PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक

Punjab State Board PSEB 6th Class Science Book Solutions Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Science Chapter 3 रेशों से वस्त्र तक

PSEB 6th Class Science Guide रेशों से वस्त्र तक Textbook Questions, and Answers

1. खाली स्थान भरें अलका

(i) सिल्क नर्म तथा …………………….. होती है।
उत्तर-
चमकदार

(ii) …………………… नारियल के बाहर से उतार कर प्राप्त किया जाता है।
उत्तर-
क्वायर

(iii) …………………… तथा …………………… संश्लिष्ट रेशे हैं।
उत्तर-
पॉलिएस्टर, नायलॉन

(iv) कपास एक ………………………….. रेशा है।
उत्तर-
प्राकृतिक

(v) धागा ……………………….. से प्राप्त होता है।
उत्तर-
तंतुओं ।

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2. सही या ग़लत

(i) पॉलिएस्टर (Polyester) एक प्राकृतिक रेशा है।
उत्तर-
ग़लत

(ii) ऊनाई में एक ही तरह के धागे का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
सही

(iii) सूती कपड़े गर्मी और नमीयुक्त मौसम में पहनने आरामदायक होते हैं।
उत्तर-
सही

(iv) कपास से बीजों को अलग करने की विधि को रीटिंग कहा जाता है। .
उत्तर-
ग़लत

(v) रेशों से धागा बनाने के लिए उन्हें खींचा और ऐंठा जाता है।
उत्तर-
सही। वृद्धि वृद्धि

3. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) पटसन (क) नारियल का बाहरी शैल
(ii) ऐक्रेलिक (ख) तना
(iii) नारियल रेशे (ग) बीजों को अलग करना
(iv) कपास ओटना (घ) संश्लिष्ट रेशे
(v) तकली (ङ) कताई

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) पटसन (ख) तना
(ii) ऐक्रेलिक (घ) संश्लिष्ट रेशे
(iii) नारियल रेशे (क) नारियल का बाहरी शैल
(iv) कपास ओटना (ग) बीजों को अलग करना
(v) तकली (ङ) कताई

4. सही विकल्प का चयन करें

प्रश्न (i)
इनमें से कौन-सा कुदरती रेशा नहीं है?
(क) ऊन
(ख) रेशम
(ग) नायलॉन
(घ) पटसन ।
उत्तर-
(ख) नायलॉन।

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प्रश्न (ii)
कौन-सा कपड़ा गर्मी और नमीयुक्त मौसम में पहनने के लिए चुना जाता है ?
(क) सूती
(ख) रेशमी
(ग) ऊनी
(घ) नायलॉन ।
उत्तर-
(क) सूती।

प्रश्न (iii)
कपास के लिए टिंडों से बीज अलग करने की विधि
(क) कताई
(ख) ओटाई
(ग) रीटिंग
(घ) हाथ से चुनना ।
उत्तर-
(घ) हाथ से चुनना।

प्रश्न (iv)
एक्रेलिक एक ……………………… है।
(क) प्राकृतिक रेशा
(ख) पौधा रेशा
(ग) जंतु रेशा
(घ) संश्लिष्ट रेशा।
उत्तर-
(घ) संश्लिष्ट रेशा।

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
किन्हीं दो जंतु रेशों के नाम बताएँ।
उत्तर-
रेशम और ऊन।

प्रश्न (ii)
किन्हीं दो प्राकृतिक रेशों के नाम बताएँ।
उत्तर-
रेशम और ऊन।

प्रश्न (iii)
पटसन के पौधों की कटाई का ठीक समय कब होता है?
उत्तर-
जून से सितंबर तक

प्रश्न (iv)
पटसन से बनने वाली वस्तुओं की सूची बनाएँ।
उत्तर-
इसका उपयोग पर्दे, कुर्सीओं के कवर, कालीन, चटाई, रस्सी, बोरी आदि बनाने के लिए किया जाता है।

6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
प्राकृतिक और संश्लिष्ट रेशों में अंतर बताएँ।
उत्तर-
प्राकृतिक तंतु-

  1. प्राकृतिक तंतु पौधों और जंतुओं से प्राप्त होते हैं।
  2. उदाहरण कपास, जूट, क्वायर, ऊन, रेशम आदि हैं।

संश्लिष्ट तंतु-

  1. दूसरी ओर कृत्रिम अथवा संश्लिष्ट तंतु मनुष्य द्वारा रसायनों का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं।
  2. उदाहरण पॉलिएस्टर, नायलॉन, एक्रेलिक आदि हैं।

प्रश्न (ii)
रेशम के कीड़े का पालन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रेशम उत्पादन । रेशम के उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों के पालन को रेशम उत्पादन के रूप में जाना जाता है।

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प्रश्न (iii)
कपास की कताई से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
ओटाई-चुगे हुए रुई के गोलों से तंतुओं और बीजों को कंघी करके अलग करना ओटाई कहलाता है। ओटाई परंपरागत रूप से हाथ से की जाती थी लेकिन आजकल हमारे पास ऐसा करने के लिए मशीनें हैं।

7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न (i)
हम गर्मी में सूती कपड़े पहनने को प्राथमिकता देते हैं, क्यों?
उत्तर-
हम गर्मियों में सूती कपड़े पहनना निम्नलिखित कारणों से पसंद करते हैं-

  1. सूती कपड़े मुलायम होते हैं।
  2. सूती कपड़े भारी मात्रा में पसीना सोख लेते हैं।

गर्मी के दिनों में तापमान बहुत अधिक होता है। इस मौसम में हमें बहुत पसीना आता है। सूती कपड़े इस पसीने को सोख लेते हैं। गर्मी के कारण यह वाष्पित हो जाता है। वाष्पीकरण शीतलन का कारण बनता है। इसका मतलब है कि अगर हम गर्मियों में सूती कपड़े पहनते हैं तो हम स्वयं को अपने आसपास की गर्मी के हानिकारक प्रभावों से बचा सकते हैं।

प्रश्न (ii)
कपास की कताई कैसे की जाती है?
उत्तर-
कताई – तंतुओं से धागा बनाने की प्रक्रिया कताई कहलाती है। वस्त्र बनाने की प्रक्रिया में यह एक महत्त्वपूर्ण चरण है। तंतु प्राप्त करने के बाद हम इन्हें कताई करके तागे में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया में रेशों को खींचकर और एक दूसरे के साथ लपेटकर तागों में बदल दिया जाता है।

कताई हस्त तकुए (तकली) या चरखे की सहायता से की जा सकती है। आजकल कताई के लिए मशीनों का उपयोग किया जाता है। हाथ की धुरी या चरखे का उपयोग छोटे पैमाने पर धागा बनाने के लिए किया जाता है। कताई मशीनें बड़े पैमाने पर धागा उत्पादन के लिए बेहतर विकल्प हैं। कताई के बाद, अगला चरण यान को बुनाई या बंधाई द्वारा वस्त्र में परिवर्तित करना है।

Science Guide for Class 6 PSEB रेशों से वस्त्र तक Intext Questions and Answers

सोचें और उत्तर दें (पेज 21)

प्रश्न 1.
किन्हीं दो प्रकार के रेशों के नाम बताएँ।
उत्तर-
रेशों के दो मुख्य प्रकार हैं-

  1. प्राकृतिक तंतुओं से बनाए जाने वाले
  2. संश्लिष्ट तंतुओं से बनाए जाने वाले ।

प्रश्न 2.
सिल्क के कपड़े को छूने पर आप कैसा महसूस करते हैं ? सिल्क का कपड़ा कैसा महसूस होता है?
उत्तर-
मुलायम और चमकदार।

प्रश्न 3.
आपका दुपट्टा किस तरह के रेशों से बना है?
उत्तर-
दुपट्टा सूती कपड़े का बना होता है।

सोचें और उत्तर दें (पेज 26)

प्रश्न 1.
उन पदार्थों के नाम बताएँ जो जूट तथा नारियल रेशे से बनते हैं ?
उत्तर-
जूट को परदे, गलीचे, रस्सीयां, स्कूल बैग बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। नारियल तंतु को उपयोग करके दरवाजों के मैट, बुरश और रस्सीयां बनाई जाती है।

सोचें और उत्तर दें (पेज 26)

प्रश्न 1.
धागा ………………… से बनाया जाता है?
उत्तर-
तंतुओं।

प्रश्न 2.
धागा क्या है?
उत्तर-
बारीक तंतुओं के समूह से बनी संरचनाओं जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार के वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है, धागे कहते हैं।

प्रश्न 3.
रूई से धागा किस तरह बनाया जाता है ?
उत्तर-
हम रूई के तंतुओं से कताई और बुनाई करके धागा बनाते हैं।

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सोचें और उत्तर दें (पेज 28)

प्रश्न 1.
ऊन ……………. तथा …………….. है।
उत्तर- फूलदार रेशा है, हवा को रोककर रखता

PSEB Solutions for Class 6 Science रेशों से वस्त्र तक Important Questions and Answers

1. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न (i)
प्रकृति से प्राप्त होने वाला तंतु है-
(क) नायलॉन
(ख) ऊनी
(ग) रेशमी
(घ) केवल ऊनी और रेशमी।
उत्तर-
(घ) केवल ऊनी और रेशमी।

प्रश्न (ii)
पादपों से प्राप्त होने वाला तंतु है-
(क) पटसन
(ख) रेशम
(ग) ऊन
(घ) नायलॉन।
उत्तर-
(क) पटसन।

प्रश्न (iii)
रेशमी तंतु प्राप्त होता है-
(क) रेशम कीट से
(ख) भेड़ से
(ग) पादपों से
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(क) रेशम कीट से।

प्रश्न (iv)
संश्लिष्ट तंतु का उदाहरण है-
(क) रेशम
(ख) ऊन
(ग) कपास
(घ) पॉलिएस्टर।
उत्तर-
(घ) पॉलिएस्टर।

प्रश्न (v)
तंतुओं से धागा बनाने की प्रक्रिया को कहते हैं-
(क) बुनाई
(ख) बंधाई
(ग) कताई
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(ग) कताई।

प्रश्न (vi)
रूई पौधे के भाग से प्राप्त होती है-
(क) पत्तों से
(ख) तने से
(ग) बीज से
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) बीज से।

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प्रश्न (vii)
कपास खेत परिफलनों का रंग हो जाता है-
(क) श्वेत
(ख) पीले
(ग) हर
(घ) बैंगनी।
उत्तर-
(क) श्वेत।

प्रश्न (viii)
कपास के लिए उष्ण जलवायु और ……………… मृदा की आवश्यकता होती है।
(क) काली
(ख) लाल
(ग) पीली
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) काली।

प्रश्न (ix)
आजकल कपास ओटी जाती है-
(क) हाथों से
(ख) पैरों से
(ग) मशीनों से
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) मशीनों से।

प्रश्न (x)
पटसन तंतु प्राप्त होता है-
(क) बीज से
(ख) पत्तों से
(ग) तने से
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(ग) तने से।

प्रश्न (xi)
कपास के बीजों को अलग करने की विधि ………………… कहलाती है।
(क) ओटना
(ख) कताई
(ग) तोड़ना
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(क) ओटना।

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2. खाली स्थान भरें

(i) पटसन एक तंतु है जो …………………. से प्राप्त होता है।
उत्तर-
पौधे

(ii) रुई कपास के ………………….. से प्राप्त की जाती है।
उत्तर-
बीज

(iii) ………………….. को काली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
उत्तर-
कपास

(iv) पॉलिएस्टर एक ………………… तंतु है।
उत्तर-
संश्लेषित

(v) तंतुओं से …………………… बनाना कताई कहलाता है।
उत्तर-
धागा।

3. सही या ग़लत चुनें

(i) रेशे हमें पौधों से ही मिलते हैं।
उत्तर-
ग़लत

(ii) नायलॉन एक संश्लेषित तंतु है।
उत्तर-
सही

(iii) रेशे से सूत बनाने की प्रक्रिया को कताई कहते हैं।
उत्तर-
सही

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(iv) बुनाई धागे के दो सेटों को एक साथ बुनने की प्रक्रिया है।
उत्तर-
ग़लत

(v) पटसन एक संश्लेषित तंतु है।
उत्तर-
सही

4. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) नायलॉन (a) ऊन
(ii) सूत (b) कोकून
(iii) कपास (c) संश्लेषित तंतु
(iv) रेशम (d) कपास
(v) भेड़ (e) काली मिट्टी

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) नायलॉन (c) संश्लेषित तंतु
(ii) सूत (d) कपास
(iii) कपास (e) काली मिट्टी
(iv) रेशम (b) कोकून
(v) भेड़ (a) ऊन

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्र कितनी प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
वस्त्र सूती, ऊनी, रेशमी और संश्लिष्ट किस्म के होते हैं।

प्रश्न 2.
हम वस्त्र कहां से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर-
हम वस्त्र पादपों और जंतुओं के सूती, रेशमी और ऊनी तंतुओं से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
ऊन हमें कौन-से जंतुओं से मिलती है ?
उत्तर-
ऊन हमें भेड़, बकरी, खरगोश, याक तथा ऊंटों से प्राप्त होती है।

प्रश्न 4.
रेशमी तंतु हमें किससे प्राप्त होता है ?
उत्तर-
रेशमी तंतु हमें रेशम कीट के कोकून से प्राप्त होता है।

प्रश्न 5.
संश्लिष्ट तंतु क्या होते हैं?
उत्तर-
संश्लिष्ट तंतु – जो तंतु रासायनिक पदार्थों से प्राप्त होते हैं उन्हें संश्लिष्ट तंतु कहते हैं।

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प्रश्न 6.
संश्लिष्ट तंतुओं की उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
पॉलिएस्टर, नायलॉन और एक्रेलिक संश्लिष्ट तंतु हैं।

प्रश्न 7.
कपास को उगाने के लिए किस प्रकार की मृदा और जलवायु अनुकूल है ?
उत्तर-
कपास को उगाने के लिए काली मृदा और ऊष्ण जलवायु अनुकूल है।

प्रश्न 8.
देश के कुछ ऐसे राज्यों के नाम बताओ जहाँ कपास अधिक मात्रा में उगाई जाती है।
उत्तर-
महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और तमिलनाडु में कपास अधिक उगाई जाती है।

प्रश्न 9.
कपास के बालों का चयन कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
साधारणतया कपास के बालों को हस्त चयन द्वारा प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 10.
पटसन तंतु पौधे के किस भाग से प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर-
पटसन तंतु को पटसन पादप के तने से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 11.
भारत में पटसन कहां-कहां उगाया जाता है ?
उत्तर-
भारत में पटसन को प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार तथा असम में उगाया जाता है।

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प्रश्न 12.
पटसन के तने से पदसन के तंतुओं को कैसे पृथक किया जाता है ?
उत्तर-
कटाई के पश्चात् पटसन के तनों को कुछ दिनों तक जल में डुबाकर रखते हैं। ऐसा करने पर तने गल जाते हैं और उन्हें पटसन तंतुओं को हाथों से पृथक् कर दिया जाता है।

प्रश्न 13.
सामान्यतः पटसन फसल की कटाई कब की जाती है ?
उत्तर-
सामान्यतः पटसन फसल की कटाई पुष्पन अवस्था में करते हैं।

प्रश्न 14.
कताई किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कताई- रेशों से धागा बनाने की प्रक्रिया को कताई कहते हैं।

प्रश्न 15.
चरखा किसे कहते हैं और किस काम आता है ?
उत्तर-
चरखा-हाथ से प्रचलित कताई में चरखे का उपयोग किया जाता है। यह भी धागा बनाने की एक युक्ति है।

6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्रों में विविधता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्त्रों की विविधता – वस्त्रों में विविधता से अभिप्राय है वस्त्र जैसे बैड शीट, कंबल, पर्दे, तौलिए, डस्टर विभिन्न प्रकार के तंतुओं-सूती, रेशमी, ऊनी और संश्लिष्ट आदि से बने होते हैं। वस्त्रों के विभिन्न प्रकार के तंतुओं से बने होने को वस्त्र विविधता कहते हैं।

प्रश्न 2.
तंतु किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
तंतु – तागे जिन बारीक पतली लड़ियों अथवा रेशों से बने होते हैं उन्हें तंतु कहते हैं।
तंतु की किस्में – तंतु मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

  1. प्राकृतिक तंतु
  2. संश्लिष्ट तंतु।

प्रश्न 3.
प्राकृतिक तंतु किसे कहते हैं ? इनकी उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
प्राकृतिक तंतु – वे तंतु जो पादपों और जंतुओं से बनते हैं उन्हें प्राकृतिक तंतु कहते हैं; जैसे-सूती और जूट के तंतु हमें पादपों से प्राप्त होते हैं जबकि ऊन और रेशम हमें जंतुओं से प्राप्त होते हैं। ऊन हमें भेड़ और बकरी की कर्तित ऊन से प्राप्त होती है। ऊन खरगोश, याक तथा ऊंटों के बालों से भी प्राप्त किया जा सकता है। रेशमी कीट से हमें रेशम तंतु मिलता है।

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प्रश्न 4.
संश्लिष्ट तंतु किसे कहते हैं ? इसकी उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
संश्लिष्ट तंतु – जो तंतु रासायनिक पदार्थों से निर्मित किये जाते हैं उन्हें संश्लिष्ट तंतु कहते हैं।
उदाहरण- पॉलिएस्टर, नॉयलान और एक्रेलिक संश्लिष्ट तंतु हैं।

प्रश्न 5.
रूई का पौधा कैसी मृदा और जलवायु में होता है ? रूई को पौधे के किस भाग में प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर-
रूई के पौधे के लिए काली मृदा और ऊष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। रूई को कपास के पौधे के फूल से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 6.
कपास के फूल से कपास कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर-
कपास के पौधे का फूल जब पूर्ण परिपक्व हो जाता है तो बीज टूटकर खुल जाते हैं। कपास तंतुओं से ढके कपास बीज को देखा जा सकता है। कपास बालों से कपास को हस्त चयन द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसके पश्चात् कपास से बीजों को ककंतों द्वारा पृथक् किया जाता है।

प्रश्न 7.
कपास का ओटना किसे कहते हैं ? यह कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
कपास का ओटना-कपास को कपास के बीजों से पृथक् करने की क्रिया को कपास ओटना कहते हैं। कपास को पारंपरिक ढंग कंघी द्वारा हाथों से ओटा जाता है। परंतु आजकल कपास ओटने के लिए मशीनों का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 8.
जूट किस पौधे से प्राप्त किया जाता है ? इसकी कृषि किस ऋतु और भारत के किन भागों में की जाती है ?
उत्तर-
जूट को पटसन के पौधों से प्राप्त किया जाता है। जूट को पटसन के तने से प्राप्त किया जाता है। पटसन की खेती वर्षा ऋतु में की जाती है। इसकी खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार तथा असम में की जाती है।

प्रश्न 9.
बुनाई किसे कहते हैं ?
उत्तर-
बुनाई – यह वस्त्र बनाने की एक विधि है जिसमें धागों के दो सेटों को एक साथ व्यवस्थित किया जाता है। तागों के दो सेटों को आपस में व्यवस्थित करके वस्त्र बनाने की प्रक्रिया को बुनाई कहते हैं।

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प्रश्न 10.
बंधाई किसे कहते हैं ?
उत्तर-
बंधाई-यह एक प्रकार की विशेष बुनाई है जिसमें किसी एकल तागे का उपयोग वस्त्र के एक टुकड़े को बनाने में किया जाता है।। स्वेटर की बुनाई इसी विधि से की जाती है। बंधाई हाथों तथा मशीनों द्वारा भी की जाती है।
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प्रश्न 11.
हथकरघा क्या है ?
चित्र-स्वेटर बुनाई
उत्तर-
हथकरघा – हथकरघा हाथ द्वारा वस्त्र बनाने की युक्ति है। कई स्थानों पर वस्त्रों की बुनाई करघों पर की जाती है। करघे या तो हस्त प्रचालित होते हैं अथवा विद्युत् प्रचालित होते हैं। हथकरघे में तागों के दो सेटों को बुनकर वस्त्र बुने जाते हैं।
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7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्त्र-सामग्री के इतिहास का वर्णन करिए।
उत्तर-
वस्त्र-सामग्री का इतिहास – प्राचीन काल में लोग पहनने के लिए किस सामग्री का उपयोग किया करते थे। वस्त्रों के विषय में आद्य प्रमाणों से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रारंभ में लोग वृक्षों की छाल (वल्क), बड़ी-बड़ी पत्तियों, अथवा जंतुओं की चर्म और समूर से अपने शरीर को ढकते थे। कृषि समुदाय में बसना आरंभ करने के पश्चात् लोगों ने पतली-पतली टहनियों तथा घास को बुनकर चटाइयाँ तथा डलियाँ (टोकरी) बनाना सीखा। लताओं, जंतुओं की ऊन अथवा बालों को आपस में ऐंठन देकर लंबी लड़ियाँ बनाईं। इनको बुनकर वस्त्र तैयार किए। आद्य भारतवासी रूई से बने वस्त्र पहनते थे जो गंगा नदी के निकटवर्ती क्षेत्रों में उगाई जाती थी। फ्लैक्स भी एक पादप है जिससे प्राकृतिक तंतु प्राप्त होता है। आद्य मिश्र में वस्त्रों को बनाने के लिए रूई तथा फ्लैक्स की कृषि नील नदी के निकटवर्ती क्षेत्रों में की जाती थी।

उन दिनों में लोगों को सिलाई करना नहीं आता था। उस समय लोग अपने शरीर के विभिन्न भागों को वस्त्रों से ढक लेते थे। वे शरीर को आच्छादित करने के लिए कई विभिन्न ढंगों का उपयोग करते थे। सिलाई की सुई के आविष्कार के साथ लोगों ने वस्त्रों की सिलाई करके पहनने के कपड़े तैयार किए। इस आविष्कार के पश्चात् सिले कपड़ों में बहुत-सी विभिन्नताएँ आ गई हैं। परंतु आज भी साड़ियों, धोतियों, लुंगियों अथवा पगड़ियों का बिना सिले वस्त्रों के रूप में उपयोग किया जाता है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

Punjab State Board PSEB 6th Class Science Book Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Science Chapter 2 भोजन के तत्व

PSEB 6th Class Science Guide भोजन के तत्व Textbook Questions, and Answers

1. खाली स्थान भरें

(i) हम स्टार्च की विद्यमानता का परीक्षण करने के लिए ……………. के घोल का प्रयोग करते हैं।
उत्तर-
आयोडीन

(ii) आलू, चावल और गेहूँ में ………………. भरपूर मात्रा में होता है।
उत्तर-
कोर्बोहाइड्रेट (स्टार्च)

(iii) खट्टे फलों में मुख्य तौर पर ………………….. विटामिन होता है ।
उत्तर-
‘C’

(iv) अनीमिया …………………. की कमी के कारण होता है।
उत्तर-
लोहा

(v) गलफड़ा ………………… की कमी के कारण होता है।
उत्तर-
आयोडीन।

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2. सही या ग़लत

(i) मानव के शरीर में सूरज की रोशनी की मदद के साथ विटामिन D बनता है।
उत्तर-
सही

(ii) दूध और दूध से बने पदार्थों से हम कैल्शियम प्राप्त करते हैं।
उत्तर-
सही

(iii) दालें चर्बी का मुख्य स्रोत हैं।
उत्तर-
ग़लत

(iv) चावल अकेले ही हमारे शरीर को सभी पौष्टिक तत्व प्रदान कर सकते हैं।
उत्तर-
ग़लत

(v) अंधराता ‘विटामिन A’ की कमी के कारण होता है।
उत्तर-
सही

3. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) प्रोटीन की कमी (i) रिकेट्स
(ii) विटामिन A (ii) बेरी-बेरी
(iii) विटामिन B (iii) स्कर्वी
(iv) विटामिन C (iv) अंधराता
(v) विटामिन D (v) क्वाशीओरकर

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) प्रोटीन की कमी (v) क्वाशीओरकर
(ii) विटामिन A (iv) अंधराता
(iii) विटामिन B (ii) बेरी-बेरी
(iv) विटामिन C (iii) स्क र्वी
(v) विटामिन D (i) रिकेट्स

