PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 17 Women and Reforms

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Women and Reforms PSEB 8th Class SST Notes

→ Religious and Socio reform Movements:

  • Religious and socio reform movements were started in the 19th century in almost all the communities of Indian Society.
  • These movements attacked the supremacy of Brahmins, superstitions, and fundamentalism in the religious sector.
  • Their aim in social life was to eradicate the caste system, child marriage, and other social inequalities in society.

→ Raja Ram Mohan Roy and Brahmo Samaj:

  • Raja Ram Mohan Roy (1772-1833), founded Brahmo Samaj in 1828 A.D.
  • He started a movement to remove the Sati system and child marriage from society.
  • The name of Brahmo Samaj spread in the whole of the country under the leadership of Keshav Chandra Sen.

→ Spread of Reform Movements:

  • These movements also started in other parts of the country.
  • Prarthna Samaj was founded in Bombay (Mumbai) in 1862 A.D.
  • Many National Leaders like Mahadev Govind Ranade (1842-1901) took part in it.
  • Mahatma Jyotiba Phooley played an active role in the reformation of scheduled castes.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 17 Women and Reforms

→ Arya Samaj:

  • Arya Samaj was founded by Swami Dayanand in 1875 A.D.
  • He raised his voice against child marriage, Sati Pratha, and Dowry System.

→ Sikh Reform Movement:

  • Two main reform movements, related to Sikhs, were started Namdhari (Kuka) Movement and Singh Sabha Movement.
  • Out of these, Singh Sabha Movement achieved important achievements in the field of education and literature.

→ Other Reform Movements:

  • Swami Vivekanand founded Rama Krishna Mission to spread the teachings of his Guru Ramakrishna Paramhans.
  • Mrs. Annie Besant again tried to strengthen Theosophical Movement in 1893 A.D.

→ Reform movement among Muslims was started by Nawab Abdul Latif:

  • The most important movement among Muslims was started by Sir Sayyed Ahmad Khan (1817-98).
  • The most important work done by him was the establishment of Mohammedan Anglo-Oriental College in 1875 A.D.

→ Impact of Reform Movements:

  • Important progress came in the field of upliftment of women as a result of reform movements.
  • Nationalism was aroused and a sense of unity came among the people.

स्त्रियां तथा सुधार PSEB 8th Class SST Notes

→ धार्मिक और सामाजिक सुधार आन्दोलन -19वीं शताब्दी में भारतीय समाज के सभी समुदायों के धार्मिक और सामाजिक सुधार के धार्मिक और सामाजिक सुधार के आन्दोलनों का आरम्भ हुआ।

→ धर्म के क्षेत्र में इन आन्दोलनों ने कट्टरता, अन्धविश्वासों तथा पुरोहितों के आधिपत्य पर प्रहार किए। सामाजिक जीवन में इनका उद्देश्य जाति-प्रथा, बाल-विवाह तथा अन्य सामाजिक असमानताओं को दूर करना था।

→ राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज – राजा राममोहन राय (1772-1833) ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की उन्होंने सती-प्रथा तथा बाल-विवाह की समाप्ति के लिए अभियान चलाया। केशवचन्द्र सेन के नेतृत्व में ब्रह्म समाज का नाम पूरे देश में फैल गया।

→ सुधार आन्दोलनों का प्रसार – देश के अन्य भागों में भी ऐसे ही आन्दोलन आरम्भ हो गए। 1867 ई० में बम्बई (मुम्बई) में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई।

→ महादेव गोविन्द रानाडे (1842-1901) जैसे अनेक राष्ट्रीय नेता इसमें सम्मिलित हुए। महाराष्ट्र में अनुसूचित जातियों के जागरण में महात्मा ज्योतिबा फुले ने सक्रिय भूमिका निभाई।

→ आर्य समाज – आर्य समाज की स्थापना 1875 में स्वामी दयानन्द ने की। उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा तथा दहेज प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठाई।

→ सिक्ख सुधार आन्दोलन सिक्खों से सम्बन्धित दो मुख्य सुधार आन्दोलन चले-नामधारी (कूका) आन्दोलन तथा सिंह सभा आन्दोलन। इनमें से सिंह सभा आन्दोलन ने शिक्षा तथा साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की।

→ अन्य सुधार आन्दोलन – स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं के प्रसार के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

→ श्रीमती ऐनी बेसेंट ने 1893 में थियोसोफिकल आन्दोलन को फिर से मज़बूत बनाने का प्रयास किया। मुसलमानों में सुधार आन्दोलन का आरम्भ नवाब अब्दुल लतीफ ने किया।

→ मुसलमानों में सबसे प्रभावशाली आन्दोलन सैय्यद अहमद खान (1817-98) ने आरम्भ किया। उनका सबसे बड़ा कार्य 1875 में मोहम्मडन ऐंग्लो ओरियन्टल कॉलेज की स्थापना करना था।

→ सुधार आन्दोलनों के प्रभाव – सुधार आन्दोलनों के परिणामस्वरूप स्त्री उद्धार के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई, राष्ट्रवाद का उदय हुआ तथा जनता में एकता की भावना पैदा हुई।

ਇਸਤਰੀਆਂ ਅਤੇ ਸੁਧਾਰ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਧਾਰਮਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ-19ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਭਾਰਤੀ ਸਮਾਜ ਦੇ ਸਾਰਿਆਂ ਸਮੁਦਾਵਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨਾਂ ਦਾ ਆਰੰਭ ਹੋਇਆ ।

→ ਧਰਮ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਅੰਦੋਲਨਾਂ ਨੇ ਕੱਟੜਤਾ, ਅੰਧ-ਵਿਸ਼ਵਾਸਾਂ ਅਤੇ ਰੋਹਿਤਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ‘ਤੇ ਹਮਲੇ ਕੀਤੇ ।

→ ਸਮਾਜਿਕ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਜਾਤੀ-ਪ੍ਰਥਾ, ਬਾਲ ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਹੋਰ ਸਮਾਜਿਕ ਅਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਸੀ।

→ ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਮੋਹਨ ਰਾਏ ਅਤੇ ਬ੍ਰਹਮੋ ਸਮਾਜ-ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਮੋਹਨ ਰਾਏ (1772-1833) ਨੇ 1828 ਵਿੱਚ ਬ੍ਰਹਮੋ ਸਮਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

→ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਤੀ-ਪ੍ਰਥਾ ਅਤੇ ਬਾਲ-ਵਿਆਹ ਦੀ ਸਮਾਪਤੀ ਲਈ ਮੁਹਿੰਮ ਚਲਾਈ । ਕੇਸ਼ਵ ਚੰਦਰ ਸੇਨ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਵਿਚ ਬ੍ਰਹਮੋ ਸਮਾਜ ਦਾ ਨਾਂ ਪੂਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਫੈਲ ਗਿਆ ।

→ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ-ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਅਜਿਹੇ ਹੀ ਅੰਦੋਲਨ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਏ । 1867 ਈ: ਵਿਚ ਬੰਬਈ (ਮੁੰਬਈ) ਵਿਚ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਸਮਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ ।

→ ਮਹਾਦੇਵ ਗੋਬਿੰਦ ਰਾਨਾਡੇ (1842-1901) ਵਰਗੇ ਅਨੇਕ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਨੇ ਇਸ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਏ । ਮਹਾਂਰਾਸ਼ਟਰ ਵਿਚ ਅਨੁਸੂਚਿਤ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਜਾਗਰਣ ਵਿਚ ਮਹਾਤਮਾ ਜੋਤਿਬਾ ਫੂਲੇ ਨੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ।

→ ਆਰੀਆ ਸਮਾਜ ਆਰੀਆ ਸਮਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1875 ਵਿਚ ਸਵਾਮੀ ਦਯਾਨੰਦ ਨੇ ਕੀਤੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬਾਲ-ਵਿਆਹ, ਸਤੀ-ਪ੍ਰਥਾ ਅਤੇ ਦਾਜ-ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਅਵਾਜ਼ ਉਠਾਈ ।

→ ਸਿੱਖ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ-ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਦੋ ਮੁੱਖ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ ਚੱਲੇ । ਨਾਮਧਾਰੀ (ਕੁਕਾ) ਅੰਦੋਲਨ ਅਤੇ ਸਿੰਘ ਸਭਾ ਅੰਦੋਲਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸਿੰਘ ਸਭਾ ਅੰਦੋਲਨ ਨੇ ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਸਾਹਿਤ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਉਪਲੱਬਧੀਆਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀਆਂ ।

→ ਹੋਰ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ-ਸਵਾਮੀ ਵਿਵੇਕਾਨੰਦ ਨੇ ਆਪਣੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਪਰਮਹੰਸ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖਿਆਵਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਲਈ ਰਾਮ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਮਿਸ਼ਨ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਸ੍ਰੀਮਤੀ ਐਨੀ ਬੇਸੈਂਟ ਨੇ 1893 ਵਿਚ ਥਿਓਸੋਫਿਲ ਅੰਦੋਲਨ ਨੂੰ ਫਿਰ ਤੋਂ ਮਜ਼ਬੂਤ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ ।

→ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਵਿਚ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨ ਦਾ ਆਰੰਭ ਨਵਾਬ ਅਬਦੁੱਲ ਲਤੀਫ ਨੇ ਕੀਤਾ । ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਅੰਦੋਲਨ ਸੱਯਦ ਅਹਿਮਦ ਖ਼ਾਂ ( 1817-98) ਨੇ ਆਰੰਭ ਕੀਤਾ।

→ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਕੰਮ 1875 ਵਿਚ ਮੁਹੰਮਡਨ ਐਂਗਲੋ ਓਰੀਐਂਟਲ ਕਾਲਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨਾ ਸੀ ।

→ ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਸੁਧਾਰ ਅੰਦੋਲਨਾਂ ਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਇਸਤਰੀ (ਔਰਤ) ਉਧਾਰਾਂ (ਸੁਧਾਰ) ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤਰੱਕੀ ਹੋਈ । ਰਾਸ਼ਟਰਵਾਦ ਦਾ ਉਦੈ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਜਨਤਾ ਵਿਚ ਏਕਤਾ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਹੋਈ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 16 The Education and British Rule

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The Education and British Rule PSEB 8th Class SST Notes

→ Spread of Education in India: After 1853 A.D., the British government started giving more stress on the spread of education. They also tried to increase government control on educational centres.

→ Wood’s Report of 1854 A.D: Following suggestions were given in Charles Wood’s report in 1854 A.D.

  • Universities like London be open in India.
  • Colleges are opened under Universities.
  • One educational department is opened in each province.
  • Special emphasis is given to women’s education.

→ Hunter Commission: The Hunter Commission was appointed in 1882 A.D. under the tenure of Lord Rippen. These were the suggestions of this commission

  • Government should not interfere in higher education.
  • Administration of aided schools should be given to local organizations.
  • Fees in schools should be reduced.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 16 The Education and British Rule

→ Efforts of Lord Curzon: In 1904 A.D., Lord Curzon passed an Act on Universities. Government control over Universities was increased by this Act.

→ Sadler Commission: Sadler Commission was appointed in 1917 A.D. for bringing reforms to Calcutta (Kolkata) University. Many changes were brought in the organization of Allahabad and Lucknow Universities after the suggestions of this commission.

→ Sargent Scheme: Sargent plan was made in 1943 A.D. According to this plan, Education has to be spread completely over the next 50 years.

→ Aligarh Movement: This movement was started by Sir Sayyed Ahmad Khan for bringing reforms to Muslim Society and to reforming religion.

→ Contribution to the field of Education: Main Indian leaders who gave contributions to the Educational field were Raja Ram Mohan Roy, Ishwar Chandra Vidyasagar, Swami Dayanand Saraswati, Swami Vivekanand, etc.

शिक्षा तथा अंग्रेजी राज्य PSEB 8th Class SST Notes

→ भारत में शिक्षा का प्रसार – 1853 ई० के बाद ब्रिटिश सरकार ने शिक्षा के प्रसार पर अधिक बल देना शुरू कर दिया। उन्होंने शिक्षा केन्द्रों पर सरकारी नियन्त्रण बढ़ाने का प्रयास भी किया।

→ 1854 ई० की वुड्ज़ रिपोर्ट – 1854 ई० में चार्ल्स वुड द्वारा दी गई रिपोर्ट में ये सुझाव दिये गये-

  • भारत में लन्दन जैसे विश्वविद्यालय खोले जाएं
  • विश्वविद्यालय के अधीन कॉलेज खोले जाएं।
  • हर प्रान्त में एक शिक्षा विभाग स्थापित किया जाए
  • स्त्री-शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया जाए।

→ हंटर कमीशन – 1882 ई० में लॉर्ड रिपन के काल में हंटर कमीशन नियुक्त किया गया। इस कमीशन के सुझाव थे-

  • सरकार उच्च शिक्षा में कोई हस्तक्षेप न करे
  • आर्थिक सहायता प्राप्त स्कूलों का प्रबन्ध स्थानीय संस्थाओं को सौंप दिया जाए
  • स्कूलों में फीस कम कर दी जाए।

→ लॉर्ड कर्जन के प्रयास – 1904 ई० में लॉर्ड कर्जन ने विश्वविद्यालयों पर एक कानून पास किया। इसके अनुसार विश्वविद्यालयों पर सरकार का नियन्त्रण बढ़ गया।

→ सैडलर कमीशन कलकत्ता (कोलकाता) विश्वविद्यालय में सुधार लाने के लिए 1917 ई० में सैडलर कमीशन की नियुक्ति की गई। इस कमीशन के सुझावों पर इलाहाबाद तथा लखनऊ विश्वविद्यालयों के गठन में बहुत-से परिवर्तन किए गए।

→ सार्जेन्ट योजना 1943 ई० में सार्जेन्ट योजना बनाई गई। इस योजना के अनुसार 50 वर्षों के अन्दर अन्दर पूरी तरह से शिक्षा का प्रसार किया जाना था।

→ अलीगढ़ आन्दोलन यह आन्दोलन मुस्लिम समाज तथा धर्म सुधार के लिए सर सैय्यद अहमद खां ने चलाया।

→ शिक्षा के क्षेत्र में योगदान – शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वाले मुख्य भारतीय नेता राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द आदि थे।

ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ-1853 ਈ: ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ‘ਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਜ਼ੋਰ ਦੇਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਿਆ ਕੇਂਦਰਾਂ ‘ਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਨਿਯੰਤਰਨ ਵਧਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਵੀ ਕੀਤਾ।

→ 1854 ਈ: ਦੀ ਵਡਜ਼ ਰਿਪੋਰਟ-1854 ਈ: ਵਿਚ ਚਾਰਲਸ ਵੱਡ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਰਿਪੋਰਟ ਵਿਚ ਸੁਝਾਅ ਦਿੱਤੇ ਗਏ-

  • ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਲੰਡਨ ਵਰਗੀਆਂ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਖੋਲ੍ਹੀਆਂ ਜਾਣ,
  • ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਕਾਲਜ ਖੋਲ੍ਹੇ ਜਾਣ,
  • ਹਰ ਪ੍ਰਾਂਤ ਵਿਚ ਇਕ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਭਾਗ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ,
  • ਔਰਤਾਂ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆਂ ਵੱਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ।

→ ਹੰਟਰ ਕਮਿਸ਼ਨ-1882 ਈ: ਵਿਚ ਲਾਰਡ ਰਿਪਨ ਦੇ ਕਾਲ ਵਿਚ ਹੰਟਰ ਕਮਿਸ਼ਨ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਇਸ ਕਮਿਸ਼ਨ ਦੇ ਸੁਝਾਅ ਸਨ-

  • ਸਰਕਾਰ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਵਿਚ ਕੋਈ ਦਖ਼ਲ-ਅੰਦਾਜ਼ੀ ਨਾ ਕਰੇ ।
  • ਆਰਥਿਕ ਸਹਾਇਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਕੂਲਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਸਥਾਨਿਕ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਸੌਂਪ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ।
  • ਸਕੂਲਾਂ ਵਿਚ ਫ਼ੀਸ ਘੱਟ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ ।

→ ਲਾਰਡ ਕਰਜ਼ਨ ਦੇ ਯਤਨ-1904 ਈ: ਵਿਚ ਲਾਰਡ ਕਰਜ਼ਨ ਨੇ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ‘ਤੇ ਇਕ ਕਾਨੂੰਨ ਪਾਸ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ‘ਤੇ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਵੱਧ ਗਿਆ ।

→ ਸੈਡਲਰ ਕਮਿਸ਼ਨ-ਕਲਕੱਤਾ (ਕੋਲਕਾਤਾ) ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵਿਚ ਸੁਧਾਰ ਲਿਆਉਣ ਲਈ 1917 ਈ: ਵਿਚ ਸੈਡਲਰ ਕਮਿਸ਼ਨ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ।

→ ਇਸ ਕਮਿਸ਼ਨ ਦੇ ਸੁਝਾਵਾਂ ‘ਤੇ ਇਲਾਹਾਬਾਦ ਅਤੇ ਲਖਨਊ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਦੇ ਗਠਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕੀਤੇ ਗਏ ।

→ ਸਾਰਜੈਂਟ ਯੋਜਨਾ-1943 ਈ: ਵਿੱਚ ਸਾਰਜੈਂਟ ਯੋਜਨਾ ਬਣਾਈ ਗਈ । ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ 50 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ-ਅੰਦਰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਿੱਖਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕੀਤਾ ਜਾਣਾ ਸੀ ।

→ ਅਲੀਗੜ੍ਹ ਅੰਦੋਲਨ-ਇਹ ਅੰਦੋਲਨ ਮੁਸਲਿਮ ਸਮਾਜ ਅਤੇ ਧਰਮ ਸੁਧਾਰ ਲਈ ਸਰ ਸੱਯਦ ਅਹਿਮਦ ਖ਼ਾਂ ਨੇ ਚਲਾਇਆ ।

→ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਯੋਗਦਾਨ-ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਯੋਗਦਾਨ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਭਾਰਤੀ ਨੇਤਾ ਰਾਜਾ ਰਾਮ ਮੋਹਨ ਰਾਏ, ਈਸ਼ਵਰ ਚੰਦਰ ਵਿੱਦਿਆਸਾਗਰ, ਸਵਾਮੀ ਦਯਾਨੰਦ ਸਰਸਵਤੀ, ਸਵਾਮੀ ਵਿਵੇਕਾਨੰਦ ਆਦਿ ਸਨ ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 19 Colonialism and Urban Change

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Colonialism and Urban Change PSEB 8th Class SST Notes

→ Colonialism: The meaning of colonialism is the subjugation of one country by another which leads to political, economic, social, and cultural changes, we refer to the process of colonisation.

