PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

Punjab State Board PSEB 11th Class Agriculture Book Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Agriculture Chapter 8 मुर्गी पालन

PSEB 11th Class Agriculture Guide मुर्गी पालन Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दो-

प्रश्न 1.
मुर्गी कितने दिनों बाद अण्डे देना शुरू करती है?
उत्तर-
मुर्गी 160 दिनों पश्चात् अण्डे देना शुरू करती है।

प्रश्न 2.
मीट देने वाली मुर्गियों की दो किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
आई० बी० एल० 80 ब्रायलर तथा ह्वाइट प्लाईमाऊथ राक।

प्रश्न 3.
मुर्गी के एक अण्डे का भार लगभग कितना होता है?
उत्तर-
एक अण्डे का भार लगभग 55 ग्राम होता है।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

प्रश्न 4.
सफ़ेद रंग के अण्डे कौन सी मुर्गी देती है?
उत्तर-
ह्वाइट लैगहान।

प्रश्न 5.
रैड आईलैंड रैड मुर्गी साल में कितने अण्डे देती है?
उत्तर-
यह वर्ष में लगभग 180 अण्डे देती है।

प्रश्न 6.
बीटों से कौन सी गैस बनती है ?
उत्तर-
अमोनिया।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

प्रश्न 7.
चूजों को गर्मी देने वाले यंत्र का क्या नाम है ?
उत्तर-
बरूडर।

प्रश्न 8.
मुर्गियों के शैड की छत कितनी ऊंची होनी चाहिए ?
उत्तर-
10 फुट।

प्रश्न 9.
दो मुर्गियों के लिए पिंजरे का क्या आकार होना चाहिए ?
उत्तर-
15 इंच लम्बा तथा 12 इंच चौड़ा।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

प्रश्न 10.
सर्दियों में मुर्गियां खुराक अधिक खाती हैं या कम।
उत्तर-
सर्दियों में मुर्गियां अधिक खुराक खाती हैं।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दो।

प्रश्न 1.
पोल्ट्री शब्द से क्या भाव है?
उत्तर-
पोल्ट्री शब्द का अर्थ है प्रत्येक प्रकार के पक्षियों को पालना जिनसे मनुष्य की आर्थिक आवश्यकताएं पूरी हो सकें। इसमें मुर्गियां, बतखें, बटेर, टर्की, कबूतर, शुतुरमुर्ग, हंस, गिन्नी, फाऊल आदि शामिल है।

प्रश्न 2.
देसी नस्ल की मुर्गियों का वर्णन करो।
उत्तर-
इसकी किस्में हैं-पंजाब लेयर-1 तथा पंजाब लेयर-2.

  • सतलुज लेयर-यह वर्ष में 255-265 अण्डे देती हैं। एक अण्डे का औसत भार 55 ग्राम होता है।
  • आई०बी०एल० 80 ब्रायलर-इससे मीट प्राप्त किया जाता है। इसका औसत भार 1350-1450 ग्राम लगभग 6 सप्ताह में हो जाता है।

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प्रश्न 3.
वाइट लैग हार्न तथा रैड आइलैंड रेड मुर्गियों की तुलना करो।
उत्तर-
वाइट लैग हार्न मुर्गियां –

  1. इसके अण्डे सफ़ेद रंग के होते हैं।
  2. वर्ष में 220-250 के लगभग अण्डे देती हैं।
  3. थोड़ी खुराक खाती हैं।
  4. इनका मास स्वादिष्ट नहीं होता।
    यह अण्डे वाली नसल है।

रैड आइलैड रेड मुर्गियां –

  1. इसके अण्डे खाकी रंग के होते हैं।
  2. वर्ष में 180 अण्डे देती हैं।
  3. अधिक खुराक खाती हैं।
  4. इनका प्रयोग मांस के लिये होता है।

प्रश्न 4.
मुर्गियों के विकास के लिए किन भोज्य तत्त्वों की आवश्यकता होती है?
उत्तर-
मुर्गियों की वृद्धि के लिये लगभग 40 पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। खुराक में पाए जाने वाले पदार्थों को 6 भागों में बांट सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, चर्बी, धातुएं, विटामिन तथा पानी।

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प्रश्न 5.
मुर्गियों के शैड के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
मुर्गियों की शैड ऊंचे स्थान पर बनानी चाहिए तथा सड़क से जुड़ी होनी चाहिए ताकि खुराक, अण्डों आदि की ढुलाई इत्यादि सुविधा से हो सके। वर्षा अथवा बाढ़ का पानी शैड के निकट नहीं खड़ा होने देना चाहिए।

प्रश्न 6.
गर्मियों में मुर्गियों की सम्भाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-
पक्षियों में पसीने के लिये मुसाम (रोमछिद्र) नहीं होते तथा पंख अधिक होते हैं इसलिये इनके लिए गर्मी को सहन करना कठिन होता है। शैड के इर्द-गिर्द घास इत्यादि, शहतूत के वृक्ष आदि लगाने चाहिए। छतों के ऊपर फव्वारे लगाने चाहिएं इससे 5-6°C तापमान कम किया जा सकता है। चारों ओर की दीवारें एक-डेढ़ फुट से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिये तथा शेष स्थान पर जालियां लगवानी चाहिएं। छत पर सरकण्डे की परत बिछा दो तथा अधिक गर्मी में मुर्गियों पर फव्वारे से पानी छिड़का देना चाहिए। पीने वाले पानी का प्रबन्ध ठीक होना चाहिये। पानी के बर्तन दोगुने कर देने चाहिए तथा पानी शीघ्र बदलते रहना चाहिए।

प्रश्न 7.
मुर्गियों के लिटर की सम्भाल क्यों जरूरी है ? –
उत्तर-
लिटर सदैव सूखा होना चाहिये। गीले लिटर से बीमारियां लग सकती हैं। इससे शैड में अमोनिया गैस बनती है जो पक्षियों तथा मज़दूरों दोनों के लिए कठिनाई पैदा करती है।

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प्रश्न 8.
मीट प्राप्त करने के लिये मुर्गी की कौन सी नस्लें पाली जाती हैं ?
उत्तर-
मांस प्राप्त करने के लिये आई० बी० एल० 80 ब्रायलर, रैड आइलैंड रेड तथा ह्वाइट प्लाईमाऊथ रॉक नस्लें पाली जाती हैं।

प्रश्न 9.
आई०बी०एल० 80 नस्ल की क्या विशेषताएं हैं ?
उत्तर-
यह मांस के लिए प्रयोग होने वाली नस्ल है। इसका औसत भार 1350-1450 ग्राम लगभग 6 सप्ताह में हो जाता है।

प्रश्न 10.
मुर्गियों की खुराक बनाने में कौन-कौन सी चीज़ों का उपयोग होता
उत्तर-
मुर्गियों की खुराक में मक्की, चावल का टोटा, मूंगफली की खल, चावल की पालिश, गेहूँ, मछली का चूरा, सोयाबीन की खल, पत्थर तथा साधारण नमक आदि से मुर्गी अपने खुराकी तत्व पूरा करती है। मुर्गी के खुराक में ऐंटीवायोटिक दवाइयां अवश्य शामिल करनी चाहिए।

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(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दो-

प्रश्न 1.
मुर्गी की विदेशी नस्लों का वर्णन करो।
उत्तर-

  • वाइट लैगहान-इसके अण्डे सफ़ेद रंग के होते हैं। वर्ष में 220-250 के लगभग अण्डे देती है। इसका मांस स्वादिष्ट नहीं होता है। यह छोटे आकार की होती है तथा कम भोजन खाती है।
  • रेड आइलैण्ड रैड-इसके अण्डे लाल रंग के होते हैं। यह वर्ष में लगभग 180 अण्डे देती है। यह अधिक खुराक खाती है तथा इसे मांस के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • वाइट प्लाइमाऊथ रॉक-यह वर्ष में 140 के लगभग अण्डे देती है। अण्डे का रंग खाकी होता है तथा भार 60 ग्राम से अधिक होता है। इसका प्रयोग मांस के लिए होता है। इसके चूज़े दो मास में एक किलो से अधिक हो जाते हैं। इसके मुर्गों का भार 4 किलो तथा मुर्गियों का भार 3 किलो तक होता है।

प्रश्न 2.
मुर्गियों के लिए ज़रूरी भोज्य तत्त्वों का वर्णन करो।
उत्तर-
मुर्गियों के लिए लगभग 40 से अधिक आहारीय तत्त्वों की आवश्यकता होती है। किसी भी आहारीय तत्त्व की कमी का मुर्गियों के स्वास्थ्य तथा पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इन आहारीय तत्त्वों को 6 भागों में बांटा जा सकता है। जैसे कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन, चर्बी, धातुएं, विटामिन तथा पानी।

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प्रश्न 3.
गर्मियों और सर्दियों में मुर्गियों की सम्भाल करने में क्या अंतर है ?
उत्तर-
गर्मियों में सम्भाल-पक्षियों में पसीने के मुसाम नहीं होते तथा पंख अधिक होते हैं। इस कारण वह सर्दी तो सहन कर सकते हैं परन्तु गर्मी सहन करना उनके लिए कठिन होता है। शैड के चारों ओर से गर्मी कम करने के लिए इर्द-गिर्द घास तथा शहतूत इत्यादि के वृक्ष भी लगाने चाहिए। छतों पर फव्वारे लगा कर गर्म तथा शुष्क ऋतु में तापमान को 5-6°C तक कम किया जा सकता है। चारों ओर की दीवारें भूमि से एक-डेढ़ फुट से अधिक ऊंची नहीं होनी चाहिएं तथा शेष स्थान पर जाली लगा देनी चाहिए। छत पर सरकण्डे आदि की मोटी परत बिछा लेनी चाहिए। अधिक गर्मी में मुर्गियों पर स्प्रे पम्प से पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। पीने वाले पानी का प्रबन्ध ठीक होना चाहिए तथा पानी शीघ्र बदलते रहना चाहिए। खुराक में प्रोटीन, धातुएं तथा विटामिन की मात्रा 20-30% बढ़ा दो।

सर्दियों की सम्भाल-सर्दियों में कई बार तापमान 0°C से भी कम हो जाता है। इसका मुर्गियों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि मुर्गीखाने का तापमान ठीक न हो तो ऐसी अवस्था में सर्दियों की ऋतु में मुर्गी 3 से 5 किलोग्राम दाना अधिक खा जाती है। सर्दी से बचाव के लिए खिड़कियों पर पर्दै लगाने चाहिए। सूख को सप्ताह में दो बार हिलाना चाहिए।

प्रश्न 4.
मुर्गी पालन के लिए प्रशिक्षण विभागों का वर्णन करो।
उत्तर-
मुर्गी पालन का धन्धा शुरू करने के लिए पहले प्रशिक्षण ले लेना चाहिए। इसके लिए जिले में डिप्टी डायरैक्टर पशु-पालन विभाग, गुरु अंगद देव वैटनरी तथा एनीमल साइंसज़ विश्वविद्यालय लुधियाना या कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क करना चाहिए।

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प्रश्न 5.
चूजों की सम्भाल पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
चूजों को किसी विश्वसनीय तथा मान्यता प्राप्त हैचरी से खरीदना चाहिए तथा ब्रडर में रखना चाहिए। ब्रूडर चूजों को गर्मी देने वाला यंत्र है। चूजों को पहले 6-8 सप्ताह की आयु तक 24 घण्टे प्रकाश तथा अच्छी खुराक जो कि संतुलित हो, देनी पड़ती है।

Agriculture Guide for Class 11 PSEB मुर्गी पालन Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सतलुज लेअर से एक वर्ष में कितने अण्डे प्राप्त होते हैं?
उत्तर-
255-265 अण्डे।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

प्रश्न 2.
आई० बी० एल० 80 ब्रायलरों का 6 सप्ताह का औसत भार कितना होता है?
उत्तर-
1230-1450 ग्राम।

प्रश्न 3.
मुर्गी कितने दिनों बाद अण्डा देना शुरू कर देती है ?
उत्तर-
160 दिन।

प्रश्न 4.
सतलुज लेअर के अण्डे का भार होता है।
उत्तर-
55 ग्राम लगभग।

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प्रश्न 5.
सतलुज लेयर मुर्गियों की किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
पंजाब लेअर-1 तथा पंजाब लेअर-2।।

प्रश्न 6.
विश्व भर में पाई जाने वाली मुर्गियों की तीन जातियों के नाम बताओ।
उत्तर-
वाइट लैगहार्न, रेड आईलैंड रेड तथा वाइट प्लाइमाऊथ राक।

प्रश्न 7.
वाइट लैगहान कितने अण्डे देती है?
उत्तर-
एक वर्ष में 220-250 के लगभग अण्डे देती है।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

प्रश्न 8.
रैड आईलैंड रेड के अण्डों का रंग क्या होता है?
उत्तर-
इसके अण्डे खाकी रंग के होते हैं।

प्रश्न 9.
वाइट प्लाईमाउथराक नस्ल कितने अण्डे देती है ?
उत्तर-
यह वर्ष में 140 के लगभग अण्डे देती है।

प्रश्न 10.
मुर्गियों के बढ़ने-फूलने के लिए लगभग कितने भोजन तत्त्वों की आवश्यकता होती है?
उत्तर-
मुर्गियों को लगभग 40 भोजन तत्त्वों की आवश्यकता होती है।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

प्रश्न 11.
भोजन में पाए जाने वाले पदार्थों को कौन-कौन से भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-
इनको 6 भागों में बांटा जा सकता है-कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, चर्बी, धातुएं, विटामिन तथा पानी।

प्रश्न 12.
मुर्गियों की गर्मियों की खुराक में प्रोटीन, धातुएं तथा विटामिन की मात्रा कितनी बढ़ानी चाहिए ?
उत्तर-
20-30% तक।

प्रश्न 13.
गीले लिटर से कौन-सी गैस बनती है?
उत्तर-
इससे अमोनिया गैस बनती है।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य अपनी आर्थिक आवश्यकताएं पूरी कर सके इसके लिए कौनकौन से पक्षी पालता है?
उत्तर-
मुर्गियां, टर्की, बत्तखें, हंस, बटेर, गिन्नी, फाल, कबूतर आदि ऐसे पक्षी हैं जो मनुष्य की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पाले जाते हैं।

प्रश्न 2.
पक्षियों के लिए गर्मी सहन करना क्यों कठिन है ?
उत्तर-
पक्षियों में पसीने के मुसाम नहीं होते तथा पंख अधिक होते हैं इसलिए इनके लिए गर्मी सहन करना कठिन होता है।

PSEB 11th Class Agriculture Solutions Chapter 8 मुर्गी पालन

मुर्गी पालन PSEB 11th Class Agriculture Notes

  • ‘पोल्ट्री’ शब्द का अर्थ है ऐसे हर प्रकार के पक्षियों को पालना जो आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हों।
  • सतलुज लेयर, मुर्गियों की एक जाति है जो एक वर्ष में 255-265 अण्डे देती हैं तथा अण्डे का औसत भार 55 ग्राम होता है। मुर्गी 160 दिनों के पश्चात् अण्डे देना शुरू करती है।
  • आई० बी० एल० 80 ब्रायलर मीट पैदा करने वाली मुर्गियों की एक जाति है।। इसका 6 सप्ताह का औसत भार 1250-1350 ग्राम होता है।
  • ह्वाइट लैगहान विदेशी नसल है, जो वर्ष में 220-250 अण्डे देती है।
  • रैड आईलैंड रैड खाकी रंग के लगभग वार्षिक 180 अण्डे देती है।
  • ह्वाइट प्लाईमाऊथ राक वार्षिक 140 के लगभग अण्डे देती है तथा इसके चूजे दो माह में एक किलो भार के हो जाते हैं।
  • मुर्गियों को अपने भोजन में 40 से अधिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है। इनको 6 भागों में बांटा जा सकता है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, चर्बी, धातुएं, विटामिन तथा पानी।
  • चूजों को गर्मी देने वाला यंत्र बरूडर होता है।
  • एक मुर्गी को 2 वर्ग फुट स्थान चाहिए।
  • पक्षियों के शरीर में पसीने के लिए रोमछिद्र नहीं होते।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य

Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Geography Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य

PSEB 11th Class Geography Guide पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य Textbook Questions and Answers

1. प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न (क)
विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल कौन-सा है ?
उत्तर-
सहारा।

प्रश्न (ख)
मरुस्थल कितने प्रकार के होते हैं ? उनके नाम लिखें।
उत्तर-
पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य Solutions

  1. रेतीला मरुस्थल-सहारा में अरग।
  2. पथरीला मरुस्थल-अल्जीरिया में रैग।
  3. चट्टानी मरुस्थल-सहारा में हमादा।

प्रश्न (ग)
अरग किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रेतीले मरुस्थल को।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य

प्रश्न (घ)
क्या रेत के टीले सदा स्थिर रहते हैं ?
उत्तर-
नहीं, ये खिसकते रहते हैं।

प्रश्न (ङ)
लोइस मैदानों की मिट्टी का रंग कैसा होता है और उनमें किन फसलों की खेती की जाती है ?
उत्तर-
पीला रंग और गेहूँ की खेती।

प्रश्न (च)
हवा और पवन में क्या अंतर है ?
उत्तर-
वायुमंडल के दबाव कारण हवा चलती है, परंतु गतिशील हवा को पवन कहते हैं।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य

प्रश्न (छ)
मुसामदार चट्टानों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिनमें पानी निचली सतह पर चला जाता है।

प्रश्न (ज)
तटवर्ती रेत के टीले कैसे बनते हैं ?
उत्तर-
जब हवा रेत को जमा करती है।

2. निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-

(i) बरखान — लोइस
(ii) जालीदार पत्थर — डरीकंटर
(iii) ज़िऊजन — यारडांग
(iv) नखलिस्तान — इनसलबर्ग
(v) रेतीले मरुस्थल — चट्टानी मरुस्थल।
उत्तर-
(i) बरखान (Barkhan)- बरखान अर्ध-चंद्र के आकार के टीले हैं। इनका आकार धनुष के समान होता है। इनके सिरों को हॉर्न कहा जाता है।
लोइस (Loess) – बारीक मिट्टी के निक्षेप को लोइस कहते हैं। चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में पीली मिट्टी के निक्षेप को लोइस कहते हैं।

(ii) जालीदार पत्थर (Stone Lattice)-
जब नर्म और कठोर चट्टाने मिलकर बनती हैं, तब नर्म भाग रगड़े जाने से समाप्त हो जाते हैं, परंतु कठोर भाग जालीनुमा आकार में खड़े रहते हैं, जिन्हें जालीदार पत्थर कहा जाता है।

डरीकंटर (Driekanter)-
जब चट्टानों के खुरचने की क्रिया लगातार एक ही दिशा में होती रहती है, तो चट्टानें एक त्रिकोण के समान बन जाती हैं, जिन्हें डरीकंटर कहा जाता है।

(iii) ज़िऊजन (Zeugen)-

  1. ढक्कनदार दवात के आकार के स्थल रूपों को ज़िऊजन कहते हैं।
  2. इनका ऊपरी भाग कठोर होता है परंतु निचला भाग नर्म होने के कारण अधिक चौड़ा होता है।

यारडंग (Yardang)-

  1. नुकीली चट्टानों को यारडंग कहते हैं।
  2. इसमें नर्म और कठोर चट्टानें लंब रूप में होती हैं।

(iv) नखलिस्तान (Oasis)-
अपवाहन (Deflation) की क्रिया के दौरान चट्टानों की ऊपरी परतें हटती जाती हैं और सतह के नीचे वाला पानी चट्टानों के ऊपर आ जाता है, जिसके इर्द-गिर्द के क्षेत्र को नखलिस्तान कहते हैं।

इनसलबर्ग (Insellberg)-
पवनों के अपरदन से कई क्षेत्रों में कठोर चट्टानों की छोटी-छोटी पहाड़ियाँ बन जाती हैं। ये ग्रेनाइट जैसी कठोर चट्टानों से बनती हैं। इन्हें इनसलबर्ग कहते हैं।

(v) रेतीले मरुस्थल (Sandy Deserts)-
ऐसे मरुस्थल, जिनमें अधिकतर रेत ही पाई जाती है। यहाँ से रेत के कण बड़ी आसानी से पवन अपने साथ उड़ाकर ले जाती है। जैसे-सहारा।।

चट्टानी मरुस्थल (Rocky Deserts)-
ऐसे बंजर क्षेत्र, जिनकी ऊपरी नर्म परतें घिसकर बिल्कुल समाप्त हो जाती हैं और केवल चट्टानी टीले या बंजर क्षेत्र ही रह जाते हैं। जैसे-हमादा।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य

3. निम्नलिखित के उत्तर सौ शब्दों में दीजिए-

प्रश्न (क)
पवनें मरुस्थल में अनावृत्तिकरण का साधन है। व्याख्या करें।
उत्तर-
पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य (Denudation Works of Winds)-
वायु और पवन-हवा वायुमण्डल के दबाव से चलती है और इस चलती या गतिशील हवा को पवन (Wind) कहते हैं। दबाव में जब अंतर पैदा होता है, तो पवनें चलती हैं। ये अधिक दबाव (High Pressure) से कम दबाव (Low Pressure) वाले क्षेत्रों की ओर चलती हैं। जिस दिशा से पवन उत्पन्न होती है, उसे पवन की दिशा कहा जाता है, भाव उस दिशा को पवन का नाम दिया जाता है।

पवनों की अनावृत्तिकरण क्रिया-यह केवल कम वर्षा, कम वनस्पति, दूसरे शब्दों में शुष्क या मरुस्थलीय क्षेत्रों में ही अधिक कार्य करती है। मरुस्थलीय क्षेत्र ऐसे क्षेत्र होते हैं, जिनमें वर्षा 25 सेंटीमीटर से भी कम और वहाँ अत्यधिक तापमान होता है। इस प्रकार की जलवायु के कारण ऐसे क्षेत्रों में किसी प्रकार की वनस्पति नहीं होती और पवनों के चलने में भी किसी प्रकार की रुकावट नहीं होती और यह अनावृत्तिकरण का कार्य करती रहती हैं। विश्व के अधिकतर मरुस्थल महाद्वीपों के पश्चिमी भागों में मिलते हैं। 20° से 30° उत्तरी अक्षांशों के बीच पंजाब का दक्षिण-पश्चिमी (South-West) भाग अर्द्धशुष्क (Semiarid) भाग है, जो वास्तव में थार मरुस्थल में ही मिल जाता है। पवनें निम्नलिखित कारणों के कारण ही मरुस्थल में अनावृत्तिकरण की क्रिया अधिक करती हैं-

1. भौतिक मौसमीकरण-मरुस्थल नमी-युक्त क्षेत्रों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। नमीयुक्त क्षेत्रों में रासायनिक मौसमीकरण आम है, परंतु शुष्क क्षेत्रों में भौतिक मौसमीकरण ही हो सकता है। नमक निकालना (Salt wedging) इसका ही उदाहरण है।

2. वर्षा की कमी-मरुस्थलीय इलाकों में मिट्टी और वर्षा की कमी होने के कारण वनस्पति भी कम ही होती है, इसलिए पवनें अपना काम कर सकती हैं।

3. गैर मुसामदार चट्टानें-मरुस्थलों का अधिकतर क्षेत्र गैर मुसामदार (Impermeable) होता है, जिसके कारण धरती की निचली सतह पर कोई कमी नहीं होती है।

4. रेतीले मरुस्थल-जो मरुस्थल अधिक रेतीले होते हैं, वे हवा या वर्षा के कारण और अधिक फैलते जाते हैं। इनका आकार (Size) बढ़ता जाता है।

5. अल्पकालिक नदियाँ–अधिकतर नदियाँ मौसमी या अल्पकालिक (Ephemeral) होती हैं, जोकि केवल वर्षा के समय ही थोड़े समय के लिए चलती हैं और वर्षा के एकदम बाद समाप्त हो जाती हैं।

इसलिए हम कह सकते हैं कि मरुस्थलीय क्षेत्रों में वर्षा, वनस्पति आदि कम होने के कारण पवनें अधिकतर काम करती हैं। यहाँ केवल झाड़ीदार घास या काँटेदार पौधे ही कहीं-कहीं मिलते हैं।

प्रश्न (ख)
पवनें अपघर्षण की क्रिया के दौरान कौन-कौन-सी भू-आकृतियाँ बनाती हैं ? व्याख्या करें।
उत्तर-
पवनों (हवा) का कार्य (Work of Winds)-
मरुस्थल और शुष्क प्रदेशों में वनस्पति और नमी की कमी के कारण हवा अनावरण का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। हवा के कार्य यांत्रिक (Mechanical) होते हैं। हवा भी अन्य साधनों के समान अपरदन, ढुलाई और निक्षेप का काम करती है।

अपरदन (Erosion)-

  1. हवा का वेग (Wind Velocity) तेज़ वेग वाली पवनें अधिक मात्रा में अपरदन करती हैं। तेज़ हवा में रेत के कणों की अधिक मात्रा होती है और अधिक कटाव होता है। तेज़ हवा शक्तिशाली होती है और अपरदन अधिक करती है।
  2. रेत के कणों का आकार (Size of Sand Particles)–धरातल के नज़दीक 2 मीटर से 6 मीटर की ऊँचाई तक रेत के कणों की अधिक मात्रा के कारण अधिक कटाव होता है। अधिक ऊँचाई और रेत के कणों की कमी के कारण कम कटाव होता है।
  3. चट्टानों की रचना (Nature of Rocks)—कठोर चट्टानों पर अपरदन कम होता है।
  4. जलवायु (Climate)-शुष्क जलवायु में मौसमीकरण (Weathering) की क्रिया के कारण अधिक कटाव होता है।

कटाव या अपरदन के रूप (Types of Erosion)-

  1. नीचे का कटाव (Under cutting)
  2. नालीदार कटाव (Gully Erosion)
  3. खुरचना (Scratching)
  4. चमकाना (Polishing)

अपरदन (Erosion)-हवा द्वारा कटाव तीन प्रकार से होता है-

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य 1

1. अपवाहन (Deflation)-हवा द्वारा रेत के सूक्ष्म और शुष्क कणों को ऊपर उठाने की क्रिया को अपवाहन कहते हैं। (Deflation is the complete blowing away of fine dust.) हवा रेत और बारीक मिट्टी के कणों को हज़ारों किलोमीटर दूर तक ले जाती है। इसमें मिट्टी का कटाव होता है और खड्डे बनते हैं।

खड्डों (Depressions) का बनना-हवा जिस स्थान से रेत उड़ाकर ले जाती है, उस स्थान पर कई बड़े-बड़े खड्डे बन जाते हैं। इन खड्डों में भूमिगत पानी आकर नखलिस्तान बना देता है, जिस प्रकार मिस्र का कतारा खड्डा समुद्र तल से 140 मीटर गहरा है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य 2

2. टूट-फूट (Attrition)—हवा के धूल-कण एक-दूसरे से टकराकर चूरा-चूरा हो जाते हैं। इस क्रिया को टूट फूट कहते हैं।

3. अपघर्षण (Abrasion)-हवा में रेत के कण हवा के अपरदन के उपकरण (Tools) होते हैं। तेज़ चाल वाली हवा धूल-कणों को शक्ति के साथ चट्टानों से टकराती है। ये कण एक रेगमार (Sand Paper) की तरह कटाव करते हैं। इस घर्षण की क्रिया से नीचे लिखे भू-आकार बनते हैं, जिनका रूप अलग-अलग होता है-

(i) छत्रक कुकुरमुत्ता चट्टान (Mushroom Rocks)-चट्टानों के निचले भाग में चारों तरफ से नीचे का कटाव (Under Cutting) होता है। इस कटाव से एक पतले से आधार-स्तंभ (Pillar) के ऊपर एक छाते के आकार की कठोर चट्टान खड़ी रहती है। चट्टानों के नीचे एक गुफ़ा बन जाती है। इसे छत्र-आकारी (Mushroom) या गारा (Gara) कहते हैं। इन चट्टानों का आकार खंभ के समान होता है। इसलिए इन्हें खुंभ-आकारी चट्टान भी कहते हैं।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य 3

(ii) ज़िऊजन (Zeugen)-ढक्कनदार दवात के आकार के स्थल रूपों को ज़िऊजन कहते हैं। ऊपरी भाग कठोर और कम चौड़ा होता है, पर निचला भाग नरम और अधिक कटाव के कारण अधिक चौड़ा होता है। ज़िऊजन तब बनते हैं, जब कठोर और नरम चट्टानें एक-दूसरे के समानांतर (Horizontal) बिछी होती हैं। कठोर चट्टानी भाग कोमल चट्टानों पर एक टोपी का काम करता है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य 4

(iii) यारडांग (Yardang) हवा के लगातार एक ही दिशा में कटाव के कारण नुकीली चट्टानों का निर्माण होता है। इन्हें यारडांग कहते हैं। ये लगभग 15 मीटर ऊँची और पसलियों (Ribs) के समान तेज़ ढलान वाली होती हैं। ये भूआकार कठोर और नरम खड़ी चट्टानों (Vertical Rocks) के कारण बनते हैं।

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(iv) पुल और खिड़की (Bridge and Window)-लंबे समय तक कटाव के कारण चट्टानों के बीच बडे-बडे छेद बन जाते हैं। चट्टानों के आर-पार एक महराब (Arch) के आकार का निर्माण होता है, जिन्हें पवन खिड़की या पुल कहते हैं, जैसे-यू०एस०ए० में Hope Window.

(v) इनसलबर्ग (Insellberg)-कठोर चट्टानों के ऊँचे टीलों को इनसलबर्ग कहते हैं। चारों तरफ से कटाव के कारण ये तिरछी और तेज़ ढलान वाले गुबंद आकार के होते हैं। ये ग्रेनाइट (Granite) और जनीस (Geniss)

जैसी कठोर चट्टानों से बने होते हैं। ये रेत के समूह में पहाड़ी द्वीप के समान दिखाई देते हैं। भारत में रायपुर के निकट कूपघाट में ऐसे टीले मिलते हैं।

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PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य

प्रश्न (ग)
पवनों की जमा करने की क्रिया का विस्तार सहित वर्णन करें।
उत्तर-
निक्षेप (Deposition)-जब हवा का वेग कम हो जाता है, तो उसे अपना भार कहीं-न-कहीं छोड़ना पड़ता है। इस निक्षेप से रेत के टीले और लोइस प्रदेश बनते हैं।

I. रेत के टीले (Sand Dunes)-जब रेत के मोटे कण टीलों के रूप में जमा हो जाते हैं, तो उन्हें रेत के टीले कहते हैं। (Sand Dunes are hills on wind blown Sand.) इनके बनने के नीचे लिखे क्षेत्र हैं-

  1. रेतीले मरुस्थलों में
  2. रेतीले समुद्री तटों पर
  3. झीलों के तट पर
  4. नदियों के तट पर।

रेत के टीलों के लिए कुछ ज़रूरी शर्ते (Essential Conditions) होती हैं-

  1. रेत की अधिक मात्रा
  2. तेज़ हवा
  3. हवा के मार्ग में रुकावट
  4. उपयुक्त स्थान।

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रेत की टीलों के प्रकार (Types of Sand Dunes)-

1. लंबाकार रेत के टीले (Longitudinal Dunes)-यह प्रचलित हवा की दिशा के समानांतर बनते हैं। ये रेत की लंबी दीवारें होती हैं। इनका आकार लंबी पहाड़ी के समान होता है। इन्हें सहारा मरुस्थल में सीफ़ (Seif) कहते हैं।

2. रेत के आड़े टीले (Transverse Dunes)-यह प्रचलित हवा की दिशा के समकोण पर आर-पार बनते हैं। यह कम गति वाली हवा के लगातार एक ही दिशा में बहने से बनते हैं। इनका आकार अर्द्ध-चंद्र जैसा होता है।

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3. बरखान (Barkhan)-ये अर्द्ध-चंद्र आकार के टीले होते हैं, जिनमें पवनमुखी ढलान उत्तल (Convex) और पवनाविमुखी ढलान अवतल (Concave) होती है। इनका आकार दरांती (Sickle) अथवा दूज के चाँद (Crescent Moon) अथवा धनुष के समान होता है। ये झुंडों या कतारों में मिलते हैं। इनके सिरों को Horns कहते हैं। इनके सिरों पर कम रुकावट होने के कारण ये आगे को बढ़ते रहते हैं। राजस्थान में शाहगढ़ के । निकट बहुत सारे बरखान मिलते हैं। ये रेत के टीले खिसकते रहते हैं और कई शहर रेत के नीचे दब जाते हैं। राजस्थान का मरुस्थल इसी कारण पंजाब की ओर बढ़ता जा रहा है। सहारा मरुस्थल में ये प्रतिवर्ष 30 मीटर आगे की ओर बढ़ जाते हैं और ऐसे प्रदेशों को अरग (Erg) कहते हैं।

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II. लोइस (Loess)-दूर-दूर के स्थानों से उठाकर लाई हुई बारीक मिट्टी के जमाव को लोइस कहते हैं। यह मिट्टी पानी चूस लेती है। पानी के साथ मिट्टी नीचे परतों में बैठ जाती है। यह बहुत उपजाऊ होती है। मरुस्थलों की सीमा पर रेत के बारीक कणों के निक्षेप से लोइस प्रदेश बनते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश चीन के उत्तरपश्चिमी भाग में पीली मिट्टी का लोइस का प्रदेश है, जो लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस प्रदेश में पीली नदी ‘ह्वांग हो’ गहरी घाटियों का निर्माण करती है।

Geography Guide for Class 11 PSEB पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-4 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
पवन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गतिशील हवा को पवन कहते हैं।

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प्रश्न 2.
मरुस्थल किस प्रकार के क्षेत्र हैं ?
उत्तर-
जहाँ वार्षिक वर्षा 25 सैंटीमीटर से कम हो।

प्रश्न 3.
किन अक्षांशों में मरुस्थल स्थित हैं ?
उत्तर-
20°–30°.

प्रश्न 4.
पंजाब के किस भाग में अर्द्ध-मरुस्थल हैं ?
उत्तर-
दक्षिण-पश्चिमी भाग।

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प्रश्न 5.
विश्व के सबसे बड़े मरुस्थल का नाम बताएँ।
उत्तर-
अफ्रीका में सहारा।

प्रश्न 6.
विश्व के सबसे शुष्क मरुस्थल का नाम बताएं।
उत्तर-
दक्षिणी अमेरिका में अटाकामा।

प्रश्न 7.
खंड आकार की चट्टानों का एक उदाहरण दें।
उत्तर-
सहारा में।

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प्रश्न 8.
भारत में यारडांग कहाँ मिलते हैं ?
उत्तर-
जैसलमेर (राजस्थान में)।

प्रश्न 9.
खिड़की और पुल का एक उदाहरण दें।
उत्तर-
यू०एस०ए० में रेनबो ब्रिज।

प्रश्न 10.
लोइस के मैदान कहाँ स्थित हैं ?
उत्तर-
चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में।

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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-3 वाक्यों में दें-

प्रश्न 1.
पवनों का कार्य किन क्षेत्रों में अधिक होता है ?
उत्तर-
मरुस्थलों में।

प्रश्न 2.
अपवाहन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
हवा द्वारा रेत के सूक्ष्म कणों को ऊपर उठाने की क्रिया को अपवाहन कहते हैं।

प्रश्न 3.
अपवाहन के दो प्रभाव बताएँ।
उत्तर-
खड्डे बनना और मिट्टी का कटाव।

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प्रश्न 4.
सहघर्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रेत के कणों के आपस में टकराकर चूरा-चूरा होने की क्रिया को सहघर्षण कहते हैं।

प्रश्न 5.
घर्षण क्रिया से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
रेत के कणों द्वारा चट्टानों को रेगमार की तरह घिसाने की क्रिया को घर्षण क्रिया कहते हैं।

प्रश्न 6.
कतारा डुंघान कहाँ है ?
उत्तर-
मिस्र देश में।

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प्रश्न 7.
पवनों के द्वारा अपरदन किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-

  1. वायु वेग
  2. रेत कणों का आकार
  3. चट्टानों की रचना
  4. जलवायु।

प्रश्न 8.
छत्रक/खुंभ (कुकुरमुत्ता) चट्टानें क्या होती हैं ?
उत्तर-
चट्टानों के निचले कटाव के कारण, एक पतले स्तंभ के ऊपर छाते के आकार की कठोर चट्टानों को छत्रक/ खुंभ चट्टानें कहते हैं।

प्रश्न 9.
ज़िऊजन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ढक्कनदार दवात के आकार के स्थल रूपों को ज़िऊजन कहते हैं।

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प्रश्न 10.
यारडांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नर्म चट्टानों के ऊपर कठोर चट्टानों की नुकीली चट्टानों को यारडांग कहते हैं।

प्रश्न 11.
इनसलबर्ग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गुंबद आकार की कठोर चट्टानों के टीलों को इनसलबर्ग कहते हैं।

प्रश्न 12.
बरखान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ये अर्द्ध-चंद्र के आकार के रेत के टीले हैं, जिनमें पवनमुखी ढलान उत्तल (Convex) होती है और पवनाविमुखी ढलान अवतल (Concave) होती है।

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प्रश्न 13.
लोइस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बारीक रेत के कणों के निक्षेप को लोइस प्रदेश कहते हैं, जैसे-चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
हवा का अपरदन किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
1. हवा का वेग (Wind Velocity) तेज़ वेग वाली पवनें अधिक मात्रा में अपरदन करती हैं। तेज़ हवा में रेत के कणों की मात्रा अधिक होती है और कटाव भी अधिक होता है। तेज़ हवा अधिक शक्तिशाली होती है और अपरदन भी अधिक करती है।

2. रेत के कणों का आकार (Size of Sand Particles)–धरातल के निकट 2 मीटर से 6 मीटर की ऊँचाई तक रेत के कणों की अधिक मात्रा के कारण कटाव अधिक होता है। अधिक ऊँचाई पर रेत के कणों की कमी के कारण कटाव कम होता है।

3. चट्टानों की रचना (Nature of Rocks) कठोर चट्टानों पर अपरदन कम होता है।

4. जलवायु (Climate)-शुष्क जलवायु में मौसमीकरण (Weathering) की क्रिया के कारण कटाव अधिक होता है।

प्रश्न 2.
बरखान क्या होते हैं ?
उत्तर-
बरखान अर्द्ध-चंद्र के आकार के टीले होते हैं, जिनमें पवनामुखी ढलान उत्तल (Convex) और पवनाविमुखी ढलान अवतल (Concave) होती है। इनका आकार दरांती (Sickle) या दूज के चाँद (Crescent Moon) या धनुष के समान होता है। ये झुंडों या कतारों में मिलते हैं। इनके सिरों को Horns कहते हैं। इनके सिरों पर रुकावट होने के कारण ये आगे को बढ़ते रहते हैं। राजस्थान में शाहगढ़ के निकट बहुत से बरखान मिलते हैं।

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प्रश्न 3.
लोइस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लोइस (Loess)-दूर-दूर के स्थानों से उठाकर लाई हुई बारीक मिट्टी के जमाव को लोइस कहते हैं। यह मिट्टी पानी चूस लेती है। पानी के साथ मिट्टी नीचे परतों में बैठ जाती है। यह मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है। मरुस्थलों की सीमा पर रेत के बारीक कणों के निक्षेप से लोइस प्रदेश बनते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण प्रदेश चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में पीली मिट्टी का लोइस प्रदेश है, जो लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस प्रदेश में पीली नदी ‘ह्वांग हो’ गहरी घाटियों का निर्माण करती है।

प्रश्न 4.
हवा और नदी के कार्य की तुलना करें।
उत्तर
हवा का कार्य-

  1. हवा का कार्य मरुस्थल प्रदेशों में महत्त्वपूर्ण होता है।
  2. हवा अपने मलबे को दूर-दूर के प्रदेशों तक उड़ाकर ले जाती है।
  3. हवा का काम हवा की गति पर निर्भर करता है।
  4. हवा का मलबा कम होता है और काम कम गति से होता है।

