PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 3 Development of Sikh Religion (1539-1581)

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Development of Sikh Religion (1539-1581) PSEB 9th Class SST Notes

Guru Angad Dev Ji:

  • The second Sikh Guru, Guru Angad Dev Ji collected the teachings of Guru Nanak Dev Ji and wrote them in Gurmukhi script.
  • This contribution of Guru Angad Dev Ji proved to be the first step towards the writing of ‘Adi Granth Sahib’ by Guru Arjan Dev Ji.
  • Guru Angad Dev Ji also wrote ‘Vani’ in the name of Guru Nanak Dev Ji.
  • The institutions of Sangat and Pangat were well maintained during the period of Guru Angad Dev Ji.

Guru Amar Das Ji:

  • Guru Amar Das Ji was the third Sikh Guru who remained on Guru gaddi for twenty-two years.
  • Guru ‘Sahib shifted his headquarters from Khadoor Sahib to Goindwal.
  • At Goindwal, Guru Sahib constructed a large well (Baoli) where his followers (Sikhs) took a bath on religious festivals.
  • Guru Amar Das Ji introduced a simple marriage ceremony which is called ‘Anand Karaj’.
  • The number of his Sikh followers increased rapidly during his period.

PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 3 Development of Sikh Religion (1539-1581)

Guru Ram Das Ji:

  • The fourth Guru, Guru Ram Das Ji started the work of preaching his faith from Ramdaspur (present Amritsar).
  • The foundation of Amritsar was laid during the last years of Guru Amar Das Ji.
  • Guru Ram Das Ji got dug a large pond called Amritsar or Amrit Sarovar.
  • The Guru Sahib needed a large sum of money to construct the Sarovar at Amritsar and Santokhsar.
  • For this purpose, Guru Sahib started Masand System.
  • Guru Sahib also made Guru-gaddi hereditary.

Improvement in Gurmukhi Script:

  • Guru Angad Dev Ji made certain improvements in Gurmukhi Script.
  • It is said that to spread Gurmukhi, Guru Ji wrote ‘Balbodh’ for children in Gurmukhi.
  • Because it was the language of the common masses, it helped in the spreading of Sikhism.
  • Presently, all the religious books of the Sikhs are in this language.

Manji System:

  • During the times of Guru Amar Das Ji, the number of devotee Sikhs was increasing.
  • But due to his old age, it was not possible for Guru Ji to move from one place to another to spread his teachings.
  • So, he divided his spiritual empire into 22 parts and each part was called ‘Manji’.
  • Each Manji was a centre for spreading Sikhism and it was kept under a scholar devout follower.

Creation of Anand Sahib:

  • Guru Amar Das Ji composed a new Bani called ‘Anand Sahib’.
  • With its creation, the importance of Vedic hymns completely came to an end among the Sikhs.

Foundation of Goindwal:

  • Guru Angad Dev Ji laid the foundation of a new city called Goindwal.
  • During the times of Guru Amar Das Ji, it became one of the famous religious places.
  • Even today, it is one of the religious places of Sikhs.

Langar System:

  • Guru Angad Dev Ji continued the Langar system.
  • In the Langar system, everyone took food without any discrimination.
  • It discouraged the caste system and helped in the expansion of Sikhism.

PSEB 9th Class SST Notes History Chapter 3 Development of Sikh Religion (1539-1581)

→ 31 March 1504-Birth of Guru Angad Dev Ji.

→ 1539-1552 – Guru Angad Dev Ji remained on Guru-gaddi.

→ 1546 – Foundation of Goindwal

→ 1552 – Guru Angad Dev Ji left the world.

→ 1552 – Guru Amar Das ji became the third Guru.

→ 1559 – The work of the construction of Baoli at Goindwal was completed.

→ 1574 – Amar Das Ji left the world.

सिक्ख धर्म का विकास (1539 ई०-1581 ई०) PSEB 9th Class SST Notes

→ गुरु अंगद देव जी – दूसरे सिक्ख गुरु अंगद देव जी ने गुरु नानक साहिब की बाणी एकत्रित की और इसे गुरुमुखी लिपि में लिखा। उनका यह कार्य गुरु अर्जन साहिब द्वारा संकलित ‘ग्रंथ साहिब’ की तैयारी का पहला चरण सिद्ध हुआ।

→ गुरु अंगद देव जी ने स्वयं भी गुरु नानक देव जी के नाम से बाणी की रचना की। इस प्रकार उन्होंने गुरु पद की एकता को दृढ़ किया। संगत और पंगत की संस्थाएं गुरु अंगद साहिब के अधीन भी जारी रहीं।

→ गुरु अमरदास जी – गुरु अमरदास जी सिक्खों के तीसरे गुरु थे। वह 22 वर्ष तक गुरुगद्दी पर रहे। वह खडूर साहिब से गोइंदवाल साहिब चले गए। वहां उन्होंने एक बाउली बनवाई जिसमें उनके सिक्ख (शिष्य) धार्मिक अवसरों पर स्नान करते थे।

→ गुरु अमरदास जी. ने विवाह की एक सरल विधि प्रचलित की और उसे आनंद-कारज का नाम दिया। उनके समय में सिक्खों की संख्या काफ़ी बढ़ गई।

→ गुरु रामदास जी – चौथे गुरु रामदास जी ने रामदासपुर (आधुनिक अमृतसर) में रह कर प्रचार कार्य आरंभ किया। इसकी नींव गुरु अमरदास जी के जीवन-काल के अंतिम वर्षों में रखी गई थी।

→ श्री रामदास जी ने रामदासपुर में एक बहुत बड़ा सरोवर बनवाया जो अमृतसर अर्थात् अमृत के सरोवर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उन्हें अमृतसर तथा संतोखसर नामक तालाबों की खुदाई के लिए काफ़ी धन की आवश्यकता थी। इसलिए उन्होंने मसंद प्रथा का श्रीगणेश किया। उन्होंने गुरुगद्दी को पैतृक रूप भी प्रदान किया।

→ गुरुमुखी लिपि को मानकीकरण – गुरु अंगद देव जी ने गुरुमुखी लिपि का मानकीकरण किया। कहते हैं कि गुरु अंगद देव जी ने गुरुमुखी के प्रचार के लिए गुरुमुखी वर्णमाला में बच्चों के लिए ‘बाल बोध’ की रचना की।

→ आम लोगों की बोली होने के कारण इससे सिक्ख धर्म के प्रचार के कार्य को बढ़ावा मिला। आज सिक्खों के सभी धार्मिक ग्रंथ इसी भाषा में हैं।

→ मंजी प्रथा-गुरु अमरदास जी के समय में सिक्खों की संख्या काफी बढ़ चुकी थी। परंतु वृद्धावस्था के कारण गुरु साहिब जी के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर अपनी शिक्षाओं का प्रचार करना कठिन हो गया था।

→ अत: उन्होंने अपने सारे आध्यात्मिक साम्राज्य को 22 प्रांतों में बांट दिया। इनमें से प्रत्येक प्रांत को ‘मंजी’ कहा जाता था। प्रत्येक मंजी सिक्ख धर्म के प्रचार का एक केंद्र थी जिसके संचालन का कार्यभार गुरु जी ने अपने किसी विद्वान् श्रद्धालु शिष्य को सौंप रखा था।

→ अनंदु साहिब की रचना – गुरु अमरदास जी ने एक नई बाणी की रचना की जिसे ‘अनंदु साहिब’ कहा जाता है। इस बाणी से सिक्खों में वेद-मंत्रों के उच्चारण का महत्त्व बिल्कुल समाप्त हो गया।

→ गोइंदवाल साहिब का निर्माण – गुरु अंगद देव जी ने गोइंदवाल साहिब नामक नगर की स्थापना की। गुरु अमरदास जी के समय में यह नगर एक प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र बन गया। आज भी यह सिक्खों का एक पवित्र धार्मिक स्थान है।

→ लंगर प्रथा का विस्तार – श्री गुरु अंगद देव जी ने श्री गुरु नानक देव जी द्वारा आरम्भ की गई लंगर प्रथा का विस्तार किया। उन्होंने यह आज्ञा दी कि जो कोई उनके दर्शन को आए, वह पहले लंगर में भोजन करे।

→ यहां प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेद-भाव के भोजन करता था। इससे जाति-पाति की भावनाओं को धक्का लगा और सिक्ख धर्म के प्रसार में सहायता मिली।

→ 31 मार्च, 1504-श्री गुरु अंगद देव जी का जन्म।

→ 2 सितंबर, 1539 ई० से 29 मार्च 1552 ई०-गुरु अंगद देव जी गुरुगद्दी पर विराजमान रहे।

→ 1546 ई०-श्री गुरु अंगद देव जी द्वारा गोइंदवाल साहिब नगर की स्थापना।

→ 29 मार्च, 1552-श्री गुरु अंगद देव जी ज्योति-जोत समाए।

→ 5 मई, 1479 ई०-श्री गुरु अमरदास जी का जन्म।

→ मार्च 1552 ई०-श्री गुरु अमरदास जी गुरुगद्दी पर विराजमान।

→ मार्च 1559 ई०- श्री गुरु अमरदास जी ने गोइंदवाल साहिब में बाउली का निर्माण कार्य पूरा किया।

→ 1574 ई०- श्री गुरु अमरदास जी ज्योति-जोत समाए।

→ 24 सितंबर, 1534 ई०-श्री गुरु रामदास जी का जन्म।

→ 1574 ई० से 1581 ई०-श्री गुरु रामदास जी गुरुगद्दी पर विराजमान रहे।

→ 1 सितंबर, 1581 ई०-श्री गुरु रामदास जी ज्योति-जोत समाए।

ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਕਾਸ (1539 ਈ:- 1581 ਈ:) PSEB 9th Class SST Notes

→ 2 ਸਤੰਬਰ, 1539 ਈ: ਤੋਂ 29 ਮਾਰਚ, 1552 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ ।

→ 1546 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ।

→ 29 ਮਾਰਚ, 1552 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਜੀ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾਏ ।

→ 5 ਮਈ, 1479 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ।

→ ਮਾਰਚ, 1552 ਈ: -ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਂਜਮਾਨ ॥

→ ਮਾਰਚ, 1559 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਗੋਇੰਦਵਾਲ ਸਾਹਿਬ ਵਿਚ ਬਾਉਲੀ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਾਰਜ ਸੰਪੂਰਨ ।

→ 1574 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾਏ ।

→ 24 ਸਤੰਬਰ, 1534 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ।

→ 1574 ਈ: ਤੋਂ 1581 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਗੁਰਗੱਦੀ ‘ਤੇ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਰਹੇ ।

→ 1 ਸਤੰਬਰ, 1581 ਈ:-ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਜੋਤੀ ਜੋਤ ਸਮਾਏ ।

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 2 Human Resources

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Human Resources PSEB 9th Class SST Notes

→ Resources: Efforts made by a nation, an organization, or an individual to raise their incomes are known as resources.

→ Natural Resources: Air, minerals, soil, water which are used to satisfy human needs are called natural resources.

→ Human Resources: The size of the population of a country along with its efficiency, educational qualities, productivity, etc. is known as human resources.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 2 Human Resources

→ Cause of Japan & Germany’s Economic Development: They have made investments in human resources, especially in the fields of education and health.

→ Causes of underdevelopment of countries like India, Bangla Desh, Pakistan, etc: It is due to their vast uneducated, unhealthy and unskilled population.

→ Economic Activities: All those activities which are performed to earn money are called economic activities.

→ Non-Economic Activities: All those activities which do not give income in return are called non¬economic activities.

→ Primary Sector: Primary sector is that sector that produces goods by using natural resources.

→ Examples of Primary Sector Activities: Agriculture, animal husbandry, dairy, poultry farming, fishing, mining, forestry, grazing, hunting, etc.

→ Secondary Sector: Secondary sector is that sector that produces finished goods by using the products of the primary sector as raw materials.

→ Tertiary Sector: This sector consists of all services and occupations which are needed to support the activities of primary and secondary sectors.

→ Population as an Asset or Liability for the economy: Illiterate and unhealthy populations are liable for the economy whereas literate and healthy populations are an asset.

→ Unemployment: It refers to a situation in which people are willing to work at the current wages but cannot find work.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 2 Human Resources

→ Seasonal Unemployment: It means when people find jobs during some months and during the remaining months they are unemployed.

→ Disguised, Unemployment: It means more people are engaged in a particular work than required.

