PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी

PSEB 9th Class Home Science Guide कढ़ाई के टांके प्रयोगी Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
कढ़ाई के दो टांकों के नाम लिखो।
उत्तर-
डण्डी टांका, जंजीरी टांका, लेज़ी डेज़ी टांका, साटन टांका, कम्बल टांका।

प्रश्न 2.
दसूती टांके के लिए किस प्रकार का कपड़ा सही रहता है?
उत्तर-
इस टांके का प्रयोग दसूती वस्त्र पर होता है । जाली वाले वस्त्रों पर इस टांके से कढ़ाई की जाती है।

प्रश्न 3.
नमूने का हाशिया आमतौर पर किस टांके के द्वारा बनाया जाता है और नमूने को किस टांके के द्वारा भरा जाता है?
उत्तर-
नमूने का हाशिया साधारणतः डंडी टांके से बनाया जाता है। कई बार नमूने में भरने का कार्य भी इसी टांके से किया जाता है। नमूनों को साटन स्टिच से भी भरा जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी

प्रश्न 4.
कढ़ाई के लिए कौन-कौन सी किस्म के धागे प्रयोग किये जाते हैं?
उत्तर-
कढ़ाई के लिए निम्नलिखित धागे प्रयोग किये जाते हैं
सूती धागे, रेशमी, ऊनी, ज़री के धागे।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
स्टिच के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न।

प्रश्न 6.
कम्बल टांके के बारे में नोट लिखें।
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 7.
कढ़ाई के लिए प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के धागों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में।

प्रश्न 8.
कढ़ाई के नमूने को कपड़ों पर कैसे ट्रेस किया जा सकता है?
उत्तर-
देखें अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में।

Home Science Guide for Class 9 PSEB कढ़ाई के टांके प्रयोगी Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/ग़लत बताएं

  1. लेज़ी डेज़ी टांका, जंजीरी टांके की किस्म है।
  2. साटन स्टिच एक भरवां टांका है।
  3. जालीदार कपड़े पर दसूती टांका प्रयोग किया जाता है।
  4. दसूती टांके में छोटे-छोटे फंदे बनते हैं।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. गलत।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी

रिक्त स्थान भरो

  1. डंडी टांके का प्रयोग ……………. बनाने के लिए किया जाता है।
  2. नमूने को ……………. स्टिच से भी भरा जाता है।
  3. ज़री के धागे को …………… भी कहा जाता है।
  4. कंबल टांके को ………….. स्टिच भी कहा जाता है।

उत्तर-

  1. हाशिया,
  2. साटन,
  3. सलमा,
  4. लूप।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊनी धागे का प्रयोग …….. टांकों के लिए होता है।
(A) दसूती
(B) डंडी
(C) चेन
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक

प्रश्न 2.
नमूने का हाशिया प्रायः ………. टांके से बनाया जाता है।
(A) दसूती
(B) डंडी
(C) कंबल
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(B) डंडी

प्रश्न 3.
……… टांके में छोटे-छोटे फंदे बनते हैं।
(A) जंजीरी
(B) कंबल
(C) डंडी
(D) कोई नहीं।
उत्तर-
(A) जंजीरी

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कढ़ाई के विभिन्न टांकों के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
डंडी टांका (Stem Stich) कढ़ाई के नमूने में फूल पत्तियों की डंडियां बनाने के । लिए इस टांके का प्रयोग किया जाता है। यह टांके बाएं से दाएं तिरछे होते हैं तथा एक-दूसरे से मिले हुए लगते हैं। जहां एक टांका समाप्त होता है वहीं से दूसरा शुरू होता है।
PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी (1)
भराई का टांका अथवा साटन स्टिच-इस टांके को गोल कढ़ाई भी कहा जाता है। इस द्वारा छोटे-छोटे गोल फूल तथा पत्तियां बनती हैं। आजकल एप्लीक कार्य भी इसी टांके से तैयार किया जाता है। कट वर्क, नैट वर्क भी इसी टांके द्वारा बनाये जाते हैं। छोटेछोटे पंछी आदि भी इसी टांके से बहुत सुन्दर लगते हैं । इसको फैंसी टांका भी कहा जाता है। इसमें अधिक छोटी फुल पत्तियों (जो गोल होती हैं) का प्रयोग होता है। यह टांका भी दाईं तरफ से बाईं ओर लगाया जाता है। रेखा से ऊपर जहां से नमूना शुरू करना है, सूई वहीं लगनी चाहिए। यह टांका देखने में दोनों तरफ एक सा लगता है।
PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी (2)
जंजीरी टांका-इस टांके को प्रत्येक जगह प्रयोग कर लिया जाता है। इसको डंडियां, पत्तियां, फूलों तथा पक्षियों आदि सभी में प्रयोग किया जाता है। ऐसे टांके दाईं तरफ से बाईं ओर तथा दाईं तरफ से बाईं ओर लगाये जाते हैं । वस्त्र पर सूई एक बिन्दु से निकालकर सूई पर यह धागा लपेटते हुए दोबारा उसी जगह पर सूई लगाकर आगे की ओर लपेटते हुए यह टांका लगाया जाता है। इस प्रकार क्रम से एक गोलाई में दूसरी गोलाई बनाते हुए आगे की ओर टांका लगाते जाना चाहिए।
PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी (3)
लेज़ी डेज़ी टांका-इस टांके का प्रयोग छोटे-छोटे फूल तथा बारीक पत्ती की हल्की कढ़ाई के लिए किया जाता है। ये टांके एक-दूसरे के साथ लगातार गुंथे नहीं रहते बल्कि अलग-अलग रहते हैं। फूल के बीच से धागा निकालकर सूई उसी जगह पहुंचाते हैं। इस प्रकार पत्ती सी बन जाती है। पत्ती को अपनी जगह पर स्थिर करने के लिए दूसरी तरफ गांठ लगा देते हैं।
PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी (4)
दसती टांका-यहा टांका उसी वस्त्र पर ही बन सकता है जिसकी बुनाई खुली हो ताकि कढ़ाई करते समय धागे आसानी से गिने जा सकें। यदि तंग बुनाई वाले वस्त्र पर यह कढ़ाई करनी हो तो वस्त्र पर पहले नमूना छाप लो तथा फिर नमूने के ऊपर ही बिना वस्त्र के धागे गिने कढ़ाई करनी चाहिए। यह टांका दो बार बनाया जाता हैं। पहली बार एक एकहरा टांका बनाया जाता है, ताकि टेढ़े (/) टांकों की एक लाइन बन जाये तथा दूसरी बार में इस लाइन के टांकों पर दूसरी लाइन बनाई जाती है। इस तरह दसूती टांका (✕) बन जाता है। सूई को दाएं हाथ के कोने से टांके के निचले सिरे पर निकालते हैं। उसी टांके के ऊपरी बाएं कोने में डालते हैं तथा दूसरे टांके के निचले दाएं कोने से निकालते हैं। इस तरह करते जाओ ताकि पूरी लाइन टेढ़े टांकों की बन जाये। अब सूई आखिरी टांके के बाईं ओर निचले कोने से निकली हुई होनी चाहिए। अब सूई को उसी टांके के दाएं ऊपरी कोने से डालें तथा अगले टांके से निचले बाएं कोने से निकालो ताकि (✕) पूरा बन जाए।
PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी (5)
कंबल टांका-इस टांके का प्रयोग कंबलों के सिरों पर किया जाता है। रूमालों, मेज़ पोश, तुरपाई, कवर, आदि के किनारों पर भी इसको सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। इस टांके को लूप-स्टिच भी कहा जाता है। इसको बनाने के लिए सूई को वस्त्र से निकालकर सूई वाले धागे से दाईं ओर सूई से नीचे करो तथा सूई को खींचकर वस्त्र से बाहर निकालो। फिर 1/8″-1/9″ स्थान छोड़कर टांका लगाओ तथा इस तरह आखिर तक करते जाओ।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी

प्रश्न 2.
कढ़ाई के लिए धागों की किस्मों के बारे में तुम क्या जानते हो ?
उत्तर-
कढ़ाई के लिए सूती, रेशमी, ऊनी तथा जरी के धागे प्रयोग किये जाते हैं।

  1. सूती धागे-इन धागों का प्रयोग हर किस्म की कढ़ाई के लिए होता है तथा यह हर जगह से मिल भी जाते हैं। यह तारकशी छ: तारों वाले हो सकते हैं तथा कटे हुए अथवा गुच्छों में मिलते हैं।
  2. रेशमी धागे-यह सूती धागों से कम मज़बूत होते हैं। परन्तु यह भी हर तरह की कढ़ाई के लिए प्रयोग किये जाते हैं। यह सिलवटों वाले बड़े धागे गुच्छों तथा रीलों में मिलते हैं। बिना सिलवटें पड़े धागे भी मिलते हैं। इन्हें पट का धागा भी कहा जाता है। पुरानी फुल्कारियों में असली रेशमी पट का ही प्रयोग होता था। अब आर्ट सिल्क (रेयॉन) की रीलें भी मिलती हैं। इस धागे का प्रयोग फुल्कारी तथा सिन्धी कढ़ाई के लिए किया जाता है।
  3. ऊनी धागे-इसका प्रयोग दसूती, डंडी टांके, चेन स्टिच, भरवी चोप आदि टांकों के लिए होता है। इन्हें मोटे वस्त्र जैसे केसमैंट, ऊनी मैटी आदि पर प्रयोग किया जाता है। यह धागे ऊन वाली दुकानों से गोलियों अथवा लच्छों में मिल सकते हैं।
  4. जरी के धागे-यह तिल्ले के धागे सीधे अथवा सिलवटों वाले होते हैं। इनको सलमा भी कहा जाता है। पहले इन धागों पर असली सोने तथा चांदी की झाल फिरी होती थी, परन्तु आजकल एल्यूमीनियम तथा नायलॉन के पॉलिश किये धागे मिलते हैं। कुछ समय पश्चात् यह पॉलिश उतर जाती है। इस धागे का प्रयोग साटन, शनील, सिल्क बनावटी रेशों से बने कपड़ों पर किया जाता है। इनको मुनियारी की दुकान से खरीदा जा सकता है।

प्रश्न 3.
कढ़ाई के नमूने को वस्त्र पर कैसे छापा जा सकता है?
उत्तर-

  1. कार्बन पेपर से छपाई-कार्बन पेपर को कढ़ाई वाले वस्त्र पर रखा जाता है। कार्बन पेपर ऊपर नमूना रख कर नमूने पर पैंसिल फेरी जाती है। इस तरह नमूना वस्त्र पर छप जाती है।
  2. मशीन से छपाई-मशीन को तेल देकर वस्त्र पर नमूने वाला कागज़ रख कर, नमूने पर खाली (बिना धागे) मशीन चलाएं। इस तरह वस्त्र पर नमूने के निशान आ जाएंगे।
  3. ट्रेसिंग पेपर में छेद करके छपाई-ट्रेसिंग पेपर पर नमूना उतार लिया जाता है और छपाई वाले स्थान पर बिना धागे के मशीन चलाई जाती है। जिससे पेपर में छेद हो जाते हैं। अब इस पेपर को वस्त्र पर रखकर छेद वाले स्थान पर तेल या नील के घोल से भीगा हुआ छोटा-सा कपड़ा फेरा जाता है। इससे नमूना वस्त्र पर छप जाता है। इस ढंग का प्रयोग तब किया जाता है जब एक ही नमूने को बार-बार छापना हो।

प्रश्न 4.
नमूने को कपड़े पर कैसे देस किया जाता है?
उत्तर-
कढ़ाई करने के लिए निम्नलिखित तरीकों से छापा जाता हैकार्बन पेपर से छपाई, मशीन से, ट्रेसिंग पेपर में छिद्र करके छपाई।

प्रश्न 5.
कढ़ाई के लिए धागों की दो किस्मों के बारे में लिखें।
उत्तर-

  1. सूती धागे-इन धागों का प्रयोग हर किस्म की कढ़ाई के लिए होता है तथा यह हर जगह से मिल भी जाते हैं। यह तारकशी छः तारों वाले हो सकते हैं तथा कटे हुए अथवा गुच्छों में मिलते हैं।
  2. रेशमी धागे-यह सूती धागों से कम मज़बूत होते हैं। परन्तु यह भी हर तरह की कढ़ाई के लिए प्रयोग किये जाते हैं। यह सिलवटों वाले बड़े धागे गुच्छों तथा रीलों में मिलते हैं। बिना सिलवटें पड़े धागे भी मिलते हैं। इन्हें पट का धागा भी कहा जाता है। पुरानी फुल्कारियों में असली रेशमी पट का ही प्रयोग होता था। अब आर्ट सिल्क (रेयॉन) की रीलें भी मिलती हैं। इस धागे का प्रयोग फुल्कारी तथा सिन्धी कढ़ाई के लिए किया जाता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 14 कढ़ाई के टांके प्रयोगी

कढ़ाई के टांके प्रयोगी PSEB 9th Class Home Science Notes

  • कढ़ाई से पोशाकों अथवा घर में प्रयोग होने वाले अन्य वस्त्रों की सुन्दरता बढ़ाई जा सकती है।
  • कढ़ाई के विभिन्न टांके हैं डंडी टांका, जंजीरी टांका, लेज़ी डेज़ी टांका, साटन स्टिच, कंबल टांका, दसूती टांका।
  • डंडी टांका बखीए के उलटी तरफ जैसा होता है तथा बखीए के विपरीत इसकी कढ़ाई बाईं तरफ से दाईं तरफ की जाती है।
  • डण्डी टांके का प्रयोग हाशिया बनाने के लिए किया जाता है।
  • जंजीरी टांके में छोटे-छोटे फंदे होते हैं जो आपस में जुड़-जुड़ कर जंजीर बनाते
  • लेज़ी डेज़ी टांका, जंजीरी टांके की ही एक किस्म है।
  • साटन स्टिच भरवां टांका है, इससे कढ़ाई के नमूनों में फूल, पत्ती अथवा दूसरे नमूने भरे जाते हैं।
  • दसूती टांके का प्रयोग जाली वाले वस्त्रों पर किया जाता है।
  • कढ़ाई के लिए सूती, रेशमी, ऊनी, ज़री के धागों का प्रयोग किया जाता है।
  • कढ़ाई के नमूने की वस्त्र पर कार्बन पेपर से, मशीन से तथा ट्रेसिंग पेपर में छिद्र करके छपाई की जाती है।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 4 किला रायपुर की खेलें

Punjab State Board PSEB 8th Class Physical Education Book Solutions Chapter 4 किला रायपुर की खेलें Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Physical Education Chapter 4 किला रायपुर की खेलें

PSEB 8th Class Physical Education Guide किला रायपुर की खेलें Textbook Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
किला रायपुर की खेलों का जन्म कब हुआ ?
उत्तर-
किला रायपुर की खेलों का जन्म 1933 ई० में जालन्धर में हुए हॉकी टूर्नामेंट के बाद हुआ। इस टूर्नामेंट में गाँव किला रायपुर की हॉकी टीम ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। यद्यपि इस टूर्नामेंट का कोई महत्त्व नहीं था तथापि इस जीत ने किला रायपुर की खेलों को प्रारम्भ करने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय इन खेलों का उद्देश्य कप जीतकर लाए खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने तथा अन्य बच्चों का खेलों के प्रति उत्साह बढाना था। जब ये खेलें आरम्भ हुईं तो उस समय किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि किला रायपुर का खेल मेला ग्रामीण ओलम्पिक के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध होगा।

प्रश्न 2.
किला रायपुर के खेल मेले में कौन-कौन सी प्राचीन खेलें खेली जाती हैं ?
उत्तर-
1934 ई० में बैलगाड़ियों की दौड़ें करवायी गईं। इस खेल मेले में प्राचीन खेलें; जैसे-ऊँटों की दौड़ें, सुहागा दौड़, मूंगलियाँ फेरना, मिट्टी की बोरियां उठाना, बछड़ा उठाना, गधा उठाना, लेटकर शरीर पर ट्रैक्टर चढ़ाना, दाँतों से ट्रैक्टर खींचना, कानों से ट्रैक्टर खींचना, दाँतों से एक मन वज़न उठाना, बुजुर्गों की दौड़, कुत्तों की दौड़, घोड़ियों का नृत्य, घोड़ों की दौड़, बैलों का मंजियाँ फांदना, निहंग सिंहों के जौहर, ट्राई-साइकिल दौड़ (दिव्यांगों के लिए), पत्थर उठाना, दाँतों से हल उठाना, कबूतरों की उड़ानें, खच्चर दौड़ तथा हाथियों की दौड़ों का आयोजन होता है।

प्रश्न 3.
किला रायपुर के खेल मेले में कौन-कौन सी नवीन खेलें खेली जाती हैं ?
उत्तर-
ऐथलैटिक्स हॉकी, कबड्डी, वॉलीबाल, निशानेबाजी, गतका, जिमनास्टिक तथा पैरा ग्लाइडिंग शो के मुकाबले इस खेल मेले में करवाए जाते हैं। इस खेल मेले में हॉकी की विजेता टीम को ‘भगवंत सिंह मैमोरियल ट्रॉफी’ दी जाती है। 1964 में सरदार प्रहलाद सिंह ग्रेवाल ने अपने सुपुत्र सरदार भगवंत सिंह की याद में समर्पित 100 तोले शुद्ध सोने का कप हॉकी टूर्नामैंट के लिए दान दिया था।

प्रश्न 4.
किला रायपुर की खेलों में अब तक कौन-कौन से देशों ने भाग लिया ?
उत्तर-
किला रायपुर के खेल मेले की धूम पंजाब और भारत की सीमाओं से बाहर विदेशों में पड़ने लगी, जिस के फलस्वरूप 1954 ई० में पाकिस्तान की कबड्डी की टीम ने विदेशी टीम की तरफ से इस टूर्नामेंट में भाग लिया। इस के बाद केनेडा, अमेरिका, मलेशिया, सिंगापुर और इंग्लैण्ड जैसे विकसित देशों की टीमों ने अलग-अलग समय में इस खेल मेले में भाग लिया। इस खेल में खिलाड़ियों के साथ-साथ विदेशी जानवर भी टूर्नामैंट में आकर्षण का केन्द्र बनते हैं। कुत्तों की दौड़ में भाग लेने के लिए श्री भोला सिंह रोली और श्री चरणजीत सिंह सिद्ध अपने ग्रेहांउड नस्ल के पावर जैट कुत्तों को वैन्कूवर (कैनेडा) से विशेष तौर पर जहाँ लेकर आए। इन विदेशी कुत्तों ने इस खेल मेले में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 4 किला रायपुर की खेलें

प्रश्न 5.
किला रायपुर के खेल मेले में लड़कियों के मुकाबले प्रथम बार कब आयोजित किये गए ?
उत्तर-
लड़कियों की खेलों में भाग न लेने की कमी को महसूस करते हुए ग्रेवाल स्पोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा पहली बार 1950 ई० में लुधियाना बनाम सिधवां के बीच लड़कियों का हॉकी मैच करवाया गया। इस खेल मेले में लड़कियों के भाग लेने के लिए लड़कियों की खेलें शुरू की गईं। आजकल इस खेल मेले में लड़कियों के ऐथलैटिक्स मुकाबलों के साथ-साथ कई खेलों का आयोजन किया जाता है।।

प्रश्न 6.
किला रायपुर के खेल मेले की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-
किला रायपुर के खेल मेले की विशेषता यह है कि इस खेल मेले ने अनेक ही ओलम्पियन, अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा किए हैं; जैसे कि सुखबीर सिंह ग्रेवाल (हॉकी), जगविन्द्र सिंह (हॉकी), बालकृष्ण ग्रेवाल (हॉकी), सुरजीत सिंह ग्रेवाल (हॉकी), हरभजन सिंह ग्रेवाल (ऐथलैटिक्स) आदि। यह खेल मेला अनेक ही खिलाड़ियों का मार्गदर्शन कर रहा है ।

Physical Education Guide for Class 8 PSEB किला रायपुर की खेलें Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किला रायपुर की खेलों का जन्म हुआ –
(क) 1933
(ख) 1934
(ग) 1935
(घ) 1936.
उत्तर-
(क) 1933

प्रश्न 2.
बैलगाड़ियों की दौड़ किसने आरम्भ करवाई ?
(क) बाबा बखशीश सिंह जी ने
(ख) मि० हरिपाल ने
(ग) पन्नू साहिब ने
(घ) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बाबा बखशीश सिंह जी ने

प्रश्न 3.
बैलगाड़ियों की दौड़ आरम्भ हुई –
(क) 1934
(ख) 1930
(ग) 1970
(घ) 1936.
उत्तर-
(क) 1934

प्रश्न 4.
किला रायपुर में कौन-सी नवीन खेलें होती हैं
(क) एथलैटिक, हॉकी, कबड्डी
(ख) निशानेबाजी, जूडो
(ग) गतका, जिमनास्टिक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

PSEB 8th Class Physical Education Solutions Chapter 4 किला रायपुर की खेलें

प्रश्न 5.
किला रायपुर की खेलों में कौन-से बाहर के देशों ने भाग लिया ?
(क) अमेरिका
(ख) पाकिस्तान
(ग) कैनेडा
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

बहत छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किला रायपुर की खेलें कौन से सन् में शुरू हुईं ?
उत्तर-
1933 ई०।

प्रश्न 2.
पहली किला रायपुर की खेलें किसने करवाईं ?
उत्तर-
यह खेलें ग्रेवाल स्पोर्ट्स एसोसिएशन के द्वारा करवायी गईं, जिनके प्रधान सरदार इन्द्र सिंह ग्रेवाल और सरदार हरचंद सिंह थे।

प्रश्न 3.
किला रायपुर के खेल मेले में पुरानी खेलों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. बैलगाड़ियों की दौड़ें
  2. सुहागा दौड़।

प्रश्न 4.
कोई दो नई खेलों के नाम लिखो जो किला रायपुर में करवाई जाती हैं ?
उत्तर-

  1. ऐथलैटिक्स
  2. हॉकी
  3. कबड्डी।

प्रश्न 5.
किला रायपुर की खेलों में भाग लेने वाले कोई दो विदेशी देशों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. पाकिस्तान
  2. अमेरिका
  3. कैनेडा।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किला रायपुर का इतिहास लिखें।
उत्तर-
किला रायपुर का इतिहास-राय लाला नाम के एक व्यक्ति ने 1560 ई० में गाँव रायपुर पर कब्जा कर लिया था। उसने दुश्मनों से बचने के लिए अपने पुत्र के लिए पाँच किलों का निर्माण करवाया। अतः गांव रायपुर का नाम किला रायपुर के नाम से पसिद्ध हो गया। गाँव रायपुर ज़िला लुधियाना के दक्षिण की तरफ 11 मील की दूरी पर डेहलों (कस्बे का नाम) के नज़दीक स्थित है । गाँव किला रायपुर रेलवे लाइन और सड़कों के साथ जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 2.
किला रायपुर में पुरानी खेलों के नाम लिखो। .
उत्तर-

  1. बैलगाड़ियों की दौड़
  2. ऊंटों की दौड़
  3. मुंगलियां फेरना
  4. सुहागा दौड़
  5. मिट्टी की बोरियां उठाना
  6. बछड़ा उठाना
  7. गधा उठाना
  8. लेट कर शरीर के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ाना
  9. दाँतों से ट्रैक्टर खींचना
  10. कानों से ट्रैक्टर खींचना
  11. दाँतों से एक मन वज़न उठाना
  12. बुजुर्गों की दौड़
  13. कुत्तों की दौड़
  14. घोड़ियों का नाच
  15. घोड़ों की दौड़
  16. बैलों का मंजियां फांदना
  17. निहंग सिंहों के जौहर
  18. ट्राई-साइकिल दौड़ (दिव्यांगों के लिए)
  19. पत्थर उठाना
  20. दाँतों से हल उठाना
  21. कबूतरों की उड़ान
  22. खच्चर दौड़
  23. हाथियों की दौड़ें आदि खेलें खेली जाती हैं।

प्रश्न 3.
किला रायपुर खेल मेले में मनोरंजन क्रियाएं कौन-सी होती हैं ?
उत्तर-
इस खेल मेले में खेलों के साथ-साथ कुछ और सांस्कृतिक क्रियाएं भी करवाई जाती हैं, जिसमें पंजाब के लोक-नृत्य गिद्दा, भंगड़ा, हरियाणवी नृत्य, राजस्थानी नृत्य, मलवई गिद्दा आदि आकर्षण के केन्द्र होते हैं। पंजाब के मशहूर लोक-गायक लोक-गीत गा कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करते हैं।

प्रश्न 4.
किला रायपुर के खेल मेले की खेलें विदेशों में कैसे लोकप्रिय होती हैं ?
उत्तर-
भारत की सीमा से बाहर विदेशों में भी किला रायपुर के खेलों की धूम पड़ने लग गई, जिसके कारण 1954 ई० में पाकिस्तान की कबड्डी की टीम ने इस टूर्नामैंट में भाग लिया। इस के बाद कैनेडा, अमेरिका, मलेशिया, सिंगापुर और इंग्लैण्ड जैसे विकसित देशों की टीमों ने अलग-अलग समय पर इस खेल मेले में भाग लिया। इस खेल मेले में खिलाड़ियों के साथ-साथ विदेशी जानवर भी आकर्षण का केन्द्र बनते हैं। कुत्तों की दौड़ों में भाग लेने के लिए श्री भोला सिंह रोली और श्री चरणजीत सिंह सिद्धू अपने ग्रेहाउंड नस्ल के पावरजैट कुत्तों को वैन्कुवर (कैनेडा) से विशेष तौर पर लेकर आए। इन विदेशी कुत्तों ने इस खेल मेले में पहला स्थान प्राप्त किया।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 4 जलवायु

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 4 जलवायु Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 4 जलवायु

SST Guide for Class 9 PSEB जलवायु Textbook Questions and Answers

(क) नक्शा कार्य (Map Work):

प्रश्न 1.
भारत के रेखाचित्र में दिखायें :
(i) ग्रीष्म ऋतु की मानसून पवनों की दिशा
(ii) शीत ऋतु की मानसून पवनों की दिशा
(iii) 200 सै०मी० या इससे अधिक वर्षा वाले दो क्षेत्र
(iv) 100 सै०मी० से 200 सै०मी० वर्षा वाले दो क्षेत्र
(v) 50 सै०मी० से 100 सै०मी० वर्षा वाले दो क्षेत्र।
उत्तर-
विद्यार्थी इस प्रश्न को MBD Map Master की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
कक्षा क्रिया (Class Activity) :
(i) मार्च माह के समाचार पत्रों में से जानकारी लीजिए कि पंजाब के किन क्षेत्रों में साधारण से अधिक वर्षा हुई। अध्यापक की मदद से ज़मीनदोज़ जल पर वर्षा के प्रभाव पर चर्चा कक्षा में कीजिए।
(ii) समाचार पत्रों के आधार पर अगस्त माह में सूर्योदय व अस्त का समय नोट करें तथा फिर ‘सूर्य की स्थिति और पृथ्वी’ विषय पर अध्यापक से चर्चा करें।
उत्तर-
इस प्रश्न को विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

(ख) निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द से एक वाक्य में दें:

प्रश्न 1.
शीत ऋतु में तमिलनाडु के तट पर वर्षा का क्या कारण है :
(i) दक्षिण-पश्चिम मानसून
(ii) उत्तर-पूर्वीय मानसून
(iii) स्थानीय कारण
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ii) उत्तर-पूर्वीय मानसून।

प्रश्न 2.
भारत में अधिकतम वर्षा वाला शहर इनमें से कौन-सा है:
(i) मुम्बई
(ii) धर्मशाला
(iii) मासिनराम
(iv) कोलकाता।
उत्तर-
(iii) मासिनराम।

प्रश्न 3.
पंजाब में शीत ऋतु की वर्षा का क्या कारण है ?
(i) व्यापारिक पवनें
(ii) पश्चिमी चक्रवात
(iii) ध्रुवीय पवनें
(iv) पर्वतों की दिशा।
उत्तर-
(ii) पश्चिमी चक्रवात।

प्रश्न 4.
सूनामी कौन सी भाषा का शब्द है ?
(i) फ्रांसीसी
(ii) जापानी
(iii) पंजाबी
(iv) अंग्रेजी।
उत्तर-
(ii) जापानी।

प्रश्न 5.
नक्शे पर समान वर्षा, क्षेत्र को जोड़ने वाली रेखाओं को क्या कहते हैं ?
(i) आइसोथर्म
(ii) आईसोहाईट
(iii) आईसोबार
(iv) कोई नहीं।
उत्तर-
(ii) आईसोहाईट।

प्रश्न 6.
लू क्या होती है ?
उत्तर-
गर्म ऋतु में कम दबाव का क्षेत्र उत्पन्न होने के कारण चलने वाली धूल भरी हवाओं को लू कहा जाता है।

प्रश्न 7.
जलवायु विज्ञान को अंग्रेजी में क्या कहते हैं ?
उत्तर-
Climatology.

प्रश्न 8.
मानसून का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द मौसम (Mausam) से हुई है, जिसका अर्थ है मौसम में परिवर्तन आना तथा स्थानीय हवा के तत्त्वों अर्थात् तापमान, नमी, दबाव तथा दिशा में परिवर्तन आना।

प्रश्न 9.
तापमान व वायुदबाव का संबंध कैसा होता है ?
उत्तर-
इनमें काफी गहरा संबंध है। तापमान के बढ़ने से वायुदबाव कम है तथा तापमान के कम होने से ही अधिक दबाव का क्षेत्र बन जाता है।

प्रश्न 10.
भारत में सबसे अधिक और सबसे कम वर्षा वाले स्थानों के नाम लिखें।
उत्तर-
अधिक वर्षा वाले क्षेत्र-मासिनराम, चिरापुंजी।।
कम वर्षा वाले क्षेत्र-पश्चिमी राजस्थान, गुजरात का कच्छक्षेत्र, जम्मू-कश्मीर का लद्दाख क्षेत्र।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के सक्षेप उत्तर लिखें:

प्रश्न 1.
जलवायु तथा मौसम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  1. जलवायु-किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में कम-से-कम 30 वर्षों के लिए मौसम की औसत का जो परिणाम निकाला जाता है, उसे जलवायु कहते हैं। इसका अर्थ है कि जलवायु लंबे समय के लिए किसी भी क्षेत्र के तापमान वर्षा, वायु दबाव, हवाओं इत्यादि की औसत होती है।
    मौसम-किसी निश्चित स्थान पर किसी विशेष दिन में वातावरण के तत्त्वों जैसे कि तापमान, दबाव तथा हवा, वर्षा इत्यादि को इकट्ठा मिलाकर मौसम की स्थिति में बदला जाता है। मौसम एक दैनिक चक्र है तथा यह प्रत्येक दिन तथा प्रत्येक घण्टे में भी बदल सकता है।

प्रश्न 2.
कैरियोलिस शक्ति या फैरल का नियम क्या है ?
उत्तर-
पृथ्वी सूर्य के इर्द-गिर्द एक समान गति से घूमती है। पृथ्वी की दैनिक गति के कारण उत्तरार्द्ध गोले के बीच हवाओं तथा अन्य स्वतन्त्र हवाएं अपने Right तरफ तथा दक्षिणी अर्द्ध गोले में अपनी Left तरफ मुड़ जाते हैं। इस शक्ति को ही कैरियोलिस शक्ति अथवा फैरल का नियम कहते हैं।

प्रश्न 3.
भारतीय वर्षा अनियमित तथा अनिश्चित है, कैसे।
उत्तर-
मानसून की अनियमितता तथा अनिश्चितता से अभिप्राय यह है कि भारत में न तो मानसूनी वर्षा की मात्रा निश्चित है और न ही इसके आगमन का समय। उदाहरण के लिए

  1. यहां बिना वर्षा वाले तथा वर्षा वाले दिनों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है।
  2. किसी वर्ष भारी वर्षा होती है तो कभी हल्की। परिणामस्वरूप कभी बाढ़ आती है तो किसी वर्ष सूखा पड़ जाता है।
  3. नसून का आगमन और वापसी भी अनियमित तथा अनिश्चित है।
  4. इस प्रकार कुछ क्षेत्र भारी वर्षा प्राप्त करते हैं, तो कुछ क्षेत्र बिल्कुल शुष्क रह जाते हैं।

प्रश्न 4.
वायु वेग मापक तथा वायु वेग सूचक में अंतर बतायें।
उत्तर-

  1. वायु वेग मापक-वायु वेग मापक को Anemometer कहा जाता है जिसे हवा की गति मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें चार सीखों के साथ खाली कौलियां लगी होती हैं। चारों सीखें एक स्टैंड पर एक-दूसरे के साथ जोड़ी जाती हैं तथा यह सीखें पृथ्वी में समांतर होती हैं। जब हवा चलती है तो खाली कौलियां घूमने लग जाती हैं। इनके घूमने से स्टैंड पर लगी सुई भी घूमती है तथा हवा की गति उस पर लगे हुए आंकड़े से पता चल जाती है।
  2. वायु वेग सूचक-वायु वेग सूचक को Wind Wane कहते हैं तथा इसे हवा की दिशा पता करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस यन्त्र पर मुर्गे की शक्ल अथवा तीर का निशान बना होता है। यह मुर्गा या तीर एक सीधी लंबी धुरी पर घूमता है। इस मुर्गे के नीचे चार दिशाओं के नाम नीचे लगी सीखों के द्वारा दर्शाए जाते हैं। जब हवा चलती है तो मुर्गे अथवा तीर का निशान घूम कर उस तरफ हो जाता है जिस तरफ हवा आती है। इस प्रकार सीख पर लगे निशान से हवा की दिशा का पता चल जाता है।

प्रश्न 5.
भारत में शीत ऋतु की वर्षा पर संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
सर्दियों में देश में दो स्थानों पर वर्षा होती है। देश के उत्तर-पश्चिमी भागों के पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, जम्मू कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में औसतन 20 से 50.सैंटीमीटर तक चक्रवाती वर्षा होती है। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा कुमाऊँ के पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फ पड़ती है। दूसरी तरफ तमिलनाडु तथा केरल के तटीय क्षेत्रों पर उत्तर-पूर्वी मानसून हवाओं के कारण दिसंबर में वर्षा होती है।

प्रश्न 6.
पर्वतीय वर्षा केवल पर्वतों पर होती है, स्पष्ट करें।
उत्तर-
जब मानसून के बादल समुद्र से धरातल की तरफ आते हैं तो समुद्र के ऊपर से आने के कारण उनमें काफी नमी हो जाती है। कई बार इनके रास्ते में पर्वत रुकावट बन जाते हैं तथा यह बादल ऊपर उठ जाते हैं। ऊपर जाकर यह ठण्डे हो जाते हैं तथा इनमें संघनन शुरू हो जाता है। इस कारण वहाँ पर वर्षा शुरू हो जाती है। क्योंकि इस प्रकार की वर्षा का कारण पर्वत होते हैं इसलिए यह केवल पर्वतीय क्षेत्रों में होती है।

प्रश्न 7.
निम्न पर नोट लिखें :
1. जेट स्ट्रीम
2. समताप रेखाएं
3. सूखी व गीली गोली थर्मामीटर।
उत्तर-

  1. जेट स्ट्रीम-धरातल से तीन किलोमीटर की ऊँचाई पर बहने वाली हवाओं अथवा संचार चक्र को जैट स्ट्रीम कहते हैं। जेट स्ट्रीम का जलवायु पर काफी प्रभाव पड़ता है। सर्दियों में पश्चिमी चक्रवात भारत में जेट स्ट्रीम के कारण ही आते हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 12 किलोमीटर तक होती है। यह गर्मियों में लगभग 110 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से चलते हैं तथा सर्दियों में 184 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से चलते हैं।
  2. समताप रेखाएं-मानचित्र के ऊपर कुछ रेखाएं खिंची होती हैं जो लगभग समान तापमान वाले स्थानों को एकदूसरे से मिलाती हैं। समताप रेखाएं किसी स्थान पर किसी विशेष समय पर तापमान के विभाजन को दिखाने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
  3. सूखी व गीली गोली थर्मामीटर-हवा में नमी को मापने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर का प्रयोग किया जाता है। इसमें दो अलग-अलग थर्मामीटर होते हैं। एक थर्मामीटर के निचले भाग पर मलमल के कपड़े की पट्टी बन्धी होती है तथा पट्टी का निम्न भाग पानी में रखा जाता है। यह थर्मामीटर कम तापमान बताता है। सूखी तथा गीली गोली थर्मामीटर के तापमान के अंतर का पता करके उसके साथ दिए गए पैमानों की सहायता से हवा की नमी का पता किया जाता है। हवा की नमी हमेशा प्रतिशत में बताई जाती है।

प्रश्न 8.
‘कुदरती आफतों में जानी-माली नुकसान होता है’ में जानी-माली क्या है ?
उत्तर-
इसमें कोई शंका नहीं है कि जब भी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं तो जानी-माली का बहुत नुकसान होता है। यहां जानी का अर्थ है कि इससे बहुत से लोगों की मृत्यु हो जाती है। माली का अर्थ है कि बहुत से पशु पक्षी मर जाते हैं तथा बहुत से पैसे का भी नुकसान होता है।

(घ) निम्नलिखित के विस्तृत उत्तर दें:

प्रश्न 1.
किसी स्थान की जलवायु किन तत्त्वों पर निर्भर है ? व्याख्या करें।
उत्तर-
भारत की जलवायु विविधताओं से परिपूर्ण है। इन विविधताओं को अनेक तत्त्व प्रभावित करते हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

  1. भूमध्य रेखा से दूरी-भारत उत्तरी गोलार्द्ध में भूमध्य रेखा के समीप स्थित है। परिणामस्वरूप पर्वतीय क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश क्षेत्रों में लगभग पूरे वर्ष तापमान ऊंचा रहता है। इसीलिए भारत को गर्म जलवायु वाला देश भी कहा जाता है।
  2. धरातल-एक ओर हिमालय पर्वत श्रेणियां देश को एशिया के मध्यवर्ती भागों से आने वाली बर्फीली व शीत पवनों से बचाती हैं तो दूसरी ओर ऊंची होने के कारण ये बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसून पवनों के रास्ते में बाधा बनती हैं और उत्तरी मैदान में वर्षा का कारण बनती हैं।
  3. वायु-दबाव प्रणाली-गर्मियों की ऋतु में सूर्य की किरणें कर्क रेखा की ओर सीधी पड़ने लगती हैं। परिणामस्वरूप देश के उत्तरी भागों में तापमान बढ़ने लगता है और उत्तरी विशाल मैदानों में कम हवा के दबाव (994 मिलीबार) वाले केन्द्र बनने प्रारम्भ हो जाते हैं। सर्दियों में हिन्द महासागर पर कम दबाव पैदा हो जाता है।
  4. मौसमी पवनें-
    • देश के भीतर गर्मी तथा सर्दी के मौसम में हवा के दबाव में परिवर्तन होने के कारण गर्मियों के छ: महीने समुद्र से स्थल की ओर तथा सर्दियों के छ: महीने स्थल से समुद्र की ओर पवनें चलने लगती हैं।
    • धरातल पर चलने वाली इन मौसमी पवनों तथा मानसूनी पवनों को दिशा संचार चक्र अथवा जेट स्ट्रीम भी प्रभावित करता है। इस प्रभाव के कारण ही गर्मियों के चक्रवात और भूमध्य सागरीय क्षेत्रों का पश्चिमी मौसमी हलचल
      का प्रभाव देश के उत्तरी भागों तक आ पहुंचता है तथा भरपूर वर्षा प्रदान करता है।
  5. हिन्द महासागर से समीपता-
    • सम्पूर्ण देश की जलवायु पर हिन्द महासागर का प्रभाव है। हिन्द महासागर की सतह समतल है। परिणामस्वरूप भूमध्य रेखा के दक्षिणी भागों से दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी पवनें पूरे वेग से देश की ओर बढ़ती हैं। ये पवनें समुद्री भागों से लाई नमी को सारे देश में वितरित करती हैं।
    • प्रायद्वीपीय भाग के तीन ओर से समुद्र से घिरे होने के कारण तटवर्ती क्षेत्रों में सम जलवायु मिलती है। उससे गर्मियों में कम गर्मी तथा सर्दियों में कम सर्दी पडती है। सच तो यह है कि भारत में गर्म-उष्ण मानसूनी खण्ड (Tropical Monsoon Region) वाली जलवायु मिलती है। इसलिए मानसूनी पवनें अलग-अलग समय में देश के प्रत्येक भाग में गहरा प्रभाव डालती हैं।

प्रश्न 2.
वर्षा कितने प्रकार की होती है ? विस्तार से लिखें।
उत्तर-
मुख्यत: वर्षा तीन प्रकार की होती है। वह है-

  1. संवहनी वर्षा (Convectional Rainfall)
  2. पर्वतीय वर्षा (Orographic Rainfall)
  3. Elshanit af (Cyclonic Rainfall)

1. संवहनी वर्षा (Convectional Rainfall)—भूमध्य रेखा पर सम्पूर्ण वर्ष सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं तथा इस कारण वहां पर काफी गर्मी होती है। गर्मी के कारण वायु दबाव (Air Pressure) काफी कम हो जाता है। इस क्षेत्र में पानी गर्म होकर वाष्प बनकर ऊपर उठ जाता है तथा बादल बन जाते हैं। इस क्षेत्र में बादल ठण्डे होकर वर्षा करते हैं तथा इसे संवणीय वर्षा कहते हैं। यह वर्षा अधिक समय के लिए नहीं होती क्योंकि कम वायु दबाव होने कारण ऊपर उठती हवा अपने साथ अधिक नमी लेकर नहीं जा सकती। इस प्रकार की वर्षा में बादलों की आवाज़ तथा बिजली काफी चमकती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 4 जलवायु (1)
संवहनी वर्षा चित्र

2. पर्वतीय वर्षा (Orographic Rainfall)-जब मानसून के बादल समुद्र से पृथ्वी की तरफ आते हैं तो समुद्र के ऊपर से लांघने के कारण उनमें काफी नमी आ जाती है। कई बार इनके रास्ते में पर्वत रुकावट बन जाते हैं तथा यह पवन या बादल ऊपर उठ जाते हैं। ऊपर जाकर यह ठण्डे हो जाते हैं तथा घने हो जाते हैं। इस कारण वर्षा हो जाती है। इस वर्षा को ही पर्वतीय वर्षा कहते हैं। गर्मियों में हिमालय पर्वत के नज़दीक होने वाली वर्षा इस प्रकार की वर्षा ही होती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 4 जलवायु (2)
पर्वतीय वर्षा चित्र

3. चक्रवाती वर्षा (Cyclonic Rainfall)—जब वातावरण में बाहर की तरफ अधिक वायु दबाव तथा अंदर कम वायु दबाव की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो चक्रवात उत्पन्न होते हैं। पवनें अधिक दबाव से कम वायु अधिक दबाव की तरफ घूमती हैं तथा कम वायु दबाव वाली हवाएं ऊपर उठ जाती हैं। जब यह ठण्डी हो जाती हैं तो वर्षा करती हैं।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 4 जलवायु (3)
चक्रवाती वर्षा चित्र

सर्दियों में भारत के उत्तर तथा उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में फारस की खाड़ी तथा मैडिटेरिनियन समुद्र की तरफ से चक्रवात आते हैं तथा वर्षा करते हैं। सर्दियों में पंजाब में आने वाली वर्षा फसलों के लिए काफी लाभदायक होती है।

प्रश्न 3. मानसून पवनों की अरब सागर शाखा व बंगाल की खाड़ी की शाखा के विषय में बताएं।
उत्तर- भारतीय मानसून पवनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है तथा वह हैं-

  1. अरब सागर की शाखा तथा
  2. बंगाल की खाड़ी शाखा। इनका वर्णन इस प्रकार है

1. अरब सागर की शाखा (Arabian Sea Branch)—भारत के पश्चिम की तरफ अरब सागर मौजूद है तथा यहां से ही गर्मियों में मानसून पवनें शुरू होती हैं। जून के पहले हफ्ते तक मानसून पवनों की यह शाखा केरल तक पहुँच जाती है। जून के दूसरे हफ़्ते अर्थात् 10 जून तक यह पश्चिमी घाट पर पहुँच कर वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट में रुकावटें हैं जिस कारण यह पवनें पश्चिमी घाट के मुख्य मैदानों में भारी वर्षा करती हैं। फिर यह पवनें दक्षिण के पठार तथा मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में भी वर्षा करती हैं। इसके पश्चात् पवनों की यह शाखा उत्तर भारत की तरफ बढ़ जाती है तथा उत्तर में जाकर यह बंगाल की खाड़ी शाखा के साथ मिलकर गंगा के मैदानों में चली जाती है। इकट्ठी होकर पश्चिमी भारत की तरफ चली जाती है। जुलाई के प्रथम सप्ताह में यह पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान में वर्षा करती हैं। इन पवनों से हुई वर्षा की मात्रा पूर्वी भारत की तरफ अधिक होती है तथा पश्चिम की तरफ जाते हुए वर्षा की मात्रा कम होती जाती है।
PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 4 जलवायु (4)
चित्र

2. बंगाल की खाड़ी शाखा-मानसून की यह शाखा बंगाल की खाड़ी से शुरू होती है तथा उत्तर भारत की तरफ बढ़ती है। यह आगे जाकर दो भागों में विभाजित हो जाती है। इसका एक भाग भारत के उत्तर तथा उत्तर पूर्व की तरफ चला जाता है तथा दूसरा भाग पश्चिम की तरफ चला जाता है। गंगा के मैदानों में जाकर यह शाखा अरब सागर शाखा के साथ मिल जाती है। इस शाखा का एक भाग उत्तर-पूर्वी भारत की तरफ जाकर, ब्रह्मपुत्र की घाटी तक पहुँचता है तथा गारो, खासी, जैंतिया पहाड़ियों पर काफी वर्षा करता है। मासिनराम में 1221 सैंटीमीटर औसत वर्षा देखी गई है। चेरापुंजी भी खासी पहाड़ियों में स्थित है जहां 1102 सेंटीमीटर औसत वर्षा होती है।

प्रश्न 4.
जलवायु की जानकारी देने के लिए कौन-कौन से यन्त्र प्रयोग किए जाते हैं ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
किसी भी क्षेत्र की जलवायु की जानकारी के लिए बहुत से यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है जिनका वर्णन इस प्रकार है:

