PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

→ प्रकाश, ऊर्जा का एक रूप है।

→ प्रकाश, सरल रेखा में गमन करता है।

→ प्रकाश हमें वस्तुएँ देखने में सहायक है।

→ जब वस्तुओं से परावर्तित प्रकाश हमारी आँखों में पड़ता है तो हम वस्तुएँ देख पाते हैं।

→ जो पिंड स्वयं का प्रकाश उत्सर्जित करते हैं, दीप्त (Luminous) पिंड कहलाते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

→ जो पिंड स्वयं का प्रकाश उत्सर्जित नहीं करते, परंतु दूसरी वस्तुओं के प्रकाश में चमकते हैं, अदीप्त पिंड (Non-luminous) कहलाते हैं।

→ पॉलिश किया हुआ अथवा चमकदार पृष्ठ प्रकाश परावर्तित करता है।

→ एक दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा को परावर्तित कर देता है।

→ प्रकाश परावर्तन में आपतित कोण, सदैव परावर्तित कोण के बराबर होता है।

→ आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण, सभी एक तल में होते हैं।

→ एक-दूसरे से किसी कोण पर रखे दर्पण द्वारा अनेक प्रतिबिंब प्राप्त किए जा सकते हैं।

→ जब प्रकाश किरण प्रिज्म में से गुज़रती है, तो विक्षेपित होती है और फलस्वरूप सफेद प्रकाश किरण सात रंगों में विभाजित हो जाती है।

→ सूर्य के प्रकाश के स्पैक्ट्रम में सात रंग-बैंगनी, नील, नीला, हरा, पीला, केसरी और लाल हैं। इन्हें अंग्रेजी शब्द VIBGYOR से स्मरण किया जा सकता है। VIBGYOR (Violet. Indigo. Blue. Green, Yellow, Orange, Red).

→ इंद्रधनुष, विक्षेपण को दर्शाने वाली एक प्राकृतिक परिघटना है !

→ मानव नेत्र, एक ज्ञानेंद्री है, जो वस्तुओं को देखने में सहायक है।

→ मानव नेत्र में एक उत्तल लेंस होता है, जिसकी फोकस दूरी सिलियरी पेशियों द्वारा नियंत्रित की जाती है।

→ परावर्तन, नियमित तथा विसरित हो सकता है।

→ अंध-बिंदु में दो प्रकार की तंत्रिका कोशिकाएँ शंकु (cones) और शलाकाएँ (rods) पाई जाती हैं।

→ चाक्षुणी अक्षमता से पीड़ितों के लिए दो प्रकार के संसाधन होते हैं-अप्रकाशिक (Non-optical) और प्रकाशिक (Optical)।

→ ब्रैल पद्धति, चाक्षुष विकृति युक्त व्यक्तियों के लिए, एक सर्वाधिक लोकप्रिय और महत्त्वपूर्ण साधन है।

→ प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)-जब प्रकाश किरण किसी दर्पण अथवा पॉलिश की हुई सतह पर पड़ती है, तो वह माध्यम के परिवर्तन हुए बिना उसी माध्यम में किसी विशेष दिशा में वापिस आ जाती है। प्रकाश के मार्ग में आए परिवर्तन की क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहा जाता है।

→ पर्दा (Screen)-श्वेत शीट अथवा पृष्ठ, जिस पर प्रतिबिंब बनता है।

→ नियमित परावर्तन (Regular Reflection)-पॉलिश पृष्ठ से हुआ परावर्तन ।

→ प्रकाश का फैलना (Scattering of Light)-प्रकाश किरणों का सभी दिशाओं में परावर्तन।

→ विसरित परावर्तन (Diffused Reflection)-प्रकाश किरणों का खुरदरे पृष्ठ से परावर्तन।

→ आपतित किरण (Incident Ray)-प्रकाश के स्रोत से दर्पण पृष्ठ पर गिरने वाली प्रकाश किरण।

→ केलाइडोस्कोप (Kaleiodeoscope)-बहुमुखी परावर्तन पर आधारित यंत्र, जिससे विभिन्न डिज़ाइन बनाए जाते हैं।

→ दर्पण (Mirror)-समतल और पॉलिश पृष्ठ।

→ अभिलंब (Normal) आपतन बिंदु पर लंबवत् रूप में खींची रेखा।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 16 प्रकाश

→ प्रकाश का स्रोत (Source of Light)-एक ऐसा पिंड, जो प्रकाश उत्सर्जित करता है।

→ वास्तविक प्रतिबिंब (Red Image)-प्रतिबिंब, जो आपतित किरणों का परावर्तन के बाद वास्तव रूप से मिलने से बनता है।

→ आभासी प्रतिबिंब (Virtual Image)-प्रतिबिंब, जिसमें आपतित किरणें परावर्तन के बाद मिलती नहीं, परंतु मिलती हुई प्रतीत होती हैं।

→ आपतन कोण (Angle of Incidence)-आपतित किरण और अभिलंब के बीच का कोण।

→ परिवर्तित कोण (Angle of Reflection)-परिवर्तित किरण और अभिलंब के बीच का कोण।

→ अनुकूलन शक्ति (Power of Accomodation)-हमारी आँख सभी दूर और निकट पड़ी वस्तुओं को देख सकती है। आँख की इस विशेषता को जिसके द्वारा आँख अपने लेंस की शक्ति को परिवर्तित करके भिन्न-भिन्न दूरी पर पड़ी वस्तुओं को देख सकती है, अनुकूलन शक्ति कहा जाता है।

→ दृष्टि की न्यूनतम दूरी (Least Distance of Distinct Vision)-दूरस्थ बिंदु और निकट बिंदु के मध्य के ऐसा बिंदु जहां पर वस्तु को रखने से वस्तु बिलकुल स्पष्ट दिखाई देती है, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहा जाता है। सामान्य दृष्टि के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी० है।

→ दृष्टि-स्थिरता (Persistence of Vision)-जब किसी वस्तु का आँख के रेटिना पर प्रतिबिंब बनता है, तो वस्तु को हटा देने के बाद इस प्रतिबिंब का प्रभाव कुछ समय के लिए बना रहता है। इस प्रभाव को दृष्टि स्थिरता कहा जाता है।

→ दूर-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष के व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु समीप की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है। इसे उत्तल लेंस से ठीक किया जाता है।

→ प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion of Light)-प्रकाश किरण का सात रंगों में विभाजित होना।

→ निकट दृष्टि दोष (Near Sightedness or Myopia)-इस दोष के व्यक्ति को निकट स्थित वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, परंतु दूर स्थित वस्तुएँ नहीं दिखाई देतीं, क्योंकि दूरस्थ वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के आगे बनता है। इसे अवतल लेंस से ठीक किया जाता है।

→ रंगों की पहचान (Perception of Colour)-मानव नेत्र में शंकु और शल्काएँ हैं, जो प्रकाश संवेदी हैं। शंकु रंगों के प्रति संवेदक होते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 15 कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 15 कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ

→ प्राचीन काल में आकाश में उत्पन्न हुई चिंगारियों को भगवान् का क्रोध समझा जाता था।

→ सन् 1752 में बैंजामिन फ्रेंकलिन ने दर्शाया, कि तड़ित और वस्त्रों से उत्पन्न चिंगारी वास्तव में एक ही परिघटना है।

→ आकाश में तड़ित अथवा चिंगारियों के लिए विद्युत् उत्तरदायी है।

→ कुछ पदार्थों में रगड़ के द्वारा आवेशन होता है।

→ किसी पदार्थ से, समान पदार्थों को रगड़ने से उन पर उत्पन्न हुआ आवेश भी समान ही होता है।

→ सजातीय आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।

→ विभिन्न पदार्थों पर आवेश भी विभिन्न होते हैं, जब उन्हें समान या विभिन्न पदार्थों से रगड़ा जाता है।

→ विजातीय आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

→ आवेश दो प्रकार के हैं-

  1. धनावेश और
  2. ऋणावेश।

→ रगड़ने पर उत्पन्न विद्युत् आवेश स्थैतिक होते हैं।

→ स्थैतिक आवेश स्थिर रहते हैं अर्थात् गति नहीं करते।

→ गति कर रहे आवेश को विद्युत् धारा कहते हैं।

→ भूसंपर्कण विधि द्वारा आवेशित वस्तु में उपस्थित आवेश को पृथ्वी में भेजा जाता है।