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4. सही विकल्प का चयन करें

प्रश्न (क)
निम्नलिखित में से कौन-सा प्रोटीन का भरपूर स्रोत है ?
(i) आलू
(ii) आम
(iii) चावल
(iv) मूंग की दाल।
उत्तर-
(iv) मूंग दाल।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित में से कौन-सी थायराइड ग्रंथी के सही ढंग के साथ काम करने के लिए जरूरी है?
(i) विटामिन
(ii) कैल्शियम
(iii) आयोडीन
(iv) लोहा।
उत्तर-
(iii) आयोडीन।

प्रश्न (ग)
अनीमिया किस की कमी के कारण होता है ?
(i) विटामिन
(ii) कैल्शियम
(iii) लोहा
(iv) आयोडीन ।
उत्तर-
(iv) आयोडीन।

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
संतुलित भोजन या संतुलित आहार क्या है ?
उत्तर-
जिस आहार में शरीर के समुचित विकास और उचित कामकाज के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों, रौगे और पानी की पर्याप्त मात्रा हो, उसे संतुलित आहार कहा जाता है।

प्रश्न (ii)
कार्बोहाइड्रेट्स के मुख्य स्रोत कौन-से हैं ?
उत्तर-
बाजरा, ज्वार, चावल, गेहूँ, गुड़, आम, केला, आलू आदि।

प्रश्न (iii)
प्रोटीन को शरीर रचनात्मक भोजन क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं की वृद्धि और मुरम्मत के लिए आवश्यक हैं इसलिए प्रोटीन सामग्री से भरपूर खाद्य पदार्थों को शरीर निर्माण खाद्य पदार्थ कहा जाता है।

प्रश्न (iv)
मानवीय शरीर के लिए मोटे आहार का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
रूक्षांश हमारे शरीर को अपचनीय भोजन से छुटकारा पाने में मदद करता है और कब्ज को रोकता है। यह भोजन में पानी बनाए रखने और पेट में अच्छे बैक्टीरिया के विकास में भी मदद करता है।

प्रश्न (v)
कोई दो ऐसे भोजन पदार्थों के नाम बताएँ, जिनमें चर्बी विद्यमान हो?
उत्तर-
मांस, अंडे, मछली, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे मक्खन, घी आदि।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
पानी जीवन के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
जल जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि यह हमें भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है। यह मूत्र और पसीने के रूप में शरीर से अपशिष्ट को बाहर निकालने में भी हमारी मदद करता है।

प्रश्न (ii)
हमारे शरीर के लिए आवश्यक पाँच प्रकार के पौष्टिक तत्वों के नाम बताएँ।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज और विटामिन।

प्रश्न (iii)
हम ‘विटामिन सी’ कहाँ से प्राप्त करते हैं? मानवीय शरीर में विटामिन सी’ की कमी के कारण होने वाले रोग का नाम बताएँ।
उत्तर-
खट्टे फल (नींबू, संतरा), आँवला, टमाटर, ब्रोकली आदि से हमें विटामिन सी’ मिलता है। विटामिन सी’ की कमी के कारण हम स्कर्वी नामक रोग से पीडति होते हैं। इस बीमारी का मुख्य लक्षण मसूड़ों से खून आना है।

प्रश्न (iv)
चर्बी (वसा) और कार्बोहाइड्रेट्स को ऊर्जा देने वाले भोजन क्यों कहा जाता है। व्याख्या करो।
उत्तर-
ये ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ कहलाते हैं क्योंकि ये पचने पर विभिन्न गतिविधियों को करने के लिए बड़ी मात्रा में आवश्यक ऊर्जा छोड़ते हैं।

7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न (i)
त्रुटि रोग क्या होते हैं ? मानवीय शरीर में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स की कमी के कारण होने वाले रोगों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर-
लंबे समय तक हमारे आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण होने वाले रोगों को कमी रोग कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिजों की कमी से कुछ रोग होते हैं जिन्हें कमी रोग कहा जाता है।

  1. प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों की कमी से होने वाला रोग मैरास्मस है। इसके मुख्य लक्षण हैं शुष्क त्वचा, सी हुई आँखें, उभरी हुई पसलियाँ, शरीर बहुत दुबला, पतला और इतना कमजोर हो जाता है कि बच्चा हिल भी नहीं सकता।
  2. प्रोटीन की कमी से होने वाला रोग क्वाशियोरकोर है। इसके मुख्य लक्षण हैं रुका हुआ विकास, चेहरे पर सूजन, त्वचा का रूखा होना, शरीर में पानी का जमा होना, बालों का सफेद होना।

प्रश्न (ii)
मानव के शरीर के लिए खनिज पदार्थों के बारे में चर्चा करें।
उत्तर-
खनिज पदार्थ भोजन के वे घटक हैं जिनकी हमें अच्छे स्वास्थ्य और शरीर के समुचित विकास के लिए आवश्यकता होती है। ये शरीर को ऊर्जा प्रदान नहीं करते हैं। इनकी बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है। आयरन, कैल्शियम, आयोडीन और फास्फोरस हमारे शरीर के लिए महत्त्वपूर्ण खनिज हैं। इनकी कमी से कोई रोग हो सकता है।

आयरन या लोहा – यह आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिज है जिसकी आवश्यकता हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए होती है । पत्तेदार सब्जियाँ, फल, गुड़ आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। इसकी कमी से एनीमिया हो सकता है।

कैल्शियम – यह आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिज है जिसकी आवश्यकता हमारे शरीर में हड्डियों के निर्माण के लिए होती है। दूध और दूध से बने उत्पाद, अंडे आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और दांत खराब हो सकते हैं।

फास्फोरस – यह आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिज है जिसकी आवश्यकता हमारे शरीर में हड्डियों और दांतों को मजबूती प्रदान करने के लिए होती है। दूध, पनीर, केला, बाजरा, मेवा आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और दांत खराब हो सकते हैं।

आयोडीन – यह आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिज है जिसकी आवश्यकता हमारे शरीर में थायरॉयड ग्रंथि के सामान्य कामकाज के लिए होती है। आयोडीन युक्त नमक, समुद्री भोजन, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि आयोडीन के मुख्य स्रोत हैं। इसकी कमी से घेघा नामक रोग हो सकता है। इस रोग का मुख्य लक्षण गर्दन में थायरॉयड ग्रंथि का बढ़ना है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न (iii)
विटामिन क्या होते हैं? मानव के शरीर के लिए अलग-अलग विटामिनों के महत्त्व के बारे में चर्चा करें।
उत्तर-
विटामिन हमारे शरीर के समुचित कार्य के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। खनिजों की तरह इनकी भी बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है और ये शरीर को कोई ऊर्जा प्रदान नहीं करते हैं। हमें A, B, C, D, E और K जैसे कई विटामिनों की आवश्यकता होती है।

विटामिन A – अंडे, मांस, दूध, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, पपीता आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। इसकी आवश्यकता आंखों और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए होती है। इसकी कमी से रतौंधी नामक रोग हो सकता है।

विटामिन B – दूध, हरी सब्जियां, मटर, अंडे, अनाज, मशरूम आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र के सामान्य विकास और कामकाज के लिए आवश्यक है। इसकी कमी से बेरी-बेरी नामक रोग हो सकता है।

विटामिन C – दूध, खट्टे फल (नींबू, संतरा), आँवला, टमाटर, ब्रोकोली आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। यह हमारी प्रतिरक्षा को बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करता है। इसकी कमी से स्कर्वी या रक्तस्त्रावी मसूड़ों की बीमारी हो सकती है।

विटामिन D – इस के मुख्य स्रोत डेयरी उत्पाद, मछली के जिगर का तेल, धूप के संपर्क में आना आदि हैं। यह स्वस्थ हड्डियों और दांतों के लिए बहुत आवश्यक है। इसकी कमी से रिकेट्स नामक रोग हो सकता है।

विटामिन E – बादाम, मूंगफली, वनस्पति तेल जैसे सूरजमुखी और सोयाबीन तेल, पालक और ब्रोकोली जैसी पत्तेदार सब्जियाँ आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। यह कोशिकाओं को क्षति से बचाता है, और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में मदद करता है।

विटामिन K – हरी पत्तेदार सब्जियाँ (जैसे पालक, शलजम, सरसों, ब्रोकोली, फूलगोभी, और गोभी), मछली, मांस, अंडे और अनाज (छोटी मात्रा में होते हैं), आदि इस के मुख्य स्रोत हैं। यह रक्त के जमने के लिए आवश्यक है।

Science Guide for Class 6 PSEB भोजन के तत्व Intext Questions and Answers

सोचें और उत्तर दें (पेज 12)

प्रश्न 1.
जब हम कच्चे आलू पर आयोडीन के घोल की कुछ बूंदे डालते हैं, तो क्या होता है ?
उत्तर-
आयोडीन की बूंदे डालने से आलू का रंग नीला-काला हो जाता है।

प्रश्न 2.
आयोडीन के घोल का रंग कौन-सा होता है?
उत्तर-
बैंगनी।

प्रश्न 3.
कच्चे आलू के बिना अन्य कौन-से भोजन पदार्थों को स्टार्च की विद्यमानता के लिए प्रयोग किया जा सकता है ?
उत्तर-
उबले चावल, गेहूँ का आटा, शकरकंद और गन्ना।

सोचें और उत्तर दें (पेज 13)

प्रश्न 1.
भोजन में प्रोटीन की विद्यमानता का पता लगाने के लिए कौन से रसायनों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
कॉपर सल्फेट (CusO4) घोल और कास्टिक सोडा।

प्रश्न 2.
प्रोटीन युक्त कोई दो भोजन पदार्थों के नाम बताएँ।
उत्तर-
उबले अंडे और मटर।

सोचें और उत्तर दें (पेज 15)

प्रश्न 1.
जब हम काजू को कागज़ पर रगड़ते हैं तो यह अल्प-पारदर्शी क्यों बन जाता है?
उत्तर-
तैलीय पैच की उपस्थिति के कारण पेपर पारदर्शी हो जाता है।

प्रश्न 2.
चर्बी युक्त कोई दो भोजन पदार्थों के नाम बताएँ।
उत्तर-
काजू, मूंगफली, सरसों।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

PSEB Solutions for Class 6 Science भोजन के तत्व Important Questions and Answers

1. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न (i)
भोजन के मुख्य संघटक/पोषक हैं-
(क) दो
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) दस।
उत्तर-
(ग) पाँच।

प्रश्न (ii)
सभी खाद्य पदार्थों के पोषण के लिए आवश्यक है-
(क) वसा
(ख) रूक्षांश
(ग) नमक
(घ) कुछ भी नहीं।
उत्तर-
(ख) रूक्षांश।

प्रश्न (iii)
प्रोटीन की उपस्थिति दर्शाने के लिए चाहिए-
(क) कॉपर सल्फेट और कास्टिक सोडा का विलयन
(ख) नाइट्रिक अम्ल
(ग) आयोडीन
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(क) कॉपर सल्फेट और कास्टिक सोडा का विलयन।

प्रश्न (iv)
आयोडीन द्वारा परीक्षण किया जाता है-
(क) मंड (शर्करा)
(ख) प्रोटीन
(ग) विटामिन
(घ) जल।
उत्तर-
(क) मंड (शर्करा)।

प्रश्न (v)
दूध में पोषक तत्व होता है-
(क) जल
(ख) कार्बोहाइड्रेट्स
(ग) प्रोटीन
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(घ) सभी विकल्प।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न (vi)
नींबू, आँवला स्रोत हैं-
(क) कार्बोहाइड्रेट्स
(ख) खनिज
(ग) प्रोटीन
(घ) विटामिन C.
उत्तर-
(घ) विटामिन C.

प्रश्न (vii)
वसा का परीक्षण किया जाता है-
(क) नमक से
(ख) स्वाद से
(ग) कागज़ पर मसलने से
(घ) असंभव है।
उत्तर-
(ग) कागज़ पर मसलने से।

प्रश्न (viii)
अंडे के सफेद भाग में होती है-
(क) प्रोटीन
(ख) विटामिन
(ग) शर्करा
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(क) प्रोटीन।

प्रश्न (ix)
ऊर्जा देने वाला पोषक है-
(क) विटामिन
(ख) खनिज
(ग) शर्करा
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(ग) शर्करा।

प्रश्न (x)
शरीर वर्धक भोजन में भरपूर होनी चाहिए-
(क) वसा
(ख) शर्करा
(ग) जल
(घ) प्रोटीन।
उत्तर-
(घ) प्रोटीन।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न (xi)
हड्डियों तथा दाँतों को मजबूत करता है-
(क) लोहा
(ख) मैंगनीज़
(ग) फास्फोरस
(घ) कैल्शियम।
उत्तर-
(घ) कैल्शियम।

प्रश्न (xii)
गायटर (Jघा) रोग भोजन में …………………. की कमी के कारण होता है।
(क) विटामिन K
(ख) विटामिन C
(ग) लोहा
(घ) आयोडीन।
उत्तर-
(घ) आयोडीन।

प्रश्न (xiii)
पेंघा रोग भोजन में …………………. की कमी से होता है।
(क) विटामिन K
(ख) विटामिन C
(ग) लोहा
(घ) आयोडीन।
उत्तर-
(घ) आयोडीन।

प्रश्न (xiv)
प्रोटीन को …………………….. भोजन कहते हैं।
(क) ऊर्जा देना वाला
(ख) रक्षात्मक
(ग) शरीर वर्धक
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(ग) शरीर वर्धक।

प्रश्न (xv)
सूर्य की ऊर्जा से विटामिन ………………….. की प्राप्ति होती है।
(क) B
(ख) C
(ग) D
(घ) A.
उत्तर-
(ग) D.

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

2. खाली स्थान भरें

(i) मछली का तेल विटामिन ………………. का स्रोत है ।
उत्तर-
D

(ii) ………………… शरीर के विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
उत्तर-
पोषक तत्व

(iii) कार्बोहाइड्रेट …………………….. प्रकार के होते हैं।
उत्तर-
दो

(iv) ……………….. को फलों की चीनी भी कहा जाता है।
उत्तर-
फ्रक्टोज

(v) मक्खन …………………….. का स्रोत है।
उत्तर-
वसा।

3. सही या ग़लत चुनें

(i) सुक्रोज हमें फलों से मिलता है।
उत्तर-
गलत

(ii) अनाज वसा का मुख्य स्रोत है।
उत्तर-
गलत

(iii) हमें विटामिनों की आवश्यकता नहीं है।
उत्तर-
गलत

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

(iv) विटामिन A की कमी से रिकेट्स होता है।
उत्तर-
गलत

(v) घी और मक्खन प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं।
उत्तर-
गलत।

4. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) घी और मक्खन (a) विटामिन D
(ii) दूध, अंडे और मांस (b) वसा
(iii) मछली का तेल (c) सुक्रोज
(iv) चीनी (d) रिकेट्स
(v) विटामिन डी (e) प्रोटीन

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) घी और मक्खन (b) वसा
(ii) दूध, अंडे और मांस (e) प्रोटीन
(iii) मछली का तेल (a) विटामिन D
(iv) चीनी (c) सुक्रोज
(v) विटामिन डी (d) रिकेट्स

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब के मुख्य खाद्य पदार्थों में क्या होता है ?
उत्तर-
रोटी, राजमां, सरसों का साग, दही और घी।

प्रश्न 2.
आँध्र प्रदेश के मुख्य खाद्य पदार्थों में क्या होता है ?
उत्तर-
चावल, अरहर की दाल तथा रसम, कुंदरना, मट्ठा, घी, अचार।

प्रश्न 3.
पोषक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पोषक-हमारे खाद्य पदार्थों की कच्ची सामग्री में हमारे शरीर के लिए कुछ आवश्यक घटक होते हैं जिन्हें पोषक कहते हैं।

प्रश्न 4.
हमारे भोजन में मुख्य पोषक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 5.
सजीवों के लिए कार्बोहाइड्रेट का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा प्रदान करने वाला भोजन का प्रमुख भाग है।

प्रश्न 6.
शरीर बनाने वाले भोजन का नाम बताओ।
उत्तर-
प्रोटीन शरीर बनाने वाला भोजन है।

प्रश्न 7.
मानव शरीर के लिए विटामिनों तथा खनिजों की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
विटामिन तथा खनिज पदार्थ मानव शरीर को सुरक्षा प्रदान करने वाले भोजन के रूप में कार्य करते हैं।

प्रश्न 8.
प्रोटीन के स्त्रोत बताओ।
उत्तर-
प्रोटीन के स्रोत-मछली, मांस, दूध, दालें, सोयाबीन तथा अंडे प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं।

प्रश्न 9.
कार्बोहाइड्रेट के स्त्रोत बताओ।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट के स्रोत-गेहूँ, चावल, मक्की, बाजरा, चीनी, आलू तथा शकरकंदी आदि।

प्रश्न 10.
हमारे शरीर में जल की प्रतिशत मात्रा कितनी है ?
उत्तर-
हमारे शरीर में जल की मात्रा 70% है।

प्रश्न 11.
वसा के स्रोतों के नाम बताओ।
उत्तर-
वसा के स्त्रोत-खाना पकाने वाले तेल, मक्खन, घी, दूध, पनीर, मूंगफली इत्यादि वसा के स्रोत हैं।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 12.
विभिन्न खनिजों के नाम बताओ जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, सल्फर, नाइट्रोजन, सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लोहा, जिंक इत्यादि विभिन्न खनिज हैं जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है।

प्रश्न 13.
कार्बोहाइड्रेट अधिक खाने पर मानवीय शरीर को क्या हो सकता है ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में खाने पर मोटापा हो जाता है तथा हृदय के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

प्रश्न 14.
वसा कम खाने से क्या हानि हो सकती है ?
उत्तर-
वसा कम खाने से आंखों की दृष्टि कमज़ोर हो जाती है तथा शरीर कमजोर हो जाता है।

प्रश्न 15.
अधिक मात्रा में वसा खाने पर क्या हानि हो सकती है ?
उत्तर-
अधिक मात्रा में वसा खाने पर हृदय के रोग लग जाते हैं। यकृत की क्रियाशीलता कम हो जाती है।

प्रश्न 16.
सब्जियों तथा फलों को प्रयोग करने से पहले क्यों धोना चाहिए ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों का प्रयोग करने से पहले धोने से इनके ऊपर छिड़के गए रासायनिक पदार्थ तथा मिट्टी साफ हो जाते हैं।

प्रश्न 17.
कौन-से पोषक तत्व रक्षात्मक हैं ?
उत्तर-
विटामिन तथा खनिज पोषक तत्व रक्षात्मक हैं।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 18.
शरीरवर्धक भोजन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
शरीरवर्धक भोजन-प्रोटीन युक्त भोजन को शरीरवर्धक भोजन कहते हैं।

प्रश्न 19.
ऊर्जा देने वाला भोजन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वसा और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन को ऊर्जा देने वाला भोजन कहते हैं।

प्रश्न 20.
विटामिन A का क्या कार्य है ?
उत्तर-
विटामिन A हमारी त्वचा और आंखों को स्वस्थ रखता है।

प्रश्न 21.
विटामिन C का क्या कार्य है ?
उत्तर-
विटामिन C बहुत-से रोगों से लड़ने में हमारी सहायता करता है।

प्रश्न 22.
विटामिन D का क्या कार्य है ?
उत्तर-
विटामिन D हमारी अस्थियों और दांतों के लिए कैल्सियम का उपयोग करने में हमारे शरीर की सहायता करता है।

प्रश्न 23.
विटामिन A के कौन-से स्रोत हैं ?
उत्तर-
विटामिन A के स्रोत हैं-दूध, मछली का तेल, गाजर और पपीता।

प्रश्न 24.
विटामिन C किन खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है?
उत्तर-
संतरा, अमरूद, मिर्च, नींबू, आंवला और टमाटर विटामिन C के स्रोत हैं।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 25.
विटामिन D के कौन-से स्रोत हैं ?
उत्तर-
विटामिन D के स्रोत-दूध, मछली, मक्खन तथा अंडे विटामिन D के मुख्य स्रोत हैं।

प्रश्न 26.
रूक्षांश क्या है ?
उत्तर-
रूक्षांश- हमारे शरीर को पोषकों के अतिरिक्त आहारी रेशों की आवश्यकता होती है। इन आहारी रेशों को रूक्षांश कहते हैं।

प्रश्न 27.
रूक्षांश के मुख्य स्रोत कौन-से हैं ?
उत्तर-
रूक्षांश के स्रोत-रूक्षांश के मुख्य स्रोत साबुत खाद्यान्न दाल, आलू, ताजे फल और सब्जियां हैं।

प्रश्न 28.
रूक्षांश का क्या कार्य है ?
उत्तर-
रूक्षांश के कार्य-रूक्षांश अनपचे भोजन को शरीर में से बाहर निकालने में हमारे शरीर की सहायता करता है।

6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे शरीर को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
हमारे शरीर को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता इस कारण है-

  1. ऊर्जा प्राप्त करने के लिए।
  2. वृद्धि के लिए।
  3. स्वस्थ रहने के लिए।
  4. बीमारियों से बचने के लिए।

प्रश्न 2.
भोजन के विभिन्न समूहों के नाम बताओ।
उत्तर-
भोजन के विभिन्न समूह हैं-

  1. ऊर्जा प्रदान करने वाले भोजन-कार्बोहाइड्रेट तथा वसा।
  2. शरीर बनाने वाले भोजन-प्रोटीन।
  3. रक्षात्मक भोजन-विटामिन और खनिज।

प्रश्न 3.
रक्षात्मक भोजन क्या होते हैं ?
उत्तर-
रक्षात्मक भोजन – वे भोजन जो हमारे शरीर को बीमारियों से बचाते हैं, रक्षात्मक भोजन कहलाते हैं क्योंकि ये हमारे शरीर की साधारण वृद्धि तथा उचित कार्य के लिए आवश्यक होते हैं। विटामिन तथा खनिज रक्षात्मक भोजन हैं।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 4.
संतुलित आहार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
संतुलित आहार – वह आहार जिसमें भोजन के सभी आवश्यक अवयव उचित मात्रा में उपस्थित हों। संतुलित आहार कहलाता है। यह आवश्यक अवयव हैं-कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज तथा पानी।

प्रश्न 5.
हमारे आहार में हरी सब्जियां होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
हमारे आहार में हरी सब्जियां निम्नलिखित कारणों से आवश्यक हैं-

  1. हरी सब्जियों से हमें कई प्रकार के खनिज लवण जैसे कि लोहा, कैल्शियम तथा फॉस्फोरस के लवण प्राप्त होते हैं।
  2. हरी सब्जियों से कई प्रकार के विटामिन प्राप्त होते हैं।
  3. हरी सब्जियाँ रूक्षांश के रूप में कार्य करती हैं तथा हमारे उत्सर्जन तंत्र के कार्य को ठीक करती हैं।
  4. हरी सब्जियाँ खाने से मसूड़ों की कसरत होती है।
  5. मसूड़े मज़बूत रहते हैं तथा दाँत भी सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 6.
कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं ? यह कितनी प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट – ये कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के यौगिक हैं। कार्बोहाइड्रेट से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से मंड और शर्करा के रूप में होते हैं।

प्रश्न 7.
किसी खाद्य पदार्थ में मंड की उपस्थिति का परीक्षण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थ में मंड का परीक्षण – मंड के परीक्षण के लिए आलू जैसी कच्ची सामग्री को एक डिश में अल्प मात्रा में लीजिए। इसमें तनु आयोडीन विलयन की 2 या 3 बूंदें डालिए। खाद्य पदार्थ के रंग में होने वाले परिवर्तन को देखिए। यह नीला काला हो जाएगा। यह नीला काला रंग मंड की उपस्थिति दर्शाता है।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 1

प्रश्न 8.
किसी खाद्य पदार्थ में प्रोटीन का परीक्षण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थ में प्रोटीन का परीक्षण – एक परखनली लीजिए और इसमें थोड़ा सा उबला हुआ अंडा डालिए। फिर इसमें थोड़ा-सा पानी डालकर अच्छी तरह हिलाएं। अब ड्रापर की सहायता से परखनली में दो बूंदें कॉपर सल्फेट के विलयन और दस बूंदें कास्टिक सोडे के विलयन की डालिए। परखनली को अच्छी तरह हिलाकर परखनली को कुछ समय के लिए रख दीजिए। परखनली में बैंगनी रंग हो जाएगा। बैंगनी रंग खाद्य पदार्थ में प्रोटीन की उपस्थिति दर्शाता है।

