PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 10 आय तथा रोजगार का निर्धारण

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 10 आय तथा रोजगार का निर्धारण Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 10 आय तथा रोजगार का निर्धारण

PSEB 12th Class Economics आय तथा रोजगार का निर्धारण Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector) तथा फर्में (Firms) अथवा उत्पादन क्षेत्र होता है।

प्रश्न 2.
सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर–
सन्तुलन वह स्थिति होती है यहाँ पर कुल माँग तथा कुल पूर्ति बराबर होते हैं।

प्रश्न 3.
सन्तुलन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सन्तुलन आय वह स्थिति होती है यहां पर कुल माँग तथा कुल पूर्ति द्वारा आय अथवा उत्पादन का निश्चित स्तर स्थापित हो जाता है।

प्रश्न 4.
अनैच्छिक बेरोज़गारी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अनैच्छिक बेरोज़गारी एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें कुशल लोग जो वर्तमान मज़दूरी की दर पर काम करना चाहते हैं, काम प्राप्त नहीं कर पाते।

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प्रश्न 5.
पूर्ण रोज़गार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ण रोज़गार वह स्थिति है जिसमें कुशल लोग जो वर्तमान मज़दूरी की दर पर काम करना चाहते हैं, रोज़गार पर लगे होते हैं।

प्रश्न 6.
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अपूर्ण रोजगार सन्तुलन, सन्तुलन की वह स्थिति है यहाँ कुछ साधन बेरोज़गार होते हैं।

प्रश्न 7.
इच्छित बेरोज़गारी का अर्थ बताओ।
उत्तर-
इच्छित बेरोज़गारी वह स्थिति है यहां पर मज़दूर वर्तमान मज़दूरी पर काम प्राप्त होने पर भी काम नहीं करना चाहते।

प्रश्न 8.
अपूर्ण रोज़गार की स्थिति में AB और AS सन्तुलन में कैसे होते हैं ? रेखाचित्र द्वारा दिखाएं ।
उत्तर-
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन की स्थिति रेखाचित्र 1.
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प्रश्न 9.
आय के सन्तुलन स्तर पर क्या हमेशा पूर्ण रोज़गार की स्थिति होती है ?
उत्तर-
आय के सन्तुलन स्तर पर हमेशा पूर्ण रोज़गार की स्थिति होनी ज़रूरी नहीं। अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन भी हो सकता है।

प्रश्न 10.
परम्परावादी अर्थशास्त्रियों के अनुसार एक पूँजीवाद अर्थव्यवस्था में सदैव ……… की स्थिति होती है।
(a) पूर्ण रोज़गार
(b) पूर्ण बेरोज़गार
(c) छुपी बेरोज़गारी
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) पूर्ण रोज़गार।

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प्रश्न 11.
केन्ज के अनुसार एक पूँजीवाद अर्थव्यवस्था में सन्तुलन ………… की स्थिति में होता है।
(a) पूर्ण रोज़गार
(b) अपूर्ण रोज़गार
(c) पूर्ण रोजगार से अधिक
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 12.
पूर्ण रोज़गार की स्थिति में ………. प्रकार की बेरोज़गारी हो सकती है ?
(a) इच्छित बेरोज़गारी
(b) मौसमी बेरोज़गारी
(c) संरचनात्मक बेरोज़गारी
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 13.
जब मज़दूरों को वर्तमान मज़दूरी की दर पर काम तो प्राप्त होता है परन्तु वह काम करना नहीं चाहते तो इसको इच्छित बेरोज़गारी कहते हैं ?
उत्तर-
सही।

प्रश्न 14.
रोज़गार का स्तर उस बिन्दु पर निश्चित होता है जिस बिन्दु पर कुल माँग तथा कुल पूर्ति एक दूसरे के बराबर हो जाते हैं।
उत्तर-
सही।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ण रोजगार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ण रोज़गार उस स्थिति को कहते हैं जिसमें वह श्रमिक जो वर्तमान प्रचलित मज़दूरी दर पर कार्य करना चाहते हैं तथा उनको बिना देरी से कार्य प्राप्त हो जाता है। पूर्ण रोज़गार में अनइच्छित बेरोज़गारी का अभाव होता है।

प्रश्न 2.
पूर्ण रोज़गार सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ण रोज़गार सन्तुलन-
पूर्ण रोज़गार सन्तुलन वह स्थिति है जहां कुल मांग (AD) = कुल पूर्ति (AS) होती है। इस स्थिति में साधनों का पूर्ण प्रयोग होता है। पूर्ण रोज़गार सन्तुलन एक स्थिर सन्तुलन होता है, जिसमें हम परिवर्तन नहीं चाहते। पूर्ण रोज़गार सन्तुलन से अधिक उत्पादन से स्फीति अन्तर उत्पन्न होता है।
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प्रश्न 3.
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन से क्या अभिप्राय
उत्तर-
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन वह स्थिति है जहां कुल मांग (AD) = कुल पूर्ति (AS) होती है। इस स्थिति में साधनों का पूर्ण प्रयोग नहीं होता। अपूर्ण रोजगार सन्तुलन एक अस्थिर सन्तुलन होता है, जिसमें हम परिवर्तन चाहते हैं। अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन से अधिक उत्पादन से स्फीति अन्तर उत्पन्न नहीं होता।
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प्रश्न 4.
‘से’ के बाजार नियम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
‘से’ का बाजार नियम (Say’s Law of Markets)-जे० बी० से फ्रांस के अर्थशास्त्री थे। उनके अनुसार कुल पूर्ति तथा कुल मांग हमेशा समान होती है। इसको स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कहा, “पूर्ति अपनी मांग स्वयं उत्पन्न कर लेती है।” (Supply creates its own demand) और देश में हमेशा पूर्ण रोज़गार की स्थिति रहती है।

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प्रश्न 5.
केन्ज़ के अनुसार आय तथा रोज़गार कैसे निर्धारण होते हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय तथा रोजगार का निर्धारण (Determination of Income and Employment)- राष्ट्रीय आय का स्तर उस स्थान पर निर्धारित होता है जहां पर समग्र मांग तथा समग्र पूर्ति समान होते हैं उस बिन्दु को प्रभावी मांग (Effective demand) का बिन्दु कहा जाता है। यह बिन्दु सन्तुलन का प्रतीक होता है। इसको रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पूर्ण रोज़गार तथा अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन में अन्तर बताओ।
उत्तर-
पूर्ण रोज़गार तथा अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन में अन्तर –
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प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आय के सन्तुलन की रेखाचित्र द्वारा व्याख्या करो।
उत्तर-
केन्ज़ के रोज़गार सिद्धान्त को आय तथा रोज़गार निर्धारण का आधुनिक सिद्धान्त कहा जाता है। उनके अनुसार किसी अर्थव्यवस्था में किसी समय राष्ट्रीय आय का सन्तुलन कुल माँग तथा कुल पूर्ति की समानता द्वारा निर्धारित होता है।
AD = C +I
AS = C + S
∴ S = I
∴ AD = AS
AD (C+I)
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रेखाचित्र 5 में कुल माँग तथा कुल पूर्ति (AD = AS) बिन्दु E पर सन्तुलन में है। इससे OY राष्ट्रीय आय निर्धारण हो जाती है। यदि राष्ट्रीय आय कम है, जैसे कि OY1 तो आय होने की सम्भावना Y1 R1 अधिक है तथा लागत Y1C2 कम है। इसलिए उत्पादन में वृद्धि होगी तथा सन्तुलन E बिन्दु पर पहुंच जाएगा। यदि राष्ट्रीय आय OY2 है तो आय होने की सम्भावना Y2 R2 कम है तथा लागत Y2C2 अधिक है। इसलिए उत्पादन कम हो जाएगा तथा सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होगा जहां AD = AS है। इसको अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
रेखाचित्र द्वारा बचत तथा निवेश दृष्टिकोण की सहायता से एक अर्थव्यवस्था में आय तथा उत्पादन के सन्तुलन को स्पष्ट करो। अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, जब अर्थव्यवस्था में सन्तुलन नहीं होता तथा बचत निवेश से अधिक होती है ?
अथवा
आय में सन्तुलन बचत तथा निवेश वक्रों द्वारा स्पष्ट करो। यदि बचतें, नियोजित निवेश से बढ़ जाती हैं तो इनके सन्तुलन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
अथवा
एक अर्थव्यवस्था में नियोजित बचत नियोजित निवेश से अधिक होती है तो सन्तुलन कैसे स्थापित होता है ?
उत्तर-
रेखाचित्र 6 में बचत तथा निवेश के सन्तुलन को दिखाया | गया है। बचत तथा निवेश एक-दूसरे के समान E बिन्दु पर दिखाए | गए हैं। इससे OY राष्ट्रीय आय का स्तर निर्धारण हो जाता है। इसको सन्तुलन की स्थिति कहा जाता है।
सन्तुलन = बचत = नियोजित निवेश यदि बचत, नियोजित निवेश से अधिक है।
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यदि बचत निवेश से बढ जाती है, जैसे कि रेखाचित्र में राष्ट्रीय आय OY1 पर बचत Y1S1 है तथा निवेश Y1I1 कम है। इस स्थिति में उत्पादकों की वस्तुओं का भण्डार बढ़ जाएगा, क्योंकि वस्तुओं का उपभोग अथवा माँग कम हो जाती है। इसलिए कीमतें कम हो जाती हैं। उत्पादकों के लाभ कम हो जाते हैं। इसलिए उत्पादक उत्पादन घटा देते हैं, परिणामस्वरूप रोज़गार कम हो जाता है तथा आय में कमी हो जाती है।इसलिए राष्ट्रीय आय OY1 से कम होकर OY रह जाएगी, जहां बचत तथा निवेश में सन्तुलन स्थापित हो जाएगा।

प्रश्न 4.
बचत तथा निवेश द्वारा आय का सन्तुलन कैसे स्थापित होता है ? आय के सन्तुलन । की स्थिति में क्या हमेशा पूर्ण रोज़गार की स्थिति होगी ?
अथवा
बचत तथा निवेश द्वारा आय का सन्तुलन कैसे स्थापित होता है ? स्पष्ट करो।
उत्तर-
जब नियोजित बचत तथा नियोजित निवेश एक-दूसरे के समान होते हैं तो सन्तुलन की स्थिति होती है, जैसे कि रेखाचित्र में बचत तथा निवेश का सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होता है तो OY आय
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निर्धारित हो जाती है। यदि आय OY1 अधिक होती है तो निवेश Y1I1 अधिक है तथा बचत Y1S1 कम है। इससे आय पर रोज़गार में वृद्धि होती है, जब तक सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित नहीं हो जाता। यदि आय OY2 है तो बचत Y2S2 अधिक है तथा निवेश Y2I2 कम है तो राष्ट्रीय आय कम है तो राष्ट्रीय आय कम हो जाती है तथा अन्त में सन्तुलन बचत तथा निवेश की समानता द्वारा E बिन्दु पर स्थापित होता है तथा राष्ट्रीय आय OY निश्चित हो जाएंगी। आय सन्तुलन तथा पूर्ण रोज़गार-आय सन्तुलन की स्थिति में पूर्ण रोज़गार की स्थिति भी हो सकती है, परन्तु यह अनिवार्य नहीं कि उस स्थिति में पूर्ण रोज़गार भी हो।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय तथा रोज़गार के परम्परागत सिद्धान्तों को स्पष्ट करो। (Explain Classical Theory of Income and Employment determination.)
अथवा
कुल माँग तथा कुल पूर्ति की समानता से आय तथा रोजगार निर्धारण के परम्परागत दृष्टिकोण को स्पष्ट करो।
उत्तर-
परम्परागत आय तथा रोजगार निर्धारण के दो दृष्टिकोण हैं

  1. कुल माँग तथा कुल पूर्ति में सन्तुलन (Equilibrium with AD & AS)
  2. बचत तथा निवेश में सन्तुलन (Equilibrium with Saving & Investment)

1. कुल माँग तथा कुल पूर्ति में सन्तुलन (Equilibrium with AD & AS)-परम्परागत अर्थशास्त्रियों का विचार था कि एक मुक्त बाज़ार अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की स्थिति पाई जाती है। इसके मुख्य दो आधार होते हैं।

(a) ‘से’ का बाज़ार नियम (Say’s Law of Markets)-जे० बी० से फ्रांस के अर्थशास्त्री थे। उनके अनुसार कुल पूर्ति तथा कुल माँग हमेशा समान होती है। इसको स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कहा, “पूर्ति अपनी माँग स्वयं उत्पन्न कर लेती है।” (Supply creates its own demand.) मान लो एक देश में वस्तु विनिमय प्रणाली है। विभिन्न मनुष्य विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। किसान गेहूँ उत्पन्न करता है। जुलाहा कपड़ा बनाता है। लकड़हारा लकड़ी की वस्तुओं का उत्पादन करता है। किसान गेहूँ देकर कपड़ा प्राप्त करता है। गेहूँ का मूल्य कपड़े के मूल्य के समान होगा। इस प्रकार देश में वस्तुओं का एक-दूसरे से विनिमय किया जाता है तथा कुल पूर्ति, कुल मांग के समान हो जाती है।

(b) मज़दूरी कीमत लोचशीलता (Wage Price Flexibility)-परम्परागत अर्थशास्त्रियों के अनुसार पूर्ण रोज़गार का दूसरा आधार मज़दूरी कीमत लोचशीलता होती है। मजदूरी की दर में परिवर्तन मज़दूर की माँग तथा पूर्ति में परिवर्तन उत्पन्न करती है। किसी समय मज़दूरी अधिक है तो मज़दूरों की पूर्ति अधिक हो जाएगी तथा माँग कम होगी।

इसलिए मज़दूरी कम हो जाएगी। यदि मजदूरी कम है तो मजदूरों की मांग अधिक होगी तथा पूर्ति कम होगी तो मज़दूरी बढ़ जाएगी। इस प्रकार मजदूरों की माँग तथा पर्ति द्वारा सन्तुलन स्थापित होता है। कुल पूर्ति, कुल माँग के समान होती है तथा पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है। रेखाचित्र 8 में कुल पूर्ति AS पूर्ण अलोचशील होती है। ON रोज़गार की स्थिति को प्रकट करती है। सन्तुलन AS = AD द्वारा E बिन्दु पर स्थापित होता है। इसको पूर्ण रोजगार का बिन्दु कहा जाता है।
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2. बचत तथा निवेश में सन्तुलन (Equilibrium with Saving & Investment)- यदि लोगों की आय का कुछ भाग उपभोग पर व्यय किया जाता है तथा कुछ भाग बचत की जाती है तो इससे भी अर्थव्यवस्था में सन्तुलन रहता है, क्योंकि बचत तथा निवेश हमेशा समान रहते हैं तथा इनमें सन्तुलन ब्याज की दर से स्थापित हो जाता है। इसलिए प्रत्येक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोज़गार की स्थिति ही स्थापित हो जाती है।
अर्थात्
∵ S = f (r) and
I = f (7)
∴ S = I
किसी देश में ब्याज की दर पर बचत निर्भर करती है तथा इनका परस्पर सीधा सम्बन्ध होता है। ब्याज की दर तथा निवेश का परस्पर में विपरीत सम्बन्ध होता है। बचत तथा निवेश द्वारा सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित हो जाता है। इस प्रकार परम्परागत अर्थशास्त्रियों के अनुसार बचत तथा निवेश में सन्तुलन ब्याज की दर से स्थापित होता है। परम्परागत रोज़गार सिद्धान्त अनुसार एक मुक्त अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोज़गार एक साधारण स्थिति होती है।
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प्रश्न 2.
कुल माँग तथा कुल पूर्ति द्वारा आय तथा रोज़गार निर्धारण करने के केन्ज़ के सिद्धान्त की व्याख्या करो।
(Explain Keynes theory of determination of income and employment with the help of aggregate demand and aggregate supply.)
उत्तर-
केन्ज़ का विचार है कि कुल पूर्ति तथा कुल माँग में समानता में आवश्यक नहीं कि पूर्ण रोज़गार की स्थिति हो। कुल पूर्ति तथा कुल माँग के सन्तुलन में अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन की स्थिति में भी हो सकता है। अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन (Under Employment Equilibrium) की स्थिति में कुछ साधन बेरोज़गार होते हैं। केन्ज़ ने कुल पूर्ति तथा कुल मांग में समानता परम्परागत अर्थशास्त्रियों से विभिन्न ढंग से पेश की है।

1. कुल पूर्ति (Aggregate Supply)-कुल पूर्ति को केन्ज़ ने दो ढंगों से स्पष्ट किया-
(a) कीमत स्तर तथा कुल पूर्ति-कीमत स्तर के संदर्भ में पूर्ति रेखा OX के समान्तर होती है, क्योंकि मज़दूरों की संख्या में परिवर्तन से प्रति इकाई उत्पादन लागत स्थिर रहती है। इसलिए कीमत स्थिर रहती है तथा मज़दूरों की मज़दूरी में स्थिरता पाई जाती | है। इसको मज़दूरी कीमत कठोरता (Wage Price Rigdity) कहा | जाता है।
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(b) रोज़गार तथा कुल पूर्ति–रोज़गार तथा कुल पूर्ति के | संदर्भ में केन्ज़ के अनुसार कुल पूर्ति (AS) वक्र 0 से 45° के कोण पर बढ़ती है। यदि रोज़गार ON1 है तो उत्पादन अथवा आय OY1 है। रोज़गार N1N2 बढ़ जाता है तो आय 12 बढ़ जाती है। रोज़गार के पक्ष से केन्ज़ ने कुल पूर्ति (AS) को इस रेखाचित्र 7.11 अनुसार दिखाया है।
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2. कुल माँग (Aggregate Demand)–केन्ज़ ने कुल माँग को इस प्रकार स्पष्ट किया AD = उपभोग व्यय (C) + निवेश व्यय (I)
1. उपभोग व्यय-उपभोग व्यय रेखा OC से आरम्भ होती है। अर्थात्
C = a + by
इसमें C = उपभोग, a = स्वतन्त्र उपभोग, by = सीमांत उपभोग प्रवृत्ति
यदि आय O है तो भी OC उपभोग किया जाता है इसको a द्वारा दिखाया गया है तथा आय बढ़ने से by = MPC अनुसार उपभोग बढ़ता है।

2. निवेश व्यय-यह निवेश व्यय स्वतन्त्र है जोकि II द्वारा दिखाया है तथा OX के समान्तर है। कुल मांग (AD) =उपभोग व्यय (C) + निवेश व्यय (I)
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रोजगार तथा आय का निर्धारण (Determination of Income & Employment)-
(a) अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन (Under Employment Equilibrium)-केन्ज़ अनुसार आय तथा रोज़गार कुल पूर्ति तथा कुल माँग के सन्तुलन द्वारा निर्धारण होता है, जैसे कि रेखाचित्र 13 में AS = AD बिन्दु E पर सन्तुलन में है। इसलिए ON रोज़गार का स्तर स्थापित हो जाएगा, इसको अपूर्ण रोज़गार (Under Employment Equilibrium) कहा जाता है। यदि ON1 रोज़गार स्थापित होता है तो कुल माँग AD अधिक है तथा कुल पूर्ति AS कम है। आय होने की सम्भावना अधिक है। इसलिए रोज़गार में वृद्धि होगी तथा सन्तुलन E पर पहुंच AD जाएगा। यदि ON2 रोज़गार का स्तर है तो OC2 लागत अधिक है तथा OR2 आय कम है, इसलिए उत्पादन का स्तर कम हो जाएगा तथा रोजगार E बिन्दु पर पहुंच जाता है। इसको अपूर्ण रोजगार सन्तुलन कहा जाता है।
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(b) रोज़गार तथा कुल पूर्ति-रोजगार तथा कुल पूर्ति के संदर्भ में केन्ज़ के अनुसार कुल पूर्ति (AS) व 0 से 45° के कोण पर बढ़ती है। यदि रोज़गार ON1 है तो उत्पादन अथवा आय OY1 है। रोज़गार N1N2 बढ़ जाता है तो आय ½ ½ बढ़ जाती है। 1Y, रोज़गार के पक्ष से केन्ज़ ने कुल पूर्ति (AS) को इस रेखाचित्र 7.11 अनुसार दिखाया है।
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2. कल माँग (Aggregate Demand) केन्ज ने कुल माँग को इस प्रकार स्पष्ट किया…..
AD = उपभोग व्यय (C) + निवेश व्यय (1) 1. उपभोग व्यय-उपभोग व्यय रेखा OC से आरम्भ होती है।
AD (C+ 1) अर्थात्
C = a + by
इसमें C = उपभोग, a = स्वतन्त्र उपभोग, by == सीमांत .. उपभोग प्रवृत्ति
यदि आय O है तो भी OC उपभोग किया जाता है इसको a द्वारा दिखाया गया है तथा आय बढ़ने से by = MPC अनुसार उपभोग बढ़ता है।

2. निवेश व्यय-यह निवेश व्यय स्वतन्त्र है जोकि II द्वारा दिखाया है तथा OX के समान्तर है। कुल मांग (AD) = उपभोग व्यय (C) + निवेश व्यय (I) रेखाचित्र 12 रोज़गार तथा आय का निर्धारण (Determination of Income & Employment)-

(a) अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन (Under Employment Equilibrium)-केन्ज़ अनुसार आय तथा रोजगार कुल पूर्ति तथा कुल माँग के सन्तुलन द्वारा निर्धारण होता है, जैसे कि रेखाचित्र 13 में AS = AD बिन्दु E पर सन्तुलन में है। इसलिए ON रोज़गार का स्तर स्थापित हो जाएगा, इसको अपूर्ण रोज़गार (Under Employment Equilibrium) कहा जाता है।

यदि AS ON1 रोज़गार स्थापित होता है तो कुल माँग AD अधिक है तथा कुल पूर्ति AS कम है। आय होने की सम्भावना अधिक है। इसलिए रोज़गार में वृद्धि होगी तथा सन्तुलन E पर पहुंच जाएगा। यदि ON2 रोज़गार का स्तर है तो OC2 लागत अधिक है तथा OR2 आय कम है, इसलिए उत्पादन का स्तर कम हो जाएगा तथा रोज़गार E बिन्दु पर पहुंच जाता है। इसको अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन कहा जाता है।
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(b) पूर्ण रोज़गार सन्तुलन (Full Employment Equilibrium)-केन्ज़ अनुसार कुल पूर्ति से कुल माँग अधिक प्रभावशाली होती है। यदि कुल माँग AD अधिक हो जाती है तथा उद्यमियों को अधिक आय होने की सम्भावना होती है तो पूर्ण रोजगार भी स्थापित हो सकता है, जैसे F बिन्दु द्वारा दिखाया गया है।
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PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 10 आय तथा रोजगार का निर्धारण

(c) अतिपूर्ण रोजगारसन्तुलन (Over Full Employment Equilibrium)- जब कुल माँग (AD) में अधिक वृद्धि हो जाती है तो सन्तुलन पूर्ण रोजगार से अधिक स्थिति में पहुंच जाता है। इस स्थिति को अति पूर्ण रोजगार सन्तुलन की स्थिति कहते हैं। इस प्रकार की स्थिति अमरीका में 1929-30 से पहले हो गई थी। रेखाचित्र 15 के अनुसार रोज़गार का सन्तुलन AS = AD द्वारा E बिन्दु पर दिखाया गया है। पूर्ण रोज़गार F बिन्दु द्वारा प्रकट किया गया है तथा सन्तुलन E बिन्दु पर है जिसे अति पूर्ण रोज़गार सन्तुलन कहा जाता है। इस को मुद्रा स्फीति की हालत भी कहते हैं।
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ

PSEB 10th Class Science Guide ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਪਦਾਰਥ ਲੈੱਨਜ਼ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਨਹੀਂ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ?
(a) ਪਾਣੀ
(b) ਕੱਚ
(c) ਪਲਾਸਟਿਕ
d) ਮਿੱਟੀ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਮਿੱਟੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਦਾ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਬਣਿਆ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ, ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਬਿੰਬ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਸੀ । ਵਸਤੁ (ਬਿਬ) ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਹੋਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ?
(a) ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਅਤੇ ਵਤਾ ਕੇਂਦਰ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ
(b) ਵਕ੍ਰਤਾ ਕੇਂਦਰ ਉੱਤੇ
(c) ਵਕਤਾ ਕੇਂਦਰ ਤੋਂ ਪਰੇ
(d) ਦਰਪਣ ਦੇ ਧਰੁਵ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਦਰਪਣ ਦੇ ਧਰੁਵ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਦਾ ਵਾਸਤਵਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਨ ਆਕਾਰ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਕਿੱਥੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਵੇ ?
(a) ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਉੱਤੇ
(b) ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦੀ ਦੁੱਗਣੀ ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ
(c) ਅਨੰਤ ਉੱਤੇ
(d) ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕੇਂਦਰ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦੀ ਦੁੱਗਣੀ ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਿਸੇ ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਪਤਲੇ ਗੋਲਾਕਾਰ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੋਵਾਂ ਦੀਆਂ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀਆਂ – 15cm ਹਨ । ਦਰਪਣ ਅਤੇ ਲੈੱਨਜ਼ ਸੰਭਾਵਿਤ ਹਨ :
(a) ਦੋਵੇਂ ਅਵਤਲ
(b) ਦੋਵੇਂ ਉੱਤਲ
(c) ਦਰਪਣ ਅਵਤਲ ਅਤੇ ਲੈੱਨਜ਼ ਉੱਤਲ
(d) ਦਰਪਣ ਉੱਤਲ ਅਤੇ ਲੈੱਨਜ਼ ਅਵਤਲ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਦੋਵੇਂ ਅਵਤਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕਿਸੇ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕਿੰਨੀ ਵੀ ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋਵੇ; ਤੁਹਾਡਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੀ ਸਿੱਧਾ ਪ੍ਰਤੀਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਸੰਭਵ ਤੌਰ ਤੇ ਦਰਪਣ ਹੈ :
(a) ਕੇਵਲ ਸਮਤਲ
(b) ਕੇਵਲ ਅਵਤਲ
(c) ਕੇਵਲ ਉੱਤਲ
(d) ਜਾਂ ਤਾਂ ਸਮਤਲ ਜਾਂ ਉੱਤਲ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਜਾਂ ਤਾਂ ਸਮਤਲ ਅਤੇ ਜਾਂ ਉੱਤਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕਿਸੇ ਸ਼ਬਦਕੋਸ਼ (dictionary) ਵਿੱਚ ਛੋਟੇ ਅੱਖਰਾਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨ ਸਮੇਂ ਤੁਸੀਂ ਹੇਠ ਦਿੱਤੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜੇ ਲੈੱਨਜ਼ ਨੂੰ ਪਹਿਲ ਦਿਓਗੇ ?
(a) 5 cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦਾ ਇੱਕ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼
(b) 50 cm ਫੋਕਸ ਦੁਰੀ ਦਾ ਇੱਕ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼
(c) 5 cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦਾ ਇੱਕ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼
(4) 5 cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦਾ ਇੱਕ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ।
ਉੱਤਰ-
(a) 50 cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦਾ ਇੱਕ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
15cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦੇ ਇੱਕ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਕੇ ਅਸੀਂ ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਨਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ । ਵਸਤੂ ਦੇ ਦਰਪਣ ਦੀ ਦੂਰੀ ਦਾ ਰੇਂਜ (range) ਕੀ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ? ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਕਿਹੋ ਜਿਹੀ ਹੈ ? ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ, ਵਸਤੂ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਹੈ ਜਾਂ ਛੋਟਾ ? ਇਸ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਨ ਦਾ ਕਿਰਨ ਰੇਖਾ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਧਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੇ ਧਰੁਵ ਅਤੇ ਫੋਕਸ ਦੇ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਵਸਤੂ ਦੀ ਧਰੁਵ ਤੋਂ ਦੂਰੀ 6 cm ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਤੇ 15 cm ਤੋਂ ਘੱਟ ਹੋਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ | ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਵਸਤੂ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਆਭਾਸੀ, ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਆਕਾਰ ਵਿੱਚ ਵਸਤੂ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਹੋਵੇਗਾ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਨਿਮਨ ਸਥਿਤੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵਰਤੇ ਗਏ ਦਰਪਣ ਦੀ ਕਿਸਮ ਦੱਸੋ ।
(a) ਕਿਸੇ ਕਾਰ ਦੀ ਹੈੱਡ ਲਾਈਟ
(b) ਕਿਸੇ ਵਾਹਨ ਦਾ ਪਾਸਾ/ਪਿੱਛੇ-ਦਰਸ਼ੀ ਦਰਪਣ
(c) ਸੋਲਰ ਭੱਠੀ
ਆਪਣੇ ਉੱਤਰ ਦੀ ਕਾਰਨ ਸਹਿਤ ਪੁਸ਼ਟੀ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਕਾਰ ਦੀ ਹੈੱਡ ਲਾਈਟ ਵਿੱਚ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਬਲਬ ਨੂੰ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੇ ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਬਲਬ ਤੋਂ ਨਿਕਲਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਣਾਂ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਪਰਾਵਰਤਨ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਸਮਾਂਤਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇੱਕ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਸਮਾਨੰਤਰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਣ ਪੰਜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(b) ਵਾਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਸਾ (ਸਾਈਡ) ਦਰਪਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਨੂੰ ਪਹਿਲ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਹਮੇਸ਼ਾ ਵਸਤੂ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਵਸਤੂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਛੋਟੇ ਸਾਇਜ਼ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ-ਖੇਤਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਵਾਹਨ-ਚਾਲਕ (driver) ਛੋਟੇ ਜਿਹੇ ਦਰਪਣ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸਾਰਾ ਖੇਤਰ , ਵੇਖ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

(c) ਸੂਰਜੀ ਭੱਠੀ (Solar furnace) ਵਿੱਚ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਗਰਮ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨ ਨੂੰ ਦਰਪਣ ਦੇ ਮੁੱਖ-ਫੋਕਸ ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੂਰਜ ਤੋਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਸਮਾਨੰਤਰ ਕਿਰਨਾਂ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਪਰਾਵਰਤਨ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਫੋਕਸ ਤੇ ਰੱਖੇ ਬਰਤਨ ਤੇ ਸਾਰੀ ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਕੇਂਦ੍ਰਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕਿਸੇ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦਾ ਅੱਧਾ ਭਾਗ ਕਾਲੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਨਾਲ ਢੱਕ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਕੀ ਇਹ ਲੈੱਨਜ਼ ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਦਾ ਪੂਰਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾ ਲਏਗਾ ? ਆਪਣੇ ਉੱਤਰ ਦੀ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਜਾਂਚ ਕਰੋ । ਆਪਣੇ ਪ੍ਰੇਖਣਾਂ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਇਹ ਲੈਂਨਜ਼ ਵਸਤੂ ਦਾ ਪੂਰਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾਏਗਾ ।
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ਪ੍ਰਯੋਗਿਕ ਪੜਤਾਲ-
ਵਿਧੀ-

  • ਇੱਕ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਬੈਂਚ (Optical bench) ਉੱਪਰ ਇੱਕ ਸਟੈਂਡ ਵਿੱਚ ਉੱਤਲ ਲੈਂਜ਼ ਲਗਾਓ ।
  • ਇੱਕ ਸਟੈਂਡ ਵਿੱਚ ਜਲਦੀ ਹੋਈ ਮੋਮਬੱਤੀ ਲਗਾ ਕੇ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਤੋਂ ਥੋੜ੍ਹੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਦੂਰੀ ਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਬੈਂਚ ਤੇ ਰੱਖੋ ।
  • ਹੁਣ ਲੈਂਨਜ਼ ਦੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਪਕਾਸ਼ੀ ਬੈਂਚ ਤੇ ਸਟੈਂਡ ਵਿੱਚ ਪਰਦਾ (Screen) ਲਗਾ ਕੇ ਉਸਨੂੰ ਅੱਗੇ-ਪਿੱਛੇ ਲਿਜਾਓ ਅਤੇ ਅਜਿਹੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖੋ ਕਿ ਉਸ ਉੱਪਰ ਮੋਮਬੱਤੀ ਦਾ ਤਿੱਖਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣ ਜਾਵੇ ।
  • ਹੁਣ ਲੈਂਨਜ਼ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਅੱਧੇ ਭਾਗ ਤੇ ਕਾਲਾ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਚਿਪਕਾ ਕੇ ਢੱਕ ਦਿਓ ਤਾਂ ਜੋ ਲੈਨਜ਼ ਦੇ ਉੱਪਰਲੇ ਅੱਧੇ ਭਾਗ ਤੋਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣੇ । ਇਸ ਹਾਲਤ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਵੇਖੋਗੇ ਕਿ ਮੋਮਬੱਤੀ ਦਾ ਪਹਿਲਾਂ ਵਰਗਾ ਪੁਰਾ ਤਿਬਿੰਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗਾ, ਪਰੰਤੁ ਇਸ ਦੀ ਤੀਬ੍ਰਤਾ ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਵਿਆਖਿਆ – ਮੋਮਬੱਤੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਬਿੰਦੂ ਤੋਂ ਚਲਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਨਾਂ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਅਪਵਰਤਿਤ ਹੋ ਕੇ ਇੱਕ ਬਿੰਦੂ ਤੇ ਮਿਲਣਗੀਆਂ । ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਅੱਧੇ ਭਾਗ ਨੂੰ ਕਾਲਾ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਵੀ ਉਸ ਬਿੰਦੂ ਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਨਾਂ ਆਉਣਗੀਆਂ । ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਮੋਮਬੱਤੀ ਦਾ ਪੂਰਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗਾ, ਪਰੰਤੂ ਕਿਰਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਘੱਟ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਤੀਬ੍ਰਤਾ (ਤਿੱਖਾਪਣ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
5cm ਲੰਬੀ ਵਸਤੂ 10cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਅਭਿਸਾਰੀ ਲੈੱਨਜ਼ ਤੋਂ 25cm ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਰਨ ਰੇਖਾ ਚਿੱਤਰ ਖਿੱਚ ਕੇ ਬਣਨ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ, ਸਾਈਜ਼ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਇੱਥੇ ਵਸਤੂ ਦੀ ਅਭਿਸਾਰੀ ਲੈਂਨਜ਼ ਤੋਂ ਦੂਰੀ (u) = – 25cm
ਅਭਿਸਾਰੀ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = + 10cm
ਬਿੰਬ (ਵਸਤੂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ (ਉੱਚਾਈ) (O) = + 5cm
ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਸਾਈਜ਼ (I) = ?
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ਅਰਥਾਤ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਸਾਇਜ਼ = \(\frac {10}{3}\) cm ਹੋਵੇਗੀ । ਰਿਣ ਚਿੰਨ੍ਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਮੁੱਖ-ਧੁਰੇ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਹੋਵੇਗਾ ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਵਾਸਤਵਿਕ ਅਤੇ ਉਲਟਾ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
15cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦਾ ਕੋਈ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਲੈਂਨਜ਼ ਤੋਂ 10cm ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਵਸਤੂ ਲੈੱਨਜ਼ ਤੋਂ ਕਿੰਨੀ ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਸਥਿਤ ਹੈ ? ਕਿਰਨ ਰੇਖਾ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੁਰੀ (f) = -15 cm ਕਿਉਂਕਿ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੁਆਰਾ ਬਣਿਆ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਹਮੇਸ਼ਾ ਆਭਾਸੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਉਸੇ ਪਾਸੇ ਬਣਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਪਾਸੇ ਵਸਤੂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
υ = -10 cm
ਹੁਣ ਲੈਂਨਜ਼ ਸੂਤਰ ਤੋਂ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\)
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∴ u = -30 cm
ਅਰਥਾਤ ਵਸਤੂ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ 30 cm ਦੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
15cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਕੋਈ ਵਸਤੂ 10cm ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ : ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = + 15 cm
ਵਸਤੂ ਦੀ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਦੂਰੀ (u) = – 10cm
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∴ υ = + 6cm
ਧਨ ਚਿੰਨ੍ਹ ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤਿਬਿੰਬ ਦਰਪਣ ਦੇ ਪਿੱਛੇ 6cm ਦੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਬਣੇਗਾ ।
ਧਨ ਚਿੰਨ੍ਹ ਇਹ ਵੀ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਆਭਾਸੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਇੱਕ ਸਮਤਲ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ +1 ਹੈ । ਇਸਦਾ ਕੀ ਅਰਥ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਸਮਤਲ ਦੁਆਰਾ ਉਤਪੰਨ ਹੋਇਆ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ m = +1 ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਆਕਾਰ ਵਸਤੂ ਦੇ ਆਕਾਰ (Size) ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੈ ਅਤੇ ਧਨਾਤਮਕ ਚਿੰਨ੍ਹ (+) ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸਮਤਲ ਦਰਪਣ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਰਪਣ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਬਣ ਰਿਹਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਆਭਾਸੀ ਅਤੇ ਸਿੱਧਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
5.0 cm ਲੰਬਾਈ ਦੀ ਕੋਈ ਵਸਤੂ 30cm ਵਰ੍ਹਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ ਦੇ ਕਿਸੇ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ 20cm ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖੀ ਗਈ ਹੈ । ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਆਕਾਰ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ : ਵਸਤੂ ਦੀ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਦੂਰੀ (u) = – 20 cm
ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦਾ ਵਕਤਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ (R) = + 30 cm
∴ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = \(\frac{R}{2}\)
= \(\frac{+30}{2}\) cm
= + 15cm
ਵਸਤੂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ (O) = + 5.0 cm
ਦਰਪਣ ਸੂਤਰ \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) ਤੋਂ
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ਇਸ ਲਈ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਦੂਰੀ (0) = + \(\frac{60}{7}\) cm ਅਰਥਾਤ ਧਨਾਤਮਕ ਚਿੰਨ੍ਹ ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਰਪਣ ਦੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ \(\frac{60}{7}\) cm ਦੀ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਬਣੇਗਾ ।
ਜੇਕਰ ਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ਆਕਾਰ ‘I’ ਹੈ, ਤਾਂ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ ਸੂਤਰ ਦੁਆਰਾ m = \(-\frac{v}{u}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}\) ਤੋਂ
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ਧਨਾਤਮਕ ਚਿੰਨ੍ਹ (+) ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਆਭਾਸੀ ਹੋਵੇਗਾ ਅਤੇ ਦਰਪਣ ਦੇ ਪਿੱਛੇ \(\frac{15}{7}\) cm ਦੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਬਣੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
7.0cm ਸਾਈਜ਼ ਦੀ ਕੋਈ ਵਸਤੂ 18 cm ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ 27cm ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਕਿੰਨੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਕਿਸੇ ਪਰਦੇ ਨੂੰ ਰੱਖੀਏ ਕਿ ਉਸ ਉੱਤੇ ਵਸਤੂ ਦਾ ਸਪਸ਼ਟ ਫੋਕਸ ਕੀਤਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ । ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਆਕਾਰ ਅਤੇ ਕਿਰਤੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ : ਵਸਤੂ ਦਾ ਆਕਾਰ (ਸਾਈਜ਼) (O) = + 7.0 cm
ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = -18cm
ਵਸਤੂ ਦੀ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਦੂਰੀ (u) = -27cm
ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਦੂਰੀ (υ) = ?
ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਆਕਾਰ (I) = ?
ਦਰਪਣ ਸੂਤਰ \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) ਤੋਂ
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∴ υ = – 54 cm

ਰਿਣਾਤਮਕ ਚਿੰਨ੍ਹ (-) ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤਿਬਿੰਬ ਦਰਪਣ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ 54cm ਦੀ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਬਣੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ਪਰਦੇ (Screen) ਨੂੰ ਦਰਪਣ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ 54cm ਦੀ ਦੂਰੀ ਤੇ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
ਹੁਣ ਦਰਪਣ ਦੇ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ ਸੂਤਰ ਤੋਂ,
m = \(\frac{-v}{u}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}\)
= \(\frac{-(-54)}{(-27)}=\frac{I}{7}\)
I = \(\frac{-54 \times 7}{27}\)
∴ I = -14 cm
ਅਰਥਾਤ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਸਾਇਜ਼ (ਉੱਚਾਈ) 14cm ਹੋਵੇਗੀ । ਰਿਣਾਤਮਕ ਚਿੰਨ੍ਹ (-) ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਵਾਸਤਵਿਕ ਅਤੇ ਉਲਟਾ ਹੋਵੇਗਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਉਸ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ਜਿਸ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ -2.0 ) ਹੈ । ਇਹ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਲੈੱਨਜ਼ ਹੈ ?
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ : ਐੱਨਜ਼ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ (P) – 2.0 D
ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = ?
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= -50 cm
ਦੇ ਅਤੇ ਨਾ ਰਿਣਾਤਮਕ (-) ਚਿੰਨ੍ਹ ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਲੈੱਨਜ਼ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਕੋਈ ਡਾਕਟਰ +1.5 D ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਸੰਸ਼ੋਧਿਤ ਲੈਂਨਜ਼ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ । ਕੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਲੈੱਨਜ਼ ਅਭਿਸਾਰੀ ਜਾਂ ਅਪਸਾਰੀ ਹੈ ?
ਹੱਲ : ਦਿੱਤਾ ਹੈ : ਐੱਨਜ਼ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ (P) = + 1.5 D
ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = ?
ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਸ਼ਕਤੀ ਸੂਤਰ ਤੋਂ, p = \(\frac{1}{f}\)
1.5 = \(\frac{1}{f}\)
∴ f = \(\frac{1}{1.5}\)
= \(\frac{10}{15}\)
= \(\frac{2}{3}\) cm
= +9.67 m
∴ f = +67 cm
ਧਨਾਤਮਕ ਚਿੰਨ੍ਹ (+) ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਲੈੱਨਜ਼ ਅਭਿਸਾਰੀ ਲੈਂਨਜ਼ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼) ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੇ ਮੁੱਖ ਫੋਕਸ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦਾ ਮੁੱਖ-ਫੋਕਸ – ਮੁੱਖ-ਫੋਕਸ ਉਹ ਬਿੰਦੁ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਦੇ ਮੁੱਖ ਧੁਰੇ ਦੇ ਸਮਾਨੰਤਰ ਆ ਰਹੀਆਂ ਆਪਾਤੀ ਕਿਰਨਾਂ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਇੱਕ ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਦਾ ਵਕਤਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ 20cm ਹੈ । ਉਸਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ?
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ : ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਦਾ ਵਕਤਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ (R) = 20cm
∴ ਗੋਲਾਕਾਰ ਦਰਪਣ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)
= \(\frac{20}{2}\) cm
= 10 cm

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਉਸ ਦਰਪਣ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜੋ ਵਸਤੁ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਵੱਡਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾ ਸਕੇ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਵਸਤੂ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਅਤੇ ਵੱਡਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਦਰਪਣ ਦੇ ਫੋਕਸ ਅਤੇ ਧਰੁਵ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਸੀਂ ਵਾਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਨੂੰ ਪਿੱਛੇ ਦੀ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇਖਣ ਵਾਲੇ ਦਰਪਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲ ਕਿਉਂ ਦਿੰਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਾਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਨੂੰ ਪਿੱਛੇ ਦੀ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇਖਣ ਵਾਲੇ ਦਰਪਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲ ਦੇਣ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨ ਹਨ-

  1. ਉੱਤਲੇ ਦਰਪਣ ਹਮੇਸ਼ਾ ਵਸਤੂ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਵਸਤੂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਛੋਟਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਵਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਦਿਸ਼ਟੀ ਖੇਤਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਾਹਨ-ਚਾਲਕ (ਡਰਾਈਵਰ) ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਵੇਖ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਉਸ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ਜਿਸ ਦਾ ਵਰ੍ਹਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ 32 cm ਹੈ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦਾ ਵਕੁਤਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ (R) = + 32 cm
ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = ?
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ, f = \(\frac{R}{2}\)
= \(\frac{+32}{2}\)
∴ ਉੱਤਲ ਦਰਪਣ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = 16 cm

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਇੱਕ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਆਪਣੇ ਸਾਹਮਣੇ 10 cm ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖੇ ਇੱਕ ਬਿੰਬ ਦਾ ਤਿੰਨ ਗੁਣਾ ਵੱਡਾ ਵਾਸਤਵਿਕ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਕਿੰਨੀ ਦੂਰੀ ਉੱਤੇ ਹੈ ?
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਵਸਤੂ ਦੀ ਅਵਤਲ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਦੂਰੀ (u) = -10cm
ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ (m) = \(\frac{-v}{u}[latex] = -3
ਜਾਂ [latex]\frac{v}{u}[latex] = 3
ਜਾਂ υ = 3 × u
= 3 × (10)
∴ υ = -30 cm
ਅਰਥਾਤ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਦਰਪਣ ਤੋਂ ਦੂਰੀ 30 cm ਹੈ । ਰਿਣਾਤਮਕ ਚਿੰਨ੍ਹ ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਰਪਣ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਵਸਤੂ ਵਾਲੇ ਪਾਸੇ ਹੀ ਬਣੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦੀ ਇੱਕ ਕਿਰਨ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਤਿਰਛੀ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਕੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਰਨ ਲੰਬ ਵੱਲ ਝੁਕੇਗੀ ਜਾਂ ਲੰਬ ਤੋਂ ਦੂਰ ਹਟੇਗੀ ? ਦੱਸੋ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਗਮਨ ਕਰ ਰਹੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਇੱਕ ਕਿਰਨ ਜਦੋਂ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਤਿਰਛੀ ਦਾਖਲ ਹੋਵੇਗੀ ਤਾਂ ਇਹ ਕਿਰਨ ਲੰਬ ਵੱਲ ਝੁਕੇਗੀ ਕਿਉਂਕਿ ਪਾਣੀ, ਹਵਾ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਸੰਘਣਾ ਮਾਧਿਅਮ ਹੈ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਅੰਦਰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ ਵਿੱਚ ਕਮੀ ਆ ਜਾਵੇਗੀ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਹਵਾ ਤੋਂ 1.50 ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ ਦੀ ਕੱਚ ਦੀ ਪਲੇਟ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਕੱਚ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ ਕਿੰਨੀ ਹੈ ? ਨਿਰਵਾਯੂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ 3 × 108 m/s ਹੈ ।
ਹੱਲ:
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਕੱਚ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ (aμg) = 1.50
ਨਿਰਵਾਤ (ਹਵਾ) ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ (c) = 3 × 108 m/s
ਕੱਚ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ (Vg) = ?
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ 15
∴ ਕੱਚ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ (Vg) = [latex]\frac{3 \times 10^{8} m s}{1.50}\)
= 2 × 108 m/s