  1. उच्चतम व न्यूनतम थर्मामीटर (Maximum and Minimum Thermometer)-तापमान का पता करने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर का प्रयोग किया जाता है। अगर किसी स्थान की जलवायु की जानकारी प्राप्त करनी है तो हमें वहां के तापमान की जानकारी का होना आवश्यक है। इस प्रकार का थर्मामीटर दो जुड़ी हुई नालियों के साथ बना होता है। एक नाली से रात्रि का न्यूनतम तापमान पता किया जाता है तथा दूसरी नाली से दिन का उच्चतम तापमान पता किया जाता है। तापमान को सैंटीमीटर ग्रेड अथवा फारेनहाइट की डिग्री में मापा जाता है।
  2. एनीराइड बैरोमीटर (Aniroid Barometer)-एनीराइड बैरोमीटर से वायु दबाव का पता किया जाता है। यह बैरोमीटर धातु की एक डिब्बी में से हवा निकाल कर उसे एक पतली सी चादर से बाँध दिया जाता है। डिब्बी में एक स्परिंग होता है। हवा के दबाव के कारण अंदर स्परिंग से लगी हुई सुई घूमती है। दबाव के अनुसार सुई अन्दर लिखे हुए आंकड़ों पर टिकेगी तथा इससे हमें वायु दबाव अथवा हवा के दबाव का पता चल जाएगा। हवा के दबाव को हमेशा मिली बार में बताया जाता है।
  3. सूखी व गीली गोली का थर्मामीटर (Dry and Wet Bulb Thermometer)-वायु में नमी को मापने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर को प्रयोग किया जाता है। इसमें दो अलग-अलग थर्मामीटर होते हैं। एक थर्मामीटर ने निचले सिरे पर मलमल के कपड़े की पट्टी बाँधी जाती है तथा पट्टी का निचला भाग पानी में रखा जाता है। यह कम तापमान बताता है। सूखी व गीली गोली थर्मामीटरों के तापमान के अन्तर का पता करके, उसके साथ दिए गए पैमाने की सहायता से हवा में नमी का पता किया जाता है। हवा में नमी हमेशा प्रतिशत में बताई जाती है।
  4. वर्षा मापक यन्त्र (Rain Gauge)-वर्षा को मापने के लिए वर्षा मापक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। वर्षा मापक यन्त्र के बीच लोहे या पीतल का एक गोल बर्तन होता है। इस बर्तन के मुँह पर एक कीप लगी होती है जिससे बारिश का पानी साथ लगी हुई बोतल में इकट्ठा हो जाता है। इस कारण यह वाष्प बनकर नहीं उड़ सकता। इस यन्त्र को एक खुले स्थान पर रखा जाता है ताकि बारिश का पानी इसमें आसानी से इकट्ठा हो सके। बारिश खत्म होने के पश्चात् पानी को एक शीशे के बर्तन में डाल दिया जाता है। जिस पर निशान लगे होते हैं। इन निशानों की सहायता से बताया जाता है कि कितनी वर्षा हुई है। वर्षा को इंच या सेंटीमीटर में बताया जाता है। .
  5. वायु वेग मापक (Anemometer) वायु वेग मापक को Anemometer कहा जाता है जिसे हवा की गति मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें चार सींखों के साथ खाली कौलियां लगी होती हैं। चारों सीखें एक स्टैंड पर एक-दूसरे के साथ जोड़ी जाती हैं तथा यह सींखें पृथ्वी के समांतर होती हैं। जब हवा चलती है तो खाली कौलियां घूमने लग जाती हैं। इनके घूमने से स्टैंड पर लगी सुई भी घूमती है तथा हवा की गति उस पर लगे हुए आंकड़ों से पता चल जाती है।
  6. वायु वेग सूचक (Wind Wane)-वायु वेग सूचक को Wind Wane कहते हैं तथा इसे हवा की दिशा पता करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस यन्त्र पर मुर्गे की शक्ल तथा तीर का निशान बना होता है। यह मुर्गा या तीर एक सीधी लंबी धुरी पर घूमता है। इस मुर्गे के नीचे चार दिशाओं के नाम नीचे लगी सींखों के द्वारा दर्शाए जाते हैं। जब हवा चलती है तो मुर्गे अथवा तीर का निशान घूमकर उस तरफ हो जाता है जिस तरफ हवा आती है। इस प्रकार सीख पर लगे निशान से हवा की दिशा का पता चल जाता है।

प्रश्न 5.
कुदरती आफतों का जनजीवन पर क्या बुरा प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
कुदरती आफतों अथवा प्राकृतिक आपदाओं के बुरे प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  1. भौतिक नुकसान-प्राकृतिक आपदाओं से भवनों तथा सेवाओं को नुकसान होता है। इससे आग लग सकती है, बाँध टूटने के कारण बाढ़ आ सकती है तथा भू-क्षरण हो सकता है।
  2. मृत्यु-भूकम्प के कारण उन क्षेत्रों में अधिक लोग मरते हैं, जो भूकम्प का केन्द्र (Epicentre) होते हैं, जिन स्थानों पर जनसंख्या अधिक होती है तथा मकान भूकम्प रोधी नहीं होते वहां पर मरने वालों की संख्या अधिक होती
  3. जनस्वास्थ्य-प्राकृतिक आपदाओं विशेषतया भूकम्प का जनता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हड्डियां टूटना, जख्मी होना एक न्यायिक समस्या होती है। सफाई व्यवस्था के भंग होने से महामारी पैदा हो जाती है।
  4. यातायात बाधित होना-सड़कें, पुल, रेल की लाइनें इत्यादि टूट जाती हैं तथा यातायात बाधित हो जाता है। 5. बिजली व संचार-सभी सम्पर्क प्रभावित हो जाते हैं। बिजली की समस्या भी आ जाती है।

PSEB 9th Class Social Science Guide जलवायु Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1.
भारत के दक्षिणी भागों में कौन-सी ऋतु नहीं होती ?
(क) गर्मी
(ख) वर्षा
(ग) सर्दी
(घ) बसन्त।
उत्तर-
(ग) सर्दी

प्रश्न 2.
तूफानी चक्रवातों को पश्चिमी बंगाल में कहा जाता है
(क) काल बैसाखी
(ख) मानसून
(ग) लू
(घ) सुनामी।
उत्तर-
(क) काल बैसाखी

प्रश्न 3.
देश के उत्तरी मैदानों में गर्मियों में चलने वाली धूल भरी स्थानीय पवन को कहा जाता है-
(क) सुनामी
(ख) मानसून
(ग) काल वैसाखी
(घ) लू।
उत्तर-
(घ) लू।

प्रश्न 4.
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की बंगाल की खाड़ी वाली शाखा के द्वारा सर्वाधिक प्रभावित स्थान है-
(क) चेन्नई
(ख) अमृतसर
(ग) मासिनराम
(घ) शिमला।
उत्तर-
(ग) मासिनराम

प्रश्न 5.
लौटती हुई तथा पूर्वी मानसून से प्रभावित स्थान है-
(क) चेन्नई
(ख) अमृतसर
(ग) दिल्ली
(घ) शिमला।
उत्तर-
(क) चेन्नई

प्रश्न 6.
सम्पूर्ण भारत में सर्वाधिक वर्षा वाले दो महीने हैं-
(क) जून तथा जुलाई
(ख) जुलाई तथा अगस्त
(ग) अगस्त तथा सितम्बर
(घ) जून और अगस्त।
उत्तर-
(ख) जुलाई तथा अगस्त

प्रश्न 7.
सुनामी कब आई थी ?
(क) 26 दिसम्बर 2004
(ख) 26 दिसम्बर 2006
(ग) 25 नवम्बर 2003
(घ) 25 नवम्बर 2002.
उत्तर-
(क) 26 दिसम्बर 2004

प्रश्न 8.
वायु दबाव का पता करने के लिए ……………….. प्रयोग किया जाता है।
(क) वर्षा मापक यन्त्र
(ख) एनीराइड बैरोमीटर
(ग) वायु वेग मापक
(घ) वायु दिशा सूचक।
उत्तर-
(ख) एनीराइड बैरोमीटर

रिक्त स्थान की पूर्ति करें (Fill in the Blanks)

  1. भारत में अधिकतर (75 से 90 प्रतिशत तक) वर्षा जून से ………… तक होती है।
  2. भारत में पश्चिमी चक्रवातों से होने वाली वर्षा ……………. की फसल के लिए लाभप्रद होती है।
  3. आम्रवृष्टि ……………. की फसल के लिए लाभदायक होती है।
  4. भारत के …………. तट पर सर्दियों में वर्षा होती है।
  5. भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में ……………. जलवायु मिलती है।
  6. वायु की कमी मापने के लिए ……………. प्रयोग किया जाता है।
  7. सुनामी से भारत में कई राज्यों में …………….. लोग मर गए थे।

उत्तर-

  1. सितम्बर,
  2. रबी,
  3. फूलों,
  4. कोरोमण्डल,
  5. सम,
  6. सूखी व गीली गोली का थर्मामीटर,
  7. 10.500.

सही/ग़लत (True/False)

  1. भारत गर्म जलवायु वाला देश है। ( )
  2. भारत की जलवायु पर मानसून पवनों का गहरा प्रभाव है। ( )
  3. भारत के सभी भागों में वर्षा का वितरण एक समान है। ( )
  4. मानसूनी वर्षा की यह विशेषता है कि इसमें कोई शुष्ककाल नहीं आता। ( )
  5. भारत में गर्मी का मौसम सबसे लम्बा होता है। ( )
  6. एनीराइड बैरोमीटर से तापमान मापा जाता है। ( )
  7. वायु की गति वायु वेग मापक से मापी जाती है। ( )

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)
  6. (✗)
  7. ( ✓)

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के लिए कौन-सा भू-भाग प्रभावकारी जलवायु विभाजक का कार्य करता है ?
उत्तर-
भारत के लिए विशाल हिमालय प्रभावकारी जलवायु विभाजक का कार्य करता है।

प्रश्न 2.
भारत कौन-सी पवनों के प्रभाव में आता है ?
उत्तर-
भारत उपोष्ण उच्च वायुदाब से चलने वाली स्थलीय पवनों के प्रभाव में आता है।

प्रश्न 3.
वायुधाराओं तथा पवनों में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
वायुधाराएं भू-पृष्ठ से बहुत ऊंचाई पर चलती हैं जबकि पवनें भू-पृष्ठ पर ही चलती हैं।

प्रश्न 4.
उत्तरी भारत में मानसून के अचानक ‘फटने’ के लिए कौन-सा तत्त्व उत्तरदायी है ?
उत्तर-
इसके लिए 15° उत्तरी अक्षांश के ऊपर विकसित पूर्वी जेट वायुधारा उत्तरदायी है।

प्रश्न 5.
भारत में अधिकतर वर्षा कब से कब तक होती है ?
उत्तर-
भारत में अधिकतर (75 से 90 प्रतिशत तक) वर्षा जून से सितम्बर तक होती है।

प्रश्न 6.
(i) भारत के किस भाग में पश्चिमी चक्रवातों के कारण वर्षा होती है ?
(ii) यह वर्षा किस फसल के लिए लाभप्रद होती है ?
उत्तर-

  1. पश्चिमी चक्रवातों के कारण भारत के उत्तरी भाग में वर्षा होती है।
  2. यह वर्षा रबी की फसल विशेष रूप से गेहूं के लिए लाभप्रद होती है।

प्रश्न 7.
पीछे हटते हुए मानसून की ऋतु की कोई एक विशेषता बताइए।
उत्तर-
इस ऋतु में मानसून का निम्न वायुदाब का गर्त कमजोर पड़ जाता है तथा उसका स्थान उच्च वायुदाब ले लेता है।
अथवा
इस ऋतु में पृष्ठीय पवनों की दिशा उलटनी शुरू हो जाती है। अक्तूबर तक मानसून उत्तरी मैदानों से पीछे हट जाता है।

प्रश्न 8.
भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून की कौन-कौन सी शाखाएं हैं ?
उत्तर-
भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून की दो मुख्य शाखाएं हैं-अरब सागर की शाखा तथा बंगाल की खाड़ी की शाखा।

प्रश्न 9.
ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ (मार्च मास) में किस भाग पर तापमान सबसे अधिक होता है ?
उत्तर-
ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ में दक्कन के पठार पर तापमान सबसे अधिक होता है।

प्रश्न 10.
संसार की सबसे अधिक वर्षा कहां होती है ?
उत्तर-
संसार की सबसे अधिक वर्षा माउसिनराम (Mawsynram) नामक स्थान पर होती है।

प्रश्न 11.
भारत के किस तट पर सर्दियों में वर्षा होती है ?
उत्तर-
कोरोमण्डल।

प्रश्न 12.
भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में किस प्रकार की जलवायु मिलती है ?
उत्तर-
सम।

प्रश्न 13.
‘मानसून’ शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है ?
उत्तर-
‘मानसून’ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसम शब्द से हुई है।

प्रश्न 14.
भारत की वार्षिक औसत वर्षा कितनी है ?
उत्तर-
118 सें० मी०।

प्रश्न 15.
किस भाग में तापमान लगभग सारा साल ऊंचे रहते हैं ?
उत्तर-
दक्षिणी भाग में।

प्रश्न 16.
तूफानी चक्रवातों को पश्चिमी बंगाल में क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
काल बैसाखी।

प्रश्न 17.
देश के उत्तरी मैदानों में गर्मियों में चलने वाली धूल भरी स्थानीय पवन का क्या नाम है ?
उत्तर-
लू।

प्रश्न 18.
देश की सबसे अधिक वर्षा कौन-सी पहाड़ियों में होती है ?
उत्तर-
मेघालय की पहाड़ियों में।

प्रश्न 19.
मासिनराम की वार्षिक वर्षा की मात्रा कितनी है ?
उत्तर-
1141 से० मी०।

प्रश्न 20.
तिरुवन्नतपुरम् की जलवायु सम क्यों है ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि तिरुवन्नतपुरम् सागरीय जलवायु के प्रभाव में रहता है।

प्रश्न 21.
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले तत्त्वों को बताइए।(कोई दो)
उत्तर-
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्त्व हैं-

  1. भूमध्य रेखा से दूरी,
  2. धरातल का स्वरूप,
  3. वायुदाब प्रणाली,
  4. मौसमी पवनें और
  5. हिन्द महासागर से समीपता।

प्रश्न 22.
देश में सर्दियों के मौसम में
(i) सबसे अधिक और
(ii) सबसे कम तापक्रम वाले दो-दो स्थानों के नाम बताइए।
उत्तर-
क्रमशः-

  1. मुम्बई तथा चेन्नई
  2. अमृतसर तथा लेह।

प्रश्न 23.
देश में गर्मियों में
(i) सबसे ठण्डे व
(ii) गर्म स्थानों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. सबसे ठण्डे स्थान लेह तथा शिलांग
  2. सबसे गर्म स्थान-उत्तर-पश्चिमी मैदान।

प्रश्न 24.
‘काल बैसाखी’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
बैसाख मास में पश्चिमी बंगाल में चलने वाले तूफ़ानी चक्रवातों को ‘काल बैसाखी’ कहते हैं।

प्रश्न 25.
‘आम्रवृष्टि’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ग्रीष्म ऋतु के अन्त में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में होने वाली पूर्व मानसूनी वर्षा जो आमों अथवा फूलों की फसल के लिए लाभदायक होती है।

प्रश्न 26.
अरब सागर व बंगाल की खाड़ी वाली मानसून पवनें किन स्थानों पर एक-दूसरे से मिल जाती हैं ?
उत्तर-
अरब सागर व बंगाल की खाड़ी वाली मानसून पवनें पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश में आपस में मिलती हैं।

प्रश्न 27.
वर्षा कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
वर्षा तीन प्रकार की होती है-संवहणीय वर्षा, पर्वतीय वर्षा तथा चक्रवाती वर्षा।

प्रश्न 28.
पर्वतीय वर्षा क्यों लगातार तथा लंबे समय तक बरसती रहती है ?
उत्तर-
पवनें समुद्र से धरातल की तरफ लगातार चलती रहती हैं जिस कारण पर्वतीय वर्षा लगातार लंबा समय चलती रहती है।

प्रश्न 29.
पंजाब की फसलों के लिए कौन-सी वर्षा सर्दियों में लाभदायक होती है ?
उत्तर-
सर्दियों की चक्रवाती वर्षा पंजाब की फसलों के लिए लाभदायक होती है।

प्रश्न 30.
‘मानसून का फटना’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मानसून पवनें लगभग 1 जून को पश्चिमी तट पर पहुंचती हैं और बहुत तेजी से वर्षा करती हैं जिसे मानसूनी धमाका या ‘मानसून का फटना’ (Monsoon Burst) कहते हैं।

प्रश्न 31.
लू (Loo) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
ग्रीष्म ऋतु में कम दबाव का क्षेत्र पैदा होने के कारण चलने वाली धूल भरी आंधियां लू कहलाती हैं।

प्रश्न 32.
जलवायु का अनुमान किन यन्त्रों से लगाया जाता है ?
उत्तर-
जलवायु का अनुमान कई यन्त्रों से लगाया जाता है जैसे कि उच्चतम व न्यूनतम थर्मामीटर, एनीराइड बैरोमीटर, सूखी व गीली गोली का थर्मामीटर, वर्षा मापक यन्त्र, वायु वेग मापक, वायु दिशा सूचक इत्यादि।

प्रश्न 33.
प्राकृतिक आपदाओं के मुख्य रूप बताओ।
उत्तर-
प्राकृतिक आपदाएं कई रूपों में आती हैं, जैसे कि-भूकम्प, सुनामी, ज्वालामुखी, चक्रवात, बाढ़, सूखा इत्यादि।

प्रश्न 34.
भारत में सुनामी कब तथा कौन से राज्यों में आई थी ?
उत्तर-
भारत में सुनामी दिसम्बर 2004 में अंडेमान-निकोबार, तमिलनाडु के तट, आन्ध्र प्रदेश, केरल इत्यादि प्रदेशों में आई थी।

प्रश्न 35.
सुनामी का एक गलत प्रभाव बताएं।
उत्तर-
सुनामी से काफ़ी जान-माल का नुकसान हुआ था।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
परम्परागत भारतीय ऋतु प्रणाली के बारे में बताइए।
उत्तर-

ऋतु परम्परागत ऋतु प्रणाली
1.सर्दी हेमन्त तथा शिशिर का मिश्रण
2. गर्मी गर्मी
3. वर्षा वर्षा
4. वापसी मानसून की ऋतु शरद

 

प्रश्न 2.
नागपुर मुम्बई की अपेक्षा ठण्डा है।
उत्तर-
मुम्बई सागर तट पर बसा है। समुद्र के प्रभाव के कारण मुम्बई की जलवायु सम रहती है और यहां सर्दी कम पड़ती है।
इसके विपरीत नागपुर समुद्र से दूर स्थित है। समुद्र के प्रभाव से मुक्त होने के कारण वहां विषम जलवायु पाई जाती है। अत: नागपुर मुम्बई की अपेक्षा ठण्डा है।

प्रश्न 3.
भारत की अधिकांश वर्षा चार महीनों में होती है।
उत्तर-
भारत में अधिकांश वर्षा मध्य जून से मध्य सितम्बर तक होती है। इन चार महीनों में समुद्र से आने वाली मानसूनी पवनें चलती हैं। नमी से युक्त होने के कारण ये पवनें भारत के अधिकांश भाग में खूब वर्षा करती हैं।

प्रश्न 4.
चेरापूंजी में विश्व की लगभग सबसे अधिक वर्षा होती है।
उत्तर-
चेरापूंजी गारो तथा खासी की पहाड़ियों के दक्षिणी भाग में स्थित है। इसकी स्थिति कीप की आकृति वाली घाटी के शीर्ष पर है। यहां बंगाल की खाड़ी की मानसून पवनों की एक शाखा वर्षा करती है। इन पवनों की दिशा तथा अनोखी स्थिति के कारण चेरापूंजी संसार में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान बन गया है।

प्रश्न 5.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून द्वारा कोलकाता में 145 सेंटीमीटर वर्षा जबकि जैसलमेर में केवल 12 सेंटीमीटर वर्षा होती है।
उत्तर-
कलकत्ता (कोलकाता) बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसून पवनों के पूर्व की ओर बढ़ते समय पहले पड़ता है। जलकणों से लदी ये पवनें यहां 145 सेंटीमीटर वर्षा करती हैं।
जैसलमेर अरावली पर्वत के प्रभाव में आता है। अरावली पर्वत अरब सागर से आने वाली पवनों के समानान्तर स्थित है और यह पवनों को रोकने में असमर्थ है। अतः पवनें बिना वर्षा किए आगे निकल जाती हैं। यही कारण है कि जैसलमेर में केवल 12 सेंटीमीटर वर्षा होती है।

प्रश्न 6.
चेन्नई में अधिकांश वर्षा सर्दियों में होती है।
उत्तर-
चेन्नई भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। यह उत्तर-पूर्वी मानसून पवनों के प्रभाव में आता है। ये पवनें शीत ऋतु में स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। परन्तु बंगाल की खाड़ी से लांघते हुए ये जलवाष्प ग्रहण कर लेती हैं। तत्पश्चात् पूर्वी घाट से टकरा कर ये चेन्नई में वर्षा करती हैं।

प्रश्न 7.
पश्चिमी जेट धारा का चक्रवातीय वर्षा लाने में योगदान को बताइए।
उत्तर-
पश्चिमी जेट वायुधारा शीत ऋतु में हिमालय के दक्षिणी भाग के ऊपर समताप मण्डल में स्थिर रहती है। जून मास में यह उत्तर की ओर खिसक जाती है और 25° उत्तरी अक्षांश तक पहुंच जाती है। तब इसकी स्थिति मध्य एशिया में स्थित तियेनशान पर्वत श्रेणी के उत्तर में हो जाती है। इस प्रभाव के कारण ही गर्मियों के चक्रवात और भूमध्य सागरीय क्षेत्रों का पश्चिमी मौसमी हलचल का प्रभाव देश के उत्तरी भागों तक आ पहुंचता है तथा भरपूर वर्षा प्रदान करता है।

प्रश्न 8.
राजस्थान अरब सागर के नज़दीक होते हुए भी शुष्क क्यों रहता है ?
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि राजस्थान अरब सागर के निकट स्थित है। परन्तु फिर भी यह शुष्क रह जाता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. राजस्थान में पहुंचते समय मानसून पवनों में नमी की मात्रा काफ़ी कम हो जाती है, जिसके कारण राजस्थान का थार मरुस्थल का भाग शुष्क ही रह जाता है।
  2. इस मरुस्थलीय क्षेत्र की तापमान विरोध की स्थिति के कारण ये पवनें तेजी से दाखिल नहीं हो पातीं।
  3. अरावली पर्वत इन पवनों के समानान्तर तथा कम ऊंचाई में होने के कारण ये पवनें बिना ऊपर उठे ही सीधी निकल जाती हैं।

प्रश्न 9.
हिमालय पर्वत भारत के लिए किस प्रकार ‘जलवायु विभाजक’ का कार्य करता है ?
उत्तर-
हिमालय पर्वत की उच्च श्रृंखला उत्तरी पवनों के सामने एक दीवार की भान्ति खड़ी है। उत्तरी ध्रुव वृत्त के निकट उत्पन्न होने वाली ये ठण्डी और बर्फीली पवनें हिमालय को पार करके भारत में प्रवेश नहीं कर सकतीं। परिणामस्वरूप सम्पूर्ण उत्तर-भारत में उष्ण कटिबन्धीय जलवायु पाई जाती है। अतः स्पष्ट है कि हिमालय पर्वत की श्रृंखला भारत के लिए जलवायु विभाजक का कार्य करती है।

प्रश्न 10.
भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए देश की जलवायु पर इसके प्रभाव को समझाइए।(कोई तीन बिन्दु)।
उत्तर-

  1. भारत 8° उत्तर से 37° अक्षांशों के बीच स्थित है। इसके मध्य से कर्क वृत्त गुज़रता है। इसके कारण देश का दक्षिणी आधा भाग उष्ण कटिबन्ध में आता है, जबकि उत्तरी आधा भाग उपोष्ण कटिबन्ध में आता है।
  2. भारत के उत्तर में हिमालय की ऊंची-ऊंची अटूट पर्वत मालाएं हैं। देश के दक्षिण में हिन्द महासागर फैला है। इस सुगठित भौतिक विन्यास ने देश की जलवायु को मोटे तौर पर समान बना दिया है।
  3. देश के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर की स्थिति का भारतीय उप-महाद्वीप की जलवायु पर समताकारी प्रभाव पड़ता है। ये देश में वर्षा के लिए अनिवार्य आर्द्रता भी जुटाते हैं।

प्रश्न 11.
‘आम्रवृष्टि’ और ‘काल बैसाखी’ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
आम्रवृष्टि-ग्रीष्म ऋतु के अन्त में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में मानसून से पूर्व की वर्षा का यह स्थानीय नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह आम के फलों को शीघ्र पकाने में सहायता करती है।
काल बैसाखी-ग्रीष्म ऋतु में बंगाल तथा असम में भी उत्तरी-पश्चिमी तथा उत्तरी पवनों द्वारा वर्षा की तेज़ बौछारें पड़ती हैं। यह वर्षा प्रायः सायंकाल में होती है। इसी वर्षा को ‘काल बैसाखी’ कहते हैं। इसका अर्थ है-बैसाख मास का काल।

प्रश्न 12.
भारत में पीछे हटते हुए मानसून ऋतु की तीन विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
भारत में पीछे हटते मानसून की ऋतु अक्तूबर तथा नवम्बर के महीने में रहती है। इस ऋतु की तीन विशेषताएं अग्रलिखित हैं

  1. इस ऋतु में मानसून का निम्न वायुदाब का गर्त कमज़ोर पड़ जाता है और उसका स्थान उच्च वायुदाब ले लेता है।
  2. भारतीय भू-भागों पर मानसून का प्रभाव क्षेत्र सिकुड़ने लगता है।
  3. पृष्ठीय पवनों की दिशा उलटनी शुरू हो जाती है। आकाश स्वच्छ हो जाता है और तापमान फिर से बढ़ने लगता है।

प्रश्न 13.
मानसून पूर्व की वर्षा (Pre-Monsoonal Rainfal) किन कारणों से होती है ?
उत्तर-
गर्मियों में भूमध्य रेखा की कम दबाव की पेटी कर्क रेखा की ओर खिसक (सरक) जाती है। इस दबाव को भरने के लिए दक्षिणी हिन्द महासागर से दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनें भू-मध्य रेखा को पार करते ही धरती की दैनिक गति के कारण घड़ी की सुई की दिशा में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ जाती हैं। ये पवनें 1 जून को देश के पश्चिमी तट पर पहुंचकर बहुत तेज़ी से वर्षा करती हैं। परन्तु 1 जून से पहले भी केरल तट के आस-पास जब समुद्री पवनें पश्चिमी तट को पार करती हैं, तब भी मध्यम स्तर की वर्षा होती है। इसी वर्षा को पूर्व मानसून (PreMonsoon) की वर्षा भी कहा जाता है। इस वर्षा का मुख्य कारण, पश्चिमी घाट की पवनमुखी ढालें हैं।

प्रश्न 14.
देश की जलवायु को प्रभावित करने वाले दो तत्त्वों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. भूमध्य रेखा से दूरी-भारत उत्तरी गोलार्द्ध में भूमध्य रेखा के समीप स्थित है। परिणामस्वरूप पर्वतीय क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश क्षेत्रों में लगभग पूरे वर्ष तापमान ऊंचा रहता है। इसीलिए भारत को गर्म जलवायु वाला देश भी कहा जाता है।
  2. धरातल-एक ओर हिमालय पर्वत श्रेणियां देश को एशिया के मध्यवर्ती भागों से आने वाली बीली व शीत पवनों से बचाती हैं तो दूसरी ओर ऊंची होने के कारण ये बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसून पवनों के रास्ते में बाधा बनती हैं और उत्तरी मैदान में वर्षा का कारण बनती हैं।

प्रश्न 15.
मानसून पवनों में मुख्य लक्षण बताएं।
उत्तर-

  1. मानसून पवनें लगभग कर्क रेखा व मकर रेखा के बीच के क्षेत्रों में चलती है।
  2. उष्णपूर्ति जेट स्ट्रीम तथा पश्चिमी जेट स्ट्रीम भी देश के मानसून को प्रभावित करती है।
  3. गर्मियों में सूर्य के उत्तर की तरफ सरकने के साथ वायु दबाव पेटी भी उत्तर की तरफ चली जाती है तथा स्थिति मानसून पवनों के चलने के लिए बढ़िया हो जाती है।

प्रश्न 16.
सर्दी की ऋतु के बारे में बताएं।
उत्तर-
इस मौसम में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है। इसीलिए भारत में दक्षिणी भागों से उत्तर की ओर तापमान लगातार घटता जाता है। सम्पूर्ण उत्तरी भारत में तापमान में गिरावट के कारण उच्च वायुदाब का क्षेत्र पाया जाता है। कभी-कभी देश के पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भागों में निम्नदाब के केन्द्र बन जाते हैं। उन्हें पश्चिमी गड़बड़ी विक्षोभ अथवा चक्रवात कहा जाता है। इस समय मध्य तथा पश्चिमी एशिया के क्षेत्रों में उच्चदाब का केन्द्र होता है। वहां की शुष्क तथा शीत पवनें उत्तर-पश्चिमी भागों में से देश के अन्दर प्रवेश करती हैं। इससे पूरे विशाल मैदानों का तापमान काफ़ी नीचे गिर जाता है। 3 से 5 किलोमीटर प्रति घण्टे की गति से बहने वाली इन पवनों के द्वारा शीत लहर का जन्म होता है। सर्दियों में देश के दो भागों में वर्षा होती है। देश के उत्तरी-पश्चिमी भागों में पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, उत्तराखण्ड, जम्मू-कश्मीर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में औसत 20 से 25 सेंटीमीटर तक चक्रवातीय वर्षा होती है। दूसरी ओर तमिलनाडु तथा केरल के तटीय भागों में उत्तर-पूर्व मानसून से पर्याप्त वर्षा होती है। सर्दियों में मौसम सुहावना होता है। दिन मुख्य रूप से गर्म (सम) तथा रातें ठण्डी होती हैं। कभी-कभी रात के तापमान में गिरावट आने के कारण सघन कोहरा भी पड़ता है।

प्रश्न 17.
गर्मी की ऋतु के बारे में बताएं।
उत्तर-
भारत में गर्मी की ऋतु सबसे लम्बी होती है। 21 मार्च के बाद से ही देश के आन्तरिक भागों का तापमान बढ़ने लगता है। दिन का अधिकतम तापमान मार्च में नागपुर में 380 सें०, अप्रैल में मध्यप्रदेश में 40° सें० तथा मईजून में उत्तर-पश्चिम भागों में 45° सें० से भी अधिक रहता है। रात के समय न्यूनतम तापमान 21° से 27° सें० तक बना रहता है। दक्षिणी भागों का औसत तापमान समुद्र की समीपता के कारण अपेक्षाकृत कम (25° सें०) रहता है। तापमान में वृद्धि के कारण हवा के कम दबाव का क्षेत्र देश के उत्तरी भागों की ओर खिसक जाता है। मई-जून में देश के उत्तरी-पश्चिमी भागों में कम दबाव का चक्र सबल हो जाता है तथा दक्षिणी ‘जेट’ धारा हिमालय के उत्तर की ओर सरक जाती है। धरातल के ऊपर हवा में भी कम दबाव का चक्र उत्पन्न हो जाता है। कम दबाव के ये दोनों चक्र मानसून पवनों को तेजी से अपनी ओर खींचते हैं।

प्रश्न 18.
उच्चतम व न्यूनतम थर्मामीटर को किस लिए तथा किस प्रकार प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
तापमान का पता करने के लिए इस प्रकार के थर्मामीटर का प्रयोग किया जाता है। अगर किसी स्थान की जलवायु की जानकारी प्राप्त करनी हो तो हमें वहां के तापमान की जानकारी का होना आवश्यक है। इस प्रकार का थर्मामीटर दो जुड़ी हुई नालियों के साथ बना होता है। इस नाली से रात्रि का न्यूनतम तापमान पता किया जाता है तथा दूसरी नाली से दिन का उच्चतम तापमान पता किया जाता है। तापमान को सैंटीग्रेड अथवा फारेनहाइड की डिग्री में मापा जाता है।

प्रश्न 19.
एनीराइड बैरोमीटर का वर्णन करें।
उत्तर-
एनीराइड बैरोमीटर से वायु दबाव का पता किया जाता है। यह बैरोमीटर धातु की एक डिब्बी में से हवा निकाल कर उसे एक पतली सी चादर से बांध दिया जाता है। डिब्बी में एक स्परिंग होता है। हवा के दबाव के कारण अंदर स्परिंग से लगी हुई सूई घूमती है। दबाव से अनुसार सूई अन्दर लिखे हुए आंकड़ों पर टिकेगी तथा इससे हमें वायु दबाव अथवा हवा के दबाव का पता चल जाएगा। हवा के दबाव को हमेशा मिली बार में बताया जाता है।
परिणामस्वरूप सम्पूर्ण उत्तर-भारत में उष्ण कटिबन्धीय जलवायु पाई जाती है। अतः स्पष्ट है कि हिमालय पर्वत की श्रृंखला भारत के लिए जलवायु विभाजक का कार्य करती है।

प्रश्न 20.
वर्षा मापक यन्त्र क्यों तथा कैसे प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
वर्षा को मापने के लिए वर्षा मापक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। वर्षा मापक यन्त्र के बीच लोहे या पीतल का एक गोल बर्तन होता है। इस बर्तन के मुंह पर एक कीप लगी होती है जिससे बारिश का पानी साथ लगी हुई बोतल में इक्ट्ठा हो जाता है। इस कारण यह वाष्प बन कर नहीं उड़ सकता। इस यन्त्र को एक खुले स्थान पर रखा जाता है। ताकि बारिश का पानी इसमें आसानी से इक्ट्ठा हो सके। बारिश खत्म होने के पश्चात् पानी को एक शीशे के बर्तन में डाल दिया जाता है। जिस पर निशान लगे होते हैं। इन निशानों की सहायता से बताया जाता है कि कितनी वर्षा हुई है। वर्षा को इंच या सैंटमीटर में बताया जाता है।

प्रश्न 21.
सुनामी का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
सुनामी जापानी भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ है-बंदगाह की लहर। अगर किसी स्थान पर सुनामी आती है तो समुद्र में काफी ऊंची-ऊंची लहरें उठने लग जाती हैं। समुद्र के किनारों पर तो इनकी ऊंचाई 10 मीटर से 30 मीटर तक हो जाती है। इनकी गति काफी तेज़ होती है तथा खुले समुद्र में यह 40 कि०मी० से 1000 कि०मी० प्रति घण्टा की गति से चलती है। वास्तव में अगर समुद्र तल से नीचे भूकम्प आए तो सुनामी आती है। 26 दिसम्बर, 2004 को दक्षिण पूर्वी एशिया में सुनामी आई थी जिससे काफी नुक्सान हुआ था। अकेले भारत में ही 10,500 लोगों की मृत्यु हो गई थी तथा दस हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हो गया था।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय जलवायु की प्रादेशिक विभिन्नताएं कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
भारतीय जलवायु की प्रादेशिक विभिन्नताएं निम्नलिखित हैं

  1. सर्दियों में हिमालय पर्वत के कारगिल क्षेत्रों में तापमान-45° सेन्टीग्रेड तक पहुंच जाता है परन्तु उसी समय तमिलनाडु के चेन्नई (मद्रास) महानगर में यह 20° सेन्टीग्रेड से भी अधिक होता है। इसी प्रकार गर्मियों की ऋतु में अरावली पर्वत की पश्चिमी दिशा में स्थित जैसलमेर का तापमान 50° सेन्टीग्रेड को भी पार कर जाता है, जबकि श्रीनगर में 20° सेन्टीग्रेड से कम तापमान होता है। –
  2. खासी पर्वत श्रेणियों में स्थित माउसिनराम (Mawsynaram) में 1141 सेंटीमीटर औसतन वार्षिक वर्षा दर्ज की जाती है। परन्तु दूसरी ओर पश्चिमी थार मरुस्थल में वार्षिक वर्षा का औसत 10 सेंटीमीटर से भी कम है।
  3. बाड़मेर और जैसलमेर में लोग बादलों के लिए तरस जाते हैं परन्तु मेघालय में,सारा साल आकाश बादलों से ढका रहता है।
  4. मुम्बई तथा अन्य तटवर्ती नगरों में समुद्र का प्रभाव होने के कारण तापमान वर्ष भर लगभग एक जैसा ही रहता है। इसके विपरीत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में सर्दी एवं गर्मी के तापमान में भारी अन्तर पाया जाता है।

प्रश्न 2.
देश में जलवायु विभिन्नताओं के कारण बताओ।
उत्तर-
भारत के सभी भागों की जलवायु एक समान नहीं है। इसी प्रकार सारा साल भी जलवायु एक जैसी नहीं रहती। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. देश के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र ऊंचाई के कारण वर्ष भर ठण्डे रहते हैं। परन्तु समुद्र तटीय प्रदेशों का तापमान वर्ष भर लगभग एक समान रहता है। दूसरी ओर, देश के भीतरी भागों में कर्क रेखा की समीपता के कारण तापमान ऊंचा रहता है।
  2. पवनमुखी ढालों पर स्थित स्थानों पर भारी वर्षा होती है, जबकि वृष्टि छाया क्षेत्र में स्थित प्रदेश सूखे रह जाते हैं।
  3. गर्मियों में मानसून पवनें समुद्र से स्थल की ओर चलती हैं। जलवाष्प से भरपूर होने के कारण ये खूब वर्षा करती हैं। परन्तु आगे बढ़ते हुए इनके जलवाष्प कम होते जाते हैं। परिणामस्वरूप वर्षा की मात्रा कम होती जाती है।
  4. सर्दियों में मानसून पवनें विपरीत दिशा अपना लेती हैं। इनके जलवाष्प रहित होने के कारण देश में अधिकांश भाग शुष्क रह जाते हैं। इस ऋतु में अधिकांश वर्षा केवल देश के दक्षिण-पूर्वी तट पर ही होती है।

PSEB 9th Class SST Solutions Geography Chapter 4 जलवायु (5)

प्रश्न 3.
भारत की वर्षा ऋतु का वर्णन करो।
उत्तर-
वर्षा ऋतु को दक्षिण-पश्चिम मानसून की ऋतु भी कहते हैं। यह ऋतु जून से लेकर मध्य सितम्बर तक रहती है। इस ऋतु की मुख्य विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है

  1. भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में निम्न दाब का क्षेत्र अधिक तीव्र हो जाता है।
  2. समुद्र से पवनें भारत में प्रवेश करती हैं और गरज के साथ घनघोर वर्षा करती हैं।
  3. आर्द्रता से भरी ये पवनें 30 किलोमीटर प्रति घण्टा की दर से चलती हैं और एक मास के अन्दर-अन्दर पूरे देश में फैल जाती हैं।
  4. भारतीय प्रायद्वीप मानसून को दो शाखाओं में विभाजित कर देता है-अरब सागर की मानसून पवनें तथा खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें।
  5. खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें भारत के पश्चिमी घाट और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट की पवनाभिमुख ढालों पर 250 सें०मी० से भी अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत इस घाट की पवनाविमुख ढालों पर केवल 50 सें०मी० वर्षा होती है। मुख्य कारण वहां की उच्च पहाड़ी श्रृंखलाएं तथा पूर्वी हिमालय हैं। दूसरी ओर उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए वर्षा की मात्रा घटती जाती है।

प्रश्न 4.
भारत की मानसूनी वर्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत में वार्षिक वर्षा की मात्रा 118 सेंटीमीटर के लगभग है। यह सारी वर्षा मानसून पवनों द्वारा ही प्राप्त होती है। इस मानसूनी वर्षा की निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं हैं_-

  1. वर्षा का समय व मात्रा-देश की अधिकांश वर्षा (87%) मानसून पवनों द्वारा गर्मी के मौसम में प्राप्त होती है। 3% वर्षा सर्दियों में और 10% मानसून आने से पहले मार्च से मई तक हो जाती है। वर्षा ऋतु जून से मध्य सितम्बर के बीच होती है।
  2. अस्थिरता-भारत में मानसून पवनों से प्राप्त वर्षा भरोसे योग्य नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि वर्षा एकसमान होती रहे। वर्षा की यह अस्थिरता देश के आन्तरिक भागों तथा राजस्थान में अपेक्षाकृत अधिक है।
  3. असमान वितरण-देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है। पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों और मेघालय तथा असम की पहाड़ियों में 250 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है। दूसरी ओर पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी गुजरात, उत्तरी जम्मू-कश्मीर आदि में 25 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है।
  4. अनिश्चितता-भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित नहीं है। कभी तो मानसून पवनें समय से पहले पहुंच कर भारी वर्षा करती हैं। कई स्थानों पर तो बाढ़ तक आ जाती है। कभी यह वर्षा इतनी कम होती है या निश्चित समय से पहले ही खत्म हो जाती है कि सूखे की स्थिति पैदा हो जाती है।
  5. शुष्क अन्तराल-कई बार गर्मियों में मानसूनी वर्षा लगातार न होकर कुछ दिन या सप्ताह के अन्तराल से होती है। इसके फलस्वरूप वर्षा-चक्र टूट जाता है और वर्षा ऋतु में एक लम्बा व शुष्क काल (Long & Dry Spell) आ जाता है।
  6. पर्वतीय वर्षा-मानसूनी वर्षा पर्वतों के दक्षिणी ढलान और पवनोन्मुखी ढलान (Windward sides) पर अधिक होती है। पर्वतों की उत्तरी और पवन विमुखी ढलाने (Leaward sides) वर्षा-छाया क्षेत्र (Rain-Shadow Zone) में स्थित होने के कारण शुष्क रह जाती हैं।
  7. मूसलाधार वर्षा-मानसूनी वर्षा अत्यधिक मात्रा में और कई-कई दिनों तक लगातार होती है। इसीलिए ही यह कहावत प्रसिद्ध है कि भारत में वर्षा पड़ती नहीं है बल्कि गिरती है।’ सच तो यह है कि मानसूनी वर्षा अनिश्चित तथा असमान स्वभाव लिए हुए है।

प्रश्न 5.
भारतीय जीवन पर मानसनी पवनों के प्रभाव का उदाहरण सहित वर्णन करो।
उत्तर-
किसी भी देश या क्षेत्र के आर्थिक, धार्मिक तथा सामाजिक विकास में वहां की जलवायु का गहरा प्रभाव होता है। इस सम्बन्ध में भारत कोई अपवाद नहीं है। मानसून पवनें भारत की जलवायु का सर्वप्रमुख प्रभावी कारक हैं। इसलिए इनका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। भारतीय जीवन पर इन पवनों के प्रभाव का वर्णन इस प्रकार है

  1. आर्थिक प्रभाव-भारतीय अर्थव्यवस्था लगभंग पूर्णतया से कृषि पर आधारित है। इसके विकास के लिए मानसूनी वर्षा ने एक सुदृढ़ आधार प्रदान किया है। जब मानसूनी वर्षा समय पर तथा उचित मात्रा में होती है, तो कृषि उत्पादन बढ़ जाता है तथा चारों ओर हरियाली एवं खुशहाली छा जाती है। परन्तु इसकी असफलता से फसलें सूख जाती हैं, देश में सूखा पड़ जाता है तथा अनाज के भण्डारों में कमी आ जाती है। इसी प्रकार यदि मानसून देरी से आए तो फसलों की बुआई समय पर नहीं हो पाती जिससे उत्पादन कम हो जाता है। इस प्रकार कृषि के विकास और मानसूनी जलवायु वर्षा के बीच गहरा सम्बन्ध बना हुआ है। इसी बात को देखते हुए ही भारत के बजट को मानसूनी पवनों का जुआ (Gamble of Monsoon) भी कहा जाता है।
  2. सामाजिक प्रभाव-भारत के लोगों की वेशभूषा, खानपान तथा सामाजिक रीति-रिवाजों पर मानसून पवनों का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। मानसूनी वर्षा आरम्भ होते ही तापमान कुछ कम होने लगता है और इसके साथ ही लोगों का पहरावा बदलने लगता है। इसी प्रकार मानसून द्वारा देश में एक ऋतु-चक्र चलता रहता है, जो खान-पान तथा पहरावे में बदलाव लाता रहता है। कभी लोगों को गर्म वस्त्र पहनने पड़ते हैं तो कभी हल्के सूती वस्त्र।
  3. धार्मिक प्रभाव-भारतीयों के अनेक त्योहार मानसून से जुड़े हुए हैं। कुछ का सम्बन्ध फसलों की बुआई से है तो कुछ का सम्बन्ध फसलों के पकने तथा उसकी कटाई से। पंजाब का त्योहार बैसाखी इसका उदाहरण है। इस त्योहार पर पंजाब के किसान फसल पकने की खुशी में झूम उठते हैं। सच तो यह है कि समस्त भारतीय जन-जीवन मानसून के गिर्द ही घूमता है।

प्रश्न 6.
भारत में विशाल मानसूनी एकता होते हुए भी क्षेत्रीय विभिन्नताएं क्यों मिलती हैं ? उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि हिमालय के कारण देश में मानसूनी एकता देखने को मिलती है परन्तु इस एकता के बावजूद भारत के सभी क्षेत्रों में समान मात्रा में वर्षा नहीं होती है और कुछ क्षेत्रों में बहुत कम वर्षा होती है। इस विभिन्नता के कारण निम्नलिखित हैं

  1. स्थिति-भारत के जो क्षेत्र पर्वतोन्मुख भागों में स्थित हैं, वहां समुद्र से आने वाली मानसून पवनें पहले पहंचती हैं और खूब वर्षा करती हैं। इसके विपरीत पवन विमुख ढालों वाले क्षेत्रों में वर्षा कम होती है। उत्तर-पूर्वी मैदानी भागों, हिमाचल तथा पश्चिमी तटीय मैदान में अत्यधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत प्रायद्वीपीय पठार के बहुत-से भागों तथा कश्मीर में कम वर्षा होती है।
  2. पर्वतों की दिशा-जो पर्वत पवनों के सम्मुख स्थित होते हैं, वे पवनों को रोकते हैं और वर्षा का कारण बनते हैं। इसके विपरीत पवनों के समानान्तर स्थित पर्वत पवनों को रोक नहीं पाते और उनके समीप स्थित क्षेत्र शुष्क रह जाते हैं। राजस्थान का एक बहुत बड़ा भाग अरावली पर्वत के कारण शुष्क मरुस्थल बन कर रह गया है।
  3. पवनों की दिशा-मानसूनी पवनों के मार्ग में जो क्षेत्र पहले आते हैं, उनमें वर्षा अधिक होती है और जो क्षेत्र बाद में आते हैं, उनमें वर्षा क्रमशः कम होती जाती है। कोलकाता में बनारस से अधिक वर्षा होती है।
  4. समुद्र से दूरी-समुद्र के निकट स्थित स्थानों में अधिक वर्षा होती है। परन्तु जो स्थान समुद्र से दूर स्थित होते हैं, वहां वर्षा की मात्रा कम होती है। सच तो यह है कि विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति तथा पवनों एवं पर्वतों की दिशा के कारण वर्षा के वितरण में क्षेत्रीय विभिन्नता पाई जाती है।

प्रश्न 7.
भारत में वर्षा का वार्षिक वितरण कैसा है ?
उत्तर-
भारत में 118 सें०मी० औसत वार्षिक वर्षा होती है। परन्तु देश में वर्षा का वितरण बहुत ही असमान है। मेघालय की पहाड़ियों में 1000 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है जबकि थार मरुस्थल में एक वर्ष में केवल 20 सें०मी० से भी कम वर्षा होती है। वार्षिक वर्षा की मात्रा के आधार पर देश को निम्नलिखित पांच क्षेत्रों में बांटा जा सकता है