→ Urban Change: The meaning of urban change is the change in the position and importance of towns and cities due to change in the political condition of any country.

→ End of cities and advent of new cities: New cities and towns emerged when they became the centres of political power, economic activities, or centres of religious activities.

→ If related rulers change their capital due to changes in the political power of any country, some cities lost their importance and were replaced by new cities.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 19 Colonialism and Urban Change

→ New cities during the British Rule: Three important cities developed during the British rule were Madras, Bombay, and Calcutta. These cities were also the centres of Presidencies.

→ Spread of Delhi: Delhi was made the capital of British India in 1911 A.D. As a result, Delhi spread very rapidly.

→ Facilities are available in cities: People were given different facilities of cleanliness, water, roads, lights, etc. for the development of cities. Different local institutions were established for this objective.

→ Law and Order: The police department was established for law and order in urban areas.

बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन PSEB 8th Class SST Notes

→ बस्तीवाद – बस्तीवाद का भावार्थ है किसी देश पर किसी अन्य देश या देशों द्वारा राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप में अधिकार करना।

→ नगर-परिवर्तन – नगरीय परिवर्तन से तात्पर्य (भाव) है किसी देश की राजनीतिक सत्ता में परिवर्तन होने के कारण कस्बों एवं नगरों की स्थिति एवं महत्ता में परिवर्तन होना।

→ नगरों का समाप्त (अन्त) होना तथा नये कस्बों का उत्थान – नये नगरों और कस्बों का उत्थान तब होता है जब वे राजनीतिक शक्ति, आर्थिक गतिविधियों या फिर धार्मिक गतिविधियों के केन्द्र होते हैं।

→ किसी देश की राजनीतिक शक्ति में परिवर्तन होने के कारण यदि सम्बन्धित शासक अपनी राजधानियां बदलते हैं तो कई नगर अपनी महत्ता खो बैठते हैं तथा नये नगर उनका स्थान ले लेते हैं।

→ अंग्रेज़ी काल के नये नगर – अंग्रेज़ी काल में तीन महत्त्वपूर्ण नगरों का विकास हुआ-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता। ये नगर प्रेजीडेंसियों के केन्द्र भी थे।

→ दिल्ली का विस्तार 1911 ई० में अंग्रेजों ने दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी बनाया फलस्वरूप दिल्ली का तेजी से विस्तार हुआ।

→ नगरों को सुविधाएं नगरों के विकास के लिए लोगों को विभिन्न सफ़ाई, पानी, सड़कों, रोशनी आदि की सुविधाएं दी गईं। इसके लिए विभिन्न स्थानीय संस्थाएं स्थापित की गईं।

→ कानून एवं व्यवस्था नगरों में कानून एवं व्यवस्था के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की गई।

ਬਸਤੀਵਾਦ ਅਤੇ ਸ਼ਹਿਰੀ ਪਰਿਵਰਤਨ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਬਸਤੀਵਾਦ-ਬਸਤੀਵਾਦ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਕਿਸੇ ਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਦੇਸ਼ ਜਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੁਆਰਾ ਰਾਜਨੀਤਿਕ, ਆਰਥਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਰੂਪ ਵਿਚ ਅਧਿਕਾਰ ਕਰਨਾ ।

→ ਨਗਰ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਗਰ ਪਰਿਵਰਤਨ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਕਿਸੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸੱਤਾ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕਸਬਿਆਂ ਅਤੇ ਨਗਰਾਂ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਮਹੱਤਤਾ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੋਣਾ ।

→ ਨਗਰਾਂ ਦਾ ਸਮਾਪਤ (ਅੰਤ) ਹੋਣਾ ਅਤੇ ਨਵੇਂ ਕਸਬਿਆਂ ਦਾ ਉੱਥਾਨ-ਨਵੇਂ ਨਗਰਾਂ ਅਤੇ ਕਸਬਿਆਂ ਦਾ ਉੱਥਾਨ ਉਦੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਉਹ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸ਼ਕਤੀ, ਆਰਥਿਕ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਜਾਂ ਫਿਰ ਧਾਰਮਿਕ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਹੁੰਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਿਸੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸ਼ਕਤੀ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਜੇਕਰ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸ਼ਾਸਕ ਆਪਣੀਆਂ ਰਾਜਧਾਨੀਆਂ ਬਦਲਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਕਈ ਫਗਰ ਆਪਣੀ ਮਹੱਤਤਾ ਗੁਆ ਬੈਠਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਨਵੇਂ ਨਗਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਲੈ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਕਾਲ ਦੇ ਨਵੇਂ ਨਗਰ-ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਤਿੰਨ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਨਗਰਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ-ਮਦਰਾਸ, ਬੰਬਈ ਅਤੇ ਕਲਕੱਤਾ । ਇਹ ਨਗਰ ਪ੍ਰੈਜ਼ੀਡੈਂਸੀਆਂ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਸਨ ।

→ ਦਿੱਲੀ ਦਾ ਵਿਸਤਾਰ-1911 ਈ: ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਭਾਰਤੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਰਾਜਧਾਨੀ ਬਣਾਇਆ । ਫਲਸਰੂਪ ਦਿੱਲੀ ਦਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿਸਤਾਰ ਹੋਇਆ ।

→ ਨਗਰਾਂ ਨੂੰ ਸਹੂਲਤਾਂ-ਨਗਰਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸਫ਼ਾਈ, ਪਾਣੀ, ਸੜਕਾਂ, ਰੋਸ਼ਨੀ ਆਦਿ ਦੀਆਂ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਇਸ ਦੇ ਲਈ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸਥਾਨਿਕ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ।

→ ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਵਿਵਸਥਾ-ਨਗਰਾਂ ਵਿਚ ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਵਿਵਸਥਾ ਲਈ ਪੁਲਿਸ ਵਿਭਾਗ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 15 The Revolt of 1857

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The Revolt of 1857 PSEB 8th Class SST Notes

→ Revolt of 1857: In 1857 A.D, Indian rulers, soldiers, and the public rose in an armed revolt to oust the British from India. This revolt is known as the ‘First War of Indian Independence.

→ Political Causes: Indian rulers (of Jhansi, Nagpur, Sitara, Jaitpur, Bilaspur, etc.) and landlords were annoyed with the British on account of their annexationist policies. They collectively planned to struggle against the foreign rule.

→ Social and Economic Causes: The British ended the Sati practice, permitted widow marriage, and ruined Indian industries.

→ Military Causes: Indian soldiers were paid low salaries and were not treated well. The order to use greased cartridges enraged the Indian sepoys. It was the immediate cause of the revolt.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 15 The Revolt of 1857

→ Centres of Revolt: The main centres of revolt were Delhi, Kanpur, Jhansi, Gwalior, Varanasi, and Lucknow.

→ Leaders of the Uprising: The chief leaders of the revolt were Mughal Emperor Bahadur Shah Jafar, Rani Laxmi Bai, Nana Sahib, Tantaya Tope, etc.

→ Failure of the Revolt: There was no co-ordination among the Indian rulers. The rebels were not trained soldiers and had no means of communication. They had no sound financial resources and modern weapons of war like the British had.

→ Effects of Revolt: The rule of the Company came to an end. The number of Indians in the army was reduced. Differences between the Hindus and the Muslims increased.

