करता है

  1. प्रजनन क्रिया में सहायता करता है।
  2. मांसपेशियों के विकास के लिए आवश्यक है।
  3. विटामिन ‘ए’ के बनने में सहायता करता है।

विटामिन ‘ई’ की कमी के शरीर पर प्रभाव

  1. प्रजनन सम्बन्धी बिकार (Effect on reproduction system)
  2. गर्भपात (Miscarriage)
  3. भ्रूण की मृत्यु (Death of the foetus)
  4. दिल का रोग (Disease of heart)।

प्रश्न 30.
विटामिन ‘के’ का मुख्य काम क्या है तथा इसकी कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
विटामिन ‘के’ भी मनुष्य के पोषण के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि यह खून को जमाने में सहायता करता है।
विटामिन ‘के’ के कार्य (Functions of Vitamin ‘K’)-इसका मुख्य कार्य खून को जमाने में सहायता करना है।
विटामिन ‘के’ की कमी के प्रभाव-प्रायः विटामिन ‘के’ की कमी कम ही होती है क्योंकि यह विटामिन छोटी आन्त में बनता है। सल्फा दवाइयों का अधिक प्रयोग करने से शरीर में इसका निर्माण रुक जाता है और यदि खून बहने लगे तो रुकता नहीं।

प्रश्न 31.
विटामिन ‘बी’ समूह में कौन-कौन से विटामिन आते हैं? नाम बताएं।
उत्तर-
ग्यारह विटामिन ‘बी’ समूह को बनाते हैं परन्तु इनमें 7 बहुत महत्त्वपूर्ण हैंथायामिन, राइबोफ्लेविन, निकोटिनिक एसिड, पैंटोथिनिक एसिड, पिरिडाक्सिन, फौलिक एसिड, विटामिन ‘बी’ 12, कोलीन, इनोसीटोल और बायोटिन आते हैं। ये सभी विटामिन पानी में घुलनशील होते हैं।

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प्रश्न 32.
निम्नलिखित के काम और स्रोत लिखें
(1) थायामिन
(2) राइबोफ्लेविन
उत्तर-
1. थायामिन (B) – यह विटामिन पनीर, साबुत दालें, अनाज, अंकुरित दालों और चावलों की ऊपरी सतह पर काफ़ी मात्रा में होता है। यह विटामिन तन्त्रिका प्रणाली (Nervous system) के लिए शरीर की वृद्धि और विकास के लिए और रोगों से मुकाबला करने की शक्ति के लिए चाहिए। इसकी कमी से मनुष्य को बेरी-बेरी रोग हो जाता है। यह रोग दो प्रकार होता है सूखी बेरी-बेरी और गीली बेरी-बेरी। सूखी बेरी-बेरी में भूख कम लगती है, कब्ज हो जाती है, टांगें, बाहें ठण्डी पड़ जाती हैं और जोड़ों में दर्द होने लग जाता है।
गीली बेरी-बेरी में टांगों और पेट में पानी भर जाता है। सांस लेने के लिए मुश्किल आती है और दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है और कई बार दिल की गति रुक जाने की सम्भावना होती है। अधिक संख्त कार्य करने वालों में, गर्भवती और बच्चे को दूध देने वाली माताओं को इस विटामिन की आवश्यकता अधिक होती है। चावल पालिश करने से थायामिन कम हो जाती है। साबुत दालों और अन-छने आटे का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि इसमें थायामिन होती है। खाना अधिक देर तक पकाने और उसमें सोडे का प्रयोग करने से भी थायामिन नष्ट हो जाता है।

2. राइबोफ्लेविन (B), यह विटामिन पानी में घुलनशील है और प्रकाश से जल्दी नष्ट हो जाता है। भोजन को उबालने और भूनने के दौरान यह विटामिन काफ़ी मात्रा में . नष्ट हो जाता है। यह विशेषकर पट्ठों और नसों में काम करता है। इसकी कमी से आंखों और चमड़ी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। होठों के कोने फट जाते हैं चमड़ी सूखी और खुशक हो जाती है। यह विटामिन दूध या दूध से बने पदार्थ मूंगफली, खमीर, दालों, मास, अण्डा और हरे पत्ते वाली सब्जियों में होता है।

प्रश्न 33.
विटामिन ‘सी’ के कार्य, स्रोत तथा कमी का प्रभाव बतायो।
उत्तर-
यह पानी में घुलनशील है और इसको एसकार्बिक एसिड भी कहा जाता है।
1. विटामिन ‘सी’ के कार्य शरीर में विटामिन ‘सी’ अग्रलिखित कार्य करता है —

  1. यह कोलेजन के निर्माण के लिए कार्य करता है। (It helps in the formation and maintenance of collagen.)
    कोलेजन एक प्रकार का सीमेंट जैसा पदार्थ है जो शरीर की कोशिकाओं को स्थिर रखता है। हड्डियों और दांतों के सख्त पदार्थ मैट्रिक और डैनटाइन का निर्माण भी करता है।
    जख्मों के जल्दी भरने और टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए भी विटामिन ‘सी’ ही कार्य करता है।
  2. फौलिक अम्ल के पाचन के लिए (For the metabolism of folic acid)
  3. कैल्शियम और लोहे के अवशोषण करने के लिए (For the absorption of calcium and iron)
  4. टाइरोसिन के ऑक्सीकरण के लिए (For the Oxidation of tyrosine)
  5. रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। (Give resistance against disease)।

2. विटामिन ‘सी’ के स्रोत —

  1. सबसे अधिक विटामिन आंवले में मिलता है। इसके अतिरिक्त खट्टे फल जैसे नींबू, संतरा, गलगल, चिकोतरा आदि।
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  2. हरे पत्ते वाली सब्जियां और टमाटर आदि।
  3. अंकुरित दालें और अनाज।
  4. मां का दूध।

विटामिन ‘सी’ की कमी से होने वाले रोग —

  1. इसकी कमी से सकर्वी नामक रोग हो जाता है जिससे मसूड़े सूज जाते हैं और कोशिकाओं में से खून बहने लग जाता है।
  2. दांतों में पाइयोरिया नामक रोग हो जाता है और दांत हिलने लग पड़ते हैं।
  3. जख्म जल्दी ठीक नहीं होते।
  4. खून कम और अशुद्ध हो जाता है।
  5. हड्डियां और शरीर कमज़ोर हो जाता है।
  6. थकावट महसूस होती है।

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प्रश्न 34.
कैल्शियम तथा फॉस्फोरस महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ हैं। कैसे?
उत्तर-
1. कैल्शियम-यह बहुत महत्त्वपूर्ण खनिज लवण है। शरीर में पाए जाने वाले कुल लवणों का 75% भाग कैल्शियम और फॉस्फोरस में होता है। शरीर के कुल कैल्शियम का 99% भाग हड्डियों और दांतों में पाया जाता है।
कैल्शियम के कार्य-कैल्शियम के दो महत्त्वपूर्ण कार्य हैं —

  1. हड्डियों और दांतों का निर्माण (Building Bones and Teeth) — कैल्शियम और फॉस्फोरस दोनों मिल कर हड्डियों और दांतों का निर्माण करते हैं। इससे हड्डियों और दांतों का ढांचा मज़बूत होता है। दांतों के डैनटिन (Dentin) में 27 प्रतिशत कैल्शियम और एनमल (Enamel) में 36 प्रतिशत कैल्शियम होता है।
  2. शारीरिक क्रियाओं को चलाना (Regulating Body Processes) — शरीर में होने वाली क्रियाओं के लिए कैल्शियम फॉस्फोरस के साथ मिलकर सहायता करता _है। ये क्रियाएं इस प्रकार हैं

(क) कैल्शियम खून को जमाने में सहायता करता है।
(ख) पेशियों के सिकुड़ने पर दिल की गति को बनाए रखने के लिए भी कैल्शियम आवश्यक है। कैल्शियम की प्राप्ति के साधन.
भोजन में कैल्शियम निम्नलिखित साधनों से प्राप्त होता है —

  1. दूध और दूध से बने पदार्थ।
  2. हरे पत्ते वाली सब्जियां जैसे पालक, सरसों, पुदीना, मूली और गाजर आदि।
  3. छोटी मछलियां जो हड्डियों समेत खाई जाती हैं।

कैल्शियम की कमी के प्रभाव (Effects of deficiency of Calcium) —

  1. बच्चों के दांत देरी से निकलते हैं या ठीक नहीं निकलते।।
  2. हड्डियों कमज़ोर होकर टेढ़ी हो जाती हैं।
  3. बच्चों में रिकेट्स (Rickets) और बड़ों में औस्टोमलेशिया (Osteomalacia) रोग हो जाता है। इनका विवरण विटामिन ‘डी’ की कमी से हानियों (प्र० 28) में दिया गया है।

3. फॉस्फोरस (Phosphorus)-कैल्शियम के साथ-साथ फॉस्फोरस का भी बहुत महत्त्व है। फॉस्फोरस लगभग शरीर के भार का 1 प्रतिशत भाग होता है। यह कैल्शियम में मिल कर हड्डियों और दांतों का निर्माण करता है।
फॉस्फोरस के कार्य (Functions of Phosphorus)-शरीर की रचना के लिए फॉस्फोरस बहुत कार्य करता है, जैसे

  1. हड्डियों और दांतों का निर्माण (Building bones and teeth)
  2. कोशिकाओं की बनावट (Formation of Cells)
  3. एन्ज़ाइम बनाना (Formation of Enzymes) फॉस्फोरस के स्रोत-अनाज, अण्डा, मांस, मछली, दूध।

फॉस्फोरस की कमी के प्रभाव (Effects of deficiency of Phosphorus) —
फॉस्फोरस की कमी बहुत कम होती है क्योंकि यह अनाज में काफ़ी मात्रा में पाया जाता है। परन्तु यदि कहीं इसकी कमी हो जाए तो हड्डियां और दांत कमजोर हो जाते हैं। इसकी कमी से कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया में खराबी आ जाती है।

प्रश्न 35.
लोहे की दैनिक आवश्यकता बहुत कम होने के बावजूद यह बहुत महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है । कैसे?
अथवा
लोहा हमारे शरीर के लिये कैसे आवश्यक है ? इसकी प्राप्ति के साधनों के बारे में बताएं।
उत्तर-
लोहा (Iron) — शरीर में लोहा बहुत कम मात्रा में पाया जाता है। परन्तु शरीर की वृद्धि और शारीरिक क्रियाओं को ठीक ढंग से चलाने में इसका बहुत योगदान है।
लोहे के कार्य (Functions of Iron) — लोहा हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करता है

  1. होमोग्लोबिन का निर्माण।
  2. मांसपेशियों का आवश्यक तत्त्व।
  3. ऑक्सीकरण की क्रियाओं के लिए यह फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन कोशिकाओं तक और कोशिकाओं से फेफड़ों तक पहुंचाता है।

लोहे की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Iron) —
लोहे की प्राप्ति के स्रोत निम्नलिखित हैं
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  1. अण्डे का पीला भाग, कलेजी या मांस।
  2. गुड़, शक्कर और सूखे मेवे।
  3. हरे पत्ते वाली सब्जियां।।

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प्रश्न 36.
आयोडीन की कमी से क्या होता है तथा प्राप्ति के साधनों के बारे में बताओ।
उत्तर-
आयोडीन की कमी से

  1. घेघा रोग हो जाता है।
  2. थाइराइड ग्रन्थियों में थायराक्सिन कम निकलता है, जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास पूरा नहीं होता। बालिग व्यक्तियों में भी मानसिक विकास कम हो जाता है। शरीर सूज जाता है और ढीला पड़ जाता है।
  3. अधिक कमी होने से मिक्सोडीमा हो जाता है। आंखें बाहर को आ जाती हैं।
  4. बच्चों में क्रेटिनिज्म (Cretinism) अर्थात् बच्चे बौने और भद्दे लगते हैं। चमड़ी मोटी और खुरदरी हो जाती है। जीभ बढ़ जाने से मुंह बन्द नहीं होता।

आयोडीन की प्राप्ति के स्रोत – आयोडीन की आवश्यक मात्रा का 75% भाग ज़मीन पर पैदा हुई सब्जियों, दालों और अनाज से पूरी हो जाती और शेष पानी से। परन्तु कई पहाड़ी स्थानों पर ज़मीन और पानी में आयोडीन नहीं होती, वहां आवश्यक आयोडाइज्ड नमक खाना चाहिए। अधिक नमी की स्थिति में इसकी गोलियां भी दी जाती हैं।

प्रश्न 37.
पानी मनुष्य के शरीर के लिए कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
पानी (Water) — पानी हमारे भोजन का एक बड़ा भाग है। यद्यपि पानी को हम भोजन नहीं कह सकते क्योंकि न तो यह शक्ति देता है और न ही शरीर में होने वाली क्रियाओं का निर्माण करता है। परन्तु फिर भी हर कोश (Cell) में पौष्टिक तत्त्व पहुंचाने का कार्य पानी ही करता है। शरीर के भार का लगभग 61% भाग पानी ही है।
पानी के कार्य (Functions of Water)—पानी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करता है

  1. घोलक के रूप में (Water act as a solvent)
  2. पाचन क्रियाओं में सहायता (Helps in the process of digestions)
  3. फोक को बाहर निकालने में सहायता (Helps in the removal of waste products)
  4. कोमल अंगों की सुरक्षा (Helps in the protection of sensitive organs)
  5. तापमान को स्थिर रखने में सहायता करना (Helps in the temperature regulation)
  6. स्नेहक के रूप में कार्य करता है (Act as a lubricant)।

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प्रश्न 38.
फोक का अपना महत्त्व कैसे है तथा प्राप्ति के क्या स्त्रोत हैं?
अथवा
फोक का सन्तुलित भोजन में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
फोक (Roughage)-फल और सब्जियों के रेशे और अनाजों के छिलके फोक बनाते हैं, यह स्टार्च के कणों को बांध कर रखते हैं। ये पदार्थ आप नहीं पचते इनको चाहे जितना भी पचाया जाए फिर भी ये घुलते नहीं।
फोक के कार्य (Functions of Roughage) — ये शरीर को कोई पौष्टिक तत्त्व नहीं देते फिर भी इनका शरीर के लिए बहुत महत्त्व है।

  1. इनसे भोजन की मात्रा बढ़ जाती है।
  2. फोक से भोजन को पाचन प्रणाली को चलाने में सहायता मिलती है।
  3. आंतों और पट्ठों को क्रियाशील रखने में मदद करते हैं।
  4. पाचन के पश्चात् मल बाहर निकालने में सहायता करते हैं।
  5. कब्ज़ को दूर करते हैं।
  6. ये कुछ ऐसे जीवाणु के बनने में सहायता करते हैं जो कि पित एसिड को तोडते हैं।

फोक की प्राप्ति के स्त्रोत (Sources of Roughage) —

  1. हरी सब्ज़ियाँ जैसे बन्द गोभी, गाजर के पत्ते, हरा धनिया, कड़ी पत्ता, पुदीना आदि।
  2. फल जैसे-अंजीर, संतरा, अनार, टमाटर, अंगूर और अमरूद।
  3. सम्पूर्ण अनाज।

प्रश्न 39.
लोहे की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है? लोहे के हमारे शरीर में क्या कार्य हैं?
अथवा
लोहे की कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
लोहे की कमी से अनीमिया हो जाता है। खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इससे भूख कम लगना, सांस फूलना, दिल की धड़कन बढ़ना, नाखून सफेद होना और शारीरिक कमजोरी हो जाती है।
यह रोग विटामिन बी कम्पलैक्स की कमी से भी हो जाता है। लोहे के कार्य

  1. हीमोग्लोबिन का निर्माण
  2. मांसपेशियों की आवश्यकता
  3. ऑक्सीकरण की क्रियाओं के लिए ये फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन और कोशिकाओं से ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुँचाता है।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 40.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-कौन से हैं? प्रोटीन के कार्य, कमी के परिणाम और स्रोत लिखो।
उत्तर-
पौष्टिक तत्त्व, वे रासायनिक तत्त्व हैं जो हमें भोजन से प्राप्त होते हैं और ये शारीरिक क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा और शरीर के प्रत्येक कोश की बनावट और देखभाल के लिए आवश्यक योगदान देते हैं।
पौष्टिक तत्त्व निम्नलिखित हैं

  1. प्रोटीन (Protein)
  2. कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates)
  3. चर्बी (Fat)
  4. विटामिन (Vitamin)
  5. खनिज पदार्थ (Mineral)
  6. पानी (Water)
  7. फोक (Roughage)।

लाभ-पौष्टिक तत्त्वों में से प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसको मानवीय जीवन का आधार कहा जाता है। जैसे मकान बनाने के लिए ईंटें, सीमेंट और मिट्टी की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह की शरीर की रचना के लिए कोशों (Cells) की आवश्यकता होती है। इन कोशों के अन्दर प्रोटोप्लाज़म (Protoplasm) होता है जिस को जीवन का आधार माना जाता है। प्रोटोप्लाज़म प्रोटीन से ही बनता है।

प्रोटीन कई प्रकार के अमीनो अम्लों (Amino acids) के मिश्रण से बनता है। ये अमीनो अम्ल कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कई सल्फर के संयोग से बनते हैं अमीनो अम्ल दो प्रकार के होते हैं
(क) आवश्यक (Essential)
(ख) अनावश्यक (Non-essential)
(क) आवश्यक (Essential)-ये शरीर के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल हैं जिनको भोजन में से लेना आवश्यक हो जाता है। बच्चों के लिए 10 और बड़ों के लिए 8 अमीनो अम्ल आवश्यक हैं। बच्चों में इन 8 अमीनो अम्लों के अतिरिक्त हिस्टीडी (Histidi) और आरजनीन (Argnine) भी आवश्यक हैं। यह अमीनो अम्ल शारीरिक और मानसिक विकास करते हैं।।
(ख) अनावश्यक (Non-essential) ये अम्ल शरीर में ही पैदा हो जाते हैं यह भी बहुत आवश्यक हैं।
प्रोटीन के वर्गीकरण का आधार-प्रोटीन का वर्गीकरण तीन बातों के आधार पर किया जाता है

  1. साधन के आधार पर
  2. गुणों के आधार पर
  3. भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर।

1. साधन के आधार पर (On the basis of Source)
(क) वनस्पति से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetables Protein)-जैसे दालें, अनाज, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और मटर आदि।
(ख) पशु-जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Protein)-जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, मीट और मीट से बने पदार्थ, मछली, अण्डे आदि।

2. गुणों के आधार पर (On the basis of Qualities)
(क) पूर्ण प्रोटीन (Complete Protein) — यह दूध, अण्डे, मछली और मांस में पाई जाती है। इसको ‘ए’ श्रेणी की प्रोटीन कहा जाता है।
(ख) अपूर्ण प्रोटीन (Incomplete Protein) — यह अनाज, दालों और सूखे मेवों में होती है। इसको ‘बी’ श्रेणी का प्रोटीन कहा जाता है।
(ग) अर्द्ध-पूर्ण प्रोटीन (Partial Protein) — यह घटिया किस्म की प्रोटीन होती है। यह मक्की की जीन और जैलेटिन में पाई जाती है।

3. भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर (On the basis of Physical and Chemical properties) —
(क) साधारण प्रोटीन (Simple Protein) — यह अण्डे के सफेद भाग (Albumin) में पाई जाती हैं।
(ख) मिश्रित प्रोटीन (Conjugated Protein) — इस तरह की प्रोटीन में प्रोटीन के साथ और प्रोटीन पदार्थ मिले होते हैं जैसे दूध में एजील (फॉस्फोरस + प्रोटीन) खून की हीमोग्लोबिन (लोहा + प्रोटीन)।
(ग) प्राप्त की गई प्रोटीन (Derivated Protein) — ये पैप्टोन, पैप्टाइड और अमीनो अम्लों जैसे पदार्थ हैं। प्रोटीन के कार्य (Functions of Protein)-प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। यह हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. शरीर की सुरक्षा और विकास का कार्य
  2. शरीर को ऊर्जा देने का कार्य
  3. रोगों से लड़ने के लिए शक्ति बढ़ाना
  4. खून बनाने में सहायक
  5. अम्ल और क्षार में सन्तुलन रखना
  6. हार्मोन्ज़ और एन्जाइम्ज़ (Enzymes) बनाने का कार्य
  7. मानसिक शक्ति प्रदान करना।

प्रोटीन की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Protein) —

  1. पशु जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Sources) — जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, खोया, मक्खन आदि मीट और मीट से बने पदार्थ, अण्डे और मछली।
  2. वनस्पति जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetable Sources) — जैसे दालें, सोयाबीन, मूंगफली, तिल. बादाम. पिस्ता, नारियल, मटर और अनाज आदि।
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प्रोटीन की कमी से होने वाले नुकसान (Effects of deficiency of Protein) —
प्रोटीन की कमी का असर बच्चों, गर्भवती औरतों और दूध पिलाने वाली माताओं पर अधिक पड़ता है। इसकी कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं —

  1. शरीर की वृद्धि और विकास में रुकावट-प्रोटीन की कमी से शरीर के विकास और वृद्धि की रफ्तार कम हो जाती है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और बच्चों में शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
  2. खून की कमी होना-भोजन में प्रोटीन की कमी से खून की कमी (Anaemia) हो जाती है।
  3. रोग प्रतिरोधक (Antibodies) पदार्थ की कमी-प्रोटीन शरीर में रोग प्रतिरोधक तत्त्वों का निर्माण करती है। प्रोटीन की कमी से शरीर में बिमारियों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है जिससे कई रोग लग जाते हैं।
  4. हड्डियां कमज़ोर होना- इसकी कमी हड्डियों को भी कमज़ोर करती है इसलिए इनके जल्दी टूटने का डर रहता है।
  5. चमड़ी का खुशक होना-शरीर में प्रोटीन की कमी से चमड़ी खुशक हो जाती है और इससे शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
  6. बच्चे का कमज़ोर पैदा होना-गर्भवती और दूध पिलाने वाली औरतों में इसकी कमी होने से बच्चा कमज़ोर होता है और उसकी वृद्धि ठीक नहीं होती।
  7. प्रोटीन की कमी से बच्चे क्वाशियोरकॉर और मरास्मस (सूखा) रोगों के शिकार हो जाते हैं।

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प्रश्न 41.
वसा में घुलनशील विटामिन कौन-से हैं और हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं और कहां से प्राप्त किए जा सकते हैं?
अथवा
चर्बी क्या है? इसके कार्यों तथा प्राप्तियों के साधनों के बारे में लिखें।
उत्तर-
चर्बी (Fat)-चर्बी भी मनुष्य की खुराक का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। यह हाइड्रोजन, कार्बन और ऑक्सीजन का मिश्रण है। यह शरीर को शक्ति प्रदान करती है
और पानी में अघुलनशील है। इसमें कार्बोज़ प्रोटीन से दुगुनी शक्ति होती है। एक ग्राम चर्बी से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारे शरीर को 15 से 20 प्रतिशत ऊर्जा चर्बी से मिलनी चाहिए। मनुष्य को रोज़ना 20 से 30 ग्राम चर्बी की आवश्यकता होती है। चर्बी में घुलनशील विटामिन ए, डी और के हैं।
चर्बी का वर्गीकरण-चर्बी को उसके स्रोत के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जाता है
1. पशु चिकनाई या चर्बी (Animal fats)-जैसे घी, मक्खन, मछली का तेल, अण्डे की जर्दी, जानवरों की चर्बी आदि।
2. वनस्पति या चर्बी (Vegetable fats)-जैसे मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, सरसों, तिल, नारियल, बिनोले आदि के तेल।
3. चर्बी के कार्य (Functions of fat)-चर्बी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है

  1. ऊर्जा का स्रोत (Source of energy)
  2. आवश्यक वसा अम्लों का स्रोत (Source of essential fatty acids)
  3. चर्बी में घुलनशील विटामिनों का स्रोत (Source of fat soluble Vitamins)
  4. कोमल अंगों की सुरक्षा (Protection of sensitive body organs)
  5. भोजन को स्वादिष्ट बनाती है (Help in making food tasty)
  6. सन्तुष्टि देती है (Give satisfaction)
  7. शरीर का तापमान बनाए रखती है (Helps is regulating body temperature)
  8. चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए (For healthy skin)
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चर्बी की प्राप्ति के स्रोत (Sources of fat) —
चर्बी निम्नलिखित भोजन पदार्थ में अधिक पाई जाती है

  1. घी, मक्खन, क्रीम और तेल।
  2. वनस्पति तेल पदार्थ जैसे-सरसों, तिल, मूंगफली, नारियल, बिनौलों का तेल और वनस्पति घी।
  3. सूखे फल और मेवे जैसे-बादाम, अखरोट, सूखी गिरी और काजू।
  4. मीट वाले पदार्थ जैसे-अण्डा, जिगर, गुर्दे और मांस।
  5. दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे-दूध का पाऊडर और खोया आदि।

Home Science Guide for Class 10 PSEB भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सन्तुलित भोजन में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं?
उत्तर-
प्रोटीन, कार्बोज़, विटामिन, चिकनाई, लवण, पानी आदि।

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प्रश्न 2.
प्रोटीन का क्या काम है?
उत्तर-
शरीर के तन्तुओं का निर्माण तथा मुरम्मत।

प्रश्न 3.
ऊर्जा प्रदान करने वाले पौष्टिक तत्त्व कौन-से हैं?
उत्तर-
कार्बोज़, चिकनाई।

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन तत्त्व किस तत्त्व में होता है?
उत्तर-
प्रोटीन में।

प्रश्न 5.
कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताओ।
उत्तर-
चावल, मक्की, गुड़, शक्कर, चीनी आदि।

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प्रश्न 6.
पानी में घुलनशील विटामिन का नाम बताओ।
उत्तर-
विटामिन बी, सी आदि।

प्रश्न 7.
चर्बी में घुलनशील विटामिन का नाम बताओ।
उत्तर-
विटामिन ए।

प्रश्न 8.
विटामिन B, का दूसरा नाम बताओ।
उत्तर-
राईबोफेलबीन।

प्रश्न 9.
अन्धराता कौन-से विटामिन की कमी से होता है?
उत्तर-
विटामिन ए।

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प्रश्न 10.
जिरोसिस किस विटामिन की कमी से होता है?
उत्तर-
विटामिन ए।

प्रश्न 11.
बहते खून का बन्द न होना किस विटामिन की कमी से होता है?
उत्तर-
विटामिन ‘के’ की कमी से।

प्रश्न 12.
जीवन तत्त्व किन पौष्टिक तत्त्वों को कहते हैं?
उत्तर-
विटामिनों को।

प्रश्न 13.
कौन-से खनिज की कमी के कारण रक्त की कमी हो जाती है?
उत्तर-
लोहे की कमी के कारण।

प्रश्न 14.
प्रोटीन की प्राप्ति के स्त्रोत बताओ।
उत्तर-
पशु जगत् तथा वनस्पति जगत्।

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प्रश्न 14.
A. भोजन में लगातार प्रोटीन की कमी से कौन सी बिमारी हो जाती है?
उत्तर-
क्वाशियोरकर।

प्रश्न 15.
पशु जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन बताओ।
उत्तर-
दही, दूध, अण्डे, मछली आदि।

प्रश्न 16.
एक ग्राम कार्बोज से हमें कितनी ऊर्जा मिलती है?
उत्तर-
4 कैलोरी।

प्रश्न 17.
एक ग्राम चर्बी से हमें कितनी ऊर्जा (कैलोरी) मिलती है?
उत्तर-
9 कैलोरी।

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प्रश्न 18.
भोजन से प्राप्त होने वाली शक्ति का कितने प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से मिलना चाहिए?
उत्तर-
50% से 60% तक।

प्रश्न 19.
नशासते वाले पदार्थों का नाम बताओ।
उत्तर-
अनाज, कंदमूल, शकरकन्दी, आलू।

प्रश्न 20.
विटामिन ‘ई’ का एक काम बताओ।
उत्तर-
विटामिन ‘ए’ के बनने में सहायता करता है।

प्रश्न 21.
थायमीन क्या है?
उत्तर-
यह विटामिन B, का नाम है।

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प्रश्न 21.
A. विटामिन B, का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर-
थायमीन

प्रश्न 22.
खट्टे फलों में कौन-सा विटामिन होता है?
उत्तर-
विटामिन सी।

प्रश्न 23.
शरीर में कैल्शियम की कितनी मात्रा हड्डियों तथा दांतों में होती है?
उत्तर-
99%.