→ विद्युत् विसर्जन होता है, जब

  1. दो बादल एक दूसरे के निकट आते हैं
  2. बादल, पृथ्वी के निकट आते हैं
  3. बादल और मानव शरीर निकट आते हैं।

→ बादल पर ऋण आवेश होते हैं। जब यह धन आवेशित बादलों के समीप आते हैं तो प्रकाश की चमकीली धारियों और ध्वनि के रूप में ऊर्जा की बड़ी मात्रा विसर्जित होती है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 15 कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ

→ तड़ित एवं झंझा (Thunder Storm) के समय मकान, भवन और एक बंद वाहन सुरक्षित स्थान है।

→ भवनों को तड़ित से सुरक्षित रखने वाला यंत्र तड़ित चालक (Lightning Conductor) है।

→ तूफान, तड़ित झंझा, चक्रवात, कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ हैं. जिनसे जनजीवन और संपत्ति को क्षति होती है।

→ भूकंप भी एक प्राकृतिक परिघटना है।

→ तड़ित झंझा, चक्रवात आदि की भविष्यवाणी हो सकती है, परंतु भूकंपों के बारे में भविष्यवाणी नहीं हो सकती।

→ भूकंप, पृथ्वी का झटका है।

→ भूकंप से बाढ़, भूस्खलन, सुनामी आते हैं।

→ भूकंपलेखी उपकरण से भूकंपी तरंगें रिकार्ड की जाती हैं।

→ भूकंप की प्रबलता रिक्टर पैमाने पर व्यक्त की जाती है।

→ भूकंपी क्षेत्रों में मिट्टी और लकड़ी से बने नियमित भवन बनाने चाहिएं।

→ स्थैतिक विद्युत् (Static Electricity)-रगड़ने (घर्षण) से उत्पन्न हुए आवेश को स्थैतिक विद्युत् कहते हैं।

→ भूसंपर्कण (Earthing)-मानव शरीर द्वारा आवेशों को पृथ्वी में पहुंचाना भूसंपर्कण कहलाता है।

→ विद्युत् विसर्जन (Electric Discharge)-बादलों द्वारा प्रकाश और ध्वनि उत्पन्न करने की प्रक्रिया विद्युत् विसर्जन कहलाती है।

→ तड़ित झंझा (Thunder Storm)-वर्षा के दिन, आकाश में एक ऊँची ध्वनि का सुनाई देना, तड़ित झंझा कहलाता है।

→ तड़ित (Lightning)-दो बादलों अथवा बादलों और पृथ्वी के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न उज्ज्वल चिंगारी, जो आकाश में फैलती है, तड़ित कहलाती है।

→ भूकंप (Earthquake)-पृथ्वी की ऊपरी सतह में गहराई की गड़बड़ के कारण आए भूस्पंदों को भूकंप कहते हैं।

→ तड़ित चालक (Electric Conductor)-एक युक्ति, जो भवनों को तड़ित से सुरक्षा प्रदान करती है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

→ कुछ पदार्थ अपने में से विद्युत् धारा को प्रवाहित होने देते हैं और कुछ पदार्थ विद्युत् धारा को आसानी से प्रवाहित नहीं होने देते, क्रमशः सुचालक और कुचालक कहलाते हैं।

→ कुछ द्रव विद्युत् धारा को अपने से प्रवाहित होने देते हैं, उन्हें इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं।

→ इलेक्ट्रोलाइट में से विद्युत् धारा प्रवाहित होने से बल्ब प्रकाशमान हो जाता है।

→ सपरीक्षित में जब विद्युत् धारा दुर्बल होती है, तो एल० ई० डी० (LED) (प्रकाश उत्सर्जक डायोड) का उपयोग किया जाता है।

→ शुद्ध वायु, विद्युत्हीन चालक होती है।

→ नल का जल, नमकीन जल, समुद्र अथवा तालाब का जल, सभी विद्युत के सुचालक हैं, क्योंकि इनमें अशुद्धियाँ और लवण उपस्थित होते हैं।

→ अम्ल, क्षार और लवणों के विलयन विद्युत् सुचालक हैं।

→ शुद्ध आसुत जल, विद्युत्हीन चालक है।

→ चालक द्रव (Electrolyte) में से विद्युत् धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं।

→ गैसों का उत्सर्जन, विलयन के रंग में बदलाव, इलेक्ट्रोडों की सतह पर धातु की परत का जमा होना आदि कुछ विद्युत् धारा के रासायनिक प्रभाव हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

→ फल और सब्जियाँ भी विद्युत् चालन करती हैं।

→ अम्लयुक्त जल में विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के बुलबुले क्रमशः धन (+Ve) और ऋण (-Ve) टर्मिनलों (Terminals) पर उत्पन्न होते हैं।

→ विद्युत् लेपन, विद्युत् धारा के रासायनिक प्रभाव का एक सर्वाधिक सामान्य उपयोग है।

→ विद्युत् लेपन, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी धातु की वस्तु पर किसी दूसरी मनचाही उत्तम धातु की पतली परत विलोपित करते हैं।

→ विद्युत् लेपन अति उपयोगी है, क्योंकि इस द्वारा वस्तुएँ चिरस्थायी, चमकदार, संक्षरण रहित प्राप्त होती हैं। इस विधि द्वारा सस्ते धातु को महँगे धातु की परत से रोपित किया जाता है।

→ विद्युत् चालक (Conductor)-पदार्थ, जो अपने में से विद्युत् धारा को आसानी से प्रवाहित होने देते हैं, विद्युत् चालक कहलाते हैं।

→ विद्युत्हीन चालक (Insulators)-पदार्थ, जो अपने में से विद्युत् धारा को आसानी से प्रवाहित नहीं होने देते, विद्युत्हीन चालक (कुचालक) कहलाते हैं।

→ विद्युत् अपघटक (Electrolysis)-वह प्रक्रम, जिसमें विद्युत् चालक द्रव में से विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर द्रव संघटकों में अपघटित होता है।

→ एनोड (Anode)-इलेक्ट्रोड, जो बैटरी के +ve सिरे (धन टर्मिनल) से जुड़ा हो, एनोड कहलाता है।

→ कैथोड (Cathode)-इलेक्ट्रोड, जो बैटरी के –ve सिरे (ऋण टर्मिनल) से जुड़ा हो, कैथोड कहलाता है।

→ विद्युत् चालन द्रव (Electrolyte)-जल में कुछ बूंदें सल्फ्यूरिक अम्ल डालने से जल विद्युत् चालन बन जाता है। यह अम्ल युक्त जल विद्युत् चालक द्रव कहलाता है।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

Punjab State Board PSEB 9th Class Computer Book Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Computer Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

Computer Guide for Class 9 PSEB एम०एस० अक्सैस से परिचय Textbook Questions and Answers

1. रिक्त स्थान भरें

1…………………… एक रिलेशन डाटाबेस मैनेजमैंट सिस्टम है।
(क) एक्सल
(ख) वर्ड
(ग) पॉवर पवाइंट
(घ) अक्सैस।
उत्तर-
(घ) अक्सैस।

2. …………… डाटाबेस का मुख्य अंग होता है।
(क) Queries
(ख) टेबल
(ग) Form
(घ) Modules.
उत्तर-
(ख) टेबल।

3. एक फील्ड एक तरह के …………………………….. का सैट होता है।
(क) डाटाबेस
(ख) टेबल
(ग) डाटा आइटम
(घ) फॉर्मज।
उत्तर-
(ग) डाटा आइटम।

4. Queries टेबल को बदलने. और …………………………….. करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
(क) संभालना, फार्म, अपडेट
(ख) काटना, टेबल बनाना, Queries अपडेट कापी करने
(ग) स्टोर करने, पेस्ट करने, कापी करने के लिए, रिपोर्ट बनाने
(घ) Queries तैयार करने, Modules रिपोर्ट बनाने।
उत्तर-
(क) संभालना, फार्म, अपडेट।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

5. एक फील्ड के लिए खास सैटिंग ………………………………. कहलाती है।
(क) डाटाबेस
(ख) मैक्रो
(ग) डाटा टाइप
(घ) रिपोर्ट।
उत्तर-
(ग) डाटा टाइप।

2. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
एम०एस० अक्सैस के Components के नाम बताएं।
उत्तर-

  1. टेबल,
  2. Queries,
  3. फार्म,
  4. रिपोर्ट,
  5. मैक्रो,
  6. Modules.