  1. भारी वर्षा वाले क्षेत्र-
    • दादरा तथा नगर हवेली से लेकर दक्षिण में तिरुवन्तपुरम् तक फैली लम्बी और तंग पट्टी में पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलान तथा पश्चिमी तटीय क्षेत्र सम्मिलित हैं। यहां के कोंकण तथा मालाबार के तटों पर लगातार पांच महीने वर्षा होती रहती है।
    • भारी वर्षा का दूसरा क्षेत्र देश के उत्तर-पूर्वी भाग में है। इसमें दार्जिलिंग, बंगाल द्वार, असम की मध्यवर्ती तथा निम्नवर्ती घाटियां, दक्षिणी अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के पर्वतीय भाग सम्मिलित हैं। शिलांग के पठार तथा बंगलादेश की ओर वाली ढलानों पर अत्यधिक वर्षा होती है। यहां चेरापूंजी में 1087 सेंटीमीटर और इसी के पास स्थित माउसिनराम में 1141 सेंटीमीटर वर्षा होती है जो विश्व की सबसे अधिक वर्षा है।
    • अण्डमान तथा निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप आदि क्षेत्र भी भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में आते हैं।
  2. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र-इन क्षेत्रों में निम्नलिखित क्षेत्र सम्मिलित हैं-
    • पश्चिमी घाट के साथ-साथ उत्तर-दक्षिण दिशा में ताप्ती नदी के मुहाने से केरल के मैदानों तक फैली हुई पट्टी।
    • दूसरी पट्टी हिमालय की दक्षिणी ढलानों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश से होकर कुमाऊं हिमालय से गुज़रती हुई असम की निचली घाटी तक पहुंचती है।
    • तीसरी पट्टी उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली हुई है। इसमें त्रिपुरा, मणिपुर, मीकिर की पहाड़ियां आती हैं।
  3. मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र-इन क्षेत्रों में 100 से 150 सेंटीमीटर तक की वार्षिक वर्षा होती है। देश में मध्यम वर्षा वाले तीन क्षेत्र मिलते हैं।
    • इसका सबसे बड़ा क्षेत्र उड़ीसा, उत्तरी आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा शिवालिक की पहाड़ियों के साथ-साथ तंग पट्टी के रूप में जम्मू की पहाड़ियों तक फैला हुआ है।
    • दूसरी पट्टी पूर्वी तट से 80 किलोमीटर की चौड़ाई में फैली हुई है। इसे कोरोमण्डल तट भी कहते हैं।
    • तीसरी पट्टी का विस्तार पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलानों में नर्मदा नदी के मुहाने से लेकर कन्याकुमारी तक है।
  4. कम वर्षा वाले क्षेत्र-इस श्रेणी में देश के वे अर्ध-शुष्क क्षेत्र सम्मिलित हैं, जहां पर पूरे वर्ष में औसतन 50 से 100 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। इस क्षेत्र का विस्तार उत्तर में जम्मू के साथ लगी हुई देश की सीमा से लेकर सुदूर दक्षिण में कन्याकुमारी तक है।
  5. बहुत कम वर्षा वाले क्षेत्र-इन शुष्क क्षेत्रों में 50 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है। ऐसे क्षेत्रों में से जस्कर पर्वत श्रेणी के पीछे स्थित लद्दाख से कराकोरम तक का क्षेत्र, कच्छ तथा पश्चिमी राजस्थान का क्षेत्र और पंजाब तथा हरियाणा राज्यों के दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों में पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलानें भी सम्मिलित हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह

SST Guide for Class 8 PSEB 1857 ई० का विद्रोह Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे गए प्रश्नों के उत्तर लिखो :

प्रश्न 1.
1857 ई० के विद्रोह के कौन-से दो राजनीतिक कारण थे ?
उत्तर-

  • लार्ड डल्हौज़ी ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी नाना साहिब की पेन्शन बंद कर दी।
  • डल्हौज़ी ने अवध के नवाव वाजिद अली शाह को गद्दी से हटा कर अवध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। इससे अवध में विद्रोह की भावना भड़क उठी।

प्रश्न 2.
बहादुरशाह ज़फ़र को क्या सज़ा दी गई थी ?
उत्तर-
बहादुरशाह ज़फ़र को बंदी बना कर रंगून भेज दिया गया। उसके पुत्रों को गोली मार दी गई।

प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के तत्कालीन कारण क्या थे ?
उत्तर-
भारतीय सैनिक अंग्रेजी सरकार से प्रसन्न नहीं थे। वे अंग्रेजों से बदला लेना चाहते थे। 1857 ई० में अंग्रेजी सरकार ने राइफलों में नये किस्म के कारतूस का प्रयोग आरम्भ किया। इन कारतूसों पर गाय तथा सूअर की चर्बी लगी हुई थी और प्रयोग करने से पहले इन्हें मुंह से छीलना पड़ता था। ऐसा करने से हिन्दू तथा मुस्लिम सैनिकों की भावनाओं को चोट पहुंचती थी। इसलिए वे भड़क उठे। सबसे पहले मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने 29 मार्च, 1857 ई० को इन कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया। क्रोध में आकर उसने एक अंग्रेज़ अधिकारी की हत्या भी कर दी। यही घटना 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण बनी।

प्रश्न 4.
1857 ई० के विद्रोह को और कौन-से दो नामों से जाना जाता है ?
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह को ‘भारत की स्वतन्त्रता का संग्राम’ तथा ‘सैनिक विद्रोह’ के नाम से भी जाना जाता है। कुछ इतिहासकारों ने इसे कुछ असन्तुष्ट शासकों तथा जागीरदारों का विद्रोह कहा है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह

प्रश्न 5.
1857 ई० के विद्रोह के कोई दो आर्थिक कारणों के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) भारतीय उद्योगों तथा व्यापार का विनाश। (2) ज़मींदारों की बुरी दशा।

प्रश्न 6.
1857 ई० के विद्रोह के कोई दो सामाजिक कारणों के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) भारत के सामाजिक रीति-रिवाजों में अंग्रेजों का हस्तक्षेप। (2) भारतीयों से अपमानजनक व्यवहार।

प्रश्न 7.
1857 ई० के विद्रोह की कोई चार घटनाओं के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) मंगल पांडे की शहीदी, (2) मेरठ की घटना, (3) दिल्ली की घटना, (4) लखनऊ की घटना।

प्रश्न 8.
1857 ई० के विद्रोह के तत्कालीन कारणों के बारे में संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारतीय सैनिक अंग्रेज़ी सरकार से प्रसन्न नहीं थे। वे अंग्रेजों से बदला लेना चाहते थे। 1857 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने राइफलों में नये किस्म के कारतूस का प्रयोग आरम्भ किया। इन कारतूसों पर गाय तथा सूअर की चर्बी लगी हुई थी और चलाने से पहले इन्हें मुंह से छीलना पड़ता था। ऐसा करने से हिन्दू तथा मुस्लिम सैनिकों की भावनाओं को चोट पहुंचती थी। इसलिए वे भड़क उठे। सबसे पहले मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने 29 मार्च, 1857 ई० को इन कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया। क्रोध में आकर उसने एक अंग्रेज़ अधिकारी की हत्या भी कर दी। इसी घटना से 1857 का विद्रोह आरम्भ हो गया।

प्रश्न 9.
1857 ई० के विद्रोह के समय दिल्ली की घटना के बारे संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
मेरठ की घटना के बाद 11 मई, 1857 को विद्रोही (क्रान्तिकारी) सैनिक दिल्ली पहुंचे। अंग्रेज़ सैनिक __ अधिकारियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, परन्तु उन्होंने उन अधिकारियों को मार डाला और दिल्ली में प्रवेश किया। दिल्ली में अंग्रेजी सेना के अनेक भारतीय सिपाही क्रान्तिकारियों से मिल गए। उन्होंने मुग़ल सम्राट् बहादुरशाह ज़फ़र को भारत का सम्राट घोषित किया और स्वतन्त्र भारत की घोषणा कर दी। इस घटना के चार-पांच दिन बाद ही दिल्ली पर पूरी तरह क्रान्तिकारियों का अधिकार हो गया। परन्तु 14 सितम्बर को जनरल निकलसन ने दिल्ली पर फिर से अधिकार कर लिया। बहादुर शाह ज़फ़र को बन्दी बना कर रंगून भेज दिया गया। उसके दो पुत्रों को गोली मार दी गई।

प्रश्न 10.
1857 ई० के विद्रोह के सामाजिक कारणों के बारे में संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
1857 ई० के सामाजिक कारणों का वर्णन इस प्रकार है-

1. सामाजिक तथा धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप-अंग्रेज़ गवर्नर-जनरलों विलियम बैंटिंक तथा लॉर्ड डलहौज़ी ने भारतीय समाज में सुधार किए। उन्होंने सती प्रथा तथा कन्या वध को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। विधवा विवाह की अनुमति दे दी गई। जाति-पाति तथा छुआछूत की मनाही कर दी गई। परन्तु इन सुधारों का भारतीयों पर विपरीत प्रभाव पड़ा। अतः वे अंग्रेजी साम्राज्य का अन्त करने की योजना बनाने लगे।

2. ईसाई धर्म का प्रचार-भारत में ईसाई पादरी लोगों को लालच देकर ईसाई बना रहे थे। इसके अतिरिक्त वे भारतीय धर्मों की निन्दा भी करते थे। इसलिए भारत के लोग अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।

3. भारतीयों से बुरा व्यवहार-अंग्रेज़ भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करते थे। उनके साथ होटलों, सिनेमाघरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव किया जाता था। इसलिए भारतीयों में अंग्रेजों के विरुद्ध रोष था।

प्रश्न 11.
प्रादेशिक फोकस-अवध के बारे में नोट लिखें।
उत्तर-
अवध एक समृद्ध राज्य था। वहां का नवाब वाजिद अली शाह सदा अंग्रेज़ों का वफ़ादार रहा था। परन्तु अंग्रेज़ों ने उसके राज्य में हस्तक्षेप करना आरम्भ कर दिया। उसे अपने राज्य में अंग्रेजी सेना रखने के लिए विवश किया गया। कुछ समय पश्चात् वहां की सारी देशी सेना को हटा कर अंग्रेज़ी सेना रख दी गई। इस सेना के खर्चे का सारा बोझ नवाब पर ही था। सेना से हटाए गए अवध के सभी सैनिक बेकार हो गए। 1856 ई० में अंग्रेज़ों ने नवाब पर कुशासन का आरोप लगाकर उसके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि 1857 के विद्रोह में अवध के सैनिकों, किसानों तथा ताल्लुकेदारों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. कारतूसों पर गाय तथा ……….. के माँस की चर्बी लगी होती थी।
2. लार्ड ………… की लैप्स की नीति के अनुसार बहुत-से भारतीय राज्य अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल कर लिए गए।
3. सबसे पहले यह विद्रोह …………. नामक स्थान पर शुरू हुआ।
4. नाना साहेब का प्रसिद्ध जरनैल ………….. था।
5. भारतीयों सैनिकों ने मुग़ल बादशाह ………… को अपना बादशाह (सम्राट) घोषित कर दिया।
उत्तर-

  1. सूअर
  2. डल्हौज़ी
  3. बैरकपुर
  4. तांत्या टोपे
  5. बहादुर शाह जफ़र।

III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाओ :

1. अग्रेज़ी काल में भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था। (✗)
2. भारतीय लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता था। (✗)
3. अंग्रेज़ों ने बहुत-से सामाजिक सुधार किए। (✓)
4. भारतीय उद्योग एवं व्यापार धीरे-धीरे नष्ट होना शुरू हो गये। (✓)
5. अंग्रेजों ने ‘फूट डालो व राज करो’ की नीति अपनाई। (✓)

PSEB 8th Class Social Science Guide 1857 ई० का विद्रोह Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
बहादुरशाह ज़फ़र को बंदी बना कर रखा गया-
(i) अफगानिस्तान
(ii) पाकिस्तान
(iii) रंगून
(iv) भूटान।
उत्तर-
रंगून

प्रश्न 2.
भारत का पहला सशस्त्र विद्रोह हुआ
(i) 1834 ई०
(ii) 1857 ई०
(iii) 1757 ई०
(iv) 1889 ई०।
उत्तर-
1857 ई०

प्रश्न 3.
1857 ई० में विद्रोही (क्रांतिकारी) सैनिकों ने भारत का सम्राट् घोषित किया
(i) तांत्या टोपे .
(ii) रानी लक्ष्मीबाई
(iii) नाना साहिब
(iv) बहादुर शाह ज़फ़र।
उत्तर-
बहादुर शाह जफ़र

प्रश्न 4.
1857 ई० के विद्रोह का आरम्भ हुआ
(i) दिल्ली
(ii) लखनऊ
(iii) मेरठ
(iv) झांसी।
उत्तर-
मेरठ

प्रश्न 5.
लैप्स की नीति चलाई-
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) निकलसन
(iii) लार्ड मैकाले
(iv) लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज़।
उत्तर-
लार्ड डलहौज़ी

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह

प्रश्न 6.
नाना साहिब की पेंशन किसने बंद की ?
(i) लार्ड डल्हौज़ी
(ii) लार्ड कार्नवालिस
(iii) लार्ड विलियम बैंटिंक
(iv) लार्ड वैलजेली।
उत्तर-
लार्ड डल्हौजी

प्रश्न 7.
चर्बी वाले कारतूसों को चलाने से इन्कार करने वाला सैनिक कौन था ?
(i) बहादुर शाह जफ़र
(ii) तोत्या टोपे
(iii) नाना साहिब
(iv) मंगल पांडे।
उत्तर-
मंगल पांडे

प्रश्न 8.
1857 ई० में पंजाब में अंग्रजों के खिलाफ़ किस स्थान पर सैनिक विद्रोह हुआ ?
(i) फिरोजपुर
(ii) पेशावर
(iii) जालंधर
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी।

(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. नवाब वाजिद अली शाह – दिल्ली
2. नाना साहिब – अवध
3. बहादुर शाह ज़फ़र – कानपुर
4. सरदार अहमद – खान खरल
उत्तर-

  1. अवध
  2. कानपुर
  3. दिल्ली
  4. पंजाब।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 ई० का विद्रोह सबसे पूर्व कहां शुरू हुआ तथा इसका पहला शहीद कौन था ?
उत्तर-
यह विद्रोह सबसे पहले बैरकपुर छावनी में शुरू हुआ था। इस विद्रोह का पहला शहीद मंगल पांडे था।

प्रश्न 2.
1857 ई० के विद्रोह के कोई दो धार्मिक कारण लिखें।
उत्तर-
(1) अंग्रेज़ भारत में लोगों को विभिन्न प्रकार के लालच देकर ईसाई बना रहे थे। (2) अंग्रेज़ों ने ईसाइयत के प्रसार के लिये धार्मिक अयोग्यता एक्ट (1856) पास किया।

प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के प्रमुख नेताओं के नाम लिखें।
उत्तर-
इस विद्रोह के मुख्य नेताओं के नाम थे-मुग़ल बादशाह बहादुरशाह ज़फर, नाना साहिब, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई तथा कुंवर सिंह।

प्रश्न 4.
1857 ई० के विद्रोह के कौन-से मुख्य चार केन्द्र थे ?
उत्तर-
मेरठ, दिल्ली, कानपुर तथा लखनऊ।

प्रश्न 5.
झांसी की रानी ने 1857 ई० के विद्रोह में क्यों भाग लिया था ?
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह में झांसी की रानी द्वारा भाग लेने का कारण यह था कि अंग्रेजों ने उसके द्वारा गोद लिए गए पुत्र को झांसी का उत्तराधिकारी मानने से इन्कार कर दिया था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 ई० का विद्रोह सर्वप्रथम कहां और क्यों शुरू हुआ ?
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह का आरम्भ बंगाल की बैरकपुर छावनी से हुआ। वहां मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया और एक अंग्रेज़ अधिकारी मेजर हसन को गोली मार दी। इस अपराध के कारण उसे फांसी दे दी गई। इस घटना का समाचार सुनकर सारे भारत में विद्रोह की भावना भड़क उठी।

प्रश्न 2.
अवध के सैनिक अंग्रेज़ों के विरुद्ध क्यों हुए थे ?
उत्तर-
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सबसे अच्छी सेना बंगाल की सेना थी। इस सेना में अधिकतर सैनिक अवध के रहने वाले थे। लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध को अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया। यह बात अवध के सैनिकों को अच्छी न लगी
और वे अंग्रेजों के विरुद्ध हो गये। अंग्रेजों ने अवध के नवाब की सेना को भी भंग कर दिया जिसके कारण हज़ारों सैनिक बेकार हो गये। उन्होंने कम्पनी से बदला लेने का निश्चय कर लिया।

प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के सैनिक परिणामों का वर्णन करें।
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह के सैनिक परिणाम निम्नलिखित थे

  • कम्पनी की सेना की समाप्ति-विद्रोह से पहले दो प्रकार के सैनिक होते थे-कम्पनी द्वारा नियुक्त किये गए तथा ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किये गए सैनिक। विद्रोह के पश्चात् दोनों सेनाओं का एकीकरण कर दिया गया।
  • यूरोपियन सैनिकों की वृद्धि-सेना में यूरोपियन सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई। भारतीय सैनिकों की संख्या कम कर दी गई। परन्तु पंजाब के सिक्खों तथा नेपाल के गोरखों को अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।
  • भारतीय सेना का पुनर्गठन-तोपखाने यूरोपियन सैनिकों के अधीन कर दिए गए। भारतीय सेना को निम्न कोटि के शस्त्र दिए जाने लगे।

बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 ई० के विद्रोह की मुख्य घटनाओं का वर्णन करें।
अथवा
1857 ई० के विद्रोह की मुख्य घटनाओं का वर्णन करो।
उत्तर-
1857 ई० में भारतीयों ने पहली बार अंग्रेज़ों का विरोध किया। क्रान्ति की योजना तैयार हो चुकी थी। कमल के फूलों तथा रोटियों के संकेतों द्वारा सैनिकों और ग्रामीण जनता तक क्रान्ति का सन्देश पहुंचाया गया। क्रान्ति के लिए 31 मई, 1857 ई० का दिन निश्चित किया गया, परन्तु चर्बी वाले कारतूसों की घटना के कारण क्रान्ति समय से पहले ही आरम्भ हो गई। इस क्रान्ति की प्रमुख घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है-

1. बैरकपुर-विद्रोह का आरम्भ बंगाल की बैरकपुर छावनी से हुआ। इसका नेतृत्व मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने किया। 29 मार्च, 1857 ई० को मंगल पांडे ने चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया और उसने अपने साथियों को भी ऐसा करने के लिए उत्साहित किया। उसने क्रोध में आकर एक अंग्रेज़ अधिकारी मेजर हसन को गोली मार दी। मंगल पांडे को फांसी का दण्ड दिया गया। इस घटना से बैरकपुर छावनी के सभी सैनिक भड़क उठे।

2. मेरठ-10 मई, 1857 ई० को मेरठ में भी विद्रोह की आग भड़क उठी। वहां की जनता तथा सैनिकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध खुला विद्रोह कर दिया। सारा नगर ‘मारो फिरंगी को’ के नारों से गूंज उठा। सैनिकों ने जेल के दरवाज़े तोड़ दिए और अपने बन्दी सैनिकों को मुक्त करवाया। यहां से वे दिल्ली की ओर चल पड़े।

3. दिल्ली-दिल्ली में अंग्रेजी अफसरों ने क्रान्तिकारियों को रोकने का प्रयत्न किया, परन्तु वे असफल रहे। विद्रोही सैनिकों ने बहादुरशाह ज़फर को अपना सम्राट घोषित कर दिया। उन्होंने चार-पांच दिन में दिल्ली पर अधिकार कर लिया परन्तु 14 सितम्बर, 1857 ई० को दिल्ली के क्रान्तिकारियों में फूट पड़ गई। इसका लाभ उठा कर अंग्रेज सेनापति निकलसन ने दिल्ली पर फिर से अपना अधिकार कर लिया। नागरिकों पर अनेक अत्याचार किए गए। बहादुरशाह को बन्दी बना कर रंगून भेज दिया गया। उसके दो पुत्रों को गोली मार दी गई।

4. कानपुर-कानपुर में नाना साहिब ने अपने प्रसिद्ध सेनापति तात्या टोपे की सहायता से वहां अपना अधिकार कर लिया। परन्तु 17 जुलाई, 1857 को कर्नल हैवलॉक ने नाना साहिब को पराजित करके कानपुर पर फिर से अधिकार कर लिया। तात्या टोपे ने वहां पुनः अपना अधिकार स्थापित करने का प्रयत्न किया, परन्तु वह सफल न हो सका।
इसी बीच नाना साहिब ने भाग कर नेपाल में शरण ली। तात्या टोपे भाग कर झांसी की रानी के पास चला गया।

5. लखनऊ-लखनऊ अवध की राजधानी थी। अंग्रेज सेनापति हैवलॉक ने एक विशाल सेना की सहायता से लखनऊ पर आक्रमण किया। 31 मार्च, 1858 ई० को यहां पर उनका अधिकार हो गया। कुछ समय पश्चात् अवध के ताल्लुकेदारों ने भी शस्त्र डाल दिए। इस प्रकार अवध में क्रान्ति की ज्वाला बुझ गई।

6. झांसी-झांसी में रानी लक्ष्मीबाई ने क्रान्ति का नेतृत्व किया। उसके आगे अंग्रेजों की एक न चली। जनवरी, 1858 ई० में सर ह्यूरोज़ ने झांसी को जीतना चाहा, परन्तु वह पराजित हुआ। अप्रैल, 1858 ई० में झांसी पर फिर आक्रमण किया गया। इस बार रानी के कुछ साथी अंग्रेजों से जा मिले; परन्तु रानी ने अन्तिम सांस तक अंग्रेज़ों की सेना का सामना किया। अन्त में वह वीरगति को प्राप्त हुई और झांसी के दुर्ग पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। कुछ समय पश्चात् तांत्या टोपे पकड़ा गया। 1859 ई० में उसे फांसी दे दी गई।

7. पंजाब-भले ही पंजाब की रियासतों के कुछ शासकों ने विद्रोह में अंग्रेज़ों का साथ दिया था, फिर भी कई स्थानों पर अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह भी हुए। फिरोज़पुर, पेशावर, जालन्धर आदि स्थानों पर भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किए। अंग्रेजों ने इन विद्रोहों को दबा दिया और बहुत से सैनिकों को मार डाला।

आधुनिक हरियाणा राज्य में रेवाड़ी, भिवानी, बल्लभगढ़, हांसी आदि स्थानों के नेताओं ने भी 1857 ई० के विद्रोह में अंग्रेज़ों से टक्कर ली। परन्तु अंग्रेजों ने उनका दमन कर दिया।

प्रश्न 2.
1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक, आर्थिक तथा सैनिक कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-
1857 ई० में भारतीयों ने पहली बार अंग्रेजों का विरोध किया। वे उन्हें अपने देश से बाहर निकालना चाहते थे। इस संघर्ष को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया जाता है। इस संग्राम के राजनीतिक, आर्थिक तथा सैनिक कारण निम्नलिखित थे

I. राजनीतिक कारण

1. डलहौज़ी की लैप्स नीति-लॉर्ड डलहौज़ी भारत में ब्रिटिश राज्य का अधिक-से-अधिक विस्तार करना चाहता था। इसके लिए उसने लैप्स की नीति अपनाई। इसके अनुसार कोई भी पुत्रहीन राजा पुत्र को गोद लेकर उसे अपना उत्तराधिकारी नहीं बना सकता था। इस नीति के द्वारा उसने सतारा, नागपुर, सम्भलपुर, उदयपुर आदि राज्य ब्रिटिश राज्य में मिला लिए। इधर अंग्रेजों ने झांसी की विधवा रानी को पुत्र गोद लेने की अनुमति न दी जिसके कारण वह अंग्रेजों की कट्टर शत्रु बन गई।

2. नाना साहब के साथ अन्याय-नाना साहिब मराठों के अन्तिम पेशवा बाजीराव द्वितीय का गोद लिया हुआ पुत्र था। बाजीराव की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने उसकी वार्षिक पेन्शन नाना साहब को देने से इन्कार कर दिया जिससे वह अंग्रेजों के विरुद्ध हो गया।

3. बहादुरशाह का अपमान-1856 ई० में अंग्रेजों ने मुग़ल बादशाह बहादुर शाह को यह चेतावनी दी कि उसकी मृत्यु के बाद लाल किले पर अधिकार कर लिया जायेगा। बहादुर शाह ने इसे अपना अपमान समझा और भारत में अंग्रेज़ी राज्य को समाप्त करने का प्रण ले लिया। इस निर्णय से बादशाह की बेग़म ज़ीनत महल को इतना क्रोध आया कि वह ब्रिटिश शासन को उलटने की योजनाएं बनाने लगी। देश की मुस्लिम प्रजा भी अकबर और औरंगज़ेब के परिवार का ऐसा निरादर होता देखकर अंग्रेजों के विरुद्ध भड़क उठी।

4. अवध का अन्यायपूर्ण विलय-अवध का नवाब वाजिद अली शाह अंग्रेज़ों का वफ़ादार था। परंतु अंग्रेजों ने नवाब पर कुशासन का आरोप लगाकर अवध को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। इसलिए नवाब अंग्रेजों से बदला लेने की सोचने लगा।

II. आर्थिक कारण

1. भारतीय उद्योग तथा व्यापार की समाप्ति-अंग्रेज़ भारत में व्यापार करने के लिए आये थे। वे भारत से कपास, पटसन आदि कच्चा माल सस्ते दामों पर खरीद कर इंग्लैंड ले जाते थे और वहाँ के कारखानों का तैयार माल भारत लाकर महंगे दामों पर बेचते थे। इस प्रकार भारत का धन लगातार इंग्लैंड जाने लगा। उन्होंने भारत के उद्योगों पर भी कई पाबन्दियां लगा दी। इस प्रकार भारत के उद्योग तथा व्यापार नष्ट होने लगे। इससे भारतीयों में अंग्रेजों के विरुद्ध.रोष फैल गया।

2. नौकरियों में असमानता-अंग्रेज़ी शासन में पढ़े-लिखे भारतीयों को उच्च पद नहीं दिए जाते थे। दूसरे, भारतीय कर्मचारियों को अंग्रेज कर्मचारियों से कम वेतन दिया जाता था। इस असमानता के कारण भारतीय विद्रोह पर उतारू हो गये।

3. ज़मींदारों की दुर्दशा-ज़मींदारों तथा जागीरदारों को कुछ भूमियां बादशाह द्वारा इनाम में दी गई थीं। ये भूमियां कर मुक्त थीं। परन्तु लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने इन भूमियों पर कर लगा दिया। लगान की दर भी बढ़ा दी गई। इसके अतिरिक्त सरकारी कर्मचारी लगान इकट्ठा करते समय ज़मींदारों का कई प्रकार से शोषण करते थे। इसलिए ज़मींदारों ने विद्रोह में बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

III. सैनिक कारण

1. कम वेतन-भारतीय सैनिकों के वेतन बहुत कम थे। योग्य होने पर भी उन्हें उच्च पद नहीं दिया जाता था। उनके लिए पदोन्नति के अवसर भी बहुत कम थे।
2. बुरा व्यवहार-अंग्रेज़ी शासन में भारतीय सैनिकों को यूरोपीय सैनिकों से हीन समझा जाता था। अत: अंग्रेज़ अफसर भारतीय सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार करते थे।
3. 1856 ई० का सैनिक कानून-1856 ई० में लॉर्ड केनिंग ने एक सैनिक कानून पास किया जिसके अनुसार । सैनिकों को समुद्र पार भेजा जा सकता था। परन्तु भारतीय सैनिक समुद्र पार जाना अपने धर्म के विरुद्ध समझते थे। सैनिकों के लिए यह आवश्यक कर दिया गया कि जहां भी उन्हें भेजा जाए, उन्हें जाना होगा, परिणामस्वरूप भारतीय सैनिकों में असन्तोष फैल गया।
4. अवध का विलय-बंगाल की अंग्रेज़ी सेना में अधिकतर सिपाही भारतीय थे। वे अवध को अंग्रेज़ी राज्य में मिलाए जाने के कारण अंग्रेज़ों से असन्तुष्ट थे।
5. चर्बी वाले कारतूस-1856 ई० में भारतीय सैनिकों को गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूस प्रयोग करने के लिए दिए गए। इनके कारण भारतीय सैनिकों में रोष बढ़ गया।
भारतीय सैनिकों में फैले इसी असन्तोष ने ही 1857 ई० में विद्रोह का रूप धारण कर लिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह

प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के परिणामों का वर्णन करो।
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह के महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

1. राजनीतिक परिणाम-

  • भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन समाप्त हो गया, अब भारत का शासन सीधे इंग्लैंड की सरकार के अधीन आ गया।
  • भारत के गवर्नर-जनरल को वायसराय की नई उपाधि दी गई।
  • भारत में मुग़ल सत्ता का अन्त हो गया।
  • भारतीय राजाओं को पुत्र गोद लेने की अनुमति दे दी गई।
  • अंग्रेजों ने भारत के देशी राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने की नीति का त्याग कर दिया।

2. सामाजिक परिणाम-

  • 1 नवम्बर, 1858 ई० को इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया ने एक घोषणा की। इसमें यह कहा गया कि भारत में धार्मिक सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी, भारतीयों को सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर दी जायेंगी तथा उन्हें उच्च पद भी दिए जाएंगे।
  • अंग्रेज़ों ने ‘फूट डालो और राज्य करो’ की नीति अपना ली। इस नीति के अनुसार अंग्रेजों ने हिन्दुओं तथा मुसलमानों को आपस में लड़ाना आरम्भ कर दिया, ताकि भारत में अंग्रेज़ी राज्य को कोई आंच न पहुंचे।

3. सैनिक परिणाम-

  • विद्रोह के पश्चात् भारतीय सैनिकों की संख्या कम करके यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई ताकि विद्रोह के खतरे को टाला जा सके।
  • तोपखाने में केवल यूरोपीय सैनिकों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
  • जाति तथा धर्म के आधार पर सैनिकों की अलग-अलग टुकड़ियां बनाई गईं ताकि वे एक होकर अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध विद्रोह न कर सकें।
  • ऊंचे पदों तथा महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपीय सैनिकों को नियुक्त किया गया। भारतीय सेना को कम महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपे गए।
  • कुछ इस प्रकार की व्यवस्था की गई जिससे कि भारतीय सैनिक तथा अधिकारी प्रत्येक स्तर पर यूरोपीय सेना की निगरानी में रहें।
  • यूरोपीय सेना का खर्च भारतीय जनता पर डाल दिया गया।

4. आर्थिक परिणाम-इंग्लैंड की सरकार ने भारतीयों पर कई प्रकार के व्यापारिक प्रतिबन्ध लगा दिए। परिणामस्वरूप भारतीय व्यापार को बहुत अधिक क्षति पहुंची।

प्रश्न 4.
1857 ई० की क्रान्ति में भारतीय क्यों हारे ?
उत्तर-
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे

  • समय से पहले क्रान्ति का आरम्भ होना-बहरामपुर, बैरकपुर तथा मेरठ की घटनाओं के कारण क्रान्ति समय से पहले ही आरम्भ हो गई। इससे क्रान्तिकारियों की एकता भंग हो गई और अंग्रेजों को सम्भलने का अवसर मिल गया।
  • एक उद्देश्य न होना-संग्राम में भाग लेने वाले नेता किसी एक उद्देश्य को लेकर नहीं लड़ रहे थे। कोई धर्म की रक्षा के लिए, कोई अपने राज्य की रक्षा के लिए तथा कोई देश की आजादी के लिए लड़ रहा था। इसलिए क्रान्ति का असफल होना स्वाभाविक ही था।
  • संगठन का अभाव-क्रान्तिकारियों में ऐसा कोई योग्य नेता नहीं था जो सबको एकता के सूत्र में बांध सकता। अतः संगठन के अभाव में भारतीय हार गये।
  • अप्रशिक्षित सैनिक-क्रान्तिकारियों के पास प्रशिक्षित सैनिकों की कमी थी तथा पर्याप्त युद्ध सामग्री नहीं थी। उनमें अधिकतर वे लोग थे जो सेना में से निकाले गए थे। इन सैनिकों में अनुभव की कमी थी। इसलिए क्रान्ति असफल हो गई।
  • सीमित प्रदेश में फैलना–यह संग्राम केवल उत्तरी भारत तक सीमित रहा। दक्षिणी भारत के लोगों ने इसमें भाग नहीं लिया। यदि सारा भारत एक साथ अंग्रेजों के विरुद्ध उठ खड़ा होता, तो प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम असफल न होता।
  • यातायात के साधनों पर अंग्रेजों का नियन्त्रण-रेल, डाक-तार और यातायात के साधनों पर अंग्रेजों का नियन्त्रण था। वे सैनिकों और युद्ध सामग्री को सरलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेज सकते थे।
  • क्रान्तिकारियों पर अत्याचार–अंग्रेजों ने क्रान्तिकारियों पर बड़े अत्याचार किए। नगरों को लूटकर जला दिया गया। अनेक लोगों को फांसी का दण्ड दिया गया। इन अत्याचारों से जनता भयभीत हो गई और डर के मारे कई लोगों ने संग्राम में भाग नहीं लिया।
  • आर्थिक कठिनाइयां-क्रान्तिकारियों के पास धन की कमी थी। इसलिए वे अच्छे अस्त्र-शस्त्र नहीं खरीद सकते थे। परिणामस्वरूप क्रान्तिकारी अपने उद्देश्य में असफल रहे।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 5 पशु नैतिकता

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB पशु नैतिकता InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जानवरों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
जानवर हमेशा रक्षक, सहकर्मी और कभी-कभी उनके सबसे अच्छे दोस्त के रूप में मानव जीवन के लिए उपलब्ध रहे हैं।

प्रश्न 2.
क्या जानवर इंसानों से हीन या श्रेष्ठ हैं?
उत्तर-
नहीं, वे न तो नीच हैं और न ही मनुष्यों से श्रेष्ठ हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता

प्रश्न 3.
क्या हमें जानवरों से कुछ लाभ पाने के लिए जानवरों को नुकसान पहुंचाना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें जानवरों से लाभ प्राप्त करने के लिए जानवरों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।

प्रश्न 4.
जब जानवर अपने परिवारों से अलग हो जाते हैं तो क्या जानवरों को दर्द होता है?
उत्तर-
हां, जानवरों को दर्द तब होता है जब वे अपने परिवारों से अलग हो जाते हैं।

प्रश्न 5.
क्या मशीनें जानवरों के लिए अच्छा विकल्प हैं?
उत्तर-
नहीं, मशीनें जानवरों के लिए अच्छा विकल्प नहीं हैं।

प्रश्न 6.
जानवरों की भलाई के लिए भारत ने किन कानूनों को लागू किया है?
उत्तर-
जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम 1960 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972.

प्रश्न 7.
प्रत्येक एक जानवर का नाम बताएं जिसे हम ऊन, दूध और अंडे प्राप्त करने के लिए रखते हैं?
उत्तर-
हम ऊन के लिए भेड़, दूध के लिए गाय और अंडे के लिए मुर्गियाँ रखते हैं।

प्रश्न 8.
क्या जानवरों के खिलाफ क्रूरता दंडनीय अपराध है?
उत्तर-
हां, जानवरों के खिलाफ गुणवत्ता एक दंडनीय अपराध है।

प्रश्न 9.
क्या जानवरों को अपने प्राकृतिक वातावरण में रहने का अधिकार होना चाहिए?
उत्तर-
हां, जानवरों को अपने प्राकृतिक वातावरण में रहने का अधिकार होना चाहिए।

प्रश्न 10.
क्या जानवरों को भी जीने की तीव्र इच्छा होती है?
उत्तर-
हाँ जानवरों को भी जीने की तीव्र इच्छा होती है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता

प्रश्न 11.
वेल्फेयर और जानवरों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले एक संगठन का नाम।
उत्तर-
पी०ई०टी०ए० (जानवरों के नैतिक उपचार के लोग), PETA (People of Ethical Treatment of Animals)।

प्रश्न 12.
जानवर हमारे लिए महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर-
क्योंकि हम भोजन, कपड़ा, श्रम और साहचर्य के लिए उन पर निर्भर हैं।

प्रश्न 13.
जानवरों के अधिकार क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर-
जानवरों के अधिकार महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि यह मनुष्यों को निर्दयता से व्यवहार करने से रोकेगा।

प्रश्न 14.
जानवरों को सम्मान क्यों मिलता है?
उत्तर-
क्योंकि वे हमारे जैसे जीवित प्राणी हैं।

प्रश्न 15.
क्या जानवरों में भी भावनाएँ होती हैं?
उत्तर-
हां, जानवरों में खुशी, निष्पक्षता, प्रेम, निराशा और दुःख जैसी भावनाएँ हैं।

प्रश्न 16.
पालतू जानवर हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर-
पालतू जानवर महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमें साहचर्य, भावनात्मक सहारा प्रदान करते हैं। हमारे तनाव के स्तर को कम करते हैं, अकेलेपन की भावना और हमें अपनी सामाजिक गतिविधियों को बढ़ाने में मदद करते हैं।

प्रश्न 17.
हम जानवरों की रक्षा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर-
हम पृथ्वी पर रहने और उनके भोजन की देखभाल के अधिकार का सम्मान करके जानवरों की रक्षा कर सकते हैं।

प्रश्न 18.
क्या हम जानवरों के बिना जीवित रह सकते हैं?
उत्तर-
नहीं, क्योंकि हमारे जीवित रहने के लिए आवश्यक प्राकृतिक प्रणाली जानवरों के बिना ढह जाएगी।

प्रश्न 19.
मनुष्य और जानवरों के बीच मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर-
इंसान और जानवर में बड़ा अंतर यह है कि इंसान स्वार्थी है जबकि जानवर स्वार्थी नहीं है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या यह उचित है कि जानवर और इंसान कई पहलुओं में समान हैं?
उत्तर-
इंसान और जानवरों में कई समानताएं हैं जैसे कि दोनों खाते हैं, सोते हैं, सोचते हैं और आपस में बात करते हैं दोनों में भावनाएं भी होती हैं दोनों दुख-सुख महसूस करते हैं, दर्द महसूस करते हैं और यदि दोनों ही अपने परिवारों से अलग होते हैं तो दोनों ही दुखी होते हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता

प्रश्न 2.
क्या यह सही है कि जानवर और इंसान कई पहलुओं में अलग-अलग हैं?
उत्तर-
जानवरों और इंसानों में कुछ महत्त्वपूर्ण अन्तर इस प्रकार हैं

  1. इंसान स्वार्थी है जबकि जानवर स्वार्थी नहीं हैं।
  2. इंसान लालची है जबकि जानवर लालची नहीं हैं।
  3. इंसान जानवरों को मज़े के लिए मार सकता है जबकि जानवर ऐसा कभी नहीं करते।
  4. मनुष्य प्रकृति के नियम का पालन नहीं करते हैं जबकि जानवर हमेशा प्रकृति के नियमों का पालन करते हैं।

प्रश्न 3.
किन तरीकों से जानवर हमसे हीन हैं?
उत्तर-
पशु निम्न तरीकों से हमसे हीन हैं

  1. वे तार्किक रूप से नहीं सोच सकते।
  2. उनके पास नैतिकता नहीं है।
  3. वे अपनी भावनाओं को नियन्त्रित नहीं कर सकते।
  4. विभिन्न परिस्थितियों के बीच में अन्तर नहीं कर पाते।
  5. अपनी भावनाओं के बारे में नहीं बोल सकते।

प्रश्न 4.
जानवरों में ऐसे कौन-से गुण हैं जो इंसानों के पास नहीं होते।
उत्तर-
विभिन्न जानवरों में अलग-अलग गुण होते हैं जो मनुष्य के पास नहीं होते हैं। इनमें से कुछ हैं

  1. कुत्ते बहुत कमज़ोर आवाज़ सुन सकते हैं।
  2. कई जानवर मौसम के बदलाव को समझ सकते हैं।
  3. कई जानवर अंधेरे में देख सकते हैं।

प्रश्न 5.
क्या जानवरों को मनुष्यों द्वारा उनके उपयोग से लाभ या हानि पहुंचाई जा रही है? अपने उत्तर के लिए तर्क दें।
उत्तर-
सामान्य तौर पर, जानवरों को मनुष्यों द्वारा उनके उपयोग से नुकसान पहुंचाया गया है। इंसानों ने कई जानवरों की प्रजातियों को पृथ्वी से गायब कर दिया है। कई अन्य विलुप्त होने का सामना कर रहे हैं। हालाँकि, कई मनुष्यों ने इस नुकसान का एहसास किया है और कई संगठन हैं जो जानवरों की बेहतरी और भलाई के लिए काम कर रहे हैं। हमारे पास इतनी समझ है कि हम सभी यह समझ सकें कि इस धरती पर जानवरों को रहने का समान अधिकार है और बहुत जल्द एक पूर्ण सामंजस्य होगा।

प्रश्न 6.
जानवरों के लिए भारत सरकार ने क्या किया है?
उत्तर-
भारत सरकार ने जानवरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए हैं। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण हैं जानवरों की क्रूरता की रोकथाम अधिनियम 1960 और वन्य संरक्षण अधिनियम 1972। इन कानूनों के साथ यह जानवरों से सम्बन्धित दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। इसके अलावा विश्व पशु दिवस हमारे समाज में जानवरों की स्थिति बढ़ाने के लिए हर साल 4 अक्तूबर को मनाया जाता है।

प्रश्न 7.
प्रत्येक प्राणी विशेष है। इस कथन को सही ठहराते हैं।
उत्तर-
यह सच है कि प्रत्येक प्राणी विशेष और अद्वितीय है। इसका कारण यह है कि प्रकृति में सन्तुलन बनाए रखने के लिए उनकी उपस्थिति, विशेषताएं और भूमिकाएँ अलग-अलग होती हैं। यदि बाकी सभी जीव मारे गए तो हम जीवित नहीं रह सकते। हमें विभिन्न उद्देश्यों और उत्पादों के लिए जानवरों और पौधों की आवश्यकता है। हम भोजन प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि हम अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं कर सकते। हमें ऊनी जानवरों और रेशम के कीड़ों के बिना ऊन और रेशमी जैसे फाइबर नहीं मिलेंगे। इसलिए, सभी जीव विशेष अद्वितीय और महत्त्वपूर्ण हैं।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अपने आसपास आप जितने भी जानवर देखते हैं उनमें से आपको कौन-सा जानवर पसंद और नापसंद है। हर एक का कारण बताते हुए लिखें।
उत्तर-
हम अपने आसपास कई जानवरों को देखते हैं। हम इन सभी को एक ही तरह से नहीं देखते हैं। हमें कुछ जानवर पसंद हैं और हम कुछ जानवरों से डरते हैं।
कुछ जानवर जिन्हें हम प्यार करते हैं इस प्रकार हैं

  1. कुत्ता-हम कुत्तों से प्यार करते हैं क्योंकि वे बहुत अच्छे पालतू जानवर हैं। वे हमारे घरों की रखवाली करते हैं और बहुत अच्छे साथी हैं। वे हमें वफादारी भी सिखाते हैं।
  2. पक्षी-हम पक्षियों को पसंद करते हैं क्योंकि वे बहुत अच्छे पालतू जानवर हैं और हमें उनकी उपस्थिति खुश और आकर्षक रखती हैं। मोर को उनकी सुंदरता और नृत्य के कारण पसंद करेंगे। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है।
  3. पालतू पशु-हम पालतू जानवरों से प्यार करते हैं क्योंकि वे हमें बहुत-सी चीजें देते हैं जो हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए गाय और बकरी हमें दूध देते हैं, खरगोश और भेड़ हमें ऊन, मुर्गियाँ और बत्तखें हमें अंडे देती हैं।

कुछ जानवर जिन्हें हम नफ़रत करते हैं

  1. साँप-हम साँपों से नफ़रत इसलिए करते हैं क्योंकि जब सांप हमें काटते हैं तो हम मर सकते हैं। परन्तु वे हमारी फसलें चूहों और छचुंदरों से बचाकर हमारी सहायता भी करते हैं। वे हमें केवल तभी काटते हैं जब हम उन्हें नुकसान पहुंचाने या चोट पहुंचाने का काम करते हैं। इस लिए यह सही कहा गया है कि सांप शत्रु की अपेक्षा मित्र अधिक हैं।
  2. मच्छर, मक्खी और मकड़ी-हम इन्हें पसंद नहीं करते क्योंकि ये डर, बेअरामी और कई प्रकार की बीमारियां फैलाते हैं।
  3. जंगली जानवर-हम कई जंगली जानवरों जैसे शेर चीता, लकड़बग्घा आदि से नफ़रत करते हैं। हम इनसे इसलिए नफ़रत करते हैं क्योंकि ये जानवर हमारे लिए खतरनाक हैं और हमें मार सकते हैं।

प्रश्न 2.
एक संक्षिप्त कहानी लिखो जिसमें यह बताया गया हो कि कुत्ता आपके प्रति वफ़ादार रहता है यदि आप उसकी देखभाल करते हो।
उत्तर-
हरि एक गेहूं का व्यापारी था। उसका एक बड़ा गोदाम था। उसने एक दिन एक बीमार कुत्ता अपने गोदाम के नज़दीक देखा। वह कुत्ते को डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने कुत्ते का इलाज करवाया। कुछ दिनों बाद कुत्ते की सेहत ठीक हो गई। कुत्ते ने हरि की दयालुता याद रखी। कुत्ते ने गोदाम के पास रहना शुरू कर दिया और हरि ने कुत्ते को खिलाना शुरू कर दिया। एक रात, दो चोर गेहूं चोरी करने के लिए गेहूं के गोदाम में घुसे। हरि अकेला था इसलिए चोर आश्वस्त थे वे आसानी से चोरी कर सकेंगे। हरि सहायता के लिए चिल्लाया। कुत्ते ने हरि की चीखें सुनीं और गोदाम की तरफ भागता हुआ आ गया। हरि की आँखों में डर को देखकर कुत्ता सब कुछ समझ गया। उसने एक चोर हर हमला किया और उसके हाथ को काट लिया। चोर डर गया और भाग गया। हरी की जिंदगी और गोदाम बच गए। हरि कुत्ते का धन्यवादी था।

यह कहानी यह बताती है कि कुत्ता उसके लिए किए गए उपकार को कभी नहीं भूलता और उस व्यक्ति के लिए वफादारी दिखाता है जिसने उसके प्रति दयालुता दिखाई हो और उसका ध्यान रखा हो।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता

प्रश्न 3.
जानवरों को नुकसान पहुंचाने का अर्थ है स्वयं को नुकसान पहुंचाना। इस कथन को सिद्ध करो।
उत्तर-
कुछ व्यक्तियों को देखा गया है कि वे दूसरे जानवरों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह अधिकतर हमारे लालच और डर का परिणाम है। जानवरों के प्रति क्रूरता के लिए कुछ मिथ्य विचार भी ज़िम्मेदार हैं। मनुष्य कुछ चीजें पाने के लिए जानवरों का शिकार भी करते आए हैं। इस क्रूरता भरे काम से कई जानवर समाप्त होते जा रहे हैं। कुदरत ने जानवरों को बचाने के लिए एक सन्तुलन बनाया हुआ है। प्रत्येक जीवित प्राणी इस सन्तुलन को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है। यदि हम एक ही जाति के सभी जानवरों को मार देंगे तो यह सन्तुलन खराब हो जाएगा। ऐसी स्थिति में, हम खुशी के साथ सही ढंग से रहने के योग्य नहीं होंगे। यदि बहुत-सी श्रेणियों के जानवर विलुप्त हो जाएंगे तो सन्तुलन इस कद्र बिगड़ जाएगा कि वह हमारे उत्तर-जीवन में सहायता करने के योग्य नहीं रहेगा। अतः हमारे अस्तित्व पर भी संकट आ जाएगा। इसलिए हमें पशुओं को हानि नहीं पहुंचानी चाहिए क्योंकि यह अप्रत्यक्ष तौर पर हमारे स्वयं को हानि है।

प्रश्न 4.
उन चार संस्थाओं के नाम बताओ जो पशु अधिकार की रक्षा के लिए कार्य कर रही हैं।
उत्तर-
पशुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्यरत कुछ संस्थाएं ये हैं

  1. पशुओं के नैतिक उपचार के लिए जनता (PETA)
  2. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI)
  3. राष्ट्रीय पशु कल्याण संस्थान (NIAW)
  4. भारत का ब्लू क्रास (BCI)
  5. जंगली जीव बचाव एवं पुनर्वास केन्द्र (WRRC)
  6. पशु कल्याण के लिए बुद्ध समाज (BSAW)
  7. पशु प्रेमियों का समूह (GOAL)
  8. भारतीय पशु रक्षा संगठन का संघ (FIAPU)
  9. आओ मिल कर रहें (LLT)।

प्रश्न 5.
पशुओं पर दवाइयों के प्रयोग पर प्रतिबन्ध होना चाहिए। इस प्रतिबन्ध के कारण बताओ।
अथवा पशुओं पर प्रयोग को क्यों रोका जाना चाहिए ?
उत्तर-
हमें पशुओं पर दवाइयों को प्रयोग क्यों नहीं करने चाहिए इसके कुछ कारण ये हैं

  1. पशुओं पर प्रयोग पूर्ण रूप से खत्म होना चाहिए क्योंकि यह पशुओं के अधिकारों का हनन है।
  2. यह प्रयोग किए जा रहे पशुओं के दर्द व कष्ट का कारण है।
  3. हमारे पास उत्पादों की विषाकतता को परखने के अन्य साधन उपलब्ध हैं।
  4. जो पशुओं के लिए अच्छा है वह मनुष्यों के लिए भी अच्छा नहीं हो सकता। इस ढंग से हम अपने भले के लिए पशुओं को कष्ट का कारण बनाते हैं।
  5. पशुओं पर प्रयोग बहुत-से मामलों में महंगा साबित होता है और यह प्रयोग का बेकार ढंग है।
  6. यह पशुओं में बहुत-से परिवर्तन ला सकता है जो उन्हें बहुत खतरनाक जीवों में विकसित कर सकता है।

प्रश्न 6.
पशुओं के विरुद्ध क्रूरता के कुछ कार्य बताओ।
अथवा
आप कैसे परिभाषित करेंगे कि कुछ मानवीय कार्य बहुत क्रूर हैं और पशुओं के अधिकारों का हनन है?
उत्तर-
कुछ मानवीय कार्य जो पशुओं के लिए बहुत क्रूर हैं और पशुओं के अधिकारों का हनन है वे निम्नलिखित हैं

  1. मानवीय जीवन को बढ़िया बनाने के लिए विभिन्न उत्पादों की जांच।
  2. जनता के मनोरंजन के लिए या सर्कस में पशुओं के करतब दिखाना।
  3. पशुओं को जंजीरों में या पिंजरे में कैद रखना।
  4. खाने या कपड़ों के लिए या दवाइयों के लिए पशुओं को पालना और मारना।
  5. मनोरंजन के लिए पशुओं को मारना और उनके शरीर से कुछ प्राप्त करने के लिए उनका वध।
  6. पशुओं को पालतू बनाने के लिए पीटना।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन सबसे पुराना सम्बन्ध है?
(क) मानव और मशीनों के बीच सम्बन्ध
(ख) मानव और प्रौद्योगिकी के बीच सम्बन्ध
(ग) विभिन्न देशों में रहने वाले मनुष्यों के बीच सम्बन्ध
(घ) मनुष्य और जानवरों के बीच सम्बन्ध।
उत्तर-
(घ) मनुष्य और जानवरों के बीच सम्बन्ध।

प्रश्न 2.
जानवर मनुष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि वे
(क) रक्षक के रूप में कार्य कर सकते हैं
(ख) सहायक के रूप में कार्य कर सकता है
(ग) सबसे अच्छे दोस्त के रूप में कार्य कर सकता है
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता

प्रश्न 3.
एक सभ्य मानव के रूप में हमें ध्यान रखना चाहिए
(क) अन्य मनुष्य का
(ख) जानवर का
(ग) पेड़ का
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 4.
जानवर हैं
(क) कुछ गुणों में मनुष्यों से हीन
(ख) कुछ गुणों में मानव से श्रेष्ठ
(ग) दोनों सही
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(ग) दोनों सही।

प्रश्न 5.
हम मदद लेते हैं
(क) अन्य मनुष्य से
(ख) मशीनों से
(ग) कुछ पशु से
(घ) सब सही हैं।
उत्तर-
(घ) सब सही हैं।

प्रश्न 6.
जो जानवर हमारे साथ रहते हैं और हमारे लिए फायदेमंद होते हैं उन्हें कहा जाता है
(क) जंगली जानवर
(ख) पाले गए पशु
(ग) दोनों सही हैं
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(ख) पाले गए पशु।

प्रश्न 7.
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम बनाया गया
(क) 1972
(ख) 1960
(ग) 1945
(घ) 1985
उत्तर-
(क) 1972.