प्रश्न 9.
तुम खाद्य पदार्थ में वसा का परीक्षण कैसे करोगे ?
उत्तर-
खाद्य पदार्थ में वसा का परीक्षण – मूंगफली के कुछ दानों को एक सफेद कागज़ में लीजिए। अब इसको थोड़ा-सा दबाएं। आपको कागज़ पर तेल के धब्बे दिखाई देंगे। कागज़ को प्रकाश में ध्यान से देखिए। आपको तेल के धब्बे स्पष्ट दिखाई देंगे। इससे सिद्ध होता है कि कागज़ पर तेल का धब्बा खाद्य पदार्थ में वसा की उपस्थिति को दर्शाता है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 10.
कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य क्या है ? कार्बोहाइड्रेट के स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है।
कार्बोहाइड्रेट के स्रोत – आलू, गन्ना, पपीता, गेहूँ, तरबूज, शकरकंद, चावल, आम, मक्का, बाजरा आदि हैं।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 2

प्रश्न 11.
वसा के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ? वसा का मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर-
वसा के स्रोत-मूंगफली, गिरि, तिल, घी, मक्खन, मांस, दूध, मछली, क्रीम और अंडे आदि वसा का मुख्य कार्य ऊर्जा प्रदान करना है। यह कार्बोहाइड्रेट से अधिक ऊर्जा प्रदान करती है।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 3

प्रश्न 12.
ऊर्जा देने वाला भोजन और शरीरवर्धक भोजन किसे कहते हैं ?
उत्तर-

  1. वसा और कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा देने वाला भोजन कहते हैं।
  2. प्रोटीन को शरीर वर्धक भोजन कहते हैं।

प्रश्न 13.
प्रोटीन का क्या कार्य है ? इसके स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
प्रोटीन का कार्य – प्रोटीन शरीर की वृद्धि और मरम्मत के लिए ज़रूरी है।
प्रोटीन के स्रोत-
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 4
पादप स्रोत – चना, मूंग, दाल, राजमां, सोयाबीन, मटर आदि।
जंतु स्रोत – मांस, मछली, दूध, पनीर और अंडे।

प्रश्न 14.
विटामिन क्या होते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
विटामिन (Vitamins) – विटामिन रोगों से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। विटामिन हमारी आंख, अस्थियों, दाँत और मसूढ़ों को स्वस्थ रखने में भी सहायता करते हैं।

विटामिन कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इनमें से कुछ को विटामिन A, विटामिन B, विटामिन C, विटामिन D, विटामिन E तथा विटामिन K के नाम से जाना जाता है। विटामिनों के एक समूह को विटामिन B-कांप्लैक्स कहते हैं। हमारे शरीर को सभी प्रकार के विटामिनों की अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है।

प्रश्न 15.
विटामिन A, C और D का कार्य लिखिए।
उत्तर-
विटामिन A हमारी त्वचा तथा आंखों को स्वस्थ रखता है। विटामिन C बहुत-से रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है। विटामिन D हमारी अस्थियों और दांतों के लिए कैल्शियम का उपयोग करने में हमारे शरीर की सहायता करता है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 16.
विटामिन A और B के स्रोत लिखिए।
उत्तर-
विटामिन A के स्रोत-दूध, मछली का तेल, गाजर, पपीता और आम।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 5
विटामिन B के स्रोत – यकृत, अंकुरित मूंगी साबुत।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 6

प्रश्न 17.
विटामिन C और D के स्रोत लिखिए।
उत्तर-
विटामिन C के स्रोत-संतरा, टमाटर, आंवला, नींबू, अमरूद, मिर्च आदि।
विटामिन D के स्रोत–दूध, मक्खन, मछली, अंडा यकृत।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 7

प्रश्न 18.
खनिज लवणों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
खनिज लवणों का महत्त्व – हमारे शरीर को खनिज लवणों की आवश्यकता अल्प मात्रा में होती है। शरीर के उचित विकास तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक खनिज लवण आवश्यक हैं। लोहा, फास्फोरस, कैल्शियम और आयोडीन जैसे खनिज लवण हमारे शरीर के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 19.
फॉस्फोरस के कौन-से स्रोत हैं ?
उत्तर-फॉस्फोरस के मुख्य स्रोत – दूध, केला, मटर, गूंगी और हरी पत्तेदार सब्जियाँ।
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प्रश्न 20.
लोहे के कौन-से स्रोत हैं ? इसकी कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर-
लोहे के स्रोत – मांस, मछली, सेब, आम, पपीता, हरियां पत्तेदार सब्जियाँ लोहे की कमी से अरक्तता का रोग हो जाता है।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 9

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व

प्रश्न 21.
कैल्शियम के कौन-से स्रोत हैं ? इसकी कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ?
उत्तर-
कैल्शियम हमें मुख्य रूप से दूध, अंडों, हरी पत्तेदार सब्जियों से प्राप्त होता है। इसकी कमी से अस्थियाँ और दंत क्षय रोग हो जाता है।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 2 भोजन के तत्व 10

प्रश्न 22.
फलों और सब्जियों को काटकर क्यों नहीं धोना चाहिए ?
उत्तर-
छिलका उतार कर यदि सब्जियों और फलों को धोया जाता है तो यह संभव है कि उनके कुछ विटामिन नष्ट हो जाएं। सब्जियों और फलों की त्वचा में कई महत्त्वपूर्ण विटामिन तथा खनिज-लवण होते हैं। चावल और दालों को बार-बार धोने से उनमें उपस्थित विटामिन और कुछ खनिज-लवण अलग हो सकते हैं।

प्रश्न 23.
भोजन को अधिक पकाने से क्या हानि होती है ? इससे कैसे बचा जा सकता है ?
उत्तर-
भोजन को अधिक पकाने से भोजन चाहे स्वादिष्ट हो जाता है और आसानी से पच जाता है, परंतु भोजन पकाने में कुछ पोषकों की हानि भी हो सकती है। यदि भोजन पकाने में अत्यधिक जल का उपयोग किया जाता है और बाद में उसे फेंक दिया जाता है तो कई लाभदायक प्रोटीन तथा पर्याप्त मात्रा में खनिज-लवणों की हानि हो जाती है। अधिक पकाने में विटामिन ‘C’ आसानी से गर्मी से नष्ट हो जाता है। हमें अपने आहार में फल और कच्ची सब्जियों को शामिल करना चाहिए।

प्रश्न 24.
मोटापे का क्या कारण है ? कौन-सा भोजन खाने से मोटापा बढ़ता है ?
उत्तर-
मोटापे का कारण – अधिक वसायुक्त भोजन खाने से मोटापा होता है। ज़रूरत से अधिक भोजन खाने से भी मोटापा होता है। तली हुई चीजें, समोसा, पूरी, मलाई, रबड़ी, पेड़ा आदि वसायुक्त भोजन खाने से भी मोटापा होता है।

प्रश्न 25.
अभावजन्य रोग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अभावजन्य रोग – एक व्यक्ति खाने के लिए पर्याप्त भोजन पा रहा है, लेकिन कभी-कभी उसके भोजन में किसी विशेष पोषक तत्व की कमी हो जाती है। यदि यह कमी लंबी अवधि तक रहती है तो वह व्यक्ति उसके अभाव से ग्रसित हो सकता है। एक या अधिक पोषकों का अभाव हमारे शरीर में रोग अथवा विकृतियां उत्पन्न कर सकता है। वे रोग जो लंबी अवधि से पोषक-पदार्थ के अभाव के कारण होते हैं, उन्हें अभावजन्य रोग कहते हैं।

प्रश्न 26.
भोजन में पर्याप्त प्रोटीन न लेने से कौन-सी विकति हो सकती है ?
उत्तर-
यदि कोई व्यक्ति अपने भोजन में पर्याप्त प्रोटीन नहीं ले रहा है तो उसे कुछ रोग हो सकते हैं जिसमें वृद्धि का अवरुद्ध होना, चेहरे पर सूजन, बालों के रंग का उड़ना, त्वचा की बीमारियां और पेचिश जैसे रोग प्रोटीन की कमी से हो सकते हैं।

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7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विटामिन और खनिज लवणों के अभाव के कारण होने वाले रोगों/विकारों का विवरण दीजिए।
उत्तर-
विटामिन और खनिज लवणों के अभाव के कारण होने वाले रोग/विकार

विटामिन/खनिज लवण अभावजन्य रोग/विकार लक्षण
विटामिन A क्षीणता दृष्टिहीनता कमज़ोर दृष्टि, क्षीण प्रकाश में कम दिखाई देना, कभी-कभी पूरी तरह से दिखाई देना बंद हो जाना।
विटामिन B1 बेरी-बेरी दर्बल पेशियां और काम करने की ऊर्जा में कमी
विटामिन C स्कर्वी मसूढ़ों से खून निकलना, घाव भरने में अधिक समय का लगना
विटामिन D रिकेट्स अस्थियों का मुलायम होकर मुड़ जाना
कैल्शियम अस्थियां और दंत क्षय कमज़ोर अस्थियाँ, दंतक्षय
आयोडीन घेघा (गॉयटर) विकार गर्दन की ग्रंथि का फूल जाना, बच्चों में मानसिक विकलांगता
लोहा अरक्तता कमज़ोरी

प्रश्न 2.
भोजन के प्रत्येक अवयव की भूमिका क्या है ?
उत्तर-
भोजन के मुख्य अवयव हैं-प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा, विटामिन तथा खनिज।

I. प्रोटीन का महत्त्व-

  1. प्रोटीन हमारे शरीर के निर्माण, वृद्धि तथा मरम्मत के लिए आवश्यक पदार्थ हैं।
  2. प्रोटीन शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों का निर्माण करते हैं।
  3. ये जीवद्रव्य का एक प्रमुख भाग हैं।
  4. महिलाओं में प्रोटीन दूध का निर्माण करते हैं।
  5. शरीर में एंजाइम और हार्मोन का निर्माण प्रोटीन से होता है।
  6. प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण के साथ-साथ उनकी रक्षा भी करते हैं।

II. कार्बोहाइड्रेट्स का महत्त्व-

  1. कार्बोहाइड्रेट्स ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। दैनिक जीवन में अभीष्ट ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट्स के ऑक्सीजन से प्राप्त होती है। इसके 1 ग्राम पूर्ण दहन से 17 किलो जूल ऊष्मा प्राप्त होती है।
  2. कार्बोहाइड्रेट्स रक्त में रक्त-शक्कर अनुपात को स्थिर रखते हैं।
  3. दूध पिलाने वाली माताओं में ग्लूकोज़ को लेक्टोस में बदला जाता है।
  4. मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स चर्बी या वसा में परिवर्तित होते रहते हैं।
  5. कार्बोहाइड्रेट्स से लैक्टिक एसिड और अमोनिया प्राप्त होते हैं। इनके फिर प्रोटीन बनाए जाते हैं।

III. वसा का महत्त्व-

  1. वसा ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। इससे प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट्स से दुगुनी ऊर्जा मिलती है।
  2. वसा विटामिन A, D, E तथा K का मुख्य स्रोत है।
  3. वसा से कार्बोहाइड्रेट्स तथा एमीनो अम्ल बनाए जा सकते हैं।
  4. वसा को शरीर में एकत्र किया जा सकता है।
  5. मानव शरीर में वसा ऑक्सीजन से फॉस्फोलिपिडस बनते हैं। ये जीव द्रव्य के मुख्य अंग हैं तथा रक्त के जमने में सहायता करते हैं।

IV. विटामिन का महत्त्व-

  1. विटामिन हमारे भोजन का मुख्य अंग हैं। यद्यपि इनसे ऊर्जा प्राप्त नहीं होती फिर भी ये मानव शारीरिक
    क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं।
  2. विटामिन के बिना स्वास्थ्य ठीक रखना कठिन है।
  3. पौधे सरल पदार्थों से विटामिन बना लेते हैं परंतु प्राणी इनका संश्लेषण नहीं कर सकते।
  4. इनकी कमी के कारण शरीर में कई अनियमितताएं पैदा हो जाती हैं।

V. खनिज का महत्त्व-

  1. ये हड्डियां तथा दांत बनाते हैं।
  2. ये लाल रक्ताणुओं के निर्माण के लिए ज़रूरी हैं।
  3. ये रक्त के जमने में सहायक होते हैं।
  4. ऊतकों, तंत्रिकाओं तथा थायरॉयड ग्रंथि के कार्य के लिए इनकी आवश्यकता होती है।
  5. जीवन की गतिविधियों के लिए कई प्रकार के खनिज तत्वों की आवश्यकता होती है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 1 भोजन :यह कहाँ से आता है?

Punjab State Board PSEB 6th Class Science Book Solutions Chapter 1 भोजन :यह कहाँ से आता है? Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Science Chapter 1 भोजन :यह कहाँ से आता है?

PSEB 6th Class Science Guide भोजन :यह कहाँ से आता है? Textbook Questions, and Answers

1. खाली स्थान भरें

(i) भोजन पदार्थ बनाने के लिए आवश्यक सामग्री को …………………. कहते हैं।
उत्तर-
संघटक

(ii) अंडे के सफेद भाग को ……………. कहते हैं।
उत्तर-
एल्बुमिन

(iii) पौधे …………………… क्रिया के द्वारा अपना भोजन आप तैयार करते हैं।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण

(iv) सरसों के ………………. तथा …………………… भाग भोजन के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
उत्तर-
पत्ते, बीज

(v) शहद की मक्खी फूलों से ………………………. एकत्र करती है।
उत्तर-
मकरंद।

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2. सही या ग़लत

(i) सभी जानवर मांसाहारी होते हैं।
उत्तर-
ग़लत

(ii) शकरकंद की जड़ को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
सही

(iii) अंडा एक बढ़िया भोजन पदार्थ नहीं है क्योंकि इसमें प्रोटीन नहीं होते।
उत्तर-
ग़लत

(iv) गन्ने के तने को जूस, चीनी, गुड़ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
सही

(v) मक्खन, दहीं और शहद दूध से बने पदार्थ हैं।
उत्तर-
ग़लत

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3. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) गाजर (क) दालें
(ii) चने, मटर (ख) फल
(iii) गेहूँ, चावल (ग) जड़
(iv) आलू (घ) अनाज
(v) संतरा (ङ) तना

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कालम ‘ख’
(i) गाजर (ग) जड़
(ii) चने, मटर (क) दालें
(iii) गेहूँ, चावल (घ) अनाज
(iv) आलू (ङ) तना
(v) संतरा (ख) फल

4. सही विकल्प का चयन करें

प्रश्न (i)
निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाहारी जानवर है ?
(क) शेर
(ख) बाज
(ग) हिरन
(घ) कौआ
उत्तर-
(घ) कौआ ।

प्रश्न (ii)
बंदगोभी का कौन-सा भाग भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है ?
(क) तने
(ख) जड़ें
(ग) पत्ते
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-
(ग) पत्ते।

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
संघटक क्या होते हैं ?
उत्तर-
भोजन बनाने के लिए जिन पदार्थों की आवश्यकता होती है उन्हें संघटक कहते हैं।

प्रश्न (ii)
दूध से बनाए जाने वाले कोई तीन उत्पादों के नाम लिखें।
उत्तर-
पनीर, मक्खन, दही और क्रीम।

प्रश्न (iii)
भोजन पदार्थों में मसाले के तौर प्रयोग किए जाने वाले कोई दो बीजों के नाम बताएं।
उत्तर-
अदरक और हल्दी।

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6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न (i)
बीज मानवीय भोजन का मख्य स्रोत कैसे हैं?
उत्तर-
बीज हमारे भोजन के महत्त्वपूर्ण तत्व हैं। चना, राजमाह और हरे चने (मूंग) के बीज दालें हैं । ये प्रोटीन के समृद्ध स्रोत हैं। गेहूँ, चावल और मक्का जैसे घास के पौधों के बीज अनाज के रूप में जाने जाते हैं। ये कार्बोहाइड्रेट के अच्छे स्रोत हैं। सरसों, मूंगफली और नारियल जैसे कई पौधों के बीज खाद्य तेलों के अच्छे स्रोत होते हैं।

प्रश्न (ii)
जीवित प्राणियों के लिए भोजन का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भोजन बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह-

  1. कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
  2. शरीर की वृद्धि और विकास में मदद करता है।
  3. हमें रोगों से बचाता है।
  4. हमें स्वस्थ रखता है। .
  5. शरीर के घायल अंगों को ठीक करने में मदद करता है।

प्रश्न (iii)
जानवरों से प्राप्त किए जाने वाले किन्हीं दो भोजन पदार्थों के बारे में संक्षिप्त में लिखें ।
उत्तर-
हमें जानवरों से अलग-अलग खाद्य उत्पाद मिलते हैं। दूध, अंडे, मांस, शहद आदि इनके कुछ उदाहरण हैं।
दूध और दूध उत्पाद – दूध का उपयोग दुनिया भर में भोजन के रूप में किया जाता है। इसे पनीर, मक्खन, दही, मलाई आदि जैसे डेयरी उत्पादों में भी परिवर्तित किया जाता है। हम भैंस, गाय, और बकरी के दूध का उपयोग करते हैं। दूध में प्रोटीन, चीनी, वसा और विटामिन होते हैं। यह सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है।

शहद – शहद मधुमक्खियों द्वारा निर्मित मीठा और गाढ़ा तरल पदार्थ है। मधुमक्खियां फूलों से मकरंद इकट्ठा करती हैं और उसे शहद में बदल कर अपने छत्तों में जमा कर लेती हैं। शहद मेचीनी, पानी, खनिज, एंजाइम और विटामिन होते हैं। प्राचीन काल से शहद का उपयोग भोजन और औषधि के रूप में किया जा रहा है।

7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न (i)
भोजन से संबंधित आदतों के आधार पर जानवरों को किस तरह श्रेणीबद्ध किया गया है ? उदाहरणों की सहायता के साथ व्याख्या करें।
उत्तर-
हम जानवरों को उनके भोजन की आदतों के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं। ये हैं-

  1. शाकाहारी,
  2. मांसाहारी और
  3. सर्वाहारी।

(1) शाकाहारी – वे जानवर जो केवल पौधों और पौधों के उत्पादों को खाते हैं शाकाहारी कहलाते हैं । जैसे गाय, बकरी, खरगोश, भेड़, हिरण, हाथी, आदि।
(2) मांसाहारी – वे जानवर जो भोजन के लिए अन्य जानवरों को खाते हैं, मांसाहारी कहलाते हैं । जैसे शेर, बाघ, छिपकली, सांप, आदि।
(3) सर्वाहारी – वे जानवर जो भोजन के लिए पौधे और जानवर दोनों खाते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं। जैसे कौआ, भालू, कुत्ता और चूहा, आदमी, आदि ।

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Science Guide for Class 6 PSEB भोजन :यह कहाँ से आता है? Intext Questions and Answers

सोचें और उत्तर दें (पेज 2)

प्रश्न 1.
भोजन पदार्थों को बनाने के लिए जरूरी सामान को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
संघटक।

प्रश्न 2.
खीर बनाने के लिए कौन-सी सामग्री प्रयोग की जाती है?
उत्तर-
दूध, चावल, चीनी और सूखे मेवे।

सोचें और उत्तर दें (पेज 4)

प्रश्न 1.
पौधे का वह भाग जिसे खाने के लिए प्रयोग किया जाता है, को क्या कहते है ?
उत्तर-
खाद्य भाग ।

प्रश्न 2.
आम के पौधे का कौन-सा भाग खाने के लिए योग्य होता है?
उत्तर-
फल ।

सोचें और उत्तर दें (पेज 6)

प्रश्न 1.
ऐसे दो जानवरों के नाम बताएं, जो केवल पौधों या पौधों से प्राप्त उत्पाद ही खाते हैं।
उत्तर-
गाय और बकरी

प्रश्न 2.
ऐसे दो जानवरों के नाम बताएं, जो केवल मांस ही खाते हैं।
उत्तर-
शेर और बाघ ।

प्रश्न 3.
दो ऐसे जानवरों के नाम बताएं, जो भोजन के लिए पौधों और जंतुओं दोनों पर निर्भर करते हैं। भोजन से सम्बन्धित आदतों में भिन्नता के आधार पर।
उत्तर-
बिल्ली और कुत्ता ।

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PSEB Solutions for Class 6 Science भोजन के तत्व Important Questions and Answers

1. बहुविकल्पीय प्रश्न लाया

प्रश्न (i)
यह खाद्य पदार्थ नाश्ते में खाया जाता है-
(क) मांस
(ख) दलिया
(ग) फल
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(घ) सभी विकल्प ।

प्रश्न (ii)
दूध प्राप्त होता है
(क) फलों से
(ख) पौधों से
(ग) पशुओं से
(घ) सभी विकल्प ।
उत्तर-
(ग) पशुओं से ।

प्रश्न (iii)
अंकुरित बीजों में मात्रा अधिक होती है-
(क) कार्बोहाइड्रेट्स
(ख) वसा
(ग) प्रोटीन
(घ) जल ।
उत्तर-
(ग) प्रोटीन ।

प्रश्न (iv)
शकरकंदी से हमें मिलती है-
(क) वसा
(ख) शक्कर
(ग) शहद
(घ) दूध ।
उत्तर-
(ख) शक्कर ।

प्रश्न (v)
केवल पौधे खाने वाले जंतु कहलाते हैं-
(क) मांसाहारी
(ख) शाकाहारी
(ग) सर्वाहारी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) शाकाहारी।

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प्रश्न (vi)
मांसाहारी जीव खाते हैं-
(क) पौधे
(ख) पौधे और मांस
(ग) मांस
(घ) कुछ भी नहीं।
उत्तर-
(ग) मांस।

प्रश्न (vii)
अंडे देते हैं-
(क) मुर्गी
(ख) छिपकली
(ग) कछुआ
(घ) सभी विकल्प।
उत्तर-
(घ) सभी विकल्प।

प्रश्न (viii)
खीर के संघटक हैं-
(क) दूध, चीनी, चावल
(ख) दूध, आटा, चीनी
(ग) पानी, चीनी, चावल
(घ) पानी, आटा, चीनी ।
उत्तर-
(क) दूध, चीनी, चावल ।

प्रश्न (ix)
दूध का उत्पाद नहीं है-
(क) खीर
(ख) दहीं
(ग) दाल
(घ) पनीर।
उत्तर-
(ग) दाल।

प्रश्न (x)
गाजर एक …………………… है जो हम खाते हैं।
(क) तना
(ख) जड़
(ग) फूल
(घ) फल।
उत्तर-
(ख) जड़।

प्रश्न (xi)
दूसरे जीवों को खाने वाले जीवों को क्या कहते हैं ?
(क) शाकाहारी
(ख) मांसाहारी
(ग) परजीवी
(घ) सर्वाहारी ।
उत्तर-
(ख) मांसाहारी ।

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2. खाली स्थान भरें

(i) सिंह ………………….. और बकरी …………………. है ।
उत्तर-
मांसाहारी, शाकाहारी

(ii) कौआ, कुत्ता और बिल्ली ……………………. हैं ।
उत्तर-
सर्वाहारी

(iii) जीवों से प्राप्त भोजन को …………………….. कहा जाता है ।
उत्तर-
पशु उत्पाद

(iv) पौधों से प्राप्त भोजन को …………………. कहा जाता है ।
उत्तर-
वनस्पति उत्पाद

(v) गन्ना हमें ……………………….. देता है ।
उत्तर-
चीनी ।

3. सही या ग़लत चुनें

(i) जो जानवर दूसरे जानवरों का मांस खाते हैं, वे शाकाहारी कहलाते हैं ।
उत्तर-
गलत

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(ii) दूध से ही हमें प्रोटीन मिलता है ।
उत्तर-
गलत