नदी का कार्य-

  1. नदी का कार्य नमी वाले प्रदेशों में महत्त्वपूर्ण होता है।
  2. नदी का काम अपनी घाटी तक ही सीमित होता है।
  3. नदी का काम धरातल की ढलान पर निर्भर करता है।
  4. नदी का मलबा अधिक होता है और काम तेज़ गति से होता है।

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प्रश्न 5.
रेत के लंबाकार टीलों और आड़े टीलों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
लंबाकार टीले-

  1. ये अर्द्ध-चंद्र के आकार के होते हैं।
  2. ये बहने वाली पवनों की दिशा के समानांतर बनते हैं।
  3. ये 100 मीटर तक ऊँचे होते हैं।
  4. ये तलवार के आकार के होते हैं और इन्हें सीफ भी कहा जाता है।

आड़े टील-

  1. ये रेत की लंबी दीवारों के समान होते हैं।
  2. ये बहने वाली पवनों की दिशा के समकोण पर बनते हैं।
  3. ये 50 मीटर तक ऊँचे होते हैं।
  4. ये लहरों के आकार के समान ऊँचे-नीचे होते हैं।

निबंधात्मक प्रश्न । (Essay Type Questions)

नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 150-250 शब्दों में दें-

प्रश्न 1.
मरुस्थलों के भिन्न-भिन्न प्रकार बताएँ।
उत्तर-
पवनों की क्रिया (खुरचना, जमा करना) से मरुस्थल के निर्माण भी तीन प्रकार के हो सकते हैं-
1. रेतीले मरुस्थल (Sandy Deserts)—ऐसे मरुस्थल, जिनमें अधिकतर रेत ही मिलती है, वहाँ रेत के कणों __ को बड़ी आसानी से पवनें, अपने साथ उड़ाकर ले जाती हैं। इन्हें सहारा में अरग (Ergs), तुरकमेनिस्तान में काउन (Koun) कहा जाता है। सऊदी अरब में सबसे बड़ा अरग, खली (Khalli) नामक स्थान पर है, जिसका आकार 5 लाख 60 हज़ार वर्ग किलोमीटर है।

2. पथरीला मरुस्थल (Stony Deserts)—ऐसे मरुस्थल, जोकि बजरी, पत्थर आदि के टुकड़े, कंकड़ आदि से बने होते हैं, पथरीले मरुस्थल कहलाते हैं। एलजीरिया का रैग (Reg) इसका उपयुक्त उदाहरण है।

3. चट्टानी मरुस्थल (Rocky Deserts)-ऐसे बंजर क्षेत्र, जिनकी ऊपरी नर्म परतें घिसकर बिल्कुल समाप्त हो गई हों और केवल चट्टानी टीले या बंजर क्षेत्र ही हों, ऐसे क्षेत्रों को चट्टानी मरुस्थल कहते हैं। जैसे-हमादा बंजर (Hammada-Barren), सहारा मरुस्थल में ऐसे क्षेत्रों को हमादा कहते हैं।

विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल सहारा मरुस्थल है। यह अफ्रीका में है। थार मरुस्थल, जो कि भारत में स्थित (राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब और पाकिस्तान, पंजाब के सिंध) एक गर्म मरुस्थल है। जबकि मध्य एशिया (Central Asia) में ठंडे मरुस्थल भी हैं। ऐटाकॉमा जो कि दक्षिणी अमेरिका में संसार का सबसे शुष्क मरुस्थल है, में वार्षिक वर्षा एक मिलीमीटर से भी कम है।

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प्रश्न 2.
पवनों के अपरदन कार्यों के प्रकार बताएँ। अपरदन को नियंत्रित करने वाले कारक भी बताएँ।
उत्तर-
पवनों का अपरदन कार्य (Erosional Work of Wind)-
वनस्पति से रहित शुष्क प्रदेशों में ताप-अंतर के कारण चट्टानें टूटकर छोटे-छोटे कणों में बदल जाती हैं। पवन इन कणों को अपने साथ उड़ाकर ले जाती है। ये कण काट-छाँट में पवन की सहायता करते हैं, इसलिए इन्हें पवन की कटाई के उपकरण (Cutting tools of wind) कहा जाता है।
पवन अपरदन के प्रकार (Types of Wind Erosion)-पवन रेत और धूल-कणों की सहायता से अपना अपरदन कार्य करती है। यह मुख्य रूप में भौतिक अपरदन करती है। पवन द्वारा अपरदन नीचे लिखे तीन प्रकार से होता है-

  • घर्षण (Abrasion)-शुष्क प्रदेशों में पवन रेत को उड़ाकर दूर ले जाती है। इस रेत के कण पवन की अपरदन क्रिया के उपकरण के रूप में चट्टानों पर आक्रमण करते हैं जिससे चट्टानें घिसती हैं। इस क्रिया को घर्षण कहते हैं।
  • सह-घर्षण (Attrition)—जब उड़ते हुए धूलकण आपसी कटाव के कारण छोटे और मुलायम हो जाते हैं, तो उस क्रिया को सह-घर्षण कहते हैं।
  • अपवाहन (Deflation)-पवन द्वारा धूल-कणों को उड़ाकर बहुत दूर ले जाने की क्रिया को अपवाहन कहा जाता है।

पवन अपरदन को नियंत्रित करने वाले कारक (Factors Controlling Wind Erosion)-

पवन अपरदन को नियंत्रित करने वाले कारक नीचे लिखे हैं-

1. पवन वेग (Wind Velocity)-तीव्र पवनों से अधिक अपरदन होता है क्योंकि इसमें बड़े-बड़े धूल-कण भी उड़ते हैं। फलस्वरूप ये धूल-कण चट्टानों पर ज़ोर से हमला करके उन्हें घिसा देते हैं।

2. धूल कणों का आकार और ऊँचाई (Size of Sand Grains and Height)-धूल-कणों के आकार और ऊँचाई का भी अपरदन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। छोटे WIND आकार के धूल-कण वायु में अधिक ऊँचाई पर उड़ते हैं, परंतु बड़े-बड़े कण धरातल के निकट ही प्रवाहित होते हैं। इसलिए धरातल के निकट (2 मीटर से 6 मीटर तक) वायु अपरदन सबसे अधिक होता है और ऊँचाई के साथ यह क्रिया क्रमबद्ध कम होती जाती है।

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य 10

3. चट्टानों की कठोरता (Solidity of Rocks) नर्म चट्टानें कठोर चट्टानों की तुलना में जल्दी घिसती हैं।
4. जलवायु (Climate)-शुष्क जलवायु में मौसमीकरण की क्रिया से अधिक अपरदन होता है।

कटाव तथा अपरदन के रूप (Types of Erosion)-

  1. नीचे का कटाव (Under Cutting)
  2. नालीदार कटाव (Gully Erosion)
  3. खुरचना (Scratching)
  4. चमकाना (Polishing)

PSEB 11th Class Geography Solutions Chapter 3(iii) पवनों के अनावृत्तिकरण कार्य

प्रश्न 3.
पवनों की परिवहन क्रिया की प्रमुख विशेषताएँ और कार्य बताएँ।
उत्तर-
प्रमुख विशेषताएँ-

  1. पवनों के द्वारा परिवहन किसी भी दिशा में हो सकता है।
  2. यह कार्य भूतल के निकट कम ऊँचाई तक सीमित होता है।
  3. पवनों द्वारा परिवहन दूर-दूर तक होता है।
  4. पवनों के द्वारा बारीक धूल-कण दूर-दूर तक प्रवाहित होते हैं, परंतु भारी कण लटकते रहते हैं।

पवनों द्वारा सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोना (Transportation by Wind)
पवनें चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े, मिट्टी, कंकड़ आदि दरिया और ग्लेशियर की तरह ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाती हैं, पर पवनों का यह कार्य नदियों की तरह इतना प्रभावशाली नहीं होता। मरुस्थलों में यह क्रिया देखी जा सकती है। पवनें कई प्रकार से यह कार्य करती हैं-
1. पवन की गति जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक सामान उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जा सकेगी।

2. जब पवन धीरे चलती है, तो अपने साथ कई छोटे-छोटे रेत के कण उड़ाकर ले जाती है, पर जब तेज़ चलती है, तो बिजली के खंभे, पेड़ आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती है। कई बार चट्टानों के बड़े टुकड़े भी पवनों के साथ-साथ सरकते रहते हैं। भारी होने के कारण वे उड़ नहीं सकते।

3. उदाहरण के लिए, एक मिट्टी का तूफान (Dust storm) जिसका व्यास 500 कि०मी० है, 10 करोड़ (100 मिलीयन) टन तक मिट्टी उठा सकता है और 30 मीटर ऊँची और 3 किलोमीटर आधार की चौड़ी पहाड़ी बना सकता है। थार मरुस्थल में जब तेज़ आंधी चलती है, तो हमें तीन फुट की दूरी से भी नज़र नहीं आता। इससे पता चलता है कि पवन के साथ उठाया सामान देखने के मार्ग में रुकावट बनता है। पवन में मिट्टी के कण, कंकड़, पत्थर आपस में रगड़ खाने के कारण आकार में छोटे हो जाते हैं। जब पवन की गति कम हो जाती है, तो यह इस सामान को जमा करने का कार्य शुरू कर देती है।

रेत के टीलों का खिसकना (Shifting of Sand dunes)-पवन की दिशा निश्चित नहीं होती, इसलिए रेत के टीले पवनों की दिशा के परिवर्तन के अनुसार खिसकते रहते हैं। इसलिए, ये स्थिर नहीं होते। पवन जिस दिशा की ओर चलती है, बालू के टीले भी इसके साथ खिसक जाते हैं। आगे बढ़ते रेत के टीले उपजाऊ मैदानों को बहुत क्षति पहुंचाते हैं। जल्दी उगने वाले और लंबी जड़ों वाले पेड़ों को ऐसे मरुस्थलीय क्षेत्रों में लगाया जाता है, ताकि इन टीलों को आगे बढ़ने से रोका जा सके। यह 5 से 30 मीटर वार्षिक दर से आगे खिसक सकते हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

SST Guide for Class 10 PSEB खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक वाक्य में दीजिए

प्रश्न 1.
प्रमुख खनिजों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज हैं-लोहा, मैंगनीज़, कोयला, चूने का पत्थर, बॉक्साइट तथा अभ्रक।

प्रश्न 2.
मैंगनीज़ खनिज का उपयोग किस कार्य के लिए होता है?
उत्तर-
मैंगनीज़ का उपयोग इस्पात बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 3.
मैंगनीज़ अयस्क उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
मैंगनीज़ अयस्क उत्पादन में भारत का विश्व में चौथा स्थान है।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

प्रश्न 4.
अभ्रक उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
अभ्रक उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।

प्रश्न 5.
कुल अभ्रक उत्पादन का आधे से अधिक भाग उत्पादन करने वाले राज्य का नाम बताओ।
उत्तर-
बिहार तथा झारखण्ड।

प्रश्न 6.
अभ्रक का उपयोग किस उद्योग में किया जाता है?
उत्तर-
अभ्रक का उपयोग बिजली उद्योग में किया जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

प्रश्न 7.
बॉक्साइट अयस्क से किस धातु को निकाला जाता है?
उत्तर-
बॉक्साइट अयस्क से एल्यूमीनियम धातु को निकाला जाता है।

प्रश्न 8.
तांबा धातु किन-किन कामों में उपयोग किया जाता है?
उत्तर-
तांबा घरेलू बर्तन बनाने, शो पीस बनाने तथा बिजली उद्योग में प्रयोग होता है।

प्रश्न 9.
सोना उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र कहां और किस राज्य में है?
उत्तर-
सोना उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र कोलार है जो कर्नाटक राज्य में स्थित है।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

प्रश्न 10.
चूने के पत्थर का उपयोग किस उद्योग में सबसे अधिक होता है?
उत्तर-
चूने के पत्थर का सबसे अधिक उपयोग सीमेंट उद्योग में होता है।

प्रश्न 11.
कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
चीन और संयुक्त राज्य के बाद कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।

प्रश्न 12.
दामोदर घाटी में देश के कल संचित भण्डार का कितना हिस्सा कोयला पाया जाता है?
उत्तर-
दामोदर घाटी में देश के कुल संचित भण्डार का तीन-चौथाई भाग कोयला पाया जाता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

प्रश्न 13.
कोयला उत्पादन के प्रबन्ध एवं प्रशासन का कार्य देश की किस संस्था के हाथ में है?
उत्तर-
कोल इण्डिया लिमिटेड (CIL) के हाथ में।

प्रश्न 14.
परमाणु ऊर्जा के चार प्रमुख केन्द्र कहां-कहां स्थित हैं?
उत्तर-
(i) तारापुर-महाराष्ट्र-गुजरात की सीमा पर
(ii) रावतभाटा-राजस्थान में कोटा के पास
(iii) कलपक्कम तमिलनाडु
(iv) नैरोरा-उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के पास।

प्रश्न 15.
पवन ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर-
पवन की शक्ति से प्राप्त ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं।

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प्रश्न 16.
बैलाडीला खानों से किस खनिज पदार्थ का खनन किया जाता है?
उत्तर-
बैलाडीला में लोहे का खनन किया जाता है।

प्रश्न 17.
कोलार खानों से कौन-सा खनिज निकाला जाता है?
उत्तर-
कोलार खानों से सोना निकाला जाता है।

प्रश्न 18.
लिग्नाइट को किस अन्य नाम से भी पुकारा जाता है?
उत्तर-
लिग्नाइट को ‘भृरा कोयला’ कह कर भी पुकारा जाता है।

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प्रश्न 19.
सागर सम्राट नाम के जलपोत से क्या काम लिया जाता है?
उत्तर-
जापान द्वारा निर्मित सागर सम्राट नामक जलपोत से सागरीय क्षेत्र में तेल खोजने का काम लिया जाता है।

प्रश्न 20.
यूरेनियम धातु किस प्रकार की ऊर्जा बनाने के काम आती है?
उत्तर-
यूरेनियम धातु परमाणु ऊर्जा बनाने के काम आती है।

II. निम्न प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
खनिजों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है?
उत्तर-
खनिजों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में बड़ा महत्त्व है। निम्नलिखित तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो जाएगी

  1. देश का औद्योगिक विकास मुख्य रूप से खनिजों पर निर्भर करता है। लोहा और कोयला मशीनी युग का आधार हैं। हमारे यहां संसार के लौह-अयस्क के एक-चौथाई भण्डार हैं। भारत में कोयले के भी विशाल भण्डार पाये जाते हैं।
  2. खनन कार्यों से राज्य सरकारों की आय में वृद्धि होती है और लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।
  3. कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि खनिज ऊर्जा के महत्त्वपूर्ण साधन हैं।
  4. खनिजों से तैयार उपकरण कृषि की उन्नति में सहायक हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

प्रश्न 2.
भारत में मैंगनीज़ उत्पादन के प्रमुख राज्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
भारत में उड़ीसा सबसे बड़ा मैंगनीज़ उत्पादक राज्य है। इसके पश्चात् मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक का स्थान है। आन्ध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात और बिहार राज्यों में भी मैंगनीज़ का उत्पादन होता है।
उड़ीसा में मैंगनीज़ की प्रमुख खानें क्योंझर, कालाहांडी तथा मयूरभंज में हैं। मध्य प्रदेश में इस खनिज की खाने बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर आदि में हैं।

प्रश्न 3.
बॉक्साइट उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत के अनेक क्षेत्रों में बॉक्साइट के निक्षेप पाए जाते हैं। झारखण्ड, गुजरात तथा छत्तीसगढ़ बॉक्साइट के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में भी इसके उत्तम कोटि के भण्डार हैं। विगत कुछ वर्षों में उड़ीसा के बॉक्साइट निक्षेपों का विकास किया गया है। यहां अल्यूमीना तथा एल्यूमीनियम बनाने के लिए एशिया का सबसे बड़ा कारखाना लगाया गया है।

प्रश्न 4.
तांबा उत्पादक क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
आजकल देश का अधिकांश तांबा झारखण्ड के सिंहभूम, मध्य प्रदेश के बालाघाट और राजस्थान के झुंझनु एवं अलवर जिलों से निकाला जाता है। आन्ध्र प्रदेश के खम्मम, कर्नाटक के चित्रदुर्ग और हसन जिलों तथा सिक्किम में भी थोड़े बहुत तांबे का उत्पादन किया जाता है।

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प्रश्न 5.
पंजाब में खनिज पदार्थों के नहीं मिलने के क्या कारण हैं?
उत्तर-
पंजाब का अधिकांश भाग नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से बना है। हम पंजाब के मैदानों को नवीनतम युग की कांप मिट्टियों के समतल मैदान भी कह सकते हैं। यह मैदान कृषि के लिए बहुत उपजाऊ हैं। खनिज सम्पदा अधिकांशतः भू-इतिहास के प्राचीन काल में निर्मित आग्नेय या कायांतरित शैलों वाले भागों में मिलती है। अतः कांप मिट्टियों से बने पंजाब का खनिज उत्पादन में प्रमुख स्थान नहीं है।

प्रश्न 6.
कोयला उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत में कोयले के तीन-चौथाई भण्डार दामोदर नदी घाटी में स्थित हैं। रानीगंज, झरिया, गिरीडीह, बोकारो तथा करनपुरा कोयले के प्रमुख क्षेत्र हैं। ये सभी पश्चिम बंगाल तथा झारखण्ड राज्यों में स्थित हैं। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के सिंगरोली, सोहागपुर तथा रायगढ़ में कोयला निकाला जाता है। इसके साथ-साथ उड़ीसा के तालचेर तथा महाराष्ट्र के चांदा जिले में भी कोयले के विशाल क्षेत्र हैं।

प्रश्न 7.
उड़ीसा में कोयला उत्पादन के प्रमुख केन्द्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
देवगढ़ तथा तालचेर।

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प्रश्न 8.
कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण करने के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण करने के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. श्रमिकों को शोषण से बचाना।
  2. खनन कार्य को योजनाबद्ध तरीके से करना।
  3. खनन किये गये क्षेत्रों में पर्यावरण को बनाये रखना।

प्रश्न 9.
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्त्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर-
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों के नाम निम्नलिखित हैं

  1. सौर ऊर्जा,
  2. पवन ऊर्जा,
  3. ज्वारीय ऊर्जा,
  4. भूतापीय ऊर्जा,
  5. ऊर्जा के लिए वृक्षारोपण,
  6. शहरी कचरे से प्राप्त ऊर्जा,
  7. जैव पदार्थों से प्राप्त ऊर्जा।
    ऊर्जा के परम्परागत साधन अक्षय भी हैं और कम खर्चीले भी हैं।

प्रश्न 10.
पवन ऊर्जा के महत्त्व एवं भारत में उपयोग को बताइए।
उत्तर-
पवन ऊर्जा अक्षय है और इसके प्रयोग में खर्चा भी कम बैठता है। दूसरे, दूर स्थित मरुस्थलीय स्थानों पर पवन ऊर्जा के बल परं नये उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं।
भारत में उपयोग

  1. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई का काम लिया जा रहा है।
  2. पवन केन्द्र बना कर बिजली प्राप्त की जा रही है और यहां से उत्पन्न बिजली को ग्रिड प्रणाली में शामिल कर लिया जाता है।

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प्रश्न 11.
खनन उद्योग में भारत सरकार की भूमिका क्या है?
उत्तर-
खनन उद्योग में भारत सरकार दिशा निर्देश का काम करती है। इसके लिए केन्द्रीय सरकार खनन एवं खनिज एक्ट 1957 के अनुसार काम करती है। इस कानून के अनुसार भारत सरकार खनिजों के विकास के लिए दिशा निर्देशन कानून बनाती है। इसके लिए भारत सरकार.

  1. गौण खनिज को छोड़ सभी खनिजों के दोहन के लिए लाइसेंस और ठेके देती है।
  2. खनिजों के संरक्षण एवं विकास के लिए पग उठाती है।
  3. पुराने दिए गए ठेकों में समय-समय पर परिवर्तन करती है।

प्रश्न 12.
मध्य प्रदेश के किन-किन जिलों में लौह-अयस्क का खनन होता है?
उत्तर-
मध्य प्रदेश में जबलपुर तथा बालाघाट जिलों में लौह-अयस्क का खनन होता है।

प्रश्न 13.
देश के उन सरकारी उपक्रमों के नाम बताइए, जो आजादी के बाद तेल खोज, शोधन एवं वितरण के कार्य में संलग्न हैं।
उत्तर-
आजादी के बाद तेल की खोज में तेजी लाने तथा वितरण के लिए विशेष उपक्रमों का संगठन किया गया है। ये हैं

  1. तेल एवं प्राकृतिक गैस कमीशन (ONGC),
  2. भारतीय तेल लिमिटेड (IOL),
  3. हिन्दुस्तान पेट्रोलियम निगम (HPC) तथा
  4. भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (GAIL)

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प्रश्न 14.
सौर ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा का स्रोत क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
कोयला और खनिज तेल समाप्त होने वाले साधन हैं। एक दिन ऐसा आएगा जब विश्व के लोगों को इनसे पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलेगी। इनके भण्डार समाप्त हो चुके होंगे। इनके विपरीत सूर्य ऊर्जा कभी न समाप्त होने वाला साधन है। इससे विपुल मात्रा में ऊर्जा मिलती है। जब कोयले और खनिज तेल के भण्डार समाप्त हो जाएंगे तब सौर बिजली घरों से शक्ति प्राप्त होगी और हम अपने घरेलू कार्य सौर संयन्त्रों से सुगमता से कर लेंगे।

प्रश्न 15.
प्राकृतिक गैस का उर्वरक उद्योग में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
प्राकृतिक गैस पैट्रो-रसायन उद्योग के लिए कच्चा माल है। यह भारतीय कृषि का उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक है। अब प्राकृतिक गैस से उर्वरक बनाए जाने लगे हैं। प्राकृतिक गैस पाइप लाइनों द्वारा उर्वरक बनाने वाले कारखानों तक भेजी जाती है। हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर गैस पाइप लाइन 1730 किलोमीटर लम्बी है जिसके द्वारा उर्वरक बनाने वाले 6 कारखानों को गैस पहुंचाई जाती है।

प्रश्न 16.
देश में विद्युत् शक्ति के वितरण की प्रमुख समस्याएं क्या हैं ?
उत्तर-
देश में विद्युत् शक्ति के क्षेत्रीय वितरण की प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं

  1. विद्युत् उत्पादन केन्द्र विद्युत् खपत केन्द्रों से बहुत दूर स्थित होते हैं। ग्रिड प्रणाली तक पहुंचने में भी तारों का जाल बिछाना पड़ता है जिसमें धन का भी अधिक व्यय होता है।
  2. दूर स्थित होने के कारण बिजली का आंशिक भाग व्यर्थ चला जाता है।
  3. कभी-कभी ग्रिड प्रणाली में दोष आ जाता है जिसके कारण सारी वितरण प्रणाली ठप्प पड़ जाती है।

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प्रश्न 17.
देश में खनिज सम्पदा की उपलब्धि एवं महत्त्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत खनिज संसाधनों में काफ़ी सम्पन्न है।

  1. यह लौह संसाधनों में विशेष रूप से सम्पन्न है। एक अनुमान के अनुसार भारत में संसार के लौह-अयस्क के एक-चौथाई भण्डार हैं।
  2. भारत में मैंगनीज़ के भी विशाल भण्डार हैं। यह खनिज मिश्र इस्पात बनाने में बहुत उपयोगी है।
  3. भारत में कोयले के भी बड़े भण्डार हैं। परन्तु दुर्भाग्य से हमारे कोयले के ऐसे भण्डार कम हैं, जिनसे ‘कोक’ बनाया जाता है।
  4. चूने का पत्थर भी देश में भारी मात्रा में व्यापक रूप से पाया जाता है।
  5. भारत बॉक्साइट और अभ्रक में भी सम्पन्न है।

महत्त्व-

  1. खनिज सम्पदा उद्योगों का आधार है। अतः देश का औद्योगिक विकास हमारी खनिज सम्पदा पर ही निर्भर करता है।
  2. खनिजों के खनन से देश के धन में वृद्धि होती है, लोगों को रोजगार मिलता है और उनका जीवन-स्तर उन्नत होता है।

प्रश्न 18.
लौह धातु के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हमारे देश के कई क्षेत्रों में लौह-अयस्क के विशाल भण्डार पाये जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में 17 अरब 57 करोड़ टन लौह-अयस्क के भण्डार हैं। यह मुख्य रूप से झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग तथा बिहार के शाहाबाद जिलों में पाये जाते हैं। मध्य प्रदेश तथा उड़ीसा में भी लौह-अयस्क के बड़े क्षेत्र हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में पाया जाने वाला लौह-अयस्क जापान आदि देशों को निर्यात किया जाता है। कुछ लौह-अयस्क आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु तथा कर्नाटक में भी पाया जाता है। वैसे तो गोआ में भी लौह-अयस्क के भण्डार हैं, परन्तु यह अच्छी किस्म का नहीं है।

प्रश्न 19.
आजादी के बाद खनिज तेल की खोज एवं उत्पादन के लिए किये गये प्रयासों का वर्णन करो।
उत्तर-
स्वतन्त्रता के पश्चात् देश में खनिज तेल की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए नये तेल क्षेत्रों की खोज का कार्य आरम्भ किया गया। गुजरात के मैदानों तथा खम्बात की खाड़ी के अपतट क्षेत्रों में खनिज तेल और प्राकृतिक गैस की खोज की गई। मुम्बई तट से 115 किलोमीटर दूर समुद्र से भी तेल निकाला गया। इस समय यह भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र है। इस तेल क्षेत्र को “बॉम्बे हाई” के नाम से जाना जाता है। खनिज तेल के नये भण्डारों की खोज समुद्र के अपतट क्षेत्रों में हुई है। ये क्षेत्र गोदावरी, कृष्णा, कावेरी तथा महानदी के डेल्टाई तटों के पास गहरे सागर में फैले हुए हैं। असम में भी तेल के कुछ नये भण्डारों का पता लगाया गया है।

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प्रश्न 20.
आजादी के बाद ग्रामीण विद्युतीकरण में हुए विकास का वर्णन करो।
उत्तर-
आज़ादी के पश्चात् ग्रामीण क्षेत्रों के विद्युतीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया गया। ग्रामीण विद्युतीकरण की योजनाएं राज्य सरकारों और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम दोनों द्वारा मिलकर चलायी जाती हैं। वर्ष 2000 तक 5 लाख परमाणु ऊर्जा से सम्पन्न कुछ देश चाहते हैं कि भारत अपने परमाणु कार्यक्रम को न चलाए। इस कारण वे भारत के परमाणु कार्यक्रम को अन्तर्राष्ट्रीय निगरानी में लाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका प्रयास है कि भारत से इस सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि पर हस्ताक्षर कराया आए। परन्तु भारत का सदा यह मत रहा है कि यह सन्धि भेदभावपूर्ण है। भारत परमाणु ऊर्जा का उपयोग शांतिपूर्ण कार्यों के लिए करना चाहता है, न कि विनाशकारी कार्यों के लिए।

III. निम्न प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कोयला उत्पादन का विस्तार से वर्णन करते हुए प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
कोयला औद्योगिक ऊर्जा का प्रमुख साधन है। लोहा तथा इस्पात एवम् रसायन उद्योगों के लिए कोयले का बड़ा महत्त्व है। हमारे देश में कोयले के काफ़ी बड़े भण्डार हैं। इसके तीन चौथाई भण्डार दामोदर नदी की घाटी में स्थित हैं। आन्ध्र सीमांध्र तथा महाराष्ट्र में भी कोयला क्षेत्र विद्यमान हैं। कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण-स्वतन्त्रता के पश्चात् हमारी सरकार ने सभी कोयला खानों का राष्ट्रीयकरण कर दिया है। राष्ट्रीयकरण का मुख्य उद्देश्य कोयले की खानों में काम करने वाले श्रमिकों को शोषण से बचाना है।
कोयले का महत्त्व-भारत में पाया जाने वाला निम्न कोटि का कोयला हमारे लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। यह कोयला विद्युत् तथा गैस के उत्पादन में बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ है। इससे खनिज तेल भी प्राप्त किया जा सकता है। हमारे छोटेबड़े ताप बिजली-घर इन्हीं कोयला क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं। इन बिजली-घरों से जो बिजली प्राप्त होती है, उसे विशाल प्रादेशिक ग्रिड व्यवस्था में भेज दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप समय और व्यय दोनों की बचत होती है। – कोयले का उत्पादन-सन् 1951 में हमारे देश में कोयले का उत्पादन केवल 3.5 करोड़ टन था। परन्तु 2002-03 में यह बढ़कर 34:12 करोड़ टन हो गया।
समस्याएँ-

  1. भारत में बढ़िया प्रकार का कोयला नहीं मिलता।
  2. कोयला खानों में आग की घटनाओं से अनेक श्रमिक मारे जाते हैं।
  3. कोयले की खानें काफ़ी गहरी हैं। अत: कोयले का उत्पादन काफ़ी महंगा पड़ रहा है।
  4. भारत में कोयला-उत्पादन की तकनीक के आधुनिकीकरण की गति बड़ी धीमी है।

प्रश्न 2.
ताप एवं परमाणु शक्ति के विस्तार पर भारत में हुई प्रगति का वर्णन करो।
उत्तर-
कोयले, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस द्वारा ताप-बिजली घरों में ताप-बिजली (Thermal Power) उत्पन्न की जाती है। ताप-बिजली उत्पादन करने वाले इन खनिज संसाधनों को जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) कहा जाता है। यह इनकी सबसे बड़ी कमी या दोष है कि इन्हें एक बार से अधिक उपयोग नहीं किया जा सकता। कोयले, पेट्रोलियम व गैस के अतिरिक्त परमाणु ईंधन (Atomic Fuel) या भारी जल (Heavy Water) से भी विद्युत् उत्पन्न की जाती है। जल-विद्युत् (Hydel Power) ऊर्जा का स्वच्छ साधन है। इस तरह जल शक्ति से बनने वाली विद्युत् को जल-विद्युत (Hydel Power), कोयले, पेट्रोलियम व गैस की मदद से बनने वाली विद्युत् को तापीयविद्युत् (Thermal Power) तथा परमाणु ईंधन या भारी-जल से बनने वाली विद्युत् को परमाणु-शक्ति (Atomic Power) कहते हैं। विद्युत् शक्ति का हमारी कृषि, उद्योगों, परिवहन तथा घरेलू कार्यों में बहुत अधिक उपयोग होता है। इस प्रकार से बिना विद्युत् शक्ति के आधुनिक जीवन की कल्पना ही लगभग असम्भव है।

वर्ष 2002-03 में इन तीनों प्रमुख स्रोतों से कुल विद्युत् उत्पादन 534.30 अरब यूनिट था। इसमें से लगभग तीनचौथाई भाग ताप-बिजली घरों में उत्पादन किया गया। बाकी 23.5 प्रतिशत जल-विद्युत् घरों में तथा शेष 1.60 प्रतिशत परमाणु-शक्ति से उत्पन्न किया गया। समय के साथ-साथ ताप-बिजली का भाग बड़ी तेजी से बढ़ा है। देश में विद्युत् की संस्थापित क्षमता (Installed Capacity) 1994-95 तक 81.8 हजार मेगावाट थी। परन्तु 2002-03 के अंत तक यह क्षमता बढ़ कर 10.80 लाख मेगावाट हो गई।

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प्रश्न 3.
ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों के विकास एवं महत्त्व पर विस्तार से लिखें।
उत्तर-
ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू-हाीय ऊर्जा, जैव पदार्थों से प्राप्त ऊर्जा आदि सम्मिलित हैं।
विकास-ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोतों के प्रयोग को बढ़ाने पर हाल के वर्षों में अत्यधिक बल दिया जा रहा है। इस ऊर्जा का वनारोपण, पर्यावरण सुधार, ऊर्जा संरक्षण, रोजगार वृद्धि, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सुधार, सामाजिक कल्याण, खेतों में सिंचाई, जैविक खाद उत्पादन आदि क्षेत्रों में विशेष योगदान है। मार्च, 1981 में केन्द्र सरकार ने एक उच्च अधिकार प्राप्त आयोग की स्थापना की थी ताकि अतिरिक्त ऊर्जा स्रोतों का पता लगाया जा सके। 1982 में गैर-परम्परागत ऊर्जा साधनों का विभाग, ऊर्जा मन्त्रालय में स्थापित किया गया। अब गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के लिए अलग से एक मन्त्रालय स्थापित कर दिया गया है। राज्य सरकारों ने भी अपने यहां गैर-परम्परागत ऊर्जा साधनों के लिए अलग से एजेन्सी स्थापित की हुई है। स्थानीय लोगों की भागीदारी से स्थानीय स्तर पर खाना पकाने की गैस, लघु सिंचाई योजना, पीने का पानी तथा सड़कों पर रोशनी की व्यवस्था के कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पवन ऊर्जा से ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था में सहायता मिली है। कई स्थानों पर पवन केन्द्र कार्य कर रहे हैं। यहां से उत्पन्न बिजली को ग्रिड प्रणाली में शामिल कर लिया गया है।
भू-तापीय ऊर्जा-भारत में भू-तापीय ऊर्जा का अभी तक पूरी तरह विकास नहीं किया जा सका। हिमाचल में मणिकरण स्थित गर्म जल स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन के प्रयास किए जा रहे हैं। – महत्त्व-ऊर्जा साधनों के रूप में इनका उपयोग बहुत ही पुराना है

  1. नौ-परिवहन में पवन तथा प्रवाहित जल का भी उपयोग होता था।
  2. आटा पीसने के लिए पनचक्कियों का प्रचलन था। पानी खींचने के लिए पवन चक्कियों का उपयोग होता था। आज के युग में भी इनकी कुछ विशेषताओं तथा परम्परागत साधनों की कुछ कमियों के कारण इनका महत्त्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इन साधनों की यह विशेषता है कि ये सभी साधन या तो नवीकरण योग्य हैं या अक्षय हैं। ये साधन कम खर्चीले भी हैं।

प्रश्न 4.
देश के औद्योगिकीकरण में ऊर्जा के महत्त्व को समझाओ।
उत्तर-
देश के औद्योगिकीकरण में ऊर्जा का बड़ा महत्त्व है। उद्योगों से अभिप्राय उन कारखानों से है जो छोटीबड़ी मशीनों द्वारा चलाये जाते हैं। ये मशीनें केवल ऊर्जा द्वारा ही चलाई जा सकती हैं।
ऊर्जा कोयला, जल तथा परमाणु ईंधन से प्राप्त होती है। आजकल कुछ ऊर्जा गैर-परम्परागत साधनों से भी प्राप्त की जा रही है। यदि हम देश को औद्योगिकीकरण के मार्ग पर ले जाना चाहते हैं तो यह ऊर्जा के विकास के बिना सम्भव नहीं है। औद्योगिक ऊर्जा का प्रमुख साधन होने के साथ कोयला एक कच्चा माल भी है। लोहा तथा इस्पात एवं रसायन उद्योगों के लिए कोयला आवश्यक है। देश में व्यापारिक शक्ति की 60 प्रतिशत से भी अधिक आवश्यकताएँ कोयले और लिग्नाइट से पूरी होती हैं। स्वाधीनता के समय केवल असम में ही खनिज तेल निकाला जाता था। तब कारखाने भी अधिक नहीं थे। परन्तु तेल की खोज के साथ ही भारत में औद्योगिकीकरण का भी विकास हुआ। प्राकृतिक गैस से उर्वरक बनाये जाने लगे हैं। इसी तरह जल-विद्युत का भी प्रसार हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ऊर्जा का एक नया स्रोत सामने आया। यह परमाणु ऊर्जा थी। ऊर्जा के साधनों के विकास के साथ ही देश में लोहा-इस्पात उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग तथा कई अन्य उद्योग आरम्भ हुए। अत: यह बात सत्य है कि ऊर्जा औद्योगिकीकरण की कुंजी है।

IV. निम्नलिखित को मानचित्र में लगायें:

  1. लौह अयस्क उत्पादक क्षेत्र, कोई चार।
  2. मैंगनीज़ अयस्क उत्पादक क्षेत्र, कोई तीन।
  3. कोयला उत्पादन क्षेत्र, कोई पाँच।
  4. परमाणु ऊर्जा के केंद्र, कोई तीन।
  5. दामोदर घाटी क्षेत्र में लौह उत्पादन केंद्र।
  6. बाक्साइट के चार प्रमुख भंडार क्षेत्र।
  7. कोलार सोना क्षेत्र।
  8. लिग्नाइट कोयला उत्पादन क्षेत्र।

उत्तर-
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 10th Class Social Science Guide खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
वर्तमान युग में खनिज पदार्थों का महत्त्व क्यों बढ़ गया है?
उत्तर-
वर्तमान वैज्ञानिक युग में अनुसंधान और तकनीकी विकास के कारण खनिज पदार्थों का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ गया है।

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प्रश्न 2.
भारत के लोगों को खनिज पदार्थों के प्रयोग में कौन-सी सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर-
हमें खनिज सम्पदा का बुद्धिमानी और सतर्कता से प्रयोग करना चाहिए ताकि उसका अपव्यय कम-से-कम हो।

प्रश्न 3.
भारत में मिलने वाले किन्हीं चार खनिज पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर-
भारत में मिलने वाले खनिज पदार्थ हैं-मैंगनीज़, अभ्रक, तांबा तथा बॉक्साइट।

प्रश्न 4.
लौह-अयस्क भारत के किन राज्यों में पाया जाता है?
उत्तर-
लौह-अयस्क भारत के झारखण्ड और उड़ीसा राज्यों में पाया जाता है।

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प्रश्न 5.
हमारा लौह-अयस्क का सबसे बड़ा आयातक देश कौन-सा है?
उत्तर-
जापान भारत के लौह-अयस्क का सबसे बड़ा आयातक देश है।

प्रश्न 6.
मध्य प्रदेश के ऐसे दो जिलों के नाम बताओ जहां लौह-अयस्क पाया जाता है?
उत्तर-
जबलपुर तथा बालाघाट जिलों में लौह-अयस्क पाया जाता है।

प्रश्न 7.
उड़ीसा की मैंगनीज़-अयस्क की चार खानों के नाम बताओ।
उत्तर-
उड़ीसा में स्थित मैंगनीज़-अयस्क की चार खानें-क्योंझर, कालाहाण्डी, मयूरभंज तथा तालचेर हैं।

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प्रश्न 8.
भारत में सबसे अधिक अभ्रक किस राज्य में पाया जाता है?
उत्तर-
भारत में सबसे अधिक अभ्रक झारखण्ड में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
दो बॉक्साइट उत्पादक राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
दो बॉक्साइट उत्पादक राज्य हैं-गुजरात तथा महाराष्ट्र।

प्रश्न 10.
तांबा मुख्य रूप से किस राज्य में पाया जाता है?
उत्तर-
तांबा मुख्य रूप से झारखण्ड में पाया जाता है।

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प्रश्न 11.
चार शक्ति साधनों के नाम बताओ।
उत्तर-
चार शक्ति साधनों के नाम हैं-कोयला, खनिज तेल, जल विद्युत् तथा परमाणु ऊर्जा।

प्रश्न 12.
हमारे देश में औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन कौन-सा है?
उत्तर-
हमारे देश में औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन कोयला है।

प्रश्न 13.
भारत की चार प्रमुख कोयला खानों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारत की चार प्रमुख कोयला. खानों के नाम हैं-रानीगंज, झरिया, गिरिडीह तथा बोकारो।

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प्रश्न 14.
भारत में कोयले का उत्पादन सबसे अधिक किस राज्य में होता है?
उत्तर-
भारत में कोयले का उत्पादन सबसे अधिक झारखण्ड में होता है।

प्रश्न 15.
स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में तेल का एकमात्र उत्पादक राज्य कौन-सा था?
उत्तर-
स्वतन्त्रता से पूर्व भारत में तेल का एकमात्र उत्पादक राज्य असम था।

