PSEB 11th Class Chemistry Book Solutions Guide in Punjabi English Medium

Punjab State Board Syllabus PSEB 11th Class Chemistry Book Solutions Guide Pdf in English Medium and Punjabi Medium are part of PSEB Solutions for Class 11.

PSEB 11th Class Chemistry Guide | Chemistry Guide for Class 11 PSEB in English Medium

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
संसदात्मक सरकार की मुख्य विशेषताएं बताइए।
(Describe the chief characteristics of the parliamentary form of government.)
अथवा
संसदीय सरकार क्या है ? संसदीय सरकार की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करो।
(What is parliamentary government ? Discuss the main features of parliamentary Government.)
उत्तर-
कार्यपालिका और विधानपालिका के सम्बन्धों के आधार पर दो प्रकार के शासन होते हैं-संसदीय तथा अध्यक्षात्मक। यदि कार्यपालिका और विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध हों और दोनों एक-दूसरे का अटूट भाग हों तो संसदीय सरकार होती है और यदि कार्यपालिका तथा विधानपालिका एक-दूसरे से लगभग स्वतन्त्र हों तो अध्यक्षात्मक सरकार होती है।

संसदीय सरकार का अर्थ (Meaning of Parliamentary Government)–संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। संसदीय सरकार शासन की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका (मन्त्रिमण्डल) अपने समस्त कार्यों के लिए संसद् (विधानपालिका) के प्रति उत्तरदायी होती है और अब तक अपने पद पर रहती है जब तक इसको संसद् का विश्वास प्राप्त रहता है। जिस समय कार्यपालिका संसद् का विश्वास खो बैठे तभी कार्यपालिका को त्याग-पत्र देना पड़ता है। संसदीय सरकार को उत्तरदायी सरकार (Responsible Government) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें सरकार अपने समस्त कार्यों के लिए उत्तरदायी होती है। इस सरकार को कैबिनेट सरकार (Cabinet Government) भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कार्यपालिका की शक्तियां कैबिनेट द्वारा प्रयोग की जाती हैं।

1. डॉ० गार्नर (Dr. Garner) का मत है कि, “संसदीय सरकार वह प्रणाली है जिसमें वास्तविक कार्यपालिका, मन्त्रिमण्डल या मन्त्रिपरिषद् अपनी राजनीतिक नीतियों और कार्यों के लिए प्रत्यक्ष तथा कानूनी रूप से विधानमण्डल या उसके एक सदन (प्रायः लोकप्रिय सदन) के प्रति और राजनीतिक तौर पर मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी हो जबकि राज्य का अध्यक्ष संवैधानिक या नाममात्र कार्यपालिका हो और अनुत्तरदायी हो।”

2. गैटेल (Gettell) के अनुसार, “संसदीय शासन प्रणाली शासन के उस रूप को कहते हैं जिसमें प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद् अर्थात् वास्तविक कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए कानूनी दृष्टि से विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है। चूंकि विधानपालिका के दो सदन होते हैं अतः मन्त्रिमण्डल वास्तव में उस सदन के नियन्त्रण में होता है जिसे वित्तीय मामलों पर अधिक शक्ति प्राप्त होती है जो मतदाताओं का अधिक सीधे ढंग से प्रतिनिधित्व करता है।”
इस परिभाषा से यह स्पष्ट है कि संसदीय सरकार में मन्त्रिमण्डल अपने समस्त कार्यों के लिए विधानमण्डल के प्रति उत्तरदायी होता है और राज्य का नाममात्र का मुखिया किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं होता।

संसदीय सरकार को सर्वप्रथम इंग्लैंड में अपनाया गया था। आजकल इंग्लैंड के अतिरिक्त जापान, कनाडा, नार्वे, स्वीडन, बंगला देश तथा भारत में भी संसदीय सरकारें पाई जाती हैं।

संसदीय सरकार के लक्षण
(Features of Parliamentary Government)-

संसदीय प्रणाली के निम्नलिखित लक्षण होते हैं-
1. राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का सत्ताधारी (Head of the State is Nominal Executive)-संसदीय सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का सत्ताधारी होता है। सैद्धान्तिक रूप में तो राज्य की सभी कार्यपालिका शक्तियां राज्य के अध्यक्ष के पास होती हैं और उनका प्रयोग भी उनके नाम पर होता है, पर वह उनका प्रयोग अपनी इच्छानुसार नहीं कर सकता। उसकी सहायता के लिए एक मन्त्रिमण्डल होता है, जिसकी सलाह के भार ही उस अपनी शक्तियों का प्रयोग करना पड़ता है। अध्यक्ष का काम तो केवल हस्ताक्षर करना है।

2. मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका होती है (Cabinet is the Real Executive)-राज्य के अध्यक्ष के नाम में दी गई शक्तियों का वास्तविक प्रयोग मन्त्रिमण्डल करता है। अध्यक्ष के लिए मन्त्रिमण्डल से सलाह मांगना और मानना अनिवार्य है। मन्त्रिमण्डल ही अन्तिम फैसला करता है और वही देश का वास्तविक शासक है। शासन का प्रत्येक विभाग एक मन्त्री के अधीन होता है और सब कर्मचारी उसके अधीन काम करते हैं। हर मन्त्री अपने विभागों का काम मन्त्रिमण्डल की नीतियों के अनुसार चलाने के लिए उत्तरदायी होता है।

3. कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में घनिष्ठ सम्बन्ध (Close Relation between Executive and Legislature)-संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में घनिष्ठ सम्बन्ध रहता है। मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका होती है। इसके सदस्य अर्थात् मन्त्री संसद् में से ही लिए जाते हैं। ये मन्त्री संसद् की बैठकों में भाग लेते हैं, बिल पेश करते हैं, बिलों पर बोलते हैं और यदि सदन के सदस्य हों तो मतदान के समय मत का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार मन्त्री प्रशासक (Administrator) भी हैं, कानून-निर्माता (Legislator) भी।

4. मन्त्रिमण्डल का उत्तरदायित्व (Responsibility of the Cabinet)—कार्यपालिका अर्थात मन्त्रिमा अपने सब कार्यों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है। संसद् सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूट सकते हैं, जिनका उन्हें उत्तर देना पड़ता है। मन्त्रिमण्डल अपनी नीति निश्चित करता है, उसे संसद् के सामने रखता है तथा उसका समर्थन प्राप्त करता है। मन्त्रिमण्डल, अपना कार्य संसद् की इच्छानुसार ही करता है।

5. उत्तरदायित्व सामूहिक होता है (Collective Responsibility)-मन्त्रिमण्डल इकाई के रूप में कार्य करता है और मन्त्री सामूहिक रूप से संसद् के प्रति उत्तरदायी होते हैं। यदि संसद् एक मन्त्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास कर दे तो समस्त मन्त्रिमण्डल को अपना पद छोड़ना पड़ता है। किसी विशेष परिस्थिति में एक मन्त्री अकेला भी हटाया जा सकता है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

6. मन्त्रिमण्डल का अनिश्चित कार्यकाल (Tenure of the Cabinet is not Fixed)-मन्त्रिमण्डल की अवधि भी निश्चित नहीं होती। संसद् की इच्छानुसार ही वह अपने पद पर रहते हैं। संसद् जब चाहे मन्त्रिमण्डल को अपदस्थ कर सकती है, अर्थात् यदि निम्न सदन का बहुमत मन्त्रिमण्डल के विरुद्ध हो तो उसे अपना पद छोड़ना पड़ता है। यही कारण है कि निम्न सदन के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जाता है और उसकी इच्छानुसार ही दूसरे मन्त्रियों की नियुक्ति होती है।

7. मन्त्रिमण्डल की राजनीतिक एकरूपता (Political Homogeneity of the Cabinet)—संसदीय सरकार की एक विशेषता यह भी है कि इसमें मन्त्रिमण्डल के सदस्य एक ही राजनीतिक दल से सम्बन्धित होते हैं। यह आवश्यक भी है क्योंकि जब तक मन्त्री एक ही विचारधारा और नीतियों के समर्थक नहीं होंगे, मन्त्रिमण्डल में सामूहिक उत्तरदायित्व विकसित नहीं हो सकेगा।

8. गोपनीयता (Secrecy)-संसदीय सरकार में पद सम्भालने से पूर्व मन्त्री संविधान के प्रति वफादार रहने तथा सरकार के रहस्यों को गुप्त रखने की शपथ लेते हैं। कोई भी मन्त्री मन्त्रिमण्डल में हुए वाद-विवाद तथा निर्णयों को मन्त्रिमण्डल की स्वीकृति के बिना घोषित नहीं कर सकता। यदि कोई मन्त्रिमण्डल के रहस्यों की सूचना दूसरे लोगों को देता है तो कानून के अनुसार उसे सख्त दण्ड दिया जाता है।

9. प्रधानमन्त्री का नेतृत्व (Leadership of the Prime Minister)-संसदीय शासन प्रणाली में मन्त्रिमण्डल प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में कार्य करता है। जिस दल का बहुमत होता है उसके नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जाता है। प्रधानमन्त्री मन्त्रिमण्डल का निर्माण करता है, मन्त्रियों में विभाग बांटता है, मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है और सभी मन्त्री उसके अधीन कार्य करते हैं।

10. प्रधानमन्त्री संसद् के निम्न सदन को भंग कराने का अधिकार रखता है (Right of the Prime Minister to get the Lower House of the Parliament dissolved)–संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमन्त्री की सिफ़ारिश पर ही राष्ट्रपति या राजा संसद् के निम्न सदन को भंग करता है।

प्रश्न 2.
संसदीय सरकार के गुणों और दोषों की व्याख्या करें।
(Discuss the merits and demerits of Parliamentary Government.)
उत्तर-
संसदीय सरकार के गुण (Merits of Parliamentary Government)-
संसदीय शासन प्रणाली में बहुत-से गुण हैं-

1. कार्यपालिका तथा विधानपालिका में पूर्ण सहयोग (Complete Harmony between the Executive and Legislature)–संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में सहयोग बना रहता है। मन्त्रिमण्डल के सदस्य विधानपालिका के सदस्य होते हैं, बैठकों में भाग लेते हैं तथा बिल पास करते हैं। कार्यपालिका तथा विधानपालिका में सहयोग के कारण अच्छे कानूनों का निर्माण होता है तथा शासन में दक्षता आती है।

2. उत्तरदायी सरकार (Responsible Government)—संसदीय सरकार में सरकार अपने समस्त कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है। मन्त्रिमण्डल अपनी शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से न करके विधानमण्डल की इच्छानुसार कार्य करता है। विधानपालिका के सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछते हैं, काम रोको प्रस्ताव पेश करते हैं तथा निन्दा प्रस्ताव पास करते हैं और यदि मन्त्रिमण्डल अपनी मनमानी करता है विधानमण्डल अविश्वास प्रस्ताव पास करके मन्त्रिमण्डल को हटा सकता है।

3. सरकार निरंकुश नहीं बन सकती (Government cannot become Despotic)-मन्त्रिमण्डल अपने कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होने के कारण निरंकुश नहीं बन सकता। यदि मन्त्रिमण्डल अपनी मनमानी करता है तो विधानपालिका अविश्वास प्रस्ताव पास करके उसे हटा सकती है। विरोधी दल सरकार की आलोचना करके जनमत को अपने पक्ष में करने का प्रयत्न करता है। विरोधी दल सरकार को निरंकुश नहीं बनने देता।

4. परिवर्तनशील सरकार (Flexible Government)—संसदीय सरकार का यह भी गुण है कि इसमें सरकार परिवर्तनशील होती है। सरकार को समय के अनुसार बदला जा सकता है। उदाहरणस्वरूप द्वितीय महायुद्ध में जब इंग्लैण्ड में चेम्बरलेन सफल न हो सका तो उसके स्थान पर चर्चिल को प्रधानमन्त्री बनाया गया।

5. सरकार जनमत के अनुसार चलती है (Government is responsive to Public Opinion)–संसदीय शासन प्रणाली में सरकार जनमत की इच्छानुसार शासन को चलाती है। मन्त्री विधानपालिका के सदस्य होते हैं और इस प्रकार वे जनता के प्रतिनिधि होते हैं। बहुमत दल ने चुनाव के समय जनता के साथ कुछ वायदे किए होते हैं। इन वायदों को पूरा करने के लिए मन्त्रिमण्डल अपनी नीतियों का निर्माण करता है। मन्त्री सदा जनमत के अनुसार कार्य करते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि यदि उन्होंने जनता की इच्छाओं को पूरा न किया तो उन्हें अगले चुनाव में बहुमत प्राप्त नहीं होगा।

6. योग्य व्यक्तियों का शासन (Government by Able Men)-संसदीय शासन प्रणाली में योग्य व्यक्तियों का शासन होता है। बहुमत दल उसी व्यक्ति को नेता चुनता है जो दल में सबसे योग्य, बुद्धिमान तथा लोकप्रिय हो। प्रधानमन्त्री उन्हीं व्यक्तियों को मन्त्रिमण्डल में शामिल करता है जो शासन चलाने के योग्य होते हैं। यदि कभी अनजाने में अयोग्य व्यक्ति को मन्त्री बना भी दिया जाए तो बाद में उसे हटाया जा सकता है। मन्त्रियों को अपने विभागों का प्रबन्ध करने के लिए स्वतन्त्रता प्राप्त होती है जिससे मन्त्रियों को अपनी योग्यता दिखाने का अवसर मिलता है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

7. जनता को राजनीतिक शिक्षा मिलती है (Political Education to the People) संसदीय सरकार राजनीतिक दलों पर आधारित होती है। प्रत्येक दल जनमत को अपने पक्ष में करने के लिए अपनी नीतियों का प्रचार करता है और दूसरे दलों की नीतियों की आलोचना करता है। इस तरह जनता को विभिन्न दलों की नीतियों का पता चलता है। चुनाव के पश्चात् भी विरोधी दल सरकार की नीतियों की आलोचना करके जनमत को अपने पक्ष में करने का प्रयत्न करता है और सत्तारूढ़ दल सरकार की नीतियों का समर्थन करता है। इस प्रकार जनता को बहुत राजनीतिक शिक्षा मिलती है जिससे नागरिक राजनीतिक विषयों में रुचि लेने लगता है।

8. राज्य का अध्यक्ष निष्पक्ष सलाह देता है (Head of the State gives Impartial Advice)-राज्य का अध्यक्ष किसी राजनीतिक पार्टी से सम्बन्धित नहीं होता जिस कारण उसकी सलाह निष्पक्ष होती है। राज्य का अध्यक्ष सदा राष्ट्र के हित में सलाह देता है जिसे प्रधानमन्त्री प्रायः मान लेता है।

9. राजतन्त्र को प्रजातन्त्र में बदलना (Monarchy changed into Democracy)–संसदीय शासन प्रणाली का यह भी गुण है कि इसने राजतन्त्र को प्रजातन्त्र में बदल दिया है। संसदीय सरकार में शासन का मुखिया तथा राज्य का मुखिया अलग-अलग होता है। राजा राज्य का मुखिया होता है जबकि प्रधानमन्त्री शासन का मुखिया होता है। यदि आज इंग्लैण्ड में राजतन्त्रीय व्यवस्था होते हुए भी प्रजातन्त्र शासन है तो इसका श्रेय संसदीय शासन प्रणाली को है।

10. वैकल्पिक शासन की व्यवस्था (Provision for Alternative Government)-संसदीय शासन प्रणाली में मन्त्रिमण्डल तब तक अपने पद पर बना रहता है जब तक उसे विधानमण्डल का विश्वास प्राप्त रहता है। अविश्वास प्रस्ताव पास होने की दशा में मन्त्रिमण्डल को त्याग-पत्र देना पड़ता है तब विरोधी दल सरकार बनाता है। इस प्रकार प्रशासन लगातार चलता है और शासन में रुकावट नहीं पड़ती।

संसदीय सरकार के दोष (Demerits of Parliamentary Government)-

1. यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के विरुद्ध है (It is against the theory of Separation of Powers)–संसदीय सरकार शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के विरुद्ध है। शक्तियों के केन्द्रीयकरण से व्यक्तियों की निजी स्वतन्त्रता खतरे में पड़ सकती है। संसदीय सरकार में शासन चलाने की शक्ति तथा कानून निर्माण की शक्ति मन्त्रिमण्डल के पास केन्द्रित होती है। मन्त्री विधानपालिका के सदस्य होते हैं, बिल पेश करते हैं तथा पास करवाते हैं। प्रधानमन्त्री राज्य के अध्यक्ष को सलाह देकर विधानपालिका के निम्न सदन को भंग करवा सकता है। इस प्रकार यह शासन प्रणाली शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के विरुद्ध है।

2. अस्थिर सरकार (Unstable Government)—संसदीय शासन प्रणाली में सरकार अस्थिर होती है क्योंकि मन्त्रिमण्डल की अवधि निश्चित नहीं होती। विधानपालिका किसी भी समय अविश्वास प्रस्ताव पास करके मन्त्रिमण्डल को हटा सकती है। जिन देशों में दो से अधिक राजनीतिक दल होते हैं वहां पर सरकार बहुत अस्थिर होती है। सरकार अस्थिर होने के कारण लम्बे काल की योजनाएं नहीं बनाई जा सकतीं।

3. नीति में निरन्तरता की कम सम्भावना (Less Possibility of Continuity of Policy)—संसदीय शासन प्रणाली में सरकार की स्थिरता की कम सम्भावना रहती है। इसलिए शासन की नीतियों में निरन्तरता नहीं रहती। कार्यपालिका को विधानपालिका जब चाहे पद से हटा सकती है। इस प्रकार कभी एक राजनीतिक दल का शासन होता है तो कभी दूसरा दल सत्ता में आ जाता है। इसी कारण इस प्रणाली में नीति की निरन्तरता की सम्भावना कम रहती है।

4. शासन में दक्षता का अभाव (Administration lacks Efficiency)—इस शासन प्रणाली में शासन में दक्षता का अभाव होता है, क्योंकि इसमें शासन की बागडोर अनाड़ियों के हाथ में होती है। मन्त्रियों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर न होकर राजनीतिक आधार पर होती है। कई बार मन्त्री को उस विभाग का अध्यक्ष भी बना दिया जाता है जिसके बारे में बिल्कुल ज्ञान ही नहीं होता।

5. मन्त्रिमण्डल की तानाशाही का भय (Danger of Dictatorship of the Cabinet)—संसदीय शासन प्रणाली में जहां केवल दो दल होते हैं वहां मन्त्रिमण्डल की तानाशाही स्थापित हो जाती है। जिस दल को विधानपालिका में बहुमत प्राप्त होता है उसी दल का मन्त्रिमण्डल बनता है और मन्त्रिमण्डल तब तक अपने पद पर रहता है जब तक उसे बहुमत का समर्थन प्राप्त रहता है। दल में अनुशासन के कारण दल का प्रत्येक सदस्य मन्त्रिमण्डल की नीतियों का समर्थन करता है। विरोधी दल की आलोचना का मन्त्रिमण्डल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और मन्त्रिमण्डल अगले चुनाव तक अपनी मनमानी कर सकता है।

6. संसद् की दुर्बल स्थिति (Weak Position of the Parilament)-जिन देशों में राजनीतिक दल होते हैं वहां पर संसद् मन्त्रिमण्डल के हाथों का खिलौना बन जाती है। संसद् की बैठकों की तिथि तथा समय मन्त्रिमण्डल निश्चित करता है। 95% बिल मन्त्रियों द्वारा पेश किए जाते हैं और मन्त्रिमण्डल का बहुमत प्राप्त होने के कारण सभी बिल पास हो जाते हैं। वास्तव में संसद् स्वयं कानून नहीं बनाती बल्कि मन्त्रिमण्डल की सलाह से कानूनों का निर्माण करती है।

7. यह उग्र दलीय भावना को जन्म देती है (It gives birth to Aggressive Partisan Spirit)—यह शासन प्रणाली राजनीतिक दलों पर आधारित होने के कारण उग्र दलीय भावना को जन्म देती है। बहुमत दल अधिक-से-अधिक समय तक शासन पर नियन्त्रण रखना चाहता है और इसके लिए हर कोशिश करता है। दूसरी ओर विरोधी दल शीघ्रसे-शीघ्र सत्तारूढ़ दल को हटा कर स्वयं शासन पर नियन्त्रण करना चाहता है। विरोधी दल सरकार की आलोचना केवल आलोचना करने के लिए करता है। इस तरह सत्तारूढ़ दल तथा विरोधी दल में खींचातानी चलती रहती है।

8. संकटकाल के समय निर्बल सरकार (Weak in time of Emergency)—संकटकाल में शक्तियों का केन्द्रीयकरण होना चाहिए, परन्तु संसदीय सरकार में सभी निर्णय मन्त्रिमण्डल के द्वारा होते हैं और सभी निर्णय बहुमत से स्वीकृत किए जाते हैं। मन्त्रिमण्डल में वाद- विवाद पर काफ़ी समय बरबाद होता है जिससे निर्णय लेने में देरी हो जाती है। संकटकाल में संकट का सामना करने के लिए निर्णयों का शीघ्रता से होना अति आवश्यक है।

9. आलोचना आलोचना के उद्देश्य से (Criticism for the sake of Criticism)-संसदीय प्रणाली का यह दोष भी है कि विरोधी दल सरकार के हर कार्य की आलोचना करता है, चाहे वह अच्छी और जन-हित में भी क्यों न हो। ऐसा करना अच्छी बात नहीं और इससे विरोधी दल की शक्ति भी नष्ट होती है और जनता को भी उचित शिक्षा नहीं मिलती।

10. योग्य व्यक्तियों की उपेक्षा (Able Persons Neglected)—संसदीय प्रणाली में बहुमत दल के सदस्यों को ही मन्त्रिमण्डल में शामिल किया जाता है। चाहे उनमें बहुत-से अयोग्य ही क्यों हों और विरोधी दल के योग्य व्यक्तियों को भी नहीं पूछा जाता। इनसे देश को हानि होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)–संसदीय सरकार अनेक दोषों के बावजूद भी अधिक लोकप्रिय है। आज संसार के अधिकांश देशों में संसदीय सरकार को अपनाया गया है। इस शासन प्रणाली की लोकप्रियता का कारण यह है कि इसमें सरकार जनमत की इच्छानुसार शासन चलाती है तथा अपने समस्त कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है और इसमें परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