(iii) सरसों के बीज तेल के स्रोत हैं ।
उत्तर-
सही

(iv) गिद्ध विभाजक हैं ।
उत्तर-
गलत

(v) तोता सर्वाहारी है ।
उत्तर-
गलत

4. कॉलम ‘क’ और कॉलम ‘ख’ का उचित मिलान करें

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) दूध (a) गन्ना
(ii) शहद (b) ऊँठनी
(iii) चीनी (c) खरगोश
(iv) शाकाहारी (d) कवक
(v) विभाजक (e) मधुमक्खी

उत्तर-

कॉलम ‘क’ कॉलम ‘ख’
(i) दूध (b) ऊँठनी
(ii) शहद (e) मधुमक्खी
(ii) चीनी (a) गन्ना
(iv) शाकाहारी (c) खरगोश
(v) विभाजक (d) कवक

5. अति लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
चार खाद्य पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर-
खाद्य पदार्थ-रोटी, चावल, दाल, फूलगोभी।

प्रश्न 2.
कच्ची सामग्री किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कच्ची सामग्री – खाद्य पदार्थ बनाने के लिए प्रयोग की जाने वाली सामग्री को कच्ची सामग्री कहते हैं। जैसे चावल बनाने के लिए पानी और चावल कच्ची सामग्री है।

प्रश्न 3.
दाल बनाने के लिए कौन-सी कच्ची सामग्री चाहिए ?
उत्तर-
दाल बनाने के लिए कच्ची दाल, जल, नमक, तेल, घी, मसाले आदि चाहिए।

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प्रश्न 4.
सब्जी बनाने के लिए कौन-से संघटनों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
कच्ची सब्जी, नमक, वसा, मसाला, तेल आदि की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
संघटक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संघटक-खाद्य पदार्थ तैयार करने के लिए जो पदार्थ प्रयोग किये जाते हैं, उन्हें संघटक कहते हैं।

प्रश्न 6.
जंतुओं से हमें कौन-से खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-
जंतुओं से हमें दूध, अंडे, मछली, मांस, मुर्गा और झींगा आदि प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 7.
पौधे से कौन-से खाद्य संघटक प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-
पौधे से हमें सब्जियाँ, फल आदि संघटक प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 8.
दूध देने वाले पशुओं के नाम लिखो।
उत्तर-
गाय, भैंस और बकरी से हमें दूध प्राप्त होता है।

प्रश्न 9.
दूध के उत्पादों के नाम लिखिए।
उत्तर-
दूध से हमें मक्खन, क्रीम, घी, पनीर और दही आदि मिलते हैं।

प्रश्न 10.
किन पौधों के पत्तों को खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
पालक, सरसों और मेथी के पत्तों को खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
किन पौधों के तनों को खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
आलू, प्याज, लहसुन और कचालू के तने को खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किया है।

प्रश्न 12.
किस पौधे के फल को खाद्य भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
आम का फल ।

प्रश्न 13.
किसी एक पौधे का नाम बताओ जिसके विभिन्न भाग खाए जाते हैं ।
उत्तर-
सरसों के पत्ते से साग बनता है तथा इसके बीजों से तेल प्राप्त किया जाता है ।

प्रश्न 14.
अंकुरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अंकुरण – बीजों के पुंगरने अथवा अंकुरित होने को अंकुरण कहते हैं।

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प्रश्न 15.
दो शाकाहारी जंतुओं के नाम बताओ।
उत्तर-
भैंस और बकरी ।

प्रश्न 16.
दो मांसाहारी जंतुओं के नाम बताओ।
उत्तर-
शेर और छिपकली।

प्रश्न 17.
दो सर्वाहारी जंतुओं के नाम बताओ।
उत्तर-
मनुष्य और कौआ।

6. लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
जो आहार हम खाते हैं वह कहां से आता है ?
उत्तर-
जो आहार हम रोज़ाना खाते हैं वह हमें पौधों और जंतुओं से प्राप्त होता है।

प्रश्न 2.
पौधों से हमें कौन-कौन से खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-
पौधों से हमें अनाज, दालें, सब्जियाँ, मसाले, तेल, फूल और फल खाद्य पदार्थों के रूप में प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 3.
आपके द्वारा दिन में खाये गये खाद्य पदार्थों की सूची बनाएं।
उत्तर-
दूध, चपाती, दाल, सब्जी, फल, ब्रैड, पकौड़े, खीर आदि।

प्रश्न 4.
इडली खाद्य पदार्थ बनाने के लिए प्रयोग की गई कच्ची सामग्री और उसके स्रोतों के नाम बताओ।
उत्तर-

खाद्य मद कच्ची सामग्री स्रोत
इडली चावल पौधा
उड़द की दाल पौधा
नमक समुद्र
जल जल स्रोत

प्रश्न 5.
चिकन करी खाद्य मद के लिए कच्ची सामग्री और स्रोत बताएं।
उत्तर-

खाद्य मद कच्ची सामग्री स्रोत
चिकन करी चिकन (मुर्गा) जंतु
मसाला पौधा
तेल/घी पौधा/जंतु
जल जल स्रोत

प्रश्न 6.
बैंगन का भर्ता में से उन संघटकों को छांटिए जिनका मुख्य स्रोत पौधे हैं। यह पौधों के किन भागों से प्राप्त होते हैं ?
उत्तर-

खाद्य पदार्थ संघटक पौधे का भाग जो हमें संघटक देता है
बैंगन का भर्ता बैंगन फल
मिर्च (मसाले के रूप में) फल
तेल (मूंगफली, सरसों, बीज सोयाबीन) बीज

प्रश्न 7.
भैंस और बिल्ली द्वारा खाये जाने वाले भोजन पदार्थों के नाम लिखो।
उत्तर-

जीव का नाम खाया जाने वाला भोजन
(1) भैंस (1) घास, खली, भूसा, अनाज, पत्ती
(2) बिल्ली (2) छोटे जंतु, पक्षी, दूध।

प्रश्न 8.
शाकाहारी, मांसाहारी और सर्वाहारी जंतुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
शाकाहारी – जो जंतु केवल पौधे और पादप उत्पाद खाते हैं उन्हें शाकाहारी कहते हैं; जैसे-गाय, भैंस।
मांसाहारी – जो जंतु दूसरे जंतुओं को खाते हैं उन्हें मांसाहारी कहते हैं; जैसे-शेर, मेंढक, छिपकली। सर्वाहारी-जो जंतु अपना भोजन पौधों और जंतुओं दोनों से प्राप्त करते हैं उन्हें सर्वाहारी कहते हैं; जैसे-मनुष्य और कौआ।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित जंतुओं में से मांसाहारी, शाकाहारी और सर्वाहारी वर्गों के जंतु छांटिए। भैंस, बकरी, चूहा, बिल्ली, शेर, बाघ, मकड़ी, गाय, छिपकली, मनुष्य, तितली, कौआ।
उत्तर-
मांसाहारी – शेर, बाघ, मकड़ी, छिपकली।
शाकाहारी – भैंस, बकरी, गाय, तितली, चूहा।
सर्वाहारी – बिल्ली, मनुष्य, कौआ।

प्रश्न 10.
अंकुरित बीजों को खाने के लिए कैसे तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 1 भोजन यह कहाँ से आता है 1
मूँग अथवा चने के कुछ सूखे बीज लीजिए। इनमें से कुछ बीजों को जल से भरे एक पात्र में डाल दें तथा एक दिन के लिए छोड़ दीजिए। अगले दिन जल को पूरी तरह निकाल दें और बीजों को गिलास में रहने दें और एक गीले कपड़े से ढक दें। पूरा दिन पड़ा रहने दें। सुबह उनमें से छोटे-छोटे पौधे उगने शुरू हो चित्र-अंकुरित बीज जाएंगे। यह अंकुरित बीज हैं। इनमें कुछ मसाले और नमक मिलाकर खायें, यह स्वादिष्ट अल्पाहार है।

प्रश्न 11.
शहद कैसे प्राप्त होता है ?
उत्तर-
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 1 भोजन यह कहाँ से आता है 2
शहद की प्राप्ति – शहद हमें मधुमक्खियों के छत्ते से प्राप्त होता है। मधुमक्खियाँ पेड़ों पर छत्ते बनाती हैं। ये मधुमक्खियाँ फूलों से पराग एकत्रित करती हैं और इसे अपने छत्ते में भंडारित करती हैं। फूल और उनका मकरंद वर्ष के केवल कुछ समय में ही उपलब्ध होते हैं। मधुमक्खियों द्वारा भंडारित भोजन को हम शहद के रूप में उपयोग करते हैं।
चित्र–मधुमक्खियों का छत्ता

प्रश्न 12.
जंतु क्या खाते हैं ?
उत्तर-
जंतुओं का भोजन – विभिन्न जंतु विभिन्न प्रकार का भोजन खाते हैं। कुछ जंतु केवल पादप और उनके उत्पाद खाते हैं; जैसे गाय, भैंस और बकरी। ऐसे जंतुओं को शाकाहारी कहते हैं। कुछ जंतु दूसरे जंतुओं का मांस खाते हैं; जैसेछिपकली, कबूतर, गिलहरी, मेंढक, शेर और बाघ आदि। इन जंतुओं को मांसाहारी कहते हैं। कुछ जंतु पौधों के उत्पाद और दूसरे जंतुओं का मांस खाते हैं। ऐसे जंतुओं को सर्वाहारी कहते हैं; जैसे-मनुष्य, कौआ और बिल्ली आदि।

प्रश्न 13.
खाद्य सामग्री के कौन-से स्रोत हैं ?
उत्तर-
खाद्य सामग्री के स्रोत – पौधे और जंतु खाद्य सामग्री के स्रोत हैं। पौधों से हमें अनाज, फल, सब्जियाँ, बीज, तेल आदि प्राप्त होते हैं। जंतुओं से हमें खाद्य पदार्थ के रूप में दूध, अंडा, मुर्गा, मछली, झींगा, मांस आदि प्राप्त होता है।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 1 भोजन यह कहाँ से आता है 3

प्रश्न 14.
भोजन के रूप में पौधे के कौन-से भाग खादय पदार्थ के रूप में प्रयोग किए जाते हैं ?
उत्तर-
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 1 भोजन यह कहाँ से आता है 4
पौधे हमारे भोजन का एक मुख्य स्रोत हैं। हम पौधे के कई भागों का उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में करते हैं। हम पत्तियों वाली अनेक सब्जियाँ खाते हैं। कुछ पौधों के फलों को भोजन के रूप में खाते हैं। कभी हम जड़, कभी तना तो कभी पुष्प भी भोजन के रूप में खाते हैं। जैसे-सीताफल के फूलों को चावल की पिठी में डुबोकर और तलकर पकौड़ी बनाकर खाया जाता है।

कुछ पौधों के दो या दो से अधिक भाग खाने योग्य होते हैं। जैसे-सरसों के बीज से हमें तेल प्राप्त होता है एवं इसकी पत्तियों का उपयोग साग बनाने के लिए किया जाता है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 1 भोजन :यह कहाँ से आता है?

प्रश्न 15.
अनाज, दालें, सब्ज़ियाँ तथा फल कहाँ से प्राप्त होते हैं तथा ये किस प्रकार के जंतुओं का भोजन हैं?
उत्तर-
अनाज, दालें, सब्जियाँ तथा फल हमें पौधों से प्राप्त होते हैं। ये सभी शाकाहारी तथा सर्वआहारी जंतुओं का भोजन हैं।

7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इडली, चिकन करी और खीर के लिए प्रयोग की जाने वाली कच्ची सामग्री और उनके स्रोत लिखिए।
उत्तर-
इडली, चिकन करी और खीर के संघटक और स्रोत-
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 1 भोजन यह कहाँ से आता है 5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित जंतुओं द्वारा खाये जाने वाले भोजन पदार्थों के नाम लिखिए-
भैंस, बिल्ली, चूहा, शेर, बाघ, मकड़ी, छिपकली, गाय, मनुष्य, तितली, कौआ।
उत्तर-
जंतु और उनका भोजन

जीव का नाम खाया जाने वाला भोजन
भैंस घास, खली, भूसा, अनाज, पत्ती
बिल्ली छोटे जंतु, पक्षी, दूध
चूहा अनाज, चपाती, फल, तेल, घी आदि
शेर दूसरे प्राणियों का मांस
बाघ दूसरे प्राणियों का मांस
मकड़ी छोटे कीड़े-मकौड़े और पतंगे
छिपकली कीड़े-मकौड़े, पतंगे
गाय घास, भूसा, अनाज, खाली।
मनुष्य अनाज और अन्य पौधा उत्पाद और मांस मछली और अंडा
तितली फूलों का मकरंद
कौआ अनाज, चपाती, फल, दाने और दूसरे प्राणियों का मास

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड)

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड)

PSEB 11th Class Economics केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बहुलक किसी श्रेणी के उस मूल्य को कहते हैं जोकि श्रेणी में सबसे अधिक बार आता है।

प्रश्न 2.
अखण्डित श्रेणी में बहुलक के माप का सूत्र लिखें।
उत्तर-
Z = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}} \times i \)

प्रश्न 3.
किसी श्रेणी की समान्तर औसत 5 और मध्यका 4 है। बहुलक ज्ञात करें।
उत्तर-
Z = 3 Median – 2 Mean
Z = 3(4) – 2(5)
Z = 12 – 10 = 2
Z = 2 उत्तर

प्रश्न 4.
बहुलक का कोई एक गुण लिखें।
उत्तर-
बहुलक सबसे सरल औसत है जिसको आसानी से समझा जा सकता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड)

प्रश्न 5.
बहुलक का कोई एक अवगुण लिखें।
उत्तर-
बहुलक बाकी की औसतों से सबसे अनिश्चित औसत है।

प्रश्न 6.
वह मूल्य जो श्रृंखला में सबसे अधिक बार आता है उसको ……. कहते हैं।
उत्तर-
बहुलक।

प्रश्न 7.
बहुलक का व्यावहारिक महत्त्व बताओ।
उत्तर-
बहुलक उत्पादन, जलवायु, वर्षा, तापमान आय आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक का अर्थ बताओ।
उत्तर-
किसी श्रेणी में वह मूल्य जो सबसे अधिक आता है, उसको श्रेणी का बहुलक कहा जाता है अथवा जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है, उस मद को बहुलक कहते हैं। उदाहरणस्वरूप एक कक्षा में 50 बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों के भार का तोल किया गया। 30 बच्चों का भार 40 किलोग्राम है। 40 किलोग्राम को बहुलक कहा जाता है। बहुलक अंग्रेजी भाषा के अक्षर Z द्वारा प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 2.
बहुलक के कोई दो गुण बताओ।
उत्तर-
बहुलक के मुख्य गुण निम्नलिखित अनुसार हैं-

  1. सरल विधि-बहुलक की गणना करने की विधि बहुत सरल है। निरीक्षण द्वारा आंकड़ों को एक नज़र में देखने से बहुलक ज्ञात हो जाता है।
  2. सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव-बहुलक पर सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव पड़ता है। केवल उन इकाइयों का प्रभाव पड़ता है, जिनकी आवृत्ति अधिक होती है।

प्रश्न 3.
बहुलक के कोई दो दोष बताएं।
उत्तर-

  1. समूहीकरण सारणी पर आधारित-बहुलक की गणना करते समय समूहीकरण सारणी तथा विश्लेषण सारणी का निर्माण करना पड़ता है। समूहीकरण करते समय यदि मद ऊपर अथवा नीचे रह जाए तो बहुलक के मूल्य में अन्तर पड़ जाता है।
  2. प्रतिनिधि औसत नहीं-बहलक प्रतिनिधि औसत नहीं होती। 60 विद्यार्थियों की कक्षा में Zero अंक लेने वाले 5 विद्यार्थी हैं। शेष विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों की आवृत्ति 5 से कम है। इस स्थिति में बहुलक Zero होगा। यह आंकड़ों का ठीक प्रतिनिधित्व नहीं करता।

प्रश्न 4.
किसी वितरण की समान्तर औसत 25 है तथा मध्यका 27 है। बहुलक की गणना करो।
उत्तर-
Z = 3 Median – 2 Mean
2 = 3 (27)-2 (25)
– Z = 81 – 50 = 31 उत्तर

प्रश्न 5.
किस श्रेणी वितरण की बहुलक 40 है तथा मध्यका 30 दी हुई है। गणितक औसत (\(\overline{\mathbf{X}}\) ) ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
Z = 3 Median – 2\(\overline{\mathbf{X}}\)
40 = 3 (30) – 2 (\(\overline{\mathbf{X}}\) )
40 = 90 – 2 (\(\overline{\mathbf{X}}\) )
2\(\overline{\mathbf{X}}\) = 90 – 40 = 50
\(\overline{\mathbf{X}}\) = \(\frac{50}{2}\) = 25 उत्तर

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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक के गुण बताओ।
उत्तर-
बहुलक के मुख्य गुण निम्नलिखित अनुसार हैं-

  1. सरल विधि-बहुलक की गणना करने की विधि बहुत सरल है। निरीक्षण द्वारा आंकड़ों को एक नज़र में देखने से बहुलक ज्ञात हो जाता है।
  2. सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव-बहुलक पर सीमांत इकाइयों का कम प्रभाव पड़ता है। केवल उन इकाइयों का प्रभाव पड़ता है, जिनकी आवृत्ति अधिक होती है।
  3. व्यापारिक क्षेत्र में महत्त्व-बहुलक का महत्त्व विशेष तौर पर व्यापारिक क्षेत्र में अधिक होता है। एक फ़र्म द्वारा बूट, कमीज़ों, पैंटों इत्यादि के उत्पादन सम्बन्धी निर्णय बहुलक की मदद से लिए जाते हैं।
  4. गुणात्मक माप-ऐसी श्रेणी का बहुलक भी पता किया जा सकता है जिसमें गुणात्मक आधार पर वर्गीकरण किया गया है।
  5. ग्राफ द्वारा निर्धारण-मध्यका की तरह बहुलक की गणना ग्राफ द्वारा की जा सकती है।
  6. प्रतिनिधि औसत-बहुलक उन मदों में पाया जाता है, जिसके इर्द-गिर्द बहुत अधिक आंकड़े केन्द्रित होते हैं। इस कारण इसको प्रतिनिधि औसत भी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
बहुलक के अवगुण बताओ।
उत्तर-
बहुलक के मुख्य अवगुण निम्नलिखित अनुसार हैं –

  1. अनिश्चित परिभाषा-बहुलक की निश्चित परिभाषा नहीं दी जा सकती। कई बार दो अथवा दो से अधिक बहुलक हो सकते हैं।
  2. माप में कठिनाई-जब सभी मदों की संख्या समान होती है तो ऐसी स्थिति में बहुलक के माप में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
  3. बीजगणित प्रयोग सम्भव नहीं-बहुलक बीजगणित प्रयोग के लिए सम्भव नहीं होता। इसलिए इस औसत का प्रयोग सांख्यिकी की अन्य विधियों में बहुत कम किया जाता है।
  4. समूहीकरण सारणी पर आधारित-बहुलक़ की गणना करते समय समूहीकरण सारणी तथा विश्लेषण सारणी का निर्माण करना पड़ता है। समूहीकरण करते समय यदि मद ऊपर अथवा नीचे रह जाए तो बहुलक के मूल्य में अन्तर पड़ जाता है।
  5. प्रतिनिधि औसत नहीं-बहुलक प्रतिनिधि औसत नहीं होती। 60 विद्यार्थियों की कक्षा में Zero अंक लेने वाले 5 विद्यार्थी हैं। शेष विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों की आवृत्ति 5 से कम है। इस स्थिति में बहुलक Zero होगा। यह आंकड़ों का ठीक प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  6. साधारण मनुष्य को ज्ञान न होना-समान्तर औसत को प्रत्येक मनुष्य आसानी से समझ जाता है। परन्तु बहुलक का ज्ञान साधारण मनुष्यों को नहीं होता। इस कारण यह औसत लोक प्रिय नहीं।

प्रश्न 3.
केन्द्रीय प्रवृत्ति की औसतें, समान्तर औसत, मध्यका तथा बहुलक में से कौन-सी औसत उत्तम होती है?
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप के लिए कई औसतें हैं, जैसे कि समान्तर औसत, मध्यका, बहुलक इत्यादि। इन औसतों में से कौन-सी उत्तम होती है। इसका निर्णय अग्रलिखित तत्त्वों को देखकर किया जा सकता है-

  1. अनुसन्धान का उद्देश्य-अनुसन्धान का उद्देश्य ध्यान में रखकर यह निर्णय किया जाता है कि कौन-सी औसत अच्छी है। यदि सबसे अधिक बार आने वाली मद का पता करना हो तो बहुलक अच्छी औसत होती है। परन्तु यदि सब मदों को समान महत्त्व देना हो तो समान्तर औसत को अच्छी औसत माना जाता है। गुणात्मक तुलना की स्थिति में मध्यका को अच्छी औसत माना जाता है।
  2. सीमान्त मदों का महत्त्व-सीमान्त मदों को अधिक महत्त्व देना हो तो समान्तर औसत अच्छी होगी।
  3. तुलना में महत्त्व-तुलनात्मक अध्ययन करना हो तो समान्तर औसत अच्छी औसत होती है। परन्तु वितरण के मध्य का ज्ञान प्राप्त करना हो तो मध्यका तथा बहुलक को अच्छा माना जाता है।
  4. मदों की संख्या-यदि मदों की संख्या कम होती है तो समान्तर औसत अच्छे परिणाम प्रदान करती हैमदों की संख्या अधिक होने की स्थिति में मध्यक अथवा बहुलक अच्छी औसत होती है।
  5. गुणात्मक अध्ययन-इस उद्देश्य के लिए मध्यका अच्छी औसत मानी जाती है। इस प्रकार बहुत-से तत्त्व इस बात का निर्णय लेने में सहायक होते हैं कि कौन-सी औसत उचित परिणाम प्रदान करेगी।

प्रश्न 4.
रेखाचित्रों द्वारा औसत, मध्यका तथा बहुलक के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-

  1. एक समान ढाल-जब आवृत्ति वितरण इस प्रकार की होती है कि टल्ली जैसे आकार की रेखाचित्र बनती है, तो इस स्थिति में औसत = मध्यका = बहुलक होते हैं।
  2. धनात्मक ढाल-यदि विषमता धनात्मक ढाल जैसी होती है अर्थात् बाईं ओर झुकी होती है तो इस स्थिति में औसत, मध्यका से अधिक तथा मध्यका बहुलक से अधिक होती है।
  3. ऋणात्मक ढलान-यदि विषमता ऋणात्मक ढलान वाली होती है अर्थात् दाईं ओर झुकी होती है तो औसत मध्यका से कम तथा मध्यका बहुलक से कम होती है।

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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बहुलक का अर्थ बताओ। (Explain the meaning of Mode.)
उत्तर-
किसी श्रेणी में वह मूल्य जो सबसे अधिक आता है, उसको श्रेणी का बहलक कहा जाता है अथवा जिस हैं। इन बच्चों के भार का तोल किया गया। 30 बच्चों का भार 40 किलोग्राम है। 40 किलोग्राम को बहुलक कहा जाता है। बहुलक अंग्रेजी भाषा के अक्षर Z द्वारा प्रकट किया जाता है। बहुलक की धारण फैशन की धारणा जैसी होती है; जैसे कि कक्षा में 50 बच्चों में से 25 बच्चों ने केसरी पगें पहनी हुई हैं तो बहुलक 25 होगा। बहुलक की तुलना प्रजातन्त्र से भी की जा सकती है जैसे कि चुनावों में जिस नुमाइंदे को सबसे अधिक बहुमत प्राप्त हुआ है उसको प्रतिनिधि चुन लिया जाता है। यह प्रतिनिधि बहुलक का प्रतीक होता है।

बहुलक को निम्नलिखित परिभाषित किया जा सकता है प्रो० कैनी के शब्दों में, “किसी चर का वह मूल्य जो एक श्रेणी में सबसे अधिक बार आता है; उसे बहुलक कहते हैं।” प्रो० जीजेक के अनुसार, “बहुलक मदों की श्रेणी में सबसे अधिक आने वाला मूल्य है।” . इन परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है, उस मद को बहुलक कहते हैं।