प्रश्न 16.
ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने कौन-सी योजना बनाई है?
उत्तर-
ऊर्जा ग्राम योजना।

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प्रश्न 17.
भारत के उत्तम किस्म के दो लौह अयस्कों के नाम बताओ।
उत्तर-
हेमाटाइट तथा मैगनेटाइट।

प्रश्न 18.
हेमाटाइट तथा मैगनेटाइट में कितने प्रतिशत लौह-अंश होता है?
उत्तर-
60 से 70 प्रतिशत।

प्रश्न 19.
इस्पात बनाने में मैंगनीज़ का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
मैंगनीज़ का मिश्रण इस्पात को मजबूती प्रदान करता है।

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प्रश्न 20.
तांबे का प्रयोग बिजली उद्योग में क्यों होता है?
उत्तर-
क्योंकि ताँबा ताप का बहुत अच्छा सुचालक है।

प्रश्न 21.
चूने के पत्थर का उपयोग किस उद्योग में होता है?
उत्तर-
सीमेंट उद्योग में।

प्रश्न 22.
दो अलौह खनिजों के नाम लिखो।
उत्तर-
कोयला तथा चूने का पत्थर।

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प्रश्न 23.
लिग्नाइट अथवा भूरा कोयला किस प्रकार का कोयला है?
उत्तर-
निम्न कोटि का।

प्रश्न 24.
लिग्नाइट पर आधारित ताप बिजली घर कहां स्थापित किया गया है?
उत्तर-
तमिलनाडु में नेवेली नामक स्थान पर।

प्रश्न 25.
पंजाब में कोयला आधारित ताप विद्युत् केंद्र किन दो स्थानों पर स्थित हैं?
उत्तर-
रोपड़ तथा भटिंडा में।

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प्रश्न 26.
‘बाम्बे हाई’ से क्या प्राप्त किया जाता है?
उत्तर-
खनिज तेल।

प्रश्न 27.
गुजरात के एक तेल क्षेत्र का नाम बताओ।
उत्तर-
‘अंकलेश्वर’।

प्रश्न 28.
असम में स्थित एक तेल शोधन केंद्र का नाम लिखो।
उत्तर-
डिगबोई।

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प्रश्न 29.
तेल तथा प्राकृतिक गैस के खोज कार्य में लगी भारत की एक कम्पनी का नाम बताइए।
उत्तर-
तेल एवं प्राकृतिक गैस कमीशन (ONGC)।

प्रश्न 30.
खाना पकाने के लिए व्यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली गैस का नाम बताइए।
उत्तर-
एल० पी० जी०।

प्रश्न 31.
दो जीवाश्म इंधनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कोयला तथा पेट्रोलियम।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 6 खनिज पदार्थ एवं ऊर्जा-साधन

प्रश्न 32.
केरल के समुद्री तट पर पाये जाने वाले उस बालू का नाम बताओ जिसमें से थोरियम निकाला जाता
उत्तर-
मोनाजाइट।

प्रश्न 33.
किसी एक कभी समाप्त न होने वाले ऊर्जा स्त्रोत का नाम बताइए।
उत्तर-
सौर ऊर्जा।

प्रश्न 34.
(i) भारत में इस समय कौन-कौन से चार परमाणु केन्द्र काम कर रहे हैं ।
(ii) सबसे पुराना केन्द्र कौन-सा है?
उत्तर-
(i) भारत में इस समय महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा पर तारापुर, राजस्थान में कोटा के पास रावत भाटा, तमिलनाडु में कल्पाक्कम तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नरौरा परमाणु केन्द्र काम कर रहे हैं।
(ii) सबसे पुराना केन्द्र तारापुर में है।

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प्रश्न 35.
भारत के किन्हीं चार तापीय विपत् केन्द्रों के नाम लिखें। (राज्यों के नाम सहित)
उत्तर-
भारत के चार तापीय विद्युत् केन्द्रों के नाम हैं
बिहार में बरौनी, दिल्ली में बदरपुर, महाराष्ट्र में ट्रांबे तथा पंजाब में भटिण्डा।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. लौह अयस्क मुख्यतः भारत के उड़ीसा और ……….. राज्यों में पाया जाता है।
  2. मध्य प्रदेश के जबलपुर तथा ………… जिलों में लौह-अयस्क पाया जाता है।
  3. हेमाटाइट तथा मैगनेटाइट में …………. प्रतिशत लौह-अंश होता है।
  4. ……………. का मिश्रण इस्पात को मजबूती प्रदान करता है।
  5. ताँबा ताप का बहुत अच्छा ………. है।
  6. ……….. निम्न कोटि का कोयला है।
  7. तमिलनाडु में ………. नामक स्थान पर स्थापित ताप बिजली घर लिग्नाइट पर आधारित है।
  8. बाम्बे हाई से ………… प्राप्त किया जाता है।
  9. डिगबोई तेल शोधक केंद्र ……….. राज्य में स्थित है।
  10. ……… खाना पकाने के लिए व्यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली गैस है।

उत्तर-

  1. झारखंड,
  2. बालाघाट.
  3. 60 से 70,
  4. मैंगनीज़,
  5. सुचालक,
  6. लिग्नाइट अथवा भूरा कोयला,
  7. नेवेली,
  8. खनिज तेल,
  9. असम,
  10. एल० पी० जी०।

III. बहुविकल्पीय प्रश

प्रश्न 1.
भारत के लौह-अयस्क का सबसे बड़ा आयातक देश है
(A) चीन
(B) जापान
(C) अमेरिका
(D) दक्षिण कोरिया।
उत्तर-
(B) जापान

प्रश्न 2.
भारत में सबसे अधिक अक किस राज्य में पाया जाता है?
(A) बिहार
(B) छत्तीसगढ़
(C) झारखंड
(D) मध्य प्रदेश।
उत्तर-
(C) झारखंड

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प्रश्न 3.
तांबा मुख्य रूप से किस राज्य में पाया जाता है?
(A) बिहार
(B) झारखण्ड
(C) गुजरात
(D) मध्य प्रदेश।
उत्तर-
(B) झारखण्ड

प्रश्न 4.
हमारे देश में औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन है
(A) कोयला
(B) लकड़ी
(C) डीज़ल
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(A) कोयला

प्रश्न 5.
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में तेल का एकमात्र उत्पादक राज्य था
(A) गुजरात
(B) महाराष्ट्र
(C) बिहार
(D) असम।
उत्तर-
(D) असम।

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प्रश्न 6.
चूने के पत्थर का उपयोग मुख्य रूप से किस उद्योग में होता है?
(A) कागज़
(B) पेट्रो-रसायन
(C) सीमेंट
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(C) सीमेंट

प्रश्न 7.
खनिज भण्डारों के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा खनिज संसाधन हैं
(A) कोयला
(B) तांबा
(C) मैंगनीज़
(D) पेट्रोलियम।
उत्तर-
(A) कोयला

प्रश्न 8.
भारत में सबसे पुराना परमाणु केंद्र है
(A) कल्पाक्कम
(B) नरौरा
(C) रावत भाटा
(D) तारापुर।
उत्तर-
(D) तारापुर।

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IV. सत्य-असत्य कथन प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. हेमाटाइट सबसे घटिया किस्म का लोहा है।
  2. एल्यूमिनियम धातु हल्की तथा ताप की सुचालक होती है।
  3. सौर ऊर्जा एक गैर-परम्परागत ऊर्जा साधन है।
  4. प्राकृतिक गैस के भण्डार आमतौर पर कोयला क्षेत्रों के साथ पाये जाते हैं।
  5. कोयला देश (भारत) का सबसे बड़ा खनिज संसाधन है।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✗),
  5. (✓).

V. उचित मिलान

  1. मैंगनीज़ का उपयोग — सीमेंट उद्योग
  2. अभ्रक का उपयोग — एल्यूमीनियम
  3. चूने पत्थर का उपयोग — बिजली उद्योग
  4. बॉक्साइट — इस्पात बनाने में।

उत्तर-

  1. मैंगनीज का उपयोग — इस्पात बनाने में,
  2. अभ्रक का उपयोग — बिजली उद्योग,
  3. चूने पत्थर का उपयोग — सीमेंट उद्योग,
  4. बॉक्साइट — एल्यूमीनियम।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आधुनिक युग में अभ्रक का महत्त्व बताओ। भारत में अभ्रक का उत्पादन करने वाले दो मुख्य राज्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
महत्त्व-आधुनिक युग में उद्योगों के विकास के कारण अभ्रक का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। इस खनिज का अधिकतर उपयोग बिजली का सामान बनाने में किया जाता है। मोटरों तथा हवाई जहाज़ के शीशों में भी अभ्रक का प्रयोग किया जाता है।
अभ्रक उत्पादन राज्य-भारत में अभ्रक का उत्पादन करने वाले मुख्य दो राज्य निम्नलिखित हैं —

  1. झारखण्ड-भारत में सबसे अधिक अभ्रक झारखण्ड राज्य में निकाला जाता है। हमारे देश का लगभग आधा अभ्रक इसी राज्य से प्राप्त होता है।
  2. आन्ध्र प्रदेश-देश के कुल अभ्रक का 27 प्रतिशत भाग आन्ध्र प्रदेश से प्राप्त होता है।

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प्रश्न 2.
कोयले का क्या महत्त्व है? इसकी उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर-
महत्त्व-कोयला शक्ति प्राप्त करने अथवा औद्योगिक ईंधन का सबसे बड़ा साधन है। साथ ही यह औद्योगिक कच्चा माल भी है। घरों में भी इसका प्रयोग ईंधन के रूप में होता है।
उत्पत्ति-कोयले की उत्पत्ति वनस्पति के गल-सड़ कर कठोर हो जाने से हुई है। लाखों वर्ष पहले धरातल पर घने जंगल थे। पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण धरातलं में दरारें पड़ गई और ये वन पृथ्वी के नीचे धंस गए। पृथ्वी की भीतरी गर्मी तथा ऊपरी दबाव के कारण ये वन गल-सड़ कर कोयला बन गये और धीरे-धीरे काफ़ी कठोर हो गए। इसी को पत्थरी कोयला कहते हैं।

प्रश्न 3.
पेट्रोलियम किस काम आता है? इसकी उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर-
पेट्रोलियम हवाई जहाज़ तथा मोटरें आदि चलाने के काम आता है। इसे साफ़ करके पेट्रोल, मोम, कैरोसीन तथा मोबिल ऑयल बनाया जाता है।
पेट्रोलियम की उत्पत्ति-पेट्रोलियम की उत्पत्ति समुद्री जीव-जन्तुओं तथा वनस्पतियों के अवशेषों से हुई है। समुद्र में अनेक छोटे-छोटे जीव तथा पौधे पानी में तैरते रहते हैं। मरने के पश्चात् इनके जीवांश समुद्र में निर्मित अवसादी शैलों में दब जाते हैं। इन जीवांशों पर करोड़ों वर्षों तक गर्मी, दबाव तथा रासायनिक क्रियाओं का प्रभाव पड़ता है। परिणामस्वरूप ये जीवांश पेट्रोलियम में बदल जाते हैं।

प्रश्न 4.
भारत में पेट्रोलियम उत्पादक राज्यों, इसकी शोधशालाओं तथा इसके उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्वतन्त्रता के समय केवल असम में ही खनिज तेल निकाला जाता था। यह तेल क्षेत्र काफ़ी छोटा था। स्वतन्त्रता के पश्चात् गुजरात में अंकलेश्वर से भी खनिज तेल प्राप्त होने लगा। तत्पश्चात् मुम्बई हाई में खनिज तेल के भण्डार मिले। मुम्बई तट से 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह तेल क्षेत्र आज भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र है। शोधशालाएं-पेट्रोलियम को साफ़ करने के लिए देश में अनेक शोधशालाएं स्थापित की गई हैं। इनमें से मुख्य शोधशालाएं नूनमती (असम), बरौनी (बिहार), अंकलेश्वर (गुजरात) में हैं। विशाखापट्टनम, चेन्नई तथा मुम्बई में भी तेल शोधशालाएं हैं। उत्पादन-भारत में पेट्रोलियम का उत्पादन प्रति वर्ष बढ़ रहा है। 1980-81 में भारत में पेट्रोलियम का कुल उत्पादन 10.5 मिलियन टन था। 1999-2000 में यह बढ़ कर 31.9 मिलियन टन हो गया।

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प्रश्न 5.
भारत में लोहे के उत्पादन और वितरण पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारत में विश्व के कुल लोहे का एक-चौथाई भाग सुरक्षित भण्डार के रूप में विद्यमान है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 2,100 करोड़ टन लोहे का सुरक्षित भण्डार है।
उत्पादन-पिछले वर्षों में भारत में लोहे का उत्पादन काफ़ी बढ़ा है। सन् 1951 में भारत में केवल 4 मिलियन टन लोहे का उत्पादन हुआ। 1998-99 में यह उत्पादन बढ़ कर 70.7 मिलियन टन हो गया।
वितरण-भारत में सबसे अधिक लोहा झारखण्ड राज्य में निकाला जाता है। देश के कुल लोहा उत्पादन का 50 प्रतिशत से भी अधिक लोहा इसी राज्य से प्राप्त होता है। इसका दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य उड़ीसा है। इनके अतिरिक्त लोहे के अन्य मुख्य उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान आदि हैं।

प्रश्न 6.
परमाणु खनिज क्या होते हैं और इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-
वे खनिज जिनसे परमाणु ऊर्जा मिलती है, परमाणु खनिज कहलाते हैं। यूरेनियम और बेरीलियम इसी प्रकार के खनिज हैं। यूरेनियम बिहार राज्य में मिलता है तथा बेरीलियम राजस्थान में।
महत्त्व-अणु-खनिजों का महत्त्व निम्नलिखित बातों से जाना जा सकता है

  1. इनसे चालक शक्ति प्राप्त की जाती है।
  2. इनसे विनाशकारी बम बनाए जाते हैं। परन्तु आजकल अणु शक्ति का प्रयोग शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए अधिक होने लगा है।
  3. अणु-खनिजों से कारखाने चलाने के लिए विद्युत् उत्पन्न की जाती है। (4) इस शक्ति से कैंसर आदि भयानक रोगों की चिकित्सा की जाती है।

प्रश्न 7.
भारत के चार प्रमुख खनिज क्षेत्रों के नाम बताइए और प्रत्येक क्षेत्र में पाए जाने वाले मुख्य खनिजों के नाम लिखिए।
उत्तर-
भारत के चार प्रमुख खनिज क्षेत्र अनलिखित हैं

  1. छोटा नागपुर तथा उत्तरी उड़ीसा-ये खनिज क्षेत्र बहुत ही विकसित हैं। इस क्षेत्र में कोयला, लोहा आदि प्रमुख खनिज पाये जाते हैं।
  2. मध्य राजस्थान में खनिजों के विशाल भण्डार हैं। इस क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। इस क्षेत्र में तांबा, जस्ता, सीसा, अभ्रक आदि खनिज पाये जाते हैं।
  3. दक्षिण भारत भी खनिजों की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में गोआ, मैसूर पठार तथा तमिलनाडु के कुछ भाग शामिल हैं। यहां पर लोहा, लिग्नाइट आदि खनिज पाये जाते हैं।
  4. मध्य भारत में दक्षिणी मध्य प्रदेश तथा पूर्वी महाराष्ट्र में भी खनिजों के भण्डार हैं। इनमें लोहा तथा मैंगनीज़ विशेष रूप से पाये जाते हैं।

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प्रश्न 8.
अन्य शक्ति साधनों की अपेक्षा जल विद्युत् के कौन-कौन से चार लाभ हैं?
उत्तर-
शक्ति के चार साधनों (कोयला, पेट्रोलियम, जल-विद्युत् तथा अणु शक्ति) में जल-विद्युत का अपना विशेष महत्त्व है। इसके अतिरिक्त लाभ हैं

  1. कोयला तथा पेट्रोलियम के भण्डार समाप्त हो सकते हैं। परन्तु जल एक स्थायी भण्डार है जिससे निरन्तर जलविद्युत् प्राप्त की जा सकती है।
  2. जल-विद्युत् को तारों द्वारा सैंकड़ों कि० मी० की दूरी तक सरलता से ले जाया जा सकता है।
  3. जल-विद्युत् कोयले तथा पेट्रोलियम की अपेक्षा सस्ती पड़ती है।
  4. कोयले और पेट्रोलियम के प्रयोग से वायु प्रदूषण बढ़ता है। इसके विपरीत जल-विद्युत् के प्रयोग से धुआँ नहीं निकलता।

बड़े उत्तर वाले प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आधुनिक युग में लोहे का क्या महत्त्व है? भारत के विभिन्न भागों में लोहे के उत्पादन का हाल विस्तारपूर्वक लिखो। देश में लोहे का कुल उत्पादन तथा इसके सुरक्षित भण्डार का भी वर्णन करो।
उत्तर-
लोहा एक महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है। इसके महत्त्व, प्रादेशिक वितरण तथा उत्पादन का वर्णन इस प्रकार है
महत्त्व-आधुनिक युग में लोहे का बहुत महत्त्व है। यह उद्योगों की आधारशिला है। इसके बिना किसी देश के आर्थिक विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उद्योगों में प्रयोग होने वाली लगभग सभी मशीनें लोहे से बनाई जाती हैं। इसका प्रयोग रेलें, वायुयान तथा जलयान बनाने में भी होता है। यह अन्य खनिजों की अपेक्षा अधिक कठोर है। इसके अतिरिक्त उत्पादन में लागत भी कम आती है। लोहे के महत्त्व को देखते हुए इसे काला सोना (Black Gold) भी कहा जाता है। प्रादेशिक वितरण-भारत में लोहे का वितरण इस प्रकार है

  1. झारखण्ड-भारत में लोहे के उत्पादन में झारखण्ड को मुख्य स्थान प्राप्त है। इस राज्य में सबसे अधिक लोहा सिंहभूम जिले में निकाला जाता है।
  2. उड़ीसा-भारत में दूसरा बड़ा लोहा उत्पादक राज्य उड़ीसा है। इस राज्य में लोहा उत्पन्न करने वाले मुख्य जिले हैं-क्योंझर, बोनाई तथा मयूरभंज। गुरुहास्नी, सुलाइयत और बादाम पहाड़ इस राज्य के लोहे की मुख्य खानें हैं।
  3. मध्य प्रदेश-भारत में लोहा उत्पन्न करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश को तीसरा स्थान प्राप्त है। इस राज्य में लोहे का उत्पादन करने वाले मुख्य जिले हैं-जबलपुर और बालाघाट।
  4. कर्नाटक-लोहा उत्पन्न करने में कर्नाटक राज्य चौथे नम्बर पर है। कर्नाटक के बिलारी, चित्रदुर्ग तथा चिकमंगलूर जिले भी प्रमुख लौह-अयस्क केन्द्र हैं। कर्नाटक की कुद्रेमुख क्षेत्र की खानों से भी लौह-अयस्क मिलता है।

इन राज्यों के अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान अन्य महत्त्वपूर्ण लोहा उत्पादक राज्य हैं। हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले में भी थोड़ी-बहुत मात्रा में लोहा निकाला जाता है।
उत्पादन-पिछले वर्षों में भारत में लोहे का उत्पादन काफ़ी बढ़ा है। सन् 1951 में भारत में केवल 4 मिलियन टन लोहे का उत्पादन किया गया था। परन्तु 1998-99 में भारत में 70.7 मिलियन टन लोहे का उत्पादन हुआ।
सुरक्षित भण्डार-भारत में लोहे का सुरक्षित भण्डार लगभग 13 अरब टन है। यह संसार के लोहे के कुल ज्ञात भण्डार का लगभग एक चौथाई भाग है।

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प्रश्न 2.
भारत में खनिज सम्पत्ति तथा शक्ति के साधनों का वर्णन करो।
अथवा
निम्नलिखित पदार्थ भारत में कहां पाए जाते हैं और इनका क्या महत्त्व है? कोयला, लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट, खनिज तेल, तांबा, अभ्रक।
उत्तर-
खनिज पदार्थों का प्रत्येक देश के लिए बड़ा महत्त्व होता है। इसके बिना किसी भी देश के उद्योग नहीं चल सकते। भारत खनिज पदार्थों में काफ़ी धनी है। यहां मुख्य रूप से निम्नलिखित खनिज पदार्थ मिलते हैं

  1. कोयला-कोयला एक महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है। यह शक्ति का बहुत बड़ा साधन है। इससे रेलें, जहाज़ तथा कारखाने चलते हैं। हमारा अधिकतर कोयला रेलों में प्रयोग किया जाता है। कोयले के उत्पादन में भारत का विश्व में आठवां स्थान है। कोयले की अधिकतर खानें झारखण्ड में हैं। इसके अतिरिक्त रानीगंज (बंगाल) में भी इसकी खाने हैं। 2000-01 में देश में कोयले का कुल उत्पादन 33 करोड़ 35 लाख टन था। भारत कुछ कोयला निर्यात भी करता है।
  2. लोहा-लोहा उद्योगों का आधार माना जाता है। भारत में लोहे के विस्तृत भण्डार हैं। लोहे की बड़ी खाने सिंहभूम (झारखण्ड), मयूरभंज, क्योंझर तथा बोनाई (उड़ीसा) और स्लेम (तमिलनाडु) में हैं। कुछ लोहा कर्नाटक, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ से भी निकाला जाता है। 1998 में देश में 71.5 मिलियन टन खनिज लोहे का उत्पादन हुआ था। हम कुछ लोहे का निर्यात भी करते हैं। हमारे लोहे का मुख्य ग्राहक जापान है।
  3. मैंगनीज़-मैंगनीज़ के उत्पादन में भारत को विश्व में चौथा स्थान प्राप्त है। विश्व का 20% मैंगनीज़ भारतीय खानों से निकाला जाता है। भारत में मैंगनीज़ पैदा करने वाले मुख्य राज्य मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा झारखण्ड हैं। मैंगनीज़ का प्रयोग लोहे से इस्पात बनाने में किया जाता है। किन्तु अभी लोहा-इस्पात उद्योग इतना विकसित नहीं है कि सारा मैंगनीज़ उसमें खप जाए। अतः हम काफ़ी मैंगनीज़ विदेशों को बेच देते हैं। हम अधिकतर मैंगनीज़ अमेरिका तथा इंगलैंड को भेजते हैं। भारत का मैंगनीज़ उत्तम प्रकार का होता है।
  4. अभ्रक-अभ्रक एक बहुमूल्य धातु है। इसका उपयोग शीशे तथा बिजली का सामान बनाने में होता है। संसार का 75% अभ्रक भारत में ही निकाला जाता है। यह मुख्य रूप से झारखण्ड तथा आन्ध्र प्रदेश में मिलता है किन्तु कुछ । अभ्रक राजस्थान से भी प्राप्त होता है। भारत अधिकतर अभ्रक निर्यात कर देता है। इंगलैंड, फ्रांस, अमेरिका, जापान, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि भारतीय अभ्रक के मुख्य ग्राहक हैं।
  5. बॉक्साइट-बॉक्साइट से एल्यूमीनियम नामक धातु प्राप्त की जाती है। एल्यूमीनियम रेल के डिब्बे, मोटर गाड़ी, जहाज, बिजली का सामान, बर्तन और वार्निश आदि बनाने के काम आती है। बॉक्साइट का प्रयोग मिट्टी का तेल साफ़ करने, सीमेंट बनाने और अनेक रासायनिक पदार्थों का निर्माण करने में भी होता है। भारत बॉक्साइट के उत्पादन में आत्मनिर्भर है। यह झारखण्ड, गुजरात, तमिलनाडु, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में पाया जाता है।
  6. खनिज तेल-आज के युग में खनिज तेल का बड़ा महत्त्व है। यह केवल शक्ति का ही साधन नहीं है बल्कि इससे और भी कई प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती हैं। पेट्रोलियम हवाई जहाज़, समुद्री जहाज़ तथा मोटर आदि चलाने के काम आता है। इसे साफ़ करके पेट्रोल, मोम, कैरोसीन तथा मोबिल आयल बनाया जाता है। भारत में सबसे अधिक पेट्रोलियम सुम्बई हाई से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त असम राज्य में भी काफ़ी पेट्रोलियम निकाला जाता है। इस राज्य में पेट्रोलियम के मुख्य केन्द्र डिगबोई, बम्पापुंज, हंसपुंग, नाहरकटिया और मोरन आदि हैं। गुजरात राज्य में कैम्बे के निकट अंकलेश्वर से भी पेट्रोलियम निकाला जाता है। भारत में खनिज तेल का उत्पादन आवश्यकता से बहुत कम होता है। यहां निकाला जाने वाला पेट्रोलियम हमारी केवल 20 प्रतिशत आवश्यकता ही पूरी कर पाता है। इसलिए हमें विदेशों से इसका आयात करना पड़ता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

PSEB 8th Class Home Science Guide भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
खाना खाने के कितने तरीके हैं ?
उत्तर-
खाना खाने के दो तरीके हैं-आधुनिक तथा पुरातन।

प्रश्न 2.
खाना खाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
आधुनिक तरीके आजकल भारत में पढ़े-लिखे व्यक्ति ही व्यवहार में लाते हैं और मेज़ पर बैठकर ही खाना पसंद करते हैं।

प्रश्न 3.
खाना खाने के कौन-से ढंग में आमतौर पर स्त्रियाँ मेहमान के साथ बैठकर खाना नहीं खातीं और क्यों ?
उत्तर-
खाना खाने की पुरातन ढंग में स्त्रियाँ प्रायः अतिथि के साथ बैठकर खाना नहीं खाती क्योंकि वे मेजबान बनकर खाना बनाने और परोसने में मान महसूस करती हैं।

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प्रश्न 4.
प्लेटों के स्थान पर खाना खाने के लिए केले के पत्ते कहाँ प्रयोग किये जाते हैं ?
उत्तर-
प्लेटों के स्थान पर खाना खाने के लिए केले के पत्ते दक्षिणी भारत में प्रयोग किये जाते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
तुम्हारे विचार में भोजन इकट्ठे बैठकर खाना चाहिए या अलग-अलग बैठकर और क्यों ?
उत्तर-
हमारे विचार से भोजन इकट्ठे बैठकर करना चाहिए क्योंकि इकट्ठे बैठकर भोजन करने से जो भी भोजन बना होगा सभी मिल-जुलकर खाना खाएँगे और किसी तरह की शिकायत नहीं होगी। साथ ही गृहिणी को खाना परोसने में आसान भी रहेगा।

प्रश्न 2.
खाना खाते समय आप किन नियमों का पालन करोगे ? विस्तार से लिखो।
उत्तर-
खाना खाते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए-

  1. मुँह में चपचप की आवाज़ नहीं आनी चाहिए। उतनी देर तक कोई चीज़ दोबारा नहीं लेना चाहिए जब तक सभी एक-एक बार न ले लें।
  2. अगर खाना हाथ से खाओ तो पूरा हाथ नहीं भरना चाहिए।
  3. भोजन करते समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। तली हुई चीज़ों का इस्तेमाल कम करना चाहिए। उतना ही खाना खाना चाहिए जितना आसानी से पच सके।
  4. हाथ साफ़ होने चाहिएँ। कपड़े साफ़, हल्के और ढीले हों तो अति उत्तम है।
  5. गर्म भोजन के साथ ठंडा और ठंडे भोजन के साथ गर्म पानी नहीं पीना चाहिए।
  6. भोजन करते समय न तो खाँसी होना चाहिए न ही छींक आनी चाहिए। चम्मच, काँटे या बर्तन अगर कोई दूसरे व्यक्ति ने इस्तेमाल किए हों तो गर्म पानी में धो कर इस्तेमाल करना चाहिए।
  7. रात को सोने से एक घंटा पहले खाना खाना चाहिए। भोजन करके तुरन्त नहीं सोना चाहिए।

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प्रश्न 3.
आपखाना खाने और परोसने के लिए कौन-सा ढंग पसन्द करोगे और क्यों ?
उत्तर-
हम खाना खाने और परोसने के लिए आधुनिक ढंग पसन्द करेंगे, क्योंकि आधुनिक ढंग में सब लोग इकट्ठा खाना शुरू करते हैं और अन्त में कुर्सियों से इकट्ठे ही उठते हैं। इसमें मेज़ के ऊपर सभी चीजें रख ली जाती हैं जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुसार चीज़ ले लेता है। इस प्रकार कोई भी पदार्थ व्यर्थ नहीं जाता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तरी और दक्षिणी भारत में खाना परोसने के ढंग बताओ।
उत्तर-
उत्तरी भारत में थाली में विभिन्न आकार की कटोरियों में सजे व्यंजन रखे जाते हैं। दाल, सब्जी व रायता एक ही आकार की कटोरियों में रखते हैं। छोटी कटोरियों में चटनी व अचार रखते हैं। पापड़ और रोटी, पराँठा या पूरी भी थाली में रखते हैं। थाली में चम्मच भी अवश्य रखा जाता है। पानी से भरा गिलास दायीं ओर चौकी पर थाली के पास रखा जाता है। चावल यदि बनाये जाते हैं तो कुछ रोटी के बाद पूछकर दिए जाते हैं। पंजाब में तथा अन्य बहुत-से घरों में दही की नमकीन लस्सी भी दी जाती है।

खाना प्रायः गृहिणी ही खिलाती है। पहले थाली व कटोरी में थोड़ा-थोड़ा खाना लगाकर चौकी पर रख दिया जाता है। भोजनकर्ता खाना खाता रहता है और गृहिणी बीच-बीच में आवश्यकतानुसार थोड़ा-थोड़ा परोसती रहती है।

भोजन के पश्चात् जूठे बर्तन उठाकर चौकी, पटरा तथा कमरे व स्थान को साफ़ कर दिया जाता है।
दक्षिण भारत में प्लेटों या थाली की जगह केले के पत्ते इस्तेमाल किए जाते हैं। पत्ते की नोक खाने वाले के दायीं तरफ़ होती है। पत्ते के ऊपर बायीं तरफ़ पानी के लिए गिलास रखा जाता है। यदि मिठाई परोसनी हो तो पत्ते के दाएँ हाथ के कोने पर परोसी जाती है। कई लोग खाने के शुरू में और कई खाने के अन्त में मिठाई परोसते हैं। अचार पत्ते के नोक की बाईं तरफ रखते हैं। चावल जो दक्षिण भारत के लोगों का मुख्य खाना है, पत्ते के बीच में रखा जाता है। चावलों के साथ घी और सांबर देते हैं। दूसरे दौर में चावल के साथ रसम और तीसरी बार देना हो तो अचार, चावल, दही या लस्सी परोसी जाती है। भोजन खाने के बाद हाथ धोकर पान बाँटते हैं।

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प्रश्न 2.
खाना खाने के आधुनिक और पुरातन ढंग में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
खाना खाने के आधुनिक तथा पुरातन ढंग में निम्नलिखित अन्तर हैं-

आधुनिक ढंग पुरातन ढंग
(1) इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों तरफ़ कुर्सियाँ लगी होती हैं। (1) पुराने ढंग में भोजन भूमि पर आसन या चौकी बिछाकर किया जाता है।
(2) मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। (2) इस विधि में प्रत्येक सदस्य के लिए अलग थाली में भोजन परोसा जाता है।
(3) भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों  पर बैठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं। (3) इस विधि में गृहिणी को सामान्यतः भोजन परोसने के लिए तत्पर रहना आवश्यक है।
(4) आवश्यकता पड़ने पर दुबारा या अधिक बार वह अपने आप भोजन डोंगों से लेते हैं। (4) प्रारम्भिक रूप से गृहिणी थोडा-थोड़ा भोजन थालियों में परोसती है तथा आवश्यकता पड़ने पर खाने वाले सदस्य से पूछकर दोबारा डालती है।

 

प्रश्न 3.
खाना परोसते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
खाना परोसते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

  1. गृहिणी अथवा खाना परोसने वाले व्यक्ति का शरीर स्वच्छ तथा वस्त्र साफ़-सुथरे होने चाहिए। सफेद या हल्के रंग के वस्त्र हों तो अधिक उत्तम रहता है।
  2. यदि गृहिणी खाना परोसे तो उसे अपने बाल भली-भान्ति बाँध लेने चाहिएँ जिससे बार-बार बालों को स्पर्श न करना पड़े। पल्ला व दुपट्टा उचित स्थिति में रखना चाहिए ताकि वह लटके नहीं।
  3. भोजन प्रसन्नचित्त होकर कराना चाहिए।
  4. बर्तन साफ़, बेदाग और चमकते होने चाहिएं।
  5. कटोरियाँ और प्लेटें खाने के समय पूरी-पूरी नहीं भरनी चाहिए। थोड़ी खाली ही रहने देनी चाहिए।
  6. भोजन परोसते समय मेज़ या फर्श पर न गिरे और न ही बर्तन के किनारे पर गिरे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
  7. खाना खिलाते समय प्रत्येक सदस्य की ओर ध्यान रखना चाहिए।
  8. भोजन करने वालों की रुचि का ध्यान रखना चाहिए।
  9. प्रत्येक आदमी के लिए 20” से 24″ तक लम्बी और 15 से 16” चौड़ी जगह होनी चाहिए ताकि खाना आसानी से खाया जा सके।
  10. खाने की मेज़ पर कोई ऐसा कपड़ा बिछाना चाहिए जिससे खाना खाते समय प्लेटों, छुरियों, काँटों आदि की आवाज़ कम हो।
  11. फूलदान, फूल ट्रे आदि को मेज़ के केन्द्र में रखना चाहिए तथा ये कम ऊँचे होने चाहिए जिससे सभी व्यक्ति बिना रुकावट एक-दूसरे को देख सकें।
  12. खाना परोसते समय थाली, कटोरी या किसी बर्तन को ज़मीन पर बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।
  13. खाना खाने के बाद हाथ धोने, हाथ पोंछने आदि का प्रबन्ध होना चाहिए।
  14. भोजन को इस तरह परोसना चाहिए कि भोजन खाने वाले भोजन की ओर आकर्षित हो जायें और खुश होकर खायें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

Home Science Guide for Class 8 PSEB भारतीय ढंग से मेज़ लगाना Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय तरीके में घर की स्त्री पति के किस तरफ बैठती है ?
(क) बायें
(ख) दायें
(ग) बैठती ही नहीं
(घ) खड़ी रहती है।
उत्तर-
(क) बायें

प्रश्न 2.
प्लेटों के स्थान पर केले के पत्ते कहां प्रयोग होते हैं
(क) दक्षिणी भारत
(ख) पूर्वी भारत
(ग) अमरीका
(घ) रूस।
उत्तर-
(क) दक्षिणी भारत

प्रश्न 3.
विदेशी शैली में भोजन परोसने में सब से पहले क्या परोसा जाता है ?
(क) सूप
(ख) खीर
(ग) पानी
(घ) कुछ नहीं
उत्तर-
(क) सूप

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प्रश्न 4.
मक्खन को गर्म करने से
(क) खाने योग्य नहीं रहता
(ख) विटामिन A नष्ट हो जाता है
(ग) जल जाता है
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(ख) विटामिन A नष्ट हो जाता है

II. ठीक/गलत बताएं

  1. भारतीय शैली में भोजन के अंत में स्वीट डिश परोसी जाती है।
  2. मिठाई केले के पत्ते के कोने पर परोसी जाती है।
  3. भोजन प्रसन्नचित्त हो कर करना चाहिए।
  4. भोजन करते समय खूब बातें करना चाहिए।

उत्तर-

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III. रिक्त स्थान भरें

  1. दक्षिणी भारत में ……………. के पत्ते बर्तनों की जगह प्रयोग में लाए जाते हैं।
  2. पुराने ढंग में भोजन खाने के बाद हाथ धोकर ……………… बाँटा जाता है।
  3. रात को सोने से ……………… पहले खाना खायो।
  4. ……………… के गिलास प्रयोग नहीं करने चाहिए।

उत्तर-

  1. केले,
  2. पान,
  3. एक घण्टे,
  4. काँसे।

IV. एक शब्द में उत्तर दें-

प्रश्न 1.
भोजन परोसते समय किस बात का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
स्वच्छता का।

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प्रश्न 2.
विदेशी शैली में भोजन परोसने में सबसे पहले क्या परोसा जाता है ?
उत्तर-
सूप या फ्रूट जूस।

प्रश्न 3.
भारतीय शैली में भोजन के अन्त में क्या परोसा जाता है ?
उत्तर-
मीठी चीजें (स्वीट डिश)

प्रश्न 4.
खाना खाने की किस विधि में स्त्रियाँ प्रायः अतिथि के साथ बैठकर खाना नहीं खातीं ?
उत्तर-
पुरातन ढंग में।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
खाना खाने के कौन-कौन से दो तरीके हैं ?
अथवा
खाना परोसने के दो ढंगों के नाम लिखो।
उत्तर-
खाना खाने के पुरातन और आधुनिक दो तरीके हैं।

प्रश्न 2.
मक्खन को गर्म क्यों नहीं करना चाहिए ?
उत्तर-
मक्खन को गर्म करने से उसका विटामिन ‘ए’ नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 3.
भोजन परोसने की तीन (दो) विधियाँ कौन-कौन सी हैं ?
अथवा
भोजन परोसने के ढंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. भारतीय शैली,
  2. विदेशी शैली,
  3. बुफे भोज।

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प्रश्न 4.
यथासम्भव एक ही धातु के पात्रों में भोजन क्यों परोसना चाहिए ?
उत्तर-
एकरूपता होने के कारण आकर्षण बढ़ता है।

प्रश्न 5.
बुफे विधि प्रायः कहाँ प्रयोग में लाई जाती है ?
उत्तर-
शादी, पार्टियों, सामूहिक भोज आदि अवसरों पर।

प्रश्न 6.
सेकने की विधि द्वारा भोजन पकाने के लाभ तथा हानि क्या हैं ?
उत्तर-
लाभ-भोज्य पदार्थ स्वादिष्ट तथा पोषक तत्त्वयुक्त रहता है। हानि-यह महँगी विधि है और इसमें अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 7.
चावल पकाते समय चावलों में कितना पानी डालना चाहिए ?
उत्तर-
जितना पानी चावल सोख लें।

प्रश्न 8.
मेज़ लगाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हैं ।
उत्तर-
इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों तरफ कुर्सियां लगी होती हैं। मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोगों प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बाठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं।

प्रश्न 9.
मेज़ पर खाना परोसने के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए ? ।
उत्तर-
मेज़ पर खाना परोसने के लिए, डोंगे, कड़छियाँ, चम्मच, छरी, काँटे, नेपकिन पानी का जग, गिलास, प्लेटें, कटोरियाँ, नमकदानी आदि सामग्री की आवश्यकता है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन परोसने की देशी और विदेशी विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हमारे देश में भोजन परोसने के लिए सामान्यतः दो विधियां हैं-
(1) देशी विधि,
(2) विदेशी विधि। कहीं-कहीं इन दोनों विधियों का मिला-जुला रूप भी प्रचलित है।

1. देशी विधि-देशी विधि अर्थात् भारतीय विधि में भोजन भूमि पर आसन या चौकी बिछाकर किया जाता है। प्रत्येक सदस्य के लिए अलग थाली में भोजन परोसा जाता है। थाली में पकाया हुआ भोजन भली-भाँति सजाया जाता है। रसेदार सब्जी व तरल भोज्य पदार्थों को कटोरी में व अन्य चीजें थाली में ही रखी जाती हैं। इस विधि में गृहिणी को सामान्यत: भोजन पोसने के लिए तत्पर रहना आवश्यक है। प्रारम्भिक रूप में गृहिणी थोड़ा-थोड़ा भोजन थालियों में परोसती है तथा आवश्यकता पड़ने पर खाने वाले सदस्य से पूछकर दोबारा डालती है। यह बात गृहिणी के ध्यान रखने योग्य है कि शुरू में ही वह थाली में इतना भोजन न परोसे कि खाया ही न जाए तथा व्यर्थ जाए, बल्कि खाने वाले की इच्छानुसार पूछकर देना चाहिए।

