PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान!

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान! Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 जय जवान! जय किसान! (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB जय जवान! जय किसान! Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान!

अभ्यास 

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

  • ਜਨਮ = जन्म
  • ਯਾਤਰਾ = यात्रा
  • ਵਿਅਕਤੀ = व्यक्ति
  • ਪੁੱਤਰ = पुत्र
  • ਸ਼ਕਤੀ = शक्ति
  • ਪੁੱਤਰੀ = पुत्री
  • ਗੰਗਾ = गंगा
  • ਸਮਾਪਤ = समाप्त
  • ਸਮਾਂ = समय
  • ਲਿਖਤੀ = लिखित
  • ਅੱਖਾਂ = आँखों
  • ਪਰੀਖਿਆ = परीक्षा

उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी में दिए गए शब्दों को समझें और उन्हें अपनी उत्तर पुस्तिका (कॉपी) पर लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिन्दी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

  • ਇੱਜ਼ਤ = सम्मान
  • ਪੱਕਾ ਇਰਾਦਾ = दृढ़ निश्चय ग्ला
  • ਇੱਕ ਕਲਾਸ ਵਿੱਚ ਪੜ੍ਹਨ ਵਾਲੇ = सहपाठी
  • ਹਾਲਾਤਾਂ = परिस्थितियाँ
  • ਉੱਚੀ ਪਦਵੀ = उच्च पद
  • ਧੰਨ ਦੀ ਕਮੀ = आर्थिक तंगी
  • ਤਰਲੇ ਪਾਉਣਾ = गुहार लगाना
  • ਮੰਤਵ, ਉਦੇਸ਼ = उद्देश्य
  • ਮੁਸ਼ਕਿਲ = विकट
  • ਜਲ = कारावास

उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी में दिए गए शब्दों को ध्यान से पढ़ें और इन्हें अपनी अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) पर लिखने का अभ्यास करें।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

(क) ‘जय जवान ! जय किसान!’ का नारा किसने दिया?
उत्तर :
‘जय जवान ! जय किसान !’ का नारा श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने दिया था।

(ख) लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1904 ई० को बनारस के कस्बे मुगलसराय में हुआ।

(ग) जेल से आने के बाद लाल बहादुर जी ने कौन-सी पढ़ाई पूरी की?
उत्तर :
जेल से आने के बाद लाल बहादुर जी ने शास्त्री की पढ़ाई पूरी की।

(घ) पुत्री के बीमार होने पर उन्हें कितने दिन के लिए रिहा किया गया?
उत्तर :
पुत्री के बीमार होने पर उन्हें पन्द्रह दिनों के लिए रिहा किया गया।

(ङ) शास्त्री जी का देहान्त कब हुआ?
उत्तर :
11 जनवरी, सन् 1966 ई० को शास्त्री जी का देहान्त हुआ।

(च) शास्त्री जी अपने सिद्धांतों से समझौता करने को क्या समझते थे?
उत्तर :
शास्त्री जी अपने सिद्धान्तों से समझौता करना आत्मघातक समझते थे।

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4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार वाक्यों में लिखें :

(क) शास्त्री जी अपने मित्रों से उधार क्यों नहीं माँगना चाहते थे?
उत्तर :
बचपन से ही अपने बनाए सिद्धान्तों पर चलने वाले शास्त्री जी अपने साथी से उधार मांगना अपने गौरव के विरुद्ध समझते थे इसीलिए वह अपने मित्रों से उधार नहीं मांगना चाहते थे।

(ख) लाल बहादुर शास्त्री जी ने लिखित शर्त पर जेल से छूटने से क्यों इन्कार किया?
उत्तर :
लाल बहादुर शास्त्री जी जेल में थे जब उन्हें अपनी बेटी के बीमार होने का समाचार मिला। सरकार ने उन्हें रिहा करने के लिए राजनैतिक आन्दोलन में भाग न लेने की लिखित शर्त रखी। इस पर इस देश के वीर सपूत ने लिखित शर्तों पर रिहा होने से इन्कार कर दिया।

(ग) मौत से जूझते पुत्र को छोड़ कर शास्त्री जी वापिस जेल क्यों चले गए?
उत्तर :
अंग्रेज़ सरकार ने शास्त्री जी को केवल एक सप्ताह के लिए ही जेल से रिहा किया था। टायफायड से ग्रस्त बेटे की सेवा करते हुए सप्ताह बीत गया। अब उन्हें जेल वापिस लौटना था अत: बेटे के लाख मना करने पर भी आज़ादी के मतवाले शास्त्री जी मौत से जूझते अपने पुत्र को छोड़कर वापिस जेल चले गए।

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(घ) लाल बहादुर शास्त्री जी में कौन-से ऐसे गुण थे जिससे वे उच्च पद को प्राप्त कर सके?
उत्तर :
साहसी तथा स्वभाव से विनम्र, दृढ़ निश्चयी, लगन के पक्के, सिद्धान्तवादी जैसे गुणों के बल पर ही लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमन्त्री जैसे उच्च पद को प्राप्त कर सके।

(ङ) लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :
लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है कि अगर हमारा निश्चय पक्का है, संकल्प दृढ़ है, तो हम जीवन में कोई भी उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में सफलता हमारे कदम चूमेगी।

5. नीचे दिये गये शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरें :

निश्चय दूसरे एक पैसा टाइफाइड 11 जनवरी 1966 कारावास
(क) लाल बहादुर शास्त्री भारत के _______________ प्रधानमंत्री थे।
(ख) वे अपने _______________ पर दृढ़ रहने वाले व्यक्ति थे।
(ग) नाविक गंगा पार ले जाने का _______________ किराया लेता था।
(घ) नैनी _______________ के दौरान उन्हें अपनी पुत्री के बीमार होने का समाचार मिला।
(ङ) उनके पुत्र को _______________ हो गया था।
(च) उनका देहान्त _______________ को हुआ।
उत्तर :
(क) दूसरे,
(ख) निश्चय,
(ग) एक पैसा,
(घ) कारावास,
(ङ) टाइफाइड,
(च) 11 जनवरी, सन् 1966

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7. (क) विपरीत शब्दों का मिलान करें :
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उत्तर :
विपरीत शब्दों का सही मिलान

  • साधारण = विशेष।
  • बीमार = तन्दरुस्त।
  • सम्मान = अपमान।
  • परिश्रम = आलस्य।
  • साहसी = कायर।
  • गौरव = लाघव।
  • आग्रह = दुराग्रह।
  • जन्म = मृत्यु

(ख) नये शब्द बनाओ

  1. प्रधान + मंत्री = प्रधानमंत्री
  2. चिर + निद्रा = ___________________
  3. अन्न + दाता = ___________________
  4. सह + पाठी = ___________________
  5. राष्ट्र + प्रेम = ___________________
  6. आत्म + घातक = ___________________

उत्तर :

  1. प्रधान + मंत्री = प्रधानमंत्री।
  2. चिर + निद्रा = चिरनिद्रा।
  3. अन्न + दाता = अन्नदाता।
  4. सह + पाठी = सहपाठी।
  5. राष्ट्र + प्रेम = राष्ट्रप्रेम।
  6. आत्म + घातक = आत्मघातक।

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(ग) लिंग बदलो

  1. माता = _____________________
  2. अध्यापक = _____________________
  3. पुत्री = _____________________
  4. बहन = _____________________
  5. बाबू = _____________________

उत्तर :
लिंग बदलो

  1. माता = पिता।
  2. अध्यापक = अध्यापिका।
  3. पुत्री = पुत्र।
  4. बहन = भाई।
  5. बाबू = बबुआइन।

8. संयुक्त अक्षरों से नये शब्द बनाओ

  1. दृष्टि = कष्ट = _____________
  2. शास्त्री = स्त्र = _____________
  3. निश्चय = श्च = _____________
  4. आत्म = त्म = _____________
  5. आर्थिक = र्थ (र + थ) = _____________
  6. इच्छा = च्छ = _____________

उत्तर :
संयुक्त अक्षरों से नये शब्द

  1. दृष्टि = कष्ट, नष्ट।
  2. शास्त्री = स्त्र = स्त्री, मिस्त्री।
  3. निश्चय = श्च पश्चात्, पश्चाताप।
  4. आत्म त्म = खत्म, आत्मा।
  5. आर्थिक = र्थ (र् + थ) = दर्शनार्थ, अर्थ।
  6. आन्दोलन = नन्द, आनन्द।

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9. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें :

1. (क) पिता की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री पर भारी कष्ट आ पड़े। (साधारण तरीके से कही गई बात)
(ख) पिता की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा। (विशेष तरीके से कही गई बात)

2. (क) भारतीय जवान अपनी जान की परवाह न करके सीमा पर देश की रक्षा करते हैं। (साधारण तरीके से कही गई बात)
(ख) भारतीय जवान अपनी जान हथेली पर रखकर सीमा पर देश की रक्षा करते हैं। (विशेष तरीके से कही गई बात)

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘क’ वाक्य साधारण तरीके से तथा ‘ख’ वाक्य विशेष तरीके से कहे गये हैं। इसी कारण ‘ख’ वाक्य ‘क’ वाक्यों की अपेक्षा अधिक सशक्त व प्रभावशाली हैं। इस प्रकार विशेष शब्द प्रयोग को मुहावरा कहते हैं। मुहावरे सीधी-साधी बात को अनोखे ढंग से प्रकट करते हैं। ये वाक्य के अंश होते हैं।

निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ दिए गए हैं, इनके वाक्य बनायें :

मुहावरा – अर्थ = वाक्य = _______________

  1. स्वर्ग सिधारना – मर जाना = _______________
  2. गुदड़ी का लाल – निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति = _______________
  3. जिगर का टुकड़ा – बहुत प्यारा = _______________
  4. जीवन लीला समाप्त होना – मर जाना = _______________
  5. भरे मन से विदा लेना – दु:खी मन से जाना = _______________
  6. चिर निद्रा में सोना – मृत्यु को प्राप्त होना = _______________

उत्तर :

  1. स्वर्ग सिधारना – मर जाना – मोहन के पिता जी कल स्वर्ग सिधार गए।
  2. गुदड़ी का लाल – निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति – लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।
  3. जिगर का टुकड़ा – बहुत प्यारा – दिनेश ने अपने जिगर के टुकड़े को गले से लगा लिया।
  4. जीवन लीला समाप्त होना – मर जाना – गरीबी से तंग आकर भिखारिन ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
  5. भरे मन से विदा लेना – दुखी मन से जाना – हमने भारी मन से विदा ली और चल पड़े।
  6. चिर निद्रा में सोना – मृत्यु को प्राप्त होना – 11 जनवरी, सन् 1966 को शास्त्री जी चिर निद्रा में सो गए।

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प्रयोगात्मक व्याकरण
(क) (1) लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे।
(2) उनका जन्म बनारस में हुआ।
(3) वे मेला देखने गंगा पार गये।
उत्तर :
व्यक्तिवाचक संज्ञा –
(1) लाल बहादुर शास्त्री।
(2) लाल बहादुर शास्त्री, राम दुलारी, शारदा प्रसाद।
(3) नैनी।

ऊपर लिखे पहले वाक्य में ‘लाल बहादुर शास्त्री’ किसी विशेष व्यक्ति के नाम का बोध कराता है। ‘भारत’ शब्द से देश विशेष का ज्ञान होता है। दूसरे वाक्य में ‘बनारस’ कहने से एक विशेष स्थान का ही विचार मन में आता है। इसी प्रकार तीसरे वाक्य में ‘गंगा’ शब्द से एक विशेष नदी अर्थात् गंगा नदी का बोध होता है।

अतः जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

नीचे लिखे वाक्यों में से व्यक्तिवाचक संज्ञा छाँटिये :

(1) लाल बहादुर शास्त्री एक महान नेता थे।
(2) लाल बहादुर शास्त्री की माता का नाम राम दुलारी व पिता का नाम शारदा प्रसाद था।
(3) वे एक बार नैनी जेल गये।

(ख) (1) लाल बहादुर शास्त्री का जन्म साधारण परिवार में हुआ था।
(2) शास्त्री जी की पुत्री बीमार थी।
(3) उनका स्कूल गंगा पार था।
(4) शास्त्री जी अनेक बार जेल गये।

ऊपर के प्रथम वाक्य में परिवार’, दूसरे में ‘पुत्री’ और तीसरे में स्कूल’ और चौथे में ‘जेल’ ऐसे शब्द हैं जो किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान को सूचित नहीं करते।

  • ‘परिवार’ किसी भी परिवार के लिए कहा जा सकता है।
  • हरेक ‘पुत्री’ के लिए ‘पुत्री’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
  • प्रत्येक ‘स्कूल’ को ‘स्कूल’ ही कहा जाता है।
  • हरेक ‘जेल’ के लिए ‘जेल’ शब्द का ही प्रयोग होता है।

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अर्थात ‘परिवार’ कहने से सभी परिवारों, ‘पुत्री’ कहने से सभी पुत्रियों, ‘स्कूल’ कहने से सभी स्कूलों तथा जेल कहने से सभी जेलों का बोध होता है, किसी एक का नहीं।

अतः ये शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध नहीं कराते अपितु ये शब्द पूरी जाति

(वर्ग) का ज्ञान कराते हैं। इसीलिए ये शब्द जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।
अतः जिस शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की सम्पूर्ण जाति या वर्ग का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

निम्नलिखित में से जातिवाचक संज्ञाएँ छाँटिये :
(1) लाल बहादुर शास्त्री निश्चय पर दृढ़ रहने वाले व्यक्ति थे।
(2) भारतीय सेना ने दुश्मन को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया।
(3) अंत में सरकार को स्वयं ही झुकना पड़ा।
उत्तर :
जातिवाचक संज्ञा शब्द
(1) व्यक्ति।
(2) भारतीय सेना, दुश्मन।
(3) सरकार।

नीचे दिये गए शब्दों में बने बनाए शब्द मिलेंगे। शब्द में से कम से कम दो शब्द ढूंढ़िए और लिखिए :

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उत्तर :

  • प्रधानमंत्री – प्रधान, धान, मंत्र, मंत्री।
  • बनारस – बना, नार, रस।
  • सरकार – सर, सरक, सरका, कार।
  • लगातार – लग, लगा, लगाता, गात, तार।
  • उदाहरण – दाह, हर, हरण।
  • मतवाले – मत, तवा, वाले।
  • देखकर – दे, देख, कर।
  • विश्वास – विश्व, श्वास, वास।

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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जय जवान! जय किसान !’ का नारा किसने दिया ?
(क) लाल बहादुर शास्त्री ने
(ख) लाला लाजपतराय
(ग) बालगंगाधर तिलक
(घ) नेहरू।
उत्तर :
(क) लाल बहादुर शास्त्री

प्रश्न 2.
शास्त्री जी का जन्म कब हुआ ?
(क) 2 अक्तूबर, 1903 ई० को
(ख) 2 अक्तूबर, 1904 ई० को
(ग) 2 अक्तूबर, 1905 ई० को
(घ) 2 अक्तूबर, 1908 ई० को।
उत्तर :
(ख) 2 अक्तूबर, 1904 ई० को

प्रश्न 3.
शास्त्री जी को पढ़ने के लिए क्या पार करना पड़ता था ?
(क) गंगा
(ख) यमुना
(ग) सरस्वती
(घ) गोदावरी।
उत्तर :
(क) गंगा

प्रश्न 4.
शास्त्री जी को किस आंदोलन में जेल जाना पड़ा ?
(क) असहयोग आंदोलन
(ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(ग) भारत छोड़ो
(घ) देश छोड़ो।
उत्तर :
(क) असहयोग आंदोलन

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प्रश्न 5.
शास्त्री जी की मृत्यु कब हुई ?
(क) 11 जनवरी, 1965 को
(ख) 11 जनवरी, 1966 को
(ग) 11 जनवरी, 1967 को
(घ) 11 जनवरी, 1968 को।
उत्तर :
(ख) 11 जनवरी 1966 को।

जय जवान ! जय किसान ! Summary in Hindi

जय जवान ! जय किसान ! पाठ का सार

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जय जवान! जय किसान! का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1904 ई० को बनारस के एक कस्बे मुग़लसराय में एक साधारण परिवार में हुआ। इनकी माता का नाम राम दुलारी था और इनके पिता शारदा प्रसाद जी एक अध्यापक थे। बचपन में ही इनके पिता स्वर्ग सिधार गए।

इतनी छोटी आयु में ही इन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा पर दृढ़ संकल्पी और साहसी इस वीर बालक ने मुश्किलों से हार न मानी। वे जीवन – पथ पर निरन्तर मुसीबतों से जूझते हुए आगे बढ़ते गए।

इनको पढ़ने के लिए गंगा – पार करके जाना पड़ता था। नाविक गंगा नदी को पार करवाने का एक पैसा किराया लेता था। इनके पास पैसा नहीं होता था तो वे रोज़ाना नदी को तैर कर ही पार कर लिया करते थे। कई बार इनके दोस्तों ने इनका किराया देना भी चाहा तो ये विनम्रता से उन्हें मना कर देते। उन्होंने अपने जीवन के कुछ सिद्धान्त बना लिए थे और उन्हीं सिद्धान्तों पर वे आजीवन चलते रहे।

सन् 1921 में जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो इन्होंने भी अपनी पढ़ाई छोड़ कर इस आन्दोलन में भाग लिया। इस कारण इन्हें जेल भी जाना पड़ा। जेल से रिहा होकर इन्होंने अपनी ‘शास्त्री’ की पढ़ाई पूरी की और तभी से इनके नाम के साथ शास्त्री शब्द भी जुड़ गया।

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देश की स्वतन्त्रता के लिए अपने परिवार का भी बलिदान कर देने वाले यह एकमात्र देशभक्त थे। एक बार यह कारावास में थे कि इन्हें अपनी पुत्री के सख्त बीमार होने की खबर मिली। सभी ने इन्हें पैरोल पर रिहा होकर पुत्री की देखभाल करने की सलाह दी। सरकार इन्हें राजनैतिक आन्दोलन में भाग न लेने की लिखित शर्त पर रिहा करने को तैयार थी। इन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी।

तत्पश्चात् सरकार ने इन्हें बिना शर्त 15 दिनों के लिए रिहा तो कर दिया लेकिन तब तक बहुत देरी हो चुकी थी। जब यह अपनी बेटी के पास पहुँचे तो वह मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थी। ऐसा एक बार फिर हुआ। यह जेल में ही थे कि इनका बेटा टायफायड का शिकार हो गया। अंग्रेज़ सरकार ने रिहा होने के लिए शर्त लगा दी। इन्होंने कोई शर्त न मानी तो आखिर अंग्रेज़ सरकार ने एक सप्ताह के लिए इन्हें रिहा कर दिया।

जब यह बेटे के पास पहुंचे तो वह 106 डिग्री बुखार से तड़प रहा था, उसके होंठ भी सूज गए थे। बेटे की देखभाल करते – करते सप्ताह बीत गया। इन्हें अब वापिस जाना था। बेटे ने रो रो कर कहा कि बाबू जी अभी मत जाइए। लेकिन शास्त्री जी ने भरे मन से बेटे से हाथ जोड़कर विदा ली और मातृभूमि की रक्षा के लिए जेल की तरफ चल पड़े।

सच में, ऐसे थे वे दृढ़ संकल्पी, भारत देश के वीर सपूत, जिन्होंने कभी भी अपने सिद्धान्तों से समझौता नहीं किया। भारत का यह वीर जवान 11 जनवरी, सन् 1966 ई० को चिरनिद्रा में सो गया। समस्त भारतीयों ने अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें भावभीनी विदाई दी। उनका नाम भारतीय इतिहास में सदा अमर रहेगा।

जय जवान ! जय किसान ! कठिन शब्दों के अर्थ –

  • जान हथेली पर रखना = बलिदान को तैयार रहना, मरने की परवाह न करना।
  • परिश्रम = मेहनत।
  • अन्नदाता = अन्न देने वाले।
  • विकास = उन्नति, तरक्की, प्रगति।
  • सम्मान = इज्जत।
  • स्वर्ग सिधारना = मर जाना।
  • प्रबल = तेज़।
  • पहाड़ टूटना = मुश्किलें आना।
  • विनम्र = कोमल।
  • नाविक = नाव चलाने वाला, मल्लाह।
  • सहपाठियों = साथ पढ़ने वाले।
  • पाट = किनारा।
  • गौरव = बड़प्पन।
  • अडिग = स्थिर।
  • निराले = अद्भुत, सबसे अलग।
  • कारावास – जेल।
  • सिद्धान्तों = नियमों।
  • जीवन लीला समाप्त होना = मारे जाना।
  • डगमगाए = लड़खड़ाए।
  • विकट = जटिल, बड़ी मुश्किल।
  • जिगर का टुकड़ा = बेटा।
  • मौत से जूझना = मृत्यु से लड़ना।
  • आत्मघातक = अपनी हत्या आप करने वाला।
  • दृढ़ = पक्का। PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान!
  • निश्चय = इरादा।
  • चिरनिद्रा में सोना = मर जाना।
  • प्रेरणा स्रोत = प्रेरणा देने वाले।
  • सदैव = हमेशा।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ

Physical Education Guide for Class 6 PSEB ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ Textbook Questions and Answers

 ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਬੱਚਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕੋਈ ਦੋ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ
  • ਗੁੱਲੀ ਡੰਡਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੁੱਗਣ ਦੇ ਕਿੰਨੇ ਤਰੀਕੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਤਰੀਕੇ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੁੱਗਣ ਦੇ ਤਿੰਨ ਤਰੀਕੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਹਿਲੀ ਵਿਧੀ-ਪਹਿਲਾਂ ਤਿੰਨ ਖਿਡਾਰੀ ਸੱਜਾ ਹੱਥ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਹੱਥ ਤੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ਤੇ ਇਕ ਸਮੇਂ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਉਛਾਲ ਕੇ ਉਲਟਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਤਿੰਨਾਂ ਵਿੱਚ ਜੇਕਰ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀ ਦੇ ਹੱਥ ਪੁੱਠੇ ਰੱਖੇ ਹੋਣ ਤੇ ਤੀਸਰੇ ਦਾ ਹੱਥ ਸਿੱਧਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਖਿਡਾਰੀ ਪੁੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਾਰੋ-ਵਾਰੀ ਇੱਕ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਸਾਰੇ ਖਿਡਾਰੀ ਪੁੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਲੋਕ-ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਬਾਰੇ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਹੱਤਤਾ-

  • ਸਰੀਰਕ ਬਲ, ਫੁਰਤੀ, ਦਿਮਾਗੀ ਚੁਸਤੀ ਆਦਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਖੇਡਾਂ ਨਾਲ ਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਜਦੋਂ ਖਿਡਾਰੀ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੇ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਾਉਣ ਦੀ ਖੇਡ ਖੇਡਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸਨੂੰ ਧਿਆਨ, ਏਕਾਗਰਤਾ ਕਰਨ ਦੀ ਸਿਖਲਾਈ ਮਿਲਦੀ ਹੈ । ‘ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ਖੇਡ ਤੋਂ ਚੌਕਸ ਰਹਿਣ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਮਿਲਦੀ ਹੈ । ਕਈ ਖੇਡਾਂ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੱਧਰ ਤੇ ਵੀ ਖੇਡੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਕੁਸ਼ਤੀ ਤੇ ਕਬੱਡੀ ।
  • ਕੁਸ਼ਤੀ ਤੇ ਕਬੱਡੀ ਨਾਲ ਸਰੀਰਕ ਤਾਕਤ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ॥
  • ਖੇਡਾਂ ਨਾਲ ਦਿਮਾਗੀ ਚੁਸਤੀ ਵੀ ਵੱਧਦੀ ਹੈ ।
  • ਇਹ ਖੇਡਾਂ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸੀ ਸਾਂਝ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਸਾਡੇ ਵਿਰਸੇ ਅਤੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ਖੇਡ ਦੀ ਵਿਧੀ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੁਹੱਲੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਬੱਚੇ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਕੇ ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ਖੇਡਣ ਦੇ ਲਈ ਕਿੱਲੇ ਲਈ । ਥਾਂ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਖੇਡ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਬੱਚੇ ਗਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ . ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ

ਜੁੱਤੀਆਂ-ਚੱਪਲਾਂ ਦਾ,
ਕਰ ਲੋ ਵੀ ਹੀਲਾ |
ਹੁਣ ਆਪਾਂ ਰਲ ਕੇ,
ਖੇਡਣਾ ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ।

ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ਖੇਡਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਆਪਣੀਆਂ ਜੁੱਤੀਆਂ ਅਤੇ ਚੱਪਲਾਂ ਨੂੰ ਉਤਾਰ ਕੇ ਕਿੱਲੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਕਿੱਲੇ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਪਾਸੇ 5 ਤੋਂ 7 ਮੀ : ਦੀ ਲੰਮੀ ਰੱਸੀ ਬੰਨ੍ਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ਖੇਡਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਪੁੱਗਦੇ ਹਨ । ਚੋਣ ਕਰਨ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਬੱਚਾ ਬਾਂਦਰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਬਾਂਦਰ ਬਣਿਆ ਬੱਚਾ ਕਿੱਲੇ ਨਾਲ ਬੰਨੀ ਰੱਸੀ ਨੂੰ ਫੜ ਕੇ ਸਾਰੀਆਂ ਜੁੱਤੀਆਂ ਅਤੇ ਚੱਪਲਾਂ ਦੀ ਰਾਖੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ 1
ਬਾਂਦਰ ਬਣਿਆ ਬੱਚਾ ਰੱਸੀ ਨੂੰ ਬਿਨਾਂ ਛੱਡ ਕਿਸੇ ਦੂਸਰੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਜੋ ਆਪਣੀਆਂ ਚੱਪਲਾਂ ਲੈਣ ਆਉਂਦਾ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਛੂਹੇਗਾ। ਦੂਜੇ ਬੱਚੇ ਆਪਣੀਆਂ ਚੱਪਲਾਂ ਜਾਂ ਜੁੱਤੀਆਂ ਨੂੰ ਚੁੱਕਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਜੁੱਤੀਆਂ ਜਾਂ ਚੱਪਲਾਂ ਚੁੱਕਦੇ ਸਮੇਂ ਬਾਂਦਰ ਬਣਿਆ ਬੱਚਾ ਕਿਸੇ ਦੂਸਰੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਹੱਥ ਲਾਵੇ ਤਾਂ ਵਾਰੀ ਉਸ ਛੂਏ ਬੱਚੇ ਦੀ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਸਾਰੇ ਬੱਚੇ ਬਿਨਾਂ ਛੂਏ ਆਪਣੀਆਂ ਚੱਪਲਾਂ ਤੇ ਜੁੱਤੀਆਂ ਚੁੱਕਣ ਵਿੱਚ ਕਾਮਯਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਬਾਂਦਰ ਬੱਚਾ ਰੱਸੀ ਨੂੰ ਛੱਡ ਦੋੜੇਗਾ ਅਤੇ ਖ਼ਾਸ ਥਾਂ ਤੇ ਹੱਥ ਲਾਵੇਗਾ । ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਜਗਾ ਤੇ ਪਹੁੰਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ-ਪਹਿਲਾਂ ਬਾਕੀ ਬੱਚੇ ਬਾਂਦਰ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਜੁੱਤੀਆਂ ਤੇ ਚੱਪਲਾਂ ਮਾਰਦੇ ਹਨ । ਬਾਂਦਰ ਦੇ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਜਗਾ ਤੇ ਪਹੁੰਚਣ ਤੇ ਜੁਤੀਆਂ ਮਾਰਨੀਆਂ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਮਗਰੋਂ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਬੱਚੇ ਦੀ ਬਾਂਦਰ ਬਣਨ ਦੀ ਵਾਰੀ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਤੁਹਾਨੂੰ ਕਿਹੜੀ ਲੋਕ-ਖੇਡ ਚੰਗੀ ਲੱਗਦੀ ਹੈ ? ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਖੇਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਡੀ ਮਨਭਾਉਂਦੀ ਖੇਡ ‘ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ਹੈ । ਇਸ ਖੇਡ ਨੂੰ ਖੇਡਣ ਲਈ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਮਿਣਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । ਇਸ ਖੇਡ ਦਾ ਦੂਸਰਾ ਨਾਮ ‘ਕਾਜੀ ਕੋਟਲੇ’ ਦੀ ਮਾਰ ਵੀ ਹੈ । ਇਸ ਖੇਡ ਨੂੰ ਖੇਡਣ ਲਈ 10-15 ਬੱਚੇ ਖੇਡਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਖੇਡਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਸੇ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਵੱਟ ਚੜਾ ਕੇ ਦੋਹਰਾ ਕਰਕੇ ਕੋਟਲਾ ਬਣਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਫਿਰ ਬੱਚਾ ਜ਼ਮੀਨ ਤੇ ਕਿਸੇ ਤਿੱਖੀ ਜਿਹੀ ਚੀਜ਼ ਨਾਲ ਲਾਈਨ ਮਾਰ ਕੇ ਗੋਲਾ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ | ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਬੱਚੇ ਚੱਕਰ ਦੀ ਖਿੱਚੀ ਲਾਈਨ ਤੇ ਮੁੰਹ ਅੰਦਰ ਕਰਕੇ ਬੈਠ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਹੁਣ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਬੱਚਾ ਕੋਟਲੇ ਨੂੰ ਫੜ ਕੇ ਚੱਕਰ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਦੌੜਦਾ ਹੈ । ਦੌੜਦਾ ਹੋਇਆ ਇਹ ਗੀਤ ਗਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ਜੁੰਮੇ ਰਾਤ ਆਈ ਜੇ। ਜਿਹੜਾ ਅੱਗੇ-ਪਿੱਛੇ ਦੇਖੇ, ਉਹਦੀ ਸ਼ਾਮਤ ਆਈ ਜੇ ।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ 2
ਗੋਲੇ ਵਿੱਚ ਬੈਠੇ ਬੱਚੇ ਗੀਤ ਗਾਉਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਗੀਤ ਗਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਬੱਚਾ ‘ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ਜੁੰਮੇ ਰਾਤ ਆਈ ਜੇ’ ਅਤੇ ਗੋਲੇ ਦਾ ਚੱਕਰ ਲਗਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਖੇਡ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਵੀ ਬੱਚਾ ਪਿੱਛੇ ਨਹੀਂ ਦੇਖ ਸਕਦਾ | ਸਾਰੇ ਬੱਚੇ ਜ਼ਮੀਨ ਵੱਲ ਦੇਖਦੇ ਹਨ । ਜੇ ਕੋਈ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਬੈਠਾ ਬੱਚਾ ਪਿੱਛੇ ਦੇਖਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਬੱਚਾ ਉਸਦੇ 4-5 ਕੋਟਲੇ ਮਾਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਬੱਚਾ ਚੱਕਰ ਪੂਰਾ ਕਰਕੇ ਹੀ ਕਿਸੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਚੁੱਪ ਕਰਕੇ ਕੋਟਲਾ ਰੱਖ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਚੱਕਰ ਲਾ ਕੇ ਉਸ ਬੈਠੇ ਬੱਚੇ ਕੋਲ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਜੇਕਰ ਬੈਠੇ ਹੋਏ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਕੋਟਲੇ ਦਾ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਚਲਦਾ ਤਾਂ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਬੱਚਾ ਕੋਟਲਾ ਚੁੱਕ ਕੇ ਉਸ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਮਾਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ | ਮਾਰ ਖਾਣ ਵਾਲਾ ਬੱਚਾ ਮਾਰ ਤੋਂ ਬਚਣ ਲਈ ਚੱਕਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਭੱਜਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਉਹ ਬੱਚਾ ਆਪਣੀ ਜਗਾ ਤੇ ਦੁਬਾਰਾ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦਾ ਉਦੋਂ ਤੱਕ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਕੋਟਲੇ ਦੀ ਮਾਰ ਸਹਿਣੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਬੈਠੇ ਹੋਏ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਕੋਟਲਾ ਰੱਖਣ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਚੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਕੋਟਲਾ ਚੁੱਕ ਕੇ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਉਦੋਂ ਤੱਕ ਮਾਰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਉਹ ਚੱਕਰ ਲਗਾ ਕੇ ਬੈਠਣ ਵਾਲੇ ਦੀ ਖ਼ਾਲੀ ਜਗਾ ਤੇ ਆ ਬੈਠ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖੇਡ ਚੱਲਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Physical Education Guide ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ Important Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੁੱਗਣ ਦੇ ਕਿੰਨੇ ਤਰੀਕੇ ਹਨ ?
(ਉ) ਦੋ
(ਅ) ਤਿੰਨ
(ੲ) ਚਾਰ
(ਸ) ਪੰਜ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਦੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਿਸੇ ਮਨ-ਪਸੰਦ ਖੇਡ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
(ਉ) ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ
(ਅ) ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ
(ਈ) ਰੱਸੀ ਟੱਪਣਾ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਵੱਡੀਆਂ ਦੋ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
(ਉ) ਹਾਕੀ
(ਅ) ਫੁਟਬਾਲ
(ਬ) ਕ੍ਰਿਕੇਟ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ |
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸੇ ਦੋ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
(ਉ) ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ਅਤੇ ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ
(ਅ) ਚੋਰ ਸਿਪਾਹੀ
(ਇ) ਰੱਸੀ ਟੱਪਣਾ
(ਸ) ਖੋ-ਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ਅਤੇ ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਲਿਖੋ ।
(ਉ) ਸਰੀਰਕ ਬਲ ਵਧਦਾ ਹੈ
(ਅ) ਫੁਰਤੀ
(ਈ) ਦਿਮਾਗੀ ਚੁਸਤੀ ਆਉਂਦੀ ਹੈ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੀਆਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੀਆਂ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਲੋਕ-ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਕਿੱਕਲੀ
  • ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2. ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ਦਾ ਗੀਤ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ਜੁੰਮੇ ਰਾਤ ਆਈ ਏ । ਜਿਹੜਾ ਅੱਗੇ ਪਿੱਛੇ, ਦੇਖੇ ਉਚੀ ਸ਼ਾਮਤ ਆਈ ਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਲਾਈਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜੁੱਤੀਆਂ ਚੱਪਲਾ ਦਾ, ਕਰ ਲੋ ਵੀ ਹੀਲ੍ਹਾ: ਹੁਣ ਆਪਾਂ ਰਲ ਕੇ, ਖੇਡਣਾ ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪੁੱਗਣ ਦੇ ਕਿੰਨੇ ਤਰੀਕੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੁੱਗਣ ਦੇ ਤਿੰਨ ਤਰੀਕੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕਿਸੇ ਮਨ-ਪਸੰਦ ਲੋਕ ਖੇਡ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਿਹਤ ਪੱਖੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਖੇਡ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੱਸੀ ਟੱਪਣਾ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7. ਚੁਸਤੀ, ਫੁਰਤੀ ਤੇ ਏਕਾਗਰਤਾ ਕਿਸ ਖੇਡ ਨਾਲ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿੱਠੂ ਗਰਮ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਵੱਡੀਆਂ ਤੇ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਹਾਕੀ
  • ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9. ਲੋਕ-ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਇਕ ਮਹੱਤਤਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਤੰਦਰੁਸਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ |

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਕਿੱਕਲੀ ਲੋਕ-ਖੇਡ ਨੂੰ ਕੌਣ ਖੇਡਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁੜੀਆਂ ਦੀ ਖੇਡ ਹੈ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਖੇਡ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੇਡ ਉਹ ਕ੍ਰਿਆ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ ਮਨਪ੍ਰਚਾਵੇ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅਜਿਹੀਆਂ ਕਿਆ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸਾਨੂੰ ਖੁਸ਼ੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਖੇਡਾਂ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਵੰਡ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਰੀਰਕ ਖੇਡਾਂ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੀਆਂ ਖੇਡਾਂ | ਅਜਿਹੀ ਇੱਕ ਵੰਡ ਹੈ, ਸਾਡੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਅਤੇ ਅਜੋਕੀਆਂ ਖੇਡਾਂ | ਜ਼ਿਕੇਟ, ਹਾਕੀ, ਵਾਲੀਬਾਲ, ਫੁਟਬਾਲ ਆਦਿ ਅਜੋਕੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖੇਡਣ ਲਈ ਖ਼ਾਸ ਸਮਾਨ, ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਖੇਡ ਮੈਦਾਨ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਖੇਡ ਨਿਯਮ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਉਲਟ ਆਖੀਆਂ ਜਾ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਖੇਡ ਕਿਸ ਉਮਰ ਦੇ ਲੋਕ ਖੇਡਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੇਡ ਹਰ ਉਮਰ ਦੇ ਲੋਕ ਖੇਡਦੇ ਹਨ | ਬੱਚੇ, ਜਵਾਨ ਅਤੇ ਬਜ਼ੁਰਗ ਵੀ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮੁੰਡੇ, ਕੁੜੀਆਂ ਵੀ ਖੇਡਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਵੰਡ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਡੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ; ਜਿਵੇਂ-ਕਿਤੇ, ਕੀ, ਵਾਲੀਵਾਲ, ਫੁਟਬਾਲ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਨਿਯਮ ਇਚਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਜਿਹੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਣ ਲਈ ਕੋਈ ਸਮਾਨ ਜਾਂ ਨਿਯਮ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਵੱਡੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਨਿਯਮ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਵੱਡੀਆਂ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਸਾਮਾਨ, ਖੇਡ ਦਾ ਮੈਦਾਨ ਤੇ ਨਿਯਮ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਖੇਡਾਂ ਨਿਯਮਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਹੀ ਖੇਡੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਣ ਲਈ ਵਾਰੀ ਪੁੱਗਣ ਦੀ ਵਿਧੀ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲਾਂ ਤਿੰਨ ਖਿਡਾਰੀ ਆਪਣਾ ਸੱਜਾ ਹੱਥ ਦੂਜੇ ਦੇ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਤੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇੱਕੋ ਸਮੇਂ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਘੁਮਾ ਕੇ ਉਲਟਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਤਿੰਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਜੇਕਰ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦਾ ਹੱਥ ਉਲਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਕ ਖਿਡਾਰੀ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਪੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੁੱਗਣ ਦੀ ਦੂਜੀ ਵਿਧੀ ਦਾ ਗੀਤ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਈਂਗਣ ਮੀਂਗਣ ਤਲੀ ਤਲੀਂਗਣ ਕਾਲਾ, ਪੀਲਾ, ਡੱਕਰਾ ਗੁੜ ਖਾਵਾਂ ਵੇਲ ਵਧਾਵਾਂ, ਮੂਲੀ ਪੱਤਰਾ । ਪਤਾ ਹੋ ਘੋੜੇ ਆਏ ਹੱਥ ਕੁਤਾੜੀ, ਪੈਰ ਕੁਤਾੜੀ ਨਿੱਕ ਬਾਲਿਆ ਤੇਰੀ ਵਾਰੀ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕੀ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਟੀਮਾਂ ਦੀ ਵੰਡ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਕਈ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਟੀਮਾਂ ਦੀ ਵੰਡ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ , ਜਿਵੇਂਕਬੱਡੀ, ਗੁੱਲੀ ਡੰਡਾ, ਰੱਸਾ ਕਸ਼ੀ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਕੋਈ ਪੰਜ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਬਾਂਦਰ ਕਿੱਲਾ
  2. ਕੋਟਲਾ ਛਪਾਕੀ
  3. ਕਿੱਕਲੀ
  4. ਪਿੱਠੂ ਗਰਮ ਕਰਨਾ
  5. ਰੱਸੀ ਟੱਪਣਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਦੋ ਮਹੱਤਤਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਇਹਨਾਂ ਖੇਡਾਂ ਨੂੰ ਖੇਡਦੇ ਹੋਏ ਫੁਰਤੀ, ਸਰੀਰਕ ਬਲ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗੀ ਚੁਸਤੀ ਆਦਿ ਦੇ ਗੁਣ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਜਦੋਂ ਖਿਡਾਰੀ ਠੀਕਰੀਆਂ ਨਾਲ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਾਉਣ ਦੀ ਖੇਡ ਖੇਡਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਏਕਾਗਰਤਾ ਕਰਨ ਦੀ ਸਿਖਲਾਈ ਮਿਲਦੀ ਹੈ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਰੱਸੀ ਟੱਪਣਾ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਖੇਡ ਕਸਰਤ ਪੱਖੋਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਖੇਡ ਹੈ । ਪੁੱਗਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਿਹੜੇ ਦੋ ਬੱਚੇ ਪਿੱਛੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਕੇ ਇਕ ਹੱਥ ਰੱਸੀ ਨੂੰ ਜ਼ਮੀਨ ਨਾਲ ਛੁਹਾਉਂਦੇ ਹੋਏ, ਇਕ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਘੁਮਾਉਂਦੇ ਹਨ | ਬਾਕੀ ਬੱਚੇ ਲਾਈਨ ਬਣਾ ਕੇ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਦੋ-ਦੋ ਟੱਪੇ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਖੇਡ ਖੇਡੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪਿੱਠੂ ਗਰਮ ਕਰਨਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿੱਠ ਗਰਮ ਕਰਨਾ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਬੜੀ ਦਿਲਚਸਪ ਖੇਡ ਹੈ । ਇਸ ਖੇਡ ਵਿੱਚ ਖੇਡਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਦੋ ਟੋਲੀਆਂ ਬਣਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਅਤੇ 10-15 ਫੁੱਟ ਦੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਗੀਟੀਆਂ ਰੱਖ ਕੇ ਉਸ ਤੇ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਗਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਖੇਡ ਖੇਡੀ ਜਾਂਦੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕਿੱਕਲੀ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਿੱਕਲੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੀ ਖੇਡ ਹੈ । ਕਿੱਕਲੀ ਖੇਡ ਅਤੇ ਗਿੱਧੇ ਦਾ ਸੁਮੇਲ ਹੈ । ਇਸ ਖੇਡ ਨੂੰ ਕੁੜੀਆਂ ਚਾਅ ਨਾਲ ਖੇਡਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਖੇਡ ਵਿੱਚ ਕੁੜੀਆਂ ਇਕ ਥਾਂ ਤੇ ਇਕੱਠੀਆਂ ਹੋ ਕੇ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜੋਟੇ ਬਣਾ ਕੇ ਇਕਦੂਜੀ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿੱਚ ਕੰਘੀਆਂ ਪਾ ਕੇ ਘੁੰਮਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦਾ ਹੱਥ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਨਾਲ ਸੱਜਾ ਚ ਫੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਖੇਡ ਖੇਡੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਕੋਲਾ ਛਪਾਕੀ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਛਪਾਕੀ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਖੇਡੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਛੋਟੀ ਉਮਰ ਦੇ ਮੁੰਡੇ-ਕੁੜੀਆਂ ਦੀ ਖੇਡ ਹੈ । ਇਸ ਡ ਨੂੰ ‘ਕਾਜੀ ਕੋਟਲੇ ਦੀ ਮਾਰ’ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੋਲਾ ਛਪਾਕੀ ਜੁੰਮੇ ਰਾਤ ਆਈ ਜੇ । ਨੂੰ ਅੱਗੇ-ਪਿੱਛੇ ਦੇਖੇ, ਉਹਦੀ ਸ਼ਾਮਤ ਆ ਜੇ । ਗੋਲ ਚ ਤਾ ਵਿੱਚ ਬੈਠੇ ਹੋਏ ਬੱਚੇ ਵਾਰੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਦੇ ਪਿੱਛੇ-ਪਿੱਛੇ ਇਹ ਗੀਤ ਗਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪੁੱਗਣ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਕੋਈ ਵਿਧੀ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੁੱਗਣ ਦੀ ਦੂਜੀ ਵਿਧੀ-ਸਾਰੇ ਖਿਡਾਰੀ ਗੋਲ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇਕ ਖਿਡਾਰੀ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਸਾਰੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਦੇ ਮੋਢੇ ਤੇ ਹੱਥ ਰੱਖ ਕੇ ਇਹ ਗੀਤ ਗਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
ਈਂਗਣ ਮੀਂਗਣ ਤਲੀ ਤਲੀਂਗਣ
ਕਾਲਾ, ਪੀਲਾ, ਡੱਕਰਾ
ਗੁੜ ਖਾਵਾਂ, ਵੇਲ ਵਧਾਵਾਂ,
ਮੂਲੀ ਪੱਤਰਾ ।
ਪੱਤਾ ਵਾ, ਘੋੜੇ ਆਏ,
ਹੱਥ ਕੁਤਾੜੀ, ਪੈਰ ਕੁਤਾੜੀ
ਨਿੱਕੇ ਬਾਲਿਆ ਤੇਰੀ ਵਾਰੀ ।
ਜਿਸ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਆਖਰੀ ਸ਼ਬਦ ਤੇ ਹੱਥ ਲੱਗਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਪੁੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਾਰ-ਬਾਰ ਕਰਦਿਆਂ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਰਹਿ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਦੀ ਵਾਰੀ ਤਹਿ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਕਈ ਖੇਡਾਂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਦੋ ਟੀਮਾਂ ਬਣਾ ਕੇ ਖੇਡੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਜਿਵੇਂ-ਕਬੱਡੀ, ਗੁੱਲੀ ਡੰਡਾ, ਰੱਸਾ ਕਸ਼ੀ ਅਤੇ ਖੋ-ਖੋ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਰੱਸੀ ਟੱਪਣਾ ਤੇ ਪਿੱਠੂ ਖੇਡ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਰੱਸੀ ਟੱਪਣਾ-ਇਹ ਖੇਡ ਕਸਰਤ ਪੱਖੋਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਖੇਡ ਹੈ । ਪੁੱਗਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਿਹੜੇ ਦੋ ਬੱਚੇ ਪਿੱਛੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਖੜੇ ਹੋ ਕੇ ਹੱਥ ਰੱਸੀ ਨੂੰ ਜ਼ਮੀਨ ਨਾਲ ਛੁਹਾਉਂਦੇ ਹੋਏ, ਇੱਕ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਘੁੰਮਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਬਾਕੀ ਬੱਚੇ ਲਾਈਨ ਬਣਾ ਕੇ ਇੱਕ-ਇਕ, ਦੋਦੋ ਟੱਪੇ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਜਿਹੜੇ ਬੱਚੇ ਦੇ । ਪੈਰਾਂ ਨੂੰ ਰੱਸੀ ਛੂਹ ਜਾਵੇ ਉਹ ਆਉਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰੱਸੀ ਘੁੰਮਾਉਣ ਦੀ ਵਾਰੀ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਖੇਡ ਕੁੜੀਆਂ ਦੀ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੀ ਖੇਡ ਰਹੀ ਹੈ ਪਰ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੋ ਗਈ ਹੈ ।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ 3
ਪਿੱਠੂ ਗਰਮ ਕਰਨਾ-ਇਹ ਇੱਕ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਬੜੀ ਦਿਲਚਸਪ ਖੇਡ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਜਿਸ ਵਿਚ ਦੋ ਟੋਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਖੇਡਣ ਵਾਲੀ ਜਗਾ ਤੇ ਸੱਤ ਠੀਕਰੀਆਂ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਉੱਪਰ ਰੱਖ ਲਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਚਿਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੋਂ ਲਗਭਗ 12 ਫੁੱਟ ਦੀ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਇਕ ਲਾਈਨ ਖਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਫਿਰ ਦੋਵੇਂ ਟੀਮਾਂ ਪੁੱਗਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਿਹੜੀ ਟੀਮ ਪੁੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਸ ਟੀਮ ਦਾ ਇਕ ਖਿਡਾਰੀ ਲਾਈਨ ਤੇ ਖੜ੍ਹਾ ਹੋ ਕੇ ਰਬੜ ਦੀ ਗੇਂਦ ਨਾਲ ਚਿਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਗੀਟੀਆਂ ‘ਤੇ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਗਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇੱਕ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਗਾਉਣ ਦੇ ਤਿੰਨ ਮੌਕੇ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਤਿੰਨ ਵਾਰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਾਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜੇਕਰ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੇ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਨਹੀਂ ਲੱਗਦਾ ਤਾਂ ਉਹ ਖਿਡਾਰੀ ਆਊਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਜੇਕਰ ਗੇਂਦ ਨੂੰ ਠੱਪਾ ਪਾ ਕੇ ਸਾਹਮਣੇ ਵਾਲੇ ਖਿਡਾਰੀ ਪਕੜ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਵੀ ਨਿਸ਼ਾਨੇ ਲਗਾਉਣ ਵਾਲਾ ਖਿਡਾਰੀ ਆਉਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਗਾਉਣ ਵਾਲਾ ਖਿਡਾਰੀ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੇ ਸਹੀ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਗਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਠੀਕਰੀਆਂ ਜ਼ਮੀਨ ਤੇ ਬਿਖਰ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਗਾਉਣ ਵਾਲਾ ਖਿਡਾਰੀ ਜ਼ਮੀਨ ਤੇ ਬਿਖਰੀਆਂ ਠੀਕਰੀਆਂ ਨੂੰ ਜਲਦੀ-ਜਲਦੀ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰਕੇ ਇੱਕ-ਦੂਜੀ ਤੇ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਤੇ ਵਿਰੋਧੀ ਟੀਮ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਠੀਕਰੀਆਂ ਨੂੰ ਚੁਣਨ ਵਾਲੇ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਗੇਂਦ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਠੀਕਰੀਆਂ ਚਿਣਨ ਵਾਲੇ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਗੇਂਦ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਆਉਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਠੀਕਰੀਆਂ ਚਿਣਨ ਵਾਲਾ ਖਿਡਾਰੀ ਗੇਂਦ ਵੱਜਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਠੀਕਰੀਆਂ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸਨੂੰ ਹੋਰ ਵਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਆਉਟ ਹੋਣ ਤੇ ਦੂਜੇ ਖਿਡਾਰੀ ਦੀ ਵਾਰੀ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖੇਡ ਚੱਲਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਠੀਕਰੀਆਂ ਦੇ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਲਾਉਣ ਵਾਲਾ ਖਿਡਾਰੀ |

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿੱਕਲੀ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਿੱਕਲੀ-ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਿੱਕਲੀ ਕੁੜੀਆਂ ਦੀ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੀ ਖੇਡ ਹੈ । ਕਿਲਕਿਲਾ ਦਾ ਅਰਥ ਖੁਸ਼ੀ ਅਤੇ ਚਾਅ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਕਰਨਾ । ਕਿੱਕਲੀ ਖੇਡ ਅਤੇ ਗਿੱਧੇ ਦਾ ਜੋੜ ਹੈ । ਕਿੱਕਲੀ ਨੂੰ ਕੁੜੀਆਂ ਬੜੇ ਚਾਅ ਨਾਲ ਖੇਡਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਕ ਜਗਾ ਤੇ ਇਕੱਠੀਆਂ ਹੋ ਕੇ ਕੁੜੀਆਂ ਜੋਟੇ ਬਣਾ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਕਿੱਕਲੀ ਵਿੱਚ ਕੁੜੀਆਂ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿੱਚ ਕੰਘੀਆਂ | ਪਾ ਕੇ ਘੁੰਮਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦਾ ਖੱਬਾ ਹੱਥ ਖੱਬੇ ਨਾਲ ਸੱਜਾ ਹੱਥ ਸੱਜੇ ਨਾਲ ਫੜਦੀਆਂ ਹਨ । ਦੋਵੇਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦੀਆਂ ਬਾਹਾਂ ਦੀ ਸ਼ਕਲ 8 ਅੰਕ ਵਾਂਗ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਘੁੰਮਣ ਵੇਲੇ ਕੁੜੀਆਂ ਕਿੱਕਲੀ ਦੇ ਗੀਤ ਗਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਕਿੱਕਲੀ ਕਲੀਰ ਦੀ, |
ਪੱਗ ਮੇਰੇ ਵੀਰ ਦੀ,
ਦੁਪੱਟਾ ਭਰਜਾਈ ਦਾ,
ਫਿੱਟੇ ਮੂੰਹ ਜਵਾਈ ਦਾ ।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਲੋਕ ਖੇਡਾਂ 4
ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜੋੜੀਆਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਦੇਸੀ ਖੇਡਾਂ ਵਿੱਚ ਟੂਰਨਾਮੈਂਟ ਨਹੀਂ ਕਰਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਕਿੱਕਲੀ ਪਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ ਜੇਕਰ ਜੋੜੀ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਕੁੜੀ ਦਾ ਹੱਥ ਦੂਜੀ ਕੁੜੀ ਹੱਥੋਂ ਛੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਕਿੱਕਲੀ ਪਾਉਂਦੇ ਕੁੜੀ ਡਿੱਗ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਸਭ ਕੁੱਝ ਹਾਸੇ ਵਿੱਚ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਕੁੜੀਆਂ ਖੇਡ ਦਾ ਬਹੁਤ ਆਨੰਦ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 7 ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 7 ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 7 ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ

Physical Education Guide for Class 6 PSEB ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੌਮੀ ਗਾਣ ‘ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਨੂੰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ:
ਕੌਮੀ ਗਾਣ ‘ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ’
ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਅਧਿਨਾਇਕ ਜਯ ਹੈ,
ਭਾਰਤ ਭਾਗਯ ਵਿਧਾਤਾ |
ਪੰਜਾਬ, ਸਿੰਧ, ਗੁਜਰਾਤ, ਮਰਾਠਾ,
ਦਰਾਵਿੜ, ਉਤਕਲ, ਬੰਗ,
ਵਿਧ, ਹਿਮਾਚਲ, ਯਮੁਨਾ, ਗੰਗਾ,
ਉੱਛਲ, ਜਲ ਦੀ ਤਰੰਗ,
ਤਵ ਸ਼ੁਭ ਨਾ ਮੈ ਜਾਗੇ ।
ਤਵ ਸ਼ੁਭ ਆਸ਼ਿਸ਼ ਮਾਂਗੇ ।
ਗਾਹੇ ਤਵ ਜਯ ਗਾਥਾ,
ਜਨ-ਗਣ-ਮੰਗਲ ਦਾਇਕ ਜਯ ਹੈ,
ਭਾਰਤ ਭਾਗਯ ਵਿਧਾਤਾ,
ਯ ਹੈ, ਜਯ ਹੈ, ਜਯ ਹੇ,
ਜਯ, ਜਯ, ਜਯ, ਜਯ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਨੂੰ ਲਿਖੋ ?
ਉੱਤਰ:
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’
ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ, ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ |
ਸੁਲਾਮ ਸੁਫਲਾਮ, ਮਲਯਜ ਸ਼ੀਤਲਾਮ, ਸ਼ਸਯ ਸ਼ਿਆਮਲਾਮ ਮਾਤਰਮ ॥
ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ, ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ |
ਸ਼ੁਭਰ ਜਯੋਤਸਨਾ-ਪੁਲਕਿਤ ਯਾਮੀਨੀਮ, ਫੁਲ ਕੁਸੁਮਿਤ-ਦਰੁਮਦਲ ਸ਼ੋਭਨੀਮ |
ਸੁਹਾਸਨੀਮ, ਸੁਮਧੁਰ ਭਾਸ਼ਣੀਮ, ਸੁਖਦਾਮ, ਵਰਦਾਮ ਮਾਤਰਮ |
ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ, ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ ।
ਸਪਤਕੋਟਿ ਕੰਠ ਕਲਕਲ ਨਾਦ ਕਰਾਲੇ, ਦ੍ਰ ਸਪਤਕੋਟਿ ਭੁਜੈਧਿਤਖਰ ਕਰ ਵਾਲੇ,
ਅਮਲਾ ਕੇਨੋ ਮਾਂ ਏਹੋ ਭਲੇ,
ਬਹੁ ਭਲਧਾਰਿਨੀ, ਨਮਾਮਿ ਤਾਰਿਨੀ, ਰਿਪੁਦਵਾਰਿਨੀ, ਮਾਤਰਮ ।
ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ, ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ ।
ਤੁਮਿ ਵਿਦਿਆ, ਤੁਮਿ ਧਰਮ, ਤੁਮ ਹਰਿਦਿ ਤੁਮਿ ਮਰਮ, ਤਵਹਿੰ ਪ੍ਰਣਾਮ ਸਰੀਰੇ ।
ਬਾਹੁਤੇ ਮਿ ਮਾ ਸ਼ਕਤੀ, ਹਰਿਦੇ ਤੁਮਿ ਮਾ ਭਗਤੀ,
ਤੋਮਾਰਹ ਪ੍ਰਤਿਮਾ ਗਡਿ ਮੰਦਿਰੇ ਮੰਦਿਰੇ ।
ਤਵਹਿ ਦੁਰਗਾ ਦਸ਼ਰਣਧਾਰਿਣ,
ਕਮਲਾ-ਕਮਲ-ਦਲ ਵਿਹਾਣੀ, ਵਾਣੀ ਵਿਦਿਆਦਾਇਨੀ,
ਨਮਾਮਿ ਤਵਾਂ, ਨਿਮਾਮਿ ਕਮਲਾਮ, ਅਮਲਾਂ ਅਤੁਲਾਮ, ਸੁਜਮ, ਸੁਫਲਾਮ ਮਾਤਰਮ,
ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ, ਵੰਦੇ ਮਾਤਰਮ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 7 ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਗਾਣ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:
ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਦਾ ਅਰਥ-ਹੇ ਪਰਮਾਤਮਾ ! ਤੂੰ ਅਣਗਿਣਤ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਮਨ ਦਾ ਮਾਲਕ ਹੈਂ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲਾ ਹੈਂ । ਸਾਡੇ ਪ੍ਰਾਂਤਾਂ ਪੰਜਾਬ, ਸਿੰਧ, ਗੁਜਰਾਤ, ਮਹਾਂਰਾਸ਼ਟਰ, ਉੜੀਸਾ, ਬੰਗਾਲ ਅਤੇ ਦਰਾਵਿੜ ਦੇ ਲੋਕ, ਸਾਡੇ ਪਹਾੜ ਵਿੰਧਿਆਚਲ, ਹਿਮਾਲਾ ਤੇ ਪਵਿੱਤਰ ਨਦੀਆਂ ਗੰਗਾ, ਜਮਨਾ ਤੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਮੁੰਦਰ ਵਿਚੋਂ ਉੱਠਣ ਵਾਲੀਆਂ ਲਹਿਰਾਂ ਤੇਰੇ ਨਾਮ ਦਾ ਜਾਪ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ | ਅਸੀਂ ਤੇਰੇ ਸ਼ੁੱਭ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਅਤੇ ਤੇਰੇ ਅਨੰਤ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਮਹਿਮਾ ਦੇ ਗੀਤ ਗਾ ਰਹੇ ਹਾਂ । ਹੇ ਪਰਮਾਤਮਾ ! ਤੂੰ ਸਭ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੁਖ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਹੈਂ । ਤੇਰੀ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੀ ਜੈ ਹੋਵੇ । ਤੂੰ ਹੀ ਭਾਰਤ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲਾ ਹੈਂ । ਅਸੀਂ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੀ ਤੇਰੇ ਗੁਣ ਗਾਉਂਦੇ ਹਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਗੀਤ ਦੇ ਕੀ ਅਰਥ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ:
“ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਗੀਤ ਦੇ ਅਰਥ-ਹੇ ਭਾਰਤ ਮਾਤਾ ! ਅਸੀਂ ਤੈਨੂੰ ਨਮਸਕਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ । ਤੇਰਾ ਪਾਣੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਪਵਿੱਤਰ ਹੈ । ਤੂੰ ਸੁੰਦਰ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਲੱਦੀ ਹੋਈ ਹੈਂ । ਦੱਖਣ ਦੀ ਠੰਡੀ ਹਵਾ ਸਾਡੇ ਮਨ ਨੂੰ ਮੋਹਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਹੇ ਮਾਤ ਭੂਮੀ ! ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਨਮਸਕਾਰ ਕਰਦਾ ਹਾਂ । ਹੇ ਮਾਂ! ਤੇਰੀਆਂ ਰਾਤਾਂ ਚੰਦਰਮਾ ਦੇ ਚਿੱਟੇ ਖਿੜੇ ਹੋਏ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਨਾਲ ਰੌਸ਼ਨ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਅਸੀਂ ਇਸ ਤੋਂ ਅਨੰਦ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ । ਤੂੰ ਪੂਰੇ ਖਿੜੇ ਹੋਏ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਲੱਦੀ ਹੋਈ ਹੈਂ ਅਤੇ ਹਰੇ-ਭਰੇ ਦਰੱਖਤਾਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਸ਼ੋਭਾ ਦੇ ਰਹੀ ਹੈਂ ।ਤੇਰੀ ਮੁਸਕਰਾਹਟ ਅਤੇ ਬਾਣੀ ਸਾਨੂੰ ਮਿਠਾਸ ਤੇ ਵਰਦਾਨ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਹੇ ਮਾਂ  ਤੈਨੂੰ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਨਮਸਕਾਰ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਵਾਕ ਦੇ ਅੱਗੇ ਦਿੱਤੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚੋਂ ਢੁੱਕਵਾਂ ਸ਼ਬਦ ਲੱਭ ਕੇ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ –
(ਉ) ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ …. ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਹੈ । ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ, ਰਵਿੰਦਰ ਨਾਥ ਟੈਗੋਰ, ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ)
(ਅ) ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ …. ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਹੈ । (ਸਰੋਜਨੀ ਨਾਇਡੋ, ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ, ਬੰਕਿਮ ਚੰਦਰ ਚੈਟਰਜੀ)
ਉੱਤਰ:
(ੳ) ਰਵਿੰਦਰ ਨਾਥ ਟੈਗੋਰ (ਅ) ਬੰਕਿਮ ਚੰਦਰ ਚੈਟਰਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕੌਮੀ ਗਾਣ ਦੀ ਧੁਨ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਮੌਕਿਆਂ ਤੇ ਵਜਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:
ਕੌਮੀ ਗਾਣ ਦੀ ਧੁਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਮੌਕਿਆਂ ਤੇ ਵਜਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ –

  • 15 ਅਗਸਤ ਨੂੰ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ ।
  • 26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ ।
  • ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਅਤੇ ਰਾਜਪਾਲ ਨੂੰ ਸਲਾਮੀ ਦੇਣ ਸਮੇਂ ।
  • ਅੰਤਰ-ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਖੇਡ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਰਤੀ ਜੇਤੂ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਇਨਾਮ ਦੇਣ ਸਮੇਂ |
  • ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵੱਡਾ ਕੌਮੀ ਇਕੱਠ ਹੋਵੇ, ਉਸ ਦੀ ਸਮਾਪਤੀ ਸਮੇਂ ।

PSEB 6th Class Physical Education Guide ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ Important Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੌਮੀ ਗਾਣ ਦੀ ਧੁਨ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਮੌਕਿਆਂ ਤੇ ਵਜਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
(ਉ) 15 ਅਗਸਤ ਨੂੰ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ
(ਅ) 26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ
(ਈ) ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਅਤੇ ਰਾਜਪਾਲ ਨੂੰ ਸਲਾਮੀ ਦੇਣ ਸਮੇਂ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਹਰ ਅਵਸਰ ਤੇ ।
ਉੱਤਰ:
(ਉ) 15 ਅਗਸਤ ਨੂੰ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਾਡੇ ਕਿਹੜੇ ਦੋ ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਹਨ ?
(ਉ) ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਅਤੇ ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ
(ਅ) ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ
(ਈ) ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ:
(ਉ) ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਅਤੇ ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(ਉ) ਰਵਿੰਦਰ ਨਾਲ ਟੈਗੋਰ ਨੇ \
(ਅ) ਬੰਕਿਮ ਚੰਦਰ ਚੈਟਰਜੀ
(ਈ) ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਨੇ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ:
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 7 ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਦੋਂ ਗਾਇਆ ਗਿਆ ?
(ਉ) 27 ਦਸੰਬਰ, 1911
(ਅ) 27 ਦਸੰਬਰ, 1920
(ਈ) 27 ਦਸੰਬਰ, 1927
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ:
(ਉ) 27 ਦਸੰਬਰ, 1911

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਹੜੇ ਸੰਨ ਵਿਚ ਕਾਗਰਸ ਸਮਾਗਮ ਵਿਚ ਗਾਇਆ ਗਿਆ ?
(ਉ) 1896 ਈ: ਵਿਚ
(ਅ) 1900 ਈ: ਵਿਚ
(ਈ) 1920 ਈ: ਵਿਚ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ:
(ਉ) 1896 ਈ: ਵਿਚ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਜਾਂ ਇਸ ਦੀ ਧੁਨ ਵਜਾਉਣ ਸਮੇਂ ਕੀ ਸਾਵਧਾਨੀ ਵਰਤਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ?
(ਉ) ਸਾਨੂੰ ਸਾਵਧਾਨ ਖੜੇ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।
(ਅ) ਹਿੱਲਣਾ-ਜੁਲਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ ।
(ਇ) ਗੱਲਾਂ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ:
(ਉ) ਸਾਨੂੰ ਸਾਵਧਾਨ ਖੜੇ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਾਡੇ ਕਿਹੜੇ ਦੋ ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ:
‘ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ’ ਅਤੇ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ-ਮਣ-ਗਨ’ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ:
ਰਵਿੰਦਰ ਨਾਥ ਟੈਗੋਰ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ:
ਬੰਕਿਮ ਚੰਦਰ ਚੈਟਰਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਕਦੋਂ ਤੇ ਕਿਹੜੀ ਪੁਸਤਕ ਵਿਚ ਛਾਪਿਆ ?
ਉੱਤਰ:
1882, ਆਨੰਦ ਮਠ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਦੀ ਸੰਗੀਤ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ:
ਰਵਿੰਦਰ ਨਾਥ ਟੈਗੋਰ ਨੇ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 7 ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਅਤੇ ਕੌਮੀ ਗਾਣ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ’ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਦੋਂ ਗਾਇਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ:
27 ਦਸੰਬਰ, 1911 ਨੂੰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
‘ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਨੂੰ ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਕਦੋਂ ਮਾਨਤਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ?
ਉੱਤਰ:
26 ਜਨਵਰੀ, 1950 ਨੂੰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਹੜੇ ਸੰਨ ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਸਮਾਗਮ ਵਿਚ ਗਾਇਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ:
1896 ਈ: ਵਿਚ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਉੱਤੇ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ:
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਬੰਦੇ ਮਾਤਰਮ’ ਦੀ ਰਚਨਾ ਸ੍ਰੀ ਬੰਕਿਮ ਚੰਦਰ ਚੈਟਰਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ । ਇਹ ਗੀਤ 1882 ਈ: ਵਿਚ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਪੁਸਤਕ “ਆਨੰਦ ਮਠ’ ਵਿਚ ਛਪਿਆ ।
1896 ਈ: ਵਿਚ ਇਹ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਸਮਾਗਮ ਵਿਚ ਗਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਗੀਤ ਰਚਨਾ ਮਹਾਨ ਕਵੀ ਰਵਿੰਦਰ ਨਾਥ ਟੈਗੋਰ ਨੇ ਕੀਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ ਉੱਤੇ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ:
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ-ਗਣ-ਮਨ’ ਦੀ ਰਚਨਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਕਵੀ ਰਵਿੰਦਰ ਨਾਥ ਟੈਗੋਰ ਨੇ ਕੀਤੀ । ਇਹ 27 ਦਸੰਬਰ, 1911 ਈ: ਨੂੰ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਸਮਾਗਮ ਵਿਚ ਗਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਨੂੰ 26 ਜਨਵਰੀ, 1950 ਈ: ਨੂੰ ਸੰਵਿਧਾਨ ਨੇ ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਾਨਤਾ ਦਿੱਤੀ । ਇਸ ਗੀਤ ਦੇ ਪੂਰੇ ਪਾਠ ਵਿਚ 48 ਸੈਕਿੰਡ ਤੋਂ 52 ਸੈਕਿੰਡ ਦਾ ਸਮਾਂ ਲੱਗਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗੀਤ ਦੇ ਸੰਖੇਪ ਪਾਠ ਵਿਚ 20 ਸੈਕਿੰਡ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਮਾਂ ਨਹੀਂ ਲੱਗਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੌਮੀ ਗੀਤ ਜਾਂ ਇਸ ਦੀ ਧੁਨ ਵਜਾਉਣ ਸਮੇਂ ਕੀ ਸਾਵਧਾਨੀ ਵਰਤਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:

  • ਸਾਨੂੰ ਸਾਵਧਾਨ ਖੜੇ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  • ਹਿਲਣਾ, ਜੁਲਣਾ ਅਤੇ ਗੱਲਾਂ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 8 ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 8 ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ

Physical Education Guide for Class 6 PSEB ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਹੜੇ ਨਸ਼ੇ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸਿਹਤ, ਤਾਕਤ ਅਤੇ ਪਾਚਣ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:
ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਭਾਵੇਂ ਹੀ ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਦੇ ਲਈ ਵੱਧ ਕੰਮ ਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਪਰ ਵੱਧ ਕੰਮ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਰੋਗ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਕੇ ਮੌਤ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਮਾਰੂ ਨਸ਼ਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੁੱਝ ਨਸ਼ੇ ਤਾਂ ਕੋੜ੍ਹ ਦੇ ਰੋਗ ਤੋਂ ਵੀ ਬੁਰੇ ਹਨ । ਸ਼ਰਾਬ, ਤੰਬਾਕੂ, ਅਫ਼ੀਮ, ਭੰਗ, ਹਸ਼ੀਸ਼, ਐਡਰਨਵੀਨ ਅਤੇ ਕੈਫ਼ੀਨ ਅਜਿਹੀਆਂ ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੁਆਂ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੇਵਨ ਸਿਹਤ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹੈ । ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅੰਸ਼ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਅੰਸ਼ਾਂ ਕਾਰਨ ਮਿਹਦੇ ਦੀ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਘੱਟਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੇਟ ਦੇ ਰੋਗ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਸੋਚਣ-ਸ਼ਕਤੀ ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਵਿਅਕਤੀ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬੋਲ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ ਅਤੇ ਉਹ ਬੋਲਣ ਦੀ ਥਾਂ ਥਥਲਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਉੱਪਰ ਕਾਬੂ ਨਹੀਂ ਰੱਖ ਸਕਦਾ । ਉਹ ਖੇਡ ਵਿਚ ਆਈਆਂ ਚੰਗੀਆਂ ਸਥਿਤੀਆਂ ਬਾਰੇ ਸੋਚ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਇਹੋ ਜਿਹੀਆਂ ਸਥਿਤੀਆਂ ਤੋਂ ਲਾਭ ਉਠਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਿਗਰਟ ਵਿਚ ਕਿਹੜਾ ਜ਼ਹਿਰੀਲਾ ਤੱਤ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:
ਸਿਗਰਟ ਵਿਚ ਤੰਬਾਕੂ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਸਿਗਰਟ ਕਾਗਜ਼ ਵਿਚ ਤੰਬਾਕੂ ਪਾ ਕੇ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਤੰਬਾਕੂ ਵਿਚ ਖ਼ਤਰਨਾਕ ਜ਼ਹਿਰ ਨਿਕੋਟੀਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਮੋਨੀਆਂ ਕਾਰਬਨ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਆਦਿ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜਿਸ ਦਾ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਸਿਰ ਤੇ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਿਰ ਚਕਰਾਉਣ ਲਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸ਼ਰਾਬ ਦੇ ਸਰੀਰ ‘ ਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ:
ਸ਼ਰਾਬ ਦਾ ਸਿਹਤ ਉੱਤੇ ਅਸਰ (Effects of Alochol on Healthਸ਼ਰਾਬ ਇਕ ਨਸ਼ੀਲਾ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ।‘ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣਾ ਸਿਹਤ ਲਈ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹੈ ।” ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਵੇਚਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹਰ ਇਕ ਸ਼ਰਾਬ ਦੀ ਬੋਤਲ ਤੇ ਲਿਖਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਫਿਰ ਵੀ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੀ ਲੱਤ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਿਹਤ ਤੇ ਭੈੜਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੋਗ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਫੇਫੜੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਉਮਰ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੰਗਾਂ ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਪਹਿਲਾਂ ਤਾਂ ਵਿਅਕਤੀ ਸ਼ਰਾਬ ਨੂੰ ਪੀਂਦਾ ਹੈ, ਕੁੱਝ ਦੇਰ ਪੀਣ ਮਗਰੋਂ ਸ਼ਰਾਬ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਪੀਣ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਭਾਵ ਸ਼ਰਾਬ ਸਰੀਰ ਦੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ

ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਦੇ ਨੁਕਸਾਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ –

  • ਸ਼ਰਾਬ ਦਾ ਅਸਰ ਪਹਿਲਾਂ ਦਿਮਾਗ਼ ਉੱਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿਗੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸੋਚਣ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  • ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਗੁਰਦੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਨਾਲ ਪਾਚਕ ਰਸ ਘੱਟ ਪੈਦਾ ਹੋਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਪੇਟ ਖ਼ਰਾਬ ਰਹਿਣ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਸਾਹ ਦੀ ਗਤੀ ਤੇਜ਼ ਅਤੇ ਸਾਹ ਦੀਆਂ ਦੂਸਰੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਨਾਲ ਲਹੂ ਦੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਫੁੱਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਦਿਲ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਕੰਮ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦਿਲ ਦੇ ਦੌਰੇ ਦਾ ਡਰ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਲਗਾਤਾਰ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਨਾਲ ਪੱਠਿਆਂ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ | ਸਰੀਰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦਾ ।
  • ਖੋਜ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਹੈ ਕਿ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਵਾਲਾ ਮਨੁੱਖ ਸ਼ਰਾਬ ਨਾ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਮਨੁੱਖ ਤੋਂ ਕੰਮ ਘੱਟ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਵੀ ਜਲਦੀ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਸ਼ਰਾਬ ਨਾਲ ਘਰ, ਸਿਹਤ, ਪੈਸਾ ਆਦਿ ਬਰਬਾਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਇਕ ਸਮਾਜਿਕ ਬੁਰਾਈ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕੈਂਸਰ ਰੋਗ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਨਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:
ਤੰਬਾਕੂ ਦੇ ਸਿਹਤ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ (Effects of Smoking on Health) ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਤੰਬਾਕੂ ਪੀਣਾ ਅਤੇ ਖਾਣਾ ਇਕ ਬੁਰੀ ਆਦਤ ਹੈ ।
ਤੰਬਾਕੂ ਪੀਣ ਦੇ ਅਲੱਗ-ਅਲੱਗ ਢੰਗ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਬੀੜੀ ਸਿਗਰਟ ਪੀਣਾ, ਸਿਰ ਪੀਣਾ, ਹੁੱਕਾ ਪੀਣਾ, ਚਿਲਮ ਪੀਣੀ ਆਦਿ ।
ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖਾਣ ਦੇ ਢੰਗ ਵੀ ਅਲੱਗ-ਅਲੱਗ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਤੰਬਾਕੂ ਚੂਨੇ ਵਿਚ ਮਿਲਾ ਕੇ ਸਿੱਧਾ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਰੱਖ ਕੇ ਖਾਣਾ ਜਾਂ ਗਲੇ ਵਿਚ ਰੱਖ ਕੇ ਖਾਣਾ ਆਦਿ ।
ਤੰਬਾਕੂ ਵਿਚ ਖਤਰਨਾਕ ਜ਼ਹਿਰ ਨਿਕੋਟੀਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਸੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਨਿਕੋਟੀਨ ਦਾ ਬੁਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਚੱਕਰ ਆਉਣ ਲਗਦੇ ਹਨ-

  • ਤੰਬਾਕੂ ਦੇ ਨੁਕਸਾਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਨ1. ਤੰਬਾਕੂ ਖਾਣ ਜਾਂ ਪੀਣ ਨਾਲ ਨਜ਼ਰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  • ਇਸ ਨਾਲ ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਣ ਤੇਜ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਦਿਲ ਦਾ ਰੋਗ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਮੌਤ ਦਾ ਕਾਰਨ ਵੀ ਬਣ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  • ਖੋਜ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਹੈ ਕਿ ਤੰਬਾਕੂ ਪੀਣ ਜਾਂ ਖਾਣ ਨਾਲ ਖੂਨ ਦੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਤੰਬਾਕੂ ਸਰੀਰ ਤੇ ਤੰਤੂਆਂ ਨੂੰ ਸੁੰਨ ਕਰੀ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਨੀਂਦ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ ਅਤੇ ਨੀਂਦ ਨਾ ਆਉਣ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  • ਤੰਬਾਕੂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਪੇਟ ਖ਼ਰਾਬ ਰਹਿਣ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਤੰਬਾਕੂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਖੰਘ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੀ ਟੀ.ਬੀ. ਹੋਣ ਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਤੰਬਾਕੂ ਨਾਲ ਕੈਂਸਰ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ ਲੱਗਣ ਦਾ ਡਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਖ਼ਾਸ ਕਰਕੇ ਛਾਤੀ ਦਾ ਕੈਂਸਰ ਅਤੇ ਗਲੇ ਦੇ ਕੈਂਸਰ ਦਾ ਡਰ ਵੀ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਨਸ਼ੇ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਕਿਹੋ ਜਿਹੀ ਪਹਿਚਾਣ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:
ਨਸ਼ੇ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਆਦਮੀ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਪਹਿਚਾਣ ਗਵਾ ਬੈਠਦਾ ਹੈ । ਸਾਰੇ ਆਦਮੀ ਉਸ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸ਼ਰਾਬੀ ਜਾਂ ਨਸ਼ੇ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਆਦਮੀ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ, ਸਮਾਜ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਲਈ ਇਕ ਲਾਹਣਤ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਸ਼ਿਆਂ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਮੌਤ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
ਇਸ ਕਰਕੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਿਹਤਮੰਦ ਜੀਵਨ ਗੁਜ਼ਾਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Physical Education Guide ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ Important Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
(ਉ) ਸ਼ਰਾਬ
(ਅ) ਤੰਬਾਕੂ
(ਇ) ਭੰਗ ਅਤੇ ਅਫ਼ੀਮ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ:
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਅਸਰ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਕਿਸੇ ਦੋ ਪ੍ਰਣਾਲੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ |
(ਉ) ਪਾਚਣ ਪ੍ਰਣਾਲੀ
(ਅ) ਲਹੂ ਸੰਚਾਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ
(ਈ) ਸਿਹਤ ਪ੍ਰਣਾਲੀ
(ਸ) ਹੱਡੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ
ਉੱਤਰ:
(ਉ) ਪਾਚਣ ਪ੍ਰਣਾਲੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਤੇ ਪੈਣ ਵਾਲੇ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਬੁਰੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਿਖੋ ।
(ੳ) ਬੇਫ਼ਿਕਰੀ
(ਆਂ) ਗੈਰ ਚੁੰਮੇਵਾਰ ,
(ਈ) ਚੋਰੀ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ:
(ੳ) ਬੇਫ਼ਿਕਰੀ

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਦੇ ਢੰਗ ਲਿਖੋ ।
(ਉ) ਪ੍ਰੇਰਣਾ
(ਅ) ਕਾਨਫਰੈਂਸ
(ਈ) ਆਪਣੀ ਮਰਜ਼ੀ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ:
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਤੰਬਾਕੂ ਪੀਣ ਦੇ ਬੁਰੇ ਪ੍ਰਭਾਵ :
(ਉ) ਕੈਂਸਰ ਦਾ ਖਤਰਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
(ਅ) ਤੰਬਾਕੂ ਤੋਂ ਟੀ.ਵੀ. ਹੋਣ ਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
(ਇ) ਪੇਟ ਖ਼ਰਾਬ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ:
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਾਡੀ ਸਿਹਤ ‘ਤੇ ਸ਼ਰਾਬ ਦੇ ਬੁਰੇ ਪ੍ਰਭਾਵ :
(ਉ) ਦਿਮਾਗ਼ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵ
(ਅ) ਗੁਰਦੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ
(ਇ) ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ:
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਸੇ ਦੋ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ:

  1. ਸ਼ਰਾਬ,
  2. ਹਸ਼ੀਸ਼।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਦੋ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ:

  1. ਪਾਚਣ ਕਿਰਿਆ,
  2. ਖੇਡਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਉੱਤੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਦੋਸ਼ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ:

  1. ਚਿਹਰਾ ਪੀਲਾ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਮਾਨਸਿਕ ਸੰਤੁਲਨ ਵਿਗੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਨਸ਼ੀਲੀ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਤੇ ਕੋਈ ਦੋ ਬੁਰੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ:

  1. ਲਾਪਰਵਾਹੀ ਅਤੇ ਬੇਫਿਕਰੀ,
  2. ਖੇਡ ਭਾਵਨਾ ਦਾ ਅੰਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਖੇਡ ਵਿਚ ਹਾਰ ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਸੇਵਨ ਨਾਲ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ)
ਉੱਤਰ:
ਠੀਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸ਼ਰਾਬ ਦਾ ਅਸਰ ਪਹਿਲਾਂ ਦਿਮਾਗ ਉੱਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ)
ਉੱਤਰ:
ਠੀਕ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਤੰਬਾਕੂ ਖਾਣ ਜਾਂ ਪੀਣ ਨਾਲ ਨਜ਼ਰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ)
ਉੱਤਰ:
ਠੀਕ |

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ਨਸ਼ੇ ਇਕ ਲਾਹਨਤ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਤੰਬਾਕੂ ਤੋਂ ਕੈਂਸਰ ਰੋਗ ਦਾ ਡਰ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਘਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ:
ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਤੰਬਾਕੂ ਦੇ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਾਲ ਖਾਂਸੀ ਨਹੀਂ ਲਗਦੀ ਅਤੇ ਟੀ. ਵੀ. ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । (ਠੀਕ ਜਾਂ ਗਲਤ)
ਉੱਤਰ:
ਗ਼ਲਤ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਨਸ਼ੇ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਖਿਡਾਰੀ ਬੇਫਿਕਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । (ਸਹੀ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ)
ਉੱਤਰ:
ਸਹੀ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਨਸ਼ੀਲੀ ਵਸਤੂਆਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਬਣਾਓ | ਨਸ਼ੀਲੀ ਵਸਤੂਆਂ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਸੋਚਣ ਦੀ ਤਾਕਤ ਉੱਤੇ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ:
ਨਸ਼ੀਲੀ ਵਸਤੂਆਂ-

  • ਸ਼ਰਾਬ,
  • ਅਫ਼ੀਮ,
  • ਤੰਬਾਕੂ,
  • ਭੰਗ,
  • ਹਸ਼ੀਸ਼,
  • ਚਰਸ,
  • ਕੋਕੀਨ,
  • ਐਲਡਰਿਜ਼ ।

ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਉੱਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ (Effects on Digestion)-ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਾਲ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ‘ਤੇ ਮਾੜਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਖਾਣੇ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਮਾਦਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਣ, ਮਿਹਦੇ ਦੀ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਘਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪੇਟ ਖ਼ਰਾਬ ਰਹਿਣ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਸੋਚਣੇ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਉੱਤੇ ਅਸਰ (Effects on thinking-ਨਸ਼ੀਲੀ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਕੰਟਰੋਲ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦਾ, ਇਸ ਲਈ ਖੇਡ ਵਿਚ ਆਈ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਬਾਰੇ ਸੋਚ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਕਿਸੇ ਸਥਿਤੀ ਦਾ ਲਾਭ ਉਠਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਖੇਡ ਵਿਚ ਹਾਰ ਨਸ਼ੀਲੀ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ? ਕਿਵੇਂ ?
ਉੱਤਰ:

  • ਨਸ਼ੇ ਵਿਚ ਖਿਡਾਰੀ ਦੂਸਰੀ ਟੀਮ ਦੀਆਂ ਚਾਲਾਂ ਨਹੀਂ ਸਮਝ ਸਕਦਾ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਹਾਰ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।
  • ਜੇਕਰ ਕਿਸੇ ਖਿਡਾਰੀ ਨੂੰ ਨਸ਼ੇ ਵਿਚ ਖੇਡਦੇ ਹੋਏ ਫੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਖੇਡ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਜੇਕਰ ਉਸ ਨੂੰ ਖੇਡ ਵਿਚ ਇਨਾਮ ਮਿਲਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਸ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹਾਰ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Hindi Grammar मुहावरे (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar मुहावरे Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 6th Class Hindi Grammar मुहावरे (2nd Language)

मुहावरे अर्थ एवं वाक्य प्रयोग सहित :

1. अटल रहना = टिके रहना।
प्रयोग – हमें अपने धर्म पर अटल रहना चाहिए।

PSEB 6th Class Hindi Grammar मुहावरे (2nd Language)

2. अपनी जान तक लड़ा देना = मरने – मारने से न डरना
प्रयोग – वीर पुरुष लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी जान तक लड़ाते हैं।

3. आनन्द के समुद्र में डूबना = बहुत खुश होना
प्रयोग – शब्द कीर्तन सुनकर सभी आनन्द के समुद्र में डूब गए।

4. आड़े समय में पल्ला पकड़ना = मुसीबत के समय सहारा ढूँढ़ना
प्रयोग – सुरेन्द्र ने आड़े समय में पल्ला पकड़ा था, मैं उसे नहीं भूल सकता।

5. आँसुओं से हाथ भिगोना = किसी को बिना कारण दुःख देकर खुश होना
प्रयोग – दुष्ट लोग आँसुओं से हाथ भिगोना मामूली – सी बात समझते हैं।

6. आँख की किरकिरी = दिल में चुभना।
प्रयोग – दूसरों की आँख की किरकिरी मत करो।

7. कोई कसर न छोड़ना = कोई कमी न रहने देना
प्रयोग – वह पास नहीं हो सका पर मेहनत में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी।

8. चिन्ता में डूब जाना = बहुत फिक्र करना
प्रयोग – बेटे के न आने पर माता जी चिन्ता में डूब गईं।

9. चेहरा खिल उठना = खुश हो जाना।
प्रयोग – अपने मित्र को देख कर उसका चेहरा खिल उठा।

10. जाल में फँसी मछली = मुसीबत में पड़ा आदमी
प्रयोग – बीमारी में बूढ़ा, जाल में फँसी मछली की तरह तड़प रहा था।

PSEB 6th Class Hindi Grammar मुहावरे (2nd Language)

11. जिगर का टुकड़ा = प्यारा बेटा
प्रयोग – राम अपने जिगर के टुकड़े को पल भर के लिए भी दूर नहीं करता।

12. जी ललचाना = इच्छा होना
प्रयोग – जलेबियाँ बनती देख मोहन का जी ललचाने लगा।

13. जीवन फूंक देना = नई जान डालना, उत्साह पैदा करना
प्रयोग – स्वामी विवेकानन्द ने लोगों में जीवन फूंक दिया था।

14. जीवन लीला समाप्त होना = मर जाना
प्रयोग – कुछ दिन की बीमारी के बाद लाला जी की जीवन लीला समाप्त हो गई।

15. दंग रह जाना = हैरान होना
प्रयोग – सर्कस के करतब देख कर बच्चे दंग रह जाते हैं।

16. दाल न गलना = मनचाहा काम न होना
प्रयोग – चले जाओ, यहाँ तुम्हारी दाल न गलेगी।

17. तलवार संभालना = लड़ने के लिए तैयार होना।
प्रयोग – देश की रक्षा के लिए सभी ने तलवार संभाल ली।

18. दिमाग दौड़ाना = गहराई से सोचना
प्रयोग – मोहन ने बहुत दिमाग दौड़ाया पर प्रश्न समझ में नहीं आया।

19. ठाठ का जीवन व्यतीत करना = शान – शौकत से रहना
प्रयोग – पिता की मृत्यु पर देव ठाठ का जीवन व्यतीत करने लगा।

20. हाथ से दस हाथ हो जाना = बहत से सहायता करने वाले मिल जाने
प्रयोग – दोनों लड़के विदेश से लौटने पर लाला जी के हाथ से दस हाथ हो गए।

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21. धोखा – धड़ी करना = हेराफेरी करना
प्रयोग – किसी के साथ भी धोखा – धड़ी करना पाप है।

22. धूम मचाना = प्रसिद्ध होना
प्रयोग – जादूगर ने शहर में धूम मचा दी।

23. डट जाना = अड़े रहना
प्रयोग – उपकार परीक्षा के दिनों पढ़ाई में डट जाती है।

24. नयनों से गंगा – यमुना बहाना = खूब आँसू बहाना
प्रयोग – बेटे की मौत पर बुढ़िया के नयनों से गंगा – यमुना बहने लगी।

25. नाक होना = स्वाभिमानी होना
प्रयोग – नेता जी ने अपने काम से नाक होना सिद्ध कर दिया।

26. नौ दो ग्यारह होना = भाग जाना
प्रयोग – सिपाही को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।

27. नौ नकद न तेरह उधार = तुरन्त उचित कीमत ले लेना
प्रयोग – अच्छे दुकानदार का नियम है – नौ नकद न तेरह उधार।

28. पलक झपकते ही = एक दम थोड़ी – सी देरी में
प्रयोग – पलक झपकते ही घोड़ा दीवार कूद गया।

29. पसीना बहाना = कड़ी मेहनत करना
प्रयोग – आजकल निर्वाह के लिए हर आदमी को पसीना बहाना पड़ता है।

30. परमात्मा में लीन होना = परलोक सिधार जाना।
प्रयोग – भक्त हमेशा परमात्मा में लीन होना चाहता है।

PSEB 6th Class Hindi Grammar मुहावरे (2nd Language)

31. प्राण पखेरू उड़ना = मर जाना
प्रयोग – सीढ़ियों से नीचे गिरते ही बुढ़िया के प्राण पखेरू उड़ गए।

32. प्रसन्नता की लहर दौड़ना = बहुत खुश होना
प्रयोग – भारत की जीत पर सब लोगों के चेहरों पर प्रसन्नता की लहर दौड़ गई।

33. फूला न समाना = बहुत खुश होना
प्रयोग – पास होने पर मोहन फूला न समा रहा था।

34. मन जीत लेना = अपना बना लेना
प्रयोग – छोटी बहू ने अपने अच्छे व्यवहार से सब का मन जीत लिया।

35. मिट्टी में मिलाना = नष्ट करना
प्रयोग – शराबी बेटे ने पिता का सारा धन मिट्टी में मिला दिया।

36. मैदान साफ़ नज़र आना = कोई बाधा या मुश्किल न दिखना
प्रयोग – आगे बढ़ो हर क्षेत्र में मैदान साफ़ नज़र आता है।

37. मोल – भाव करना = कोई वस्तु खरीदते समय कीमत घटाना – बढ़ाना।
प्रयोग – हर चीज़ मोल – भाव करके ही लेनी चाहिए।

38. मौत के घाट उतारना = मार डालना
प्रयोग – गुरु जी ने दोनों पठानों को मौत के घाट उतार दिया।

39. व्यवसाय चमकना = व्यापार में वृद्धि होना
प्रयोग – मेहनत करने से व्यवसाय चमकने लगता है।

40. विचित्र भूमिका निभाना = अद्भुत कार्य करना
प्रयोग – युद्ध में सेनापति ने शत्रुओं पर विजय दिलाने में विचित्र भूमिका निभाई।

PSEB 6th Class Hindi Grammar मुहावरे (2nd Language)

41. विदा लेना = चले जाना।
प्रयोग – दस दिन के बाद स्वामी जी ने विदा ले ली।

42. सन्नाटा छाना = चुप्पी होना
प्रयोग – कर्गों से शहर में सन्नाटा छा जाता है।

43. सुगन्धि आना = मन को अच्छा लगना
प्रयोग – चन्दन की सुगन्धि आना स्वाभाविक है।

44. हाथ बंटाना = मदद करना
प्रयोग – विद्यार्थियों को घर के कामों में भी हाथ बंटाना चाहिए।

45. हाथ – पाँव मारना = कोशिश करना
प्रयोग – हाथ – पाँव मारने से ही काम बन सकता है।

46. हालत बहुत पतली होना = पैसे की कमी होना
प्रयोग – आय का साधन न रहने से उसके घर की हालत बहुत पतली हो गई।

47. हिरण की तरह चौकड़ी भरना = खूब उछलते हुए आगे बढ़ना
प्रयोग – कई धावक हिरण की तरह चौकड़ी भरते हैं।

PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6

Punjab State Board PSEB 5th Class Maths Book Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 5 Maths Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6

Question 1.
The price of a cycle is ₹ 5699. What is price of 17 cycles ?
Solution:
Cost price of 1 cycle = ₹ 5699
Cost price of 17 cycles = ₹ 5699 × 17
= ₹ 96883
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 1

PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6

Question 2.
There are 12 tiles in a box. How many tiles are there in 4590 boxes ?
Solution:
Number of tiles in one box = 12
Number of tiles in 4590 in boxes = 4590 × 12 = 55080
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 2

Question 3.
Multiply 4 digit smallest number with 98.
Solution:
Smallest 4 digit number = 1000
Requires product = 1000 × 98 = 98000
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 3

Question 4.
Rate list of electrical equipment in electrical shop is as follows :
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 4
(i) Charan has ₹ 1 lakh with him. He buys 2 washing machines and one L.C.D. How much amount has he spent ?
(ii) Charan’s brother has ₹ 1 lakh. He buys one A.C., Two water Gysers and one Refrigerator. How much amount is left with him ?
Solution:
(i) Cost price of 1 washing machine
= ₹ 24999
Cost price of 2 washing machines
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 5
(ii) Cost price of 1 Water Gyser = ₹ 12999
Cost price of 2 Water Gyser
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 6

Question 5.
A factory manufactures 4990 toffees a day. How many toffees will be manufactured in 19 days ?
Solution:
Number of toffees manufactured in 1 day = 4990
Number of toffees manufactured in 19 days = 4990 × 19 = 94810
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 7

Question 6.
6798 bricks are loaded in a tractor in an hour. How many bricks will be loaded in 13 hours ?
Solution:
Number of bricks loaded in one hour = 6798
Number of bricks loaded in 13 hours = 6798 × 13 = 88374
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 8

PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6

Question 7.
A shopkeeper sells one mobile phone for t 5089. If he sells 18 such mobile phones in a day, how much amount would he collect in a day ?
Solution:
Selling price of 1 mobile phone = ₹ 5089
Selling price of 18 mobile phones = ₹ 5089 × 18
The amount he will collect in one day
= ₹ 91602
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 9

Question 8.
Multiply 3 digit largest number with 95.
Solution:
Greatest number of three digits
= 999
Required product = 999 × 95 = 94905
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 10

Question 9.
How many seconds are there in 24 hours ?
Solution:
Number of seconds in one hour
= 3600
Number of seconds in 24 hours = 3600 × 24 = 86400
PSEB 5th Class Maths Solutions Chapter 2 Fundamental Operations on Numbers Ex 2.6 11

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Grammar Akhan ਅੱਖਾਣ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Punjabi Grammar ਅੱਖਾਣ

1. ਉਹ ਕਿਹੜੀ ਗਲੀ ਜਿੱਥੇ ਭਾਗੋ ਨਹੀਂ ਖਲੀ (ਹਰ ਥਾਂ ਖੜਪੈਂਚ ਬਣਿਆ ਰਹਿਣ ਵਾਲਾ ਆਦਮੀ) :
“ਉਹ ਕਿਹੜੀ ਗਲੀ ਜਿੱਥੇ ਭਾਗੋ ਨਹੀਂ ਖਲੀ’ ਦੇ ਕਹਿਣ ਅਨੁਸਾਰ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਪਿੰਡ ਦੇ ਹਰ ਮਸਲੇਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-ਭਾਵੇਂ ਕੋਈ ਧਾਰਮਿਕ ਦੀਵਾਨ ਹੋਵੇ, ਭਾਵੇਂ ਕੋਈ ਪੰਚਾਇਤ ਦਾ ਮਸਲਾ, ਭਾਵੇਂ ਕਿਸੇ ਦਾ ਘਰੇਲੂ ਝਗੜਾ ਹੋਵੇ, ਭਾਵੇਂ ਵੋਟਾਂ ਮੰਗਣ ਵਾਲਿਆਂ ਨਾਲ ਘੁੰਮਣਾ ਹੋਵੇ, ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਨੂੰ ਹਰ ਥਾਂ ਚੌਧਰੀ ਬਣਿਆ ਦੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ ।

2. ਉਹ ਦਿਨ ਡੁੱਬਾ, ਜਦ ਘੋੜੀ ਚੜਿਆ ਕੁੱਬਾ (ਜਿਹੜਾ ਬੰਦਾ ਆਪਣੇ ਜੋਗਾ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਉਸ ਨੇ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀ ਸੰਵਾਰਨਾ) :
ਜਦੋਂ ਕੁਲਜੀਤ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਰਪੰਚ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਐਂਡ ਸਿੰਧ ਬੈਂਕ ਵਿਚ ਨੌਕਰੀ ‘ਤੇ ਲੁਆ ਦੇਵੇਗਾ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਹੱਸ ਕੇ ਕਿਹਾ, “ਉਹ ਦਿਨ ਡੁੱਬਾ, ਜਦ ਘੋੜੀ ਚੜਿਆ ਕੁੱਬਾ । ਜੇਕਰ ਉਸ ਦੀ ਇੰਨੀ ਚਲਦੀ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਆਪਣਾ ਪੁੱਤਰ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਕੇ ਕਿਉਂ ਵਿਹਲਾ ਫਿਰੇ ? ਉਹ ਬੱਸ ਗੱਲਾਂ ਕਰਨ ਜੋਗਾ ਹੀ ਹੈ, ਕਰਨ ਜੋਗਾ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ ।

3. ਉਲਟੀ ਵਾੜ ਖੇਤ ਨੂੰ ਖਾਏ (ਰਖਵਾਲੇ ਹੀ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਪੁਚਾਉਣਾ) :
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਰਾਜੇ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਹਿਲਕਾਰ ਪਰਜਾ ਨੂੰ ਲੁੱਟ ਰਹੇ ਸਨ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਜ਼ੁਲਮ ਢਾਹ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਹ ਗੱਲ ਤਾਂ ‘ਉਲਟੀ ਵਾੜ ਖੇਤ ਨੂੰ ਖਾਏਂ ਵਾਲੀ ਸੀ ।

4. ਅਕਲ ਦਾ ਅੰਨ੍ਹਾ ਤੇ ਗੰਢ ਦਾ ਪੂਰਾ (ਜਿਹੜਾ ਬੰਦਾ ਹੋਵੇ ਮੂਰਖ ਪਰ ਉਸ ਕੋਲ ਧਨ ਬਹੁਤਾ ਹੋਵੇ) :
ਦੇਸ਼ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਅਜਿਹੇ ਮੁੰਡੇ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਹੋਵੇ, ਜੋ ‘ਅਕਲ ਦਾ ਅੰਨਾ ਤੇ ਗੰਢ ਦਾ ਪੁਰਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਉਸ ਦੇ ਪੈਸੇ ਉੱਤੇ ਐਸ਼ ਕਰੇ ਪਰ ਉਸ ਦੀ ਰੋਕ-ਟੋਕ ਕੋਈ ਨਾ ਹੋਵੇ ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

5. ਇਕ-ਇਕ ਤੇ ਦੋ ਗਿਆਰਾਂ (ਏਕਤਾ ਨਾਲ ਤਾਕਤ ਵਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ) :
ਪਹਿਲਾਂ ਮੈਂ ਜਦੋਂ ਇਕੱਲਾ ਸਾਂ, ਤਾਂ ਇਸ ਓਪਰੀ ਥਾਂ ਵਿਚ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਡਰਦਾ ਹੀ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਤੋਂ ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਆ ਕੇ ਰਹਿਣ ਲੱਗਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਬੇਖੌਫ਼ ਹੋ ਗਿਆ ਹਾਂ । ਸੱਚ ਕਿਹਾ ਹੈ, “ਇਕਇਕ ਤੇ ਦੋ ਗਿਆਰਾਂ ।

6. ਇਕ ਅਨਾਰ ਸੌ ਬਿਮਾਰ (ਚੀਜ਼ ਥੋੜੀ ਹੋਣੀ, ਪਰ ਲੋੜਵੰਦ ਬਹੁਤੇ ਹੋਣ) :
ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਇਕ ਕੋਟ ਫ਼ਾਲਤੂ ਸੀ । ਮੇਰਾ ਛੋਟਾ ਭਰਾ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ ਤੇ ਵੱਡਾ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ । ਇਕ ਦਿਨ ਮੇਰੇ ਨੌਕਰ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਇਹ ਕੋਟ ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ। ਮੈਂ ਠੰਢ ਨਾਲ ਮਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਮੈਂ ਕਿਹਾ, “ਇਹ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਖੇ ‘ਇਕ ਅਨਾਰ ਸੌ ਬਿਮਾਰ ’’

7. ਈਦ ਪਿੱਛੋਂ ਤੰਬਾ ਫੁਕਣਾ (ਲੋੜ ਦਾ ਸਮਾਂ ਲੰਘ ਜਾਣ ਮਗਰੋਂ ਮਿਲੀ ਚੀਜ਼ ਦਾ ਕੋਈ ਫ਼ਾਇਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) :
ਜਦੋਂ ਆਪਣੀ ਧੀ ਦੇ ਵਿਆਹ ਉੱਤੇ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਤੋਂ 50,000 ਰੁਪਏ ਉਧਾਰ ਮੰਗੇ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਇਕ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਦੇਵੇਗਾ । ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਵਿਆਹ ਤਾਂ ਦਸਾਂ ਦਿਨਾਂ ਨੂੰ ਹੈ । ਮੈਂ ‘ਈਦ ਪਿੱਛੋਂ ਤੰਬਾ ਫੁਕਣਾ ?” ਜੇਕਰ ਤੂੰ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈਂ, ਤਾਂ ਹੁਣੇ ਦੇਹ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦੇਹ ।”

8. ਸੱਦੀ ਨਾ ਬੁਲਾਈ, ਮੈਂ ਲਾੜੇ ਦੀ ਤਾਈ (ਬਦੋਬਦੀ ਕਿਸੇ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦਖ਼ਲ ਦੇਣਾਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਖਾਹ) :
ਮਖ਼ਾਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦਖ਼ਲ ਦਿੰਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਕਿਹਾ, “ਭਾਈ ਤੂੰ ਇੱਥੋਂ ਜਾਹ, ਤੂੰ ਐਵੇਂ ਸਾਡੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਰੁਕਾਵਟ ਪਾ ਰਿਹਾ ਹੈਂ ? ਅਖੇ ‘ਸੱਦੀ ਨਾ ਬੁਲਾਈ, ਮੈਂ ਲਾੜੇ ਦੀ ਤਾਈ ।’’

9. ਗ਼ਰੀਬਾਂ ਰੱਖੇ ਰੋਜ਼ੇ ਦਿਨ ਵੱਡੇ ਆਏ (ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਗ਼ਰੀਬ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਵਾਰ) :
ਵਾਰ ਵਿਘਨ ਪਵੇ, ਤਾਂ ਇਹ ਅਖਾਣ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ-ਜਦੋਂ ਬੰਤਾ ਇਧਰੋਂ-ਉਧਰੋਂ ਪੈਸੇ ਇਕੱਠੇ ਕਰ ਕੇ ਮਕਾਨ ਬਣਾਉਣ ਲੱਗਾ, ਤਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇੱਟਾਂ ਮਹਿੰਗੀਆਂ ਹੋ ਗਈਆਂ ਤੇ ਫਿਰ ਸੀਮਿੰਟ, ਫਿਰ ਸਰੀਏ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗ ਗਈ । ਵਿਚਾਰਾ ਔਖਾ ਸੌਖਾ ਇਹ ਖ਼ਰਚ ਪੂਰੇ ਕਰ ਹੀ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਉਸਦੀ ਪਤਨੀ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਕੇ ਹਸਪਤਾਲ ਜਾ ਪਹੁੰਚੀ । ਖ਼ਰਚੇ ਤੋਂ ਦੁਖੀ ਹੋਇਆ ਬੰਤਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਗਰੀਬਾਂ ਰੱਖੇ ਰੋਜ਼ੇ, ਦਿਨ ਵੱਡੇ ਆਏ ।”

10. ਗਾਂ ਨਾ ਵੱਛੀ ਤੇ ਨੀਂਦਰ ਆਵੇ ਅੱਛੀ (ਜਿਸ ਦੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਉਹ ਸੁਖੀ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ) :
ਯਾਰ, ਜੁਗਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਵਲ ਦੇਖ । ਵਿਚਾਰਾ 5 ਧੀਆਂ ਦੇ ਵਿਆਹ ਕਰਦਾਕਰਦਾ ਅੰਤਾਂ ਦਾ ਕਰਜ਼ਾਈ ਹੋ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵੀ ਵਿਕ ਗਈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਲਹਿਣੇਦਾਰ ਉਸ ਨੂੰ ਤੋੜ-ਤੋੜ ਖਾਣ ਲੱਗੇ । ਅੱਜ ਉਹ ਬੇਹੱਦ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਤੇ ਦੁਖੀ ਹੈ, ਪਰ ਆਪਾਂ ਵਲ ਦੇਖ । ਅਸੀਂ ਵਿਆਹ ਹੀ ਨਹੀਂ ਕਰਾਇਆ, ਨਾ ਘਰ, ਨਾ ਪਤਨੀ ਤੇ ਨਾ ਬੱਚੇ । ਆਪਾਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਫ਼ਿਕਰ ਨਹੀਂ । ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਗਾਂ ਨਾ ਵੱਛੀ ਤੇ ਨੀਂਦਰ ਆਵੇ ਅੱਛੀ !” ਸਿਰਾਣੇ ਬਾਂਹ ਦੇ ਕੇ ਬੇਫ਼ਿਕਰ ਹੋ ਕੇ ਸੌਂਵੀਂਦਾ ਹੈ ।

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11. ਡਿਗੀ ਖੋਤੇ ਤੋਂ ਗੁੱਸਾ ਘੁਮਿਆਰ ‘ਤੇ (ਕਿਸੇ ਦਾ ਗੁੱਸਾ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ’ਤੇ ਕੱਢਣਾ) :
ਜਦੋਂ ਉਹ ਅਫ਼ਸਰ ਤੋਂ ਗਾਲਾਂ ਖਾ ਕੇ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਅਕਾਰਨ ਹੀ ਲੜਨ ਲੱਗ ਪਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ‘‘ਚੁੱਪ ਕਰ ਉਏ, ਡਿਗੀ ਖੋਤੇ ਤੋਂ ਗੁੱਸਾ ਘੁਮਿਆਰ ’ਤੇ, ਜੇ ਬਹੁਤਾ ਬੋਲਿਆ, ਤਾਂ ਮੇਰੇ ਕੋਲੋਂ ਵੀ ਖਾ ਲਵੇਂਗਾ ।”

12. ਦਾਲ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਕਾਲਾ ਹੋਣਾ (ਮਾਮਲੇ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਹੇਰਾ-ਫੇਰੀ ਹੋਣ ਦਾ ਸ਼ੱਕ ਹੋਣਾ) :
ਜਦੋਂ ਸੰਤਾ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਘਰ ਚੋਰੀ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਦੇਣ ਥਾਣੇ ਗਿਆ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸ ਵਿਚ ਗੁਆਂਢੀ ਦਾ ਹੱਥ ਹੋਣ ਬਾਰੇ ਦੱਸਣ ਲੱਗਾ, ਤਾਂ ਉਸਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਤੋਂ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਦਾਲ ਵਿਚ ਕਾਲਾ ਹੋਣ ਦਾ ਸ਼ੱਕ ਪਿਆ । ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਹੀ ਥਾਣੇ ਬਿਠਾ ਕੇ ਜ਼ਰਾ ਸਖ਼ਤੀ ਨਾਲ ਪੁੱਛਗਿੱਛ ਕੀਤੀ, ਤਾਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਗੁਆਂਢੀ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਲਾਗਤਬਾਜ਼ੀ ਕਾਰਨ ਚੋਰੀ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਝੂਠਾ ਫ਼ਸਾਉਣ ਲਈ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖਾਉਣ ਗਿਆ ਸੀ ।

13. ਘਰ ਦਾ ਭੇਤੀ ਲੰਕਾ ਢਾਵੇ (ਭੇਤੀ ਆਦਮੀ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ) :
ਆਪਣੇ ਭਾਈਵਾਲ ਨਾਲ ਝਗੜਾ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਜਦੋਂ ਸਮਗਲਰ ਰਾਮੇ ਦੇ ਪਾਸੋਂ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਮਾਲ ਫੜਿਆ ਗਿਆ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਘਰ ਦਾ ਭੇਤੀ ਲੰਕਾ ਢਾਵੇ । ਇਹ ਸਾਰਾ ਕਾਰਾ ਮੇਰੇ ਭਾਈਵਾਲ ਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਇਸ ਦਾ ਭੇਤ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ।

14, ਘਰ ਦੀ ਮੁਰਗੀ ਦਾਲ ਬਰਾਬਰ (ਘਰ ਦੀ ਬਣਾਈ ਮਹਿੰਗੀ ਚੀਜ਼ ਵੀ ਸਸਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ) :
ਮਹਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਆਪਣੀ ਕੁੜੀ ਦੇ ਵਿਆਹ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਮਹਿੰਗੇ ਭਾਅ ਦਾ ਸੋਨਾ ਖ਼ਰੀਦਣ ਲਈ ਬਜ਼ਾਰ ਜਾਣ ਦੀ ਕੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨਾਲ ਹੀ ਕੰਮ ਸਾਰ ਲੈ । ਅਖੇ, “ਘਰ ਦੀ ਮੁਰਗੀ ਦਾਲ ਬਰਾਬਰ ।

15. ਉੱਦਮ ਅੱਗੇ ਲੱਛਮੀ ਪੱਖੇ ਅੱਗੇ ਪੌਣ (ਜਦੋਂ ਇਹ ਦੱਸਣਾ ਹੋਵੇ ਕਿ ਉੱਦਮ ਤੇ ਮਿਹਨਤ ਕੀਤਿਆਂ ਧਨ ਤੇ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਦੋਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ) :
ਭਾਈ ਜੇਕਰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਸਫਲ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ ਤੇ ਧਨ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਰਾਤ-ਦਿਨ ਮਿਹਨਤ ਕਰੋ । ਸਿਆਣੇ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਉੱਦਮ ਅੱਗੇ ਲੱਛਮੀ ਪੱਖੇ ਅੱਗੇ ਪੌਣ ।

16. ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਡਿਗੀ ਖਜੂਰ ‘ਤੇ ਅਟਕੀ (ਇਕ ਮੁਸੀਬਤ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਂਦਾ ਹੋਇਆ ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਫਸ ਜਾਏ, ਉਦੋਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ) :
ਅਮਰੀਕ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਬੀ. ਏ. ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਛੱਡ ਬੈਠਾ । ਫਿਰ ਉਹ ਏਜੰਟਾਂ ਦੇ ਚੱਕਰ ਵਿਚ ਫਸ ਕੇ ਬਾਹਰ ਜਾਣ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਕਰਨ ਲੱਗਾ । ਦੋ-ਤਿੰਨ ਵਾਰੀ ਉਹ ਏਜੰਟਾਂ ਨਾਲ ਮੁੰਬਈ ਤਕ ਜਾ ਕੇ ਮੁੜ ਆਇਆ ਹੈ ਪਰ ਵਿਦੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਿਆ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਹ ਅਜੇ ਤਕ ਕਿਸੇ ਸਿਰੇ ਨਹੀਂ ਲੱਗਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਡਿਗੀ ਖ਼ਜੂਰ ’ਤੇ ਅਟਕੀ ” ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ, ਤਾਂ ਉਹ ਅੱਜ ਤਕ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਜਾਂਦਾ ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

17. ਗਿੱਦੜ ਦਾਖ ਨਾ ਅੱਪੜੇ ਆਖੇ ਬੂਹ ਕੌੜੀ (ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਆਪਣੇ ਵਿਚ ਨਾ ਹੋਣੀ, ਪਰ ਦੋਸ਼ ਦੂਜਿਆਂ ਸਿਰ ਦੇਣਾ) :
ਗੁਰਮੀਤ ਨੂੰ ਘਰੋਂ ਖ਼ਰਚਣ ਲਈ ਇਕ ਪੈਸਾ ਵੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ, ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਦੇਖਣ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਉਸ ਕੋਲ ਪੈਸੇ ਹੋਣ, ਤਾਂ ਉਹ ਟਿਕਟ ਖ਼ਰੀਦੇ ਅਤੇ ਫ਼ਿਲਮ ਦੇਖੇ । ਉਸ ਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਅਖੇ, ਗਿੱਦੜ ਦਾਖੁ ਨਾ ਅੱਪੜੇ, ਆਖੇ ਥੁਹ ਕੌੜੀ ।

18. ਕੁੱਛੜ ਕੁੜੀ, ਸ਼ਹਿਰ ਢੰਡੋਰਾ (ਕਿਸੇ ਬੌਦਲੇ ਹੋਏ ਦਾ ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਜਾਂ ਘਰ ਵਿਚ ਪਈ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਏਧਰ-ਓਧਰ ਲੱਭਣਾ) :
ਉਹ ਇਕ ਘੰਟੇ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਪੈਂਨ ਲੱਭ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸਦੀ ਭਾਲ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆ ਕੇ ਉਸ ਵੱਲ ਧਿਆਨ ਮਾਰਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਨੂੰ ਪੈਂਨ ਉਸ ਦੀ ਜੇਬ ਨਾਲ ਹੀ ਦਿਸ ਪਿਆ । ਮੈਂ ਕਿਹਾ, “ਤੇਰੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਖੇ, ‘ਕੁੱਛੜ ਕੁੜੀ, ਸ਼ਹਿਰ ਢੰਡੋਰਾ।’

19. ਦੇਸੀ ਟੱਟੂ, ਖ਼ੁਰਾਸਾਨੀ ਦੁਲੱਤੇ (ਵਿਦੇਸ਼ੀਆਂ ਦੀ ਨਕਲ ਕਰਨਾ, ਜੋ ਅਢੁੱਕਵੀਂ ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੋਵੇ) :
ਜਦੋਂ ਬੁੱਢੇ ਬਾਬੇ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੋਤੇ ਨੂੰ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਬੋਲਦਾ ਸੁਣਿਆ, ਤਾਂ ਬਾਬੇ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਦੀ ਕੋਈ ਸਮਝ ਨਾ ਪਈ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਖਿੱਝ ਕੇ ਕਿਹਾ, ““ਓਏ ਤੈਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ ? ਗਿੱਝਿਆ ’ਗਰੇਜ਼ੀ ਦਾ । ਅਖੇ, ‘ਦੇਸੀ ਟੱਟੂ, ਖ਼ੁਰਾਸਾਨੀ ਦੁਲੱਤੇ ।

20. ਪੇਟ ਨਾ ਪਈਆਂ ਰੋਟੀਆਂ, ਸੱਭੇ ਗੱਲਾਂ ਖੋਟੀਆਂ (ਭੁੱਖੇ ਰਹਿ ਕੇ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) :
ਜਦੋਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਕੰਮ ਕਰਦਿਆਂ ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਮੈਨੂੰ ਭੁੱਖ ਨੇ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੰਗ ਕੀਤਾ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਾਥੀ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਬਾਕੀ ਕੰਮ ਕੱਲ ਕਰ ਲਵਾਂਗੇ : । ਹੁਣ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗੀ ਹੈ, ਸਵੇਰ ਦੀ ਇਕ ਰੋਟੀ ਖਾਧੀ ਹੋਈ ਹੈ । ਅਖੇ, ਪੇਟ ਨਾ ਪਈਆਂ ਰੋਟੀਆਂ ਸੱਭੇ ਗੱਲਾਂ ਖੋਟੀਆਂ ।”

21. ਭਰੇ ਪੇਟ ਤੇ ਸ਼ੱਕਰ ਕੌੜੀ (ਜੇ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਚੀਜ਼ ਵੀ ਸੁਆਦ ਨਹੀਂ ਲੱਗਦੀ ਜਦੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਮਠਿਆਈ ਖਾ) :
ਖਾ ਕੇ ਰੱਜੀ ਕੁਲਜੀਤ ਨੇ ਮਿੱਠਿਆਂ ਕੇਲਿਆਂ ਨੂੰ ਬੇਸੁਆਦ ਕਹਿ ਕੇ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ਕੇਲੇ ਤਾਂ ਬੜੇ ਮਿੱਠੇ ਹਨ, ਪਰ ਤੇਰੀ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ‘ਭਰੇ ਪੇਟ ਤੇ ਸ਼ੱਕਰ ਕੌੜੀ ।

22. ਭੁੱਖੇ ਦੀ ਧੀ ਰੱਜੀ, ਖੇਹ ਉਡਾਉਣ ਲੱਗੀ (ਕਿਸੇ ਗ਼ਰੀਬ ਕੋਲ ਪੈਸੇ ਆ ਜਾਣ ਤੇ ਅਤਿ ਚੁੱਕ ਲੈਣਾ) :
ਜਦੋਂ ਇੱਥੋਂ ਮੰਜੀਆਂ-ਪੀੜੀਆਂ ਠੋਕਣ ਵਾਲਾ ਬਿੱਲਾ ਡੁਬਈ ਜਾ ਕੇ ਤਿੰਨ ਚਾਰ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ ਲੱਖ ਕੁ ਰੁਪਏ ਲੈ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਤੇ ਜੂਆ ਖੇਡਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਮੈਂ ਉਸ ਦੀਆਂ ਇਹ ਆਦਤਾਂ ਦੇਖ ਕੇ ਕਿਹਾ, “ਭੁੱਖੇ ਦੀ ਧੀ ਰੱਜੀ ਤੇ ਖੇਹ ਉਡਾਉਣ ਲੱਗੀ ।

23. ਮੂੰਹ ਤੋਂ ਲਾਹੀ ਲੋਈ, ਤਾਂ ਕੀ ਕਰੇਗਾ ਕੋਈ (ਸ਼ਰਮ ਲਾਹ ਦੇਣੀ) :
ਬਲਵਿੰਦਰ ਦੇ ਆਚਰਨ ਬਾਰੇ ਸਾਰੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਗੱਲਾਂ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਉਹ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਘੁੰਮਣੋਂ ਨਹੀਂ ਹਟਦੀ । ਉਸ ਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਮੁੰਹ ਤੋਂ ਲਾਹੀ ਲੋਈ, ਤਾਂ ਕੀ ਕਰੇਗਾ ਕੋਈ ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅੱਖਾਣ

24. ਨਾ ਰਹੇਗਾ ਬਾਂਸ, ਨਾ ਵੱਜੇਗੀ ਬੰਸਰੀ (ਕਿਸੇ ਤੰਗ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਚੀਜ਼ ਦਾ ਮੂਲ ਹੀ ਖ਼ਤਮ ਕਰ ਦੇਣਾ) :
ਜੇਕਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਗ਼ਲਤ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਦੇਣ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਤੁਹਾਡਾ ਮਹਿਕਮਾ ਤੰਗ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਨੌਕਰੀ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ, ਤਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਲਈ ਇੱਕੋ ਇੱਕ ਰਸਤਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਲਰਕਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ-ਮਿਲਾ ਕੇ ਉਹ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਰੀਕਾਰਡ ਵਿਚੋਂ ਗੁੰਮ ਕਰਾ ਦਿਓ, ਫਿਰ ‘ਨਾ ਰਹੇਗਾ ਬਾਂਸ, ਨਾ ਵੱਜੇਗੀ ਬੰਸਰੀ ।

25. ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਮਾਜ਼ ਕੁਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਟੱਕਰਾਂ (ਯੋਗ ਸਮਾਂ ਬੀਤਣ ਮਗਰੋਂ ਕੰਮ ਠੀਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) :
ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣਾ ਕੰਮ ਵੇਲੇ ਸਿਰ ਕਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਮਗਰੋਂ ਉਸ ਵਿਚ ਕਈ ਰੁਕਾਵਟਾਂ ਪੈ ਜਾਦੀਆਂ ਹਨ । ਤੁਹਾਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ, “ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਮਾਜ਼ ਕੁਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਟੱਕਰਾਂ’ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

26. ਵਾਦੜੀਆਂ ਸਜਾਦੜੀਆਂ ਨਿਭਣ ਸਿਰਾਂ ਦੇ ਨਾਲ (ਪੱਕੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਆਦਤਾਂ ਛੇਤੀ ਨਹੀਂ ਬਦਲਦੀਆਂ) :
ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਵਲ ਪੂਰਾ-ਪੂਰਾ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਬੁਰੀ ਆਦਤ ਪੈ ਗਈ ਤਾਂ ਉਸ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋਵੇਗਾ । ਸਿਆਣਿਆਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ, ‘ਵਾਦੜੀਆਂ ਸਜਾਦੜੀਆਂ ਨਿਭਣ ਸਿਰਾਂ ਦੇ ਨਾਲ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਬੁਰੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾ ਕੇ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Punjabi Rachana ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

1. ਤਿਹਾਇਆ ਕਾਂ
ਜਾਂ
ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਰਾਹ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਕਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹ ਲੱਗੀ । ਉਹ ਪਾਣੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਉੱਡਿਆ । ਅੰਤ ਉਹ ਇਕ ਬਗੀਚੇ ਵਿਚ ਪੁੱਜਾ । ਉਸ ਨੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਇਕ ਘੜਾ ਦੇਖਿਆ ।ਉਹ ਘੜੇ ਦੇ ਮੂੰਹ ਉੱਤੇ ਜਾ ਬੈਠਾ ।ਉਸ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਥੋੜਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਪਾਣੀ ਤਕ ਨਹੀਂ ਸੀ ਪਹੁੰਚਦੀ । ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਨੂੰ ਉਲਟਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਉਹ ਅਸਫਲ ਰਿਹਾ ।

ਉਹ ਕਾਂ ਬਹੁਤ ਸਿਆਣਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਕੁੱਝ ਰੋੜੇ ਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਦੇਖੀਆਂ । ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਢੰਗ ਸੁੱਝਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੇ ਰੋੜੇ ਚੁੱਕ ਕੇ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਉਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ । ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਘੜਾ ਰੋੜਿਆਂ ਅਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰਨ ਲੱਗਾ ਤੇ ਉਸ ਵਿਚਲਾ ਪਾਣੀ ਉੱਪਰ ਆ ਗਿਆ । ਕਾਂ ਨੇ ਰੱਜ ਕੇ ਪਾਣੀ ਪੀਤਾ ਅਤੇ ਉੱਡ ਗਿਆ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਰਾਹ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

2. ਕਾਂ ਅਤੇ ਲੂੰਬੜੀ
ਜਾਂ
ਚਲਾਕ ਲੂੰਬੜੀ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਲੂੰਬੜੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗੀ । ਉਹ ਕੋਈ ਖਾਣ ਵਾਲੀ ਚੀਜ਼ ਲੱਭਣ ਲਈ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਘੁੰਮੀ, ਪਰ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਨਾ ਮਿਲਿਆ । ਅੰਤ ਉਹ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੇ ਇਕ ਝੰਡ ਹੇਠ ਪਹੁੰਚੀ । ਉਹ ਬਹੁਤ ਥੱਕੀ ਹੋਈ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਹੇਠਾਂ ਲੰਮੀ ਪੈ ਗਈ ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਲੰਬੜੀ ਨੇ ਉੱਪਰ ਵਲ ਧਿਆਨ ਮਾਰਿਆ । ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਇਕ ਟਹਿਣੀ ਉੱਤੇ ਉਸ ਨੇ ਇਕ ਕਾਂ ਦੇਖਿਆ, ਜਿਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਵਿਚ ਪਨੀਰ ਦਾ ਇਕ ਟੁਕੜਾ ਸੀ । ਇਹ ਦੇਖ ਕੇ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਕਾਂ ਕੋਲੋਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਖੋਹਣ ਦਾ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢ ਲਿਆ ।

ਉਸ ਨੇ ਬੜੀ ਚਾਲਾਕੀ ਤੇ ਪਿਆਰ ਭਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਨਮੋਹਣਾ ਪੰਛੀ ਹੈਂ ।ਤੇਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਰੀਲੀ ਹੈ । ਮੇਰਾ ਜੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਇਕ ਮਿੱਠਾ ਗੀਤ ਸੁਣਾਂ । ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਗਾ ਕੇ ਸੁਣਾ ।” ਕਾਂ ਲੂੰਬੜੀ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ਾਮਦ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਫੁੱਲ ਗਿਆ । ਜਿਉਂ ਹੀ ਉਸ ਨੇ ਗਾਉਣ ਲਈ ਮੂੰਹ ਖੋਲ੍ਹਿਆ, ਤਾਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚੋਂ ਹੇਠਾਂ ਡਿਗ ਪਿਆ । ਲੂੰਬੜੀ ਪਨੀਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਝੱਟ-ਪੱਟ ਖਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਰਾਹ ਤੁਰਦੀ ਬਣੀ ਤੇ ਕਾਂ ਉਸ ਵਲ ਦੇਖਦਾ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਖ਼ੁਸ਼ਾਮਦ ਤੋਂ ਬਚੋ ।

3. ਦਰਜ਼ੀ ਅਤੇ ਹਾਥੀ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਕੋਲ ਇਕ ਹਾਥੀ ਸੀ । ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਨਦੀ ਵਿਚ ਨਹਾਉਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਦਰਿਆ ਦੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਬਜ਼ਾਰ ਆਉਂਦਾ ਸੀ । ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਇਕ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਸੀ । ਦਰਿਆ ਨੂੰ ਜਾਂਦਾ ਹੋਇਆ ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਕੋਲ ਰੁਕ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਦਰਜ਼ੀ ਇਕ ਨਰਮ ਦਿਲ ਆਦਮੀ ਸੀ । ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਖਾਣ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਅਤੇ ਦਰਜ਼ੀ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰ ਬਣ ਗਏ ।

ਇਕ ਦਿਨ ਦਰਜ਼ੀ ਘਰੋਂ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨਾਲ ਲੜ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ । ਉਸ ਦਾ ਮਨ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਹਾਥੀ ਵੀ ਉੱਥੇ ਆ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਦੁਕਾਨ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕੀਤੀ । ਦਰਜ਼ੀ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਖਾਣ ਲਈ ਨਾ ਦਿੱਤਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਸੂਈ ਚੋਭ ਦਿੱਤੀ ।

ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਇਸ ਕਰਤੂਤ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ । ਉਹ ਦਰਿਆ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਾ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਚਿੱਕੜ ਵਾਲਾ ਪਾਣੀ ਭਰ ਲਿਆ । ਵਾਪਸੀ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਸਾਰਾ ਚਿੱਕੜ ਲਿਆ ਕੇ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ । ਦਰਜ਼ੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕੱਪੜੇ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਗਏ । ਉਹ ਡਰਦਾ ਮਾਰਾਂ ਦੁਕਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਦੌੜ ਗਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਨੇ ਆਪਣਾ ਬਦਲਾ ਲੈ ਲਿਆ ।

ਸਿੱਟਾ : ਜਿਹਾ ਕਰੋਗੇ ਤਿਹਾ ਭਰੋਗੇ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

4. ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ
ਜਾਂ
ਕਿਸਾਨ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਇਕ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਦੇ ਚਾਰ ਪੁੱਤਰ ਸਨ । ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਆਪਸ ਵਿਚ ਲੜਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵਾਰੀ ਸਮਝਾਇਆ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਪਿਆਰ ਅਤੇ ਏਕਤਾ ਨਾਲ ਰਿਹਾ ਕਰਨ, ਪਰ ਉਹਨਾਂ ਉੱਪਰ ਪਿਤਾ ਦੀਆਂ ਨਸੀਹਤਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਸੀ ਹੁੰਦਾ ।

ਇਕ ਵਾਰੀ ਉਹ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਲੜਾਈ-ਝਗੜੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫ਼ਿਕਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਣ ਲਈ ਆਪਣੀ ਸਮਝ ਨਾਲ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਪਤਲੀਆਂ-ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜਾਂ ਦਾ ਇਕ ਬੰਡਲ ਮੰਗਾਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਬੰਡਲ ਵਿਚੋਂ ਇਕ-ਇਕ ਸੋਟੀ ਕੱਢ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੀ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਕਿਹਾ । ਚੌਹਾਂ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਕ-ਇਕ ਲੱਕੜੀ ਬੜੀ ਸੌਖ ਨਾਲ ਤੋੜ ਦਿੱਤੀ । ਫ਼ਿਰ ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਸਾਰਾ ਬੰਡਲ ਘੁੱਟ ਕੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਕੱਲਾ-ਇਕੱਲਾ ਇਸ ਸਾਰੇ ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਤੋੜੇ । ਕੋਈ ਵੀ ਪੁੱਤਰ ਉਸ ਬੰਨ੍ਹੇ ਹੋਏ

ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਨਾ ਤੋੜ ਸਕਿਆ । ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਹ ਇਹਨਾਂ ਪਤਲੀਆਂ-ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜੀਆਂ ਤੋਂ ਸਿੱਖਿਆ ਲੈਣ । ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈ-ਝਗੜਾ ਕਰ ਕੇ ਇਕੱਲੇ-ਇਕੱਲੇ ਰਹਿਣ ਦੀ ਥਾਂ ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਤਾਕਤ ਬਹੁਤ ਹੋਵੇਗੀ । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਰਲ-ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣ ਦਾ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ ।

5. ਲੇਲਾ ਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਬਘਿਆੜ ਇਕ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਪਾਣੀ ਪੀ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਨਿਵਾਣ ਵਲ ਉਸਨੇ ਇਕ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਪੀਂਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ । ਉਸਦਾ ਦਿਲ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਖਾ ਲਵੇ ।ਉਹ ਮਨ ਵਿਚ ਉਸਨੂੰ ਖਾਣ ਦੇ ਬਹਾਨੇ ਸੋਚਣ ਲੱਗਾ । ਉਸਨੇ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਉਸਦੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਉਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਲੇਲੇ ਨੇ ਡਰ ਕੇ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ ਪਾਣੀ ਤਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਵੱਲੋਂ ਮੇਰੀ ਵੱਲ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹਾਂ ।

ਬਘਿਆੜ ਨਿੱਠ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ ਪਰ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਹੱਥੋਂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾਣ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ । ਉਸਨੇ ਉਸਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਗਾਲਾਂ ਕਿਉਂ ਕੱਢੀਆਂ ਸਨ ?” ਲੇਲੇ ਨੇ ਫਿਰ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ, ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਤਾਂ ਮੈਂ ਜੰਮਿਆਂ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ।” ਹੁਣ ਬਘਿਆੜ ਕੋਲ ਚਾਰਾ ਨਾ ਰਿਹਾ ਤੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, ‘ਜੇਕਰ ਉਦੋਂ ਤੂੰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਤਾਂ ਤੇਰਾ ਪਿਓ-ਦਾਦਾ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਕਸੂਰਵਾਰ ਹੈਂ ।” ਇਹ ਕਹਿ ਕੇ ਉਸਨੇ ਝਪੱਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸਨੂੰ ਪਾੜ ਕੇ ਖਾ ਗਿਆ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਡਾਢੇ ਦਾ ਸੱਤੀਂ ਵੀਹੀਂ ਸੌ ।
ਜਾਂ
ਜ਼ੁਲਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਬਹਾਨਾ ਲੱਭ ਹੀ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

6. ਆਜੜੀ ਅਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰਨ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਕ ਦਿਨ ਉਸ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮਖੌਲ ਉਡਾਉਣਾ ਚਾਹਿਆ ।ਉਹ ਇਕ ਉੱਚੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉੱਚੀ-ਉੱਚੀ ਰੌਲਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗਾ, “ਬਆੜ ਬਘਿਆੜ ! ਮੈਨੂੰ ਬਚਾਓ ” ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ-ਕਾਰ ਛੱਡ ਕੇ . ਤੇ ਡਾਂਗਾਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਦੌੜੇ ਆਏ । ਜਦੋਂ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਤਾਂ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਅੱਗੋਂ ਹੱਸਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ, “ਬਆੜ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ? ‘ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਸਿਰਫ਼ ਉਹਨਾਂ ਨਾਲ ਮਖੌਲ ਹੀ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਬਘਿਆੜ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਆਇਆ । ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀ ਇਸ ਗੱਲ ‘ਤੇ ਬੜਾ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ । ਉਹ ਭਰੇ-ਪੀਤੇ ਵਾਪਸ ਮੁੜ ਗਏ ।

ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਜਦੋਂ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਬਘਿਆੜ ਸੱਚ-ਮੁੱਚ ਹੀ ਆ ਗਿਆ । ਉਹ ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੇਡਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰ-ਮਾਰ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗਾ । ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਬਹੁਤ ਰੌਲਾ ਪਾਇਆ । ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ, ਪਰ ਕੋਈ ਵੀ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਨਾ ਆਇਆ । ਬਘਿਆੜ ਨੇ ਮੁੰਡੇ ਉੱਤੇ ਝਪਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਵੀ ਮਾਰ ਕੇ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਕ ਵਾਰ ਝੂਠ ਬੋਲਣ ਕਰਕੇ ਉਸ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਗੁਆ ਲਈ । ਸੱਚ ਹੈ, ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

7. ਬਾਂਦਰ ਤੇ ਮਗਰਮੱਛ

ਇਕ ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਇਕ ਭਾਰਾ ਜਾਮਣ ਦਾ ਦਰੱਖ਼ਤ ਸੀ । ਉਸਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਾਲੀਆਂ ਸ਼ਾਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ । ਉਸ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਇਕ ਬਾਂਦਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਜੋ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਰੱਜ-ਰੱਜ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਕ ਦਿਨ ਇਕ ਮਗਰਮੱਛ ਦਰਿਆ ਹੇਠ ਤੁਰਦਾ-ਤੁਰਦਾ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਗਿਆ ਤੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਕੇ ਧੁੱਪ ਸੇਕਣ ਲੱਗਾ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਉਸਦੀ ਨਜ਼ਰ ਬਾਂਦਰ ਉੱਤੇ ਪਈ, ਜੋ ਕਿ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਤੇ ਟਪੂਸੀਆਂ ਮਾਰਦਾ ਸੀ । ਮਗਰਮੱਛ ਵੀ ਲਲਚਾਈਆਂ ਅੱਖਾਂ ਨਾਲ ਉਸ ਵਲ ਵੇਖਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਬਾਂਦਰ ਨੇ ਉਸ ਵਲ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਸੱਟ ਦਿੱਤੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਾ ਕੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਇਆ । ਉਸਨੇ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਆਪਣੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਲਈ ਵੀ ਰੱਖ ਲਈਆਂ ।

ਬਾਂਦਰ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰ ਕੇ ਉਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੈ ਕੇ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ । ਘਰ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਉਸਨੇ ਮਗਰਮੱਛਣੀ ਨੂੰ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਈਆਂ ਤੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਈ । ਹੁਣ ਮਗਰਮੱਛ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਜਾਂਦਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਉਸਦੇ ਖਾਣ ਲਈ ਜਾਮਣਾਂ ਸੁੱਟਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਖੂਬ ਦੋਸਤੀ ਪੈ ਗਈ ।

ਮਗਰਮੱਛ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਲਿਜਾ ਕੇ ਆਪਣੀ ਘਰਵਾਲੀ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਖਾ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਉਸਨੂੰ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਇਆ ਕਿ ਜਿਹੜਾ ਬਾਂਦਰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇੰਨੀਆਂ ਸੁਆਦੀ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਹੈ, ਉਸਦਾ ਕਲੇਜਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰ ਬਹੁਤ ਸੁਆਦ ਹੋਵੇਗਾ । ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੇ ਖਹਿੜੇ ਪਈ ਰਹਿੰਦੀ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਵੇ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਉਸਦਾ ਕਲੇਜਾ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਮਗਰਮੱਛ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨਾਲ ਧੋਖਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਪਰ ਘਰਵਾਲੀ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੱਦ ਪਈ ਹੋਈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲੈ ਕੇ ਆਵੇ ।

ਹਾਰ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਉਣ ਦਾ ਇਰਾਦਾ ਕਰ ਲਿਆ ।ਉਹ ਜਾਮਣ ਹੇਠ ਪੁੱਜਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਦੀਆਂ ਸੁੱਟੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਣ ਮਗਰੋਂ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, ਦੋਸਤਾਂ ਤੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਮੈਨੂੰ ਮਿੱਠੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਉਂਦਾ ਹੈਂ ਤੇ ਮੇਰੀ ਘਰਵਾਲੀ ਵੀ ਖਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਘਰ ਚਲੇ, ਤਾਂ ਜੋ ਤੇਰਾ ਸ਼ੁਕਰੀਆ ਅਦਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ ।”

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਬਾਂਦਰ ਝੱਟ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਿਆ , ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪਿੱਠ ਤੇ ਬਿਠਾ ਲਿਆ ਤੇ ਦਰਿਆ ਵਿਚ ਤਰਦਾ ਹੋਇਆ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ । ਅੱਧ ਕੁ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਅਸਲ ਗੱਲ ਦੱਸੀ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਦੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਉਸਦਾ ਦਿਲ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਉਸਨੂੰ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲਿਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

ਬਾਂਦਰ ਬੜਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਸੀ । ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਹੱਸਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਦੱਸਿਆ । ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਈ ਹੈ ਪਰ ਮੈਂ ਆਪਣਾ ਦਿਲ ਤਾਂ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਹੀ ਛੱਡ ਆਇਆ ਹਾਂ । ਦਿਲ ਲੈਣ ਲਈ ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਵਾਪਸ ਜਾਣਾ ਪਵੇਗਾ ।” ਜੇਕਰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਦਿਲ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਭਾਬੀ ਖਾਵੇਗੀ ਕੀ ? । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਮੁੜ ਉਸਨੂੰ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੋਲ ਲੈ ਆਇਆ । ਬਾਂਦਰ ਟਪੂਸੀ ਮਾਰ ਕੇ ਜਾਮਣ ਉੱਤੇ ਜਾ ਚੜ੍ਹਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਚੰਗਾ ਦੋਸਤ ਹੈਂ । ਜੋ ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਲੈਣੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈਂ । ਤੇਰੇ ਵਰਗੇ ਦੋਸਤ ਤੋਂ ਤਾਂ ਰੱਬ ਬਚਾਵੇ ।”

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਦੀ ਗੱਲ ਮੰਨ ਕੇ ਪਛਤਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਸੁਆਰਥੀ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਬਚੋ ।

8. ਸ਼ੇਰ ਅਤੇ ਹੀ

ਇਕ ਦਿਨ ਬਹੁਤ ਗਰਮੀ ਸੀ । ਇਕ ਸ਼ੇਰ ਇਕ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਛਾਂ ਹੇਠ ਸੁੱਤਾ ਪਿਆ ਸੀ । ਨੇੜੇ ਹੀ ਇਕ ਖੁੱਡ ਵਿਚ ਇਕ ਚੂਹੀ ਰਹਿੰਦੀ ਸੀ । ਚੂਹੀ ਆਪਣੀ ਖੁੱਡ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲੀ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਦੇ ਉੱਪਰ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਟੱਪਣ ਲੱਗੀ । ਸ਼ੇਰ ਨੂੰ ਜਾਗ ਆ ਗਈ । ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਚੂਹੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੰਜੇ ਵਿਚ ਫੜ ਲਿਆ । ਉਹ ਚੂਹੀ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਹੀ ਲੱਗਾ ਸੀ ਕਿ ਚੂਹੀ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੇਰੇ ਤੇ ਰਹਿਮ ਕਰੋ, ਮੈਥੋਂ ਭੁੱਲ ਹੋ ਗਈ ਹੈ । ਕਦੇ ਸਮਾਂ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੀ ਮਿਹਰਬਾਨੀ ਦਾ ਬਦਲਾ ਚੁਕਾਵਾਂਗੀ ।” ਸ਼ੇਰ ਨੇ ਉਸ ਉੱਤੇ ਤਰਸ ਖਾਧਾ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ।

ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਮਗਰੋਂ ਇਕ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਨੇ ਸ਼ੇਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਜਾਲ ਵਿਚ ਫਸਾ ਲਿਆ । ਸ਼ੇਰ ਨੇ ਜਾਲ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੱਥ-ਪੈਰ ਮਾਰੇ, ਪਰ ਵਿਅਰਥ ।ਉਹ ਦੁੱਖ ਨਾਲ ਗਰਜਣ ਲੱਗਾ । ਉਸ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਚੂਹੀ ਦੇ ਕੰਨੀ ਪਈ । ਚੂਹੀ ਆਪਣੀ ਖੁੱਡ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲੀ । ਉਸ ਨੇ ਜਾਲ ਦੀਆਂ ਰੱਸੀਆਂ ਨੂੰ ਟੁੱਕਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਜਲਦੀ ਹੀ ਸ਼ੇਰ ਜਾਲ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਚੂਹੀ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ ।

ਸਿੱਟਾ : ਅੰਤ ਭਲੇ ਦਾ ਭਲਾ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

9. ਮਿੱਤਰ, ਉਹ ਜੋ ਔਖੇ ਵੇਲੇ ਕੰਮ ਆਵੇ

ਸੁਰਿੰਦਰ ਅਤੇ ਮਹਿੰਦਰ ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਬੜੇ ਪੱਕੇ ਮਿੱਤਰ ਸਨ । ਇਕ ਵਾਰ ਉਹ ਕਿਸੇ ਨੌਕਰੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਘਰੋਂ ਤੁਰ ਪਏ । ਦੋਹਾਂ ਨੇ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਵਿਚ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਨ ਦਾ ਇਕਰਾਰ ਕੀਤਾ ।

ਤੁਰਦੇ-ਤੁਰਦੇ ਉਹ ਇਕ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਜਾ ਪੁੱਜੇ । ਉਹਨਾ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਲ ਇਕ ਜੰਗਲੀ ਰਿੱਛ ਆਉਂਦਾ ਦੇਖਿਆ । ਸੁਰਿੰਦਰ ਨੂੰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਇਕ ਦਮ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਸਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਬਚਾ ਲਈ ।

ਮਹਿੰਦਰ ਬੜਾ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋਇਆ ਕਿ ਉਹ ਕੀ ਕਰੇ ? ਉਸ ਦਾ ਜੀਵਨ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਸੀ । ਉਸ ਨੂੰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਆਉਂਦਾ । ਉਸ ਨੇ ਸਮਝ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲਿਆ । ਉਹ ਸਾਹ ਘਸੀਟ ਕੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਲੰਮਾ ਪੈ ਗਿਆ । ਰਿੱਛ ਉਸ ਦੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜਾ । ਉਸ ਨੇ ਮਹਿੰਦਰ ਨੂੰ ਸੁੰਘਿਆ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨ ਨੂੰ ਮੂੰਹ ਲਾ ਕੇ ਦੇਖਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਸਮਝਿਆ ਕਿ ਮਹਿੰਦਰ ਮੁਰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਚਲਾ ਗਿਆ ।

ਸੁਰਿੰਦਰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਤੋਂ ਉੱਤਰਿਆ । ਇਹ ਮਹਿੰਦਰ ਨੂੰ ਪੁੱਛਣ ਲੱਗਾ, “ਰਿੱਛ ਨੇ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨ ਵਿਚ ਕੀ ਕਿਹਾ ਸੀ ?” ਮਹਿੰਦਰ ਨੇ ਇਕ ਦਮ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ, “ਰਿੱਛ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਨਸੀਹਤ ਦਿੰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਮਤਲਬੀ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।” ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਸੁਰਿੰਦਰ ਬਹੁਤ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਹੋਇਆ । ਮਹਿੰਦਰ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਮਿੱਤਰਤਾ ਦਾ ਸਦਾ ਲਈ ਤਿਆਗ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਨੂੰ ਸਮਝ ਲੱਗ ਗਈ, “ਮਿੱਤਰ, ਉਹ ਜੋ ਔਖੇ ਵੇਲੇ ਕੰਮ ਆਵੇ ।

10. ਹੰਕਾਰੀ ਬਾਰਾਂਸਿਝਾ

ਇਕ ਵਾਰ ਇਕ ਬਾਰਾਂਸਿਕਾਂ ਇਕ ਤਲਾ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਾਣੀ ਪੀ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਪਾਣੀ ਬਹੁਤ ਸਾਫ਼ ਸੀ । ਬਾਰਾਂਸਿਵੇਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਪਰਛਾਵਾਂ ਦਿਸਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਖੂਬਸੂਰਤ ਸਿੰਝ ਦੇਖੇ ਤੇ ਬੜਾ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਿੰਘਾਂ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ’ਤੇ ਬੜਾ ਮਾਣ ਹੋਇਆ । ਫਿਰ ਉਸ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਆਪਣੀਆਂ ਪਤਲੀਆਂ ਤੇ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ‘ਤੇ ਪਈ । ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਦਸੂਰਤੀ ਦੇਖ ਕੇ ਉਦਾਸ ਹੋ ਗਿਆ । ਉਹ ਰੱਬ ਨੂੰ ਬੁਰਾ-ਭਲਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਬਹੁਤ ਭੱਦੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਹਨ ।

ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਹੀ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨੀ ਕੁੱਝ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤਿਆਂ ਦੀ ਆਵਾਜ ਪਈ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਪੈਰ ਰੱਖ ਕੇ ਦੌੜਿਆ । ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਦੂਰ ਲੈ ਗਈਆਂ । ਉਹ ਇਨ੍ਹਾਂ ਲੱਤਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤਿਆਂ ਦੇ ਕਦੇ ਵੀ ਕਾਬੂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਆ ਸਕਦਾ । ਪਰ ਬਦਕਿਸਮਤੀ ਨਾਲ ਉਸ ਦੇ ਸਿੰਙ ਇਕ ਝਾੜੀ ਵਿਚ ਫ਼ਸ ਗਏ ।ਉਸ ਨੇ ਝਾੜੀ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਦੀ ਬਹੁਤ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਵਿਅਰਥ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤੇ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚ ਗਏ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਫੜ ਕੇ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਨ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਮੱਦਦ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਸੁੰਦਰ ਸਿੰ . ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਨ ਲੈ ਲਈ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਹਰ ਇਕ ਚਮਕਦੀ ਚੀਜ਼ ਸੋਨਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

11. ਸਿਆਣਾ ਕਾਂ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸੋਹਣਾ ਬਾਗ਼ ਸੀ, ਜਿਸਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਕ ਵੱਡਾ ਤਲਾਬ ਸੀ । ਰਾਜੇ . ਦਾ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਬਾਗ਼ ਵਿਚ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਕੁੱਝ ਸਮਾਂ ਸੈਰ-ਸਪਾਟਾ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਉਹ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਸਰੋਵਰ ਵਿਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਦਾ ਸੀ ।

ਉਸ ਤਲਾਬ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦੂਰ ਇਕ ਪੁਰਾਣਾ ਬੋਹੜੇ ਦਾ ਦਰੱਖ਼ਤ ਸੀ । ਉਸ ਉੱਤੇ ਇਕ ਕਾਂ ਅਤੇ ਕਾਉਣੀ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਬੋਹੜ ਦੀ ਇਕ ਖੋੜ੍ਹ ਵਿਚ ਇਕ ਵੱਡਾ ਸੱਪ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਵੀ ਕਾਉਣੀ ਆਂਡੇ ਦਿੰਦੀ, ਤਾਂ ਸੱਪ ਅੱਖ ਬਚਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੀ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਕਾਂ ਅਤੇ ਕਾਉਣੀ ਇਸ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਸਨ, ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੋਈ ਰਾਹ ਨਹੀਂ ਸੀ ਲੱਭਦਾ ।

ਇਕ ਦਿਨ ਕਾਂ ਨੇ ਇਕ ਤਰੀਕਾ ਸੋਚਿਆ । ਜਦੋਂ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਬਾਗ਼ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਤਲਾਬ ਵਿਚ ਨੁਹਾਉਣ ਲਈ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਆਪਣੇ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਤਲਾਬ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਰੱਖੇ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਆਪਣੇ ਗਲੋਂ ਲਾਹ ਕੇ ਸੋਨੇ ਦਾ ਹਾਰ ਵੀ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ।

ਜਦੋਂ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਨਹਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਕਾਂ ਨੇ ਹਾਰ ਆਪਣੀ ਚੁੰਝ ਵਿਚ ਚੁੱਕ ਲਿਆ ਤੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਉੱਡਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਹਾਰ ਚੁੱਕਦਿਆਂ ਦੇਖ ਲਿਆ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਮਗਰ ਲਾ ਦਿੱਤਾ । ਕਾਂ ਨੇ ਬੋਹੜ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੋਲ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਹਾਰ ਉਸਦੀ ਖੋੜ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ । ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਡਾਂਗ ਨਾਲ ਖੋੜ ਵਿਚੋਂ ਹਾਰ ਕੱਢਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ । ਪਰੰਤੁ ਆਪਣੇ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਦੇਖ ਕੇ ਸੱਪ ਬਾਹਰ ਆ ਗਿਆ । ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਸੱਪ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਹਾਰ ਖੋੜ੍ਹ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਲਿਆ । ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਹਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ । ਕਾਂ ਤੇ ਕਾਉਣੀ ਇਹ ਸਭ ਕੁੱਝ ਦੇਖ ਰਹੇ ਸਨ । ਉਹ ਸੱਪ ਨੂੰ ਮਰਿਆ ਦੇਖ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਏ । ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਂਡਿਆਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਖ਼ਤਰਾ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕਾਂ ਨੇ ਸਿਆਣਪ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਮੁਕਾ ਲਿਆ ਤੇ ਦੋਵੇਂ ਸੁਖੀ-ਸੁਖੀ ਰਹਿਣ ਲੱਗੇ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਮੁਸੀਬਤ ਸਮੇਂ ਸਿਆਣਪ ਹੀ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
ਜਾਂ
ਸਾਨੂੰ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਘਬਰਾਉਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ, ਸਗੋਂ ਸਿਆਣਪ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

12. ਦੋ ਆਲਸੀ ਮਿੱਤਰ

ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਦੋ ਨੌਜਵਾਨ ਮਿੱਤਰ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਦੋਵੇਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸਸਤ ਤੇ ਆਲਸੀ ਸਨ । ਉਹ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰਦੇ । ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਤੁਰ ਪਏ । ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਧੁੱਪ ਬਹੁਤ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਵਾਲੀ ਬੇਰੀ ਹੇਠ ਲੰਮੇ ਪੈ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਲੰਮੇ ਪਿਆ ਦੇਖਿਆ ਕੇ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਲਾਲ-ਲਾਲ ਬੇਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ ।

ਲੰਮਾ ਪਿਆ-ਪਿਆ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਤੇ ਦੂਜਾ ਪਹਿਲੇ ਨੂੰ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਬੇਰ ਲਾਹਵੇ । ਆਲਸੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਦੋਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਨਾ ਉੱਠਿਆ ਤੇ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਏ ਰਹੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਮੂੰਹ ਅੱਡੇ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗੇ, “ਲਾਲ-ਲਾਲ ਬੇਰੋ, ਸਾਨੂੰ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ, ਤੁਸੀਂ ਆਪ ਹੀ ਸਾਡੇ ਮੂੰਹਾਂ ਵਿਚ ਡਿਗ ਪਵੋ ।’’ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਮੂੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਪਏ ਰਹੇ । , ਸ਼ਾਮ ਤਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਬੇਰ ਤਾਂ ਕੋਈ ਨਾ ਡਿੱਗਿਆ, ਪਰ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਵਿੱਠਾਂ ਜ਼ਰੂਰ ਡਿਗਦੀਆਂ ਰਹੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਬਹੁਤ ਗੰਦੇ ਹੋ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹਾਂ ਉੱਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਬੈਠਣ ਲੱਗੀਆਂ, ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਡਾਉਣ ਦੀ ਹਿੰਮਤ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰ ਰਹੇ ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਇਕ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਉੱਧਰੋਂ ਲੰਘਿਆ । ਉਹ ਘੋੜੇ ਤੋਂ ਉੱਤਰਿਆ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਉਹ ਮੁੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਕਿਉਂ ਪਏ ਹਨ । ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਨਾਲ ਦਾ ਉਸਦਾ ਮਿੱਤਰ ਬਹੁਤ ਸੁਸਤ ਹੈ ।ਉਹ ਉਸ ਲਈ ਬੇਰੀ ਤੋਂ ਬੇਰ ਲਾਹ ਕੇ ਨਹੀਂ ਲਿਆਉਂਦਾ । ਦੂਜਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਦਾ ਦੋਸਤ ਉਸ ਤੋਂ ਵੀ ਵਧੇਰੇ ਸੁਸਤ ਹੈ । ਉਹ ਉਸਦੇ ਮੂੰਹ ਤੋਂ ਮੱਖੀਆਂ ਨਹੀਂ ਉਡਾਉਂਦਾ ।

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਨੂੰ ਸਾਰੀ ਗੱਲ ਸਮਝ ਆ ਗਈ । ਉਹ ਸਮਝ ਗਿਆ ਕਿ ਦੋਵੇਂ ਮਿੱਤਰ ਆਲਸੀ ਤੇ ਸੁਸਤ ਹਨ । ਉਸਨੇ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਖੂਬ ਕੁਟਾਪਾ ਚਾੜ੍ਹਿਆ ਤੇ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨ ਲਈ ਕਿਹਾ । ਕੁੱਟ ਤੋਂ ਡਰਦੇ ਦੋਵੇਂ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ ਕੇ ਤੇ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਬੇਰ ਤੋੜ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਢਿੱਡ ਭਰ ਕੇ ਮਿੱਠੇ ਬੇਰ ਖਾਧੇ ਤੇ ਜਦੋਂ ਉਹ ਹੇਠਾਂ ਉੱਤਰੇ ਤਾਂ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਜਾ ਚੁੱਕਾ ਸੀ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਆਲਸ ਜਾਂ ਸੁਸਤੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਬਿਮਾਰੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ

13. ਇਮਾਨਦਾਰ ਲੱਕੜਹਾਰਾ
ਜਾਂ
ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਦਾ ਫਲ ਮਿੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ

ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਇਕ ਗ਼ਰੀਬ ਲੱਕੜਹਾਰਾ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਬਹੁਤ ਇਮਾਨਦਾਰ ਸੀ । ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਲੱਕੜਾਂ ਕੱਟਣ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਪੁੱਜਾ ਅਤੇ ਇਕ ਦਰੱਖ਼ਤ ਨੂੰ ਕੱਟਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਅਜੇ ਉਸ ਨੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੇ ਮੁੱਢ ਵਿਚ ਪੰਜ-ਸੱਤ ਕੁਹਾੜੇ ਹੀ ਮਾਰੇ ਸਨ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਹੱਥੋਂ ਛੁੱਟ ਕੇ ਨਦੀ ਵਿਚ ਡਿਗ ਪਿਆ ।

ਨਦੀ ਦਾ ਪਾਣੀ ਬਹੁਤ ਡੂੰਘਾ ਸੀ । ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਨਾ ਤਰਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਨਾ ਚੁੱਭੀ ਲਾਉਣੀ । ਉਹ ਬਹੁਤ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋਇਆ, ਪਰ ਕਰ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ ਸੀ ਸਕਦਾ ।ਉਹ ਬੈਠ ਕੇ ਰੋਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਦਾ ਦੇਵਤਾ ਉਸ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਪ੍ਰਗਟ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਰੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪੁੱਛਿਆ । ਵਿਚਾਰੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਸਾਰੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਕਹਾਣੀ ਸੁਣਾਈ । ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਅਤੇ ਸੋਨੇ ਦਾ ਇਕ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ । ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਨਹੀਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਇਹ ਨਹੀਂ ਲਵੇਗਾ । ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਫਿਰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਤੇ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਇਕ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ ।ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਵੀ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਨਹੀਂ; ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਲੋਹੇ ਦਾ ਹੈ; ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਕੁੜਾਹਾ ਨਹੀਂ ਲਵੇਗਾ । ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਤੀਜੀ ਵਾਰੀ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ । ਲੱਕੜਹਾਰਾ ਆਪਣਾ ਕੁਹਾੜਾ ਦੇਖ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਇਹ ਹੀ ਮੇਰਾ ਕੁਹਾੜਾ ਹੈ । ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਦੇ ਦੇਵੋ।” ਲੱਕੜ੍ਹਾਰੇ ਦੀ ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਦੇਵਤਾ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਬਾਕੀ ਦੋਨੋਂ ਕੁਹਾੜੇ ਵੀ ਇਨਾਮ ਵਜੋਂ ਦੇ ਦਿੱਤੇ ।

ਸਿੱਖਿਆ : ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਦਾ ਫਲ ਮਿੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Punjabi Rachana ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

1. ਤੁਹਾਡੇ ਮਾਮਾ (ਚਾਚਾ) ਜੀ ਨੇ ਤੁਹਾਡੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ‘ਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਕ ਗੁੱਟ-ਘੜੀ ਭੇਜੀ ਹੈ । ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
…………ਸਕੂਲ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ ।
16 ਜਨਵਰੀ, 20…..

ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਮਾਮਾ ਜੀ,

ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ । ਮੈਨੂੰ ਕਲ ਆਪਣੇ ਜਨਮ ਦਿਨ ‘ਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਭੇਜੀ ਹੋਈ ਗੁੱਟ-ਘੜੀ ਮਿਲ ਗਈ ਹੈ । ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੋਹਣੀ ਹੈ । ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਦੀ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰਤ ਸੀ । ਮੇਰੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੀ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਕੀਤੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਮੇਰਾ ਜੀਵਨ ਨਿਯਮਬੱਧ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ਤੇ ਮੈਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਵਧੇਰੇ ਧਿਆਨ ਦੇ ਸਕਾਂਗਾ । ਮੈਂ ਆਪ ਵਲੋਂ ਭੇਜੇ ਇਸ ਤੋਹਫ਼ੇ ਲਈ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ।

ਆਪ ਦਾ ਭਾਣਜਾ,
ਸੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ॥

ਟਿਕਟ
ਸ: ਮਨਦੀਪ ਸਿੰਘ,
20, ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ,
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

2. ਤੁਹਾਡਾ ਇਕ ਮਿੱਤਰ/ਸਹੇਲੀ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ/ਗਈ ਹੈ । ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਹੌਸਲਾ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
………. ਸਕੂਲ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ ।
20 ਅਪਰੈਲ, 20….

ਪਿਆਰੇ ਬਰਜਿੰਦਰ,

ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈਂ । ਮੈਂ ਸਮਝਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਇਸ ਵਿਚ ਤੇਰਾ ਕੋਈ ਕਸੂਰ ਨਹੀਂ । ਤੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਦੋ ਮਹੀਨੇ ਬਿਮਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾ ਸਕਿਆ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਬਹੁਤ ਪਛੜ ਗਈ ਸੀ । ਜੇਕਰ ਤੂੰ ਬਿਮਾਰ ਨਾ ਹੁੰਦਾ, ਤਾਂ ਤੂੰ ਕਦੇ ਵੀ ਫੇਲ੍ਹ ਨਾ ਹੁੰਦਾ । ਤੈਨੂੰ ਮੇਰੀ ਇਹੋ ਹੀ ਸਲਾਹ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਹੌਂਸਲਾ ਬਿਲਕੁਲ ਨਾ ਹਾਰ, ਸਗੋਂ ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਪੂਰਾ-ਪੂਰਾ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦਾ ਹੋਇਆ ਅੱਗੋਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਉਂਦੀ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ , ਤੂੰ ਜ਼ਰੂਰ ਹੀ ਪਾਸ ਹੋ ਜਾਵੇਂਗਾ ।

ਤੇਰਾ ਮਿੱਤਰ,
ਹਰਜਿੰਦਰ ।

ਟਿਕਟ
ਬਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਸਪੁੱਤਰ,
ਸ: ਲਾਲ ਸਿੰਘ,
88, ਫਰੈਂਡਜ਼ ਕਾਲੋਨੀ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ।

3. ਤੁਹਾਡਾ ਮਿੱਤਰ/ਸਹੇਲੀ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਾਸ ਹੋ ਗਿਆ/ਗਈ ਹੈ । ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਵਧਾਈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……….ਸਕੂਲ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ ।
28 ਅਪਰੈਲ, 20….

ਪਿਆਰੀ ਕੁਲਵਿੰਦਰ,

ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ । ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਇਹ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਹੋਈ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਰਹਿ ਕੇ ਛੇਵੀਂ ਦਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਪਾਸ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਸਫਲਤਾ ਉੱਤੇ ਤੈਨੂੰ ਦਿਲੀ ਵਧਾਈ ਭੇਜਦੀ ਹਾਂ । ਆਪ ਦੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਹਰਜੀਤ ।

ਟਿਕਟ,
ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਕੌਰ,
ਸਪੁੱਤਰੀ ਸ: ਮਹਿੰਦਰ ਸਿੰਘ,
823, ਹਰਨਾਮਦਾਸ ਪੁਰਾ,
ਜਲੰਧਰ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

4. ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਲਾਨਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਵਿਚ ਪਾਸ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਦੇਣ ਲਈ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ ।
ਜਾਂ
ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਤੋਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਅਤੇ ਕਾਪੀਆਂ ਖ਼ਰੀਦਣ ਲਈ ਪੈਸੇ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
………. ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ ।
5 ਅਪਰੈਲ, 20…..

ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਪਿਤਾ ਜੀ,

ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ । ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿ ਮੈਂ ਪੰਜਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਪਾਸ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ । ਮੈਂ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਮੈਂ ਹੁਣ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋਣਾ ਹੈ ਤੇ ਨਵੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਤੇ ਕਾਪੀਆਂ ਖ਼ਰੀਦਣੀਆਂ ਹਨ | ਆਪ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਮੈਨੂੰ 1500 ਰੂਪਏ ਭੇਜ ਦੇਵੋ । 15 ਤਰੀਕ ਤੋਂ ਸਾਡੀ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ । ਮਾਤਾ ਜੀ, ਸੰਦੀਪ ਅਤੇ ਨਵਨੀਤ ਵਲੋਂ ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ।

ਆਪ ਦਾ ਸਪੁੱਤਰ,
ਅਰਸ਼ਦੀਪ ।

ਟਿਕਟ
ਸ: ਹਰਨੇਕ ਸਿੰਘ,
285, ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਊਨ,
ਜਲੰਧਰ ।

5. ਆਪਣੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਚਾਚੇ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਨੂੰ ਸੱਦਾ-ਪੱਤਰ ਭੇਜੋ ।

28, ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਊਨ,
ਸੋਨੀਪਤ
8 ਜਨਵਰੀ, 20…..

ਪਿਆਰੇ ਸਤੀਸ਼,

ਤੈਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬੜੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿ 11 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਮੇਰਾ 11ਵਾਂ ਜਨਮਦਿਨ ਹੈ। ਅਤੇ ਮੈਂ ਇਸ ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੇ ਭਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਚਾਹ ਦੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਇਸ ਲਈ ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਇਸ ਦਿਨ ਆਪਣੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਦੀ ਚਾਹ-ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਣ ਲਈ ਸੱਦਾ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਛੋਟੇ ਭਰਾ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ 4 ਵਜੇ ਬਾਅਦ ਦੁਪਹਿਰ ਸਾਡੇ ਘਰ ਜ਼ਰੂਰ ਪੁੱਜ ਜਾਵੀਂ । ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਨਿਰਾਸ਼ ਨਹੀਂ ਕਰੇਂਗਾ । . ਮੇਰੇ ਵੱਲੋਂ ਚਾਚਾ ਜੀ ਤੇ ਚਾਚੀ ਜੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਣਾਮ । ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ ਸਹਿਤ ।

ਤੇਰਾ ਵੀਰ,
ਅਰੁਣ ਕੁਮਾਰ ।

ਟਿਕਟ
ਸਤੀਸ਼ ਕੁਮਾਰ,
9208, ਸੈਕਟਰ 26A,
ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

6. ਆਪਣੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੀ ਸ਼ਾਦੀ ਉੱਤੇ, ਬਰਾਂਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ, ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਸਹੇਲੀ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……… ਸਕੂਲ,
……… ਸ਼ਹਿਰ ।
8 ਦਸੰਬਰ, 20……

ਪਿਆਰੀ ਅਮਨਦੀਪ,
ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ !

ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੀ ਸ਼ਾਦੀ 18 ਦਸੰਬਰ, 20…. ਦਿਨ ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਹੋਣੀ ਨਿਸਚਿਤ ਹੋਈ ਹੈ । ਇਸ ਦਿਨ ਬਰਾਤ ਸਵੇਰੇ 6 ਵਜੇ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਲਈ ਤੁਰੇਗੀ । ਮੈਂ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹਾਂ ਕਿ ਤੂੰ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਕੇ ਸਾਡੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਰੇਂ । ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਮੰਮੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ਤੇ ਤੈਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਹੈ । ਸੋ, ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਣ ਲਈ ਤੂੰ ਇਕ ਰਾਤ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜ ਜਾਵੇਂ ਤਾਂ ਵਧੇਰੇ ਠੀਕ ਹੈ | ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਤੀਬਰਤਾ ਨਾਲ ਤੇਰੀ ਉਡੀਕ ਕਰਾਂਗੇ ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਮਨਪ੍ਰੀਤ ॥

ਟਿਕਟ
ਅਮਨਦੀਪ ਕੌਰ,
260/ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ,
ਲੁਧਿਆਣਾ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

7. ਤੁਹਾਡਾ ਭਰਾ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਦਿਲਚਸਪੀ ਰੱਖਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਨਹੀਂ, ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
…….. ਸਕੂਲ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ।
5 ਜਨਵਰੀ, 20….

ਪਿਆਰੇ ਜਸਵਿੰਦਰ,

ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ । ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਉਹਨਾਂ ਮੈਨੂੰ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਹਰ ਵੇਲੇ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਮਸਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈਂ ਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਬਿਲਕੁਲ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦਾ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਨੌਮਾਹੀ ਇਮਤਿਹਾਨਾਂ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਮਜ਼ਮੂਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈਂ । ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲੋਂ ਇਸ ਲਾਪਰਵਾਹੀ ਨੂੰ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਤੇਰੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਤੈਨੂੰ ਹੁਣ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਸਮਾਂ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ।

ਮੈਂ ਇਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਕਿ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਖੇਡਾਂ ਤਾਸ਼ ਜਾਂ ਵੀ. ਡੀ. ਓ. ਗੇਮਾਂ ਨਹੀਂ ਬਲਕਿ ਹਾਕੀ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਵਾਲੀਵਾਲ ਜਾਂ ਕਬੱਡੀ ਆਦਿ ਹਨ, ਜੇਕਰ ਤੇਰਾ ਦਿਲ ਚਾਹੇ, ਤਾਂ ਤੂੰ ਇਹਨਾਂ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਸੇ ਇਕ ਵਿਚ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਘੰਟਾਂ ਡੇਢ ਘੰਟਾ ਭਾਗ ਲੈ ਸਕਦਾ ਹੈਂ। ਇਸ ਨਾਲ ਤੇਰੇ ਕਿਤਾਬੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨਾਲ ਥੱਕੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ਗੀ ਮਿਲੇਗੀ । ਤੈਨੂੰ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ । ਤੈਨੂੰ ਇਹ ਨਹੀਂ ਭੁੱਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿ “ਖੇਡਾਂ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਹਨ, ਨਾ ਕਿ ਜੀਵਨ ਖੇਡਾਂ ਲਈ । ਇਸ ਲਈ ਤੈਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਖੇਡਣ ਲਈ ਉਸ ਸਮੇਂ ਹੀ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਤੇਰਾ ਦਿਮਾਗ਼ ਪੜ੍ਹ-ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਥੱਕ ਚੁੱਕਾ ਹੋਵੇ । ਇਸ ਨਾਲ ਤੇਰੀ ਸਿਹਤ ਵੀ · ਠੀਕ ਰਹੇਗੀ ਤੇ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵੀ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਚਲਦੀ ਰਹੇਗੀ !

ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੀਆਂ ਉਪਰੋਕਤ ਨਸੀਹਤਾਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖੇਂਗਾ ਤੇ ਅੱਗੋਂ ਮੈਨੂੰ ਮਾਤਾ ਜੀ ਵਲੋਂ ਤੇਰੇ ਵਿਰੁੱਧ ਕੋਈ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲੇਗੀ ।

ਤੇਰਾ ਵੱਡਾ ਵੀਰ,
ਗੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ॥

ਟਿਕਟ
ਜਸਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ: 88 VI A,
ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ,
ਕੋਹਾ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਲੰਧਰ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

8. ਆਪਣੀ ਸਹੇਲੀ/ਮਿੱਤਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੱਸਦੇ ਹੋਏ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋਣ ਲਈ ਪ੍ਰੇਮ੍ਰਿਤ ਕਰੋ ।

2828 ਮਾਡਲ ਟਾਉਨ,
ਲੁਧਿਆਣਾ |
2 ਅਪਰੈਲ, 20…….

ਪਿਆਰੇ ਗੁਰਜੀਤ,

ਮਿੱਠੀਆਂ ਯਾਦਾਂ । ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਤੂੰ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਚੰਗਾ ਡ ਲੈ ਕੇ ਪਾਸ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ । ਅੱਗੋਂ ਮੈਂ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਵਾਲਾ ਸਕੂਲ ਛੱਡ ਕੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਮੇਰੇ ਵਾਲੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋ ਜਾਹ । ਇਸ ਨਾਲ ਇਕ ਤਾਂ ਆਪਾਂ ਦੋਵੇਂ ਦੋਸਤ +2 ਤਕ ਇੱਕੋ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਪੜ੍ਹ ਸਕਾਂਗੇ । ਦੂਜਾ ਇੱਥੋਂ ਦਾ ਸਟਾਫ਼ ਤੇਰੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਰਕਾਰੀ ਸਕੂਲ ਨਾਲੋਂ ਬਹੁਤ ਮਿਹਨਤੀ ਤੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਬਹੁਤ ਚੰਗੀ ਹੈ । ਜਿਹੜਾ ਤੂੰ ਕਹਿੰਦਾ ਹੈਂ ਕਿ ਤੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿੱਚ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੈਂ, ਤੇਰੀ ਇਹ ਸਾਰੀ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦੋ-ਤਿੰਨ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਦੂਰ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ । ਇੱਥੇ ਹਿਸਾਬ ਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਵਿਗਿਆਨ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਵਾਲੇ ਅਧਿਆਪਕ ਵੀ ਬਹੁਤ ਸਿਆਣੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਹਰ ਇੱਕ ਚੀਜ਼ ਫਟਾਫਟ ਸਮਝ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਤੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਖੇਡ-ਮੈਦਾਨਾਂ ਤੇ ਖੇਡ-ਸਿਖਲਾਈ ਦਾ ਵੀ ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਪ੍ਰਬੰਧ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਸਵਿਮਿੰਗ ਪੂਲ ਵੀ ਹੈ । ਜਿੱਥੇ ਅਸੀਂ ਤੈਰਨਾ ਸਿੱਖਾਂਗੇ ਤੇ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲਵਾਂਗੇ । ਮੇਰਾ ਖ਼ਿਆਲ ਹੈ ਕਿ ਇੱਥੇ ਆ ਕੇ ਤੇਰਾ ਦਿਲ ਬਹੁਤ ਲੱਗੇਗਾ ਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਵੀ ਤੇਰੀ ਹਰ ਪਾਸਿਓਂ ਤਰੱਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ।

ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਗੱਲ ਕੀਤੀ ਹੈ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਜੇਕਰ ਤੇਰਾ ਹੋਸਟਲ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਤੂੰ ਸਾਡੇ ਘਰ ਹੀ ਰਹਿ ਕੇ ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈਂ । ਮੇਰਾ ਖ਼ਿਆਲ ਹੈ ਕਿ ਤੈਨੂੰ ਮੇਰੀ ਸਲਾਹ ਪਸੰਦ ਆਈ ਹੋਵੇਗੀ । ਮੈਂ ਆਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਨਾਲ ਸਲਾਹ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਜਲਦੀ ਪਤਾ ਦੇਵੇਂਗਾ ।

ਜਲਦੀ ਉੱਤਰ ਦੀ ਉਡੀਕ ਵਿੱਚ ।

ਤੇਰਾ ਮਿੱਤਰ,
ਹਰਮੀਤ ॥

ਪਤਾ
ਗੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ
ਸਪੁੱਤਰ ਕਰਮਜੀਤ ਸਿੰਘ ,
ਪਿੰਡ ਤੇ ਡਾ : ਮੁੰਡੀਆਂ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ।

9. ਤੁਹਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਸਫ਼ਾਈ, ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇ ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਨਹੀਂ। ਇਸ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰਨ ਲਈ ਆਪਣੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਨਗਰ ਨਿਗਮ (ਮਿਉਂਸਿਪਲ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨ) ਦੇ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਨੂੰ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……….ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ ।
19 ਅਗਸਤ, 20…

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਸਾਹਿਬ,
ਨਗਰ ਨਿਗਮ,
………….. ਸ਼ਹਿਰ ।

ਸੀਮਾਨ ਜੀ,

ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਆਪੁ ਦਾ ਧਿਆਨ ਆਪਣੇ ਮੁਹੱਲੇ ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਉਨ ਵਲ ਦਿਵਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ । ਇੱਥੇ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਢੇਰ ਲੱਗੇ ਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਛੱਪੜ ਭਰੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਰਾਤ ਨੂੰ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਕੋਈ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਰਹਿਣਾ ਬਹੁਤ ਔਖਾ ਹੋਇਆ ਪਿਆ ਹੈ ।

ਇਸ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਢੇਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਲੋਕ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਪਸ਼ੂ ਬੰਨ੍ਹਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਗੋਹੇ ਨਾਲ ਭਰੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਲੋਕ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਟੱਟੀਆਂ ਫਿਰਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਸਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਦਾ ਕੁੱਝ ਭਾਗ ਕਾਫ਼ੀ ਨੀਵਾਂ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਥੋੜ੍ਹੀ ਜਿਹੀ ਬਰਸਾਤ ਹੋਣ ਨਾਲ ਇੱਥੇ ਪਾਣੀ ਖੜ੍ਹਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਫ਼ਾਈ-ਸੇਵਕ ਬੜੀ ਬੇਪਰਵਾਹੀ ਨਾਲ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਹਨ | ਅਸੀਂ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਕਈ ਵਾਰ ਕਿਹਾ ਹੈ, ਪਰ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਕੰਨਾਂ ‘ਤੇ ਜੂੰ ਨਹੀਂ ਸਰਕਦੀ । ਕਈ ਵਾਰੀ ਸੀਵਰੇਜ ਬੰਦ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਗਲੀਆਂ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੜਾਂਦ ਮਾਰਦੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਕੋਈ ਯੋਗ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ । ਮੱਛਰ ਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਬੜੇ ਮਜ਼ੇ ਨਾਲ ਪਲ ਰਹੇ ਹਨ | ਪਿਛਲੇ ਹਫ਼ਤੇ ਹੈਜ਼ੇ ਦੇ ਦੋ ਕੇਸ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ | ਅਜਿਹੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਕਰਕੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸਹਿਮ ਛਾਇਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮਹੱਲੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਬਲਬ ਟੁੱਟ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ਤੇ ਕਈ ਫਿਊਜ਼ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ । ਪਿਛਲੇ ਛੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਤੋਂ ਇਸ ਪਾਸੇ ਵਲ ਕੋਈ ਕਰਮਚਾਰੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਕਰਨ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਚੁੱਕੀਆਂ ਹਨ । ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਦੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਦੀ ਇਸ ਮਹੱਲੇ ਵਲ ਅਣਗਹਿਲੀ ਦੇਖ ਕੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਪਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਸਾਡਾ ਮੁਹੱਲਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਦੇ ਨਕਸ਼ ਵਿਚ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

ਅਸੀਂ ਆਸ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਸਾਡੀ ਬੇਨਤੀ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਮੁਹੱਲਾ ਨਿਵਾਸ ਆਂ ਨੂੰ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਕਿਸੇ ਛੂਤ ਦੇ ਰੋਗ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਇਸਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰੋਗੇ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੀਕ ਕਰਨ ਵਲ ਵੀ ਧਿਆਨ ਦਿਉਗੇ । ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਦਰਬਾਰਾ ਸਿੰਘ,
ਤੇ ਬਾਕੀ ਮੁਹੱਲਾ ਨਿਵਾਸੀ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

10. ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਜਾਂ ਸਹੇਲੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਮਨਾਏ ਜਾਣ ਸੰਬੰਧੀ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ ।

…………….ਸਕੂਲ,
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ।
28 ਜਨਵਰੀ, 20……..

ਪਿਆਰੀ ਹਰਪ੍ਰੀਤ,

ਪਰਸੋਂ ਛੱਬੀ ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ । ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਇਸ ਦਿਨ 1950 ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਹਰ ਸਾਲ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਹਰ ਸਾਲ ਵਾਂਗ ਐਤਕੀਂ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਇਹ ਦਿਨ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ | ਸਵੇਰੇ ਸਾਢੇ 8 ਵਜੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਿੱਖਿਆ ਅਫ਼ਸਰ ਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਣ ਦੀ ਰਸਮ ਅਦਾ ਕੀਤੀ । ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ ਗਨ ਮਨ, …..’ ਗਾਇਆ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਸਾਵਧਾਨ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਕੇ ਭਾਗ ਲਿਆ ।

ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਸਮੇਤ, ਕੁਰਸੀਆਂ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਗਏ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਾਹਮਣੇ ਦਰੀਆਂ ਉੱਪਰ | ਦੇਸ਼ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਤੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਸੰਬੰਧੀ ਕੁੱਝ ਭਾਸ਼ਨਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਤਰੱਕੀ ਸੰਬੰਧੀ ਵੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ । ਕੁੱਝ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਦੇਸ਼-ਭਗਤੀ ਦੇ ਗੀਤ ਗਾਏ | ਕੁੜੀਆਂ ਨੇ ਗਿੱਧਾ ਤੇ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨੇ ਭੰਗੜਾ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ | ਇਸ ਸਮੇਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਸ਼ਿਆਂ, ਖੇਡਾਂ ਤੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਨਾਮ ਵੀ ਦਿੱਤੇ ਗਏ । ਅੰਤ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਸਕੂਲ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ, ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਲੱਡੂ ਵੰਡੇ ਗਏ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਪਾਲ !

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

11. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ,

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
……….. ਸਕੂਲ,
ਪਿੰਡ………..
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ……….।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਇਕ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਪੈ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ । ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਕ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ । ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………….. ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ:…………,
ਛੇਵੀਂ ‘ਏ’ ।

ਮਿਤੀ : 23 ਜਨਵਰੀ, 20….

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

12. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਵੱਡੀ ਭੈਣ ਜਾਂ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੇ ਵਿਆਹ ‘ਤੇ ਚਾਰ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ ,

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……………. ਸਕੂਲ,
…………….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੀ ਵੱਡੀ ਭੈਣ/ਭਰਾ ਦਾ ਵਿਆਹ 10 ਜਨਵਰੀ, 20… ਨੂੰ ਹੋਣਾ ਨਿਯਤ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਵਿਆਹ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੰਮ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ । ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ 8 ਤੋਂ 11 ਜਨਵਰੀ ਤਕ ਚਾਰ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ । ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
…………… ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ:………..,
ਛੇਵੀਂ ‘ਸੀ ।

ਮਿਤੀ : 7 ਜਨਵਰੀ, 20…. ..

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

13. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਬਿਮਾਰੀ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……………… ਸਕੂਲ,
……………… ਸ਼ਹਿਰ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ, ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਬਿਮਾਰ ਹਾਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ ।ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਦੋ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ । ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
…………. ਕੁਮਾਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: ………..
ਛੇਵੀਂ ‘ਬੀ’ ।

ਮਿਤੀ : 12 ਫ਼ਰਵਰੀ, 20..

14. ਸਕੂਲ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸਰਟੀਫਿਕੇਟ ਅਤੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਲੈਣ ਲਈ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
…………. ਸਕੂਲ,
………….. ਸ਼ਹਿਰ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ । ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਜਨਰਲ ਪੋਸਟ ਆਫ਼ਿਸ, ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਕਲਰਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਪਿਛਲੇ ਮਹੀਨੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਬਦਲੀ ਲੁਧਿਆਣੇ ਦੀ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਮੇਰਾ ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਰਹਿਣਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ । ਹੁਣ ਮੈਂ ਲੁਧਿਆਣੇ ਰਹਿ ਕੇ ਹੀ ਪੜ੍ਹ ਸਕਾਂਗਾ । ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਸਕੂਲ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਤੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ । ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ !

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………. ਚੰਦਰ,
ਰੋਲ ਨੰ:……….,
ਛੇਵੀਂ ‘ਡੀ ।

ਮਿਤੀ : 5 ਦਸੰਬਰ, 20….

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

15. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਫ਼ੀਸ ਮਾਫ਼ੀ ਲਈ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……………… ਸਕੂਲ,
………………. ਸ਼ਹਿਰ ।
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ………….. !

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ, , ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ । ਮੈਂ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦੀ ਸਾਲਾਨਾ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਅੱਵਲ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਮੇਰਾ ਪੜ੍ਹਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਦਿਲ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਇਕ ਕਾਰਖ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਚਪੜਾਸੀ ਹਨ । ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ । ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੇ ਪੰਜ ਜੀਆਂ ਦਾ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਲ ਨਾਲ ਚਲਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗ਼ਰੀਬੀ ਕਰਕੇ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਮੇਰੀ ਸਕੂਲ ਦੀ ਫ਼ੀਸ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੇ । ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਰੁਚੀ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਆਪ ਮੇਰੀ ਪੂਰੀ ਫ਼ੀਸ ਮਾਫ਼ ਕਰ ਦਿਓ । ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………… ਕੁਮਾਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: ……….,
ਛੇਵੀਂ ‘ਏ ।

ਮਿਤੀ : 17 ਅਪ੍ਰੈਲ, 20…..

16. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਜੁਰਮਾਨੇ ਦੀ ਮਾਫ਼ੀ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ‘ਤੇ ਲਿਖੋ !

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……………… ਸਕੂਲ,
………………. ਸ਼ਹਿਰ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ ! ਪਿਛਲੇ ਮਹੀਨੇ ਹੋਈ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਹਿਸਾਬ ਦਾ ਪੇਪਰ ਨਾ ਦੇ ਸਕਣ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਪੰਜ ਰੁਪਏ ਜੁਰਮਾਨਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ । ਅਸਲ ਵਿਚ ਮੈਂ ਉਸ ਦਿਨ ਬਹੁਤ ਬਿਮਾਰ ਸਾਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਉਹ ਪੇਪਰ ਨਾ ਦੇ ਸਕਿਆ । ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਆਮਦਨ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ । ਉਹ ਮੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਖ਼ਰਚ ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਨਾਲ ਚਲਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੇਰਾ ਜ਼ੁਰਮਾਨਾ ਮਾਫ਼ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ । ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
……………. ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ: ………….,
ਛੇਵੀਂ ‘ਬੀ’।

ਮਿਤੀ : 19 ਜਨਵਰੀ, 20……

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

17. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜਾਂ ਪ੍ਰਿੰਸੀਪਲ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਸੈਕਸ਼ਨ ਬਦਲਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……………… ਸਕੂਲ,
………………. ਸ਼ਹਿਰ ।
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ……….।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਤੇ ਮੇਰਾ ਭਰਾ ਕੁਲਬੀਰ ਸਿੰਘ ਰੋਲ ਨੰ: 87 ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਖੇ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ | ਪਰ ਬੀਤੇ ਹਫ਼ਤੇ ਨਵੇਂ ਬਣੇ ਸੈਕਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ਮੇਰਾ ਰੋਲ ਨੰ: ‘ਏ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਮੇਰੇ ਭਰਾ ਦਾ ਰੋਲ ਨੰਬਰ ‘ਬੀ’ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਚਲਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਪਰ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਕੁੱਝ ਕਿਤਾਬਾਂ ਸਾਂਝੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸੈਕਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪੜ੍ਹ ਸਕਦੇ ਤੇ ਗ਼ਰੀਬੀ ਕਾਰਨ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੇ ਸਾਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਿਤਾਬਾਂ ਵੀ ਖ਼ਰੀਦ ਕੇ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੇ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਮੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਭਰਾ ਵਾਲੇ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਭੇਜ ਦੇਵੋ । ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰੀ,
ੳ, ਅ, ੲ,
ਰੋਲ ਨੰ: 88,
ਛੇਵੀਂ ‘ਏ।

ਮਿਤੀ : 16 ਅਪਰੈਲ, 20…

18. ਆਪਣੇ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਡਾਕੀਏ ਦੀ ਲਾਪਰਵਾਹੀ ਵਿਰੁੱਧ ਪੋਸਟ ਮਾਸਟਰ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਪੋਸਟ ਮਾਸਟਰ ਸਾਹਿਬ,
ਜਨਰਲ ਪੋਸਟ ਆਫ਼ਿਸ,
………………. ਸ਼ਹਿਰ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਮੈਂ ਆਪ ਅੱਗੇ ਇਸ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ-ਪੱਤਰ ਰਾਹੀਂ ਆਪਣੇ ਮੁਹੱਲੇ ਦੇ ਡਾਕੀਏ ਰਾਮ ਨਾਥ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰਨੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ । ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਮੂੰਹ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਵਾਰੀ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਿਭਾਵੇ, ਪਰ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨਾਂ ‘ਤੇ ਜੂੰ ਨਹੀਂ ਸਰਕਦੀ | ਅੱਕ ਕੇ ਮੈਂ ਆਪ ਅੱਗੇ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਉਹ ਸਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਕਦੇ ਵੀ ਡਾਕ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਨਹੀਂ ਵੰਡਦਾ | ਕਈ ਵਾਰ ਤਾਂ ਦੋ-ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਡਾਕ ਇਕੱਠੀ ਹੀ ਵੰਡਦਾ ਹੈ । | ਕਈ ਵਾਰ ਉਹ ਚਿੱਠੀਆਂ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਗਲਤ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਪਰਸੋਂ ਮੈਨੂੰ ਨੌਕਰੀ ਲਈ ਇੰਟਰਵਿਊ ਦੀ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਆਈ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਦੋ ਦਿਨ ਲੇਟ ਮਿਲੀ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਇੰਟਰਵਿਉ ਨਾ ਦੇ ਸਕਿਆ । ਮੈਂ ਇਹ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਆਪਣੇ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਭਲੇ ਲਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ । ਮੇਰਾ ਇਸ ਡਾਕੀਏ ਨਾਲ ਕੋਈ ਨਿੱਜੀ ਵੈਰ ਨਹੀਂ ।

ਮੈਂ ਆਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਮੇਰੇ ਇਸ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖ ਕੇ ਇਸ ਡਾਕੀਏ ਨੂੰ ਤਾੜਨਾ ਕਰੋਗੇ ਕਿ ਉਹ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪਤੇ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਡਾਕ ਦੀ ਵੰਡ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਕਰਿਆ ਕਰੇ । ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਰੋਲ ਨੰ:……….।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

19. ਤੁਹਾਡਾ ਸਾਈਕਲ ਗੁਆਚ ਗਿਆ ਹੈ । ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਦੀ ਥਾਣੇ ਵਿਚ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖਾਉਣ ਲਈ ਮੁੱਖ ਥਾਣਾ ਅਫ਼ਸਰ (ਐੱਸ. ਐੱਚ. ਓ.) ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੈਂਵਾ ਵਿਖੇ

ਐੱਸ. ਐੱਚ. ਓ. ਸਾਹਿਬ
ਚੌਕੀ ਨੰਬਰ 4,
………… ਸ਼ਹਿਰ

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਸਵੇਰੇ ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਗੁੰਮ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਭਾਲ ਕਰਨ ਵਿਚ ਆਪ, ਆਪਣੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿਓ ।

ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਵੇਰੇ 11 ਵਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੈਸ਼ਨਲ ਬੈਂਕ ਵਿਚ ਰੁਪਏ ਕਢਵਾਉਣ ਲਈ ਗਿਆ ਅਤੇ ਸਾਈਕਲ ਨੂੰ ਜਿੰਦਰਾ ਲਾ ਕੇ ਬਾਹਰ ਖੜ੍ਹਾ ਕਰ ਗਿਆ ਸਾਂ | ਪਰ ਜਦੋਂ 11.30 ‘ਤੇ ਬਾਹਰ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉੱਥੇ ਸਾਈਕਲ ਨਾ ਦੇਖ ਕੇ ਮੈਂ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਿਆ । ਮੈਂ ਸਮਝ ਗਿਆ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਸਾਈਕਲ-ਚੋਰ ਚੁੱਕ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਰਾਬਨ-ਹੁੱਡ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਨੰਬਰ, A-334060 ਹੈ । ਮੈਂ ਇਸ ਸਾਈਕਲ ਨੂੰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸਾਈਕਲ ਸਟੋਰ, ਜਲੰਧਰ ਤੋਂ ਮਾਰਚ, 2500 ਵਿਚ ਖ਼ਰੀਦਿਆ ਸੀ । ਉਸ ਦੀ ਰਸੀਦ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਚੇਨ-ਕਵਰ ਉੱਤੇ ਮੇਰਾ ਨਾਂ ਲਿਖਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਉਚਾਈ 22 ਇੰਚ ਅਤੇ ਰੰਗ ਹਰਾ ਹੈ । ਮੈਂ ਸਾਈਕਲ ਦੀ ਸੂਹ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਨੂੰ 100 ਰੁਪਏ ਇਨਾਮ ਦੇਣ ਲਈ ਵੀ ਤਿਆਰ ਹਾਂ ।

ਮੈਂ ਆਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਆਪਣੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਹੁਕਮ ਦੇ ਕੇ ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ . ਲਭਾਉਣ ਵਿਚ ਮੇਰੀ ਪੂਰੀ-ਪੂਰੀ ਮੱਦਦ ਕਰੋਗੇ ,
ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ, … .
……….. ਸਿੰਘ,
ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ,
…….. ਸ਼ਹਿਰ ।

ਮਿਤੀ : 10 ਦਸੰਬਰ, 20……..

20. ਕਿਸੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੇ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਕਿਤਾਬਾਂ ਮੰਗਾਉਣ ਲਈ ਆਰਡਰ ਭੇਜੋ ।

                   ਪੀਖਿਆ ਭਵਨ,
ਗੌਰਮਿੰਟ ਗਰਲਜ਼ ਹਾਈ ਸਕੂਲ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਰੋਪੜ ।
28 ਅਪਰੈਲ, 20…………

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੈਸਰਜ਼ ਮਲਹੋਤਰਾ ਬੁੱਕ ਡਿਪੋ,
ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਹਾਊਸ,
ਰੇਲਵੇ ਰੋਡ,
ਜਲੰਧਰ,

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਮੈਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਵੀ. ਪੀ. ਪੀ. ਕਰ ਕੇ ਭੇਜ ਦਿਓ । ਕਿਤਾਬਾਂ ਦਾ ਐਡੀਸ਼ਨ ਨਵਾਂ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਜਿਲਦਾਂ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੋਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ । ਛਪਾਈ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰੀ ਹੋਵੇ । ਕੀਮਤ ਵੀ ਵਾਜਬ ਹੀ ਲੱਗਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਲੋੜੀਂਦਾ ਕਮਿਸ਼ਨ ਕੱਟ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ।

ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ
1. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਪੰਜਾਬੀ ਗਾਈਡ                 (ਛੇਵੀਂ ਸ਼੍ਰੇਣੀ)               ਪੁਸਤਕ
2: ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਗਣਿਤ                             ”       ”
3. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਇੰਗਲਿਸ਼ ਟੈਸਟ ਪੇਪਰ         ”        ”
4. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਹਿੰਦੀ ਗਾਈਡ

‘… ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ ।
ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: …….

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

21. ਸੰਪਾਦਕ, ਮੈਗਜ਼ੀਨ ਸੈਕਸ਼ਨ, ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ ਵਲੋਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ‘ ਲਈ ਛੱਪਦੇ ਰਸਾਲੇ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ

2202 ਆਦਰਸ਼ ,
ਜਲੰਧਰ ।
12 ਸਤੰਬਰ, 20……….

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਸੰਪਾਦਕ,
ਮੈਗਜ਼ੀਨ ਸੈਕਸ਼ਨ,
ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ,
ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਾ ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਗਰ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਵਲੋਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਰਸਾਲੇ ‘ਪੰਖੜੀਆਂ’ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਿੱਖਿਆ ਨੂੰ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ਨਿਯਮਿਤ ਤੌਰ ਤੇ ਪੜ੍ਹਦਾ ਹਾਂ । ਇਹ ਰਸਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ, ਜਾਣਕਾਰੀ ਵਧਾਉਣ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਰਚਨਾਤਮਕ ਰੁਚੀਆਂ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਹਨ । ਮੈਂ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਘਰ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੇਰੇ ਹੋਰ ਭੈਣ-ਭਰਾ ਤੇ ਗੁਆਂਢੀ ਬੱਚੇ ਵੀ ਪੜ੍ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਆਪ ਮੇਰੇ ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਪਤੇ ਉੱਤੇ ਇਹ ਰਸਾਲੇ ਇਕ ਸਾਲ ਲਈ ਭੇਜਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿਓ | ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚੰਦੇ ਦਾ ਬੈਂਕ ਡਰਾਫ਼ਟ ਨੰ: PQ 1628196 ਮਿਤੀ 12 ਸਤੰਬਰ, 20….. ਪੰਜਾਬ ਐਂਡ ਸਿੰਧ ਬੈਂਕ ਤੋਂ ਬਣਵਾ ਕੇ ਇਸ ਪੱਤਰ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਭੇਜ ਰਿਹਾ ਹਾਂ ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਮਨਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ ॥

22. ਸਕੂਲ ਮੁਖੀ ਨੂੰ ਐਨ. ਸੀ. ਸੀ., ਸਕਾਊਟ ਜਾਂ ਗਰਲ ਗਾਈਡ ਟੀਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਲਈ ਬਿਨੈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
ਸਰਕਾਰੀ ਮਿਡਲ ਸਕੂਲ ।
ਬੁਲੋਵਾਲ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਐਨ.ਸੀ.ਸੀ/ਸਕਾਊਟ/ਗਰਲ ਗਾਈਡ ਟੀਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ/ਚਾਹੁੰਦੀ ਹਾਂ । ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਆਗਿਆ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ, ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ/ਹੋਵਾਂਗੀ ।

ਆਪ ਦਾਆਪ ਦੀ ਆਗਿਆਕਾਰ,
ਉ. ਅ. ਬ.
ਰੋਲ ਨੰ: 610, ਛੇਵੀਂ ਸੀ.

ਮਿਤੀ : 18 ਸਤੰਬਰ, 20………

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

23. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਦੂਜੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਨਾਲ ਮੈਚ ਖੇਡਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……………ਸਕੂਲ,
…………… ਸ਼ਹਿਰ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਹਾਈ ਸਕੂਲ, ਮੁਕੇਰੀਆਂ ਦੀ ਹਾਕੀ ਟੀਮ ਨਾਲ । ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਮੈਚ ਖੇਡਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ | ਸਾਨੂੰ ਉਮੀਦ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਇਹ | ਮੈਚ ਜ਼ਰੂਰ ਜਿੱਤ ਜਾਵਾਂਗੇ । ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਚ ਖੇਡਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰੀ,
………. ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ:……

ਮਿਤੀ : 6 ਨਵੰਬਰ, 20……

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ

24. ਤੁਹਾਡੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਕੋਈ ਮੈਚ ਦੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਤੋਂ ਆਗਿਆ ਲੈਣ ਲਈ ਬਿਨੈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
………..ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,

ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਚੌਥੇ ਪੀਰੀਅਡ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਜੀ. ਟੀ. ਰੋਡ ਦੀ ਗਰਾਉਂਡ ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਤੇ ਸਾਈਂ ਦਾਸ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਦੀਆਂ ਟੀਮਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹਾਕੀ ਦਾ ਮੈਚ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਸਾਡੀ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਇਸ ਮੈਚ ਨੂੰ ਦੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਜਮਾਤ ਦੇ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਰਹੇ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਆਪ ਸਾਡੀ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਨੂੰ ਇਹ ਮੈਚ ਦੇਖਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦੇ ਦੇਵੋ, ਤਾਂ ਆਪ ਦੀ ਬਹੁਤ ਮਿਹਰਬਾਨੀ ਹੋਵੇਗੀ । ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਮਨਿੰਦਰ ਸਿੰਘ,
ਮਨੀਟਰ,
ਸੱਤਵੀਂ ਏਂ ।

ਮਿਤੀ : 10 ਨਵੰਬਰ, 20……

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana ਲੇਖ-ਰਚਨਾ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Punjabi Rachana ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

1. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ

ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਮੋਢੀ ਸਨ । ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 15 ਅਪਰੈਲ, 1469 ਈ: ਨੂੰ ਰਾਏ ਭੋਇ ਦੀ ਤਲਵੰਡੀ (ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਹੋਇਆ ।ਉੱਬ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਰਵਾਇਤ ਅਨੁਸਾਰ ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ ਕੱਤਕ ਦੀ ਪੂਰਨਮਾਸ਼ੀ ਨੂੰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਮਹਿਤਾ ਕਾਲੂ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਤ੍ਰਿਪਤਾ ਸੀ । ਜਿਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਆਏ, ਉਸ ਸਮੇਂ ਹਰ ਪਾਸੇ ਜਬਰ-ਜ਼ੁਲਮ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਹਰ ਪਾਸੇ ਪਾਖੰਡ ਤੇ ਅਨਿਆਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸੀ ।

ਸੱਤ ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਆਪ ਨੂੰ ਪਾਂਧੇ ਕੋਲ ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ । ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਦੱਸ ਕੇ ਪਾਂਧੇ ਨੂੰ ਨਿਹਾਲ ਕੀਤਾ । ਜਵਾਨ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਆਪ ਦਾ ਮਨ ਘਰ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਨਾ ਲੱਗਾ । ਪਿਤਾ ਮਹਿਤਾ ਕਾਲ ਨੇ ਆਪ ਨੂੰ ਆਪ ਦੀ ਭੈਣ ਬੇਬੇ ਨਾਨਕੀ ਕੋਲ ਸੁਲਤਾਨਪੁਰ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ । ਇੱਥੇ ਆਪ ਨੇ ਨਵਾਬ ਦੌਲਤ ਖਾਂ ਲੋਧੀ ਦਾ ਮੋਦੀਖ਼ਾਨਾ ਚਲਾਇਆ । ਸੁਲਤਾਨਪੁਰ ਵਿਚ ਹੀ ਇਕ ਦਿਨ ਆਪ ਵੇਈਂ ਨਦੀ ਵਿਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਗਏ ਤੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨ ਅਲੋਪ ਰਹੇ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਨੂੰ ਨਿਰੰਕਾਰ ਵਲੋਂ ਸੰਸਾਰ ਦਾ ਕਲਿਆਣ ਕਰਨ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ।

ਇਸ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਆਪ ਨੇ ਸੰਸਾਰ ਨੂੰ ਤਾਰਨ ਲਈ ਪੁਰਬ, ਦੱਖਣ, ਉੱਤਰ ਤੇ ਪੱਛਮ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਉਦਾਸੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਤੇ ਸੰਸਾਰ ਨੂੰ ਸੱਚ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ । ਆਪ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਗੁਰੂ ਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਪੀਰ ਕਹਾਏ । ਆਪ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਬਾਣੀ ਰਚੀ ।

ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੀ ਗੱਦੀ ਦਾ ਵਾਰਸ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਨਾਂ ਨਾਲ ਸੁਸ਼ੋਭਿਤ ਕਰਕੇ ਚੁਣਿਆ । 22 ਸਤੰਬਰ, 1539 ਈ: ਨੂੰ ਆਪ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿਚ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

2. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ।

ਗੁਰੁ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦਸਵੇਂ ਗੁਰੂ ਹੋਏ ਹਨ । ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 1666 ਈ: ਵਿਚ ਪਟਨਾ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਖੇ ਮਾਤਾ ਗੁਜਰੀ ਜੀ ਦੀ ਕੁੱਖੋਂ ਹੋਇਆ । ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਸਨ । ਬਚਪਨ ਵਿਚ ਆਪ ਆਪਣੇ ਹਾਣੀਆਂ ਨਾਲ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚੋਜ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ ।

1672 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਪਟਨੇ ਤੋਂ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਆ ਗਏ । ਇੱਥੇ ਆਪ ਨੇ ਸ਼ਸਤਰ ਵਿੱਦਿਆ ਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿੱਦਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ । ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਲਈ ਅੱਤ ਚੁੱਕੀ ਹੋਈ ਸੀ । ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤ ਦੁਖੀ ਹੋ ਕੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਕੋਲ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਫ਼ਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਆਏ। ਉਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਕੇਵਲ 9 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਸਨ । ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਣ ਲਈ ਦਿੱਲੀ ਭੇਜਿਆ ।

ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਪਿੱਛੋਂ ਆਪ ਨੇ ਕੌਮ ਨੂੰ ਇਕ-ਮੁੱਠ ਕਰ ਕੇ ਸ਼ਸਤਰ ਵਿੱਦਿਆ ਦੇਣੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ । 1699 ਈ: ਵਿਚ ਵਿਸਾਖੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਆਪ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਸਾਜਿਆ ਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦੀ ਦਾਤ ਬਖ਼ਸ਼ੀ ।

ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਤੇ ਮੁਗ਼ਲ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨਾਲ ਕਈ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜਨੀਆਂ ਪਈਆਂ । ਆਪ ਦੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨੂੰ ਹਰ ਥਾਂ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਦੇਖਣਾ ਪਿਆ । ਆਪ ਦੇ ਦੋ ਛੋਟੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸਰਹੰਦ ਦੇ ਨਵਾਬ ਨੇ ਨੀਹਾਂ ਵਿਚ ਚਿਣਵਾ ਦਿੱਤਾ । ਦੋ ਵੱਡੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦੇ ਚਮਕੌਰ ਦੀ ਜੰਗ ਵਿਚ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ, ਗਏ । ਅੰਤ ਆਪ ਨੰਦੇੜ ਪੁੱਜੇ । 1708 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਇੱਥੇ ਹੀ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ ।

3. ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ

ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰ-ਪਿਤਾ ਸਨ । ਆਪ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ‘ ਘੋਲ ਕੀਤਾ । ਆਪ ਅਹਿੰਸਾ ਦੇ ਅਵਤਾਰ ਸਨ ।

ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 2 ਅਕਤੂਬਰ, 1869 ਈ: ਨੂੰ ਪੋਰਬੰਦਰ (ਕਾਠੀਆਵਾੜ, ਗੁਜਰਾਤ ਵਿਚ ਹੋਇਆ । ਆਪ ਦਾ ਪੂਰਾ ਨਾਂ ਮੋਹਨ ਦਾਸ ਕਰਮ ਚੰਦ ਗਾਂਧੀ ਸੀ । ਆਪ ਸਦਾ ਸੱਚ ਬੋਲਦੇ ਸਨ ਤੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਕੇ ਆਪ ਨੇ ਵਲਾਇਤ ਤੋਂ ਬੈਰਿਸਟਰੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ।

ਅਪ ਦੇ ਮਨ ਵਿਚ ਦੇਸ਼-ਪਿਆਰ ਠਾਠਾਂ ਮਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਆਪ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰਾਉਣ ਦਾ ਨਿਸਚਾ ਕਰ ਲਿਆ । ਆਪ ਨੇ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੀ ਵਾਗ-ਡੋਰ ਸੰਭਾਲ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਘੋਲ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਤੇ ਨਾ-ਮਿਲਵਰਤਨ ਲਹਿਰ ਤੇ ਹੋਰ ਲਹਿਰਾਂ ਚਲਾਈਆਂ । ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਕਈ ਵਾਰ ਜੇਲ ਗਏ । 1930 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਨੇ ਲੁਣ ਦਾ ਸਤਿਆਗ੍ਰਹਿ ਕੀਤਾ । 1942 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ‘ਭਾਰਤ ਛੱਡੋ’ ਲਹਿਰ ਚਲਾਈ ।

ਅੰਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਕਾਰਨ ਹੋਏ ਫ਼ਿਰਕੂ ਫ਼ਸਾਦਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਆਪ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਹੋਏ । ਆਪ ਅਛੂਤ-ਉਧਾਰ ਦੇ ਬਹੁਤ ਹਾਮੀ ਸਨ ਅਤੇ ਆਪ ਨੇ ਜਾਤ-ਪਾਤ ਤੇ ਛੂਤ-ਛਾਤ ਦੇ ਭੇਦ-ਭਾਵ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਲਈ ਸਿਰਤੋੜ ਯਤਨ ਕੀਤੇ । 30 ਜਨਵਰੀ, 1948 ਈ: ਨੂੰ ਹਤਿਆਰੇ ਨੱਥੂ ਰਾਮ ਗੌਡਸੇ ਨੇ ਗੋਲੀਆਂ ਮਾਰ ਕੇ ਆਪ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

4. ਪੰਡਿਤ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ

ਪੰਡਿਤ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦਾ ਜਨਮ 14 ਨਵੰਬਰ, 1889 ਈ: ਨੂੰ ਅਲਾਹਾਬਾਦ ਵਿਚ ਉੱਘੇ ਵਕੀਲ ਤੇ ਦੇਸ਼-ਭਗਤ ਪੰਡਿਤ ਮੋਤੀ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦੇ ਘਰ ਹੋਇਆ । ਆਪ ਨੇ ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਬੈਰਿਸਟਰੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ । ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਵਾਪਸ ਪਰਤ ਕੇ ਆਪ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਲੱਗੇ ।

1920 ਈ: ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਨੇ ਨਾ-ਮਿਲਵਰਤਨ ਲਹਿਰ ਚਲਾਈ, ਤਾਂ ਨਹਿਰੁ ਜੀ ਨੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਇਸ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ । 1930 ਈ: ਵਿਚ ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਚੁਣੇ ਗਏ । ਆਪ ਕਈ ਵਾਰ ਜੇਲ ਗਏ ।

ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ । ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੋ ਟੋਟੇ ਹੋ ਗਏ ।ਆਪ ਅਜ਼ਾਦ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ । ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਭਾਰਤ ਨੇ ਬਹੁਤ ਤਰੱਕੀ ਕੀਤੀ । ਆਪ ਨੇ ਹਰ ਇਕ ਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਵਧਾਈ । ਆਪ ਜੰਗ ਦੇ ਵਿਰੋਧੀ ਅਤੇ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦੇ ਪੁਜਾਰੀ ਸਨ ।

ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਦੇਸ਼-ਵਾਸੀਆਂ ਨਾਲ ਅਥਾਹ ਪਿਆਰ ਸੀ । ਬੱਚੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ “ਚਾਚਾ ਨਹਿਰੂ’ ਆਖ ਕੇ ਪੁਕਾਰਦੇ ਸਨ । ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਦਾ ਇਹ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਨੇਤਾ 27 ਮਈ, 1964 ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਣ ਬੰਦ ਹੋਣ ਨਾਲ ਅੱਖਾਂ ਮੀਟ, ਗਿਆ ।

5. ਸ਼ਹੀਦ ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ

ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਸਿਰਲੱਥ ਯੋਧਾ ਸੀ । ਉਸ ਦਾ ਪਿਤਾ ਸ: ਕਿਸ਼ਨ ਸਿੰਘ ਕਾਂਗਰਸ ਦਾ ਉੱਘਾ ਲੀਡਰ ਸੀ । ਸ: ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਜਲਾਵਤਨ ਉਸ ਦਾ ਚਾਚਾ ਸੀ । ਉਸ ਦਾ ਜਨਮ 28 ਸਤੰਬਰ, 1907 ਈ: ਨੂੰ ਚੱਕ ਨੰਬਰ 105, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਲਾਇਲਪੁਰ ਵਿਚ ਹੋਇਆ । ਖਟਕੜ ਕਲਾਂ (ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਲੰਧਰ) ਉਸ ਦਾ ਜੱਦੀ ਪਿੰਡ ਸੀ ।

ਬਚਪਨ ਵਿਚ ਜਲਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ ਦੇ ਖੂਨੀ ਕਾਂਡ ਨੇ ਉਸ ਦੇ ਮਨ ਉੱਪਰ ਡੂੰਘਾ ਅਸਰ ਪਾਇਆ । 1925 ਵਿਚ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਦੇਵ, ਭਗਵਤੀ ਚਰਨ ਤੇ ਧਨਵੰਤੀ ਆਦਿ ਨੇ ‘ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ’ ਬਣਾਈ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਘੋਲ ਆਰੰਭ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । । ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨੇ ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ ਦੇ ਕਤਲ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਲਈ ਸਾਂਡਰਸ ਨੂੰ ਮਾਰਿਆ । ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ 8 ਅਪਰੈਲ, 1929 ਨੂੰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਬੀ. ਕੇ. ਦੱਤ ਨੇ ਧਮਾਕੇ ਵਾਲੇ ਦੋ ਬੰਬ ਅਸੈਂਬਲੀ ਹਾਲ ਵਿਚ ਸੁੱਟੇ ਤੇ ‘ਇਨਕਲਾਬ ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ’ ਦੇ ਨਾਅਰੇ ਲਾਉਂਦਿਆਂ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰੀ ਦੇ ਦਿੱਤੀ ।

ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਮੁਕੱਦਮੇ ਦਾ ਡਰਾਮਾ ਰਚ ਕੇ ਬੰਬ ਸੁੱਟਣ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਬੀ. ਕੇ. ਦੱਤ ਨੂੰ ਉਮਰ ਕੈਦ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦਿੱਤੀ । ਸਾਂਡਰਸ ਦੇ ਕਤਲ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਅਦਾਲਤ ਨੇ 7 ਅਕਤੂਬਰ, 1930 ਨੂੰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਦੇਵ ਤੇ ਰਾਜਗੁਰੂ ਨੂੰ ਫ਼ਾਂਸੀ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਸੁਣਾਈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਦਾ ਲੂਣ ਦਾ ਮੋਰਚਾ ਚਲ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਲੋਕ ਬੜੇ ਜੋਸ਼ ਵਿਚ ਸਨ । ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਡਰਦਿਆਂ 23 ਮਾਰਚ, 1931 ਨੂੰ ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਹੀ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਦੋਹਾਂ ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਫਾਂਸੀ ਲਾਇਆ ਤੇ ਲੋਥਾਂ ਵਾਰਸਾਂ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰਨ ਦੀ ਥਾਂ ਪਿਛਲੇ ਚੋਰ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਥਾਈਂ ਕੱਢ ਕੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਲੈ ਗਏ । ਤਿੰਨਾਂ ਦੀ ਇਕੱਠੀ ਚਿਖਾ ਬਣਾ ਕੇ ਤੇ ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਤੇਲ ਪਾ ਕੇ ਅੱਗ ਲਾ ਦਿੱਤੀ । ਅੱਧ-ਸੜੀਆਂ ਲਾਸ਼ਾਂ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਦਰਿਆ ਸਤਲੁਜ ਵਿਚ ਰੋੜ੍ਹ ਦਿੱਤੀਆਂ ।

ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਦੀ ਇਸ ਕੁਰਬਾਨੀ ਨੇ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਜਗਾ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਲੋਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਣ ਲਈ ਹੋਰ ਵੀ ਜ਼ੋਰ ਨਾਲ ਘੋਲ ਕਰਨ ਲੱਗੇ । ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਨੂੰ, ਅਜਿਹੇ ਸਿਰਲੱਥ ਸੂਰਮਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਸਦਕਾ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

6. ਦੀਵਾਲੀ

ਦੀਵਾਲੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ । ਇਹ ਹਰ ਸਾਲ ਕੱਤਕ ਦੀ ਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਮਕਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸਫ਼ੈਦੀ ਤੇ ਰੰਗ-ਬੈਂਗਨ ਕਰਾਉਂਦੇ ਅਤੇ ਸ਼ਿੰਗਾਰਦੇ ਹਨ । . ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਉਸ ਦਿਨ ਨਾਲ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਸ੍ਰੀ ਰਾਮਚੰਦਰ ਜੀ 14 ਸਾਲਾਂ ਦਾ ਬਨਵਾਸ ਕੱਟ ਕੇ ਤੇ ਰਾਵਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਵਾਪਸ ਅਯੁੱਧਿਆ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ । ਉਸ ਦਿਨ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਦੀਪਮਾਲਾ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਉਸੇ ਦਿਨ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਅੱਜ ਵੀ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਿਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਛੇਵੇਂ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਜਹਾਂਗੀਰ ਦੀ ਨਜ਼ਰਬੰਦੀ ਤੋਂ ਰਿਹਾ ਹੋ ਕੇ ਆਏ ਸਨ । ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇਖਣ ਯੋਗ
ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਦੀਵਾਲੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਬੜਾ ਚਾ ਤੇ ਉਮਾਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਲੋਕ ਪਟਾਕੇ, ਸਜਾਵਟ, ਪੂਜਾ ਦਾ ਸਮਾਨ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਖ਼ਰੀਦਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਮਠਿਆਈਆਂ ਤੇ ਤੋਹਫ਼ੇ ਦੇ ਕੇ ਦੀਵਾਲੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ੁੱਭ-ਇੱਛਾਵਾਂ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਹਨੇਰਾ ਹੋਣ ਤੇ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਦੀਪਮਾਲਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਚਾਰੇ ਪਾਸਿਓਂ ਪਟਾਕੇ ਚੱਲਣ ਦੀਆਂ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਸਮਾਨ ਵਲ ਚੜ੍ਹ ਰਹੀਆਂ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀਆਂ ਤੇ ਹਵਾਈਆਂ ਕੜਕਵੀਂ ਆਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਫਟਦੀਆਂ ਤੇ ਅੱਗ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਦਿਲ-ਖਿੱਚਵਾਂ ਬਣਾ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਲੋਕ ਰਾਤ ਭਰ ਲੱਛਮੀ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਜੋ ਲੱਛਮੀ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਘਰ ਫੇਰਾ ਪਾ ਸਕੇ । ਦੀਵਾਲੀ ਦੀ ਰਾਤ ਨੂੰ ਕਈ ਲੋਕ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਂਦੇ, ਜੁਆ ਖੇਡਦੇ ਤੇ ਟੂਣੇ ਆਦਿ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਸਾਨੂੰ ਇਹਨਾਂ ਬੁਰਾਈਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਯਤਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਵਿੱਤਰ ਬਣਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

7. ਦੁਸਹਿਰਾ

ਦੁਸਹਿਰਾ ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਕ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ । ਇਹ ਦੀਵਾਲੀ ਤੋਂ 20 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਦੁਸਹਿਰੇ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਉਸ ਦਿਨ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਸ੍ਰੀ ਰਾਮ ਚੰਦਰ ਜੀ ਨੇ ਲੰਕਾ ਦੇ ਰਾਜੇ ਰਾਵਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਸੀਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਸੀ ।

ਦੁਸਹਿਰੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਨੌਂ ਨਰਾਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਰਾਤ ਨੂੰ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਰਾਮ-ਲੀਲਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਲੋਕ ਬੜੇ ਉਮਾਹ ਤੇ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਰਾਮ-ਲੀਲਾ ਵੇਖਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਦਿਨ ਸਮੇਂ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚ ਰਾਮ-ਲੀਲ੍ਹਾ ਦੀਆਂ ਝਾਕੀਆਂ ਵੀ ਨਿਕਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਦਸਵੀਂ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਕਿਸੇ ਖੁੱਲੇ ਥਾਂ ਵਿਚ ਰਾਵਣ, ਮੇਘਨਾਦ ਅਤੇ ਕੁੰਭਕਰਨ ਦੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ਾਂ ਤੇ ਬਾਂਸਾਂ ਦੇ ਬਣੇ ਪੁਤਲੇ ਗੱਡ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਦੂਰ-ਨੇੜੇ ਦੇ ਲੋਕ ਰਾਵਣ ਦੇ ਸਾੜਨ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਦੇਖਣ ਲਈ ਟੁੱਟ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਲੋਕ ਪੰਡਾਲ ਵਿਚ ਚਲ ਰਹੀ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀ ਤੇ ਠਾਹਠਾਹ ਚਲਦੇ ਪਟਾਕਿਆਂ ਦਾ ਆਨੰਦ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਰਾਮ-ਲੀਲਾ ਦੀ ਅੰਤਮ ਝਾਕੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀ

ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਰਾਵਣ, ਸੀ ਰਾਮਚੰਦਰ ਹੱਥੋਂ ਮਾਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਸਰਜ ਛਿਪਣ ਵਾਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਰਾਵਣ ਸਮੇਤ ਸਾਰੇ ਪੁਤਲਿਆਂ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਹਫ਼ੜਾ-ਦਫ਼ੜੀ ਮਚ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਉਹ ਘਰਾਂ ਵਲ ਚਲ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਕਈ ਲੋਕ ਰਾਵਣ ਦੇ ਪੁਤਲੇ ਦੇ ਅੱਧ-ਜਲੇ ਬਾਂਸ ਵੀ ਚੁੱਕ ਕੇ ਨਾਲ ਲੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਵਾਪਸੀ ‘ਤੇ ਲੋਕ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘਦੇ ਹੋਏ ਮਠਿਆਈਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਦੁਆਲੇ ਭੀੜਾਂ ਪਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਮਨ-ਭਾਉਂਦੀਆਂ ਮਠਿਆਈਆਂ ਖ਼ਰੀਦ ਕੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਫਿਰ ਰਾਤੀਂ ਖਾ-ਪੀ ਕੇ ਸੌਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੁਸਹਿਰਾ ਮਨ-ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਇਕ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ । ਇਹ ਭਾਰਤੀ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਆਪਣੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕ ਵਿਰਸੇ ਪ੍ਰਤੀ ਸਤਿਕਾਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

8. ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ

ਭਾਰਤ ਰੁੱਤਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ । ਸਾਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬਸੰਤ ਸਭ ਤੋਂ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੀ ਰੁੱਤ ਹੈ । ਇਹ ਖੁੱਲੀ ਤੇ ਨਿੱਘੀ ਰੁੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਰਦੀ ਦਾ ਅੰਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਆਰੰਭ ਬਸੰਤ-ਪੰਚਮੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਬਸੰਤ-ਪੰਚਮੀ ਦੇ ਦਿਨ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਮੇਲੇ ਲਗਦੇ ਹਨ । ਖਿਡੌਣਿਆਂ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਸਜਦੀਆਂ ਹਨ । ਲੋਕ ਬਸੰਤੀ ਰੰਗ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਘਰ-ਘਰ ਬਸੰਤੀ ਹਲਵਾ, ਚਾਵਲ ਅਤੇ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਦੀ ਖੀਰ ਬਣਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਬੱਚੇ ਅਤੇ ਜਵਾਨ ਪਤੰਗਬਾਜ਼ੀਆਂ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਮੇਲਿਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਲਵਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਕੁਸ਼ਤੀਆਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਖੇਡਾਂ-ਤਮਾਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਇਸ ਦਿਨ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਬਾਲ ਹਕੀਕਤ ਰਾਏ ਧਰਮੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨਾਲ ਵੀ ਹੈ । ਇਸ ਦਿਨ ਉਸ ਵੀਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਵਿਚ ਪੱਕਾ ਰਹਿਣ ਕਰਕੇ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਰੁੱਤ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਹਾਵਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਨਿੱਘੀ ਤੇ ਮਨ-ਭਾਉਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਜੀਵਨ ਦਾ ਸੰਚਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸਰੋਂ ਦੇ ਬਸੰਤੀ ਰੰਗ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਆਲਾ-ਦੁਆਲਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕੁਦਰਤ ਆਪ ਪੀਲੇ ਗਹਿਣੇ ਪਹਿਨ ਕੇ ਬਸੰਤ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾ ਰਹੀ ਹੋਵੇ ।

ਇਹ ਰੁੱਤ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਵਿਚ ਵੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਚੰਗੀ ਖੁਰਾਕ ਖਾਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਸਰਤ ਆਦਿ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

9. ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ
ਜਾਂ
ਬਰਸਾਤ ਦੀ ਰੁੱਤ

ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ :
ਪੰਜਾਬ ਇਕ ਬਹੁ-ਰੁੱਤਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਹਰ ਦੋ ਮਹੀਨਿਆਂ ਮਗਰੋਂ ਰੁੱਤ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਸਾਲ ਵਿਚ ਛੇ ਰੁੱਤਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਰੁੱਤਾਂ ਹਨ-ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ, ਗਰਮ ਰੁੱਤ, ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ, ਸਰਦ ਰੁੱਤ, ਪਤਝੜ ਰੁੱਤ ਤੇ ਸੀਤ ਰੁੱਤ । ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਆਪੋ-ਆਪਣੀ ਥਾਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਵਧੇਰੇ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਤੇ ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਹਨ ।

ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਨ :
ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਦਾ ਆਰੰਭ ਜੂਨ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਆਪਣੇ ਸਿਖ਼ਰ ‘ਤੇ ਪੁੱਜ ਚੁੱਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਸੂਰਜ ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਅੱਗ ਵਰਾ ਰਿਹਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਧਰਤੀ ਭੱਠੀ ਵਾਂਗ ਤਪ ਰਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਬੰਦੇ ਤਾਂ ਕੀ, ਸਗੋਂ ਧਰਤੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਤੇ ਪਸ਼ੂ-ਪੰਛੀ ਗਰਮੀ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆਏ ਮੀਂਹ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜੂਨ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਵਗਦੀ ਲੂ ਇਕ ਦਮ ਠੰਢੀ ਹਵਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਅਸਮਾਨ ਉੱਪਰ ਬੱਦਲ ਘਨਘੋਰਾਂ ਪਾਉਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਣਮਿਣ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਫਿਰ ਮੋਹਲੇਧਾਰ ਮੀਂਹ ਆਰੰਭ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਘੜੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਜਲਥਲ ਹੋਇਆ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਅਸਮਾਨ ਉੱਪਰ ਬੱਦਲ ਮੰਡਲਾਉਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਦਿਨ ਨੂੰ ਸੂਰਜ ਤੇ ਰਾਤ ਨੂੰ ਚੰਦ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਲੁਕਣ-ਮੀਟੀ ਖੇਡਦਾ ਹੈ । ਮੀਂਹ ਦਾ ਕੋਈ ਵੇਲਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

ਮਾੜਾ ਜਿਹਾ ਹੱਸੜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਬੱਸ ਕੁੱਝ ਪਲਾਂ ਮਗਰੋਂ ਹੀ ਬੱਦਲ ਗੜਗੜਾਹਟ ਪਾਉਣ ਲਗਦਾ ਹੈ । ਮੀਂਹ ਪੈਣ ਨਾਲ ਬਨਸਪਤੀ ਹਰੀ-ਭਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਅੰਬ ਤੇ ਜਾਮਣੁ ਰਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਕੋਇਲ ਦੀ ਕੁ-ਕੁ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਛੱਪੜਾਂ, ਟੋਭਿਆਂ ਦੇ ਕੰਢਿਆਂ ਉੱਪਰ ਡੱਡੂ ਗੁਡੈਂ-ਗੜੈ ਕਰਨ ਲਗਦੇ ਹਨ । ਮੱਛਰਾਂ ਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਦੀ ਭਰਮਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸੱਪ, ਅਠ ਤੇ ਹੋਰ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਕੀੜੇ-ਪਤੰਗੇ, ਘੁਮਿਆਰ ਤੇ ਚੀਚ-ਵਹੁਟੀਆਂ ਘੁੰਮਣ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ । ਖੱਬਲ ਘਾਹ ਦੀਆਂ ਹਰੀਆਂ ਤਿੜਾਂ ਤੇ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੋਰ ਹਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਕੱਜੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸਾਉਣ-ਭਾਦੋਂ ਦੇ ਦੋ ਮਹੀਨੇ ਅਜਿਹਾ ਲੁਭਾਉਣਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪਸਰਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਕੁੜੀਆਂ ਬਾਗਾਂ ਵਿਚ ਪੀਂਘਾਂ ਝੂਟਦੀਆਂ ਹਨ, ਤੀਆਂ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਗਿੱਧੇ ਮਚਦੇ ਹਨ । ਪੰਜਾਬੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਤੇ ਇਸ ਕੁਦਰਤੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਾ ਚਿਤਰਨ ਧਨੀ ਰਾਮ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਨੇ ਆਪਣੀ ਕਵਿਤਾ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਕੀਤਾ ਹੈ-
ਸਾਉਣ ਮਾਹ ਝੜੀਆਂ ਗਰਮੀ ਝਾੜ ਸੁੱਟੀ,
ਧਰਤੀ ਪੁੰਗਰੀ ਟਹਿਕੀਆਂ ਡਾਲੀਆਂ ਨੇ ।
ਰਾਹ ਰੋਕ ਲਏ ਛੱਪੜਾਂ ਟੋਭਿਆਂ ਨੇ,
ਨਦੀ ਨਾਲਿਆਂ ਜੂਹਾਂ ਹੰਘਾਲੀਆਂ ਨੇ ।
ਵਰਖਾ ਧਰਤੀ ਲਈ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀ ਇਕ ਮਹਾਨ ਬਖ਼ਸ਼ਿਸ਼ ਹੈ । ਇਹ ਸਭ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਅਧਾਰ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਪਾਣੀ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਅਧਾਰ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਹੋ ਪਾਣੀ ਹੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵਿਚ ਰਚ ਕੇ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਖੂਹਾਂ, ਨਲਕਿਆਂ ਤੇ ਟਿਊਬਵੈੱਲਾਂ ਰਾਹੀਂ ਖੇਤਾਂ, ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਦੀ ਲੋੜ ਪੂਰੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਵਰਖਾ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਸੂਰਜ ਦੀ ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਸਭ ਕੁੱਝ ਸੁੱਕ ਜਾਵੇ ਤੇ ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਵੇ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਅੱਡੀਆਂ ਰਗੜ-ਰਗੜ ਕੇ ਮੀਂਹ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ-
ਰੱਬਾ ਰੱਬਾ ਮੀਂਹ ਵਰ੍ਹਾ, ਸਾਡੀ ਕੋਠੀ ਦਾਣੇ ਪਾ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

10. ਮੇਰਾ ਮਨ-ਭਾਉਂਦਾ ਅਧਿਆਪਕ
ਜਾਂ
ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ

ਉਂਝ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਹੀ ਬੜੇ ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਹਨ, ਪਰ ਮੇਰਾ ਮਨ-ਭਾਉਂਦਾ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਹੈ । ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸ: ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਹੈ । ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਐੱਮ. ਏ., ਬੀ. ਐੱਡ. ਤਕ ਵਿੱਦਿਆ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ਹੈ । ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਹਿਸਾਬ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਉਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਦਾ ਢੰਗ ਹੈ । ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਇਕ-ਇਕ ਚੀਜ਼ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਯਾਦ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਔਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਣ ਲਈ ਬੜੇ ਸਰਲ ਅਤੇ ਸੌਖੇ ਢੰਗਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ । । ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਕਿਸੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਸਮਝ ਨਾ ਆਉਣ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਰਦੇ-ਕੁੱਟਦੇ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਪਿਆਰ ਤੇ ਹਮਦਰਦੀ ਨਾਲ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਸਮਝਾਉਂਦੇਂ ਹਨ ।

ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ, ਸਾਡੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਡਿਸਿਪਲਨ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਦੀ ਚੰਗੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਹੈ । ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਨੂੰ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਸਿਖਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਸਕੂਲ ਪੁੱਜਦੇ ਤੇ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਸਾਡੀ ਕਲਾਸ ਦੇ ਇੰਚਾਰਜ ਵੀ ਹਨ । ਉਹ ਚੰਗੇ ਤਕੜੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਮਾਲਕ ਹਨ । ਉਹ ਹਰ ਇਕ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਤੇ ਪਿਆਰ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਕਲਾਸਾਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਹਰ ਸਾਲ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਮੇਰੇ ਮਨ-ਭਾਉਂਦੇ, ਅਧਿਆਪਕ ਹਨ ।

11. ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਮੇਲਾ

ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹਰ ਸਾਲ 13 ਅਪਰੈਲ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਭਰ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਹਾੜੀ ਦੀ ਫ਼ਸਲ ਦੇ ਪੱਕਣ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਿਸਾਖੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਲਈ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਦੋ ਮੀਲ ਦੀ ਵਿੱਥ ‘ਤੇ ਭਾਰੀ ਮੇਲਾ ਲਗਦਾ ਹੈ । ਐਤਕੀਂ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਇਹ ਮੇਲਾ ਵੇਖਣ ਲਈ , ਗਿਆ ।

ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਮਹਾਨ ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਚ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਾਜਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸੇ ਦਿਨ ਹੀ ਜ਼ਾਲਮ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜਨਰਲ ਡਾਇਰ ਨੇ ਜਲਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ਼ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਚ ਨਿਹੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਉੱਪਰ ਗੋਲੀ ਚਲਾਈ ਸੀ । ਹੁਣ ਅਸੀਂ ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਗਏ । ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਭੀੜ-ਭੜੱਕਾ ਅਤੇ ਰੌਲਾ-ਰੱਪਾ ਸੀ । ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਤੇ ਖਿਡੌਣਿਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਸਜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ ।

ਇਧਰ ਉਧਰ ਖੇਡਾਂ-ਤਮਾਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਪੰਡਾਲ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ। ਅਸੀਂ ਇਕ ਦੁਕਾਨ ‘ਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਤੱਤੀਆਂ-ਤੱਤੀਆਂ ਜਲੇਬੀਆਂ ਖਾਧੀਆਂ । ਫਿਰ ਅਸੀਂ ਇਕ ਥਾਂ ਚਾਟ ਖਾਧੀ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁੱਝ ਦੇਰ ਮਗਰੋਂ ਮਾਈ ਬੁੱਢੀ ਦਾ ਝਾਟਾ ਤੇ ਫਿਰ ਆਈਸਕ੍ਰੀਮ । ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਇਸਤਰੀਆਂ ਤੇ ਬੱਚੇ ਪੰਘੂੜੇ ਝੂਟ ਰਹੇ ਸਨ । ਮੈਂ ਵੀ ਪੰਘੂੜੇ ਵਿਚ ਝੂਟੇ ਲਏ ਤੇ ਫਿਰ ਜਾਦੂ ਦੇ ਖੇਲ੍ਹ ਦੇਖੇ । ਅਸੀਂ ਇਕ ਸਰਕਸ ਵੀ ਦੇਖੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਅਦਭੁਤ ਕਰਤੱਬ ਦਿਖਾਏ ਗਏ ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸੂਰਜ ਛਿਪ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਇਕ ਪਾਸੇ ਕੁਝ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਲੜਾਈ ਹੋ ਪਈ । ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਛੇਤੀ-ਛੇਤੀ ਪਿੰਡ ਦਾ ਰਸਤਾ ਫੜ ਲਿਆ । ਕਾਫ਼ੀ ਹਨੇਰੇ ਹੋਏ ਅਸੀਂ ਘਰ ਪਹੁੰਚੇ ।

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12. ਮੇਰਾ ਸਕੂਲ

ਮੇਰੇ ਸਕੂਲ ਦਾ ਨਾਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਹੈ । ਇਹ ਜਲੰਧਰ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਨਕੋਦਰ ਰੋਡ ਉੱਤੇ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਇਮਾਰਤ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ 25 ਤੋਂ ਵੱਧ ਵੱਡੇ ਕਮਰੇ ਹਨ । ਇਕ ਵੱਡਾ ਹਾਲ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਇੰਸ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਹਰ ਪੱਖ ਤੋਂ ਸੰਪੂਰਨ ਪ੍ਰਯੋਗਸ਼ਾਲਾਵਾਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਇਕ ਵੱਡੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵੀ ਹੈ ।

ਇਸ ਸਕੂਲ ਵਿਚ 800 ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਨ । ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਲਈ 25 ਅਧਿਆਪਕ ਹਨ । ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਬੜੇ ਲਾਇਕ ਤੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਹਨ ।

ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਸ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਹੈ । ਅਧਿਆਪਕ ਅਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਸਕੂਲ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ । ਅਧਿਆਪਕ ਪੂਰੀ ਮਿਹਨਤ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਨਿੱਜੀ ਸੰਬੰਧ ਪੈਦਾ ਕਰ ਕੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਪੜਾਈ ਸੰਬੰਧੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਬੜੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਤੇ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿਚ ਨਿਪੁੰਨੇ ਹਨ । ਇਹ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਮਿਹਨਤ ਦਾ ਹੀ ਸਿੱਟਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਹਰ ਸਾਲ ਚੰਗੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਇਸ ਸਕੂਲ ਦਾ ਬਗੀਚਾ ਹਰਾ-ਭਰਾ ਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਲੱਦਿਆ ਪਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਬਿਲਡਿੰਗ ਨਵੀਂ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕਮਰੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਤੇ ਹਵਾਦਾਰ ਹਨ । ਇਸ ਸਕੂਲ ਕੋਲ ਹਾਕੀ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਬਾਸਕਟਬਾਲ ਤੇ ਕ੍ਰਿਕਟ ਖੇਡਣ ਲਈ ਖੁੱਲੀਆਂ ਤੇ ਪੱਧਰੀਆਂ ਗਰਾਉਂਡਾਂ ਹਨ । ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਇਸ ਸਕੂਲ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ।

13. ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ

ਅਰਸ਼ਦੀਪ ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਹੈ । ਉਹ ਮੇਰਾ, ਸਹਿਪਾਠੀ ਹੈ । ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ । ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਇਕੋ ਡੈਸਕ ਉੱਤੇ ਬੈਠਦੇ ਹਾਂ । ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਮਾਂ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਾਂ । ਰਾਤ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਇਕੱਠੇ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ । ਉਸ ਦੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਬਹੁਤ ਨੇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਹਨ । ਉਸ ਦਾ ਪਿਤਾ ਇਕ ਡਾਕਟਰ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਮਾਤਾ ਇਕ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅਧਿਆਪਕਾ ਹੈ ।

ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਹੈ । ਉਹ ਹਰ ਸਾਲ ਕਲਾਸ ਵਿਚੋਂ ਅੱਵਲ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਨਾਮ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਉਹ, ਹਿਸਾਬ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਹੈ ।

ਉਹ ਫ਼ਜ਼ੂਲ-ਖ਼ਰਚੀ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਜੇਬ-ਖ਼ਰਚ ਵਿਚੋਂ ਬਚਾਏ ਪੈਸਿਆਂ ਨਾਲ ਗ਼ਰੀਬ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਸਕੂਲ ਤੋਂ ਘਰ ਆ ਕੇ ਉਹ ਪਹਿਲਾਂ ਸਕੂਲ ਦਾ ਸਾਰਾ ਕੰਮ ਮੁਕਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਕਿਤਾਬੀ ਕੀੜਾ ਨਹੀਂ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਫੁੱਟਬਾਲ ਖੇਡਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਉਹ ਇਕ ਨੇਕ ਤੇ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਮਿੱਤਰ ਹੈ । ਉਸ ਦਾ ਸਰੀਰ ਸੁੰਦਰ ਅਤੇ ਤਕੜਾ ਹੈ । ਉਹ ਹਰ ਸਮੇਂ ਮੇਰੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਮੈਨੂੰ ਆਪਣੇ ਇਸ ਮਿੱਤਰ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਮਾਣ ਹੈ !

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14. ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ

ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਹਰ ਉਮਰ ਦੇ ਵਿਅਕਤੀ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ । ਇਹ ਇਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹਲਕੀ ਕਸਰਤ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਣ ਜਾਂ ਭਾਰੀ ਕਸਰਤ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਉਹਨਾਂ ਲਈ ਸੈਰ ਬੜੀ ਗੁਣਕਾਰੀ ਸਾਬਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਚੰਗੇ ਰਿਸ਼ਟ-ਪੁਸ਼ਟ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ, ਵੀ ਭਾਰੀ ਮਹਾਨਤਾ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।

ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਸੂਰਜ ਚੜ੍ਹਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਸਾਡੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ੀ ਅਤੇ ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਹਵਾ ਮਿਲਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਸਾਡੀ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਅਰੋਗਤਾ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਹਰ ਇਕ ਅੰਗ ਨੂੰ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਚੁਸਤੀ ਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਫੁਰਤੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਅਤੇ ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਉਮਰ ਲੰਮੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡਾ ਸਰੀਰ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਭੁੱਖ ਵਧਦੀ ਹੈ ਤੇ ਪਾਚਨ-ਸ਼ਕਤੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜਿਹੜੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੈਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ, ਉਹ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਬਿਮਾਰੀ ਦੇ ਸਹਿਜੇ ਹੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਸੈਰ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਕੋਈ ਮੁੱਲ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ਪਰ ਇਹ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਇੰਨੇ ਫ਼ਾਇਦੇ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਕੀਮਤੀ ਤੋਂ ਕੀਮਤੀ ਖ਼ੁਰਾਕ ਜਾਂ ਦੁਆਈ ਵੀ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੀ । ਵਿਦਿਆਰਥੀ, ਜੋ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਾਲ ਮੱਥਾ ਮਾਰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਲਈ ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਹ ਉਸ ਦੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੀ ਥਕਾਵਟ ਲਾਹ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ਗੀ ਬਖ਼ਸ਼ਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਉਸ ਦੀ ਬੁੱਧੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਯਾਦ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਵਧਦੀ ਹੈ ; ਇਸ ਕਰਕੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੈਰ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

15. ਲੋਹੜੀ

ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਜੀਵਨ ਮੇਲਿਆਂ ਅਤੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ । ਸਾਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਇਦ ਹੀ , ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਮਹੀਨਾ ਹੋਵੇਗਾ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾ ਆਉਂਦਾ ਹੋਵੇ । ਲੋਹੜੀ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਕ ਖ਼ੁਸ਼ੀਆਂ ਭਰਿਆ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ, ਜੋ ਜਨਵਰੀ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਮਾਘੀ · ਤੋਂ ਇਕ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਲੋਹੜੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ । ਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿਚ ਵੀ ਰਿਸ਼ੀ ਲੋਕ ਦੇਵਤਿਆਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਹਵਨ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਧਾਰਮਿਕ ਕੰਮ ਵਿਚ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਬੰਦੇ ਹਵਨ ਵਿਚ ਘਿਓ, ਸ਼ਹਿਦ, ਤਿਲ ਅਤੇ ਗੁੜ ਆਦਿ ਪਾਉਂਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਥਾਵਾਂ ਵੀ ਜੋੜੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਕ ਕਥਾ ਅਨੁਸਾਰ ਲੋਹੜੀ ਦੇਵੀ ਨੇ ਇਕ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀ ਰਾਕਸ਼ ਨੂੰ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ਼ ਦੇਵੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਪੌਰਾਣਿਕ ਕਥਾ ‘ਸਤੀ-ਦਿਨ’ ਨਾਲ ਵੀ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਇਸ ਨਾਲ ਇਕ ਹੋਰ ਲੋਕ-ਕਥਾ ਵੀ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ, ਜੋ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੈ । ਕਿਸੇ ਗ਼ਰੀਬ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਦੀ ਸੁੰਦਰੀ ਨਾਂ ਦੀ ਧੀ ਸੀ । ਬ੍ਰਹਮਣ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਕੁੜਮਾਈ ਇਕ ਥਾਂ ਪੱਕੀ ਕਰ ਦਿੱਤੀ, ਪਰੰਤੂ ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਦੁਸ਼ਟ ਹਾਕਮ ਨੇ ਕੁੜੀ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਬਾਰੇ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਠਾਣ ਲਈ । ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਕੁੜੀ ਦੇ ਬਾਪ ਨੇ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲੈ ਜਾਣ, ਪਰ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲੇ ਡਰ ਗਏ । ਜਦੋਂ ਕੁੜੀ ਦਾ ਬਾਪ ਨਿਰਾਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਵਾਪਸ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਉਸ ਨੂੰ ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਡਾਕੂ ਮਿਲਿਆ । ਬਾਂਹਮਣ ਦੀ ਰਾਮ-ਕਹਾਣੀ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮੱਦਦ ਕਰਨ ਤੇ ਉਸ ਦੀ ਧੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਧੀ ਬਣਾ ਕੇ ਵਿਹਾਉਣ ਦਾ ਭਰੋਸਾ ਦਿੱਤਾ ।ਉਹ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਘਰ ਗਿਆ ਤੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਾਰਿਆਂ ਬੰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਜੰਗਲ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਕੇ ਕੁੜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਗ਼ਰੀਬ ਬਾਹਮਣ ਦੀ ਧੀ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵਿਆਹ ਸਮੇਂ ਵੀ ਫਟੇ-ਪੁਰਾਣੇ ਸਨ । ਦੁੱਲੇ ਭੱਟੀ ਦੇ ਕੋਲ ਉਸ ਸਮੇਂ ਕੇਵਲ ਸ਼ੱਕਰ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਉਹ ਸ਼ੱਕਰ ਹੀ ਕੁੜੀ ਦੀ । ਝੋਲੀ ਵਿਚ ਸ਼ਗਨ ਵਜੋਂ ਪਾਈ । ਮਗਰੋਂ ਇਸ ਘਟਨਾ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਅੱਗ ਬਾਲ ਕੇ ਮਨਾਇਆ ਜਾਣ ਲੱਗਾ ।

ਲੋਹੜੀ ਦਾ ਦਿਨ ਆਉਣ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਮੁੰਡਿਆਂ-ਕੁੜੀਆਂ ਦੀਆਂ ਢਾਣੀਆਂ ਗੀਤ-ਗਾਉਂਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਦੀਆਂ ਫਿਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਕੋਈ ਉਨ੍ਹਾਂ · ਨੂੰ ਦਾਣੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਕੋਈ ਗੁੜ, ਕੋਈ ਪਾਥੀਆਂ ਅਤੇ ਕੋਈ ਪੈਸੇ । ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਣ ਵਾਲੀਆਂ ਟੋਲੀਆਂ ਦੇ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਗੀਤ ਗੂੰਜਦੇ ਹਨ-
ਸੁੰਦਰ ਮੁੰਦਰੀਏ ਹੋ,
ਤੇਰਾ ਕੌਣ ਵਿਚਾਰਾ ? ਹੋ ।
ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਵਾਲਾ, ਹੋ।
ਦੁੱਲੇ ਦੀ ਧੀ ਵਿਆਹੀ, ਹੋ ।
ਸੇਰ ਸ਼ੱਕਰ ਪਾਈ, ਹੋ ।
ਕੁੜੀ ਦਾ ਬੋਝਾ ਪਾਟਾ, ਹੋ ।
ਜੀਵੇ ਕੁੜੀ ਦਾ ਚਾਚਾ, ਹੋ ।
ਲੰਬੜਦਾਰ ਸਦਾਏ, ਹੋ ।
ਗਿਣ ਗਿਣ ਪੌਲੇ ਲਾਏ, ਹੋ ।
ਇਕ ਪੌਲਾ ਰਹਿ ਗਿਆ, ਸਿਪਾਹੀ ਫੜ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ ।
ਇਸ ਦਿਨ ਭਰਾ ਭੈਣ ਲਈ ਲੋਹੜੀ ਲੈ ਕੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਪਿੰਨੀਆਂ ਤੇ ਖਾਣ-ਪੀਣ ਦੇ ਹੋਰ ਸਮਾਨ ਸਹਿਤ ਕੋਈ ਹੋਰ ਸੁਗਾਤ ਵੀ ਭੈਣ ਦੇ ਘਰ ਪੁਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਬੀਤੇ ਸਾਲ ਵਿਚ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਘਰ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੌਣਕਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਘਰ ਦੀਆਂ ਇਸਤਰੀਆਂ ਸਾਰੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਮੁੰਡੇ ਦੀ ਲੋਹੜੀ ਵੰਡਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਗੁੜ, ਮੂੰਗਫਲੀ ਤੇ ਰਿਉੜੀਆਂ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਉਸ ਘਰ ਵਿਚ ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਣ ਵਾਲੇ ਮੁੰਡਿਆਂ-ਕੁੜੀਆਂ ਦੇ ਗੀਤਾਂ ਦੀਆਂ ਰੌਣਕਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਵੱਡੇ ਵੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੌਣਕਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਵਿਹੜੇ ਵਿਚ ਲੱਕੜਾਂ ਤੇ ਪਾਥੀਆਂ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰ ਕੇ ਵੱਡੀ ਧੂਣੀ ਲਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । , ਕਈ ਇਸਤਰੀਆਂ ਘਰ ਵਿਚ ਮੁੰਡਾ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਧੂਣੀ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਚਰਖਾ ਵੀ ਬਾਲ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸਤਰੀਆਂ ਤੇ ਮਰਦ ਰਾਤ ਦੇਰ ਤਕ ਧੂਣੀ ਸੇਕਦੇ ਹੋਏ ਰਿਉੜੀਆਂ, ਮੂੰਗਫਲੀ, ਭੁੱਗਾ ਆਦਿ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਧੂਣੀ ਵਿਚ ਤਿਲਚੌਲੀ ਆਦਿ ਸੁੱਟਦੇ ਹਨ । ਅੱਧੀ ਰਾਤ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਧੂਣੀ ਦੀ ਅੱਗ ਦੇ ਠੰਢੀ ਪੈਣ ਤਕ ਇਹ ਮਹਿਫ਼ਲ ਲੱਗੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

16. ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਮੈਚ
ਜਾਂ
ਫੁੱਟਬਾਲ ਦਾ ਮੈਚ

ਐਤਵਾਰ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ । ਪਿਛਲੇ ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਲਾਇਲਪੁਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਜਲੰਧਰ ਦੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਫੁੱਟਬਾਲ ਦੇ ਮੈਚ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ । ਫਾਈਨਲ ਮੈਚ ਸਾਡੇ ਸਕੁਲ ਗੌਰਮਿੰਟ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਟਾਉਨ ਹਾਲ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) ਦੀ ਟੀਮ ਅਤੇ ਦੁਆਬਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਜਲੰਧਰ ਦੀ ਟੀਮ ਵਿਚਕਾਰ ਖੇਡਿਆ ਜਾਣਾ ਸੀ ।

ਸ਼ਾਮ ਦੇ ਚਾਰ ਵਜੇ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਆ ਗਏ । ਰੈਫ਼ਰੀ ਨੇ ਠੀਕ ਸਮੇਂ ‘ਤੇ . ਵਿਸਲ ਵਜਾਈ ਅਤੇ ਦੋਵੇਂ ਟੀਮਾਂ ਮੈਚ ਖੇਡਣ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਈਆਂ । ਸਾਡੀ ਟੀਮ ਦਾ ਕੈਪਟਨ ਸਰਦੂਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਦੁਆਬਾ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਦਾ ਕੈਪਟਨ ਕਰਮ ਚੰਦ ਸੀ ।ਟਾਸ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਨੇ ਜਿੱਤਿਆ । ਸਾਰੇ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਖਿੰਡ ਗਏ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਪੁਜ਼ੀਸ਼ਨਾਂ ਸੰਭਾਲ ਲਈਆਂ ।

ਰੈਫ਼ਰੀ ਦੀ ਵਿਸਲ ਨਾਲ ਅੱਖ ਫ਼ਰਕਣ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਹੀ ਖੇਡ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਈ । ਮੈਚ ਦੇਖਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 5 ਹਜ਼ਾਰ ਤੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੀ । ਪਹਿਲਾਂ ਤਾਂ 15 ਕੁ ਮਿੰਟ ਸਾਡੀ ਟੀਮ ਖੂਬ ਅੜੀ ਰਹੀ, ਪਰ ਦੁਆਬਾ ਹਾਈ ਸਕੂਲ ਦੇ ਫਾਰਵਰਡਾਂ ਨੇ ਬਾਲ ਨੂੰ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਲ ਹੀ ਰੱਖਿਆ । ਸਾਡਾ ਬਿੱਲਾ ਰਾਈਟ-ਆਉਟ ਖੇਡਦਾ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਬਾਲ ਉਸ ਕੋਲ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਹ ਜਲਦੀ ਹੀ ਮੈਦਾਨ ਦੀ ਹੱਦ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੋਲਾਂ ਪਾਸ ਪੁੱਜ ਗਿਆ । ਉਸ ਨੇ ਬਾਲ ਕੈਪਟਨ ਸਰਦੂਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਹੀ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲ-ਬੈਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਪਾਸੋਂ ਬਾਲ ਲੈ ਲਿਆ ਤੇ ਇੰਨੀ ਜ਼ੋਰ ਦੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਬਾਲ ਮੁੜ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚ ਆ ਗਿਆ । ਪਰ ਸਾਡਾ ਗੋਲਕੀਪਰ ਬਹੁਤ ਚੌਕੰਨਾ ਸੀ । ਬਾਲ ਉਸ ਦੇ ਪਾਸ ਪੁੱਜਾ ਹੀ ਸੀ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਰੋਕ ਲਿਆ । ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਅੱਧੇ ਸਮੇਂ ਦੀ ਵਿਸਲ ਵੱਜ ਗਈ ।

ਕੁੱਝ ਮਿੰਟਾਂ ਮਗਰੋਂ ਖੇਡ ਦੂਜੀ ਵਾਰ ਆਰੰਭ ਹੋਈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲਿਫਟ-ਆਉਟ ਨੇ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਬਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੈਪਟਨ ਪਾਸ ਪੁੱਜ ਗਿਆ । ਦਰਸ਼ਕਾਂ ਨੇ ਤਾੜੀਆਂ ਵਜਾਈਆਂ ।

ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਬਾਲ ਸਾਡੇ ਫੁੱਲ-ਬੈਕ ਕੋਲੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੋਇਆ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਕੋਲ ਜਾ ਪੁੱਜਾ । ਗੋਲਚੀ ਦੇ ਬਹੁਤ ਯਤਨ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਿਰ ਇਕ ਗੋਲ ਹੋ ਗਿਆ । ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਚੜ੍ਹ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਚ ਗਈ । ਸਮਾਂ ਕੇਵਲ 10 ਮਿੰਟ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ । ਸਾਡੇ ਕੈਪਟਨ ਨੇ ਬਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਕੇ ਰਾਈਟ-ਆਉਟ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਨੇ ਨੁੱਕਰ ਉੱਤੇ ਜਾ ਕੇ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਗੋਲ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ।

ਇਸ ਵੇਲੇ ਖੇਡ ਬਹੁਤ ਗਰਮਜ਼ੋਸ਼ੀ ਨਾਲ ਖੇਡੀ ਜਾ ਰਹੀ ਸੀ । ਅਚਾਨਕ ਬਾਲ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚ ਪੁੱਜ ਗਿਆ । ਜੇਕਰ ਸਾਡਾ ਗੋਲਚੀ ਚੁਸਤੀ ਨਾ ਦਿਖਾਉਂਦਾ, ਤਾਂ ਗੋਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ । ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਡੇ ਕੈਪਟਨ ਨੇ ਸੈਂਟਰ ਵਿਚੋਂ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੋਲਚੀ ਨੇ ਰੋਕ ਤਾਂ ਲਈ, ਪਰੰਤੁ ਬਾਲ ਖਿਸਕ ਕੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘ ਗਿਆ । ਰੈਂਫ਼ਰੀ ਨੇ ਵਿਸਲ ਮਾਰ ਕੇ ਗੋਲ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਕ ਮਿੰਟ ਮਗਰੋਂ ਹੀ ਖੇਡ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਗਈ । ਅਸੀਂ ਮੈਚ ਜਿੱਤ ਗਏ । ਇਹ ਮੈਚ ਜਿੱਤ ਕੇ ਅਸੀਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ਤੇ ਰਹੇ ।

17. ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਲਾਭ ਤੇ ਹਾਨੀਆਂ

ਸਿਨਮਾ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਦਾ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗ ਹੈ । ਉਂਞ ਹੁਣ ਘਰਘਰ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਆਉਣ ਨਾਲ ਇਸਦੀ ਲੋਕ-ਪ੍ਰਿਅਤਾ ਪਹਿਲਾਂ ਜਿੰਨੀ ਨਹੀਂ ਰਹੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਲੋਕ ਸਿਨਮਾ ਦੇਖਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਵੀ ਹਨ ਤੇ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ । ਇਸ ਦੇ ਲਾਭ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਦਿਲੋਂ-ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਤੇ ਸਸਤਾ ਸਾਧਨ ਹੈ । ਦਿਨ ਭਰ ਦਾ ਕੰਮ ਨਾਲ ਥੱਕਿਆ-ਟੁੱਟਿਆ ਬੰਦਾ ਸਿਨਮੇ ਵਿਚ ਜਾ ਕੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਨਾਚਾਂ, ਗਾਣਿਆਂ, ਹਸਾਉਣੇ ਤੇ ਰੁਆਉਣੇ ਦਿਸ਼ਾਂ, ਮਾਰ-ਕੁਟਾਈ ਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਆਪਣਾ ਮਨ ਪਰਚਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਦੂਜਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਅਸੀਂ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ, ਸਿਹਤ, ਪਰਿਵਾਰ ਭਲਾਈ, ਸੁਰੱਖਿਆ ਤੇ ਵਿੱਦਿਆ ਦੇ ਮਹਿਕਮੇਂ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵਿੱਦਿਅਕ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਹਿੱਸਾ ਹੈ । ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਪੁਚਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਸਿਨਮੇ ਤੋਂ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਵੀ ਖੂਬ ਲਾਭ ਉਠਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਮਸ਼ਹੂਰੀ ਕਰ ਕੇ ਲਾਭ ਉਠਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਲਾਭ ਇਹ ਵੀ ਹੈ ਕਿ ਫ਼ਿਲਮ ਸਨਅਤ ਅਤੇ ਸਿਨਮਾ-ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਸੈਂਕੜੇ ਲੋਕ ਕੰਮ ਕਰ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੇਟ ਪਾਲ ਰਹੇ ਹਨ ।

ਜਿੱਥੇ ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਇੰਨੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਦੀਆਂ ਹਾਨੀਆਂ ਵੀ ਹਨ। ਇਸ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਨੁਕਸਾਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਅਸ਼ਲੀਲ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਦਾ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਆਚਰਨ ਉੱਪਰ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਨੌਜਵਾਨ ਤੇ ਮੁਟਿਆਰਾਂ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਫ਼ੈਸ਼ਨ-ਪ੍ਰਸਤੀ ਵਲ ਪੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਅਸਲ ਮੰਤਵ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਪਰ ਹੁਣ ਇਸ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਟੀ. ਵੀ. ਸਿਨਮੇ ਨਾਲੋਂ ਅੱਗੇ ਨਿਕਲ ਗਿਆ ਹੈ । ਸਿਨਮੇ ਉੱਪਰ ਤਾਂ ਸੈਂਸਰ ਬੋਰਡ ਬੈਠਾ ਹੈ, ਪਰ ਟੀ.ਵੀ. ਦੀਆਂ ਲਗਾਮਾਂ ਵਧੇਰੇ ਖੁੱਲ੍ਹੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਦੇਖਿਆ ਵੀ ਘਰਘਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਬਹੁਤਾ ਸਿਨਮਾ ਵੇਖਣ ਨਾਲ ਟੀ.ਵੀ. ਸਕਰੀਨ ਵਾਂਗ ਹੀ ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਪਰਦੇ ਉੱਪਰ ਪੈ ਰਹੀ . ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਮਨੁੱਖੀ ਨਜ਼ਰ ਉੱਪਰ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਮੁੱਕਦੀ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਸਿਨਮਾ ਦਿਲ-ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਵਧੀਆ ਤੇ ਸਸਤਾ ਸਾਧਨ ਹੈ, ਪਰ ਇਸ ਦੀਆਂ ਹਾਨੀਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਵਲ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

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18. ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਦੇ ਲਾਭ-ਹਾਨੀਆਂ

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਰਤਮਾਨ ਜੀਵਨ ਦਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗ ਹਨ । ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦਿਆਂ ਹੀ ਇਹ ਆਪਣੇ ਰਸ ਵਿਚ ਕੀਲ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ
ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਦਾ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦਿਆਂ ਹੀ ਸਾਨੂੰ ਦੁਨੀਆਂ ਭਰ ਦੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਲਿਆ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਸੀਂ ਘਰ ਬੈਠੇ-ਬਿਠਾਏ ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਹਾਲਾਤਾਂ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਾਂ ! ਸਾਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿੱਥੇ ਹੜਤਾਲ ਹੋਈ ਹੈ, ਕਿੱਥੇ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਲਾਠੀ-ਗੋਲੀ ਚਲਾਈ ਹੈ ਤੇ ਕਿੱਥੇ ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ ।

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ । ਇਹ ਸੂਚਨਾਸੰਚਾਰ ਦਾ ਮੁੱਖ ਸਾਧਨ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਖੇਤੀ-ਬਾੜੀ, ਵਿੱਦਿਆ, ਸਿਹਤ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਉੱਨਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਗਿਆਨ ਵਿਚ ਬਹੁਪੱਖੀ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਅਦਾਰਿਆਂ ਵਲੋਂ ਆਪਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਤੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਬਾਰੇ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਉਠਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ । ਅਸੀਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਲਈ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।

ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਦਿਲ-ਪਰਚਾਵੇ ਲਈ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਹਿਤ, ਲੋਕ-ਸਾਹਿਤ, ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਚੁਟਕਲਿਆਂ, ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਗੰਭੀਰ ਲੇਖਾਂ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਪੱਖਾਂ ਬਾਰੇ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਅਸੀਂ ਦਿਲ-ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਫਿਲਮਾਂ, ਰੇਡੀਓ ਤੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਬਾਰੇ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।

ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਬੇਕਾਰ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦੀਆਂ, ਸਗੋਂ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਕਾਗਜ਼ ਨੂੰ ਰੱਦੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵੇਚ ਕੇ ਪੈਸੇ ਵੱਟ ਲਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਇੰਨਾ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕਈ ਵਾਰ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ ਪੁਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਸਭ ਤੋਂ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਗੱਲ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਭੜਕਾਉ ਖ਼ਬਰਾਂ ਦਾ ਛਪਣਾ ਹੈ । ਕਈ ਵਾਰ ਖ਼ੁਦਗਰਜ਼ ਤੇ ਸਵਾਰਥੀ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਚਲ ਰਹੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਝੂਠੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਛਾਪ ਕੇ ਸਮਾਜਿਕ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਅਸ਼ਲੀਲ ਫੋਟੋਆਂ ਤੇ ਮਨ-ਘੜਤ ਕਹਾਣੀਆਂ ਦਾ ਛਪਣਾ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਆਚਰਨ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਅੰਤ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਕੁੱਝ ਹਾਨੀਆਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹਨ ।

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19. ਵਿਗਿਆਨ ਦੇ ਚਮਤਕਾਰ

20ਵੀਂ ਸਦੀ ਨੂੰ ਵਿਗਿਆਨ ਦਾ ਯੁਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਹ ਆਪਣੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਤੇ ਖੋਜਾਂ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੋਇਆ ਅੱਜ 21ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਚੁੱਕਾ ਹੈ । ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਨਵਾਂ ਪਲਟਾ ਲੈ ਆਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੇ ਜਿੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਲਾਭਦਾਇਕ ਕਾਢਾਂ ਕੱਢ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਸੁਖ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਨੇ ਐਟਮ ਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਬੰਬਾਂ ਜਿਹੇ ਭਿਆਨਕ ਹਥਿਆਰ ਬਣਾ ਕੇ ਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਪਲੀਤ ਕਰ ਕੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖ ਸਮੇਤ ਸਮੁੱਚੇ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ।

ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਮਾਰੂ ਕਾਢਾਂ ਤੇ ਦੇਣਾਂ ਦੇ ਉਲਟ ਉਸਾਰੁ ਕਾਢਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਬੜੇ ਸੁਖ, ਅਰਾਮ ਅਤੇ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਾ ਕੇ ਇਸ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਹੈ ।

ਇਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਬਿਜਲੀ ਹੈ । ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਕੰਮ ਇਸੇ ਨਾਲ ਚਲਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਰੌਸ਼ਨੀ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਪੱਖੇ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਕੱਪੜੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਠੰਢੇ ਕਰਨ ਤੇ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਹੋ ਹੀ ਕਾਰਖ਼ਾਨੇ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਉਤਪਾਦਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹੋ ਹੀ ਕੰਪਿਊਟਰ, ਫੋਟੋ-ਸਟੇਟ ਤੇ ਰੋਬੋਟ ਆਦਿ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਦੂਜੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਂਢ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਮਸ਼ੀਨੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸਕੂਟਰ, ਮੋਟਰ-ਸਾਈਕਲ, ਮੋਟਰਾਂ, ਕਾਰਾਂ, ਗੱਡੀਆਂ ਤੇ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਇਹ ਸਾਧਨ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਤੇ ਘੱਟ ਖ਼ਰਚ ਨਾਲ ਇਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਪੁਚਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਾਡਾ ਵਰਤਮਾਨ ਜੀਵਨ ਇਕ ਘੜੀ ਵੀ ਨਹੀਂ ਚਲ ਸਕਦਾ ।

ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਸੰਚਾਰ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਟੈਲੀਫ਼ੋਨ, ਤਾਰ, ਵਾਇਰਲੈਂਸ, ਟੈਲੀਪਿੰਟਰ, ਰੇਡੀਓ, ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ, ਸੈਲੂਲਰ ਫ਼ੋਨ ਤੇ ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਰਾਹੀਂ ਅਸੀਂ ਘਰ ਬੈਠਿਆਂ ਹੀ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਕ ਸੁਨੇਹੇ ਭੇਜ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।

ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਨ-ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨ ਵੀ ਵਿਕਸਿਤ ਕੀਤੇ ; ਜਿਵੇਂ ਰੇਡੀਓ, ਵਾਂਜਿਸਟਰ, ਟੈਲੀਵਿਯਨ, ਸਿਨੇਮਾ, ਵੀ.ਡੀ.ਓ. ਗੇਮਾਂ, ਕੰਪਿਊਟਰ, ਸੀ.ਡੀ. ਪਲੇਅਰ, ਕੈਸਟ ਪਲੇਅਰ ਤੇ ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਵਿਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਸਾਮਗਰੀ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ।

ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਕਾਢ ਕੰਪਿਉਟਰ ਨੇ ਅਜੋਕੇ ਯੁਗ ਵਿਚ ਇਨਕਲਾਬ ਲੈ ਆਂਦਾ ਹੈ । ਕੰਪਿਊਟਰ ਇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਮਾਗ਼ ਹੈ, ਜੋ ਬਹੁਤ ਹੀ ਤੇਜ਼ੀ ਅਤੇ ਸੁਯੋਗਤਾ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਕੰਪਿਊਟਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੱਡੇ-ਵੱਡੇ ਉਤਪਾਦਨ ਕੇਂਦਰਾਂ, ਵਪਾਰਕ ਅਦਾਰਿਆਂ, ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਤੇ ਘਰਾਂ, ਗੱਲ ਕੀ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਕੰਮ-ਕਾਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਆ ਗਈ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ, ਡਾਕਟਰਾਂ ਤੇ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸਨੇ ਸਾਰੀ ਦੁਨੀਆ ਲਈ ਗਿਆਨ, ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਤੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦੇ ਭੰਡਾਰ ਖੋਣ ਦੇ ਨਾਲਨਾਲ ਬਹੁਪੱਖੀ ਆਪਸੀ ਸੰਚਾਰ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਤੇਜ਼ੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਹੈ । ਕੰਪਿਊਟਰੀਕਿਤ ਰੋਬੋਟ ਮਨੁੱਖ ਵਾਂਗ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਔਖੇ ਤੇ ਜ਼ੋਖ਼ਮ ਭਰੇ ਕੰਮ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਬਿਨਾਂ ਅੱਕੇ-ਥੱਕੇ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ !

ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਦੇ ਰੋਗਾਂ ਨੂੰ ਯੰਤਰਾਂ ਤੇ ਦਵਾਈਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਹੱਦ ਤਕ ਕਾਬੂ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ । ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਖਾਦਾਂ ਤੇ ਕੀੜੇਮਾਰ ਦਵਾਈਆਂ ਨਾਲ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀ ਉਪਜ ਵੀ ਵਧਾਈ ਹੈ । ਲਗਪਗ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਕੰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਨਵੀਂ ਤਕਨੀਕ ਨਾਲ ਬਣੀਆਂ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚੋਂ ਅੰਧ-ਵਿਸ਼ਵਾਸਾਂ ਦਾ ਬਿਸਤਰਾ ਗੋਲ ਕਰ ਕੇ ਉਸਨੂੰ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਲੀਹਾਂ ਉੱਤੇ ਤੋਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਦੀ ਸਾਂਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ ਤੇ ਇਹਨਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ, ਸੁਖ ਤੇ ਅਰਾਮ ਲਿਆਂਦਾ ਹੈ ।

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20. ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਲਾਭ ਤੇ ਹਾਨੀਆਂ

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੂਰਦਰਸ਼ਨ ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਕ ਅਦਭੁਤ ਕਾਢ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਰੇਡੀਓ ਅਤੇ ਸਿਨੇਮਾ ਦੋਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਸਮੋਏ ਪਏ ਹਨ ਤੇ ਇਸ ਦਾ ਵਰਤਮਾਨ ਦਿਲ-ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਮੌਲਿਕ ਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਹੈ ।

ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਇਕ ਨੁਮਾਇਸ਼ ਵਿਚ ਆਇਆ ਸੀ । ਅਕਤੂਬਰ, 1959 ਵਿਚ ਡਾ: ਰਜਿੰਦਰ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਆਕਾਸ਼ਵਾਣੀ ਦੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਵਿਭਾਗ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਕੀਤਾ ਫਿਰ ਇਸ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ।

ਮਗਰੋਂ ਉਪ-ਗ੍ਰਹਿਆਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਨੂੰ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਦੀਆਂ ਥਾਂਵਾਂ ਉੱਤੇ ਭੇਜਣਾ ਸੰਭਵ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਿਨੋ-ਦਿਨ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਅੱਜ-ਕੱਲ੍ਹ ਤਾਂ 80-90 ਦੇ ਲਗਪਗ ਕੇਬਲ ਟੀ.ਵੀ. ਪਸਾਰਨ ਵੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਲਾਭ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
ਉੱਪਰ ਦੱਸੇ ਅਨੁਸਾਰ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਮਨੋਰੰਜਨ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਾਧਨ ਹੈ । ਘਰ ਬੈਠੇ ਹੀ ਅਸੀਂ ਨਵੀਆਂ-ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਨਾਟਕ, ਚਲ ਰਹੇ ਮੈਚ, ਭਾਸ਼ਨ, ਨਾਚ, . ਗਾਣੇ ਦੇਖਦੇ ਤੇ ਸੁਣਦੇ ਹਾਂ ਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਆਪਣਾ ਮਨ ਪਰਚਾਉਂਦੇ ਹਾਂ । ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਹਰ ਉਮਰ, ਹਰ ਵਰਗ ਤੇ ਹਰ ਰੁਚੀ ਦੇ ਵਿਅਕਤੀ ਲਈ ਮਨੋਰੰਜਨ ਦੀ ਸਾਮਗਰੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਸਾਨੂੰ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਤੇ ਮਸਲਿਆਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਸਾਨੂੰ ਗਿਆਨ-ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਖੋਜਾਂ, ਇਤਿਹਾਸ, ਮਿਥਿਹਾਸ, ਵਣਜ-ਵਪਾਰ, ਵਿੱਦਿਆ, ਕਾਨੂੰਨ, ਚਿਕਿੱਤਸਾ-ਵਿਗਿਆਨ, ਸਿਹਤ-ਵਿਗਿਆਨ, ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਪਕਵਾਨ ਬਣਾਉਣ, ਫ਼ੈਸ਼ਨ, ਧਰਤੀ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਖਿੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ, ਜੰਗਲੀ ਪਸ਼ੂਆਂ ਤੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜੀਵਾਂ, ਗੁਪਤਚਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤੀਆਂ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਹੋਰ ਅਣਦੇਖੀਆਂ ਤੇ ਅਚੰਭੇਪੁਰਨ ਕਾਢਾਂ, ਖੋਜਾਂ, ਸਥਾਨਾਂ ਤੇ ਹੋਂਦਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਦਿਲ-ਪਰਚਾਵੇ ਨਾਲ ਸਾਡਾ ਬੌਧਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਾ ਤੀਜਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਵਪਾਰਕ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਹੈ। ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਮਾਲ ਦੀ ਮਸ਼ਹੂਰੀ ਕਰ ਕੇ ਲਾਭ ਕਮਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਇਸ ਦਾ ਚੌਥਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਤਾਜ਼ੀਆਂ ਵਾਪਰੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣਾ ਹੈ । ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਚੈਨਲ ਰਾਤ-ਦਿਨ ਖ਼ਬਰਾਂ ਦਾ ਚਲ-ਚਿਤਰਾਂ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਸਟੇਸ਼ਨਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਕਲਾਕਾਰ ਧਨ ਨਾਲ ਮਾਲਾ-ਮਾਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਜਿੱਥੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਹਾਨੀਆਂ ਵੀ ਹਨ ।ਇਸ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਹਾਨੀ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਸੁਆਦਲੇ ਤੇ ਵੰਨ-ਸੁਵੰਨੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਪੇਸ਼ ਕਰ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਸਮਾਂ ਨਸ਼ਟ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਗਲੀਆਂ-ਮੁਹੱਲਿਆਂ ਵਿਚ ਰੌਲੇ-ਰੱਪੇ ਨੂੰ ਵੀ ਵਧਾਇਆ ਹੈ ।

ਕੇਬਲ ਟੀ. ਵੀ. ਦੇ ਪਸਾਰ ਰਾਹੀਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਸਾਡੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਉੱਤੇ ਮਾਰੂ ਹਮਲਾ ਬੋਲਿਆ ਹੈ, ਫਲਸਰੂਪ ਇਸਦਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪੱਛਮੀਕਰਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕੰਪਨੀਆਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਮਾਲ ਸੰਬੰਧੀ ਕੁੜ-ਪਰਚਾਰ ਤੇ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰਬਾਜ਼ੀ ਕਰ ਕੇ ਜਿੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਪੈਸੇ ਬਟੋਰਦੀਆਂ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਖਾਣ-ਪੀਣ ਤੇ ਰਹਿਣ-ਸਹਿਣ ਦੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਬਦਲ ਰਹੀਆਂ ਹਨ । ਕਈ ਵਾਰ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਤੇ ਲੜੀਵਾਰ ਨਾਟਕਾਂ ਵਿਚਲੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਇੰਨੇ ਨੰਗੇਜ਼ਵਾਦੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਸਾਊ ਲੋਕ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਬੈਠ ਕੇ ਦੇਖ ਨਹੀਂ ਸਕਦੇ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਸਕਰੀਨ ਦੀ ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇ ਰੇਡਿਆਈ ਕਿਰਨਾਂ ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਉੱਪਰ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਜੀਵਨ ਉੱਪਰ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਇਆ ਹੈ । ਲੋਕ ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਘਰ ਜਾਣਾ ਤੇ ਮਿਲਣਾ-ਗਿਲਣਾ ਛੱਡ ਕੇ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਿਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਮੋਹਰੇ ਬੈਠਣਾ ਵਧੇਰੇ ਪਸੰਦ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਮਿੱਤਰ ਜਾਂ ਗੁਆਂਢੀ ਦੂਸਰੇ ਦੇ ਘਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਰੰਗ ਵਿਚ ਭੰਗ ਪਾਉਣ ਵਾਲਾ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੀ ਚਰਚਾ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਇਸ ਸਿੱਟੇ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਕ ਅਦਭੁਤ ਕਾਢ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਵਰਤਮਾਨ ਸਭਿਆਚਾਰ ਉੱਨਤੀ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ । ਇਹ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੇ ਮਨ-ਪਰਚਾਵੇ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਨ ਦਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਾਧਨ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਤੇ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਇਸ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਸਾਰੁ ਰੋਲ ਅਦਾ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਣ ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ

21. ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ

ਪ੍ਰੋ: ਮੋਹਨ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸੱਚ ਕਿਹਾ ਹੈ-
ਮਾਂ ਵਰਗਾ ਘਣਛਾਵਾਂ ਬੂਟਾ, ਮੈਨੂੰ ਨਜ਼ਰ ਨਾ ਆਏ ।
ਲੈ ਕੇ ਇਸ ਤੋਂ ਛਾਂ ਉਧਾਰੀ, ਰੱਬ ਨੇ ਸੁਰਗ ਬਣਾਏ ।
ਬਾਕੀ ਕੁੱਲ ਦੁਨੀਆਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਜੜ੍ਹ ਸੁੱਕਿਆਂ ਮੁਰਝਾਂਦੇ ।
ਐਪਰ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਮੁਰਝਾਇਆਂ, ਇਹ ਬੂਟਾ ਸੁੱਕ ਜਾਏ ।
ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਚਿੰਤਕਾਂ ਨੇ ਮਾਂ ਦੀ ਮਹਿਮਾ ਗਾਈ ਹੈ । ਮਾਂ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਵਿੱਤਰ . ਤੇ ਉੱਚਾ-ਸੁੱਚਾ ਹੈ । ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਬੰਦੇ ਦੀ ਮਾਂ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੋਰ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ, ਜਿਹੜੀ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਪਾਲਦੀ ਹੈ, ਤੁਰਨਾ ਤੇ ਬੋਲਣਾ ਸਿਖਾਉਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਜਿਉਣ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਵੀ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰੇ ਹਨ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸ੍ਰੀਮਤੀ ਮਨਜੀਤ ਕੌਰ ਹੈ । ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਉਮਰ 35 ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਬੀ. ਏ., ਬੀ. ਐੱਡ. ਪਾਸ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅਧਿਆਪਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਉਹ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਅਤੇ ਸੋਸ਼ਲ ਸਟੱਡੀ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰੇ ਹਨ ।

ਉਹ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦੇ ਹਨ ਤੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਵੇਰੇ ‘ਜਪੁਜੀ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਉਹ ਰਹਿਰਾਸ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਸਦਾ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰੇ ਕੱਪੜੇ ਪਹਿਨਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਚੰਗੇ ਖਾਣੇ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਘਰ ਦਾ ਸਾਰਾ ਕੰਮ ਆਪ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਸਦਾ ਕੰਮ ਵਿਚ ਜੁੱਟੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੁਭਾ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਹੈ । ਉਹ ਸਦਾ ਖੁਸ਼ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਿਹਰੇ ਉੱਤੇ ਅਨੋਖੀ ਚਮਕ ਤੇ ਖਿੱਚ ਕਾਇਮ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਅਸੀਂ ਸਭ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ । ਗਲੀ-ਗੁਆਂਢ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਹੈ । ਉਹ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹਨ । ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਲਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਫੁੱਲਾਂ ਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਘਰ ਵਿਚ ਕਿਆਰੀਆਂ ਅਤੇ ਗਮਲਿਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰੰਗ-ਬਰੰਗੇ ਪੱਤਿਆਂ ਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਲਾਏ ਹੋਏ ਹਨ 1 ਦੋ-ਤਿੰਨ ਮਹੀਨਿਆਂ ਬਾਅਦ ਮੌਸਮੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਪਨੀਰੀ ਆਪ ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਪੌਦੇ ਤਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਆਪ ਪਾਣੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਸ ਲਗਨ ਸਦਕਾ ਸਾਡਾ ਘਰ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਫੁੱਲਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਉਹ ਕਿਆਰੀਆਂ ਵਿਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਵੀ ਲਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਦੀਆਂ ਪਾਲੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਹੀ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਮੈਨੂੰ ਤੇ ਮੇਰੀ ਛੋਟੀ ਭੈਣ ਦੀ ਸਿਹਤ ਤੇ ਪੜਾਈ ਦਾ ਬਹੁਤ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਕਦੇ ਕੌੜਾ ਨਹੀਂ ਬੋਲਦੇ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਨਾਲ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁੱਸਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਇਕ ਆਦਰਸ਼ ਇਸਤਰੀ ਹੈ ।

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22. ਅਸੀ ਪਿਕਨਿਕ ’ਤੇ ਗਏ

ਪਿਛਲੇ ਸ਼ਨਿਚਰਵਾਰ ਅਸੀਂ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਿਕਨਿਕ ਲਈ ਗਏ । ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਕਲਾਸ ਦੇ ਦਸ ਮੁੰਡੇ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਘਰੋਂ ਗੈਸ ਦਾ ਛੋਟਾ ਸਿਲੰਡਰ ਤੇ ਛੋਟਾ ਚੁੱਲਾ ਲੈ ਗਿਆ । ਮਨਜੀਤ ਨੇ ਪਤੀਲੀ, ਕੱਪ-ਪਲੇਟਾਂ ਤੇ ਚਾਹ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਸਮਾਨ ਲੈ ਲਿਆ । ਗੁਰਜੀਤ ਦੀ ਮੰਮੀ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਪਕੌੜੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਤੇਲ, ਵੇਸਣ, ਪਾਲਕ-ਪਿਆਜ਼ ਤੇ ਲੂਣ-ਮਸਾਲਾ ਆਦਿ ਦੇ ਦਿੱਤਾ । ਅਸੀਂ ਕੁੱਝ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੇ ਕੱਪ ਤੇ ਪਲੇਟਾਂ ਲੈ ਲਈਆਂ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਬਿਸਕੁਟਾਂ ਦੇ ਕੁੱਝ ਪੈਕਟ ਵੀ ਲੈ ਲਏ ।

ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡਾਂ ਪੰਦਰਾਂ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਸੀ । ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਸਾਇਕਲਾਂ ਉੱਤੇ ਸਮਾਨ ਰੱਖ ਕੇ ਚਲ ਪਏ । ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਅਸੀਂ ਇਕ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰੀ ਥਾਂ ਚੁਣ ਲਈ ਤੇ ਉੱਥੇ ਬੈਠ ਗਏ ।

ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਸਭ ਨੂੰ ਤੈਰਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ । ਅਸੀਂ ਸਭ ਨੇ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਇਕ ਘੰਟਾ-ਖੁਬ ਤਾਰੀਆਂ ਲਾਉਂਦੇ ਰਹੇ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸਾਨੂੰ ਇਕ ਕਿਸ਼ਤੀ ਦਿਸ ਪਈ । ਮਲਾਹ ਮੱਛੀਆਂ ਫੜ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਅਸੀਂ ਉਸਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਕੀਤੀ ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਤਿੰਨਾਂਤਿੰਨਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ਼ਤੀ ਵਿਚ ਬਿਠਾ ਕੇ ਘੁੰਮਾਉਣਾ ਮੰਨ ਗਿਆ । ਅਸੀਂ ਤਿੰਨ-ਤਿੰਨ ਦਾ ਗਰੁੱਪ ਬਣਾ ਕੇ ਪੰਦਰਾਂ-ਪੰਦਰਾਂ ਮਿੰਟਾਂ ਲਈ ਕਿਸ਼ਤੀ ਵਿਚ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਦਰਿਆ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਿਆ । ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਕੁੱਝ ਨੇ ਆਪ ਚੱਪੂ ਚਲਾਏ ਤੇ ਇਕ ਦੋ ਨੇ ਮੱਛੀਆਂ ਲਈ ਕੁੰਡੀ ਵੀ ਲਾਈ । ਫਿਰ ਸਾਨੂੰ ਭੁੱਖ ਲੱਗ ਗਈ ।

ਦਰਿਆ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਆ ਕੇ ਮੈਂ ਨੇੜੇ ਦੇ ਗੈਸਟ ਹਾਊਸ ਵਿਚ ਜਾ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਬਾਲਟੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਤੇ ਮੈਂ ਗੈਸ ਦਾ ਚੁੱਲ੍ਹਾ ਬਾਲ ਦਿੱਤਾ । ਗੁਰਜੀਤ ਨੇ ਕੜਾਹੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖ ਕੇ ਤੇਲ ਗਰਮ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਬਲਵੀਰ ਨੇ ਕੁੱਝ ਵੇਸਣ ਵਿਚ ਪਾਲਕ ਤੇ ਕੁੱਝ ਵਿਚ ਪਿਆਜ਼ ਮਿਲਾ ਕੇ ਘੋਲ ਤਿਆਰ ਕਰ ਲਿਆ ਤੇ ਪਕੌੜੇ ਤਲਣ ਲੱਗਾ । ਉਹ ਗਰਮ-ਗਰਮ ਪਕੌੜੇ ਕੱਢ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਅਸੀਂ ਖਾ ਰਹੇ ਸੀ । ਫਿਰ ਅਸੀਂ ਚਾਹ ਬਣਾਈ ਤੇ ਉਸ ਨਾਲ ਬਿਸਕੁਟ ਖਾਧੇ ॥

ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਗੋਲ ਘੇਰਾ ਬਣਾ ਕੇ ਬੈਠ ਗਏ । ਰਾਕੇਸ਼ ਨੇ ਲਤੀਫ਼ੇ ਸੁਣਾ-ਸੁਣਾ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਖੂਬ ਹਸਾਇਆ । ਜੋਤੀ ਤੇ ਮਿੱਕੀ ਨੇ ਗੀਤ ਸੁਣਾਏ । ਹਰਦੀਪ ਨੇ ਕੁੱਝ ਮੰਤਰੀਆਂ ਤੇ ਐਕਟਰਾਂ ਦੀਆਂ ਨਕਲਾਂ ਲਾ ਕੇ ਖੂਬ ਹਸਾਇਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤਿੰਨ-ਚਾਰ ਘੰਟੇ ਪਿਕਨਿਕ ਦਾ ਮਜ਼ਾ ਲੈਣ ਮਗਰੋਂ ਅਸੀਂ ਘਰ ਪਰਤ ਆਏ ।

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23. ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੇ ਵਿਆਹ ਦਾ ਹਾਲ

ਪਿਛਲੇ ਐਤਵਾਰ ਮੇਰੇ ਮਿੱਤਰ ਦੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦਾ ਵਿਆਹ ਸੀ । ਉਸ ਦੀ ਬਰਾਤ ਸਾਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਤੋਂ ਕੋਈ 20 ਕੁ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦੂਰ ਫਗਵਾੜੇ ਵਿਚ ਜਾਣੀ ਸੀ । ਮੈਂ ਵੀ ਉਸ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸਾਂ । ਬਰਾਤ ਦੇ 50 ਕੁ ਆਦਮੀ ਸਨ । ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਸਵੇਰ ਦੇ 10 ਕੁ ਵਜੇ ਬੱਸ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਹੋ ਕੇ ਚੱਲ ਪਏ । ਕੁੱਝ ਬਰਾਤੀ ਪੰਜ-ਛੇ ਕਾਰਾਂ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਸਨ । ਸਿਹਰਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜੇ ਲਾੜੇ ਦੀ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਸ਼ਿੰਗਾਰੀ ਕਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਸੀ । ਸਵੇਰ ਦੇ ਕੋਈ 11 ਕੁ ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਮਿੱਥੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਅਨੁਸਾਰ ਫਗਵਾੜੇ ਪਹੁੰਚੇ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਇਕ ਥਾਂ ਬਣੇ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਦੇ ਅੱਗੇ ਜਾ ਰੁਕੇ ।

ਸਾਰੇ ਬਰਾਤੀ ਬੱਸ ਤੇ ਕਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਉਤਰੇ ਤੇ ਮਿਲਣੀ ਲਈ ਖੜੇ ਹੋ ਗਏ । ਲੜਕੀ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਤੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨੇ ਸ਼ਬਦ ਪੜ੍ਹੇ ਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਨ ਪਿੱਛੋਂ ਮਿਲਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ । ਪਹਿਲੀ ਮਿਲਣੀ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਅਤੇ ਲੜਕੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦੀ ਸੀ । ਫਿਰ ਮਾਮਿਆਂ, ਚਾਚਿਆਂ ਤੇ ਭਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਦੀਆਂ ਮਿਲਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ । ਲੜਕੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਮਿਲਣੀ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨੂੰ ਕੰਬਲ ਦਿੱਤੇ ਪਰ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਤੇ ਮਾਮੇ ਨੂੰ ਸੋਨੇ ਦੀਆਂ ਮੁੰਦਰੀਆਂ ਪਹਿਨਾਈਆਂ ਗਈਆਂ । ਵੀਡੀਓ ਕੈਮਰਾ ਨਾਲੋ-ਨਾਲ ਫ਼ਿਲਮ ਬਣਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ।

ਮਿਲਣੀ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਕੁੜੀਆਂ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਦੁਆਰ ਨੂੰ ਰਿਬਨ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਰੋਕ ਕੇ ਖੜੀਆਂ ਹੋ ਗਈਆਂ । ਕਾਫ਼ੀ ਹਾਸੇ-ਮਖੌਲ ਭਰੇ ਤਕਰਾਰ ਪਿੱਛੋਂ ਲਾੜੇ ਨੇ 1100 ਰੁਪਏ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਅੱਗੇ ਲੰਘਣ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਲਾੜੇ ਦੇ ਕੁੱਝ ਮਨਚਲੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨੇ ਰਾਹ ਰੋਕ ਕੇ ਖੜੀਆਂ ਸਾਲੀਆਂ ਉੱਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸਪਰੇਆਂ ਦੀ ਬੁਛਾੜ ਕੀਤੀ, ਜਿਸ ਨੇ ਕਈਆਂ ਦਾ ਮੁੰਹ ਤੇ ਕੱਪੜੇ ਝੱਗ ਨਾਲ ਭਰ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਕਈਆਂ ਨੂੰ ਕੱਚੇ ਜਿਹੇ ਰੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲਪੇਟ ਦਿੱਤਾ । ਕੁੱਝ ਸਪਰੇ ਖ਼ੁਸ਼ਬੂ ਖਿਲਾਰਨ ਵਾਲੇ ਵੀ ਸਨ ।

ਫਿਰ ਸਾਰੇ ਬਰਾਤੀ ਸਾਹਮਣੇ ਮੇਜ਼ਾਂ ਉੱਤੇ ਲੱਗੇ ਨਾਸ਼ਤੇ ਤੇ ਹੋਰ ਪਕਵਾਨਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲਾਂ ਵਲ ਵਧੇ । ਹਰ ਕੋਈ ਪਲੇਟ ਚਮਚਾ ਚੁੱਕ ਕੇ ਆਪਣੇ ਮਨ ਭਾਉਂਦੇ ਪਕਵਾਨ ਖਾਣ ਲੱਗਾ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸੀ । ਦਸ-ਬਾਰਾਂ ਸੁਨੈਕਸਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲ ਸਨ । ਕਿਸੇ ਪਾਸੇ ਸਾਫ਼ਟ ਡਰਿੰਕ ਦੇ ਸਟਾਲ ਤੇ ਕਿਸੇ ਪਾਸੇ ਕਾਫ਼ੀ, ਚਾਹ ਤੇ ਕੇਸਰੀ ਦੁੱਧ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮਠਿਆਈਆਂ, ਨੂਡਲਾਂ, ਗੋਲ-ਗੱਪਿਆਂ, ਚਾਟਾਂ ਤੇ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੂਸਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲ ਸਨ। । ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਵਿਚ ਲਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਬਹੁਤੇ ਬਰਾਤੀ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਵਿਚ ਬੈਠੇ ਰਹੇ ਤੇ ਸਾਹਮਣੇ ਗਾਇਕ-ਟੋਲੀ ਵੱਲੋਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਗਾਣਿਆਂ ਤੇ ਨੱਚਦੀਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਦੇਖਦੇ ਰਹੇ ਅਤੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਖਾਂਦੇ-ਪੀਂਦੇ ਵੀ ਰਹੇ ।

ਲਾਵਾਂ ਪਿੱਛੋਂ ਲਾੜੇ-ਲਾੜੀ ਨੂੰ ਲਿਆ ਕੇ ਸਭ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਸਟੇਜ ਦੇ ਇਕ ਪਾਸੇ ਲੱਗੀਆਂ ਸ਼ਾਹੀ ਕੁਰਸੀਆਂ ਉੱਤੇ ਬਿਠਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਲੜਕੀ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜੀ ਹੋਈ ਸੀ । ਸਭ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਵਾਰੋ-ਵਾਰੀ ਸ਼ਗਨ ਪਾਉਣ ਲੱਗੇ । ਵੀ.ਡੀ.ਓ. ਰਾਹੀਂ ਨਾਲੋ-ਨਾਲ ਫੋਟੋਗਾਫ਼ੀ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ । ਉਧਰ ਕੁੱਝ ਬਰਾਤੀ ਵਰਤਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀ-ਪੀ ਕੇ ਭੰਗੜਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਕੁੱਝ ਕੁੜੀਆਂ ਵੀ ਇਸ ਨਾਚ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋ ਗਈਆਂ ।

ਫਿਰ ਦੁਪਹਿਰ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਦਾ ਖਾਣਾ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਸੂਪ, ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਭੋਜਨ, ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਲਾਦ, ਆਈਸਕ੍ਰੀਮਾਂ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸਨ । ਉੱਧਰ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਭੰਗੜਾ ਪੈ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਵਾਰਨੇ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ । ਗਾਇਕ ਟੋਲੀ ਦਾ ਮੁਖੀ ਬਖ਼ਸ਼ੇ ਜਾ ਰਹੇ ਵੇਲਾਂ ਦੇ ਨੋਟ ਸੰਭਾਲੀ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਕ ਦੋ ਸ਼ਰਾਬੀਆਂ ਨੇ ਨਿੱਕੀਆਂ-ਮੋਟੀਆਂ ਸ਼ਰਾਰਤਾਂ ਵੀ ਕੀਤੀਆਂ ।

ਸਭ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਲਾੜੇ-ਲਾੜੀ ਸਮੇਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਜ਼ਦੀਕੀ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਨੇ ਇਕ ਟੇਬਲ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਰੋਟੀ ਖਾਧੀ ॥ ਖਾਣਾ ਖਾਣ ਮਗਰੋਂ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਨੇ ਵਰੀ ਦਾ ਕੀਮਤੀ ਸਮਾਨ ਦਿਖਾਇਆ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁੜੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਦਾਜ । ਅੰਤ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਤੋਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਤੁਰਨ ਸਮੇਂ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਨੇ ਜੋੜੀ ਉੱਪਰੋਂ ਪੈਸੇ ਸੁੱਟੇ ।

ਇਹ ਸਾਰਾ ਕੁੱਝ ਦੇਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਮਨ ਬੜਾ ਹੈਰਾਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਸਾਡਾ ਸਮਾਜ ਵਿਆਹਾਂ ਉੱਪਰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫ਼ਜੂਲ-ਖ਼ਰਚੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਰੁਪਏ ਨੂੰ ਉਸਾਰੂ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਲਾਉਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਅਜਿਹੀਆਂ ਰਸਮਾਂ ਉੱਪਰ ਰੋੜਦਾ ਹੈ । ਵਿਆਹਾਂ ਵਿਚ ਮਹਿੰਗੇ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸਾਂ, ਹੋਟਲਾਂ ਤੇ ਨੱਚਣ-ਗਾਉਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਕੋਈ ਲੋੜ ਨਹੀਂ । ਵਿਆਹ ਸਮੇਂ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਦੀ ਕੋਈ ਵੀ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਸ਼ਰਾਬੀ ਆਪਣੇ ਹੋਸ਼-ਹਵਾਸ ਗੁਆ ਕੇ ਰੰਗ ਵਿਚ ਭੰਗ ਪਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਵਿਆਹ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਦੇ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।

ਸ਼ਾਮੀਂ 7 ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਵਾਪਸ ਘਰ ਪਹੁੰਚ ਗਏ । ਵਹੁਟੀ ਨੂੰ ਕਾਰ ਵਿਚੋਂ ਉਤਾਰ ਕੇ ਘਰ ਲਿਆਂਦਾ ਗਿਆ । ਸੱਸ ਨੇ ਪਾਣੀ ਵਾਰ ਕੇ ਪੀਤਾ । ਵਹੁਟੀ ਤੇ ਲਾੜੇ ਦੇ ਘਰ ਪਹੁੰਚਣ ਮਗਰੋਂ ਸਾਰੇ ਜਾਂਦੀ ਤੇ ਹੋਰ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਖਿਸਕਣ ਲੱਗੇ ।

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24. ਡਾਕੀਆ

ਡਾਕੀਆ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਹਰ ਘਰ, ਹਰ ਦਫ਼ਤਰ ਤੇ ਹਰ ਸਥਾਨ ਉੱਤੇ ਉਡੀਕ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰਾਂ ਅਤੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਦੀਆਂ ਚਿੱਠੀਆਂ ਲੈ ਕੇ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਘਰਾਂ ਤੇ ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਵਿਚ ਨਿੱਜੀ, ਸਰਕਾਰੀ ਤੇ ਵਪਾਰਕ ਚਿੱਠੀਆਂ, ਰਜਿਸਟਰੀਆਂ, ਪਾਰਸਲ ਤੇ ਮਨੀਆਰਡਰ ਪੁਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਹਰ ਥਾਂ ਉੱਤੇ ਤੀਬਰਤਾ ਨਾਲ ਉਡੀਕ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਉਸ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਆਮ ਕਰਕੇ ਹਰ ਇਕ ਦਾ ਚਿਹਰਾ ਖਿੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਇਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ਸੁਨੇਹੇ ਪੁਚਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣਾ ਹੈ । ਸੁਨੇਹਾ ਪੁਚਾਉਣ ਲਈ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਟੈਲੀਫੋਨ, ਤਾਰ, ਟੈਲੀਪ੍ਰਿੰਟਰ, ਫੈਕਸ ਤੇ ਪੇਜਰ, ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਤੇ ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਾਹੀਂ ਸੁਨੇਹੇ ਝਟਪਟ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਪਰ ਸਾਡੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਲਿਖਿਆ ਸੁਨੇਹਾ ਕੇਵਲ, ਡਾਕੀਆ ਹੀ ਦੂਜਿਆਂ ਤਕ ਪੁਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਡਾਕੀਏ ਦੀ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਤੇ ਸਦੀਵੀ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ ।

ਡਾਕੀਆ ਸਰਕਾਰੀ ਮੁਲਾਜ਼ਮ ਹੈ । ਉਹ ਖ਼ਾਕੀ ਵਰਦੀ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੇ ਸਾਈਕਲ ਦੀ ਟੋਕਰੀ ਵਿਚ ਚਿੱਠੀਆਂ ਤੇ ਰਜਿਸਟਰੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।ਉਸ ਦੇ ਬੈਗ ਵਿਚ ਮਨੀਆਰਡਰਾਂ ਦੇ ਪੈਸੇ ਤੇ ਪਾਰਸਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਦੋ ਵਾਰੀ ਡਾਕ ਵੰਡਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਪਰ ਉਹ ਇਕ ਈਮਾਨਦਾਰ ਆਦਮੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਹਰ ਅਮੀਰ-ਗ਼ਰੀਬ ਤੇ ਹਰ ਖ਼ੁਸ਼ੀ-ਗ਼ਮੀ ਵਿਚ ਘਿਰੇ ਬੰਦੇ ਦੀ ਆਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਹ ਹਰ ਥਾਂ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

25. ਕਿਸੇ ਕਾਮੇ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਇਕ ਦਿਨ

ਮੈਂ ਇਕ ਕਾਮਾ ਹਾਂ । ਮੈਨੂੰ ਮਜ਼ਦੂਰ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਮੈਂ ਦਿਹਾੜੀ ਉੱਤੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹਾਂ । ਮੈਂ ਆਮ ਕਰਕੇ ਮਕਾਨ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹਾਂ । ਮੈਂ ਇੱਟਾਂ ਵੀ ਢੋਂਦਾ ਹਾਂ । ਸੀਮਿੰਟ ਅਤੇ ਰੇਤ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਸਾਲਾ ਵੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹਾਂ । ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਤਰਾਈ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵੀ ਪੁੱਟਦਾ ਹਾਂ ।

ਅੱਜ ਮੈਂ ਸਵੇਰੇ-ਸਵੇਰੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਤੇ ਮਿਸਤਰੀਆਂ ਦੇ ਅੱਡੇ ਉੱਪਰ ਖੜਾ ਕਿਸੇ ਕੰਮ ਕਰਾਉਣ ਵਾਲੇ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸਾਂ । ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਇਕ ਬਾਬੂ ਆ ਗਿਆ । ਉਸ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਨੇ ਝੁਰਮੁਟ ਪਾ ਲਿਆ । ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਮੈਂ ਵੀ ਖੜ੍ਹਾ ਸਾਂ । ਮੈਂ ਪਿਛਲੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਵਿਹਲਾ ਸਾਂ । ਜੇਕਰ ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਵੀ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਾ ਮਿਲਦਾ, ਤਾਂ ਅੱਜ ਰਾਤ ਨੂੰ, ਮੇਰੇ ਘਰ ਰੋਟੀ ਪੱਕਣੀ ਔਖੀ ਹੋ ਜਾਣੀ ਸੀ । ਮੇਰੀ ਛੋਟੀ ਧੀ ਨੂੰ ਬੁਖ਼ਾਰ ਸੀ । ਮੈਂ ਉਸ ਲਈ ਦਵਾਈ ਵੀ ਲਿਆਉਣੀ ਸੀ ।

ਬਾਬੂ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਕਿੰਨੀ ਦਿਹਾੜੀ ਲਵੋਗੇ ? ਤਿੰਨ-ਚਾਰ ਇਕੱਠੇ ਬੋਲ ਪਏ,“200 ਰੁਪਏ ।” ਬਾਬੂ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਮੈਂ ਤਾਂ 180 ਹੀ ਦੇਵਾਂਗਾ, ਜਿਸ ਦੀ ਮਰਜ਼ੀ ਹੋਵੇ ਚਲ ਪਏ ।” ਮੈਂ 180 ਰੁਪਏ ਲੈਣੇ ਮਨਜ਼ੂਰ ਕਰ ਕੇ ਉਸ ਨਾਲ ਤੁਰ ਪਿਆ । ਥੋੜੀ ਦੂਰ ਉਸ ਦੀ ਕੋਠੀ ਬਣ ਰਹੀ ਸੀ । ਮੈਨੂੰ ਉਸ ਨੇ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਣ ਦੇ ਕੰਮ ਉੱਤੇ ਲਾ ਦਿੱਤਾ । ਮੈਂ ਆਪਣੀਆਂ ਉਂਗਲੀਆਂ ਨੂੰ ਸੱਟਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਪੱਟੀਆਂ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਣ ਲੱਗ ਪਿਆ । ਥੋੜੀ ਦੇਰ ਮਗਰੋਂ ਉਹ ਬਾਬੂ ਆਇਆ ਤੇ ਬੜੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਕੰਮ ਬੜਾ ਹੌਲੀ ਕਰਦਾ ਹੈਂ, ਪਰ ਰੁਪਏ 180 ਮੰਗਦਾ ਹੈਂ ।” ਮੈਂ ਕਿਹਾ, “ਜੀ ਦਿਹਾੜੀ ਤਾਂ 180 ਹੀ ਲਵਾਂਗਾ ।” ਇਹ ਗੱਲ ਕਰਦਿਆਂ ਹਥੌੜਾ ਮੇਰੀਆਂ ਉਂਗਲੀਆਂ ਉੱਤੇ ਜਾ ਵੱਜਾ ਤੇ ਇਕ ਉਂਗਲੀ ਵਿਚੋਂ ਖੂਨ ਵਹਿਣ ਲੱਗਾ । ਮੈਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਦਰਦ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ, ਪਰ ਉੱਥੇ ਸੁਣਨ ਵਾਲਾ ਕੌਣ ਸੀ ? ਮੈਂ ਪਾਣੀ ਪੀਤਾ ਤੇ ਫਿਰ ਪੱਟੀਆਂ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਦਾ ਰਿਹਾ ।

ਇਕ ਵਾਰੀ ਫਿਰ । ਬਾਬੂ ਨੇ ਮੇਰੇ ਕੰਮ ਹੌਲੀ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕੀਤੀ । ਦੁਪਹਿਰੇ ਉਸ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਚੁਕੰਨਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਮੈਂ ਅੱਧੇ ਘੰਟੇ ਤੋਂ ਵੱਧ ਛੁੱਟੀ ਨਾ ਕਰਾਂ । ਸ਼ਾਮ ਤਕ ਮੇਰਾ ਮੁੰਹ-ਸਿਰ ਘੱਟੇ ਨਾਲ ਤੇ ਹੱਥ । ਸੱਟਾਂ ਨਾਲ ਭਰ ਗਏ ਸਨ । 52 ਵਜੇ ਬਾਬੂ ਨੇ ਮਸਾਂ-ਮਸਾਂ 180 ਰੁਪਏ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਮੈਂ ਸੁਖ ਦਾ ਸਾਹ ਲੈ ਕੇ ਘਰ ਪੁੱਜਾ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਮੇਰਾ ਸਰੀਰ ਥਕੇਵੇਂ ਤੇ ਸੱਟਾਂ ਨਾਲ ਦੁੱਖ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਪਰ ਬੱਚੀ ਦੇ ਬੁਖ਼ਾਰ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਸਭ ਕੁੱਝ ਭੁਲਾ ਦਿੱਤਾ ।

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26. ਮੇਰਾ ਪਿੰਡ ਮੇਰੇ

ਪਿੰਡ ਦਾ ਨਾਂ ਬੇਗ਼ਮਪੁਰ ਜੰਡਿਆਲਾ ਹੈ । ਇਹ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਹੈ । ਇਹ ਇਲਾਕੇ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਪਿੰਡ ਹੈ । ਪਿੰਡ ਦੇ ਪੁਰਾਣੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਚੌਧਰੀਆਂ ਦੇ ਚੁਬਾਰੇ ਤੇ ਦੋ ਉੱਚੀਆਂ ਖਜੂਰਾਂ ਕਈ ਮੀਲ ਦੂਰੋਂ ਹੀ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ । ਮੇਰਾ ਇਹ ਪਿੰਡ ਦੋ ਪਿੰਡਾਂ-ਬੇਗ਼ਮਪੁਰ ਅਤੇ ਜੰਡਿਆਲੇ ਦੇ ਸੁਮੇਲ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਦੋਹਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦੇ ਘਰ ਆਪਸ ਵਿਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘੁਲੇ-ਮਿਲੇ ਹਨ ਕਿ ਦੋਹਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਨਿਖੇੜਾ ਕਰਨਾ ਔਖਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।ਉੱਬ ਵਰਤਮਾਨ ਸਿਆਸਤ ਦੀ ਵਟਾਣੀ-ਸੱਟ ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਉੱਤੇ ਵੀ ਪਈ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਦੋਹਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਜੋੜ ਜ਼ਰਾ ਤਿੜਕਿਆ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਜਿੱਥੇ ਪਹਿਲਾਂ ਕਦੇ ਇਕ ਪੰਚਾਇਤ ਤੇ ਇਕ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ, ਹੁਣ ਇੱਥੇ ਦੋ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਤੇ ਦੋ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਹਨ ।ਉਂਝ ਅਜੇ ਵੀ ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕ ਭਾਈਚਾਰਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਕ ਹਨ ਉਹ ਵਿਆਹਾਂ-ਸ਼ਾਦੀਆਂ, ਅਖੰਡ-ਪਾਠਾਂ ਤੇ ਹੋਰ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਮਾਗਮ ਮਿਲ ਕੇ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਲਾ-ਮਿਸਾਲ

ਪਕਾ ਕੇ ਪਹਿਲਾਂ ਸੀਤਲਾ ਦੇਵੀ ਦੇ ਵਾਹਣ ਖੋਤੇ ਨੂੰ ਖਵਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁੱਝ ਵੰਡਦੇ ਤੇ ਕੁੱਝ ਆਪ ਖਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਖੋਤਿਆਂ ਦੀ ਕਦਰ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਘੁਮਿਆਰ ਆਪਣੇ ਖੋਤਿਆਂ ਨੂੰ ਸਜਾਸ਼ਿੰਗਾਰ ਕੇ ਲਿਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਲੋਕ ਖੋਤਿਆਂ ਨੂੰ ਗੁਲਗੁਲਿਆਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਤਰ੍ਹਾਂ-ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਦਾਣਾ ਤੇ ਬੱਕਲੀਆਂ ਆਦਿ ਖਵਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਆਪਣੇ ਬਾਲ-ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਖੈਰ ਮੰਗਦੇ ਹੋਏ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਮਾਤਾ ਰਾਣੀਏ, ਗੁਲਗੁਲੇ ਖਾਣੀਏ ।
ਬਾਲ-ਬੱਚਾ ਰਾਜ਼ੀ ਰੱਖਣਾ ।
ਇਹ ਸ਼ਾਇਦ ਇਕ ਵਹਿਮ ਹੀ ਹੋਵੇ ਕਿ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਚੇਚਕ ਠੀਕ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਸਾਡੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਦਾ ਇਕ ਅੰਗ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਲੋਕ-ਗੀਤਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਹੈ ।

ਦੇਵੀ ਦੀ ਮੈਂ ਕਰਾਂ ਕੜਾਹੀ,
ਪੀਰ ਫ਼ਕੀਰ ਧਿਆਵਾਂ ।
ਹੈਦਰ ਸ਼ੇਖ ਦੇ ਦੇਵਾਂ ਬੱਕਰੇ,
ਨੰਗੇ ਪੈਰੀਂ ਜਾਵਾਂ ।
ਹਨੂੰਮਾਨ ਦੀ ਦੇਵਾਂ ਮੰਨੀ,
ਰਤੀ ਫ਼ਰਕ ਨਾ ਪਾਵਾਂ ।
ਨੀ ਮਾਤਾ ਭਗਵਤੀਏ,
ਮੈਂ ਤੇਰਾ ਜੱਸ ਗਾਵਾਂ ।
ਬੇਸ਼ੱਕ ਅੱਜ ਟੀਕਿਆਂ ਤੇ ਲੋਦਿਆਂ ਦੇ ਜ਼ਮਾਨੇ ਵਿਚ ਯੂ. ਐੱਨ. ਓ. ਵੱਲੋਂ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚੋਂ ਚੇਚਕ ਦਾ ਅੰਤ ਹੋਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਪਰ ਇਹ ਮੇਲਾ ਅਜੇ ਵੀ ਲਗਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇੱਥੇ ਖ਼ੂਬ ਰੌਣਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਵਿਚ ਇਸ ਮੇਲੇ ਉੱਤੇ ਜਾਣ ਦਾ ਉਤਸ਼ਾਹ ਅਜੇ ਵੀ ਹੈ-
ਚਲ ਚਲੀਏ ਜਰਗ ਦੇ ਮੇਲੇ,
ਮੁੰਡਾ ਤੇਰਾ ਮੈਂ ਚੁੱਕ ਲਉਂ।

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28. ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ-ਤਿਰੰਗਾ

ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ ਤਿਰੰਗਾ ਹੈ । ਇਸਨੂੰ ਇਸਦੀ ਵਰਤਮਾਨ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਤੋਂ 24 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ 22 ਜੁਲਾਈ, 1947 ਨੂੰ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਹੋਈ ਐਡਹਾਕ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸ . ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 26 ਜਨਵਰੀ, 1950 ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਤਕ ਇਸਨੂੰ ਡੋਮੀਨੀਅਨ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ ਦੇ ਕੌਮੀ ਝੰਡੇ ਵਜੋਂ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਝੰਡਾ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਝੰਡੇ ਉੱਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਸੀ, ਜਿਸਦਾ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਪਿੰਗਾਲੀ ਵੈਨਕਾਇਆ ਨਾਂ ਦੇ ਇਕ ਵਿਦਵਾਨ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ । ਉਂਝ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਲਈ 1913-14 ਵਿਚ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਗ਼ਦਰ ਪਾਰਟੀ ਦਾ ਝੰਡਾ ਵੀ ਤਿੰਨਰੰਗਾ ਹੀ ਸੀ ।

ਇਸ ਝੰਡੇ ਦੇ ਤਿੰਨ ਰੰਗ ਹਨ-ਕੇਸਰੀ, ਚਿੱਟਾ ਤੇ ਹਰਾ । ਇਸਦਾ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਚਿੱਟਾ ਵਿਚਕਾਰ ਤੇ ਹਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਥੱਲੇ ਚਿੱਟੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਉਸਦੀ ਚੌੜਾਈ ਵਿਚ ਨੇਵੀ ਬਲਿਊ ਰੰਗ ਦੇ ਅਸ਼ੋਕ ਚੱਕਰ ਦਾ ਚਿੰਨ੍ਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸਨੂੰ ਸਾਰਨਾਥ ਵਿਚ ਬਣੇ ਅਸ਼ੋਕ ਦੇ ਥੰਮ ਤੋਂ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚਲਾ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦਾ, ਚਿੱਟਾ ਰੰਗ ਅਮਨ ਦਾ ਤੇ ਹਰਾ ਰੰਗ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਹੈ । ਅਸ਼ੋਕ ਚੱਕਰ ਵਿਕਾਸ ਤੇ ਤਰੱਕੀ ਦਾ ਚਿੰਨ ਹੈ । ਇਹ ਝੰਡਾ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦਾ ਜੰਗੀ ਝੰਡਾ ਵੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਫ਼ੌਜੀ ਕੇਂਦਰਾਂ ਉੱਤੇ ਝੁਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਹੱਥ ਦੇ ਕੱਤੇ ਖੱਦਰ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਉੱਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਇਸਨੂੰ ਝੁਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਤਿੰਨਾਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੇ ਯੂਨਿਟਾਂ ਵਲੋਂ ਇਸਨੂੰ ਸਲਾਮੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । 15 ਅਗਸਤ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਦੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਇਸਨੂੰ ਲਾਲ ਕਿਲ੍ਹੇ ਉੱਤੇ ਬੁਲਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਝੰਡੇ ਨੂੰ ਬੁਲਾਉਣ ਮਗਰੋਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ ਗਨ ਮਨ….’ ਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਸਭ ਸਾਵਧਾਨ ਹੋ ਕੇ ਖੜੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਇੰਡੀਅਨ ਫਲੈਗ ਕੋਡ ਦੁਆਰਾ ਇਸ ਝੰਡੇ ਦੀ ਉਚਾਈ ਤੇ ਚੌੜਾਈ ਨਿਸਚਿਤ ਹੈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸਨੂੰ ਭੁਲਾਉਣ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਤੇ ਉਤਾਰਨ ਦੇ ਨਿਯਮ ਵੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਵੱਡੇ ਨੇਤਾ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਸਨੂੰ ਝੁਕਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । · ਤਿਰੰਗੇ ਝੰਡੇ ਦੇ ਸਤਿਕਾਰ ਤੇ ਮਹੱਤਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਗੀਤ ਲਿਖੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-
ਝੰਡਿਆ ਤਿਰੰਗਿਆ ਨਿਰਾਲੀ ਤੇਰੀ ਸ਼ਾਨ ਏ ।
ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਤੇਰੇ ਉੱਤੇ ਮਾਣ ਏ ।
ਇਕ ਇਕ ਤਾਰ ਤੇਰੀ ਜਾਪੇ ਮੂੰਹੋਂ ਬੋਲਦੀ ।
ਮੁੱਲ ਹੈ ਅਜ਼ਾਦੀ ਸਦਾ ਲਹੂਆਂ ਨਾਲ ਤੋਲਦੀ ।
ਉੱਚਾ ਸਾਡਾ ਅੰਬਰਾਂ ‘ਤੇ ਝੂਲਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਏ ।
ਝੰਡਿਆ ਤਿਰੰਗਿਆ ਨਿਰਾਲੀ ਤੇਰੀ ਸ਼ਾਨ ਏ ।
ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਡਾ ਝੰਡਾ ਮਹਾਨ ਹੈ । ਇਹ ਸਦਾ ਉੱਚਾ ਰਹੇ । ਇਹ ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਦੀ ਆਨ-ਸ਼ਾਨ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਹੈ । ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਉੱਪਰ ਮਾਣ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

29. ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸਪਤਾਹ

ਸਾਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਵਲੋਂ ਬੀਤੇ 1 ਜਨਵਰੀ ਤੋਂ 7 ਜਨਵਰੀ ਤਕ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸਪਤਾਹ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ । ਸਾਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਸੰਬੰਧੀ ਚਿੱਟੇ ਰੰਗ ਦੇ ਬੈਨਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ । ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਦੇ ਸਿਪਾਹੀ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਉੱਤੇ ਚਿੱਟੇ ਰੰਗ ਦੇ ਦਸਤਾਨੇ ਪਾਈ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਸਰਗਰਮ ਦਿਖਾਈ ਦੇ ਰਹੇ ਸਨ । ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਸਕੂਲਾਂ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਇਸ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ, ਤੇ ਉਹ ਵੀ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਬੈਨਰ ਫੜ ਕੇ ਤੇ ਟੋਲੀਆਂ ਬਣਾ ਕੇ ਸੜਕਾਂ ਉੱਤੇ ਤੁਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਹ ਸਾਲ ਦਾ ਉਹ ਹਫ਼ਤਾ ਸੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਸੰਬੰਧੀ ਸੁਚੇਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ।

ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਵਰਕਸ਼ਾਪਾਂ, ਡਰਾਈਵਿੰਗ ਟੈਸਟਾਂ, ਲੈਕਚਰਾਂ ਤੇ ਭਾਸ਼ਨ-ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦੇ ਆਯੋਜਨ ਵੀ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਸਨ । ਇਸੇ ਲੜੀ ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਨ ਲਈ ਇਕ ਅੰਤਰਸਕੂਲ ਭਾਸ਼ਨ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਸਾਡੇ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਪੁਲਿਸ ਸਟੇਸ਼ਨ ਦੇ ਟਰੈਫ਼ਿਕ-ਇਨਸਪੈਕਟਰ ਸਨ । ਭਾਸ਼ਨ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਵਕਤਿਆਂ ਨੇ ਸਰੋਤਿਆਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸੜਕਾਂ ਉੱਤੇ ਦਿਨੋ-ਦਿਨ ਵਧ ਰਹੇ ਹਾਦਸਿਆਂ, ਅਜਾਈਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਤੇ ਅਪੰਗ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੀ ਲੂੰ ਕੰਡੇ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਗਿਣਤੀ ਬਾਰੇ ਦੱਸਦਿਆਂ ਟਰੈਫਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਉਲੰਘਣਾ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਵਿਚ ਢਿੱਲ ਅਤੇ ਇਸ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਅਤੇ ਨੇਤਾ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਕਾਰਗੁਜ਼ਾਰੀ ਬਾਰੇ ਕਾਫ਼ੀ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨੋਦਿਨ ਵੱਧ ਰਹੇ ਤਰ੍ਹਾਂ-ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਾਹਨਾਂ ‘ਤੇ ਸੜਕਾਂ ਦੀ ਮੰਦੀ ਹਾਲਤ ਬਾਰੇ ਵੀ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਰੱਖੇ ।

ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਇਨਸਪੈਕਟਰ ਨੇ ਆਪਣੇ ਭਾਸ਼ਨ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਪਣੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਨੂੰ ਨਿਰਵਿਘਨ ਚਲਦਾ ਰੱਖਣ ਲਈ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਡਰਾਈਵਿੰਗ ਸਿੱਖਣ, ਲਾਈਸੈਂਸ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਨ ਤੇ ਪਾਰਕਿੰਗ ਆਦਿ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਹ ਵੀ ਕਿਹਾ ਕਿ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਸੱਚੇ ਦਿਲੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਹੈ ਤੇ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਇਸ ਵਿਚ ਸਹਿਯੋਗ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਾਡਾ ਸਭ ਦਾ ਫ਼ਰਜ਼ ਹੈ ਕਿ ਆਪਣੀ ਸੁਰੱਖਿਆ, ਆਵਾਜਾਈ ਨੂੰ ਨਿਰਵਿਘਨ ਚਲਦਾ ਰੱਖਣ ਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਦੀ ਰਫ਼ਤਾਰ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ ਰੱਖਣ ਲਈ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰੀਏ ।

ਅੰਤ ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਦਿਆਂ ਤੇ ਭਾਸ਼ਨ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸਪਤਾਹ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਉੱਤੇ ਖੁਸ਼ੀ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਿਆਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਵਾਜਾਈ ਨੂੰ ਸੁਚਾਰੂ ਢੰਗ ਨਾਲ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਦੇ ਨਾਲ ਦਿਨੋ-ਦਿਨ ਵਧ ਰਹੇ ਵਾਹਨਾਂ ਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਲਈ ਚੰਗੀਆਂ ਸੜਕਾਂ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਲਾਈਟਾਂ ਦਾ ਚੰਗੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਹੋਣਾ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਉਲੰਘਣਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਰੁੱਧ ਪੁਲਿਸ ਦਾ ਬੇਲਿਹਾਜ਼ ਹੋਣਾ, ਪੈਦਲਾਂ ਲਈ ਜ਼ੈਬਰਾ ਕਰਾਸਿੰਗ ਤੇ ਫੁੱਟਪਾਥਾਂ ਦੇ ਹੋਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਭੀੜਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਫਲਾਈਓਵਰਾਂ ਦਾ ਬਣੇ ਹੋਣਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

ਅੰਤ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਸ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤੀ ਕਿ ਇਸ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸਪਤਾਹ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਗਰੂਕ ਹੋਏ ਹੋਣਗੇ ਤੇ ਅੱਗੋਂ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਬਹੁਤ ਹੱਦ ਤਕ ਘੱਟ ਜਾਵੇਗੀ ।

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30. ਨੇਤਾ ਜੀ ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ

ਨੇਤਾ ਜੀ ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ ਦਾ ਨਾਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੰਗਰਾਮ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਣ ਵਾਲੇ ਸੂਰਮਿਆਂ ਵਿਚ ਸਿਰਕੱਢ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ ਓੜਿਸ਼ਾ ਦੇ ਕਟਕ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ 23 ਜਨਵਰੀ, 1897 ਨੂੰ ਸ੍ਰੀ ਜਾਨਕੀ ਬੋਸ ਦੇ ਘਰ ਹੋਇਆ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦਾ ਛੇਵਾਂ ਬੱਚਾ ਸੀ । ਆਪ ਨੇ ਕਟਕ ਵਿਚ ਹੀ ਦਸਵੀਂ ਪਾਸ ਕੀਤੀ । ਅਧਿਆਪਕ ਬੇਨੀ ਮਾਧਵ ਦਾਸ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਉੱਤਮ ਨੈਤਿਕ ਕੀਮਤਾਂ ਤੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਦਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਅਸਰ ਪਿਆ !

ਜਦੋਂ ਉਹ ਪ੍ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਸੀ ਕਾਲਜ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹ ਰਹੇ ਸਨ, ਤਾਂ ਪ੍ਰੋ: ਐਡਵਰਡ ਐਫ਼. ਓਟਨ ਦੇ ਮੁੰਹੋਂ ਭਾਰਤੀਆਂ ਲਈ ਅਪਮਾਨਜਨਕ ਸ਼ਬਦ ਸੁਣ ਕੇ ਆਪ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੁੱਟਿਆ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਬੋਸ ਨੂੰ ਕਾਲਜ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । 1917 ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੁੜ ਦਾਖ਼ਲ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ !

ਆਨਰਜ਼ ਇਨ-ਫ਼ਿਲਾਸਫ਼ੀ ਵਿਚ ਬੀ.ਏ. ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ 1919 ਵਿਚ ਆਪ ਉੱਚੀ ਸਿੱਖਿਆ ਲਈ ਇੰਗਲੈਂਡ ਚਲੇ ਗਏ । ਆਪ ਨੇ ਅੱਠਾਂ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਇੰਡੀਅਨ ਸਿਵਲ ਸਰਵਿਸਜ਼’ ਦਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਦੇ ਕੇ ਚੌਥਾ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲਿਆ । । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਲੋਕਮਾਨਿਆ ਤਿਲਕ ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ ਤੇ ਦੇਸ਼ਬੰਧੁ ਚਿਤਰੰਜਨ ਦਾਸ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ । ਆਪ 1921 ਵਿਚ “ਇੰਡੀਅਨ ਸਿਵਲ ਸਰਵਿਸਜ਼’ ਦੀ ਨੌਕਰੀ ਛੱਡ ਕੇ ਭਾਰਤ ਪੁੱਜੇ ਤੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੰਗਰਾਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਏ ।

ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ ਆਪ ਨੇ ਬੰਗਾਲ ਦੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਵੰਗਾਰਿਆ ਕਿ ਉਹ ਓਨੀ ਦੇਰ ਤਕ ਅਰਾਮ ਨਾਲ ਨਾ ਬੈਠਣ, ਜਿੰਨਾ ਚਿਰ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਨਹੀਂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ । ਆਪ ਆਪਣੀ ਤਿੱਖੀ ਸੂਝ ਕਾਰਨ 27 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਹੀ ਕੋਲਕਾਤਾ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜਕਾਰੀ ਅਫ਼ਸਰ ਨਿਯੁਕਤ ਹੋ ਗਏ । ਇਸੇ ਸਾਲ ਹੀ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ ਪੂਰਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਮੁੱਖ ਟੀਚਾ ਮਿਥਿਆ ॥ ਆਪ ਦੋ ਵਾਰੀ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਚੁਣੇ ਗਏ ।

ਆਪ ਨੂੰ ਕਈ ਵਾਰੀ ਕੈਦ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ । ਆਪ ਆਪਣੀ ਹੁਸ਼ਿਆਰੀ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਜੱਦੀ ਘਰ 38 ਐਲਗਨ ਰੋਡ ਕੋਲਕਾਤਾ ਤੋਂ ਪੁਲਿਸ ਦੀ ਸਖ਼ਤ ਨਜ਼ਰਬੰਦੀ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲ ਕੇ ਬਰਲਿਨ ਜਾ ਪੁੱਜੇ । ਉੱਥੋਂ ਆਪ ਜਾਪਾਨੀ ਪਣ-ਡੁੱਬੀ ਰਾਹੀਂ ਸਿੰਘਾਪੁਰ ਪੁੱਜੇ, ਜਿੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਜਨਰਲ ਮੋਹਨ ਸਿੰਘ ਦੁਆਰਾ ਸਥਾਪਿਤ “ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਆਰਮੀ ਨੂੰ “ਅਜ਼ਾਦ ਹਿੰਦ ਫ਼ੌਜ’ ਦੇ ਨਾਂ ਹੇਠ ਮੁੜ ਜਥੇਬੰਦ ਕੀਤਾ । 21 ਅਕਤੂਬਰ, 1943 ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਹਿੰਦ ਦੀ ਆਰਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ । · ਅਜ਼ਾਦ ਹਿੰਦ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਜਪਾਨੀਆਂ ਨਾਲ ਰਲ ਕੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰਵਾਉਣਾ ਸੀ, ਪਰ ਜਪਾਨ ਦੀ ਹਾਰ ਕਾਰਨ ਇਹ ਯੋਜਨਾ ਸਿਰੇ ਨਾ ਚੜ੍ਹ ਸਕੀ । ਨੇਤਾ ਜੀ ਫਾਰਮੂਸਾ ਜਾ ਰਹੇ ਸਨ ਕਿ ਭਾਈਹੋਕੁ ਹਵਾਈ ਅੱਡੇ ਉੱਤੇ ਜਹਾਜ਼ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਕਾਰਨ 18 ਅਗਸਤ, 1945 ਨੂੰ ਆਪ ਪਰਲੋਕ ਗਮਨ ਕਰ ਗਏ ।

ਬੇਸ਼ਕ ਨੇਤਾ ਜੀ ਸੁਤੰਤਰ ਭਾਰਤ ਵੀ ਨਾ ਦੇਖ ਸਕੇ, ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਿਹੜੀ ਦਲੇਰੀ, ਕੁਰਬਾਨੀ, ਜੋਸ਼ ਤੇ ਜਾਗ੍ਰਿਤੀ ਦੀ ਲਾਟ ਜਗਾਈ ਸੀ, ਉਹ ਇਕ ਮਹਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਸੀ । ਕੋਲਕਾਤਾ ਵਿਚ ਆਪ ਦੇ ਜੱਦੀ ਘਰ ਨੂੰ “ਨੇਤਾ ਜੀ ਰਿਸਰਚ ਇੰਸਟੀਚਿਊਟ’ ਵਿਚ ਤਬਦੀਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਲੋਂ ਵਰਤੀ ਗਈ ਹਰ ਚੀਜ਼ ਸੰਭਾਲ ਕੇ ਰੱਖੀ ਹੋਈ ਹੈ ।

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31. ਤੀਆਂ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ

ਤੀਆਂ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਇਕ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਭਰਿਆ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ ਤੇ ਇਹ ਸਾਉਣ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਆਰੰਭ ਨਾਲ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਸ ਨੂੰ “ਸਾਵਿਆ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ’ ਵੀ ਆਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਬਰਸਾਤ ਕਾਰਨ ਇਸ ਮਹੀਨੇ ਧਰਤੀ ਸਾਵੇ ਰੰਗ ਦਾ ਵੇਸ ਧਾਰਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਹਰ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਤੀਆਂ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਬੜੀਆਂ ਰੀਝਾਂ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੇਠ-ਹਾੜ੍ਹ ਦੀਆਂ ਧੁੱਪਾਂ ਕਾਰਨ ਸੜਦੀ-ਬਲਦੀ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਸਾਉਣ ਦੇ ਮੀਂਹ ਦੀਆਂ ਫੁਹਾਰਾਂ ਠੰਢਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਹਰੀ-ਭਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਤੀਆਂ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕੁੜੀਆਂ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ।

ਤੀਆਂ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਵਿਆਹੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਭਰਾ ਸਹੁਰਿਆਂ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੀਆਂ ਮਨਾਉਣ ਸਮੇਂ ਵਿਛੜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਹੇਲੀਆਂ ਫਿਰ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਬਚਪਨ ਦੀਆਂ ਯਾਦਾਂ ਤਾਜਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਜੇ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਧੀ ਪੇਕੇ ਨਾ ਆ ਸਕੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਸੰਧਾਰਾ ਭੇਜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕੱਪੜੇ, ਗੁੜ, ਗੁਲਗੁਲੇ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਤੀਆਂ ਵਿਚ ਹਾਰ-ਸ਼ਿੰਗਾਰ ਦੀ ਖ਼ਾਸ ਥਾਂ ਹੈ । ਤੀਜ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਦੂਜ ਨੂੰ ਮਹਿੰਦੀ ਲਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਮਹਿੰਦੀ ਲਾ ਕੇ ਕੁੜੀਆਂ ਹੱਥਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਿੰਗਾਰਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਬਾਂਹਵਾਂ ਭਰ-ਭਰ ਕੇ ਚੂੜੀਆਂ ਚੜਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਫਿਰ ਉਹ ਚਮਕਾ ਮਾਰਦੇ ਨਵੇਂ-ਨਵੇਂ ਕੱਪੜੇ ਪਾ ਕੇ, ਸੋਹਣੇ ਸਿਰ ਗੰਦਾ ਕੇ, ਸੱਗੀ ਫੁੱਲ, ਹਾਰ-ਹਮੇਲਾ, ਝੁਮਕੇ, ਛਾਪਾਂ-ਛੱਲੇ ਅਤੇ ਪੰਜੇਬਾਂ ਪਾ ਕੇ ਤੇ ਇਕੱਠੀਆਂ ਹੋ ਕੇ ਤੀਆਂ ਮਨਾਉਣ ਨਿਕਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਤੀਆਂ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਉਹ ਖੂਬ ਅਜ਼ਾਦੀ ਅਨੁਭਵ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਤੀਆਂ ਵਿਚ ਗਿੱਧੇ ਦਾ ਖੂਬ ਰੰਗ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁੜੀਆਂ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਤੋਂ ਵਧ-ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਬੋਲੀਆਂ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਬੋਲੀ ਟੁੱਟਣ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਬੋਲੀਆਂ ਵਿਚ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਰੰਗ ਸਮਾਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਨੱਚਦੀਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਮੀਂਹ ਤੇ ਛਰਾਟਿਆਂ ਦੀ ਪਰਵਾਹ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ । ਉਹ ਗਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਨਿੱਕੀ ਨਿੱਕੀ ਕਣੀ ਦਾ ਮੀਂਹ ਵਰਸੇਂਦਾ, ਠੰਢੀਆਂ ਪੈਣ ਫੁਹਾਰਾਂ । ਨੱਚ ਲੈ ਮੋਰਨੀਏ, । ਪੰਜ ਪਤਾਸੇ ਵਾਰਾਂ ।

ਨੱਚ ਲੈ ਮੋਰਨੀਏ । ਗਿੱਧੇ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪੀਂਘਾਂ ਝੂਟਣ ਦਾ ਵੱਖਰਾ ਹੀ ਆਨੰਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕੁੜੀਆਂ ਇਕ-ਦੂਜੀ ਤੋਂ ਵਧ ਕੇ ਪੀਂਘਾਂ ਚੜ੍ਹਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਪੀਂਘਾਂ ਝੂਟਦੀਆਂ ਦੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਦੀ ਛਣਕਾਹਟ ਅਨੋਖਾ ਰੰਗ ਬੰਨ੍ਹਦੀ ਹੈ । ਅੰਤ ਤੀਆਂ ਦੇ ਵਿਦਾ ਹੋਣ ਦਾ ਦਿਨ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਿਨ ਮੇਲੇ ਵਰਗੀ ਰੌਣਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਕ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਲਾੜਾ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਨੂੰ ਲਾੜੀ ਬਣਾ ਕੇ ਸਾਰੀਆਂ ਰਸਮਾਂ ਕਰ ਕੇ ਵਿਆਹ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁੜੀਆਂ ਮੂੰਹ ਨਾਲ ਵਾਜੇ ਵਜਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਦੀ ਸੋਟ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜੰਵ ਦੀ ਵਿਦਾਇਗੀ ਵੇਲੇ ਕੁੜੀਆਂ ਦੀ ਇਕ ਟੋਲੀ ਜੰਝ ਖੋਂਹਦੀ ਹੈ । ਡੋਲਾ ਖੋਹਣਾ ਜਾਂ ਲੁੱਟ ਮਚਾਉਣੀ ਤੀਆਂ ਦੀ ਅੰਤਿਮ ਰਸਮ ਹੈ ।

ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਕੁੜੀਆਂ ਗਾਉਂਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਤੇ ਆਪਣੇ ਪੇਕੇ ਪਿੰਡ ਨੂੰ ਅਸੀਸਾਂ ਦਿੰਦੀਆਂ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਤੁਰ ਪੈਂਦੀਆਂ ਹਨ । ‘ਸੁੱਖ ਵਸਦੀ ਬਾਬਾ ਜੀ ਥੋਡੀ ਨਗਰੀ, ਜੀ ਸੁਖ ਵਸਦੀ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਤੀਆਂ ਦਾ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਹਰ ਸਾਲ ਹਾਸੇ-ਖੇੜੇ ਵੰਡਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਕਾਰਨ ਮੌਲੀ ਹੋਈ ਧਰਤੀ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਹੇਠ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਛਲਕਦੇ ਭਾਵਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਵਿਚ ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ ਤੇ ਸਾਂਝਾਂ ਹੋਰ ਪੱਕੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

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32. ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ-ਮੋਰ

ਮੋਰ ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਹੈ । ਇਹ ਸੁੰਦਰਤਾ, ਸ਼ਿਸ਼ਟਤਾ ਅਤੇ ਰਹੱਸ ਦਾ ਚਿੰਨ੍ਹ ਹੈ । ਇਹ ਭਾਰਤ ਵਿਚ 1972 ਵਿਚ ਇਕ ਐਕਟਰ ਰਾਹੀਂ ਇਸਨੂੰ ਮਾਰਨ ਜਾਂ ਕੈਦ ਕਰ ਕੇ ਰੱਖਣ ਉੱਤੇ ਪੂਰੀ ਪਾਬੰਦੀ ਲਾਈ ਗਈ ਹੈ ।

ਮੋਰ ਬੜਾ ਸੁੰਦਰ ਪੰਛੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਸਿਰ ਉੱਪਰ ਸੁੰਦਰ ਕਲਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਛੋਟੀ ਜਿਹੀ ਚੁੰਝ ਤੇ ਨੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਲੰਮੀ ਧੌਣ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਲੰਮੇ-ਲੰਮੇ ਪਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਪਰਾਂ ਦਾ ਚਮਕੀਲਾ ਰੰਗ, ਨੀਲਾ, ਕਾਲਾ ਤੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਹਰੇਕ ਪਰ ਦੇ ਸਿਰੇ ਉੱਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੀ ਮਿਲੇ-ਜੁਲੇ ਰੰਗਾਂ ਦਾ ਇਕ ਸੁੰਦਰ ਗੋਲ ਜਿਹਾ ਚੱਕਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੇ ਮੋਰ ਮੁਕਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸ ਨੂੰ ਗੌਰਵ ਬਖ਼ਸ਼ਿਆ ਹੈ ।

ਮੋਰ ਖੇਤਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਓਟ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਪਰ ਫੈਲਾ ਕੇ ਪੈਲ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੇ ਪਰ ਪੱਖੇ ਵਰਗੇ ਲਗਦੇ ਹਨ । ਪੈਲ ਪਾਉਂਦਿਆਂ ਉਹ ਮਸਤੀ ਵਿਚ ਨੱਚਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਬੜਾ ਲੁਭਾਉਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਪੈਲ ਪਾਉਂਦੇ ਮੋਰ ਦੇ ਕੋਲ ਜਾਵੋ, ਤਾਂ ਉਹ ਪੈਲ ਪਾਉਣੀ ਬੰਦ ਕਰ ਕੇ ਲੁਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । · ਮੋਰ ਆਪਣੇ ਲੰਮੇ ਤੇ ਭਾਰੇ ਪਰਾਂ ਕਰਕੇ ਲੰਮੀ ਉਡਾਰੀ ਨਹੀਂ ਮਾਰ ਸਕਦਾ । ਮੋਰਨੀ ਦੇ ਪਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਮੋਰ-ਮੋਰਨੀ ਨਾਲੋਂ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਵਧੇਰੇ ਸੁੰਦਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੁੱਕੜ-ਕੁਕੜੀ ਨਾਲੋਂ । ਮੋਰ-ਮੋਰਨੀ ਕੁੱਕੜ-ਕੁਕੜੀ ਵਾਂਗ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਮੋਰ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਨਾਲ ਰਹਿਣਾ ਪਸੰਦ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਪਿੰਜਰੇ ਜਾਂ ਕਮਰੇ ਵਿਚ ਕੈਦ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਨਾਲ ਉਹ ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਮਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਡੀਲ-ਡੌਲ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸ਼ੈਮਾਨ ਦੀ ਬਹੁਤ ਸੂਝ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਭੱਦੇ ਪੈਰਾਂ ਵਲ ਵੇਖ ਕੇ ਝੂਰਦਾ ਹੈ ।

ਮੋਰ ਆਮ ਕਰਕੇ ਸੰਘਣੇ ਰੁੱਖਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਫ਼ਸਲਾਂ, ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਤੇ ਨਹਿਰ ਦੇ ਕੰਢਿਆਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਤੁਰਨਾ-ਫਿਰਨਾ ਪਸੰਦ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਬੱਦਲਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਨੱਚਦਾ ਤੇ ਪੈਲਾਂ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮੀਂਹ ਵਿਚ ਨੱਚ, ਟੱਪ ਅਤੇ ਨਹਾ ਕੇ ਬੜਾ ਖੁਸ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਮੋਰ ਸਾਡਾ ਮਿੱਤਰ ਪੰਛੀ ਹੈ । ਇਹ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਕੀੜਿਆਂ ਨੂੰ ਖਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸੱਪ ਦਾ ਬੜਾ ਵੈਰੀ ਹੈ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਸੱਪ ਮੋਰ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਡਰਦਾ ਹੈ । ਮੋਰ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਸੁਣ ਕੇ ਸੱਪ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਨਿਕਲਦਾ ।

ਮੋਰ ਦੇ ਖੰਭਾਂ ਦੇ ਚੌਰ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਮੰਦਰਾਂ, ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਤੇ ਪੁਜਾ-ਸਥਾਨਾਂ ਉੱਤੇ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਮੋਰ ਦੇ ਪਰਾਂ ਦੀ ਹਵਾ ਕਈ ਰੋਗਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਜੋਗੀ ਤੇ ਮਾਂਦਰੀ ਲੋਕ ਚੌਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਰੋਗ ਨੂੰ ਝਾੜਦੇ ਹਨ । ਕਈ ਚਿਤਰਾਂ ਵਿਚ ਰਾਜੇ-ਰਾਣੀਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਾਸ-ਦਾਸੀਆਂ ਮੋਰਾਂ ਦੇ ਖੰਭਾਂ ਦੇ ਚੌਰ ਨਾਲ ਹਵਾ ਝੱਲ ਰਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਕਈ ਚਿਤਰਾਂ ਵਿਚ ਮੋਰ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਸੱਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੋਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਜਨ-ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਮੋਰ ਨੂੰ ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਮੰਨਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਆਗਿਆ ਨਹੀਂ । ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਉੱਤੇ ਮਾਣ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।