व्यक्तिगत श्रेणी में बहुलक की गणना (Calculation of Mode in Individuals Series)
व्यक्तिगत श्रेणी में बहुलक की गणना दो विधियों द्वारा की जा सकती है –

  1. निरीक्षण द्वारा (By Inspection)-निरीक्षण द्वारा बहुलक का माप करते समय यह देखना होता है कि कौन-सी मद दिए गए आंकड़ों में सबसे अधिक बार आ रही है, जो मद सबसे अधिक बार आए, उसे बहुलक कहा जाता है।
  2. व्यक्तिगत श्रेणी के खण्डित श्रेणी में परिवर्तन द्वारा (By Converting individual series into discrete Series)- यदि व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी के रूप में बदल लिया जाए तो जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है उस मद को बहुलक कहा जाता है।

प्रश्न 2.
विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों का विवरण दिया है। बहुलक ज्ञात करो।
अंक : 40 35 42 48 40 32 12 40 35 38
हल (Solution):
1. निरीक्षण द्वारा-ऊपर दी श्रेणी की मदों को बढ़ते क्रमानुसार लिखा जाता है 12, 32, 35, 35, 38, 40, 40, 40, 42, 48. निरीक्षण द्वारा यह स्पष्ट होता है कि 40 अंक सबसे अधिक विद्यार्थियों ने प्राप्त किए हैं। बाकी की मदों से यह मद सबसे अधिक बार आ रही है।
∴ Z = 40 310 Ans.
अथवा व्यक्तिगत श्रेणी का हल दूसरी विधि द्वारा भी किया जा सकता है।

2. व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी में परिवर्तन द्वारा व्यक्तिगत श्रेणी को खण्डित श्रेणी में परिवर्तित करोअंक : 12 32 35 38 : 40 42 48 . आवृत्ति : 1 1 2 1 3 1 1 सबसे अधिक आवृत्ति 3 है, जिसका मूल्य 40 है।
∴ Z = 40 अंक Ans. इससे ज्ञात होता है कि 40 अंक सबसे अधिक विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए गए हैं इसलिए बहुलक 40 है।

खण्डित श्रेणी में बहुलक की गणना – (Calculation of Mode in Discrete Series)

खण्डित श्रेणी में बहलक की गणना दो ढंगों से की जा सकती है-

  1. निरीक्षण द्वारा (By Inspection)-जब श्रेणी में एक समानता होती है तो खण्डित श्रेणी का बहुलक निरीक्षण द्वारा किया जाता है; जिस मद की आवृत्ति सबसे अधिक होती है। उस मद को बहुलक कहा जाता है।
  2. समूहीकरण सारणी द्वारा (By Grouping Table)-जब श्रेणी में एकसमानता न पाई जाती हो अर्थात् मदों की आवृत्ति का झुकाव ऊपरी मदों में बहुत अधिक हो तथा निम्नलिखित मदों की ओर अधिक हो तो ऐसी स्थिति में निरीक्षण द्वारा कई बार बहुलक गलत नज़र आता है। बहुलक को सुनिश्चित करने के लिए समूहीकरण सारणी बनाई जाती है। इस समूहीकरण सारणी की विश्लेषण सारणी द्वारा ठीक बहुलक का पता लग जाता है।

प्रश्न 3.
ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की आयु का विवरण इस प्रकार दिया है। बहुलक ज्ञात कीजिए।

आयु (वर्ष) : 12 13 14 15 16 17 18 19
विद्यार्थियों की संख्या : 5 8 10 25 14 9 7 4

हल (Solution)-
निरीक्षण द्वारा (By Inspection)

आयु (वर्ष) : 12 13 14 15 16 17 18 19
विद्यार्थियों की संख्या 5 8 10 25 14 9 7 4

अधिकतम आवृत्ति = 25
Z = 15 Years Ans.
ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में सबसे अधिक 25 विद्यार्थियों की आयु 15 वर्ष है। इसलिए बहुलक 15 वर्ष है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से बहुलक ज्ञात कीजिए।

पाक्ट व्यय (₹) : 5 10 15 20 25 30 35 40
विद्यार्थियों की संख्या : 8 9 12 30 35 28 25 20 18

हल (Solution):
निरीक्षण से पता चलता है कि 35 आवृत्ति सबसे अधिक हैं। जो इस कक्षा के विद्यार्थियों में ₹ 25 की राशि बहुलक है जोकि विद्यार्थियों के पाक्ट व्यय को प्रकट करती है।

अखण्डित श्रेणी में बहुलक वर्ग की गणना (Calculation of Modal Class in Continuous Series)

अखण्डित श्रेणी में बहुलक की गणना दो ढंगों से की जा सकती है। निरीक्षण द्वारा (By Inspection)-अखण्डित श्रेणी में निरीक्षण द्वारा गणना करते समय यह देखना चाहिए कि किस वर्गान्तराल की आवृत्ति सबसे अधिक है। उस वर्गान्तर को बहुलक वर्ग कहा जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों का बहुलक ज्ञात करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50
विद्यार्थियों की संख्या : 2 8 15 6 4

हल (Solution) :
बहुलक की गणना

अंक : विद्यार्थियों की संख्या आवृत्ति (f)
0-10 2
10-20 8
20-30 15
30-40 6
40-50 4

निरीक्षण से ज्ञात होता है कि वर्गान्तर 20-30 की आवृत्ति 15 सबसे अधिक है। इसलिए इसको बहुलक वर्ग कहा जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों से अपवर्जी श्रेणी (Exclusive Series) ज्ञात करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50 50-60
आवृत्ति : 10 12 15 14 8 6

हल (Solution):
निरीक्षण से ज्ञात होता है कि 15 आवृत्ति सबसे अधिक है। इसलिए बहुलक वर्ग 20-30 है। उत्तर

समावेशी श्रेणी में बहुलक की गणना (Calculation of Mode in Inclusive Series)
समावेशी श्रेणी में आंकड़े दिए हों तो उनको अपवर्जी श्रेणी में बदलना अनिवार्य होता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित सारणी का बहुलक ज्ञात करो

अंक : 10-19 20-29 30-39 40-49 50-59
आवृत्ति : 2 11 15 25 16 4

हल (Solution):
निरीक्षण विधि से ज्ञात होता है कि बहुलक वर्ग 39.5-49.5, है क्योंकि इस वर्ग की आवृत्ति 25 सबसे अधिक है। उत्तर

असमान वर्गान्तर श्रेणी में बहुलक वर्ग की धारणा (Calculating Modal Class in Unequal Class Intervals)

यदि असमान वर्गान्तर में आंकड़े दिए गए हों तो इनको समान वर्गान्तर में बदल लेना चाहिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों का बहुलक वर्ग ज्ञात करो

अंक : 0-5 5 -10 10-20 20-25 25-45 45-50
आवृत्ति : 40 35 90 60 42 2

हल (Solution):
निरीक्षण विधि से ज्ञात होता है कि 90 आवृत्ति सबसे अधिक है इसलिए 10-20 बहुलक वर्ग है। उत्तर

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मध्य बिन्दुओं वाली श्रेणी में बहुलक की धारणा (Calculation of Modal class in case of Mid Values)
मध्य बिन्दुओं वाली श्रेणी के वर्गान्तर बनाए जाते हैं। इसके पश्चात् बहुलक की गणना की जाती है।

प्रश्न 9.
निम्न सारणी में बहुलक की गणना कीजिए।

मध्य बिन्दु 5 15 25 35 45 55 65
आवृत्ति 8 12 20 28 18 10 4

हल (Solution) :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) 1
निरीक्षण विधि द्वारा बहुलक वर्ग 30-40 है, क्योंकि इस वर्ग की आवृत्ति 28 सबसे अधिक है। उत्तर

संचयी आवृत्ति वितरण में बहुलक की गणना (Calculation of Modal Class in case of Cummulative Frequency)

संचयी आवृत्ति दो प्रकार की होती है। ‘से कम’ संचयी आवृत्ति तथा ‘से अधिक’ संचयी आवृत्ति। इस स्थिति में संचयी आवृत्ति को प्रथम साधारण आवृत्ति में बदल लिया जाता है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से बहुलक की गणना करो।

आय (₹ ) से कम : 10 20 30 40 50 60
परिवारों की संख्या : 8 20 35 65 75 80

उत्तर:

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) 2img
बहुलक वर्गान्तर = 30 – 40 है उत्तर
नोट-यदि आवृत्ति वितरण ‘से अधिक’ के रूप में दिया हो तो साधारण आवृत्ति का माप पता करो तथा बहुलक की गणना करो।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों का बहुलक पता करो।

मजदूरी (₹) से अधिक : 0 20 40 60 80 100
मज़दूरों की संख्या 80 72 60 45 15 5

हल (Solution) : संचयी आवृत्ति को साधारण आवृत्ति में बदलो तथा बहुलक की गणना करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 24 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-बहुलक (मोड) 3
निरीक्षण विधि से पता चलता है कि बहुलक वर्ग 60-80 है। उत्तर ।

बहुलक का रेखाचित्र द्वारा निर्धारण (Determination of Mode Graphically) बहुलक की गणना ग्राफ द्वारा भी जा सकती है।

  1. सब से पहले आवृत्ति आयत (Histogram) बनाएं।
  2. सब से अधिक आवृत्ति वाले वर्ग में बहुलक है।
  3. अधिकतम आवृत्ति वाले वर्ग से पहले वर्ग के दाएं कोने को अधिकतम वर्ग के दाएं कोने से मिलाए तथा बाएं कोने को उससे अधिक वर्ग के बाएं कोने से मिलाएं।
  4. यहाँ यह रेखाएं एक-दूसरे को काटे, वहां से Ox की तरफ लंब खींचो।
  5. यह लंब जहां पर OY को काटता है वह बहुलक का मूल्य होगा।

समान्तर औसत तथा मध्यका द्वारा बहुलक की गणना (Calculation of Mode with Mean and Median)

कई बार बहुलक की गणना करते समय बहुलक वर्ग एक से अधिक आ जाते हैं। उस समय बहुलक का माप निचले सूत्र द्वारा किया जा सकता है।
Z = 3 Median – 2 mean

प्रश्न 12.
ग्राफ द्वारा बहुलक ज्ञात करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50 50-60
आवृत्ति : 10 18 30 40 28 15

हल (Solution):
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समान्तर औसत तथा मध्यका (Calculation of Mode with Mean and Median)

प्रश्न 13.
किसी वितरण की समान्तर औसत 25 है तथा मध्यका 27 है। बहुलक की गणना करो। हल (Solution):
Z = 3 Median – 2 Mean
Z = 3 (27) -2 (25)
Z = 81-50 = 31 उत्तर
यदि समान्तर औसत तथा मध्यका का पता हो तो बहुलक का माप किया जा सकता है। इस प्रश्न में बहुलक 35 है।

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प्रश्न 14.
किस श्रेणी वितरण की बहुलक 40 है तथा मध्यका 30 दी हुई है। गणितक औसत (\(\overline{\mathbf{X}}\) ) ज्ञात कीजिए।
हल (Solution):
Z = 3 M – 2\( \overline{\mathbf{X}}\)
40 = 3 (30) – 2 (\( \overline{\mathbf{X}}\))
2 \( \overline{\mathbf{X}}\) = 90 – 40 = 50
\( \overline{\mathbf{X}}\) = 25 उत्तर

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका

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PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका

PSEB 11th Class Economics केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यका किसी श्रेणी की वह मूल्य है जो श्रेणी को दो भागों में इस प्रकार बांटता है कि उसके एक तरफ सभी बड़े और दूसरी तरफ कम मूल्य होते हैं।

प्रश्न 2.
मध्यका का कोई एक गुण लिखो।
उत्तर-
यह एक सरल औसत है जिसे समझना तथा माप करना आसान होता है।

प्रश्न 3.
अखण्डित श्रेणी में मध्यका का माप सूत्र लिखो।
उत्तर-
M = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{2}-c f p}{f} \times i\)

प्रश्न 4.
विभाजन मूल्यों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी श्रेणी को दो अथवा दो से अधिक भागों में बांटने को विभाजन मूल्य कहा जाता है।

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प्रश्न 5.
विभाजन मूल्य ……. को कहा जाता है।
(a) मध्यका
(b) चतुर्थक
(c) दशमक
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
मध्यका को स्थिति की औसत कहा जाता है ?
उत्तर-
सही।

प्रश्न 7.
संचयी आवृत्ति वक्र (Ogive) द्वारा मध्यका का माप नहीं किया जा सकता।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृत्ति के दूसरे माप को मध्यका कहा जाता है। इस स्थिति को प्रकट करने वाली औसत होती है। जब श्रेणी की मदों को बढ़ते क्रमानुसार में कर लिया जाए तो वह मूल्य जोकि श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करता है, उस मूल्य को मध्यका कहा जाता है, अर्थात् मध्यका किसी श्रेणी की वह संख्या होती है, जो उस श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करती है। उसकी एक ओर सभी मदें उससे छोटी होती हैं तथा दूसरी ओर सभी मदें उससे बड़ी होती हैं। उदाहरणस्वरूप ग्यारहवीं कक्षा के पाँच विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए अंक 60, 65.

प्रश्न 2.
मध्यका के कोई तीन गुण बताएँ।
उत्तर-
मध्यका के गुण-मध्यका के गुण इस प्रकार हैं-

  1. मध्यका स्थिति की औसत होती है। इसको समझना आसान है।
  2. मध्यका एक सरल विधि है। इसका माप व्यक्तिगत श्रेणी तथा खण्डित श्रेणी में आसानी से किया जा सकता है।
  3. मध्यका पर सीमान्त मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए इसके परिणाम अधिक शुद्ध होते हैं।

प्रश्न 3.
मध्यका के कोई तीन दोष बताएँ।
उत्तर-
मध्यका के दोष-मध्यका के दोष इस प्रकार हैं –

  1. जब मदों के मूल्य में अन्तर बहुत अधिक होता है तो मध्यका ऐसी श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  2. मध्यका में बीजगणित विवेचन नहीं किया जा सकता। इसलिए इस विधि का प्रयोग अन्य सांख्यिकी संख्याओं के हल में सहायक होता है।
  3. मध्यका की गणना करते समय अन्तर्गणना के सूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसलिए गणना करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका के गुण बताओ।
उत्तर-
मध्यका के गुण इस प्रकार हैं –

  1. मध्यका स्थिति की औसत होती है। इसको समझना आसान है।
  2. मध्यका एक सरल विधि है। इस का माप व्यक्तिगत श्रेणी तथा खण्डित श्रेणी में आसानी से किया जाता है।
  3. मध्यका ऊपर सीमान्त मूल्य का प्रभाव नहीं पड़ता। इसके लिए इसके परिणाम अधिक शुद्ध होते हैं।
  4. मध्यका श्रेणी के मूल्य में ही होती है। इसलिए इसको प्रतिनिधि औसत भी कहा जाता है।
  5. मध्यका को ग्राफ विधि द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है।
  6. अपूर्ण आंकड़ों की स्थिति में भी मध्यका का माप किया जा सकता है। यदि बीच वाले मूल्यों की जानकारी हो तो मध्यका की गणना की जा सकती है।
  7. मध्यका को ग्राफ विधि द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
मध्यका के दोष लिखो।
उत्तर-
मध्यका के दोष निम्नलिखित अनुसार हैं –

  1. जब मदों के मूल्यों में अन्तर बहुत अधिक होता है तो मध्यका ऐसी श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व नहीं करती।
  2. मध्यका में बीजगणित विवेचन नहीं किया जा सकता। इसलिए इस विधि का प्रयोग अन्य सांख्यिकी समस्याओं के हल में कम सहायक होता है।
  3. मध्य की गणना करते समय अन्तर्गणना के सूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसलिए गणना करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
  4. जब मध्यका दो मूल्यों में स्थित होती है तो ऐसी स्थिति में सम्भावित मूल्य का पता किया जा सकता है। असल मध्यका का पता नहीं लगता।
  5. श्रेणी में थोड़ा-सा परिवर्तन होने से मध्यका के मूल्य में काफ़ी परिवर्तन हो जाता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मध्यका से क्या अभिप्राय है ? मध्यका के गुण तथा दोष बताओ।
उत्तर-
केन्द्रीय प्रवृत्ति के दूसरे माप को मध्यका कहा जाता है। इस स्थिति को प्रकट करने वाली औसत होती है। जब श्रेणी की मदों को बढ़ते क्रमानुसार अथवा घटते क्रमानुसार में कर लिया जाए तो वह मूल्य जोकि श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करता है, उस मूल्य को मध्यका कहा जाता है, अर्थात् मध्यका किसी श्रेणी की वह संख्या होती है, जो उस श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करती है। उसकी एक ओर सभी मदें उससे छोटी होती हैं तथा दूसरी ओर सभी मदें उससे बड़ी होती हैं।

उदाहरणस्वरूप ग्यारहवीं कक्षा के पाँच विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए अंक 60, 65, 70, 75, 80 हैं तो मध्यका 70 अंक है। 70 अंकों से 60 तथा 65 अंक हैं, जबकि 75 तथा 80 अधिक हैं। इसलिए मध्यका बीच की स्थिति को प्रकट करने वाली औसत होती है। इसको रेखाचित्र द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
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घटते क्रमानुसार मदें (Descending Order)
इस प्रकार मदों को बढ़ते क्रमानुसार अथवा घटते क्रमानुसार लिखने के पश्चात् जो मदें 70 बीच (middle) स्थित होती हैं, उस मद को मध्यका कहा जाता है।

परिभाषा (Definition)
प्रो० एल० आर० कोनर के शब्दों में, “मध्यका श्रेणी का वह मूल्य होता है जो श्रेणी को दो समान भागों में इस प्रकार विभाजित करता है कि एक भाग में सभी मूल्य मध्यका से अधिक तथा दूसरे भाग में सभी मूल्य मध्यका से कम होते हैं।”
मध्यका के गुण-मध्यका के गुण इस प्रकार हैं –

  1. मध्यका स्थिति की औसत होती है। इसको समझना आसान है।
  2. मध्यका एक सरल विधि है। इसका माप व्यक्तिगत श्रेणी तथा खण्डित श्रेणी में आसानी से किया जा सकता है।
  3. मध्यका पर सीमान्त मूल्यों का प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए इसके परिणाम अधिक शुद्ध होते हैं।
  4. मध्यका श्रेणी के मूल्य में ही होती है। इसीलिए इसको प्रतिनिधि औसत भी कहा जाता है।
  5. मध्यका निश्चित होती है, इसलिए मध्यका का पता किया जा सकता है।
  6. अपूर्ण आंकड़ों की स्थिति में भी मध्यका का माप किया जा सकता है। यदि बीच के मूल्यों की जानकारी हो तो मध्यका की गणना की जा सकती है।
  7. मध्यका को ग्राफ विधि द्वारा भी ज्ञात किया जा सकता है।

मध्यका के दोष-मध्यका के दोष इस प्रकार हैं –

  1. जब मदों के मूल्य में अन्तर बहुत अधिक होता है तो मध्यका ऐसी श्रेणी का उचित प्रतिनिधित्व नहीं करता।
  2. मध्यका में बीजगणित विवेचन नहीं किया जा सकता। इसलिए इस विधि का प्रयोग अन्य सांख्यिकी संख्याओं के हल में कम सहायक होता है।
  3. मध्यका की गणना करते समय अन्तर्गणना के सूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसलिए गणना करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
  4. जब मध्यका दो मूल्यों में स्थित होती है तो ऐसी स्थिति में सम्भावित मूल्य का ही पता किया जा सकता है। वास्तविक मध्यका का पता नहीं लगता।
  5. श्रेणी में थोड़े से परिवर्तन होने से मध्यका के मूल्य में काफ़ी परिवर्तन हो जाता है।
  6. यदि मध्यका का पता हो तो श्रेणी की कुल मदों का पता नहीं कर सकते।

व्यक्तिगत श्रेणी में मध्यका का माप (Calculation of Median in Individual Series)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित श्रेणी में विद्यार्थियों के अंकों का विवरण दिया गया है। मध्यका का पता करो।
अंक 25, 20, 27, 30, 16, 40, 35, 12, 10
हल :
इन मदों को बढ़ते क्रमानुसार अथवा घटते क्रमानुसार लिखना चाहिए –
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बढ़ते क्रमानुसार
m= Size of the \(\left(\frac{n+1}{2}\right)\) an item
m =\(\left(\frac{9+1}{2}\right)\)th = \(\frac{10}{2}\) = 5th item
size of the 5th item
M = 25 Marks Ans.

घटते क्रमानुसार
m = Size of the \(\left(\frac{n+1}{2}\right)\) th item
m = \(\left(\frac{9+1}{2}\right)\) th or 5th item
i.e. size of the 5th item
M = 25 Marks Ans.
समंकों को बढ़ते अथवा घटते क्रमानुसार करके मध्यका का माप किया जाता है तो 5वें विद्यार्थी के अंक 25 हैं जो कि केन्द्र में स्थित है। इसलिए 25 अंकों को मध्यका कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों की मध्यका ज्ञात करो।

आय (₹) प्रति माह : 5000 5500 6000 6500 7000 7500
परिवारों की संख्या : 4 6 10 15 19 5

हल : आंकड़े बढ़ते क्रमानुसार दिए गए हैं।
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m = Size of the \(\left(\frac{\mathrm{N}+1}{2}\right)\) th item
m = Size of the \(\left(\frac{59+1}{2}\right) \)th item
m = Size of the \(\left(\frac{60}{2}\right)\) th item
m = Size of the = 30th item
M = ₹ 6500 Ans.
इसमें 59 परिवारों की आय का विवरण दिया है। 30वें परिवार की आय 6500 मध्यका को प्रकट करती है जोकि केन्द्र में स्थित है। ऊपर मध्यका का आकार 30th है अर्थात् 30वें परिवार की आय मध्यका आय है। संचयी आवृत्ति को देखने से ज्ञात होता है कि 20वें परिवार से आगे आएगा जोकि 35वीं संचयी आवृत्ति में शामिल है। इसलिए 35वीं संचयी आवृत्ति में 30वां परिवार होने के कारण इस आकार को (m) द्वारा लिखा जाता है। इस आकार (m) के सामने 6500 रु० प्रति माह आय दिखाई गई है। इसलिए मध्यका (Median) ₹ 6500 होगा।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों की मध्यका का पता करो।

अंक : 0-10 10-20 20-30 30-40 40-50 50-60
विद्यार्थियों की संख्या : 8 12 20 35 15 6

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m = Size of the \(\left(\frac{n}{2}\right)\) th item.
m = Size of the \(\left(\frac{96}{2}\right)\) th or 48th item
मध्यक आकार से पता चलता है कि 48वां विद्यार्थी संचयी आवृत्ति 75 में शामिल है। इसको m कहा जाता है। इसके बिल्कुल सामने वर्गान्तर 30-40 है। इसको मध्यक वर्ग कहते हैं। मध्यक 30-40 के बीच है। इसका माप निम्न सूत्र द्वारा किया जा सकता है।
M = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{\mathrm{N}}{2}-c f p}{f} \times i\)
यहां L1 = मध्यक वर्गान्तर की निचली सीमा = 30
\(\frac{\mathrm{N}}{2}\) = मध्यक मदों का आकार (m) = 48
c.f.p = मध्यक वर्ग 30-40 से प्रथम वर्ग 20-30 की संचयी आवृत्ति = 40
f = मध्यक वर्गान्तर (40–30) = 10
इन रकमों को सूत्र में भरने से
M = \(30+\frac{\frac{96}{2}-40}{35} \times 10\)
अथवा
M = \(30+\frac{48-40}{35} \times 10\)
M = 30 + \(\frac{8}{35} \times 10\)
M = 30 + 2.285
Median = 32.285 अंक Ans. कक्षा में 48वें विद्यार्थी के अंक 32.285 हैं, इसको मध्यका कहा जाएगा।

समावेशी श्रेणी में मध्यका का माप (Calculation of Median in Inclusive Series)

जब श्रेणी समावेशी के रूप में दी गई हो तो इसको अपवर्जी श्रेणी के रूप में बदलना अनिवार्य होता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों के मध्यक को ज्ञात करो।