देशी विधि में बदलते समय के साथ-साथ कुछ परिवर्तन भी होते रहे हैं, जैसे अब विदेशी विधि की भान्ति डोंगों में भोज्य पदार्थों को रखकर परिवार के सारे सदस्य भूमि में आसन बिछाकर एक साथ भोजन करते हैं।

2. विदेशी विधि- यह विधि परा-भारतीय है किन्तु भारत में अब इसका काफ़ी प्रचलन है। इस विधि में एक बड़ी मेज़ के चारों ओर कुर्सियाँ लगी होती हैं। मेज़ पर सभी खाद्य पदार्थ डोंगों, प्लेटों आदि में मेज़ के मध्य में सजा दिए जाते हैं। भोजन करने वाले व्यक्ति कुर्सियों पर बैठते हैं तथा अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार अपनी प्लेट में भोज्य पदार्थ लेते हैं। आवश्यकता पड़ने पर दोबारा या अधिक बार वह अपने आप भोजन डोंगों से ले लेते हैं। इस विधि में बार-बार परोसने के लिए किसी अतिरिक्त व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती । अतः सभी व्यक्ति एक साथ भोजन कर सकते हैं। इस विधि में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • प्रत्येक डोंगे के साथ एक सर्विस चम्मच होना चाहिए।
  • प्रत्येक व्यक्ति के प्रयोग के लिए नेपकिन होते हैं जिससे कपड़े खराब नहीं होते।
  • प्रत्येक व्यक्ति के सामने एक बड़ी प्लेट होती है।
  • छुरी, काँटे की उचित व्यवस्था हो। छुरी प्लेट के दायीं ओर हो तथा उसकी धार प्लेट की तरफ़ होनी चाहिए। काँटे प्लेट के बायीं ओर सीधे रखने चाहिएँ।
  • मेज़ पर एक सुन्दर फूलदान रखना चाहिए लेकिन यह इस स्थिति में रखा जाए कि भोजन लेने में उससे रुकावट उत्पन्न न हो।

आजकल देशी-विदेशी दोनों विधियों का मिला-जुला रूप कई स्थानों पर देखने को मिलता है। जो भी हो, भोजन परोसने की विधि ऐसी मनोहारी, स्वच्छ व रुचिकर होनी चाहिए जिसमें आकर्षण झलकता हो।

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प्रश्न 2.
खाने की मेज़ की व्यवस्था करना क्यों आवश्यक है ? यह व्यवस्था कैसे की जाती है ?
उत्तर-
मेज़ पर खाना परोसने से पहले मेज़ की व्यवस्था करना ज़रूरी है। मेज़ की व्यवस्था खाना खाने के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए की जाती है। मेज़ की व्यवस्था से गहिणी का व्यक्तित्व प्रकट होता है।

मेज़ की व्यवस्था में कोई जटिल नियम नहीं होते हैं। भोजन के परोसे जाने की विधि; मीन का चुनाव, मेज़ का आकार, इन सब पर मेज़-व्यवस्था निर्भर करती है। भोजन परोसने की विधि के अनुसार हम वस्तुओं की स्थिति निर्धारित करते हैं।

मेज़पोश-मेज़ पर मेज़पोश, मैट्स, नेपकिन इत्यादि की आवश्यकता होती है। आजकल सनमाइका के मेज़ होने के कारण मेज़पोश तथा मैट्स की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि कागज़ के नैपकिन के इस्तेमाल से ही काम चल जाता है। यदि इन वस्तुओं का इस्तेमाल करना हो तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
1. मेज़पोश मेज़ के चारों तरफ 30-40 सेमी० से ज्यादा नहीं लटकना चाहिए।

2. मेज़ चौड़ी हो तो मैट्स को मेज़ के किनारों से 3-4 सेमी. दूरी पर रखनी चाहिए। यदि मेज़ कम चौड़ी हो तो मैट्स को किनारों के साथ-साथ लगाया जाना चाहिए।

3. मेज़ की सज्जा रुचि अनुसार की जाती है। यदि बैठकर भोजन करना हो तो फूल सज्जा नीची रखनी चाहिए और यदि खड़े होकर खाने का प्रबन्ध हो तो ऊँचे आकार की फूल सज्जा रखी जाती है।

4. नेपकिन के रंग ध्यानपूर्वक चुनने चाहिएँ। नेपकिन रखने से पहले कई तरह से तह लगाया जा सकता है, जैसे-चौरस, आयताकार आदि। नेपकिन को मैट्स पर प्लेट के बाईं तरफ या प्लेट के ऊपर ही रखा जाता है।

5. चीनी और काँच के बर्तन आदि रखने के लिए ठीक स्थान होना चाहिए। पानी के गिलास को छुरी के एक दम सामने रखना चाहिए। सब्जी की प्लेटें चम्मच के दाईं ओर रखनी चाहिएँ। डोंगे मेज़ के मध्य भाग में ही रखने चाहिए।

5. चम्मच, छुरी, काँटे खाना खाने की सुविधा के लिए होते हैं । खाना खाने की छुरी को प्लेट के दाईं तरफ़ तथा चम्मचों को छुरी के बाईं तरफ रखना चाहिए। काँटे को प्लेट की बाईं ओर रखना चाहिए।

6. यदि मेहमानों की संख्या उपलब्ध स्थान से ज्यादा हो तो इसका सरल समाधान बुफे सर्विस है। बड़ी मेज़ के साथ छोटी मेजें लगाकर डेजर्ट तथा पानी की व्यवस्था की जा सकती है।

प्रश्न 3.
मेज़ लगाने के आधुनिक तरीके से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 4 भारतीय ढंग से मेज़ लगाना

भारतीय ढंग से मेज़ लगाना PSEB 8th Class Home Science Notes

  • खाना खाने के दो तरीके हैं-एक पुरातन और दूसरा आधुनिक।
  • भारतीय ढंग के अनुसार खाना खाने के लिए दाएँ हाथ का इस्तेमाल करते हैं और खाना उँगलियों से खाते हैं।
  • दक्षिणी भारत में प्लेटों या थाली की जगह केले के पत्ते इस्तेमाल करते हैं।
  • भारतीय ढंग में घर की स्त्री पति के बाएँ ओर बैठती है।
  • मेज़ को सजाने के लिए फूलदान, फ्रूट ट्रे आदि इस्तेमाल करते हैं।
  • खाना परोसते समय बर्तन साफ़, बेदाग और चमकते हुए होने चाहिएँ।
  • खाना खाते समय मुँह से चपचप की आवाज़ नहीं आनी चाहिए।
  • भोजन करते समय प्रसन्नचित्त रहना चाहिए।
  • गर्म भोजन के साथ ठंडा और ठंडे भोजन के साथ गर्म पानी नहीं पीना चाहिए।
  • रात को सोने से एक घंटा पहले खाना खा लेना चाहिए। भोजन करके तुरन्त नहीं सोना चाहिए।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें

SST Guide for Class 10 PSEB बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द/एक पंक्ति (1-15 शब्दों) में लिखें

प्रश्न 1.
हुक्मनामे में गुरु (गोबिन्द सिंह) जी ने पंजाब के सिक्खों को क्या आदेश दिए?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर उनका राजनीतिक नेता होगा तथा वे मुग़लों के विरुद्ध धर्मयुद्ध में बंदे का साथ दें।

प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर दक्षिण से पंजाब की तरफ क्यों आया?
उत्तर-
मुगलों के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करने के लिए।

प्रश्न 3.
समाना पर बंदा सिंह बहादुर ने आक्रमण क्यों किया?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर ने सिक्ख गुरुओं पर अत्याचार करने वाले जल्लादों को दण्ड देने के लिए समाना पर आक्रमण किया।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें

प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर की तरफ से भूणा गांव पर आक्रमण करने का क्या कारण था?
उत्तर-
अपनी सैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन प्राप्त करने के लिए।

प्रश्न 5.
बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा पर क्यों आक्रमण किया?
उत्तर-
सढौरा के अत्याचारी शासक उसमान खान को दण्ड देने के लिए।

प्रश्न 6.
बंदा सिंह बहादुर ने चप्पड़-चिड़ी तथा सरहिन्द पर क्यों आक्रमण किए?
उत्तर-
सरहिन्द के अत्याचारी सूबेदार वज़ीर खान को दण्ड देने के लिए।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें

प्रश्न 7.
सहों के युद्ध के क्या कारण थे?
उत्तर-
जालन्धर दोआबे के सिक्खों ने वहां के फ़ौजदार शम्स खां के विरुद्ध शस्त्र उठा लिए।

प्रश्न 8.
बजीर खां कहां का सूबेदार था? उसका बंदा सिंह बहादुर के साथ किस स्थान पर युद्ध हुआ?
उत्तर-
बज़ीर खां सरहिन्द का सुबेदार था। चप्पड़-चिड़ी में।

प्रश्न 9.
बंदा सिंह बहादुर की शहादत के बारे में लिखिए।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर को 1716 ई० को उसके साथियों सहित दिल्ली में शहीद कर दिया गया।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें

प्रश्न 10.
‘करोड़सिंघिया’ मिसल का नाम कैसे पड़ा?
उत्तर-
करोड़सिंघिया मिसल का नाम इसके संस्थापक करोड़सिंह के नाम पर पड़ा।

प्रश्न 11.
सदा कौर कौन थी?
उत्तर-
सदा कौर महाराजा रणजीत सिंह की सास थी।

(ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 30-50 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर तथा गुरु गोबिंद सिंह जी की मुलाकात का वर्णन करो।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर का आरम्भिक नाम माधोदास था। वह एक बैरागी था। 1708 ई० में गुरु गोबिन्द सिंह जी मुग़ल सम्राट् बहादुरशाह के साथ दक्षिण में गए। वहां माधोदास उनके सम्पर्क में आया। गुरु जी के आकर्षक व्यक्तित्व ने उसे इतना अधिक प्रभावित किया कि वह शीघ्र ही उनका शिष्य बन गया। गुरु जी ने उसे सिक्ख बनाया और उसे पंजाब में ‘सिक्खों’ का नेतृत्व करने के लिए भेजा। पंजाब में वह ‘बंदा सिंह बहादुर’ के नाम से विख्यात हुआ।

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प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर की समाना की विजय पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर ने 26 नवम्बर, 1709 ई० को समाना पर आक्रमण किया। इसका कारण यह था कि गुरु गोबिन्द सिंह जी के दो साहिबजादों को शहीद करने वाले जल्लाद समाना के थे। समाना की गलियों में कई घण्टों तक लड़ाई होती रही। सिक्खों ने लगभग 10,000 मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया और नगर के कई सुन्दर भवनों को नष्ट कर दिया। हत्यारे जल्लाद परिवारों का सफाया कर दिया गया। इस विजय से बंदा सिंह बहादुर को बहुत-सा धन भी प्राप्त हुआ।

प्रश्न 3.
चप्पड़-चिड़ी तथा सरहिन्द की लड़ाई का वर्णन करो।
उत्तर-
सरहिन्द के सूबेदार वज़ीर खान ने गुरु गोबिन्द सिंह जी को जीवन भर तंग किया था। इसके अतिरिक्त उसने गुरु साहिब के दो साहिबजादों को सरहिन्द में ही दीवार में चिनवा दिया था। इसलिए बंदा सिंह बहादुर इसका बदला लेना चाहता था। जैसे ही वह सरहिन्द की ओर बढ़ा, हजारों लोग उसके झण्डे तले एकत्रित हो गए। सरहिन्द के कर्मचारी, सुच्चा नंद का भतीजा भी 1,000 सैनिकों के साथ बंदा की सेना से जा मिला। परन्तु बाद में उसने धोखा दिया। दूसरी ओर वज़ीर खान के पास लगभग 20,000 सैनिक थे। सरहिन्द से लगभग 16 किलोमीटर पूर्व में चप्पड़चिड़ी के स्थान पर 22 मई, 1710 ई० को दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ। वज़ीर खान को मौत के घाट उतार दिया गया। शत्रु के सैनिक बड़ी संख्या में सिक्खों की तलवारों के शिकार हुए। वज़ीर खान की लाश को एक पेड़ पर टांग दिया गया, । सुच्चा नंद जिसने सिक्खों पर अत्याचार करवाये थे, की नाक में नकेल डाल कर नगर में उसका जुलूस निकाला गया।

प्रश्न 4.
गुरदास नंगल के युद्ध का वर्णन करो।
उत्तर-
मुग़ल बंदा सिंह बहादुर की निरन्तर विजयों से आग-बबूला हो उठे थे। अत: 1715 ई० में एक विशाल मुग़ल सेना ने बंदा सिंह बहादुर पर आक्रमण कर दिया। इस सेना का नेतृत्व अब्दुस्समद खां कर रहा था। सिक्खों ने इस सेना का वीरता से सामना किया, परन्तु उन्हें गुरदास नंगल (गुरदासपुर से 6 कि० मी० दूर पश्चिम में) की ओर हटना पड़ा। वहां उन्होंने बंदा सिंह बहादुर सहित दुनीचन्द की हवेली में शरण ली। शत्रु को दूर रखने के लिए उन्होंने हवेली के चारों ओर खाई खोद कर उसमें पानी भर दिया। अप्रैल, 1715 ई० में मुग़ल सेना ने भाई दुनी चन्द की हवेली को घेर लिया। सिक्ख बड़े साहस और वीरता से मुग़लों का सामना करते रहे। आठ मास के लम्बे युद्ध के कारण उनकी खाद्य सामग्री समाप्त हो गई। विवश होकर उन्हें पराजय स्वीकार करनी पड़ी। बंदा सिंह बहादुर तथा उसके 200 साथी बन्दी बना लिए गए।

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प्रश्न 5.
सबसे पहली मिसल कौन-सी थी? उसका वर्णन करो।
उत्तर-
सबसे पहली मिसल फैज़लपुरिया मिसल थी। इसका संस्थापक नवाब कपूर सिंह था। उसने सबसे पहले अमृतसर के निकट फैजलपुर नामक गांव पर अधिकार किया और इसका नाम ‘सिंहपुर’ रखा। इसलिए इस मिसल को ‘सिंहपुरिया मिसल’ भी कहते हैं। 1753 ई० में नवाब कपूर सिंह की मृत्यु हो गई और उसका भतीजा खुशहाल सिंह इस मिसल का नेता बना। उसके काल में सिक्खों का प्रभुत्व काफ़ी बढ़ गया और सिंहपुरिया मिसल का अधिकार क्षेत्र दूर-दूर तक फैल गया। 1795 ई० में उसके पुत्र बुद्ध सिंह ने इस मिसल की बागडोर सम्भाली। वह अपने पिता के समान वीर तथा योग्य न था। 1819 ई० में महाराजा रणजीत सिंह ने इस मिसल को अपने राज्य में मिला लिया।

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 100-120 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर की प्रारम्भिक विजयों का वर्णन करो।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर अपने युग का महान् सेनानायक था। गुरु साहिब का आदेश पाकर वह दिल्ली पहुंचा। उसने मालवा, दोआबा तथा माझा के सिक्खों के नाम गुरु गोबिन्द सिह जी के हुक्मनामे भेजे। शीघ्र ही हज़ारों की संख्या में सिक्ख उसके नेतृत्व में इकट्ठे हो गए। सेना का संगठन करने के पश्चात् बंदा सिंह बहादुर बड़े उत्साह से अत्याचारी मुग़लों के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करने के लिए पंजाब की ओर चल पड़ा।
यहां से उसका विजय अभियान आरम्भ हुआ।

  1. सोनीपत पर आक्रमण-बंदा सिंह बहादुर ने सबसे पहले सोनीपत पर आक्रमण किया। उस समय उसके साथ केवल 500 सिक्ख ही थे। परन्तु वहाँ का फ़ौजदार सिक्खों की वीरता के बारे में सुन कर अपने सैनिकों सहित शहर छोड़ कर भाग गया।
  2. भूणा (कैथल) के शाही खज़ाने की लूट-सोनीपत से बंदा सिंह बहादुर कैथल के पास पहुँचा। उसे पता चला कि कुछ मुग़ल सैनिक भूमिकर इकट्ठा करके भूना गांव में ठहरे हुए हैं। अत: बंदा सिंह बहादुर ने भूना पर धावा बोल दिया। कैथल के फ़ौजदार ने उसका सामना किया, परन्तु पराजित हुआ। बंदा बहादुर ने मुग़लों से सारा धन छीन लिया।
  3. समाना की विजय-भूणा के पश्चात् बंदा सिंह बहादुर समाना की ओर बढ़ा। गुरु तेग़ बहादुर जी को शहीद करने वाला जल्लाद सय्यद जलालुद्दीन वहीं का रहने वाला था। सरहिन्द में गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे साहिबजादों (जोरावर सिंह तथा फतेह सिंह) को शहीद करने वाले जल्लाद शासल बेग तथा बाशल बेग भी समाना के ही थे। उन्हें दण्ड देने के लिए 26 नवम्बर,1709 ई० को बंदा सिंह बहादुर ने समाना पर आक्रमण कर दिया। लगभग 10,000 मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया। सय्यद जलालुद्दीन, शासल बेग तथा बाशल बेग के परिवारों का सफाया कर दिया गया।
  4. घुड़ाम की विजय-लगभग एक सप्ताह पश्चात् बंदा सिंह बहादुर ने घुड़ाम पर धावा बोल दिया। वहां के पठानों ने सिक्खों का विरोध किया, परन्तु अन्त में उन्हें भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी। घुड़ाम से भी सिक्खों को बहुतसा धन मिला।
  5. कपूरी पर आक्रमण-घुड़ाम के बाद बंदा सिंह बहादुर कपूरी पहुँचा। वहाँ का शासक कतमऊद्दीन हिन्दुओं पर बहुत अत्याचार करता था। बंदा सिंह बहादुर ने उसे पराजित करके मौत के घाट उतार दिया। उसकी हवेली को जला कर राख कर दिया गया।
  6. सढौरा की विजय-सढौरे का शासक उसमान खान भी हिन्दुओं पर अत्याचार करता था। भंगानी के युद्ध में गुरु जी की सहायता करने के कारण उसने पीर बुद्ध शाह को कत्ल करवा दिया था। इन अत्याचारों का बदला लेने के लिए बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा पर आक्रमण किया और उसमान खान को पराजित करके शहर को खूब लूटा ।
  7. मुखलिसपुर की जीत-अब बंदा सिंह बहादुर ने मुखलिसपुर पर धावा बोला और बहुत ही आसानी से वहां अधिकार जमा लिया। वहां के किले का नाम बदल कर लोहगढ़’ रख दिया । बाद में यही नगर बंदा सिंह बहादुर की राजधानी बना।
  8. चप्पड़-चिड़ी की लड़ाई तथा सरहिन्द की जीत-बंदा सिंह बहादुर का वास्तविक निशाना सरहिन्द था। यहाँ के सूबेदार वज़ीर खान ने गुरु गोबिन्द सिंह जी को जीवन भर तंग किया था। इसके अतिरिक्त उसने गुरु साहिब के दो छोटे साहिबजादों को सरहिन्द में ही दीवार में चिनवा दिया था। इसका बदला लेने के लिए बंदा ने सरहिंद पर आक्रमण कर दिया। सरहिन्द से लगभग 16 किलोमीटर पूर्व में चप्पड़-चिड़ी के स्थान पर 22 मई, 1710 ई० को दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ। सिक्ख बड़े उत्साह से लड़े और उन्होंने वज़ीर खान को मौत के घाट उतार दिया। उसकी लाश को एक पेड़ पर टांग दिया गया। सुच्चानंद जिसने सिक्खों पर अत्याचार करवाये थे, की नाक में नकेल डाल कर नगर में उसका जुलूस निकाला गया। सिक्ख सैनिकों ने शहर में भारी लूट-मार की।
  9. सहारनपुर तथा जलालाबाद पर आक्रमण-इसी समय बंदा सिंह बहादुर को पता चला कि जलालाबाद का गवर्नर जलाल खां अपनी हिन्दू प्रजा पर घोर अत्याचार कर रहा है। अतः वह जलालाबाद की ओर बढ़ा। मार्ग में उसने सहारनपुर पर विजय प्राप्त की। परन्तु उसे जलालाबाद को विजय किए बिना ही वापस लौटना पड़ा।
  10. जालन्धर दोआब पर अधिकार-बंदा सिंह बहादुर की विजयों से उत्साहित होकर जालंधर दोआब के सिक्खों ने वहां के फ़ौजदार शम्स खां के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और बंदा सिंह बहादुर को सहायता के लिए बुलाया। शम्स खां ने एक विशाल सेना सिक्खों के विरुद्ध भेजी। राहों के स्थान पर दोनों सेनाओं में एक भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें सिक्ख विजयी रहे।
  11. अमृतसर, बटाला, कलानौर तथा पठानकोट पर अधिकार-बंदा सिंह बहादुर की सफलता से उत्साहित होकर लगभग आठ हज़ार सिक्खों ने मुसलमान शासकों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। शीघ्र ही उन्होंने अमृतसर, बटाला, कलानौर तथा पठानकोट को अपने अधिकार में ले लिया। कुछ समय पश्चात् लाहौर भी उनके अधिकार में आ गया।

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प्रश्न 2.
बहादुर शाह ने बंदा बहादुर के विरुद्ध जो युद्ध लड़े, उनका वर्णन करो।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर ने पंजाब के मुग़ल शासकों में हड़कंप मचा रखा था। जब यह समाचार मुग़ल सम्राट बहादुरशाह तक पहुंचा, तो वह क्रोधित हो उठा। उसने अपना सारा ध्यान पंजाब पर केन्द्रित कर दिया । 27 जून, 1710 ई० को वह अजमेर से पंजाब की ओर चल पड़ा। उसने दिल्ली तथा अवध के सूबेदारों तथा मुरादाबाद तथा इलाहाबाद के निज़ामों तथा फ़ौजदारों को आदेश दिया कि वे अपनी-अपनी सेनाओं सहित पंजाब में पहुंचे।

  1. अमीनाबाद की लड़ाई-बंदा सिंह बहादुर की शक्ति को कुचलने के लिए बहादुर शाह ने सर्वप्रथम फिरोज़ खान मेवाती तथा महावत खान के अधीन सिक्खों के विरुद्ध एक विशाल सेना भेजी। इस सेना का सामना बिनोद सिंह तथा राम सिंह ने 26 अक्तूबर, 1710 ई० को अमीनाबाद (बनेसर तथा तरावड़ी के बीच) में किया । उन्होंने महावत खान को एक बार तो पीछे धकेल दिया, परन्तु शत्रु की संख्या बहुत अधिक होने के कारण सिक्खों को अन्त में पराजय का मुंह देखना पड़ा।
  2. सढौरा की लड़ाई-जब बंदा सिंह बहादुर को सिक्खों की पराजय का समाचार मिला तो उसने अपने सैनिकों सहित शत्रु पर चढ़ाई कर दी। उस समय मुग़लों की विशाल सेना सढौरा में पड़ाव डाले हुए थी। 4 दिसम्बर, 1710 ई० को शत्र की सेना किसी उचित ठिकाने की खोज में निकली। अवसर का लाभ उठाकर सिक्खों ने उस पर धावा बोल दिया। उन्होंने शत्रु को बहुत क्षति पहुंचाई, परन्तु शाम को बहुत बड़ी संख्या में शाही सेना शत्रु की सेना से आ मिली। अतः सिक्खों ने लड़ाई छोड़ कर ‘लोहगढ़’ में शरण ली।।
  3. लोहगढ़ का युद्ध-अब बहादुर शाह ने स्वयं बंदा सिंह बहादुर के विरुद्ध कार्यवाही करने का निर्णय किया। उसने सिक्खों की शक्ति का पता लगाने के लिए वज़ीर मुनीम खान को किले की ओर बढ़ने का आदेश दिया। परन्तु उसने 10 दिसम्बर,1710 ई० को लोहगढ़ के किले पर आक्रमण कर दिया। उसे देखकर अन्य मुगल सरदारों ने भी किले पर धावा बोल दिया। सिक्खों ने शत्रु का डट कर सामना किया, परन्तु किले में खाद्य-सामग्री की कमी के कारण सिक्खों को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अंत में बंदा सिंह बहादुर अपने सिक्खों सहित नाहन की पहाड़ियों की ओर निकल गया। ___ 11 दिसम्बर, 1710 ई० को मुनीम खान ने फिर से किले पर धावा बोल दिया और किले पर अधिकार कर लिया। अत: बहादुर शाह ने बंदा सिंह बहादुर का पीछा करने के लिए हमीद खान को नाहन की ओर भेजा। वह स्वयं सढौरा, बडौली, रोपड़, होशियारपुर, कलानौर आदि स्थानों से होता हुआ लाहौर जा पहुँचा।
  4. पहाड़ी प्रदेश में बंदा सिंह बहादुर की गतिविधियां-पहाड़ों में जाकर बंदा सिंह बहादुर ने सिक्खों के नाम हुक्मनामा भेजे। थोड़े समय में ही एक बड़ी संख्या में सिक्ख कीरतपुर में एकत्रित हो गए।
    1. सबसे पहले बंदा सिंह बहादुर ने गुरु गोबिन्द सिंह जी के पुराने शत्रु बिलासपुर के शासक भीमचन्द को एक ‘परवाना’ भेजा और उसे अधीनता स्वीकार करने के लिए कहा। उसके न करने पर बंदा ने बिलासपुर पर आक्रमण कर दिया। एक घमासान युद्ध हुआ जिसमें भीमचन्द तथा 1300 सैनिक मारे गए। सिक्खों को शानदार विजय प्राप्त हुई।
    2. बंदा सिंह बहादुर की विजय से शेष पहाड़ी राजा भयभीत हो गए। उनमें से कइयों ने बंदा सिंह बहादुर को नज़राना देना स्वीकार कर लिया। मण्डी के राजा सिद्ध सेन ने यह घोषणा कर दी कि वह सिक्ख गुरु साहिबान का अनुयायी है।
    3. मण्डी से बंदा सिंह बहादुर कुल्लू की ओर बढ़ा। वहाँ के शासक मान सिंह ने चालाकी से उसे कैद कर लिया, परन्तु जल्दी ही बंदा सिंह बहादुर वहां से बच निकलने में सफल हो गया।
    4. कुल्लू से बंदा सिंह बहादुर चम्बा रियासत की ओर बढ़ा। वहाँ के राजा उदय सिंह ने उसका हार्दिक स्वागत किया। उसने अपने परिवार में से एक लड़की का विवाह भी उसके साथ कर दिया। 1711 ई० के अन्त में बंदा के यहाँ एक पुत्र पैदा हुआ। उसका नाम अजय सिंह रखा गया।
    5. बहिरामपुर की लड़ाई-अब बंदा सिंह बहादुर रायपुर तथा बहिरामपुर के पहाड़ों से निकल कर मैदानी प्रदेश में आ गया। वहां जम्मू के फ़ौजदार बायजीद खां खेशगी ने उस पर आक्रमण कर दिया। 4 जून, 1711 ई० को बहिरामपुर के निकट लड़ाई हुई। इस लड़ाई में बाज़ सिंह तथा फतेह सिंह ने अपनी वीरता के जौहर दिखाए और सिक्खों को विजय दिलाई।
      बहिरामपुर की विजय के पश्चात् बंदा सिंह बहादुर ने रायपुर, कलानौर तथा बटाला पर आक्रमण किए और इन स्थानों को अपने अधिकार में ले लिया, परन्तु उसकी ये विजयें चिर-स्थायी सिद्ध न हुईं। उसने फिर से पहाड़ों में शरण ली। परन्तु बहादुर शाह के अधीन मुग़ल सरकार उसकी शक्ति को कुचलने में असफल रही।

प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर की गंगा-यमुना के इलाके में लड़ी गई लड़ाइयों का वर्णन करो।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की विजयों से जन साधारण में उत्साह की लहर दौड़ गई। लोगों को विश्वास हो गया कि बंदा ही उन्हें मुग़लों के अत्याचारों से मुक्ति दिला सकता है। बस फिर क्या था। देखते ही देखते बहुत-से हिन्दू तथा मुसलमान सिक्ख बनने लगे। उनारसा गाँव के निवासी भी सिक्ख बन गए। जलालाबाद का फ़ौजदार जलाल खां इसे सहन न कर सका। उसने वहाँ के बहुत-से सिक्खों को कैद कर लिया। उन सिक्खों को छुड़ाने के लिए बंदा सिंह बहादुर अपने सैनिकों को लेकर उनारसा की ओर चल पड़ा।

  1. सहारनपुर पर आक्रमण-यमुना नदी को पार करके सिक्खों ने पहले सहारनपुर पर आक्रमण किया। वहाँ का फ़ौजदार अली हामिद खान दिल्ली की ओर भाग गया। उसके कर्मचारियों ने सिक्खों का सामना किया, परन्तु वे परास्त हुए। नगर के अधिकतर भाग पर सिक्खों का अधिकार हो गया। उन्होंने सहारनपुर का नाम बदल कर भाग नगर’ रख दिया।
  2. बेहात की लड़ाई-सहारनपुर से बंदा सिंह बहादुर ने बेहात की ओर कूच किया। वहाँ के पीरज़ादे हिन्दुओं पर अत्याचार कर रहे थे। वे खुले तौर पर बाज़ारों तथा गलियों में गौ हत्या करते थे। बंदा सिंह बहादुर ने अनेक पीरज़ादों को मौत के घाट उतार दिया। कहते हैं कि उनमें से केवल एक पीरज़ादा ही जीवित बच सका जोकि बुलंद शहर गया हुआ था।
  3. अम्बेता पर आक्रमण-बेहात के उपरान्त बंदा सिंह बहादुर ने अम्बेता पर आक्रमण किया। वहाँ के पठान बड़े धनी थे। उन्होंने सिक्खों का कोई विरोध न किया। सिक्खों को वहाँ से बहुत-सा धन मिला।
  4. नानौता पर आक्रमण-21 जुलाई, 1710 ई० को सिक्खों ने नानौता पर आक्रमण किया। वहाँ के शेखज़ादे तीर चलाने में बड़े निपुण थे। वे सिक्खों के सामने डट गए। नानौता की गलियों तथा बाजारों में घमासान युद्ध हुआ। लगभग 300 शेखज़ादे युद्ध में मारे गए और सिक्खों को विजय प्राप्त हुई।
  5. उनारसा पर आक्रमण- यहाँ से बंदा सिंह बहादुर ने अपने मुख्य शत्रु अर्थात् उनारसा के जलाल खां की ओर ध्यान दिया। अपने दूत द्वारा उसने जलाल खां के पास एक पत्र भेजा। उसने लिखा कि वह कैदी सिक्खों को छोड़ दे तथा उसकी अधीनता स्वीकार कर ले। परन्तु जलाल खां ने बंदा सिंह बहादुर की इस मांग को ठुकरा दिया। उसने दूत का निरादर भी किया। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने उनारसा पर भयंकर धावा बोल दिया। एक घमासान युद्ध हुआ जिसमें सिक्खों को विजय प्राप्त हुई। इस युद्ध में जलाल खां के दो भतीजे जमाल खां तथा पीर खां भी मारे गए।

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प्रश्न 4.
पंजाब की तीन प्रसिद्ध मिसलों का वर्णन करो।
उत्तर-
मिसल अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है-एक समान। 1767 से 1799 ई० तक पंजाब में जितने भी सिक्ख जत्थे बने उनमें मौलिक समानता पाई जाती थी। इसलिए उन्हें मिसल कहा जाने लगा। प्रत्येक मिसल का सरदार अपने जत्थे के अन्य सदस्यों के साथ समानता का व्यवहार करता था। इसके अतिरिक्त एक मिसल का जत्थेदार तथा उसके सैनिक दूसरी मिसल के जत्थेदार तथा सैनिकों से भी भाई-चारे का नाता रखते थे। सिक्ख मिसलों की कल संख्या 12 थी। इनमें से तीन प्रसिद्ध मिसलों का वर्णन इस प्रकार है —

  1. फैजलपुरिया मिसल-फैजलपुरिया मिसल सबसे पहली मिसल थी। इस मिसल का संस्थापक नवाब कपूर सिंह था। उसने अमृतसर के पास फैजलपुर नामक गाँव पर कब्जा करके उसका नाम ‘सिंहपुर’ रखा। इसीलिए इस मिसल को ‘सिंहपुरिया’ मिसल भी कहा जाता है।
    1753 ई० में नवाब कपूर सिंह की मौत हो गई और उसका भतीजा खुशहार सिंह फैजलपुरिया मिसल का नेता बना। उसने अपनी मिसल का विस्तार किया। उसके अधीन फैजलपुरिया मिसल में जालन्धर, नूरपुर, बहरामपुर, पट्टी आदि प्रदेश शामिल थे। खुशहाल सिंह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र बुध सिंह फैजलपुरिया मिसल का सरदार बना। वह अपने पिता की तरह वीर तथा साहसी नहीं था। रणजीत सिंह ने उसे हरा कर उसकी मिसल को अपने राज्य में मिला लिया।
  2. भंगी मिसल- भंगी मिसल सतलुज दरिया के उत्तर-पश्चिम में स्थित थी। इस मिसल के क्षेत्र में लाहौर, अमृतसर, गुजरात तथा सियालकोट जैसे महत्त्वपूर्ण शहर शामिल थे।
    रणजीत सिंह के मिसलदार बनने के समय भंगी मिसल पहले जैसी शक्तिशाली नहीं थी। इस मिसल के सरदार गुलाब सिंह तथा साहिब सिंह अयोग्य तथा व्यभिचारी थी। वे भांग व शराब पीने में ही अपना सारा समय बिता देते थे। वे अपनी मिसल के राजप्रबन्ध में बहुत रुचि नहीं लेते थे। अतः मिसल के लोग उनसे तंग आए हुए थे।
  3. आहलूवालिया मिसल-जस्सा सिंह अहलूवालिया के समय वह मिसल बड़ी शक्तिशाली थी। इस मिसल का सुलतानपुर लोधी, कपूरथला, होशियारपुर, नूरमहल आदि प्रदेशों पर अधिकार था। 1783 ई० में इस मिसल के सबसे शक्तिशाली सरदार जस्सासिंह अहलूवालिया की मृत्यु हो गई। 1783 से 1801 ई० तक इस मिसल का नेता भागसिंह रहा। उसके बाद फतह सिंह आहलूवालिया उसका उत्तराधिकारी बना। रणजीत सिंह ने समझदारी से काम लेते हुए उससे मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित कर लिए और उसकी ताकत तथा सेवाओं का प्रयोग अपने राज्य विस्तार के लिए किया।

प्रश्न 5.
पंजाब में दिए गए मानचित्र पर बंदा सिंह बहादुर द्वारा किए गए युद्धों के स्थानों को दर्शाओ।
उत्तर-
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 10th Class Social Science Guide बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
गुरदास नंगल के युद्ध में सिक्ख क्यों हारे?
उत्तर-
गुरदास नंगल के युद्ध में सिक्ख खाद्य सामग्री समाप्त हो जाने के कारण हारे।

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प्रश्न 2.
पंजाब में एक सिक्ख राज्य की स्थापना में बंदा सिंह बहादुर की असफलता का एक प्रमुख कारण बताएं।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर अपने साधु स्वभाव को छोड़ कर राजसी ठाठ-बाठ से रहने लगा था।

प्रश्न 3.
नवाब कपूर सिंह ने सिक्खों को 1734 ई० में किन दो दलों में बांटा?
उत्तर-
1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सिक्खों को दो दलों में बांट दिया-‘बुड्ढा दल’ तथा ‘तरुण दल’।

प्रश्न 4.
सिक्ख मिसलों की कुल संख्या कितनी थी?
उत्तर-
सिक्ख मिसलों की कुल संख्या 12 थी।

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प्रश्न 5.
फैज़लपुरिया, आहलूवालिया, भंगी तथा रामगढ़िया मिसल के संस्थापक कौन थे?
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह, जस्सा सिंह आहलूवालिया, हरि सिंह तथा जस्सा सिंह रामगढ़िया ने क्रमश: फैजलपुरिया, आहलूवालिया, भंगी तथा रामगढ़िया मिसल की स्थापना की।

प्रश्न 6.
जय सिंह, सरदार चढ़त सिंह, चौधरी फूल सिंह तथा गुलाब सिंह ने क्रमशः किन-किन मिसलों की स्थापना की?
उत्तर-
जय सिंह, सरदार चढ़त सिंह, चौधरी फूल सिंह तथा गुलाब सिंह ने क्रमशः कन्हैया, शुकरचकिया, फुल्कियां तथा डल्लेवालिया मिसल की स्थापना की।

प्रश्न 7.
निशानवालिया, करोड़सिंघिया, शहीद अथवा निहंग तथा नक्कई मिसलों के संस्थापक कौन थे?
उत्तर-
रणजीत सिंह तथा मोहर सिंह, करोड़ सिंह, सुधा सिंह तथा हीरा सिंह ने क्रमशः निशानवालिया, करोड़सिंघिया, शहीद अथवा निहंग तथा नक्कई मिसलों की स्थापना की।

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प्रश्न 8.
बंदा सिंह बहादुर को पंजाब में किसने भेजा था?
उत्तर-
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने।

प्रश्न 9.
माधोदास (बंदा सिंह बहादुर) के साथ गुरु गोबिन्द सिंह जी की मुलाकात कहां हुई थी?
उत्तर-
नंदेड़ में।

प्रश्न 10.
गुरु तेग़ बहादुर साहिब जी को शहीद करने वाला जल्लाद कौन था?
उत्तर-
सैय्यद जलालुद्दीन।

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प्रश्न 11.
सैय्यद जलालुद्दीन कहां का रहने वाला था?
उत्तर-
समाना का।

प्रश्न 12.
बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा में किस शासक को हराया था?
उत्तर-
उसमान खां को।

प्रश्न 13.
सढौरा में स्थित पीर बुद्ध शाह की हवेली आजकल किस नाम से जानी जाती है?
उत्तर-
कत्लगढ़ी।

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प्रश्न 14.
बंदा सिंह बहादुर ने किस स्थान के किले को ‘लोहगढ़’ का नाम दिया?
उत्तर-
मुखलिसपुर।

प्रश्न 15.
गुरु गोबिन्द सिंह साहिब के दो छोटे साहिबजादों को दीवार में कहां चिनवाया गया था?
उत्तर-
सरहिन्द में।

प्रश्न 16.
बंदा द्वारा सुच्चानन्द की नाक में नकेल डाले जुलूस कहां निकाला गया था?
उत्तर-
सरहिन्द में।

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प्रश्न 17.
बंदा सिंह बहादुर ने सरहिन्द विजय के बाद वहां का शासक किसे नियुक्त किया?
उत्तर-
बाज़ सिंह को।

प्रश्न 18.
बंदा सिंह बहादुर ने किस स्थान को अपनी राजधानी बनाया?
उत्तर-
मुखलिसपुर को।

प्रश्न 19.
सहारनपुर का नाम ‘भाग नगर’ किसने रखा था?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर ने।

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प्रश्न 20.
बंदा सिंह बहादुर की सिक्ख सेना को पहली बड़ी हार का सामना कब और कहां करना पड़ा?
उत्तर-
अक्तूबर 1710 में अमीनाबाद में।

प्रश्न 21.
मुग़ल सम्राट् बहादुर शाह की मृत्यु कब हुई?
उत्तर-
18 फरवरी, 1712 को।

प्रश्न 22.
बहादुर शाह के बाद मुग़ल राजगद्दी पर कौन बैठा?
उत्तर-
जहांदार शाह।

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प्रश्न 23.
जहांदार शाह के बाद मुग़ल सम्राट् कौन बना?
उत्तर-
फरुख़सीयर।

प्रश्न 24.
अब्दुससमद खां ने सढौरा तथा लोहगढ़ के किलों पर कब विजय प्राप्त की?
उत्तर-
अक्तूबर 1713 में।

प्रश्न 25.
गुरदास नंगल में सिक्खों ने मुगलों के विरुद्ध कहां शरण ली?
उत्तर-
दुनीचंद की हवेली में।

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प्रश्न 26.
दुनीचन्द की हवेली में बंदा सिंह बहादुर का साथ किसने छोड़ा?
उत्तर-
विनोद सिंह तथा उसके साथियों ने।

प्रश्न 27.
बंदा सिंह बहादुर को उसके 200 साथियों सहित कब गिरफ्तार किया गया?
उत्तर-
7 दिसम्बर, 1715 को।

प्रश्न 28.
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी कब हुई?
उत्तर-
19 जून, 1716 को।

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प्रश्न 29.
दल खालसा की स्थापना कब और कहां हुई?
उत्तर-
दल खालसा की स्थापना 1748 में अमृतसर में हुई।

प्रश्न 30.
महाराजा रणजीत सिंह का सम्बन्ध किस मिसल से था?
उत्तर-
शुकरचकिया मिसल से।

प्रश्न 31.
महाराजा रणजीत सिंह शुकरचकिया मिसल का सरदार कब बना?
उत्तर-
1797 ई० में।

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प्रश्न 32.
करोड़सिंघिया मिसल का दूसरा नाम क्या था?
उत्तर-
पंजगढ़िया मिसल।

II. रिक्त स्थानों की पर्ति

  1. बंदा सिंह बहादुर ने उसमान खान को दण्ड देने के लिए …………. पर आक्रमण किया।
  2. बंदा सिंह बहादुर को उसके 200 साथियों सहित …………… ई० को गिरफ्तार किया गया।
  3. गुरु गोबिन्द सिंह साहिब के दो छोटे. साहिबजादों को दीवार में ……….. में चिनवाया गया था।
  4. बंदा सिंह बहादुर ने ……………. की नाक में नकेल डालकर सरहिंद में जुलूस निकाला।
  5. बंदा सिंह बहादुर ने सहारनपुर का नाम ………….. रखा।।
  6. गुरदास नंगल में सिक्खों ने मुग़लों के विरुद्ध ………….. की हवेली में शरण ली।
  7. दल ख़ालसा की स्थापना ………. ई० में हुई।
  8. बंदा सिंह बहादुर की शहीदी 1716 में …………. में हुई।

उत्तर-

  1. सढौरा,
  2. 7 दिसंबर, 1715,
  3. सरहिंद,
  4. सुच्चानन्द,
  5. भाग नगर,
  6. दुनीचंद,
  7. 1748,
  8. दिल्ली।

III. बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु गोबिन्द सिंह जी ने पंजाब में सिखों का नेतृत्व करने के लिए किसे भेजा?
(A) वज़ीर खां को
(B) जस्सा सिंह को
(C) बंदा सिंह बहादुर को
(D) सरदार राजेंद्र सिंह को।
उत्तर-
(C) बंदा सिंह बहादुर को

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प्रश्न 2.
वजीर खां और बंदा सिंह बहादुर का युद्ध किस स्थान पर हुआ?
(A) चप्पड़-चिड़ी
(B) सरहिन्द
(C) सढौरा
(D) समाना।
उत्तर-
(A) चप्पड़-चिड़ी

प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी कब हुई?
(A) 1761 ई० में
(B) 1716 ई० में
(C) 1750 ई० में
(D) 1756 ई० में।
उत्तर-
(B) 1716 ई० में

प्रश्न 4.
भंगी मिसल के सरदारों के अधीन इलाके थे
(A) लाहौर
(B) गुजरात
(C) सियालकोट
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 5.
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक था
(A) करोड़ सिंह
(B) रणजीत सिंह
(C) जस्सा सिंह
(D) महा सिंह।
उत्तर-
(C) जस्सा सिंह

IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न-सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. बंदा सिंह बहादुर की शहीदी 1716 में दिल्ली में हुई।
  2. सदा कौर महाराजा रणजीत सिंह की माता थी।
  3. फैजलपुरिया मिसल को सिंहपुरिया मिसल भी कहा जाता है।
  4. बंदा सिंह बहादुर ने गुरु-पुत्रों पर अत्याचार का बदला लेने के लिए सरहिन्द पर आक्रमण किया।
  5. दल खालसा की स्थापना आनंदपुर साहिब में हुई।

उत्तर-

  1. (✓),
  2. (✗),
  3. (✓),
  4. (✓),
  5. (✗).