प्रश्न 24.
बच्चों में क्रेटीनिज्म किसकी कमी से होता है?
उत्तर-
आयोडीन की कमी से।

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प्रश्न 25.
अमीनो अम्ल कितनी प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
दो प्रकार के आवश्यक तथा 20-22 प्रकार के अनावश्यक अम्ल होते हैं।

प्रश्न 26.
पूर्ण प्रोटीन के स्रोत बताओ।
उत्तर-
मास, मछली, अण्डे।

प्रश्न 27.
चर्बी के प्राप्ति के साधन बताओ।
उत्तर-
घी, मक्खन, क्रीम आदि।

प्रश्न 28.
शरीर का कितना भाग खनिजों से बना है?
उत्तर-
पच्चीसवां भाग।

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प्रश्न 29.
मैकरोमिनरलज़ की उदाहरण दें।
उत्तर-
कैल्शियम, सल्फर, फॉस्फोरस, क्लोरीन आदि।

प्रश्न 30.
माइक्रोमिनरलज की उदाहरण दें।
उत्तर-
लोहा, ताँबा, कोबाल्ट, आयोडीन आदि।

प्रश्न 31.
एक आम आदमी की ज़िन्दगी में पानी की क्या आवश्यकता है?
उत्तर-
आम आदमी को प्रतिदिन 7-8 गिलास पानी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 32.
त्वचा में विटामिन D का निष्क्रिय रूप क्या है?
उत्तर-
विटामिन D3 (कोलकैलसीफिरोल)।

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प्रश्न 33.
खनिज क्या होते हैं?
उत्तर-
खनिज ऐसे पदार्थ हैं जो शरीर के लिए आवश्यक हैं तथा यह खाद्य पदार्थों में ही मौजूद होते हैं यह हैं सोडियम, कैल्शियम, लोहा, फास्फोरस, आयोडीन आदि।

प्रश्न 34.
हिमोग्लोबिन की संरचना लिखें।
उत्तर-
हिमोग्लोबिन में प्रोटीन तथा लोहा होता है।

प्रश्न 35.
आयोडीन की कमी से हमारे शरीर में कौन-सा रोग (बीमारी) हो जाता
उत्तर-
घेघा रोग।

प्रश्न 36.
लोहे की कमी से होने वाले रोग का नाम बताओ।
उत्तर-
अनीमिया।

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प्रश्न 37.
विटामिन के (K) की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है?
उत्तर-
चोट लग जाने पर रक्त बहता रहता है, रुकता नहीं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पानी में घुलनशील विटामिन कौन-से हैं? यह हमारे शरीर में क्या काम करते हैं तथा प्राप्ति के स्त्रोत बताएं।
उत्तर-
देखें विटामिन C, B तथा K वाले प्रश्न।

प्रश्न 2.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-कौन-से हैं ? किन्हीं दो के काम, कमी से नतीजों के बारे में बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 3.
अमीनो एसिड किसको कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
अमीनो एसिड वह छोटी-छोटी इकाइयां हैं जिनसे प्रोटीन बनते हैं। अमीनो अम्ल 20-22 प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 4.
प्रॉक्सिमेट प्रिंसीपल्ज़ किसे कहते हैं?
उत्तर-
भोजन से प्राप्त होने वाले कार्बोहाइड्रेट्स, वसा तथा प्रोटीन वाले तत्त्वों को प्रॉक्सिमेट प्रिंसीपल्ज़ कहा जाता है क्योंकि ये हमारे शरीर का निर्माण करने वाले तत्त्वों से मिलते हैं तथा पचने के बाद ये तत्त्व शारीरिक तत्त्वों के अनुरूप ही बन जाते हैं।

प्रश्न 5.
भोजन शरीर में टूटे तन्तुओं की मुरम्मत किस प्रकार करता है?
उत्तर-
हमारे शरीर में हर समय तन्तुओं की टूट-फूट होती रहती है। तन्तु, कोशिकाओं के समूह, घिसते तथा नष्ट होते रहते हैं। भोजन में मौजूद प्रोटीन इन टूटे हुए तन्तुओं तथा कोशिकाओं की मुरम्मत करने में सहायता करते हैं तथा नए तन्तु उत्पन्न भी करते हैं।

प्रश्न 6.
कार्बोहाइड्रेट और चर्बी की शरीर को कितनी आवश्यकता है?
उत्तर-
भोजन से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का 50-60% भाग कार्बोहाइड्रेट्स से प्राप्त होनी चाहिए। एक साधारण व्यक्ति के भोजन में 400-450 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा प्रतिदिन उचित मानी जाती है। परन्तु शर्करा के रोगी के लिए इसकी मात्रा 90-110 ग्राम कार्बोज़ प्रतिदिन ठीक है।
प्रतिदिन कैलोरी की आवश्यकता का लगभग 15% भाग चर्बी से मिलना चाहिए। यह मात्रा 40-45 ग्राम प्रतिदिन होनी चाहिए।

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प्रश्न 7.
काम के अनुसार खनिज पदार्थों का वर्गीकरण करें।
उत्तर-

काम खनिज पदार्थ
1. अम्ल-क्षार का सन्तुलन सोडियम, पोटाशियम
2. खून का निर्माण लोहा, कोबाल्ट, कॉपर
3. हड्डियों, दाँतों का निर्माण तथा शारीरिक वृद्धि कैल्शियम, फॉस्फोरस
4. आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा दाँतों के इनेमल के लिए। क्लोरीन, आयोडीन, फ्लोरीन
5. हार्मोन पैदा करने के लिए उत्प्रेरक मैग्नीशियम, मैंगनीज़, जिंक, सल्फर।

प्रश्न 8.
निकोटिनिक एसिड के स्रोत और कमी से होने वाली हानियों के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्रोत-अंकुरित दालें, सम्पूर्ण अनाज, मूंगफली, खमीर उठा भोजन, यकृत आदि।
कमी से हानियाँ-

  1. प्लैगरा नामक रोग हो जाता है। त्वचा का रंग काला हो जाता है, खुजली तथा सूजन हो जाती है।
  2. मुँह का स्वाद खराब हो जाता है।
  3. अनीमिया के साथ-साथ मानसिक परेशानी भी हो सकती है।
  4. दस्त लग जाते हैं।

प्रश्न 9.
आवश्यक अमीनो एसिड की मात्रा और गिनती के हिसाब से प्रोटीन को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
आवश्यक अमीनो एसिड की मात्रा और गिनती के हिसाब से प्रोटीन को तीन भागों में बांटा जा सकता है
(i) सम्पूर्ण प्रोटीन, (ii) असम्पूर्ण प्रोटीन, (iii) अपूर्ण प्रोटीन।

  1. सम्पूर्ण प्रोटीन-इनमें सभी आवश्यक अमीनो अम्ल उचित मात्रा तथा गिनती में होते हैं, जैसे मछली, अण्डा, दूध आदि।
  2. असम्पूर्ण प्रोटीन-इनमें कुछ आवश्यक अमीनो अम्ल नहीं होते, जैसे-गेहूँ, दाल, फलियाँ आदि में।
  3. अपूर्ण प्रोटीन-इनमें आवश्यक अमीनो अम्ल नहीं होते जैसे मक्की।

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प्रश्न 10.
मैक्रोमिनरल्ज तथा माइक्रोमिनरल्ज़ क्या होता है?
उत्तर-
शरीर का पच्चीसवां भाग (1/25 भाग) खनिज पदार्थों से बना होता है। ये खनिज पदार्थ शरीर के निर्माण, स्वास्थ्य तथा शारीरिक क्रियाओं को ठीक ढंग से चलाने के लिए आवश्यक हैं। ये दो प्रकार के होते हैं

  1. बृहत खनिज पदार्थ (Macrominerals) — ये अधिक मात्रा में शरीर को चाहिए होते हैं, जैसे कि कैल्शियम, सल्फर, फॉस्फोरस, क्लोरीन, सोडियम आदि।
  2. लघु खनिज पदार्थ (Microminerals) — ये शरीर में बहुत कम मात्रा में चाहिए होते हैं। इन्हें नाममात्र (Trace) खनिज पदार्थ भी कहा जाता है। परन्तु इनकी शरीर में उपस्थिति अति आवश्यक है, जैसे-लोहा, तांबा, जिंक, आयोडीन, कोबाल्ट आदि।

प्रश्न 11.
फास्फोरस तथा लोहे के शरीर के लिए काम बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 12.
भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्यों का वर्णन करो।
अथवा
भोजन के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 13.
लोहे तथा आयोडीन की कमी से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 14.
भोजन हमारे शरीर के लिए क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 15.
अनाज और दालों में से हमें कौन-से पौष्टिक तत्त्व मिलते हैं?
अथवा
भोजन में अनाज और दालों को क्यों शामिल करना चाहिए?
उत्तर-
अनाज से हमें कार्बोज़ तथा प्रोटीन प्राप्त होते हैं तथा दालों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है तथा दालों में कुछ मात्रा में विटामिन भी होते हैं। अनाज जैसे गेहूँ, मक्की, बाजरा आदि में कार्बोज़ अधिक तथा प्रोटीन 6-12% होते हैं। दालों में 20-25% प्रोटीन होती है। दालों में विटामिन बी तथा खनिज पदार्थ जैसे कैल्शियम की मात्रा भी अधिक होती है। अंकुरित दालों में विटामिन सी भी होता है। इसलिए भोजन में अनाज तथा दालों की उचित मात्रा होनी चाहिए।

प्रश्न 16.
पानी के शरीर के लिए क्या काम हैं तथा उसकी कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 17.
रेशे और फोकट का शरीर के लिए क्या महत्त्व है?
उत्तर-
हम अपने भोजन में पौष्टिक तत्त्वों के अलावा कुछ ऐसे पदार्थ भी लेते हैं जिन्हें हम रेशे और फोकट कहते हैं। इसमें पौधों के रेशे, अनाज का चौकर, फलों का छिलका, हरे पत्तेदार साग-सब्जी आदि शामिल हैं। इनका हमारे शरीर में विशेष महत्त्व है। रेशे शरीर में पचते नहीं तथा आंतड़ियों को ठीक प्रकार से अपना कार्य करने में सहायक हैं तथा व्यक्ति को कब्ज नहीं होती।

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प्रश्न 18.
पानी के स्रोत और इसकी शरीर के लिए ज़रूरत के बारे में बताएं।
उत्तर-
पानी के स्त्रोत-शरीर के लिए पानी के स्रोत इस प्रकार हैं-हम प्यास लगने पर सीधे ही पानी पी लेते हैं। सब्जियों में 60-90%, फलों, लस्सी, चाय, शकंजवी, शरबत, कोका कोला, लिम्का आदि में से भी काफ़ी पानी मिलता है। दूध में भी 87% पानी होता है।

पानी की ज़रूरत-पानी की सभी को अपनी आयु, लिंग, कार्य, मौसम के तापमान आदि के अनुसार आवश्यकता होती है। एक साधारण व्यक्ति को प्रतिदिन 7-8 गिलास पानी लेना चाहिए। पानी शरीर के तापमान को ठीक रखने के लिए ज़रूरी है तथा पाचन क्रिया के लिए भी ज़रूरी है। गर्भ के समय, दूध पिलाने वाली मां को तथा रोगी को पानी की अधिक आवश्यकता होती है।

प्रश्न 18 A.
एक व्यक्ति को रोजाना कितने पानी की जरूरत है। विस्तारपूर्वक र्णन करो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 19.
प्रोटीन के स्रोत तथा इसकी आवश्यकता के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 20.
लोहे के स्रोत तथा इसके शरीर के लिए कार्य बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 21.
भोजन हमें शक्ति कैसे देता है?
उत्तर-
हम भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स, चर्बी का प्रयोग करते हैं। इन दोनों की शरीर में रासायनिक क्रियाएं होती हैं तथा ऊर्जा पैदा होती है। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स से 4 कैलोरी तथा एक ग्राम चर्बी से 9 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।

प्रश्न 22.
चिकनाई की अधिकता से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
चिकनाई का अधिक प्रयोग मोटापा पैदा करता है। इससे पाचन क्रिया खराब हो जाती है। इसके अधिक प्रयोग से मनुष्य का लीवर खराब हो जाता है। कलैस्ट्रोल बढ़ जाना है, रक्त दबाव बढ़ जाता है तथा दिल के रोग की सम्भावना हो जाती है। इसलिए चिकनाई का प्रयोग आवश्यकता अनुसार ही करें।

प्रश्न 23.
प्राणी के अस्तित्व के लिए जल की क्या उपयोगिता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 24.
वसा में उच्च संतृप्ता मूल्य होता है, वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वसा के एक ग्राम में से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इस प्रकार कम वसा के प्रयोग से अधिक संतृप्ता प्राप्त हो जाती है तथा लम्बे समय तक पेट भरा रहता है।

प्रश्न 25.
विटामिन D व B के दो-दो अच्छे स्रोत बताइए।
उत्तर-
विटामिन D के स्रोत हैंजिगर का तेल, अण्डे की जर्दी, धूप विटामिन B के स्त्रोत हैं- अंकुरित दालें, दूध, अण्डे, जिगर, सूखे मेवे आदि।

प्रश्न 26.
स्तम्भ A के तथ्यों का स्तम्भ B के तथ्यों से मिलान कीजिए।

स्तम्भ A स्तम्भ B
1. कैल्शियम रक्तक्षीणता
2. लोहा स्कर्वी
3. आयोडीन रिकेट्स
4. विटामिन D बेरी बेरी
5. थायमीन गलगंड
6. विटामिन मज़बूत दांत

उत्तर-
1. कैल्शियम – मज़बूत दांत
2. लोहा – रक्तक्षीणता
3. आयोडीन – गलगंड
4. विटामिन D – रिकेट्स
5. थायमीन – बेरी बेरी
6. विटामिन C – स्कर्वी

प्रश्न 27.
कार्बोज़ के प्रोटीन बचाव क्रिया के बारे में बताइये। कार्बोज़ से कितने प्रतिशत कैलोरी प्राप्त होनी चाहिये?
उत्तर-
जब शरीर में कार्बोज़ की कमी हो जाती है तो ऊर्जा की प्राप्ति प्रोटीन से शुरू हो जाती है तथा प्रोटीन अपने वास्तविक कार्य, शरीर के निर्माण तथा तंतुओं की मुरम्मत नहीं कर पाते। इसलिए कार्बोज़ की उचित मात्रा का शरीर में होना, प्रोटीन को शरीर की मुरम्मत के लिए बचाता है।
कार्बोज़ के 1 ग्राम से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

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प्रश्न 28.
आयोडीन के कार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर-
आयोडीन गल ग्रंथियों की क्रियाशीलता के लिए महत्त्वपूर्ण है। गल ग्रंथियों का रस थायरोक्सान शरीर की क्रियाओं को नियमित करता है।
आयोडीन बच्चों की वृद्धि तथा विकास के लिए बहुत आवश्यक है तथा प्रजनन के लिए भी आवश्यक है।

प्रश्न 29.
कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा हमारे लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 30.
क्वाशियोरकर पर नोट लिखें।
उत्तर-
यह एक रोग है जो बच्चों में कुपोषण के कारण तथा भोजन में प्रोटीन की लगातार कमी के कारण होता है। यह रोग अधिकतर विकासशील देशों में गरीबी तथा अज्ञानता के कारण होता है। कई बार भोजन में प्रोटीन की मात्रा बिल्कुल नहीं ली जाती है। इस रोग के कारण बच्चे के शरीर में कई कमियां तथा अयोग्यताएं पैदा हो सकती हैं तथा ध्यान न दिया जाए तो मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग से बचाव के लिए दूध पिलाने वाली माताओं को अच्छा सन्तुलित भोजन लेना चाहिए तथा जब बच्चा मां का दूध छोड़. दे तो उसे प्रोटीन की कमी नहीं होने दें तथा उसे सन्तुलित भोजन दें।

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प्रश्न 31.
पानी के कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 32.
पानी हमारे शरीर के लिए कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 33.
फोक का हमारे शरीर के लिए क्या महत्त्व है? इसकी प्राप्ति के क्या साधन हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 34.
मोहन को पेलाग्रा रोग हो गया है? यह कौन से पौष्टिक तत्त्व की कमी से होता है और कौन-कौन से खाद्य पदार्थों को खुराक में शामिल करके इस रोग से बचा जा सकता है?
उत्तर-
यह रोग निकोटिनीक एसिड की कमी के कारण होता है। इसकी कमी दूर करने के लिए अंकुरित दालें, संपूर्ण अनाज, मूंगफली, खमीर, जिगर आदि लेने चाहिएं।

प्रश्न 35.
शीना का बेटा 6 महीने का है। शीना को ऑस्टियोमलेशिया का रोग हो गया है। इसके होने का क्या कारण है और किन-किन खाद्य पदार्थों को खुराक में शामिल करके इस रोग की रोकथाम की जा सकती है?
उत्तर-
यह रोग विटामिन डी तथा कैल्शियम की कमी के कारण होता है। भोज्य पदार्थों की आवश्यकता-स्वयं करें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
थाईयामीन (बी,) तथा राईब्रोफलेनिन (बी,) की कमी से शरीर में क्या हानियां होती हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 2.
कार्बोहाइड्रेट्स को कौन-से मुख्य भागों में बांटा जा सकता है? वर्णन करो।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेटस को तीन भागों में बांटा जा सकता है
(i) इकहरी शक्कर
(ii) दोहरी शक्कर
(iii) बहुभांती शक्कर।

  1. इकहरी शक्कर-यह साधारण शक्कर है इसमें अणु सरल तथा छोटे होते हैं। यह पानी में घुल सकती है, रवेदार होती है तथा स्वाद में मीठी होती है। ग्लूकोज़, फ्रेक्टोज़, गलैक्टोज़ तीन ऐसी मुख्य शक्करें हैं।
  2. दोहरी शक्कर-दो इकहरी शक्करें आपस में मिल कर दोहरी शक्कर बनाती हैं। यह भी पानी में घुलनशील हैं, रवेदार तथा मीठी होती हैं। सुक्रोज, मालटोज़ आदि इस प्रकार की शक्कर हैं।
  3. बहुभांती शक्कर-यह स्वाद में मीठी नहीं होती तथा पानी में नहीं घुलती। यह कई इकहरी तथा दोहरी शक्करों के मिलकर बनी होती हैं। ग्लाईकोजन, सैलुलोज़ आदि इस के उदाहरण हैं निशस्ता पानी में घुलनशील नहीं है पर उबालने पर गाढ़ा घोल बनाता है। ग्लाईकोजन प्राणियों के ज़िगर में तथा सैलूलोज़ पौधों के रेशों में होते हैं।

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प्रश्न 3.
(A) प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट के शरीर में काम बताएं।
(B) प्रोटीन के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स के कार्य

  1. यह शरीर को ऊर्जा तथा गर्मी देता है।
  2. यह शरीर के लिए प्रोटीन की बचत करता है।
  3. ग्लूकोज़ आवश्यक अमीनो एसीड के निर्माण में सहायक है।
  4. यह भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं।
  5. सैलूलोज़ फोम का कार्य करता है।
  6. चिकनाई से मिल कर शरीर को सन्तुष्टि प्रदान करते हैं। नोट : प्रोटीन के कार्यों के लिए देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 4.
विटामिन ‘ई’ तथा ‘के’ के मुख्य कार्य क्या हैं? तथा इनकी कमी से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 5.
पानी हमारे शरीर के लिये कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-
मनुष्य के शरीर के भार का लगभग 70 प्रतिशत भार पानी का ही है। पानी हमारे खून के अतिरिक्त हर कोश की बनावट के लिये आवश्यक है। शरीर के बीच की क्रियाओं तथा रासायनिक परिवर्तनों के लिये भी पानी एक मुख्य अंश है। पानी में घुलनशील पोषक तत्त्व केवल पानी को मौजूदगी में ही शरीर को पोषण दे सकते हैं। पानी शरीर में से फालतू रसायन, अम्ल तथा फोक बाहर निकालने का भी कार्य करता है।

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प्रश्न 6.
चिकनाई की अधिकता से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
चिकनाई का अधिक प्रयोग करने से मोटापा हो जाता है तथा हाजमा भी बिगड़ जाता है। इसके ज्यादा प्रयोग से मनुष्य का लिवर खराब हो जाता है, कलैस्ट्रोल बढ़ने से खून का दबाव बढ़ जाता हैं तथा दिल के रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिये भोजन में चिकनाई का प्रयोग आवश्यकता अनुसार ही करना चाहिये।

प्रश्न 7.
चर्बी तथा विटामिन D हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 8.
स्तम्भ A के तथ्यों का स्तम्भ B से मिलान करें:

क्रम सं० स्तम्भ-A स्तम्भ-B
1. विटामिन डी किटोसिस
2. कार्बोहाइड्रेट भूख लगना
3. विटामिन ए अंधराता
4. थायमिन रिकेट्स
5. विटामिन बी बेरी-बेरी

उत्तर-

क्रम सं० स्तम्भ-A स्तम्भ-B
1. विटामिन डी रिकेट्स
2. कार्बोहाइड्रेट किटोसिस
3. विटामिन ए अंधराता
4. थायमिन बेरी-बेरी
5. विटामिन बी भूख लगना

प्रश्न 9.
निम्न लिखे रोगों का वर्णन करें।
(क) अन्धराता
(ख) जीरोसीस।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 10.
विटामिन D हमारे शरीर में क्या कार्य करते हैं?
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 11.
भोजन मे कौन-से तत्व हैं? कार्बोज़ के कार्य बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 12.
विटामिन डी के कार्यों, स्रोत और कमी के प्रभाव के बारे में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 13.
शरीर में विटामिन ए (A) के कार्य, स्रोत और कमी के असर के बारे में बताओ।
उत्तर-
स्वयं करें।

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प्रश्न 14.
विटामिन सी के कार्य, स्रोत और कमी के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वयं करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

1. कार्बोज़ कार्य करने के लिए ………. प्रदान करते हैं।
2. विटामिन ‘के’ …………….. में घुलनशील है।
3. प्रजनन सम्बन्धी विकार …………….. विटामिन की कमी से आते हैं।
4. राइबोफ्लेविन ……………… विटामिन का नाम है।
5. खट्टे फलों में ………………. विटामिन अधिक होता है।
6. शरीर का ……………….. भाग खनिजों से बना होता है।
7. विटामिन B, का नाम ………………… है।
8. आयोडीन …………….. ग्रंथी की सामान्य क्रिया में सहायक है।
9. थायमीन की कमी से …………. बीमारी होती है।
10. पशुजन्य खाद्य व सोयाबीन में अनिवार्य …………… की मात्रा अधिक होती है।
11. ………………. शरीर की वृद्धि तथा तंतुओं की मुरम्मत में सहायक है।
12. ………………. और ………………. समूह के विटामिन पानी में घुलनशील हैं।
13. वसा ………………. अम्ल से बनाई जाती है।
14. ……………… की कमी से क्वाशियोरकर रोग होता है।
15. अपने दांतों व मसूढ़ों को स्वस्थ रखने के लिए हमें ………. लेना चाहिए।
16. कैल्शियम मज़बूत ………. और …….. के लिए ज़रूरी है।
17. अंधराता …….. विटामिन की कमी से होता है।
18. विटामिन ए का एक कार्य ………. को स्वस्थ्य रखना है।
19. यदि आप पाचन में सुधार लाना चाहते हों तो …………. विटामिन लें।
20. विटामिन ए ………………. में होता है।
21. कैल्शियम मज़बूत ………… तथा दांतों के लिए आवश्यक है।
22. स्कर्वी रोग ……… विटामिन की कमी से होता है।

उत्तर-

1. ऊर्जा,
2. चर्बी,
3. ई,
4. B
5. सी,
6. पच्चीसवां,
7. थाईयामीन,
8. थाइराइड,
9. बेरी-बेरी,
10. प्रोटीन,
11. प्रोटीन,
12. विटामिन C तथा विटामिन B,
13. फैटी,
14. प्रोटीन,
15. विटामिन सी,
16. हड्डियों, दांतों,
17. विटामिन ए,
18. आंखों,
19. विटामिन बी (थायमिन),
20. मक्खन,
21. हड्डियों,
22. विटामिन C

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II. ठीक/ग़लत बताएं

  1. भोजन शरीर को ऊर्जा देता है।
  2. विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील है।
  3. नाइट्रोजन तत्व प्रोटीन में होता है।
  4. दालों में 20-25% प्रोटीन होता है।
  5. प्रोटीन की कमी से क्वाशियोरकर रोग हो जाता है।
  6. अनाज, कंदमूल, शक्करकंदी, आलू आदि निशास्ते वाले पदार्थ हैं।
  7. हिमोग्लोबिन में प्रोटीन तथा लोहा होता है।
  8. लोहा, तांबा, कोबाल्ट माइक्रोमिनरलज़ हैं।
  9. अमीनो अमल 30-40 प्रकार के हैं।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक,
  7. ठीक,
  8. ठीक,
  9. ग़लत।

III. बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोलकैलसी फिरोल किसे कहते हैं?
(क) विटामिन A
(ख) विटामिन D
(ग) विटामिन C
(घ) विटामिन K
उत्तर-
(ख) विटामिन D

प्रश्न 2.
मरास्मस रोग ……….. की कमी के कारण होता है।
(क) प्रोटीन
(ख) आयोडीन
(ग) कार्बोज
(घ) नमक।
उत्तर-
(ग) कार्बोज

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

प्रश्न 3.
ज़ीरोसिस ………. की कमी से होता है।
(क) विटामिन A
(ख) विटामिन D
(ग) विटामिन C
(घ) विटामिन K
उत्तर-
(क) विटामिन A

प्रश्न 4.
खट्टे फलों में कौन-सा विटामिन होता है?
(क) विटामिन A
(ख) विटामिन D
(ग) विटामिन C
(घ) विटामिन K
उत्तर-
(ग) विटामिन C

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व

भोजन तथा पौष्टिक तत्त्व PSEB 10th Class Home Science Notes

  • भोजन मानवीय जीवन का मूल आधार है।
  • भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
  • भोजन शरीर की आन्तरिक मुरम्मत करता है।
  • सन्तुलित भोजन में शरीर के सभी आवश्यक पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
  • प्रोटीन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
  • विटामिन शरीर को बीमारियों से बचाते हैं।
  • विटामिन ए की कमी से अन्धराता हो सकता है।
  • प्रोटीन, कार्बोज़, चिकनाई, विटामिन, लवण और पानी शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्व हैं।
  • कार्बोहाइड्रेट्स गेहूं, चावल, मक्की, सूखे मेवे, गुड़, शक्कर, चीनी, शहद आदि से प्राप्त होते हैं।
  •  विटामिन B, गर्मी और प्रकाश से नष्ट हो जाते हैं।
  • प्रोटीन की कमी से शारीरिक विकास रुक जाता है।
  • विटामिन ‘ए’ आँखों और चमड़ी के लिए लाभदायक होता है।
  • विटामिन ‘सी’ शरीर को बीमारियों से बचाता है और यह खट्टे फलों जैसे नींबू, संतरा, मालटा आदि में मिलता है।

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न.