प्रश्न 2.
एम०एस० अक्सैस में कौन-कौन से डाटा टाइप प्रयोग किए जाते हैं ? ।
उत्तर-

  1.  Text,
  2. नंबर,
  3. डेट/समय,
  4. हां/ना
  5. Currency,
  6. Auto Number,
  7. Memo,
  8. QLE object,
  9. Hyperlink,
  10. Calculated.

प्रश्न 3.
एम० एस० अक्सैस की विशेषताएं बताएं।
उत्तर-

  • यह एक सुरक्षित डाटाबेस सिस्टम है।
  • इस में हम अपने प्रयोग करने वाले डाटे को डाल सकते हैं।
  • एम० एस० अक्सैस Multiuser का support करता है।
  • यह बहुत सस्ता है। बाकी दूसरे बड़े सिस्टम में भी इसी तरह के फंक्शन प्रयोग किए जाते हैं।

प्रश्न 4.
रिकार्ड का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
किसी एक आइटम से संबंधित कीमतों के सैट को रिकार्ड कहते हैं।

प्रश्न 5.
टेबल क्या होता है ? टेबल बनाने के अलग-अलग तरीके बताएं।
उत्तर-
किसी खास विषय के लिए इकट्ठा किया डाटा, टेबल कहलाता है। एक डाटाबेस में बहुत सारे टेबल होते हैं। टेबल बनाने के अलग-अलग तरीके इस प्रकार हैं-

  1. Create Table In Design View.
  2. Create Table In Wizard View.
  3. Create Table by Entering Data.

प्रश्न 6.
टेबल का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
टेबल के बीच के डाटे को अपनी ज़रूरत अनुसार देखने और बदलने के लिए फार्म प्रयोग किए जाते हैं। User को टेबल के साथ जोड़ने के लिए फार्म सबसे अच्छा तरीका है।

प्रश्न 7.
रिपोर्ट क्या होती है ?
उत्तर-
यह टेबल या Queries के डाटे को दिखाने और छापने के लिए प्रयोग की जाती है। आप रिपोर्ट के बीच के डाटे को संपादन नहीं कर सकते।

3. बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
डाटाबेस डिजाइन के लिए आवश्यक दिशा निर्देश कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
डाटाबेस डिज़ाइन करने से पहले आप को कुछ दिशा निर्देश मानने पड़ेंगे। ये दिशा निर्देश आप को एक अच्छा डाटाबेस बनाने में मदद करेंगे-

  1. अपनी ज़रूरत अनुसार आप सभी फील्ड को ढूंढें जिन में आप की ज़रूरत के अनुसार जानकारी भरी जा सकती है।
  2. डाटाबेस को अच्छा बनाने के लिए डाटा के हर एक फील्ड को छोटे-छोटे महत्त्वपूर्ण हिस्से में बांटना चाहिए।
  3. ग्रुप के संबंधित फील्ड को टेबल में बनाएं।
  4. सभी टेबलों में एक मुख्य कुंजी लगाएं।
  5. टेबल में एक ऐसा फील्ड चाहिए जो आम हो।

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प्रश्न 2.
Design View में टेबल कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर
1. टेबल ग्रुप में कान्टेंट टैब पर टेबल बटन पर क्लिक करें। इससे एक नए खाली टेबल डाटाशीट में एक छोटी Window खुल जायेगी।
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2. डाटे को डालते समय फील्ड भरना-डाटाशीट व्यू में डाटा Excel की वर्कशीट की तरह ही डाला जाता है। इसमें डाटा लगातार रोअज़ और कालम में दाखिल होता है। डाटाशीट व्यू में ऊपर दाईं (Left) तरफ क्लिक करें। जब भी कभी डाटाशीट व्यू में कोई नया कालम डालना होता है तो यह टेबल में एक नया फील्ड बना देता है। डाटाशीट व्यू में हर टेबल में अक्सैस अपने आप एक डाटाशीट के दाईं तरफ एक फील्ड बना देता है जिस को हम आई-डी (ID) कहते हैं। यह फील्ड अपने आप में प्राइमरी कीअ की तरह काम आता है।
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3. डाटा दाखिल करते समय फील्ड को भरना –

  • Click to Add Column में पहले सैल पर क्लिक करो। इस के बाद अपने टेबल की आईटम में डाटा दाखिल करें। कालम में बाई (Right) तरफ जाने के लिए टैब (Tab) अथवा Enter कीअ को दबायें। अक्सैस अपने आप आई-डी फील्ड में 1 नंबर डाल देगा। जब भी हम कोई रोअज़ को सिलैक्ट करते हैं, वह अपने आप पैन्सिल में बदल जाता है। जब भी कोई रिकॉर्ड (Record) को डाला जाता है पर उस को सेव (Save) नहीं किया जाता है।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 3

  • रोअज़ आईकन में पैन्सिल पर क्लिक करें। इस तरह पहला रिकॉर्ड सेव (Save) हो जायेगा। जिसका नंबर 1 होगा। इस तरह आपका सारा रिकार्ड सेव (Save) हो जायेगा।
  • इसी तरह आप डाटा आईटम डालते जाएं और Enter or Tab कीअ दबाते जायें।

(4) जब आप पहले रिकॉर्ड में डाटा दाखिल कर देते हैं तो आप रिकॉर्ड को सेव (Save) करने के लिए किसी भी रोअज़ पर क्लिक करें। आप जितना डाटा डालें उसके बाद टेबल को सेव कर लें।

प्रश्न 3.
डिज़ाइन दृश्य में टेबल कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
जब भी आप डिज़ाइन दृश्य में टेबल बनाना चाहते हैं। आप को अपनी डाटाशीट पर बहुत ध्यान देना पड़ेगा। पहले हमें डिज़ाइन दृश्य में टेबल का ढांचा बनाना पड़ता है और बाद में डाटाशीट में जा कर डाटा को दाखिल करना पड़ता है।

डिज़ाइन दृश्य में पहले Object Window में दिए पेज़ नज़र आते हैं। उसमें पहला Field object पेज़ होता है जो window में दाईं तरफ होता है। इस का प्रयोग field name बताने के लिए और डाटा टाइप बनाने के लिए किया जाता है।

इस का दूसरा क्षेत्र है Property पेन है। यह window के नीचे दिखाई देता है जिस में फील्ड की प्रापर्टी के बारे में बताया जाता है। फील्ड प्रापर्टी में जो प्रापर्टीज़ होती है वह हमारी तरफ से दिए गए मूल्य पर निर्भर करती है। डिज़ाइन दृश्य में टेबल बनाने के स्टैप

  • Create table में टेबल ग्रुप में टेबल डिज़ाइन बटन पर क्लिक करो। Object window में एक खाली टेबल आ जायेगा।
  • फील्ड नेम कॉलम में पहले फील्ड नेम लिखें। फील्ड नेम 64 अंग्रेज़ी के अक्षर हो सकते हैं जिनमें लैटर, नंबर, स्पेस आदि हो सकते हैं।
  • डाटा टाइप कॉलम में नीचे ऐरो पर क्लिक करें और लिस्ट में से डाटा टाइप चुनें।
  • Description कॉलम में फील्ड की Description टाइप करें।

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और फील्ड लेकर स्टैप 2 से 4 दुबारा करें। सारे फील्ड भरने के बाद टेबल को सेव करें।

प्रश्न 4.
फिल्टर क्या होता है ? इसको कैसे लगाया जाता है ?
उत्तर-
M.S. Access में फिल्टर एक ऐसा तरीका है जो आप को वही डाटा दिखाता है जिसकी आप को ज़रूरत होती है।
डाटा फिल्टर लगाने के स्टैप-
1. आप जिस फील्ड पर फिल्टर लगाना चाहते हैं, उस फील्ड के साथ के Drop down Arrow पर क्लिक करें। हम कक्षा के आधार पर फिल्टर लगाएं। क्योंकि हम पूरी कक्षा में उन विद्यार्थियों की सूची देखना चाहते हैं जो कि पास अथवा फेल हुए हैं।
PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 5