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸਾਰਨੀ 10.3 ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਘਣਤਾ ਵਾਲਾ ਮਾਧਿਅਮ ਪਤਾ ਕਰੋ । ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਘਣਤਾ ਵਾਲੇ ਮਾਧਿਅਮ ਦਾ ਵੀ ਪਤਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰਣੀ 10.3 ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਹੀਰੇ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ 2.42 ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਤੇ ਹਵਾ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ 1.0003 ਹੈ, ਜਿਹੜਾ ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਹੀਰੇ ਦੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਘਣਤਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਅਤੇ ਹਵਾ ਦੀ ਪਕਾਸ਼ੀ ਘਣਤਾ ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਤੁਹਾਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ, ਤਾਰਪੀਨ ਦਾ ਤੇਲ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਭ ਤੋਂ ਯਤੀਬਰ ਗਤੀ ਨਾਲ ਚਲਦਾ ਹੈ । ਸਾਰਨੀ 0.3 ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਹੋਏ ਅੰਕੜਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਵੱਧ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ ਵਾਲਾ ਮਾਧਿਅਮ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਸੰਘਣਤਾ ਵਾਲਾ ਮਾਧਿਅਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਘੱਟ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ ਵਾਲਾ ਮਾਧਿਅਮ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ੀ ਵਿਰਲ ਮਾਧਿਅਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਸਾਰਣੀ 10.3 ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕੈਰੋਸੀਨ (ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਤੇਲ) ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ 1.44, ਤਾਰਪੀਨ ਦੇ ਤੇਲ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ 1.47 ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ ਨਿਊਨਤਮ 1.33 ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਅੰਕੜਿਆਂ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਪਾਣੀ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ ਅੰਕ ਨਿਊਨਤਮ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਭ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ ਗਤੀ ਨਾਲ ਚਲਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਹੀਰੇ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ 2.42 ਹੈ । ਇਸ ਕਥਨ ਦਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹੀਰੇ ਦਾ ਅਪਵਰਤਨ-ਅੰਕ 2.42 ਹੈ । ਇਸ ਕਥਨ ਦਾ ਮਤਲਬ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਹੀਰੇ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ,
ਖਲਾਅ (ਨਿਰਵਾਤ) ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਚਾਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ \(\frac{1}{2 \cdot 42}\) ਗੁਣਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕਿਸੇ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਇੱਕ ਡਾਈਆਪਟਰ ਸਮਰੱਥਾ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ (1) ਡਾਈਆਪਟਰ ਉਸ ਲੈਂਨਜ਼ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ ਜਿਸਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ 1 ਮੀਟਰ (= 100 ਸੈਂਟੀਮੀਟਰ) ਹੈ । ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਧਨਾਤਮਕ ਅਤੇ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰਿਣਾਤਮਕ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਕੋਈ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਇੱਕ ਸੂਈ ਦਾ ਵਾਸਤਵਿਕ ਅਤੇ ਉਲਟਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਉਸ ਲੈਂਨਜ਼ ਤੋਂ 50 cm ਦੂਰ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸੂਈ ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਕਿੱਥੇ ਰੱਖੀ ਹੋਈ ਹੈ ? ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਉੱਤਲ ਲੈਨਜ਼ ਤੋਂ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦੀ ਦੂਰੀ (υ) = +50 cm
[ υ ਦਾ ਚਿੰਨ੍ਹ + ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਤਿਬਿੰਬ ਵਾਸਤਵਿਕ ਅਤੇ ਉਲਟਾ ਹੈ]
ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਦਾ ਸਾਇਜ਼ ਜਾਂ ਉੱਚਾਈ (I) = ਵਸਤੂ ਦਾ ਸਾਇਜ਼ (O)
∴ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ (m) = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}\) = -1
[ਵਾਸਤਵਿਕ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਲਈ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ ਰਿਣਾਤਮਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ]
ਪਰੰਤੂ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਲਈ ਵੱਡਦਰਸ਼ਨ, m = \(-\frac{v}{u}\)
:: \(-\frac{v}{u}\) = -1
ਜਾਂ υ = -u
ਜਾਂ u = -υ
= -50 cm
ਇਸ ਲਈ ਸੂਈ (ਬਿਬ) ਉੱਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ 50 cm ਦੀ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਰੱਖੀ ਗਈ ਹੈ ।
ਲੈੱਨਜ਼ ਸੂਤਰ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\) ਤੋਂ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ 16
= \(\frac{1}{0.25}\)D
∴ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ (P) = +4D

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਦੋ ਮੀਟਰ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਵਾਲੇ ਕਿਸੇ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ (f) = -2m
[ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਫੋਕਸ ਦੂਰੀ ਰਿਣਾਤਮਕ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ]
ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ (P) = ?
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 10 ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਪਰਾਵਰਤਨ ਅਤੇ ਅਪਵਰਤਨ 17
= \(\frac{1}{-2}\) D ਇਸ ਲਈ ਅਵਤਲ ਲੈੱਨਜ਼ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ (P) = -0.5 D

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

PSEB 10th Class Science Guide ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਕਿਸੇ ਲੰਬੀ ਸਿੱਧੀ ਤਾਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦਾ ਸਹੀ ਵਰਣਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
(a) ਤਾਰ ਦੇ ਉੱਪਰ ਸਿੱਧੀਆਂ ਲੰਬ ਰੂਪੀ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦਾ ਬਣਦਾ ਖੇਤਰ ।
(b) ਤਾਰ ਦੇ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਸਿੱਧੀਆਂ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦਾ ਬਣਦਾ ਖੇਤਰ ।
(c) ਤਾਰ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸੀ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦਾ ਬਣਦਾ ਖੇਤਰ ।
(d) ਤਾਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਸਮਕੇਂਦਰੀ ਚੱਕਰਾਂ ਦਾ ਬਣਦਾ ਖੇਤਰ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਤਾਰ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਸਮਕੇਂਦਰੀ ਚੱਕਰਾਂ ਦਾ ਬਣਦਾ ਖੇਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬਿਜਲ-ਚੁੰਬਕੀ ਰਣ ਦੀ ਘਟਨਾ- .
(a) ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਚਾਰਜ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ ?
(b) ਕਿਸੇ ਕੁੰਡਲੀ ਤੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ ।
(c) ਕੁੰਡਲੀ ਅਤੇ ਚੁੰਬਕੇ ਦੇ ਵਿੱਚ ਸਾਪੇਖਿਕ ਗਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਪੇਰਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ ।
(d) ਕਿਸੇ ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ ਦੀ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਘੁੰਮਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਕੁੰਡਲੀ ਅਤੇ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਵਿੱਚ ਸਾਪੇਖਿਕ ਗਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰੇਮ੍ਰਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੀ ਵਿਉਂਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ :
(a) ਜਨਰੇਟਰ
(b) ਗੈਲਵੈਨੋਮੀਟਰ
(c) ਐਮਮੀਟਰ
(d) ਮੋਟਰ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਜਨਰੇਟਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਿਸੇ AC ਜਨਰੇਟਰ ਅਤੇ DC ਜਨਰੇਟਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮੂਲ ਅੰਤਰ ਹੈ ਕਿ-
(a) AC ਜਨਰੇਟਰ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਚੁੰਬਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ DC ਜਨਰੇਟਰ ਵਿੱਚ ਸਥਾਈ ਚੁੰਬਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(b) DC ਜਨਰੇਟਰ ਉੱਚੀ ਵੋਲਟਤਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
(c) AC ਜਨਰੇਟਰ ਉੱਚੀ ਵੋਲਟਤਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ
(d) AC ਜਨਰੇਟਰ ਵਿੱਚ ਵਿਭੇਦਿਤ ਰਿੰਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਦੋਂ ਕਿ DC ਜਨਰੇਟਰ ਵਿਚ ਦਿਸ਼ਾ ਪਰਾਵਰਤਕ (Commutator) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(d) AC ਜਨਰੇਟਰ ਵਿੱਚ ਵਿਭੇਦਿਤ ਰਿੰਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਦੋਂ ਕਿ DC ਜਨਰੇਟਰ ਵਿਚ ਦਿਸ਼ਾ ਪਰਾਵਰਤਕ (Commutator) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਾਰਟ ਸਰਕਟ ਸਮੇਂ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਮਾਨ-
(a) ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
(b) ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
(c) ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
(d) ਨਿਰੰਤਰ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਥਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਸਹੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਹੜਾ ਗਲਤ ਹੈ-
(a) ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ ਯੰਤਰਿਕ ਉਰਜਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਉਰਜਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
(b) ਬਿਜਲੀ ਜਨਰੇਟਰ ਬਿਜਲ-ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰੇਰਣ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ‘ਤੇ ਕਾਰਜ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
(c) ਕਿਸੇ ਲੰਬੀ ਗੋਲਾਕਾਰ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਾਲੀ ਕੁੰਡਲੀ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਉੱਤੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਸਿੱਧੀਆਂ ਖੇਤਰੀ ਰੇਖਾਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ !
(d) ਹਰੇ ਬਿਜਲ ਰੋਧਕ ਵਾਲੀ ਤਾਰ ਆਮ ਕਰਕੇ ਬਿਜਲੀ ਸਪਲਾਈ ਦੀ ਲਾਇਵ ਤਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਗ਼ਲਤ
(b) ਸਹੀ
(c) ਸਹੀ
(d) ਗ਼ਲਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਢੰਗਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਦੇ ਢੰਗ-

  1. ਸਥਾਈ ਛੜ ਚੁੰਬਕ
  2. ਬਿਜਲੀ ਚੁੰਬਕ
  3. ਬਿਜਲੀ ਪ੍ਰੇਣ ਚੁੰਬਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਿਵੇਂ ਵਿਵਹਾਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ? ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਾਲੇ ਸੋਲਨਾਇਡ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਦਾ ਪਤਾ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਅਤੇ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੋਨਾਂ ਨੂੰ ਸੁਤੰਤਰਤਾਪੂਰਵਕ ਲਟਕਾਉਣ ਤੇ ਦੋਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਠਹਿਰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਅਤੇ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤਿਕਰਸ਼ਿਤ (ਆਕਰਸ਼ਿਤ) ਅਤੇ ਅਸਮਾਨ ਵਿਪਰੀਤ) ਧਰੁਵਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ
  3. ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਅਤੇ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੋਨੋਂ ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥਾਂ (ਜਿਵੇਂ ਲੋਹਾ, ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿਕਲ) ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਅਤੇ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੋਨਾਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਦਿਸ਼ਾ ਸੂਚਕ ਸੂਈ ਲਿਆਉਣ ‘ਤੇ ਸੂਈ ਵਿਖੇਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  5. ਸੁਤੰਤਰਤਾਪੂਰਵਕ ਲਟਕ ਰਹੇ ਚੁੰਬਕ ਜਾਂ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੇ ਨੇੜੇ ਇੱਕ ਹੋਰ ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਤਾਰ ਲਿਆਉਣ ਨਾਲ ਦੋਨੋਂ ਵਿਖੇਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੁਆਰਾ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੇ ਧਰੁਵ ਨਿਰਧਾਰਨ ਕਰਨਾ-

  1. ਇੱਕ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਖਿਤਿਜ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਲਟਕ ਰਹੀ ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਲਿਆਓ । ਜੇਕਰ ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਸਿਰਾ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦਾ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਹੋਵੇਗਾ ਅਤੇ ਦੂਜਾ ਸਿਰਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਹੋਵੇਗਾ ।
  2. ਜੇਕਰ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਉਣ ਨਾਲ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਵਿਖੇਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਵਾਲਾ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦਾ ਸਿਰਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਅਤੇ ਦੂਜਾ ਸਿਰਾ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਹੋਵੇਗਾ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕਿਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਾਲੇ ਚਾਲਕ ਉੱਤੇ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਬਲ ਕਦੋਂ ਅਧਿਕਤਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਚੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਚਾਲਕ ਉੱਤੇ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਬਲ ਉਸ ਸਮੇਂ ਅਧਿਕਤਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦੇ ਲੰਬ ਹੋਵੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਮੰਨ ਲਓ ਤੁਸੀਂ ਕਿਸੇ ਚੈਂਬਰ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਪਿੱਠ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਕੰਧ ਨਾਲ ਲਗਾ ਕੇ ਬੈਠੇ ਹੋ । ਕੋਈ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਪੁੰਜ ਤੁਹਾਡੇ ਪਿੱਛੇ ਦੀ ਕੰਧ ਤੋਂ ਸਾਹਮਣੇ ਵਾਲੀ ਕੰਧ ਵੱਲ ਖਤਿਜ ਗਤੀ ਕਰਦਾ ਹੋਇਆ ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਬਲ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੁਆਰਾ ਤੁਹਾਡੇ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਵਿਖੇਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਫਲੇਮਿੰਗ ਦੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਲੱਗ ਰਹੇ ਬਲ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੋਨਾਂ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਦੇ ਲੰਬ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਦੀ ਗਤੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦੇ ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਹੋਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਖਿੱਚੋ । ਇਸ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ । ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ ਵਿੱਚ ਵਿਭੇਦਿਤ ਰਿੰਗ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਮੋਟਰ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ, ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ – ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ, ਬਿਜਲ ਉਰਜਾ (ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ) ਨੂੰ ਯੰਤਰਿਕ ਉਰਜਾ (ਗਤੀ) ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰਾਂ ਦਾ ਕਈ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ-ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਵਾਲ ਸੁਕਾਉਣ ਵਾਲਾ ਯੰਤਰ (ਡਰਾਇਰ), ਪੱਖੇ, ਪਾਣੀ ਦੇ ਪੰਪ ਅਤੇ ਕਈ ਵਾਹਨ ਅਤੇ ਉਦਯੋਗ ।

ਸਿਧਾਂਤ-ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਕਰੰਟ ਵਾਹਕ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸ ਕੁੰਡਲੀ ਦੀਆਂ ਭੁਜਾਵਾਂ ‘ਤੇ ਵਾਹਕ ਬਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਘੁਮਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਬਨਾਵਟ-ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਭਾਗ ਹਨ-

  1. ਆਰਮੇਚਰ ਕੁੰਡਲੀ – ਆਰਮੇਚਰ ਕੁੰਡਲੀ ABCD ਇੱਕ ਨਰਮ ਲੋਹੇ ਦੀ ਛੜ ਦੇ ਗਿਰਦ ਲਪੇਟੀ ਇੱਕ ਕੁੰਡਲੀ ਆਪਣੇ ਧੁਰੇ ਦੇ ਗਿਰਦ ਘੁੰਮਣ ਲਈ ਸੁਤੰਤਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਦਿਸ਼ਾ ਪਰਿਵਰਤਕ – ਦਿਸ਼ਾ ਪਰਿਵਰਤਕ ਕੁੰਡਲੀ, ਵਿਭਾਜਿਤ ਛੱਲਿਆਂ ਨਾਲ S1 ਅਤੇ S2 ਨੂੰ ਜੁੜੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਹਾਰਸ-ਸੂ ਚੁੰਬਕ – ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਹਾਰਸ-ਸੂ (ਘੋੜੇ ਦੀ ਨਾਲ ਜਿਹੇ) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਧਰੁਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ !
  4. ਕਾਰਬਨ ਬੁਰਸ਼ – ਕਾਰਬਨ ਬਰੁਸ਼ B1 ਅਤੇ B2 ਦਾ ਜੋੜਾ ਵਿਭਾਜਿਤ ਛੱਲਿਆਂ ਨੂੰ ਦਬਾ ਕੇ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । D.C. ਧਾਰਾ ਦਾ ਇੱਕ ਸਰੋਤ ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਬਨ ਬਰੁਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ – ਮੰਨ ਲਓ ਕੁੰਡਲੀ ABCD ਦਾ ਤਲ ਖਿਤਿਜ ਹੈ ਅਤੇ ਵਿਭਾਜਿਤ ਛੱਲੇ S1 ਅਤੇ S2 ਬੁਰਸ਼ B1 ਅਤੇ B2 ਨੂੰ ਛੂਹ ਰਹੇ ਹਨ । ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਧਾਰਾ ਘੜੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦੇ ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਫਲੈਮਿੰਗ ਦੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ AB ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਤਲ ਦੇ ਲੰਬ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬਲ F ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਭੁਜਾ DC ਅੰਦਰ ਵੱਲ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਤਲ ਤੇ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਬਲ Fਮਹਿਸੂਸ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ 1
ਕਿਉਂਕਿ CB ਅਤੇ AD ਭੁਜਾਵਾਂ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਸਮਾਨੰਤਰ ਹਨ, ਇਸ ਲਈ ਕੋਈ ਬਲ ਮਹਿਸੂਸ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ । ਭੁਜਾਵਾਂ AB ਅਤੇ CD ਤੇ ਕਿਰਿਆ ਕਰ ਰਹੇ ਬਲ ਬਰਾਬਰ ਪਰੰਤੂ ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾਈ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਵਿਭਿੰਨ ਬਿੰਦੂਆਂ ਤੇ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਇੱਕ ਜੋੜਾ ਬਲ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕੁੰਡਲੀ ਘੜੀ ਵਾਲੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਘੁੰਮਣ ਲਗਦੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਕੁੰਡਲੀ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਤਲ ਦੇ ਲੰਬ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਭੁਜਾ AB ਅਤੇ CD ਹੇਠਾਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋੜਾ ਬਲ ਸਿਫਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰੰਤੁ ਜਤਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕੁੰਡਲੀ ਘੁੰਮਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਵਿਭਾਜਿਤ ਛੱਲਾ S1 ਅਤੇ ਬਰੁਸ਼ B2 ਪਰਸਪਰ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਵਿਭਾਜਿਤ ਛੱਲਾ S2 ਬਰੁਸ਼ B1 ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਵਿਭਾਜਿਤ ਛੱਲੇ ਆਪਣੀ ਸਥਿਤੀ ਬਦਲਦੇ ਹਨ ਨਾ ਕਿ ਬਰੁਸ਼ B1 ਅਤੇ B2 – ਫਿਰ ਜਦੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿਚੋਂ ਦਿਸ਼ਾ ABCD ਵਿਚੋਂ ਲੰਘਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਕੁੰਡਲੀ ਦੀਆਂ ਭੁਜਾਵਾਂ ਤੇ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਬਲ ਉਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਜੋੜਾ ਬਲ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕੁੰਡਲੀ ਉਸੇ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਘੁੰਮਣਾ ਜਾਰੀ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।

ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੋਟਰ ਦੀ ਕੁੰਡਲੀ ਦੇ ਧੁਰੇ ਤੇ ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਪਹੀਆ ਲੱਗਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਪਹੀਆ ਕੋਈ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਨੂੰ ਚਲਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਅਜਿਹੇ ਕੁੱਝ ਯੰਤਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਬਿਜਲੀ ਪੱਖੇ, ਰੇਫਰੀਜਰੇਟਰਾਂ, ਬਿਜਲੀ ਮਿਕਸਰਾਂ, ਵਾਸ਼ਿੰਗ ਮਸ਼ੀਨਾਂ, ਕੰਪਿਊਟਰਾਂ, ਐੱਮ. ਪੀ. 3 ਪਲੇਅਰ, ਜਲ ਪੰਪ, ਆਟਾ ਪੀਸਣ ਵਾਲੀ ਮਸ਼ੀਨ ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਬਿਜਲਰੋਧੀ ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਤਾਰ ਦੀ ਕੁੰਡਲੀ ਕਿਸੇ ਗੈਲਵੈਨੋਮੀਟਰ ਨਾਲ ਜੁੜੀ ਹੋਈ ਹੈ । ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਛੜ ਚੁੰਬਕ :
(i) ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਧਕੇਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
(ii) ਕੁੰਡਲੀ ਦਾ ਅੰਦਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਖਿੱਚਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
(iii) ਕੁੰਡਲੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਸਥਿਤ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(i) ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਧਕੇਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਉਸੇ ਵੇਲੇ ਗੈਲਵੈਨੋਮੀਟਰ ਦੀ ਸੂਈ ਵਿੱਚ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਲਈ ਵਿਖੇਪਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਦਾ ਸੰਕੇਤ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

(ii) ਜਦੋਂ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚੋਂ ਬਾਹਰ ਖਿੱਚਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਗੈਲਵੈਨੋਮੀਟਰ ਦੀ ਸੂਈ ਦਾ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਲਈ ਵਿਪਰੀਤ (ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਵਿਖੇਪਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(iii) ਜੇਕਰ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਕੁੰਡਲੀ ਅੰਦਰ ਸਥਿਰ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਉਤਪੰਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਗੈਲਵੈਨੋਮੀਟਰ ਦੀ ਸੂਈ ਦਾ ਵਿਖੇਪਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਦੋ ਗੋਲਾਕਾਰ ਕੁੰਡਲੀਆਂ A ਅਤੇ B ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਕੁੰਡਲੀ A ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕਰੀਏ ਤਾਂ ਕੀ ਕੁੰਡਲੀ B ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਹੋਵੇਗੀ ? ਕਾਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਜਦੋਂ ਕੁੰਡਲੀ A ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕੁੰਡਲੀ B ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਕੁੰਡਲੀ A ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦੀਆਂ ਚੁੰਬਕੀ ਬਲ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦਾ ਕੁੰਡਲੀ B ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਤ ਰੇਖਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਕੁੰਡਲੀ B ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਨਿਮਨਲਿਖਿਤ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਨਿਯਮ ਲਿਖੋ :
(i) ਕਿਸੇ ਸਿੱਧੇ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਾਲੇ ਚਾਲਕ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਉਤਪੰਨ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ।
(ii) ਕਿਸੇ ਚੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਖੇਤਰ ਦੇ ਲੰਬ ਵੱਲ ਸਥਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਾਲੇ ਸਿੱਧੇ ਚਾਲਕ ਤੇ ਲੱਗਿਆ ਬਲ ਅਤੇ
(iii) ਕਿਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਕੁੰਡਲੀ ਘੁੰਮਣ ਤੇ ਉਸ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਪ੍ਰੇਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਸਿੱਧੇ ਚਾਲਕ ਦੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਸੱਜਾ ਹੱਥ ਅੰਗੁਠਾ ਨਿਯਮ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਸੱਜਾ ਹੱਥ ਅੰਗੂਠਾ ਨਿਯਮ – ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾਂ ਲੰਘ ਰਹੇ ਚਾਲਕ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੜੋ ਕਿ ਤੁਹਾਡਾ ਅੰਗੂਠਾ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਸੰਕੇਤ ਕਰੇ, ਤਾਂ ਤੁਹਾਡੀਆਂ ਉਂਗਲੀਆਂ ਚਾਲਕ ਦੇ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀਆਂ ਖੇਤਰੀ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਣਗੀਆਂ । ਇਸ ਨੂੰ ਸੱਜਾ ਹੱਥ ਅੰਗੂਠਾ ਨਿਯਮ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
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(ii) ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਰੱਖੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਵਾਲੇ ਚਾਲਕ ਤੇ ਲੱਗਣ ਵਾਲੇ ਬਲ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਫਲੇਮਿੰਗ ਦੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੇ ਨਿਯਮ ਦੁਆਰਾ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਫਲੇਮਿੰਗ ਦਾ ਖੱਬੇ-ਹੱਥ ਨਿਯਮ – ਆਪਣੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਅਤੇ ਅੰਗੂਠੇ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਲਾਓ ਕਿ ਇਹ ਤਿਨੋਂ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ਪਰਸਪਰ ਲੰਬ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੋਣ । ਜੇਕਰ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ, ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਰਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦੀ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਅੰਗੂਠਾ ਚਾਲਕ ਦੀ ਗਤੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਜਾਂ ਚਾਲਕ ਉੱਤੇ ਲੱਗੇ ਬਲ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰੇਗਾ |
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(iii) ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਕੁੰਡਲੀ ਦੀ ਗਤੀ ਕਾਰਨ ਉਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਹੋ ਰਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਫਲੇਮਿੰਗ ਦੇ ਸੱਜਾ ਹੱਥ ਨਿਯਮ ਦੁਆਰਾ ਗਿਆਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਫਲੇਮਿੰਗ ਦਾ ਸੱਜਾ – ਹੱਥ ਨਿਯਮ-ਆਪਣੇ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ, ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਅਤੇ ਅੰਗੂਠੇ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਲਾਓ ਕਿ ਇਹ ਤਿੰਨੋਂ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ਪਰਸਪਰ ਲੰਬ ਰੂਪ ਹੋਣ । ਜੇਕਰ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ , ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰੇ ਅਤੇ ਅੰਗੂਠਾ ਚਾਲਕ ਦੀ ਗਤੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰੇ, ਤਾਂ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰੇਮ੍ਰਿਤ ਬਿਜਲਈ ਮ੍ਰਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦਰਸਾਏਗੀ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਅੰਕਿਤ ਰੇਖਾ ਚਿੱਤਰ ਖਿੱਚ ਕੇ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲੀ ਜਨਰੇਟਰ ਦਾ ਮੂਲ ਸਿਧਾਂਤ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਬੁਰਸ਼ਾਂ ਦਾ ਕੀ ਕੰਮ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਅੰਕਿਤ ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਬਿਜਲੀ ਜਨਰੇਟਰ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ, ਰਚਨਾ ਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਰਤਵੀਂ ਧਾਰਾ ਡਾਇਨਮੋ ਜਾਂ ਬਿਜਲੀ ਜਨਰੇਟਰ- ਬਿਜਲੀ ਜਨਰੇਟਰ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਯੰਤਰ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਯੰਤਰਿਕ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਬਦਲਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਜ ਫੈਰਾਡੇ ਦੇ ਬਿਜਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰੇਰਣ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਹੈ ।
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ਸਿਧਾਂਤ – ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਬੰਦ ਕੁੰਡਲੀ (ਚਾਲਕ) ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਘੁਮਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਗੁਜ਼ਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਚੁੰਬਕੀ ਬਲ ਰੇਖਾਵਾਂ (ਚੁੰਬਕੀ ਫਲੈਕਸ) ਵਿੱਚ ਲਗਾਤਾਰ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਮ੍ਰਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਘੁਮਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਯੰਤਰਿਕ ਕਾਰਜ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਉਰਜਾ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਫਲੇਮਿੰਗ ਦਾ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਦਾ ਨਿਯਮ – ਆਪਣੇ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਦੇ ਅੰਗੂਠੇ, ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ, ਦੂਜੀ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਲਾਓ ਕਿ ਤਿੰਨੋਂ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਸਮਕੋਣ ਬਣਾਉਣ ਤਾਂ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਅੰਗੁਠਾ ਚਾਲਕ ਦੀ ਗਤੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਉੱਗਲੀ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਹੋਈ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਰਚਨਾ (ਬਨਾਵਟ)- ਕਿਸੇ ਸਾਧਾਰਨ ਪਰਤਵੀਂ ਜੈਨਰੇਟਰ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਮੁੱਖ ਭਾਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ :-

  • ਆਰਮੇਚਰ (Armature) – ਇਸ ਵਿੱਚ ਨਰਮ ਲੋਹੇ ਦੀ ਕੋਰ ਤੇ ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਰੋਧਕ ਤਾਰ ਦੇ ਬਹੁਤ ਲਪੇਟਾਂ ਵਾਲੀ ਆਇਤਾਕਾਰ ਕੁੰਡਲੀ ABCD ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਆਰਮੇਚਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਧੂਰੀ ਤੇ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਘੁਮਾਈ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  • ਖੇਤਰ ਚੁੰਬਕ (Field Magnet) – ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਧਰੁਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੇ ਜੈਨਰੇਟਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਈ ਚੁੰਬਕ ਲਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਵੱਡੇ ਜੈਨਰੇਟਰਾਂ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  • ਸਲਿੱਪ ਰਿੰਗ (Slip Rings) – ਧਾਤੂ ਦੇ ਦੋ ਖੋਖਲੇ ਰਿੰਗ R1 ਅਤੇ R2 ਨੂੰ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਧੂਰੀ ਉੱਪਰ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁੰਡਲੀ ਦੀਆਂ ਭੁਜਾਵਾਂ A B ਅਤੇ CD ਨੂੰ ਕ੍ਰਮਵਾਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਜੋੜ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਰਮੇਚਰ ਦੇ ਘੁੰਮਣ ਨਾਲ R1 ਅਤੇ R2 ਵੀ ਇਸ ਨਾਲ ਘੁੰਮਦੇ ਹਨ ।
  • ਕਾਰਬਨ ਬੁਰਸ਼ (Carbon Brush) – ਦੋ ਕਾਰਬਨ ਬਰੁਸ਼ B1 ਅਤੇ B2 ਦੁਆਰਾ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਲੋਡ ਤੱਕ ਲਿਜਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ ਗੈਲਵੈਨੋਮੀਟਰ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਮਾਪਦਾ ਹੈ !

ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ (Working) – ਜਦੋਂ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ N ਅਤੇ S ਦੇ ਵਿੱਚ ਘੜੀ ਦੀ ਸੂਈ ਦੇ ਵਿਪਰੀਤ ਦਿਸ਼ਾ (Anticlockwise) ਵਿੱਚ ਘੁਮਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ AB ਅਤੇ CD ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਦੇ ਨੇੜੇ ਜਾ AB ਚੁੰਬਕੀ ਰੇਖਾਵਾਂ ਨੂੰ ਕੱਟਦੀ ਹੈ ਅਤੇ CD ਤੇ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਦੇ ਨੇੜੇ ਚੁੰਬਕੀ ਬਲ ਰੇਖਾਵਾਂ ਨੂੰ ਕੱਟਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ AB ਅਤੇ DC ਵਿੱਚ ਕ੍ਰਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਫਲੇਮਿੰਗ ਦੇ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ 8 ਤੋਂ A ਅਤੇ D ਤੋਂ c ਵੱਲ ਪ੍ਰਵਾਹ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ DCBA ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਵਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਅੱਧੇ ਚੱਕਰ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕੁੰਡਲੀ ਦੀਆਂ ਭੁਜਾਵਾਂ AB ਅਤੇ DC ਆਪਣੀ ਸਥਿਤੀ ਬਦਲ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ । AB ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਅਤੇ DC ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ AB ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਅਤੇ DC ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ 6
ਇਸ ਵਿਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬੁਰਸ਼ ਹਮੇਸ਼ਾ ਉਸ ਬਾਜੂ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਉੱਪਰ ਵੱਲ਼ ਗਤੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਦੂਜਾ ਬਰੁਸ਼ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਬਾਜੂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਬਿਜਲੀ-ਸ਼ਾਰਟ ਸਰਕਟ ਕਦੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਘਰੇਲੂ ਜਾਂ ਉਦਯੋਗਿਕ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਲਾਈਵ ਤਾਰ (ਜੀਵਤ ਜਾਂ ਫੇਜ਼ ਤਾਰ) ਅਤੇ ਨਿਊਟਰਲ ਤਾਰਾਂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜੁੜ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਸਰਕਟ ਸ਼ਾਰਟ ਹੋ (ਟੁੱਟ) ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਸਰਕਟ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਸਮਾਪਤ (ਜ਼ੀਰੋ) ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਅਚਾਨਕ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਭੋ-ਤਾਰ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹੈ ? ਧਾਤ ਵਾਲੇ ਯੰਤਰਾਂ ਨੂੰ ਭੋ-ਸੰਪਰਕ ਕਰਨਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਤੋਂ-ਤਾਰ ਤਾਰ – ਘਰੇਲੁ ਬਿਜਲੀ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਲਾਈਵ ਅਤੇ ਨਿਊਟਰਲ ਤਾਰਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਤੀਸਰੀ ਤਾਰ ਵੀ ਲੱਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਾਰ ਦਾ ਸੰਪਰਕ ਘਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਧਰਤੀ ਹੇਠਾਂ ਗਹਿਰਾਈ ਤੇ ਦੱਬੀ ਹੋਈ ਧਾਤ ਦੀ ਪਲੇਟ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਾਰ ਦਾ ਕਵਰ ਹਰੇ ਰੰਗ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਾਰ ਨੂੰ ਭੋ-ਸੰਪਰਕ ਤਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਤਾਰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਘੱਟ ਤਿਰੋਧ ਵਾਲਾ ਚਾਲਨ ਪੱਥ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਧਾਤ ਦੇ ਉਪਕਰਨਾਂ ਜਿਵੇਂ ਬਿਜਲੀ ਸ, ਫਰਿਜ਼, ਟੋਸਟਰ ਆਦਿ ਨੂੰ ਭੋ-ਸੰਪਰਕ ਤਾਰ ਨਾਲ ਜੋੜ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਇਹ ਯਕੀਨੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਪਕਰਨ ਦੀ ਬਾਡੀ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਗੁਜ਼ਰਨ ਨਾਲ ਬਾਡੀ ਦਾ ਟੈਂਸ਼ਲ ਧਰਤੀ ਦੇ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਉਪਕਰਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਰਹੇ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਝੱਟਕਾ ਲੱਗਣ ਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਉਣ ਤੇ ਦਿਸ਼ਾ ਸੂਚਕ ਦੀ ਸੂਈ ਵਿਖੇਪਿਤ ਕਿਉਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਉਣ ‘ਤੇ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦਿਸ਼ਾ ਸੂਚਕ ਦੀ ਸੂਈ ਜੋ ਇੱਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਛੋਟਾ ਚੁੰਬਕ ਹੈ, ਤੇ ਬਲ ਦਾ ਜੋੜਾ (ਬਲ-ਯੁਗਮ ਲਗਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਸੂਈ ਵਿਖੇਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਿਸੇ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਖਿੱਚੋ ।
ਉੱਤਰ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦੇ ਗੁਣ-

  1. ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਬਾਹਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਤੋਂ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਵੱਲ ਅਤੇ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਤੋਂ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਵੱਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਬਲ ਰੇਖਾ ਦੇ ਕਿਸੇ ਬਿੰਦੂ ਤੇ ਖਿੱਚੀ ਗਈ ਸਪੱਰਸ਼ ਰੇਖਾ (ਟੇਜੇਂਟ) ਉਸ ਬਿੰਦੂ ਤੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  3. ਕੋਈ ਦੋ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਬਲ ਰੇਖਾਵਾਂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਕੱਟਦੀਆਂ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਬਿੰਦੂ ਤੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀਆਂ ਦੋ ਦਿਸ਼ਾਂਵਾਂ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਹਨ ।
  4. ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਤੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਉਸ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਤੀਬਰਤਾ ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  5. ਇੱਕ-ਸਮਾਨ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀਆਂ ਚੁੰਬਕੀ ਰੇਖਾਵਾਂ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਸਮਾਨ-ਅੰਤਰ ਅਤੇ ਸਮਾਨ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਦੋ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਕੱਟਦੀਆਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੇਕਰ ਦੋ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਕੱਟਣਗੀਆਂ ਤਾਂ ਉਸ ਬਿੰਦੂ ਤੇ ਖੇਤਰ ਦੀਆਂ ਦੋ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਹੋਣਗੀਆਂ ਜੋ ਅਸੰਭਵ ਹੈ ਅਤੇ ਦਿਸ਼ਾ ਸੂਚਕ ਸੂਈ ਇਸ ਬਿੰਦੂ ‘ਤੇ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਚੁੰਬਕੀ ਸੂਈ ਦੋ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰੇਗੀ ਜੋ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮੇਜ਼ ਦੇ ਤਲ ਤੇ ਪਏ ਤਾਰ ਦੇ ਗੋਲਾਕਾਰ ਲੂਪ ਤੇ ਵਿਚਾਰ ਕਰੋ । ਮੰਨ ਲਓ ਇਸ ਲੂਪ ਵਿੱਚ ਕਲਾਕਵਾਈਜ਼ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ । ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਅੰਗੂਠਾ ਨਿਯਮ ਲਾਗੂ ਕਰਕੇ ਲੂਪ ਦੇ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚਿੱਤਰ ਅਨੁਸਾਰ ਮੇਜ਼ ਦੇ ਤਲ ਤੇ ਤਾਰ ਦਾ ਗੋਲਾਕਾਰ ਲੂਪ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਕਲਾਕਵਾਈਜ਼ (ਸੱਜੇ ਗੇੜ ਵਾਲੀ) ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ । ਇਹ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਅੰਗੁਠਾ ਨਿਯਮ ਲਾਗੂ ਕਰਕੇ ਉਂਗਲੀਆਂ ਦੇ ਮੁੜਨ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦਰਸਾਏਗੀ । ਚਿੱਤਰ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਲੂਪ ਦੇ ਅੰਦਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਲੂਪ ਦੇ ਤਲ ਦੇ ਲੰਬੇ-ਦਾਅ ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਹੋਵੇਗੀ ।
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕਿਸੇ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਵਿਖਾਉਣ ਲਈ ਰੇਖਾ-ਚਿੱਤਰ ਖਿੱਚੋ !
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਸਮਾਨ-ਅੰਤਰ ਬਲ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰ ਵਾਂਗ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਵੇਗਾ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਠੀਕ ਵਿਕਲਪ ਚੁਣੋ : ਕਿਸੇ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਾਲੀ ਸਿੱਧੀ, ਲੰਬੀ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੇ ਅੰਦਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ :
(a) ਜ਼ੀਰੋ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(b) ਇਸ ਦੇ ਸਿਰੇ ਵੱਲ ਜਾਣ ਨਾਲ ਘੱਟਦਾ ਹੈ ।
(c) ਇਸ ਦੇ ਸਿਰੇ ਵੱਲ ਜਾਣ ਨਾਲ ਵਧਦਾ ਹੈ ।
(d) ਸਾਰੇ ਬਿੰਦੁਆਂ ਉੱਤੇ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਇਸ ਦੇ ਸਿਰੇ ਵੱਲ ਜਾਣ ਨਾਲ ਵਧਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕਿਸੇ ਪ੍ਰੋਟਾਨ ਦਾ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਗੁਣ ਕਿਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸੁਤੰਤਰ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ । ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (ਇੱਥੇ ਇੱਕ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉੱਤਰ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ।)
(a) ਪੁੰਜ
(b) ਚਾਲ
(c) ਵੇਗ
(d) ਮੋਮੈਂਟਮ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਵੇਗ ਅਤੇ (d) ਮੋਮੈਂਟਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕਿਰਿਆ 13.7 ਵਿੱਚ ਤੁਹਾਡੇ ਵਿਚਾਰ ਵਿੱਚ ਛੜ AB ਦਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਵੇਗਾ ਜੇਕਰ :
(i) ਛੜ AB ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਜਾਵੇ ।
(ii) ਵਾਧਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਬਲ ਨਾਲ ਚੁੰਬਕ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ ।
(ii) ਛੜ AB ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਛੜ ਦਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਵੱਧ ਜਾਵੇਗਾ ਕਿਉਂਕਿ ਛੜ ਤੇ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਬਲ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(ii) ਛੜ ਦਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਵੱਧ ਜਾਵੇਗਾ, ਕਿਉਂਕਿ ਛੜ ਤੇ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਬਲ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(iii) ਛੜ ਦਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਵੱਧ ਜਾਵੇਗਾ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਤੇ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਬਲ ਛੜ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ 10

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪੱਛਮ ਦੇ ਵੱਲ ਪਰਖੇਪਿਤ ਕੋਈ ਧਨਚਾਰਜਿਤ ਕਣ (ਐਲਫਾ ਕਣ ਕਿਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੁਆਰਾ ਉੱਤਰ ਵੱਲ ਵਿਖੇਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਹੈ :
(a) ਦੱਖਣ ਵੱਲ
(b) ਪੂਰਬ ਵੱਲ
(c) ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ
(d) ਉੱਪਰ ਵੱਲ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉੱਪਰ ਵੱਲ (ਅਜਿਹਾ ਫਲੇਮਿੰਗ ਦੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ ।)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਫਲੇਮਿੰਗ ਦਾ ਖੱਬਾ ਹੱਥ ਨਿਯਮ ਲਿਖੋ ।
ਜਾਂ
ਬਲ
ਫਲੇਮਿੰਗ ਦਾ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦਾ ਨਿਯਮ ਲਿਖੋ । ਚਿੱਤਰ ਵੀ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਲੇਮਿੰਗ ਦਾ ਖੱਬਾ ਹੱਥ ਨਿਯਮ-ਇਸ ਨਿਯਮ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ “ਆਪਣੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ, ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਅਤੇ ਅੰਗੂਠੇ ਨੂੰ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਫੈਲਾਓ ਕਿ ਇਹ ਤਿੰਨੋਂ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ਪਰਸਪਰ ਲੰਬ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੋਣ, ਜੇਕਰ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ, ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਅੰਗੂਠਾ ਚਾਲਕ ਦੀ ਗਤੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਜਾਂ ਚਾਲਕ ਉੱਤੇ ਲੱਗ ਰਹੇ ਬਲ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰੇਗਾ ।”
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ 11

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਦਾ ਕੀ ਸਿਧਾਂਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ-ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਰੱਖ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਕੁੰਡਲੀ ਉੱਪਰ ਇੱਕ ਬਲ ਦਾ ਜੋੜਾ (ਬਲ ਯੁਗਮ) ਕਾਰਜ ਕਰਨ ਲਗਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਉਸ ਦੇ ਧੁਰੇ ਦੁਆਲੇ ਘੁਮਾਉਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦਾ ਹੈ, ਜੇਕਰ ਕੁੰਡਲੀ ਘੁੰਮਣ ਲਈ ਸੁਤੰਤਰ ਹੋਵੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਵਿੱਚ ਸਪਲਿਟ ਰਿੰਗ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਵਿੱਚ ਸਪਲਿਟ ਰਿੰਗ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ – ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਵਿੱਚ ਸਪਲਿਟ ਰਿੰਗ (ਛੱਲੇ) ਦਾ ਕੰਮ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਨੂੰ ਬਦਲਣਾ ਹੈ (ਅਰਥਾਤ ਦਿਸ਼ਾ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ) । ਜਦੋਂ ਕੁੰਡਲੀ ਅੱਧਾ ਚੱਕਰ ਪੂਰਾ ਕਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਸਪਲਿਟ ਰਿੰਗ ਦਾ ਇੱਕ ਪਾਸਿਓਂ ਬੁਰਸ਼ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਕੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਜੁੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਹਮੇਸ਼ਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਣੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਕੁੰਡਲੀ ਇੱਕ ਹੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਚੱਕਰ ਲਾਉਂਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਵਿੱਚ ਸਪਲਿਟ ਰਿੰਗ ਨਾ ਲੱਗੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਮੋਟਰ ਅੱਧਾ ਚੱਕਰ ਲਗਾ ਕੇ ਰੁੱਕ ਜਾਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕਿਸੇ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਢੰਗ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਢੰਗ-

  1. ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਸਥਿਰ ਰੱਖ ਕੇ, ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਕੁੰਡਲੀ ਵੱਲ ਲਿਆ ਕੇ ਜਾਂ ਫਿਰ ਕੁੰਡਲੀ ਤੋਂ ਦੂਰ ਲਿਜਾ ‘ ਕੇ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  2. ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਸਥਿਰ ਰੱਖ ਕੇ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕ ਵੱਲ ਜਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਦੂਰ ਲਿਜਾ ਕੇ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਮ੍ਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  3. ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਘੁਮਾ ਕੇ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  4. ਇੱਕ ਕੁੰਡਲੀ ਦੇ ਨੇੜੇ ਰੱਖੀ ਹੋਈ ਕਿਸੇ ਦੂਜੀ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਲਿਆਉਣ ਨਾਲ ਪਹਿਲੀ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪੇਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

 

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਬਿਜਲੀ ਜਨਰੇਟਰ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲੀ ਜਨਰੇਟਰ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ – “ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਬੰਦ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ ਗਤੀ ਨਾਲ ਘੁੰਮਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਗੁਜਰਨ ਵਾਲੇ ਚੁੰਬਕੀ-ਫਲੱਕਸ ਵਿੱਚ ਲਗਾਤਾਰ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਘੁੰਮਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਕਾਰਜ ਹੀ ਕੁੰਡਲੀ ਅੰਦਰ ਬਿਜਲੀ ਊਰਜਾ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।”

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਸਿੱਧੀ ਧਾਰਾ DC ਦੇ ਕੁੱਝ ਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਧੀ ਧਾਰਾ ਦੇ ਸੋਤ-

  1. ਬਿਜਲਈ ਸੈੱਲ ਜਾਂ ਬੈਟਰੀ
  2. ਅਪਰਤਵੀਂ ਧਾਰਾ ਜੈਨਰੇਟਰ ਡਾਇਨਮੋ)
  3. ਬਟਨ ਸੈਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਪਤਵੀਂ ਸਿੱਧੀ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ (AC) ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਰਤਵੀਂ ਸਿੱਧੀ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦੇ ਸੋਤ-

  1. ਜੈਨਰੇਟਰ
  2. ਪਣ-ਬਿਜਲਈ ਪਲਾਂਟ
  3. ਪਰਤਵੀਂ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਠੀਕ ਵਿਕਲਪ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ :
ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਤਾਰ ਦੀ ਇੱਕ ਆਇਤਾਕਾਰ ਕੁੰਡਲੀ ਕਿਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਘੁੰਮਣ ਗਤੀ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ । ਇਸ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ. ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਘੁੰਮਣ-ਚੱਕਰਾਂ ਦੇ ਪਿੱਛੋਂ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
(a) ਦੋ
(b) ਇੱਕ
(c) ਅੱਧੇ
(d) ਚੌਥਾਈ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਅੱਧੇ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਬਿਜਲੀ ਸਰਕਟਾਂ ਅਤੇ ਉਪਕਰਨਾਂ ਵਿੱਚ ਆਮ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਦੋ ਸੁਰੱਖਿਆ ਉਪਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਫਿਉਜ਼ ਤਾਰ ਅਤੇ
  2. ਭੂ-ਸੰਪਰਕ ਤਾਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
2KW ਸ਼ਕਤੀ ਅੰਕਿਤ ਦੀ ਬਿਜਲੀ ਓਵਨ ਕਿਸੇ ਘਰੇਲੂ ਬਿਜਲੀ ਸਰਕਟ (220V) ਵਿੱਚ ਚਲਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਅੰਕ 5A ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕਿਸ ਸਿੱਟੇ ਦੀ ਆਸ ਕਰਦੇ ਹੋ ? ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
∵ ਘਰੇਲੂ ਸਰਕਟ ਦੀ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦਾ ਅੰਕ. 5A ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਇਹ ਅਰਥ ਹੈ ਕਿ ਘਰ ਦੀ ਮੁੱਖ ਲਾਇਨ ਵਿੱਚ 5A ਦਾ ਫਿਉਜ਼ ਤਾਰ ਲੱਗਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।
ਬਿਜਲੀ ਓਵਨ (ਤੰਦੂਰ) ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ (P) = 2 KW= 2000W
ਜਦੋਂ ਪੁਟੈਸ਼ਲ ਅੰਤਰੇ (V) = 220V
ਮੰਨ ਲਓ ਕਿ ਬਿਜਲੀ ਓਵਨ (ਤੰਦੂਰ) ਦੁਆਰਾ ਲਈ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਧਾਰਾ I ਹੈ, ਤਾਂ
P = V × I ਤੋਂ
I = \(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{V}}\)
= \(\frac{2000 \mathrm{~W}}{220 \mathrm{~V}}\)
= 9.09 A
ਅਰਥਾਤ ਬਿਜਲੀ ਓਵਨ ਮੁੱਖ ਲਾਇਨ ਤੋਂ 9.09 A ਦੀ ਧਾਰਾ ਲਵੇਗਾ ਜੋ ਫਿਊਜ਼ ਤਾਰ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਵਿਉਜ਼ ਦੀ ਤਾਰ ਪਿਘਲ ਜਾਵੇਗੀ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਸਰਕਟ ਟੁੱਟ ਜਾਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਘਰੇਲੂ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟਾਂ ਵਿੱਚ ਓਵਰ ਲੋਡਿੰਗ ਦੇ ਬਚਾਓ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ ਵਰਤੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਓਵਰ ਲੋਡਿੰਗ ਦੇ ਬਚਾਓ ਲਈ ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ-