मज़दूरी (₹) : 0-9 10-19 20-29 30-39 40-49 50-59
मज़दूरों की संख्या : 8 10 12 15 8 7

हल (Solution) :
वर्गान्तर समावेशी श्रेणी में दिए गए हैं। इनको अपवर्जी श्रेणी में बदलना पड़ता है। प्रथमवर्ग की ऊपरी सीमा तथा द्वितीय वर्ग की निचली सीमा का अन्तर एक है तो इसका आधा = = 0.5 होगा। प्रत्येक वर्ग की निचली सीमा में से 0.5 घटा देना चाहिए तथा प्रत्येक वर्ग की ऊपरी सीमा में 0.5 जोड़ देना चाहिए। इसी तरह समावेशी श्रेणी अपवर्जी श्रेणी में बदल जाती है। फिर प्रश्न का हल करना चाहिए।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 5
m = size of the \(\left(\frac{n}{2}\right)\) th item = \(\frac{70}{2}\) = 35th item
M = \(\mathrm{L}_{1}+\frac{\frac{n}{2}-c f p}{f} \times i\)
M = 29.5 + \(\frac{35-30}{25}\) x 10 = 29.5 + 2 = ₹ 31.5 Ans.
70 मजदूरों में से 35वें मज़दूर की मज़दूरी ₹ 31.5 है, इसको मध्यका कहा जाता है।

संचयी आवृत्ति में मध्यका का माप (Calculation of Median in Cummulative Frequency)
यदि प्रश्न में संचयी आवृत्ति दी हो तो साधारण आवृत्ति निकालकर प्रश्न का हल करना चाहिए।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तालिका की मध्यका ज्ञात करो।

अंक (से कम): 10 20 30 40 50 60 70 80
आवृत्ति : 15 35 60 84 96 127 198 250

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 6
m = Size of the \(\left(\frac{n}{2}\right)\) th = \(\frac{250}{2}\) = 125th item
मध्यक वर्ग = 50-60
L1 = 50, \(\frac{n}{2}\) = 125, c.f.p .= 96, i = (60–50) = 10, f = 31
M = \(\frac{\mathrm{Z}_{1}+\frac{\mathrm{M}}{2}-c . f \cdot p .}{f} \times i\)
M = 50 + \(\frac{125-96}{31} \times 10\)
= 50 + \(\frac{290}{31}\)
= 50 + 9.35
Median = 59.35 अंक Ans.
250 विद्यार्थियों में से केन्द्र में स्थित 125वें विद्यार्थी ने 59.35 अंक प्राप्त किए हैं। इसको मध्यका कहा जाता है, क्योंकि आधे विद्यार्थियों के अंक इस विद्यार्थी के समान अथवा कम हैं तथा आधे विद्यार्थियों के अंक इसके समान अथवा अधिक हैं।

बिन्दु रेखीय विधि द्वारा मध्यका का निर्धारण (Graphic Determination of Median)
बिन्दु रेखीय विधि द्वारा ओजाइव (Ogive) वक्र बनाकर मध्यका का माप किया जा सकता है। इसकी दो विधियां होती हैं
(i) से कम विधि (Less than Method)
(ii) से अधिक विधि (More than Method)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आँकड़ों द्वारा
(i) से कम विधि,
(ii) से अधिक विधि,
(ii) संयुक्त रूप में मध्यका की गणना करो।

अंक: 0-10 10-20 20 – 30 30 – 40 40-50
विद्यार्थियों की संख्या : 4 6 10 15 5

हल (Solution) –
(i) से कम विधि (Less Than Method)
इस श्रृंखला को पहले से कम आवृत्ति में बदल लें और आवृत्ति वक्र बना लें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 7
Median = \(\frac{N}{2}=\frac{40}{2}\) = 20th Student
(Ans. Median = 30 अंक)

(ii) से अधिक विधि (More than Method)
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PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 10
Median = \(\frac{N}{2}=\frac{40}{2}\) = 20th Student
20वें विद्यार्थी से एक लम्ब संचयी आवृत्ति रेखा की तरफ खींचते हैं। जहाँ पर यह लंब संचयी आवृत्ति रेखा को काटता है। वहाँ से Ox की तरफ लम्ब खींचते हैं। इस चित्र में 30 अंक माध्यक हैं। (Ans. Median = 30 अंक)

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका

(iii) से कम तथा से अधिक विधि (Less than and More then Ogive) ऊपर हमने से कम विधि (Less than Method) द्वारा तथा से अधिक विधि द्वारा संचयी आवृत्ति का माप किया . है जो कि इस प्रकार है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 23 केंद्रीय प्रवृत्ति के माप-मध्यका 11
यहाँ पर से कम तथा से अधिक ओजाइव अंक एक दूसरे को 20 असंचयी आवृत्ति पर काट रहे हैं। इसलिये Median = 30 अंक उत्तर।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 16 ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 16 ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ

→ ਹਵਾ, ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਸਾਡੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਹਨ ।

→ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਉੱਚਿਤ ਵਰਤੋਂ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਵੀ ਨਾ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਾ ਵੀ ਨੁਕਸਾਨ ਨਾ ਹੋਵੇ ।

→ ਕੋਲਾ ਅਤੇ ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਵੀ ਸਾਡੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਰਹਿਤ ਰੱਖਣ ਅਤੇ ਸੰਭਾਲ ਕੇ ਰੱਖਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ।

→ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਤਿੰਨ ‘Rs’ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ।

→ ਇਹ ਤਿੰਨ R ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਹਨ-
Reduce (ਘੱਟ ਉਪਯੋਗ, Recycle (ਮੁੜ ਚੱਕਰ), Reuse (ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ ਹਨ ।

→ ਮੁੜ ਚੱਕਰ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਕਿ ਕੱਚ, ਪਾਲਸਟਿਕ, ਧਾਤਾਂ ਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਆਦਿ ਦਾ ਮੁੜ ਚੱਕਰ ਕਰਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਫਿਰ ਤੋਂ ਉਪਯੋਗੀ ਵਸਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣਾ ।

→ ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ, ਮੁੜ ਚੱਕਰ ਤੋਂ ਵੀ ਵਧੀਆ ਤਰੀਕਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਕਿਸੇ ਚੀਜ਼ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।

→ ਮੁੜ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਊਰਜਾ ਖ਼ਰਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਗੰਗਾ ਸਫ਼ਾਈ ਯੋਜਨਾ (Ganga action plan) ਕਰੀਬ 1985 ਵਿੱਚ ਇਸ ਲਈ ਆਈ, ਕਿਉਂਕਿ ਗੰਗਾ ਦੇ ਜਲ ਦੀ ਗੁਣਵੱਤਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੋ ਗਈ ਸੀ ।

→ ਕੋਲੀਫਾਰਮ ਜੀਵਾਣੂ ਦਾ ਇੱਕ ਵਰਗ ਹੈ ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਦੀਆਂ ਆਂਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 16 ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ

→ ਸਾਨੂੰ ਸੂਰਜ ਤੋਂ ਊਰਜਾ ਵੀ ਧਰਤੀ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਜੀਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਅਤੇ ਕਈ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਕਰਮਾਂ ਦੁਆਰਾ ਹੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।

→ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਲੰਬੀ ਅਵਧੀ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਖੁਦਾਈ ਤੋਂ ਵੀ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਵੱਡੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਧਾਤ ਮੈਲ ਜਾਂ ਸਲੈਗ ਵੀ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।

→ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਅਕਤੀ ਫਲ, ਨੱਟਸ ਅਤੇ ਦਵਾਈਆਂ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰਨ ਲਈ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਪਸ਼ੂਆਂ ਨੂੰ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚ ਚਰਾਉਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਚਾਰਾ ਵੀ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹੀ ਇਕੱਠਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਾਨੂੰ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਟਿੰਬਰ, ਲਾਖ ਅਤੇ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਆਦਿ ਵੀ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਾਣੀ ਧਰਤੀ ਤੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਮੂਲ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ ।

→ ਜਲ ਜੀਵਨ ਸਹਾਰਾ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦਾ ਮੁੱਖ ਹਿੱਸਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਭਾਗ ਲੈਂਦਾ ਹੈ । ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇਹ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਤਾਪ ਦਾ ਨਿਯਮਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਮਲਮੂਤਰ ਦੇ ਵਿਸਰਜਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਲ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਜਲਵਾਯੂ ਦੇ ਨਿਯਮਨ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਪਾਣੀ ਦੀਆਂ ਲਹਿਰਾਂ ਨਾਲ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਚਲਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਪਾਣੀ ਖੇਤੀ ਅਤੇ ਉਦਯੋਗਾਂ ਲਈ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

→ ਪਾਣੀ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਵਿੱਚ ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਕਿ ‘ਜੈਵ ਮਾਤਰਾ’ ਉਤਪਾਦਨ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਹੋ ਸਕੇ !

→ ਇਸ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਭੂਮੀ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਸਰੋਤਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ, ਦੂਸਰਾ ਸੰਸਾਧਨ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਉਤਪਾਦ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕਰਨਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਅਸੰਤੁਲਨ ਪੈਦਾ ਨਾ ਹੋ ਜਾਵੇ ।

→ ਪੱਥਰਾਟ ਬਾਲਣ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਕੋਲਾ ਅਤੇ ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਇੱਕ ਦਿਨ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਣਗੇ। ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਸੀਮਿਤ ਹੈ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹਿਣ ਨਾਲ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਵਿਵੇਕਪੂਰਣ ਉਪਯੋਗ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ।

→ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ (Natural Resources)-ਕੁਦਰਤ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਮਨੁੱਖ ਲਈ ਉਪਯੋਗੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ (Exhaustible Resources)-ਅਜਿਹੇ ਸਾਧਨ ਜੋ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ ; ਜਿਵੇਂ-ਮਿੱਟੀ, ਖਣਿਜ ਆਦਿ ।

→ ਨਾ-ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ (Inexhaustible Resources)-ਅਜਿਹੇ ਸਾਧਨ ਜੋ ਮਨੁੱਖੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਮਾਪਤ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੇਂ ਜਿਵੇਂ : ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼, ਸਮੁੰਦਰ ਆਦਿ ।

→ ਨਵੀਨੀਕਰਨ ਸਰੋਤ (Renewable Resources)-ਅਜਿਹੇ ਸਰੋਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਚੱਕਰੀਕਰਨ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਵੀਨੀਕਰਨ ਸਰੋਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ-ਹਵਾ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ।

→ ਅਨਵੀਨੀਕਰਨ ਸਰੋਤ (Non-renewable Resources)-ਅਜਿਹੇ ਸਰੋਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਚੱਕਰੀਕਰਨ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ਜੋ ਇੱਕ ਵਾਰ ਵਰਤੋਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਨਵੀਨੀਕਰਨ ਸਰੋਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਉਦਾਹਰਨ-ਲੱਕੜੀ, ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ, ਕੁਦਰਤੀ ਗੈਸ ਆਦਿ ।

→ ਭੂਮੀਗਤ ਜਲ (Underground Water)-ਇਹ ਪਾਣੀ ਧਰਤੀ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ (Pollution)-ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੇ ਜੈਵਿਕ, ਭੌਤਿਕ, ਰਸਾਇਣਿਕ ਲੱਛਣਾਂ ਵਿੱਚ ਬੇਲੋੜੇ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ-ਭੂਮੀ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ, ਹਵਾ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ, ਜਲ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ।

→ ਮੁੜ ਚੱਕਰ (Recycle)-ਪਲਾਸਟਿਕ, ਕਾਗ਼ਜ਼, ਕੱਚ, ਧਾਤਾਂ ਵਰਗੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਦਾ ਨਵੇਂ ਉਤਪਾਦਾਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ਮੁੜ-ਚੱਕਰ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ (Reuse)-ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਕਿਸੇ ਵਰਤੀ ਗਈ ਵਸਤੂ ਦਾ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ।

→ ਜਲ ਸੰਹਿਣ (Water Harvesting)-ਵਰਤੇ ਜਾ ਚੁੱਕੇ ਜਾਂ ਵਰਖਾ ਦੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਧਰਤੀ ਦੇ ਜਲ ਪੱਧਰ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਭੂ-ਤਲ ਵਿੱਚ ਸੰਗ੍ਰਹਿ ਕਰਨਾ ਜਲ ਸੰਹਿਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 16 ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ

→ ਜੰਗਲ ਕੱਟਣਾ (Deforestation)-ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਕੱਟਣਾ ।

→ ਬੰਨ੍ਹ (Dam)-ਨਦੀਆਂ, ਨਾਲਿਆਂ ਆਦਿ ਤੇ ਛੋਟੀਆਂ-ਵੱਡੀਆਂ ਰੁਕਾਵਟਾਂ ਜੋ ਬਿਜਲੀ ਉਤਪਾਦਨ ਜਾਂ ਸਿੰਚਾਈ ਕਾਰਜ ਵਿਚ ਸਹਿਯੋਗ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਬੰਨ੍ਹ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਵਣੀਕਰਨ (Afforestation)-ਕਿਸੇ ਵੱਡੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਦਰੱਖ਼ਤ ਲਗਾ ਕੇ ਜੰਗਲਾਂ ਨੂੰ ਵਿਕਸਿਤ ਕਰਨਾ ਵਣੀਕਰਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਵਾਤਾਵਰਨੀ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ (Environmental Problems)-ਵਾਤਾਵਰਨੀ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਸਮੁੱਚਿਤ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਦੇ ਨਾ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਜੋ ਸਮੱਸਿਆ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਉਸਨੂੰ ਵਾਤਾਵਰਨੀ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੈਵ ਵਿਵਿਧਤਾ (Biodiversity)-ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਅਨੇਕਾਂ ਜੀਵ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਜੰਤੂ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕੁਝ ਆਰਥਿਕ ਮਹੱਤਵ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਹੀ ਵਿਭਿੰਨਤਾ ਹੀ ਜੈਵ-ਵਿਵਿਧਤਾ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਅਨੁਕੂਲਨ ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਸੁਰੱਖਿਅਣ (Conservation)-ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਉਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ, ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਹਾਨੀ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਤੋਂ ਰੋਕਦੀ ਹੈ ।

→ ਗੰਗਾ ਸਫਾਈ ਯੋਜਨਾ (Ganga Action Plan)-ਸਾਲ 1985 ਵਿਚ ਨਿਯੋਜਿਤ ਬਹੁ ਕਰੋੜ ਕਾਰਜ ਯੋਜਨਾ ਜਿਸ ਨਾਲ ਗੰਗਾ ਨਦੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਮੁਕਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਿਆ ।

→ ਕੋਲੀਫਾਰਮ ਜੀਵਾਣੂ (Coliform Bacteria)-ਇਹ ਮ ਨਿਗੇਟਿਵ ਧੜਨੁਮਾ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਦਾ ਸਮੂਹ ਹੈ ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਦੀਆਂ ਆਂਦਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਲ ਕੇ ਬੀਮਾਰੀਆਂ ਫੈਲਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਮਲ-ਮੂਤਰ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਦਾ ਸੂਚਕ ਹੈ ।

→ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਨ (wild life)-ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਪੇੜ-ਪੌਦੇ, ਜੀਵ-ਜੰਤੂ ਆਦਿ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਉਗਾਇਆ ਜਾਂ ਪਾਲਿਆ-ਪੋਸਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦਾ ।

→ ਪਰਿਸਥਿਤਕ ਸੁਰੱਖਿਅਣ (Ecological Conservation)-ਪਰਿਸਥਿਤਕ ਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਕੁਦਰਤ ਅਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਨੂੰ ਪਰਿਸਥਿਤਕ ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜਲ ਸੰਸਾਧਨ (Water Resources)-ਨਦੀਆਂ, ਨਹਿਰਾਂ, ਸਮੁੰਦਰ, ਵਰਖਾ ਆਦਿ ਦੇ ਸੰਸਾਧਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਕੁਦਰਤੀ ਸਰੋਤਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜਲ ਸੰਸਾਧਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜਲਸੰਭਰ ਪ੍ਰਬੰਧਨ (Water-shed Management)-ਜੈਵ ਪਦਾਰਥ ਉਤਪਾਦਨ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਵਿਧੀ ਨਾਲ ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਨੂੰ ਜਲਸੰਭਰ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜਲ ਸੰਹਿਣ (Water Harvesting)-ਵਰਖਾ ਦੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਵਿਅਰਥ ਵਹਿ ਕੇ ਚਲੇ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਚਾ ਕੇ ਇਕੱਠਾ ਕਰਨਾ ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਫਾਇਦੇ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕੇ ਜਲ ਸੰਹਿਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਬਾਗ (National Park)-ਕੁਦਰਤ, ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨ ਜੰਗਲ, ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਦੇਣ ਲਈ ਸਰਕਾਰ ਦੁਆਰਾ ਘੋਸ਼ਿਤ ਉਹ ਕੁਦਰਤੀ ਖੇਤਰ ਜਿੱਥੇ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਕਿਰਿਆ-ਕਲਾਪਾਂ ਤੇ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਤਿਬੰਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਬਾਗ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

→ ਮਨੁੱਖ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਚੱਕਰਣ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜੈਵ-ਭੂਗੋਲਿਕ ਰਸਾਇਣਿਕ ਚੱਕਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੋ ਪਦਾਰਥ ਜੈਵਿਕ ਪ੍ਰਮ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜੀਵ-ਨਿਮਨੀਕਰਨੀ ਪਦਾਰਥ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਇਸ ਪ੍ਰਕ੍ਰਮ ਨਾਲ ਅਪ੍ਰਭਾਵੀ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਅਜੀਵ-ਨਿਮਨੀਕਰਨੀ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਇਕ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਘਟਕ ਅਤੇ ਅਜੀਵ ਘਟਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਭੌਤਿਕ ਕਾਰਕ ਅਜੀਵ ਕਾਰਕ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ-ਤਾਪ, ਵਰਖਾ, ਹਵਾ, ਮਿੱਟੀ, ਖਣਿਜ ਆਦਿ ।

→ ਸਾਰੇ ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਨੀਲੀ ਹਰੀ ਕਾਈ (Blue Green Algae) ਉਤਪਾਦਕ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਖੁਦ ਤਿਆਰ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੋ ਜੀਵ ਉਤਪਾਦਕ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਭੋਜਨ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਪਤਕਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਖਪਤਕਾਰ ਮੁੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਤਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ, ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਅਤੇ ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ ।

→ ਵੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜੀਵਿਕ ਪੱਧਰਾਂ ਤੇ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਲੜੀ ਭੋਜਨ ਲੜੀ (Food Chain) ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਦਾ ਹਰ ਚਰਨ ਇਕ ਪੋਸ਼ੀ ਪੱਧਰ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਵੈ-ਪੋਸ਼ੀ ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਿਚੋਂ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਊਰਜਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

→ ਮੁੱਢਲੇ ਖਪਤਕਾਰ ਖਾਦੇ ਗਏ ਭੋਜਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦਾ ਲਗਭਗ 10% ਹੀ ਜੀਵ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਬਦਲਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਨੇਕ ਰਸਾਇਣ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਮਿਲ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਸੋਮਿਆਂ ਵਿਚ ਚਲੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੈਵ ਅਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਸੰਚਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨੂੰ ਜੈਵਿਕ ਵਧਾਓ (Biological magnification) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਓਜ਼ੋਨ ਪਰਤ ਸੂਰਜ ਤੋਂ ਧਰਤੀ ਵੱਲ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪਰਾਬੈਂਗਣੀ ਵਿਕਿਰਨਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਸੁਰੱਖਿਆ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਦੇ ਉੱਚਤਰ ਸਤਹਿ ਤੇ ਪਰਾਬੈਂਗਣੀ ਵਿਕਿਰਣਾਂ (UV-Rays) ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਾਲ ਆਕਸੀਜਨ ਅਣੂਆਂ ਤੋਂ ਓਜ਼ੋਨ ਬਣਦੀ ਹੈ ।

→ ਕਲੋਰੋਫਲੋਰੋ ਕਾਰਬਨ (CFCs) ਵਰਗੇ ਰਸਾਇਣ ਓਜ਼ੋਨ ਪਰਤ ਦੀ ਹਾਨੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹਨ ।

→ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ (Ecosystem)-ਊਰਜਾ ਅਤੇ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਜੀਵ ਅਤੇ ਅਜੀਵ ਦੇ ਵਿਚ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਦਾ ਕਾਰਾਤਮਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਪਰਿਸਥਿਤਕ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੀਵੋਮ ਜਾਂ ਬਾਇਓਮ (Biome)-ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧਾਂ ਨੂੰ ਇਕ ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਮਿਲਾਉਣ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਵੱਡੀ ਇਕਾਈ ਨੂੰ ਜੀਵੋਮ ਜਾਂ ਬਾਇਓਮ (Biome) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ (Biosphere)-ਦੁਨੀਆ ਭਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਬਾਇਓਮਾਂ ਨੂੰ ਇਕੋ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਇਕ ਵੱਡੀ ਇਕਾਈ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਇਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਹੈ ।

→ ਜਲ-ਮੰਡਲ (Hydrosphere)-ਧਰਤੀ ਦਾ ਜੋ ਭਾਗ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਹੈ, ਜਲ-ਮੰਡਲ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਥਲ-ਮੰਡਲ (Lithosphere)-ਧਰਤੀ ਦੇ ਥਲੀ ਸਤਹਿ ਤੇ ਅਤੇ ਸਾਗਰ ਜਲ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਚੱਟਾਨਾਂ ਮਿਲ ਕੇ ਸਥਲ-ਮੰਡਲ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ਵਾਯੂਮੰਡਲ (Atmosphere)-ਧਰਤੀ ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਮੌਜੂਦ ਗੈਸੀ ਘਟਕ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਖਪਤਕਾਰ (Consumer)-ਜੋ ਜੀਵ ਖਾਧ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਪਭੋਗਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਆਹਾਰੀ ਪੱਧਰ (Trophic Level)-ਭੋਜਨ-ਲੜੀ ਦੇ ਜਿਹੜੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੱਧਰਾਂ ਤੇ ਭੋਜਨ (ਊਰਜਾ) ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਪੱਧਰਾਂ ਨੂੰ ਆਹਾਰੀ ਪੱਧਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਭੋਜਨ ਲੜੀ (Food Chain)-ਉਤਪਾਦਕ, ਖਪਤਕਾਰ ਅਤੇ ਅਪਘਟਕ ਮਿਲ ਕੇ ਜੋ ਲੜੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਉਸ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਭੋਜਨ-ਜਾਲ (Food Web)-ਭੋਜਨ ਲੜੀਆਂ ਦੇ ਜਾਲ ਨੂੰ ਭੋਜਨ-ਜਾਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੀਵ ਰਸਾਇਣ ਚੱਕਰ (Biogeochemical Cycle)-ਰਸਾਇਣ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਅੰਤ ਵਿਚ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿਚ ਮੁੜ ਤੋਂ ਚੱਕਰ ਪੂਰਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨੂੰ ਜੀਵ ਰਸਾਇਣ ਚੱਕਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਸੂਖ਼ਮ-ਪੋਸ਼ਕ (Macro Nutrients)-ਜਿਹੜੇ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਜੈਵ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਸੂਖ਼ਮ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ H, N, O, C, P ਆਦਿ ।

→ ਸੂਖ਼ਮ-ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ (Micro nutrients)-ਜਿਹੜੇ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਜੈਵ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਘੱਟ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੂਖ਼ਮ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਵੇਂ; Mn, Zn ਆਦਿ ।