2. एक चैक लिस्ट के साथ एक Drop down मीनू सामने आ जायेगे। फिल्टर के प्रणाम में चैक लगी हुई items ही दिखाई देगी। आगे लिखी हुई ऑप्शन पर आप फैसला कर सकते हो किस फिल्टर में आप कौन-सी आईटम ला सकते हो।

  • किसी एक आईटम को एक समय सिलैक्ट या डीसिलैक्ट करने के लिए Check box पर क्लिक करें। यहाँ पर हम अकेले कक्षा में फिल्टर लगाना चाहते हैं और बाकी बची आप्शन को छोड़ देंगे।
  • हर एक आईटम को फिल्टर लगाने के लिए सिलैक्ट आल पर क्लिक करें और दूसरी बार क्लिक करने पर सभी आईटम डी-सिलैक्ट हो जायेगी।
  • ब्लैंक (Blank) पर क्लिक करने पर फिल्टर वही रिकॉर्ड सामने दिखाई देंगे जिस में कई फील्ड होंगे।
  • OK पर क्लिक करके फिल्टर चालू हो जाएगा।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

प्रश्न 5.
सोर्टिंग (Sorting) क्या है ? सोर्टिंग को आप अपने डॉक्यूमैंट पर कैसे लगायेंगे ?
उत्तर-
सोर्टिंग-आप डाटाबेस में जो रिकॉर्ड देखते हो वही नज़र आयेगा। जैसे कि सबसे पहला रिकॉर्ड और उसके बाद दूसरा रिकॉर्ड। इस तरह हम आसानी से स्क्रोल (Scroll) करके किसी भी रिकॉर्ड को ढूंढ़ सकते हैं। अक्सैस में रिकॉर्ड उनकी आई०डी० के आधार पर सोर्टिंग करता है। उदाहरण के लिए-कक्षा से संबंधित डाटाबेस को कई प्रकार से सोर्टिंग कर सकते हैं।

  • विद्यार्थी को नतीजे, उनके नाम, अथवा नंबरों के आधार पर हम डाटे को शोर्ट (Sort) कर सकते
  • रोल नंबर और नाम के आधार पर
  • कक्षा के आधार पर

विद्यार्थी के टेबल को सोर्ट करने का तरीका :
PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 6
1. होम टैब टेबल पर क्लिक करें और सोर्टिंग और फिल्टर ग्रुप पर जायें।
2. फील्ड को सोर्ट करें। चढ़ते अथवा ढलते क्रम कमांड को सिलैक्ट करें।

  • टैक्सट को A to Z और नंबर को छोटे से बड़े तक सोर्टिंग करने के चढ़ते क्रम को सिलैक्ट करें।
  • चढ़ते क्रम को सिलैक्ट करें, जिससे टैक्सट Z to A और नंबर की बड़े से छोटे अंक पर सोर्टिंग करना चाहते हैं।

3. अब आप टेबल को सिलैक्ट करें फील्ड के अनुसार सिलैक्ट हो जायेगा।

प्रश्न 6.
एम०एस० अक्सैस में रिपोर्ट कैसे बनाई जाती है ?
उत्तर-
अक्सैस में रिपोर्ट आप को इकट्ठे किये डाटे की अपनी सुविधा अनुसार प्रिंट करने की सुविधा प्रधान करता है। आप अपने टेबल और Queries के आधार पर रिपोर्ट बना सकते हैं।
रिपोर्ट बनाने के कई तरीके हैं पर यहां पर हम विजार्ड के साथ रिपोर्ट बनायेंगे। रिपोर्ट बनाने का तरीका

  1. अपना डाटा बेस खोलें।
  2. Report टैब पर क्लिक करें।
  3. Create a Report by using wizard आप्शन पर क्लिक करें।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 7

4. एक टेबल का चुनाव करें, जिस पर आधारित रिपोर्ट तैयार करनी है।
PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 8
5. टेबल के बीच वाले फील्डस ज़रूरत के अनुसार चुनें।
6. Next बटन पर क्लिक करें।
PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 9
7. अपनी रिपोर्ट के लिए ज़रूरत अनुसार जानकारी दें और Next पर क्लिक करें।
8. फील्ड स्टोर करने के संबंध में जानकारी दें और Next बटन पर क्लिक करें।
PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 10
9. रिपोर्ट का ले आऊट निर्धारित करें और Next बटन पर क्लिक करें।
PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 11
10. रिपोर्ट का स्टाइल चुनें।
11. First बटन पर क्लिक करें।

PSEB 8th Class Computer Guide एम०एस० अक्सैस से परिचय Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरें

1. एम०एस० अक्सैस ……………………………………….. मैनेजमैंट सिस्टम है।
उत्तर-
रिलेशनल डाटाबेस,

2. टेबल में डाटा ………………… और …………….. रखा जाता है।
उत्तर-
रिकार्ड, फील्ड,

3. अक्सैस में टैक्सट, नंबर आदि ………….. टाइप इस्तेमाल की जाती है।
उत्तर-
डाटा,

4. ………………….. टेबल बनाना बहुत आसन है।
उत्तर-
डाटाबेस,

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

5. डाटाबेस बनाने के लिए पहले ………… जाता है और फिर उस में डाटा दाखिल किया जाता है।
उत्तर-
टेबल बनाया।

सही या गलत बताइये-

1. एम०एस० अक्सैस एक स्प्रेडशीट पैकेज है।
उत्तर-
गलत,

2. अक्सैस में टेबल तीन ढंगों के द्वारा बनाया जा सकता है।
उत्तर-
सही,

3. टेबल में डाटा को सम्पादन (Edit) रखना संभव नहीं।
उत्तर-
गलत,

4. हम दो टेबलज़ के बीच में संबंध स्थापित कर सकते हैं।
उत्तर-
सही,

5. रिपोर्ट के बीच में डाटे को बदला नहीं जा सकता।
उत्तर-
सही,

6. डाटाबेस एक दूसरे से संबंधी रिकार्डज़ का इकट्ठ नहीं होता।
उत्तर-
गलत।

सही मिलान करें-

A B
1. अक्सैस 1. स्टूडेंट रोल नंबर
2. टेबल 2. टैक्सट, नंबर, डेट एंड टाइम
3. फील्ड 3. डाटा दाखिल करवाने के लिए टेबल
4. डाटा टाइप्स 4. डाटाबेस साफ्टवेयर
5. डाटाशीटव्यु 5. रोअज़ और कॉलमज

उत्तर-

A B
1. अक्सैस डाटाबेस साफ्टवेयर
2. टेबल रोअज़ और कॉलमज़
3. फील्ड स्टूडेंट रोल नंबर
4. डाटा टाइप्स टैक्सट, नंबर, डेट ऐंड टाइम
5. डाटाशीट व्यू डाटा दाखिल करवाने के लिए टेबल।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
टेबल बनाने के भिन्न-भिन्न तरीकों के नाम बताइये।
उत्तर-
टेबल नीचे लिखे तीन तरीकों से बनाया जा सकता है

  1. डिज़ाइन व्यू के द्वारा
  2. विज़ार्ड के द्वारा
  3. डाटा ऐंटरी के द्वारा।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय 12

प्रश्न 2.
फार्म क्या होता है ?
उत्तर-
फार्म टेबल में डाटा एंटर करने का एक माध्यम है। इस में हम डाटे को अपनी ज़रूरत के अनुसार दिखा सकते हैं।

प्रश्न 3.
कोई 5 डाटा टाइप्स के नाम बताइये।
उत्तर-
डाटा टाइप्स नीचे लिखे प्रकार के हो सकते हैं –

  1. टैक्सट
  2. नंबर
  3. डेट/टाइप
  4. यैस/नौ
  5. मिमो
  6. करंसी
  7. आटो नंबर
  8. हाईपरलिंक।

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

प्रश्न 4.
कुएरीज़ क्या होती है ?
उत्तर-
कुएरीज़ टेबल से डाटा प्राप्त करने का साधन है। यह एक लाइन या स्टेटमैंट होती है जो DBMS को भेजी जाती है जिस का जवाब वो सूचना के रूप में देता है।

प्रश्न 5.
नई डाटाबेस फाइल बनाने का तरीका बताइये ।
उत्तर-
नई डाटाबेस फाइल नीचे लिखे तरीके से बनाई जा सकती है-

  1. File मीनू पर क्लिक करें।
  2. New → Blank Data Base पर क्लिक करें।
  3. डाटाबेस फाइल का नाम टाइप करें।
  4. Create बटन पर क्लिक करें। (डाटाबेस फाइल तैयार हो जायेगी)

प्रश्न 6.
अक्सैस में डाटा किस रूप में होता है ?
उत्तर-
टेबल।

प्रश्न 7.
एम० एस० अक्सैस को शुरू करने का तरीका क्या है ?
उत्तर-
Start → All Programme → Microsoft Office – MS-Access.