प्रश्न 8.
पशुओं के लिए क्रूरता की रोकथाम अधिनियम बनाया गया
(क) 1970
(ख) 1960
(ग) 1945
(घ) 1985.
उत्तर-
(ख) 1960.

प्रश्न 9.
हमें समझना चाहिए जानवर भी यह महसूस करते हैं
(क) हमारे द्वारा उनके बच्चों की देखभाल
(ख) दरद
(ग) खुशी
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 10.
कथन (क): घरेलू जानवर अपने भोजन और आश्रय के लिए मनुष्य पर निर्भर करते हैं।
कथन (ख): शाकाहारी जानवर पौधों और पौधों के उत्पादों को खाते हैं। निम्न में से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है और कथन ख गलत है।
(ख) कथन क गलत है और कथन ख सही है।
(ग) दोनों कथन सही हैं।
(घ) कोई भी सही नहीं।
उत्तर-
(ग) दोनों कथन सही हैं।

प्रश्न 11.
जानवरों को नुकसान पहुँचाए बिना निम्नलिखित में से कौन-सा प्राप्त किया जा सकता है?
(क) ऊन
(ख) दूध
(ग) अंडे
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 12.
हमारे समाज में जानवरों की स्थिति बढ़ाने के लिए हर साल 4 अक्तूबर को कौन-सा दिन मनाया जाता है?
(क) वर्ल्ड पीकॉक डे (विश्व सिंह दिवस)
(ख) वर्ल्ड हेल्थ डे (विश्व स्वास्थ्य दिवस)
(ग) वर्ल्ड प्लांट डे (विश्व पौधा दिवस)
(घ) वर्ल्ड लॉयन डे (विश्व सिंह दिवस)।
उत्तर-
(ख) वर्ल्ड हेल्थ डे (विश्व स्वास्थ्य दिवस)।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 5 पशु नैतिकता

रिक्त स्थान भरो:

  1. …………….. हमेशा मानव जीवन के लिए रक्षक, सह-कार्यकर्ता और कभी-कभी उनके सबसे अच्छे दोस्त के रूप में उपलब्ध रहे हैं।
  2. पृथ्वी पर सभी जीवों का सम्मान करना और उनकी देखभाल करना हमारा ……….. है।
  3. आज की ………………. वह काम करती हैं जिसके लिए हम अतीत में जानवरों पर सीधे निर्भर रहते थे।
  4. हमें याद रखना चाहिए कि जानवर भी …………… और …………… महसूस करते हैं।
  5. गायों और भैंसों को नुकसान पहुंचाए बिना हम ………… पा सकते हैं।
  6. हम ………….. को नुकसान पहुँचाए बिना ऊन पा सकते हैं।
  7. ……………. में जानवरों पर क्रूरता को रोकने के लिए भारतीय कानून लागू किया गया।
  8. भारत ने ………….. में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम बनाया।
  9. जानवरों के लिए करता एक दंडनीय ………….. है।
  10. हमारे समाज में जानवरों की स्थिति बढ़ाने के लिए हर साल ………….. को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

उत्तर-

  1. जानवर
  2. कर्त्तव्य
  3. मशीनें
  4. सुख, दुःख
  5. दूध
  6. भेड़
  7. 1960
  8. 1972
  9. अपराध
  10. 4 अक्तूबर।

सही/ग़लत:

  1. यदि हम पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों की देखभाल करते हैं, तो हम खुश हो सकते हैं।
  2. जानवरों का शिकार करना एक मजेदार बात है।
  3. जानवरों का सम्मान करने और उनकी देखभाल करने से हमें कई फायदे मिलते हैं।
  4. जानवरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई कानून हैं।
  5. जानवर सभी मामलों में हमारे लिए नीच हैं।
  6. हम जानवरों को नुकसान पहुंचाए बिना कई उपयोगी चीजें जैसे दूध, ऊन, अंडे आदि प्राप्त कर सकते हैं।
  7. कुत्ता एक रक्षक जानवर है।
  8. जानवरों को खुशी और दुःख महसूस नहीं होता है। 9. जानवरों पर दवाओं के परीक्षण पर प्रतिबन्ध नहीं लगाया जाना चाहिए।
  9. हमें सभी जानवरों को मारना चाहिए ताकि मनुष्यों को कोई खतरा न हो।

उत्तर-

  1. सही
  2. ग़लत
  3. सही
  4. सही
  5. ग़लत
  6. सही
  7. सही
  8. ग़लत
  9. ग़लत
  10. ग़लत।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

PSEB 9th Class Home Science Guide रसोई का प्रबन्ध Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रसोई घर का महत्त्वपूर्ण भाग क्यों होती है ?
उत्तर-
रसोई में घर के सदस्यों के लिए खाना तैयार किया जाता है तथा गृहिणी का मुख्य काम रसोई में ही होता है तथा उसका अधिक समय रसोई में ही व्यतीत होता है। इस तरह रसोई, घर का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 2.
पुरानी किस्म और नई किस्म की रसोई में मुख्य क्या अन्तर है ?
उत्तर-
पुरानी किस्म की रसोई में सारा काम ज़मीन पर बैठकर किया जाता था जैसे खाना पकाने तथा खाना खाने के लिए पटड़े अथवा पीड़ी पर ही बैठा जाता था।
नई किस्म की रसोई में सारा काम खड़े होकर किया जाता है तथा बार-बार उठने-बैठने के लिए समय तथा शक्ति खराब नहीं होती। फ्रिज आदि भी रसोई में ही होता है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

प्रश्न 3.
कार्य व्यवस्था से क्या भाव है ?
उत्तर-
रसोई घर में कार्य किस तरह किया जाए अर्थात् विभिन्न कार्यों के प्रबन्ध को कार्य व्यवस्था कहा जाता है।
रसोई के कार्य को तीन कार्य क्षेत्रों में बांटा गया है-(i) भोजन की तैयारी (ii) पकाना तथा परोसना (iii) हौदी।

प्रश्न 4.
रसोई कितने प्रकार की हो सकती हैं ?
उत्तर-
नई रसोई में खड़े होकर काम करने के लिए शैल्फें होती हैं। शैल्फ के अनुसार पांच किस्म की रसोइयां हो सकती हैं –
(i) एक दीवार वाली
(ii) दो दीवारों वाली
(iii) एल (L) आकार वाली
(iv) यू (U) आकार वाली तथा
(v) टूटे यू (U) आकार वाली।

प्रश्न 5.
रसोई में बिजली के स्विच कैसे होने चाहिएं ?
उत्तर-
रसोई में बिजली के उपकरणों के प्रयोग के हिसाब से स्विच होने चाहिएं। अनावश्यक स्विच नहीं लगाने चाहिएं।

प्रश्न 6.
रसोई में कैसे रंगों का प्रयोग करना चाहिए और क्यों ?
उत्तर-
रसोई में हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि हल्के रंग खुलेपन का अनुभव करवाते हैं।

प्रश्न 7.
रसोई के साथ स्टोर की ज़रूरत कब और क्यों होती है ?
उत्तर-
जिन घरों में रसोई का सामान इकट्ठा खरीदा जाता है उन घरों में रसोई के साथ स्टोर भी होना चाहिए तथा जाली के दरवाज़े हमेशा बन्द रखने चाहिएं। रसोई साफ-सुथरी होनी चाहिए।

प्रश्न 8.
मक्खी-मच्छर से बचाव के लिए आप रसोई में क्या प्रबन्ध करोगे ?
उत्तर-
मच्छर-मक्खी से बचाव के लिए रसोई के दरवाज़ों तथा खिड़कियों पर जाली लगी होनी चाहिए तथा रसोई के जाली के दरवाज़े हमेशा बन्द रखने चाहिएं। रसोई साफ सुथरी होनी चाहिए।

प्रश्न 9.
रसोई की सफ़ाई क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
रसोई की साफ़-सफ़ाई बहुत ज़रूरी है क्योंकि यदि रसोई गन्दी होगी तो कई जीव-जन्तुओं को अपना घर बनाने का अवसर मिल जायेगा क्योंकि रसोई में खाद्य पदार्थ उन्हें आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं। रसोई में जहरीली दवाइयों का प्रयोग भी नहीं किया जा सकता इसलिए यह अति आवश्यक हो जाता है कि रसोई की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 10.
घर में रसोई का चयन कैसे करना चाहिए ?
उत्तर-

  1. रसोई का चुनाव घर तथा घर वालों की संख्या के अनुसार किया जाना चाहिए।
  2. रसोई ऐसे स्थान पर होनी चाहिए जहां हवा तथा सीधी रोशनी पहुंच सके।
  3. दरवाज़े तथा खिड़कियां हवा की दिशा में होनी चाहिएं।
  4. रसोई में आग की गर्मी होती है इसलिए रसोई में धूप नहीं आनी चाहिए नहीं तो गर्मियों में रसोई अधिक गर्म हो जाएगी।
  5. रसोई न तो अधिक बड़ी हो तथा न ही अधिक छोटी। छोटी रसोई में काम करना कठिन हो जाता है। अधिक बड़ी रसोई में अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
  6. रसोई को शौचालय अथवा नालियों से दूर र नायें ताकि इनकी दुर्गंध रसोई तक न पहुंच सके।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

प्रश्न 11.
रसोई, घर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। इस तथ्य को स्पष्ट करो।
उत्तर-
मनुष्य काम-काज करने के लिए ऊर्जा भोजन से प्राप्त करता है तथा भोजन रसोई घर में पकाया जाता है। इस तरह रसोई का मनुष्य के जीवन में काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान है। गृहिणी रसोई की मालकिन होती है, उसका काफ़ी समय रसोई में बीतता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि रसोई, घर का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 12.
रसोई में काम करने के मुख्य केन्द्र कौन-से हैं ? और वहां क्या-क्या कार्य किए जाते हैं ?
उत्तर-
रसोई में काम करने के तीन मुख्य केन्द्र हैं –

  1. भोजन की तैयारी
  2. भोजन पकाना तथा परोसना
  3. हौदी।

1. भोजन की तैयारी-भोजन पकाने से पहले सब्जियों को छीलने, काटने, चुनने आदि की तैयारी की जाती है। खाना पकाने के लिए अन्य सम्बन्धित कार्य भी यहीं होते हैं। इसलिए रसोई खुली होनी चाहिए। समय तथा शक्ति बचाने के लिए हौदी तथा खाना पकाने वाली जगह साथ-साथ होनी चाहिए तथा रैफ्रिजरेटर का दरवाज़ा काऊंटर (शैल्फ) की तरफ नहीं खुलना चाहिए नहीं तो फ्रिज में से सामान निकाल कर शैल्फ पर रखने में परेशानी होगी।

2. भोजन पकाने तथा परोसने वाली जगह-रसोई में एक हिस्से में खाना पका कर गर्म-गर्म परोसा जाता है। यहां बिजली का चूल्हा, गैस, स्टोव अथवा अंगीठी आदि रवी होती है जिसके आस-पास जगह खुली होनी चाहिए ताकि खाना पकाते समय आसानी रहे । खाना पकाने वाले बर्तन इस जगन के नजदीक शेफ डालकर का नाम । कड़छिया गश चम्मच
मिटियां लगाती।

3. हौदी-हौदी का प्रयोग साधारणत: बर्तन साफ़ करने के लिए किया जाता है। रेफ्रिजरेटर में भोजन पदार्थ रखने से पहले उन्हें अच्छी तरह धोने के लिए भी हौदी का प्रयोग होता है। खाना पकाने तथा इसकी तैयारी के समय भी पानी यहां लगी टूटी से लिया जाता है। इसलिए रसोई में हौदी आसान पहुंच के अन्दर होनी चाहिए, कोने में नहीं। हौदी के नज़दीक बर्तन तथा आवश्यक सामान रखने का स्थान भी होना चाहिए। आस-पास का पानी निचुड़ कर हौदी में ही गिरना चाहिए।

प्रश्न 13.
नई और पुरानी किस्म की रसोई में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर-
रसोई के दरवाज़े तथा खिड़कियों पर जाली लगी होनी चाहिए तथा इन दरवाज़ों को हमेशा बन्द रखना चाहिए। इस तरह मक्खी-मच्छर रसोई में नहीं आ सकेंगे। रसोई में रोशनदानों का होना भी अनिवार्य है। रसोई का धुआं निकालने के लिए चिमनी अथवा एग्ज़ास्ट पंखा लगा लेना चाहिए। साधारण परिवार के लिए रसोई का आकार 9x 10 फुट का होता है। परन्तु यह घर के आकार के अनुसार भी हो सकता है।

नई तथा पुरानी किस्म की रसोई में अन्तर-पुराने किस्म की रसोई में ज़मीन पर बैठकर ही सारा काम किया जाता है। परन्तु नई किस्म की रसोइयों में खड़े होकर सारा काम किया जाता है। इसलिए शैल्फें बनायी जाती हैं। इन शैल्फों की ऊँचाई साधारणतः फर्श से 2½ फुट होती है पर गृहिणी की लम्बाई के अनुसार यह ऊँचाई अधिक या कम भी हो सकती है।

प्रश्न 14.
नई किस्म की किन्हीं तीन रसोइयों के बारे में बताओ।
उत्तर-
रसोई में पाई जाने वाली शैल्फ के अनुसार रसोइयां पांच तरह की हैं। इनमें से तीन का विवरण निम्नलिखित है –
1. एल (L) आकार की रसोई-साधारण घरों में (L) आकार की रसोई ही प्रचलित है। इसकी एक बाजू लम्बी होती है तथा दूसरी छोटी होती है। ऐसी रसोई में साधारणतः लम्बी तरफ काम करने के दो केन्द्र हो सकते हैं जैसे हौदी तथा तैयारी का केन्द्र तथा छोटी बाजू की ओर खाना पकाने का केन्द्र होता है।PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध (1)

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

2. यू (U) आकार की रसोई-रसोइयों में से यू (U) किस्म की रसोई सब किस्मों से अच्छी मानी जाती है तथा यह काफ़ी प्रचलित भी है। ऐसी रसोई में खाना पकाने का केन्द्र एक बाजू के बीच होता है तथा दूसरी बाजू तैयारी के केन्द्र के रूप में प्रयोग की जाती है। हौदी यू के तल पर हो सकती है। ऐसी रसोई में काम करने के लिए तथा सामान रखने के लिए अल्मारियां बनाने के लिए काफ़ी स्थान होता है। ऐसी रसोई में अधिक चलना-फिरना भी नहीं पड़ता तथा रसोई रास्ता भी नहीं बनती।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध (2)

3. टूटे यू (U) आकार की रसोई-ऐसी रसोई में यू (U) के तल वाली तरफ शैल्फ पूरे नहीं होते पर यू आकार की रसोई की तरह इसमें काम करने तथा सामान रखने के लिए काफ़ी जगह होती है।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध (3)

प्रश्न 15.
रसोई का सामान रखने के लिए क्या-क्या प्रबन्ध किये जा सकते है ?
उत्तर-
रसोई में सामान रखने के लिए दीवारों में अल्मारियां अथवा रैक बनाये होते हैं। अल्मारियां अपनी आवश्यकतानुसार कम अथवा अधिक बनायी जा सकती हैं। शैल्फें, रैक अथवा अल्मारियां काम करने के अन्य केन्द्र जैसे भोजन की तैयारी, पकाने का केन्द्र तथा

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध (4)

हौदी अनुसार ही बनाई जाती हैं। रसोई में बर्तन रखने के लिए एल्यूमीनियम अथवा स्टील के स्टैंड भी लगाये जा सकते हैं। यह दीवार में ही फिट हो जाते हैं। इनमें प्लेटें, कटोरियां, गिलास आदि रखने के लिए अलग-अलग जगह बनी होती है।
वस्तुओं को रैफ्रिजरेटर अथवा जालीदार अल्मारी में रखना चाहिए। कोई भी वस्तु नंगी नहीं रखनी चाहिए।

प्रश्न 16.
रसोई की योजना बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
रसोई की योजना बनाते समय विचार करने वाली बातें इस तरह हैं –

  1. पानी के लिए हौदी में टूटी का प्रबन्ध होना चाहिए अथवा किसी बाल्टी आदि को टूटी लगा कर पानी से भरकर रख लेना चाहिए।
  2. रसोई में सामान रखने के लिए अल्मारियां, रैक आदि पर कड़छियां, चम्मच, चाकू आदि टांगने के लिए खूटियां आदि होनी चाहिएं।
  3. रसोई का फर्श पक्का संगमरमर, दार टाइलों, लिनोलियम आदि का तथा जल्दी साफ हो सकने वाला तथा अधिक ढलान वाला होना चाहिए ताकि इसे आसानी से धोया जा सके। परन्तु रसोई का फर्श फिसलन वाला नहीं होना चाहिए।
  4. फर्श की तरह रसोई की दीवारें भी साफ़ हो सकने वाली होनी चाहिएं। इन पर पेंट अथवा धोए जा सकने वाले पेपर का प्रयोग भी किया जा सकता है।
  5. रसोई में एक ही दरवाज़ा रखना चाहिए क्योंकि अधिक दरवाज़े काम करने की जगह तो घटाते ही हैं तथा चलने-फिरने तथा सामान रखने में भी रुकावट पैदा करते हैं।
  6. धुआँ बाहर निकालने के लिए चूल्हे के ऊपर चिमनी (अथवा एग्ज़ास्ट फैन) अवश्य होनी चाहिए नहीं तो धुआं दूसरे कमरों में फैल जायेगा।
  7. रसोई में बिजली के उपकरणों के प्रयोग के अनुसार ही बिजली के स्विच लगाने चाहिएं।
  8. रसोई में हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। हल्के रंग खुलेपन का अनुभव करवाते हैं।

प्रश्न 17.
रसोई की सफ़ाई से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
रसोई के प्रत्येक स्थान को धो-पोंछ कर साफ़ करना चाहिए। भोजन समाप्त हो जाने के पश्चात् बचा हुआ भोजन दूसरे साफ़ बर्तनों में रखकर जालीदार अलमारी अथवा रेफ्रिजरेटर में रख देना चाहिए। जूठे बर्तनों को साफ़ करने के स्थान पर ही साफ़ किया जाना चाहिए। भोजन पकाने तथा परोसने के स्थान को पहले गीले तथा फिर सूखे कपड़े से पोंछ कर साफ़ करना चाहिए। बर्तनों को साफ़ करके उचित स्थान पर टिका कर रखना चाहिए। नल, फर्श, सिंक (हौदी) आदि को साफ़ करके सूखा रखने की कोशिश करनी चाहिए। रसोई घर में चौकी, तख्त, मेज़ कुर्सी की सफ़ाई भी हर रोज़ की जानी चाहिए तथा फर्श को भी पानी से रोज़ साफ़ करना चाहिए। सिंक (हौदी) को झाड़ अथवा कूची से रगड़ कर धोना चाहिए।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 18.
रसोई हमारे घर का ज़रूरी अंग है, क्यों ?
उत्तर-
मनुष्य की सारी भाग-दौड़ का मुख्य कारण वास्तव में पेट की भूख को मिटानाहै तथा भाग-दौड़ तभी की जा सकती है यदि पेट भरा हो। ‘भूखे पेट भजन न होय’.वाली कहावत से सभी परिचित ही हैं। भोजन जहां मनुष्य को काम-काज करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है, वहीं उसे जीवित रखने में भी सहायक है।
परन्तु भोजन बनाया कहां जाता है, रसोई में। इस तरह रसोई मनुष्य के जीवन में एक विशेष महत्त्व रखती है। पुराने समयों से ही यह बांट कर ली गयी थी कि बाहरी काम आदमी करेगा तथा घर के काम जैसे भोजन पकाना आदि गृहिणी करेगी। इस तरह यदि आदमी सारा दिन घर से बाहर काम करता है तो गृहिणी भी लगभग सारा दिन स्वादिष्ट तथा पौष्टिक भोजन की तैयारी में रसोई में ही बिताती है। इस तरह रसोई हमारे घर तथा जिंदगी का आवश्यक अंग है।

प्रश्न 19.
रसोई बनाते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखोगे ?

प्रश्न 20.
नई और पुरानी किस्म की रसोई के बारे में बताओ। इनमें क्या अन्तर है ?
उत्तर-
रसोई की किस्में –
1. पुरानी किस्म-पुरानी किस्म की रसोई में साधारणतः सारा काम ज़मीन पर बैठ कर ही किया जाता है। भारत में अधिकांश घरों विशेष कर गांवों में इस तरह की रसोइयां हैं। ऐसी रसोई में अंगीठी अथवा चूल्हा ज़मीन पर ही बनाया जाता है। बैठने के लिए पटड़े अथवा पीड़ी का प्रयोग किया जाता है। रसोई में ही पीड़ी अथवा पटड़े पर बैठकर खाना खा लिया जाता है।

बैठकर खाना पकाते समय कोई भी चीज़ लेने अथवा रखते समय बार-बार उठना पड़ता है जैसे बर्तन, भोजन, पानी अथवा कोई अन्य वस्तु । इस तरह उठने-बैठने पर काफ़ी समय तथा शक्ति लग जाती है क्योंकि सारा सामान बैठने वाली के नज़दीक नहीं रखा जा सकता। समय के साथ-साथ शक्ति अधिक लगने के कारण शरीर को अधिक तकलीफ देनी पड़ती है। सफ़ाई के पक्ष से भी इस तरीके को सही नहीं कहा जा सकता क्योंकि काम करते हुए सारा सामान ज़मीन पर रखना पड़ता है।

2. नई किस्म की रसोइयां-विज्ञान की उन्नति से नए-नए उपकरणों की खोज हुई तथा इनके प्रयोग से काम आसान तरीके सें तथा कम समय में होने लगा है। समय तथा शक्ति की बचत हो सके इसलिए नई किस्म की रसोइयां बनने लगी हैं। इनमें खड़े-खड़े ही सभी काम कर लिए जाते हैं, बार-बार उठने-बैठने के लिए समय तथा शक्ति व्यर्थ नहीं जाते। फ्रिज़ के लिए भी साधारणतः रसोई में ही जगह बना ली जाती है। काम करने के लिए जो शैल्फ होती है उसके अनुसार पांच प्रकार की रसोइयां होती हैं –
(i) एक दीवार वाली
(ii) दो दीवारों वाली
(iii) एल (L) आकार वाली
(iv) यू (U) आकार वाली
(v) टूटे यू (U) आकार वाली।
नई किस्म तथा पुरानी किस्म की रसोई में अन्तर निम्नलिखित अनुसार हैं –

नई किस्म पुरानी किस्म
1. इसमें सभी काम खड़े होकर ही किये जाते हैं।

2. गैस चूल्हे अथवा अन्य नये उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

3. समय तथा शक्ति की बचत हो जाती है।

4. भोजन पकाते समय सफ़ाई का ध्यान रखा जा सकता है।

1. इसमें सभी काम बैठ कर किए जाते हैं।

2. वही पुराने चूल्हों, स्टोव तथा अंगीठियों का प्रयोग किया जाता है।

3. समय तथा शक्ति दोनों व्यर्थ होते हैं।

4. क्योंकि सारा सामान ज़मीन पर रखना पड़ता है इसलिए सफ़ाई के पक्ष से भी यह रसोई बढ़िया नहीं है।

प्रश्न 21.
रसोई की सफ़ाई क्यों ज़रूरी है ? इसके अन्तर्गत क्या-क्या आता है ?
उत्तर-
रसोई की सफ़ाई बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि रसोई में खाद्य पदार्थ रखे होते हैं इसलिए यदि सफ़ाई न रखी जाये तो कई तरह के जीव-जन्तु पैदा हो जाते हैं। खाद्य पदार्थों वाली अल्मारियों में जहरीले रसायन पदार्थ अथवा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग नहीं किया जा सकता। जीव-जन्तु पैदा न हों इसलिए रसोई की सफ़ाई करते रहना आवश्यक हो जाता है।

रसोई की सफ़ाई आसानी से की जा सके इसके लिए फर्श पक्के होने चाहिएं। खाना पकाने के पश्चात् रसोई को अच्छी तरह धोएं तथा सप्ताह में एक बार साबुन, डिटर्जेंट अथवा सोडे वाले गर्म पानी से रसोई को ज़रूर साफ़ करो। चूल्हे की सफ़ाई भी हर रोज़ करनी चाहिए। रसोई धोने के पश्चात् पोचा फेरकर सुखा लेनी चाहिए।

रसोई की अल्मारियों, डिब्बे रखने वाले स्थानों, दीवारों तथा छतों को भी सप्ताह अथवा पन्द्रह दिनों में एक बार जरूर साफ़ कर लें। रसोई में अनावश्यक सामान इकट्ठा न करें। बर्तन अथवा फालतू डिब्बों को इकट्ठा करके स्टोर में रख दो। कभी-कभी इन बर्तनों तथा स्टोर की भी सफ़ाई करनी चाहिए।

रसोई की दीवारों पर नमी नहीं होनी चाहिए। यदि फफूंदी आदि लग जाये तो दवाई आदि से इसे दूर करो।

रसोई में ढक्कन वाले कूड़ेदान का प्रयोग करो। कूड़ा इसी में डालें परन्तु इकट्ठा न होने दें नहीं तो मक्खी-मच्छर पैदा हो जाते हैं।

रसोई के अन्दर अलग जूतों का प्रयोग करो क्योंकि बाहर पहनने वाले जूतों पर गन्दगी लगी हो सकती है। रसोई के आगे पायेदान रखना चाहिए ताकि हर कोई पैर पौंछ कर ही अन्दर आये।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

Home Science Guide for Class 9 PSEB रसोई का प्रबन्ध Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

  1. पुरानी किस्म की रसोई में सारे काम …………………… कर किए जाते थे।
  2. रसोई के काम करने के …………………. केन्द्र होते हैं।
  3. साधारण परिवार के लिए रसोई का आकार .. ………………. होता है।
  4. नई किस्म की रसोइयां …………………….. प्रकार की होती हैं।
  5. रसोई में फफूंदी से बचाव के लिए नीले थोथे तथा …………………. के घोल का प्रयोग करें।

उत्तर-

  1. बैठ
  2. तीन
  3. 9 x 10 फुट
  4. पांच
  5. बोरिक पाऊडर।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
रसोई में शेल्फों की साधारण ऊंचाई कितनी होती है ?
उत्तर-
अढाई 2- फुट।

प्रश्न 2.
रसोई का फर्श कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
पक्का ।

प्रश्न 3.
रसोई में कितने दरवाज़े होने चाहिए ?
उत्तर-
एक ही।

प्रश्न 4.
रसोई में कैसे रंगों का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
हल्के रंगों का।

प्रश्न 5.
रसोई में कैसे कूड़ेदान होने चाहिए ?
उत्तर-
ढक्कन वाले।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

ठीक/ग़लत बताएं

  1. रसोई के कार्य को तीन भागों में बांटा गया है।
  2. रसोई में हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
  3. रसोई के द्वार खुले रखने चाहिए।
  4. आम घरों में L आकार की रसोई प्रचलित है।
  5. रसोई की शैल्फों की ऊंचाई अढाई (2½) फुट होती है।
  6. रसोई का फर्श पक्का होना चाहिए।

उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ग़लत
  4. ठीक
  5. ठीक
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में ठीक तथ्य हैं
(A) पुरानी किस्म की रसोई में सारा कार्य धरती पर बैठ कर किया जाता है
(B) नई किस्म की रसोई में समय तथा शक्ति की बचत हो जाती है
(C) रसोई की दीवारों पर सीलन नहीं होनी चाहिए
(D) सभी ठीक।
उत्तर-(D) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
ग़लत तथ्य हैं
(A) रसोई ऐसे स्थान पर होनी चाहिए जहां हवा तथा प्रकाश पहुंच सके।
(B) रसोई के दरवाज़ों तथा खिड़कियों पर जाली लगी होनी चाहिए तथा दरवाज़े सदा खुले रखने चाहिए।
(C) गृहिणी रसोई की मालकिन होती है, उसका अधिकतम समय रसोई में व्यतीत होता है।
(D) सभी ग़लत।
उत्तर-(B) रसोई के दरवाज़ों तथा खिड़कियों पर जाली लगी होनी चाहिए तथा दरवाज़े सदा खुले रखने चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पहले चूल्हे एक तरफ आंगन में क्यों बनाये जाते थे ?
उत्तर-
क्योंकि पहले धुएं वाला ईंधन प्रयोग किया जाता था इसलिए कमरों के अन्दर रसोई का चूल्हा नहीं बनाया जा सकता था। इसलिए चूल्हा एक तरफ आंगन में ही बनाया जाता था।

प्रश्न 2.
आजकल रसोई में कौन-से ईंधनों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
मिट्टी का तेल, गोबर गैस, खाना पकाने वाली गैस तथा बिजली आदि का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
विशेष पकवान बनाते समय योजना क्यों बनानी चाहिए ?
उत्तर-
विशेष पकवान के लिए खास वस्तुएं, खाद्य पदार्थों की ज़रूरत होती है। इसलिए पहले आवश्यक वस्तुओं की सूची तथा पकाने की योजना बना लेनी चाहिए। मान लो बिना योजना के केसर कुल्फी बनाने लग जायें तो बाद में घर में केसर न हो तो मायूसी का सामना करना पडेगा।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

प्रश्न 4.
रसोई में शेल्फों की ऊँचाई कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
रसोई में साधारणतः शेल्फों की ऊँचाई 2½ फुट होती है पर गृहिणी की लम्बाई के अनुसार अधिक अथवा कम भी हो सकती है।

प्रश्न 5.
पुरानी किस्म की रसोई में समय तथा शक्ति कैसे नष्ट होते हैं ?
उत्तर-
ऐसी रसोई में बार-बार उठने-बैठने से समय तथा शक्ति नष्ट होते हैं क्योंकि सारा सामान ज़मीन पर नहीं रखा जा सकता।

प्रश्न 6.
रसोई में काम करने के केन्द्रों की योजना किस तरह की होनी चाहिए ?
उत्तर-
इसके लिए योजना इस तरह बनाएं कि काम करने वाले को अधिक-से-अधिक जगह उपलब्ध हो तथा कम-से-कम चलना पड़े। काम करने के तीन केन्द्रों में तालमेल होना चाहिए।

प्रश्न 7.
रसोई में अधिक दरवाज़े क्यों नहीं होने चाहिएं ?
उत्तर-
अधिक दरवाज़े एक तो जगह अधिक घेरेंगे तथा दूसरे काम में रुकावट डालते हैं।

प्रश्न 8.
रसोई में फफूंदी का कंट्रोल कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
रसोई में फफूंदी का कंट्रोल करने के लिए नीला थोथा दो हिस्से अथवा बोरिक पाऊडर एक हिस्से को 20 हिस्से पानी में घोलकर फफूंदी वाला स्थान धो लेना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक दीवार वाली तथा दो दीवारों वाली रसोई बारे बतायें।
उत्तर-
1. एक दीवार वाली रसोई-ऐसी रसोई में भोजन की तैयारी, खाना पकाने तथा परोसने का केन्द्र तथा हौदी सब कुछ एक ही दीवार के साथ होती है इसलिए इसमें अधिक चलना फिरना पड़ता है। इस तरह समय तथा शक्ति अधिक लगते हैं।

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध (5)

2. दो दीवारों वाली रसोई-ऐसी रसोई में आमने-सामने दोनों दीवारों पर शेल्फें बनी होती हैं। काम करने के दो केन्द्र एक दीवार से तथा तीसरा केन्द्र सामने वाली दीवार के साथ होता है। ऐसी रसोई में काफ़ी जगह होती है तथा जगह की मुश्किल नहीं होती परन्तु यदि दोनों तरफ दरवाज़े हों तो रसोई रास्ता ही बन जाती है।PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध (6)

PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 6 रसोई का प्रबन्ध

रसोई का प्रबन्ध PSEB 9th Class Home Science Notes

  • रसोई, घर का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
  • रसोई का चुनाव कई बातों जैसे ईंधन कौन-सा प्रयोग किया जाता है, घर के सदस्य कितने हैं आदि पर निर्भर करता है।
  • रसोई में काम के मुख्य तीन केन्द्र हैं जैसे भोजन की तैयारी, पकाना तथा परोसना, हौदी।
  • मक्खी-मच्छर से बचाव के लिए जाली वाले दरवाजे लगाने चाहिएं।
  • रसोई साधारण परिवार के लिए 9 x 10 वर्ग फुट की ठीक रहती है।
  • रसोई में खड़े होकर काम करने के लिए शैल्फों की फर्श से ऊंचाई 2½ फुट अथवा गृहिणी की लम्बाई के अनुसार अधिक कम हो सकती है।
  • पुरानी किस्म की रसोई में सारे काम बैठ कर किये जाते थे तथा नई किस्म की रसोई में सारे काम खड़े होकर किये जाते हैं।
  • नई किस्म की रसोइयां पांच तरह की हो सकती हैं-एक दीवार वाली, दो दीवारों वाली, एल आकार वाली, यू आकार वाली तथा टूटे यू आकार वाली।
  • रसोई में पानी का प्रबन्ध होना चाहिए।
  • सामान रखने के लिए रसोई में अल्मारियां अथवा रैक आदि होने चाहिएं।
  • रसोई का फर्श पक्का तथा जल्दी साफ़ हो सकने वाला होना चाहिए।
  • रसोई में यदि फफूंदी की शिकायत हो तो नीले थोथे तथा बोरिक पाऊडर के घोल से इसकी रोकथाम की जा सकती है।
  • रसोई में हल्के रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • जिन घरों में रसोई का सामान इकट्ठा खरीदा जाता है वहां रसोई के साथ स्टोर भी होना ज़रूरी है।
  • रसोई की साफ़-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए नहीं तो कई तरह के जीव-जन्तु रसोई में पैदा हो जाते हैं।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
नागरिक की परिभाषा दीजिए।
(Give the definition of citizen.)
उत्तर-
नागरिक शब्द का अर्थ (Meaning of the word Citizen)-नागरिक शब्द अंग्रेज़ी के ‘सिटीजन’ (Citizen) शब्द का हिन्दी रूपान्तर है जिसका अर्थ है नगर निवासी। इस अर्थ में नागरिक वह व्यक्ति होता है जो किसी नगर की निश्चित परिधि के अन्दर निवास करता है। अतः इस अर्थ के अनुसार जो व्यक्ति गांवों में रहते हैं उन्हें हम नागरिक नहीं कह सकते। परन्तु नगारिक शास्त्र में ‘नागरिक’ शब्द का विशेष अर्थ है। नागरिक शास्त्र में उस व्यक्ति को नागरिक कहा जाता है जिसे राजनीतिक तथा सामाजिक अधिकार प्राप्त हों। भारत में 18वर्ष के पुरुष और स्त्री को मत देने का अधिकार प्राप्त है।

प्राचीन यूनान में छोटे-छोटे नगर-राज्य होते थे। जिन व्यक्तियों को शासन के कार्यों में भाग लेने का अधिकार होता था, उन्हीं को नागरिक कहा जाता था। समस्त जनता को शासन के कार्यों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त नहीं होता था। उन दिनों यूनान में दास प्रथा प्रचलित थी। दासों को नागरिकों की सम्पत्ति समझा जाता था। स्त्रियां, बच्चे, शिल्पकार और व्यापारी लोग नगर-निवासी होते हुए भी नागरिक नहीं समझे जाते थे।

परन्तु आजकल नागरिक शब्द का विस्तृत अर्थ लिया जाता है। आज राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को, जिसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं, नागरिक कहा जाता है।

नागरिक की परिभाषाएं (Definitions of Citizen)—विभिन्न लेखकों ने ‘नागरिक’ की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं। जिनमें से कुछ मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-

1. अरस्तु (Aristotle) के अनुसार, “नागरिक उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसे राज्य के शासन-प्रबन्ध या न्याय-विभाग में भाग लेने का पूर्ण अधिकार हो।” (“He, who has the power to take part in the deliberative or judicial administration of any state, is a citizen.”) अरस्तु की परिभाषा वर्तमान राज्यों में लागू नहीं होती। आज राज्य इतने बड़े हैं कि सारी जनता राज्य के शासन तथा न्याय विभाग में भाग नहीं ले सकती। जनता का कुछ भाग ही शासन में भाग लेता है। आज नागरिक का विस्तृत अर्थ लिया जाता है।

2. वाटल (Vattal) के अनुसार, “नागरिक किसी राज्य के सदस्य होते हैं, जो कुछ कर्तव्यों द्वारा राजनीतिक समाज में बन्धे होते हैं तथा उससे प्राप्त होने वाले लाभ के बराबर के हिस्सेदार होते हैं।”

3. श्रीनिवास शास्त्री (Shriniwas Shastri) के अनुसार, “नागरिक राज्य का वह सदस्य है जो इसमें रह कर एक तरफ से अपनी उन्नति के विकास के लिए प्रयत्न करता है और दूसरी ओर सारे समाज की भलाई के लिए सोचता है।”

4. प्रो० लॉस्की (Laski) के अनुसार, “नागरिक वह व्यक्ति है जो संगठित समाज का सदस्य ही नहीं वरन् आदेशों को प्राप्त करने वाला तथा कतिपय कर्तव्यों का पालन करने वाला बुद्धिमान् व्यक्ति है।” ।

5. प्रो० ए० के० सीयू (A.K. Sew) के अनुसार, “नागरिक उस व्यक्ति को कहा जाता है जो राज्य के प्रति वफादार हो। जिसको राज्य राजनीतिक व सामाजिक अधिकार देता है और जिसमें मनुष्य की सेवा की भावना पाई जाती है।”

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि आधुनिक दृष्टि से नागरिक वह व्यक्ति है, जो राज्य के प्रति निष्ठा रखता हो और जिसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों।

नागरिक की विशेषताएं (Characteristics of a Citizen)-नागरिक को मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. नागरिक किसी राज्य के सदस्य को कहते हैं।
  2. नागरिक अपने राज्य में स्थायी रूप से रहता है या रह सकता है। राज्य उसे वहां से निकलने को नहीं कह सकता।
  3. नागरिक को राज्य की ओर से कुछ अधिकार मिले होते हैं, जिन्हें वह अपने और समाज कल्याण के लिए प्रयोग कर सकता है।
  4. नागरिक को कुछ कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है। उसे राज्य के कानूनों का पालन करना पड़ता है।
  5. नागरिक राज्य के प्रति भक्ति की भावना रखता है और उसकी रक्षा के लिए वचनबद्ध होता है और यदि आवश्यकता पड़े, तो उसे अनिवार्य सैनिक सेवा भी करनी पड़ती है।

प्रश्न 2.
नागरिकता का क्या अर्थ है ? नागरिकता के प्रकार और इसको प्राप्त करने के ढंग बताएं।
(What is the meaning of Citizenship ? Define its kinds and methods of acquiring citizenship.)
अथवा
नागरिकता का क्या अर्थ है ? नागरिकता प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन करो।
(What is the meaning of Citizenship ? Describe the methods of acquiring Citizenship.)
उत्तर-
नागरिकता का अर्थ एवं परिभाषाएं-नागरिकता की धारणा उतनी ही प्राचीन है, जितनी कि यूनानी नगर राज्य तथा संस्कृति । नागरिकता का अर्थ सदैव एक-जैसा नहीं रहा है बल्कि समय के अनुसार बदलता रहा है। यूनानी नगर-राज्य में नागरिकता का अधिकार सीमित व्यक्तियों को प्राप्त था। प्राचीन नगर-राज्य में नागरिकता उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त थी, जो नगर-राज्यों के शासन प्रबन्ध में हिस्सा लेते थे। स्त्रियों, गुलामों और विदेशियों को यह अधिकार प्राप्त नहीं था। अतः वे नागरिक नहीं थे।

अरस्तु (Aristotle) ने केवल “उस व्यक्ति को ही नागरिक की पदवी दी है जिसको किसी नगर की न्यायापलिका (Judiciary) या कार्यपालिका में भाग लेने का अधिकार हो।” अरस्तु श्रमिकों को नागरिकता प्रदान नहीं करता क्योंकि उसके मतानुसार श्रमिकों के पास नागरिक के अधिकारों के प्रयोग के लिए न तो योग्यता और न ही पर्याप्त अवकाश होता है। उसका नागरिकता सम्बन्धी विचार वास्तव में कुलीनतन्त्रात्मक है।

आधुनिक युग में नागरिकता की धारणा बहुत व्यापक है-आज नागरिकता केवल राज्य के प्रशासन में भाग लेने वाले को प्राप्त न होकर बल्कि निवास के आधार पर प्राप्त होती है। समस्त व्यक्ति बिना जाति-पाति, लिंग या ग्राम या नगर के निवास तथा सम्पत्ति के, भेदभाव के आधुनिक राज्यों के नागरिक माने जाते हैं। राज्य के प्रशासन में प्रत्यक्ष तौर पर भाग लेना अनिवार्य नहीं है।
नागरिकता की आधुनिक परिभाषाएं (Modern Definitions of Citizenship)—नागरिकता उस वैधानिक या कानूनी सम्बन्ध का नाम है जो व्यक्ति को उस राज्य के साथ जिसका वह सदस्य है, सम्बद्ध करता है।

लॉस्की (Laski) के शब्दों में, “अपनी सुलझी हुई बुद्धि को जनहितों के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है।” (“Citizenship is the contribution of one’s instructed judgement to public good.”)

गैटल (Gettel) के अनुसार, “नागरिकता व्यक्ति की उस अवस्था को कहते हैं जिसके कारण वह अपने राज्य में राष्ट्रीय और राजनीतिक अधिकारों का उपयोग कर सकता है और अपने कर्तव्यों के पालन के लिए तैयार रहता है।” (“Citizenship is that condition of individual due to which he can use national and political rights in his state and is ready to fulfil obligation.”)