प्रश्न 3.
अध्यक्षात्मक सरकार की मुख्य विशेषताएं बताइए।
(Describe the chief characteristics of the Presidential form of Government.)
अथवा
अध्यक्षात्मक सरकार से आप क्या समझते हैं ? इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
(What do you understand by Presidential form of Government ? Discuss its main features.)
उत्तर-
अध्यक्षात्मक सरकार वह शासन प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका विधानपालिका से स्वतन्त्र होती है और उसके प्रति उसका कोई उत्तरदायित्व नहीं होता। राज्य का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है और वह वास्तविक शासक होता है। राष्ट्रपति निश्चित अवधि के लिए प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर चुना जाता है और विधानपालिका जब चाहे राष्ट्रपति को नहीं हटा सकती। राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल का निर्माण स्वयं करता है और जब चाहे मन्त्रिमण्डल को तोड़ सकता है। मन्त्रिमण्डल के सदस्य विधानपालिका के सदस्य नहीं होते। इस प्रकार अध्यक्षात्मक सरकार शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त पर आधारित है।

1. डॉ० गार्नर (Garner) के अनुसार, “अध्यक्षात्मक सरकार वह प्रणाली है जिसमें राज्य का अध्यक्ष और मन्त्री अपने कार्यकाल के लिए संवैधानिक तौर पर व्यवस्थापिका से स्वतन्त्र होते हैं और अपनी नीतियों के लिए उसके प्रति उत्तरदायी नहीं होते। इस प्रणाली में राज्य का अध्यक्ष केवल नाममात्र कार्यपालिका नहीं होता बल्कि वास्तविकता कार्यपालिका होता है और संविधान तथा कानूनों द्वारा दी गई शक्तियों का वास्तव में प्रयोग करता है।”
2. गैटेल (Gettell) के अनुसार, “अध्यक्षात्मक शासन-व्यवस्था उसे कहते हैं जिसमें प्रधान कार्यपालिका अपनी नीति एवं कार्यों के बारे में विधानपालिका से स्वतन्त्र होता है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका, चिल्ली, मैक्सिको, श्रीलंका, जर्मन, रूस आदि देशों में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली पाई जाती है।
अध्यक्षात्मक प्रणाली के लक्षण (Features of the Presidential System)-अध्यक्षात्मक प्रणाली में निम्नलिखित प्रमुख बातें होती हैं-

1. नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद नहीं (No distinction between Nominal and Real Executive)-अध्यक्षात्मक सरकार में नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद नहीं पाया जाता। राष्ट्र का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है। उसे संविधान द्वारा जो शक्तियां प्राप्त होती हैं उनका प्रयोग वह अपनी इच्छानुसार करता है। मन्त्रिमण्डल का निर्माण राष्ट्रपति स्वयं करता है और मन्त्रिमण्डल की सलाह को मानना अथवा न मानना राष्ट्रपति पर निर्भर करता है। राष्ट्रपति जब चाहे मन्त्रियों को हटा सकता है।

2. मन्त्रिमण्डल केवल सलाहकार के रूप में (Cabinet is only an Advisory Body)-अध्यक्षात्मक प्रणाली में भी मन्त्रिमण्डल की व्यवस्था होती है, परन्तु इसकी स्थिति संसदीय प्रणाली के मन्त्रिमण्डल की स्थिति से पूर्णतः भिन्न होती है। अध्यक्ष मन्त्रियों की सलाह के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य नहीं होता। मन्त्री केवल सलाहकार ही होते हैं। उसकी अपनी इच्छा है कि मन्त्रियों से सलाह ले या न ले।

3. Cruiuifcich it alareucht at yerCUT (Separation of Executive and Legislature) अध्यक्षात्मक शासन में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में कोई सम्बन्ध नहीं होता। अध्यक्ष अपने मन्त्री संसद् में से नहीं लेता। मन्त्री संसद् की बैठकों मे न भाग ले सकते हैं, न बिल पेश कर सकते हैं, न भाषण दे सकते हैं। इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में कोई सम्बन्ध नहीं रहता है।

4. कार्यपालिका का अनुत्तरदायित्व (Irresponsibility of the Executive)-अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका अपने कार्यों तथा नीतियों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। राष्ट्रपति को अविश्वास प्रस्ताव पास करके नहीं हटाया जा सकता। संसद् सदस्य मन्त्रियों से लिखित रूप में प्रश्न पूछ सकते हैं, परन्तु मन्त्री उनका उत्तर दें या न दें, उनकी इच्छा पर निर्भर है। मन्त्री राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये जाते हैं और वे राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

5. कार्यपालिका की निश्चित अवधि (Fixed Tenure of the Executive)-अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है। विधानपालिका राष्ट्रपति को केवल महाभियोग द्वारा ही हटा सकती है। अमेरिका में राष्ट्रपति चार वर्ष के लिए चुना जाता है और उसे केवल महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है।

6.शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित (Based on the theory of Separation of Powers)-अध्यक्षात्मक सरकार शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त पर आधारित होती है। इसमें सरकार के मुख्य कार्य तीन विभिन्न अंगों द्वारा किए जाते हैं जो एक-दूसरे से स्वतन्त्र होते हैं। अमेरिका में शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त को अपनाया गया है।

7. राष्ट्रपति विधानमण्डल को भंग नहीं कर सकता (President cannot dissolve the Parliament)अध्यक्षात्मक सरकार शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त पर आधारित है। इसलिए राष्ट्रपति विधानपालिका के किसी सदन को भंग नहीं कर सकता। विधानपालिका की अवधि संविधान द्वारा निश्चित होती है और यदि राष्ट्रपति चाहे भी तो समय से पहले इसको भंग नहीं कर सकता।

8. राजनीतिक एकरूपता अनावश्यक (Political Homogeneity is Unnecessary)-इस प्रणाली में मन्त्रियों का एक ही राजनीतिक दल से सम्बन्धित होना आवश्यक नहीं होता। यह इसलिए कि मन्त्री केवल अपने व्यक्तिगत रूप में ही अध्यक्ष के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इसलिए इस प्रणाली में मन्त्री के सामूहिक उत्तरदायित्व का लक्षण अनुपस्थित होता है। इसलिए उनका राजनीतिक विचारों में पूर्णतः एकमत होना अधिक आवश्यक नहीं होता।

प्रश्न 4.
अध्यक्षात्मक शासन के गुणों और दोषों का वर्णन करें।
(Discuss the merits and demerits of Presidential Government.)
उत्तर-
अध्यक्षात्मक शासन के गुण (Merits of Presidential Government)-
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के निम्नलिखित गुण हैं-

1. शासन में स्थिरता (Stability in Administration)-अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति की अवधि निश्चित होती है जिससे शासन में स्थिरता आती है। राष्ट्रपति को केवल महाभियोग के द्वारा हटाया जा सकता है। अमेरिका में अभी तक किसी राष्ट्रपति को नहीं हटाया गया। शासन में स्थिरता के कारण लम्बी योजनाएं बनाई जाती हैं और उन्हें दृढ़ता से लागू किया जाता है।

2. संकटकाल के लिए उचित सरकार (Suitable in time of Emergency)-अध्यक्षात्मक सरकार संकटकाल के लिए बहुत उपयुक्त है। शासन की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं जिनका प्रयोग वह अपनी इच्छानुसार करता है। शासन के सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय राष्ट्रपति द्वारा लिए जाते हैं । इसलिए राष्ट्रपति संकटकाल में शीघ्र निर्णय लेकर उन्हें दृढ़ता से लागू कर संकट का सामना कर सकता है। युद्ध और आर्थिक संकट का सामना करने के लिए अध्यक्षात्मक सरकार सर्वश्रेष्ठ है।

3. इसमें नीति की एकता बनी रहती है (It ensures Continuity of Policy)-इस शासन प्रणाली में कार्यपालिका एक निश्चित समय तक अपने पद पर रहती है जिससे एक ही नीति निश्चित अवधि तक चलती रहती है। शासन की नीतियों में शीघ्रता से परिवर्तन न होने के कारण एक शक्तिशाली नीति को अपनाया जा सकता है।

4. शासन में दक्षता (Efficiency in Administration)-यह प्रणाली शक्ति विभाजन के सिद्धान्त पर कार्य करती है। मन्त्रियों को न तो चुनाव लड़ना पड़ता है और न ही उन्हें संसद् की बैठकों में ही भाग लेना पड़ता है। उनके पास तो केवल शासन चलाने का ही कार्य रहता है। वे स्वतन्त्रतापूर्वक शासन-कार्य में लगे रहते हैं। इससे शासन में दक्षता आना स्वाभाविक ही है।

5. योग्य व्यक्तियों का शासन (Administration by Able Statesmen)-इस प्रणाली में मन्त्रियों को संसद् का सदस्य होने की आवश्यकता नहीं। इसलिए राष्ट्रपति ऐसे व्यक्तियों को मन्त्रिमण्डल में तथा सरकारी पदों पर नियुक्त करता है जो योग्य प्रशासक और अनुभवी राजनीतिज्ञ हों और इस प्रणाली में सभी राजनीतिक दलों से मन्त्री लिए जा सकते हैं।

6. यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त पर आधारित है (It is based on the Theory of Separation of Powers) कार्यपालिका तथा विधानपालिका एक-दूसरे से स्वतन्त्र होती हैं। विधानपालिका कानूनों का निर्माण करती है और कार्यपालिका कानूनों को लागू करती है। कार्यपालिका विधानपालिका को भंग नहीं कर सकती और न ही विधानपालिका अविश्वास प्रस्ताव पास करके कार्यपालिका को हटा सकती है। शक्तियों के विभाजन के कारण सरकार का कोई भाग निरंकुश नहीं बन सकता और नागरिकों की स्वतन्त्रता का खतरा नहीं रहता।।

7. इसमें राजनीतिक दल उग्र नहीं होते (Political Parties are Less Aggressive)-अध्यक्षात्मक सरकार में संसदीय सरकार की अपेक्षा राजनीतिक दलों का प्रभाव कम होता है। संसदीय सरकार में चुनाव के पश्चात् भी विरोधी दल सत्तारूढ़ दल को हटा कर स्वयं शासन पर अधिकार करने के लिए प्रयत्न करते रहते हैं, परन्तु अध्यक्षात्मक सरकार के चुनाव के पश्चात् राजनीतिक दलों की उग्रता समाप्त हो जाती है क्योंकि विरोधी दल को पता होता है कि राष्ट्रपति को अगले चुनाव से पहले नहीं हटाया जा सकता।

8. बहु-दलीय प्रणाली के लिए उपयुक्त (Suitable for a Multiple-Party System)—जिस देश में बहुदल प्रणाली हो अर्थात् कई राजनीतिक दल हों और किसी भी दल को संसद् में बहुमत प्राप्त न होता हो, उस देश में यही प्रणाली अधिक उपयुक्त रहती है। बहुदल प्रणाली में संसदीय सरकार स्थापित हो जाए तो मन्त्रिमण्डल जल्दी-जल्दी बदलता रहता है, परन्तु अध्यक्षात्मक प्रणाली में चुनाव के समय ही दलों का संघर्ष अधिक रहता है और कार्यपालिका जल्दी-जल्दी नहीं बदलती।

अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के दोष (Demerits of Presidential Government)-
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के मुख्य दोष निम्नलिखित हैं-

1. निरंकुशता का भय (Fear of Despotism)-शासन की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं जिससे वह निरंकुश बन सकता है। राष्ट्रपति की अवधि निश्चित होने के कारण अगले चुनाव तक उसे हटाया नहीं जा सकता है। अतः राष्ट्रीय अपनी शक्तियों का प्रयोग मनमाने ढंग से कर सकता है।

2. शासन को परिस्थितियों के अनुसार नहीं बदला जा सकता (Government is not changeable according to Circumstances)–संसदीय सरकार में प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रियों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है, परन्तु अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है और विधानपालिका की अवधि भी निश्चित होती है। राष्ट्रपति यदि शासन को ठीक ढंग से न चलाए तो भी जनता उसे निश्चित अवधि से पहले नहीं हटा सकती।

3. कार्यपालिका और विधानपालिका में गतिरोध की सम्भावना (Possibility of deadlock between the Executive and Legislature)-अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका के एक-दूसरे से स्वतन्त्र होने के कारण दोनों में गतिरोध उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है। विशेषकर यदि राष्ट्रपति एक दल से हो और विधानमण्डल में किसी दूसरे राजनीतिक दल का बहुमत हो तो इन दोनों अंगों में संघर्ष होना अनिवार्य हो जाता है। इससे शासन अच्छी तरह नहीं चलता। विधानपालिका कार्यपालिका की इच्छानुसार कानून नहीं बनाती और न ही कार्यपालिका कानून को उस भावना से लागू करती है जिस भावना से कानूनों को बनाया गया होता है।

4. शक्तियों का विभाजन सम्भव नहीं (Separation of Powers not Possible)-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त पर आधारित है, परन्तु यह सिद्धान्त व्यावहारिक नहीं है और न ही वांछनीय है। शासन एक इकाई है तथा इसके अंगों को उसी प्रकार बिल्कुल पृथक् नहीं किया जा सकता है जिस प्रकार शरीर के अंगों को। यदि सरकार के तीन अंगों को एक-दूसरे से बिल्कुल पृथक् रखा जाए तो इसका परिणाम यह होगा कि शासन की एकता समाप्त हो जाएगी और तीनों अंगों में क्षेत्राधिकार सम्बन्धी झगड़े उत्पन्न हो जाएंगे। अतः शक्तियों के विभाजन का सिद्धान्त अच्छे शासन के लिए आवश्यक नहीं है।

5. जनमत की अवहेलना (Public Opinion Neglected)—अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में जनमत की अवहेलना होने की बहुत अधिक सम्भावना रहती है। मन्त्री संसद् के सदस्य नहीं होते और न ही विधानमण्डल के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इन्हें चुनाव नहीं लड़ना पड़ता है। इसलिए उन्हें जनमत की परवाह नहीं होती।

6. अच्छे कानूनों का निर्माण नहीं होता (Good Laws are not Passed)-अच्छे कानूनों के निर्माण के लिए कार्यपालिका तथा विधानपालिका में सहयोग का होना आवश्यक है, परन्तु अध्यक्षात्मक सरकार में दोनों एक-दूसरे से स्वतन्त्र होते हैं। विधानपालिका को इस बात का पता नहीं होता कि कार्यपालिका को किस तरह के कानूनों की आवश्यकता है। आवश्यकतानुसार कानूनों का निर्माण न होने के कारण शासन में कुशलता नहीं रहती।

7. अनुत्तरदायी सरकार (Irresponsible Government)-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में सरकार अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं होती। राष्ट्रपति विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। इसलिए राष्ट्रपति अपनी मनमानी कर सकता है।

8. संविधान की कठोरता (Rigid Constitution)-अध्यक्षात्मक सरकार में संविधान बहुत कठोर होता है। इसलिए उसमें समयानुसार परिवर्तन नहीं किए जा सकते।

9. विदेशी सम्बन्धों में निर्बलता (Weakness in conduct of Foreign Relations)-अध्यक्षात्मक प्रणाली में कार्यपालिका दूसरे देशों के साथ दृढ़तापूर्वक सम्बन्ध स्थापित नहीं कर सकती। इसका कारण यह है कि युद्ध और शान्ति की घोषणा करने की स्वीकृति संसद् ही दे सकती है। राष्ट्रपति को इस बात का भरोसा नहीं होता कि संसद् उस पर अपनी स्वीकृति देगी या नहीं।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

10. दल दोषों से मुक्त नहीं (Not free from Party Evils)—यह कहना ठीक नहीं है कि अध्यक्षात्मक सरकार में राजनीतिक दलों में बुराइयां नहीं पाई जातीं। राष्ट्रपति का चुनाव दलीय व्यवस्था के आधार पर होता है और जिस दल का उम्मीदवार राष्ट्रपति चुना जाता है वह अपने समर्थकों को खुश करने के लिए उन्हें बड़े-बड़े पद देता है। अमेरिका में राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने के बाद अपने दल के व्यक्तियों को ऊंचे-ऊंचे राजनीतिक पदों पर नियुक्त करता है। इससे शासन में भ्रष्टाचार फैलता है।

निष्कर्ष (Conclusion)-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के गुण भी हैं और अवगुण भी। अमेरिका में यह प्रणाली सन् 1787 से प्रचलित है और सफलतापूर्वक कार्य कर रही है। भारत में बहुदल प्रणाली को देखकर कुछ एक विद्वान् भारत में संसदीय प्रणाली के स्थान पर अध्यक्षात्मक प्रणाली को स्थापित करने का सुझाव देते हैं, परन्तु सुझाव न तो ठोस है और न ही इसके माने जाने की सम्भावना है। फ्रांस में बहुदल के कारण वहां की संसदीय शासन प्रणाली ठीक प्रकार न चल सकी। इस कारण वहां भी अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के कुछ अंश अपनाए गए हैं।

प्रश्न 5.
संसदीय सरकार और अध्यक्षात्मक सरकारों की तुलना करो तथा दोनों में अन्तर का वर्णन करो।
(Compare and contrast the parliamentary and Presidential forms of governments.)
उत्तर-
संसदीय शासन प्रणाली और अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में अग्रलिखित अन्तर पाए जाते हैं-

संसदीय सरकार की विशेषताएं-

  1. अध्यक्षात्मक सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया न हो कर वास्तविक शासक होता है। संविधान के द्वारा शासन की सभी शक्तियां उसके पास होती हैं और वह उसका प्रयोग अपनी इच्छानुसार करता है।
  2. अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका विधानपालिका से स्वतन्त्र होती है। राष्ट्रपति तथा मन्त्रिमण्डल के सदस्य विधानमण्डल के सदस्य नहीं होते। मन्त्री न तो विधानपालिका की बैठकों में भाग ले सकते हैं और न ही बिल पेश कर सकते हैं।
  3. अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती। मन्त्री राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होते हैं न कि विधानपालिका के प्रति। विधानपालिका कार्यपालिका को अविश्वास प्रस्ताव पास करके नहीं हटा सकती।
  4. अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका की अवधि निश्चित होती है। राष्ट्रपति को केवल महाभियोग के द्वारा हटाया जा सकता है।
  5. संसदीय सरकार में प्रधानमन्त्री राज्य के अध्यक्ष को सलाह देकर विधानपालिका को भंग कर सकता है।

अध्यक्षात्मक सरकार की विशेषताएं-

  1. संसदीय सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया होता है। व्यवहार में उसकी शक्तियों का प्रयोग मन्त्रिमण्डल के द्वारा किया जाता है।
  2. संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। मन्त्रिमण्डल के सभी सदस्य विधानपालिका के सदस्य होते हैं । मन्त्री विधानमण्डल की बैठकों में भाग लेते हैं, बिल पेश करते हैं तथा वोट डालते हैं।
  3. संसदीय सरकार में कार्यपालिका अपने समस्त कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है। विधानपालिका के सदस्य मन्त्रियों से प्रश्न पूछ सकते हैं, काम रोको तथा निन्दा प्रस्ताव पास करके मन्त्रिमण्डल को हटा सकते हैं।
  4. संसदीय सरकार में कार्यपालिका की अवधि निश्चित नहीं होती। विधानपालिका जब चाहे अविश्वास प्रस्ताव पास करके मन्त्रिमण्डल को हटा सकती है।
  5. अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति विधानपालिका के किसी सदन को भंग नहीं कर सकता।

प्रश्न 6.
दोनों प्रकार की सरकारों में आप किसे श्रेष्ठ मानते हैं और क्यों ?
(Which of the two types do you consider better ? Why ?)
उत्तर-
यह एक विवाद का विषय है कि दोनों प्रकार की शासन प्रणालियों में से कौन-सी शासन प्रणाली अच्छी है। यह कहना कठिन है कि कौन-सी शासन प्रणाली पूर्ण रूप से अच्छी है। इसका कारण यह है कि दोनों शासनप्रणालियों के अपने-अपने गुण भी हैं और दोष भी हैं। इंग्लैण्ड में संसदीय सरकार अच्छी तरह चल रही है जबकि अमेरिका में अध्यक्षात्मक सरकार। परन्तु फिर भी आजकल निम्नलिखित कारणों की वजह से संसदीय शासन व्यवस्था को अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था से अच्छा समझा जाता है

1. संसदीय शासन व्यवस्था कार्यपालिका तथा विधानपालिका में पूर्ण सहयोग का विश्वास दिलाती हैसंसदीय शासन व्यवस्था में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में सहयोग बना रहता है। मन्त्रिमण्डल के सदस्य विधानमण्डल के सदस्य होते हैं, वाद-विवाद में भाग लेते हैं और बिल पेश करते हैं। मन्त्रिमण्डल का विधानमण्डल में बहुमत होता है जिस कारण मन्त्रिमण्डल द्वारा पेश किए गए बिल पास हो जाते हैं। मन्त्रिमण्डल के समर्थन के बिना कोई बिल पास नहीं हो सकता है। मन्त्रिमण्डल तथा विधानपालिका में सहयोग होने के कारण अच्छे कानूनों का निर्माण होता है। सरकार में दक्षता तभी आती है जब सरकार के विभिन्न अंगों में सहयोग हो, क्योंकि सरकार एक इकाई होती है। संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में पूर्ण सहयोग होता है।