प्रश्न 8.
फील्ड क्या है ?
उत्तर-
फील्ड एक ही तरह के डाटा आईटम का सैट होता है। एक टेबल में बहुत फील्ड होते हैं। उदाहरणः विद्यार्थी का टेबल।

प्रश्न 9.
डाटा टाइप क्या है ?
उत्तर-
फील्ड की डाटा टाइप यह बताती है कि इसमें किस प्रकार का डाटा स्टोर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए विद्यार्थी की माँ की डाटा टाइप Characters.

उत्तर-
माइक्रोसॉफ्ट अक्सैस एक डाटाबेस पैकेज है, जो अमरीका के माइक्रोसॉफ्ट कार्पोरेशन नामक कम्पनी द्वारा विकसित किए गए पैकेज माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस (Microsoft Office) का एक भाग है। यह एक रिलेशनल डाटाबेस पैकेज है, जिसमें डाटा को सारणियों के रूप में रखा जाता है।

प्रश्न 11.
एम० एस० अक्सैस की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर-
एम० एस० अक्सैस में सभी प्रकार के डाटा को सारणियों में रखा जाता है। कोई सारणी किसी डाटा फील्ड के आधार पर अन्य सारणियों में सम्बन्धित हो सकती है। सारणियों में डाटा प्रविष्टि फार्म की सहायता से डाटा भरा और सुधारा जा सकता है। हम कुऐरियों द्वारा अपनी आवश्यकता का डाटा प्राप्त कर सकते हैं। सूचनाओं को रिपोर्टों में प्रस्तुत किया या छापा जा सकता है। एम० एस० अक्सैस में हम डाटा प्रविष्टि के समय ही डाटा की वैधता की जाँच कर सकते हैं।

प्रश्न 12.
एम० एस० अक्सैस में कोई सारणी क्या होती है?
उत्तर-
एम० एस० अक्सैस में कोई सारणी एक जैसे ढांचे वाले रिकार्डों का संग्रह होती है। प्रत्येक रिकार्ड में एक वस्तु के बारे में सूचनाएँ भरी जाती हैं। कोई रिकार्ड किसी वस्तु के बारे में कई डाटा फील्डों का संग्रह होता है। उदाहरण के लिए, यदि हम किसी कक्षा के विद्यार्थियों के बारे में एक सारणी बना रहे हैं, तो उसमें प्रत्येक विद्यार्थी के लिए एक रिकार्ड होगा। एक रिकार्ड में रॉल नं, नाम, पिता का नाम, जन्म तिथि, उम्र, लम्बाई , वज़न आदि डाटा फील्ड हो सकते हैं। किसी सारणी के सभी रिकार्डों में डाटा फील्ड एक जैसे और एक ही क्रम में होने चाहिए।

प्रश्न 13.
एम० एस० अक्सैस में कितने भिन्न-भिन्न डाटा टाइप उपलब्ध हैं?
उत्तर-
एम०एस० अक्सैस में कई डाटा टाइप उपलब्ध हैं। उनमें से मुख्य डाटा टाइप उनके आकार सहित निम्नलिखित हैं –
पाठ्य (Text) अधिकतम 255 चिन्हों तक
संख्या (Number) 1, 2, 4 या 8 बाइट
तारीख/समय (Date/Time) 8 बाईट
हाँ/नहीं (Yes/No 1 बिट
मेमो (Memo) 64000 चिह्नों तक

प्रश्न 14.
एम० एस० अक्सैस में कितने प्रकार के संख्यात्मक फील्ड स्टोर किये जा सकते हैं? उनके आकार का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
एम० एस० अक्सैस में निम्नलिखित प्रकार के संख्यात्मक फील्ड उपलब्ध हैं।
बाइट (Byte)- इनमें 0 से 255 तक प्राकृतिक संख्याओं को स्टोर कर सकते हैं। आकार 1 बाइट।
पूर्णांक (Integer)- इसमें -32768 से 32767 तक पूर्ण संख्याएँ स्टोर की जा सकती हैं। आकार 2 बाइट।
लम्बा पूर्णक (Long Integer)- इसमें -2147483648 से 2147483647 तक पूर्णांक स्टोर किए जा सकते हैं। आकार 4 बाइट।
सिंगल (Single)- इसमें 6 सार्थक अंकों तक की संख्याएँ स्टोर की जा सकती हैं, जिनका विस्तार3,402823×1034 से 3,402823×1038 तक होता है। आकार 4 बाइट।
डबल (Double)- इसमें 10 सार्थक अंकों तक की संख्याएँ स्टोर की जा सकती हैं, जिनका विस्तार -1.7976934862325×10304 से 1.7976934862323 x10308 तक होता है। इसका आकार 8 बाइट होता है। (यह डिफॉल्ट टाइप भी है।)

PSEB 9th Class Computer Solutions Chapter 5 एम०एस० अक्सैस से परिचय

प्रश्न 15.
डाटा वैधता परीक्षण क्या होता है? यह कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
डाटा वैधता परीक्षण किसी डाटा को डाटाबेस में जोड़ने से पहले उसके सही और सम्भव होने की जाँच करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। यह मुख्यतः दो स्तरों पर किया जाता है- पहला, फील्ड स्तरीय और दूसरा, रिकार्ड स्तरीय। इन दोनों स्तरों के लिए, हम कुछ वैधता नियम तैयार करते हैं। यदि कोई डाटा किसी वैधता नियम पर खरा नहीं उतरता, तो उसे डाटाबेस में नहीं जोड़ा जाता और स्क्रीन पर उस डाटा को सही करने के लिए वैधता पाठ्य को चेतावनी के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 13 ध्वनि

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 13 ध्वनि

→ कंपित वस्तु द्वारा ध्वनि, उत्पन्न होती है।

→ किसी वस्तु द्वारा अपनी माध्य स्थिति के इधर-उधर, आगे-पीछे या ऊपर-नीचे की दिशा में तय की गई अधिकतम दूरी, कंपन का आयाम (amplitude) कहलाती है।

→ एक कंपन को पूरा करने में लगे समय को आवर्तकाल (time period) कहते हैं।

→ एक सेकंड में कंपनों की संख्या, कंपन की आवृत्ति (frequency) कहलाती है।

→ आवृत्ति का मात्रक हर्ट्ज (Hz) है।

→ कंपन का आयाम जितना अधिक होता है, ध्वनि उतनी ही प्रबल होती है।

→ कंपन की आवृत्ति अधिक होने पर तारत्व अधिक होता है और ध्वनि अधिक तीक्ष्ण होती है।

→ मानव कान के लिए, आवृत्ति की सीमा 20Hz to 20,000 Hz है।

→ ध्वनि को संचारण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। यह निर्वात में संचरित नहीं हो सकती।

→ प्रकाश, ध्वनि की अपेक्षा बहुत तेज़ चलता है।

→ ध्वनि किसी बाधा से परावर्तित हो सकती है। इस परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं।

→ कुछ सतहें दूसरी सतहों की अपेक्षा ध्वनि को अधिक परावर्तित करती हैं।

→ प्रिय ध्वनि संगीत (music) और अप्रिय ध्वनि शोर (noise) कहलाती है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 13 ध्वनि

→ मानवों में वाक्-तंतुओं के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।