बायड (Boyd) के अनुसार, “नागरिकता अपनी वफ़ादारियों को ठीक निभाना है।” (“Citizenship consists in the right ordering of loyalities.”) इस प्रकार किसी राज्य और उसके नागरिकों के उन आपसी सम्बन्धों को ही नागरिकता कहा जाता है जिससे नागरिकों को राज्य की ओर से सामाजिक और राजनीतिक अधिकार मिलते हैं तथा वे राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करते हैं।

नागरिकता की विशेषताएं (Characteristics of Citizenship) उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर नागरिकता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. राज्य की सदस्यता (Membership of the State) नागरिकता की प्रथम विशेषता यह है कि नागरिक को किसी राज्य का सदस्य होना आवश्यक होता है। एक राज्य का सदस्य होते हुए भी वह किसी दूसरे राज्य में अस्थायी तौर पर निवास कर सकता है।
  2. सर्वव्यापकता (Comprehensive)-आधुनिक नागरिकता की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता सर्वव्यापकता है। यह न केवल नगर निवासी बल्कि ग्रामों के लोगों, स्त्रियों व पुरुषों को भी प्राप्त होती है। नागरिकता प्रदान करते समय ग़रीबअमीर, जाति-पाति आदि को नहीं देखा जाता।
  3. राज्य के प्रति भक्ति (Allegiance to the State)-नागरिकता की तीसरी विशेषता यह है कि नागरिक अपने राज्य के प्रति वफ़ादारी रखता है।
  4. अधिकारों का उपयोग (Use of Rights)-नागरिक को राज्य की ओर से कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं। ये अधिकार राजनीतिक तथा सामाजिक दोनों प्रकार के होते हैं। साम्यवादी देशों में नागरिकों को आर्थिक अधिकार भी प्राप्त होते हैं।
  5. कर्तव्यों का पालन (Performance of Duties) नागरिकता की एक अन्य विशेषता यह है कि नागरिकों को राष्ट्र और समाज की उन्नति के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है। राज्य के कानूनों का निष्ठापूर्वक पालन करना प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होता है।
  6. सक्रिय योगदान (Active Participation)-आधुनिक नागरिकता की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता सामाजिक कल्याण के लिए सक्रिय योगदान देना है।

नागरिकता के प्रकार (Kinds of Citizenship)-नागरिकता दो प्रकार की होती है-जन्मजात और राज्यकृत। जन्मजात नागरिकता जन्म के नियम से नियमित होती है और जब विदेशियों को दूसरे देश की नागरिकता मिलती है, उसे राज्यकृत नागरिकता कहते हैं।

नागरिकता प्राप्त करने का ढंग (Methods to Acquire Citizenship)-

(क) जन्मजात नागरिकता की प्राप्ति (Acquisition of Natural born Citizenship)-जन्मजात नागरिकता दो तरीकों से प्राप्त होती है-

1. रक्त सम्बन्धी सिद्धान्त (Blood Relationship)—जन्मजात नागरिकता प्राप्त करने का प्रथम ढंग रक्त सम्बन्ध है। इस सिद्धान्त के अनुसार बच्चे की नागरिकता का निर्णय उसके माता-पिता की नागरिकता से होता है। बच्चे का जन्म किसी भी स्थान पर क्यों न हो, उसे अपने पिता की नागरिकता प्राप्त होती है। भारत में इसी सिद्धान्त को अपनाया गया है। एक भारतीय नागरिक का बच्चा कहीं भी पैदा हो, चाहे जापान में, चाहे अमेरिका में, वह भारतीय ही कहलाएगा। इसी तरह एक अंग्रेज़ का बच्चा कहीं भी पैदा हो चाहे फ्रांस में, चाहे भारत में, अंग्रेज़ ही कहलाएगा। एक जर्मन का बच्चा चाहे कहीं भी उत्पन्न हो, जर्मन ही कहलाएगा। फ्रांस, इटली, स्विट्ज़रलैंड तथा स्वीडन में भी इसी सिद्धान्त को अपनाया गया है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

2. जन्म-स्थान सिद्धान्त (Birth-place)-इस सिद्धान्त के अनुसार बच्चे की नागरिकता का निर्णय उसके जन्मस्थान के आधार पर किया जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार बच्चे को उसी देश की नागरिकता प्राप्त होती है जिस देश की भूमि पर उसका जन्म हुआ हो। बच्चे के पिता की नागरिकता को ध्यान में नहीं रखा जाता। अर्जेण्टाइना में यह सिद्धान्त लागू है। अर्जेण्टाइना में यदि कोई विदेशी सैर के लिए जाते हैं और उनकी सन्तान अर्जेण्टाइना में उत्पन्न होती है तो बच्चे को अर्जेण्टाइना की नागरिकता प्राप्त होती है। एक भारतीय की सन्तान को जिसका जन्म जापान में हुआ हो, जापानी नागरिक माना जाएगा।

दोहरा नियम (Double Principle)-कई देशों में दोनों सिद्धान्तों को अपनाया गया है। इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका में रक्त-सम्बन्धी सिद्धान्त तथा जन्म-स्थान सिद्धान्त दोनों प्रचलित हैं। दोहरे नियम के सिद्धान्त के अनुसार जो बच्चे अंग्रेज़ दम्पति से उत्पन्न हों, चाहे बच्चे का जन्म भारत में हो, चाहे जापान में, अंग्रेज़ कहलाता है और उसे अपने पिता की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त यदि किसी विदेशी के इंग्लैंड में सन्तान पैदा होती है, उसे भी इंग्लैंड की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

सिद्धान्तों के दोष (Defects of these Principles)-इन सिद्धान्तों के कई दोष हैं। जैसे कि एक व्यक्ति एक समय में दो राज्यों का नागरिक भी बन सकता है और यह भी हो सकता है कि व्यक्ति को किसी देश की नागरिकता प्राप्त ही न हो। इन दोनों दोषों की व्याख्या इस प्रकार है-

1. दोहरी नागरिकता (Double Citizenship)-कई बार एक बच्चे को दो राज्यों की नागरिकता भी मिल जाती है। यदि एक अंग्रेज़ दम्पति के अमेरिका में सन्तान उत्पन्न हो तो जो बच्चा जन्म लेगा उसे दोहरी नागरिकता प्राप्त होगी। रक्त-सम्बन्धी सिद्धान्त के अनुसार अंग्रेज़ दम्पति के बच्चे को इंग्लैंड की नागरिकता प्राप्त होगी और जन्म-स्थान सिद्धान्त के अनुसार अमेरिका की नागरिकता प्राप्त होगी। इसी तरह यदि एक जर्मन दम्पति के इंग्लैंड में बच्चा पैदा हो जाता है तो उस बच्चे को जर्मनी तथा इंग्लैंड की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। रक्त सम्बन्धी सिद्धान्त के अनुसार बच्चे को जर्मनी की नागरिकता प्राप्त होती है और जन्म-स्थान सिद्धान्त के अनुसार बच्चे को इंग्लैंड की नागरिकता प्राप्त होती है। दोहरी नागरिकता एक समस्या है। यदि दो देशों में युद्ध आरम्भ हो जाए तो समस्या उत्पन्न हो जाती है कि वह किस देश का नागरिक है। ऐसी दशा में नागरिक का बुरा हाल होता है क्योंकि दोनों देश उस नागरिक को शंका की नज़र से देखते हैं। इस समस्या को समाप्त करने के दो ढंग हैं

  • प्रथम, यदि माता-पिता बच्चे के जन्म के पश्चात् अपने देश ले जाएं और रहना शुरू कर दें तो बच्चे को अपने पिता की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
  • दूसरे विचार के अनुसार बच्चा वयस्क (Adult) हो कर अपनी नागरिकता का स्वयं निर्णय कर सकता है। वह दोनों में से किसी एक राज्य की नागरिकता को छोड़ सकता है।

2. नागरिकता विहीन या राष्ट्रीयता विहीन (Statelessness)-किसी समय ऐसी स्थिति भी हो सकती है कि बच्चे को किसी भी देश की नागरिकता प्राप्त न हो। अर्जेण्टाइना (Argentina) में जन्म-स्थान सिद्धान्त और फ्रांस (France) में रक्त सिद्धान्त को अपनाया गया है। अर्जेण्टाइना के नागरिक नव-दम्पत्ति की जो सन्तान फ्रांस में उत्पन्न होगी वह न तो अर्जेण्टाइना और न ही फ्रांस की नागरिकता प्राप्त कर सकेगी। ऐसी स्थिति का हल करने के लिए देशीयकरण का साधन प्रयोग में लाया जा सकता है।

कौन-सा सिद्धान्त अच्छा है ? (Which Principle is better ?)-आम मत यह है कि जन्म-स्थान सिद्धान्त की अपेक्षा रक्त-सिद्धान्त अधिक अच्छा है। जन्म-स्थान सिद्धान्त में संयोगवश अप्रत्याशित अवसर अधिक है। इसके साथ-साथ रक्त-सिद्धान्त के अनुसार प्राप्त नागरिकता की दशा में नागरिक में अपने राज्य और देश के प्रति भक्ति, स्नेह और श्रद्धा की भावनाओं का अधिक प्रबल होना स्वाभाविक है। अतः रक्त सिद्धान्त ही उचित दिखाई पड़ता है।

(ख) राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने के तरीके (How the Naturalised Citizenship is Acquired ?)राज्यकृत नागरिक वे नागरिक होते हैं जिन्हें नागरिकता जन्म-जात सिद्धान्त से प्राप्त नहीं होती, बल्कि जिन्हें नागरिकता सरकार की तरफ से प्राप्त होती है। यदि कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़ कर किसी दूसरे देश में जा कर बस जाता है और कुछ समय पश्चात् उस देश की नागरिकता को प्राप्त कर लेता है तो उस व्यक्ति को राज्यकृत नागरिक कहा जाता है। नागरिकता देना अथवा न देना राज्य पर निर्भर करता है। कोई भी व्यक्ति किसी राज्य को नागरिकता देने के लिए मज़बूर नहीं कर सकता। ऐसी नागरिकता प्रार्थना-पत्र देकर प्राप्त की जाती है। कई भारतीय विदेशों में जा कर बस गए हैं और उन्होंने वहां की नागरिकता प्राप्त कर ली है। नागरिकता की प्राप्ति निम्नलिखित ढंगों से की जा सकती है-

1. निश्चित समय के लिए निवास (Resident for Certain Period) यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश में जाकर बहुत समय के लिए रहे तो वह प्रार्थना-पत्र देकर वहां की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। सभी देशों में निवास की अवधि निश्चित है। इंग्लैंड और अमेरिका में निवास की अवधि पांच वर्ष है जबकि फ्रांस में दस वर्ष है। भारत में निवास की अवधि पांच वर्ष है।

2. विवाह (Marriage) विवाह करने से भी नागरिकता प्राप्त हो जाती है। यदि कोई स्त्री किसी दूसरे देश के नागरिक से शादी कर लेती है तो उसे अपने पति की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। भारत का नागरिक यदि इंग्लैंड की स्त्री से शादी कर लेता है तो उस स्त्री को भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। जापान में इसके उलट नियम है। यदि कोई विदेशी जापान की स्त्री से शादी कर लेता है तो उसे जापान की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

3. सम्पत्ति खरीदना (Purchase of Property)-सम्पत्ति खरीदने से भी नागरिकता प्राप्त हो जाती है। ब्राजील, पीरू और मैक्सिको में ऐसा नियम प्रचलित है। यदि कोई विदेशी पीरू में सम्पत्ति खरीद लेता है तो उसे वहां की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

4. गोद लेना (Adoption)-जब एक राज्य का नागरिक किसी दूसरे राज्य के नागरिक को गोद ले लेता है, तो गोद लिए जाने वाले व्यक्ति को अपने पिता की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

5. सरकारी नौकरी (Government Service)-कई राज्यों में यह नियम है कि यदि कोई विदेशी सरकारी नौकरी कर ले तो उसे वहां की नागरिकता मिल जाती है। उदाहरणस्वरूप यदि कोई भारतीय इंग्लैंड में सरकारी नौकरी कर लेता है तो उसे वहां की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

6. विद्वानों को (For Scholars)-कई देशों में विदेशी विद्वानों को नागरिक बनाने के लिए विशेष सुविधाएं दी जाती हैं। विदेशी विद्वानों के निवास की अवधि दूसरे विदेशियों की निवास अवधि से कम होती है। फ्रांस में वैज्ञानिकों या विशेषज्ञों के लिए वहां की नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक वर्ष का निवास ही काफ़ी है।

7. विजय द्वारा (By Victory)-जब एक राज्य दूसरे राज्य को विजय करके अपने राज्य में मिला लेता है तो परास्त राज्य के नागरिकों को विजयी राज्य की नागरिकता मिल जाती है।

8. प्रार्थना-पत्र द्वारा (Through Application)-किसी देश के द्वारा निश्चित की गई कानूनी शर्ते पूरी करके प्रार्थना-पत्र देकर उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को अच्छे चरित्र और देश के प्रति वफ़दारी रखने का प्रमाण देना पड़ता है।

9. गैर कानूनी बच्चे (Illegitimate Children) यदि कोई नागरिक किसी विदेशी स्त्री से अनुचित सम्बन्ध स्थापित कर लेता है, तो उसके बच्चे गैर-कानूनी कहलाते हैं। परन्तु यदि उन बच्चों के माता-पिता परस्पर शादी कर लेते हैं तो उन बच्चों को अपने पिता की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

10. राजनीतिक शरणागत (Political Asylum)-कई राज्यों में दूसरे देश के पीड़ित राजनीतिज्ञों को नागरिकता प्रदान करने की विशेष व्यवस्था है। चीन के संविधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो अपनी समाजवादी कार्यवाहियों और विचारों के कारण अपनी सरकार से पीड़ित हो तो चीन में शरण प्राप्त कर सकता है।

11. दोबारा नागरिकता की प्राप्ति (To accept Citizenship Again) यदि कोई नागरिक अपने देश की नागरिकता को छोड़ कर दूसरे राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसे दूसरे राज्य का नागरिक माना जाता है। परन्तु यदि वह चाहे तो अपने राज्य की नागरिकता कुछ शर्ते पूरी करके दोबारा प्राप्त कर सकता है।

संक्षेप में, नागरिकता कई तरीकों से प्राप्त की जा सकती है। परन्तु कई देशों में जन्म-जात नागरिकों तथा राज्यकृत नागरिकों को एक समान अधिकार नहीं दिए जाते। जिन देशों में दोनों तरह के नागरिकों को समान अधिकार नहीं दिए जाते, वहां प्रायः राज्यकृत नागरिकों को कम अधिकार प्राप्त होते हैं । अमेरिका में राज्यकृत नागरिक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते। राष्ट्रपति का चुनाव जन्म-जात नागरिक ही लड़ सकते हैं।

प्रश्न 3.
नागरिकता किस प्रकार खोयी जा सकती है ?
(How can citizenship be lost ?)
उत्तर-
जिस तरह नागरिकता को प्राप्त किया जा सकता है इसी तरह नागरिकता को खोया भी जा सकता है। प्रत्येक देश ने इसके लिए नियम बनाए हुए हैं। पर कई नियम प्रायः सभी देशों में एक समान हैं। नागरिकता को निम्नलिखित तरीकों से खोया जा सकता है-

1. लम्बे समय तक अनुपस्थिति (Long Absence)-कई देशों में यह नियम है कि यदि उनका नागरिक लम्बे समय तक बाहर रहे तो उसकी नागरिकता समाप्त कर दी जाती है। उदाहरणस्वरूप यदि फ्रांस का कोई नागरिक लगातार 10 वर्ष से अधिक समय के लिए फ्रांस से अनुपस्थित रहे तो उसकी नागरिकता समाप्त कर दी जाती है।

2. विवाह (Marriage)-स्त्रियां विदेशी नागरिकों से शादी करके अपने देश की नागरिकता खो बैठती हैं। भारत का नागरिक जापानी स्त्री से शादी करके जापान की नागरिकता प्राप्त कर लेता है परन्तु स्त्री को अपने देश की नागरिकता छोड़नी पड़ती है।

3. विदेश में सरकारी नौकरी (Government Service Abroad)–यदि एक देश का नागरिक किसी दूसरे देश में सरकारी नौकरी कर लेता है तो उसकी अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

4. स्वेच्छा से नागरिकता का त्याग (Voluntary Renunciation of Citizenship)-कई देशों की सरकारें अपने नागरिकों को अपनी इच्छा के अनुसार किसी दूसरे देश का नागरिक बनने की आज्ञा प्रदान कर देती हैं। इस प्रकार के व्यक्ति अपनी जन्मजात नागरिकता त्याग कर अन्य देश की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं।

5. पराजय द्वारा (By Defeat)-जब एक देश दूसरे देश को जीत कर उसके क्षेत्र को अपने देश में मिला लेता है तो पराजित देश के नगारिक अपनी नागरिकता खो बैठते हैं और उन्हें विजयी देश की नागरिकता मिल जाती है।

6. सेना से भाग जाने से (Desertion from Army)- यदि कोई नागरिक सेना से भाग कर दूसरे देश में चला जाता है तो उसकी नागरिकता समाप्त हो जाती है।

7. दोहरी नागरिकता प्राप्त होने का अर्थ है एक देश की नागरिकता को छोड़ना (Acquisition of Double Citizenship means the loss of citizenship of one country)— a fost afara at at poest ost नागरिकता प्राप्त हो जाती है तब उसे एक राज्य की नागरिकता छोड़नी पड़ती है।

8. देश-द्रोह (Treason)-जब कोई व्यक्ति राज्य के विरुद्ध विद्रोह अथवा क्रान्ति करता है तो उसकी नागरिकता छीन ली जाती है। परन्तु देश-द्रोह के आधार पर उन्हीं नागरिकों की नागरिकता को छीना जा सकता है जो राज्यकृत नागरिक हों।

9. गोद लेना (Adoption) यदि कोई बच्चा किसी विदेशी द्वारा गोद ले लिया जाए, तो बच्चे की नागरिकता समाप्त हो जाती है और वह अपने नए मां-बाप की नागरिकता प्राप्त कर लेता है।

10. विदेशी सरकार से सम्मान प्राप्त करना (Acceptance of honour from Foreign Government)यदि कोई नागरिक अपने देश की आज्ञा के बिना किसी विदेशी सरकार द्वारा दिए गए सम्मान को स्वीकार कर लेता है, तो वह अपनी मूल नागरिकता से वंचित कर दिया जाता है।

11. विदेश में सम्पत्ति खरीदना (Purchase of Property in Foreign Land)–यदि किसी देश का नागरिक मैक्सिको या पीरू आदि देशों में सम्पत्ति खरीद ले तो वह उस देश का नागरिक बन जाएगा और उसकी अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाएगी।

12. न्यायालय के निर्णय द्वारा (Judgement by the Judiciary) कई देशों में यह नियम अपनाया गया है कि वहां की न्यायपालिका किसी भी नागरिक को दण्ड के रूप में देश-निकाले का आदेश दे सकती है। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति की नागरिकता स्वयं समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 4.
आदर्श नागरिक के अनिवार्य गुणों का वर्णन करें।
(Explain the qualities essential for ideal citizen.)
अथवा
एक अच्छे नागरिक के क्या गुण हैं ?
(What are the qualities of a good citizen ?)
उत्तर-
कोई भी देश उस समय तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक कि उस देश के नागरिक अच्छे न हों। राज्य की उन्नति नागरिकों पर निर्भर है। अच्छे नागरिक से अभिप्राय ऐसे नागरिक से है जो अपने कर्तव्यों को पहचाने और उनका पालन करे, जो अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो और उनका पूरा-पूरा प्रयोग करे, जो औरों की स्वतन्त्रता का आदर उसी तरह से करे जैसा वह चाहता है कि अन्य लोग उसकी स्वतन्त्रता का आदर करें, जो केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए जीता है और जो मानव सभ्यता के विकास और प्रगति में अपना पूरा-पूरा योगदान देता है। लॉर्ड ब्राइस ने आदर्श नागरिक के लिए तीन गुण-बुद्धि, आत्मसंयम और उत्तरदायित्व पर जोर दिया है। डॉ० ई० एम० व्हाइट के अनुसार, “सामान्य बुद्धि, ज्ञान तथा कर्तव्य पालन अच्छी नागरिकता के गुण हैं।”

एक आदर्श नागरिक में निम्नलिखित गुण होने चाहिएं-

1. शिक्षा (Education)-अच्छा नागरिक बनने के लिए व्यक्ति का सुशिक्षित होना आवश्यक है। शिक्षा ही अच्छे जीवन का आधार मानी गई है। नागरिक को शिक्षा के द्वारा अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों का ज्ञान होता है और ज्ञान प्राप्त होने पर ही वह अधिकारों का प्रयोग कर सकता है तथा कर्तव्यों का पालन कर सकता है। शिक्षा द्वारा व्यक्ति का मानसिक विकास भी होता है और उनमें उदारता व नैतिकता की भावनाएं जागृत होती हैं। शिक्षा प्राप्त करने पर उसकी बुद्धि का विकास होता है जिससे वह देश की समस्याओं को समझने, उन पर विचार करने तथा उनको सुलझाने में अपनी राय बनाने तथा प्रकट करने के योग्य बनता है। शिक्षा के बिना लोकतन्त्र सफलतापूर्वक नहीं चल सकता।

2. सामाजिक भावना (Social Spirit) एक अच्छे नागरिक में सामाजिक भावना का होना भी आवश्यक है। नागरिक व्यक्ति पहले है और वह भी सामाजिक। समाज के बिना उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति तथा जीवन का विकास नहीं हो सकता। अच्छे नागरिक केवल अपनी भलाई और स्वार्थ के लिए ही कार्य नहीं करते बल्कि मिल-जुल कर कार्य करते हैं और समस्त समाज के हित में कार्य करते हैं। यदि कोई व्यक्ति केवल अपना ही भला सोचता है तो वह एक अच्छा या आदर्श नागरिक नहीं कहा जा सकता। यदि कोई नागरिक केवल अपने ही कल्याण की बात सोचता रहे, दूसरों के साथ मिल-जुल कर चलने की बजाए सबसे अलग रहता हो, दूसरों के काम में हाथ न बंटाता हो, दूसरों के दुःख-सुख में भाग न लेता हो अर्थात् दूसरों से सम्बन्ध न रखता हो वह भी अच्छा नागरिक नहीं कहा जा सकता। लॉस्की (Laski) के अनुसार, “शिक्षित बुद्धि को सार्वजनिक हित में प्रयोग करना ही नागरिकता है।” (“Citizenship is the contribution of one’s instructed judgement to public good.”)

3. कर्त्तव्यपरायणता (Dutifulness)-अच्छे नागरिकों को अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहना और ईमानदारी से पालन करना आवश्यक है। जिस किसी के प्रति भी उनका कोई कर्त्तव्य है, उसे पूरी तरह से निभाएं। एक लेखक का कहना है, “अच्छी नागरिकता कर्त्तव्यों को उचित ढंग से निभाने में ही निहित है।” (“Citizenship consists in the right ordering of loyalities.”) यदि सब नागरिक अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें तो अधिकार स्वयं प्राप्त हो जाएंगे और लड़ाई-झगड़े भी अपने आप बन्द हो जाएंगे। नागरिकों के कर्त्तव्य केवल राज्य के प्रति ही नहीं होते बल्कि परिवार, पड़ोस, मुहल्ले, शहर, प्रान्त तथा देश के प्रति भी हैं और इन सभी कर्तव्यों का उन्हें ईमानदारी से पालन करना चाहिए। जिस देश के नागरिक अपने कर्तव्यों का ठीक ढंग से पालन नहीं करते, वह देश कभी प्रगति नहीं कर सकता।

4. आत्मसंयम तथा सहनशीलता (Self-control and Tolerance)-एक अच्छे नागरिक को अपने ऊपर संयम होना चाहिए तथा उसमें सहनशीलता की भावना भी होनी चाहिए। देश में उसका सम्पर्क विभिन्न विचारों और मतों के व्यक्तियों से होता है, वे सब विचार उसे सुनने पड़ते हैं। विरोधी विचारों को सुन कर उसे जोश और गुस्सा नहीं आना चाहिए। इससे देश में लड़ाई-झगड़े ही बढ़ते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने का पूर्ण अधिकार है। दूसरों की बातें उसे शान्ति से सुननी चाहिएं और दूसरों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। दूसरों के विचारों पर प्रभाव दलीलों द्वारा ही डालना चाहिए। विचारों के अदल-बदल से ही समाज की प्रगति होती है। (“Conflict of ideas is more creative than the clash of arms.”) उसका हृदय भी उदार होना चाहिए तथा ऊंच-नीच, छुआछूत, जातिभेद आदि की भावनाएं नहीं होनी चाहिएं। उसे उच्च तथा उदार विचार रखते हुए दूसरों के साथ मिल-जुलकर समस्त समाज के कल्याण के कार्य करने चाहिएं।

5. प्रगतिशीलता (Progressive outlook)—अच्छे नागरिक की अच्छाई केवल यहां तक ही सीमित नहीं है कि वह सामाजिक ढांचे के प्रति श्रद्धा रखे और राजनीतिक व सामाजिक नियमों का पालन करे बल्कि अपने समाज की कुरीतियों और प्रतिक्रियावादी रूढ़ियों को शान्तिपूर्ण ढंग से बदलने के लिए क्रियात्मक प्रयत्न करे। वर्तमान से असन्तुष्टि और सुधार के लिए उमंग एक अच्छे नागरिक के गुण हैं। मानव-सभ्यता और ज्ञान में प्रगति और विकास लाना हर नागरिक का कर्त्तव्य होता है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

6. परिश्रम (Hard Work)-अपने हर कर्त्तव्य के पालन के लिए, अपनी आजीविका कमाने के लिए और मानवसभ्यता में विकास लाने के लिए परिश्रम अत्यावश्यक है। आलस्य और काम-चोरी एक अच्छे नागरिक के महान् शत्रु हैं। परिश्रम के द्वारा अन्य के गुणों को क्रियाशील और साकार किया जा सकता है। कार्लाइल Carlyle) के शब्द बहुत उचित है, “काम ही पूजा है।” (“Work is worship.”) पंडित नेहरू भी कहा करते थे कि, “आराम हराम है।” संसार भर के महान् व्यक्तियों की जीवन गाथाएं इस बात को सिद्ध करती हैं कि उनकी सफलता का प्रमुख कारण परिश्रम ही था। इस कथन के अनुसार, “परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।” (“Hard work is the key to success.”)

7. अच्छा स्वास्थ्य (Good Health)-अच्छा नागरिक बनने के लिए स्वास्थ्य भी ठीक होना आवश्यक है। जिस देश के नागरिक कमज़ोर, दुबले-पतले तथा डरपोक होंगे, वह देश अधिक दिन स्वतन्त्र नहीं रह सकता। स्वस्थ नागरिक अपनी रक्षा भी करता है, साथ ही देश की भी। कमज़ोर व्यक्ति अधिक परिश्रम भी नहीं कर सकता। इसके साथ ही बीमार नागरिक विकास भी नहीं कर सकता क्योंकि स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर में (Sound mind in a sound body) ही रह सकता है। बीमार और कमज़ोर नागरिकों का स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है और उन्हें क्रोध भी जल्दी आने लगता है। बीमार नागरिक देश की समस्या पर अच्छी प्रकार से विचार नहीं कर सकता। स्पष्ट है कि अच्छे शरीर के बिना नागरिक कोई काम ठीक प्रकार से नहीं कर सकता, जिस देश के नागरिक अपने कर्तव्यों का ठीक ढंग से पालन नहीं करते वह देश कभी प्रगति नहीं कर सकता।

8. मत का उचित प्रयोग (Proper use of Vote)-प्रजातान्त्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक को अपना मत देने का अधिकार प्राप्त होता है। वोट का उचित प्रयोग करके नागरिक अपने इस कर्त्तव्य को पूर्ण कर सकता है। नागरिकों को वोट का अधिकार प्रयोग करते समय धर्म, भाषा, जात-पात आदि से ऊंचा उठना चाहिए। उन्हें वोट उस उम्मीदवार को देना चाहिए जो देश सेवक, ईमानदार तथा योग्य हो। आदर्श नागरिक का यही गुण होता है कि वह वोट का प्रयोग देश के हित के लिए करता है। योग्य उम्मीदवारों को वोट देकर ही कुशल शासन की उम्मीद रखी जा सकती है। इसीलिए तो कहा जाता है कि प्रजातन्त्र प्रणाली में जैसे नागरिक होते हैं वैसी ही सरकार होती है।

9. कानूनों का पालन (Obedience to Law) आदर्श नागरिक कानूनों का पालन करता है। प्रायः यह देखा जाता है कि लोग कानून के पालन में लापरवाही कर जाते हैं। परन्तु यह राष्ट्रीय हित में नहीं है। एक अच्छा नागरिक कानूनों के प्रति पूरी निष्ठा रखता है।

10. निष्काम सेवा (Selfless Service) आदर्श नागरिक अपने स्वार्थ को त्याग कर दूसरों की निष्काम सेवा करता है। लोक-कल्याण उसका उद्देश्य होता है।

11. स्वदेश भक्ति ! Patriotism)—प्रत्येक नागरिक को अपने देश और राज्य के प्रति वफ़ादार होना चाहिए। देशभक्ति की भावना जितनी अधिक नागरिकों में होगी, उतना ही अधिक उस देश का कल्याण होगा। देश की रक्षा और उन्नति के लिए नागरिक को तन-मन-धन सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए। अपने बड़े-से-बड़े लाभ को भी त्याग देना चाहिए यदि उससे अपने देश का थोड़ा भी अहित हो। देश-द्रोह सब से बड़ा अपराध है। देश का हित ही व्यक्ति का हित होना चाहिए। जिस देश के नागरिक सच्चे देश-भक्त होंगे, वह देश न तो कभी दूसरों का गुलाम बन सकता है और न ही किसी क्षेत्र में पिछड़ा हुआ रह सकता है।

12. प्रेम की भावना (Spirit of Love)-आदर्श नागरिक में प्रेम की भावना होती है। वह दूसरे मनुष्यों से प्रेम करता है और प्रत्येक से सद्व्यवहार करता है। वह ग़रीब तथा पिछड़ी जातियों के लोगों से नफरत नहीं करता। जो नागरिक दूसरे व्यक्तियों से लड़ता, झगड़ता रहता है वह अच्छा नागरिक नहीं है।

13. अनुशासन (Discipline) आदर्श नागरिक में अनुशासन का होना आवश्यक है। मनुष्यों की ज़िन्दगी नियमों के अधीन बंधी होती है। नियम का पालन करना ही अनुशासन है। आदर्श नागरिक सदैव समाज तथा राज्य के नियमों का पालन करता है। जिस राज्य के नागरिकों में अनुशासन की भावना नहीं होती, उस राज्य की समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती हैं और भविष्य की समस्याओं को हल करना अति कठिन हो जाता है। देश की उन्नति के लिए नागरिकों में अनुशासन का होना अति आवश्यक है।

14. अच्छा चरित्र (Good Character)-अच्छा चरित्र भी एक नागरिक का बहुत बड़ा गुण है। चरित्रवान् व्यक्ति में बहुत से गुण अपने आप आ जाते हैं। जीवन में उन्नति करने और नाम कमाने में चरित्र का बड़ा प्रभाव पड़ता है। यदि किसी देश के नागरिक बेईमान, धोखेबाज़, व्यभिचारी और शराबी होंगे तो वह देश कभी उन्नति नहीं कर सकता। हमारी भारतीय संस्कति में भी चरित्र को सब से अधिक मूल्यवान् माना गया है। चरित्रवान् व्यक्ति में आज्ञा पालन, अनुशासन का होना अति आवश्यक है।

15. सचेतता (Vigilance)—एक आदर्श नागरिक के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने अधिकारों के लिए सचेत रहे। आलस्य तथा लापरवाही आदर्श नागरिक के शत्रु हैं। लॉस्की (Laski) ने सर्वसिद्ध बात कही है, “निरन्तर सतर्कता स्वतन्त्रता का मूल्य है।” (“Eternal vigilance is the price of liberty.”) अपनी स्वतन्त्रता के प्रति उदासीनता एक नागरिक के लिए आत्म-हत्या के समान है। भले ही देश में प्रजातन्त्रीय शासन हो और नागरिकों के अधिकार संविधान द्वारा सुरक्षित हों, परन्तु ये सब बातें महत्त्वहीन होंगी यदि नागरिक अपनी जागरूकता का प्रदर्शन करने में कोई भी ढील करेंगे।

16. आत्मनिर्भरता (Self-sufficient)-आदर्श नागरिक यथासम्भव आत्मनिर्भर होता है। आत्मनिर्भरता व्यक्ति को स्वावलम्बी बना कर एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिवर्तित करती है जो किसी भी परिस्थिति में अपने पथ से विचलित नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्ति समाज के लिए वरदान होते हैं।

17. रचनात्मक दृष्टिकोण (Constructive Attitude)-आदर्श नागरिक का दृष्टिकोण रचनात्मक होता है। वह आलोचना केवल आलोचना के लिए ही नहीं करता बल्कि सरकारी नीति का संशोधन करने तथा उसे लागू करने में आलोचना द्वारा सरकार की सहायता करता है। उसका कार्य केवल अवगुण ढूंढना नहीं होता बल्कि उसे दूर करने के लिए सुझाव भी देना होता है।

18. अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना (Spirit of Internationalism)-आदर्श नागरिक में अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का होना आवश्यक है। नागरिक को अपने देश से ही प्यार नहीं होना चाहिए बल्कि मानव जाति से प्यार होना चाहिए। आदर्श नागरिक दूसरे राज्य के नागरिकों को अपना भाई मानते हैं और उनसे मित्रता का व्यवहार करते हैं। आदर्श नागरिक का यह गुण है कि अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति की स्थापना के लिए प्रयत्नशील रहता है। वह देश के हित से बढ़ कर विश्व के हित के लिए कार्य करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)-उपर्युक्त चर्चा से स्पष्ट हो जाता है कि केवल मात्र नागरिक होना ही काफ़ी नहीं है बल्कि एक अच्छा नागरिक होना आवश्यक है। लॉर्ड ब्राइस (Lord Bryce) ने आदर्श नागरिक के गुण “बुद्धि, आत्म संयम और सच्चाई” (Intelligence, self-control and conscience) कहे हैं। डॉ० विलियम ने “नागरिकता को वफ़ादारियों का उचित क्रम बताया है।” (“Citizenship consists in the right ordering of loyalities.”)

उपर्युक्त गुणों का विकास कोई कठिनाई की बात नहीं है। इन गुणों के विकास के लिए दृढ़ निश्चय और अभ्यास की ज़रूरत है। एक बार गुणों के पनपने के बाद सारी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं और इन गुणों का प्रयोग स्वाभाविक सा हो जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
नागरिक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
‘नागरिक’ का शाब्दिक अर्थ है किसी नगर का निवासी, परन्तु नागरिक शास्त्र में ‘नागरिक’ शब्द का विशेष अर्थ है। नागरिक शास्त्र में उस व्यक्ति को नागरिक कहा जाता है जिसे राजनीतिक तथा सामाजिक अधिकार प्राप्त हों। विभिन्न लेखकों ने नागरिक की विभिन्न परिभाषाएं की हैं-

  • अरस्तु के अनुसार, “नागरिक उस व्यक्ति को कहा जाता है, जिसे राज्य के शासन प्रबन्ध विभाग तथा न्यायविभाग में भाग लेने का पूर्ण अधिकार है।”
  • वाटल के अनुसार, “नागरिक किसी राज्य के सदस्य होते हैं, जो कुछ कर्त्तव्यों द्वारा राजनीतिक समाज में बन्धे होते हैं तथा इससे प्राप्त होने वाले लाभ के बराबर के हिस्सेदार होते हैं।”

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

प्रश्न 2.
नागरिक की कोई चार विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
नागरिक के लिए निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है-

  1. नागरिक किसी राज्य का सदस्य होता है।
  2. नागरिक अपने राज्य में स्थायी रूप से रह सकता है।
  3. नागरिक को सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
  4. नागरिक को कुछ कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है।

प्रश्न 3.
नागरिक और विदेशी में चार अन्तर बताएं।
उत्तर-
नागरिक तथा विदेशी में निम्नलिखित अन्तर पाए जाते हैं-

  • स्थिति के आधार पर-नागरिक राज्य का सदस्य होता है, जिस कारण उसे निश्चित नागरिकता तथा कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं परन्तु विदेशी राज्य का सदस्य नहीं होता। वह कुछ उद्देश्यों के लिए राज्य में रहता है। उसका उद्देश्य व्यापार-प्रसार या अपनी सरकार का प्रतिनिधित्व करना हो सकता है।
  • राज्य भक्ति के आधार पर-नागरिक को अपने राज्य के प्रति वफादार होना पड़ता है, परन्तु विदेशी उस राज्य के प्रति वफादारी नहीं दिखाता जहां कि वह रहता है बल्कि वह उस राज्य के प्रति वफादार रहता है, जहां से वह आया है।
  • अधिकारों के आधार पर-नागरिक को सामाजिक और राजनीतिक दोनों प्रकार के अधिकार प्राप्त होते हैं, परन्तु विदेशियों को केवल सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं। विदेशियों को वोट डालने, चुनाव लड़ने, सरकारी पद सम्भालने इत्यादि अधिकार प्राप्त नहीं होते।
  • युद्ध के समय विदेशियों को राज्य की सीमा से बाहर जाने के लिए कहा जा सकता है, परन्तु नागरिक को देश से नहीं निकाला जा सकता।

प्रश्न 4.
नागरिकता का अर्थ तथा परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
आज नागरिकता केवल राज्य के प्रशासन में भाग लेने वाले को प्राप्त न होकर बल्कि विकास के आधार पर प्राप्त होती है। समस्त व्यक्ति बिना जात-पात, लिंग या ग्राम या नगर के निवास तथा सम्पत्ति के भेद-भाव के बिना आधुनिक राज्यों के नागरिक माने जाते हैं। राज्य के प्रशासन में प्रत्यक्ष तौर पर भाग लेना अनिवार्य नहीं है। नागरिकता उस वैधानिक या कानूनी सम्बन्ध का नाम है जो व्यक्ति को उस राज्य के साथ, जिसका वह नागरिक है, सम्बद्ध करता है।

लॉस्की के शब्दों में, “अपनी सुलझी हुई बुद्धि को जन-हितों के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है।”

गैटेल के अनुसार, “नागरिकता व्यक्ति की उस अवस्था को कहते हैं जिसके कारण वह अपने राज्य में राष्ट्रीय और राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग कर सकता है और कर्त्तव्य के पालन के लिए तैयार रहता है।”

बायड के अनुसार, “नागरिकता अपनी वफ़ादारियों को ठीक निभाना है।”
इस प्रकार किसी राज्य और उसके नागरिकों के आपसी सम्बन्धों को ही नागरिकता कहते हैं जिससे राज्य की ओर से नागरिकों को कुछ सामाजिक व राजनीतिक अधिकार मिलते हैं तथा वे राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करते हैं।

प्रश्न 5.
नागरिकता की चार प्रमुख विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
नागरिकता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. राज्य की सदस्यता-नागरिकता की प्रथम विशेषता यह है कि नागरिक को किसी राज्य का सदस्य होना आवश्यक होता है। एक राज्य का सदस्य होते हुए भी वह किसी दूसरे राज्य में अस्थायी तौर पर निवास कर सकता है।
  2. सर्वव्यापकता-आधुनिक नागरिकता की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता सर्वव्यापकता है। यह न केवल नगर निवासी बल्कि ग्रामों के लोगों, स्त्रियों व पुरुषों को भी प्राप्त होती है। नागरिकता प्रदान करते समय ग़रीब-अमीर, जाति-पाति आदि को नहीं देखा जाता।
  3. राज्य के प्रति भक्ति-नागरिकता की तीसरी विशेषता यह है कि नागरिक अपने राज्य के प्रति वफ़ादारी रखता है।
  4. नागरिक को राज्य की ओर से कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 6.
जन्मजात नागरिकता प्राप्त करने के ढंग लिखें।
उत्तर-
जन्मजात नागरिकता दो तरीकों से प्राप्त होती है-

1. रक्त सम्बन्धी सिद्धान्त-जन्मजात नागरिकता प्राप्त करने का प्रथम ढंग रक्त सम्बन्ध है। इसके अनुसार बच्चे की नागरिकता का निर्णय उसके माता-पिता की नागरिकता से होता है। बच्चे का जन्म किसी भी स्थान पर क्यों न हो, उसे अपने पिता की नागरिकता प्राप्त होती है। एक भारतीय नागरिक का बच्चा दुनिया के किसी भी देश में पैदा हो, वह भारतीय ही कहलाएगा। फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड तथा स्वीडन में भी इसी सिद्धान्त को अपनाया गया है।

2. जन्म स्थान सिद्धान्त-इस सिद्धान्त के अनुसार बच्चे की नागरिकता का निर्णय उसके जन्म स्थान के आधार पर किया जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार बच्चे को उसी देश की नागरिकता प्राप्त होती जहां उसका जन्म होता है। बच्चे के पिता की नागरिकता को ध्यान में नहीं रखा जाता है। यह सिद्धान्त अर्जेन्टाइना में प्रचलित है। एक भारतीय की सन्तान को जिसका जन्म जापान में हुआ हो तो जापानी नागरिक माना जाएगा।

प्रश्न 7.
राज्यकृत नागरिकता से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राज्यकृत नागरिक वे नागरिक होते हैं जिन्हें नागरिकता जन्मजात सिद्धान्त से प्राप्त नहीं होती बल्कि सरकार की तरफ से प्राप्त होती है। यदि कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़कर किसी दूसरे देश में बस जाता है और कुछ समय पश्चात् उस देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो वह राज्यकृत नागरिक कहलाता है। नागरिकता देना अथवा न देना राज्य पर निर्भर करता है। कोई व्यक्ति, किसी राज्य को नागरिकता देने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। ऐसी नागरिकता प्रार्थना-पत्र देकर प्राप्त की जा सकती है। कई भारतीय विदेशों में जाकर बस गए हैं और उन्होंने वहां की नागरिकता प्राप्त कर ली है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

प्रश्न 8.
नागरिकता प्राप्त करने के चार ढंग लिखो।
उत्तर-
नागरिकता प्राप्ति के मुख्य ढंग निम्नलिखित हैं-

  • निश्चित समय के लिए निवास- यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश में जाकर बहुत समय के लिए रहे तो वह प्रार्थना-पत्र देकर वहां की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। सभी देशों में निवास की अवधि निश्चित है। इंग्लैण्ड और अमेरिका में निवास की अवधि 5 वर्ष है। फ्रांस में 10 वर्ष और भारत में 5 वर्ष है।
  • विवाह-विवाह करने से भी नागरिकता प्राप्त हो जाती है। यदि कोई स्त्री किसी दूसरे देश के नागरिक से विवाह कर लेती है तो उसे अपने पति की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। परन्तु जापान में इसके उलट नियम है। जापान में यदि कोई पुरुष जापानी लड़की से शादी कर ले तो उसे जापान की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
  • सम्पत्ति द्वारा सम्पत्ति खरीदने से भी नागरिकता प्राप्त हो जाती है। ब्राज़ील, पीरू और मैक्सिको में ऐसा नियम प्रचलित है कि यदि कोई विदेशी वहां सम्पत्ति खरीद लेता है तो उसे वहां की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
  • जब एक राज्य का नागरिक किसी दूसरे राज्य के नागरिक को गोद ले लेता है, तो गोद लिए जाने वाले व्यक्ति को अपने पिता के देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
नागरिकता किन चार कारणों द्वारा छीनी जा सकती है ?
उत्तर-
नागरिकता को निम्नलिखित कारणों से छीना जा सकता है-

  • लम्बे समय तक अनुपस्थिति-कई देशों में यह नियम है कि यदि उनका नागरिक लम्बे समय तक बाहर रहे तो उसकी नागरिकता समाप्त कर दी जाती है। यदि फ्रांस का कोई नागरिक 10 वर्ष से भी अधिक लम्बे समय तक फ्रांस से अनुपस्थित रहे तो उसकी नागरिकता समाप्त कर दी जाती है।
  • विवाह-स्त्रियां विदेशी नागरिकों से विवाह करके अपनी नागरिकता खो बैठती हैं। भारत का नागरिक जापानी स्त्री से विवाह करके जापान की नागरिकता प्राप्त कर लेता है। परन्तु स्त्री को अपनी नागरिकता छोड़नी पड़ती है।
  • विदेश में सरकारी नौकरी-यदि एक देश का नागरिक दूसरे देश में सरकारी नौकरी कर लेता है तो उसकी अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है।
  • यदि कोई नागरिक सेना से भाग कर दूसरे देश में चला जाता है, तो उसकी नागरिकता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 10.
जन्मजात नागरिकता के जन्म स्थान सिद्धान्त का वर्णन करें।
उत्तर-
जन्मजात नागरिकता के जन्म स्थान सिद्धान्त के अनुसार बच्चे की नागरिकता का निर्णय उसके जन्म-स्थान के आधार पर किया जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार बच्चे को उसी देश की नागरिकता प्राप्त होती है जिस देश की भूमि पर उसका जन्म हुआ हो। बच्चे के पिता की नागरिकता को ध्यान में नहीं रखा जाता। अर्जेन्टाइना में यह सिद्धान्त लागू है। अर्जेन्टाइना में यदि कोई विदेशी सैर के लिए जाते हैं तो उनकी सन्तान अर्जेन्टाइना में उत्पन्न होती है तो बच्चे को अर्जेन्टाइना की नागरिकता प्राप्त होती है। एक भारतीय की सन्तान को जिसका जन्म जापान में हुआ हो, जापानी नागरिक माना जाएगा।

प्रश्न 11.
रक्त-सम्बन्धी सिद्धान्त के अनुसार नागरिकता कैसे प्राप्त होती है ?
उत्तर-
इस सिद्धान्त के अनुसार बच्चे की नागरिकता का वर्णन उसके माता-पिता की नागरिकता से होता है। बच्चे का जन्म किसी भी स्थान पर क्यों न हो, उसे अपने पिता की नागरिकता प्राप्त होती है। भारत में इस सिद्धान्त को अपनाया गया है। एक भारतीय नागरिक का बच्चा कहीं भी पैदा हो, चाहे जापान में, चाहे अमेरिका में, वह भारतीय ही कहलायेगा। इसी तरह एक अंग्रेज़ का बच्चा कहीं भी पैदा हो चाहे फ्रांस में, चाहे भारत में, अंग्रेज़ ही कहलायेगा। एक जर्मन का बच्चा चाहे कहीं उत्पन्न हुआ हो, जर्मनी ही कलगाएगा। फ्रांस, इटली, स्विट्ज़रलैण्ड तथा स्वीडन में भी इस सिद्धान्त को अपनाया गया है।

प्रश्न 12.
आदर्श नागरिकता के चार गुण लिखें।
उत्तर-
एक आदर्श नागरिक में अग्रलिखित गुण होने चाहिएं-

  • शिक्षा-अच्छा नागरिक बनने के लिए व्यक्ति का सुशिक्षित होना आवश्यक है। शिक्षा द्वारा नागरिक को अपने अधिकारों व कर्तव्यों का ज्ञान होता है। शिक्षा द्वारा व्यक्ति का मानसिक विकास भी होता है और उसमें उदारता व नैतिकता की भावनाएं जागृत होती हैं।
  • सामाजिक भावना-एक अच्छे नागरिक में सामाजिक भावना का होना भी आवश्यक है। नागरिक समाज में पहले आया तथा राज्य में बाद में। समाज के बिना उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति तथा विकास नहीं हो सकता।
  • कर्त्तव्यपरायणता-अच्छे नागरिकों को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना और उनका ईमानदारी से पालन करना अति आवश्यक है। यदि सब नागरिक अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें तो सभी अधिकार स्वयं प्राप्त हो जाएंगे। जिस देश के नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन ठीक ढंग से नहीं करते वह देश कभी प्रगति नहीं करता।
  • नागरिक परिश्रमी होना चाहिए।

प्रश्न 13.
आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली चार बाधाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
आदर्श नागरिकता के मार्ग में निम्नलिखित बाधाएं आती हैं :-

  • अनपढ़ता-शिक्षा एक अच्छे जीवन का आधार है। शिक्षा के बिना व्यक्ति को अपने अधिकारों व कर्तव्यों का ज्ञान नहीं होता और न ही देश की समस्याओं को समझ कर उनमें सहयोग देने योग्य बन पाता है। अशिक्षित व्यक्ति न तो अपने वोट का ठीक प्रयोग कर सकता है और न ही शासन में भाग ले सकता है।
  • अकर्मण्यता या आलस्य-आलसी व्यक्ति भी एक अच्छा नागरिक नहीं बन पाता। ऐसा व्यक्ति अपना पेट भरने के अतिरिक्त किसी काम में रुचि नहीं लेता। आलसी व्यक्ति इतना परिश्रम एवं पुरुषार्थ भी नहीं करता जितना वह कर सकता है। अतः देश के उत्थान पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • ग़रीबी-ग़रीबी भी एक अच्छे नागरिक के मार्ग में बहुत बड़ी रुकावट है। ग़रीब व्यक्ति 24 घण्टे रोटी कमाने के चक्कर में लगा रहता है अतः उसके पास देश की समस्याओं पर विचार करने के लिए समय नहीं होता। ग़रीब व्यक्ति लालच में लाकर अपने मत का भी दुरुपयोग करता है।
  • आदर्श नागरिकता के मार्ग में बेरोज़गारी एक बड़ी बाधा है।