अध्यक्षात्मक शासन-व्यवस्था में कार्यपालिका तथा विधानपालिका एक-दूसरे से स्वतन्त्र होती है और मन्त्रियों को विधानपालिका की बैठकों में भाग लेने का अधिकार नहीं होता है। यदि राष्ट्रपति एक दल से हो और विधापालिका में दूसरे दल का बहुमत हो, तो इन दोनों में संघर्ष होना अनिवार्य हो जाता है और गतिरोध उत्पन्न हो जाता है। 1968 से 1976 तक अमेरिका में राष्ट्रपति रिपब्लिकन पार्टी से था जबकि कांग्रेस में डैमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत था। जबकि 1992 से 2000 तक अमेरिका में राष्ट्रपति डैमोक्रेटिक पार्टी का था, और कांग्रेस में बहुमत रिपब्लिकन पार्टी का था। विधानपालिका और कार्यपालिका में सहयोग न होने के कारण विधानपालिका कार्यपालिका की इच्छानुसार कानून नहीं बनाती और न ही विधानपालिका के बनाए हुए कानूनों को कार्यपालिका उस भावना से लागू करती है, जिस भावना से कानूनों को बनाया गया होता है।

2. संसदीय शासन व्यवस्था अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था से अधिक प्रजातन्त्रात्मक होती है-संसदीय शासनव्यवस्था को अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली से अच्छा समझा जाता है क्योंकि यह अध्यक्षात्मक शासन-व्यवस्था से अधिक प्रजातन्त्रात्मक होती है। मन्त्रिमण्डल के सदस्य जनता के प्रतिनिधियों की निरन्तर आलोचना के अधीन कार्य करते हैं। निरन्तर आलोचना के कारण मन्त्री सदैव सतर्क रहते हैं और निरंकुश बनने की चेष्टा नहीं करते। ‘अविश्वास प्रस्ताव’ के डर के कारण मन्त्री जनता की इच्छाओं के अनुसार काम करते हैं। अध्यक्षात्मक शासन में राष्ट्रपति निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है और उसे अविश्वास प्रस्ताव पास करके नहीं हटाया जा सकता। निःसन्देह अमेरिका में राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है, परन्तु महाभियोग का तरीका इतना कठिन है कि अभी तक अमेरिका में एक भी राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा नहीं हटाया गया है। इसका अभिप्राय यह है कि अमेरिका में राष्ट्रपति को अवधि से पहले नहीं हटाया जा सकता।

3. गृह और विदेश-नीति में दृढ़ता-संसदीय शासन-व्यवस्था में मन्त्रिमण्डल गृह और विदेश नीति को दृढ़ता से लागू करता है क्योंकि उसे यह पता होता है कि विधानपालिका में उसे बहुमत का समर्थन प्राप्त है। इसके विपरीत अध्यक्षात्मक शासन-व्यवस्था में राष्ट्रपति विदेशी नीति को दृढ़ता से नहीं अपना सकता क्योंकि उसको कांग्रेस के समर्थन का विश्वास नहीं होता। इसके अतिरिक्त अमेरिका में राष्ट्रपति सीनेट की स्वीकृति के बिना दूसरे देशों के साथ सन्धिसमझौते नहीं कर सकता। अतः राष्ट्रपति दूसरे देशों के साथ दृढ़ नीति को नहीं अपना सकता।

4. संसदीय शासन-व्यवस्था में वैकल्पिक शासन की व्यवस्था-संसदीय शासन प्रणाली में मन्त्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास होने की दशा में वैकल्पिक शासन की स्थापना बिना चुनाव करवाए सम्भव होती है। विशेषकर इंग्लैण्ड में जहां द्वि-दलीय प्रणाली पाई जाती है, सत्तारूढ़ दल के हटने पर विरोधी दल सरकार बनाने के लिए सदैव तैयार रहता है। इस प्रकार प्रशासन लगातार चलता रहता है और शासन में कोई रुकावट नहीं पड़ती है।

संसदीय शासन प्रणाली के विपरीत अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में साधारणतया सरकार नहीं हटती क्योंकि राष्ट्रपति निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है, परन्तु यदि सरकार हटती है तो इससे नए चुनाव करवाने की समस्या उत्पन्न होती है। वास्तव में अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था में दो चुनावों के बीच के काल में नोति में कोई परिवर्तन सम्भव नहीं होता है। नीति में परिवर्तन तभी सम्भव होता है यदि चुनाव के समय दल अपने विभिन्न कार्यक्रम के आधार पर चुना जाए, परन्तु संसदीय शासन-प्रणाली में नीति में परिवर्तन चुनावों के बीच के काल में भी सम्भव होता है।

5. संसदीय शासन-व्यवस्था में सरकार परिवर्तनशील होती है-संसदीय शासन प्रणाली को सरकार की परिस्थितियों के अनुसार बदला जा सकता है। उदाहरणस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध में जब इंग्लैण्ड में चैम्बरलेन सफल न हो सका तो उसके स्थान पर चर्चिल को प्रधानमन्त्री बनाया गया, परन्तु अध्यक्षात्मक सरकार में ऐसा नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें कार्यपालिका के अध्यक्ष की अवधि निश्चित होती है। राष्ट्रपति चाहे ठीक ढंग से शासन न चलाए जनता उसे निश्चित अवधि से पूर्व नहीं हटा सकती।

6. जनमत के प्रति उत्तरदायी-संसदीय शासन प्रणाली में मन्त्रिमण्डल जनमत के प्रति अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की अपेक्षा अधिक उत्तरदायी होते हैं। मन्त्रिमण्डल सदैव जनमत के अनुसार शासन चलाता है और जनता के साथ किए गए वायदों को पूरा करने के लिए भरसक प्रयत्न करता है। मन्त्रिमण्डल यह जानता है कि उसका बना रहना जनमत के समर्थन पर निर्भर करता है, इसलिए कोई भी मन्त्रिमण्डल आसानी से जनमत के प्रति उदासीन नहीं रह सकता।

इसके विपरीत अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में शक्तियों के पृथक्करण के कारण सरकार जनमत के प्रति इतना अधिक उत्तरदायी नहीं होती। राष्ट्रपति और मन्त्रिमण्डल के सदस्य कांग्रेस के सदस्य नहीं होते, इसलिए उन्हें जनता के प्रतिनिधियों के द्वारा यह जानने का अवसर प्राप्त नहीं होता कि जनमत क्या चाहता है। इसके अतिरिक्त कार्यपालिका इसलिए जनमत की परवाह नहीं करती क्योंकि उसको पता होता है कि उसका पद पर बने रहना जनमत पर निर्भर नहीं करता और अगले चुनाव तक जनता उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। चुनाव आने पर ही कार्यपालिका जनमत की ओर ध्यान देती है।

निष्कर्ष (Conclusion)—संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि संसदीय शासन-प्रणाली अध्यक्षात्मक शासन-प्रणाली की अपेक्षा अधिक अच्छी है।

प्रश्न 7.
क्या आप इस मत से सहमत हैं कि भारत के लिए संसदात्मक सरकार ही अधिक उचित है ? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
(Do you agree with the view that the parliamentary form of government is more suitable to India ? Give reasons.)
उत्तर-
कुछ विद्वानों एवं राजनीतिज्ञों का विचार है कि भारत के लिए संसदीय शासन प्रणाली की अपेक्षा अध्यक्षात्मक शासन अधिक उपयुक्त है। इन विद्वानों का मुख्य तर्क यह है कि विधानपालिका अविश्वास प्रस्ताव पेश करके कार्यपालिका को नहीं हटा सकती, जिससे शासन में स्थिरता रहती है। देश की प्रगति के लिए कार्यपालिका का विधानपालिका से स्वतन्त्र होना आवश्यक है ताकि कार्यपालिका अपना सारा समय शासन में लगा सके जबकि संसदीय शासन में कार्यपालिका का काफ़ी समय संसद् में बर्बाद हो जाता है। भारत में बहु-दलीय प्रणाली पाई जाती है जोकि संसदीय शासन के लिए उपयुक्त नहीं है। अतः इन विद्वानों के अनुसार भारत के लिए अध्यक्षात्मक शासन अधिक उपयुक्त है।

परन्तु हमारे विचार से भारत के लिए संसदीय शासन ही अधिक उपयुक्त है। संसदीय शासन प्रणाली स्वतन्त्रता प्राप्ति से लेकर अब तक सफलता से कार्य कर रही है। इसमें शासन संसद् के प्रति उत्तरदायी होता है और संसद् के साथ कार्यपालिका का गहरा सम्बन्ध होने के कारण अच्छे कानूनों का निर्माण होता है। संसदीय शासन को परिस्थितियों के अनुसार बदला जा सकता है और एक अच्छे शासन के लिए यह आवश्यक भी है। अत: भारत के लिए संसदीय शासन उपयुक्त है।
नोट- भारत के लिए संसदीय सरकार उचित होने के वही कारण हैं जो संसदीय सरकार के होते हैं। अतः पिछला प्रश्न देखें।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संसदीय सरकार किसे कहते हैं ? संसदीय सरकार की परिभाषा दें ।
उत्तर-
संसदीय सरकार उस शासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें कार्यपालिका तथा विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। कार्यपालिका (मन्त्रिमण्डल) अपने सभी कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है और तब तक अपने पद पर रह सकती है जब तक उसको विधानपालिका का विश्वास प्राप्त रहता है। जिस समय कार्यपालिका विधानपालिका का विश्वास खो देती है तो कार्यपालिका को अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है।

डॉ० गार्नर का मत है, “संसदीय सरकार वह प्रणाली है जिसमें वास्तविक कार्यपालिका-मन्त्रिमण्डल या मन्त्रिपरिषद् अपनी राजनीतिक नीतियों और कार्यों के लिए प्रत्यक्ष तथा कानूनी रूप से विधानमण्डल या उसके एक सदन (प्रायः लोकप्रिय सदन) के प्रति और राजनीतिक तौर पर मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी हो जबकि राज्य का अध्यक्ष संवैधानिक या नाममात्र कार्यपालिका हो और उत्तरदायी हो।”

प्रश्न 2.
संसदीय सरकार की चार विशेषताएं लिखें।
उत्तर-
संसदीय शासन प्रणाली में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती हैं-

  1. राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का सत्ताधारी-संसदीय सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का शासक होता है। सैद्धान्तिक रूप में राज्य की सभी शक्तियों उसके नाम पर होती हैं, परन्तु वास्तव में उन शक्तियों का प्रयोग मन्त्रिमण्डल द्वारा किया जाता है।
  2. मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका होती है-राज्य के अध्यक्ष को सौंपी गई शक्तियों का प्रयोग वास्तव में मन्त्रिमण्डल द्वारा किया जाता है।
  3. कार्यपालिका और विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध होना-संसदीय शासन प्रणाली में विधानपालिका और कार्यपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। मन्त्रिमण्डल के सदस्यों के लिए संसद् का सदस्य होना अनिवार्य है और वे संसद् की बैठकों में भाग भी लेते हैं, बिल पेश करते हैं और बिलों पर मतदान करते हैं।
  4. मन्त्रिमण्डल का उत्तरदायित्व-कार्यपालिका अर्थात् मन्त्रिमण्डल अपने सब कार्यों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है।

प्रश्न 3.
संसदीय सरकार के चार गुणों का वर्णन करो।
उत्तर-
संसदीय शासन प्रणाली में निम्नलिखित गुण पाए जाते हैं-

  1. कार्यपालिका तथा विधानपालिका में पूर्ण सहयोग-संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में सहयोग बना रहता है। मन्त्रिमण्डल के सदस्य विधानपालिका के सदस्य होते हैं, बैठकों में भाग लेते हैं तथा बिल पास करते हैं। कार्यपालिका तथा विधानपालिका में सहयोग के कारण अच्छे कानूनों का निर्माण होता है तथा शासन में दक्षता होती
  2. उत्तरदायी सरकार-संसदीय सरकार में सरकार अपने समस्त कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है। यदि मन्त्रिमण्डल अपनी मनमानी करता है तो विधानमण्डल अविश्वास प्रस्ताव पास करके मन्त्रिमण्डल को हटा सकता है।
  3. सरकार निरंकुश नहीं बन सकती-मन्त्रिमण्डल अपने कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होने के कारण निरंकुश नहीं बन सकता।
  4. परिवर्तनशील सरकार-संसदीय सरकार का यह भी गुण है, कि इसमें सरकार परिवर्तनशील होती है। सरकार को समय के अनुसार बदला जा सकता है।

प्रश्न 4.
संसदीय सरकार के चार अवगुण बताइए।
उत्तर-
संसदीय सरकार में निम्नलिखित दोष पाए जाते हैं-

  1. यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के विरुद्ध है-संसदीय सरकार शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के विरुद्ध है। इसमें मन्त्रिमण्डल (कार्यपालिका) के सदस्य संसद् के सदस्य भी होते हैं, जिससे कार्यपालिका तथा विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। शक्तियों के केन्द्रीयकरण के कारण व्यक्तियों की निजी स्वतन्त्रता खतरे में पड़ सकती है।
  2. अस्थिर सरकार-संसदीय शासन प्रणाली में सरकार अस्थिर होती है, क्योंकि मन्त्रिमण्डल की अवधि निश्चित नहीं होती।
  3. नीति में निरन्तरता की कम सम्भावना-संसदीय शासन प्रणाली में नीति की निरन्तरता की कम सम्भावना रहती है क्योंकि विधानपालिका, कार्यपालिका को जब चाहे अविश्वास प्रस्ताव पास करके हटा सकती है।
  4. शासन में दक्षता का अभाव-संसदीय शासन प्रणाली में शासन में दक्षता का अभाव होता है, क्योंकि इसमें शासन की बागडोर अनाड़ियों के हाथ में होती है।

प्रश्न 5.
अध्यक्षात्मक सरकार का अर्थ एवं परिभाषा लिखें।
उत्तर-
अध्यक्षात्मक सरकार उस शासन प्रणाली को कहते हैं, जिसमें कार्यपालिका संवैधानिक दृष्टि से विधानपालिका से अपनी नीतियों और कार्यों के लिए स्वतन्त्र होती है। कार्यपालिका विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती और दोनों में कोई सम्बन्ध नहीं होता। विधानपालिका मन्त्रियों को उनके पद से हटा नहीं सकती। राज्य का अध्यक्ष वास्तविक कार्यपालिका होता है और संविधान द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार करता है। अमेरिका में अध्यक्षात्मक सरकार है।

डॉ० गार्नर के शब्दानुसार, “अध्यक्षात्मक सरकार वह प्रणाली है जिसमें राज्य का अध्यक्ष और मन्त्री अपने कार्यकाल के लिए संवैधानिक तौर पर व्यवस्थापिका से स्वतन्त्र होते हैं और अपनी राजनीतिक नीतियों के लिए उसके प्रति उत्तरदायी नहीं होते। इस प्रणाली में राज्य का अध्यक्ष केवल नाममात्र कार्यपालिका नहीं होता बल्कि वास्तविक कार्यपालिका होता है और संविधान तथा कानूनों द्वारा दी गई शक्तियों का वास्तव में प्रयोग करता है।”

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

प्रश्न 6.
अध्यक्षात्मक सरकार की चार विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
अध्यक्षात्मक प्रणाली में निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं होती हैं-

  1. नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद नहीं-अध्यक्षात्मक सरकार में नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद नहीं पाया जाता। राष्ट्र का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है। उसे संविधान द्वारा जो शक्तियां प्राप्त होती हैं उनका प्रयोग वह अपनी इच्छानुसार करता है।
  2. मन्त्रिमण्डल केवल सलाहकार के रूप में अध्यक्षात्मक प्रणाली में भी मन्त्रिमण्डल की व्यवस्था होती है, परन्तु इसकी स्थिति संसदीय प्रणाली के मन्त्रिमण्डल की स्थिति में पूर्णत: भिन्न होती है। अध्यक्ष मन्त्रियों की सलाह के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य नहीं होता। मन्त्री केवल सलाहकार ही होते हैं। उसकी अपनी इच्छा है कि मन्त्रियों से सलाह ले या न ले।
  3. कार्यपालिका और व्यवस्थापिका का पृथक्करण-अध्यक्षात्मक शासन में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में कोई सम्बन्ध नहीं होता। अध्यक्ष अपने मन्त्री संसद् में से नहीं लेता। मन्त्री संसद् की बैठकों में न भाग ले सकते हैं, न बिल पेश कर सकते हैं, न भाषण दे सकते हैं। इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में कोई सम्बन्ध नहीं रहता है।
  4. कार्यपालिका का अनुत्तरदायित्व-अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका अपने कार्यों तथा नीतियों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती।

प्रश्न 7.
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के चार गुण लिखें।
उत्तर-
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में निम्नलिखित चार गुण पाए जाते हैं-

  1. शासन में स्थिरता-अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति की अवधि निश्चित होती है जिससे शासन में स्थिरता आती है।
  2. इसमें नीति की एकता बनी रहती है-इस शासन प्रणाली में कार्यपालिका एक निश्चित समय तक अपने पद पर रहती है जिससे एक ही नीति निश्चित अवधि तक चलती रहती है।
  3. शासन में दक्षता-यह प्रणाली शक्ति विभाजन के सिद्धान्त पर कार्य करती है। मन्त्रियों को न तो चुनाब लड़ना पड़ता है और न ही संसद् की बैठकों में भाग लेना पड़ता है। उनके पास तो केवल शासन चलाने का कार्य होता है। वे स्वतन्त्रतापूर्वक शासन चलाने में लगे रहते हैं, इससे शासन में दक्षता आना स्वाभाविक है।
  4.   संकटकाल के लिए उचित सरकार- अध्यक्षात्मक सरकार संकटकाल के लिए उचित सरकार मानी जाती है।

प्रश्न 8.
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के चार दोष बताइए।
उत्तर-
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के मुख्य चार दोष नीचे दिए गए हैं-

  1. निरंकुशता का भय-शासन की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं जिससे वह निरंकुश बन सकता है।
  2. शासन की परिस्थितियों के अनुसार नहीं बदला जा सकता- अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है और विधानपालिकाओं की अवधि भी निश्चित होती है। राष्ट्रपति यदि शासन ठीक ढंग से न चलाए तो भी जनता उसे निश्चित अवधि से पहले नहीं हटा सकती।
  3. कार्यपालिका और विधानपालिका में गतिरोध की सम्भावना-अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका के एक-दूसरे से स्वतन्त्र होने के कारण दोनों में गतिरोध उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है।
  4. जनमत की अवहेलना-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में जनमत की अवहेलना होने की बहुत अधिक सम्भावना रहती है।

प्रश्न 9.
संसदीय सरकार और अध्यक्षात्मक सरकार में चार अन्तर लिखें।
उत्तर-
संसदीय सरकार और अध्यक्षात्मक सरकार में निम्नलिखित मुख्य अन्तर पाए जाते हैं-

संसदीय सरकार-

  1. संसदीय सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया होता है। व्यवहार में उसकी शक्तियों का प्रयोग मन्त्रिमण्डल के द्वारा किया जाता है।
  2. संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।
  3. संसदीय सरकार में कार्यपालिका अपने समस्त कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
  4. संसदीय सरकार में कार्यपालिका की अवधि निश्चित नहीं होती।

अध्यक्षात्मक सरकार-

  1. अध्यक्षात्मक सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया न हो कर वास्तविक शासक होता है। संविधान के द्वारा शासन की सभी शक्तियां उसके पास होती हैं और वह उसका प्रयोग अपनी इच्छानुसार करता है।
  2. अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका एवं विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं पाया जाता।
  3. अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती।
  4. अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका की अवधि निश्चित होती है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

प्रश्न 10.
संसदीय शासन प्रणाली और अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में कौन-सी अच्छी सरकार है ? कारण दीजिए।
उत्तर-
संसदीय और अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में से संसदीय शासन प्रणाली को निम्नलिखित कारणों से अच्छा माना जाता है-

  1. संसदीय सरकार परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तनशील है।
  2. उत्तरदायी सरकार।
  3. विधानपालिका तथा कार्यपालिका में सहयोग।
  4. अच्छे कानूनों का निर्माण।
  5. संसदीय सरकार जनमत पर आधारित है।

संसदीय सरकार अध्यक्षात्मक सरकार से अच्छी है, इसका यह भी प्रमाण है कि आज संसार के अधिकांश देशों में संसदीय सरकार को अपनाया गया है।

प्रश्न 11.
क्या अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली भारत के लिए अधिक उपयुक्त है ?
उत्तर-
कुछ विद्वानों एवं राजनीतिज्ञों का विचार है कि भारत के लिए संसदीय शासन प्रणाली की अपेक्षा अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली अधिक उपयुक्त है। इन विद्वानों का मुख्य तर्क यह है कि अध्यक्षात्मक शासन में कार्यपालिका का चुनाव निश्चित अवधि के लिए होता है और विधानपालिका अविश्वास-प्रस्ताव पेश करके कार्यपालिका को नहीं हटा सकती, जिससे शासन में स्थिरता बनी रहती है। भारत में बहुदलीय प्रणाली पाई जाती है जो कि संसदीय शासन के लिए उपयुक्त है। अतः इन विद्वानों के मतानुसार भारत के लिए अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली अधिक उपयुक्त है।

परन्तु हमारे विचार में भारत के लिए संसदीय शासन ही अधिक उपयुक्त है । स्वतन्त्रता प्राप्ति से लेकर अब तक संसदीय शासन प्रणाली सफलता से कार्य कर रही है। इसमें शासन संसद् के प्रति उत्तरदायी होता है और संसद् के साथ कार्यपालिका का गहरा सम्बन्ध होने के कारण अच्छे कानूनों का निर्माण होता है। संसदीय शासन को परिस्थितियों के अनुसार बदला जा सकता है और एक अच्छे शासन के लिए यह आवश्यक भी है। अतः भारत के लिए संसदीय शासन प्रणाली उपयुक्त है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संसदीय सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संसदीय सरकार उस शासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें कार्यपालिका तथा विधानपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। कार्यपालिका (मन्त्रिमण्डल) अपने सभी कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है और तब तक अपने पद पर रह सकती है जब तक उसको विधानपालिका का विश्वास प्राप्त रहता है। जिस समय कार्यपालिका विधानपालिका का विश्वास खो देती है तो कार्यपालिका को अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ता है।