  1. ਬਿਜਲਈ ਪ੍ਰਵਾਹ ਲਈ ਵਰਤੋਂ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਵਧੀਆ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਨ ਪਦਾਰਥ ਨਾਲ ਢੱਕੀਆਂ ਹੋਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡੇ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹਰੇਕ ਉਪਕਰਨ ਦਾ ਵੱਖ ਫਿਊਜ਼ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  3. ਉੱਚ ਸ਼ਕਤੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਰ, ਫਰਿੱਜ਼, ਵਾਟਰ ਹੀਟਰ, ਹੀਟਰ, ਐੱਸ ਆਦਿ ਸਾਰੇ ਇੱਕ ਸਮੇਂ ਨਹੀਂ ਵਰਤੋਂ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ।
  4. ਇੱਕ ਸਾਕਟ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਉਪਕਰਨ ਨਹੀਂ ਚਲਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

PSEB 10th Class Science Guide ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਯੋਗ ਵਿੱਚ ਲੰਬੇ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬੈਂਗਣੀ ਫੁੱਲ ਸਨ, ਦਾ ਸੰਕਰਣ ਬੌਣੇ ਪੌਦਿਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਫੈਦ ਫੁੱਲ ਸਨ, ਨਾਲ ਕਰਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੰਤਾਨ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਫੁੱਲ ਬੈਂਗਣੀ ਰੰਗ ਦੇ ਸਨ । ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲਗਭਗ ਅੱਧੇ ਬੌਣੇ ਸਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਲੰਬੇ ਜਨਕ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਰਚਨਾ ਨਿਮਨ ਸੀ-
(ਉ) TTWW
(ਅ) TTww
(ੲ) TtWW
(ਸ) TtWw
ਉੱਤਰ-
(ੲ) TtWW.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਉਦਾਹਰਣ ਹੈ-
(ੳ) ਸਾਡਾ ਹੱਥ ਅਤੇ ਕੁੱਤੇ ਦਾ ਅਗਲਾ ਪੈਰ
(ਅ ਸਾਡੇ ਦੰਦ ਅਤੇ ਹਾਥੀ ਦੇ ਦੰਦ
(ੲ) ਆਲੂ ਅਤੇ ਘਾਹ ਦੀਆਂ ਤਿੜਾਂ
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਵਿਕਾਸ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ ਤੋਂ ਸਾਡੀ ਕਿਸ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ-
(ਉ) ਚੀਨ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ
(ਅ) ਚਿਮਪੈਂਜੀ
(ੲ) ਮੱਕੜੀ
(ਸ) ਬੈਕਟੀਰੀਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਚੀਨ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਇੱਕ ਅਧਿਐਨ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਕਿ ਹਲਕੇ ਰੰਗ ਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਾਲੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵੀ ਹਲਕੇ ਰੰਗ ਦੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਆਧਾਰ ਉੱਤੇ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਅੱਖਾਂ ਦੇ ਹਲਕੇ ਰੰਗ ਦਾ ਲੱਛਣ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹੈ ਜਾਂ ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ ? ਆਪਣੇ ਉੱਤਰ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦੇ ਲੱਛਣ ਪ੍ਰਕਟ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਹਲਕੇ ਰੰਗ ਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਦਾ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਣਾ ਸੁਭਾਵਿਕ ਹੈ ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਤਾਂ ਅੱਖਾਂ ਦੇ ਹਲਕੇ ਰੰਗ ਦਾ ਲੱਛਣ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹੈ ਪਰ ਇਸ ਨੂੰ ਹਰ ਬੱਚੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਨਹੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ । ਇਹ ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੇ ਅਧਿਐਨ ਖੇਤਰ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਭਿੰਨਤਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸਮਾਨਤਾ ਇਸ ਲਈ ਪ੍ਰਕਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਕਿਸੇ ਸਮਾਨ ਪੂਰਵਜ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਭਿੰਨਤਾ ਵਿਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਅਨੁਕੂਲਤਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਵੱਧਦੀ ਜਟਿਲਤਾ ਨੂੰ ਜੀਵ-ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਉੱਤਰੋਤਰ ਮਿਕ ਆਧਾਰ ਤੇ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਕੇ ਆਪਸੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਗਿਆਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਮਜਾਤ ਅਤੇ ਸਮਰੂਪ ਅੰਗਾਂ ਦੀ ਉਦਾਹਰਣ ਦੇ ਕੇ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ – ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੇ ਉਹ ਅੰਗ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮੁੱਢਲੀ ਰਚਨਾ ਇਕ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਪੰਛੀਆਂ ਦੇ ਪੰਖ, ਮਨੁੱਖ ਦੀਆਂ ਭੁਜਾਵਾਂ, ਕੁੱਤੇ ਦੀਆਂ ਅਗਲੀਆਂ ਲੱਤਾਂ, ਡੱਡੂਆਂ ਦੇ ਅਗਲੇ ਪੈਰ, ਗਾਂ, ਘੋੜੇ ਆਦਿ ਦੇ ਅਗਲੇ ਪੈਰ । ਇਹ ਸਾਰੇ ਅੰਗ ਰਚਨਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹਨ ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਕਾਰਜ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ 1

ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ – ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਉਹ ਅੰਗ ਜੋ ਦੇਖਣ ਵਿਚ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੋਣ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹੋਣ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ; ਜਿਵੇਂ ਕੀਟਾਂ ਦੇ ਪੰਖ, ਪੰਛੀਆਂ ਦੇ ਪੰਖ, ਚਮਗਿੱਦੜ ਦੇ ਪੰਖ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪੰਖ ਦੇਖਣ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਭਿੰਨ ਹਨ । ਮਟਰ, ਅੰਗੂਰ ਆਦਿ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਤੰਦੜੇ (Tendrils) ਵੀ ਇਸੇ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕੁੱਤੇ ਦੀ ਚਮੜੀ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਰੰਗ ਗਿਆਤ ਕਰਨ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਰੱਖ ਕੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰੋਜੈਕਟ ਤਿਆਰ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
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ਕਾਲੇ ਰੰਗ ਦੇ ਨਰ ਅਤੇ ਸਫੈਦ ਰੰਗ ਦੀ ਮਾਦਾ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਨਾਲ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਸਾਰੇ ਪਿੱਲੇ ਕਾਲੇ ਰੰਗ ਦੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਕੁੱਤੇ ਦੀ ਚਮੜੀ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਰੰਗ ਕਾਲਾ ਹੀ ਹੋਵੇਗਾ । ਤਿੰਨ ਕੁੱਤੇ ਕਾਲੇ ਅਤੇ ਇੱਕ ਕੁੱਤਾ ਸਫ਼ੈਦ ਹੋਵੇਗਾ, ਸਾਰੇ ਕਾਲੀ ਚਮੜੀ ਵਾਲੇ ਲੱਛਣ ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਾਲਾ ਰੰਗ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਰੰਗ ਹੈ ।

ਕੁੱਤਿਆਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰੰਗਾਂ ਦਾ ਕਾਰਨ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਜੀਨਾਂ ਦੀ ਆਪਸੀ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ F, ਅਨੁਪਾਤ 12 : 3 : 1 ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸ਼ੁੱਧ ਨਸਲਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਸਕਰਨ ਕਰਵਾਏ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਸਹੀ ਸਟੀਕ ਫੈਸਲੇ ਤੱਕ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਵਿਕਾਸੀ ਸੰਬੰਧ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਪਥਰਾਟਾਂ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
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ਵਿਕਾਸੀ ਸੰਬੰਧ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਪਥਰਾਟ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਯੁਗਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਜੋ ਜੀਵ ਅਜਿਹੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਚਲੇ ਗਏ ਸਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੂਰਾ ਅਪਘਟਨ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ਸੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਛਾਪ ਚਟਾਨਾਂ ਤੇ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰਹਿ ਗਈ । ਇਹ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਹੀ ਪਥਰਾਟ (Fossil) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਪਥਰਾਟਾਂ ਦੀ ਖੁਦਾਈ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੀ ਡੂੰਘਾਈ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਲਗਭਗ ਇੰਨਾ ਪੁਰਾਣਾ ਹੈ । ‘ਫਾਸਿਲ ਡੇਟਿੰਗ` (Fossil dating) ਇਸ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੋ ਪਥਰਾਟ ਜਿੰਨੀ ਵੱਧ ਡੂੰਘਾਈ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗਾ ਉਹ ਓਨਾ ਹੀ ਪੁਰਾਣਾ ਹੋਵੇਗਾ । ਲਗਭਗ 10 ਕਰੋੜ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਸਮੁੰਦਰ ਤਲ ਵਿੱਚ ਅਰੀਧਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਜੋ ਪਥਰਾਟ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਸਭ ਤੋਂ ਪੁਰਾਣੇ ਹਨ । ਇਸਦੇ ਕੁੱਝ ਮਿਲੀਅਨ ਸਾਲਾਂ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਡਾਇਨਾਸੋਰ ਮਰੇ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਥਰਾਟ ਅਰੀਧਾਰੀ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਪਥਰਾਟਾਂ ਤੋਂ ਉੱਪਰਲੀ ਸਤਹਿ ਤੇ ਬਣੇ । ਇਸਦੇ ਕੁਝ ਮਿਲੀਅਨ ਸਾਲ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਘੋੜੇ ਦੇ ਸਮਾਨ ਜੀਵ ਪਥਰਾਟ ਵਿੱਚ ਬਦਲੇ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਡਾਇਨਾਸੋਰਾਂ ਦੇ ਪਥਰਾਟਾਂ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਸਥਾਨ ਮਿਲਿਆ । ਇਸ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸੀ ਸੰਬੰਧ ਸਥਾਪਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

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ਪਸ਼ਨ 9.
ਕਿਹੜੇ ਪ੍ਰਮਾਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਜੀਵਨ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਜੈਵਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਹੋਈ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਇਹੀ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜੀਵਨ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਇੱਕ ਹੀ ਜਾਤੀ ਤੋਂ ਹੋਈ ਹੈ । ਇੱਕ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਵਿਗਿਆਨੀ ਜੇ.ਬੀ.ਐੱਸ. ਹਾਲਨ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇਹ ਸੁਝਾਅ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਕਿ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਅਜੈਵਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਹੋਈ ਹੋਵੇਗੀ ਜੋ ਧਰਤੀ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਬਣੇ ਸਨ । ਸਾਲ 1953 ਵਿਚ ਸਟੇਨਲ ਐਲ. ਮਿਲਰ ਅਤੇ ਹੇਰਾਲਡ ਸੀ. ਡਰੇ ਨੇ ਅਜਿਹੇ ਬਣਾਵਟੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕੀਤਾ ਸੀ ਜੋ ਪ੍ਰਾਚੀਨ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੇ ਸਮਾਨ ਸੀ । ਇਸ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਵਿਚ ਅਮੋਨੀਆ, ਮੀਥੇਨ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਸਲਫਾਈਡ ਸਨ । ਉਸ ਵਿੱਚ ਇਕ ਪਾਤਰ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਵੀ ਸੀ ਜਿਸ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ 100°C ਤੋਂ ਘੱਟ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ । ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਣ ਵਿਚੋਂ ਚਿੰਗਾਰੀਆਂ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਜੋ ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀਆਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਸਨ । ਮੀਥੇਨ ਤੋਂ 15% ਕਾਰਬਨ ਸਰਲ ਕਾਰਬਨ ਸਰਲ ਯੌਗਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿਚ ਬਦਲ ਗਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ ਵੀ ਸੰਸਲੇਸ਼ਿਤ ਹੋਏ ਜੋ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਜੀਵਨ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਅਜੈਵਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਹੋਈ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੇ ਟਾਕਰੇ ਵਿੱਚ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਵਧੇਰੇ ਸਥਾਈ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । ਇਹ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਪੈਦਾ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਵਧੇਰੇ ਸਥਾਈ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਇੱਕ ਹੀ ਜੀਵ ਤੋਂ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਿਰਫ਼ ਉਸੇ ਦੇ ਗੁਣ ਉਸਦੀ ਸੰਤਾਨ ਵਿਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਬਿਨਾਂ ਪਰਿਵਰਤਨ ਪੀੜੀ-ਦਰ-ਪੀੜੀ ਸਮਾਨ ਹੀ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਦੇ ਯੁਗਮਤਾਂ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜੀਨ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸੰਕਰਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਵਾਲੀ ਸੰਤਾਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਲਈ ਸਾਰੇ ਮਨੁੱਖ ਯੁਗਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਸਨ ਪਰ ਜਦੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਈਆਂ ਨੇ ਅਫ਼ਰੀਕਾ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਸਾਰੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਫੈਲ ਗਏ ਤਾਂ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਚਮੜੀ ਦਾ ਰੰਗ, ਕਦ, ਆਕਾਰ ਆਦਿ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਆ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਕਾਰਨ/ਆਧਾਰ-

  1. ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵਿਚ DNA ਦੀ ਕਾਪੀ ਵਿੱਚ ਹੋਈਆਂ ਤਰੁੱਟੀਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  2. ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਦੇ ਫ਼ਾਸਿੰਗ ਔਵਰ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਮਜਾਤ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਦੇ ਸਮਾਨ ਭਾਗ ਆਪਸ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਸੰਤਾਨ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਬਰਾਬਰ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਵਿਚ ਜੀਨ ਪਰਸਪਰ ਕਿਰਿਆ ਕਰ ਕੇ ਕਈ ਨਵੇਂ ਵਿਕਲਪਾਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦੇ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  4. ਸੰਤਾਨ ਦੇ ਲਿੰਗ ਅਤੇ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਸਦਾ ਇਸ ਸੰਯੋਗ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਯੁਗਮਕ ਨਰ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਦੇ ਨਾਲ ਸੰਯੋਜਿਤ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸੰਤਾਨ ਵਿੱਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜਨਕ ਦੁਆਰਾ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਯੋਗਦਾਨ ਵਿੱਚ ਬਰਾਬਰ ਦੀ ਭਾਗਦਾਰੀ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਿਸਚਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਰ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਜੋੜਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-ਇੱਕ ਨਰ ਅਤੇ ਇੱਕ ਮਾਦਾ ਤੋਂ । ਜਦੋਂ ਗਮਕ ਬਣਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਦੇ ਜੋੜੇ ਤੋਂ ਅੱਧੇ-ਅੱਧੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਉਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਯੁਗਮਕਾਂ ਦੇ ਮੇਲ ਨਾਲ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਫਿਰ ਤੋਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਸੰਤਾਨ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜਨਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਯੋਗਦਾਨ ਵਿੱਚ ਬਰਾਬਰ ਦੀ ਹਿੱਸੇਦਾਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ-ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ 23 ਜੋੜੇ ਅਰਥਾਤ 46 ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ 22 ਜੋੜੇ ਅਲਿੰਗੀ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਅਤੇ 23ਵਾਂ ਜੋੜਾ ਲਿੰਗੀ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਨਰ ਵਿਚ ‘XY” ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ‘XX’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਪ੍ਰਜਣਨ ਸੈੱਲ ਦੇ ਲਗਾਤਾਰ ਵਿਭਾਜਨ ਨਾਲ ਹੀ ਜਣਨ ਸੰਭਵ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਸੰਤਾਨ ਦੀ ਰਚਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਉਸਨੂੰ ਸਮਾਨ ਰੂਪ ਵਿਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਕਾਰਨ ਸੰਤਾਨ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜਨਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਯੋਗਦਾਨ ਵਿਚ ਬਰਾਬਰ ਦੀ ਹਿੱਸੇਦਾਰੀ ਨਿਸਚਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕੇਵਲ ਉਹ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਜੋ ਕਿਸੇ ਇਕੱਲੇ ਜੀਵ ਦੇ ਲਈ ਉਪਯੋਗੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਹੋਂਦ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦੀਆਂ ਹਨ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਕਥਨ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹੋ ? ਕਿਉਂ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਜੀਵ ਵਿਚ ਅਨੇਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਪਰ ਉਹ ਸਾਰੀਆਂ ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਆਪਣੀ ਹੋਂਦ ਬਣਾ ਕੇ ਨਹੀਂ ਰੱਖ ਸਕਦੀਆਂ । ਜੀਵ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਵਿਵਹਾਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸੰਭਵ ਹੈ ਕਿ ਸਮਾਜਿਕ ਜੀਵ ਕੀੜੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਨੂੰ ਉਸਦੀ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰੇ ਅਤੇ ਉਹ ਜੀਵਤ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕੇ ਪਰ ਸ਼ੇਰ ਵਰਗੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਨੂੰ ਸ਼ਾਇਦ ਇਹ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਨਾ ਕਰੇ ਅਤੇ ਉਸਦੀ ਹੋਂਦ ਬਣੀ ਰਹੇ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਜੇਕਰ ਇੱਕ ‘ਲੱਛਣ A’ ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਵਾਲੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੇ 10% ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ‘ਲੱਛਣ B’ ਉਸੇ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ 60% ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕਿਹੜਾ ਲੱਛਣ ਪਹਿਲਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਹੋਵੇਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
‘ਲੱਛਣ B’ ਅਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਵਾਲੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿਚ 60 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ‘ਲੱਛਣ A’ ਪ੍ਰਜਣਨ ਵਾਲੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿਚ 50% ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ‘ਲੱਛਣ B’ ਪਹਿਲਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਸੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੀ ਹੋਂਦ ਕਿਵੇਂ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰ, 2020)
ਉੱਤਰ-
ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੀ ਉੱਤਰਜੀਵੜਾ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਕੁਦਰਤੀ ਚੋਣ ਹੀ ਕਿਸੇ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੀ ਉਤਰਜੀਵਤਾ ਦਾ ਆਧਾਰ ਬਣਦੀ ਹੈ ਜੋ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਵਾਪਰਦਾ ਹੈ । ਸਮੇਂ ਦੇ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਜੋ ਉੱਨਤੀ ਦੀ ਪ੍ਰਵਿਰਤੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰਕ ਰਚਨਾ ਵਿਚ ਜਟਿਲਤਾ ਦਾ ਵਾਧਾ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਤਾਪ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਗਰਮੀ ਤੋਂ ਬਚਾਓ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੁਆਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦੀ ਚੋਣ ਜੀਵ-ਵਿਕਾਸ ਪ੍ਰਮ ਦਾ ਆਧਾਰ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਕੁਦਰਤੀ ਵਰਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤੀਕੂਲ ਹਾਲਤਾਂ ਨਾਲ ਲੜਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਅਨੁਕੂਲਣ ਨੂੰ ਵਧਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਕਿਵੇਂ ਪਤਾ ਲੱਗਿਆ ਕਿ ਲੱਛਣ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਅਤੇ ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਮਟਰ ਦੇ ਲੰਬੇ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਬੌਨੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਸੰਕਰਨ ਕਰਵਾਇਆ ਤਾਂ ਉਸਨੂੰ ਪਹਿਲੀ ਸੰਤਾਨ ਪੀੜ੍ਹੀ F1 ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਏ ਸਨ । ਇਸਦਾ ਅਰਥ ਸੀ ਕਿ ਦੋ ਲੱਛਣਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸਿਰਫ਼ ਇੱਕ ਹੀ ਪਿਤਰੀ ਲੱਛਣ ਦਿਖਾਈ ਦਿੱਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਨਾਂ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਪ੍ਰਮਾਣ ਦਿਖਾਈ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤਾ । ਉਸਨੇ ਪਿਤਰੀ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ F1 ਪੀੜ੍ਹੀ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ ਨਾਲ ਉਗਾਇਆ । ਇਸ ਦੂਸਰੀ ਪੀੜ੍ਹੀ F2 ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਨਹੀਂ ਸਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਇਕ ਚੌਥਾਈ ਪੌਦੇ ਬੌਣੇ ਸਨ । ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਲੰਬੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਲੱਛਣ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਅਤੇ ਬੌਣੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਲੱਛਣ ਨੂੰ ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ ਕਿਹਾ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮੈਂਡਲ ਦੇ ਪ੍ਰਯੋਗਾਂ ਤੋਂ ਕਿਵੇਂ ਪਤਾ ਲੱਗ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਭਿੰਨ ਲੱਛਣ ਸੁਤੰਤਰ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲ ਨੇ ਦੋ ਭਿੰਨ ਲੱਛਣਾਂ ਵਾਲੇ ਮਟਰ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਉਗਾਇਆ । ਲੰਬੇ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਬੌਣੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਸੰਕਰਨ ਕਰਵਾ ਕੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸੰਤਾਨ ਵਿਚ ਲੰਬੇ ਅਤੇ ਬੌਣੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕੀਤੀ । ਪਹਿਲੀ ਸੰਤਾਨ ਪੀੜੀ (F1 ) ਵਿਚ ਕੋਈ ਪੌਦਾ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਚਾਈ ਦਾ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਸਨ । ਦੋ ਲੱਛਣਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸਿਰਫ਼ ਇੱਕ ਪਿਤਰੀ ਲੱਛਣ ਹੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਪਰ ਦੁਸਰੀ ਪੀੜੀ (F2) ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਪੌਦੇ ਲੰਬੇ ਨਹੀਂ ਸਨ ਬਲਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇੱਕ ਚੌਥਾਈ ਪੌਦੇ ਬੌਣੇ ਸਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਵੀ ਲੱਛਣ ਦੇ ਦੋ ਵਿਕਲਪ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਉਤਪੰਨ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਵੀ ਲੱਛਣ ਦੇ ਦੋ ਵਿਕਲਪਾਂ ਦੀ ਸੁਤੰਤਰ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇੱਕ ‘A’ ਲਹੂ ਵਰਗ ਵਾਲਾ ਪੁਰਸ਼ ਇੱਕ ਇਸਤਰੀ ਜਿਸ ਦਾ ਲਹੂ ਵਰਗ ‘O’ ਹੈ, ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਕਰਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੁੱਤਰੀ ਦਾ ਲਹੂ ਵਰਗ ‘O’ ਹੈ । ਕੀ ਇਹ ਸੂਚਨਾ ਪੂਰੀ ਹੈ ਜੇਕਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਵੇ ਕਿ ਲਹੂ ਗਰੁੱਪ ‘A’ ਜਾਂ ‘O’ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜਾ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣ ਹੈ ? ਆਪਣੇ ਉੱਤਰ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਕਾਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਲਹੂ ਵਰਗ ‘O’ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ F1 ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਰਗ ‘O’ ਪ੍ਰਕਟ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਸੂਚਨਾ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਲੱਛਣਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਟ ਕਰਨ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਹੈ ।

ਲਹੂ ਵਰਗ-A ਤੀਜਨ-A) ਦੇ ਲਈ ਜੀਨ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹੈ ਅਤੇ ਜੀਨ ਪ੍ਰਾਰੂਪ IA IA ਜਾਂ IA i.e. ਹੈ । ਇਸਤਰੀ ਦਾ ਲਹੂ ਵਰਗ ‘O’ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਉਸਦਾ ਜੀਨ ਪ੍ਰਾਰੂਪ ‘ii’ ਸਮਯੁਗਮੀ ਹੈ । ਪੁੱਤਰੀ ਦੇ ਲਹੂ ਵਰਗ ‘O’ ਨੂੰ ਖ਼ਾਸ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
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ਲਹੂ ਵਰਗ ‘O’ ਉਸੇ ਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਲਹੂ ਵਿਚ ਤੀਜਨ ‘A’ ਅਤੇ ਤੀਜਨ ‘B’ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਬੱਚੇ ਦਾ ਲਿੰਗ ਨਿਰਧਾਰਣ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਬੱਚੇ ਦਾ ਲਿੰਗ ਨਿਰਧਾਰਣ-ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਨਰ ਵਿਚ ‘XY’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ‘XX’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਮਾਦਾ ਦੇ ਕੋਲ Y-ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੀ ਨਹੀਂ । ਜਦੋਂ ਨਰ-ਮਾਦਾ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਨਾਲ ਸੰਤਾਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਮਾਦਾ ਕਿਸੇ ਵੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਨਰ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਮਰੱਥ ਹੋ ਹੀ ਨਹੀਂ ਸਕਦੀ ਕਿਉਂਕਿ ਨਰ ਬੱਚੇ ਵਿਚ ‘XY’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
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ਨਿਰਧਾਰਨ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਜੇ ਪੁਰਸ਼ ਦਾ ‘X’ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਇਸਤਰੀ ਦੇ ‘X’ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਨਾਲ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸ ਨਾਲ ‘XX’ ਜੋੜਾ ਬਣੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ਸੰਤਾਨ ਲੜਕੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਵੇਗੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਪੁਰਸ਼ ਦਾ ‘Y’ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਇਸਤਰੀ ਦੇ ‘X’ ਲਿੰਗ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਰੇਗਾ ਤਾਂ ‘XY’ ਬਣੇਗਾ । ਇਸ ਨਾਲ ਲੜਕੇ ਦਾ ਜਨਮ ਹੋਵੇਗਾ । ਕਿਸੇ ਵੀ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਲੜਕੇ ਜਾਂ ਲੜਕੀ ਦਾ ਜਨਮ ਪੁਰਸ਼ ਦੇ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਕਿਉਂਕਿ ‘Y’ ਗੁਣ ਸੂਤਰ ਤਾਂ ਸਿਰਫ਼ ਪੁਰਸ਼ ਕੋਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਉਹ ਕਿਹੜੇ ਭਿੰਨ ਢੰਗ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣਾਂ ਵਾਲੇ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਉਸ ਖ਼ਾਸ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਸਕਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੋ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਪਰਿਵਰਤਨ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਪੋਸ਼ਕ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਅਨੁਕੂਲ ਕੁਦਰਤੀ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲੱਛਣਾਂ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵੱਧ ਜਾਵੇਗੀ : ਕੁਦਰਤੀ ਚੋਣ ਅਤੇ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਅਨੁਕੂਲਤਾ ਇਸ ਕਾਰਜ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਹਿਯੋਗ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਇੱਕ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਜੀਵ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਹਿਣ ਕੀਤੇ ਲੱਛਣ ਆਮ ਕਰਕੇ ਅਗਲੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿੱਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਜੀਵ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕੀਤੇ ਲੱਛਣ ਉਸਦੇ ਜਣਨ ਸੈੱਲਾਂ ਦੀ ਜੀਨ ਤੇ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਪਾਉਂਦੇ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਆਮ ਕਰਕੇ ਅਗਲੀ ਪੀੜ੍ਹੀ ਵਿਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸ਼ੇਰਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਕਮੀ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਦੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ ਤੋਂ ਚਿੰਤਾ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ੇਰਾਂ ਵਿੱਚ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਲਗਭਗ ਨਹੀਂ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੈ । ਜੇ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਬਦਲਦੀਆਂ ਵਾਤਾਵਰਨੀ ਹਾਲਾਤਾਂ ਵਿਚ ਬਦਲਾਵ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਤਾਂ ਸਾਰੇ ਸ਼ੇਰ ਨਾਟਕੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਣਗੇ ।

ਉਦਾਹਰਨ ਲਈ – ਜੇ ਕਿਸੇ ਸ਼ੇਰ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਭਿਆਨਕ ਰੋਗ ਦਾ ਸੰਕ੍ਰਮਣ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਸਾਰੇ ਸ਼ੇਰ ਉਸੇ ਨਾਲ ਮਰ ਜਾਣਗੇ ਕਿਉਂਕਿ ਸੰਕ੍ਰਮਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜੀਨ ਦੀ ਆਵਿਰਤੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰੇਗਾ । ਸ਼ੇਰਾਂ ਦੀ ਘੱਟਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵੀ ਇਹੀ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਆਇਆ ਪਰਿਵਰਤਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਨੁਕੂਲ ਨਹੀਂ ਰਿਹਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਜਲਦੀ ਹੀ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਣਗੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਉਹ ਕਿਹੜੇ ਕਾਰਕ ਹਨ ਜੋ ਨਵੀਂ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਵੀਂ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਕ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-

  1. ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਅਪਵਹਿਣ
  2. ਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਪੈਦਾ ਉਤਪਰਿਵਰਤਨ ।
  3. ਦੋ ਜਨਸੰਖਿਆਵਾਂ ਦੀ ਇੱਕ-ਦੂਸਰੇ ਨਾਲ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਜਨਸੰਖਿਆਵਾਂ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਆਪਸ ਵਿਚ ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ ਪ੍ਰਜਣਨ ਨਹੀਂ ਕਰ ਪਾਉਂਦੇ ।
  4. ਕੁਦਰਤੀ ਚੋਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਕੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਖਰੇਵਾਂ ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੀ ਸਪੀਸ਼ੀਏਸ਼ਨ ਕਰਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਕ ਹੈ ? ਕਿਉਂ ਜਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭੂਗੋਲਿਕ ਸਥਿਤੀਆਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਵੱਖਰੇਵਾਂ ਹੋਵੇਗਾ । ਲੱਛਣ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-ਜਣਕੀ ਲੱਛਣ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨੀ ਲੱਛਣ ਸਵੈ-ਪਰਾਗਿਤ ਪ੍ਰਜਾਤੀ ਦੀ ਜੀਨ ਸੰਰਚਨਾ ਵਿਚ ਕੋਈ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਾ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਵੱਖਰੇਵਾਂ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨੀ ਲੱਛਣਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇਹ ਖੁਦ ਨੂੰ ਇੱਕ ਜਾਤੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਖਰੇਵਾਂ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਸਪੀਸ਼ੀਏਸ਼ਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਕ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਕਿਉਂ ਜਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਹੀਂ । ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪੀੜੀਆਂ ਤੱਕ ਵੱਖਰੇਵਾਂ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਭੂਗੋਲਿਕ ਵਖਰੇਵੇਂ ਨਾਲ ਕਈ ਪੀੜੀਆਂ ਤੱਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਪਵੇਗਾ । ਕਿਉਂਕਿ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਵੱਖਰੇਵਾਂ ਸਪੀਸ਼ੀਜ ਕਾਫ਼ੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਉਨ੍ਹਾਂ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਉਦਾਹਰਣ ਦਿਓ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਅਸੀਂ ਦੋ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦੇ ਨਿਰਧਾਰਨ ਲਈ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੰਛੀ, ਡੱਡੂ, ਛਿਪਕਲੀ, ਘੋੜਾ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿਚ ਚਾਰ ਪੈਰ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਦੀ ਮੁੱਢਲੀ ਸੰਰਚਨਾ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੈ । ਚਾਹੇ ਇਹ ਸਾਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕੰਮ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਅਜਿਹੇ ਸਮਜਾਤ ਲੱਛਣਾਂ ਤੋਂ ਵੱਖ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਅਲੱਗ-ਅਲੱਗ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੇ ਵਿਚ ਵਿਕਾਸੀ ਸੰਬੰਧ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕੀ ਇੱਕ ਤਿੱਤਲੀ ਅਤੇ ਚਮਗਿੱਦੜ ਦੇ ਖੰਭਾਂ ਨੂੰ ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ? ਕਿਉਂ ਜਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਿੱਤਲੀ ਅਤੇ ਚਮਗਿੱਦੜ ਦੋਨਾਂ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਖੰਭ ਉੱਡਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਜਾਤ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੰਖਾਂ ਦੀ ਮੂਲ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਉਤਪੱਤੀ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਚਾਹੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਜ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਮਰੂਪ ਅੰਗ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਪਥਰਾਟ ਕੀ ਹਨ ? ਇਹ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿੱਚ ਕੀ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਥਰਾਟ (Fossil) – ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਚੱਟਾਨਾਂ ਵਿੱਚ ਦੱਬੋ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪਥਰਾਟ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ | ਕਈ ਯੁਗ ਪਹਿਲਾਂ ਜਿਹੜੇ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਅਪਘਟਨ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਿਆ ਸੀ ਉਹ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲ ਗਏ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਛਾਪ ਗਿੱਲੀ ਮਿੱਟੀ ਤੇ ਰਹਿ ਗਈ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਮਿੱਟੀ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਚੱਟਾਨ ਵਿਚ ਬਦਲ ਗਈ ਸੀ । ਪਥਰਾਟ ਪੌਦਿਆਂ ਜਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਹਨ ।

ਪਥਰਾਟ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੀਆਂ ਜਾਣਕਾਰੀਆਂ-

  1. ਅੱਜ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਤੋਂ ਪੁਰਾਤਨ-ਕਾਲ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂ ਬਹੁਤ ਵੱਖ ਸਨ ।
  2. ਪੰਛੀਆਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਰੀਂਗਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਤੋਂ ਹੋਇਆ ਹੈ ।
  3. ਟੈਰੀਡੋਫਾਈਟ ਅਤੇ ਜਿਮਨੋਸਪਰਮ ਤੋਂ ਐਂਜੀਓਸਪਰਮ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਏ ।
  4. ਸਰਲ ਜੀਵਾਂ ਤੋਂ ਹੀ ਜਟਿਲ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ।
  5. ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਵਰਗਾਂ ਦੇ ਵਿਕਾਸਕੂਮ ਦਾ ਪਤਾ ਚਲਦਾ ਹੈ ।
  6. ਮਨੁੱਖੀ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਪਤਾ ਚਲਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਕੀ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕਿ ਆਕਾਰ, ਰੰਗ-ਰੂਪ ਅਤੇ ਦਿੱਖ ਇੰਨੇ ਭਿੰਨ ਵਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਮਨੁੱਖ ਇੱਕ ਹੀ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸਥਾਨਾਂ ਤੇ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੀ ਆਕ੍ਰਿਤੀ, ਆਕਾਰ, ਰੰਗ-ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵੱਖਰੇਂਵਾਂ ਅਸਲ ਵਿਚ ਆਭਾਸੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਭਿੰਨਤਾ ਦਾ ਜੈਵਿਕ ਆਧਾਰ ਤਾਂ ਹੈ ਪਰ ਸਾਰੇ ਮਨੁੱਖ ਇੱਕ ਹੀ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਵਿਚਲਨ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਵਿਚਲਨ ਹੀ ਕਿਸੇ ਸਪੀਸ਼ੀਜ਼ ਨੂੰ ਦੂਸਰੇ ਤੋਂ ਭਿੰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕਤਾ ਅਤੇ ਜੀਵ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਹੋ ਕਿ ਬੈਕਟੀਰੀਆ, ਮੱਕੜੀ, ਮੱਛੀ ਅਤੇ ਚਿਮਪੈਂਜੀ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਦੀ ਸਰੀਰਕ ਬਣਤਰ ਉੱਤਮ ਹੈ ? ਆਪਣੇ ਉੱਤਰ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਧਰਤੀ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ਸੀ ਅਤੇ ਬੈਕਟੀਰੀਆ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਬਣਨ ਵਾਲੇ ਜੀਵ ਹਨ । ਯੁਗਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਹ ਅਜੇ ਵੀ ਆਪਣੀ ਹੋਂਦ ਕਾਇਮ ਰੱਖੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਫਲਤਾਪੂਰਵਕ ਸਹਿਣ ਕੀਤਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਅਨੁਕੂਲ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਵਿਸਤਾਰ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਪੂਰਨ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸਫ਼ਲ ਅਤੇ ਸਮਰੱਥ ਹਨ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੱਕੜੀ, ਮੱਛੀ, ਅਤੇ ਚਿਮਪੈਂਜੀ ਨੇ ਵੀ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀਕੂਲ ਹਾਲਾਤਾਂ ਵਿਚ ਢਾਲਣ ਲਈ ਅਨੁਕੂਲ ਕੀਤਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਾਰਿਆਂ ਦੀ ਸਰੀਰਕ ਬਣਤਰ ਉੱਤਮ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

PSEB 10th Class Science Guide ਬਿਜਲੀ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R ਦੇ ਕਿਸੇ ਤਾਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਪੰਜ ਬਰਾਬਰ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਕੱਟਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਟੁਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਫਿਰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜੇਕਰ ਸੰਯੋਗ ਦਾ ਡੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R’ ਹੈ ਤਾਂ \(\frac{\mathbf{R}}{\mathbf{R}^{\prime}}\) ਅਨੁਪਾਤ ਦਾ ਮਾਨ ਹੈ :
(a) \(\frac {1}{25}\)
(b) \(\frac {1}{5}\)
(c) 5
(d) 25.
ਹੱਲ :
ਹਰੇਕ ਕੱਟੇ ਹੋਏ ਭਾਗ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ \(\frac{R}{5}\)
ਤਿਰੋ
∴ R1 = R2 = R3 = R4 = R5 = \(\frac{R}{5}\) ਹੋਵੇਗਾ
ਪੰਜਾਂ ਕੱਟੇ ਹੋਏ ਟੁਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਤੇ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 1
∴ R’ = \(\frac{\mathrm{R}}{25}\)
ਜਾਂ = \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{R}^{\prime}}\) = 25
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ (d) 25 ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਪਦ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ?
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R.
ਹੱਲ :
ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ P = V × I
= (IR) × I
= I2R
= (\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\))2 × R (∵\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\) = R)
= \(\frac{V^{2}}{R}\)
ਸਿਰਫ਼ IR2 ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਹੋਵੇਗਾ (b) IR2

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਬੱਲਬ ਉੱਤੇ 220 V ਅਤੇ 100 ਅੰਕਿਤ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਇਸਨੂੰ 110V ਉੱਤੇ ਚਾਲੂ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਇਸ ਦੁਆਰਾ ਵਰਤੀ ਸ਼ਕਤੀ ਹੋਵੇਗੀ :
(a) 100W
(b) 75W
(c) 50W
(d) 25 W.
ਹੱਲ :
ਸੂਤਰ P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) miss
ਬੱਲਬ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{100}\)
= \(\frac{220 \times 220}{100}\)
= 484Ω
∴ ਦੂਜੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ 110v ਤੇ ਚਾਲੂ ਕਰਨ ਨਾਲ ਬੱਲਬ ਦੁਆਰਾ ਖ਼ਪਤ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸ਼ਕਤੀ
p1 = \(\frac{\mathrm{V}_{1}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{(110)^{2}}{484}\)
= \(\frac{110 \times 110}{484}\)
= 25 W
ਇਸ ਲਈ ਸਹੀ ਉੱਤਰ (d) 25 ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਦੋ ਚਾਲਕ ਤਾਰਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਦਾਰਥ, ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਵਿਆਸ ਬਰਾਬਰ ਹਨ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਜਿਸਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਉਹੀ ਹੋਵੇ, ਪਹਿਲਾਂ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਫਿਰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜੀਆਂ ਗਈਆਂ । ਲੜੀ ਅਤੇ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਸੰਯੋਗ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਤਾਪ ਦਾ ਅਨੁਪਾਤ ਹੋਵੇਗਾ :
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 4
(d) 4 : 1.
ਹੱਲ :
ਕਿਉਂਕਿ ਸਾਰੇ ਚਾਲਕ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਪਦਾਰਥ, ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਵਿਆਸ ਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਲਈ ਸਾਰਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਬਰਾਬਰ ਹੋਵੇਗਾ। ਮੰਨ ਲਓ ਇਹ R ਹੈ।
ਦੋਨਾਂ ਚਾਲਕ ਤਾਰਾਂ ਨੂੰ ਲੜੀਕਮ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ Rs = R + R = 2R
ਦੋਨਾਂ ਚਾਲਕ ਤਾਰਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ \(\frac{1}{R_{p}}=\frac{1}{R}+\frac{1}{R}=\frac{2}{R}\)
ਲੜੀਕਮ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਉਤਪੰਨ ਹੋਇਆ ਤਾਪ H1 = Ps = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{s}}\)
ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਉਤਪੰਨ ਹੋਇਆ ਤਾਪ H2 = pp = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{p}}\)
ਜੇਕਰ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ V ਹੈ ਤਾਂ ਦੋਨਾਂ ਸੰਯੋਜਨਾਂ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਤਾਪ ਦਾ ਅਨੁਪਾਤ
\(\frac{\mathrm{H}_{1}}{\mathrm{H}_{2}}\) = \(\frac{\mathrm{V}^{2} / \mathbf{R}_{s}}{\mathrm{~V}^{2} / \mathbf{R}_{p}}=\frac{\mathbf{R}_{p}}{\mathbf{R}_{s}}=\frac{\mathbf{R} / 2}{2 \mathbf{R}}\) = \(\frac{1}{4}\)
ਇਸ ਲਈ ਸਹੀ ਉੱਤਰ (c) 1 : 4 ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਮਾਪਣ ਲਈ ਵੋਲਟਮੀਟਰ ਨੂੰ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਦੇ ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਮਾਪਣ ਲਈ ਵੋਲਟਮੀਟਰ ਨੂੰ ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਵਿਚਲੇ ਸਮਾਨਅੰਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਇੱਕ ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਤਾਰ ਦਾ ਵਿਆਸ 0.5 mm ਅਤੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ 1.6 × 10-8Ωm ਹੈ। 10Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕਿੰਨੀ ਲੰਬੀ ਤਾਰ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੋਵੇਗੀ ? ਜੇਕਰ ਇਸ ਤੋਂ ਦੁੱਗਣੇ ਵਿਆਸ ਦੀ ਤਾਰ ਲਈ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਆਵੇਗਾ ?
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਤਾਰ ਦੀ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ (ρ) = 1.6 × 10-8Ωm
ਤਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ (R) = 10Ω
ਤਾਰ ਦਾ ਵਿਆਸ (2r) = 0.5 mm
= 5 × 10-4m
∴ ਤਾਰ ਦਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ (r) = 25 × 10-4 m
ਤਾਰ ਦੇ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ (A) = πr2
= 3.14 × (2.5 × 10-4)2 m2
= 19.625 × 10-8 m2
:: ਸੂਤਰ R = ρ\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\) ਤੋਂ
ਤਾਰ ਦੀ ਲੰਬਾਈ (l) = \(\frac{\mathrm{R} \times \mathrm{A}}{\rho}\)
= = \(\frac{10 \times 19.625 \times 10^{-8}}{1.6 \times 10^{-8}}\)
= 12.26 × 103 m
= 12260m
ਵਿਆਸ ਦੁੱਗਣਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਤਾਰ ਦਾ ਅਰਧ-ਵਿਆਸ ਵੀ ਦੁਗਣਾ ਅਤੇ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ (A = πr2). ਚੌਗੁਣਾ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ।
∴ R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
∴ ਖੇਤਰਫਲ ਚੌਗੁਣਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਤਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ \(\frac{1}{4}\) ਰਹਿ ਜਾਏਗਾ।
ਅਰਥਾਤ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R’ = \(\frac{1}{4}\)R
= \(\frac{1}{4}\) × 10
= 2.5Ω

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕਿਸੇ ਤਿਰੋਧਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ vਦੇ ਭਿੰਨ ਮਾਨਾਂ ਲਈ ਉਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾਵਾਂ V ਦੇ ਸੰਗਤ ਮਾਨ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਗਏ
ਹਨ :
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 2
V ਅਤੇ I ਦੇ ਵਿੱਚ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਖਿੱਚ ਕੇ ਇਸ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦਾ ਤਿਰੋਧ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਲੋੜੀਂਦੇ ਗ੍ਰਾਫ਼ ਦੇ ਲਈ ਨਾਲ ਦਿੱਤਾ ਹੋਇਆ ਚਿੱਤਰ ਵੇਖੋ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 3
ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ = ਗ੍ਰਾਫ਼ ਦੀ ਢਲਾਨ
ਅਰਥਾਤ R = \(\frac{\Delta V}{\Delta I}\)
ਦਿੱਤੇ ਹੋਏ ਅੰਕੜਿਆਂ ਤੋਂ
V1 = 3.4V, V2 = 10.2 V
ਸੰਗਤ I1 = 1.0A, I2 = 3.4
∴ ΔV = V2 – V1
= 10.2 – 3.4
= 6.8V
ਅਤੇ ΔI = I2 – I1
= 3.0A – 1.0A
= 2.0 A
∴ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R = \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\Delta \mathrm{I}}\)
= \(\frac{6.8 \mathrm{~V}}{2.0 \mathrm{~A}}\)
= 3.4Ω

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਕਿਸੇ ਅਗਿਆਤ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ 12V ਦੀ ਬੈਟਰੀ ਜੋੜਨ ਤੇ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ 2.5mA ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਤਿਰੋਧਕ ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ V = 12V
ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਧਾਰਾ I = 2.5 mA
= 2.5 × 10-3 A
ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)
= \(\frac{12}{2.5 \times 10^{-3}}\)
= \(\frac{12 \times 10^{3}}{2.5}\)
= 4.8 × 103
= 4.8KΩ

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
9V ਦੀ ਬੈਟਰੀ ਨੂੰ 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω ਅਤੇ 12Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨਾਲ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। 12Ω ਦੇ ਤਿਰੋਧਕ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਵੇਗੀ ?
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, R1 = 0.2Ω, R2 = 0.3Ω, R3 = 0.4Ω, R4 = 0.5Ω, R5 = 12Ω
ਲੜੀ ਸੰਯੋਜਨ ਦਾ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R = R1 + R2 + R3 + R4 + R5
= 0.2 + 0.3 + 0.4 + 0.5 + 12
= 13.4Ω
ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਰਹੀ ਕੁੱਲ ਧਾਰਾ I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{9 \mathrm{~V}}{13.4 \Omega}\)
= 0.67A
ਲੜੀ ਸੰਯੋਜਨ ਵਿੱਚ ਹਰੇਕ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਵਿੱਚੋਂ 0.67A ਦੀ ਧਾਰਾ ਹੀ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਵੇਗੀ।
∴ 12Ω ਦੇ ਤਿਰੋਧਕ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਧਾਰਾ = 0.67A