प्रश्न 14.
आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के चार उपाय लिखो।
उत्तर-

  • शिक्षा का प्रसार-अनपढ़ता सभी बुराइयों की जड़ है अतः इसे समाप्त करने के लिए शिक्षा का प्रसार होना चाहिए। जनता को शिक्षित करने के लिए अधिक संख्या में स्कूल-कॉलेज खोले होने जाने चाहिएं।
  • आर्थिक सुधार-ग़रीबी को दूर करने और लोगों की आर्थिक दशा में सुधार करने से भी अच्छे नागरिकों की संख्या बढ़ेगी। सरकार को लोगों में परिश्रम करने व आलस्य छोड़ने का प्रचार करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह अधिक मात्रा में उद्योग-धन्धे स्थापित करे और लोगों को रोज़गार प्रदान करे।
  • सामाजिक भावना-नागरिकों में सामाजिक भावना के महत्त्व पर विचार किया जाना चाहिए। सामाजिक भावना के जागृत होने से ही व्यक्ति का स्वार्थ नष्ट होता है और वह अपने स्वार्थ की ओर ध्यान न देकर समाज के हितों का ध्यान रखने लगता है।
  • बेरोजगारी को दूर करना चाहिए।

प्रश्न 15.
नागरिक कितने तरह के होते हैं ?
उत्तर-
नागरिक दो तरह के होते हैं-

  1. जन्मजात नागरिक (Natural Citizens)
  2. राज्यकृत नागरिक (Naturalised Citizens) ।

1. जन्मजात नागरिक (Natural Citizens)-पैदायशी या जन्मजात नागरिक वह है, जो जन्म से ही राज्य के नागरिक बनते हैं और स्वाभाविक रूप से ही नागरिकता प्राप्त करते हैं। ऐसे नागरिकों को जन्म स्थान या रक्त सिद्धान्त के आधार पर वहां की नागरिकता प्राप्त होती है।

2. राज्यकृत नागरिक (Naturalised Citizens)-राज्यकृत नागरिक जन्म से किसी अन्य देश का नागरिक होता है परन्तु राज्य में बस जाने के कारण और दूसरी शर्ते पूरी करने पर सरकार द्वारा उन्हें राज्य का नागरिक मान लिया जाता है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

प्रश्न 16.
भारतीय संविधान में नागरिकता के सम्बन्ध में किन नियमों का वर्णन किया गया है ?
उत्तर-
संविधान में भारतीय नागरिकता के सम्बन्ध में निम्नलिखित नियमों का वर्णन किया गया है-

  • संविधान के लागू होने पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका जन्म भारत में हुआ है और भारत में रहता है, भारत का नागरिक है।
  • ऐसे बच्चे जिनका जन्म विदेश में हुआ है परन्तु जिसके माता या पिता में से किसी का जन्म भारत के राज्य क्षेत्र में हुआ है, तो वह भारत का नागरिक है।
  • ऐसे व्यक्ति जो संविधान लागू होने के पांच वर्ष से भारत में रहते हैं भारत के नागरिक होंगे।
  • पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्तियों के लिए संविधान में वर्णन किया गया है कि 19 जुलाई, 1948 से पूर्व आने वाले ऐसे व्यक्ति जिनका माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी या इनमें से कोई एक अथवा स्वयं अविभाजित भारत में जन्मे हों, तो उन्हें भारत का नागरिक माना जाएगा। 19 जुलाई, 1948 के बाद पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी को नागरिकता प्राप्त करने के लिए प्रार्थनापत्र देना होगा।
  • विदेशों में बसने वाले ऐसे भारतीय जिनका स्वयं का, अथवा जिनके माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी में से किसी का जन्म अविभाजित भारत में हुआ है और वे भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं तो ऐसे भारतीय अपना नाम भारतीय दूतावास में दर्ज करा लें। ऐसा करने पर उन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त हो जायेगी।

प्रश्न 17.
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की मुख्य व्यवस्थाएं लिखो।
अथवा भारतीय नागरिकता कैसे प्राप्त की जा सकती है ?
उत्तर-
विदेशियों को भारतीय नागरिकता प्राप्ति के सम्बन्ध में भारतीय संसद् ने 1955 में ‘नागरिकता अधिनियम’ (Citizenship Acquisition Act) पारित किया। इस अधिनियम में निम्नलिखित व्यवस्थाएं हैं-

  • भारत की नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति किसी ऐसे देश का नागरिक नहीं होना चाहिए जो भारतीयों को नागरिकता प्रदान नहीं करता।
  • भारत की नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति नागरिकता के लिए प्रार्थना-पत्र देने की तारीख से पहले वह या तो एक वर्ष तक भारत में निवास करता रहा हो अथवा सरकारी सेवा में रहा हो।
  • उपर्युक्त एक वर्ष से पहले के सात वर्षों के भीतर वह भारत में कुल मिलाकर कम-से-कम 4 वर्ष रहा हो या 4 वर्ष तक सरकारी सेवा में रहा हो।
  • भारत की नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति अच्छे चरित्र का व्यक्ति हो।
  • संविधान की 8वीं अनुसूची में दी गई भाषाओं में से किसी एक भाषा का ज्ञान होना चाहिए।
  • भारत की नागरिकता प्राप्त कर लेने के पश्चात् वह या तो भारत में निवास करने अथवा यहां किसी सरकारी सेवा में बने रहने का इरादा रखता हो।
  • यदि किसी विदेशी ने विज्ञान, कला, दर्शन, साहित्य, विश्व-शान्ति अथवा मानव विकास के क्षेत्र में कोई विशेष योग्यता प्राप्त कर ली है तो उसे उपर्युक्त शर्तों को पूरा किए बिना भारत का नागरिक बनाया जा सकता है।

प्रश्न 18.
नागरिक और देशीय शब्द में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
साधारण भाषा में नागरिक उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी नगर की निश्चित परिधि के अन्दर निवास करता है। अतः इस अर्थ के अनुसार जो व्यक्ति गांवों में रहते हैं, उन्हें नागरिक नहीं कहा जा सकता। परन्तु आधुनिक युग में नागरिक शब्द का यह अर्थ नहीं लिया जाता है। नागरिक उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसे राज्य में राजनीतिक तथा सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं। भारत में 18 वर्ष के पुरुष और स्त्री को मत देने का अधिकार प्राप्त है। वह व्यक्ति नगर निवासी भी हो सकता है और ग्रामीण भी।

देशीय (National) राज्य का सदस्य होता है परन्तु उसे वे सारे अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं जोकि एक नागरिक को प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए देशीय को सामाजिक तथा आर्थिक अधिकार तो प्राप्त होते हैं परन्तु उसे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं। जब उसे राजनीतिक अधिकार प्राप्त हो जाते हैं तो वह नागरिक बन जाता है। प्राय: यह अधिकार एक निश्चित आयु जैसे भारत में 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर मिल जाता है। भारत में 18 वर्ष की आयु से कम आयु वाले व्यक्ति देशीय हैं, इन्हें नागरिक नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 19.
विदेशी कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
विदेशी तीन प्रकार के होते हैं

  1. स्थायी विदेशी (Resident Aliens)—स्थायी विदेशी उन व्यक्तियों को कहा जाता है जो अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में बस जाते हैं। वे अपना व्यवसाय वहीं आरम्भ कर देते हैं। उनमें अपने देश वापिस जाने की इच्छा नहीं होती अर्थात् उनका निश्चय स्थायी रूप से वहीं रहने का होता है। जब उन्हें नागरिकता मिल जाती है तब वे उस राज्य के नागरिक बन जाते हैं। भारत के अनेक नागरिक कनाडा, इंग्लैंड तथा दक्षिणी अफ्रीका में जाकर स्थायी रूप से बस गए हैं।
  2. अस्थायी विदेशी (Temporary Aliens) अस्थायी विदेशी उन व्यक्तियों को कहा जाता है जो सैर करने के लिए या किसी उद्देश्य के लिए दूसरे राज्य में थोड़े समय के लिए जाते हैं और फिर अपने देश वापिस लौट आते
  3. राजदूत (Ambassadors)-एक राज्य के दूसरे राज्यों के साथ कूटनीतिक सम्बन्ध होते हैं। इन सम्बन्धों की स्थापना राजदूतों के आदान-प्रदान करके होती है। दूसरे देशों के राजदूत हमारे देश में आकर रहते हैं और हमारे देश के राजदूत दूसरे देशों में जाकर रहते हैं। परन्तु राजदूतों पर उनके देश का ही कानून लागू होता है। राजदूत भी विदेशी होते हैं। परन्तु राजदूतों को अन्य विदेशियों की अपेक्षा सरकार से बहुत सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
नागरिक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
‘नागरिक’ का शाब्दिक अर्थ है किसी नगर का निवासी, परन्तु नागरिक शास्त्र में ‘नागरिक’ शब्द का विशेष अर्थ है। नागरिक शास्त्र में उस व्यक्ति को नागरिक कहा जाता है जिसे राजनीतिक तथा सामाजिक अधिकार प्राप्त हों।

प्रश्न 2.
नागरिक की कोई दो परिभाषाएं दीजिए।
उत्तर-

  1. अरस्तु के अनुसार, “नागरिक उस व्यक्ति को कहा जाता है, जिसे राज्य के शासन प्रबन्ध विभाग तथा न्याय-विभाग में भाग लेने का पूर्ण अधिकार है।” ।
  2. वाटल के अनुसार, “नागरिक किसी राज्य के सदस्य होते हैं, जो कुछ कर्तव्यों द्वारा राजनीतिक समाज में बन्धे होते हैं तथा इससे प्राप्त होने वाले लाभ के बराबर के हिस्सेदार होते हैं।”

प्रश्न 3.
नागरिक की कोई दो विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
नागरिक के लिए निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है-

  1. नागरिक किसी राज्य का सदस्य होता है।
  2. नागरिक अपने राज्य में स्थायी रूप से रह सकता है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

प्रश्न 4.
नागरिक और विदेशी में दो अन्तर बताएं।
उत्तर-

  1. नागरिक राज्य का सदस्य होता है, जिस कारण उसे निश्चित नागरिकता तथा कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं परन्तु विदेशी राज्य का सदस्य नहीं होता।
  2. नागरिक को अपने राज्य के प्रति वफादार होना पड़ता है, परन्तु विदेशी उस राज्य के प्रति वफादारी नहीं दिखाता।

प्रश्न 5.
नागरिकता का अर्थ लिखें।
उत्तर-
आज नागरिकता केवल राज्य के प्रशासन में भाग लेने वाले को प्राप्त न होकर बल्कि विकास के आधार पर प्राप्त होती है। समस्त व्यक्ति बिना जात-पात, लिंग या ग्राम या नगर के निवास तथा सम्पत्ति के भेद-भाव के बिना आधुनिक राज्यों के नागरिक माने जाते हैं। राज्य के प्रशासन में प्रत्यक्ष तौर पर भाग लेना अनिवार्य नहीं है। नागरिकता उस वैधानिक या कानूनी सम्बन्ध का नाम है जो व्यक्ति को उस राज्य के साथ, जिसका वह नागरिक है, सम्बद्ध करता है।

प्रश्न 6.
नागरिकता की कोई दो परिभाषा दें।
उत्तर-
लॉस्की के शब्दों में, “अपनी सुलझी हुई बुद्धि को जन-हितों के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है।” गैटेल के अनुसार “नागरिकता व्यक्ति की उस अवस्था को कहते हैं जिसके कारण वह अपने राज्य में राष्ट्रीय और राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग कर सकता है और कर्त्तव्य के पालन के लिए तैयार रहता है।” बायड के अनुसार “नागरिकता अपनी वफ़ादारियों को ठीक निभाना है।”

प्रश्न 7.
नागरिकता की दो प्रमुख विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. राज्य की सदस्यता-नागरिकता की प्रथम विशेषता यह है कि नागरिक को किसी राज्य का सदस्य होना आवश्यक होता है।
  2. सर्वव्यापकता-आधुनिक नागरिकता की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता सर्वव्यापकता है। यह न केवल नगर निवासी बल्कि ग्रामों के लोगों, स्त्रियों व पुरुषों को भी प्राप्त होती है।

प्रश्न 8.
नागरिकता प्राप्त करने के दो ढंग लिखो।
उत्तर-

  1. निश्चित समय के लिए निवास-यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे देश में जाकर बहुत समय के लिए रहे तो वह प्रार्थना-पत्र देकर वहां की नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
  2. विवाह-विवाह करने से भी नागरिकता प्राप्त हो जाती है। यदि कोई स्त्री किसी दूसरे देश के नागरिक से विवाह कर लेती है तो उसे अपने पति की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
नागरिकता किन दो कारणों द्वारा छीनी जा सकती है ?
उत्तर-

  1. लम्बे समय तक अनुपस्थिति-कई देशों में यह नियम है कि यदि उनका नागरिक लम्बे समय तक बाहर रहे तो उसकी नागरिकता समाप्त कर दी जाती है।
  2. विवाह-स्त्रियां विदेशी नागरिकों से विवाह करके अपनी नागरिकता खो बैठती हैं।

प्रश्न 10.
आदर्श नागरिकता के दो गुण लिखें।
उत्तर-

  1. शिक्षा-अच्छा नागरिक बनने के लिए व्यक्ति का सुशिक्षित होना आवश्यक है।
  2. सामाजिक भावना-एक अच्छे नागरिक में सामाजिक भावना का होना भी आवश्यक है। नागरिक समाज में पहले आया तथा राज्य में बाद में। समाज के बिना उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति तथा विकास नहीं हो सकता।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. नागरिक को अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं ?
उत्तर-नागरिक को अंग्रेज़ी में सिटीज़न (Citizen) कहते हैं।

प्रश्न 2. सिटीजन का क्या अर्थ लिया जाता है ?
उत्तर-सिटीज़न का अर्थ है-नगर-निवासी।

प्रश्न 3. आदर्श नागरिक के कोई दो गुण लिखें।
उत्तर-

  1. सामाजिक भावना से परिपूर्ण
  2. प्रगतिशील तथा परिश्रमी।

प्रश्न 4. आदर्श नागरिक के मार्ग में आने वाली कोई दो बाधाएं लिखें।
उत्तर-

  1. अनपढ़ता
  2. सांप्रदायिकता।

प्रश्न 5. आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के कोई दो उपाय लिखें।
उत्तर-

  1. शिक्षा का प्रसार
  2. समान अधिकारों की प्राप्ति।

प्रश्न 6. “नागरिक वह व्यक्ति है, जिसको राज्य के कानून सम्बन्धी विचार-विमर्श और न्याय प्रबन्ध में भाग लेने का अधिकार है।” यह कथन किसका है?
उत्तर- अरस्तु।

प्रश्न 7. ‘अपनी सुलझी हुई बुद्धि को जनहितों के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है।’ यह कथन किसका है?
उत्तर-लॉस्की।

प्रश्न 8. किन्हीं दो साधनों के नाम लिखें, जिनसे राज्यकृत नागरिकता प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर-

  1. विवाह
  2. सरकारी नौकरी ।

प्रश्न 9. किन्हीं दो साधनो का नाम लिखें, जिनसे नागरिकता समाप्त हो सकती है?
उत्तर-

  1. लंबी अनुपस्थिति
  2. पराजय द्वारा।

प्रश्न 10. नागरिकता के उदारवादी सिद्धान्त का समर्थन किसने किया?
उत्तर-टी० एच० मार्शल।

प्रश्न 11. नागरिकता के स्वेच्छातंत्रवादी सिद्धान्त का समर्थन किसने किया?
उत्तर-राबर्ट नॉजिक।

प्रश्न 12. नागरिकता के बहुलवादी सिद्धान्त का समर्थन किसने किया?
उत्तर-डेविड हैल्ड ने।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

प्रश्न 13. नागरिक की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर-नागरिक को राज्य की ओर से कुछ अधिकार मिले होते हैं, जिन्हें वह अपने और समाज कल्याण के लिए प्रयोग करता है।

प्रश्न 14. नागरिकता की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर-नागरिकता सर्वव्यापक होती है।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. नागरिक शब्द को अंग्रेज़ी में …………. कहते हैं।
2. दीर्घ निवास नागरिकता प्राप्त करने का एक ……….. है।
3. पराजय द्वारा …………… समाप्त हो सकती है।
4. नागरिकता का उदारवादी सिद्धान्त …………… ने दिया।
5. नागरिकता का स्वेच्छातंत्रवादी सिद्धान्त …………. ने दिया।
6. नागरिकता का बहुलवादी सिद्धान्त …………… ने दिया।
उत्तर-

  1. सिटीज़न
  2. साधन
  3. नागरिकता
  4. टी० एच० मार्शल
  5. राबर्ट नॉजिक
  6. डेविड हैल्ड।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. नागरिक को राज्य की ओर से कुछ अधिकार मिले होते हैं।
2. नागरिक कर्त्तव्यों का पालन नहीं करते।
3. नागरिक अपने राज्य के प्रति वफादारी रखता है।
4. ब्राजील में सम्पत्ति खरीदने से भी नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
5. एक अच्छे नागरिक में सामाजिक भावना का होना आवश्यक नहीं है।
उत्तर-

  1. सही
  2. ग़लत
  3. सही
  4. सही
  5. गलत।

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
“नागरिक वह व्यक्ति है जिसको राज्य के कानून संबंधी विचार-विमर्श और न्याय प्रबंध में भाग लेने का अधिकार है।” यह कथन किसका है ?
(क) अरस्तु
(ख) श्री निवास शास्त्री
(ग) प्लेटो
(घ) वाटल।
उत्तर-
(क) अरस्तु।

प्रश्न 2.
“अपनी सुलझी हुई बुद्धि को जनहित के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है”-यह कथन किसका है ?
(क) डेविस हैल्ड
(ख) लॉस्की
(ग) गैटल
(घ) श्री निवास शास्त्री।
उत्तर-
(ख) लॉस्की।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 नागरिक और नागरिकता

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन-सा राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने का साधन है ?
(क) विवाह
(ख) सरकारी नौकरी
(ग) दीर्घ निवास
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा नागरिकता खोने का साधन है ?
(क) दीर्घ निवास
(ख) सरकारी नौकरी
(ग) सेना में भर्ती
(घ) लंबी अनुपस्थिति।
उत्तर-
(घ) लंबी अनुपस्थिति।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

SST Guide for Class 9 PSEB श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
गुरु अर्जन देव जी की माता जी का नाम
(क) बीबी भानी
(ख) सभराई देवी
(ग) बीबी अमरो
(घ) बीबी अनोखी।
उत्तर-
(क) बीबी भानी

प्रश्न 2.
गुरु रामदास जी के बड़े पुत्र का नाम
(क) महादेव
(ख) अर्जन देव
(ग) पिरथी चन्द
(घ) हरगोबिंद।
उत्तर-
(ग) पिरथी चन्द

प्रश्न 3.
गुरु हरिगोबिंद जी को जहांगीर ने कौन-से किले में कैद किया था ?
(क) ग्वालियर
(ख) लाहौर
(ग) दिल्ली
(घ) जयपुर।
उत्तर-
(क) ग्वालियर

प्रश्न 4.
खुसरो गुरु अर्जन देव जी को कहां मिला ?
(क) गोइंदवाल
(ख) हरिगोबिंदपुर
(ग) करतारपुर
(घ) संतोखसर।
उत्तर-
(क) गोइंदवाल

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 5.
श्री गुरु अर्जन देव जी को जहांगीर द्वारा कब शहीद किया गया ?
(क) 24 मई, 1606 ई०
(ख) 30 मई, 1606 ई०
(ग) 30 मई, 1581 ई०
(घ) 24 मई, 1675 ई०
उत्तर-
(ख) 30 मई, 1606 ई०

(ख) रिक्त स्थान भरो :

1. श्री गुरु अर्जन देव जी का गुरुकाल …….. से …….. तक था।
2. 1590 ई० में श्री गुरु अर्जन देव जी ने ………. नामक सरोवर बनावाया।

उत्तर-

  1. 1581 ई०-1606 ई०
  2. तरनतारन।

(ग) सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी – 1. जहांगीर
2. मीरी पीरी – 2. 30 मई 1606 ई०
3. साईं मियां मीर – 3. श्री गुरु हरिगोबिंद जी
4. खुसरो – 4. श्री हरिमंदर साहिब की नींव रखना।

उत्तर-

  1. 30 मई 1606 ई०
  2. श्री गुरु हरिगोबिंद जी
  3. श्री हरिमंदर साहिब की नींव रखना
  4. जहांगीर।

(घ) अंतर बताओ :

मीरी और पीरी
उत्तर-‘मीरी’ और ‘पीरी’ नामक दो तलवारें थीं-जो श्री गुरु हरगोबिन्द जी ने धारण की थीं। इनमें ‘मीरी’ तलवार सांसारिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक थी, जबकि ‘पीरी’ तलवार आध्यात्मिक विषयों में नेतृत्व को प्रतीक दर्शाती थी।

अति लघु उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सिक्खों के पांचवें गुरु कौन थे ?
उत्तर-
श्री गुरु अर्जन देव जी।

प्रश्न 2.
श्री हरिमंदर साहिब जी की नींव कब और किसने रखी ?
उत्तर-
श्री हरिमंदर साहिब की नींव 1588 ई० में प्रसिद्ध सूफी फकीर मियां मीर जी ने रखी।

प्रश्न 3.
श्री गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रंथ साहिब जी को किससे लिखवाया ?
उत्तर-
भाई गुरदास जी से।

प्रश्न 4.
आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन कार्य कब पूरा हुआ ?
उत्तर-
1604 ई० में।

प्रश्न 5.
नक्शबंदी नामक लहर का नेता कौन था ?
उत्तर-
शेख अहमद सरहंदी।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 6.
श्री हरिमंदर साहिब के पहले ग्रंथी कौन थे ?
उत्तर-
बाबा बुड्ढा जी।

प्रश्न 7.
‘दसवंध’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दसवंध से भाव यह है कि प्रत्येक सिख अपनी आय का दसवां भाग गुरु जी के नाम भेंट करे।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु रामदास जी ने गुरुगद्दी किसे और कब सौंपी ?
उत्तर-
गुरु रामदास जी को अपने तीनों पुत्रों में से एक को गुरु पद सौंपना था। उन्होंने तीनों के विषय में काफी सोच-विचार किया। उनमें से एक (महादेव) फकीर था। उसे सांसारिक विषयों से कोई लगाव न था। अतः गुरु जी ने उसे गुरु पद देना उचित न समझा। उनका दूसरा पुत्र पृथीचंद अथवा पृथिया भी इस पद के अयोग्य था क्योंकि वह धोखेबाज तथा षड्यंत्रकारी था। इन परिस्थितियों में गुरु रामदास जी ने 1581 ई० में अपने छोटे पुत्र अर्जन देव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।

प्रश्न 2.
श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
मुगल सम्राट जहांगीर के पुत्र खुसरो ने उसके विरुद्ध विद्रोह कर दिया था। खुसरो पराजित होकर गुरु अर्जन देव जी के पास आया। गुरु जी ने उसे आशीर्वाद दिया। इस आरोप में जहांगीर ने गुरु अर्जन देव पर दो लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। परंतु गुरु जी ने जुर्माना देने से इन्कार कर दिया। इसलिए उन्हें बंदी बना लिया गया और 30 मई 1606 ई० को अनेक यातनाएं देकर शहीद कर दिया। सिख परम्परा में गुरु अर्जन देव जी को ‘शहीदों का सिरताज’ कहा जाता है।

प्रश्न 3.
‘जहांगीर की धार्मिक असहष्णुिता’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मुग़ल सम्राट अकबर के विपरीत सम्राट जहांगीर एक कट्टर मुसलमान था। वह अपने धर्म को बढ़ाना चाहता था। परंतु उस समय हर जाति व धर्म के लोग सिक्ख धर्म की उदारता और सरल शिक्षाओं से प्रभावित होकर सिक्ख धर्म को अपना रहे थे। जहांगीर सिख धर्म की बढ़ती लोकप्रियता को सहन नहीं कर सका और वह गुरु अर्जन देव जी से ईर्ष्या करने लगा। अंततः इसी कारण गुरु जी की शहादत हुई।

प्रश्न 4.
चंदूशाह कौन था और वह श्री गुरु अर्जन देव जी के विरुद्ध क्यों हो गया ?
उत्तर-
चंदूशाह लाहौर दरबार (मुग़ल राज्य) का प्रभावशाली अधिकारी.था। उसकी पुत्री का विवाह गुरु अर्जन देव जी के पुत्र हरगोबिंद के साथ होना निश्चित हुआ था, परंतु चंदू शाह अहंकारी था। गुरु जी ने संगत की सलाह मानते हुए इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया। चंदूशाह ने इसे अपना अपमान समझा और गुरु जी का विरोधी बन बैठा। उसने बादशाह अकबर को गुरु जी के विरुद्ध भड़काया, परंतु वह असफल रहा। बाद में उसने मुग़ल बादशाह जहांगीर को गुरु जी के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए उकसाया, जोकि अंततः गुरु जी की शहादत का कारण बना।

प्रश्न 5.
श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी का तत्कालीन कारण क्या था ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी मुग़ल सम्राट् जहांगीर के समय में मई, 1606 ई० में हुई। इस शहीदी के पीछे मुख्यत: जहांगीर की कट्टर धार्मिक नीति का हाथ था। गुरु जी ने जहांगीर के विद्रोही पुत्र खुसरो को आशीर्वाद दिया था। उन्होंने गुरु घर में आने पर उसका आदर-सम्मान किया और उसे लंगर भी छकाया। गुरु जी का यह कार्य राजनीतिक अपराध माना गया। गुरु जी द्वारा आदि ग्रंथ साहिब की रचना ने जहांगीर का संदेह और भी बढ़ा दिया। गुरु जी के शत्रुओं ने जहांगीर को बताया कि आदि ग्रंथ साहिब में इस्लाम धर्म के विरुद्ध काफी कुछ लिखा गया है। अतः जहांगीर ने गुरु जी को दरबार में बुलावा भेजा। उसने गुरु जी को आदेश दिया कि वे इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हज़रत मुहम्मद साहिब के विषय में भी कुछ लिखें परंतु गुरु जी ने इस संबंध में ईश्वर के आदेश के सिवा किसी अन्य के आदेश का पालन करने से इंकार कर दिया। यह उत्तर सुनकर मुग़ल सम्राट ने गुरु अर्जन देव जी को कठोर शारीरिक कष्ट देकर शहीद करने डालने का आदेश जारी कर दिया।

प्रश्न 6.
मसंद प्रथा का सिख धर्म के विकास में क्या योगदान है ?
उत्तर-मसंद प्रथा से अभिप्राय उस प्रथा से है जिसका आरंभ गुरु रामदास जी ने सिक्खों से नियमित रूप से भेंटें एकत्रित करने तथा उसे समय पर गुरु जी तक पहुंचाने के लिए किया था। गुरु जी को अमृतसर तथा संतोखसर नामक दो तालाबों की खुदवाई के लिए और लंगर चलाने तथा धर्म प्रचार करने के लिए काफ़ी धन चाहिए था। अतः उन्होंने अपने कुछ शिष्यों को विभिन्न प्रदेशों में धन एकत्रित करने के लिए भेजा। गुरु जी द्वारा भेजे गए इन शिष्यों को ‘मसंद’ कहा जाता था। इस प्रकार मसंद प्रणाली का आरंभ हुआ। सिक्खों के लिए मसंद प्रथा बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई। इस प्रथा द्वारा गुरु जी को एक निश्चित आय प्राप्त होने लगी और धर्म प्रचार का कार्य भी सुचारु रूप से चलने लगा। परंतु आगे चलकर मसंद कपटी और भ्रष्टाचारी हो गए। इसलिए दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस प्रथा का अंत कर दिया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु अर्जन देव जी का सिक्ख धर्म के विकास में क्या योगदान है ? विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी के गुरुगद्दी संभालते ही सिक्ख धर्म के इतिहास ने नवीन दौर में प्रवेश किया। उनके प्रयास से हरिमंदर साहिब बना और सिक्खों को अनेक तीर्थ स्थान मिले। यही नहीं उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किया जिसे आज सिक्ख धर्म में वही स्थान प्राप्त है जो हिंदुओं में रामायण, मुसलमानों में कुरान शरीफ तथा इसाइयों में बाइबिल को प्राप्त है। संक्षेप में, गुरु अर्जन देव जी के कार्यों तथा सफलताओं का वर्णन इस प्रकार है-

1. हरिमंदर साहिब का निर्माण-गुरु रामदास जी के ज्योति जोत समाने के पश्चात् गुरु अर्जन देव जी ने अमृतसर तथा संतोखसर नामक तालाबों का निर्माण कार्य पूरा किया। उन्होंने ‘अमृतसर’ तालाब के बीच हरिमंदर साहिब का निर्माण करवाया। हरिमंदर साहिब की नींव 1588 ई० में सूफ़ी फ़कीर मीयां मीर जी ने रखी। 1604 ई० में हरिमंदर साहिब में आदि ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया। बाबा बुड्ढा जी यहां के पहले ग्रंथी बने। गुरु साहिब ने हरिमंदर साहिब के चारों ओर एक-एक द्वार रखवाया। ये द्वार इस बात का प्रतीक हैं कि यह स्थान सभी जातियों तथा धर्मों के लोगों के लिए खुला है।

2. तरनतारन की स्थापना-गुरु अर्जन देव जी ने अमृतसर के अतिरिक्त अन्य अनेक नगरों, सरोवरों तथा स्मारकों का निर्माण करवाया। तरनतारन भी इनमें से एक था। उन्होंने इसका निर्माण प्रदेश के ठीक मध्य में करवाया। अमृतसर की भांति तरनतारन भी सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बन गया।

3. लाहौर में बाऊली का निर्माण-गुरु अर्जन देव जी ने अपनी लाहौर यात्रा के दौरान डब्बी बाज़ार में एक बाऊली का निर्माण करवाया। इस बाऊली के निर्माण से निकटवर्ती प्रदेशों के सिक्खों को एक तीर्थ स्थान की प्राप्ति हुई।

4. हरगोबिंदपुर तथा छहरटा की स्थापना-गुरु जी ने अपने पुत्र हरगोबिंद के जन्म की खुशी में ब्यास नदी के तट पर हरगोबिंदपुर नामक नगर की स्थापना की। इसके अतिरिक्त उन्होंने अमृतसर के निकट पानी की कमी को दूर करने के लिए एक कुएं का निर्माण करवाया। इस कुएं पर छः रहट चलते थे। इसलिए इसको छहरटा के नाम से पुकारा जाने लगा।

5. करतारपुर की नींव रखना-गुरु जी ने 1593 ई० में जालंधर दोआब में एक नगर की स्थापना की जिसका नाम करतारपुर रखा गया। यहां उन्होंने एक तालाब का निर्माण करवाया जो गंगसर के नाम से प्रसिद्ध है।

6. मसंद प्रथा का विकास-गुरु अर्जन देव जी ने सिक्खों को आदेश दिया कि वे अपनी आय का 1/10 भाग (दशांश अथवा दसवंद) आवश्यक रूप से मसंदों को जमा कराएं। मसंद वैसाखी के दिन इस राशि को अमृतसर के केंद्रीय कोष में जमा करवा देते थे। राशि को एकत्रित करने के लिए वे अपने प्रतिनिधि नियुक्त करने लगे। इन्हें ‘संगती’ कहते थे।

7. आदि ग्रंथ साहिब का संकलन-श्री गुरु अर्जन देव जी के समय तक सिक्ख धर्म काफी लोकप्रिय हो चुका था। सिक्ख गुरुओं ने बड़ी मात्रा में बाणी की रचना कर ली थी। स्वयं श्री गुरु अर्जुन देव जी ने भी 30 रागों में 2218 शब्दों की रचना की थी। गुरुओं के नाम पर कुछ लोगों ने भी बाणी की रचना शुरु कर दी थी। इस लिए श्री गुरु अर्जन देव जी ने सिक्खों को गुरु साहिबान की शुद्ध गुरबाणी का ज्ञान करवाने तथा गुरुओं की बाणी की संभाल करने के लिए आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन किया। ग्रंथ के संकलन का कार्य अमृतसर में रामसर सरोवर के किनारे एकांत स्थान पर शुरु किया गया। श्री गुरु अर्जन देव जी ने स्वयं बोलते गए और भाई गुरदास जी लिखते गए। आदि ग्रंथ साहिब में सिक्ख गुरुओं की बाणी के अतिरिक्त कई हिन्दू भक्तों, सूफी-संतों, भट्टों और गुरुसिक्खों के शब्दों को शामिल किया गया था।। 1604 ई० में आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन का कार्य सम्पूर्ण हुआ और इसका प्रथम प्रकाश श्री हरिमंदिर साहिब में किया गया। बाबा बुड्ढा जी को इसका पहला ग्रंथी नियुक्त किया गया।

8. घोड़ों का व्यापार-गुरु जी ने सिक्खों को घोड़ों का व्यापार करने के लिए प्रेरित किया। इससे सिक्खों को निम्नलिखित लाभ हुए

  • उस समय घोड़ों के व्यापार से बहुत लाभ होता था। परिणामस्वरूप सिक्ख लोग भी धनी हो गए। अब उनके लिए दसवंद (1/10) देना कठिन न रहा।
  • इस व्यापार से सिक्खों को घोड़ों की अच्छी परख हो गई। यह बात उनके लिए सेना संगठन के कार्य में बड़ी काम आई।

9. धर्म प्रचार कार्य-गुरु अर्जन देव जी ने धर्म-प्रचार द्वारा भी अनेक लोगों को अपना शिष्य बना लिया। उन्होंने अपनी आदर्श शिक्षाओं, सद्व्यवहार, नम्र स्वभाव तथा सहनशीलता से अनेक लोगों को प्रभावित किया।
संक्षेप में, इतना कहना ही काफ़ी है कि गुरु अर्जन देव जी के काल में सिक्ख धर्म ने बहुत प्रगति की। आदि ग्रंथ साहिब की रचना हुई, तरनतारन, करतारपुर तथा छहरटा अस्तित्व में आए तथा हरिमंदर साहिब सिक्ख धर्म की शोभा बन गया।

प्रश्न 2.
श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी उन महापुरुषों में से एक थे जिन्होंने धर्म की खातिर अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी शहीदी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

1. सिक्ख-धर्म का विस्तार-गुरु अर्जन देव जी के समय सिख धर्म का तेजी से विस्तार हो रहा था। कई नगरों की स्थापना, श्री हरिमंदर साहिब के निर्माण तथा आदि ग्रंथ साहिब के संकलन के कारण लोगों की सिक्ख धर्म में आस्था बढ़ती जा रही थी। दसबंध प्रथा के कारण गुरु साहिब की आय में वृद्धि हो रही थी। अतः लोग गुरु अर्जन देव जी को ‘सच्चे पातशाह’ कह कर पुकारने लगे थे। मुग़ल सम्राट जहांगीर इस स्थिति को राजनीतिक संकट के रूप में देख रहा था।

2. जहांगीर की धार्मिक कट्टरता-1605 ई० में जहांगीर मुग़ल सम्राट् बना। वह सिक्खों के प्रति घृणा की भावना रखता था। इसलिए वह गुरु जी से घृणा करता था। वह या तो उनको मारना चाहता था और या फिर उन्हें मुसलमान बनने के लिए बाध्य करना चाहता था। अत: यह मानना ही पड़ेगा कि गुरु जी की शहीदी में जहांगीर का पूरा हाथ था।

3. पृथिया (पिरथी चन्द) की शत्रुता-गुरु रामदास जी ने गुरु अर्जन देव जी की बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। परंतु यह बात गुरु अर्जन देव जी का बड़ा भाई पृथिया सहन न कर सका। उसने मुग़ल सम्राट अकबर से यह शिकायत की कि गुरु अर्जन देव जी एक ऐसे धार्मिक ग्रंथ (आदि ग्रंथ साहिब) की रचना कर रहे हैं, जो इस्लाम धर्म के सिद्धांतों के विरुद्ध है, परंतु सहनशील अकबर ने गुरु जी के विरुद्ध कोई कार्यवाही न की। इसके बाद पृथिया लाहौर के गवर्नर सुलेही खां तथा वहां के वित्त मंत्री चंदृशाह से मिलकर गुरु अर्जन देव जी के विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगा। मरने से पहले वह मुग़लों के मन में गुरु जी के विरुद्ध घृणा के बीज बो गया।

4. नक्शबंदियों का विरोध-नक्शबंदी लहर एक मुस्लिम लहर थी जो गैर-मुसलमानों को कोई भी सुविधा दिए जाने के विरुद्ध थे। इस लहर के एक नेता शेख अहमद सरहिंदी के नेतृत्व में मुसलमानों ने गुरु अर्जन देव जी के विरुद्ध सम्राट अकबर से शिकायत की। परन्तु एक उदारवादी शासक होने के कारण, अकबर ने नक्शबंदियों की शिकायतों की ओर कोई ध्यान न दिया। अतः अकबर की मृत्यु के बाद नक्शबंदियों ने जहांगीर को गुरु साहिब के विरुद्ध भड़काना शुरु कर दिया।

5. चंदू शाह की शत्रुता-चंदू शाह लाहौर का दीवान था। गुरु अर्जन देव जी ने उसकी पुत्री के साथ अपने पुत्र का विवाह करने से इंकार कर दिया था। अत: उसने पहले सम्राट अकबर को तथा बाद में जहांगीर को गुरु जी के विरुद्ध यह कह कर भड़काया कि उन्होंने विद्रोही राजकुमार की सहायता की है। जहांगीर पहले ही गुरु जी के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकना चाहता था। इसलिए वह गुरु जी के विरुद्ध कठोर पग उठाने के लिए तैयार हो गया।

6. आदि ग्रंथ साहिब का संचलन-गुरु जी ने आदि ग्रंथ साहिब का संकलन किया था। गुरु जी के शत्रुओं ने जहांगीर को बताया कि आदि ग्रंथ साहिब में इस्लाम धर्म के विरुद्ध बहुत कुछ लिखा गया है। अतः जहांगीर ने गुरु जी को आदेश दिया कि आदि ग्रंथ साहिब में से ऐसी सभी बातें निकाल दी जाएं जो इस्लाम धर्म के विरुद्ध हों। इस पर गुरु जी ने उत्तर दिया, “आदि ग्रंथ साहिब से हम एक भी अक्षर निकालने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि इसमें हमने कोई भी ऐसी बात नहीं लिखी जो किसी धर्म के विरुद्ध हो।” कहते हैं कि यह उत्तर पाकर जहांगीर ने गुरु अर्जन देव जी से कहा कि वे इस ग्रंथ में मुहम्मद साहिब के विषय में भी कुछ लिख दें। परंतु गुरु जी ने जहांगीर की यह बात स्वीकार न की और कहा कि इस विषय में ईश्वर के आदेश के सिवा किसी अन्य के आदेश का पालन नहीं किया जा सकता।

7. राजकुमार खुसरो का मामला (तात्कालिक कारण)-खुसरो जहांगीर का सबसे बड़ा पुत्र था। उसने अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। जहांगीर की सेनाओं ने उसका पीछा किया। वह भाग कर गुरु अर्जन देव जी की शरण में पहुंचा। कहते हैं कि गुरु जी ने उसे आशीर्वाद दिया और उसे लंगर भी छकाया। परंतु गुरु साहिब के विरोधियों ने जहाँगीर के कान भरे कि गुरु साहिब ने खुसरो की धन से सहायता की है। इसे गुरु जी का अपराध माना गया और उन्हें बंदी बनाने का आदेश दिया गया।

8. शहीदी-गुरु साहिब को 24 मई 1606 ई० को बंदी के रूप में लाहौर लाया गया। उपर्युक्त बातों के कारण जहांगीर की धर्मान्धता चरम सीमा पर पहुंच गई थी। अतः उसने गुरु अर्जन देव जी को शहीद करने का आदेश जारी कर दिया। शहीदी से पहले गुरु साहिब को कठोर यातनाएं दी गई। कहा जाता है कि उन्हें तपते लोहे पर बिठाया गया और उनके शरीर पर गर्म रेत डाली गई। 30 मई 1606 ई० में गुरु जी शहीदी को प्राप्त हुए। उन्हें शहीदों का ‘सरताज’ कहा जाता है।
शहीदी का महत्त्व-गुरु अर्जन देव जी की शहीदी को सिक्ख इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

  • गुरु जी की शहीदी ने सिक्खों में सैनिक भावना जागृत की। अत: शांतिप्रिय सिक्ख जाति ने लड़ाकू जाति का रूप धारण कर लिया। वास्तव में वे ‘संत सिपाही’ बन गए।
  • गुरु जी की शहीदी से पूर्व सिक्खों तथा मुग़लों के आपसी संबंध अच्छे थे। परंतु इस शहीदी ने सिक्खों की धार्मिक भावनाओं को भड़का दिया और उनके मन में मुग़ल राज्य के प्रति घृणा पैदा हो गई।
  • इस शहीदी से सिक्ख धर्म को लोकप्रियता मिली। सिक्ख अब अपने धर्म के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार हो गए।
    नि:संदेह गुरु अर्जन देव जी की शहीदी सिक्ख इतिहास में एक नया मोड़ सिद्ध हुई। इसने शांतिप्रिय सिक्खों को संत सिपाही बना दिया। उन्होंने समझ लिया कि यदि उन्हें अपने धर्म की रक्षा करनी है तो उन्हें शस्त्र धारण करने ही पड़ेंगे।

प्रश्न 3.
श्री गुरु अर्जन देव जी की शहीदी का सिक्ख धर्म पर क्या प्रभाव पड़ा ? वर्णन करें।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी सिक्ख इतिहास की एक बड़ी महत्त्वपूर्ण घटना है। इस शहीदी से यों तो सारी हिंदू जाति प्रभावित हुई परंतु सिक्खों पर इसका विशेष रूप से प्रभाव पड़ा। इस विषय में डॉ० ट्रंप ने लिखा है-“गुरु अर्जन देव जी की शहीदी सिक्ख संप्रदाय के विकास के लिए एक युग प्रवर्तक थी। उस समय एक ऐसा सघर्ष आरंभ हुआ जिसने सुधार आंदोलन के पूर्ण स्वरूप को ही बदल दिया। गुरु अर्जन देव जी अन्याय को सहन न कर सके और उन्होंने मुग़ल सरकार द्वारा किए जा रहे अत्याचारों का बड़े साहस तथा निर्भीकता से विरोध किया और अंत में अपने प्राणों तक की बलि दे दी। गुरु अर्जन देव जी की शहीदी का महत्त्व निम्नलिखित बातों से स्पष्ट हो जाता है

1. सिक्ख संप्रदाय में महान् परिवर्तन : गुरु हरगोबिन्द साहिब की नयी नीति-गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के कारण सिक्ख संप्रदाय में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आया। शहीदी के पश्चात् सिक्खों ने अनुभव किया कि वे बिना शस्त्र उठाये धर्म की रक्षा नहीं कर सकते। कहते हैं कि अपनी शहीदी से पूर्व गुरु अर्जन देव जी ने अपने पुत्र को एक
संदेश भेजा था जो इस प्रकार था, “उसे पूर्णतया सुसज्जित होकर गद्दी पर बैठना चाहिए और अपनी योग्यता अनुसार – सेना रखनी चाहिए।” अतः अपने पिता जी के उपदेश के अनुसार सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिंद जी ने गुरुगद्दी पर बैठने के बाद नई नीति अपनाई। उन्होंने ‘मीरी’ तथा ‘पीरी’ नामक दो तलवारें धारण कीं। कुछ समय बाद उन्होंने सिक्खों को राजनीतिक तथा सैनिक कार्यों के लिए संगठित किया तथा एक भवन का निर्माण कराया जो आज ‘अकाल तख्त’ के नाम से प्रसिद्ध है। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने अमृतसर नगर की रक्षा के लिए किलाबंदी भी कराई। परंतु सेना के लिए अभी शस्त्रों तथा घोड़ों की बड़ी आवश्यकता थी। अतः उन्होंने अपने शिष्यों को घोड़ों तथा शस्त्र भेंट देने का आदेश दिया। शीघ्र ही सिक्खों को सैनिक प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया गया। इस प्रकार सिक्ख भक्तों ने संत सैनिकों का रूप धारण कर लिया।
1. “The Death of Guru Arjun is therefore, the great turning point in the development of the Sikh community.”
-Dr. E. Trump

2. सिक्खों तथा मुग़लों के संबंधों में टकराव-मुग़ल सम्राट अकबर बड़ा उदार हृदय था और उसके विचार धार्मिक थे। वह सिक्ख गुरु साहिबान का बड़ा आदर करता था। अतः उसके समय में मुग़लों तथा सिक्खों के संबंध बड़े मैत्रीपूर्ण रहे। परंतु जहांगीर एक कट्टर मुसलमान था इसलिए वह गुरु अर्जन देव जी के विरुद्ध हो गया। उसने गुरु जी को अनेक शारीरिक यातनाएं दी और बड़ी निर्दयतापूर्वक उनको शहीद करा दिया। इससे सिक्खों में रोष की लहर दौड़ गई और उनके मुग़लों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध शत्रुता में बदल गये। इस संबंध में इतिहासकार लतीफ ने लिखा है, “इससे सिक्खों की धार्मिक भावनाएं भड़क उठी थीं और इस सब से गुरु नानक देव जी के सच्चे अनुयायियों के हृदय में मुसलमान शक्ति के प्रति घृणा के ऐसे बीज बो गए जिनकी जड़ें बड़ी गहरी थीं।” सिक्ख अब यह भली-भांति समझ गए थे कि धर्म की रक्षा के लिए उन्हें मुग़लों का मुकाबला करना पड़ेगा। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए गुरु हरगोबिंद जी ने सैनिक तैयारियां आरंभ कर दी। इस प्रकार मुग़लों तथा सिक्खों में संघर्ष बिल्कुल अनिवार्य हो गया और गुरु हरगोबिंद जी के समय में खुले रूप में युद्ध छिड़ गया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

3. सिक्खों पर अत्याचार-गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के पश्चात् मुग़ल शासकों ने सिक्खों पर बड़े अत्याचार किये। शाहजहां के समय में सिक्खों तथा मुग़लों के संबंध और भी खराब हो गये। गुरु हरगोबिंद जी को ग्वालियर के किले में बंदी बना लिया गया। छठे गुरु जी के काल में मुग़लों तथा सिक्खों के बीच कई युद्ध लड़े गये। 1675 ई० में गुरु तेग बहादुर जी को इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए कहा गया। जब उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने उनको शहीद करा दिया। दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी के समय में भी सिक्खों पर मुग़लों के अत्याचार जारी रहे। मुग़ल सम्राट ने सिक्खों का दमन करने के लिए विशाल सेनाएं भेजीं। सिक्खों तथा मुग़ल सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ जिसमें गुरु गोबिंद सिंह जी के दो पुत्र लड़ते हुए शहीद हो गए। उनके दो पुत्रों को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया गया। बंदा बहादुर की पराजय के पश्चात् 740 सिक्खों को पकड़ कर इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए विवश किया गया। जब उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो उनका वध कर दिया गया। 1716 ई० से 1746 ई० तक भाई मनी सिंह, भाई तारा सिंह, भाई बूटा सिंह तथा भाई महताब सिंह आदि अनेक सिक्खों को शहीद कर दिया गया।

4. सिक्खों में एकता-गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के कारण सिक्खों में एकता की भावना उत्पन्न हुई। गुरु जी की शहीदी व्यर्थ नहीं गई बल्कि इससे सिक्खों को एक नया उत्साह तथा एक नई शक्ति मिली। वे अत्याचारों का विरोध करने के लिए एकत्रित हो गये। श्री खुशवंत सिंह ने लिखा है, “गुरु अर्जन देव जी का रक्त सिक्ख संप्रदाय तथा पंजाबी राज्य का बीज सिद्ध हुआ।”2 सच तो यह है कि गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के परिणामस्वरूप सिक्खों का अपने धार्मिक नेता में विश्वास और भी बढ़ गया। सिक्ख संप्रदाय अब पहले से कहीं अधिक संगठित हो गया। धर्म की रक्षा के लिये अब सिक्ख अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार हो गए।

5. भावी सिक्ख इतिहास पर प्रभाव-गुरु अर्जन देव जी की शहीदी का भावी सिक्ख इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी शहीदी के परिणामस्वरूप ही सिक्खों ने अत्याचार का विरोध करने के लिये शस्त्र उठाने का निश्चय किया। उन्होंने शक्तिशाली मुग़ल शासकों से टक्कर ली और युद्धों में अपने साहस, निर्भीकता तथा वीरता का परिचय दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी के पश्चात् सिक्खों ने साहस न छोड़ा और बंदा बहादुर के नेतृत्व में उन्होंने पंजाब के अधिकतर भागों पर अधिकार कर लिया। सिक्खों की शक्ति निरंतर बढ़ती गई और 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उन्होंने बारह स्वतंत्र राज्य स्थापित किए जो ‘मिसलों’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। कुछ समय पश्चात् महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानों तथा मिसल सरदारों को पराजित करके पंजाब में एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। इन सभी बातों से स्पष्ट होता है कि गुरु अर्जन देव जी की शहीदी भावी सिक्ख इतिहास को निर्धारित करने का एक बहुत बड़ा कारण सिद्ध हुई।
1. “A struggle was thus becoming, more or less inevitable and it openly broke out under Guru Arjun’s son and successor, Guru Hargobind.”
-Dr. Indu Bhushan Banerjee
2.“Arjun’s blood became the seed of the Sikh Church as well as of the Punjabi nation.”-Khuswant Singh

PSEB 9th Class Social Science Guide श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
आदि ग्रंथ साहिब का संकलन किया
(क) गुरु अमरदास जी ने
(ख) गुरु अर्जन देव जी ने
(ग) गुरु रामदास जी ने
(घ) गुरु तेग़ बहादुर जी ने।
उत्तर-
(ख) गुरु अर्जन देव जी ने

प्रश्न 2.
हरिमंदर साहिब का पहला ग्रंथी नियुक्त किया गया
(क) भाई पृथिया को
(ख) श्री महादेव जी को
(ग) बाबा बुड्डा जी को
(घ) नत्थामल जी को।
उत्तर-
(ग) बाबा बुड्डा जी को

प्रश्न 3.
छहरटा का निर्माण करवाया
(क) गुरु तेग़ बहादुर जी ने
(ख) गुरु हरगोबिंद जी ने
(ग) गुरु अर्जन देव जी ने
(घ) गुरु रामदास जी ने।
उत्तर-
(ग) गुरु अर्जन देव जी ने

प्रश्न 4.
मीरी और पीरी नामक तलवारें धारण की
(क) गुरु अर्जन देव जी ने
(ख) गुरु हरगोबिंद जी ने
(ग) गुरु तेग़ बहादुर जी ने
(घ) गुरु रामदास जी ने।
उत्तर-
(ख) गुरु हरगोबिंद जी ने

प्रश्न 5.
जहाँगीर के काल में शहीद होने वाले सिख गुरु थे
(क) गुरु अंगद देव जी
(ख) गुरु अमरदास जी
(ग) गुरु अर्जन देव जी
(घ) गुरु तेग बहादुर जी।
उत्तर-
(ग) गुरु अर्जन देव जी

II. रिक्त स्थान भरें :

  1. गुरु अर्जन देव जी को अपने सबसे बड़े भाई ……. की शत्रुता का सामना करना पड़ा।
  2. गुरु अर्जन देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1563 को ……….. में हुआ।
  3. ………. शहीदी देने वाले प्रथम सिख गुरु थे।
  4. हरिमंदर साहिब का निर्माण कार्य ……… ई० में पूरा हुआ।
  5. ………….. सिक्खों के छठे गुरु थे।

उत्तर-

  1. पृथिया अथवा पिरथिया
  2. गोइंदवाल साहिब
  3. गुरु अर्जन साहिब
  4. 1601
  5. गुरु हरगोबिंद जी।।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

III. सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. हरिमंदर साहिब – (i) आध्यात्मिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक
2. मीरी – (ii) तरनतारन
3. श्री गुरु अर्जन देव जी – (iii) सांसारिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक
4. पीरी – (iv) मसंद प्रथा
5. दसवंद – (v) प्रसिद्ध सूफी संत मियां मीर

उत्तर-

  1. प्रसिद्ध सूफी संत मियां मीर
  2. सांसारिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक
  3. तरनतारन
  4. आध्यात्मिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक
  5. मसंद

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

(I)

प्रश्न 1.
हरिमंदर साहिब की नींव कब तथा किसने रखी ?
उत्तर-
हरिमंदर साहिब की नींव 1588 ई० में उस समय के प्रसिद्ध सूफी संत मियां मीर ने रखी।

प्रश्न 2.
हरिमंदर साहिब के चारों तरफ दरवाज़े रखने से क्या भाव है ?
उत्तर-
हरिमंदर साहिब के चारों तरफ दरवाज़े रखने से भाव यह है कि यह पवित्र स्थान सभी वर्गों, सभी जातियों और सभी धर्मों के लिए समान रूप से खुला है।

प्रश्न 3.
गुरु अर्जन देव जी ने रावी तथा ब्यास के मध्य में किस शहर की नींव रखी तथा कब ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी ने रावी तथा ब्यास के बीच 1590 ई० में तरनतारन नगर की नींव रखी।

प्रश्न 4.
गुरु अर्जन देव जी द्वारा स्थापित किए गए चार शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर-
तरनतारन, करतारपुर, हरगोबिंदपुर तथा छहरटा।

प्रश्न 5.
‘दसवंध’ से क्या भाव है ?
उत्तर-
‘दसवंध’ से भाव यह है कि प्रत्येक सिक्ख अपनी आय का दसवां भाग गुरु जी के नाम भेंट करें।

प्रश्न 6.
लाहौर की बाऊली (जल स्रोत) के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
लाहौर के डब्बी बाज़ार में बाऊली का निर्माण गुरु अर्जन देव जी ने करवाया।

प्रश्न 7.
गुरु अर्जन देव जी को आदि ग्रंथ साहिब की स्थापना की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी सिक्खों को एक पवित्र धार्मिक ग्रंथ देना चाहते थे, ताकि वे गुरु साहिबान की शुद्ध वाणी को पढ़ या सुन सकें।

प्रश्न 8.
गुरु अर्जन देव जी के समय में घोड़ों के व्यापार का कोई एक लाभ बताएं।
उत्तर-
इस व्यापार से सिक्ख धनी बने और गुरु साहिब के खजाने में भी धन की वृद्धि हुई।
अथवा
इससे जाति-प्रथा को करारी चोट लगी।

प्रश्न 9.
गुरु अर्जन देव जी के समाज सुधार के कोई दो काम लिखो।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी ने विधवा विवाह के पक्ष में प्रचार किया और सिक्खों को शराब तथा अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करने से मना किया।

प्रश्न 10.
गुरु अर्जन देव जी तथा अकबर के संबंधों का वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव के सम्राट अकबर के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 11.
जहांगीर गुरु अर्जन देव जी को क्यों शहीद करना चाहता था ?
उत्तर-
जहांगीर को गुरु अर्जन देव जी की बढ़ती हुई ख्याति से ईर्ष्या थी।
अथवा
जहांगीर को इस बात का दुःख था कि हिंदुओं के साथ-साथ कई मुसलमान भी गुरु साहिब से प्रभावित हो रहे हैं।

प्रश्न 12.
मीरी तथा पीरी तलवारों की विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
‘मीरी’ तलवार सांसारिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक थी, जबकि ‘पीरी’ तलवार आध्यात्मिक विषयों में नेतृत्व का प्रतीक थी।

प्रश्न 13.
गुरु हरगोबिंद जी के राजसी चिह्नों का वर्णन करें।
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद साहिब ने कलगी, छत्र, तख्त और दो तलवारें धारण की और ‘सच्चे पातशाह’ की उपाधि धारण की।

प्रश्न 14.
अमृतसर की किलेबंदी के बारे में गुरु हरगोबिंद जी ने क्या किया ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद साहिब ने अमृतसर की रक्षा के लिए इसके चारों ओर एक दीवार बनवाई और नगर में ‘लोहगढ़’ नामक एक किले का निर्माण करवाया।

प्रश्न 15.
गुरु हरगोबिंद साहिब ने अपने अंतिम दस वर्ष कहां और कैसे व्यतीत किए ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद साहिब ने अपने जीवन के अंतिम दस वर्ष कीरतपुर में धर्म-प्रचार में व्यतीत किए।

प्रश्न 16.
जहांगीर के काल में कौन-से सिख गुरु शहीद हुए थे ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी।।

प्रश्न 17.
गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी किस मुग़ल शासक के काल में हुई ?
उत्तर-
औरंगज़ेब।

प्रश्न 18.
सिक्खों के पांचवें मुरु कौन थे ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी।

प्रश्न 19.
अमृतसर में हरिमंदर साहिब का निर्माण किसने करवाया ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी ने।

प्रश्न 20.
‘मीणा’ सम्प्रदाय किसने चलाया ?
उत्तर-
पृथी चंद (पिरथिया) ने।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

(II)

प्रश्न 1.
‘दसवंद’ (आय का दसवां भाग) का संबंध किस प्रथा से है ?
उत्तर-
मसंद प्रथा से।

प्रश्न 2.
‘आदि ग्रंथ’ साहिब का संकलन (सम्पादन) कार्य कब पूरा हुआ ?
उत्तर-
1604 ई० में।

प्रश्न 3.
‘आदि ग्रंथ’ साहिब का संकलन कार्य किसने किया ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी ने।

प्रश्न 4.
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी कब हुई ?
उत्तर-
1606 ई० में।

प्रश्न 5.
मीरी तथा पीरी नामक दो तलवारें किसने धारण की ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी ने।

प्रश्न 6.
गुरु हरगोबिंद जी का पठान सेनानायक कौन था ?
उत्तर-
पैंदा खां।

प्रश्न 7.
अकाल तख़त का निर्माण, सिक्खों के किस गुरु ने किया ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी ने।

प्रश्न 8.
अमृतसर की किलाबंदी किसने करवाई ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी ने।

प्रश्न 9.
कीरतपुर शहर के लिए जमीन किसने भेंट की थी ?
उत्तर-
राजा कल्याण चंद ने।

प्रश्न 10.
किस मुग़ल बादशाह ने गुरु हरगोबिंद जी को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया ?
उत्तर-
जहांगीर ने।

प्रश्न 11.
गुरुगद्दी की प्राप्ति में गुरु अर्जन देव जी की कोई एक कठिनाई बताओ।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी को अपने भाई पृथिया की शत्रुता तथा विरोध का सामना करना पड़ा।
अथवा
गुरु अर्जन देव जी का ब्राह्मणों तथा कट्टर मुसलमानों ने विरोध किया।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 12.
शहीदी देने वाले प्रथम सिक्ख गुरु का नाम बताओ।
उत्तर-
शहीदी देने वाले प्रथम गुरु का नाम गुरु अर्जन साहिब था।

प्रश्न 13.
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी का एक प्रभाव लिखो।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी ने सिक्खों को धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने के लिए प्रेरित किया।
अथवा
गुरु जी की शहीदी के परिणामस्वरूप सिक्खों और मुग़लों के संबंध बिगड़ गए।

प्रश्न 14.
हरिमंदर साहिब की योजना को कार्य रूप देने में किन दो व्यक्तियों ने गुरु अर्जन साहिब की सहायता की ?
उत्तर-
हरिमंदर साहिब की योजना को कार्य रूप देने में भाई बुड्डा जी तथा भाई गुरदास जी ने गुरु अर्जन साहिब की सहायता की।

प्रश्न 15.
हरिमंदर साहब का निर्माण कार्य कब पूरा हुआ ?
उत्तर-
हरिमंदर साहिब का निर्माण कार्य 1601 ई० में पूरा हुआ।

प्रश्न 16.
मसंद कौन थे और वे संगतों से उनकी आय का कौन-सा भाग एकत्र करते थे ?
उत्तर-
गुरु जी के प्रतिनिधियों को मसनद कहा जाता था तथा वे संगतों से उनकी आय का दसवां भाग एकत्र करते थे।

प्रश्न 17.
आदि ग्रंथ साहिब का संकलन किन्होंने किया ?
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब का संकलन कार्य गुरु अर्जन देव जी ने किया।

प्रश्न 18.
आदि ग्रंथ साहिब का संकलन कब संपूर्ण हुआ ?
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब का संकलन कार्य 1604 ई० में संपूर्ण हुआ।

प्रश्न 19.
‘आदि ग्रंथ साहिब’ को कहां स्थापित किया गया ?
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब को अमृतसर के हरिमंदर साहिब में स्थापित किया गया।

प्रश्न 20.
हरिमंदर साहिब का पहला ग्रंथी किस व्यक्ति को नियुक्त किया गया ?
उत्तर-
हरिमंदर साहिब का पहला ग्रंथी बाबा बुड्डा जी को नियुक्त किया गया।

(III)
प्रश्न 1.
‘आदि ग्रंथ साहिब में क्रमशः गुरु नानक देव जी, गुरु अंगद देव जी, गुरु अमरदास जी तथा गुरु रामदास जी के कितने-कितने शब्द हैं ?
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी के 974, गुरु अंगद देव जी के 62, गुरु अमरदास जी के 907 तथा गुरु रामदास जी के 679 शब्द हैं।

प्रश्न 2.
गुरु हरगोबिंद जी ने धार्मिक तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा किससे प्राप्त की ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी ने धार्मिक तथा शस्त्र चलाने की शिक्षा भाई बुड्डा जी से प्राप्त की।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 3.
गुरु हरगोबिंद जी की गद्दी पर बैठते समय आयु कितनी थी ?
उत्तर-
गुरुगद्दी पर बैठते समय उनकी आयु केवल ग्यारह वर्ष की थी।

प्रश्न 4.
गुरु हरगोबिंद जी द्वारा नवीन नीति (सैन्य-नीति) अपनाने का कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
आत्म रक्षा तथा धर्म की रक्षा के लिए गुरु जी ने नवीन नीति का सहारा लिया।

प्रश्न 5.
गुरु हरगोबिंद साहिब के समय तक कौन-कौन से चार स्थान सिक्खों के तीर्थ स्थान बन चुके थे ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद साहिब के समय तक गोइंदवाल, अमृतसर, तरनतारन तथा करतारपुर सिक्खों के तीर्थ स्थान बन चुके थे।

प्रश्न 6.
सिक्ख धर्म के संगठन एवं विकास में किन चार संस्थाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ?
उत्तर-
सिक्ख धर्म के संगठन एवं विकास में ‘पंगत’, ‘संगत’, ‘मंजी’ तथा ‘मसंद’ संस्थाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 7.
गुरु हरगोबिंद साहिब के किन्हीं चार सेनानायकों के नाम बताओ।
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद साहिब के चार सेनानायकों के नाम विधिचंद, पीराना, जेठा और पैंदे खां थे।

प्रश्न 8.
गुरु हरगोबिंद साहिब ने अपने दरबार में किन दो संगीतकारों को वीर रस के गीत गाने के लिए नियुक्त किया ?
उत्तर-
उन्होंने अपने दरबार में अब्दुल तथा नत्थामल नामक दो संगीतकारों को वीर रस के गीत गाने के लिए नियुक्त किया।

प्रश्न 9.
गुरु हरगोबिंद जी को बंदी बनाए जाने का एक कारण बताओ।
उत्तर-
जहांगीर को गुरु साहिब की नवीन नीति पसंद न आई।
अथवा चंदू शाह ने जहांगीर को गुरु जी के विरुद्ध भड़काया जिससे वह गुरु जी का विरोधी हो गया।

प्रश्न 10.
गुरु हरगोबिंद जी को ‘बंदी छोड़ बाबा’ की उपाधि क्यों प्राप्त हुई ?
उत्तर-
52 बंदी राजाओं को मुक्त कराने के कारण।

प्रश्न 11.
गुरु हरगोबिंद जी के राय में मुग़लों और सिक्खों के बीच कितने युद्ध हुए ? यह युद्ध कब और कहां हुए ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी के समय में मुग़लों और सिक्खों के बीच तीन युद्ध हुए। लहिरा (1631), अमृतसर (1634) तथा करतारपुर (1635)।

प्रश्न 12.
गुरु हरगोबिंद साहिब के समय के चार प्रमुख प्रचारकों के नाम लिखो।
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद साहिब के समय के चार प्रमुख प्रचारकों के नाम अलमस्त, ‘फूल, गौड़ा तथा बलु हसना थे।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हरिमंदर साहिब के बारे में जानकारी दीजिए ।
उत्तर-
गुरु रामदास जी के ज्योति जोत समाने के पश्चात् गुरु अर्जन देव जी ने ‘अमृतसर’ सरोवर के बीच हरिमंदर साहिब का निर्माण करवाया। इसका नींव पत्थर 1589 ई० में सूफी फ़कीर मियां मीर जी ने रखा। गुरु जी ने इसके चारों ओर एक-एक द्वार रखवाया। ये द्वार इस बात के प्रतीक हैं कि यह मंदर सभी जातियों तथा धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से खुला है। हरिमंदर साहिब का निर्माण कार्य भाई बुड्डा जी की देख-रेख में 1601 ई० में पूरा हुआ। 1604 ई० में हरिमंदर साहिब में आदि ग्रंथ साहिब की स्थापना की गई और भाई बुड्डा जी वहां के पहले ग्रंथी बने।
हरिमंदर साहिब शीघ्र ही सिक्खों के लिए ‘मक्का’ तथा ‘गंगा-बनारस’ अर्थात् एक बहुत बड़ा तीर्थ-स्थल बन गया।

प्रश्न 2.
तरनतारन साहिब के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
तरनतारन का निर्माण गुरु अर्जन देव जी ने करवाया। इसके निर्माण का सिक्ख इतिहास में बड़ा महत्त्व है। अमृतसर की भांति तरनतारन भी सिक्खों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बन गया। हज़ारों की संख्या में यहां सिक्ख यात्री स्नान करने के लिए आने लगे। उनके प्रभाव में आकर माझा प्रदेश के अनेक जाट सिक्ख धर्म के अनुयायी बन गए। इन्हीं जाटों श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी ने आगे चल कर मुग़लों के विरुद्ध युद्धों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया और असाधारण वीरता का परिचय दिया। डॉ. इंदू भूषण बनर्जी ठीक ही लिखते हैं, “जाटों के सिक्ख धर्म में प्रवेश से सिक्ख इतिहास को एक नया मोड़ मिला।”

प्रश्न 3.
मसंद प्रथा से सिक्ख धर्म को क्या लाभ हुए ?
उत्तर-
सिक्ख धर्म के संगठन तथा विकास में मसंद प्रथा का विशेष महत्त्व रहा। इसके महत्त्व को निम्नलिखित बातों जाना जा सकता है

  1. गुरु जी की आय अब निरंतर तथा लगभग निश्चित हो गई। आय के स्थायी हो जाने से गुरु जी को अपने रचनात्मक कार्यों को पूरा करने में बहुत सहायता मिली। उन्होंने इस धन राशि से न केवल अमृतसर तथा संतोखसर के सरोवरों का निर्माण कार्य संपन्न किया अपितु अन्य कई नगरों, तालाबों, कुओं आदि का भी निर्माण किया।
  2. मसंद प्रथा के कारण जहां गुरु जी की आय निश्चित हुई वहां सिक्ख धर्म का प्रचार भी ज़ोरों से हुआ। गुरु अर्जन देव जी ने पंजाब से बाहर भी मसंदों की नियुक्ति की। इससे सिक्ख धर्म का प्रचार क्षेत्र बढ़ गया।
  3. मसंद प्रथा से प्राप्त होने वाली स्थायी आय से गुरु जी अपना दरबार लगाने लगे। वैशाखी के दिन जब दूर-दूर से आए मसंद तथा श्रद्धालु भक्त गुरु जी से भेंट करने आते तो वे बड़ी नम्रता से गुरु जी के सम्मुख शीश झुकाते थे। उनके ऐसा करने से गुरु जी का दरबार वास्तव में शाही दरबार-सा बन गया और गुरु जी ने ‘सच्चे पातशाह’ की उपाधि धारण कर ली।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 4.
गुरु हरगोबिंद साहिब की सेना के संगठन का वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी ने आत्मरक्षा के लिए सेना का संगठन किया। इस सेना में अनेक शस्त्रधारी सैनिक तथा स्वयं सेवक सम्मिलित थे। माझा के अनेक युद्ध प्रिय युवक गुरु जी की सेना में भर्ती हो गए। मोहसिन फानी के मतानुसार, गुरु जी की सेना में 800 घोड़े, 300 घुड़सवार तथा 60 बंदूकची थे। उनके पास 500 ऐसे स्वयं सेवक भी थे जो वेतन नहीं लेते थे। यह सिक्ख सेना पांच जत्थों में बंटी हुई थी। इनके जत्थेदार थे-विधिचंद, पीराना, जेठा, पैरा तथा लंगाह । इसके अतिरिक्त पैंदा खां के नेतृत्व में एक पृथक् पठान सेना भी थी।

प्रश्न 5.
गुरु हरगोबिंद जी के रोज़ाना जीवन के बारे में लिखें।
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी की नवीन नीति के अनुसार उनकी दिनचर्या में भी कुछ परिवर्तन आए। नई दिनचर्या के अनुसार वह प्रात:काल स्नान आदि करके हरिमंदर साहिब में धार्मिक उपदेश देने के लिए चले जाते थे और फिर अपने सिक्खों तथा सैनिकों में प्रातःकाल का लंगर कराते थे। इसके पश्चात् वह कुछ समय के लिए विश्राम करके शिकार के लिए निकल पड़ते थे। गुरु जी ने अब्दुल तथा नत्था मल को वीर रस की वारें सुनाने के लिए नियुक्त किया। उन्होंने दुर्बल मन को सबल बनाने के लिए अनेक गीत मंडलियां बनाईं। इस प्रकार गुरु जी ने सिक्खों में नवीन चेतना और नये उत्साह का संचार किया।

प्रश्न 6.
आदि ग्रंथ साहिब के संकलन अथवा सम्पादना पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
श्री गुरु अर्जन देव जी के समय तक सिक्ख धर्म काफी लोकप्रिय हो चुका था। सिक्ख गुरुओं ने बड़ी मात्रा में बाणी की रचना कर ली थी। स्वयं श्री गुरु अर्जन देव जी ने भी 30 रागों में 2218 शब्दों की रचना की थी। गुरुओं के नाम पर कुछ लोगों ने भी बाणी की रचना शुरू कर दी थी। इसलिए श्री गुरु अर्जन देव जी ने सिक्खों को गुरु साहिबान की शुद्ध गुरबाणी का ज्ञान करवाने तथा गुरुओं की बाणी की संभाल करने के लिए आदि ग्रंथ साहिब जी का संकलन किया। ग्रंथ के संकलन का कार्य अमृतसर में रामसर सरोवर के किनारे एकांत स्थान पर शुरु किया गया। श्री गुरु अर्जन देव जी स्वयं बोलते गए और भाई गुरदास जी लिखते गए। आदि ग्रंथ साहिब में सिक्ख गुरुओं की बाणी के अतिरिक्त कई हिन्दू भक्तों, सूफीसंतों, भट्टों और गुरुसिक्खों के शब्दों को शामिल किया गया था। 1604 ई० में आदि ग्रंथ साहिब जी के संकलन का कार्य संपूर्ण हुआ और इसका प्रथम प्रकाश श्री हरिमंदर साहिब में किया गया। बाबा बुड्ढा जी को इसका पहला ग्रंथी नियुक्त किया गया। इस प्रकार सिक्खों को एक अलग धार्मिक ग्रंथ मिल गया।

प्रश्न 7.
अकाल तख्त के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद साहिब हरिमंदर साहिब में सिक्खों को धार्मिक शिक्षा देते थे। उन्हें राजनीति की शिक्षा देने के लिए गुरु साहिब ने हरिमंदर साहिब के सामने पश्चिम की ओर एक नया भवन बनाया जिसका नाम अकाल तख्त (ईश्वर की गद्दी) रखा गया। इस नए भवन के अंदर 12 फुट ऊंचे एक चबूतरे का निर्माण भी करवाया गया। इस चबूतरे पर बैठ कर वह सिक्खों की सैनिक तथा राजनीतिक समस्याओं का समाधान करने लगे। इसी स्थान पर वह अपने सैनिकों को वीर रस के जोशीले गीत सुनवाते थे। अकाल तख्त के निकट वह सिक्खों को व्यायाम करने के लिए प्रेरित करते थे।

प्रश्न 8.
मसंद प्रथा से क्या भाव है तथा इसका क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
मसंद प्रथा से हमारा अभिप्राय उस प्रथा से है जिसका आरंभ गुरु रामदास जी ने सिक्खों से नियमित रूप से भेटें एकत्रित करने तथा उसे समय पर गुरु जी तक पहुंचाने के लिए किया था। गुरु जी को अमृतसर तथा संतोखसर नामक दो तालाबों की खुदाई के लिए और लंगर चलाने तथा धर्म प्रचार करने के लिए भी काफ़ी धन चाहिए था। परंतु सिक्ख संगतों से चढ़ावे के रूप में पर्याप्त तथा निश्चित धनराशि प्राप्त नहीं होती थी। अत: उन्होंने अपने कुछ शिष्यों को विभिन्न प्रदेशों में धन एकत्रित करने के लिए भेजा। गुरु जी द्वारा भेजे गए इन शिष्यों को ‘मसंद’ कहा जाता था। इस प्रकार मसंद प्रणाली का आरंभ हुआ।

प्रश्न 9.
गुरु अर्जन देव जी की शहादत पर एक नोट लिखिए।
उत्तर-
मुग़ल सम्राट अकबर के गुरु अर्जन देव जी के साथ बहुत अच्छे संबंध थे, परंतु अकबर की मृत्यु के पश्चात् जहांगीर ने सहनशीलता की नीति को छोड़ दिया। वह उस अवसर की खोज में रहने लगा जब वह सिक्ख धर्म पर करारी चोट कर सके। इसी बीच जहांगीर के पुत्र खुसरो ने उसके विरुद्ध विद्रोह कर दिया। खुसरो पराजित होकर गुरु अर्जन देव जी के पास आया। गुरु जी ने उसे आशीर्वाद दिया। इस आरोप में जहांगीर ने गुरु अर्जन देव जी पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। परंतु गुरु अर्जन देव जी ने जुर्माना देने से इंकार कर दिया। इसलिए उन्हें बंदी बना लिया गया और अनेक यातनाएं देकर शहीद कर दिया गया। गुरु अर्जन देव जी की शहीदी से सिक्ख भड़क उठे। वे समझ गए कि उन्हें अब अपने धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र धारण करने पड़ेंगे।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 10.
आदि ग्रंथ साहिब का सिक्ख इतिहास में क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब के संकलन से सिक्ख इतिहास को एक ठोस आधारशिला मिली। यह सिक्खों के लिए पवित्र और प्रामाणिक बन गया। उनके जन्म, नामकरण, विवाह, मृत्यु आदि सभी संस्कार इसी ग्रंथ को साक्षी मान कर संपन्न होने लगे। इसके अतिरिक्त आदि ग्रंथ साहिब के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी सिक्खों में जातीय प्रेम की भावना जागृत हुई और वे एक अलग पंथ के रूप में उभरने लगे। आगे चल कर इसी ग्रंथ साहिब को ‘गुरु पद’ प्रदान किया गया और सभी सिक्ख इसे गुरु मान कर पूजने लगे। आज सभी सिक्ख गुरु ग्रंथ साहिब में संग्रहित वाणी को आलौकिक ज्ञान का भंडार मानते हैं। उनका विश्वास है कि इसका श्रद्धापूर्वक अध्ययन करने से सच्चा आनंद प्राप्त होता है।

प्रश्न 11.
आदि ग्रंथ साहिब के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
आदि ग्रंथ साहिब सिक्खों का पवित्र धार्मिक ग्रंथ है। यद्यपि इसे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से नहीं लिखा गया, तो भी इसका अत्यंत ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके अध्ययन से हमें 16वीं तथा 17वीं शताब्दी के पंजाब के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक जीवन की अनेक बातों का पता चलता है। गुरु नानक देव जी ने अपनी वाणी में लोधी शासन तथा पंजाब के लोगों पर बाबर द्वारा किये गये अत्याचारों की घोर निंदा की। उस समय की सामाजिक अवस्था के विषय में पता चलता है कि देश में जाति-प्रथा जोरों पर थी, नारी का कोई आदर नहीं था तथा समाज में अनेक व्यर्थ के रीति-रिवाज प्रचलित थे। इसके अतिरिक्त धर्म नाम की कोई चीज़ नहीं रही थी। गुरु नानक देव जी ने स्वयं लिखा है “न कोई हिंदू है, न कोई मुसलमान” अर्थात् दोनों ही धर्मों के लोग पथ भ्रष्ट हो चुके थे।

प्रश्न 12.
किन्हीं चार परिस्थितियों का वर्णन करो जो गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के लिए उत्तरदायी थीं।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

  1. जहांगीर की धार्मिक कट्टरता-मुग़ल सम्राट जहांगीर गुरु जी से घृणा करता था। वह या तो उन्हें मारना चाहता
    था या फिर उन्हें मुसलमान बनने के लिए बाध्य करना चाहता था।
  2. पृथिया की शत्रुता-गुरु रामदास जी ने गुरु अर्जन देव जी की बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था, परंतु यह बात गुरु अर्जन देव जी का बड़ा भाई पृथिया सहन न कर सका। इसलिए वह गुरु साहिब के विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगा।
  3. गुरु अर्जन देव जी पर जुर्माना-धीरे-धीरे जहांगीर की धर्मांधता चरम सीमा पर पहुंच गई। उसने विद्रोही राजकुमार खुसरो की सहायता करने के अपराध में गुरु जी पर दो लाख रुपये जुर्माना कर दिया। परंतु गुरु जी ने यह जुर्माना देने से इंकार कर दिया। इस पर उसने गुरु जी को कठोर शारीरिक कष्ट देकर शहीद कर दिया।

प्रश्न 13.
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी की सिक्खों पर महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया हुई-

  1. गुरु अर्जन देव जी ने ज्योति-जोत समाने से पहले अपने पुत्र हरगोबिंद के नाम यह संदेश छोड़ा, “वह समय बड़ी तेजी से आ रहा है जब भलाई और बुराई की शक्तियों की टक्कर होगी। अत: मेरे पुत्र तैयार हो जा, आप शस्त्र पहन और अपने अनुयायियों को शस्त्र पहना।” गुरु जी के इन अंतिम शब्दों ने सिक्खों में सैनिक भावना को जागृत कर दिया। अब सिक्ख ‘संत सिपाही’ बन गए जिनके एक हाथ में माला थी और दूसरे हाथ में तलवार।
  2. गुरु जी की शहीदी से पूर्व सिक्खों तथा मुग़लों के आपसी संबंध अच्छे थे। परंतु इस शहीदी ने सिक्खों की धार्मिक भावनाओं को भड़का दिया जिससे मुग़ल-सिक्ख संबंधों में टकराव पैदा हो गया।
  3. इस शहीदी से सिक्ख धर्म को लोकप्रियता मिली। सिक्ख अब अपने धर्म के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को तैयार हो गए। नि:संदेह गुरु अर्जन देव जी की शहीदी सिक्ख इतिहास में एक नया मोड़ सिद्ध हुई।

प्रश्न 14.
गुरु अर्जन देव जी के चरित्र तथा व्यक्तित्व के किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण पहलुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
पांचवें सिक्ख गुरु अर्जन देव जी उच्च कोटि के चरित्र तथा व्यक्तित्व के स्वामी थे। उनके चरित्र के चार विभिन्न पहलुओं का वर्णन इस प्रकार है-

  1. गुरु जी एक बहुत बड़े धार्मिक नेता और संगठनकर्ता थे। उन्होंने सिक्ख धर्म का उत्साहपूर्वक प्रचार किया और मसंद प्रथा में आवश्यक सुधार करके सिक्ख समुदाय को एक संगठित रूप प्रदान किया।
  2. गुरु साहिब एक महान् निर्माता भी थे। उन्होंने अमृतसर नगर का निर्माण कार्य पूरा किया, वहां के सरोवर में हरिमंदर साहिब का निर्माण करवाया और तरनतारन, हरगोबिंदपुर आदि नगर बसाये। लाहौर में उन्होंने एक बावली बनवाई।
  3. उन्होंने ‘आदि ग्रंथ साहिब’ का संकलन करके एक महान् संपादक होने का परिचय दिया।
  4. उनमें एक समाज सुधारक के भी सभी गुण विद्यमान थे। उन्होंने विधवा विवाह का प्रचार किया और नशीली वस्तुओं के सेवन को बुरा बताया। उन्होंने एक बस्ती की स्थापना करवाई जहाँ रोगियों को औषधियों के साथ-साथ मुफ्त भोजन तथा वस्त्र भी दिए जाते थे।

प्रश्न 15.
किन्हीं चार परिस्थितियों का वर्णन करो जिनके कारण गुरु हरगोबिंद जी को नवीन नीति अपनानी पड़ी।
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी ने निम्नलिखित कारणों से नवीन नीति को अपनाया

  1. मुग़लों की शत्रुता तथा हस्तक्षेप-मुग़ल सम्राट जहांगीर ने गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के बाद भी सिक्खों के प्रति दमन की नीति जारी रखी। फलस्वरूप नए गुरु हरगोबिंद जी के लिए सिक्खों की रक्षा करना आवश्यक हो गया
    और उन्हें नवीन नीति का आश्रय लेना पड़ा।
  2. गुरु अर्जन देव जी की शहीदी-गुरु अर्जन देव जी की शहीदी से यह स्पष्ट हो गया था कि यदि सिक्ख धर्म को बचाना है तो सिक्खों को माला के साथ-साथ शस्त्र भी धारण करने पड़ेंगे। इसी उद्देश्य से गुरु जी ने ‘नवीन नीति’ अपनाई।
  3. गुरु अर्जन देव जी के अंतिम शब्द-गुरु अर्जन देव जी ने शहीदी से पहले अपने संदेश में सिक्खों को शस्त्र धारण करने के लिए कहा था। अतः गुरु हरगोबिंद जी ने सिक्खों को आध्यात्मिक शिक्षा देने के साथ-साथ सैनिक शिक्षा भी देनी आरंभ कर दी।
  4. जाटों का सिक्ख धर्म में प्रवेश-जाटों के सिक्ख धर्म में प्रवेश के कारण भी गुरु हरगोबिंद जी को नवीन नीति अपनाने पर विवश होना पड़ा। ये लोग स्वभाव से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे और युद्ध में उनकी विशेष रुचि थी।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 16.
गुरु हरगोबिंद जी के जीवन तथा कार्यों पर प्रकाश डालो।
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी सिक्खों के छठे गुरु थे। उन्होंने सिक्ख पंथ को एक नया मोड़ दिया।

  1. उन्होंने गुरुंगद्दी पर बैठते ही दो तलवारें धारण कीं। एक तलवार मीरी की और दूसरी पीरी की। इस प्रकार सिक्ख गुरु धार्मिक नेता होने के साथ-साथ राजनीतिक नेता भी बन गये।।
  2. उन्होंने हरिमंदर साहिब के सामने एक नया भवन बनवाया। यह भवन अकाल तख्त के नाम से प्रसिद्ध है। गुरु हरगोबिंद जी ने सिक्खों को शस्त्रों का प्रयोग करना भी सिखलाया।
  3. जहांगीर ने गुरु हरगोबिंद जी को ग्वालियर के किले में बंदी बना लिया। कुछ समय के पश्चात् जहांगीर को पता चल गया कि गुरु जी निर्दोष हैं। इसलिए उनको छोड़ दिया गया। परंतु गुरु जी के कहने पर जहांगीर को उनके साथ के बंदी राजाओं को भी छोड़ना पड़ा।
  4. गुरु जी ने मुग़लों के साथ युद्ध भी किए। मुग़ल सम्राट शाहजहां ने तीन बार गुरु जी के विरुद्ध सेना भेजी। गुरु जी ने बड़ी वीरता से उनका सामना किया। फलस्वरूप मुग़ल विजय प्राप्त करने में सफल न हो सके।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मसंद प्रथा के आरंभ, विकास तथा लाभों का वर्णन करो।
उत्तर-
आरंभ-मसंद प्रथा को चौथे गुरु रामदास जी ने आरंभ किया। जब गुरु जी ने संतोखसर तथा अमृतसर नामक तालाबों की खुदवाई आरंभ की तो उन्हें बहुत-से धन की आवश्यकता अनुभव हुई। अतः उन्होंने अपने सच्चे शिष्यों को अपने अनुयायियों से चंदा एकत्रित करने के लिए देश के विभिन्न भागों में भेजा। गुरु जी द्वारा भेजे गए ये लोग मसंद कहलाते थे।
विकास-गुरु अर्जन साहिब ने मसंद प्रथा को नया रूप प्रदान किया ताकि उन्हें अपने निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिए निरंतर तथा लगभग निश्चित धन राशि प्राप्त होती रहे। उन्होंने निम्नलिखित तरीकों द्वारा मसंद प्रथा का रूप निखारा

  1. गुरु जी ने अपने अनुयायियों से भेंट में ली जाने वाली धन राशि निश्चित कर दी। प्रत्येक सिक्ख के लिए अपनी आय का दसवां भाग (दसवंद) प्रतिवर्ष गुरु जी के लंगर में देना अनिवार्य कर दिया गया।
  2. गुरु अर्जन देव जी ने दसवंद की राशि एकत्रित करने के लिए अपने प्रतिनिधि नियुक्त किए जिन्हें मसंद कहा जाता था। ये मसंद एकत्रित की गई धन राशि को प्रति वर्ष वैशाखी के दिन अमृतसर में स्थित गुरु जी के कोष में जमा करते थे। जमा की गई राशि के बदले मसंदों को रसीद दी जाती थी।
  3. इन मसंदों ने दसवंद एकत्रित करने के लिए अपने प्रतिनिधि नियुक्त किए हुए थे जिन्हें संगतिया कहते थे। संगतिये दूर-दूर के क्षेत्रों से दसवंद एकत्रित करके मसंदों को देते थे जो उन्हें गुरु जी के कोष में जमा कर देते थे।
  4. मसंद अथवा संगतिये दसवंद की राशि में से एक पैसा भी अपने पास रखना पाप समझते थे। इस बात को स्पष्ट करते हुए गुरु जी ने कहा था कि जो कोई भी दान की राशि खाएगा, उसे शारीरिक कष्ट भुगतना पड़ेगा।
  5. ये मसंद न केवल अपने क्षेत्र में दसवंद एकत्रित करते थे अपितु धर्म प्रचार का कार्य भी करते थे। मसंदों की नियुक्ति करते समय गुरु जी इस बात का विशेष ध्यान रखते थे कि वे उच्च चरित्र के स्वामी हों तथा सिक्ख धर्म में उनकी अटूट श्रद्धा हो।

महत्त्व अथवा लाभ-सिक्ख धर्म के संगठन तथा विकास में मसंद प्रथा का विशेष योगदान रहा है। सिक्ख धर्म के संगठन में इस प्रथा के महत्त्व को निम्नलिखित बातों से जाना जा सकता है

  1. गुरु जी की आय अब निरंतर तथा लगभग निश्चित हो गई। आय के स्थायी हो जाने से गुरु जी को अपने रचनात्मक कार्यों को पूरा करने में बहुत सहायता मिली। इन कार्यों ने सिक्ख धर्म के प्रचार तथा प्रसार में काफ़ी सहायता दी।
  2. पहले धर्म प्रचार का कार्य मंजियों द्वारा होता था। ये मंजियां पंजाब तक ही सीमित थीं। परंतु गुरु अर्जन देव जी ने पंजाब के बाहर भी मसंदों की नियुक्ति की। इससे सिक्ख धर्म का प्रचार क्षेत्र बढ़ गया।
  3. मसंद प्रथा से प्राप्त होने वाली स्थायी आय से गुरु जी अपना दरबार लगाने लगे। वैशाखी के दिन जब दूर-दूर से आए मसंद तथा श्रद्धालु भक्त गुरु जी को भेंट देने आते तो वे बड़ी नम्रता से गुरु जी के सम्मुख शीश झुकाते थे। उनके ऐसा करने से गुरु जी का दरबार वास्तव में ही दरबार जैसा बन गया और गुरु जी ने ‘सच्चे पातशाह’ की उपाधि धारण कर ली। सच तो यह है कि एक विशेष अवधि तक मसंद प्रथा ने सिक्ख धर्म के प्रचार तथा प्रसार में प्रशंसनीय योगदान दिया।

प्रश्न 2.
गुरु हरगोबिंद जी की नई नीति का वर्णन करो।
उत्तर-
गुरु अर्जन देव जी की शहीदी के पश्चात् उनके पुत्र हरगोबिंद जी सिक्खों के छठे गुरु बने। उन्होंने एक नई नीति को जन्म दिया। यह नीति गुरु अर्जन देव की शहीदी का परिणाम थी। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य सिक्खों को शांतिप्रिय होने के साथ निडर तथा साहसी बनाना था। गुरु साहिब द्वारा अपनाई गई नवीन नीति की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं-

  1. राजसी चिह्न तथा ‘सच्चे पातशाह’ की उपाधि धारण करना-नवीन नीति का अनुसरण करते हुए गुरु हरगोबिंद जी ने ‘सच्चे पातशाह’ की उपाधि धारण की तथा अनेक राजसी चिह्न धारण करने आरंभ कर दिए। उन्होंने शाही वस्त्र धारण किए और सेली तथा टोपी पहनना बंद कर दिया क्योंकि ये फ़कीरी के प्रतीक थे। इसके विपरीत उन्होंने दो तलवारें, छत्र और कलगी धारण कर लीं। गुरु जी अब अपने अंगरक्षक भी रखने लगे।
  2. मीरी तथा पीरी-गुरु हरगोबिंद जी अब सिक्खों के आध्यात्मिक नेता होने के साथ-साथ उनके सैनिक नेता भी बन गए। वे सिक्खों के पीर भी थे और मीर भी। इन दोनों बातों को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने पीरी तथा मीरी नामक दो तलवारें धारण की। उन्होंने सिक्खों को व्यायाम करने, कुश्तियां लड़ने, शिकार खेलने तथा घुड़सवारी करने की प्रेरणा दी। इस प्रकार उन्होंने संत सिक्खों को संत सिपाहियों का रूप भी दे दिया।
  3. अकाल तख्त का निर्माण-गुरु जी सिक्खों को आध्यात्मिक शिक्षा देने के अतिरिक्त सांसारिक विषयों में भी उनका पथ-प्रदर्शन करना चाहते थे। हरिमंदर साहिब में वे सिक्खों को धार्मिक शिक्षा देने लगे। परंतु सांसारिक विषयों में सिक्खों का पथ-प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने हरिमंदर साहिब के सामने एक नया भवन बनवाया जिसका नाम अकाल तख्त (ईश्वर की गद्दी) रखा गया।
  4. सेना का संगठन-गुरु हरगोबिंद जी ने आत्मरक्षा के लिए सेना का संगठन किया। इस सेना में अनेक शस्त्रधारी सैनिक तथा स्वयं सेवक सम्मिलित थे। माझा, मालवा तथा दोआबा के अनेक युद्ध प्रिय युवक गुरु जी की सेना में भर्ती हो गए। उनके पास 500 ऐसे स्वयं सेवक भी थे जो वेतन भी नहीं लेते थे। ये पांच जत्थों में विभक्त थे। इसके अतिरिक्त पैंदे खां नामक पठान के अधीन पठानों की एक अलग सैनिक टुकड़ी थी।
  5. घोड़ों तथा शस्त्रों की भेंट-गुरु हरगोबिंद जी ने अपनी नवीन-नीति को अधिक सफल बनाने के लिए एक अन्य महत्त्वपूर्ण पग उठाया। उन्होंने अपने सिक्खों से आग्रह किया कि वे जहां तक संभव हो शस्त्र तथा घोड़े ही उपहार में भेट करें। परिणामस्वरूप गुरु जी के पास काफ़ी मात्रा में सैनिक सामग्री इकट्ठी हो गई।
  6. अमृतसर की किलेबंदी-गुरु जी ने सिक्खों की सुरक्षा के लिए रामदासपुर (अमृतसर) के चारों ओर एक दीवार बनवाई। इस नगर में दुर्ग का निर्माण भी किया गया जिसे लोहगढ़ का नाम दिया गया। इस किले में काफ़ी सैनिक सामग्री रखी गई।
  7. गुरु जी की दिनचर्या में परिवर्तन-गुरु हरगोबिंद जी की नवीन नीति के अनुसार उनकी दिनचर्या में भी कुछ परिवर्तन आए। नई दिनचर्या के अनुसार वे प्रात:काल स्नान आदि करके हरिमंदर साहिब में धार्मिक उपदेश देने के लिए चले जाते थे और फिर अपने सैनिकों में प्रात:काल का भोजन बांटते थे। इसके पश्चात् वे कुछ समय के लिए विश्राम करके शिकार के लिए निकल पड़ते थे। गुरु जी ने अब्दुल तथा नत्थामल को जोशीले गीत ऊंचे स्वर में गाने के लिए नियुक्त किया। इस प्रकार गुरु जी ने सिक्खों में नवीन चेतना और नये उत्साह का संचार किया।
  8. आत्मरक्षा की भावना-गुरु हरगोबिंद जी की नवीन नीति आत्मरक्षा की भावना पर आधारित थी। वह सैनिक बल द्वारा न तो किसी के प्रदेश पर अधिकार करने के पक्ष में थे और न ही वह किसी पर आक्रमण करने के पक्ष में थे। यह सच है कि उन्होंने मुग़लों के विरुद्ध अनेक युद्ध किए। परंतु इन युद्धों का उद्देश्य मुग़लों के प्रदेश छीनना नहीं था, बल्कि उनसे अपनी रक्षा करना था।

PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी : सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी

प्रश्न 3.
नई नीति के अतिरिक्त गुरु हरगोबिंद जी ने सिक्ख धर्म के विकास के लिए अन्य क्या कार्य किए ?
उत्तर-
गुरु हरगोबिंद जी पांचवें गुरु अर्जन देव जी के इकलौते पुत्र थे। उनका जन्म जून,1595 ई० में अमृतसर जिले के एक गांव वडाली में हुआ था। अपने पिता जी की शहीदी पर 1606 ई० में वह गुरुगद्दी पर बैठे और 1645 ई० तक सिक्ख धर्म का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। गुरु साहिब द्वारा किए कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