1857 ई० का विद्रोह PSEB 8th Class SST Notes

→ 1857 का विद्रोह – 1857 में भारतीय राजाओं, सैनिकों तथा जनता ने अंग्रेजों को देश से निकालने के लिए सशस्त्र विद्रोह किया। इस विद्रोह को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया जाता है।

→ राजनीतिक कारण – अंग्रेज़ों की लैप्स तथा अन्य नीतियों के कारण भारतीय राजा (झांसी, नागपुर, सतारा, जयपुर, बिलासपुर) तथा ज़मींदार उनसे नाराज़ थेइसलिए उन्होंने मिलकर संघर्ष की योजना बनाई।

→ सामाजिक तथा आर्थिक कारण – अंग्रेजों ने सती प्रथा का अन्त किया, विधवा विवाह की आज्ञा दी तथा भारतीय उद्योग-धन्धों को नष्ट किया। इस लिए समाज के रूढ़िवादी तथा गरीब लोग उनसे छुटकारा पाने के लिए योजना बनाने लगे।

→ सैनिक कारण – भारतीय सैनिकों को कम वेतन मिलता था तथा उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता था। चर्बी वाले कारतूसों का प्रचलन क्रान्ति का तात्कालिक कारण बना। सैनिकों ने इस पर विद्रोह किया और क्रान्ति आरम्भ हो गई।

→ विद्रोह के केन्द्र – विद्रोह के मुख्य केन्द्र दिल्ली, कानपुर, झांसी; ग्वालियर, वाराणसी, लखनऊ आदि थे।

→ विद्रोह के नेता – विद्रोह के प्रमुख नेता मुग़ल बादशाह बहादुरशाह जफर, रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहिब, तात्या टोपे आदि थे।

→ भारतीयों की असफलता – भारतीय राजाओं में आपसी तालमेल नहीं था, प्रशिक्षित सैनिक नहीं थे, संचार के साधनों का अभाव था और उनके पास अंग्रेज़ों के समान साधन नहीं थे। इसलिए भारतीय असफल रहे।

→ विद्रोह के प्रभाव – विद्रोह के कारण कम्पनी का शासन समाप्त हुआ, सेना में भारतीयों की संख्या घटी, भारतीय राजाओं के साथ अच्छे व्यवहार का दौर शुरू हुआ और हिन्दू तथा मुसलमानों में आपसी भेदभाव बढ़ गया।

1857 ਈ. ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ PSEB 8th Class SST Notes

→ 1857 ਦਾ ਵਿਦਰੋਹ-1857 ਵਿਚ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਿਆਂ, ਸੈਨਿਕਾਂ ਅਤੇ ਜਨਤਾ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਣ ਲਈ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਵਿਦਰੋਹ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਨੂੰ ਪਹਿਲੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸੰਗਰਾਮ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਕਾਰਨ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਲੈਪਸ ਅਤੇ ਦੂਜੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਕਾਰਨ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜੇ (ਝਾਂਸੀ, ਨਾਗਪੁਰ, ਸਿਤਾਰਾ, ਬਿਲਾਸਪੁਰ) ਅਤੇ ਜ਼ਿਮੀਂਦਾਰ ਉਸ ਤੋਂ ਨਾਰਾਜ਼ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਦੀ ਯੋਜਨਾ ਬਣਾਈ ।

→ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਕਾਰਨ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਅੰਤ ਕਰ ਦਿੱਤਾ, ਵਿਧਵਾ-ਵਿਆਹ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਿੱਤੀ ਅਤੇ ਭਾਰਤੀ ਉਦਯੋਗ-ਧੰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਲਈ ਸਮਾਜ ਦੇ ਰੂੜੀਵਾਂਦੀ ਅਤੇ ਗ਼ਰੀਬ ਲੋਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਲਈ ਯੋਜਨਾ ਬਣਾਉਣ ਲੱਗ ਪਏ ।

→ ਸੈਨਿਕ ਕਾਰਨ-ਭਾਰਤੀ ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਘੱਟ ਤਨਖ਼ਾਹ ਮਿਲਦੀ ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਚੰਗਾ ਵਿਹਾਰ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਚਰਬੀ ਵਾਲੇ ਕਾਰਤੂਸਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਵਿਦਰੋਹ ਦਾ ਫੌਰੀ ਕਾਰਨ ਬਣਿਆ । ਸੈਨਿਕਾਂ ਨੇ ਇਸ ਕਾਰਨ ਵਿਦਰੋਹ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਈ ।

→ ਵਿਦਰੋਹ ਦੇ ਕੇਂਦਰ-ਵਿਦਰੋਹ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕੇਂਦਰ ਦਿੱਲੀ, ਕਾਨਪੁਰ, ਝਾਂਸੀ, ਗਵਾਲੀਅਰ, ਵਾਰਾਨਸੀ, ਲਖਨਊ ਆਦਿ ਸਨ ।

→ ਵਿਦਰੋਹ ਦੇ ਨੇਤਾ-ਵਿਦਰੋਹ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਨੇਤਾ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਬਹਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਜ਼ਫ਼ਰ, ਰਾਣੀ ਲਕਸ਼ਮੀ ਬਾਈ, ਨਾਨਾ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਤਾਂਤੀਆ ਟੋਪੇ ਆਦਿ ਸਨ ।

→ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੀ ਅਸਫਲਤਾ-ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਿਆਂ ਵਿਚ ਆਪਸੀ ਤਾਲਮੇਲ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਕੁਸ਼ਲ ਸੈਨਿਕ ਨਹੀਂ ਸਨ, ਸੰਚਾਰ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਘਾਟ ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕੋਲ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਸਾਧਨ ਨਹੀਂ ਸਨ। ਇਸ ਲਈ ਭਾਰਤੀ ਅਸਫਲ ਰਹੇ ।

→ ਵਿਦਰੋਹ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਵਿਦਰੋਹ ਕਾਰਨ ਕੰਪਨੀ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਖਤਮ ਹੋਇਆ । ਸੈਨਾ ਵਿਚ ਭਾਰਤੀਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਘਟੀ, ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਿਆਂ ਨਾਲ ਚੰਗੇ ਵਿਹਾਰ ਦਾ ਦੌਰ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਤੇ ਹਿੰਦੂ ਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ । ਵਿਚ ਆਪਸੀ ਵਿਤਕਰਾ ਵੱਧ ਗਿਆ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 9 When, Where and How

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When, Where and How PSEB 8th Class SST Notes

→ Division of History:

  • World history has been divided into the ancient period, the medieval period, and the modern period.
  • In the same way, Indian history has also been divided into three periods i.e. ancient period, the medieval period, and the modern period.

→ Modern Period: Modern period in Europe started in the 16th century but in India, it started in the 18th century.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 9 When, Where and How

→ Modern Period in India:

  • New powers emerged in the modern period.
  • European powers came to India and British rule was established in India.
  • Consciousness came among Indians with the spread of western education and national movement started in India.
  • It led to the freedom of India in 1947 A.D.

→ Sources of History of Modern India: Main sources of the History of Modern India are:

  • Books
  • Government Documents
  • Newspapers, Magazines, and Pamphlets
  • Historical monuments
  • Paintings and Sculptures
  • Letters of political leaders, etc.

कहाँ, कब तथा कैसे PSEB 8th Class SST Notes

→ इतिहास का काल-विभाजन – संसार के इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक काल में बांटा गया है। इसी प्रकार भारतीय इतिहास को भी तीन भागों में बांटा गया है-प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक काल

→ आधुनिक काल यूरोप में आधुनिक काल का आरम्भ 16वीं शताब्दी में हुआ, जबकि भारत में इसका आरम्भ 18वीं शताब्दी में हुआ।

→ भारत में आधुनिक काल – आधुनिक काल में भारत में नयी शक्तियों का उदय हुआ, यूरोपीय शक्तियां भारत में आईं तथा भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना हुई।

→ पश्चिमी शिक्षा के प्रसार से देश में जागृति आई और राष्ट्रीय आन्दोलन चला जिसने 1947 में भारत को स्वतन्त्रता दिलाई।

→ आधुनिक भारत के इतिहास के स्रोत – आधुनिक भारत के इतिहास के मुख्य स्रोत हैं-

  • पुस्तकें
  • सरकारी दस्तावेज़
  • समाचार-पत्र, मैगज़ीन तथा उपन्यास
  • ऐतिहासिक इमारतें
  • चित्रकारी तथा मूर्तिकला के नमूने
  • राजनीतिक नेताओं के पत्र आदि।

ਕਿੱਥੇ, ਕਦੋਂ ਅਤੇ ਕਿਵੇਂ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਕਾਲ ਵੰਡ-ਸੰਸਾਰ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਚੀਨ, ਮੱਧਕਾਲੀਨ ਅਤੇ ਆਧੁਨਿਕ ਕਾਲ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ।

→ ਇਸੇ ਪ੍ਰਕਾਰ ਭਾਰਤੀ ਇਤਿਹਾਸ ਨੂੰ ਵੀ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ-ਪ੍ਰਾਚੀਨ, ਮੱਧਕਾਲੀਨ ਅਤੇ ਆਧੁਨਿਕ ਕਾਲ।

→ ਆਧੁਨਿਕ ਕਾਲ-ਯੂਰਪ ਵਿਚ ਆਧੁਨਿਕ ਕਾਲ ਦਾ ਆਰੰਭ 16ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਹੋਇਆ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਇਸਦਾ ਆਰੰਭ 18ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਹੋਇਆ।

→ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਆਧੁਨਿਕ ਕਾਲ-ਆਧੁਨਿਕ ਕਾਲ ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਨਵੀਆਂ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਦਾ ਉਦੈ ਹੋਇਆ, ਯੂਰਪੀ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਆਈਆਂ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਹੋਈ ।

→ ਪੱਛਮੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਨਾਲ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਜਾਗ੍ਰਿਤੀ ਆਈ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅੰਦੋਲਨ ਚੱਲਿਆ ਜਿਸ ਨੇ 1947 ਵਿਚ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਾਈ।

→ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਸੋਮੇ-ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਸੋਮੇ ਹਨ :

  • ਪੁਸਤਕਾਂ
  • ਸਰਕਾਰੀ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਸੋਮੇ ਦਸਤਾਵੇਜ਼
  • ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ, ਮੈਗਜ਼ੀਨ ਅਤੇ ਨਾਵਲ
  • ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਇਮਾਰਤਾਂ
  • ਚਿੱਤਰਕਾਰੀ ਅਤੇ ਮੂਰਤੀਕਲਾ ਦੇ ਨਮੂਨੇ
  • ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਨੇਤਾਵਾਂ ਦੇ ਪੱਤਰ ਆਦਿ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 18 Challenge to Caste System

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Challenge to Caste System PSEB 8th Class SST Notes

→ Caste System: Society in ancient India was divided into four main castes – Brahmins, Kshatriyas, Vaishyas, and lower castes.

→ Many other castes and sub-castes originated during the Rajput age with which the caste system became more complex.

→ Untouchability:

  • Brahmins had the highest place in a caste-based society.
  • They were greatly respected by all.
  • But the condition of lover castes was very pitiable.
  • They were not allowed to touch the people of higher castes. It was known as untouchability.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 18 Challenge to Caste System

→ The challenge to the Caste System: Caste-based differences were challenged by social reformers like Jyotiba Phule, Dr. Bhim Rao Ambedkar, Pariyar Ramaswami, and Mahatma Gandhi. They also demanded the rights of Scheduled Castes.

→ Legislations against Social Evils: The British government passed certain laws to restrict social evils like the Sati system (1829 A.D.) and Child Marriage (1891 A.D.)

→ Eradication of Untouchability: Social reformers tried a lot and that’s why Untouchability has been declared illegal by our Constitution.

जाति-प्रथा को चुनौती PSEB 8th Class SST Notes

→ जाति-प्रथा – प्राचीन भारत में समाज चार मुख्य जातियों में बंटा हुआ था–ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र। राजपूत काल में और भी कई जातियां तथा उपजातियां उत्पन्न हो गईं जिससे जाति प्रथा जटिल हो गई।

→ छुआछूत – जाति आधारित समाज में ब्राह्मणों को उच्च स्थान प्राप्त था। उनका बड़ा आदर-सत्कार होता था। परन्तु शूद्रों की दशा दयनीय थी। लोग उन्हें छूना भी पाप समझते थे जिसे छुआछूत का नाम दिया जाता है।

→ जाति-प्रथा को चुनौती – ज्योतिबा फुले, डॉ० भीमराव अम्बेदकर, परियार रामास्वामी, वीरेस लिंगम तथा महात्मा गांधी जैसे समाज सुधारकों ने जातीय भेदभाव को चुनौती दी तथा निम्न जातियों के अधिकारों की मांग की।

→ सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध कानून – अंग्रेज़ी सरकार ने कानूनों द्वारा सती प्रथा (1829 ई०) तथा बाल विवाह (1891 ई०) जैसी सामाजिक बुराइयों पर रोक लगा दी।

→ अस्पृश्यता (छुआछूत) का उन्मूलन – समाज सुधारकों के प्रयत्नों से भारतीय संविधान में अस्पृश्यता को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया है।

ਜਾਤੀ-ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਚੁਣੌਤੀ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਜਾਤੀ-ਪ੍ਰਥਾ-ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਮਾਜ ਚਾਰ ਮੁੱਖ ਜਾਤੀਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ-ਬਾਹਮਣ, ਖੱਤਰੀ, ਵੈਸ਼ ਅਤੇ ਸ਼ੂਦਰ । ਰਾਜਪੂਤ ਕਾਲ ਵਿਚ ਹੋਰ ਵੀ ਕਈ ਜਾਤੀਆਂ ਅਤੇ ਉਪ-ਜਾਤੀਆਂ ਉਤਪੰਨ ਹੋ ਗਈਆਂ ਜਿਸ ਨਾਲ ਜਾਤੀ-ਪ੍ਰਥਾ ਜਟਿਲ ਹੋ ਗਈ ।

→ ਛੂਆ-ਛਾਤ-ਜਾਤੀ ਆਧਾਰਿਤ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਉੱਚ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਆਦਰ-ਸਤਿਕਾਰ ਹੁੰਦਾ ਸੀ । ਪਰ ਨਿਮਨ ਜਾਤੀ ਦੀ ਦਸ਼ਾ ਤਰਸਯੋਗ ਸੀ । ਲੋਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਛੂਹਣਾ ਵੀ ਪਾਪ ਸਮਝਦੇ ਸਨ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਛੂਆ-ਛਾਤ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਾਤੀ-ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਚੁਣੌਤੀ-ਜੋਤਿਬਾ ਫੁਲੇ, ਡਾ: ਭੀਮ ਰਾਓ ਅੰਬੇਦਕਰ, ਰਿਆਰ ਰਾਮਾ ਸਵਾਮੀ, ਵੀਰ ਸਲਿੰਗਮ ਅਤੇ ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ ਵਰਗੇ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕਾਂ ਨੇ ਜਾਤੀ ਭੇਦਭਾਵ ਨੂੰ ਚੁਣੌਤੀ ਦਿੱਤੀ ਅਤੇ ਨੀਵੀਂ ਜਾਤੀ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ।

→ ਸਮਾਜਿਕ ਬੁਰਾਈਆਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਨੂੰਨ-ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ (1829 ਈ:) ਅਤੇ ਬਾਲ ਵਿਆਹ (1891 ਈ:) ਵਰਗੀਆਂ ਸਮਾਜਿਕ ਬੁਰਾਈਆਂ ‘ਤੇ ਰੋਕ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀ ।

→ ਛੂਆ-ਛਾਤ ਦੀ ਮਨਾਹੀ-ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕਾਂ ਦੇ ਯਤਨਾਂ ਨਾਲ ਭਾਰਤੀ ਸੰਵਿਧਾਨ ਵਿਚ ਛੂਆ-ਛਾਤ ਨੂੰ ਗ਼ੈਰ-ਕਾਨੂੰਨੀ ਘੋਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 12 Rural Life and Society

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Rural Life and Society PSEB 8th Class SST Notes

→ Land Revenue System of the British:

  • The English East India Company got ‘Diwani’ rights of Bengal, Bihar, and Orissa from the Mughal Emperor Shah Alam in 1765 A.D, As a result, the Company started collecting land revenue from these provinces.
  • The Company wanted to collect more and more revenue.
  • That’s why they adopted many new systems of land.
  • First of all, the company started to give land on contract.
  • The higher bidder was getting the right to collect tax from a particular area.

→ New Land Settlements:

  • After this, the British made land settlements in new different ways in India.
  • Out of these, Permanent Settlement, Ryotwari system, Mahalwari system were important.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 12 Rural Life and Society

→ Permanent Settlement of Land:

  • Lord Cornwallis introduced the Permanent Settlement of land in Bengal in 1793.
  • According to it, the landlords or zamindars became the permanent owners of the land and the peasants were crushed.

→ Ryotwari System:

  • This system of land settlement was introduced in Madras and Bombay.
  • According to this system, the government officers directly collected land revenue from the farmers.

→ Mahalwari System: This system of land settlement was introduced in Western U.P, Punjab, and Delhi.

→ Impact of Land Revenue System: Farmers became poor with the land revenue systems of the British and came into the clutches of debt.