PSEB 10th Class Social Science Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(1)

‘पंजाब’ फ़ारसी के दो शब्दों-‘पंज’ तथा ‘आब’ के मेल से बना है। इसका अर्थ है-पाँच पानियों अर्थात् पांच दरियाओं की धरती। ये पांच दरिया हैं-सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब व जेहलम। पंजाब भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर स्थित है। 1947 ई० में भारत का बंटवारा होने पर पंजाब दो भागों में बांटा गया। इसका पश्चिमी भाग पाकिस्तान बना दिया गया। पंजाब का पूर्वी भाग वर्तमान भारतीय गणराज्य का उत्तरी-पश्चिमी सीमा-प्रान्त बन गया है। पाकिस्तानी पंजाब जिसे पश्चिमी पंजाब कहा जाता है, में आजकल तीन दरिया-रावी, चिनाब व जेहलम बहते हैं। भारतीय पंजाब जिसे कि ‘पूर्वी पंजाब’ कहा जाता है, में दो दरिया ब्यास व सतलुज ही रह गए हैं। वैसे यह नाम ‘पंजाब’ इतना सर्वप्रिय है कि दोनों पंजाब के लोग आज भी अपने-अपने हिस्से में आए पंजाब को ‘पश्चिमी’ या ‘पूर्वी’ कहने की बजाए ‘पंजाब’ ही कहते हैं। हम इस पुस्तक में जमुना तथा सिंध के मध्य पुरातन पंजाब के बारे में पढ़ेंगे।
(a) पंजाब किस भाषा के शब्द-जोड़ से मिलकर बना है? इसका अर्थ भी बताएं।
उत्तर-
‘पंजाब’ फ़ारसी के दो शब्दों-‘पंज’ तथा ‘आब’ के मेल से बना है। जिसका अर्थ है-पांच पानियों अर्थात् पांच दरियाओं (नदियों) की धरती।।
(b) भारत के बंटवारे के बाद ‘पंजाब’ शब्द उचित क्यों नहीं रह गया ?
उत्तर-
बंटवारे से पहले पंजाब पांच दरियाओं की धरती था, परन्तु बंटवारे के कारण इसके तीन दरिया पाकिस्तान में चले गए और वर्तमान पंजाब में केवल दो दरिया (ब्यास तथा सतलुज) ही शेष रह गए।
(c) किन्हीं तीन दोआबों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-

  1. दोआबा सिन्ध सागर-इस दोआबे में दरिया सिन्ध तथा दरिया जेहलम के मध्य का प्रदेश आता है। यह भाग अधिक उपजाऊ नहीं है।
  2. दोआबा चज-चिनाब तथा जेहलम नदियों के मध्य क्षेत्र को चज दोआबा के नाम से पुकारते हैं। इस दोआब के प्रसिद्ध नगर गुजरात, भेरा तथा शाहपुर हैं।
  3. दोआबा रचना-इस भाग में रावी तथा चिनाब नदियों के बीच का प्रदेश सम्मिलित है जो काफ़ी उपजाऊ है। गुजरांवाला तथा शेखुपुरा इस दोआब के प्रसिद्ध नगर हैं।

(2)

इब्राहिम लोधी के बुरे व्यवहार के कारण अफगान सरदार उससे नाराज थे। अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए उन्होंने आलम खाँ को दिल्ली का शासक बनाने की योजना बनाई। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए बाबर की सहायता लेने का फैसला किया। परन्तु 1524 ई० में अपने जीते हुए इलाकों का प्रबन्ध करके बाबर काबुल गया ही था कि दौलत खाँ लोधी ने अपनी सेनाएँ इकट्ठी करके अब्दुल अज़ीज से लाहौर छीन लिया। उसके उपरान्त उसने सुलतानपुर में से दिलावर खाँ को निकाल कर दीपालपुर में आलम खाँ को भी हरा दिया। आलम खाँ काबुल में बाबर की शरण में चला गया। फिर दौलत खाँ लोधी ने सियालकोट पर हमला किया पर वह असफल रहा। दौलत खाँ की बढ़ रही शक्ति को समाप्त करने के लिए तथा बाबर की सेना को पंजाब में से निकालने के लिए इब्राहिम लोधी ने फिर अपनी सेना भेजी। दौलत खाँ लोधी ने उस सेना को करारी हार दी। परिणाम स्वरूप केन्द्रीय पंजाब में दौलत खाँ लोधी का स्वतन्त्र राज्य स्थापित हो गया।
(a) इब्राहिम लोधी के किन्हीं दो अवगुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  1. इब्राहिम लोधी पठानों के स्वभाव तथा आचरण को नहीं समझ सका।
  2. उसने पठानों में अनुशासन स्थापित करने का असफल प्रयास किया।

(b) दिलावर खां लोधी दिल्ली क्यों गया ? इब्राहिम लोधी ने उसके साथ क्या बर्ताव किया?
उत्तर-
दिलावर खां लोधी अपने पिता की ओर से आरोपों की सफाई देने के लिए दिल्ली गया। इब्राहिम लोधी ने दिलावर खां को खूब डराया धमकाया। उसने उसे यह भी बताने का प्रयास किया कि विद्रोही को क्या दण्ड दिया जा सकता है। उसने उसे उन यातनाओं के दृश्य दिखाए जो विद्रोही लोगों को दी जाती थीं और फिर उसे बन्दी बना लिया। परन्तु वह किसी-न-किसी तरह जेल से भाग निकला। लाहौर पहुंचने पर उसने अपने पिता को दिल्ली में हुई सारी बातें सुनाईं। दौलत खां समझ गया कि इब्राहिम लोधी उससे दो-दो हाथ अवश्य करेगा।

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(3)

गुरु नानक देव जी से पहले पंजाब में मुसलमान शासकों की सरकार थी। इसलिए मुसलमान सरकार में ऊँची से ऊँची पदवी प्राप्त कर सकते थे। उनके साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाता था। सरकारी न्याय उनके पक्ष में ही होता था। उस समय का मुस्लिम समाज चार श्रेणियों में बंटा हुआ था-अमीर तथा सरदार, उलेमा व सैय्यद, मध्य श्रेणी व गुलाम।
मुस्लिम समाज में महिलाओं को कोई सम्मानयोग्य स्थान प्राप्त नहीं था। अमीरों तथा सरदारों की हवेलियों में स्त्रियों के ‘हरम’ होते थे। इन स्त्रियों की सेवा के लिए दासियाँ तथा रखैलें रखी जाती थीं। उस समय पर्दे का रिवाज आम था। साधारण मुसलमान घरों में स्त्रियों के रहने के लिए पर्देदार अलग स्थान बना होता था। उस स्थान को ‘जनान खाना’ कहा जाता था। इन घरों की स्त्रियाँ बुर्का पहन कर बाहर निकलती थी। ग्रामीण मुसलमानों में सख्त पर्दे की प्रथा नहीं थी।
(a) मुस्लिम समाज कौन-कौन सी श्रेणियों में बंटा हुआ था?
उत्तर-
15वीं शताब्दी के अन्त में मुस्लिम समाज चार श्रेणियों में बंटा हुआ था-

  1. अमीर तथा सरदार,
  2. उलेमा तथा सैय्यद,
  3. मध्य श्रेणी तथा
  4. गुलाम अथवा दास।

(b) मुस्लिम समाज में महिलाओं की दशा का वर्णन करो।
उत्तर-
मुस्लिम समाज में महिलाओं की दशा का वर्णन इस प्रकार है

  1. महिलाओं को समाज में कोई सम्मान जनक स्थान प्राप्त नहीं था।
  2. अमीरों तथा सरदारों की हवेलियों में स्त्रियों को हरम में रखा जाता था। इनकी सेवा के लिए दासियां तथा रखैलें रखी जाती थीं।
  3. समाज में पर्दे की प्रथा प्रचलित थी। परन्तु ग्रामीण मुसलमानों में पर्दे की प्रथा सख्त नहीं थी।
  4. साधारण परिवारों में स्त्रियों के रहने के लिए अलग स्थान बना होता था। उसे ‘जनान खाना’ कहा जाता था। यहां से स्त्रियां बुर्का पहन कर ही बाहर निकल सकती थीं।

(4)

ज्ञान-प्राप्ति के बाद जब गुरु नानक देव जी सुलतानपुर लोधी वापस पहुंचे तो वे चुप थे। जब उन्हें बोलने के लिए मजबूर किया गया तो उन्होंने केवल यह कहा-‘न कोई हिन्द्र न मुसलमान।’ जब दौलत खाँ, ब्राह्मणों तथा काज़ियों ने इस वाक्य का अर्थ पूछा तो गुरु साहिब ने कहा कि हिन्दू व मुसलमान दोनों ही अपने-अपने धर्मों के सिद्धान्तों को भूल चुके हैं। इन शब्दों का अर्थ यह भी था कि हिन्दू व मुसलमानों में कोई फर्क नहीं तथा वे एक समान हैं। उन्होंने इन महत्त्वपूर्ण शब्दों से अपने संदेश को शुरू किया। उन्होंने अपना अगला जीवन ज्ञान-प्रचार में व्यतीत कर दिया। उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर लम्बी उदासियां (यात्राएँ) शुरू कर दी।
(a) गुरु नानक देव जी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद क्या शब्द कहे तथा उनका क्या भाव था?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी ने ज्ञान प्राप्ति के बाद ये शब्द कहे-‘न कोई हिन्दू न कोई मुसलमान।’ इसका भाव था कि हिन्दू तथा मुसलमान दोनों ही अपने धर्म के मार्ग से भटक चुके हैं।
(b) गुरु नानक देव जी के परमात्मा सम्बन्धी विचारों का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी के परमात्मा सम्बन्धी विचारों का वर्णन इस प्रकार है

  1. परमात्मा एक है-गुरु नानक देव जी ने लोगों को बताया कि परमात्मा एक है। उसे बांटा नहीं जा सकता। उन्होंने एक ओंकार का सन्देश दिया।
  2. परमात्मा निराकार तथा स्वयंभू है-गुरु नानक देव जी ने परमात्मा को निराकार बताया और कहा कि परमात्मा का कोई आकार व रंग-रूप नहीं है। फिर भी उसके अनेक गुण हैं जिनका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। उनके अनुसार परमात्मा स्वयंभू तथा अकालमूर्त है। अतः उसकी मूर्ति बना कर पूजा नहीं की जा सकती।
  3. परमात्मा सर्वव्यापी तथा सर्वशक्तिमान् है-गुरु नानक देव जी ने परमात्मा को सर्वशक्तिमान् तथा सर्वव्यापी बताया। उनके अनुसार वह सृष्टि के प्रत्येक कण में विद्यमान है। उसे मन्दिर अथवा मस्जिद की चारदीवारी में बन्द नहीं रखा जा सकता।
  4. परमात्मा सर्वश्रेष्ठ है -गुरु नानक देव जी के अनुसार परमात्मा सर्वश्रेष्ठ है। वह अद्वितीय है। उसकी महिमा तथा महानता का पार नहीं पाया जा सकता।
  5. परमात्मा दयालु है-गुरु नानक देव जी के अनुसार परमात्मा दयालु है। वह आवश्यकता पड़ने पर अपने भक्तों की सहायता करता है।

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(5)

गुरु नानक देव जी के सांसारिक व्यवहार के प्रति उपेक्षा देख कर कालू जी उदास रहने लगे। आखिरकार गुरु जी की रुचियों में बदलाव लाने के लिए मेहता कालू जी ने उन्हें घर की भैंसें चराने का काम सौंप दिया। गुरु जी पशुओं को खेतों की तरफ ले तो जाते पर उनका ध्यान न रखते। वह अपना ध्यान ईश्वर में लगा लेते। भैंसें खेतों को उजाड़ देती। मेहता कालू जी को इस बारे में कई उलाहने मिलते। उन उलाहनों से तंग आकर मेहता जी ने गुरु जी को खेती का काम संभाल दिया। गुरु जी ने उस काम में भी कोई दिलचस्पी न दिखाई। हार कर मेहता कालू जी ने गुरु जी को व्यापार में लगाना चाहा। मेहता जी ने उनको 20 रुपए दिए तथा किसी मंडी में सच्चा तथा लाभ वाला सौदा करने को कहा। उनकी छोटी उम्र होने के कारण उनके साथ भाई बाला को भेजा गया। उन्हें रास्ते में फ़कीरों का एक टोला मिला जो कि भूखा था। गुरु नानक देव जी ने सारी रकम की रसद लाकर उन फ़कीरों को रोटी खिला दी। जब वे खाली हाथ घर लौटे तो मेहता जी बड़े दुखी हुए। जब उन्होंने 20 रुपयों का हिसाब मांगा तो गुरु जी ने सच बता दिया। इस घटना को ‘सच्चा सौदा’ कहा जाता है।
(a) ‘सच्चा सौदा’ से क्या भाव है?
उत्तर-
सच्चा सौदा से भाव है-पवित्र व्यापार जो गुरु नानक साहिब ने अपने 20 रु० से फ़कीरों को रोटी खिला कर किया था।
(b) गुरु नानक देव जी ने अपने प्रारम्भिक जीवन में क्या-क्या व्यवसाय अपनाए?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी पढ़ाई तथा अन्य सांसारिक विषयों की उपेक्षा करने लगे थे। उनके व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए. उनके पिता जी ने उन्हें पशु चराने के लिए भेजा। वहां भी गुरु नानक देव जी प्रभु चिन्तन में मग्न रहते और पशु दूसरे किसानों के खेतों में चरते रहते थे। किसानों की शिकायतों से तंग आकर मेहता कालू जी ने गुरु नानक देव जी को व्यापार में लगाने का प्रयास किया। उन्होंने गुरु नानक देव जी को 20 रुपए देकर व्यापार करने भेजा, परन्तु गुरु जी ने ये रुपये संतों को भोजन कराने में व्यय कर दिये। यह घटना सिक्ख इतिहास में ‘सच्चा सौदा’ के नाम से प्रसिद्ध है।

(6)

लंगर संस्था, जिसे गुरु नानक देव जी ने आरम्भ किया था, गुरु अंगद देव जी ने उसे जारी रखा। गुरु अमरदास जी के समय में भी यह संस्था विस्तृत रूप से जारी रही। उनके लंगर में ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य तथा शूद्रों को बिना किसी भेद-भाव के एक ही पंगत में बैठ कर इकट्ठे लंगर छकना पड़ता था। गुरु जी की आज्ञानुसार लंगर किए बगैर कोई भी उन्हें नहीं मिल सकता था। मुगल सम्राट अकबर तथा हरीपुर के राजा को भी गुरु साहिब को मिलने से पहले लंगर में से भोजन छकना पड़ा था। इस तरह से यह संस्था सिक्ख धर्म के प्रचार का एक शक्तिशाली साधन सिद्ध हुई।
(a) लंगर प्रथा से क्या भाव है?
उत्तर-
लंगर प्रथा अथवा पंगत से भाव उस प्रथा से है जिसके अनुसार सभी जातियों के लोग बिना किसी भेदभाव के एक ही पंगत में इकट्ठे बैठकर खाना खाते थे।
(b) मंजी-प्रथा से क्या भाव है तथा इसका क्या उद्देश्य था?
उत्तर-
मंजी प्रथा की स्थापना गुरु अमरदास जी ने की थी। उनके समय में सिक्खों की संख्या काफ़ी बढ़ चुकी थी। परन्तु गुरु जी की आयु अधिक होने के कारण उनके लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर अपनी शिक्षाओं का प्रचार करना कठिन हो गया था। अत: उन्होंने अपने सारे आध्यात्मिक प्रदेशों को 22 भागों में बांट दिया। इनमें से प्रत्येक भाग को ‘मंजी’ कहा जाता था। प्रत्येक मंजी छोटे-छोटे स्थानीय केन्द्रों में बंटी हुई थी जिन्हें पीड़ियां (Piris) कहते थे। मंजी प्रणाली का सिक्ख धर्म के इतिहास में विशेष महत्त्व है। डॉ० गोकुल चन्द नारंग के शब्दों में, “गुरु जी के इस कार्य ने सिक्ख धर्म की नींव सुदृढ़ करने तथा देश के सभी भागों में प्रचार कार्य को बढ़ाने में विशेष योगदान दिया।”

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(7)

गुरु अर्जुन देव जी ने अमृतसर सरोवर के बीच 1588 ई० में ‘हरिमंदिर साहिब’ का निर्माण कार्य करवाया। ऐसा माना जाता है कि हरिमंदिर साहिब की नींव का पत्थर 1589 ई० में सूफी फकीर, मीयां मीर ने रखा। हरिमंदिर साहिब के दरवाजे चारों तरफ रखे गए, भाव यह कि यह मन्दिर चारों जातियों तथा चारों दिशाओं से आने वाले लोगों के लिए खुला था। हरिमंदिर साहिब का निर्माण भाई बुड्डा सिंह जी तथा भाई गुरदास जी की देख-रेख में हुआ जो 1601 ई० में पूरा हुआ। सितम्बर 1604 ई० में हरिमंदिर साहिब में आदि ग्रन्थ की स्थापना कर दी गई। भाई बुड्डा सिंह जी को वहाँ का पहला ग्रन्थी बनाया गया था। __ अमृतसर में हरिमंदिर साहिब का निर्माण सिक्ख धर्म की दृढ़ता- पूर्वक स्थापना के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कार्य था। इससे सिक्खों को हिन्दू तीर्थ-स्थानों की यात्रा करने की ज़रूरत न रही। अमृतसर सिक्खों का ‘मक्का’ तथा ‘गंगाबनारस’ बन गया।
(a) हरिमंदिर साहिब की नींव कब तथा किसने रखी?
उत्तर-
हरिमंदिर साहिब की नींव 1589 ई० में उस समय के प्रसिद्ध सूफ़ी सन्त मियां मीर ने रखी।
(b) हरिमंदिर साहिब के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
गुरु रामदास जी के ज्योति जोत समाने के पश्चात् गुरु अर्जन देव जी ने ‘अमृतसर’ सरोवर के बीच हरिमंदिर साहिब का निर्माण करवाया। इसका नींव पत्थर 1589 ई० में सूफ़ी फ़कीर मियां मीर जी ने रखा। गुरु जी ने इसके चारों ओर एक-एक द्वार रखवाया। ये द्वार इस बात के प्रतीक हैं कि यह मंदिर सभी जातियों तथा धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से खुला है। हरिमंदिर साहिब का निर्माण कार्य भाई बुड्डा जी की देख-रेख में 1601 ई० में पूरा हुआ। 1604 ई० में हरिमंदिर साहिब में आदि ग्रन्थ साहिब की स्थापना की गई और भाई बुड्डा जी वहां के पहले ग्रन्थी बने।
हरिमंदिर साहिब शीघ्र ही सिक्खों के लिए ‘मक्का’ तथा ‘गंगा-बनारस’ अर्थात् एक बहुत बड़ा तीर्थ-स्थल बन गया।

(8)

दो मुग़ल बादशाह-अकबर तथा जहांगीर गुरु अर्जुन देव जी के समकालीन थे। चूंकि गुरुओं के उपदेशों का उद्देश्य जाति-पाति, ऊँच-नीच, अंध-विश्वास तथा धार्मिक कट्टरता से रहित समाज की स्थापना करना था, इसलिए अकबर गुरुओं को पसंद करता था। पर जहाँगीर गुरु अर्जुन देव जी की बढ़ती हुई ख्याति को पसंद नहीं करता था। उसे इस बात का गुस्सा भी था कि हिन्दुओं के साथ-साथ कई मुसलमान भी गुरु जी से प्रभावित हो रहे थे। कुछ समय पश्चात् शहज़ादा खुसरो ने अपने पिता जहांगीर के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। जब शाही सेनाओं ने खुसरो का पीछा किया तो वह भाग कर पंजाब आ गया तथा गुरु जी से मिला। इस पर जहांगीर ने जो पहले ही गुरु अर्जुन देव जी के विरुद्ध कार्यवाही करने का बहाना ढूंढ रहा था विद्रोही खुसरो की सहायता करने के अपराध में गुरु जी पर दो लाख रुपयों का जुर्माना कर दिया। गुरु जी ने इस जुर्माने को अनुचित मानते हुए इसे अदा करने से इन्कार कर दिया। इस पर उनको शारीरिक यातनाएँ देकर 1606 ई० में शहीद कर दिया गया।
(a) जहांगीर गुरु अर्जुन देव जी को क्यों शहीद करना चाहता था?
उत्तर-
जहांगीर को गुरु अर्जन देव जी की बढ़ती हुई ख्याति से ईर्ष्या थी। जहांगीर को इस बात का दुःख था कि हिन्दुओं के साथ-साथ कई मुसलमान भी गुरु साहिब से प्रभावित हो रहे हैं।
(b) गुरु अर्जुन देव जी की शहादत पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
मुग़ल सम्राट अकबर के पंचम पातशाह (सिक्ख गुरु) गुरु अर्जन देव जी के साथ बहुत अच्छे सम्बन्ध थे। परन्तु अकबर की मृत्यु के पश्चात् जहांगीर ने सहनशीलता की नीति छोड़ दी। वह उस अवसर की खोज में रहने लगा। जब वह सिक्ख धर्म पर करारी चोट कर सके। इसी बीच जहांगीर के पुत्र खुसरो ने उसके विरुद्ध विद्रोह कर दिया। खुसरो पराजित होकर गुरु अर्जन देव जी के पास आया। गुरु जी ने उसे आशीर्वाद दिया। इस आरोप में जहांगीर ने गुरु अर्जन देव जी पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। परन्तु गुरु अर्जन देव जी ने जुर्माना देने से इन्कार कर दिया। इसलिए उन्हें बन्दी बना लिया गया और अनेक यातनाएं देकर शहीद कर दिया गया। गुरु अर्जन देव जी की शहीदी से सिक्ख भड़क उठे। वे समझ गए कि उन्हें अब अपने धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र धारण करने पड़ेंगे।

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(9)

गुरु गोबिन्द सिंह जी सिक्खों के दसवें तथा आखिरी गुरु हुए हैं। गुरु नानक देव जी ने सिक्ख धर्म की स्थापना का कार्य किया था। उनके आठ उत्तराधिकारों ने धीरे-धीरे सिक्ख धर्म का प्रचार व प्रसार किया। पर उस कार्य को संपूर्ण करने वाले गुरु गोबिन्द सिंह जी ही थे। उन्होंने 1699 ई० में खालसा की स्थापना कर के सिक्ख मत को अन्तिम रूप दिया। उन्होंने सिक्खों में विशेष दिलेरी, बहादुरी तथा एकता की भावना उत्पन्न कर दी। सीमित साधनों तथा बहुत थोड़े सिक्ख-सैनिकों की सहायता से उन्होंने मुगल साम्राज्य के अत्याचारों का विरोध किया। अपने देहान्त से पहले उन्होंने गुरु-परम्परा का अंत करते हुए गुरु की शक्ति गुरु ग्रन्थ साहिब तथा खालसा में बांटी। इसीलिए उनमें एक ही समय में आध्यात्मिक नेता, उच्च कोटि का संगठन-कर्ता, जन्म-सिद्ध सेनानायक, प्रतिभाशाली विद्वान तथा उत्तम सुधारक के गुण विद्यमान थे।
(a) गुरु गोबिन्द राय जी का जन्म कब और कहां हुआ? उनके माता-पिता का नाम भी बताओ।
उत्तर-
22 दिसम्बर, 1666 ई० को पटना में उनकी माता का नाम गुजरी जी और पिता का नाम श्री गुरु तेग बहादुर जी था।
(b) गुरु गोबिन्द सिंह जी के सेनानायक के रूप में व्यक्तित्व का वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु गोबिन्द सिंह जी एक कुशल सेनापति तथा वीर सैनिक थे। पहाड़ी राजाओं तथा मुगलों के विरुद्ध लड़े गए प्रत्येक युद्ध में उन्होंने अपने वीर सैनिक होने का परिचय दिया। तीर चलाने, तलवार चलाने तथा घुड़सवारी करने में तो वे विशेष रूप से निपुण थे। गुरु जी में एक उच्च कोटि के सेनानायक के भी सभी गुण विद्यमान थे। उन्होंने कम सैनिक तथा कम युद्ध सामग्री के होते हुए भी पहाड़ी राजाओं तथा मुग़लों के नाक में दम कर दिया। चमकौर की लड़ाई में तो उनके साथ केवल चालीस सिक्ख थे, परन्तु गुरु जी के नेतृत्व में उन्होंने वे हाथ दिखाए कि एक बार तो हजारों की मुग़ल सेना घबरा उठी।