V. उचित मिलान

  1. नवाब कपूर सिंह – भंगी मिसल
  2. जस्सा सिंह आहलूवालिया – फैजलपुरिया मिसल
  3. हरि सिंह – रामगढ़िया मिसल
  4. जरसा सिंह रामगढ़िया – आहलूवालिया मिसल

उत्तर-

  1. नवाब कपूर सिंह-फ़ैज़लपुरिया मिसल,
  2. जस्सा सिंह आहलूवालिया-आहलूवालिया मिसल,
  3. हरि सिंह-भंगी मिसल,
  4. जस्सा सिंह रामगढ़िया-रामगढ़िया मिसल।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर के किन्हीं चार सैनिक कारनामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है —

  1. समाना और कपूरी की लूटमार-बंदा सिंह बहादुर ने सबसे पहले समाना पर आक्रमण किया और वहां भारी लूटमार की। तत्पश्चात् वह कपूरी पहुंचा। इस नगर को भी उसने बुरी तरह लटा।
  2. सढौरा पर आक्रमण-सढौरा का शासक उस्मान खां हिन्दुओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता था। उसे दण्ड देने के लिए बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा पर धावा बोल दिया। इस नगर में इतने मुसलमानों की हत्या की गई कि उस स्थान का नाम ही ‘कत्लगढ़ी’ पड़ गया।
  3. सरहिन्द की विजय-सरहिन्द में गुरु जी के दो छोटे पुत्रों को दीवार में जीवित चिनवा दिया गया था। इस अत्याचार का बदला लेने के लिए बंदा सिंह बहादुर ने यहाँ भी मुसलमानों का बड़ी निर्दयता से वध किया। सरहिन्द का शासक नवाब वजीर खां भी युद्ध में मारा गया।
  4. जालन्धर दोआब पर अधिकार-बंदा सिंह बहादुर की विजयों ने जालन्धर दोआब के सिक्खों में उत्साह भर दिया। उन्होंने वहां के फ़ौजदार शम्स खां के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और बंदा सिंह बहादुर को सहायता के लिए बुलाया। राहों नामक स्थान पर दोनों सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में सिक्ख विजयी रहे। इस प्रकार जालन्धर और होशियारपुर के क्षेत्र सिक्खों के अधिकार में आ गए।

प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
गुरदास नंगल के युद्ध में बंदा सिंह बहादुर तथा उसके सभी साथियों को बन्दी बना लिया गया था। उन्हें पहले लाहौर और फिर दिल्ली ले जाया गया। दिल्ली के बाजारों में उनका जुलूस निकाला गया और उनका अपमान किया गया। बाद में बंदा सिंह बहादुर तथा उसके 740 साथियों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने को कहा गया। उनके इन्कार करने पर बंदा सिंह बहादुर के सभी साथियों की हत्या कर दी गई। अन्त में 19 जून, 1716 ई० में मुग़ल सरकार ने बंदा सिंह बहादुर के वध का भी फरमान जारी कर दिया। उनके वध से पहले उन पर अनेक अत्याचार किए गए। उनकी आंखों के सामने उनके शिशु पुत्र के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए। लोहे की गर्म सलाखों से बंदा सिंह बहादुर का मांस नोचा गया। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर शहीदी को प्राप्त हुआ।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें

प्रश्न 3.
पंजाब में एक स्थायी सिक्ख राज्य की स्थापना में बंदा सिंह बहादुर की असफलता के कोई चार कारण बताओ।
उत्तर-
संक्षेप में, बंदा सिंह बहादुर द्वारा पंजाब में स्थायी सिक्ख राज्य की स्थापना करने में असफलता के कारण निम्नलिखित थे —

  1. बंदा सिंह बहादुर के शाही रंग-ढंग-बंदा सिंह बहादुर साधुपन को छोड़ राजसी ठाठ-बाठ से रहने लगा था। इसलिए समाज में उनका सम्मान कम हो गया।
  2. अन्धाधुन्ध हत्याएं-लाला दौलत राम के अनुसार बंदा सिंह बहादुर ने अपने अभियानों में पंजाबवासियों की अन्धाधुन्ध हत्याएं की और उन्होंने क्रूर मुसलमानों तथा निर्दोष हिन्दुओं में कोई भेद नहीं समझा। इस रक्तपात के कारण वह हिन्दू और सिक्खों का सहयोग खो बैठा।
  3. शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य-मुग़ल साम्राज्य अभी इतना क्षीण नहीं हुआ था कि बंदा सिंह बहादुर और उसके कुछ हज़ार साथियों के विद्रोह को न दबा पाता।
  4. बंदा सिंह बहादुर के सीमित साधन-अपने सीमित साधनों के कारण भी बंदा सिंह बहादुर पंजाब में स्थायी सिक्ख राज्य की स्थापना न कर सका। मुग़लों की शक्ति का सामना करने के लिए सिक्खों के पास अच्छे साधन नहीं थे।

प्रश्न 4.
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक कौन था? उसने इस मिसल की शक्ति को कैसे बढ़ाया?
उत्तर-
आहलूवालिया मिसल का संस्थापक जस्सा सिंह आहलूवालिया था।

  1. 1748 से 1753 ई० तक जस्सा सिंह ने मीर मन्नू के अत्याचारों का सफलतापूर्वक सामना किया। अन्त में मीर मन्नू ने जस्सा सिंह के साथ सन्धि कर ली।
  2. 1761 ई० में जस्सा सिंह ने लाहौर पर आक्रमण किया और वहां के सूबेदार ख्वाजा आबेद को पराजित किया। लाहौर पर सिक्खों का अधिकार हो गया।
  3. 1762 ई० में अहमदशाह अब्दाली ने पंजाब पर आक्रमण किया। कुप्पर हीड़ा नामक स्थान पर जस्सा सिंह को पराजय का मुंह देखना पड़ा, परन्तु वह शीघ्र ही सम्भल गया। अगले ही वर्ष सिक्खों ने उसके नेतृत्व में कसूर तथा सरहिन्द को खूब लूटा।
  4. 1764 ई० में जस्सा सिंह ने दिल्ली पर आक्रमण किया और वहां खूब लूट-मार की।

प्रश्न 5.
रणजीत सिंह के उत्थान के समय मराठों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर-
अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को पानीपत के तीसरे युद्ध (1761) में हरा कर पंजाब से निकाल दिया था। परन्तु 18वीं शताब्दी के अन्त में वे फिर से पंजाब की ओर बढ़ने लगे।
मराठा सरदार दौलत राव सिंधिया ने दिल्ली पर अपना अधिकार जमा लिया था। उसने यमुना तथा सतलुज के मध्य के प्रदेशों पर भी आक्रमण करने आरम्भ कर दिए थे। परन्तु शीघ्र ही अंग्रेजों ने पंजाब की ओर उनके बढ़ते कदमों को रोक दिया।

PSEB 10th Class SST Solutions History Chapter 6 बन्दा बहादुर तथा सिक्ख मिसलें

प्रश्न 6.
महाराजा रणजीत सिंह के उत्थान के समय भारत में अंग्रेजी राज्य का वर्णन करो।
उत्तर-
1773 ई० से 1785 ई० तक वारेन हेस्टिंग्ज़ भारत में अंग्रेज़ी राज्य का गवर्नर-जनरल रहा। उसने मराठों को पंजाब की ओर बढ़ने से रोका। परन्तु उसके उत्तराधिकारियों लॉर्ड कार्नवालिस (1786 ई० से 1793 ई०) तथा जॉन शोर (1793 ई० से 1798 ई० तक) ने ब्रिटिश राज्य की बढ़ौत्तरी के लिए कोई महत्त्वपूर्ण योगदान न दिया। 1798 ई० में लॉर्ड वैलज़ली गवर्नर-जनरल बना। उसने अपने राज्य में हैदराबाद, मैसूर, कर्नाटक, तंजौर, अवध आदि देसी रियासतों को मिलाया। वह मराठों के विरुद्ध भी लड़ता रहा। इसलिए वह पंजाब की ओर ध्यान न दे सका। 1803 ई० में अंग्रेजों ने दौलत राव सिंधिया को हरा कर दिल्ली पर अधिकार कर लिया।

बड़े उत्तर वाला प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न
निम्नलिखित मिसलों की संक्षिप्त जानकारी दो

  1. फुल्कियां
  2. डल्लेवालिया
  3. निशानवालिया
  4. करोड़सिंघिया तथा
  5. शहीद मिसल।

उत्तर-
दी गई मिसलों के इतिहास का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है —

  1. फुल्कियां मिसल — फुल्कियां मिसल की नींव एक सन्धु जाट चौधरी फूल सिंह ने रखी थी, परन्तु इसका वास्तविक संगठन बाबा आला सिंह ने किया। उसने सबसे पहले बरनाला के आस-पास के प्रदेशों को विजय किया। 1762 ई० में अब्दाली ने उसे मालवा क्षेत्र का नायब बना दिया। 1764 ई० में उसने सरहिन्द के गवर्नर जैन खां को पराजित किया। 1765 ई० में आला सिंह की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के पश्चात् अमर सिंह ने फुल्कियां मिसल की बागडोर सम्भाली। उसने अपनी मिसल में भठिण्डा, रोहतक तथा हांसी को भी मिला लिया। अहमद शाह ने उसे ‘राजाए रजगाने’ की उपाधि प्रदान की। अमर सिंह की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र साहिब सिंह मिसल का सरदार बना। वह बड़ा कमज़ोर शासक था। अन्त में 1809 ई० में एक सन्धि के अनुसार अंग्रेजों ने इस मिसल को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया।
  2. डल्लेवालिया मिसल — इस मिसल की स्थापना गुलाब सिंह ने की थी। वह रावी के तट पर स्थित ‘डल्लेवाल’ गांव का निवासी था। इसी कारण इस मिसल को डल्लेवालिया के नाम से पुकारा जाने लगा। इस मिसल का सबसे प्रसिद्ध तथा शक्तिशाली सरदार तारा सिंह घेबा था। उसके अधीन 7,500 सैनिक थे। वह अपार धन-दौलत का स्वामी था। जब तक वह जीवित रहा रणजीत सिंह उसका मित्र बना रहा, परन्तु उसकी मृत्यु के पश्चात् रणजीत सिंह ने इस मिसल को अपने राज्य में मिला लिया। तारा सिंह की पत्नी ने उसका विरोध किया, परन्तु उसकी एक न चली।।
  3. निशानवालिया मिसल — इस मिसल की नींव रणजीत सिंह तथा मोहर सिंह ने रखी थी। ये दोनों कभी खालसा दल का झण्डा (निशान) उठाया करते थे। इसलिए उनके द्वारा स्थापित मिसल को ‘निशानवालिया मिसल’ कहा जाने लगा। इस मिसल में अम्बाला तथा शाहबाद के प्रदेश सम्मिलित थे। राजनीतिक दृष्टि से इस मिसल का कोई विशेष महत्त्व नहीं था।
  4. करोड़सिंघिया मिसल — इस मिसल की नींव करोड़ सिंह ने रखी थी। बघेल सिंह इस मिसल का पहला प्रसिद्ध सरदार था। उसने नवांशहर, बंगा आदि प्रदेशों को जीता। उसकी गतिविधियों का केन्द्र करनाल से बीस मील की दूरी पर था। उसकी सेना में 12,000 सैनिक थे। सरहिन्द के गवर्नर जैन खां की मृत्यु के पश्चात् उसने सतलुज नदी के उत्तर की ओर के प्रदेशों पर अधिकार करना आरम्भ कर दिया। बघेल सिंह के पश्चात् जोध सिंह उसका उत्तराधिकारी बना। जोध सिंह ने मालवा के बहुत सारे प्रदेशों पर विजय प्राप्त की तथा उन्हें अपनी मिसल में मिला लिया। अन्त में इस मिसल का कुछ भाग कलसिया रियासत का अंग बन गया और शेष भाग महाराजा रणजीत सिंह ने अपने राज्य में मिला लिया।
  5. शहीद अथवा निहंग मिसल — इस मिसल की नींव सुधा सिंह ने रखी थी। वह मुसलमान शासकों के विरुद्ध लड़ता हुआ शहीद हो गया था। अतः उसके द्वारा स्थापित मिसल का नाम शहीद मिसल रखा गया। उसके पश्चात् इस मिसल के प्रसिद्ध नेता बाबा दीप सिंह, करम सिंह, गुरुबख्श सिंह आदि हुए। इस मिसल के अधिकांश सिक्ख अकाली अथवा निहंग थे। इस कारण इस मिसल को निहंग मिसल भी कहा जाता है। यहां निहंगों की संख्या लगभग दो हज़ार थी। इस मिसल का मुख्य कार्य अन्य मिसलों को संकट के समय सहायता देना था।

वालीबाल (Volleyball) Game Rules – PSEB 11th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 11th Class Physical Education Book Solutions वालीबाल (Volleyball) Game Rules.

वालीबाल (Volleyball) Game Rules – PSEB 11th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें (TIPS TO REMEMBER)

  1. वालीबाल मैदान की लम्बाई चौड़ाई = 18 × 9 मीटर
  2. नैट के ऊपरली पट्टी की चौड़ाई = 7 सैं० मी०
  3. एनटीनों की संख्या = 2
  4. एनटीना की लम्बाई = 1.80 मीटर
  5. एनटीने का घेरा = 10 मि॰मी
  6. पोल की साइज रेखा से दूरी = 1 मीटर
  7. नैट की लम्बाई और चौड़ाई = 9.50 मीटर × 1 मीटर
  8. जाल के छेदों का आकार = 10 सैं० मी०
  9. पुरुषों के लिए नैट की ऊंचाई = 2.43 मीटर
  10. स्त्रियों के लिए नैट की ऊंचाई = 2.24 मीटर
  11. गेंद की परिधि = 65 से 67 सैं० मी०
  12. गेंद का रंग = कई रंगों वाला
  13. गेंद का भार = 260 ग्राम से 280 ग्राम
  14. टीम के खिलाड़ियों की गिनती = 12 (6 खेलने वाले, 6 बदलवें)
  15. मैच के अधिकारी = दो रैफरी, स्कोरर, लाइन मैन 2 अथवा 4
  16. पीठ पर लेग नम्बरों का आकार = लम्बाई = 15 सैं० मी०, चौड़ाई = 2 सैं० मी०, पीठ पर 20 सैं०मी०
  17. रेखाओं की चौड़ाई = 5 सैंमी
  18. मैदान को बाँटने वाली रेखा = केन्द्रीय रेखा
  19. सर्विस रेखा की लम्बाई = 9 मीटर

वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education

वालीबाल खेल की संक्षेप रूप-रेखा (Brief outline of the Volley Ball)

  1. वालीबाल की खेल में 12 खिलाड़ी भाग लेते हैं जिनमें से 6 खेलते हैं तथा 6 बदलवे (Substitutes) होते हैं।
  2. भाग लेने वाली दो टीमों में से, प्रत्येक टीम में छः खिलाड़ी होते हैं।
  3. ये खिलाडी अपने कोर्ट में खडे होकर बाल को नैट से पार करते हैं।
  4. जिस टीम के कोर्ट में गेंद गिर जाए उसके विरुद्ध प्वाइंट दे दिया जाता है। यह प्वाइंट टेबल टेनिस खेल की तरह होते हैं।
  5. वालीबाल के खेल में कोई समय नहीं होत बल्कि बैस्ट ऑफ़ थ्री या बैस्ट ऑफ़ फ़ाइव की गेम लगती है।
  6. नैट के नीचे अब रस्सी नहीं डाली जाती।
  7. जो टीम टॉस जीतती है वह सर्विस या साइड ले सकती है।
  8. वालीबाल के खेल में दो खिलाड़ी बदले जा सकते हैं।
  9. यदि सर्विस नैट से 5 से 6 इंच ऊंची आती है तो विरोधी टीम का खिलाड़ी बाल ब्लॉक कर सकता है।
  10. यदि कोई टीम समय पर नहीं आती तो 15 मिनट तक इन्तज़ार किया जा सकता है। बाद में टीम को स्करैच किया जा सकता है।
  11. एक गेम 25 प्डवाइंट की होती है।
  12. लिबरो खिलाड़ी कभी भी बदला जा सकता है परन्तु वह खेल में आक्रमण नहीं कर सकता।
  13. एनटीने की लम्बाई 1.80 मीटर होती है।
  14. खिलाड़ी बाल को किक लगा कर अथवा शरीर के किसी दूसरे भाग से हिट करके विरोधी पाले में भेज सकता
  15. यदि सर्विस करते समय बाल नैट को छू जाए और विरोधी पाले में चला जाए तो सर्विस ठीक मानी जाएगी।

PSEB 11th Class Physical Education Guide वालीबाल (Volleyball) Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
वालीबाल के मैदान की लम्बाई तथा चौड़ाई लिखें।
उत्तर-
वालीबाल मैदान की लम्बाई व चौड़ाई = 18 × 9 मीटर।

वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education

प्रश्न 2.
वालीबाल की बाल का भार कितना होता है ?
उत्तर-
260 ग्राम से 280 ग्राम।

प्रश्न 3.
वालीबाल के मैच में कुल कितने अधिकारी होते हैं ?
उत्तर-
रैफरी = 2, स्कोरर = 1, लाइनमैन = 2

प्रश्न 4.
वालीबाल खेल में कोई चार फाऊल लिखें।
उत्तर-

  1. जब गेम चल रही हो तो खिलाड़ी नैट को हाथ न लगायें। ऐसा करना फाऊल होता है।
  2. घुटनों के ऊपर एक टच वीक समझा जाता है।
  3. यदि बाल तीन बार से अधिक छू लिया जाए तो फ़ाऊल होता है।
  4. एक ही खिलाड़ी जब लगातार दो बार हाथ लगाता है तो फ़ाऊल होता है।

वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education

प्रश्न 5.
वालीबाल खेल में कुल कितने खिलाड़ी होते हैं ?
उत्तर-
12 (6 खेलने वाले, 6 बदलवें)।

प्रश्न 6.
वालीबाल खेल में कितने खिलाड़ी बदले जा सकते हैं ?
उत्तर-
6 खिलाड़ी।

वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education

Physical Education Guide for Class 11 PSEB वालीबाल (Volleyball) Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
बालीबाल खेल का मैदान, जाल, गेंद, आक्रमण का क्षेत्र के विषय में लिखें।
उत्तर-
वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education 1
खेल का मैदान

1. वालीबाल के खेल के मैदान की लम्बाई 18 मीटर तथा चौड़ाई 9 मीटर होगी। प्रांगण से कम-सेकम 7 मीटर ऊपर तक के स्थान पर किसी भी प्रकार कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। मैदान में 5 सैंटीमीटर चौड़ा रेखाओं द्वारा अंकित होगा। ये रेखाएं सभी बाधाओं से कम-से-कम दो मीटर दूर होंगी। जाल के नीचे की केन्द्रीय रेखा मैदान को दो बराबर भागों में बांटेगी।

2. आक्रमण क्षेत्र-मैदान के प्रत्येक अर्द्ध भाग में केन्द्रीय रेखा के समानान्तर 3 मीटर दूर 5 सैंटीमीटर की रेखा (आक्रमण क्षेत्र) खींची जाएगी। इसकी चौड़ाई तीन मीटर में शामिल होगी।

3. आकार व रचना-जाल 9.50 मीटर लम्बा और 3 मीटर चौड़ा होगा। इसके छिद्र 10 सेंटीमीटर चौकोर होने चाहिएं। इसके ऊपरी भाग में 5 सैंटीमीटर चौड़ा सफ़ेद कैनवस का फीता इस प्रकार खींचा जाना चाहिए कि इसके भीतर एक लचीला तार जा सके।

4. पुरुषों के लिए जाल की ऊंचाई केन्द्र में भूमि से 2 मीटर 43 सैंटीमीटर तथा स्त्रियों के लिए 2 मीटर 24 सैंटीमीटर होनी चाहिए।

पक्षों के चिन्ह-एक अस्थिर गतिशील 5 सैंटीमीटर चौड़ी सफ़ेद पट्टी जाल के अन्तिम सिरों पर लगाई जाती है। दोनों खम्भों के निशान कम-से-कम 50 सेंटीमीटर दूर होंगे।
गेंद
गेंद गोलाकार तथा नर्म चमड़े की बनी होनी चाहिए। इसके अन्दर रबड़ या किसी ऐसी ही वस्तु का बना हुआ ब्लैडर हो। इसकी परिधि 65 सैंटीमीटर से लेकर 67 सैंटीमीटर होनी चाहिए। इसका भार 260 ग्राम से लेकर 280 ग्राम तक होना चाहिए। गेंद में हवा का दबाव 0.48 और 0.52 कि० ग्राम cm2 के बीच होना चाहिए।

प्रश्न 2.
वालीबाल खेल में खिलाड़ियों और कोचों के आचरण के विषय में बताएं
उत्तर-
खिलाड़ियों तथा कोचों का आचरण

  1. प्रत्येक खिलाड़ी को खेल के नियमों की जानकारी होनी चाहिए तथा उसे दृढ़ता से इनका पालन करना चाहिए।
  2. खेल के दौरान कोई खिलाड़ी अपने कप्तान के माध्यम से ही रैफरी से बात कर सकता है। इस प्रकार कप्तान ही रैफरी से बात कर सकता है।
  3. निम्नलिखित सभी अपराधों के लिए दण्ड दिया जाएगा,
    • अधिकारियों से उनके निर्णयों के विषय में बार-बार प्रश्न पूछना।
    • अधिकारियों के लिए अपशब्द कहना।
    • अधिकारियों के निर्णयों को प्रभावित करने के उद्देश्य से अनुचित हरकतें करना।
    • विरोधी खिलाड़ी को अपशब्द कहना या उसके साथ अभद्र व्यवहार करना।
    • मैदान के बाहर से खिलाड़ियों को कोचिंग देना।
    • रैफरी की अनुमति के बिना मैदान को छोड़ कर जाना।
    • गेंद का स्पर्श होते ही, विशेष कर सर्विस प्राप्त करते समय खिलाड़ियों का ताली बजाना या चिल्लाना।

दण्ड-

  1. मामूली अपराध के लिए साधारण चेतावनी। अपराध के दोहराए जाने पर खिलाड़ी को व्यक्तिगत चेतावनी (लाल कार्ड) मिलेगी। इससे उसका दल सर्विस का अधिकार या एक अंक खोएगा।
  2. गम्भीर अपराध की दशा में स्कोर शीट पर चेतावनी दर्ज की जाती है। इससे एक अंक या सर्विस का अधिकार खोना पड़ता है। यदि अपराध फिर भी दोहराया जाता है तो रैफरी खिलाड़ी को एक सैट या पूरे खेल के लिए अयोग्य घोषित कर सकता है।

खिलाड़ी की पोशाक

  1. खिलाड़ी जर्सी, पैंट, हल्के जूते (रबड़ या चमड़े के) पहनेगा। वह सिर पर पगड़ी, टोपी, किसी प्रकार का आभूषण (रत्न, पिन, कंगन आदि) तथा कोई ऐसी वस्तु नहीं पहनेगा जिससे अन्य खिलाड़ियों को चोट लगने की सम्भावना हो।
  2. खिलाड़ी को अपनी जर्सी की छाती तथा पीठ पर 8 से 15 सैंटीमीटर ऊंचे नम्बर धारण करना होगा। संख्या सांकेतिक करने वाली पट्टी की चौड़ाई 2 सैंटीमीटर होगी।

खिलाड़ियों की संख्या तथा स्थानापन्न

  1. खिलाड़ियों की संख्या सभी परिस्थितियों में 6 होगी। स्थानापन्नों (Substitutes) सहित पूरी टीम में 12 से अधिक खिलाड़ी नहीं होंगे।।
  2. स्थानापन्न तथा प्रशिक्षक रैफरी के सामने मैदान में बैठेंगे।
  3. खिलाड़ी बदलने के लिए टीम का कप्तान या प्रशिक्षक रैफरी से प्रार्थना करेगा। एक खेल में अधिक-से-अधिक 6 खिलाड़ी बदलने की अनुमति होती है। खेल में प्रविष्ट होने से पहले स्थानापन्न खिलाड़ी स्कोरर के सामने उसी पोशाक में जाएगा और अनुमति मिलने के तुरन्त पश्चात् अपना स्थान ग्रहण करेगा।
  4. जब प्रत्येक खिलाड़ी प्रतिस्थापन्न के रूप में बदला जाता है तो वह फिर उसी सैट में प्रवेश कर सकता है। परन्तु ऐसा केवल एक बार ही किया जा सकता है। उसके पश्चात् केवल जो खिलाड़ी बाहर गया हो, वही प्रतिस्थापन्न के रूप में आ सकता है।

खिलाड़ियों की स्थिति
सर्विस होने के पश्चात् दोनों टीमों के खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्र में खड़े होते हैं । यह कोई आवश्यक नहीं कि लाइनें सीधी ही हों। खिलाड़ी जाल के समानान्तर दायें से बायें इस प्रकार स्थान ग्रहण करते हैं—
वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education 2
सर्विस के पश्चात् खिलाड़ी अपने क्षेत्र के किसी भाग को रोक सकता है। स्कोर शीट में अंकित रोटेशन के अनुसार उसे सैट के अन्त तक प्रयोग में लाना होगा। रोटेशन में किसी त्रुटि के पता चलने पर खेल रोक दिया जाता है और त्रुटि को ठीक किया जाता है। त्रुटि करने वाली टीम द्वारा लिये गये प्वाईंट (त्रुटि के समय) रद्द कर दिए जाते हैं। विरोधी टीम द्वारा प्राप्त (प्वाइंट) स्थिर रहते हैं। यदि त्रुटि का ठीक पता न चले तो अपराधी दल उपयुक्त स्थान पर लौट आएगा और स्थिति के अनुसार सर्विस या एक अंक (प्वाइंट) खोएगा।
अधिकारी-खेल की व्यवस्था के लिए निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं—

  1. रैफरी (1)
  2. अम्पायर (1)
  3. स्कोरर (1)
  4. लाइनमैन (2 से 4)।

वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education

प्रश्न 3.
वालीबाल खेल के नियमों के विषय में लिखें।
उत्तर-
खेल के नियम

  1. प्रत्येक टीम से खिलाड़ियों की संख्या 6 होती है।
  2. सभी अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में पांच जीतने वाले सैट खेले जाते हैं।
  3. सर्विस या क्षेत्र के चुनाव के लिए दोनों टीमों के कप्तान टॉस करेंगे। सर्विस का निर्णय भी टॉस द्वारा किया जाएगा।
  4. प्रत्येक खेल के पश्चात् टीम अपना क्षेत्र बदलेगी। जब दो टीमों के अन्तिम सैट में प्वाइंट हों तो टीमें अवश्य दिशाएं बदलेंगी परन्तु सर्विस वही टीम करेगी जो दिशा परिवर्तन के समय कर रही थी।
  5. कोई टीम छ: खिलाड़ियों से कम खिलाड़ी होने से मैच खेल सकती।

टाइम आऊट—

  1. रैफरी या अम्पायर केवल गेंद मृत होने पर ही टाइम-आऊट देगा।
  2. टीम के कप्तान या कोच को विश्राम तथा प्रतिस्थापन्न के लिए टाइम-आऊट मांगने का अधिकार है।
  3. टाइम-आऊट के दौरान खिलाड़ी क्षेत्र छोड़ कर किसी से बात नहीं कर सकते। वे केवल अपने प्रशिक्षक से परामर्श ले सकते हैं।
  4. प्रत्येक टीम विश्राम के लिए दो टाइम-आऊट ले सकती है। विश्राम की यह अवधि 30 सैकिंड से अधिक नहीं होती। लगातार दो टाइम आऊट भी लिए जा सकते हैं।
  5. यदि दो टाइम-आऊट लेने के पश्चात् कोई टीम तीसरी बार विश्राम के लिए टाइम-आऊट का अनुरोध करती है तो रैफरी सम्बन्धित कप्तान या प्रशिक्षक को चेतावनी देगा। यदि इसके पश्चात् भी टाइम-आऊट का अनुरोध किया जाता है तो सम्बन्धित टीम को अंक (प्वाइंट) खोने या सर्विस खोने का दण्ड दिया जाएगा।
  6. खिलाड़ी के स्थानापन्न आते ही खेल शीघ्र आरम्भ किया जाएगा।
  7. किसी खिलाड़ी के घायल हो जाने की अवस्था में तीन मिनट का काल स्थगन किया जाएगा। यह तभी दिया जाएगा यदि घायल खिलाड़ी बदला न जा सकता हो।
  8. प्रत्येक सैट के बीच में अधिक-से-अधिक दो मिनट का अवकाश होगा परन्तु चौथे और पांचवें सैट के बीच में 5 मिनट का अवकाश होगा।

खेल में विन
यदि किसी कारणवश खेल में विघ्न पड़ जाए और मैच समाप्त न हो सके तो इस समस्या का हल इस प्रकार किया जाएगा—
(1) खेल उसी क्षेत्र में जारी किया जाएगा और खेल के रुकने के समय के परिणाम रखे जाएंगे।
(2) यदि खेल में बाधा 4 घण्टे से अधिक न हो तो मैच निश्चित स्थान पर पुनः खेला जाएगा।
(3) मैच के किसी अन्य क्षेत्र या स्टेडियम में आरम्भ किए जाने की दशा में रुके हुए खेल के सैट को रद्द समझा जाएगा, किन्तु खेले हुए सैट के परिणाम ज्यों-के-त्यों लागू होंगे।

(क) सर्विस-सर्विस से अभिप्राय है कि पीछे से दायें पक्ष के खिलाड़ी द्वारा गेंद खेल में डालने। वह अपनी खुली या बन्द मुट्ठी बांधे हुए हाथ से या भुजा के किसी भाग से गेंद को इस प्रकार मारता है कि वह जाल के ऊपर से होती हुई विपक्षी टीम के अर्द्धक में पहुंच जाए। सर्विस निर्धारित स्थान से ही की जाने पर मान्य समझी जाएगी। गेंद को हाथ से पकड़ कर मारना मना है। सर्विस करने के पश्चात् खिलाड़ी अपने अर्द्ध-क्षेत्र या इसकी सीमा रेखा पर भी रह सकता यदि हवा में उछाली हुई गेंद बिना किसी खिलाड़ी द्वारा छुए ज़मीन पर गिर जाए तो सर्विस दोबारा की जाएगी। यदि सर्विस की गेंद बिना जाल को छुए ऊपर क्षेत्र की चौड़ाई प्रकट करने वाले जाल पर दोनों सिरों के फीतों में से निकल जाती है तो सर्विस ठीक मानी जाती है। रैफरी के सीटी बजाते ही फौरन सर्विस कर देनी चाहिए। यदि सीटी बजने से पहले सर्विस की जाती है तो यह सर्विस पुनः की जाएगी।
खिलाड़ी तब तक सर्विस करता रहेगा जब तक उसकी टीम का कोई खिलाड़ी त्रुटि नहीं कर देता।

(ख) सर्विस की त्रुटियां-यदि निम्नलिखित में से कोई त्रुटि होती है तो रैफरी सर्विस बदलने के लिए सीटी बजाएगा

  1. जब गेंद जाल से छू जाए।
  2. जब गेंद जाल के नीचे से निकल जाए।
  3. जब गेंद फीतों का स्पर्श कर ले या पूरी तरह जाल को पार न कर सके।
  4. जब गेंद विपक्षी के क्षेत्र में पहुंचने से पहले किसी खिलाड़ी या वस्तु को छू ले।
  5. जब गेंद विपक्षी के अर्द्धक के बाहर जा गिरे।।

(ग) दूसरी तथा उत्तरवर्ती सर्विस-प्रत्येक नए सैट में वह टीम सर्विस करेगी जिसने इससे पहले सैट में सर्विस न की हो। अन्तिम निर्णायक सैट में सर्विस टॉस द्वारा निश्चित की जाएगी।

(घ) खेल में बाधा-यदि रैफरी के मतानुसार कोई खिलाड़ी जान-बूझ कर खेल में बाधा पहुंचाता है तो उसे दण्ड दिया जाता है।
सर्विस में परिवर्तन-जब सर्विस करने वाली टीम कोई त्रुटि करती है तो सर्विस में परिवर्तन होता है। जब गेंद साइड आऊट होती है तो सर्विस में परिवर्तन होता है।

  1. सर्विस परिवर्तन पर सर्विस करने वाली टीम के खिलाड़ी सर्विस से पहले घड़ी की सूईयों की दिशा में अपना स्थान बदलेंगे।
  2. नए सेट के आरम्भ में टीमें नए खिलाड़ी लाकर अपने पहले स्थानों में परिवर्तन कर सकती हैं, परन्तु खेल आरम्भ होने से पहले इस विषय में स्कोरर को अवश्य सूचित करना चाहिए।

वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education

प्रश्न 4.
बालीबाल गेंद को हिट मारना, ब्लॉकिंग, जाल पर खेल क्या है ?
उत्तर-
गेंद को हिट मारना

  1. प्रत्येक टीम विपक्षी टीम के अर्द्धक में गेंद पहुंचाने के लिए तीन सम्पर्क कर सकती है।
  2. गेंद पर कमर के ऊपर शरीर के किसी भाग से प्रहार किया जा सकता है।
  3. गेंद कमर के ऊपर के कई अंगों को छू कर आ सकती है, परन्तु छूने का काम एक ही समय हो और गेंद पकड़ी न जाए बल्कि ज़ोर से उछले।
  4. यदि गेंद खिलाड़ी की बाहों या हाथों में कुछ क्षण के लिए रुक जाती है तो उसे गेंद पकड़ना माना जाएगा। गेंद को लुढ़काना, ठेलना या घसीटना ‘पकड़’ माना जाएगा। गेंद को नीचे से दोनों हाथों से एक साथ स्पष्ट रूप से प्रहार करना नियमानुसार है।
  5. दोहरा प्रहार या स्पर्श-यदि कोई खिलाड़ी एक से अधिक बार अपने शरीर के किसी अंग द्वारा गेंद को छूता है जबकि किसी अन्य खिलाड़ी ने उसे स्पर्श नहीं किया तो वह दोहरा प्रहार या स्पर्श माना जाएगा।

ब्लॉकिंग
ब्लॉकिंग वह प्रक्रिया है जिससे गेंद के जाल पर गुज़रते ही पेट के ऊपर के शरीर के किसी भाग द्वारा तुरन्त विरोधी के आक्रमण को रोकने की कोशिश की जाती है।

ब्लॉकिंग केवल आगे वाली पंक्ति में खड़े खिलाड़ी ही करते हैं। पिछली पंक्ति में खड़े खिलाड़ियों को ब्लॉकिंग की आज्ञा नहीं होती।
ब्लॉकिंग के पश्चात् ब्लॉकिंग में भाग लेने वाला कोई भी खिलाड़ी गेंद प्राप्त कर सकता है, परन्तु ब्लॉक के बाद स्मैश या प्लेसिंग नहीं की जा सकती।
जाल का स्वरूप
(DESIGN OF THE NET)
वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education 3

 

  1. जब खेल के दौरान गेंद (सर्विस के अतिरिक्त) जाल को छूती हुई जाती है तो ठीक मानी जाती है।
  2. बाहर के चिन्हों के बीच से जब गेंद को जाल पार करती है तो भी गेंद ठीक मानी जाती है।
  3. जाल में लगी गेंद खेली जा सकती है। यदि टीम द्वारा गेंद तीन बार खेली गई है और गेंद चौथी बार जाल को लगती है या भूमि पर गिरती है तो रैफरी नियम भंग के लिए सीटी बजाएगा।
    वालीबाल (Volleyball) Game Rules - PSEB 11th Class Physical Education 4
    VOLLEY-BALL
  4. यदि गेंद जाल में इतनी ज़ोर से लगती है कि जाल किसी विरोधी खिलाड़ी को छू ले तो इस स्पर्श के लिए विरोधी खिलाड़ी दोषी नहीं माना जाएगा।
  5. यदि दो विरोधी खिलाड़ी एक साथ जाल को छूते हैं तो दोहरी त्रुटि माना जाएगा।