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
176Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੇ ਕਿੰਨੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਕਿ 220v ਦੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰੋਤ ਤੋਂ 5A ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਵੇ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਸਰੋਤ ਦਾ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ V = 220 V
ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ I = 5A
∴ ਸੰਯੋਜਨ ਦਾ ਤੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)
= \(\frac{220 \mathrm{~V}}{5 \mathrm{~A}}\)
ਜਾਂ R = 44Ω
R1 = R2 = R3 ……………….. = Rn = 176Ω
ਮੰਨ ਲਓ ਅਜਿਹੇ n ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਜੋੜੇ ਗਏ ਹਨ, ਤਾਂ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 4
= \(\frac{176}{44}\) = 4
ਇਸ ਲਈ 4 ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਹੀ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਜੋੜੇ ਜਾਣਗੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਇਹ ਦਰਸਾਓ ਕਿ ਤੁਸੀਂ 6Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੇ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਜੋੜੋਗੇ ਕਿ ਸੰਯੋਗ ਦਾ ਤਿਰੋਧ : (i) 9Ω (ii) 4Ω ਹੋਵੇ।
ਹੱਲ :
(i) 9Ω ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਪਹਿਲੇ ਦੋ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਤੀਸਰੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਨੂੰ ਇਸ ਸੰਯੋਜਨ ਨਾਲ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨਾ ਹੋਵੇਗਾ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 5
ਮੰਨ ਲਓ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਸੰਯੋਗ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R ਹੈ ।
∴ = \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}\)
= \(\frac{1}{6}+\frac{1}{6}\)
= \(\frac{2}{6}\)
∴ R = \(\frac{6}{2}\) = 3Ω
ਇਹ 3Ω ਦਾ ਤੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ, 6Ω ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਨਾਲ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੁੜ ਕੇ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ = r3 + R
= 6Ω + 3Ω
= 92 ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ਉੱਤਰ

(ii) ਸੰਯੋਜਨ ਦਾ ਤੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ 4Ω ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਪਹਿਲੇ 6Ω ਦੇ ਦੋ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨਾ ਹੋਵੇਗਾ ਅਤੇ ਉਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਨਾਲ ਤੀਸਰਾ ਤਿਰੋਧਕ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਜੋੜਿਆ ਜਾਵੇਗਾ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 6
6Ω ਤੇ 6Ω ਦੇ ਦੋ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਤੇ
ਸੰਯੋਜਨ ਦਾ ਤੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R = r1 + r2
= 6 + 6
= 12Ω ਹੋਵੇਗਾ |
ਇਹ 12Ω ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਤੀਸਰੇ 6Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਨਾਲ ਸਮਾਨਅੰਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਨਾਲ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R’ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗਾ ।
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{1}{6}+\frac{1}{12}\)
= \(\frac{2+1}{12}\)
= \(\frac{3}{12}\)
= \(\frac{1}{4}\)
∴ R’ = 4Ω

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
220 v ਦੀ ਬਿਜਲਈ ਲਾਇਨ ਉੱਤੇ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਬਲਬਾਂ ਨੂੰ 10W ਅੰਕਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਜੇਕਰ 220v ਲਾਇਨ ਵਿੱਚ ਅਨੁਮਾਨਤ ਅਧਿਕਤਮ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ 5A ਹੈ ਤਦ ਇਸ ਲਾਇਨ ਦੀਆਂ ਦੋ ਤਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਬੱਲਬ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਹੱਲ :
ਮੰਨ ਲਓ n ਬੱਲਦਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਹੈ,
ਤਾਂ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ p = n × ਇੱਕ ਬੱਲਬ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ
n × 10
= 10n ਵਾਟ (W)
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, V = 220V
I = 5A
P = V × 1 ਤੋਂ
10n = 220 × 5
∴ n = \(\frac{220 \times 5}{10}\)
= 110
ਅਰਥਾਤ 110 ਬੱਲਦਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ

ਵਿਕਲਪਿਕ ਤਰੀਕਾ
ਹਰੇਕ ਬੱਲਬ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ (r) = \(\frac{V^{2}}{P}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{10}\)
= \(\frac{220 \times 220}{10}\)
= 4840Ω
ਸਰਕਟ ਦੀ ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧਕਤਾ (R) =\(\frac{220 \mathrm{~V}}{5 \mathrm{~V}}\)
= 44Ω
ਮੰਨ ਲਓ ਬੱਲਬਾਂ ਦੀ ਕੁੱਲ ਸੰਖਿਆ n ਹੈ, ਤਾਂ
ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ (R) = \(\frac{r}{n}\)
⇒ ਬੱਲਬਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ n = \(\frac{r}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{4840}{44}\)
= 110

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਇੱਕ ਬਿਜਲਈ ਭੱਠੀ ਦੀ ਤਪਤ ਪਲੇਟ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਕੁੰਡਲੀਆਂ A ਅਤੇ B ਦੀਆਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਹਰ ਇੱਕ ਦਾ ਤਿਰੋਧ 24Ω ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜਾਂ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜ ਕੇ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਇਹ ਭੱਠੀ 220 V ਬਿਜਲਈ ਸਰੋਤ ਨਾਲ ਜੋੜੀ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਤਿੰਨਾਂ ਕੇਸਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾਵਾਂ ਕੀ ਹਨ ?
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ V = 220 V
ਕੁੰਡਲੀਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R1 = R2 = 24Ω
ਪਹਿਲੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ-ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ
ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ
R = R1 = 24Ω
∴ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ I = \(\frac{V}{R}\)
= \(\frac{220}{24}\)
= 9.17A

ਦੂਜੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ – ਜਦੋਂ ਦੋਨਾਂ ਕੁੰਡਲੀਆਂ ਨੂੰ ਲੜੀਬੱਧ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ
ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ R = R1 + R2
= 24 + 24 = 48Ω
ਲੜੀਬੱਧ ਵਿੱਚ ਜੁੜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਕੁੰਡਲੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਧਾਰਾ I = \(\frac{V}{R}\)
= \(\frac{220}{48}\)
= 4.58A

ਤੀਸਰੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ – ਜਦੋਂ ਕੁੰਡਲੀਆਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ
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I = 18.3A

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਰਕਟਾਂ ਵਿੱਚ ਹਰ ਇੱਕ ਵਿੱਚ 2Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦੁਆਰਾ ਖਪਤ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ-
(i) 6V ਦੀ ਬੈਟਰੀ ਨਾਲ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ ਗਏ 1Ω ਅਤੇ 2Ω ਦੇ ਤਿਰੋਧਕ
(ii) 4V ਦੀ ਬੈਟਰੀ ਨਾਲ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਜੋੜੇ ਗਏ 12Ω ਅਤੇ 2Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ॥
ਹੱਲ :
(i) ਦਿੱਤਾ ਹੈ, V = 6V
1Ω ਅਤੇ 2Ω ਦੇ ਲੜੀ ਸੰਯੋਜਨ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R = 1Ω + 2Ω
= 3Ω
ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚੋਂ ਗੁਜ਼ਰ ਰਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ I = \(\frac{V}{R}\)
= \(\frac{6}{3}\)
∴ I = 2A
ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ ਗਏ ਹਰੇਕ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਵਿੱਚੋਂ 2A ਦੀ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਵੇਗੀ।
∴ 2Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦੁਆਰਾ ਖ਼ਪਤ ਸ਼ਕਤੀ P1 = I2R
= (2)2 × 2
= 4 × 2
∴ P1 = 8 ਵਾਟ (W)

(ii) ∵ ਦੋਨੋਂ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਜੁੜੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਇਸ ਲਈ ਹਰੇਕ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿਚਾਲੇ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ 4V ਹੋਵੇਗਾ ।
∴ 2Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੁਆਰਾ ਖ਼ਪਤ ਹੋਈ ਸ਼ਕਤੀ p2 = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{(4)^{2}}{2}\)
= \(\frac{16}{2}\)
P2= 8 ਵਾਟ (W)
ਇਸ ਲਈ ਦੋਨਾਂ ਅਵਸਥਾਵਾਂ ਵਿੱਚ 2Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਸ਼ਕਤੀ ਖ਼ਰਚ ਹੋਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਦੋ ਬਿਜਲਈ ਲੈਂਪ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਤੇ 100w; 220V ਅੰਕਿਤ ਹੈ ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਤੇ 60W, 220V ਹੈ, ਬਿਜਲਈ ਮੁੱਖ ਲਾਇਨ ਨਾਲ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ ਗਏ ਹਨ। ਜੇਕਰ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਦੀ ਵੋਲਟਤਾ 220 V ਹੈ ਤਾਂ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਮੁੱਖ ਲਾਇਨ ਤੋਂ ਕਿੰਨੀ ਧਾਰਾ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਹੱਲ :
ਪਹਿਲੇ ਬਿਜਲਈ ਲੈਂਪ ਲਈ, ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ V1 = 220 V,
ਲੈਂਪ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ P1 = 100W
ਮੰਨ ਲਓ ਇਸ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R1 ਹੈ, ਤਾਂ P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) ਤੋਂ
ਪਹਿਲੇ ਲੈਂਪ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R1 = \(\frac{V_{1}^{2}}{P_{1}}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{100}\)
= \(\frac{220 \times 220}{100}\)
∴ R1 = 484Ω
ਦੂਜੇ ਲੈਂਪ ਲਈ, ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ V2 = 220V,
ਲੈਂਪ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ P2 = 60W
ਦੂਜੇ ਲੈਂਪ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R2 = \(\frac{\mathrm{V}_{2}^{2}}{\mathrm{p}_{2}}\)
= \(\frac{(220)^{2}}{60}\)
= \(\frac{220 \times 220}{60}\)
∴ R1 = \(\frac{2420}{3}\)Ω
ਦੋਨਾਂ ਲੈਂਪਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਜੋੜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਜਨ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R ਹੋਵੇ, ਤਾਂ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 8
∵ ਲਾਇਨ ਵੋਲਟਤਾ V = 220V
∴ ਲਾਇਨ ਤੋਂ ਲਈ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220}{302.5}\)
∴ I = 0.73A

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਕਿਸ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ :
250W ਦਾ ਟੀ. ਵੀ. ਸੈਂਟ (TV) ਜੋ ਇੱਕ ਘੰਟੇ ਤੱਕ ਚਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ 1200W ਦਾ ਬਿਜਲਈ ਟੋਸਟਰ ਜੋ 10 ਮਿੰਟ ਲਈ ਚਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਹੱਲ :
ਟੀ.ਵੀ. ਸੈਂਟ (TV) ਲਈ P1 = 250W
= 250 JS-1
t1 = 1h
= 60 × 60s
ਟੀ.ਵੀ. ਸੈਂਟ ਦੁਆਰਾ ਵਰਤੀ ਗਈ ਊਰਜਾ = P1 × t1
= 250 × (60 × 60)
= 900000 J
= 9 × 105 J ਟੋਸਟਰ ਲਈ, …………… (i)
P2 = 1200W
= 1200 JS-1
t2 = 10 ਮਿੰਟ
= 10 × 60s
ਟੋਸਟਰ ਦੁਆਰਾ ਵਰਤੀ ਗਈ ਊਰਜਾ = P2 × t2
= 1200 × (10 × 60)
= 720000 J
= 7.2 × 105J ………..(ii)
ਸਮੀਕਰਨ (i) ਅਤੇ (ii) ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ T.V. ਸੈਂਟ ਦੁਆਰਾ ਖ਼ਪਤ ਹੋਈ ਊਰਜਾ ਵੱਧ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
8Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦਾ ਇੱਕ ਬਿਜਲਈ ਹੀਟਰ ਬਿਜਲਈ ਮੁੱਖ ਲਾਇਨ ਤੋਂ 2 ਘੰਟੇ ਤੱਕ 15A ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ। ਹੀਟਰ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਤਾਪ ਦੀ ਦਰ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕਰੋ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, . R = 8 Ω
I = 15A
ਬਿਜਲਈ ਹੀਟਰ ਵਿਚ ਤਾਪ ਉਤਪੰਨ ਹੋਣ ਦੀ ਦਰ ਅਰਥਾਤ ਬਿਜਲਈ ਹੀਟਰ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ
P = I2R
= (15)2 × 8
= 225 × 8
= 1800 W

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ :
(a) ਬਿਜਲੀ-ਲੈਂਪਾਂ ਦੇ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਾਤਰ ਟੰਗਸਟਨ ਦਾ ਹੀ ਉਪਯੋਗ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
(b) ਬਿਜਲਈ ਤਾਪਨ ਯੰਤਰਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਬੈਂਡ ਟੋਸਟਰ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਪ੍ਰੈੱਸ ਦੇ ਚਾਲਕ ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤੁਆਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ਤੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਕਿਉਂ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
(c) ਘਰੇਲੂ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟਾਂ ਵਿੱਚ ਲੜੀ ਸੰਯੋਜਨ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ?
(d) ਇੱਕ ਤਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਉਸਦੀ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ ਦੇ ਖੇਤਰਫਲ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਾਲ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਬਦਲਦਾ ਹੈ ?
(e) ਬਿਜਲੀ ਸੰਚਾਰਣ ਦੇ ਲਈ ਕਾਪਰ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਕਿਉਂਕਿ ਟੰਗਸਟਨ ਦੀ ਉੱਚ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ (5.2 × 10-8 ਓਹਮ-ਮੀਟਰ) ਹੈ ਅਤੇ ਟੰਗਸਟਨ ਦਾ ਪਿਘਲਾਓ ਦਰਜਾ ਵੀ ਹੋਰਨਾਂ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਉੱਚਾ (3400°C) ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਬਿਜਲਈ ਲੈਪਾਂ ਦੇ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਸਿਰਫ ਟੰਗਸਟਨ ਧਾਤੂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(b) ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤੂਆਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਤਪ ਵੱਧਣ ਨਾਲ ਇਸ ਦੀ ਤਿਰੋਧਕਤਾ ਵਿੱਚ ਨਾਂ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਛੁਟ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਵੀ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਪਰਿਣਾਮਸਰੂਪ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਚਾਲਕਾਂ ਦੀ ਉਮਰ ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਚਾਲਕਾਂ ਦੀ ਉਮਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸੇ ਲਈ ਬੈਂਡ ਟੋਸਟਰ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਪੈਂਸਾਂ ਦੇ ਫ਼ਿਲਾਮੈਂਟ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

(c) ਲੜੀਕਮ ਸੰਯੋਜਨ ਵਿੱਚ ਜਿਵੇਂ-ਜਿਵੇਂ ਹੋਰ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਜੁੜਦੇ ਹਨ, ਸਰਕਟ ਦਾ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਵੱਧਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਤਿਰੋਧਕਾਂ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਘੱਟਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿਚ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵੀ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਲੜੀਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਾ ਕਰੀਏ ਤਾਂ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਜਿੰਨੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਲੈਂਪ ਸੰਯੋਜਿਤ ਹੋਣਗੇ, ਓਨਾ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਘੱਟ ਜਾਵੇਗਾ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਲੜੀਮ ਵਿਵਸਥਾ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸਵਿੱਚ ਆਂਨ ਕਰਨ ਤੇ ਸਾਰੇ ਬਲਬ ਇੱਕੋ ਸਮੇਂ ਚਮਕਣਗੇ ਅਤੇ ਸਵਿੱਚ ਆਫ’ ਕਰਨ ਤੇ ਵੀ ਸਾਰੇ ਬਲਬ ਇਕੱਠੇ ਬੁਝ ਜਾਣਗੇ ਜਦੋਂ ਕਿ ਸਮਾਨੰਤਰ ਕੂਮ ਵਿਵਸਥਾ ਕਰਨ ਤੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਕਿਸੇ ਵੀ ਬਲਬ ਨੂੰ ਜਗਾਇਆ ਜਾਂ ਬੁਝਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

(d) ਤਾਰ ਦਾ ਤਿਰੋਧ ਉਸਦੀ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ ਦੇ ਖੇਤਰਫਲ ਦੇ ਉਲਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ (R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)) ਅਰਥਾਤ ਮੋਟੀ ਤਾਰ ਦਾ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ ਵੱਧ ਹੋਵੇਗਾ ਅਤੇ ਉਸਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਘੱਟ ਹੋਵੇਗਾ ।

(e) ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕਾਂ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੀ ਥਾਂ ਤੇ ਚਾਂਦੀ, ਦੁਸਰੀ ਥਾਂ ਤੇ ਤਾਂਬਾ ਅਤੇ ਤੀਸਰੀ ਥਾਂ ਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਹੈ। ਚਾਂਦੀ ਇੱਕ ਕੀਮਤੀ ਧਾਤ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਉਪਲੱਬਧ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਨ ਵਿਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਚਾਂਦੀ ਦੀ ਜਗ੍ਹਾ ਤੇ ਸਸਤੀ ਅਤੇ ਕਾਫ਼ੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਤਾਂਬਾ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਬਿਜਲੀ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ – ਬਿਜਲੀ ਸਰੋਤ ਤੋਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਘਟਕਾਂ ਤੋਂ ਹੋ ਕੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਲਗਾਤਾਰ ਅਤੇ ਬੰਦ ਪੱਥ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਘਟਕ – ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਮੁੱਖ ਘਟਕ ਹਨ-

  1. ਬਿਜਲੀ ਸਰੋਤ (ਬੈਟਰੀ ਜਾਂ ਸੈੱਲ)
  2. ਚਾਲਕ ਤਾਰ
  3. ਸਵਿੱਚ (ਕੁੰਜੀ)
  4. ਕੋਈ ਹੋਰ ਉਪਕਰਨ ਜਿਹੜਾ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਗਿਆ ਹੋਵੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਇਕਾਈ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਜਾਂ
ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦੀ ਇਕਾਈ ਦਾ ਨਾਂ ਅਤੇ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ S.I ਮਾਤ੍ਰਿਕ ਐਮਪੀਅਰ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ ‘A’ ਨਾਲ ਪ੍ਰਗਟਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਐਮਪੀਅਰ-ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚੋਂ 1 ਸੈਕਿੰਡ ਵਿੱਚ 1 ਭੂਲਾਂਮ ਚਾਰਜ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤੀ ਗਈ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਨੂੰ 1 ਐਮਪੀਅਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
∴ 1A= \(\frac{1 \mathrm{C}}{1 s}\)

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਇੱਕ ਕੂਲਾਂਮ ਚਾਰਜ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ, 1 ਇਲੈਂਕਨ ਚਾਰਜ = 1.6 × 10-19C
ਮੰਨ ਲਓ 1 ਕੂਮ ਰਚਨਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਇਲੈਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ = n
∴ n × 1.6 × 10-19C = 1C
ਜਾਂ n = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{1 \times 10^{19}}{1.6}\)
= \(\frac{10}{16}\) × 1019
= 0.625 × 1019
= 6.25 × 1018
ਇਸ ਲਈ 1 ਕੂਲਾਂਮ ਚਾਰਜ (C) = 6.25 × 1018 ਇਲੈੱਕਟੂਨ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਉਸ ਯੁਕਤੀ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜੋ ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਉੱਤੇ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਬਣਾਏ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ।
ਉੱਤਰ-
ਸੈੱਲ ਇੱਕ ਅਜਿਹੀ ਯੁਕਤੀ (ਜੁਗਤ) ਹੈ ਜੋ ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਉੱਤੇ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਬਣਾਏ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇਹ ਕਹਿਣ ਦਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ਕਿ ਦੋ ਬਿੰਦੁਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ 1v ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ 1 ਵੋਲਟ (V) ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਕਿ ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਵਿਚਕਾਰ 1 ਕੂਲਾਮ ਚਾਰਜ ਲਿਜਾਣ ਵਿੱਚ 1 ਜੂਲ ਕਾਰਜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
6 v ਵੋਲਟ ਬੈਟਰੀ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਣ ਵਾਲੇ ਹਰ ਇੱਕ ਕੂਲਾਂਮ ਚਾਰਜ ਨੂੰ ਕਿੰਨੀ ਊਰਜਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਹੱਲ :
ਇੱਥੇ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ (V) = 6 ਵੋਲਟ
ਚਾਰਜ ਦੀ ਮਾਤਰਾ (Q) = 1 ਕੂਲਾਂਮ
ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਊਰਜਾ (ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਕਾਰਜ) (W) = ?
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 9
ਅਰਥਾਤ V = \(\frac{\mathrm{W}}{\mathrm{Q}}\)
:: ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਊਰਜਾ W = V × Q
= 6 ਵੋਲਟ × 1 ਕੂਲਾਂਮ
= 6 ਜੂਲ (J)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦਾ ਤਿਰੋਧ ਕਿਹੜੇ ਕਾਰਕਾਂ ਉੱਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਾਲਕ ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੀ ਨਿਰਭਰਤਾ – ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦਾ ਤਿਰੋਧ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਕਾਂ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ-
(i) ਚਾਲਕ ਦੀ ਲੰਬਾਈ (l)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਚਾਲਕ ਦੀ ਲੰਬਾਈ (l) ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਅਰਥਾਤ R ∝ l ………(1)

(ii) ਚਾਲਕ ਦੀ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ (A)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦਾ ਤਿਰੋਧ ਉਸਦੀ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ (A) ਦੇ ਖੇਤਰਫਲ ਦਾ ਉਲਟ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਅਰਥਾਤ R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\) ………(2)

(iii) ਚਾਲਕ ਦੇ ਪਦਾਰਥ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਉਸ ਚਾਲਕ ਦੇ ਪਦਾਰਥ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਕਾਰਕਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜਨ (ਸੰਯੋਜਿਤ) ਨਾਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ :
R ∝ \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
ਜਾਂ R = ρ × \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\) ਜਿੱਥੇ ਏ ਅਨੁਪਾਤੀ ਸਥਿਰ ਅੰਕ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਸਮਾਨ ਪਦਾਰਥ ਦੀਆਂ ਦੋ ਤਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਜੇਕਰ ਇੱਕ ਪਤਲੀ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਮੋਟੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਧਾਰਾ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਵੇਗੀ, ਜਦੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨ ਬਿਜਲਈ ਸਰੋਤ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਚਾਲਕ ਤਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਉਸ ਤਾਰ ਦੀ ਪਰਿਖੇਤਰ ਕਾਟ (Area of cross-section) ਦੇ ਉਲਟ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਰਥਾਤ ਮੋਟੀ ਤਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਘੱਟ ਅਤੇ ਪਤਲੀ ਤਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਵੱਧ ਹੋਵੇਗਾ।
ਹੁਣ R ∝ \(\frac{1}{l}\)
ਇਸ ਲਈ ਮੋਟੀ ਤਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਪਤਲੀ ਤਾਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਉਸ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਬਹਾਓ ਅਧਿਕ ਅਤੇ ਸੌਖ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮੰਨ ਲਓ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਘਟਕ ਦੇ ਦੋ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਨੂੰ ਉਸ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਘਟਾ ਕੇ ਅੱਧਾ ਕਰ ਦੇਣ ਤੇ ਵੀ ਉਸ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਨਿਸਚਿਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਤਾਂ ਉਸ ਪਦਾਰਥ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਵਿੱਚ ਕੀ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੋਵੇਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੰਨ ਲਓ ਪਹਿਲੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਦੋ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ V, ਤਿਰੋਧ R ਅਤੇ Q ਗੁਜ਼ਰ ਰਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ I ਹੈ, ਤਾਂ
ਓਮ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) ………..(1)
ਜੇਕਰ ਬਿਜਲਈ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਦੋਨਾਂ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿਚਾਲੇ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਪਹਿਲੀ ਅਵਸਥਾ ਤੋਂ ਅੱਧਾ ਕਰ ਦੇਈਏ (ਅਰਥਾਤ \(\frac{\mathrm{V}}{2}\) ਕਰੀਏ) ਜਦੋਂ ਕਿ ਤਿਰੋਧ ਨੀਯਤ (ਸਥਿਰ ਰਹੇ ਤਾਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੋ ਕੇ I’ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 10
ਅਰਥਾਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪਹਿਲੀ ਅਵਸਥਾ ਤੋਂ ਅੱਧੀ ਰਹਿ ਜਾਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਬਿਜਲਈ ਟੋਸਟਰਾਂ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਪ੍ਰੈੱਸਾਂ ਦੇ ਤਾਪਨ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਬੁੱਧ ਧਾਤ ਦੇ ਨਾ ਬਣਾ ਕੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦੇ ਕਿਉਂ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਟੋਸਟਰਾਂ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਪ੍ਰੈੱਸਾਂ ਦੇ ਤਾਪਨ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੇ ਨਾ ਬਣਾ ਕੇ ਕਿਸੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਸਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨ ਹਨ-

  1. ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦੀ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦਾ ਉੱਚ ਤਾਪ ਤੇ ਦਹਿਨ (ਆਕਸੀਕਨ) ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  3. ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦਾ ਪਿਘਲਾਓ ਦਰਜਾ ਉੱਚਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਸਾਰਨੀ 12:2 ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਅੰਕੜਿਆਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਦਿਓ :
(a) ਆਇਰਨ (Fe) ਅਤੇ ਮਰਕਰੀ (Hg) ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਚੰਗਾ ਚਾਲਕ ਹੈ ?
(b) ਕਿਹੜਾ ਪਦਾਰਥ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਆਇਰਨ (Fe), ਮਰਕਰੀ (Hg) ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਚੰਗਾ ਚਾਲਕ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਆਇਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ ਮਰਕਰੀ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਹੈ।
(b) ਚਾਂਦੀ (ਸਿਲਵਰ) ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਚਾਲਕ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਦੀ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ (16.0 × 10-8Ω m) ਸਭ ਤੋਂ ਘੱਟ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਦਾ ਯੋਜਨਾਬੱਧ ਚਿੱਤਰ ਖਿੱਚੋ ਜਿਸ ਵਿੱਚ 2 – 2v ਦੇ ਤਿੰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਦੀ ਬੈਟਰੀ, ਇੱਕ 5Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ, ਇੱਕ 8Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ, ਇੱਕ 12Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਅਤੇ ਇੱਕ ਪਲੱਗ ਕੁੰਜੀ ਸਾਰੇ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਹੋਣ ।
ਹੱਲ :
ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਦਾ ਯੋਜਨਾਬੱਧ ਚਿੱਤਰ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1 ਦਾ ਸਰਕਟ ਦੁਬਾਰਾ ਖਿੱਚੋ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਮਾਪਣ ਲਈ ਐਮਮੀਟਰ ਅਤੇ 12Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਮਾਪਣ ਲਈ ਵੋਲਟਮੀਟਰ ਲਗਾਓ। ਐਮਮੀਟਰ ਅਤੇ ਵੋਲਟਮੀਟਰ ਦੇ ਕੀ ਮਾਨ ਹੋਣਗੇ ?
ਹੱਲ :
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 12
r1 = 5Ω
r2 = 8Ω
r3 = 12Ω
ਸਰਕਟ ਦਾ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ (R) = ?
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸਰਕਟ ਦਾ ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ
R = r1 + r2 + r3
R = 5Ω + 8Ω + 12Ω
∴ R = 25Ω
ਬੈਟਰੀ ਦੇ ਟਰਮੀਨਲਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਕੁੱਲ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ V = 6V
ਹੁਣ ਓਹਮ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ I = \(\frac{V}{R}\)
I = \(\frac{6 V}{25 \Omega}\)
∴ I = 0.24 ਐਮਪੀਅਰ (A)
12Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ = I × r3
= 0.24 × 12
= 2.88 ਵੋਲਟ (V)
ਇਸ ਲਈ ਐਮਮੀਟਰ ਅਤੇ ਵੋਲਟਮੀਟਰ ਦੀ ਪੜ੍ਹਤ ਦਾ ਮਾਨ ਕ੍ਰਮਵਾਰ 0.24A ਅਤੇ 2.88v ਹੋਵੇਗਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਜਦੋਂ
(a) 1Ω ਅਤੇ 106
(b) 1Ω, 103Ω ਅਤੇ 106Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਨਿਰਣਾ ਕਰੋਗੇ ?
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, r1 = 1Ω
ਅਤੇ r2 = 106
ਮੰਨ ਲਓ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਤੁੱਲ-ਤਿਰੋਧ R ਹੈ ਜਦੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤਿਰੋਧਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਬੱਧ ਵਿਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 13
∴ R = 0.9Ω (ਲਗਪਗ)

(b) ਇੱਥੇ,
r1 = 1Ω
r2 = 103
r3 = 106
ਮੰਨ ਲਓ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਤੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R ਹੈ ਜਦੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤਿਰੋਧਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਬੱਧ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 14
∴ R = 0.9Ω (ਲਗਪਗ)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
100Ω ਦਾ ਇੱਕ ਬਿਜਲਈ ਬੱਲਬ, 50Ω ਦਾ ਇੱਕ ਬਿਜਲਈ ਟੋਸਟਰ, 500Ω ਦਾ ਇੱਕ ਪਾਣੀ ਫਿਲਟਰ 220v ਦੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰੋਤ ਨਾਲ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ ਗਏ ਹਨ । ਉਸ ਬਿਜਲਈ ਪੈਂਸ ਦਾ ਪਤਿਰੋਧ ਕੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਜੇਕਰ ਸਮਾਨ ਸਰੋਤ ਦੇ ਨਾਲ ਜੋੜ ਦੇਈਏ ਉਹ ਓਨੀ ਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੈਂਦੀ ਹੈ ਜਿੰਨੀ ਤਿੰਨੋਂ ਯੰਤਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਵੀ ਗਿਆਤ ਕਰੋ ਕਿ ਇਸ ਬਿਜਲਈ ਪੈਂਸ ਤੋਂ ਕਿੰਨੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਹੱਲ :
100Ω ਦਾ ਬਿਜਲਈ ਬੱਲਬ, 50Ω ਦਾ ਬਿਜਲਈ ਟੋਸਟਰ ਅਤੇ 500Ω ਦਾ ਪਾਣੀ ਫ਼ਿਲਟਰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੁਮ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ R ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਤੱਲ-ਤਿਰੋਧ ਹੈ, ਤਾਂ
ਓਹਮ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ, \(\frac{1}{R}\) = \(\frac{1}{100}+\frac{1}{50}+\frac{1}{500}\)
= \(\frac{5+10+1}{500}\)
= \(\frac{16}{500}\)
R = \(\frac{500}{16}\)
= 31.25Ω
ਇਸ ਲਈ ਬਿਜਲਈ ਐੱਸ ਦਾ ਡੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ, (R) = 31.25Ω
ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ (V) = 220V
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ (I) = ?
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ, I = \(\frac{V}{R}\)
= \(\frac{200}{\frac{500}{16}}\)
= \(\frac{220 \times 16}{500}\)
= \(\frac{352}{50}\)
∴ I = 7.04 A

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਦੀ ਥਾਂ, ਬਿਜਲਈ ਯੰਤਰਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਤੇ ਕੀ ਲਾਭ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਯੁਕਤੀਆਂ ਨੂੰ ਲੜੀ ਕੁਮ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਦੇ ਲਾਭ
(1) ਕਿਸੇ ਲੜੀਕੂਮ ਵਿੱਚ ਜੋੜੇ ਗਏ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਤੋਂ ਅੰਤ ਤਕ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਸਥਿਰ ਨੀਯਤ) ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਵਿਵਹਾਰਿਕ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਅਸੀਂ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਬੱਲਬ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਹੀਟਰ ਨੂੰ ਲੜੀਕਮ ਵਿੱਚ ਜੋੜਾਂਗੇ ਤਾਂ ਇਹ ਸਹੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕਾਰਜ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਣਗੇ। ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਮਾਨ ਦੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਲੋੜ ਪੈਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਉਲਟ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੂਮ ਵਿਵਸਥਿਤ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਵਿਭਿੰਨ ਜੁਗਤਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

(2) ਲੜੀਬੱਧ ਸੰਯੋਜਨ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਜੇਕਰ ਇੱਕ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਜੁਗਤਾਂ ਕਾਰਜ ਕਰਨਾ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਬਿਜਲਈ ਪੱਥ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਹੋਰ ਜੁਗਤਾਂ ਕੰਮ ਕਰਨਾ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਤੋਂ ਵਿਪਰੀਤ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਕੂਮ ਵਾਲੇ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਵਿਭਿੰਨ ਬਿਜਲਈ ਜੁਗਤਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋਣ ਤੇ ਵੀ ਹੋਰ ਬਿਜਲਈ ਜੁਗਤਾਂ ਕੰਮ ਕਰਦੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

(3) ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਵੀ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਸਵਿੱਚ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੁਰਵਕ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂ ਰੋਕੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਬਿਜਲਈ ਜੁਗਤਾਂ ਨੂੰ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਲਿਆਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
2Ω, 3Ω ਅਤੇ 6Ω ਦੇ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਜੋੜਿਆ ਜਾਵੇ ਕਿ ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ :
(a) 4Ω
(b) 1Ω ਹੋਵੇ ।
ਹੱਲ :
(a) ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ 4Ω ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ- ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਲਈ 3Ω ਅਤੇ 6Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਜੋੜ ਕੇ 2Ω ਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ ਨਾਲ ਲੜੀਬੱਧ ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 15
ਮੰਨ ਲਓ r2 = 3Ω ਅਤੇ r3 = 6Ω ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨ ਤੇ ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 16
∴ r = 2Ω

ਹੁਣ = r1 = 2Ω ਅਤੇ r2 ਅਤੇ r3 ਦਾ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ r = 2Ω ਨੂੰ ਲੜੀਬੱਧ ਜੋੜਨ ਨਾਲ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ R ਹੈ, ਤਾਂ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 17
R = r1 + r
= 2Ω + 2Ω
∴ R = 4Ω

(b) ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ 1Ω ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸੰਯੋਜਨ-1Ω ਦਾ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ r1 = 2Ω, r2 = 3Ω ਅਤੇ r3 = 6Ω ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿੱਚ ਜੋੜਨਾ ਹੋਵੇਗਾ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 18
ਮੰਨ ਲਓ ਕੁੱਲ ਤਿਰੋਧ R ਹੈ, ਤਾਂ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਸੰਯੋਜਨ ਦੇ ਸੂਤਰ ਤੋਂ
\(\frac{1}{R}\) = \(\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{2}+\frac{1}{3}+\frac{1}{6}\)
= \(\frac{3+2+1}{6}\)
= \(\frac{6}{6}\)
= 1
∴ R = 1Ω

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
4Ω, 8Ω, 12Ω ਅਤੇ 24Ω ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਕੁੰਡਲੀਆਂ ਨੂੰ ਜੋੜਨ ਤੇ (a) ਅਧਿਕਤਮ (b) ਨਿਊਨਤਮ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਕਿੰਨਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਹੱਲ :
(a) ਅਧਿਕਤਮ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸੰਯੋਜਨ – ਜੇਕਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਚਹੁੰ ਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਲੜੀਬੱਧ ਜੋੜਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਅਧਿਕਤਮ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗਾ ।
RS = r1 + r2 + r3 + r4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 48Ω

(b) ਨਿਊਨਤਮ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸੰਯੋਜਨ ਵਿਵਸਥਾ – ਜੇਕਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਚਹੁੰ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਨਾਂਤਰ ਵਿਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਨਿਊਨਤਮ ਕੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗਾ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 19
∴ Rp = 2Ω

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਬਿਜਲੀ ਲੰਘਾਉਣ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਹੀਟਰ ਦੀ ਡੋਰੀ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਚਮਕਦੀ ਜਦੋਂ ਕਿ ਉਸ ਦੀ ਕੁੰਡਲੀ ਚਮਕਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ, H = I2Rt
⇒ H = R
ਤਾਪਨ ਕੁੰਡਲੀ ਦਾ ਉੱਚ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਅਧਿਕ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ, ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਤਾਪਨ ਕੁੰਡਲੀ ਚਮਕਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੀ ਹੈ। ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਬਿਜਲਈ ਹੀਟਰ ਦੀ ਡੋਰੀ ਦਾ ਤਿਰੋਧ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਨਹੀਂ ਚਮਕਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਇੱਕ ਘੰਟੇ ਵਿੱਚ 50v. ਦੇ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਤੇ 96000 ਕੂਲਾਂਮ ਚਾਰਜ ਭੇਜਣ ਨਾਲ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੇ ਤਾਪ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, Q = 96000 ਕੂਲਾਮ
t = 1 ਘੰਟਾ
= 60 × 60 ਸੈਕਿੰਡ
V = 50 ਵੋਲਟ
H = Q × V
= 96000 × 50
= 4.825 × 106 ਜੂਲ
= 4.825 × 103 ਕਿਲੋ-ਜੂਲ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
20Ω ਤਿਰੋਧ ਦੀ ਕੋਈ ਬਿਜਲਈ ਐੱਸ 5A ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੈਂਦੀ ਹੈ।30s ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਤਾਪ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਤਿਰੋਧ (R) = 20Ω
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ (I) = 5A
ਸਮਾਂ (t) = 30s
ਉਤਪੰਨ ਹੋਈ ਊਰਜਾ (H) = ?
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ, ਉਤਪੰਨ ਹੋਈ ਤਾਪ ਊਰਜਾ (H) = I2Rt
= (5)2 × 20 × 30
= 25 × 20 × 30 J
= 15000 J (ਜੂਲ)
= 1.5 × 104

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤੀ ਊਰਜਾ ਦੀ ਦਰ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਕਿਵੇਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤੀ ਊਰਜਾ ਦੀ ਦਰ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਬਿਜਲਈ ਸਮਰੱਥਾ (ਸ਼ਕਤੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਇੱਕ ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ 220v ਦੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰੋਤ ਤੋਂ 5.0 A ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੈਂਦੀ ਹੈ। ਮੋਟਰ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕਰੋ ਅਤੇ 2 ਘੰਟੇ ਵਿੱਚ ਮੋਟਰ ਦੁਆਰਾ ਖ਼ਪਤ ਊਰਜਾ ਦੀ ਗਣਨਾ ਕਰੋ ।
ਹੱਲ :
ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ (I) = 5.0 A
ਬਿਜਲਈ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ (V) = 220 V
ਸਮਾਂ (t) = 2 ਘੰਟੇ
= 2 × 60 × 60 ਸੈਕਿੰਡ
ਮੋਟਰ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ (P) = V × I
ਖ਼ਪਤ ਹੋਈ ਊਰਜਾ (E) = ?
ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ, ਸ਼ਕਤੀ (P) = V × I
= 220 × 5
= 1100 W (ਵਾਟ) ਉੱਤਰ
2 ਘੰਟੇ ਵਿੱਚ ਖ਼ਪਤ ਹੋਈ ਊਰਜਾ (E) = P × t
= 1100 ਵਾਟ × 2 ਘੰਟੇ
= 2200 ਵਾਟ ਘੰਟੇ (Wh)
= 2.2 ਕਿਲੋਵਾਟ ਘੰਟਾ (Kwh)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था

PSEB 12th Class Economics सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बजट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बजट एक वित्तीय वर्ष दौरान सरकार की अनुमानित आय तथा अनुमानित व्यय का विवरण होता है।

प्रश्न 2.
बजट के कोई दो उद्देश्य बताओ।
उत्तर-

  • संसाधनों का पुनः वितरण
  • आय तथा धन का समान वितरण।

प्रश्न 3.
बजट के मुख्य अंश बताओ।
अथवा
राजस्व बजट तथा पूंजीगत बजट में अन्तर बताओ।
उत्तर-
बजट के मुख्य दो अंश होते हैं-

  1. राजस्व बजट-इसमें आय प्राप्तियां तथा आय व्यय को शामिल किया जाता है, जोकि सरकार को भिन्न-भिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है।
  2. पूंजीगत बजट-इसमें पूंजीगत प्राप्तियां तथा पूंजीगत व्यय का विवरण होता है।

प्रश्न 4.
आय मदें क्या हैं ?
उत्तर-
आय मदों से अभिप्राय सरकार को प्राप्त होने वाली सब साधनों से आय से होता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था

प्रश्न 5.
सरकारी आय के मुख्य अंश बताओ।
उत्तर-
सरकारी आय के मुख्य दो अंश होते हैं

  • कर प्राप्तियां
  • गैर-कर प्राप्तियां।

प्रश्न 6.
कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कर एक कानूनो भुगतान है जोकि एक देश के निवासी सरकार को अदा करते हैं ताकि सरकार संयुक्त उद्देश्यों की पूर्ति कर सके।

प्रश्न 7.
कर आय को परिभाषित करो।
उत्तर-
कर आय- कर आय एक अनिवार्य भुगतान होता है, जोकि एक देश के लोग सरकार को अदा करते हैं।

प्रश्न 8.
गैर कर आप से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गैर कर आय-और-कर आय अनिवार्य भुगतान नहीं है। यह आय लोगों को वस्तुएं तथा सेवाएं प्रदान करके प्राप्त की जाती है। गैर-कर आय तथा लाभ का सीधा सम्बन्ध होता है, जैसे कि ब्याज द्वारा आय, लाभ तथा लाभांश।

प्रश्न 9.
प्रत्यक्ष कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्रत्यक्ष कर-प्रत्यक्ष कर वह कर होता है, जोकि बदली नहीं किया जा सकता। जितने मनुष्यों पर कर . लगाया जाता है, उनको ही कर का भार सहन करना पड़ता है।

प्रश्न 10.
अप्रत्यक्ष कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अप्रत्यक्ष कर-अप्रत्यक्ष कर वह कर होता है, जिसका भार बदली किया जा सकता है, जैसे कि बिक्री कर। यह कर दुकानदारों पर लगता है, परन्तु इसका भार ग्राहकों को सहन करना पड़ता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था

प्रश्न 11.
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर की दो-दो उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
(i) प्रत्यक्ष कर-प्रत्यक्ष कर जिन मनुष्यों पर लगता है, उनको ही कर का भार सहन करना पड़ता है, जैसे कि

  • आय कर
  • निगम कर।

(ii) अप्रत्यक्ष कर-यह कर वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगता है तथा इस कर का भार बदली किया जा सकता है जैसे कि

  • बिक्री कर
  • उत्पादन कर।

प्रश्न 12.
प्रगतिशील कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्रगतिशील कर वह कर है जिसमें आय बढ़ने के साथ कर की दर बढ़ जाती है।

प्रश्न 13.
प्रतिगामी कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्रतिगामी कर वह कर है जिनमें आय बढ़ने के साथ कर की दर कम हो जाती है।

प्रश्न 14.
आनुपातिक कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आनुपातिक कर वह कर है जिसमें आय बढ़ने से कर की दर समान रहती है।

प्रश्न 15.
कर, पूंजी प्राप्ति क्यों नहीं है ?
उत्तर-
कर इसलिए पूंजी प्राप्ति नहीं है क्योंकि इससे न तो सरकार की देनदारी में वृद्धि होती है तथा न ही सरकार के भण्डार में कमी होती है।

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प्रश्न 16.
ऋण की वापसी को पूंजी प्राप्ति क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
पूंजी प्राप्ति से अभिप्राय वह प्राप्तियां हैं जोकि देनदारी में वृद्धि करती हैं अथवा परिसम्पत्तियों में कमी करती हैं।

प्रश्न 17.
पूंजी प्राप्तियों में कौन-सी मदों को शामिल किया जाता है ?
उत्तर-
पूंजी प्राप्तियों में मुख्य तौर पर-

  1. सरकार द्वारा प्राप्त किए गए उधार
  2. सार्वजनिक उद्यमों अथवा परिसम्पत्तियों के विनिवेश द्वारा आय
  3. सरकार द्वारा जो ऋण दिया गया था, उस ऋण की वापसी इत्यादि पूंजी प्राप्तियां हैं।

प्रश्न 18.
उधार को पूंजी प्राप्तियां क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
पूंजी प्राप्ति वे प्राप्तियां होती हैं जोकि

  • सरकार की देनदारी में वृद्धि करती हैं
  • इनसे सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी होती है। इसलिए उधार को पूंजी प्राप्ति कहा जाता है।

प्रश्न 19.
सार्वजनिक व्यय का वर्गीकरण करो।
उत्तर-
सार्वजनिक व्यय को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था 1

प्रश्न 20.
राजस्व व्यय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राजस्व व्यय-राजस्व व्यय वह व्यय है जो सरकार की देनदारियों में कमी नहीं करते तथा न ही सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि करते हैं, जैसे कि ब्याज का भुगतान तथा आर्थिक सहायता कानून तथा व्यवस्था पर व्यय इत्यादि।

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प्रश्न 21.
पूंजीगत व्यय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीगत व्यय-पूंजीगत व्यय वह व्यय है, जो सरकार की देनदारियों में कमी करते हैं तथा सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि करते हैं, जैसे कि सरकारी भवनों का निर्माण अथवा ऋण की वापसी, सड़कें तथा डैमों का निर्माण।

प्रश्न 22.
नियोजन व्यय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
नियोजन व्यय-देश द्वारा तैयार की गई वार्षिक योजना अनुसार जो व्यय किया जाता है, उसको योजना व्यय कहा जाता है।

प्रश्न 23.
गैर-नियोजन व्यय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गैर-नियोजन व्यय-सरकार द्वारा तैयार की गई वार्षिक योजना के बिना सरकार द्वारा जो अन्य व्यय किया जाता है उसको गैर-नियोजन व्यय कहा जाता है।

प्रश्न 24.
ब्याज के भुगतान को राजस्व व्यय क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
ब्याज के भुगतान को राजस्व व्यय कहा जाता है, क्योंकि इससे ब्याज देने वाले की देनदारी में कमी नहीं होती, क्योंकि मूलधन का भार उस पर रहता है।

प्रश्न 25.
सबसिडी को राजस्व व्यय क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
सरकार विभिन्न उद्यमियों तथा विभिन्न वर्ग के लोगों को सबसिडी के रूप में सहायता करती है। इसको राजस्व व्यय कहा जाता है।

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प्रश्न 26.
विकासवादी व्यय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
विकासवादी व्यय वह व्यय होता है, जिसका सम्बन्ध देश के आर्थिक विकास से होता है।

प्रश्न 27.
गैर-विकासशील व्यय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
और-विकासशील व्यय वह व्यय है जो सरकार देश में गैर-विकासशील परन्तु अनिवार्य कार्यों पर व्यय करती है।

प्रश्न 28.
बजट घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सरकार का कुल अनुमानित व्यय सरकार की कुल वार्षिक प्राप्तियों से अधिक है तो इसको बजट का घाटा कहा जाता है।

प्रश्न 29.
राजकोषीय घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सरकार के कुल व्यय में से यदि राजस्व प्राप्तियों तथा ऋण वसूली तथा अन्य प्राप्तियों को बगैर उधार के घटा दिया जाए तो शेष राशि को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – कुल प्राप्तियां (बगैर उधार के) |
अथवा
राजकोषीय घाटा = उधार तथा अन्य देनदारियां

प्रश्न 30.
प्राथमिक घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक घाटे से अभिप्राय है राजकोषीय घाटे में से यदि ब्याज भुगतान को घटा दिया जाए तो शेष राशि को प्राथमिक घाटा कहते हैं।
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान|

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प्रश्न 31.
राजस्व घाटे तथा राजकोषीय घाटे में अंतर बताओ।
उत्तर

  • राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियां
  • राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – कुल प्राप्तियां (बगैर उधार के)

प्रश्न 32.
घाटे के बजट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब सरकार का अनुमानित व्यय अधिक होता है तथा अनुमानित प्राप्तियां कम होती हैं तो ऐसे बजट को घाटे का बजट कहा जाता है।

प्रश्न 33.
सन्तुलित बजट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ऐसा बजट जिसमें सरकार का अनुमानित व्यय सरकार की अनुमानित आय के समान होता है तो ऐसे बजट को सन्तुलित बजट कहा जाता है।

प्रश्न 34.
वृद्धि के बजट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह बजट जिसमें सरकार की आय, सरकार के व्यय से अधिक होती है, ऐसे बजट को वृद्धि का बजट कहा जाता है।

प्रश्न 35.
घाटे के बजट की वित्त व्यवस्था कैसे की जाती है ?
उत्तर-
घाटे के बजट की वित्त व्यवस्था दो तरह से की जाती है-

  • उधार (Borrowing)
  • नई करन्सी छापकर (Printing New Currency)।

प्रश्न 36.
जब आय में वृद्धि के कारण कर की दर में वृद्धि होती है तो इसको ………….. कहते हैं।
(क) आनुपातिक कर
(ख) प्रगतिशील कर
(ग) मूल्य वृद्धि कर
(घ) विशिष्ट कर।
उत्तर-
(ख) प्रगतिशील कर।

प्रश्न 37.
जब आय में परिवर्तन होने से कर की दल में तबदीली नहीं होती तो उस कर को ……….. कहते
(क) प्रगतिशील कर
(ख) आनुपातिक कर
(ग) विशिष्ट कर
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) आनुपातिक कर।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था

प्रश्न 38.
जब वह कर जिस का भुगतान उस व्यक्ति को करना पड़ता है जिस पर यह कर लगाया जाता है तो इसको ………….. कहते हैं।
(क) अप्रत्यक्ष कर
(ख) प्रत्यक्ष कर
(ग) मूल्य वृद्धि कर
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(क) अप्रत्यक्ष कर।

प्रश्न 39.
पूँजीगत बजट किसको कहते हैं ?
उत्तर-
सरकार की पूँजीगत प्राप्तियों और पूँजीगत व्यय के विवरण को पूँजीगत बजट कहते हैं।

प्रश्न 40.
राजस्व बजट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राजस्व बजट वह बजट है जिसमें राजस्व प्राप्तियों तथा राजस्व व्यय का विवरण होता है।

प्रश्न 41.
निम्नलिखित में से कौन सा प्रत्यक्ष कर है?
(a) बिक्री कर
(b) वैट
(c) आय कर
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) आय कर।

प्रश्न 42.
निम्नलिखित में से कौन सा अप्रत्यक्ष कर है?
(a) सम्पत्ति कर
(b) आबकारी कर
(c) आय कर
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) आबकारी कर।

प्रश्न 43.
जब राजस्व व्यय, राजस्व प्राप्तियों से अधिक होता है तो इस स्थिति को ………………….. कहते हैं।
(a) राजकोषीय घाटा
(b) राजस्व घाटा
(c) राजस्व व्यय
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) राजस्व घाटा।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था

प्रश्न 44.
यदि आयात की कीमत निर्यात की कीमत से अधिक हो तो देश का व्यापार बाकी ……….. होता
(a) प्रतिकूल
(b) सन्तुलित
(c) दोनों
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) प्रतिकूल।

प्रश्न 45.
जब कुल व्यय कुल प्राप्तियों से अधिक हो तो इस हालत को ………. कहते हैं।
(a) राजस्व घाटा
(b) राजकोषीय घाटा
(c) बजट घाटा
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) बजट घाटा।

प्रश्न 46.
मूल्य वृद्धि कर (VAT) से क्या अभिप्राय है।
उत्तर–
प्रत्येक फर्म द्वारा वस्तु और सेवा की लागत से अधिक निर्धारित कीमत अर्थात् मूल्य वृद्धि पर लगाए गए कर को मूल्य वृद्धि कर कहते हैं।

प्रश्न 47.
सरकारी बजट एक निजी वर्ष में सरकार की ………. आय और व्यय का विवरण है।
उत्तर-
अनुमानित।

प्रश्न 48.
इन में से कौन सा प्रत्यक्ष कर है ?
(a) आय कर
(b) बिक्री कर
(c) वैट
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) आय कर।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बजट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बजट एक वित्तीय वर्ष दौरान सरकार की अनुमानित आय तथा अनुमानित व्यय का विवरण होता है। भारत में सरकारी बजट फरवरी महीने के आखिरी दिन संसद् में पेश किया जाता है। यह बजट सरकार को 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के समय की आय तथा व्यय का विवरण होता है।

प्रश्न 2.
बजट के कोई दो उद्देश्य बताओ।
उत्तर-

  1. संसाधनों का पुनः वितरण-सरकारी बजट का मुख्य उद्देश्य संसाधनों का वितरण इस प्रकार करने से होता है ताकि आर्थिक लाभ के साथ-साथ सामाजिक कल्याण में वृद्धि की जा सके।
  2. आय तथा धन का समान वितरण-सरकारी बजट देश में आय तथा धन का समान वितरण करने का स होता है।

प्रश्न 3.
बजट के मुख्य अंश बताओ।
अथवा
राजस्व बजट तथा पूंजीगत बजट में अन्तर बताओ।
उत्तर-
बजट के मुख्य दो अंश होते हैं –

  • राजस्व बजट- इसमें आय प्राप्तियां तथा आय व्यय को शामिल किया जाता है, जोकि सरकार को भिन्न भिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है।
  • पूंजीगत बजट-इसमें पूंजीगत प्राप्तियां तथा पूंजीगत व्यय का विवरण होता है।

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प्रश्न 4.
कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कर एक अनिवार्य भुगतान है जोकि एक देश के निवासी सरकार को अदा करते हैं ताकि सरकार संयुक्त उद्देश्यों की पूर्ति कर सके। कर देकर किसी सेवा की मांग नहीं की जा सकती। कर का भुगतान कानूनी तौर पर अनिवार्य होता है। कर न देने वाले मनुष्य अथवा संस्था को सज़ा भी हो सकती है।

प्रश्न 5.
कर तथा गैर-कर आय को परिभाषित करो।
उत्तर-

  • कर आय-कर आय एक अनिवार्य भुगतान होता है, जोकि एक देश के लोग सरकार को अदा करते हैं। कर देने तथा लाभ का कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता, जैसे कि आय कर, बिक्री कर इत्यादि।
  • गैर-कर आय-गैर-कर आय अनिवार्य भुगतान नहीं है। यह आय लोगों को वस्तुएं तथा सेवाएं प्रदान करके प्राप्त की जाती है। गैर-कर आय तथा लाभ का सीधा सम्बन्ध होता है, जैसे कि ब्याज द्वारा आय, लाभ तथा लाभांश।

प्रश्न 6.
प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-

  1. प्रत्यक्ष कर-प्रत्यक्ष कर वह कर होता है, जोकि बदली नहीं किया जा सकता। जितने मनुष्यों पर कर लगाया जाता है, उनको ही कर का भार सहन करना पड़ता है।
  2. अप्रत्यक्ष कर–अप्रत्यक्ष कर वह कर होता है, जिसका भार बदली किया जा सकता है, जैसे कि बिक्री कर। यह कर दुकानदारों पर लगता है, परन्तु इसका भार ग्राहकों को सहन करना पड़ता है।

प्रश्न 7.
कर, पूंजी प्राप्ति क्यों नहीं है ?
उत्तर-
कर इसलिए पूंजी प्राप्ति नहीं है क्योंकि इससे न तो सरकार की देनदारी में वृद्धि होती है तथा न ही सरकार के भण्डार में कमी होती है। पंजी प्राप्ति से सरकार की देनदारी अधिक होती है तथा भण्डार में कमी होती है, परन्तु कर से पूंजी प्राप्ति की दो विशेषताएं लागू नहीं होती।

प्रश्न 8.
ऋण की वापसी को पूंजी प्राप्ति क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
पूंजी प्राप्ति से अभिप्राय वह प्राप्तियां हैं जोकि देनदारी में वृद्धि करती हैं अथवा परिसम्पत्तियों में कमी करती हैं। सरकार द्वारा दिया गया ऋण, सरकार की परिसम्पत्ति होती है। जब ऋण की वापसी होती है तो सरकारी परिसम्पत्तियों में कमी होती है। इसलिए इसको पूंजी प्राप्ति कहा जाता है।

प्रश्न 9.
पूंजी प्राप्तियों में कौन-सी मदों को शामिल किया जाता है ?
उत्तर-
पूंजी प्राप्तियों में मुख्य तौर पर-

  1. सरकार द्वारा प्राप्त किए गए उधार
  2. सार्वजनिक उद्यमों अथवा परिसम्पत्तियों के विनिवेश द्वारा आय
  3. सरकार द्वारा जो ऋण दिया गया था, उस ऋण की वापसी इत्यादि पूंजी प्राप्तियां हैं। पूंजी प्राप्तियों से सरकार की देनदारी बढ़ती है अथवा सरकारी परिसम्पत्तियों में कमी होती है।

प्रश्न 10.
उधार को पूंजी प्राप्तियां क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
पूंजी प्राप्ति वे प्राप्तियां होती हैं जोकि-

  • सरकार की देनदारी में वृद्धि करती हैं
  • इनसे सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी होती है।

जब सरकार देश में से अथवा विदेशों में से उधार प्राप्त करती है तो इससे सरकार की देनदारी बढ़ जाती है क्योंकि प्राप्त किए उधार को ब्याज समेत करने की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है। इसलिए उधार को पूंजी प्राप्ति कहा जाता है।

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प्रश्न 11.
सार्वजनिक व्यय का वर्गीकरण करो।
उत्तर-
सार्वजनिक व्यय को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है –
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प्रश्न 12.
राजस्व व्यय तथा पूंजीगत व्यय से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
राजस्व व्यय तथा पूंजीगत व्यय की दो-दो उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-

  • राजस्व व्यय-राजस्व व्यय वह व्यय है जो सरकार की देनदारियों में कमी नहीं करते तथा न ही सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि करते हैं। जैसे कि ब्याज का भुगतान तथा आर्थिक सहायता कानून तथा व्यवस्था पर व्यय इत्यादि।
  • पूंजीगत व्यय-पूंजीगत व्यय वह व्यय है, जो सरकार की देनदारियों में कमी करते हैं तथा सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि करते हैं। जैसे कि सरकारी भवनों का निर्माण अथवा ऋण की वापसी, सड़कें तथा डैमों का निर्माण।

प्रश्न 13.
बजट घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सरकार वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक बजट का निर्माण करती है। इसमें वर्ष की अनुमानित प्राप्तियों तथा अनुमानित व्यय का विवरण होता है। यदि सरकार का कुल अनुमानित व्यय सरकार की कुल वार्षिक प्राप्तियों से अधिक है तो इसको बजट का घाटा कहा जाता है।

प्रश्न 14.
राजकोषीय घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सरकार के कुल व्यय में से यदि राजस्व प्राप्तियों तथा ऋण वसूली तथा अन्य प्राप्तियों को बगैर उधार के घटा दिया जाए तो शेष राशि को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – कुल प्राप्तियां (बगैर उधार के)
अथवा
राजकोषीय घाटा = उधार तथा अन्य देनदारियां

प्रश्न 15.
प्राथमिक घाटे से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक घाटे से अभिप्राय है राजकोषीय घाटे में से यदि ब्याज भुगतान को घटा दिया जाए तो शेष राशि को प्राथमिक घाटा कहते हैं।
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान

प्रश्न 16.
घाटे के बजट की वित्त व्यवस्था कैसे की जाती है ?
उत्तर-
घाटे के बजट की वित्त व्यवस्था दो तरह से की जाती है-

  • उधार (Borrowing)-घाटे के बजट को पूरा करने के लिए सरकार बाज़ार में जनता, व्यापारिक बैंकों अथवा केन्द्रीय बैंक से उधार लेती है।
  • नई करेन्सी छापकर (Printing New Currency)-घाटे के बजट की पूर्ति यदि उधार द्वारा न हो तो सरकार नई करेन्सी छापकर घाटे के बजट की पूर्ति करती है।

प्रश्न 17.
सरकारी व्यय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सरकारी व्यय का अर्थ (Meaning of Public Expenditure)-सरकारी व्यय से अभिप्राय एक वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा किए गए आनुपातिक व्यय से होता है। सार्वजनिक व्यय द्वारा सरकार लोगों की आर्थिक तथा सामाजिक भलाई में वृद्धि करने का प्रयत्न करती है। इससे आर्थिक उतार-चढ़ाव पर नियन्त्रण किया जाता है। देश के आर्थिक विकास में तेजी लाने के उद्देश्य की पूर्ति की जाती है। इसलिए सरकारी व्यय राष्ट्रीय हित के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा किए गए व्यय से होता है जोकि एक वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा व्यय किया जाता है।

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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बजट के कोई चार उद्देश्य बताओ।
उत्तर-
सरकार की वार्षिक वित्तीय अनुमानित आय तथा अनुमानित व्यय के विवरण को बजट कहा जाता है। सरकारी बजट के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं-

  1. संसाधनों का पुन:वितरण-सरकारी बजट का उद्देश्य देश के संसाधनों का वितरण इस प्रकार करने से होता है, आर्थिक लाभ के साथ-साथ सामाजिक कल्याण प्राप्त करना भी होता है।
  2. आय तथा धन का समान वितरण-बजट का उद्देश्य देश में आय तथा धन का समान वितरण करना होता है। इससे देश में अमीर तथा गरीब का अन्तर कम हो जाता है।
  3. आर्थिक स्थिरता-बजट का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता प्राप्त करना भी होता है। इससे मन्दीकाल तथा तेज़ीकाल की अवस्थाओं को नियन्त्रण में किया जाता है।
  4. निर्धनता तथा बेरोज़गारी को दूर करना-बजट द्वारा निर्धनता तथा बेरोजगारी को घटाने के उद्देश्य की पूर्ति भी की जाती है। इससे निर्धनता की समस्या का हल किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
राजस्व बजट तथा पूंजीगत बजट में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर-
राजस्व बजट तथा पूंजीगत बजट में अन्तर –

अंतर का आधार राजस्व बजट पूंजीगत बजट
1. प्राप्तियां राजस्व बजट में राजस्व प्राप्तियों का विवरण होता है। पूंजीगत बजट में पूंजीगत प्राप्तियों का विवरण होता है।
2. व्यय राजस्व बजट में राजस्व व्यय का विवरण होता है। पूंजीगत बजट में पूंजीगत व्यय का विवरण होता है।
3. देनदारियां राजस्व प्राप्तियों से सरकार पर कोई देनदारी उत्पन्न नहीं होती। कर द्वारा प्राप्त आय से कोई देनदारी उत्पन्न नहीं होती तथा राजस्व व्यय सरकार की देनदारी को कम नहीं करते। पूंजीगत प्राप्ति से सरकार पर देनदारी उत्पन्न होती है। उधार लेने से देनदारी उत्पन्न होती है तथा पूंजीगत व्यय सरकार की देनदारी को कम करते हैं।
4. परिसम्पत्तियां राजस्व प्राप्ति से सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी नहीं होती, राजस्व व्यय से परिसम्पत्तियों का निर्माण नहीं होता है। पूंजीगत प्राप्तियों से सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी नहीं होती, पूंजीगत व्यय से परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है।

प्रश्न 3.
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में अन्तर –

अन्तरका आधार प्रत्यक्ष कर अप्रत्यक्ष कर
1. कर लाभ तथा कर भार प्रत्यक्ष कर जिस मनुष्य पर लगाया जाता है, कर का भार भी उसी मनुष्य को सहन करना पड़ता है, जैसे कि आयकर। अप्रत्यक्ष कर एक मनुष्य पर लगाया जाता है, कर का भार किसी अन्य मनुष्य को सहन करना पड़ता है, जैसे कि बिक्री कर।
2. कर बदली प्रत्यक्ष कर की बदली (shifting) नहीं की जा सकती। अप्रत्यक्ष कर की बदली (shifting) की जा सकती है।
3. कर की दर प्रत्यक्ष कर साधारण तौर पर प्रगतिशील होते हैं। आय में वृद्धि होने से कर की दर बढ़ती जाती है। अप्रत्यक्ष कर साधारण तौर पर आनुपातिक होते हैं। आय अधिक अथवा कम होने की स्थिति में कर की दर समान रहती है।
4. वास्तविक भार प्रत्यक्ष कर का वास्तविक भार अमीर लोगों से अधिक होता है। अप्रत्यक्ष कर का वास्तविक भार गरीब लोगों से अधिक होता है।

प्रश्न 4.
प्रगतिशील कर, आनुपातिक कर तथा प्रतिगामी कर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-

  1. प्रगतिशील कर-प्रगतिशील कर वह कर होता है, जिसमें आय के बढ़ने से कर की दर बढ़ती जाती है। इस कर का भार गरीबों पर बहुत कम तथा अमीर लोगों पर अधिक होता है। प्रत्यक्ष कर साधारण तौर पर प्रगतिशील कर होते हैं।
  2. आनुपातिक कर-आनुपातिक कर वह कर होता है, जिसमें आय के बढ़ने अथवा घटने से कर की दर समान रहती है, जैसे कि बिक्री कर में कर की दर समान होती है। इस कर का वास्तविक भार गरीब लोगों पर अधिक होता है।
  3. प्रतिगामी कर-प्रतिगामी कर वह कर है जिसमें आय के बढ़ने से कर की दर घटती जाती है। ऐसे कर का भार अमीर लोगों पर कम तथा निर्धन लोगों पर अधिक होता है। इन करों को एक चार्ट की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
राजस्व प्राप्तियां तथा पूंजीगत प्राप्तियों से क्या अभिप्राय है ? इनमें अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
किस आधार पर राजस्व प्राप्तियों तथा पूंजीगत प्राप्तियों के बीच सरकारी बजट में अन्तर किया जा सकता है ?
उत्तर-
1. राजस्व प्राप्तियां-राजस्व प्राप्तियां वे प्राप्तियां होती हैं, जिनसे सरकार की देनदारियाँ उत्पन्न नहीं होती तथा न ही परिसम्पत्तियों (Assets) में कमी होती है। इसके दो अंश हैं-

  • कर प्राप्तियां जैसे कि आय कर, निगम कर, बिक्री कर इत्यादि
  • गैर-कर प्राप्तियां जैसे कि ब्याज, लाभ, लाभांश तथा विदेशी सहायता इत्यादि।

2. पूंजीगत प्राप्तियां-पूंजीगत प्राप्तियां वे प्राप्तियां होती हैं, जिनसे सरकार की देनदारियां उत्पन्न होती हैं तथा परिसम्पत्तियों में कमी होती है, जैसे कि उधार (Borrowings) तथा ऋण की प्राप्ति, विनिवेश द्वारा प्राप्तियां इत्यादि। राजस्व प्राप्तियों तथा पूंजीगत प्राप्तियों में अन्तर राजस्व प्राप्तियों तथा पूंजीगत प्राप्तियों में मुख्य तौर पर यह अन्तर होता है कि राजस्व प्राप्तियों से सरकार की देनदारियां उत्पन्न नहीं होतीं। सरकार की परिसम्पत्तियों में भी कोई कमी नहीं होती। दूसरी ओर पूंजीगत प्राप्तियों से सरकार की देनदारियों में वृद्धि होती है तथा परिसम्पत्तियों में कमी हो जाती है।

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प्रश्न 6.
राजस्व व्यय तथा पूंजीगत व्यय से क्या अभिप्राय है ? इनमें अन्तर को स्पष्ट करो।
अथवा
किस आधार पर राजस्व व्यय तथा पूंजीगत व्यय के बीच सरकारी बजट में अन्तर किया जा सकता है ?
उत्तर-

  1. राजस्व व्यय-राजस्व व्यय वे व्यय होता है, जिस द्वारा न तो देनदारियों में कमी होती है तथा न ही परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है। उदाहरणस्वरूप सरकार का अनुशासन पर व्यय, कानून तथा व्यवस्था बनाए रखने पर व्यय, सेना पर व्यय।
  2. पूंजीगत व्यय-पूंजीगत व्यय वह व्यय होता है, जिस द्वारा सरकार की देनदारियों में कमी होती है तथा परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है। उदाहरणस्वरूप, सड़कें, नहरें, डैम, बिजली इत्यादि का निर्माण अथवा सार्वजनिक ऋण की वापसी। राजस्व व्यय तथा पूंजीगत व्यय में अन्तर-राजस्व व्यय तथा पूंजीगत व्यय में मुख्य अन्तर यह होता है कि राजस्व व्यय द्वारा देनदारियों में कमी नहीं होती तथा न ही परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है। दूसरी ओर पूंजीगत व्यय में सरकार की देनदारियों में कमी होती है तथा परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है।

प्रश्न 7.
विकासशील तथा गैर-विकासशील व्यय में अन्तर बताओ।
उत्तर-

  • विकासशील व्यय-विकासशील व्यय सरकार का वह व्यय होता है, जिस द्वारा देश का आर्थिक तथा सामाजिक विकास होता है, जैसे कि कृषि, उद्योगों, सेहत, शिक्षा, ग्रामीण विकास तथा भलाई इत्यादि पर किए गए व्यय को विकासशील व्यय कहा जाता है। विकासशील व्यय में अन्य मदें रेलें, डाकखाने, तार तथा संचार विभाग इत्यादि को भी शामिल किया जाता है।
  • गैर-विकासशील व्यय-गैर-विकासशील व्यय में सरकार द्वारा सेवाओं पर किए गए व्यय को शामिल किया जाता है, जैसे कि पुलिस, सुरक्षा, न्यायपालिका, अनुशासन, सहायता, कर एकत्रित करने के व्यय इत्यादि को शामिल किया जाता है। विकासशील तथा गैर-विकासशील व्यय में अन्तर-विकासशील तथा गैर-विकासशील व्यय में मुख्य अन्तर यह है कि विकासशील व्यय से राष्ट्रीय आय तथा उत्पादन में प्रत्यक्ष तौर पर वृद्धि होती है। इससे सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि होती है। दूसरी ओर गैर-विकासशील व्यय सरकार द्वारा साधारण सेवाएं प्रदान करने पर व्यय किया जाता है। इस व्यय से राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि प्रत्यक्ष तौर पर नहीं होती। यह केवल विकास की वृद्धि में सहायक तत्त्व होता है।

प्रश्न 8.
राजकोषीय घाटे का अर्थ तथा महत्त्व स्पष्ट करो।
उत्तर-
राजकोषीय घाटा किसी देश में कुल व्यय में से राजस्व प्राप्तियों तथा पूंजीगत प्राप्तियों (बगैर उधार के) के योग को घटाने से प्राप्त होता है।
Fiscal Deficit = Total Expenditure – (Revenue Receipts + Capital Receipts excluding Borrowings)
इसमें महत्त्वपूर्ण बात यह है कि राजकोषीय घाटे में हम उधार को लेखे-जोखे में नहीं लेते जो कि पूंजीगत प्राप्तियों का हिस्सा होता है। सरकार की कुल प्राप्तियों में राजस्व प्राप्तियों तथा गैर उधार पूंजीगत प्राप्तियों को शामिल किया जाता है। गैर उधार पूंजीगत प्राप्तियों में ऋण की वापसी तथा विनिवेश से आय को जोड़ते हैं। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि
Fiscal Deficit = Borrowings Requirements of the Government
महत्त्व-राजकोषीय घाटा एक देश की सरकार की वित्तीय वर्ष में उधार आवश्यकताओं को स्पष्ट करता है। (Significance or Implications)

प्रश्न 9.
राजस्व घाटे से क्या अभिप्राय है ? राजस्व घाटे के महत्त्व को स्पष्ट करो।
उत्तर-
राजस्व घाटे से अभिप्राय सरकार के कुल राजस्व व्यय तथा कुल राजस्व प्राप्तियों का अन्तर होता है।
Revenue Deficit =Total Revenue Expenditure – Total Revenue Receipts
उदाहरणस्वरूप भारत सरकार के वार्षिक बजट 2005-06 में कुल राजस्व व्यय ₹ 446512 करोड़ तथा कुल राजस्व प्राप्तियां ₹ 351200

करोड़ थीं। इस प्रकार राजस्व घाटा ₹ 95312 करोड़ हैं। महत्त्व (Significance or Implications) –

  • बचतों में कमी-राजस्व घाटे सरकार की बचतों में कमी को प्रकट करता है। इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार को उधार लेना पड़ता है अथवा भण्डारों की बिक्री करनी पड़ती है।
  • मुद्रा स्फीति-सरकार द्वारा प्राप्त किया उधार उपभोग व्यय के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसलिए देश में मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न होती है। प्रश्न 10. योजना खर्च और गैर-योजना खर्च में अन्तर स्पष्ट करें।

उत्तर-योजना खर्च (Plan Expenditure)-यह खर्च योजना आयोग की स्वीकृति से सरकार व्यय करती है। योजना आयोग, योजना काल के लिए खर्च करने के निश्चित निर्देश जारी करता है। इसमें केन्द्र सरकार की योजनाओं का विवरण होता है, राज्य तथा केन्द्र प्रशासित क्षेत्रों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता का विवरण भी होता है।

गैर-योजना खर्च (Non Plan Expenditure)-और-योजना खर्च वह व्यय है जोकि योजना के व्यय के बिना कार्य की पूर्ति करता है गैर-योजना खर्च, योजना खर्च के बगैर शेष सभी प्रकार के खर्च होते हैं।

प्रश्न 11.
घाटे की वित्त पूर्ति कैसे की जाती है ?
उत्तर-
घाटे की वित्त पूर्ति कैसे की जाती है। इसके मुख्य ढंग इस प्रकार हैं-

  1. मुद्रा विस्तार (Monetary Expansion)-इस ढंग अनुसार सरकार घाटे (Deficit) को पूरा करने के लिए घाटे की राशि के समान नए नोट छाप लेती है। इस विधि में देश की सरकार खज़ाना बिल केन्द्रीय बैंक को देकर उसके बदले में नकद मुद्रा प्राप्त कर लेती है। इस प्रकार घाटे को पूरा किया जा सकता है।
  2. जनता से उधार (Borrowing from the Public)-घाटे की वित्त पूर्ति का दूसरा महत्त्वपूर्ण ढंग सरकार लोगों से उधार प्राप्त कर लेती है। बाज़ार में सरकार लोगों को उधार देने के लिए कहती है तो लोग सरकार की प्रतिभूतियां ब्रांड इत्यादि खरीद लेते हैं। इनको बाज़ार ऋण कहा जाता है।

प्रश्न 12.
कर की परिभाषा दें। कर की विभिन्न किस्में बताएँ।
उत्तर-
कर का अर्थ-कर कानूनी तौर पर लाज़मी भुगतान है जो कि देश की सरकार द्वारा लोगों की आय अथवा जायदाद पर लगाया जाता है। यह कंपनियों के उत्पादन पर भी लगता है, परन्तु इसके बदले में लाभ प्रदान करना अनिवार्य नहीं होता।

कर की किस्में (Types of Taxes)
1. प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर-

  • प्रत्यक्ष कर वह कर होते हैं जो कि जिन व्यक्तियों पर लगाए जाते हैं कर का भार भी उन व्यक्तियों को सहन करना पड़ता है। यह कर और व्यक्तियों अथवा संस्थाओं पर बदली नहीं किये जा सकते।
  • अप्रत्यक्ष कर वह कर हैं जो एक व्यक्ति पर लगाए जाते हैं, परन्तु उनका भार किसी और व्यक्ति अथवा व्यक्तियों को सहन करना पड़ता है।

2. प्रगतिशील, आनुपातिक और प्रतिगामी कर-

  • प्रगतिशील कर वह कर है जिनमें आय में वृद्धि से कर की दर में वृद्धि होती है।
  • आनुपातिक कर वह कर है जिन में आय में वृद्धि होने से कर की दर में कोई वृद्धि नहीं होती अथवा कर की दर सामान्य रहती है।
  • प्रतिगामी कर वह कर है जिन में आय में वृद्धि से कर की दर कम होने लगती है।

3. मूल्य वृद्धि और वज़न अनुसार कर –

  • मूल्य वृद्धि कर वह कर है जिन में वस्तु के मूल्य में वृद्धि होने से, मूल्य वृद्धि की राशि पर लगाए जाते हैं।
  • वज़न अनुसार कर वह कर है जो कि वस्तुओं के नाप-तोल पर लगाए जाते हैं।

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प्रश्न 13.
राजस्व प्राप्तियों से क्या अभिप्राय है? राजस्व प्राप्तियों के अंशों की व्याख्या करें।
उत्तर-
बजट प्राप्तियों का अर्थ (Meaning of Budget Receipts)-किसी वित्तीय वर्ष सरकार को प्राप्त होने वाली अनुमानित आय जोकि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है, उसे बजट प्राप्तियां कहा जाता है। बजट प्राप्तियों के दो स्रोत हैं-
(1) राजस्व प्राप्तियां (Revenue Receipts)-राजस्व प्राप्तियों की दो विशेषताएं होती हैं

  • इन प्राप्तियों से सरकार की कोई देनदारी उत्पन्न नहीं होती।
  • इन प्राप्तियों से सरकारी भण्डारों में कोई कमी उत्पन्न नहीं होती। राजस्व प्राप्तियों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।

1. कर प्राप्तियां (Tax Receipts)-सरकार द्वारा लगाए गए करों द्वारा जो आय प्राप्त होती है, उसको कर प्राप्तियां कहा जाता है। कर (Tax) एक अनिवार्य भुगतान होता है जोकि एक देश के निवासी बिना किसी प्रतिफल की आशा से अदा करते हैं। कर की विशेषताएं हैं-

  • यह अनिवार्य भुगतान होता है।
  • कर तथा लाभ में कोई-सीधा सम्बन्ध नहीं होता।
  • कर लोगों की भलाई पर व्यय किया जाता है।
  • कर के पीछे कानून व्यवस्था होती है।
  • कर देना, व्यक्ति की निजी ज़िम्मेदारी होती है।

2. गैर कर प्राप्तियां (Non Tax Receipts) यह सरकार की वह प्राप्तियां हैं जो गैर कर साधनों से होती हैं। इन प्राप्तियों के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं।

  • लाभ तथा लाभांश ।
  • फीस तथा जुर्माने।
  • विशेष कर
  • ब्याज
  • ग्रांट और तोहफे।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न माम। (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सरकारी बजट से क्या अभिप्राय है ? बजट के मुख्य उद्देश्य तथा अंश बताओ। (What is Government Budget ? Explain its main objectives and components.)
उत्तर-
सरकारी बजट का अर्थ (Meaning of Government Budget)-सरकारी बजट वार्षिक आय तथा व्यय का विवरण है जो आने वाले वर्ष के अनुमानों को प्रकट करता है। (“The budget is an annual statement of the estimated receipts and expenditures of the government over the fiscal year.”)
भारत में वार्षिक बजट 1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक बनाया जाता है। बजट में पिछले वर्ष की प्राप्तियों का विवरण भी होता है, परन्तु आने वाले वर्ष में रखे गए उद्देश्यों की पूर्ति के लिए साधनों के प्रयोग सम्बन्धी नीति का निर्माण किया जाता है। इसमें आगामी वर्ष की सम्भावित आय तथा व्यय का विवरण होता है। बजट की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  • सरकारी बजट सरकार की आय तथा व्यय का विवरण होता है।
  • बजट आने वाले वर्ष के अनुमानों से सम्बन्धित होता है।
  • सरकार कुछ उद्देश्यों को सामने रखकर बजट का निर्माण करती है।
  • अनुमानित आय तथा व्यय को प्रकट किया जाता है।
  • सरकारी बजट को सरकार की स्वीकृति लेनी अनिवार्य होती है। .

सरकारी बजट के उद्देश्य (Objectives of Government Budget)-सरकार बजट का निर्माण करते समय कुछ उद्देश्यों को ध्यान में रखती है। बजट के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखितानुसार हैं-
1. संसाधनों का पुनःवितरण (Reallocation of Resources)-सरकारी बजट का उद्देश्य देश के संसाधनों का वितरण इस प्रकार करने से होता है, जिससे आर्थिक लाभ के साथ-साथ सामाजिक कल्याण भी प्राप्त किया जा सके। इसलिए आर्थिक विकास के उद्देश्य को पूरा करने के साथ-साथ सरकार यह भी ध्यान रखती है कि लोगों के जीवन स्तर में वृद्धि हो।

2. आय तथा धन का समान वितरण (Equal distribution of Income and Wealth)-बजट द्वारा सरकार, आय तथा धन का समान वितरण का प्रयत्न करती है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अमीर लोगों पर अधिक कर लगाए जाते हैं तथा गरीब लोगों को सहायता प्रदान करके उनकी आय में वृद्धि करने के प्रयत्न लिए जाते हैं। भारत में आर्थिक नियोजन का यह मुख्य उद्देश्य रहा है।

3. आर्थिक स्थिरता (Economic Stability)-सरकार व्यापारिक चक्रों (Trade Cycles) को नियन्त्रण करने का प्रयत्न करती है। अर्थव्यवस्था में मन्दीकाल तथा तेज़ीकाल की अवस्थाओं पर नियन्त्रण करके असन्तुलन स्थापित करने के प्रयत्न किए जाते हैं। बजट में करों की दर में परिवर्तन इस प्रकार किया जाता है, जिससे देश में आर्थिक स्थिरता स्थापित की जा सके।

4.निर्धनता तथा बेरोज़गारी को दूर करना (Eradication of Poverty and Unemployment)-भारत जैसे देशों में निर्धनता तथा बेरोज़गारी नज़र आती है। इसका मुख्य कारण देश में तीव्रता से बढ़ रही जनसंख्या होती है। बजट में ऐसी नीतियों का निर्माण किया जाता है, जिससे निर्धनता तथा बेरोज़गारी की समस्या का हल किया जा सके।

5. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबन्ध (Management of Public Entreprises) सरकार ऐसे उद्यम आरम्भ करती है, जिनमें प्राकृतिक एकाधिकारी (Natural Monopoly) हो। प्राकृतिक एकाधिकारी में बड़े पैमाने पर कार्य किया जाता है। इससे पैमाने की बचतें प्राप्त होती हैं। इससे उत्पादन लागत कम आती है। इसीलिए सरकार रेलवे, बिजली, डाकखाने इत्यादि उद्योगों में निवेश करके लोगों की सामाजिक भलाई में वृद्धि करने का प्रयत्न भी करती है।

बजट का प्रभाव (Impact of the Budget)-अर्थव्यवस्था के तीन स्तरों (Levels) पर बजट का प्रभाव पड़ता है-
1. कुल राजकोषीय अनुशासन (Aggregate Fiscal Discipline)—सरकार को व्यय का विवरण तैयार करते समय अपनी आय को ध्यान में रखना चाहिए। यदि सरकार अपनी आय से अधिक व्यय करती है तो घाटे की वित्त व्यवस्था अपनाई जाएगी। इससे देश में कीमत स्तर तीव्रता से बढ़ जाता है।

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2. संसाधनों का वितरण (Allocation of Resources)-सामाजिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखकर __संसाधनों का वितरण करना चाहिए। बजट का प्रभाव संसाधनों के वितरण के स्तर पर भी डालता है।

3. सरकारी सेवाएँ (Government Services)-सरकारी सेवाओं द्वारा भी अर्थव्यवस्था को बजट प्रभावित करता है। सरकार द्वारा प्रभावी तथा कुशल नीति का निर्माण करना चाहिए, जिस द्वारा सरकारी सेवाएं अच्छी तरह प्रदान की जा सकें तथा अर्थव्यवस्था में सामाजिक भलाई में वृद्धि हो। इस उद्देश्य के लिए सड़कें, नहरें, शिक्षा, सेहत सुविधाएं अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालती हैं।

बजट के अंश (Components of the Budget) बजट को दो भागों में बांटा जा सकता है –
1. राजस्व बजट (Revenue Budget)
2. पूंजीगत बजट (Capital Budget)

1. राजस्व बजट (Revenue Budget)-राजस्व जट में प्राप्तियों तथा आय, व्यय का विवरण होता है। यह आय सरकार को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है तथा उस आय के व्यय का विवरण होता है।
2. पूंजीगत बजट (Capital Budget)-पूंजीगत बजट में पूंजीगत प्राप्तियों तथा दीर्घकाल के व्यय का विवरण होता है। इस प्रकार बजट की रचना के दो अंश होते हैं
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प्रश्न 2.
बजट प्राप्तियों से क्या अभिप्राय है ? सरकारी प्राप्तियों को आय प्राप्तियों तथा पूँजीगत प्राप्तियों में किस आधार तथा वर्गों में वितरण किया जाता है ?
(What do you understand Budget Receipts ? What is the basis of classifying Government Receipts into Revenue Receipts and Capital Receipts ?)
अथवा
आय प्राप्तियों तथा पूंजीगत प्राप्तियों से क्या अभिप्राय है ? आय प्राप्तियों तथा पूंजीगत प्राप्तियों के अंश बताओ।
(What are Revenue Receipts and Capital Receipts ? Explain the components of Revenue Receipts and Capital Receipts.)
उत्तर-
बजट प्राप्तियों का अर्थ (Meaning of Budget Receipts)-किसी वित्तीय वर्ष सरकार को प्राप्त होने वाली अनुमानित आय जोकि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होती है, उसे बजट प्राप्तियां कहा जाता है। बजट प्राप्तियां दो प्रकार की होती हैं-
1. राजस्व प्राप्तियां (Revenue Receipts)
2. पूंजीगत प्राप्तियां (Capital Receipts)
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राजस्व प्राप्तियां (Revenue Receipts)-राजस्व प्राप्तियों की दो विशेषताएं होती हैं

  • इन प्राप्तियों से सरकार की कोई देनदारी उत्पन्न नहीं होती।
  • इन प्राप्तियों से सरकारी भण्डारों में कोई कमी उत्पन्न नहीं होती।

राजस्व प्राप्तियों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
1. कर प्राप्तियां (Tax Receipts)—सरकार द्वारा लगाए गए करों द्वारा जो आय प्राप्त होती है, उसको कर प्राप्तियां कहा जाता है। कर (Tax) एक अनिवार्य भुगतान होता है जोकि एक देश के निवासी बिना किसी प्रतिफल की आशा से अदा करते हैं।

कर की विशेषताएं हैं –

  • यह अनिवार्य भुगतान होता है।
  • कर तथा लाभ में कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता।
  • कर लोगों की भलाई पर व्यय किया जाता है।
  • कर के पीछे कानूनी व्यवस्था होती है।
  • कर देना, व्यक्ति की निजी ज़िम्मेदारी होती है।

कर की किस्में (Types of Taxes)
(a) प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर (Direct and Indirect Taxes)

  • प्रत्यक्ष कर-प्रत्यक्ष कर वह कर है जोकि जिन मनुष्यों पर लगाए जाते हैं, कर का भार भी उन मनुष्यों को ही सहन करना पड़ता है जैसे कि आय कर, जायदाद कर इत्यादि।
  • अप्रत्यक्ष कर-अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो लगाए तो एक मनुष्य पर जाते हैं, परन्तु इनका भार पूर्ण अथवा आंशिक तौर पर दूसरे मनुष्यों पर पाया जा सकता है।

(b) प्रगतिशील, आनुपातिक तथा प्रतिगामी कर (Progressive, Proportional and Regressive Tax)

  • प्रगतिशील कर-प्रगतिशील कर वह कर है, जिनमें आय के बढ़ने से कर की दर बढ़ती जाती है, जैसे कि एक लाख रुपये आय वाले को 5% तथा 2 लाख आय वाले व्यक्ति को 10% कर देना पड़े तो यह प्रगतिशील कर है।
  • आनुपातिक कर में आय के बढ़ने से कर की दर समान रहती है।
  • प्रतिगामी कर में आय के बढ़ने से कर की दर घटती जाती है।

(c) मूल्य वृद्धि तथा वज़न अनुसार कर (Advalorem and Specific Tax)

  • मूल्य वृद्धि कर (Value Added Tax)—वह कर है जोकि वस्तु के मूल्य में वृद्धि होने से मूल्य वृद्धि की राशि पर लगाए जाते हैं।
  • वज़न अनुसार कर-वस्तुओं के नाप-तोल पर लगते हैं।

2. गैर-कर राजस्व प्राप्तियां (Non Tax Revenue Receipts)-यह सरकार की आय की वे प्राप्तियां हैं जोकि गैर-कर साधनों से होती हैं, इन प्राप्तियों के मुख्य स्रोत इस प्रकार हैं-
(i) लाभ तथा लाभांश (Profits and Dividends) सरकार ने बहुत से उद्यम जैसे कि बैंक, बीमा कम्पनियां, रेलवे, बिजली पूर्ति इत्यादि स्थापित किए हैं। इनको सार्वजनिक उद्यम कहा जाता है। सरकार को उद्यमों से लाभ प्राप्त होता है। सरकार द्वारा किए गए निवेश पर लाभांश भी मिलता है।

(ii) फ़ीस तथा जुर्माने (Fees and Fines)-सरकार द्वारा प्रदान की सेवाओं के बदले में फ़ीस प्राप्त की जाती है, जैसे कि स्कूलों, अस्पतालों, कचहरी इत्यादि में सुविधा देने के लिए सरकार फ़ीस प्राप्त करती है। कानून भंग करने वाले लोगों पर जुर्माने लगाए जाते हैं, जोकि सरकार की आय का स्रोत होता है।

(iii) विशेष कर (Special Assessment)—सरकार द्वारा सड़कों, पार्क इत्यादि सुविधाएं प्रदान करने से इस क्षेत्र की जायदाद का मूल्य बढ़ जाता है तो सरकार विकास व्यय कर के एवज़ में विशेष कर लगाती है तो इसको विशेष कर कहा जाता है, जोकि सरकार की आय का स्रोत होती है।

(iv) ब्याज (Interest)-सरकार द्वारा दिए ऋण का ब्याज सरकार की आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत होता है।

(v) ग्रान्ट तथा उपहार (Grants and Gifts) सरकार विदेशों से सहायता ग्रान्ट तथा उपहार प्राप्त करती है जोकि गैर कर राजस्व प्राप्ति होती है।

3. पूंजी प्राप्तियां (Capital Receipts)-पूँजी प्राप्तियों से

(i) सरकार की देनदारी उत्पन्न होती है।
(ii) सरकार की परिसम्पत्तियों (भण्डारों) में कमी होती है।

प्रमुख पूंजी प्राप्तियां इस प्रकार हैं –

  • छोटी बचतें (Small Savings)-सरकार डाकखानों में छोटी बचतें, G.P.F., N.S.S., किसान विकास पत्र इत्यादि के रूप में पंजी प्राप्त करती है।
  • उधार (Borrowings)-सरकार देश से उधार लेती है तथा विदेशी सरकारों अथवा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं I.M.F., विश्व बैंक इत्यादि से उधार प्राप्त करती है। ऐसा राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए किया जाता है।
  • ऋण की वसूली (Recovery of Loans) केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों, सार्वजनिक उद्यमों तथा विदेशों को दिए गए ऋण की वसूली द्वारा भी पूँजी प्राप्ति का स्रोत है।
  • विनिवेश (Dis-Investment) सार्वजनिक उद्यम जिनमें सरकार को हानि होती है उनके बिक्री द्वारा प्राप्त होने वाली आय को विनिवेश कहा जाता है। यह भी पूंजी प्राप्ति का एक स्रोत है।

प्रश्न 3.
सरकारी व्यय से क्या अभिप्राय है ? सार्वजनिक व्यय का वर्गीकरण स्पष्ट करो। (What is meant by Government Expenditure. Explain its Classification.)
अथवा
राजस्व तथा पूंजीगत व्यय, योजना तथा गैर-योजना व्यय, विकास तथा गैर-विकास व्यय में अन्तर स्पष्ट करो। (Distinguish between Revenue and Capital Expenditure, Plan and Non-Plan Expenditure, Development and non-development expenditure.)
उत्तर-
सरकारी व्यय का अर्थ (Meaning of Public Expenditure)-सरकारी व्यय से अभिप्राय एक वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा किए गए आनुपातिक व्यय से होता है। सार्वजनिक व्यय द्वारा सरकार लोगों की आर्थिक तथा सामाजिक भलाई में वृद्धि करने का प्रयत्न करती है। इससे आर्थिक उतार-चढ़ाव पर नियन्त्रण किया जाता है। देश के आर्थिक विकास में तेजी लाने के उद्देश्य की पूर्ति की जाती है। इसलिए सरकारी व्यय राष्ट्रीय हित के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा किए गए व्यय से होता है जो कि एक वित्तीय वर्ष में सरकार द्वारा व्यय किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 14 सरकारी बजट तथा अर्थव्यवस्था

सरकारी व्यय का वर्गीकरण (Classification of Government Expenditure)-सरकारी व्यय का वर्गीकरण तीन भागों में किया जाता है
1. राजस्व तथा पूंजीगत व्यय (Revenue and Capital Expenditure)
2. योजना तथा गैर-योजना व्यय (Plan and Non-plan Expenditure)
3. विकासवादी तथा गैर विकासवादी व्यय (Development and Non-development Expenditure)

1. राजस्व तथा पूंजीगत व्यय (Revenue and Capital Expenditure)
(a) राजस्व व्यय (Revenue Expenditure)-राजस्व व्यय की दो विशेषताएं होती हैं

  • यह व्यय सरकार के लिए परिसम्पत्तियों का निर्माण नहीं करते
  • इस प्रकार के व्यय से सरकार की देनदारी में कमी नहीं होती। राजस्व व्यय सरकार की उपभोगी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। यह व्यय सरकारी विभागों के संचालन, कर्मचारियों के वेतन, पैंशन इत्यादि पर व्यय किया जाता है

(b) पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure)-पूंजीगत व्यय से

  • सरकार परिसम्पत्तियों का निर्माण करती है।
  • यह सरकार की देनदारी में कमी करते हैं। ऐसे व्यय से अर्थव्यवस्था के भण्डार में वृद्धि होती है तथा सरकार की देनदारियों में कमी करता है। सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष में किए गए व्यय जिसके द्वारा नहरें, सड़कें, रेलों इत्यादि का निर्माण होता है, उनको पूंजीगत व्यय कहा जाता है।

2. योजना तथा गैर-योजना व्यय (Plan and Non-Plan Expenditure)-भारत में पंचवर्षीय योजनाएँ चलाई जाती हैं। ग्यारहवीं योजना 1 अप्रैल, 2007 से आरम्भ होकर 31 मार्च, 2012 तक चलीं। अब बारहवीं योजना चल रही है जो 31 मार्च, 2017 को पूरी होगी। प्रत्येक वर्ष योजना का निर्माण करते समय कुछ व्यय का अनुमान लगाया जाता है, जबकि कुछ व्यय गैर-नियोजित होता है।

(a) योजना व्यय (Plan Expenditure)-योजना का निर्माण करते समय रखे गए उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक वर्ष में सरकार द्वारा जो व्यय बजट में निर्धारित किया जाता है, उसको योजना व्यय कहा जाता है। वर्तमान नियोजन अधीन विकासवादी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जो व्यय सम्बन्धी सुझाव पेश किए जाते हैं, उनको योजना व्यय कहा जाता है। इसमें उपभोग तथा निवेश सम्बन्धी व्यय शामिल होते हैं, जिनको विभिन्न क्षेत्रों, कृषि, उद्योग, यातायात इत्यादि का विकास किया जाता है।

