PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 6 मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 6 मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 6 मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य

PSEB 12th Class Economics मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तु विनिमय प्रणाली किसे कहते हैं ?
अथवा
वस्तु विनिमय अर्थव्यवस्था की परिभाषा दीजिए। उत्तर-वस्तु विनिमय प्रणाली वह प्रणाली है जिसमें वस्तुओं का विनिमय वस्तुओं से किया जाता है।

प्रश्न 2.
मुद्रा से क्या अभिप्राय है अथवा मुद्रा को कैसे परिभाषित किया जा सकता है?
उत्तर-
मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जिसको साधारण तौर पर विनिमय के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। इसके साथ ही यह वस्तुओं के मूल्य तथा मूल्य के भण्डार का कार्य भी करती है।

प्रश्न 3.
मुद्रा की पूर्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
मुद्रा की पूर्ति का अर्थ मुद्रा के कुल भण्डार से होता है, जोकि किसी देश के लोगों के पास निश्चित होती है।

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प्रश्न 4.
विनिमय के माध्यम के रूप में मुद्रा के कार्य को स्पष्ट करो।
उत्तर-
मुद्रा का प्राथमिक कार्य विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग है। एक किसान गेहूँ बेचकर मुद्रा प्राप्त कर लेता है तथा बाज़ार में मुद्रा से कपड़ा, बूट, चीनी, साबुन इत्यादि वस्तुएं खरीद सकता है। इस प्रकार दो वस्तुओं के सुमेल की समस्या हल हो गई है।

प्रश्न 5.
मुद्रा, “मूल्य के माप” का कार्य करती है। स्पष्ट करो।
उत्तर-
मुद्रा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य वस्तुओं के मूल्य का माप करना होता है। मुद्रा द्वारा सभी वस्तुओं के मूल्य का माप किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
मुद्रा के कार्य को ‘पछेते भुगतान के म्यार’ के रूप में स्पष्ट करो।
उत्तर-
मुद्रा के रूप में उधार दिया जाता है तो मुद्रा के रूप में इसकी वापसी हो जाती है। इस उद्देश्य के लिए ब्याज दिया जाता है ताकि उधार देने वाले को कोई हानि न हो।

प्रश्न 7.
भारत में वैधानिक मुद्रा का क्या नाम है ?
उत्तर-
भारत में वैधानिक मुद्रा का नाम रुपया है।

प्रश्न 8.
मुद्रा M, के घटक बताइए।
उत्तर-
M1 = C + D + 0
M1 = करन्सी (C) + मांग जमा (O) + रिज़र्व बैंक के पास जमा राशि (O)

प्रश्न 9.
मुद्रा M2 के घटक बताएँ।
उत्तर-
M2 = M1 + Deposits with Post office Savings (Except NSC)
M2 = C + D + 0 + D P.O.S. = करन्सी + माँग जमा + रिज़र्व बैंक के पास जमा राशि + डाकघरों में बचत जमा (NSC के बगैर)

प्रश्न 10.
मुद्रा M3 के घटक बताएं।
उत्तर-
M3 = M1 + T.D of Banks
= C + D + O + TDB
= करन्सी + मांग जमा + रिज़र्व बैंक के पास जमा राशि + बैंकों के पास जमा समय अवधी राशि।

प्रश्न 11.
मुद्रा M4 से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
M4 = D.P.O.S
M4 = C + D + O + TDB. + DPOS
= करन्सी + मांग जमा + रिज़र्व बैंक के पास जमा राशि + बैंकों के पास जमा समय अवधी राशि + डाकघरों में बचत जमा |

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प्रश्न 12.
भारत में रिज़र्व बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति के कौन-कौन से समग्र तैयार किये जाते हैं ?
उत्तर-
M1, M2 , M3, और M4, तैयार किये जाते हैं।

प्रश्न 13.
मुद्रा आपूर्ति का अर्थ बताएं।
उत्तर-
समस्त मुद्रा की मात्रा को मुद्रा की आपूर्ति कहते हैं जिसमें सिक्के, नोट तथा बैंक मुद्रा शामिल होती है।

प्रश्न 14.
उच्च शक्ति मुद्रा (High Powered Money) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उच्च शक्ति मुद्रा लोगों के पास नकदी तथा समय अवधि जमा राशि होती है।

प्रश्न 15.
निकट मुद्रा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निकट मुद्रा प्रतिभूतियां तथा हिस्सेदारियां होती हैं, जिन को सुविधा से मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
वह समाप्तियाँ जिन को सुविधा से मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है , को ……….. कहते हैं।
(क) मुद्रा समाप्तियाँ
(ख) अचल समप्तियाँ
(ग) साख निर्माण का आधार
(घ) निकट मुद्रा।
उत्तर-
(घ) निकट मुद्रा।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित में से कौन-सा मुद्रा का आकस्मिक कार्य है ?
(क) विनिमय का माध्यम
(ख) मूल्य का भण्डार
(ग) साख निर्माण का आधार
(घ) मूल्य का हस्तांतरण।
उत्तर-
(ग) साख निर्माण का आधार।

प्रश्न 18.
एक अर्थव्यवस्था जिसमें वस्तुओं का विनिमय वस्तुओं से किया जाता है, को ………….. कहते हैं।
(क) विनिमय प्रणाली
(ख) वस्तुओं के लिए वस्तुओं की प्रणाली
(ग) वस्तु विनिमय प्रणाली
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) वस्तु विनिमय प्रणाली।

प्रश्न 19.
उधार मुद्रा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उधार मुद्रा वह मुद्रा है जो कि वर्तमान में प्राप्त करके भविष्यकाल में ब्याज समेत अदा करने का वचन होता है।

प्रश्न 20.
निकट मुद्रा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निकट मुद्रा उन वस्तुओं को कहा जाता है जिनको सरलता से मुद्रा के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित में से मुद्रा के गौण कार्य कौन-कौन से हैं ?
(क) भंडार का साधन
(ख) कर्जे का साधन
(ग) एक स्थान से दूसरे स्थान हस्तांतरण का साधन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 22.
मुद्रा की पूर्ति का अर्थ सभी मुद्रा की मात्रा से होता है जिसमें सिक्के, नोट और बैंक मुद्रा शामिल होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 23.
M1 = ………
उत्तर-
M1 = C + D + O

प्रश्न 24.
M2 = …..
उत्तर-
M2 = C + D + O + DPOS

प्रश्न 25.
M3 = ……….
उत्तर-
M3 = C + D + O + TDB

प्रश्न 26.
M4 = …….
उत्तर-
M4 = C + D + O+ TDB + DPOS.

प्रश्न 27.
उस वस्तु का नाम बताएं जिसको विनिमय के रूप में स्वीकार किया जाता है।
(a) मुद्रा
(b) पैट्रोल
(c) धातु
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) मुद्रा।

प्रश्न 28.
आपस में आवश्यकताओं की सन्तुष्टि को ……….. कहते हैं।
(a) वस्तु विनिमय प्रणाली
(b) विनिमय का साधन
(c) मांग का दोहरा संयोग
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) मांग का दोहरा संयोग।

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प्रश्न 29.
उच्च बलयुक्त मुंद्रा (High Powered Money) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लोगों के पास नगद मुद्रा तथा बैकों के पास नकद कोष को उच्च बलयुक्त मुद्रा करते हैं।

प्रश्न 30.
विमुद्रीकरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
देश में पुरानी करन्सी के स्थान पर नई करन्सी के लागू करने को विमुद्रीकरण कहते हैं।

प्रश्न 31.
अवमूल्यन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
देश की करन्सी का मूल्य विदेशी मुद्राओं की तुलना में कम करने को अवमूल्यन कहते हैं।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मुद्रा से क्या अभिप्राय है अथवा मुद्रा को कैसे परिभाषित किया जा सकता है?
उत्तर-
मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जिसको साधारण तौर पर विनिमय के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। इसके साथ ही यह वस्तुओं के मूल्य तथा मूल्य के भण्डार का कार्य भी करती है। मुद्रा को सरकार की स्वीकृति होती है जिसको कोई मनुष्य स्वीकार करने से इन्कार नहीं कर सकता।

प्रश्न 2.
मुद्रा की पूर्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
मुद्रा की पूर्ति का अर्थ मुद्रा के कुल भण्डार से होता है, जोकि किसी देश के लोगों के पास निश्चित होती है। मुद्रा की पूर्ति के सम्बन्ध में दो बातें महत्त्वपूर्ण होती हैं-

  • मुद्रा की पूर्ति एक स्टॉक धारणा है जिसका सम्बन्ध निश्चित समय से है |
  • मुद्रा की पूर्ति का अर्थ लोगों के पास मुद्रा के भण्डार से होता है।

प्रश्न 3.
मुद्रा, “मूल्य के माप” का कार्य करती है। स्पष्ट करो।
उत्तर-
मुद्रा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य वस्तुओं के मूल्य का माप करना होता है। मुद्रा द्वारा सभी वस्तुओं के मूल्य का माप किया जा सकता है। देश में जो वस्तुएं उत्पादन की जाती हैं, उनके नाप-तोल विभिन्न होते हैं। गेहूँ क्विटलों में, कपड़ा मीटरों में, दूध लीटरों में मापते हैं। परन्तु इन वस्तुओं का मूल्य मुद्रा में मापते हैं तो भिन्न-भिन्न नाप-तोल की समस्या हल हो जाती है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तु विनिमय प्रणाली के मुख्य दोष क्या हैं ?
उत्तर-
वस्तु विनिमय प्रणाली के मुख्य दोष निम्नलिखित हैं-
1. आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या-आवश्यकताओं के दोहरे संयोग से अभिप्राय है कि एक मनुष्य की वस्तु दूसरे मनुष्य की आवश्यकता को पूरा करे तथा दूसरे मनुष्य की वस्तु पहले मनुष्य की आवश्यकता को पूरा करे। परन्तु इस तरह की अवस्था मुश्किल से उत्पन्न होती थी।

2. मूल्य की राभान इकाई का अभाव-वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं का माप करना मुश्किल होता था। एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु की कितनी मात्रा दी जाए, इस सम्बन्धी कोई निश्चित पैमाना नहीं था। यदि बाज़ार में 1000 वस्तुएं तथा सेवाएं हैं तो प्रत्येक वस्तु का मूल्य 999 वस्तुओं की तुलना में बताना कठिन होता था।

3. भविष्य में किए जाने वाले भुगतान की प्रणाली का अभाव-वस्तु विनिमय प्रणाली में भविष्य के भुगतान करने के लिए उचित प्रणाली नहीं थी यदि एक मनुष्य एक गाय तथा एक भैंस उधार दे देता था तो उसकी वापसी उसी रूप में मुश्किल हुआ करती थी, क्योंकि वस्तु गुणवत्ता (Quality) में अन्तर पड़ जाता था।

4. मूल्य भण्डार प्रणाली का अभाव-वस्तु विनिमय प्रणाली में कोई ऐसी विधि नहीं थी, जिस द्वारा वस्तुओं का भण्डार किया जा सके। यदि वस्तुओं को गेहूँ, चावल अथवा पशुओं इत्यादि के रूप में भण्डार किया जाता था तो इनका मूल्य बहुत जल्दी कम हो जाता था, क्योंकि वस्तुएं खराब हो जाती थीं।

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प्रश्न 2.
वस्तु विनिमय प्रणाली के दोषों को दूर करने के लिए मुद्रा का प्रयोग कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
मुद्रा के प्रयोग से वस्तु विनिमय प्रणाली के दोषों को निम्नलिखित अनुसार दूर किया जा सकता है –

  1. आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या का हल-मुद्रा के प्रयोग से आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या हल हो जाती है। उत्पादक अपनी वस्तु बाज़ार में बेचकर मुद्रा प्राप्त करते हैं। इस मुद्रा से दूसरी अनिवार्य वस्तुओं की खरीद की जा सकती है।
  2. मूल्य निर्धारण की समस्या का हल-वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं का मूल्य निर्धारण करने की समस्या का हल मुद्रा द्वारा हो गया है। मुद्रा वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य का मापदण्ड है।
  3. धन को संग्रहित करने की समस्या का हल-मुद्रा के रूप में धन का संग्रह आसानी से किया जा सकता है। मुद्रा को बैंकों में जमा करवा दिया जाए तो चोरी का कोई डर नहीं रहता तथा इस राशि पर ब्याज भी प्राप्त होता है।
  4. उधार लेने-देने की समस्या का हल-मुद्रा द्वारा उधार लेना-देना आसान हो गया है। उधार देने के कारण यदि मुद्रा का मूल्य कीमतों के बढ़ने से कुछ कम हो जाता है तो ब्याज द्वारा उस हानि की पूर्ति हो जाती है।

प्रश्न 3.
मुद्रा का वर्गीकरण कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
मुद्रा का वर्गीकरण निम्नलिखित अनुसार किया जा सकता है-

  • मुद्रा का मूल्य मुद्रा के रूप में
  • मुद्रा का मूल्य वस्तु के रूप में।

मुद्रा के वर्गीकरण को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-

1. पूर्ण काय मुद्रा (Full bodied money)-पूर्ण काय मुद्रा वह मुद्रा है जिसका अंकित मूल्य तथा उस सिक्के द्वारा लगी हुई धातु का मूल्य समान होता है जैसे कि भारत में स्वतन्त्रता से पहले रुपया 11/12 शुद्ध चांदी का बना हुआ था, उसको पूर्ण काय मुद्रा कहा जाता था।

2. प्रतिनिधि पूर्ण काय मुद्रा (Representative full bodied Money)-प्रतिनिधि पूर्ण काय मुद्रा साधारण तौर पर काग़ज़ की बनी हुई होती है। इस प्रकार की मुद्रा का अपना न तो कोई मूल्य होता है, परन्तु इस मुद्रा को छापते समय उस मूल्य का सोना अथवा चांदी सरकार ख़जाने में रख लेती है।

3. उधार मुद्रा (Credit Money)-उधार मुद्रा वह मुद्रा होती है जिसका मुद्रा के रूप में मूल्य अधिक होता है जबकि उस वस्तु का मूल्य कम होता है जिस द्वारा उधार मुद्रा का निर्माण किया जाता है। परन्तु उधार मुद्रा अधिक मूल्य कैसे प्राप्त करती है ? ऐसा इस कारण होता है कि जिस वस्तु का उधार मुद्रा निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है वह वस्तु बाज़ार में कुल वस्तु की पूर्ति का कुछ अंश होता है। जैसे कि किसी सिक्के को पिघला दिया जाए तो उसमें लगी धातु का मूल्य सिक्के पर लिखे मूल्य से कम होगा, उधार मुद्रा के मुख्य रूप में इस प्रकार हो सकते हैं-

  • संकेतक सिक्के-सभी सिक्के ₹ 5, ₹ 2 ₹ 1, 50 पैसे इत्यादि संकेतक सिक्के हैं।
  • प्रतिनिधि संकेतक सिक्के-यह साधारण तौर पर कागज़ के नोट होते हैं।
  • केन्द्रीय बैंक के प्रामिसरी नोटों का प्रचलन-यह कागजीय नोट केन्द्रीय बैंकों द्वारा प्रचलित किए जाते हैं, जिस पर लिखा होता है, “मैं धारक को ₹ 100 अदा करने का वचन देता हूँ।”
  • बैंकों की मांग जमा-बैंकों में जमा पैसों को चैक द्वारा निकलवाया जा सकता है।

प्रश्न 4.
मुद्रा की पूर्ति के मुख्य घटक बताएं।
अथवा
मुद्रा के घटकों (Components) की व्याख्या करें।
उत्तर-
मुद्रा की पूर्ति के मुख्य घटक इस प्रकार हैं-
1. M1 = (i) जनता के पास नकद करंसी + (ii) बैंक की मांग जमा
2. M2 (i) जनता के पास नकद करंसी + बैंक की मांग जमा + (iii) डाकखानों के बचत खाते में जमा
3. M3 (i) जनता के पास नकद करंसी + (ii) बैंकों की मांग जमा + (iii) बैंकों की अवधि जमा (Time Deposit) ।
4. M4 = (i) जनता के पास नकद करंसी + (ii) बैंकों के पास मांग जमा + (iii) बैंकों के पास अवधि जमा + (iv) डाकखानों की कुल जमा (राष्ट्रीय बचत सर्टीफिकेटस को छोड़ कर)।

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प्रश्न 5.
मुद्रा के प्राथमिक कार्य बताओ।
उत्तर-
प्रो० किनले के अनुसार मुद्रा के प्राथमिक कार्य इस प्रकार हैं –
1. विनिमय का माध्यम (Medium of Exchange)-मुद्रा का मुख्य कार्य वस्तुओं में विनिमय करना होता है जैसा कि एक किसान के पास गेहूँ है उस को वह किसान बाज़ार में बेच कर मुद्रा प्राप्त करता है तथा उस मुद्रा से बाकी ज़रूरतों को पूरा करता है इस प्रकार मुद्रा विनिमय का माध्यम है।

2. मूल्य का माप (Measure of Value)- मुद्रा की सहायता से हम वस्तुओं के मूल्य का माप करते हैं जैसा कि गेहूँ की कीमत ₹ 1120 प्रति क्विटल है। इस प्रकार प्रत्येक वस्तु की कीमत मुद्रा के रूप में माप सकते हैं।

प्रश्न 6.
मुद्रा के गौत्र अथवा द्वितीयक कार्यों की व्याख्या करें।
उत्तर-
मुद्रा के द्वितीयक कार्य इस प्रकार हैं –
1. मूल्य का भण्डार (Store of Value)-मुद्रा के रूप में मूल्य संचय किया जाता है। मुद्रा का मूल्य स्थिर रहता है तथा इस को स्वीकार किया जाता है । इसलिए मुद्रा का प्रयोग करके मूल्य का भण्डार किया जा सकता

2. स्थगित भुगतानों का मान (Standard of Deferred Payments)-मुद्रा की सहायता से उधार लेना तथा देना सम्भव है। मुद्रा द्वारा भविष्य में भुगतान किया जा सकता है क्योंकि मुद्रा के मूल्य में परिवर्तन बहुत कम होता है। जिस की भरपाई ब्याज द्वारा की जा सकती है।

3. मूल्य का हस्तांतरण (Transfer of Value)- मुद्रा से धन का हस्तांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से किया जा सकता है। मनुष्य अपनी जायदाद, मकान, दुकान, ज़मीन एक स्थान पर बेच कर मुद्रा प्राप्त कर सकता है और इस मुद्रा से किसी और स्थान पर खरीद सकता है।

प्रश्न 7.
मुद्रा के आकस्मिक कार्यों की व्याख्या करो।
उत्तर-
मुद्रा के आकस्मिक कार्य इस प्रकार हैं-
1. राष्ट्रीय आय के वितरण का आधार (Basis of Distribution of National Income)-राष्ट्रीय आय, उत्पादन के साधनों के बीच वितरण की जाती है। उत्पादन के साधन भूमि, श्रम, पूंजी और संगठन का मेहनताना लगान, मज़दूरी, ब्याज और लाभ का माप मुद्रा द्वारा किया जाता है। इस प्रकार मुद्रा राष्ट्रीय आय के वितरण का आधार है।

2. साख निर्माण का आधार (Basis of Credit Creation)-व्यापारिक बैंकों में जो राशि जमा होती है उस द्वारा बैंक कई गुणा अधिक साख निर्माण करते हैं। इस प्रकार स्तख निर्माण का कार्य मुद्रा की सहायता से ही संभव हुआ है।

3. अधिकतम सन्तुष्टि का आधार (Basis of Maximum Satisfaction)-उपभोगी अपनी सीमित आय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना चाहता है। उसको अपनी मुद्रा भिन्न-भिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार से व्यय करनी चाहिए कि प्रत्येक वस्तु से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता एक-दूसरे के बराबर हो। इस प्रकार उपभोगी को अधिक्तम सन्तुष्टि प्राप्त होगी।

4. भुगतान की गारंटी (Guarantee of Solvency)-मुद्रा द्वारा भविष्य में भुगतान की गारंटी दी जा सकती है। बैंक में मुद्रा जमा करवा दी जाए तो बैंक भविष्य में भुगतान की गारंटी दे देता है।

प्रश्न 8.
उच्च शक्ति योग्य मुद्रा से क्या अभिप्राय है ? इसे उच्च शक्ति योग्य मुद्रा क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
उच्च शक्ति योग्य मुद्रा आधुनिक युग में मुद्रा की पूर्ति का मुख्य निर्धारक माना जाता है। उच्च शक्ति मुद्रा देश में व्यापारिक बैंकों में मौद्रिक भंडार और जनता के पास नकदी (सिक्के अथवा नोट) का जोड़ होता है उच्च शक्ति मुद्रा आधार है जोकि बैंक जमा के रूप में व्यक्त किया जाता है और मुद्रा की पूर्ति का निर्माण करता है। इसको उच्च शक्ति योग्य मुद्रा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस द्वारा वस्तुओं और सेवाओं में तबादला बहुत जल्दी और आसानी से होता है। इस द्वारा उधार मुद्रा का निर्माण भी किया जाता है। व्यापारिक बैंकों की उधार देने की शक्ति में वृद्धि से मुद्रा की पूर्ति निर्धारण करती है।

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प्रश्न 9.
मुद्रा और निकट मुद्रा में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
मुद्रा और निकट मुद्रा में अन्तर –

अंतर का आधार मुद्रा निकट मुद्रा
1. मुद्रा के अंश मुद्रा में नोट सिक्के तथा बैंक की माँग जमा को शामिल किया जाता है। निकट मुद्रा में ट्रेजरी बिल विनिमय बिल, बान्ड सरकारी प्रतिभूतियाँ और बैंकों की निश्चित कालीन जमा राशि आदि को शामिल किया जाता है।
2. तरलता मुद्रा में अधिक तरलता होती है। निकट मुद्रा में कम तरलता होती है।
3. कानूनी तथा साधारण स्वीकृति मुद्रा को कानूनी तथा साधारण स्वीकृति होती है। निकट मुद्रा को कानूनी तथा साधारण स्वीकृति नहीं होती।
4. आय मुद्रा से आय की प्राप्ति नहीं होती। निकट मुद्रा से आय की प्राप्ति हो ती है।
5. प्रयोग मुद्रा का प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं, से विनिमय के लिए किया जाता है। निकट मुद्रा को पहले मुद्रा में तबदील किया जाता है और बाद में विनिमय किया जाता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वस्तु विनिमय प्रणाली की मुश्किलें बताओ। वस्तु विनिमय प्रणाली की मुश्किलों को दूर करने के लिए मुद्रा कैसे सहायक हुई है ?
(State the inconveniences of barter exchange. How does money help in removing the drawbacks of barter system ?)
उत्तर-
जब किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा का प्रयोग न किया जाए तथा वस्तुओं का विनिमय वस्तुओं से किया जाए तो इस प्रणाली को वस्तु विनिमय प्रणाली कहा जाता है। इसको C-C (Commodity-Commodity) अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है। वस्तु विनिमय की मुश्किलें (Inconveniences or Difficulties or Drawbacks of Barter Exchange) वस्तु विनिमय की मुश्किलें निम्नलिखित अनुसार हैं –
1. आवश्यकताओं के दोहरे मेल की कमी (Lack of Double Co-incidence of Wants)-खरीददारों तथा बेचने वालों की आवश्यकताओं की साथ-साथ पूर्ति को आवश्यकताओं का दोहरा मेल कहा जाता है। विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे मेल की कमी होती है। उदाहरणस्वरूप एक किसान के पास गेहूँ है। इसके बदले में वह कपड़ा प्राप्त करना चाहता है। वह जुलाहे के पास जाकर कपड़े की मांग करता है, परन्तु जुलाहे को गेहूँ की आवश्यकता नहीं, बल्कि उसको जूते अनिवार्य हैं। इसलिए किसान को पहले गेहूँ देकर जूते प्राप्त करने पड़ेंगे तथा फिर वह कपड़े की आवश्यकता को पूरा कर सकता है। इस प्रकार वस्तु विनिमय में दोहरे मेल की कमी के कारण मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

2. मूल्य के माप की काठिनाई (Difficulty in easure of Value)-विनिमय प्रणाली में वस्तुओं के मूल्य के माप की कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वस्तुओं का मूल्य वस्तुओं के रूप में निश्चित किया जाए तो बहुत अधिक विनिमय मूल्य याद रखने पड़ते हैं। मान लो अर्थव्यवस्था में 1000 वस्तुएँ हैं तो प्रत्येक वस्तु के 999 मूल्य याद रखने आसान नहीं होते, बल्कि बहुत कठिन होते हैं।

3. भविष्य के भुगतानों में मुश्किलें (Difficulty in Future Payments)-भविष्य भुगतानों में मुश्किल का अर्थ है कि ठेके के भुगतानों (Contractual Payments) में कठिनाई। यदि वस्तु के रूप में भुगतान किया जाता है तो उसी रूप में वस्तु की वापसी करनी मुश्किल होती थी। गाय के रूप में उधार दिया जाता है तो उसी तरह की गाय वापिस करनी मुश्किल होती है। वस्तुओं की गुणवत्ता (Quality) में अन्तर पड़ जाता है।

4. मूल्य-संचय में कठिनाई (Difficulty in Store of Value)-वस्तु विनिमय प्रणाली में धन को एकत्रित करना मुश्किल होता है। वस्तुओं के रूप में धन को अधिक समय के लिए भण्डार नहीं किया जा सकता। यदि पशुओं के रूप में धन संचय किया जाता है तो पशुओं के बीमार पड़ने की स्थिति में धन जल्दी नष्ट हो जाता था। गेहूँ, चावल, इत्यादि के रूप में धन जल्दी नष्ट हो जाता है।

5. धन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की कठिनाई (Difficulty in Transport of Wealth) वस्तु विनिमय प्रणाली में धन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना मुश्किल होता है। किसी मनुष्य के पास मकान अथवा ज़मीन है तो इस प्रकार के धन के दूसरे स्थानों पर ले जाने की कठिनाई आती है। वस्तु विनिमय प्रणाली की मुश्किलें दूर करने के लिए मुद्रा का योगदान (Role or Importance of money in removing drawbacks of barter system)-आधुनिक युग में मुद्रा का योगदान महत्त्वपूर्ण है। मुद्रा ने वस्तु विनिमय प्रणाली की मुश्किलों को दूर करने के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान डाला है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 6 मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य

इससे वस्तु विनिमय प्रणाली की मुश्किलों को दूर किया गया है –

  1. आवश्यकताओं के दोहरे मेल की समस्या का हल-मुद्रा के भाव में आने से आवश्यकताओं के दोहरे मेल की समस्या का हल हो गया है। मुद्रा की सहायता से वस्तुओं का विनिमय आसानी से किया जाता है।
  2. वस्तुओं के मूल्य का माप-मुद्रा के विकास से वस्तुओं के मूल्य का माप आसान हो गया है। प्रत्येक वस्तु का मूल्य मात्रा के रूप में निर्धारित किया जा सकता है।
  3. मूल्य संचय की कठिनाई का हल-वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य संचय करना मुश्किल था। मुद्रा के निर्माण से मूल्य संचय करना आसान हो गया है।
  4. उधार लेने-देने में आसानी-मुद्रा की सहायता से उधार लेना तथा देना आसान हो गया है। मुद्रा के रूप में उधार का भविष्य में भुगतान किया जा सकता है।
  5. व्यापार में आसानी-मुद्रा की सहायता से व्यापार करने में आसानी हो गई है।
  6. अधिकतम सन्तुष्टि-उपभोगी द्वारा मुद्रा की सहायता से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त की जा सकती है।
  7. आर्थिक समस्याओं का हल-मुद्रा से मुद्रा स्फीति, मुद्रा अस्फीति, मन्दीकाल इत्यादि आर्थिक समस्याओं का हल किया जा सकता है। मार्शल के शब्दों में, “मुद्रा धुरा है, जिसके इर्द-गिर्द आर्थिक विज्ञान घूमता है।”
    (“Money is the hub around which economic science clusters.”)

प्रश्न 2.
मुद्रा से क्या अभिप्राय है? मुद्रा के विकास को स्पष्ट करो। मुद्रा के मुख्य कार्यों की व्याख्या करो। (What is money ? Explain the Evolution of money. Discuss the functions of money.)
अथवा
मुद्रा से क्या अभिप्राय है ? मुद्रा के प्राथमिक, गौण तथा आकस्मिक कार्यों की व्याख्या करें।
(What is Money ? Discuss the primary, secondary and contingent functions of money.)
उत्तर-
मुद्रा का अर्थ (Meaning of Money)-मुद्रा की परिभाषा निम्नलिखित भागों में विभाजित करके दी जा सकती है –

  1. मुद्रा की कानूनी परिभाषा (Legal Definition of Money)-मुद्रा कोई भी ऐसी वस्तु होती है, जिसको कानूनी तौर पर विनिमय के रूप में सरकार द्वारा घोषित किया जाता है। ऐसी मुद्रा के पीछे सरकारी आदेश होता है, जिस कारण कोई मनुष्य इस मुद्रा को स्वीकार करने से इन्कार नहीं कर सकता।
  2. मुद्रा की क्रियात्मक परिभाषा (Functional Definition of Money)-मुद्रा कोई भी वस्तु हो सकती है जिसको साधारण तौर पर विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है तथा यह मूल्य के माप तथा मूल्य के संचय करने का कार्य भी करती है।
  3. मुद्रा की संकुचित परिभाषा (Narrow Definition of Money)-मुद्रा की संकुचित परिभाषा में मुद्रा की क्रियात्मक परिभाषा को शामिल किया जाता है। इस परिभाषा में मुद्रा के कार्य
  • विनिमय का साधन
  • मूल्य का माप
  • मूल्य का संचय करना
  • भविष्य भुगतान का आधार के रूप में लिया जाता है।

4. मुद्रा की विस्तृत परिभाषा (Broad Definition of Money)-मुद्रा की विस्तृत परिभाषा में करन्सी नोट, सिक्के, बैंकों में मांग जमा, अवधि जमां, डाकखानों में जमा, जिसको कम समय के नोटिस पर प्राप्त किया जा सकता है तथा निकट मुद्रा परिसम्पत्तियों जैसे कि भागीदारियां, ब्रांड, प्रतिभूतियां इत्यादि को शामिल किया जाता है।

मुद्रा का विकास (Evolution of Money) वस्तु विनिमय बाज़ार की मुश्किलों को दूर करने के लिए मनुष्य ने मुद्रा का विकास किया। मुद्रा निम्नलिखित पड़ावों में से गुजर कर वर्तमान रूप में आई है-

  1. वस्तु मुद्रा-आरम्भ में वस्तुएं जैसे कि गेहूँ, दाल, चावल इत्यादि का प्रयोग मुद्रा के रूप में किया गया।
  2. धातु मुद्रा-पश्चात् में कुछ धातुओं जैसे कि लोहा, तांबा, चांदी, सोना इत्यादि ने मुद्रा का रूप धारण किया।
  3. कागजी मुद्रा-कागज़ी मुद्रा को पहले चीन में तथा फिर शेष विश्व में मुद्रा के रूप में प्रयोग किया गया। आज- कल कागज़ी मुद्रा प्रत्येक देश में प्रचलित है।
  4. बैंक मुद्रा-धीरे-धीरे बैंकों के विस्तार से चैक, ड्राफ्ट तथा इलैक्ट्रॉनिक मुद्रा (A.T.M.) प्रचलित हो गई है।

मुद्रा के मुख्य कार्य (Main Functions of Money)-मुद्रा के कार्यों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(A) मुद्रा के प्राथमिक कार्य (Primary Functions of Money)-मुद्रा के दो मुख्य कार्य हैं –

  • विनिमय का माध्यम (Medium of Exchange)-मुद्रा वस्तुओं के विनिमय के लिए माध्यम के रूप में प्रयोग की जाती है। मुद्रा का यह महत्त्वपूर्ण कार्य है।
  • मूल्य का माप (Measure of Value)-वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है। यह लेखे की इकाई है, जैसे कि गेहूं का मूल्य ₹ 700 क्विटल है।

(B) मुद्रा के द्वितीयक कार्य (Secondary Functions of Money) – मुद्रा के तीन द्वितीयक कार्य हैं3. मूल्य का भण्डार (Store of Value)-मुद्रा के रूप में मूल्य संचय किया जा सकता है। इसका मूल्य स्थिर रहता है तथा इसको साधारण तौर पर स्वीकार किया जा सकता है।

4. स्थगित भुगतानों का मान (Standard of Deferred Payments)-मुद्रा की सहायता से उधार लेना तथा देना सम्भव होता है। इसका भुगतान भविष्य में किया जा सकता है, क्योंकि इसके मूल्य में परिवर्तन नहीं होता तथा यह प्रयोग करने योग्य होती है।

5. मूल्य का हस्तांतरण (Transfer of Value)-मुद्रा से धन का हस्तांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से किया जा सकता है। मनुष्य अपनी जायदाद, मकान, दुकान, जमीन एक स्थान पर बेचकर मुद्रा प्राप्त कर सकता है तथा दूसरे स्थान पर खरीद सकता है।

(C) मुद्रा के आकस्मिक कार्य (Contingent Functions of Money)-मुद्रा के आकस्मिक कार्य इस प्रकार हैं –

6. आय के वितरण का आधार (Basis of Distribution of National Income)-मुद्रा की सहायता से राष्ट्रीय आय का माप किया जा सकता है। राष्ट्रीय आय उत्पादन के साधनों में लगान, मज़दूरी, ब्याज तथा लाभ के रूप में विभाजित की जाती है। इसलिए मुद्रा राष्ट्रीय आय के वितरण का आधार है।

7. उधार निर्माण का आधार (Basis of Credit Creation)-व्यापारिक बैंक, जमा मुद्रा की सहायता से उधार निर्माण करने में सफल होते हैं।

8. अधिकतम सन्तुष्टि का आधार (Basis of Maximum Satisfaction) उपभोगी अपनी सीमित मुद्रा की सहायता से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सकता है। इस उद्देश्य के लिए समसीमान्त तुष्टिगुण का नियम सहायक होता है।

9. पूंजी को तरलता प्रदान करती है (Provides Liquidity to Capital)—मुद्रा में यह गुण है कि इसको साधारण तौर पर स्वीकार किया जाता है। इसलिए मुद्रा, पूंजी को तरलता प्रदान करती है।

10. भुगतान की गारण्टी (Guarantee of Solvency)-मुद्रा द्वारा भविष्य में भुगतान की गारण्टी दी जा सकती है। बैंक में मुद्रा जमा करवा दी जाए तो बैंक आपके भविष्य के भुगतान की गारण्टी दे देता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 6 मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य

प्रश्न 3.
मुद्रा एक अच्छा सेवक तथा बुरा स्वामी है। स्पष्ट करें।
(Money is a good servant but a bad master. Explain.)
अथवा
मुद्रा से क्या अभिप्राय है ? मुद्रा के गुण तथा अवगुण बताएँ।
(What is Money ? Give Merits and Demerits of Money.)
उत्तर-
प्रो० कराऊथर के अनुसार, “वह वस्तु जिसे लोग वस्तुओं की खरीद बेच और ऋण के रूप में स्वीकार करते हैं उसको मुद्रा कहते हैं।” मुद्रा वह तरल पदार्थ है जो एक देश में बटांदरे के रूप में पाए जाते हैं। मुद्रा के लाभ तथा मुद्रा एक अच्छा स्वामी है (Merits of Money or Money is a Good Servant)मुद्रा एक अच्छा स्वामी है इस का मुद्रा से प्राप्त होने वाले लाभों से ज्ञात होता है।

  1. मुद्रा और आर्थिक विकास (Money & Economic Growth)- मुद्रा एक ऐसा आधार है जिस के ऊपर आर्थिक विकास की इमारत बनती है।
  2. उपभोक्ताओं को लाभ (Advantage to the Consumers)- मुद्रा उपभोक्ताओं के लिए लाभदायिक होती है। उपभोगी अपनी सीमित आय से मुद्रा द्वारा अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करते हैं।
  3. उत्पादकों को लाभ (Advantage to the Producers)- मुद्रा की सहायता से उत्पादक तथा बिक्री की क्रियाओं का संचालन होता है, जिस द्वारा उत्पादक अधिकतम लाभ प्राप्त करता है। बढ़े पैमाने पर उत्पादन मुद्रा की सहायता से ही संभव हो सका है।
  4. विनिमय में लाभ (Advantage in Exchange)-मुद्रा की सहायता से वस्तु बटांदरा प्रणाली के दोषों को दूर करके कीमत निर्धाण करना आसान हो गया है। इस द्वारा उत्पादन के साधनों का मेहनताना निर्धाण करना आसान हो गया है।
  5. विभाजन में लाभदायिक (Advantage in Distribution)-मुद्रा द्वारा उत्पादन के साधनों, भूमि, श्रम, पूँजी तथा संगठन का मेहनताना निर्धारण करना आसान हो पाया है। इस द्वारा राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार भी संभव हो गया है।
  6. पूँजी निर्माण (Capital Formuation)-मुद्रा द्वारा आसानी से बचत की जा सकती है। इस बचत को निवेश करके पूँजी निर्माण किया जा सकता है। मुद्रा द्वारा नये उद्योग स्थापित किये जा सकते हैं और मानवीय पूँजी का विकास होता है। मुद्रा के अवगुण अथवा मुद्रा
  7. बुरा स्वामी है (Demerits of Money or Money is a Bad Master)-मुद्रा से अच्छी तरह से संचालन न किया जाए तो बहुत-सी बुराइयां पैदा हो जाती हैं। इसलिए मुद्रा को बुरा स्वामी कहा जाता है।

इस के मुख्य दोष इस प्रकार हैं –

  • मुद्रा के मूल्य में अस्थिरता (Instability in Value of Money)-मुद्रा के फैलने से इस के मूल्य में कमी हो जाती है और मुद्रा की खरीद शक्ति कम हो जाती है।
  • आय का असामान्य वितरण (Unequal distribution of Income)-मुद्रा द्वारा आय के असामान्य वितरण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अमीर लोग और अमीर हो जाते हैं और ग़रीब ज्यादा ग़रीब हो जाते हैं।
  • व्यापारिक चक्र (Trade Cycle)-पूँजीवाद देशों में मुद्रा के कारण व्यापारिक चक्रों की समस्या उत्पन्न हो जाती है । तेजीकाल तथा मंदीकाल की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मंदीकाल में बेरोज़गारी फैल जाती है।
  • ऋण में वृद्धि (Increase in Debt)- मुद्रा के कारण लोगों पर ऋण का भार तेजी से बढ़ रहा है। ऋण की प्राप्ति आसानी से होने के कारण लोग गैर आवश्यक वस्तुओं पर व्यय करते हैं। इस से फ़जूल खर्चों में वृद्धि होती है।
  • बुरा स्वामी (Bad Master)-यदि मुद्रा पर ठीक ढंग से काबू न पाया जाए तो इससे भ्रष्टाचार, मुद्रा स्फीति काला धन और शोषण की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस से तंग आकर लोग आन्दोलन करते हैं और देश में अराजकता फैल जाती है।

प्रश्न 4.
विमुद्रीकरण से क्या अभिप्राय है ? भारत में 8 नवम्बर, 2016 को किए गए विमुद्रीकरण को स्पष्ट करें। इसके लाभ एवं हानियां बताएं।
(What is meant by Demonetisation ? Explain the demonetisation of 8th November, 2016 in India. Explain its advantages and dis-advantages.)
उत्तर-
1. विमुद्रीकरण क्या है ? (What is demonetisation ?)—जब सरकार पुरानी मुद्रा को कानूनी तौर पर बन्द कर देती है और नई मुद्रा लाने की घोषणा करती है तो इसे विमुद्रीकरण (demonetisation) कहते हैं। इसके बाद पुरानी मुद्रा अथवा नोटों की कोई कीमत नहीं रह जाती। सरकार द्वारा पुराने नोटों को बैंकों से बदलने के लिए लोगों को समय दिया जाता है ताकि वह पुराने नोटों को नए नोटों में बदल सकें।

2. विमुद्रीकरण क्यों किया जाता है ? (Why demonetisation ?) काला धन, भ्रष्टाचार, नकली नोट और आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकारें विमुद्रीकरण का फैसला लेती हैं। अवैध गतिविधियों में लोग नोटों को अपने पास नकदी के रूप में ही रखते हैं। इस प्रकार विमुद्रीकरण से सीधे उन पर चोट होती है। कई बार नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए भी नोटबन्दी की जाती है। मोदी सरकार को भी उम्मीद है कि नोटबन्दी के चलते काले धन, नकली नोट और आतंकवाद पर अंकुश लगेगा। नोटबन्दी के कारण भारत में आम आदमी को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

3. भारत में विमुद्रीकरण (Demonetisation in India)-भारत में 8 नवम्बर, 2016 को रात 8 बजे प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबन्दी की घोषणा कर दी। इस घोषणा में ₹ 500 और ₹ 1000 के नोटों को रात 12 बजे के बाद कानूनी मुद्रा (Legal Tender) न होने का ऐलान किया गया। इसका उद्देश्य केवल काले धन पर नियन्त्रण ही नहीं बल्कि जाली नोटों से छुटकारा पाना भी था। इससे पहले भारत में दो बार विमुद्रीकरण किया गया था। 1946 में ₹ 1000 और ₹ 10,000 के नोटों को वापस ले लिया गया था और 1954 में भारत सरकार ने ₹ 1000, ₹ 5,000 और ₹ 10,000 के नए नोट शुरू किए। दूसरी बार 1978 में ₹ 1000, ₹ 5000 और ₹ 10,000 के नोटों का विमुद्रीकरण किया गया ताकि काले धन पर अंकुश लगाया जा सके।

28 अक्तूबर, 2016 को भारत में ₹ 17.77 लाख करोड़ मुद्रा प्रचलित थी, जिसमें से 86% ₹ 500 और ₹ 1000 के नोट थे। देश में जाली नकदी में लगातार वृद्धि हो रही थी जिसको भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया था। इस कारण पुराने नोटों को खत्म करने का निर्णय लिया गया। इसके स्थान पर ₹ 500 और ₹ 2000 के नए नोट चालू किए गए। ₹ 500 के नोट का आकार 66 मि० मीटर x 150 मि० मीटर है। नोट के पीछे लाल किले की तस्वीर और स्वच्छ भारत अभियान का लोगो भी है। इन नोटों को महात्मा गांधी न्यू सीरीज़ ऑफ नोट्स का नाम दिया गया है। ₹ 2000 का नोट गुलाबी रंग का है। इसके पीछे की ओर मंगलयान की तस्वीर है। 25 अगस्त, 2017 से ₹ 200 का नोट भी बाजार में आ गया है। नोट के सीरियल नम्बरों का फोंट साइज़ बदला गया है।

4. विमुद्रीकरण में नोट बदलने की विधि (Procedure for Exchange of Notes in demonetisation)भारत में 8 नवम्बर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के पश्चात् 30 दिसम्बर, 2016 तक बैंकों से नोट बदलने की प्रक्रिया चली। इसके बाद पुराने नोट बदलने का कार्य केवल R.B.I. द्वारा ही किया जाएगा।

नोट बदलने के नियम इस प्रकार ङ्केरखे गए –

  • ATM से एक दिन में ₹ 2500 तक निकाल सकते हैं।
  • एक दिन में ग्राहक बैंक से ₹ 24000 से ज्यादा नहीं निकाल सकता और एक हफ्ते के बाद ही बैंक से ₹ 24000 दोबारा निकाले जा सकते हैं।
  • एक दिन में कोई भी व्यक्ति ₹ 2000 तक के नोट बदल सकता है।
  • कोई भी व्यक्ति अपने निजी बैंक खाते में जितना चाहे पैसा जमा करवा सकता है। ₹ 2,50,000 तक जमा की गई रकम का जवाब नहीं मांगा जाएगा। इससे ज्यादा जमा रकम के बारे में आयकर विभाग जांच करेगा।
  • ई-बैंकिंग लेन-देन पर कोई भी रोक नहीं है और कोई व्यक्ति आर०टी०जी०एस०, एन०ई०एफ०टी०, आई०एम०पी०एल०, पे०टी०एम०, मोबाईल बैंकिंग आदि के ज़रिए जितने चाहे पैसे किसी दूसरे को दे सकता है।

5. विमुद्रीकरण के लाभ (Advantages of Demonetisation) –

1. काले धन पर प्रहार-विमुद्रीकरण की सबसे करारी चोट काले धन पर पड़ी है। अनुमान लगाया जाता है कि भारत में लगभग ₹ 3 लाख करोड़ काले धन के रूप में छुपा कर रखे गए थे। इन रुपयों का हवाला कारोबार, तस्करी, आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों में धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा था। कश्मीर में जारी हिंसा में भी काला धन मुख्य भूमिका निभा रहा था। देश की राजनीति में भी काले धन का मुद्दा काफ़ी समय से चर्चा में था। इसलिए विमुद्रीकरण से काले धन पर पूर्ण तो नहीं आंशिक रूप में रोक ज़रूर लगेगी।

2. आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों पर प्रहार-विमुद्रीकरण द्वारा आतंकवाद, नक्सली समूहों, नशे के व्यापारियों और गैर-कानूनी गतिविधियों को करारा आघात पहुंचा है। इसका प्रभाव कश्मीर में खास तौर पर देखने को मिल रहा है। इन आपराधिक गतिविधियों के लिए इकट्ठे किए गए नोट कागज़ के टुकड़े बन गए हैं और इनकी गतिविधियां ठप्प हो गई हैं।

3. काला धन्धा करने वालों पर प्रहार-देश में जो व्यापारी काला धन्धा करते थे और इससे प्राप्त काले धन को नकदी के रूप में अपने पास रखते थे उन पर भी विमुद्रीकरण से करारी चोट की गई है। काले धन्धे में लगे लोग तथा भ्रष्ट लोग, ग़रीब लोगों का सहारा ले रहे हैं ताकि काले धन को सफेद किया जा सके।

4. अर्थ-व्यवस्था में वृद्धि-विमुद्रीकरण से अर्थव्यवस्था में वृद्धि होने की संभावना है। विमुद्रीकरण से सरकारी खाते में लगभग ₹ 3 लाख करोड़ आएंगे और ₹ 70,000 करोड़ विभिन्न करों से आने की उम्मीद है। इसका प्रभाव अल्पकाल में नहीं बल्कि दीर्घकाल में ज़रूर नज़र आएगा। इस रकम के आने से सरकार आधारभूत ढांचे में निवेश करेगी जिससे देश के आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।

5. कर द्वारा आय में वृद्धि-सरकार ने विमुद्रीकरण से पहले और विमुद्रीकरण के दौरान काले धन को छिपाकर रखने वाले लोगों को काला धन घोषित करने को कहा और बिना पैनलटी के कर जमा करने की छूट दी। बाद में पैनलटी के साथ कर जमा करने को कहा। इससे सरकार की कर आय में 14.5% वृद्धि हो चुकी है।

6. रोज़गार में वृद्धि-विमुद्रीकरण के बाद सरकार की मुद्रा योजना को बल मिलेगा। सरकार की योजनाओं को बैंकों से सहयोग नहीं मिल रहा था इसलिए सरकार के पास नकदी का संकट था, परन्तु अब बैंकों में नकदी का प्रवाह बढ़ा है जिस कारण औद्योगिक गतिविधियाँ बढ़ रही हैं और रोज़गार में वृद्धि होगी।

7. ब्याज दर में कमी-विमुद्रीकरण के बाद काले धन के एक बड़े भाग को अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में लाया जाएगा। इससे बैंकों के पास जमा राशि में बढ़ोत्तरी होगी जिससे ब्याज दरों में कमी आएगी। इससे लोग व्यापार में निवेश करेंगे और मकानों की बिक्री बढ़ने की सम्भावना है।

8. नकद लेन-देन में कमी-विमुद्रीकरण के बाद अर्थव्यवस्था कैशलेस अर्थव्यवस्था (Cashless Economy) की तरफ बढ़ रही है। सरकार नकद लेन-देन पर रोक लगा रही है ताकि काले धन से लेन-देन खत्म हो सके। नकद लेन-देन को सरकार नि:उत्साहित कर रही है।

9. लोक कल्याणकारी योजनाएं-विमुद्रीकरण द्वारा सरकार के पास जैसे-जैसे धन की प्राप्ति होती है लोक कल्याणकारी योजनाओं में निवेश में वृद्धि की जाएगी। 2022 तक सरकार प्रत्येक का अपना घर का लक्ष्य लिए हुए है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 6 मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य

6. विमद्रीकरण की हानियां (Dis-advantages of demonetisation) –

1. विमुद्रीकरण से देश की जी०डी०पी० (GDP) पर सुस्ती आने की सम्भावना है परन्तु यह अल्पकाल के लिए होगा और दीर्घकाल में इसमें वृद्धि ही होगी।

2. विमुद्रीकरण से पर्यटन उद्योग को धक्का लगा है। भारत आने वाले पर्यटकों ने अपना दौरा रद्द कर दिया क्योंकि नकद पैसा निकलवाने में मुश्किल का सामना करना पड़ता था। विमुद्रीकरण लम्बे समय में लाभदायक ही सिद्ध होगी। नोटबन्दी के बारे में रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट 30 अगस्त, 2017 को प्रकाशित हुई है जिसमें यह कहा गया है कि नोटबन्दी में ₹ 1000 और ₹ 500 के 99% नोट वापिस आ गए हैं। 8 नवम्बर, 2017 को ₹ 1000 और ₹ 500 के ₹ 15.44 लाख करोड़ के नोट चलन में थे। 30 जून, 2017 को ₹ 15.28 करोड़ के नोट वापिस आ गए। सरकार के नोटबंदी पर ₹ 21 हजार करोड़ खर्च हुए और ₹ 16.5 करोड़ के नोट वापिस नहीं आए।

प्रश्न 5.
मुद्रा की पूर्ति से क्या अभिप्राय है ? मुद्रा की पूर्ति के प्रभाव स्पष्ट करें।
(What is meant by Supply of Money ? Discuss the effects of the Supply of Money ?
उत्तर-
मुद्रा की पूर्ति एक अर्थव्यवस्था में करंसी के समस्त भंडार को कहा जाता है। इसमें निश्चित समय पर प्रचलत मौद्रिक भंडार भी शामिल होते हैं। मुद्रा में नकद मुद्रा, सिक्के और बचत खातों में रकम को शामिल किया जाता है समष्टि अर्थशास्त्र को समझने के लिए मुद्रा की पूर्ति का ज्ञान आवश्यक होता है। अर्थशास्त्रियों का विचार है कि मुद्रा की पूर्ति, नीति निर्माण के लिए अति आवश्यक होती है। सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की सफलता के लिए मुद्रा की पूर्ति का ज्ञान आवश्यक होता है। देश में मुद्रा की पूर्ति का ज्ञान आवश्यक होता है। देश में मुद्रा की पूर्ति, कीमत के स्तर, मुद्रा स्फीति और व्यापारिक चक्र देश के व्यापार पर प्रभाव डालते हैं। मुद्रा पूर्ति को मुद्रा स्टाक (Money stock) भी कहा जाता है।

मुद्रा पूर्ति का माप (Measurement of Supply of Money)-मुद्रा की पूर्ति (Ms) के बहुत से रूप होते हैं। जैसे कि –

  1. M0 = देश में मुद्रा की कुल पूर्ति को Mo कहा जाता है जिसमें हर प्रकार की मुद्रा शामिल होती है।
  2. M1 = (Narrow Money) = (CC + DD + Other Deposits) इसमें देश के करंसी नोटों (C.C.) को शामिल किया जाता है। इस के इलावा इसमें मांग जमा (Demand Deposits (D.D.) को भी शामिल करते हैं। बैंकों में और प्रकार के खातों जैसे कि चालू खाते में जमा (Current Deposits) को भी शामिल किया जाता है।
  3. M2 = (M1 + Saving Deposits of Post-Office Savings) यदि हम M1 = CC + DD + Other Deposits of the banks) के साथ डाकखानों में बचत खाते में जमा राशि को शामिल कर लेते हैं तो इसको M2 कहा जाता है।