→ आयाम (Amplitude)-दोलन करती वस्तु द्वारा माध्य स्थिति से तय की गई अधिकतम दूरी आयाम कहलाती है।

→ प्रतिध्वनि (Echo)-बाधा जैसे कि इमारत और पहाड़ से परावर्तित हुई ध्वनि ।

→ आवृत्ति (Frequency)-दोलित वस्तु द्वारा एक सेकंड में कंपनों की संख्या।

→ हर्ट्ज (Hertz)-आवृत्ति का मात्रक।

→ स्वर यंत्र (Larynx)-मानव में ध्वनि का अंग।

→ तीक्ष्णता (Loudness)-ध्वनि का गुण जो दोलन/कंपन के आयाम और आवृत्ति पर निर्भर करता है।

→ संगीत (Musical Sound)-वह ध्वनि, जो कानों पर मधुर प्रभाव डालती है।

→ शोर (Noise)-कानों को अप्रिय लगने वाली ध्वनि।

→ पराश्रव्य (Ultrasonic)-20,000 Hz से ऊपर आवृत्ति वाले कंपन।

→ दोलन (Vibrating Body)-एक वस्तु, जो मध्य स्थिति के इधर-उधर अथवा आगे-पीछे गति करती है।

→ कंपन (Vibration)-इधर-उधर या आगे-पीछे की गति।

→ वाक्-तंतु (Vocal cords)-स्वर यंत्र में दो युग्म पेशीय तंतु।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 12 घर्षण

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 12 घर्षण

→ घर्षण बल, गति का विरोध करता है।

→ घर्षण बल, दो संपर्क कर रही सतहों के बीच लगता है।

→ घर्षण बल, सतह की प्रकृति और चिकनेपन पर निर्भर करता है।

→ घर्षण बल, सतह की अनियमितताओं के कारण होता है।

→ दाब से घर्षण बढ़ता है।

→ सी घर्षण, स्थैतिक घर्षण से कम होता है।

→ घर्षण, मित्र भी है और शत्रु भी।

→ घर्षण, हानिकारक है परंतु अनिवार्य भी है।

→ घर्षण को आवश्यकता के अनुसार कम या अधिक किया जा सकता है।

→ पहिया अथवा बेलन घर्षण को कम करते हैं।

→ स्नेहक, ऐसे पदार्थ हैं जो घर्षण को कम करते हैं।

→ द्रवों (तरलों) द्वारा उत्पन्न घर्षण, कर्षण कहलाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 12 घर्षण

→ द्रवों (तरलों) में उत्पन्न घर्षण वस्तु की प्रकृति, आकृति और गति पर निर्भर करती है।

→ मछली, की विशिष्ट आकृति द्रवों में कम घर्षण उत्पन्न करती है।

→ घर्षण (Friction)-संपर्क में रखे दो पृष्ठों के बीच सापेक्ष गति का विरोध करने वाला बल, घर्षण बल कहलाता है।

→ स्थैतिक घर्षण (Static Friction)-किसी रुकी हुई वस्तु की विराम अवस्था में लगा बल, स्थैतिक घर्षण कहलाता है।

→ सी घर्षण (Sliding Friction)-एक वस्तु का दूसरे वस्तु पर सरकने से उत्पन्न प्रतिरोध बल को सी घर्षण कहते हैं।

→ लोटनिक घर्षण (Rolling Friction)-दो वस्तुओं के परस्पर पृष्ठों पर लोटने से गति के प्रतिरोध बल को लोटनिक घर्षण कहते हैं।

→ तरल घर्षण (Fluid Friction)-तरल में डूबी वस्तुओं पर तरल द्वारा लगाया गया बल।

→ धारा रेखीय (Streamline)-एक विशिष्ट आकृति जिससे वायु और जल में घर्षण कम होता है।

→ तरल (Fluids)-द्रवों और गैसों का एक नाम।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 11 बल तथा दाब

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 11 बल तथा दाब

→ बल, एक धक्का या खिंचाव है, जो वस्तु की स्थिति बदलने में सहायक है।

→ बल का प्रभाव केवल बल के परिमाण पर निर्भर नहीं करता, अपितु क्षेत्रफल पर भी निर्भर करता है।

→ बल, वस्तु की गति, गति की दिशा और वस्तु की आकृति बदल सकता है।

→ बल कई प्रकार के होते हैं जैसे-पेशीय, चुंबकीय बल, घर्षणीय बल, गुरुत्वीय बल और स्थिर वैद्युतीय बल।

→ प्रति क्षेत्रफल पर लगाया गया बल, दाब कहलाता है।

→ द्रव बर्तन की दीवारों पर दाब लगाते हैं।

→ वातावरण भी दाब लगाता है, जिसे वायुमंडलीय दाब कहते हैं।

→ द्रव, बर्तन की दीवारों पर समान गहराई पर समान दाब डालते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 11 बल तथा दाब

→ किसी बर्तन में द्रव के स्तंभ की ऊँचाई पर दाब निर्भर करता है। जितनी ऊँचाई अधिक होगी, दाब उतना ही अधिक होगा।

→ गैसें सभी दिशाओं में दाब डालती हैं।

→ बल (Force)-कोई भी बाह्य कारण, जो वस्तु की विराम अवस्था और गतिशील अवस्था में परिवर्तन लाये, या लाने का प्रयत्न करे उसे बल कहते हैं। यह एक सदिश राशि है।

→ परिणामी ( नेट ) बल (Resultant Force)-जब दो या दो से अधिक बल किसी वस्तु पर एक ही समय लगते हैं, तो वस्तु पर लगा रहा कुल बल का प्रभाव परिणामी बल कहलाता है।

→ घर्षणीय बल (Force of Friction)-दो सतहों के बीच लगने वाला बल जो वस्तु गति के विपरीत लगता है, घर्षणीय बल कहलाता है।

→ गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)-विश्व में प्रत्येक दो वस्तुओं के बीच लग रहे आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।

→ भार (Weight)-जिस बल द्वारा कोई वस्तु धरती की ओर आकर्षित होती है। दाब (Pressure)-प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगाया गया बल।

→वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure)-धरती पर स्थित सभी वस्तुओं पर वातावरण द्वारा लगाया गया बल।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ मानव एवं अधिकांश जंतु एक निश्चित आयु तक पहुँचने के बाद ही जनन कर सकते हैं।

→ 10 या 11 वर्ष की आयु के बाद वृद्धि में तीव्रता आती है।

→ वृद्धि एक प्राकृतिक प्रक्रम है।

→ जीवनकाल की वह अवधि जब शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, किशोरावस्था (Adolescence) कहलाती है।

→ किशोरावस्था लगभग 11 वर्ष की आयु से प्रारंभ होकर 18 अथवा 19 वर्ष की आयु तक रहती है।

→ किशोरों को ‘टीनेजर्स’ (Teenagers) भी कहा जाता है।

→ किशोरावस्था के दौरान मनुष्य के शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं। यह परिवर्तन यौवनारंभ (Puberty) का संकेत है।

→ लंबाई में यकायक वृद्धि यौवनारंभ के दौरान होने वाला सबसे अधिक दृष्टिगोचर परिवर्तन है।

→ शरीर के सभी अंग समान दर से वृद्धि नहीं करते।

→ लंबाई, माता-पिता से प्राप्त जींस (Genes) पर निर्भर करती है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ यौवनारंभ (Puberty) में ‘स्वरयंत्र’ में वृद्धि का प्रारंभ होता है। सामान्यत: लड़कियों का स्वर उच्च तारत्व वाला होता है जबकि लड़कों का स्वर गहरा होता है।

→ किशोरावस्था में स्वेद एवं तैल-ग्रंथियों का स्राव बढ़ जाता है।

→ अत:स्त्रावी ग्रंथियाँ हार्मोनों को सीधे रुधिर प्रवाह में निर्मोचित करती हैं।

→ किशोरावस्था व्यक्ति के सोचने के ढंग में परिवर्तन की अवधि भी है।

→ गौण लैंगिक लक्षण लड़कियों को लड़कों से पहचानने में सहायता करते हैं।

→ किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन हार्मोन द्वारा नियंत्रित होते हैं। हार्मोन रासायनिक पदार्थ हैं जो अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित किए जाते हैं।