(b) गैर-योजना व्यय (Non-Plan Expenditure)-और-योजना व्यय वह व्यय है, जोकि योजना में व्यय के बिना अन्य कार्य की पूर्ति पर व्यय किया जाता है। गैर-योजना व्यय, योजना व्यय के बगैर शेष सभी व्यय होते हैं। (Non-Plan Expenditure is the expenditure other than the plan expenditure) सरकार को कुछ व्यय सुरक्षा, कानून तथा व्यवस्था अनुदान इत्यादि के रूप में करना पड़ता है, जिससे जनता को सामाजिक सुविधाएं प्रदान की जा सकें। ऐसे व्ययों को गैर-योजना व्यय कहा जाता है।

3. विकास तथा गैर-विकासशील व्यय (Development and Non-Development Expenditure)-
(a) विकास व्यय (Development Expenditure)-देश के आर्थिक तथा सामाजिक विकास के लिए सरकार द्वारा किए गए व्यय को विकास व्यय कहा जाता है। इसमें ग्रामीण, शहरी, कृषि, उद्योगों, सड़कें, नहरें, बिजली, पानी, सेहत सुविधाएँ तथा शिक्षा इत्यादि पर किया गया व्यय शामिल होता है। इसमें रेलें, डाकखानों तथा व्यापारिक उद्यमों के विकास के लिए किया गया व्यय भी शामिल किया जाता है।

(b) गैर-विकासशील व्यय (Non-Development Expenditure)-इसमें सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली साधारण सुविधाओं पर व्यय शामिल होता है, जैसे कि प्रशासन, सेना, पुलिस, ऋण का ब्याज़, बुढ़ापा पेंशन इत्यादि पर किया जाने वाला व्यय शामिल होता है। करों को एकत्रित करने पर व्यय भी गैर
विकासशील व्यय होता है।

सार्वजनिक व्यय का महत्त्व (Importance of Public Expenditure)-वर्तमान में सार्वजनिक व्यय का महत्त्व बढ़ गया है, क्योंकि –

  • सरकार के कार्यों में निरन्तर वृद्धि हो रही है। प्रत्येक राज्य कल्याण के कार्यों में भाग लेता है, इसलिए सार्वजनिक व्यय महत्त्वपूर्ण हो गया है।
  • आर्थिक विकास की वृद्धि के लिए भी सरकारी व्यय महत्त्वपूर्ण होता है। इससे आर्थिक विकास की दर बढ़ जाती है।
  • आर्थिक भलाई के कार्यों में वृद्धि होने के कारण सरकार सड़कें, बिजली, बुढ़ापा पेंशन, सेहत सुविधाएं प्रदान करती हैं।
  • व्यापारिक चक्रों को नियन्त्रण करने के लिए भी सरकारी व्यय का योगदान अधिक है।
  • आय तथा धन के समान वितरण के उद्देश्य की पूर्ति भी सरकारी व्यय से की जाती है।

प्रश्न 4.
सन्तुलित, वृद्धि तथा घाटे के बजट को स्पष्ट करो। इनके गुण तथा अवगुण बताओ। (Explain balanced, deficit or deficit Budgets. Give their relative merits and demerits.)
अथवा
सन्तुलित तथा असन्तुलित बजट में तुलना करो। इनके गुण तथा अवगुण बताओ। (Compare a balanced and unbalanced Budget. Give their merits and demerits.)
उत्तर-
बजट सरकार की वार्षिक अनुमानित प्राप्तियों तथा व्यय का विवरण होता है। (Budget is defined as an annual statement of the estimated receipts and expenditure of the government during a fiscal year)

बजट तीन प्रकार का होता है।

Estimates
1. Revenue = Expenditure Balanced Budget
2. Revenue > Expenditure Surplus Budget
3. Revenue < Expenditure Deficit Budget

1. सन्तुलित बजट (Balanced Budget)-एक सरकारी बजट को सन्तुलित बजट कहा जाता है यदि सरकार की राजस्व तथा पूंजीगत प्राप्तियां, सरकार के राजस्व तथा पूंजीगत व्यय के समान हों। प्राचीन काल में सन्तुलित बजट को अच्छा बजट माना जाता था। जैसे कि अर्थशास्त्र के पिता एड्म स्मिथ (Adam Smith) ने कहा था, “सरकारी व्यय, सरकारी आय से अधिक नहीं होना चाहिए” सरकार जनता के पैसे का प्रयोग अच्छी तरह नहीं कर सकती। व्यक्ति अपनी आय का प्रयोग निजी तौर पर अच्छी तरह कर सकते हैं। इसलिए परम्परागत अर्थशास्त्री सन्तुलित बजट के पक्ष में थे।

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गुण (Merits)-

  • फिजूल व्यय (Wasteful Expenditure)-सरकार द्वारा जो व्यय किया जाता है, उसमें फिजूल व्यय की सम्भावना अधिक होती है। इसलिए फिजूल व्यय से बचने के लिए सन्तुलित बजट अच्छा होता है।
  • वित्तीय स्थिरता (Financial Stability)-सन्तुलित बजट से वित्तीय स्थिरता प्राप्त होती है। वित्तीय साधनों की प्राप्ति पर अधिक ज़ोर नहीं दिया जाता। अवगुण (Demerits)

(i) व्यापारिक चक्रों के लिए अनुचित (Unsuitable for Trade cycles)-व्यापारिक चक्रों के लिए सन्तुलित बजट उचित नहीं क्योंकि मन्दीकाल तथा तेज़ीकाल का हल सन्तुलित बजट द्वारा नहीं किया जा सकता।

(ii) आर्थिक विकास के लिए अनुचित (Unsuitable for Economic Development) अल्प-विकसित देशों के आर्थिक विकास के लिए सन्तुलित बजट उचित नहीं होता। आर्थिक विकास के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। जब सरकार की प्राप्तियां सरकार के अनुमानित व्यय से अधिक अथवा कम होती हैं तो इस स्थिति को असन्तुलित बजट (Unbalanced Budget) कहते हैं।

असन्तुलित बजट दो प्रकार का हो सकता है
(i) बचत का बजट (Surplus Budget) तथा
(ii) घाटे का बजट (Deficit Budget)

2. बचत का बजट (Surplus Budget)-बचत का बजट वह बजट होता है, जिसमें सरकार की अनुमानित आय सरकार के अनुमानित व्यय से अधिक होती है। इससे अभिप्राय है कि सरकार करों द्वारा अर्थव्यवस्था में से अधिक मुद्रा प्राप्त कर रही है तथा सरकार व्यय द्वारा अर्थव्यवस्था में कम मुद्रा भेज रही है। ऐसी स्थिति में लोगों की मांग कम हो जाएगी तथा मुद्रा स्फीति पर रोक लग जाती है। जब सरकार लोगों की मांग को घटाना चाहती है तो बचत का बजट बनाया जाता है।

गुण (Merits)

  • मुद्रा स्फीति पर नियन्त्रण (Control over Inflation)-यदि देश में कीमत स्तर में तीव्रता से वृद्धि होती है तो बचत के बजट द्वारा मुद्रा स्फीति पर नियन्त्रण पाया जा सकता है।
  • मांग में कमी (Decrease in Demand)-जब देश में मुद्रा स्फीति का कारण मांग में वृद्धि होता है तो मांग में कमी करने के लिए बचत का बजट लाभदायक सिद्ध होता है।

अवगुण (Demerits)

  • मन्दीकाल (Depression) यदि बचत का बजट दीर्घ समय के लिए अपनाया जाता है तो इससे अर्थव्यवस्था में मन्दीकाल की स्थिति उत्पन्न होने का डर उत्पन्न हो जाता है।
  • बेरोज़गारी (Unemployment)-मांग की कमी के कारण देश में बेरोज़गारी फैल जाती है। इसलिए बचत का बजट अन्य कई आर्थिक समस्याओं को जन्म देता है।

3. घाटे का बजट (Deficit Budget)-घाटे का बजट वह बजट है जिसमें सरकार की अनुमानित आय सरकार के अनुमानित व्यय से कम होती है अथवा हम कह सकते हैं कि सरकार का व्यय, सरकार की आय से अधिक हो जाता है तो इसी तरह के बजट को घाटे का बजट कहा जाता है। 1929-30 में अमेरिका में महामन्दी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। अमेरिका अमीर देश था। वस्तुओं की पूर्ति अधिक थी, परन्तु मांग कम होने के कारण कीमतें तथा लाभ कम हो गए। उत्पादन घटने से बेरोजगारी फैल गई तो प्रो० जे० एम० केन्ज़ ने घाटे के बजट को अपनाने की सिफारिश की थी। आजकल घाटे का बजट अल्प-विकसित देशों में भी अपनाया जाता है।

गुण (Merits)

  • आर्थिक विकास (Economic Growth) अल्पविकसित देशों के आर्थिक विकास की गति तीव्र करने के लिए घाटे का बजट अच्छा होता है।
  • आर्थिक भलाई (Economic Welfare)-सरकार लोगों की आर्थिक भलाई में वृद्धि करना चाहती है तो घाटे के बजट द्वारा भलाई कार्यों पर अधिक व्यय किया जा सकता है।

अवगुण (Demerits)-

  1. फिजूल व्यय (Wasteful Expenditure)-घाटे के बजट द्वारा सरकार द्वारा फिजूल व्यय किया जाता है, इससे देश में भ्रष्टाचार में वृद्धि होती है।
  2. मुद्रा स्फीति (Inflation)-घाटे के बजट द्वारा देश में कीमतों का स्तर तीव्रता से बढ़ने लगता है। कीमतों की वृद्धि से आर्थिक तथा राजनीतिक संकट उत्पन्न होता है।

प्रश्न 5.
घाटे के बजट से क्या अभिप्राय है ? घाटे के बजट की किस्में बताओ। इनका माप कैसे किया जाता है ?
(What is meant by Budget Deficit? Explain the types of Budget deficit. How can these be measured ?)
अथवा
राजस्व घाटे, राजकोषीय घाटे तथा प्राथमिक घाटे से क्या अभिप्राय है ? इसके माप को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
(What is meant by Revenue Deficit, Fiscal Deficit and Primary Deficit ? Explain the measurement of these deficits with the help of an example.)
उत्तर–
बजट घाटे से सम्बन्धित चार धारणाएं हैं-

  1. बजट घाटा
  2. राजस्व घाटा
  3. राजकोषीय घाटा
  4. प्राथमिक घाटा।

इनकी व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है-

1. बजट घाटा (Budget Deficit)-जब सरकार का कुल व्यय अधिक होता है तथा कुल प्राप्तियां कम होती हैं तो इस प्रकार के बजट को घाटे का बजट कहा जाता है। इसमें एक ओर सरकार के कुल व्यय में से राजस्व प्राप्तियां तथा पूंजीगत प्राप्तियों को घटा दिया जाता है तो इनके अन्तर को बजट घाटा कहा जाता है। बजट घाटा कुल व्यय (राजस्व व्यय + पूंजीगत व्यय) (-) कुल प्राप्तियां (राजस्व प्राप्तियां + पूंजी प्राप्तियां) इसलिए बजट घाटा सरकार की कुल व्यय तथा कुल प्राप्तियों का अंतर होता है। (Budget deficit is the excess of government expenditures over the receipts) बजट घाटे को भारत सरकार के 2003-04 के बजट अनुमानों के आंकड़ों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
Budget Deficit of Centre, State & Union territory. Govt’s as per 2004-05
Budgetary Estimates

No. Item ₹ (in crores)
1. Total outlay (Expenditure) 902287
2. Current Revenue 655618
3.Gap (1-2) 246669
4. Net Capital Receipts 241587
5. Overall Budget Deficit (3-4) 5082

Source: Economic Survey 2005-06

भारत सरकार के बजट 2004-05 अनुसार बजट घाटा ₹ 5082 करोड़ था। कुल व्यय में से कुल प्राप्तियां घटाने से बजट घाटा प्राप्त होता है। कुल प्राप्तियों में चालू आय तथा शुद्ध पूंजी प्राप्तियां शामिल की जाती हैं।

2. राजस्व घाटा (Revenue Deficit)-राजस्व घाटे का सम्बन्ध सरकार के अधिक राजस्व व्यय तथा राजस्व प्राप्तियों के अन्तर से होता है। (The revenue deficit is the excess of government’s revenue expenditure over revenue receipts.) राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियां (Revenue Deficit = Revenue Expenditure – Revenue Receipts) जब किसी देश में राजस्व घाटा होता है तो इसकी पूर्ति पूंजी प्राप्तियों के रूप में उधार लेकर की जाती है जब उधार इस घाटे को पूरा किया जाता है तो सरकार की देनदारी बढ़ जाती है।

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महत्त्व अथवा निहित तत्त्व (Importance or Implications)-

  1. मुद्रा स्फीति (Inflation)-राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए उधार प्राप्त किया जाता है। इसलिए देश में मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  2. बचतों में कमी (Dis-savings)-सरकार राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए भण्डारों की तथा परिसम्पत्तियों की बिक्री करती है। इससे भण्डारों की कमी हो जाती है।
  3. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)-राजकोषीय घाटे का अर्थ सरकार के राजस्व तथा पूंजीगत व्यय तथा उधार को छोड़कर राजस्व तथा पूंजीगत प्राप्तियों से होता है। (Fiscal deficit is the excess of total expenditure over the seem of revenue receipts and capital receipts excluding borrowings during a year)

जब सरकार का कुल व्यय कहते हैं तो इसमें राजस्व व्यय + पूंजीगत व्यय शामिल होता है तथा कुल प्राप्तियों में राजस्व प्राप्तियां + पूंजीगत प्राप्ति होती है, पर उधार को छोड़ दिया जाता है।
Fiscal deficit = Total Budget Expenditure – Total Budget Receipts other than borrowings
राजकोषीय घाटा = कुल बजट व्यय – उधार के बिना कुल बजट प्राप्तियाँ उधार पूंजीगत प्राप्तियों का हिस्सा होता है, परन्तु राजकोषीय घाटे में हम राजस्व प्राप्तियों तथा गैर-उधार पूंजीगत प्राप्तियों को शामिल करते हैं।

महत्त्व अथवा निहित तत्त्व (Importance or Implications) –

  1. मुद्रा स्फीति (Inflation) राजकोषीय घाटे का अधिक होना मुद्रा स्फीति का सूचक होता है।
  2. ऋण में अधिक भार (More Burden of Debt)-ऋण तथा ऋण का ब्याज अधिक हो जाता है। इसलिए राजकोषीय घाटे से देश की देनदारी बढ़ जाती है।
  3. विदेशी निर्भरता (Foreign Dependence)-राजकोषीय घाटा अधिक होने से विदेशी ऋण का भार बढ़ जाता है। इसलिए विदेशी निर्भरता बढ़ जाती है।
  4. प्राथमिक घाटा (Primary Deficit)—प्राथमिक घाटा, राजकोषीय घाटे तथा ब्याज भुगतान का अन्तर होता है।

प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान Primary Deficit = Fiscal Deficit – Interest Payments
महत्त्व अथवा छिपे तत्त्व (Importance or Implications) राजकोषीय घाटे में सरकार की उधार आवश्यकताओं तथा ब्याज भुगतान की जानकारी प्राप्त होती है, परन्तु प्राथमिक घाटे में सरकार को व्यय पूरा करने के लिए कितना उधार अनिवार्य है, इसकी जानकारी प्राप्त होती है, पर ब्याज भुगतान को इसमें छोड़ दिया जाता है।

राजस्व घाटे, राजकोषीय घाटे तथा प्राथमिक घाटे का उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण
भारत सरकार का 2005-06 (बजट अनुसार) प्राप्तियां तथा व्यय

₹ करोड़
1. राजस्व प्राप्तियां = 351200
2. राजस्व व्यय = 446512
3. राजस्व घाटा (2-1) = 95312
4. पूंजीगत प्राप्तियां = 163144
5. पूंजीगत व्यय = 67832
6. कुल व्यय (2+5) = 514344
7. ऋण वसूली तथा अन्य प्राप्तियां = 12000
8. राजकोषीय घाटा (6-7-1) = 151144
9. ब्याज भुगतान = 133945
10. प्राथमिक घाटा (8-9) = 17199

Source : Economic Survey 2005-06
पीछे दी सूचना अनुसार

  1. राजस्व घाटा = राजस्व व्यय-राजस्व प्राप्तियां = 351200 – 44612 = ₹ 95312 करोड़
  2. राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – ऋण वसूली तथा अन्य प्राप्तियां – राजस्व प्राप्तियां = 514344 – 12000 – 351200 = ₹ 151144 करोड़
  3. प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान = 151144 – 133945 = ₹ 17199 करोड़

V. संरख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों के अनुसार –
बजट घाटे का माप करो।

मदें ₹ करोड़
(i) कुल व्यय 50,000
(ii) कुल प्राप्तियां 48,000

उत्तर-
बजट घाटा = कुल व्यय – कुल प्राप्तियां
= 50000 – 48000 = ₹ 2000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सूचना के आधार पर बजट घाटे का माप करो-

मदें ₹ करोड़
(i) राजस्व प्राप्तियाँ 80,000
(ii) पूंजीगत प्राप्तियां 45,000
(iii) राजस्व व्यय 10,000
(iv) पूंजीगत व्यय 40,000

उत्तर-
बजट घाटा = (राजस्व व्यय + पूंजीगत व्यय)- (राजस्व प्राप्तियां + पूंजीगत प्राप्तियां)
= (10,0000 + 40,000) — (80,000 + 45000) = 1,40,000 – 1,25000
= ₹ 15,000 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सूचना के आधार पर राजस्व घाटे का माप करो

मदें ₹ करोड़
(i) राजस्व प्राप्तियां 45,000
(ii) राजस्व व्यय 75,000

उत्तर-
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियां
= 75000 – 45000
= ₹30.000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा राजकोषीय घाटे का माप करो –

मदें ₹ करोड़
(i) कुल व्यय 50,000
(ii) कुल प्राप्तियां (बगैर उधार के) 40,000

उत्तर –
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – कुल प्राप्तियां (बगैर उधार के)
= 50,000 – 40,000 = ₹ 10,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 5.
राजकोषीय घाटा बताओ।

मदें ₹ करोड़
(i) कुल व्यय 90,000
(ii) राजस्व प्राप्तियां 50,000
(iii) पूंजीगत प्राप्तियां (बगैर उधार के) 22,000

उत्तर –
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – राजस्व प्राप्तियां – पूंजीगत प्राप्तियां (बगैर उधार के)
= 90,000 – 50000 = 22,000
= ₹ 18,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 6.
राजकोषीय घाटा ज्ञात करो –

मदें ₹ करोड़
(i) उधार तथा अन्य प्राप्तियां 151144
(ii) ब्याज भुगतान 133945
(iii) ऋण वसूली 12000

उत्तर-
राजकोषीय घाटा = उधार तथा अन्य प्राप्तियाँ
= ₹ 151144 करोड़ उत्तर

प्रश्न 7.
प्राथमिक घाटा ज्ञात करोमदें

मदें ₹ करोड़
(i) राजकोषीय घाटा 10,000
(ii) ब्याज भुगतान 4.000

उत्तर –
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान = 10,000 – 4000 = ₹ 6,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 8.
प्राथमिक घाटा ज्ञात करें –

मदें ₹ करोड़
(i) कुल व्यय 90,000
(ii) कुल प्राप्तियां (बगैर उधार के) 70,000
(iii) सरकार द्वारा व्याज का भुगतान 10,000

उत्तर-
प्राथमिक घाटा = कुल व्यय – कुल प्राप्तियाँ (बगैर व्याज के) – सरकार द्वारा व्याज का भुगतान = 90,000 – 70,000 – 10,000 = ₹ 10,000 करोड़ उत्तर

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प्रश्न 9.
सरकार द्वारा ब्याज भुगतान ज्ञात करें –

मदें ₹ करोड़
(i) राजकोषीय घाटा 50,000
(ii) प्राथमिक घाटा 41,000

उत्तर-
सरकार द्वारा ब्याज का भुगतान  = राजकोषीय घाटा (-) प्राथमिक घाटा।
= 50,000 – 41,000 = ₹ 9,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 10.
सरकार के बजट में प्राथमिक घाटा ₹ 4400 करोड़ रुपए है ब्याज भुगतान पर खर्च ₹ 400 करोड़ है, राजकोषीय घाटा ज्ञात करें-
उत्तर-
राजकोषीय घाटा = प्राथमिक घाटा + ब्याज भुगतान
= 4400 + 400 = ₹ 4800 करोड़ उत्तर

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ? Textbook Exercise Questions and Answers.

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਬਡਿੰਗ ਦੁਆਰਾ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਹੈ :
(ਉ) ਅਮੀਬਾ
(ਅ) ਯੀਸਟ
(ੲ) ਪਲਾਜਮੋਡੀਅਮ
(ਸ) ਲੇਸ਼ਮਾਨੀਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅ) ਯੀਸਟ (Yeast) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਮਾਦਾ ਜਣਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਭਾਗ ਨਹੀਂ :
(ਉ) ਅੰਡਕੋਸ਼
(ਅ) ਗਰਭਕੋਸ਼
(ੲ) ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਾਹਿਣੀ
(ਸ) ਫੈਲੋਪੀਅਨ ਟਿਊਬ ।
ਉੱਤਰ-
(ੲ) ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਾਹਿਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪਰਾਗ ਕੋਸ਼ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ :-
(ਉ) ਹਰੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ
(ਅ) ਬੀਜ ਅੰਡ
(ਏ) ਇਸਤਰੀ ਕੇਸਰ
(ਸ) ਪਰਾਗ ਕਣ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਪਰਾਗ ਕਣ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੇ ਟਾਕਰੇ ਵਿੱਚ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੇ ਕੀ ਲਾਭ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨਾਂ ਤੋਂ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ-

  • ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵਿਚ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਕ ਦੇ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਤੋਂ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਦੋ ਭਿੰਨ ਪਾਣੀਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਸੰਤਾਨ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੀ ਵਿਵਿਧਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  • ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਤੋਂ ਗੁਣ ਸੂਤਰਾਂ ਦੇ ਨਵੇਂ ਜੋੜੇ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਵਿਕਾਸਵਾਦ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਨੂੰ ਨਵੇਂ ਆਯਾਮ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਧੀਆ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਦੇ ਅਵਸਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਪਤਾਲੂਆਂ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਪਤਾਲੂਆਂ ਦੇ ਕਾਰਜ-ਪਤਾਲ ਵਿਚ ਨਰ ਜਣਨ-ਸੈੱਲ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਟੈਸਟੋਸਟੀਰੋਨ ਹਾਰਮੋਨ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਅਤੇ ਰਿਸਾਓ ਵਿਚ ਪਤਾਲੂ ਦੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਾਹਵਾਰੀ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੇ ਮਾਦਾ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਤਾਂ ਅੰਡਾ-ਸੈੱਲ ਲਗਭਗ ਇਕ ਦਿਨ ਤਕ ਜੀਵਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਅੰਡਕੋਸ਼ ਹਰ ਮਹੀਨੇ ਇਕ ਅੰਡੇ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਿਸ਼ੇਚਿਤ ਅੰਡੇ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵੀ ਹਰ ਮਹੀਨੇ ਤਿਆਰੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸਦੀ ਆਂਤਰਿਕ ਵਿੱਤੀ ਮਾਂਸਲ ਅਤੇ ਸਪੰਜੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਅੰਡਾ-ਸੈੱਲ ਦੇ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਹੋਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਉਸਦੇ ਪੋਸ਼ਣ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਪਰ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਇਸ ਪਰਤ ਦੀ ਵੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦੀ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਪਰਤ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਟੁੱਟ ਕੇ ਯੋਨੀ ਮਾਰਗ ਵਿਚੋਂ ਲਹੂ ਅਤੇ ਮਿਉਕਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਚੱਕਰ ਵਿਚ ਲਗਭਗ ਇਕ ਮਹੀਨੇ ਦਾ ਸਮਾਂ ਲਗਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਮਾਸਿਕ ਧਰਮ ਜਾਂ ਮਾਹਵਾਰੀ (Menstruation) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਦਾ ਸਮਾਂ ਲਗਭਗ 2 ਤੋਂ 8 ਦਿਨਾਂ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਫੁੱਲ ਦੀ ਲੰਬਾਤਮਕ ਕਾਟ ਦਾ ਅੰਕਿਤ ਕੀਤਾ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਨ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਵਿਧੀਆਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਨੂੰ ਨਿਯਮਿਤ ਜਾਂ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਨ ਲਈ ਲੋੜ ਹੈ ਕਿ ਮਾਦਾ ਵਿੱਚ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਨਾ ਹੋਵੇ । ਇਸਦੇ ਲਈ ਮੁੱਖ ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਕ ਵਿਧੀਆਂ ਅੱਗੇ ਲਿਖੀਆਂ ਹਨ-

(i) ਰਸਾਇਣਿਕ ਵਿਧੀ – ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਮਾਦਾ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਨੂੰ ਰੋਕ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਔਰਤਾਂ ਦੁਆਰਾ ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਕ ਗੋਲੀਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਝੱਗ ਦੀ ਗੋਲੀ, ਜੈਲੀ, ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਕਰੀਮਾਂ ਆਦਿ ਇਹ ਕਾਰਜ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
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(ii) ਸਰਜਰੀ – ਨਰ ਵਿਚ ਨਸਬੰਦੀ (Vasectomy) ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਵਿਚ ਵੀ ਨਲਬੰਦੀ (Tubectomy) ਦੁਆਰਾ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਰੋਕਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ | ਪੁਰਸ਼ਾਂ ਦੀ ਸਰਜਰੀ ਵਿਚ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਬੰਨ੍ਹ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਪੀਨਸ ਵਿਚ ਬਣਨ ਵਾਲੇ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦੇ । ਇਸਤਰੀਆਂ ਵਿਚ ਅੰਡ ਵਾਹਿਣੀ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਬੰਨ੍ਹ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਬਣੇ ਅੰਡੇ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਆ ਪਾਉਂਦੇ ।
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(iii) ਭੌਤਿਕ ਵਿਧੀ – ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭੌਤਿਕ ਵਿਧੀਆਂ ਨਾਲ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਇਸਤਰੀ ਦੇ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਜਾਣ ਤੋਂ ਰੋਕ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਲਿੰਗੀ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਨਿਰੋਧ ਆਦਿ ਤਰੀਕਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਇਸਦੇ ਅਧੀਨ ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਲੂਪ ਜਾਂ ਕਾਪਰ-ਟੀ (Copper-T) ਨੂੰ ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਇਕ ਸੈੱਲੀ ਅਤੇ ਬਹੁਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਜਣਨ ਵਿਧੀਆਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਕ ਸੈੱਲੀ ਜੀਵ ਅਕਸਰ ਵਿਖੰਡਨ, ਬਡਿੰਗ, ਜੀਵ ਪੁਨਰਜਣਨ, ਬਹੁ-ਖੰਡਨ ਆਦਿ ਵਿਧੀਆਂ ਰਾਹੀਂ ਜਣਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸਿਰਫ਼ ਇਕ ਹੀ ਸੈੱਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਰਲਤਾ ਨਾਲ ਸੈੱਲ ਵਿਭਾਜਨ ਦੁਆਰਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਜਣਨ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਬਹੁ-ਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਜਟਿਲ ਜਾਂ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਜਣਨ ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਜਾਤੀ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੇ ਸਥਾਈਪਣ ਵਿੱਚ ਕਿਵੇਂ ਸਹਾਇਕ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਵੀ ਜਾਤੀ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੇ ਸਥਾਈਪਨ ਵਿਚ ਜਣਨ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦਾ ਬਰਾਬਰ ਮਹੱਤਵ ਹੈ । ਜੇ ਜਣਨ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦਰ ਵਿਚ ਲਗਭਗ ਬਰਾਬਰੀ ਦੀ ਦਰ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਸਥਾਈਪਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਜਨਮ ਦਰ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦਰ ਹੀ ਉਸਦਾ ਆਧਾਰ ਦਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਕ ਯੁਕਤੀਆਂ ਅਪਨਾਉਣ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਨ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਨਿਰੋਧਕ ਯੁਕਤੀਆਂ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਬੇਲੋੜੇ ਗਰਭ ਰੋਕਣ ਲਈ ਅਪਣਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਉਮਰ ਦਾ ਅੰਤਰ ਵਧਾਉਣ ਵਿਚ ਵੀ ਸਹਿਯੋਗ ਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਕੰਡੋਮ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਏਡਜ਼ (AIDS), ਸਿਫਲਿਸ (Siphlis), ਗੋਨੋਰੀਆ (Goriorrhoea) ਵਰਗੇ ਯੌਨ ਸੰਬੰਧੀ ਰੋਗਾਂ ਦੇ ਲਾਗ ਤੋਂ ਵੀ ਬਚਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ? InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਡੀ. ਐੱਨ. ਏ. ਦੀ ਨਕਲ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਜਣਨ ਵਿੱਚ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ? |
ਉੱਤਰ-
ਜਣਨ ਵਿਚ ਡੀ. ਐੱਨ. ਏ. ਕਾਪੀ ਕਰਨਾ ਪਾਣੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਪੀਸ਼ੀਜ ਵਿਚ ਪਾਈ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਵਿਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੀ ਹੋਂਦ ਨੂੰ ਬਣਾ ਕੇ ਰੱਖਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੈ । ਡੀ. ਐੱਨ. ਏ. ਦੀ ਕਾਪੀ ਪੀੜ੍ਹੀਆਂ ਤੱਕ ਗੁਣਾਂ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਲੈ ਕੇ ਚਲਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰਕ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਵਿਚ ਸਮਤਾ ਬਣੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਨਵੀਆਂ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇਸ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਆਉਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਬਣੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਚਾਹੇ ਉਸ ਵਿਚ ਕੁਝ ਅੰਤਰ ਆ ਜਾਣ ।

ਡੀ. ਐੱਨ. ਏ. ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਹੈ ਜੋ ਜਨਮ ਤੋਂ ਹੀ ਸੰਤਾਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਕੇਂਦਰਕ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਲਈ ਸੂਚਨਾ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਸੂਚਨਾ ਦੇ ਬਦਲ ਜਾਣ ਤੇ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਵੀ ਬਦਲ ਜਾਣਗੇ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰਕ ਰਚਨਾ ਵਿਚ ਵੀ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਆ ਜਾਵੇਗੀ । ਡੀ. ਐਨ. ਏ. ਕਾਪੀ ਬਣਨ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਦੁਸਰੀ ਸੈਂਲੀ ਸੰਰਚਨਾ ਦਾ ਸਿਰਜਨ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜੈਵ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਡੀ. ਐਨ. ਏ. ਦੀ ਕਾਪੀ ਵਿਚ ਕੁਝ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹਨ ਪਰ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਨਹੀਂ । ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਸਿਸਟਮ ਵਿੱਚ ਨਿਸਚਿਤ ਸਥਾਨ ਜਾਂ ਨਿੱਚ (Niche) ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਜਾਤੀ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੀ ਸਥਿਰਤਾ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਜਣਨ ਨਾਲ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਨਿੱਚ (Niche) ਵਿੱਚ ਅਜਿਹੇ ਪਰਿਵਰਤਨ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਉਗਰ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਸਮੂਲ ਵਿਨਾਸ਼ ਸੰਭਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਹੋਵੇਗੀ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਜੀਵਤ ਰਹਿਣ ਦੀ ਕੁਝ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ । ਵਿਸ਼ਵ ਤਾਪਮਾਨ ਵਿਚ ਵਾਧੇ ਦੇ ਕਾਰਨ ਜੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ ਵਧੇਰੇ ਵੱਧ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਠੰਡੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਦਾ ਨਾਸ਼ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ਪਰ ਗਰਮੀ ਨੂੰ ਸਹਿਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਣੁ ਜੀਵਤ ਰਹਿਣਗੇ ਅਤੇ ਵਾਧਾ ਕਰਨਗੇ । ਇਸ ਲਈ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਪਜਾਤੀਆਂ ਨੂੰ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਜਿਉਂਦਾ ਰੱਖਣ ਲਈ ਉਪਯੋਗੀ ਹਨ । ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਲਈ ਤਾਂ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ ਪਰ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦੋ ਖੰਡਨ ਬਹੁਖੰਡਨ ਨਾਲੋਂ ਕਿਵੇਂ ਭਿੰਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੋ ਖੰਡਨ ਵਿਚ ਕੋਈ ਇਕ ਸੈੱਲ ਦੋ ਛੋਟੇ ਅਤੇ ਲਗਭਗ ਸਮਾਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਦੋ ਖੰਡਨ ਇਕ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਤਲ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਰ ਬਹੁਖੰਡਨ ਵਿਚ ਇਕ ਸੈੱਲ ਜੀਵ ਨਾਲੋਂ ਨਾਲ ਕਈ ਸੰਤਾਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਦੋ ਖੰਡਨ ਵਿਚ ਸਿਸਟ (cyst) ਨਹੀਂ ਬਣਦਾ ਪਰ ਬਹੁਖੰਡਨ ਵਿੱਚ ਸਿਸਟ (cyst) ਬਣਦਾ ਹੈ । ਅਮੀਬਾ ਅਤੇ ਪੈਰਾਮੀਸ਼ੀਅਮ ਵਿਚ ਦੋ ਖੰਡਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕਾਲਾਜ਼ਾਰ ਦੇ ਰੋਗਾਣੁ ਲੇਸ਼ਮਾਨੀਆਂ ਅਤੇ ਮਲੇਰੀਆ ਪਰਜੀਵੀ ਪਲਾਜ਼ਮੋਡੀਅਮ ਵਿਚ ਬਹੁਖੰਡਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਬੀਜਾਣੂ ਦੁਆਰਾ ਜਣਨ ਨਾਲ ਜੀਵ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਾਹੇਵੰਦ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੀਜਾਣੂ ਵਾਧਾ ਕਰਕੇ ਰਾਈਜ਼ੋਪਸ (Phizopus) ਦੇ ਨਵੇਂ ਜੀਵ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਬੀਜਾਣੂ ਦੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਇੱਕ ਮੋਟੀ ਝਿੱਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਪ੍ਰਤੀਕੂਲ ਹਾਲਾਤਾਂ ਵਿਚ ਉਸਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਬੀਜਾਣੂਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਚਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਸੌਖਿਆਂ ਹੀ ਵਿਪਰੀਤ ਹਾਲਾਤਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਮਿਲ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਨਮ ਸਤਹਿ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਆਉਣ ਤੇ ਇਹ ਵਾਧਾ ਕਰਨ ਲਗਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਕੁੱਝ ਕਾਰਨ ਸੋਚ ਸਕਦੇ ਹੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲਗਦਾ ਹੋਵੇ ਕਿ ਜਟਿਲ ਰਚਨਾ ਵਾਲੇ ਜੀਵ ਪੁਨਰਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਨਵੀਂ ਸੰਤਾਨ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਟਿਲ ਸੰਰਚਨਾ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਜਣਨ ਵੀ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਜਾਂ ਜਟਿਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪੁਨਰਜਣਨ ਇਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਜੀਵ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਵਿਚ ਅੰਤਰ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ । ਇਹ ਜਣਨ ਦੇ ਸਮਾਨ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਜਟਿਲ ਸੰਰਚਨਾ ਵਾਲੇ ਜੀਵ ਪੁਨਰਜਣਨ ਦੁਆਰਾ ਕਿਸੇ ਵੀ ਭਾਗ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਆਮ ਕਰਕੇ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜੀਵ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਅੰਗਾਂ ਅਤੇ ਅੰਗ ਪ੍ਰਣਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਕੁੱਝ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਉਗਾਉਣ ਲਈ ਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਮ ਕਰਕੇ ਜੋ ਪੌਦੇ ਬੀਜ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ, ਤਣਾ, ਪੱਤੀਆਂ ਆਦਿ ਨੂੰ ਢੁੱਕਵੇਂ ਹਾਲਾਤਾਂ ਵਿਚ ਵਿਕਸਿਤ ਕਰਕੇ ਨਵਾਂ ਪੌਦਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਕਸਰ ਏਕਲ ਪੌਦੇ ਇਸ ਸਮਰੱਥਾ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਜਣਨਵਿਧੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਗਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਕਾਇਕ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਡੀ. ਐੱਨ. ਏ. ਦੀ ਕਾਪੀ ਬਣਾਉਣਾ ਜਣਨ ਦੇ ਲਈ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਣਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨਾਲ ਉਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਹੀ ਸੰਤਾਨ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਹੋ ਜਿਹੇ ਜਨਮ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਹੋਣ । ਡੀ. ਐੱਨ. ਏ. ਦੀ ਕਾਪੀ ਦੇ ਪਰਿਣਾਮ ਵਜੋਂ ਹੀ ਵੰਸ਼ਾਨੁਰਾਤ ਗੁਣਾਂ ਤੋਂ ਯੁਕਤ ਸੰਤਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਡੀ. ਐੱਨ. ਏ. ਦੀ ਕਾਪੀ ਬਣਾਉਣਾ ਜਣਨ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਹ ਜੀਵਨ ਦੀ ਲਗਾਤਾਰਤਾ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਜਾਤੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਦੇ ਗੁਣ ਬਣੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਤੋਂ ਕਿਵੇਂ ਭਿੰਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ (Pollination) ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ (Fertilization)
(1) ਉਹ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਪਰਾਗਕਣ ਇਸਤਰੀ-ਕੇਸਰ ਦੇ ਸਟਿਗਮਾ ਤੱਕ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ, ਪਰਾਗਣ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ । (1) ਉਹ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿਚ ਨਰ ਯੁਗਮਕ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਯੁਗਮਕ ਮਿਲ ਕੇ ਯੁਗਮਜ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਚਰਨ ਹੈ । (2) ਇਹ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਦੂਸਰਾ ਚਰਨ ਹੈ ।
(3) ਪਰਾਗਣ ਕਿਰਿਆ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-ਸਵੈ-ਪਰਾਗਣ ਅਤੇ ਪਰ-ਪਰਾਗਣ । (3) ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵੀ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-ਬਾਹਰੀ ਅਤੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਕਿਰਿਆ ।
(4) ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਦੇ ਲਈ ਵਾਹਕਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਵਾਹਕਾਂ ਦੀ ਕੋਈ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(5) ਅਨੇਕ ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (5) ਇਸ ਵਿਚ ਪਰਾਗਕਣਾਂ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
(6) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਖ਼ਾਸ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (6) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਖ਼ਾਸ ਲੱਛਣਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਵੀਰਜ ਥੈਲੀਆਂ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਸਟੇਟ ਗੰਥੀ ਦੀ ਕੀ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਵੀਰਜ ਥੈਲੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਸਟੇਟ ਗੰਥੀ ਆਪੋ-ਆਪਣੇ ਰਿਸਾਓ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਵਹਿਣੀ ਵਿਚ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸ਼ੁਕਰਾਣੂ ਇਕ ਤਰਲ ਮਾਧਿਅਮ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਸਰਲਤਾ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਨਾਲ ਹੀ ਇਹ ਰਿਸਾਓ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੋਸ਼ਣ ਵੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਵੀਰਜ ਥੈਲੀ ਵਿਚੋਂ ਰਿਸਾਓ ਤਰਲ ਵਿਚ ਫਰਕਟੋਜ਼, ਸਿਟਰੇਟ ਅਤੇ ਕਈ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਵੀਰਜ ਦੀ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤਤਾ 60 : 30 ਵਿਚ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਵੀਰਜ ਥੈਲੀ ਯੋਨੀ ਵਿਚ ਸੁਗੜਨ ਨੂੰ ਉਦੀਮਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਸਟੇਟ ਮੂਤਰ ਦੀ ਅਮਲਤਾ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 8 ਜੀਵ ਪ੍ਰਜਣਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਨ?

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪਿਊਬਰਟੀ ਸਮੇਂ ਲੜਕੀਆਂ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਪਰਿਵਰਤਨ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ? ਉੱਤਰ-ਪਿਉਬਰਟੀ ਸਮੇਂ ਲੜਕੀਆਂ ਵਿਚ ਵਿਖਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨ-

  1. ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਕੁਝ ਨਵੇਂ ਭਾਗਾਂ ਜਿਵੇਂ ਬਾਹਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰਲੇ ਜੋੜ ਜਣਨ ਅੰਗਾਂ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਵਾਲਾਂ ਦੇ ਗੁੱਛੇ ਨਿਕਲ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।
  2. ਹੱਥਾਂ, ਪੈਰਾਂ ਤੇ ਮਹੀਨ ਸੁਰਾਖ ਜਾਂ ਰੋਮ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਚਮੜੀ ਤੇਲ ਯੁਕਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਮੂੰਹ ਤੇ ਕਿੱਲ ਨਿਕਲਣ ਲਗਦੇ ਹਨ ।
  4. ਛਾਤੀਆਂ ਦੇ ਆਕਾਰ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  5. ਛਾਤੀ ਦੇ ਅੰਤਲੇ ਸਿਰੇ ਤੇ ਨਿੱਪਲ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੀ ਚਮੜੀ ਦਾ ਰੰਗ ਗੂੜ੍ਹਾ ਹੋਣ ਲਗਦਾ ਹੈ ।
  6. ਮਾਹਵਾਰੀ (Menstruation) ਆਉਣੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  7. ਅੰਡਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਅੰਡੇ ਤਿਆਰ ਹੋਣ ਲਗਦੇ ਹਨ |
  8. ਆਵਾਜ਼ ਸੁਰੀਲੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  9. ਉਲਟ ਲਿੰਗ ਪ੍ਰਤੀ ਖਿੱਚ ਹੋਣ ਲਗਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਭਰੂਣ ਪੋਸ਼ਣ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਮਾਂ ਦੇ ਗਰਭ ਵਿਚ ਪਲ ਰਿਹਾ ਭਰੂਣ ਆਪਣਾ ਪੋਸ਼ਣ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭਕੋਸ਼ ਵਿਚ ਸਥਾਪਿਤ ਭਰੂਣ ਨੂੰ ਮਾਂ ਦੇ ਲਹੂ ਤੋਂ ਪੋਸ਼ਣ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਲਈ ਪਲੇਸੈਂਟਾ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਕੁਦਰਤ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਇਹ ਇੱਕ ਤਸ਼ਤਰੀ ਨੁਮਾ ਸੰਰਚਨਾ ਹੈ ਜੋ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਦੀ ਕੰਧ ਵਿਚ ਧਸੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਭਰੂਣ ਦੇ ਪਾਸੇ ਵਾਲੇ ਟਿਸ਼ੂ ਉੱਤੇ ਵਿਲਾਈ(Villi) ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਮਾਂ ਵਾਲੇ ਪਾਸੇ ਹੂ ਸਥਾਨ (Blood Spaces) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਵਿਲਾਈ ਨੂੰ ਘੇਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਮਾਂ ਤੋਂ ਭਰੂਣ ਨੂੰ ਗੁਲੂਕੋਜ਼, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਇਸਤਰੀ ਕਾਪਰ-ਟੀ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ ਤਾਂ ਕੀ ਇਹ ਲਿੰਗੀ ਸੰਪਰਕ ਰੋਗਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸੰਚਾਰਿਤ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਉਸਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰੇਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਹੀਂ, ਕਾਪਰਟੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਮਹਿਲਾ ਦੀ ਲਿੰਗੀ ਸੰਚਾਰਿਤ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਰੱਖਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰੇਗਾ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

PSEB 10th Class Science Guide ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਹੈ ?
(a) ਇੰਸੂਲਿਨ
(b) ਥਾਇਰਾਕਸਿਨ
(c) ਈਸਟਰੋਜਨ
(d) ਸਾਈਟੋਕਾਇਨਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਸਾਈਟੋਕਾਇਨਿਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੋ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਖਾਲੀ ਥਾਂ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ :
(a) ਡੈਂਡਰਾਈਟ
(b) ਸਾਈਨੈਪਸ
(c) ਐਕਸਾਨ
(d) ਆਵੇ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਸਾਈਨੈਪਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦਿਮਾਗ਼ ਉੱਤਰਦਾਈ ਹੈ :
(a) ਸੋਚਣ ਲਈ
(b) ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਨ ਨੂੰ ਇਕਸਾਰ ਰੱਖਣ ਲਈ
(c) ਸਰੀਰ ਦਾ ਸੰਤੁਲਨ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ
(d) ਉਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਕਤ ਸਾਰੇ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਗਾਹੀ ਦਾ ਕੀ ਕੰਮ ਹੈ ? ਅਜਿਹੀ ਸਥਿਤੀ ਤੇ ਵਿਚਾਰ ਕਰੋ ਜਿੱਥੇ ਗਾਹੀ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਕਾਰਜ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀ । ਇਸ ਨਾਲ ਕੀ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਉਤਪੰਨ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਹਰ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦੀ ਅਨੁਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਇਕ ਗਤੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਸਾਡੇ ਆਸਪਾਸ ਹੋਣ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਸਾਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੇਂਦਰੀ ਨਾੜੀ-ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਤੱਕ ਭੇਜ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਨਾੜੀ-ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿਚ ਦਿਮਾਗ ਅਤੇ ਸੁਸ਼ਮਨਾ ਠੀਕ ਸੁਨੇਹਾ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖਵੱਖ ਅੰਗਾਂ ਅਤੇ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਜੇ ਗ੍ਰਾਹੀ ਠੀਕ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕੰਮ ਨਾ ਕਰਨ ਤਾਂ ਅਸੀਂ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਨਾ ਤਾਂ ਸਮਝਾ ਸਕਾਂਗੇ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਤੀ ਠੀਕ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕੋਈ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰ ਸਕਾਂਗੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇੱਕ ਨਿਊਰਾਨ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦਰਸਾਓ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਕਾਰਜ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਿਊਰਾਨ (Neuron) ਸੰਦੇਸ਼ਾਂ ਦਾ ਸੰਵਹਿਨ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਮੂਲ ਇਕਾਈ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੂਪ ਵਿਚ ਲੰਬੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਜੀਵ ਪੁੰਜ ਜਾਂ ਸੈੱਲ ਬਾਡੀ ਤੋਂ ਘਿਰਿਆ ਹੋਇਆ ਕੇਂਦਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸੈੱਲ ਬਾਡੀ ਤੋਂ ਡੈਂਡਰਾਈਟਸ ਨਾਮਕ ਕਈ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਸ਼ਾਖਾਵਾਂ ਨਿਕਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਾਖਾਵਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਸ਼ਾਖਾ ਵੱਧ ਲੰਬੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਐਕਸਾਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸੰਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਸੈੱਲ ਤੋਂ ਦੂਰ ਲੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੋਈ ਵੀ ਨਿਊਰਾਨ ਸਿੱਧੀ ਹੀ ਦੂਸਰੀ ਨਿਊਰਾਨ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 1