  1. कीरतपुर में निवास-कहलूर का राजा कल्याण चंद गुरु हरगोबिंद साहब का भक्त था। उसने गुरु साहिब को कुछ भूमि भेंट की। गुरु साहिब ने इस भूमि पर नगर का निर्माण करवाया। 1635 ई० में गुरु जी ने इस नगर में निवास कर लिया। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दस वर्ष यहीं पर धर्म का प्रचार करते हुए व्यतीत किए।
    PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 4 श्री गुरु अर्जन देव जी सिक्ख धर्म के विकास में योगदान और उनकी शहीदी 1
  1. पहाड़ी राजाओं को सिक्ख बनाना-गुरु हरगोबिंद साहब ने अनेक.पहाड़ी लोगों को अपना सिक्ख बनाया। यहां तक कि कई पहाड़ी राजे भी उनके सिक्ख बन गए। परंतु यह प्रभाव अस्थायी सिद्ध हुआ। कुछ समय पश्चात् पहाड़ी राजाओं ने पुनः हिंदू धर्म की मूर्ति-पूजा आदि प्रथाओं को अपनाना आरंभ कर दिया। ये प्रथाएं गुरु साहिबान की शिक्षाओं के अनुकूल नहीं थीं।
  2. गुरु हरगोबिंद जी की धार्मिक यात्राएं-ग्वालियर के किले से रिहा होने के पश्चात् गुरु हरगोबिंद साहब के मुग़ल सम्राट जहांगीर से मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित हो गए। इस शांतिकाल में गुरु जी ने धर्म प्रचार के लिए यात्राएं कीं। सबसे पहले वह अमृतसर से लाहौर गए। वहां पर आप ने गुरु अर्जन देव जी की स्मृति में गुरुद्वारा डेरा साहब बनवाया। लाहौर से गुरु जी गुजरांवाला तथा भिंभर (गुजरात) होते हुए कश्मीर पहुंचे। यहां पर आप ने ‘संगत’ की स्थापना की। भाई सेवा दास जी को इस संगत का मुखिया नियुक्त किया गया।
    गुरु हरगोबिंद जी ननकाना साहब भी गए। वहां से लौट कर उन्होंने कुछ समय अमृतसर में बिताया। वह उत्तर प्रदेश में नानकमता (गोरखमता) भी गए। गुरु जी की राजसी शान देखकर वहां के योगी नानकमता छोड़ कर भाग गए। वहां से लौटते समय गुरु जी पंजाब के मालवा क्षेत्र में गए। तख्तूपुरा, डरौली भाई (फिरोज़पुर) में कुछ समय ठहर कर गुरु जी पुनः अमृतसर लौट आए।
  3. धर्म-प्रचारक भेजना-गुरु हरगोबिंद जी 1635 ई० तक युद्धों में व्यस्त रहे। इसलिए उन्होंने अपने पुत्र बाबा गुरदित्ता जी को सिक्ख धर्म के प्रचार एवं प्रसार के लिए नियुक्त किया। बाबा गुरदित्ता जी ने सिक्ख धर्म के प्रचार के लिए चार मुख्य प्रचारकों-अलमस्त, फूल, गौंडा तथा बलु हसना को नियुक्त किया। इन प्रचारकों के अतिरिक्त गुरु हरगोबिंद जी ने भाई विधिचंद को बंगाल तथा भाई गुरदास को काबुल तथा बनारस में धर्म-प्रचार के लिए भेजा।
  4. हरराय जी को उत्तराधिकारी नियुक्त करना-अपना अंतिम समय निकट आते देख गुरु हरगोबिंद जी ने अपने पौत्र हरराय (बाबा गुरुदित्ता जी के छोटे पुत्र) को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

SST Guide for Class 8 PSEB बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
आदिवासी समाज के लोग अधिक संख्या में कौन-से राज्यों में रहते हैं ?
उत्तर-
आदिवासी समाज के लोग राजस्थान, गुजरात, बिहार तथा उड़ीसा में अधिक संख्या में रहते हैं।

प्रश्न 2.
आदिवासी समाज के लोगों के मुख्य व्यवसाय कौन-से हैं ?
उत्तर-
आदिवासी समाज के लोगों के मुख्य व्यवसाय पशु पालना, शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना तथा खेती करना है।

प्रश्न 3.
आदिवासी समाज के लोगों ने कौन-कौन से राज्यों में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया ?
उत्तर-
आदिवासी समाज के लोगों ने मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, मेघालय, बंगाल आदि राज्यों में अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह किये।

प्रश्न 4.
खासी कबीले का मुखिया कौन था ?
उत्तर-
खासी कबीले का मुखिया तिरुत सिंह था।

प्रश्न 5.
छोटा नागपुर के क्षेत्र में सबसे पहले किस कबीले ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया ?
उत्तर-
छोटा नागपुर के क्षेत्र में सबसे पहले 1820 ई० में कोल कबीले के लोगों ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध विद्रोह किया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

प्रश्न 6.
अंग्रेजों द्वारा किस व्यक्ति को खरोधा लोगों का मुखिया बनाया गया ?
उत्तर-
खरोधा कबीले में एक व्यक्ति को देश निकाला दिया गया था। अंग्रेजों ने उसे वापस बुला कर उसे खरोधा लोगों का मुखिया बनाया।

प्रश्न 7.
आदिवासी समाज पर नोट लिखें।
उत्तर-
आदिवासी समाज अथवा आदिवासी लोग भारत की आबादी का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। 1991 की जनगणना के अनुसार इनकी जनसंख्या लगभग 1600 लाख थी। इन कबीलों का एक बड़ा भाग राजस्थान, गुजरात, बिहार, उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश में रहता था। मध्य प्रदेश की जनसंख्या का 23.22% भाग इन्हीं कबीलों के लोग थे। कुछ आदिवासी कबीले छोटे-छोटे राज्यों तथा केन्द्र-शासित प्रदेशों में भी रहते थे, जैसे-सिक्किम, गोवा, मिज़ोरम, दादरा-नगर हवेली तथा लक्षद्वीप आदि। इन आदिवासी लोगों में से अधिकतर का सम्बन्ध गोंड, भील, संथाल, मिज़ो आदि कबीलों से था।

प्रश्न 8.
बिरसा मुण्डा पर नोट लिखें।
उत्तर-
बिरसा मुण्डा बिहार (छोटा नागपुर क्षेत्र) के मुण्डा कबीले के विद्रोह का नेता था। वह एक शक्तिशाली व्यक्ति था। उसे परमात्मा का दूत माना जाता था। उसने उन गैर-कबिलाई लोगों के विरुद्ध धरना दिया जिन्होंने मुण्डा लोगों की ज़मीने छीन ली थीं। मुण्डा लोग साहूकारों तथा ज़मींदारों से भी घृणा करते थे क्योंकि वे उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। बिरसा मुण्डा ने मुण्डा किसानों से कहा कि वे ज़मींदारों का किराया चुकाने से इन्कार कर दें।

छोटा नागपुर प्रदेश में मुण्डा लोगों ने अंग्रेज़ अधिकारियों, मिशनरियों तथा पुलिस स्टेशनों को अपना निशाना बनाया। परन्तु अंग्रेजों ने बिरसा मुण्डा को गिरफ्तार कर लिया और उसके विद्रोह को दबा दिया।

प्रश्न 9.
मुण्डा कबीले द्वारा किए गए विद्रोह के प्रभाव लिखें।
उत्तर-
मुण्डा विद्रोह एक शक्तिशाली विद्रोह था। अतः विद्रोह को दबा देने के बाद सरकार मुण्डा लोगों की समस्याओं की ओर ध्यान देने लगी। कुल मिलाकर इस विद्रोह के निम्नलिखित परिणाम निकले

  • अंग्रेज़ी सरकार ने छोटा नागपुर एक्ट 1908 पास किया। इसके अनुसार छोटे किसानों को ज़मीनों के अधिकार मिल गए।
  • छोटा नागपुर प्रदेश के लोगों में सामाजिक तथा धार्मिक जागृति आई। अनेक लोग बिरसा मुण्डा की पूजा करने लगे।
  • अनेक नये सामाजिक-धार्मिक आन्दोलन शुरू हो गए। (4) कबिलाई लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने लगे।

प्रश्न 10.
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में आदिवासी समाज द्वारा किए गए विद्रोहों का वर्णन करो।
उत्तर-
खासी विद्रोह-उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सबसे पहला विद्रोह खासी कबीले ने किया। पूर्व में जैंतिया की पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में गारो की पहाड़ियों तक उनका अधिकार था। तिरुत सिंह इस कबीले का संस्थापक था। उसके नेतृत्व में खासी लोग अपने प्रदेश से बाहरी लोगों को भगाना चाहते थे। 5 मई, 1829 ई० को खासी कबीले के लोगों ने गारो लोगों की सहायता से बहुत से यूरोपियों तथा बंगालियों को मार डाला। यूरोपीय कॉलोनियों को आग लगा दी गई। तिरुत सिंह भोटस, सिंगफोस आदि कुछ अन्य पहाड़ी कबीलों को भी विदेशी शासन से मुक्त करवाना चाहता था। अत: उसने अपने 10,000 साथियों की सहायता से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। दूसरी ओर अंग्रेज़ सैनिकों ने खासीस गांवों को एक-एक करके आग लगा दी। अन्त में 1833 ई० में तिरुत सिंह ने ब्रिटिश सेना के आगे हथियार डाल दिए।

सिंगफोस विद्रोह-जिस समय अंग्रेज़ सैनिक खासी कबीले के विद्रोह को दबाने में व्यस्त थे, उसी समय सिंगफोस नामक पहाड़ी कबीले ने विद्रोह कर दिया। इन दोनों कबीलों ने खपती, गारो, नागा आदि कबायली कबीलों को विद्रोह में शामिल होने का निमन्त्रण दिया। सभी ने मिलकर असम में ब्रिटिश सेना पर आक्रमण कर दिया और कई अंग्रेज़ों को मार डाला। परन्तु अन्त में उन्हें हथियार डालने पड़े क्योंकि वे अंग्रेजों के आधुनिक शस्त्रों का सामना न कर सके।

अन्य विद्रोह-

  • 1839 ई० में खासी कबीले ने फिर से विद्रोह कर दिया। उन्होंने अंग्रेज़ों के राजनीतिक दूत कर्नल वाइट तथा अन्य कई अंग्रेजों की हत्या कर दी।
  • 1844 में नागा नामक एक अन्य उत्तर-पूर्वी कबीले ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह दो-तीन साल तक चलता रहा।
  • मणिपुर के पहाड़ी प्रदेशों में कुकियों का विद्रोह भी लम्बे समय तक चला। उनकी संख्या 7000 के लगभग थी। उन्होंने 1826, 1844 तथा 1849 ई० में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किए। उन्होंने कई अंग्रेज़ अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया। परन्तु अन्त में अंग्रेज़ी सरकार ने उनके विद्रोह को दबा दिया। पकड़े गए कुकियों को तरह-तरह की यातनाएं दी गईं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :

1. आदिवासी समाज भारत की जनसंख्या का एक ………… भाग है।।
2. आदिवासी समाज ……….. या …………. कमरों वाली झोंपड़ियों में रहते थे।
3. पूर्व में जयंतिया पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में गारो पहाड़ियों तक के क्षेत्र में ………… कबीले का अधिकार
(शासन) था।
4. जब बर्तानवी सैनिक खासी कबीले के विद्रोह का मुकाबला कर रहे थे, तब उसी समय ही एक अन्य पहाड़ी
कबीले ………….. ने बगावत कर दी।
उत्तर-

  1. महत्त्वपूर्ण
  2. एक, दो
  3. खासी
  4. सिंगफोस।

III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाओ :

1. आदिवासी कबीलों में गोंड कबीले की संख्या सबसे कम है। – (✗)
2. दिवासी समाज के लोगों की सबसे प्रारंभिक सामाजिक इकाई परिवार है। – (✓)
3. बर्तानवी शासकों ने अफीम तथा नील की खेती करने के लिए आदिवासी क्षेत्रों की जमीन पर कब्जा कर – (✓)
लिया।
4. बिरसा मुण्डा ने किसानों से कहा कि वे ज़मींदारों को टैक्स (कर) दे दें। – (✗)

PSEB 8th Class Social Science Guide बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए:

प्रश्न 1.
बिरसा मुंडा ने विद्रोह किया-.
(i) कोरोमंडल में
(ii) छोटा नागपुर में
(iii) गुजरात में
(iv) राजस्थान में।
उत्तर-
छोटा नागपुर में

प्रश्न 2.
छोटा नागपुर एक्ट कब पास हुआ ?
(i) 1906 ई०
(ii) 1846 ई०
(iii) 1908 ई०
(iv). 1919 ई०।
उत्तर-
1908 ई०

प्रश्न 3.
अंग्रेजों के विरुद्ध किस कबीले ने विद्रोह किया ?
(i) नागा
(ii) सिंगफोस
(iii) कूकी
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी।

(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. खरोध कबीले का विद्रोह – 1855 ई०
2. संथाल कबीले का विद्रोह – 1846 ई०
3. मुण्डा विद्रोह – 1899-1900 ई०
4. कोल विद्रोह – 1820 ई०
उत्तर-

  1. 1846 ई०
  2. 1855 ई०
  3. 1899-1900 ई०
  4. 1820 ई० ।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कबिलाई समाज से क्या भाव है ?
उत्तर-
कबिलाई समाज से भाव भारत के आदिवासी लोगों से है।

प्रश्न 2.
भारत में आदिवासी लोग मुख्य रूप से किन-किन कबीलों से सम्बन्ध रखते हैं ? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
गोंड, भील, संथाल, मिज़ो आदि।

प्रश्न 3.
कबिलाई लोगों का क्षेत्रीय वितरण बताओ।
उत्तर-
आदिवासी लोगों में से 63% लोग पहाड़ी भागों में, 2.2% लोग द्वीपों में तथा 1.6% लोग अर्द्ध खण्ड के ठण्डे प्रदेशों में रहते हैं। अन्य लोग विभिन्न शहरी तथा ग्रामीण प्रदेशों में बिखरे हुए हैं।

प्रश्न 4.
उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध कबिलाई लोगों के विद्रोहों का मूल कारण क्या था ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध कबायली लोगों के विद्रोहों का मूल कारण अंग्रेज़ी सरकार की गलत नीतियां थीं। उनकी ज़मीन हथिया ली गई थी और उनकी आजीविका के साधन चौपट कर दिए गए थे।

प्रश्न 5.
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में नागा विद्रोह कब हुआ ? यह कब तक चलता रहा ?
उत्तर-
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में नागा विद्रोह 1844 ई० में हुआ। यह दो-तीन साल तक चलता रहा।

प्रश्न 6.
अंग्रेज़ी सरकार ने कबिलाई लोगों की जमीनें क्यों हथिया ली थीं ?
उत्तर-
फ़सलों के वाणिज्यीकरण के कारण अंग्रेज़ किसानों से अफ़ीम तथा नील की खेती करवाना चाहते थे। इसलिए सरकार ने कबिलाई लोगों की जमीनें हथिया ली थीं।

प्रश्न 7.
विभिन्न कबिलाई विद्रोहों के किन्हीं चार नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
तिरुत सिंह (खासीस), सिंधु तथा कान्ह (संथाल) और बिरसा मुण्डा (मुण्डा कबीला)।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 13 बस्तीवाद तथा कबिलाई समाज

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कबिलाई लोगों के घरों तथा काम-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कबिलाई लोग बिना किसी योजना के बनी एक-दो कमरों वाली झोंपड़ियों में रहते हैं। ये झोंपड़ियां दो या चार लाइनों में एक-दूसरे के सामने बनी होती हैं। इन झोंपड़ियों के आसपास वृक्षों के झुण्ड होते हैं। ये लोग भेड़बकरियां तथा पालतू पशु पालते हैं। ये स्थानीय प्राकृतिक तथा भौतिक साधनों पर निर्भर हैं। इनके अन्य काम-धन्धों में शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना तथा बैलों की सहायता से हल चलाना आदि शामिल हैं। .

प्रश्न 2.
कबिलाई समाज के परिवार पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
कबिलाई लोगों की सबसे पहली सामाजिक इकाई परिवार है। परिवार के घरेलू कामकाज में स्त्रियां महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। स्त्रियों के मुख्य कार्य खाना बनाना, लकड़ियां इकट्ठी करना, सफ़ाई करना तथा कपड़े धोना है। वे खेती के कार्यों में पुरुषों का हाथ बंटाती हैं। इन कामों में भूमि को समतल करना, बीज बोना, फसल काटना आदि शामिल हैं। पुरुषों के मुख्य कार्य जंगल काटना, भूमि को समतल करना तथा हल चलाना है। क्योंकि स्त्रियां आर्थिक कार्यों में पुरुष की सहायता करती हैं, इसलिए कबिलाई समाज में बहुपत्नी प्रथा प्रचलित है। .

प्रश्न 3.
देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में खासीस कबीले के विद्रोह पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सबसे पहला विद्रोह खासीस कबीले ने किया। पूर्व में जैंतिया पहाड़ियों से लेकर पश्चिम में गारो की पहाड़ियों तक उनका अधिकार था। तिरुत सिंह इस कबीले का संस्थापक (मोढी) था।

उसके नेतृत्व में खासी लोग अपने प्रदेश से बाहरी लोगों को भगाना चाहते थे। 5 मई, 1829 ई० को खासीस कबीले के लोगों ने गारो लोगों की सहायता से बहुत से यूरोपियों तथा बंगालियों को मार डाला। यूरोपीय कॉलोनियों को आग लगा दी गई। तिरुत सिंह कुछ अन्य पहाड़ी कबीलों को भी विदेशी शासन से मुक्त करवाना चाहता था। अतः उसने अपने 10,000 साथियों की सहायता से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। दूसरी ओर अंग्रेज़ सैनिकों ने खासीस गांवों को एक-एक करके आग लगा दी। अन्त में 1833 ई० में तिरुत सिंह ने ब्रिटिश सेना के आगे हथियार डाल दिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कबिलाई समाज तथा उसकी आर्थिक दशा में हुए परिवर्तनों का वर्णन करो। (P.B. 2009 Set-A)
उत्तर-
कबिलाई समाज-कबिलाई समाज अथवा आदिवासी लोग भारत की आबादी का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इनकी जनसंख्या 1600 लाख से भी अधिक थी। इन कबीलों का एक बड़ा भाग राजस्थान, गुजरात, बिहार, उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश में रहता था। मध्य प्रदेश की जनसंख्या का 23.22% भाग इन्हीं कबीलों के लोग थे। कुछ आदिवासी कबीले छोटे-छोटे राज्यों तथा केन्द्र-शासित प्रदेशों में भी रहते थे, जैसे-सिक्किम, गोवा, मिज़ोरम, दादरा-नगर हवेली तथा लक्षद्वीप आदि। इन आदिवासी लोगों में से अधिकतर का सम्बन्ध गोंड, भील, संथाल, मिज़ो आदि कबीलों से था।
इन आदिवासी लोगों में से 63% लोग पहाड़ी भागों, 2.2% लोग द्वीपों में तथा 1.6% लोग अर्द्ध खण्ड के ठण्डे प्रदेशों में रहते थे। अन्य लोग विभिन्न शहरी तथा ग्रामीण प्रदेशों में बिखरे हुए हैं। ये लोग बिना किसी योजना के बनी एकदो कमरों वाली झोंपड़ियों में रहते हैं। ये झोंपड़ियां दो या चार लाइनों में एक-दूसरे के सामने बनी होती हैं। इन झोंपड़ियों के आसपास वृक्षों के झुण्ड होते हैं। ये लोग भेड़-बकरियां तथा पालतू पशु पालते हैं। ये स्थानीय प्राकृतिक तथा भौतिक साधनों पर निर्भर हैं। इनके अन्य काम-धन्धों में शिकार करना, मछली पकड़ना, भोजन इकट्ठा करना तथा बैलों की सहायता से हल चलाना आदि शामिल हैं।

परिवार-कबिलाई लोगों की सबसे पहली सामाजिक इकाई परिवार है। परिवार के घरेलू कामकाज में स्त्री महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्त्रियों के मुख्य कार्य खाना बनाना, लकड़ियां इकट्ठी करना, सफ़ाई करना तथा कपड़े धोना है। वे खेती के कार्यों में पुरुषों का हाथ बंटाती हैं। इन कामों में भूमि को समतल करना, बीज बोना, फसल काटना आदि शामिल हैं। पुरुषों के मुख्य कार्य जंगल काटना, भूमि को समतल करना तथा हल चलाना है। क्योंकि स्त्रियां आर्थिक कार्यों में पुरुष की सहायता करती हैं, इसलिए कबिलाई समाज में बहपत्नी प्रथा प्रचलित है। ___ कबिलाई समाज की आर्थिक दशा में परिवर्तन-19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के समय कबिलाई समाज के लोग सबसे ग़रीब थे। ब्रिटिश शासन ने इन लोगों के जीवन पर और भी बुरा प्रभाव डाला। अंग्रेजों द्वारा पुराने सामाजिक तथा आर्थिक ढांचे को बदल दिया गया। इसका सबसे बुरा प्रभाव कबिलाई समाज तथा उनकी आर्थिकता पर पड़ा। अंग्रेज़ी सरकार ने अपने आर्थिक हितों के कारण फ़सलों का व्यापारीकरण (वाणिज्यीकरण) कर दिया। सरकार ने अफ़ीम तथा नील की खेती करने के लिए कबिलाई लोगों की जमीन हथिया ली। फलस्वरूप कबिलाई लोग मजदूरी करने के लिए विवश हो गए। परन्तु उन्हें बहुत कम मजदूरी दी जाती थी। अतः उन्हें अपना गुजारा करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ा। इसका परिणाम यह हुआ कि उनकी आर्थिक दशा बहुत ही खराब हो गई।

कबिलाई लोग इन सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तनों के विरुद्ध थे। अत: उनमें ब्रिटिश शासन के विरुद्ध असंतोष फैला हुआ था।

प्रश्न 2.
कबिलाई समाज के लोगों द्वारा छोटा नागपुर क्षेत्र में किए गए विद्रोहों का वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध छोटा नागपुर प्रदेश के विद्रोह काफ़ी महत्त्वपूर्ण थे। इनमें से मुण्डा जाति के विद्रोह का विशेष महत्त्व है। इन विद्रोहों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :

1. कोल कबीले का विद्रोह-छोटा नागपुर प्रदेश में सबसे पहले 1820 ई० में कोल कबीले के लोगों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। उन्हें अपने प्रदेश में अंग्रेज़ी राज्य का विस्तार सहन नहीं था। विद्रोहियों ने कई गांव जला दिए। कोल विद्रोही भी बड़ी संख्या में मारे गए। इसलिए उन्हें 1827 ई० में अंग्रेज़ों के आगे हथियार डालने पड़े।

2. मुण्डा कबीले का विद्रोह-1830-31 में छोटा नागपुर क्षेत्र में मुण्डा कबीले ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का झण्डा फहरा दिया। कोल कबीले के लोग भी इस विद्रोह में शामिल हो गए। शीघ्र ही यह विद्रोह रांची, हज़ारी बाग, पलामू तथा मनभूम तक फैल गया। अंग्रेज़ी सेना ने लगभग 1000 विद्रोहियों को मार डाला, फिर भी वह विद्रोह को पूरी तरह से न दबा सकी। अंततः अनेक सैनिक कार्रवाइयों के पश्चात् 1832 ई० में इस विद्रोह को कुचला जा सका, फिर भी मुण्डा तथा कोल लोगों की सरकार विरोधी गतिविधियां जारी रहीं।

3. खोड़ अथवा खरोधा कबीले का विद्रोह-छोटा नागपुर क्षेत्र में 1846 ई० में खरोधा कबीले ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उन्होंने अंग्रेज़ कैप्टन मैकफ़र्सन के कैम्प पर धावा बोल दिया और उसे अपने 170 साथियों सहित हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। अन्य पड़ोसी कबीलों के लोग भी खरोधा लोगों के साथ आ मिले। परन्तु अंग्रेजों ने उसी वर्ष इस विद्रोह को कुचल दिया। उन्होंने देश-निकाला प्राप्त एक खरोधा नेता को वापस बुलाया और उसे खरोधा लोगों का मुखिया बना दिया। इस प्रकार खरोधा लोग शान्त हो गए।

4. संथाल विद्रोह-संथालों ने 1855 ई० में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। इनकी संख्या लगभग 10,000 थी। इनका नेतृत्व सिंधु तथा कान्ह नामक दो भाइयों ने किया। संथालों ने भागलपुर तथा राजमहल के पहाड़ी प्रदेश के बीच रेल सेवाएं ठप कर दीं। उन्होंने तलवारों तथा ज़हरीले तीरों से अंग्रेजों के बंगलों पर आक्रमण किए। रेलवे तथा पुलिस के कई अंग्रेज़ कर्मचारी उनके हाथों मारे गए। अंग्रेज़ी सेना ने उनका पीछा किया। परन्तु वे जंगलों में छिप गए। उन्होंने 1856 ई० तक अंग्रेज़ सैनिकों का सामना किया। अन्त में विद्रोही नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें कड़ी यातनाएं दी गईं।

5. मुण्डा जाति का दूसरा विद्रोह-मुण्डा कबीला बिहार का एक प्रसिद्ध कबीला था। ब्रिटिश काल में बहुत से गैर-कबिलाई लोग कबायली प्रदेशों में आकर बस गये थे। उन्होंने कबिलाई लोगों से उनकी ज़मीन छीन ली थी। इसलिए इन लोगों को गैर-कबिलाई लोगों के पास मज़दूरी करनी पड़ती थी। तंग आकर मुण्डा लोगों ने अपने नेता बिरसा मुण्डा के अधीन विद्रोह कर दिया। प्रमुख विद्रोह 1899-1900 ई० में रांची के दक्षिणी प्रदेश में शुरू हुआ। इस विद्रोह का मुख्य उद्देश्य वहां से अंग्रेज़ों को भगाकर मुण्डा राज्य स्थापित करना था।
बिरसा मुण्डा ने उन गैर-कबिलाई लोगों के विरुद्ध धरना दिया जिन्होंने मुण्डा लोगों की जमीनें छीन ली थीं। मुण्डा लोग साहूकारों तथा ज़मींदारों से घृणा करते थे, क्योंकि वे उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे। बिरसा मुण्डा ने मुण्डा किसानों से कहा कि वे ज़मींदारों का किराया चुकाने से इन्कार कर दें।

मुण्डा लोगों ने अंग्रेज़ अधिकारियों,मिशनरियों  तथा पुलिस स्टेशनों को अपना निशाना बनाया। परन्तु अंग्रेज़ों ने बिरसा मुण्डा को गिरफ्तार कर लिया और उसके विद्रोह को दबा दिया।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा

Punjab State Board PSEB 8th Class Welcome Life Book Solutions Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Welcome Life Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा

Welcome Life Guide for Class 8 PSEB हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा InText Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
यातायात से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
यातायात का अर्थ है सड़क पर वाहनों की आवाजाही।

प्रश्न 2.
यातायात नियम हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
उत्तर-
क्योंकि हम सड़क पर अपने जीवन और दूसरों के जीवन को बचाने में हमारी मदद कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
क्या पैदल यात्रियों को भी यातायात नियमों का पालन करना चाहिए?
उत्तर-
हां, पैदल यात्रियों को भी यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 4.
यदि हम यातायात नियमों का पालन नहीं करेंगे तो क्या होगा?
उत्तर-
यदि हम यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं तो दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

प्रश्न 5.
क्या केवल वाहन चलाने वाले लोगों को यातायात नियमों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, सड़क पर हर किसी को यातायात नियमों का ध्यान रखना चाहिए।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा

प्रश्न 6.
भारत में सड़क के किस तरफ हमें चलना चाहिए?
उत्तर-
हमें हमेशा सड़क के बायीं ओर चलना चाहिए।

प्रश्न 7.
क्या हमें सड़क या फुटपाथ पर अपनी साइकिल चलानी चाहिए?
उत्तर-
हमें हमेशा फुटपाथ पर साइकिल चलानी चाहिए।

प्रश्न 8.
पैदल चलने वालों द्वारा उपयोग की जाने वाली सड़क के क्षेत्र को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर-
फुटपाथ या पैदल यात्री क्षेत्र।

प्रश्न 9.
क्या जीवन प्रकृति द्वारा हमें दिया गया सबसे अनमोल उपहार है?
उत्तर-
हाँ जीवन प्रकृति द्वारा हमें दिया गया सबसे अनमोल उपहार है।

प्रश्न 10.
क्या सड़कों को पार करते समय दौड़ना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें सड़क पार करते समय नहीं दौड़ना चाहिए।

प्रश्न 11.
क्या हमें सड़क पार करते समय बहुत धीमी गति से चलना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें सड़क पार करते समय बहुत धीमी गति से नहीं चलना चाहिए।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से कौन सड़क पार करने का एक बेहतर तरीका है? (क) ज़ेबरा क्रॉसिंग पर सड़क पार करना। (ख) दौड़कर सड़क पार करना।
उत्तर-
ज़ेबरा क्रॉसिंग पर सड़क पार करना।

प्रश्न 13.
क्या हमें सड़क के पास खेलना चाहिए?
उत्तर-
नहीं, हमें सड़क के पास नहीं खेलना चाहिए।

प्रश्न 14.
कौन-सी बेहतर बात है? (क) सड़क के पास खेलना (ख) खेल के मैदान में खेलना।
उत्तर-
खेल के मैदान में खेलना एक बेहतर चीज़ है।

प्रश्न 15.
हम सड़क पर कैसा समय बिताते हैं?
उत्तर-
हम सड़क पर काफी अच्छा समय बिताते हैं।

प्रश्न 16.
सड़क पर अपनी साइकिल लेने से पहले आपको क्या जाँच करनी चाहिए?
उत्तर-
हमें यह जाँचना चाहिए कि सड़क पर ले जाने से पहले हमारी साइकिल अच्छी स्थिति में है।

प्रश्न 17.
यह सलाह क्यों दी जाती है कि सड़क पर रहते हुए हमें सावधान और सतर्क रहना चाहिए?
उत्तर-
ऐसा इसलिए है क्योंकि हम सड़क पर रहते हुए अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।

प्रश्न 18.
ट्रैफिक नियम क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर-
ट्रैफिक नियम हमें दुर्घटनाओं से सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं।

प्रश्न 19.
सड़क पर चलने वाले लोगों को क्या कहते हैं?
उत्तर-
सड़क या फुटपाथ पर चलने वाले व्यक्ति को पैदल यात्री के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 20.
सड़क पर दुर्घटना से बचने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
उत्तर-
यातायात नियमों का पालन करना सड़क पर दुर्घटनाओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
यातायात नियमों का क्या मतलब है?
उत्तर-
यातायात नियम वे नियम हैं जो यातायात को नियंत्रित करते हैं और वाहन को नियंत्रित करते हैं। ये कानून और अनौपचारिक नियमों के रूप में हैं। हमने यातायात के क्रमबद्ध और समयबद्ध पालन की सुविधा के लिए इन नियमों को विकसित किया है।

प्रश्न 2.
यातायात के महत्त्वपूर्ण नियम क्या हैं?
उत्तर-
महत्त्वपूर्ण यातायात नियम हैं:

  1. हमेशा सड़क पर दौड़ने से बचें।
  2. ज़ेबरा क्रॉसिंग पर सड़क पार करने की कोशिश करें।
  3. हमेशा फुटपाथ पर चलें।

प्रश्न 3.
यातायात नियमों और हमारे बहुमूल्य जीवन के बीच क्या संबंध है?
उत्तर-
यातायात नियमों और हमारे अनमोल जीवन के बीच सीधा संबंध है। यदि हम यातायात नियमों का पालन करते हैं तो हमारे जीवन की रक्षा होगी। हम दुर्घटनाओं से बचे रहेंगे। जीवन को बचाना बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल हमारे लिए बल्कि हमारे परिवारों के लिए भी अनमोल है।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा

प्रश्न 4.
बहुत बार हम जो बुरी खबर सुनते हैं, वह क्या है?
उत्तर-
हम सभी लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने की बुरी खबरें बहुत बार सुनी हैं। भारत में प्रतिदिन लगभग 500 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। इसका मतलब है कि हर घंटे लगभग 20 लोग मारे जाते हैं।

प्रश्न 5.
सड़क पर रहते हुए हमें बहुत सतर्क और सावधान क्यों होना चाहिए?
उत्तर-
हमें सड़क पर बहुत सतर्क और सावधान रहना चाहिए क्योंकि सड़क पर एक छोटी सी लापरवाही भी हमारे अमूल्य जीवन पर भारी पड़ सकती है, इसीलिए कहा जाता है कि ‘आज सावधान, कल जीवित’।

प्रश्न 6.
सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर-
सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण हैं

  1. बहुत तेज़ गति से वाहन चलाना।
  2. लाल बत्ती पार करना।
  3. ड्राइवर का ध्यान भंग करना।
  4. सीट बेल्ट और हेलमेट का उपयोग नहीं करना।

प्रश्न 7.
हम सड़क दुर्घटनाओं को कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर-
हम सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित सावधानियां रख सकते हैं

  1. वाहन चलाते समय शांत रहें।
  2. फुटपाथ या सड़क के किनारे पर चलना।
  3. जब आप सड़क पर हों तो मोबाइल फोन, हेडफ़ोन का उपयोग कभी न करें।
  4. हमेशा ज़ेबरा क्रॉसिंग पर सड़क पार करें।
  5. सड़क पर कभी भी दौड़ मत लगाएं।

बड़े उत्तरी वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
कुछ महत्त्वपूर्ण नियमों को सूचीबद्ध करें जो सड़क पर यात्रा करते समय हमारे जीवन को बचा सकते हैं।
उत्तर-
निम्नलिखित कुछ महत्त्वपूर्ण नियम हैं जो सड़क पर यात्रा करते समय हमारे जीवन को बचा सकते हैं। प्यारे बच्चों आपकी जरा-सी लापरवाही आपकी मूल्यवान जिंदगी ले सकती है। आपका जीवन आपके लिए, आपके परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए बहुत कीमती है। आपकी सुरक्षा आपके हाथ में है।

  1. सड़क पार करते समय हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
  2. हमें अपने पास आने वाले वाहन की गति पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
  3. यदि आप देखते हैं कि कोई वाहन तेजी से आ रहा है या आपके करीब है, तब तक सड़क पार न करें।
  4. हमेशा जेबरा क्रॉसिंग पर ही सड़क पार करें।
  5. हमें अपने घरों के करीब और सड़क से दूर खेलना चाहिए।
  6. जब तक हम सड़क पर होते हैं तब तक हमें सतर्क और सावधान रहना चाहिए।
  7. हमें सड़क पर पैदल चलने वाले फुटपाथों पर खेलने से दूर रहना चाहिए।
  8. सड़क पार करते समय हमें न तो दौड़ना चाहिए और न ही बहुत धीरे-धीरे चलना चाहिए।
  9. सड़क पर यात्रा करते समय हमें मोबाइल फोन या हेडफोन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  10. साइकिल चलाते समय हमें अपनी साइकिल को अच्छी स्थिति में रखना चाहिए। यदि साइकिल की हालत ठीक नहीं है तो हमें इसे सड़क पर नहीं उतारना चाहिए।
  11. साइकिल चलाते समय हमें साइकिल लेन का उपयोग करना चाहिए। साइकिल लेन के अभाव में, बायीं ओर फुटपाथ पर या फुटपाथ के पास साइकिल चलाएं। सतर्क रहें और आपके पास आने वाले वाहन की आवाज़ पर ध्यान दें।

प्रश्न 2.
सड़कों पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?
उत्तर-
हम सड़क पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएंगे

  1. रात में सड़क पर चलते समय, हमें चमकीले रंग के कपड़े पहनना चाहिए जैसे गुलाबी, सफेद, नारंगी, सुनहरा आदि। यह इसलिए है क्योंकि ये रंग दूर से दिखाई देते हैं। यह ड्राइवर को आपको दूर से देखने में सक्षम करेगा और कोई भी दुर्घटना होने से बचा सकता है।
  2. सड़क पार करते समय हमें धैर्य और सावधानी बरतनी चाहिए। यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ऐसी संभावनाएं हैं कि दूसरा व्यक्ति गाड़ी चलाते समय लापरवाह हो।
  3. हमें हमेशा खेल के मैदान में खेलना चाहिए न कि सड़क पर।
  4. हमें यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।
  5. सड़क पार करते समय हमें बाएं और दाएं और देखना चाहिए और अपनी तरफ आने वाले हर वाहन पर ध्यान रखना चाहिए।
  6. हमें हमेशा जेबरा क्रॉसिंग पर ही सड़क पार करनी चाहिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में सुरक्षित और असुरक्षित की पहचान करें।

  1. सड़क पर खेलना।
  2. सड़क से दूर एक पार्क में खेलना।
  3. चौकस होकर सड़क पार करना।
  4. चलती बस में चढ़ना व उतरना।
  5. फुटपाथ पर चलना।
  6. वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें।
  7. सड़क पर यातायात नियमों का पालन करना।
  8. सड़क पर चलते समय या साइकिल चलाते समय फोन व हेडफोन का प्रयोग करना।

उत्तर-
सुरक्षित व असुरक्षित कथन इस प्रकार हैं

  1. सड़क पर खेलना। असुरक्षित
  2. सड़क से दूर एक पार्क में खेलना। सुरक्षित
  3. चौकस होकर सड़क पार करना। सुरक्षित
  4. चलती बस में चढ़ना व उतरना। असुरक्षित
  5. फुटपाथ पर चलना। सुरक्षित
  6. वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें। सुरक्षित
  7. सड़क पर यातायात नियमों का पालन करना। सुरक्षित
  8. सड़क पर चलते समय या साइकिल चलाते समय फोन व हेडफोन का प्रयोग करना। असुरक्षित

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा

प्रश्न 4.
सड़क सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करने वाले कुछ नारे लिखें।
उत्तर-
सड़क सुरक्षा के कुछ नारे हैं

  1. देर आए दुरुस्त आए।
  2. वाहन धीमा चलाएं, जीवन को सुरक्षित बनाएं।
  3. सड़कों पर सावधानी हटी, फिर निश्चित ही दुर्घटना घटी।
  4. घर सुरक्षित जाना है तो यातायात नियम को अपनाना है।
  5. नज़र हटी, दुर्घटना घटी।
  6. सतर्क रहें, सुरक्षित रहे।
  7. यदि सड़क में सुरक्षित रहना है, तो हेलमेट भी पहनना है।
  8. सड़क सुरक्षा नियम को अपनाओ, अपने साथ सभी का जीवन सुरक्षित बनाओ।
  9. सावधानी अपनाना है, सड़क दुर्घटना को दूर भगाना है।
  10. जो रखते हैं वाहन रफ्तार का ध्यान, उनके जीवन की नहीं रुकती है कभी रफ़्तार।
  11. मोबाइल पर तभी बात करना, जब वाहन रोककर साइड करना।
  12. जो करे हेलमेट का उपयोग, वही करे यातायात नियम में सहयोग।
  13. वाहन धीमा चलाना है जीवन को सुरक्षित बनाना है।
  14. जीवन है अनमोल, तो क्यों करें यातायात नियमों से खेल।
  15. नशा नाश से जोड़े, इसलिए वाहन चलाते समय इससे मुख मोड़ें।
  16. इससे पहले दुर्घटना आपको रोके, नियम तोड़ने से पहले खुद को रोके।
  17. जो करे ट्रैफिक नियमों का सम्मान, उसी के चेहरे पर दिखे प्यारी सी मुस्कान।
  18. मानवता करना सीखाता है जो सड़क सुरक्षा नियम को अपनाता है।
  19. अपने सुरक्षा से मत करे बगावत, दुर्घटना को मत दे दावत।
  20. सड़क पर आप करें खुद की सुरक्षा, जिससे हो आपके परिवार की रक्षा।

प्रश्न 5.
सड़क सुरक्षा के बारे में कुछ सुझाव लिखें जो आप एक शिक्षक के रूप में दे सकते हैं।
उत्तर-
सड़क सुरक्षा के बारे में कुछ सुझाव जो मैं एक शिक्षक के रूप में दूंगा-

  1. दाएं और बाएं की ओर देखें बिना कभी सड़क पार न करें।
  2. सड़क पर चलते या पार करते समय हमें बहुत शांत और सतर्क रहना चाहिए।
  3. कभी चलते हुए वाहन से उतरे या चढ़े नहीं।
  4. हमें यातायात नियमों का पालन करना चाहिए भले ही हमें लगे कि वे प्रकृति में निवारक हैं।
  5. हमें यह विचार करना चाहिए कि मानव जीवन बहुत कीमती है और हमें इसे किसी भी कीमत पर खतरे में नहीं डालना चाहिए।
  6. हमें सभी ट्रैफिक संकेतों को सीखना चाहिए। इन नियमों को सीखना कुछ और सीखने से ज्यादा महत्त्वपूर्ण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
हमें ज़रूर करना चाहिए
(क) हमेशा यातायात नियमों का पालन करना चाहिए
(ख) जब हमारे पास समय हो तो यातायात नियमों का पालन करें
(ग) केवल दूसरों को प्रदर्शित करने के लिए यातायात नियमों का पालन करें
(घ) कभी भी ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना चाहिए।
उत्तर-
(क) हमेशा यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यातायात नियमों का पालन करना …………. है।
(क) अच्छी आदत।
(ख) साबित करता है कि हम जानवरों से बेहतर हैं
(ग) हमारे कीमती जीवन को बचाना
(घ) सभी सही हैं।
उत्तर-
(घ) सभी सही हैं।

प्रश्न 3.
यातायात नियमों का पालन न करके, हम
(क) हमारे जीवन को खतरे में डालता
(ख) दूसरों की जान खतरे में डालना
(ग) दूसरे का समय और जीवन बचाता है
(घ) (क) और (ख) दोनों।
उत्तर-
(घ) (क) और (ख) दोनों।

प्रश्न 4.
सड़क दुर्घटनाएं ज्यादातर इसी वजह से होती हैं।
(क) यातायात नियमों की पालना करके
(ख) यातायात नियमों का उल्लंघन करके
(ग) दोनों सही हैं
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(ख) यातायात नियमों का उल्लंघन करके।

प्रश्न 5.
सड़क पर चलने वाले लोगों को क्या कहा जाता है?
(क) ड्राइवर
(ख) पायलट
(ग) पैदल यात्री
(घ) क्लीनर।
उत्तर-
(ग) पैदल यात्री।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा

प्रश्न 6.
सड़क पार करते समय …………….. का उपयोग करें।
(क) ज़ेबरा क्रॉसिंग
(ख) यू टर्न
(ग) दोनों सही हैं
(घ) कोई भी सही नहीं है।
उत्तर-
(क) ज़ेबरा क्रॉसिंग।

प्रश्न 7.
सड़क पार करते समय हमें करना चाहिए
(क) सड़क पार करते समय हमेशा सतर्क रहना चाहिए
(ख) अपने पास आने वाले वाहन की गति पर पूरा ध्यान चाहिए
(ग) ट्रैफिक सिग्नल का पालन करें
(घ) ऊपर के सभी।
उत्तर-
(घ) ऊपर के सभी।

प्रश्न 8.
आपकी थोड़ी सी ………….. आपका बहुमूल्य जीवन ले सकती है।
(क) लापरवाही
(ख) सतर्कता
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) लापरवाही।

प्रश्न 9.
सड़कों से ……….., अपने घर के ……… खेलें।
(क) दूर, करीब
(ख) करीब, करीब
(ग) दूर, दूर
(घ) करीब, दूर।
उत्तर-
(क) दूर, करीब।

प्रश्न 10.
कथन (क) : हमें सड़क पर यात्रा करते समय मोबाइल फोन या हेडफोन का उपयोग करना चाहिए।
कथन (ख): सड़क पार करते समय हमें वाहनों के गुज़रने या रुकने का इंतजार करना चाहिए। निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है? निम्न में से कौन सा विकल्प सही है?
(क) कथन क सही है। कथन ख गलत है।
(ख) कथन क गलत है। कथन ख सही है।
(ग) दोनों कथन सही हैं।
(घ) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) कथन क गलत है। कथन ख सही है।

प्रश्न 11.
सड़क पार करते समय …………. और …………… बरतें। हो सकता है कि दूसरा व्यक्ति गाड़ी चलाते समय ………… हो।
(क) धैर्य, सावधानी, लापरवाह
(ख) सावधानी, लापरवाह, धैर्य
(ग) लापरवाह, धैर्य, सावधानी
(घ) ऊपर के सभी।
उत्तर-
(क) धैर्य, सावधानी, लापरवाह।

प्रश्न 12.
मोबाइल फोन या हेडफोन का उपयोग करने से बचें।
(क) साइकिल चलाते
(ख) कार चलाते वक्त
(ग) सड़क पर चलते वक्त
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(घ) सभी विकल्प।

PSEB 8th Class Welcome Life Solutions Chapter 4 हमारे बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा

रिक्त स्थान भरा:

  1. जब तक आप सड़क पर हैं …………. और ………… रहें।
  2. रात को सड़क पर चलते समय ………….. रंग के कपड़े पहनें जो दूर से दिखाई दें जैसे कि गुलाबी सफेद संतरी पीला इत्यादि।
  3. सड़क पार करते समय धैर्य और ……….. बरतें।
  4. साइकिल चलाते समय …………… का उपयोग करने से बचें।
  5. आपका जीवन आपके लिए, आपके परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए बहुत ………….
  6. अपने पास आने वाले वाहन की गति पर पूरा ………… दें।
  7. आपकी सुरक्षा आपके ……………. में है।
  8. यदि वाहन तेज़ गति से चल रहा है या आपके करीब है तो सड़क पार न करें, जब तक कि कोई उपलब्ध न हो।
  9. साइकिल या स्कूटर चलाते समय ……….. का प्रयोग ज़रूर करें।
  10. साइकिल लेन की अनुपस्थिति में साइकिल हमेशा ………….. के बाएं और चलाएं।

उत्तर –

  1. सतर्क, सावधान
  2. चमकीले
  3. सावधानी
  4. मोबाइल फोन या हेडफोन
  5. कीमती
  6. ध्यान
  7. हाथ
  8. ज़ेबरा क्रॉसिंग
  9. हेलमेट
  10. फुटपाथ।

सही/ग़लत:

  1. सड़क किनारे फुटपाथ या सड़क पर खेलना बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है।
  2. यदि कोई वाहन आपकी तरफ आ रहा है उस वक्त सड़क पार करना अपनी जान को खतरे में डालना है।
  3. यदि सड़क की हालत ठीक नहीं है तो अपनी साइकिल को सड़क पर न ले जाएं।
  4. हमें साइकिल चलाते समय वाहन की आवाज़ पर ध्यान देना चाहिए।
  5. हमें सड़क पार करने के लिए ज़ेबरा क्रॉसिंग का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  6. हमें दिन के समय ही यातायात नियमों का पालन करना चाहिए।
  7. सड़क पर चलते हुए हम संगीत बजा सकते हैं और सुन सकते हैं।
  8. दो पहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें।
  9. जब तक हम सड़क पर हैं सतर्क और सतर्क रहना चाहिए।
  10. हमें यातायात नियमों का पालन करना चाहिए, भले ही कोई भी हमारी जाँच क्यों न कर रहा हो।

उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. सही
  4. सही
  5. ग़लत
  6. ग़लत
  7. ग़लत
  8. सही
  9. सही
  10. सही।