प्रश्न 2.
संसदीय सरकार की दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  1. राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का सत्ताधारी-संसदीय सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का शासक होता है।
  2. मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका होती है-राज्य के अध्यक्ष को सौंपी गई शक्तियों का प्रयोग वास्तव में मन्त्रिमण्डल द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3.
संसदीय सरकार के दो गुणों का वर्णन करो।
उत्तर-

  1. कार्यपालिका तथा विधानपालिका में पूर्ण सहयोग-संसदीय सरकार में कार्यपालिका तथा विधानपालिका में सहयोग बना रहता है।
  2. उत्तरदायी सरकार-संसदीय सरकार में सरकार अपने समस्त कार्यों के लिए विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है।

प्रश्न 4.
संसदीय सरकार के दो अवगुण बताइए।
उत्तर-

  1. यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के विरुद्ध है-संसदीय सरकार शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के विरुद्ध है।
  2. अस्थिर सरकार-संसदीय शासन प्रणाली में सरकार अस्थिर होती है, क्योंकि मन्त्रिमण्डल की अवधि निश्चित नहीं होती।

प्रश्न 5.
अध्यक्षात्मक सरकार का अर्थ लिखें।
उत्तर-
अध्यक्षात्मक सरकार उस शासन प्रणाली को कहते हैं, जिसमें कार्यपालिका संवैधानिक दृष्टि से विधानपालिका से अपनी नीतियों और कार्यों के लिए स्वतन्त्र होती है। कार्यपालिका विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती और दोनों में कोई सम्बन्ध नहीं होता। विधानपालिका मन्त्रियों को उनके पद से हटा नहीं सकती। राज्य का अध्यक्ष वास्तविक कार्यपालिका होता है और संविधान द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छानुसार करता है। अमेरिका में अध्यक्षात्मक सरकार है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

प्रश्न 6.
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के दो गुण लिखें।
उत्तर-

  1. शासन में स्थिरता-अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति की अवधि निश्चित होती है जिससे शासन में स्थिरता आती है।
  2. इसमें नीति की एकता बनी रहती है-इस शासन प्रणाली में कार्यपालिका एक निश्चित समय तक अपने पद पर रहती है जिससे एक ही नीति निश्चित अवधि तक चलती रहती है।

प्रश्न 7.
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली के दो दोष बताइए।
उत्तर-

  1. निरंकुशता का भय-शासन की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास होती हैं जिससे वह निरंकुश बन सकता है।
  2. शासन की परिस्थितियों के अनुसार नहीं बदला जा सकता-अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है। राष्ट्रपति यदि शासन ठीक ढंग से न चलाए तो भी जनता उसे निश्चित अवधि से पहले नहीं हटा सकती।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. संसदीय सरकार का क्या अर्थ है ?
उत्तर-संसदीय सरकार में कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। वह तब तक अपने पद पर रहती है, जब तक इसको संसद का विश्वास प्राप्त रहता है।

प्रश्न 2. संसदीय सरकार की कोई एक विशेषता बताएं।
उत्तर-संसदीय सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाम-मात्र का सत्ताधारी होता है।

प्रश्न 3. संसदीय सरकार का कोई एक गुण लिखें।
उत्तर-संसदीय सरकार में कार्यपालिका एवं विधानपालिका में पूर्ण सहयोग रहता है।

प्रश्न 4. संसदीय सरकार का कोई एक अवगुण लिखें।
उत्तर-संसदीय सरकार अस्थिर होती है।

प्रश्न 5. सामूहिक उत्तरदायित्व किस सरकार में पाया जाता है ?
उत्तर-संसदीय सरकार में।

प्रश्न 6. अध्यक्षात्मक सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर-अध्यक्षात्मक सरकार उस शासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें कार्यपालिका संवैधानिक दृष्टि से विधानपालिका से अपनी नीतियों और कार्यों के लिए स्वतन्त्र होती है।

प्रश्न 7. संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकार में कोई एक अन्तर बताओ।
उत्तर-संसदीय सरकार में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया होता है जबकि अध्यक्षात्मक सरकार में राज्य का अध्यक्ष वास्तविक अध्यक्ष होता है।

प्रश्न 8. अध्यक्षात्मक सरकार की कोई एक विशेषता बताओ।
उत्तर-अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में कार्यपालिका का अध्यक्ष वास्तविक अध्यक्ष होता है। शासन की शक्तियों का प्रयोग अध्यक्ष द्वारा ही किया जाता है।

प्रश्न 9. अध्यक्षात्मक सरकार का कोई एक गुण बताओ।
उत्तर-इसमें सरकार स्थिर रहती है।

प्रश्न 10. अध्यक्षात्मक सरकार का कोई एक अवगुण बताओ।
उत्तर-अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति के निरंकुश बनने का भय बना रहता है।

प्रश्न 11. भारतीय राष्ट्रपति किस प्रकार की कार्यपालिका है?
उत्तर- भारतीय राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है।

प्रश्न 12. भारतीय प्रधानमन्त्री किस प्रकार की कार्यपालिका है?
उत्तर-भारतीय प्रधानमन्त्री वास्तविक कार्यपालिका है।

प्रश्न 13. इंग्लैण्ड की रानी या राजा किस प्रकार की कार्यपालिका है?
उत्तर-इंग्लैण्ड की रानी या राजा नाममात्र की कार्यपालिका है।

प्रश्न 14. इंग्लैण्ड का प्रधानमन्त्री किस प्रकार की कार्यपालिका है?
उत्तर-इंग्लैण्ड में प्रधानमन्त्री वास्तविक कार्यपालिका है।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

प्रश्न 15. संसदीय एवं अध्यक्षात्मक सरकार में से किसे श्रेष्ठ समझा जाता है?
उत्तर-संसदीय सरकार को श्रेष्ठ समझा जाता है।

प्रश्न 16. अमेरिका में किस प्रकार की शासन प्रणाली है?
उत्तर-अमेरिका में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली है।

प्रश्न 17. भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनाने का एक कारण लिखें।
उत्तर-संसदीय परम्पराएं।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. संसदीय शासन प्रणाली में सरकार …………….. की इच्छानुसार शासन को चलाती है।
2. संसदीय सरकार शक्तियों के ……………. के सिद्धान्त के विरुद्ध है।
3. संसदीय सरकार में शासन की …………… का अभाव रहता है।
4. संकटकाल के समय संसदीय सरकार …………… साबित होती है।
उत्तर-

  1. जनमत
  2. पृथक्करण
  3. कुशलता
  4. कमज़ोर।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका विधानपालिका से स्वतन्त्र होती है।
2. अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति नाममात्र का शासक होता है।
3. अध्यक्षात्मक सरकार में मन्त्रिमण्डल के सदस्य विधानपालिका के सदस्य नहीं होते।
4. अध्यक्षात्मक सरकार में नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद नहीं पाया जाता।
5. अध्यक्षात्मक सरकार शक्तियों के पृथक्करण पर आधारित है।
उत्तर-

  1. सही
  2. ग़लत
  3. सही
  4. सही
  5. सही।

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अध्यक्षात्मक शासन में जनमत की अवहेलना हो सकती है, यह कथन-
(क) सही है
(ख) ग़लत है
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) सही है।

प्रश्न 2.
अध्यक्षात्मक शासन में सरकार में राजनीतिक एकरूपता नहीं होती। यह कथन-
(क) सही है
(ख) ग़लत है
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) सही है।

प्रश्न 3.
संसदीय सरकार में मन्त्रिमण्डल को महाभियोग द्वारा हटाया जाता है, यह कथन-
(क) सही है
(ख) ग़लत है
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) ग़लत है ।

PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 15 सरकारों के रूप-संसदीय और अध्यक्षात्मक सरकारें

प्रश्न 4.
अध्यक्षात्मक सरकार में राष्ट्रपति को अविश्वास प्रस्ताव पास करके हटाया जाता है। यह कथन-
(क) सही है
(ख) ग़लत है
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) ग़लत है ।

PSEB 12th Class Maths Book Solutions Guide in Punjabi English Medium

.Punjab State Board Syllabus PSEB 12th Class Maths Book Solutions Guide Pdf in English Medium and Punjabi Medium are part of PSEB Solutions for Class 12.

PSEB 12th Class Maths Guide | Maths Guide for Class 12 PSEB in English Medium

Maths Guide for Class 12 PSEB | PSEB 12th Class Maths Book Solutions

PSEB 12th Math Book Pdf Chapter 1 Relations and Functions

PSEB 12th Maths Solution Book Pdf Download Chapter 2 Inverse Trigonometric Functions

PSEB Maths Book 12th Chapter 3 Matrices

PSEB 12th Class Math Solutions Chapter 4 Determinants

PSEB Class 12 Math Syllabus Chapter 5 Continuity and Differentiability

PSEB Class 12th Maths Chapter 6 Application of Derivatives

PSEB 12th Maths Chapter 7 Integrals

PSEB Class 12 Math Syllabus Chapter 8 Application of Integrals

PSEB 12th Class Math Solutions Chapter 9 Differential Equations

PSEB Maths Book 12th Chapter 10 Vector Algebra

Punjab Board Class 12th Maths Chapter 11 Three Dimensional Geometry

PSEB 12th Maths Solution Book Pdf Download Chapter 12 Linear Programming

PSEB 12th Math Book Pdf Chapter 13 Probability

PSEB 5th Class Hindi रचना कहानी-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Kahani Lekhan कहानी-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 5th Class Hindi Rachana कहानी-लेखन (2nd Language)

प्यासा कौवा

एक बार गर्मी का मौसम था। जेठ महीने की दोपहर थी। आकाश से आग बरस रही थी। सभी प्राणी गर्मी से घबरा कर अपने घरों में आराम कर रहे थे। पक्षी अपने घौंसलों में दोपहरी काट रहे थे।

PSEB 5th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

ऐसे समय में एक कौवा प्यास से छटपटा रहा था। वह पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था। परन्तु उसे कहीं पानी न मिला। अन्त में वह एक बाग में पहुँचा। वहाँ पानी का घड़ा पड़ा था। कौवा घडे को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ। वह उड़कर घड़े के पास गया।

उसने पानी पीने के लिए घड़े में अपनी चोंच डाली। परन्तु घड़े में पानी बहुत कम था। उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी। फिर भी – उसने आशा न छोड़ी।

उसी समय उसको एक युक्ति सूझी। वहाँ बहुत से कंकर पड़े थे। उसने एक-एक कंकर घड़े में डालना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में पानी ऊपर आ गया। कौवा बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने जी भर कर पानी पिया और ईश्वर को धन्यवाद दिया।

शिक्षा-

  • जहाँ चाह वहाँ राह
  • आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
  • यत्न करने पर कोई उपाय अवश्य निकल आता है।

चालाक लोमड़ी

एक लोमड़ी थी। वह बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर-उधर घूमने लगी। जब सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई। अचानक उसकी नज़र ऊपर की ओर गई। वहाँ पर एक कौवा बैठा हुआ था।

उसके मुँह में रोटी का टुकड़ा था। रोटी देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। वह कौए से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी। तभी उसने कौए को कहा, “क्यों कौवा भैया। सुना है तुम गीत बहुत अच्छा गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?” कौवा अपनी झूठी प्रशंसा को सुन कर बहुत खुश हुआ।

उसने ज्यों ही गाने के लिए मुँह खोला त्यों ही रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने रोटी का टुकड़ा उठाया और नौ-दो ग्यारह हो गई। कौवा पछताने लगा।

शिक्षा-किसी की झूठी प्रशंसा में कभी नहीं आना चाहिए।

PSEB 5th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

दो बिल्लियाँ और बन्दर

किसी नगर में दो बिल्लियाँ रहती थीं। एक दिन उन्हें रोटी का टुकड़ा मिला। वे आपस में लड़ने लगीं। वे उसे आपस में समान भागों में बाँटना चाहती थीं लेकिन उन्हें कोई ढंग न मिला।

उसी समय एक बन्दर उधर आ निकला। वह बहुत चालाक था। उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई। वह तराजू ले आया और बोला, “लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ।” उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर

एक-एक पलड़े में रख दिये। जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी-सी तोड़ कर खा लेता। इस प्रकार थोड़ी-सी रोटी रह गई। बिल्लियों ने अपनी रोटी वापस माँगी। लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी भी मुँह में डाल ली। बिल्लियाँ मुँह देखती रह गईं। शिक्षा-आपस में लड़ना-झगड़ना अच्छा नहीं।

अंगूर खट्टे हैं

एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह भोजन की खोज में इधर-उधर गई पर भोजन नहीं मिला। अन्त में वह एक बाग में पहुँची। वहाँ उसने अंगूर की बेलों पर अंगूरों के गुच्छे देखे। इन्हें देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। वह इन्हें खाना चाहती थी। अंगूर बहुत ऊँचे थे।

वह इन्हें पाने के लिए उछलने लगी। बार-बार उछलने पर भी उसके हाथ एक भी अंगूर नहीं लगा। अन्त में वह थक गई और निराश होकर यह कहती हुई वापिस लौट गई कि अंगूर खट्टे हैं। मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार पड़ जाऊँगी। शिक्षा-हाथ न पहुँचे थू कौड़ी।

लालची कुत्ता

एक बार एक कुत्ते को बहुत भूख लगी। वह भोजन की खोज में इधर उधर भटका। अन्त में उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था। रास्ते में नदी का पुल पार करते समय उसने पानी में झाँका। पानी में उसे अपनी ही परछाईं दिखाई दी।

PSEB 5th Class Hindi रचना कहानी-लेखन

उसने समझा कि यह कोई दूसरा कुत्ता है जिसके पास भी एक रोटी का टुकड़ा है। उसके मन में लालच आ गया। उसने उस दूसरे कुत्ते से भी रोटी छीननी चाही। इसलिए वह ज़ोर से भौंका। भौंकने से उसका अपना रोटी का टुकड़ा भी पानी में जा गिरा। वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा।

अब वह पछताने लगा और निराश होकर वापिस लौट गया।

शिक्षा-लालच बुरी बला है।

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Punjab State Board PSEB 12th Class Maths Book Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.32 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 1.
Let f:{1, 3, 4} → {1, 2, 5} and g:{ 1, 2, 5} → {1, 3} be given by f = {(1, 2), (3, 5), (4, 1)} and g = {(1, 3), (2, 3), (5,1)}. Write down gof.
Solution.
The functions f :{1, 3, 4} → {1, 2, 5} and g: {1, 2, 5} → {1, 3} are defined as f = {(1, 2), (3, 5), (4,1)} and g = {(1, 3), (2, 3), (5,1)}.
gof (1) = g(f(1)) = g(2) = 3 [∵ f(1) = 2 and g(2) = 3]
gof (3) = g(f(3)) = g(5) = 1 [∵ f(3) = 5 and g(5) = 1]
gof (4) = g(f(4)) = g(1) = 3 [∵ f(4) = 1 and g(1) = 3]
∴ gof = {(1,3), (3,1), (4, 3)}.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 2.
Let f, g and h be functions from R to R. Show that (f + g)oh = foh + goh (f . g)oh = (foh) (goh)
Solution.
To prove (f + g)oh = foh + goh Consider
((f + g)oh)(x) = (f + g)(h(x))
f(h(x)) + g(h(x)) = (foh)(x) + (goh)(x) = {{foh) + (goh)}(x)
((f + g)oh)(x) = {(foh) + (goh)} (x) ∀ x ∈ R
Hence, (f + g)oh = foh + goh.
To prove (f . g)oh = (foh) . (goh)
Consider
((f . g)oh) (x) = (f . g) (h(x)) = f(h(x)) . g(h(x))
= (foh)(x).(goh)(x)
= {(foh) . (goh)}(x)
∴ ((f . g)oh)(x) = {(foh) . (goh)}(x) ∀ x ∈ R
Hence, (f . g)oh = (/oh) . (goh)

Question 3.
Find gof and fog, if
(i) f(x) = |x| and g(x) = |5x – 2|
(ii) f(x) = 8x3 and g(x) = \(x^{\frac{1}{3}}\)
Solution.
(i) f(x) =|x| and g(x) = |5x – 2|
∴ (gof)(x) = g(f (x)) = g(| x |) =| 5| x | – 2 |
(fog(x)) = f(g(x)) = f(| 5x – 2 |) = | | 5x-2 || = |5x – 2|

(ii) f(x) = 8x3 and g(x) = \(x^{\frac{1}{3}}\)
∴ gof(x) = g(f(x))
= g(8x3)
= (8x3)\(\frac{1}{3}\)
= 8x

(fog)(x) = f(g(x))
= f(\(x^{\frac{1}{3}}\))
= 8(\(x^{\frac{1}{3}}\))3
= 8x

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 4.
If f(x) = \(\frac{(4 x+3)}{(6 x-4)}\), x ≠ \(\frac{2}{3}\) show that fof(x) = x for all x ≠ \(\frac{2}{3}\) What is the inverse of f?
Solution.
It is given that f(x) = \(\frac{(4 x+3)}{(6 x-4)}\), x ≠ \(\frac{2}{3}\)
(fof)(x) = f(f(x)) = f(\(\frac{(4 x+3)}{(6 x-4)}\))
= \(\frac{4\left(\frac{4 x+3}{6 x-4}\right)+3}{6\left(\frac{4 x+3}{6 x-4}\right)-4}\)
= \(\frac{16 x+12+18 x-12}{24 x+18-24 x+16}=\frac{34 x}{34}\) = x
Therefore, fof(x) = x, for all x ≠ \(\frac{2}{3}\).
⇒ fof = 1.
Hence, the given function f is invertible and the inverse of f is itself.

Question 5.
State with reason whether the following functions have inverse
(i) f: {1, 2, 3, 4} → {10} with  f = {(1, 10), <2,10), (8, 10), <4, 10)}
(ii) g: {5, 6, 7,8} → {1, 2, 3, 4,} with g = {(5, 4), (6,3), (7,4), (8, 2)}
(iii) h:{2, 3, 4, 5} → {7, 9, 11, 13} with h = {(2, 7), (3, 9), (4, 11), (5, 13)}.
Solution.
(i) Function f:{1, 2, 3, 4} {10} defined as
f = {(1,10), (2,10), (3,10), (4,10)}
From the given definition of f, we can see that f is a many-one function as:
f(1) = f(2) = f(3) = f(4) = 10
∴ f is not one-one.
Hence, function f does not have an inverse.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

(ii) Function g:{5, 6, 7,8} → {1,2, 3, 4,} defined as g = {(5, 4), (6, 3), (7, 4), (8, 2)}
From the given definition of g, it is seen that g is a many-one function as : g(5) = g(7) = 4.
∴ g is not one-one,
Hence, function g does not have an inverse.

(iii) Function h:{2, 3, 4, 5,} → {7, 9,11,13} defined as h = {(2, 7), (3, 9), (4,11), (5,13)}
It is seen that all distinct elements of the set {2, 3, 4, 5} have distinct images under h.
∴ Function h is one-one.
Also, h is onto since for every element y of the set {7, 9, 11, 13}, there exists an element x in the set {2, 3, 4, 5} such that h(x) = y.
Thus, h is a one-one and onto function. Hence, h has an inverse.

Question 6.
Show that f: [- 1,1] → R, given by f(x) = \(\frac{x}{x+2}\) is one-one. Find the inverse of the function f: [- 1, 1] → Range f.
[Hint : For y ∈ R Range f, y = f(x) = \(\frac{x}{x+2}\), for some x in [- 1, 1] i.e., x = \(\frac{2 y}{1-y}\)]
Solution.
f: [- 1, 1] → R, is given as f(x) = \(\frac{x}{x+2}\)
Let f(ix) = f(y).
⇒ \(\frac{x}{x+2}=\frac{y}{y+2}\)
⇒ 2x = 2y
⇒ x = y
∴ f is one-one function.
It is clear that f: [- 1,1] Range f is onto.
∴ f: [- 1, 1] → Range f is one-one and onto and therefore, the inverse of the function :
f: [- 1, 1] → Range f exists.
Let g: Range f → [- 1, 1] be the inverse of f.
Let y be an arbitrary element of range f.
Since, f: [- 1, 1] → Range f is onto , we have
y = f(x) for some x ∈ [- 1, 1]
⇒ y = \(\frac{x}{x+2}\)
⇒ xy + 2y = x
⇒ x(1 – y) = 2y
⇒ x = \(\frac{2 y}{1-y}\), y ≠ 1
Now, let us define g: Range f → [- 1, 1] as g(y) = \(\frac{2 y}{1-y}\), y ≠ 1.
Now, (gof)(x) = g(f(x))
= g(\(\frac{x}{x+2}\)) = \(\frac{2\left(\frac{x}{x+2}\right)}{1-\frac{x}{x+2}}\)
= \(\frac{2 x}{x+2-x}=\frac{2 x}{2}\) = x

(fog)(y) = f(g(y))
= f(\(\frac{2 y}{1-y}\)) = \(\frac{\frac{2 y}{1-y}}{\frac{2 y}{1-y}+2}\)
= \(\frac{2 y}{2 y+2-2 y}=\frac{2 y}{2}\) = y
∴ gof = I[- 1, 1] and fog = IRange f
∴ f-1 = g
⇒ f-1(y) = \(\frac{2 y}{1-y}\), y ≠ 1.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 7.
Consider f:R → R given by f(x) = 4x + 3. Show that f is invertible. Find the inverse of f.
Solution.
Here, f: R → R is given by f(x) = 4x +3
Let x, y ∈ R, such that
f(x) = f(y)
⇒ 4x + 3 = 4y + 3
⇒ 4x = 4y
⇒ x = y
Therefore, f is a one-one function. .
Let y = 4x +3
⇒ There exists, x = \(\frac{y-3}{7}\) ∈ R, ∀ y ∈ R
Therefore for any y ∈ R, there exists x = \(\frac{y-3}{4}\) ∈ R such that
f(x) = f(\(\frac{y-3}{4}\)) = 4 (\(\frac{y-3}{4}\)) + 3 = y
Therefore, f is onto function.
Thus, f is one-one and onto and therefore, f-1 exists.
Let us define g: R → R by g(x) = \(\frac{x-3}{4}\)
Now, (gof)(x) = g(f(x)) = g(4x + 3)
= \(\frac{(4 x+3)-3}{4}\) = x

(fog)(y) = f(g(y))
= \(f\left(\frac{y-3}{4}\right)=4\left(\frac{y-3}{4}\right)\) + 3
= y – 3 + 3 = y
Therefore, gof = fog = IR
Hence, f is invertible and the inverse of f is given by
f-1 (y) = g(y) = \(\frac{y-3}{4}\)

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 8.
Consider f: R → [4, ∞) given by f(x) = x2 + 4 Show that f is invertible with the inverse f-1 of f given by f-1(y) = \(\sqrt{y-4}\), where R is the set of all non-negative real numbers.
Solution.
Function f: R+ → [4, ∞) is given as f(x) = x2 + 4.