जाल के ऊपर से हाथ पार करना

  1. ब्लॉकिंग के दौरान जाल के ऊपर से हाथ पार करके विरोधी के क्षेत्र में गेंद का स्पर्श करना त्रुटि नहीं माना जाता किन्तु उस समय गेंद का स्पर्श स्मैश के बाद हुआ हो।
  2. आक्रमण के पश्चात् हाथ जाल पर से पार ले जाना त्रुटि नहीं।

केन्द्रीय रेखा पार करना

  1. यदि खेल के दौरान खिलाड़ी के शरीर का कोई भाग विरोधी क्षेत्र में चला जाता है तो वह त्रुटि होगी।
  2. जाल के नीचे से पार होना, विरोधी खिलाड़ी का ध्यान खींचने के लिए जाल के नीचे भूमि को शरीर के किसी भाग द्वारा पारित करना त्रुटि माना जाएगा।
  3. रैफरी की सीटी से पहले विरोधी क्षेत्र में घुसना त्रुटि मानी जाएगी।

खेल के बाहर गेंद

  1. यदि चिन्हों या फीतों के बाहर गेंद से स्पर्श करती है तो यह त्रुटि होगी।
  2. यदि गेंद भूमि की किसी वस्तु या मैदान की परिधि से बाहर ज़मीन छू लेती है तो आऊट माना जाएगा। रेखा स्पर्श करने वाली गेंद ठीक मानी जाएगी।
  3. रैफरी की सीटी के साथ खेल समाप्त हो जाएगी और गेंद मृत हो जाएगी।

स्कोर तथा खेल का परिणाम
अन्तर्राष्ट्रीय वालीबाल फैडरेशन (FIVB) के क्रीड़ा नियम आयोग (R.G.C.) ने 27 तथा 28 फरवरी, 1988 को बैहवैन में हुई सभा में वालीबाल की नवीन पद्धति को स्वीकृति दी। यह सियोल ओलम्पिक खेल 1988 के पश्चात् लागू हो गई।
नये नियमों के अनुसार, पहले चार सैटों में सर्व करने वाली टीम एक अंक प्राप्त करेगी। सैट की विजेता टीम वह होगी जो विरोधी टीम पर कम-से-कम दो अंकों का लाभ ले और सर्वप्रथम 25 अंक प्राप्त करे।

R.G.C. ने यह भी निर्णय किया कि सैटों के बीच अधिक-से-अधिक 3 मिनट की अवधि मिलेगी। इस समय सीमा में कोर्टों को बदलना और आरम्भिक Line ups का पंजीकरण स्कोर शीट पर किया जाएगा।
वालीबाल खेल में कार्य करने वाले कर्मचारी (Officials)—

  1. कोच तथा मैनेजर-कोच खिलाड़ियों को खेल सिखलाता है जबकि मैनेजर का कार्य खेल प्रबन्ध करना होता
  2. कप्तान–प्रत्येक टीम का कप्तान होता है जो अपनी टीम का नियन्त्रण करता है। वह खिलाड़ियों के खेलने का स्थान निश्चित करता है और टाइम आऊट लेता है।
  3. रैफरी-यह इस बात का ध्यान रखता है कि खिलाड़ी नियम के अन्तर्गत खेल रहा है या नहीं। यह खेल पर नियन्त्रण रखता है और उसका निर्णय अन्तिम होता है। यदि कोई नियमों का उल्लंघन करे तो उसको रोक देता है अथवा उचित दण्ड भी दे सकता है।
  4. अम्पायर-यह खिलाड़ियों को बदलता है। इसके अतिरिक्त रेखाएं पार करना, टाइम आऊट करना और रेखा को छू जाने पर सिगनल देना होता है। वह कप्तान के अनुरोध पर खिलाड़ी बदलने की अनुमति देता है। रैफरी की भी सहायता करता है तथा खिलाड़ियों को बारी-बारी स्थानों पर लगाता है।

पास (Passes)
1. अण्डर हैंड पास (Under Hand Pass)—यह तकनीक आजकल बहुत उपयोगी मानी गई है। इस प्रकार कठिन-से-कठिन सर्विस सुगमता से दी जाती है। इसमें बाएं हाथ की मुट्ठी बंद कर दी जाती है। दाएं हाथ की मुट्ठी पर बाल इस तरह रखा जाए कि अंगूठे समानान्तर हों। अण्डर हैंड बाल तब लिया जाता है जब बाल बहुत नीचा हो।

2. बैक पास (Back Pass)-जब किसी विरोधी खिलाड़ी को धोखा देना हो तो बैक पास प्रयोग में लाते हैं। पास बनाने वाला सिर की पिछली ओर बाल लेता है। वाली मारने वाला वाली मारता है।

3. बैक रोलिंग के साथ अण्डर हैंड पास (Under Hand Pass with Back Rolling)—जिस समय गेंद नैट के पास होता है तब अंगुलियां खोल कर और छलांग लगा कर गेंद को अंगुलियां सख्त करके चोट लगानी चाहिए।

4. साइड रोलिंग के साथ अण्डर हैंड पास (Under Hand Pass with Side Rolling)-जब गेंद खिलाड़ी के एक ओर होता है, जिस ओर गेंद होता है उस तरफ हाथ खोल लिया जाता है। साइड रोलिंग करके गेंद को लिया जाता है।

5. एक हाथ से अण्डर हैंड पास बनाना (Under Hand Pass with the Hand)—इस ढंग से गेंद को वापस मोड़ने के लिए तब करते हैं जब वह खिलाड़ी के एक ओर होता है, जिस तरफ गेंद लेना होता है। टांग को थोड़ा-सा झुका कर और बाजू खोल कर मुट्ठी बंद करके गेंद लिया जाता है।

6. नैट के साथ टकराया हुआ बाल देना (Taking the Ball Struck with the Net)—यह बाल प्रायः अण्डर हैंड से लेते हैं नहीं तो अपने साथियों की ओर निकलना चाहिए ताकि बहुत सावधानी से गेंद पार किया जा सके।

सर्विस (Service)-खेल का आरम्भ सर्विस से किया जाता है। कई अच्छी टीमें अनजान टीमों को अपनी अच्छी सर्विस से Upset कर देती हैं। सर्विस भी पांच प्रकार की होती है—

  1. अपर हैंड साइड सर्विस।
  2. टेनिस सर्विस।
  3. ग्राऊंड सर्विस।
  4. भोंदू सर्विस।
  5. हाई स्पिन सर्विस।

वाली मारना—

  1. प्लेसिंग स्मैश-खेल में Point लेने के लिए यह स्मैश प्रयोग में लाते हैं।
  2. ग्राऊंड आर्म स्मैश-जिस समय गेंद वाली से पीछे होता है। इसमें गेंद घुमा कर मारते हैं। यह भी बहुत बलशाली होता है।

1. ब्लॉक (Block) ब्लॉक वाली को रोकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यह बचाव का अच्छा ढंग है। यह तीन प्रकार का होता है, जो निम्नलिखित हैं—

  • इकहरा ब्लॉक (Single Block)-जब ब्लॉक करने का कार्य एक खिलाड़ी करे तो उसे इकहरा ब्लॉक कहते
  • दोहरा ब्लॉक (Double Block)-जब ब्लॉक रोकने का कार्य दो खिलाड़ी करें तो दोहरा ब्लॉक कहते हैं।
  • तेहरा ब्लॉक (Triple Block)-जब वाली मारने वाला बहुत शक्तिशाली होता हो तो तेहरे ब्लॉक की आवश्यकता पड़ती है। यह कार्य तीन खिलाड़ी मिल कर करते हैं। इस ढंग का प्रयोग प्रायः किया जाता है।

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प्रश्न 5.
बालीबाल खेल के फाऊल बताओ।
उत्तर-
वालीबाल के फ़ाऊल
(Fouls in Volleyball)
नीचे वालीबाल के फाऊल दिए जाते हैं—

  1. जब गेम चल रही हो तो खिलाड़ी नैट को हाथ न लगायें। ऐसा करना फाऊल होता है।
  2. केन्द्रीय रेखा को छूना फाऊल होता है।
  3. सर्विस करने से पूर्व रेखा काटना फ़ाऊल होता है।
  4. घुटनों के ऊपर एक टच वीक समझा जाता है।
  5. गेंद लेते समय आवाज़ उत्पन्न हो।
  6. होल्डिंग फ़ाऊल होता है।
  7. यदि बाल तीन बार से अधिक छू लिया जाए तो फ़ाऊल होता है।
  8. एक ही खिलाड़ी जब लगातार दो बार हाथ लगाता है तो फ़ाऊल होता है।
  9. सर्विस के समय यदि उस तरफ का पीछा ग़लत स्थिति में किया जाए।
  10. यदि रोटेशन ग़लत हो।
  11. यदि गेंद साइड पार कर दिया जाए।
  12. यदि बाल नैट के नीचे से होकर जाए।
  13. जब सर्विस एरिया से सर्विस न की जाए।
  14. यदि सर्विस ठीक न हो तो भी फ़ाऊल होता है।
  15. यदि सर्विस का बाल अपनी तरफ के खिलाड़ी ने पार कर लिया हो।
  16. सर्विस करते समय ग्रुप का बनाना फ़ाऊल होता है।
  17. विसल से पहले सर्विस करने से फ़ाऊल होता है।

यदि इन फाऊलों में से कोई भी फाऊल हो जाए तो रैफरी सर्विस बदल देता है। वह किसी भी खिलाड़ी को चेतावनी दे सकता है या उसको बाहर भी निकाल सकता है।
खेल के स्कोर (Score)—

1. जब कोई टीम दो सैटों से आगे होती है उसको विजेता घोषित किया जाता है। एक सैट 25 प्वाइंटों का होता है। यदि स्कोर 24-24 से बराबर हो जाए तो खेल 26-24, पर समाप्त होगा।

2. यदि रैफरी के कथन पर कोई टीम मैदान में नहीं आती तो वह खेल को गंवा देती है। 15 मिनट तक किसी टीम का इन्तज़ार किया जा सकता है। खेल में जख्मी हो जाने पर यह छूट दी जाती है। पांचवें सैट का स्कोर रैली के अन्त में गिना जाता है। प्रत्येक टीम जो ग़लती करती है उसके विरोधी को अंक मिल जाता है। Deciding Set में अंकों का अन्तर दो या तीन हो सकता है

3. यदि कोई टीम बाल को ठीक ढंग से विरोधी कोर्ट में नहीं पहुंचा सकती तो प्वाईंट विरोधी टीम को दे दिया जाता है।

निर्णय (Decision)—

  1. अधिकारियों के फैसले अन्तिम होते हैं।
  2. टीम का कप्तान केवल प्रौटैस्ट ही कर सकता है।
  3. यदि रैफरी का निर्णय उचित न हो तो खेल प्रोटैस्ट में खेली जाती है और प्रोटैस्ट अधिकारियों को भेज दिया जाता है।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक

SST Guide for Class 6 PSEB भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
सातवाहनों के प्रशासन के बारे में लिखें।
उत्तर-
सातवाहनों ने दक्कन में लगभग 300 वर्षों तक राज्य किया। इनका प्रशासन बहुत उत्तम था, जिस कारण राज्य में सुख-शान्ति तथा समृद्धि थी। इनके प्रशासन का वर्णन इस प्रकार है –

  1. राजा-सातवाहन साम्राज्य में राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। उसे धर्म का रक्षक तथा दैवी शक्तियों का मालिक माना जाता था। चाहे राजा निरंकुश था, फिर भी स्थानीय संस्थाओं को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त थी।
  2. अधिकारी-अमात्य तथा महामात्र आदि अधिकारी शासन चलाने में राजा की सहायता करते थे।
  3. प्रान्त-साम्राज्य प्रान्तों में बंटा हुआ था। प्रान्त का प्रशासन सेनापति द्वारा चलाया जाता था।
  4. जिले-प्रान्तों को जिलों में बांटा हुआ था। ज़िलों को अहारास कहा जाता था।
  5. गांवों का प्रशासन-गांवों का प्रशासन गांव के मुखिया द्वारा चलाया जाता था जो ‘गोलमिकास’ कहलाता था।
  6. न्याय तथा सेना-सातवाहनों की न्याय व्यवस्था कठोर थी। सेना में घोड़ों, पैदल सैनिकों, रथों, हाथियों तथा नौकाओं का प्रयोग किया जाता था।
  7. आय के साधन-सातवाहनों की आय का मुख्य साधन शायद भूमिकर था।

प्रश्न 2.
प्रथम महान् चोल शासक कौन था तथा उसकी प्राप्तियां कौन-सी थीं?
उत्तर-
प्रथम् महान् चोल शासक कारीकल था।
प्राप्तियां-

  1. कारीकल ने अपने पड़ोसी चेर तथा पांड्य राजाओं को बुरी तरह से हराया।
  2. उसने श्रीलंका पर आक्रमण किया।
  3. उसने जंगलों को साफ़ करके भूमि को कृषि योग्य बनाया और सिंचाई के लिए नहरों तथा तालाबों का प्रबन्ध किया।
  4. उसने बाढ़ों को रोकने के लिए कावेरी नदी पर बांध बनवाया।

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प्रश्न 3.
200 ई० पू० से 300 ई० तक दक्षिण भारत के लोगों के जीवन बारे में लिखें।
उत्तर-
200 ई० पू० से 300 ई० तक दक्षिण भारत के लोगों का जीवन बहुत साधारण था। अधिकतर लोग किसान थे तथा गांवों में रहते थे।

  1. लेकिन शाही घराने के लोग तथा अमीर लोग शहरों के भीतरी भागों में रहते थे।
  2. बहुत-से व्यापारी तथा कारीगर समुद्री तटों के साथ लगते शहरों में बसे हए थे ताकि उन्हें व्यापार करने में आसानी रहे।
  3. लोग परिवार में मिल-जुल कर रहते थे। दिन भर काम करने के पश्चात् लोग अपना मनोरंजन करने के लिए संगीत, नृत्य, कविता-पाठ तथा जुआ आदि मनोरंजन के साधनों का प्रयोग करते थे।
  4. संगीत-यन्त्रों के रूप में वीणा, बांसुरी, तारों के तरंग वाले यन्त्रों तथा ढोल का प्रयोग किया जाता था। संगीत बहुत विकसित था। लोग रात तथा दिन के लिए अलगअलग राग बजाते-गाते थे।
  5. किसान, व्यापारी, पशु-पालक तथा कारीगर सरकार को टैक्स देते थे।

प्रश्न 4.
महापाषाण संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
दक्षिणी भारत में महापाषाण संस्कृति लगभग 1000 ई० पू० अस्तित्व में आई थी। इस भाग में वे लोग निवास करते थे, जिन्हें महापाषाण-निर्माता कहा जाता है। किसी विशाल पत्थर को महापाषाण कहते हैं। इस संस्कृति के लोग अपनी कब्रों को बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़ों से घेर देते थे। इसी कारण उनकी संस्कृति को महापाषाण संस्कृति का नाम दिया गया है।

महापाषाण संस्कृति की जानकारी हमें महाराष्ट्र में इनामगांव, तकलाघाट, म्यूरभाटी तथा दक्षिणी भारत में मास्की, कोपब्ल तथा ब्रह्मगिरि आदि स्थानों से मिले खण्डहरों से प्राप्त होती है। इन खण्डहरों से पता चलता है कि महापाषाण संस्कृति के लोग काले तथा लाल रंग के मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करते थे। इन बर्तनों में भिन्न-भिन्न प्रकार के मटके तथा अन्य बर्तन शामिल होते थे। कई बर्तन चाक पर बनाए जाते थे।

लोग कृषि तथा शिकार, दोनों प्रकार के व्यवसाय करते थे। कृषि का व्यवसाय काफ़ी उन्नत था, परन्तु अधिकतर लोग शिकार करना पसन्द करते थे।

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प्रश्न 5.
महापाषाण संस्कृति के दफ़नाने के ढंग सम्बन्धी लिखें।
उत्तर-
महापाषाण संस्कृति के लोग मृतकों को दफनाने के लिए एक विशेष रिवाज का पालन करते थे। वे मृतकों को दफ़नाकर उनके चारों ओर बड़े-बड़े पत्थरों का एक घेरा बनाते थे। इसके अतिरिक्त वे लोग मृतकों के बर्तन, औज़ार तथा हथियार आदि उनके साथ ही दफ़ना देते थे। शायद उन लोगों को विश्वास था कि मृत्यु के पश्चात् मनुष्य दूसरे संसार में चला जाता है तथा उसे वहाँ भी अपनी वस्तुओं की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
डिमिट्रियस तथा मिनेन्द्र कौन थे?
उत्तर-
1. डिमिट्रियस-डिमिट्रियस पहला हिन्द-यूनानी हमलावर था जिसने मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत पर हमला करके अफ़गानिस्तान, पंजाब तथा सिन्ध के एक बड़े भाग पर कब्जा कर लिया था। लेकिन डिमिट्रियस को मध्य एशिया के बलख प्रान्त से हाथ धोने पड़े थे क्योंकि वहां यूकेटाइस ने सफल विद्रोह किया था।

2. मिनेन्द्र-मिनेन्द्र हिन्द-यूनानियों का एक महान् शासक था। उसने बौद्ध धर्म अपना लिया था। बौद्ध साहित्य में यह मिलिन्द के नाम से प्रसिद्ध है। वह बहुत योग्य तथा वीर शासक था। उसने पुष्यमित्र शुंग के काल में भारत पर आक्रमण करके पंजाब (आधुनिक पाकिस्तान सहित) तथा कश्मीर के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 7.
शकों (सिथियन्ज) के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
सिथियन्ज़ अथवा शक अथवा मध्य एशिया के मूल निवासी थे। ये 200 ई० पू० के मध्य में भारत में आक्रमणकारी के रूप में आए थे तथा यहां ही स्थायी रूप में रहने लग पड़े। आरम्भ में इन लोगों की बस्तियां उत्तर-पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश में मथुरा तथा मध्य भारत में थीं। परन्तु बाद में पश्चिमी भारत का गुजरात तथा मध्य प्रदेश का उज्जैन क्षेत्र उनकी शक्ति के केन्द्र बन गए। रुद्रदमन प्रथम, सिथियन्ज़ वंश का बहुत प्रसिद्ध शासक था, जिसने 200 ई० में राज्य किया। चौथी शताब्दी के अन्त में गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (चन्द्रगुप्त द्वितीय) ने सिथियन्ज़ को हरा कर उनके शासन का अन्त कर दिया।

प्रश्न 8.
कनिष्क पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था। उसने 78 ई० से 102 ई० तक शासन किया। वीरता की दृष्टि से उसकी तुलना समुद्रगुप्त के साथ की जाती है।
राज्य का विस्तार-कनिष्क के शासन काल में कुषाण राज्य का सबसे अधिक विस्तार हुआ। उसका राज्य बिहार तक फैला हुआ था, जिसमें मध्य भारत, गुजरात, सिन्ध, पंजाब, अफ़गानिस्तान तथा बलख शामिल थे। उसने चीनी सेनापति पान चाओ से भी युद्ध किया था।

बौद्ध धर्म तथा कनिष्क-बौद्ध धर्म के अनुयायी के रूप में कनिष्क की तुलना सम्राट अशोक से की जाती है। उसने बौद्ध धर्म के मठों तथा विहारों की मरम्मत करवाई तथा कई नवीन मठों तथा विहारों का निर्माण करवाया। उसने कश्मीर में बौद्ध धर्म के विद्वानों की एक सभा बुलाई थी, जिसे चतुर्थ बौद्ध सभा कहा जाता है। उसने अश्वघोष, नागार्जुन तथा वसुमित्र जैसे बौद्ध विद्वानों को आश्रय दिया।

कला-प्रेमी-कनिष्क एक महान् कला-प्रेमी था। उसके समय में महात्मा बुद्ध की अनेक सुन्दर मूर्तियां बनाई गईं। उसके काल में गंधार कला के अलावा मथुरा कला का भी विकास हुआ। उसने बहुत-से सोने-चांदी के सिक्के भी चलाए।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. गौतमीपुत्र शातकर्णी ने ……….. से ………….. तक राज्य किया।
  2. सातवाहनों ने नगरों तथा गाँवों को जोड़ने के लिए …………. बनवाई।
  3. सातवाहन शासक ………….. के अनुयायी थे।
  4. पाण्डेय राज्य की राजधानी …………. थी।
  5. पल्लव जिन्हें अंग्रेज़ी में ………….. कहते थे, ईरान से भारत आने वाला एक विदेशी कबीला था।
  6. कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा …………… था।

उत्तर-

  1. 106 ई०, 130
  2. सड़कें
  3. हिंदू धर्म
  4. मदुरै
  5. पार्थियन
  6. कनिष्क।

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III. निम्नलिखित के ठीक जोड़े बनायें

  1. गौतमीपुत्र शातकर्णी का उत्तराधिकारी – (क) यज्ञश्री शातकर्णी
  2. सातवाहनों का अन्तिम महान् शासक – (ख) वशिष्ठीपुत्र पुलमावि
  3. काले तथा लाल बर्तन – (ग) कुम्हार का काम
  4. दरांती और कस्सी – (घ) कुषाण शासक
  5. मिनेन्द्र – (ङ) चीनी सेनापति
  6. कुजुल कैडफिसिज़ – (च) हिन्द-यूनानी आक्रमणकारी
  7. पान चाओ – (छ) बौद्ध विद्वान्
  8. अश्वघोष – (ज) औज़ार

उत्तर-
सही जोड़े

  1. गौतमीपुत्र शातकर्णी का उत्तराधिकारी – वशिष्ठीपुत्र पुलमावि
  2. सातवाहनों का अन्तिम महान् शासक – यज्ञश्री शतकर्णी
  3. काले तथा लाल बर्तन – कुम्हार का काम
  4. दरांती तथा कस्सी – औज़ार
  5. मिनेन्द्र – हिन्द-यूनानी आक्रमणकारी
  6. कुजुल कैडफिसिज़ – कुषाण शासक
  7. पान चाओ – चीनी सेनापति
  8. अश्वघोष – बौद्ध विद्वान्।

IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) बताएं

  1. दक्कन में पाण्डेय मौर्यों के प्रसिद्ध उत्तराधिकारी थे।
  2. गौतमीपुत्र शातकर्णी ने 106 ई० से 131 ई० तक राज्य किया।
  3. संगीत, नाच, कविता-उच्चारण तथा जुआ आदि मनोरंजन की प्रसिद्ध किस्में थीं।
  4. शकों को चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने पराजित नहीं किया था।
  5. गोडोफ़र्नीज़ एक सिथियन शासक था।
  6. कनिष्क ने चौथी बौद्ध-सभा बुलाई थी।
  7. हुविष्क एक पार्थियन शासक था।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)
  7. (✗)

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कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गौतमी पुत्र शातकर्णी दक्कन राजवंश का एक प्रसिद्ध शासक था। उस वंश का नाम बताएं।
उत्तर-
सातवाहन।

प्रश्न 2.
सातवाहन शासक हिन्दू धर्म के अनुयायी थे। परंतु उनका व्यापारी वर्ग . एक अन्य धर्म को मानता था। वह धर्म कौन-सा था?
उत्तर-
बौद्ध धर्म।

प्रश्न 3.
भारत का प्रसिद्ध यूनानी शासक मिनेंद्र बौद्ध साहित्य में किस नाम से प्रसिद्ध है? .
उत्तर-
सम्राट् मिलिन्द।

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बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुषाण शासक कनिष्क ने निम्न में से किस चीनी सेनापति से युद्ध किया?
(क) पान चाओ
(ख) चिन पिंग
(ग) पिंग चिन।
उत्तर-
(क) पान चाओ

प्रश्न 2.
गांधार कला शैली किन दो कला शैलियों का मिश्रण थी?
(क) यूनानी तथा ईरानी
(ख) यूनानी तथा भारतीय
(ग). मथुरा तथा द्रविड़।
उत्तर-
(ख) यूनानी तथा भारतीय

प्रश्न 3.
अश्वघोष एक प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान था। बताएं कि निम्न में से वह किस शासक का दरबारी था?
(क) हुविष्क
(ख) मिनेंद्र
(ग) कनिष्क।
उत्तर-
(ग) कनिष्क

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सातवाहन वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक था।

प्रश्न 2.
गौतमीपुत्र शतकर्णी का राज्यकाल लिखें।
उत्तर–
गौतमीपुत्र शतकर्णी ने 106 ई० से 130 ई० तक राज्य किया।

प्रश्न 3.
चोल वंश का प्रथम राजा कौन था?
उत्तर-
चोल वंश का प्रथम राजा कारीकल था।

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प्रश्न 4.
नेडूनचयशान किस वंश का प्रसिद्ध राजा था?
उत्तर-
पांड्य वंश का।

प्रश्न 5.
पल्लव शासक अंग्रेज़ी में किस नाम से जाने जाते हैं?
उत्तर-
पार्थियन।

प्रश्न 6.
क्षत्रप का क्या अर्थ है?
उत्तर-
शक जाति के कुछ लोग पल्लव राजाओं के अधीन प्रान्तों के मवर्नर बन गए थे। इन गवर्नरों को क्षत्रप कहा जाता था।

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प्रश्न 7.
कुषाण वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
कुषाण वंश का संस्थापक कुजुल कैडफीसिज़ था।

प्रश्न 8.
कनिष्क की राजधानी का नाम बताएं।
उत्तर-
कनिष्क की राजधानी पुरुषपुर (वर्तमान पेशावर) थी।

प्रश्न 9.
कनिष्क किस बौद्ध विद्वान् के प्रभावाधीन बौद्ध धर्म का अनुयायी बना?
उत्तर-
कनिष्क बौद्ध विद्वान् अश्वघोष के प्रभावाधीन बौद्ध धर्म का अनुयायी बना।

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प्रश्न 10.
कनिष्क ने कौन-सा नगर बसाया?
उत्तर-
कनिष्क ने बारामूला के निकट कनिष्कपुर नगर बसाया।

प्रश्न 11.
कनिष्क ने चौथी बौद्ध सभा का आयोजन कहां किया?
उत्तर-
कनिष्क ने चौथी बौद्ध सभा का आयोजन कश्मीर में किया।

प्रश्न 12.
अश्वघोष की पुस्तक का नाम बताएं।
उत्तर-
अश्वघोष की पुस्तक बुद्धचरित्रम् थी।

PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक

प्रश्न 13.
200 ई० पू० से 300 ई० तक भारत में कला की कौन-सी दो शैलियों का आरम्भ हुआ?
उत्तर-
गन्धार शैली तथा मथुरा शैली का आरम्भ हुआ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शक जाति के आक्रमण के बारे में बताएँ।
उत्तर-
शक जाति मध्य एशिया की रहने वाली थी। लगभग 165 ई० पूर्व में चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में रहने वाली यू-ची जाति ने शक जाति को मध्य एशिया से खदेड़ दिया। अत: शकों ने मध्य एशिया से निकलकर कई यूनानी प्रदेशों को विजित कर लिया। इन्होंने अपने छोटे-छोटे राज्य स्थापित कर लिए।

प्रश्न 2.
कनिष्क की दो विजयों के बारे में बताएं।
उत्तर-
कनिष्क की दो विजयों का वर्णन इस प्रकार है –
1. कश्मीर की विजय-कश्मीर की विजय कनिष्क की प्रसिद्ध विजय थी। वहां उसने कई नये नगरों की स्थापना की। वर्तमान बारामूला के निकट स्थित कनिष्कपुर इन नगरों में से एक था।
2. मगध से युद्ध-उसने मगध के शासक के साथ भी युद्ध किया। वहां से वह पाटलिपुत्र के प्रसिद्ध भिक्षु अश्वघोष को अपने साथ ले आया।

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प्रश्न 3.
विदेशी आक्रमणों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरा-
विदेशी आक्रमणों के कारण भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा।

  1. शक, हिन्द-यूनानी, पल्लव, कुषाण आदि अनेक विदेशी जातियों के लोग भारतीय समाज में शामिल हो गए। वे हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करने लगे।
  2. अनेक विदेशी लोगों ने भारतीयों के साथ विवाह सम्बन्ध स्थापित करके भारतीय संस्कृति को अपना लिया।
  3. कनिष्क आदि विदेशी राजाओं ने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसका विदेशों में प्रचार करवाया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सातवाहनों का इतिहास लिखें।
उत्तर-
सातवाहनों की जानकारी वैदिक साहित्य से भी मिलती है। सातवाहनों ने कृष्णा नदी तथा गोदावरी नदी के बीच का प्रदेश (आंध्र) जीत लिया। इसलिए सातवाहनों को आन्ध्र भी कहा जाता है। सातवाहन ब्राह्मण जाति के थे।
1. सिमुक तथा कृष्ण-सिमुक सातवाहन वंश का संस्थापक था। सिमुक के बाद उसका छोटा भाई कान्हा या कृष्ण राजगद्दी पर बैठा।

2. शातकर्णी प्रथम-शातकर्णी प्रथम कृष्ण का पुत्र था। वह एक महान् विजेता था। उसने मध्य भारत में मालवा तथा बरार को जीत लिया और हैदराबाद को भी अपने साम्राज्य में मिलाया। उसने अश्वमेध यज्ञ भी किया तथा कई उपाधियां धारण कीं। शातकर्णी के राज्य की सीमाएं सौराष्ट्र, मालवा, बरार, उत्तरी कोंकण, पूना तथा नासिक तक फैली हुई थीं।

3. गौतमीपुत्र शातकर्णी-गौतमीपुत्र शातकर्णी सातवाहनों का बहुत ही शक्तिशाली राजा था। उसने 106 ई० से 130 ई० तक राज्य किया। उसने शक, यूनानी तथा पार्थियन्ज़ जाति की विदेशी शक्तियों का मुकाबला किया।

4. यज्ञश्री शातकर्णी-यज्ञश्री शातकर्णी सातवाहनों का अन्तिम महान् राजा था। उसके समय में शक जाति के बार-बार हमलों के कारण सातवाहनों की शक्ति को भारी हानि पहुंची।

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प्रश्न 2.
कनिष्क की प्रमुख विजयों के बारे में लिखें।
उत्तर-
कनिष्क कुषाण जाति का सबसे प्रसिद्ध राजा था। वह 78 ई० के लगभग राजगद्दी पर बैठा। उसने पुरुषपुर (पेशावर) को अपनी राजधानी बनाया। उसने अनेक प्रदेश जीते, जिनका वर्णन इस प्रकार है –

  1. शक क्षत्रपों पर विजय-उसने उज्जैन, मथुरा तथा पंजाब के शक क्षत्रपों को हराया तथा उनका राज्य अपने राज्य में मिला लिया।
  2. कश्मीर की जीत-कश्मीर कनिष्क की प्रसिद्ध विजय थी। वहां पर उसने कई नगरों की स्थापना की।
  3. मगध से युद्ध-उसने मगध के शासक के साथ भी युद्ध किया। वहां से वह पाटलिपुत्र के प्रसिद्ध भिक्षु अश्वघोष को अपने साथ ले आया।
  4. चीन की जीत-कनिष्क ने चीन पर दो बार आक्रमण किया। उसे दूसरी बार सफलता मिली। इस प्रकार उसे काश्गर, यारकन्द तथा खोतान प्रदेश चीन से मिल गए।

प्रश्न 3.
गंधार कला तथा मथुरा कला शैलियों के बारे लिखें।
उत्तर-
गंधार कला तथा मथुरा कला शैलियों का जन्म 200 ई० पूर्व से 300 ई० के बीच के समय में हुआ। इन शैलियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है –

1. गंधार कला-इस कला का जन्म गंधार में हुआ, इसलिए इसका नाम गंधार कला रखा गया। इस कला का विकास कुषाण युग में हुआ। इस कला में मूर्तियों का विषय भारतीय था जबकि मूर्तियां बनाने का ढंग यूनानी था। गंधार शैली में मुख्य रूप से महात्मा बुद्ध की मूर्तियां बनाई गई थीं। इन मूर्तियों में चेहरे के भावों को बहुत ही आकर्षक रूप से दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, बुद्ध की मूर्ति के चेहरे पर शान्त भावों को आसानी से पढ़ा जा सकता है।

2. मथुरा शैली-कनिष्क के समय मथुरा में कुछ भारतीय कलाकार रहते थे। उन्होंने एक नवीन कला शैली को जन्म दिया, जिसे मथुरा शैली कहते हैं। यह शुद्ध भारतीय कला थी। इस पर विदेशी कला का कोई प्रभाव नहीं था। इसमें अधिकतर मूर्तियां महात्मा बुद्ध की बनाई जाती थीं।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं

PSEB 10th Class Agriculture Guide कृषि सहयोगी संस्थाएं Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पंजाब राज्य स्तर पर कृषि उत्पादों की खरीद कौन-सी केन्द्रीय संस्था करती है ?
उत्तर-
पंजाब कृषि उद्योग निगम, भारतीय खाद्य निगम।

प्रश्न 2.
कृषि उत्पादों का निर्यात किस निगम की ओर से किया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड (PAGREXCO)।

प्रश्न 3.
पंजाब कृषि उद्योग निगम तथा पंजाब मंडी बोर्ड की बराबर की भागीदारी से स्थापित की गई संस्था का नाम बताइए।
उत्तर-
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड (PAGREXCO)।

प्रश्न 4.
पंजाब बागवानी विभाग कब अस्तित्व में आया ?
उत्तर-
यह विभाग 1979-80 में स्थापित किया गया।

प्रश्न 5.
राज्य में पशु पालन, मछली पालन आदि खोज, शिक्षा तथा प्रसार का काम कौन करता है ?
उत्तर-
गुरु अंगद देव वेटरनरी तथा एनीमल साईंसज़ यूनिवर्सिटी।

प्रश्न 6.
सहकारिता क्षेत्र में खादों में सबसे बड़ी तथा अग्रणी संस्था कौन-सी
उत्तर-
इंडियन फार्मरज़ फर्टीलाइज़र कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO)।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन की स्कीमें किस संस्था की ओर से लागू की जाती हैं ?
उत्तर-
बागवानी विभाग।

प्रश्न 8.
बीज की गुणवत्ता की परख करने के लिए एन०एस०सी० की कितनी बीज परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं ?
उत्तर-
पांच प्रयोगशालाएं।

प्रश्न 9.
किसानों को बीज उत्पादन में भागीदार बनाने वाले निगम का नाम लिखिए।
उत्तर-
पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड (PUNSEED)।

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प्रश्न 10.
दूध की खरीद तथा मंडीकरण के लिए सहकारी संस्था का नाम बताइए।
उत्तर-
मिल्कफैड।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड कौन-से कृषि उत्पादों का मुख्य तौर पर निर्यात करती है ?
उत्तर-
पंजाब एग्री एक्सपोर्ट कार्पोरेशन लिमिटेड मुख्य रूप से निम्नलिखित कृषि उत्पादों का निर्यात करती है

  • ताज़ा तथा डिब्बाबंद फल।
  • सब्जियों तथा फूलों का निर्यात।

प्रश्न 2.
इफको की ओर से किसानों को कौन-कौन सी सुविधाएं दी जाती हैं ?
उत्तर-
यह संस्था कृषकों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठाने का कार्य करती है। यह उर्वरकों के मण्डीकरण के साथ-साथ कई तरह की प्रसार विधियों द्वारा कृषकों तक नई कृषि तकनीकों को पहुंचाता है।

प्रश्न 3.
पंजाब कृषि उद्योग निगम के मुख्य कार्य बताइए।
उत्तर-
पंजाब कृषि उद्योग निगम के मुख्य कार्य हैं-कृषि संबंधी वस्तुओं का मण्डीकरण, कृषि उत्पादों की खरीद तथा इकरारनामे की कृषि द्वारा कृषि विभिन्नता लाने में सहायता करना। यह संस्था भारतीय खाद्य निगम के लिए गेहूं-चावल की खरीद के लिए भी कार्य करती है।

प्रश्न 4.
सहकारिता विभाग, पंजाब की ओर से चलाई जा रहीं कोई दो गतिविधियां लिखिए।
उत्तर-
सहकारिता विभाग, पंजाब द्वारा चलाई जा रही गतिविधियां हैं –

  • माई भागो स्त्री सशक्तिकरण योजना के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र की औरतों के लिए स्व-रोज़गार के अवसर प्रदान करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सहकारिता सभाओं द्वारा आवश्यक घरेलू वस्तुओं की पूर्ति करना।

प्रश्न 5.
मार्कफैड किसानों की किस तरह सेवा कर रहा है ?
उत्तर-
मार्कफैड द्वारा पंजाब के कृषकों को सस्ते दामों पर कृषि बीज, खाद, कीटनाशक दवाएं आदि उपलब्ध करवाई जाती हैं तथा कृषि उपज के मंडीकरण तथा प्रोसेसिंग का कार्य किया जाता है।

प्रश्न 6.
पंजाब कृषि विद्यालय कौन-कौन से मुख्य तीन कार्य करती है ?
उत्तर-
पंजाब कृषि विद्यालय द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-कृषि तथा कृषि संबंधी विषयों पर खोज, कृषि से संबंधित विषयों की पढ़ाई तथा प्रसार।

प्रश्न 7.
फूड एण्ड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (FAO) के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर-
इस संस्था की संस्थापना 1943 में की गई। इसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व में से भूखमरी को समाप्त करने के लिए बनाया गया। इसका मुख्य कार्यालय रोम (ईटली) में है। विश्व में प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनाज सुरक्षा को विश्वसनीय बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है। प्राकृतिक स्रोतों की संभाल भी इसी का कार्य है।

प्रश्न 8.
विश्व व्यापार संस्था (WTO) को बनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर-
WTO को बनाने का मुख्य उद्देश्य इस तरह है –

  • कृषि नियमों की बिक्री पर लगी पाबंदी को समाप्त करना।
  • कृषि उत्पादों के निर्यात पर मिलने वाली सुविधाओं को कम करना।
  • किसानों को कृषि आवश्यकताओं के लिए दिए अनुदान अथवा रियायतों को कम करना या बिल्कुल बंद करना।
  • निर्यात कोटा प्रणाली समाप्त करके निर्यात संबंधी सुचारु नीति अपनाना।

प्रश्न 9.
एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) का गठन क्यों किया गया ?
उत्तर-
जिले में कृषि तथा कृषि से संबंधित भिन्न-भिन्न विभागों की कृषि विकास तथा प्रसार से संबंधित गतिविधियों के तालमेल के लिए कृषि विभाग के अन्तर्गत कृषि टैकनोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (ATMA) का गठन किया गया है।

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प्रश्न 10.
पंजाब खादी तथा ग्राम उद्योग बोर्ड बनाने का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
इस संस्था का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण उद्योगों तथा अन्य रोज़गार शुरू करने के लिए सहायता प्रदान करना है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
डेयरी विकास के बारे में संक्षेप में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
पंजाब में डेयरी विकास के सर्वपक्षीय विकास के लिए डेयरी विकास विभाग की स्थापना की गई है। इस विभाग के प्रमुख को डायरैक्टर डेयरी विकास कहा जाता है तथा जिला स्तर पर डिप्टी डायरैक्टर डेयरी विकास कहा जाता है। इस विभाग द्वारा डेयरी प्रशिक्षण, डेयरी फार्मिंग का विस्तार तथा विकास आदि के कार्य किए जाते हैं। इस विभाग द्वारा पंजाब में आठ डेयरी प्रशिक्षण तथा विस्तार केन्द्र चलाए जाते हैं। भिन्न-भिन्न डेयरी संबंधी कार्यों के लिए दो सप्ताह, छ: सप्ताह की मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है। गांव में कैम्प लगाकर डेयरी फार्मिंग के लाभ बताए जाते हैं तथा किसानों को डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय अपनाने की प्रेरणा दी जाती है। शहरों में कैम्प लगाकर दूध उपभोक्ताओं को दूध की गुणवत्ता तथा इसमें मिलावटों संबंधी जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण प्राप्त लाभार्थी को बैंक से ऋण दिलवाया जाता है तथा तकनीकी जानकारी तथा अनुदान भी उपलब्ध करवाया जाता है।