(10)

1699 ई० को वैशाखी के दिन गुरु गोबिन्द राय जी ने आनन्दपुर साहिब में सभा बुलाई। उस सभा की संख्या लगभग अस्सी हज़ार थी। जब सभी लोग अपने-अपने स्थान पर बैठ गए तो गुरु जी ने म्यान में से तलवार निकाल कर जोरदार शब्दों में कहा-तुममें से कोई ऐसा व्यक्ति है जो धर्म के लिए अपना सिर दे सके ? गुरु जी ने ये शब्द तीन बार दोहराए। तीसरी बार पर लाहौर-निवासी दया राम (क्षत्रिय) ने उठ कर गुरु जी के सामने अपना शीश झका दिया। गुरु जी उसे पास के एक तम्बू में ले गए। फिर वे तम्बू से बाहर आए और उन्होंने पहले की तरह ही एक और व्यक्ति का शीश मांगा। इस बार दिल्ली का धर्म दास (जाट) अपना सिर. भेंट करने के लिए आगे आया। गुरु साहिब उसे भी साथ के तम्बू में ले गए। इस प्रकार गुरु जी ने पांच बार शीश की मांग की और पांच व्यक्तियों भाई दयाराम तथा भाई धर्मदास के अतिरिक्त भाई मोहकम चंद (द्वारका का धोबी) भाई साहिब चंद (बीदर का नाई) तथा भाई हिम्मत राय (जगन्नाथ पुरी का कहार) ने गुरु जी को अपने सिर भेंट किए। कुछ समय पश्चात् गुरु जी उन पाँचों व्यक्तियों को केसरिया रंग के सुन्दर वस्त्र पहना कर लोगों के बीच में ले आए। उस समय स्वयं भी गुरु जी ने वैसे ही वस्त्र पहने हुए थे। लोग. उन पाँचों को देख कर आश्चर्यचकित हुए। गुरु साहिब ने उन्हें ‘पाँच-प्यारे’ की सामूहिक उपाधि दी।
(a) खालसा का सृजन कब और कहां किया गया ?
उत्तर-
1699 ई० में आनन्दपुर साहिब में।
(b) खालसा के नियमों का वर्णन करो।
उत्तर-
खालसा की स्थापना 1699 ई० में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने की। खालसा के नियम निम्नलिखित थे

  1. प्रत्येक खालसा अपने नाम के साथ ‘सिंह’ शब्द लगाएगा। खालसा स्त्री अपने नाम के साथ ‘कौर’ शब्द लगाएगी।
  2. खालसा में प्रवेश से पूर्व प्रत्येक व्यक्ति को ‘खण्डे के पाहुल’ का सेवन करना पड़ेगा। तभी वह स्वयं को खालसा कहलवाएगा।
  3. प्रत्येक ‘सिंह’ आवश्यक रूप से पांच ‘ककार’ धारण करेगा-केश, कड़ा, कंघा, किरपान तथा कछहरा।
  4. सभी सिक्ख प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान करके उन पांच बाणियों का पाठ करेंगे जिनका उच्चारण ‘खण्डे का पाहुल’ तैयार करते समय किया गया था।

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(11)

बंदा सिंह बहादुर का असली निशाना सरहिन्द था। यहाँ के सबेदार वजीर खां ने सारी उम्र गरु गोबिन्द सिंह जी को तंग किया था। उसने आनन्दपुर साहिब तथा चमकौर साहिब के युद्धों में गुरु जी के खिलाफ फौज भेजी थी। यहीं पर उनके छोटे साहिबजादों को दीवार में चिनवा दिया गया था। वजीर खां ने हज़ारों निर्दोष सिक्खों तथा हिन्दुओं के खून से अपने हाथ रंगे थे। इसलिए बंदा बहादुर तथा सिक्खों को वजीर खां पर बहुत गुस्सा था। जैसे ही पंजाब में बंदा बहादुर के सरहिन्द की तरफ बढ़ने की खबरें पहुँची तो हजारों लोग बंदा सिंह बहादुर के झंडे के तले एकत्रित हो गए। सरहिन्द के कर्मचारी, सुच्चा नंद का भतीजा भी 1,000 सैनिकों के साथ बंदे की सेना में जा मिला। दूसरी तरफ वजीर खाँ की फौज की गिनती लगभग 20,000 थी। उसकी सेना में घुड़सवारों के अतिरिक्त बंदूकची तथा तोपची व हाथी सवार भी थे।
(a) हुक्मनामे में गुरु (गोबिन्द सिंह) जी ने पंजाब के सिक्खों को क्या आदेश दिए?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर उनका राजनीतिक नेता होगा तथा वे मुग़लों के विरुद्ध धर्मयुद्ध में बंदे का साथ दें।
(b) चप्पड़-चिड़ी तथा सरहिन्द की लड़ाई का वर्णन करो।
उत्तर-
सरहिन्द के सूबेदार वज़ीर खान ने गुरु गोबिन्द सिंह जी को जीवन भर तंग किया था। इसके अतिरिक्त उसने गुरु साहिब के दो साहिबजादों को सरहिन्द में ही दीवार में चिनवा दिया था। इसलिए बंदा सिंह बहादुर इसका बदला लेना चाहता था। जैसे ही वह सरहिन्द की ओर बढ़ा, हजारों लोग उसके झण्डे तले एकत्रित हो गए। सरहिन्द के कर्मचारी, सुच्चा नंद का भतीजा भी 1,000 सैनिकों के साथ बंदा की सेना में जा मिला। परन्तु बाद में उसने धोखा दिया। दूसरी ओर वज़ीर खान के पास लगभग 20,000 सैनिक थे। सरहिन्द से लगभग 16 किलोमीटर पूर्व में चप्पड़चिड़ी के स्थान पर 22 मई, 1710 ई० को दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ। वज़ीर खान को मौत के घाट उतार दिया गया। शत्रु के सैनिक बड़ी संख्या में सिक्खों की तलवारों के शिकार हुए। वज़ीर खान की लाश को एक पेड़ पर टांग दिया गया। सुच्चा नंद जिसने सिक्खों पर अत्याचार करवाये थे, की नाक में नकेल डाल कर नगर में उसका जुलूस निकाला गया।

(12)

1837 ई० में भारत का गवर्नर-जनरल लार्ड ऑक्लैड-अफगानिस्तान में रूस के बढ़ते हुए प्रभाव से भयभीत हो गया। वह यह भी महसूस करता था कि दोस्त मुहम्मद अंग्रेजों के शत्रु रूस से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध कायम कर रहा था। इन हालातों में लार्ड ऑकलैंड ने दोस्त मुहम्मद की जगह शाह शुजाह को (अफगानिस्तान का भूतपूर्वकशासक जो अंग्रेजों की पैन्शन पर पलता था) अफगानिस्तान का शासक बनाना चाहा। इस उद्देश्य से 26 जून, 1838 ई० को अंग्रेज सरकार की आज्ञा से अंग्रेजों, रणजीत सिंह तथा शाह शुजाह के दरम्यान, एक संधि हुई जिसे ‘त्रिपक्षीय संधि’ कहा जाता है। इसके अनुसार अफगानिस्तान के होने वाले शासक शाह शुजाह ने अपनी तरफ से महाराजा के अफगानों से जीते गए सारे प्रदेश (कश्मीर, मुलतान, पेशावर, अटक, डेराजात आदि) पर उसका अधिकार स्वीकार कर लिया। महाराजा ने उस संधि की एक शर्त कि अफगान-युद्ध के समय वह अंग्रेजों को अपने इलाके में से होकर आगे जाने देगा, न मानी। इस पर अंग्रेजों तथा महाराजा के सम्बन्धों में बड़ी दरार पैदा हो गई। जून, 1839 ई० को महाराजा का देहान्त हो गया।
(a) रणजीत सिंह का जन्म कब हुआ तथा उसके पिता का क्या नाम था?
उत्तर-
रणजीत सिंह का जन्म 13 नवम्बर, 1780 को हुआ। उसके पिता का नाम सरदार महा सिंह था।
(b) त्रिपक्षीय सन्धि क्या थी?
उत्तर-
त्रिपक्षीय सन्धि 26 जून, 1838 ई० में महाराजा रणजीत सिंह, अंग्रेज़ों तथा शाह शुजाह के बीच हुई। इसकी शर्ते निम्नलिखित थीं

  1. महाराजा रणजीत सिंह द्वारा विजित प्रदेश शाह शुजाह के राज्य में नहीं मिलाए जाएंगे।
  2. तीनों में से कोई भी किसी विदेशी की सहायता नहीं करेगा।
  3. महाराजा रणजीत सिंह सिन्ध के उस भाग पर भी नियन्त्रण कर सकेगा जिस पर उसका अभी-अभी अधिकार हुआ था।
  4. एक का दुश्मन अन्य दोनों का दुश्मन समझा जाएगा।
  5. सिन्ध के मामले में अंग्रेज़ तथा महाराजा रणजीत सिंह मिल कर जो भी निर्णय करेंगे, वह शाह शुजाह को मान्य होगा।
  6. शाह शुजाह महाराजा रणजीत सिंह तथा अंग्रेजों की अनुमति के बिना किसी भी देश से अपना सम्बन्ध स्थापित नहीं करेगा।

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(13)

यद्यपि लार्ड हार्डिग ने सिक्खों को हराकर पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित नहीं किया, पर लाहौर सरकार
को कमजोर अवश्य कर दिया। अंग्रेजों ने लाहौर राज्य के सतलुज के दक्षिण स्थित क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने दोआबा बिस्त जालन्धर के उपजाऊ क्षेत्रों पर अधिकार जमा लिया। कश्मीर, कांगड़ा और हजारा के पहाड़ी राज्य लाहौर राज्य से स्वतंत्र कर दिए गए। लाहौर राज्य की सेना कम कर दी गई। लाहौर राज्य से बहुत बड़ी धनराशि वसूल की गई। पंजाब को आर्थिक और सैनिक दृष्टि से इतना कमज़ोर कर दिया गया कि अंग्रेज़ जब भी चाहें उस पर कब्जा कर सकते थे।
(a) महाराजा रणजीत सिंह के बाद कौन उसका उत्तराधिकारी बना?
उत्तर-
महाराजा रणजीत सिंह के बाद खड़क सिंह उसका उत्तराधिकारी बना।
(b) लाहौर की दूसरी सन्धि की धाराएं क्या थी?
उत्तर-
लाहौर की दूसरी सन्धि 11 मार्च, 1846 ई० को अंग्रेज़ों तथा सिक्खों के बीच हुई। इसकी मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं

  1. ब्रिटिश सरकार महाराजा दलीप सिंह और नगरवासियों की रक्षा के लिए लाहौर में बड़ी संख्या में सेना रखेगी। यह सेना 1846 ई० तक वहां रहेगी।
  2. लाहौर का किला और नगर अंग्रेज़ी सेना के अधिकार में रहेंगे।
  3. लाहौर-सरकार 9 मार्च, 1846 ई० को सन्धि द्वारा अंग्रेज़ों को दिए गए क्षेत्रों के जागीरदारों तथा अधिकारियों का सम्मान करेगी।
  4. लाहौर-सरकार को अंग्रेजों को दिए प्रदेशों के किलों में से तोपों के अतिरिक्त खज़ाना या सम्पत्ति लेने का कोई अधिकार नहीं होगा।

(14)

जनवरी 1848 ई० में लार्ड हार्डिग के स्थान पर लार्ड डलहौजी भारत का गवर्नर जनरल बना। वह भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार करने में विश्वास रखता था। सबसे पहले उसने पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने का फैसला किया। मुलतान के मूलराज और हज़ारा के चतर सिंह और उसके पुत्र शेर सिंह द्वारा विद्रोह कर देने पर उन्हें सिक्खों के साथ युद्ध करने का बहाना मिल गया। दूसरे आंग्ल-सिक्ख युद्ध में सिक्खों की हार के बाद पहले ही निश्चित नीति को वास्तविक रूप देने का काम विदेश सचिव हैनरी इलियट (Henry Elliot) को सौंपा गया। इलियट ने कौंसिल आफ रीजेंसी के सदस्यों को एक सन्धि-पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर दिया। उस सन्धि के अनुसार महाराजा दलीप सिंह को राजगद्धी से उतार दिया गया। पंजाब की सारी सम्पत्ति पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। कोहेनूर हीरा इंगलैंड की महारानी (विक्टोरिया) के पास भेज दिया गया। महाराजा दलीप सिंह की 4 लाख और 5 लाख के बीच पेंशन निश्चित कर दी गई। उसी दिन हैनरी इलियट ने लाहौर दरबार में लार्ड डलहौजी की ओर से घोषणा-पत्र पढ़कर सुनाया गया। इस घोषणा-पत्र में पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने को उचित ठहराया गया।
(a) पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में कब शामिल किया गया ? उस समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था?
उत्तर-
पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में 1849 ई० में सम्मिलित किया गया। उस समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी था।
(b) महाराजा दलीप सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
महाराजा दलीप सिंह पंजाब (लाहौर राज्य) का अंतिम सिक्ख शासक था। प्रथम ऐंग्लो-सिक्ख युद्ध के समय वह नाबालिग था। अत: 1846 ई० की भैरोंवाल की सन्धि के अनुसार लाहौर-राज्य के शासन प्रबन्ध के लिए एक कौंसिल ऑफ़ रीजैंसी की स्थापना की गई। इसे महाराज के बालिग होने तक कार्य करना था। परन्तु दूसरे ऐंग्लोसिक्ख युद्ध में सिक्ख पुनः पराजित हुए। परिणामस्वरूप महाराजा दलीप सिंह को राजगद्धी से उतार दिया गया और उसकी 4-5 लाख रु० के बीच वार्षिक पेंशन निश्चित कर दी गई। पंजाब अंग्रेजी साम्राज्य का अंग बन गया।

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(15)

अमृतसर और रायकोट के बूचड़खाने पर आक्रमण करके कई बूचड़ों को मार दिया। कूकों को सबके सामने फांसी की सजा दी जाती परन्तु वे अपने मनोरथ से पीछे न हटते। जनवरी 1872 में 150 कूकों का जत्था बूचड़ों को सज़ा देने के लिए मलेरकोटला पहुँचा। 15 जनवरी, 1872 को कूकों और मलेरकोटला की सेना के मध्य घमासान युद्ध हुआ। दोनों पक्षों के अनेक व्यक्ति मारे गये। अंग्रेज़ सरकार ने कूकों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए अपनी सेना मलेरकोटला भेजी। 65 कूकों ने स्वयं को गिरफ्तार करवा दिया। उनमें से 49 कूकों को 17 जनवरी 1872 ई० में तोपों से उड़ा दिया गया। सरकारी मुकद्दमें के पश्चात् 16 कूकों को भी 18 जनवरी 1872 ई० में तोपों से उड़ा दिया। श्री सतगुरु रामसिंह जी को देश निकाला देकर रंगून भेज दिया गया। कई नामधारी सूबों को काले पानी भेज दिया। कइयों को समुद्र के पानी में डुबोकर मार दिया गया और कई कूकों की जायदाद जब्त कर ली गई। इस प्रकार अंग्रेज़ सरकार ने हर प्रकार से जुल्म ढाये परन्तु लहर तब तक चलती रही जब तक 15 अगस्त, 1947 ई० को देश आजाद नहीं हो गया।
(a) श्री सतगुरु राम सिंह जी ने अंग्रेज़ सरकार से असहयोग क्यों किया?
उत्तर-
क्योंकि श्री सतगुरु राम सिंह जी विदेशी सरकार, विदेशी संस्थाओं तथा विदेशी माल के कट्टर विरोधी थे।
(b) नामधारियों और अंग्रेजों के मध्य मलेरकोटला में हुई दुर्घटना का वर्णन करो।
उत्तर-
नामधारी लोगों ने गौ-रक्षा का कार्य आरम्भ कर दिया था। गौ-रक्षा के लिए वे कसाइयों को मार डालते थे। जनवरी, 1872 को 150 कूकों (नामधारियों) का एक जत्था कसाइयों को दण्ड देने मलेरकोटला पहुंचा। 15 जनवरी, 1872 ई० को कूकों और मालेरकोटला की सेना के बीच घमासान लड़ाई हुई। दोनों पक्षों के अनेक व्यक्ति मारे गए। अंग्रेजों ने कूकों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए अपनी विशेष सेना मालेरकोटला भेजी। 65 कूकों ने स्वयं अपनी गिरफ्तारी दी। उनमें से 49 कूकों को 17 जनवरी, 1872 ई० को तोपों से उड़ा दिया गया। सरकारी मुकद्दमों के पश्चात् 16 कूकों को भी 18 जनवरी 1872 ई० में तोपों से उड़ा दिया।

(16)

अशांति और क्रोध के इस वातावरण में अमृतसर और गाँवों के लगभग 25,000 लोग 13 अप्रैल, 1919 ई० को वैशाखी वाले दिन जलियाँवाला बाग में जलसा करने के लिए इकट्ठे हुए। जनरल डायर ने उसी दिन साढ़े नौ बजे ऐसे जलसों को गैर कानूनी करार दे दिया, परन्तु लोगों को उस घोषणा का पता नहीं था। इसी कारण जलियांवाला बाग़ में जलसा हो रहा था। जनरल डायर को अंग्रेजों के कत्ल का बदला लेने का मौका मिल गया। वह अपने 150 सैनिकों समेत जलियाँवाला बाग के दरवाजे के आगे पहुंच गया। बाग में आने-जाने के लिए एक ही तंग रास्ता था। जनरल डायर ने उसी रास्ते के आगे खड़े होकर लोगों को तीन मिनट के अन्दर-अन्दर तितर-बितर हो जाने का आदेश दिया परन्तु ऐसा करना असम्भव था। तीन मिनट के बाद जनरल डायर ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। लगभग 1000 लोग मारे गए और 3000 से भी अधिक जख्मी हो गए। जलियाँवाला बाग की घटना के बाद देश की स्वतंत्रता की लहर को एक नया रूप मिला। इस घटना का बदला सरदार ऊधम सिंह ने 21 वर्ष पश्चात् इंग्लैंड में सर माइकल ओ डायर (जो घटना के समय पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था) को गोली मारकर उसकी हत्या करके लिया।
(a) जलियाँवाला बाग़ की दुर्घटना का बदला किसने और कैसे लिया?
उत्तर-
जलियाँवाला बाग़ की दुर्घटना का बदला शहीद ऊधमसिंह ने 21 वर्ष बाद इंग्लैंड में सर माइकल ओ’डायर की गोली मारकर हत्या करके लिया।
(b) जलियाँवाला बाग़ की दुर्घटना के क्या कारण थे?
उत्तर-
जलियाँवाला बाग़ की दुर्घटना निम्नलिखित कारणों से हुई

  1. रौलेट बिल-1919 में अंग्रेजी सरकार से ‘रौलेट बिल’ पास किया। इसके अनुसार पुलिस को जनता के दमन के लिए विशेष शक्तियां दी गईं। अतः लोगों ने इनका विरोध किया।
  2. डॉ० सत्यपाल तथा डॉ० किचलू की गिरफ्तारी-रौलेट बिल के विरोध में पंजाब तथा अन्य स्थानों पर हड़ताल हुई। कुछ नगरों में दंगे भी हुए। अतः सरकार ने पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं डॉ० सत्यपाल तथा डॉ० किचलू को गिरफ्तार कर लिया। इससे जनता और भी भड़क उठी।
  3. अंग्रेजों की हत्या-भड़के हुए लोगों पर अमृतसर में गोली चलाई गई। जवाब में लोगों ने पांच अंग्रेजों को मार डाला। अतः नगर का प्रबन्ध जनरल डायर को सौंप दिया गया। इन सब घटनाओं के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में एक आम सभा हुई जहां भीषण हत्याकांड हुआ।

PSEB 10th Class SST Solutions History उद्धरण संबंधी प्रश्न

(17)

अकाली जत्थों ने चरित्रहीन महन्तों के अधिकार से गुरुद्वारों को खाली करवाने का काम आरम्भ किया। उन्होंने हसन अब्दाल स्थित गुरुद्वारा, पंजा साहिब, जिला शेखूपुरा का गुरुद्वारा सच्चा सौदा तथा अमृतसर जिले का गुरुद्वारा चोला साहिब महन्तों से खाली करवा लिए। तरनतारन में अकालियों की महन्तों से मुठभेड़ हो गई। स्यालकोट स्थित गुरुद्वारा बाबा की बेर और लायलपुर (फैसलाबाद) जिला के गुरुद्वारे गोजरां में भी ऐसे ही हुआ।.अकाली दल फिर भी गुरुद्वारों को स्वतंत्र करवाने में जुटा रहा। 20 फरवरी, 1921 ई० को ननकाना साहिब गुरुद्वारा में एक बड़ी दुर्घटना घटी। जब अकाली जत्था शांतिपूर्वक ढंग से गुरुद्वारा पहुंचा तो वहाँ के महन्त नारायण दास ने 130 अकालियों का कत्ल करवा दिया। अंग्रेज़ सरकार ने अकालियों के प्रति कोई भी सहानुभूति प्रदर्शित न की। पर सारे प्रांत के मुसलमानों और हिन्दुओं ने अकालियों के प्रति सहानुभूति दिखाई।
(a) चाबियाँ वाला मोर्चा क्यों लगाया गया?
उत्तर-
अंग्रेजी सरकार ने दरबार साहिब अमृतसर की गोलक की चाबियां अपने पास दबा रखी थीं जिन्हें प्राप्त करने के लिए सिक्खों ने चाबियों वाला मोर्चा लगाया।
(b) गुरु का बाग़ घटना ( मोर्चे) का वर्णन करो।
उत्तर-
गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग़’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महंत सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया।
इस घटना से सिक्ख भड़क उठे। सिक्खों ने कई और जत्थे भेजे जिन के साथ अंग्रेजों ने बहुत बुरा व्यवहार किया। सारे देश के राजनीतिक दलों ने सरकार की इस कार्यवाही की कड़ी निन्दा की। अंत में अकालियों ने ‘गुरु का बाग़’ मोर्चा शांतिपूर्ण ढंग से जीत लिया।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

Punjab State Board PSEB 11th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Agriculture Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

PSEB 11th Class Agriculture Guide ख़रीफ़ की फसले Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दो-

प्रश्न 1.
ख़रीफ़ की दो अनाज वाली फसलों के नाम लिखो।
उत्तर-
धान, मक्की तथा ज्वार ।

प्रश्न 2.
धान की दो उन्नत किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
पी०आर०-123, पी०आर०-122.

प्रश्न 3.
देसी कपास की दोहरी किस्म की एक एकड़ खेती के लिए कितना बीज चाहिए ?
उत्तर-
1.5 किलो बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 4.
मक्की को हानि पहुंचाने वाले मुख्य कीट का नाम बताओ।
उत्तर-
मक्की का गन्डोया।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

प्रश्न 5.
गन्ने के दो रोगों के नाम बताओ।
उत्तर-
रत्ता रोग, लाल धारियों वाला रोग।

प्रश्न 6.
हरी खाद के रूप में बोई जाने वाली दो फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
सन् तथा लैंचा।

प्रश्न 7.
मक्की की एक एकड़ की बुआई के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
पर्ल पॉपकार्न के लिए 7 किलो तथा अन्य किस्मों के लिए 8 किलो प्रति एकड़, चारे वाली मक्की के लिए 30 किलो बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 8.
कपास की बुआई का समय बताओ।
उत्तर-
1 अप्रैल से 15 मई।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

प्रश्न 9.
गन्ने में बोई जाने वाले एक अन्तर फसल का नाम बताओ। उत्तर-गर्म ऋतु की मूंगी या मांह।। प्रश्न 10. ख़रीफ के चारे की दो फसलों के नाम लिखो।
उत्तर-
मक्की , बाजरा, गवारा आदि।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दो-

प्रश्न 1.
फसल चक्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पूरे वर्ष में एक खेत में जो फसलें उगाई जाती हैं, उसको फसल चक्कर कहा जाता है, जैसे-धान-गेहूँ, धान-आलू-सूर्यमुखी आदि।

प्रश्न 2.
धान आधारित दो फसल चक्रों के नाम लिखो।
उत्तर-
धान-गेहूँ/बरसीम, धान-गेहूँ-सठ्ठी मक्की, धान-आलू-सठ्ठी मूंगी/सूर्यमुखी।

प्रश्न 3.
हरी खाद क्यों दी जाती है ?
उत्तर-
हरी खाद में फलीदार फसलें होती हैं; जैसे-दालों वाली फसलें, सन्, लैंचा आदि। इन फसलों के कारण भूमि में नाइट्रोजन तत्त्व की वृद्धि होती है तथा हरी खाद की फसल को जुताई करके भूमि में दबा दिया जाता है। इससे भूमि में मल्लहड़ की भी वृद्धि होती है तथा भूमि की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

प्रश्न 4.
मक्की की बुआई की विधि बताओ।
उत्तर-
मक्की की बुवाई का समय मई के अंतिम सप्ताह से अंत जून तक का है। बुवाई के समय पंक्तियों में फासला 60 सैं०मी० तथा पौधे से पौधे का फासला 22 सैं०मी० रखना चाहिए।

प्रश्न 5.
मक्की में इटसिट की रोकथाम बताओ।
उत्तर-
मक्की में इटसिट की रोकथाम के लिए एट्राटाप नदीन-नाशक का प्रयोग बुवाई से 10 दिनों के अन्दर-अन्दर करना चाहिए।

प्रश्न 6.
धान में कद्दू क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
धान की फसल के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है। कद्दू करने से भूमि में पानी रोकने की शक्ति बढ़ जाती है, पानी का वाष्पीकरण कम होता है। नदीनों की समस्या में कमी आती है। धान की पनीरी लगानी आसान हो जाती है।

प्रश्न 7.
गन्ने की बुआई के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
एक एकड़ कमाद के लिए तीन आंखों वाली 20 हज़ार गुल्लियां या चार आंखों वाली 15 हज़ार गुल्लियां या 5 आंखों वाली 12 हज़ार गुल्लियों की आवश्यकता है।

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प्रश्न 8.
पतझड़ ऋतु के गन्ने की बुआई का समय और विधि बताओ।
उत्तर-
पतझड़ ऋतु की गन्ने की बुआई का समय 20 सितम्बर से 20 अक्तूबर का है। बुवाई 90 सैं०मी० फासले की पंक्तियों में की जाती है।

प्रश्न 9.
मूंगी के पत्ते सुखाने के लिए स्प्रे का समय और मात्रा बताओ।
उत्तर-
जब कम्बाइन से मूंगी की कटाई करनी हो तो जब लगभग 80% फलियां पक जाती हैं तो ग्रैमक्सोन का स्प्रे करके पत्ते तथा तने सुखा दिये जाते हैं।

प्रश्न 10.
धान में खरपतवार की रोकथाम का तरीका बताओ।
उत्तर-
धान में स्वांक तथा मोथा नदीन होते हैं। पनीरी लगाने से 15 तथा 30 दिन बाद पैडीवीडर के साथ दो गुडाइयां करें या नदीनों को हाथ से खींच कर निकाल दें। उचित दवाइयों का उचित मात्रा में तथा उचित समय पर प्रयोग करना चाहिए।

(ग) पांच-छ: वाक्यों में उत्तर दो-

प्रश्न 1.
धान में हरी खाद के उपयोग के बारे में लिखो।
उत्तर-
गेहूँ की कटाई के शीघ्र बाद ही लैंचा (जंतर) की हरी खाद बो देनी चाहिए तथा इसे दबाने के बाद धान की बुवाई करनी चाहिए। सट्ठी मुंगी को भी गेहूँ काटने के तुरन्त बाद बो कर फलियां तोड़कर मूंगी की फसल को खेत में हरी खाद के तौर पर दबाकर शीघ्र ही धान लगा दें।
हरी खाद में देसी खाद के सभी गुण होते हैं। उससे किसान रासायनिक खादें डालने से बच जाता है क्योंकि फलीदार फसल की फलियों में फॉस्फोरस, रेशे में पोटाशियम तथा जड़ों में नाइट्रोजन मिलती है।

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प्रश्न 2.
धान की सीधी बुआई के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
धान की सीधी बुआई केवल मध्यम से भारी भूमियों में ही करनी चाहिए। हल्की (रेतीली) भूमि में फसल में लोहा तत्त्व की कमी हो जाती है तथा फसल की पैदावार कम हो जाती है।

बुवाई का समय-सीधी बुवाई के लिए उचित समय जून का पहला पखवाड़ा है। बीज की मात्रा-इसके लिए बीज की मात्रा 8-10 किलो प्रति एकड़ की आवश्यकता

गहराई तथा पंक्तियों में फासला-बीज को 2-3 सैं०मी० गहराई पर धान वाली ड्रिल से 20 सैं०मी० चौड़ी पंक्तियों में बोना चाहिए। धान की सीधी बुवाई के लिए कम समय पर पकने वाली किस्में ही लेनी चाहिए।

खरपतवार (नदीनों) की रोकथाम-बुवाई से 2 दिनों के अन्दर-अन्दर सटोंप का प्रयोग करना चाहिए। फसल की बुवाई से 30 दिन बाद यदि फसल में स्वांक तथा मोथा नदीन हों तो नोमनीगोल्ड का प्रयोग किया जाता है। चौड़े पत्ते वाले नदीनों के लिए सैगमैंट नदीननाशक का प्रयोग करना चाहिए।

खाद-60 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ के हिसाब से तीन बराबर भागों में बांट कर बुवाई से दो, पांच तथा नौ सप्ताह बाद छट्टा विधि से डालना चाहिए। सिंचाई-फसल को तीन से पांच दिनों के भीतर पानी देते रहें।

प्रश्न 3.
मक्की में रासायनिक खादों के प्रयोग के बारे में बताओ।
उत्तर-
मक्की में प्रति एकड़ के लिए 50 किलो नाइट्रोजन, 24 किलो फॉस्फोरस तथा 12 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है। पोटाश तत्व का प्रयोग मिट्टी जांच के आधार पर करना चाहिए। सारी फॉस्फोरस, सारी पोटाश तथा तीसरा भाग नाइट्रोजन खाद बुवाई करते समय ही डाल देनी चाहिए। नाइट्रोजन का एक भाग जब फसल घुटनों तक बढ़ जाए तो डालें तथा दूसरा भाग बूर पड़ने से पहले डाल देना चाहिए। यदि गेहूँ को फॉस्फोरस की खाद सिफारिश मात्रा में डाली हो तो मक्की के लिए इसकी आवश्यकता नहीं रहती।

प्रश्न 4.
कपास के बीज की शुद्धि का विवरण दो।
उत्तर-
बी०टी० नरमा की किस्मों के लिए 750 ग्राम, बी० टी० रहित दोहरी किस्मों के लिए 1 किलो, साधारण किस्मों के लिए 3 किलो, देसी कपास की दोगली किस्मों के लिए 1.5 किलो तथा साधारण किस्मों के लिए 3 किलो प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। सिफारिश की गई उल्लीनाशक दवाइयों से बीज की सुधाई करें। फसल को तेले से बचाने के लिए बीज को गाचो या करुज़र दवाई लगानी चाहिए।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

प्रश्न 5.
गन्ने को गिरने से कैसे बचाया जा सकता है ?
उत्तर-
गन्ने की फसल को गिरने से बचाना चाहिए क्योंकि गिरी फसल पर कोहरे का अधिक प्रभाव पड़ता है। फसल को गिरने से बचाने के लिए मानसून शुरू होने से पहले जून के अन्त में मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए। अगस्त के अंत में या सितम्बर के शुरू में फसलों के पूले बांध देने चाहिएं।

Agriculture Guide for Class 11 PSEB ख़रीफ़ की फसले Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सावनी (खरीफ) की फसल कब बोई जाती है ?
उत्तर-
जून-जुलाई या मानसून के आने पर।

प्रश्न 2.
सावनी (ख़रीफ) की फसल कब काटी जाती है ?
उत्तर-
अक्तूबर-नवम्बर में।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

प्रश्न 3.
सावनी (ख़रीफ) की फसलों को किन श्रेणियों में बांटा जाता है ?
उत्तर-
तीन–1. अनाज 2. दालें तथा तेल बीज 3. कपास, कमाद तथा सावनी के चारे।

प्रश्न 4.
सावनी (ख़रीफ) की अनाज वाली फसलें बतायें।
उत्तर-
धान, बासमती, ज्वार, मक्की, बाजरा।

प्रश्न 5.
धान की पैदावार में कौन-सा देश अग्रणी है ?
उत्तर-
चीन।

प्रश्न 6.
भारत में धान की पैदावार सबसे अधिक कहां होती है ?
उत्तर-
पश्चिमी बंगाल।

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प्रश्न 7.
धान को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर-
धान तथा जीरी।

प्रश्न 8.
पंजाब में धान की काश्त के नीचे कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
28 लाख हैक्टेयर।

प्रश्न 9.
पंजाब में धान की औसत पैदावार कितनी है ?
उत्तर-
60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर।

प्रश्न 10.
धान की कृषि के लिए कद्दू करने से पहले खेत को किस कराहे से समतल करना चाहिए ?
उत्तर-
लेज़र कराहे से।

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प्रश्न 11.
धान के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
प्रति एकड़ आठ किलो बीज।।

प्रश्न 12.
चौड़े पत्ते वाले धान के नदीन जैसे घरीला आदि के लिए कौन-सी दवाई का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
एलग्रिप या सेगमैंट।

प्रश्न 13.
धान की सिंचाई में पानी की बचत के लिए किस यंत्र की सहायता ली जाती है ?
उत्तर-
टैंशीयोमीटर।

प्रश्न 14.
धान की सीधी बुवाई किस तरह की भूमि में ठीक रहती है ?
उत्तर-
मध्यम से भारी भूमि।

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प्रश्न 15.
धान की फसल के लिए जिंक की कमी के लिए क्या प्रयोग किया जाता है तथा कितनी मात्रा है ?
उत्तर-
जिंक सल्फेट, 25 किलो प्रति एकड़ के अनुसार।

प्रश्न 16.
धान के दानों को गोदाम में रखने के लिए नमी की मात्रा बताओ।
उत्तर-
12%.

प्रश्न 17.
बासमती की किस्में बताएं।
उत्तर-
पंजाब बासमती-3, पूसा पंजाब बासमती 1509, पूसा पंजाब बासमती-1121.

प्रश्न 18.
बासमती की पनीरी की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
पूसा पंजाब बासमती 1509 के लिए पनीरी जून के दूसरे पखवाड़े तथा अन्य किस्मों के लिए जून के पहले पखवाड़े में बोई जाती है।

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प्रश्न 19.
बासमती को अधिक नाइट्रोजन तत्त्व डालने से क्या होता है ?
उत्तर-
फसल अधिक बढ़ कर गिर जाती है तथा पैदावार कम हो जाती है।

प्रश्न 20.
मक्की की पैदावार में कौन-सा देश अग्रणी है ?
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमरीका।

प्रश्न 21.
मक्की की पैदावार में भारत में कौन-सा राज्य आगे है ?
उत्तर-
आंध्रा प्रदेश।

प्रश्न 22.
पंजाब में मक्की की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बताएं।
उत्तर-
1 लाख 25 हज़ार हैक्टेयर।

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प्रश्न 23.
मक्की की पंजाब में औसत पैदावार बताएं।
उत्तर-
15 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 24.
मक्की के लिए कितनी वर्षा ठीक रहती है ?
उत्तर-
50 से 75 सैं०मी०।

प्रश्न 25.
मक्की के लिए कैसी भूमि ठीक रहती है ?
उत्तर-
अच्छे जल निकास वाली मध्यम से भारी।।

प्रश्न 26.
मक्की की पर्ल पॉपकार्न के लिए बीज की मात्रा बताएं।
उत्तर-
7 किलो प्रति एकड़।

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प्रश्न 27.
मक्की की आम प्रयोग वाली किस्में बताएं।
उत्तर-
पी०एम०एच०-1, पी०एम०एच-2.

प्रश्न 28.
मक्की की विशेष प्रयोग वाली किस्में बताओ।
उत्तर-
पंजाब स्वीट कार्न-1, पर्ल पॉपकार्न ।

प्रश्न 29.
मक्की की बुवाई का समय बताएं।
उत्तर-
मई के अंतिम सप्ताह से अन्त जून तक तथा अगस्त के दूसरे पखवाड़े में मक्की की बुवाई की जा सकती है।

प्रश्न 30.
मक्की की बुवाई के लिए पंक्तियों का तथा पौधों का आपसी फासला बताओ।
उत्तर-
60 सैं०मी०, 22 सैं०मी०।

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प्रश्न 31.
मक्की में इटसिट के लिए कौन-सा नदीननाशक प्रभावशाली है ?
उत्तर-
एट्राटाप।

प्रश्न 32.
मक्की में कृषि के ढंग से नदीनों की रोकथाम के लिए क्या बोया जाता है ?
उत्तर-
रवाह (चने)।

प्रश्न 33.
डीला/मोथा की रोकथाम के लिए कौन-सी दवाई का प्रयोग करोगे ?
उत्तर-
2, 4-डी।

प्रश्न 34.
साधारण मक्की को कितनी सिंचाई की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
4-6 सिंचाइयों की।

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प्रश्न 35.
भारत में सब से अधिक दालों की पैदावार कहां होती है ?
उत्तर-
राजस्थान।

प्रश्न 36.
पंजाब में मूंगी की कृषि के अधीन कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
5 हज़ार हैक्टेयर।

प्रश्न 37.
पंजाब में मूंगी की पैदावार बतायें।
उत्तर-
350 किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 38.
मुंगी की कृषि के लिए कौन-सी भूमि उचित नहीं है ?
उत्तर-
कलराठी या सेम वाली भूमि।

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प्रश्न 39.
मूंगी के लिए बीज की मात्रा बतायें।
उत्तर-
8 किलो बीज प्रति एकड़।

प्रश्न 40.
मुंगी के लिए बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
जुलाई का पहला पखवाड़ा।

प्रश्न 41.
मुंगी के लिए खालों (सियाड़) का फासला तथा पौधे से पौधे का फासला बताओ।
उत्तर-
खालों (सियाड़) का फासला 30 सैं०मी० तथा पौधे से पौधे का फासला 10 सैं०मी०।

प्रश्न 42.
मूंगी में नदीनों (खरपतवार) की रोकथाम के लिए नदीन-नाशक बताओ।
उत्तर-
ट्रेफलिन या वासालीन।

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प्रश्न 43.
पंजाब में मांह की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बताओ।
उत्तर-
2 हज़ार हैक्टेयर।

प्रश्न 44.
पंजाब मांह की औसत पैदावार बताओ।
उत्तर-
180 किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 45.
मांह की कृषि के लिए कौन-सी भूमि ठीक नहीं ?
उत्तर-
लवणीय-क्षारीय, कलराठी, सेम वाली।

प्रश्न 46.
मांह के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
6-8 किलो प्रति एकड़।

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प्रश्न 47.
अर्द्ध पहाड़ी क्षेत्रों में मांह की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
15 से 25 जुलाई तक।

प्रश्न 48.
अर्द्ध पहाड़ी क्षेत्रों के अतिरिक्त मांह की बुवाई का समय क्या है ?
उत्तर-
जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक।

प्रश्न 49.
मांह की बुवाई के लिए पंक्तियों में फासला बतायें।
उत्तर-
30 सैं०मी०।

प्रश्न 50.
मांह में कौन-सा कीटनाशक प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सटोंप।

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प्रश्न 51.
सोयाबीन की पैदावार किस देश में सबसे अधिक होती है ?
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमरीका में।

प्रश्न 52.
भारत में सोयाबीन किस राज्य में अधिक होती है ?
उत्तर-
मध्य प्रदेश।

प्रश्न 53.
सोयाबीन आधारित फसल चक्र बतायें।
उत्तर-
सोयाबीन-गेहूँ/जौ।

प्रश्न 54.
सोयाबीन की किस्में बताओ।
उत्तर-
एस०एल०-958, एस०एल०-744.

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प्रश्न 55.
सोयाबीन की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
जून का पहला पखवाड़ा।

प्रश्न 56.
सोयाबीन की बुवाई के लिए पंक्तियों का फासला बताओ।
उत्तर-
45 सैं०मी०।

प्रश्न 57.
सोयाबीन में नदीनों की रोकथाम के लिए कौन-सी दवाइयां प्रयोग की जाती हैं ?
उत्तर-
स्टौंप, परिमेज़।

प्रश्न 58.
सोयाबीन के मुख्य कीड़े बताओ।
उत्तर-
बालों वाली सुंडी तथा सफेद मक्खी।

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प्रश्न 59.
ऐसी फसल बताओ जो दाल भी है तथा तेल बीज फसल भी है ?
उत्तर-
सोयाबीन।

प्रश्न 60.
सबसे अधिक तेल बीज पैदा करने वाला देश बताओ।
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमरीका।

प्रश्न 61.
भारत में तेल बीज पैदा करने वाला प्रदेश बताओ।
उत्तर-
राजस्थान।

प्रश्न 62.
मूंगफली की पैदावार सबसे अधिक कौन-से देश में है ?
उत्तर–
चीन में।

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प्रश्न 63.
मूंगफली की पैदावार भारत में कहां अधिक होती है ?
उत्तर-
गुजरात में।

प्रश्न 64.
पंजाब में मूंगफली की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बताओ।
उत्तर-
15 हज़ार हैक्टेयर।

प्रश्न 65.
पंजाब में मूंगफली की औसत पैदावार बताओ।
उत्तर-
7 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 66.
मूंगफली का एक फसली चक्कर बताओ।
उत्तर-
मूंगफली – आषाढ़ी की फसलें।

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प्रश्न 67.
मूंगफली की किस्में बताओ।
उत्तर-
एस०जी०-91, एस०जी०-84.

प्रश्न 68.
मूंगफली के बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
38-40 किलो बीज (गिरियां) प्रति एकड़।

प्रश्न 69.
मूंगफली के लिए बरानी बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
मानसून शुरू होने पर।

प्रश्न 70.
सेंजु फसल वाली मूंगफली के लिए बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
अंत अप्रैल से अंत मई तक।

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प्रश्न 71.
मूंगफली में नदीनों की रोकथाम के लिए नदीननाशकों के नाम बताओ।
उत्तर-
टरैफलान, सटोंप।

प्रश्न 72.
ख़रीफ के लिए पशुओं के चारे की फसलें बताओ।
उत्तर-
मक्की, ज्वार (चरी), बाजरा।

प्रश्न 73.
कपास की पैदावार में कौन-सा देश आगे है ?
उत्तर-
चीन।

प्रश्न 74.
कपास भारत में कहां अधिक होती है ?
उत्तर-
गुजरात में।

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प्रश्न 75.
पंजाब में कपास के अधीन क्षेत्रफल बताओ ।
उत्तर-
5 लाख हैक्टेयर।

प्रश्न 76.
कपास की पंजाब में औसत पैदावार बताओ।
उत्तर-
230 किलो रूई प्रति एकड़।

प्रश्न 77.
कपास के लिए कौन-सी भूमि ठीक नहीं है ?
उत्तर-
कलराठी तथा सेम वाली।

प्रश्न 78.
नरमे की साधारण किस्म बतायें।
उत्तर-
एल०एच०-2108.

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प्रश्न 79.
कपास के लिए बी०टी० नरमे के बीज बताओ।
उत्तर-
750 ग्राम प्रति एकड़।

प्रश्न 80.
देसी कपास की दोहरी किस्में बताओ।
उत्तर-
पी०ए०यू० 626 एच० ।

प्रश्न 81.
कपास की बुवाई के लिए समय बताओ।
उत्तर-
1 अप्रैल से 15 मई।

प्रश्न 82.
कपास के सियाड़ (खाल) में फासला बताओ।
उत्तर-
67 सैं०मी०।

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प्रश्न 83.
कपास में प्रयोग किए जाने वाले नदीननाशक के नाम बताओ।
उत्तर-
टरैफलिन, सटोंप, ग्रैमकसोन तथा राऊंडअप।

प्रश्न 84.
कमाद की पैदावार किस देश में अधिक है ?
उत्तर-
ब्राज़ील में।

प्रश्न 85.
भारत में कमाद की पैदावार कहां अधिक है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 86.
पंजाब में कमाद की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बताओ।
उत्तर-
80 हज़ार हैक्टेयर।

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प्रश्न 87.
पंजाब में कमाद की औसत पैदावार कितनी है ?
उत्तर-
280 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 88.
कमाद में से चीनी की प्राप्ति कितनी होती है ?
उत्तर-
9%.

प्रश्न 89.
कमाद के लिए कैसी भूमि ठीक रहती है ?
उत्तर-
मध्यम से भारी भूमि।

प्रश्न 90.
बसंत ऋतु की कमाद की अगेती किस्में बताओ।
उत्तर-
सी०ओ०जे०-85, सी०ओ०जे०-83.

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प्रश्न 91.
कमाद के बीज के लिए चार आंखों वाली कितनी गुल्लियों की आवश्यकता है ?
उत्तर-
15 हज़ार गुल्लियों की एक एकड़ के लिए।

प्रश्न 92.
भार के अनुसार कमाद के बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़।

प्रश्न 93.
कमाद की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
मध्य फरवरी से अंत मार्च तक।

प्रश्न 94.
गन्ने में (खरपतवारों) की रोकथाम के लिए प्रयोग की जाती दवाइयां बताओ।
उत्तर-
एट्राटाफ, सैनकोर, 2,4-डी।

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प्रश्न 95.
पतझड़ ऋतु की कमाद की किस्में बताओ।
उत्तर-
सी०ओ० जे०-85, सी०ओ०जे०-83.

प्रश्न 96.
पतझड़ ऋतु के कमाद के लिए बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
20 सितम्बर से 20 अक्तूबर।

प्रश्न 97.
कमाद में यदि गेहूँ या राईया बोया हो तो कौन-सा नदीननाशक प्रयोग किया जाना चाहिए ?
उत्तर-
आईसोप्रोटयूरान।

प्रश्न 98.
कमाद में यदि लहसुन बोया हो तो कौन-सा नदीननाशक प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
सटोंप।

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प्रश्न 99.
एक बड़े पशु को लगभग कितना चारा प्रतिदिन चाहिए ?
उत्तर-
40 किलो हरा चारा।

प्रश्न 100.
सावनी के चारे कौन-से हैं ?
उत्तर-
बाजरा, मक्की, ज्वार (चरी), नेपीयर बाजरा, गिन्नी घास, गवारा, रवाह आदि।

प्रश्न 101.
मक्की का चारा कितने दिनों में तैयार हो जाता है ?
उत्तर-
50-60 दिनों में।

प्रश्न 102.
मक्की की चारे वाली किस्म बताओ।
उत्तर-
जे 1006.

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प्रश्न 103.
चारे के लिए मक्की की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
मार्च के पहले सप्ताह से मध्य सितम्बर तक।

प्रश्न 104.
चारे वाली मक्की को कौन-सा कीट लगता है ?
उत्तर-
मक्की का गड़यां।

प्रश्न 105.
कौन-से चारे को पशु अधिक खुश होकर खाते हैं ?
उत्तर-
ज्वार (चरी)।

प्रश्न 106.
ज्वार की किस्में बताओ।
उत्तर-
एस०एल०-104.

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प्रश्न 107.
ज्वार के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
20-25 किलो प्रति एकड़।

प्रश्न 108.
अग्रिम या अगेते ज्वार के लिए बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
अगेते चारे के लिए बुवाई मध्य मार्च से शुरू कर देनी चाहिए।

प्रश्न 109.
ज्वार के लिए बुवाई का ठीक समय बतायें।
उत्तर-
मध्य जून से मध्य जुलाई ।

प्रश्न 110.
ज्वार की पंक्तियों में फासला बताओ।
उत्तर-
22 सैं०मी०।

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प्रश्न 111.
यदि गवारा तथा चरी मिला कर बोये गये हों तो कौन-सा नदीननाशक प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सटोंप।

प्रश्न 112.
बाजरे वाले फसल चक्र के बारे में बताओ।
उत्तर-
बाजरा – मक्की – बरसीम।

प्रश्न 113.
बाजरे की किस्में बताओ।
उत्तर-
पी०एच०बी०एफ०-1, एफ०बी०सी०-16.

प्रश्न 114.
बाजरे के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
6-8 किलो बीज प्रति एकड़।

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प्रश्न 115.
बाजरे के लिए बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
मार्च से अगस्त।

प्रश्न 116.
बाजरे की बुवाई का ढंग बताओ।
उत्तर-
छट्टा विधि द्वारा बुवाई की जाती है।

प्रश्न 117.
बाजरे में नदीनों की रोकथाम के लिए दवाई बतायें।
उत्तर-
ऐटराटाफ।

प्रश्न 118.
बाजरे की सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
आमतौर पर 2-3 सिंचाइयां काफ़ी है ।

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प्रश्न 119.
बाजरे की कटाई कितने दिनों बाद की जाती है ?
उत्तर-
45-55 दिनों बाद।

प्रश्न 120.
बाजरे की बीमारियां बताओ।
उत्तर-
सिट्टों का रोग, गुदियां रोग।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
धान की बुवाई के लिए जलवायु और ज़मीन के बारे में बताओ।
उत्तर-
धान के लिए अधिक गर्मी, अधिक नमी और अधिक पानी की ज़रूरत होती है। इसलिए मध्यम से भारी भूमि अच्छी रहती है। इसके लिए तेज़ाबी से क्षारीय भूमि भी ठीक है।

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प्रश्न 2.
धान की बुवाई के लिए बीज की मात्रा और सुधाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
एक एकड़ की बुवाई के लिए 8 किलो बीज की पनीरी की ज़रूरत होती है। फसल को रोगों से बचाने के लिए बीज की सिफ़ारिश की गई फंफूदी दवाइयों के घोल में 8-10 घण्टे तक भिगो कर सुधाई कर लेनी चाहिए।

प्रश्न 3.
धान में चौड़े पत्ते वाले नदीनों की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
धान में चौड़े पत्ते वाले नदीन जैसे-घरीला, सनी आदि पैदा हो जाते हैं। इनकी रोकथाम के लिए एलग्रिप या सैगमैंट में से किसी एक नदीन-नाशक का प्रयोग पनीरी लगाने से 15-20 दिनों बाद करो।

प्रश्न 4.
धान में जिंक की कमी के संबंध में क्या जानते हैं ?
उत्तर-
ज़िक की कमी के कारण पौधे बौने रह जाते हैं पैदावार कमज़ोर दिखाई देती है। पौधों के पत्ते जंग लगे, भूरे हो जाते हैं। पत्ते के बीच वाली नाड़ी का रंग बदल जाता है तथा बाद में पत्ते सूख जाते हैं। जिंक की कमी पूरी करने के लिए कद् करते समय 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से बिखेर दें।

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प्रश्न 5.
धान की कटाई तथा संभाल के बारे में लिखो।
उत्तर-
जब फसलों की मुंजरें पक जाएं तथा नाड़ी पीली हो जाए तो फसल की कटाई की जाती है। दानों को गोदाम में रखते समय ध्यान रखें कि इनमें नमी की मात्रा 12% से अधिक नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 6.
बासमती की पनीरी की बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
पूसा पंजाब बासमती 1509 की पनीरी जून के दूसरे पखवाड़े तथा पंजाब बासमती-3 तथा पूसा बासमती-1121 की पनीरी जून के पहले पखवाड़े में बोई जाती है।

प्रश्न 7.
बासमती की पनीरी को खेतों में लगाने का समय बताओ।
उत्तर-
पूसा पंजाब बासमती 1509 पनीरी को जुलाई के दूसरे पखवाड़े तथा पंजाब बासमती 3 तथा पूसा बासमती 1121 की पनीरी को जुलाई के पहले पखवाड़े में कद्दू किए खेत में लगाने चाहिएं। प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से 33 पौधे लगाएं।

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प्रश्न 8.
मक्की के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
मक्की को उगने से लेकर तैयार होने तक सीलन वाली तथा गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। फसल तैयारी के समय यदि कम सीलन तथा बहुत अधिक तापमान हो तो पत्तों को हानि पहुंचाता है। इससे परागकण सूख जाते हैं तथा परागण क्रिया अच्छी प्रकार नहीं होती तथा दाने कम बनते हैं। 50 सैं०मी० से 75 सें०मी० वर्षा मक्की के लिए ठीक रहती है। अच्छे जल निकास वाली मध्यम से भारी भूमि अच्छी रहती है।

प्रश्न 9.
मक्की के लिए सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
मक्की को 4-6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है परन्तु यह आवश्यकता वर्षा पर निर्भर है। मक्की के तैयार होने तथा सूत कातने के समय पानी देने का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न 10.
मक्की की कटाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब छल्लियों के पर्दे (छिलके या खग्गे) सूखकर भूरे हो जाएं परन्तु टांडे तथा पत्ते बेशक हरे ही रहें। दानों में नमी की मात्रा 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

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प्रश्न 11.
मूगी के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
मूंगी के लिए गर्म जलवायु ठीक रहती है। यह फसल अन्य दाल फसलों से अधिक गर्मी तथा शुष्कता सहन कर सकती है। इस फसल के लिए कलराठी तथा सेम वाली भूमि ठीक नहीं है।

प्रश्न 12.
मूंगी के लिए भूमि की तैयारी तथा खाद के बारे में बताओ।
उत्तर-
भूमि की तैयारी के लिए खेत की 2-3 बार जुताई की जाती है तथा सुहागा चला कर समतल किया जाता है। इस प्रकार प्रति एकड़ के हिसाब से बुवाई के समय 5 किलो नाइट्रोजन तथा 16 किलो फास्फोरस ड्रिल की जाती है।

प्रश्न 13.
मूंगी के लिए नदीनों को रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
नदीनों की रोकथाम के लिए एक या दो गुडाइयां करनी चाहिए। नदीनों की रोकथाम के लिए ट्रेफलिन या वासालीन नदीननाशक को बुवाई से पहले प्रयोग किया जाना चाहिए या सटोंप को बुवाई से 2 दिनों के भीतर-भीतर प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 14.
मूंगी की कटाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
मूंगी की जब 80% के लगभग फलियां पक जाएं तो इसको दातरी से काटा जाता है। गहाई के लिए ग्रैशर का प्रयोग भी किया जाता है। यदि कम्बाइन से मूंगी काटनी हो तो जब लगभग 80% फलियां पक जाएं तो ग्रेगकसोन का छिड़काव करके पत्ते तथा तने सुखा दिए जाते हैं।

प्रश्न 15.
मांह के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
इस फसल के लिए गर्म तथा नमी वाली जलवायु उचित है। इस के लिए लगभग हर प्रकार की भूमि ठीक रहती है परन्तु लवणीय क्षारीय, कलराठी या सेम वाली भूमि इसकी कृषि के लिए उचित नहीं है।

प्रश्न 16.
मांह की उन्नत किस्मों, भूमि की तैयारी तथा नदीनों की रोकथाम के बारे में बतायें।
उत्तर-

  1. उन्नत किस्में-मांह 114, मांह 338.
  2. भूमि की तैयारी-दो या तीन बार जुताई के बाद सुहागा चलायें।
  3. नदीनों की रोकथाम-बुवाई से एक माह बाद एक गुडाई करनी चाहिए या बुवाई से 2 दिनों के अन्दर सटोंप का छिड़काव किया जाता है।

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प्रश्न 17.
माह के लिए बुवाई का समय बताओ।
उत्तर-
मांह की नीम पहाड़ी क्षेत्रों में बुवाई 15 से 25 जुलाई तक तथा दूसरे क्षेत्रों में जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक करनी चाहिए। असिंचित (बरानी)
स्थितियों में बुवाई मानसून शुरू होने पर की जाती है। बुवाई 30 सैं०मी० दूरी की पंक्तियों में की जाती है।

प्रश्न 18.
मांह की फसल के लिए सिंचाई तथा कटाई के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. सिंचाई-साधारणतया सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती परन्तु गर्मी अधिक होने पर एक पानी की आवश्यकता होती है।
  2. कटाई-जब पत्ते झड़ जाते हैं तथा फलियां स्लेटी काली हो जाएं तो फसल कटाई के लिए तैयार होती है।

प्रश्न 19.
सोयाबीन के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
इस फसल के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता है। इसको सभी प्रकार की भूमियों में बोया जा सकता है परन्तु अच्छे जल निकास वाली, लवण तथा क्षार से रहित उपजाऊ भूमि इसकी कृषि के लिए उचित रहती है।

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प्रश्न 20.
सोयाबीन वाला फसल चक्र, इसकी उन्नत किस्में तथा भूमि की तैयारी के बारे में बताओ।
उत्तर-
1. फसल चक्र-सोयाबीन-गेहूँ/जौ।
2. उन्नत किस्में-एस०एल०-958, एस०एल० 744.
3. भूमि की तैयारी-भूमि को दो बार जोतकर हर बार सुहागा फेर कर समतल करें।

प्रश्न 21.
सोयाबीन के लिए बीज की मात्रा तथा शुद्धि के बारे में बताओ तथा बुवाई का ढंग भी बताओ।
उत्तर-
बीज की मात्रा 25-30 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से आवश्यकता है। शुद्धि सिफ़ारिश की गई फंफूदी नाशक दवाइयों से करनी चाहिए। यदि पहली बार खेत में बुवाई करनी हो तो बीज को जीवाणु खाद कल्चर ज़रूर लगाएं। बुवाई 45 सैं०मी० की पंक्तियों में की जाती है।

प्रश्न 22.
सोयाबीन में नदीनों की रोकथाम के बारे में बतायें।
उत्तर-
दो बार गुडाई करें। गुडाई बुवाई से 20 तथा 40 दिनों बाद करनी चाहिए। बुवाई के 1-2 दिनों के अन्दर सटोंप या बुवाई से 15-20 दिनों बाद परीमेज़ का स्प्रे करके नदीनों की रोकथाम की जा सकती है।

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प्रश्न 23.
सोयाबीन के लिए खादों के बारे में बताओ।
उत्तर-
सोयाबीन की बुवाई से पहले 4 टन प्रति एकड़ के हिसाब से रूड़ी का प्रयोग करें। बुवाई के समय फसल को 13 किलो नाइट्रोजन तथा 32 किलो फास्फोरस प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।

प्रश्न 24.
सोयाबीन की सिंचाई के बारे में बतायें।
उत्तर-
सोयाबीन को आमतौर पर 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है जब फलियों में दाने पड़ जाते हैं तब पानी देना आवश्यक है परन्तु वर्षा ठीक मात्रा में हो जाए तो पानी की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 25.
सोयाबीन की कटाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब बहुत सारे पत्ते झड़ जाएं तथा फलियों का रंग बदल जाए तो फसल की कटाई कर देनी चाहिए। जब दाने स्टोर करने हों तो दानों में नमी 7% से अधिक नहीं होनी चाहिए।

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प्रश्न 26.
सोयाबीन के कीट तथा रोगों के बारे में बताओ।
उत्तर-
बालों वाली सूंडी तथा सफेद मक्खी इसके मुख्य कीट हैं तथा चितकबरा रोग इसकी मुख्य बीमारी है।

प्रश्न 27.
मूंगफली के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
बरानी फसल के लिए जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर में लगभग 50 सैं०मी० एक जैसी वर्षा बहुत आवश्यक है। हल्की तथा मध्यम भूमि इसके लिए ठीक है।

प्रश्न 28.
मूंगफली के लिए उन्नत किस्में भूमि की तैयारी तथा फसल चक्कर बताओ।
उत्तर-
उन्नत किस्में-एस०जी०-99, एस०जी०-84. भूमि की तैयारी-दो बार जुताई करके खेत तैयार हो जाता है। फसल चक्कर-मूंगफली – आषाढ़ी (रबी) की फसलें।

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प्रश्न 29.
मूंगफली के लिए बीज की मात्रा तथा सुधाई, बुवाई का ढंग बताओ।
उत्तर-
सिफ़ारिश की गई उल्लीनाशक दवाइयों से बीज की सुधाई की जाती है। बीज की मात्रा 38-40 किलो बीज (गिरी) प्रति एकड़ प्रयोग किया जाता है। फसल की बुवाई के लिए रौणी करके 30 x 15 सैं०मी० की दूरी पर बोया जाना चाहिए।

प्रश्न 30.
मूंगफली के लिए खादों के बारे में बताओ।
उत्तर-
मूंगफली को 6 किलो नाइट्रोजन, 8 किलो फॉस्फोरस तथा 10 किलो पोटाश की एक एकड़ के हिसाब से आवश्यकता होती है। पोटाश का प्रयोग मिट्टी की जांच करवा कर ही करनी चाहिए। फॉस्फोरस तत्त्व के लिए सुपरफॉस्फेट का प्रयोग करना चाहिए। इसमें सल्फर तत्त्व होता है जो कि तेल बीज फसलों के लिए ज़रूरी है। यदि फॉस्फोरस की आवश्यकता न हो तो 50 किलो जिप्सम प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

प्रश्न 31.
मूंगफली में नदीनों की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
इसके लिए 3 तथा 6 सप्ताह के बाद दो गुडाइयां की जाती हैं। नदीनों की रोकथाम के लिए बुवाई के दो दिनों के अन्दर सटोंप का छिड़काव किया जाता है या टरैफलान के छिड़काव के बाद उसी दिन मूंगफली बो दें।

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प्रश्न 32.
मूंगफली की सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
मूंगफली को वर्षा पर निर्भर करते हुए 2 या 3 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। यदि वर्षा न हो तो फूल पड़ने पर पहला पानी देना चाहिए। गट्ठियां बन जाने पर वर्षा अनुसार एक या दो पानी लगाए जाते हैं।

प्रश्न 33.
मूंगफली की खुदाई कीट तथा रोगों के बारे में बताओ।
उत्तर-
मूंगफली की खुदाई-सारी फसल जब एक जैसी पीली हो जाए तथा पुराने पत्ते झड़ने लगते हैं तो मूंगफली की खुदाई करनी चाहिए।
कीड़े तथा रोग-कंबल कीड़ा (भब्बू कुत्ता) सफेद सूंड, चेपा इसके मुख्य कीट हैं तथा बीज का गलना, गिच्ची का गलना तथा टिक्का रोग इसके मुख्य रोग हैं।

प्रश्न 34.
कपास के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
कपास के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु की आवश्यकता है। इसकी कृषि के लिए कलराठी तथा सेम वाली भूमियों के अलावा सभी प्रकार की भूमि ठीक रहती है।

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प्रश्न 35.
नरमे की किस्में तथा फसल चक्र बताओ।
उत्तर-
फसल चक्र-कपास-गेहूँ/जौं, कपास-सूर्यमुखी, कपास-राईया, कपास-सेंजी/ बरसीम/जवी।
उन्नत किस्म-बी०टी० किस्म-एन०एस०सी०-855, अंकुर 3028, एम०आर०सी०7017, आर०सी०एच०-650.
बी०टी० रहित दोगली किस्म-एल०एच०-144. साधारण किस्म-एल०एच०-2108. देसी दोहरी किस्में-पी०ए०यू०-626 एच। देसी साधारण किस्में-एफ०डी०के०-124, एल०डी०-694.

प्रश्न 36.
नरमे के लिए बीज की मात्रा तथा शुद्धि के बारे में बताओ।
उत्तर-
बीज की मात्रा-प्रति एकड़ के हिसाब से निम्नलिखित अनुसार हैबी०टी० नरमा-700 ग्राम। बी०टी० रहित दोहरी किस्म-1 किलो। साधारण किस्म-3 किलो। देसी कपास की दोहरी किस्म-1.5 किलो। देसी साधारण किस्म-3 किलो।।
बीज की सुधाई सिफ़ारिश की गई फफूंदीनाशक दवाइयों से की जाती है। फसल को तेले से बचाने के लिए बीज को गाचो या क्रूज़र दवाई लगायें।

प्रश्न 37.
नरमे की बुवाई का समय तथा ढंग बताओ।
उत्तर-
समय-1 अप्रैल से 15 मई। खाइयों की दूरी-67 सैं०मी० ।
पौधे से पौधे का फासला-साधारण किस्मों के लिए 60 सैं०मी०, बी०टी० तथा बी०टी० रहित दोहरी किस्मों के लिए 75 सैं०मी०, देसी कपास की किस्मों के लिए 45 सैं०मी०, देसी कपास की दोहरी किस्मों के लिए 60 सैं०मी०।

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प्रश्न 38.
नरमे में नदीनों की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
नदीनों की रोकथाम के लिए गुडाई की जाती है। कुल 2 से 3 गुडाइयां की जाती हैं। पहली गुडाई पहली सिंचाई से पहले की जाती है। गुडाई करने के लिए ट्रैक्टर से चलने वाले टिल्लर या बैलों से चलने वाली त्रिफाली से भी की जा सकती है। इटसिट/ चुपत्ती तथा मधाना/मकड़ा को काबू करने के लिए ट्रैफलिन का प्रयोग बुवाई से पहले किया जाता है या सटोंप का बुवाई के 24 घण्टे के भीतर-भीतर छिड़काव किया जाता है तथा इसके 45 दिनों के बाद एक गुडाई करें या ग्रामैकसोन तथा राऊंडअप में से एक दवाई को सुरक्षित हुड लगा कर फसल की पंक्तियों में नदीनों के ऊपर सीधा छिड़काव करें।

प्रश्न 39.
नरमे के लिए खादों के प्रयोग के बारे में बताओ।
उत्तर-
साधारण किस्में-30 किलो नाइट्रोजन तथा 12 किलो फॉस्फोरस प्रति एकड़।
बी०टी० तथा बी०टी० रहित दोहरी किस्मों के लिए-60 किलो नाइट्रोजन तथा 12 किलो फॉस्फोरस प्रति एकड़ के लिए पोटाश तत्व वाली खाद मिट्टी की जांच करवा कर ही डालें। सारी फॉस्फोरस बुवाई के समय ही तथा आधी नाइट्रोजन पौधे विरले करते समय तथा शेष नाइट्रोजन फूल निकलने के समय डालें।

प्रश्न 40.
नरमे के लिए सिंचाई तथा चुनने के बारे में बताओ।
उत्तर-
वर्षा पर निर्भर करते हुए 4 से 6 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई से 4 से 6 सप्ताह बाद तथा बाद में सिंचाई दो या तीन सप्ताह के अन्तर पर करनी चाहिए।
चुगाई-मण्डी में अच्छा मूल्य लेने के लिए 15-20 दिनों के अन्तर पर साफ़ तथा सूखे नरमे को चुन लेना चाहिए।

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प्रश्न 41.
नरमे के कीड़ों के बारे में बताओ।
उत्तर-
नरमे को हानि पहुंचाने वाले कीड़े हैं-तेला, चेपा, मीली वग, गुलाबी सूंडी, अमरीकन सूंडी, तंबाकू की सूंडी, सफेद मक्खी आदि।

प्रश्न 42.
बी०टी० कपास पर कौन-सा कीड़ा हमला नहीं करता तथा कौन-से करते हैं ?
उत्तर-
बी०टी० कपास पर अमरीकन सूंडी हमला नहीं करती क्योंकि इसमें एक बैक्टीरिया का जीन डाला जाता है जो एक प्रोटीन पैदा करता है जिसको खाने से सूंडियां मर जाती हैं। रस चूसने वाले कीडे तथा तंबाकू की संडी का इस पर हमला हो सकता है।

प्रश्न 43.
कमाद के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
गर्म जलवायु कमाद के लिए ठीक रहती है। इसके लिए मध्यम से भारी भूमि ठीक रहती है। यह फसल क्षारीय तथा लवणी भूमि के प्रति कुछ सीमा तक सहनशील है।

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प्रश्न 44.
बसंत ऋतु की कमाद के लिए उन्नत किस्मों तथा फसल चक्र के बारे में बताओ।
उत्तर-
फसल चक्र-धान/मक्की/कपास-राईया-कमाद-पहले वर्ष की कटाई के बाद बचा गन्ने का भाग (मूढा)-दूसरे वर्ष का बचा गन्ने का भाग (मूढा)-गेहूं।
उन्नत किस्में-अगेती किस्में-सी०ओ०जे०-85, सी०ओ०जे०-83. मध्यम किस्में-सी०ओ०पी०बी०-91 तथा सी०ओ०जे०-88. पिछेती किस्म-सी०ओ०जे०-89.

प्रश्न 45.
कमाद के लिए भूमि की तैयारी के बारे में बताओ।
उत्तर-
खेत को चार से छः बार जुताई की आवश्यकता है। प्रत्येक जुताई के बाद सुहागा फेरना चाहिए। इस फसल के लिए 45-50 सैं०मी० गहरी जुताई की आवश्यकता होती है तथा यह फसल के लिए लाभदायक है क्योंकि इस प्रकार भूमि के नीचे बनी सख्त सतह टूट जाती है, पानी की धरती में समाने की शक्ति बढ़ जाती है तथा गन्ने की जड़ों को गहरा जाने में सहायक सिद्ध होती है।

प्रश्न 46.
कमाद के लिए बीज का चुनाव तथा भार अनुसार बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
बुवाई के लिए गन्ने का ऊपरी दो बटा तीन (2/3) निरोल भाग ही प्रयोग करना अच्छा रहता है। भार के अनुसार कमाद के बीज की 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से आवश्यकता पड़ती है।

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प्रश्न 47.
कमाद के लिए बुवाई का समय तथा ढंग बताओ।
उत्तर-
बुवाई का समय-मध्य फरवरी से अंत मार्च तक।
बुवाई का ढंग-75 सैं०मी० वाली खाइयों में गुल्लियां रखकर सुहागा फेरा जाता है तथा फिर पानी लगा दिया जाता है। एक और पानी 4-5 दिनों के बाद लगाया जाता है।

प्रश्न 48.
गन्ने की फसल में अन्तर फसलों के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
गन्ने की दो पंक्तियों में गर्म ऋतु की मूंगी या मांह की एक पंक्ति बो कर इन फसलों का 1 से 2 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन अधिक लिया जा सकता है। इन फसलों की बुवाई से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है तथा गन्ने की पैदावार पर भी बुरा प्रभाव नहीं होता।

प्रश्न 49.
गन्ने की फसल के लिए खादों के बारे में बताओ।
उत्तर-
गोबर की खाद-गन्ने की फसल के लिए बुवाई से 15 दिन पहले 8 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से डाली जाती है।
नाइट्रोजन खाद-बीज वाली (नई) फसल के लिए 60 किलो नाइट्रोजन तथा गन्ने की कटाई के बाद बचे (मूढा) भाग से बोई फसल के लिये 90 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ के हिसाब से डाली जाती है।
फॉस्फोरस तत्व-मिट्टी की जांच के आधार पर यदि फॉस्फोरस की कमी हो जाए तो 12 किलो फॉस्फोरस प्रति एकड़ के हिसाब से डाली जाती है। पंजाब में साधारणत: पोटाश तत्व की कमी नहीं होती।

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प्रश्न 50.
कमाद के लिए खादें तथा डालने का ढंग बताओ।
उत्तर-
खाद – डालने का ढंग
नाइट्रोजन:

  1. बीज फसल को नाइट्रोजन खाद का आधा भाग कमाद जमने के बाद पहले पानी के साथ डाला जाता है।
  2. शेष आधी खाद मई-जून में डाली जाती है।
  3. गन्ने को काटने के बाद बचे भाग (मूढा) से तैयार फसल के लिए नाइट्रोजन वाली खाद को फरवरी-अप्रैल तथा मई में डाला जाता है।

फॉस्फोरस

  1. खालों में गुल्लियों के नीचे डाली जाती है।
  2. मूढे वाली फसल में फरवरी से जुलाई के समय कमाद की पंक्तियों के पास ड्रिल की जाती है।

प्रश्न 51.
गन्ने में नदीन की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
नदीनों की रोकथाम के लिए दो तीन गुडाइयां की जाती हैं। नदीनों की रोकथाम पंक्तियों में पुआल बिछा कर भी की जाती है। यदि दवाई का प्रयोग करना हो तो एटराटाफ या सैनकोर की स्प्रे बुवाई से दो-तीन दिनों के भीतर-भीतर की जाती है। लपेटा वेल तथा चौड़े पत्ते वाले नदीनों के लिए 2,4-डी का प्रयोग किया जाता है। यदि गन्ना में मूंगी या मांह बोया हो तो पहले बताए नदीननाशकों की जगह पर बुवाई से दो दिन के अन्दर ‘सटोंप का छिड़काव करना चाहिए।

प्रश्न 52.
गन्ने को सिंचाई की आवश्यकता के बारे में बताओ।
उत्तर-
अप्रैल से जून में गर्म तथा शुष्क मौसम होता है। इसलिए इन दिनों में 7 से 12 दिनों के अन्तर पर पानी लगाते रहना चाहिए। सर्दी में पानी एक महीने के अन्तर पर लगाया जाता है।

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प्रश्न 53.
गन्ने की फसल को कोरे से बचाने के बारे में बताओ।
उत्तर-
गन्ने की फसल को गिरने नहीं देना चाहिए। गिरी हुई फसल पर कोरे का अधिक प्रभाव होता है। सर्दी में फसल को पानी लगाने से भूमि गर्म रहती है तथा फसल पर कोरे का अधिक प्रभाव नहीं होता। यदि फसल मूढे वाली रखने के लिए काटी हो तो खेत को पानी लगा देना चाहिए तथा खेत को पंक्तियों के बीच में से जोतना चाहिए।

प्रश्न 54.
पतझड़ ऋतु के कमाद की उन्नत किस्मों तथा बुवाई का समय तथा ढंग भी बताओ।
उत्तर-
उन्नत किस्में-सी०ओ०जे०-85, सी०ओ०जे०-83. बुवाई का समय-20 सितम्बर से 20 अक्तूबर। पंक्तियों में फासला-90 सैं०मी० अन्तर।

प्रश्न 55.
पतझड़ ऋतु वाली कमाद के लिए अन्तर फसलों तथा नदीनों की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
अन्तर फसलें-पतझड़ ऋतु वाली कमाद के लिए अन्तर फसलें हैं-आलू, गेहूँ, तोरीया, बंदगोभी, राईया, गोभी सरसों, चने, मटर, मूली, लहसुन आदि।
नदीनों की रोकथाम–गन्ने की फसल में यदि गेहूँ या राईया बोया हो तो आईसोप्रोटयूरान तथा यदि लहसुन बोया हो तो सटोंप का प्रयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 56.
पतझड़ की कमाद के लिए खादों के बारे में बताओ।
उत्तर-
पतझड़ की कमाद के लिए 90 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन खाद के तीन बराबर भाग किए जाते हैं तथा एक भाग बुवाई के समय, एक भाग मार्च के अन्त में तथा शेष रहता तीसरा भाग अप्रैल के अन्त में डाला जाता है। मिट्टी जांच के आधार पर फॉस्फोरस तथा पोटाश खाद का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 57.
चारे वाली मक्की की बुवाई का समय तथा ढंग बताओ।
उत्तर-
बुवाई का समय-मार्च के पहले सप्ताह से लेकर मध्य सितम्बर तक।
पंक्तियों में फासला – 30 सैं०मी० ।

प्रश्न 58.
चारे वाली मक्की के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
खेत तैयार करने से पहले 10 टन गोबर की खाद का प्रयोग किया जाता है। बुवाई के समय 23 किलो नाइट्रोजन तथा 12 किलो फॉस्फोरस खाद की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 59.
चारे वाली मक्की के लिए नदीनों की रोकथाम बारे बताओ।
उत्तर-
नदीनों की रोकथाम के लिए एटराटाफ का प्रयोग किया जाता है। इसको बुवाई से पहले दो दिन के भीतर-भीतर प्रयोग करो। छिड़काव, नदीनों के 2 से 3 पत्ते आ जाने पर भी किया जा सकता है। जब मक्की के चारे में खाद मिला कर बोया हो तो सटोंप की बुवाई से 2 दिनों के अन्दर छिड़काव करना चाहिए।

प्रश्न 60.
चारे की मक्की के लिए कटाई तथा कीड़े के बारे में बताओ।
उत्तर-
मक्की की फसल दोधे पर हो तथा दाने नर्म होने पर फसल कटाई के लिए तैयार होती है। इसको लगभग 50-60 दिन लगते हैं।
मक्की का गड़यां इस का मुख्य कीड़ा है।

प्रश्न 61.
ज्वार (चरी) के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
ज्वार की फसल के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु ठीक रहती है। यह प्रत्येक प्रकार की भूमि में हो सकती है परन्तु भारी भूमि के लिए उचित रहती है।

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प्रश्न 62.
ज्वार की उन्नत किस्में, भूमि की तैयारी, बीज की मात्रा तथा सुधाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
उन्नत किस्में-एस०एल०-44.
भूमि की तैयार-खेत की तैयारी के लिए एक बार तवियों तथा दो बार कल्टीवेटर से जुताई की जाती है।
बीज की मात्रा तथा सुधाई-20-25 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है। इसकी सिफ़ारिश की गई उल्लीनाशक दवाइयों से सुधाई की जाती है।

प्रश्न 63.
ज्वार के लिए नदीनों की रोकथाम के बारे में बताएं।
उत्तर-
खाद-ज्वार की बुवाई से दो दिनों के अन्दर एटराटाफ का छिड़काव किया जाता है। इससे इटसिट/चुपत्ती की अच्छी तरह रोकथाम हो जाती है। जब गवारा तथा चरी को मिला कर बोया जाता है तो सटोप का छिड़काव बुवाई से दो दिनों के भीतर-भीतर करना चाहिए।

प्रश्न 64.
ज्वार के लिए खाद तथा सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
खाद-इसको बुवाई के समय 8 किलो फॉस्फोरस की आवश्यकता है तथा नाइट्रोजन की 20 किलो मात्रा भी बुवाई के समय तथा महीने बाद शेष 20 किलो नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। यह सभी खादें एक एकड़ के लिए हैं।
सिंचाई-अगेते मौसम के चारे, मार्च-जून वाले को 5 सिंचाइयों की आवश्यकता है। वर्षा वाली फसल को वर्षा के अनुसार 1-2 पानी देने की आवश्यकता है।

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प्रश्न 65.
ज्वार की कटाई, कीड़े तथा रोग के बारे में बताओ।
उत्तर-
कटाई-जब लगभग 65-80 दिनों की फसल गोभे से दोधे की अवस्था में होती है तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। इस अवस्था में अधिक आहारीय तत्त्व प्राप्त हो जाते हैं।
कीड़े तथा रोग-शाख की मक्खी, घोड़ा तथा गुझिया इसके मुख्य कीड़े हैं। बीज सड़ना तथा छोटे पौधों का मरना इसके मुख्य रोग हैं।

प्रश्न 66.
बाजरे के लिए फसल चक्र, उन्नत किस्में, भूमि की तैयारी के बारे में बताओ।
उत्तर-
फसल चक्र-बाजरा-मक्की-बरसीम। उन्नत किस्में-पी०एच०बी०एफ०-1, एफ०बी०सी०-16. भूमि की तैयारी-भूमि की 2-3 बार जुताई करनी चाहिए।

प्रश्न 67.
बीज की मात्रा तथा सुधाई, बुवाई का समय तथा ढंग के बारे में बताओ।
उत्तर-
बीज की मात्रा तथा सुधाई-6-8 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है। सुधाई के लिए सिफ़ारिश की गई उल्लीनाशक दवाई का प्रयोग करो।
बुवाई का ढंग और समय-मार्च से अगस्त में बुवाई करनी चाहिए। बुवाई छट्टा विधि से की जाती है।

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प्रश्न 68.
बाजरे के लिए नदीनों की रोकथाम, सिंचाई, कटाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
नदीनों की रोकथाम-एटराटाफ का छिड़काव बुवाई से 2 दिनों के अन्दर करें। सिंचाई-इसको 2-3 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
कटाई-बुवाई से 45-55 दिनों बाद जब बल्लियां निकलनी शुरू होने वाली होती हैं, फसल कटाई के लिए तैयार होती है।

प्रश्न 69.
बाजरे के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
बाजरे के खेत की तैयारी से पहले 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ का प्रयोग किया जाता है। बुवाई के समय 10 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ तथा 10 किलो बुवाई से 3 सप्ताह बाद डाली जाती है ।

प्रश्न 70.
बाजरे के कीड़े तथा बीमारियों के बारे में बताओ।
उत्तर-
बाजरे को हानि पहुंचाने वाले कीड़े हैं-स्लेटी भंडी, जड़ का कीड़ा, घोड़ा इसके मुख्य कीड़े हैं तथा बल्लियों के रोग तथा गुंदीया रोग इसकी मुख्य बीमारियां हैं।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
बाजरे की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 2.
धान की पनीरी की बुवाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
धान की पनीरी की बुवाई के लिए उचित समय 15 से 30 मई का है। भूमि की तैयारी के समय 12-15 टन गली-सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ प्रयोग करनी चाहिए। पनीरी की बुवाई के समय आवश्यक खादें; जैसे-12 किलो नाइट्रोजन, 10 किलो फॉस्फोरस तथा 13 किलो जिंक प्रति एकड़ के हिसाब से डालनी चाहिए। बीजों की सुधाई करके गीली बोरियों के ऊपर 7-8 सैं०मी० मोटी सतह में बिखेर दिया जाता है तथा ऊपर से गीली बोरियों से ढक दिया जाता है। इन ढके बीजों के ऊपर समय-समय पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। बीज 24 से 36 घण्टे के अन्दर अंकुरित हो जाते हैं। इन्हें छट्टा विधि से बो देना चाहिए। साढ़े छ: मरले में 8 किलो बीज की पनीरी एक एकड़ के लिए काफ़ी रहती है। पनीरी में नदीनों की रोकथाम बूटाकलोर या सोफिट के प्रयोग से की जाती है। पनीरी की बुवाई से 15 दिन बाद 12 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ और डालनी चाहिए। 25-30 दिनों में पनीरी खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाती है।

प्रश्न 3.
मकैनीकल ट्रांसप्लांटर द्वारा धान की पनीरी लगाने के बारे में बताओ।
उत्तर-
मशीन से धान लगाने के लिए पनीरी को विशेष ढंग से तैयार किया जाता है। एक प्लास्टिक शीट को छेद करके बिछाया जाता है। इसके ऊपर मशीन के आकार के खानों वाले फ्रेम में रखकर मिट्टी डाली जाती है। इस मिट्टी के ऊपर अंकुरित बीज डाला जाता है। बीज को मिट्टी की पतली परत से ढक दिया जाता है। इस के ऊपर हाथ वाले फव्वारे से पानी का छिड़काव किया जाता है। फ्रेम को ध्यान से धीरे से उठा लिया जाता है। प्रतिदिन पानी का छिड़काव करके मैट को गीला रखा जाता है। एक एकड़ के हिसाब से 10-12 किलो बीज से तैयार 200 मैट की आवश्यकता पड़ती है।

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प्रश्न 4.
बासमती की कृषि के बारे में बताओ।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 5.
मक्की की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 6.
मुंगी की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
स्वयं करें।

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प्रश्न 7.
मांह की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 8.
मूंगफली की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
स्वयं करें।

प्रश्न 9.
कपास की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 1 ख़रीफ़ की फसलें

प्रश्न 10.
कमाद की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
स्वयं करें।

ख़रीफ़ की फसले PSEB 11th Class Agriculture Notes

  • ख़रीफ़ की फसलें जून-जुलाई या मानसून के आने पर बोई जाती हैं।
  • ख़रीफ़ की फसलों की कटाई अक्तूबर-नवम्बर में की जाती है।
  • ख़रीफ़ की फसलें हैं-अनाज वाली, दालें तथा तेल बीज, कपास, गन्ना, सावन के चारे।
  • कुछ ख़रीफ़ की फसलें हैं-धान, बासमती, मक्की, मांह, मूंगफली, कपास गन्ना, ज्वार तथा बाजरा।
  • धान को जीरी के नाम से भी जाना जाता है।
  • धान की पैदावार में चीन विश्व में तथा पश्चिमी बंगाल भारत में सबसे आगे
  • पंजाब में धान की कृषि के अधीन 28 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल है। इससे औसत पैदावार 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर मिल जाती है।
  • धान को अधिक गर्मी, अधिक सीलन तथा अत्यधिक पानी की आवश्यकत होती है।
  • धान के लिए मध्यम से भारी भूमि अच्छी है।
  • धान की उन्नत किस्में हैं-पी०आर०-123, पी०आर०-122, पी०आर०-121 पी०आर०-118, पी०आर०-116।
  • धान के लिए एक एकड़ के लिए 8 किलो बीज की आवश्यकता है।
  • धान की पनीरी 15 से 30 मई तक बोई जाती है।
  • मशीन (मकैनिकल ट्रांसप्लांटर) से धान लगाने के लिए पनीरी को विशेष ढं से तैयार किया जाता है।
  • धान की पनीरी खेतों में 25-30 दिनों की होने पर जून के दूसरे पखवाड़े में बो जाती है।
  • धान में संवाक तथा मौथा नदीन होते हैं।
  • धान की सीधी बुवाई केवल मध्यम से भारी भूमियों में ही करनी चाहिए।
  • फसल की मुंजरें पक जाएं तथा पराली के पीले होने पर धान की कटाई व लेनी चाहिए।
  • तने का गन्डोया, पत्ता लपेट सूंडी, सफेद पीठ वाले टिड्डे तथा भूरे टिड्डे धान के कीड़े हैं।
  • बासमती की किस्में हैं-पंजाब बासमती-3, पूसा पंजाब बासमती-1509, पूसा बासमती-1121.
  • पूसा बासमती 1509 की पनीरी जून के दूसरे पखवाड़े तथा पंजाब बासमती 3 तथा पूसा बासमती 1121 की पनीरी जून के पहले पखवाड़े में बोई जाती है।
    बासमती को नाइट्रोजन तत्त्व वाली खाद अधिक मात्रा में नहीं डालनी चाहिए।
  • मक्की की पैदावार में संयुक्त राज्य अमरीका विश्व में तथा भारत में आंध्रा प्रदेश सबसे आगे हैं।
  • पंजाब में मक्की की कृषि के अधीन क्षेत्रफल 1 लाख 25 हज़ार हैक्टेयर है। मक्की की औसत पैदावार 15 क्विंटल प्रति एकड़ है।
  • मक्की को उत्पन्न होने से लेकर फसल पकने तक नमी वाली गर्म जलवायु की आवश्यकता है।
  • मक्की की किस्में-पी०एम०एच०-1, पी०एम०एच०-2 मक्की की आम प्रयोग वाली किस्में हैं तथा विशेष प्रयोग वाली किस्में हैं-पंजाब स्वीट कार्न-1 तथा पर्ल पॉपकार्न।
  • मक्की की पर्ल पॉपकर्न किस्म के लिए 7 किलो तथा अन्य किस्मों के लिए 8 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
  • मक्की की बुवाई मई के अंतिम सप्ताह से अंत जून तक की जाती है।
  • मक्की को 4-6 सिंचाइयों की आवश्यकता है।
  • मक्की का गन्डोया मक्की में मुख्य कीड़ा है।
  • मक्की में बीज का सड़ना, पौधे का झुलसना, टांडे का गलना आदि रोग लग सकते हैं।
  • ख़रीफ़ की दाल वाली फसलें-मूंगी, मांह तथा तेल बीज वाली फसलों में मूंगफली तथा तिल बीज हैं।
  • सोयाबीन, दाल तथा तेल बीज दोनों श्रेणियों में है।
  • दालों की पैदावार में भारत विश्व में अग्रणी देश है परन्तु दालों की खपत भी भारत में अधिक है। इसलिए दालों को आयात करना पड़ता है।
  • पंजाब में मूंगी की कृषि 5 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। इसकी औसत पैदावार 350 किलो प्रति एकड़ है।
  • मुंगी के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है।
  • मूंगी के लिए कलराठी या सेम वाली भूमियां ठीक नहीं हैं।
  • मूंगी की उन्नत किस्में हैं-पी०ए०यू०-911, एम०एल०-818.
  • मूंगी की बुवाई जुलाई के पहले पखवाड़े में की जाती है।
  • मूंगी में नदीनों की रोकथाम के लिए ट्रेफलिन या वासालीन का प्रयोग किया जाता है।
  • मूंगी की लगभग 80% फलियां पक जाने पर काट लें।
  • मुंगी को हरा तेला, सफेद मक्खी, बालों वाली संडी (कंबल कीडा), फली छेदक सुंडी तथा जुएं आदि कीड़े लग सकते हैं।
  • पंजाब में मांह की कृषि लगभग 2 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल में होती है तथा इसकी औसत पैदावार लगभग 180 किलो प्रति एकड़ है।
  • मांह की विकसित किस्में हैं-मांह 114, मांह 338.
  • जब पत्ते झड़ जाएं तथा फलियां सलेटी काली हो जाएं तो फसल काटने के लिए तैयार है।
  • सोयाबीन की पैदावार में संयुक्त राज्य अमरीका दुनिया में तथा मध्य प्रदेश भारत में सबसे आगे है।
  • सोयाबीन से खाने वाले तेल, सोया दूध तथा इस से बनने वाली अन्य वस्तुएं, बेकरी की वस्तुएं तथा दवाइयां आदि तैयार होती हैं।
  • सोयाबीन को गर्म जलवायु की आवश्यकता है।
  • सोयाबीन की उन्नत किस्में हैं-एस०एल०-958, एस०एल०-744.
  • सोयाबीन के 25-30 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है।
  • सोयाबीन की बुवाई जून के पहले पखवाड़े में की जाती है।
  • सोयाबीन की कटाई तब करें जब सारे पत्ते झड़ जाएं तथा फलियों का रंग बदल जाए।
  • सोयाबीन को बालों वाली सूंडी तथा सफेद मक्खी नामक कीड़े लगते हैं।
  • सोयाबीन को चितकबरा रोग लग जाता है।
  • संयुक्त राज्य अमरीका दुनिया में सब से अधिक तेल बीज पैदा करने वाला देश है तथा भारत में राजस्थान ऐसा प्रदेश है।
  • मूंगफली की पैदावार में चीन दुनिया में तथा गुजरात भारत में सबसे आगे है।
  • पंजाब में मूंगफली की कृषि 15 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्रफल में होती है।
  • पंजाब में मूंगफली की औसत पैदावार 7 क्विंटल प्रति एकड़ है।
  • मूंगफली की किस्में हैं-एम०जी०-99, एस०जी०-84.
  • मूंगफली के बीज (गिरियां) की मात्रा 38-40 किलो प्रति एकड़ का प्रयोग होता है।
  • मूंगफली की सारी फसल के एक जैसा पीला होने तथा पुराने पत्तों के झड़ने पर फसल की खुदाई की जाती है।
  • मूंगफली की फसल को चेपा, सफेद सुंड तथा कंबल कीड़ा आदि कीड़े लगते
  • मूंगफली की बीमारियां हैं-बीज का गलना, गिच्ची का गलना तथा टिक्का रोग।
  • कपास को धागे के लिए तथा गन्ने को चीनी प्राप्त करने के लिए बोया जाता
  • पशुओं के चारे के लिए मक्की, ज्वार (चरी) तथा बाजरा सावनी की फसलें हैं।
  • कपास की पैदावार दुनिया में चीन में सबसे अधिक तथा भारत में गुजरात में है।
  • ‘पंजाब में कपास की कृषि लगभग 5 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में होती है।
  • पंजाब में कपास की औसत पैदावार 230 किलो रूई प्रति एकड़ है।
  • कपास गर्म तथा शुष्क जलवायु की फसल है।
  • नरमे (कपास) की किस्में हैं-(i) बी०टी० किस्में-आर०सी०एच०-650, एन०सी०एस०-850, अंकुर 3028, एम०आर०सी० 7017, (ii) बी०टी० रहित दोहरी किस्में हैं-एल०एच०एच०-144, (iii) साधारण किस्में हैं-एल०एच०-2018.
  • देसी कपास की किस्में हैं-दोगली-पी०ए०यू०-626 एच, साधारण किस्में एफ०डी०के०-124, एल०डी०-694.
  • कपास की बुवाई का समय 1 अप्रैल से 15 मई है।
  • कपास में इटसिट/चुपत्ती, मधाना/मकड़ा आदि नदीन होते हैं।
  • कपास के कीट हैं-रस चूसने वाले कीट; जैसे-तेला, चेपा, सफेद मक्खी तथा मीली बग्ग। तंबाकू की सूंडी, गुलाबी सूंडी, चितकबरी सूंडी तथा अमरीकन सूंडी।
  • कपास की बीमारियां हैं-पत्ता मरोड़, बैक्टीरियल ब्लाइट, पत्ते कुम्हला जाना, पैरा विल्ट तथा पत्ते झड़ना आदि।
  • गन्ना (कमाद) की पैदावार में ब्राजील दुनिया में सबसे आगे है तथा उत्तर प्रदेश भारत में सबसे आगे है।
  • पंजाब में गन्ने की कृषि के अधीन 80 हज़ार हैक्टेयर भूमि है।
  • गन्ना की पंजाब में पैदावार लगभग 280 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसमें से 9% चीनी की प्राप्ति हो जाती है।
  • गन्ना के लिए गर्म जलवायु तथा मध्यम भूमि उपयुक्त रहती है।
  • बसंत ऋतु के गन्ना की किस्में हैं-सी०ओ०जे०-85, सी०ओ०जे०-83 अगेता, सी०ओ०पी०बी०-91, सी०ओ०जे०-88 मध्यम श्रेणी तथा सी०ओ०जे०-89 पछेती पकने वाली किस्में हैं।
  • एक एकड़ गन्ना के लिए तीन आंखों वाली 20 हज़ार गुल्लियों या चार आंखों वाली 15 हज़ार गुल्लियों या 5 आंखों वाली 12 हज़ार गुल्लियों की आवश्यकता पड़ती है।
  • गन्ने की बुवाई का समय मध्य फरवरी से अंत मार्च तक का है।
  • पतझड़ ऋतु के गन्ने की किस्में हैं-सी०ओ०जे०-85 तथा सी०ओ०जे०-83.
  • पतझड़ में गन्ने की बुवाई का समय 20 सितम्बर से 20 अक्तूबर का है।
  • गन्ने के कीट हैं-कमाद का घोड़ा, सफेद मक्खी, दीमक तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के गड़एं।
  • कमाद के रोग हैं-रत्ता रोग, मुरझाना (सोका), लाल धारियों का रोग, आग का — साड़ा।
  • एक बड़े पशु को लगभग 40 किलो हरा चारा प्रतिदिन चाहिए।
  • मक्की ख़रीफ फसल का मुख्य चारा है। यह 50-60 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। 88. चारे के लिए मक्की की किस्म है-जे०-1006.
  • चारे के लिए मक्की के बीज की मात्रा 30 किलो प्रति एकड़ है।
  • ज्वार (चरी) को पशु अधिक खुशी से खाते हैं।
  • ज्वार को गर्म तथा शुष्क जलवायु की आवश्यकता है।
  • ज्वार की किस्म है-एस०एल०-44.
  • ज्वार के लिए 20-25 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
  • ज्वार के अग्रिम चारे के लिए बुवाई मध्य मार्च से शुरू की जाती है।
  • ज्वार की बुवाई का उचित समय मध्य जून से मध्य जुलाई है।
  • ज्वार की कटाई गोभे से दूध की अवस्था पर करने से अधिक पौष्टिक तत्त्व प्राप्त होते हैं।
  • बाजरे की किस्में हैं-पी०एच०बी०एफ०-1, एफ०बी०सी०-16.
  • बाजरे के लिए बीज की मात्रा 6-8 किलो प्रति एकड़ है।
  • बाजरे के कीट हैं-जड़ का कीड़ा, स्लेटी भुंडी तथा घोड़ा है।
  • बाजरे के रोग हैं-हरे सिट्टों का रोग, गुंदिया रोग।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 8 प्राथमिक सहायता

PSEB 8th Class Home Science Guide प्राथमिक सहायता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
घायल की तत्काल थोड़ी सहायता, रोग को अधिक गम्भीर होने से बचाना, रक्त स्राव रोकना, अचानक बेहोश होने या बेहोशी दूर करना।

प्रश्न 2.
जलन कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
जलन दो प्रकार की होती है-

  1. सूखी (शुष्क) जलन,
  2. तरल जलन।

प्रश्न 3.
अगर कपड़ों को आग लग जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर–
व्यक्ति को मोटे कंबल आदि में लपेटें तथा धरती पर लिटा कर लुढ़काना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 4.
डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर क्या लगाओगे ?
उत्तर-
बरनौल।

प्रश्न 5.
अपने आप को लू से कैसे बचाओगे ?
उत्तर-
पानी अधिक पीना चाहिए, कच्चे आम को भून कर रस पीना चाहिए। प्याज का प्रयोग करना चाहिए, सीधे धूप में नहीं जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
ल वाले रोगी को किस तरह से सम्भालोगे ?
उत्तर-
रोगी को छाया वाली ठण्डी जगह पर रखें। धड़ को ठंडे पानी में डुबोना चाहिए। सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए। कच्चे आम का रस देना चाहिए आदि।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 7.
लू क्यों लगती है ?
उत्तर-
तेज़ गर्मी के मौसम में अचानक सूर्य की किरणें किसी कमज़ोर व्यक्ति, बच्चे या बूढ़े पर पड़ जाएं तो उसे लू लग सकती है।

प्रश्न 8.
ज़ख्म पर क्या लगाना चाहिए ?
उत्तर-
डिटोल, स्पिरीट आदि।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कान में से खून बहने का क्या कारण है ?
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटने से कान से खून बहने लगता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हो ?
अथवा
प्राथमिक सहायता से क्या भाव है ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता वह सहायता है जो डॉक्टर के आने से पहले या रोगी को डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोग की पड़ताल करके, उसे शीघ्र ही चिकित्सा के रूप में पहुँचाई जाए।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति धैर्यवान्, सहनशील, शान्त, दयावान्, होशियार, पक्के इरादे वाला, स्पष्टवादी, शारीरिक और मानसिक स्तर पर चुस्त होना चाहिए।

प्रश्न 4.
क्या प्राथमिक सहायता के उपरान्त डॉक्टर को बुलाना आवश्यक है ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता के उपरान्त शेष कार्य डॉक्टर के लिए छोड़ देना चाहिए। जितनी जल्दी हो उसे डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए और डॉक्टर के पहुंचने पर उसे बीमार की पूरी स्थिति बता देनी चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 5.
सूखी जलन से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
आग या धातु का गर्म टुकड़ा शरीर के किसी भाग के साथ छू जाए या रगड़ा जाए अथवा गाढ़े तेज़ाब या क्षार द्वारा पैदा हुआ जख्म या घाव सूखी जलन कहलाता है।

प्रश्न 6.
तरल जलन कैसे हो जाती है?
उत्तर-
भाप, गर्म तेल, लुक या उबलती चाय या दूध या अयोग्य ढंग से लगाई हुई पुलटिस के साथ पैदा हुए घाव को तरल जलन कहा जाता है।

प्रश्न 7.
डूबते हुए व्यक्ति को बचाने के लिए एक-एक पल कीमती क्यों होता है ?
उत्तर-
डूबते हुए व्यक्ति को बचाने के लिए एक-एक पल कीमती है, क्योंकि कई बार डूबने से आदमी मरता तो नहीं, लेकिन बेहोश हो जाता है। झिल्ली काम करना बन्द कर देती है और सांस रुक जाता है। इस समय अगर बनावटी सांस दिया जाए तो जान बच सकती है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जख्म कितनी तरह के होते हैं ?
उत्तर-
जख्म या घाव कई तरह के होते हैं। मुख्य प्रकार से जख्मों या घावों को निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
1. कटा हुआ घाव या कर्टित घाव-कभी-कभी तेज़ चाक, ब्लेड या काँच आदि के किनारे से लगकर रक्त बहने लगता है। यदि घाव गहरा हो जाता है तो धमनियाँ तथा नाड़ियाँ भी कट जाती हैं।

2. फटा हुआ घाव या दीर्घ घाव-इस प्रकार के घाव सामान्यतः मशीन के कल-पुर्जो, जानवरों के सींगों तथा पंजों द्वारा हो जाया करते हैं। घाव के किनारे फटे तथा टेढ़े-मेढ़े हो जाते प्राथमिक सहायता हैं। ये घाव ज्यादा खतरनाक होते हैं। इनके विषैले होने का खतरा रहता है। घाव के भर जाने पर भी शरीर पर स्थाई तथा भद्दे निशान पड़ जाते हैं।

3. संवेधित घाव-इस प्रकार के घाव गोली लगने, लकड़ी की फास चुभने, नुकीला हथियार लगने, काँटा चुभने आदि से हो जाते हैं। इन घावों का मुंह ऊपर से छोटा होता है। इनके बारे में सही अनुमान लगाना सम्भव नहीं होता। गोली लगने पर गोली निकालने का काम डॉक्टर पर छोड़ देना चाहिए।

4. कुचला हुआ घाव या कुचलित घाव-किसी भारी वस्तु के शरीर पर गिरने से, हथौड़े की चोट उँगली पर पड़ जाने से, दरवाज़े के बीच उंगली आ जाने से जो घाव बनता है; वह कुचला हुआ या कुचलित घाव कहलाता है।

प्रश्न 2.
अगर नाक में खून आए तो क्या करोगे?
उत्तर-
प्रायः गर्मियों में अधिक गर्मी होने के कारण नाक से खून बहता है। इसे नक्सीर आना या फूटना कहते हैं। नक्सीर फूटने पर निम्नलिखित प्रकार से उपचार करना चाहिए-
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता 1
चित्र 8.1 नाक से खून बहना

  1. रोगी को खुले स्थान पर खिड़की के सामने ले जाकर कुर्सी पर बिठाना चाहिए जिससे शुद्ध वायु मिल सके।
  2. उसके सिर को पीछे और हाथों को ऊँचा करना चाहिए।
  3. यदि रोगी बैठ न सकता हो तो उसके कन्धे के नीचे दो तकिये लगा देने चाहिएँ।
  4. गर्दन व छाती के आस-पास के वस्त्रों को ढीला कर देना चाहिए।
  5. नाक द्वारा सांस न लेकर मुँह द्वारा साँस लेने को कहना चाहिए।
  6. नाक, हँसली और रीढ़ की हड्डी पर ठण्डे पानी की पट्टी रखनी चाहिए ताकि खून का बहना कम हो जाए।
  7. पाँव गर्म रखने चाहिएँ। ऐसा करने के लिए एक चिलमची में गुनगुना पानी लेकर रोगी के पैरों को उसमें रखकर तौलिए से ढक देना चाहिए। इससे खून का बहाव पैरों की ओर अधिक होगा।
  8. खून बहना बन्द हो जाने पर भी रोगी की नाक जल्दी साफ़ नहीं करनी चाहिए और न ही उसे बहुत हिलने-डुलने देना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 3.
आप रोगी की सहायता कैसे करोगे?
उत्तर-
रोगी की सहायता-कान की कनपटी पर थोड़ी रूई रखकर ढीली पट्टी बाँध देनी चाहिए और रोगी का सिर चोट वाली तरफ झुका देना चाहिए।

Home Science Guide for Class 8 PSEB प्राथमिक सहायता Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
दहन कितने प्रकार की होती है ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) पांच
(घ) दस।
उत्तर-
(ख) दो

प्रश्न 2.
कांटा चुभने के कारण हुआ घाव कैसा है ?
(क) कर्टित घाव
(ख) दीर्घ घाव
(ग) संवेधित घाव
(घ) कुचलित घाव।
उत्तर-
(ग) संवेधित घाव

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 3.
कुचलित घाव है
(क) तेज़ चाकू वाला
(ख) मशीन के पुर्जे के कारण
(ग) बांस चुभना
(घ) दरवाज़े में ऊंगली आ जाना।
उत्तर-
(घ) दरवाज़े में ऊंगली आ जाना।

प्रश्न 4.
ठीक तथ्य है
(क) जले हुए स्थान पर बरनौल लगानी चाहिए।
(ख) घाव को एंटीसेप्टिक घोल से साफ़ करना चाहिए।
(ग) क्षार से जले हुए अंग को पानी से धो दें।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

II. ठीक/गलत बताएं

  1. शरीर में 6 दबाव बिन्दु होते हैं।
  2. धमनी की तुलना में शिरा का रक्त स्राव सरलता से रोका जा सकता है।
  3. लू वाले रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए।
  4. लू लगने से रोगी की नब्ज तेज़ चलती है।
  5. गर्म धातु से जलना तरल जलन है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. लू वाले रोगी को ……………….. स्थान पर ले जाएं।
  2. दरवाज़े में उंगली आने से ……………….. घाव बनता है।
  3. शरीर में ……………….. दबाव बिंदु है।
  4. लू लगने पर शरीर का तापमान 102° F से ……………….. तक हो सकता है।

उत्तर-

  1. ठण्डे,
  2. कुचला,
  3. छ:,
  4. 108°

IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कान से खून आने का कारण बताएं।
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटना।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 2.
लू से बचने के लिए नमक की मात्रा कम लेनी चाहिए या अधिक ?
उत्तर-
साधारण से 1/2 गुणा अधिक।

प्रश्न 3.
जले हुए घाव पर किस घोल से ड्रेसिंग करनी चाहिए ?
उत्तर-सोडे के घोल से।

प्रश्न 4.
सूखी जलन का उदाहरण दें।
उत्तर-
गर्म धातु से जलन।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रमुख घरेलू दुर्घटनाएं कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
भीगे या चिकने फर्श पर फिसल कर गिर जाना, सीढ़ियों से लुढ़क जाना, खेल-कूद में चोट लगना, रसोई में आग लगना, गर्म जल या दीपक या किसी तेज़ गर्म वस्तु से जल जाना, गर्म पानी या चाय आदि के गिरने से जल जाना, आग से झुलस जाना, भाप से जल जाना, दम घुटना, कटना या खरोंच पड़ना, धोखे से जहरीली दवाएँ पी लेना आदि-आदि।

प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अचानक घटने वाली दुर्घटनाओं की जो चिकित्सा डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाने से पूर्व की जाती है, उसे प्रार्थामक सहायता कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
घायल की तत्काल थोड़ी सहायता, रोग को अधिक गम्भीर होने से बचाना, रक्त स्राव रोकना, अचानक बेहोश होने पर बेहोशी दूर करना।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 4.
रक्तस्त्राव किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-
चोट से, खरोंच से, सुई चुभने से या किसी तेज़ धार वाली वस्तु द्वारा धमनी या शिरा के कट जाने से रक्त के बहने को रक्तस्राव कहते हैं।

प्रश्न 5.
रक्तस्त्राव कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-

  1. कोशिकाओं के कट जाने से रक्तस्राव,
  2. धमनी से रक्तस्राव,
  3. शिरा से रक्तस्राव,
  4. आन्तरिक रक्तस्राव,
  5. नाक से रक्तस्राव

प्रश्न 6.
कान से खून बहने का क्या कारण है?
उत्तर-
खोपड़ी के धरातल की हड्डी टूटने से कान से खून बहने लगता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 7.
कान से खून बहने पर आप क्या उपचार करेंगी?
उत्तर-
कान की कनपटी पर थोड़ी रूई रखकर ढीली पट्टी बाँध देना चाहिए और रोगी का सिर चोट वाली तरफ झुका देना चाहिए।

प्रश्न 8.
दबाव बिन्दु क्या होते हैं ?
उत्तर-
शरीर में ऐसे स्थान जहाँ पर दबाव डालकर खून का बहना रोका जा सकता है।

प्रश्न 9.
शरीर में कितने दबाव बिन्दु प्रमुख हैं ? नाम दीजिए।
उत्तर-
शरीर में छः दबाव बिन्दु प्रमुख हैं

  1. गले स्राव नलिका की बगल में,
  2. कान के ठीक सामने की ओर,
  3. जबड़े से कोण बनाता हुआ 2.5 सेमी. की दूरी पर,
  4. कॉलर की हड्डी के अन्दर के भाग के पीछे की ओर,
  5. भुजाओं के अन्दर की ओर,
  6. जाँघ में मूत्राशय के निकट।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता

प्रश्न 10.
दबाव बिन्दु का प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर-
दबाव बिन्दुओं पर उचित दबाव डालकर रक्त के बहने को रोक कर रोगी को एक बहुत बड़े सदमे से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 11.
नक्सीर फूटना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
तेज़ गर्मी से छींकने अथवा सीधी चोट के कारण नाक से खून बहने लगता है, तो उसे नक्सीर फूटना कहते हैं।

प्रश्न 12.
प्राथमिक चिकित्सक के गुण क्या हैं ?
उत्तर-

  1. स्पष्ट बोलने वाला।
  2. धैर्यवान्, सहनशील तथा साहसी।
  3. मृदु भाषी तथा प्रसन्नचित
  4. दूरदर्शी, सतर्क तथा निपुण।
  5. हृष्ट-पुष्ट।
  6. दयालु व सेवाभाव रखने वाला।

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प्रश्न 13.
भाप, गर्म तेल या उबलती चाय के साथ पैदा हुए घाव को कौन सी जलन कहां जाता है ?
उत्तर-
तरल जलन।

प्रश्न 14.
शुष्क जलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
रोगी की प्राथमिक सहायता करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. घायल की तत्काल थोड़ी-सी सहायता करने से उसका जीवन बच सकता है।
  2. प्राथमिक सहायता से रोग को और अधिक गम्भीर होने से बचाया जा सकता है।
  3. किसी भी कारण खून के बहने को रोका जा सकता है।
  4. किसी के अचानक चोट लगने पर या बेहोश हो जाने पर बेहोशी दूर करने के उपाय किए जा सकते हैं।
  5. थोड़ी देर के लिए अचानक पीड़ा को कम किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
सूखी गर्मी से जलने के क्या लक्षण होते हैं? इसका उपचार किस प्रकार किया जाना चाहिए?
उत्तर-
आग, गर्म धातु, तेज़ाब, क्षार, बिजली, तेज़ घूमने वाले पहिये या तार की रगड से जलने को सूखी गर्मी से जलना कहते हैं। इसके प्रमुख लक्षण निम्न होते हैं

  1. पीड़ा अधिक होती है।
  2. सदमा पहुँचता है।
  3. त्वचा पर लाली आ जाती है।

उपचार-

  1. सदमें को दूर करने के लिए घायल को गर्म रखना चाहिए।
  2. जलन को कम करने के लिए कोई भी ठण्डक पहुँचाने वाला घोल, जैसे खाने के सोडे का गाढ़ा घोल जले हुए स्थान पर लगाना चाहिए।
  3. जले हुए स्थान पर बरनॉल नामक औषधि भी लगाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
लू लगने के क्या लक्षण होते हैं ?
उत्तर-
लू लगने के लक्षण-

  1. रोगी की नब्ज तेज़ चलती है।
  2. शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
  3. बुखार 102°F से 110°F तक हो सकता है।
  4. बुखार बढ़ने से नाक-कान से खून बहने लगता है।
  5. मूर्छा आ जाती है।
  6. पुतली सिकुड़ जाती है।
  7. सिर घूमने लगता है।
  8. प्यास लगने लगती है।

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प्रश्न 4.
रक्तस्त्राव को रोकने के उपाय बताइए।
उत्तर-
रक्तस्राव को रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं-

  1. खरोंच, सूई चुभने या सामान्य कोशिका के कट जाने पर रक्तस्त्राव को रोकने के लिए कटे स्थान को हाथ या अँगूठे से दबा दिया जाता है।
  2. यदि अँगूठे या हाथ से रक्त का बहाव बन्द न हो तो रूई व कपड़े का पैड या बौरसिक लिन्ट के टुकड़े को घाव पर रखकर पट्टी बाँधनी चाहिए। तब तक पट्टी न खोली जाये जब तक रक्त का बहाव बन्द न हो जाए।
  3. धमनी से रक्त बहने की स्थिति में पहले घायल व्यक्ति को लिटा देना चाहिए। जिस अंग से रक्त बह रहा हो उसे यथासम्भव हृदय के लैवल से ऊपर उठाकर रखना चाहिए।
  4. बर्फ की थैली रखने से भी रक्त बहना बन्द हो जाता है।
  5. शिरा से रक्त बहने पर चोट लगे हिस्से को नीचे की ओर झुकाना चाहिए।
  6. यदि हड्डी नहीं टूटी हो तो घाव को अँगूठे व हथेली से दबाकर भी रक्त बहना बन्द किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
तेज़ाब से जलने पर प्राथमिक उपचार बताइए।
उत्तर-

  1. क्षतिग्रस्त भाग को दो चाय के चम्मच बेकिंग सोडा, सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडा कार्बन एक पाइन्ट गर्म पानी में घोलकर भली-भान्ति धो डालें।
  2. दूषित वस्त्रों को सावधानीपूर्वक उतार दें और जले हुए घाव के सामान्य नियमों का पालन करें।
  3. जले हुए भाग को कभी भी सादे पाने से न धोयें।
  4. यदि आँख पर तेज़ाब पड़ने की शंका हो तो उसे पानी से अच्छी प्रकार धोकर पट्टी बाँध दें।

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प्रश्न 6.
क्षार से जलने पर क्या प्राथमिक उपचार किया जाना चाहिए ?
उत्तर-

  1. जले अंग पर पड़ा क्षार (चूना) नर्म ब्रुश से हटा दें।
  2. जले हुए अंग को पानी से धो डालें।
  3. सिरका या नींबू के रस को समान मात्रा में पानी मिलाकर क्षतिग्रस्त भाग को धोएँ इससे क्षार का प्रभाव कम हो जाता है।
  4. दृषित वस्त्रों को शीघ्र हटा दें और जलने के सामान्य नियमों का पालन करें।
  5. यदि आँख पर क्षार पड़ने की शंका हो तो पानी में भली-भान्ति धो डालें। आँखों को नर्म रूई की गद्दी लगाकर पट्टी बाँध दें तथा डॉक्टर को तुरन्त दिखाने का प्रयास करें।

प्रश्न 7.
शिरा के रक्तस्त्राव को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर-
धमनी की अपेक्षा शिरा का रक्तस्राव सरलता से रोका जा सकता है। शिराओं से बहने वाला रक्त अशुद्ध तथा नीलापन लिए हुए गहरे रंग का होता है। शिरा से रक्त लगातार तेज़ी से एक बंधी धार के साथ निकलता है।

उपचार-जिस अंग में चोट लगी हो उसे नीचे की ओर झुका देना चाहिए। यदि घाव गन्दा हो तो एण्टीसेप्टिक घोल से धो देना चाहिए। यदि हड्डी न टूटी हो तो उँगली से घाव को ज़ोर से दबाना चाहिए और रूई का एक मोटे पैड पर रखकर बाँध देना चाहिए। घाव के नीचे कसकर पट्टी बाँध देने से रक्तस्राव पूर्ण रूप से बन्द हो जाता है।।

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प्रश्न 8.
डूबते व्यक्ति को बचाने के लिए उस की प्राथमिक सहायता कैसे करोगे ?
उत्तर-
डूबते व्यक्ति को पानी में से बाहर निकाल कर बचाने के लिए उस को उल्टा कर पेट पर दबाव डाल कर फालतू पानी निकाल दें तथा बनावटी सांस देनी चाहिए। जल्दी ही डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए।

प्रश्न 9.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं तथा प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के घाव के उपचार बताइए।
उत्तर-
1. कटे हुए घाव का उपचार-यदि घाव कम गहरा हो तो थोड़ा-सा रक्त बहा देना चाहिए। इससे कीटाणु बाहर निकल जायेंगे। इस प्रकार के घाव को एण्टीसेप्टिक घोल, टिंचर आयोडीन, स्प्रिट आदि से साफ़ करना चाहिए तथा घाव के ऊपर रूई रखकर पट्टी बाँध
देनी चाहिए। साफ़ करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आस-पास की गन्दगी तथा पानी घाव में न जाये। यदि रक्तस्राव अधिक हो तो कसकर पट्टी बाँध देनी चाहिए। यदि घाव बड़ा हो तो डॉक्टर की सलाह से टाँके लगवा देने चाहिएँ।

2. फटे हुए घाव का उपचार-

  • रक्तस्राव बन्द करके घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से साफ़ करना चाहिए।
  • घाव साफ़ करने के बाद उस पर सल्फोनामाइड पाउडर अच्छी तरह बुरक कर तथा रूई रखकर बाँध देना चाहिए। डॉक्टरी इलाज करना चाहिए।

3. संवेधित घाव का उपचार-रक्तस्राव रोकने के उपरान्त घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से धोकर साफ़ करना चाहिए और फिर रूई को मरक्यूरीक्रोम या एक्रोफ्लेविन में भिगोकर घाव पर रखने के बाद पट्टी बाँध देनी चाहिए। यदि गोली अन्दर रह गई हो तो घायल को तुरन्त चिकित्सालय ले जाना चाहिए। रोगी को मूर्छित नहीं होने देना चाहिए।

4. कुचले हुए या कुचलित घाव का उपचार- इस प्रकार के घाव को एण्टीसेप्टिक घोल से धोकर कपड़े को बर्फ के पानी में गीला कर बाँध देना चाहिए। यदि घायल को बेचैनी हो तो ठण्डे पानी के साथ ग्लुकोस देना चाहिए।

प्रश्न 2.
फर्स्ट एड बॉक्स क्या होता है ? प्राथमिक सहायता हेतु आवश्यक वस्तुओं की सूची दीजिए।
उत्तर-
प्राथमिक सहायता के लिए आवश्यक सामग्री को एक डिब्बे में रखा जाता है जिससे उसका उपयोग आपातकाल के समय तुरन्त किया जा सके और सामान के लिए इधरउधर न भटकना पड़े। इस डिब्बे को फर्स्ट एड बॉक्स (First Aid Box) कहते हैं।
फर्स्ट एड बॉक्स में प्राथमिक सहायता सम्बन्धी निम्नलिखित सामान होना चाहिए-
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 8 प्राथमिक सहायता 2
चित्र 8.2 फर्स्ट एड बॉक्स

  1. टिंक्चर आयोडीन
  2. टिंक्चर बेन्जोइन
  3. मरक्यूरोक्रोम या ऐक्रीफ्लेविन
  4. स्प्रिट तथा अमोनिया
  5. पोटाशियम परमैंगनेट (लाल दवाई)
  6. डिटोल (कृमिनाशक घोल)
  7. सोडा बाइकार्बोनेट (खाने का मीठा सोडा)
  8. सूंघने का नमक (स्मैलिंग साल्ट)
  9. बरनॉल
  10. आयोडेक्स
  11. दवाईयुक्त प्लास्टर (हेसिव टेप)
  12. ए० पी० सी०, डिस्प्रीन, एनासिन या नोवलजिन
  13. पट्टियाँ (गोल व तिकोनी)
  14. गॉज (जाली वाला कपड़ा)
  15. रूई (कॉटन) मेडीकेटिड
  16. खपच्चियाँ
  17. आँख धोने का गिलास
  18. आधा दर्जन सेफ्टी पिन
  19. 2-3 ड्रापर
  20. कुछ लम्बी सीकें जो फुरहरी बनाने के काम आयें
  21. टूनिकेट
  22. छोटी कैंची, चाकू तथा चिमटी।

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प्रश्न 3.
सूखे तथा तरल दहन से क्या भाव है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
अथवा
शुष्क और तरल जलन से क्या अभिप्राय है ? उदाहरण देकर स्वष्ट कीजिए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 4.
लू क्यों लगती है तथा लू वाले रोगी की प्राथमिक सहायता कैसे करोगे ?
उत्तर-
उपरोक्त प्रश्नों में देखें।

प्रश्न 5.
प्राथमिक सहायता क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
दैनिक जीवन में कई प्रकार की दुर्घटनाएं घटती रहती हैं। घर में, स्कूल में, सड़क पर यात्रा करते हुए, कारखाने आदि में कहीं भी दुर्घटना हो सकती है। जल जाना, लू लगना, किसी कीड़े-मकौड़े का काटना, गलती से कोई विषैली वस्तु खा लेना, किसी अंग का कट जाना, मूर्च्छित हो जाना, चोट लगने से रक्त बहना आदि भी रोज़ की घटनाएँ हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर को बुलाना और इलाज करना आवश्यक हो जाता है। परन्तु हर जगह और हर समय शीघ्र डॉक्टर का मिलना सम्भव नहीं होता। डॉक्टर के न मिलने पर तत्काल उपचार न होने से मरीज की हालत बिगड़ जाती है और मृत्यु तक हो सकती है। इसलिए दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की स्थिति को डॉक्टर के आने से पूर्व बिगड़ने से रोकने के लिए और उसकी जान बचाने के लिए प्राथमिक सहायता (प्राथमिक उपचार) की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 6.
अगर कपड़ों को आग लग जाए तो क्या करना चाहिए?
उत्तर-
कपड़ों को आग लगने पर उपाय-
1. यदि खाना बनाते समय या किसी और कारण से कपड़ों में आग लग गई हो तो रोगी को तुरन्त ज़मीन पर लेट कर लुढ़कना चाहिए। रोगी के ऊपर एक कम्बल या ओवरकोट डालना चाहिए, लेकिन रोगी का मुँह खुला रखना चाहिए।
2. आग बुझाने के लिए जलते हुए व्यक्ति पर कभी भी पानी नहीं डालना चाहिए, नहीं तो घाव और गम्भीर हो जाते हैं।
3. रोगी के कपड़े व जूते उतार देने चाहिएं। यदि नहीं उतर सकें तो उन्हें काट देना चाहिए।
4. रोगी को उठाकर किसी एकान्त स्थान पर ले जाकर लिटा देना चाहिए। उसे पीने के लिए गर्म दूध या चाय देनी चाहिए।
5. यदि फफोले पड़ गए हों तो उन्हें फोड़ना नहीं चाहिए।
6. जले हुए स्थान पर खाने के सोडे के घोल से ड्रेसिंग करनी चाहिए।
7. एक भाग अलस के तेल में एक भाग चूने का पानी मिलाकर स्वच्छ कपड़े के फाये द्वारा जले हुए भाग पर लगाना लाभदायक होता है।बरनोल उपलब्ध हो तो जले हुए स्थान पर धीरे-धीरे लगाना चाहिए।
8. जले हुए स्थान पर नारियल का तेल मलने से भी आराम मिलता है।
9. यदि अधिक जल गया हो तो जले हुए स्थान के कपड़े सावधानीपूर्वक हटा देने चाहिएँ यदि कपड़े चिपक गए हों तो उस स्थान पर नारियल या जैतून का तेल लगा देना चाहिए।
10. रोगी को शीघ्रातिशीघ्र डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर क्या लगाओगे?
उत्तर-
डॉक्टर के आने से पूर्व जले हुए व्यक्ति के फफोले या छाले नहीं फोड़ने चाहिएं क्योंकि ये बाहर के रोगाणुओं से घाव को बचाते हैं। डॉक्टर के आने से पहले जले हुए घाव पर निम्नलिखित पदार्थ लगाए जा सकते हैं-
1. यदि कपड़ों के जलने से शरीर जला है तो जले हुए स्थान पर खाने के सोडे का घोल, एक भाग चूने का पानी मिलाकर, जैतून या नारियल का तेल या बरनोल लगाया जा सकता है।

2. यदि शरीर रासायनिक पदार्थों से जला है तो जले हुए स्थान के भाग को पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए। यदि शरीर का भाग तेज़ाब (अम्ल) से जला है तो उस पर अमोनिया या खाने के सोडे का घोल लगाना चाहिए।

3. तीव्र क्षार से जलने पर सिरके या नींबू के रस में पानी मिलाकर लगाने से आराम मिलता है और क्षार का प्रभाव कम हो जाता है। कार्बोलिक अम्ल से जले हुए भाग पर एल्कोहल मलने से आराम मिलता है।

4. वाष्प या शुष्क ताप से जलने पर या बिजली से जलने पर भी वही उपचार देना चाहिए जो कपड़ों में आग लगने पर गम्भीर रूप से जलने पर दिया जाता है।

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प्रश्न 8.
अपने आपको लू से कैसे बचाओगे?
उत्तर-
अपने आप को लू से बचाने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए-

  1. गर्मी में काम करते समय हल्के रंग के सूती कपड़े पहनने चाहिएँ।
  2. गर्मी के स्थान से वातानुकूलित ठण्डे स्थान में या वातानुकूलित ठण्डे स्थान से गर्मी के स्थान पर एकाएक नहीं आना-जाना चाहिए।
  3. घर से खाली पेट बाहर नहीं जाना चाहिए। खाना खाए हुए व्यक्ति की अपेक्षा खाली पेट वाले व्यक्ति को लू अधिक तेजी से लगती है।
  4. अधिकाधिक पानी पीना चाहिए। घर से जाते समय भी पानी पी कर जाना चाहिए।
  5. लू के दिनों में कच्चे आम के पीने (आम को भून कर बनाए गए रस) तथा प्याज का सेवन करना चाहिए।
  6. नमक की मात्रा अधिक लेनी चाहिए।
  7. पौष्टिक खुराक लेने वाले को लू कम लगती है। शराब पीने वालों को, त्वचा के रोगियों को व पौष्टिक खुराक न खाने वालों को जल्दी लू लगती है।

प्रश्न 9.
लू वाले रोगी को किस तरह सम्भालोगे?
उत्तर-
लू से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल डॉक्टरी सहायता पहुँचानी चाहिए। अन्यथा तेज़ बुखार से उसकी मृत्यु का भय रहता है। लू लगने पर निम्नलिखित प्राथमिक उपचार किए जाने चाहिएँ.

  1. रोगी को सबसे छायादार या ठण्डे स्थान पर ले जाना चाहिए।
  2. जितना शीघ्र हो सके उसके मस्तिष्क को ठण्डक पहुँचानी चाहिए। इसके लिए उसके धड़ को ठण्डे पानी में डुबोना चाहिए। पूरे शरीर को ठण्डे पानी से मल-मल कर नहलाना चाहिए।
  3. रोगी के सिर पर बर्फ की थैली रखनी चाहिए।
  4. बुखार उतरते ही रोगी को बिस्तर पर लिटा देना चाहिए। यदि बुखार दुबारा तेज़ होता है तो यही उपचार करना चाहिए।
  5. रोगी को कच्चा आम भूनकर या उबालकर उसका रस बनाकर देना चाहिए। प्याज़ का रस देना भी लाभदायक रहता है।
  6. रोगी के हाथ-पाँव पर विशेष रूप से हथेलियों एवं तलवों पर मेंहदी या प्याज़ पीस कर मलना चाहिए।
  7. रोगी को लस्सी या नींबू के साथ नमक खिलाना चाहिए क्योंकि पसीने द्वारा अधिक मात्रा में नमक शरीर से बाहर निकल जाता है।
  8. रोगी को कोई उत्तेजक पदार्थ नहीं पिलाना चाहिए।

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प्रश्न 10.
ल क्यों लगती है?
उत्तर-
लू गर्म देशों में घटित होने वाली घटना है। तेज़ गर्मी के मौसम में एकापक सूर्य की तेज़ किरणें दुर्बल व्यक्ति, बच्चे या बूढ़े पर पड़ती हैं तो उसे लू लग सकती है। मनुष्य काफ़ी लम्बे समय के लिए खुली गर्मी में काम करे तो उसे लू लग सकती है। घर के अन्दर भी तेज़ गर्मी लू लगने के समान परिणाम ला सकती है। लू लगने की दशा में शरीर तापं के निष्कासन की सामान्य शक्ति नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 11.
जख्म पर क्या लगाना चाहिए?
उत्तर-
जख्म से यदि खून बहता हो तो पहले खून बन्द करने का उपचार करना चाहिए। जिस अंग से खून बहता हो उसे हल्के से पकड़कर हृदय के लैवल से थीड़ा ऊपर रखना चाहिए ताकि खून बहना बन्द हो जाए। यदि हड्डी टूटी हो तो जख्म पर सख्त कपड़ा रखकर ज़ोर से पट्टी बाँधने से खून बहना बन्द हो जाता है। यदि जख्म में कोई चीज़ या हड्डी का टुकड़ा फँसा हो तो जख्म के किनारों पर दबाव डालना चाहिए।

खुले जख्म के सबसे पहले किसी कीटाणुनाशक या एण्टीसेप्टिक घोल, जैसे डिटोल, पोटेशियम परमैंगनेट या स्प्रिट से साफ़ करना चाहिए। इससे घाव विषैला होने से बच जाता है। घाव पर मरक्यूरी क्रीम या टिंचर बेंजोइन लगाना चाहिए। घाव पर यदि खुरण्ड बन आया हो तो उसे नहीं हटाना चाहिए क्योंकि यह खून बहना रोकने का प्राकृतिक साधन है।

प्रश्न 12.
काटे जाने पर रक्त बहने की स्थिति में प्राथमिक सहायतों के बारे में लिखें। जख़्म कितनी प्रकार के होते हैं ? विस्तार से लिखें।।
उत्तर-
ऐसी स्थिति में प्राथमिक सहायता देने का भाव है कि रक्त बहने से रोकना तथा रोगाणुओं को रक्त में मिलने से रोकना। साधारण जख़्म पर टिंकचर आयोडीन लगा देनी चाहिए। गहरे जख़्म को पानी से धो कर फलालैन के कपड़े से पोंछ दें। यदि दवाई न हो तो शहद का प्रयोग कर सकते हैं।
जख़्मों के प्रकार-स्वयं करें।

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प्राथमिक सहायता PSEB 8th Class Home Science Notes

  • प्राथमिक सहायता वह सहायता है, जो डॉक्टर के आने से पहले या रोगी को डॉक्टर के पास ले जाने से पहले रोगी के रोग की पड़ताल करके, उसे शीघ्र ही चिकित्सा के रूप में पहुँचाई जाए।
  • प्राथमिक सहायता करने वाला व्यक्ति धैर्यवान्, सहनशील, शान्त, दयावान्, होशियार, पक्के इरादे वाला, स्पष्टवादी, शारीरिक और मानसिक रूप से चुस्त होना चाहिए।
  • आग या धातु का गर्म टुकड़ा शरीर के किसी भाग के साथ छू जाए या रगड़ा जाए अथवा गाढ़े तेज़ाब या क्षार द्वारा पैदा हुआ ज़ख्म या घाव सूखी जलन कहलाता है।
  • भाप, गर्म तेल, लुक या उबलती चाय का दूध या अभोज्य ढंग से लगाई हुई पुलटिस के साथ पैदा हुए घाव को तरल जलन कहा जाता है।
  • जले हुए स्थान पर तेल लगाने से खून में जहर फैलने का डर रहता है।
  • जले हुए व्यक्ति को गर्म मीठी चाय में हल्दी डालकर रोगी को देना चाहिए ताकि रोगी को गर्म रखा जा सके।
  • लू लगने से रोगी की नब्ज़ तेज़ चलती है।
  • गर्मी में काम करने वाले को हल्के रंग के सूती कपड़े पहनने चाहिएँ।
  • गर्मी के दिनों में धूप में काले चश्मों और छतरी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • लू अधिक शराब पीने वालों को, एग्ज़ीमा के रोगियों को, पौष्टिक खुराक न खाने वालों को जल्दी लगती है।
  • साधारण कटे हुए ज़ख्म पर टॅनर आयोडीन लगानी ठीक रहती है।
  • किसी भी तेज़ ब्लेड, उस्तरा आदि लगने से हुए घाव को कटित घाव कहते हैं।
  • मशीन में शरीर के किसी अंग का आ.। या किसी पशु के मुँह में आ जाने से होने वाले घाव को दीर्घ घाव कहते हैं।
  • किसी चाकू, तेज़ धार वाले या नुकीले हथियार से हुए गहरे घाव, जिसका मुँह ऊपर से छोटा होता है, लेकिन अन्दर घाव गहरा होता है, इसको ही संवेधित घाव कहते हैं।
  • किसी भारी वस्तु के शरीर पर गिरने से या किसी कुंद हथियार के ज़ोर से लगने से होने वाला घाव कुचलित घाव कहलाता है।
  • नाक से खून बहे तो नाक पर ठंडे पानी की पट्टी रखें। और नाक साफ़ नहीं करना चाहिए।
  • लू के दिनों में पानी और नमक का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
  • लू लगे हुए रोगी को ठंडी और खुली हवा में लिटाना चाहिए।