मानव-संसाधन PSEB 9th Class SST Notes

→ संसाधन – अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए व्यक्ति, संगठन या राष्ट्र द्वारा किए गए प्रयास संसाधन हैं।

→ प्राकृतिक संसाधन – वायु, खनिज, भूमि, जल आदि का प्रयोग मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है इन्हें ही प्राकृतिक संसाधन कहते हैं।

→ मानवीय संसाधन – किसी राष्ट्र की जनसंख्या का वह भाग जो कार्यकुशलता, शिक्षा प्रशिक्षण व स्वास्थ्य से संपन्न है।

→ जापान व जर्मनी के आर्थिक विकास के कारण – इनका मानव पूंजी निर्माण में निवेश खासकर स्वास्थ्य व शिक्षा में।

→ भारत, बांग्लादेश व पाकिस्तान में अल्पविकास के कारण – उनकी अशिक्षित, अस्वस्थ व अकार्यकुशल बड़ी जनसंख्या।

→ आर्थिक क्रियाएं – वे सभी कार्य जो धन कमाने के उद्देश्य से किए जाते हैं।

→ गैर आर्थिक क्रियाएं – वे सभी कार्य जो धन कमाने के उद्देश्य से नहीं किए जाते हैं।

→ प्राथमिक क्षेत्र – प्राथमिक क्षेत्र वह क्षेत्र है जो प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग द्वारा वस्तुएं निर्मित करता है।

→ प्राथमिक क्षेत्र की किस्मों के उदाहरण – कृषि, पशु-पालन, डेयरी, मुर्गीपालन, मत्सय पालन, खनन, वानिकी आदि।

→ द्वितीयक क्षेत्र – द्वितीयक क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पाद का कच्चे माल के रूप में प्रयोग करके अंतिम उत्पाद तैयार करता है।

→ तृतीयक क्षेत्र – वह क्षेत्र जो सेवाओं का निर्माण करता है।

→ जनसंख्या, संपत्ति या दायित्व के रूप में – अशिक्षित व अस्वस्थ जनसंख्या किसी देश के लिए दायित्व है जबकि शिक्षित व स्वस्थ जनसंख्या किसी देश के लिए संपत्ति है।

→ बेरोजगारी – जब कोई व्यक्ति मज़दूरी की प्रचलित दर पर काम करने को तैयार हो पर उसे काम न मिले।

→ मौसमी बेरोजगारी – इसका अर्थ है जब लोग पूरे वर्ष में कुछ महीने काम न करें व रोजगार के लिए भटकते रहें।

→ अदृश्य बेरोज़गारी। – यह बेरोज़गारी का वह रूप है जिसमें श्रमिक कार्य करते हुए प्रतीत होते हैं पर वे वास्तव में होते नहीं हैं।

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 1 Story of a Village

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Story of a Village PSEB 9th Class SST Notes

→ Economics: Economics is the study of unlimited human wants and the activities carried out to satisfy these wants through limited means.

→ Goods: Goods are those visible things that satisfy human wants e.g., books, chairs, mobile phones, etc.

→ Services: Services do not have a physical existence but they satisfy human wants e.g., teaching by a teacher.

→ Utility: Want satisfying power of a good or service is called utility.

→Price: The value of goods and services which can be expressed in terms of money is called price.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 1 Story of a Village

→ Wealth: All those goods and services for which we have to pay a price for their consumption are called wealth.

→ Money: Money can be defined as anything that is recognized by the government and is widely accepted as a medium of exchange in the transfer of goods.

→ Demand: Other things being equal, demand refers to the quantities of a commodity that the consumers are able and willing to buy at each possible price during a given period of time.

→ Supply: The quantities of a commodity that a seller is prepared to sell at given prices in a given period of time is called supply.

→ Market: Market means an arrangement where buyers and sellers of a commodity are in close contact with each other to buy and sell goods.

→ Cost: Cost is the amount spent in terms of money right from the production of goods to their sale.

→ Revenue: Revenue is the money earned by a person by selling goods or services.

→ Economic Activities: Economic activities are those activities that are concerned with consumption, production, exchange, and distribution of wealth.

→ Non-Economic Activities: Non-Economic activities are those activities that are not economically profitable.

→ Production: The creation of utility is called production.

→ Factors of Production: Land, labour, capital, and entrepreneur are called factors of production.

→ Land: Land is the free gift of nature-and its supply is fixed.

PSEB 9th Class SST Notes Economics Chapter 1 Story of a Village

→ Labour: All human efforts made for the sake of monetary gain are called labour.

→ Multiple Cropping: To grow more than one crop on a piece of land during a year is known as multiple cropping.

→ Capital: Capital means all those man-made goods which are used in the further production of goods.

→ Entrepreneur: A human factor of production that takes economic decisions and bears risks is called an entrepreneur.

एक गांव की कहानी PSEB 9th Class SST Notes

→ अर्थशास्त्र – अर्थशास्त्र मनुष्य के उन कार्यों का अध्ययन है जो हमें यह बताता है कि किस प्रकार दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके अधिकतम संतुष्टि प्राप्त की जा सकती है।

→ वस्तुएं – वस्तुएं वे दृश्य मदें हैं जो मनुष्य की आवश्यकताएं पूरी करती हैं जैसे किताब, कुर्सी, मोबाइल आदि।

→ सेवाएं – सेवाएं अदृश्य मदें हैं परंतु मनुष्य की आवश्यकताएं संतुष्ट करती हैं जैसे अध्यापन।

→ उपयोगिता – आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति उपयोगिता है।

→ कीमत – वस्तुओं और सेवाओं का वह मूल्य जो मुद्रा में व्यक्त किया जाता है।

→ धन – वे सभी वस्तुएं तथा सेवाएं जो हम उपभोग करने के लिए कीमत देकर खरीदते हैं।

→ मुद्रा – मुद्रा वह पदार्थ है जो सरकार द्वारा जारी किया जाता है तथा जिसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है।

→ मांग – अन्य बातें समान रहने पर, मांग किसी वस्तु की वह मात्रा है जिसे एक उपभोक्ता निश्चित कीमत तथा निश्चित समय पर खरीदने के लिए तैयार होता है।

→ पूर्ति – पूर्ति किसी पदार्थ की वह मात्रा है जिसे एक उत्पादक निश्चित कीमत तथा निश्चित समय पर बेचने के लिए तैयार होता है।

→ बाज़ार – बाज़ार एक स्थान है जहां क्रेता व विक्रेता एक साथ पाए जाते हैं।

→ लागत – लागत मुद्रा के रूप में व्यय की गई वह मात्रा है जो वस्तु को बनाने से लेकर विक्री तक के बीच लगाई जाती है।

→ आगम – आगम मुद्रा की वह मात्रा है जो किसी वस्तु की विक्री से प्राप्त होता है।

→ आर्थिक क्रियाएं – आर्थिक क्रियाएं वे क्रियाएं हैं जो धन कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं।

→ गैर आर्थिक क्रियाएं – वे क्रियाएं जो धन कमाने के उद्देश्य से नहीं की जाती हैं।।

→ उत्पादन – उपयोगिता का सृजन उत्पादन है।

→ उत्पादन के साधन – भूमि, पूंजी, श्रम, उद्यमी उत्पादन के साधन हैं।

→ भूमि – भूमि प्रकृति का निःशुल्क उपहार है जिसकी पूर्ति स्थिर है।

→ श्रम – धन कमाने के उद्देश्य से किए गए सभी मानवीय प्रयास श्रम है।

→ बहुविविध कृषि – भूमि के एक टुकड़े पर एक वर्ष में एक साथ एक से अधिक फसलें एक साथ उगाना बहु विविध कृषि कहलाती हैं।

→ पूंजी – पूंजी का अर्थ उन सभी मानव निर्मित पदार्थों से है जो आगे उत्पादन करने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं।

→ उद्यमी – वह मानवीय तत्व जो उत्पादन संबंधी निर्णय तथा जोखिम उठाता है।

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 3b Punjab: Drainage

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Punjab: Drainage PSEB 9th Class SST Notes

→ Punjab: Punjab is known as the land of five rivers.

→ Punjab was divided along the course of time and presently there are only three rivers over here i.e. Ravi, Beas, and Sutlej. These are perennial rivers.

→ Drainage of Punjab: There are three types of rivers in Punjab and are Perennial rivers, Seasonal rivers, and Relict rivers.

→ River Ravi: River Ravi originates in the north of Rohtang Pass at the height of 4116 metre.

→ On this river, Madhopur headworks have been made for Ranjit Sagar Dam and Theen Dam.

→ It has many tributaries out of which the Ujh river is quite important.

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 3b Punjab: Drainage

→ River Beas: River Beas originates from Beas Kund at the height of 4060 metres in Himachal Pradesh.

→ It flows for 160 km. in Punjab and then enters river Sutlej.

→ Another river Rajasthan Feeder was made out of Beas which fulfills the water needs of a large area of Rajasthan.

→ Sutlej: River Sutlej originates from Rakshtal near Mansarovar lake.

→ Bhakhra Dam has been made on this river. From the Firozpur district, it enters Pakistan.

→ Ghaggar: Ghaggar is a seasonal river that starts from the hills of Sirmour and while going through Patiala, Ghanour and Haryana finally ends in the Desert of Rajasthan.

→ Canal System of Punjab: Punjab has quite a developed canal system which includes 5 headworks and 14500 km. long canals.

पंजाब : जलतन्त्र PSEB 9th Class SST Notes

→ पंजाब-पंजाब को पाँच दरियाओं की धरती कहा जाता है। समय के साथ-साथ पंजाब का कई बार विभाजन हुआ तथा अब इसमें केवल तीन दरिया रावी, ब्यास तथा सतलुज ही रह गए हैं। यह तीनों दरिया सम्पूर्ण वर्ष पानी से भरे रहते हैं।

→ पंजाब का जलतन्त्र-पंजाब में तीन प्रकार के दरिया हैं-बारहमासी दरिया, मौसमी दरिया तथा अवशेषी दरिया।

→ रावी दरिया-रावी दरिया रोहतांग दर्रे के उत्तर की तरफ 4116 मीटर की ऊंचाई पर शुरू होता है।

→ इसके ऊपर रणजीत सागर डैम तथा थीन डैम के लिए माधोपुर हैड वर्कस को बनाया गया है। इसकी कई सहायक नदियां भी हैं जिनमें ऊज नदी सबसे महत्त्वपूर्ण है।

→ ब्यास नदी-ब्यास दरिया हिमाचल प्रदेश के नज़दीक 4060 मीटर की ऊंचाई पर ब्यास कुण्ड से शुरू होता है। यह पंजाब में 160 किलोमीटर का फासला तय करके सतलुज में मिल जाता है।

→ इससे ही राजस्थान फीडर नहर निकाली गई है जो राजस्थान के एक बड़े हिस्से की पानी की आवश्यकताएं पूर्ण करती है।

→ सतलुज-सतलुज मानसरोवर झील के नज़दीक रक्षताल से निकलता है।

→ इस पर भाखड़ा डैम बनाया गया है। यह फिरोजपुर जिले में से पाकिस्तान में चला जाता है।

→ घग्गर-घग्गर एक मौसमी नदी है जो सिरमौर की पहाड़ियों में से निकल कर पटियाला, घनौर तथा हरियाणा में से होते हुए राजस्थान के रेगिस्तान में खत्म हो जाती है।

→ पंजाब की नहरी व्यवस्था-पंजाब में काफी विकसित नहरी व्यवस्था है जिसमें 5 हैडवर्क्स तथा 14500 किलोमीटर लंबी नहरें हैं।

ਪੰਜਾਬ: ਜਲ-ਤੰਤਰ PSEB 9th Class SST Notes

→ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਪੰਜ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਧਰਤੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਮੇਂ ਦੇ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਕਈ ਵਾਰੀ ਵੰਡ ਹੋਈ ਅਤੇ ਹੁਣ ਇਸ ਵਿੱਚ ਸਿਰਫ ਤਿੰਨ ਦਰਿਆ ਰਾਵੀ, ਬਿਆਸ ਅਤੇ ਸਤਲੁਜ ਹੀ ਰਹਿ ਗਏ ਹਨ । ਇਹ ਤਿੰਨੋ ਦਰਿਆ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਰਿਆ ਹਨ-ਬਾਰਾਂਮਾਸੀ ਦਰਿਆ, ਮੌਸਮੀ ਦਰਿਆ ਅਤੇ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ੀ ਦਰਿਆ !

→ ਰਾਵੀ ਦਰਿਆ ਰੋਹਤਾਂਗ ਦੱਰੇ ਦੇ ਉੱਤਰ ਵੱਲ 4116 ਮੀਟਰ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਉੱਤੇ ਰਣਜੀਤ ਸਾਗਰ ਡੈਮ ਅਤੇ ਥੀਨ ਡੈਮ ਲਈ ਮਾਧੋਪੁਰ ਹੈਡ ਵਰਕਸ ਨੂੰ ਬਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਦੀਆਂ ਕਈ ਸਹਾਇਕ । ਨਦੀਆਂ ਵੀ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਨਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ।

→ ਬਿਆਸ ਦਰਿਆ ਹਿਮਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਦੇ ਕੋਲ 4060 ਮੀਟਰ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ਉੱਤੇ ਬਿਆਸ ਕੁੰਡ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ 160 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦਾ ਫਾਸਲਾ ਤੈਅ ਕਰਕੇ ਸਤਲੁਜ ਵਿੱਚ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਹੀ ਰਾਜਸਥਾਨ ਫੀਡਰ ਨਹਿਰ ਕੱਢੀ ਗਈ ਹੈ ਜੋ ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਹਿੱਸੇ ਦੀਆਂ ਪਾਣੀ ਦੀਆਂ ਜ਼ਰੂਰਤਾਂ ਪੂਰੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

→ ਸਤਲੁਜ ਮਾਨਸਰੋਵਰ ਝੀਲ ਦੇ ਨਜ਼ਦੀਕ ਰਕਸ਼ਤਾਲ ਤੋਂ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਉੱਤੇ ਭਾਖੜਾ ਡੈਮ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਇਹ ਫਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਜ਼ਿਲੇ ਵਿੱਚੋਂ ਹੋ ਕੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਘੱਗਰ ਇੱਕ ਮੌਸਮੀ ਨਦੀ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਸਿਰਮੌਰ ਦੀਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਨਿਕਲ ਕੇ ਪਟਿਆਲਾ, ਘਨੋਰ ਅਤੇ । ਹਰਿਆਣਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ ਰੇਗਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਾਫੀ ਵਿਕਸਿਤ ਨਹਿਰੀ ਪ੍ਰਬੰਧ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ 5 ਹੈੱਡ ਵਰਕਸ ਅਤੇ 14500 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਲੰਬੀਆਂ ਨਹਿਰਾਂ ਹਨ ।

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 6 Population

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Population PSEB 9th Class SST Notes

→ Human Resource:

  • Humans are considered as resources because they are the ones who actually create natural resources into usable resources.
  • But now humans have the capability even to change their surroundings according to their needs.
  • That’s why it is necessary for us to educate and develop human resources so that they can be used for national development.