ग्रामीण जीवन तथा समाज PSEB 8th Class SST Notes

→ अंग्रेज़ों की भूमि-कर व्यवस्था – कम्पनी को 1765 ई० में शाह आलम से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी मिली थी।

→ फलस्वरूप कम्पनी ने इन प्रान्तों से लगान (भू-राजस्व) वसूल करना आरम्भ कर दिया।

→ कम्पनी अधिक-से-अधिक लगान प्राप्त करना चाहती थी। अत: उसने नई-नई भू-व्यवस्थाएं लागू की।

→ इजारेदारी – आरम्भ में कम्पनी ने भूमि का ठेका देना शुरू किया। सबसे अधिक बोली देने वाले इजारेदार को, उस इलाके से कर उगाहने का अधिकार दे दिया जाता था। यह प्रथा अधिक सफल न हुई।

→ नये भूमि प्रबन्ध – इजारेदारी के बाद अंग्रेजों ने भारत में भूमि का प्रबन्ध भिन्न-भिन्न ढंग से किया। इनमें से स्थायी बन्दोबस्त, रैयतवाड़ी और महलवाड़ी प्रबन्ध प्रमुख थे।

→ स्थायी बन्दोबस्त-भूमि का स्थायी बन्दोबस्त लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 ई० में बंगाल में किया। इसके अनुसार ज़मींदारों को भूमि का स्थायी स्वामी मान लिया गया।

→ रैयतवाड़ी प्रबन्ध – रैयतवाड़ी व्यवस्था तत्कालीन मद्रास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) में लागू की गई।

→ इसके अनुसार सरकारी अधिकारी किसानों से सीधे राजस्व वसूल करते थे।

→ महलवाड़ी प्रबन्ध – भूमि का यह प्रबन्ध पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा दिल्ली में लागू किया गया।

→ भूमि-कर प्रणालियों अंग्रेजों की भूमि-कर प्रणालियों का प्रभाव – ने किसानों को निर्धन बनाया और उन्हें ऋण की जंजीरों में जकड़ दिया।

ਪੇਂਡੂ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਸਮਾਜ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਭੂਮੀ-ਕਰ (ਲਿਗਾਨ) ਵਿਵਸਥਾ-ਕੰਪਨੀ ਨੂੰ 1765 ਈ: ਵਿਚ ਸ਼ਾਹ ਆਲਮ ਤੋਂ ਬੰਗਾਲ, ਬਿਹਾਰ ਅਤੇ ਉੜੀਸਾ ਦੀ ਦੀਵਾਨੀ ਮਿਲੀ ਸੀ ।

→ ਫਲਸਰੂਪ ਕੰਪਨੀ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਾਂਤਾਂ ਤੋਂ ਲਗਾਨ (ਭੂਮੀ-ਕਰ) ਵਸੂਲ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਕੰਪਨੀ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲਗਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਸ ਨੇ ਨਵੀਆਂ-ਨਵੀਆਂ ਵਿਵਸਥਾਵਾਂ ਲਾਗੂ ਕੀਤੀਆਂ ।

→ ਇਜ਼ਾਰੇਦਾਰੀ-ਆਰੰਭ ਵਿਚ ਕੰਪਨੀ ਨੇ ਜ਼ਮੀਨ ਦਾ ਠੇਕਾ ਦੇਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਸਭ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਬੋਲੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਇਜ਼ਾਰੇਦਾਰ ਨੂੰ, ਉਸ ਇਲਾਕੇ ਦਾ ਕਰ ਉਗਰਾਹੁਣ ਦਾ ਅਧਿਕਾਰ ਦੇ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਹ ਪ੍ਰਥਾ ਵਧੇਰੇ ਸਫਲ ਨਾ ਹੋਈ ।

→ ਨਵੇਂ ਜ਼ਮੀਨੀ (ਭੂਮੀ) ਪ੍ਰਬੰਧ-ਇਜ਼ਾਰੇਦਾਰੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਜ਼ਮੀਨ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਢੰਗਾਂ ਨਾਲ ਕੀਤਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸਥਾਈ ਬੰਦੋਬਸਤ, ਰੱਈਅਤਵਾੜੀ ਅਤੇ ਮਹਿਲਵਾੜੀ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਨ ।

→ ਸਥਾਈ ਬੰਦੋਬਸਤ-ਜ਼ਮੀਨ ਦਾ ਸਥਾਈ ਬੰਦੋਬਸਤ ਲਾਰਡ ਕਾਰਨਵਾਲਿਸ ਨੇ 1793 ਈ: ਵਿਚ ਬੰਗਾਲ ਵਿਚ ਕੀਤਾ । ਇਸਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਜ਼ਿਮੀਂਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਮੀਨ ਦਾ ਸਥਾਈ ਮਾਲਕ ਮੰਨ ਲਿਆ ਗਿਆ ।

→ ਰੱਈਅਤਵਾੜੀ ਪ੍ਰਬੰਧ-ਰੱਈਅਤਵਾੜੀ ਪ੍ਰਬੰਧ ਤਤਕਾਲੀਨ ਮਦਰਾਸ (ਚੇਨੱਈ) ਅਤੇ ਬੰਬਈ (ਮੁੰਬਈ) ਵਿਚ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ।

→ ਇਸਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸਰਕਾਰੀ ਅਧਿਕਾਰੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਤੋਂ ਸਿੱਧੇ ਹੀ ਲਗਾਨ ਵਸੂਲ ਕਰਦੇ ਸਨ ।

→ ਮਹਿਲਵਾੜੀ ਪ੍ਰਬੰਧ-ਭੂਮੀ ਦਾ ਇਹ ਪ੍ਰਬੰਧ ਪੱਛਮੀ ਉੱਤਰ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, ਪੰਜਾਬ ਅਤੇ ਦਿੱਲੀ ਵਿਚ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ।

→ ਭੂਮੀ-ਕਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀਆਂ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਭੂਮੀ-ਕਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀਆਂ ਨੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਗ਼ਰੀਬ ਬਣਾਇਆ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਰਜ਼ੇ ਦੀਆਂ ਜੰਜ਼ੀਰਾਂ ਵਿਚ ਜਕੜ ਦਿੱਤਾ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 11 Administrative Structure, Growth of Colonial Army and Civilian Administration

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Administrative Structure, Growth of Colonial Army and Civilian Administration PSEB 8th Class SST Notes

→ Regulating Act: This Act was passed in 1773 A.D., now the British government controlled the activities of the English Company.

→ Pitt’s India Act: This Act was passed in 1784 A.D. According to this Act, the position of Governor-General was strengthened.

→ Civil Services: Lord Cornwallis started civil services in India to fill higher government jobs. Indians were kept away from these.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 11 Administrative Structure, Growth of Colonial Army and Civilian Administration

→ Police: The British organised the police system in a new way. They started the system of Police-Thanas.

→ Law and Justice: Same laws were introduced in the country. Courts were established in the country and the job was done in the local language.

→ The Charter Act of 1833: According to the Charter Act, all the military and civil rights were grafted to the Governor-General and his council.

→ The Charter Act of 1853: Executive and Legislative were separated from each other through this Act. There were 12 members of the newly established legislature.

ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨਿਕ ਬਣਤਰ, ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਸੈਨਾ ਅਤੇ ਸਿਵਲ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਵਿਕਾਸ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਰੇਗੁਲੇਟਿੰਗ ਐਕਟ-ਇਹ ਐਕਟ 1773 ਈ: ਵਿਚ ਪਾਸ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਕੰਪਨੀ ਦੀਆਂ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ‘ਤੇ ਬਿਟਿਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ।

→ ਪਿਟਸ ਇੰਡੀਆ ਐਕਟ-ਇਹ ਐਕਟ 1784 ਈ: ਵਿਚ ਪਾਸ ਹੋਇਆ । ਇਸਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਹੋਰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਜ਼ਬੂਤ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ।

→ ਸਿਵਿਲ ਸਰਵਿਸ (ਸੇਵਾਵਾਂ)-ਸਰਕਾਰੀ ਨੌਕਰੀਆਂ ਵਿਚ ਉੱਚ ਅਹੁਦਿਆਂ ‘ਤੇ ਭਰਤੀ ਲਈ ਲਾਰਡ ਕਾਰਨਵਾਲਿਸ ਨੇ ਸਿਵਿਲ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਗਠਨ ਕੀਤਾ ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਇਸ ਤੋਂ ਵਾਂਝਾ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ।

→ ਪੁਲਿਸ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਪੁਲਿਸ-ਵਿਵਸਥਾ ਦਾ ਸੰਗਠਨ ਨਵੇਂ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਥਾਣਿਆਂ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕੀਤੀ ।

→ ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਨਿਆਂ-ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਸਮਾਨ ਕਾਨੂੰਨ ਲਾਗੂ ਕੀਤੇ ਗਏ । ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਅਦਾਲਤਾਂ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਅਦਾਲਤਾਂ ਦਾ ਕੰਮਕਾਜ ਸਥਾਨਿਕ ਭਾਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿਚ ਹੋਣ ਲੱਗਾ।

→ 1833 ਈ: ਦਾ ਚਾਰਟਰ ਐਕਟ-ਇਸ ਚਾਰਟਰ ਐਕਟ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਸੈਨਿਕ ਅਤੇ ਅਸੈਨਿਕ ਅਧਿਕਾਰ ਗਵਰਨਰ-ਜਨਰਲ ਅਤੇ ਉਸਦੀ ਕੌਂਸਲ ਨੂੰ ਸੌਂਪ ਦਿੱਤੇ ।

→ 1853 ਈ: ਦਾ ਚਾਰਟਰ ਐਕਟ-ਇਸ ਐਕਟ ਦੁਆਰਾ ਵਿਧਾਨਪਾਲਿਕਾ ਨੂੰ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ ਤੋਂ ਅਲੱਗ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਨਵ-ਸਥਾਪਿਤ ਵਿਧਾਨਪਾਲਿਕਾ ਦੇ 12 ਮੈਂਬਰ ਸਨ ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 10 The Establishment of East India Company

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The Establishment of East India Company PSEB 8th Class SST Notes

→ Discovery of a New Sea Route: A Portuguese sailor Vasco-de-Gama discovered the new sea route to India in 1498 A.D.