M3 = Broad Money = (M1 + Time Deposits of Banks)
विशाल मुद्रा में हम M1 = CC + Cash Currency) + DD + Other deposits of Bank (Current Deposits) के साथ यदि बैकों में समय अवधि जमा को शामिल कर लेते हैं तो इसको M3 का नाम दिया जाता है।
M4 = (Wide Measure) = M3 + Post Office saving deposits)
M3 = में हमने (CC + DD + Other deposits) को शामिल करके इसमें बैंकों में समय अवधि जमा (Time Deposits) को भी शामिल किया था। यदि इसमें डाकखानों में जमा बचत खातों में जमा रकम को जोड़ लिया जाए तो इसको M4 का नाम दिया जाता है।

अर्थव्यवस्था पर मुद्रा की पूर्ति के प्रभाव (Effects of Supply of Money on the Economy)-मुद्रा की पूर्ति अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालती है। जब मुद्रा की पूर्ति बढ़ जाती है तो इससे ब्याज की दर (Rate of Interest) कम हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप निवेश में वृद्धि होती है। लोगों की मौद्रिक आय बढ़ने से व्यय में भी वृद्धि होती है। उत्पादन बढ़ने लगता है और रोज़गार पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 6 मुद्रा, मुद्रा की पूर्ति तथा कार्य

इसके विपरीत यदि मुद्रा की पूर्ति कम हो जाती है तो इस का अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मुद्रा की कम पूर्ति के कारण व्यापारिक चक्र पैदा होते हैं जैसे कि सुस्ती और मंदीकाल (Depression) की स्थिति पैदा हो जाती है। मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि की जाए तो पुनरुत्थान (Recovery) और तेजीकाल (Boom) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार मुद्रा की पूर्ति से देश में आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

Punjab State Board PSEB 6th Class Science Book Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Science Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

Science Guide for Class 6 PSEB ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ Intext Questions and Answers

ਸੋਚੋ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ (ਪੇਜ 136)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਚੁੰਬਕ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਨੂੰ ……….. ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
(ਉ) ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ
(ਅ) ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਚੁੰਬਕ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਨੂੰ ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਚੁੰਬਕ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ, ਨੂੰ ……….. ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
(ਉ) ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ
(ਅ) ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਚੁੰਬਕ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ, ਨੂੰ ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

ਸੋਚੋ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ (ਪੇਜ 137)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਇੱਕ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਦਾ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਕਿਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ ?
(ੳ) ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ
(ਅ) ਪੂਰਬ-ਦੱਖਣ ।
ਉੱਤਰ-ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ।

ਸੋਚੋ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ (ਪੇਜ 139)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਇਸ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਦੇ ………….. ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (ਦੂਰ/ਨਜ਼ਦੀਕ)
ਉੱਤਰ-
ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਇਸ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਦੇ ਨਜ਼ਦੀਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2. ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ………. ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (ਦੋ/ਇੱਕ)
ਉੱਤਰ-
ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋ ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਸੋਚੋ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ (ਪੇਜ 140)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ ਧਰਤੀ ਦੀਆਂ ………….. ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਯੰਤਰ ਹੈ । ਸਮਾਂ/ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ)
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ ਧਰਤੀ ਦੀਆਂ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਯੰਤਰ ਹੈ ।

ਸੋਚੋ ਅਤੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ (ਪੇਜ 141)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ………… ਕਰਦੇ ਹਨ । (ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ/ਆਕਰਸ਼ਿਤ)
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ………… ਕਰਦੇ ਹਨ । (ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ/ਆਕਰਸ਼ਿਤ)
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 6th Class Science Guide ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ Textbook Questions, and Answers

1. ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ

(i) ਮੈਗਨੇਟਾਈਟ ਇੱਕ ……………. ਚੁੰਬਕ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ,

(ii) ਪਲਾਸਟਿਕ ਇੱਕ ……………. ਪਦਾਰਥ ਨਹੀਂ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਚੁੰਬਕੀ,

(iii) ਇੱਕ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ……………. ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੋ,

(iv) ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਇਸਦੇ ……………. ‘ਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿਰਿਆਂ,

(v) ………………. ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਧਰਤੀ ਤੇ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ ।

2. ਸਹੀ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ ਲਿਖੋ-

(i) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਅਲੱਗ ਕੀਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ,

(ii) ਚੁੰਬਕ ਕੱਚ ਦੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ,

(iii) ਚੁੰਬਕ ਮੈਮਰੀ ਯੰਤਰਾਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ,

(iv) ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ ਦੀ ਸੂਈ ਹਮੇਸ਼ਾ ਪੁਰਬ-ਪੱਛਮ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ,

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

(v) ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣ ‘ਤੇ ਚੁੰਬਕ ਆਪਣਾ ਗੁਣ ਗੁਆ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ ।

3. ਮਿਲਾਣ ਕਰੋ-

ਕਾਲਮ – I ਕਾਲਮ-II
(ੳ) ਲੱਕੜੀ (i) ਹੇ ਅਪਕਰਸ਼ਣ
(ਅ) ਲੋਹਾ (ii) ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ
(ਬ) ਉੱਤਰੀ-ਧਰੁਵ-ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ (iii) ਅਚੁੰਬਕੀ
(ਸ) ਮੈਗਨੇਟਾਈਟ (iv) ਆਕਰਸ਼ਣ
(ਹ) ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ-ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ (v) ਚੁੰਬਕੀ

ਉੱਤਰ –

ਕਾਲਮ – I ਕਾਲਮ – II
(ੳ) ਲੱਕੜੀ (iii) ਅਚੁੰਬਕੀ
(ਅ) ਲੋਹਾ (v) ਚੁੰਬਕੀ
(ਇ) ਉੱਤਰੀ-ਧਰੁਵ-ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ (i) ਅਪਕਰਸ਼ਣ
(ਸ) ਮੈਗਨੇਟਾਈਟ (ii) ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ
(ਹ) ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ-ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ (iv) ਆਕਰਸ਼ਣ

4. ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਚੁਣੋ ਨਵਾਬ

(i) ਇੱਕ ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ
(ਉ) ਲੋਹਾ ।
(ਅ) ਕੋਬਾਲਟ
(ਇ) ਕਾਗਜ਼
(ਸ) ਇਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ੲ) ਕਾਗਜ਼ ।

(ii) ਕਿਸਨੂੰ ਚੁੰਬਕ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ
(ਉ) ਰਬੜ
(ਅ) ਲੋਹੇ ਦੀ ਕਿੱਲ ।
(ਈ) ਲੱਕੜੀ ਦੀ ਛੜ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅ) ਲੋਹੇ ਦੀ ਕਿੱਲ

5. ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (i)
ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਵਰਤੀਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਕੋਈ ਦੋ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਚੁੰਬਕ ਹੋਵੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਵਰਤੀਆਂ ਜਾਣ ਵਾਲੀਆਂ ਚੁੰਬਕ ਯੁਕਤ ਵਸਤੂਆਂ-

  • ਡੋਰ ਕਲੋਜ਼ਰ
  • ਸਟਿੱਕਰ (ਚਿੱਪਕੋ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (ii)
ਜਦੋਂ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਲੋਹੇ ਦੀਆਂ ਬਰੀਕ ਕਾਤਰਾਂ ਉੱਪਰ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਕਾਤਰਾਂ ਕਿੱਥੇ ਖਿੱਚੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਲੋਹੇ ਦੀਆਂ ਬਰੀਕ ਕਾਤਰਾਂ ਉੱਪਰ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਕਾਤਰਾਂ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਜਿੱਥੇ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਸਥਿਤ ਹਨ ਖਿੱਚੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਧਰੁਵਾਂ ਤੇ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਆਕਰਸ਼ਣ ਸ਼ਕਤੀ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (iii)
ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ-ਜਿਹੜਾ ਚੁੰਬਕ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ਉਹ ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (iv)
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਕੋਈ ਦੋ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਗੁਣ-
(i) ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਾਉਣ ਤੇ ਚੁੰਬਕ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ ।
(ii) ਹਰੇਕ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋ ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-

  • ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ
  • ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ । ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਲੱਗ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

6. ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (i)
ਚੁੰਬਕ ਕੀ ਹੈ ? ਇਸ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ-ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਲੋਹੇ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਵੱਲ ਖਿੱਚਦਾ ਹੈ, ਚੁੰਬਕ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ | ਹਰੇਕ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋ ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ-

  1. ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਅਤੇ
  2. ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ । ਇਹਨਾਂ ਦੋਵਾਂ ਧਰੁਵਾਂ ਨੂੰ ਅਲੱਗ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ । ਭਾਵ ਕਿ ਧਰੁਵ ਹਮੇਸ਼ਾ ਜੋੜੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (ii)
ਉਹ ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਰਕੇ ਚੁੰਬਕ ਆਪਣਾ ਗੁਣ ਗੁਆ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਚੁੰਬਕ ਆਪਣਾ ਗੁਣ ਗੁਆ ਦਿੰਦਾ ਹੈ-

  • ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ,
  • ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਹਥੋੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣ ਕਰਕੇ,
  • ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਉੱਚਾਈ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਸੁੱਟਣ ਨਾਲ,
  • ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਰੱਖ-ਰਖਾਓ ਨਾ ਕਰਨ ਕਰਕੇ ।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (iii)
ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਇਹ ਕਿਸ ਕੰਮ ਲਈ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ-ਇਹ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਯੰਤਰ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਦੀਆਂ ਭੂਗੋਲਿਕ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਪਤਾ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਿੱਕੜੀ ਜਿਹੀ ਚੁੰਬਕੀ ਸੂਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਪਲਾਸਟਿਕ ਜਾਂ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੀ ਚੱਕਰਾਕਾਰ ਡੱਬੀ ਅੰਦਰ ਇੱਕ ਧੁਰੇ ਤੇ ਟਿੱਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਖਿਤਿਜ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੁਰਵਕ ਘੁੰਮ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਸੁਈ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਨੂੰ ਲਾਲ ਪੇਂਟ ਨਾਲ ਅੰਕਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਡਾਇਲ ਤੇ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਅੰਕਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ। ਹਨ ।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ 2

ਪਸ਼ਨ (iv)
ਚੰਬਕੀ ਅਤੇ ਅਚੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਉਦਾਹਰਨ ਵੀ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ- ਜਿਹੜੇ ਪਦਾਰਥ ਚੁੰਬਕ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਆਖਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਲੋਹਾ, ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿੱਕਲ । ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ- ਜਿਹੜੇ ਪਦਾਰਥ ਚੁੰਬਕ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਆਖਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂਲੱਕੜੀ, ਪਲਾਸਟਿਕ, ਕਾਗਜ਼ ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ।

7. ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ :

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (1)
ਤੁਸੀਂ ਇੱਕ ਦਿੱਤੀ ਹੋਈ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਖੁਦ ਦਾ ਚੁੰਬਕ ਕਿਵੇਂ ਬਣਾਉਗੇ ? ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਵਿਧੀ (ਰਗੜ ਵਿਧੀ)-ਇੱਕ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਲਓ। ਇਸ ਨੂੰ ਮੇਜ਼ ਉੱਪਰ ਰੱਖੋ । ਹੁਣ ਇੱਕ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਲਓ ਅਤੇ ਇਸਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਧਰੁਵ (ਸਿਰਾ) ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ‘ਤੇ ਰੱਖੋ । ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਬਿਨਾਂ ਹਟਾਏ ਇਸਨੂੰ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਸਿਰੇ ਤੱਕ ਰਗੜਦੇ ਹੋਏ ਲੈ ਜਾਓ । ਹੁਣ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਚੁੱਕ ਲਓ ਅਤੇ ਉਸੇ ਧਰੁਵ ਨੂੰ ਚੁੱਕ ਕੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਵਾਲੇ ਸਿਰੇ ‘ਤੇ ਵਾਪਸ ਲੈ ਆਓ | ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਂਗ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਨਾਲ ਰਗੜਦੇ ਹੋਏ ਕਈ ਵਾਰ ਲੈ ਜਾਓ ।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ 3

ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਲਗਪਗ 30-40 ਵਾਰ ਦੁਹਰਾਓ ਹੁਣ ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਪਰੀਖਣ ਕਰੋ ਕਿ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਇੱਕ ਚੁੰਬਕ ਬਣ ਗਈ ਹੈ ਜਾਂ ਨਹੀਂ । ਅਜਿਹਾ ਵੇਖਣ ਲਈ ਲੋਹੇ ਦਾ ਬੁਰਾ ਜਾਂ ਲੋਹੇ ਦਾ ਆਪਿਨ ਇਸ ਦੇ ਸਿਰੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਓ । ਆਲਪਿਨ ਜਾਂ ਲੋਹੇ ਦਾ ਬੁਰਾ ਇਸ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਸਮਝ ਲਓ ਕਿ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਚੁੰਬਕ ਬਣ ਗਈ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਆਲਪਿਨ ਜਾਂ ਲੋਹੇ ਦਾ ਬੂਰਾ ਇਸ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਰਗੜਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਲਈ ਦੁਹਰਾਓ । ਧਿਆਨ ਰਹੇ ਕਿ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਧਰੁਵ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਪੱਤੀ ਨੂੰ ਰਗੜਨ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਨਾ ਬਦਲੇ ।

ਸਾਵਧਾਨੀਆਂ-

  • ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਇੱਕੋ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਰਗੜਦੇ ਹੋਏ ਲਿਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  • ਰਗੜਦੇ ਸਮੇਂ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਇੱਕੋ ਉਹੀ ਸਿਰਾ ਬਾਰ-ਬਾਰ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ (ii)
ਚੁੰਬਕਾਂ ਦੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਉਪਯੋਗ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚਾਂਬਦ  ਦੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੰਪਿਊਟਰ ਦੀ ਹਾਰਡ ਡਿਸਕ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ ਅਸੀਂ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ | ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਟੀ.ਵੀ., ਸਪੀਕਰਾਂ ਅਤੇ ਰੇਡਿਓ ਵਿੱਚ ਕਰਦੇ ਹਾਂ । ਸਪੀਕਰ ਅੰਦਰ ਕੁੰਡਲੀ ਅਤੇ ਚੁੰਬਕ | ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਿਕ ਸਿਗਨਲਾਂ ਨੂੰ ਧੁੰਨੀ ਵਿੱਚ ਬਦਲਦੀ ਹੈ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਜਨਰੇਟਰ ਯਾਤਿਕ ਉਰਜਾ ਨੂੰ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਕਿਸਮ ਦੀਆਂ ਮੋਟਰਾਂ ਵਿੱਚ ਚੁੰਬਕਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਬਿਜਲਈ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਸਾਂਤਿਕ ਉਰਜਾ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਬਿਜਲਈ ਧਾਰਾ ਰਾਹੀਂ ਚਾਰਜਿਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਚੁੰਬਕ ਬੇਨਾਂ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਕੇ ਭਾਰੀ ਲੋਹੇ ਦੀ ਧਾਤੂ ਦੇ ਟੁੱਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ਤੇ ਲਿਜਾਣ ਵਿੱਚ ਮਦਦ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  5. ਚੁੰਬਕਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਫਿਲਟਰ ਕਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਤੋੜੀਆਂ ਗਈਆਂ ਚੱਟਾਨਾਂ ਤੋਂ ਕੱਚੀ ਧਾਤੂ ਨੂੰ ਅਲੱਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB Solutions for Class 6 Science ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ Important Questions and Answers

1. ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ-

(i) ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਵਿਭਿੰਨ ਆਕਾਰ ਦੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ……, …….. ਅਤੇ ……..।
ਉੱਤਰ-
ਛੜ, ਨਾਲ, ਵੇਲਣਾਕਾਰ,

(ii) ਜੋ ਪਦਾਰਥ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਉਹ …………. ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ,

(iii) ਕਾਗ਼ਜ਼ ਇੱਕ ……….. ਪਦਾਰਥ ਨਹੀਂ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ,

(iv) ਪ੍ਰਾਚੀਨਕਾਲ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਦਿਸ਼ਾ ਗਿਆਤ ਕਰਨ ਦੇ ਲਈ …………. ਦਾ ਟੁੱਕੜਾ ਲਟਕਾਉਂਦੇ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ (ਲੈਡ ਸਟੋਨ),

(v) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਹਮੇਸ਼ਾ ……………………….. ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੋ ।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

2. ਸਹੀ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ ਲਿਖੋ-

(i) ਬੇਲਨਾਕਾਰ ਚੁੰਬਕ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ ਇੱਕ ਧਰੁਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ,

(ii) ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਖੋਜ ਯੂਨਾਨ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ਸੀ
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ,

(iii) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ,

(iv) ਲੋਹੇ ਦਾ ਬੁਰਾਦਾ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਉਣ ਤੇ ਇਸਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚਿਪਕਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ,

(v) ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ,

(vi) ਕਿਸੇ ਸਥਾਨ ਉੱਤੇ ਪੂਰਬ-ਪੱਛਮ ਦਿਸ਼ਾ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਕੰਪਾਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਹੀ,

(vii) ਰਬੜ ਇੱਕ ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ ।

3. ਮਿਲਾਨ ਕਰੋ-

ਕਾਲਮ ‘ੳ’ ਕਾਲਮ ‘ਅ’
(i) ਕਿਸੇ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਦਿਸ਼ਾ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ (ੳ) ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ
(ii) ਦੋ ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ (ਅ) ਸਥਾਈ ਚੁੰਬਕ ਨਾਲ ਇੱਕ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਰਗੜਨ ਕਾਰਨ
(iii) ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਾਇਆ ਗਿਆ ਚੁੰਬਕ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ (ਇ) ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ
(iv) ਲੋਹੇ ਦੀ ਸਲਾਈ ਚੁੰਬਕ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (ਸ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ
(v) ਮੈਗਨੇਟਾਈਟ (ਹ) ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ।

ਉੱਤਰ

ਕਾਲਮ ‘ਉ’ ਕਾਰਨ ‘ਅ’
(i) ਕਿਸੇ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਦਿਸ਼ਾ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ (ਇ) ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ
(ii) ਦੋ ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ (ਸ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ
(iii) ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੁਰਵਕ ਲਟਕਾਇਆ ਗਿਆ ਚੁੰਬਕ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ (ਹ) ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ
(iv) ਲੋਹੇ ਦੀ ਸਲਾਈ ਚੁੰਬਕ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (ਅ) ਸਥਾਈ ਚੁੰਬਕ ਨਾਲ ਇੱਕ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਰਗੜਨ ਕਾਰਨ
(v) ਮੈਗਨੇਟਾਈਟ (ਉ) ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ ।

4. ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਚੁਣੋ-

(i) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ
(ਉ) ਤਿੰਨ
(ਅ) ਇੱਕ
(ਇ) ਦੋ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ੲ) ਦੋ ॥

(ii) ਚੁੰਬਕ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ
(ਉ) ਲੋਹਾ
(ਅ) ਰਬੜ
( ਕੱਚ
(ਸ) ਲੱਕੜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਲੋਹਾ ।

(iii) ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕ ਰਿਹਾ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਕਿਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਰੁਕਦਾ ਹੈ ?
(ੳ) ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ
(ਅ) ਪੂਰਬ-ਪੱਛਮ
(ੲ) ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ
(ਸ) ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ।

(iv) ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਚੁੰਬਕ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ
(ਉ) ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ
(ਅ) ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ
(ਇ) ਗੋਲਾਂਤ ਚੁੰਬਕ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ॥

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

(v) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਗੁਣ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖਣ ਲਈ ਚੁੰਬਕਾਂ ਦੇ ਜੋੜਿਆਂ ਦੇ
(ੳ) ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਰੱਖੋ।
(ਅ) ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਰੱਖੋ
(ਈ) ਧਰੁਵਾਂ ਨੂੰ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਸੱਟ ਮਾਰੋ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅ) ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਰੱਖੋ ।

(vi) ਦਿਸ਼ਾ ਪਤਾ ਲਗਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੋਂ ਵਿੱਚ ਲਿਆਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
(ਉ) ਮੈਗਨਸ ਛਿੜੀ
(ਅ) ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ
( ਕੰਪਾਸ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਇ) ਕੰਪਾਸ ।

(vii) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਕਿਸ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਆਕਰਸ਼ਣ ਸ਼ਕਤੀ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
(ਉ) ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ
(ਅ) ਮੱਧ
(ਇ) ਸਿਰਿਆਂ ਅਤੇ ਮੱਧ ਬਿੰਦੂ ਦੇ ਵਿਚਾਲੇ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ ।

(iii) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ
(ੳ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ
(ਅ ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ।
(ਇ) ਨਾ-ਆਕਰਸ਼ਣ ਅਤੇ ਨਾ ਅਪਕਰਸ਼ਣ ਕਰਦੇ ਹਨ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅ) ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

(ix) ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਵਿਪਰੀਤ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਕਰਦੇ ਹਨ
(ੳ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ
(ਅ) ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ
(ਇ) ਨਾ-ਆਕਰਸ਼ਣ ਨਾ-ਅਪਕਰਸ਼ਣ
(ਸ) ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਆਕਰਸ਼ਿਤ ।

5. ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਚਿਪਕੂ (ਸਟੀਕਰ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਿੱਥੇ ਚਿਪਕਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਚਿਪਕੁ ਸਟੀਕਰ) ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਲੋਹੇ ਦੀਆਂ ਅਲਮਾਰੀਆਂ ਜਾਂ ਰੈਫ਼ਰੀਜਰੇਟਰ ਦੇ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਨਾਲ ਚਿਪਕਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਜੋ ਇਹ ਬੇਲੋੜੇ ਨਾ ਖੁਲ੍ਹਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕਿਸੇ ਚਾਰ ਸਾਧਾਰਨ ਵਸਤੂਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਚੁੰਬਕ ਲਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਿੰਨ ਹੋਲਡਰ, ਪੈਂਸਿਲ ਬਾਕਸ, ਟੇਪ ਰਿਕਾਰਡਰ ਅਤੇ ਰੇਡੀਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਉਸ ਘਰੀਆ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜਿਸ ਨੇ ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਗਨਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ ਕਿਸ ਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਚੱਟਾਨ ਮੈਗਨੇਟਾਈਟ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਤਿੰਨ ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਲੋਹਾ
  • ਨਿੱਕਲ
  • ਕੋਬਾਲਟ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਚਾਰ ਅਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਪਲਾਸਟਿਕ
  • ਕੱਪੜਾ
  • ਕਾਗ਼ਜ਼
  • ਲੱਕੜੀ ॥

ਪਸ਼ਨ 7.
ਰੇਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚੋਂ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਨਿਖੇੜਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਵਿੱਚੋਂ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਮਦਦ ਨਾਲ ਨਿਖੇੜਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਕਿਸ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਚਿੰਬੜਦੇ ਹਨ । ਮੱਧ ਭਾਗ ਜਾਂ ਧਰੁਵਾਂ ਤੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ (ਸਿਰਿਆਂ ਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਚਿੰਬੜਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਇੱਕ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕ ਰਿਹਾ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਕਿਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇੱਕ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੁਰਵਕ ਲਟਕਦਾ ਹੋਇਆ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਕਿਸ ਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੂਗੋਲਿਕ ਉੱਤਰ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਦੇ ਹੋਏ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਕਿਸ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੂਗੋਲਿਕ ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਦੇ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਗੁਣ ਦਿਸ਼ਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੁਰਵਕ ਲਟਕਦਾ ਹੋਇਆ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗਣ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਦਿਸ਼ਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਦਿਸ਼ਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਲਈ ਕਿਸ ਯੰਤਰ (ਜੁਗਤ) ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕੀ ਕੰਪਾਸ ਦਾ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਰਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਅਪਕਰਸ਼ਣ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵਾਂ ਵਿੱਚ ਅਪਕਰਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਵਿਪਰੀਤ (ਅਸਮਾਨ) ਧਰੁਵਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਰਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਅਪਕਰਸ਼ਣ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਵਿਪਰੀਤ ਧਰੁਵਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਰਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਕਿੱਥੇ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਇਸਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ‘ਤੇ ਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

6. ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ :

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੁਦਰਤੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤਿਕ) ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਖੋਜ ਕਿਵੇਂ ਹੋਈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਾਚੀਨ ਯੂਨਾਨ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਘਰੀਆ (ਚਰਵਾਹਾ) ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਉਸਦਾ ਨਾਮ ਮੈਗਨਸ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਭੇਡਾਂ ਅਤੇ ਬੱਕਰੀਆਂ ਨੂੰ ਨੇੜੇ ਦੇ ਪਹਾੜਾਂ ਉੱਤੇ ਚਰਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਲਿਜਾਇਆ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਭੇਡਾਂ ਅਤੇ ਬੱਕਰੀਆਂ ਦੇ ਇੱਜੜ ਨੂੰ ਕੰਟਰੋਲ ਕਰਨ ਲਈ ਉਹ ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਇੱਕ ਛੜੀ ਰੱਖਦਾ ਸੀ । ਛੜੀ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਉੱਤੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਟੋਪੀ ਲੱਗੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਇੱਕ ਦਿਨ ਪਹਾੜ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਚੱਟਾਨ ਦੇ ਉੱਪਰ ਇਸ ਛੜੀ ਨੂੰ ਚੁੱਕਣ ਲਈ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਜ਼ੋਰ ਲਗਾਉਣਾ ਪਿਆ ਤਾਂ ਉਹ ਬੜਾ ਹੈਰਾਨ ਹੋਇਆ | ਚੱਟਾਨ ਛੜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਵੱਲ ਖਿੱਚਦੀ ਮਾਲੂਮ ਹੋਈ । ਇਹ ਚੱਟਾਨ ਇੱਕ ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਚੁੰਬਕ ਕਿਸਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ? ਇਹ ਕਿੰਨੀ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ-ਜਿਸ ਪਦਾਰਥ ਵਿੱਚ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਗੁਣ ਹੋਣ, ਉਸ ਨੂੰ ਚੁੰਬਕ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਾਉਣ ਤੇ ਸਦਾ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲ ਸੰਕੇਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਚੁੰਬਕ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ-ਚੁੰਬਕ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ

  • ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ
  • ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ।
  • ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ-ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਪਾਕਿਰਤਿਕ (ਕੁਦਰਤੀ ਚੁੰਬਕ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
  • ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ-ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਇਹ ਦੇਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਪੈਨਸਿਲ (ਸ਼ਾਰਪਨਰ) ਜੋ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਫਿਰ ਵੀ ਇਹ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋਵਾਂ ਧਰੁਵਾਂ ਨਾਲ ਚਿਪਕਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਨਾਮ ਦੱਸੋ ਜਿਸਦਾ ਉਪਯੋਗ ਇਸ ਦੇ ਕਿਸੇ ਭਾਗ ਨੂੰ ਬਣਾਉਣ ਵਿੱਚ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸ਼ਾਰਪਨਰ ਦਾ ਬਲੇਡ, ਲੋਹੇ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਇੱਕ ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸ਼ਾਰਪਨਰ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋਵਾਂ ਧਰੁਵਾਂ ਨਾਲ ਚਿਪਕਦਾ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਰੇਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਹਨ । ਤੁਸੀਂ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਰੇਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਤੋਂ ਕਿਵੇਂ ਨਿਖੇੜੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਮਿਸ਼ਰਿਤ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਅਲੱਗ ਕਰਨ ਲਈ ਮਿਸ਼ਰਣ ਨੂੰ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਦੀ ਸ਼ੀਟ ਉੱਤੇ ਫੈਲਾਓ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਘੁਮਾਓ | ਤੁਸੀਂ ਦੇਖੋਗੇ ਕਿ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣ ਚੁੰਬਕ ਨਾਲ ਚਿਪਕ ਗਏ ਹਨ । ਚਿੰਬੜੇ ਹੋਏ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਹਟਾਓ ਅਤੇ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਦੁਹਰਾਓ ਤਾਂ ਜੋ ਲੋਹੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕਣ ਅਲੱਗ ਹੋ ਜਾਣ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਰੇਤ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਧਰੁਵਾਂ ‘ ਤੇ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਾਂ ਫਿਰ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਮੱਧ ? ਸਿੱਧ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ‘ਤੇ ਚੁੰਬਕ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੱਥ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਇੱਕ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਤੇ ਲੋਹੇ ਦਾ ਬੁਰਾਦਾ ਫੈਲਾਓ ਅਤੇ ਉਸ ਵਿੱਚ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਘੁਮਾਓ । ਤੁਸੀਂ ਵੇਖੋਗੇ ਕਿ ਲੋਹੇ ਦੇ ਕਣ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਿਰਿਆਂ ਧਰੁਵਾਂ) ਤੇ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਚਿੰਬੜਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਮੱਧ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਘੱਟ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਪਤਾ ਚਲਦਾ ਹੈ ਕਿ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ਤੇ ਆਕਰਸ਼ਣ ਸ਼ਕਤੀ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਚਿੱਤਰ-ਛੜ ਚੰਬਕ ਨਾਲ ਚਿੰਬੜਦਾ ਲੋਹੇ ਮੱਧ ਭਾਗ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ ।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ 4

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਇੱਕ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਇੱਕ ਧਰੁਵ ਨੂੰ ਦੂਸਰੇ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਉਣ ਤੇ ਵਿਭਿੰਨ ਸਥਿਤੀਆਂ ਕਾਲਮ-1 ਵਿੱਚ ਦਰਸਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ । ਕਾਲਮ-2 ਵਿੱਚ ਹਰੇਕ ਸਥਿਤੀ ਦੇ ਪਰਿਣਾਮ ਨੂੰ ਦਰਸਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਖ਼ਾਲੀ ਸਥਾਨਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰੋ :
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ 5
ਉੱਤਰ –
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ 6

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਉੱਤੇ ਧਰੁਵਾਂ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਦਾ ਕੋਈ ਚਿੰਨ੍ਹ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਤੁਸੀਂ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਤਾ ਕਰੋਗੇ ਕਿ ਕਿਸ ਸਿਰੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ-ਇੱਕ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਲਓ ਜਿਸ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਲਈ ਕੋਈ ਚਿੰਨ੍ਹ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਇਸ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਧਾਗੇ ਨਾਲ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਇੱਕ ਲੱਕੜੀ ਦੇ ਸਟੈਂਡ ਤੋਂ ਲਟਕਾਓ । ਹੁਣ ਉਹ ਚੁੰਬਕ ਜਿਸਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਕਰਨੀ ਹੈ ਉਸਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਲਟਕ ਰਹੇ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਨੇੜੇ ਲਿਆਓ । ਜੇਕਰ ਲਟਕ ਰਹੀ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਪ੍ਰਤਿਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਇਹ ਸਿਰਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਹੋਵੇਗਾ । ਜੇਕਰ ਲਟਕ ਰਹੀ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਸਿਰਾ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਹੋਵੇਗਾ ਅਤੇ ਦੂਸਰਾ ਸਿਰਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਚੁੰਬਕ ਦੀਆਂ ਕੋਈ ਚਾਰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ

  • ਹਰੇਕ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋ ਧਰੁਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  • ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕਾਉਣ ‘ਤੇ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ ।
  • ਚੁੰਬਕ, ਚੁੰਬਕੀ ਵਸਤੁਆਂ (ਜਿਵੇਂ-ਕੋਬਾਲਟ, ਲੋਹਾ ਅਤੇ ਨਿੱਕਲ) ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਵੱਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  • ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਅਸਮਾਨ ਵਿਪਰੀਤ) ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
  • ਜਦੋਂ ਚੁੰਬਕੀ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਥਾਈ ਚੁੰਬਕ ਨਾਲ ਰਗੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਵੀ ਚੁੰਬਕ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

7. ਵੱਡੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਕੀ ਹੈ ? ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਇੱਕ ਵਿਧੀ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ-ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਗਏ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਿਭਿੰਨ ਆਕ੍ਰਿਤੀਆਂ ਦਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ-

  • ਛੜ ਚੁੰਬਕ
  • ਨਾਲ ਚੁੰਬਕ ਹਾਰਸ ਸ਼ੂ ਚੁੰਬਕ । ਬਣਾਉਟੀ ਚੁੰਬਕ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਵਿਧੀ-ਦੇਖੋ ਅਭਿਆਸ ਦਾ 7 ਨੰ: (i).

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਇਹ ਦਰਸਾਓ ਕਿ ਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਅਤੇ ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਯੋਗ-ਇੱਕ ਛੜ ਚੁੰਬਕ ਲਓ । ਇੱਕ ਛੜ ਦੇ ਮੱਧ ਭਾਗ ਨੂੰ ਧਾਗੇ ਨਾਲ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਲਟਕਾਓ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਉੱਤਰੀ ਅਤੇ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਅੰਕਿਤ ਕਰ ਲਓ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੂਸਰੇ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਵੀ ਧਰੁਵ ਅੰਕਿਤ ਕਰ ਲਓ । ਹੁਣ ਦੁਸਰੇ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਸਟੈਂਡ ਉੱਤੇ ਲਟਕਿਆ ਰਹਿਣ ਦਿਓ ਅਤੇ ਪਹਿਲੇ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਹੱਥ ਵਿੱਚ ਫੜ ਕੇ ਉਸ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਨੂੰ ਲਟਕਦੇ ਹੋਏ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋਨਾਂ ਧਰੁਵਾਂ ਨੇੜੇ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਲਿਆਓ ; ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਦਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।
PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ 7
ਹੁਣ ਆਪਣੇ ਹੱਥ ਵਿੱਚ ਪਕੜੇ ਹੋਏ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਨੂੰ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਲਟਕਦੇ ਹੋਏ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੋਨਾਂ ਧਰੁਵਾਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਲਿਆਓ । ਤੁਸੀਂ ਦੇਖੋਗੇ ਕਿ ਦੋਨਾਂ ਚੁੰਬਕਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਇੱਕ-ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਦੋਨਾਂ ਦੇ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਵੀ ਇੱਕ-ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਅਪਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪਰੰਤੁ ਇੱਕ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਦੁਸਰੇ ਚੁੰਬਕ ਦੇ ਦੱਖਣੀ ਧਰੁਵ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਯੋਗ ਤੋਂ ਇਹ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ, ‘‘ਸਮਾਨ ਧਰੁਵਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਸਪਰ ਅਪਕਰਸ਼ਣ ਅਤੇ ਅਸਮਾਨ ਧਰੁਵਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਆਕਰਸ਼ਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।”

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੰਪਾਸ (ਦਿਸ਼ਾ-ਸੂਚਕ ਕਿਸਨੂੰ ਆਖਦੇ ਹਨ ? ਇਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੰਪਾਸ (ਦਿਸ਼ਾ-ਸੂਚਕ)-ਇਹ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਯੰਤਰ (ਜੁਗਤ) ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਦਿਸ਼ਾ ਗਿਆਤ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਿਧਾਂਤ-ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੂਰਵਕ ਲਟਕ ਰਿਹਾ ਚੁੰਬਕ ਹਮੇਸ਼ਾ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਠਹਿਰਦਾ ਹੈ । ਬਣਾਵਟ-ਇਹ ਆਮ-ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕੱਚ ਦੇ ਢੱਕਣ ਵਾਲੀ ਇੱਕ ਛੋਟੀ ਡੱਬੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸਦੇ ਅੰਦਰ ਇੱਕ ਧੂਰੀ ਉੱਤੇ ਖਿਤਿਜ ਧਰਾਤਲ ਵਿੱਚ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪੁਰਵਕ ਘੁੰਮ ਸਕਣ ਵਾਲੀ ਚੁੰਬਕੀ ਸੂਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੰਪਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਡਾਇਲ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਉੱਤੇ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਅੰਕਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਜਿਸ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਦਿਸ਼ਾ ਨਿਰਧਾਰਨ ਕਰਨਾ ਹੋਵੇ ਉਸ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਕੰਪਾਸ ਨੂੰ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੰਪਾਸ ਦੀ ਸੂਈ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਘੁੰਮਣ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਵਿਰਾਮ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ-ਦੱਖਣ ਦੇ ਚਿੰਨ੍ਹ ਸੁਈ ਦੇ ਦੋਵੇਂ ਸਿਰਿਆਂ ਉੱਤੇ ਨਾ ਆ ਜਾਏ । ਚੁੰਬਕੀ ਸੂਈ ਦੇ ਉੱਤਰੀ ਧਰੁਵ ਦੀ ਪਹਿਚਾਣ ਦੇ ਲਈ ਆਮ-ਤੌਰ ਤੇ ਇਸਨੂੰ ਲਾਲ ਰੰਗ ਨਾਲ ਪੇਂਟ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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PSEB 6th Class Science Solutions Chapter 13 ਚੁੰਬਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਮਨੋਰੰਜਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਚੁੰਬਕਾਂ ਦਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਭੰਡਾਰਨ ਕਿਵੇਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਸੰਖੇਪ ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਚੁੰਬਕਾਂ ਦਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖ-ਰਖਾਵ-ਜੇਕਰ ਚੁੰਬਕਾਂ ਦਾ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖ-ਰਖਾਵ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਸਮਾਂ ਬੀਤਣ ਨਾਲ ਉਹ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਛੜ ਚੁੰਬਕਾਂ ਨੂੰ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖਣ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਉਪਾਅ ਕਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ-

  1. ਚੁੰਬਕਾਂ ਦੇ ਜੋੜਿਆਂ ਦੇ ਅਸਮਾਨ (ਵਿਪਰੀਤ ਧਰੁਵਾਂ ਨੂੰ ਨੇੜੇ-ਨੇੜੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਚੁੰਬਕਾਂ ਨੂੰ ਲੱਕੜੀ ਦੇ ਟੁੱਕੜਿਆਂ ਨਾਲ ਅਲੱਗ ਕਰਕੇ ਸਿਰਿਆਂ ਉੱਤੇ ਨਰਮ ਲੋਹੇ ਦੇ ਦੋ ਟੁੱਕੜੇ ਲਗਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
  2. ਘੋੜੇ ਦੀ ਨਾਲ ਰੂਪੀ ਚੁੰਬਕ ਦਾ ਭੰਡਾਰਨ ਕਰਨ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਧਰੁਵਾਂ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਲੋਹੇ ਦਾ ਇੱਕ ਟੁੱਕੜਾ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਸਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਚੁੰਬਕ ਨੂੰ ਕੈਸਿਟ, ਮੋਬਾਈਲ, ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ, ਮਿਊਜ਼ਿਕ ਸਿਸਟਮ, ਸੀ.ਡੀ., ਕੰਪਿਊਟਰ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

PSEB 10th Class Science Guide ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਗੁਰਦੇ ਇੱਕ ਤੰਤਰ ਦਾ ਭਾਗ ਹਨ ਜੋ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ :
(a) ਪੋਸ਼ਣ
(b) ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ
(d) ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜ਼ਾਈਲਮ ਦਾ ਕੰਮ ਹੈ :
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(b) ਭੋਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(c) ਅਮੀਨੋ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(d) ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ :
(a) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ
(b) ਕਲੋਰੋਫਿਲ
(c) ਸੂਰਜ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪਾਇਰੂਵੇਟ ਦੇ ਵਿਖੰਡਨ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਦੇਣ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਾਪਰਦੀ ਹੈ :
(a) ਸਾਈਟੋਪਲਾਜ਼ਮ ਵਿੱਚ
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ
(c) ਕਲੋਰੋਪਲਾਸਟ ਵਿੱਚ ।
(d) ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਫੈਟਸ (ਚਰਬੀ) ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਇਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਕਿੱਥੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਹਦੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਅੱਧਪਚੇ ਫੈਟਸ ਦਾ ਪਾਚਨ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭਾਗ ਜਿਗਰ ਤੋਂ ਪਿੱਤ ਰਸ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸਨੂੰ ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਰਸ ਤੋਂ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਪਿੱਤ ਰਸ ਇਸ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਵਸਾ ਵਿਚ ਵਸਾ ਵੱਡੀਆਂ ਗੋਲੀਕਾਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਵਿੱਚ ਐਂਜਾਈਮ ਦਾ ਕੰਮ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਿੱਤ ਰਸ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਗੋਲੀਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਤੋੜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਨਾਲ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੈਂਕਰੀਆਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਰਸ ਵਿੱਚ ਇਮਲਸੀਕ੍ਰਿਤ ਵਸਾ ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਰਨ ਲਈ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵਿੱਚ ਗ੍ਰੰਥੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਆਂਦਰ ਰਸ ਦਾ ਰਿਸਾਓ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਵਸਾ ਨੂੰ ਵਸਾ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਲਾਰ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰੇ)
ਉੱਤਰ-
ਲਾਰ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ-ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਲਾਰ ਦੀ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਇਕ ਰਸ ਹੈ ਜੋ ਤਿੰਨ ਜੋੜੀ ਲਾਰ ਗੰਥੀਆਂ ਤੋਂ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਵਿਚ ਅਮਾਈਲੋਜ਼ (Amylase) ਨਾਮ ਦਾ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਸਟਾਰਚ ਦੇ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਅਣੂ ਨੂੰ ਲਾਰ ਦੇ ਨਾਲ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜ ਹਨ-

  1. ਇਹ ਮੂੰਹ ਦੇ ਖੋਲ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਮੂੰਹ ਦੇ ਖੋਲ ਵਿਚ ਚਿਕਨਾਈ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਚਬਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ ਰਗੜ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਚੀਕਣਾ ਅਤੇ ਮੁਲਾਇਮ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  4. ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪਚਾਉਣ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪਰਸਥਿਤੀਆਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਸਹਿ-ਉਪਜ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਨ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਸੂਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਨਾਮਕ ਵਰਣਕ ਤੋਂ O2 ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੁਆਰਾ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਗੈਸ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 1
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਾਲਤਾਂ ਹਨ-ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਸ਼, ਕਲੋਰੋਫਿਲ, ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ॥ ਇਸਦੇ ਉਤਪਾਦ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚਕਾਰ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ (Aerobic Respiration) ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ (Anaerobic Respiration) ਵਿਚ ਅੰਤਰ

ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ
(1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਜੀਵ ਤ੍ਰ ਅਤੇ ਮਾਈਟੋ-ਕਾਂਡਰੀਆ ਦੋਵਾਂ ਵਿਚ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸਿਰਫ਼ ਜੀਵ ਤ੍ਰ ਵਿਚ ਹੀ ਪੂਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਅਪੂਰਣ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ CO2 ਅਤੇ H2O ਬਣਦਾ ਹੈ । (4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ CO2 ਬਣਦੀ ਹੈ ।
(5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਲਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣ ਵਿਚ ਵਿਚ 38 ATP ਅਣੁ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ 2 ATP ਅਣੂ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(6) ਗਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ ਦੇ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਕਰਨ ਤੋਂ 673 ਕਿਲੋ ਕੈਲੋਰੀ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (6) ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਅਣੁ ਅਧੂਰੇ ਆਕਸੀਕਰਨ ਨਾਲ 21 ਕਿਲੋ ਕੈਲੋਰੀ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(7) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ- C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 673 Kcal (7) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ- C6H12O6 → 2C2H5OH +2CO2 + 21 Kcal

ਕੁਝ ਜੀਵ ਹਵਾ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਯੀਸਟ (Yeast) ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਵਟਾਂਦਰੇ ਲਈ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਬਣਤਰ ਕਿਵੇਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਹ ਤੰਤਰ ਵਿਚ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕਈ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਨਲੀਆਂ ਦਾ ਵਿਭਾਜਿਤ ਰੂਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਅੰਤ ਵਿਚ ਗੁਬਾਰਿਆਂ ਵਰਗੀ ਰਚਨਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ (Alveoli) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਇਕ ਸਤਹਿ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਗੈਸਾਂ ਦਾ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹੋ ਸਕੇ । ਜੇ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਸਤਹਿ ਨੂੰ ਫੈਲਾਅ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਇਹ ਲਗਭਗ 80 ਵਰਗ ਮੀਟਰ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਢੱਕ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਹਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫੈਲਿਆ ਜਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਡਾ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਚਪਟਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਛਾਤੀ ਗੁਹਾ ਵੱਡੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਹਵਾ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਸੋਖ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਲਹੁ ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਲਿਆਂਦੀ ਗਈ CO2 ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ | ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਲਹੁ ਵਾਹਿਕਾ ਵਿਚੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਲੈ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਹੀਮੋਗਲੋਬਿਨ ਦੀ ਘਾਟ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹੀਮੋਗਲੋਬੀਨ ਦੀ ਕਮੀ ਨਾਲ ਲਹੂ ਦੀ ਕਮੀ (anaemia) ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸਾਨੂੰ ਸਾਹ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਅਸੀਂ ਜਲਦੀ ਥੱਕ ਜਾਵਾਂਗੇ | ਸਾਡਾ ਭਾਰ ਘੱਟ ਜਾਵੇਗਾ । ਰੰਗ ਪੀਲਾ ਪੈ ਜਾਵੇਗਾ । ਸਾਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦਾ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਲਹੂ ਗੇੜ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਦੂਹਰੇ ਚੱਕਰ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । ਇਹ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿਲ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਦਾ ਸੱਜਾ ਅਤੇ ਖੱਬਾ ਭਾਗ ਜੋ ਆਕਸੀਜਨਿਤ ਅਤੇ ਅਣਆਕਸੀਜਨਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣ ਵਿਚ ਉਪਯੋਗੀ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇੱਕ ਹੀ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਲਹੂ ਦੁਆਰਾ ਦਿਲ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਦੂਹਰਾ ਚੱਕਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਨੂੰ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਮਝਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-

ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਲਹੂ ਫੇਫੜੇ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਹੂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਖੱਬਾ ਆਰੀਕਲ ਸਥਿਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਫਿਰ ਇਹ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਖੱਬਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਫੈਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਲਹੂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਪਣੀ ਵਾਰੀ ਤੇ ਜਦੋਂ ਖੱਬਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਲਹੂ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਪੰਪ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਫੈਲਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਨਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਵਾਲਾ ਲਹੂ ਇਸ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਾਂ ਵਾਲਾ ਸੱਜਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਫੈਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲਹੁ ਨੂੰ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਭੇਜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਲਹੁ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਫੇਫੜੇ ਵਿੱਚ ਪੰਪ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਆਰੀਕਲ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਦੀ ਪੇਸ਼ੀ ਛਿੱਤੀ ਮੋਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਨੇ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਲਹੂ ਭੇਜਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਆਰੀਕਲ ਜਾਂ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਵਾਲਣ ਉਲਟੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਲਹੂ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਰੋਕਣਾ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਦੋਹਰੇ ਪਰਿਵਹਿਨ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਲਹੁ ਪਰਿਵਹਿਣ ਨਾਲ ਹੈ । ਪਰਿਵਹਿਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਲਹੁ ਦੋ ਵਾਰ ਦਿਲ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਦਾ ‘ ਹੈ । ਅਸ਼ੁੱਧ ਲਹੂ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਤੋਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸ਼ੁੱਧ ਹੋ ਕੇ ਖੱਬੇ ਆਰੀਕਲ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 2
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 3
ਇਸ ਨੂੰ ਪਲਮੋਨਰੀ ਪਰਿਸੰਚਰਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਸ਼ੁੱਧ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਹੂ ਸੱਜੇ ਆਰੀਕਲ ਤੋਂ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਿਰ ਅਸ਼ੁੱਧ ਹੋ ਕੇ ਖੱਬੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਦੋਹਰਾ ਲਹੂ ਚੱਕਰ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 4
ਦੋਹਰੀ ਲਹੂ ਚੱਕਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸਾਫ਼ ਰੂਪ ਵਿਚ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 5

ਦੂਹਰੇ ਲਹੂ ਚੱਕਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉੱਚ ਊਰਜਾ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਤਾਪਮਾਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਜ਼ਰੂਰਤ ਦਾ ਕਾਰਨ – ਸਾਡੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਚਾਰ ਖਾਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਲਹੁ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਸੰਭਵ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰ ਦਾ ਸਹੀ ਤਾਪਮਾਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਜ਼ਾਇਲਮ ਅਤੇ ਫਲੋਇਮ ਵਿੱਚ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਹਿਨ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਾਈਲਮ ਨਿਰਜੀਵ ਟਿਸ਼ੂ ਹੈ । ਇਹ ਜੜ੍ਹਾਂ ਅਤੇ ਘੁਲੇ ਹੋਏ ਲੂਣਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਫਲੋਇਮ ਸਜੀਵ ਟਿਸ਼ੂ ਹੈ । ਇਹ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਤਿਆਰ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡੇਟਾਂ ਨੂੰ ਪੌਦੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜ਼ਾਈਲਮ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਲੋਇਮ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਿਚ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਅਤੇ ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨੈਫ਼ਾਨਜ਼ ਦੇ ਕੰਮ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਬਣਤਰ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਨੈਫ਼ਾਨਜ਼
(1) ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਦੋਵੇਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (1) ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦੋ ਗੁਰਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਹਰ ਗੁਰਦੇ ਵਿਚ ਲਗਭਗ 10 ਲੱਖ ਨੇ ਫਰਾਨ (Nephrons) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(2) ਹਰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਪਿਆਲੇ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਹਰ ਨੇਫਰਾਨ ਬਾਰੀਕ ਧਾਗੇ ਦੀ ਆਕ੍ਰਿਤੀ ਵਰਗਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(3) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੂਹਰੀ ਦੀਵਾਰ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (3) ਨੇਫਰਾਨ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਤੇ ਪਿਆਲੇ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੀ ਰਚਨਾ (ਬੋਮੈਨਕੈਪਸਿਊਲ) ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(4) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀਆਂ ਦੋਵੇਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਲਹੂ ਕੋਸ਼ਕਾਵਾਂ ਦਾ ਸਘਨ ਜਾਲ ਵਿਛਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । (4) ਬੋਮੈਨ ਕੈਪਸਿਉਲ ਵਿਚ ਲਹੁ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਗੁੱਛਾ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਸੈਲੀ ਗੁੱਛਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
(5) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹਵਾ ਭਰਨ ਤੇ ਫੈਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । (5) ਨੇਫਰਾਨ ਵਿਚ ਅਜਿਹੀ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(6) ਇੱਥੇ ਲਹੂ ਦੀਆਂ ਲਾਲ ਲਹੂ ਕਣਿਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿਮੋਗਲੋਬਿਨ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਪਲਾਜ਼ਮਾ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਚਲੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (6) ਸੈਲੀ ਗੁੱਛੇ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਫਾਲਤੂ ਪਦਾਰਥ ਛਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(7) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਦੇ ਬਾਅਦ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੇ ਸੁੰਗੜਨ ਨਾਲ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਭਰੀ ਹਵਾ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (7) ਮੂਤਰ ਵਹਿਣੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਨਾਲ ਮੂਤਰ ਵਹਿਕੇ ਮੂਤਰ ਮਸਾਨੇ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉੱਥੇ ਮੂਤਰ-ਮਾਰਗ ਦੁਆਰਾ ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ

ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਜਿਹੇ ਬਹੁਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਵਿਸਰਣ ਕਿਉਂ ਕਾਫ਼ੀ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਿਰਫ਼ ਬਾਹਰੀ ਚਮੜੀ ਦੇ ਸੈੱਲ ਅਤੇ ਛੇਦ ਹੀ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨਾਲ ਸਿੱਧੇ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲ ਅਤੇ ਅੰਦਰਲੇ ਅੰਗ ਸਿੱਧੇ ਆਪਣੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦੇ । ਇਹ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਆਪਣੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਸਰਣ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ । ਸਾਹ, ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਅਦਲੀ-ਬਦਲੀ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਾਰਜਾਂ ਲਈ ਪਸਰਨ ਬਹੁਕੈਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ ਜ਼ਰੂਰਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਅਤੇ ਹੌਲੀ ਹੈ । ਜੇ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਰਣ ਦੁਆਰਾ ਆਕਸੀਜਨ ਗਤੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਤੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ ਨੂੰ ਪੈਰ ਦੇ ਅੰਗੂਠੇ ਤੱਕ ਪੁੱਜਣ ਲਈ ਲਗਭਗ 3 ਸਾਲ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਜੀਵਤ ਹੈ, ਇਸਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਅਸੀਂ ਕਿਹੜੇ ਮਾਪਦੰਡ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰੀਆਂ ਜਿਉਂਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਸਜੀਵ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਰੂਪ-ਆਕਾਰ, ਰੰਗ ਆਦਿ ਦੇ ਨਜ਼ਰੀਏ ਵਿਚ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵੀ । ਪਸ਼ੁ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਬੋਲਦੇ ਹਨ, ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਖਾਂਦੇ ਹਨ, ਵੰਸ਼ ਵਾਧਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੇੜ-ਪੌਦੇ ਬੋਲਦੇ ਨਹੀਂ ਹਨ, ਭੁੱਜਦੇ-ਦੌੜਦੇ ਨਹੀਂ ਹਨ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਸਜੀਵ ਹਨ | ਵਧੇਰੇ ਸੂਖ਼ਮ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਗਤੀਆਂ ਦਿਖਾਈ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੀਆਂ । ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਗਤੀ ਨਾ ਹੋਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਨਿਰਜੀਵ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਵਸਤੂ ਵਿਚ ਅਣੂ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਵਸਤੂ ਸਜੀਵ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਸਜੀਵ ਹੈ, ਇਸਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਮਾਪਦੰਡ ਗਤੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸੇ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਕਿਹੜੀ ਬਾਹਰਲੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਜਿਹੜੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਉਹ ਹੈ-

  1. ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਪੋਸ਼ਣ
  2. ਸਾਹ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ।
  3. ਭੋਜਨ ਦੇ ਸਹੀ ਪਾਚਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜੈਵ-ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਪਾਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜੀਵਨ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵਨ-ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਜੋ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਮੰਨੀਆਂ ਜਾਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ, ਉਹ ਹਨ-ਪੋਸ਼ਣ, ਸਾਹ, ਪਰਿਵਹਿਣ ਅਤੇ ਉਤਸਰਜਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ (ਪਰਪੋਸ਼ੀ) ਪੋਸ਼ਣ ਵਿਚ ਅੰਤਰ-

ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ
ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਸਰਲ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਤੋਂ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਕੇ ਆਪਣਾ ਪੋਸ਼ਣ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ (autotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਹਰੇ ਪੌਦੇ, ਯੁਗਲੀਨਾ ।

ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਰ ਜੀਵਤ ਜਾਂ ਮ੍ਰਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਜਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ (Heterotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਯੁਗਲੀਨਾ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਜੰਤੂ, ਅਮਰਬੇਲ, ਜੀਵਾਣੁ, ਫੰਗਸ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੌਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਕਿੱਥੋਂ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਊਰਜਾ, ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਹੈ । ਪੌਦੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਵਾਤਾਵਰਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚੋਂ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਾਡੇ ਮਿਹਦੇ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਹਦੇ ਦੀ ਮਿਊਕਸ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਮਿਹਦਾ ਗੰਥੀਆਂ ਤੋਂ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਮਾਧਿਅਮ ਤਿਆਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਪੈਪਸਿਨ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਸੜਨ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭੋਜਨ ਦੇ ਨਾਲ ਆਏ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਕੋਮਲ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪਾਇਲੋਰਿਕ ਛੇਦ ਦੇ ਖੁੱਲ੍ਹਣ ਅਤੇ ਬੰਦ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਾਚਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਉਹ ਜੈਵ ਉਤਪੇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਿਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਅਤੇ ਵਸਾ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਲਾਈਪੇਜ਼ ਨਾਮਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਵਸਾ ਨੂੰ ਫੈਟੀ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਦਲਦਾ ਹੈ । ਰੇਨਿਨ ਨਾਮ ਦਾ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਪੇਪਸਿਨ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਦੁੱਧ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਤੇ ਪੇਪਸਿਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆਂ ਸੀਮਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪਿੱਤ ਰਸ ਭੋਜਨ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾ ਕੇ ਵਸਾ ਨੂੰ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿਚ ਤੋੜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਮਲਸੀਕਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਲੁੱਬਾ ਰਸ ਇਮਲਸ਼ਨ ਬਣੇ ਵਸੀ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਐਮਾਈਲੇਜ਼ ਭੋਜਨ ਦੇ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟਜੇ ਨੂੰ ਮਾਲਟੋਜ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀਆਂ ਕੰਧਾਂ ਵਿਚ ਪੈਪਟੀਡੇਸ, ਆਂਦਰ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਸੁਕਰੇਜ਼, ਮਾਲਟੋਜ਼ ਅਤੇ ਲੈਕਟੋਜ਼ ਨਿਕਲ ਕੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪਚਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਨੂੰ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ, ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਨੂੰ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਵਿਚ ਅਤੇ ਵਸਾ ਨੂੰ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਚੇ ਹੋਏ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਜ਼ਜ਼ਬ ਕਰਨ ਲਈ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਚੇ ਹੋਏ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਕਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਅੰਦਰਲੀ ਪਰਤ ਤੇ ਉਂਗਲੀ ਵਰਗੇ ਕਈ ਉਭਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੀਰਘ ਰੋਮ ਜਾਂ ਐਲਵਿਓਲਾਈ (Alveoli) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸੋਖਣ ਦੇ ਸਤਹਿ ਖੇਤਰਫਲ ਨੂੰ ਵਧਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਦੀ ਬਹੁਲਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਜਾਂ ਜ਼ਜ਼ਬ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਹਰ ਸੈੱਲ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਇਸਦਾ ਉਪਯੋਗ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ, ਨਵੇਂ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣੇ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਪੱਖ ਤੋਂ ਇੱਕ ਜਲੀ ਜੀਵ ਦੇ ਟਾਕਰੇ ਵਿੱਚ ਸਥਲੀ ਜੀਵ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਲਾਭ ਵਿੱਚ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਲੀ ਜੀਵ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਸਾਹ ਲਈ ਵਰਤਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਜਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਸਾਹ ਦੀ ਦਰ ਸਥਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਮੱਛੀਆਂ ਆਪਣੇ ਮੁੰਹ ਦੁਆਰਾ ਪਾਣੀ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਬਲ ਪੂਰਵਕ ਇਸ ਨੂੰ ਗਲਫੜੇ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿੱਥੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਲਹੂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਆਕਸੀਕਰਨ ਤੋਂ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪੱਥ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਹ ਇਕ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਕਰਨ ਲਈ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ਊਰਜਾ
ਸਾਹ ਇਕ ਜੈਵ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-

(ੳ) ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ – ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਹ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਵਿਖੰਡਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮਾਈਟੋਕਾਂਡਰੀਆ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹਵਾ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(ਅ) ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ – ਇਹ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੀਵਾਣੂ ਅਤੇ ਯੀਸਟ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਰਾਹੀਂ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਈਥਾਈਲ ਅਲਕੋਹਲ, CO2 ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
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(ੲ) ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਣ ਤੇ-ਕਈ ਵਾਰ ਸਾਡੇ ਪੇਸ਼ੀ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪਾਉਰੂਵੇਟ ਦੇ ਵਿਖੰਡਨ ਲਈ ਦੂਸਰਾ ਰਸਤਾ ਅਪਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਪਾਉਰੂਵੇਟ ਇੱਕ ਹੋਰ ਤਿੰਨ ਕਾਰਬਨ ਵਾਲੇ ਅਣੁ ਲੈਕਟਿਕ ਅਮਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅਕੜਾਅ (Cramps) ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਾਡੀਆਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਚਪਟਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਛਾਤੀ ਦੀ ਖੋੜ ਵੱਡੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਹਵਾ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਚਲੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਨੂੰ ਭਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਲਹੁ ਸਾਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ CO2 ਨੂੰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿਚ ਛੱਡਣ ਲਈ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਲਹੂ ਵਹਿਣੀ ਵਿੱਚੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਲੈ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲਾਂ ਤਕ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ । ਸਾਹ ਚੱਕਰ ਦੇ ਸਮੇਂ ਜਦੋਂ ਹਵਾ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਫੇਫੜਾ ਹਵਾ ਦਾ ਅਵਸ਼ਿਸ਼ਟ ਆਇਤਨ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਸੋਖਣ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਣ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਵਟਾਂਦਰੇ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਖੇਤਰਫਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮਨੁੱਖੀ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੀ ਬਣਤਰ ਵਿੱਚ ਕੀ ਖ਼ਾਸ ਗੁਣ ਹੈ ? ਕਿਵੇਂ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਾਡੀਆਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਝੁਕ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸੁੰਗੜਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਪੇਟ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸਥਿਲ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਛਾਤੀ ਦੀ ਗੁਹਾ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ ਵੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਸਾਹ ਪੱਥ ਤੋਂ ਹਵਾ ਅੰਦਰ ਆ ਕੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਭਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਘਟਕ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਘਟਕਾਂ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਹਨ-ਦਿਲ, ਧਮਨੀਆਂ, ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ, ਕੋਸ਼ਕਾਵਾਂ, ਲਹੂ, ਲਸੀਕਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹਨ-

  1. ਦਿਲ ਇਕ ਪੰਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਲਗਾਤਾਰ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਹੂ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਧਮਨੀਆਂ (Arteries) ਮੋਟੀ ਕਿੱਤੀ ਵਾਲੀਆਂ ਲਹੁ ਨਾਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਦਿਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਲਹੂ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ (Veins) ਪਤਲੀ ਛਿੱਤੀ ਵਾਲੀਆਂ ਲਹੂ ਨਾਲੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਲਹੂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਦਿਲ ਤਕ ਵਾਪਸ ਲਿਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  4. ਕੇਸ਼ਕਾਵਾਂ (Cappilaries) ਬਹੁਤ ਹੀ ਪਤਲੀਆਂ ਤੇ ਤੰਗ ਨਾਲੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਧਮਨੀਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ ਨਾਲ ਜੋੜਦੀਆਂ ਹਨ ।
  5. ਲਹੂ (Blood) ਇਕ ਤਰਲ ਸੰਯੋਜੀ ਉੱਤਕ ਹੈ ਜੋ ਭੋਜਨ ਆਕਸੀਜਨ, ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਯੂਰੀਆ, ਲੂਣ, ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਅਤੇ ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਇਕ ਭਾਗ ਤੋਂ ਦੂਜੇ ਭਾਗ ਤਕ ਲੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  6. ਲਸੀਕਾ (lymph) ਇਕ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ
    • ਲਸੀਕਾ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੱਕ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੋਂ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਸਰੀਰ ਦੇ ਜ਼ਖ਼ਮ ਭਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਪਚੇ ਵਸਾ ਦਾ ਸੋਖਣ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤਕ ਲੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਰਹਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਰੱਖਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਵਿਚ ਉੱਚ ਤਾਪਮਾਨ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਹੋਰਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਉਰਜਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਰਹਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੇ ਸੱਜੇ ਅਤੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਵਿਚ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਉੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਕਿਹੜੇ ਘਟਕ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਘਟਕ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ

  1. ਜਾਈਮ (Xylem) – ਇਹ ਘਟਕ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਤੱਕ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਲੂਣਾਂ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਫਲੋਇਮ (Phloem) – ਇਹ ਘਟਕ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਬਣੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਅਤੇ ਪੌਦੇ ਹਾਰਮੋਨਸ (Plant harmones) ਦਾ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਹੋਰ ਭਾਗਾਂ ਤਕ ਵਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜੀ ਲੂਣਾਂ ਦਾ ਵਹਿਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਖਣਿਜ ਲੂਣਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨੇੜਲੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

(1) ਪਾਣੀ – ਹਰ ਪਾਣੀ ਲਈ ਪਾਣੀ ਜੀਵਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ | ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਜਾਈਮ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੜਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਗੇ ਵਰਗੀਆਂ ਬਾਰੀਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦੀ ਬਹੁ-ਗਿਣਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੁਲਰੋਮ (Root hair) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਸਿੱਧੇ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਮਰੋਮ ਵਿਚ ਜੀਵ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਦੇ ਘੋਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰਾਸਰਣ ਦੇ
ਗੁਰੂਤਵ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪਾਣੀ ਮੂਲਰੋਮਾਂ ਵਿੱਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਪਰ ਇਸ ਪਾਣੀ ਤੇ ਖਿਚਾਓ : ਨਾਲ ਮਲਰੋਮ ਦੇ ਜੀਵ ਪਦਾਰਥ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ ਵਿਚ ਕਮੀ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਸੈੱਲ ਵਿਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕੂਮ ਲਗਾਤਾਰ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪਾਣੀ ਜ਼ਾਈਲਮ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁੱਝ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ 10 ਤੋਂ 100 ਮੀ. ਪ੍ਰਤੀ ਮਿੰਟ ਦੀ ਗਤੀ ਨਾਲ ਉੱਪਰ ਚੜ੍ਹ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 10

(2) ਖਣਿਜ – ਪੇੜ-ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਖਣਿਜਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਅਜੈਵਿਕ ਰੂਪ ਵਿਚ ਕਰਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਨਾਈਟਰੇਟ, ਫਾਸਫੇਟ ਆਦਿ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਤੋਂ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਣੀ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਰਾਹੀਂ ਸਿੱਧੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਮਿਲ ਕੇ ਜਾਈਲਮ ਟਿਸ਼ੂ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉੱਥੋਂ ਬਾਕੀ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪਾਣੀ ਤੇ ਹੋਰ ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਜ਼ਾਈਲਮ ਦੇ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਅਤੇ ਵਹਿਕਾਵਾਂ ਰਾਹੀਂ ਜੜਾਂ ਤੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਮ੍ਰਿਤ ਅਤੇ ਸਥੂਲ ਸੈੱਲ ਕੰਧ ਨਾਲ ਯੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਵਹਿਣੀਆਂ ਲੰਬੀਆਂ, ਪਤਲੀਆਂ, ਵੇਲਨਾਕਾਰ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਗਰਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਪਾਣੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹੋ ਕੇ ਇਕ ਵਾਹਿਣੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਵਾਹਿਣੀ · ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪੌਦਿਆਂ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਖਣਿਜ, ਨਾਈਟਰੇਟ ਅਤੇ ਫਾਸਫੇਟ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਲੂਣਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮੂਲਰੋਮ ਦੁਆਰਾ ਘੁਲਿਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਸੋਖਿਤ ਕਰ ਕੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਜੜ੍ਹਾਂ ਜ਼ਾਈਲਮ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਿਆਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਖ਼ੁਰਾਕ ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਣ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਤਿਆਰ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਘੁਲੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਦਾ ਵਹਿਣ ਸਥਾਨਅੰਤਰਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕਾਰਜ ਸੰਵਹਿਣ ਟਿਸ਼ੂ ਦੇ ਫਲੋਇਮ ਨਾਮਕ ਭਾਗ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਫਲੋਇਮ ਇਸ ਕਾਰਜ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਣ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਾਸ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਜੜ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਅੰਗਾਂ, ਫਲਾਂ, ਬੀਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਵਾਧੇ ਵਾਲੇ ਅੰਗਾਂ ਵਿਚ ਲਿਜਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਭੋਜਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨਅੰਤਰਣ ਨਾਲ ਦੇ ਸਾਥੀ ਸੈੱਲ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਚਾਲਨੀ ਨਾਲੀ ਦੇ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਅਤੇ ਪਾਸਿਆਂ ਦੋਵੇਂ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਫਲੋਇਮ ਵਿਚ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਦਾ ਕਾਰਜ ਜਾਈਲਮ ਦੇ ਉਲਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਉਰਜਾ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸ਼ੁਕਰੋਜ਼ ਵਰਗੇ ਪਦਾਰਥੇ ਫਲੋਇਮ ਟਿਸ਼ੂ ਵਿਚ ਏ. ਟੀ. ਪੀ. ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਉਰਜਾ ਤੋਂ ਹੀ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦਬਾਅ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਫਲੋਇਮ ਤੋਂ ਉਸ ਟਿਸ਼ੂ ਤੱਕ ਲੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਦਬਾਅ ਘੱਟ ਹੋਵੇ । ਇਹ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਹੈ । ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਆਉਣ ਤੇ ਇਹੀ ਜੜ੍ਹ ਅਤੇ ਤਣੇ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਵਿਚ ਭੰਡਾਰਿਤ ਸ਼ਕਲਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਕਲੀਆਂ ਵਿਚ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਵਾਧੇ ਲਈ ਊਰਜਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਨੈਫ਼ਰਾਨ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿਚ ਆਧਾਰੀ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਇਕਾਈ ਬਹੁਤ ਬਾਰੀਕ ਕਿੱਤੀ ਲਹੁ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਗੁੱਛਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਹਰ ਕੇਸ਼ਿਕਾ ਗੁੱਛਾ ਇੱਕ ਨਾਲੀ ਦੇ
ਕਪ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਸਿਰੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸ਼ਾਖਾ ਨਾਲੀਆਂ ਛੁਣੇ ਹੋਏ ਮੂਤਰ ਨੂੰ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਹਰ ਗੁਰਦੇ ਵਿਚ ਅਜਿਹੇ ਕਈ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਇਕਾਈਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨੈਫਰਾਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਨੇੜੇ-ਨੇੜੇ ਪੈਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ, ਗੁਲੂਕੋਜ਼, ਲੂਣ, ਪਾਣੀ ਆਦਿ ਕੁਝ ਪਦਾਰਥ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਵਿਚ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਜਿਵੇਂ-ਜਿਵੇਂ ਮੂਤਰ ਇਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਚੁਣਿਆ ਹੋਇਆ ਛਾਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਗੁਰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਡਾਇਆਸਿਸ ਦਾ ਥੈਲਾ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਲਹੂ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵੱਡੇ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਛਾਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਅਤੇ ਲੂਣ ਦੇ ਅਣੂ ਛੋਟੇ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਛਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਮਲ ਉਤਪਾਦਾਂ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਲਈ ਪੌਦੇ ਕਿਹੜੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ ਵਰਤਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ, ਉਤਸਰਜੀ ਉਤਪਾਦ ਹਨ-ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਆਕਸੀਜਨ, ਜਲਵਾਸ਼ਪਾਂ ਦੀ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ, ਤਰ੍ਹਾਂ-ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲੂਣ, ਰੇਜ਼ੀਨ, ਟੇਨੀਨ, ਲੈਟੇਕਸ ਆਦਿ ।

ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਉਤਸਰਜਨ ਦੇ ਲਈ ਕੋਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥ ਰਵਿਆਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਹਾਨੀ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ । ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਛਾਲ ਵੱਖ ਹੋਣ ਤੇ ਅਤੇ ਪੱਤਿਆਂ ਦੇ ਡਿੱਗਣ ਤੇ ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਉਤਸਰਜੀ ਉਤਪਾਦ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਾਧੂ ਜਲ-ਵਾਸ਼ਪ ਵਾਸ਼ਪ ਉਸਰਜਨ ਦੁਆਰਾ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਸਟੋਮੇਟਾ ਦੁਆਰਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਧੇਰੇ ਲੂਣ ਜਲ ਵਾਸ਼ਪਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਦੁਆਰਾ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਕੁਝ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥ ਫਲਾਂ, ਫੁੱਲਾਂ ਅਤੇ ਬੀਜਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਜਲੀ ਪੌਦੇ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੀ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਮੂਤਰ ਬਣਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਕਿਵੇਂ ਨਿਯਮਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੂਤਰ ਬਣਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਜਲ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦਾ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਿਆ ਰਹੇ । ਪਾਣੀ ਦੀ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਵਾਲੀ ਮਾਤਰਾ ਇਸ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿੰਨਾ ਘੁਲਿਆ ਫਾਲਤੂ ਪਦਰਾਥ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰਨਾ ਹੈ । ਫਾਲਤੂ ਪਾਣੀ ਦਾ ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਮੁੜ ਸੋਖਿਤ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਦਾ ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

Long Answer Type Questions

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਵੱਲੋਂ ਪਾਏ ਗਏ ਯੋਗਦਾਨ ਬਾਰੇ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Give description about Guru Angad Dev Ji’s contribution to the development of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀ-ਕੀ ਕੰਮ ਕੀਤੇ ? (What did Guru Angad Dev Ji do for the development of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀਆਂ ਛੇ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ । (Write six achievements of Guru Angad Dev Ji for the development of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਕਾਰਜਾਂ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰੋ । (Form an estimate of the works of Guru Angad Dev Ji for the spread of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ‘ ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Guru Angad Dev Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ 1539 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦੂਜੇ ਗੁਰੂ ਬਣੇ ਉਹ 1552 ਈ. ਤਕ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਕੀਤੇ-

1. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਉਣਾ-ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾ ਕੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਪਹਿਲਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਦਮ ਚੁੱਕਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਨਿਖਾਰ ਲਿਆਂਦਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਇਸ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਸਮਝਣਾ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਆਸਾਨ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿੱਦਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵੀ ਹੋਣ ਲੱਗਾ ।

2. ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ-ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਸਿਹਰਾ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । ਲੰਗਰ ਦਾ ਸਾਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਧਰਮ ਪਤਨੀ ਮਾਤਾ ਖੀਵੀ ਜੀ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਵਿਅਕਤੀ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਊਚ-ਨੀਚ, ਜਾਤ-ਪਾਤ ਦੇ ਵਿਤਕਰੇ ਦੇ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਕੇ ਛਕਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸੀ ਸਹਿਯੋਗ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵਧੀ ।

3. ਸੰਗਤ ਦਾ ਸੰਗਠਨ – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਸਥਾਪਿਤ ਸੰਗਤ ਸੰਸਥਾ ਨੂੰ ਵੀ ਸੰਗਠਿਤ ਕੀਤਾ | ਸੰਗਤ ਤੋਂ ਭਾਵ ਸੀ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਬੈਠਣਾ । ਸੰਗਤ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ-ਇਸਤਰੀ ਅਤੇ ਪੁਰਸ਼ ਹਿੱਸਾ ਲੈ ਸਕਦੇ ਸਨ ।ਇਹ ਸੰਗਤ ਸਵੇਰੇ ਸ਼ਾਮ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਸੁਣਨ ਲਈ ਇਕੱਠੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਸਮਾਜਿਕ ਨਾ-ਬਰਾਬਰੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸੰਗਠਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

4. ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਖੰਡ – ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਪੁੱਤਰ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਮਤ ਸੰਨਿਆਸ ਜਾਂ ਤਿਆਗ ਦੇ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ | ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨੂੰ ਮਾਨਤਾ ਦੇਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਇੱਥੋਂ ਤਕ ਕਿ ਇਹ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਕਿ ਕਿਤੇ ਸਿੱਖ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਕੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨਾ ਅਪਣਾ ਲੈਣ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਕਰੜਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰ ਕੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੀ ਵੱਖਰੀ ਹੋਂਦ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਿਆ ।

5. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ-1546 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਨੇੜੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਨਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਹ ਨਗਰ ਛੇਤੀ ਹੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਬਣ ਗਿਆ ।

6. ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਦੀ ਨਾਮਜ਼ਦਗੀ-ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਾਮਜ਼ਦ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਇੱਕ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਚੋਣ ਕੀਤੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਉਣ ਵਿੱਚ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ? (What contribution was made by Guru Angad Dev Ji to improve Gurumukhi script ?)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਨੂੰ ਲੋਕਪ੍ਰਿਯ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ?
(What impact did the popularisation of Gurmukhi by Guru Angad Dev Ji leave on the growth of Sikhism ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾ ਕੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਪਹਿਲਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਦਮ ਚੁੱਕਿਆ | ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਦੀ ਕਾਢ ਕਿਸ ਨੇ ਕੱਢੀ ? ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਮਤਭੇਦ ਹੈ । ਇਹ ਠੀਕ ਹੈ ਕਿ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆ ਚੁੱਕੀ ਸੀ । ਇਸ ਨੂੰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਲੰਡੇ ਲਿਪੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਕੋਈ ਵੀ ਵਿਅਕਤੀ ਬੜੀ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਭੁਲੇਖੇ ਵਿੱਚ ਪੈ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਨਿਖਾਰ ਲਿਆਂਦਾ । ਹੁਣ ਇਸ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਸਮਝਣਾ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਵੀ ਬੜਾ ਆਸਾਨ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ ।

ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਸ ਲਿਪੀ ਵਿੱਚ ਹੋਈ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦਾ ਨਾਂ ਗੁਰਮੁੱਖੀ (ਭਾਵ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਵਿੱਚੋਂ ਨਿਕਲੀ ਹੋਈ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੁ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਆਪਣੇ ਕਰਤੱਵ ਦੀ ਯਾਦ ਕਰਵਾਉਂਦੀ ਰਹੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਲਿਪੀ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਵੱਖਰੀ ਪਹਿਚਾਣ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿੱਦਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਬਾਹਮਣ ਵਰਗ ਨੂੰ ਕਰਾਰੀ ਸੱਟ ਵੱਜੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਨੂੰ ਹੀ ਧਰਮ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਮੰਨਦੇ ਸਨ । ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਅਤਿਅੰਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸੰਗਤ ਤੇ ਪੰਗਤ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on the importance of Sangat and Pangat.)
ਜਾਂ
ਸੰਗਤ ਅਤੇ ਪੰਗਤ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Sangat and Pangat ?)
ਉੱਤਰ-
1. ਸੰਗਤ – ਸੰਗਤ ਸੰਸਥਾ ਤੋਂ ਭਾਵ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਬੈਠਣ ਤੋਂ ਸੀ । ਇਹ ਸੰਗਤ ਸਵੇਰੇ ਸ਼ਾਮ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਸੁਣਨ ਲਈ ਇਕੱਠੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਗਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ। ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਸੰਗਠਿਤ ਕੀਤਾ । ਸੰਗਤ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਵੀ ਇਸਤਰੀ ਜਾਂ ਪੁਰਸ਼ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਜਾਤ-ਪਾਤ ਜਾਂ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਤਕਰੇ ਦੇ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਰੱਬ ਦਾ ਰੂਪ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਸੰਗਤ ਵਿੱਚ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀ ਦੀ ਕਾਇਆ ਪਲਟ ਜਾਂਦੀ ਸੀ । ਉਸ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਮਨੋਕਾਮਨਾਵਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਸਨ ।ਉਹ ਭਵਸਾਗਰ ਤੋਂ ਪਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਨਿਰਸੰਦੇਹ ਇਹ ਸੰਸਥਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਅਤਿਅੰਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਧ ਹੋਈ ।

2. ਪੰਗਤ – ਪੰਗਤ (ਲੰਗਰ) ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਵਿਕਸਿਤ ਕੀਤਾ । ਪਹਿਲੇ ਪੰਗਤ ਤੇ ਪਿੱਛੇ ਸੰਗਤ ਦਾ ਨਾਅਰਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ | ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਹਰੀਪੁਰ ਦੇ ਰਾਜੇ ਨੇ ਵੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਲੰਗਰ ਛਕਿਆ ਸੀ ਲੰਗਰ ਹਰ ਧਰਮ ਅਤੇ ਜਾਤੀ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਖੁੱਲਾ ਸੀ । ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਯੋਗਦਾਨ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਅਤੇ ਛੂਆ-ਛੂਤ ਦੀਆਂ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਵੀ ਬੜੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰਗੱਦੀ ਸੰਭਾਲਦੇ ਸਮੇਂ ਮੁੱਢਲੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ? (What problems did Guru Amar Das Ji face in the early years of his pontificate ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਗੱਦੀ ਸੰਭਾਲਦੇ ਸਮੇਂ ਮੁੱਢਲੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ।
1. ਦਾਸੂ ਅਤੇ ਦਾਤੂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਗੁਰੂਕਾਲ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦਾਸੂ ਅਤੇ ਦਾਤੂ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਮੰਨਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਅਸਲੀ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੇ ਦਾਤੂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਗੁਰੂ ਮੰਨਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦਾਸੁ ਨੇ ਵੀ ਮਾਤਾ ਖੀਵੀ ਜੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ‘ਤੇ ਆਪਣਾ ਵਿਰੋਧ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

2. ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਦਾ ਵਿਰੋਧ – ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਪੁੱਤਰ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਗੁਰਗੱਦੀ ਉੱਤੇ ਆਪਣਾ ਹੱਕ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਦੇ ਅਨੇਕਾਂ ਸਮਰਥਕ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਦ੍ਰਿੜ੍ਹਤਾ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲੈਂਦੇ ਹੋਏ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਉਲਟ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਦਲੀਲਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਦਾ ਸਾਥ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ।

3. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ-ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਵਧਦੀ ਹੋਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਵੇਖ ਕੇ ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਤੰਗ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸਾਮਾਨ ਚੋਰੀ ਕਰ ਲੈਂਦੇ । ਉਹ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆ ਤੋਂ ਪਾਣੀ ਭਰ ਕੇ ਲਿਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਘੜੇ ਪੱਥਰ ਮਾਰ ਕੇ ਤੋੜ ਦਿੰਦੇ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤ ਰਹਿਣ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ।

4. ਹਿੰਦੂਆਂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਮਤ ਵਿੱਚ ਊਚ-ਨੀਚ ਦਾ ਵਿਤਕਰਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਤੀਰਥ ਅਸਥਾਨ ਵੀ ਮਿਲ ਗਿਆ ਸੀ । ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਉੱਚ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਹਿੰਦੂ ਇਹ ਗੱਲ ਸਹਿਣ ਨਾ ਕਰ ਸਕੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਪਾਸ ਇਹ ਝੂਠੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕੀਤੀ ਕਿ ਗੁਰੂ ਜੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿਰੋਧੀ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ । ਅਕਬਰ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਨਿਰਦੋਸ਼ ਕਰਾਰ ਦਿੱਤਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿਓ । (Give an account of the development of Sikhism under Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਛੇ ਮੁੱਖ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Write down the six services done by Guru Amar Das Ji for the development of Sikh religion.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਵੱਡਮੁੱਲੇ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕਰੋ । (Model Test Paper) (Explain the contribution of Guru Amar Das Ji for the development of Sikhism.)
मां
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਕਾਰਜਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about the works of Guru Amar Das Ji for the spread of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । (Study the contribution of Guru Amar Das Ji to the growth of Sikhism.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ 1552 ਈ. ਤੋਂ 1574 ਈ. ਤਕ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਰਹੇ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਸੰਗਠਨ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਕੰਮ ਕੀਤੇ ।
1. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਪਹਿਲਾ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇੱਕ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ 1552 ਈ. ਤੋਂ 1559 ਈ. ਤਕ ਚਲਿਆ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ 84 ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ । ਬਾਉਲੀ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਪਵਿੱਤਰ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਮਿਲ ਗਿਆ ।

2. ਲੰਗਰ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਸਥਾਪਿਤ ਲੰਗਰ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਹੋਰ ਵਿਸਥਾਰ ਕੀਤਾ | ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਇਹ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਕਿ ਕੋਈ ਵੀ ਯਾਤਰੁ ਲੰਗਰ ਛਕੇ ਬਿਨਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ । ਇਸ ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਰਮਾਂ ਅਤੇ ਜਾਤਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਮਿਲ ਕੇ ਖਾਣਾ ਖਾਂਦੇ ਸਨ ।ਲੰਗਰ ਸੰਸਥਾ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਬੜੀ ਸਹਾਇੱਕ ਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਇਸ ਨਾਲ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਬੜਾ ਧੱਕਾ ਲੱਗਾ ।

3. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ – ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਲਈ ਹਰ ਸਿੱਖ ਤਕ ਨਿੱਜੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚਣਾ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਉਪਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਦੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਿੱਖਾਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦੇ ਲਈ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਾਈਂ ਫੈਲ ਗਈ ।

4. ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਖੰਡਨ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਇਆ ਕਿ ਸਿੱਖ ਮਤ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨਾਲੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਵੱਖਰਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਲੋਪ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚਾ ਲਿਆ ।

5. ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ, ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ, ਬਾਲ ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਵਿਧਵਾ ਵਿਆਹ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਜਨਮ, ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਮਰਨ ਦੇ ਮੌਕਿਆਂ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰਸਮਾਂ ਬਣਾਈਆਂ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇੱਕ ਆਦਰਸ਼ ਸਮਾਜ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕੀਤਾ ।

6. ਬਾਣੀ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ-ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਗਰ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪ 907 ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਨਾਲ ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦਾ ਆਧਾਰ ਤਿਆਰ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਬਾਉਲੀ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? (What is the importance of the construction of the Baoli of Goindwal Sahib in Sikh History ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਪਹਿਲਾ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇੱਕ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ 1552 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਇਹ 1559 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਕੰਮਲ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨ ਪਿੱਛੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਦੋ ਉਦੇਸ਼ ਸਨ । ਪਹਿਲਾ, ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਤਾਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਮਤ ਤੋਂ ਵੱਖਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ । ਦੂਜਾ, ਉਹ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਸੰਬੰਧੀ ਔਕੜ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ 84 ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ । ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਪੂਰਾ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਹ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਕਿ ਜੋ ਕੋਈ ਯਾਤਰੂ ਹਰ ਪੌੜੀ ‘ਤੇ ਸੱਚੇ ਮਨ ਤੇ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਜਪੁਜੀ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰੇਗਾ ਅਤੇ ਪਾਠ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬਾਉਲੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰੇਗਾ ਉਹ 84 ਲੱਖ ਜੂਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮੁਕਤ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ।

ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਇੱਕ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਪਵਿੱਤਰ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਮਿਲ ਗਿਆ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਜਾਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਨਹੀਂ ਰਹੀ ਸੀ । ਦੂਸਰਾ, ਬਾਉਲੀ ਕਾਰਨ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸਾਫ਼ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਦੂਰ ਹੋ ਗਈ । ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕ ਦਰਿਆ ਬਿਆਸ ਤੋਂ ਪਾਣੀ ਲੈਂਦੇ ਸਨ । ਇਹ ਪਾਣੀ ਬਰਸਾਤ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਗੰਦਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਪੀਣ ਦੇ ਯੋਗ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਪਹੁੰਚਣ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤੱਕ ਫੈਲ ਗਈ ।ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਜਾਤਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਬਾਉਲੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਕਰਕੇ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਇੱਕ ਤਕੜਾ ਧੱਕਾ ਲੱਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Briefly throw light on social reforms of Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਕੋਈ ਛੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe any six social reforms of Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (Why is Guru Amar Das called a Social Reformer ?)
ਜਾਂ
ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Guru Amar Das Ji as a social reformer.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

  • ਜਾਤੀ ਭੇਦਭਾਵ ਅਤੇ ਛੂਤ – ਛਾਤ ਦਾ ਖੰਡਨ-ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਜਾਤ-ਪਾਤ ਅਤੇ ਛੂਤ-ਛਾਤ ਦੀਆਂ ਕੁਰੀਤਿਆਂ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਜੋ ਕੋਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਸ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਗਤ ਵਿੱਚ ਲੰਗਰ ਛਕਣਾ ਪਵੇਗਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ।
  • ਜੰਮਦੀਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਦਾ ਖੰਡਨ – ਉਸ ਸਮੇਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਨੂੰ ਚੰਗਾ ਨਹੀਂ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਕੁਝ ਲੋਕ ਕੁੜੀਆਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਲੈਂਦੇ ਸਾਰ ਹੀ ਮਾਰ ਦਿੰਦੇ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਕੁਰੀਤੀ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਜੋ ਵਿਅਕਤੀ ਅਜਿਹਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਘੋਰ ਪਾਪ ਦਾ ਭਾਗੀ ਬਣੇਗਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਅਪਰਾਧ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ।
  • ਬਾਲ-ਵਿਆਹ ਦਾ ਖੰਡਨ-ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਲੜਕੀਆਂ ਦਾ ਵਿਆਹ ਛੋਟੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਹੀ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਇਸਤਰੀਆਂ ਦੀ ਹਾਲਤ ਬਹੁਤ ਤਰਸਯੋਗ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਬਾਲ-ਵਿਆਹ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ।
  • ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਖੰਡਨ-ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕੁਰੀਤਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਨਫ਼ਰਤ ਯੋਗ ਕਰੀਤੀ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਅਣਮਨੁੱਖੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਜੇਕਰ ਕਿਸੇ ਇਸਤਰੀ ਦੇ ਪਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਸੀ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਜਬਰਨ ਪਤੀ ਦੀ ਚਿਤਾ ਨਾਲ ਜਿਉਂਦੇ ਜਲਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਚਲੀ ਆ ਰਹੀ ਇਸ ਕੁਰੀਤੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਇੱਕ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਮੁਹਿੰਮ ਚਲਾਈ ।
  • ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਖੰਡਨ-ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਵੀ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਧ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਪ੍ਰਥਾ ਇਸਤਰੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵੱਡੀ ਰੁਕਾਵਟ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਆਲੋਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਹ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਸੰਗਤ ਜਾਂ ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਸੇਵਾ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਕੋਈ ਵੀ ਇਸਤਰੀ ਪਰਦਾ ਨਾ ਕਰੇ ।
  • ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਦਾ ਖੰਡਨ-ਉਸ ਸਮੇਂ ਕੁੱਝ ਲੋਕ ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਦੀ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਨਿਖੇਧੀ ਕੀਤੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਕੀ ਸੀ ? ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੇ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ? (What was the Manji System ? How did it contribute to the development of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਮੰਜੀ ਵਿਵਸਥਾ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Manji System ?)
ਜਾਂ
ਮੰਜੀ ਵਿਵਸਥਾ ਉੱਪਰ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Manji System.)
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੇ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ । ਇਸ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸੰਸਥਾ ਦੇ ਮੋਢੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਸਨ । ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਆਰੰਭ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਲੋੜ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਨਿਰੰਤਰ ਯਤਨਾਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜਾਦੂਈ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦੇ ਕਾਰਨ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਏ ਸਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਈ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਦੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਫੈਲੇ ਹੋਏ ਸਨ ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਲਈ ਨਿੱਜੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਦੂਸਰਾ, ਇਸ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਬਹੁਤ ਬਿਰਧ ਹੋ ਗਏ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤੀ ।

2. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਤੋਂ ਭਾਵ-ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਆਪਣੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੰਦੇ ਸਮੇਂ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੰਜੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਮੰਜਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਬਾਕੀ ਸਿੱਖ ਜ਼ਮੀਨ ਜਾਂ ਦਰੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ ਸੁਣਦੇ ਸਨ | ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਜੀਵਨ ਕਾਲ ਵਿੱਚ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੁਖੀ ਮੰਜੀਦਾਰ ਕਹਾਉਂਦੇ ਸਨ । ਇਹ ਮੰਜੀਦਾਰ ਗੁਰੂ ਜੀ ਪ੍ਰਤੀ ਆਪਣਾ ਸਨਮਾਨ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਛੋਟੀ ਮੰਜੀ ਉੱਤੇ ਬੈਠਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸੰਸਥਾ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਕਹਾਉਣ ਲੱਗੀ ।

3. ਮੰਜੀਦਾਰ ਦੇ ਕੰਮ-ਮੰਜੀਦਾਰ ਆਪਣੇ ਅਧੀਨ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਤਾ ਕਰਦਾ ਸੀ । ਉਹ ਅਨੇਕਾਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਸੀ ।

  • ਉਹ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨ ਕਰਦਾ ਸੀ ।
  • ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਸੀ ।
  • ਉਹ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਧਾਰਮਿਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ।
  • ਉਹ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਭਾਸ਼ਾ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦਾ ਸੀ ।
  • ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਸੰਗਤਾਂ ਨਾਲ ਸਾਲ ਵਿੱਚ ਘੱਟੋ-ਘੱਟ ਇੱਕ ਵਾਰ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਆਉਂਦੇ ਸਨ ।

4. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਮਹੱਤਵ-ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਸੰਗਠਨ ਵਿੱਚ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੇ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ | ਮੰਜੀਦਾਰਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਾਲ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲੱਗੇ । ਇਸ ਦੇ ਦੂਰਰਸੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਏ ! ਮੰਜੀਦਾਰ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸੰਗਤ ਕੋਲੋਂ ਲੰਗਰ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਾਰਜਾਂ ਲਈ ਮਾਇਆ ਵੀ ਇਕੱਠੀ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਹ ਮਾਇਆ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਕਾਰਜਾਂ ਉੱਤੇ ਖ਼ਰਚ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਲੋਕਪ੍ਰਿਅਤਾ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਮੁਗਲਾਂ ਨਾਲ ਕਿਹੋ ਜਿਹੇ ਸੰਬੰਧ ਸਨ ? (What type of relations did Guru Amar Das Ji have with the Mughals ?)
ਜਾਂ
ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਵਿਚਾਲੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਉਲੇਖ ਕਰੋ । (Describe the relations between Mughal emperor Akbar and Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਵਿਚਕਾਰ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਉਲੇਖ ਕਰੋ । (Explain the relations between the Mughal emperor Akbar and Guru Amar Das Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਮੁਗਲਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਬਹੁਤ ਚੰਗੇ ਸਨ ਉਸ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਦਾ ਸ਼ਾਸਨ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਅਰਦਾਸ ਸਦਕਾ ਅਕਬਰ ਨੂੰ ਚਿਤੌੜ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿੱਚ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸ਼ੁਕਰਾਨਾ ਕਰਨ ਲਈ ਅਕਬਰ 1568 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਆਇਆ ਸੀ । ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਮਰਯਾਦਾ ਅਨੁਸਾਰ ਬਾਕੀ ਸੰਗਤ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਲੰਗਰ ਛਕਿਆ ।ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਅਤੇ ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਬੰਧ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ ।ਉਸ ਨੇ ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ ਦੇ ਲਈ ਕੁਝ ਪਿੰਡਾਂ ਦੀ ਜਾਗੀਰ ਦੀ ਪੇਸ਼ਕਸ਼ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਇਹ ਜਾਗੀਰ ਲੈਣ ਤੋਂ ਇਸ ਲਈ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਿੱਖ ਲੰਗਰ ਲਈ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਅਕਬਰ ਦੀ ਇਸ ਯਾਤਰਾ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਬਹੁਤ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਕ ਫੈਲ ਗਈ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਏ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਪਾਏ ਛੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨਾਂ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Give the six important contributions of Guru Ram Das Ji in the development of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਪ੍ਰਤੀ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਸੀ ? (What was the contribution of Guru Ram Das Ji to Sikh religion ?)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the contribution of Guru Ram Das Ji to the development of Sikhism.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰੂਕਾਲ 1574 ਈ. ਤੋਂ 1581 ਈ. ਤਕ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗੁਰਿਆਈ ਦਾ ਸਮਾਂ ਬਹੁਤ ਥੋੜਾ ਸੀ ਫਿਰ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਸੰਗਠਨ ਵਿੱਚ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

1. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਦੇਣ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਜਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ । ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਆਬਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧੰਦਿਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ 52 ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਸਾਇਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੇ ਜਿਹੜਾ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਸਾਇਆ ਉਹ “ਗੁਰੂ ਕਾ ਬਾਜ਼ਾਰ’ ਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮੱਕਾ ਮਿਲ ਗਿਆ । ਇਹ ਛੇਤੀ ਹੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਬਣ ਗਿਆ ।

2. ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਆਰੰਭ – ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਵਿਖੇ ਅੰਮਿਤਸਰ ਅਤੇ ਸੰਤੋਖਸਰ ਨਾਂ ਦੇ ਦੋ ਸਰੋਵਰਾਂ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਲਈ ਮਾਇਆ ਦੀ ਲੋੜ ਪਈ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਭੇਜਿਆ ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰ ਸਕਣ ਅਤੇ ਸੰਗਤਾਂ ਤੋਂ ਮਾਇਆ ਇਕੱਠੀ ਕਰ ਸਕਣ । ਇਹ ਸੰਸਥਾ ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਕ ਪ੍ਰਚਾਰ ਹੋਇਆ ।

3. ਉਦਾਸੀਆਂ ਨਾਲ ਸਮਝੌਤਾ – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਕਾਲ ਦੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾ ਉਦਾਸੀਆਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚਾਲੇ ਸਮਝੌਤਾ ਸੀ । ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਮੋਢੀ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਆਏ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨਿਮਰਤਾ ਤੋਂ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ | ਇਹ ਸਮਝੌਤਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ।

4. ਕੁਝ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜ – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਬਾਣੀ ਦੀ ਰਚਨਾ (679 ਸ਼ਬਦ) ਕਰਨਾ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਚਾਰ ਲਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਵਿਆਹ ਦੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਚਲੀਆਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਸੰਗਤ, ਪੰਗਤ ਤੇ ਮੰਜੀ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕੁਰੀਤੀਆਂ ਜਿਵੇਂ-ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ, ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ, ਬਾਲ ਵਿਵਾਹ ਆਦਿ ਦਾ ਵੀ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ ।

5. ਅਕਬਰ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ ਕਾਇਮ ਰਹੇ । ਅਕਬਰ ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ ਮਿਲਿਆ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਕਹਿਣ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇੱਕ ਸਾਲ ਲਈ ਲਗਾਨ ਮੁਆਫ਼ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ।

6. ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ 1581 ਈ. ਵਿੱਚ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਕੇ ਇੱਕ ਹੋਰ ਮਹਾਨ ਕਾਰਜ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਕਾਰਜ ਜਾਰੀ ਰਿਹਾ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦਾ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? [What is the importance of the foundation of Ramdaspura (Amritsar) in Sikh history ?]
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਦੇਣ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਜਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰਗੱਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਆਪ ਇੱਥੇ ਆ ਗਏ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਆਬਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧੰਦਿਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ 52 ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਸਾਇਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੇ ਜਿਹੜਾ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਸਾਇਆ ਉਹ ‘ਗੁਰੂ ਕਾ ਬਾਜ਼ਾਰ’ ਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਛੇਤੀ ਹੀ ਇਹ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਵਪਾਰਿਕ ਕੇਂਦਰ ਬਣ ਗਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਵਿਖੇ ਦੋ ਸਰੋਵਰਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਅਤੇ ਸੰਤੋਖਸਰ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਬਣਾਇਆ । ਪਹਿਲਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਰੋਵਰ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਦਾ ਕੰਮ ਆਰੰਭਿਆ ਗਿਆ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਰੋਵਰ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਹੀ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦਾ ਨਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਪੈ ਗਿਆ । ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਮਿਲ ਗਿਆ ਜਿਹੜਾ ਛੇਤੀ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੇਂਦਰ ਬਣ ਗਿਆ । ਇਸ ਨੂੰ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਮੱਕਾ ਕਿਹਾ ਜਾਣ ਲੱਗਾ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਏਕਤਾ ਅਤੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦਾ ਵੀ ਪ੍ਰਤੀਕ ਬਣ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ’ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Udasi Sect.)
ਜਾਂ
ਉਦਾਸੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Udasi System ?)
ਜਾਂ
ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ‘ ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Baba Sri Chand Ji.)
ਉੱਤਰ-
1. ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ – ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਪੁੱਤਰ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਮਤ ਸੰਨਿਆਸ ਜਾਂ ਤਿਆਗ ਦੇ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਜਦਕਿ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਹਿਸਥ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਸਿਧਾਂਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲਦੇ ਸਨ। ਇਸ ਕਾਰਨ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨੂੰ ਮਾਨਤਾ ਦੇਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਅਜਿਹੇ ਹਾਲਾਤ ਵਿੱਚ ਇਹ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਕਿ ਕਿਤੇ ਸਿੱਖ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਕੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨਾ ਅਪਣਾ ਲੈਣ । ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਇੱਕ ਤਕੜੇ ਅਤੇ ਤੁਰੰਤ ਨਿਰਣੇ ਦੀ ਲੋੜ ਸੀ ।

2. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਕਰੜਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਤੋਂ ਉਲਟ ਹਨ ਅਤੇ ਜਿਹੜਾ ਸਿੱਖ ਇਸ ਮਤ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਉਹ ਸੱਚਾ ਸਿੱਖ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ।

3. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਸਮਝਾਉਣ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਕਸਰ ਬਾਕੀ ਨਾ ਛੱਡੀ ਕਿ ਸਿੱਖ ਮਤ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨਾਲੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਵੱਖਰਾ ਹੈ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨਾਂ ਸਦਕਾ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਤੋਂ ਆਪਣੇ ਸੰਬੰਧ ਤੋੜ ਲਏ ।

4. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਗੁਰਿਆਈ ਕਾਲ ਦੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾ ਉਦਾਸੀਆਂ ਦਾ ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਸਮਝੌਤਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਮੋਢੀ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਆਏ । ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨਿਮਰਤਾ ਤੋਂ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਨਾ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਉਦਾਸੀਆਂ ਨਾਲ ਇਹ ਸਮਝੌਤਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਲਈ ਬੜਾ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਇਸ ਨਾਲ ਇੱਕ ਤਾਂ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਚਲਿਆ ਆ ਰਿਹਾ ਆਪਸੀ ਤਣਾਅ ਦੂਰ ਹੋ ਗਿਆ । ਦੂਜਾ, ਉਦਾਸੀਆਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

ਪ੍ਰਸਤਾਵ ਰੂਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Essay Type Questions)
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਜੀਵਨ (Early Career of Guru Angad Dev Ji)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਮੁੱਢਲੇ ਜੀਵਨ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (What do you know about the early career of Guru Angad Dev Ji ? Explain briefly.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਜਾਂ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਗੁਰੂ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਗੁਰੂ ਕਾਲ 1539 ਈ. ਤੋਂ 1552 ਈ. ਤਕ ਰਿਹਾ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਮੁੱਢਲੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-

1. ਜਨਮ ਅਤੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ (Birth and Parentage) – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜਨਮ 31 ਮਾਰਚ, 1504 ਈ. ਨੂੰ ਮੱਤੇ ਦੀ ਸਰਾਏ ਨਾਮੀ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ । ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਫੇਰੂਮਲ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਖੱਤਰੀ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਸਨ । ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਸਭਰਾਈ ਦੇਵੀ ਜੀ ਸੀ ।ਉਹ ਬੜੀ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਚਾਰਾਂ ਵਾਲੀ ਇਸਤਰੀ ਸੀ । ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ’ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਚਾਰਾਂ ਦਾ ਕਾਫ਼ੀ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ।

2. ਬਚਪਨ ਅਤੇ ਵਿਆਹ (Childhood and Marriage) – ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਜਦੋਂ ਜਵਾਨ ਹੋਏ ਤਾਂ ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਹੱਥ ਵਟਾਉਣ ਲੱਗੇ 15 ਵਰਿਆਂ ਦੇ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਿਆਹ ਉਸ ਪਿੰਡ ਦੇ ਨਿਵਾਸੀ ਸ੍ਰੀ ਦੇਵੀ ਚੰਦ ਦੀ ਸਪੁੱਤਰੀ ਬੀਬੀ ਖੀਵੀ ਨਾਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਆਪ ਦੇ ਘਰ ਦੋ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦਾਤੂ ਅਤੇ ਦਾਸੁ ਅਤੇ ਦੋ ਪੁੱਤਰੀਆਂ ਬੀਬੀ ਅਮਰੋ ਅਤੇ ਬੀਬੀ ਅਨੋਖੀ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ | 1526 ਈ. ਬਾਬਰ ਦੇ ਪੰਜਾਬ ’ਤੇ ਹਮਲੇ ਸਮੇਂ ਫੇਰੂਮਲ ਜੀ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਨਾਮੀ ਪਿੰਡ ਵਿਖੇ ਆ ਗਏ । ਛੇਤੀ ਹੀ ਫੇਰੂਮਲ ਜੀ ਅਕਾਲ ਚਲਾਣਾ ਕਰ ਗਏ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਦੇ ਮੋਢਿਆਂ ‘ਤੇ ਆ ਪਈ ।

3. ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਬਣੇ (Lehna Ji became the disciple of Guru Nanak Dev Ji) – ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਦੁਰਗਾ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੇ ਭਗਤ ਸਨ । ਉਹ ਹਰ ਸਾਲ ਆਪਣੇ ਭਗਤਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਜੱਥਾ ਲੈ ਕੇ ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ (ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਕਾਂਗੜਾ) ਦੇਵੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਜਾਂਦੇ ਸਨ । ਇੱਕ ਦਿਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਭਾਈ ਜੋਧਾ ਜੀ ਦੇ ਮੁੱਖੋਂ ‘ਆਸਾ ਦੀ ਵਾਰ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਿਆਂ । ਇਹ ਪਾਠ ਸੁਣ ਕੇ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨ ਦਾ ਪੱਕਾ ਫੈਸਲਾ ਕਰ ਲਿਆ | ਅਗਲੇ ਵਰੇ ਜਦੋਂ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਲਈ ਨਿਕਲੇ ਤਾਂ ਉਹ ਰਸਤੇ ਵਿੱਚ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿਖੇ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਰੁਕੇ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਮਹਾਨ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਅਤੇ ਮਿੱਠੀ ਬਾਣੀ ਨੂੰ ਸੁਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਬਣਨ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਚਰਨਾਂ ਵਿੱਚ ਹੀ ਆਪਣਾ ਜੀਵਨ ਬਤੀਤ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕਰ ਲਿਆ ।

4. ਗੁਰਗੱਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ (Assumption of Guruship) – ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੇ ਪੂਰਨ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ । ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਦੀ ਸੱਚੀ ਭਗਤੀ ਅਤੇ ਅਥਾਹ ਪਿਆਰ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਗੱਦੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਪੁਰਦ ਕਰਨ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇੱਕ ਨਾਰੀਅਲ ਤੇ ਪੰਜ ਪੈਸੇ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਅੱਗੇ ਰੱਖ ਕੇ ਆਪਣਾ ਸੀਸ ਨਿਵਾਇਆ | ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ | ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੂੰ ਅੰਗਦ ਦਾ ਨਾਂ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇਹ ਘਟਨਾ 7 ਸਤੰਬਰ, 1539 ਈ. ਦੀ ਹੈ । ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੁਆਰਾ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨਾ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇੱਕ ਅਤਿ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਲਹਿਰ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਿਸਚਿਤ ਦਿਸ਼ਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈ ਅਤੇ ਇਸ ਦਾ ਆਧਾਰ ਮਜ਼ਬੂਰ ਹੋਇਆ । ਜੀ. ਸੀ. ਨਾਰੰਗ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਹੈ,
“ਜੇਕਰ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਤੋਂ ਬਿਨਾ ਹੀ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾ ਜਾਂਦੇ ਤਾਂ ਅੱਜ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਨਹੀਂ ਹੋਣਾ ਸੀ ।”

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਅਧੀਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ (Development of Sikhism under Guru Angad Dev Ji)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਆਰੰਭਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਹੈ ? ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (What is the contribution of Guru Angad Dev Ji to the development of Sikhism ? Explain.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਆਰੰਭਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਸੀ ? (What was the contribution of Guru Angad Dev Ji to the early developmnent of Sikhism ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ 1539 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦੂਜੇ ਗੁਰੂ ਬਣੇ ।ਉਹ 1552 ਈ. ਤਕ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ । ਜਿਸ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬੈਠੇ ਸਨ ਤਾਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਕਈ ਖ਼ਤਰੇ, ਮੌਜੂਦ ਸਨ | ਪਹਿਲਾ ਸਿੱਖ ਪੈਰੋਕਾਰਾਂ ਦੀ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਲੀਨ ਹੋ ਜਾਣ ਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਸੀ । ਦੁਜਾ ਖ਼ਤਰਾ ਉਦਾਸੀਆਂ ਤੋਂ ਸੀ । ਇਸ ਮਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਪੁੱਤਰ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਜਾ ਰਹੇ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਯਤਨਾਂ ਸਦਕਾ ਨਾ ਸਿਰਫ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਮੌਜੂਦ ਇਨ੍ਹਾਂ ਖ਼ਤਰਿਆਂ ਨੂੰ ਹੀ ਦੂਰ ਕੀਤਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਵੀ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਜੋ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ਉਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ :-

1. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਉਣਾ (Popularisation of Gurmukhi) – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾ ਕੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਪਹਿਲਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਦਮ ਚੁੱਕਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਨਿਖਾਰ ਲਿਆਂਦਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਇਸ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਸਮਝਣਾ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਆਸਾਨ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਸ ਲਿਪੀ ਵਿੱਚ ਹੋਈ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦਾ ਨਾਂ ਗੁਰਮੁੱਖੀ (ਭਾਵ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲੀ ਹੋਈ) ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਦੇ ਪਤੀ ਆਪਣੇ ਕਰਤੱਵ ਦੀ ਯਾਦ ਕਰਵਾਉਂਦੀ ਰਹੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਲਿਪੀ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਵੱਖਰੀ ਪਹਿਚਾਣ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿੱਦਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵੀ ਹੋਣ ਲੱਗਾ । ਐੱਚ. ਐੱਸ. ਭਾਟੀਆ ਅਤੇ ਐੱਸ. ਆਰ. ਬਕਸ਼ੀ ਅਨੁਸਾਰ,

‘‘ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂਆਂ ਅਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵੱਖਰੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦਿੱਤੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਅਨੁਭਵ ਕਰਾਇਆ ਕਿ ਉਹ ਵੱਖ ਲੋਕ ਹਨ ।’’ 2

2. ਬਾਣੀ ਦਾ ਸੰਗ੍ਰਹਿ (Collection of Hymns) – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਦੂਜਾ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਹ ਬਾਣੀ ਇੱਕ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਨਾ ਹੋ ਕੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਖਿਲਰੀ ਪਈ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੇ ਇੱਕ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਿੱਖ ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਜੀ ਨੂੰ ਬੁਲਾ ਕੇ ਭਾਈ ਪੈੜਾ ਮੋਖਾ ਜੀ ਤੋਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜੀਵਨ ਸੰਬੰਧੀ ਇੱਕ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਲਿਖਵਾਈ । ਇਸ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਨੂੰ ਭਾਈ ਬਾਲੇ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁਝ ਵਿਦਵਾਨ ਇਸ ਤੱਥ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਨਹੀਂ ਹਨ ਕਿ ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਜੀ ਦੀ ਜਨਮ ਸਾਖੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਵੇਲੇ ਲਿਖੀ ਗਈ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੇ ਆਪ ‘ਨਾਨਕ’ ਦੇ ਨਾਂ ਹੇਠ ਬਾਣੀ ਰਚੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਬਾਣੀ ਦੇ ਅਸਲ ਰੂਪ ਨੂੰ ਵਿਗੜਨ ਤੋਂ ਬਚਾਇਆ । ਦੂਸਰਾ, ਇਸ ਨੇ ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਆਧਾਰ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ।

3. ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ (Expansion of Langar System) – ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਸਿਹਰਾ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੈ । ਲੰਗਰ ਦਾ ਸਾਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਧਰਮ ਪਤਨੀ ਬੀਬੀ ਖੀਵੀ ਜੀ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਵਿਅਕਤੀ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਊਚ-ਨੀਚ, ਜਾਤ-ਪਾਤ ਦੇ ਵਿਤਕਰੇ ਦੇ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਕੇ ਛਕਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸੀ ਸਹਿਯੋਗ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵਧੀ । ਇਸ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਫੈਲੀ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ‘ਤੇ ਕਰੜਾ ਵਾਰ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚੱਲਿਤ ਸਮਾਜਿਕ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਨਾ-ਬਰਾਬਰੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਾਈਂ ਫੈਲ ਗਈ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਪ੍ਰੋਫੈਸਰ ਹਰਬੰਸ ਸਿੰਘ ਦਾ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਹੈ,
“ਸਮਾਜਿਕ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਲਿਆਉਣ ਵਿੱਚ ਇਹ (ਲੰਗਰ) ਸੰਸਥਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਾਧਨ ਸਿੱਧ ਹੋਈ ।” 1

4. ਸੰਗਤ ਦਾ ਸੰਗਠਨ (Organisation of Sangat) – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਸਥਾਪਿਤ ਸੰਗਤ ਸੰਸਥਾ ਨੂੰ ਵੀ ਸੰਗਠਿਤ ਕੀਤਾ । ਸੰਗਤ ਤੋਂ ਭਾਵ ਸੀ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਬੈਠਣਾ 1 ਸੰਗਤ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਧਰਮਾਂ ਦੇ ਲੋਕ-ਇਸਤਰੀ ਅਤੇ ਪੁਰਸ਼-ਹਿੱਸਾ ਲੈ ਸਕਦੇ ਸਨ । ਇਹ ਸੰਗਤ ਸਵੇਰੇ ਸ਼ਾਮ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਸੁਣਨ ਲਈ ਇਕੱਠੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਸਮਾਜਿਕ ਨਾ-ਬਰਾਬਰੀ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸੰਗਠਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

5. ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਖੰਡਨ (Denunciation of the Udasi Sect) – ਉਦਾਸੀ ਮਤੇ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਪੁੱਤਰ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਮਤ ਸੰਨਿਆਸ ਜਾਂ ਤਿਆਗ ਦੇ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ । ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨੂੰ ਮਾਨਤਾ ਦੇਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਇੱਥੋਂ ਤਕ ਕਿ ਇਹ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਕਿ ਕਿਤੇ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਕੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨਾ ਅਪਣਾ ਲੈਣ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਕਰੜਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਉਲਟ ਹਨ ਅਤੇ ਜਿਹੜਾ ਸਿੱਖ ਇਸ ਮਤ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਉਹ ਸੱਚਾ ਸਿੱਖ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੀ ਵੱਖਰੀ ਹੋਂਦ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਿਆ ।

6. ਸਰੀਰਕ ਸਿੱਖਿਆ (Physical Training) – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਇਹ ਮੰਨਦੇ ਸਨ ਕਿ ਜਿਵੇਂ ਆਤਮਿਕ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਨਾਮ ਦਾ ਜਾਪ ਕਰਨਾ ਅਤਿ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਠੀਕ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰਕ ਤੰਦਰੁਸਤੀ ਲਈ ਕਸਰਤ ਕਰਨਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਉਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇੱਕ ਅਖਾੜਾ ਬਣਵਾਇਆ । ਇੱਥੇ ਸਿੱਖ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਸਵੇਰੇ ਕੁਸ਼ਤੀਆਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਸਰੀਰਕ ਕਸਰਤਾਂ ਕਰਦੇ ਸਨ ।

7.ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ (Foundation of Goindwal Sahib) – 1546 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਨੇੜੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਨਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਹ ਨਗਰ ਛੇਤੀ ਹੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਬਣ ਗਿਆ ।

8. ਹੁਮਾਯੂੰ ਨਾਲ ਮੁਲਾਕਾਤ (Meeting with Humayun) – ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਹੁਮਾਯੂੰ ਸ਼ੇਰਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਦੇ ਹੱਥੋਂ ਹਾਰ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੰਜਾਬ ਪਹੁੰਚਿਆ । ਉਹ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਪਾਸੋਂ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਲੈਣ ਲਈ ਗਿਆ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਜੀ ਸਮਾਧੀ ਵਿੱਚ ਲੀਨ ਸਨ । ਹੁਮਾਯੂ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਬੇਇੱਜ਼ਤੀ ਸਮਝ ਕੇ ਤਲਵਾਰ ਕੱਢ ਲਈ । ਉਸੇ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀ ਅੱਖ ਖੋਲ੍ਹੀ ਤੇ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੂੰ ਆਖਿਆ ਕਿ ਇਹ ਤਲਵਾਰ ਜਿਹੜੀ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ‘ਤੇ ਵਰਤਣ ਲੱਗਾ ਹੈਂ ਉਹ ਤਲਵਾਰ ਸ਼ੇਰਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਦੇ ਸਮੇਂ ਕਿੱਥੇ ਸੀ । ਇਹ ਸ਼ਬਦ ਸੁਣ ਕੇ ਹੁਮਾਯੂੰ ਅਤਿਅੰਤ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਤੋਂ ਮੁਆਫ਼ੀ ਮੰਗੀ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੂੰ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਦਿੰਦਿਆਂ ਹੋਇਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਤੈਨੂੰ ਕੁਝ ਸਮਾਂ ਇੰਤਜ਼ਾਰ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਰਾਜਗੱਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਵੇਗੀ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੀ ਇਹ ਭਵਿੱਖਬਾਣੀ ਸੱਚੀ ਨਿਕਲੀ । ਇਸ ਮੁਲਾਕਾਤ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਦੋਸਤਾਨਾ ਸੰਬੰਧ ਸਥਾਪਿਤ
ਹੋਏ ।

9. ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ (Nomination of the Successor) – ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕਾਫ਼ੀ ਸੋਚ ਅਤੇ ਪਰਖ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਉੱਚੇ ਅਹੁਦੇ ਲਈ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਚੋਣ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅੱਗੇ ਇੱਕ ਨਾਰੀਅਲ ਅਤੇ ਪੰਜ ਪੈਸੇ ਰੱਖ ਕੇ ਆਪਣਾ ਸੀਸ ਨਿਵਾਇਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਨਿਯੁਕਤ ਹੋਏ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ 29 ਮਾਰਚ, 1552 ਈ. ਨੂੰ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ ।

10. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀਆਂ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ (Estimate of Guru Angad Dev Ji’s Achievements) – ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਦੇਖਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਗੁਰੂਕਾਲ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਬੜਾ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਕੇ, ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਇਕੱਠੀ ਕਰ ਕੇ, ਸੰਗਤ ਅਤੇ ਪੰਗਤ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰ ਕੇ, ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰ ਕੇ, ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰ ਕੇ ਅਤੇ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰ ਕੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੀ ਨੀਂਹ ਨੂੰ ਹੋਰ ਮਜ਼ਬੂਤ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀਆਂ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਕੇ. ਐੱਸ. ਦੁੱਗਲ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ,
“ਇਹ ਹੈਰਾਨੀ ਵਾਲੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੇ ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਕਿੰਨੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲਈ ।” 1
ਇੱਕ ਹੋਰ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਐੱਸ. ਐੱਸ. ਜੌਹਰ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰਕਾਲ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਮੋੜ ਸੀ ।” 2

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the brief the life and achievements of Guru Angad Dev Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਯੋਗਦਾਨ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ ।
(Discuss the life and contribution of Guru Angad Dev Ji to the development of Sikhism.)
ਨੋਟ :-ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 1 ਅਤੇ 2 ਦਾ ਉੱਤਰ ਸੰਯੁਕਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਲਿਖਣ ।

ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਔਕੜਾਂ (Early Career and Difficulties of Guru Amar Das JI)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਆਰੰਭਿਕ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Give a brief account of the early career and difficulties of Guru Amar Das Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਆਰੰਭਿਕ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ-
1.ਜਨਮ ਅਤੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ (Birth and Parentage) – ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ, ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ 5 ਮਈ, 1479 ਈ. ਨੂੰ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੇ ਪਿੰਡ ਬਾਸਰਕੇ ਵਿਖੇ ਹੋਇਆ । ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਤੇਜ ਭਾਨ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਕਾਫ਼ੀ ਅਮੀਰ ਸਨ । ਉਹ ਭੱਲਾ ਜਾਤੀ ਦੇ ਖੱਤਰੀ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੇ ਨਾਂ ਬਾਰੇ ਕੋਈ ਨਿਸਚਿਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀ । ਵੱਖ-ਵੱਖ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸੁਲੱਖਣੀ, ਰੂਪ ਕੌਰ, ਬਖਤ ਕੌਰ ਅਤੇ ਲਕਸ਼ਮੀ ਆਦਿ ਦੱਸੇ ਗਏ ਹਨ ।

2. ਬਚਪਨ ਅਤੇ ਵਿਆਹ (Childhood and Marriage) – ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਬਚਪਨ ਤੋਂ ਹੀ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਚਾਰਾਂ ਦੇ ਸਨ | ਆਪ ਜੀ ਨੇ ਵੱਡੇ ਹੋ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੰਮ ਸੰਭਾਲ ਲਿਆ । ਕਿਉਂਕਿ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਵਿਸ਼ਣੂ ਦੇ ਪੁਜਾਰੀ ਸਨ ਇਸ ਲਈ ਆਪ ਵੀ ਵੈਸ਼ਨਵ ਮਤ ਦੇ ਅਨੁਯਾਈ ਬਣ ਗਏ । 24 ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਆਪ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਦੇਵੀ ਚੰਦ ਦੀ ਸਪੁੱਤਰੀ ਮਨਸਾ ਦੇਵੀ ਨਾਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ | ਆਪ ਦੇ ਘਰ ਦੋ ਪੁੱਤਰਾਂ ਬਾਬਾ ਮੋਹਨ ਅਤੇ ਬਾਬਾ ਮੋਹਰੀ ਅਤੇ ਦੋ ਧੀਆਂ ਬੀਬੀ ਦਾਨੀ ਅਤੇ ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ ।

3. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸਿੱਖ ਬਣਨਾ (To become Guru Angad Sahib’s Disciple) – ਇਕ ਵਾਰ ਜਦੋਂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਹਰਿਦੁਆਰ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਤੋਂ ਵਾਪਸ ਆ ਰਹੇ ਸਨ ਤਾਂ ਉਹ ਰਸਤੇ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸਾਧੂ ਨੂੰ ਮਿਲੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਨੇ ਇਕੱਠੇ ਭੋਜਨ ਕੀਤਾ | ਭੋਜਨ ਛੱਕਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਸ ਸਾਧੂ ਨੇ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਤੋਂ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਹੈ ? ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਗੁਰੁ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਉਸ ਸਾਧੂ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਮੈਂ ਕਿਸ ਨਿਗੁਰੇ ਦੇ ਹੱਥੋਂ ਭੋਜਨ ਛੱਕ ਕੇ ਪਾਪ ਕੀਤਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਪਣਾ ਜਨਮ ਭਿਸ਼ਟ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ । ਮੈਨੂੰ ਪ੍ਰਾਸ਼ਚਿਤ ਵਜੋਂ ਮੁੜ ਜਾ ਕੇ ਗੰਗਾ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨਾ ਪਵੇਗਾ ।” ਇਸ ਦਾ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਮਨ ‘ਤੇ ਡੂੰਘਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ਤੇ ਆਪ ਨੇ ਗੁਰੂ ਧਾਰਨ ਕਰਨ ਦਾ ਪੱਕਾ ਨਿਸ਼ਚਾ ਕਰ ਲਿਆ । ਇੱਕ ਦਿਨ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਬੀਬੀ ਅਮਰੋ ਦੇ ਮੂੰਹੋਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਸੁਣੀ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ । ਇਸ ਲਈ ਆਪ ਨੇ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਇੱਕ ਦਿਨ ਉਹ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਗਏ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਬਣ ਰਏ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਮਰ 62 ਵਰਿਆਂ ਦੀ ਸੀ ।

4. ਗੁਰਿਆਈ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ (Assumption of Guruship) – ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਹੀ ਰਹਿ ਕੇ 11 ਸਾਲਾਂ ਤਕ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਅਣਥੱਕ ਸੇਵਾ ਕੀਤੀ | ਆਪ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਇਸ਼ਨਾਨ ਲਈ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆ ਤੋਂ ਜੋ ਉੱਥੋਂ ਤਿੰਨ ਮੀਲ ਦੇ ਫ਼ਾਸਲੇ ‘ਤੇ ਸੀ ਪਾਣੀ ਦਾ ਘੜਾ ਆਪਣੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਚੁੱਕ ਕੇ ਲਿਆਉਂਦੇ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਘਰ ਵਿੱਚ ਆਈਆਂ ਸੰਗਤਾਂ ਦੀ ਤਨੋਂ ਮਨੋਂ ਸੇਵਾ ਕਰਦੇ । 1552 ਈ. ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਵਾਂਗ ਬਿਆਸ ਤੋਂ ਪਾਣੀ ਲੈ ਕੇ ਵਾਪਸ ਮੁੜ ਰਹੇ ਸਨ | ਹਨ੍ਹੇਰਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਠੁਡਾ ਲੱਗਾ ਤੇ ਉਹ ਡਿੱਗ ਪਏ । ਨਾਲ ਹੀ ਇੱਕ ਜੁਲਾਹੇ ਦਾ ਘਰ ਸੀ । ਖੜਾਕ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਸੁਣ ਕੇ ਜੁਲਾਹਾ ਉੱਠ ਪਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਕੌਣ ਹੈ ? ਜੁਲਾਹੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਜ਼ਰੂਰ ਅਮਰੂ ਨਿਥਾਵਾਂ ਹੋਣਾ ਹੈ । ਹੌਲੀਹੌਲੀ ਇਹ ਗੱਲ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬਚਨ ਕੀਤਾ ਕਿ ਅੱਜ ਤੋਂ ਅਮਰਦਾਸ ਨਿਥਾਵਾਂ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਸਗੋਂ ਨਿਥਾਵਿਆਂ ਨੂੰ ਥਾਂ ਦੇਵੇਗਾ 16 ਮਾਰਚ, 1552 ਈ. ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅੱਗੇ ਇੱਕ ਨਾਰੀਅਲ ਤੇ ਪੰਜ ਪੈਸੇ ਰੱਖ ਕੇ ਆਪਣਾ ਸੀਸ ਨਿਵਾਇਆ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ 73 ਵਰਿਆਂ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਬਣੇ ।

ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਮੁੱਢਲੀਆਂ ਔਕੜਾਂ (Early Difficulties of Guru Amar Das Ji)

ਗੁਰਗੱਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਹੁਕਮ ਨਾਲ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਆ ਗਏ। ਇੱਥੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਦਾਸੂ ਅਤੇ ਦਾਤੂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ (Opposition of Dassu and Dattu) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਗੁਰੂਕਾਲ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦਾਸੂ ਅਤੇ ਦਾਤੂ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਮੰਨਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਅਸਲੀ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ । ਦਾਤੂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਕਲ਼ ਤੇ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦਾ ਪਾਣੀ ਭਰਨ ਵਾਲਾ ਅੱਜ ਗੁਰੂ ਕਿਵੇਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇੱਕ ਦਿਨ ਦਾਤੂ ਨੇ ਗੁੱਸੇ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਜਾ ਕੇ ਭਰੇ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਫੁੱਡਾ ਮਾਰਿਆ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਹ ਗੱਦੀ ਤੋਂ ਹੇਠਾਂ ਆਣ ਡਿੱਗੇ । ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਬਹੁਤ ਹੀ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਦਾਤ ਤੋਂ ਖਿਮਾ ਮੰਗੀ । ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਜੀ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਬਾਸਰਕੇ ਚਲੇ ਗਏ । ਸਿੱਖ ਸੰਗਤਾਂ ਨੇ ਦਾਤੂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਗੁਰੂ ਮੰਨਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਅੰਤ ਨਿਰਾਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਉਹ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਾਪਸ ਚਲਾ ਗਿਆ | ਭਾਈ ਬੁੱਢਾ ਜੀ ਅਤੇ ਹੋਰ ਸੰਗਤਾਂ ਦੇ ਕਹਿਣ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਮੁੜ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਆ ਗਏ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦਾਸੁ ਨੇ ਵੀ ਮਾਤਾ ਖੀਵੀ ਜੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ‘ਤੇ ਆਪਣਾ ਵਿਰੋਧ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

2. ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਦਾ ਵਿਰੋਧ (Opposition of Baba Sri Chand) – ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਪੁੱਤਰ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਗੁਰਗੱਦੀ ਉੱਤੇ ਆਪਣਾ ਹੱਕ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਇਸ ਲਈ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰਗੱਦੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪ ਸੌਂਪੀ ਸੀ । ਪਰ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਪਿੱਛੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਦੀ ਗੱਦੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ | ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਦੇ ਅਨੇਕਾਂ ਸਮਰਥਕ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਦਿਤਾ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲੈਂਦੇ ਹੋਏ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਉਲਟ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਦਲੀਲਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਦਾ ਸਾਥ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀ ਮੱਤ ਤੋਂ ਸਦਾ ਲਈ ਨਿਖੇੜ ਦਿੱਤਾ ।

3. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ (Opposition by the Muslims of Goindwal Sahib) – ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਵਧਦੀ ਹੋਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਵੇਖ ਕੇ ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਤੰਗ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ! ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸਾਮਾਨ ਚੋਰੀ ਕਰ ਲੈਂਦੇ । ਉਹ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆ ਤੋਂ ਪਾਣੀ ਭਰ ਕੇ ਲਿਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਘੜੇ ਪੱਥਰ ਮਾਰ ਕੇ ਤੋੜ ਦਿੰਦੇ । ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਾਂਤ ਰਹਿਣ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਵਿਅਕਤੀ ਆ ਗਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਯਮਲੋਕ ਪਹੁੰਚਾ ਦਿੱਤਾ । ਲੋਕ ਇਹ ਸੋਚਣ ਲੱਗ ਪਏ ਕਿ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਪਰਮਾਤਮਾ ਵੱਲੋਂ ਇਹ ਸਜ਼ਾ ਮਿਲੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਿੱਖੀ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਹੋਰ ਵੱਧ ਗਿਆ ।

4. ਹਿੰਦੂਆਂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ (Opposition by the Hindus) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਸਿੱਖ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ । ਸਿੱਖ ਮਤ ਵਿੱਚ ਊਚ-ਨੀਚ ਦਾ ਵਿਤਕਰਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਕੇ ਭੋਜਨ ਛਕਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਵੀ ਮਿਲ ਗਿਆ ਸੀ । ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਉੱਚ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਹਿੰਦੂ ਇਹ ਗੱਲ ਸਹਿਣ ਨਾ ਕਰ ਸਕੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਪਾਸ ਇਹ ਝੂਠੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕੀਤੀ ਕਿ ਗੁਰੂ ਜੀ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿਰੋਧੀ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ । ਇਸ ਇਲਜ਼ਾਮ ਦੀ ਪੜਤਾਲ ਕਰਨ ਲਈ ਅਕਬਰ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਬੁਲਾਇਆ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਨੂੰ ਭੇਜਿਆ । ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਕਬਰ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਨਿਰਦੋਸ਼ ਕਰਾਰ ਦਿੱਤਾ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਲਹਿਰ ਨੂੰ ਹੋਰ ਉਤਸ਼ਾਹ ਮਿਲਿਆ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਉੱਨਤੀ (Development of Sikhism under Guru Amar Das JI)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the contribution of Guru Amar Das Ji for the development of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਸੰਗਠਨ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੀ-ਕੀ ਕਾਰਜ ਕੀਤੇ ? (What were the measures taken by Guru Amar Das Ji for the consolidation and expansion of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Describe the services rendered by Guru Amar Das Ji for the development of Sikh Religion.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ? (What were the contribution of Guru Amardas Ji in the development of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਸੰਗਠਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਲਈ ਕੀਤੇ ਗਏ ਕੰਮਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Describe in brief the organisational development and spread of Sikhism by Guru Amar Das Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ, ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ 1552 ਈ. ਤੋਂ 1574 ਈ. ਤਕ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਰਹੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਈ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਤੋਂ ਗੁਜ਼ਰਨਾ ਪਿਆ ਕਿਉਂਕਿ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਅਜੇ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੰਗਠਿਤ ਅਤੇ ਵਿਕਸਿਤ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਇਸ ਨੂੰ ਸੰਗਠਿਤ ਅਤੇ ਵਿਕਸਿਤ ਰੂਪ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਅਨੇਕਾਂ ਕਦਮ ਚੁੱਕੇ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਨਵੀਆਂ ਪ੍ਰਥਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

1. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ (Construction of the Baoli at Goindwal Sahib) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਪਹਿਲਾ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇੱਕ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ 1552 ਈ. ਤੋਂ 1559 ਈ. ਤਕ ਚਲਿਆ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ 84 ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਹ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਕਿ ਜੋ ਕੋਈ ਯਾਤਰੁ ਹਰ ਪੌੜੀ ‘ਤੇ ਸੱਚੇ ਮਨ ਤੇ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਜਪੁਜੀ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰੇਗਾ ਅਤੇ ਪਾਠ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬਾਉਲੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰੇਗਾ, ਤਾਂ ਉਹ 84 ਲੱਖ ਜੂਨਾਂ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ | ਬਾਉਲੀ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਪਵਿੱਤਰ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਮਿਲ ਗਿਆ । ਲੋਕ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਆਉਣ ਲੱਗੇ । ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੁਆਂ ਦੇ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨਾਂ ‘ਤੇ ਜਾਣ ਦੀ ਲੋੜ ਨਾ ਰਹੀ । ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਉੱਥੇ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਵੀ ਹੱਲ ਹੋ ਗਈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹ ਮਿਲਿਆ । ਐੱਚ. ਐੱਸ. ਭਾਟੀਆ ਅਤੇ ਐੱਸ. ਆਰ. ਬਕਸ਼ੀ ਦੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ,
“ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰਗੱਦੀ ਕਾਲ, ਸਿੱਖ ਅੰਦੋਲਨ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਮੋੜ ਪ੍ਰਮਾਣਿਤ ਹੋਇਆ ।” 1

2. ਲੰਗਰ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ (Expansion of Langar Institution) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਸਥਾਪਿਤ ਲੰਗਰ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਹੋਰ ਵਿਸਥਾਰ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਇਹ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਕਿ ਕੋਈ ਵੀ ਯਾਤਰ ਲੰਗਰ ਛਕੇ ਬਿਨਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ | ਪਹਿਲੇ ਪੰਗਤ ਤੇ ਪਿੱਛੇ ਸੰਗਤ ਦਾ ਨਾਹਰਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ । ਇੱਥੋਂ ਤਕ ਕਿ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਹਰੀਪੁਰ ਦੇ ਰਾਜੇ ਨੇ ਵੀ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਗਤ ਵਿੱਚ ਲੰਗਰ ਛਕਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧਰਮਾਂ ਅਤੇ ਜਾਤਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਮਿਲ ਕੇ ਖਾਣਾ ਖਾਂਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਇਹ ਲੰਗਰ ਰਾਤ ਦੇਰ ਤਕ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ । ਲੰਗਰ ਸੰਸਥਾ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਬੜੀ ਸਹਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਇਸ ਨਾਲ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਬੜਾ ਧੱਕਾ ਲੱਗਾ । ਇਸ ਨੇ ਨੀਵੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਨੂੰ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਮਾਣ ਬਖ਼ਸ਼ਿਆ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ । ਡਾਕਟਰ ਫ਼ੌਜਾ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਇਸ (ਲੰਗਰ) ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਡੂੰਘੀ ਸੱਟ ਮਾਰੀ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਏਕਤਾ ਲਈ ਰਸਤਾ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ” 2

3. ਬਾਣੀ ਦਾ ਸੰਹਿ (Collection of Hymns) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਅਗਲਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪ 907 ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਆਦਿ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸੰਕਲਨ ਲਈ ਆਧਾਰ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਿਆ ।

4. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ (Manji System) – ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ। ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਲਈ ਹਰ ਸਿੱਖ ਤਕ ਨਿੱਜੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚਣਾ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਉਪਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਦੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਿੱਖਾਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦੇ ਲਈ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਇੱਕੋ ਸਮੇਂ ਨਹੀਂ ਬਲਕਿ ਅਲੱਗ-ਅਲੱਗ ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਕੀਤੀ ਗਈ । ਹਰ ਮੰਜੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਨੂੰ ਮੰਜੀਦਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਇਹ ਮੰਜੀਦਾਰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਮੰਜੀਦਾਰ ਮੰਜੀ ‘ਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਧਾਰਮਿਕ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੰਦੇ ਸਨ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਪ੍ਰਥਾ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਾਈਂ ਫੈਲ ਗਈ । ਡਾਕਟਰ ਡੀ. ਐੱਸ. ਢਿੱਲੋਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਸਾਰ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਵਿੱਚ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।” 3

5. ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਖੰਡਨ (Denunciation of the Udasi Sect) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਅਜਿਹੇ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਬੜੇ ਹੌਸਲੇ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਇਆ ਕਿ ਸਿੱਖ ਮਤ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨਾਲੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਵੱਖਰਾ ਹੈ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਸਿੱਖ ਮਤ ਗ੍ਰਹਿਸਥ ਮਾਰਗ ਅਪਨਾਉਣ ਅਤੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿੱਚ ਰਹਿ ਕੇ ਕਿਰਤ ਕਰਨ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਆਪਣੀਆਂ ਸਮਾਜਿਕ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਭੱਜ ਕੇ ਮੁਕਤੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿੱਚ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਮਾਰੇਮਾਰੇ ਫਿਰਨ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਆਦੇਸ਼ ‘ਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਤੋਂ ਆਪਣੇ ਸੰਬੰਧ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਲਈ ਤੋੜ ਲਏ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਲੋਪ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚਾ ਲਿਆ ।

6. ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰ (Social Reforms) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਸਨ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਜਾਤੀ ਬੰਧਨ ਕਠੋਰ ਰੂਪ ਧਾਰਨ ਕਰ ਚੁੱਕਾ ਸੀ । ਨੀਵੀਆਂ ਜਾਤਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ’ਤੇ ਬੜੇ ਜ਼ੁਲਮ ਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ | ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜਾਤੀ ਦਾ ਹੰਕਾਰ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਨੂੰ ਮੁਰਖ ਅਤੇ ਗੰਵਾਰ ਦੱਸਿਆ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਵੀ ਡਟ ਕੇ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਪ੍ਰਥਾ ਅਨੁਸਾਰ ਜੇ ਕਿਸੇ ਇਸਤਰੀ ਦੇ ਪਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਸੀ ਤਾਂ ਉਸ ਇਸਤਰੀ ਨੂੰ ਵੀ ਜ਼ਬਰਦਸਤੀ ਉਸ ਦੇ ਪਤੀ ਦੀ ਚਿਤਾ ਨਾਲ ਜ਼ਿੰਦਾ ਜਲਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ,

ਸਤੀਆ ਇਹ ਨਾ ਆਖੀਅਨ ਜੋ ਮੜੀਆਂ ਲਗ ਜਲੰਨਿ ॥
ਸਤੀਆ ਸੋਈ ਨਾਨਕਾ, ਜੋ ਬਿਰਹਾ ਚੋਟ ਮਰੰਨਿ ॥

ਭਾਵ ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਸਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸਤੀ ਨਹੀਂ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਜੋ ਪਤੀ ਦੀ ਚਿਤਾ ਵਿੱਚ ਸੜ ਕੇ ਮਰ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਅਸਲ ਸਤੀਆਂ ਉਹ ਹਨ ਜੋ ਪਤੀ ਦੇ ਵਿਛੋੜੇ ਨੂੰ ਨਾ ਸਹਾਰਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਿਛੋੜੇ ਦੀ ਚੋਟ ਨਾਲ ਮਰਨ ।

ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਬਾਲ ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਵਿਧਵਾ ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਅੰਤਰਜਾਤੀ ਵਿਆਹ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਦੀ ਵੀ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਮਨਾਹੀ ਕੀਤੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਜਨਮ, ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਮਰਨ ਦੇ ਮੌਕਿਆਂ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰਸਮਾਂ ਬਣਾਈਆਂ । ਇਹ ਰਸਮਾਂ ਬਿਲਕੁਲ ਸਾਦੀਆਂ ਸਨ । ਸੰਖੇਪ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇੱਕ ਆਦਰਸ਼ ਸਮਾਜ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕੀਤਾ ।

7. ਅਕਬਰ ਦਾ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਆਉਣਾ (Akbar’s visit to Goindwal Sahib) – ਮੁਗ਼ਲ ਸਮਰਾਟ ਅਕਬਰ 1568 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਰੀ ਸੰਗਤ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਲੰਗਰ ਛਕਿਆ ।ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਅਤੇ ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਬੰਧ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਕੁਝ ਪਿੰਡਾਂ ਦੀ ਜਾਗੀਰ ਦੀ ਪੇਸ਼ਕਸ਼ ਕੀਤੀ ਪਰ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਜਾਗੀਰ ਨੂੰ ਲੈਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ | ਅਕਬਰ ਦੀ ਇਸ ਯਾਤਰਾ ਦਾ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ‘ਤੇ ਬੜਾ ਡੂੰਘਾ ਅਸਰ ਪਿਆ । ਉਹ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲੱਗੇ ! ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਧੇਰੇ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਹੋ ਗਿਆ ।

8. ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ (Nomination of the Successor) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ 1574 ਈ. ਵਿੱਚ ਆਪਣੇ ਜਵਾਈ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਦੀ ਨਿਮਰਤਾ ਅਤੇ ਸੇਵਾਭਾਵ, ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਨ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਨਾ ਸਿਰਫ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਹੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ, ਸਗੋਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਘਰਾਣੇ ਵਿੱਚ ਹੀ ਰਹਿਣ ਦਾ ਵੀ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਦਿੱਤਾ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ 1 ਸਤੰਬਰ, 1574 ਈ. ਨੂੰ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ ।

9. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ (Estimate of Guru Amar Das Ji’s Achievements) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਯੋਗ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਵਿਕਾਸ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਕੇ, ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਕਰਕੇ, ਆਪਣੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇ ਗੁਰੂਆਂ ਦੀ ਬਾਣੀ ਇਕੱਠੀ ਕਰਕੇ, ਸਮਾਜਿਕ ਕੁਰੀਤੀਆਂ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਕੇ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਖੰਡਨ ਕਰਕੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮੀਲ-ਪੱਥਰ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਸੰਗਤ ਸਿੰਘ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਧੀਨ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ ) 1 ਇੱਕ ਹੋਰ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਡਾਕਟਰ ਡੀ. ਐੱਸ. ਢਿੱਲੋਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ’’ 2

ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰ (Social Reforms of Guru Amar Das JI) 

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਦੀ ਪੜਚੋਲ ਕਰੋ । (Examine the social reforms of the Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
“ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਸਨ” ਦੱਸੋ । (“Guru Amar Das Ji was a great social reformer.” Discuss.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹਾਨ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ । ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸਮਾਜਿਕ ਸੰਰਚਨਾ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਰੂਪ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਤਤਕਾਲੀਨ ਸਮਾਜ ਦੇ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਨਿਯਮਾਂ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਤਾਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰਾ ਸਥਾਪਿਤ ਹੋਵੇ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

1. ਜਾਤੀ ਭੇਦਭਾਵ ਅਤੇ ਛੂਤ-ਛਾਤ ਦਾ ਖੰਡਨ (Denunciation of Caste Distinctions and Untouchabilities) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਜਾਤ-ਪਾਤ ਅਤੇ ਛੂਤ-ਛਾਤ ਦੀਆਂ ਕੁਰੀਤਿਆਂ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਜਾਤ ਦੇ ਘਮੰਡ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਮੂਰਖ ਅਤੇ ਗੰਵਾਰ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸੰਗਤਾਂ ਨੂੰ ਇਹ ਹੁਕਮ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਜੋ ਕੋਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਸ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਪੰਗਤ ਵਿੱਚ ਲੰਗਰ ਛਕਣਾ ਪਵੇਗਾ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਕੁਝ ਖੂਹ ਪੁਟਵਾਏ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਖੂਹਾਂ ਤੋਂ ਹਰ ਜਾਤ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਭਰਨ ਦਾ ਅਧਿਕਾਰ ਸੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਸੀ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ।

2. ਲੜਕੀਆਂ ਦੇ ਕਤਲ ਦਾ ਖੰਡਨ (Denunciation of Female Infanticide) – ਉਸ ਸਮੇਂ ਲੜਕੀਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਨੂੰ ਚੰਗਾ ਨਹੀਂ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਲੜਕੀਆਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਲੈਂਦੇ ਸਾਰ ਹੀ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਕੁਰੀਤੀ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਜੋ ਵਿਅਕਤੀ ਅਜਿਹਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਘੋਰ ਪਾਪ ਦਾ ਭਾਗੀ ਬਣੇਗਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਅਪਰਾਧ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ।

3. ਬਾਲ-ਵਿਆਹ ਦਾ ਖੰਡਨ (Denunciation of Child Marriage) – ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਲੜਕੀਆਂ ਦਾ ਵਿਆਹ ਛੋਟੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਹੀ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਇਸਤਰੀਆਂ ਦੀ ਹਾਲੈਂਤ ਬਹੁਤ ਤਰਸਯੋਗ ਹੋ ਗਈ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਬਾਲ-ਵਿਆਹ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ।

4. ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਖੰਡਨ (Denunciation of Sati System) – ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕੁਰੀਤਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਨਫ਼ਰਤ ਯੋਗ ਕੁਰੀਤੀ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸੀ । ਇਸ ਅਣਮਨੁੱਖੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਜੇਕਰ ਕਿਸੇ ਇਸਤਰੀ ਦੇ ਪਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਸੀ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਜਬਰਨ ਪਤੀ ਦੀ ਚਿਤਾ ਨਾਲ ਜਿਊਂਦੇ ਜਲਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਚਲੀ ਆ ਰਹੀ ਇਸ ਕੁਰੀਤੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਇੱਕ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਮੁਹਿੰਮ ਚਲਾਈ । ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ-

ਸਤੀਆ ਇਹ ਨਾ ਆਖੀਅਨ ਜੋ ਮੜੀਆਂ ਲਗ ਜਲੰਨਿ ॥
‘ਸਤੀਆ ਸੇਈ ਨਾਨਕਾ, ਜੋ ਬਿਰਹਾ ਚੋਟਿ ਮਰੰਨਿ ॥

ਭਾਵ ਉਸ ਇਸਤਰੀ ਨੂੰ ਸਤੀ ਨਹੀਂ ਕਿਹਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਜੋ ਪਤੀ ਦੀ ਚਿਤਾ ਵਿੱਚ ਜਲ ਕੇ ਮਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਅਸਲ ਵਿੱਚ ਸਤੀ ਤਾਂ ਉਹ ਹੈ ਜੋ ਆਪਣੇ ਪਤੀ ਦੇ ਵਿਯੋਗ ਦੇ ਦੁੱਖ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਾਣ ਤਿਆਗ ਦੇਵੇ ।

5. ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਖੰਡਨ (Denunciation of Purdah System) – ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਵੀ ਕਾਫ਼ੀ ਵੱਧ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਹ ਪ੍ਰਥਾ ਇਸਤਰੀਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵੱਡੀ ਰੁਕਾਵਟ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਆਲੋਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਹ ਆਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਸੰਗਤ ਜਾਂ ਲੰਗਰ ਵਿੱਚ ਸੇਵਾ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਕੋਈ ਵੀ ਇਸਤਰੀ ਪਰਦਾ ਨਾ ਕਰੇ ।

6. ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਮਨਾਹੀ (Prohibition of Intoxicants) – ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਸ਼ਰਾਬ ਅਤੇ ਹੋਰ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਗਈ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਮਾਜ ਦਾ ਦਿਨ-ਪ੍ਰਤੀਦਿਨ ਨੈਤਿਕ ਪਤਨ ਹੁੰਦਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਸ਼ਿਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਂਦਾ ਹੈ ਉਸ ਦੀ ਬੁੱਧੀ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਰਾਏ ਦਾ ਫ਼ਰਕ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਅਜਿਹੀ ਝੂਠੀ ਸ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਪੀਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਹ ਪਰਮਾਤਮਾ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਜਾਵੇ ।

7. ਵਿਧਵਾ ਵਿਆਹ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ (Favoured Widow Marriage) – ਜੋ ਇਸਤਰੀਆਂ ਸਤੀ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚ ਜਾਂਦੀਆਂ ਸਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਦਾ ਵਿਧਵਾ ਦਾ ਜੀਵਨ ਬਤੀਤ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਸੀ । ਸਮਾਜ ਵੱਲੋਂ ਵਿਧਵਾ ਦੇ ਵਿਆਹ ‘ਤੇ ਰੋਕ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਸੀ । ਵਿਧਵਾ ਦਾ ਜੀਵਨ ਨਰਕ ਸਮਾਨ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਅਫ਼ਸੋਸਨਾਕ ਦੱਸਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਸਾਨੂੰ ਵਿਧਵਾ ਦਾ ਪੂਰਾ ਸਨਮਾਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਬਾਲਵਿਧਵਾ ਦੇ ਦੋਬਾਰਾ ਵਿਆਹ ਦੇ ਪੱਖ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ।

8. ਜਨਮ, ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੇ ਨਵੇਂ ਨਿਯਮ (New Ceremonies related to Birth, Marriage and Death) – ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਜਨਮ ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਮੌਤ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਜੋ ਰੀਤੀ-ਰਿਵਾਜ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਸਨ ਉਹ ਬਹੁਤ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਮੌਕਿਆਂ ‘ਤੇ ਖ਼ਾਸ ਨਿਯਮ ਬਣਾਏ । ਇਹ ਨਿਯਮ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰਲ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਜਨਮ, ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਹੋਰ ਮੌਕਿਆਂ ‘ਤੇ ਗਾਉਣ ਲਈ ਆਨੰਦੁ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਵਿੱਚ 40 ਪੌੜੀਆਂ ਹਨ, ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਵਿਆਹ ਸਮੇਂ ਲਾਵਾਂ ਦੀ ਨਵੀਂ ਪ੍ਰਥਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ।

9. ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਉਣ ਦੇ ਨਵੇਂ ਢੰਗ (New mode of celebrating Festivals) – ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਵਿਸਾਖੀ, ਮਾਘੀ ਅਤੇ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਨੂੰ ਨਵੇਂ ਢੰਗ ਨਾਲ ਮਨਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤਿੰਨੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਦੇ ਮੌਕਿਆਂ ‘ਤੇ ਸਿੱਖ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਪਹੁੰਚਦੇ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਇਹ ਕਦਮ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਵਿੱਚ ਬੜਾ ਸਹਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਡਾਕਟਰ ਬੀ. ਐੱਸ. ਨਿੱਝਰ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
‘‘ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਆਰੰਭ ਕੀਤੇ ਗਏ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਮੋੜ ਲਿਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਮਝੇ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।”1 .

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the life and achievements of Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਸਮੇਂ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਮੁਸ਼ਕਲਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ? ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੇ ਸੰਗਠਨ ਅਤੇ ਵਿਸਥਾਰ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੁਆਰਾ ਚੁੱਕੇ ਗਏ ਕਦਮਾਂ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ ।
(What were the difficulties faced by Guru Amar Das Ji at the time of his accession ? Discuss the steps taken by him to consolidate and expand Sikhism.)
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 5 ਅਤੇ 6 ਦਾ ਉੱਤਰ ਸੰਯੁਕਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਲਿਖਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
1539 ਈ. ਤੋਂ 1574 ਈ. ਤਕ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਚਰਚਾ ਕਰੋ । (Discuss the development of Sikhism from 1539 A.D. to 1574 A.D.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
(Describe the contribution of Guru Angad Dev Ji and Guru Amar Das Ji in the developement of Sikhism.)
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 2 ਅਤੇ 5 ਦਾ ਉੱਤਰ ਸੰਯੁਕਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਲਿਖਣ ।

ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਸਫਲਤਾਵਾਂ (Lite and Achievements of Guru Ram Das JI)

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਤੇ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe the life and achievements of Guru Ram Das Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਅਧੀਨ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Write a detailed note on the development of Sikhism Under Guru Ram Das Ji.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਹੈ ? (What was the Contribution of Guru Ram Das Ji in the development of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਹੈ ? (What was the Contribution of Guru Ram Das Ji to the development of Sikh history ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਚੌਥੇ ਗੁਰੂ ਸਨ । ਉਹ 1574 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1581 ਈ. ਤਕ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਰੂ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਸੰਗਠਨ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਤਰੱਕੀ ਹੋਈ । ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਆਰੰਭਿਕ ਜੀਵਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਅਧੀਨ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ-

ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਜੀਵਨ (Early Career of Guru Ram Das Ji)

1. ਜਨਮ ਅਤੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ (Birth and Parentage) – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ 4 ਸਤੰਬਰ, 1534 ਈ. ਨੂੰ ਚੂਨਾ ਮੰਡੀ, ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਹਰੀਦਾਸ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਦਇਆ ਕੌਰ ਸੀ । ਉਹ ਸੋਢੀ ਜਾਤ ਦੇ ਖੱਤਰੀ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਸਨ ।

2. ਬਚਪਨ ਅਤੇ ਵਿਆਹ (Childhood and Marriage-ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਬਚਪਨ ਤੋਂ ਹੀ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿਚਾਰਾਂ ਦੇ ਸਨ । ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਆਪ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੇ ਆਪ ਨੂੰ ਘੁੰਗਣੀਆਂ (ਉਬਲੇ ਹੋਏ ਛੋਲੇ) ਵੇਚ ਕੇ ਕੁਝ ਪੈਸੇ ਕਮਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ । ਬਾਹਰ ਜਾਂਦੇ ਸਮੇਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੁਝ ਭੁੱਖੇ ਸਾਧੂ ਮਿਲ ਗਏ । ਜੇਠਾ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਸਾਰੇ ਛੋਲੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਭੁੱਖੇ ਸਾਧੂਆਂ ਨੂੰ ਖਵਾ ਦਿੱਤੇ ਅਤੇ ਆਪ ਖਾਲੀ ਹੱਥ ਵਾਪਸ ਆ ਗਏ । ਆਪ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਸਮੇਂ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਇੱਕ ਵਾਰ ਆਪ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਿੱਖ ਜੱਥੇ ਨਾਲ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਜਾਣ ਦਾ ਮੌਕਾ ਮਿਲਿਆ । ਇੱਥੇ ਆਪ ਜੀ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਇੰਨਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਿਆ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਿੱਖ ਬਣ ਗਏ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਦੀ ਭਗਤੀ ਅਤੇ ਗੁਣਾਂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ 1553 ਈ. ਵਿੱਚ ਆਪਣੀ ਛੋਟੀ ਲੜਕੀ ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਦੇ ਘਰ ਤਿੰਨ ਲੜਕੇ ਪੈਦਾ ਹੋਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ (ਪ੍ਰਿਥੀਆ), ਮਹਾਂਦੇਵ ਅਤੇ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਸਨ ।

3. ਗੁਰਗੱਦੀ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ (Assumption of Guruship) – ਵਿਆਹ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵੀ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਹੀ ਰਹੇ ਅਤੇ ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਂਗ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸੇਵਾ ਵਿੱਚ ਜੁਟੇ ਰਹੇ । ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਦੀ ਨਿਸ਼ਕਾਮ ਸੇਵਾ, ਨਿਮਰਤਾ ਅਤੇ ਮਿੱਠੇ ਸੁਭਾਅ ਨੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਮਨ ਮੋਹ ਲਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ 1 ਸਤੰਬਰ, 1574 ਈ. ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਨੂੰ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਕਿਹਾ ਜਾਣ ਲੱਗਾ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਚੌਥੇ ਗੁਰੂ ਬਣੇ ।

ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦਾ ਵਿਕਾਸ (Development of Sikhism under Guru Ram Das Ji )

ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰੂਕਾਲ 1574 ਈ. ਤੋਂ 1581 ਈ. ਤਕ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗੁਰਿਆਈ ਦਾ ਸਮਾਂ ਬਹੁਤ ਥੋੜਾ ਸੀ ਫਿਰ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਅਤੇ ਸੰਗਠਨ ਵਿੱਚ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।

1. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ (Foundation of Ramdaspura) – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਦੇਣ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਜਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਈ । ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਆਬਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧੰਦਿਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ 52 ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਸਾਇਆਂ’। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੇ ਜਿਹੜਾ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਸਾਇਆ ਉਹ ‘ਗੁਰੂ ਕਾ ਬਾਜ਼ਾਰ ਨਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਇਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਵਿਖੇ ਦੋ ਸਰੋਵਰਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਅਤੇ ਸੰਤੋਖਸਰ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਬਣਾਇਆ । ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਰੋਵਰ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਬਾਬਾ ਬੁੱਢਾ ਜੀ ਦੀ ਦੇਖ-ਰੇਖ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ । ਛੇਤੀ ਹੀ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਰੋਵਰ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਹੀ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦਾ ਨਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਪੈ ਗਿਆ । ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮੱਕਾ ਮਿਲ ਗਿਆ । ਇਹ ਛੇਤੀ ਹੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਧਰਮ ਪ੍ਰਚਾਰ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਬਣ ਗਿਆ ।

2. ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਆਰੰਭ (Introduction of Masand system) – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਵਿਖੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਅਤੇ ਸੰਤੋਖਸਰ ਨਾਂ ਦੇ ਦੋ ਸਰੋਵਰਾਂ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਲਈ ਮਾਇਆ ਦੀ ਲੋੜ ਪਈ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਭੇਜਿਆ ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰ ਸਕਣ ਅਤੇ ਸੰਗਤਾਂ ਤੋਂ ਮਾਇਆ ਇਕੱਠੀ ਕਰ ਸਕਣ । ਇਹ ਸੰਸਥਾ ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੀ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਕ ਪ੍ਰਚਾਰ ਹੋਇਆ | ਐੱਸ. ਐੱਸ. ਗਾਂਧੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ,
“ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਸੰਗਠਿਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ” ।

3. ਉਦਾਸੀਆਂ ਨਾਲ ਸਮਝੌਤਾ (Reconciliation with the Udasis) – ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਕਾਲ ਦੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਘਟਨਾ ਉਦਾਸੀਆਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਮਝੌਤਾ ਸੀ । ਇੱਕ ਵਾਰੀ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਮੋਢੀ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਆਏ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨਿਮਰਤਾ ਤੋਂ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ । ਇਹ ਸਮਝੌਤਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ।

4. ਕੁਝ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜ (Some other Important Works) – ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਹੋਰ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਬਾਣੀ ਦੀ ਰਚਨਾ 679 ਸ਼ਬਦ) ਕਰਨਾ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਚਾਰ ਲਾਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਵਿਆਹ ਦੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੂੰ ਉਤਸਾਹਿਤ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਚਲੀਆਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਸੰਗਤ, ਪੰਗਤ ਤੇ ਮੰਜੀ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਿਆ | ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕੁਰੀਤੀਆਂ ਜਿਵੇਂ-ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ, ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ, ਬਾਲ ਵਿਵਾਹ ਆਦਿ ਦਾ ਵੀ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ ।

5. ਅਕਬਰ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ (Friendly Relations with Akbar) – ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ ਕਾਇਮ ਰਹੇ । ਅਕਬਰ ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ ਮਿਲਿਆ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਕਹਿਣ ‘ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇੱਕ ਸਾਲ ਲਈ ਲਗਾਨ ਮੁਆਫ਼ ਕਰ ਦਿੱਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਧੀ ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ।

6. ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਦੀ ਨਾਮਜ਼ਦਗੀ (Nomination of the successor) – 1581 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਆਪਣੇ ਸਭ ਤੋਂ ਛੋਟੇ ਪੁੱਤਰ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਨਾਮਜ਼ਦ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸੀ ਕਿ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਪੁੱਤਰ ਪ੍ਰਿਥੀਆ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਕਰਤੂਤਾਂ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨਾਰਾਜ਼ ਕਰ ਲਿਆ ਸੀ । ਦੂਸਰੇ ਪੁੱਤਰ ਮਹਾਂਦੇਵ ਨੂੰ ਸੰਸਾਰਿਕ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਦਿਲਚਸਪੀ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਹਰ ਪੱਖ ਤੋਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ਦੇ ਯੋਗ ਸਨ । ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ 1 ਸਤੰਬਰ, 1581 ਈ. ਨੂੰ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ ।

7. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਸਫਲਤਾਵਾਂ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ (Estimate of Guru Ram Das Ji’s Achievements) – ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਆਪਣੇ ਗੁਰਗੱਦੀ ਕਾਲ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਸਰੂਪ ਦੇਣ ਵਿੱਚ ਸਫਲ ਹੋਏ । ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਅਤੇ ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਨਾਲ, ਉਦਾਸੀਆਂ ਨਾਲ ਸਮਝੌਤਾ ਕਰ ਕੇ, ਆਪਣੀ ਬਾਣੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਰ ਕੇ, ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕੁਰੀਤੀਆਂ ਦਾ ਖੰਡਨ ਕਰ ਕੇ, ਸੰਗਤ, ਪੰਗਤ ਅਤੇ ਮੰਜੀ ਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖ ਕੇ ਅਤੇ ਅਕਬਰ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸੰਬੰਧ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਕੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੀ ਨੀਂਹ ਨੂੰ ਹੋਰ ਮਜ਼ਬੂਤ ਕੀਤਾ । ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਅਸੀਂ ਇਤਿਹਾਸਕਾਰ ਡਾ: ਡੀ.ਐੱਸ. ਢਿੱਲੋਂ ਦੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਨਾਲ ਸਹਿਮਤ ਹਾਂ,
‘‘ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਲਗਭਗ 7 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਗੁਰੂਕਾਲ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਦ੍ਰਿੜ੍ਹ ਢਾਂਚਾ ਅਤੇ ਦਿਸ਼ਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ ।”

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
1539 ਈ. ਤੋਂ 1581 ਈ. ਤਕ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe briefly the development of Sikhism from 1539 to 1581 A.D.)
ਉੱਤਰ-
ਨੋਟ-ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 2, 5, ਅਤੇ 9 ਦੇਖਣ ।

ਸੰਖੇਪ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Short Answer Type Questions)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the contribution of Guru Angad Dev Ji to the development of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀ-ਕੀ ਕੰਮ ਕੀਤੇ ? (What did Guru Angad Dev Ji do for the development of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਕਾਰਜਾਂ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰੋ । (Form an estimate of the works of Guru Angad Dev Ji for the spread of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਕਾਰਜ ਦੱਸੋ । (Mention any three achievements of Guru Angad Dev Ji for the development of Sikhism.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕੇਂਦਰ ਬਣਾਇਆ ।
  2. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਨਿਖਾਰ ਦਿੱਤਾ ।
  3. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸੰਗਤ ਤੇ ਪੰਗਤ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਵਿਕਸਿਤ ਕੀਤਾ ।
  4. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪੈਰੋਕਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸਖ਼ਤ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ।
  5. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਤੋਂ ਵੱਖ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।
  6. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਨਾਂ ਦੇ ਇੱਕ ਨਵੇਂ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਉਣ ਵਿੱਚ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ?
(What contribution was made by Guru Angad Dev Ji to improve Gurmukhi script ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ ? (What contribution was made by Guru Angad Dev Ji to popularise Gurumukhi script ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਸੰਸ਼ੋਧਿਤ ਕਰ ਕੇ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਰੂਪ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤਾ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਇਸ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਸਮਝਣਾ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਬੜਾ ਆਸਾਨ ਹੋ ਗਿਆ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗੰਥਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਹੋਈ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਬਾਹਮਣ ਵਰਗ ਨੂੰ ਕਰਾਰੀ ਸੱਟ ਵੱਜੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਨੂੰ ਹੀ ਧਰਮ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਮੰਨਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਵਿੱਚ ਬੜੀ ਸਹਾਇਤਾ ਮਿਲੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਖੰਡਨ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੀਤਾ ? (How did Guru Angad Dev Ji denounce the Udasi sect ?)
ਉੱਤਰ-
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਵੱਡੇ ਸਪੁੱਤਰ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਮਤ ਸੰਨਿਆਸ ਜਾਂ ਤਿਆਗ ਦੇ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਜਦਕਿ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਹਿਸਥ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਸਨ । ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਸਿਧਾਂਤ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਨੂੰ ਮਾਨਤਾ ਦੇਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਅਜਿਹੇ ਹਾਲਾਤ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਕਰੜਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕੀਤਾ ਕਿ ਜਿਹੜਾ ਸਿੱਖ ਇਸ ਮਤ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਉਹ ਸੱਚਾ ਸਿੱਖ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਅਤੇ ਹੁਮਾਯੂੰ ਵਿਚਾਲੇ ਹੋਈ ਮੁਲਾਕਾਤ ਦੀ ਸੰਖੇਪ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ । (Give a brief account of the meeting between Guru Angad Dev Ji and Humayun.)
ਉੱਤਰ-
1540 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੂੰ ਸ਼ੇਰਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਦੇ ਹੱਥੋਂ ਕਨੌਜ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਕਰਾਰੀ ਹਾਰ ਹੋਈ ਸੀ । ਇਸ ਹਾਰ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਹ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਪਾਸੋਂ ਆਸ਼ੀਰਵਾਦ ਲੈਣ ਲਈ ਪਹੁੰਚਿਆ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਜੀ ਸਮਾਧੀ ਵਿੱਚ ਇੰਨੇ ਲੀਨ ਸਨ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅੱਖ ਖੋਲ ਕੇ ਨਾ ਦੇਖਿਆ । ਹੁਮਾਯੂ ਨੇ ਗੁੱਸੇ ਵਿੱਚ ਆ ਕੇ ਆਪਣੀ ਤਲਵਾਰ ਮਿਆਨ ਵਿੱਚੋਂ ਕੱਢ ਲਈ । ਉਸ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀ ਅੱਖ ਖੋਲ੍ਹੀ ਤੇ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੂੰ ਆਖਿਆ ਕਿ ਇਹ ਤਲਵਾਰ ਸ਼ੇਰਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਦਿਆਂ ਸਮੇਂ ਕਿੱਥੇ ਸੀ । ਇਹ ਸ਼ਬਦ ਸੁਣ ਕੇ ਹੁਮਾਯੂੰ ਅਤਿਅੰਤ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਜੀ ਤੋਂ ਮੁਆਫ਼ੀ ਮੰਗ ਲਈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸੰਗਤ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Sangat ?)
ਉੱਤਰ-
ਸੰਗਤ ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਸੰਗਤ ਸੰਸਥਾ ਤੋਂ ਭਾਵ ਇਕੱਠੇ ਮਿਲ ਬੈਠਣ ਤੋਂ ਸੀ । ਇਹ ਸੰਗਤ ਸਵੇਰ-ਸ਼ਾਮ ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਸੁਣਨ ਅਤੇ ਸਤਿਨਾਮ ਦਾ ਜਾਪ ਕਰਨ ਲਈ ਇਕੱਠੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਸੰਗਠਿਤ ਕੀਤਾ । ਸੰਗਤ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਵੀ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਜਾਤ-ਪਾਤ ਜਾਂ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਤਕਰੇ ਦੇ ਆ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਸੰਗਤ ਨੂੰ ਰੱਬ ਦਾ ਰੂਪ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੰਗਤ ਜਾਂ ਲੰਗਰ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? (What do you mean by Pangat or Langar ?)
ਜਾਂ
ਪੰਗਤ ਜਾਂ ਲੰਗਰ ਵਿਵਸਥਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Pangat or Langar.)
ਜਾਂ
ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਥਾ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Langar System ?)
ਉੱਤਰ-ਪੰਗਤ (ਲੰਗਰ) ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਵੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਸ ਅਧੀਨ ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਅਤੇ ਵਰਗਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਬਿਨਾਂ ਕਿਸੇ ਭੇਦਭਾਵ ਦੇ ਇੱਕ ਥਾਂ ਬੈਠ ਕੇ ਲੰਗਰ ਛਕਦੇ ਸਨ । ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਵਿਕਸਿਤ ਕੀਤਾ । ਇਸ ਸੰਸਥਾ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਅਤੇ ਅਸਮਾਨਤਾ ਦੀਆਂ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਵੀ ਬੜੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕੀਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸੰਗਤ ਅਤੇ ਪੰਗਤ ‘ਤੇ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Sangat and Pangat.)
ਜਾਂ
ਸੰਗਤ ਅਤੇ ਪੰਗਤ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? (What do you mean by Sangat and Pangat ?)
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 5 ਅਤੇ 6 ਦਾ ਉੱਤਰ ਸਾਂਝੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਲਿਖਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਗੁਰਗੱਦੀ ਸੰਭਾਲਦੇ ਸਮੇਂ ਮੁੱਢਲੇ ਸਾਲਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਔਕੜਾਂ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ ?
(What problems did Guru Amar Das Ji face in the early years of his pontificate ?)
ਉੱਤਰ-

  • ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਣ ਸਮੇਂ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦਾਤੂ ਅਤੇ ਦਾਸੂ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਿਆ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਪੁੱਤਰ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਤੇ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਆਪਣਾ ਅਧਿਕਾਰ ਜਤਾਇਆ |
  • ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਵੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ਉੱਤੇ ਆਪਣਾ ਹੱਕ ਸਮਝਦੇ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਵੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।
  • ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਵਧਦੀ ਹੋਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨਾਲ ਈਰਖਾ ਕਰਨ ਲੱਗ ਪਏ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਕਈ ਢੰਗਾਂ ਨਾਲ ਤੰਗ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸਿੱਖ ਮਤ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਯੋਗਦਾਨ ਦੱਸੋ । (Give the contribution of Guru Amar Das Ji for the development of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਤਿੰਨ ਮੁੱਖ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Write down the three services done by Guru Amar Das Ji for the development of Sikh religion.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਕਾਰਜਾਂ ਦਾ ਮੁੱਲਾਂਕਣ ਕਰੋ । (Form an estimate of the works of Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਕਾਰਜ ਦੱਸੋ । (Write any three works of Guru Amar Das Ji for the spread of Sikhism.)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰੋ । (Study the contribution of Guru Amar Das Ji to the growth of Sikhism.)
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇੱਕ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕੀਤਾ । ਛੇਤੀ ਹੀ ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਬਣ ਗਿਆ ।
  2. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਲੰਗਰ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਵਧੇਰੇ ਵਿਸਥਾਰ ਕੀਤਾ ।
  3. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।
  4. ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਤੋਂ ਵੱਖ ਰੱਖ ਕੇ ਅਲੋਪ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਚਾ ਲਿਆ ।
  5. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਬੁਰਾਈਆਂ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਬਾਉਲੀ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? (What is the importance of the construction of the Baoli of Goindwal Sahib in the Sikh History ?)
ਜਾਂ
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਸਿੱਖੀ ਦਾ ਧੁਰਾ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (Why is Goindwal Sahib called the centre of Sikhism ?)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਪਹਿਲਾ ਮਹਾਨ ਕੰਮ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਇੱਕ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਇਸ ਪਵਿੱਤਰ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ 1552 ਈ. ਤੋਂ 1559 ਈ. ਤਕ ਚਲਿਆ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨ ਪਿੱਛੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਦੋ ਉਦੇਸ਼ ਸਨ | ਪਹਿਲਾ, ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੁਆਂ ਤੋਂ ਵੱਖਰਾ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਦੂਜਾ, ਉਹ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਸੰਬੰਧੀ ਔਕੜ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਬਾਉਲੀ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਪਵਿੱਤਰ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਮਿਲ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਦਾ ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Briefly throw light on social reforms of Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Describe social reforms of Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? 08, July 09, (Why is Guru Amar Das Ji called a social reformer ?)
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਕਿਹੜੇ ਕਾਰਨਾਂ ਲਈ ਸਮਾਜ ਸੁਧਾਰਕ ਵਜੋਂ ਜਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ? (Why is Guru Amar Das Ji called a social reformer ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਡਟ ਕੇ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ।
  2. ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਬਾਲ ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਵੀ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ।
  3. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਜਾਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਬੜੇ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਨਿੰਦਿਆ ਕੀਤੀ ।
  4. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨਸ਼ੀਲੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਸਨ ।
  5. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਜਨਮ, ਵਿਆਹ ਅਤੇ ਮਰਨ ਦੇ ਮੌਕਿਆਂ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰਸਮਾਂ ਬਣਾਈਆਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਇਸਤਰੀ ਜਾਤੀ ਦੀ ਭਲਾਈ ਲਈ ਕਿਹੜੇ ਸੁਧਾਰ ਕੀਤੇ ? (What reforms were made by Guru Amar Das Ji for the welfare of women ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਜੰਮਦੀਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ।
  2. ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਬਾਲ ਵਿਆਹ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ । (iii) ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਡਟ ਕੇ ਵਿਰੋਧ ਕੀਤਾ ।
  3. ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਵੀ ਨਿੰਦਾ ਕੀਤੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਕੀ ਸੀ ? ਸਿੱ” ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੇ ਕੀ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਈ ? (What was the Manji System ? How did it contribute to the development of Sikhism ?)
ਜਾਂ
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ? (What do you know about Manji system ?)
ਜਾਂ
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a note on Manji System.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਇੱਕ ਹੋਰ ਮਹਾਨ ਕਾਰਜ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਇੰਨੀ ਵੱਧ ਗਈ ਸੀ ਕਿ ਗੁਰੂ ਜੀ ਲਈ ਹਰੇਕ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣਾ ਅਸੰਭਵ ਸੀ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਆਪਣੇ ਉਪਦੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦੇ ਲਈ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਹਰ ਮੰਜੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਨੂੰ ਮੰਜੀਦਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਮੰਜੀਦਾਰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਤੋਂ ਮਾਇਆ ਇਕੱਠੀ ਕਰ ਕੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮੰਜੀਦਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਕੰਮ ਕੀ ਸਨ ? (What were the main functions of the Manjidar ?)
ਉੱਤਰ-

  1. ਉਹ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਲਈ ਅਣਥੱਕ ਯਤਨ ਕਰਦਾ ਸੀ ।
  2. ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਸੰਗਤ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਦਾ ਸੀ ।
  3. ਉਹ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਧਾਰਮਿਕ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੰਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਭਾਸ਼ਾ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਸਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਮੁਗਲਾਂ ਨਾਲ ਕਿਹੋ ਜਿਹੇ ਸੰਬੰਧ ਸਨ ? (What type of relations did Guru Amar Das Ji have with the Mughals ?)
ਜਾਂ
ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਵਿਚਾਲੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਉਲੇਖ ਕਰੋ । (Describe the relations between Mughal emperor Akbar and Guru Amar Das Ji.)
ਜਾਂ
ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਵਿਚਕਾਰ ਸੰਬੰਧਾਂ ਦਾ ਉਲੇਖ, ਕਰੋ । (Explain the relations between the Mughal emperor Akbar and Guru Amar Das Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਮੁਗਲਾਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਮਿੱਤਰਤਾਪੂਰਨ ਸਨ । ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ 1568 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਆਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਮਰਯਾਦਾ ਅਨੁਸਾਰ ਲੰਗਰ ਛਕਿਆ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਅਤੇ ਲੰਗਰ ਪਬੰਧ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਇਆ । ਉਸ ਨੇ ਲੰਗਰ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਕੁਝ ਪਿੰਡਾਂ ਦੀ ਜਾਗੀਰ ਗੁਰੁ ਜੀ ਦੀ ਸਪੁੱਤਰੀ ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਜੀ ਦੇ ਨਾਂ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀ । ਅਕਬਰ ਦੀ ਇਸ ਯਾਤਰਾ ਕਾਰਨ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਧੀ ਬਹੁਤ ਦੂਰ-ਦੂਰ ਤਕ ਫੈਲ ਗਈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਵਧਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਪ੍ਰਤੀ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਸੀ ? (What was the contribution of Guru Ram Das Ji to Sikh religion ?)
ਜਾਂ
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਯੋਗਦਾਨ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । (Explain the contribution of Guru Ram Das Ji to the development of Sikhism.)
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰੂ ਕਾਲ 1574 ਈ. ਤੋਂ 1581 ਈ. ਤਕ ਰਿਹਾ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ (ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇੱਥੇ ਦੋ ਸਰੋਵਰਾਂ ਅੰਮਿਤਸਰ ਅਤੇ ਸੰਤੋਖਸਰ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਦਾ ਕੰਮ ਵੀ ਆਰੰਭਿਆ | ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਮਾਇਆ ਇਕੱਠੀ ਕਰਨ ਲਈ ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਆਂ ਵਿਚਾਲੇ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਚਲੇ ਆ ਰਹੇ ਮਤਭੇਦਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕੀਤਾ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸੰਗਤ ਤੇ ਪੰਗਤ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ (ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦਾ ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? [What is the importance of the foundation of Ramdaspura (Amritsar) in Sikh History ?]
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਦੇਣ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਜਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰਗੱਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਆਪ ਇੱਥੇ ਆ ਗਏ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਆਬਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਵੱਖਵੱਖ ਧੰਦਿਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ 52 ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਸਾਇਆ । ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਮਿਲ ਗਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਬਾਰੇ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a short note on Udasi sect.)
ਜਾਂ
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਤਿੰਨ ਮੁੱਖ ਸਿਧਾਂਤ ਲਿਖੋ । (Discuss the three principles of Udasi Sect.)
ਜਾਂ
ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ‘ਤੇ ਇੱਕ ਸੰਖੇਪ ਨੋਟ ਲਿਖੋ । (Write a brief note on Baba Sri Chand Ji.)
ਉੱਤਰ-
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਵੱਡੇ ਪੁੱਤਰ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ । ਇਹ ਮਤ ਤਿਆਗ ਅਤੇ ਵੈਰਾਗ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ । ਇਹ ਯੋਗ ਅਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਪੂਜਾ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਵੀ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਰੱਖਦਾ ਸੀ । ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੱਖ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਦੇ ਜੀਵਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਕੇ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਕੋਈ ਵੀ ਸੱਚਾ ਸਿੱਖ ਉਦਾਸੀ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ । ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਉਦਾਸੀਆਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਮਝੌਤਾ ਹੋ ਗਿਆ ।

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ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Objective Type Questions)
ਇੱਕ ਸ਼ਬਦ ਤੋਂ ਇੱਕ ਵਾਕ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ (Answer in one Word to one Sentence)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦੂਜੇ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
1504 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਿੱਥੇ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੱਤੇ ਦੀ ਸਰਾਇ (ਸ੍ਰੀ ਮੁਕਤਸਰ ਸਾਹਿਬ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਭਰਾਈ ਦੇਵੀ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਫੇਰੂਮਲ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਗੱਦੀ ਕਦੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
1539 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦਾ ਨਾਂ ਕਿਸ ਨੇ ਦਿੱਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਿਸ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੀਬੀ ਖੀਵੀ ਜੀ ਨਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦਾਤੂ ਅਤੇ ਦਾਸੂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀਆਂ ਪੁੱਤਰੀਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਬੀਬੀ ਅਮਰੋ ਅਤੇ ਬੀਬੀ ਅਨੋਖੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਧਾਰਮਿਕ ਸਰਗਰਮੀਆਂ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਕਿਹੜਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਲੋਕਪ੍ਰਿਯ ਬਣਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨੀਂਹ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਰੱਖੀ ?
ਜਾਂ
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨੀਂਹ ਕਦੋਂ ਰੱਖੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1546 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਲਈ ਕੀ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਸੰਸਥਾਪਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਵਿੱਚ ਸੰਨਿਆਸੀ ਜੀਵਨ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਕਿਹੜਾ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਆਇਆ ?
ਜਾਂ
ਕਿਹੜਾ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਆਇਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਹੁਮਾਯੂੰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੇ ਕਿਹੜੇ ਸਿੱਖ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਲਿਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
1479 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਿੱਥੇ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਾਸਰਕੇ ਵਿਖੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੁਲੱਖਣੀ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਤੇਜਭਾਨ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਕਿਸ ਜਾਤੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੁੱਲਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਪੁੱਤਰੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਬਾਬਾ ਮੋਹਰੀ ਜੀ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਸਪੁੱਤਰ ਸਨ ?
ਜਾਂ
ਬਾਬਾ ਮੋਹਨ ਸਿੰਘ ਜੀ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸਪੁੱਤਰ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਾਬਾ ਮੋਹਰੀ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਪੁੱਤਰ ਸਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਜਿਸ ਸਮੇਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬੈਠੇ ਤਾਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਮਰ ਕਿੰਨੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
73 ਵਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 30.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਕਦੋਂ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ?
ਉੱਤਰ-
1552 ਈ. ਵਿੱਚ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 31.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰੂਕਾਲ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
1552 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1574 ਈ. ਤੱਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 32.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕਰਵਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 33.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਪਵਿੱਤਰ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
3552 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 34.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਬਾਉਲੀ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੀਆਂ ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
84.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 35.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਸਫਲਤਾ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 36.
ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਿਸਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 37.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕਿੰਨੀਆਂ ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
22 ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 38.
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਮਤ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 39.
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੇ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਕੀ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਨੇ ਸਿੱਖ ਮਤ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 40.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕਿੰਨੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
907 ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 41.
ਅਨੰਦੁ ਸਾਹਿਬ ਬਾਣੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 42.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਮਾਜਿਕ ਸੁਧਾਰ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 43.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਵਾਸਤੇ ਕਿਹੜਾ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਆਇਆ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਕਬਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 44.
ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਕਦੋਂ ਆਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
1568 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 45.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣਾ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਕਿਸ ਨੂੰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 46.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਕਦੋਂ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ?
ਉੱਤਰ-
1574 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 47.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਚੌਥੇ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 48.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਗੁਰੂ ਕਾਲ ਕਿਹੜਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1574 ਈ. ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 1581 ਈ. ਤਕ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 49.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
1534 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 50.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 51.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਇਆ ਕੌਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 52.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਹਰੀਦਾਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 53.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਕਿਸ ਜਾਤੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੋਢੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 54.
ਸੋਢੀ ਸੁਲਤਾਨ ਕਿਹੜੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 55.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਿਸ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਪਤਨੀ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 56.
ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਪਤਨੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 57.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਕੀ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ, ਮਹਾਂਦੇਵ ਅਤੇ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 58.
ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਕੌਣ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਪੁੱਤਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 59.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਕਦੋਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬੈਠੇ ?
ਉੱਤਰ-
1574 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 60.
ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੇ ਗਏ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਕਾਰਜ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਫਲਤਾ ਦਾ ਉਲੇਖ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 61.
ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1577 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 62.
ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 63.
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 64.
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਨੀਂਹ ਕਦੋਂ ਰੱਖੀ ਗਈ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
1577 ਈ. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 65.
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 66.
ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਸਮਝੌਤਾ ਕਿਹੜੇ ਗੁਰੂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 67.
ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਕਿਸ ਨੇ ਚਲਾਈ ਸੀ ?
ਜਾਂ
ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਨੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 68.
ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਕੀ ਸਨ ? ਕੋਈ ਇੱਕ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਨਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 69.
‘ਚਾਰ ਲਾਵਾਂ’ ਦਾ ਉਚਾਰਨ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 70.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕਿੰਨੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕੀਤੀ ?
ਉੱਤਰ-
679 ਸ਼ਬਦਾਂ ਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 71.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਕਦੋਂ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
1581 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 72.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਉੱਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਕੌਣ ਸਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ।

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ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ (Fill in the Blanks)

ਨੋਟ :-ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਭਰੋ :

1. ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਗੁਰੂ ……………………… ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ)

2. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ …………………….. ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ)

3. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ………………………. ਨੂੰ ਹੋਇਆ |
ਉੱਤਰ-
(1504 ਈ.)

4. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ……………………… ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਫੇਰੂਮਲ)

5. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ …………………… ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
ਉੱਤਰ-
(1539 ਈ.)

6. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ …………………….. ਨੇ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ)

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7. …………………………… ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੇ ਸੰਸਥਾਪਕ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ)

8. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ……………………. ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(1546 ਈ.)

9. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ………………… ਵਿੱਚ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ ।
ਉੱਤਰ-
(1552 ਈ.)

10. ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ …………………… ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ)

11. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ …………………… ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(1479 ਈ.)

12. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ………………………. ਜਾਤੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਭੱਲਾ)

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13. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ……………………… ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
ਉੱਤਰ-
(1552 ਈ.)

14. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ………………. ਦੀ ਉਮਰ ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਬਣੇ ।
ਉੱਤਰ-
(73 ਵਰਿਆਂ)

15. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ………………….. ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਵਾਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ)

16. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ …………………. ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
(1552 ਈ.)

17. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ………………………….. ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ)

18. ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ……………………… ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਆਇਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਅਕਬਰ)

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19. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ …………………….. ਵਿੱਚ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ ।
ਉੱਤਰ-
(1574 ਈ.)

20.. ………………….. ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਚੌਥੇ ਗੁਰੂ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ)

21. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ………………….. ਸੀ
ਉੱਤਰ-
(ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ)

22. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ……………………… ਜਾਤੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸੋਢੀ)

23. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ …………………… ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ)

24. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ………………………. ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
ਉੱਤਰ-
(1574 ਈ.)

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25. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ………………………. ਵਿੱਚ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(1577 ਈ.)

26. ………………………… ਨੇ ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ)

ਠੀਕ ਜਾਂ ਗਲਤ (True or False)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਜਾਂ ਗ਼ਲਤ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

1. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੁ ਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

2. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਸੀ !
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

3. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦਾ ਨਾਂ ਤੇਜ ਭਾਨ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

4. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਦਾ ਨਾਂ ਸਭਰਾਈ ਦੇਵੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

5. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਬੀਬੀ ਖੀਵੀ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

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6. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ 1539 ਈ. ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦੂਜੇ ਗੁਰੂ ਬਣੇ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

7. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਫ਼ਾਰਸੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਯੋਗਦਾਨ ਦਿੱਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

8. ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

9. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਨਾਲ ਮੁਲਾਕਾਤ ਹੋਈ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਲਤ

10. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ 1539 ਈ. ਵਿੱਚ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

11. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

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12. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ 1479 ਈ. ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

13. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਤੇਜ ਭਾਨ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

14. ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਪੁੱਤਰੀ ਦਾ ਨਾਂ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

15. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ 1552 ਈ. ਵਿੱਚ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

16. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕੀਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

17. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

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18. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦਾ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

19. ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਚੌਥੇ ਗੁਰੂ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

20. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

21. ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਸੋਢੀ ਜਾਤ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

22. ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਪਤਨੀ ਦਾ ਨਾਂ ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

23. ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ 1574 ਈ. ਨੂੰ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

24. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

25. ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ

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26. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖਾਂ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਆਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਮਝੌਤਾ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

27. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਲਾਵਾਂ ਰਾਹੀਂ ਵਿਆਹ ਕਰਨ ਦੀ ਮਰਿਆਦਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

28. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ 1581 ਈ. ਵਿੱਚ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ਸਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ

ਬਹੁਪੱਖੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ (Multiple Choice Questions)

ਨੋਟ :-ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ-

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦੂਜੇ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੁ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
(i) 1469 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1479 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1501 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1504 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1504 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਿੱਥੇ ਹੋਇਆ ?
(i) ਮੱਤੇ ਦੀ ਸਰਾਇ
(i) ਕੀਰਤਪੁਰ ਸਾਹਿਬ
(iii) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਹਰੀਕੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਮੱਤੇ ਦੀ ਸਰਾਇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦਾ ਜਨਮ ਸਥਾਨ ਆਧੁਨਿਕ ਭਾਰਤੀ ਪੰਜਾਬੀ ਦੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸ੍ਰੀ ਮੁਕਤਸਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ ?
(i) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ
(ii) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(iv) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
(i) ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ
(ii) ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ
(iii) ਭਾਈ ਗੁਰਦਿੱਤਾ ਜੀ
(iv) ਭਾਈ ਦਾਸੁ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਕੌਣ ਸਨ ?
(i) ਤਿਆਗ ਮਲ ਜੀ
(ii) ਫੇਰੂਮਲ ਜੀ
(iii) ਤੇਜ ਭਾਨ ਜੀ
(iv) ਮਿਹਰਬਾਨ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਫੇਰੂਮਲ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਲਕਸ਼ਮੀ ਦੇਵੀ ਜੀ।
(ii) ਸਭਰਾਈ ਦੇਵੀ ਜੀ
(iii) ਮਨਸਾ ਦੇਵੀ ਜੀ
(iv) ਸੁਭਾਗ ਦੇਵੀ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਸਭਰਾਈ ਦੇਵੀ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਪਤਨੀ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਬੀਬੀ ਖੀਵੀ ਜੀ
(ii) ਬੀਬੀ ਨਾਨਕੀ ਜੀ
(iii) ਬੀਬੀ ਅਮਰੋ ਜੀ
(iv) ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਬੀਬੀ ਖੀਵੀ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮਾਤਾ ਖੀਵੀ ਜੀ ਕੌਣ ਸਨ ?
(i) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਸੁਪਤਨੀ
(ii) ਦਾਸੁ ਜੀ ਤੇ ਦਾਤੂ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ
(iii) ਬੀਬੀ ਅਮਰੋ ਜੀ ਤੇ ਬੀਬੀ ਅਨੋਖੀ ਜੀ ਦੇ ਮਾਤਾ ਜੀ
(iv) ਸਾਰੇ ਹੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਸਾਰੇ ਹੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਕਦੋਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ?
(i) 1529 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1538 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1539 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1552 ਈ. ਵਿੱਚ
ਉੱਤਰ-
(iii) 1539 ਈ. ਵਿੱਚ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀਆਂ ਧਾਰਮਿਕ ਸਰਗਰਮੀਆਂ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਕਿਹੜਾ ਸਥਾਨ ਸੀ ?
(i) ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ
(ii) ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ
(iii) ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਹਰਮਨ-ਪਿਆਰਾ ਬਣਾਇਆ ?
(i) ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਉਦਾਸੀ ਮਤ ਦਾ ਸੰਸਥਾਪਕ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ
(ii) ਬਾਬਾ ਲਖਮੀ ਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਬਾਬਾ ਮੋਹਨ ਜੀ
(iv) ਬਾਬਾ ਮੋਹਰੀ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਬਾਬਾ ਸ੍ਰੀ ਚੰਦ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਕਿਸ ਨਗਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਕਰਤਾਰਪੁਰ
(ii) ਤਰਨਤਾਰਨ
(iii) ਕੀਰਤਪੁਰ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਕਿਹੜਾ ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਆਇਆ ਸੀ ?
(i) ਬਾਬਰ
(ii) ਹੁਮਾਯੂੰ
(iii) ਅਕਬਰ
(iv) ਜਹਾਂਗੀਰ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਹੁਮਾਯੂੰ

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਸ਼ੇਰਸ਼ਾਹ ਸੂਰੀ ਨੇ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੂੰ ਕਿਸ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਹਰਾ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ?
(i) ਪਾਣੀਪਤ
(ii) ਤਰਾਇਣ
(iii) ਦਿੱਲੀ
(iv) ਕਨੌਜ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਕਨੌਜ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਕਦੋਂ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ?
(i) 1550 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1551 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1552 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1554 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 1552 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ?
(i) 1458 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1465 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1469 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1479 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1479 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਿੱਥੇ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
(i) ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ
(ii) ਹਰੀਕੇ
(iii) ਬਾਸਰਕੇ
(iv) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਬਾਸਰਕੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਤੇਜਭਾਨ ਭੱਲਾ
(ii) ਮਿਹਰਬਾਨ
(iii) ਮੋਹਨ ਦਾਸ
(iv) ਫੇਰੂਮਲ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਤੇਜਭਾਨ ਭੱਲਾ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ।
(ii) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਕਦੋਂ ਬੈਠੇ ?
(i) 1539 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1550 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1551 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1552 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1552 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਿਸ ਨੇ ਕਰਵਾਇਆ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ਨੇ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਕਿੱਥੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕੀਤੇ ?
(i) ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ
(ii) ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਸਾਹਿਬ
(iii) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਬਾਸਰਕੇ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਬਾਉਲੀ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੀਆਂ ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ ?
(i) 62
(ii) 72
(iii) 73
(iv) 84.
ਉੱਤਰ-
(iv) 84.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਕਦੋਂ ਪੂਰਾ ਹੋਇਆ ?
(i) 1546 ਈ.
(ii) 1552 ਈ.
(iii) 1559 ਈ.
(iv) 1567 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 1559 ਈ. ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਅਨੰਦੁ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਰਚਨਾ ਕਿਹੜੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੁ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 30.
‘ਅਨੰਦੁ ਸਾਹਿਬ’ ਬਾਣੀ ਵਿੱਚ ਕਿੰਨੀਆਂ ਪੌੜੀਆਂ ਹਨ ?
(i) 84
(ii) 35
(iii) 36
(iv) 40.
ਉੱਤਰ-
(iv) 40.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 31.
ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦਾ ਮੁੱਖ ਉਦੇਸ਼ ਕੀ ਸੀ ?
(i) ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ
(ii) ਲੰਗਰ ਲਈ ਰਸਦ ਇਕੱਤਰ ਕਰਨੀ
(iii) ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨਾ
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 32.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੁੱਲ ਕਿੰਨੀਆਂ ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ?
(i) 20
(ii) 24
(iii) 26
(iv) 22.
ਉੱਤਰ-
(iv) 22.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 33.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਕੁਰੀਤੀ ਦਾ ਖੰਡਨ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
(i) ਬਾਲ ਵਿਆਹ
(ii) ਸਤੀ ਪ੍ਰਥਾ
(iii) ਪਰਦਾ ਪ੍ਰਥਾ
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਾਰੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 34.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀਆਂ ਧਾਰਮਿਕ ਸਰਗਰਮੀਆਂ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਕਿਹੜਾ ਸੀ ?
(i) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ
(ii) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ
(iii) ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਲਾਹੌਰ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 35.
ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਕਦੋਂ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ਸਨ ?
(i) 1552 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1564 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1568 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1574 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1574 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 36.
ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਚੌਥੇ ਗੁਰੂ ਕੌਣ ਸਨ ?
(i) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੁ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੂ ਹਰਿਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 37.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਕਦੋਂ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
(i) 1479 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1524 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1534 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1539 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) 1534 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 38.
ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਮੁੱਢਲਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
(i) ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਜੀ
(ii) ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ
(iii) ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ
(iv) ਭਾਈ ਮਰਦਾਨਾ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਭਾਈ ਜੇਠਾ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 39.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਹਰੀਦਾਸ
(ii) ਅਮਰਦਾਸ
(iii) ਤੇਜਭਾਨ
(iv) ਫੇਰੂਮਲ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਹਰੀਦਾਸ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 40.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਕੀ ਨਾਂ ਸੀ ?
(i) ਦਇਆ ਕੌਰ ਜੀ
(ii) ਰੂਪ ਕੌਰ ਜੀ
(iii) ਸੁਲੱਖਣੀ ਜੀ
(iv) ਲਖਸ਼ਮੀ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਦਇਆ ਕੌਰ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 41.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਕਿਹੜੀ ਜਾਤੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਸਨ ?
(i) ਬੇਦੀ
(ii) ਭੱਲਾ
(iii) ਸੋਢੀ
(iv) ਸੇਠੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਸੋਢੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 42.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਿਸ ਨਾਲ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
(i) ਬੀਬੀ ਦਾਨੀ ਜੀ
(ii) ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਜੀ
(iii) ਬੀਬੀ ਅਮਰੋ ਜੀ
(iv) ਬੀਬੀ ਅਨੋਖੀ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਬੀਬੀ ਭਾਨੀ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 43.
ਪ੍ਰਿਥੀ ਚੰਦ ਕੌਣ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਵੱਡਾ ਭਰਾ
(ii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਵੱਡਾ ਭਰਾ
(iii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਪੁੱਤਰ
(iv) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਵੱਡਾ ਭਰਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 44.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਕਦੋਂ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੋਏ ?
(i) 1534 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1552 ਈ. ਵਿੱਚ .
(iii) 1554 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1574 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1574 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 45.
ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਜਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(iii) ਗੁਰੁ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਨੇ
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 46.
‘ਰਾਮਦਾਸਪੁ’ ਨਗਰ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਵਸਾਇਆ ?
(i) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(ii) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ
(iv) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਤੇਗ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 47.
ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਨੀਂਹ ਕਦੋਂ ਰੱਖੀ ਸੀ ?
(i) 1574 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1575 ਈ. ਵਿੱਚ
(iii) 1576 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 48.
ਮਸੰਦ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 49.
ਕਿਸ ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਉਦਾਸੀਆਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚਾਲੇ ਸਮਝੌਤਾ ਹੋਇਆ ਸੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ
(ii) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ
(iii) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ
(iv) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 50.
ਚਾਰ ਲਾਵਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਥਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ?
(i) ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ
(ii) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।
(iii) ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ
(iv) ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਨੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 51.
ਕਿਹੜਾ ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਆਇਆ ਸੀ ?
(i) ਬਾਬਰ
(ii) ਹੁਮਾਯੂੰ
(iii) ਅਕਬਰ
(iv) ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ।
ਉੱਤਰ-
(iii) ਅਕਬਰ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 52.
ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਦੀ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨਾਲ ਜਿੱਥੇ ਮੁਲਾਕਾਤ ਹੋਈ ?
(i) ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ।
(ii) ਲਾਹੌਰ
(iii) ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ
(iv) ਦਿੱਲੀ ।
ਉੱਤਰ-
(ii) ਲਾਹੌਰ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 53.
ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਕਦੋਂ ਜੋਤੀ-ਜੋਤ ਸਮਾਏ ਸਨ ?
(i) 1565 ਈ. ਵਿੱਚ
(ii) 1571 ਈ. ਵਿੱਚ ।
(iii) 1575 ਈ. ਵਿੱਚ
(iv) 1581 ਈ. ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(iv) 1581 ਈ. ਵਿੱਚ ।

Source Based Questions
ਨੋਟ-ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪੈਰਿਆਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹੋ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ ਦਿਓ-

1. ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹਰ ਸਾਲ ਆਪਣੇ ਭਗਤਾਂ ਦਾ ਇੱਕ ਜੱਥਾ ਲੈ ਕੇ ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ (ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਕਾਂਗੜਾ) ਦੇਵੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਜਾਂਦੇ ਸਨ । ਪਰ ਜਿਸ ਸੱਚ ਦੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤਲਾਸ਼ ਸੀ ਉਸ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਨਾ ਹੋ ਸਕੀ । ਇੱਕ ਦਿਨ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਇੱਕ ਸ਼ਰਧਾਲੂ ਸਿੱਖ ਦੇ ਮੁੱਖੋਂ ‘ਆਸਾ ਦੀ ਵਾਰ’ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਿਆ । ਇਹ ਪਾਠ ਸੁਣ ਕੇ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨ ਦਾ ਪੱਕਾ ਫੈਸਲਾ ਕਰ ਲਿਆ | ਅਗਲੇ ਵਰ੍ਹੇ ਜਦੋਂ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਆਪਣੇ ਜੱਥੇ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਲਈ ਨਿਕਲੇ ਤਾਂ ਉਹ ਰਸਤੇ ਵਿੱਚ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿਖੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਰੁਕੇ । ਉਹ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਮਹਾਨ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਅਤੇ ਮਿੱਠੀ ਬਾਣੀ ਨੂੰ ਸੁਣ ਕੇ ਇੰਨੇ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤਾ ਕਿ ਜਿਸ ਮੰਜ਼ਿਲ ਦੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵਰਿਆਂ ਤੋਂ ਤਲਾਸ਼ ਸੀ ਅੱਜ ਉਹ ਮੰਜ਼ਿਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਹੈ ।

1. ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਸ ਦੇਵੀ ਦੇ ਭਗਤ ਸਨ ?
2. ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਕਿਸ ਦੇ ਮੁੱਖੋਂ ‘ਆਸਾ ਦੀ ਵਾਰ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਿਆ ?
3. “ਆਸਾ ਦੀ ਵਾਰ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣ ਕੇ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੇ ਕੀ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ?
4. ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪੈਰੋਕਾਰ ਕਿਉਂ ਬਣੇ ?
5. ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਨੂੰ ਕਿੱਥੇ ਮਿਲੇ ਸਨ ?
(i) ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿਖੇ
(ii) ਜਵਾਲਾਮੁਖੀ ਵਿਖੇ
(iii) ਕੀਰਤਪੁਰ ਵਿਖੇ
(iv) ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਖੇ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਭਗਤ ਬਣਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਦੇਵੀ ਦੁਰਗਾ ਦੇ ਭਗਤ ਸਨ ।
2. ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੇ ਖਡੂਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਭਾਈ ਜੋਧਾ ਜੀ ਦੇ ਮੁੱਖੋਂ ‘ਆਸਾ ਦੀ ਵਾਰ ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣਿਆ ।
3. ਆਸਾ ਦੀ ਵਾਰ` ਦਾ ਪਾਠ ਸੁਣ ਕੇ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਦਰਸ਼ਨ ਕਰਨ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ।
4. ਉਹ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਅਤੇ ਬਾਣੀ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋਏ ।
5. ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿਖੇ ।

2. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆ ਚੁੱਕੀ ਸੀ, ਪਰ ਇਸ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਕੋਈ ਵੀ ਵਿਅਕਤੀ ਬੜੀ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਭੁਲੇਖੇ ਵਿੱਚ ਪੈ ਸਕਦਾ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਇਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਨਿਖਾਰ ਲਿਆਂਦਾ । ਹੁਣ ਇਸ ਲਿਪੀ ਨੂੰ ਸਮਝਣਾ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਵੀ ਬੜਾ ਆਸਾਨ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਇਸ ਲਿਪੀ ਵਿੱਚ ਹੋਈ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦਾ ਨਾਂ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਆਪਣੇ ਕਰਤੱਵ ਦੀ ਯਾਦ ਕਰਵਾਉਂਦੀ ਰਹੀ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਹ ਲਿਪੀ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਵੱਖਰੀ ਪਹਿਚਾਣ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੋਈ । ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਿੱਦਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਸ ਲਿਪੀ ਦੇ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਬਾਹਮਣ ਵਰਗ ਨੂੰ ਕਰਾਰੀ ਸੱਟ ਵੱਜੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਨੂੰ ਹੀ ਧਰਮ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਮੰਨਦੇ ਸਨ ।

1. ਕਿਸ ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਕੀਤਾ ?
2. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਹੜੀ ਲਿਪੀ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਸੀ ?
3. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
4. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਸੀ ?
5. ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਗ੍ਰੰਥਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ……………………. ਲਿਪੀ ਵਿੱਚ ਹੋਈ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਕੀਤਾ ।
2. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਲਿਪੀ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਲੰਡੇ ਮਹਾਜਨੀ ਲਿਪੀ ਦਾ ਪ੍ਰਚਲਨ ਸੀ ।
3. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਗੁਰੂਆਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਤੋਂ ਨਿਕਲੀ ਹੋਈ ।
4. ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰਸਾਰ ਕਾਰਨ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਵਰਗ ਨੂੰ ਕਰਾਰੀ ਸੱਟ ਵਜੀ ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਸਿਰਫ਼ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤ ਨੂੰ ਹੀ ਪਵਿੱਤਰ ਭਾਸ਼ਾ ਮੰਨਦੇ ਸਨ ।
5. ਗੁਰਮੁੱਖੀ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

3. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ 1552 ਈ. ਵਿੱਚ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਇਹ 1559 ਈ. ਵਿੱਚ ਮੁਕੰਮਲ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨ ਪਿੱਛੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਦੋ ਉਦੇਸ਼ ਸਨ । ਪਹਿਲਾ, ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਵੱਖਰਾ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਤਾਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਿੰਦੂ ਮਤ ਤੋਂ ਵੱਖਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ । ਦੂਜਾ, ਉਹ ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਸੰਬੰਧੀ ਔਕੜ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ । ਇਸ ਬਾਉਲੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ 84 ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ । ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਪੂਰਾ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਹ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਕਿ ਜੋ ਕੋਈ ਯਾਤਰੂ ਹਰ ਪੌੜੀ ‘ਤੇ ਸੱਚੇ ਮਨ ਤੇ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਜਪੁਜੀ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰੇਗਾ ਅਤੇ ਪਾਠ ਦੇ ਬਾਅਦ ਬਾਉਲੀ ਵਿੱਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰੇਗਾ ਉਹ 84 ਲੱਖ ਜੂਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮੁਕਤ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ । ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਇੱਕ ਬੜਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ।

1. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ ?
2. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਕਦੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ?
(i) 1552 ਈ.
(ii) 1559 ਈ.
(iii) 1562 ਈ.
(iv) 1569 ਈ. ।
3. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਨੂੰ ਕੁੱਲ ਕਿੰਨਾ ਸਮਾਂ ਲੱਗਿਆ ?
4. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਬਾਉਲੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ ਕੁੱਲ ਕਿੰਨੀਆਂ ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ ?
5. ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਲਈ ਕਿਵੇਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਿੱਧ ਹੋਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
1. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤਾ ।
2. 1552 ਈ. ।
3. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਬਾਉਲੀ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਨੂੰ ਕੁੱਲ 7 ਵਰੇ ਲੱਗੇ ।
4. ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਬਾਉਲੀ ਤਕ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ ਕੁੱਲ 84 ਪੌੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਸਨ ।
5. ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨਵਾਂ ਉਤਸ਼ਾਹ ਮਿਲਿਆ ।

4. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਰਜਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਸੀ । ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਵਾਧਾ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਲਈ ਹਰ ਸਿੱਖ ਤਕ ਨਿਜੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚਣਾ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਉਪਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਦੂਰ-ਦੁਰਾਡੇ ਦੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਿੱਖਾਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦੇ ਲਈ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਹਰ ਮੰਜੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਨੂੰ ਮੰਜੀਦਾਰ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ । ਮੰਜੀਦਾਰ ਦਾ ਅਹੁਦਾ ਕੇਵਲ ਬਹੁਤ ਹੀ ਕਰਨੀ ਪਵਿੱਤਰ ਵਿਚਾਰਾਂ ਵਾਲੇ) ਵਾਲੇ ਸਿੱਖ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ । ਮੰਜੀਦਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਖੇਤਰ ਕਿਸੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਇਲਾਕੇ ਤਕ ਸੀਮਿਤ ਨਹੀਂ ਸੀ । ਉਹ ਆਪਣੀ ਮਰਜ਼ੀ ਅਨੁਸਾਰ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਵੀ ਜਾ ਸਕਦੇ ਸਨ । ਇਹ ਮੰਜੀਦਾਰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦੇ ਸਨ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਤੋਂ ਮਾਇਆ ਇਕੱਠੀ ਕਰਕੇ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਸਨ ।.
1. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਿਸ ਗੁਰੁ ਸਾਹਿਬਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
2. ਕੁੱਲ ਕਿੰਨੀਆਂ ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ?
3. ਮੰਜੀ ਦਾ ਮੁੱਖੀ ਕੌਣ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ?
4. ਮੰਜੀਦਾਰ ਦਾ ਕੋਈ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਲਿਖੋ ।
5. ਮੰਜੀਦਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਖੇਤਰ ਕਿਸੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ……………….. ਤਕ ਸੀਮਿਤ ਨਹੀਂ ਸੀ ।
ਉੱਤਰ-
1. ਮੰਜੀ ਪ੍ਰਥਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
2. ਕੁੱਲ 22 ਮੰਜੀਆਂ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ । ‘
3. ਮੰਜੀ ਦਾ ਮੁੱਖੀ ਮੰਜੀਦਾਰ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ।
4. ਉਹ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕਰਦੇ ਸਨ ।
5. ਇਲਾਕੇ ।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 5 ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ

5. ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਖ ਪੰਥ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਦੇਣ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਰਨਾ ਸੀ । ਗੁਰਗੱਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਆਪ ਇੱਥੇ ਆ ਗਏ ਸਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 1577 ਈ. ਵਿੱਚ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ । ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਆਬਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਧੰਦਿਆਂ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ 52 ਹੋਰ ਵਪਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਵਸਾਇਆ । ਛੇਤੀ ਹੀ ਇਹ ਇੱਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਵਪਾਰਿਕ ਕੇਂਦਰ ਬਣ ਗਿਆ । ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਵਿਖੇ ਦੋ ਸਰੋਵਰਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਅਤੇ ਸੰਤੋਖਸਰ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਦਾ ਵਿਚਾਰ ਬਣਾਇਆ । ਪਹਿਲਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਸਰੋਵਰ ਦੀ ਖੁਦਵਾਈ ਦਾ ਕੰਮ ਆਰੰਭਿਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਕੰਮ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਲਈ ਬਾਬਾ ਬੁੱਢਾ ਜੀ ਨੂੰ ਨਿਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਸਰੋਵਰ ਦੇ ਨਾਂ ‘ਤੇ ਹੀ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦਾ ਨਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਪੈ ਗਿਆ ।

1. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਕੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਿਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ?
2. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਨੂੰ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਿਸ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਗਿਆ ?
3. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਵਿਖੇ ਵਪਾਰੀਆਂ ਲਈ ਬਣਾਏ ਗਏ ਬਾਜ਼ਾਰ ਦਾ ਨਾਂ ਕੀ ਸੀ ?
4. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਸੀ ?
5. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕਦੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ ?
(i) 1571 ਈ.
(ii) 1573 ਈ.
(iii) 1575 ਈ.
(iv) 1577 ਈ. ।
ਉੱਤਰ-
1. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ ।
2. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਨੂੰ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੇ ਨਾਂ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਗਿਆ ।
3. ਰਾਮਦਾਸਪੁਰਾ ਵਿਖੇ ਵਪਾਰੀਆਂ ਲਈ ਬਣਾਏ ਗਏ ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ ਦਾ ਨਾਂ “ਗੁਰੂ ਕਾ ਬਾਜ਼ਾਰ` ਸੀ ।
4. ਇਸ ਕਾਰਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਵਿੱਤਰ ਤੀਰਥ ਸਥਾਨ ਮਿਲਿਆ ।
5. 1577 ਈ. ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 ਖਾਧ-ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 ਖਾਧ-ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ

→ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ, ਵਸਾ, ਵਿਟਾਮਿਨ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਹੋਣ ।

→ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਜੰਤੂ ਦੋਵੇਂ ਸਾਡੇ ਭੋਜਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਸਰੋਤ ਹਨ ।

→ ਅਸੀਂ ਹਰੀ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਦੁਆਰਾ ਫ਼ਸਲ ਉਤਪਾਦਨ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਫ਼ੈਦ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਦੁਆਰਾ ਦੁੱਧ ਉਤਪਾਦਨ ਵਧਾਇਆ ਹੈ ।

→ ਅਨਾਜਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ, ਦਾਲਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਤੇਲ ਵਾਲੇ ਬੀਜਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਵਸਾ, ਫ਼ਲਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪੌਸ਼ਟਿਕ ਤੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਖ਼ਰੀਫ਼ ਫ਼ਸਲਾਂ ਜੂਨ ਤੋਂ ਅਕਤੂਬਰ ਤਕ ਅਤੇ ਰਬੀ ਫਸਲਾਂ ਨਵੰਬਰ ਤੋਂ ਅਪਰੈਲ ਤੱਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 1960 ਤੋਂ 2004 ਤੱਕ ਖੇਤੀ ਭੂਮੀ ਵਿੱਚ 25% ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

→ ਸੰਕਰਣ ਅੰਤਰਾ ਕਿਸਮੀ, ਅੰਤਰ ਸਪੀਸ਼ੀਜ ਜਾਂ ਅੰਤਰ ਜੈਨਰਿਕ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਖੇਤੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਅਤੇ ਫ਼ਸਲ ਉਤਪਾਦਨ ਮੌਸਮ, ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਗੁਣਵੱਤਾ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਉਪਲੱਬਧਤਾ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਲਈ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ । ਆਕਸੀਜਨ, ਕਾਰਬਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚੋਂ 13 ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਮਾਤਰੀ (ਮੈਕਰੋ) ਅਤੇ ਘੱਟ ਮਾਤਰੀ (ਮਾਇਕਰੋ) ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਖਾਦ ਨੂੰ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਮਲ-ਮੂਤਰ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਰਹਿੰਦ-ਖੂੰਹਦ ਦੇ ਅਪਘਟਨ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 ਖਾਧ-ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ

→ ਕੰਪੋਸਟ, ਵਰਮੀ ਕੰਪੋਸਟ ਅਤੇ ਹਰੀ ਖਾਦ ਮਿੱਟੀ ਨੂੰ ਉਪਜਾਊ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਰਸਾਇਣਿਕ ਖਾਦਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਲਗਾਤਾਰ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਉਪਜਾਊ ਸ਼ਕਤੀ ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਰੁਕਾਵਟ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਮਿਸ਼ਰਤ ਫ਼ਸਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਉਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਅੰਤਰ ਫ਼ਸਲੀਕਰਨ ਵਿੱਚ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਨਾਲੋ ਨਾਲ ਇੱਕ ਹੀ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਖ਼ਾਸ ਪੈਟਰਨ ਵਿੱਚ ਉਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਪੂਰਵ ਨਿਯੋਜਿਤ ਢੰਗ ਨਾਲ ਉਗਾਉਣ ਨੂੰ ਫ਼ਸਲੀ-ਚੱਕਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕੀਟ-ਪੀੜਤ ਪੌਦਿਆਂ ਉੱਪਰ ਤਿੰਨ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨਾਲ ਹਮਲਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰੋਗ ਕੁੱਝ ਰੋਗਾਣੁ; ਜਿਵੇਂ-ਬੈਕਟੀਰੀਆ, ਵਾਇਰਸ ਜਾਂ ਉੱਲੀਆਂ ਨਾਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਦੀਨ, ਕੀਟ ਅਤੇ ਰੋਗਾਂ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਕਈ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੈਵਿਕ ਅਤੇ ਅਜੈਵਿਕ ਕਾਰਕ ਖੇਤੀ ਉਤਪਾਦ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਨੂੰ ਹਾਨੀ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਭੰਡਾਰਨ ਦੇ ਸਥਾਨ ਤੇ ਉਪਯੁਕਤ ਨਮੀ ਅਤੇ ਤਾਪ ਦੀ ਕਮੀ ਗੁਣਵੱਤਾ ਨੂੰ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਭੰਡਾਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਨਿਰੋਧਕ ਅਤੇ ਕੰਟਰੋਲ ਤਰੀਕਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

→ ਪਸ਼ੂਧਨ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਨੂੰ ਪਸ਼ੂ ਪਾਲਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਹੁ-ਮਾਤਰੀ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ (Macro-Nutrients)-ਜਿਹੜੇ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ; ਜਿਵੇਂ-ਨਾਈਟਰੋਜਨ, ਫਾਸਫੋਰਸ, ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ, ਕਾਰਬਨ ਆਦਿ ।

→ ਸੂਖਮ-ਮਾਤਰੀ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤ (Micro-Nutrients)-ਜਿਹੜੇ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਨੂੰ ਘੱਟ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ; ਜਿਵੇਂ-ਲੋਹਾ, ਜ਼ਿੰਕ, ਮੈਂਗਨੀਜ਼, ਕਲੋਰੀਨ, ਤਾਂਬਾ ।

→ ਗੋਹੇ ਦੀ ਖਾਦ (Farmyard Manure)-ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਮਲ-ਮੂਤਰ, ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਵਿਛਾਈ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਪਸਲੀ ਅਤੇ ਕੁੜੇ-ਕਰਕਟ ਆਦਿ ਨੂੰ ਗਲਾ-ਸੜਾ ਕੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਗਈ ਖਾਦ ਨੂੰ ਗੋਹੇ ਦੀ ਖਾਦ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕੰਪੋਸਟ ਖਾਦ (Compost)-ਸਬਜ਼ੀ ਆਦਿ ਦੇ ਕੂੜਾ-ਕਰਕਟ, ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਮਲ-ਮੂਤਰ, ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਦੇ ਸੀਵੇਜ ਨਿਕਾਸ, ਨਦੀਨ, ਤੂੜੀ ਆਦਿ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਗਈ ਖਾਦ ਨੂੰ ਕੰਪੋਸਟ ਖਾਦ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਹਰੀ ਖਾਦ (Green Manure)-ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਉਗਾ ਕੇ, ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਹਰੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਜੋਤ ਕੇ ਸਾੜ ਦੇਣ ਨਾਲ ਬਣੀ ਖਾਦ ਨੂੰ ਹਰੀ ਖਾਦ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਫ਼ਸਲ ਸੁਰੱਖਿਆ (Crop Protection)-ਰੋਗਰਕ ਜੀਵਾਂ ਅਤੇ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਹਾਨੀ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਕਾਰਕਾਂ ਤੋਂ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣਾ ਫ਼ਸਲ ਸੁਰੱਖਿਆ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 15 ਖਾਧ-ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਵਿੱਚ ਸੁਧਾਰ

→ ਪੀੜਕ (Pests)-ਜਿਹੜੇ ਜੀਵ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਪੀੜਤ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੀੜਕਨਾਸ਼ੀ (Pesticides)-ਪੀੜਕਾਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਪੀੜਕਨਾਸ਼ੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ; ਜਿਵੇਂ-ਡੀ.ਡੀ.ਟੀ., ਬੀ.ਐੱਚ.ਸੀ. ।

→ ਨਦੀਨ (Weeds)-ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਖੇਤਾਂ ਵਿੱਚ ਆਪਣੇ ਆਪ ਉੱਗ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਬੇਲੋੜੀਂਦੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਨਦੀਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਨਦੀਨ ਨਾਸ਼ਕ (Weedicides)-ਨਦੀਨਾਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਰਸਾਇਣਾਂ ਨੂੰ ਨਦੀਨ ਨਾਸ਼ਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਮਲੜ੍ਹ (Humus)-ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥ ਜੋ ਪੌਦੇ ਅਤੇ ਜੰਤੂਆਂ ਦੇ ਅਪਘਟਣ ਨਾਲ ਬਣਦੇ ਹਨ, | ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਮਲੜ੍ਹ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਮਿਸ਼ਰਤ ਫ਼ਸਲੀ (Mixed Cropping)-ਇੱਕੋ ਹੀ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਇੱਕੋ ਹੀ ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ | ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੇ ਬੀਜਣ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ਰਤ ਫ਼ਸਲੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਾਂ ।

→ ਫ਼ਸਲ ਚੱਕਰ (Crop Rotation-ਇੱਕੋ ਹੀ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨੂੰ ਅਦਲ-ਬਦਲ ਕੇ ਬੀਜਣ ਨੂੰ ਫ਼ਸਲ ਚੱਕਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਾਂ ।

→ ਪਸ਼ੂ-ਪਾਲਣ (Animal Husbandry)-ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਭੋਜਨ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ, ਦੇਖ-ਭਾਲ ਪ੍ਰਜਣਨ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਮਹੱਤਵ ਪਸ਼ੂ-ਪਾਲਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਮੋਟਾ-ਆਹਾਰ (Roughage)-ਜਾਨਵਰਾਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ਾ ਯੁਕਤ ਦਾਣੇਦਾਰ ਅਤੇ ਘੱਟ ਪੋਸ਼ਣ ਵਾਲੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਮੋਟਾ ਆਹਾਰ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਗਾੜ੍ਹੇ ਪਦਾਰਥ (Concentrate)-ਪਸ਼ੂਆਂ ਨੂੰ ਲੋੜੀਂਦੇ ਤੱਤ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਗਾੜੇ ਪਦਾਰਥ ਆਖਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਬਿਨੌਲਾ, ਚਨਾ, ਖਲ, ਦਾਲਾਂ, ਦਲੀਆ ਆਦਿ ਮੁੱਖ ਗਾੜੇ ਪਦਾਰਥ ਹਨ ।

→ ਪੋਲਟਰੀ (Poultry)-ਪੰਛੀਆਂ ਨੂੰ ਮਾਸ ਅਤੇ ਆਂਡਿਆਂ ਦੇ ਲਈ ਪਾਲਣਾ ਪੋਲਟਰੀ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਸੰਕਰਨ (Hybridisation)-ਦੋ ਵੱਖ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੀਆਂ ਨਸਲਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਨਸਲ ਤਿਆਰ | ਕਰਨਾ ਸੰਕਰਨ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਦੋਨਾਂ ਨਸਲਾਂ ਦੇ ਲੋੜੀਂਦੇ ਗੁਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਮੱਛੀ-ਪਾਲਣ (Pisciculture)-ਮਾਸ ਦੇ ਵਾਧੇ ਲਈ ਮੱਛੀਆਂ ਨੂੰ ਪਾਲਣਾ, ਮੱਛੀ-ਪਾਲਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

PSEB 12th Class Economics राष्ट्रीय आय का माप Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियाँ कौन सी हैं ?
उत्तर-

  • आय विधि
  • उत्पादन विधि
  • व्यय विधि।

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है जिसमें प्राकृतिक साधनों को प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 3.
गौण क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गौण क्षेत्र का अर्थ निर्माण क्षेत्र से होता है जैसा कि उद्योग, निर्माण कार्य, गैस इत्यादि।

प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था के तृतीय क्षेत्र अथवा सेवा क्षेत्र में क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस क्षेत्र में सेवाएँ शामिल की जाती हैं जैसा कि यातायात, बीमा, आवास इत्यादि।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
मूल्य वृद्धि विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मूल्य वृद्धि का अर्थ वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि करने से होता है। मूल्य वृद्धि = उत्पाद के मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग।

प्रश्न 6.
गैर साधन आगतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गैर साधन आगतें वह नाशवान वस्तुएं तथा सेवाएं होती हैं जिनका प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 7.
मूल्य वृद्धि विधि का वैकल्पिक नाम क्या है ?
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि को उत्पाद विधि भी कहा जाता है।

प्रश्न 8.
दोहरी गणना की समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक ही वस्तु के मूल्य को एक से अधिक बार गणना को दोहरी गणना कहा जाता है।

प्रश्न 9.
उत्पाद वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
राष्ट्रीय आय के माप की उत्पाद विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में देश की घरेलू सीमा के भीतर उत्पादित की गई अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के योग को अन्तिम उत्पाद कहा जाता है। इसके बाज़ारी मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 10.
आय वृद्धि में साधन आय को कितने भागों में विभाजित किया जाता है ?
अथवा
साधन आय के मुख्य अंश बताएँ।
उत्तर-

  1. कर्मचारियों का मेहनताना
  2. परिचालन अधिशेष
  3. मिश्रित आय
  4. विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 11.
व्यय वृद्धि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में सकल घरेलू उत्पाद पर किये गए अन्तिम खर्च को बाज़ारी कीमतों पर मूल्य ज्ञात करके योग किया जाए तो इसको व्यय वृद्धि द्वारा सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 12.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी अन्तिम उपभोग खर्च एक देश में वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च का योग होता

प्रश्न 13.
अन्तिम निवेश खर्च से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अन्तिम निवेश में-

  • कुल घरेलू स्थाई पूँजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन
  • शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 14.
पूंजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होता है जिसका भुगतान बचत या सम्पत्ति में से अदा किया जाता है।

प्रश्न 15.
मध्यवर्ती वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती हैं जिन का प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 16.
अन्तिम वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह वस्तुएँ जिनका प्रयोग उपभोग के लिए अथवा पूंजी निर्माण के लिए किया जाता है।

प्रश्न 17.
घिसावट से क्या अभिप्राय है अथवा स्थिर पूँजी का उपभोग क्या होता है ?
उत्तर-
वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों, औज़ारों इत्यादि के मूल्य में जो कमी हो जाती है उस को स्थिर पूँजी का उपभोग या घिसावट कहा जाता है।

प्रश्न 18.
बन्द अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका शेष विश्व के देशों से आर्थिक सम्बन्ध नहीं होता।

प्रश्न 19.
खली अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका आर्थिक सम्बन्ध शेष विश्व के देशों से होता है।

प्रश्न 20.
स्टॉक में परिवर्तन अथवा माल सूची में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
माल सूची अथवा स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 21.
चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय का अभिप्राय है एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रचलित कीमतों पर मूल्य का माप।

प्रश्न 22.
स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य आधार वर्ष की कीमतों द्वारा मापते हैं तो इसको स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 23.
मौद्रिक राष्ट्रीय आय को वास्तविक राष्ट्रीय आय में परिवर्तित कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
वास्तविक राष्ट्रीय आय = img

प्रश्न 24.
मौद्रिक आय को अपस्फायक (deflate) करने का सूत्र बताएँ।
उत्तर-
GNP deflator = \(\frac{\text { Money value of GNP }}{\text { Real Value of GNP }} \times 100\)

प्रश्न 25.
राष्ट्रीय आय के माप के लिए खर्च विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
एक लेखा वर्ष में बाज़ार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पादन पर किये गए अन्तिम उपभोग खर्च के माप को खर्च विधि कहा जाता है।

प्रश्न 26.
अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह खर्च जो कि अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च किया जाता है उसको अन्तिम उपभोग खर्च कहते हैं।

प्रश्न 27.
अन्तिम उपभोग खर्च में कौन-कौन सी मदें शामिल की जाती हैं ?
उत्तर-

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
  • अन्तिम निवेश खर्च
  • शुद्ध विदेशी निवेश।

प्रश्न 28.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी परिवारों तथा निजी गैर लाभकारी संस्थाओं द्वारा वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च के योग को निजी अन्तिम उपभोग खर्च कहते हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 29.
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य (-) …..
उत्तर-
मध्यवर्ती उपभोग।

प्रश्न 30.
वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों और औज़ारों के मूल्य में जो कमी हो जाती है को ………………. कहते हैं।
उत्तर-
स्थिर पूँजी का उपभोग अथवा घिसावट।

प्रश्न 31.
अर्थव्यवस्था में जिस क्षेत्र का सम्बन्ध उद्योग, घरों के निर्माण, गैस आदि से होता है को ……. कहते हैं।
(क) प्राथमिक क्षेत्र
(ख) गौत्र क्षेत्र
(ग) टरशरी क्षेत्र
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) गौत्र क्षेत्र।

प्रश्न 32.
राष्ट्रीय आय का माप करते समय जिन वस्तुओं का मूल्य एक से अधिक बार जुड़ जाता है को ……………. गणना कहते हैं।
(क) बार-बार
(ख) दोहरी
(ग) सौ बार
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) दोहरी।

प्रश्न 33.
वह अर्थव्यवस्था जिसका सम्बन्ध बाकी विश्व के देशों से नहीं होता को ………………. कहा जाता
(क) बन्द अर्थव्यवस्था
(ख) खुली अर्थव्यवस्था
(ग) विश्व अर्थव्यवस्था
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(क) बन्द अर्थव्यवस्था।

प्रश्न 34.
वह अर्थव्यवस्था जिसका सम्बन्ध बाकी विश्व के देशों के साथ होता है को … कहते हैं।
उत्तर-
खुली अर्थव्यवस्था।

प्रश्न 35.
माल सूची अथवा स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक (-) ………….
उत्तर-
प्रारंभिक स्टॉक।

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प्रश्न 36.
अन्तिम उपभोग व्यय = निजी अन्तिम उपभोग व्यय + सरकारी अन्तिम उपभोग व्यय + अन्तिम निवेश व्यय + ………
उत्तर-
शुद्ध विदेशी निवेश।

प्रश्न 37.
राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 38.
एक वस्तु के मूल्य को बार-बार राष्ट्रीय आय में जोड़ने से बचने के लिए मध्यवर्ती वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में जोड़ना चाहिए।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 39.
उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग = मूल्य वृद्धि ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 40.
जो वस्तुएँ अन्तिम उपभोग वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रयोग की जाती है उनको मध्यवर्ती वस्तुएँ कहा जाता है।.
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
घिसावट को स्थिर पूँजी का उपभोग भी कहते हैं।
उत्तर-
सही।

II. अति लय उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियां कौन-सी हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की मुख्य विधियां तीन हैं-

  1. आय विधि-इस विधि में एक वर्ष में उत्पादन के साधनों को सेवाओं के बदले में जो आय प्राप्त होती है, उसके जोड़ द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।
  2. उत्पादन विधि-उत्पादन विधि में एक लेखा वर्ष में देश के प्रत्येक उत्पादक द्वारा किए गए योगदान के जोड़ से राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।
  3. खर्च विधि-इस विधि में एक लेखा वर्ष में बाजार कीमत पर किए कुल अन्तिम खर्च का जोड़ किया जाता |

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र से होता है जिसमें प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है। इसके उप-क्षेत्र इस प्रकार हैं-

  • कृषि तथा पशु पालन
  • जंगल उद्योग तथा शहतीर बनाना
  • मछली उद्योग
  • खनन।

प्रश्न 3.
गौण क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
गौण क्षेत्र का अर्थ निर्माण क्षेत्र से होता है। इसके मुख्य उप-क्षेत्र इस प्रकार हैं-

  • उद्योग
  • निर्माण कार्य
  • विद्युत्, गैस तथा जल आपूर्ति।

प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था के तृतीय क्षेत्र अथवा सेवा क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस क्षेत्र में सेवाएं शामिल की जाती हैं जैसे कि-

  • यातायात, संचार तथा संग्रहण
  • बीमा तथा बैंक सेवाएं
  • व्यापार तथा होटल
  • आवास निर्माण
  • सरकारी प्रशासन तथा सुरक्षा
  • अन्य सेवाएं।

प्रश्न 5.
मूल्य वृद्धि विधि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को उत्पाद विधि द्वारा मापने के लिए मूल्य वृद्धि विधि अधिक उपयुक्त विधि है। इस विधि में देश में प्रत्येक उत्पादक द्वारा उत्पादित वस्तुओं के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटाकर अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाज़ार मूल्य को ज्ञात किया जाता है जिससे दोहरी गणना की समस्या स्वयं हल हो जाती है।
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग (Value Added = Value of Output – Intermediate Consumption)

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प्रश्न 6.
दोहरी गणना की समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वस्तु के मूल्य की गणना जब एक से अधिक बार की जाती है तो इसको दोहरी गणना कहा जाता है। जब एक वर्ष में एक देश में उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को घटा दिया जाए तो अन्तिम वस्तुओं का मूल्य प्राप्त हो जाता है। इससे दोहरी गणना की समस्या का हल हो जाता है।

प्रश्न 7.
निजी अन्तिम उपभोग खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी अन्तिम उपभोग खर्च का अर्थ एक देश में वर्तमान उपभोग पर वस्तुओं तथा सेवाओं के खर्च का योग होता है जो कि निजी परिवारों तथा निजी गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 8.
अन्तिम निवेश खर्च से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वर्ष में एक देश में जो उत्पादन किया जाता है उसका सारा भाग उपभोग नहीं किया जाता बल्कि इसमें से कुछ भाग आने वाले समय में वस्तुओं के उत्पादन के लिए रख लिया जाता है जिसमें-

  • कुल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन
  • शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 9.
पूँजी हस्तान्तरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूँजी हस्तान्तरण वह हस्तान्तरण होते हैं जिनका भुगतान बचत या सम्पत्ति में से अदा किया जाता है। इस हस्तान्तरण को प्राप्त करने वाला अपनी बचत तथा सम्पत्ति में इसको शामिल कर लेता है।

प्रश्न 10.
साधन आगतों तथा गैर-साधन आगतों में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
साधन आगतों में उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यम को शामिल किया जाता है। इनको प्राथमिक आगतें कहते हैं। गैर-साधन आगतों में गैर-टिकाऊ उत्पादक वस्तुओं तथा सेवाओं को शामिल किया जाता है, जो कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती हैं। यह मध्यवर्ती वस्तुएँ होती हैं जिनको अन्तिम वस्तुओं के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
मध्यवर्ती तथा अन्तिम वस्तुओं में अन्तर बताएँ।
उत्तर-
मध्यवर्ती वस्तुएँ-वह वस्तुएँ होती हैं, जिनका प्रयोग वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है अथवा उनको दोबारा बिक्री के लिए प्रयोग किया जाता है। अन्तिम वस्तुएँ-वह वस्तुएँ हैं जिनका उत्पादन उनके उपभोग के लिए किया जाता है, अथवा इनका प्रयोग पूँजी निर्माण के लिए होता है।

प्रश्न 12.
घिसावट से क्या अभिप्राय है ? या स्थिर पूँजी का उपभोग क्या होता है ?
उत्तर-
स्थिर भण्डार का प्रयोग करते समय इसके मूल्य में जो कमी हो जाती है उसको घिसावट कहा जाता है और वस्तुओं का उत्पादन करते समय मशीनों, औज़ारों इत्यादि के मूल्य में जो कमी हो जाती है, उसको स्थिर पूंजी का उपभोग या घिसावट कहा जाता है।

प्रश्न 13.
खुली तथा बन्द अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बन्द अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है, जिसका शेष विश्व के देशों से आर्थिक सम्बन्ध नहीं होता। खुली अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसका आर्थिक सम्बन्ध अन्य देशों से होता है। यह एक व्यावहारिक धारणा है। इस अर्थव्यवस्था में आयात तथा निर्यात किया जाता है।

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प्रश्न 14.
स्टॉक में परिवर्तन या माल सची में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
स्टॉक में परिवर्तन को माल सूची परिवर्तन भी कहा जाता है। एक फ़र्म द्वारा जिन वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, वह सारा माल बिकता नहीं। उसका कुछ भाग बच जाता है। दूसरे वर्ष जब फ़र्म उत्पादन करती है तो पिछले वर्ष जो माल बच गया था उसको प्रारम्भिक स्टॉक कहा जाता है और साल के अन्त में जो माल बच जाता है उसको अन्तिम स्टॉक कहा जाता है।

स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक |

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए किस प्रकार के आँकड़ों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करने की तीन विधियां हैं। इन विधियों में निम्नलिखित प्रकार के आंकड़ों की आवश्यकता होती है।
1. उत्पादन विधि या मूल्य वृद्धि-उत्पादन विधि अथवा मूल्य वृद्धि विधि में साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि के आंकड़ों की आवश्यकता होती है। इनमें-

  • प्राथमिक क्षेत्र
  • गौण क्षेत्र
  • टरशरी क्षेत्र
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय के आँकड़ों की सहायता से राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।

2. आय विधि-आय विधि में उत्पादन के साधनों की वित्त वर्ष में प्राप्त शुद्ध आय का जोड़ किया जाता है। इसमें

  • शुद्ध लगान
  • शुद्ध ब्याज
  • शुद्ध मज़दूरी
  • शुद्ध लाभ तथा
  • विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय के आंकड़ों का जोड़ किया जाता है।

3. व्यय विधि-खर्च विधि में

  • निजी उपभोग खर्च
  • सरकारी उपभोग खर्च
  • सकल घरेलू पूँजी निर्माण
  • शुद्ध निर्यात
  • मूल्य ह्रास या घिसावट
  • शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
  • विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय के आँकड़ों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
प्राथमिक क्षेत्र तथा गौण क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्राथमिक क्षेत्र तथा गौण क्षेत्र में मुख्य अन्तर इस प्रकार हैं –

प्राथमिक क्षेत्रमा गौण क्षेत्र
1. प्राथमिक क्षेत्र में प्रकृति अधिक प्रभावशाली तत्त्व होता है। 1. गौण क्षेत्र में मनुष्य अधिक प्रभावशाली तत्त्व होता है।
2. प्राथमिक क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों से सम्बन्धित क्रियाएँ शामिल की जाती हैं। 2. गौण क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र में उत्पादन वस्तुओं से सम्बन्धित क्रियाएँ शामिल की जाती है।
3. प्राथमिक क्षेत्र में कृषि उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता है। 3. गौण क्षेत्र में औद्योगिक उत्पादन महत्त्वपूर्ण होता है।
4. प्राथमिक क्षेत्र में भूमि उत्पादन का मुख्य साधन होता है। 4. गौण क्षेत्र में पूँजी तथा उद्यमी उत्पादन का मुख्य साधन होता है।

प्रश्न 3.
(i) प्राथमिक क्षेत्र (ii) गौण क्षेत्र (iii) तीसरे क्षेत्र के उद्यमों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-

  • प्राथमिक क्षेत्र के उद्यम-इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है। इसमें भूमि उत्पादन का मुख्य साधन होता है। उद्यमी गेहूँ, चावल, कपास, मक्की आदि वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
  • गौण क्षेत्र के उद्यम-गौण क्षेत्र में उद्योगों द्वारा प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन का प्रयोग करके और वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे-लकड़ी से मेज़ बनाना, सूत से कपड़ा बुनना आदि। यह वस्तुएं जीने के लिए आवश्यक होती हैं।
  • तीसरे क्षेत्र के उद्यम-तीसरा क्षेत्र सेवाओं का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में बैंकिंग, बीमा, सेहत, शिक्षा आदि से सम्बन्धित सेवाएँ शामिल की जाती हैं। इन सेवाओं से मनुष्य का विकास होता है।

प्रश्न 4.
एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन इकाइयों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
अथवा
संक्षेप में उत्पादन इकाइयों के प्राथमिक, गौण तथा तीसरे क्षेत्र के वर्गीकरण को स्पष्ट करें।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन इकाइयों को तीन भागों प्राथमिक, गौण तथा टरश्यरी क्षेत्र में विभाजित किया जाता है।

  1. प्राथमिक क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके उत्पादन किया जाता है। उदाहरण के लिए कृषि उत्पादन, मछली उत्पादन, लट्ठा बनाना आदि।
  2. गौण क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र में प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादन का प्रयोग करके और वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। जैसा कि कपास से कपड़ा बनाना, लोहे से साइकिल, स्कूटर तथा कार का निर्माण करना।
  3. सेवाओं या तीसरे क्षेत्र की उत्पादन इकाइयाँ-इस क्षेत्र से प्राथमिक तथा गौण क्षेत्र के उद्योगों को तीसरे क्षेत्र द्वारा सेवाएँ प्रदान की जाती हैं। जैसा कि जहाज़रानी, बीमा, बैंकिंग आदि के उद्यम इस क्षेत्र में शामिल किए जाते

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
उत्पाद के मूल्य से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक देश में एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार कीमत पर मूल्य को उत्पादन का मूल्य कहते हैं । यदि उत्पादन की गई वस्तु की समस्त मात्रा बिक जाती है, तो उत्पाद का मूल्य बिक्री के मूल्य के समान होता है। यदि उत्पादन वस्तु की अधिक मात्रा बिक जाती है और कुछ भाग बिना बिक्री के कारण बच जाता है तो इसको माल सूची के रूप में रख लिया जाता है। माल सूची में परिवर्तन को स्टॉक में परिवर्तन कहा जाता है।

उत्पाद का मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन स्टॉक में परिवर्तन का अर्थ है अन्तिम स्टॉक तथा प्रारम्भिक स्टॉक में अन्तर। इसलिए स्टॉक में परिवर्तन का माप करने के लिए हम अन्तिम स्टॉक में से प्रारम्भिक स्टॉक को घटा देते हैं। इस प्रकार उत्पाद के मूल्य का माप किया जाता है।

प्रश्न 6.
मूल्य वृद्धि को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि का अर्थ है, उत्पाद का मूल्य (-) मध्यवर्ती उपभोग। उदाहरण के लिए एक किसान 1000 रुपए की गेहूँ का उत्पादन करता है। उसने गेहूँ का उत्पादन करने के लिए 400 रुपए खर्च किए। यह गेहूँ आटा मिल वाला खरीद लेता है तथा इससे आटा बनाकर दुकानदारों को 1500 रुपए में बेच देता है। दुकानदार यह आटा उपभोगियों को 2000 रुपए में बेच देते हैं। मूल्य वृद्धि का माप इस प्रकार किया जाएगा।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 1
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
=4500 – 29000
= ₹ 1600 उत्तर

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आय को मापने की आय विधि का वर्णन करें।
उत्तर –
राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए आय विधि एक महत्त्वपूर्ण विधि है। इस विधि द्वारा भिन्न-भिन्न उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय का योग किया जाता है। आय विधि की मुख्य अवस्थाएं इस प्रकार हैं-
प्रथम अवस्था-सबसे पहले उत्पादन की इकाइयों की पहचान की जाती है जिनको प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector), गौण क्षेत्र (Secondary Sector) तथा सेवाएं क्षेत्र (Teritiary Sector) में विभाजित किया जाता है।

दूसरी अवस्था- इस अवस्था में उत्पादन के साधनों की आय का वर्गीकरण किया जाता है जिसमें निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं

  • कर्मचारियों का मेहनताना
  • परिचालन अधिशेष
  • मिश्रित आय
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय।

3. तृतीय अवस्था-

  • उत्पादन के साधनों को किए गए भुगतान को घरेलू साधन आय कहा जाता है।
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय = शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
  • सकल राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय आय + मूल्य घिसावट
  • बाजार कीमतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर इस प्रकार आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है।

प्रश्न 8.
आय विधि से राष्ट्रीय आय की गणना करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखने की आवश्यकता है-

  1. गैर-कानूनी काम जैसे कि जुआ, तस्करी इत्यादि से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  2. आकस्मिक आय जैसे कि लॉटरी से प्राप्त आय तथा पूंजीगत लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  3. हस्तान्तरण आय जैसे कि बुढ़ापा पेन्शन, बेरोज़गारी भत्ता इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  4. स्व-उपभोग के लिए रखी गई वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु स्व-उपभोग की सेवाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
  5. पुरानी वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता परन्तु पुरानी वस्तुओं की बिक्री के कारण प्राप्त हुई दलाली अथवा कमीशन को शामिल किया जाता है।
  6. नए तथा पुराने शेयर, बाँड़ों को बेच कर प्राप्त होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  7. मकान मालिकों के मकान का आरोपित किराया राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  8. लाभ अथवा निगम कर लाभांश तथा अविभाजित लाभ तीनों ही लाभ के अंश होते हैं । इसलिए यदि लाभ दिया गया हो तो अन्य अंशों को शामिल नहीं करना चाहिए।
  9. व्यक्तिगत आय कर कर्मचारियों की मेहनत का ही भाग होते हैं इसलिए आय कर देने से पूर्व ही कर्मचारियों के मेहनताने को शामिल किया जाता है।
  10. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) जैसे कि बिक्री कर, उत्पादन कर, वस्तु की कीमत में शामिल होते हैं। बाज़ार कीमत और राष्ट्रीय आय का अनुपात लगाते समय इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
मूल्य वृद्धि विधि की मुख्य अवस्थाओं को स्पष्ट करें।
अथवा
बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि का माप करते समय भिन्न-भिन्न अवस्थाओं की व्याख्या करें।
अथवा
एक उदाहरण की सहायता से मूल्य वृद्धि समझाइए।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित अवस्थाएं होती हैं
1. प्रथम अवस्था (First Step)- इस विधि में एक देश की घरेलू सीमा में उद्यमों की पहचान की जाती है, जिनको तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।

  • प्राथमिक क्षेत्र
  • गौण क्षेत्र
  • तीसरा क्षेत्र।

2. द्वितीय अवस्था (Second Step)-शुद्ध मूल्य वृद्धि का अनुमान लगाने के लिए उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत को घटाया जाता है। इस प्रकार मूल्य वृद्धि = उत्पादन का मूल्य — मध्यवर्ती वस्तुओं की लागत शुद्ध मूल्य वृद्धि = मूल्य वृद्धि – मूल्य घिसावट

3. तृतीय अवस्था (Third Step)-इसमें घरेलू सीमा के भीतर शुद्ध मूल्य वृद्धि का पता लगाकर अन्य धारणाओं का अनुमान लगाया जाता है। इस विधि के अनुसार राष्ट्रीय आय का माप इस प्रकार किया जाता हैराष्ट्रीय आय = प्राथमिक क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + सेवा क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि = सकल घरेलू मूल्य वृद्धि, बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के बराबर होती है।

प्रश्न 10.
उत्पाद विधि में बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद के घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर राष्ट्रीय उत्पाद का माप करते समय अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का योग किया जाता है, जिसके मुख्य घटक इस प्रकार हैं
बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद = उपभोगी वस्तुएं तथा सेवाएं (C) + कुल घरेलू निजी निवेश (I) + सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं तथा सेवाएं (G) + शुद्ध निर्यात (X – M) Gross National Product at Market Prices = C + I + G (X – M)

  • उपभोगी वस्तुएं तथा सेवाएं-इसमें टिकाऊ उपभोगी वस्तुएं, एक प्रयोग वाली उपभोगी वस्तुओं तथा उपभोगी सेवाएं शामिल की जाती हैं।
  • कुल घरेलू निजी निवेश-इसमें स्टॉक में निवेश, आवास निर्माण, सकल घरेलू निजी स्थिर पूंजी निर्माण को शामिल किया जाता है।
  • सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं तथा सेवाएं-इसमें सरकारी निवेश तथा वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को शामिल किया जाता है।
  • शुद्ध निर्यात-इसमें निर्यात में से आयात का मूल्य घटा कर राष्ट्रीय आय का पता किया जाता है। यदि हम इन वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य बाज़ारी कीमतों पर ज्ञात करके जोड़ लेते हैं तो इसको बाज़ार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पादन कहा जाता है।

प्रश्न 11.
मूल्य वृद्धि विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि में राष्ट्रीय आय का माप करते समय उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं के उपभोग को घटाया जाता है। इससे वस्तु की दो बार गणना की समस्या का हल हो जाता है। मूल्य वृद्धि विधि वह विधि है जो घरेलू सीमा के भीतर प्रत्येक उत्पादक के उद्यम का माप करती है। इस विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटक इस प्रकार होते हैं-
घरेलू साधन आय = प्राथमिक क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + तीसरे क्षेत्र में मूल्य वृद्धि – मूल्य घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
जब हम भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में बाज़ार कीमत पर कुल मूल्य वृद्धि का माप कर लेते हैं तो हमारे पास बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि अथवा सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है।

इसमें से मूल्य घिसावट घटाने से बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि अथवा शुद्ध घरेलू उत्पाद प्राप्त हो जाता है। यदि इसमें से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) घटा दिया जाए तो साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि अथवा घरेलू साधन आय प्राप्त हो जाती है। यदि हम राष्ट्रीय आय ज्ञात करना चाहते हैं तो हम घरेलू साधन आय में विदेशों से शुद्ध साधन आय का योग कर लेते हैं।

प्रश्न 12.
उत्पाद विधि की मुख्य सावधानियां बताएं।
अथवा
मूल्य वृद्धि विधि की मुख्य सावधानियों को स्पष्ट करें।
उत्तर-

  1. इस विधि में पुरानी वस्तुओं की खरीद अथवा बेच से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, परन्तु पुरानी वस्तुओं की बेच से कमीशन अथवा दलाली को शामिल किया जाता है।
  2. स्व-उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुओं के आरोपित मूल्य (Imputed Value) को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु स्व-उपभोग की सेवाओं को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता।
  3. मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता, परन्तु अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को मूल्य वृद्धि में शामिल किया जाता है।
  4. जिन मकानों में मालिक स्वयं निवास करते हैं उनके आरोपित किराए (Imputed Rent) को मूल्य वृद्धि में शामिल किया जाता है।
  5. सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों के मेहनताने को ही शामिल किया जाता है, जबकि इस क्षेत्र में लाभ, ब्याज, घिसावट के उचित आंकड़े प्राप्त न होने के कारण इनको शामिल नहीं किया जाता।
  6. मूल्य वृद्धि द्वारा घरेलू उत्पाद की गणना की जाती है। यदि हम राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करना चाहते हैं तो इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 13.
उत्पाद विधि की मुख्य कठिनाइयों का वर्णन करें।
उत्तर-
उत्पाद विधि की मुख्य कठिनाइयां इस प्रकार हैं-

  • राष्ट्रीय आय का माप करते समय केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है, परन्तु साधारणतया दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है।
  • कम विकसित देशों में वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter system) प्रचलित होती है। इसलिए राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाना कठिन हो जाता है।
  • वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य का माप बाज़ार में प्रचलित कीमतों द्वारा किया जाता है, परन्तु बाज़ार कीमतों में परिवर्तन होता रहता है, इसलिए राष्ट्रीय आय का उचित अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
  • स्व-उपभोग की वस्तुओं का आरोपित मूल्य (Imputed Value) राष्ट्रीय आय के माप में शामिल किया जाता है, परन्तु आरोपित मूल्य का उचित अनुमान लगाना कठिन होता है।
  • राष्ट्रीय आय से सम्बन्धित उचित आंकड़े प्राप्त नहीं होते क्योंकि लोग अशिक्षित तथा अज्ञानी होते हैं। इसलिए राष्ट्रीय आय की गणना करते समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 14.
दोहरी गणना की समस्या पर नोट लिखें।
उत्तर-
उत्पाद विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य जोड़ा जाता है। मध्यवर्ती मूल्य को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इससे एक वस्तु का मूल्य एक से अधिक बार राष्ट्रीय आय में शामिल हो जाता है। इस प्रकार राष्ट्रीय आय का उचित अनुमान नहीं लगाया जा सकता, बल्कि इससे राष्ट्रीय आय अधिक नज़र आती है। इसको दोहरी गणना की समस्या कहते हैं। उदाहरणतया एक किसान 1,000 रुपए की कपास पैदा करता है तथा धागा बनाने वाली फैक्टरी को बेच देता है।

धागा फैक्टरी इससे धागा बनाकर 1,800 रुपए में कपड़ा बनाने वाली फैक्टरी को बेच देती है। कपड़ा फैक्टरी इसका कपड़ा बनाकर 5,000 रुपए में उपभोक्ताओं को बेच देती है। यदि हम तीनों उत्पादकों के मूल्य को जोड़ते हैं तो हमारे पास उत्पादन मूल्य 1,000 + 1,500 + 5,000 = 7,500 रुपए प्राप्त होता है।

परन्तु इसको शुद्ध उत्पाद नहीं कहा जाता। हम देखते हैं कि वास्तविक उत्पादन कपड़े का हुआ है जिसका मूल्य 5,000 रुपए है। इसलिए इसको ही राष्ट्रीय आय में जोड़ना चाहिए। यदि मध्यवर्ती वस्तुओं कपास तथा धागे के मूल्य को शामिल किया जाए तो इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न होती है। इसका हल मूल्य वृद्धि विधि द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 15.
राष्ट्रीय आय के माप के लिए खर्च विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप की तृतीय विधि खर्च विधि है। इस विधि को उपभोग तथा निवेश विधि अथवा आय खर्च विधि भी कहा जाता है। इस विधि के अनुसार एक लेखा वर्ष में बाजार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद पर किए गए अन्तिम खर्च का माप किया जाता है। अन्तिम खर्च दो प्रकार का होता है
(i) उपभोग खर्च (Consumption Expenditure)
(ii) निवेश खर्च (Investment Expenditure)

(i) उपभोग खर्च को दो भागों में विभाजित किया जाता है-
(a) निजी अन्तिम उपभोग खर्च
(b) सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

(ii) निवेश खर्च को तीन भागों में विभाजित किया जाता है
(a) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(b) स्टॉक में परिवर्तन
(c) शुद्ध निर्यात।
इस प्रकार यदि हम अन्तिम उपभोग खर्च का योग कर लेते हैं तो बाज़ार कीमत पर कुल उत्पाद खर्च का मूल्य प्राप्त हो जाता है अर्थात्
+ सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च (G) + घरेलू निवेश खर्च (I)
+ शुद्ध विदेशी निवेश (X – M)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 16.
राष्ट्रीय आय का माप खर्च विधि द्वारा करते समय क्या सावधानियां प्रयोग करनी चाहिएं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करते समय खर्च विधि में निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग करना चाहिए

  1. सरकार द्वारा किए गए हस्तान्तरण भुगतान तथा खर्च को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  2. पुराने अथवा नए शेयर व बांड पर किया गया खर्च कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता।
  3. कुल खर्च का माप करते समय मध्यवर्ती खर्च को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता केवल अन्तिम खर्च को ही शामिल किया जाता है।
  4. पुरानी वस्तुओं पर किए गए खर्च को कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता।
  5. कुल खर्च में कुल निवेश को शामिल किया जाता है। इसमें घिसावट का खर्च भी शामिल होता है।
  6. निर्यात में देश-वासियों को विदेशों से प्राप्त ब्याज, लगान, लाभ तथा मज़दूरी शामिल किए जाते हैं। इसी प्रकार आयात में विदेशियों द्वारा हमारे देश में से प्राप्त लाभ, ब्याज, इत्यादि को शामिल किया जाता है। इस प्रकार शुद्ध निर्यात का माप निर्यात में से आयात घटा कर किया जाता है।

प्रश्न 17.
राष्ट्रीय आय मापने की विधियों की समानता पर संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप के लिए आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि का प्रयोग किया जाता है। इन तीनों विधियों द्वारा राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है तो प्राप्त नतीजे में समानता पाई जाती है क्योंकि तीनों विधियां राष्ट्रीय आय का माप भिन्न-भिन्न स्तरों पर करती हैं जैसे कि आय विधि में राष्ट्रीय आय का माप आय सृजन (Income Generation) के स्तर पर किया जाता है। उत्पाद विधि में राष्ट्रीय आय का माप अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन स्तर (Production of final goods and services) द्वारा किया जाता है।

खर्च विधि में राष्ट्रीय आय का माप उपभोग खर्च तथा निवेश खर्च (Consumption and Expenditure) के स्तर पर किया जाता है। इन विधियों में से किसी भी विधि का प्रयोग किया जाए, परिणाम समान निकलते हैं। इस कारण तीनों विधियों में समानता पाई जाती है अर्थात् सकल राष्ट्रीय आय = सकल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल राष्ट्रीय खर्च।

प्रश्न 18.
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी देश के निवासियों द्वारा विदेशों में उत्पादन के साधन तथा सेवाएं प्रदान की जाती हैं जिसके बदले में उनको आय प्राप्त होती है। इस देश में गैर-निवासी भी साधन सेवाएं प्रदान करते हैं। इससे वह जो आय अर्जित करते हैं वह विदेशों को चली जाती है। इस देश के साधनों द्वारा प्राप्त की गई आय तथा विदेशियों द्वारा इस देश में से प्राप्त की गई आय के अन्तर को विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय कहा जाता है। विदेशों से शद्ध साधन आय धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकती है। जब किसी देश की घरेलू आय ज्ञात हो तथा हम राष्ट्रीय आय ज्ञात करना चाहते हैं तो घरेलू आय में विदेशों से शुद्ध साधन आय को जोड़ा जाता है। घरेलू आय राष्ट्रीय आय से कम भी हो सकती है अथवा अधिक भी हो सकती है।

प्रश्न 19.
आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि के मुख्य घटक बताएं।
उत्तर-

  • आय विधि (Income Method) के मुख्य घटक बाजार कीमत पर राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर।
  • उत्पाद विधि (Value Added Method) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर प्राथमिक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + बाज़ार कीमत पर गौण क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + बाज़ार कीमत पर तृतीय क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + विदेशों में शुद्ध साधन आय।
  • खर्च विधि (Expenditure Method) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय।

प्रश्न 20.
आय विधि में घरेलू साधन आय के घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर-
आय विधि में घरेलू साधन आय के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं
1. कर्मचारियों की मेहनत (Compensation of Employees)-कर्मचारियों की मेहनत से अभिप्राय उत्पादकों द्वारा अपने कर्मचारियों को काम के बदले में किए गए भुगतान से होता है। कर्मचारियों के वेतन तथा मजदूरी के मुख्य अंश इस प्रकार होते हैं

  • नकद मज़दूरी तथा वेतन
  • किस्म के रूप में आय
  • सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का योगदान।

2. परिचालन अधिशेष (Operating Surplus)-इसमें सम्पत्ति से प्राप्त आय तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है। परिचालन अधिशेष की मुख्य मदें इस प्रकार हैं

  • किराया तथा रायल्टी
  • ब्याज
  • लाभ (लाभांश + निगम कर + अविभाजित लाभ)।

3. मिश्रित आय (Mixed Income)-मिश्रित आय से अभिप्राय स्व-रोज़गार पर लगे लोगों की काम तथा सम्पत्ति दोनों से प्राप्त मिश्रित आय से होता है। उदाहरणतया किसान, दुकानदार, प्राइवेट डॉक्टर को प्राप्त होने वाली आय में उनकी मेहनत की मज़दूरी, पूंजी का ब्याज, भूमि अथवा मकान का किराया तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त लाभ इत्यादि शामिल होते हैं। इस कारण इस आय को मिश्रित आय कहा जाता है।

(A) मूल्य वृद्धि या उत्पाद विधि (Value Added Or Product Method)
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न । (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पाद विधि से क्या अभिप्राय है ? इस विधि द्वारा राष्ट्रीय आय को मापने में जुड़ने वाले चरणों की रूप-रेखा स्पष्ट करें। मूल्य वृद्धि विधि की सावधानियां बताएं।
(Give an outline of the steps involved in the estimation of National Product by Value Added Method or Product Method. Explain the precautions in Value Added Method.)
उत्तर-
राष्ट्रीय उत्पाद या राष्ट्रीय आय की गणना के लिए उत्पाद विधि अथवा मूल्य वृद्धि विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि को शुद्ध उत्पाद विधि (Net Output Method) या औद्योगिक मूल्य विधि (Industrial Origin Method) भी कहा जाता है। मूल्य वृद्धि विधि वह विधि है जिसमें राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए एक देश में एक लेखा वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का दोहरी गणना के बिना माप होता है।
(Value Added Method or Product Method is the method of measurement of national income by adding the goods and services produced in the domestic territory of a country in a year without double counting.)

मूल्य वृद्धि विधि से राष्ट्रीय आय के माप की अवस्थाएं (Steps in measurement of National Income in Value Added Method)

1. प्रथम अवस्था (First Step)—इसमें सर्वप्रथम देश की उत्पादक इकाइयों का वर्गीकरण तीन क्षेत्रों में किया जाता है-
(i) प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)-इस क्षेत्र में प्राकृतिक साधनों के प्रयोग द्वारा उत्पादन किया जाता है। इसके उप-क्षेत्र हैं
(a) कृषि तथा पशुपालन
(b) जंगल उद्योग तथा शहतीर बनाना
(c) मछली उद्योग
(d) खानों का उत्पादन।

(ii) गौण क्षेत्र (Secondary Sector)-इसके उप-क्षेत्र हैं
(a) उद्योग
(b) निर्माण
(c) जल आपूर्ति, विद्युत् गैस इत्यादि।

(iii) तीसरा क्षेत्र (Tertiary Sector)-इसके उप-क्षेत्र हैं—
(a) यातायात, संचार तथा संग्रहण
(b) व्यापार, होटल तथा जलपान गृह
(c) बैंक तथा बीमा
(d) स्थिर सम्पत्ति, मकानों की मालकी तथा व्यापारिक सेवाएं
(e) सार्वजनिक प्रशासन तथा सुरक्षा
(f) अन्य सेवाएं।

2. दूसरी अवस्था (Second Step)-दूसरी अवस्था में हर एक उत्पादन इकाई के मूल्य का माप किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए उत्पाद के मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य निकाल दिया जाए तो हमारे पास कुल मूल्य वृद्धि प्राप्त हो जाती है।
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग Value Added = Value of Output – Intermediate Consumption

(A) उत्पाद का मूल्य-वह मूल्य है जोकि एक फ़र्म द्वारा एक साल में वस्तुओं तथा सेवाओं को बाज़ार में प्रचलित कीमत पर गुणा करने से प्राप्त होता है। फ़र्म द्वारा एक वर्ष में जो उत्पादन किया जाता है इसका कुछ भाग बिक जाता है तथा कुछ भाग स्टॉक के रूप में बच जाता है। इसलिए उत्पाद का मूल्य = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन
Value of Output = Sales + Change in Stock
स्टॉक में परिवर्तन प्रारम्भिक स्टॉक में से अन्तिम स्टॉक को घटाने से प्राप्त होता है।
स्टॉक में परिवर्तन = अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक
Change in Stock = Closing Stock – Opening Stock

(B) मध्यवर्ती उपभोग-उत्पादन प्रक्रिया के दौरान कच्चे माल पर जो खर्च किया जाता है उसको मध्यवर्ती उपभोग कहा जाता है। इसमें उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यमकर्ता की लागत को शामिल नहीं किया जाता। इस प्रकार मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटाया जाता है। इस विधि में राष्ट्रीय आय की दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

उदाहरण के लिए एक किसान ₹ 1000 के मूल्य की कपास पैदा करता है। उसने कच्चे माल के रूप में ₹ 300 खर्च किए हैं। किसान को हम फ़र्म A कहते हैं। फर्म A ने यह कपास फ़र्म B को बेच दी जोकि धागे का उत्पादन करती है तथा फ़र्म B ने ₹ 1500 मूल्य का धागा बनाकर फर्म C को बेच दिया। फ़र्म C ने इस धागे से कपड़ा बनाकर उपभोगियों को ₹ 2500 में बेच दिया। मूल्य वृद्धि का माप इस प्रकार किया जाएगा –

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 2
मूल्य वृद्धि = उत्पाद का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
= 5000 – 2800 = ₹ 2200
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = 1000 – 300 = ₹ 700
फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = 1500 – 1000 = ₹ 500
फ़र्म C द्वारा मूल्य वृद्धि = 2500 – 1500 = ₹ 1000
कुल मूल्य वृद्धि Gross Value Added = ₹ 2200
इसको बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) कहा जाता है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

3. तीसरी अवस्था (Third Step)-अब राष्ट्रीय आय की धारणाओं का अध्ययन करते हैं। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित मदों को ध्यान में रखना चाहिए

  • मूल्य ह्रास या घिसावट (Depreciation)
  • शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (Net Indirect Taxes = Indirect Taxes – Subsidies)
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय (Net Factor Income from Abroad) राष्ट्रीय आय का माप करते समय मूल्य वृद्धि से सम्बन्धित निम्नलिखित धारणाएं होती हैं

1. कुल मूल्य वृद्धि = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद Gross Value Added = Gross Domestic Product at Market Prices
बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य होता है।
2. बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट
Gross Domestic Product at Market Prices = GDPMP – Depreciation
3. साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
Net Domestic Product at Factor Cost = NDPMP – Net Indirect Taxes
4.साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय
Net National Product at Factors Cost = NDPFC + Net Factor Income from Abroad
अथवा
5. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मुआवज़ा लाभ + लगान + ब्याज + मिश्रित आय
NNPFC = N.I. = Compensation of Employees + Rent + Interest + Profit + Mixed Income.

प्रश्न 2.
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पादन विधि की सावधानियां बताएं। (Explain the Precautions of Value Added Method or Product Method.)
उत्तर-
मूल्य वृद्धि विधि या उत्पादन विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय कुछ मदों को शामिल किया जाता है तथा कुछ मदों को शामिल नहीं किया जाता।
कौन-सी मदों को शामिल नहीं करना चाहिए (Which Items should be Excluded)-

  • पुरानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय-पुरानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि यह चालू वर्ष में उत्पादन नहीं की गईं।
  • गैर-कानूनी कामों से आय-गैर-कानूनी काम जैसा कि जुआ, समगलिंग, चोरी इत्यादि से आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य-मध्यवर्ती वस्तुओं को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इससे दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • स्व-उपभोग की सेवाएं-स्व-उपभोग की सेवाओं को मूल्य वृद्धि में शामिल नहीं किया जाता जैसा कि पिता द्वारा पुत्र को पढ़ाना, इत्यादि क्योंकि इनके सेवा फल का अनुमान लगाना कठिन होता है।
  • कम्पनी द्वारा ब्रान्ड की बिक्री-किसी कम्पनी द्वारा ब्रान्डस की बिक्री से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में _शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह वित्तीय लेन-देन है।

कौन-सी मदों को मूल्य वृद्धि में शामिल करना चाहिए
(Which Items should be Included in Value Added)

  • पुरानी वस्तुओं की बिक्री से दलाली-पुरानी वस्तुओं की बिक्री से दलाली को राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए क्योंकि यह वर्तमान सेवा का फल है।
  • उत्पादकों द्वारा स्व-उपभोग-इसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह उत्पादन बाज़ार में बिक्री के लिए नहीं आता इसलिए इस उत्पादन का आरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
  • मकान मालिकों का आरोपित किराया-जिन मकानों में मालिक स्वयं रहते हैं उनका आरोपित किराया, राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  • सरकारी क्षेत्र में कर्मचारियों का मेहनताना-सरकारी क्षेत्र में राष्ट्रीय आय का माप करते समय सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों का मेहनताना शामिल किया जाता है। लगान, ब्याज तथा लाभ को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनके आंकड़े प्राप्त नहीं होते।
  • पूंजी का स्व-लेखा उत्पादन-सरकारी, निगमित तथा पारिवारिक क्षेत्र में उत्पन्न की गई अचल पूंजी को भी राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  • अन्तिम वस्तुओं का मूल्य-उत्पाद विधि में राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाते समय केवल अन्तिम वस्तुओं के मूल्य को ही शामिल किया जाता है।

प्रश्न 3.
दोहरी माप की समस्या से क्या अभिप्राय है ? राष्ट्रीय आय का माप करते समय दोहरे माप की समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर-
दोहरी माप की समस्या का अर्थ (Meaning of Problem of Double Counting) उत्पादन विधि द्वारा जब राष्ट्रीय आय का माप किया जाता है तो इसमें केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं को ही शामिल किया जाता है। कई बार मध्यवर्ती वस्तुओं की गणना भी हो जाती है जिससे दोहरी गणना की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। दोहरी गणना का अर्थ किसी वस्तु के मूल्य को एक बार से अधिक बार राष्ट्रीय आय में शामिल करने से होता है परन्तु सब वस्तुएं अन्तिम वस्तुएं नज़र आती हैं जबकि उनका प्रयोग मध्यवर्ती वस्तुओं के रूप में होता है। इसको हम एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करते हैं मान लीजिए एक किसान गेहूं उत्पन्न करता है तथा एक आटा मिल वाले को 1000 रुपए की बेच देता है।

आटा मिल वाले के लिए गेहूं अन्तिम मध्यवर्ती वस्तु है जिसको वह आटे में बदलकर बेकरी वाले को 1500 रुपए में बेच देता है। आटा मिल के लिए आटा अन्तिम वस्तु है पर बेकरी वाले के लिए यह मध्यवर्ती वस्तु है क्योंकि बेकरी वाला इससे बिस्कुट बनाकर अन्तिम उपभोक्ताओं को 2000 रुपए में बेच देता है। यदि हम प्रत्येक आदान-प्रदान को राष्ट्रीय आय में शामिल कर लेते हैं तो उससे वस्तु का उत्पादन मूल्य बहुत अधिक हो जाता है जबकि मूल्य वृद्धि इस बात को प्रकट करती है कि वस्तु के मूल्य में कितनी वृद्धि हुई है, उसको राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए।

यदि हम कुल उत्पाद का मूल्य राष्ट्रीय आय में शामिल करते हैं तो इसमें एक वस्तु का मूल्य कई बार जुड़ जाता है। इसलिए दोहरी गणना से बचने के लिए अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य को राष्ट्रीय में जोड़ना चाहिए जैसे कि बेकरी वाले ने अन्तिम उपभोक्ताओं को 2000 रुपए के बिस्कुट बेचे हैं जिसको राष्ट्रीय आय में शामिल करना चाहिए। लेकिन इस विधि में ग़लती होने की सम्भावना होती है तथा किसी मध्यवर्ती वस्तु का मूल्य इसमें जुड़ जाए तो दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

दोहरी गणना की समस्या का हल (Solution of the Problem of Double Counting) – राष्ट्रीय आय का माप करते समय यदि हम मूल्य वृद्धि (Value Added) की विधि को अपनाते हैं, तो दोहरी गणना की समस्या उत्पन्न नहीं होती। इसको निम्नलिखित सूची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है|
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 3
उत्पादन का मूल्य = ₹4500
मध्यवर्ती वस्तु का मूल्य = ₹ 2500
मूल्य वृद्धि = ₹ 2000
इस प्रकार यदि हम उत्पादन का मूल्य शामिल करते हैं तो ₹ 4500 का उत्पादन किया गया है। परन्तु इसमें से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य 2500 भी शामिल है। यदि हम उत्पाद मूल्य में से मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य घटा देते हैं तो इससे अन्तिम वस्तु का मूल्य प्राप्त हो जाता है जिसको मूल्य वृद्धि कहा जाता है। मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय दोहरी गणना की समस्या का हल हो जाता है।

याद रखें मूल्य वृद्धि विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना (Measurement of National Income with Value Added Method)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 4

  1. प्राथमिक क्षेत्र में बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  2. गौण क्षेत्र में बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  3. तीसरे क्षेत्र में बाज़ार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि
  4. मूल्य ह्रास या मूल्य घिसावट
  5. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – सहायता)
  6. विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय।

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर फ़र्म A तथा फ़र्म B द्वारा की गई मूल्य वृद्धियों का आंकलन करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 5
हल (Solution):
फ़र्म A तथा फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 6
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – खरीद
= 110 + (-15) – 80
= ₹ 15 लाख उत्तर

फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – खरीद
= 90 + (-10) – 50
= ₹ 30 लाख उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर फ़र्म x तथा फ़र्म Y द्वारा की गई मूल्य वृद्धियों को ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 7
हल (Solution) :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 8
फ़र्म X द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री + भण्डार में परिवर्तन – खरीद
= 300 + 20 – 70
= ₹ 250 लाख उत्तर
फ़र्म Y द्वारा मूल्य वृद्धि = 500 + 10 – 450 = ₹ 60 लाख उत्तर

प्रश्न 3.
निम्न आंकड़ों द्वारा फ़र्म A तथा फ़र्म B की मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 9
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 10
हल (Solution) :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 11
फ़र्म A द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 450 लाख
फ़र्म B द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 170 लाख उत्तर

प्रश्न 4.
निम्न आंकड़ों के आधार पर C उद्योग की मूल्य वृद्धि ज्ञात करें-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 12
हल (Solution) :
उद्योग A, B, C तथा D द्वारा कुल बिक्री = ₹ 130 लाख

  • उद्योग, A द्वारा मूल्य वृद्धि = बिक्री – खरीद = ₹ 20 – 0 = 20 लाख
  • उद्योग B द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 40 लाख
  • उद्योग D द्वारा मूल्य वृद्धि = ₹ 30 लाख
  • उद्योग A, B तथा D द्वारा मूल्य वृद्धि = 20 + 40 + 30 = ₹ 90 लाख
  • उद्योग C द्वारा मूल्य वृद्धि = 130 – 90 = ₹ 40 लाख उत्तर

(A, B, C, D द्वारा मूल्य वृद्धि – ABD द्वारा मूल्य-वृद्धि)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 13
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 14
हल (Solution) :
साधनं लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक – मध्यवर्ती उपभोग — बिक्री कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 1000 + 80 – 40 – 640 – 30 + 10 – 100 = ₹ 280 लाख उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा फर्म A की बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 15
हल (Solution) :
बाजार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – घिसावट – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद
= 700 + 40 – 80 – 400 = ₹ 260 हज़ार उत्तर

प्रश्न 7.
फ़र्म A ने ₹500 गैर-साधन आगतों (Inputs) पर खर्च किए और ₹ 900 के मूल्य की वस्तुओं का उत्पादन किया। इसने ₹ 600 के मूल्य की वस्तुएं फ़र्म B तथा ₹ 300 के मूल्य की वस्तुएं उपभोक्ताओं को बेचीं। फ़र्म A की सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
हल (Solution):
फ़र्म A द्वारा सकल मूल्य वृद्धि = उत्पादन वस्तुओं का मूल्य – ग़ैर-साधन आगतों पर खर्च  = 900 (600 + 300) – 500 = ₹400 उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 16
हल (Solution):
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) – मूल्य घिसावट – उत्पादन कर – मध्यवर्ती उपभोग ।
= 200 + 10 – 15 – 12 – 20 – 48 = ₹ 115 लाख उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(क) उत्पादन का मूल्य
(ख) साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 17
हल-
(क) उत्पादन का मूल्य – बिक्री + स्टॉक में वृद्धि
= 27,560 + 1,690
= ₹ 29,250 करोड़ उत्तर

(ख) साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि – मध्यवर्ती उपभोग – अप्रत्यक्ष कर – स्थाई पूंजी का उपभोग + आर्थिक सहायता = 27,560 + 1,690 – 3,575 – 2,000 – 1,345 + 1,550
= ₹ 23,880 करोड़ उत्तर

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए।
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(ग) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 18
हल (Solution) :
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = बिक्री + साल के अन्त में स्टॉक – साल के आरम्भ में स्टॉक – मध्यवर्ती उपभोग
= 70,000 + 25,000 – 5,000 – 10,000 = ₹ 80,000 लाख उत्तर
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट लागत = 80,000 – 1,000 = ₹ 79,000 लाख उत्तर
(ग) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता = 79,000 – 300 + 100 = ₹ 78,800 लाख उत्तर

(B) आय विधि (Income Method)
IV. दीर्घ उरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय के माप की आय विधि की व्याख्या करें।
(Explain the Income Method for measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का अर्थ एक वर्ष में एक देश के साधारण निवासियों द्वारा उत्पादित आय के साधनों के रूप में कार्य करने से जो आय मज़दूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में प्राप्त होती है, उसके योग को राष्ट्रीय आय कहा (The sum of incomes accuring to the factors of Production supplied by the norma! Residents of a country during a year is called National Income.) एक वर्ष में उत्पादन के साधनों श्रम, पूंजी, भूमि तथा उद्यम को कार्य करने के बदले में मजदूरी, लगान, ब्याज तथा लाभ के रूप में जो आप प्राप्त हाती है, उसके योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। आय विधि को साधन भुगतान विधि (Factor Paynient Method) अथवा वर्गीकृत कार्यों के अनुसार विधि (Distributed Share Method) भी कहा जाता।

उत्पादन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप आय का सृजन होता है। उत्पादन के समय जो आय उत्पादन के साधनों को प्राप्त होती है उसको उद्यमियों की साधन लागत तथा उत्पादन के साधनों की आय कहा जाता है। आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित अवस्थाओं में से निकलना पड़ता है-
1. प्रथम अवस्था (First Stage)-इस विधि में सबसे पहले देश की घरेलू सीमा के भीतर आने वाली इकाइयों का पता किया जाता है जिनको प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector), गौण क्षेत्र (Secondary Sector) तथा तृतीय क्षेत्र (Teritiary Sector) में विभाजित किया जाता है।

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage)-इसके पश्चात् उत्पादन इकाइयों को दिए जाने वाले भुगतान का अनुमान लगाया जाता है जैसे कि-
(a) कर्मचारियों की मेहनत-मज़दूरी तथा वेतन + किस्म के रूप में आय + सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मालिकों का योगदान + रिटायर हुए कर्मचारियों की पेन्शन।
(b) परिचालन अधिशेष-इसमें सम्पत्ति तथा उद्यमवृत्ति से प्राप्त आय को शामिल किया जाता है जिसमें निम्नलिखित आय शामिल होती है

  • किराया अथवा लगान तथा रायल्टी
  • ब्याज
  • लाभ (लाभांश + निगम कर + उद्यमियों की बचत या अविभाजित लाभ)

(c) मिश्रित आय-इसमें स्व-रोज़गार पर लगे लोगों के कार्य तथा सम्पत्ति से प्राप्त आय शामिल होती है। यदि हम ऊपर दी गई आय का योग कर लेते हैं तो इसको शुद्ध घरेलू आय कहा जाता है।

(d) विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय-एक देश के लोगों द्वारा विदेशों में प्रदान की गई साधन सेवाओं के बदले में प्राप्त होने वाली आय तथा एक देश की घरेलू सीमा के भीतर गैर-निवासियों द्वारा सेवाओं के बदले में दी जाने वाली आय के अन्तर को शुद्ध विदेशी साधन आय कहा जाता है। यदि हम शुद्ध घरेलू आय में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय को जोड़ लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय (National Income) कहते हैं।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage)-इस अवस्था में साधन आय का अनुमान लगाया जाता है। विभिन्न धारणाओं को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

  • शुद्ध घरेलू आय (NDPFC) कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय
  • शुद्ध राष्ट्रीय आय अथवा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट अथवा शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट
  • सकल राष्ट्रीय आय या साधन लागतों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट
  • बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय-कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर अथवा = सकल राष्ट्रीय आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर

प्रश्न 2.
आय विधि में ध्यान रखने योग्य सावधानियों का वर्णन करें। (Explain the Precautions regarding Income Method.)
अथवा
राष्ट्रीय आय का माप करते समय आय विधि में कौन-सी मदों को शामिल किया जाता है तथा कौन-सी मदों को शामिल नहीं किया जाता ?
(Which items should be included in National Income and which items should not be included in National Income while calculating National Income in Income Method ?)
उत्तर-
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय कुछ मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है जबकि कुछ अन्य मदों को शामिल नहीं किया जाता। निम्नलिखित मदों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाएगा (Items to be included in National Income)
राष्ट्रीय आय का माप करते समय आय विधि में उन स्रोतों से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है जोकि उत्पादक होती हैं तथा जिन क्रियाओं को करने की सरकार आज्ञा देती है अर्थात् कानूनी (Legal) तथा उत्पादक (Productive) क्रियाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह आय का सृजन करती है।

  1. गायक, डान्सर तथा अभिनेताओं की आय राष्ट्रीय आय में शामिल की जाती है।
  2. सरकार द्वारा निःशुल्क इलाज पर खर्च, सड़कों, नहरों तथा रोशनी पर खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता
  3. सरकारी कर्मचारियों को दिया जाने वाला मेडिकल भत्ता राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  4. भविष्य निधि में श्रमिकों का योगदान राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  5. मूल्य घिसावट को कुल उत्पादन में शामिल किया जाता है परन्तु शुद्ध उत्पादन में शामिल नहीं किया जाता।
  6. निगम कर, लाभांश तथा अविभाजित लाभ, यह लाभ के भाग होते हैं इसलिए इनको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है, परन्तु यदि लाभ दिया गया हो तो यह तीनों भाग उसमें शामिल होते हैं। इसलिए इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता।
  7. मज़दूरी, किस्म के रूप में मजदूरी तथा सामाजिक सुरक्षा, भविष्य निधि इत्यादि कर्मचारियों के मेहनताने के भाग होते हैं। यदि कर्मचारियों का मेहनताना शामिल किया जाता है तो इनको अलग से शामिल नहीं किया जाता।
  8. जिन मकानों में मकान मालिक स्वयं रहते हैं उनका आरोपित किराया राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  9. पुरानी वस्तुओं की बिक्री पर दी जाने वाली दलाली को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

अग्रलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता (Items not to be Included in National Income)-

  • हस्तान्तरण भुगतान जैसे कि बुढ़ापा पेन्शन, बेरोज़गारी भत्ता इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • गैर-कानूनी कामों जैसे कि जुआ, समगलिंग, चोरी इत्यादि से प्राप्त आय को इसमें शामिल नहीं किया जाता।
  • स्व-उपभोग सेवाओं को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता जबकि स्व-उपभोग वस्तुओं को इसमें शामिल किया जाता है।
  • पुरानी वस्तुओं जैसे कि पुराना मकान, पुरानी पुस्तकों इत्यादि की बिक्री से प्राप्त आय को शामिल नहीं किया जाता।
  • शेयर, बांड इत्यादि को बेचने से प्राप्त होने वाली आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • आकस्मिक लाभ अथवा पूंजीगत लाभ को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अप्रत्यक्ष कर साधन लागत पर, राष्ट्रीय उत्पाद में शामिल नहीं होते परन्तु बाज़ार कीमत पर यह शामिल किए जाते हैं।
  • मृत्यु कर, सम्पत्ति कर, उपहार कर इत्यादि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय शामिल होने वाली मदों तथा न शामिल होने वाली मदों को ध्यान में रखना चाहिए।

याद रखें आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना (Measurement of National Income with Income Method)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 19

  1. कर्मचारियों का मेहनताना (नकद मज़दूरी + किस्म के रूप में आय + सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में मालिकों का योगदान + रिटायर हुए कर्मचारियों की पेन्शन)
  2. परिचालन अधिशेष (किराया अथवा लगान तथा रायल्टी + ब्याज + लाभ (लाभांश + निगम कर + उद्यमियों की बचत या अविभाजित लाभ)
  3. मिश्रित आय
  4. विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
  5. मूल्य घिसावट अथवा स्थिर पूंजी का उपयोग
  6. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता)

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(i) घरेलू आय
(ii) राष्ट्रीय आय की गणना करेंमदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 20
हल (Solution) :
(i) घरेलू आय = मज़दूरी + किराया + ब्याज + लाभांश + मिश्रित आय + अविभाजित आय + निगम कर + सामाजिक सुरक्षा में योगदान = 50,000 + 10,000 + 1000 + 5000 + 1500 + 500 + 400 + 600 = ₹ 69,000 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = 69,000 + 3000 = ₹72,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 22
हल (Solution):
(i) घरेलू आय = लगान + ब्याज + लाभांश + स्व-नियोजकों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मेहनताना = 80 + 100 + 210 + 250 + 500 = ₹ 1140 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1140 + (-20) = ₹ 1120 करोड़ उत्तर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आंकड़ों से राष्ट्रीय आय ज्ञात करेंमदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 23
हल (Solution):
(i) घरेलू आय = स्व-नियोजितों की मिश्रित आय + परिचालन अधिशेष + मज़दूरी तथा वेतन + मालिकों का सामाजिक सुरक्षा में अंशदान
= 200 + 900 + 500 + 50 = ₹ 1650 करोड़
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1650 + (-10) = ₹ 1640 करोड़ उत्तर।

प्रश्न 4.
संमत 1982-83 में भारत देश के लिए निम्नलिखित आंकड़े दिए गए हैं :मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 24
हल (Solution):
(i) घरेलू साधन आय = कर्मचारियों का मुआवज़ा + किराया + ब्याज + लाभ + मिश्रित आय = 49651 + 10209 + 4794 + 6926 + 50416 = ₹ 1,21,996 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + निवल विदेशी साधन आय = 1,21,996 + (-7) = ₹ 1,21,989 करोड़ उत्तर

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा किसी फ़र्म की
(i) उत्पाद विधि
(ii) आय विधि से राष्ट्रीय आय में योगदान ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 25
हल (Solution) :
(i) उत्पाद विधि राष्ट्रीय आय = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि – मध्यवर्ती उपभोग – मूल्य ह्रास – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 16000 + 4000 -5000 – 500 – 500 = ₹ 14000 करोड़ उत्तर
(ii) आय विधि राष्ट्रीय आय = मजदूरी तथा वेतन + ब्याज + किराया + लाभ = 10,000 + 400 + 600 + 3000 = ₹ 14000 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा
(a) उत्पाद विधि
(a) आय विधि से बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 26
हल (Solution) :
उत्पादन विधि बाजार कीमत पर सकल घरेलू आय = (प्राथमिक क्षेत्र का उत्पादन + द्वितीयक क्षेत्र का उत्पादन + तृतीय क्षेत्र का उत्पादन) – (प्राथमिक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग + द्वितीयक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग + तृतीयक क्षेत्र का मध्यवर्ती उपभोग)
= (1000 + 900 + 700) – (500 + 400 + 300) = ₹ 1400 करोड़

आय विधि बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = कर्मचारियों का वेतन + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + स्थाई पूंजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= 400 + 650 + 300 + 40 + 10 = ₹ 1400 करोड़ उत्तर

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों से परिचालन अधिशेष ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 27
हल (Solution) :
परिचालन अधिशेष = (i) – (ii) – (iii) – (iv) – (v) + (vi) – (vii) = 1000 – 200 – 200 – 30 – 20 + 50 -100 = ₹ 500 करोड़ उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों से परिचालन अधिशेष ज्ञात करें। मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 28
हल (Solution):
परिचालन अधिशेष = (i) – (ii) – (iii)– (iv) – (v)
= 1200 – 60 – 40 – 450 – 50 = ₹ 600 Crores उत्तर

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 29
उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) + (v)
= 50,000 + 12,000 + 15,000 + 18,000 + 40,000
= ₹ 1,35,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + (vi) = 1,35,000 + 15,000 = ₹ 1,50,000 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 30
उत्तर-
घरेलू साधन आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) + (1)
= 75,000 + 18.000 + 22.500 + 27,000 + 60,000
= ₹ 2,02,500
करोड़ उत्तर राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + (vi)
= 2,02,500 + 22,500 = ₹ 2,25,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 31उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय-कर्मचारियों का मेहनताना + ब्याज + लाभ तथा लाभांश + किराया + मिश्रित आय
(i) ब्याज
= 50,000 + 12,000 + 15,000 + 18,000 + 40,000
= ₹ 1,35,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय-घरेलू साधन आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 1,35,000 + 15,000
= ₹ 1,50,000 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्न आंकड़ों से कुल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर (GDPMP) और शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद साधन लागतों पर (NNPFC) ज्ञात करो।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 32
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर कुल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थाई पूँजी का उपभोग + लगान + लाभ + ब्याज + रायल्टी + मज़दूरी और वेतन + सामाजिक सुरक्षा में मालिकों का अंशदान।= 38 + 35 + 10 + 27 + 23 + 20 + 150 + 25
= ₹ 328 करोड़ उत्तर
साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर — स्थाई पूँजी का उपभोग + विदेशों से प्राप्त साधन आय
= 328 – 38 – 35 + (-5)
= ₹ 250 करोड़ उत्तर

(C) खर्च विधि (Expenditure Method)
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय के माप की खर्च विधि की व्याख्या करें। (Explain the Expenditure Method for the measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की तीसरी विधि खर्च विधि है जिसको उपभोग तथा निवेश विधि (Consumption and Investment Method) भी कहा जाता है। इस विधि को स्पष्ट करते हुए कुजनेटस ने कहा है, “राष्ट्रीय आय, एक वर्ष में एक देश की उत्पादक प्रणाली में जो वस्तुएं तथा सेवाएं अन्तिम उपभोक्ताओं द्वारा उपभोग की जाती हैं अथवा देश के पूंजीगत पदार्थों में शुद्ध वृद्धि करती हैं, उनका योग है।”

खर्च विधि की मुख्य अवस्थाएं-खर्च विधि में मुख्य अवस्थाएं इस प्रकार होती हैं –
1. प्रथम अवस्था-सबसे पहले उन इकाइयों की पहचान की जाती है जो अन्तिम उपभोग खर्च करते हैं तथा जिनको खर्च विधि में शामिल किया जाता है।
A. पारिवारिक क्षेत्र (Household Sector)
B. उत्पादक क्षेत्र (Production Sector)
C. सरकारी क्षेत्र (Government Sector)
D. शेष विश्व क्षेत्र (Rest of the World Sector)

2. दूसरी अवस्था-इस अवस्था में अन्तिम खर्च का वर्गीकरण किया जाता है। अन्तिम खर्च के वर्गीकरण को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 33

अन्तिम खर्च के मुख्य अंश इस प्रकार हैं –
1. अन्तिम उपभोग खर्च

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

2. सकल घरेलू पूंजी निर्माण
(i) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(a) व्यावसायिक स्थाई निवेश
(b) सरकारी स्थाई निवेश
(c) परिवारों द्वारा मकानों के निर्माण पर निवेश
(ii) स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक)

3. शुद्ध निर्यात (निर्यात – आयात)
तीसरी अवस्था

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च- इसमें व्यक्तियों, परिवारों तथा गैर-लाभकारी निजी संस्थाओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए व्यय को शामिल किया जाता है।
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च-इसमें सरकार के खर्च को शामिल करते हैं।
  • सकल घरेलू पूंजी निर्माण-इसमें निवेश व्यय शामिल करते हैं जोकि स्थाई निवेश तथा माल सूची निवेश पर किया जाने वाला व्यय शामिल करते हैं।
  • शुद्ध निर्यात-इसमें निर्यात वस्तुओं तथा सेवाओं में से आयात वस्तुओं तथा सेवाओं का मूल्य घटाने से शुद्ध निर्यात ज्ञात होता है।
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय-कुछ अर्थ-शास्त्री शुद्ध निर्यात के स्थान पर शुद्ध विदेशी निवेश की धारणा का प्रयोग करते हैं। इसमें आयात तथा निर्यात के अन्तर के अतिरिक्त विदेशों से शुद्ध साधन आय को शामिल किया जाता है।

यदि हम खर्च विधि द्वारा विभिन्न धारणाओं का माप करना चाहते हैं तो इसके लिए निम्न विधि प्रयोग की जाती है-

  1. बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = निजी अन्तिम उपाभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल स्थिर पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात।
  2. बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय
  3. बाज़ार कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद-मूल्य घिसावट
  4. शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद-शुद्ध अप्रत्यक्ष कर |

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 2.
खर्च विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय सावधानियां बताएं। (Mention the Precautions while measuring National Income with Expenditure Method.)
उत्तर-
खर्च विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का माप करते समय निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग करने की आवश्यकता होती है

  1. पुरानी वस्तुओं पर किए जाने वाले खर्च को अन्तिम खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह खर्च वर्तमान वर्ष में उत्पादित वस्तुओं पर नहीं किया जाता बल्कि पहले से ही उत्पादित वस्तुओं पर किया जाता है।
  2. कुल खर्च का माप करते समय केवल अन्तिम खर्च को ही शामिल किया जाता है।
  3. अन्तिम खर्च में मध्यवर्ती खर्च को शामिल नहीं किया जाता।
  4. पुराने तथा नए शेयर तथा बांड पर किया गया खर्च कुल खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह खर्च वस्तुओं तथा सेवाओं पर खर्च नहीं होता।
  5. सरकार द्वारा दिए गए हस्तान्तरण भुगतान पर खर्च को अन्तिम खर्च में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि जिन व्यक्तियों द्वारा हस्तान्तरण भुगतान प्राप्त किया जाता है उनके द्वारा इसके बदले में कोई उत्पादक सेवा प्रदान नहीं की जाती।
  6. स्व-उपभोग पर किए गए खर्च को अन्तिम उपभोग में शामिल किया जाता है क्योंकि यह खर्च वर्तमान उत्पादन में से होता है।
  7. इस विधि द्वारा बाजार कीमतों पर कुल राष्ट्रीय उत्पादन मूल्य का पता चलता है। यदि हम साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय का पता करना चाहते हैं तो इसमें से शुद्ध अप्रत्यक्ष कर तथा स्थाई पूंजी का उपभोग घटा देना चाहिए।
  8. कुल खर्च विधि में सकल घरेलू पूंजी निर्माण की धारणा में सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण तथा स्टॉक में परिवर्तन का योग होता है।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उत्पाद तथा राष्ट्रीय खर्च में समानता को स्पष्ट करें। (Establish the Equality of National Income, National Product and National Expenditure.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय को मापने की तीन विधियां हैं-आय विधि, उत्पाद विधि तथा खर्च विधि। इन तीनों विधियों द्वारा राष्ट्रीय आय का योग एक-दूसरे के समान होता है क्योंकि जब उत्पादन प्रक्रिया में उत्पादन के साधनों को कार्य पर लगाया जाता है तो श्रम, भूमि, पूंजी तथा उद्यमी मिलकर उत्पादन करते हैं। इन उत्पादन के साधनों को कार्य करने के बदले में मेहनताना दिया जाता है अर्थात् कर्मचारियों को कार्य करने के लिए मज़दूरी तथा वेतन, भूमि का लगान, पूंजी का ब्याज तथा उद्यमी को लाभ प्राप्त होता है। यदि हम उत्पादन के साधनों को प्राप्त होने वाली आय का योग कर लेते हैं तो इसको राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसमें स्व-रोज़गार पर लगे मनुष्यों की मिश्रित आय भी शामिल होती है। इसलिए आय विधि के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है |

बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + मिश्रित आय + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर उत्पादन के साधन देश में जो उत्पादन करते हैं, उसके योग को बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। उत्पादन के साधन अर्थ व्यवस्था के तीन क्षेत्रों में कार्य करते हैं—प्राथमिक क्षेत्र जिसमें कृषि, जंगल, खानों इत्यादि से प्राप्त उत्पादन को शामिल किया जाता है। गौण क्षेत्र में उद्योग, निर्माण, विद्युत्, गैस, जल आपूर्ति इत्यादि के उत्पादन को शामिल करते हैं। तीसरे क्षेत्र में सेवाओं को शामिल किया जाता है जैसे कि यातायात, संचार, व्यापार, होटल, बैंक, बीमा इत्यादि। यदि हम इन तीन क्षेत्रों में अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन का योग कर लेते हैं जिसको मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) द्वारा मापा जाता है। इससे हम सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात कर सकते हैं।

उत्पादन विधि (Production Method) के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है-
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = प्राथमिक क्षेत्र का उत्पादन + गौण क्षेत्र का उत्पादन + तीसरे अथवा सेवा क्षेत्र का उत्पादन + मूल्य घिसावट + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर उत्पादन के साधन कार्य करने के पश्चात् जो आय प्राप्त करते हैं उनको निजी उपभोग अथवा निवेश पर खर्च किया जाता है। देश की घरेलू सीमा के भीतर निजी अन्तिम उपभोग खर्च, सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च, कुल स्थिर पूंजी निर्माण, स्टॉक में परिवर्तन तथा शुद्ध निर्यात को शामिल किया जाता है जिससे हमारे पास सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है। खर्च विधि (Expenditure Method) द्वारा सकल घरेलू उत्पाद का माप इस प्रकार किया जाता है

बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + कुल स्थिर पूंजी निर्माण + स्टॉक में परिवर्तन + शुद्ध निर्यात । इस प्रकार यदि हम राष्ट्रीय आय को मापने के लिए भिन्न-भिन्न विधियों को देखते हैं तो स्पष्ट होता है कि परिभाषा के आधार पर इनमें समानता पाई जाती है।
अर्थात् राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय खर्च
इसमें चिह्न = समानता को प्रकट करता है।
इससे स्पष्ट होता है कि यह तीनों धारणाएं एक-दूसरे के समान होती हैं। इनमें समानता को एक रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 34

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय की तीन विधियों का संक्षेप में वर्णन करें। (Describe briefly the three methods for the measurement of National Income.)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय के माप की तीन विधियां हैं
1. मूल्य वृद्धि विधि अथवा उत्पाद विधि (Value Added Method or Production Method)
2. आय विधि (Income Method)
3. खर्च विधि (Expenditure Method)

1. मूल्य वृद्धि विधि अथवा उत्पाद विधि- इसमें प्राथमिक क्षेत्र, गौण क्षेत्र तथा तीसरे क्षेत्र में निम्नलिखित मदों का योग किया जाता है

  • उपभोगी वस्तुएं
  • निवेश वस्तुएं
  • सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुएं

शुद्ध निर्यात। इस क्षेत्र में अन्तिम उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं का योग किया जाता है परन्तु दोहरी गणना की समस्या के हल के लिए मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) का प्रयोग किया जाता है अर्थात् उत्पादित मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य तथा मूल्य घिसावट को घटाकर शुद्ध मूल्य वृद्धि प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार शुद्ध मूल्य वृद्धि के अनुसार राष्ट्रीय आय की गणना इस प्रकार की जाती है राष्ट्रीय आय = प्राथमिक क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + तीसरे क्षेत्र में शुद्ध मूल्य वृद्धि + विदेशों से शुद्ध साधन आय।

1. आय विधि (Income Method)-आय विधि में प्राथमिक क्षेत्र, गौण क्षेत्र तथा सेवा क्षेत्र में साधन आय का योग होता है जिसके मुख्य अंग इस प्रकार हैं-

  • कर्मचारियों का मेहनताना
  • ग़ैर-मज़दूरी आय
  • परिचालन अधिशेष
  • विदेशों से शुद्ध साधन आय।

2. खर्च विधि (Expenditure Method) खर्च विधि में पारिवारिक क्षेत्र, सरकारी क्षेत्र तथा शेष विश्व क्षेत्र के अन्तिम खर्च का योग किया जाता है। अन्तिम खर्च का वर्गीकरण इस प्रकार होता है(i) अन्तिम उपभोग खर्च
(a) निजी अन्तिम उपभोग खर्च
(b) सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च ।

(ii) अन्तिम निवेश खर्च
(a) सकल स्थाई पूंजी निर्माण
(b) स्टॉक में परिवर्तन
(c) शुद्ध निर्यात।
इस प्रकार खर्च विधि में राष्ट्रीय आय का माप निम्नलिखित विधि के अनुसार किया जाता है –

राष्ट्रीय आय = निजी अन्तिम उपभोग खर्च (C) + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च (G) + अन्तिम निवेश खर्च (I) + शुद्ध निर्यात (X – M)
इस प्रकार राष्ट्रीय आय के माप की तीन विधियों द्वारा इसका माप किया जा सकता है।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 35

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आय के माप में कौन-सी मदों को शामिल किया जाना चाहिए और कौन-सी मदों को शामिल नहीं करना चाहिए ?
(Which Items should be included in National Income and which items should not be included ?)
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का माप करते समय बहुत-सी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए यह जानकारी जरूरी है कि किन मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाना चाहिए अथवा किन मदों को शामिल नहीं करना चाहिए।
निम्नलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है (The following items are included in National Income) –

  1. स्वयं उपभोग की वस्तुओं को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि उन्हें बाज़ार में बेचा नहीं जाता।
  2. सेवानिवृत्ति पेन्शन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह पहले की गई सेवा का फल है।
  3. स्वयं के व्यवसाय में लगे व्यक्तियों की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह मिश्रित आय होती है।
  4. मालिकों द्वारा भविष्य निधि कोष में अंशदान को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  5. सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान की गई सेवाओं पर व्यय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह सरकार द्वारा किये गए खर्च का अंश होता है।
  6. सरकार द्वारा सुरक्षा पर किया गया खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है। क्योंकि यह अन्तिम प्रदान की सेवाओं का अंश होता है।
  7. दलाली का कमीशन जोकि पुरानी वस्तुओं की बिक्री पर प्राप्त होता है उसको राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह वर्तमान आय होती है।
  8. कलाकार जैसे कि गायक, अभिनेता आदि की आय को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है क्योंकि यह आर्थिक सेवाएं होती हैं।
  9. लाभांश को राष्ट्रीय आय में शामिल करते हैं क्योंकि यह निवेश से प्राप्त आय होती है।
  10. विदेशों से लाभ-विदेशों से इस देश के बैंकों द्वारा प्राप्त किया लाभ राष्ट्रीय आय का भाग होता है क्योंकि यह विदेशों से प्राप्त साधन आय है।
  11. विदेशों से किराया जो एक देश के नागरिक प्राप्त करते हैं। यह राष्ट्रीय आय का भाग होता है।
  12. विदेशी दूतावासों से भारतीय कर्मचारियों को प्राप्त मज़दूरी राष्ट्रीय आय में शामिल की जाती है।
  13. स्टॉक में परिवर्तन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।
  14. मालिकों का खुद मालकी के मकानों पर किराया राष्ट्रीय आय का अंश होता है।
  15. भारतीय विशेषज्ञों द्वारा विदेशों से कमाई आमदन को राष्ट्रीय आय में शामिल किया जाता है।

निम्नलिखित मदों को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता (The Following Items are not included in National Income)

  • पुरानी वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनका मूल्य पहले ही राष्ट्रीय आय में शामिल होता है।
  • गैर-कानूनी क्रियाएं जैसे कि जुआ, समगलिंग आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • काला धन वह धन होता है जिस पर कर (Tax) नहीं दिया जाता। इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • वित्तीय सौदे जैसा कि शेयर, बान्ड्स, डिबैनचर आदि की क्रय-विक्रय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अनार्थिक क्रियाएं-जैसा कि बच्चे को दिया गया जेब खर्च घरेलू कार्य आदि को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • गृहणियों द्वारा किये गए घरेलू कार्य को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अप्रत्यक्ष कर से प्राप्त आय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • छात्रवृत्ति द्वारा प्राप्त आय को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इसके बदले में कोई सेवा प्रदान नहीं की जाती।
  • पूंजीगत लाभ तथा अचानक लाभ को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता। जैसा कि शेयर की कीमत में वृद्धि से आय अथवा लाटरी से प्राप्त आय।
  • वृद्धावस्था पेन्शन जोकि हस्तान्तरण भुगतान होता है इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं करते।
  • विदेशों से प्राप्त उपहार तथा सहायता भी हस्तान्तरण भुगतान है इसलिए इनको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • बेरोज़गारी भत्ता भी हस्तान्तरण भुगतान है इसलिए इसको राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • मध्यवर्ती उपभोग जोकि अन्तिम वस्तुओं के उत्पाद के लिए प्रयोग किया जाता है इसको भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।
  • अन्वेषण के काम पर प्रयोग होने वाली वस्तुओं को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यह मध्यवर्ती वस्तुएं होती हैं।
  • प्राकृतिक आपदाएं जैसा कि बाढ़, भूकम्प, सुनामी आदि समय किया गया खर्च राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 36
1. अन्तिम उपभोग खर्च

  • निजी अन्तिम उपभोग खर्च
  • सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च

2. सकल घरेलू पूंजी निर्माण =

  • सकल घरेलू स्थाई पूंजी निर्माण
  • स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक)

3. शुद्ध निर्यात = (निर्यात – आयात)
4. मूल्य घिसावट अथवा मूल्य ह्रास
5. शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = (अप्रत्यक्ष कर – सहायता)
6. विदेशों से शुद्ध साधन आय

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा GNP, GDP, NNP, NDP, बाज़ार कीमत (Market Price) तथा साधन लागत (Factor Cost) पर ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 37
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + सकल निवेश + सरकार द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय ।
= 700 + 180 + 200 + 20 + (-10) = ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(ii) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 1090 – 30 = ₹ 1060 करोड़ उत्तर

(iii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से शुद्ध साधन आय = 1090 – (-10) = ₹ 1100 करोड़ उत्तर

(iv) बाज़ार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट = 1100 – 30 = ₹ 1070 करोड़ उत्तर

(v) साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1090 – 10 = ₹ 1080 करोड़ उत्तर

(vi) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 1080 – 30 = ₹ 1050 करोड़ उत्तर

(vii) साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPFC) = साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर = 1100 – 10 = ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(viii) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPFC) = साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद – घिसावट = 1090 – 30 = ₹ 1060 करोड़ उत्तर

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से व्यय विधि द्वारा
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
(ii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 38
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + निजी निवेश खर्च + सरकार द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद + शुद्ध निर्यात + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
= 700 + (20 + 60 + 40 + 60) + 200 + (40 – 20) + (-10)
= ₹ 1090 करोड़ उत्तर

(ii) बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 1090 – (-10) = ₹ 1100 करोड़ उत्तर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित द्वारा सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 39
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद = निजी उपभोग खर्च + सरकारी उपभोग खर्च + सकल घरेलू स्थिर निवेश + माल सूची में वृद्धि + वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात
= 45000 + 5000 + 5000 + 1000 + 6000 – 7000
= ₹ 55000 उत्तर

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(i) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP)
(ii) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 40
उत्तर-
(i) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू पंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + निजी अन्तिम उपभोग खर्च + विदेशों से शुद्ध साधन आय
24 + 24 + (-4) + 161 + (-1) = ₹ 204 करोड़।
(ii) साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 204 – 23 – 22 = ₹ 159 करोड़

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 5.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(a) उत्पाद विधि
(a) आय विधि द्वारा बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 42
उत्तर-
(a) उत्पाद विधि (Production Method)
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = (प्राथमिक + गौण + तीसरे क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य) – (प्राथमिक + गौण + तीसरे क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग)
= (300 + 200 + 100) – (100 + 50 + 50) = ₹400 करोड़ उत्तर

(b) आय विधि (Income Method)
बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = कर्मचारियों की मज़दूरी + मिश्रित आय + परिचालन अधिशेष + स्थिर पूंजी का उपभोग + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर ।
= 150 + 50 + 100 + 40 + 60 = ₹400 करोड़ उत्तर

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात करें
(a) मूल्य वृद्धि विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
(b) खर्च विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 43
उत्तर-
(a) मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method)
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = प्राथमिक क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + गौण क्षेत्र में मूल्य वृद्धि + तीसरा क्षेत्र में मूल्य वृद्धि – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता + विदेशों से शुद्ध साधन आय – स्थिर पूंजी का उपभोग
= (1000 – 500) + (900 – 400) + (500 – 200) -110 + 20 – 30 – 90
= 500 + 500 + 300 – 110 + 20 – 30 – 90 = ₹ 1090 करोड़।

(b) खर्च विधि (Expenditure Method) साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (GDPFC)= निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – स्थिर पूंजी का उपभोग – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
= 1000 + 200 + 350 + (- 60) – 90 – 110 + 20 = ₹ 1310 करोड़।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(a) आय विधि द्वारा बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP)
(b) खर्च विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC)
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 44
उत्तर-
(a) आय विधि बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) = ब्याज, लगान तथा लाभ + रायल्टी + स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मुआवज़ा + अप्रत्यक्ष कर — सहायता + स्थिर पूंजी का उपभोग
= 900 + 20 + 60 + 370 + 120 – 20 + 60 = ₹ 1510 करोड़ उत्तर

(b) खर्च विधि साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सकल पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – अप्रत्यक्ष कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 100 + 800 + 620 + (-10) – 120 + 20 – 60 + (-10) = ₹ 1340 करोड़ उत्तर

प्रश्न 8.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(a) आय विधि
(b) व्यय विधि द्वारा सकल राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 45
उत्तर-
(a) आय विधि (Income Method)
सकल राष्ट्रीय आय = विदेशों से साधन आय + कर्मचारियों का मेहनताना – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + ब्याज + लगान + लाभ
= 10 + 150 – 15 + 15 + 40 + 40 + 100 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

(b) व्यय विधि (Expenditure Method)
सकल राष्ट्रीय आय = विदेशों से प्राप्त साधन आय + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + अन्तिम निजी उपभोग खर्च – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + निर्यात – आयात – अप्रत्यक्ष कर + सहायता + सरकारी अन्तिम उपभोग
‘खर्च = 10 + 50 + 220 – 15 + 15 + 20 – 25 – 30 + 10 + 85 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 9.
निम्नलिखित आंकड़ों द्वारा बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(a) आय विधि
(b) खर्च विधि से ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 46
उत्तर-
आय विधि (Income Method) –
बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय + कर्मचारियों का मेहनताना + विदेशों से शुद्ध साधन आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + स्थिर पूंजी का उपभोग + लाभ + लगान + ब्याज
SET-I = 400 + 500 + (-20) + 100 + 120 + 350 + 100 + 150 = ₹ 1700 करोड़
SET-II = 300 + 400 + (-10) + 60 + 100 + 250 + 80 + 70 = ₹ 1250 करोड़
SET-III = 500 + 600 + (-15) + 150 + 115 + 450 + 200 + 250 = ₹ 2250 करोड़

खर्च विधि (Expenditure Method)-
बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNPMP) = निजी उपभोग खर्च + विदेशों से शुद्ध साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
SET-I = 900 – 20 + 120 + 280 – 30 + 450 = ₹ 1700 करोड़
SET-II = 700 + 10 + 100 + 120 – 10 + 350 = ₹ 1270 करोड़
SET-III = 1100 – 15 + 115 + 375 – 25 + 700 = ₹ 2250 करोड़

प्रश्न 10.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से
(i) आय विधि
(ii) व्यय विधि द्वारा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 47PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 48

उत्तर-
(a) आय विधि (Income Method)-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय= कर्मचारियों का मेहनताना + विदेशों से शुद्ध साधन आय + लाभ + लगान + ब्याज + स्वयं नियोजितों की मिश्रित आय
SET-I = 1200 + (-20) + 800 + 400 + 620 + 700 = ₹ 3700 करोड़
SET-II = 600 + (-10) + 400 + 200 + 310 + 350 = ₹ 1850 करोड़
SET-III = 500 + (-10) + 220 + 90 + 100 + 400 = ₹ 1300 करोड

(b) व्यय विधि (Expenditure Method)-
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद अथवा राष्ट्रीय आय= निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + शुद्ध निर्यात – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + विदेशों से शुद्ध साधन आय
SET-I = 2000 + 1100 + 770 + (-30) – 120 + (-20) = ₹ 3700 करोड़
SET-II = 1000 + 550 + 385 + (-15) – 60 + (-10) = ₹ 1850 करोड़
SET-III = 900 + 400 + 200 + (-25) -165 + (-10) = ₹ 1300 करोड़

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर सकल राष्ट्रीय आय की गणना
(a) आय विधि
(b) व्यय विधि द्वारा करें

उत्तर-
आय विधि (Income Method)-
सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा आय = विदेशों से साधन आय + कर्मचारियों का मुआवज़ा + विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + ब्याज + लगान + लाभ
= 10 + 150 – 15 + 15 + 40 + 40 + 100 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

खर्च विधि (Expenditure Method)
सकल राष्ट्रीय उत्पाद अथवा आय = विदेशों से साधन आय + शुद्ध घरेलू पूंजी निर्माण + निजी अन्तिम उपभोग खर्च – विदेशों को साधन आय + स्थिर पूंजी का उपभोग + निर्यात – आयात – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च
= 10 + 50 + 220 – 15 + 15 + 20 – 25 – 30 + 10 + 85 = ₹ 340 करोड़ उत्तर

प्रश्न 12.
निम्नलिखित आंकड़े x फ़र्म के सम्बन्ध में दिये गए हैं। इस फ़र्म द्वारा साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 50
उत्तर –
साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) + सहायता – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद
= 500 + (20 – 30) + 40 – 300 = ₹ 230 हजार उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 13.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से बाजार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 51
उत्तर –
बाज़ार कीमत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – मध्यवर्ती वस्तुओं की खरीद – घिसावट
SET-I = 700 + 40 – 400 – 80 = ₹ 260 हज़ार
SET-II = 300 + (-10) – 150 -20 = ₹ 120 हज़ार उत्तर

प्रश्न 14.
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 52
उत्तर
साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में वृद्धि (अन्तिम स्टॉक – प्रारम्भिक स्टॉक) – मध्यवर्ती उपभोग – बिक्री कर + सहायता – स्थिर पूंजी का उपभोग
= 500 + (40-20)- 320 – 15 +5 -50 = ₹ 140 लाख उत्तर

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आंकड़ों से बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 53
उत्तर
बाज़ार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद = प्राथमिक क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – प्राथमिक क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग + गौण क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – गौण क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग + तीसरे क्षेत्र में उत्पाद का मूल्य – तीसरे क्षेत्र में मध्यवर्ती उपभोग
= 2000 – 1000 + 1800 – 800 + 1400 – 600 = ₹ 2800 करोड़ उत्तर

प्रश्न 16.
निम्नलिखित आंकड़ों से साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 54
उत्तर-
साधन लागत पर सकल मूल्य वृद्धि = बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन – कच्चे माल की खरीद + आर्थिक सहायता
= 180 + 15 – 100 + 10 = ₹ 105 लाख उत्तर

प्रश्न 17.
निम्नलिखित आंकड़ों से आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय ज्ञात करें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 55
उत्तर
राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का मेहनताना + परिचालन अधिशेष + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 1900 + 720 + (-20) = ₹ 2600 करोड़ उत्तर

प्रश्न 18.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 56
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 75,000 + 15,550 + 4,500 + 6,000 – 9,000 – 650
= ₹ 91,400 करोड़ उत्तर

(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय
= बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय – घिसावट
= 91,400 – 600 = ₹ 90,800 करोड़ उत्तर

प्रश्न 19.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 58
उत्तर-
(क) बाज़ार. कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध राष्ट्रीय आय
= 85000 + 10550 + 2500 + 4000 – 8000 – 750 = ₹ 93,300 करोड़ उत्तर
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट = 93300 – 500 = ₹ 92,800 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 20.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 59
उत्तर
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = निजी उपभोग व्यय + सरकारी उपभोग व्यय + कुल पूंजी निर्माण + निर्यात – आयात + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन
= 65000 + 20550 + 6500 + 2000 – 7000 – 550 = 86500 ₹ करोड़ उत्तर

(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय – घिसावट
= 86500 – 400 = ₹ 86100 करोड़ उत्तर

प्रश्न 21.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) राष्ट्रीय आय
(ख) बाजार कीमतों पर कुल घरेलू उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 60
उत्तर-
(क) राष्ट्रीय आय = परिचालन अधिशेष + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + मिश्रित आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= 10,000 + 15350 + 7366 + (-) 110 = ₹ 32606 करोड़ उत्तर

(ख) बाजार कीमत पर कुल घरेलू उत्पाद
= परिचालन अधिशेष + कर्मचारियों का पारिश्रमिक + मिश्रित + मिश्रित आय + अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक अनुदान + स्थायी पूंजी का उपभोग
= 10,000 + 15350 + 7366 + 5598-2655 + 4135
= ₹39794 करोड़ उत्तर

प्रश्न 22.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से ज्ञात कीजिए :
(क) राष्ट्रीय आय
(ख) बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद मदें
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 61
उत्तर-
राष्ट्रीय आय व्यय = 1 + 2 + 4 + 5 + 7 + 8-3-6 = 18557 + 20510 + 9860 + 13720 + 2560 – 2000 -110 – 15000 = ₹ 48097 करोड़ उत्तर
(ख) बाज़ार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद = 1 + 2 + 4 + 8 + 5 -6 = 18557 + 20510 + 4860 + 2560 + 13720 – 15000
= ₹ 50207 करोड़ उत्तर

प्रश्न 23.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय .
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 62
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय आय = (i) + (ii) + (iii) + (iv) – (v) + (vi)
= 1,00,000 + 12,500 + 2,500 + 6,000 – 9,000 + 750 = ₹ 1,12,750 उत्तर
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय = बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पादन
= 1,12,750 – 400 = ₹ 1,12,350 उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 24.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क)बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 63
उत्तर-
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = (i) + (ii) + (iii) + (iv) -(v) + (vi)
1,50,000 + 18,750 + 3,750 + 9,000 – 12,000 + 1,125 = ₹ 1,70,625

(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – (vii)
= 1,70,625 – 600 = ₹ 1,70,025 उत्तर

प्रश्न 25.
निम्नलिखित आंकड़ों से ज्ञात करें
(क) बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद।
(ख) बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 64
उत्तर-
(क) बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = (i) + (ii) + (iii) + (iv) – (v) + (vi)
= 2,00,000 + 25,000 + 5,000 + 12,000 – 18,000 + 1,500
= ₹ 2,25,500 उत्तर

(ख) बाज़ार कीमत पर शुद्ध रीष्ट्रीय उत्पाद = बाज़ार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद – मूल्य ह्रास
= 2,25,500 – 800 = ₹ 2,24,700 उत्तर

प्रश्न 26.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 65
उत्तर-
(क) घरेलू साधन आय = कर्मचारियों का मेहनताना + ब्याज + लाभ तथा लाभांश + किराया + मिश्रित आय
= 5000 + 500 + 600 + 800 + 3000 = ₹ 9900 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + विदेशों से शुद्ध साधन आय
= 9900 + 1000 = ₹ 10,900 करोड़ उत्तर

प्रश्न 27.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) घरेलू साधन आय
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 66
उत्तर-
SET-B
(क) घरेलू साधन आय = i + ii + iii + iv + v
= 10,000 + 1000 + 1200 + 1600 + 6000
= ₹ 19,800 करोड़ उत्तर

(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + vi
= 19,800 + 2000
= ₹ 21,800 करोड़ उत्तर

SET-C
(क) घरेलू साधन आय =i+ii + iii + iv + v
= 15000 + 1500 + 1800 + 2400 + 9000
= ₹ 29,700 करोड़ उत्तर

(ख) राष्ट्रीय आय = घरेलू साधन आय + vi
= 29,700 + 3000 = ₹ 32,700 करोड़ उत्तर

प्रश्न 28.
निम्नलिखित की गणना करें ।
(क) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 67
उत्तर-
SET-B
(i) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद = बिक्री + (साल के अन्त में स्टॉक-साल के शुरू में स्टॉक) – मध्यवर्ती
उपभोग = 140000 + 40000 (50,000 – 10,000) – 20,000
= ₹ 1,60,000 करोड़ उत्तर
(ii) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (-) घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (प्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता)
= 1,60,000 – 2000 – 400 (600 – 200)
= ₹ 1,57,600 करोड़ उत्तर

प्रश्न 29.
निम्नलिखित की गणना करें।
(क) बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद
(ख) राष्ट्रीय आय
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 68
उत्तर-
(क) बाजार कीमत पर कुल राष्ट्रीय आय = बिक्री + (साल के अन्त में स्टॉक – साल के शुरू में स्टॉक) – मध्यवर्ती उपभोग
= 70,000 + 20000 (25,000 – 5000) – 10,000
= ₹ 80,000 करोड़ उत्तर
(ख) राष्ट्रीय आय = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय आय – घिसावट – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (अप्रत्यक्ष कर – आर्थिक सहायता) = 80,000 – 1000 – 200 (300 -100) = ₹ 78,800 करोड़ उत्तर

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप

प्रश्न 30.
नीचे दिये गए आंकड़ों के आधार पर बाजार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPMP) तथा साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) ज्ञात करें :
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 69
उत्तर-
बाज़ार कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = निजी अन्तिम उपभोग खर्च + सरकारी अन्तिम उपभोग खर्च + कुल स्थाई पूँजी निर्माण + स्टॉक में शुद्ध वृद्धि + वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात – वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात + विदेशों से शुद्ध साधन आय – स्थाई पूँजी का उपभोग।
= 510 + 70 + 130 + 30 + 48 – 56 + (-3) – 40 = ₹ 689 करोड़ उत्तर
साधन लागतों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNPFC) = बाज़ार कीमत पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
= 689 – 90 + 18
= ₹ 617 करोड़ उत्तर

प्रश्न 31.
निम्नलिखित आंकड़ों से मुख्य वृद्धि ज्ञात करें।
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 5 राष्ट्रीय आय का माप 70
उत्तर-
मुल्य वृद्धि = उत्पादन का मुल्य – मध्यवर्ती उपभोग
= 10000 – 2555 = ₹ 7445 करोड़ उत्तर

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨ

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨ

→ ਧਰਤੀ ਹੀ ਇਕ ਅਜਿਹਾ ਗ੍ਰਹਿ ਹੈ ਜਿਸ ‘ਤੇ ਜੀਵਨ ਹੈ ।

→ ਜੀਵਨ ਲਈ ਆਲਾ-ਦੁਆਲਾ, ਤਾਪ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਭੋਜਨ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਜੀਵਾਂ ਲਈ ਸੂਰਜੀ ਊਰਜਾ ਅਤੇ ਧਰਤੀ ਤੇ ਮੌਜੂਦ ਸੰਸਾਧਨ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ ।

→ ਧਰਤੀ ਦੇ ਸਾਧਨ ਹਨ ਭੂਮੀ, ਜਲ ਅਤੇ ਹਵਾ ।

→ ਧਰਤੀ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰੀ ਭਾਗ ਸਥਲ ਮੰਡਲ ਹੈ ਅਤੇ ਲਗਪਗਾਂ 75% ਭਾਗ ਪਾਣੀ ਹੈ ।

→ ਸਜੀਵ ਜੀਵ ਮੰਡਲ ਦੇ ਜੈਵਿਕ ਘਟਕ ਹਨ ਅਤੇ ਹਵਾ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਅਜੈਵਿਕ (ਨਿਰਜੀਵ) ਘਟਕ ਹਨ |

→ ਸਾਡਾ ਜੀਵਨ ਹਵਾ ਦੇ ਘਟਕਾਂ ਦਾ ਪਰਿਣਾਮ ਹੈ ।

→ ਚੰਦਰਮਾ ਦੀ ਸਤ੍ਹਾ ਤੇ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਨਹੀਂ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਦਾ ਤਾਪਮਾਨ -190°C ਤੋਂ -110°C ਦੇ ਵਿੱਚਕਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਗਰਮ ਹੋਣ ਤੇ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਸੰਵਹਿਨ ਧਾਰਾਵਾਂ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਪਾਣੀ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਧਰਤੀ ਜਲਦੀ ਗਰਮ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਧਰਤੀ ਉੱਪਰ ਹਵਾ ਵੀ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਗਰਮ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨ

→ ਦਿਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹਵਾ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਸਮੁੰਦਰ ਤੋਂ ਧਰਤੀ ਵੱਲ ਅਤੇ ਰਾਤ ਸਮੇਂ ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਸਮੁੰਦਰ ਵੱਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਹਵਾ ਨੂੰ ਧਰਤੀ ਦੀ ਘੁੰਮਣ ਗਤੀ ਅਤੇ ਪਰਬਤ ਲੜੀਆਂ ਵੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਵਰਖਾ ਦੀ ਕਿਸਮ ਪਵਨਾਂ ਦੇ ਪੈਟਰਨ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਵਰਖਾ ਦੱਖਣ-ਪੱਛਮ ਜਾਂ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬੀ ਮਾਨਸੂਨ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਹਵਾ ਦੇ ਗੁਣ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਬਾਲਣ ਦੇ ਜਲਣ ਤੇ ਦੁਸ਼ਿਤ ਗੈਸਾਂ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਵਰਖਾ ਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲ ਕੇ ਅਮਲੀ ਵਰਖਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਨਿਲੰਬਤ ਕਣ ਅਣਜਲੇ ਕਾਰਬਨ ਕਣ ਜਾਂ ਪਦਾਰਥ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਦੂਸ਼ਿਤ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਸਾਹ ਲੈਣ ਨਾਲ ਕੈਂਸਰ, ਦਿਲ ਦੇ ਰੋਗ ਜਾਂ ਐਲਰਜੀ ਵਰਗੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਧਰਤੀ ਦੀ ਸਤ੍ਹਾ ਤੇ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਵਧੇਰੇ ਪਾਣੀ ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਅਤੇ ਮਹਾਂਸਾਗਰਾਂ ਵਿੱਚ ਹੈ ।

→ ਸ਼ੁੱਧ ਪਾਣੀ ਬਰਫ਼ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਦੋਨਾਂ ਧਰੁਵਾਂ ਅਤੇ ਬਰਫ਼ ਦੇ ਪਹਾੜਾਂ ਤੇ ਮਿਲਦਾ ਹੈ । ਭੂਮੀਗਤ ਜਲ, ਨਦੀਆਂਝੀਲਾਂ, ਤਲਾਬਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵੀ ਅਲੂਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਾਰੇ ਜੀਵਤ ਪਾਣੀਆਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਮਿੱਠੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਜੀਵਨ ਦੀ ਵਿਵਿਧਤਾ ਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਖਣਿਜ, ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਸਹਾਇਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੂਰਜ, ਪਾਣੀ, ਹਵਾ ਅਤੇ ਜੀਵ-ਜੰਤੂ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਹਨ ।

→ ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਨਿਰਣਾ ਉਸ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਕਣਾਂ ਦੇ ਔਸਤ ਦੁਆਰਾ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਗੁਣ ਹਿਉਮਸ ਮਿਲੜ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਅਤੇ ਉਸ ਵਿੱਚ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਜਾਂਚੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪੱਥਰਾਂ ਤੋਂ ਬਣੀ ਮਿੱਟੀ ਉਸ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਖਣਿਜ ਪੋਸ਼ਕ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨ

→ ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਜਾਂ ਸੀਮਿਤ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ (Exhaustible Resources)-ਉਹ ਸਾਧਨ ਜਿਹੜੇ ਮਨੁੱਖੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਜਾਂ ਸੀਮਿਤ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਆਖਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕੋਲਾ, ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਗੈਸ ਆਦਿ ।

→ ਖ਼ਤਮ ਨਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਜਾਂ ਅਸੀਮ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ (Inexhaustible Resources)-ਉਹ ਸਾਧਨ ਜਿਹੜੇ ਮਨੁੱਖੀ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੁਆਰਾ ਖ਼ਤਮ ਨਹੀਂ ਹੋ ਰਹੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਨਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਜਾਂ ਅਸੀਮ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਆਖਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਹਵਾ, ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇ ਪਾਣੀ ਆਦਿ ।

→ ਨਵਿਆਉਣਯੋਗ ਸਾਧਨ (Renewable Resources)-ਅਜਿਹੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਪੁਨਰ-ਚੱਕਰਣ (Recycling) ਹੋ ਸਕੇ, ਨਵਿਆਉਣਯੋਗ ਸਾਧਨ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ-ਪਾਣੀ, ਹਵਾ, ਮਿੱਟੀ ਆਦਿ ।

→ ਨਾ-ਨਵਿਆਉਣਯੋਗ ਸਾਧਨ (Non-renewable Resources)-ਉਹ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਪੁਨਰ ਚੱਕਰਣ ਨਾ ਹੋ ਸਕੇ ਅਤੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਣ ਉਪਰੰਤ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ, ਨਾ-ਨਵਿਆਉਣ ਯੋਗ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨ ਅਖਵਾਉਂਦੇ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ ਕਿ-ਕੋਲਾ, ਪੈਟਰੋਲੀਅਮ ਅਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਗੈਸ ਆਦਿ ।

→ ਭੂਮੀਗਤ ਪਾਣੀ (Underground water)-ਜਿਹੜਾ ਪਾਣੀ ਧਰਤੀ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਭੂਮੀਗਤ ਪਾਣੀ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੇਪੜੀ (Crust)-ਧਰਤੀ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰਲੀ ਪਰਤ ਨੂੰ ਧਰਤੀ ਦੀ ਪੇਪੜੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਖਣਿਜ ਸੰਸਾਧਨ (Mineral Resources)-ਧਰਤੀ ਹੇਠੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਖਣਿਜਾਂ ਨੂੰ ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਵਾਯੂਮੰਡਲ (Atmosphere)-ਧਰਤੀ ਦੇ ਚਾਰੋਂ ਪਾਸੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਹਵਾ ਦਾ ਘੇਰਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ Pollution)-ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਕਣ, ਧੂੰਆਂ ਅਤੇ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਅਣਇੱਛਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਣ ਨੂੰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਮਲੀ ਵਰਖਾ (Acid rain)-ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਿਤ ਹਵਾ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਅਮਲੀ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਤੋਂ ਉਤਪਾਦਿਤ ਅਮਲ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਵਰਖਾ ਹੋਣ ਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲ ਕੇ ਧਰਤੀ ਤੇ ਡਿੱਗਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਨੂੰ ਅਮਲੀ ਵਰਖਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਧੂੰਆਂ (Smoke)-ਇਹ ਬਾਲਣ ਦੇ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾ ਜਲਣ ਕਾਰਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਈ ਕਾਰਬਨ, ਸੁਆਹ ਅਤੇ ਤੇਲ ਦੇ ਕਣਾਂ ਤੋਂ ਬਣਦਾ ਹੈ ।

→ ਧੁੰਦ (Fog)-ਇਹ ਇਕ ਕੁਦਰਤੀ ਕਿਰਿਆ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਜਲ ਕਣ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਨਿਲੰਬਿਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਐਰੋਸਾਲ (Aerosols)-ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਵਾਂ ਦੇ ਬਾਰੀਕ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਐਰੋਸਾਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 14 ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨ

→ ਕਣੀ ਪਦਾਰਥ (Particulates)-ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਨਿਲੰਬਿਤ ਠੋਸ ਜਾਂ ਦ੍ਰਵ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਇਕੱਠ ਨੂੰ ਕਣੀ ਪਦਾਰਥ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਫਲਾਈ ਐਸ਼ (Fly ash)-ਪਥਰਾਟ ਬਾਲਣ ਦੇ ਜਲਣ ਕਾਰਨ ਪੈਦਾ ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਰਾਖ ਦੇ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਕਣਾਂ ਨੂੰ ਫਲਾਈ ਐਸ਼ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸ੍ਰੀਨ ਹਾਊਸ ਪ੍ਰਭਾਵ (Green home effect)-ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਪਰਾਵਰਤਿਤ ਤਾਪ ਦੀਆਂ ਵਿਕਿਰਣਾਂ ਕਾਰਬਨ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਸੋਖ ਲੈਂਦੀ ਆਂ ਹਨ ਜਿਸ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਵਾਯੂਮੰਡਲ ਗਰਮ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਸਦਾ ਤਾਪਮਾਨ | ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਗੀਨ ਹਾਊਸ ਪ੍ਰਭਾਵ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਮਿੱਟੀ (Soil)-ਧਰਤੀ ਦੀ ਉੱਪਰੀ ਸਤਾ ਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਚੱਟਾਨਾਂ ਦੇ ਸੂਖ਼ਮ ਕਣਾਂ, ਮੜ੍ਹ, ਹਵਾ ਅਤੇ ਜਲ ਤੋਂ ਮਿਲ ਕੇ ਬਣਦੀ ਹੈ ।

→ ਭੋਂ-ਖੋਰ (Soil erosion)-ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਉੱਪਰੀ ਉਪਜਾਊ ਪਰਤ ਦੇ ਆਪਣੇ ਸਥਾਨ ਤੋਂ ਹਟ ਜਾਣ ਨੂੰ ਭੋਂ-ਖੋਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਮਿੱਟੀ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ (Soil pollution)-ਰਸਾਇਣਿਕ ਖਾਦਾਂ ਅਤੇ ਬੇਕਾਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਮਿਲ ਜਾਣ ਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਹਾਈਡ੍ਰੋਕਾਰਬਨ (Hydrocarbon)-ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਹਾਈਡੋਜਨ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੋਗਿਕਾਂ ਨੂੰ ਹਾਈਡ੍ਰੋਕਾਰਬਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Punjab State Board PSEB 11th Class Maths Book Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Maths Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Question 1.
The mean and variance of eight observations are 9 and 9.25, respectively. If six of the observations are 6, 7, 10, 12, 12 and 13, find the remaining two observations.
Answer.
Let the remaining two observations be a and b.
Given, \(\bar{x}\) = 9 and σ2 = 925
∴ \(\bar{x}\) = 9
⇒ Sum of all observations / Number of all observations = 9
⇒ Sum of all observations = 9 × 8 = 72
∴ Number of all observations = 8
⇒ 6 + 7 + 10 + 12 + 12 + 13 + a + b = 72
⇒ 60 + a + b = 72
⇒ a + b = 72 – 60
⇒ a + b = 12
Again, σ2 = \(\frac{\sum x_{i}^{2}}{n}-\left(\frac{\sum x_{i}}{n}\right)^{2}\)

⇒ σ2 = \(\frac{\sum x_{i}^{2}}{n}-(\bar{x})^{2}\)

9.25 = \(\frac{36+49+100+144+144+169+a^{2}+b^{2}}{8}\) – (9)2

9.25 = \(\frac{642+a^{2}+b^{2}}{8}\) – 81

9.25 + 81 = \(\frac{642+a^{2}+b^{2}}{8}\)

90.25 × 8 = 642 + a2 + b2
a2 + b2 = 722 – 642
a2 + b2 = 80 …………….(i)
Now, from eq. (1), putb = 12 – a in eq. (ii), we get
a2 + (12 – a)2 = 80
a2 + 144 + a2 – 24a = 80
2a2 – 24a + 144 – 80 = 0
2a2 – 24a + 64 = 0
a2 – 12a + 32 = 0 [divide both sides by 2]
a2 – 8a – 4a + 32 = 0
a (a – 8) – 4 (a – 8) = 0
(a – 4) (a – 8) = 0
a = 4 or a = 8
One putting a = 4 or a = 8 in eq. (i), we get
b = 8 or b = 4
Hence, observations are 4 and 8.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Question 2.
The mean and variance of 7 observations are 8 and 16, respectively. If five of the observations are 2, 4, 10, 12 and 14,
Find the remaining two observations.
Answer.
Let the remaining two observations be x and y.
Given, \(\bar{x}\) = 8, x1 = 2, x2 = 4 x3 = 10, x4 = 12 and x5 = 14.

⇒ \(\frac{x_{1}+x_{2}+x_{3}+x_{4}+x_{5}+x+y}{7}\) = 8

⇒ \(\frac{2+4+10+12+14+x+y}{7}\) = 8
⇒ 42 + x + y = 56
⇒ x + y = 14 ………………..(i)
Also, variance = 16
⇒ σ2 = 16
⇒ \(\frac{x_{1}^{2}+x_{2}^{2}+x_{3}^{2}+x_{4}^{2}+x_{5}^{2}+x^{2}+y^{2}}{7}-(\bar{x})^{2}\) = 16

⇒ \(\frac{2^{2}+4^{2}+10^{2}+12^{2}+14^{2}+x^{2}+y^{2}}{7}\) – (8)2 = 16

⇒ \(\frac{4+16+100+144+196+x^{2}+y^{2}}{7}\) – 64 = 16

⇒ \(\frac{460+x^{2}+y^{2}}{7}\) = 80
⇒ x2 + y2 = 7 × 80 – 460
= 560 – 460
x2 + y2 = 100
From eq. (i), y = 14 – x
Put this value of y in eq.(ii), we get
x2 + (14 – x)2 = 100
⇒ x2 +196 + x2 – 28x = 100
⇒ 2x2 – 28x + 96 = 0
⇒ x2 – 14x + 48 = 0 [divide both sides by 2]
⇒ (x – 6) (x – 8) = 0
⇒ x = 6, 8
From eq. (i),
If x = 6, then y = 14 – 6 = 8
If x = 8, then y = 14 – 8 = 6
Hence, the remaining two observations are 6 and 8.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Question 3.
The mean and standard deviation of six observations are 8 and 4, respectively. If each observation is multiplied by 3, find the new mean and new standard deviation of the resulting observations.
Answer.
Let the observations be x1, x2, x3, x4, x5 and x6.
Then, their mean, \(\bar{x}\) = \(\frac{\sum_{i=1}^{6} x_{i}}{6}\) = 8 [given]
\(\sum_{i=1}^{6} x_{i}\) = 8 × 6 = 48 …………….(i)

On multiplying each observation by 3, we get the new observation as 3x1, 3x2, 3x3, 3x4, 3x5 and 3x6.

Now, their new mean, \(\bar{x}\) = \(=\frac{\sum_{i=1}^{6} 3 x_{i}}{6}=\frac{3 \sum_{i=1}^{6} x_{i}}{6}\)

= \(\frac{3 \times 48}{6}\)

= 24 [from eq. (i)]

∴ Variance of new observation = \(\frac{\sum_{i=1}^{6}\left(3 x_{i}-24\right)^{2}}{6}\)

= \(\frac{3^{2} \sum_{i=1}^{6}\left(x_{i}-8\right)^{2}}{6}\)

= \(\frac{9}{1}\) × Variance of old observation

= \(\frac{9}{1}\) (4)2 = 144
[∵ given S.D. of old observation is 4]
Thus, S.D. of new observation = √(Variance) = √(144) = 2.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Question 4.
Given that \(\bar{x}\) is the mean and σ2 is the variance of observations x1, x2, ………….. xn. Prove that the mean and variance of the observations ax1, ax2, ax3, ……………., axn are a\(\bar{x}\) and a2 2 respectively,
Answer.
The given n observations are x1, x2, ………………., xn.
Mean = \(\bar{x}\)
Variance = σ2
∴ σ2 = \(\frac{1}{n} \sum_{i=1}^{n}\left(x_{i}-\bar{x}\right)^{2}\) ………………(i)
If each observation is multiplied by a and the new observations are yi then
yi = axi i.e., xi = \(\frac{1}{a}\) yi
∴ \(\bar{y}\) = \(\frac{1}{n} \sum_{i=1}^{n} y_{i}=\frac{1}{n} \sum_{i=1}^{n} a x_{i}\)

= \(\frac{a}{n} \sum_{i=1}^{n} x_{i}\) = a\(\bar{x}\)

(∵ \(\bar{x}\) = \(\frac{1}{n} \sum_{i=1}^{n} x_{i}\))

Therefore, mean of the observations, ax1, ax2, ax3, ……………., axn is a\(\bar{x}\).
Substituting the values of xiand \(\bar{x}\) in eq. (i), we obtain

⇒ σ2 = \(\frac{1}{n} \sum_{i=1}^{n}\left(\frac{1}{a} y_{i}-\frac{1}{a} \bar{y}\right)^{2}\)

a2 σ2 = \(\frac{1}{n} \sum_{i=1}^{n}\left(y_{i}-\bar{y}\right)^{2}\)
Thus, the variance of the observations, ax1, ax2, ax3, ……………., axn is a2 σ2.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Question 5.
The mean and standard deviation of 20 observations are found to be 10 and 2, respectively. On rechecking, it was found that an observation 8 was incorrect. Calculate the correct mean and standard deviation in each of the following cases :
(i) If wrong item is omitted.
(ii) If it is replaced by 12.
Answer.
(i) Number of observations (n) = 20
Incorrect mean = 10
Mean = \(\frac{\sum x_{i}}{n}\)

\(\frac{\sum_{i=1}^{20} x_{i}}{20}\) = 10

\(\sum_{i=1}^{20} x_{i}\) = 20 × 10 = 200

(i) Since the wrong item which was 8 has been omitted, the correct mean = \(\frac{\sum_{i=1}^{20} x_{i}-8}{19}\) because, on omitting the wrong item, the total number of observations left are 19.

∴ Correct mean = \(\frac{200-8}{19}=\frac{192}{19}\) = 10.11

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise 1

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise 2

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Question 6.
The mean and standard deviation of marks obtained by 50 students of a class in three subjects, Mathematics, Physics and Chemistry are given below:

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise 3

Which of the three subjects shows the highest variability in marks and which shows the lowest?
Answer.
Here, n = 50

For Mathematics
Given, \(\bar{x}\) = 42 and σ = 12
Coefficient of variation, (CV) = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{12}{42}\) × 100
= \(\frac{2}{7}\) × 100
= \(\frac{200}{7}\)
= 2857 ……………(i)

For Physics:
Given, \(\bar{x}\) = 32 and σ = 15
Coefficient of variation, (CV) = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{15}{32}\) × 100
= \(\frac{1500}{32}\)
= 46.87 ………………(ii)

For Chemistry:
Given, \(\bar{x}\) = 40.9 and σ = 20
Coefficient of variation, (CV) = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{20}{40.9}\) × 100
= \(\frac{2000}{40.9}\)
= 2000 = 48.89 ………………(iii)

From eqs. (i), (ii) and (iii), we have
CV of Chemistry > CV of Physics > CV of Mathematics
Hence, Chemistry shows the highest variability and Mathematics shows the least variability.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Miscellaneous Exercise

Question 7.
The mean and standard deviation of a group of 100 observations were found to be 20 and 3, respectively. Later on it was found that three observations were incorrect, which were recorded as 21, 21 and 18. Find the mean and standard deviation if the incorrect observations are omitted.
Answer.
Given, n = 100, \(\bar{x}\) = 20, σ = 3
∵ Mean, \(\bar{x}\) = 20
∴ \(\frac{\sum x_{i}}{100}\) = 20
⇒ Σxi = 100 × 20
⇒ Σxi = 2000
Now, incorrect observations 21, 21 and 18 are omitted, then correct sum is
Σxi = 2000 – 21 – 21 – 18 = 2000 – 60 = 1940
Now, correct mean of remaining 97 observations is \(\bar{x}\) = \(\frac{1940}{97}\) = 20
Again, σ = 3
⇒ \(\sqrt{\frac{\sum x_{i}^{2}}{n}-(\bar{x})^{2}}\) = 3
On squaring both sides, we get \(\frac{\sum x_{i}^{2}}{100}\) – (20)2 = 9
\(\frac{\sum x_{i}^{2}}{100}\) = 9 + 400 = 409
Σxi2 = 409 × 100 = 40900

Now, correct, Σxi2 = 40900 – (21)2 – (21)2 – (18)2
= 40900 – 441 – 441 – 324
= 40900 – 1206 = 39694
Now, correct standard deviation for remaining 97 observations is σ = \(\sqrt{\frac{39694}{97}-(20)^{2}}\)

= \(\sqrt{409.2-(20)^{2}}\)

= \(\sqrt{409.2-400}=\sqrt{9.2}\) = 3.03.

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 ਅਸੀਂ ਬਿਮਾਰ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੇ ਹਾਂ

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PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 ਅਸੀਂ ਬਿਮਾਰ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੇ ਹਾਂ

→ ਭੂਚਾਲ ਅਤੇ ਤੱਟਵਰਤੀ ਭਾਗ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਚੱਕਰਵਾਤ ਨੇੜੇ-ਤੇੜੇ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਿਹਤ ਉਹ ਅਵਸਥਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਸਰੀਰਕ, ਮਾਨਸਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਕਾਰਜ ਪੂਰੀ ਸਮਰੱਥਾ ਨਾਲ ਉੱਚਿਤ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਕੀਤੇ ਜਾ ਸਕਣ ।

→ ਸਾਡਾ ਸਮਾਜਿਕ ਵਾਤਾਵਰਣ ਸਾਡੀ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਸਿਹਤ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ।

→ ਸਿਹਤ ਲਈ ਭੋਜਨ, ਚੰਗੀ ਆਰਥਿਕ ਹਾਲਤ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

→ ਸਮੁਦਾਇਕ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਸਾਡੀ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਰੋਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਰੀਰ ਦੇ ਇੱਕ ਜਾਂ ਕਈ ਅੰਗਾਂ ਅਤੇ ਤੰਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਰਿਆ ਜਾਂ ਸੰਰਚਨਾ ਵਿੱਚ ਖ਼ਰਾਬੀ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਲੱਗਦੀ ਹੈ ।

→ ਜੋ ਰੋਗ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਰਹੇ, ਉਸਨੂੰ ਦੀਰਘਕਾਲੀਨ ਰੋਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜੋ ਰੋਗ ਘੱਟ ਸਮੇਂ ਤਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਅਲਪਕਾਲੀਨ ਰੋਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਜਿਹੜੇ ਰੋਗਾਂ ਦੇ ਤੱਤਕਾਲੀਨ ਕਾਰਕ ਸੂਖ਼ਮਜੀਵ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਛੂਤ ਰੋਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕੈਂਸਰ ਰੋਗ ਅਨੁਵੰਸ਼ਿਕ ਦੋਸ਼ਾਂ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਵਧੇਰੇ ਸਰੀਰਕ ਭਾਰ ਅਤੇ ਘੱਟ ਕਸਰਤ ਕਾਰਨ ਉੱਚ ਰਕਤਚਾਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਇਹ ਛੂਤ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 ਅਸੀਂ ਬਿਮਾਰ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੇ ਹਾਂ

→ ਹੋਲਿਕੋਬੈਕਟਰ ਪਾਇਲੋਰੀ ਨਾਂ ਦਾ ਜੀਵਾਣੁ ਪੈਪਟਿਕ ਅਲਸਰ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹੈ ।

→ ਖਾਂਸੀ, ਜ਼ੁਕਾਮ, ਇਨਫਲੂਐਂਜ਼ਾ, ਡੇਂਗੂ ਬੁਖ਼ਾਰ, ਏਡਜ਼ ਆਦਿ ਵਿਸ਼ਾਣੂਆਂ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਟਾਈਫਾਈਡ, ਹੈਜ਼ਾ, ਟੀ, ਬੀ., ਐੱਥਰੈਕਸ ਆਦਿ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਚਮੜੀ ਰੋਗ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਉੱਲੀਆਂ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਪ੍ਰੋਟੋਜ਼ੋਆ ਕਾਰਨ ਮਲੇਰੀਆ ਅਤੇ ਕਾਲਾਜਾਰ ਰੋਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਪੈਰ ਫੁੱਲਣ ਰੋਗ ਕਿਰਮਾਂ ਦੀਆਂ ਕਈ ਸਪੀਸ਼ੀਜ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਵਿਸ਼ਾਣੁ, ਜੀਵਾਣੁ ਅਤੇ ਉੱਲੀਆਂ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਗੁਣਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (ਵਾਧਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।)

→ ਇੱਕ ਦਵਾਈ ਜੋ ਕਿਸੇ ਵਰਗ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਜੈਵ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਰੋਕਦੀ ਹੈ ਉਹ ਉਸ ਵਰਗ ਦੇ ਦੂਜੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਤੇ ਵੀ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਅਸਰ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਪਰ ਇਹੋ ਦਵਾਈ ਦੂਜੇ ਵਰਗ ਦੇ ਰੋਗਾਣੂਆਂ ਉੱਤੇ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀ ।

→ ਹਵਾ ਰਾਹੀਂ ਫੈਲਣ ਵਾਲੇ ਰੋਗ ਹਨ-ਖਾਂਸੀ, ਜ਼ੁਕਾਮ, ਨਿਮੋਨੀਆ ਅਤੇ ਟੀ. ਬੀ. ।

→ ਦੂਸ਼ਿਤ ਪਾਣੀ ਰਾਹੀਂ ਵੀ ਰੋਗ ਫੈਲਦੇ ਹਨ ।

→ ਸਿਫਲਿਸ, ਏਡਜ਼ ਆਦਿ ਰੋਗ ਲਿੰਗੀ ਸੰਪਰਕ ਕਾਰਨ ਹੀ ਇੱਕ-ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਰੋਗ ਮੱਛਰ ਵਰਗੇ ਹੋਰ ਜੰਤੂਆਂ ਦੁਆਰਾ ਫੈਲਦੇ ਹਨ ।

→ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਜਾਤੀਆਂ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਹਵਾ ਵਿਚੋਂ ਨੱਕ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਉਹ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਮੂੰਹ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਭੋਜਨ ਨਲੀ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਐੱਚ. ਆਈ. ਵੀ. ਵਿਸ਼ਾਣੂਆਂ ਦੀ ਲਾਗ, ਲਿੰਗੀ ਸੰਬੰਧਾਂ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਲਸੀਕਾ ਗੰਥੀਆਂ ਵਿੱਚ ਫੈਲਦੀ ਹੈ । ਜਾਪਾਨੀ ਪੈਰ-ਫੁੱਲਣ ਦਾ ਰੋਗ ਜਾਂ ਦਿਮਾਗੀ ਬੁਖ਼ਾਰ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾਣੂ ਮੱਛਰ ਦੇ ਕੱਟਣ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿੱਚ ਲਾਗ ਫੈਲਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ HIV-AIDS ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰ ਛੋਟੀਆਂ-ਮੋਟੀਆਂ ਲਾਗਾਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਪਾਉਂਦਾ ਤੇ ਇਹ ਛੋਟੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਰੋਗੀ ਦੀ ਮੌਤ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਲਈ ਦੋ ਤਰੀਕੇ ਹਨ-ਆਮ ਤੇ ਖ਼ਾਸ ।

→ ਛੂਤ ਦੇ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਲਈ ਸਫ਼ਾਈ ਦੀ ਬਹੁਤ ਲੋੜ ਹੈ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 ਅਸੀਂ ਬਿਮਾਰ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੇ ਹਾਂ

→ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਪ੍ਰਤੀਰੱਖਿਆ ਤੰਤਰ ਰੋਗਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਲੜਦਾ ਹੈ । ਖ਼ਾਸ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਰੋਗਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਛੂਤ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਓ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਪੌਸ਼ਟਿਕ ਭੋਜਨ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।

→ ਸਾਰੇ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚੋਂ ਚੇਚਕ ਦਾ ਖ਼ਾਤਮਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਚੁੱਕਾ ਹੈ । ਚੇਚਕ ਇੱਕ ਵਾਰ ਹੋ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮੁੜ ਇਸ । ਰੋਗ ਦੇ ਹੋਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦੀ । ਇਹ ਪ੍ਰਤੀਰੱਖਿਆਕਰਨ ਦੇ ਨਿਯਮ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ ।

→ ਟੈਟਨਸ, ਡਿਪਥੀਰੀਆ, ਕਾਲੀ ਖਾਂਸੀ, ਚੇਚਕ, ਪੋਲੀਓ ਆਦਿ ਤੋਂ ਬਚਾਅ ਲਈ ਹੁਣ ਟੀਕੇ ਉਪਲੱਬਧ ਹਨ ।

→ ਹੈਪੇਟਾਈਟਸ ‘A’ ਦਾ ਟੀਕਾ ਹੁਣ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪੰਜ ਸਾਲ ਤਕ ਦੀ ਉਮਰ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਹੀ ਇਸਦੇ ਵਿਸ਼ਾਣੂਆਂ ਦਾ ਅਸਰ ਹੋ ਚੁੱਕਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਿਹਤ (Health)-ਸਿਹਤ ਉਹ ਅਵਸਥਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਅੰਤਰਗਤ ਸਰੀਰਕ, ਮਾਨਸਿਕ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਕਾਰਜ ਪੂਰੀ ਅਵਸਥਾ ਨਾਲ ਕੀਤੇ ਜਾ ਸਕਣ ।

→ ਅਲਪਕਾਲੀਨ ਰੋਗ (Acute disease-ਅਜਿਹਾ ਰੋਗ ਜੋ ਘੱਟ ਸਮੇਂ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਦੀਰਘਕਾਲੀਨ ਰੋਗ (Chronic disease)-ਜੋ ਰੋਗ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤਕ ਜਾਂ ਸਾਰੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਦੀਰਘਕਾਲੀਨ ਰੋਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਛੂਤ ਦੇ ਰੋਗ (Communicable disease)-ਇਹ ਰੋਗ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੇ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਸੂਖ਼ਮ ਜੀਵਾਂ, ਜੀਵਾਣੁਆਂ, ਵਿਸ਼ਾਣੂਆਂ ਅਤੇ ਪ੍ਰੋਟੋਜ਼ੋਆ ਦੁਆਰਾ ਫੈਲਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਛੂਤ ਦੇ ਰੋਗ (Non-communicable disease)-ਇਹ ਉਪਾਰਜਿਤ ਰੋਗ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੇ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।

→ ਪ੍ਰਤੀਰਕਸ਼ੀ (Antibodies)-ਜੋ ਪਦਾਰਥ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਰੋਗਾਂ ਨਾਲ ਲੜਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਡੀ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀਰਕਸ਼ੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 9th Class Science Notes Chapter 13 ਅਸੀਂ ਬਿਮਾਰ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੇ ਹਾਂ

→ ਤਰੁਟੀ ਰੋਗ (Deficiency disease)-ਉੱਚਿਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਅਤੇ ਸੰਤੁਲਿਤ ਆਹਾਰ ਨਾ ਮਿਲਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੋਗ ਨੂੰ ਤਰੁਟੀ ਰੋਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਕੁਪੋਸ਼ਣ (Malnutrition)-ਹੀਣਤਾਜਣਿਤ ਰੋਗਾਂ ਤੋਂ ਪੈਦਾ ਹੋਈ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਕੁਪੋਸ਼ਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਘੱਟ ਭੋਜਨ ਅਤੇ ਅਸੰਤੁਲਿਤ ਭੋਜਨ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਐਲਰਜੀ (Allergy)-ਇਸ ਰੋਗ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀ ਸੰਵੇਦਨਸ਼ੀਲਤਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਅਣੂਵੰਸ਼ਿਕ ਰੋਗ (Hereditary disease)-ਇਹ ਰੋਗ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਸੰਤਾਨ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਟੀਕਾਕਰਣ (Vaccination)-ਰੋਗਾਂ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ ਲਈ ਟੀਕਾ ਲਗਾਉਣਾ ਟੀਕਾਕਰਣ ਹੈ । ਇਹ ਰੋਕਥਾਮ ਦਾ ਇੱਕ ਵਧੀਆ ਤਰੀਕਾ ਹੈ ।

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3

Punjab State Board PSEB 11th Class Maths Book Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Maths Chapter 15 Statistics Ex 15.3

Question 1.
From the data given below state which group is more variable, A or B?

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 1

Answer.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 2

For Group A:
Mean, \(\bar{x}\) = A + \(\frac{\sum f_{i} y_{i}}{\sum f_{i}}\) × h

= 45 + \(\frac{-6}{150}\) × 10

= 45 – 0.4 = 44.6

Variance (σ2) = \(\frac{\sum f_{i} y_{i}}{\sum f_{i}}\) [N Σ fi yi2 – (Σ fi yi)2]
= \(\frac{100}{22500}\) [150 × 342 – (- 6)2]
= \(\frac{1}{225}\) [51300 – 36]
= \(\frac{51264}{225}\)
= 227.84

Coefficient of variation (C.V.) = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{15.09}{44.6}\) × 100
= 33.83

For Group B :
Mean, \(\bar{x}\) = A + \(\frac{\sum f_{i} y_{i}}{\sum f_{i}}\) × h

= 45 + \(\frac{-6}{150}\) × 10

= 45 – 0.4 = 44.6

Variance (σ2) = \(\frac{\sum f_{i} y_{i}}{\sum f_{i}}\) [N Σ fi yi2 – (Σ fi yi)2]

= \(\frac{100}{22500}\) [150 × 366 – (- 6)2]

= \(\frac{1}{225}\) (54900 – 36)
= \(\frac{54864}{225}\) = 243.84
∴ σ = 15.61

Coefficient of variation (C.V.) = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{15.61}{44.6}\) × 100 = 35

Coefficient of variation of group B is greater than the coefficient of variation of group A.
Therefore, group B is more variable than group A.

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Question 2.
From the prices of shares X and Y below, find out which is more stable in value.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 3

Answer.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 4

For shares X:

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 5

For shares Y:
Mean, \(\bar{x}\) = A + \(\frac{\sum y_{i}}{10}\)
= 105 + 0 = 105
S.D., σ = \(\frac{1}{N} \sqrt{N \sum y_{i}^{2}-\left(\sum y_{i}\right)^{2}}\)

= \(\frac{1}{10} \sqrt{10 \times 40-0}=\frac{20}{10}\)

= 0.2
Coefficient of variation (C.V.) = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{2}{105}\) × 100 = 1.9

Coefficient of variation in shares Y is less than the coefficient of variation in shares X.
Therefore, the share Y is more stable than the share X.

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Question 3.
An analysis of monthly wages paid to workers in two firms A and B, belonging to the same industry, gives the following results:

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 6

(i) Which firm A or B pays larger amount as monthly wages?
(ii) Which firm, A or B, shows greater variability in individual wages?
Answer.
(i) Monthly wages of firm A = Rs. 5253
Number of wage earners in firm A = 586
∴ Total amount paid = Rs. 5253 × 586
Monthly wages of firm B = Rs. 5253
Number of wage earners in firm B = 648
∴ Total amount paid = Rs. 5253 × 648
Thus, firm B pays the larger amount as monthly wages as the number of wage earners in firm B are more than the number of wage earners in firm A.

(ii) Variance of the distribution of wages in firm A (σ12) = 100
∴ Standard deviation of the distribution of wages in firm
A(σ1) = √100 = 10
Variance of the distibution of wages in firm B(σ22) = 121
∴ Standard deviation of the distribution of wages in firm
B(σ2) = √121 = 11
The mean of monthly wages of both the firms is same i.e., 5253.
Therefore, the firm with greater standard deviation will have more varibility.
Thus, firm B has greater variability in the individual wages.

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Question 4.
The following is the record of goals scored by team A in a football session:

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 7

For the team B, mean number of goals scored per match was 2 with a standard deviation 1.25 goals. Find which team may be considered more consistent?
Answer.
Make a table from the given data.

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 8

Here, Σfi = 25, Σfixi = 50 and Σ fi xi2 = 130

For team A:
Mean, \(\bar{x}\) = \(\frac{\sum f_{i} x_{i}}{\sum f_{i}}=\frac{50}{25}\) = 2

Standard deviation, σ = \(\frac{1}{N} \sqrt{N \sum f_{i} x_{i}^{2}-\left(\sum f_{i} x_{i}\right)^{2}}\)

= \(\frac{1}{25} \sqrt{25 \times 130-(50)^{2}}\)

= \(\frac{5}{25} \sqrt{130-100}=\frac{\sqrt{30}}{5}\)

= \(\frac{5.477}{5}\)

= 1.095
∴ Coefficient of variation = \(\frac{\sigma}{\bar{x}}\) × 100
= \(\frac{1.095}{2}\) × 100 = 54.75

For team B:
Given, Mean, \(\bar{x}\) = 2 and SD = σ = 1.25
= \(\frac{1.25}{2}\) × 100 = 625

Since, the coefficient of variation of goals of team A is less than that of B.
Therefore, team A is more consistent than team B.

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Question 5.
The sum and sum of squares corresponding to length x (in cm) and weight y (in gm) of 50 plant products are given below:
\(\sum_{i=1}^{50} x_{i}\) = 212, \(\sum_{i=1}^{50} x_{i}^{2}\) = 902.8, \(\sum_{i=1}^{50} \mathbf{y}_{i}\) = 261 \(\sum_{i=1}^{50} y_{i}^{2}\) = 1457.6
which is more varying the length or weight?
Answer.
Given, \(\sum_{i=1}^{50} x_{i}\) = 212, \(\sum_{i=1}^{50} x_{i}^{2}\) = 902.8
Here, N = 50
∴ Mean, \(\bar{x}=\frac{\sum_{i=1}^{50} x_{i}}{N}=\frac{212}{50}\) = 4.24

PSEB 11th Class Maths Solutions Chapter 15 Statistics Ex 15.3 9

∴ Standard deviation, σ2 (Weight) = √1.89 = 1.37
∴ C.V. (Weight) = Standard deviation / Mean × 100
= \(\frac{1.37}{5.22}\) × 100 = 26.24
Thus, C. V. of weights is greater than the CV. of lengths.
Therefore, weights vary more than the lengths.