→ Census Survey 2011: According to the census survey of 2011, the Indian population was 121 crore which accounted for 16.7% of the world’s population.

→ The density of Population:

  • Most of the Indian population lives in the plains.
  • The density of population in India is 382 persons per sq. km. Punjab’s density of population was 551 in 2011.

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 6 Population

→ Population Growth:

  • The population of an area never remains the same.
  • It keeps on changing. When this change comes in a positive manner it is called population growth.
  • Birth rate and death rate play a very important role in changing the population of an area.

→ Sex Ratio:

  • The ratio of males and females in the population is called the sex ratio.
  • It is explained in a way that a number of females are shown in an area behind every 1000 males.

→ Age-structure: Population can be divided into three parts on the basis of age and these are:

  • The age group of 15 years or less
  • The age group of 15-65 years
  • The age group of 65 years and above.

→ This division of population is called age structure.

→ Immigration and Emigration:

  • Immigration and emigration also play an important role in changing the population of a region.
  • The meaning of immigration is when people migrate to other regions or countries to live and emigration is the process when people come to any region or country to live.

→ Migrant Labour in Punjab:

  • Many industries have been established in many cities of Punjab and there is always a need for temporary workers to do work in such industries.
  • In the same way, workers are also required to do work in agricultural fields.
  • That’s why many migrants come to Punjab from the states like Uttar Pradesh, Bihar, etc.

→ Working Population and Dependent Population: India’s 41.6% is dependent population and 58.4% population is working for the population.

→ Increasing population:

  • The growth of the population depends upon birth rate and death rate.
  • India’s death rate has come down very quickly but the birth rate is coming down quite slowly.
  • The major reason for decreasing death rate is the spread of health services.

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 6 Population

→ Literacy: At the time of Indian Independence, India’s literacy rate was 14%. But in 2011, the literacy rate increased upto 74.01%.

→ Health:

  • To know about the level of population, it is must to look into the health of people.
  • During the last few decades, the government has greatly stressed increasing health services in the country and has established many hospitals, dispensaries, and even an increased number of doctors.

→ Occupational Population structure:

  • 53% of India’s population is still engaged in the primary sector i.e. agriculture.
  • 13% of people are engaged in the secondary sector and 20% are in the tertiary sector.

→ Population Distribution of Punjab:

  • There are 12,581 villages and 217 small big cities in Punjab.
  • There is a great difference in their population.
  • Few areas have a density of population around 400 persons per sq. km. and few regions have more than 900 persons per sq. km.

→ Female Foeticide:

  • Female foeticide leads to an imbalance in the population.
  • That’s why the sex ratio in India is 1000 : 943 and in Punjab, it is 1000 : 895.

जनसंख्या PSEB 9th Class SST Notes

→ मानव संसाधन – मनुष्य अपने परितंत्र का मात्र एक अंग ही नहीं रह गया, अब वह अपने लाभ के लिए पर्यावरण में परिवर्तन भी कर सकता है। अब उसकी शक्ति उसकी गुणवत्ता में समझी जाती है।

→ राष्ट्र को ऊंचा उठाने के लिए हमें अपने मानवीय संसाधनों को विकसित, शिक्षित एवं प्रशिक्षित करना अनिवार्य है। तभी प्राकृतिक संसाधनों का विकास संभव हो सकेगा।

→ 2011 की जनगणना – 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी। यह संसार की कुल जनसंख्या का 17.2% भाग है।

→ जनसंख्या घनत्व – देश की अधिकतर जनसंख्या मैदानी भागों में निवास करती | है। देश में जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

→ जनसंख्या बढ़ौतरी – किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या एक समान नहीं रहती बल्कि उसमें परिवर्तन आते रहते हैं। जब यह परिवर्तन सकारात्मक होता है तो इसे जनसंख्या बढ़ौतरी कहते हैं। किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ने या कम होने में जन्म दर व मृत्यु दर काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

→ स्त्री-पुरुष अनुपात – स्त्री-पुरुष के सांख्यिकी अनुपात को स्त्री-पुरुष अनुपात | कहते हैं। इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है।

→ आयु संरचना – जनसंख्या को सामान्यतः तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-

  • 15 वर्ष से कम आयु-वर्ग
  • 15 से 65 वर्ष का आयु वर्ग तथा
  • 65 वर्ष से अधिक का आयु वर्ग।
    इस विभाजन को जनसंख्या का पिरामिड कहा जाता है।

→ आवास तथा प्रवास – किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या में परिवर्तन में आवास तथा प्रवास की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। आवास का अर्थ होता है बाहर से आकर बस जाना तथा प्रवास का अर्थ है बाहर जाकर बस जाना।

→ प्रवास के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि, रोजगार की तलाश, आय की आशा, बढ़िया सुविधाओं की आवश्यकता इत्यादि।

→ पंजाब में प्रवासी मजदूर – पंजाब के कई नगरों में बहुत से उद्योग स्थापित हैं जिनमें कार्य करने के लिए अस्थायी मजदूरों की आवश्यकता होती है।

→ इस प्रकार कृषि का कार्य करने के लिए मज़दूरों की आवश्यकता होती है। इस कारण पंजाब में उत्तर प्रदेश, बिहार इत्यादि प्रदेशों से प्रवासी मज़दूर आकर कार्य करते है।

→ अर्जक तथा आश्रित जनसंख्या – भारत में जनसंख्या का 41.6% भाग आश्रित है। शेष 58.4% अर्जक जनसंख्या को आश्रित जनसंख्या का निर्वाह करना पड़ता है।

→ बढ़ती जनसंख्या – जनसंख्या की वृद्धि दर, जन्म-दर तथा मृत्यु-दर के अन्तर पर निर्भर करती है। भारत की मृत्यु दर तो काफ़ी नीचे आ गई है परंतु जन्म-दर बहुत धीमे से घटी है। मृत्यु-दर के घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार रहा है।

→ साक्षरता – स्वतंत्रता के समय हमारे देश में केवल 14% लोग ही साक्षर थे। 2011 में यह प्रतिशत बढ़कर 74.01% हो गया।

→ स्वास्थ्य – जनसंख्या का स्तर पता करने के लिए लोगों का स्वास्थ्य देखने की आवश्यकता होती है।

→ पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य सुविधाएं विशेषतया अस्पताल, डिस्पैंसरी तथा डॉक्टरों की संख्या में काफी बढ़ौतरी हुई है।

→ पेशे के अनुसार जनसंख्या संरचना – हमारे देश की 53% जनसंख्या आज भी प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत है। द्वितीय क्षेत्र 13% लोग तथा तृतीय क्षेत्र में लगभग 20% लोग कार्यरत हैं।

→ पंजाब का जनसंख्या विभाजन – पंजाब में 12,581 गांव हैं तथा 217 छोटे बड़े नगर हैं। इन सभी की जनसंख्या में काफी अंतर है।

→ कई क्षेत्रों का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी कम है तथा कई क्षेत्रों में यह 900 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है।

→ मादा भ्रूण हत्या – मादा भ्रूण हत्या से जनसंख्या में असंतुलन आ जाता है। इस कारण भारत का लिंग अनुपात 1000 : 943 है तथा पंजाब में यह 1000 : 895 है।

ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਨ PSEB 9th Class SST Notes

→ ਮਨੁੱਖ ਆਪਣੇ ਸਮਾਜ ਦਾ ਇੱਕ ਮਾਤਰ ਅੰਗ ਹੀ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਗਿਆ; ਹੁਣ ਉਹ ਆਪਣੇ ਲਾਭ ਦੇ ਲਈ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲੀ ਵੀ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਹੁਣ ਉਸ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਉਸ ਦੀ ਗੁਣਵੱਤਾ ਵਿੱਚ ਸਮਝੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਉੱਚਾ ਚੁੱਕਣ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਮਨੁੱਖੀ ਸਾਧਨਾਂ ਨੂੰ ਵਿਕਸਿਤ, ਸਿੱਖਿਅਤ ਅਤੇ ਸਿਖਲਾਈ ਦੇਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਤਾਂ ਹੀ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਸੰਭਵ ਹੋ ਸਕੇਗਾ ।

→ 2011 ਦੀ ਜਨਗਣਨਾ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ 121 ਕਰੋੜ ਸੀ । ਇਹ ਸੰਸਾਰ ਦੀ ਕੁੱਲ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਲਗਪਗ 17.2% ਭਾਗ ਹੈ ।

→ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵਧੇਰੇ ਜਨਸੰਖਿਆ ਮੈਦਾਨੀ ਭਾਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵਸਦੀ ਹੈ । ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੀ ਘਣਤਾ 382 ਵਿਅਕਤੀ ਪ੍ਰਤੀ ਵਰਗ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਸੀ । ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਘਣਤਾ 2011 ਵਿੱਚ 551 ਸੀ ।

→ ਕਿਸੇ ਵੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਵਸੋਂ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦੀ ਬਲਕਿ ਇਸ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਆਉਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਇਹ ਪਰਿਵਰਤਨ ਸਕਾਰਾਤਮਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਵਸੋਂ ਵਾਧਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਕਿਸੇ ਵੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਧਣ ਜਾਂ ਘਟਣ ਵਿੱਚ ਜਨਮ ਦਰ ਅਤੇ ਮੌਤ ਦਰ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਔਰਤ-ਮਰਦ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਅਨੁਪਾਤ ਨੂੰ ਔਰਤ-ਮਰਦ ਅਨੁਪਾਤ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਤੀ ਹਜ਼ਾਰ ਮਰਦਾਂ ਪਿੱਛੇ ਔਰਤਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਵਰਣਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਨਸੰਖਿਆ ਨੂੰ ਬਰਾਬਰ ਤਿੰਨ ਵਰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਵੰਡ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ-

  • 15 ਸਾਲ ਤੋਂ ਘੱਟ ਉਮਰ-ਵਰਗ
  • 15 ਤੋਂ 65 ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਰਗ ਅਤੇ
  • 65 ਸਾਲ ਤੋਂ ਵੱਧ ਦਾ ਉਮਰ-ਵਰਗ ।
    ਇਸ ਵੰਡ ਨੂੰ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਉਮਰ-ਢਾਂਚਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਵੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਵਿੱਚ ਆਵਾਸ ਅਤੇ ਪ੍ਰਵਾਸ ਦੀ ਵੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਆਵਾਸ ਦਾ ਅਰਥ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਬਾਹਰੋਂ ਆ ਕੇ ਵਸਣਾ ਅਤੇ ਪ੍ਰਵਾਸ ਦਾ ਅਰਥ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਬਾਹਰ ਜਾ ਕੇ ਵਸਣਾ । ਪ੍ਰਵਾਸ ਦੇ ਕਈ ਕਾਰਨ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਦੀ ਭਾਲ, ਕਮਾਈ ਦੀ ਆਸ, ਵਧੀਆ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਆਦਿ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਕਈ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਉਦਯੋਗ ਸਥਾਪਿਤ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਕੰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਅਸਥਾਈ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਖੇਤੀ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਉੱਤਰ-ਪਦੇਸ਼, ਬਿਹਾਰ ਆਦਿ ਵਰਗੇ ਦੇਸ਼ ਤੋਂ ਪਰਵਾਸੀ ਮਜ਼ਦੂਰ ਆ ਕੇ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ 41.6% ਭਾਗ ਨਿਰਭਰ ਹੈ ਅਤੇ 58.4% ਕਮਾਊ ਜਨਸੰਖਿਆ ਨੂੰ ਨਿਰਭਰ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਨਿਰਬਾਹ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੀ ਵਾਧਾ-ਦਰ, ਜਨਮ-ਦਰ ਅਤੇ ਮੌਤ-ਦਰ ਦੇ ਅੰਤਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਦੀ ਮੌਤ| ਦਰ ਤਾਂ ਕਾਫ਼ੀ ਹੇਠਾਂ ਆ ਗਈ ਹੈ । ਪਰੰਤੂ ਜਨਮ-ਦਰ ਬਹੁਤ ਹੌਲੀ ਦਰ ਨਾਲ ਘਟੀ ਹੈ । ਮੌਤ-ਦਰ ਦੇ ਘਟਣ ਦਾ ਮੁੱਖ ਕਾਰਨ ਸਿਹਤ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

→ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ 14% ਲੋਕ ਹੀ ਪੜ੍ਹੇ-ਲਿਖੇ ਸਨ।। 2011 ਵਿੱਚ ਇਹ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਵੱਧ ਕੇ 74.01% ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ ।

→ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦਾ ਪੱਧਰ ਪਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਦੇਖਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਿਛਲੇ ਕੁੱਝ ਦਹਾਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਸਿਹਤ ਸੁਵਿਧਾਵਾਂ ਖ਼ਾਸ ਕਰ, ਹਸਪਤਾਲ, ਡਿਸਪੈਂਸਰੀਆਂ ਅਤੇ ਡਾਕਟਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਵਾਧਾ ਹੋਇਆ ਹੈ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ 53% ਜਨਸੰਖਿਆ ਅੱਜ ਵੀ ਪ੍ਰਾਥਮਿਕ ਖੇਤਰ ਜਾਂ ਖੇਤੀ ਵਿੱਚ ਲੱਗੀ ਹੋਈ ਹੈ । ਸੈਕੰਡਰੀ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ 13% ਲੋਕ ਅਤੇ ਤੀਜੇ ਖੇਤਰ (Tertiary Sector) ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ 20% ਲੋਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ 12,581 ਪਿੰਡ ਅਤੇ 217 ਛੋਟੇ-ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਅੰਤਰ ਹੈ । ਕਈ ਖੇਤਰਾਂ ਦੀ ਘਣਤਾ 400 ਵਿਅਕਤੀ ਪ੍ਰਤੀ ਵਰਗ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੋਂ ਵੀ ਘੱਟ ਹੈ ਅਤੇ ਕਈ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਇਹ 900 ਵਿਅਕਤੀ ਪ੍ਰਤੀ ਵਰਗ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਹੈ ।

→ ਮਾਦਾ ਭਰੂਣ ਹੱਤਿਆ ਨਾਲ ਜਨਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਅਸੰਤੁਲਨ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਦਾ ਲਿੰਗ ਅਨੁਪਾਤ 1000 : 943 ਹੈ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇਹ 1000 : 895 ਹੈ ।

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 5 Natural Vegetation and Wild Life

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Natural Vegetation and Wild Life PSEB 9th Class SST Notes

→ Four Spheres of Earth: Earth is a planet where life exists. It has four spheres – Lithosphere, Atmosphere, Hydrosphere, and Biosphere.

→ In the Biosphere, many species live.

→ All the species living in an area are called Fauna and the vegetation of an area is called Flora.

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 5 Natural Vegetation and Wild Life

→ Natural Vegetation: Vegetation grown without human interference is called natural vegetation. It grows automatically in its region.

→ Geographical Factors Responsible for Natural Vegetation: Many factors are responsible for the growth of natural vegetation in an area and these are soil, land, temperature, duration of sunlight, rainfall, etc.

→ Diversity of Plants: Forests, pasture lands, and bushes are included in the natural vegetation in India. More than 45,000 plants are available in India.

→ Types of Natural Vegetation: Indian natural vegetation is mainly divided into five parts as Tropical Evergreen forests, Tropical Deciduous forests, Scrubs, and Thorny forests, Tidal or Mangrove forests, and Mountainous forests.

→ Types of Vegetation in Mountainous Region: In the mountainous region, many types of vegetation are available such as tropical evergreen forest and polar natural vegetation. All these types are available only upto the height of 6 km.

→ Fauna: More than 89,000 species of animals and birds exist in India. 2546 types of fish are there in the fresh and salty water of India. Around 2000 types of birds are also there in India.

→ Protection of Biodiversity: To protect the biodiversity in India, a number of wildlife sanctuaries, biodiversity parts, and zoos are made in India.

→ Soils in Punjab: Many types of soil are available in Punjab such as Alluvial soil, Sandy soil, Clayey soil, Loamy soil, Hill soil, or Kandi soil, Sodic, and Saline soil, etc.

→ Natural Vegetation in Punjab: Due to the availability of many types of soils in Punjab, many types of vegetation are also available over here such as Himalayan type Moist Temperature Vegetation, Subtropical Pine Vegetation, Subtropical Scrub Hill Vegetation, Tropical Dry Deciduous vegetation, and Tropical Thorny Vegetation.

→ Soil: Soil is formed by the broken parts of basic rocks. It is helped by many factors such as temperature, flowing water, rainfall, etc.

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 5 Natural Vegetation and Wild Life

→ Importance of Forests: Forests are very much important for us such as they provide us wood, they help in rains and stop soil erosion. They give us oxygen and make our environment healthy.

→ Migrated Birds: Many birds migrate to India during a particular season such as the Siberian crane, Black-winged still, Bar-headed goose, Demoiselle, Crane, Greater flamingo, etc.

→ Medicinal Plants: Many plants in India are helpful in the making of medicines such as amla, sarpgendha, tulse, neem, chanden, bill, Jamun, etc.

प्राकृतिक वनस्पति तथा जंगली जीवन PSEB 9th Class SST Notes

→ पृथ्वी के चार मंडल – पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन मौजूद है। इसके चार मंडल हैं थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल तथा जीवमंडल।

→ जीवमंडल में कई प्रकार के जीव रहते हैं। किसी क्षेत्र में मौजूद सभी प्राणियों को फौना तथा वनस्पति को फलौरा कहा जाता है।

→ प्राकृतिक वनस्पति – मनुष्य में हस्तक्षेप के बिना उगने वाली वनस्पति को प्राकृतिक वनस्पति कहा जाता है। यह स्वयं ही अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार विकसित हो जाती है।

→ प्राकृतिक वनस्पति के लिए उत्तरदायी तत्व – किसी भी क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति के लिए कई प्रकार के भौगोलिक तत्व उत्तरदायी होते हैं जैसे कि भूमि, मिट्टी, तापमान, सूर्य की रोशनी, वर्षा इत्यादि।

→ पौधों की विविधता – भारत की प्राकृतिक वनस्पति में वन, घास-भूमियां तथा झाड़ियां सम्मिलित हैं। भारत में पौधों की 45,000 जातियां पाई जाती हैं।

→ वनस्पति प्रदेश – हिमालय प्रदेश को छोड़कर भारत के चार प्रमुख वनस्पति क्षेत्र हैं-उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन, उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन, कंटीले वन और झाड़ियां तथा ज्वारीय वन।

→ पर्वतीय प्रदेशों में वनस्पति की पेटियां – पर्वतीय प्रदेशों में उष्णकटिबंधीय वनस्पति से लेकर ध्रुवीय वनस्पति तक सभी प्रकार की वनस्पति बारी-बारी से मिलती है। ये सभी पेटियां केवल छ: किलोमीटर की ऊंचाई में ही समाई हुई हैं।

→ जीव-जंतु – हमारे देश में जीव-जंतुओं की लगभग 89000 जातियां मिलती हैं। देश के ताज़े और खारे पानी में 2546 प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। यहां पक्षियों की भी 2,000 जातियां हैं।

→ जैव-विविधता की सुरक्षा और संरक्षण – जैव सुरक्षा के उद्देश्य से देश में 103 राष्ट्रीय उद्यान, 544 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 177 प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) बनाए गए हैं।

→ मृदा (मिट्टी) – मूल शैलों के विखंडित पदार्थों से मिट्टी बनती है। तापमान, प्रवाहित जल, पवन इत्यादि तत्त्व इसके विकास में सहायता करते हैं।

→ पंजाब की मृदाएं – पंजाब में कई प्रकार की मृदाएं या मिट्टियां पाई जाती हैं जैसे कि जलोढ मिट्टी, चिकनी मिट्टी, दोमट मिट्टी, पर्वतीय मिट्टी, सोडिक और खारी मिट्टी इत्यादि।

→ पंजाब की प्राकृतिक वनस्पति – पंजाब में कई प्रकार की मिट्टी मिलने के कारण यहां पर कई प्रकार की वनस्पति भी मिल जाती है जैसे कि हिमालय प्रकार की आर्द्र शीत उष्ण वनस्पति, उपउष्णचील वनस्पति, उपउष्ण झाड़ीदार पर्वतीय वनस्पति, उष्ण शुष्क पतझड़ी वनस्पति तथा उष्ण कांटेदार वनस्पति।

→ जंगलों का महत्त्व – जंगलों का हमारे लिए काफी महत्त्व है जैसे कि जंगलों से हमें लकड़ी मिलती है, जंगल वर्षा करवाने तथा भूमि क्षरण को रोकते हैं, यह हमें आक्सीजन देते हैं, यह हमारे वातावरण को स्वस्थ बनाते हैं इत्यादि।

→ प्रवासी पक्षी – हमारे देश में कई प्रकार के प्रवासी पक्षी भी आते हैं जैसे कि साइबेरिआई सारस, आमटील, गड़वाल, स्टालिंग, कुंब डक, ऐशियाई कोयल इत्यादि।

→ औषधिक पौधे – हमारे देश में बहुत-से ऐसे पौधे मिलते हैं जो दवाइयां बनाने में सहायता करते हैं जैसे कि आंवला, सर्पगंधा, तुलसी, नीम, चंदन, बिल, जामुन इत्यादि।

ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਜੰਗਲੀ ਜੀਵਨ PSEB 9th Class SST Notes

→ ਧਰਤੀ ਇੱਕ ਅਜਿਹਾ ਗ੍ਰਹਿ ਹੈ ਜਿਸ ਉੱਤੇ ਜੀਵਨ ਮੌਜੂਦ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਚਾਰ ਮੰਡਲ ਹਨ-ਬਲ-ਮੰਡਲ, ਵਾਯੂ ਮੰਡਲ, ਜਲ-ਮੰਡਲ ਅਤੇ ਜੀਵ-ਮੰਡਲ 1 ਜੀਵ-ਮੰਡਲ ਵਿੱਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੀਵ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਕਿਸੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਸਾਰੇ ਪਾਣੀਆਂ ਨੂੰ ਫੋਨਾ ਅਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਨੂੰ ਫਲੋਰਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਦਖ਼ਲ-ਅੰਦਾਜ਼ੀ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਉੱਗਣ ਵਾਲੀ ਬਨਸਪਤੀ ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਹੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਜਲਵਾਯੂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਕਿਸੇ ਵੀ ਖੇਤਰ ਦੀ ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਲਈ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਭੂਗੋਲਿਕ ਤੱਤ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਭੂਮੀ, ਮਿੱਟੀ, ਤਾਪਮਾਨ, ਸੂਰਜ ਦੀ ਰੋਸ਼ਨੀ ਦੀ ਮਿਆਦ, ਵਰਖਾ ਆਦਿ ।

→ ਭਾਰਤ ਦੀ ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਵਿੱਚ ਜੰਗਲ, ਘਾਹ ਭੂਮੀਆਂ ਅਤੇ ਝਾੜੀਆਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ । ਭਾਰਤ ਵਿਚ । ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ 45,000 ਜਾਤਾਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ।

→ ਹਿਮਾਲਾ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਬਾਕੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਚਾਰ ਬਨਸਪਤੀ ਖੇਤਰ ਹਨ-ਊਸ਼ਣ ਕਟੀਬੰਧੀ ਵਰਖਾ ਵਣ, ਉਸ਼ਣ ਕਟੀਬੰਧੀ ਪਰਣਪਾਤੀ ਵਣ, ਕੰਡੇਦਾਰ ਵਣ ਅਤੇ ਝਾੜੀਆਂ ਤੇ ਜਵਾਰਭਾਟੀ ਵਣ ।

→ ਪਰਬਤੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਉਸ਼ਣ ਕਟੀਬੰਧੀ ਬਨਸਪਤੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਧਰੁਵੀ ਕੁਦਰਤੀ ਬਨਸਪਤੀ ਤਕ ਸਭ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਨਸਪਤੀ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਨਾਲ ਮਿਲਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਸਭ ਪੇਟੀਆਂ ਸਿਰਫ਼ ਛੇ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ਵਿਚ ਹੀ ਸਮੋਈਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਜੀਵ-ਜੰਤੂਆਂ ਦੀਆਂ ਲਗਪਗ (89,000) ਜਾਤੀਆਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਦੇਸ਼ ਦੇ ਤਾਜ਼ੇ ਅਤੇ ਖਾਰੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ 2546 ਕਿਸਮਾਂ ਦੀਆਂ ਮੱਛੀਆਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਵੀ 2,000 ਜਾਤਾਂ ਹਨ ।

→ ਜੀਵ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦੇ ਉਦੇਸ਼ ਲਈ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ 103 ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸੰਸਥਾਵਾਂ, 544 ਵਣ-ਪਾਣੀ ਆਰਾਮ ਸਥਲ ਅਤੇ 177 ਜੀਵ ਚਿੜੀਆ ਘਰ ਬਣਾਏ ਗਏ ਹਨ ।

→ ਮੁੱਢਲੀਆਂ ਚੱਟਾਨਾਂ ਦੇ ਟੁੱਟੇ-ਫੁੱਟੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਤੋਂ ਮਿੱਟੀ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਤਾਪਮਾਨ, ਵਗਦਾ ਪਾਣੀ, ਪੌਣ ਆਦਿ ਤੱਤ ਇਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਮਿੱਟੀਆਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਜਲੋਢੀ ਮਿੱਟੀ, ਰੇਤਲੀ ਮਿੱਟੀ, ਚੀਕਣੀ ਮਿੱਟੀ, ਦੋਮਟ ਮਿੱਟੀ, ਪਹਾੜੀ ਮਿੱਟੀ, ਸੋਡਿਕ ਅਤੇ ਖਾਰੀ ਮਿੱਟੀ ਆਦਿ ।

→ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇੱਥੇ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਬਨਸਪਤੀ ਵੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ; ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਹਿਮਾਲਿਆ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਸਿੱਲੀ ਸ਼ੀਤ-ਉਸ਼ਣ ਬਨਸਪਤੀ, ਉਪ-ਉਸ਼ਣ ਚੀਲ ਬਨਸਪਤੀ, ਉਪ-ਉਸ਼ਣ ਝਾੜੀਦਾਰ ਪਹਾੜੀ ਬਨਸਪਤੀ, ਉਸ਼ਣ-ਖੁਸ਼ਕ ਪੱਤਝੜੀ ਬਨਸਪਤੀ ਅਤੇ ਉਸ਼ਣ ਕੰਡੇਦਾਰ ਬਨਸਪਤੀ ।

→ ਜੰਗਲਾਂ ਦਾ ਸਾਡੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਜੰਗਲਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਲੱਕੜ ਮਿਲਦੀ ਹੈ, ਜੰਗਲ ਵਰਖਾ ਕਰਨ ਅਤੇ ਤੋਂ ਖੁਰਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਇਹ ਸਾਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਡੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਸਿਹਤਮੰਦ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ਆਦਿ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਸੀ ਪੰਛੀ ਵੀ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਸਾਇਬੇਰੀਆਈ ਸਾਰਸ, ਆਮ ਟੀਲ, ਗਡਵਾਲ, ਸਟਾਲਿੰਗ, ਤੂੰਬ ਡੱਕ, ਏਸ਼ਿਆਈ ਕੋਇਲ ਆਦਿ ।

→ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਅਜਿਹੇ ਪੌਦੇ ਵੀ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਦਵਾਈਆਂ ਬਣਾਉਣ ਵਿੱਚ ਮੱਦਦ ਕਰਦੇ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਆਂਵਲਾ, ਸਰਪਗੰਧਾ, ਤੁਲਸੀ, ਨਿੰਮ, ਚੰਦਨ, ਬਿਲ, ਜਾਮਣ ਆਦਿ ।

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 4 Indian Democracy at Work

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Indian Democracy at Work PSEB 10th Class SST Notes

Types of Democracy:

  • Democracy can be either Direct or Indirect.
  • In a direct democracy, the people run the government directly but in indirect democracy, the government is run by the representatives of the people.
  • For the success of democracy, it is essential that public opinion plays an important role.
  • Healthy public opinion is a check on the political parties.
  • In the formation of public opinion, many constituents such as newspapers, electronic media, political parties, and many social service groups play a very important role.