→ पिट्यूटरी, एड्रीनल, थायराइड और जनन अंत:स्त्रावी ग्रंथियां हैं।

→ अंतःस्त्रावी ग्रंथि में नली नहीं होती इसलिए इसे नलिका रहित ग्रंथि (Ductless Gland) भी कहते हैं।

→ कीट हार्मोन कीटों में पाए जाते हैं।

→ नलिका रहित और अंत:स्रावी ग्रंथि अपने स्त्राव रुधिर प्रवाह में स्रावित करती है ताकि वे अपने लक्ष्य पर पहुँच सके।

→ अंतःस्त्रावी ग्रंथियों का स्राव हार्मोन (Hormone) कहलाता है।

→ वृषण अथवा नर जननांग मिश्रित अंग हैं जो शुक्राणु और पौरुष हार्मोन उत्पन्न करते हैं (जैसे टेस्टोस्टरॉन, एंड्रोस्टेरॉन)।

→ अंडाशय एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्ट्रान स्त्राव करता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ मादा मानव में 28 से 30 दिन में जनन चक्र में परिवर्तन दौरान एक बार रक्त स्त्राव होने को ऋतु स्त्राव (menstrual cycle) कहते हैं।

→ लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु में मादा में ऋतु स्त्राव होना रुक जाता है। इस क्रिया को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं।

→ मानव कोशिका में 22 जोड़ी सामान्य गुणसूत्र और 1. जोड़ी लिंग गुणसूत्र पाए जाते हैं।

→ मनुष्य की प्रत्येक जनन कोशिका में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं।

→ लारवा से वयस्क में परिवर्तन कायांतरण (Metamorphosis) कहलाता है। यह परिवर्तन भी हार्मोन द्वारा नियंत्रित होते हैं।

→ व्यक्ति का कायिक एवं मानसिक विसंगति मुक्त होना उस व्यक्ति का स्वास्थ्य कहलाता है।

→ किसी भी किशोर को आहार नियोजन अत्यंत सावधानीपूर्वक करना चाहिए क्योंकि यह तीव्र वृद्धि एवं विकास की अवस्था है।

→ किशोरों के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता अति आवश्यक है क्योंकि स्वेद ग्रंथियों की अधिक क्रियाशीलता के कारण शरीर से गंध आने लगती है।

→ सभी युवा/किशोरों को टहलना, व्यायाम करना एवं बाहर खेलना चाहिए।

→ किशोरावस्था (Adolescence)-11 या 12 वर्ष की आयु से 18 या 19 वर्ष तक की अवधि किशोरावस्था कहलाती है। ___

→ यौवनारंभ (Puberty)-11 से 18 वर्ष की अवस्था जब जनन क्षमता का विकास होता है अथवा जनन चक्र का आरंभ होता है।

→ स्वरयंत्र (Voice Box)-मनुष्य के गले में उपास्थि (cartilage) से बना बॉक्स, जो आवाज़ पैदा करता है।

→ ऐडम्स ऐपल (कंठमणि) (Adam’s Apple)-लड़कों में बढ़ता हुआ स्वरयंत्र गले के सामने की ओर सुस्पष्ट उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है, जिसे कंठमणि कहते हैं।

→ गौण लैंगिक लक्षण (Secondary Sexual Characters)-लड़के और लड़कियों में कुछ ऐसे गुण जिनसे उन्हें पहचाना जाता है और भिन्न किया जाता है, गौण लैंगिक लक्षण कहलाते हैं।

→ हार्मोन (Hormones)-शरीर की क्रियात्मक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले विशेष रासायनिक पदार्थ।

→ अतःस्त्रावी ग्रंथियां (Endocrine Glands)-नलिका रहित ग्रंथियाँ जो हार्मोन उत्पन्न करती हैं और इन्हें सीधा रक्त में बहा देती हैं।

→ लक्ष्य स्थल (Target Site)-शरीर का वह भाग, जहाँ अत: स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित हार्मोन, रक्त प्रवाह दवारा पहुँचते हैं।

→ पीयूष ग्रंथि (Pituitary Gland)-यह मस्तिष्क में उपस्थित मास्टर ग्रंथि है।

→ टेस्टोस्टरॉन (Testosterone)-यौवनारंभ में वृषण द्वारा स्त्रावित नर हार्मोन।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 10 किशोरावस्था की ओर

→ एक्स्ट्रोजन (Estrogen)-यौवनारंभ में अंडाशय द्वारा स्त्रावित मादा हार्मोन. जो स्तनों में विकास करता है।

→ लिंग गुणसूत्र (Sex chromosomes)-मानव शरीर में 23 जोड़े गुणसूत्र हैं उनमें से एक (23वां जोड़ा) लिंग गुणसूत्र है।

→ थाइराक्सिन (Thyroxin)-गले में स्थित थायराइड ग्रंथि द्वारा स्त्रावित हार्मोन।

→ इंसुलिन (Insulin)-अग्न्याशय (Pancreas) द्वारा स्त्रावित हार्मोन जो रक्त में शक्कर के स्तर को नियंत्रित करता है।

→ एड्रिनेलिन (Adrenalin)-रक्त में लवण मात्रा के संतुलन के लिए एड्रीनल ग्रंथि का स्त्राव।

→ संतुलित आहार (Balanced diet)-वह आहार जिसमें सभी पोषक (कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, प्रोटीन, लवण, विटामिन आदि) उचित अनुपात में हो।

→ स्वास्थ्य (Health)-व्यक्ति का कायिक एवं मानसिक विसंगतिमुक्त होना।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

→ जनन का एक विशेष महत्त्व है क्योंकि यह एक जैसे जीवों में पीढ़ी दर पीढ़ी निरंतरता बनाए रखना सुनिश्चित करता है।

→ सभी सजीव अपने जैसे जीव पैदा करते हैं। इस प्रक्रम को जनन कहते हैं।

→ जनन की दो विधियाँ हैं-

  1. लैंगिक जनन
  2. अलैंगिक जनन।

→ अलैंगिक जनन में, नया जीव एक ही जनक से उत्पन्न होता है।

→ सजीव अलैंगिक जनन में पाँच विधियों द्वारा जनन करते हैं-
(क) द्विखंडन
(ख) मुकुलन
(ग) बीजाणु बनना
(घ) कायिक जनन।
(ङ) पुनर्जनन (Regeneration)-

→ लैंगिक जनन में, दोनों नर और मादा की आवश्यकता होती है। नर जनक, नर युग्मक पैदा करते हैं और मादा, मादा युग्मक पैदा करते हैं। नर और मादा युग्मक के संलयन को निषेचन (fertilization) कहते हैं।

→ कुछ ऐसे जीव हैं, जिसमें दोनों जननांग ही पाए जाते हैं, उभयलिंगी (Hermaphrodite) कहलाते हैं।

→ निषेचन, किसी जीव में बाह्य और किसी जीव में आंतरिक होता है।

→ पौधों में वृद्धि अनियमित होती है जबकि पशुओं में सीमित होती है।

→ वह प्रक्रम जिसमें विशेष आकार और आकृतियां बनती हैं विकास और वृद्धि कहलाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

→ अंगों की वृद्धि में आकृति, आकार और संघटकों की संख्या में परिवर्तन आता है।

→ बीज, युग्मनज या शरीर के अन्य भाग से नए जीव के बनने को विकास कहते हैं। विभिन्न जंतुओं में विकास के विभिन्न ढंग हैं।

→ लैंगिक जनन अधिकतर प्रयुक्त होता है।

→ मादा जननांगों में एक जोड़ी, अंडाशय, अंडवाहिनी तथा गर्भाशय होता है।

→ नर जनन अंगों में एक जोड़ा वृषण, दो शुक्राणु नलिका तथा एक शिश्न होता है।

→ वीर्य Semen, एक दूध जैसा द्रव्य है जिसमें शुक्राणु होते हैं।

→ शिश्न नर में मूत्र और शुक्राणु को उत्सर्जन करने का काम करता है।

→ शुक्राणु (Spermatozoan) सूक्ष्म नर युग्मक है। एक शुक्राणु में एक सिर, मध्य भाग और एक पूंछ होती है।

→ क्लोनिंग में समरूप कोशिका या अन्य जीवित भाग अथवा संपूर्ण जीव को कृत्रिम रूप से उत्पन्न किया जाता है। क्लोन वाले जंतुओं में अक्सर जन्म के समय अनेक विकृतियाँ होती हैं।

→ लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)-एक ऐसा प्रक्रम जिसमें नर और मादा के संलयन से निषेचन होता है।

→ अंडाणु (Egg)-मादा युग्मक जिसे मादा अंडाशय उत्पन्न करता है।

→ शुक्राणु (Sperm)-नर युग्मक जिन्हें नर वृषण पैदा करते हैं।

→ निषेचन (Fertilization)-नर युग्मक (शुक्राणु) और मादा युग्मक (अंडाणु) का संलयन निषेचन कहलाता है।

→ युग्मनज (Zygote)-एक कोशिक संरचना जो शुक्राण और अंडाणु के संलयन से बनती है।

→ आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization)-मादा के शरीर के अंदर होने वाला निषेचन ।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 9 जंतुओं में जनन

→ जतु में जनन बाह्य निषेचन (External Fertilization)-मादा के शरीर के बाहर होने वाला निषेचन।

→ भ्रूण (Embryo)-युग्मनज विभाजनों से बनी संरचना भ्रूण कहलाती है।

→ गर्भ (Foetus) भ्रूण की अवस्था जिसमें सभी शारीरिक भाग विकसित होकर पहचानने योग्य हो जाते हैं।

→ जरायुज जंतु (Viviparous Animals)-जंतु जो शिशु को जन्म देते हैं।

→ अंडप्रजनक जंतु (Oviparous Animals)-जंतु जो अंडे देते हैं।

→ कायांतरण (Metamorphosis)-लारवा के कुछ उग्र-परिवर्तनों द्वारा वयस्क जंतु में बदलने की प्रक्रिया।

→ अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)-जनन का वह प्रकार जिसमें केवल एक ही जीव भाग लेता है।

→ मुकुलन (Budding)-ऐसा अलैंगिक जनन जिसमें नया जीव मुकुल (Bud) से उत्पन्न होता है।

→ विखंडन (Binary Fission)-ऐसा अलैंगिक जनन जिसमें जीव दो भागों में विभाजित होकर संतति उत्पन्न करता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

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PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

→ सभी सजीव कुछ मूलभूत कार्य संपादित करते हैं।

→ जड़ें, तने, पत्ते और फूल पौधे के अंग हैं।

→ जानवरों के भी अंग जैसे हाथ, पाँव, टाँगें आदि होती हैं।

→ शरीर के छिद्र बिना आवर्धक लेंस (Magnifying Lens) नहीं देखे जा सकते।

→ सभी सजीव भोजन खाते और पचाते हैं, साँस लेते हैं और उत्सर्जन करते हैं।

→ प्रत्येक जीव अपने जैसे जीवों का प्रतिनिधित्व करता है।

→ सजीवों में कोशिकाओं की संरचना भवन में ईंटों की तुलना में अधिक जटिल है।

→ सजीवों में पाई जाने वाली कोशिकाओं के विभिन्न आकार, रंग और संख्या होती है।

→ एक कोशिका जीव जैसे अमीबा, पैरामिशियम और जीवाणु एक कोशिय जीव कहलाते हैं।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

→ बहकोशिय सजीवों (पादप और जन्तु ) में कोशिकाएँ विभिन्न आकार की होती हैं। अधिकतर कोशिकाएँ गोल आकार की होती हैं।

→ अंडे का पीला भाग योक (Yolk) कहलाता है। इसके इर्द सफेद एल्ब्यूमिन का आवरण होता है। पीला भाग एकल कोशिका को दर्शाता है।

→ सभी कोशिकाएँ एक आवरण से आबद्ध होती हैं जिसे कोशिका झिल्ली कहते हैं।

→ कोशिका झिल्ली के अंदर कोशिका द्रव्य होता है। पौधे कोशिका में कोशिका भित्ति होती है, जो सैलूलोज़ की बनी होती है। दोनों कोशिका झिल्ली और कोशिका भित्ति कोशिका को आकार देती है।

→ शुतुरमुर्ग का अंडा सबसे बड़ी कोशिका का रूप है जिसे नंगी आँख से देखा जा सकता है।

→ प्रत्येक कोशिका के छोटे अवयव कोशिकांग हैं।

→ कोशिकाएँ विभाजन करके बहुकोशिक जीव बनाती हैं जो आकार में वृद्धि करते हैं।

→ विभिन्न कोशिकाओं के समूह विभिन्न कार्य करते हैं।

→ कोशिकाओं की कम संख्या, छोटे जीवों के कार्यों को प्रभावित नहीं करती।

→ मानव रक्त में श्वेत रक्तकोशिका (W.B.C.) भी एक कोशिका है।

→ एक समान कोशिकाओं के समूह को ऊतक (Tissue) कहते हैं।

→ प्रत्येक अंग (Organs) कई ऊतकों को मिल कर बनता है।

→ अंग (Organ)-सजीवों के छोटे भाग हैं। प्रत्येक अंग कई ऊतकों के मिलने से बनता है।

→ ऊतक (Tissue)-कोशिकाओं का समूह, जो एक ही प्रकार के कार्य करता है।

→ कोशिका-सजीव की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई।

→ एक कोशीय (Uni-Cellular)-कुछ जीव एक ही कोशिका से बने होते हैं जिसमें जीवन की सभी क्रियाएँ होती हैं। इन्हें एक कोशीय जीव कहते हैं।

→ बहुकोशीय (Multicellular)- सभी सजीव कई कोशिकाओं के मिलने से बनते हैं। इन जीवों में विभिन्न कोशिकाएँ विभिन्न कार्य करती हैं। इन्हें बहुकोशीय कहते हैं।

→ आभासी पाँव (Psendopodia)- यह अमीबा की अंगुलियों जैसे असमान आभासी संरचनाएँ हैं।

→ श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC)-यह एक कोशिक है और रक्त के घटकों में से एक हैं। यह हानिकारक पदार्थों का पोषण करती हैं।

→ कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)-यह कोशिका की बाहरी पतली आवरण है, जो इसे आकार देती है।

→ जीव द्रव्य (Protoplasm)-कोशिका झिल्ली और केंद्रक के बीच पाया जाने वाला द्रव्य, जीव द्रव्य कहलाता है।

PSEB 8th Class Science Notes Chapter 8 कोशिका – संरचना एवं प्रकार्य

→ अंगक (Organelles)- यह सूक्ष्म संरचनाएँ जीव द्रव्य में पाई जाती हैं।

→ कोशिका भित्ति (Cell Wall)- यह पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के बाहर अतिरिक्त आवरण है, जो कोशिका को मज़बूत और दृढ़ बनाती है।

→ केंद्रक (Nucleus)- यह केंद्रक का भाग है, जो गाढ़ा और गोल आकार का है।

→ केंद्रक झिल्ली (Nuclear Membrane)-केंद्रक जीव द्रव्य से एक झिल्ली द्वारा पृथक् होता है, जिसे केंद्रक झिल्ली कहते हैं।

→ असीम केंद्री कोशिकाएँ (Prokaryotic)-जिन कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट नहीं होता अर्थात् केंद्रक झिल्ली नहीं होती।

→ समीम केंद्री कोशिकाएँ (Eukaryotic)-जिन कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट और केंद्रक झिल्ली द्वारा घिरा होता है।

→ घानी (Vacuole)-द्रव्य से भरे अंगक।

→ वर्णक (Plastids)-छोटी रंगदार संरचनाएँ जो केवल पौधों में पाई जाती हैं।

→ हरित वर्णक (Chloroplast) जो हरे वर्णक पौधों में पाए जाते हैं।

→ जीन (Gene)- क्रोमोसोम पर उपस्थित बिंदु जैसी इकाइयाँ जो गुणों की आनुवंशिकता की उत्तरदायी हैं।

→ गुणसूत्र (Chromosomes)-कोशिका के केंद्रक में धागे जैसी संरचनाएँ, गुणसूत्र हैं।