One-one :
Let f(x) = f(y).
⇒ x2 + 4 = y2 + 4
⇒ x2 = y2
⇒ x = y [as x = y ∈ R+]
∴ f is one-one function.

Onto :
For y ∈ [4, ∞), let y = x2 + 4.
⇒ x2 = y – 4 ≥ 0 [as y ≥ 4]
⇒ x = \(\sqrt{y-4}\) > 0
Therefore, for any y ∈ R, there exists x = \(\sqrt{y-4}\) ∈ R such that
f(x) = f(\(\sqrt{y-4}\))
= (\(\sqrt{y-4}\))2 + 4
= y – 4 + 4 = y
∴ f is onto.
Thus, f is one-one and onto and therefore, f-1 exists.
Let us define g:[4, ∞) → R+ by,
g(y) = \(\sqrt{y-4}\)
Now, gof (x) = g(f(x)) = g(x2 + 4)
= \(\sqrt{\left(x^{2}+4\right)-4}=\sqrt{x^{2}}\) = x

and, fog(y) = f(g(y))
= f(\(\sqrt{y-4}\))
= \((\sqrt{y-4})^{2}+4\)
= (y – 4) + 4 = y
∴ gof = fog = IR+
Hence, f is invertible and the inverse of f is given by
f-1 (y) = g(y) = \(\sqrt{y-4}\)

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 9.
Consider f: R → [- 5, ∞) given by f(x) = 9x2 + 6x – 5. Show that f is invertible with f-1 (y) = \(\left(\frac{(\sqrt{y+6}-1}{3}\right)\)
Solution.
f: R+ → [- 5, ∞) is given as f(x) = 9x2 + 6x – 5
Let y be an arbitrary element of (- 5, ∞)
Let y = 9x2 + 6x – 5
y = (3x + 1)2 – 1 – 5
= (3x + 1)2 – 6
⇒ (3x + 1)2 = y + 6
⇒ 3x + 1 = \(\sqrt{y+6}\) [as y ≥ – 5 ⇒ y + 6 > 0]
⇒ x = \(\frac{\sqrt{y+6}-1}{3}\)
∴ f is onto, thereby range f = [- 5, ∞]
Let us define g: [- 5, ∞) → R+ as g(y) = \(\frac{\sqrt{y+6}-1}{3}\)
We now have :
(gof)(x) = g(f(x)) = g(9x2 + 6x – 5) = g((3x +1)2 – 6)
= \(\frac{\sqrt{(3 x+1)^{2}-6+6}-1}{3}=\frac{3 x+1-1}{3}\) = x
and, (fog)(y) = f(g(y))
= \(f\left(\frac{\sqrt{y+6}-1}{3}\right)=\left[3\left(\frac{(\sqrt{y+6})-1}{3}\right)+1\right]^{2}-6\)
= \((\sqrt{y+6})^{2}\) – 6 = y + 6 – 6 = y
∴ gof = IR and fog = I[ – 5, ∞]
Hence f is invertible and inverse of f is given by
f-1(y) = g(y) = \(\frac{\sqrt{y+6}-1}{3}\)

Question 10.
Let f: X → Y be an invertible function. Show that f has unique inverse.
[Hint: Suppose g1 and g2 are two inverses of f. Then for all y ∈ Y, fog1 (y) = 1, (y) = fog2 (y). Use one-one ness of f].
Solution.
Let f: X → Y be an invertible function.
Also, suppose f has two inverses (say g1 and g2).
Then, for all y ∈ Y, we have
fog1 (y) = Iy(y) = fog2(y)
⇒ f(g1(y)) = f(g2(y))
⇒ g1(y) = g2(y) [f is invertible ⇒ f is one-one, g is one-one]
⇒ g1 = g2
Hence, f has a unique inverse.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 11.
Consider f: {1, 2, 3} → {a, b, c} given by f(1) = a, f(2) = b and f(3) = c. Find f-1 and show that (f-1)-1 = f.
Solution.
Function f: {1,2, 3} → {a, b, c} is given by f(1) = a, f(2) = b and f(3) = c
If we define g :{a, b, c} → {1, 2, 3} as g(a) = 1, g(b) = 2, g(c) = 3, then we
(fog)(a) = f(g(a)) = f(1) = a
(fog)(b) = f(g(b) = f(2) = b
(fog)(c) = f(g(c)) = f(3) = c
(gof)(2) = g(f(2)) = g(b) = 2
(gof)(3) = g(f(3)) = g(c) = 3
∴ gof = IX and fog = IY, where X = {1, 2, 3} and Y = {a, b, c}. Thus, the inverse of f exists and f-1 = g.
∴ f-1 : {a, b, c} → {1, 2, 3} is given by,
f-1(a) = 1, f-1(b) = 2, f-1(c) = 3
Let us now find the inverse of f-1 i.e., find the inverse of g.
If we define h:{ 1,2, 3} → {a, b, c} as h(1) = a, h(2) = b, h(3) = c, then we have
(goh)(1) = g(h(1l)) = g(a) = 1
(goh) (2) = g(h(2)) = g(b) = 2
(goh) (3) = g(h(3)) = g(c) = 3
and,(hog)(a) = h(g(a)) – h(1) = a
(hog) (b) = h(g(b)) = h(2) = b
(hog)(c) = h(g(c)) = h(3) = c
∴ goh = IX and hog = IY, where X = {1, 2, 3} and Y = {a, b, c}.
Thus, the inverse of g exists and g-1 = h
⇒ (f-1)-1 = h
It can be noted that h = f.
Hence, (f-1)-1 = f.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 12.
Let f: X → Y be an invertible function. Show that the inverse of f1 is f, i.e., (f -1)-1 = f.
Solution.
Let f:X → Y be an invertible function.
Then, there exists a functiong:Y → X such that gof = IX and fog – IY.
Here, f-1 = g.
Now, gof = IX and fog = IY
⇒ f-1 = IX and fof-1 = IY
Hence, f-1: Y → X is invertible and f is the inverse of f-1 i-e., (f-1)-1 = f

Question 13.
If f : R → R be given by fix) = (3 – x3)\(\frac{1}{3}\), then fof(x) is
(A) x\(\frac{1}{3}\)
(B) x3
(C) x
D) (3 – x3)
Solution.
Function f: R → R is given as f(x) = {3 – x3)\(\frac{1}{3}\); f(x) = (3 – x3)\(\frac{1}{3}\)
∴ fof(x) = f(f(x)) = f(3 – x3)\(\frac{1}{3}\)
= [3 – ((3 – x3)\(\frac{1}{3}\))3]\(\frac{1}{3}\)
= [3 – (3 – x3)]\(\frac{1}{3}\)
= (x3)\(\frac{1}{3}\) = x
∴ fof(x) = x
The correct answer is (C)

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.3

Question 14.
Let f: R – {- \(\frac{4}{3}\)} R be a function defined as f(x) = \(\frac{4 x}{3 x+4}\). The inverse of f is the map g: Range f → R given by
(A) g(y) = \(\frac{3 y}{3-4 y}\)

(B) g(y) = \(\frac{4 y}{4-3 y}\)

(C) g(y) = \(\frac{4 y}{3-4 y}\)

(D) g(y) = \(\frac{3 y}{4-3 y}\)
Solution.
Given that f : R – {- \(\frac{4}{3}\)} → R is a function defined as
f(x) = \(\frac{4 x}{3 x+4}\)
i.e., y = \(\frac{4 x}{3 x+4}\)
3 xy + 4y = 4x
4y = 4x – 3xy
4 y = x(4 – 3y)
x = \(\frac{4 y}{4-3 y}\)
∴ f-1(y) = g(y) = \(\frac{4 y}{4-3 y}\)
The correct answer is (B).

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Nibandh Lekhan निबंध-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 5th Class Hindi Rachana निबंध-लेखन (2nd Language)

मेरा घर

मेरा घर जालन्धर की बस्ती शेख में है। मेरा घर पक्की ईंटों से बना है। मेरा घर बहुत ही साफ़-सुथरा है। घर में प्रवेश करने के लिए काले रंग का एक बड़ा दरवाज़ा है। यह दरवाजा लोहे का है। बाहर की दीवारों का रंग हल्का हरा है। मैं अपने घर में माता-पिता, एक छोटे भाई और बहन के साथ रहता हूँ।

मेरे घर में चार कमरे हैं जिसमें एक बैठक और दो बैड रूम हैं तथा एक कमरा स्टोर रूम है जिसमें घर का फालतू सामान पड़ा रहता है। एक कमरा हम दो भाई-बहन का है। एक । रसोई घर तथा एक नहाने का छोटा कमरा भी है। रसोई घर में माता जी खाना बनाती हैं। हमारा कमरा बहुत सुन्दर है।

इसकी दीवारों का रंग हल्का पीला है। अपने कमरे में हमने अपनी तस्वीरें लगा रखी हैं। हमारा घर छोटा पर रोशनी वाला तथा हवादार है। मेरे घर में सुख-शान्ति का वास है क्योंकि घर में सभी प्यार से रहते हैं। मुझे मेरा घर बहुत प्रिय है।

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

मेरा मित्र

मोहन मेरा मित्र है। उसके पिता गाँव के नम्बरदार हैं। उसकी माता जी गाँव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती हैं। मैं और मेरा मित्र मोहन पाँचवीं श्रेणी में एक ही स्कूल में पढ़ते हैं। हम दोनों समय पर स्कूल जाते हैं। श्रेणी के कमरे में बड़ी लगन के साथ पढ़ाई करते मैं और मेरा मित्र सफ़ाई का खास ध्यान रखते हैं।

हम दोनों हर रोज़ इकट्ठे ही खेलने जाते हैं। अक्सर हम दोनों स्कूल का काम मिल-जुल कर ही निपटाते हैं। हमारे अध्यापक हम दोनों पर बहुत खुश रहते हैं क्योंकि हम उनकी हर आज्ञा का पालन करते हैं। हम दोनों मित्र हर परीक्षा में अच्छे अंक लेकर पास होते हैं। मुझे अपने मित्र पर गर्व है। भगवान् ऐसा मित्र हर किसी को दे।

मेरा स्कूल

मेरे स्कूल का नाम ‘सरकारी प्राइमरी स्कूल’ है।

यह रेलवे स्टेशन के पास ही है। हमारे स्कूल में दस कमरे हैं। हर कमरे में हवा तथा रोशनी का पूरा प्रबन्ध है। सभी कमरों में बिजली के पंखे लगे हुए हैं। सभी कमरे बहुत अच्छे सजे हुए हैं। मेरे स्कूल में छोटा-सा बगीचा भी है। इसमें सुन्दर फूल खिले हुए हैं। इन फूलों से हमारे स्कूल की सुन्दरता और भी बढ़ जाती है। स्कूल में एक खेल का मैदान भी है। हम आधी छुट्टी के समय यहाँ खेलते हैं। हमारे स्कूल में सभी अध्यापक बहुत अच्छे हैं।

उनका पढ़ाने का ढंग बड़ा सरल है। इसलिए हमारे स्कूल के परिणाम सदा अच्छे रहते हैं। सच पूछो तो हमारा स्कूल हमारे नगर का सबसे अच्छा स्कूल है।

मेरा प्रिय अध्यापक

मेरे स्कूल में बहुत-से अध्यापक हैं। लेकिन श्री राजेन्द्र कुमार जी मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। वह मेरे प्रिय अध्यापक हैं। उनके पढ़ाने का ढंग बहुत सरल है। वह विद्यार्थियों से बड़े प्रेम के साथ व्यवहार करते हैं।

उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। वह स्वयं उच्च विचारों वाले तथा नम्र-स्वभाव के व्यक्ति हैं। वह स्वयं भी सदा सत्य बोलते हैं और हमें भी सदा सत्य के पथ पर चलने की शिक्षा देते हैं। वह सदा समय पर स्कूल आते हैं।

वह बहुत ही दयालु हैं। वह गरीब तथा कमज़ोर बच्चों की सहायता भी करते हैं। वह एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं इसी कारण वह हमें भी खेलने की प्रेरणा देते हैं। ईश्वर उनकी आयु लम्बी करे।

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

होली

होली रंगों का त्योहार है। होली घर-घर खुशियाँ बाँटती है। यह एक ऐसा त्योहार है, जिसमें न कोई. बड़ा होता है, न कोई छोटा माना जाता है। होली में जात-पात का भेद भी समाप्त हो जाता है। गाँव हो या शहर सब लोग मिल कर होली खेलते हैं। एकदूसरे पर गुलाल डालते हैं। प्यार से सभी होली की हुड़दंग मचाते हैं। होली के दिन सभी के चेहरे लाल, नीले, काले रंगों से रंगे होते हैं। होली पर एक-दूसरे को उपहार भी दिये जाते हैं। होली हमारे भाई-चारे को मज़बूत बनाती है। होली हमें भक्त प्रह्लाद की याद दिलाती है।

होली को वसन्त ऋतु का उपहार माना जाता है। यह त्योहार हम सब को सभी प्रकार के झगड़े खत्म करने की प्रेरणा देता है। आपसी भाईचारे को बढ़ाना ही होली का सच्चा सन्देश है।

जन्म दिन कैसे मनाया

इस बार मैंने अपना जन्म दिन बहुत ही सादगी से मनाया। यह मेरा नवम् जन्म दिन था। इस दिन प्रातः काल मैंने नहा धोकर नए कपड़े पहने और गुरुद्वारे में माथा टेकने गया। आते हुए मार्ग में शिव जी के मन्दिर में भी हो आया। मैंने अपने माता-पिता के चरण स्पर्श किए। उन्होंने मुझे दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्रदान किया। मेरे माता-पिता और मेरी बहन ने मुझे सुन्दर-सुन्दर उपहार दिए और मैंने भी अपनी नन्हींसी प्यारी बहन को उपहार के रूप में गुड़िया प्रदान की। मेरे सभी मित्रों को मेरे जन्म दिन का पता एक दिन पहले ही चल गया था।

जन्म दिन के दिन शाम से ही मित्रों की मंडली मेरे घर आ पहुँची। किन्हीं के हाथों में गुलदस्ते थे तो किन्हीं के हाथों में उपहार के पैकेट। मेरा मन मित्र-मंडली को पाकर झूम उठा। मेरे माता जी ने चाय-पार्टी का पहले से ही प्रबन्ध कर रखा था। पिता जी स्वयं बढ़िया-बढ़िया मिठाइयाँ लेकर आए थे। सभी ने मुझे बधाइयाँ दीं। हमने केक काटा और गाने लगाकर खूब नाचे। हमने अपने जन्मदिन पर खूब मजा किया। इस बार का जन्मदिन मुझे सदा याद रहेगा।

मेरी श्रेणी का कमरा

मैं पाँचवीं श्रेणी का छात्र हूँ। अपने गाँव के स्कूल में पढ़ता हूँ। हमारा स्कूल तालाब के किनारे ऊँचे स्थान पर स्थित है। स्कूल में प्रवेश करते ही दाईं ओर मेरी श्रेणी का कमरा है। इसके बाहर रंग-बिरंगे फूलों की क्यारियाँ हैं। ये मेरे श्रेणी के कमरे की सुन्दरता को चार चाँद लगा रही हैं। मेरी श्रेणी का कमरा बहुत ही साफ़-सुथरा और शान्त है। किसी भी प्रकार का यहाँ कोई शोर नहीं है। इसी कारण सभी छात्रों का दिल पूरी तरह पढ़ाई में लगा रहता है।

‘मेरी श्रेणी का कमरा हवादार है। इसमें किसी प्रकार की घुटन अनुभव नहीं होती। गर्मियों में बिजली के पंखे हवा देते हैं। सर्दियों में खिड़कियाँ बन्द करके ठंडी हवा से बचाव होता है। श्रेणी के ऐसे कमरे प्रत्येक स्कूल में होने चाहिए। साथ ही हमें अपने श्रेणी के कमरे की स्वयं सफ़ाई का ध्यान रखना चाहिए।

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

दीवाली

दीवाली हमारे देश का एक पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह दशहरे के बीस दिन बाद आता है। इस दिन भगवान् राम लंका के राजा रावण को मार कर तथा वनवास के चौदह वर्ष खत्म कर अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने उनके स्वागत में रात को दीये जलाए थे। उनकी पवित्र याद में यह दिन बड़े सम्मान से मनाया जाता है। इस दिन सिक्खों के छठे गुरु गुरु हरगोबिन्द जी ग्वालियर के किले से मुक्त होकर लौटे थे अतः इसलिए सिक्ख भी बड़े उत्साह से इस त्योहार को मनाते हैं।

दीवाली से कई दिन पहले ही इसकी तैयारी आरम्भ हो जाती है। लोग घरों की लिपाई-पुताई करते हैं। कमरों को सजाते हैं। घरों का कूड़ा-कर्कट बाहर निकालते हैं। अमावस को दीपमाला मनाई जाती है। – इस दिन लोग मित्रों को बधाई देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं।

बच्चे और युवा नए-नए वस्त्र पहनते हैं। रात को आतिशबाज़ी चलाते हैं। लोग रात को लक्ष्मी की पूजा करते हैं। कुछ लोग दुर्गा सप्तशति का पाठ भी करते हैं। दीवाली हमारा धार्मिक त्योहार है। इस दिन शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए न ही इस दिन जुआ आदि खेलना चाहिए। इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए इसे उचित रीति से मनाना चाहिए।

दशहरा

दशहरा प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह आश्विन मास की शुक्ला दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्री राम ने रावण पर विजय पाई थी। भगवान् राम के वनवास के दिनों में रावण छल से सीता को हर ले गया था। राम ने हनुमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता से लंका पर हमला किया तथा रावण को मार कर लंका पर विजय पाई। तभी से यह दिन मनाया जाता है।

दशहरा रामलीला का आखिरी दिन होता है। भिन्नभिन्न स्थानों में अलग-अलग प्रकार से यह दिन मनाया जाता है। हिमाचल में कुल्लू का दशहरा सबसे प्रसिद्ध है, वहाँ यह त्योहार कई दिनों तक मनाया जाता है। दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाथ के कागज़ के पुतले बनाए जाते हैं।

इस दिन कुछ लोग शराब पीते हैं और लड़ते हैं। यह ठीक नहीं। यदि ठीक ढंग से इस त्योहार को मनाया जाए तो बहुत लाभ हो सकता है।

वर्षा ऋतु

भारत में मई और जून की कड़कती गर्मी के बाद जुलाई और अगस्त में वर्षा का आगमन होता है। वर्षा का स्वागत किसान नाच-गा कर करते हैं, स्त्रियाँ झूला झूलती हैं तथा बच्चे नंग-धडंग हो कर वर्षा में गलियों और बाजारों में घूमते हैं। चारों तरफ हरियाली छा जाती है। जल ग्रहण कर पौधे और वृक्ष खुशी से झूम उठते हैं। तालाब और जौहड़ पानी से भर जाते हैं। जगह-जगह मेंढक टर-टराने शुरू हो जाते हैं।

नदी-नालों में बरसात का पानी भर जाने से नवयौवन का संचार हो जाता है। समय पर यदि अच्छी वर्षा हो जाए तो देश में अन्न का संकट टल जाता है। वर्षा ऋतु काफ़ी कष्टप्रद भी है। यह ऋतु अपने साथ अनेक मुसीबतें भी ले आती है। कई स्थानों पर बाढ़ें आ जाती हैं। भारी हानि होती है। वर्षा ऋतु में कई बीमारियाँ भी फैल जाती हैं। फिर भी वर्षा ऋतु का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है।

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

प्रातः भ्रमण

प्रातः भ्रमण शरीर को स्वस्थ रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि चुस्ती-स्फूर्ति भी प्रदान करता है। प्रातःकाल सैर करने से सारा दिन काम करने में मन लगता है और थकान भी महसूस नहीं होती। मैं प्रतिदिन अपने मित्र मोहन के साथ प्रात:काल सैर के लिए निकलता हूँ। वह सुबह मेरे घर आता है फिर हम इकट्ठे ही सैर को निकल पड़ते हैं।

रास्ते में कई और लोग सैर के लिए जाते हुए मिलते हैं। हम एक बाग़ में पहुँच कर थोड़ा सैर करते हैं फिर कुछ व्यायाम करते हैं। बाग़ में सुबह के समय सुन्दर और ताजी हवा चलती है। फूलों की सुगन्ध से सारा

वातावरण महक उठता है। घास, फूलों और पत्तियों पर ओस की बूंदें मोतियों के समान चमकती हैं। हम कुछ देर हरी-हरी घास पर नंगे पाँव चलते हैं। ऐसा करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। कुछ समय पश्चात् सूर्य-देवता अपने दर्शन देने लगते हैं। प्रात:कालीन सूर्य की किरणें शरीर के लिए अच्छी होती हैं। थोड़ा विश्राम करने के पश्चात् हम घर की ओर चल पड़ते हैं। सुबह की सैर हमें नीरोग रखती हैं और हमारी बुद्धि भी तीक्षण होती है।

26 जनवरी-गणतन्त्र दिवस

26 जनवरी हमारा गणतन्त्र दिवस है। यह राष्ट्रीय उत्सवों में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि भारतीय गणतन्त्रात्मक लोकराज का अपना बनाया संविधान इसी पुण्य तिथि को लागू हुआ था। इसी दिन सन् 1950. ई० को भारत में गर्वनर जनरल के पद की समाप्ति हुई थी और शासन का मुखिया राष्ट्रपति बनाया गया था।

सन् 1929 में जब लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ तो उसमें कांग्रेस के प्रधान श्री जवाहरलाल नेहरू बने थे। उन्होंने यह आदेश निकाला था कि 26 जनवरी के दिन प्रत्येक भारतवासी राष्ट्रीय झण्डे के नीचे खड़ा होकर प्रतिज्ञा करे कि हम भारत के लिए आज़ादी की मांग करेंगे और उसके लिए आखिरी. दम, तक संघर्ष (जद्दो-जहद) करेंगे। तब से हर साल 26 जनवरी का पर्व मनाने की परम्परा (रिवाज़) चल पड़ी।

चाहे यह समारोह देश के हर बड़े-छोटे शहर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है परन्तु भारत की राजधानी दिल्ली में इसकी शोभा देखते ही बनती है। हर प्रदेश के लोकनर्तक दल लोक नाच तथा शिल्प, आदि का प्रदर्शन करते हैं। कई ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तुएं भी दिखाई जाती हैं। भारत के सैनिक दस्ते भी इस अवसर पर अपनी शक्ति प्रकट-करते हैं। छात्र-छात्राएँ भी इसमें भाग लेती हैं और कला का प्रदर्शन करती हैं।

स्वतन्त्रता दिवस-15 अगस्त

आ प्यारे स्वतन्त्र देश आ, स्वागत करता हूँ तेरा।

तुझे देखकर आज हो रहा, प्रमुदित दूना मन मेरा।

15 अगस्त, सन् 1947 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने योग्य है। उस दिन भारत माता की गुलामी के बन्धन टूक-टूक हुए थे। इस आज़ादी को प्राप्त करने के लिए अनेक देशभक्तों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। पण्डित जवाहरलाल जी स्वतन्त्र भारत के पहले प्रधानमन्त्री बने।

संसद् भवन पर तिरंगा झण्डा लहराया गया था। उस दिन दिल्ली के लाल किले पर पं० जवाहर लाल नेहरू ने अपने हाथों से तिरंगा झण्डा लहराया था। लाखों लोगों ने उसमें भाग लिया। अब स्वतंत्रतादिवस के अवसर पर देश का वर्तमान प्रधानमंत्री दिल्ली में ध्वजारोहण करता है।

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

व्यायाम

व्यायाम शरीर को ठीक रखने का सबसे अच्छा साधन है। व्यायाम का अर्थ है- शरीर को हिलानाडुलाना। हमारा शरीर एक मशीन की भान्ति है। इसे ठीक रखना अति आवश्यक है। खेल खेलना, कुश्ती लड़ना और सैर करना ये सब व्यायाम ही हैं। _ व्यायाम करने से हमारे शरीर को अनेक लाभ होते हैं।

व्यायाम करने वाला मनुष्य कभी अति मोटा नहीं हो सकता। हमारी पाचन शक्ति बढ़ती है और अनेक रोगों से छुटकारा मिलता है। इससे शरीर को ताकत मिलती है और स्फूर्ति आती है। व्यायाम प्रायः खाली पेट करना चाहिए। इसके लिए प्रातःकाल का समय ही अच्छा होता है।

प्रात:काल की सैर सबसे अच्छा व्यायाम है। व्यायाम सदा खुली हवा में करना चाहिए। व्यायम सब को करना चाहिए। मुझे व्यायाम का बड़ा चाव है। मैं प्रतिदिन सैर करने जाता हूँ। किसी खुले मैदान में पहुँच कर मैं अपने मित्रों के साथ फुटबाल खेलता हूँ। मुझे किसी प्रकार का रोग नहीं है। शरीर भी हृष्ट-पुष्ट है। इसका एकमात्र कारण व्यायाम है।

हमारा देश

हमारे देश का नाम भारत है। यह हमारी मातृभूमि है। दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र भारत के नाम पर इसका भारत नाम पड़ा। यह एक विशाल देश है। जनसंख्या की दृष्टि से यह संसार में दूसरे स्थान पर है। इसकी जनसंख्या 125 करोड़ से भी ज्यादा है। यहाँ पर अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।

भारत के उत्तर में हिमालय है और शेष तीनों ओर समुद्र है। स्थान-स्थान पर हरे-भरे वन इसकी शोभा है। यह एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की 80% जनता गाँवों में रहती है। यहाँ गेहूँ, मक्का-बाजरा, ज्वार, चना, धान, गन्ना आदि फसलें होती हैं। यहाँ की धरती बहुत उपजाऊ है।

यहाँ गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियाँ बहती हैं। इसकी भूमि से लोहा, कोयला, सोना आदि कई प्रकार के खनिज पदार्थ निकलते हैं।

यहाँ पर कई धर्मों के लोग निवास करते हैं। सभी प्रेम से रहते हैं। यहाँ पर अनेक तीर्थस्थल हैं। ताजमहल, लालकिला, सारनाथ, शिमला, मंसूरी, श्रीनगर आदि पर्यटन स्थल हैं जो देखने योग्य हैं। यहाँ पर कई महापुरुषों ने जन्म लिया। राम-कृष्ण, गुरुनानक, दयानन्द, रामतीर्थ, तिलक, गांधी आदि इस देश की शोभा थे। यहाँ के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद हैं। यह देश दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

खेलों का लाभ

विद्यार्थी जीवन में खेलों का बड़ा महत्त्व है। पुस्तकों में उलझ कर थका-मांदा विद्यार्थी जब खेल के मैदान में जाता है तो उसकी थकावट तुरन्त गायब हो जाती है। विद्यार्थी अपने आप में चुस्ती और ताज़गी अनुभव करता है। मानव जीवन में सफलता के लिए मानसिक, शारीरिक शक्तियों के विकास से जीवन सम्पूर्ण बनता है। स्वस्थ, प्रसन्न, चुस्त और फुर्तीला रहने के लिए शारीरिक शक्ति का विकास ज़रूरी है। शरीर का विकास खेल-कूद पर निर्भर करता है।

यदि हम सारा दिन कार्य करते हैं तो शरीर में घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती छा जाती है। ज़रा खेल के मैदान में जाइये, फिर देखिए घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती कैसे दूर भागती है। शरीर हल्का-फुल्का और साहसी बन जाता है। मन में और अधिक कार्य करने की लगन पैदा होती है।

खेलों में भाग लेने से विद्यार्थी खेल के मैदान में से अनेक शिक्षाएं ग्रहण करता है। खेलें संघर्ष द्वारा विजय प्राप्त करने की भावना पैदा करती हैं। खेलें हँसते-हँसते अनेक कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करना सिखा देती हैं। खेल के मैदान में विद्यार्थी के अन्दर अनुशासन में रहने की भावना पैदा होती है। सहयोग करने तथा भ्रातृभाव की आदत बनती है।

मेरा प्रिय खेल कबड्डी

आज हमारे भारत देश में अनेक खेल खेले जाते हैं। उन सब खेलों में कबड्डी का खेल मेरा प्रि: खेल है। यह खेल सब खेलों में सस्ता खेल है। आज यह खेल भी राष्ट्रीय खेल में गिना जाता है। यह दो प्रकार का है-पंजाबी कबड्डी और नेशनल कबड्डी।

यह खेल भी दो पक्षों में खेला जाता है। इस खेल की प्रत्येक टीम में सात खिलाड़ी होते हैं। यह खेल केन्द्र में रेखा डालकर खेला जाता है। यह खेल किसी खुले मैदान में खेला जाता है। इस खेल में यदि किसी एक खिलाड़ी का सांस टूट जाता है या विपक्ष के खिलाड़ी उसे छू लेते हैं या पकड़ लेते हैं तो रैफरी उसे मरा हुआ घोषित कर देता है। इस प्रकार विपक्ष एक अंक प्राप्त कर लेता है।

यदि वह खिलाड़ी दूसरे पक्ष के जितने खिलाड़ियों को छूकर अपने पक्ष में लौट आता है तो रैफरी विपक्ष के उतने ही खिलाड़ियों को मरा हुआ घोषित कर देता है। इस प्रकार यह बीस मिनट तक चलता है। बीस मिनट बाद रैफरी अर्धावकाश की सीटी मार देता है। अर्धावकाश पांच मिनट का होता है।

इस समय में खिलाड़ी जलपान करते हैं। इसके अतिरिक्त दोनों टीमों के प्रशिक्षक अपने खिलाड़ियों की गलतियों को बताते हैं। पाँच मिनट बाद रैफरी की सीटी के बाद फिर खेल उसी क्रम से शुरू होता है और बीस मिनट के बाद फिर समाप्त हो जाता है। पहले तथा दूसरे समय में जो टीम ज्यादा नंबर लेती है वही विजयी होती है।

PSEB 5th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

ग्रीष्म ऋतु

बसन्त की समाप्ति पर ग्रीष्म का आगमन होता है। ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ और आषाढ़ महीनों में पड़ती है। बसन्त में चलने वाली मन्द-मन्द हवा ग्रीष्म के आते ही गर्म हवा में बदल जाती है जिसे दूसरे शब्दों में ‘लू’ कहते हैं।

ग्रीष्म के प्रारम्भ होते ही दिन भी मानो गर्मी से फैलने लगते हैं। सूर्य का उदय शीघ्र ही हो जाता है और फिर अस्ताचल की ओर उसका गमन भी देर से होता है। दोपहर के समय तो मानो आकाश से अंगारे बरसते हैं। एक ओर जलती हुई लू तो दूसरी ओर जलाती हुई भूमि। इस समय बाहर निकलना भी एक समस्या बन जाता है। पशु-पक्षी भी इस समय पेड़ों के नीचे विश्राम करते हैं।

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Punjab State Board PSEB 12th Class Maths Book Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 1.
Show that the function F: R → R, defined by f(x) = \(\frac{1}{x}\) is one-one and onto, where R, is the set of all non-zero real numbers. Is the result true, if the domain R. is replaced by N with co-domain being same as R?
Solution.
It is given that f: R. → R. is defined by f(x) = \(\frac{1}{x}\)
One-one :
f(x) = f(y)
⇒ \(\frac{1}{x}\) = \(\frac{1}{y}\)
⇒ x = y
∴ f is one-one.

Onto :
It is clear that for y ∈ R., there exists x = \(\frac{1}{y}\) ∈ R. (Exists as y ≠ 0) such that f(x) = \(\frac{1}{\left(\frac{1}{y}\right)}\) = y.
∴ f is onto.
Thus, the given function (f) is one-one and onto.
Now, consider function g :N →R, defined by
g(x) = \(\frac{1}{x}\)
We have,
g(x1) = g(x2)
⇒ \(\frac{1}{x_{1}}=\frac{1}{x_{2}}\)
x1 = x2
∴ g is one-one.
Further, it is clear that g is^not onto as for 1.2 ∈ R, there does not exist any x in N such that g(x) = \(\frac{1}{1.2}\).
Hence, function g is one-one but not onto.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 2.
Check the injectivity and surjectivity of the following functions
(i) f: N → N given by f(x) = x2
(ii) f: Z → Z given by f(x) = x2
(iii) f: R → R given by f(x) = x2
(vi) f: N → N given by f(x)) = x3
(v) f: Z → Z given by f(x) = x3
Solution.
(i) f: N → N is given by,
f(x) = x2
It is seen that for x, y ∈ N, f(x) = f(y)
⇒ x2 = y2
⇒ x = y
∴ f is injective.
Now, 2 ∈ N. But, there does not exist any x in N such that f(x) = x2 = 2.
∴ f is not surjective.
Hence, function f is injective but not surjective.

(ii) f: Z → Z is given by,
f(x) = x2
It is seen that f(- 1) = f(1) = 1, but = – 1 ≠ 1.
∴ f is not injective.
Now, – 2 ∈ Z. But, there does not exist any element x ∈ Z such that f(x) = x2 = – 2
∴ f is not surjective.
Hence, function f is neither injective nor surjective.

(iii) f: R → R is given by, f(x) = x2
It is seen that f(- 1) = f(1) = 1, but -1 ≠ 1.
∴ f is not injective.
Now, – 2 ∈ R. But , there does not exist any element x ∈ R such that f(x) = x2 = – 2.
∴ f is not surjective.
Hence, function f is neither injective nor surjective.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

(iv) f : N → N given by,
f(x) = x3
It is seen that for x, y ∈ N, f(x) = f(y)
⇒ x3 = y3
⇒ x = y
∴ f is injective.
Now, 2 ∈ N. But, there does not exist any element x in domain N such that f(x) = x3 = 2.
∴ f is not surjective
Hence, function f is injective but not surjective.

(v) f: Z → Z is given by, f(x) = x3
It is seen that for x, y ∈ Z, f(x) = f(y)
⇒ x3 = y3
⇒ x = y.
∴ f is injective.
Now, 2 ∈ Z. But, there does not exist any element x in domain Z such that f(x) = x3 = 2.
∴ f is not surjective.
Hence, function f is injective but not surjective.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 3.
Prove that the greatest integer function f: R → R given by f(x) = [x], is neither one-one nor onto, where [x] denotes the greatest integer less than or equal to x.
Solution.
f: R → R is given by,
f(x) = [x]
It is seen that /(1.2) = [1.2] = 1,
f(1.9) = [1.9] = 1.
∴ f(1.2) = f(1.9), but 1.2 ≠ 1.9.
∴ f is not one-one.
Now, consider 0.7 ∈ R.
It is known that f(x) = [x] is always an integer. Thus, there does not exist any element x ∈ R such that f(x) = 0.7.
∴ f is not onto.
Hence, the greatest integer function is neither one-one nor onto.

Question 4.
Show that the modulus function f: R → R given by f(x) = |x|, is neither one-one nor onto, where x is x, if x is positive or 0 and |x| is – x, if x is negative.
Solution.
f: R → R is given by,
f(x) = |x| = {x, if x ≥ 0; – x if x < 0
It is seen that f(- 1) = |- 1| = 1, f(1) = |1| = 1.
∴ f(- 1) = f(1),but – 1 ≠ 1.
∴ f is not one-one.
Now, consider – 1 ∈ R.
It is known that f(x) = |x| is always non-negative,. Thus, there does not exist any element x in domain R such that f(x) = |x| = – 1.
∴ f is not onto.
Hence, the modulus function is neither one-one nor onto.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 5.
Show that the signum function f: R → R, given by
PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2 1
is neither one-one nor onto.
Solution.
f: R → R is given by,

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2 1

It is seen that f(1) = f(2) = 1, but 1 ≠ 2.
∴ f is not one-one.
Now, as f(x) takes only 3 values (1, 0, or – 1) for the element – 2 in co-domain R, there does not exist any x in domain R such that f(x) = – 2.
∴ f is not onto.
Hence, the signum function is neither one-one nor onto.

Question 6.
Let A = {1, 2, 3,}, B = {4 5, 6, 7} and let f = {(1, 4), (2, 5), (3, 6)} be a function from A to B. Show that f is one-one.
Solution.
It is given that A = {1, 2, 3}, B = {4, 5, 6, 7}.
f: A → B is defined as f = {(1, 4), (2, 5), (3, 6)}.
∴ f(1) = 4, f(2) = 5, f(3) = 6
It is seen that the images of distinct elements of A under f are distinct. Hence, function f is one-one.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 7.
In each of the following cases, state whether the function is one-one, onto or bijective. Justify your answer.
(i) f: R → R defined as f(x) = 3 – 4x
(ii) f: R → R defined as f(x) = 1 + x3
Solution.
(i ) f: R → R is defined as f(x) = 3- 4x.
Let x1, x2 ∈ R such that f(x1) = f(x2)
⇒ 3 – 4x1 = 3 – 4x2
⇒ – 4x1 = – 4x1
⇒ x1 = x2
∴ f is one-one.
For any real number (y) in R, there exists \(\frac{3-y}{4}\) in R such that
f(\(\frac{3-y}{4}\)) = 3 – 4(\(\frac{3-y}{4}\)) = y
∴ f is onto.
Hence, f is bijective.

(ii) f: R → R is defined as f(x) = 1 + x2
Let x1, x2 ∈ R such that f(x1) = f(x2)
⇒ 1 + x12 = 1 + x22
⇒ x12 = ± x22
⇒ x1 = x2
⇒ f(x1) = f(x2) does not imply that x1 = x2.
For instance, f(1) = f(- 1) = 2
∴ f is not one-one.
Consider an element – 2 in co-domain R.
k is seen that f(x) = 1 + x2 is positive for all x ∈ R.
Thus, there does not exist any x in domain R such that f(x) = – 2.
∴ f is not onto.
Hence, f is neither one-one nor onto.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 8.
Let A and B be sets. Show that f: A × B – B × A such that f (a, b) (b, a) is bijective function.
Solution.
f: A × B → B × A is defined as f(a, b) = (b, a).
Let(a1, b1), (a2, b2) ∈ A × B such that f(a1, b1) = f(a2, b2)
⇒ (b1, a1) = (b2, a2)
⇒ b1 = b2 and a1 = a2
⇒ (a1, b1) = (a2, b2)
∴ f is one – one.
Now, let (b, a) ∈ B × A be any element.
Then, there exists (a, b) ∈ A × B such that f(a, b) = (b, a). [by definition of f]
∴ f is onto.
Hence, f is bijective.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 9.
Let f: N → N be defined by

(n) = PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2 2

State whether the function is bijective. Justify your answer.
Solution.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2 2

It can be observed that:
f(1) = \(\frac{1+1}{2}\) = 1 amnd f(2) = \(\frac{2}{2}\) = 1 [by definition of f]
∴ f(1) = f(2), where 1 ≠ 2.
∴ f is not one-one.
Consider a natural number (n) in co-domain N.

Case I: n is odd.
∴ n = 2r + 1 for some r ∈ N. Then, there exists 4r + 1 ∈ N such that
f(4r + 1) = \(\frac{4 r+1+1}{2}\) = 2r+ 1

Case II : n is even,
∴ n – 2r for some r ∈ N. Then there exists 4r ∈ N such that 4r
f(4r) = \(\frac{4r}{2}\) = 2r.
∴ f is onto.
Hence, f is not a bijective function.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 10.
Let A = R – {3} and B = R – {1}. Consider the function f: A → B defined by f(x) = \(\left(\frac{x-2}{x-3}\right)\). Is f one-one and onto? Justify your answer.
Solution.
Here, A = R – {3}, B = R – {1}
and f: A → B is defined as f(x) = \(\left(\frac{x-2}{x-3}\right)\)
Let x, y ∈ A such that f(x) = f(y).
⇒ \(\frac{x-2}{x-3}=\frac{y-2}{y-3}\)
⇒ (x – 2) (y – 3) = (y – 2) (x – 3)
⇒ xy – 3x – 2y + 6 = xy – 3y – 2x + 6
⇒ – 3x – 2y = – 3y – 2x
⇒ 3x – 2x = 3y – 2y
⇒ x = y
∴ f is one-one.
Let y ∈ B = R – {1}. Then, y ≠ 1.
The function f is onto if there exists x ∈ A such that f(x) = y.
Now, f(x) = y
⇒ \(\frac{x-2}{x-3}\) = y
⇒ x – 2 = xy – 3y
⇒ x(1 – y) = – 3y + 2
⇒ x = \(\frac{2-3 y}{1-y}\) ∈ A

Thus, for any y B, there exists \(\frac{2-3 y}{1-y}\) ∈ A such that
f(\(\frac{2-3 y}{1-y}\)) = \(\frac{\left(\frac{2-3 y}{1-y}\right)-2}{\left(\frac{2-3 y}{1-y}\right)-3}\)

= \(\frac{2-3 y-2+2 y}{2-3 y-3+3 y}=\frac{-y}{-1}\) = y

∴ f is onto.
Hence, function f is one-one and onto.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 11.
Let f: R → R be defined as f(x) = x4. Choose the correct answer.
(A) f is one-one onto
(B) f is many-one onto
(C) f is one-one but not onto
(D) f is neither one-one nor onto
Solution.
f : R → R is defined as f(x) = x4 Let x, yeR such that f(x) = f(y).
⇒ x4 = y4
⇒ x = ±y
∴ f(x1) = f(x2) does not imply that x1 = x2.
For instance,
f(1) = f(- 1) = 1
∴ f is not one-one.
Consider an element 2 in co-domain it. It is clear that there does not exist any x in domain R such that f(x) – 2 .
∴ f is not onto.
Hence, function f is neither one-one nor onto.
The correct answer is (D).

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.2

Question 12.
Let f: R → R be defined as f(x) = 3x. Choose the correct answer.
(A) f is one-one onto
(B) f is many-one onto
(C) f is one-one not onto
(D) f is neither one-one nor onto
Solution.
f: R → R is defined as f(x) = 3x.
Let x, y ∈ R such that f(x) = f(y).
⇒ 3x – 3y
⇒ x = y .
∴ f is one-one.
Also any real number (y) in co-domain R, there exists \(\frac{y}{3}\) in R such that
f(\(\frac{y}{3}\)) = 3(\(\frac{y}{3}\)) = y
∴ f is onto.
Hence, function f is one-one and onto.
The correct answer is (A).

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Punjab State Board PSEB 12th Class Maths Book Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Maths Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 1.
Determine whether each of the following relations are reflexive, symmetric and transitive:
(i) Relation R in the set A – {1, 2, 3,.. .13,14} defined as, R = {(x, y) : 3x – y = 0}
Solution:
(i) A = {1, 2, 3 ……. 13, 14};
R = {(x, y): 3x – y = 0}
∴ R = {(1, 3), (2, 6), (3, 9), (4, 12)}
R is not reflexive since (1, 1), (2, 2) … (14, 14) ∉ R.
Also, R is not symmetric as (1, 3) ∈ R, but (3, 1) ∉ R. [3(3) – 1 ≠ 0]
Also, R is not transitive as (1, 3), (3, 9) ∈ R, but (1, 9) ∉ R. [3(1) – 9 ≠ 0]
Hence, R is neither reflexive, nor symmetric, nor transitive.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

(ii) Relation R in the set N of natural numbers defined as, R = {(x, y): y = x + 5 and x < 4}
Solution:
R = {(x, y) : y = x + 5 and x < 4} = {(1,6), (2, 7), (3, 8)} It is seen that (1, 1) ∉ R. ∴ R is not reflexive. (1, 6) ∈ R But, (6, 1) ∉ R.
∴ R is not symmetric. Now, since there is no pair in R such that (x, y) and (y, z) ∈ R. So, we need not look for the ordered pair (x, z) in R.
R is transitive Hence, R is neither reflexive, nor symmetric but it is transitive.