Expression of Public Opinion:

  • In the formation of public opinion, its means are also considered.
  • The political parties indicate the opinion of the people.

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 4 Indian Democracy at Work

Modern Public Opinion:
Modem age is the age of indirect public opinion because the modem states have large areas and have big populations.

Right to Vote:

  • The right to vote means that, the citizens have the right to elect their representatives.
  • In India, the basis of voting is one person one vote.

Secret ballot:

  • In most democratic countries, the method of the secret ballot has been adopted.
  • It means that in the elections, the citizens can vote for a candidate of their choice.
  • Any voter cannot be compelled to vote for any particular candidate.
  • He cannot be told for whom he has to cast his vote.

Election Process:

  • The Election Commission conducts the elections by a particular process.
  • This process has different stages:
    • To fix the date of the election
    • Nomination of candidates
    • Scrutiny of nomination papers
    • The date of withdrawal
    • Election campaign
    • Voting
    • Counting of votes
    • Declaration of results.

The Election Symbols:

  • Every political party has its own symbol. Independent candidates are given different symbols.
  • The allocation of symbols to the candidates makes it easy for the voters to vote for the candidate of their choice.

Election Propaganda:
With the announcement of the election, political parties and independent candidates start election propaganda and try to influence the voters.

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 4 Indian Democracy at Work

Election Manifesto:
An election manifesto is an important document of a political party in which each political party declares its aims, objectives, and programmes.

Role of Political Parties:
Political parties help to create public interest without which there can be no public opinion.

Party Systems:
The single-party system, bi-party system, and multiple-party system.

Names of National Political Parties:
Indian National Congress, Bhartiya Janata Party, Communist Party of India (Marxist), CPI, National Congress, and Trinamool Congress.

India’s important Regional Parties:
AIDMK in Tamilnadu, Telgu Desham in Andhra Pradesh, Akali Dal in Punjab, National Conference in J&K, etc.

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 4 Indian Democracy at Work

Role of Opposition:

  • The opposition not in power criticizes the government.
  • It serves as a check on the government.

भारतीय लोकतन्त्र का स्वरूप PSEB 10th Class SST Notes

लोकतन्त्र के प्रकार-लोकतन्त्र प्रत्यक्ष भी हो सकता है और अप्रत्यक्ष भी। प्रत्यक्ष लोकतन्त्र में जनता स्वयं अपने शासन का संचालन करती है। अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र में शासन चलाने का कार्य जनता के प्रतिनिधि करते हैं।

लोकमत-प्रजातन्त्र की सफलता के लिए लोकमत अथवा जनमत की भूमिका अति अनिवार्य है। स्वस्थ जनमत राजनीतिक दलों पर नियन्त्रण रखता है।

जनमत के निर्माण में अनेक संस्थाओं का योगदान होता है-समाचार-पत्र, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, राजनीतिक दल तथा अन्य समाज सेवी समूह।

जनमत की अभिव्यक्ति-जनमत निर्माण के साधन जनमत की अभिव्यक्ति भी करते हैं। राजनीतिक दल लोगों की राय की अभिव्यक्ति करते हैं।

आधुनिक लोकतन्त्र-प्रतिनिधि लोकतन्त्र-आधुनिक लोकतन्त्र प्रतिनिधि लोकतन्त्र है। इसका कारण यह है कि आधुनिक राज्यों का आकार बहुत बड़ा है और उनकी जनसंख्या बहुत अधिक है।

मताधिकार-नागरिकों के मत देने तथा मतदान द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं। भारत में ‘एक व्यक्ति-एक वोट’ के आधार पर सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया गया है।

गुप्त मतदान-आह्यधुनिक लोकतान्त्रिक देशों में मतदान गुप्त प्रक्रिया से किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक नागरिक अपने प्रतिनिधि के चुनाव के लिए स्वेच्छा से मतदान करता है। वह किसी को बताने के लिए बाध्य नहीं कि उसने अपना मत किसके पक्ष में डाला है।

चुनाव प्रक्रिया-चुनावों की व्यवस्था तथा देख-रेख चुनाव आयोग करता है। इसके लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया के मुख्य चरण हैं-चुनावों की तिथि की घोषणा, नामांकन-पत्र भरना, नामांकन-पत्रों की जांच, नाम वापिस लेना, चुनाव अभियान, मतदान, मतगणना तथा परिणामों की घोषणा।

चुनाव चिह्न-प्रत्येक राजनीतिक दल का अपना विशेष चुनाव चिह्न होता है। निर्दलीय उम्मीदवारों को भी चुनाव चिह्न प्रदान किए जाते हैं। इन चिह्नों से उम्मीदवारों की पहचान करना सरल हो जाता है। ये चिह्न चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किये जाते हैं।

चुनाव अभियान-यह चुनाव की समस्त प्रक्रिया का सबसे निर्णायक भाग है। जनसभाओं का आयोजन, चुनाव घोषणा-पत्र द्वारा जनता को दल की नीतियों की जानकारी देना, विभिन्न प्रकार के वाहनों तथा पोस्टरों द्वारा चुनाव प्रचार किया जाता है।

चुनाव घोषणा-पत्र-चुनाव के समय प्रत्येक राजनीतिक दल जनता को यह बताता है कि यदि वह सत्ता में आ गया तो वह क्या-क्या करेगा। राजनीतिक दलों के इस कार्यक्रम को चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। इसी के आधार पर राजनीतिक दलों की परख होती है।

राजनीतिक दल-एक समान राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मिल कर कार्य करने वाले व्यक्तियों के समूह को राजनीतिक दल कहते हैं। जनमत का निर्माण, राजनीतिक शिक्षा, चुनाव लड़ना, सरकार का निर्माण, सरकार की आलोचना, जनता और सरकार में सम्पर्क स्थापित करना राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य हैं।

एक दलीय, द्विदलीय तथा बहुदलीय प्रणाली-जिस राज्य में एक ही राजनीतिक दल हो उसे एक दलीय, जिस राज्य में दो दल हों, उसे द्विदलीय तथा जिस राज्य में दो से अधिक दल हों, उसे बहुदलीय प्रणाली कहते हैं। भारत में बहुदलीय प्रणाली है।

भारत के प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल-इण्डियन नेशनल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, साम्यवादी दल, साम्यवादी (मार्क्सवादी), एन० सी० पी०, तृणमूल कांग्रेस तथा राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं।

भारत के प्रमुख क्षेत्रीय दल-तमिलनाडु में ए० आई० ए० डी० एम० के०, आन्ध्र में तेलगू देशम्, जम्मूकश्मीर में नेशनल कान्फ्रैंस, पंजाब में अकाली दल, असम में असम गण परिषद् प्रमुख क्षेत्रीय दल हैं।

विपक्षी दलों की भूमिका-सत्ता में न होने के बावजूद विपक्षी दल का अपना महत्त्व होता है। विपक्षी दल सरकार की नीतियों की आलोचना द्वारा सरकार पर अंकुश रखता है। इस प्रकार वह सरकार को मनमानी करने से रोकता है।

ਭਾਰਤੀ ਲੋਕਤੰਤਰ ਦਾ ਸਰੂਪ PSEB 10th Class SST Notes

ਲੋਕਤੰਤਰ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ-ਲੋਕਤੰਤਰ ਪ੍ਰਤੱਖ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅਪ੍ਰਤੱਖ ਵੀ । ਪ੍ਰਤੱਖ ਲੋਕਤੰਤਰ ਵਿਚ ਜਨਤਾ ਆਪ ਆਪਣੇ ਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਸੰਚਾਲਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਅਪ੍ਰਤੱਖ ਲੋਕਤੰਤਰ ਵਿਚ ਸ਼ਾਸਨ ਚਲਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਜਨਤਾ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਲੋਕਮਤ-ਲੋਕਤੰਤਰ ਦੀ ਕਾਮਯਾਬੀ ਲਈ ਲੋਕਮਤ ਜਾਂ ਜਨਮਤ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਸਿਹਤਮੰਦ ਜਨਮਤ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲਾਂ ਉੱਤੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਜਨਮਤ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿਚ ਅਨੇਕਾਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਦਾ ਯੋਗਦਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸਮਾਚਾਰ ਪੱਤਰ, ਇਲੈੱਕਟਾਨਿਕ ਮੀਡੀਆ, ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ ਅਤੇ ਹੋਰ ਸੰਗਠਨ ।

ਜਨਮਤ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ-ਜਨਮਤ ਨਿਰਮਾਣ ਦੇ ਸਾਧਨ ਜਨਮਤ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ ਵੀ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਰਾਇ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਤੰਤਰ-ਪ੍ਰਤੀਨਿਧੀ ਲੋਕਤੰਤਰ-ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਤੰਤਰ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧੀ ਲੋਕਤੰਤਰ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਆਧੁਨਿਕ ਰਾਜਾਂ ਦਾ ਆਕਾਰ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ ।

ਮਤ-ਅਧਿਕਾਰ-ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੇ ਵੋਟ ਪਾਉਣ ਅਤੇ ਮਤਦਾਨ ਰਾਹੀਂ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧ ਚੁਣਨ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਨੂੰ ਮਤ-ਅਧਿਕਾਰ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਇਕ ਵਿਅਕਤੀ-ਇਕ ਵੋਟ ਦੇ ਆਧਾਰ ਉੱਤੇ ਸਰਵ-ਵਿਆਪਕ ਬਾਲਗ਼ ਮਤ ਅਧਿਕਾਰ ਨੂੰ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

ਗੁਪਤ ਮਤਦਾਨ-ਆਧੁਨਿਕ ਲੋਕਤੰਤਰੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਮਤਦਾਨ ਗੁਪਤ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਮਤਲਬ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਹਰੇਕ ਨਾਗਰਿਕ ਆਪਣੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧ ਦੀ ਚੋਣ ਲਈ ਸੈ-ਇੱਛਾ ਨਾਲ ਮਤਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਦੱਸਣ ਦੇ ਲਈ ਪਾਬੰਦ ਨਹੀਂ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣਾ ਵੋਟ ਕਿਸ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿਚ ਪਾਇਆ ਹੈ ।

ਚੋਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ-ਚੋਣਾਂ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਅਤੇ ਦੇਖ-ਰੇਖ ਚੋਣ ਆਯੋਗ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਲਈ ਇਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਅਪਣਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੇ ਮੁੱਖ ਪੜਾਅ ਹਨ-ਚੋਣਾਂ ਦੀ ਤਾਰੀਖ ਦਾ ਐਲਾਨ, ਨਾਮਜ਼ਦਗੀ ਪੱਤਰ ਭਰਨਾ, ਨਾਮਜ਼ਦਗੀ ਪੱਤਰਾਂ ਦੀ ਜਾਂਚ, ਨਾਮ ਵਾਪਸ ਲੈਣਾ, ਚੋਣ ਮੁਹਿੰਮ, ਮਤਦਾਨ, ਵੋਟਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਅਤੇ ਨਤੀਜੇ ਦਾ ਐਲਾਨ ।