→ ਮੁੱਢਲਾ ਖਪਤਕਾਰ (Primary Consumer)-ਜੋ ਜੀਵ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਜਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਨੂੰ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਜਾਂ ਮੁੱਢਲੇ ਖਪਤਕਾਰ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੈਕੰਡਰੀ ਖਪਤਕਾਰ (Secondary Consumer)-ਜੋ ਜੀਵ ਦੂਸਰੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦਾ ਮਾਸ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਜਾਂ ਸੈਕੰਡਰੀ ਖਪਤਕਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਫਲੋਰਾ (Flora)-ਕਿਸੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਕੁੱਲ ਆਬਾਦੀ ਨੂੰ ਫਲੋਰਾ (Flora) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਫੌਨਾ (Fauna)-ਕਿਸੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਜੰਤੂਆਂ ਦੀ ਕੁੱਲ ਆਬਾਦੀ ਨੂੰ ਫੌਨਾ (Fauna) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਮੁਦਾਇ (Community)-ਕਿਸੇ ਕੁਦਰਤੀ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੀਆਂ ਕੁੱਲ ਜਨਸੰਖਿਆ ਨੂੰ ਸਮੁਦਾਇ ਆਖਦੇ ਹਨ ; ਜਿਵੇਂ-ਤਾਲਾਬ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਜੰਤੂ ਅਤੇ ਪੌਦੇ ।

→ ਜੈਵਿਕ ਵਧਾਓ (Biological Magnification)-ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਸੰਚਿਤ ਹੋ ਜਾਣਾ ਜੈਵਿਕ ਵਧਾਓ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ (Biodegradable)-ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਜੈਵਿਕ ਪ੍ਰਮ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਹ ਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ (Non-Biodegradable)-ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਜੈਵਿਕ ਪ੍ਰਮ ਦੁਆਰਾ ਅਪਘਟਿਤ ਨਹੀਂ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਹ ਅਜੈਵ ਵਿਘਟਨਸ਼ੀਲ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 15 ਸਾਡਾ ਵਾਤਾਵਰਨ

→ ਵਾਤਾਵਰਨ (Environment)-ਵਾਤਾਵਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੀਆਂ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਯੋਗ ਹੈ ਜੋ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੱਖ ਜਾਂ ਅਪ੍ਰਤੱਖ ਰੂਪ ਨਾਲ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕੀ (Ecology)-ਇਹ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਉਹ ਸ਼ਾਖਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਜੈਵਿਕ ਅਤੇ ਅਜੈਵਿਕ ਕਾਰਕਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਜੀਵਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੇ ਵਿਚ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਘਟਕ (Components of Ecosystem)-ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਭੌਤਿਕ, ਰਸਾਇਣਿਕ ਅਤੇ ਜੈਵਿਕ ਕਾਰਕਾਂ ਨੂੰ ਪਰਿਸਥਿਤਿਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਦੇ ਘਟਕੇ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੈਵਿਕ ਵਧਾਓ (Biological Magnification)-ਕਿਸੇ ਭੋਜਨ ਲੜੀ ਦੇ ਇਕ ਪੋਸ਼ੀ ਪੱਧਰ ਤੋਂ ਦੂਸਰੇ ਪੋਸ਼ੀ ਪੱਧਰ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਲਗਾਤਾਰ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਜੈਵਿਕ ਵਧਾਓ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਉਤਪਾਦਕ (Producer)-ਉਹ ਪੌਦੇ/ਜੀਵ ਜੋ ਸੂਰਜੀ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਰਸਾਇਣਿਕ ਊਰਜਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਕੇ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਆਪ ਤਿਆਰ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਤਪਾਦਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਪਘਟਕ (Decomposer)-ਜੋ ਜੀਵ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਨੂੰ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ( ਸਰਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿਚ ਅਪਘਟਿਤ ਕਰ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਸਤਹਿ ਵਿਚ ਸੋਖਿਤ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਪਘਟਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ (Herbivores)-ਜੋ ਪ੍ਰਾਣੀ ਕੇਵਲ ਪੌਦਿਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਭੋਜਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਮਾਸਾਹਾਰੀ (Carnivores)-ਜੋ ਪਾਣੀ ਦੂਸਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀਆਂ ਜਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਾਸ ਨੂੰ ਖਾਂਦੇ ਹੀ ਜਿਉਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ (Omnivores)-ਜੋ ਪ੍ਰਾਣੀ, ਪੌਦਿਆਂ, ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਨੂੰ ਖਾ ਕੇ ਜਿਊਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਰਬ-ਆਹਾਰੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਐਂਜ਼ਾਈਮ (Enzyme)-ਜੈਵ-ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿਚ ਉਤਪ੍ਰੇਰਕ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰੋਟੀਨਾਂ ਨੂੰ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਓਜ਼ੋਨ ਪਰਤ (Ozone Layer)-ਸਟਰੈਟੋਸਫੀਅਰ (Stratosphere) ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਓਜ਼ੋਨ ਦੀ ਪਰਤ ਨੂੰ ਓਜ਼ੋਨ ਪਰਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕਚਰਾ (Garbage)-ਆਮ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਫਾਲਤੂ ਮੰਨੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਘਰੇਲੂ ਅਤੇ ਖੇਤੀ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਨੂੰ ਕਚਰਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 14 ਊਰਜਾ ਦੇ ਸੋਮੇ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 14 ਊਰਜਾ ਦੇ ਸੋਮੇ

→ ਕਿਸੇ ਵੀ ਭੌਤਿਕ ਜਾਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵਿੱਚ ਕੁੱਲ ਊਰਜਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ (ਸਮਾਨ) ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਊਰਜਾ ਦੇ ਇੱਕ ਰੂਪ ਨੂੰ ਦੂਜੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਦੇ ਕਾਰਜਾਂ ਨੂੰ ਕਰਨ ਲਈ ਊਰਜਾ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਸੋਮਿਆਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।

→ ਸਰੀਰਿਕ ਕਾਰਜਾਂ ਲਈ ਪੱਠਿਆਂ ਦੀ ਊਰਜਾ, ਬਿਜਲੀ ਉਪਕਰਨਾਂ ਲਈ ਬਿਜਲੀ ਊਰਜਾ ਅਤੇ ਵਾਹਨਾਂ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਰਸਾਇਣਿਕ ਉਰਜਾ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਅਸੀਂ ਊਰਜਾ ਦਾ ਉੱਤਮ ਈਂਧਨ ਚੁਣਦੇ ਹਾਂ ।

→ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਲੱਕੜੀ ਜਲਾਉਣ ਨਾਲ, ਪੌਣਾਂ ਅਤੇ ਵਹਿੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਊਰਜਾ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕੋਲੇ ਦੇ ਉਪਯੋਗ ਨੇ ਉਦਯੋਗਿਕ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਨੂੰ ਸੰਭਵ ਬਣਾਇਆ ਹੈ ।

→ ਊਰਜਾ ਦੀ ਵੱਧ ਰਹੀ ਮੰਗ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਫਾਂਸਿਲ (ਪੱਥਰਾਟ) ਬਾਲਣ ਕੋਲਾ ਅਤੇ ਪੈਟਰੋਲ ਤੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਯੰਤ੍ਰਿਕ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਰੂਪਾਂਤਰਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 14 ਊਰਜਾ ਦੇ ਸੋਮੇ

→ ਬਿਜਲੀ ਉਤਪਾਦਨ ਯੰਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਫਾਂਸਿਲ ਈਂਧਨ ਨੂੰ ਜਲਾ ਕੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਭਾਫ਼ ਬਣਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਟਰਬਾਈਨਾਂ ਨੂੰ ਘੁੰਮਾ ਕੇ ਬਿਜਲੀ ਉਤਪੰਨ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਤਾਪਨ ਬਿਜਲੀ ਯੰਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਈਂਧਨ ਜਲਾ ਕੇ ਊਸ਼ਮਾ ਊਰਜਾ ਉਤਪੰਨ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤਾਪ ਬਿਜਲੀ ਯੰਤਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਹਿੰਦੇ ਹੋਏ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਗਤਿਜ ਊਰਜਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਡਿੱਗਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤਿਜ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਰੂਪਾਂਤਰਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਊਰਜਾ ਦੀ ਮੰਗ ਦੇ ਚੌਥਾਈ ਭਾਗ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਪਣ-ਬਿਜਲੀ ਯੰਤਰਾਂ ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਪਣ-ਬਿਜਲੀ ਊਰਜਾ ਇੱਕ ਗੈਰ-ਪਰੰਪਰਾਗਤ ਊਰਜਾ ਸੋਮਾ ਹੈ ।

→ ਬੰਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਕਈ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਜੁੜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਯੋਗ ਭੂਮੀ ਦਾ ਨਸ਼ਟ ਹੋਣਾ, ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੇ ਘਰਾਂ ਦਾ ਡੁੱਬਣਾ, ਦਰੱਖਤਾਂ-ਪੌਦਿਆਂ ਦਾ ਨਸ਼ਟ ਹੋਣਾ ਆਦਿ ।

→ ਨਰਮਦਾ ਲਈ ਸਰੋਵਰ ਬੰਨ੍ਹ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਈ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਕਾਰਨ ਵਿਰੋਧ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ ।

→ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਪਸ਼ੂ-ਪਾਲਨ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਸਾਨੂੰ ਬਾਲਣ ਦੇ ਸਥਾਈ ਸੋਮੇ ਦੇ ਬਾਰੇ ਆਸ਼ਵਸਤ ਕਰ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

→ ਗੋਬਰ ਦੀਆਂ ਪਾਥੀਆਂ ਬਾਲਣ ਦਾ ਸੋਮਾ ਹੈ । ਉਸ ਨੂੰ ਜੀਵ ਪਦਾਰਥ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ ਤੇ ਘੱਟ ਊਸ਼ਮਾ ਅਤੇ ਵੱਧ ਧੂੰਆਂ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਚਾਰਕੋਲ ਬਾਲਣ ਵੱਧ ਊਸ਼ਮਾ ਦੇ ਨਾਲ ਬਿਨਾਂ ਲੌ ਦੇ ਬਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਧੂੰਆਂ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ।

→ ਬਾਇਓ ਗੈਸ ਨੂੰ ਆਮਤੌਰ ਤੇ ਗੋਬਰ ਗੈਸ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਵਿੱਚ 75% ਮੀਥੇਨ ਗੈਸ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਜੈਵ ਗੈਸ ਯੰਤਰ ਤੋਂ ਬਚੀ ਹੋਈ ਸੱਲਰੀ ਵਧੀਆ ਕਿਸਮ ਦੀ ਖਾਦ ਹੈ । ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਅਤੇ ਫ਼ਾਸਫੋਰਸ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਪੌਣ ਊਰਜਾ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਪੌਣ ਚੱਕੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਯੰਤ੍ਰਿਕ ਕਾਰਜ ਕਰਨ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ।

→ ਕਿਸੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਕਈ ਪੌਣ ਚੱਕੀਆਂ ਲਗਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਸ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਪੌਣ ਊਰਜਾ ਫਾਰਮ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੌਣ ਊਰਜਾ ਦੇ ਉਪਯੋਗ ਦੀਆਂ ਕਈ ਖਾਮੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਸੂਰਜੀ ਊਰਜਾ ਦਾ ਧਰਤੀ ਵੱਲ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਕੁੱਝ ਛੋਟੇ ਭਾਗ ਦਾ ਅੱਧਾ ਭਾਗ ਵਾਯੂ-ਮੰਡਲ ਦੀਆਂ ਬਾਹਰਲੀਆਂ ਪਰਤਾਂ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸੋਖਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਾਡਾ ਦੇਸ਼ ਹਰੇਕ ਸਾਲ 5000 ਟਰਿਲੀਅਨ ਕਿਲੋਵਾਟ ਸੂਰਜੀ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 14 ਊਰਜਾ ਦੇ ਸੋਮੇ

→ ਧਰਤੀ ਦੇ ਕਿਸੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਸੂਰਜੀ ਊਰਜਾ ਦਾ ਔਸਤ ਮਾਪ 4 ਤੋਂ 7 kWh/m2 ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਹੈ ।

→ ਸੋਲਰ ਕੁੱਕਰ, ਸੋਲਰ ਵਾਟਰ ਹੀਟਰ, ਸੋਲਰ ਸੈੱਲ, ਸੋਲਰ ਪੈਨਲ ਆਦਿ ਸੂਰਜੀ ਊਰਜਾ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਹਨ ।

→ ਸੋਲਰ ਸੈੱਲ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਸਿਲੀਕਾਨ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਮਹਿੰਗਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸੋਲਰ ਸੈੱਲਾਂ ਦਾ ਘਰੇਲੂ ਉਪਯੋਗ ਘੱਟ ਹੈ ।

→ ਜਵਾਰੀ ਉਰਜਾ, ਤਰੰਗ ਉਰਜਾ, ਸਮੁੰਦਰੀ ਤਾਪਨ ਉਰਜਾ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋਹਨ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਕਠਿਨਾਈਆਂ ਹਨ। ਮਹਾਂਸਾਗਰਾਂ ਦੀ ਉਰਜਾ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ ।

→ ਨਿਊਕਲੀਅਰ ਵਿਖੰਡਨ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਉਤਪਾਦਕ ਸਮਰੱਥਾ ਦੀ ਸਿਰਫ਼ 3% ਸਪਲਾਈ ਨਿਊਕਲੀਅਰ ਬਿਜਲੀ ਯੰਤਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਨਿਊਕਲੀ ਰਹਿੰਦ-ਖੂੰਹਦ ਦਾ ਭੰਡਾਰਨ ਅਤੇ ਨਿਪਟਾਨ ਕਠਿਨ ਕਾਰਜ ਹੈ ।

→ CNG ਇੱਕ ਸਾਫ ਬਾਲਣ ਹੈ ।

→ ਊਰਜਾ (Energy)-ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਗਤਿਜ ਊਰਜਾ (Kinetic Energy)-ਵਸਤੂਆਂ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਗਤਿਜ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਹਵਾ, ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਪਾਣੀ ।

→ ਸੋਲਰ ਊਰਜਾ (Solar Energy)-ਸੂਰਜ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਸੋਲਰ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੌਣ ਊਰਜਾ (Wind Energy)-ਹਵਾ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਪੁੰਜ ਦੀ ਗਤੀਸ਼ੀਲਤਾ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਤ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਪੌਣ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੂਰਜੀ ਕੁੱਕਰ (Solar Cooker)-ਉਹ ਸੂਰਜੀ ਊਰਜਾ ਨਾਲ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਯੰਤਰ ਜਿਸ ਨੂੰ ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੋਂ ਵਿੱਚ ਲਿਆਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸੋਲਰ ਸੈੱਲ (Solar Cell)-ਅਜਿਹੀ ਜੁਗਤ ਜਿਹੜੀ ਸੌਰ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤਾਪ ਊਰਜਾ (Ocean Thermal Energy)-ਮਹਾਂਸਾਗਰ ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੋਂ ਪਾਣੀ ਦੀ ਡੂੰਘਾਈ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਪਾਣੀ ਤੇ ਤਾਪ ਵਿੱਚ ਹਮੇਸ਼ਾ ਕੁੱਝ ਅੰਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਅੰਤਰ 20°C ਤਕ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਪਲੱਬਧ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਸਮੁੰਦਰੀ ਤਾਪਨ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਲੂਣੀ ਪ੍ਰਵਣਤਾ (Salinity Ingredients)-ਲੂਣ ਸੰਘਣਤਾ ਦੀ ਭਿੰਨਤਾ ਨੂੰ ਲੁਣੀ ਪ੍ਰਵਣਤਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਈਂਧਨ ਜਾਂ ਬਾਲਣ (Fuel)-ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜਲਾ ਕੇ ਊਸ਼ਮਾ ਉਤਪੰਨ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਈਂਧਨ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਜੀਵ ਪੁੰਜ (Biomass)-ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਜੀਵ ਪੁੰਜ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਾਇਓਗੈਸ (Biogass)-ਇਹ CH2,CO2 ਅਤੇ H2S ਗੈਸਾਂ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਹੈ। ਇਹ ਆਮਤੌਰ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਜਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਫਾਲਤੂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਗੋਬਰ ਦੀ ਪਾਣੀ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਅਪਘਟਨ ਫਲਸਰੂਪ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਭੰਜਕ ਕਸ਼ੀਦਣ (Distruction Distillation)-ਕਿਸੇ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਹਵਾ ਦੀ ਗੈਰ-ਹਾਜ਼ਰੀ ਵਿੱਚ ਅਤਿ ਅਧਿਕ ਗਰਮ ਕਰਨਾ, ਭੰਜਕ ਕਸ਼ੀਦਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਫਾਂਸਿਲ ਬਾਲਣ ਜਾਂ ਪਥਰਾਟ ਬਾਲਣ (Fossil fuel)-ਫਾਂਸਿਲ ਬਾਲਣ ਧਰਤੀ ਦੀ ਸਤਹਿ ਹੇਠ ਦੱਬੇ ਹੋਏ ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੀ ਬਚੀ ਹੋਈ ਰਹਿੰਦ-ਖੂੰਹਦ ਤੋਂ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਕੋਲਾ, ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਕ੍ਰਿਤਿਕ ਗੈਸ ਫਾਂਸਿਲ ਬਾਲਣ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 14 ਊਰਜਾ ਦੇ ਸੋਮੇ

→ ਵਿਤ ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਗੈਸ (L.P.G.)-ਵਿਤ ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਗੈਸ ਇੱਕ ਘਰੇਲੂ ਬਾਲਣ ਹੈ। ਇਹ ਈਥੇਨ, ਬਿਊਟੇਨ ਅਤੇ ਆਈਸੋ-ਬਿਊਟੇਨ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਹੈ ।

→ ਸੰਸ਼ਲਿਸ਼ਟ ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ (Synthetic Petrolium)-ਇਹ ਕੋਲੇ ਦੀ ਉੱਚ ਤਾਪ ਅਤੇ ਦਾਬ ਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਲਣ-ਤਾਪ (Ignition Temperature)-ਜਿਸ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਕੋਈ ਜਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਅੱਗ ਫੜਦਾ ਹੈ, ਜਲਣ ਤਾਪ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕੈਲੋਰੀਮਾਨ (Calorific Value)-ਇੱਕ ਕਿਲੋ-ਗ੍ਰਾਮ ਭਾਰ ਦੇ ਬਾਲਣ ਦਾ ਪੂਰਨ ਰੂਪ ਨਾਲ ਜਲਾਉਣ ਤੋਂ ਉਤਪੰਨ ਹੋਈ ਉਸ਼ਮਾ ਨੂੰ ਬਾਲਣ ਦਾ ਕੈਲੋਰੀਮਾਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਲਰੀ (Slurry)-ਗੋਬਰ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਘੋਲ ਜਿਹੜਾ ਪਲਾਂਟ ਵਿੱਚ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਸਲਰੀ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰੋਪੈਲੇਂਟ (Propellent)-ਰਾਕੇਟ ਵਿੱਚ ਵਰਤਿਆ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਬਾਲਣ, ਪੈਲੇਂਟ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕਿਸੇ ਗਾੜ੍ਹੇ ਬਾਲਣ ਅਤੇ ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਵਾਰ ਊਰਜਾ (Tidal Energy)-ਉਹ ਊਰਜਾ ਜਿਹੜੀ ਜਵਾਰ-ਭਾਟੇ ਦੁਆਰਾ ਪਾਣੀ ਦੇ ਲੇਵਲ ਦੇ ਉਤਾਰ ਚੜਾਓ ਤੋਂ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਵਾਰ ਊਰਜਾ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਤਰੰਗ ਊਰਜਾ (Wave Energy)-ਉਹ ਊਰਜਾ ਜਿਹੜੀ ਸਮੁੰਦਰ ਤੱਟ ਦੇ ਨਿਕਟ ਵਿਸ਼ਾਲ ਤਰੰਗਾਂ ਦੀ ਗਤਿਜ ਊਰਜਾ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਤਰੰਗ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਭੂ-ਤਾਪ ਊਰਜਾ (Geothermal Energy)-ਧਰਤੀ ਦੇ ਅੰਦਰੂਨੀ ਪਰਿਵਰਤਨਾਂ ਕਾਰਨ ਧਰਤੀ ਦੀ ਪੇਪੜੀ | ਦੀਆਂ ਗਹਿਰਾਈਆਂ ਕਾਰਨ ਗਰਮ ਸਥਲ ਅਤੇ ਧਰਤੀ ਹੇਠਾਂ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਣੀ ਭਾਫ਼ ਉਰਜਾ ਨੂੰ ਭੂ-ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਾਭਿਕੀ (ਜਾਂ ਨਿਊਕਲੀ) ਊਰਜਾ (Nuclear Energy)-ਭਾਰੀ ਪਰਮਾਣੂ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਨਾਭਿਕੀ ਵਿਖੰਡਨ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਹੋਈ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਨਾਭਿਕੀ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਾਭਿਕੀ ਵਿਖੰਡਨ (Nuclear Fission)-ਕਿਸੇ ਭਾਰੀ ਨਾਭਿਕ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਦੇ ਨਾਭਿਕ ਤੇ ਨਿਊਟਰਾਂਨਾਂ ਦੀ ਬੌਛਾਰ ਦੁਆਰਾ ਨਾਭਿਕਾਂ ਨੂੰ ਵਿਖੰਡਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਨਾਭਿਕੀ ਵਿਖੰਡਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਾਭਿਕੀ ਸੰਯਨ (Nulcear Fusion)-ਹਲਕੇ ਨਾਭਿਕਾਂ ਦੇ ਪਰਸਪਰ ਸੰਯੋਗ ਤੋਂ ਭਾਰੀ ਨਾਭਿਕ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਨਾਭਿਕੀ ਸੰਯਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸ੍ਰੀਨ ਹਾਊਸ ਪ੍ਰਭਾਵ (Green-House Effect)-ਸੂਰਜ ਤੋਂ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪਰਾ-ਬੈਂਗਣੀ ਕਿਰਨਾਂ ਦੁਆਰਾ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਜਿਹੀਆਂ ਗੈਸਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸੋਖਣ ਕਰਕੇ ਧਰਤੀ ਦੇ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ ਵੱਧਣਾ, ਸ੍ਰੀਨ ਹਾਊਸ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

→ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਤਾਰ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਵਹਾਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਚੁੰਬਕ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਹੈਂਸ ਕਰਿਸਚਨ ਆਰਸਟੈਡ ਨੇ ਬਿਜਲ ਚੁੰਬਕਤਾ ਨੂੰ ਸਮਝਣ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜ ਕੀਤਾ ।

→ ਦਿਸ਼ਾ ਸੂਚਕ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਛੋਟਾ ਜਿਹਾ ਚੁੰਬਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਹਮੇਸ਼ਾ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਾਏ ਗਏ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਜਿਹੜਾ ਸਿਰਾ ਉੱਤਰ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰੇ ਉਹ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਅਤੇ ਜਿਹੜਾ ਸਿਰਾ ਦੱਖਣ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਚੁੰਬਕਾਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਧੱਕਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਖਿੱਚਦੇ ਹਨ ।

→ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਚਹੁੰ ਪਾਸੇ ਉਹ ਖੇਤਰ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਉਸ ਦੇ ਬਲ (ਆਕਰਸ਼ਣ ਜਾਂ ਪ੍ਰਤਿਕਰਸ਼ਣ) ਦਾ ਅਨੁਭਵ (ਸੰਸੁਚਨ) ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਇੱਕ ਅਜਿਹੀ ਰਾਸ਼ੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪਰਿਮਾਣ ਅਤੇ ਦਿਸ਼ਾ ਦੋਵੇਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਅੰਦਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀਆਂ ਰੇਖਾਵਾਂ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਉਸ ਦੇ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਤੋਂ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਵੱਲ ਅਤੇ ਚੁੰਬਕ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਤੋਂ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਵੱਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਬੰਦ ਕਰ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