(iii) Relation R in the set A = {1, 2, 3, 4, 5, 6} as R = {(x, y): y is divisible by x}
Solution:
A = {1, 2, 3, 4, 5, 6} R = {(x, y) y is divisible by x} We know that any number (x) is divisible by itself. ⇒ (x, x) ∈ R
∴ R is reflexive. Now, (2, 4) ∈ R [as 4 is divisible by 2] But, (4, 2) ∉ R. [as 2 is not divisible by 4]
∴ R is not symmetric. Let (x, y), (y, z) ∈ R. Then, y is divisible by x and z is divisible by y.
∴ z is divisible by x. ⇒ (x, z) ∈ R ∴ R is transitive.
Hence, R is reflexive and transitive but not symmetric.\

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

(iv) Relation R in the set Z of all integers defined as, R = {(x, y): x – y is an integer}
Solution:
R = {(x, y): x – y is an integer} Now, for every x ∈ Z, (x, x) ∈ R as x – x = 0 is an integer.
∴ R is reflexive. Now, for every x, y ∈ Z if (x, y) E R as x – y is an integer. ⇒ – (x – y) is also an integer. ⇒ (y – x) is an integer. (y, x) ∈ r ∴ R is symmetric. Now, let (x, y) and (y, z) ∈ R, where x, y, z ∈ Z. ⇒ (x – y) and (y – z) are integers. ⇒ x – z = (x – y) + (y – z) is an integer. ∴ (x, z) ∈ R ∴ R is transitive. Hence, R is reflexive, symmetric and transitive.

(v) Relation R in the set A of human beings in a town at a particular time given by, (a) R = {(x, y): x and y work at the same place} Solution: (a) R = {(x, y): x and y work at the same place} ⇒ (x, x) ∈ R R is reflexive. ⇒ y and x work at the same place. ⇒ (y, X) ∈ R. ∴ R is symmetric. Now, let (x, y), (y, z) ∈ R ⇒ x and y work at the same place and y and z work at the same place. => x and z work at the same place.
⇒ (x, z) ∈ R
∴ R is transitive.
Hence, R is reflexive, symmetric, and transitive.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

(b) R = {(x, y) : x and y live in the same locality}
Solution:
R = { (x, y) : x and y live in the same locality}
Clearly (x, x) ∈ R as x and x is the same human being.
∴ R is reflexive.
If (x, y) ∈ R, then x and y live in the same locality.
⇒ y and x live in the same locality.
⇒ (y, x) ∈ R
∴ R is symmetric.
Now, let (x, y) ∈ R and (y, z) ∈ R.
⇒ x and y live in the same locality and y and z live in the same locality. =} x and z live in the same locality.
⇒ (x, z) ∈ R
∴ R is transitive.
Hence, R is reflexive, symmetric, and transitive.

(c) R = {(x, y): x is exactly 7 cm taller than y}
Solution:
R = {(x, y): x is exactly 7 cm taller than y}
Now, (x, x) ∉ R
Since, human being x cannot be taller than himself.
∴ R is not reflexive.
Now, let (x, y) ∈ R.
=> x is exactly 7 cm taller than y.
Then, y is not taller than x.
∴ (y, x) ∉ R
Indeed if x is exactly 7 cm taller than y, then y is exactly 7 cm shorter than x.
∴ R is not symmetric.
Now, let (x, y), (y, z) ∈ R.
⇒ x is exactly 7 cm taller than y and y is exactly 7 cm taller than z.
⇒ x is exactly 14 cm taller than z.
∴ (x, z) ∈ R
∴ R is not transitive.
Hence, R is neither reflexive, nor symmetric, nor transitive.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

(d) R = {(x, y) : x is wife of y}
Solution:
R = {(x, y): x is the wife of y}
Now, (x, x) ∉ R
Since, x cannot be the wife of herself.
∴ R is not reflexive.
Now, let (x, y) ∈ R ⇒ x is the wife of y.
Clearly, y is not the wife of x.
∴ (y, x) ∉ R
Indeed if x is the wife of y, then y is the husband of x.
∴ R is not symmetric.
Let (x, y),(y, z) ∈ R
⇒ x is the wife of y and y is the wife of z.
This case is not possible. Also, this does not imply that x is the wife of z.
∴ (x, z) ∉ R
∴ R is not transitive.
Hence, R is neither reflexive, nor symmetric, nor transitive.

(e) R = {(x, y): x is father of y}
Solution:
R = {(x, y): x is the father of y}
(x, x) ∉ R
As x cannot be the father of himself.
∴ R is not reflexive.
Now, let (x, y) G R ⇒ x is the father of y.
⇒ y cannot be the father of x. Indeed y is the son or the daughter of x.
∴ (y, x) ∉ R
R is not symmetric.
Now, let (x, y) ∈ R and (y, z) ∈ R.
⇒ x is the father of y and y is the father of z.
⇒ x is not the father of z.
Indeed x is the grandfather of z.
∴ (x, z) ∉ R
∴ R is not transitive.
Hence, R is neither reflexive, nor symmetric, nor transitive.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 2.
Show that the relation R in the set R of real numbers, defined as R = {(a, b) : a ≤ b2} is neither reflexive nor symmetric nor transitive.
Solution:
R = {(a, b) : a ≤ b2}
It can be observed that (\(\frac{1}{2}\), \(\frac{1}{2}\)) ∉ R, since \(\frac{1}{2}\) > (\(\frac{1}{2}\))2 = \(\frac{1}{4}\)
∴ R is not reflexive.
Now, (1, 4) ∈ R as 1 < 42 But, 4 is not less than 12.
∴ (4, 1) ∉ a
∴ R is not symmetric.
Now, (3 2), (2, 1.5) ∈ R [as 3 < 22 = 4 and 2 < (1.5)2 = 2.25]
But, 3 > (1.5)2 = 2.25
∴ (3, 1.5) ∉ R
∴ R is not transitive.
Hence, R is neither reflexive, nor symmetric, nor transitive.

Question 3.
Check whether the relation R defined in the set {1, 2, 3, 4, 5, 6} as R = {(a, b): 6 = a +1} is reflexive, symmetric or transitive.
Solution:
Let A = {1, 2, 3, 4,5,6}
A relation R is defined on set A as: R = {(a, b):b = a +1}
∴ R = {(1,2), (2, 3), (3, 4), (4, 5), (5, 6)}
∴ R is not reflexive.
It can be observed that (1, 2) ∈ R, but (2,1) £ R.
∴ R is not symmetric.
Now, (1, 2), (2, 3) ∈ R But, (1, 3) ∉ R
∴ R is not transitive
Hence, R is neither reflexive, nor symmetric, nor transitive.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 4.
Show that the relation B in R defined as R = {(a, b):a < b}, is reflexive and transitive hut not symmetric.
Solution:
R = {(a, b) : a < b}
(i) R is reflexive : Replacing b by a, a < a ⇒ a = a is true.
(ii) R is not symmetric : a < b, and b < a which is not true. 2 < 3, but 3 is not less than 2.
(iii) R is transitive : If a < b and b < c then a < c. e.g 2 < 3, 3 < 4 ⇒ 2 < 4.

Question 5.
Check whether the relation R in R defined as R = {(a, b) : a ≤ b3} is reflexive, symmetric or transitive.
Solution:
R = {(a, b) : a ≤ b3}
Now, (\(\frac{1}{2}\), \(\frac{1}{2}\)) ∉ R as \(\frac{1}{2}\) > \(\frac{1}{2}\)3 = \(\frac{1}{8}\))
∴ R is not Reflexive.
Now, (1, 2) ∈ R (as 1 < 23 = 8)
But, (2, 1) ∉ R (as (\(\frac{4}{4}\)) > 1)
∴ R is not symmetric.
(3, \(\frac{3}{2}\)), (\(\frac{3}{2}\), \(\frac{6}{5}\)) ∈ R as 3 < (\(\frac{3}{2}\))3 and \(\frac{3}{2}\) < (\(\frac{6}{5}\))3
But (3, \(\frac{6}{5}\)) ∉ R as 3 > (\(\frac{6}{5}\))3
∴ R is not transitive.
Hence, R is neither reflexive, nor symmetric, nor transitive.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 6.
Show that the relation R in the set {1, 2, 3} given by R = {(1, 2), (2, 1)} is symmetric but neither reflexive nor transitive.
Solution.
Let A = {1, 2, 3}.
A relation R on A is defined as R = {(1, 2), (2,1)}
It is seen that (1, 1), (2, 2), (3, 3) ∉ R.
R is not reflexive.
Now, as (1, 2) ∈ R and (2, 1) ∈ R, then R is symmetric.
Now, as (1, 2) and (2,1) ∈ R – However, (1, 1) ∈ R
∴ R is not transitive.
Hence, R is symmetric but neither reflexive nor transitive.

Question 7.
Show that the relation R in the set A of all the books in a library of a college, given by
R = {(x, y) : x and y have same number of pages} is an equivalence relation.
Solution:
Set A is the set of all books in the library of a college.
R = {(x, y) : x and y have the same number of pages}
Now, R is reflexive since (x, x) ∈ R as x and x have the same number of pages.
Let (x, y) ∈ R
⇒ x and y have the same number of pages.
⇒ y and x have the same number of pages.
⇒ (y, x) ∈ R
∴ R is symmetric.
Now, let (x, y) ∈ R and (y, z) ∈ R.
⇒ x and y have the same number of pages and y and z have the same number of pages.
⇒ x and z have the same number of pages.
⇒ (x, z) ∈ R
∴ R is transitive.
Hence, R is a equivalence relation.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 8.
Show that the relation R in the set A = {1, 2, 3, 4, ,5} given by R = {(a, b): | a – b| is even}, is an equivalence relation. Show that all the elements of {1, 3, 5} are related to each other and all the elements of {2,4} are related to each other. But no element of {1, 3, 5} is related to any element of {2, 4}.
Solution.
A = {1, 2, 3, 4, 5}
R = { (a, b) : |a – b| is even}
It is clear that for any element a e∈ A, we have |a – a| = 0 (which is even).
∴ R is reflexive.
Let (a, b) ∈ R.
⇒ |a – b| is even.
⇒ |-(a – b)| = |b – a| is also even.
⇒ (b, a) ∈ R
∴ R is symmetric.
Now, let (a, b) ∈ R and (b, c) ∈ R.
⇒ | a – b | is even and | b – c | is even.
⇒ (a – b) is even and (b – c) is even.
⇒ (a – c) = (a – b) + (b – c) is even [Sum of two even integers is even] => | a – c | is even.
⇒ (a, c) ∈ R
∴ R is transitive.
Hence, R is an equivalence relation.
Now, all elements of the set {1, 2, 3} are related to each other as all the elements of this subset are odd. Thus, the modulus of the difference between any two elements will be even.

Similarly, all elements of the set {2, 4} are related to each other as all the elements of this subset are even.

Also, no element of the subset {1, 3, 5} can be related to any element of {2, 4} as all elements of {1, 3, 5} are odd and elements of (2, 4} are even. Thus, the modulus of the difference between the two elements (from each of these two subsets) will not be even.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 9.
Show that each of the relation R in the set A = {x ∈ Z: 0 < x ≤ 12}, given by
(i) R = {(a, b) : |a – b| is a multiple of 4}
(ii) R = {(a, b) : a – b} is an equivalence relation. Find the set of all elements related to 1 in each case.
Solution.
A = {x ∈ Z : 0 < x ≤ 12} = {0,1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,10,11,12} (i) R = {(a, b): |a – b | is a multiple of 4. For any element a ∈ A, we have (a, a) ∈ R as | a – a | = 0 is a multiple of 4. ∴ R is reflexive. Now, let (a, b) e R => | a – b | is a multiple of 4.
⇒ |- (a – b) | =| b – a| is multiple of 4.
⇒ (b, a) ∈ R
R is symmetric.
Now, let (a, b), (b, c) ∈ R.
⇒ | a – b | is a multiple of 4 and | b – c| is a multiple of 4.
⇒ (a – b) is a multiple of 4 and (b – c) is a multiple of 4.
⇒ (a – c) = (a – b) + (b – c) is a multiple of 4.
⇒ | a – c | is a multiple of 4.
⇒ (a, c) ∈ R
∴ R is transitive.
Hence, R is an equivalence relation.
The set of elements related to 1 is {1, 5, 9} since
|1 – 1| = 0 is a multiple of 4
| 5 – 1| = 4 is a multiple of 4, and
|9 – 1| = 8 is a multiple of 4.

(ii) R = {(a, b) : a = b}
For any element a ∈ A, we have (a, a) ∈ R, since a = a.
∴ R is reflexive.
Now, let (a, b) ∈ R.
⇒ a = b ⇒ b = a ⇒ (b, a) ∈ R
∴ R is symmetric.
Now, let (a, b) ∈ R and (b, c) ∈ R.
⇒ a = b and b = c ⇒ a = c ⇒ (a, c) ∈ R
∴ R is transitive.
Hence, R is an equivalence relation.
The elements in R that are related to 1, will be those elements form set A which are equal to 1.
Hence, the set of elements related to 1 is {1}.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question. 10.
Given an example of a relation. Which is
(i) Symmetric but neither reflexive nor transitive.
(ii) Transitive but neither reflexive nor symmetric.
(iii) Reflexive and symmetric but not transitive.
(iv) Reflexive and transitive but not symmetric.
(v) Symmetric and transitive but not reflexive.
Solution.
Let A – set of straight lines in a plane.
(i) R = {(a, b): a is perpendicular to b}
Let a, b be two perpendicular lines
(a) If line a is perpendicular to b then b is perpendicular to a ⇒ R is symmetric.

(b) But ‘a’ is not a perpendicular to itself.
∴ R is not reflexive.

(c) If ‘a’ is a perpendicular to to ‘b’ and ‘b’ is perpendicular to ‘o’, but ‘a’ is not perpendicular to ‘c’.
∴ R is not transitive.
Thus, R is symmetric but neither reflexive nor transitive.

(ii) Let A = set of real numbers R = {(a, b) : a>b}
(a) An element is not greater than itself .-. R is not reflexive.
(b) If a > b than b is not greater than a.
⇒ R is not symmetric.
(c) If a > b also b> c, then a > c Thus, R is transitive.
Hence, R is transitive but neither reflexive nor symmetric.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

(iii) The relation R in the set {1, 2, 3}, is given by
R = {(a, b) : a + b ≤ 4}
R = {(1, 1), (a, 2), (2, 1), (1, 3), (3, 1), (2, 2)}
Here (1, 1), (2, 2) ∈ R ⇒ R is reflexive.
(1, 2), (2, 1), (1, 3), (3, 1) ⇒ R is symmetric
But it is not transitive, since (2, 1) ∈ R, (1, 3) ∈ R but (2, 3) ∉ R.

(iv) The relation R in the set {1, 2, 3} given by
R = {(a, b) : a ≤ b) = {(1, 2), (2, 2), (3, 3), (2, 3), (1, 3)}
(a) (1, 1), (2, 2), (3, 3) ∈ R ⇒ R is reflexive.
(b) (1, 2) ∈ R, but (2, 1) ∈ R ⇒ R is not symmetric.
(c) (1, 2) ∈ R, (2, 3) ∈ R, Also (1, 3) e R ⇒ R is transitive.

(v) The relation R in the set {1, 2, 3} given by
R = {(a, b): 0 < |a – b | ≤ 2} = {(1, 2), (2,1), (1, 3), (3,1), (2, 3), (3, 2)}
(a) R is not reflexive, (1, 1), (2, 2), (3, 3) do not belong to R.
(b) R is symmetric. (1, 2), (2,1), a, 3), (3,1), (2, 3), (3, 2) ∈ R
(c) R is transitive (1, 2) ∈ R, (2, 3) ∈ R, Also (1, 3) ∈ R.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question. 11.
Show that the relation R in the set A of points in a plane given by R = {(P, Q): distance of the point P form the origin is same as the distance of the point Q from the origin}, is an equivalence relation. Further, show that the set of all points related to a point P ≠ (0, 0) is the circle passing through P with origin as centre.
Solution.
R – {(P, Q) : distance of point P from the origin is the same as the distance of point Q from the origin}
Clearly, (P, P) ∈ R, since the distance of point P from the origin is always the same as the distance of the same point P from the origin.
∴ R is reflexive.
Now, let (P, Q) ∈ R.
⇒ The distance of point P from the origin is the same as the distance of point Q from the origin. y’
⇒ The distance of point Q from the origin! is the same as the distance of point P from the origin.
⇒ (Q, P) ∈ P
⇒ R is symmetric.
Now, let (P, Q), (Q, S) ∈ R.
⇒ The distance of points P and Q from the origin is the same and also, the distance of points Q and S from the origin is the same.
⇒ The distance of points P and S from the origin is the same.
⇒ (P, S) ∈ P
∴ R is transitive.
Therefore, R is an equivalence relation.
The set of all points related to P ≠ (0 ,0) will be those points whose distances from the origin are the same as the distance of point P from the origin.
In other words, if O (0, 0) is the origin and OP = k, then the set of all points related to P is at a distance of k from the origin.
Hence, this set of points forms a circle with the centre as the origin and this circle passes through point P.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question. 12.
Show that the relation R defined in the set A of all triangles as R = {(T1, T2) : T1 is similar to T2}, is equivalence relation. Consider three right angled triangles T1 with sides (3, 4, 5), T2 with sides (5, 12, 13) and T3 with sides (6, 8, 10). Which triangles among T1, T2 and T3 are related?
Solution.
R = { (T1, T2): T1 is similar to T2}
R is reflexive since every triangle is similar to itself.
Further, if (T1, T2) ∈ R, then T1 is similar to T2.
⇒ T2 is similar to T1.
⇒ (T2, T1)E R R is symmetric.
Now, let (T1, T2), (T2, T3) ∈ R.
⇒ T1 is similar to T2 and T2 is similar to T3.
⇒ T1 is similar to T3.
⇒ (T1, T3) ∈ R
∴ R is transitive.
Thus, R is an equivalence relation.
Now, we can observe that : \(\frac{3}{6}=\frac{4}{8}\) = \(\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\)
∴ The corresponding sides of triangles T1 and T3 are in the same ratio.
Then, triangle T1 is similar to triangle T3.
Hence, T1 is related to T3.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 13.
Show that the relation R defined in the set A of all polygons as R = {(P1, P2) : P1 and P2 have same number of sides}, is an equivalence relation. What is the set of all elements in A related to the right angled triangle T with sides 3, 4 and 5?
Solution.
R = {(P1, P2) : Px and P2 have same number of sides.}
R is reflexive since (P1, P1) e R as the same polygon has the same number of sides with itself.
Let (P1, P2) ∈ R.
⇒ P1 and P2 have the same number of sides.
⇒ P2 and P1 have the same number of sides.
⇒ (P2, P1) ∈ R
∴ R is symmetric.
Now, let (P1, P2), (P2, P3) e R.
⇒ P1 and P2 have the same number of sides.
Also, P2 and P3 have the same number of sides.
⇒ P1 and P3 have the same number of sides.
⇒ (P1, P3) ∈ R
∴ R is transitive. Hence, R is an equivalence relation.
The elements in A related to the right-angled triangle (T) with sides 3, 4 and 5 are those polygons which have 3 sides (since T is a polygon with 3 sides).
Hence, the set of all elements in A related to triangle T is the set of all triangles.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question. 14.
Let L be the set of all lines in XY-plane and R be the relation in L defined as R = {(L1, L2): L1 is parallel to L2}. Show that R is an equivalence relation. Find the set of all lines related to the line y = 2x + 4.
Solution.
R = {(L1, L2) : L1 is parallel to L2}
R is reflexive as any line L1 is parallel to itself i.e., (L1, L1) ∈ R.
Now, let (L1, L2) ∈ R
⇒ L1 is parallel to L2.
⇒ L2 is parallel to L1.
⇒ (L2, L1) ∈ R R is symmetric.
Now, let (L1, L2), (L2, L3) ∈ R.
⇒ L1 is parallel to L2. Also, L2 parallel to L3.
⇒ L1 is parallel to L3.
∴ R is transitive.
Hence, R is an equivalence relation.
The set of all lines related to the line y = 2x + 4 is the set of all lines that are parallel to the line y – 2x + 4.
Slope of line y = 2x + 4 is m = 2. It is known that parallel lines have the same slopes.
The line parallel to the given line is of the form y = 2x + c, where c ∈ R. Hence, the set of all lines related to the given line is given by y = 2x + c, where c ∈ R.

PSEB 12th Class Maths Solutions Chapter 1 Relations and Functions Ex 1.1

Question 15.
Let R be the relation in the set {1, 2, 3, 4} given by R = {(1, 2), (2, 2), (1, 1), (4, 4), (1, 3), (3, 3), (3, 2)}. Choose the correct answer.
(A) R is reflexive and symmetric but not transitive.
(B) R is reflexive and transitive but not symmetric.
(C) R is symmetric and transitive but not reflexive.
(D) R is an equivalence relation.
Solution.
R = {(1, 2), (2, 2), (1,1), (4, 4), (1, 3), (3, 3), (3, 2)}
It is seen that (a, a) ∈ R, for every a ∴ {1, 2, 3, 4}
∴ R is reflexive.
It is seen that (1, 2) ∈ R, but (2, 1) $ R.
∴. R is not symmetric.
Also, it is observed that (a, b), (b, c) ∈ R
⇒ (a, c) ∈ R for all a, b, c ∈ {1, 2, 3, 4}
∴ R is transitive.
Hence, R is reflexive and transitive but not symmetric.
Thus, the correct answer is (B).