ਚੋਣ ਨਿਸ਼ਾਨ-ਹਰੇਕ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ ਦਾ ਆਪਣਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਚੋਣ ਨਿਸ਼ਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਆਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਚੋਣ ਨਿਸ਼ਾਨ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਚੋਣ ਨਿਸ਼ਾਨਾਂ ਨਾਲ ਉਮੀਦਵਾਰ ਦੀ ਪਛਾਣ ਕਰਨੀ ਆਸਾਨ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਚੋਣ ਨਿਸ਼ਾਨ ਚੋਣ ਆਯੋਗ ਵਲੋਂ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਚੋਣ ਮੁਹਿੰਮ-ਇਹ ਚੋਣ ਦੀ ਸਾਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਫ਼ੈਸਲਾਕੁੰਨ ਹਿੱਸਾ ਹੈ । ਜਨ ਸਭਾਵਾਂ ਆਯੋਜਿਤ ਕਰਨੀਆਂ, ਚੋਣ ਘੋਸ਼ਣਾ-ਪੱਤਰ ਰਾਹੀਂ ਜਨਤਾ ਨੂੰ ਦਲ ਦੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣੀ, ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਾਹਨਾਂ ਅਤੇ ਪੋਸਟਰਾਂ ਰਾਹੀਂ ਚੋਣ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਚੋਣ ਘੋਸ਼ਣਾ-ਪੁੱਤਰ-ਚੋਣਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹਰੇਕ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ ਜਨਤਾ ਨੂੰ ਇਹ ਦੱਸਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜੇ ਉਹ ਸੱਤਾ ਵਿਚ ਆ ਗਿਆ ਤਾਂ ਉਹ ਕੀ-ਕੀ ਕਰੇਗਾ । ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲਾਂ ਦੇ ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਚੋਣ ਘੋਸ਼ਣਾ-ਪੱਤਰ ਆਖਦੇ ਹਨ ।

ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ-ਇਕ ਸਮਾਨ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਉਦੇਸ਼ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੇ ਲਈ ਮਿਲ ਕੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੇ ਸਮੂਹ ਨੂੰ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜਨਮਤ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ, ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸਿੱਖਿਆ, ਚੋਣ ਲੜਨੀ, ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨਾ, ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਆਲੋਚਨਾ, ਜਨਤਾ ਅਤੇ ਸਰਕਾਰ ਵਿਚ ਤਾਲਮੇਲ ਕਾਇਮ ਕਰਨਾ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲਾਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕੰਮ ਹਨ ।

ਇਕ-ਦਲੀ, ਦੋ-ਦਲੀ ਜਾਂ ਬਹੁ-ਦਲੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ-ਜਿਸ ਰਾਜ ਵਿਚ ਇਕ ਹੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ ਹੋਵੇ ਉਸ ਨੂੰ ਇੱਕਦਲੀ, ਜਿਸ ਰਾਜ ਵਿਚ ਦੋ ਦਲ ਹੋਣ ਉਸ ਨੂੰ ਦੋ-ਦਲੀ ਅਤੇ ਜਿਸ ਰਾਜ ਵਿਚ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਦਲ ਹੋਣ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁ-ਦਲੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਬਹੁ-ਦਲੀ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਹੈ ।

ਭਾਰਤ ਦੇ ਮੁੱਖ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ-ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ, ਭਾਰਤੀ ਜਨਤਾ ਪਾਰਟੀ, ਬਹੁਜਨ ਸਮਾਜ ਪਾਰਟੀ, ਭਾਰਤੀ ਕਮਿਊਨਿਸਟ ਪਾਰਟੀ, ਭਾਰਤੀ ਕਮਿਊਨਿਸਟ ਪਾਰਟੀ (ਮਾਰਕਸਵਾਦੀ), ਐਨ. ਸੀ. ਪੀ., ਤ੍ਰਿਣਮੂਲ ਕਾਂਗਰਸ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਲੋਕ ਦਲ ਮੁੱਖ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਦਲ ਹਨ ।

ਭਾਰਤ ਦੇ ਮੁੱਖ ਖੇਤਰੀ ਦਲ-ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ; ਅਕਾਲੀ ਦਲ, ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਵਿਚ ਏ. ਆਈ. ਏ. ਡੀ. ਐੱਮ. ਕੇ. ਤੇ ਡੀ. ਐੱਮ. ਕੇ., ਆਂਧਰਾ ਵਿਚ ਤੇਲਗੂ ਦੇਸ਼ਮ, ਜੰਮੂ-ਕਸ਼ਮੀਰ ਵਿਚ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਨਫ਼ਰੰਸ ਅਤੇ ਆਸਾਮ ਵਿਚ ਅਸਮ ਗਣ ਪਰਿਸ਼ਦ ਮੁੱਖ ਖੇਤਰੀ ਦਲ ਹਨ ।

ਵਿਰੋਧੀ ਦਲਾਂ ਦੀ ਭੂਮਿਕਾ-ਸੱਤਾ ਵਿਚ ਨਾ ਹੋਣ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਵਿਰੋਧੀ ਦਲ ਦਾ ਆਪਣਾ ਮਹੱਤਵ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਵਿਰੋਧੀ ਦਲ ਸਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਦੀ ਆਲੋਚਨਾ ਰਾਹੀਂ ਸਰਕਾਰ ਉੱਤੇ ਨਿਯੰਤਰਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਮਨਮਾਨੀ ਕਰਨ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 3 The State Government

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The State Government PSEB 10th Class SST Notes

State Legislature:

  • There are two Houses-State Legislatures of some states have two Houses while in others there is only one House.
  • The Lower House is called Legislative Assembly and the Upper House is called Legislative Council.
  • In the states where there is one House, it is called Legislative Assembly.

Legislative Assembly:

  • The maximum number of members of the Legislative Assembly is 500 and the minimum number is 60.
  • The minimum qualification of membership for the Legislative Assembly is 25 years or more.
  • He should not be holding any office of profit.
  • Its term is 5 years.

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 3 The State Government

Legislative Council:

  • Legislative Council is a permanent House.
  • One-third of its members retire every two years.
  • The term of a member is six years.
  • One-third of the members of this House are elected by Legislative Assembly, one more by Municipal Corporations and
  • Councils, one-twelfth by men of graduates, and the other one-twelfth by the teachers of schools, colleges, and universities.
  • The rest of the members are nominated by governor.

State Executives:
Governors, Chief Ministers, and Council of Ministers.

Governor:

  • The Governor is appointed by the President for five years.
  • All the executive actions of the state are taken in his name.
  • But in actual practice, these powers are exercised by the Chief Minister.
  • All important decisions are taken in the name of the Governor.
  • Any bill passed by State Legislature becomes law only after it has been signed by the Governor.
  • He can also issue ordinances in the absence of the Legislature.
  • He also enjoys some executive powers.

President Rule:

  • On the recommendation of the Governor, the President can declare an emergency in the state.
  • In a time of Emergency in the state, the Governor can exercise all the executive powers at his discretion.

Chief Minister and Council of Ministers:

  • The Governor appoints the leader of the majority party as the Chief Minister.
  • He appoints other Ministers on his recommendation.
  • The Council of Ministers is jointly responsible to the Legislature.

High Court:

  • In every state, there is one High Court.
  • Sometimes two or more two states can have jointly one High Court.

Jurisdiction of High Court:
Original, appellate, and administrative jurisdiction.

Original Jurisdiction:
Any case regarding the fundamental rights can be brought directly to the High Court.

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 3 The State Government

Appellate Jurisdiction:
High Court hears appeals against the decision of the lower court in most of the revenue and criminal cases.

Administrative Jurisdiction:
The High Court has the power to supervise and control the Lower House in its jurisdiction.

Subordinate Courts:

  • Subordinate courts are supervised by the High Court.
  • These include District and Sessions Courts and Lower Courts.

Lok Adalat:
The Lok Adalats have been set up in the states with a view to providing speedy and cheap justice to the poor.

राज्य सरकार PSEB 10th Class SST Notes

→ राज्य विधानमण्डल-कुछ राज्यों के विधानमण्डलों में दो सदन हैं तथा अन्य में केवल एक ही सदन है। द्विसदनीय विधानमण्डल में निम्न सदन को विधानसभा तथा उच्च सदन को विधानपरिषद् कहते हैं। एक सदनीय विधानमण्डल में केवल विधानसभा होती है।

→ विधानसभा-विधानसभा की सदस्य संख्या राज्य की जनसंख्या के आधार परअधिक-से-अधिक 500 सदस्य। चुनाव के लिए योग्यताएं-25 वर्ष या इससे अधिक आयु तथा लाभप्रद सरकारी पद पर न हो। इसका कार्यकाल 5 वर्ष है।

→ विधानपरिषद्-राज्य का उच्च तथा स्थायी सदन। एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष पश्चात् सेवानिवृत्त। इसके एक तिहाई सदस्य विधानसभा द्वारा, एक तिहाई नगर पालिकाओं तथा परिषदों द्वारा, बारहवां भाग स्नातकों द्वारा, एक अन्य बारहवां भाग स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों के अध्यापकों द्वारा चुना जाता है। शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते हैं।

→ राज्य कार्यपालिका-राज्यपाल, मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद्।

→ राज्यपाल-राज्यपाल राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता है। राज्य की सारी कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित हैं, परन्तु उनका वास्तविक प्रयोग मुख्यमन्त्री करता है। सारी महत्त्वपूर्ण नियुक्तियां राज्यपाल के नाम पर की जाती हैं।

→ राज्यपाल के हस्ताक्षर के पश्चात् ही कोई विधेयक कानून का रूप लेता है। वह अध्यादेश भी जारी कर सकता है। उसके पास स्वविवेक शक्तियां भी हैं।

→ राष्ट्रपति शासन-राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट मिलने पर वहां संवैधानिक आपात्काल की घोषणा कर राष्ट्रपति शासन लागू कर देता है। इस अवधि में राज्य की सभी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग राज्यपाल करता है।

→ मुख्यमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद-राज्यपाल विधानसभा में बहमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री नियुक्त करता है और उसकी सिफ़ारिश से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रिपरिषद् संयुक्त रूप से विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

→ उच्च न्यायालय-प्रत्येक राज्य के शिखर पर.उच्च न्यायालय होता है। कभी-कभी दो या दो से अधिक राज्यों का साझा उच्च न्यायालय भी हो सकता है।

→ उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार-आरम्भिक, अपील सम्बन्धी तथा प्रशासकीय क्षेत्राधिकार।

→ आरम्भिक क्षेत्राधिकार- इसमें संविधान की व्याख्या तथा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सम्बन्धी मामले आते हैं।

→ अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार-इसके अन्तर्गत अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करना आता है।

→ प्रशासकीय क्षेत्राधिकार-इस क्षेत्राधिकार में उच्च न्यायालय राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करता है तथा उन पर कड़ा नियन्त्रण रखता है।

→ अधीनस्थ न्यायालय-उच्च न्यायालय के अधीन अधीनस्थ न्यायालय आते हैं। इसमें जिले के न्यायालय तथा उससे नीचे के न्यायालय शामिल हैं।

→ लोक अदालत-निर्धन तथा पिछड़े वर्ग के लोगों को शीघ्र तथा कम खर्चीला न्याय दिलाने के लिए लोक अदालतों की व्यवस्था है।

ਰਾਜ ਸਰਕਾਰ PSEB 10th Class SST Notes

→ ਰਾਜ ਵਿਧਾਨ ਮੰਡਲ-ਕੁੱਝ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਵਿਧਾਨ ਮੰਡਲਾਂ ਵਿਚ ਦੋ ਸਦਨ ਹਨ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਵਿਚ ਸਿਰਫ਼ ਇਕ ਹੀ ਸਦਨ ਹੈ । ਦੋ-ਸਦਨੀ ਵਿਧਾਨ ਮੰਡਲ ਵਿਚ ਹੇਠਲੇ ਸਦਨ ਨੂੰ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਅਤੇ ਉੱਪਰਲੇ ਸਦਨ ਨੂੰ ਵਿਧਾਨ ਪਰਿਸ਼ਦ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਇਕ-ਸਦਨੀ ਵਿਧਾਨ ਮੰਡਲ ਵਿਚ ਸਿਰਫ਼ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ-ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਮੈਂਬਰ ਗਿਣਤੀ ਰਾਜ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਦੇ ਆਧਾਰ ਉੱਤੇ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ 500 ਮੈਂਬਰ ਹੈ । ਚੋਣਾਂ ਲਈ ਯੋਗਤਾਵਾਂ 25 ਸਾਲ ਜਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਮਰ ਅਤੇ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਰਕਾਰੀ ਅਹੁਦੇ ਉੱਤੇ ਨਾ ਹੋਵੇ । ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਜਕਾਲ 5 ਸਾਲ ਹੈ ।

→ ਵਿਧਾਨ ਪਰਿਸ਼ਦ-ਇਹ ਰਾਜ ਦਾ ਉੱਪਰਲਾ ਤੇ ਸਥਾਈ ਸੰਦਨ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਇਕ-ਤਿਹਾਈ ਮੈਂਬਰ ਹਰ ਦੋ ਸਾਲ ਬਾਅਦ ਸੇਵਾ-ਮੁਕਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਇਕਤਿਹਾਈ ਮੈਂਬਰ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਰਾਹੀਂ, ਇਕ-ਤਿਹਾਈ ਨਗਰ-ਪਾਲਿਕਾਵਾਂ ਤੇ ਪਰਿਸ਼ਦਾਂ ਰਾਹੀਂ, \(\frac{1}{12}\) ਭਾਗ ਗੈਜੂਏਟਾਂ ਵੱਲੋਂ, \(\frac{1}{12}\) ਭਾਗ ਸਕੂਲਾਂ, ਕਾਲਜਾਂ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਦਿਆਲਿਆਂ ਦੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਰਾਹੀਂ ਚੁਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਬਾਕੀ ਮੈਂਬਰ ਰਾਜਪਾਲ ਵੱਲੋਂ ਨਾਮਜ਼ਦ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਰਾਜ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ-ਰਾਜਪਾਲ, ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਅਤੇ ਮੰਤਰੀ ਪਰਿਸ਼ਦ ।

→ ਰਾਜਪਾਲ-ਰਾਜਪਾਲ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਵੱਲੋਂ ਪੰਜ ਸਾਲ ਦੇ ਲਈ ਚੁਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਰਾਜਪਾਲ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਸਲ ਵਰਤੋਂ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸਾਰੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਨਿਯੁਕਤੀਆਂ ਰਾਜਪਾਲ ਦੇ ਨਾਂ ਉੱਤੇ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਰਾਜਪਾਲ ਦੇ ਦਸਤਖ਼ਤਾਂ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਹੀ ਕੋਈ ਬਿਲ ਕਾਨੂੰਨ ਦਾ ਰੂਪ ਲੈਂਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਅਧਿਆਦੇਸ਼ ਵੀ ਜਾਰੀ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਦੇ ਕੋਲ ਸ਼ੈ-ਵਿਵੇਕ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਵੀ ਹਨ ।

→ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਸ਼ਾਸਨ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਕਿਸੇ ਰਾਜ ਦੇ ਰਾਜਪਾਲ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਮਿਲਣ ਉੱਤੇ ਉੱਥੇ ਸੰਵਿਧਾਨਿਕ ਸੰਕਟਕਾਲ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰਕੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਸ਼ਾਸਨ ਲਾਗੂ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਜਕਾਲ ਦੌਰਾਨ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਰਾਜਪਾਲ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਅਤੇ ਮੰਤਰੀ ਪਰਿਸ਼ਦ-ਰਾਜਪਾਲ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਵਿਚ ਬਹੁਮਤ ਦਲ ਦੇ ਆਗੂ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਸਿਫ਼ਾਰਸ਼ ਨਾਲ ਹੋਰ ਮੰਤਰੀਆਂ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਮੰਤਰੀ-ਪਰਿਸ਼ਦ ਸਾਂਝੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਅੱਗੇ ਜਵਾਬਦੇਹ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਹਾਈ ਕੋਰਟ-ਹਰੇਕ ਰਾਜ ਦੀ ਇਕ ਹਾਈ ਕੋਰਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕਦੀ-ਕਦੀ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰਾਜਾਂ ਦੀ ਇਕ ਸਾਂਝੀ ਹਾਈ ਕੋਰਟ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਹਾਈ ਕੋਰਟ ਦਾ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ-ਮੁੱਢਲੀ ਅਪੀਲ ਸੰਬੰਧੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕੀ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ।

→ ਮੁੱਢਲਾ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ-ਇਸ ਵਿਚ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਅਤੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਸੰਬੰਧੀ ਮਾਮਲੇ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਅਪੀਲ ਸੰਬੰਧੀ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ-ਇਸ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹੇਠਲੀਆਂ ਅਧੀਨ ਅਦਾਲਤਾਂ ਦੇ ਫ਼ੈਸਲਿਆਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਅਪੀਲਾਂ ਦੀ ਸੁਣਵਾਈ ਕਰਨਾ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਸ਼ਾਸਕੀ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ-ਇਸ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਹਾਈ ਕੋਰਟ ਰਾਜ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਅਧੀਨ ਅਦਾਲਤਾਂ ਦਾ ਨਿਰੀਖਣ ਕਰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਸਖ਼ਤ ਨਿਯੰਤਰਨ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।

→ ਅਧੀਨ ਅਦਾਲਤਾਂ-ਹਾਈ ਕੋਰਟਾਂ ਦੇ ਅਧੀਨ ਹੇਠਲੀਆਂ ਅਦਾਲਤਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਅਦਾਲਤਾਂ ਅਤੇ ਉਸ ਤੋਂ ਹੇਠਲੀਆਂ ਅਦਾਲਤਾਂ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ ।

→ ਲੋਕ ਅਦਾਲਤਾਂ-ਗ਼ਰੀਬ ਅਤੇ ਪੱਛੜੇ ਵਰਗਾਂ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਜਲਦੀ ਅਤੇ ਸਸਤਾ ਨਿਆਂ ਦਿਵਾਉਣ ਲਈ ਲੋਕ ਅਦਾਲਤਾਂ ਦੀ ਵਿਵਸਥਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਲਟਕਦੇ ਆ ਰਹੇ ਮੁਕੱਦਮਿਆਂ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਇਕ ਹੀ ਬੈਠਕ ਵਿਚ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 2 The Central Government

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The Central Government PSEB 10th Class SST Notes

Indian Parliament:

  • The Union Legislative of India is called the Parliament.
  • Constitutionally Parliament consists of President and two Houses: Lok Sabha and Rajya Sabha.
  • The Parliament can make laws on all the subjects of national importance.
  • It is the supreme law-making body.

Speaker of the Lok Sabha and the Chairman of the Rajya Sabha:

  • The Head of Lok Sabha is called the Speaker.
  • He is elected, by the members of Lok Sabha.
  • He conducts the business of the Lok Sabha and maintains the discipline in the House.
  • The Vice-President is the ex-officio Chairman of the Rajya Sabha.

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 2 The Central Government

Election Process:

  • A bill has to pass through different stages before it becomes a law.
    • Presentation of the bill in the House
    • First reading
    • Second reading
    • Third reading
    • The signing of the President
  • A money bill can only be presented in the Lok Sabha only by a minister.

Qualifications for the office of President and the method of his election:

  • Only that person can contest the election of President who fulfills the qualification for the election of a member of Lok Sabha.
  • He must be of 35 years of age.
  • He must not hold any office of profit in the govt.
  • The President is elected by an electoral college.
  • The President can be removed from his office even before the completion of his term by impeachment.

Executive Powers of the President:

  • The President appoints the Prime Minister and appoints other ministers on his advice.
  • He appoints Governors of states, Chief Justice of India, Chief Election Commissioner, Comptroller and Auditor General of
  • India, the Chairman of the Public Service Commission, and Ambassadors of India.

Judicial Powers of the President:

  • The President appoints the Chief Justice of India and other judges on his recommendation.
  • He also appoints the Chief Justice of High Courts.
  • He can remit sentences.

PSEB 10th Class SST Notes Civics Chapter 2 The Central Government

Emergency Powers:

  • President can declare an external emergency (Art. 352), an Emergency in the states (Art. 356), and Financial Emergency (Art. 360).
  • In the absence of the President, his powers are exercised by the Vice-President.

Position of Prime Minister in India:

  • Although the Constitution provides important powers to President actually they are exercised by the Prime Minister.
  • So the President is the Nominal Head of the state.

Vice-President:

  • He is the ex-officio Chairman of the Rajya Sabha.
  • His term is five years.

Prime Minister and the Cabinet:

  • The President appoints the leader of the majority party in the Lok Sabha as the Prime Minister of India.
  • The Cabinet is responsible to the Lok Sabha.

Supreme Court:

  • The Constitution provides for the appointment of the Chief Justice of the Supreme Court.
  • Supreme Court has one Chief Justice and other judges.
  • Besides the original jurisdiction, the Supreme Court has appellate jurisdiction and advisory functions.

केन्द्रीय सरकार PSEB 10th Class SST Notes

→ संसद्-भारतीय संसद् के दो सदन-लोकसभा तथा राज्यसभा हैं। लोकसभा निम्न सदन है। इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है।

→ राज्यसभा स्थाई सदन है। हर दो वर्ष के बाद इसके 1/3 सदस्य सेवा-निवृत्त हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य चुन लिए जाते हैं। इसके सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।

→ लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा का सभापति-लोकसभा का अध्यक्ष स्पीकर कहलाता है। इसका चुनाव स्वयं सदस्य अपने में से करते हैं। वह सदन की कार्यवाही चलाता है और उनमें अनुशासन बनाए रखता है। भारत का उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।

→ विधायी प्रक्रिया-विधेयक को कानून बनने के लिए इन अवस्थाओं में से गुज़रना पड़ता है-विधेयक का सदन में पेश किया जाना-प्रथम वाचन, द्वितीय वाचन (प्रवर समिति के पास), तृतीय वाचन, राष्ट्रपति की स्वीकृति। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है।

→ राष्ट्रपति पद की योग्यताएं तथा निर्वाचन-वही व्यक्ति राष्ट्रपति बन सकता है जो लोकसभा के लिए निर्धारित योग्यताएं पूरी करता हो, वह कम-से-कम 35 वर्ष का हो तथा किसी लाभ के सरकारी पद पर आसीन न हो।

→ राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मण्डल करता है। राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा उसकी अवधि (कार्यकाल) पूरी होने से पहले भी हटाया जा सकता है।

→ राष्ट्रपति की कार्य-पालिका शक्तियां-राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति करता है तथा उसकी सलाह से वह अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है।

→ वह राज्यपालों, भारत के महान्यायवादी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, नियन्त्रक और महालेखा परीक्षक, संघ लोक-सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा विदेशों में राजदूतों की नियुक्तियां भी करता है।

→ न्यायिक शक्तियां-राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा उसके परामर्श से अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है । वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। वह किसी अपराधी को क्षमादान दे सकता है।

→ संकटकालीन शक्तियां- राष्ट्रपति (i) बाहरी आक्रमण, (ii) आन्तरिक विद्रोह तथा किसी राज्य में संवैधानिक तन्त्र की असफलता और (iii) वित्तीय संकट के समय संकटकाल की घोषणा कर सकता है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन उप-राष्ट्रपति करता है।

→ संविधान में प्रधानमन्त्री की स्थिति-सभी महत्त्वपूर्ण शक्तियां राष्ट्रपति में निहित हैं, परन्तु व्यवहार में इन सारी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद् द्वारा होता है।

→ इस प्रकार राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है, जबकि प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिपरिषद् वास्तविक कार्यपालिका है।

→ उप-राष्ट्रपति-उसका कार्यकाल पांच वर्ष है। वह राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है।

→ प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद्-राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है और उसकी सलाह से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

→ उच्चतम न्यायालय-संविधान में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था की गई है। इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा 33 अन्य न्यायाधीश होते हैं। आरम्भिक क्षेत्राधिकार के साथ-साथ इसका अपीलीय क्षेत्राधिकार भी है।

ਕੇਂਦਰੀ ਸਰਕਾਰ PSEB 10th Class SST Notes

→ ਸੰਸਦ-ਭਾਰਤੀ ਸੰਸਦ ਦੇ ਦੋ ਸਦਨ ਹਨ-ਲੋਕ ਸਭਾ ਅਤੇ ਰਾਜ ਸਭਾ । ਲੋਕ ਸਭਾ ਹੇਠਲਾ ਸਦਨ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੀ ਚੋਣ ਪ੍ਰਤੱਖ ਰੂਪ ਵਿਚ ਬਾਲਗ਼ ਮਤ-ਅਧਿਕਾਰ ਦੇ ਆਧਾਰ ਉੱਤੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਰਾਜ ਸਭਾ ਸਥਾਈ ਸਦਨ ਹੈ ।

→ ਹਰੇਕ ਦੋ ਸਾਲ ਬਾਅਦ ਇਸ ਦੇ 1/3 ਮੈਂਬਰ ਸੇਵਾ-ਮੁਕਤ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਨਵੇਂ ਮੈਂਬਰ ਚੁਣ ਲਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਰਾਜਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧ ਮੰਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

→ ਲੋਕ ਸਭਾ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਅਤੇ ਰਾਜ ਸਭਾ ਦਾ ਚੇਅਰਮੈਨ-ਲੋਕ ਸਭਾ ਦਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸਪੀਕਰ ਅਖਵਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਚੋਣ ਸੰਸਦ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਖ਼ੁਦ ਆਪਣੇ ਵਿਚੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਉਹ ਸਦਨ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨੂੰ ਚਲਾਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਬਣਾਈ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਭਾਰਤ ਦਾ ਉਪ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਰਾਜ ਸਭਾ ਦਾ ਅਹੁਦੇ ਕਾਰਨ ਸਭਾਪਤੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਕਾਨੂੰਨ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ-ਬਿਲ ਨੂੰ ਕਾਨੂੰਨ ਬਣਨ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹੋ ਕੇ ਲੰਘਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ-ਬਿਲ ਦਾ ਸਦਨ ਵਿਚ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਣਾ, ਪਹਿਲੀ ਪੜ੍ਹਤ, ਦੂਸਰੀ ਪੜ੍ਹਤ (ਉੱਚ-ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਕੋਲ), ਤੀਜੀ ਪੜ੍ਹਤ, ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੀ ਮਨਜ਼ੂਰੀ । ਧਨ ਬਿਲ ਸਿਰਫ਼ ਲੋਕ ਸਭਾ ਵਿਚ ਹੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਪਦ ਲਈ ਯੋਗਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਚੋਣ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਉਹੀ ਨਾਗਰਿਕ ਬਣ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਹੜਾ ਲੋਕ ਸਭਾ ਲਈ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਯੋਗਤਾਵਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦਾ ਹੋਵੇ, ਉਹ ਘੱਟ ਤੋਂ ਘੱਟ 35 ਸਾਲਾਂ ਦਾ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਲਾਹੇਵੰਦ ਸਰਕਾਰੀ ਅਹੁਦੇ ਉੱਤੇ ਨਾ ਹੋਵੇ ।

→ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੀ ਚੋਣ ਇਕ ਚੋਣ-ਮੰਡਲ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੂੰ ਮਹਾਂਦੋਸ਼ ਰਾਹੀਂ ਉਸ ਦਾ ਕਾਰਜਕਾਲ ਪੂਰਾ ਹੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਵੀ ਹਟਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੀਆਂ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ ਸ਼ਕਤੀਆਂ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਸਲਾਹ ਨਾਲ ਉਹ ਦੁਸਰੇ ਮੰਤਰੀਆਂ ਨੂੰ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਰਾਜਪਾਲਾਂ, ਭਾਰਤ ਦੇ ਚੀਫ਼ ਜਸਟਿਸ, ਮੁੱਖ ਚੋਣ ਕਮਿਸ਼ਨਰ, ਨਿਯੰਤ੍ਰਿਕ ਤੇ ਮਹਾਂਲੇਖਾ ਪ੍ਰੀਖਿਅਕ, ਸੰਘ ਲੋਕ ਸੇਵਾ ਆਯੋਗ ਦੇ ਚੇਅਰਮੈਨਾਂ ਅਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਰਾਜਦੂਤਾਂ ਦੀਆਂ ਨਿਯੁਕਤੀਆਂ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਨਿਆਇਕ ਸ਼ਕਤੀਆਂ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਸਰਵ-ਉੱਚ ਅਦਾਲਤ (Supreme Court) ਦੇ ਚੀਫ਼ ਜਸਟਿਸ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਸਲਾਹ ਨਾਲ ਦੂਸਰੇ ਜੱਜਾਂ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਹਾਈ ਕੋਰਟਾਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਜੱਜਾਂ ਦੀਆਂ ਨਿਯੁਕਤੀਆਂ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਕਿਸੇ ਅਪਰਾਧੀ ਨੂੰ ਮੁਆਫ਼ੀ ਵੀ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਸੰਕਟਕਾਲੀ ਸ਼ਕਤੀਆਂ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ

  • ਬਾਹਰੀ ਹਮਲੇ
  • ਅੰਦਰੂਨੀ ਬਗ਼ਾਵਤ ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਰਾਜ ਵਿਚ ਸੰਵਿਧਾਨਿਕ ਤੰਤਰ ਦੀ ਅਸਫਲਤਾ
  • ਵਿੱਤੀ ਸੰਕਟ ਦੇ ਸਮੇਂ ਸੰਕਟਕਾਲ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

→ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਦੀ ਗੈਰ-ਹਾਜ਼ਰੀ ਵਿਚ ਉਸ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਦਾ ਸੰਚਾਲਨ ਉਪ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

→ ਸੰਵਿਧਾਨ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੀ ਸਥਿਤੀ-ਸਾਰੀਆਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹਨ, ਪਰ ਵਿਵਹਾਰ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਅਤੇ ਮੰਤਰੀ ਪਰਿਸ਼ਦ ਵਲੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨਾਂ-ਮਾਤਰ ਦੀ ਹੀ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ ਹੈ, ਜਦ ਕਿ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਮੰਤਰੀ ਪਰਿਸ਼ਦ ਅਸਲੀ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ ਹੈ ।

→ ਉਪ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ-ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਜਕਾਲ ਪੰਜ ਸਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਉਹ ਰਾਜ ਸਭਾ ਦਾ ਅਹੁਦੇ ਕਾਰਨ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

→ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਤੇ ਮੰਤਰੀ ਪਰਿਸ਼ਦ-ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਲੋਕ ਸਭਾ ਵਿਚ ਬਹੁਮਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਦਲ ਦੇ ਨੇਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਿਯੁਕਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦੀ ਸਲਾਹ ਨਾਲ ਦੂਸਰੇ ਮੰਤਰੀਆਂ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਮੰਤਰੀ ਪਰਿਸ਼ਦ ਲੋਕ ਸਭਾ ਅੱਗੇ ਜਵਾਬਦੇਹ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

→ ਸਰਵ-ਉੱਚ ਅਦਾਲਤ-ਸੰਵਿਧਾਨ ਵਿਚ ਸੁਪਰੀਮ ਕੋਰਟ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਇਕ ਮੁੱਖ ਜੱਜ (Chief Justice) ਅਤੇ 33 ਦੂਸਰੇ ਜੱਜ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਮੁੱਢਲੇ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਇਸ ਦਾ ਅਪੀਲੀ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਵੀ ਹੈ ।

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 2a India: Physiographic Units

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India: Physiographic Units PSEB 9th Class SST Notes

→ The branch of science which studies the factors responsible for the formation of landscapes is known as Geomorphology.

→ India’s total landform is divided into plains (43%), mountains (29.3%), and plateau regions (27.7%).

→ According to’ to the surface, India can be divided into five parts:

  • Himalaya mountain
  • Northern Plains
  • Plateau region
  • Coastal plains
  • Islands

→ Around1 12 crore years ago, there was a sea called ‘Tethys’ where presently Himalaya mountain is situated.

→ The highest mountain peak of the world is Mount Everest and of India is Godwin Austin (Kg).

→ Famous passes of the subcontinent are in the Himalayan region. Central Himalaya is famous for its hill stations.

PSEB 9th Class SST Notes Geography Chapter 2a India: Physiographic Units

→ Bhabhar, Terai, Bangar, Bhoor, etc. are different types of plains.

→ Bist Doab and Bari Doab are in India and Chaj Doab is in Pakistan.

→ The meaning of Sunderban is the forest full of Sunderi trees.

→ Plateau of Central India, Malwa Plateau, and Southern Plateau are the plateau regions of India. These are the parts of the peninsular plateau.

→ Thai ghat, Bhor ghat, and Pal ghat are the famous passes of western ghats.

→ The plateau region of eastern ghats is full of minerals.

→ Kutch, Konkan, Malabar, Coromandel, and Northern Circars are the parts of Coastal plains.

→ There are around 267 islands in the Indian island groups.

→ They can be divided into two groups-Andaman-Nicobar islands in the Bay of Bengal and the Lakshadweep islands in the Arabian Sea.

→ Malwa plateau is triangular in shape.

→ Chota Nagpur plateau is famous for minerals and is a part of the Malwa plateau.

भारत : धरातल/भू-आकृतियां PSEB 9th Class SST Notes

→ विज्ञान की वह शाखा जो भू-आकृतियों के निर्माण तथा इसके लिए उत्तरदायी कारकों का अध्ययन करती है, ‘भू-आकृति विज्ञान’ कहलाती है।

→ भारत के कुल क्षेत्रफल का 43% मैदानी, 29.3% पहाड़ी और 27.7% पठारी प्रदेश है।

→ धरातल के अनुसार भारत को पांच भागों में बांटा जा सकता है-

  • हिमालय पर्वत
  • उत्तर के विशाल मैदान व मरुस्थल
  • प्रायद्वीपीय पठार का क्षेत्र
  • तट के मैदान
  • भारतीय द्वीप समूह।

→ 12 करोड़ वर्ष पहले हिमालय के स्थान पर टेथिस नामक एक कम गहरा सागर था।

→ संसार की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माऊंट एवरेस्ट तथा भारत की गॉडविन-ऑस्टन (K2) है।

→ उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध दर्रे बृहत् हिमालय में स्थित हैं। मध्य हिमालय अपने रमणीक स्थानों के लिए प्रसिद्ध है।

→ भाबर, तराई, बांगर, खाडर, रेह, भूर आदि विभिन्न प्रकार के मैदान हैं।

→ बिस्त तथा बारी दोआब भारत में है और चज दोआब पाकिस्तान में है।

→ सुंदर वन का अर्थ है-सुंदरी नामक वृक्षों से भरा हुआ वन (जंगल)।

→ मध्य भारत का पठार, मालवा का पठार और दक्कन का पठार भारत के पठारी क्षेत्र हैं। ये भारत के प्रायद्वीपीय पठार के भाग हैं।

→ थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट तथा शेनकोश पश्चिमी घाट के दर्रे हैं।

→ पूर्वी घाट का पठारी क्षेत्र खनिजों का भंडार है।

→ कच्छ, कोंकण, मालाबार, कोरोमंडल और उत्कल तटवर्ती मैदानों के भाग हैं।

→ भारतीय द्वीप समूह में लगभग 267 द्वीप हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जाता है-बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडेमान-निकोबार तथा अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप समूह।

→ मालवा का पठार त्रिभुज के आकार का है। खनिज पदार्थों के लिए प्रसिद्ध छोटा नागपुर का पठार भी मालवा के पठार का एक भाग है।

ਪੰਜਾਬ: ਅਕਾਰ ਅਤੇ ਸਥਿਤੀ PSEB 9th Class SST Notes

→ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਉਹ ਸ਼ਾਖਾ ਜਿਹੜੀ ਭੂ-ਆਕ੍ਰਿਤੀਆਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਲਈ ਉੱਤਰਦਾਈ ਕਾਰਕਾਂ ਦਾ ਅਧਿਐਨ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਭੂ-ਆਕ੍ਰਿਤੀ ਵਿਗਿਆਨ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

→ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੁੱਲ ਖੇਤਰਫਲ ਦਾ 43% ਮੈਦਾਨੀ, 29.3% ਪਹਾੜੀ ਅਤੇ 27.7% ਪਠਾਰੀ ਦੇਸ਼ ਹੈ ।

→ ਧਰਾਤਲ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਪੰਜ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-

  • ਹਿਮਾਲਿਆ ਪਰਬਤ ਖੇਤਰ
  • ਉੱਤਰੀ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੈਦਾਨ ਅਤੇ ਮਾਰੂਥਲ
  • ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਪਠਾਰ ਦਾ ਖੇਤਰ
  • ਤੱਟ ਦੇ ਮੈਦਾਨ
  • ਭਾਰਤੀ ਦੀਪ ਸਮੂਹ ।

→ 12 ਕਰੋੜ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਹਿਮਾਲਿਆ ਦੇ ਸਥਾਨ ‘ਤੇ ਟੈਥਿਸ ਨਾਮਕ ਇਕ ਘੱਟ ਗਹਿਰਾ ਸਾਗਰ ਸੀ ।

→ ਸੰਸਾਰ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚੀ ਪਰਬਤ ਚੋਟੀ ਮਾਊਂਟ ਐਵਰੈਸਟ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਗਾਡਵਿਨ-ਆਸਟਿਨ (K) ਹੈ ।

→ ਉਪ-ਮਹਾਂਦੀਪ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦੱਰੇ ਮਹਾਨ ਹਿਮਾਲਿਆ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਹਨ । ਮੱਧ ਹਿਮਾਲਿਆ ਆਪਣੇ ਰਮਣੀਕ ਸਥਾਨਾਂ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ ।

→ ਭਾਬਰ, ਤਰਾਈ, ਬਾਂਗਰ, ਰਵਾਡਰ ਰੇਹ, ਭੂਰ ਆਦਿ ਵਿਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਹਨ ।

→ ਬਿਸਤ ਅਤੇ ਬਾਰੀ ਦੋਆਬ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਹਨ ਅਤੇ ਚਜ ਦੋਆਬ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿਚ ਹੈ ।

→ ਸੁੰਦਰ ਵਣ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ-ਸੁੰਦਰੀ ਨਾਮਕ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਵਣ (ਜੰਗਲ) ।

→ ਮੱਧ ਭਾਰਤ ਦਾ ਪਠਾਰ, ਮਾਲਵਾ ਦਾ ਪਠਾਰ ਅਤੇ ਦੱਖਣ ਦਾ ਪਠਾਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪਠਾਰੀ ਖੇਤਰ ਹਨ ।ਇਹ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਾਇਦੀਪ ਪਠਾਰ ਦੇ ਭਾਗ ਹਨ ।

→ ਥਾਲ ਘਾਟ, ਭਾਰ ਘਾਟ, ਪਾਲ ਘਾਟ ਅਤੇ ਸ਼ੇਨਕੋਟਾ ਪੱਛਮੀ ਘਾਟ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਦੱਰੇ ਹਨ ।

→ ਪੁਰਬੀ ਘਾਟ ਦਾ ਪਠਾਰੀ ਖੇਤਰ ਖਣਿਜਾਂ ਦਾ ਭੰਡਾਰ ਹੈ ।

→ ਕੱਛ, ਕੋਂਕਨ, ਮਾਲਾਬਾਰ, ਕੋਰੋਮੰਡਲ ਅਤੇ ਉੱਤਲ ਤੱਟਵਰਤੀ ਮੈਦਾਨਾਂ ਦੇ ਭਾਗ ਹਨ ।

→ ਭਾਰਤੀ ਦੀਪ ਸਮੂਹਾਂ ਵਿਚ ਲਗਪਗ 267 ਦੀਪ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ-ਬੰਗਾਲ ਦੀ ਖਾੜੀ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਅੰਡੇਮਾਨ-ਨਿਕੋਬਾਰ ਅਤੇ ਅਰਬ-ਸਾਗਰ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਲਕਸ਼ਦੀਪ ਸਮੂਹ ।

→ ਮਾਲਵਾ ਦਾ ਪਠਾਰ ਤ੍ਰਿਭੁਜ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦਾ ਹੈ । ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਛੋਟਾ ਨਾਗਪੁਰ ਦਾ ਪਠਾਰ ਵੀ ਮਾਲਵਾ ਦੇ ਪਠਾਰ ਦਾ ਇਕ ਭਾਗ ਹੈ ।