→ ਦੋ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਕਦੀ ਵੀ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਕੱਟਦੀਆਂ ਨਹੀਂ ਹਨ ।

→ ਕਿਸੇ ਧਾਤੂ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਕਰਨ ਨਾਲ ਉਸਦੇ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਉਤਪੰਨ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਵਾਹੀ ਚਾਲਕ ਕਾਰਨ ਉਤਪੰਨ ਹੋਇਆ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਉਸ ਤੋਂ ਦੂਰੀ ਦੇ ਉਲਟ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਵਾਹਕ ਤਾਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕਿਸੇ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਬਿੰਦੁ ਤੇ ਉਤਪੰਨ ਹੋਇਆ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਉਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਰਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਸਿੱਧੇ ਅਨੁਪਾਤ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਨੇੜੇ-ਤੇੜੇ ਲਪੇਟੀ ਗਈ ਬਿਜਲਈ ਰੋਧਕ ਤਾਂਬੇ ਦੀ ਤਾਰ ਦੀ ਸਿਲੰਡਰ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਦੀ ਅਨੇਕ ਫੇਰਿਆਂ ਵਾਲੀ ਕੁੰਡਲੀ ਨੂੰ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੇ ਅੰਦਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਰੇਖਾਵਾਂ ਸਮਾਨ-ਅੰਤਰ ਸਰਲ ਰੇਖਾਵਾਂ ਵਾਂਗ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਢਾਂਸ ਦੇ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਔਬ੍ਰੇਰੀ ਐਮਪੀਅਰ ਨੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ਕਿ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਚਾਲਕ ਤੇ ਪਰਿਮਾਣ ਵਿੱਚ ਸਮਾਨ ਪਰੰਤੂ ਉਲਟ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਬਲ ਲਗਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

→ ਚਾਲਕ ਤੇ ਅਰੋਪਿਤ ਬਲ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਅਤੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦੇ ਲੰਬ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਫਲੇਮਿੰਗ ਦਾ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਦਾ ਨਿਯਮ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ, ਬਿਜਲੀ ਜੈਨਰੇਟਰ, ਲਾਊਡ ਸਪੀਕਰ, ਮਾਈਕ੍ਰੋਫੋਨ ਅਤੇ ਗੈਲਵੇਨੋਮੀਟਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਅਤੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਨਾਲ ਹੈ ।

→ ਸਾਡੇ ਦਿਲ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿੱਚ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦਾ ਉਤਪੰਨ ਹੋਣਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ।

→ ਸਰੀਰ ਅੰਦਰ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ ।

→ ਚੁੰਬਕੀ ਅਨੁਨਾਦ ਤਿਬਿੰਬ (ਐੱਮ. ਆਰ. ਆਈ.) ਦੀ ਉਪਯੋਗਿਤਾ ਇਲਾਜ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਇੱਕ ਅਜਿਹੀ ਜੁਗਤ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਦਾ ਯੰਤ੍ਰਿਕ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਰੂਪਾਂਤਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲੀ ਮੋਟਰਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਬਿਜਲਈ ਪੱਖੇ, ਰੇਫਰੀਜਰੇਟਰਾਂ, ਬਿਜਲਈ ਮਿਕਸਰ, ਵਾਸ਼ਿੰਗ ਮਸ਼ੀਨਾਂ, ਕੰਪਿਊਟਰਾਂ, ਐੱਮ. ਪੀ.-3 ਪਲੇਅਰਾਂ ਆਦਿ ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਮੋਟਰ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਰੋਧਕ ਤਾਰ ਦੀ ਇੱਕ ਆਇਤਾਕਾਰ ਕੁੰਡਲੀ ਕਿਸੇ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੇ ਦੋ ਧਰੁਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ ਰੱਖੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਉਹ ਜੁਗਤ ਜਿਹੜੀ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਬਦਲ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਨੂੰ ਦਿਸ਼ਾ ਪਰਾਵਰਤਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਰਮ ਲੋਹੇ ਦਾ ਕੋਰ ਅਤੇ ਕੁੰਡਲੀ ਦੋਨੋਂ ਮਿਲ ਕੇ ਆਰਮੇਚਰ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਮੋਟਰ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਫੈਰਾਡੇ ਨੇ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਸੀ ਕਿ ਕਿਸੇ ਗਤੀਸ਼ੀਲ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

→ ਗੈਲਵੈਨੋਮੀਟਰ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਉਪਕਰਨ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਅਨੁਭਵ (ਸੰਸੂਚਿਤ) ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਮਾਇਕਲ ਫੈਰਾਡੇ ਨੇ ਬਿਜਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਪੇਰਣ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਨ ਤੇ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ਸੀ ।

→ ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦੇ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਕਾਰਨ ਦੂਜੇ ਨੇੜੇ ਪਏ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪੇਮ੍ਰਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲੀ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਦੀ ਜੁਗਤ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਜਨਰੇਟਰ (ਏ. ਸੀ. ਜਨਰੇਟਰ) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਦਿਸ਼ਾਈ ਧਾਰਾ ਹਮੇਸ਼ਾ ਇੱਕ ਹੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਪਰੰਤ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਧਾਰਾ ਹਰੇਕ 1/100 ਸੈਕਿੰਡ ਬਾਅਦ ਆਪਣੀ ਦਿਸ਼ਾ ਬਦਲ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਧਾਰਾ ਦੀ ਆਕ੍ਰਿਤੀ 50 ਹਰਟਜ਼ ਹੈ । DC ਧਾਰਾ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚੋਂ AC ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਦੁਰੇਡੇ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਬਿਨਾਂ ਉਰਜਾ ਦੇ ਖੈ ਹੋਇਆ ਭੇਜਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਮੁੱਖ ਤਾਰ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।

→ ਲਾਲ ਬਿਜਲਈ ਰੋਧਕ ਕਵਰ ਜੁੜੀ ਹੋਈ ਤਾਰ ਧਨਾਤਮਕ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਕਾਲੇ ਕਵਰ ਵਾਲੀ ਤਾਰ ਉਦਾਸੀਨ (ਰਿਣਾਤਮਕ) ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਧਨਾਤਮਕ ਅਤੇ ਰਿਣਾਤਮਕ ਤਾਰਾਂ ਵਿੱਚ 220 v ਦਾ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਭੂ-ਸੰਪਰਕ ਤਾਰ ਹੋਰ ਕਵਰ ਨਾਲ ਯੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਫਿਊਜ਼ ਸਾਰੇ ਘਰੇਲੂ ਸਰਕਟਾਂ ਦਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭਾਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਓਵਰਲੋਡਿੰਗ ਤੋਂ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਹਾਨੀ ਤੋਂ ਬਚਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਦੋਂ ਬਿਜਲੀ ਵਾਹਕ ਤਾਰ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਨ ਤਾਰ ਸਿੱਧੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਓਵਰਲੋਡਿੰਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਫਿਊਜ਼ ਵਿੱਚ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਤਾਪਨ ਫਿਊਜ਼ ਨੂੰ ਪਿਘਲਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਸਰਕਟ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲੀ ਚੁੰਬਕ (Electromagnet)-ਨਰਮ ਲੋਹੇ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਜਿਹੜਾ ਰੋਧੀ ਪਾਲਿਸ਼ ਵਾਲੀ ਚਾਲਕ ਤਾਰ ਨਾਲ ਲਪੇਟਿਆ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਲੰਘਾਉਣ ਨਾਲ ਚੁੰਬਕ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ (Magnetic Field)-ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਉਹ ਖੇਤਰ ਹੈ ਜਿੱਥੋਂ ਤੱਕ ਉਹ ਆਪਣਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸੋਲੀਨਾਇਡ (Solenoid)-ਜੇਕਰ ਕਿਸੇ ਤਾਰ ਨੂੰ ਲਪੇਟ ਕੇ ਕੁੰਡਲੀ ਬਣਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਸੋਲਾਨਾਇਡ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਲੋਹਾ ਕੋਰ (Iron Core)-ਬਿਜਲਈ ਸੋਲੀਨਾਇਡ ਦੇ ਅੰਦਰ ਰੱਖੀ ਗਈ ਨਰਮ ਲੋਹੇ ਦੀ ਛੜ ਨੂੰ ਲੋਹਾ ਕੋਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਨੌ ਦਾ ਨਿਯਮ (Snow Rule)-ਜਦੋਂ ਚੁੰਬਕੀ ਸੂਈ ਦੇ ਉੱਪਰ ਸਥਿਤ ਤਾਰ ਵਿੱਚ ਦੱਖਣ ਤੋਂ ਉੱਤਰ ਵੱਲ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਗੁਜ਼ਾਰੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਪੱਛਮ ਵੱਲ ਵਿਖੇਪਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰੇਰਣ (Electromagnetic Induction)-ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਦੁਆਰਾ ਇਸ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਣ ਵਾਲੀ ਕੁੰਡਲੀ ਵਿੱਚ ਧਾਰਾ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ (Electric Energy)-ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੁਆਰਾ ਕਿਸੇ ਕਾਰਜ ਨੂੰ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ (Electric Power)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਊਰਜਾ ਦੇ ਖਪਤ ਹੋਣ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲ ਜੈਨਰੇਟਰ (Electric Generation)-ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਉਤਪੰਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਉਪਕਰਨ ਨੂੰ ਬਿਜਲ ਜੈਨਰੇਟਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪਰਤਵੀ ਧਾਰਾ (Alternating Current)-ਇਹ ਉਹ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਲਗਾਤਾਰ ਬਦਲਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਅਪਰਤਵੀਂ ਧਾਰਾ (Direct Current)-ਇਹ ਉਹ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਹੈ ਜਿਸਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਹਮੇਸ਼ਾ ਇੱਕੋ ਹੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਸ਼ਾਰਟ ਸਰਕਟ (Short Circuit)-ਕਿਸੀ ਬਿਜਲਈ ਉਪਕਰਨ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਘੱਟ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਵਿਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣਾ ਸ਼ਾਰਟ ਸਰਕਟ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 13 ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਚੁੰਬਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ

→ ਫਿਊਜ਼ (Fuse)-ਘੱਟ ਪਿਘਲਾਓ ਦਰਜੇ ਵਾਲਾ ਤਾਰ ਫਿਊਜ਼ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਲਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲ ਮੀਟਰ (Electric Meter)-ਇਹ ਉਹ ਯੰਤਰ ਹੈ ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਬਿਜਲਈ ਸਕਟ ਵਿੱਚ ਇਸਤੇਮਾਲ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਮਾਪੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਝਟਕਾ ਜਾਂ ਸ਼ਾਕ ( Electric Shock)-ਸਰੀਰ ਦੇ ਕਿਸੇ ਭਾਗ ਦਾ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਦੇ ਉੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਵਾਲੇ ਕਿਸੇ ਬਿੰਦੂ ਨੂੰ ਛੂਹਣ ਨਾਲ ਲੱਗਣ ਵਾਲੇ ਝੱਟਕੇ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਾਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਤਿਭਾਰ ਜਾਂ ਓਵਰਲੋਡਿੰਗ (Overloading)-ਜੇਕਰ ਕਿਸੇ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਸਰਕਟ ਦੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਸੀਮਾ ਤੋਂ ਵੱਧ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਤਾਰਾਂ ਬਹੁਤ ਗਰਮ ਹੋ ਕੇ ਅੱਗ ਫੜ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਓਵਰਲੋਡਿੰਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਦਾ ਅੰਗੂਠਾ ਨਿਯਮ (Right hand Thumb Rule)-ਜੇਕਰ ਅਸੀਂ ਮੰਨ ਲਈਏ ਕਿ ਧਾਰਾਵਾਹੀ ਚਾਲਕ ਸਾਡੇ ਸੱਜੇ ਹੱਥ ਵਿੱਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡਾ ਅੰਗੂਠਾ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੈ, ਤਾਂ ਤਾਰ ਦੁਆਲੇ ਉਂਗਲੀਆਂ ਦਾ ਘੁਮਾਓ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇਗਾ ।

→ ਫਲੈਮਿੰਗ ਦਾ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦਾ ਨਿਯਮ (Fleming’s Left hand Rule)-ਆਪਣੇ ਖੱਬੇ ਹੱਥ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਉੱਗਲੀ, ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਅਤੇ ਅੰਗੂਠੇ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਲਾਓ ਕਿ ਜੇਕਰ ਪਹਿਲੀ ਉਂਗਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਵਿਚਕਾਰਲੀ ਉਂਗਲੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਚਾਲਕ ਦੀ ਗਤੀ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਅੰਗੂਠੇ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇਗੀ ।

→ ਭੂ-ਸੰਪਰਕਿਤ (Earthing)-ਉੱਚ ਸ਼ਕਤੀ ਵਾਲੇ ਬਿਜਲਈ ਉਪਕਰਨਾਂ ਦੇ ਧਾੜਵੀ ਫਰੇਮ ਨੂੰ ਘਰੇਲੂ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਦੀ ਭੂ-ਤਾਰ ਨਾਲ ਜੋੜਨਾ, ਭੂ-ਸੰਪਰਕਿਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

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PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

→ ਚਾਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਚਾਰਜ ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਚਾਰਜ ਦਾ S.I. ਮਾਤ੍ਰਿਕ ਕੂਲਾਂਮ (e) ਹੈ ।

→ ਇੱਕ ਕੂਲਾਮ ਲਗਭਗ 6 × 1018 ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਚਾਰਜ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਚਾਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ (ਬਹਾਓ) ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
∴ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ (I) = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
ਇੱਥੇ Q = ਚਾਰਜ ਅਤੇ t = ਸਮਾਂ

→ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਐਮਪੀਅਰ (A) ਨਾਲ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਲਗਾਤਾਰ ਅਤੇ ਬੰਦ ਸਰਕਟ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਰਕਟ ਟੁੱਟ ਜਾਣ ਤੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਪ੍ਰਵਾਹ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਨੂੰ ਐਮਮੀਟਰ ਨਾਲ ਮਾਪਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਐਮਮੀਟਰ ਨੂੰ ਸ਼੍ਰੇਣੀਕੂਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

→ ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਬਹਾਓ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਸੈੱਲ ਆਪਣੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਊਰਜਾ ਖ਼ਰਚ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਨ ਤੇ 1.6 × 1019 C ਚਾਰਜ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਪਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ (V) = PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 1

→ ਬਿਜਲਈ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਦਾ S.I. ਮਾਤ੍ਰਿਕ ਵੋਲਟ (V) ਹੈ ।
1 ਵੋਲਟ (V) = PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 2

→ ਸਰਕਟ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਨੂੰ ਵੋਲਟਮੀਟਰ ਨਾਲ ਮਾਪਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ ਸਮਾਨੰਤਰ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ (ਚਾਲਕ) ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਉਸਦੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ ਦੇ ਉਲਟ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਧਾਤਵੀ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਉਸ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਦੇ ਮੱਧ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਚਾਲਕ ਦਾ ਤਾਪ ਅਤੇ ਦਾਬ ਸਮਾਨ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
V ∝ I
ਅਰਥਾਤ \(\frac{V}{I}\) = R

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ 3

→ ਕਿਸੇ ਧਾਤੂ ਦੇ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਚਾਲਕ ਦਾ ਤਿਰੋਧ (R) ਉਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ (l) ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪਰਿਖੇਤਰ ਫਲ (A) ਦੇ ਉਲਟ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
R ∝ \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
ਅਰਥਾਤ R = ρ × \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)

→ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਤਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਘਟਕ ਧਾਤਾਂ ਤੋਂ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਤਾਪਨ ਦੇ ਲਈ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਸੰਚਾਰਨ ਦੇ ਲਈ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਅਤੇ ਤਾਂਬੇ (ਕਾਪਰ) ਦੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ ਨੂੰ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ-

  1. ਸ਼੍ਰੇਣੀਕੂਮ ਸੰਯੋਜਨ
  2. ਸਮਾਨੰਤਰ ਮ ਸੰਯੋਜਨ ।

→ ਕਈ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ (ਚਾਲਕਾਂ) ਨੂੰ ਸ਼੍ਰੇਣੀਕੂਮ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕਰਨ ਤੇ ਤੁੱਲ-ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ RS = R1 + R2 + R3 + ……….. ਕਈ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕਾਂ (ਚਾਲਕਾਂ) ਨੂੰ ਸਮਾਨੰਤਰਮ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕਰਨ ਤੇ ਤੁੱਲ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ

Rp = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\) + …………..

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

→ ਸ਼੍ਰੇਣੀਕ੍ਰਮ ਸੰਯੋਜਨ ਘਰੇਲੂ ਵਿਵਹਾਰ ਲਈ ਲਾਹੇਵੰਦ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

→ ਜੂਲ ਦੇ ਊਸ਼ਮਾ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ, ਉਤਪੰਨ ਹੋਈ ਤਾਪ ਊਰਜਾ H = I2 Rt

→ ਬਿਜਲਈ ਫਿਊਜ਼ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟਾਂ ਅਤੇ ਉਪਕਰਨਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਾਰਜ ਕਰਨ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਸ਼ਕਤੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ
P = V × I
P = I2R
P= \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)

→ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ S.I. ਮਾਤ੍ਰਿਕ ਵਾਟ ਹੈ ।

→ 1 ਵਾਟ (W) = 1 ਵੋਲਟ (V) × 1 ਐਮਪੀਅਰ (A)

→ ਜਦੋਂ 1 ਵਾਟ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਉਪਯੋਗ 1 ਘੰਟੇ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਖ਼ਰਚ ਹੋਈ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ । ਵਾਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਦਾ ਮਾਤ੍ਰਿਕ ਵਾਟ-ਘੰਟਾ (Wh) ਹੈ। ਇਸਦਾ ਵਪਾਰਕ ਮਾਤ੍ਰਿਕ ਕਿਲੋਵਾਟ ਘੰਟਾ (Kwh) ਹੈ।

→ 1 Kwh = 3.6 × 106 J (ਜੂਲ)

→ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ (Electric Current)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚੋਂ ਹੋ ਰਹੇ ਬਿਜਲਈ ਚਾਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ।

→ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ (Electric Circuit)-ਕਿਸੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਨਿਰੰਤਰ ਅਤੇ ਬੰਦ ਪੱਥ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਚਾਰਜ (Charge)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦੀ ਬਿਜਲਈ ਸਥਿਤੀ ਜੋ ਕਿਸੇ ਦੂਜੇ ਚਾਲਕ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਚਾਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਦੱਸੇ ।

→ ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ (Potential Difference)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਖ਼ਰਚ ਹੋਈ ਊਰਜਾ ਅਤੇ ਉਸ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਚਾਰਜ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਨੂੰ ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਤਿਰੋਧ (Resistance)-ਇਹ ਚਾਲਕ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਚਾਲਕ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਓਹਮ (Ohm)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦਾ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ 1 ਓਹਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੇਕਰ ਚਾਲਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿਚਾਲੇ । ਵੋਲਟ ਦਾ ਟੈਂਸ਼ਲ ਹੋਣ ਤੇ ਉਸ ਵਿੱਚੋਂ 1 ਐਮਪੀਅਰ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਪ੍ਰਵਾਹ ਹੋਵੇ ।

→ ਵੋਲਟਮੀਟਰ (Voltmeter)-ਉਹ ਯੰਤਰ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਰਕਟ ਦੇ ਕਿਸੇ ਦੋ ਬਿੰਦੂਆਂ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਮਾਪਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਚਾਲਕ (Conductor)-ਜਿਸ ਪਦਾਰਥ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਪ੍ਰਵਾਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਸਨੂੰ ਚਾਲਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕੁਚਾਲਕ (Insulator)–ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜਿਸ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਐਮਮੀਟਰ (Ammeter)-ਉਹ ਯੰਤਰ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚੋਂ ਗੁਜ਼ਰ ਰਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਮਾਪੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਧਾਰਾ ਨਿਯੰਕ (Rheostat)-ਉਹ ਯੰਤਰ ਜਿਸ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਬਿਜਲਈ ਸਰਕਟ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੋ ਰਹੀ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦਾ ਮਾਨ ਬਦਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Notes Chapter 12 ਬਿਜਲੀ

→ ਇੱਕ ਵੋਲਟ (One volt)-ਜੇਕਰ ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚੋਂ 1 ਕੁਲਾਂਮ ਚਾਰਜ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਕਰਨ ਤੇ 1 ਜੁਲ ਕਾਰਜ ਕਰਨਾ ਪਵੇ ਤਾਂ ਚਾਲਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿਚਾਲੇ ਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ 1 ਵੋਲਟ ਹੋਵੇਗਾ ।

→ ਓਹਮ ਦਾ ਨਿਯਮ (Ohms Law)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪੁਟੈਂਸ਼ਲ ਅੰਤਰ ਅਤੇ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦਾ ਅਨੁਪਾਤ ਹਮੇਸ਼ਾ ਸਥਿਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਜੇਕਰ ਚਾਲਕ ਦੀ ਭੌਤਿਕ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਾ ਹੋਵੇ ।
V ∝ I
ਅਰਥਾਤ \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\) = R (ਸਥਿਰ ਅੰਕ)

→ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ (Electric Energy)-ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਦੁਆਰਾ ਕਿਸੇ ਕਾਰਜ ਨੂੰ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ (Electric Power)-ਕਿਸੇ ਚਾਲਕ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਦੇ ਖ਼ਰਚ ਹੋਣ ਦੀ ਦਰ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਾਟ (Watt)-ਇਹ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਮਾਤ੍ਰਿਕ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ 1 ਜੂਲ ਕਾਰਜ ਪ੍ਰਤਿ ਸੈਕਿੰਡ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਲੋਵਾਟ (Kilowatt)-ਇਹ ਉਹ ਬਿਜਲਈ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ ਜੋ 1000 ਜੂਲ ਪ੍ਰਤਿ ਸੈਕਿੰਡ ਵਿੱਚ ਕਾਰਜ ਪੂਰਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਕਿਲੋਵਾਟ-ਘੰਟਾ (Kilowat-Hour)-ਇਹ ਉਹ ਊਰਜਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਹੈ ਜੋ 1 ਕਿਲੋਵਾਟ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਪੱਬ ਵਿੱਚ 1 ਘੰਟੇ ਵਿੱਚ ਖ਼ਰਚ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਕੂਲਾਂਮ ਦਾ ਨਿਯਮ (Coulomb’s Law)-ਦੋ ਚਾਰਜਿਤ ਕਣਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਚਾਰਜਿਤ ਬਲ ਜੋ ਕਣਾਂ ਦੇ ਚਾਰਜਾਂ ਦੇ ਗੁਣਨਫਲ ਦਾ ਸਿੱਧਾ ਸਮਾਨੁਪਾਤੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੇਂਦਰਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੀ ਦੂਰੀ ਦੇ ਵਰਗ ਦਾ ਉਲਟ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
F = K \(\frac{q_{1} \times q_{2}}{r^{2}}\)

→ ਜੂਲ ਦਾ ਊਸ਼ਮਾ ਨਿਯਮ (Joule’s Law of Heating)-ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਤਿਰੋਧਕ (R) ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ (I) ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਹੋਣ ਨਾਲ ਜੇਕਰ ਉਸ ਵਿੱਚ ਊਸ਼ਮਾ (H) ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਊਸ਼ਮਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ, ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਚੰਦੇ ਵਰਗ, ਪ੍ਰਤਿਰੋਧ (R) ਅਤੇ ਸਮਾਂ (t) ਦੇ ਸਿੱਧਾ ਅਨੁਪਾਤੀ ਹੋਵੇਗੀ ।
H = I2 Rt