ਨਾੜੀ ਪੇਸ਼ੀ ਜੋੜ ਨਾਲ ਜੁੜੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਨੇੜੇ ਦਾ ਸੰਵਹਿਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਨੂੰ ਸਿਨੈਪਸ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜੇ ਸਾਡੇ ਪੈਰਾਂ ਵਿਚ ਦਰਦ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਦੀ ਸੂਚਨਾ ਪੈਰ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਸੰਵੇਦੀ ਨਿਊਰਾਨ ਦੇ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਹਿਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਨਿਉਰਾਨ ਉਸ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਸੰਕੇਤ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਸੰਕੇਤ ਸੈਂਲ ਬਾਡੀ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸਿਨੈਪਸ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੋਇਆ ਇਹ ਦਿਮਾਗ਼ ਤੱਕ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ । ਦਿਮਾਗ਼ ਸੰਦੇਸ਼ ਹਿਣ ਕਰ ਉਸ ਤੇ ਅਨੁਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰੇਰਤ ਨਾੜੀ ਇਸ ਅਨੁਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪੈਰ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪੈਰ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਉੱਚਿਤ ਅਕਿਰਿਆ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਨਿਉਰਾਨ (Neuron) ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹਨ-

  1. ਸੰਵੇਦੀ ਨਿਊਰਾਨ-ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਹ ਸੰਵੇਦਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਲ ਲੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  2. ਪ੍ਰੇਰਕ ਨਿਊਰਾਨ-ਇਹ ਦਿਮਾਗ਼ ਤੋਂ ਆਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  3. ਬਹੁ-ਧਰੁਵੀ ਨਿਊਰਾਨ-ਇਹ ਸੰਵੇਦਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਦਿਮਾਗ਼ ਵੱਲ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਤੋਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵਲ ਲੈ ਜਾਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਨੁਵਰਤਨ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਕਰੂੰਬਲਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਰੋਤ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਨੁਵਰਤਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਕਰੂੰਬਲਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਧਨਾਤਮਕ ਅਨੁਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 7 ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ 2
ਜੇ ਕਿਸੇ ਪੌਦੇ ਨੂੰ ਗਮਲੇ ਵਿਚ ਲਗਾ ਕੇ ਕਿਸੇ ਹਨੇਰੇ ਕਮਰੇ ਵਿਚ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਿਸੇ ਖਿੜਕੀ ਜਾਂ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਵੱਲੋਂ ਅੰਦਰ ਆਉਂਦਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਕੁਝ ਦਿਨਾਂ ਦੇ ਬਾਅਦ ਹੀ ਤਣੇ ਦਾ ਅਗਲਾ ਭਾਗ ਖੁਦ ਉਸੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਮੁੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਪਾਸੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕਮਰੇ ਵਿਚ ਪਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ।

ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤਣੇ ਦਾ ਸਿਰਾ ਸਿਰਫ ਉਸੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਰਿਸਾਓ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਵਧੇਰੇ ਆਕਸਿਨ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਾਲ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਕਿ ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਹਾਰਮੋਨ ਮੌਜੂਦ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਤਣੇ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਮੁੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਤੇ ਸੱਟ ਲੱਗਣ ਨਾਲ ਕਿਹੜੇ ਸੰਕੇਤਾਂ ਵਿੱਚ ਰੁਕਾਵਟ ਆਵੇਗੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੁਖਮਨਾ ਨਾੜੀ ਜਾਂ ਮੇਰੁਰਜੁ ਨੂੰ ਸੱਟ ਲੱਗਣ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸੰਕੇਤਾਂ ਵਿਚ ਰੁਕਾਵਟ ਹੋਵੇਗੀ । ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੀ ਕੋਈ ਵੀ ਸੂਚਨਾ ਆਉਣ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਦੇ ਬੰਡਲ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੋਈ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਜਾਵੇਗੀ । ਇਹ ਤੁਰੰਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਅੰਗਾਂ ਵਿਚ ਨਾ ਪੁੱਜ ਕੇ ਦਿਮਾਗ ਦੁਆਰਾ ਉਸ ਅੰਗ ਤਕ ਪੁੱਜ ਜਾਵੇਗੀ । ਅਜਿਹਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਦੇਰ ਲਗੇਗੀ ਅਤੇ ਉਦੋਂ ਤੱਕ ਅੰਗ ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਹੋ ਚੁੱਕਾ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤਾਲਮੇਲ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤਾਲਮੇਲ-ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤਾਲਮੇਲ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪੌਦੇ ਖ਼ਾਸ ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਉਸ ਦੇ ਖ਼ਾਸ ਭਾਗਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਤਣੇ ਦਾ ਸਿਰਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੇ ਆਉਣ ਵਾਲੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਵਧਦਾ ਹੈ । ਗੁਰੂਤਵਾਨੁਵਰਤਨ ਜੜਾਂ ਨੂੰ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਮੋੜ ਕੇ ਅਨੁਕਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਲਾ ਅਨੁਵਰਤਨ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣ ਅਨੁਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਰਾਗ ਨਲਿਕਾ ਦਾ ਬੀਜ ਅੰਡ ਵਲ ਵਾਧਾ ਕਰਨਾ ਰਸਾਇਣ ਅਨੁਵਰਤਨ ਦਾ ਉਦਾਹਰਨ ਹੈ । ਵੱਖ ਵੱਖ ਪੋਦੇ ਹਾਰਮੋਨ ਸੈੱਲਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਬਾਅਦ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਹੋਰ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵਿਸਰਿਤ ਹੋ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ | ਸਾਈਟੋਕਾਈਨਿਨ ਹਾਰਮੋਨ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਜੀਰਣਤਾ ਨੂੰ ਰੋਕਦੇ ਹਨ | ਆਕਸਿਨ ਹਾਰਮੋਨ ਵਾਧਾ, ਅਨੁਵਰਤਨ ਗਤੀਆਂ, ਜੜ੍ਹ ਵਿਭੇਦਨ ਆਦਿ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਐਬਸੈਸਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਾਧਾ ਰੋਕਣ ਵਾਲਾ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਹੈ । ਪੱਤਿਆਂ ਦਾ ਮੁਰਝਾਉਣਾ ਵੀ ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਇੱਕ ਜੀਵ ਵਿੱਚ ਕੰਟਰੋਲ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਦੇ ਸਿਸਟਮ ਦੀ ਕਿਉਂ ਲੋੜ ਹੈ ? ਉੱਤਰ-ਬਹੁਕੋਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਬਹੁਤ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਬਾਹਰੀ ਅਤੇ ਅੰਦਰਲੇ ਅੰਗਾਂ ਦੀ ਖ਼ਾਸ ਕਾਰਜ-ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਤੇ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਵਿਚ ਤਾਲਮੇਲ ਦੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਅੰਗਾਂ ਵਿਚ ਨਿਯੰਤਰਨ ਜਾਂ ਕੰਟਰੋਲ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਦੁਆਰਾ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਸੰਭਵ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਕਾਰਨ ਹੀ ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾੜੀਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਨਿਯੰਤਰਨ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਕਾਰਜ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਖ਼ਾਸ ਕੰਮਾਂ ਲਈ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਿਯੰਤਰਨ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਤੋਂ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਭਿੰਨ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਉਹ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਹਨ ਜੋ ਬਾਹਰੀ ਸੰਵੇਦਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵਿਚ ਤੁਰੰਤ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਤੇ ਦਿਮਾਗ ਦਾ ਕੋਈ ਨਿਯੰਤਰਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਇਹ ਮੇਰੂਰਜੂ ਜਾਂ ਸੁਖਮਨਾ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਜਾਂ ਕੰਟਰੋਲ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਪ੍ਰੇਰਕ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਉੱਤਰ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ ਲਹੂ ਦਬਾਅ, ਦਿਲ ਦੇ ਧੜਕਨ ਦੀ ਦਰ, ਸਾਹ ਦਰ ਆਦਿ ।

ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵੀ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੀ ਇੱਛਾ ਦੁਆਰਾ ਚਾਲਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਚਾਲਨ ਮੱਧ ਦਿਮਾਗ਼ ਅਤੇ ਪਿਛਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ-ਗਰਮ ਧਾਤੁ ਤੇ ਹੱਥ ਲਗਾਉਣ ਤੇ ਹੱਥ ਪਰੇ ਹਟਣਾ, ਪਲਕ ਝਪਕਨਾ ਅਤੇ ਖਾਂਸੀ ਕਰਨਾ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੰਤੂਆਂ ਵਿਚ ਕੰਟਰੋਲ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ ਦੇ ਲਈ ਨਾੜੀ ਅਤੇ ਹਾਰਮੋਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿਧੀਆਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਅਤੇ ਟਾਕਰਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਨਾੜੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਧੀ ਹਾਰਮੋਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿਧੀ
(1) ਇਹ ਐਕਸਾਨ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਬਿਜਲੀ ਆਵੇਗ ਦਾ ਨਤੀਜਾ ਹੈ । (1) ਇਹ ਲਹੂ ਦੁਆਰਾ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸੰਦੇਸ਼ ਹੈ ।
(2) ਸੂਚਨਾ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ ਗਤੀ ਨਾਲ ਅੱਗੇ ਵੱਧਦੀ ਹੈ । (2) ਸੂਚਨਾ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਗਤੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
(3) ਸੂਚਨਾ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਇਕ ਜਾਂ ਅਨੇਕ ਨਾੜੀ, ਸੈੱਲਾਂ, ਨਿਊਰਾਨਾਂ ਆਦਿ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (3) ਸੂਚਨਾ ਸਾਰੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਲਹੂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਖ਼ਾਸ ਸੈੱਲ ਜਾਂ ਨਾੜੀ ਖੁਦ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।
(4) ਇਸ ਨੂੰ ਉੱਤਰ ਜਲਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । (4) ਇਸ ਨੂੰ ਉੱਤਰ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(5) ਇਸਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਘੱਟ ਸਮੇਂ ਤਕ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । (5) ਇਸਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਅਕਸਰ ਦੇਰ ਤਕ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਛੂਈ-ਮੂਈ ਪੌਦੇ ਵਿੱਚ ਗਤੀ ਅਤੇ ਸਾਡੀ ਲੱਤ ਦੀ ਗਤੀ ਦੇ ਤਰੀਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਛੂਈ-ਮੂਈ ਪੌਦਾ ਸਪਰਸ਼ ਕਰਦੇ ਹੀ ਪੱਤਿਆਂ ਨੂੰ ਝੁਕਾ ਕੇ ਜਾਂ ਬੰਦ ਕਰ ਕੇ ਸੰਵੇਦਨਸ਼ੀਲਤਾ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਪੌਦੇ ਹਾਰਮੋਨ ਦੇ ਅਸਰ ਕਾਰਨ ਦਾ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚ ਇਹ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਕਿ ਸਾਡੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਵਿਚ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਪਰਿਣਾਮ ਹੈ ਜੋ ਮੱਧ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੁਆਰਾ ਸੰਚਾਲਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਨਾੜੀ ਕੰਟਰੋਲ ਦਾ ਸਹਿਯੋਗ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਕਾਬੂ ਅਤੇ ਤਾਲਮੇਲ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਚੱਲਣ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੀ ਇੱਛਾ ਦੇ ਬਿਨਾਂ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਅਣਇੱਛਕ ਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਇਹ ਸਵਾਇਤ ਪ੍ਰੇਰਕ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਉੱਤਰ ਹੈ । ਇਹ ਬਹੁਤ ਸਪੱਸ਼ਟ ਅਤੇ ਯਾਂਤਰਿਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸੁਖਮਨਾ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਕਰਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

‘ਚੱਲਣ’ ਇਕ ਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਸੋਚ-ਵਿਚਾਰ ਕਰ ਕੇ ਹੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸਦਾ ਨਿਯੰਤਰਨ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਸਰੀਰ ਦਾ ਸਿਰਫ ਇਕ ਭਾਗ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਚਲਣ ਵਿਚ ਪੂਰਾ ਸਰੀਰ ਇਕ ਸਥਾਨ ਤੋਂ ਦੂਸਰੇ ਸਥਾਨ ਤੇ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਦੋ ਨਿਉਰਾਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਤੇ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦੋ ਨਿਊਰਾਨ ਇਕ ਦੂਸਰੇ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਲੜੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸੂਚਨਾ ਅੱਗੇ ਭੇਜਦੇ ਹਨ । ਸੂਚਨਾ ਇਕ ਨਿਊਰਾਨ ਦੇ ਡੈਂਡਰਾਈਟ (Dendite) ਸਿਰੇ ਦੀ ਨੋਕ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਕ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਇਕ ਬਿਜਲੀ ਆਵੇਗ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਆਵੇਗ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਤੋਂ ਸੈੱਲਾਂ ਤਕ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸੈੱਲ ਬਾਡੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੋਇਆ ਇਸਦੇ ਅੰਤਿਮ ਸਿਰੇ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੈੱਲ ਬਾਡੀ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਬਿਜਲੀ ਆਵੇਗ ਦੁਆਰਾ ਕੁਝ ਰਸਾਇਣਾਂ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਕਰਵਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਖਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਨੂੰ ਪਾਰ ਕਰ ਆਪਣੇ ਤੋਂ ਅਗਲੀ ਨਾੜੀ ਸੈੱਲ ਜਾਂ ਨਿਊਰਾਨ ਦੀ ਡੈਂਡਰਾਈਟ ਵਿਚ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਬਿਜਲੀ ਆਵੇਸ਼ ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਵਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਨਾੜੀ ਆਵੇਗ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਪ੍ਰਬੰਧ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਦਿਮਾਗ਼ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਭਾਗ ਸਰੀਰ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿਛਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਸੈਰੀਬੈਲਮ (Cerebellum) ਇੱਛੁਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਸਹੀ ਹੋਣ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਆਸਣ ਤੇ ਸੰਤੁਲਨ ਲਈ ਉੱਤਰਦਾਈ ਹੈ । ਸਰੀਰ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਸੰਤੁਲਨ ਦਾ ਅਨੁਰੱਖਿਅਣ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪਿਛਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਇੱਛਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਦੀ ਗਤੀ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅਸੀਂ ਅਗਰਬੱਤੀ ਦੀ ਗੰਧ ਦਾ ਪਤਾ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਡੀ ਨੱਕ ਵਿਚ ਗੰਧ ਹੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸੰਵੇਦੀ ਨਿਊਰਾਨ ਅਗਰਬੱਤੀ ਦੀ ਗੰਧ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਅਨੁਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਪ੍ਰੇਰਕ ਖੇਤਰ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਅਗਲੇ ਦਿਮਾਗ਼ (Cerebrun) ਵਿਚ ਹੀ ਨਾਲ ਸੰਵੇਦੀ ਆਵੇਗ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦਾ ਖੇਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਸੁੰਘਣ ਦੇ ਲਈ ਹੀ ਖ਼ਾਸ ਬਣੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹੀ ਗੰਧ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਫੈਸਲਾ ਲੈ ਕੇ ਅਗਰਬੱਤੀ ਦੀ ਸੁਗੰਧ ਦਾ ਸਾਨੂੰ ਅਨੁਭਵ ਕਰਵਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੀ ਕੀ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਤਿਵਰਤੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੁਆਰਾ ਪਰਿਚਲਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ । ਇਹ ਸੁਖਮਨਾ ਦੁਆਰਾ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਦੀ ਅਣਇੱਛਤ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਪ੍ਰੇਰਤ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਚਾਹੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੀ ਇੱਛਾ ਦੇ ਬਿਨਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਪਰ ਦਿਮਾਗ਼ ਤਕ ਇਸਦੀ ਸੂਚਨਾ ਪਹੁੰਚਦੀ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਸੋਚਣ ਵਿਚਾਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ (Plant Harmones) – ਇਹ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਹਨ ਜੋ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਵਾਧੇ ਅਤੇ ਵਿਭੇਦਨ ਸੰਬੰਧੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਤੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਆਂਕਸਿਨ (Auxin), ਜਿੱਥੇਰੇਲਿਨ (Gibberllins), ਸਾਈਟੋਕਾਈਨਿਨ (Cytokinins), ਐਬਸਿਲਿਕ ਐਸਿਡ (Abscisic acid) ਆਦਿ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਛੂਈ-ਮੂਈ ਪੌਦੇ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਦੀ ਗਤੀ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਲ ਕਰੂੰਬਲਾਂ ਦੀ ਗਤੀ ਤੋਂ ਕਿਵੇਂ ਭਿੰਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਛੂਈ-ਮੂਈ ਪੌਦਿਆਂ ਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਨੁਵਰਤਨੀ ਗਤੀ ਦਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਪੌਦੇ ਦਾ ਕਰੂੰਬਲ ਬਹੁਤ ਧੀਮੀ ਗਤੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਆਉਣ ਵਾਲੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਇਸਦੇ ਪੱਤੇ ਛੂ ਲੈਣ ਦੀ ਅਨੁਕਿਰਿਆ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੰਵੇਦਨਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਛੂਹਣ ਦੀ ਸੂਚਨਾ ਇਸਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੋਦੇ ਇਸ ਸੂਚਨਾ ਨੂੰ ਇਕ ਸੈੱਲ ਤੋਂ ਦੂਸਰੇ ਸੈੱਲ ਤਕ ਸੰਚਾਰਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਬਿਜਲੀ ਰਸਾਇਣ ਸਾਧਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਦੇ ਚਲਣ ਦੇ ਲਈ ਕੋਈ ਖ਼ਾਸ ਕਿਸਮ ਦੇ ਟਿਸ਼ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਪਾਣੀ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕਰਕੇ ਆਪਣੇ ਪੱਤਿਆਂ ਨੂੰ ਸੁੰਗੜ ਕੇ ਆਕਾਰ ਬਦਲ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਇਕ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਦਾ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ਜੋ ਵਾਧੇ ਲਈ ਉਤੇਜਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸਿਨ (Auxin)-ਇਕ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਹੈ ਜੋ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵਾਧੇ ਨੂੰ ਉਤੇਜਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕਿਸੇ ਸਹਾਰੇ ਦੇ ਚੌਹਾਂ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਤੰਦੜਿਆਂ ਦੇ ਵਾਧੇ ਵਿੱਚ ਆਕਸਿਨ ਕਿਵੇਂ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਵਾਧਾ ਕਰਦਾ ਪੌਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਆਂਕਸਿਨ ਨਾਮ ਦਾ ਪੌਦਾ ਹਾਰਮੋਨ ਤਣੇ ਦੇ ਅਗਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਸੰਸਲੇਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸੈੱਲਾਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਪੌਦੇ ਤੇ ਇਕ ਪਾਸੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਆ ਰਿਹਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਆਕਸਿਨ ਵਿਸਰਿਤ ਹੋ ਕੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਦੂਰ ਵਾਲੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ
ਸਹਾਰਾ ਆਕਸਿਨ ਦਾ ਸਾਂਦਰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਨੂੰ ਲੰਬਾਈ ਵਿਚ ਵੱਧਣ ਲਈ ਉਦੈਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਤੰਦੜੇ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਦੂਸਰੇ ਪੌਦੇ ਜਾਂ ਬਾੜ ਦੇ ਉੱਪਰ ਚੜਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤੰਦੜਾ ਸਪਰਸ਼ ਦੇ ਲਈ ਸੰਵੇਦਨਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇਹ ਕਿਸੇ ਆਧਾਰ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਤੰਦੜੇ ਦਾ ਉਹ ਭਾਗ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਾਧਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਵਸਤੂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਤੋਂ ਜਕੜ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਜਲ ਅਨੁਵਰਤਨ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਇੱਕ ਪ੍ਰਯੋਗ ਸੈੱਟ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲੱਕੜੀ ਦਾ ਬਣਿਆ ਇਕ ਲੰਬਾ ਡੱਬਾ ਲਓ । ਇਸ ਵਿਚ ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਖਾਦ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਭਰੋ । ਇਸਦੇ ਇਕ ਸਿਰੇ ਤੇ ਇਕ
ਪੌਦਾ ਲਗਾਓ । ਡੱਬੇ ਵਿਚ ਪੌਦੇ ਦੇ ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਇਕ ਕੀਪ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਗੱਡ ਦਿਓ । ਪੌਦੇ ਨੂੰ ਉਸੇ ਕੀਪ ਦੇ ਦੁਆਰਾ ਰੋਜ਼ ਪਾਣੀ ਦਿਓ । ਲਗਭਗ ਇਕ ਹਫਤੇ ਬਾਅਦ ਪੌਦੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਹਟਾ ਕੇ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਦੇਖੋ । ਪੌਦੇ ਦੀਆਂ ਜੜਾਂ ਦਾ ਵਾਧਾ ਉਸੇ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਦਿਖਾਈ ਦੇਵੇਗੀ ਜਿਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਕੀਪ
ਚਿੱਤਰ-ਜਲ ਅਨੁਵਰਤਨ ਦਰਸਾਉਣ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਪੌਦੇ ਦੀ ਸਿੰਚਾਈ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤਾਲਮੇਲ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੰਤੂਆਂ ਵਿਚ ਅੰਦਰ-ਰਿਸਾਵੀ ਗੰਥੀਆਂ ਖ਼ਾਸ ਰਸਾਇਣਾਂ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਰਸਾਇਣ ਜਾਂ ਹਾਰਮੋਨ ਜੰਤੂਆਂ ਨੂੰ ਸੂਚਨਾਵਾਂ ਸੰਚਰਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਸਾਧਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਐਨਲ ਰੰਥੀ ਤੋਂ ਨਿਕਲੇ ਐਡਰੀਨਲਿਨ ਹਾਰਮੋਨ ਸਿੱਧਾ ਲਹੂ ਵਿਚ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਵਿਚ ਖ਼ਾਸ ਗੁਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਆਪਣੇ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਚਾਣ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਬਾਹਰੀ ਜਾਂ ਅੰਦਰਲੀ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਖ਼ਾਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਨੂੰ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਅੰਗਾਂ ਨਾਲ ਤਾਲਮੇਲ ਕਰ ਕੇ ਹਾਰਮੋਨ ਆਪਣਾ ਖ਼ਾਸ ਅਸਰ ਦਿਖਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਆਇਓਡੀਨ ਯੁਕਤ ਲੂਣ ਦੇ ਉਪਯੋਗ ਦੀ ਸਲਾਹ ਕਿਉਂ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਥਾਇਰਾਇਡ ਗ੍ਰੰਥੀ (Thyroid Gland) – ਥਾਇਰਾਈਡ ਗ੍ਰੰਥੀ ਨੂੰ ਹਾਰਮੋਨ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਆਇਓਡੀਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ | ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਅਤੇ ਵਸਾ ਦੇ ਢਾਹ-ਉਸਾਰੂ ਨੂੰ ਥਾਇਰਾਕਸਿਨ ਹਾਰਮੋਨ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਵਾਧੇ ਦੇ ਸੰਤੁਲਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜੋ ਸਾਡੇ ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਆਇਓਡੀਨ ਦੀ ਕਮੀ ਰਹੇਗੀ ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਗਿੱਲੜ ਰੋਗ (Goitre) ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ । ਇਸ ਬਿਮਾਰੀ ਦੇ ਲੱਛਣ ਫੁੱਲੀ ਹੋਈ ਗਰਦਨ ਜਾਂ ਬਾਹਰ ਵਲ ਉੱਭਰੇ ਹੋਏ ਨੇਤਰ ਗੋਲਕ ਨਮਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਦੀ ਸਲਾਹ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਜਦੋਂ ਐਡਰੀਨਾਲਿਨ ਦਾ ਲਹੂ ਵਿੱਚ ਰਿਸਾਓ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਕੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਉੱਤਰ-ਐਡਰੀਨਾਲਿਨ ਨੂੰ ਆਪਾਤਕਾਲ ਹਾਰਮੋਨ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਡਰ ਜਾਂ ਤਣਾਅ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਰੀਰ ਖੁਦ ਹੀ ਐਡਰੀਨਾਲਿਨ ਹਾਰਮੋਨ ਨੂੰ ਵੱਡੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਰਿਸਾਓ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂਕਿ ਵਿਅਕਤੀ ਆਪਾਤਕਾਲ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰ ਸਕੇ । ਇਸ ਨਾਲ ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਨ ਵਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂਕਿ ਸਾਡੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਨੂੰ ਵੱਧ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਆਪੂਰਤੀ ਹੋ ਸਕੇ । ਪਾਚਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਤੇ ਚਮੜੀ ਵਿਚ ਲਹੂ ਦੀ ਆਪੂਰਤੀ ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਅੰਗਾਂ ਦੇ ਸਿਰੇ ਦੀਆਂ ਧਮਣੀਆਂ ਦੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੀ ਪੇਸ਼ੀ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਲਹੁ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਨੂੰ ਸਾਡੀਆਂ ਕੰਕਾਲ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵੱਲ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਅਤੇ ਪਸਲੀਆਂ ਦੀ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਦੇ ਸੁੰਗੜਨ ਨਾਲ ਸਾਹ ਤੇਜ਼ ਚਲਣ ਲਗਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਮਿਲ ਕੇ ਜੰਤੁ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਨਿਪਟਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਸ਼ੱਕਰ ਰੋਗ ਦੇ ਕੁਝ ਰੋਗੀਆਂ ਦਾ ਇਲਾਜ ਇੰਸੁਲਿਨ ਦਾ ਇੰਜੈਕਸ਼ਨ ਲਗਾ ਕੇ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੰਸੁਲਿਨ (Insulin)-ਉਹ ਹਾਰਮੋਨ ਹੈ ਜੋ ਪੈਨਕਰੀਆਜ਼ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲਹੂ ਵਿਚ ਸ਼ਕਰ ਦੇ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਇਹ ਠੀਕ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਲਹੂ ਵਿਚ ਸ਼ੱਕਰ ਦਾ ਪੱਧਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰ ਤੇ ਕਈ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਸ਼ਕਰ ਰੋਗ ਨਾਲ ਪੀੜਤ ਰੋਗੀਆਂ ਦਾ ਇਲਾਜ ਇੰਸੁਲਿਨ ਦਾ ਇੰਜੈਕਸ਼ਨ ਲਾ ਕੇ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲਹੂ ਵਿਚ ਸ਼ਕਰ ਦਾ ਪੱਧਰ ਕਾਬੂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ

Punjab State Board PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ Important Questions and Answers.

PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Long Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਬਨਸਪਤੀ ਜਗਤ ਨੂੰ ਕਿੰਨੇ ਉਪਜਗਤਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ? ਗਰੁੱਪ ਕ੍ਰਿਪਟੋਗੈਮੀ ਦਾ ਚਿੱਤਰਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਨਸਪਤੀ ਜਗਤ (Division Plantae) ਨੂੰ ਦੋ ਉਪ-ਜਗਤਾਂ
(i) ਕ੍ਰਿਪਟੋਗੈਮੀ (Cryptogamae) ਅਤੇ
(ii) ਫੈਨੇਰੋਗੈਮੀ (Phanerogamae) ਵਿੱਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਕ੍ਰਿਪਟੋਗੈਮੀ ਉਪਜਗਤ ਦੇ ਗੁਣ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
(i) ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਤਣੇ, ਜੜ੍ਹ ਅਤੇ ਪੱਤੇ ਵਿਕਸਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
(ii) ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਜਣਨ ਅੰਗ ਛੁਪੇ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਨੰਗੀ (Naked) ਅੱਖ ਨਾਲ ਨਜ਼ਰ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੇ ।
(iii) ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਫੁੱਲ ਭਰੁਣ ਅਵਸਥਾ ਅਤੇ ਬੀਜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।

ਕਿਪਟੋਗੈਮੀ ਉਪ ਜਗਤ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਡੀਵੀਜ਼ਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ-
I. ਡੀਵੀਜ਼ਨ ਥੈਲੋਫਾਈਟਾ (Division Thallophyta)
I. ਡੀਵੀਜ਼ਨ ਬਾਇਓਫਾਈਟਾ (Division Bryophyta)
III. ਡੀਵੀਜ਼ਨ ਟੈਰਿਡੋਫਾਈਟਾ (Division Pteridophyta) ।

I. ਥੈਲੋਫਾਈਟਾਂ ਦੇ ਲੱਛਣ-
(i) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਜੜ੍ਹ, ਤਣਾ ਅਤੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ਹੁੰਦਾ ।
(ii) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਸਰੀਰਕ ਬਣਤਰ ਨੂੰ ਥੈਲਸ (Thallus) ਆਖਦੇ ਹਨ ।
(iii) ਜਣਨ ਅੰਗ ਸਾਧਾਰਨ ਅਤੇ ਸਰਲ ਕਿਸਮ ਦੇ ਹਨ ।
(iv) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਯੁਗਮਜ (Zygote) ਤੋਂ ਭਰੂਣ ਨਹੀਂ ਬਣਦਾ ।
PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ 1
PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ 2
PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ 3

II. ਬਾਇਓਫਾਈਟਾ (Bryophyta) ਦੇ ਲੱਛਣ-
(i) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਜੜ੍ਹ, ਤਣਾ ਅਤੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਰਗੀਆਂ ਬਣਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(ii) ਇਹ ਪੌਦੇ ਠੰਡੀਆਂ, ਸਿੱਲ੍ਹੀਆਂ ਅਤੇ ਛਾਂਦਾਰ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਉੱਗਦੇ ਹਨ ।
(iii) ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸੰਵਹਿਨ ਟਿਸ਼ੂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
(iv) ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਗੈਮੀਟੋਫਾਈਟ ਮੁੱਖ ਅਵਸਥਾ ਹੈ ।
(v) ਇਸ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਗੈਮੀਟੋਫਾਈਟ (Gametophyte) ਅਤੇ ਸਪੋਰੋਫਾਈਟ (Sporophyte) ਵਿਚਾਲੇ ਪੀੜ੍ਹੀ ਏਕਾਂਤਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਬਾਇਓਫਾਈਟਸ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਗਰੁੱਪਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਭਾਜਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ-
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III. ਟੈਰਿਡੋਫਾਈਟ (Pteridophyta) – ਟੈਰਿਡੋਫਾਈਟਾ ਦੇ ਲੱਛਣ-
(i) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜੜ੍ਹ, ਤਣਾ ਅਤੇ ਪੱਤੇ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(ii) ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਜਣਨ ਅੰਗ ਬਹੁ-ਸੈੱਲੀ (Multicelled) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(ii) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਪੱਤਿਆਂ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਪਾਸੇ ਬੀਜਾਣੂ ਦਾਨੀਆਂ (Sporangia) ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(iv) ਨਿਸ਼ੇਚਿਤ ਅੰਡੇ ਤੋਂ ਭਰੂਣ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
(v) ਪੌਦੇ ਪੀੜੀ ਏਕਾਂਤਰਨ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ – ਟੈਰਿਸ, ਐਸਪਿਡੀਅਮ, ਸਿਲੈਜੀਨੈਲਾ, ਫਰਨ ਆਦਿ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਉਪ ਜਗਤ ਫੈਨਰੋਗੈਮੀ ਦੇ ਲੱਛਣ ਦੱਸੋ । ਇਸ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਉਪ-ਖੰਡਾਂ ਦਾ ਚਿੱਤਰਾਂ ਸਮੇਤ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਪ ਜਗਤ ਫੈਨਰੋਗੈਮੀ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਜੜ੍ਹ, ਤਣਾ ਅਤੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵਹਿਣੀ ਟਿਸ਼ੂ ਅਤੇ ਫਲੋਇਮ ਬੰਡਲਾਂ (Bundles) ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਜਣਨ ਅੰਗ ਬਹੁ-ਸੈੱਲੀ (Multicelled) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਨਿਸ਼ੇਚਿਤ ਅੰਡੇ ਤੋਂ ਭਰੂਣ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
  5. ਇਸ ਉਪ ਜਗਤ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ “ਬੀਜ ਪੌਦੇ’ (Seed Plants) ਆਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਇਸ ਉਪ ਜਗਤ ਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਦੋ ਉਪ-ਖੰਡਾਂ ਐਂਜੀਓਸਪਰਮਜ਼ (Angiosperms) ਅਤੇ ਜਿਮਨੋਸਪਰਮਜ਼ (Gymnosperms) ਵਿੱਚ ਵਰਗੀਕ੍ਰਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
ਅਣਕੱਜੇ ਬੀਜਾਂ ਵਾਲੇ ਪੌਦੇ ਜਾਂ ਜਿਮਨੋਸਪਰਮਜ਼ (Gymnosperms) ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਸ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਨੂੰ ਕੋਨ (Cones) ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਕੋਨਜ਼ ਵਿੱਚ ਬਾਹਰਲੇ ਪਾਸੇ ਫੁੱਲ ਪੱਤੀਆਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਬੀਜ ਨੰਗੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਜਣਨ ਅੰਗ (Reproductive organs) ਕੋਣ ਆਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਜਿਸ ਬਣਤਰ ਉੱਤੇ ਬੀਜ-ਅੰਡ (Ovules) ਲੱਗਦੇ ਹਨ, ਉਸ ਨੂੰ ਮਹਾਂ ਬੀਜਾਣੂ ਪੱਤਰ ਜਾਂ ਮੈਗਾਸਪੋਰੋਫਿਲ (Megasporophyll) ਆਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਨਿਸ਼ੇਚਨ ਉਪਰੰਤ ਜ਼ਾਈਗੋਟ ਤੋਂ ਇੱਕ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਭਰੂਣ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ – ਪਾਈਨਸ, ਚੀਲ, ਦਿਆ ਆਦਿ ।
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ਐਂਜੀਓਸਪਰਮਜ਼ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਤਣੇ ਸ਼ਾਖਾਵਾਂ ਵਾਲੇ ਅਤੇ ਕਠੋਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਆਕਾਰ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਬੂਟੀ (Herb) ਜਾਂ ਨਰਮ ਤਣੇ ਵਾਲੇ, ਝਾੜੀ (Shrub) ਅਤੇ ਰੁੱਖਾਂ (Trees) ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਬੀਜ ਫਲਾਂ ਅੰਦਰ ਢੱਕੇ ਹੋਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਹਰੀ ਪੱਤੀਆਂ (ਕਲੈਕਸ) ਅਤੇ ਰੰਗਦਾਰ ਪੱਤੀਆਂ (Petals) ਪਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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    ਐਂਜੀਓਸਪਰਮਜ਼ ਨੂੰ ਦੋ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜੰਤੂਆਂ (ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ) ਦੇ ਮੁੱਖ ਫਾਈਲਮਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ਲਿਖੋ । ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਰੇਕ ਦੇ ਇੱਕ ਜਾਂ ਦੋ-ਦੋ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣ ਅਤੇ ਉਦਾਹਰਣਾਂ ਵੀ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪ੍ਰਾਣੀ ਜਗਤ ਦੇ ਫਾਈਲਮ ਪ੍ਰੋਟੋਜ਼ੋਆ ਅਤੇ ਪੋਰੀਫੇਰਾ ਦੇ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਸਹਿਤ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਾਈਲਮ ਪ੍ਰੋਟੋਜ਼ੋਆ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਹ ਜੀਵ ਬਹੁਤ ਸੂਖ਼ਮ ਅਤੇ ਇੱਕ ਸੈੱਲੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  2. ਕੁੱਝ ਜਾਤੀਆਂ ਪਰਜੀਵੀ ਵੀ ਹਨ । ਇਹ ਜੀਵ ਤਾਜ਼ੇ ਅਤੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਪਾਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਹ ਆਭਾਸੀ ਪੈਰਾਂ, ਫਲੈਜੈਲਾ ਜਾਂ ਸਿਲੀਆ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਹ ਹੋਲੋਜ਼ੋਇਕ (Holozoic) ਪ੍ਰਾਣੀ ਹਨ । ਭਾਵ ਇਹ ਬਣਿਆ ਬਣਾਇਆ ਭੋਜਨ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ।
  5. ਇਹਨਾਂ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਸਾਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ, ਸਰੀਰ ਦੀ ਆਮ ਸਤਹਿ (General surface) ਤੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  6. ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਜਣਨ ਕਿਰਿਆ ਖੰਡਨ ਜਾਂ ਸਿਸਟ ਉਤਪੱਤੀ (Cyst formation) ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
    ਉਦਾਹਰਨ – ਅਮੀਬਾ, ਪੈਰਾਮੀਸ਼ੀਅਮ, ਯੁਗਲੀਨਾ, ਵਿਪਨੋਸੋਮਾ ਅਤੇ ਪਲਾਜ਼ਮੋਡੀਅਮ ਇਸ ਫਾਈਲਮ ਦੇ ਮੁੱਖ ਉਦਾਹਰਣ ਹਨ ।

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ਫਾਈਲਮ ਪੋਰੀਫੇਰਾ ਦੇ ਲੱਛਣ-
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  1. ਇਹ ਬਹੁਸੈੱਲੀ ਜੰਤੁ ਹਨ ।
  2. ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਦੋ ਛਿੱਤੀਆਂ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਟਿਸ਼ੂ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਤੇ ਪਿੰਜਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ਹੁੰਦਾ ।
  5. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਨਾਲ ਪ੍ਰਣਾਲੀ (Canal System) ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  6. ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਕੰਧ (Body wall) ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਸੁਰਾਖ਼ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇੱਕ ਵੱਡਾ ਛੇਕ, ਆਸਕੁਲੱਮ (Osculum) ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  7. ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਆਕਾਰ ਦੇ ਸਿਕਿਊਲਜ਼ (Spicules) ਵੀ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕਾਲਰ ਸੈੱਲ Collar Cell) ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

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ਉਦਾਹਰਨ – ਸਪੰਜ ਸਾਈਕਾਨ, ਸੋਪੰਜ਼ਿਲਾ ਅਤੇ ਯੂਪਲੈਂਕਟਿਲਾ ਮੁੱਖ ਉਦਾਹਰਣ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਫਾਈਲਮ ਸੀਲੈਂਟਰੇਟਾ ਅਤੇ ਪਲੈਟੀਹੈਲਮਿੰਥੀਜ਼ ਦੇ ਆਮ ਲੱਛਣ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਾਈਲਮ ਸੀਲੈਂਟਰੇਟਾ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  • ਇਹ ਜੰਤੂ ਤਾਜ਼ੇ ਅਤੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਪਾਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਹਾਈਡਾ (Hydra) ਤਾਜ਼ੇ ਪਾਣੀਆਂ ਦਾ ਵਾਸੀ ਹੈ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚਲੀ ਖੋੜ ਨੂੰ ਸੀਲੈਂਟੀਰਾਂਨ (Coelenteron) ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਜੰਤੂ ਇਕੱਲੇ (Solitary) ਜਾਂ ਕਾਲੋਨੀਆਂ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਕਾਲੋਨੀਅਲ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪੀੜੀ ਇਕਾਂਤਰਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਕੁੱਝ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਚੂਨੇ (Lime) ਦਾ ਪਿੰਜਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (ਕੋਰਲ)
  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਜਣਨ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਲੀ-ਖਿੜਨ (Budding) ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (ਹਾਈਡ਼ਾ ਵਿੱਚ) ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਅਲਿੰਗੀ ਜਣਨ ਵੀ ਆਮ ਹੈ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਡੰਗ ਮਾਰਨ ਵਾਲੇ ਕੈਪਸਿਊਲ (Stinging Capsules) ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

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  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੀ ਸਮਮਿਤੀ ਰੇਡੀਅਲ ਹੈ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਟੈਂਟੇਕਲਜ਼ (Tentacles) ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਡੰਗ ਸੈੱਲ (Stinging cells) ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਹਾਈਡਾ, ਉਘਾਲਿਆ, ਮੈਟਰੀਡੀਅਮ, ਕੋਰਮ ਮੁੱਖ ਉਦਾਹਰਨ ਹਨ ।

ਫਾਈਲਮ ਪਲੈਟੀਹੈਲਮਿੰਥੀਜ਼ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਚਪਟੇ ਕਿਰਮ (Flat worms) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਇਹ ਜੰਤੁ ਪਰਜੀਵੀ ਹਨ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ ਪਰਤਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਭਾਵ ਇਹ ਜੰਤੂ ਲੋਬਲਾਸਟਿਕ (Triploblastic) ਹਨ ।
  4. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਪਿੱਛ ਥਲਵਾਂ (Dorso-ventral) ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  5. ਇਹ ਤਰਲ ਕਿਸਮ ਦਾ ਆਹਾਰ ਪਾਰਗਮਨੀ ਵਿਧੀ (Osmosis) ਦੁਆਰਾ ਸੋਖਦੇ ਹਨ ।
  6. ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਦੋ-ਪਾਸੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  7. ਇਹ ਕਿਰਮ ਦੋ-ਲਿੰਗੀ (Hermaphrodite) ਹੈ । ਭਾਵ ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਅੰਗ ਇੱਕ ਹੀ ਕਿਰਮ ਦੇ ਅੰਦਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਜਣਨ ਟਿਸ਼ੁ ਜਟਿਲ ਹਨ ।
  8. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਸਰੀਰਕ ਖੋੜ (Body Cavity) ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
    ਉਦਾਹਰਨ – ਟੀਨੀਆ ਸੋਲੀਅਮ ( ਟੇਪ ਕਿਰਮ ਪਲੈਨੇਰੀਆ, ਫੇਸਿਓਲਾ ਪੈਟਿਕਾ (ਲਿਵਰ ਫਲੂਕ) ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਫਾਈਲਮ ਆਰਥਰੋਪੋਡਾ ਅਤੇ ਇਕਾਈਨੋਡਰਮੇਟਾ ਦੇ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਾਈਲਮ ਆਰਥਰੋਪੋਡਾ ਦੇ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
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  • ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਖੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਹੋਇਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਜੋੜ ਵਾਲੀਆਂ (Jointed) ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਇਹ ਧਰਤੀ, ਤਾਜ਼ੇ ਅਤੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਪਾਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

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  •  ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਤੱਖ ਭਾਗ ਸਿਰ, ਛਾਤੀ ਅਤੇ ਪੇਟ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਆਰਥੋਪੋਡਾ ਫਾਈਲਮ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚਲੀ ਖੋੜ (Cavity) ਨੂੰ ਹੀਮੋਸੀਲ (Haemocoel) ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਦੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਜਬੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਇਹ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਚੀਰਦੇ, ਪਾੜਦੇ ਅਤੇ ਚੂਸਣ ਲਈ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਸਦੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਬਾਹਰੀ ਪਿੰਜਰ (External skeleton) ਕਾਈਟਨ (Chitin) ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਇੱਕ ਸਖ਼ਤ ਪਰ ਲਚਕਦਾਰ ਪਦਾਰਥ ਹੈ, ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਅੰਦਰਲਾ ਪਰਿਵਹਿਣ ਤੰਤੁ ਬੜਾ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
    ਉਦਾਹਰਨ – ਪਾਨ, ਕੇਕੜਾ, ਬਿੱਛੂ, ਕਾਕਰੋਚ, ਮਧੂਮੱਖੀ, ਮੱਛਰ, ਸੈਂਟੀਪੀਡ ਅਤੇ ਮਿਲੀਪੀਡ ਆਦਿ ।

ਫਾਈਲਮ ਇਕਾਈਨੋਡਰਮੇਟਾ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੀ ਚਮੜੀ ਕੰਡਿਆਲੀ (Spinous) ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਖੰਡ (Segments) ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਚਮੜੀ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਕੰਡੇ ਚੂਨੇ (CaCO3) ਦੇ ਬਣੇ ਹੋਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਹ ਜੰਤੁ ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਕਈ ਜਾਤੀਆਂ ਝੰਡਾਂ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਦਕਿ ਕਈ ਜਾਤੀਆਂ ਇਕੱਲੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  5. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਅੰਦਰ ਪਾਣੀ ਵਹਿਣ ਪ੍ਰਣਾਲੀ (Water Vascular System) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  6. ਇਹ ਜੰਤੂ ਟਿਊਬ ਫੀਟ’ (Tube Feet) ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  7. ਇਹ ਇੱਕ ਲਿੰਗੀ (Unisexual) ਜੀਵ ਹਨ | ਨਰ ਅਤੇ ਮਾਦਾ ਜੀਵ ਅਲੱਗ-ਅਲੱਗ ਹਨ ।
  8. ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਪੁਨਰ ਉਤਪੱਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
    ਉਦਾਹਰਨ – ਐਸਟ੍ਰੇਆ (ਤਾਰਾ ਮੱਛੀ), ਇਕਾਈਲਸ ਸਮੁੰਦਰੀ ਅਰਚਨ) ਐਂਟੀਡਾਨ ਅਤੇ ਹੋਲੋਬੂਰੀਆ (ਸਮੁੰਦਰੀ ਕੁਕੰਬਰ) ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪੰਛੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਅਤੇ ਥਣਧਾਰੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੰਛੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ (Class Aves) ਦੇ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣ-

  • ਇਹ ਗਰਮ ਖੂਨ ਵਾਲੇ ਜੰਤੂ (Warm blooded animals) ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਪੰਛੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਬਣਤਰ ਪੱਖੀ ਵਰਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀ ਚੁੰਝ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਚੁੰਝ ਵਿੱਚ ਦੰਦ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਚਮੜੀ ਤੇ ਤੇਲ ਅਤੇ ਸਫ਼ੈਦ ਰੰਗ ਦੀਆਂ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਪਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਖਾਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਦੋ ਆਰੀਕਲ ਤੇ ਦੋ ਵੈਟੀਕਲ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਕੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਖੰਭਾਂ (Feathers) ਨਾਲ ਢੱਕਿਆ ਹੋਇਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

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  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਲਹੂ ਵਿੱਚ ਲਾਲ ਰਕਤਾਣੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
  • ਇਹ ਜੰਤੁ ਅੰਡੇ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਸਾਹ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਹਵਾ ਪੋਟਲੀਆਂ (Air sacs) ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਥਣ ਰੀਥੀਆਂ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਅਗਲੀਆਂ ਲੱਤਾਂ (Fore limbs) ਪਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੋਈਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਪੰਛੀਆਂ ਦਾ ਪਿੰਜਰ ਹਲਕਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਹ ਜੰਤੂ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਉੱਡ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
    ਉਦਾਹਰਨ – ਕਾਂ, ਚਿੜੀ, ਕਬੂਤਰ, ਤੋਤਾ, ਸ਼ੁਤਰਮੁਰਗ ਅਤੇ ਮੋਰ ਆਦਿ ।