प्रश्न 2.
पंजाब कृषक आयोग के अस्तित्व में आने के मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
पंजाब कृषक आयोग के अस्तित्व में आने का मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है-

  • राज्य में कृषि तथा कृषि संबंधित क्षेत्रों की जांच तथा उनकी वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करना है।
  • राज्य की कृषि को पक्के रूप से टिकाऊ तथा आर्थिक पक्ष से मज़बूत करने के लिए सुझाव देना भी है।
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि करना, कटाई के बाद उत्पाद की संभाल तथा प्रोसेसिंग के लिए कम लागत वाली नई तकनीकों को विकसित करके लागू करने के लिए मार्गदर्शन करना।
  • ग्रामीण क्षेत्र के सामाजिक तथा आर्थिक मुद्दों-जैसे कि बढ़ते हुए ऋण, आत्महत्या की घटनाएं, गांव में बढ़ती बेरोज़गारी आदि की खोज के लिए आर्थिक सहायता देना है तथा इस आधार पर सरकार को उचित नीतियां बनाकर सिफारिश करना है।
  • किसानों की भिन्न-भिन्न सभाओं तथा संगठनों के प्रतिनिधियों को मिलकर उनकी समस्याओं, कठिनाइयों तथा मांगों को समझ कर, हल करने के लिए योग्य नीतियों की सिफ़ारिश करना।

प्रश्न 3.
पंजाब एग्रो औद्योगिक कार्पोरेशन के मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
पंजाब एग्रो औद्योगिक कार्पोरेशन (पंजाब कृषि उद्योग निगम-PAIC) को पंजाब सरकार द्वारा वर्ष 2002 में स्थापित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है-

  • कृषि लागत वस्तुओं का मंडीकरण।
  • कृषि उत्पादों की खरीद तथा इकरारनामे की कृषि द्वारा कृषि विभिन्नता लाने में सहायता करना।
  • भारतीय खाद्य निगम के लिए गेहूँ चावल की खरीद के लिए कार्य करना।

प्रश्न 4.
गुरु अंगद देव वेटरिनरी विश्वविद्यालय पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर-
गुरु अंगद देव वेटरिनरी तथा एनीमल साईंसज़ विश्वविद्यालय (GADVASU) की स्थापना 2005 में की गई। इसका कार्य पशु, सुअर, खरगोश, मुर्गी, भेड़ बकरी, घोड़े तथा मछली पालन के लिए खोज, शिक्षा तथा प्रसार करना है। यहां बड़े-छो जानवरों के लिए उच्च स्तरीय अस्पताल हैं जहां 24 घंटे पशुओं का इलाज किया जाता है। यहां पशुओं के डॉक्टरों की शिक्षा/पढ़ाई करवाई जाती है।

वैटरिनरी विश्वविद्यालय में वेटरनरी कॉलेज, डेयरी साईंस तथा तकनालाजी कॉलेज, मछली पालन कॉलेज, वैटरिनरी पालीटेकनिक नाम के 4 कालेज खोले गए हैं। वैटरिनरी कालेज में आई०सी०ए०आर० द्वारा सर्जरी तथा गायनाकालजी के दो विभाग भी कार्य कर रहे हैं। पंजाब में कालझरानी (बठिंडा), बुह (तरनतारण) तथा तलवाड़ा (होशियारपुर) में तीन क्षेत्रीय खोज तथा प्रशिक्षण केन्द्र भी स्थापित किए गए हैं। यह विश्वविद्यालय पंजाब में वैटरिनरी तथा पशु-पालन के लिए प्रत्येक प्रकार की सुझाव देने के लिए एक सर्वोत्तम संस्था है।

प्रश्न 5.
डेयरी विकास विभाग की ओर से डेयरी के विकास के लिए कौन-कौन सी सुविधाएं दी जाती हैं ?
उत्तर-
डेयरी विकास विभाग द्वारा डेयरी से संबंधित कार्यों तथा गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाता है तथा लाभार्थियों को बैंकों से ऋण दिलाया जाता है तथा भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए अनुदान भी दिया जाता है जो निम्नलिखित अनुसार है-

  • शैड बनाने के लिए तकनीकी जानकारी के साथ-साथ 25% अनुदान राशि उपलब्ध करवाई जाती है।
  • दूध देने वाले पशु खरीदने के लिए सहायता तथा तीन वर्ष के बीमे की लागत का 75% लाभार्थी को वापिस जाता है।
  • बड़े दूध कूलर की खरीद पर 50% अनुदान राशि।
  • मिल्किंग मशीन तथा चारा काटने तथा कुतरने वाली मशीनों की खरीद पर 50% अनुदान राशि।
  • आटोमैटिक डिसपैंसिंग मशीन, टोटल मिक्स राशन वैगन (TMR wagon) तथा किराए पर मशीन देने के लिए डेयरी सर्विस सैंटर स्थापित करने के लिए 50% अनुदान राशि दी जाती है।

Agriculture Guide for Class 10 PSEB कृषि सहयोगी संस्थाएं Important Questions and Answers

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
एगमार्क प्रयोगशाला में ……… की गुणवत्ता की जांच होती है।
(क) हल्दी
(ख) शहद
(ग) मिर्च
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
भारत कैसा देश है?
(क) कृषि प्रधान
(ख) खेल प्रधान
(ग) उद्योग आधारित
(घ) सभी गलत।
उत्तर-
(क) कृषि प्रधान

प्रश्न 3.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई ?
(क) 1962 में
(ख) 1971 में
(ग) 1950 में
(घ) 1990 में।
उत्तर-
(क) 1962 में

प्रश्न 4.
WTO द्वारा मान्य अनुदान राशि की दर कितनी है?
(क) 5%
(ख) 25%
(ग) 10%
(घ) 19%.
उत्तर-
(ग) 10%

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प्रश्न 5.
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (GADVASU) कौन-से शहर में स्थित है ?
(क) लुधियाना
(ख) बठिंडा
(ग) पटियाला
(घ) जालंधर।
उत्तर-
(क) लुधियाना

प्रश्न 6.
पंजाब में दूध की खरीद व विपणन के लिए स्थापित की गई सहकारी संस्था का नाम बताओ।
(क) मार्कफेड
(ख) हाऊसफेड
(ग) मिल्कफेड
(घ) शुगरफेड।
उत्तर-
(ग) मिल्कफेड

प्रश्न 7.
पंजांब डेयरी विकास बोर्ड की वेबसाइट का नाम क्या है ?
(क) www.gadvasu.in
(ख) www.pddb.in
(ग) www.ndri.res.in
(घ) www.pau.edu.
उत्तर-
(ख) www.pddb.in

प्रश्न 8.
गुरु अंगद देव वेटनरी एवं एनीमल साईंसेज़ यूनिवर्सिटी की वेबसाइट का नाम क्या है ?
(क) www.gadvasu.in
(ख) www.pddb.in
(ग) www.ndri.res.in
(घ) www.pau.edu.
उत्तर-
(क) www.gadvasu.in

प्रश्न 9.
मिल्कफेड के द्वारा गाँवों में से किस पदार्थ की खरीद की जाती है-
(क) गेहूँ
(ख) नरमा
(ग) दूध
(घ) फल।
उत्तर-
(ग) दूध

प्रश्न 10.
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय कौन से शहर में स्थित है?
(क) लुधियाना
(ख) पालमपुर
(ग) हिसार
(घ) करनाल।
उत्तर-
(ग) हिसार

प्रश्न 11.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय कौन से शहर में स्थित है ?
(क) लुधियाना
(ख) पालमपुर
(ग) हिसार
(घ) करनाल।
उत्तर-
(क) लुधियाना

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प्रश्न 12.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय कौन से शहर में स्थित है?
(क) लुधियाना
(ख) चंडीगढ़
(ग) हिसार
(घ) पटियाला।
उत्तर-
(ग) हिसार

II. ठीक/गलत बताएं-

1. कृषि विभाग के अधीन आतमा (ATMA) का भी गठन किया गया।
2. गडवासु में 24 घण्टे पशुओं का इलाज होता है।
3. गडवासु की वैवसाइट www.gadvasu.in है।
4. पंजाब में भिन्न-भिन्न स्थानों पर आठ डेयरी शिक्षण तथा विस्तार केन्द्र हैं।
5. पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड की स्थापना 1990 में की गई।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. गलत।

III. रिक्त स्थान भरें-

1. डॉ० जी० एस० कालकट की प्रधानता में ………………. आयोग का गठन किया गया।
2. कृभको संस्था की स्थापना वर्ष ………………. में की गई।
3. FAO का मुख्य कार्यालय …………………. में है।
4. राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना वर्ष ……………… में की गई।
5. भूमि तथा जल संरक्षण विभाग की स्थापना ………….. में की गई।
6. W.T.O. द्वारा तय की गई सब्सिडी की दर ………….. है।
उत्तर-

  1. पंजाब राज्य कृषक
  2. 1980
  3. रोम (इटली)
  4. 1963
  5. 1969.
  6. 6.10%.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत कैसा देश है ?
उत्तर-
भारत कृषि प्रधान देश है।

प्रश्न 2.
कृषि विभाग का प्रमुख कौन होता है ?
उत्तर-
डायरैक्टर कृषि विभाग।

प्रश्न 3.
कृषि विभाग द्वारा शहद, हल्दी, मिर्च आदि की गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रयोगशाला बताओ।
उत्तर-
एगमार्क प्रयोगशाला।

प्रश्न 4.
कृषि विभाग का प्रमुख तथा जिले का प्रमुख कौन है ?
उत्तर-
विभाग का प्रमुख डायरैक्टर कृषि तथा जिले में प्रमुख कृषि अधिकारी होता है।

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प्रश्न 5.
जिले में कृषि तथा कृषि से संबंधित भिन्न-भिन्न विभागों की कृषि विकास तथा प्रसार से संबंधित गतिविधियों के तालमेल के लिए कृषि विभाग द्वारा किसका गठन किया गया है ?
उत्तर-
आतमा (ATMA-Agriculture Technology Management Agency) का गठन किया गया है।

प्रश्न 6.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
वर्ष 1962 में।

प्रश्न 7.
पी०ए०यू० की स्थापना कौन-से कालेज के आधार पर की गई ?
उत्तर-
अमेरिका के लैंड ग्रांट्स कॉलेजों के आधार पर।

प्रश्न 8.
वैटरनरी विश्वविद्यालय में पशुओं का इलाज कितने घंटे तक उपलब्ध है ?
उत्तर-
24 घंटे के लिए।

प्रश्न 9.
वैटरनरी विश्वविद्यालय के कितने कॉलेज हैं ?
उत्तर-
चार।

प्रश्न 10.
वैटरनरी कॉलेज में 15 वर्षों से आई०सी०ए०आर० द्वारा कौन से दो विभाग अत्याधुनिक ट्रेनिंग केन्द्र घोषित किए गए हैं ?
उत्तर-
सर्जरी तथा गायनाकालाजी विभाग।

प्रश्न 11.
बागवानी विभाग कब अस्तित्व में आया ?
उत्तर-
वर्ष 1979-80 में।

प्रश्न 12.
बागवानी विभाग का एक उद्देश्य बताओ।
उत्तर-
बागवानी फसलों के तहत क्षेत्रफल बढ़ाना।।

प्रश्न 13.
बागवानी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन कब से चलाया जा रहा
उत्तर-
वर्ष 2005-06 से।

प्रश्न 14.
डेयरी विकास विभाग द्वारा पंजाब में कितने डेयरी प्रशिक्षण तथा विस्तार केन्द्र चलाए जाते हैं ?
उत्तर-
आठ केन्द्र।

प्रश्न 15.
डेयरी विकास विभाग द्वारा स्व:रोज़गार के लिए कितने सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है ?
उत्तर-
दो सप्ताह की।

प्रश्न 16.
खरीदे हुए दूध वाले पशुओं के तीन वर्ष के बीमे की लागत का कितना प्रतिशत लाभार्थी को वापिस किया जाता है ?
उत्तर-
75%.

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प्रश्न 17.
मिल्किंग मशीन तथा चारा काटने तथा कुतरने वाली मशीन की खरीद पर कितने प्रतिशत अनुदान राशि दी जाती है ?
उत्तर-
50%.

प्रश्न 18.
मछली पालन को उत्साहित करने के लिए मछली पालक विकास एजेंसीज़ फिश फार्मर्ज़ डिवैलपमैंट एजेंसीज़ कब बनाई गई ?
उत्तर-वर्ष 1975 में।

प्रश्न 19.
मछली पालन विभाग द्वारा प्रत्येक माह जिला स्तर पर मुफ्त मछली पालन ट्रेनिंग कितने दिनों की दी जाती है ?
उत्तर-पांच दिनों की।

प्रश्न: 20:
भूमि तथा जल संभाल विभाग कब स्थापित किया गया ?
उत्तर-
वर्ष 1969 में।

प्रश्न 21.
भूमि तथा जल संभाल विभाग के प्रमुख को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
भूमि पाल, पंजाब तथा ब्लॉक स्तर पर भूमि रक्षक अफसर।

प्रश्न 22.
सहकारिता विभाग की स्थापना कब तथा कौन-सा एक्ट बनने से हुई ?
उत्तर-
सहकारिता विभाग की स्थापना 1904 में सहकारिता एक्ट बनने से हुई।

प्रश्न 23.
भाई घनैया स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत मुफ्त इलाज की सुविधा कौन से विभाग द्वारा चलाई गई है ?
उत्तर-
सहकारिता विभाग द्वारा।

प्रश्न 24.
ग्रामीण क्षेत्र में दूध की पैदावार की खरीद, प्रोसैसिंग तथा शहरी क्षेत्र में इसके मंडीकरण का प्रबंध किस द्वारा किया जाता है ?
उत्तर-
मिल्कफैड द्वारा।

प्रश्न 25.
IFFCO का पूरा नाम लिखें।
उत्तर-
इंडियन फारमर्ज फर्टीलाइज़र कोआपरेटिव लिमिटेड।

प्रश्न 26.
KRIBCO का पूर्ण नाम लिखें।
उत्तर-
कृषक भारतीय कोआपरेटिव लिमिटेड।

प्रश्न 27.
NFL का पूरा नाम लिखें।
उत्तर-
नैशनल फर्टीलाइज़र लिमिटेड।

प्रश्न 28.
पंजाब राज्य किसान कमीशन का गठन किसकी अध्यक्षता में हुआ ?
उत्तर-
डॉ० जी० एस० कालकट।

प्रश्न 29.
पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड कब स्थापित हुआ ?
उत्तर-
1976 में।

प्रश्न 30.
राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
1963 में।

प्रश्न 31.
राष्ट्रीय बीज निगम लगभग कितनी फसलों के कितनी प्रकार के प्रमाणित बीजों का उत्पादन कर रही है ?
उत्तर-
60 फसलों के 600 किस्मों के प्रमाणित बीजों का।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं

प्रश्न 32.
NSC ने बीज की गुणवत्ता की जांच के लिए कितनी प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं ?
उत्तर-
पांच जांच प्रयोगशालाएं।

प्रश्न 33.
पौधों के टिशु कल्चर का काम कौन-सी संस्था द्वारा किया जाता है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय बीज निगम द्वारा।

प्रश्न 34.
कौन-सी संस्था भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए गेहूँ चावल की खरीद का कार्य करती है ?
उत्तर-
पंजाब कृषि उद्योग निगम।

प्रश्न 35.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) का मुख्य कार्यालय कहां
उत्तर-
दिल्ली में।

प्रश्न 36.
भारतीय खोज संस्था की लगभग कितनी संस्थाएं हैं तथा कितने कृषि विश्वविद्यालय हैं ?
उत्तर-
भारतीय खोज संस्था की 101 संस्थाएं हैं तथा 71 कृषि विश्वविद्यालय हैं।

प्रश्न 37.
नैशनल बैंक आफ एग्रीकल्चरल एंड रूरल डिवैलपमैंट (NABARD) की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
1982 में।

प्रश्न 38.
नावार्ड का मुख्य कार्यालय कहां है ?
उत्तर-
मुम्बई में।

प्रश्न 39.
GATT कब बनाई गई ?
उत्तर-
वर्ष 1948 में।

प्रश्न 40.
GATT के कितने सदस्य थे तथा अब कितने हैं ?
उत्तर-
आरंभ में 23 सदस्य थे तथा अब 164 हैं।

प्रश्न 41.
GATT का पूरा नाम बताएं।
उत्तर-
जनरल एग्रीमैंटस आन टैरिफ एंड ट्रेड (General Agreements on Tarrift and Trade)|

प्रश्न 42.
GATT का नाम बदल कर क्या रखा गया ?
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संस्था (World Trade Organisation).

प्रश्न 43.
WTO द्वारा अनुदान राशि की दर कितनी है ?
उत्तर-
10%.

प्रश्न 44.
FAO का पूरा नाम बताएं।
उत्तर-
फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन।

प्रश्न 45.
FAO की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
वर्ष 1943 में।

प्रश्न 46.
FAO का मुख्य कार्यालय कहां है ?
उत्तर-
रोम (इटली) में।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 1 कृषि सहयोगी संस्थाएं

प्रश्न 47.
I.C.A.R. का पूरा नाम लिखो।
उत्तर-
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्।

प्रश्न 48.
W.T.O. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संस्था।

प्रश्न 49.
डेयरी विकास विभाग की ओर से दूध निकालने वाली (मिल्किग) मशीन की खरीद पर कितने प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है ?
उत्तर-
50%.

लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषि विभाग के बारे में संक्षेप में जानकारी दें।
उत्तर-
कृषि विभाग की स्थापना 1881 में की गई तथा इस विभाग की पंजाब के कृषि विकास में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यह विभाग कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषकों के बीच कड़ी का कार्य करता है। कृषि से संबंधित सभी सरकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए यह संस्था उत्तरदायी है। इस विभाग द्वारा मिट्टी, बीज, खादों, खाने वाले पदार्थों की जांच के लिए प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं। कृषि विकास तथा प्रसार के लिए संबंधित गतिविधियों में तालमेल के लिए विभाग के अन्तर्गत ATMA का गठन किया गया है।

प्रश्न 2.
बागवानी विभाग के मुख्य उद्देश्य बताओ।
अथवा
बागवानी विभाग, पंजाब की ओर से किए जाने वाले कोई चार कार्य लिखें।
उत्तर-
बागवानी विभाग के मुख्य उद्देश्य अथवा कार्य इस प्रकार हैं –

  • बागवानी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाना।
  • उच्च स्तरीय बढ़िया गुणवत्ता वाली सब्जियों के बीज तथा फलों की पनीरी आदि उपलब्ध करवाना।
  • बागवानी फसलों का तकनीकी ज्ञान किसानों तक पहुंचाना।
  • सब्जियों के प्रदर्शनी प्लांटों के लिए आर्थिक सहायता देना।

प्रश्न 3.
गडवासु के चार कॉलेज कौन-से हैं ?
उत्तर-
गडवासु के चार कॉलेज हैं-वैटरनरी कॉलेज, डेयरी साईंसज़ तथा टैक्नालॉजी साईंस, मछली पालन कालेज, वैटरनरी पॉलिटेकनीक।

प्रश्न 4.
बागवानी विभाग द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय बागवानी मिशन के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
बागवानी विभाग द्वारा वर्ष 2005-06 से एक राष्ट्रीय बागवानी मिशन शुरू किया गया है। इस मिशन द्वारा किसानों को पैक हाऊस, नैट हाऊस, पोली हाऊस बनाने, कोल्ड स्टोरेज़ बनाने, सब्जियों तथा फलों को पकाने के लिए चैंबर स्थापित करना, विक्रय मूल्य में वृद्धि करने के लिए प्रोसैसिंग इकाइयों की स्थापना करना, किसानों को प्रशिक्षित करना आदि कई कार्य किए जाते हैं।

प्रश्न 5.
पशु पालन विभाग के कुछ उद्देश्य बताओ।
उत्तर-

  • पशु पालन प्रबन्ध तथा खाद्य में सुधार।
  • पशुओं की पैदावार समर्था बढ़ाने तथा नस्ल सुधार का कार्य करना।
  • प्रसार सेवाएं प्रदान करना।

प्रश्न 6.
मार्कफैड की ओर से किसानों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाती हैं?
उत्तर-
मार्कफैड द्वारा पंजाब के किसानों को सस्ते दामों पर कृषि बीज, उर्वरक, कीट नाशक दवाइयां आदि उपलब्ध की जाती हैं तथा कृषि उत्पाद के मण्डीकरण तथा प्रोसैसिंग का कार्य किया जाता है।

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प्रश्न 7.
पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड का मुख्य उद्देश्य क्या है ? इसकी स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
इस संस्था की स्थापना 1976 में हुई तथा इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को गुणवत्ता वाले बीज सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाना तथा बीज पैदावार तथा देख-रेख का ढांचा तैयार करना है ताकि बीज़ों की बढ़ रही मांग को पूरा किया जा सके।

प्रश्न 8.
सहकारिता विभाग पंजाब की ओर से किसानों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाती हैं ?
उत्तर-
सहकारिता विभाग द्वारा स्थापित संस्थाओं द्वारा बीजों, खादों तथा ऋण के वितरण में सहायता की जाती है। कृषि उपज का मण्डीकरण, दूध की पैदावार की खरीद, प्रोसैसिंग तथा शहरी क्षेत्र में मण्डीकरण आदि में योगदान दिया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मछली पालन विभाग के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
मछली पालन विभाग पंजाब में सबसे पुराने विभागों में से एक है। इस विभाग का मुख्य उद्देश्य नदियों, झीलों, नहरों तथा नोटीफाइड वाटर वॉडीज में मछलियों की संभाल करना है। इस विभाग का उत्तरदायित्व सहायक डायरैक्टर फिशरी के पास होता है। आमदन पैदा करने के लिए विभाग इन स्रोतों को ठेके पर देता है। मछली पालने को उत्साहित करने के लिए 1975 में मछली पालन एजेंसी की स्थापना की गई तथा नए मछली उत्पत्ति फार्म बनाए गए। इस प्रकार राज्य में मछली पालन में क्रान्ति आई। मछली पालन विभाग द्वारा हर माह जिला स्तर पर पांच दिनों की मुफ्त मछली पालन ट्रेनिंग दी जाती है। यह विभाग मछली पालकों को ऋण सबसिडी तथा प्रसार सेवाएं भी देता है।

प्रश्न 2.
कृषि से संबंधित दस सहयोगी संस्थाओं के नाम लिखो।
उत्तर-

  • कृषि विभाग
  • पशुपालन विभाग
  • डेयरी विकास विभाग
  • बागवानी विभाग
  • मछली पालन विभाग
  • सहकारिता विभाग
  • पंजाब कृषि उद्योग निगम
  • पंजाब राज्य बीज निगम लिमिटेड
  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था
  • राष्ट्रीय बीज निगम।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 3 भोजन की सम्भाल

PSEB 8th Class Home Science Guide भोजन की सम्भाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बैक्टीरिया भोजन को कैसा बना देता है?
उत्तर-
बैक्टीरिया भोजन को कड़वा और ज़हरीला बना देता है।

प्रश्न 2.
फफूंदी कौन-से खाद्य पदार्थों को लगती है ?
उत्तर-
फफूंदी नमी वाले भोज्य पदार्थों में लगती है।

प्रश्न 3.
ताप को बढ़ाकर खाद्य-पदार्थों को सुरक्षित रखने की किसी एक विधि का नाम लिखें।
उत्तर-

  1. पास्चुरीकरण, तथा
  2. अनुर्वरीकरण (स्टेरीलाइजेशन)

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प्रश्न 4.
मक्खन और घी को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर-
मक्खन, घी की खटाई दूर करके, ठण्डी जगह में रखना चाहिए।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
मांस, मछली, सब्जियों को फलों की टोकरी में डालकर ज़मीन पर क्यों नहीं रखना चाहिए? इन्हें धोकर क्यों प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर-
मांस, मछली, सब्जियों को फलों की टोकरी में डालकर ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए क्योंकि रोग के कीटाणु इन पर बहुत जल्दी हमला करते हैं और अपने प्रभाव से इनको हानिकारक बना देते हैं। इनको धोकर प्रयोग में लाना चाहिए क्योंकि बिना धोए मांस, मछली, सब्जियाँ और फल खाने से कई बार कीड़े हमारे शरीर में पहुँच जाते हैं और इससे हैजा, टाइफाइड और पेचिश जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं।

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प्रश्न 2.
दूध बीमारियाँ कैसे फैलाता है और उनसे कैसे बचाव किया जा सकता है?
उत्तर-
दूध बीमारियाँ बैक्टीरिया से फैलाता है जिससे पेचिश, टाइफाइड आदि रोग .फैलने का खतरा रहता है।
बचाव-

  1. दूध को एक मिनट तक उबालकर बैक्टीरिया को मार देना चाहिए।
  2. उबलने के बाद दूध को छान लेना चाहिए।
  3. उबलने के बाद सघन जाली या मलमल के कपड़े से ढक देना चाहिए ताकि मिट्टी या मक्खी से बचाया जा सके।

प्रश्न 3.
फ्रिज़ के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
फ्रिज़ से निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. यह कच्ची-पक्की सब्जी, दूध, दही, मक्खन, पनीर, अण्डा, मांस, मछली और फलों को सुरक्षित रखते हैं।
  2. गर्मी से खराब होने वाले पदार्थ इसमें रखे जाते हैं।
  3. इसमें भोज्य पदार्थ ठंडे रहते हैं।
  4. भोजन फ्रिज में रखने से फफूंदी नहीं होती।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 4.
भोजन की नमी दूर करने से वह कैसे सुरक्षित हो जाते हैं ?
उत्तर-
नमी वाले भोजनों में फफूंदी लग जाती है उसमें खमीर उठ जाता है। इसलिए भोजन को सुरक्षित रखने के लिए भोजन की नमी दूर कर दी जाती है, जिससे भोजन सुरक्षित हो जाता है।

प्रश्न 5.
खाद्य पदार्थों की खुशबू तेज़ करने से वे कैसे सुरक्षित हो जाते हैं ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थों की खुशबू तेज़ करने से फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं, जिससे खाद्य पदार्थ सुरक्षित हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
कम तापमान या फ्रिज़ आदि के प्रयोग से भोजन पदार्थ कैसे सुरक्षित हो जाते हैं ?
उत्तर-
कम तापमान या फ्रिज़ आदि के प्रयोग से भोजन में बैक्टीरिया उत्पन्न नहीं हो पाते हैं जिससे भोजन पदार्थ सुरक्षित हो जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 7.
कच्चा दूध जल्दी खराब हो जाता है जबकि उबाला हुआ देर से क्यों?
उत्तर-
कच्चे दूध में बैक्टीरिया जल्दी उत्पन्न हो जाता है जिससे दूध शीघ्र खराब हो जाता है, जबकि उबले हुए दूध में बैक्टीरिया नष्ट हो जाता है इसलिए वह देरी से खराब होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन खराब होने के क्या कारण हैं ?
अथवा
भोजन खराब होने के कोई तीन कारण लिखिए।
उत्तर-
(1) सूक्ष्म जीव-जीवाणु, फफूंद तथा कवक।
(2) अवयव।
(3) भोजन के अंश।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल 1
चित्र 3.1 खमीर फफूंदी तथा कीटाणु भोजन खराब करने वाले तत्त्व

  1. जीवाणु-ये मांस, अण्डे, मछली एवं दूध को खराब कर देते हैं।
  2. फफूंद-ये गर्म एवं नम मौसम से मुरब्बे आदि पर भूरी सी रोंएदार तह बना देते हैं।
  3. खमीर-यह शर्करा युक्त पदार्थों को खराब करते हैं।
  4. अवयव-सूक्ष्म जीवों के साथ-साथ ये सब्जियों, फलों तथा अन्य भोज्य पदार्थों को सड़ा देते हैं।
  5. भोजन के अंश-कई परिस्थितियों में फलों तथा सब्जियों की रासायनिक रचना भी उनमें सड़न का कारण बनती है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 2.
भोजन को ठीक ढंग से संग्रह करने के घरेलू तरीके बताओ।
उत्तर-
भोजन को ठीक ढंग से संग्रह करने के घरेलू तरीके निम्नलिखित हैं-
1. दूध-दूध में बैक्टीरिया जल्दी हो जाती है। इससे पेचिश, टाइफाइड आदि फैलने का खतरा रहता है। इसलिए दूध को एक मिनट तक उबालकर बैक्टीरिया मार देते हैं। उबालने से पहले दूध छान लेना चाहिए। उबलने के बाद सघन जाली या मलमल के कपड़े से ढाँप देना चाहिए ताकि मिट्टी या मक्खी से बचाया जा सके।

2. मक्खन और घी-मक्खन और घी में से खटाई निकाल लेनी चाहिए और गीली मलमल से ढककर रखना चाहिए ताकि ये ठंडा रहकर सुरक्षित रह सकें। कीड़े-मकोड़ों से बचाने के लिए पानी के बर्तन में मक्खन तथा शहद को भी जाली में रखना चाहिए।

3. सब्ज़ियाँ और फल-बिना धोए सब्जियाँ और फल खाने से कई बार कीड़े हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं। इसलिए सब्जी को कच्चा खाना हो या पत्तेदार सब्जियों का सलाद के रूप में इस्तेमाल करना हो तो हमेशा लाल दवाई से धोकर खानी चाहिए। पानी इतना लेना चाहिए कि सब्जी अच्छी तरह डूब जाए। दो किलो पानी में चुटकी भर दवाई काफ़ी होती है। खास कर हैज़ा, टाइफाइट और पेचिश की बीमारियों के मौसम में लाल दवाई का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।

4. अनाज और दालें-अनाज की बोरी या टीन के बड़े बर्तन में डालकर उसको अच्छी तरह बन्द कर देना चाहिए। गेहूँ भरते समय मेथी या नीम के पत्ते सुखाकर तथा पीसकर बीच में मिला देने चाहिए और बोरी के आस-पास भूसा डाल देना चाहिए। अगर गेहूँ अधिक समय के लिए रखनी हो तो डी० टी० टी० के कपड़े की पोटली में बांधकर गेहूँ के बीच में रखना चाहिए। दालों को समय-समय पर धूप में सुखा देना चाहिए।

5. मांस और मछली-मांस और मछली पर रोग के कीटाणु बहुत जल्दी हमला करते हैं और अपने प्रभाव से इसको हानिकारक बना देते हैं। इनको छोटे लटकाने वाले बर्तनों में रखकर ठंडी जगह पर लटकाना चाहिए।

प्रश्न 3.
भोजन को सुरक्षित रखने के सिद्धान्तों के बारे में बताओ।
अथवा
भोजन को सुरक्षित रखने के किन्हीं तीन सिद्धान्तों के बारे में लिखें।
उत्तर-
भोजन को सुरक्षित रखने के निम्नलिखित सिद्धान्त हैं-
1. फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया को रोकने के लिए पदार्थों की खुशबू तेज़ कर लेनी चाहिए। इसलिए आचार में मसाले डाले जाते हैं। तेल, सिरका, चीनी, शक्कर और नमक इस काम के लिए इस्तेमाल में लाए जाते हैं।

2. भोजन को सुरक्षित करने के लिए भोजन की नमी दूर करनी चाहिए। सब्ज़ियाँ और फल अच्छी तरह सुखाकर ही इकट्ठे करने चाहिएँ। दालों और अनाज को भी समयसमय पर धूप और हवा लगवा लेना चाहिए।

3. बैक्टीरिया उस भोजन में होते हैं जिसका तापमान शारीरिक खून के तापमान के बराबर होता है। इसलिए भोजन का तापमान बढ़ा देना चाहिए या कम कर देना चाहिए। इसलिए उबला हुआ दूध कच्चे दूध से अधिक सुरक्षित रहता है। अगर भोजन को 0°C तापमान में रखा जाए तो बैक्टीरिया बढ़ नहीं पाते हैं।

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Home Science Guide for Class 8 PSEB भोजन की सम्भाल Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-सा तथ्य ठीक है ?
(क) भोजन फ्रिज में रखने से उल्ली नहीं लगती
(ख) दूध उबालने से बैक्टीरिया मर जाते हैं
(ग) उल्ली नमी वाले पदार्थ में लगती है
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 2.
जीवाणु भोजन को कैसा बना देते हैं ?
(क) मीठा
(ख) स्वाद
(ग) कड़वा तथा ज़हरीला
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) कड़वा तथा ज़हरीला

प्रश्न 3.
भोजन खराब करने वाले जीवाणुओं के लिए उचित तापमान है-
(क) 30-40°C
(ख) 0-5°C
(ग) 70-80°C
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 30-40°C

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प्रश्न 4.
भोजन पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए पदार्थ हैं
(क) नमक
(ख) चीनी
(ग) सिरका
(घ) सभी ठीक
उत्तर-
(घ) सभी ठीक

प्रश्न 5.
निम्न में ग़लत तथ्य है
(क) खमीर शक्कर वाले पदार्थों को खराब करते हैं
(ख) कच्चा दूध लम्बे समय तक खराब नहीं होता
(ग) कम तापमान पर बैक्टीरिया पैदा नहीं होते।
(घ) सभी ग़लत।
उत्तर-
(ख) कच्चा दूध लम्बे समय तक खराब नहीं होता

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II. ठीक/गलत बताएं

  1. दालों को समय-समय पर धूप में सुखा लेना चाहिए।
  2. आचार में सरसों का तेल डाल कर सुरक्षित किया जाता है।
  3. खमीर स्टार्च वाले भोजन पदार्थों को अल्कोहल में तथा कार्बन डायाक्साइड में बदल देता है।
  4. फ्रिज में रखा भोजन खराब हो जाता है।
  5. गेहूँ को स्टोर करते समय मेथी तथा नीम के पत्तों का प्रयोग किया जाता है।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. उल्ली ………… वाले पदार्थों को लगती है। (From Board M.Q.P.)
  2. सब्जियों आदि को कच्चा खाना हो तो ……………… दवाई में धो लें।
  3. गेहूँ में ……………. के पत्ते डाल कर रखें।
  4. खराब अण्डे पानी में ……………… हैं।

उत्तर-

  1. नमी
  2. लाल
  3. नीम
  4. तैरते

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IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भोजन पदार्थों को सुरक्षित रखने का एक साधन बताओ।
उत्तर-
फ्रिज़।

प्रश्न 2.
गेहूँ को भण्डार करते समय कौन-से पत्ते प्रयोग करते हैं ?
उत्तर-
मेथी तथा नीम के।

प्रश्न 3.
फफूंदी कौन-सी वस्तुओं को लगती है ?
उत्तर-
नमीयुक्त।

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प्रश्न 4.
एक क्विटल चावल को संग्रह करने के लिए कितने नमक का प्रयोग करते हैं ?
उत्तर-
ढाई किलोग्राम।

प्रश्न 5.
फफूंदी से बचाने के लिए भोजन को कैसे स्थान पर रखना चाहिए?
उत्तर-
शुष्क स्थान पर।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फफूंदी तथा खमीर भोजन को किस प्रकार खराब कर देते हैं ?
उत्तर-
फफूंदी नमी युक्त पदार्थों में लगती है। खमीर शक्कर वाले पदार्थों को खराब करते हैं।

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प्रश्न 2.
सुरक्षित रखने के लिए भोजन को कहाँ रखते हैं ?
उत्तर-
सुरक्षित रखने के लिए भोजन को ठंडी जगह या फ्रिज में रखते हैं।

प्रश्न 3.
भोजन खराब करने वाले जीवाणुओं के लिए सबसे उपयुक्त तापमान कौन-सा है?
उत्तर-
30° से 40°C तक।

प्रश्न 4.
बिना उबाला दूध, उबाले हुए दूध की अपेक्षा जल्दी खराब क्यों हो जाता है?
उत्तर-
बिना उबाले दूध में उपस्थित जीवाणु तेजी से पनपते हैं जबकि दूध को उबालने से उसमें उपस्थित जीवाणु मर जाते हैं।

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प्रश्न 5.
जीवाणु भोजन को कैसा बना देते हैं ?
उत्तर-
जीवाणु भोजन को कड़वा तथा विषैला बना देते हैं।

प्रश्न 6.
खमीर स्टार्च वाले भोजन को किसमें बदल देता है ?
उत्तर-
खमीर स्टार्च वाले भोजन को एल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देता है।

प्रश्न 7.
घर मे पकाए हुए भोज्य पदार्थ किस प्रकार सुरक्षित रखे जाते हैं ?
उत्तर-
ठण्डी जगह, जैसे फ्रिज़ आदि में रखकर।

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प्रश्न 8.
खाद्य पदार्थों के संरक्षण के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण बात क्या है ?
उत्तर-
जीवाणुओं की वृद्धि तथा प्रकिण्वों (एन्जाइमों) की क्रियाशीलता को रोका जाए।

प्रश्न 9.
खाद्य पदार्थों को सुखाकर सुरक्षित रखने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ?
उत्तर-

  1. जीवाणुओं को दूर रखना,
  2. दबाव के साथ फिल्टर द्वारा,
  3. किण्वन द्वारा,
  4. ताप संसाधन द्वारा,
  5. रसायनों का उपयोग करके,
  6. सुखाकर,
  7. किरणों द्वारा,
  8. प्रतिजीवियों द्वारा।।

प्रश्न 10.
धूप में सुखाकर सुरक्षित रखे जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों के नाम बताएँ।
उत्तर-
आलू, गोभी, मटर, मेथी, शलगम, सरसों-चने का साग आदि।

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प्रश्न 11.
फल तथा सब्ज़ियों को ऑवन में सुखाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-

  1. फल व सब्ज़ियाँ जल्दी सूखती हैं,
  2. मक्खी व धूल-मिट्टी से संदूषण का खतरा नहीं रहता।

प्रश्न 12.
पास्चुरीकरण क्रिया क्या है?
उत्तर-
इस प्रक्रिया में खाद्य-पदार्थों को पहले गर्म करके फिर ठण्डा किया जाता है।

प्रश्न 13.
पास्चुरीकरण विधि किन खाद्य-पदार्थों के संरक्षण में प्रयोग में लाई जाती
उत्तर-
दूध, फलों के रस, सिरका।

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प्रश्न 14.
अनुर्वरीकरण विधि कब प्रयोग में लाते हैं ?
उत्तर-
जब खाद्य-पदार्थों को बोतलों अथवा डिब्बों में सीलबन्द करते हैं।

प्रश्न 15.
संरक्षणीय पदार्थ क्या होते हैं?
उत्तर-
ये पदार्थ किसी खाद्य-पदार्थ में मिला देने से उस खाद्य-पदार्थ की सुरक्षा की जाती है।

प्रश्न 16.
कुछ घरेलू संरक्षणीय पदार्थों के नाम बताएँ। (पंजाब बोर्ड, 2004)
उत्तर-
नमक, चीनी, नींबू का रस, सिरका, टारटेरिक अम्ल, सिट्रिक अम्ल, मसाले, तेल।

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प्रश्न 17.
खाद्य-पदार्थों की सुरक्षा में नमक का प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर-
अचार, चटनी, साँस, फलों तथा सब्जियों की बोतलबन्दी तथा डिब्बाबन्दी के समय।

प्रश्न 18.
खाद्य-पदार्थों के संरक्षण में नमक किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर-

  1. खाद्य-पदार्थों की नमी कम करना,
  2. खाद्य-पदार्थों में वातावरण की ऑक्सीजन न मिलने देना,
  3. क्लोराइड आयन मिलने में खाद्य संरक्षण में सहायता करना,
  4. प्रकिण्वों की क्रियाशीलता को मन्द करना।