Question 16.
Let R be the relation in the set N given by
R = {a, b): a = b – 2, b > 6}. Choose the correct answer.
(A) (2, 4) ∈ R
(B) (3, 8) ∈ R
(C) (6, 8) ∈ R
(D) (8, 7) ∈ R
Solution.
R = {(a, b): a = b – 2, b > 6}
Now, since b > 6, (2, 4) ∉ R
Also, as 3 ≠ 8 – 2, (3, 8) ∉ R
And, as 8 ≠ 7 – 2
∴ (8, 7) ∉ R
Now, consider (6, 8). We have 8 > 6 and also, 6 = 8 – 2.
∴ (6, 8) ∈ R
Thus, the correct answer is (C).

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन (2nd Language)

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Patra Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 5th Class Hindi Rachana पत्र-लेखन (2nd Language)

प्रश्न 1.
मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण अवकाश (छुट्टी) के लिए प्रार्थना-पत्र।
उत्तर :
सेवा में

श्रीमान् मुख्याध्यापक महोदय,
खालसा प्राइमरी स्कूल,
जालन्धर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मुझे कल रात से ही बहुत तेज़ बुखार हो गया है। डॉक्टर ने मुझे आराम करने के लिए कहा है। इसलिए मैं आज स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपा करके मुझे दो दिन (14-4-20….) से (15-4-20…..) की छुट्टी दी जाए। मैं आपका बहुत धन्यवादी हँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
विजय कुमार
पाँचवीं कक्षा ‘ए’

तिथि : 14-4-20…..

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

प्रश्न 2.
आवश्यक (ज़रूरी) काम के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र।
उत्तर :
सेवा में

श्रीमान् मुख्याध्यापक जी,
गवर्नमैंट प्राइमरी स्कूल,
नकोदर।

श्रीमान् जी,
विनम्र निवेदन यह है कि आज मुझे घर पर अति आवश्यक कार्य पड़ गया है। इसलिए मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपा करके मुझे एक दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। मैं आपका अति धन्यवादी हूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
बलदेव सिंह,
कक्षा पाँचवीं ‘बी’

तिथि : 5 मई, 20………

प्रश्न 3.
फीस माफी के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र।
उत्तर :
सेवा में

श्रीमान् मुख्याध्यापक महोदय,
शिवालिक प्राइमरी स्कूल,
नवां शहर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में पाँचवीं श्रेणी में पढ़ता हूँ। मैं एक निर्धन विद्यार्थी हूँ। मेरे पिता जी एक कारखाने में मजदूरी करते हैं। उनकी मासिक आमदनी केवल दो हज़ार रुपये है। इस आय से परिवार का गुजारा बहुत मुश्किल से होता है। अतः मेरे पिता जी मेरी फीस नहीं दे सकते। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। कृपा करके मेरी पूरी फीस माफ कर दें। मैं आपका जीवन भर आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
प्रमोद कुमार,
कक्षा पाँचवीं ‘ए’
रोल नं0 15

तिथि : 10 मई, 20………

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

प्रश्न 4.
जुर्माना माफ करवाने के लिए मुख्याध्यापिका को प्रार्थना-पत्र।
उत्तर :
सेवा में

श्रीमती मुख्याध्यापिका जी,
खालसा प्राइमरी स्कूल,
अमृतसर।

श्रीमती जी,
सविनय प्रार्थना है कि सोमवार को मेरी अंग्रेजी की अध्यापिका जी ने हमारा टैस्ट लेना था। उस दिन मेरे माता जी बीमार थे। घर में मेरे अतिरिक्त कोई नहीं था। अत: उस दिन मैं स्कूल में उपस्थित नहीं हो सकी। मेरी अध्यापिका ने मुझे बीस रुपये विशेष जुर्माना किया है। मेरे पिता जी बहुत गरीब हैं। मैं यह जुर्माना नहीं दे सकती। वैसे मैं इंग्लिश में बहुत अच्छी हूँ। इस बार त्रैमासिक (तिमाही) परीक्षा में मेरे 100 में से 80 अंक आए थे। अतः कृपा करके मेरा जुर्माना माफ कर दें। मैं आपकी अत्यन्त आभारी हूँगी।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
सुरजीत कौर
कक्षा पाँचवीं ‘ए’

तिथि : 15 अगस्त, 20….

प्रश्न 5.
भाई के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र।
उत्तर :
सेवा में

मुख्याध्यापक महोदय,
डी० ए० वी० हाई स्कूल,
अमृतसर।

श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मेरे बड़े भाई का विवाह 10 मार्च को होना निश्चित हुआ है। विवाह में मेरा शामिल होना बहुत ज़रूरी है। बारात अमृतसर से लुधियाना जाएगी। अतः कृपा करके मुझे 9 मार्च से 11 मार्च तक तीन दिन का अवकाश प्रदान करें। मैं आपका धन्यवादी हूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अजय शर्मा
कक्षा पाँचवीं, रोल नं0 28

दिनांक : 8 मार्च 20…..

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

प्रश्न 6.
स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र (सर्टीफिकेट) लेने के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र।
उत्तर :
सेवा में

श्रीमान् मुख्याध्यापक जी,
गुरु नानक मिंटगुमरी प्राइमरी स्कूल,
कपूरथला।

श्रीमान् जी,
सविनय प्रार्थना यह है कि मेरे पिता जी की बदली फिरोज़पुर की हो गई है। इसलिए हम सबको यहाँ से जाना पड़ रहा है। मेरा यहाँ अकेला रहना मुश्किल है। अतः मुझे स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें ताकि फिरोजपुर जाकर मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। मैं आपका बहुत आभारी हूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुखबीर सिंह,
कक्षा पाँचवीं ‘ए’

तिथि : 15 सितम्बर, 20…..

प्रश्न 7.
चाचा जी को उपहार के लिए धन्यवाद पत्र लिखो।
उत्तर :

47 बी, पीतमपुरा,
नई दिल्ली।
20 अक्तूबर 20….

पूज्य चाचा जी,

प्रणाम।
मेरे जन्म दिन पर आपके द्वारा भेजा गया उपहार मुझे मिल गया है। यह एक सुन्दर घड़ी है। मुझे घड़ी की ज़रूरत भी थी। अब मुझे स्कूल पहुँचने में देरी भी नहीं होगी। इस घड़ी से मैं समय का पूरा-पूरा लाभ उठा सकूँगा। इस सुन्दर उपहार के लिए एक बार फिर आपका धन्यवाद। चाची जी को प्रणाम और मिन्टू को प्यार।।

आपका भतीजा
सुरेश

(सूचना–छात्रों के बौद्धिक विकास के लिए उक्त पत्र दिये गये हैं।)

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

प्रश्न 8.
मुख्याध्यापक को विद्यालय से मुफ्त पुस्तकें एवं वर्दी प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
उत्तर :
सेवा में

मुख्याध्यापक जी,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय,
पटियाला।

महोदय,
निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की पाँचवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता जी सरकारी कार्यालय में लिपिक हैं। हम तीन भाई-बहन हैं। पिताजी का वेतन इतना कम है कि वे हमारी पढ़ाई का भार सम्भालने में कठिनाई का अनुभव कर रहे हैं। मैंने चौथी कक्षा की वार्षिक परीक्षा में 96% अंक प्राप्त किये हैं। खेलों में भी मेरी रुचि है। आपसे सानुरोध प्रार्थना है कि हमारी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुझे विद्यालय की ओर से पाँचवीं श्रेणी की पुस्तकें तथा वर्दी देने की कृपा करें। मैं आपका हृदय से आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रमेश,
पाँचवीं ‘ग’।

दिनांक : ……………………………….

प्रश्न 9.
अपने छोटे भाई को पत्र लिखो जिसमें प्रातः भ्रमण (सुबह की सैर) के लाभ बताए गए हों।
उत्तर :

208, कृष्ण नगर,
गुरदासपुर।
11 जुलाई, 20…….

प्रिय भाई नरेश,

चिरंजीव रहो।
कल माता जी का पत्र मिला। पढ़ कर पता चला कि तुम बीमार रहने के कारण बहुत कमज़ोर हो गए हो। तुम सुबह देर तक सोए रहते हो। प्यारे भाई! प्रातः उठ कर सैर करनी चाहिए। सुबह की सैर से स्वास्थ्य उत्तम होता है। प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। मांसपेशियों में नए रक्त का संचार होता है। फेफड़ों को साफ़ वायु मिलती है। ओस पड़ी घास पर नंगे पांव चलने से बल, बुद्धि और आँखों की रोशनी बढ़ती है। दिमाग को शक्ति मिलती है। इसलिए प्रातः घूमने अवश्य जाया करो। आशा है तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। पूज्य माताजी को प्रणाम और अनु को प्यार।

तुम्हारा बड़ा भाई
प्रदीप कुमार।

प्रश्न 10.
अपनी सखी को गर्मियों की छुट्टियां साथ बिताने के लिए निमन्त्रण दो।
उत्तर :

45, लक्ष्मीपुरा,
अमृतसर।
16 अप्रैल, 20….

मोनिका,

मधुर स्मृति।
इस बार गर्मियों की छुट्टियां 15 मई से 15 जुलाई तक हो रही हैं। अब की बार गर्मियों की छुट्टियों में हमारा शिमला जाने का विचार है। एक तो सख्त गर्मी से बच जायेंगे, दूसरे एक सुन्दर पहाड़ी स्थान की सैर हो जाएगी। हमने जून के पहले सप्ताह में जाने का निश्चय कर लिया है। वहाँ पहाड़ियों पर घूमने से जहाँ सेहत सुधरेगी, वहाँ पढ़ाई भी अच्छे – ढंग से होगी। मेरे माता-पिताजी तथा छोटा भाई भी साथ जायेंगे। हम पिताजी से पढ़ लिया करेंगे।

प्रिय सखी ! यदि तुम साथ चलने को तैयार हो जाओ तो आनन्द आ जाएगा।

आशा है, तुम शीघ्र पत्र डालकर मुझे अपना विचार लिखोगी। माता जी को नमस्ते।

तुम्हारी सखी.
मीनाक्षी।

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

प्रश्न 11.
मित्र की सफलता पर बधाई पत्र लिखो।
उत्तर :

208, प्रेम नगर,
करनाल।
11 अप्रैल, 20…..

प्रिय मित्र सुरेश,
कल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहत ही खुशी हई कि तुम पाँचवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण (पास) हो गए हो। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना (इच्छा) करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। – अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
राजबीर।

प्रश्न 12.
अपनी माता जी को अपनी कुशलता के बारे में पत्र लिखो।
उत्तर :

सरकारी स्कूल छात्रावास,
मोगा।
1 अगस्त, 20…..

पूज्य माता जी,

सादर प्रणाम।
मैं पिछले रविवार को यहाँ पहुँच गया था। सोमवार से हमारी पढ़ाई ठीक प्रकार से शुरू हो गई है। मैं पूर्णतया कुशल से हूँ। बुखार के कारण जो कमजोरी आ गई थी, वह अब नहीं रही। छात्रावास में भोजन का अच्छा प्रबन्ध है। किसी प्रकार की चिन्ता न करें। अब मैं समय सारिणी के अनुसार चल रहा हूँ। प्रातः 5 बजे उठ जाता हूँ। शौचादि से निवृत्त होकर कुछ व्यायाम करता हूँ, फिर नहा-धोकर अल्पाहार लेकर पढ़ने बैठ जाता हूँ। 9 बजे स्कूल का समय है। वहां से लौटकर सायं 5 बजे सब छात्र क्रीड़ा-क्षेत्र में चले जाते हैं। मैं कबड्डी टीम में हूँ। रोज़ की कसरत से मेरे अन्दर नई ताज़गी का आभास होने लगता है। रात को समय पर सो जाता हूँ।

आपका पुत्र,
अमित कुमार
पाँचवीं ‘ए’।

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

प्रश्न 13.
अपने जन्मदिन पर अपने चाचा जी को निमन्त्रण (बुलावा) पत्र लिखो।
उत्तर :

205, मॉडल टाऊन,
पंचकुला।
20 अप्रैल, 20….

पूज्य चाचा जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि 23 अप्रैल को मेरा जन्मदिन है। इसलिए मैं अपने मित्रों को शाम की चाय पार्टी दे रहा हूँ, आप भी चाची जी, रिंकू और नीता को लेकर इस छोटी-सी चाय पार्टी पर आएं।

चाची जी को प्रणाम। रिंकू और नीतू को प्यार।

आपका भतीजा,
नरेश कुमार।

प्रश्न 14.
अपने मित्र को बड़े भाई के विवाह के अवसर पर निमन्त्रण पत्र लिखो।।
उत्तर :

4/105, माल रोड,
लुधियाना।
12 सितंबर, 20….

मित्र राजेश,
तुम्हें यह जानकर खुशी होगी कि मेरे बड़े भाई का विवाह 15 सितंबर, ……… को होना निश्चित हुआ है। बारात मनाली जा रही है। इस खुशी के अवसर पर मैं आपको आने का निमन्त्रण देता हूँ।

कृपया इस अवसर पर आ कर इसकी रौनक को और बढ़ाइये। आपको बारात के साथ भी चलना पड़ेगा। सचमुच अगर तुम साथ होगे तो बड़ा मज़ा आएगा। भैया और माता-पिता को साथ लाना न भूलना।

तुम्हारा मित्र,
हितेश कुमार।

PSEB 5th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

प्रश्न 15.
रुपये मंगवाने के लिए पिताजी को पत्र लिखो।
उत्तर :

गवर्नमैंट प्राथमिक स्कूल,
डेरा बसी।
15 मई, 20….

पूज्य पिता जी,

सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर बड़ी खुशी होगी कि मैं चौथी कक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण (पास) हो गया हूँ। अब मुझे पाँचवीं श्रेणी में दाखिला लेना है। इस श्रेणी की पुस्तकें एवं कापियां भी खरीदनी हैं। इसलिए कृपा करके मुझे पचास रुपये मनीआर्डर द्वारा शीघ्र भेज दें ताकि मैं ठीक समय पर पाँचवीं श्रेणी में दाखिला ले सकूँ।

माता जी को प्रणाम। बिटू और मधू को प्यार।

आपका पुत्र,
रमेश कुमार।

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 21 कौन? (कविता) Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 21 कौन? (कविता) (2nd Language)

कौन? (कविता) अभ्यास

नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ो और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करो :

  • ਸੋਨੇ = सोने
  • ਰਾਤ = रात
  • ਦਿਸ਼ਾ = दिशा
  • ਸੂਰਜ = सूरज
  • ਦਨ = दिन
  • ਪਿਆਸ = प्यास
  • ਨਦੀਆਂ = नदियाँ
  • ਝਰਨਾ = झरना

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिन्दी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ो और हिंदी शब्दों को लिखो :

  • ਚੰਨ = चाँद
  • ਸਾਫ = निर्मल
  • ਅਕਾਸ਼ = नभ
  • ਬੱਦਲ = बादल
  • ਸਤਰੰਗੀ ਪੀਂਘ = इन्द्रधनुष
  • ਸਵਾਲ = प्रश्न

पढ़ो, समझो और लिखो

(क) प् + य = प्य = प्यास
स् + क = स्क = मुस्काता
श् + न = श्न = प्रश्न
र् + व = 4 = पर्वत

कौन? (कविता) शब्दार्थ

  • दिशा – ओर, तरफ, चार मुख्य दिशाएँ पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
  • नभ = आकाश
  • निर्मल = मल रहित, साफ़
  • इन्द्रधनुष = बारिश के बाद आकाश में दिखाई देने वाला सात रंगों का आधा गोला
  • जग = संसार

वाक्य पूरे करो

  1. चाँद और सूरज हमें ……………………………….. देते हैं। – इन्द्रधनुष
  2. नदियाँ हमें ……………………………….. देती हैं। – बारिश
  3. पेड़ हमें ……………………………….. देते हैं। – रोशनी
  4. बादल हमें ……………………………….. देते हैं। – पानी
  5. बारिश के बाद आकाश में ……………………………….. दिखाई देता है। – हरियाली

उत्तर :

  1. रोशनी
  2. पानी
  3. हरियाली
  4. बारिश
  5. इन्द्रधनुष

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

बताओ

प्रश्न 1.
चाँद और सूरज से हमें क्या मिलता है?
उत्तर :
चाँद और सूरज से हमें रोशनी मिलती है।

प्रश्न 2.
नदियाँ हमारी किस ज़रूरत को पूरा करती हैं?
उत्तर :
नदियाँ हमारी पानी की ज़रूरत को पूरा करती हैं।

प्रश्न 3.
पेड़ों से हमें क्या-क्या प्राप्त होता है?
उत्तर :
पेड़ों से हमें फल तथा लकड़ी प्राप्त होती है।

प्रश्न 4.
फूल हमें क्या सिखाते हैं?
उत्तर :
फूल हमें हँसना-मुस्काना सिखाते हैं।

प्रश्न 5.
इन्द्रधनुष कब दिखाई देता है?
उत्तर :
इन्द्रधनुष, वर्षा के बाद दिखाई देता है।

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

पढ़ो और समझो

(क) पर्वत = पहाड़
चाँद = चंद्रमा
पेड़ = वृक्ष
नभ = आकाश
दिन = दिवस
जग = संसार
सूरज = सूर्य
फूल = पुष्प
बादल = मेघ
रात = रात्रि

(ख) झरना = झरने
मुस्काता = ……………………………………..
फैलाता = ……………………………………..
बहाता = ……………………………………..
उत्तर :
उपरोक्त रेखांकित शब्दों के समानार्थक शब्द सामने लिखे गए हैं। समानार्थक शब्द पर्यायवाची शब्द भी कहलाते हैं। विद्यार्थी इन्हें भली प्रकार समझें।

रचनात्मक कौशल
बच्चे नीचे दिए गए बॉक्स में इन्द्रधनुष बनायें और उसमें अपने अध्यापक से पूछकर रंग भरें।
PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन (कविता) 1

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

कौन? (कविता) बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाबी शब्द ‘हसीना’ का हिन्दी अर्थ है- नदि/नदी/नदियाँ/नदीयां
उत्तर :
नदियाँ

प्रश्न 2.
पंजाबी शब्द ‘महाल’ का हिन्दी अर्थ है- प्रश्न/सवाल/उत्तर/प्रीसन
उत्तर :
प्रश्न

प्रश्न 3.
‘मुस्काता’-मुस्काते है तो ‘झरना’ है-
(i) झरने
(ii) डरने
(iii) भरने
(iv) परने।
उत्तर :
(i) झरने

प्रश्न 4.
पेड़ हमें क्या देते हैं ?
(i) फल
(ii) लकडी
(iii) फल और लकडी
(iv) तेल
उत्तर :
(iii) फल और लकडी

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

प्रश्न 5.
चाँद और सूरज से हमें मिलता है-
(i) रोशनी
(ii) भोजन
(iii) आक्सीजन
(iv) खाना।
उत्तर :
(i) रोशनी।।

कौन? (कविता) Summary in Hindi

1. अगर न होता चाँद, रात में,
हमको दिशा दिखाता कौन ?
अगर न होता, सूरज दिन को,
सोने-सा चमकाता कौन ?

शब्दार्थ-

  • अगर = यदि।
  • दिशा = मार्ग, रास्ता।।
  • सोने-सा = सुनहरा।

सरलार्थ :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सृष्टि की अनुपम सुन्दरता का वर्णन करते हुए कहता है कि यदि रात के समय यह चाँद अपनी चाँदनी न बिखराता तो अन्धेरे में हमें मार्ग कौन दिखाता और यदि यह सूरज न होता तो उसके सुनहरी प्रकाश से दिन को सोने जैसा चमकदार कौन बनाता।

2. अगर न होती निर्मल नदियाँ
जग की प्यास बुझाता कौन ?
अगर न होते पर्वत, मीठे
झरने भला बहाता कौन ?

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

शब्दार्थ-

  • निर्मल = साफ, स्वच्छ, पवित्र।
  • जग = संसार।
  • बुझाता = शान्त करता, तृप्त करता।
  • पर्वत = पहाड़।

सरलार्थ :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रकृति की सुन्दरता को चित्रित करते हुए कहता है कि यदि इस संसार में पवित्र नदियाँ न होती तो बताओ इस संसार के लोगों की प्यास को कौन बुझाता और अगर ये पर्वत, पहाड़ न होते तो भला इन पवित्र झरनों को कौन बहाता। ये पर्वत यदि न होते तो झरने कहाँ से बहते।

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन (कविता) 2

3. अगर न होते पेड़, भला फिर
हरियाली फैलाता कौन ?
अगर न होते फूल, बताओ
खिल विलाकर मुस्काता कौन ?

सरलार्थ :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रकृति-सौन्दर्य की प्रशंसा करते हुए कहता है कि यदि इस संसार में पेड़-पौधे न होते तो फिर इस जगत में हरियाली कौन फैलाता और यदि इस संसार में रंग-बिरंगे फूल न खिलते तो बताओ भला खिल-खिलाकर कौन मुस्कराता। अभिप्राय यह है कि फूलों से ही मनुष्य ने हँसना सीखा है। फूलों को देखकर मनुष्य का मन भी आनन्दित हो उठता है।

4. अगर न होते बादल, नभ में,
इन्द्रधनुष रच पाता कौन ?
अगर न होते हम तो बोलो
ये सब प्रश्न उठाता कौन ?

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 21 कौन? (कविता)

सरलार्थ :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रकृति की सुन्दरता की प्रशंसा करते हुए कहता है कि यदि इस आकाश में बादल नहीं होते तो फिर इन्द्रधनुष को कौन रचता और अगर इस संसार में हम ही न होते तो भला इन प्रश्नों को कौन उठाता ? अभिप्रायः मनुष्य का मन ही मनन करता है तभी तो ईश्वर के द्वारा फैलाए गए प्रकृति-सौन्दर्य को देख और अनुभव कर सकता है।