ਥਣਧਾਰੀ (Mammalia) ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  • ਇਹ ਗਰਮ ਲਹੁ ਵਾਲੇ ਜੰਤੁ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੇ ਵਾਲ (Hair) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਬਾਹਰਲਾ ਕੰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਪਿੰਨਾ (Pinna) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਅੰਦਰ ਪੇਟ ਪਰਦਾ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਡਾਇਆਫ੍ਰਾਮ (Diaphragm) ਆਖਦੇ ਹਨ, ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਚਮੜੀ ਤੇ ਤੇਲ ਗ੍ਰੰਥੀਆਂ ਪਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਖਾਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਦੋ ਆਰੀਕਲਜ਼ ਅਤੇ ਦੋ ਵੈਟੀਕਲਜ਼ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਲਾਲ ਰਕਤਾਣੂ ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਰਹਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਦੰਦਾਂ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵੱਖਰੀ-ਵੱਖਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਦੇ ਦੰਦਾਂ ਨੂੰ ਹੈਟੀਰੋਡੋਟ (Heterodont) ਆਖਦੇ ਹਨ ।
    ਥਣਧਾਰੀ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਦੰਦ ਮਸੂੜਿਆਂ ਅੰਦਰ ਖੋੜਾਂ (Cavities) ਵਿੱਚ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਇਹ ਥੀਕੋਡੋਟ (Thecodont) ਹਨ । ਇਹ ਦੰਦ ਜੰਤੁ ਦੇ ਜੀਵਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ ਦੋ ਵਾਰ ਹੀ ਨਿਕਲਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹ ਆਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਬਹੁਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । · ਉਦਾਹਰਨ-ਚੂਹਾ, ਬਿੱਲੀ, ਬਾਂਦਰ, ਕੰਗਾਰੂ, ਹਾਥੀ, ਗਾਲ੍ਹੜ (Squirrel), ਸ਼ੇਰ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖ ਆਦਿ ।

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ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪਸ਼ਨ 1.
ਟੈਕਸੋਨੋਮੀ (Taxonomy) ਅਤੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਪੱਧਤੀ (Systematics) ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਟੈਕਸੋਨੋਮੀ (Taxonomy) – ਜੀਵ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਉਹ ਸ਼ਾਖਾ, ਜਿਸ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਸਜੀਵਾਂ ਦੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਨਾਲ ਹੋਵੇ, ਟੈਕਸੋਨੋਮੀ ਅਖਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
ਵਰਗੀਕਰਨ ਪੱਧਤੀ (Systematics) – ਵਰਗੀਕਰਨ ਵਿਗਿਆਨ ਜਾਂ ਵਰਗੀਕਰਨ ਪੱਧਤੀ ਟੈਕਸੋਨੋਮੀ ਨਾਲੋਂ ਵੱਖਰੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਵਿਵਿਧਤਾ ਹੈ । ਵਰਗੀਕਰਨ ਪੱਧਤੀ ਵਿੱਚ ਸਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਅਤੇ ਨੇੜੇ ਦੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸਮੂਹਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਵਰਗੀਕਰਨ ਕੀ ਹੈ ? ਇਸ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਬਾਰੇ ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਰਗੀਕਰਨ (Classification) – ਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਅਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਸਜੀਵਾਂ ਦੀ ਸਮੂਹਾਂ ਵਿੱਚ ਤਰਤੀਬ ਦੇ ਤਰੀਕੇ ਨੂੰ ਵਰਗੀਕਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
ਮਹੱਤਤਾ (Importance)-

  1. ਵਰਗੀਕਰਨ ਨਾਲ ਸਾਨੂੰ ਸਜੀਵਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਬੜੀ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  2. ਸਜੀਵਾਂ ਦੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕਰਨ ਨਾਲ ਸਾਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਮਿਲਣ ਵਾਲੀਆਂ ਵਿਭਿੰਨਤਾਵਾਂ (Variations) ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਵਰਗੀਕਰਨ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਸਜੀਵਾਂ ਦੇ ਆਪਸੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।
  4. ਵਰਗੀਕਰਨ, ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਦੂਸਰੀਆਂ ਹੋਰਨਾਂ ਸ਼ਾਖਾਵਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਆਧਾਰ ਵਜੋਂ ਕੰਮ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  5. ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਜੀਵ ਵਿਗਿਆਨ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।
  6. ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀ ਸਜੀਵਾਂ ਦੀ ਭੂਗੋਲਿਕ ਵੰਡ ਲਈ ਬੜੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੜਾਅ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੜਾਅ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-

(1) ਜਗਤ (Kingdom) ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚਾ ਸਥਾਨ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਸਜੀਵ ਜੰਤੁ ਤੇ ਪੌਦੇ) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ।
(2) ਫਾਈਲਮ (Phylum) ਇਹ ਵਰਗਾਂ ਦੇ ਮਿਲਾਉਣ ਨਾਲ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਸਥਾਨ ਜਗਤ ਨਾਲੋਂ ਨੀਵਾਂ ਅਤੇ ਵਰਗ ਨਾਲੋਂ ਉੱਚਾ ਹੈ ।
(3) ਵਰਗ (Class) ਇਹ ਆਰਡਰਜ਼ (Orders) ਦੇ ਮਿਲਣ ਨਾਲ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
(4) ਆਰਡਰ (Order) ਕੁੱਲਾਂ (families) ਦੇ ਮਿਲਣ ਨਾਲ ਆਰਡਰ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
(5) ਕੁੱਲ (Family) ਇਸ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ (genera) ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ।
(6) ਜੀਨਸ (Genus) ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਮਿਲਣ ਨਾਲ ਬਣੇ ਗਰੁੱਪ ਨੂੰ ਪ੍ਰਜਾਤੀ ਜਾਂ ਜੀਨਸ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
(7) ਜਾਤੀ (Species) ਇਹ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਨੀਵੀਂ ਜਾਤੀ ਹੈ । ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਅਤੇ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜਣਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਜੀਵ ਜਾਤੀ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਦੋ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਅਤੇ ਇੱਕ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੋ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਅਤੇ ਇੱਕ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਦੋ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਪੌਦੇ (Di-Cotyledonous Plants) ਇੱਕ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਪੌਦੇ (Mono-Cotyledonous Plants)
(1) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਬੀਜਾਂ ਵਿੱਚ ਦੋ ਬੀਜ ਪੱਤਰ (Two cotyledons) ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (1) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਬੀਜਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਬੀਜ ਪੱਤਰ (One cotyledon) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(2) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚਲੀਆਂ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ ਇੱਕ ਜਾਲਾ ਜਿਹਾ (Reticulum) ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । (2) ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚਲੀਆਂ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ, ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਮਾਨਅੰਤਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਜਾਲਾ ਨਹੀਂ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
(3) ਜੜਾਂ ਮੂਸਲਾ ਕਿਸਮ (Taproot) ਦੀਆਂ ਹਨ । (3) ਜੜਾਂ ਅਪਸਥਾਨੀ (Adventitious) ਕਿਸਮ ਦੀਆਂ ਹਨ ।
(4) ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸੈਕੰਡਰੀ ਵਾਧਾ (Secondary growth) ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (4) ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸੈਕੰਡਰੀ ਵਾਧਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
(5) ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਵਾਹਿਣੀ ਬੰਡਲ ਇੱਕ ਡੋਲੇ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿੱਚ ਤਰਤੀਬੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਵਹਿਣੀ ਬੰਡਲ ਤਣੇ ਅੰਦਰ ਖਿੱਲਰੇ ਹੋਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਐਲਗੀ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਮਹੱਤਤਾ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਐਲਗੀ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਮਹੱਤਤਾ-

  1. ਐਲਗੀ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਭੋਜਨ ਹਨ ।
  2. ਐਲਗੀ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।
  3. ਐਲਗੀ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।
  4. ਐਲਗੀ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦਾ ਚੰਗਾ ਸਰੋਤ ਹਨ ।
  5. ਐਲਗੀ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਜਾਤੀਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਆਇਓਡੀਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  6. ਐਲਗੀ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਜਾਤੀਆਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਅਗੁਰ-ਅਗਰ (Agar-Agar) ਨਾਂ ਦਾ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਤਿਆਰ ਕਰਨ ਲਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  7. ਕੁੱਝ ਐਲਗੀ ਤੋਂ ਦਵਾਈਆਂ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  8. ਕੁੱਝ ਐਲਗੀਆਂ ਤੋਂ ਤੇਲ ਵਰਗੇ ਪਦਾਰਥ ਰਿਸਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਫਾਈਲਮ ਨੈਮੇਟੋਡਾ ਦੇ ਆਮ ਲੱਛਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਾਈਲਮ ਨੈਮੇਟੋਡਾ (Phylum Nematoda) ਦੇ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਗੋਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਗੋਲ ਕਿਰਮ (Round worms) ਆਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਸਮਮਿਤੀ ਦੋ ਪਾਸੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਤਿੰਨ ਪਰਤੀ (Three layered) ਪਰ ਅਣਖੰਡਿਤ (unsegmented) ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸਾਹ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਅੰਗ ਅਤੇ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
  5. ਸਰੀਰਕ ਖੋੜ (Body cavity) ਸ਼ੁੱਧ (True) ਸਰੀਰਕ , ਖੋੜ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
  6. ਪਾਚਨ ਨਲੀ ਸੰਪੂਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰ ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਅੰਤਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
    ਉਦਾਹਰਨ – ਐੱਸਕੈਰਸ (Ascaris), ਆਕਸੀਯੁਰਸ (0xyuris), ਪਿਨ ਵਰਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕਾਰਡੇਟਾ (Chordata) ਦੇ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਂਡੇਟਾ ਦੇ ਚਾਰ ਮੁੱਖ ਲੱਛਣ-

  1. ਨੋਟੋਕਾਰਡ ਦਾ ਹੋਣਾ – ਇਸ ਫਾਈਲਮ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਕਿਸੇ ਪੜਾਅ ਤੇ ਨੋਟੋਕਾਂਰਡ (Notochord) ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  2. ਗਿੱਲ ਸਲਿਟ ਦੀ ਹੋਂਦ – ਇਸ ਫਾਈਲਮ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚਲੀ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਸਟੇਜ਼ ‘ਤੇ ਗਿੱਲ ਸਟ (Gill Slits) ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਨਾਲਾਕਾਰ ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੀ ਹੋਂਦ – ਡਾਂਸਲ ਖੋਖਲੀ ਨਾੜੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ (Presence of Dorsal hollow nervous system) ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਪੂਛ ਦੀ ਹੋਂਦ – ਗੁਦਾ (Anus) ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਪੁਛ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਨਾਨ-ਕੋਰਡੇਟਸ (Non-chordates) ਦੇ ਲੱਛਣ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਾਂਨ-ਕੋਰਡੇਟਸ ਦੇ ਲੱਛਣ-

  1. ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਨੋਟੋਕਾਂਰਡ (Notochord) ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਗਲਫੜੇ ਤਾਂ ਹਨ ਪਰ ਇਹ ਸਾਹ ਆਪਣੀ ਚਮੜੀ ਦੁਆਰਾ ਹੀ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਅੰਦਰਲੀ ਕੇਂਦਰੀ ਤੰਤਰਿਕਾ ਠੋਸ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਇਹ ਜੰਤੂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  5. ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਲਹੂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਰੰਗਹੀਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  6. ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਪੂਛ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਅਤੇ ਪਿੰਜਰ ਵੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Very Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਰਗੀਕਰਨ (Classification) – ਸੰਬੰਧਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਸਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਸਮੂਹਾਂ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣ ਦੇ ਤਰੀਕੇ ਨੂੰ ਵਰਗੀਕਰਨ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਪੀਸੀਜ਼ (Species) ਕਿਸ ਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਹੁਤ ਨੇੜੇ ਅਤੇ ਬਣਤਰ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਦਾ ਸਮੂਹ, ਜਿਸ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜਣਨ ਕਰਨ, ਨੂੰ ਸਪੀਸੀਜ਼ ਜਾਤੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਐਲਗੀ ਦਾ ਹਰਾ ਰੰਗ ਕਿਸ ਕਰਕੇ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਲਗੀ ਦੇ ਹਰੇ ਰੰਗ ਦੀ ਵਜ਼ਾ ਉਸ ਵਿੱਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਵਰਣਕ (Pigment) ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਉੱਲੀਆਂ (Fungi) ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਆਪ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਬਣਾਉਂਦੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਵਰਣਕ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਕਾਰਨ ਇਹ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਆਪ ਨਹੀਂ ਬਣਾਉਂਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਢੱਕੇ ਹੋਏ ਬੀਜਾਂ ਵਾਲੇ ਪੌਦੇ ਕਿੰਨੀ ਕਿਸਮ ਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਢੱਕੇ ਹੋਏ ਬੀਜਾਂ ਵਾਲੇ ਪੌਦੇ ਦੋ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ-ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਅਤੇ ਦੋ-ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਪੌਦੇ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮੱਛੀਆਂ ਕਿਹੜੇ ਅੰਗ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਸਾਹ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੱਛੀਆਂ ਗਲਫੜਿਆਂ (Gills) ਦੁਆਰਾ ਸਾਹ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਮੱਛੀਆਂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੇ ਖ਼ਾਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੱਛੀਆਂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਖ਼ਾਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਜੋ ਜੀਵ ਪ੍ਰਕਾਸ਼-ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਰੇ ਪੌਦੇ ।

PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਫੰਜਾਈ ਨੂੰ ਮ੍ਰਿਤਕ ਜੀਵ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਫੰਜਾਈ ਗਲੇ-ਸੜੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਮ੍ਰਿਤਕ ਜੀਵ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਫੰਜਾਈ ਦੇ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ । ਉੱਤਰ-ਖਮੀਰ, ਮਸ਼ਰੂਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸਹਿਜੀਵਤਾ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਲੀ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਜਾਤੀਆਂ ਨੀਲੀ ਹਰੀ ਕਾਈ ਨਾਲ ਪੱਕੇ ਸੰਬੰਧ ਬਣਾ ਕੇ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਸਹਿਜੀਵਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਐਨੀਮੀਲੀਆਂ ਵਰਗ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਜੀਵ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਵਰਗ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਬਹੁਸੈੱਲੀ ਯੂਕੇਰਿਉਟੀ ਜੀਵ ਆਉਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸੈਂਲ ਭਿੱਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਐਂਜੀਓਸਪਰਮ ਪੌਦੇ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਿਹੜੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਬੀਜ ਫਲਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਢੱਕੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਐਂਜੀਓਸਪਰਮ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਬੀਜ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਫਲ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਐਂਜੀਓਸਪਰਮ ਵਰਗ ਨੂੰ ਕਿਹੜੇ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਇੱਕ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ
  2. ਦੋ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ।

PSEB 9th Class Science Important Questions Chapter 7 ਸਜੀਵਾਂ ਵਿਚ ਵਿਭਿੰਨਤਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਜਿਮਨੋਸਪਰਮ ਪੌਦੇ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨੰਗੇ ਬੀਜ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਪੌਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਇੱਕ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਦੇ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਣਕ, ਮੱਕੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਦੋ ਬੀਜ ਪੱਤਰੀ ਦੇ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਟਰ, ਚਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਪਰਜੀਵੀਆਂ ਦੇ ਤਿੰਨ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੋਲ ਕਿਮੀ, ਫਾਈਲੇਰੀਆ ਕ੍ਰਿਮੀ, ਪਿੰਨ ਕ੍ਰਿਮੀ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਵਰਟੀਕਰੇਟਾ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਿਹੜੇ ਜੰਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਵਾਸਤਵਿਕ ਰੀੜ੍ਹ ਦੀ ਹੱਡੀ ਅਤੇ ਅੰਦਰਲਾ ਕੰਕਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਕੰਕਾਲ ਨਾਲ ਜੁੜੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਵਰਟੀਕਰੇਟਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

Punjab State Board PSEB 8th Class Science Book Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Science Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

PSEB 8th Class Science Guide ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਕਥਨ ਸਹੀ ਹੈ (✓) ਲਾਓ
(ਉ) ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਨੂੰ ਰਗੜ ਦੁਆਰਾ ਅਸਾਨੀ ਨਾਲ ਚਾਰਜਿਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ?
(i) ਪਲਾਸਟਿਕ ਦਾ ਪੈਮਾਨਾ
(ii) ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਛੜ
(iii) ਫੁੱਲਿਆ ਗੁਬਾਰਾ
(iv) ਉੱਨ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਛੜ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਜਦੋਂ ਕੱਚ ਦੀ ਛੜ ਨੂੰ ਰੇਸ਼ਮ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਰਗੜਦੇ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਛੜ
(i) ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ਦੋਵੇਂ ਧਨ ਚਾਰਜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।
(ii) ਧਨ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ਰਿਣ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(iii) ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ਦੋਵੇਂ ਰਿਣ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(iv) ਰਿਣ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ਧਨ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਧਨ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ਰਿਣ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਥਨ ਠੀਕ (T) ਹਨ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ (F)
(ੳ) ਸਮਜਾਤੀ ਚਾਰਜ ਇਕ ਦੂਜੇ ਚਾਰਜ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
(ਅ) ਚਾਰਜਿਤ ਕੱਚ ਦੀ ਛੜ ਚਾਰਜਿਤ ਪਲਾਸਟਿਕ ਸਟ੍ਰਾਅ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
(ਈ) ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ ਇਮਾਰਤ ਦੀ ਅਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਤੋਂ ਸੁਰੱਖਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ।
(ਸ) ਭੂਚਾਲ ਦੀ ਭਵਿੱਖਵਾਣੀ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) F
(ਅ) T
(ਬ) F
(ਸ) F.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸਰਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਸਵੈਟਰ ਉਤਾਰਦੇ ਸਮੇਂ ਕੜ-ਕੜ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਸੁਣਾਈ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਟਰ ਉਤਾਰਦੇ ਸਮੇਂ ਰਗੜ ਕਾਰਨ ਸਵੈਟਰ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਚਾਰਜਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਦੂਸਰੇ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਤੇ ਹੋਏ ਆਕਰਸ਼ਣ/ਅਪਕਰਸ਼ਣ ਕਾਰਨ ਕੜ-ਕੜ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਸੁਣਾਈ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜਦ ਅਸੀਂ ਕਿਸੇ ਚਾਰਜਿਤ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਹੱਥ ਨਾਲ ਛੂਹਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਉਹ ਆਪਣਾ ਚਾਰਜ ਗੁਆ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਚਾਲਕ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਕਿਸੇ ਚਾਰਜਿਤ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਹੱਥ ਨਾਲ ਛੂਹੰਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਚਾਰਜ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚੋਂ ਸੰਚਾਰਿਤ ਹੋ ਕੇ ਧਰਤੀ ਵਿੱਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਸਤੂ ਅਣਚਾਰਜਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਉਸ ਪੈਮਾਨੇ ਦਾ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਸ ਤੇ ਭੂਚਾਲ ਦੀ ਵਿਨਾਸ਼ੀ ਊਰਜਾ ਮਾਪੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਪੈਮਾਨੇ ਤੇ ਕਿਸੇ ਭੂਚਾਲ ਦਾ ਮਾਪ 3 ਹੈ | ਕੀ ਇਸ ਨੂੰ ਭੁਚਾਲਯੰਤਰ ਸੀਸਮੋਗਾ) ਨਾਲ ਰਿਕਾਰਡ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ? ਕੀ ਇਸ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹਾਨੀ ਹੋਵੇਗੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਰਿਕਟਰ ਪੈਮਾਨੇ ਤੇ ਭੂਚਾਲ ਦੀ ਵਿਨਾਸ਼ੀ ਊਰਜਾ ਮਾਪੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਪੈਮਾਨਾ ਰੇਖੀ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਰਿਕਟਰ ਪੈਮਾਨੇ ਤੇ 3 ਦਾ ਮਾਨ ਸੀਸਮੋਗਰਾਫ਼ ਦੁਆਰਾ ਰਿਕਾਰਡ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਭੂਚਾਲ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਤੀਬ੍ਰਤਾ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਵੱਧ ਨੁਕਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਅਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਤੋਂ ਆਪਣੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦੇ ਤਿੰਨ ਉਪਾਅ ਸੁਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਗਰਜਣ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਸੁਣਦੇ ਹੀ ਕਿਸੇ ਮਕਾਨ ਜਾਂ ਇਮਾਰਤ ਅੰਦਰ ਚਲੇ ਜਾਓ ।
  • ਉਸ ਸਮੇਂ ਜੇ ਕਿਸੇ ਵਾਹਨ ਵਿੱਚ ਹੋ ਤਾਂ ਉਸ ਦੇ ਦਰਵਾਜ਼ੇ-ਖਿੜਕੀਆਂ ਬੰਦ ਕਰ ਲਓ ।
  • ਉਸ ਸਮੇਂ ਜੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਹੋ ਤਾਂ ਸਿਮਟ (ਸੁੰਗੜ ਕੇ ਬੈਠ ਜਾਓ ਅਤੇ ਸਿਰ ਨੂੰ ਗੋਡਿਆਂ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿੱਚ ਰੱਖ ਲਓ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਚਾਰਜਿਤ ਗੁਬਾਰਾ ਦੂਜੇ ਚਾਰਜਿਤ ਗੁਬਾਰੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤਿਕਰਸ਼ਤ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਜਦਕਿ ਅਣ-ਚਾਰਜਿਤ ਗੁਬਾਰੇ ਦੁਆਰਾ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਦਾਰਥ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋਣ ਤੇ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਚਾਰਜਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਮਜਾਤੀ ਚਾਰਜ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤਿਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਦੋ ਚਾਰਜਿਤ ਗੁਬਾਰੇ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਸਜਾਤੀ ਚਾਰਜ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਪ੍ਰਤਿਕਰਸ਼ਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇੱਕ ਚਾਰਜਿਤ ਅਤੇ ਇਕ ਅਣਚਾਰਜਿਤ ਗੁਬਾਰਾ ਵਿਜਾਤੀ ਚਾਰਜ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਉਲਟ ਚਾਰਜ ਹੋਣ ਕਾਰਨ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਚਿੱਤਰ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਅਜਿਹੇ ਯੰਤਰ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ਜਿਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਿਸੇ ਚਾਰਜਿਤ ਵਸਤੂ ਦੀ ਪਛਾਣ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਾਰਜਿਤ ਵਸਤੂ ਦੀ ਪਛਾਣ ਲਈ ਵਰਤੋਂ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲਾ ਯੰਤਰ ਬਿਜਲਈਦਰਸ਼ੀ (ਇਲੈੱਕਟਰੋਸਕੋਪ) ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਲੈੱਕਟਰੋਸਕੋਪ (Electroscope) ਬਣਾਉਣਾ-ਇੱਕ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੇ ਜਾਰ ਦੇ ਮੁੰਹ ਦੇ ਸਾਈਜ਼ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਗੱਤੇ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਵਿੱਚ ਪੇਪਰ ਕਲਿੱਪ ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀਆਂ ਦੋ ਬਾਰੀਕ ਪੱਤੀਆਂ ਗੱਤੇ ਦੇ ਲੰਬੇਦਾਅ ਲਗਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸਨੂੰ ਜਾਰ ਵਿੱਚ ਫਿੱਟ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ |
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਭਾਰਤ ਦੇ ਉਹਨਾਂ ਤਿੰਨ ਰਾਜਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ ਬਣਾਓ ਜਿੱਥੇ ਭੂਚਾਲ ਦੇ ਝਟਕੇ ਵਧੇਰੇ ਸੰਭਾਵਿਤ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-

  • ਕੱਛ ਦਾ ਰਨ
  • ਰਾਜਸਥਾਨ
  • ਸਿੰਘ ਗੰਗਾ ਦਾ ਮੈਦਾਨ
  • ਕਸ਼ਮੀਰ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮੰਨ ਲਓ ਤੁਸੀਂ ਘਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੋ ਅਤੇ ਭੂਚਾਲ ਦੇ ਝਟਕੇ ਲਗਦੇ ਹਨ । ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੇ ਬਚਾਅ ਲਈ ਕੀ ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ ਵਰਤੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਘਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਭੂਚਾਲ ਦੇ ਝਟਕਿਆਂ ਤੋਂ ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ

  • ਇਮਾਰਤ, ਰੁੱਖ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਖੰਭੇ ਤੋਂ ਦੂਰ ਕਿਸੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਸਥਾਨ ਤੇ ਲੇਟ ਜਾਓ
  • ਕਾਰ ਜਾਂ ਬੱਸ ਵਿੱਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਾ ਨਿਕਲੋ ।
  • ਕਾਰ ਜਾਂ ਬੱਸ ਨੂੰ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਸਥਾਨ ਤੇ ਲੈ ਜਾਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਮੌਸਮ ਵਿਭਾਗ ਇਹ ਭਵਿੱਖਵਾਣੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਨਿਸਚਿਤ ਦਿਨ ਗਰਜ ਵਾਲੇ ਝੱਖੜ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ। ਅਤੇ ਮੰਨ ਲਓ ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਦਿਨ ਬਾਹਰ ਜਾਣਾ ਹੈ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਛਤਰੀ ਲੈ ਕੇ ਜਾਓਗੇ ? ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਣ ਸਮੇਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਣਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਨਹੀਂ ਹੈ ਅਤੇ ਛੱਤਰੀ ਲੈ ਕੇ ਨਿਕਲਣਾ ਬਹੁਤ ਘਾਤਕ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਉੱਚੇ ਭਵਨ, ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਤਾਰਾਂ, ਕਾਲੇ ਰੰਗ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਬਿਜਲੀ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਸਭ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣਾ ਹੀ ਸਮਝਦਾਰੀ ਹੈ ।

PSEB Solutions for Class 8 Science ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ Important Questions and Answers

ਬਹੁ-ਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ-ਉੱਤਰ :

1. ਬਿਜਲੀ ਚਾਰਜ ਕਿੰਨੇ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
(ਉ) 2
(ਅ) 3
(ਈ) 4
(ਸ) 6
ਉੱਤਰ-
(ੳ) 2.

2. ਬਿਜਲਈ ਚਾਰਜ ਦਾ ਪਰੀਖਣ ਕਰਨ ਲਈ ਜੁਗਤ ਕੀ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ?
(ਉ) ਬਿਜਲੀਦਰਸ਼ੀ
(ਅ) ਸੂਖਮਦਰਸ਼ੀ
(ਈ) ਪੈਰੀਸਕੋਪ
(ਸ) ਬਿਜਲਈਲੇਪਣ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਬਿਜਲੀਦਰਸ਼ੀ ।

3. ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਿਨਾਸ਼ਕਾਰੀ ਭੂਚਾਲ ਦਾ ਰਿਕਟਰ ਪੈਮਾਨੇ ਤੇ ਕਿੰਨਾ ਪਰਿਮਾਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
(ਉ) 5 ਤੋਂ ਘੱਟ
(ਅ) 5 ਅਤੇ 7 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ
(ਈ) 1 ਅਤੇ 5 ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ .
(ਸ) 7 ਤੋਂ ਵੱਧ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) 7 ਤੋਂ ਵੱਧ ।

4. ਵਿਪਰੀਤ ਚਾਰਜ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਕਰਦੇ ਹਨ :
(ਉ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ ।
(ਆ) ਪ੍ਰਤੀਕਰਸ਼ਿਤ
(ਈ) ਕਦੀ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਕਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਰਸ਼ਿਤ
(ਸ) ਨਾ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਨਾ ਪ੍ਰਤੀਕਰਸ਼ਿਤ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

5. ਧਰਤੀ ਦੇ ਕੇਂਦਰੀ ਭਾਗ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਹੈ ?
(ਉ) ਅੰਦਰੂਨੀ ਕੋਰ
(ਅ) ਬਾਹਰੀ ਕੋਰ
(ਈ) ਮੈਂਟਲ
(ਸ) ਭੂ-ਪਪੜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਅੰਦਰੂਨੀ ਕੋਰ ।

6. ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਅਤੇ ਗਰਜ ਵਾਲੇ ਝੱਖੜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਭ ਤੋਂ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਥਾਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।
(ੳ) ਇਮਾਰਤ
(ਅ) ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਥਾਂ
(ਇ) ਦਰੱਖਤ ਦੇ ਹੇਠਾਂ
(ਸ) ਉੱਪਰ ਦਿੱਤੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਇਮਾਰਤ |

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਿਸ ਵਿਗਿਆਨੀ ਨੇ ਦਰਸਾਇਆ ਕਿ ਚਿੰਗਾਰੀ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਕੜਕਨਾ ਇੱਕੋ ਹੀ ਘਟਨਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਮਰੀਕੀ ਵਿਗਿਆਨੀ ਬੈਂਜਾਮਿਨ ਫਰੈਂਕਲਿਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਪਲਾਸਟਿਕ ਪੈਮਾਨੇ ਨੂੰ ਸੁੱਕੇ ਵਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਰਗੜ ਕੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਂਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਲਾਸਟਿਕ ਪੈਮਾਨਾ ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜਦੋਂ ਦੋ ਊਨੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨਾਲ ਰਗੜੇ ਗਏ ਦੋ ਗੁਬਾਰੇ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਂਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤਿਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਿਹੜੇ ਚਾਰਜ ਇੱਕ ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਲਟ ਕਿਸਮ ਦੇ ਜਾਂ ਵਿਖਮਜਾਤੀ ਚਾਰਜ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਚਾਰਜ ਕਿੰਨੀ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਾਰਜ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-

  • ਰਿਣ ਚਾਰਜ ਅਤੇ
  • ਧਨ ਚਾਰਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਵਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਰਗੜੀ ਹੋਈ ਪਲਾਸਟਿਕ ਕੰਘੀ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਕੰਘੀ ਚਾਰਜਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਦੋ ਵਿਖਮਜਾਤੀ ਚਾਰਜਿਤ ਬੱਦਲਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਦੂਸਰੇ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ‘ਤੇ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲੀ ਵਿਸਰਜਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਚਿੱਤਰ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਦੱਸੋ ਕਿ ਇਹ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ? ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਤੋਂ ਆਪਣੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ ? ਦੋ ਸੁਝਾਓ ਦਿਓ ।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ 2
ਉੱਤਰ-
ਚਿੱਤਰ ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਵਿਸਰਜਨ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਚਾਰਜਿਤ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ –

  • ਸੁੱਕੇ ਵਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਰਗੜਿਆ ਹੋਇਆ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦਾ ਪੈਮਾਨਾ ॥
  • ਪਾਲੀਥੀਨ ਨਾਲ ਰਗੜੀ ਹੋਈ ਪਾਲੀਥੀਨ ਰੀਫਲ ।
  • ਉਨੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨਾਲ ਰਗੜਿਆ ਹੋਇਆ ਗੁਬਾਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜਦੋਂ ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਦੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਰੁੱਖ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਖੜੇ ਹੋਣ ਦੀ ਸਲਾਹ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਚਾਰਜਿਤ ਬੱਦਲ ਜਦੋਂ ਰੁੱਖ ਦੇ ਓਪਰੋਂ ਲੰਘਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਉੱਲਟ ਕਿਸਮ ਦਾ ਚਾਰਜ (ਵਿਜਾਤੀ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਵਿਜਾਤੀ ਚਾਰਜਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਬਿਜਲੀ ਪੈਦਾ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਰੁੱਖ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਕੇ ਅੱਗ ਲਗਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਰੱਖ ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਦੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਰੁੱਖ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਖੜੇ ਹੋਣ ਦੀ ਸਲਾਹ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਉੱਚੀਆਂ ਇਮਾਰਤਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਲੰਬੀ ਛੜ, ਉੱਪਰ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਧਰਤੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਤਕ ਕਿਉਂ ਲਗਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਚਾਰਜਿਤ ਬੱਦਲ ਜਦੋਂ ਇਮਾਰਤ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲੰਘਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉੱਲਟ ਕਿਸਮ ਦੇ ਚਾਰਜਾਂ ਨੂੰ ਧਾਤ ਦੀ ਛੜ ਦੀ ਨੋਕ ਤੇ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਧਾਤ ਦੀ ਛੜ ਚਾਲਕ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਚਾਰਜ ਛੜ ਰਾਹੀਂ ਧਰਤੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਇਮਾਰਤ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5. ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ਦੇ ਚਾਰਜਿਤ ਹੋਣ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੀ ਕੰਘੀ, ਪੈਂਨ ਆਦਿ ਵਰਗੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਜਦੋਂ ਦੂਸਰੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨਾਲ ਰਗੜੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਜਾਂ ਪਿੱਥ ਗੇਂਦ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨ ਦਾ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਉਸ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਚਾਰਜਿਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਬਿਜਲੀ ਵਿਸਰਜਨ ਦੇ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਅਸੀਂ ਬਾਲਣ ਨੂੰ ਜਲਾਉਣ ਵਿੱਚ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਸਕੂਟਰ ਅਤੇ ਕਾਰ ਵਿੱਚ ਸਪਾਰਕ ਪਲੱਗ ਦੁਆਰਾ ।
  • ਰਸੋਈ ਗੈਸ ਜਲਾਉਣ ਲਈ ਬਿਜਲੀ ਲਾਈਟਰ ਦੁਆਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਅਚਾਨਕ ਵਾਪਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ, ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ ਕਹਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਜਾਨ-ਮਾਲ ਦੀ ਹਾਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਣ-ਭੂਚਾਲ, ਭੂ-ਖੋਰ, ਹੜ੍ਹ, ਸੋਕਾ, ਚੱਕਰਵਾਤ, ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ ਦਾ ਫੱਟਣਾ ਅਤੇ ਸੁਨਾਮੀ ਆਦਿ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸੁਨਾਮੀ ਤੇ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੁਨਾਮੀ-ਭੁਚਾਲ ਆਉਣ ਸਮੇਂ ਧਰਤੀ ਦੇ ਕੰਪਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਮੁੰਦਰ ਵਿੱਚ ਉੱਠੀਆਂ ਲੰਬੀਆਂ ਅਤੇ ਉੱਚੀਆਂ ਲਹਿਰਾਂ, ਸੁਨਾਮੀ ਅਖਵਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਆਮ ਕਰਕੇ ਤੇਜ਼ ਵੇਗ ਦੀਆਂ ਲਹਿਰਾਂ ਹਨ, ਜੋ ਸਮੁੰਦਰ ਵਿੱਚ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰਬਰ ਤਰੰਗਾਂ (Harbour Waves) ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਸੁਨਾਮੀ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ

  • ਜੀਵਨ ਦੀ ਹਾਨੀ
  • ਜਲ-ਜੀਵਨ ਦੀ ਹਾਨੀ ।
  • ਇਮਾਰਤਾਂ, ਸੜਕਾਂ ਅਤੇ ਚਲ-ਅਚਲ ਸੰਪੱਤੀ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ।
  • ਤੱਟੀ ਖੇਤਰਾਂ ਅਤੇ ਸਮੁੰਦਰ ਦੇ ਕਿਨਾਰੇ ਤੇ ਰੁੱਖਾਂ ਦਾ ਉਖੜਨਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਇਲੈਂਕਟਰੋਸਕੋਪ ਦੇ ਤਿੰਨ ਉਪਯੋਗ ਲਿਖੋ । ਇਲੈੱਕਟਰੋਸਕੋਪ ਦੇ ਲਾਭ
ਉੱਤਰ-

  1. ਇਲੈੱਕਟਰੋਸਕੋਪ ਚਾਰਜ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਦਾ ਪਤਾ ਲਗਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਚਾਰਜ ਦੀ ਕਿਸਮ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਚਾਰਜ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਬਿਜਲੀ ਵਿਸਰਜਨ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲੀ ਵਿਸਰਜਨ-ਇਹ ਘਟਨਾ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਵਿਸਰਜਨ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਗੁਰਜਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਬੱਦਲਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਚਾਰਜ ਇਕੱਠਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਕਾਸ਼ ਵਿੱਚ ਵਿਖਮਜਾਤੀ ਆਵੇਸ਼ ਵਾਲੇ ਬੱਦਲਾਂ ਦੇ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਨੇੜੇ ਆਉਣ ਤੇ, ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਚਾਰਜ ਤੇਜ਼ ਵੇਗ ਨਾਲ ਗਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਫੈਲਦੀਆਂ ਚੰਗਿਆੜੀਆਂ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਵਿਸਰਜਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਚੱਕਰਵਾਤ ਕਿਸਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਇਸ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੱਕਰਵਾਤ-ਚੱਕਰਵਾਤ ਇੱਕ ਭਿਆਨਕ ਤੂਫ਼ਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦੀ ਗਤੀ 119 ਕਿ. ਮੀ. ਪ੍ਰਤੀ ਘੰਟਾ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕਾਰਨ-ਜਦੋਂ ਗਰਮ ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਸਮੁੰਦਰ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਾਸ਼ਪਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਸੰਘਣਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਬੱਦਲ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀ ਹੋਈ ਹਵਾ ਦਾ ਸਥਾਨ ਲੈਣ ਲਈ ਹਵਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਥੱਲੇ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਇੱਥੇ ਇੱਕ ਕੇਂਦਰ ਦੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਚੱਕਰੀ ਗਤੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਰਥਾਤ ਸਮੁੰਦਰ ਦੇ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦੇ ਉੱਪਰ ਮੌਜੂਦ ਹਵਾ ਦੇ ਤਾਪਮਾਨ ਅਤੇ ਦਬਾਅ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਚੱਕਰਵਾਤ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । | ਚੱਕਰਵਾਤ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਫ਼ਸਲਾਂ, ਸਿਹਤ, ਸਮੁੰਦਰੀ ਜਹਾਜ਼ਾਂ ਆਦਿ ਤੇ ਚੱਕਰਵਾਤਾਂ ਦਾ ਉੱਲਟ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਧਰਤੀ ਦੇ ਖਿਸਕਣ ਅਤੇ ਹੜ੍ਹ ਕਾਰਨ ਜਾਨ-ਮਾਲ ਨੂੰ ਭਾਰੀ ਨੁਕਸਾਨ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਤੋਂ ਬਚਣ ਦੇ ਉਪਾਅ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਦੇ ਉਪਾਅ-

  • ਤਤ ਦੇ ਸਮੇਂ, ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਨਹੀਂ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ । ਵਰਖਾਂ ਦੇ ਦਿਨ, ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਣ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਰੁੱਖ ਦੇ ਥੱਲੇ ਨਹੀਂ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ।
  • ਇਮਾਰਤਾਂ ਅਤੇ ਮਕਾਨਾਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
  • ਟੀ.ਵੀ. ਦੇ ਸਵਿੱਚ ਨੂੰ ਸਾਕੇਟ ਵਿੱਚੋਂ ਕੱਢ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਇੱਕ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਦਰਸਾਓ ਕਿ ਜਦੋਂ ਵਸਤੂਆਂ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਰਗੜੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਤੇ ਵਿਖਮਜਾਤੀ ਦਾ ਚਾਰਜ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਯੋਗ-ਇੱਕ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦਾ ਪੈਮਾਨਾ ਲਓ । ਇਸਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਉਨੀ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਰਗੜੋ । ਹੁਣ ਇਸ ਪੈਮਾਨੇ ਨੂੰ ਦੂਜੇ ਪੈਮਾਨੇ ਨਾਲ ਰਗੜੋ । ਇਹਨਾਂ ਦੋਨੋਂ ਪੈਮਾਨਿਆਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲੈ ਜਾਓ । ਤੁਸੀਂ ਵੇਖੋਗੇ ਕਿ ਦੋਨੋਂ ਪੈਮਾਨੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ 3
ਇਸ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦੋਨੋਂ ਪੈਮਾਨੇ ਚਾਰਜਿਤ ਹਨ । ਹੁਣ ਇੱਕ ਪੈਮਾਨੇ ਨੂੰ ਲੱਕੜੀ ਦੇ ਸਟੈਂਡ ਤੋਂ ਲਟਕਾਓ ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਪੈਮਾਨੇ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਨੇੜੇ ਲੈ ਕੇ ਜਾਣ ਤੇ ਦੋਵਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਆਕਰਸ਼ਣ ਹੋਵੇਗਾ ਕਿਉਂਕਿ ਆਕਰਸ਼ਣ ਸਿਰਫ਼ ਵਿਖਮਜਾਤੀ ਚਾਰਜਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਯੋਗ ਤੋਂ ਇਹ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦੋ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਰਗੜਨ ਨਾਲ ਵਿਖਮਜਾਤੀ ਚਾਰਜ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਣਾ (Lightning) ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਣਾ-ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਵਿਸਰਜਨ ਕਾਰਨ ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਦੀ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਬੱਦਲਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਜਾਂ ਦੀ ਸੰਘਨੜਾ ਇੱਕ ਨਿਸ਼ਚਿਤ ਸੀਮਾ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਬਿਜਲੀ ਉੱਤਸਰਜਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਉਪਰੀ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਧਨ-ਚਾਰਜ ਇਕੱਠਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰਿਣ-ਚਾਰਜ ਬੱਦਲਾਂ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਕਿਨਾਰੇ ਤੇ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਧਰਤੀ ਦੇ ਨੇੜੇ ਵੀ ਚਾਰਜਾਂ ਦਾ ਇਕੱਠ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਚਾਰਜਾਂ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਹਵਾ ਦੀ ਕੁਚਾਲਕਤਾ ਵੀ ਚਾਰਜਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਰੋਕ ਨਹੀਂ ਪਾਉਂਦੀ । ਰਿਣ ਅਤੇ ਧਨ ਚਾਰਜਾਂ ਦੇ ਉਸ ਰਸਤੇ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ ਗਤੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹਵਾ ਦੇ ਕਣ ਗਰਮ ਹੋ ਕੇ ਚਮਕੀਲੀਆਂ ਧਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਧੁਨੀ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਸਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਣਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ-ਇਹ ਇੱਕ ਨੁਕੀਲੀ ਧਾਤ ਦੀ ਛੜ ਹੈ ਜੋ ਭਵਨਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਨਾਲ ਜੁੜੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਛੜ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਧਰਤੀ ਹੇਠਾਂ ਦਬਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । · ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ-ਇੱਕ ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ ਦੋ ਢੰਗਾਂ ਨਾਲ ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਤੋਂ ਸੁਰੱਖਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ-

  1. ਬਿਜਲੀ ਚਮਕਣ ਦੇ ਸਮੇਂ, ਇੱਕ ਚਾਰਜਿਤ ਬੱਦਲ ਜਦੋਂ ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ ਦੇ ਉੱਪਰੋਂ ਲੰਘਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਦੇ ਨੁਕੀਲੇ ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ ਉਲਟ ਕਿਸਮ ਦਾ ਚਾਰਜ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਿਰਾ ਨੁਕੀਲਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਚਾਰਜ ਇਕੱਠਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਪਾਉਂਦਾ ਅਤੇ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਾਰਜਾਂ ਨੂੰ ਵਿਸਰਜਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਚਾਰਜ ਬੱਦਲਾਂ ਦੇ ਚਾਰਜਾਂ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਿਜਲੀ ਡਿੱਗਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  2. ਜੇ ਬਿਜਲੀ ਵਿਸਰਜਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਆਕਾਸ਼ੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ ਦੁਆਰਾ ਇਹ ਵਿਸਰਜਨ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਮਾਰਤ ਨੂੰ , ਹਾਨੀ ਨਹੀਂ ਪੁੱਜਦੀ ਹੈ ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ 4

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਭੂਚਾਲ ਦੇ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕੀ ਹਨ ? ਇਸ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਦੇ ਉਪਾਅ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਭੂਚਾਲ-ਧਰਤੀ ਦੀ ਸਤਹ ਵਿੱਚ ਪੈਦਾ , ਹੋਈਆਂ ਕੰਪਨਾਂ ਨੂੰ ਭੁਚਾਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਭੂਚਾਲ ਦੇ ਕਾਰਨ-ਧਰਤੀ ਦੀ ਪਰਤ ਸੱਤ ਖੰਡਾਂ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹੋਈ ਹੈ ਜਿਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪਲੇਟ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪਲੇਟਾਂ ਬਹੁਤ ਧੀਮੀ ਗਤੀ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਪਰ ਜਦੋਂ ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਗਤੀ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਧਰਤੀ ਤੇ ਹਲਚਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਹਲਚਲ ਨਾਲ ਭਵਨ, ਪੁਲ ਅਤੇ ਸੜਕਾਂ ਆਦਿ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 15 ਕੁਝ ਕੁਦਰਤੀ ਘਟਨਾਵਾਂ 5
ਭੂਚਾਲ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵਸੁਨਾਮੀ-
ਸੁਨਾਮੀ ਇੱਕ ਸਮੁੰਦਰੀ ਲਹਿਰ ਹੈ, ਜੋ ਭੂਚਾਲ ਆਉਣ ਕਾਰਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ !

  1. ਕਈ ਇਮਾਰਤਾਂ ਦਾ ਡਿੱਗਣਾ ।
  2. ਮੂਲ ਵਸਤੂਆਂ ਦੀ ਆਪੂਰਤੀ ਵਿੱਚ ਰੁਕਾਵਟ ।
  3. ਸਿਹਤ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

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ਭੂਚਾਲ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਦੇ ਉਪਾਅ-

  • ਭੂਚਾਲ ਸੰਭਾਵਿਤ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਮਕਾਨ ਇਮਾਰਤੀ ਲੱਕੜੀ ਦੇ ਬਣਾਏ ਜਾਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਨਾ ਕਿ ਭਾਰੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਮਿੱਟੀ, ਪੱਥਰ ਜਾਂ ਇੱਟਾਂ ਆਦਿ ਦੇ ।
  • ਅਲਮਾਰੀਆਂ ਆਦਿ ਦੀਵਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਫਿਟ ਹੋਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ਤਾਂ ਕਿ ਭੁਚਾਲ ਸਮੇਂ ਡਿੱਗ ਨਾ ਸਕਣ ।
  • ਦੀਵਾਰ ਘੜੀ, ਫੋਟੋ ਫਰੇਮ, ਗੀਜ਼ਰ ਆਦਿ ਨੂੰ ਕੰਧਾਂ ਤੇ ਸਾਵਧਾਨੀ ਪੁਰਵਕ ਲਟਕਾਇਆ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕਿ ਭੂਚਾਲ ਦੇ ਸਮੇਂ ਇਹ ਵਸਤੁਆਂ ਡਿੱਗ ਨਾ ਸਕਣ ।
  • ਇਮਾਰਤਾਂ ਵਿੱਚ ਭੂਚਾਲ ਕਾਰਨ ਅੱਗ ਲੱਗ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਮਾਰਤਾਂ ਵਿੱਚ ਅੱਗ ਬੁਝਾਉਣ ਵਾਲੇ ਯੰਤਰ ਲਗਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।