प्रश्न 19.
चीनी का प्रयोग किन खाद्य-पदार्थों के संरक्षण के लिए किया जाता है ?
उत्तर-
जैम, जैली, मार्मलेड, मुरब्बा, कैण्डी, स्क्वैश, शर्बत, चटनी आदि।

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प्रश्न 20.
तेल, अचार का संरक्षण किस प्रकार करता है?
उत्तर-
तेल खाद्य-पदार्थों का ऑक्सीजन से सम्पर्क तोड़ देता है और इस प्रकार उसे खराब नहीं होने देता।

प्रश्न 21.
पोटेशियम मेटाबाइसल्फाइट का प्रयोग किन खाद्य-पदार्थों के संरक्षण
उत्तर-
सन्तरा, नींबू, लीची, अनानास, आम आदि हल्के रंग वाले फलों तथा सब्जियों के संरक्षण के लिए।

प्रश्न 22.
अनाज तथा दालों को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर-
अनाज को सुखाकर बोरी या टीन के बड़े ढोल में डाल कर अच्छी तरह बन्द करके खा जाता है। गेहूँ को संभालते समय उस में नीम या मेथी के सूखे पीसे हुए पत्ते मिला देने चाहिए फिर डी० डी० टी० की पोटली बना कर इस में रखें। एक किलो चावलों के लिए अढाई किलो पीस कर मिला दें। दालों को समय-समय पर धूप लगाते रहना चाहिए।

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प्रश्न 23.
बैक्टीरिया और खमीर भोजन को किस प्रकार खराब कर देते हैं ?
उत्तर-
स्वयं करें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन संरक्षण के लाभ लिखिए।
उत्तर-
भोज्य पदार्थों के संरक्षण के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. खाद्य पदार्थों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
  2. खाद्य पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है।
  3. आपत्ति, अकाल आदि के समय सुरक्षित खाद्य पदार्थों का उपयोग होता है।
  4. युद्ध में, पर्वतारोहण में, समुद्र यात्रा में तथा ध्रुवीय अभियात्रा में सुरक्षित भोज्य पदार्थ ही लाभदायक सिद्ध होते हैं।
  5. बेमौसम सब्जी, फल आदि प्राप्त हो सकते हैं।
  6. फ़सलों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने पर उन्हें संरक्षित कर सड़ने से बचाया जा सकता है और उन्हें अन्य देशों को भेजा जा सकता है।
  7. संरक्षण से भोज्य पदार्थ का वास्तविक स्वाद और सुगन्ध बनी रहती है।
  8. भोजन में विविधता लाई जा सकती है।

प्रश्न 2.
भोजन के संरक्षण के उपाय किन सिद्धान्तों पर आधारित है?
उत्तर-
1. सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा होने वाले विश्लेषण को रोकना और विलम्बित करना-भोजन को सुरक्षित करने के लिए सूक्ष्म जीवों को नष्ट या उनको निकालने के उपाय करने पड़ते हैं। इसके अलावा यदि सूक्ष्म जीवों की बढ़ोत्तरी शुरू हो चुकी है तो इसको रोकना पड़ता है। ऐसा जीवाणुओं को दूर रखकर अथवा जीवाणुओं को फिल्टर द्वारा निकालकर किया जाता है। इनकी बढ़ोत्तरी नमी सुखाकर, इनका वायु से सम्पर्क हकर तथा रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करके रोकी जा सकती है।

2. भोजन में स्वयं विश्लेषण को रोकना या विलम्बित करना-भोजन में पाए जाने वाले पदार्थ को ताप द्वारा खत्म करने से या निष्क्रिय करने से उसमें होने वाले स्वयं विश्लेषण को नष्ट किया जा सकता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 3.
क्या भोजन को खराब होने से बचाया जा सकता है?
उत्तर-
भोजन को खराब होने से निम्न तरीकों से बचाया जा सकता है-
1. फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया को रोकने के लिए पदार्थों की खुशबू तेज़ कर लेनी चाहिए। इसलिहाकार में मसाले डाले जाते हैं। तेल, सिरका, चीनी, शक्कर और नमक इस काम के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। इस तरह पदार्थ स्वादिष्ट और सुरक्षित रहता है।

2. नमी युक्त पदार्थों में फफूंदी लग जाती है या खमीर उठ जाता है। इसलिए भोजन को सुरक्षित करने के लिए भोजन की नमी दूर करनी चाहिए। सब्जियाँ और फल अच्छी तरह सुखाकर ही इकट्ठे करने चाहिएँ। दालों और अनाज को भी समय-समय पर धूप और हवा में सुखाना चाहिए।

3. बैक्टीरिया उस भोजन में होते हैं जिसका तापमान शारीरिक खून के तापमान के बराबर होता है। इसलिए भोजन का तापमान बढ़ा देना चाहिए या कम कर देना चाहिए। इसलिए उबला हुआ दूध कच्चे दूध से अधिक सुरक्षित होता है। अगर भोजन को 0°C तापमान में रखा जाए तो बैक्टीरिया बढ़ते नहीं है। इसलिए फ्रिज़ और बर्फ के बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रश्न 4.
दूध उबालना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
दूध में बैक्टीरिया जल्दी पलते हैं, इसलिए दूध उबालना ज़रूरी है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन को संरक्षित करने का क्या अभिप्राय है? किन-किन विधियों से भोजन को सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर-
बहुत से खाद्य-पदार्थों जैसे-ताजे फल, सब्जियाँ, मांस, मछली, अण्डा आदि अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रखे जा सकते। मौसमी खाद्य पदार्थ मौसम में बहुत अधिक मात्रा में उत्पादित होते हैं अत: उन्हें अन्य स्थानों पर पहुँचाना होता है। इस प्रकार खाद्य पदार्थों की अधिक मात्रा को देश के विभिन्न भागों में पहुँचाने तथा सही उपयोग के लिए ऐसी विधियों से गुज़ारा जाता है जिससे वे सड़ने से बचे रहें। इसी को भोजन का संरक्षण कहते हैं। भोजन को संरक्षित करने की आवश्यकता निम्न प्रकार बताई जा सकती है-

  1. खाद्य पदार्थों को नष्ट होने से बचाने के लिए।
  2. खाद्य पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने-ले-जाने के लिए जिससे वे रास्ते में खराब न हों और लाने-ले-जाने में असुविधा न हो।
  3. सुरक्षा द्वारा खाद्य पदार्थों के संग्रह करने के लिए।
  4. विभिन्न खाद्य पदार्थों को बिना मौसम के तथा सारे साल आसान उपलब्धि के लिए।
  5. समय और श्रम की बचत के लिए।
  6. भोजन के रंग, रूप, स्वाद में विभिन्नता लाने के लिए।
  7. आधुनिक जीवन की बढ़ती हुई आवश्यकताओं को किसी हद तक पूरा करने के लिए भी भोजन की सुरक्षा आवश्यक होती है

भोजन को निम्नलिखित विधियों से सुरक्षित रखा जा सकता है-
1. जीवाणुओं को दूर रखकर- भोजन को खराब करने वाले जीवाणु वायु में उपस्थित होते हैं। अत: यदि भोजन को वायु से बचाकर रखा जाए तो वह सुरक्षित रहता है। सबसे भोजन की सम्भाल पहले खाद्य पदार्थ को गर्म करके उसमें उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। फिर इन्हें चौड़े मुँह की बोतलों या डिब्बों में भरकर पानी के तसले में रखकर गर्म करते हैं। ऐसा करने में खाद्य सामग्री से उपस्थित या प्रविष्ट हुई वायु निकल जाती है। अब तुरन्त ही ढक्कनों को वायुरोधक ढंग से बन्द कर देते हैं। बाहर के देशों में अधिकतर खाद्य पदार्थ इसी प्रकार बन्द डिब्बों में बिकते हैं। अचार, मुरब्बे, शर्बत, फल-सब्जियाँ, मांस, मछली आदि खाने की अनेक वस्तुएँ इस विधि से सुरक्षित रखी जा सकती है।

2. दबाव के साथ फिल्टर द्वारा-इस विधि से तरल भोज्य पदार्थों, जैसे–फलों का रस, बीयर, वाइन तथा पानी आदि को सुरक्षित किया जा सकता है। इन तरल पदार्थों को कम या अधिक दबाव से जीवाणु फिल्टरों में से फिल्टर कर लिया जाता है।

3. खमीरीकरण द्वारा-जीवाणु द्वारा पैदा किए गए कार्बोनिक अम्ल से भोजन संरक्षित हो जाता है। संरक्षीकरण में एल्कोहल, एसिटिक अम्ल तथा लेक्टिक अम्ल द्वारा किया गया खमीरीकरण महत्त्वपूर्ण है। वाइन, बीयर, फलों के सिरके आदि पेय पदार्थों को इसी विधि से तैयार किया जाता है। इस प्रकार से संरक्षित खाद्य पदार्थों को सावधानी से सीलबन्द करके रखने से उनमें अवांछित खमीरीकरण नहीं हो पाता।

4. ताप संसाधन विधि द्वारा-इस विधि से जीवाणुओं तथा अवयवों को नष्ट किया जाता है। यह विधि तीन प्रकार से प्रयोग की जाती है-
i) पास्चुरीकरण-इस विधि में भोज्य पदार्थ को गर्म करके ठण्डा किया जाता है। ऐसे में जीवाणु इस बदलते हुए ताप को सहन नहीं कर पाते और जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं। इस विधि में अधिकांश जीवाणु तो नष्ट हो जाते हैं फिर भी कुछ रह जाते हैं। यह विधि मुख्य रूप से दूध (Milk) के लिए उपयोग में लाई जाती है। भोज्य पदार्थों का पास्चुरीकरण निम्नलिखित उद्देश्यों से किया जाता है

ii) दूध का पास्चुरीकरण करने से रोग उत्पन्न करने वाले सभी जीवाणुओं को नष्ट किया जा सकता है।

iii)  लेक्टिक अम्ल की उपस्थिति से दूध खड़ा हो जाता है। इस अम्ल को उत्पन्न करने वाले बहुत से जीवाणु दूध के पास्चुरीकरणं से नष्ट हो जाते हैं। इससे दूध खट्टा नहीं होता।

iv) इस क्रिया द्वारा स्वाद बिगाड़ने वाले और दुर्गन्ध उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को भी नष्ट कर दिया जाता है। पास्चुरीकरण की निम्न तीन विधियाँ हैं

  •  होल्डिंग विधि- इस विधि में खाद्य पदार्थ को 62.67°C या 145°F पर 30 मिनट तक रखने के बाद ठण्डा होने दिया जाता है।
  • फ्लैश विधि-इस विधि में खाद्य पदार्थ को 71°C या 161°F पर 15 सेकिण्ड के लिए रखकर एकदम से ठण्डा कर दिया जाता है।
  • अत्यधिक ताप की विधि-इस विधि में खाद्य-पदार्थ को 90°C या 194°F या इससे भी अधिक ताप पर एक सेकिण्ड के लिए रखकर एकदम ठण्डा किया जाता है। यह विधि अधिक सुरक्षित है तथा इसमें बहुत कम समय लगता है।

5. ठण्डे स्थान में रखकर- भोजन को खराब करने वाले जीवों की वृद्धि के लिए 30°C से 40°C का तापमान उचित रहता है। 30°C से तापमान जितना कम होगा उतना ही सूक्ष्म जीव नहीं पनप सकेंगे। इसी प्रकार गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में भोजन अधिक देर तक सुरक्षित रहता है।

इस प्रकार खाद्य पदार्थों को बहुत कम तापमान में रखकर उन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है। घर में भोजन को जैसे दूध, दही, सब्जियों, फल आदि को रेफ्रीजरेटर में रखकर । सुरक्षित रखा जा सकता है। आइस बॉक्स भी कुछ समय के लिए रेफ्रीजरेटर के समान ही कार्य करता है।

बड़े स्तर पर फल तथा सब्जियों आदि को शून्य डिग्री तापमान में शीत संग्रहागार (कोल्ड स्टोरेज) में सुरक्षित रखा जाता है।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल 2
चित्र 3.2 भोजन को सुरक्षित
चित्र 3.3 आइस-बॉक्स रखने का साधन रेफ्रिजरेटर
6. सुखाकर-जीवाणुओं व अन्य सूक्ष्म जीवों को अपनी वृद्धि के लिए नमी की आवश्यकता होती है। नमी के अभाव में ये पनप नहीं सकते। यदि खाद्य पदार्थों को सुखाकर उनकी नमी समाप्त कर दी जाए तो उन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है। घरों में मेथी, पोदीना, धनिया, मटर, गोभी, शलगम, प्याज, भिंडी, लाल मिर्च आदि को छाया में सुखाकर अधिक समय तक सुरक्षित रखा जाता है।

बड़े पैमाने पर खाद्य पदार्थों को मशीनों द्वारा गरम हवा के वातावरण में सुखाया जाता है। इस प्रकार सुखाए गए खाद्य पदार्थ धूप में सुखाए गए खाद्य पदार्थों की अपेक्षा अधिक अच्छी प्रकार तथा अधिक समय तक सुरक्षित रहते हैं।

7. जीवाणुनाशक वस्तुओं के प्रयोग से-जीवाणु प्राकृतिक पदार्थों तथा कम सान्द्रता वाली खाद्य सामग्री पर अच्छी प्रकार पनपते हैं। शक्कर, नमक, सिरका, राई, तेल आदि भोजन की सम्भाल जीवाणुओं की बाढ़ को रोककर खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखते हैं। इसी विधि से अचार को तेल से, मुरब्बे को चीनी से, चटनी को नमक से, मछली को धुआँ देकर सुरक्षित रखा जा सकता

8. रसायनों की सहायता से-पोटैशियम मेटा बाइसल्फाइट, सोडियम बेंजोएट, सोडियम मेटा बाइसल्फाइट, टाटरी, बोरिक अम्ल, सल्फर डाइऑक्साइड आदि कई रासायनिक पदार्थ जीवाणुओं की संख्या वृद्धि में रुकावट डालते हैं। इस विधि में खाद्य पदार्थ, मुरब्बे, चटनी, शर्बत आदि की बोतलों अथवा डिब्बों में बन्द करने से पहले थोड़ी मात्रा में इनमें से किसी रसायन का प्रयोग किया जाता है।

9. उबालकर-जीवाणु-फफूंद तथा खमीर आदि भोजन खराब करने वाले तत्त्वों की वृद्धि बढ़े हुए तापमान पर रुक जाती है। इसलिए कुछ खाद्य-पदार्थ जैसे दूध को उबालकर अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

10. किरणों द्वारा-भोज्य पदार्थों के संरक्षण की इस विधि में रेडियो-एक्टिव किरणों के प्रयोग से सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर दिया जाता है। इन किरणों का भिन्न-भिन्न मात्रा से परिरक्षित खाद्य पदार्थों का प्रयोग हमारे शरीर व स्वास्थ्य पर कितना व कैसा विपरीत प्रभाव डाल सकता है, इस पर अभी और जानकारी प्राप्त की जानी आवश्यक है।

11. एण्टीबायोटिक्स का प्रयोग-खाद्य पदार्थों के परिरक्षण में एण्टीबायोटिक्स का सीमित प्रयोग ही किया जाता है। अधिकांश ऐसे एण्टीबायोटिक्स ही प्रयोग में लाए जाते हैं जो विशेष हानिकारक नहीं होते। इनका प्रयोग बहुत सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
भोजन को सुरक्षित रखने के उपायों के अलावा खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. भोजन बनाते समय पूर्ण स्वच्छता का पालन करना चाहिए।
  2. चर्म रोग से पीड़ित गृहणियों को जहाँ तक हो सके, भोजन नहीं बनाना चाहिए।
  3. पकाये हुए भोजन को भली प्रकार ढककर जालीदार अलमारी में रखना चाहिए।
  4. अनाज, दालों आदि खाद्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए, ताकि चूहे, गिलहरी आदि के सम्पर्क से भोजन दृषित न हो।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 3 भोजन की सम्भाल

प्रश्न 2.
भोजन को सुरक्षित रखने के दो (तीन) ढंग बारे लिखो।
उत्तर-
स्वयं करो।

भोजन की सम्भाल PSEB 8th Class Home Science Notes

  • यदि मांस, मछली, अण्डे और दूध आदि में बैक्टीरिया या कीटाणु पैदा हो जाएँ तो ये खराब हो जाते हैं।
  • फफूंदी से भी आचार, जैम, जैली खराब हो जाते हैं। फफूंदी उन खाने वाली चीज़ों को लगती है जिनमें नमी हो।
  • खमीर स्टार्च को शक्कर में बदलकर और शक्कर को एल्कोहल में बदलकर कार्बन हाइऑक्साइड में बदल देता है।
  • फफूंदी, खमीर और बैक्टीरिया को रोकने के लिए पदार्थों की खुशबू तेज़ कर लेनी चाहिए।
  • दूध में बैक्टीरिया जल्दी हो जाते हैं। इससे पेचिश, टाइफाइड आदि फैलने का खतरा रहता है।
  • मक्खन और घी में से खटाई निकाल लेनी चाहिए और नमी युक्त मलमल से ढककर रखना चाहिए ताकि ठंडा रहकर सुरक्षित रहे।
  • बिना धोए सब्ज़ियाँ और फल खाने से कई बार कीड़े हमारे शरीर में पहुँच जाते हैं।
  • अगर गेहूँ अधिक समय के लिए रखनी हों तो डी० टी० टी० को कपड़े की पोटली में बाँधकर गेहूँ के बीच में रखना चाहिए।
  • रोग के कीटाणु मांस और मछली पर बहुत जल्दी हमला करते हैं और अपने प्रभाव से इनको हानिकारक बना देते हैं।
  • रेफरिजरेटर कच्ची-पक्की सब्जी, दूध, दही, मक्खन, पनीर, अण्डा, मांस, मछली और फलों को सुरक्षित रखने का आधुनिक यंत्र है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 3 वायुमण्डल तथा तापमान

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 3 वायुमण्डल तथा तापमान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Geography Chapter 3 वायुमण्डल तथा तापमान

SST Guide for Class 7 PSEB वायुमण्डल तथा तापमान Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 1-15 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
वायुमण्डल किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पृथ्वी के इर्द-गिर्द वायु का एक घेरा अथवा गिलाफ़ बना हुआ है। इस घेरे को वायुमण्डल कहते हैं। यह घेरा 1600 कि०मी० की ऊँचाई तक है। परन्तु अधिकतर (90%) वायु 32 कि० मी० के घेरे में ही है।

प्रश्न 2.
भूगोल में हम वायुमण्डल का अध्ययन क्यों करते हैं ?
उत्तर-
भूगोल में वायुमण्डल का अध्ययन इसलिए किया जाता है क्योंकि वायुमण्डल पृथ्वी पर हर प्रकार के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करता है।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल की पर्तों ( सतहों) के नाम लिखो।
उत्तर-
वायुमण्डल की चार मुख्य पर्ते हैं –

  1. अशान्ति (अशान्त) मण्डल (Troposphere)
  2. समताप मण्डल (Stratosphere)
  3. मध्यवर्ती मण्डल (Mososphere)
  4. तापमण्डल (Thermosphere)।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 3 वायुमण्डल तथा तापमान

प्रश्न 4.
समताप सीमा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समताप मण्डल की ऊपरी सीमा को समताप सीमा कहते हैं।

प्रश्न 5.
बाहरी (बाह्य) मण्डल से क्या भाव है ?
उत्तर-
वायुमण्डल की बाहरी परत को बाह्य (बाहरी) मण्डल (Exosphere) कहते हैं। इसके विषय में अधिक जानकारी नहीं है, फिर भी निश्चित है कि इस परत में बहुत कम घनत्व वाली गैसें हाइड्रोजन और हीलियम हैं।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल में गैसों के अतिरिक्त और कौन-कौन से अंश पाये जाते हैं ?
उत्तर-
वायुमण्डल में गैसों के अतिरिक्त जल वाष्प तथा धूलिकण पाये जाते हैं।

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प्रश्न 7.
हवा (वायु) का प्रदूषण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वायुमण्डल में मनुष्य द्वारा पैदा की गई इस स्थूलता को वायु का प्रदूषण कहते हैं। यह स्थूलता दो प्रकार की होती है-ठोस और गैस।

प्रश्न 8.
तापमान क्या होता है, और इसको मापने के लिए कौन-से पैमाने प्रयोग किये जाते हैं ?
उत्तर-
किसी वस्तु या जीव के अंदर की गर्मी को उसका तापमान कहते हैं। तापमान को मापने के लिए दो पैमानों का प्रयोग किया जाता है –

  1. सेल्सियस पैमाना
  2. फार्नहीट पैमाना।

प्रश्न 9.
भू-मध्य रेखा पर तापमान अधिक क्यों होता है ?
उत्तर-
भू-मध्य रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। इसलिए यहां अधिक तापमान होता है।

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प्रश्न 10.
दिन और रात के तापमान में अन्तर क्यों होता है ?
उत्तर-
दिन के समय पृथ्वी सूर्य से गर्मी प्राप्त करती है और रात के समय छोड़ती है। इसलिए दिन के समय तापमान अधिक होता है और रात के समय कम।

प्रश्न 11.
शिमला का तापमान चण्डीगढ़ से कम क्यों रहता है ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि शिमला चण्डीगढ़ की अपेक्षा अधिक ऊंचाई पर स्थित है। ऊंचाई पर जाते हुए तापमान कम होता जाता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दो

प्रश्न 1.
हवा (वायु) के प्रदूषण के मुख्य कारकों की संक्षेप में जानकारी दो।
उत्तर-
वायु प्रदूषण के मुख्य कारकों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –
1. ठोस कारक –

  1. ज्वालामुखी वायु को धूलिकणों द्वारा प्रदूषित करते हैं।
  2. नगरों में मानवीय गतिविधियां बहुत सी ठोस गंदगी वायु में छोड़ती हैं।
  3. ईंधन के जलने के बाद कार्बन के कण धुएं के रूप में वायु में जमा हो जाते हैं।
  4. कल-कारखाने भी वायु में धूलि-कण छोड़ते हैं जिनमें ऐस्बेस्टास प्रदूषण का बहुत ही खतरनाक स्रोत है।

2. गैसीय कारक –

  1. मोटर-गाड़ियों द्वारा निकला हुआ धुआं एक भयानक गैसीय प्रदूषण है।
  2. अत्यधिक यातायात वाले स्थानों पर वाहन वायुमण्डल में कार्बन मोनोक्साइड गैस छोड़ते हैं। यह बहुत विषैली गैस होती है।
  3. स्मॉग (Smog) वायु का एक अन्य गैसीय प्रदूषक है। यह धुन्ध और धुएं का मिश्रण होता है। यह प्रदूषक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है।
  4. वायु के प्रदूषण का एक और मुख्य कारण वायु में ओज़ोन की कम मात्रा है।

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प्रश्न 2.
वायुमण्डल की नीचे की सतह को क्या कहते हैं ? इसके बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
वायुमण्डल की निचली परत अशान्ति अथवा अशान्त मण्डल है। यह वायुमण्डल की सबसे घनी परत है। इसे क्षोभ मण्डल भी कहते हैं। पृथ्वी के गिर्द इसका आकार अण्डे जैसा होता है। इसकी औसत ऊँचाई 12 कि० मी० है। भूमध्य रेखा पर इसकी मोटाई 16-18 कि० मी० तथा ध्रुवों पर 6-8 कि० मी० होती है। वायुमण्डल की यह परत सदैव अशान्त रहती है क्योंकि मौसम से सम्बद्ध हर प्रकार की क्रियाएँ जैसे कि वर्षा, आँधी, बादल, तूफान इत्यादि इसी पस्त में ही होती हैं। जलकणों की अधिकांश मात्रा भी अशान्त मण्डल में ही होती है। सम्पूर्ण वायुमण्डल की 75% वायु इसी परत में पायी जाती है। इस परत में ऊपर जाने से तापमान कम होता जाता है और तापमान के कम होने की दर 6.5° सेंटीग्रेड प्रति किलोमीटर है।

प्रश्न 3.
हवा (वायु) के बीच की मुख्य गैसों के मिश्रण के बारे में लिखो।
उत्तर-
हवा गैसों का एक मिश्रण है। हवा की प्रमुख गैसें नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण गैसें आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा हाइड्रोजन हैं। हवा में नाइट्रोजन की मात्रा 78.03%, ऑक्सीजन 20.99%, आर्गन 0.94%, कार्बन डाइऑक्साइड 0.03% तथा हाइड्रोजन की मात्रा 0.01% है। सम्पूर्ण वायुमण्डल में इन गैसों की मात्रा लगभग स्थिर रहती है। परन्तु ऊँचाई में वृद्धि के साथ इनकी प्रतिशत मात्रा में अन्तर आता जाता है।

प्रश्न 4.
वायुमण्डल में ओज़ोन गैस कहाँ पाई जाती है तथा इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
वायुमण्डल में ओज़ोन गैस समताप मण्डल में पायी जाती है।
महत्त्व-ओज़ोन गैस एक अति महत्त्वपूर्ण गैस है। यह गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को, जोकि जीवजगत् के लिये हानिकारक होती हैं। अपने भीतर समा लेती है। ओज़ोन गैस के कारण ही सूर्य से आने वाली गर्मी समताप मण्डल में ही रह जाती है। इसीलिए पृथ्वी पर तापमान बहुत अधिक नहीं बढ़ता।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 125-130 शब्दों में लिखो।

प्रश्न 1.
वायुमण्डल की सतहों (परतों) का वर्णन करो।
उत्तर-
अनुमान है कि वायुमण्डल लगभग 1600 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है। इसे चार मुख्य परतों में बाँटा जा सकता है जिनका वर्णन इस प्रकार है –
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 3 वायुमण्डल तथा तापमान 1

1. अशान्त मण्डल अथवा क्षोभ मण्डल-वायुमण्डल की सबसे निचली परत को क्षोभ मण्डल कहते हैं। पृथ्वी की सतह से इसकी औसत ऊँचाई 12 किलोमीटर के लगभग है। यह ऊँचाई भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक (16-18 किलोमीटर) तथा ध्रुवों पर सबसे कम (6-8 किलोमीटर) है। पूरे वायुमण्डल की 75% वायु इसी परत में पाई जाती है। इस परत में ऊपर की ओर जाते हुए तापमान 6.5° से० प्रति कि० मी० की दर से कम होता जाता है। तीव्र मौसमी परिवर्तन इस परत की सबसे बड़ी विशेषता है। ये परिवर्तन इसमें पाए जाने वाले धूलि-कणों तथा जल-वाष्पों के कारण होते हैं। भौगोलिक दृष्टि से मनुष्य के लिए यही परत सबसे महत्त्वपूर्ण है।

2. समताप मण्डल-यह क्षोभ मण्डल के ऊपर की परत है। इस परत में तापमान कम होता है और सदा स्थिर रहता है। तापमान में समानता के कारण ही इस परत को समताप मंडल कहा जाता है। इसमें वायु भी पतली होती है। इसमें न तो धूलि-कण हैं और न ही जल-वाष्प। यह परत लगभग 50 से 55 कि० मी० तक फैली हुई है। भू-मध्य रेखा से इसकी ऊंचाई लगभग 15 कि० मी० है। इसकी ऊपरी सीमा को समताप सीमा कहते हैं।

3. मध्यवर्ती मण्डल-समताप सीमा से ऊपर वायुमण्डल की परत को मध्यवर्ती मण्डल कहते हैं। इस परत में ऊँचाई के बढ़ने पर तापमान कम होता जाता है। लगभग 80 किलोमीटर की ऊँचाई पर तापमान-90° सेंटीग्रेड हो जाता है।

मध्यवर्ती मंडल की ऊपर की सीमा को मध्यवर्ती सीमा कहा जाता है। इस सीमा से आगे तापमान फिर बढ़ना आरम्भ हो जाता है।
मध्यवर्ती सीमा से ऊपर तापमान बढ़ने लगता है। अतः इस परत को तापमण्डल में गैसों की मात्रा कम होती है।

4. आयन मण्डल-वायुमण्डल की सबसे निचली परत आयन मण्डल कहलाती है। इसे तापमण्डलं भी कहते हैं। इसकी ऊँचाई लगभग 300 कि०मी० तक है। 100 कि०मी० से ऊँचाई की ओर जाते हुए इस मण्डल में अनेक विद्युत् कण (आयन) पाए जाते हैं जो कि रेडियो तरंगों (Radio Waves) को धरती पर लौटने में सहायता करते हैं। इन के आधार पर वायरलैस संचार (Wireless चित्र-वायुमण्डल की परतें Communication) प्रणाली काम करती है।

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प्रश्न 2.
किसी स्थान के तापमान को निर्धारित करने वाले तत्त्वों की व्याख्या करो।
उत्तर-
तापमान कभी भी स्थिर नहीं रहता। समय तथा स्थान के अनुसार यह घटता-बढ़ता रहता है। वास्तव में किसी स्थान के तापमान को अनेक तत्त्व प्रभावित करते हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है –

1. भू-मध्य रेखा से दूरी-भू-मध्य रेखा पर सूर्य की किरणें सारा साल सीधी पड़ती हैं। परन्तु ज्यों-ज्यों हम ध्रुवों की ओर जाते हैं, किरणें तिरछी होती जाती हैं। सीधी किरणें तिरछी किरणों से अधिक गर्म होती हैं। इसलिए जो स्थान भूमध्य रेखा के निकट स्थित हैं उन स्थानों का तापमान अधिक रहता है। परन्तु भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हुए तापमान कम होता जाता है।

2. समुद्र तल से ऊँचाई-जो स्थान समुद्र तल से जितना ऊँचा होता है, उसका तापमान उतना ही कम होता है। इसका कारण यह है कि समुद्र तल के निकट वायु घनी होती है, परन्तु ऊंचाई की ओर जाते हुए यह पतली होती जाती है। क्योंकि पहले वायु की निचली परत गर्म होती है, इसलिए हम ज्यों-ज्यों ऊपर की ओर जाते हैं वायु कम गर्म होती है। इसी कारण ऊँचाई पर स्थित स्थानों का तापमान कम रहता है। उदाहरण के लिए शिमला, चण्डीगढ़ की अपेक्षा समुद्र तल से अधिक ऊँचाई पर स्थित है। इसलिए शिमला का तापमान चण्डीगढ़ के तापमान से कम रहता है।

3. समुद्र से दूरी-स्थल की अपेक्षा जल देर से गर्म होता है और देर से ठण्डा होता है। इसलिए जो स्थान समुद्र के निकट होते हैं, उनका तापमान न तो अधिक बढ़ता है और न ही अधिक कम होता है। परन्तु जो स्थान समुद्र से दूर होते हैं, वहां का तापमान सर्दियों में बहुत कम और गर्मियों में अधिक रहता है। उदाहरण के लिए मुम्बई समुद्र के निकट स्थित है, इसलिए वहां तापमान लगभग समान रहता है। इसके विपरीत समुद्र से दूर होने के कारण अमृतसर के वार्षिक तापमान में काफ़ी अन्तर पाया जाता है।

4. समुद्री धाराएँ-समुद्र में जल की जो नदियाँ बहती हैं, उन्हें धाराएँ कहते हैं। ये दो प्रकार की होती हैं-गर्म तथा ठण्डी। जहां से गर्म धाराएं गुज़रती हैं, वहां का तापमान बढ़ जाता है। परन्तु जहां से ठण्डी धाराएँ गुज़रती हैं, वहां का तापमान कम हो जाता है।

5. पवनें-जो पवनें समुद्र की ओर से आती हैं, वे जल-कणों से भरी होती हैं और वर्षा करती हैं। इन पवनों के प्रभाव में आने वाले स्थानों का तापमान कुछ कम हो जाता है। परन्तु शुष्क प्रदेशों से आने वाली पवनें अपने प्रभाव में आने वाले स्थानों का तापमान बढ़ा देती हैं।

6. पर्वतों की दिशा-जो पर्वत पवनों की दिशा के विपरीत स्थित होते हैं, वे पवनों को रोक कर वर्षा लाने में सहायता करते हैं और तापमान को घटाते हैं। परन्तु जो पर्वत पवनों के समानान्तर होते हैं वे पवनों को रोक नहीं पाते। उदाहरण के लिए हिमालय पर्वत समुद्र से आने वाली मानसून पवनों को रोकता है, परन्तु अरावली पर्वत इन्हें रोक नहीं पाता।

7. पर्वतों की ढलान-पर्वतों की जो ढलाने सूर्य के सामने होती हैं उनका तापमान अधिक होता है। परन्तु जो ढलाने सूर्य से परे होती हैं, उनका तापमान कम होता है।

8. मिट्टी के प्रकार-रेतीली मिट्टी चिकनी मिट्टी की तुलना में जल्दी गर्म और जल्दी ठण्डी होती है। इसलिए रेतीले प्रदेशों में दिन में तापमान अधिक और रात में कम हो जाता है।

9. बादल और वर्षा-जिन प्रदेशों में बादल अधिक रहते हैं और वर्षा भी अधिक होती है वहां तापमान प्रायः कम रहता है। वास्तव में बादल पृथ्वी पर सीधी धूप को पड़ने से रोकते हैं जिससे तापमान अधिक नहीं बढ़ता। इसी प्रकार वर्षा के कारण भी तापमान में कमी आ जाती है।

(घ) निम्नलिखित में रिक्त स्थान भरो

  1. जैसे-जैसे पर्वतों के ऊपर चढ़ते जाते हैं, तापमान …………… जाता है।
  2. धरती पर तापमान के मुख्य स्रोत …………….. तथा …………….. हैं।
  3. ओज़ोन गैस …………….. किरणों को अपने में समा लेती है।
  4. बिजली के अणु (विद्युत् कण) …………….. मण्डल में पाए जाते हैं।
  5. वायरलैस संचार …………….. तरंगों के आधार पर कार्य करता है।
  6. वायुमण्डल में सबसे अधिक मात्रा …………. गैस की होती है।

उत्तर-

  1. घटता,
  2. सूर्य, धरती के आन्तरिक भाग,
  3. पराबैंगनी,
  4. आयन अथवा ताप,
  5. रेडियो,
  6. नाइट्रोजन।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 3 वायुमण्डल तथा तापमान

PSEB 7th Class Social Science Guide वायुमण्डल तथा तापमान Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
वायुमण्डल के तत्त्वों (अंशों) के नाम बताओ।
उत्तर-
वायुमण्डल के मुख्य तत्त्व अथवा अंश-हवा, तापमान, नमी, वायु-दबाव (हवा का भार) आदि हैं।

प्रश्न 2.
तापमान किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वायु में वर्तमान गर्मी के अंश को उसका तापमान कहा जाता है। वायु के तापमान की तरह किसी वस्तु या जीव के अन्दर वर्तमान गर्मी के अंश को भी तापमान कहते हैं। तापमान कम या अधिक होता रहता है।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल की निम्नलिखित गैसों का महत्त्व बताओ –
नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर-

  1. नाइट्रोजन-नाइट्रोजन अधिकतर वायुमण्डल की निचली तहों में पाई जाती है। यह गैस पेड़-पौधों को मरने से बचाती है।
  2. ऑक्सीजन-ऑक्सीजन जीव-जन्तुओं की रक्षा करती है। इसके बिना जीव-जन्तु जीवित नहीं रह सकते।
  3. कार्बन डाइऑक्साइड-कार्बन डाइऑक्साइड गैस पेड़-पौधों का उसी प्रकार पालन करती है जिस प्रकार ऑक्सीजन जीव-जन्तुओं का। यह धरती के चारों ओर एक कम्बल का काम करती है और वायुमण्डल की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती।

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प्रश्न 4.
वायुमण्डल में जलकणों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
वायुमण्डल में जल-कणों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये जलवायु में परिवर्तन लाने में बहुत काम करते हैं।

प्रश्न 5.
संवहन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वायु गरम होकर फैलती है और हल्की होकर ऊपर उठने लगती है। ठण्डी हवा भारी होने के कारण नीचे बैठ जाती है। इस प्रकार ऊपर उठती हुई गर्म हवा का स्थान ठण्डी हवा ग्रहण कर लेती है। इस वायु चक्र को संवहन कहते हैं।

प्रश्न 6.
जैसे-जैसे हम पर्वतों पर चढ़ते हैं, तापमान घटता जाता है। क्यों ?
उत्तर-
जैसे-जैसे हम ऊपर की ओर जाते हैं, तापमान कम होता जाता है। ऊँचाई के साथ तापमान के कम होने का कारण यह है कि सूर्य से प्राप्त होने वाली गर्मी पहले पृथ्वी को गर्म करती है और फिर वायुमण्डल गर्म होता है। इसलिए पृथ्वी की सतह के पास का वायुमण्डल अधिक गर्म हो जाता है और ऊपर वाला कम गर्म होता है। यही कारण है कि ज्यों-ज्यों हम पर्वतों पर चढ़ते हैं तो तापमान घटता जाता है।

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प्रश्न 7.
तापमान के मुख्य स्रोत क्या हैं ?
उत्तर-
सूर्य तथा पृथ्वी का आन्तरिक भाग, तापमान के दो मुख्य स्रोत हैं। परन्तु इनमें से सूर्य को तापमान का मुख्य स्रोत माना जाता है। जितनी गर्मी और ताप सूर्य में है, उतनी गर्मी और ताप किसी अन्य स्रोत में नहीं है। सूर्य के बाहरी सिरों का तापमान 6000° सेंटीग्रेड के लगभग है। इसके केन्द्र में तापमान और भी अधिक है। पृथ्वी पर समस्त जीवन सूर्य के तापमान (गर्मी) के कारण ही है, जबकि पृथ्वी को इस गर्मी का केवल थोड़ा-सा अंश (2 अरबवां भाग) ही प्राप्त होता है। इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि सूर्य में कितनी अधिक गर्मी होगी।

प्रश्न 8.
सेल्सियस और फार्नहीट में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
तापमान मापने के लिए दो पैमाने प्रयोग में लाए जाते हैं-सेल्सियस तथा फार्नहीट –

  1. सेल्सियस पैमाने के अनुसार पानी 0° पर जम जाता है परन्तु फॉर्नहीट पैमाने के अनुसार यह 32° पर जमता है।
  2. सेल्सियस के अनुसार पानी 100° पर उबलता है जबकि फार्नहीट के अनुसार 212° पर उबलता है।

(क) सही कथनों पर (✓) तथा ग़लत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. वायुमण्डल के सबसे निचले भाग को अशान्त मण्डल कहते हैं।
  2. वायुमण्डल में जलकणों का कोई महत्त्व नहीं है।
  3. किसी स्थान पर मौसम लम्बे समय तक एक जैसा रहता है।
  4. समुद्र के निकट स्थित स्थानों पर तापमान सम (एक समान) रहता है।

उत्तर-

1. (✓)
2. (✗)
3. (✗)
4. (✓)

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(ख) सही जोड़े बनाएं:

  1. भूमध्य रेखा – कम तापमान
  2. ऊंचे स्थान – वायु का प्रदूषण
  3. समोग – वायु चक्र
  4. संवहन – अधिक तापमान

उत्तर-

  1. भूमध्य रेखा – अधिक तापमान
  2. ऊंचे स्थान – कम तापमान
  3. समोग – वायु का प्रदूषण
  4. संवहन – वायु चक्र

(ग) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
धरती के गिर्द एक गैस कम्बल का काम करती है ? क्या आप इसका नाम बता सकते हैं?
(i) ऑक्सीजन
(ii) नाइट्रोजन
(iii) कार्बनडाइआक्साइड।
उत्तर-
(iii) कार्बनडाइआक्साइड।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल की किस सतह में मौसमी क्रियाएं होती हैं ?
(i) समताप मण्डल
(ii) अशान्ति मण्डल
(iii) मध्य मण्डल।
उत्तर-
(ii) अशान्ति मण्डल।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किस भू-भाग में तापमान सम रहता है ?
(i) पर्वतीय प्रदेश .
(ii) मैदानी भाग
(iii) समुद्र तटीय प्रदेश।
उत्तर-
(iii) समुद्र तटीय प्रदेश।