→ European Communities in India: The Portuguese, the English, the French, and the Dutch came to India for trade.

→ Factories: Trading centers of European Companies in India were called ‘Factories’.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 10 The Establishment of East India Company

→ The British East India Company: The British established the East India Company in 1600 A.D. It opened trade centres in India and checked the expansion of other European trading companies.

→ The French East India Company: Although the French East India Company was established in 1664 A.D., much later than the British company, yet it made great progress in India.

→ Carnatic Wars: The Carnatic Wars were fought between the British and the French. The British won these three wars.

→ Dupleix: Dupleix was the most capable governor of the French possessions in India.

→ Robert Clive: Robert Clive was an able English military commander. He was the founder of the British Empire in India.

→ The victory of Bengal: The British won the battle of Plassey in 1757 A.D. and the battle of Buxar in 1764 A.D. and thus became the real masters of Bengal.

→ Diwani Rights: The Battle of Buxar ended with the Treaty of Allahabad in 1765 A.D. As a result of this treaty, the British got the ‘Diwani Rights’ of Bengal, Bihar, and Orissa. Now the British were in a position to collect land revenue from these territories.

→ Means of Expansion of Empire: The British Empire was expanded through a number of means such as subsidiary alliance, Doctrine of Lapse, war, Discontinuing pension, etc.

→ Maratha Power: The British defeated powerful Maratha rulers one by one and forced them to accept a subsidiary alliance.

→ The victory of Mysore: The British fought four wars with Hyder Ali and Tipu Sultan to conquer Mysore. The British emerged victoriously.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 10 The Establishment of East India Company

→ Subsidiary Alliances: Lord Wellesley introduced this system for the expansion of the British Empire. Indian rulers who entered into Subsidiary Alliances with the British came completely under British control.

→ The doctrine of Lapse: This policy was started by Lord Dalhousie. If the ruler of a dependent state had no male child, he could not adopt a son. It meant, that if a native ruler died without leaving a son behind, the dependent state would pass automatically into the hands of the British.

भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना PSEB 8th Class SST Notes

→ नवीन मुद्री मार्ग की खोज – पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने 1498 ई० में यूरोप से भारत पहुंचने के लिए नये समुद्री मार्ग की खोज की।

→ भारत में यूरोपीय जातियां – पुर्तगाली, अंग्रेज़, फ्रांसीसी, डच आदि जातियां भारत में व्यापार करने के लिए आईं।

→ फैक्टरी – भारत में यूरोप की कम्पनियों के व्यापारिक केन्द्रों को फैक्टरी कहते थे।

→ अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी – अंग्रेजों ने 1600 ई० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की, भारत में व्यापारिक केन्द्र खोले और अन्य यूरोपीय जातियों के प्रसार को रोका।

→ फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी – यद्यपि फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना 1664 ई० में हुई, फिर भी इसने भारत में बहुत उन्नति की। डुप्ले फ्रांसीसियों का सबसे योग्य गवर्नर था।

→ कर्नाटक के युद्ध -कर्नाटक के युद्ध अंग्रेज़ों और फ्रांसीसियों के बीच हुए। इनमें अंग्रेजों की विजय हुई।

→ बंगाल विजय – अंग्रेज़ों ने 1757 ई० में प्लासी की लड़ाई और 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई जीत कर बंगाल पर विजय पाई।

→ दीवानी की प्राप्ति – बक्सर की लड़ाई के बाद इलाहाबाद की सन्धि हुई। इसके परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी मिल गई। अब अंग्रेज़ वहां से भूमि कर इकट्ठा कर सकते थे।

→ साम्राज्य विस्तार के साधन – अंग्रेजों ने अपने राज्य का विस्तार पांच साधनों द्वारा किया। सहायक सन्धि, लैप्स की नीति, युद्ध, कुशासन का आरोप तथा पेंशनों की समाप्ति।।

→ मराठा शक्ति अंग्रेजों ने शक्तिशाली मराठा सरदारों को एक-एक करके पराजित किया और उन्हें सहायक सन्धि मानने के लिए विवश किया।

→ मैसूर विजय – मैसूर पर विजय पाने के लिए अंग्रेज़ों ने हैदर अली और टीपू सुल्तान के साथ कुल मिलाकर चार लड़ाइयां लड़ीं। इनमें अंतिम विजय अंग्रेजों को मिली।

→ सहायक सन्धि – यह सन्धि लॉर्ड वेलेजली ने अंग्रेज़ी साम्राज्य के विस्तार के लिए चलाई। इसे मानने वाली देशी सत्ता पूरी तरह अंग्रेजों की शरण में आ जाती थी।

→ विलय (लैप्स की)नीति- यह नीति लॉर्ड डलहौज़ी ने चलाई। इसके अनुसार निःसन्तान मरने वाले देशी राजा काराज्य अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया जाता था।

→ सतारा, नागपुर, झांसी आदि अनेक राज्य इसी प्रकार अंग्रेजी राज्य का अंग बने।

→ पंजाब विजय -1849 ई० में अंग्रेज़ों ने सिक्खों को हरा कर पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।

→ इस प्रकार अंग्रेज़ लगभग पूरे भारत के स्वामी बन गए।

ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਨਵੇਂ ਸਮੁੰਦਰੀ ਰਾਹ ਦੀ ਖੋਜ-ਪੁਰਤਗਾਲੀ ਮਲਾਹ ਵਾਸਕੋ-ਡੀ-ਗਾਮਾ ਨੇ 1498 ਈ: ਵਿਚ ਯੂਰਪ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ ਨਵੇਂ ਸਮੁੰਦਰੀ ਰਸਤੇ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ।

→ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਯੂਰਪੀ ਜਾਤੀਆਂ-ਪੁਰਤਗਾਲੀ, ਅੰਗਰੇਜ਼, ਡੱਚ ਆਦਿ ਜਾਤੀਆਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਵਪਾਰ ਕਰਨ ਲਈ ਆਈਆਂ ।

→ ਫੈਕਟਰੀ-ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਯੂਰਪ ਦੀਆਂ ਕੰਪਨੀਆਂ ਦੇ ਵਪਾਰਿਕ ਕੇਂਦਰਾਂ ਨੂੰ ਫੈਕਟਰੀ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ ।

→ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ 1600 ਈ: ਵਿਚ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ, ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਵਪਾਰਿਕ ਕੇਂਦਰ ਖੋਲ੍ਹੇ ਅਤੇ ਹੋਰ ਯੂਰਪੀ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਨੂੰ ਰੋਕਿਆ।

→ ਫ਼ਰਾਂਸੀਸੀ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ-ਭਾਵੇਂ ਕਿ ਫ਼ਰਾਂਸੀਸੀ ਈਸਟ ਇੰਡੀਆ ਕੰਪਨੀ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1664 ਈ: ਵਿਚ ਹੋਈ, ਫਿਰ ਵੀ ਇਸ ਨੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਉੱਨਤੀ ਕੀਤੀ । ਡੁਪਲੇ ਫ਼ਰਾਂਸੀਸੀਆਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਯੋਗ ਗਵਰਨਰ ਸੀ ।

→ ਕਰਨਾਟਕ ਦੇ ਯੁੱਧ-ਕਰਨਾਟਕ ਦੇ ਯੁੱਧ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਫ਼ਰਾਂਸੀਸੀਆਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਅੰਗੇਰਜ਼ਾਂ ਦੀ ਜਿੱਤ ਹੋਈ ।

→ ਬੰਗਾਲ ਜਿੱਤ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ 1757 ਈ: ਵਿਚ ਪਲਾਸੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਅਤੇ 1764 ਈ: ਵਿਚ ਬਕਸਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਜਿੱਤ ਕੇ ਬੰਗਾਲ ‘ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ।

→ ਦੀਵਾਨੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ-ਬਕਸਰ ਦੀ ਲੜਾਈ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਲਾਹਾਬਾਦ ਦੀ ਸੰਧੀ ਹੋਈ । ਇਸਦੇ ਫਲਸਰੂਪ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਬੰਗਾਲ, ਬਿਹਾਰ ਅਤੇ ਉੜੀਸਾ ਦੀ ਦੀਵਾਨੀ ਮਿਲ ਗਈ । ਹੁਣ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਉੱਥੋਂ ਭੂਮੀ ਕਰ ਇਕੱਠਾ ਕਰ ਸਕਦੇ ਸਨ ।

→ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿਸਤਾਰ ਦੇ ਸਾਧਨ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਦਾ ਵਿਸਤਾਰ ਪੰਜ ਸਾਧਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਸਹਾਇਕ ਸੰਧੀ, ਲੈਪਸ ਦੀ ਨੀਤੀ, ਯੁੱਧ, ਕੁਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਆਰੋਪ ਅਤੇ ਪੈਨਸ਼ਨਾਂ ਦੀ ਸਮਾਪਤੀ ।

→ ਮਰਾਠਾ ਸ਼ਕਤੀ-ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਮਰਾਠਾ ਸਰਦਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਕ-ਇਕ ਕਰਕੇ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਹਾਇਕ ਸੰਧੀ ਮੰਨਣ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਕੀਤਾ ।

→ ਮੈਸੂਰ ਜਿੱਤ-ਮੈਰ ‘ਤੇ ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਹੈਦਰ ਅਲੀ ਅਤੇ ਟੀਪੂ ਸੁਲਤਾਨ ਨਾਲ ਕੁੱਲ ਚਾਰ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜੀਆਂ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਆਖਰੀ ਜਿੱਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈ ।

→ ਸਹਾਇਕ ਸੰਧੀ-ਇਹ ਸੰਧੀ ਲਾਰਡ ਵੈਲਜ਼ਲੀ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦੇ ਵਿਸਤਾਰ ਲਈ ਚਲਾਈ । ਇਸ ਨੂੰ ਮੰਨਣ ਵਾਲੀ ਦੇਸੀ ਸੱਤਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੀ ਸ਼ਰਨ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦੀ ਸੀ ।

→ ਵਿਲਯ (ਲੈਪਸ ਦੀ) ਨੀਤੀ-ਇਹ ਨੀਤੀ ਲਾਰਡ ਡਲਹੌਜ਼ੀ ਨੇ ਚਲਾਈ । ਇਸਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਬੇਔਲਾਦ ਮਰਨ ਵਾਲੇ ਦੇਸੀ ਰਾਜੇ ਦਾ ਰਾਜ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਵਿਚ ਮਿਲਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।

→ ਸਤਾਰਾ, ਨਾਗਪੁਰ, ਝਾਂਸੀ ਆਦਿ ਅਨੇਕ ਰਾਜ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਦਾ ਅੰਗ ਬਣੇ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਜਿੱਤ-1849 ਈ: ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਰਾ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਵਿਚ ਮਿਲਾ ਲਿਆ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਲਗਪਗ ਪੂਰੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਵਾਮੀ ਬਣ ਗਏ।

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 8 Disaster Management

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Disaster Management PSEB 8th Class SST Notes

→ Natural Hazard: Any natural event that does not occur frequently but is fast enough to threaten life is called a ‘natural hazard’.

→ Natural disasters: The location of the natural hazards and the intensity with which it occurs lead to what are known as natural disasters. Tsunami, earthquakes, cyclones, floods, etc.

PSEB 8th Class Social Science Notes Chapter 8 Disaster Management

→ Earthquake: The sudden mild or violent shaking of a part of the earth is called an earthquake.

→ Seismograph: An instrument is used to record and measure the vibrations of the earthquake.

→ Man-Made disasters: Bomb explosions, terrorism pollution, Dam-burst, industrial accidents, and epidemics.

→ Disaster Management in India: Many institutions have started courses in disaster management. These include:

  • Central Disaster Management Authority, New Delhi.
  • Disaster Management National Centre, New Delhi.
  • Earthquake Information Centre, I.I.T. Kanpur.
  • Disaster Management Institute, Bhopal.
  • Indira Gandhi Open University, New Delhi.
  • Central Board of Secondary Education, New Delhi.

आपदा प्रबन्ध PSEB 8th Class SST Notes

→ आपदा – खतरे जब भयंकर दुर्घटनाओं का रूप धारण कर लेते हैं तो उन्हें आपदा का नाम दिया जाता है। ये दो प्रकार के होते हैं-प्राकृतिक तथा मानवीय।

→ आपदा प्रबन्धन – यह एक महत्त्वपूर्ण विषय है जो प्राकृतिक या मानवीय प्रकोपों से उत्पन्न विनाश को कम करने में हमारी सहायता करता है।

→ प्राकृतिक आपदा – सुनामी, भूचाल, ज्वालामुखी विस्फोट, चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि।

→ मानवीय आपदा – बम धमाके, आतंकवाद, प्रदूषण, बांधों का टूटना, औद्योगिक दुर्घटनाएं, महामारी आदि।

→ बचाव के उपाय – कुछ प्राकृतिक आपदाओं का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है। अतः उनके घटित होने से पहले ही बचाव के उचित उपाय कर लेने चाहिएं।

→ परन्तु जिनका पूर्व अनुमान नहीं लगाया जा सकता, उनके घटित होने पर ही बचाव के उचित पग उठा कर हानि को कम किया जा सकता है।

→ भारत में आपदा प्रबन्धन अथॉरिटीज़ और संस्थाएं – भारत में बहुत-सी संस्थाएं आपदा प्रबन्धन के छोटे से लेकर इंजीनियरिंग तक के कोर्स करवाती है और आपदा प्रबन्धन के बारे में जानकारी भी उपलब्ध करवाती हैं।

→ इनमें से कुछ ये हैं-

  • सैंटरल आपदा प्रबन्धन अथॉरिटी, नई दिल्ली
  • आपदा प्रबन्धन नेशनल केन्द्र, नई दिल्ली
  • भूचाल इंजीनियरिंग सूचना केन्द्र आई० आई० टी० कानपुर, उत्तर प्रदेश
  • आपदा प्रबन्धन संस्था, भोपाल, मध्य प्रदेश
  • इन्दिरा गान्धी. ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
  • सैंटरल बोर्ड ऑफ सैकेण्डरी एजूकेशन, नई दिल्ली।

ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ PSEB 8th Class SST Notes

→ ਆਫ਼ਤ-ਖ਼ਤਰੇ ਜਦੋਂ ਭਿਅੰਕਰ ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰਨ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਫ਼ਤ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਇਹ ਦੋ ਕਿਸਮਾਂ ਦੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ-ਕੁਦਰਤੀ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖੀ ।

→ ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ-ਇਹ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਵਿਸ਼ਾ ਹੈ, ਜੋ ਕੁਦਰਤੀ ਜਾਂ ਮਨੁੱਖੀ ਆਫ਼ਤਾਂ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਵਿਨਾਸ਼ ਨੂੰ ਘੱਟ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕੁਦਰਤੀ ਆਫ਼ਤਾਂ-ਸੁਨਾਮੀ, ਭੁਚਾਲ, ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ ਵਿਸਫੋਟ, ਚੱਕਰਵਾਤ, ਹੜ੍ਹ, ਸੋਕਾ ਆਦਿ ।

→ ਮਨੁੱਖੀ ਆਫ਼ਤਾਂ-ਬੰਬ ਧਮਾਕੇ, ਅੱਤਵਾਦ, ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ, ਬੰਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਟੁੱਟਣਾ, ਉਦਯੋਗਿਕ ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ, ਮਹਾਂਮਾਰੀ ਆਦਿ ।

→ ਬਚਾਓ ਦੇ ਉਪਾਅ-ਕੁੱਝ ਕੁਦਰਤੀ ਆਫ਼ਤਾਂ ਦਾ ਪੂਰਵ ਅਨੁਮਾਨ ਲਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਾਪਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਬਚਾਓ ਦੇ ਉੱਚਿਤ ਉਪਾਅ ਕਰ ਲੈਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੂਰਵ ਅਨੁਮਾਨ ਨਹੀਂ ਲਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਾਪਰਨ ‘ਤੇ ਹੀ ਬਚਾਓ ਦੇ ਉੱਚਿਤ ਕਦਮ ਚੁੱਕ ਕੇ ਨੁਕਸਾਨ ਨੂੰ ਘੱਟ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਅਥਾਰਟੀਜ਼ ਅਤੇ ਸੰਸਥਾਵਾਂ-ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਦੇ ਛੋਟੇ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਤਕ ਦੇ ਕੋਰਸ ਕਰਵਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਵੀ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਵਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ।

→ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੁੱਝ ਇਹ ਹਨ-

  • ਸੈਂਟਰਲ ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਅਥਾਰਟੀ, ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ।
  • ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕੇਂਦਰ, ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ।
  • ਭੂਚਾਲ ਇੰਜੀਨੀਅਰਿੰਗ ਸੂਚਨਾ ਕੇਂਦਰ ਆਈ. ਆਈ. ਟੀ. ਕਾਨ੍ਹਪੁਰ, ਉੱਤਰ ਦੇਸ਼।
  • ਆਫ਼ਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਸੰਸਥਾ, ਭੋਪਾਲ, ਮੱਧ ਪ੍ਰਦੇਸ਼।
  • ਇੰਦਰਾ ਗਾਂਧੀ ਓਪਨ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ, ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ।
  • ਸੈਂਟਰਲ ਬੋਰਡ ਆਫ਼ ਸੈਕੰਡਰੀ ਐਜੂਕੇਸ਼ਨ, ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ।